यह कहानी है “Unwanted Marriage For Revenge” की, जहाँ प्यार और नफ़रत की जंग एक ऐसे मोड़ पर पहुँचती है जहाँ सब कुछ बदल जाता है। आयशा, एक मासूम, सरल और ज़िंदादिल लड़की, जिसकी दुनिया बहुत साधारण है। रणविजय सिंह रायज़ादा, एशिया का सबसे बड़ा औ... यह कहानी है “Unwanted Marriage For Revenge” की, जहाँ प्यार और नफ़रत की जंग एक ऐसे मोड़ पर पहुँचती है जहाँ सब कुछ बदल जाता है। आयशा, एक मासूम, सरल और ज़िंदादिल लड़की, जिसकी दुनिया बहुत साधारण है। रणविजय सिंह रायज़ादा, एशिया का सबसे बड़ा और सबसे खतरनाक बिज़नेसमैन, जिसके पास ताकत, पैसा और सत्ता सब कुछ है। लेकिन उनकी शादी कोई खूबसूरत किस्सा नहीं, बल्कि एक बदले की आग है। रणविजय, आयशा से शादी करता है सिर्फ़ इंतकाम लेने के लिए… और शादी के बाद उसकी ज़िंदगी को एक जीता-जागता तूफ़ान बना देता है। हर दिन नई तकलीफ़ें, हर रात नए डर। लेकिन इस नफ़रत भरी शादी के पीछे छुपे हैं कई ख़तरनाक राज़। आयशा और रणविजय – दोनों की ज़िंदगी में एक ऐसा सच है, जो सामने आने पर सब कुछ बदल देगा। उनकी असली पहचान कोई और ही कहानी कहती है… क्या होगा जब वो छुपा हुआ सच सामने आएगा? क्या बदले की आग प्यार में बदल जाएगी? क्या आयशा और रणविजय अपने दिलों की दीवारें तोड़ पाएँगे? या फिर उनका रिश्ता हमेशा के लिए नफ़रत की कैद में बंधा रहेगा? जानने के लिए पढ़ते रहिए “Unwanted Marriage For Revenge”
Unwanted Marriage For Revenge
Heroine
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क्या मुझे बेच दिया हैं ?" दूल्हन के जोड़े में मौजूद लड़की खुद से सवाल किया, उस अपने कान पर यकीन नहीं हो रहा था , वो कमरे के अंदर चल रही बातों को आगे सुनती हैं |
उसकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं, और आखिर वाली बात सुनकर तो उस लड़की आंखें खौफ से फ़ैल गई, ना जाने उसने ऐसा क्या सुन लिया था , कि वो अपने कमद पीछे लेते हुए खुद से बोली " ऐसा नहीं हो सकता , ये सब नहीं हो सकता " उस लड़की के चेहरे पर खौफ साफ दिख रहा था " मेरे घर वाले मेरी इज्ज़त का सौदा नहीं कर सकते, नहीं."
एक महीने पहले
शिमला के एक श्मशान घाट में एक चिता जल रही थी उस चिता के सामने एक 19 साल की लड़की अपने घुटनों के बल बैठ कर फूट - फूट कर रो रही थी वही पीछे खड़े तीन पुलिस वाले उस लड़की को रोते देखा कर एक दूसरे की तरफ देखने लगते हैं एक पुलिस वाला दूसरे से बोला," इस सुमत चौहान ने अपने लालच के चक्कर में अपनी हंसती खेलती दुनिया बर्बाद कर ली ।"
दूसरा पुलिस वाला बाकी दोनों पुलिस वालो से बोला," मिस्टर चौहान की जिंदगी कहां बर्बाद हुई वो तो अपनी कंपनी में दस करोड़ का घपला करके मार गए और पीछे अपनी बेटी को अकेला छोड़ गए ।"
तीसरा पुलिस वाला बोला," मिस्टर चौहान के परिवार को इन्फॉर्म किया गया था पर उन में से कोई भी इनकी अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हुआ ।"
पहला पुलिस वाला बाकी दोनों पुलिस वालो से बोला," एक क्रिमिनल की अंतिम यात्रा में कौन शरीफ इंसान शामिल होना पसंद करेंगा ।"
वो तीनों पुलिस वाले उस लड़की को बलक - बलक कर रोते देख रहे थे उस लड़की को इस वक्त किसके सहारे की जरूरत थी पर उसको सहारा देने वाला भी कोई नहीं था |
तभी एक पुलिस वाला उस लड़की के पास आकर अपनी कड़क आवाज़ में बोला," मिस आयशा तुम्हारे पास घर खाली करने के लिए बस दो घंटे बाकी हैं अगर तुम ने दो घंटे में कंपनी से मिला घर खाली नहीं किया तो तुम्हें जेल हो सकती हैं ।"
आयशा इंस्पेक्टर की बात पर कोई रिएक्ट नहीं करती वो तो बस अपने पिता की जालती चिंता को देख कर रो रही उसको इस वक्त कोई होश नहीं था तभी वो पुलिस वाला फोन करके पास के पुलिस स्टेशन से एक लेडी कॉन्स्टेबल को बोलता हैं |
वो लेडी कांस्टेबल वहां कर जबरदस्ती आयशा को उसके घर लेकर पहुंचती हैं लेडी कॉन्स्टेबल बड़ी अकड़ में आयशा से बोली," लड़की तुम्हारे पास बस 1 घंटा 30 मिनट बचे हैं अपना सामान समेटा कर इस घर से निकल ।"
आयशा रोते हुए अपना सामान पैक करती हैं और घर के अंदर से बाहर आती हैं और एक बार पलट कर घर को अंदर देखती हैं ये वही घर हैं जिसमें वो पैदा हुई थी और उसका बचपन गुजरा था और आज उसको इस घर से जबरदस्ती निकला जा रहा हैं ।"
लेडी कांस्टेबल घर के डोर बंद करके उसके ऊपर ताला लगा देखती हैं और वहां से पुलिस जीप में बैठ कर निकल जाती हैं आयशा अपने घर के बाहर खड़े होकर तमाशा देख रहे पड़ोसियों को उम्मीद भरी निगाहों से देखती हैं पर कोई उसकी मदद करने आगे नहीं आता |
सभी पड़ोसी मुंह बनाकर अपने - अपने घर में चले जाते हैं , उन सबको की नज़र में आयशा के पिता दोषी थे , आयशा रोते हुए उस कॉलोनी से बाहर निकल जाती हैं और बारिश भी शुरू हो जाती हैं रात के अंधेरे में आयशा शिमला की सुनसान सड़क पर अपना सूटकेस लेकर चल रही थी |
उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था वो क्या करें तभी आयशा अपने फोन से किसको फोन लगती हैं और दूसरी तरफ से दो - तीन रिंग बाद कोई फोन रिसीव कर लेता हैं आयशा रोते हुए बोली," दादी पापा नहीं रहें मैं अकेली हो चुकी हूॅं ।"
आयशा की दादी रोते हुए बोली," मेरी बच्ची मुझे सब पता हैं तुम यहां मुम्बई आ जाओ ।" आयशा ओके बोल कर फोन डिस्कनेक्ट कर देती हैं , और वो बस स्टैंड की और बढ़ जाती हैं |
वही बस स्टैंड पर चार-पांच गुंडे जैसे दिखने वाले आदमी खड़े थे, सबके हाथ में आयशा की फोटो थी, वो लोग वहां खड़े हर किसी से फोटो दिखा-दिखाकर आयशा के बारे में पूछ रहे थे |
एक बूढ़ा आदमी जो वहां बैठा था, फोटो देखकर बोला "अरे, इस लड़की को तो मैंने अभी-अभी मुंबई जाने वाली बस में चढ़ते देखा है "
यह सुनते ही एक गुंडा तेजी से भागा और बाकी भी उसके पीछे दौड़े, बस स्टैंड से थोड़ी दूर पर खड़ी बस अब चलने लगी थी, वो लोग जैसे ही बस के पास पहुंचे, बस स्पीड पकड़कर आगे निकल गई |
गुस्से में दांत भींचते हुए एक आदमी बोला "लड़की, तू चाहे जितनी भाग ले, लेकिन आख़िर में तुझे हमारे पास ही आना है " बाकियों ने सहमति में सिर हिलाया , वो सब अपनी लाल आंखों से बस को जाते हुए देख रहे थे |
मुम्बई शहर के रईसों में से एक महेश चौहान का बंगला दूल्हन की तरह सज़ा हुआ था, वही एक रूम में एक लड़की ड्रेसिंग टेबल के सामने बड़ी ही नर्वस सी खड़ी थी वो लड़की खुद को मिरर में देख रही थी |
उसकी आंखों के कोने में मोटे-मोटे आंसू ठहारे हुए थे देखने से वो लड़की किसी संगमरमर की मुर्त सी लग रही थी दूध-सा गोरा बदन उसके ऊपर उसकी तितली जैसी बूरी आंखें लम्बे रेशमी काले बाल जो उसकी कमर तक आ रहे थे उस लड़की के गुलाबों से नाजुक खूबसूरत होंठ हाइट 5 फीट 4 इंच परफैक्ट बाॅडी शेप उस लड़की को देखकर ऐसा लगता रहा था जैसे भगवान ने उसे बहुत फुर्सत से बनाया हो ।
तभी उस रूम का डोर खुलता हैं और एक लड़की स्टाइलिश साड़ी पहन कर रूम के अंदर कैट वॉक करते हुए आती हैं और बेड पर बैठ कर दूल्हन के जोड़े वाली लड़की से घंमड भरी मुस्कान मुस्कुराते हुए बोली," आयशा तुम तो आज बड़ी खुश लग रही हो और खुश हो भी क्यों ना आज तुम्हारी शादी मुम्बई के सबसे रईस आदमी के साथ जो होने जा रही हैं ।"
आयशा उस दूसरी लड़की की तरफ घूम कर रौंदू आवाज़ में बोली," सिद्ध दी मुझे अभी शादी नहीं करनी मुझे अभी अपनी पढ़ाई पूरी करनी हैं और अपने पैरों पर खड़ा होना हैं ।"
आयशा की बात सुनकर सिद्ध इविल स्माइल करते हुए बोली," आयशा तुम ये पढ़ाई - वढ़ाई अब भूल जाओ तुम्हें अब घर संभालना हैं अपने पति को बस्तर पर खुश करना हैं ।"
आयशा रौंदू आवाज़ में बोली," दी मुझे ये शादी नहीं करनी प्लीज़ आप चाचा - चाची से बोला कर ये शादी करवा दीजिए ।"
सिद्ध आयशा के बेबस चेहरे को देखकर मुस्कुराते हुए बोली," अरे आयशा तुम्हें तो मैं तुम्हारे होने वाले हसबैंड के बारे में बताना ही भूल गई मैंने सुना हैं मिस्टर अग्निहोत्री बहुत ही अय्याश किस्म के आदमी हैं
उसका नाम हर एक माॅडल और एक्ट्रेस के साथ जुड़ा हैं और सबसे खास बात मिस्टर अग्निहोत्री को बस्तर पर एक बार में दो लड़कियां चाहिए होती हैं और शायद तुम्हें अपनी सुहागरात की सजे किसी दुसरी लड़की के साथ शेयर करनी पड़े बेस्ट ऑफ लक ।"
सिद्ध चिढ़ने वाली मुस्कान मुस्कुराते हुए रूम से बाहर निकल जाती हैं । आयशा सिद्ध की बातें सुनकर डर जाती हैं और अपना लंहगा पकड़ कर भागते हुए अपने चाचा - चाची के रूम के बाहर पहुंचती हैं |
इस से पहले आयशा रूम के अंदर जाती उससे पहले ही उसके कानों में अपनी चाची की बात पड़ती हैं ।" महेश मुझे नहीं पता था इस आयशा को बचाने पर हमें इतने पैसे मिल सकते हैं आज ये लड़की हमेशा - हमेशा के लिए हमारे घर से चली जाएगी ।"
आयशा के चाचा हंसते हुए अपनी वाइफ से बोलें ।" डोली बेबी तुम तो बस अब पैसे गिनने की तैयारी करों ।"
" क्या मुझे बेच दिया हैं ?" आयशा खुद से बोला , उस अपने कान पर यकीन नहीं हो रहा था , वो कमरे के अंदर चल रही बातों को आगे सुनती हैं |
डोली महेश से धीमी आवाज़ में बोली " महेश कल जब मैं मिस्टर अग्निहोत्री के विला गई थी, तो मैंने चोरी छुपे उसकी बातें सुन दी , वो अपनी सुहागरात पर ."
डोली की आखिर वाली बात सुनकर तो आयशा की आंखें खौफ से फ़ैल गई, वो अपने कमद पीछे लेते हुए खुद से बोली " ऐसा नहीं हो सकता " आयशा के चेहरे पर खौफ सा दिख रहा था " मेरे घर वाले मेरी इज्ज़त का सौदा नहीं कर सकते, नहीं."
आयशा वहां से भागते हुए एक रूम के अंदर पहुंचती हैं उस रूम में घर का सारा टूट हुआ सामन भर हुआ था और एक कोने में ज़मीन पर एक बस्तर लग हुआ था और एक टूटे टेबल पर कुछ पहने के कपड़े किताबें और एक बैग रखा हुआ था और उस टेबल के नीचे एक छोटा सा पिंजरा रखा हुआ था |
आयशा उस पिंजरे के पास जाकर उस पिंजरे को खोल कर एक वाइट और ब्राउन कलर के मोटे से गोलू - मोलू खरगोश को बाहर निकलती हैं और उस खरगोश को अपने सीने से लग कर रोते हुए बोली," रोली चाचा - चाची ने मुझे एक गंदे आदमी को बचे दिया और वो आदमी मेरे साथ. मेरे साथ." आयशा अपनी बात पुरी नहीं बोल पाती |
आयशा अपने खरगोश को अपने सीने से लग कर फूट - फूट कर रोने लगती हैं तभी व्ले चेयर पर बैठी एक बूढ़ी औरत स्टोर रूम में आती हैं और अपनी घबराई आवाज़ में आयशा से बोली," आयशा मेरी बच्ची तू ये शादी नहीं कर सकती ये शादी नहीं सौद हैं महेश और डोली ने तुम्हारी उम्र से 8 साल बड़े आदमी को तुम्हें बचे दिया हैं ।"
आयशा उस बूढ़ी औरत के सामने घुटनों के बल बैठ जाती हैं और फिर रोते हुए बोली," जब से मैं यहां आई हूॅं तब से चाचा - चाची ने हमें एक - एक दाने के लिए तरस दिया ऐसा कोई ज़ुल्म नहीं जो उन्होंने मेरे ऊपर ना किया हो फिर भी उनका मन नहीं भरा तो उन्होंने मुझे एक अय्याश आदमी को बेच "
आयशा अपनी दादी के कान में कुछ बताती हैं , जो सुनकर दादी की आंखें भी खौफ से फ़ैल जाती हैं, दादी घबराई आवाज़ में बोली " मेरी बच्ची यहां से कहीं दूर भाग जाता और कभी मुड़कर यहां मत देखना ।"
आयशा अपनी दादी की बात सुनकर रोते हुए बोली," दादी आप का क्या ?" सुधा जी दर्द भरी मुस्कान मुस्कुराते हुए बोली," मेरी बच्ची मेरी जिंदगी बची ही कितनी हैं आज मारी कल दूसरा दिन पर तुम्हारी अभी पुरी जिंदगी बाकी हैं और तुझे अपने पापा के ऊपर लगा झूठा इलाज भी तो हटना हैं तू भाग जा ।"
आयशा अपनी दादी की गोद में सिर रखकर रोते हुए बोली," दादी मैं आप को छोड़ कर नहीं जाऊंगी ।" सुधा जी आयशा के सिर पर हाथ रखकर रोते हुए बोली," आयशा मेरी बच्ची तू उस घटिया आदमी से शादी नहीं कर सकती , अगर ये शादी हो गई तो अनर्थ हो जाएगा , मेरी बच्ची भाग जा , भाग जा ."
क्या आयशा इस शादी से भाग कर अपनी जिंदगी बर्बाद होने से बचा पाएगी ? यह फि आयशा की इज्ज़त का सौदा हो जाएगा ? जाने के लिए पढ़ते रहिए।
"Unwanted Marriage For Revenge"
“ आयशा अपने यार के साथ भाग गई है… “ मेड भगा भागी में मंडप पर पहुंचते है और सबको कहती ही “ दुल्हन भाग गई है, वो कही नहीं मिल रही है “ ये सुनते ही दूल्हा एकदम से खड़ा हो जाता है और अपने बॉडी गार्ड से एक बंदूक छीनकर उस मेड के माथे के बीचों बीच लगाकर दो गोली चला देता है। उसके बाद उसने अपना सेहरा हटाया।
इधर पूरे मैरिज गॉल में सन्नाटा पसर गया। दूल्हा महेश के पास जाकर अपनी डरावनी आवाज में कहता है “ चौहान मैं उस लड़की को 50 करोड़ देकर खरीदा है , अगर वो मुझे नहीं मिली तो मैं यह लाशे बिछा दूंगा “
उसकी आवाज और औरा इतना भयंकर था कि वह के सारे मेहमान को आपने ऊपर खतरा और मौत मंडराता हुआ नजर आ रहा था।
महेश ने बात संभालते हुए कहा “ सर, आप चिंता मत कीजिए हम जल्दी ही पता लगा लेंगे “
मिस्टर अग्निहोत्री अपने सारे बॉडीगार्ड से आयशा को ढूंढने के लिए आर्डर दे देता है कि तभी वॉचमेन भागकर आता है और कहता है “ साहब आयशा बिटिया taxi लेकर कही चली गई है “
महेश गुस्से में वाॅचमैन के पास आकर, उसके कोलर पकड़ कर बोला " तू उसको रोक नहीं सकता हैं " वाॅचमैन महेश के गुस्से से डरते जाता हैं , और डरते हुए बोला " सर मैंने बहुत कोशिश की थी , पर वो मेरा बेवकूफ बना कर भाग गई , पर मैंने उसकी टैक्सी का नंबर नोट कर लिया हैं "
महेश वाॅचमैन के कोलर छोड़ देता हैं , वाॅचमैन महेश को टैक्सी का नंबर बताता हैं , मिस्टर अग्निहोत्री महेश को एक लात मार कर गिर देता हैं , और गुस्से में दांत भींच कर बोला " अब रणविजय अग्निहोत्री खुद अपनी दूल्हन को ढूंढगा "
रणविजय अपने बॉडीगार्ड को इशारा करता हैं , और बाॅडीगार्ड वाॅचमैन से टैक्सी का नंबर लेता हैं , रणविजय महेश के सीने पर पैर रखकर खतरनाक अंदाज में बोला " अगर मुझे वो लड़की नहीं मिली , तो उसका अंजाम बहुत बुरा होगा हैं " और रणविजय अपने बात बोल कर वहां से निकल जाता हैं |
वही दूसरी तरफ एक टैक्सी मुम्बई की सड़क पर तेज़ी से दौड़ रही थी , टैक्सी ड्राइवर पीछे बैठे लड़का लड़की से पूछता हैं " आप को कहां जाना हैं ? कुछ तो बताओ "
वो लड़की रोते हुए टैक्सी ड्राइवर से पूछती हैं " बस स्टैंड " लड़की के साथ बैठा लड़का बोला " आयशा तुम पागल हो गई हो , हमें पुलिस के पास जाना चाहिए ,इस मामले में वो ही तुम्हारी मदद कर सकते हैं "
आयशा अपनी गोद में मौजूद खरगोश से पूछती हैं " रोली हम पुलिस स्टेशन चले " खरगोश आयशा को देखकर गर्दन हिलाता हैं |
आयशा रोली ( खरगोश ) की गर्दन हिलाने को हां मान कर टैक्सी का ड्राइवर से बोली " ओके अंकल आप टैक्सी पुलिस स्टेशन लेकर चलो " टैक्सी ड्राइवर टैक्सी पुलिस स्टेशन की और मोड़ लेता हैं, कुछ देर में टैक्सी पुलिस स्टेशन के सामने रूकती हैं
आयशा टैक्सी से उतरती हैं , आयशा घबराई आवाज़ में टैक्सी ड्राइवर से बोली " अंकल मेरे पास आप को देने के लिए पैसे नहीं हैं " वो टैक्सी ड्राइवर आयशा की ज्वैलरी को देखकर बोला " ये ज्वैलरी तो हैं "
आयशा मायूस चेहरा बनाकर बोली " ये सब नकली हैं " वो टैक्सी ड्राइवर आयशा के ऊपर तस खा कर पैसे छोड़ देता हैं , और अपनी टैक्सी लेकर निकल जाता हैं , आयशा उस लड़के से घबराई आवाज़ में बोली " कवि मुझे डर लग रहा हैं "
कवि आयशा के कंधे पर हाथ रखकर बोला " मैं हूॅं ना " वो लोग पुलिस स्टेशन के अंदर पहुंचती हैं , आयशा कांस्टेबल के पास आकर रोते हुए बोली " कांस्टेबल अंकल मेरे चाचा-चाची मेरी शादी जबरदस्ती करवा रहें हैं "
कांस्टेबल आयशा को ऊपर से नीचे तक देखता हैं, आयशा को दूल्हन के जोड़े में देख कर पान चबाते हुए बोला " शादी से भाग कर आई हो " आयशा और उसका खरगोश हां में सिर हिलाते हैं |
कांस्टेबल आयशा को इंस्पेक्टर के पास लेकर पहुंचता हैं , आयशा इंस्पेक्टर को रोते हुए सारा मामला बताती हैं , इंस्पेक्टर आयशा को पास ही के बेंच पर बैठने को बोलता हैं, आयशा अपने खरगोश को लेकर बेंच पर बैठ जाती हैं , इंस्पेक्टर कवि से पूछताछ करता हैं " तुम कौन हो , इस लड़की से तुम्हारा क्या रिश्ता हैं?"
कवि आयशा की तरफ देख कर बोला " हम दोस्त हैं " इंस्पेक्टर उस लड़के को देखते हुए कोने में जाकर किसको फोन करके बोला " सर लड़की और लड़का मिल गए , आप जल्दी आ जाएं "
वही आधे घंटे बाद पुलिस स्टेशन के बाहर एक कार आकर रूकती हैं , उस कार से महेश और डोली उतरते हैं , वो दोनों तेज़ कदमों के साथ पुलिस स्टेशन के अंदर पहुंचते हैं , वो लोग आयशा को कवि के साथ एक बेंच पर बैठे देखते हैं , डोली आयशा को देखकर गुस्से में
बोली " बदजालन हम ने तूझे सहार दिया, और तू तुम्हारे मुंह कालेक पोत कर शादी से इस ड्राइवर के साथ भाग आई "
आयशा डोली को गुस्से में देखकर डर जाती हैं , और कवि की बाजू पकड़ लेती हैं , महेश आयशा के पास आकर गुस्से में दांत भींच कर बोला " तूझे क्या लगता हैं , ये कल का लड़का तुझे बचा लेगा , तूझे मिस्टर अग्निहोत्री से शादी करनी ही पड़ेगी "
आयशा ना में सिर हिलाती हैं , कवि इंस्पेक्टर से चिल्लाते हुए बोला " सर आप देख रहे हैं , ये लोग कैसे अपनी भतीजी को शादी के लिए फोर्स कर रहे हैं , आप कुछ करते क्यों नहीं " इंस्पेक्टर अपनी चेयर पर बैठ कर बोला " भाई ये इनकी फैमिली का मामला हैं , मैं इसमें हम कुछ नहीं बोल सकते "
एक कांस्टेबल कवि को आयशा से दूर करके खींचते हुए लॉकअप में ले जाकर डाल देता हैं, कवि गुस्से में चिल्लाते हुए बोला " आप लोगों ये ठीक नहीं कर रहे " इंस्पेक्टर दांत दिखाते हुए बोला " हमें तो ऐसे ही हैं " आयशा डर से कांप रही थी |
डोली गुस्से में आयशा के पास आकर उसके गाल दबाते हुए बोली " बदजालन, तेरी मर्ज़ी नहीं पूछ रहे हैं , तूझे मिस्टर अग्निहोत्री से शादी करनी ही होगी , अगर शादी नहीं करनी , तो भी अब तुम्हें मिस्टर अग्निहोत्री के साथ ही रहना होगा "
आयशा अपनी चाची को आंसू भरी आंखों से देखती हैं , आयशा की आंखें देखकर ऐसा लग रहा था , जैसे वो चाची से रिक्वेस्ट कर रही हो , वो उसके साथ ऐसा ना करें |
महेश आयशा से गुस्से में दांत भींच कर बोला " मिस्टर अग्निहोत्री बस आ रहें हैं , अगर उनके सामने कोई नाटक किया , तो तुम सोच भी नहीं सकती , मैं तुम्हारे साथ क्या करूंगा " रोली ( खरगोश ) जो आयशा की गोद में ही बैठा था। वो अपनी भाषा में बोला …. चू.. चू… ( आयशा को परेशान मात करो )
चाचा चाची आयशा को बहुत बुरी तरह से धमका रहे थे ताकि वो चुपचाप मिस्टर अग्निहोत्री से शादी कर ले। वरना उन्हें महेश और डॉली का डेड बॉडी मिलेगा।
आयशा डॉली से हाथ छुड़ा कर कबी के पास आ गई और वो रोते हुए बोली “ क्या ये लोग मेरी शादी उस शैतान आदमी से करवा देंगे ? क्या कोई मुझे नहीं बचा सकता ?”
क्या सचमें महेश और डॉली करवा देंगें आयशा की शादी मिस्टर अग्निहोत्री से ? जानने के लिए पढ़ते रहिए ।
"Unwanted Marriage For Revenge"
धीमी धीमी बारिश हो है थी और वही पुलिस स्टेशन के बाहर कारों की काफिला आकर खड़ा था। काफिले की तीसरे नंबर वाली कार का दूर ड्राईवर फटाफट खोलता है। कार का दरवाजा खुलते कार से रणविजय बाहर आता है , 6 ft. Height, गोरा रंग , काली आंखे , ब्रॉड चैस्ट , 8 पैक्स एब्स के साथ वो बहुत जादा अट्रैक्टिव लग रहा था।
रणविजय की पर्सनालिटी ही अलग था। उसका औरा इतना अट्रैक्टिव था कि कोई भी उसके पास खींचा चला आया था। लड़कियां तो उसके साथ रात बिताने के लिए तराशते थे। क्योंकि उसके साथ जुड़ने का मतलब था फेम।
रणविजय अपने शेरवानी को ठीक करता है और पुलिस स्टेशन के अंदर चला जाता है, उसके पीछे उसके बॉडीगार्ड का फ़ौज भी था। अंदर आकर रणविजय की नजर जब आयशा को टॉर्चर करती हुई डॉली पर पड़ी तो उसके एक्सप्रेशन खतरनाक होने लगे।
उसने अपने दांत भी कर कहा “ अब ये लड़की मेरी प्रॉपर्टी है , तुम्हारी बीवी की हिम्मत कैसे हुई उसे हाथ लगाने की …? “
रणविजय अपने बॉडीगार्ड को कुछ इशारा करता है तो उसके बॉडीगार्ड डॉली पास चले जाते है। और तभी पुलिस स्टेशन में एक चटक की आवाज गूंजी । डॉली अपना गाल पकड़ कर फर्श पर पढ़ी थी।
रणविजय डोली को घूरते हुए कोल्ड वाॅइस बोला " अगर अगली बार आयशा से ऊंची आवाज़ में बात भी की , तो अगली बार गलती करने के लिए जिंदा नहीं बचोगी , समझी " डोली ज़मीन पर पड़ी हुई ही हां में सिर हिलाती हैं |
रणविजय आयशा को देखकर कोल्ड वाॅइस में बोला " बटरफ्लाई काॅम टू मी " आयशा ना में गर्दन हिलाती हैं , रणविजय का खतरनाक एटिट्यूड देखकर आयशा का दिल डर से बैठा जा रहा था , आयशा यही सोच रही थी , अगर उसकी शादी इस खतरनाक आदमी से हो गई , तो उसका क्या होगा , उसकी जिंदगी तबाह हो जाएगी |
रणविजय सर्द निगाहों से आयशा को देखते हुए कोल्ड वाॅइस में बोला " डॉन'टी टेस्ट माय पेशेंट्स, काॅम फास्ट " आयशा अपनी जगह पर वैसे ही बैठी थी , जैसे वो वहीं चिपक गई हो , रणविजय आयशा को अपनी बात ना मानते देखकर अपने बाॅडीगार्ड से कोल्ड वॉइस में बोला " इस लड़के ( कवि ) के टुकड़े - टुकड़े करके चिल कौओं को डाल दो "
आयशा समझा जाती हैं , रणविजय कवि के बारे में ही बात कर रहा हैं , आयशा फटाफट रणविजय पास आ जाती हैं , और रौंदू आवाज़ में बोली " कवि ने को कुछ मत करना " रणविजय अपनी लेडी के मुंह से परमर्द का नाम सुनकर , उसका जबड़ा कस जाता हैं |
रणविजय आयशा की गोद में रोली को देखता हैं , और आयशा से रोली को छीन कर अपने बाॅडीगार्ड को दे देता हैं , आयशा रोली के दूर होते ही चींखते हुए बोली " मेरे रोली को कुछ मत करों " रणविजय शमशेर को इशारा करता हैं , शमशेर लॉकअप में जाता हैं , और कवि के चेहरे पर पंच बरसने लगता हैं |
" कवि को छोड़ दो , वो मार जाएगा , प्लीज़ कवि को छोड़ दो."आयशा के हाथ रणविजय की पकड़ में जकड़े हुए थे, और उसकी आँखों से आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे, सामने लॉकअप में शमशेर ने कवि को जमीन पर गिरा दिया था, और लगातार उसके चेहरे पर घूंसे बरसा रहा था , कवि के चेहरे पर खून के निशान साफ दिख रहे थे, और वो दर्द से कराहते हुए ज़मीन पर पड़ा था |
रणविजय के चेहरे पर काला साया छाया हुआ था, उसकी आँखों में नफरत और गुस्सा साफ झलक रहा था , वो एक हाथ से आयशा की कमर को मसल रहा था, रणविजय आयशा के ऊपर हल्का सा झुक कर धीरे से लेकिन गुस्से में बोला "तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी है, बटरफ्लाई "
आयशा ने खुद को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करते हुए रोते-रोते कहा " प्लीज , छोड़ दो उसे. उसने कुछ नहीं किया. प्लीज. मत मारो उसे " रणविजय ने उसकी बात अनसुनी करते हुए अपने हाथों की पकड़ और भी मजबूत कर ली |
आयशा की कमर में तेज़ दर्द उठा, लेकिन रणविजय को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था, उसकी आवाज़ अब और भी खतरनाक हो चुकी थी " तुमने रणविजय अग्निहोत्री के खिलाफ जाने की हिम्मत की? अपने इस आशिक की मौत अब तुम्हारी आँखों के सामने होगी, और तुम कुछ भी नहीं कर पाओगी ।"
कवि अब बेहोशी के कगार पर था, और शमशेर का हर वार उसे मौत के और भी नजदीक धकेल रहा था, आयशा का दिल तेज़ी से धड़कने लगा, उसका मन अंदर से टूट चुका था, उसने फिर कोशिश की खुद को छुड़ाने की " मैं आपके हाथ जोड़ती हूँ, उसे छोड़ दो, , प्लीज. प्लीज. मत करो ये सब ।"
रणविजय की नज़रें अब सीधे शमशेर पर थीं, उसने एक इशारा किया और शमशेर ने कवि की तरफ से हाथ खींच लिए, लेकिन रणविजय का गुस्सा अब भी ठंडा नहीं हुआ था, वो आयशा के ऊपर झुकते हुए उसके कान में धीरे से बोला, "अब देखना तुम ,मेरे खिलाफ जाने का अंजाम क्या होता है, ये सब तुम्हारी गलती का नतीजा है , बटरफ्लाई ।”
रणविजय की आंखों में गुस्से के शोले दहक रहे थे ,आयशा बेबस हो चुकी थी, उसकी आँखों से आँसू बहते जा रहे थे, रणविजय ने उसे अपनी ओर खींचते हुए और भी करीब कर लिया, उसकी सांसें अब और भारी हो चुकी थीं " तुम्हारे मंडप से भागने की कीमत अब तुम्हारे यार को चुकानी होगी, तुम्हें अब मेरा असली चेहरा दिखेगा। "
आयशा ने रणविजय की आँखों में देखा, वहां सिर्फ नफरत और अहंकार दिख रहा था, वो और भी ज़ोर से रोने लगी, लेकिन उसकी आवाज़ रणविजय के कानों तक नहीं पहुंच रही थी, रणविजय ने अपने बाॅडीगार्ड से गन ली , और सीधे कवि के दोनों पैरों पर निशाना लिया , और गोली की आवाज़ के बाद वहां कवि की चीख-पुकार ही सुनाई दे रही थी |
क्या करेगा अब आयशा?
क्या बंदी बन जाएगी वो रणविजय की पूरी जिंदगी के लिए ?
जानने के लिए पढ़ते रहिए “ unwanted Marriage for revenge”
रणविजय सब को इशारे से बाहर जाने को बोलता हैं , रणविजय का इशारा मिलते ही सब बाहर निकल जाते, सब के बाहर जाते ही रणविजय आयशा को दीवार से सट देता हैं , आयशा रणविजय से गिड़गिड़ाते हुए खुद से दूर रहने को बोल रही थी , रणविजय आयशा को ऊपर से नीचे तक देख कर अचानक ही टेढ़ी मुस्कान मुस्कुराते हुए डीप वाॅइस में बोला " फास्ट नाइट में बहुत मज़ा आने वाले हैं "
फास्ट नाइट का जिक्र आते ही आयशा की आंखें खौफ से फ़ैल गई , आयशा अपनी तितली जैसी आंखों से रणविजय को ही देख रही थी , आयशा के डर के कारण कांप रहें गुलाबी होंठ रणविजय को अपनी ओर बुला रहे थे |
रणविजय आयशा के होंठों के एक दम करीब आकर कोल्ड वाॅइस में बोला " तुम्हें पुरी जिंदगी मेरे साथ ही रहना हैं , तो अब ता तुम्हें करना हैं , मेरी वाइफ बनना हैं या मेरी मिस्ट्रेस "
आयशा कांपती आवाज़ में रणविजय से बोली " मु.मु.मुझे आप पसंद नहीं हो , मुझे आप के साथ कैसे भी नहीं रहना " आयशा की बात सुनकर रणविजय के के एक्सप्रेशन डार्क हो जाते हैं, और वो गुस्से में आयशा के होंठों पर अपने होंठ रख देता हैं , और आयशा के होंठों को कुतरने लगता हैं |
रणविजय की इस हरकत से आयशा को दर्द होने लगता हैं , आयशा रणविजय की मस्कूलर चेस्ट पर हाथ रखकर, उसको खुद से दूर पुश करती हैं |
पीदी सी आयशा का जोर हट्टे - कट्टे रणविजय पर नहीं चल रहा था , रणविजय का एक हाथ आयशा की खुली कमर पर चलने लगा था , रणविजय अपनी बाॅडी से आयशा की बाॅडी को रब करने लगता हैं , आयशा की हालत खराब होने लगी थी |
रणविजय आयशा की बाॅडी से आ रही खुशबू से मदहोश हो रहा था , उसकी आंखों में डिजायर उभर आए थे , रणविजय 10 मिटने बंद आयशा के होंठों को फ्री करके अपने होंठों पर जीभ से लकी करते हुए डीप वाॅइस में बोला " अब शादी से पहले सुहागरात होगी " आयशा जो रोते हुए अपनी सांसें संभाल रही थी , वो रणविजय की बात सुनकर शाॅक्ड हो जाती हैं , खौफ से उसकी आंखें बड़ी हो जाती हैं |
रणविजय आयशा का दुपट्टा साइड करके , उसके विजिबल हो रहे क्लेवीज को अपनी डिजायर भरी नज़रों से देखने लगता हैं , आयशा डर से कांपते हुए रणविजय से बोली " प्लीज़ मुझे छोड़ दीजिए "
रणविजय को अब कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था, वो इस वक्त मदहोश हो गया था , रणविजय आयशा के उभार पर अचानक से ही भूखे शेर की तरह टूट पड़ता हैं , वही बाहर तक आयशा के रोने और चींखने की आवाजें आ रही थी , आयशा लगातार रणविजय को खुद को छुड़ाने को बोल रही थी , डोली आयशा की दर्द भरी आवाज़ें सुन कर बहुत खुश हो रही थी |
रणविजय आयशा को अपनी गोद में उठा कर इंस्पेक्टर के टेबल पर लेकर लेट देता हैं , और खुद आयशा के ऊपर आ जाता हैं के होंठों पर अपने होंठ रख देता हैं , और आयशा के होंठों को कुतरने लगता हैं |
रणविजय की इस हरकत से आयशा को दर्द होने लगता हैं , आयशा रणविजय की मस्कूलर चेस्ट पर हाथ रखकर, उसको खुद से दूर पुश करती हैं |
पीदी सी आयशा का जोर हट्टे - कट्टे रणविजय पर नहीं चल रहा था , रणविजय का एक हाथ आयशा की खुली कमर पर चलने लगा था , रणविजय अपनी बाॅडी से आयशा की बाॅडी को रब करने लगता हैं , आयशा की हालत खराब होने लगी थी |
रणविजय आयशा की बाॅडी से आ रही खुशबू से मदहोश हो रहा था , उसकी आंखों में डिजायर उभर आए थे , रणविजय 10 मिटने बंद आयशा के होंठों को फ्री करके अपने होंठों पर जीभ से लकी करते हुए डीप वाॅइस में बोला " अब शादी से पहले सुहागरात होगी " आयशा जो रोते हुए अपनी सांसें संभाल रही थी , वो रणविजय की बात सुनकर शाॅक्ड हो जाती हैं , खौफ से उसकी आंखें बड़ी हो जाती हैं |
रणविजय आयशा का दुपट्टा साइड करके , उसके विजिबल हो रहे क्लेवीज को अपनी डिजायर भरी नज़रों से देखने लगता हैं , आयशा डर से कांपते हुए रणविजय से बोली " प्लीज़ मुझे छोड़ दीजिए "
रणविजय को अब कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था, वो इस वक्त मदहोश हो गया था , रणविजय आयशा के उभार पर अचानक से ही भूखे शेर की तरह टूट पड़ता हैं , वही बाहर तक आयशा के रोने और चींखने की आवाजें आ रही थी , आयशा लगातार रणविजय को खुद को छुड़ाने को बोल रही थी , डोली आयशा की दर्द भरी आवाज़ें सुन कर बहुत खुश हो रही थी |
रणविजय आयशा को अपनी गोद में उठा कर इंस्पेक्टर के टेबल पर लेकर लेट देता हैं , और खुद आयशा के ऊपर आ जाता हैं , और रणविजय के सामने गिड़गिड़ा रही थी , पर रणविजय को उसके आंसूओं से कोई मतलब नहीं था , वो सब कुछ इग्नोर करके आयशा के होंठों पर अपने होंठ रख कर किस करने लगता हैं |
अपने हाथ पर चला रही थी , तो रणविजय आयशा के हाथों की उंगलियों अपनी उंगलियों में उल्झा लेता हैं , और आयशा के पैरों को अपने पैरों के बीच में जकड़ लेता हैं , आयशा की आंखों से आंसू बहा रहे थे , पर रणविजय उनको इग्नोर कर रहा था|
रणविजय आयशा के होंठों पर वाइल्ड किस कर रहा था, आयशा टेबल और रणविजय के बीच में दबी हुई थी , दोनों के बदन एक दूसरे से कुछ यू चिपके हुए थे , कि वो दो जिस्म एक जान लग रहें थे , आयशा को सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी , पर रणविजय आयशा के होंठों से दूर होने का नाम ही नहीं ले रहा था |
वही लॉक अप में तड़पता कवि ये नज़ारा देख कर रो रहा था, उसके सामने उसकी दोस्त की एक जानवर इज्ज़त से खेलने की कोशिश कर रहा था , तभी कवि की चींख निकल जाती हैं, कवि ने ऐसा क्या देखा, जो उसकी चीख निकल गई |
“ Don’t touch me”- आयशा ने एक गहरी सांस लेते हुए कहा। लेकिन उधर रणविजय के आंखों में अलग ही जुनून सवार था। उसने एक पल में उसे छोड़ दिया तो आयशा उसे जोर जोर से सांस लेते हुए देख रही थी। लेंकी रणविजय के आंखों की तपिश वो सह नहीं पाई तो उसने अपनी नज़रे झुका ली। रणविजय ने आयशा को एकदम से अपनी और खींचा और उसके कोमल होठों पर अपने हाथ रख दिए।”
रणविजय के ऐसे चुने से मानो आयशा की धड़कने और तेज हो गई । रणविजय ने आयशा को उठाकर एक टेबल पर बिठा दिया और धीरे धीरे उसके लहंगे को ऊपर की तरफ कर रहा था। इधर लॉकअप से कबी चिल्ला रहा था “ नहीं आयशा को छोड़ दो , please” । आयशा डरकर पीछे होने लगी तो रणविजय अपनी खौफनाक आवाज में कहता है “ अगर अपने यार को बचाना चाहती हो तो चुप चाप बैठी रहो।”
आयशा एकबार मुड़कर लॉकअप के अंदर खून से लतपथ कबी को देखती है जो सिर्फ उसकी मदत करने के वजह से ईश हालत में था। और इधर रणविजय ने आयशा के पैरों को हल्के हाथों से सहला रहा था और अब वो उसकी पैरों को किस भी कर रहा था, जिससे आयशा के शरीर में सिहरन सी दौर गई।
क्या करेगा रणविजय अब आयशा के साथ?
क्या छुड़ा पाएगी आयशा खुद को रणविजय की चंगुल से ?
जानने के लिए पढ़ते रही “ Unwanted Marriage for Revenge”
वो जानती थी रणबीजय किसी भी वक्त उसके और करीब आ सकता था। तभी रणविजय ने उसे उलटा कर दिया जिससे आयशा का चेहरा अब टेबल की और था। इधर रणविजय ने पीछे से उसके लहंगे की बाउंस की डोरी को खोलना शुरू किया तो आयशा का तो मानो जान हलक में अटक गया। वो धीरे धीरे उसके दूध जैसे गोरे और नरम पीठ को सहला रहा था।
कवि चिल्लाते हुए रणविजय को आयशा से दूर होने को बोल रहा था , पर इस वक्त रणविजय आयशा के साथ रोमांस करने में बिजी था। कवि के तान बदन में ये नज़ारा देखकर आग लग रही थी। वही हर किस के साथ आयशा की एक मीठी सिसकी निकल रही थी |
उसकी आँखें बंद थीं, और वह पूरी तरह से रणविजय की पकड़ में थी । अचानक रणविजय ने उसकी पीठ पर एक बाइट ली, जिससे आयशा दर्द से कराह उठी। वह चाहकर भी खुद को रोक नहीं पाई, इधर रणविजय का जुनून बढ़ता जा रहा था और आयशा के सिसकियां उसे और भड़का रही थीं |
आयशा का शरीर पसीने से तर हो रहा था। उसकी सांसें और गहरी हो गईं थीं, जैसे कि उसे एक तरफ दर्द हो रहा हो, लेकिन दूसरे ही पल वह इस जुनून में खोती जा रही थी। रणविजय ने उसके बालों को पीछे किया और उसकी गर्दन पर भी बाइट करने लगा। आयशा को दर्द का एहसास हो रहा था, उसको रणविजय से नफ़रत हो रही थी |
टेबल की ठंडक और रणविजय के गरम स्पर्श के बीच आयशा खुद को बेबस महसूस कर रही थी। रणविजय आयशा के कंधे से ब्लाउज नीचे सरकते हुए डीप वाॅइस में बोला " मैंने तुम्हें पुरे 50 करोड़ देकर खरीदा हैं , अब तुम मेरी हो , अंडरस्टैंड बटरफ्लाई ?"
आयशा सिसकते हुए बोली " मुझे आप से शादी नहीं करनी , मुझे छोड़ दिजिए ।"
रणविजय आयशा कंधे पर जोर से बाइट करके कोल्ड वॉइस में बोला " रणविजय अग्निहोत्री की नज़र जिस चीज़ पर पड़ गई, वो उसकी हो जाती हैं, और अब तुम भी मेरी हो चुकी हो , तुम्हारी बाॅडी अब मेरी हैं , इसके साथ मैं जो चाहें कर सकता। "
रणविजय बात सुनकर, आयशा सिसकते हुए बोली" अगर आप की बहन के साथ कोई ये सब करेगा , जो आप मेरे साथ कर रहे हैं , तो आप को कैसा लगेगा , बोलिए ?"
रणविजय आयशा को अपनी अंगारों की तरह दहक रही लाल आंखों से देखता रहा था , वो आयशा की गर्दन पर जोर से बाइट करके बोला " तुम्हारी ज़बान बहुत चलती हैं, और मुझे लोगों की जबान बंद करनी आती हैं। "
रणविजय आयशा को अपनी तरफ पटला कर , उसके लोअर लीप को अपने होंठों की गिरफ्त में लेता हैं , लीक एंड सक करने लगता हैं। वही आयशा के चेहरे की मासूमियत उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रही थी। उसकी आँखों में घबराहट और डर सफा दिख रहा था |
कुछ देर बाद रणविजय आयशा के होंठों से दूर हो कर उसकी ठुड्डी को हल्के से ऊपर उठाकर, उसकी आँखों में झाँकते हुए एक ठंडी मुस्कान दी। कवि अपनी आंखों के सामने आयशा के साथ हो रही घटिया हरकत देखकर बेबस महसूस कर रहा था। वही रणविजय ने एक झटके में आयशा को अपनी बाहों में खींच लिया और उसे टेबल पर फिर से लिटा दिया |
आयशा की धड़कनें तेज़ हो गईं। वो लगातार रणविजय से छुटने के लिए हाथ पैर फेंक रही थी, चिल्रणविजय रही थी। वही रणविजय का हाथ धीरे-धीरे उसके पेट की ओर बढ़ा, और उसने आयशा पेट पर हाथ फेरा, आयशा की सांसें और गहरी हो गईं, उसकी आँखें बंद हो गईं थीं। रणविजय ने लहंगे को थोड़ा ऊपर खिसकाया और फिर उसकी नाजुक त्वचा पर अपने होंठ रख दिए |
आयशा के पेट पर एक-एक किस के साथ उसकी सिसकियां तेज़ होती जा रही थीं। रणविजय ने उसके नेवल के पास जोर से बाइट लिया, जिससे आयशा का पूरा शरीर सिहर उठा । वह हल्की सी चीख के साथ कराह उठी । रणविजय ने उसकी नेवल पर लीक करते हुए एक किस किया |
रणविजय की उंगलियाँ धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगीं, आयशा की साँसें और भारी हो गईं। रणविजय आयशा के लंहगे की डोरी खोलने की कोशिश करते हुए, डोरी को उसे थोड़ा खींचता हैं , मगर जैसे ही उसने डोरी खोलनी चाही, आयशा ने एक हल्का 'ना' में सिर हिला दिया। आयशा की आंखों में बेबसी सफा दिख जा सकती थी , तो रणविजय के हाथ रुक गए। उसने एक पल के लिए अपनी आँखें बंद कीं और फिर उसकी आँखों में गुस्सा उमड़ आया |
वह आयशा की तरफ घूरता रहा, उसकी नजरें अब और भी तीखी हो गईं थीं, रणविजय ने गुस्से से दबी आवाज़ में बोला " how dare you stop me?"
आयशा कुछ कहना चाह रही थी, मगर शब्द उसकी जुबान पर नहीं आ रहे थे। रणविजय का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। उसने आयशा को कड़ी नजरों से देखा, जैसे उसे उसकी ये हिम्मत बिल्कुल पसंद नहीं आई हो |
रणविजय गुस्से में आयशा से दूर हो कर अपने कपड़े ठीक करके बोला " बाकी का रोमांस कार में करेंगे "
रणविजय आयशा टेबल से खड़ा करके उसका ब्लाउज ठीक करता हैं , और आयशा को दुपट्टे से कवर करके अपनी बाहों में उठा लेता हैं , और वहां से जाने लगता हैं। फिर अचानक रुक कर रणविजय मुड़कर कवि को देखकर कोल्ड वाॅइस में बोला " जिन पैरों से तुम मेरी दूल्हन को लेकर भागे थे , अब वो पैर चलने लायक नहीं रहें , अगल बार मुझे नज़र आए , तो अंजाम इससे भी बुरा होगा ।"
इतना कहकर वो उसे लेकर जाने लगता हैं । इधर आयशा रणविजय रोते हुए खुद को लगातार छोड़ने को बोल रही थी। पर रणविजय पर मासूम आयशा के आंसूओं का कोई असर नहीं हो रहा था। वो आयशा अपनी कार के पास लेकर आता हैं । ड्राइवर कार का डोर खोलता हैं , और रणविजय आयशा को कार के अंदर धकेल देता हैं जिससे आयशा धड़ाम करके कार की सीट पर गिर पड़ती हैं। पर आयशा रोली के सलामती के लिए उसे एकड़ से अपने बाहों में भींच लिया ताकि उसे चोट न पहुंचे।
कैसे बचा पाएगी मासूम आयशा खुदको ?
क्यों इतनी बेरहमी दिखा रहा है रणविजय?
जानने के लिए पढ़ते रहिए " Unwanted Marriage For Revenge"
रणविजय आयशा को लेकर निकल जाता हैं। कार में आयशा सीट के कौने पर डरी - सहमी सी चुपचाप बैठ कर रो रही थी , तो रणविजय इरिटेट हो आयशा के बालों को अपनी मुट्ठी में भर कर कोल्ड वॉइस में बोला " तुम्हारी हर एक सांस पर मेरा हक़ हैं समझी ? और अब से तुम्हारा काम मुझे बिस्तर पर खुश रखना। “
आयशा रणविजय से अपने बाल छुड़वाने की कोशिश करते हुए बोली " आप मुझे कभी हासिल नहीं कर पाओगे समझे आप…"
आयशा की बात सुनकर रणविजय की पकड़ उसके बालों पर कसती जा रही थी , जिससे आयशा की मुंह से एक चींख निकल जाती हैं। खुद को चुराने के लिए वो रणविजय की चेस्ट पर मुक्के मारने लगती हैं |
रणविजय को आयशा का खुद पर हाथ उठाना रास नहीं आया तो उसने आयशा के बाल छोड़ कर उसको एक ही झटके में अपनी गोद में बैठा लिया।
रणविजय आयशा के होंठों के खिलाफ जाकर बड़ी ही डरावनी आवाज़ में बोला " अब मैं तुम्हें बताऊंगा , हाथ - पैर चलाने का अंजाम क्या होता हैं "
इतना कहकर रणविजय आयशा के लोअर लिप को अपने होंठों में दबा कर सक करने लगता हैं । रणविजय के इस एक्शन से आयशा की आंखें हैरानी से बड़ी हो गई। अभी रणविजय का एक हाथ आयशा की खुली कमर पर था , और दूसरी हाथ आयशा के सिर को होल्ड करके था , ताकि आयशा अपना सिर इधर - उधर ना कर सके |
रणविजय धीरे - धीरे आयशा को किस करने लगा था , तो आयशा एक छोटी बच्ची की तरह इधर - उधर अपना सिर हिलाने की कोशिश कर रही थी , पर उसकी सारी कोशिश नाकाम हो रही थी। उसकी आंखों से बेहिसाब आंसू बहे रहें थे।
अचानक ही ढेर सारी व्हाइट कलर की वाॅन उनका रास्ता रोक लेती हैं। रास्ते के बीचोबीच रहने की वजह से रणविजय की कार का काफिला उन वाॅन के काफिले की वजह से थम जाता हैं |
उन सभी वाॅन के डोर एक साथ खुलते हैं , तो उन वाॅन के अंदर से बहुत सारे बदमाश जैसे दिखने वाले आदमी बाहर निकलते है। उन सबके हाथों में तलवार था, जो देखकर ही लग रहा था कि वो कितने खुखार हैं।
उन सब आदमियों ने जींस की पैंट उसके ऊपर खादि का कुर्ता , गले में लाल रंग का गमछा और माथे पर लम्बा सा तिलक लगा हुआ था।
उन में से एक आदमी दूसरे से बोला " भाई जी वो छोकरी इन गाड़ियों में से एक में है “ वो पहला आदमी अपने होंठ पर उंगली फ़िराते क्रिपी वॉयस में बोला “ ईश छोकरी ने हमे बहुत परेशान किया , आज तो ये हमारे हाथ से बचनी नहीं चाहीए।”
इसी भयानक माहौल में अचानक ही बादल भी गरज उठा। वो सभी आदमियां रणबीजय के कार की काफिले को बड़ा खतरनाक तरीके से घूर रहे थे। इधर रणविजय की बॉडीगार्डस भी कार से निकल कर उनके सामने गुण लेकर खड़े हो गए।
बॉडीगार्डस के लीडर शमशेर उन आदमियों के सामने आकर अपने कर्कश आवाज में कहता है “ तुम लोग कौन हो ? और थारी इतनी हिम्मत कैसे हुई बोस के सामने कार रोकने की?”
जिसे सुनकर उन आदमियों का लीडर बोला “ हम कौन है ये तुझे जानने की ज़रूरत नहीं ही । ये बता की वो छोकरी कौन सी गारी में है ?”
शमशेर ने फिरसे अपने कर्कश आवाज में कहा “ कौन सी छोकरी?”
तो उस आदमी ने कहा “ आयशा चौहान”। जिसे सुनकर शमशेर सीधे रणविजय की कार की तरफ बढ़ गया।इधर रणविजय आयशा के साथ जबरदस्ती पर उतर आया था। उसे कंधे से आयशा की ब्लाउस फाड़ दिया था। वो उसे और करीब जाता की तभी उसके विंडो ग्लास में नॉक करने की आवाज आई। उसने आयशा को दुपट्टे से अच्छी तरह कवर करके विंडो ग्लास नीचे करता है। उसका चेहरा गुस्से से लाल हो चुका था।
शमशेर ने उसके सामने अहीर झुकाते हुए कहा “ सिर 40- 50 गुंडे मैं के पीछे पड़े है ।”
रणविजय ने आयशा की तरफ देखा और कहा “ जब तक मैं न आऊ यही बैठी रहना , और अगर भागने की कोशिश की तो टुकड़े टुकड़े कर दूंगा ।”
रणविजय आयशा को कार में छोड़ कर उन गुंडों की और चला जाता हैं, और वो गुंडे रणविजय को देखकर शमशेर से बोलें " अबे ओ गधे हमने तुम्हें छोकरी को लाने को बोला था , और तू छोकरे को लेकर आ गया "
उसी वक्त रणविजय शमशेर से उसकी गन छीन कर अचानक ही उस आदमी पर गोली चला दिया जैसे ये उसके लिए बड़ी आम बात है।
तभी उन सब के कानों में एक तेज़ आवाज़ में बोला " बाॅस मैम भाग गई " रणविजय पीछे मुड़कर देखता हैं, आयशा अपना लंहगा पकड़ कर वहां से भाग गई , फिर क्या था , सब लोगों अपनी - अपनी गाड़ियों में बैठ कर आयशा के पीछे निकल जाते हैं।
वही दूसरी तरफ एक रूम में हल्की-हल्की रौशनी थी जहां रोशनी के बीच एक खूबसूरत लड़की नीले रंग की साड़ी में सजी-संवरी खड़ी थी। उसका चेहरा मासूमियत से भरा हुआ था। मगर आँखों में कुछ और ही इशारा था , सामने खड़ा आदमी धीरे-धीरे उसके पास आया और उसकी साड़ी का पल्लू हाथ में लेते हुए उसकी आँखों में देखने लगा |
उसने धीरे से साड़ी के पल्लू को सरकाया और अपने होंठ उसके कंधे पर रख दिए जिससे लड़की की धड़कनें तेज़ हो गईं, उसने मुंह एक धीमी-सी सिसकी निकल गई। वो आदमी धीरे-धीरे उसके गालों पर अपने होंठ रख रहा था तो लड़की के होंठ और कांपने लगे |
उसने उसकी गर्दन पर किस की, तो लड़की ने अपनी आँखें बंद कर लीं तभी एक और सिसकी निकली। अब तक साड़ी उसके कंधे से नीचे सरक रही थी, और उसकी सांसें तेजी से चल रही थीं। फिर उसने लड़की के कानों के पास अपने होंठ रखकर एक हल्की बाइट दी |
उसके इस हरकत से लड़की की हल्की चीख सी निकालते हुए , और वो उस आदमी के कंधों से कसकर लिपट गई। उस आदमी ने कमर पर धीरे से अपने हाथ फिराने लगा , इधर जैसे ही उसकी उंगलियाँ उसके पेट को छूने लगीं, लड़की ने और गहरी सांस लेते हुए उसे अपनी बाहों में और कस लिया , वो लड़की सेक्सुअल वॉइस में बोली " जानू गुदगुदी हो रही हैं "
वो आदमी अपनी मदहोशी भरी आवाज़ में बोला " कुछ देर बाद दर्द भी होगा , जानेमन "
लड़की साँसों की गर्मी उस आदमी के कानों तक पहुंच रही थी। उसकी उंगलियाँ अब उसके नेवल पर चल रही थीं, लड़की मदहोश हो चुकी थी। अब उसकी सिसकियाँ पूरे रूम में गूंज रही थीं । लड़की की साड़ी अब फर्श पर गिर चुका था, वो आदमी अब उस लड़की के उभारों को सहलाता हैं |
वो आदमी फिर लड़की को अपनी बाहों में उठाकर बेड पर लेटाने लगा की तभी अचानक उस आदमी का फोन बजने लगा, वो झुंझलाया हुआ सा रुका, लड़की अंगड़ाई लेते हुए बोली " जानू रूक क्यों गए "
वो आदमी गुस्से में बोला " तुम रोको जरा " , तो लड़की का मुंह बन गया |
उस आदमी गुस्से में उसने दांत भींच लिए और कॉल रिसीव किया, दूसरी तरफ से किसी ने कुछ कहा " भैय्या जी छोकरी भाग गई। "
उस आदमी की आँखों में आग सी चमक उठी, वो फोन में ही गुर्राया " वो छोकरी किसी भी कीमत पर चाहिए , अगर इस बार तुम लोग हाथ आए , तो."
फोन के दूसरी तरफ मौजूद आदमी डरते हुए बोला " भैय्या जी आप चिंता मत किजिए , हम उस छोकरी के पीछे ही हैं "
वो आदमी फोन डिस्कनेक्ट करके ड्राइवर सीट पर बैठे हुए अपने साथी से बोला " छोकरी हाथ से जानी नहीं चाहिए , गाड़ी भागा।”
कौन है ये आदमी ? क्यों चाहता है आयशा को ? क्या बच पाएगी आयशा इन सबके हाथों से ? जानने के लिए पढ़ते रहिए “ unwanted Marriage for Revenge”
“बचाओ ….बचाओ… ." आयशा अपना लंहगा पकड़ कर तेज़ी से सुनसान सड़क पर भाग रही थी। उसके दिल की धड़कनें बहुत जादा तेज़ हो चुकी थीं। पर अब उसे पीछे आती कारों की आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही थी। वो डर से पसीने में नहाई हुई थी, कारें उसके करीब आ रही थीं, लेकिन इधर अंधेरे में उसे कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा था |
अचानक उसके पैर में एक पत्थर लगा और रास्ते में ही गिर पड़ी। सारी गारी उसके आसपास आ कर रुक चुके थे। की तभी कार का दरवाजा खुला और दर्जन भर आदमिया तलवार लिए उसके सामने खड़े हो गए।
गुंडा का लीडर , जिसकी आंखों में गंदा इरादा साफ झलक रहा था, आयशा के पास आया। उसने उसके बालों को झटके से पकड़ा और बेहद छिछोरी हंसी के साथ बोला "छोकरी, तूने हमें बहुत दौड़ाया , अब देख हम तुझसे कैसे निपटते हैं ।"
आयशा दर्द से कराह उठी, आयशा चिल्लाते हुए बोली " छोड़ो मुझे " बाकी की गुंडे उसकी खूबसूरती को घूर रहे थे, उनके मुंह से लार टपकने लगे थे।
एक गुंडा उसके करीब आया और उसके गालों को जबरदस्ती से छूते हुए बोला " अरे वाह. कसम से, तेरी तो नज़ाकत ही अलग है। "
उसने एक अश्लील चुटकुला छोड़ दिया, जिस पर बाकी गुंडे बेहूदा हंसी हंसने लगे। वो आयशा के चारों ओर घेरा डालकर खड़े हो गए थे, कुछ तो उसके कपड़ों को छूने की कोशिश कर रहे थे |
आयशा की आंखों में अब डर साफ़ दिखने लगा था। एक गुंडा आयशा की पीठ पर हाथ फेर कर बोला " क्या जवानी हैं तेरी , मेरी जान ।"
आयशा उस गुंडे के हाथ को झटके से खड़ी होकर कर भागने का रास्ता ढूंढने लगी।
तभी एक गुंडा छीछोरी हंसी हंसते हुए आयशा के उभार की तरफ अपने हाथ बढ़ा रहा था , तो आयशा जैसे ही पीछे होती हैं , वो बाकी गुंडों से टक्कर जाती हैं । वो सभी आयशा की खुली कमर बहुत ही गंदे तरीके से छु रहे थे।
एक गुंडा आयशा की ब्लाउज की डोरी खोलने की कोशिश करता हैं तो आयशा उसको धक्का देती हैं ।
इधर गुस्से में आकर दो गुंडे आयशा के हाथ पकड़ लेते हैं। और एक गुंडा हंसते हुए आयशा की ब्लाउज की डोरी की तरफ हंसते हुए अपने हाथ बढ़ा रहा था। आयशा अब बुरी तरह से चींख रही थी , और वो गुंडे उसकी लाचारी हंस रहे थे।
लेकिन तभी अचानक एक के बाद एक गोलियों की आवाज़ गूंज उठी ।सारे गुंडे गोलियों की आवाज से चौक जाते हैं। और पीछे मुड़कर देखते है कि कौन है।
आयशा ने भी कांपते हुए नज़रें उठाईं, और सामने देखा , वहां रणविजय खड़ा था। उसकी आंखों में आग जल रही थी, और वो आयशा को गुस्से से घूर रहा था। जैसे ये सब उसकी ही गलती हो , रणविजय के हाथ में अभी बंदूक था, और वो एक-एक गुंडे पर गोलियां बरसने के लिए तैयार खड़ा था |
आसमान में सन्नाटा पर चुका था। सिर्फ रणविजय का भारी-भरकम गुस्सा ही वहां महसूस हो रहा था।
आयशा ने एक पल के लिए राहत की सांस ली, लेकिन रणविजय के चेहरे पर दिखाई दे रहे डार्क एक्सप्रेशन ने उसकी धड़कनें फिर से तेज़ कर दीं।
रणविजय गन उन गुंडों की तरफ प्वाइंट आउट करके रौबदार आवाज़ में बोला " लड़की से दूर हट जाओ "
रणविजय की दमदार पर्सनालिटी को देखकर गुंडों को अच्छा खास घबराहट फील हो रहा था। गुंडों का लीडर गहरी सांस लेकर बोला " ये छोकरी तो अब तुम्हें नहीं मिलने वाली । ये तो हमारे साथ जाएगी ।"
रणविजय उन गुंडों को अपनी लाल सुर्ख आंखों से ऐसे देख रहा था , जैसे वो अपनी आंखों से ही गुंडों को मार डालेगा |
रणविजय उन गुंडों को गुस्से से घूर ही रहा था , तभी उन सब के कानों में एक तेज़ आवाज़ पड़ती हैं " छोकरी फिर भाग गई "
जिसे सुनकर रणविजय की आंखों पत्थर की तरह कठोर हो जाती हैं, गुड़े फटाफट अपने गाड़ियों में बैठ कर आयशा के पीछे निकल गए , वही रणविजय गुस्से में दांत भींच कर बोला " बटरफ्लाई आए किल यूं।”
रात का अंधेरा और गहरा हो चुका था। हवा में ठंड फैल चुका था। आयशा अभी भी बरेलतहसा भागे जा रही थी। उसका अब दम घुटने लगा था। उसके आंखों में अंधेरा चाहने लगा पर फिरभी वो भाग रही थी क्योंकि वो इन दरिंदो के बीच में फसना नहीं चाहती थी।
इधर रणविजय एक शॉर्ट कट से आयशा के करीब पहुंचता है और उसके पीछे से उसे धमकी देकर कहता है “ बटरफ्लाई, रुक जाओ वरना तुम्हारे लिए बहुत बुरा होगा।”
आयशा उसकी बात को इगनोर करते हुए एक पहाड़ी के ऊपर चली जाती है, उसे और कोई रास्ता नहीं दिख रहा था। रणविजय भी उसके पीछे पीछे भाग रहा था….. लेकिन अब आयशा एक दम पहाड़ी के टॉप पर पहुंच चुकी थी।
उसके आगे का नजारा देखकर उसके मुंह से बस एक ही आवाज गूंजी “ आगे खाई …..”
उसके सामने का नजारा देख कर भी उसके कदम नहीं रुके .... उसे किसी भी तरह खुद को रणविजय के हाथों से बचना था। उसने अपने कदम खाई की और बढ़ा दिया।
इधर रणविजय जो उसके पीछे आ रहा था उसने अपने कदम और तेज़ किए और जल्दी से आयशा के पास पहुंच गया।
आयशा जो खाई में कूदने जा रही थी, रणविजय ने उसका पीछे से हाथ पकड़ा और एकदम से उसे अपनी और खींच लिया। उसके आंखों में गुस्सा साफ देखा जा सकता था
उसने मजबूती से आयशा का हाथ पकड़ते हुए कहा " क्या सच रही थी तुम हा.... इतनी जल्दी तुम मेरे हाथो से बच जायेगी ? इतनी आसानी से मैं तुम्हे मौत दे दूंगा । नो बटरफ्लाई इतनी जल्दी तो तुम मेरे चंगुल से बच नहीं पायेगी। "
आयशा का रूह तो जैसे रणविजय की बात सुनकर ही कांप उठा। गुस्से और बदले की ज्वाला जैसे उसके आंखों से फूट कर बाहर आ रहा था।
क्या करेगी आयशा अब? क्या खत्म कर डालेगी खुदकी जिंदगी या हार मान जायेगी रणविजय के सामने ?
जानने के लिए पढ़ते रहिए “ Unwanted Marriage For Revenge”
( आगे की कहानी )
आयशा ने उसकी चेस्ट पर मुक्का मारा और कहा "आप मेरे पीछे क्यों पड़े हैं? मुझे जाने दीजिए , लीव मी."
रणविजय की आंखों में गुस्सा और बढ़ गया , उसने उसकी बाजू को और कसते हुए कहा " ताकि तुम अपने उन यारों ( गुंडे और कवि ) के साथ अय्याशियां कर सको? मैं बेवकूफ नहीं हूँ "
यह सुनते ही आयशा के अंदर गुस्सा भड़क उठा |
"आपको जो समझना है समझिए , मुझे इन सब से कोई फर्क नहीं है, अपनों को सफाई देनी होती हैं , आप मेरे कोई नहीं हैं , लीव मी मॉन्स्टर."
उसने खुद को रणविजय की पकड़ से छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी , कि वो असफल हो गई ।दोनों के बीच खींचातानी चल ही रही थी , कि अचानक उन दोनों का बैलेंस बिगड़ गया, आयशा की चीख निकली, और अगले ही पल दोनों खाई की ओर फिसलते हुए गिर पड़े |
गिरते वक्त आयशा ने डर से रणविजय को कस कर पकड़ लिया। वो दोनों पहाड़ी से फिसलते हुए नीचे की और जा रहे थे। रणविजय के चेहरे पर हल्की सी हैरानी थी, लेकिन उसकी मजबूत बांहों ने आयशा को खुद से दूर नहीं होना दिया ,नीचे गिरने के कुछ देर बाद, आयशा ने अपने आस-पास देखा, तो वो अभी भी रणविजय की बाहों में छोटे बच्चे की तरह छुपी हुई थी।उसकी सांसें तेज थीं, और उसके चेहरे पर घबराहट भी थी |
चारों ओर घना अंधेरा था, कुछ पता नहीं चल रहा था। इधर रणविजय की आंखों में अब भी गुस्सा था। लेकिन उसके चेहरे पर एक अजीब सी कठोरता थी।
वो अचानक आयशा को खुद से दूर करके, उसके गाल दबाते हुए कोल्ड वाॅइस में बोला " तुम मुझसे नहीं बच सकती , समझी। " उसकी आवाज़ अब भी सिरियस थी, लेकिन उतनी खतरनाक नहीं जितनी पहले था।
रणविजय आयशा कमर पर अपनी पकड़ को मजबूत करते हुए गुस्से में बोला " बटरफ्लाई तुमने जो गलती की है, उसका अंजाम तुम्हें भुगतना होगा। "
आयशा ने उसकी तरफ देखा, लेकिन इस बार उसकी आंखों में डर नहीं आंसू थे, वो दर्द सहते हुए बोली "अगर मैं बच भी जाऊं, तो क्या फर्क पड़ता है? आपको जो करना है, करिए, लेकिन मैं आपके आगे कभी झुकने वाली नहीं हूँ ।"
रणविजय की पकड़ आयशा की कमर पर और मजबूत हो गई , आयशा को अपनी कमर में और असहनीय दर्द हो रहा था। दोनों के बीच एक अजीब सा सन्नाटा था, जैसे किसी तूफान के बाद की खामोशी। घने जंगल चारों तरफ से अंधेरे में डूबा हुआ था, सिर्फ हल्की-सी हवा के साथ पेड़ों के पत्तों की सरसराहट सुनाई दे रही थी |
रणविजय आयशा के होंठों पर बाइट करके अपना हक़ जताने की कोशिश की तो आयशा सिसक उठी।
आयशा रणविजय को एक बार दिखकर अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लेती हैं। वो समझ गई थी , रणविजय से कुछ बोलने का फायदा नहीं हैं। वही सन्नाटा इतना गहरा था कि हर हल्की आवाज़ खौफ का माहौल बना रही थी ,रणविजय और आयशा दोनों ही जंगल के बीच फंसे हुए थे |
जंगल में आ रही जानवरों की आवाज़ सुनकर,आयशा की आंखों में डर साफ दिख रहा था, उसकी सांसें तेज़ हो गईं और हाथों की हथेलियां पसीने से भीगने लगीं।
आयशा ने घबराहट और गुस्से के मिले जुले भाव के साथ रणविजय से कहा " हम लोग यहां आप की वजह से आए हैं , आप बहुत बुरे मॉन्स्टर हैं "
आयशा की आवाज़ कांप रही थी। रणविजय ने कोई जवाब नहीं दिया, वो बस चारों तरफ देखने में मग्न था , तभी अचानक उन्हें एक गहरी और खतरनाक दहाड़ सुनाई दी, यह दहाड़ जैसे जंगल को चीरती हुई उनके पास तक पहुंची। आवाज को सुनकर आयशा के चेहरे पर खौफ और बढ़ गया, उसके कदम अनायास ही रणविजय की तरफ बढ़ गए, और अगले ही पल वो डर के मारे रणविजय के सीने से चिपक गई।
उसके मुंह से डरते डरते एक ही आवाज गूंजी " श.श… शेर?"
आयशा ने हड़बड़ाते हुए कहा, उसकी आवाज़ बहुत धीमी और डरी हुई थी। रणविजय ने उसकी तरफ देखा, और उसके होठों के कोने हल्का सा मुड़ गए। उसके चेहरे पर हल्की सी डेविल स्माइल आ गई, जैसे उसे आयशा की घबराहट से मज़ा आ रहा हो
" उस शेर से डरने की जरूरत नहीं हैं , तुम्हें खाने के लिए रणविजय नाम का शेर ही काफी हैं "
रणविजय ने धीरे से कहा, उसकी आवाज़ में एक शरारत था। आयशा ने उसकी चेस्ट पर अपना सिर मारा और कहा " आपकी वजह से मैं यहाँ फंस चुकी हूं , खाई से गिरकर पता नहीं कहाँ आ गई हूँ , अगर मुझे कुछ हो गया तो? रोली आपको कभी माफ नहीं करेगा।”
रोली का नाम सुनकर रणविजय का चेहरा अचानक सिरियस नेस आ गई ,उसकी भौंहें चढ़ गईं, और उसने गुस्से में दांत भींचते हुए पूछा
" ये रोली कौन है?"
आयशा ने अपनी तितली जैसी आंखों से रणविजय की तरफ देखा, फिर मासूमियत से बोली " वो मेरा क्यूट पाई हैं ।"
रणविजय के चेहरे पर खतरनाक गुस्सा छा गया, उसे लगा रहा था, आयशा अपने बॉयफ्रेंड की बात कर रही है ,उसका खून खौलने लगा और उसके जबड़े कस गाए " क्यूटी पाई ? "
रणविजय ने एकदम खतरनाक आवाज़ में कहा " मैं तुम्हारे रोली के टुकड़े-टुकड़े करके कुत्तों को खिला दूंगा "
आयशा ने रणविजय को घूरते हुए कहा " आप मेरे रोली के टुकड़े करोगे? आप बहुत बुरे हो ।"
रणविजय का गुस्सा अब काबू से बाहर हो चुका था, उसकी आंखें लाल सुर्ख हो गई और वो बिना सोचे-समझे आयशा की तरफ झुका , अचानक उसने आयशा के होंठों पर अपने होंठ रख दिए |
आयशा एकदम से सन्न रह गई, उसकी आंखें खुली की खुली रह गईं। और उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा, रणविजय की पकड़ उसकी कमर पर मजबूत थी, रणविजय आयशा के होंठों पर अपने होंठों से अपनी मौहर लगा रहा था। रणविजय आयशा के होंठों के रस को पीने से मदहोश हो रहा था जैसे वो अपना उसके ऊपर हक जाता रहा हो। वो आयशा के होंठों पर अब पैशनेट किस कर रहा था , माहौल में अब सिर्फ उनकी किस की आवाज़ गूंज रही थी , “अम्म्म्म्म.म्मम्म्म्म.”
रणविजय की किस में अब एक अजीब सा गुस्सा और जुनून भरा हुआ था ,आयशा ने कुछ पल के लिए खुद को संभालने की कोशिश की। मगर उसकी सांसें बेकाबू हो गई थी , उसने अपने हाथों से रणविजय को पीछे धकेलने की कोशिश की। लेकिन रणविजय ने उसे और पास खींच लिया , रणविजय आयशा के होंठों को कभी लिंक करता, तो कभी सक , तो कभी किसी करता , तो कभी बाइट |
जब रणविजय को अहसास हुआ, आयशा को सांस लेने में दिक्कत हो रही हैं , तो वो आयशा के होंठों को फ्री करता हैं। आयशा की सांसें भी तेज़ हो चुकी थीं, उसके के चेहरे पर गुस्सा और शर्मिंदगी दोनों थी। वो खुद को शांत करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसकी धड़कन अब भी तेज़ थी।
रणविजय ने आयशा के बालों को अपनी मुट्ठी में लेकर बोला " तुम्हें क्या लगता है, मैं किसी और के लिए तुम्हें छोड़ दूंगा? , कभी नहीं " रणविजय की आंखों में जिद्द और जुनून था।
क्या जान पाएगा रणविजय की रोली कौन है ? और क्यों आयशा उससे इतना प्यार करती है ?
जानने के लिए पढ़ते रहिए “ Unwanted Marriage For Revenge”