ये कहानी है एक प्यार को शिद्दत से निभाने वाले और दूसरे प्यार को ऑब्सेशन समझने वाले इंसान की। विधिक राणा, जो एक इंटरनेशनल माफिया है, जिसके लिए इमोशंस का कोई मतलब नहीं, तो वही दूसरी तरफ है अमन कपूर, जो एक सीक्रेट एजेंट है। क्या होगा, जब दोनो को एक ही ल... ये कहानी है एक प्यार को शिद्दत से निभाने वाले और दूसरे प्यार को ऑब्सेशन समझने वाले इंसान की। विधिक राणा, जो एक इंटरनेशनल माफिया है, जिसके लिए इमोशंस का कोई मतलब नहीं, तो वही दूसरी तरफ है अमन कपूर, जो एक सीक्रेट एजेंट है। क्या होगा, जब दोनो को एक ही लड़की से प्यार होगा। क्या आँशी के लिए अमन की सादगी मायने रखेगी या विधिक का ऑब्सेशन। जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरे साथ “dangerous obssession of love.”
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शाम के लगभग छह बज रहे थे। चंडीगढ़ शहर के आउटसाइड एरिया में एक बड़ा सा मेला था। वहां काफी भीड़ थी और लोग अपने एंजॉयमेंट में बिजी थे। उस भीड़ में एक आदमी, जिसका कद साढ़े पांच फीट से भी कम था, उसने खुद के मुंह को कपड़े से कवर कर रखा था। वो हर दुकान पर जाकर समान टटोल रहा था। इसी भीड़ में से एक लड़की जोर से चिल्लाकर बोली, “ओए अर्जुन, वो देख पानीपुरी... आई वांट देम...” बोलते हुए वो पानीपुरी के ठेले की तरफ जाने लगी। फिर वो अपने साथ वाले लड़के की तरफ मुड़ी। “कम अर्जुन..।” वो मुस्कुराकर बोली, जिससे उसके गालों पर हल्के डिंपल उभरे। उसने ब्लैक जींस पर पिंक कलर का क्रॉप टॉप पहन रखा था। दौड़ते हुए उसके कमर से कुछ ही छोटे घुघराले बाल हवा में उड़ रहे थे। वो लगभग पांच फीट चार इंच लंबी थी। गोरा रंग, छोटी आंखे और मासूम सा चेहरा। “ये लड़कियां पानी पुरी के ठेले को देखकर इतना पागल क्यों हो जाती है? ऐसे रिएक्ट कर रही है, जैसे जिंदगी में पहली बार पानीपुरी देखी है।” उसे दौड़ता देख अर्जुन ने मुंह बनाया। वो लगभग पांच फीट दस इंच की करीब की हाइट का था, जिसकी बॉडी फीट थी और क्लीन शेव्ड क्यूट चेहरा था। “आँशी.. आँशी रुक तो सही यार।” अर्जुन आवाज लगाते हुए उसके पीछे दौड़ने लगा। आँशी दौड़ते हुए गोलगप्पे के ठेले के पास आ गई। “भैया, बिल्कुल तीखी वाली बनाना।” आँशी ने वहां जाते ही कहा। “हां भैया.. इतनी मिर्ची डालना कि इसकी लाश ही यहां से ले जानी पड़े।” अर्जुन ने उसका मजाक बनाते हुए कहा, जिस पर आँशी उसे घूर कर देखने लगी। “तुझे मेरे पानी पूरी खाने से जलन क्यों हो रही है? जलकुक्कड़ा कहीं का।” आँशी मुंह बना कर बोली। “मैं तुम्हें यहां फेयर घुमाने के लिए लाया था, स्ट्रीट फूड खाने के लिए नहीं। तबियत खराब हुई तो बीजी की डांट पड़ेगी।।” “बस कर यार अर्जुन... बीजी को मैं देख लूंगी। फेयर में घूमने आई हूं तो पानी पूरी भी खाऊंगी, पटियाला ड्रेस भी खरीदूंगी और वो बड़े वाला झूला भी झुलूंगी।” आँशी ने ड्रामेटिक अंदाज में कहा। “जो करना है कर, लेकिन सात बजे से पहले हमें घर पहुंचना है।” अर्जुन बोला। “हां तो...” आँशी ने लापरवाही से कहा, “अभी तो सिर्फ छह बज रहे हैं। घर भी चले जाएंगे। कौनसा यहां घर बसाने वाली हूं मैं।” कहकर आँशी वहां से दूसरी स्टॉल पर चली गई। आँशी वहां पर घूमते हुए सामान खरीद रही थी, तभी उसकी नजर एक आदमी पर पड़ी। वो वही छोटे कद वाला आदमी था, जिसने अपना मुंह ब्लैक कलर के कपड़े से कवर कर रखा था। उसके पास एक बड़ा सा काला बैग था। आँशी ने नोटिस किया वो आदमी हर एक दुकान पर जाकर थोड़ा बहुत सामान बिखेर कर बिना कुछ लिए वापस जा रहा था। उसे देखकर आँशी बड़बड़ा कर बोली, “चंडीगढ़ के मुंडे भी काफी तेज हो रहे हैं। उसे तो देखो, कब से समान इधर-उधर बिखेर कर विंडो शॉपिंग कर रहा है। कोई लड़की होती तो फिर भी देखती, लेकिन लड़के भी ऐसा करते हैं, आज पता चला।” आँशी का ध्यान उस आदमी पर अटक गया। वो उसे नोटिस करने लगी और काफी देर तक करती रही। कुछ देर तक तो उसने कुछ नही कहा लेकिन उससे रहा नहीं गया। वो दौड़कर उस आदमी के पास गई। “एक बात बताइए भाई साहब, आखिर आप खरीदना क्या चाहते हैं?” आँशी उससे बोली। “और ये शाम के टाइम आप अपना फेस कवर करके क्यों घूम रहे हो?” उस आदमी ने कोई जवाब नही दिया। आँशी उस पर चिल्लाकर बोली, “क्या? कही तुम चोर तो नही, जो सब दुकानों पर थोड़ी थोड़ी देर तक रुककर उनका समान चुरा रहे हो?” “तुम्हें उससे मतलब...” उसने आँशी को घूर कर देखा और जवाब दिया। “अच्छा। उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, अब तुमसे तो यहां के लोग ही निपटेंगे।” आँशी ने उससे कहा और फिर जोर-जोर से शोर मचाने लगी। “अरे भाइयों, बहनों, अंकल, आंटीयों जल्दी से आओ। देखो, ये आदमी चोरी करके भाग रहा है।” उसकी आवाज ने कई लोगों का ध्यान खींच लिया। लोग उस तरफ बढ़ने लगे। आँशी ने उसके मुंह का कपड़ा खींच लिया। उस आदमी ने जल्दी से आँशी को धक्का दिया और वहां से भागने लगा। भागदौड़ में उसका बैग नीचे गिर गया। आँशी ने बैग की तरफ देखा। वो उसके पास गई और उसे खोला। बैग खोलते ही वो जोर से चिल्लाई, “ब...बॉम... ये एक बॉम्ब है। ये आदमी सब जगह बॉम्ब प्लांट कर रहा था।” उसके चिल्लाने की आवाज सबको सुनाई दी और कुछ ही देर में वहां पर अफरा-तफरी मच गई। सब लोग बॉम्ब बॉम्ब चिल्लाते हुए वहां से बाहर भागने लगे। अफरा-तफरी मचने की वजह से अर्जुन भी घबरा गया। वो इधर-उधर आँशी को ढूंढने लगा। “ये आँशी की बच्ची जहां भी जाती हैं, हंगामा मचा देती हैं।” अर्जुन ने सिर पकड़ कर कहा। वहां सभी लोग अपने अपनों को ढूंढने लगे और इस चक्कर में भगदड़ बढ़ गई। जल्दी से जल्दी लोग बाहर निकल रहे थे। उन सब के बीच एक सॉफ्ट टॉयज की छोटी सी दुकान के अंदर धमाका हुआ। उसके अंदर का सारा सामान एक झटके में बाहर आ गया। वहां आग लग चुकी थी। पर धमाका छोटा था। इस धमाके ने वहां की भागदौड़ को और बढ़ा दिया। आँशी अभी भी बॉम्ब बॉम्ब चिल्लाते हुए लोगों की बाहर निकलने में मदद कर रही थी। भीड़ से कुछ दूर दो आदमी खड़े थे। उनमें से एक के हाथ में एक ब्रीफकेस था और उसने ऑरेंज कलर का हेलमेट लगा रखा था। उसके पास वाले आदमी ने ब्लैक सूट पहना था और उसने चेहरे पर मास्क लगा हुआ था। परफेक्ट मस्क्यूकर बॉडी और लगभग छह फीट के करीब हाइट। उसकी गहरी काली आंखें आँशी को गुस्से में घूर रही थीं। “अच्छा खासा अपना काम निपटा रहे थे, पर पता नहीं इस लड़की में कहां से बॉम्ब बॉम्ब चिल्लाकर सारे सीक्रेट मिशन का सत्यानाश कर दिया।” सूट वाले आदमी ने आँशी को चिल्लाते देखकर कहा। “सर अब क्या करेंगे, इतनी अफरा-तफरी में बॉम्ब डिफ्यूज करना आसान काम नहीं होगा।” हेलमेट वाला आदमी बोला। “जानता हूं। तभी बॉम्ब प्लांट होने की न्यूज़ सुनकर जगह खाली कराने के बजाय टीम ने चुपचाप बॉम्ब डिफ्यूज करने का आर्डर दिया था। पर इस लड़की ने सब बिगाड़ के रख लिया।” उस आदमी में सधे लहजे में कहा। “अभी जो धमाका हुआ, वो छोटा था। लीड के हिसाब से यहां पांच से सात छोटे बॉम्ब, और एक बड़ा बॉम्ब प्लांट करने की साजिश है। यहां पर इतनी अफरा-तफरी नहीं होती, तो हम उसे आराम से ढूंढ सकते थे, लेकिन इतनी भीड़ में।” उस आदमी ने परेशान होकर कहा। “तुम अपना काम करो। बाकी टीम मेंबर्स को भी चुपचाप अपना काम करने को कहो। मैं बॉम्ब ढूंढने की कोशिश करता हूं।” कहकर वो आदमी बॉम्ब ढूंढने के लिए चला गया। सब लोग बाहर की तरफ जा रहे थे, मगर बॉम्ब ढूंढने वो आदमी अंदर जा रहा था। आँशी ने उस आदमी को अंदर जाते देखा। वो वही से जोर से चिल्लाई। “अरे ओ, सूट बुट वाले पढ़े लिखे अनपढ़ आदमी...पागल तो नहीं हो गए हो? अंदर बॉम्ब लगा है और तुम यहां पर बाहर जाने के बजाय अंदर जा रहे हो।” उस आदमी ने गुस्से में आँशी की तरफ देखा। “तुमसे तो मैं बाद में निपटुंगा चिल्लाने वाली लड़की.... सारा प्लान चौपट कर दिया और अब भी वहां पर खड़े होकर मुझे अंदर जाने से रोक रही हैं।” उसने अपने मन में कहा और आंशी की बात को अनसुना कर के अंदर चला गया। टीम बॉम्ब डिफ्यूज करने के काम में लगी हुई थी। एक बॉम्ब धमाके के बाद में दूसरा छोटा धमाका और हुआ, लोगों में दहशत फैल चुकी थी। “आँशी की बच्ची।” अर्जुन आँशी को देखा तो वो दौड़ कर उसके पास आकर बोला, “क्या जरूरत थी यहां इतना हंगामा मचाने की? बेवजह लोग पेनिक हो गए, हमें पुलिस को बुलाना चाहिए था ना कि बॉम्ब बॉम्ब करके यहां पर शोर मचाना चाहिए था।” “पुलिस को आने में टाइम लगता, वो जब तक आती तब तक लोगों की जान खतरे में पड़ सकती थी।” आँशी ने जवाब दिया। “अच्छी बात है अब इन सब को छोड़ो और मेरे साथ बाहर चलो।” अर्जुन आँशी का हाथ पकड़कर उसे बाहर ले जाने लगा। तभी आँशी ने अपना हाथ छुड़ाया और कहा, “तुम जाओ, मैं अपना देख लूंगी। मैंने अभी-अभी एक आदमी को अंदर की तरफ जाते देखा। मुझे लगता है वो आदमी सुन नहीं सकता, तभी उसे यहां की भगदड़ के बारे में पता नहीं चला। बेचारा आदमी, मुझे उसके लिए बहुत बुरा लग रहा है अर्जुन।” आँशी ने मासूमियत से कहा। “देखो आँशी, उसकी जान बचाने के चक्कर में तुम अपनी जान खतरे में नहीं डाल सकती। अब अपनी जिद छोड़ो और घर चलो।” अर्जुन ने जवाब दिया। “मैं नहीं जाने वाली। मैंने उस आदमी को देखा था। वो ज्यादा दूर नहीं गया होगा। तू बाहर निकल कर गाड़ी स्टार्ट कर, मैं उसको लेकर आती हूं।” कहकर आँशी ने अपना हाथ छुड़ाया। “लेकिन मैं तुझे छोड़कर...” अर्जुन बात खत्म कर पाता उससे पहले आँशी उसे वहीं छोड़कर अंदर की तरफ भागने लगी। “आँशी..” वो पीछे से जोर से चिल्लाया। आँशी पीछे की तरफ मुड़ी और चिल्लाकर जवाब दिया, “डोंट वरी, मैं 5 मिनट में आ जाऊंगी। मेरे पीछे मत आना।” अर्जुन दरवाजे के पास जाकर खड़ा हो गया और आँशी का इंतजार करने लगा। आँशी अंदर जा रही थी। जाते वक्त हड़बड़ाहट में वो झूले के हैंडलर से टकरा गई और नीचे गिर गई। उसने देखा कि वहां पर एक बड़ा सा बॉम्ब लगा हुआ था जिसमें 5 मिनट का टाइम शो हो रहा था। उसे देखकर वो जोर से चिल्लाई, “बॉम्ब... इसमें 5 मिनट का टाइमर लगा है। ये फटने वाला है।” वो आदमी वही आस पास था और आँशी की आवाज सुनकर उसकी तरफ देखने लगा। उसका ध्यान नीचे गिरे हुए बॉम्ब की तरफ गया। फिर उसने इधर उधर देखा तो सब लोग बाहर जा चुके थे। “पागल लड़की, जब दिखाई दे रहा है कि इसके अंदर 5 मिनट का टाइमर लगा है और ये फटने वाला है, तो इसके पास बैठकर क्या टाइम काउंट कर रही थी? “वो इरिटेट हो कर बोला। उसने जल्दी से अपनी टीम मेंबर को वहां आने का मैसेज छोड़ा और दौड़ कर आँशी के पास गया। तभी अचानक उस बॉम्ब से थोड़ी दूरी पर एक छोटा धमाका और हुआ। “बॉम्ब फटने वाला है, मैं मरने वाली हूं।“ आँशी डर कर बेहोश हो गई। वो आदमी उसके पास आ चुका था। “चलो अब तुम्हें भी बचाया जाए चिल्लाने वाली लड़की।“ उसने कहा और आँशी को अपनी गोद में उठा लिया। टीम के मेंबर्स तब तक वहां पहुंच चुके थे और बॉम्ब डिफ्यूज करने के काम में लग गए थे। इन सबके बीच में वो आँशी को गोद में उठाकर बाहर ले जा रहा था। टीम बॉम्ब डिफ्यूज कर चुकी थी। आँशी ने अपनी आंखें खोली तो उसने खुद को किसी की बाहों में पाया। वो ठीक से देख नहीं पा रही थी लेकिन उसे धुंधला सा उस आदमी का चेहरा दिखाई दिया। हल्का गोरा चेहरा, गहरी काली आंखें और चेहरे पर हल्की सुकून भरी मुस्कुराहट। आँशी ने यही उसकी एक धुंधली सी झलक देखी थी। °°°°°°°°°°°°°°°°
आँशी ग्राउंड के बैक डोर पर बेहोश पड़ी थी। अर्जुन उसे ढूंढते हुए उस तरफ आया। उसने आँशी को बेहोश देखा तो उसे होश में लाने की कोशिश करने लगा। अर्जुन ने आँशी के चेहरे पर पानी छिड़क कर कहा, “आँशी.. आँशी उठो...” पानी के छींटे गिरने से आँशी ने अपनी आंखें मिचमिचाई। उसने आंखें खोली तो सामने अर्जुन था, जो पानी डालकर उसे उठाने की कोशिश कर रहा था। “मैं जिंदा हूं ना?” आँशी खड़े होते हुए बोली। “नहीं.. तुम मर चुकी हो और मैं यमराज हूं।” अर्जुन ने मजाकिया तरीके से कहा। “ऑफ कोर्स तुम जिंदा हो। लेकिन तुम यहां फेयर के पिछले दरवाजे के पास कैसे पहुंची?” अर्जुन के पूछने पर आँशी याद करने की कोशिश करने लगी। “मुझे याद नहीं आ रहा लेकिन एक आदमी। वो मास्क वाला आदमी... वो मुझे गोद में उठाकर बाहर लाया था।” आँशी खोए हुए स्वर में बोली। “कौन सा मास्क वाला आदमी?” अर्जुन ने पूछा। “वही जो लंबा सा था, उसने ब्लैक कलर का सूट पहना था और। और उसके परफ्यूम की स्मेल कमाल की थी।” आँशी उसके बारे में याद करने की कोशिश कर रही थी। “अच्छा उसके बारे में बाद में सोच लेना। दादी के बार-बार कॉल्स आ रहे हैं। जब से उन्हें यहां बॉम्ब की न्यूज़ का पता चला है, तब से वो बहुत परेशान हो रही है।” अर्जुन ने बताया। “डैड को तो इस बारे में कुछ पता नहीं चला ना?”आँशी ने परेशान होकर पूछा। “पता लग कर भी क्या हो जाएगा? उनके हिसाब से तू लंदन में है।” अर्जुन ने मुंह बनाकर जवाब दिया, जिस पर आँशी हंस दी। उसके बाद अर्जुन पार्किंग एरिया से गाड़ी निकालने चला गया जबकि आँशी की नजरें अभी भी उस आदमी को ढूंढ रही थी, जिसने उसकी जान बचाई थी। __________ एक बहुमंजिला इमारत, जिसके ऊपर बड़े बड़े अक्षरों में आर्टिस्टिक लिखा हुआ था, वहां के मीटिंग रूम में वो मास्क वाला आदमी और उसकी टीम मौजूद थी। वो सब लोग अब बिना किसी मास्क के थे। “थैंक गॉड, टाइम पर सभी बॉम्ब्स को डिफ्यूज कर दिया गया वरना उस लड़की ने शोर शराबा करके सारा काम ही बिगाड़ दिया था।” एक टीम मेंबर ने कहा। उस आदमी ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। तभी वहां एक लड़की दौड़ते हुए आई। उसने बिल्कुल टाइट पैंट और ऊपर इन करके लूज़ शर्ट पहन रखा था। वो हाइट में लंबी और पतली थी और किसी मॉडल की तरह लग रही थी। उसके बाल गोल्डन ब्लैक हाइलाइटेड थे, जो कंधे से थोड़े ही लंबे थे। “आर यू ऑलराइट अमन? तुम लोगों ने मुझे बताना तक जरूरी नहीं समझा।” वो उसके गले लग कर बोली। “आई एम फाइन लवी। और सब कुछ बहुत जल्दबाजी में हुआ था इसलिए तुम्हें बुलाने का मौका नहीं मिला।” अमन ने उसे खुद से दूर किया और कहा, “वक्त रहते सब कुछ संभाल लिया गया।” “सही कहा अमन सर ने। वक्त रहते सब कुछ संभाल लिया गया लावण्या मैम, वरना उस चिल्लाने वाली लड़की ने तो सारे मिशन का कबाड़ा कर दिया था।” उनमें से एक लड़का बोला। “चिल्लाने वाली लड़की? कौन चिल्लाने वाली लड़की?” लावण्या ने अमन की तरफ देखकर पूछा। “हां थी एक लड़की, जो अपनी तरफ से सब की जान बचाने की कोशिश कर रही थी। उसने वहां पर बॉम्ब देख लिया था और हंगामा मचा दिया था, जिससे अफरातफरी मच गई।” अमन ने जवाब दिया। उसकी बात सुनकर लावण्या ने अपनी आंखें घुमा कर कहा, “अक्सर लोग बहादुरी दिखाने के चक्कर में बेवकूफियां करते हैं और हम सीक्रेट एजेंट्स की मुश्किलें बढ़ा देते हैं।” “लेकिन वो नहीं जानती थी ना कि वहां पर कोई सीक्रेट एजेंट मौजूद है।” टीम में से एक लड़के ने आँशी के सपोर्ट में कहा। लावण्या उसकी तरफ घूर कर देखने लगी। “उसकी इस नेक दिली के चक्कर में अगर वहां मौजूद लोगों को कुछ हो जाता तो? अफरा तफरी की वजह से हमारी टीम मेंबर्स की जान भी जा सकती थी।” लावण्या ने हल्के गुस्से में कहा। “ओके बस भी करो लवी....“ अमन ने बीच में बोलकर लावण्या को शांत कराया, “सिचुएशन अंडर कंट्रोल है। जो नहीं हुआ उसके बारे में सोच कर क्या फायदा....गाइज अब तुम लोग यहां से जल्दी निकलो, सर को बाकी की अपडेट कर देना।” “हां ये आर्टिस्टिक्स का ऑफिस है ना कि कोई सीक्रेट एजेंट्स की मीटिंग करने की जगह। इट वुड भी बेटर नेक्स्ट टाइम तुम लोग अपनी मीटिंग यहां ना करो।” लावण्या ने कहा। लावण्या की बात सुनकर बाकी के टीम मेंबर वहां से खड़े होकर जाने लगे। उनमें से एक लड़का बड़बड़ा कर बोली, “हां जैसे हमें पता ही नहीं कि ये आर्टिस्टिक का ऑफिस है और हमारे बॉस एक सीक्रेट एजेंट होने के साथ-साथ इस कंपनी के मालिक भी हैं....उनका तो समझ आता है लेकिन ये लावण्या मैम उनके साथ क्यों चिपकी रहती है?” लावण्या ने उसकी बात सुन ली थी लेकिन उसने कोई रिस्पांस नहीं किया। उनके जाने के बाद उसने अमन की तरफ देखा और फिर से गले लग गई। “तुम्हें मुझे बता देना चाहिए था। मैं परेशान हो गई थी।” लावण्या परेशान स्वर में बोली। “मैंने कहा ना लवी, सब कुछ हैंडल कर लिया गया है। बाकी तुम इन सब की बातों पर ध्यान मत दो। हम सिक्रेटली कोई भी काम करें लेकिन लोगों के सामने, मैं आर्टिस्टिक का मालिक अमन कपूर हूं और तुम मेरी मैनेजर लावण्या बजाज।” अमन ने उसके बालों में हाथ फिरा कर कहा। “और मुझे लावण्या बजाज से मिसेस लावण्या कपूर बनने का वेट है। उसके बाद एक-एक को देख लूंगी।” लावण्या ने कहा। अमन ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया लेकिन उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी। एक दूसरे को गुड नाइट बोलने के बाद दोनों अपने अपने घर को जा चुके थे। __________ दूसरी तरफ से आँशी और अर्जुन घर पर पहुंचे। उसे देख कर उसकी दादी जल्दी से व्हीलचेयर चलाती हुई उसके पास आई। “आँशी, मेरी बच्ची, तू ठीक तो है?” वो भारी आवाज में बोली। आँशी उनके पास बैठी और उनका हाथ पकड़ कर कहा, “हां दादी, मुझे कुछ नहीं हुआ। आपको तो अपनी पोती पर प्राउड होना चाहिए कि मैंने वहां पर इतने लोगों की जान बचाई।” “ये कब हुआ?” आँशी की बात सुनकर अर्जुन ने बड़बड़ाकर कहा। “क्या सच में?” आँशी की दादी हैरानी से बोली। “हां सच में दादी। आपको पता है मैंने वहां पर एक आदमी को पकड़ा, जिसके पास में एक बड़ा सा बैग था। पता है उसने उसके अंदर बहुत सारे बॉम्ब्स डाल रखे थे। वो तो मुझसे छूटकर भाग निकला लेकिन मैंने वहां पर जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया, जिससे लोग अपनी जान बचाकर वहां से बाहर भागने लगे। उनमें से कुछ लोगों को तो मैंने खुद बाहर निकाला था। उनमें से एक आदमी सुन नहीं सकता था। मैंने दादी.... आपकी इस पोती ने अपनी जान जोखिम में डालकर उस लड़के को बचाने के लिए अंदर गई।” आँशी उन्हें अच्छी खासी एक लंबी चौड़ी कहानी सुना रही थी। वहां की पूरी कहानी बताते वक्त आँशी उस आदमी की यादों में खो गई, जिसने उसे बचाकर बाहर निकाला था। “हाय मैं मर जावा। फिर क्या हुआ?“ उसकी दादी प्रीतो ने पूछा जो कि बड़ी ही गौर से उसकी बातें सुन रही थी। दादी की आवाज सुनकर उसका ध्यान टूटा और उसने आगे बताते हुए कहा, “वो तो कोई कमजोर सा हल्का-फुल्का नाजुक सा आदमी था। आप यकीन नहीं करेंगी बॉम्ब देखकर वो तो बेचारा बेहोश हो गया था। फिर मैंने उसे अपने नाजुक हाथों से उठाया और बाहर लेकर आई।“ “बहुत अच्छा किया।” आँशी की दादी ने उसकी बलैया ली। आँशी की कहानी का ये वर्जन सुनकर अर्जुन उसकी तरफ घूर कर देख रहा था। “अच्छा दादी, इन सब को छोड़िए, वहां पर इतनी भगदड़ मच गई थी कि कुछ खाने का मौका ही नहीं मिला था। खाने में क्या बना है?” “अच्छा तुम्हें भूख भी लगी है। मुझे लगा इतनी लंबी-लंबी छोड़ने के बाद तुम्हारा पेट भर गया होगा।” अर्जुन ने मुंह बनाकर कहा। “ये ऐसे ही बकवास कर रहा है दादी, आप इसकी बात पर ध्यान मत दो। खाने में क्या है?” आँशी ने अर्जुन की बात को घुमा दिया। “खाने में तो कुछ नहीं है। तुम लोग बाहर घूमने गए थे तो मुझे लगा कि खाना खाकर ही आओगे। शांति आई थी खाना बनाने के लिए, सिर्फ मेरे लिए बना कर चली गई।” दादी ने जवाब दिया। “कोई बात नहीं दादी। ये अर्जुन है ना।” बोलते हुए आँशी अर्जुन की तरफ मुड़ी और कहा, “दुनिया का बड़ा सा बड़ा सैफ फेल है दादी, अर्जुन इतनी अच्छी मैगी बनाता है।” “ये ना झूठी तारीफें करने की कोई जरूरत नहीं है। जा रहा हूं किचन में। प्रीतो दादी, मैं आपकी फ्रेंड का पोता हूं लेकिन आप की पोती ने मुझे अपना पर्सनल नौकर बना कर छोड़ दिया है।” कहकर अर्जुन किचन में चला गया। “हां तो क्या हुआ? तुम भी तो हमारे घर पर फ्री में रह रहे हो। हमने तो कभी नहीं कहा कि लाओ अर्जुन, महीने का किराया दो। देखा दादी आपने, दोस्त होने के नाते ये मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकता।“ आँशी पीछे से चिल्ला कर बोली। उन दोनों की नोकझोंक देखकर प्रीतो जी मुस्कुरा दी। “अच्छा ठीक है बाबा... आ रही हूं हेल्प करने..“ बोलते हुए आँशी भी अर्जुन के पीछे चली गई। °°°°°°°°°°°°°°°° आँशी की तो अलग ही कहानी चल रही है। वैसे काफी लंबी लंबी छोड़ी है उसने... पढ़कर कमेंट जरुर करना।
ऑफिस से निकलने के बाद अमन सीधा अपने घर गया। वहां जाते ही रिलैक्स करने के लिए उसने बाथ लिया और फिर डिनर के लिए अपने घर के गार्डन में बैठा था। उसे अकेले बैठे देख कर उसकी मां चेतना जी उसके पास आई। “क्या बात है मिस्टर कपूर। किसके ख्यालों में गुम हो।” वो उसके पास बैठते हुए बोली। “किसी के भी नहीं।” अमन ने धीमी आवाज में जवाब दिया। “अगर कुछ भी नहीं हुआ तो आज फिर ये तूफान इतना शांत क्यों है?” चेतना ने पूछा। “ऑफिस में बहुत ज्यादा काम था, इस वजह से थक गया हूं। बाकी कुछ नहीं।” अमन ने थके स्वर में जवाब दिया। “कितनी अजीब बात है ना अमन, तुम थके हुए हो फिर भी तुम्हारे चेहरे पर थकान दिखाई नहीं दे रही। वैसे आज पूरे दिन तुम ऑफिस में नहीं थे। फिर ऐसा कौन सा काम था जिसकी वजह से तुम थक गए।” चेतना जी ने पूछा। “मतलब आप मेरी एब्सेंस में ऑफिस गई थी।” बोलते हुए अमन ने उनकी तरफ घूरकर देखा। “लगता है तुम्हारी गर्लफ्रेंड ने मेरे आने की खबर नहीं दी। इस बार तो सच मे मैजिक हो गया।“ चेतना ने आंखे घुमाकर कहा। चेतना जी की बात सुनकर अमन हल्का सा हंसा और फिर बोला, “क्या आप को लवी एक परसेंट भी पसंद नहीं है” चेतना ने मुंह बनाकर कहा, “0.01% भी नहीं। क्या तुम सच में उस रोबोट जैसी दिखने वाली लड़की से शादी करना चाहते हो? आई मीन इतना परफेक्ट कौन होता है?” “आपको उसके परफेक्शन से जलन हो रही है।” अमन ने अपनी एक भौंह उठाकर बोला। “उस चलते-फिरते हड्डी के ढांचे से कैसी जलन? मुझे तो बोलने का तरीका तक पसंद नहीं है।” अचानक चेतना जी खड़ी हुई और लावण्या के अंदाज में चलने लगी। उनको ऐसा करते देख अमन के चेहरे पर मुस्कुराहट थी। वो लावण्या के अंदाज में चलती हुई अमन के पास आई और उसका हाथ पकड़ कर बोली, “आर यु ऑल राइट अमन? तुम आज ऑफिस पूरे डेढ़ मिनट लेट आए हो। मुझे तुम्हारी फिक्र हो रही थी।” “आपको तो खुश होना चाहिए कि वो मेरी इतनी केयर करती है और आप उसका मजाक बना रहे हो? दिस इज नॉट फेयर मिसेस चेतना कपूर।” अमन ने कहा। चेतना जी वापस कुर्सी पर बैठ गई। उन्होंने अपने चेहरे के भाव गंभीर किए और फिर बोला, “शुक्र मना तेरी दादी यहां पर नहीं है। जब वो उसे देखेंगी, तो पूरा मोहल्ला सिर पर उठा लेगी। अभी भी वक्त है अमन, मैं तो कहती हूं कि तुम उससे ब्रेकअप कर लो।” चेतना जी की बात सुनकर अमन खांसने लगा। उन्होंने जल्दी से उसे पानी का ग्लास पकड़ाया। उसने पानी पीकर खुद को नॉर्मल किया। “मॉम आप बहुत अच्छा मजाक कर लेती है। नाउ लेट मी गो....” कहकर अमन वहां से जाने लगा। चेतना जी जल्दी से दौड़कर उसके सामने आ गई। “बीजी को तुम्हारी लावण्या पसंद नहीं आएगी।” चेतना ने फिर कहा। उनकी बात सुनकर अमन ने अपनी आंखें घुमाकर जवाब में कहा, “आपकी इंफॉर्मेशन के लिए बता दूं, उन्हें तो आप भी पसंद नहीं है।” “तो क्या हुआ? तेरे पापा जी को तो मैं पसंद थी ना। वो मुझसे बहुत प्यार करते थे।” चेतना जी बोली। “बस उसी तरह लावण्या मुझे पसंद है।” अमन ने कहा और वहां से जाने लगा। चेतना जी ने पीछे से चिल्लाते हुए कहा, “और प्यार?” “गुड नाइट मॉम... कल बात करते हैं।” अमन ने उनकी बात को टाला और वहां से अपने कमरे में चला गया। “कितनी बार कहा है इस लड़के से, मेरी कन्वरसेशन बीच में छोड़कर मत जाया करो। आई हेट दिस।“ चेतना जी ने बड़बड़ा कर कहा और उसके बाद अपने कमरे में चली गई। ________ अमन अपने कमरे में टेबलेट के जरिए घर की फुटेज देख रहा था। जब उसने देखा चेतना जी अपने कमरे में सोने जा चुकी हैं, तो उसने टेबलेट की स्क्रीन बंद की और उसे टेबल पर रख दिया। “मॉम को समझाना वाकई बहुत मुश्किल होता है। अब उन्हें कैसे बताऊं कि लवी और मैं किस तरह से जुड़े हुए हैं। मैं किसी और को अपनी सच्चाई नहीं बता सकता, इसलिए लवी मेरे लिए एक आइडल लाइफ पार्टनर साबित होगी। हम दोनों एक ही प्रोफेशन से जुड़े हैं और हमें एक दूसरे से कुछ भी छुपाने की जरूरत नहीं है।” अमन ने खुद से कहा। चेतना जी के सोने के बाद उसने वो टेबलेट और अपना मोबाइल उठाया और वहां से अपनी गाड़ी लेकर कहीं जाने के लिए निकल पड़ा। __________ चंडीगढ़ के एक सेवन स्टार होटल रूम में लगभग 26 साल का लड़का बैठा था। उसने ब्लैक कस्टम मेड सूट पहना था। उसकी हेजल ग्रे आईज में कोई भाव नहीं था। उसने अपने हाथ में सिगरेट ले रखी थी। फिर उसने सिगरेट के कुछ कश लगाए और फिर पास रखी एस्ट्रे में बुझा कर डाल दिया। “मुझे यकीन नहीं होता कि नाकामयाब होने के बावजूद तुम लोग बेशर्मो की तरह मेरे सामने खड़े भी कैसे हो सकते हो?” उसने गुस्से भरी नजर उन दोनों पर डाली। “बॉस हमने पूरी कोशिश की थी, लेकिन पता नहीं उन्हें कहां से इस ब्लास्ट की लीड मिल गई और। और बचा हुआ काम वहां मौजूद एक लड़की ने बिगाड़ दिया।” वहां मौजूद आदमी ने नजर झुका कर जवाब दिया। “एक लड़की ने? क्या तुम लोग मेरे साथ मजाक कर रहे हो?” वो गुस्से में चिल्लाते हुए खड़ा हो गया। “बॉस ये सही कह रहा है।” वहां मौजूद लड़की ने उसकी बात पर हामी भरी। “वहां एक लड़की थी जिसने हमारे आदमी को बॉम्ब प्लांट करते देख लिया था। उसके बाद उसने चिल्लाना शुरू कर दिया और वहां पर भगदड़ मच गई। उसने तो हमारे आदमी को भी पकड़ लिया था। ये तो अच्छा हुआ कि वो वहां से भाग गया।” “डिस्गस्टिंग। तुम लोग एक छोटा सा काम भी नहीं कर पाए। जब ये इतना छोटा सा काम नहीं कर पाए तो हमारे बड़े प्लान में तुम जैसे निकम्मों के लिए कोई जगह नहीं है।” वो आदमी गुस्से में बोला। उसने पास पड़ी रिवाल्वर उठा ली। वो दोनों लड़का लड़की एक दूसरे की शक्ल देखने लगे। वो आदमी अपनी रिवाल्वर के साथ उनके पास आया। वो अपना अगला कदम उठाता उससे पहले लड़का उसके कदमों में गिर पड़ा और गिड़गिड़ाने लगा। “हमें बस आखरी मौका दीजिए। हम आपको वादा करते हैं कि इस बार हम नाकामयाब नहीं होंगे।” “शायद यहां तुम्हें किसी ने बताया नहीं कि विधिक राणा किसी को सेकंड चांस नहीं देता।” वो विधिक राणा था। बोलते हुए उसने अपनी रिवाल्वर की नोक उस लड़के के माथे के बीचो-बीच लगा दी। “प्लीज मुझे।” उस आदमी की बात खत्म भी नहीं हुई थी कि अगले ही पल विधिक राणा ने उसे शूट कर दिया था। रिवाल्वर में साइलेंसर लगे होने की वजह से वहां गोली की आवाज नहीं आई। वो आदमी जमीन पर ढेर पड़ा था जबकि लड़की डर से कांप रही थी और उसके माथे पर पसीने की बूंदे थी। “तुम्हें क्या हुआ स्वीटहार्ट? तुम ऐसे कांप क्यों रही हो?” बोलते हुए विधिक लड़की के बिल्कुल करीब आ गया और अपना गाल उसके गाल पर प्यार से फिराने लगा। लड़की ने अपना थूक निगला और जैसे तैसे हिम्मत करके कहा, “सर प्लीज मुझे जाने दीजिए। इसके लिए मैं कुछ भी करने के लिए तैयार हूं। प्लीज मुझे मत मारिए।” “कुछ भी?” विधिक ने उसकी आंखों में आंखें डाल कर देखा। “हां कुछ भी।” लड़की ने मुस्कुरा कर कहा और हिम्मत करके विधिक के बिल्कुल करीब आ गई। विधिक के हाथ उस लड़की को कमर पर थे। उसने उसे कस कर पकड़ा और उसके होठों पर किस करने लगा। लडकी को अपनी जान बचाने का बस यही रास्ता नजर आ रहा था। वो विधिक का हर तरह से साथ दे रही थी। किस करने के बाद विधिक ने उसे बेड पर धकेला। लडकी के चेहरे पर मुस्कुराहट थी। लड़की बेड पर लेटी हुई थी और विधिक उसके ऊपर था। अचानक विधिक ने अपनी रिवाल्वर निकाली और उसके सीने पर लगाई। “इंटरेस्टिंग। मुझे तुम्हारा ये तरीका भी पसंद आया।” लड़की ने उसका कॉलर पकड़ा और अपने करीब खींचने लगी। “लेकिन मुझे नहीं। कोई भी लड़की उस जैसी क्यों नहीं है? तुम। तुम वो कभी नहीं हो सकती।” लड़की सवालिया नजरों से उसकी तरफ देखने लगी। वो कुछ पूछ पाती, उस से पहले विधिक ने उसके सीने पर लगातार दो गोलियां चलाई। लड़की भी उस लड़के की तरह मर चुकी थी और होटल रूम में उस लड़के की डेड बॉडी जमीन पर गिरी थी तो लड़की की बेड पर। उन दोनों को मारने के बाद भी विधिक के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। वो वहां लगे काउच पर आराम से सिगरेट पी रहा था। ____________ अमन अपनी गाड़ी में एक छोटी सी जगह पर पहुंचा। वो एक छोटा सा होटल था। अमन ने अपनी गाड़ी कुछ दूरी पर पार्क की और वहां से अंदर जाने लगा। रिसेप्शन पर एक बूढ़ा सा आदमी था, जो कि होटल का मालिक था। अमन के पास आते ही उसने कहा, “क्या साब... देखने में तो काफी अमीर लगते हो, फिर इस सस्ते से होटल में क्या कर रहे हो?” “मुझे ये होटल खरीदना है।“ अमन ने जवाब में कहा। उसकी बात सुनकर उस आदमी की आंखें बड़ी हो गई। “क्या? कोई नशा वशा तो नही करके आए हो? रात के एक बजे तुम्हे बेवकूफ बनाने को मैं ही मिला क्या?” “तुम कीमत बोलो...” “अच्छा, खुद को अंबानी समझता है... इतने ही पैसे है, तो कोई ढंग का होटल खरीद... यहां तो गिन के 10 लोग भी नही रुकते... कमरों की हालत भी खस्ता पड़ी है...” “मैने कहा कीमत बताओ।” अमन ने जोर देकर बोला। “20 लाख... है तुम्हारे पास देने को? पता नही कहां...” उस आदमी ने अपनी बात खत्म भी नहीं की थी कि अमन ने अपनी जैकेट में से चेक निकाला और उसे साइन कर उस आदमी को पकड़ाते हुए कहा,”बाकी लीगल फॉर्मेलिटी मेरा लॉयर कंप्लीट कर लेगा। कल शाम 'आर्टिस्टिक' के ऑफिस आ जाना।” वो आदमी आंखे फाड़ कर उसकी तरफ देखने लगा। “25 लाख।“ उसे अभी भी यकीन नही हो रहा था। कभी वो चेक की तरफ देख रहा था, तो कभी अमन की तरफ..! “होटल में इस वक्त कितने लोग ठहरे है?” अमन ने पूछा। “2 आदमी है।वो भी।वो।” आदमी उसे पूरी बात बताने से हिचकिचा रहा था। “अगले 5 मिनिट में होटल खाली हो जाना चाहिए।” अमन ने अपनी घड़ी की तरफ देख कर कहा। उस आदमी ने उसकी बात पर हामी भरी और दौड़कर ऊपर गया। उसके जाते ही अमन ने अपना मोबाइल निकाला और किसी को कॉल किया। “मैं लोकेशन भेज रहा हूं... टीम मेंबर को मीटिंग के लिए बुला लो।” कहकर उसने कॉल कट कर दिया। होटल के मालिक सहित बाकी सभी लोग वहां से जा चुके थे। कुछ ही देर में वहां एक बड़ी गाड़ी खड़ी थी। उसमें से दो आदमी और लावण्या बाहर निकली। “पता नहीं, ये अमन मीटिंग के लिए इतनी अजीब जगह कहां से ढूंढ के लाता है।” होटल को देखकर लावण्या मुंह बनाते हुए अंदर घुसी। °°°°°°°°°°°°°°°°
अमन ने शहर से कुछ दूर एक छोटा सा होटल देखकर उसे तुरंत खरीद लिया था। उसने अपने टीम मेंबर्स को वहां पर मीटिंग के लिए बुलाया। रात के लगभग 2:00 बज रहे थे। अमन की टीम से लावण्या और दो आदमी होटल पहुंचे। उन्हें मीटिंग के लिए ऊपर बने कमरे में आने के लिए कहा गया था वो लोग आते ही सीधा वहां जाने लगे। उनका इंतजार करते हुए अमन अपने टेबलेट में घर की फुटेज देख रहा था। “पता नहीं कब तक आएंगे वो लोग। कहीं मॉम नींद से जाग ना जाए।” उसने खुद से कहा। तभी लावण्या ने बाहर से दरवाजा खटखटाया। “लगता है वो लोग आ गए हैं।” कहकर अमन बेड से उठा और दरवाजा खोलने गया। “आने में काफी टाइम लगा दिया।” उसने उन लोगों से कहा। “हां ये जगह शहर से काफी दूर है। आगे कभी ऐसे अर्जेंट मीटिंग रखनी हो तो शहर में ही किसी जगह को देखना।” उनमें से एक आदमी बोला। “मिस्टर गुप्ता सही कह रहे हैं।” लावण्या ने उसकी बात पर हामी भरी। “ये जगह शहर से दूर होने के साथ-साथ काफी सस्ती भी है।” “सच कहूं तो मुझे ये जगह अच्छी लगी और काफी इंटरेस्टिंग भी।” दूसरे लड़के ने मुस्कुराते हुए इधर उधर देख कर बोला। “तब तो तुम्हें खुश हो जाना चाहिए जस, मैंने इस होटल को खरीद लिया है और आगे से हम यहीं पर मीटिंग करेंगे।” जैसे ही अमन ने कहा वो तीनों आंखें फाड़ कर उसकी तरफ देखने लगे। “आर यू सीरियस?” लावण्या ने हैरानी से कहा , “जस्ट टू हैंडल सम प्राइवेट मीटिंग्स, यू कैन नॉट बाय ए होटल।” “यस आई कैन।” अमन ने जवाब दिया। “लेकिन हम गवर्नमेंट के लिए काम करते हैं और तुम्हें इस तरह अपनी प्राइवेट प्रॉपर्टी को इन सब कामों में खर्च करने की कोई जरूरत नहीं है। सीक्रेट मीटिंग रखने के लिए गवर्नमेंट ने ऑलरेडी हमारे लिए काफी जगहों का इंतजाम कर रखा है।” मिस्टर गुप्ता बोले। जहां लावण्या और मिस्टर गुप्ता अमन के होटल खरीदने पर नाराजगी जता रहे थे वही जस मुस्कुराते हुए कमरे को गौर से देख रहा था। “आई लाइक योर एटीट्यूड ब्रो।” जस ने कहा। वो उनकी टीम में नया था और उम्र में उन से कम था और मिस्टर गुप्ता सबसे बड़े। वो लगभग 45 साल के थे। जहां बाकी सब सूट-बूट पहन कर अच्छे से तैयार हो रखे थे वही जस ने डेनिम कैप्री के ऊपर लूज सा टी-शर्ट पहन रखा था और सर पर कैप लगा रखा था। “पता नहीं इसे टीम में किस ने ले लिया? तुम्हें देखकर लगता नहीं कि तुम अपने काम को लेकर सीरियस हो तुम्हें ये सब छोड़कर किसी फुटबॉल टीम में ही भर्ती हो जाना चाहिए। लुक एट योर ड्रेसिंग सेंस....” लावण्या ने उसकी तरफ देख कर मुंह बनाया। “तुम लोग आपस में बहस करना बंद करो। लावण्या तुम अच्छे से जानती हो कि जस कितना टैलेंटेड है। एंड मिस्टर गुप्ता रही बात होटल खरीदने की तो मैं अच्छे से जानता हूं कि इसे अपने हिसाब से कैसे यूज करना है। इससे पहले कि मेरी मॉम नींद से जागे हमें मीटिंग खत्म कर लेनी चाहिए।” अमन ने उन्हें डांट कर बोला। सभी चुप हो गए और वहां पर बैठ गए। सबके चेहरे के भाव गंभीर थे। “मुझे आप लोगों को बताने की जरूरत नहीं होगी कि ये मीटिंग किस लिए बुलाई गई है। आज एक लड़की की वजह से हमारे हाथ आया क्रिमिनल भाग गया।” अमन ने कहा। “डोंट वरी एके हम फिर भी उसे पकड़ लेंगे।” लावण्या ने अमन के हाथ पर हाथ रख कर कहा। उसके ऐसा करने पर अमन ने उसे घूर कर देखा और अपना हाथ उसके हाथ से दूर करके आगे कहा, “हम में से किसी ने भी उस आदमी को नहीं देखा। वो लोग कुछ बड़ा करने की फिराक में है। ऐसे में उस आदमी का पकड़ा जाना बहुत जरूरी है।” “क्या उस लड़की ने उस आदमी का चेहरा देखा था जो वहां पर बॉम्ब प्लांट कर रहा था?” मिस्टर गुप्ता ने पूछा। “कुछ कह नहीं सकते... अगर उसने उसका चेहरा देखा भी है तो हम उसे जाकर ये नहीं कह सकते ना कि हम लोग कौन हैं, ना हीं उससे इस बारे में कुछ पूछ सकते हैं।” जस उन सब लोगों की बातें गौर से सुन रहा था। “मैं उस लड़की से बात करने की कोशिश कर सकता हूं। आप लोगों को देखकर फिर भी उसे शक हो जाएगा लेकिन मुझे देखकर नहीं होगा।” “चलो तुमने माना तो सही कि तुम हम में से एक नहीं लगते हो।” लावण्या ने उसका मजाक उड़ाया। जस ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। उसने उसे पूरी तरह इग्नोर करते हुए अमन से पूछा, “ब्रो क्या आपको उस लड़की का नाम या आईडेंटिटी कुछ पता है?” “नहीं...लेकिन उस लड़की को कभी नहीं भूल सकता। इतना तो श्योर हूं कि वो जहां भी होगी, उसके आसपास काफी शोर और भीड़ इकट्ठा होगी।” अमन ने उन्हें आँशी के बारे में बताया। “क्यों? वो लड़की क्या कोई सेलिब्रिटी है?” मिस्टर गुप्ता ने पूछा। “सेलिब्रिटी तो नहीं है लेकिन चिल्ला चिल्ला कर अपने आसपास में जरूर इकट्ठा कर लेती हैं। उस लड़की को छोड़िए, हमें हाई कमान को मिशन के फेल होने की अपडेट देनी होगी” अमन ने निराश होकर कहा। “और अगर ऐसा हुआ तो इस मिशन को हमारे हाथ से छीन कर किसी और को दे दिया जाएगा। एक मामूली सी लड़की हमारे करियर का इतना इंपॉर्टेंट केस हमसे छीन कर ले गई। क्या अब कुछ नहीं हो सकता?” लावण्या ने पूछा। “मैं भी नहीं चाहता कि ये केस किसी और को दिया जाए हम पिछले 6 महीने से इस पर मेहनत कर रहे हैं। बट एट द सेम टाइम आज नहीं तो 2 दिन बाद उनके पास न्यूज़ पहुंच ही जाएगी।” अमन बोला। वो इस मिशन के फेल होने से काफी परेशान था। “अगर हम उस लड़की को जैसे तैसे ढूंढ कर उससे उस आदमी के बारे में पूछने की कोशिश करें और उसे पकड़ ले तो शायद बात बन सकती हैं।” जस ने आईडिया दिया। “मैं जस की बात से सहमत हूं।” मिस्टर गुप्ता ने जस की बात पर सहमति जताते हुए कहा, “हमें उस लड़की को ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए तब तक ये न्यूज़ कॉन्फिडेंशियल रखते हैं शायद कोई करिश्मा हो जाए और वो लड़की हमें मिल जाए।” उनकी बात सुनकर अमन हल्का सा हंसा और फिर जवाब दिया, “मिस्टर गुप्ता। ये लाइफ है, एक रियल लाइफ, कोई टीवी सीरियल या ड्रामा नहीं, जहां करिश्मे होते हो।” “करिश्मा नहीं होते तो क्या हुआ कोशिशें तो होती है ना... तुम 2 दिन बाद मिशन से जुड़े अपडेट दे देना तब तक हम उस लड़की को ढूंढने की पूरी कोशिश करेंगे।” लावण्या ने उसकी पीठ पर हाथ रखा अमन ने उसके बारे में थोड़ा सोचा और फिर उनकी बात पर सहमति जताई। “ठीक है। लेकिन 2 दिन से ज्यादा मैं नहीं रुक पाऊंगा।” “थैंक्स ब्रो। एंड डोंट वरी उस लड़की के बारे में मैं पता लगा कर रहूंगा।” जस ने एक्साइटेड होकर कहा। सब ने उसकी बात पर हामी भरी। वो लोग मिशन से जुड़ी बाकी की हल्की फुल्की बातें कर रहे थे जबकि लावण्या अपने मन में कुछ और ही सोच रही थी। “मिलना तो तुमसे मैं भी चाहती हूं, आखिर तुम कौन हो जिसने एक झटके में हम सब की मेहनत को बर्बाद कर दिया। ट्रस्ट मी इसके लिए तुम्हें बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। ये लोग भले ही तुम्हें कुछ ना कहें लेकिन मैं। मैं तुम्हें इसके लिए कभी माफ नहीं करूंगी।” लावण्या ने बड़बड़ाकर कहा। बातचीत पूरी होने के बाद वो मीटिंग वही खत्म हो गई। “अच्छा ठीक है चलते हैं अब। एंड रिमेंबर वन थिंग हमारे पास सिर्फ दो ही दिन का टाइम है।” अमन ने उन सब को एक बार फिर याद दिलाया। पूरी बात फाइनल होने के बाद सब वहां से जाने को हुए। सब सीढ़ियां से उतर कर नीचे आ चुके थे और अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ रहे थे लेकिन जस अभी भी होटल के कंपाउंड में खड़ा उसे देख रहा था। “ब्रो। जब आपने इस होटल को खरीद ही लिया है तो इफ यू डोंट माइंड अगर मैं यहां कुछ दिन रुक सकूं तो।” जस ने अंदर से चिल्लाकर पूछा। “ओके। बट बी केयरफुल, तुम और ये होटल दोनों ही किसी की नजरों में नहीं आने चाहिए। सब कुछ नॉर्मल लगना चाहिए।” अमन ने उसे रुकने की इजाजत दे दी थी। “मैंने कहा ना डोंट वरी ब्रो यहां सब कुछ नॉर्मल ही रहेगा... बिल्कुल नॉर्मल।” जस ने जवाब दिया। “जब भी ये डोंट वरी बोलता है तो मुझे और ज्यादा टेंशन होने लगती है।” अमन ने धीरे से कहा। “वैसे जस, आखिर तुम्हें अपने रहने लायक जगह मिल ही गई।” लावण्या ने जस को आवाज लगाकर बोला। जवाब में उसने उसकी तरफ़ मुंह बनाया। सब कुछ सेट हो जाने के बाद वो लोग वहां से अपने अपने घर को निकल गए थे। जस अभी तक वहीं पर रुका था। _______ सुबह के 9:00 बज रहे थे। आँशी के घर पर उसकी मेड शांति सफाई का काम निपटा कर ब्रेकफास्ट बना चुकी थी। घर के बाकी के काम भी निपट चुके थे। वापस आने से पहले शांति उसकी दादी प्रीतो के पास आई और बोली, “बीजी, सुबह के 9:00 बज रहे हैं अभी तक आप की पोती उठी नहीं है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो आगे जाकर ससुराल में क्या करेगी।” “हाय कुड़िए, तू उसके ससुराल और ससुराल वालों की टेंशन क्यों लेती है? और हम अपनी आँशी के लिए ऐसा मुंडा क्यों ढूंढेंगे जो उसे चैन से सोने तक नहीं देगा।” प्रीतो जी ने लापरवाही से जवाब दिया। “मैंने तो अपना काम खत्म कर दिया है अब आप जानो और आप की पोती। नाश्ते में परांठे बनाए हैं, दोपहर को खाना बनाने के वक्त आ जाऊंगी।” कहकर शांति मुह बनाते हुए वहां से निकल गई। उसके जाने के बाद प्रीतो जी ने अपनी व्हीलचेयर आँशी के कमरे के अंदर ली वो अब तक लापरवाही से सो रही थी। “आँशी। उठ जा बेटा अभी अभी शांति कह कर गई है कि इतना लेट उठेगी तो ससुराल में क्या करेगी? चल बेटा उठ।” वो आँशी को उसके बेड के पास आकर जगाने लगी। “सोने दीजिए ना दादी और आप भी कहां शांति की बातों पर ध्यान दे रही है। भले ही उसका नाम शांति हो पर सब जानते हैं कि वो कितनी अशांति फैलाती रहती है।” आँशी ने उनींदी आवाज में कहा। “शांति को छोड़ लेकिन खुद पर तो थोड़ा ध्यान दो। तुम्हें यहां आए 2 महीने हो गए लेकिन अभी भी तुमने वापस जाने के बारे में कुछ सोचा नहीं है।” प्रीतो जी ने प्यार से कहा। दादी के मुंह से वापस जाने की बात सुनकर आँशी उठी। उसके चेहरे पर उदासी के भाव थे। “मैं जानती हूं तुम वापस नहीं जाना चाहती लेकिन।” बोलते हुए प्रीतो जी रुक गई। “लेकिन क्या दादी? जब आप तो सब जानते हो तो फिर। मुझे नहीं पता मैं वापस नहीं जाना चाहती।” आँशी ने जवाब दिया उसके चेहरे पर उदासी के साथ-साथ डर के भाव थे, जिससे प्रीतो जी अभी तक अनजान थी। आँशी उठकर बाथरूम में चली गई, ताकि प्रीतो जी उसके चेहरे के भावों को नोटिस ना कर सके। °°°°°°°°°°°°°°°°
आँशी की दादी प्रीतो जी उसके कमरे में थी और उसे वापस जाने का कह रही थी। वापस जाने का नाम सुनकर आँशी के चेहरे पर डर और उदासी के भाव थे। आँशी उठकर बाथरूम में चली गई थी। कुछ देर बाद वो वापिस आई तो प्रीतो जी अभी भी वही थी। इससे पहले कि वो कुछ कहती आँशी पहले ही बोल पड़ी,“प्लीज दादी, मुझे किसी भी हाल में वहां वापस नहीं जाना। आप लोग समझते क्यों नहीं हो कि मुझे आपके बिना नहीं रहना है।” “मैं जानती हूं बच्चे लेकिन तुम्हारी पढ़ाई भी तो उतनी ही जरूरी है। मैं तुम्हारे पापा से अब और नहीं छुपा सकती।” प्रीतो जी ने धीमी आवाज में कहा। “क्या दादी, कौन सा आपको डैड से कोई इंपॉर्टेंट खुफिया फाइल छुपानी है। पिछले 2 महीने से सब कुछ ठीक चल रहा है। अब अचानक आपको वापस जाने की बात कहां से याद आ गई।” आँशी मुंह बनाकर बोली। “अचानक कुछ याद नहीं आया है आँशी, रात को तुम्हारे पापा का कॉल आया था। वो 3 दिन में यहां आ रहे हैं। अब तक तो मैंने सारी बातें उससे छुपा ली लेकिन जब वो यहां आएगा तो उसे सच का पता चल ही जाएगा।” प्रीतो जी ने बताया। उनकी बात सुनकर आँशी मुंह बनाते हुए सिर पकड़ कर बैठ गई। “अब ये अजीब मुसीबत है। वो यहां क्यों आना चाहते हैं?” उसने पूछा। “कैसी बच्चों जैसी बातें कर रही हो तुम, ये घर है उसका, यहां नहीं आएगा तो कहां जाएगा।” प्रीतो जी ने उसे डांटते हुए कहा। “वही जाएंगे जहां पिछले 12 सालों से रह रहे हैं।” आँशी ने गुस्से में कहा और वापिस बाथरूम में चली गई। उसके इस तरह नाराज होने पर प्रीतो जी उदास हो गई। उनकी आंखें नम थी। वो आँशी के कमरे से बाहर आ गई। बाहर आकर उन्होंने देखा कि अर्जुन ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रहा था। प्रीतो जी को उदास देखकर अर्जुन उनके पास आकर बोला, “आज इस खूबसूरत से चेहरे पर उदासी क्यों छाई हुई है? कुछ हुआ है क्या दादी?” प्रीतो जी ने उसकी बात पर हां मे सिर हिलाते हुए कहा, “रात को शिव का कॉल आया था। वो वापस आ रहा है।” “तब तो मैं आपकी परेशानी का कारण समझ सकता हूं। लेकिन शिव अंकल अचानक यहां कैसे आ रहे हैं? कहीं उन्हें पता तो नहीं चल गया कि आँशी।” “नहीं, उसे अभी तक इस बारे में कुछ पता नहीं है। उसे अभी भी यही लगता है कि आँशी लंदन में अपने आगे की पढ़ाई कर रही है।” प्रीतो जी ने उदास होकर कहा। “लेकिन मैं भी इस सच को कब तक छुपा पाऊंगी। आँशी वापस नहीं जाना चाहती। ऐसे में शिव को पता चल ही जाएगा कि वो पिछले 2 महीने से यहां पर है।” “आप बेवजह टेंशन ले रही हैं। आप उन्हें बोल दीजिएगा कि आँशी घूमने के लिए यहां पर आई हुई है।” अर्जुन ने आईडिया दिया। आँशी अपने कमरे से बाहर आ रही थी और तभी उसने अर्जुन की बात सुनी। उसकी बात सुनकर वो और गुस्सा हो गई। “तो क्या हो जाएगा अगर उन्हें पता चल जाएगा कि मैं यहां रहना चाहती हूं? मुझे समझ नहीं आता कि आप लोग मुझे खुद से दूर क्यों रखना चाहते हैं?” आँशी बाहर आकर चिल्लाई। किसी ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। कुछ देर वहां पर चुप्पी छाई रही। वहां की चुप्पी ने आँशी को और भी चिढ़ा दिया था। “ओके फाइन.. अगर मैं आप लोगों को बोझ लगती हो तो चली जाती हूं यहां से लेकिन एक बात क्लियर कर देती हूं कि अब मैं वापस लंदन नहीं जाऊंगी। मम्मा की डेथ हुई थी, तब मैं भले ही छोटी थी और उस वक्त डैड के डिसीजन के आगे मैंने कुछ नहीं कहा था पर अब नहीं। आप लोग इतने क्रुएल कैसे हो सकते हो। एक 11 साल की बच्ची जिसने अपनी मां को खोया हो, जिसे सबसे ज्यादा प्यार और अपनेपन की जरूरत थी, उसे खुद से इतनी दूर भेज दिया।” आँशी एक सांस में सब कुछ बोल गई। बोलते बोलते उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। वो वही काउच पर बैठ गई। “दादी, आप लोगों को समझना होगा कि मुझे भी प्यार और फैमिली की जरूरत है। मुझे भी आप लोगों के साथ रहना है ना कि वहां अजनबीयों के साथ।” आँशी सिसकते हुए बोली। “ओए बंदर, तेरी ये हो हल्ला करके तमाशा करने की आदत जाएगी नहीं। डोंट वरी, हम शिव अंकल को मना लेंगे।” अर्जुन ने उसे चुप कराते हुए कहा। “लेकिन तुम्हें भी प्रॉमिस करना होगा, जब तक शिव मान ना जाए, तुम उसे यही कहोगी कि तुम यहां पर घूमने के लिए आई हुई हो।” प्रीतो जी ने कहा। “मैं ऐसा कुछ नहीं कहने वाली। आप अभी अपनी पोती को जानती नहीं। मैं यहां रहने का कोई ना कोई जुगाड़ तो लगा ही लूंगी।” आँशी ने जवाब दिया। प्रीतो जी और अर्जुन दोनों ही उसके कहने का मतलब नहीं समझे। “तू क्या कह रही है, थोड़ा क्लीयरली समझाएगी?” अर्जुन ने पूछा। “वो सब बाद में... मैं अभी रेडी हो कर आती हूं। मेरे बिना कहीं जाना मत।” कहकर आँशी जल्दी से अपने कमरे में गई। उसने जल्दी से अपने कपड़े निकाले और बाथरूम में नहाने के लिए चली गई, जबकि बाहर अर्जुन और दादी अभी तक आँशी के इरादे समझ नहीं पा रहे थे। “दादी, आँशी अपनी नादानी में कुछ गलत ना कर दे। आप शिव अंकल से बात करके क्यों नहीं देखती?” आँशी के अंदर जाते ही अर्जुन ने कहा। “तुम्हें क्या लगता है कि मैंने उसे समझाया नहीं होगा?” प्रीतो जी ने गहरी सांस ले कर छोड़ी और कहा, “मुझे भी उसके फैसले पर ऐतराज था, जब अनु के जाने के बाद उसने आँशी को बाहर पढ़ने भेजा। आँशी को भेजने के बाद उसने अपना सारा काम मुंबई में सेटल कर लिया।“ “आप कह दीजिएगा ना, कि आपको अकेलापन महसूस होता है इसलिए आपने आँशी को अपने पास रख लिया।“ अर्जुन बोला। “शिव के बाऊजी के जाने के बाद मैंने कहा था उससे लेकिन उसने उल्टा मुझे भी मुंबई आने का बोल दिया था। मुझे समझ नहीं आता कि वो आँशी को इंडिया क्यों नहीं आने देना चाहता।” प्रीतो जी ने हैरानी के साथ कहा। वो लोग अपनी बातचीत को आगे बढ़ाते, उतने में आँशी वहां पर आ गई। उसे वहां देखकर दोनों चुप हो गए। “अब बताएगी कि आगे क्या सोचा है?” अर्जुन ने पूछा। “अभी तो ब्रेकफास्ट करने के बाद थोड़ा शॉपिंग करने का सोचा है और उसके बाद सोच रही हूं कि तेरे ऑफिस में आकर साथ में लंच करेंगे, लंच के बाद... लंच के बाद भी कुछ देख लूंगी।” आँशी ने अपना पूरा स्केड्यूल बता दिया। “मतलब तुम्हें बाहर घूमने जाना था, इसलिए तुमने मुझे रोका। आँशी की बच्ची, मुझे ऑफिस जाने में देर हो जाएगी।” अर्जुन इरिटेट होकर बोला। “हां जिस हिसाब से यहां से गई थी, मुझे लगा कुछ बड़ा प्लान कर रही होगी।” प्रीतो जी ने भी अर्जुन की हां में हां मिला कर कहा। “मैंने अभी ज्यादा कुछ नहीं सोचा है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि कुछ नहीं करूंगी। अच्छा अर्जुन, जब मैं लंच के लिए तुम्हारे ऑफिस आऊंगी तो प्लीज तुम मुझे अपने ऑफिस का टूर करवा देना। मैं भी तो देखूं ऐसी कौन सी कंपनी है जो नालायको को भी जॉब देती है।” आँशी ने अर्जुन की तरफ देख कर हंस कर कहा। जवाब में उसने मुंह बनाया। अर्जुन और आँशी ब्रेकफास्ट करके वहां से जा चुके थे जबकि उनके जाने के बाद प्रीतो जी हमेशा की तरह टीवी सीरियल देखने में व्यस्त हो गई। __________ विधिक राणा उसी होटल में मौजूद था। रात को उस लड़के और लड़की को मारने के बाद उसने अपना कमरा बदल दिया था। सुबह के लगभग 11:00 बजे अपना रूटीन पूरा करने के बाद वो कमरे में बैठकर नाश्ता कर रहा था। उसके पास में एक वेटर खड़ा था। “उन दोनों की डेड बॉडी हटवा दी है ना?” उसने पूछा। “जी सर, दोनों के ही शरीर का अंतिम संस्कार भी हो चुका है।” वेटर ने जवाब दिया। “वेरी गुड... अब तुम यहां से जा सकते हो। मुझे कुछ चाहिए होगा तो मैं तुम्हें कॉल कर दूंगा।” “सर, मेलिसा मैम का कॉल आया हुआ था। वो अब तक होटल पहुंच चुकी होगी। क्या मैं उन्हें आपके कमरे में भेज दूं?” उसने डरते हुए पूछा। विधिक ने उसकी बात पर हामी भरी। उसके हां कहते ही वेटर वहां से बाहर चला गया। वेटर के जाते ही वो जिस की बात कर रहा था, वो लड़की अंदर आई। वो लगभग 35 साल की थी, जिसने बिल्कुल शॉर्ट ड्रेस पहन रखी था। उसके बालों का कलर ब्लॉन्ड था। “मुझे तुमसे ये उम्मीद नहीं थी। हमारा इतना बड़ा काम नाकामयाब हो गया और तुम यहां पर बैठकर मज़े से ब्रेकफास्ट कर रहे हो।” अंदर आते ही वो उस पर चिल्लाई। विधिक ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और आराम से नाश्ता कर रहा था। “मैं तुमसे बात कर रही हूं। तुमने अभी तक इस मामले में कुछ किया क्यों नहीं है?” मेलिसा ने फिर पूछा। “पहली बात तो ये कि हमारा मिशन नाकामयाब नहीं हुआ। बस उसका फर्स्ट स्टेप कामयाब नहीं रहा। जिन लोगों ने मुझे मिशन फेल होने की बात बताई थी, वो अब इस दुनिया में नहीं रहे। अब इससे ज्यादा और क्या कर सकता हूं?” विधिक ने लापरवाही से कहा। “तुम अपने शौक के लिए किसी की जान नहीं ले सकते।” मेलिसा गुस्से में उसके पास आई और उसका कॉलर पकड़ लिया। “उफ्फ... मेलिसा...अगर तुम मेरी दुश्मन नहीं होती तो सच में मुझे तुमसे प्यार हो जाता।” विधिक ने इंटेंस वॉइस में बोला। “क्या तुम 2 मिनट के लिए हमारे बीच की दुश्मनी को भूल नहीं सकते? भले ही हम दुश्मन हो लेकिन इस काम के लिए हम ने एक मोटी रकम वसूल की है और ये हम साथ में करने वाले हैं। जो आदमी वहां पर बॉम्ब प्लांट कर रहा था, उससे मुझे पता चला कि एक लड़की की वजह से सारा प्लान चौपट हो गया। मतलब एक नॉर्मल सी लड़की ने हमारा इतना बड़ा काम शुरू होने से पहले ही बर्बाद कर दिया और तुम यहां आराम से बैठकर ब्रेकफास्ट कर रहे हो।” मेलिसा लगातार गुस्से में उस पर चिल्लाए जा रही थी। “हां, उस लड़की के बारे में तो मैं भूल ही गया था। कल रात उन दोनों ने मुझे उसके बारे में बताया था। अच्छा मुझे उस आदमी से मिलना है, जो बॉम्ब प्लांट कर रहा था।” विधिक बोला। “तुम उससे नहीं मिल सकते। वो बहुत काम का आदमी है और मैं तुम्हें उसकी जान लेने नहीं दूंगी।” मेलिसा ने जवाब दिया। मेलिसा की बात सुनते ही विधिक मुस्कुराया और बोला, “लगता है पिछले 6 महीनों में काफी अच्छे से जानने लगी हो। तुम मुझे उसे मारने से रोक नहीं सकती लेकिन उससे पहले मुझे किसी और की जान लेनी है।” “क्या मतलब?” मेलिसा ने हैरानी से पूछा। “उस लड़की को सिर्फ उस आदमी ने हीं देखा है। उसे बोलो कि अगर उसे अपनी जान प्यारी है तो वो लड़की सही सलामत मुझे अपने सामने चाहिए। उसके किए की उसे ऐसी सजा दूंगा कि उसकी रूह तक कांप जाएगी।” विधिक की आवाज से एक सनक और उस लड़की के लिए नफरत झलक रही थी। मेलिसा उसका ये रूप देख कर मुस्कुराई। “वेरी गुड... तुम्हें ऐसा करते हुए मैं खुद अपनी आंखों से देखूंगी।” मेलिसा ने उसी वक्त उस आदमी को कॉल किया और उसे आँशी को लाने को कहा। उससे बात करने के बाद विधिक और मेलिसा वहां से कहीं जाने के लिए निकल पड़े। °°°°°°°°°°°°°°°° Aanshi तो खतरे में आ गई। देखते है आगे क्या है। मिलते है अगले पार्ट पर।
अगली सुबह अमन आर्टिस्टिक के ऑफिस पहुंचा। देर रात तक बाहर रहने की वजह से वो देरी से ऑफिस आया था। लावण्या उसके केबिन में बैठकर उसके आने का वेट कर रही थी। जैसे ही अमन अपने केबिन में आया, लावण्या को देखकर उसने छोटी सी मुस्कुराहट के साथ उसे गुड मॉर्निंग विश किया। “मुझे पता था कि तुम देरी से आओगे। अगर काम करने का मन नहीं है, तो तुम ऑफिस में रेस्ट कर सकते हो। काम मैं देख लूंगी।” लावण्या ने कहा। “ऑफिस का काम देखने के लिए यहां और भी लोग मौजूद है।उससे ज्यादा जरूरी उस आदमी को ढूंढ कर उनके मिशन के बारे में पता लगाना है।” अमन ने जवाब दिया। “जस इस पर काम कर रहा है।” लावण्या बोली। “हमारी टीम में जस के अलावा और भी मेंबर्स है। मैंने मिस्टर गुप्ता को उन लोगों से पूछताछ करने का बोला है, जिनके जरिए बॉम्ब ब्लास्ट की न्यूज़ मिली थी। तुम ऐसा करो जस को लेकर जाओ। फेयर में या उसके आसपास कोई कैमरा हो तो हमारा काम आसान हो सकता है।” अमन उनका हेड था तो उसने उस हिसाब से ऑर्डर दिया। लावण्या ने उसकी बात पर हामी भरी। उन दोनों के बीच की बातचीत काफी सामान्य थी जबकि लावण्या उससे बात करने के लिए काफी देर से उसके केबिन में बैठी थी। अमन के इंस्ट्रक्शन देने के बाद भी जब लावण्या वहां से नहीं उठी तो उसने हैरानी से पूछा, “क्या हुआ? शायद मैंने तुम्हें बता दिया है कि तुम्हें क्या करना है, उसके बावजूद तुम यहां पर बैठी हुई हो।” “हां क्योंकि मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी थी।” लावण्या ने धीमी आवाज में जवाब दिया। “व्हाट? देखो लवी, अगर तुम्हारी बात हमारी पर्सनल लाइफ से जुड़ी हुई है तो इस वक्त मैं इस मूड में बिल्कुल नहीं हूं। ना ही ये सही वक्त है और ना ही मुझे इन सब के लिए टाइम....” अमन ने सख्ती से कहा। “लेकिन मैं अपने मॉम डैड को क्या कहूं? पहले ही सीक्रेट एजेंसी ज्वाइन करने की वजह से मुझे उनके सामने झूठ बोलने पड़ते हैं।” लावण्या ने लाचारी से कहा। “जब इतने झूठ बोल ही रही हो तो एक झूठ और बोल दो।” अमन ने लगभग चिल्लाते हुए कहा। “जब तुमने शादी के लिए कमिटमेंट दे दी है तो फिर तुम दूर क्यों भाग रहे हो? मुझे समझ नहीं आ रहा कि अगर हमारी शादी हो जाएगी तो कौन सा हमारे काम पर इफेक्ट पड़ने वाला है?” लावण्या भी गुस्से में बोली। “इफ़ेक्ट ये पड़ने वाला है कि मैं अपने घर पर किसी भी तरह का सास बहू का ड्रामा नहीं चाहता।” लावण्या के बार-बार कहने की वजह से अमन गुस्सा हो गया। उसके गुस्से में चिल्लाने की वजह से लावण्या भी चुप हो गई। उसकी आंखें नम थी। उसे परेशान देखकर अमन ने अपने गुस्से को काबू किया और उठकर उसके पास गया। अमन उसके पास वाली कुर्सी पर बैठा और उसका हाथ अपने हाथ में लेकर बोला, “प्लीज मुझे थोड़ा टाइम दो।” “और कितना टाइम अमन? पिछले 1 साल से टाइम ही तो दे रही हूं।” लावण्या ने कहा। “मुझे पता है कि तुम मेरी वजह से रुकी हुई हो।” अमन उसे प्यार से समझाने की कोशिश करने लगा। “मैं तुम्हारी वजह से नहीं तुमसे प्यार करती हूं इस वजह से रुकी हुई हूं। अमन मैं जानती हूं कि तुम्हारी मॉम को मैं पसंद नहीं हूं। लेकिन आज नहीं तो कल उन्हें मुझे एक्सेप्ट करना ही होगा।” लावण्या ने जवाब दिया। “उनसे पहले मैं खुद इस बात को एक्सेप्ट नहीं कर पा रहा कि जब मैं तुमसे प्यार ही नहीं करता, तो पूरी लाइफ तुम्हारे साथ कैसे स्पेंड करूंगा।“ लावण्या की बात सुनकर अमन सोच में पड़ गया। उसे चुप देखकर लावण्या ने पूछा, “क्या कोई प्रॉब्लम है?” “नहीं कोई प्रॉब्लम नहीं है। डोंट वरी लवी, मैं तुम्हारे अलावा अपनी लाइफ में किसी को आने की इजाजत दे ही नहीं सकता। हमारा काम, हमारी सिक्रेसी, उन सब के हिसाब से तुम मेरे लिए बेस्ट लाइफ पार्टनर साबित होगी। बस थोड़ा टाइम दो।” अमन बोला। लावण्या ने उसकी बात पर हामी भरी। लेकिन वो अभी भी उदास थी। उसका मूड सही करने के लिए अमन ने अपनी चेयर लावण्या के पास की और उसे कमर से पकड़ कर बिल्कुल अपने करीब ले आया। “चलो अब जल्दी से स्माइल करो। हमारे पास सिर्फ 2 दिन का टाइम है लवी।” अमन ने हल्का मुस्कुरा कर कहा। “क्या तुम्हें काम के अलावा कुछ और नहीं सुझता?” लावण्या हल्के से मुस्कुराई और अपने होठों को अमन के होठों पर लगा दिए। उसने हल्का सा किस किया। “आई लव यू सो मच अमन।” लावण्या अमन से अलग होकर बोली। “एंड आई प्रॉमिस कि मैं तुम्हें कभी हर्ट नहीं करूंगा।” अमन ने जवाब में कहा। दोनों की बहस के बाद इस छोटी सी प्यार भरी बातचीत ने लावण्या की नाराजगी को दूर कर दिया था। अमन को बाय बोल कर वो अपने काम पर जा चुकी थी। उसके जाने के बाद अमन ने पेपर और पेंसिल उठाया और उस पर स्केच बनाने लगा। “भले ही मैं तुम्हारा नाम नहीं जानता लेकिन मैं तुम्हारा चेहरा कभी नहीं भूल सकता चिल्लाने वाली लड़की। इस स्केच के जरिए शायद जस तुम्हें ढूंढ पाए।” अमन ने खुद से कहा। “हल्की भूरी छोटी आंखें। छोटी सी नाक और चेहरे पर स्माइल... वो हल्के डिंपल, हवा में लहराते हल्के घुंघराले बाल...” स्केच बनाते हुए अमन खुद से बातें कर रहा था। कुछ ही देर में उसने आँशी का बिल्कुल परफेक्ट स्केच बना दिया था। “इसे देखकर लगता है कि ये अभी जोर-जोर से बॉम्ब बॉम्ब करके चिल्लाने लगेगी।” अमन ने हल्का हंसते हुए कहा। आँशी को देख कर उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी। “चलो, अब इसे जस को मेल कर देता हूं।ताकि वो इसे ढूंढ पाए।” अमन ने आँशी की फोटो को जस को उसी वक्त भेज दिया था। _____________ दोपहर के 2:00 बज गए थे। खूब सारी शॉपिंग करने के बाद आँशी वापस अर्जुन के ऑफिस आई। वो दोनों ऑफिस से थोड़ी दूरी पर बने रेस्टोरेंट में लंच कर रहे थे। “कुछ सोचा कि शिव अंकल को कैसे कन्वींस करना है?” अर्जुन ने खाना खाते हुए पूछा। आँशी ने अपने मुंह का खाना जल्दी जल्दी चबाया और फिर जवाब देते हुए कहा, “किसी महान इंसान ने कहा है कि खाते वक्त जबान और दिमाग दोनों ही नहीं चलाने चाहिए।” “खाना खाने तो तू अब बैठी है ना या फिर पूरे दिन से कुछ ना कुछ खा ही रही है।” अर्जुन मुंह बनाकर बोला। “बस कर यार..स्ट्रेस मत दे। कम से कम चैन से 4 वक्त का खाना तो खा लेंने दिया कर।” आँशी ने मुंह बना कर जवाब दिया। “अच्छा बेटा, 2 दिन तक तुम्हें चंडीगढ़ में जितना चैन से खाना, पीना, घूमना, फिरना कर लो, उसके बाद तो तुम्हारी लंदन की टिकट कटने वाली है।” अर्जुन ने उसे बातों बातों में याद दिलाया। उसकी बात सुनकर आँशी ने अपना खाना वहीं छोड़ दिया। “मैं लंदन कभी नहीं जाऊंगी चाहे इसके लिए मुझे कुछ भी क्यों ना करना पड़े।” आँशी ने गुस्से में जवाब दिया। “आँशी हम दोनों एक दूसरे को काफी टाइम से जानते हैं। तुम लंदन में काफी खुश थी और अच्छे से तुम्हारी स्टडी चल रही थी लेकिन जब से यहां पर आई हो, एक ही रट लगा रखी है कि लंदन वापस नहीं जाऊंगी। इट्स एनीथिंग सीरियस?” अर्जुन ने गंभीर होकर पूछा। “कोई सीरियस नहीं है। अब मेरा वहां मन नहीं लगता। ठीक है यार, अब तक मेरी स्टडी थी तो मैंने किसी से कुछ नहीं कहा। अब ग्रेजुएशन कंप्लीट हो गई है तो क्या जरूरत है वहां वापस जाने की?” आँशी ने नॉर्मल होकर कहा, ताकि अर्जुन को शक ना हो जाए। “तू कहीं हमसे कुछ छुपा तो नहीं रही?” अर्जुन ने उसकी तरफ घूरकर देखते हुए कहा। “हां छुपा रही हूं ना, बहुत बड़ी बात छुपा रही हूं। मैं कोई आम इंसान नहीं हूं। मैं इंडिया की सीक्रेट एजेंसी में काम करती हूं। अब तक अपना काम वहां से हैंडल कर लिया था लेकिन अब मुझे यहां पर रुकना पड़ रहा है।” आँशी ने जोर से बोल कर कहा। उसके ऐसे कहते ही आसपास की टेबल पर बैठे कुछ लोगों ने उसकी तरफ देखा। “क्या बकवास कर रही है?” अर्जुन ने बिल्कुल धीमी आवाज में कहा, “यहां के लोग तेरी तरफ ही देखे जा रहे हैं।” “अगर मैं पापा को ये सब बताऊं तो क्या वो मेरी बात पर विश्वास करेंगे और मुझे यहां रुकने देंगे?” आँशी ने अचानक पूछा। “आइडिया काफी अच्छा है। देखा जाए तो हम इस पर काम कर सकते हैं।” अर्जुन ने थम्स अप करके कहा। “वैसे मैंने ये सब ऐसे ही बोल दिया था लेकिन आईडिया सच में कमाल का है। आई नो ये झूठ बहुत बड़ा होगा और ये पोस्ट भी काफी हाई होगी, लेकिन डैड कितना खुश होंगे ना कि मैं हमारे देश के लिए काम कर रही हूं।” आँशी ने काफी प्राउड फीलिंग के साथ कहा। अर्जुन ने उसकी बात पर सहमति जताई। दोनों ने प्लान फाइनल किया और वहां से चले गए। ________ शाम के वक्त लावण्या अपने साथ कुछ फुटेज की क्लिप्स लेकर जस के पास होटल में पहुंची। लावण्या होटल के आगे हैरान खड़ी थी। वहां काफी भीड़ लगी थी। “हम कैसे भूल सकते हैं कि हमने कोई काम जस के ऊपर छोड़ा है, तो वो नॉर्मल तरीके से तो हो ही नहीं सकता।” लावण्या गुस्से में बोली और अंदर जस के पास गई जो कि रिसेप्शन पर खड़ा था। “क्या तुम बता सकते हो कि यहां क्या तमाशा चल रहा है?” लावण्या ने गुस्से में पूछा। “मुझे समझ नहीं आता ब्रो तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है? जब देखो ये हाई हील्स और छोटे कपड़े पहन कर आ जाती हो और जोर जोर से चिल्लाने लगती हो। तुम कभी नॉर्मल नहीं रह सकती क्या?” जस ने जवाब में कहा। “ओ रियली? तुम्हारी हरकतें ही ऐसी है जो चिल्लाने पर मजबूर करती है। अगर अमन को इस बारे में पता चला तो वह।” लावण्या अपनी बात खत्म करती उससे पहले जस ने उसकी बात काटते हुए बीच में कहा, “ब्रो ने मुझे कल रात को कहा था कि यहां सब कुछ नॉर्मल लगना चाहिए। इसलिए मैंने उसे प्रॉपर होटल का लुक देकर इसे कस्टमर के लिए कम पैसों में अवेलेबल कर दिया। व्हॉटस द बिग डील इन दिस? यहां सब कुछ कितना नार्मल लग रहा है।” “ये अमन ने मीटिंग्स के लिए खरीदा है.. किराए पर देने के लिए नहीं।” लावण्या बोली। “अरे मैंने सिर्फ ग्राउंड फ्लोर किराए पर दिया है। ऊपर का फ्लोर अभी भी खाली है, जहां हम अपना काम आसानी से कर सकते हैं। तुम यकीन नहीं करोगी मैंने तो यहां पर एक अच्छी सी रिसेप्शनिस्ट भी रख ली है।” जस ने बताया। उसकी बातें लावण्या को हैरानी में डाल रही थी। वो गुस्से में बोली, “और उसे सैलरी कौन देगा?” “पहले तो मैंने सोचा था कि यहां से होने वाली इनकम से उसे सैलरी दे दूंगा लेकिन अमन ब्रो के पास इतने पैसे हैं, वो किस दिन काम आएंगे।” जस ने लापरवाही से कहा और रिसेप्शन टेबल से बाहर आ गया। लावण्या उसे कुछ कह पाती उससे पहले 21 साल की लड़की वहां पर आई। उसने शॉर्ट ड्रेस पहना था और चेहरे पर हैवी मेकअप कर रखा था। “ये लो मालती आ गई। मालती तुम यहां रिसेप्शन संभालो, मैं इन मैडम से निपट कर आता हूं।” जस ने कहा। मालती ने मुस्कुरा कर उसकी बात पर हामी भरी। जस बाकी का काम करने के लिए ऊपर के फ्लोर पर जा रहा था जबकि ना चाहते हुए भी लावण्या को उसके साथ जाना पड़ा। वो वहां पर मौजूद भीड़ और रिसेप्शनिस्ट को देखकर काफी इरिटेट हो गई थी। °°°°°°°°°°°°°°°°
लावण्या अमन के खरीदे हुए होटल में जस के पास आई थी। जस ने वहां का माहौल नार्मल करने के लिए होटल के नीचे के फ्लोर को कम रेट में कस्टमर्स के लिए ओपन कर दिया था। “गॉड नोज अमन इस जगह की हालत देखकर कैसे रिएक्ट करेगा।” सीढ़ियां चढ़ते हुए लावण्या बड़बड़ा रही थी। ऊपर जाने के बाद वो जस के कमरे में गई। कमरे के अंदर आते ही एक बार फिर वो चौक गई। “तुमने इतने कम समय में ये सब कब किया?” लावण्या ने हैरानी से पूछा। कल रात जब वो उस कमरे में आए थे, तब वो एक सामान्य सा दिखने वाला होटल रूम था और अब जस ने उसे अपने रहने के हिसाब से पूरा बदल लिया था। उसने कमरे में एसी से लेकर बड़ी एलईडी स्क्रीन तक का अरेंजमेंट कर लिया था। “इसमें इतना सोचने की क्या बात है? अब होटल के मैनेजर का कमरा इतना क्लासी नहीं होगा तो किसका होगा?” जस ने कंधे उचकाकर कहा। “लेकिन इन सब में तो बहुत खर्चा आया होगा ना?” लावण्या ने हैरानी से पूछा। “हां खर्चा तो बहुत आया लेकिन सब कुछ इंस्टॉलमेंट पर लिया है। अब ये मत बोलना कि इनकी इएमआई कौन भरेगा। देखो ना कितना कंफर्टेबल हो गया है, कहां रात को मोटे कड़क गद्दे लगे थे और अब ये सॉफ्ट मुलायम गद्दे। सच कहूं तो आज रात बहुत अच्छी नींद आने वाली है।” बोलते हुए जस बेड पर पसर गया। “तुमने इस रूम को काफी इंप्रेसिव बना लिया लेकिन नीचे जो रायता फैलाया उसका क्या होगा?” लावण्या वहां लगे काउच पर बैठ गई। “उसको भी मैं हैंडल कर लूंगा। मुझे तो कल रात ही इस जगह से प्यार हो गया था। देखना मैं इसे चंडीगढ़ के बेहतरीन लॉज में से एक बनाकर छोडूंगा।” जस खुली आंखों से सपने देखने लगा। “सपने बाद में देखना, पहले इन फुटेज को देखते हैं। ये वहां लगे फेयर के आसपास की दुकानों के बाहर लगे कैमरा की फुटेज है।किसी ना किसी में तो उस आदमी का चेहरा कैद हुआ ही होगा।” बोलते हुए लावण्या ने अपने हाथ में पकड़ी हार्ड ड्राइव दिखाई। जस ने उसकी बात पर हामी भरी और उससे हार्ड ड्राइव ले कर उसे अपने लैपटॉप में फिक्स किया। वो लगभग 5 से 6 दुकानों के बाहर के कैमरे की फुटेज थी। सब में उसका थोड़ा थोड़ा चेहरा नजर आ रहा था लेकिन किसी में भी वो क्लीयरली नहीं दिख रहा था। “पूरे दिन से इसके पीछे घूम रही थी लेकिन इसमें भी कुछ हाथ नहीं लगा।” लावण्या ने हल्के गुस्से में कहा। “तुम पूरे दिन इसके पीछे घूम रही थी? आई डोंट बिलीव यू। हम लोग अपनी आइडेंटिटी हाइड करके रखते हैं, फिर तुम डायरेक्ट जाकर कैसे फुटेज की डिमांड कर सकती हो?” जस ने पूछा। “एक कॉन्स्टेबल से जान पहचान है, उसी के जरिए मैंने ये करवाया था। उस हादसे को हुए पूरे 24 घंटे हो गए। बचे हुए 24 घंटे में हम कैसे उस आदमी को ढूंढेगे।” लावण्या ने परेशान होकर कहा। लावण्या अमन के बारे में सोच कर परेशान थी। वो उनके मिशन को लीड कर रहा था। इस मिशन का फेल होने का मतलब अमन का फेल होना। वही जस बेपरवाही से बिस्तर पर आराम से बैठा था। “तुम इतने केयर लेस कैसे हो सकते हो?” लावण्या ने झुंझला कर कहा। “मैं केयर लेस नहीं हूं, लेकिन मुझे लग रहा है कि हम गलत जगह अपना टाइम वेस्ट कर रहे हैं। हम बेवजह एक चिल्लाने वाली लड़की और बॉम्ब प्लांट करने वाले आदमी को ढूंढ रहे हैं, जबकि असली मास्टरमाइंड तो कोई और ही है।” जस ने जवाब दिया। “आर यू स्टूपिड? हम उस आदमी को इसलिए ढूंढ रहे हैं ताकि वो हमें असली मास्टरमाइंड तक पहुंचा सके। उस आदमी को सिर्फ उस लड़की ने देखा है, इस वजह से लड़की का मिलना भी बहुत जरूरी है।” लावण्या ने झुंझलाकर कहा। “क्या हो, जो वो दोनों ही हमें ना मिले? वी डोंट हैव एनी प्लान बी.. तुम्हें उन दोनों को ढूंढना है तो ढूंढो। मैं प्लान बी बनाने की तैयारी करता हूं।” बोलते हुए जस वापिस उठकर बैठ गया और अपने लैपटॉप में कुछ करने लगा। “लेकिन अमन से बिना पूछे हम किसी और प्लान पर कैसे काम कर सकते हैं?” लावण्या ने कहा। “देखो, अगर तुम ब्रो की भलाई चाहती हो तो तुम्हें ज्यादा सोचना नहीं चाहिए। मेरे प्लांस भले ही अजीब होते हैं बट सक्सेसफुल भी... अब इस होटल को ही देख लो।” जस ने अपना काम करते हुए कहा। लावण्या ने कमरे में चारो तरफ अपनी नजरें घुमाई। सच में पिछली बार से वो काफी अलग था। जस ने ये बहुत कम समय में किया था। नीचे का लुक भी कुछ हद तक बदल चुका था। “ठीक है... लेकिन ये बात हम दोनों के बीच ही रहनी चाहिए।” “ऑफ कोर्स...” जस ने खुश होकर हाई-फाई करने के लिए अपना हाथ ऊपर उठाया लेकिन लावण्या ने कोई जवाब नहीं दिया तो उसने अपना हाथ वापस नीचे कर लिया। अमन ने आँशी का स्केच जस को मेल किया था लेकिन लावण्या और जस अलग प्लान पर काम कर रहे थे इसलिए जस ने उसे चेक तक नहीं किया। दोनों काम कर रहे थे तब लावण्या के फोन पर अमन का कॉल आया। जैसे ही वो कॉल पिक करने लगी जस ने उसके हाथ से मोबाइल छीनते हुए कहा, “कॉल पिक करने की गलती मत करना। वरना ब्रो तुम्हें 2 मिनट में पकड़ लेंगे। उन्हें बिजी होने का मैसेज छोड़ो।” जस की बात मानकर लावण्या ने अमन को मैसेज छोड़ कर अपना फोन साइलेंट कर दिया। उसके बाद दोनों फिर से काम करने लगे। _________ रात के 10:00 बज रहे थे। प्रीतो जी सोने जा चुकी थी जबकि आँशी और अर्जुन घर के गार्डन में बैठे थे। अर्जुन लैपटॉप पर अपने ऑफिस का काम कर रहा था। “अर्जुन पिछले 1 घंटे से मैं तुम्हारे पास बैठी हूं और तुमने एक वर्ड तक नहीं बोला। आई एम गेटिंग बोर।” आँशी ने अर्जुन का लैपटॉप छीन लिया। “क्या कर रही है बंदर... कल मेरी एक बहुत इंपॉर्टेंट प्रेजेंटेशन है। चल लैपटॉप वापस कर।” अर्जुन उस पर गुस्सा करते हुए बोला। आँशी ने लैपटॉप वापस अर्जुन को पकड़ा दिया और वहां से उठकर जाने लगी। “अब कहां जा रही है?” अर्जुन ने कहा। “यहां बोर होने से अच्छा है कि मैं कहीं बाहर घूमने चली जाऊं, और प्लीज कल सुबह मोहल्ले की आंटियों की तरह दादी से चुगली मत कर देना।” आँशी मुंह बनाकर बोली। “ठीक है लेकिन मेरी गाड़ी की चाबी ले जाना। और हां, अपने लिए एक अच्छा सा प्लान बना लेना। तुम्हारा वो सीक्रेट एजेंट वाला प्लान डेफिनेटली फ्लॉप हो जाएगा, जब अंकल तुमसे तुम्हारी आईडेंटिटी मांगेंगे।” अर्जुन ने हंसकर कहा। “हां सही कहा उसकी टेंशन तो मुझे भी हो रही है। बट डोंट वरी कुछ सोच लेंगे।” आँशी ने धीमी आवाज में जवाब दिया और वहां से अंदर चली गई। कुछ देर बाद वो तैयार होकर बाहर आई। उसके हाथ में अर्जुन की गाड़ी की चाबी थी। “अरे वाह। इतना सज धज के कहां जा रही हो?” बोलते हुए अर्जुन ने उसे ऊपर से नीचे तक देखा। आँशी ने ब्लैक बॉडीकॉन ड्रेस पहना था, जो उसके मिड थाई तक था। उसने अपने बालो को स्ट्रेट कर रखा था। “क्लब। सोचा वही पर थोड़ा टाइम पास कर लूं।” आँशी ने जवाब दिया और वहां से जाने लगी। “क्लब तो ठीक है लेकिन ये तुम्हारा लंदन नहीं है। ड्रिंक मत कर लेना दादी 2 मिनट में पकड़ लेगी। एंड वन मोर थिंग अगर तुमने ज्यादा देर की तो मैं उन्हें नींद से जगा दूंगा।” अर्जुन ने पीछे से चिल्ला कर कहा। “व्हाट एवर।” आँशी ने इतना ही कहा और अर्जुन की गाड़ी लेकर वहां से चली गई। अपने पापा के वापस आने की खबर से आँशी काफी परेशान थी। वो वापस लंदन जाना नहीं चाहती थी और यहां रूकने का कोई रीजन भी नहीं मिल रहा था। वो क्लब में बैठी थी। अपनी प्रॉब्लम्स को भूलने के लिए आँशी ने एक के बाद एक चार शॉट लगा लिए थे। “थैंक गॉड। कुछ तो बैटर फील हो रहा है वरना। वरना ये टेंशन ठीक से सांस भी नहीं लेने देती।” आँशी ने मदहोश आवाज में कहा। ____________________ अमन की गाड़ी क्लब के आगे खड़ी थी। उसने लावण्या को कॉल किया लेकिन उसका मैसेज देख कर अमन के कदम क्लब के बाहर ही रुक गए थे। “सोचा था थोड़ा टाइम साथ स्पेंड करेंगे तो उसे भी अच्छा लगेगा और मुझे भी लवी को जानने का मौका मिल जाएगा। अब अकेले अंदर जाने का भी क्या फायदा?” क्लब के बाहर खड़ा अमन खुद से बातें कर रहा था। क्लब का गार्ड उसके पास आया और पार्क करने के लिए उसकी गाड़ी की चाबी मांगी। “मैं यहां किसी का वेट कर रहा था। वो नहीं आ रहा तो मैं भी अंदर नहीं जाने वाला।” अमन ने उससे कहा। “इटस योर चॉइस सर लेकिन क्लब के बाहर तक आ गए हैं तो कुछ देर अंदर टाइम स्पेंड कर लीजिए। शायद अच्छा लगे। आप परेशान लग रहे हैं।” गार्ड ने जवाब दिया। अमन ने कुछ देर सोचा और फिर चाबी गार्ड को पकड़ा दी। उसने अपने कदम क्लब के अंदर बढ़ाएं। क्लब के एक हिस्से में टेबल्स रखी थी, जहां पर कुछ कपल्स बैठे थे। दूसरी तरफ लाउड म्यूजिक बज रहा था जिस पर कुछ लड़के लड़कियां डांस कर रहे थे। “यहां सब अपनी अपनी लाइफ में बिजी हैं। मैंने भी अपनी बिजी लाइफ से कुछ पल तुम्हारे लिए चुराने का सोचा था लवी लेकिन मैं भूल गया था कि हम दोनों एक ही प्रोफेशन से बिलॉन्ग करते हैं। मुझे तुम्हारे लिए टाइम नहीं मिलता तो तुम भी कहां मुझे अपना टाइम दे पाती हो।” अमन ने सोचा और फिर अपने कदम बारटेंडर की तरफ लिए। आँशी वहां पर बैठकर लगातार पिए जा रही थी। अमन भी वहीं पर पहुंचा और बारटेंडर से कहा, “वन सॉफ्ट ड्रिंक प्लीज...” आँशी ने अमन की तरफ देखा और फिर हल्का सा हंसी। “सॉफ्ट ड्रिंक से क्या होगा? अगर तुम्हें अपना गम भुलाना है तो तुम्हें मेरी तरह बहुत सारे हार्ड ड्रिंक के शॉट्स लगाने पड़ेंगे।” अमन ने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया। वो वहां लगी चेयर पर बैठ गया और अपने फोन में लावण्या की फोटोज देखने लगा। “मुझे इग्नोर कर दिया? आँशी जिंदल को..हाउ डेयर ही...” आँशी गुस्से में उठी और अमन का फोन लेकर उसे जमीन पर पटक दिया। उसकी इस हरकत से अमन गुस्सा हो गया। उसने पहले अपना फोन उठाया और फिर वो उसे सबक सिखाने के लिए अपनी चेयर से उठा और उसका हाथ पकड़ कर कुछ बोल पाता तभी उसे आँशी का चेहरा दिखाई दिया। “तुम? तुम तो वही चिल्लाने वाली लड़की हो।” आँशी को देखते ही अमन ने उसे झट से पहचान लिया। °°°°°°°°°°°°°°°°
अपने डैड के घर आने की न्यूज़ सुनकर आँशी परेशान थी और इसी परेशानी में क्लब में बैठकर उसने ड्रिंक के काफी सारे शॉट्स लगा लिए थे। अमन भी वहीं पर आया हुआ था। आँशी ने उससे बात करने की कोशिश की। अमन ने उसे इग्नोर किया तो गुस्से में आँशी ने उसका फोन तोड़ दिया। “ये क्या बदतमीजी है?” अमन गुस्से में बड़बड़ाता हुआ आँशी के पास गया। उसने आँशी को देखते ही पहचान लिया। “तुम। तुम तो वही चिल्लाने वाली लड़की हो, जिसने उस दिन मेले में भगदड़ मचाई थी।” “कौन सा मेला?” बोलते हुए आँशी अमन की बाहों में गिरने लगी। “ओहहो। तुमने तो बहुत ड्रिंक रखी है।” अमन ने उसे संभालते हुए खुद से दूर किया। “मेरे पास कोई और ऑप्शन ही नहीं था। आई नो यहां सब कुछ बहुत बोरिंग है लेकिन। लेकिन यहां मैं सेफ हूं।” आँशी नशे में धीमी आवाज में बड़बड़ाए जा रही थी। अमन को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। उसने उसे संभाला और वहां से बाहर ले जाने लगा। “चलो हम मेरी गाड़ी में चल कर बात करते हैं।” आँशी ने उसे खुद से दूर धकेला और कहा, “मैं नशे में हूं, इसका मतलब ये नहीं कि मुझे मेरे आसपास क्या हो रहा है उसका कुछ होश नहीं। तुम मेरे नशे में होने का फायदा उठाना चाहते हो। मैं अच्छे से जानती हूं तुम जैसे लड़कों को।” “क्या जानती हो?” अमन ने हैरानी से पूछा। “तुम जैसे लड़के पहले तो सीधे-साधे बनकर लड़की के पास जाते हैं और फिर उसे किडनैप करके उसके साथ। उसके साथ गलत काम करते हैं।” “ये क्या बकवास कर रही हो तुम?” अमन गुस्से में उस पर चिल्लाया, “तुम अभी अपने होश में नहीं हो, मैं तुम्हारे साथ कोई गलत काम करूं या ना करूं लेकिन इस हालत में कोई और तुम्हारा फायदा जरूर उठा सकता है।” “अरे।” आँशी चिल्लाते हुए बोली, “ऐसे कैसे फायदा उठा सकता है? तुम अभी जानते नहीं हो मुझे। मुझे मार्शल आर्टस आती है।” लाउड म्यूजिक होने की वजह से आँशी जोर से चिल्लाकर बोल रही थी। “एक तो इतना लाउड म्यूजिक, ऊपर से ये लड़की। मुझे लग रहा है आज मैं पागल हो जाऊंगा।” अमन सिर पकड़ कर बोला। “लेकिन कुछ भी हो जाए। मैं इसे जाने नहीं दे सकता है। इस लड़की से कैसे भी करके उस आदमी के बारे में पूछना होगा।” अमन फिर से आँशी के पास आया और उसका हाथ पकड़ कर कहा, “चलो आराम से बैठ कर बात करते हैं।” आँशी ने मुंह बनाते हुए उसकी बात पर हामी भरी। अमन उसे कोने में लगी एक टेबल पर लेकर गया। वहां आसपास ज्यादा लोग नहीं बैठे थे। “तुम्हारा नाम क्या है?” अमन ने बैठते ही पूछा। “मैं अपना नाम तुम्हें क्यों बताऊं?” आँशी बोली। “इस लड़की से डील करना इतना मुश्किल क्यों है?” अमन धीरे से बड़बड़ाया। उसने एक बार फिर से आँशी से बात करने की कोशिश करते हुए कहा, “ठीक है नाम को छोड़ो। याद है कल शाम को तुम एक फेयर में गई थी।” “कौनसा फेयर?” आँशी ने उसकी तरफ अजीब नज़रों से देखकर पूछा। “वही फेयर, जहां पर तुम बॉम्ब बॉम्ब चिल्ला रही थी। याद है ना, फेयर में बॉम्ब लगा था।” जैसे ही अमन ने बॉम्ब बॉम्ब नाम लिया, आँशी अपनी जगह से खड़ी हुई और चिल्ला कर बोली, “क्या बॉम्ब? यहां बॉम्ब लगा है?” आँशी वहां से भागकर डांस फ्लोर पर गई। अमन उसे रोक पाता उससे पहले वो वहां से जा चुकी थी। उसने डीजे के पास जाकर म्यूजिक बंद करवाया और वहां रखा माइक उठाकर उसमें अनाउंसमेंट करने लगी। “इस क्लब को जितनी जल्दी हो सके, उतनी जल्दी खाली कर दीजिए। यहां पर बॉम्ब है, अगर आपको आपकी जान प्यारी है, तो जल्द से जल्द यहां से निकल जाइए।” आँशी माइक में चिल्लाकर बोली। आँशी के अनाउंसमेंट करते ही वहां पर भगदड़ मच चुकी थी। वहां ज्यादा लोग मौजूद नहीं थे लेकिन सब अपनी जान बचाने के चक्कर में बाहर की तरफ भागने लगे। उन सबको वहां पर भागदौड़ करता देख अमन ने अपना सिर पकड़ कर बोला, “मैं क्यों भूल गया था कि ये लड़की। नहीं लड़की नहीं। चिल्लाने वाली लड़की। जहां भी जाती है वहां पर ऐसे ही रायते फैलाती रहती है।” अमन आँशी को रोकने के लिए उसके पास गया। “ये क्या किया तुमने?” अमन आँशी पर चिल्लाकर बोला। “तुम्हें सुनाई नहीं दिया यहां पर बॉम्ब लगा है? चलो तुम भी निकलो यहां से वरना। वरना तुम्हारी जान चली जाएगी।” बोलते हुए आँशी अमन का हाथ पकड़ कर उसे बाहर की तरफ ले जाने लगी। कुछ ही देर में क्लब पूरा खाली हो चुका था। वहां की सिक्योरिटी ने बॉम्ब स्क्वायड और पुलिस को बुला लिया था। “इस लड़की ने फिर से गड़बड़ कर दी। कुछ भी हो जाए मुझे इसके होश में आने का इंतजार करना होगा। ये ही मुझे उस आदमी की तस्वीर बनाने में मदद कर सकती हैं।” अमन ने खुद से बड़बड़ा कर कहा। अमन आँशी को जैसे तैसे समझा-बुझाकर अपनी गाड़ी में लेकर गया। गाड़ी में जाते हुए वो वहां पर सो गई। वो उसे उठाने की पूरी कोशिश कर रहा था लेकिन आँशी गहरी नींद में थी। “पिछले 1 घंटे से इसे उठाने की कोशिश कर रहा हूं, पता नहीं ये लड़की मेरी जिंदगी में और कितने भूचाल लेकर आएगी।” अमन गाड़ी में बैठा बोर हो रहा था। वहीं दूसरी तरफ लावण्या अपने काम से फ्री हो चुकी थी। उसने अपने फोन में अमन के बहुत से कॉल आए हुए देखे तो उसने उसे कॉल किया। लावण्या का कॉल देखकर अमन ने खुद से कहा, “हां, इसे भी अभी मेरी याद आ रही है। अगर मैंने लवी को इस लड़की के बारे में बताया तो वो भी यहां आ जाएगी। क्या पता फिर इन दोनों को एक साथ हैंडल करना मेरे लिए मुश्किल हो जाए। एक बार के लिए लवी को इग्नोर करना ही सही रहेगा।” अमन ने लावण्या के कॉल का कोई जवाब नहीं दिया। वो वहीं पर बैठकर आँशी के नींद से जागने का इंतजार करने लगा। __________ रात के 2:00 बज रहे थे। आँशी अब तक घर वापस नहीं आई तो अर्जुन को उसकी टेंशन होने लगी। “अब तक तो उसे आ जाना चाहिए था। सब मेरी ही गलती थी जो मैंने उसे अकेले जाने दिया। ऐसे में तो दादी को भी नहीं उठा सकता। कहीं आँशी के साथ कुछ गलत।” अर्जुन के दिमाग में बुरे बुरे ख्याल आने लगे। उसने जल्दी से अपने लैपटॉप में आँशी की लोकेशन निकाली। “ये इतनी रात को क्लब में क्या कर रही है?” अर्जुन ने अपना लैपटॉप जल्दी से बंद किया और आँशी को कॉल करने लगा। हड़बड़ाहट में आँशी का फोन क्लब में ही रह गया था। उसके फोन नहीं उठाने की वजह से अर्जुन और परेशान हो गया। उसने जल्दी से आँशी की स्कूटी निकाली और क्लब जाने लगा। आँशी अभी भी अमन की गाड़ी में बेफिक्र होकर सो रही थी। “कोई भी लड़की इतनी बेफिक्र होकर दूसरे की गाड़ी में सो भी कैसे सकती है? सोना तो दूर की बात है, ये क्लब में बेतहाशा पिए जा रही थी। इसके घरवालों को इसकी बिल्कुल भी फिक्र नहीं है क्या?” अमन ने आँशी को देखकर कहा। तभी एक पुराना सा स्कूटर तेज गति से चलते हुए अमन की गाड़ी के पास से गुजरा। स्कूटर वाला उसे काफी रफ तरीके से चला रहा था, इस वजह से अमन की गाड़ी पर डेंट लग गया। “पागल हो गए हो क्या? देख कर नहीं चला सकते?” अमन ने अपना मुंह गाड़ी की खिड़की से बाहर निकाल कर कहा। स्कूटर वाले आदमी ने कोई जवाब नहीं दिया। वो कुछ दूरी पर पहुंचा ही था कि सामने आ रहे ट्रक से जा टकराया। अमन ने अपनी गाड़ी के साइड मिरर से इस एक्सीडेंट को होते देखा। “ओ गॉड। लगता है उसने भी ड्रिंक कर रखी थी।” अमन जल्दी से अपनी गाड़ी से बाहर निकला और एक्सीडेंट स्पॉट की तरफ भागने लगा। ट्रक वाला भी बाहर आकर उसे देख रहा था। उसका स्कूटर बुरी तरह टूट गया था और उस पर मौजूद आदमी सड़क पर पड़ा था। उसका एक पैर कुचल गया था और माथे से भी खून निकल रहा था। “साहब जी, मैंने ये जानबूझकर नहीं किया।” ट्रक वाला अमन को देख कर गिड़गिड़ाया। “हां देखा मैंने। मैं पुलिस को बुला रहा हूं।” अमन ने उसे शांत करने के लिए कहा। “लेकिन पुलिस तो मुझे ही गलत समझेगी ना।” वो परेशान होकर बोला। “डोंट वरी, मैंने ये सब अपनी आंखों से देखा है। ये आदमी मेरी गाड़ी से भी टकराते हुए बचा था। लगता है इसने शराब पी रखी थी।“ अमन ने उस आदमी को समझाया और पुलिस को कॉल करके बुलाने लगा। वहीं दूसरी तरफ अमन की गाड़ी में सो रही आँशी भी जाग चुकी थी। वो अभी भी हल्के नशे में थी। “ये मैं यहां क्या कर रही हूं? कहीं मेरा किडनैप। कोई मुझे किडनैप करके तो यहां नहीं ले आया।” आँशी अपनी याददाश्त पर जोर डालकर सोचने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसे कुछ याद नहीं आ रहा था। वो गाड़ी से बाहर निकली और आसपास देखा। उसने देखा थोड़ी दूर पर दो लोग खड़े थे और एक आदमी सड़क पर पड़ा था। आँशी ने उनकी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया और वापस क्लब की ओर जाने लगी। अर्जुन सामने से स्कूटी पर आ रहा था। उसने आँशी को देखा तो स्कूटी रोकी और उसके पास गया। “तुम पागल हो? जब मैंने तुम्हें अपनी गाड़ी दी थी तो क्या जरूरत है, सड़क पर चलने की? मैंने कहा था टाइम से घर आ जाना और तुम।” अर्जुन गुस्से में उस पर चिल्लाए जा रहा था। “मुझे कुछ याद नहीं है अर्जुन। मुझे घर जाना है मेरा सर दर्द कर रहा है।” आँशी की आवाज सुनकर अर्जुन ने कहा, “तुमने ड्रिंक की है? मैंने मना किया था ना तुम्हें ड्रिंक करने से। आँशी तुम्हारा मोबाइल क्लब में क्या कर रहा है और गाड़ी? तुमने गाड़ी कहां पार्क की?” “गाड़ी क्लब के पार्किंग एरिया में होगी और मोबाइल का मुझे नहीं पता।इन सब के बारे में घर पर बात करें? प्लीज मुझे घर जाना है।” आँशी काफी थकी हुई और परेशान लग रही थी इसलिए अर्जुन ने ज्यादा कुछ नहीं पूछा। अर्जुन आँशी को क्लब लेकर गया और उसके मोबाइल के मिसिंग का होने बताया। क्लब मैनेजर ने उसे आँशी का मोबाइल घर पहुंचने का आश्वासन दिया। उसके बाद वो उसे स्कूटी पर बिठाकर घर लेकर जा चुका था। अमन अभी भी इस बात से बेखबर था कि आँशी उसकी गाड़ी से जा चुकी है। °°°°°°°°°°°°°°°°
आँशी के घर में घुसते ही एक आवाज आई। “वेरी गुड आँशी जिंदल। एमबीए की कौन सी क्लासेस रात को क्लब में लगती है, जहां लेशंस के बजाय ड्रिंक सर्व की जाती है।” जैसे ही आँशी और अर्जुन घर में घुसे उनके सामने से आवाज आई। तभी घर की लाइट ऑन हुई और प्रीतो जी व्हीलचेयर चलाते हुए उनके सामने आई। “क्या हो, जो इस वक्त तुम्हारे पापा यहां पर मौजूद हो और वो तुम्हें इस तरह नशे की हालत में देखें? क्या ये सब करने के लिए तुम चंडीगढ़ में यहां रह रही हो?” प्रीतो जी आँशी को नशे में देखकर काफी गुस्सा थी। “दादी वो।” आँशी ने अपनी सफाई देने के लिए मुंह खोला ही था कि प्रीतो जी फिर बोल पड़ी, “मुझे कुछ नहीं सुनना आँशी। 2 दिन बाद तुम्हारे पापा यहां आ जाएंगे। उनसे मिलकर तुम वापस लंदन जा रही हो।” “मैं लंदन नहीं जाऊंगी।“ आँशी चिल्ला कर बोली और अपने कमरे में चली गई। “कुछ हुआ है क्या दादी? हम जब भी आँशी से वापस लंदन जाने की बात करते हैं, वो साफ मना कर देती है। उसके चेहरे पर एक डर झलकता है।“ अर्जुन ने परेशान होकर पूछा। आँशी का ये रवैया देख कर प्रीतो जी भी परेशान थी। “मुझे तुमसे ये उम्मीद नहीं थी अर्जुन।तुम्हें इतनी रात को अकेले आँशी को बाहर नहीं जाने देना चाहिए था। वो नशे में हैं और ऐसी हालत में उसके साथ कुछ भी हो सकता था।” “आपकी बात भी सही है दादी लेकिन मैं अपने काम में बिजी था। आँशी बार-बार बाहर जाने की जिद कर रही थी, इसलिए मैने उसे नही रोका।” अर्जुन ने सिर झुका कर कहा। “तुम बच्चे आखिर समझते क्यों नहीं हो कि हम बड़े तुम लोगों को किसी काम के लिए रोकते हैं, तो तुम लोगों की भलाई के लिए ही। मैं चाहती हूं कि कल तुम आँशी से खुलकर बात करो और पूछो कि वो लंदन क्यों नहीं जाना चाहती।” प्रीतो जी ने गंभीर स्वर में कहा। “आप सही कह रही है दादी, पहले तो मुझे सब कुछ नॉर्मल लगता था। लेकिन आज कल जब भी इससे लंदन जाने की बात करो तो वो गुस्से में जोर जोर से चिल्लाने लगती हैं।” अर्जुन ने बताया। “रात बहुत हो गई है। सुबह बात करते हैं।” प्रीतो जी ने जवाब दिया और अपनी व्हीलचेयर कमरे की तरफ बढ़ा ली। उनके जाने के बाद अर्जुन दबे पांव आँशी के कमरे में गया और मोबाइल की टॉर्च जला के आँशी की अलमारी में कुछ ढूंढने लगा। “आँशी को डायरी लिखना बहुत पसंद है। जरूर उसने अपनी डायरी में सब कुछ लिखा होगा।” अर्जुन ने अपने मन में कहा और अलमारी में आँशी की डायरी देखने लगा। आँशी की अलमारी में एक हिस्सा किताबे रखने के लिए बनाया गया था। उस हिस्से में आँशी की काफी सारी डायरीज पड़ी थी, जो उसने अब तक लिखी थी। डायरी उठाने से पहले अर्जुन ने आँशी की तरफ देखा तो वो आराम से सो रही थी। फिर उसने डायरीज की डेट के हिसाब से दो-तीन डायरी उठाई और अपने कमरे में आ गया। “आई नो आँशी तुम्हें बिल्कुल पसंद नहीं है कि कोई तुम्हारी डायरी कोई पढ़े। लेकिन तुम्हारी परेशानी का कुछ तो हल निकालना होगा।” बोलते हुए अर्जुन डायरी के पन्ने बदलने लगा। उसने जल्दी-जल्दी डायरी के पन्ने बदले लेकिन उसे कुछ खास नजर नहीं आ रहा था। सब में उसकी नॉर्मल दिनचर्या लिखी हुई थी। “अब मेरे पास इतना टाइम भी नहीं कि इसकी एक एक लाइन को पढ़ सकूं।” बोलते हुए अर्जुन ने दूसरी डायरी उठाई। वो उसे देखकर थोड़ा हैरान हुआ। “इसमें ऐसा क्या लिखा हुआ हो सकता है, जो आँशी ने इसके पन्ने फाड़ दिए। इसका मतलब बात जरूर कुछ और है जो आँशी हम सब से छुपा रही हैं। कहीं वो बात उसके लंदन जाने से तो नहीं जुड़ी।” डायरी के फटे हुए पन्ने देखकर अर्जुन परेशान हो गया। उसने जल्दी-जल्दी उन फटे हुए पन्नों की फोटोज ली और वापस जाकर उन्हें आँशी के अलमारी में रख दिया। उसके बाद वो भी सोने जा चुका था। _______ अगली सुबह आँशी की मैड शांति उसके घर कमरे की सफाई कर रही थी। सामान इधर-उधर रखने की आवाज सुनकर आँशी की नींद टूटी। “गुड मॉर्निंग शांति दीदी।” आँशी ने अंगड़ाई लेते हुए कहा। “क्या दीदी, आपके तो मजे हैं। जब मन चाहे रात को घर पर आओ। जब मन चाहे सुबह देरी से उठो।” शांति ने सफाई करते हुए कहा। “तो आपको किसने रोका है शांति दीदी? जब आपका मन करे तब सो जाइए। और जब आपका मन करें तब उठा कीजिए।” आँशी ने उन्नींदी आवाज में कहा। “हो, ये मजे तो सिर्फ मां बाप के घर पर होते हैं। आपको पता है जब मेरी शादी नहीं हुई थी तो मैं भी इतने ही मजे से रहती थी। यहां आई तो पैसे की तंगी होने की वजह से ये काम करना पड़ रहा है।” शांति काम छोड़कर आँशी के बेड के पास बैठ गई। “अच्छा शांति दीदी, आप कहां से हो?” आँशी भी उनसे बातें करने लगी। “दीदी मैं तो महाराष्ट्र के एक गांव से हूं। शादी हो गई तो पति के साथ रहने यहां पर आ गई। देखना आपकी भी शादी होगी तो आपको भी अपना घर छोड़कर उनके घर पर रहने जाना होगा।” शांति ने कहा। “अगर मेरी शादी हो गई तो मुझे अपने पति के घर जाना होगा। दैटस ग्रेट।” आँशी के चेहरे पर चमक थी। वो जल्दी से अपने बिस्तर से उठी और दौड़ कर बाहर आई, बाहर आकर उसने देखा दादी और अर्जुन साथ में बैठे ब्रेकफास्ट कर रहे थे। आँशी को देखते ही प्रीतो जी ने मुंह बना कर कहा, “अर्जुन बोल दे इसे कि मुझे इससे कोई बात नहीं करनी। और हां, इसके लिए नाश्ते में शराब की बोतल मंगवा रखी है, जो फ्रीज में रखी हुई है।” “क्या दादी, आप अब टोंट मारने पर आ गई?” आँशी उनके पास जाकर बैठ गई। “नाराज तो मैं भी हूं इससे दादी। चलिए हम कहीं और जाकर बैठते हैं।” अर्जुन ने दादी की हां में हां मिलाई। वो दोनों वहां से उठकर जाने लगे। उन्हें जाता देखकर आँशी अपने मन में बोली, “दादी का तो समझ आता है लेकिन ये अर्जुन मुझसे नाराज क्यों है?“ आँशी जल्दी से अपनी जगह से उठी और दौड़ कर उनके पीछे गई। “मुझे शादी करनी है।” आँशी ने हांफते हुए कहा। “क्या?” प्रीतो जी और अर्जुन दोनों चौंकते हुए एक साथ बोले। “लगता है दादी इसकी अभी कल रात वाली उतरी नहीं है। उठते ही बहकी बहकी बातें करने लगी है।“ अर्जुन ने आंखें तरेर कर कहा। “अरे आप लोग मेरी पूरी बात तो सुन लीजिए। दादी शांति दीदी ने बताया कि शादी के बाद वो अपने पति के घर पर रहने आ गई, अगर ऐसे मेरी भी शादी हो जाए और मैं अपने पति के घर पर रहने चली जाऊं, फिर तो पापा मुझे लंदन वापस नहीं भेज पाएंगे ना?” आँशी ने एक सांस में अपना प्लान उन्हें बता दिया था। “तुम पागल तो नहीं हो गई हो आँशी? यहां रुकने के लिए अब तुम शादी करोगी?” अर्जुन बोला। “इस शांति से कितनी बार कहा है कि शादी और ससुराल की बातें इस घर में मत किया करें। पता नहीं बच्ची से क्या कह दिया, जो सुबह-सुबह ऐसी फालतू बातें कर रही है।” प्रीतो जी बोली। उन दोनों को ही आँशी का प्लान अच्छा नहीं लगा। “मुझे तुम्हारा प्लान बिल्कुल पसंद नहीं आया। मतलब तुम यहां रुकने के लिए शादी कर लोगी? तुम बताओगी कि 2 दिन में लड़का कहां से ढूंढोगी और शादी? अगर लड़का मिल भी गया तो किसी अनजान इंसान से 2 दिन में शादी कैसे कर लोगी?” अर्जुन ने कहा। “बात तो तुम सही कह रहे हो। दो दिन में लड़का कहां से ढूंढूंगी?” आँशी सोचते हुए बोली। “बाय द वे मुझे लड़का ढूंढने की क्या जरूरत है? ये इंडिया है। यहां ज्यादातर अरेंज मैरेज होती है। इसलिए लड़का ढूंढने की जिम्मेदारी भी घर वालों की होती है। दादी मैं कुछ नहीं जानती, मुझे पापा के यहां आने से पहले शादी करनी है तो मेरे लिए लड़का ढूंढ दीजिए।” “ये लड़की सच में पागल हो गई है। और अपनी बातों से मुझे भी पागल कर देगी।” प्रीतो जी बड़बड़ा कर बोली और अपनी व्हीलचेयर अंदर ले जाने लगी। “क्या तुम्हें भी मेरा प्लान पसंद नहीं आया?“ आँशी ने मुंह बनाकर अर्जुन की तरफ देखा। “बिल्कुल भी नहीं। अब मुझे ऑफिस जाने दो। मुझे अपनी प्रेजेंटेशन देनी है, ना की शादी के लिए रिश्ते लेकर जाना हैं।” अर्जुन ने आँशी को साइड किया और वहां से अपने कमरे में लैपटॉप लाने के लिए चला गया। आँशी वहां पर खड़े होकर सोच रही थी। अर्जुन ऑफिस जा रहा था। उसके मन में शांति की बातें बैठ गई थी। “अब तो कुछ भी हो जाए, मैं अपने लिए 2 दिन में दूल्हा ढूंढ कर रहूंगी।” आँशी ने खुद से कहा और वहां से प्रीतो जी के पास गई। “दादी, एक अच्छा दूल्हा ढूंढने के लिए क्या करना होता है?” आँशी उनके पास जाकर बोली। “बेटा सबसे पहले अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ती है जो कि तुम बीच में छोड़कर यहां पर आ गई हो।“ प्रीतो जी ने मुंह बनाकर जवाब दिया। “इनकी सुई तो हमेशा मुझे लंदन भेजने पर ही अटकी रहती हैं।“ आँशी ने धीरे से कहा और वहां से चली गई। वो अंदर आई तो शांति सफाई कर रही थी। उसे देखकर आँशी ने सोचा, “शांति दीदी से पूछती हूं। जब ये मुझे इतना ब्रिलिएंट आइडिया दे सकती है तो आगे भी हेल्प कर ही देगी।” आँशी मुस्कुराते हुए शांति की तरफ बढ़ी। “क्या हुआ आँशी दीदी? कुछ चाहिए?“ शांति ने पूछा। “अच्छा शांति दीदी, अगर अच्छा लड़का ढूंढना हो तो हमें क्या करना होता है?” आँशी ने पप्पी आइज बनाकर कहा। “बस इतनी सी बात। मैं आपको एक एक चीज डिटेल में बता दूंगी। उसके बाद मैं आपको सुंदर सा तैयार करती हूं। फिर हम दोनों अच्छा सा फोटो सेशन करवाएंगे और आपकी फोटो लड़के वालों को भेजेंगे।“ शांति उसे सब कुछ समझाने लगी। आँशी ने उसकी बात पर हामी भरी। शांति ने आँशी की अलमारी खोली और उसमें रखा एक यैलो और वाइट कलर का सूट निकाला। आँशी शांति की बातें चुपचाप मान रही थी। कुछ ही देर में शांति ने उसे तैयार कर दिया। तैयार होने के बाद आँशी खुद को आईने में देख रही थी। °°°°°°°°°°°°°°°°
आँशी की मेड शांति दीदी उसे तैयार करके फोटो सेशन के लिए ले जाने लगी। आँशी ने हल्के पीले और सफेद रंग का सूट पहन रखा था। शांति ने उसे अपने तरीके से तैयार किया था इसलिए उसे थोड़ी बहुत ज्वेलरी भी पहना दी थी। “ये कितने कूल है ना?” आँशी अपने हाथ में पहनी चूड़ियां खनका कर बोली। “देखना आँशी दीदी, आपको बहुत अच्छा लड़का मिलने वाला है। आपकी सच में बहुत खूबसूरत लग रही हैं। आपको मेरी नजर ना लग जाए इसलिए काला टीका लगा देती हूं।” शांति ने ड्रेसिंग टेबल से काजल उठाया और आँशी के कान के पीछे छोटा सा काला टीका लगा दिया। “अच्छा फोटो सेशन के बाद क्या होगा शांति दीदी?” आँशी ने मासूमियत से पूछा। “उसके बाद हम एक अच्छे से पंडित के पास जाएंगे। आप पढ़ी-लिखी है, तो हम मैरिज ब्यूरो भी चल लेंगे। वहां पर हम आपके फोटो और आपको किस तरह का लड़का पसंद है, उन सब की जानकारी लिखवाएंगे।” शांति ने जवाब दिया। वो भी बाहर जाने के लिए तैयार होने लगी। ”इन सब के लिए फोटो सेशन की क्या जरूरत है शांति दीदी। मैं अभी अपनी फोटो किसी मेट्रोमोनियल साइट पर डाल देती हूं। कोई ना कोई अप्लाई कर ही लेगा।“ आँशी मासूमियत से बोली। “ना बाबा ना। आप विदेश में रही हुई हैं इसलिए यहां के लड़कों को जानती नहीं है, एक नंबर के फ्रॉड होते हैं। होते कुछ है और दिखाते कुछ है। हम पंडित जी के पास ही जाएंगे। उसके बाद पंडित जी आपकी तस्वीर 1–2 अच्छे घरों में दिखाएंगे और फिर वो लोग आपको देखने आएंगे। आपको पसंद करने के बाद सगाई होगी.... फिर शादी होगी।” शांति ने बताया। “जब वो लोग मेरी फोटो देख चुके होंगे तो वापस देखने क्यों आएंगे?” आँशी के लिए सब कुछ नया था इसलिए वो बहुत सवाल पूछ रही थी। “क्योंकि फोटो में तो अलग दिखते हैं ना। असलियत में भी तो देखना होता है।” शांति उसके सभी सवालों के जवाब दे रही थी। “अच्छा इस प्रोसेस में कितने घंटे लगेंगे?” आँशी ने पूछा। आँशी का सवाल सुनकर शांति जोर जोर से हंसने लगी। आँशी उसकी तरफ देख रही थी। उसे शांति के हंसने का मतलब नहीं समझ आ रहा था। “सॉरी हां दीदी। ये आपका लंदन तो है नहीं, जो सुबह लड़का मिला और शाम को शादी करके आ गए। अरे इन सब में कम से कम 1 साल का टाइम तो लग ही जाता है।” बोलकर शांति फिर से हंसने लगी। शांति के बताते ही आँशी ने आंखें बड़ी की और कहा, “1 साल? लेकिन मेरे पास इतना टाइम नहीं है। मैं कुछ नहीं जानती, शांति दीदी... मुझे 2 दिन में ही दूल्हा चाहिए। 2 दिन भी नहीं। अब तो मुझे एक दिन में दूल्हा चाहिए।” शांति ने आँशी की बात का कोई जवाब नहीं दिया और सिर पीटती हुई प्रीतो जी के पास गई। “बिजी। बिजी कहां हो आप? ये आँशी दीदी सुबह-सुबह कैसी बहकी बहकी बातें कर रही है?” प्रीतो जी को ढूंढती हुई शांति उनके कमरे में आई। “मुझसे क्या पूछ रही है शांति, ये तेरे ही फैलाए स्यापे हैं।” प्रीतो जी ने मुंह बनाकर कहा। “अब इसमें मेरी क्या गलती है। मुझे लगा आँशी दीदी को शादी करनी होगी इसलिए मैंने उन्हें अच्छा लड़का ढूंढने की प्रक्रिया बता दी लेकिन उन्हें तो एक ही दिन में लड़का चाहिए।” शांति बोली। “सही कहते हैं, खाली दिमाग शैतान का घर होता है। आँशी 2 महीने से यहां पर कुछ नहीं कर रही, इस वजह से उसके दिमाग में उलटे सीधे ख्याल आ रहे हैं।” प्रीतो जी ने जवाब दिया। “दादी मुझे आँशी दीदी के लिए बहुत डर लग रहा है। कहीं उनके ऊपर किसी चुड़ैल का।” बोलते हुए शांति रुक गई। प्रीतो जी ने उसे घूर कर देखा और कहा, “उसका पता नहीं लेकिन तेरे ऊपर जरूर किसी चुड़ैल का साया लगता है। मैं कह रही हूं शांति, तू मेरी बच्ची से दूर रहा कर और उसे उल्टी-सीधी पट्टी ना पढ़ाया कर।“ “लेकिन मैंने क्या।” बोलते हुए शांति ने देखा कि प्रीतो जी उसकी तरफ घूर कर देख रही थी इसलिए उसने अपनी बात अधूरी छोड़ दी। “ठीक है, मैं चलती हूं। मुझे और जगह भी सफाई करनी है।” शांति वहां से चली गई। उसके जाने के बाद प्रीतो जी ने पीछे से चिल्ला कर कहा, “सफाई तो तुझे तेरे दिमाग की भी करवा लेनी चाहिए। पता नहीं क्या उल्टी-सीधी बातें सोचती रहती है।” शांति के जाने के बाद प्रीतो जी अपनी व्हीलचेयर आँशी के कमरे में लेकर गई। “शांति के दिमाग का तो पता नहीं लेकिन आँशी के दिमाग का जरूर कुछ करना होगा। पता नहीं बच्ची के मन में क्या चल रहा है और कुछ बता ही नहीं रही।” वो आँशी के कमरे में आई तो उन्होंने देखा कि आँशी ने शांति दीदी पहनाई ज्वेलरी और मेकअप निकाल दिया था लेकिन अभी तक वो ड्रेस पहने बैठी थी। “आँशी, तुझे कितनी बार कहा है कि शांति की बातें मत सुना कर।” प्रीतो जी अंदर आकर कहा। “तो और क्या करूं दादी? यहां रुकने के लिए मैं कुछ भी करने के लिए तैयार हूं यहां तक की शादी भी। दादी आप समझ नही रही मुझे आपको छोड़कर लंदन नहीं जाना।” आँशी गिड़गिड़ा कर बोली। “ठीक है, मैं कुछ सोचती हूं। लेकिन प्रॉमिस करो कि तू कुछ भी उल्टा सीधा नहीं करेंगी।” प्रीतो जी ने कहा। आँशी ने हां में सिर हिलाया और प्रीतो जी के गले लग गई। “आप दुनिया की सबसे बेस्ट दादी हो। अच्छा दादी मैं अर्जुन से मिलकर आऊं? मुझे उसे बताना है कि मैंने शादी करने का आईडिया ड्रॉप कर दिया है।” आँशी ने खुश होकर कहा। उसके स्वभाव में एक बचपना था। “अब इतनी सी बात बताने के लिए तू इतनी दूर उसके ऑफिस जाएगी। ये बात तो तू उसे फोन करके भी तो बता सकती है?” प्रीतो जी ने सिर हिलाकर कहा। “जो मजा आमने सामने बैठकर बात करने में आता है, वो फोन पर करने में कहा? दादी मैं जाऊं?” आँशी ने फिर पूछा। प्रीतो जी ने मुस्कुराकर हामी भरी। आँशी उसी ड्रेस में अर्जुन के ऑफिस के लिए निकल पड़ी। ___________ सुबह ऑफिस जाने से पहले अमन ने अपनी टीम को मीटिंग के लिए अपने खरीदे हुए होटल में बुलाया था। उसे जस के किए हुए चेंज के बारे में पता नहीं था। जैसे ही वो होटल के आगे पहुंचा और वहां का बदला हुआ रूप देखा तो बड़बड़ाकर कहा, “मैं कैसे भूल सकता हूं कि मैंने जस पर कोई बड़ी रिस्पांसिबिलिटी सौंपी है, तो यही होना था। इस लड़के का कुछ नहीं हो सकता।“ अमन आगे बढ़ा तो उसे सामने दीवार पर एक बड़ा सा होल्डिंग दिखाई दिया, जिस पर लिखा था कि यहां ₹100 में 6 घंटे के लिए रूम किराए पर दिए जाते हैं। “एक और नया सरप्राइज। वैसे जस से और कुछ उम्मीद भी नहीं की जा सकती।“ सोचते हुए अमन ऊपर के कमरे में गया। अंदर का नजारा देखकर वो फिर से हैरान था। मिस्टर गुप्ता लावण्या और जस तीनों कमरे में बैठे थे। लावण्या लैपटॉप पर कुछ काम कर रही थी जबकि जस और मिस्टर गुप्ता मजे से पिज़्ज़ा खा रहे थे। “ये सच में बहुत टेस्टी है।” मिस्टर गुप्ता खाते हुए बोले। “मैं तो कहता हूं जस, तुम मेरे लिए भी ऐसा ही रूम अरेंज कर दो। दोनों यही से काम संभालेंगे।” “ओ रियली मिस्टर गुप्ता?” अमन ने अपने गुस्से को दबाते हुए पूछा। “जस मैंने तुम्हें यहां रुकने की परमिशन दी थी ना कि यहां ये सब चेंजेज करने की?” “लेकिन ब्रो।“ जस उसे एक्सप्लेनेशन देने लगा। अमन ने उसकी बात काट कर कड़े शब्दों में कहा, “लेकिन वेकिन कुछ नहीं जस। मैंने ये होटल मीटिंग करने के लिए खरीदा है ना कि यहां बैठकर मस्ती करने के लिए। सबसे पहले तो तुम वो होल्डिंग हटाओगे।“ “थैंक गॉड अमन, तुम ने इसे कुछ तो कहा वरना।” लावण्या उसके फैसले से खुश हो गई। तभी अमन ने लावण्या की भी बात बीच में काटी और कहा, “वरना क्या लवी? तुम कल यहां पर आई थी और तुमने एक बार मुझे बताना तक जरूरी नहीं समझा कि जस यहां पर क्या कर रहा है?” “लेकिन ब्रो, आप ही तो चाहते थे कि चीजें नॉर्मल लगे। अब चंडीगढ़ में एंटर होते ही कोई होटल बंद रहेगा और उसमें लोग आते जाते रहेंगे तो लोगों को तो शक होगा ही ना। एंड डोंट वरी ब्रो मैं ये बिजनेस अच्छे से संभाल लूंगा। हमारा धंधा वैसे भी काफी अच्छा चल रहा है।” जस ने उसे समझाते हुए कहा। “बेहतर होगा जस, तुम जिस काम के लिए आए हो वही करो। अगर तुम्हें बिजनेस करने का इतना ही शौक है तो ये जॉब छोड़ो और जाकर कोई बिजनेस खोल लो।“ अमन ने चिढ़कर कहा। जस के होटल में किए गए परिवर्तनों को देखकर अमन बहुत नाराज हुआ। वो लगातार जस और लावण्या को डांटे जा रहा था। “ठीक है तुम अपनी क्लास बाद में लगा लेना। पहले हम मिशन पर बात करते हैं।” मिस्टर गुप्ता ने उसे शांत कराने की कोशिश की। अमन ने आगे कुछ नहीं कहा और वहां पर बैठ गया। वो सब लोग विधिक राणा के बारे में बात कर रहे थे। “तुम्हारा प्लान काफी अच्छा है जस। मैंने अक्सर यही सुना है कि विधिक राणा लड़कियों से घिरा रहता है। इस बात से ये पता चलता है कि वो किस तरह का आदमी होगा।” अमन ने जस की तारीफ करते हुए कहा। “हां प्लान काफी पुराना है लेकिन काम कर सकता है। मैंने बहुत बार सुना है कि सच्चे प्यार के आगे बड़े से बड़े लोग घुटने टेक देते हैं, तो विधिक राणा क्या चीज है।” मिस्टर गुप्ता ने कहा। उनकी बात सुनकर अमन हल्का सा हंसा और सिर्फ जवाब में कहा, “सच्चा प्यार? दुनिया में ऐसी कोई चीज नहीं होती है मिस्टर गुप्ता, विधिक जैसा सेल्फिश आदमी तो इसे कभी नहीं समझ सकता। बेहतर होगा कि हम पॉसिबिलिटीज के बजाय लॉजिकली काम करें।” मिस्टर गुप्ता ने उसकी बात पर हामी भरी। वहां पर काफी देर तक उन लोगों की मिशन को लेकर बातचीत चलती रही लेकिन इन सबके बीच लावण्या का ध्यान कहीं और ही लगा हुआ था। “अभी-अभी अमन ने कहा कि सच्चे प्यार जैसी कोई चीज नहीं होती, तो फिर वो मेरे साथ क्यों है? क्या वो मुझसे प्यार नहीं करता। उसने कभी अपने मुंह से ये नहीं कहा।” लावण्या ने खोई हुई नजरों से अमन की तरफ देखा। वो अभी भी मिशन से जुड़ी हुई ही बातें कर रहा था। लावण्या को उसकी बात चुभ रही थी। उसकी आंखें नम हो गई। वो वहां से उठते हुए बोली, “मुझे ठीक नहीं लग रहा। मुझे कुछ देर के लिए अकेला रहना है। मैं आर्टिस्टिक के ऑफिस जा रही हूं।” “लेकिन लावण्या।” अमन ने उसे रोकने की कोशिश की लेकिन लावण्या ने उसकी बात को पूरी तरह अनसुना कर दिया और वहां से चली गई। उसके इस तरह जाने से अमन भी परेशान हो गया। वो भी मीटिंग को बीच में छोड़कर उसके पीछे जाने लगा। °°°°°°°°°°°°°°°°
अमन अपनी टीम के साथ होटल में मीटिंग कर रहा था। लावण्या किसी वजह से उससे नाराज हो गई और वहां से चली गई। अमन उसे मनाने के लिए उसके पीछे गया। लावण्या की गाड़ी आर्टिस्टिक के ऑफिस के आगे जाकर रुकी। वो गाड़ी से बाहर निकली और सीधे अपने केबिन में गई। अमन भी पीछे-पीछे उसके केबिन में आया। “क्या बात है लवी? क्या मैं तुम्हारे बीच में उठके आने का रीजन जान सकता हूं?” बोलते हुए अमन लावण्या के पास आया। उसने देखा लावण्या की आंखों में आंसू थे। “कुछ हुआ है क्या लवी?” अमन ने उसका हाथ पकड़ कर पूछा। “अमन तुमने कहा था कि तुम सच्चे प्यार में यकीन नहीं करते। अगर तुम प्यार में यकीन नहीं करते इसका मतलब तुम्हें मुझसे प्यार भी नहीं है।” लावण्या ने रोते हुए बताया। “मैंने कभी इस फीलिंग को एक्सपीरियंस नहीं किया। फिर झूठ कैसे बोल दूं?” अमन ने बेरुखी से जवाब दिया। “अगर तुम्हें मुझसे प्यार ही नहीं है, तो तुमने मुझे शादी के लिए हां क्यों कहीं?” लावण्या ने हैरानी से पूछा। “देखो लवी, मैं रिलेशनशिप में बिलीव नहीं करता। बट एट द सेम टाइम आप इससे भाग नहीं सकते। अगर मेरी लाइफ में कोई और लड़की आती है, तो मैं उसे कभी नहीं बता पाऊंगा कि मेरा काम क्या है। साथ ही मैं झूठ के साथ कोई रिश्ता नहीं बनाना चाहता। तुम मेरी अच्छी दोस्त हो और हम दोनों एक ही प्रोफेशन से बिलॉन्ग करते हैं, अच्छे दोस्त अच्छे लाइफ पार्टनर्स भी साबित होते हैं।” अमन ने बिना कुछ छुपाए अपने दिल में जो भी था, वो लावण्या के सामने रख दिया। अब लावण्या को भी अच्छा महसूस हो रहा था। “पता है तुम्हारी सबसे अच्छी बात क्या है कि तुम कभी झूठ नहीं बोलते। मैं तुम्हारी ऑनेस्टी की रिस्पेक्ट करती हूं अमन। साथ रहते रहते शायद तुम्हारे मन में मेरे लिए प्यार वाली फीलिंग भी ग्रो हो जाए।“ लावण्या ने हल्का मुस्कुरा कर जवाब दिया। “हां ऐसा हो सकता है लेकिन फिलहाल के लिए तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो। उस दोस्ती की खातिर मैं तुम्हें कभी भी हर्ट नहीं करूंगा।” अमन ने उसके हाथ पर अपना हाथ रख कर वादा किया। एक हल्की-फुल्की प्यार भरी बातचीत के बाद उन दोनों की तकरार खत्म हो गई। “अच्छा अगर तुम्हारी मिसअंडरस्टैंडिंग दूर हो गई हो तो तुम काम पर ध्यान दोगी?” लावण्या का मूड देखकर अमन बोला। लावण्या ने उसकी बात पर हामी भरी। उसके हामी भरते ही अमन ने कहा, “मैं नहीं चाहता कि तुम विधिक राणा के पास जाओ लेकिन साथ ही ये भी कि तुम उसके बारे में हर एक इंफॉर्मेशन कलेक्ट करोगी। बाय हुक और बाय क्रुक।” “ठीक है मैं उसके पास पहुंचने का कोई तरीका निकालती हूं। यहां ऑफिस में चीजें कैसे संभालनी है, वो तुम देख लेना। मुझे कुछ दिन के लिए छुपकर इस पर काम करना होगा।” लावण्या ने जवाब दिया। “डोंट वरी, यहां मैं सब संभाल लूंगा। तुम अपना मेकओवर करवा लेना, मैं तुम्हारे लिए आईडीज का इंतजाम करवा दूंगा।” अमन ने कहा। दोनों के बीच सारी बात फाइनल हो चुकी थी। अमन को बाय बोल कर लावण्या वहां से उसके बताए हुए काम पर निकल गई। ऑफिस आने के बाद अमन भी अपने ऑफिस के कामों में व्यस्त हो चुका था। _________ दूसरी तरफ आंशी अपने घर से निकलकर अर्जुन के ऑफिस गई। अर्जुन वहां अपने कामों में व्यस्त था। ऑफिस टाइम में किसी से मिलने की इजाजत ना होने के कारण रिसेप्शनिस्ट ने आंशी को बाहर ही रोक लिया। “आप समझ क्यों नहीं रही, मुझे उससे सिर्फ 2 मिनट का काम है। मैं उससे मिलते ही वापस आ जाऊंगी।” आंशी ने रिसेप्शनिस्ट के आगे रिक्वेस्ट की। “सॉरी मैम बट ऑफिस ऑर्स में किसी भी फैमिली मेंबर को मिलना अलाउ नहीं है। 1 घंटे बाद लंच ब्रेक हो जाएगा, आप तब सर से मिल सकती हैं।” रिसेप्शनिस्ट ने काफी फॉर्मली जवाब दिया। रिसेप्शनिस्ट के मना करने पर आंशी का मुंह बन गया। उसने एक आखिरी कोशिश करते हुए कहा, “आप मुझे रोक कर अच्छा नहीं कर रही है। अर्जुन को पता चला तो वो बहुत गुस्सा करेगा।” “सॉरी मैम मैं कुछ नहीं कर सकती। ये मेरा काम है। अर्जुन सर का तो पता नहीं लेकिन हमारे बॉस मिस्टर मेहरा को पता चला तो उनके साथ साथ मुझे भी काम से निकाल देंगे। आप चाहे तो उनका वेट करने के लिए ऑफिस के कैंटीन या वेटिंग रूम में बैठ सकती हैं। नाऊ एक्सक्यूज मी प्लीज।” कहकर रिसेप्शनिस्ट वापस अपने कामों में लग गई थी। आंशी रिसेप्शन टेबल से अलग हुई और वहां लगे काउच पर बैठकर सोचने लगी। “क्या हो जाता जो मिलने देती। मैं उसे सिर्फ 5 मिनट ही तो मिलती। 5 मिनट में ऐसा कौन सा इंपॉर्टेंट काम रह जाता उसका। एक तो ऐसे ही डैड के आने से टेंशन हो रही है, ऊपर से ये भी बात करने नहीं दे रही।” आंशी रिसेप्शनिस्ट की तरफ घूर कर देख रही थी। उसका ध्यान आंशी पर गया तो उसने नरमी से कहा, “मैम आप कैंटीन में चले जाइए। वहां खाने पीने को काफी सारा सामान होगा। आपका मूड भी ठीक हो जाएगा।” “मेरा मूड तो अब अर्जुन से मिलने के बाद ही ठीक होगा। अगर आपको मेरे मूड की इतनी ही पड़ी है तो मुझे मिलने दीजिए ना।” आंशी ने मुंह बनाकर कहा। रिसेप्शनिस्ट ने सॉरी बुदबुदाते हुए कंधे उचकाए। “ऑफिस का कैंटीन सेकंड फ्लोर पर है।” बोलते हुए उसने लिफ्ट की तरफ इशारा किया। आंशी ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और कैंटीन में जाने के लिए निकल पड़ी। उसने देखा कुछ इंप्लाइज लिफ्ट की तरफ जा रहे थे तो वो भी उनके साथ अंदर चली गई। “देखा आज बॉस कितने गुस्से में थे। आज तो गलती से भी कोई गलती ना कर दे वरना नौकरी ही चली जानी है।“ एक लड़की ने फुसफुसाकर कहा। उसके पास खड़े लड़के ने जवाब में कहा, “मैं तो आज लंच भी स्किप करने वाला हूं। सोच रहा हूं लंच ब्रेक में भी थोड़ा काम कर लूं ताकि सर खुश हो जाए।” बात करते हुए उन दोनों ने आंशी की तरफ देखा और आंखों ही आंखों में चुप रहने का इशारा किया। “कहीं आप हमारे बॉस मिस्टर करण मेहरा की कोई रिश्तेदार तो नहीं?” लड़की ने हिचकिचाते हुए पूछा। “अरे नहीं। डरिए मत, मैं तो खुद यहां पर विजिटर हूं। आप मेरे सामने अपने बॉस की बुराई कर सकती है।” आंशी ने हंसते हुए जवाब दिया। “लगता है आपके बॉस बहुत खड़ूस है, तभी आप लोग कितने परेशान और थके हुए लग रहे हो।” “हां सही कहा। कभी-कभी तो मुझे लगता है कि वो इंसान कभी खुश नहीं हो सकता।” लड़के ने जवाब दिया। “वैसे आप कौन है?” लड़की ने एक बार फिर पूछा। “मैं। मैं तो अर्जुन लूथरा की फ्रेंड हूं और उससे मिलने आई थी।” आंशी ने जवाब दिया। “और ऑफिस ऑर्स में रिसेप्शनिस्ट ने आप को मिलने के लिए ऊपर भेज भी दिया।” लड़की ने हैरानी से पूछा। आंशी अर्जुन से मिलने के बजाय कैंटीन में जा रही थी और लड़की की बातों से वो समझ गई थी कि उसे गलतफहमी हुई है। आंशी ने भी उस गलतफहमी को दूर करना सही नहीं समझा। “हां।और नहीं तो क्या? लेकिन मैं फ्लोर नंबर भूल गई कि अर्जुन कहां काम करता है? अगर आप जानते हो तो प्लीज मुझे बता सकते हैं कि अर्जुन लूथरा कौन से फ्लोर पर काम करते हैं?” आंशी ने झूठ बोला। लड़की ने आंशी की तरफ एक नजर भर देखा और फिर पास वाले लड़के को दबी आवाज में कहा, “लगता है ये लड़की अर्जुन की गर्लफ्रेंड है। देखो ना बेचारी कितनी मासूम लग रही है। हो सकता है कोई जरूरी काम होगा, तभी रिसेप्शनिस्ट ने इसे ऊपर भेज दिया हो।” “हमें इसकी मदद करनी चाहिए।” लड़का उस लड़की से दबी आवाज में बोला और फिर हल्का खांसते हुए आंशी की तरफ देख कर कहा, “डोंट वरी भाभी जी। मैं भी उसी फ्लोर पर जा रहा हूं। आप मेरे साथ चल सकती है और अर्जुन से मिल सकती है। वो मेरा दोस्त है।” “क्या कहा? भाभी जी?” उसके मुंह से भाभी जी सुनकर आंशी ने अपनी आंखें बड़ी की। “तुम भी ना मोह, आजकल की लड़कियां कहां भाभी सुनना पसंद करती है। अब मुझे भी कोई भाभी बोले तो कितना ऑकवर्ड फील होता है। वैसे आपका नाम क्या है, होने वाली भाभी जी?” लड़की ने उसे छेड़ते हुए कहा। “मेरा नाम आंशी है। लेकिन आप लोग मुझे भाभी जी क्यों बोल रहे हैं, ये मुझे समझ नहीं आ रहा।” आंशी ने उलझन भरे स्वर में कहा। “कोई बात नहीं। आप ऐसे ही अनजान बने रहिए लेकिन हम सब समझ गए।” मोह ने अपनी एक आंख दबाकर कहा। उसके पास खड़ी लड़की उसकी इस बात पर हंसी और दोनों ने हाई-फाई की। आंशी ने उनकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। वो लोग फिफ्थ फ्लोर पर थे, जहां पर अर्जुन काम करता था। मोह उसे अर्जुन के क्यूबिकल तक छोड़ने गया। अर्जुन आंशी को देखकर हैरान था। “वैसे चॉइस बहुत अच्छी है तुम्हारी। तुमने तो हमें नहीं मिलवाया छुपे रुस्तम। किस्मत ने हमें हमारी होने वाली भाभी से मिलवा ही दिया।” मोह अर्जुन के कंधे पर हल्का सा मारते हुए बोला। “कौन भाभी? किसकी भाभी?” अर्जुन ने हैरानी से पूछा। “हां हां सब समझते हैं। चिल कर किसी को पता नहीं चलेगा। बॉस को हम देख लेंगे लेकिन दोनों अपनी बात जल्दी खत्म कर लेना। पता है ना आज वैसे ही सड़े हुए हैं। हैव फन।” मोह ने थम्सअप किया और वहां से चला गया। उसके जाते ही आंशी ने पूछा, “ये मुझे भाभी जी क्यों बुला रहा था?” “क्योंकि इसे लगता है कि तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो। हद है यार आंशी कम से कम ऑफिस में तो मुझे अकेला छोड़ दिया कर। यहां भी आ गई।” अर्जुन हल्के से चिल्लाकर बोला। “तू ऐसे चिल्ला क्यों रहा है? तेरा बॉस सुन लेगा तो तुझे नौकरी से निकाल देगा। मुझे तुमसे बहुत जरूरी बात करनी थी इसलिए यहां आ गई।” आंशी ने सिर हिलाकर कहा। “तेरी जरूरी बात तू कॉल पर भी बता सकती थी। अगर उस मेहरा के बच्चे ने मुझे तुझसे बात करते हुए देख लिया तो मेरी वाट लग जानी है।“ अर्जुन ने मुंह बनाकर कहा। “मिस्टर मेहरा के बच्चे भी यहां पर काम करते हैं?” आंशी आंखें बड़ी करके बोली, “डोंट वरी हम उसे चॉकलेट देकर मना लेंगे।” आंशी की बातों से अर्जुन चिढ़ते हुए बोला, “तेरे इस फालतू से जोक पर मुझे बिल्कुल भी हंसी नहीं आई। अब जल्दी बता यहां क्यों आई है?” “मैं तो तुम्हें ये बताने के लिए आई थी कि मैंने शादी करने का प्लान ड्रॉप कर दिया है। इट वाॅज वेरी बैड प्लान। 1 दिन में मुझे लड़का कहां से मिलेगा?” आंशी ने जवाब दिया। “वेरी गुड।” उसकी बात सुनकर अर्जुन ने धीरे से ताली बजाई और उसे पकड़ कर वहां से ले जाने लगा। “होप सो कि तुम्हारी इंपॉर्टेंट बात खत्म हो गई होगी। अब निकलो यहां से।” आंशी ने जाने से मना कर दिया और वो वहीं पर खड़ी होकर अर्जुन से बात करने लगी, “अरे तुम मुझे ऐसे धकेल क्यों रहे हो? चली जाऊंगी ना, कौन सा मैं यहां रहूंगी तो तुम्हारे ऑफिस को खा जाऊंगी।” “तुम तो ऑफिस को नहीं खाओगी लेकिन बॉस ने तुम्हें यहां देख लिया तो वो मुझे जरूर खा जाएगा। तुम्हें नहीं पता जॉब ज्वाइन करने से पहले कॉन्ट्रैक्ट में साफ लफ्जो में लिखा हुआ था कि ऑफिस आर्स में कोई भी फैमिली मेंबर यहां मिलने नहीं आएगा।” बोलते हुए अर्जुन आंशी को पकड़कर वहां से ले जाने लगा। “ये क्या बकवास सा रूल हुआ? मैं तो कहती हूं कि तुम्हें ये नौकरी आज ही छोड़ देनी चाहिए।” आंशी ने रुककर कहा। “हां ऑफिस तो मेरे पापा का है, जो छोड़ दूंगा। कॉन्ट्रैक्ट में ये भी लिखा था कि मैं 2 साल से पहले ये नौकरी नहीं छोड़ सकता। अगर मैंने ये नौकरी छोड़ी तो मुझे कंपनी को एक अच्छा खासा कंपनसेशन देना पड़ेगा।” अर्जुन ने बताया। जैसे ही अर्जुन की बात खत्म हुई आंशी के चेहरे पर चमक आ गई। उसने चुटकी बजाई और कहा, “मिल गया आईडिया।” °°°°°°°°°°°°°°°°
आंशी अर्जुन के ऑफिस आई हुई थी। ऑफिस टाइम होने की वजह से अर्जुन बार-बार आंशी को वहां से जाने के लिए कह रहा था लेकिन उसके बावजूद आंशी जबरदस्ती वहां पर रुकी हुई थी। “मिल गया आईडिया।” आंशी जोर से चिल्ला कर बोली। इससे सबका ध्यान उसकी तरफ खिंच गया। “शशश्श्शश।” अर्जुन ने उसे चुप कराया। “तू अपने आइडियाज घर पर जाकर डिस्कस करना। फिलहाल के लिए यहां से चली जा मेरी मां। वरना तेरे साथ-साथ मुझे भी धक्के मार के यहां से बाहर निकाल देंगे।” “अच्छा अच्छा ठीक है, जा रही हूं। इसमें इतना सेंटी होने जैसा कुछ नहीं है। लेकिन मेरा प्लान तो सुन लो।” आंशी ने बच्चो सा मुंह बनाकर कहा। “मुझे अभी कुछ नहीं सुनना। तुम अभी के अभी घर जा रही हो।” अर्जुन ने थोड़ा स्ट्रिक्टली कहा। “ठीक है अर्जुन लूथरा। अब तो मैं तुम्हें कुछ बताने वाली भी नहीं हूं।” आंशी ने मुंह बनाकर कहा और वहां से जाने लगी। अर्जुन ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। आंशी के जोर-जोर से बात करने की वजह से सब का ध्यान उन्हीं की तरफ था। “आप लोग अपने काम पर ध्यान देंगे तो बेहतर होगा।” अर्जुन ने चिल्लाकर कहा और वापस अपने क्यूबिकल में आ गया। ________ अर्जुन के ऑफिस से बाहर निकलने के बाद आंशी रोड पर चल रही थी। अर्जुन ने उसका प्लान नहीं सुना था इस वजह से वो काफी गुस्सा थी। वो सड़क पर चलते हुए खुद से बड़बड़ा कर बातें कर रही थी। “समझता क्या है खुद को, बिना पूंछ वाला बंदर कहीं का। क्या हो जाता जो मेरा प्लान सुन लेता। अब तो ये आंशी जिंदल सब को सरप्राइज ही देगी। वैसे कुछ भी कहो आईडिया अच्छा दिया है इसने। अगर मैं भी कोई जॉब कर लूं, जिसमें कॉन्ट्रैक्ट में ये लिखा हो कि मैं 2 साल या कोई भी पर्टिकुलर टाइम पीरियड से पहले नौकरी छोड़कर नहीं जा सकती तो फिर डैड कुछ नहीं कर पाएंगे।” आंशी ने खुश होकर कहा। “व्हाव आंशी जिंदल.... इतना ब्रिलिएंट आइडिया तुम ही सोच सकती है।” आंशी ने खुश होकर खुद की पीठ थपथपाई। वो रोड पर मजे से खुद से बातें करती हुई चल रही थी। अचानक उसे महसूस हुआ कि कोई उसका पीछा कर रहा है। आंशी ने मुड़कर देखा तो पीछे कोई नहीं था। “लगता है खुशी के मारे अब वहम भी होने लगे हैं।” आंशी ने खुद से कहा। जैसे ही आंशी फिर से आगे बढ़ने लगी, एक आदमी गाड़ी के पीछे से बाहर निकल कर आया और फिर से आंशी के पीछे चलने लगा। लेकिन इस बार ज्यादा सावधानी से वो उसके पीछे आ रहा था। “हेलो रोबिन सर, उस दिन वो चिल्लाने वाली लड़की मिल गई है। कहो तो अभी बीच रास्ते में ठोक देता हूं।“ चलते वक्त वो किसी से कॉल पर बात कर रहा था। “ये बेवकूफी भूल कर भी मत करना।” सामने से एक आदमी की भारी आवाज आई, जिसका नाम रॉबिन था। “उस दिन तो बच गया था लेकिन आज किसी ने देख लिया है, तो इससे पहले तेरा काम तमाम होगा। मौका देखकर लड़की को उठा ले। विधिक राणा खुद ही निपट लेगा। उसे ये लड़की जिंदा चाहिए।” “उठाने में बहुत रिस्क है। ये लड़की मुझे देखते ही पहचान लेगी और फिर से जोर जोर से चिल्लाने लग जाएगी।” उस आदमी ने जवाब दिया। “पागल मत बन जॉनी, जितना कहा है उतना कर। लड़की को एक खरोच भी आई तो विधिक राणा तेरे शरीर पर इतने घाव करेगा। तुझे जिंदा भी नहीं छोड़ेगा और मरने भी नहीं देगा।” रॉबिन बोला। जॉनी ने रोबिन की बात पर हामी भरी। इसी के साथ कॉल कट हो गया। वो दबे पांव आंशी के पीछे चल रहा था। आंशी अभी भीइस बात से अंजान थी कि कोई उसका पीछा कर रहा है। “जॉब ढूंढने से पहले वैकेंसी देखनी पड़ेगी। वैकेंसी के लिए सीवी तैयार करना पड़ेगा। आई होप कि 1 दिन में सब कुछ हो जाए। एक तो खाली पेट कुछ आइडियाज भी नहीं आते। ऐसा करती हुं, पहले कुछ खा लेती हूं।” आंशी ने सोचा। उसने अपना मोबाइल निकाल कर आसपास किसी रेस्टोरेंट को खोजा और खाना खाने के लिए चली गई। जॉनी अभी भी उसके पीछे था। वो उसके साथ रेस्टोरेंट में दाखिल हो चुका था और उसके पीछे की सीट पर बैठकर उस पर नजर बनाए हुए था। __________ लावण्या अमन के कहे अनुसार विधिक राणा के बारे में पता लगाने के लिए जा चुकी थी। उसके जाने के बाद उसका काम भी अमन को संभालना पड़ रहा था। “अभी तो लवी को गए हुए 2 घंटे भी नहीं हुए और मेरे सर में दर्द होने लगा है। थैंक गॉड तुम यहां पर हो, वरना जॉब और ऑफिस को एक साथ संभालना मेरे लिए नामुमकिन होने वाला था। तुम हर लिहाज से मेरे लिए परफेक्ट हो लवी।” अमन काम करते हुए खुद से बोला। काम करते वक्त अमन के फोन का अलार्म बजा। “पता ही नहीं चला कि लंच टाइम कब हो गया।” उसने फोन का अलार्म बंद किया और वहां की फाइलों को समेटकर एक तरफ रख दिया। अमन अपने ऑफिस से बाहर आया और पास के एक रेस्टोरेंट में चला गया। रेस्टोरेंट में ज्यादा भीड़ मौजूद नहीं थी। आंशी भी उसी रेस्टोरेंट में बैठी थी। खाना ऑर्डर करने के बाद अमन रेस्टोरेंट के वॉशरूम गया। लौटते वक्त उसने एक आदमी को कॉल पर बात करते सुना। “मैं समझ गया सर आप क्या चाहते हैं। हमारा काम सिर्फ यहां दहशत फैलाना है। देखना आप ये काम हम इतनी परफेक्टली करेंगे कि चंडीगढ़ की आम जनता अपने घरों से बाहर निकलने से पहले दो बार सोचेगी।” वो आदमी दबी आवाज में बोला। उसकी बात सुनते ही अमन सतर्क हो गया। “ये लोग कभी नहीं सुधरेंगे। हमारे होते हुए इस देश की जनता बाहर भी निकलेगी और सुरक्षित भी महसूस करेगी।” अमन ने सोचा और जल्दी से बेक अप टीम को कॉल किया। अमन ने देखा कि वो आदमी वहां से निकल कर किसी टेबल पर जाकर बैठ गया, ताकि उसे आम लोगों के बीच पहचाना ना जा सके। अमन ने उसके ऊपर नजरे बनाई हुई थी। वो रेस्टोरेंट के मैनेजर के पास जाकर बोला, “इस रेस्टोरेंट में कोई बैक डोर है?” “जी सर लेकिन आप क्यों पूछ रहे हैं?” अमन ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और इधर-उधर देखने लगा। उसने देखा कि वहां पर लगभग अस्सी से सौ लोग मौजूद थे। “मुझे हल्का जुकाम है। क्या मुझे मास्क मिल सकता है?” अमन ने कहा। मैनेजर ने उसकी बात पर हां में सिर हिलाया और वेटर को भेजकर उसके लिए मास्क मंगवाया। उसे थैंक्स बोलने के बाद अमन ने मास्क पहन लिया और अपनी आंखों पर गॉगल्स चढ़ा लिए। वो आदमी धीरे से उठा और बाहर चला गया। इससे पहले कि अमन उसके पीछे जा पाता, रेस्टोरेंट के किचन में एक बड़ा धमाका हुआ। ऐसा होते ही वहां पर अफरा-तफरी मच चुकी थी। सिलेंडर फटने की वजह से वहां पर भारी आग लग चुकी थी। वहां से लोग कैसे भी करके अपनी जान बचाकर बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे। “इसने अपना काम पहले ही कर दिया था। फायर ब्रिगेड पहुंचेगी तब तक यहां के लोग जल के मर जाएंगे।” अमन ने सोचा। उसे बहुत गुस्सा आ रहा था। कुछ ही पलों में उसके सामने इतनी बड़ी घटना हो गई और वो कुछ नहीं कर पाया। “देखिए प्लीज, पैनिक मत होइए। हम आपको यहां से बाहर निकाल लेंगे।” अमन ने चिल्लाकर कहा। “कैसे निकालेंगे सर यहां पर। यहां पर मेन डोर आग में झुलस रहा है और आप बाहर निकालने की बात कर रहे हैं।” एक लड़की रोते हुए बोली। “आप हिम्मत से काम लीजिए। हम कर लेंगे।” अमन ने उससे कहा और फिर मैनेजर से चिल्लाकर पूछा, “आपने कहा था कि यहां पर बैक डोर मौजूद है। क्या इमरजेंसी में हम उसका यूज कर सकते हैं।” “मैं नहीं जानता आप कौन है और आपने इस बारे में क्यों पूछा था। अभी इन सब का टाइम भी नहीं है लेकिन बैक डोर किचन के पिछली तरफ बनाया हुआ है। किचन के पास होने की वजह से सबसे पहले वही जल रहा होगा।” मैनेजर ने घबराई आवाज में कहा। अमन ने इधर उधर नजर दौड़ाई। रेस्टोरेंट चारों तरफ से आग में घिर चुका था और वहां गर्मी बढ़ने लगी थी। शॉर्ट सर्किट होने की वजह से आग और भी फैल चुकी थी। “मैं इन्हें ऐसे ही नहीं मरने दूंगा।” सोचते हुए अमन खिड़की की तरफ बढ़ा और जैसे तैसे उसका दरवाजा खोला। “क्या पानी मिल सकता है?” उसने पूछा। “टेबल्स के अलावा और कहीं भी पानी मौजूद नहीं है।” एक व्यक्ति ने कहा। “शुक्र मनाओ कि कुछ तो है। फिलहाल के लिए यही एक खिड़की है, जो सबसे कम जली है। प्लीज आप लोग खिड़की के पास आ जाए और अपने-अपने टेबल्स पर मौजूद पानी को ले आइए। साथ ही टेबल पर बिछे कपड़े को अपने चारों तरफ लपेट लीजिए ताकि आपकी स्किन ना जले।” अमन ने तेज आवाज में कहा। अमन की बातों ने उन लोगों को उम्मीद की किरण दी। वो लोग जल्दी-जल्दी उसके बताए हुए इंस्ट्रक्शंस फॉलो करने लगे। ब्लास्ट के अंदर किचन स्टाफ बुरी तरह जल चुका था, वहां मौजूद लोगों की अभी कोई खबर नहीं थी। अमन ने वहां मौजूद लोगों की मदद से उन्हें बाहर निकाला। जॉनी ने भी आंशी के बजाय अपनी जान बचाना जरूरी समझा और वो भी वहां से निकल गया। कुछ ही देर में वहां पर फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस दोनों ही पहुंच चुकी थी। वहां मौजूद लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका था। फायर ब्रिगेड की टीम आग पर काबू पाने की कोशिश कर रही थी। कुछ लोग अंदर फसे लोगों का रेस्क्यू करने में भी जुट गए थे। इन सबके बीच आंशी आग को देखकर काफी घबरा गई थी। वो कोने में अपनी टेबल के पास बेहोश पड़ी थी। “थैंक गॉड। वक्त रहते इन लोगों को बाहर निकाल दिया गया।” अमन ने मन ही मन भगवान का शुक्रिया किया और वहां से जाने लगा। °°°°°°°°°°°°°°°°
होटल में हुए एक्सीडेंट में सबका रेस्क्यू करने के बाद अमन वहां से बाहर जा ही रहा था कि तभी उसकी नजर आंशी पर पड़ी जो एक टेबल के पास बेहोश पड़ी थी। “ओ माय गुडनेस। ये मेरी नजरों से कैसे रह गई।” अमन दौड़कर आंशी के पास गया। उसने आंशी का चेहरा देखा। “अरे ये तो वही चिल्लाने वाली लड़की है। हमेशा मुझे इस हाल में ही क्यों मिलती है कि इससे कुछ पूछ भी नहीं पाता। कहीं इसकी तरह कोई और तो मेरी नजरों से रह नहीं गया।” अमन ने जल्दी से इधर उधर नजर दौड़ाई। वहां पर आंशी के अलावा और कोई नहीं था। उसने आंशी को अपनी गोद में उठाया। बाहर निकलते वक्त उसने अपने चेहरे पर मास्क फिर से लगा लिया था। “चलो, तुम्हें फिर से बचाया जाए, चिल्लाने वाली लड़की।” अमन आंशी को लेकर बाहर आया। “अंदर आग लगी है।“ आंशी बेहोशी में बड़बड़ा रही थी। उसने अपनी आंखें खोलने की कोशिश की, तो उसे सब धुंधला सा नजर आ रहा था। अमन उसे एक एंबुलेंस के पास लेकर गया और वहां स्ट्रेचर पर लिटा दिया। “आग लगने की वजह से ये पैनिक हो गई थी। देख लीजिए, इसे कोई मेजर इंजरीज तो नहीं आई है।” अमन ने वहां मौजूद नर्स से कहा। इसके बाद वो वहां से जा चुका था। अमन आर्टिस्टिक के ऑफिस जाने के बजाए अपने हेडक्वार्टर्स गया था। उसके जाने के कुछ देर बाद आंशी को होश आ गया था। “मुझे यहां कौन लेकर आया?” आंशी ने नर्स से पूछा। “मैं नही जानती मैम, उन्होंने मास्क पहना था।” नर्स ने जवाब दिया। आंशी अपनी याददाश्त पर जोर डालकर सोचने लगी। उसे कुछ याद नहीं आ रहा था, बस अमन का धुंधला सा चेहरा उसकी आंखों के सामने तैरने लगा। “फिर वही आंखें। कौन हो तुम? तुम कोई आम इंसान नहीं हो सकते। उस दिन भी मैंने तुम्हारी कुछ बातें सुनी थी तुम। तुम और तुम्हारी टीम वहां पर बॉम्ब डिफ्यूज करने के लिए आई थी।” आंशी ने अपने मन में सोचा। नर्स ने आंशी को कुछ दवाइयां दी जिन्हें लेने के बाद उसे थोड़ा बेहतर महसूस हो रहा था। आंशी ने वहां से ऑटो किया और अपने घर आ गई। प्रीतो जी इस हादसे से अनजान थी। उन्होंने देखा कि आंशी के कपड़े थोड़े काले पड़ गए थे और चेहरा भी मुरझाया हुआ था। “कि होया कुड़िए। ऐसे शक्ल पर 12:00 क्यों बजा रखे हैं? जब मैंने बोल दिया है कि तेरे पापा को मैं देख लूंगी। फिर मुंह लटकाने की क्या जरूरत है?” प्रीतो जी ने पूछा। आंशी अब तक उस मास्क वाले लड़के के बारे में सोच रही थी। जैसे ही प्रीतो जी के मुंह से उसके पापा के आने की बात सुनी तो उसने हल्के से अपने सिर पर मारा और कहा, “उस लड़के के चक्कर में मैं तो सब कुछ भूल ही गई थी।” “कौन सा लड़का?” प्रीतो जी ने आंखें दिखा कर पूछा। “कोई भी नहीं दादी। और अब आपको पापा की फिक्र करने की जरूरत नहीं है। मैंने उसका रास्ता भी ढूंढ लिया है।” आंशी ने जवाब दिया। “कहीं तु कुछ उल्टा सीधा करने का तो नहीं सोच रही? आंशी तू अपने पापा को अच्छे से जानती है।” प्रीतो जी ने उसे आंखें दिखाते हुए पूछा। “हां दादी अच्छे से जानती हूं। इतने अच्छे से कि पिछले 10 सालों से मैंने उनकी शक्ल तक नहीं देखी है।” आंशी ने गुस्से में कहा। “वो तुमसे मिलने के लिए लंदन जाना चाहता था लेकिन कामकाज के चक्कर में उसे वक्त ही नहीं मिल पाया।” प्रीतो जी ने सफाई दी। “बस भी कीजिए दादी। आप थकते नहीं है क्या उनका पक्ष लेते लेते। वो लंदन नहीं आ सकते थे तो क्या हुआ? मुझे तो यहां बुला सकते थे ना? खैर छोड़िए, मुझे ये सब बातें करके अपना मूड ऑफ नहीं करना। मैं भी उन्हीं की बेटी हूं। अब वो मुझे इंडिया से निकाल कर दिखाएं।” आंशी ने कहा। उसके बाद सीधे वो अपने कमरे में चली गई। लंदन छोड़ते वक्त आंशी अपना सारा सामान लेकर आ चुकी थी। वो आते वक्त ये सोच कर आई थी कि वापस कभी लंदन नहीं जाएगी। आंशी ने एक बैग से अपने डाक्यूमेंट्स निकाले और उसे अच्छे से संभाल कर सीवी बनाने लगी। अपना काम खत्म करने के बाद वो नहाने चली गई। बाहर आई तो उसने देखा शाम के 4:00 बज रहे थे। “कल शाम तक डैड यहां आ जाएंगे। मेरे पास ज्यादा टाइम नहीं है। मुझे वैकेंसी ढूंढनी होगी।” आंशी ने अपना लैपटॉप उठाया और उसमें वैकेंसीज ढूंढने लगी। “कुछ भी खास नहीं मिल पा रहा।” आंशी ने खुद से कहा। “जिन भी कंपनीज में वैकेंसी मौजूद है, वो सब इतनी बड़ी कंपनी नहीं है कि उन्हें किसी एंप्लॉय के जाने का फर्क पड़े। ऊपर से मेरे पास ज्यादा डिग्रीज भी नहीं है। लगता है मुझे बिना पूंछ वाले बंदर के आने का ही इंतजार करना पड़ेगा।” आंशी ने खुद से कहा। थक हार कर आंशी ने लैपटॉप बंद कर दिया और लेट गई। उसकी आंखों के सामने अभी भी अमन का चेहरा घूम रहा था जो की धुंधला था। “कौन हो तुम। तुम्हारी आंखें। तुम्हारी आंखें मेरे दिमाग में बस सी गई है। लेकिन जब भी मिलते हो मैं ऐसी सिचुएशन में होती हूं कि तुमसे कुछ पूछने का मौका ही नहीं मिलता। तुम जो भी हो ये तो तय है कि तुम एक स्पाई हो। और मैं तुम्हें ढूंढ कर रहूंगी।” सोचते सोचते आंशी को वहीं पर नींद आ गई। _____________ होटल में रेस्क्यू ऑपरेशन हैंडल करने के बाद अमन हेड क्वार्टर्स पहुंचा। ये एक सीक्रेट एजेंसी का हेड क्वार्टर था जो कि दिखने में बिल्कुल भी सामान्य नहीं था। उनका काम दुनिया की नजरों से छुपा होता था तो वहीं उनका ऑफिस भी लोगों की सोच से परे था। सिक्योरिटी एजेंसी का ऑफिस चंडीगढ़ के एक हांटेड हाउस के बेसमेंट में बनाया गया था। हांटेड हाउस के अंदर ऐसी जगह भी मौजूद हो सकती है, कोई उसके बारे में सोच भी नहीं सकता था। अंदर जाने के बाद अमन वहां के चीफ के ऑफिस में गया जो कि लगभग 55 साल का एक आदमी था। उसके बाल ग्रे थे और चेहरे पर गहरी दाढ़ी थी। उसकी टेबल पर उस की नेमप्लेट पड़ी थी जिस पर उसका नाम लिखा था, 'तेज प्रकाश दत्त'। अंदर आते ही अमन ने उसे सलूट किया। “रेस्टोरेंट में हुए हादसे के बारे में मुझे पता चला। आई रियली अप्रिशिएट यू, तुमने वहां मौजूद लोगों की जान बचाई।” मिस्टर दत्त ने गंभीर आवाज में कहा। “थैंक यू सर।” अमन ने बिल्कुल सधे लहजे में जवाब दिया। “मैं जानता हूं अमन तुम अपने काम में परफेक्ट हो और चीजें बहुत अच्छे से हैंडल करते हो, लेकिन फेयर में हुए धमाके में वो आदमी भाग निकला। तुम्हें पुख्ता खबर मिली थी उसके बावजूद वो आदमी तुम्हारे हाथ से कैसे जा सकता है?” मिस्टर दत्त ने कहा। “ये हमारी ही नाकामयाबी थी सर!” अमन ने सीधा सीधा सारा ब्लेम खुद पर लिया। “लेकिन मैंने मिस्टर गुप्ता के मुंह से तो कुछ और ही सुना था। वो बता रहे थे कि वहां पर एक लड़की मौजूद थी, जिसने चिल्लाकर भीड़ इकट्ठा कर ली थी और भगदड़ मचने की वजह से सारा प्लान बिगड़ गया। मौके का फायदा उठाकर वो आदमी वहां से भाग गया।” मिस्टर दत्त ने कहा। “मिशन हम हैंडल कर रहे थे ना कि वो लड़की। एक आम इंसान बॉम्ब को देखकर उसी तरह रिएक्ट करता है और कोशिश करता है कि वहां मौजूद लोगों की जान बचाई जा सके। उस लड़की ने भी वही किया।” अमन ने आंशी का पक्ष लेते हुए कहा। “फिलहाल के लिए मैंने बात को संभाल लिया है। आई होप कि आगे से मुझे तुम्हारी तरफ से नाकामयाबी की खबर ना मिले। ये मिशन बहुत बड़ा है और शहर में हो रहे ब्लास्ट्स उसका हिस्सा... ध्यान रहे आगे लापरवाही ना हो।” मिस्टर दत्त ने सख्त लहजे में कहा। “यस सर।” अमन ने सधे लहजे में कहा और उसे सलूट करके उसके केबिन से बाहर आ गया। बाहर उसी की तरह और भी ऑफिसर्स मौजूद थे। सब ने उसका अच्छे से ग्रीट किया। उसकी एक कलीग दिव्याना बजाज उसके पास आई। वो लगभग 26 साल के करीब थी और दिखने में बहुत ही खूबसूरत थी। गोरा मासूम चेहरा, भूरी आंखें और कमर तक लंबे बाल। “हेलो मिस्टर कपूर। सुना है बॉम्ब प्लांट करने वाला मुजरिम भाग गया है।” दिव्याना ने अमन के पास आकर टौंट मारा। “ये सिक्योरिटी एजेंसी का ऑफिस है मिस बजाज... कोई न्यूज़ चैनल नहीं जो आप सुनी सुनाई बातों को लेकर मुझे टोंट मार रही है। यहां सब को पता है कि वो आदमी भाग गया था। फिर आकर मुझसे पूछने का मतलब?” अमन ने गुस्से में कहा। “मतलब ये कि तुम अपनी टीम में उस यूज़लेस जस और लावण्या के बजाय मुझे लेते, तो शायद तुम्हारी तरफ से नाकामयाबी की खबर नहीं आती।” दिव्याना ने भौंहें उठाकर कहा। उसकी बात सुनकर अमन ने कुछ देर सोचा। उसने दिव्याना बजाज की तरफ देखा। दिव्याना दिखने में काफी खूबसूरत और मासूम लगती थी। कुछ देर सोचने के बाद उसने कहा, “अभी भी कहां देर हुई है?” “मतलब? क्या तुम सच में मुझे अपनी टीम में लेने के लिए रेडी हो?” दिव्याना ने हैरानी से पूछा। “ऑफ कॉर्स यस।” अमन ने उसकी बात पर हामी भरी और फिर से अपने कदम तेज प्रकाश दत्त के ऑफिस की तरफ बढ़ा दिए। दिव्याना उसके इस रवैए से हैरान थी। “अचानक अमन ने हां क्यों कह दी? हमारे बीच इतना सब कुछ हुआ था उसके बाद तो इसे मेरी शक्ल तक से नफरत थी। फिर हां कहने की क्या वजह हो सकती हैं?” अमन के मन में क्या चल रहा था इस बात का पता लगाने के लिए दिव्याना भी उसके पीछे तेज प्रकाश दत्त के ऑफिस में गई, ताकि उनके बीच की बातचीत को सुन सके। °°°°°°°°°°°°°°°°
अमन ने अपनी टीम में शामिल होने के लिए दिव्याना को हां कह दी थी। वो उसके इस फैसले से बहुत हैरान थी। उसके हां कहने के पीछे के कारण का पता लगाने के लिए दिव्याना अमन के पीछे उनके सीनियर मिस्टर तेज प्रकाश दत्त के ऑफिस में गई। “चलो अच्छा हुआ तुम खुद ही आ गई दिव्याना ।” उसे देखकर मिस्टर दत्त ने कहा, “वैसे मैं तुम्हें बुलाने ही वाला था। अमन चाहता है कि तुम उनकी टीम में काम करो। तुम्हारा क्या डिसीजन है?” “मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है लेकिन मिस्टर कपूर के पास उनकी पूरी टीम मौजूद है। फिर मैं कैसे।” दिव्याना ने पूरी बात जानने के लिए पूछा। “मिस बजाज, मैं अपने मिशन से जुड़ी हुई कोई भी इंफॉर्मेशन आपको नहीं दे सकता, जब तक कि आप मेरी टीम में शामिल नहीं हो जाती।” अमन ने उसे कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। “देख लो अब डिसीजन तुम पर है। अमन को अपनी टीम में एक और मेंबर चाहिए। स्पेशली कोई फीमेल मेंबर। अगर तुम ना कहती हो तो मैं किसी और को रीकमेंड कर देता हूं।” मिस्टर दत्त बोले। “उसकी जरूरत नहीं पड़ेगी सर, मैं मिस्टर कपूर की टीम में शामिल होने के लिए तैयार हूं।” दिव्याना ने ज्यादा सोचे बिना हां कर दी। “अब तो आप मुझे बता सकते हैं कि मुझे अपनी टीम में शामिल करने का क्या कारण है?” “आप पहले सारे डाक्यूमेंट्स साइन कर दीजिए, उसके बाद मीटिंग में आपको पता चल जाएगा। मीटिंग रात के 2:00 बजे होगी। मैं आपको लोकेशन भेज दूंगा।” अमन ने दिव्याना की तरफ देखकर कहा। “तब तक मैं बाकी की फॉर्मेलिटीज पूरी करवा देता हूं।” मिस्टर दत्त ने कहा। दिव्याना और अमन ने उनकी बात पर हामी भरी और वहां से बाहर चले आए। अमन वहां से जाने लगा तभी दिव्याना तेज कदमों से चलते हुए उसके पीछे आई, “मुझे तुमसे बात करनी है अमन।” “लेकिन मैं आपसे बात करने के मूड में नहीं हूं मिस बजाज। भले ही मैंने आपको अपनी टीम में लेने के लिए हां कह दिया लेकिन इस गलतफहमी में मत रहिएगा कि हमारे बीच अब चीजें सही हो जाएगी। इंसान एक बार ही धोखा खाता है स्पेशली एक सीक्रेट एजेंट।” अमन ने हल्की मुस्कुराहट के साथ कहा और वहां से चला गया। उसके इस रवैए से दिव्याना के चेहरे पर गुस्से और उदासी के भाव एक साथ थे। “मैं जानती हूं कि मैंने तुम्हें अपनी गलती की वजह से खो दिया लेकिन अब जब खुद तुम मुझे अपने पास आने का मौका दे रहे हो तो मैं तुम्हें खुद से दूर नहीं जाने दूंगी। जानती हूं रास्ता बहुत मुश्किल है लेकिन नामुमकिन नहीं।” दिव्याना ने सोचा और वहां से वापस अपने कैबिन में आ गई। _________ सीक्रेट एजेंसी के ऑफिस से निकलकर अमन आर्टिस्टिक के ऑफिस जा रहा था। दिव्याना से मिलने के बाद उससे जुड़ी पुरानी यादें उसे परेशान कर रही थी। “सबसे पहले तो मुझे लवी को समझाना होगा कि मैंने दिव्याना को अपनी टीम में क्यों लिया? मैं अच्छे से जानता हूं दिव्याना तुम्हारे दिमाग में क्या चल रहा है, लेकिन मैं मॉल में रखी कोई ड्रेस नहीं, जिसे तुम एक बार रिजेक्ट करने के बाद वापस खरीदने चली जाओ।” अमन गाड़ी चलाते हुए खुद से बातें कर रहा था। तभी उसके मोबाइल पर लावण्या का कॉल आया। उसने गाड़ी साइड में रोकी और उससे बात करने लगा। “क्या मैं जान सकती हूं कि तुमने दिव्याना को हमारी टीम में क्यों लिया?” फोन उठाते ही लावण्या ने पूछा। उसे दिव्याना के उनके टीम में शामिल होने की खबर मिल चुकी थी। उसकी आवाज से साफ पता चल रहा था कि वो अमन के इस डिसीजन से बहुत नाराज थी। “ओह तो तुम्हें पता चल ही गया। वैसे मैं तुम्हें बताने के लिए कॉल करने ही वाला था। लवी दिव्याना तुम्हारी बहन है।” अमन उसे समझाने की कोशिश कर रहा था। लावण्या ने उसकी बात बीच में काटकर कहा, “और साथ ही वो लड़की भी, जिसने तुम्हें यूज़ किया। अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा। अमन आई वांट कि तुम दिव्याना को हमारी टीम में शामिल मत करो।” “डोंट वरी वो हमारी टीम में होगी जरूर लेकिन हमारे साथ काम नहीं करेगी। लोगों के दिलों के साथ खेलना दिव्याना को बहुत अच्छे से आता है। उसकी मासूम शक्ल देख कर कोई भी धोखा खा सकता है तो फिर विधिक राणा क्या चीज है।” अमन ने मुस्कुराहट के साथ कहा। “समझ गई। विधिक राणा जैसे इंसान के लिए दिव्याना से बेहतर कौन हो सकता है।” अमन की बातो से लावण्या समझ चुकी थी कि अमन ने दिव्याना को विधिक राणा के पास भेजने के लिए चुना है। “अब तो तुम्हें कोई मिसअंडरस्टैंडिंग नहीं है ना?” अमन ने पूछा। “तुम मेरे बिना पूछे ही सब बात सामने से क्लियर कर देते हो, ऐसे में हमारे बीच गलतफहमियां हो भी कैसे सकती हैं। फिर भी मैं कहना चाहूंगी कि तुम अवेयर रहना। दिवी को तुम से बेहतर और कोई नहीं जान सकता वह। वो फिर से तुम्हारे पास आने की कोशिश करेगी।” लावण्या ने जवाब दिया। “अब ऐसा कभी नहीं हो सकता।” अमन ने जवाब दिया। “मुझे तुम पर पूरा ट्रस्ट है। ठीक है फिर बाद मे बात करते हैं।” लावण्या ने कहा और कॉल कट कर दिया। अमन वहां से सीधा अपने ऑफिस पहुंचा और जिन कामों को वो अधूरा छोड़ कर गया था, उन्हें पूरा करने में लग गया। ____________ रात के समय अर्जुन और आंशी हमेशा की तरह बाहर गार्डन में बैठकर बातें कर रहे थे। प्रीतो जी सोने जा चुकी थी। “अब बताएगी मुझे, ऐसा भी क्या इंपॉर्टेंट काम था जिसकी वजह से तू मेरे ऑफिस तक चली आई।” अर्जुन ने पूछा। “तुमने मुझे बताया था कि तुमने कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है, जिस के अकॉर्डिंग तुम एक पर्टिकुलर टाइम पीरियड से पहले जॉब छोड़कर नहीं जा सकते।” आंशी ने पूछा। “इसमें कौन सी नई बात है। कोई भी बड़ी कंपनी अपने एंप्लाइज के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन करती हैं।” अर्जुन ने कंधे उचकाकर जवाब दिया। “एक्जेक्टली। मैं भी यही कहना चाहती हूं। मैं किसी कंपनी में जॉब कर लेती हूं और उनके साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन होने के बाद डैड मुझे यहां से भेज नहीं पाएंगे।” आंशी ने अपना आईडिया बताया। “अरे वाह बंदर। कहना पड़ेगा, इस बार प्लान काफी अच्छा बनाया है। लेकिन तुझे जॉब देगा कौन?” अर्जुन हंसकर बोला। आंशी ने उसकी तरफ घूर कर देखा और कहा, “व्हाट डू यू मीन मुझे जॉब देगा कौन? अरे वही, जिन्होंने तुम्हें जॉब दी है। मैं तुम्हारी कंपनी में तुम्हारे साथ जॉब करूंगी।” आंशी की बात सुनकर अर्जुन जल्दी से बोला, “बिल्कुल नहीं। तुझ से पीछा छुड़ाकर कुछ देर तो मैं सुकून से अपने ऑफिस में काम करता हूं। अब क्या तू वहां पर भी मेरे सिर पर रहेगी। मानता हूं तेरा प्लान अच्छा है और मैं तेरी जॉब ढूंढने में हेल्प कर दूंगा लेकिन मेरी कंपनी में बिल्कुल नहीं।” अर्जुन ने आंशी को साफ मना कर दिया। उसके ऐसा करने पर वो उसकी तरफ मुंह बनाकर देखने लगी। “मैं भी तेरे साथ जॉब करने में इंटरेस्टेड नहीं हूं लेकिन मुझे कहीं और अच्छी वैकेंसी मिली ही नहीं।” आंशी ने मुंह बनाकर कहा। उसकी बातें गौर से सुनने के बाद अर्जुन ने उसे आइडिया देते हुए कहा, “पागल लड़की, वैकेंसी के चक्करो में मत पड़ो। तुम अपना सीवी लो और किसी भी बड़ी कंपनी में वॉक ऑन इंटरव्यू में चली जाओ। क्या पता वहां एंप्लॉय की जगह खाली हो।” “आईडिया तो काफी अच्छा है। चलो फिर यही काम करते हैं। हॉप सो कि जॉब मिल जाए वरना मैं कुछ नहीं जानती। मैं तो तेरी ही कंपनी में आऊंगी।” आंशी ने अपना आखिरी फैसला सुना दिया। उसके बाद दोनों सोने जा चुके थे। रेस्टोरेंट में हुए हादसे के बारे में आंशी ने किसी से कुछ नहीं कहा। _______ अगले दिन अर्जुन अपने ऑफिस जा चुका था। आंशी भी इंटरव्यू के लिए तैयार हो गई। इंटरव्यू पर जाने से पहले आंशी प्रीतो जी के पास गई। “आज तुम्हारे पापा आने वाले हैं। याद है ना तुम्हें?” प्रीतो जी ने आंशी को देखते ही कहा। “मै ये भूल भी कैसे सकती हूं।” आंशी ने उदास चेहरे के साथ कहा। “मैं उसे समझाने की पूरी कोशिश करूंगी लेकिन फिर भी वो नहीं माना, तो मैं कुछ नहीं कर पाऊंगी। आंशी तुम्हें वापस लंदन जाना ही होगा।” प्रीतो जी ने प्यार से कहा। “आई होप कि उसकी नौबत ना आए दादी। चलिए इन सबको छोड़िए और अपनी पोती को आशीर्वाद दीजिए कि वो अपने मिशन में सक्सेसफुल होकर आए।” बोलते हुए आंशी ने प्रीतो जी के पैर छुए। “मैं तो हमेशा तुम्हारी कामयाबी की दुआ करती हूं। भगवान तुम्हें हर बुरी बला से दूर रखें मेरी बच्ची।” प्रीतो जी ने आशीर्वाद दिया। “लेकिन तुमने बताया नहीं कि तुम जा कहां रही हो?” प्रीतो जी हैरानी से पूछा। “वो तो मैं अपने काम के सक्सेसफुल होने पर ही आपको बताऊंगी। चलिए, मैं चलती हूं पापा आ जाए तो एक बार कॉल कर दीजिएगा।” आंशी ने जवाब दिया और जल्दबाजी में वहां से जाने लगी। उन्हें बाय बोलने के बाद आंशी वहां से जा चुकी थी। वहां से निकलने के बाद उसने अपने बैग से एक पेपर का टुकड़ा निकाला। “इसमें मैंने चंडीगढ़ की टॉप फाइव कंपनीज के नाम लिख रखे हैं। सबसे पहले उन में जाकर अप्लाई करती हूं।” आंशी ने खुद से कहा और ऑटो को रुकवाया। “कहां जाना है मैडम?” ऑटो वाले ने पूछा। “मुझे आर्टिस्टिक के ऑफिस ले चलो।” एड्रेस बताते हुए आंशी ऑटो में बैठी। उसने इंटरव्यू देने के लिए सबसे पहले आर्टिस्टिक को चुना था। °°°°°°°°°°°°°°°° अमन और दिव्याना का क्या रिश्ता है, any idea?
आंशी ने चंडीगढ़ में रुकने के लिए जॉब करने का मन बनाया। उसने इंटरव्यू देने के लिए सबसे पहले आर्टिस्टिक्स के ऑफिस को चुना, जिसका मालिक अमन कपूर था। सुबह-सुबह आंशी तैयार होकर आर्टिस्टिक के ऑफिस जाने के लिए निकल चुकी थी और कुछ ही देर बाद वो ऑफिस के आगे खड़ी थी। “बिल्डिंग तो काफी ब्यूटीफुल है.... चलो अब अंदर जाकर पता किया जाए कि यहां मेरे लायक कोई काम है भी या नहीं....” आंशी ने खुद से कहा और बिल्डिंग के अंदर जाने लगी। सामने रिसेप्शन पर एक लड़की मौजूद थी। वो उसके पास जाकर बोली, “एक्सक्यूज मी मैम.... मैं यहां इंटरव्यू के लिए आई थी।” “लेकिन कंपनी की तरफ से कोई जॉब वेकेंसी नही डाली गई। जहां तक मुझे पता है, न्यूज पेपर वगैरह में या कंपनी की ऑफिशियल साइट पर कोई एड नहीं डाला गया।” रिसेपनिस्ट ने जवाब दिया। “हां वो तो मैं जानती हूं लेकिन जरूरत इंसान से क्या नहीं करवा देती।” आंशी बड़बड़ा कर बोली। रिसेपनिस्ट बोली, “लगता है मैम, आपको कोई गलतफहमी हो गई....या आपने कंपनी का नाम सही से नहीं पढ़ा होगा।” “मुझे कोई गलतफहमी नहीं हुई है। आप अपने बॉस से बात करके देखिए।” आंशी ने आखिरी कोशिश की। “ठीक है, मैं पूछ लेती हूं लेकिन कॉल करने का कोई फायदा नहीं है। हमारे यहां स्टाफ वेटिंग में रखे जाते हैं ताकि कोई बीच में छोड़कर भी जाए तो हमें प्रॉब्लम ना हो।” रिसेप्शनिस्ट ने आंशी की तसल्ली के लिए ऊपर कॉल लगाया। फोन पर एक छोटी सी बातचीत करने के बाद उसने आंशी से कहा, “मैंने आपसे कहा था ना मैम, फिलहाल के लिए यहां पर कोई खाली जगह नहीं है। थैंक यू।” “अच्छी बात है....” आंशी ने मुंह बनाया और वहां से जाने लगी। जाते वक्त हड़बड़ाहट में वो अमन से जा टकराई जो कि उस वक्त ऑफिस आया था। जॉब ना मिल पाने की फ्रस्ट्रेशन में आंशी अमन पर चिल्लाई। “देख कर नहीं चल सकते तुम?” “तुम यहां क्या कर रही हो?” अमन आंशी को देखते ही झट से पहचान गया। “जॉब ढूंढने आई थी लेकिन यहां पर तो ये लोग वेटिंग में स्टाफ रखते हैं। अगर तुम भी जॉब ढूंढने के लिए आए हो तो कोई फायदा नहीं है।” आंशी ने उसे बताया उसकी बात सुनकर अमन के चेहरे पर मुस्कुराहट थी। “यहां पर जॉब अवेलेबल है। तुम मेरे साथ चलो मैं तुम्हें....” अमन आंशी से बात कर रहा था कि तभी उसने उसकी बात बीच में काट कर कहा, “हां बोल तो ऐसे रहे हो जैसे तुम्हारी ही कंपनी हो।” अमन को वहां देखकर वो रिसेप्शनिस्ट काउंटर से बाहर आई और कहा,“गुड मॉर्निंग सर। इन्हें कोई मिसअंडरस्टैंडिंग हो गई है। यहां पर इंटरव्यू देने के लिए आई थी जबकि हमारे यहां तो कोई वैकेंसी ही नहीं है।” रिसेप्शनिस्ट के मुंह से सर सुनकर आंशी समझ चुकी थी कि अमन ही वहां का बॉस है। वो सकपकाते हुए बोली,“तो सच में तुम इस कंपनी के मालिक हो?” अमन ने मुस्कुराकर उसकी बात पर हामी भरी और कहा, “चलो मेरे साथ आओ। लावण्या के जाने के बाद मुझे एक पर्सनल सेक्रेटरी की जरूरत थी। देखते हैं कि तुम इस जॉब के लायक हो या नहीं।” अपनी बात कह कर अमन लिफ्ट की तरफ बढ़ा। उसके जाने के बाद आंशी ने रिसेप्शनिस्ट की तरफ देख कर कहा,“मैंने कहा था ना मेरे लिए यहां जॉब अवेलेबल होगी।” आंशी वहां से चली गई। उसके जाने के बाद रिसेप्शनिस्ट हैरानी से उन दोनों को देख रही थी। “लेकिन अमन सर को तो असिस्टेंट रखना पसंद ही नहीं है। फिर उन्होंने उस लड़की को हां क्यों की? उनका सारा काम तो लावण्या मैम संभालती है।” “वैसे तो मुझे अब तुम्हारी जरूरत नहीं है चिल्लाने वाली लड़की लेकिन फिर भी इस वक्त तुम्हे जॉब पर रखकर मेरे लिए काफी फायदेमंद होगा। तुम्हारे जरिए मैं उस आदमी को पकड़ कर पूरे मास्टर प्लान को जान सकता हूं। तुम मेरे साथ काम करोगी तो कैसे भी करके मैं तुमसे उसके बारे में जान ही लूंगा।” अमन ने अपने मन में कहा। आंशी भी उसके साथ लिस्ट में मौजूद थी। वो एकटक अमन की तरफ देखे जा रही थी। “मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि मैंने इससे पहले भी इसे देखा है.... आई मीन इसकी आवाज.... इसकी आवाज जानी पहचानी सी है।” आंशी ने सोचा। लिफ्ट बिल्डिंग के 5th फ्लोर पर आकर रुकी, जहां अमन का केबिन था। उसने इशारे से आंशी को अपने पीछे आने को कहा। आंशी उसके पीछे पीछे चलते हुए आसपास देख रही थी। उसने देखा बाकी का स्टाफ तन्मयता से अपने काम में लगा हुआ था। “यहां सब कितने डेडिकेटेड होकर काम कर रहे हैं जबकि अर्जुन के ऑफिस में काम कम और गप्पे ज्यादा लड़ा रहे थे।” आंशी ने धीमी आवाज में कहा। अमन आंशी के साथ अपने केबिन में था। अपनी चेयर पर बैठने के बाद उसने आंशी को सामने बैठने का इशारा किया। “जैसा कि रिसेप्शनिस्ट ने तुम्हें बताया था कि हमारे यहां पर स्टाफ वेटिंग में रहते है। मेरा सारा काम मिस बजाज मेंटेन करती है लेकिन कुछ दिनों की छुट्टी पर होने की वजह से आप उनका काम करेंगी।” अमन ने आते ही कहा। “और जब आपकी मिस बजाज वापस आ जाएगी, तो फिर मेरा क्या होगा?” आंशी ने आंखें बड़ी करके पूछा। “तब आप मिस बजाज की असिस्टेंट के तौर पर काम करेंगी। लेकिन तभी, जब आप इस जॉब के लायक होंगी.... आपका रिज्यूमे कहां है?” अमन ने कहा। अमन के कहते ही आंशी ने अपने बैग से रिज्यूमे निकाल कर उसकी तरफ बढ़ाया। वो उसका रिज्यूमे पढ़कर बोला,”आपकी स्टडीज लंदन यूनिवर्सिटी से हुई है?” आंशी ने उसकी बात पर हां में सिर हिलाया। “आपकी एमबीए की स्टडी बीच में छोड़ने का कारण जान सकता हूं?” अमन ने हैरानी से पूछा। “मैं आपको बताना जरूरी नहीं समझती। मैं इस जॉब के लिए इलेजिबल हूं या नहीं?” आंशी ने काफी रुखे तरीके से जवाब दिया। “ये एक मामूली असिस्टेंट की जॉब है और तुम्हारी क्वालिफिकेशन हाई है। सब कुछ जानने के बाद भी तुम ये जॉब करना चाहोगी?” अमन ने एक बार फिर पूछा। “हां क्योंकि मुझे इस जॉब की बहुत ज्यादा जरूरत है।” आंशी ने लाचारी से कहा। अमन ने आंशी की तरफ देखा, जिसने एक ब्रांडेड ड्रेस पहनी थी। उसकी स्टडी भी लंदन से कंप्लीट हुई थी। “तुम्हें देखकर लगता नहीं कि तुम्हें पैसों की कमी होगी। फिर इस जॉब की तुम्हें क्या जरूरत हो सकती है?” अमन ने उसे घूरते हुए पूछा। “जरूरी नहीं हर काम पैसों के लिए किया जाए। कुछ काम खुद को प्रूफ करने के लिए और खुद की सेल्फ रिस्पेक्ट मेंटेन करने के लिए भी किए जाते हैं।” आंशी ने पूरे कॉन्फिडेंस से जवाब दिया। “ठीक है.... तुम्हारी जॉब फाइनल लेकिन एक बार फिर सोच लो, अगर तुम स्टडी करने के लिए वापस जानना चाहोगी तो ये पॉसिबल नहीं होगा। हम हर इंप्लाइज के साथ 1 साल का कॉन्ट्रैक्ट करते हैं। हम चाहे तो उसे निकाल सकते हैं लेकिन वो अपनी मर्जी से जॉब छोड़कर नहीं जा सकता।” अमन ने सारी बात सीधे उसे बता दी थी। उसकी बात सुनकर आंशी के चेहरे पर चमक आ गई। उसने हड़बड़ाहट में कहा, “बस मुझे इसी पल का बेसब्री से इंतजार था।” “व्हाट?” अमन ने हैरानी से कहा। आंशी ने जल्दी से कहा, “कुछ नहीं.... मैं क्या कह रही थी 1 साल का टाइम बहुत कम होता है। क्यों ना हम कॉन्ट्रैक्ट का टाइम पीरियड बढ़ाकर इसे 5 साल का कर देते हैं?” आंशी के कहते ही अमन ख़ांसने लगा। “एक बार फिर सोच लीजिए मिस जिंदल.... ये जॉब है कोई एफडी नहीं जो आप 5 साल के लिए फिक्स करना चाहती हैं।” “ठीक है 5 साल रहने देते हैं.... 2 साल?” आंशी ने झट से कहा। “आपका बैकग्राउंड तो क्लियर है ना? कही कोई क्राइम हिस्ट्री....“ जैसे ही अमन ने कहा, आंशी गुस्से में उस पर बिफर पड़ी,“मतलब क्या है तुम्हारे कहने का? मैं क्या तुम्हें कोई चोर डाकू नजर आती हूं, जो मेरे बैकग्राउंड के बारे में पूछ रहे हो?” “ओके.... मैं तो बस पूछ रहा था। सबके साथ 1 साल का कॉन्ट्रैक्ट होता है और आपके साथ भी 1 साल का ही होगा। आप अपनी डिटेल्स बाहर सबमिट करवा दीजिए.... 2 दिन बाद आपको कॉन्ट्रैक्ट मिल जाएगा” अमन ने शांति से कहा। आंशी ने बच्चो सा मुंह बनाकर कहा, “क्या? 2 दिन बाद.... लेकिन मुझे तो अभी चाहिए था।” “अब तो मुझे आप पर और भी डाउट हो रहा है।” अमन ने उसे शक भरी नजरों से देखा। “न.....नहीं, वो मैं जल्दी से ये जॉब ज्वाइन करना चाहती थी। बस तभी कह रही थी।” आंशी ने जैसे-तैसे बात को संभाला। “आप चाहे तो आज से ज्वाइन कर सकती हैं लेकिन कॉन्ट्रैक्ट 2 दिन बाद ही बनेगा। जाइए बाहर जाकर मिस्टर सिंह से मिल लीजिए, वो आपको आपका काम समझा देंगे।” अमन बोला। अमन ने आंशी को सारी बात बता दी। आंशी बार-बार उसके आंखों की तरफ देख रही थी। उसने आंख बंद करके सोचना चाहा तो उसकी आंखों के सामने अमन का धुंधला चेहरा घूमने लगा। फिर उसने आंखें खोल कर अमन की तरफ गौर से देखा। उसे अमन की आंखें देख कर उस इंसान की याद आई, जिसने उसकी जान बचाई थी। “मुझे इसकी आवाज भी सुनी हुई सी लग रही है और इसकी आंखें.... इसकी आंखें भी उसी तरह की लग रही है जैसी उस आदमी की थी, जिसने मेरी जान बचाई थी। कहीं ये वही तो नहीं....” आंशी अपने ख्यालों में खोई हुई एकटक अमन की आंखों की तरफ देख रही थी। अमन बार बार आंशी का नाम ले रहा था जबकि वो किसी और ही दुनिया में खोई हुई थी। अमन ने अपने पास रखें पानी का गिलास उठाया और उठकर उसका आधा पानी वहां रखे प्लांट में डाल दिया। वो वापस आंशी के पास आया और बचा हुआ आधा पानी उसके मुंह पर डाला, जैसे ही पानी आंशी के मुंह पर गिरा, वो एक झटके में खड़ी हो गई। “ये क्या बदतमीजी है?” आंशी चिल्ला कर बोली। “तुम क्या कभी भी नॉर्मली बिना चिल्लाए बात नहीं कर सकती चिल्लाने वाली लड़की....” अमन ने इरिटेट हो कर कहा। “क्या कहां तुमने? चिल्लाने वाली लड़की? अब तो मुझे पक्का यकीन हो गया तुम वही हो।” बोलते हुए आंशी अमन के पास आई और उसे दोनों बाजुओं से पकड़कर उसकी आंखों में गौर से देखने लगी। उसके ऐसा करने पर अमन और इरिटेट हो गया और उसे खुद से दूर किया।”पागल हो गई हो? ये क्या बकवास कर रही हो और कौन हूं मैं?” “तुम..... तुम वही हो। तुम एक स्पाई हो ना? एक सीक्रेट एजेंट...” आंशी बोली। आंशी की बातें सुनकर अमन हैरान हो गया। आंशी के सामने उसका पूरा सच था, जिसे वो आज तक लोगों से छुपाए हुए था। °°°°°°°°°°°°°°°°
आंशी अमन के ऑफिस में इंटरव्यू देने के लिए आई थी। जब उसने उसकी आवाज सुनी और उसकी आंखों को देखा तो वो उसे पहचान गई थी। “तुम एक स्पाई हो..... या कोई ऐसे इंसान जो दुनिया की नजरों से छुप कर काम करते हैं। सम रॉ या सीक्रेट एजेंट टाइप्स.....” जैसे ही आंशी ने कहा, अमन हड़बड़ाते हुए इधर उधर देखने लगा। उसका सबसे बड़ा झूठ पकड़ा गया था। अमन ने गहरी सांस ले कर छोड़ी और फिर आंशी की तरफ देख कर हंसने लगा। “तुम हंस क्यों रहे हो? मैंने कोई जोक सुनाया है क्या?” आंशी गुस्से में बोली। “जोक ही तो सुनाया है। मैं और एक सीक्रेट एजेंट? तुम इस वक्त जिस कंपनी में खड़ी हो, वो कोई गली मोहल्ले या नुक्कड़ की दुकान नहीं है, जिसे एक सीक्रेट एजेंट अपना काम संभालते हुए कामयाब कर सके।” अमन ने जवाब में कहा। अमन की बातों ने आंशी को उलझन में डाल दिया था। वो जो कह रहा था वो सच था। “ऐसे कैसे हो सकता है कि वो तुम नहीं हो..... तुम्हारी आवाज बिल्कुल उसी की तरह है। और तुम्हारी आंखें.....” बोलते हुए आंशी अमन के पास आने लगी। “रूको, मुझे तुम्हारी आंखें एक बार फिर देखने दो।” जैसे ही आंशी अमन के पास आने लगी, उसने जल्दी से टेबल पर रखे गॉगल्स उठाए और अपनी आंखों पर लगा लिये। “कंजेक्टिवाइटिस..... मुझे कंजेक्टिवाइटिस हुआ है। मेरी आंखों में मत देखो वरना तुम्हें भी हो जाएगा।” अमन बोला। “ओके फाइन, जब तुम्हारा कंजेक्टिवाइटिस सही हो जाए, तब देख लेंगे।” आंशी ने भौंहे उठाकर कहा। “अगर तुम्हें यहां पर जॉब करनी है, तो तुम्हें तमीज से रहना होगा और अपने बॉस से तमीज से बात करनी होगी।” अमन ने सख्त शब्दों में कहा। “ओके सर..... जब आपका कंजेक्टिवाइटिस सही हो जाए तो आप अपनी आंखें मुझे जरूर चेक करवाइएगा।” आंशी ने काफी पोलाइटली कहा। “ऑफ कोर्स मिस आंशी..... अब आप जा सकती है।” बोलते हुए अमन ने दरवाजे की तरफ इशारा किया। आंशी वहां से बाहर आ गई। वो अभी भी अमन की तरफ से देखते हुए याद करने की कोशिश कर रही थी। “अगर उस दिन मैं बेहोश नहीं हुई होती तो पक्का प्रूफ कर देती कि ये वही लड़का है। पहले मुझे फेयर में बचाया था, उस दिन रेस्टोरेंट में भी यही था। कभी-कभी तो मुझे शक होता है कि क्लब में मैंने जिसका मोबाइल तोड़ा था, वो भी यहीं था।” आंशी खुद से बातें कर रही थी। वहीं दूसरी तरफ आंशी के जाते ही अमन ने चैन की सांस ली। वो अपनी चेयर पर बैठा और पानी पीकर खुद को रिलैक्स करने लगा। “थैंक गॉड उसने मुझे नहीं पहचाना, वरना पूरे जगत में चिल्ला चिल्ला कर ढिंढोरा पीट देती, मैं कौन हूं? इसे जॉब देकर मैंने अपने लिए मुसीबत खड़ी कर ली लेकिन उसे मैं जाने भी नहीं दे सकता। अब तो लवी जल्द से जल्द आ जाए तभी अच्छा होगा।” अमन ने खुद से कहा। अमन ने आंशी का रिज्यूमे उठाया और उसे फिर से देखने लगा। “आंशी जिंदल..... उम्र 22 साल.... ओह तो चिल्लाने वाली लड़की का नाम आंशी है। लेकिन इसने लंदन छोड़ने की वजह नहीं बताई। कहीं उसके बैकग्राउंड में तो कोई प्रॉब्लम नहीं है।” अमन आंशी के रिज्यूमें के जरिए उसके बारे में पता लगाने की कोशिश करने लगा। __________ लावण्या विधिक राणा के होटल में मौजूद थी। उसने वेट्रेस की ड्रेस पहन रखी थी और आंखों पर मोटा चश्मा लगा रखा था। चेहरे पर डार्क मेकअप करने के बाद किसी के लिए भी लावण्या को पहचानना मुश्किल था। वो सुबह से विधिक राणा के आने का इंतजार कर रही थी। सुबह से रात हो चुकी थी लेकिन विधिक राणा के बारे में पता लगाना तो दूर वो उससे मिल भी नहीं पाई थी। “ए सुनो.....” हेड वेटर ने उसे आवाज लगाई। उसके इस तरह आवाज लगाने पर लावण्या ने उसकी तरफ घूर कर देखा। उसने तुरंत अपने चेहरे के भावों को बदला और उसके पास गई। “यस सर..... बोलिए।” लावण्या ने उसके पास जाकर पूछा। “ये खाना तुम्हें ऊपर लास्ट फ्लोर में विधिक सर के लिए लेकर जाना है।” वेटर के कहते ही लावण्या चौकन्नी हो गई। “क्या वो यहां पर रुके हुए हैं?” लावण्या ने तुरंत पूछा। “देखो तुम यहां नई हो इसलिए वार्निंग देकर छोड़ रहा हूं। आगे से सिर्फ अपने काम से मतलब रखना। ज्यादा सवाल पूछने की कोशिश की तो तुम खुद एक सवाल बन कर रह जाओगी।” वेटर ने उसे सख्त लहजे में कहा। “ज.....जी..! आप बता दीजिए क्या लेकर जाना है। मैं चली जाऊंगी।”लावण्या घबराहट के साथ बोली। “नहीं..... अब तुम रहने दो। मैं किसी और को भेज दूंगा।” वेटर ने सिर हिलाकर कहा। लावण्या के सवाल पूछने की वजह से वेटर ने उसे ऊपर जाने से मना किया और वहां से चला गया। वेटर के जाने के साथ ही उसके हाथ से एक सुनहरा मौका भी चला गया जिसके जरिए वो विधिक राणा के बारे में पता लगा सकती थी। “मुझे कुछ भी कर के ऊपर जाना होगा।” लावण्या ने अपने मन में कहा और दौड़कर वेटर के पीछे गई। “मुझे माफ कर दीजिए सर, मैं आगे से ध्यान रखूंगी। आपके कहे हुए हर काम को मैं बिना किसी सवाल के पूरा करूंगी और साथ ही किसी से उसके बारे में भी नहीं कहूंगी।” लावण्या ने रिक्वेस्ट की। वेटर ने उसकी तरफ घूर कर देखा और फिर कहा, “ठीक है। ऊपर जाओ तो वहां भी कुछ मत पूछना। बस सर के सामने खाना रख देना। और हां..... उन्हें कुछ चाहिए तो कॉल कर देना। वो जब तक वो खाना नहीं खा लेंगे, तुम तब तक नीचे नहीं आओगी।” वेटर ने उसे सब कुछ समझा दिया। लावण्या ने उसकी बात पर हामी भरी। उस वेटर ने खाने की अलग-अलग कई प्रकार की डिशेस सर्विंग प्लेट में रखी। “इसे सर्विंग ट्रॉली के जरिए ऊपर ले जाना। मैंने जो कहा है, उसे याद रखना।” वेटर ने कहा और वहां से चला गया। लावण्या ने जल्दी से सर्विंग ट्रॉली को लिया और लिफ्ट के जरिए टोप फ्लोर पर गई। उसने लिफ्ट में इधर-उधर देखा। “हो सकता है होटल के हर एक कोने की तरह यहां भी कैमराज लगे हो। विधिक से मिलने का मौका तो फिर मिल सकता है लेकिन पहले ही बार पकड़ी गई तो कुछ पता नहीं चलेगा।“ लावण्या ने खुद को सामान्य दिखाने की कोशिश की और बिना कुछ एक्स्ट्रा प्रिपरेशन के विधिक के फ्लोर पर पहुंची। ऊपर के फ्लोर पर किसी का भी आना जाना मना था। वहां विधिक की स्पेशल परमिशन के साथ ही कोई आ सकता था। लावण्या ऊपर पहुंची तो उसने देखा कि ऊपर के फ्लोर पर विधिक का घर बना हुआ था। “ओह तो यही वजह है कि आज तक किसी को पता नहीं चल पाया कि विधिक राणा रहता कहां है?” लावण्या ने सोचा और अपने कदम आगे बढ़ाए। वहां कोई मौजूद नहीं था। लावण्या ने चारों तरफ देखा तो घर काफी लग्जरियस था, जहां महंगे महंगे फर्नीचर्स और शोपीस लगाए हुए थे। “क..... कोई है?“ लावण्या ने आवाज लगाकर पूछा। जवाब में कोई आवाज नहीं आई। लावण्या ने एक बार से इधर-उधर देखा, उसे कोई दिखाई नहीं दिया। फिर अचानक बैडरूम से शाॅवर चलने की आवाज आई। वो बैडरूम का दरवाजा खटखटा कर बोली , “विधिक सर..... मैं आपके लिए डिनर.....” उसकी बात खत्म होने से पहले विधिक जवाब में चिल्लाया, “ठीक है। मैं आ रहा हूं। ऐसा करो बाहर बेड पर मेरा टॉवल पड़ा होगा। मुझे पकड़ा दो।” “ज.....जी सर.....” लावण्या ने जवाब दिया और अपने कदम बेडरूम में बढ़ाए। उसने बेड पर रखा टॉवल उठाया और बाथरूम का दरवाजा खटखटा कर बोली, “सर..... टॉवल.....” “अंदर आ जाओ।” विधिक ने अंदर से जवाब दिया। लावण्या के दिल की धड़कनें बढ़ गई। “पता नहीं मिशन के चक्कर में क्या-क्या करना पड़ रहा है।” लावण्या अपने मन में बुदबुदाई। लावण्या टॉवल लेकर अंदर पहुंची तो उसने देखा कि बाथरूम में नहाने के लिए एक अलग सेक्शन बना था, जो कि पूरा कांच का था। विधिक अंदर नहा रहा था। लावण्या की एक नजर उस पर पड़ी। उसे बिना कपड़ों के देखकर उसने तुरंत अपनी नजरें झुका ली। “इसे वहां रख दो और बाहर डाइनिंग टेबल पर मेरा वेट करो।” विधिक ने कहा। जवाब में लावण्या ने कुछ नहीं कहा और टॉवल रख कर जल्दी से बाहर आ गई। कुछ देर बाद विधिक भी बाहर आ चुका था। उसने कपड़े पहनने के बजाय कमर से तौलिया लपेट रखा था। लावण्या उसे पहली बार देख रही थी। “दिखने में तो इतना शरीफ और अच्छा खासा है, फिर ऐसे उलटे काम क्यों करता है। इसका फेस इसके काम पर बिल्कुल भी सूट नहीं होता। कौन कह सकता है कि माफिया का जाना माना नाम विधिक राणा दिखने में इतना हैंडसम है।“ लावण्या ने सोचा। लावण्या उसे वैसे देखकर नजरे चुरा रही थी। उसे देख कर विधिक मुस्कुरा दिया। वो वापस अंदर गया और कपड़े पहन कर बाहर आया। “लगता है तुम यहां पर नई आई हो।” विधिक ने टेबल पर बैठते हुए पूछा। “जी सर.....” लावण्या ने नजरें झुका कर कहा। “चलो जल्दी से खाना सर्व करो। मुझे बहुत भूख लगी है।” विधिक बोला। विधिक के कहते ही लावण्या जल्दी-जल्दी खाना परोसने लगी। उसके हाथ हल्के कांप रहे थे और वो हड़बड़ाहट में खाना इधर-उधर बिखेर रही थी। अचानक विधिक ने उसका हाथ पकड़ा और कहा, “रहने दो, मैं कर लूंगा।” “लेकिन हेड वेटर ने मुझे आपको खाना सर्व करने के लिए कहा था।” लावण्या ने जवाब दिया। “हां तो मुझे सर्व करने के लिए कहा था, ना कि नीचे गिराने के लिए..... तुमने डिनर किया?” विधिक ने पूछा। वो काफी सामान्य तरीके से बात कर रहा था। उसे देख कर कोई नही बता सकता था कि वो इतना खतरनाक माफिया है। लावण्या ने बिना कुछ बोले ना में सर हिला दिया। विधिक ने उसे पास की टेबल पर बैठने का इशारा किया और दो प्लेट में खाना डालने लगा। “थैंक यू सर लेकिन मैं नीचे जाकर खा लूंगी।” लावण्या ने मना करते हुए कहा। “मैंने जितना कहा है उतना ही करो।” विधिक ने उसे घूरते हुए देखा और कहा। उसकी बात मानकर लावण्या चुपचाप खाना खाने लगी। विधिक खाना खाने के बजाय उसे खाते हुए देख रहा था। “सर आप कुछ खा क्यों नहीं रहे?” लावण्या ने हिचकीचाते हुए पूछा। “खा लूंगा लेकिन मुझसे ज्यादा खाने की जरूरत तुम्हें है।” विधिक ने जवाब दिया। “मैं कुछ समझी नहीं सर?” लावण्या ने हैरानी से पूछा। “डोंट वरी मैं सब समझा दूंगा। हां तो तुम अच्छे से खाना खाओ। इसके बाद तुम्हें मेरा एक ऐसा काम करना है, जिसमें तुम्हारी बहुत सी एनर्जी लगेगी।” विधिक ने उसकी तरफ रहस्यमई मुस्कुराहट के साथ देखा। उसके ऐसा कहते ही लावण्या चौक कर अपनी जगह से खड़ी हुई और अपने कपड़े सही करने लगी। उसे ऐसा करता देख विधिक जोर से हंस पड़ा और फिर अपनी हंसी कंट्रोल करते हुए कहा, “डरो मत, मेरा टेस्ट इतना भी खराब नहीं है। मैं तुम्हारे साथ कुछ नहीं करूंगा..... काम कुछ और है।” “लेकिन सर.....” लावण्या अपनी बात खत्म कर पाती उससे पहले विधिक ने डाइनिंग टेबल के ड्रोर से रिवाल्वर निकाली और उसकी तरफ तान कर बोला, “चुपचाप बैठ कर खाना खाओ।” लावण्या घबराकर जल्दी से बैठ गई और खाना खाने लगी। विधिक उससे क्या करवाना चाहता था, वो समझ नहीं पा रही थी। वो विधिक राणा के साथ थी जो कि उस पर बंदूक तान कर बैठा था। अगले ही पल उसके साथ कुछ भी हो सकता था। °°°°°°°°°°°°°°°°
लावण्या विधिक राणा के लिए खाना लेकर होटल के टॉप फ्लोर पर बने उसके घर में गई। वहां विधिक पहले तो उससे बहुत अच्छे से पेश आया, लेकिन फिर उसे बंदूक की नोक पर जबरदस्ती खाना खिला रहा था ताकि वो उसका दिया काम कर सके। “सर प्लीज मुझे जाने दीजिए।” लावण्या घबराकर बोली। विधिक ने सिर हिलाकर जवाब में कहा, “तुम्हे यहां रख कर मुझे क्या है। एक छोटा सा काम ही तो है। चलो अब चुप करके खाना खाओ और मुझे भी खाने दो।” विधिक ने अपनी रिवाल्वर डाइनिंग टेबल पर रखी और खाना खाने लगा। कुछ देर बाद जब दोनों का खाना खत्म हो गया तो लावण्या ने दोनों की प्लेट्स वापस सर्विंग ट्रॉली पर रखी और टेबल साफ करने लगी। “इंप्रेसिव..... आज से पहले यहां पर जो भी वेट्रेस खाना लेकर आई है, उसने ऐसा कभी नहीं किया। मुझे क्लीनिंग स्टाफ को बुलाना पड़ता था सब कुछ साफ करने के लिए। तुम्हारे इस अच्छे काम के लिए मैं तुम्हे इनाम जरूर दूंगा।” लावण्या ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। भले ही वो एक सीक्रेट एजेंट थी लेकिन इस जगह पर अकेली थी। “सर आप किसी काम के बारे में कह रहे थे।” लावण्या ने जैसे-तैसे हिम्मत करके पूछा। “अरे हां, मैं तो भूल ही गया था लेकिन तुम नहीं भूली। चलो आओ मेरे साथ.....” विधिक ने कहा और वहां से किसी कमरे में जाने लगा। लावण्या ने उसकी नजरों से छुप कर वहां से एक छूरी को उठाकर छुपा लिया था। उसके बाद वो तेज कदमों से चलती हुई विधिक के पीछे आई। “शायद तुम्हें यहां किसी ने बताया नहीं की अपना दिमाग नहीं लगाना है। तुम भी अजीब हो। कभी बिल्कुल इंप्रेस कर लेती हो तो अगले ही पल गुस्सा दिला देती हो।” विधिक ने उसे तिरछी निगाहों से देखते हुए कहा। लावण्या उसके कहने का मतलब नहीं समझी। विधिक उसके बिल्कुल पास आया और उसकी कमर में हाथ डाल कर लावण्या के हाथ से छुरी छीन ली। “ये बच्चों के खेलने की चीज नहीं है।” विधिक ने सख्त आवाज में कहा और उस छूरी को फेंक दिया। “सॉरी वो मैं डर.....” लावण्या डरते हुए बोली। “कम ऑन..... मैं क्या तुम्हें शक्ल से शैतान या राक्षस नजर आता हूं, जो तुम मुझसे डर गई थी? बहुत टाइम वेस्ट हो गया। चलो अब जल्दी से काम पर लगो।” बोलते हुए विधिक सामने लगी अलमारी की तरफ गया। उसने एक झटके में अलमारी का ड्रोर खोला और लावण्या को इशारे से अपने पास बुलाया। ड्रोर को देखते ही लावण्या जोर से चिल्लाई। “यह.....ये तो.....ल.....ला.....” “हां ये ल..... ल.....ला नहीं लाश है।” विधिक ने उसकी बात पूरी की। ड्रोर में एक लड़की की लाश पड़ी थी। वो अलमारी कोई सामान्य अलमारी नहीं थी। वो एक डीप फ्रीज था, जिसके अंदर विधिक सब से छुपा कर अपने मारे हुए लोगों की डेड बॉडीज को रखता था, जब तक कि कोई उन्हें ठिकाने नही लगा देता था। “तुम्हें इसकी लाश ठिकाने लगाना है।” विधिक बोला। “लेकिन मैं कैसे?” लावण्या ने हैरानी से कहा। “देखो इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। हमेशा यहां पर खाना देने मेल वेटर आता है और ये उसी का काम है। आज तुम यहां आई। इसका मतलब तुम ही ये काम करोगी।” विधिक ने सिर हिलाकर कहा। लावण्या डर से कांप रही थी। वो विधिक राणा के बारे में पता लगाने आई थी लेकिन उसने उसे अपने किए क्राइम को छुपाने का काम लगा दिया। “तुम डर क्यों रही हो? देखो मैं ये सब फ्री में नहीं करवाने वाला। इसके लिए तुम्हें इनाम..... ओके समझ गया। तुम लड़कियों को काम बाद में करना होता है और गिफ्ट पहले चाहिए।” विधिक ने कहा और कुछ सोचते हुए लड़की की लाश की तरफ देखा। उसकी अंगुली में एक महंगी हीरे की अंगूठी थी। वो उसे निकालने की कोशिश करने लगा लेकिन अंगूठी उसके हाथ से नहीं निकल रही थी। विधिक ने इधर उधर देखा तो उसे सामने लावण्या की लाई हुई छूरी दिखाई दी। वो जल्दी से छूरी ले कर आया और लड़की की उंगली काट कर उस से अंगूठी निकालकर लावण्या की तरफ बढ़ाई। “तुम्हारे गिफ्ट के हिसाब से ये बहुत ज्यादा महंगी है, लेकिन फिर भी रख लो। कम से कम 5 से 7 लाख के बीच की होगी। डिजाइन देख कर भी लग रहा है कि सिंगल पीस बनाया गया होगा।” विधिक ने कहा। लावण्या ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया तो विधिक ने जबरदस्ती लावण्या के हाथ में अंगूठी पकड़ा दी और वहां से बाहर चला गया। उसके जाने के बाद लावण्या ने एक नजर उस लड़की की लाश की तरफ देखा, जिसका गला काटकर बड़ी ही बेरहमी से हत्या की गई थी। चेहरा पहचान में ना आए, इसलिए छूरी या किसी धारदार हथियार से उसका चेहरा बिगाड़ा हुआ था। अचानक विधिक कमरे में वापस आया और उसके हाथ में गाड़ी की चाबियां थमा कर बोला, “तुम अभी तक यही खड़ी हो? चलो जल्दी से इसकी बॉडी ड्रोर से बाहर निकालो। होटल शहर के मेन एरिया में है। अभी तो सिर्फ 8:00 बज रहे हैं, इसे लेकर जाओगी, ठिकाने लगाओगी और वापस यहां गाड़ी लेकर आओगी, इसमें काफी टाइम लग जाएगा। तुम्हें सब कुछ बहुत जल्दी और पुलिस की नजरों से छुप कर करना होगा। प्राइवेट लिफ्ट से जाना।“ अपनी बात कह कर विधिक वहां से चला गया। लावण्या ने जैसे तैसे उसकी बॉडी बाहर निकाली और उसे घसीट कर बाहर लाने लगी। उसने देखा कि विधिक लिविंग रूम में बैठकर मज़े से मूवी देख रहा था। उसके सामने महंगी शराब की बोतल पड़ी थी और ग्लास भी भरा हुआ था। लावण्या को देखकर उसने मुस्कुराते हुए शराब का गिलास उसकी तरफ किया और चीयर्स बोला। “मैं इसे यहां से लेकर जाऊंगी तो लोग मुझे देख लेंगे।” लावण्या ने कहा। “ये मेरा होटल है। तुम्हें कोई कुछ नहीं पूछेगा। और तुम्हें क्या लगा तुम्हें मेन डोर से जाना होगा? वहां घर के पीछे की तरफ गार्डन बनाया हुआ है और उसी के दूसरी तरफ लिफ्ट होगी। वो लिफ्ट सिर्फ मेरे यूज़ के लिए बनाई गई है.....” विधिक ने उसे हर एक बात समझा दी। उस वक्त लावण्या के पास उसकी बात मानने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था। लड़की की बॉडी काफी भारी हो चुकी थी। उसे घसीटते हुए लावण्या को अच्छा खासा जोर लगाना पड़ रहा था। वो मुश्किल से उसे खींचकर लिफ्ट के पास ले जाने लगी। विधिक पर इन सब का कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। पहले तो वो लावण्या की तरफ देख रहा था। जब वो वहां से निकल गई तो वो मजे से टीवी स्क्रीन पर मूवी देखने लगा। ________ आंशी को आज पहले ही दिन आर्टिस्टिक में अच्छा-खासा काम करना पड़ रहा था। इंपॉर्टेंट प्रोजेक्ट होने की वजह से सभी इंप्लाइज ने रात के 10:00 बजे तक काम करने का सोचा था। “इससे अच्छा तो मैं कल से ही ज्वाइन कर लेती। कैसे रोबोट की तरह काम करवा रहा है।” आंशी अपनी डेक्स पर बैठी बड़बड़ा रही थी। वही अमन के केबिन की एक दीवार शीशे से बनी हुई थी, जिससे उसे बाहर का सब कुछ दिखाई देता था। आंशी के चेहरे पर झुंझलाहट देखकर उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी। “मुझे पता है, तुम यही सोच रही होगी कि तुम्हें आज ऑफिस नहीं ज्वाइन करना चाहिए था। यहां आधी रात तक काम करोगी, तो तुम्हें अच्छे से समझ आ जाएगा कि देर रात तक काम करने वाला अमन कपूर स्पाई हो ही नहीं सकता।” अमन ने खुद से कहा। काम करते हुए आंशी की नजर केबिन में अमन की तरफ गई तो उसने जल्दी-जल्दी अपने हाथ चलाने शुरू कर दिए। “अपने आप को ओवर स्मार्ट समझता है। अगर इतना ही इंपॉर्टेंट प्रोजेक्ट है तो काम करने के बजाय बाहर घूर घूर कर क्या देख रहा है। मैं तुम्हारे बारे में सब कुछ पता लगा कर रहूंगी अमन कपूर।” आंशी ने सोचा। आंशी अपने कामों में लगी थी तभी उसके पास मिस्टर सिंह आए। उनके हाथ में कुछ पेपर्स थे। “आंशी मैम, इन डाक्यूमेंट्स पर अमन सर के साइन होने जरूरी हैं। आप उनके केबिन में जाकर उनके सिग्नेचर ले लीजिए।” मिस्टर सिंह बोले। “ये काम तो आप खुद भी कर सकते हैं, फिर मुझे क्यों बोल रहे हैं?” आंशी ने पूछा। उसका जवाब सुनकर मिस्टर सिंह हैरानी से उसकी तरफ देखने लगे। फिर वो बोले, “जी नहीं मैम..... आप लावण्या मैम की जगह काम कर रही हैं। अमन सर के केबिन में लावण्या मैम के अलावा किसी और को जाने की इजाजत नहीं है। इसलिए हमें जब भी साइन चाहिए होंगे या सर से बात करनी होगी, तो पहले आपको बताना होगा।” “अब ये क्या नया सियापा है।” आंशी बड़बड़ाई और उसने मिस्टर सिंह के हाथ से पेपर्स ले लिए। पेपर्स लेने के बाद उसने अमन के केबिन का दरवाजा खटखटा कर अंदर आने की परमिशन मांगी। “यस, कम इन मिस आंशी.....” अमन ने अपनी मुस्कुराहट छुपा कर जवाब दिया। ज्यादा देर काम करने की वजह से आंशी चेहरे से काफी थकी हुई और परेशान लग रही थी। “लीजिए सर, इन पेपर्स पर साइन कर दीजिए।” आंशी ने पेपर्स लापरवाही से अमन की टेबल पर रख दिए। “आपको देखकर लग रहा है कि आप से ये जॉब नहीं होंगी। अभी भी कॉन्ट्रैक्ट साइन नहीं हुआ है आप चाहे तो पीछे हट सकती है मिस आंशी.....” अमन ने हल्का मुस्कुरा कर कहा। “जी नहीं सर..... एक बार मैं कोई काम करने का सोच लेती हूं। फिर उससे पीछे कभी नहीं हटती।” आंशी ने जवाब दिया। उसका मुंह बना हुआ था। “जैसी आपकी मर्जी।” अमन ने जवाब दिया। “आप मुझे यहां से इसलिए निकालना चाहते हैं ना ताकि मैं ये प्रुफ ना कर पाऊं कि आप एक सीक्रेट एजेंट हो और आपने दो बार मेरी जान बचाई थी।” अचानक आंशी बोली। अमन पेपर्स साइन कर रहा था। जैसे ही उसने आंशी की बात सुनी उसके हाथ रुक गए। वो उसे घूरते हुए बोला, “लगता है मिस आंशी आपको किसी साइकोलॉजिस्ट से मिलना चाहिए। किसी ने आपको बताया नहीं कि आपको हेल्युशनेशंस होते हैं।” “और किसी ने आपको ये नहीं बताया कि खुद की पहचान छुपाने के लिए चेहरे पर सिर्फ मास्क से कुछ नहीं होता। साथ में आंखों पर गॉगल्स भी लगा लेने चाहिए। आपको कोई भी पहचान सकता है सर.....” आंशी ने सिर हिलाकर कहा। दोनों के बीच हल्की फुल्की नोकझोंक चल रही थी, तभी अमन के फोन पर लावण्या का कॉल आया। आंशी सामने होने की वजह से अमन ने उसका कॉल पिक नहीं किया। “सर आपका फोन बज रहा है। हो सकता है कोई इंपॉर्टेंट कॉल हो, वैसे सीक्रेट एजेंट के तो सभी कॉल इंपॉर्टेंट होते हैं।” आंशी ने कहा। “ऐसा भी कोई इंपोर्टेंट नहीं है।” अमन ने लापरवाही से जवाब दिया और आंशी के लाए हुए डाक्यूमेंट्स साइन करने लगा। लावण्या को विधिक के लिए काम के बारे में अमन को बताना था इसलिए वो बार-बार उसे फोन कर रही थी। “अब तो सच में मुझे डाउट हो रहा है कि आप एक सीक्रेट एजेंट हो। ऐसा भी क्या है इस फोन कॉल में जो आप मेरे सामने नहीं पिक करना चाहते।” आंशी ने कहा। अमन ने आंशी की बात का कोई जवाब नहीं दिया और फोन पिक किया। “अमन..... यहां एक बहुत बड़ी गड़बड़ हो गई है। मैं तुम्हें लोकेशन सेंड करती हूं। तुम अभी के अभी यहां पर पहुंचों।” लावण्या ने घबराई आवाज में कहा। “डोंट वरी लवी, मैं अभी आता हूं।” उसकी आवाज सुनकर अमन भी परेशान हो गया। उसने जल्दी से फोन रखा और लावण्या के पास जाने लगा। “सर आप अपने इंपॉर्टेंट प्रोजेक्ट को भूल रहे हैं, जिसके लिए आप का पूरा स्टाफ यहां लेट तक रुक कर काम कर रहा है।” आंशी ने पीछे से कहा। अमन ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और जल्दी से हड़बड़ाहट में वहां से निकल गया। उसकी इस हरकत ने आंशी के शक को और भी बढ़ा दिया था। °°°°°°°°°°°°°°°°
लावण्या का कॉल आते ही अमन जल्दी से अपनी गाड़ी लेकर उसकी बताई हुई जगह पर जाने लगा। लावण्या आवाज से काफी घबराई हुई और परेशान लग रही थी, इस वजह से अमन भी परेशान हो गया। रात के 11:00 बज रहे थे। कुछ देर बाद अमन एक श्मशान घाट में पहुंचा। लावण्या ने उसे एक सुनसान पड़े श्मशान घाट में बुलाया था। वहां बिल्कुल चुप्पी छाई हुई थी। जैसे ही अमन वहां पहुंचा, लावण्या दौड़ कर उसके पास गई और उसे गले लगा लिया। “घबराओ मत लवी..... मैं आ गया हूं। सब ठीक हो जाएगा।” अमन ने उसे सहलाते हुए कहा। “मुझे बहुत डर लग रहा है। अमन वो...वो विधिक राणा सच में एक हैवान है। लोग उसके बारे में सही कहते हैं। वो एक कोल्ड ब्लडेड मर्डरर है।” थोड़ी देर पहले जो भी हुआ, उसकी घबराहट अभी भी लावण्या के आवाज से साफ दिखाई दे रही थी। वो कांप रही थी। “तुम मुझे बताओगी आखिर हुआ क्या है? उसने तुम्हारे साथ कुछ गलत तो नहीं किया।” अमन ने उसको खुद से अलग करके पूछा। “उसने मेरे साथ तो कुछ गलत नहीं किया। लेकिन.....” बोलते हुए लावण्या रुक गई। उसने इधर उधर देखा। आस पास कोई नहीं था। फिर उसने अपनी आवाज को धीमी करके कहा, “अमन मेरी गाड़ी में एक लड़की की लाश है। विधिक राणा ने मुझे उसे ठिकाने लगाने के लिए भेजा है। हम नहीं जानते वो लड़की कौन है और उसने उसे क्यों मारा होगा लेकिन उसके घर में एक अजीब सा कमरा है।” “और क्या है उस कमरे में?” अमन ने हैरानी से पूछा। “कमरे में कोल्ड स्टोरेज की तरह एक अलमारी बनाई हुई है। ऐसा लगता है जैसे उसमें वो खुद के मर्डर की हुई लाशों को रखता है, जब तक कि उसे कोई ठिकाने नहीं लगा देता।” लावण्या ने बताया। लावण्या ने जो भी बताया उससे अमन को जरा भी हैरानी नहीं हुई। उसने जवाब में कहा, “लावण्या विधिक राणा कोई आम इंसान नहीं है। तुम अच्छे से जानती हो वो अंडरवर्ल्ड से तालुकात रखता है। ऐसे में तुम उससे और क्या उम्मीद रख सकती हो? जानता हूं तुम इससे पहले इस तरह के खतरनाक काम में इंवॉल्व नहीं हुई हो, पर जैसे तैसे करके दो दिन तक मैनेज कर लो। फिर मैं दिव्याना को तुम्हारी जगह उसकी लाइफ में भेज दूंगा।” अमन ने उसे शांत करने की कोशिश की। “कहीं वो दिवी को कुछ कर तो नहीं देगा।” लावण्या के चेहरे पर परेशानी के भाव थे। दिव्याना उसकी बहन थी। इस वजह से उसके लिए चिंता करना लाजमी था। उसकी बात सुनकर अमन ने आईज रोल करके कहा, “मुझे तो डर है तुम्हारी बहन उसे कुछ ना कर दे। अच्छा अब खुद को नार्मल करो और बताओ कि वो डेड बॉडी कहां है?” अमन के पूछने लावण्या गाड़ी की तरफ बढ़ी। वो भी उसके पीछे पीछे आया। उसने गाड़ी के पीछे का ट्रंक खोला तो उसमें एक लड़की की लाश पड़ी थी। लड़की का चेहरा बिगाड़ दिया गया था, इस वजह से उसकी पहचान कर पाना मुश्किल था। “इसकी बॉडी अभी भी ज्यादा खराब नहीं हुई है। इसका मतलब इसे मरे ज्यादा टाइम नहीं हुआ होगा। हम इसे फॉरेंसिक की टीम के पास लेकर जाएंगे। क्या तुम्हें इस लड़की के सामान से कुछ मिला है, जिससे इसकी शिनाख्त की जा सके?” अमन ने बोला। लावण्या ने अपनी पॉकेट से एक अंगूठी निकालकर अमन की तरफ बढ़ाई। “ये अंगूठी इस लड़की की है, जो विधिक राणा ने मुझे गिफ्ट के तौर पर दी है। लड़की के हाथ से अंगूठी निकल नहीं रही थी तो उसने इसकी अंगुली काट दी। ये अंगूठी हमारे काफी काम आ सकती हैं।” “हां इसकी डिजाइन देख कर लग रहा है कि ये वन पीस होगा। तुम ऐसा करो डेड बॉडी लेकर फॉरेंसिक टीम के पास पहुंचो। मैं इस अंगूठी का कुछ करता हूं।” अमन ने जवाब दिया। लावण्या ने उसकी बात पर सहमति जताई। “मुझे वहां तुम्हारे बिना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। मैंने आज तक इतना रिस्क नहीं उठाया है अमन, आई होप दिव्याना जल्द ही वो काम संभाल ले।” लावण्या ने परेशान स्वर में कहा। अमन ने उसके बालों को सहलाया और उसे शांत कराते हुए कहा, “मुझे तुम्हारी तुमसे ज्यादा फिक्र है। तुम विधिक राणा को बोल देना कि तुमने इस लाश का अंतिम संस्कार करवा दिया है।” “उसे मेरी बात पर विश्वास हो जाएगा?” लावण्या ने पूछा। “तुम इस डेड बॉडी को फॉरेंसिक टीम तक पहुंचा दो, बाकी सब मुझ पर छोड़ दो। और हां..... डेड बॉडी वहां पहुंचाने के बाद तुम यहां वापस आओगी।” अमन ने उसे सब समझाते हुए कहा। लावण्या ने उसकी बात पर हामी भरी। अमन ने लावण्या की सहायता से लड़की की डेड बॉडी को अमन की गाड़ी में रखा। लावण्या उसे लेकर हेड क्वार्टर्स जाने के लिए निकल चुकी थी। “विधिक राणा..... तुम बिल्कुल वैसे ही हो, जैसे लोग तुम्हारे बारे में बात करते हैं। मैं अच्छे से जानता हूं तुम्हें यकीन दिलाने के लिए क्या करना होगा।” अमन ने खुद से कहा और जस को कॉल करने लगा। “हेलो.. ब्रो...” जस बोला। “हेलो हाय बाद में करना। अभी के अभी मेरी बताई लोकेशन पर पहुंचो।” अमन ने गंभीर होकर कहा। “ओके ब्रो... थोड़ा रुक कर आऊं तो चलेगा क्या?” जस ने जवाब दिया। “जस.....” अमन ने इरिटेट हो कर जवाब दिया, “यहां कोई सेरेमनी नहीं चल रही, जहां तुम चीफ गेस्ट हो, जो थोड़ा लेट आएगा और चलेगा। इस वक्त नींद ज्यादा जरूरी नहीं..... अभी के अभी यहां पहुंचो” “लेकिन ब्रो आपको किसने कहा कि मैं सो रहा था। मैं तो अपने गेमिंग में लगा था। थोड़ा हार्ड लेवल है तो सोचा बीच में जाऊंगा तो फ्लो खराब हो जाएगा।” जस आधी रात को अपने कमरे में प्ले स्टेशन पर गेम्स खेलने में बिजी था। “तो अपनी स्टूपिड गेम को अभी बंद करो और आते वक्त अपने साथ में वो मैनिक्विन लेकर आना जो तुमने होटल के प्रमोशन के लिए बनवाया था।” अमन ने कहा। “लेकिन ब्रो वो बहुत महंगा है और मुझे वापस भी करना है। मैंने किराए पर लिया था।” जस ने बच्चो की तरह मुंह बनाकर कहा। “जितना कहा है उतना करो।” कहकर अमन ने कॉल कट कर दिया। जस के आने तक उसने आसपास पड़ी लकड़ीयों को इकट्ठा किया और एक चिता तैयार करने में लग गया। __________ अमन के कॉल आते ही जस ने अपना गेम वही बंद किया और वहां से बाहर आया। होटल के पॉर्च पर एक लड़की का मैनिक्विन रखा हुआ था। वो दिखने में काफी खूबसूरत बनाई हुई थी। जस उसकी तरफ प्यार से देखते हुए बोला, “सॉरी डार्लिंग..... मुझे लगा तुम मेरे बहुत काम आओगी। पर अब तुम पर अमन ब्रो की बुरी नजर पड़ गई हैं। मैं नहीं जानता तुम्हारे साथ क्या होगा, लेकिन जो भी होगा उसके लिए मुझे बहुत अफसोस है।” बोलते हुए जस ने उसे गोद में उठाया और बाहर आ गया। उसने होटल में ताला लगाया और वहां बाहर खड़ी एक पुरानी सी गाड़ी में मैनिक्विन डालकर अमन की बताई जगह पर जाने के लिए निकल पड़ा। थोड़ी ही देर में वो अमन की बताई जगह पर पहुंच चुका था। उसने मैनिक्विन को बाहर निकाला और अमन के पास गया। “यस ब्रो..... बताइए क्या करना है।” जस ने अमन के पास जाकर पूछा। “इस मैनिक्विन को इस चिता पर रखकर इसे जला दो और साथ में उसके जलते हुए का वीडियो बनाना है।” अमन ने जवाब दिया। उसकी बात सुनकर जस ने मुंह बनाया और मैनिक्विन की तरफ देखने लगा। “मैंने कहा था ना, तुम पर किसी की बुरी नजर पड़ गई हैं।” “तुम किससे बातें कर रहे हो?” अमन हैरानी से बोला। जस ने एक नजर मैनिक्विन की तरफ देखा और फिर उसकी तरफ इशारा करते हुए कहा, “ये कितनी खूबसूरत है और आप इसे जलाना चाहते हैं। आप की जगह लावण्या होती तो फिर भी सोचता कि वो इसकी खूबसूरती से जलकर इसे जलाना चाहती हैं लेकिन आप..... बख्श दीजिए ना इस मासूम को।” अमन ने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया। उसने मैनिक्विन को जस से लिया और उसे चिता पर लेटा दिया। पास में पेट्रोल की बोतल पड़ी थी। अमन ने वो उस चिता पर खाली कर दी और फिर उसे लाइटर से जला दिया। वो उस जलती हुई चिता का वीडियो किसी दूसरे फोन में बनाने लगा। जस हैरानी से कभी अमन को तो कभी जलती हुई चिता की तरफ देख रहा था। “लोग इतने निर्दयी कैसे हो सकते हैं।” “ड्रामा बंद करो जस..... अगर तुम्हें निर्दयी लोगों से मिलना है तो जा कर विधिक राणा से मिलो। यहां पर ये मैनिक्विन जल रहा है, मेरी जगह वो होता तो यहां पर सच में कोई लड़की होती..... वो भी जिंदा।” अमन ने चिढ़कर जवाब दिया। “लेकिन इसकी खूबसूरती देखकर होटल पर काफी सारे लोग आने लगे थे। इसने मेरी कमाई 2 गुना बढ़ा दी थी। ब्रो आप नहीं समझोगे।” जस ने कहा। उसकी बात सुनकर अमन ने उसकी तरफ आंखें तरेर कर देखा। “डोंट टेल मी तुमने अभी भी वहां कस्टमर्स का आना जाना बंद नहीं किया।” “आपने मेरी स्वीटी को जला दिया, उस पर होटल भी बंद करने का कह रहे हैं। कुछ तो दया कीजिए।” जस ने मासूमियत से कहा। “फॉर गॉड सेक लावण्या, जल्दी आ जाओ वरना ये मुझे पागल कर देगा।” जस की बातें सुनकर अमन को इरिटेशन होने लगी। उसकी बात सुनकर जस ने अपने होठों पर अंगुली लगा ली और वहीं बैठकर लावण्या के आने का इंतजार करने लगा। लावण्या भी अमन का बताया काम निपटा कर वहां पहुंच चुकी थी। वो वहां पहुंची तब वो चिता अभी तक जल रहीं थी। उसके आते ही अमन ने उसे वो मोबाइल थमाते हुए कहा, “इतना सबूत काफी होगा विधिक राणा को यकीन दिलाने के लिए कि तुमने लाश को जला दिया है। चलो अब जल्दी जाओ। अपना ख्याल रखना और जब कोई आस पास ना हो तो मुझे अपडेट कर देना।” लावण्या ने हां में सिर हिला कर उसकी बात पर हामी भरी और उससे गले लग गई। “आई मिस यू सो मच.....” “हां अब अमन ब्रो को इरिटेशन नहीं हो रही। थोड़ी देर पहले जब मैं अपनी स्वीटी को जलते हुए देख रहा था तो मेरे दुख को देखकर इन्हें इरिटेशन हो रहा था और अब ये जो कह रही है, वो क्या है?” मुंह बनाते हुए जस धीरे से बड़बड़ाया। लावण्या अमन से अलग हुई और वहां से जा चुकी थी। उसके जाते ही अमन ने जस से कहा, “ठीक है तुम होटल को रन कर सकते हो लेकिन किसी को भी कोई डाउट नहीं होना चाहिए।” “ठीक है लेकिन आपने मेरी स्वीटी के साथ जो भी किया, मैं उसे भूलूंगा नहीं।” जस बोला। “अच्छी बात है.....” अमन ने हल्की मुस्कुराहट के साथ कहा और वहां से अपनी गाड़ी लेकर चला गया। उसके जाने के बाद जस भी वहां से जा चुका था। ______ अमन वहां से सीधा आर्टिस्टिक के ऑफिस पहुंचा। वो वहां गया तब सारा स्टाफ वहां से जा चुका था और ऑफिस में अंधेरा था। “थैंक गॉड सब टाइम से चले गए। मुझे कुछ देर अकेला रहकर रिलैक्स करने की जरूरत है। मॉम को मैसेज करके बोल देता हूं कि आज मैं घर नहीं आ पाऊंगा।” अमन खुद से बातें करते हुए ऑफिस में गया। उसने लाइट जलाई तो वहां कोई मौजूद नहीं था और बिल्कुल शांति छाई हुई थी। “बस मुझे इसी तरह की साइलेंस की जरूरत थी। सिर में इतना दर्द हो रहा है।” अपना सिर पकड़ते हुए अमन अपने केबिन में आया और लाइट जलाई। जैसे ही उसने लाइट जलाई उसने देखा उसकी कुर्सी पर कोई बैठा हुआ था। “तुम? तुम अभी तक यहां क्या कर रही हो और घर क्यों नहीं गई?” अमन ने कहा। सामने उसके चेयर पर आंशी बैठी थी जो उसके आने का इंतजार कर रही थी। आंशी अपनी चेयर से उठी और उसके पास आकर बोली, “क्या मैं जान सकती हूं मिस्टर अमन कपूर, आप इस वक्त कहां से आ रहे हैं?” अमन ने उस बात का कोई जवाब नहीं दिया। आंशी ने उसे चुप देख कर कहा, “एक स्पाई अक्सर इसी तरह रातों में छुपकर दुनिया की नजरों से बचते हुए अंधेरे में काम करता है। हो सकता है वो सब से अपना सच छुपाने के लिए दिन में किसी बड़े से ऑफिस में बैठकर कोई बड़ा सा बिजनेस संभालता हो और रात के कुछ और... बिल्कुल तुम्हारी तरह। पकड़े गए ना.....” बात करते हुए आंशी उसके इर्द-गिर्द घूम रही थी। अमन को समझ नहीं आ रहा था कि वो उससे किस तरह डील करें। आंशी उसके सामने खड़ी थी और अपने सवालों के जवाब का इंतजार कर रही थी। °°°°°°°°°°°°°°°°
लावण्या की मदद करने के बाद अमन ऑफिस पहुंचा। उसे लगा सारा स्टाफ वहां से जा चुका होगा लेकिन जब वो अपने केबिन में आया, तब आंशी वहीं पर मौजूद थी। वो उसे उसके लेट आने का कारण पूछ रही थी। अमन ने आंशी की बात का कोई जवाब नही दिया, तो उसने एक बार फिर पूछा, “क्या हुआ मिस्टर सीक्रेट एजेंट? अब आपकी बोलती क्यों बंद हो गई? मिशन सक्सेसफुल हो गया? मेरे सवालों का कोई जवाब नहीं है ना तुम्हारे पास? अब तो एक्सेप्ट कर लो, मैं जो कह रही हूं वो सच हैं” आंशी की बात सुनकर अमन ने गहरी सांस लेकर छोड़ी और फिर हल्के से मुस्कुराया। “और तुम किस हक से मुझे ये सब सवाल पूछ रही हो? मॉम हो मेरी..... या वाइफ? मैं तुम्हें क्यों बताऊं कि मैं कहां गया था और क्यों गया था।” अमन ने बड़ी चालाकी से आंशी के सवालों को टाल दिया। अमन के इस तरह बात टालने पर आंशी ने भौंहे उठाकर कहा, “इंटेलिजेंट, हां, शायद तभी दुनिया की नजरों से इतनी आसानी से छुपे हुए हो लेकिन आंशी जिंदल की नजरों से नहीं छुप पाओगे।” “मेरा छोड़ो और ये बताओ कि तुम इस वक्त मेरे केबिन में क्या कर रही हो? सबका काम खत्म हो चुका है। मिस जिंदल, इस तरह चोरों की तरह ऑफिस में रुक कर तुम यहां क्या कर रही थी? कहीं तुम्हें मेरे किसी बिजनेस राइवल ने तो नहीं भेजा? कोई इंपॉर्टेंट इंफॉर्मेशन निकालने के लिए या हमारे प्रोजेक्ट्स की खबर देने के लिए तुम्हे हायर किया गया है।” अमन जानबूझकर आंशी पर झूठे इल्जाम लगा रहा था ताकि वो आसानी से उसकी बातों को टाल सके। अमन के सवालों ने सारा ध्यान अमन से आंशी की तरफ कर दिया था। वो सकपकाते हुए बोली, “मैं..... मैं तो आज ही आई हूं। मैं क्यों किसी और के लिए इंफॉर्मेशन कलेक्ट करूंगी।” “तो फिर यहां देर तक रुकने का कारण? वो भी मेरे केबिन में?” अमन ने पूछा। अमन ने सारा ध्यान आंशी की तरफ कर दिया था। आंशी डिस्ट्रैक्ट हो चुकी थी। उसके पास अमन के सवालों का कोई जवाब नही था, तो वो हड़बड़ाते हुए बोली, “मैं आपके आने का वेट कर रही थी सर। मेरे पास खुद का ट्रांसपोर्ट नहीं है और इतनी रात को टैक्सी करके अकेले घर जाना। एक लड़की के लिए..... इट्स नोट सेफ सर।” “अगर आप ऑफिस में किसी भी एंप्लॉय से कहती तो वो आपको ड्रॉप कर देता। अभी भी कॉन्ट्रैक्ट साइन नहीं हुआ है मिस जिंदल, आप चाहे तो बेक आउट कर सकती हैं। रोज रोज आपको घर छोड़ने कोई नहीं जाएगा।” अमन ने सिर हिलाकर कहा। “बात का बाद में देख लेंगे, आज तो आप मुझे ड्रॉप करने जा ही सकते हैं।” आंशी ने प्लीडिंग वे में कहा। अमन का वेट करने के चक्कर में उसे वाकई काफी देर हो चुकी थी। “बट आई एम नॉट योर ड्राइवर..... मैं ऑलरेडी काफी थका हुआ हूं.....” अमन बोल रहा था तभी आंशी ने उसकी बात को काटते हुए कहा, “हां आसान थोड़ी ना है आप दिनभर पूरे दिन ऑफिस में बैठकर गधों की तरह काम करो, फिर रात में भी.....” “ एक्सक्यूज मी..... व्हाट डिड यू से.....” अमन ने उसकी तरफ गुस्से से घूरते हुए कहा। “मैं तो आसान भाषा में यही कहना चाहती हूं कि आप कितने मेहनती हैं। आप प्लीज मेरी गधे वाली बात को इग्नोर कीजिए। मैं थोड़ी आउटस्पोकन हूं।” आंशी ने तुरंत कवर अप करते हुए कहा। “आगे से अपनी जुबान पर काबू रखिएगा। मुझे ज्यादा पटर पटर करने वाले लोग पसंद नहीं है। अब आपने मुझ पर सीक्रेट एजेंट होने का इल्जाम तो लगा ही दिया है, सुना है जो सीक्रेट एजेंट्स होते हैं, वो सीक्रेटली किसी को भी मार देते हैं और किसी को कुछ पता नहीं चलता।” अमन ने सामान्य तरीके से कहा। उसकी बात सुनकर आंशी ने अपने होठों पर उंगली लगा ली। “क्या आप मुझे घर.....” आंशी ने होठों पर उंगली लगाए हुए ही कहा। “ठीक है चलिए लेकिन ये फर्स्ट और लास्ट बार होगा। आगे से अगर ऑफिस में देर तक रुकने की नौबत आए तो आप अपने घर से किसी को बुला लीजिएगा।” अमन ने कहा और वहां से बाहर की तरफ आने लगा। आंशी उसके पीछे-पीछे आ रही थी। “ना जाने इस लड़की से कब उस आदमी के बारे में पूछने का मौका मिलेगा। लवी के आने से पहले मुझे इससे सब कुछ जानना होगा।” अमन ने अपने मन में कहा। वो दोनों गाड़ी में बैठे और आंशी के घर जाने के लिए निकल पड़े थे। अमन में गाड़ी स्टार्ट करते हुए पूछा, “आप इतना लेट जा रही हैं, आपके घर वाले कुछ कहेंगे नहीं?” “मैंने उन्हें मैसेज करके पहले ही इन्फॉर्म कर दिया था। आप भी तो अक्सर रातों को गायब रहते हैं। आपके घरवाले कुछ नहीं कहते?” आंशी घूम फिर कर अमन से वही बातें कर रही थी ताकि वो अपना सच कबूल ले। “नहीं मिस जिंदल, मैं आपकी तरह बच्चा नहीं हूं और मेरे घर वालों को पता है कि मुझ पर कौन-कौन सी रिस्पांसिबिलिटीज है। इसलिए वो मुझे परेशान नहीं करते।” अमन ने हल्का मुस्कुरा कर कहा। आंशी ने अमन की बात का कोई जवाब नहीं दिया और अपने मन में सोचने लगी, “कब तक तुम अपना सच छुपाते रहोगे। तुम्हारे साथ काम करते हुए मैं तुम्हारा सच तुम्हारे मुंह से बुलवा कर रहूंगी।” कुछ देर बाद अमन की गाड़ी आंशी के बताए हुए पते के आगे रुकी। उसने शीशा नीचा कर के आंशी के घर की तरफ देखा तो उसका घर एक ज्यादा बड़ा नहीं था, लेकिन दिखने में किसी छोटे बंगले की तरह बनाया हुआ था। घर के आगे बना गार्डन घर की खूबसूरती को और बढ़ा रहा था। “तुम्हारा घर काफी अच्छा है। वैसे कौन-कौन रहते हैं यहां?” अमन ने आंशी की तरफ देखकर पूछा। “ये घर मेरी दादी का है, जो मेरे दादू ने उनके लिए बनवाया था। डैड यहां नहीं रहते और मेरी मॉम इस दुनिया में नहीं है।” आंशी ने हल्की भारी आवाज में कहा। अपनी मॉम के बारे हुए वो इमोशनल हो रही थी। “एम सो सॉरी..... आई डिंट मीन टू हर्ट यू.....” अमन ने उसे नॉर्मल करने के लिए कहा। “कोई बात नहीं..... कल मिलते हैं सर। आप प्लीज कॉन्ट्रैक्ट के पेपर्स रेडी करवा दीजिएगा ताकि मैं आपने घर वालों को दिखा सकूं।” आंशी ने कहा और बाहर आई। उसने अमन की तरफ बाय करते हुए हाथ हिलाया और अपने घर के अंदर चली गई। अमन उसे जाते हुए देख रहा था। “शक्ल से जितनी मासूम दिखती है, उतनी ही खुराफाती है ये लड़की। एक चांस मिस नहीं किया ये प्रूफ करने के लिए कि मैं क्या काम करता हूं। मुझे इससे थोड़ा केयरफुल रहना पड़ेगा।” अमन ने खुद से कहा और अपनी गाड़ी वापिस आर्टिस्टिक की तरफ घुमा ली। °°°°°°°°°°°°°°°°
अगली सुबह आंशी के कमरे में उसका अलार्म बज रहा था। उसके बावजूद वो कानों पर तकिया लगाए बेफिक्र होकर सो रही थी। अर्जुन उसके कमरे में आया और अलार्म बंद किया। उसने आंशी को जगाते हुए कहा, “अगर तुम ऐसे ही सोते रही तो तुम्हारा बॉस तुम्हें एक ही दिन में काम से निकाल देगा।” “कौन सा बॉस और कौन सा काम?” आंशी ने आंखें खोले बिना जवाब दिया। “वही बॉस जिसके यहां कल तुमने काम करना शुरू किया था।” जैसे ही अर्जुन ने कहा आंशी एक झटके में खड़ी हो गई। उसने घड़ी की तरफ देखा तो 8:00 बज रहे थे। “रात को देर से सोने की वजह से मेरी आंखें नहीं खुली।” आंशी जल्दी से उठकर बाथरूम की तरफ जाने लगी। अचानक वो रूकी और उसने खुद से कहा, “मैं देर से घर आई थी तो अमन कपूर भी घर पर देर से पहुंचा होगा ना। ऐसे में उसे भी लेट हो गई होंगी। जब वो ही लेट आएगा तो फिर डांटने वाला कौन है? अब तो मैं आराम से ऑफिस जाऊंगी।” “आराम वाराम छोड़ और जाकर अपने पापा से मिल ले। रात को भी तुम्हारे बारे में पूछ रहे थे।” अर्जुन ने आंशी के पापा के आने की बात बताई। अर्जुन की बात सुनकर आंशी वही पर रुकते हुए बोली, “क्या सच में वो आ गए हैं?” अर्जुन ने हां में सर हिलाया और वहां से बाहर चला गया। आंशी के चेहरे पर परेशानी और दुख के मिले-जुले भाव थे। “समझ नहीं आ रहा बाहर जाऊं या नहीं। आपसे मिले हुए पूरे 10 साल बीत गए हैं। इतने सालों में एक बार भी आपने मुझसे मिलना तक जरूरी नहीं समझा। क्या पैसा ही सब कुछ होता है?” सोचते हुए आंशी की आंखें नम हो गई। “मुझे आपसे नहीं मिलना मिस्टर शिव जिंदल..... मैं तैयार होकर सीधा ऑफिस जाऊंगी।” आंशी ने अपने पिता से ना मिलने का फैसला किया और बाथरूम में चली गई। कुछ देर बाद वो वापस आई और ऑफिस जाने के लिए तैयार होने लगी। उसने फॉर्मल्स पहने थे और बालों को लूज पोनीटेल के रूप में बांध रखा था। आगे के बाल लेयर्स में उसके माथे पर बिखरे थे। आंशी ने अपना बैग उठाया और ऑफिस जाने के लिए बाहर आई। सामने डाइनिंग टेबल पर प्रीतो जी और मिस्टर जिंदल बैठे थे। दोनों ब्रेकफास्ट कर रहे थे। आंशी उनसे नजरें चुराने की कोशिश कर रही थी लेकिन फिर भी उसकी नजर उन पर पड़ी। बीते सालों में वो काफी बदल गए थे। चेहरे पर हल्की दाढ़ी थी और आंखों पर लगा चश्मा उनकी बढ़ती उम्र की निशानी थी। “कंट्रोल आंशी कंट्रोल, तुम्हें अपने इमोशंस को काबू रखना होगा। जानती हूं इतने सालों से उनसे नहीं मिली..... अक्सर लड़कियां अपने पापा को लेकर बहुत इमोशनल होती है लेकिन मत भूल इन्होने तेरे साथ क्या किया था। इन्हें बस हमेशा अपने काम की रहती है। ये तुम्हारा प्यार डीजर्व ही नहीं करते।” बड़बड़ाती हुई आंशी वहां से सीधे बाहर जाने लगी। शिव जिंदल ने उसे बाहर की तरफ जाते देखा। उन्होंने कुछ नहीं कहा। प्रीतो जी की नजर आंशी पर पड़ी तो उन्होंने उसे आवाज लगाकर कहा, “आंशी पुत्तर..... कहां जा रही है? कम से कम खाना तो खा कर जा। कितनी बार कहा है तुम लोगों को, खाली पेट घर से बाहर मत निकला करो।” “दादी मैं बाहर ही कुछ खा लूंगी।” आंशी ने बिना मुड़े जवाब दिया। वो जानती थी कि अगर एक बार उसने अपने पापा से बात कर ली तो वो उनकी बात टाल नहीं पाएगी और उसे फिर से लंदन जाना पड़ेगा। “आंशी..... दादी कुछ कह रही है। आकर चुपचाप ब्रेकफास्ट करो।” मिस्टर जिंदल ने अपनी कड़क आवाज में कहा। उनकी बात सुनकर आंशी के इमोशंस गुस्से में बदल चुके थे। वो उनकी तरफ मुड़ी और झल्लाकर कहा, “जरूरी नहीं आपकी सारी बात मानी जाए..... मैंने कह दिया ना कि मुझे भूख नहीं है तो मैं खाना नहीं खाने वाली।” “और जरूरी नहीं कि तुम बच्चे जो सोचो, वो हमेशा सही हो। कुछ फैसले बड़े उनकी भलाई के लिए लेते हैं। भले ही उन्हें पहले समझ ना आए लेकिन जब वो मैच्योर हो जाते हैं, तब उन्हें ये समझ आ ही जाता है। तुम भी समझ जाओगी।” मिस्टर जिंदल बोले। आंशी के आते ही प्रीतो जी ने उन्हें आंशी की नाराजगी के बारे में बता दिया था। “मुझे ऑफिस जाने में देर हो रही है मैं आकर बात करती हूं।” कहकर आंशी वहां से जाने लगी। तभी मिस्टर जिंदल उठे और उसके पास तेज कदमों से चलते हुए आए। “बेटा मुझे तुमसे बात करनी है। जानता हूं तुम मुझसे नाराज हो। तुम्हारी नाराजगी भी जायज है। मैं पिछले 10 सालों से तुमसे नहीं मिला लेकिन..... प्लीज जिद मत करो।” मिस्टर जिंदल ने नरमी से कहा। आंशी ने प्रीतो जी की तरफ देखा तो उसने उसे बैठ कर नाश्ता करने का इशारा किया। “आपके पास 15 मिनट का टाइम है। आपको जो कहना है, कह सकते है। मुझे ऑफिस जाने में देर हो रही है।” आंशी ने जवाब दिया और डाइनिंग टेबल पर आकर नाश्ता करने लगी। “बेटा तुम क्यों बेवजह की जिद कर रही हो। ये तुम्हारी फ्यूचर का सवाल है। बस 1 साल की ही तो बात है। उसके बाद तुम्हारी एमबीए पूरी हो जाएगी। बीजी से पता चला कि तुमने नौकरी कल ही ज्वाइन की है। ऐसा करो, जाकर कह दो कि तुम फिर से अपनी स्टडी कंटिन्यू करना चाहती हो। तुम लंदन जा रही हो, इस वजह से तुम ये जॉब कंटिन्यू नहीं कर पाओगी।” मिस्टर जिंदल ने उसे समझाने की कोशिश की। बातों ही बातों में उन्होंने अपना फैसला आंशी को सुना दिया था। उनकी बात सुनकर आंशी हल्के से हंसी और फिर जवाब में कहा, “मिस्टर जिंदल आपके सामने एक 11 साल की बच्ची नहीं बल्कि 22 इयर्स की एडल्ट बैठी है। आप इस तरह अपने फैसले मुझ पर थोप नहीं सकते। मुझे नहीं जाना लंदन।” “जिद मत करो आंशी बेटा, ये सब तुम्हारी भलाई के लिए है।” शिव ने कहा। “मैं अपनी भलाई खुद सोच सकती हूं। एंड ट्रस्ट मी इंडिया में मुझे लंदन से ज्यादा ज्यादा अपनापन और अच्छा फील होता है। नाउ एक्सक्यूज मी प्लीज.....” अपने दिल की बात बता कर आंशी ने इस बातचीत को वहीं रोक दिया था। उसने अपना बैग उठाया और ऑफिस जाने लगी। मिस्टर जिंदल के हिसाब से वो बातचीत अभी भी अधूरी थी और इस तरह आंशी के बीच में जाने की वजह से वो गुस्सा हो गए। उन्होंने पीछे से चिल्ला कर कहा, “तुम चाहे कितनी भी मनमानी कर लो लेकिन मैं तुम्हें लंदन भेज कर रहूंगा।” “चैलेंज एक्सेप्टेड मिस्टर जिंदल.....” आंशी ने बिना उनकी तरफ देखे जवाब दिया और वहां से चली गई। उसकी आवाज में एक कॉन्फिडेंस था और चेहरे पर गुस्सा। °°°°°°°°°°°°°°°°