वो शख़्स जिसे दुनिया एक सफल बिज़नेसमैन के रूप में जानती है शानदार ऑफिस, बेमिसाल दौलत और चेहरे पर मुस्कुराहट, सबको लगता है यही उसकी असली पहचान है लेकिन परछाइयों में छुपा है उसका असली राज़ वह है रशियन माफ़िया का सरगना। एक पागल, सनकी और ख़तरनाक इंसान… ज... वो शख़्स जिसे दुनिया एक सफल बिज़नेसमैन के रूप में जानती है शानदार ऑफिस, बेमिसाल दौलत और चेहरे पर मुस्कुराहट, सबको लगता है यही उसकी असली पहचान है लेकिन परछाइयों में छुपा है उसका असली राज़ वह है रशियन माफ़िया का सरगना। एक पागल, सनकी और ख़तरनाक इंसान… जिसे ‘ना’ सुनना गुनाह है। उसके लिए एक बार कही हुई बात हुक्म बन जाती है और जो उस हुक्म को तोड़े, उसकी ज़िंदगी की आख़िरी साँसें उसी की मुट्ठी में क़ैद हो जाती हैं। ये कहानी है उस आदमी की… जो कि है विलेन पूरा हकीकत में वो है मौत का सौदागर।
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रात का वक्त था आसमान में चांद अपनी चाँदी सी रोशनी चारों ओर बिखेर रहा था हवाओं में हल्की ठंडक थी जो खिड़की से अंदर आकर परदों को हौले-हौले हिला रही थी वहीं एक कमरे में पीली रोशनी वाला लैम्प जल रहा था जिसकी किरणें कमरे के एक कोने को नरम और सुकून भरी आभा दे रही थीं।
वहीं उस कमरे में एक लड़की ने एक हॉट सी ड्रेस पहनी हुई थीं, जिससे उसके अंग उभर कर दिख रहे थे काली गहरी आंखें, दूध सा गोरा रंग, परफेक्ट भरा हुआ फिगर गुलाबी से रसीले होठ ऐसी खूबसूरती की हर कोई उसे पाना चाहे उसकी आंखों में अजीब सी मदहोशी छाई हुई थीं ।
वह लड़की अपने सामने खड़े हुए आदमी को देख रही थी रूम के डिम लैम्प लाइट में वो खड़ा था एकदम किलर लुक में।
ब्लैक शर्ट के ऊपर के दो बटन खुले हुए जिससे उसके टोंड चेस्ट और परफेक्ट ऐब्स की झलक साफ़ दिख रही थी चौड़े कंधे फिट बॉडी और वो हल्की सी veins वाली मस्कुलर आर्म्स… जैसे जिम का पूरा गोल ही उसने अकेले पूरा कर लिया हो।
क्लीन शेव फेस, शार्प जॉलाइन, और थोड़ी सी smirk उसके होंठों पर, जो एकदम “bad but irresistible” vibe दे रही थी उसकी डीप आईज में वो चार्म था जो एक बार देखने के बाद भूलना नामुमकिन हो।
वह लड़का भी अपनी नशीले आंखों से अपने सामने खड़ी बला को ऊपर से नीचे तक देख रहा था उसे देख वह अपना कंट्रोल खो चुका था। उसके निचले हिस्से में हलचल होने लगी थी।"
वो आदमी धीरे धीरे से उस लड़की की तरफ बढ़ने लगता हैं और उसके करीब पहुंच कर उसका हाथ पकड़ कर अपने पास खींच लेता है और अपने होठ उसके होठों पर रख उसे किस करने लगता हैं... " लड़की एक पल को शोक हो जाती हैं लेकिन धीरे धीरे वह भी अपना साथ देने लगती हैं उस किस में....."
दोनो एक दूसरे को बेइंतहा चूमने लगते हैं दोनों ही एक दूसरे के होठों को चूस रहे होते हैं।
"धीरे धीरे अब उस आदमी के हाथ उस लड़की के ब्रेस्ट की तरफ जा रहे थे वह उन्हें ऊपर से ही सहलाने लगता हैं लड़की को उस आदमी का यूं करना काफी अच्छा लग रहा था वो भी अपना एक हाथ ले जा कर उसके हाथ के ऊपर अपना हाथ रख प्रेस कर देती हैं...!!
एक लंबी किस के बाद आंखों में नशा लिया दोनों एक दूसरे को देख रहे थे।
फिर अचानक उस लड़की ने वापस से अपने होठ उसके होठों पर रख दिए और फिर एक वाल्ड सी किस फिर से उन दोनों के बीच शुरू हो गई।
आदमी धीरे धीरे से उस लड़की को उसके कपड़ों से आजाद कर दिया था..." उसकी वह गोरी गर्दन जिस पर आदमी ने अपने ठंडे होठ रख दिए..." हम्ममम उम्मम...... लड़की के मुंह से एक ठंडी सी सिसक निकल गई , आदमी ने उसके गोरे कंधे पर अपने होंठ चलाने शुरू कर दिए थे।
लड़की सिर्फ उसके सामने ब्रा पेंटी में ही थीं उफ़्फ.... इस लड़की का ये मुलायम बदन " जिसे देख वो अपने होश खो बैठा था किसी चीज की उसे समझ नहीं आ रही थी उसे बस पाना था उस लड़की को उसे देख वह अपने शर्ट के बटन खोलने लगता है और यह देख उस लड़की की सांसे तेज हो जाती हैं।
वह आदमी अपनी शर्ट उतार कार फेंक देता हैं और उसे अपनी गोद में उठाकर बेड पर ले जाकर पटक देता हैं अब वह लड़की पूरी तरह नेक्ड थी उस आदमी के सामने, आदमी उसके ऊपर आता हैं और उसके ब्रेस्ट को मुंह में भर सक करने लगता हैं उसका एक हाथ उस लड़की के निचले हिस्से में था कुछ ही पल में आह्हह्ह्हह्ह्ह...!! की आवाज सुनाई देती हैं आदमी उसके निचले हिस्से को अपने हाथों से छेड़ रहा था जिससे लड़की बेकाबू सी हो गई थी। आह्ह... उम्ममम प्लीज़ स्टॉप इट......!!"
लेकिन वो आदमी नहीं रुका और अपना मुंह नीचे ले जाकर उसके निचले हिस्से को चूमने लगता हैं।"
आह्हह्ह... आह्ह... लड़की अपने ही ब्रेस्ट को प्रेस करते हुए कराह उठी आह्ह्हह्ह्ह.... तभी उस लड़की को फील हुआ कि वो आदमी रुक गया है वह उसकी तरफ देखती हैं उसकी आंखें जैसे उससे रिक्वेस्ट कर रही थी कि मत रुको ।"
वह आदमी भी समझ चुका था लेकिन वह सिर्फ उसे परेशान कर रहा था वह फ़िर से झुक जाता है कुछ ही पल में वह लड़की निढाल सी हो चुकी थीं और उस आदमी को भी जो चाहिए था वह मिल चुका था आदमी ने अपने चेहरा बाहर निकाल कर उस लड़की को देखा उस आदमी की नजरों से उसे शर्म आ गई और उसकी पलके झुक गई शर्म के मारे, उस लड़की को देखते हुए ही उसने अपनी पेंट निकाल ली थी।
अब दोनों में से किसी के भी शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था दोनों पूरी तरह नेक्ड थे। आदमी उस लड़की के ऊपर आकर उसके पैर फैला कर उसके बीचों बीच आ जाता हैं..."
उस लड़की का जबड़ा पकड़कर वह आदमी अपनी भारी आवाज में बोला .......
"Tonight, you will scream. You made a big mistake with me, and now I’ll show you the consequences right there, on that bed, beneath me."
"आज रात तुम्हारी चीखें निकलेंगी तुमने मेरे साथ बहुत बड़ी गलती की है, और अब मैं तुम्हें उसका अंजाम दिखाऊँगा यहीं, इस बिस्तर पर, मेरे नीचे।"
इतना बोल वह उसके अंदर समा जाता हैं, आह्ह्हह्ह्हह्ह्हह्हह्ह्ह......... उसकी दर्द से भरी चीख निकल जाती हैं और आंखों के किनारों से आंसू झर झर बहने लगते हैं। साथ ही उसकी कामुक सिसकियां उस कमरे में सुनाई दे रही थीं....."
"आदमी उसके होठों को चूमते हुए उसके अंदर मूव करने लगता हैं।"
"आह्ह्हह्ह्ह..... "फास्ट उम्ममम फास्ट यस ऐसे ही....!!
उसे पलट कर वह फिर से वह पीछे से उसके अंदर समा जाता हैं और अपने आप को उसके अंदर मूव, करने लगता हैं।"
आह्ह्ह... धीरे.... !
"उसकी बात सुनकर वह आदमी बोली अभी तो बोल रही थी फास्ट और अब धीरे..…. तुम्हारा यह सब कहना बेकार है क्यूंकि में तुम पर कोई रहम नही दिखाने वाला ।"
देर रात तक दोनों एक दूसरे के अंदर समाए हुए थे। उस ने उसे अलग अलग पोजीशन में परेशान किया था। दोनों ही पसीने से लथपत थे लेकिन वो रुकने का नाम नहीं ले रहा था अब तो लड़की भी, थक चुकी थीं। लेकिन इस आदमी को कहना बेकार है ये बात वो अच्छी तरह से समझ चुकी थी, वो उसे बस कुछ भी नहीं बोलती लेकिन अब वो उसका साथ देने की हालत में भी नहीं थी पता नहीं कब उसकी आंख लग चुकी थी।"
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ओर कैसा लगा पार्ट जरूर बताना 20 कॉमेंट होंगे इस पर तभी आगे का पार्ट मिलेगा.....
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Tonight, you will scream. You made a big mistake with me, and now I’ll show you the consequences right there, on that bed, beneath me."
"आज रात तुम्हारी चीखें निकलेंगी तुमने मेरे साथ बहुत बड़ी गलती की है, और अब मैं तुम्हें उसका अंजाम दिखाऊँगा यहीं, इस बिस्तर पर, मेरे नीचे।"
इतना बोल वह उसके अंदर समा जाता हैं, आह्ह्हह्ह्हह्ह्हह्हह्ह्ह......... उसकी दर्द से भरी चीख निकल जाती हैं और आंखों के किनारों से आंसू झर झर बहने लगते हैं। साथ ही उसकी कामुक सिसकियां उस कमरे में सुनाई दे रही थीं....."
"आदमी उसके होठों को चूमते हुए उसके अंदर मूव करने लगता हैं।"
"आह्ह्हह्ह्ह..... "फास्ट उम्ममम फास्ट यस ऐसे ही....!!
उसे पलट कर वह फिर से वह पीछे से उसके अंदर समा जाता हैं और अपने आप को उसके अंदर मूव, करने लगता हैं।"
आह्ह्ह... धीरे.... !. . . . . . . .
"उसकी बात सुनकर वह आदमी बोली अभी तो बोल रही थी फास्ट और अब धीरे..…. तुम्हारा यह सब कहना बेकार है क्यूंकि में तुम पर कोई रहम नही दिखाने वाला ।"
देर रात तक दोनों एक दूसरे के अंदर समाए हुए थे। उस ने उसे अलग अलग पोजीशन में परेशान किया था। दोनों ही पसीने से लथपत थे लेकिन वो रुकने का नाम नहीं ले रहा था अब तो लड़की भी, थक चुकी थीं। लेकिन इस आदमी को कहना बेकार है ये बात वो अच्छी तरह से समझ चुकी थी, वो उसे बस कुछ भी नहीं बोलती लेकिन अब वो उसका साथ देने की हालत में भी नहीं थी पता नहीं कब उसकी आंख लग चुकी थी।"
अब आगे . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
सुबह की हल्की किरणें खिड़की से धीरे-धीरे कमरे में घुस रही थीं। धूप की सुनहरी पट्टियाँ फर्श पर गिर रही थीं और उसी समय एक आदमी जिसकी बॉडी पर सिर्फ हल्की सफेद ब्लैंकेट ओढ़ी थी बेड पर पेट के बल पड़ा था।
ब्लैंकेट उसके कमर तक ही आ रही थी और उसकी मजबूत जिम में सख्त की गई मांसपेशियों की झलक साफ दिखाई दे रही थी उसके बाएं हाथ पर बना ड्रैगन का टैटू सुबह की किरणों में चमक रहा था जैसे किसी रहस्य की तरह।
वह धीरे-धीरे नींद से जागने लगा उसकी आंखों में भारीपन था सिर हल्का भारी महसूस हो रहा था उसने अपनी ब्लैंकेट हटा कर चारों ओर देखा और तभी उसकी नजर बेड पर पड़े हल्के खून के निशानों पर पड़ी वह सके गुस्से की लपटें उसके भीतर उठने लगीं।अपनी सिगरेट उठाई टॉवेल अपने कमर पर बांधा और सिगरेट जलाई।
तभी टेबल पर रखे नोट पर उसकी नजर पड़ी नोट के साथ रखी गई पैसों की गड्डी देखकर उसका गुस्सा और बढ़ गया। नोट पर लिखा था—
मैं नहीं जानती कि तुम कौन हो और कल रात कैसे सब हुआ, लेकिन जो भी हुआ मज़ा तो आया तुमने मुझे दर्द दिया लेकिन मेरा दिल बड़ा है इसलिए कुछ पैसे छोड़ रही हूँ और हाँ यह रात भूल जाओ फ्यूचर में कभी मत मिलना गुडबाय।"
He crumpled the money in his hand with a force that made the papers tear, tossing them angrily onto the table. His jaw clenched, and the room seemed to shrink around his rising fury.
उसने पैसे को हाथ में लेकर मरोड़ दिया और टेबल पर फेंक दिया।गुस्से की लपटें उसके पूरे शरीर में फैल रही थीं तभी कमरे का दरवाजा अचानक खुला ।
शुक्र था कि वह आदमी झुक गया था और फेंका हुआ वाश जेसामने की दीवार से टकराया वरना उसके सिर से खून बह रहा होता।
नीचे झुका हुआ लड़का कांप रहा था उसकी नजर ऊपर उठी—वहां उसका बॉस खड़ा था सिगरेट के धुएँ में लिपटा आंखें लाल और गुस्से से चमक रही थीं।
उसकी आवाज भारी और डरावनी थी।
आदमी_सिद्धार्थ पता लगाओ वह लड़की कौन थी जो कल रूम में यहां तक आ गई थीं तुमने उसकी जानकारी क्यों नहीं ली?"
सिद्धार्थ _"बॉस, मैने उसकी जानकारी ली थी वह यहाँ की जानी-मानी मॉडल है लंबे समय से आपसे मिलना चाहती थी उसने खुद हमें रिच आउट किया।"
आदमी ने सिगरेट की राख को हाथ से दबाया और गहरी सांस ली गुस्से में उसका चेहरा और भी कठोर लग रहा था उसने अपने हाथ से टेबल पर रखी सिगरेट को दबाया और ठंडी आवाज में कहा
"इतनी हिम्मत मुझे पैसे देगी मुझे उससे मिलना है बुलाओ उसे यहाँ, अभी!"
सिद्धार्थ बिना कुछ कहे वहां से चला गया आदमी ने कमरे में चारों तरफ निगाह दौड़ाई, उसकी आंखों में आग थी। वह गुस्से और इच्छा से झुलस रहा था।
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वही एक लड़की गभराई हुई सी टैक्सी को हाथ दिखाई है टैक्सी उसके पास आकर रुकती हैं और वह जल्दी से उसमे बैठ जाती है सबसे पहले वो अपना हुलिया ठीक करती हैं उसके बाल बिखरे हुए थे चेहरे पर दर्द की लकीर साफ दिखाई दे रही थीं।
लेकिन फिर भी वह किसी अप्सरा को मात दे दे ऐसी थीं गोरा रंग, परफेक्ट फिगर, पिंक लिप्स , काले लंबे बाल कमर तक, ब्लू कलर की आंखें, 5,5 हाइट, एज 19 साल... और मीठी सी उसकी आवाज जिसे एक बार कोई सुने तो बार बार सुनना चाहे।
लड़की _ stop the car right here.'
लड़की उतरने से पहले अपने हाथ में पकड़े छोटे से मिरर में खुदको देखती हैं ओर फिर उतर जाती है टैक्सी ड्राइवर को पैसे देकर वह अंदर चली जाती हैं।
वह जैसे ही अपनी रूम का दरवाजा खोलती हैं उसे सामने एक लड़की परेशान सी दिखाई देती हैं वह लड़की जो लगभग उसी लड़की की उम्र की थी दिखने में वह भी काफी सुन्दर लग रही थी लड़की जिसका नाम स्मृति था।
स्मृति _ कहा थी तुम पता है कल रात से में परेशान थीं अंजान शहर और ऊपर से अंकल से झूठ बोल हम गए थे पता है उन्होंने जब तुम्हारे बारे में पूछा तब में कितना डर गई थी लेकिन जैसे तैसे सिचुएशन को संभाल लिया था मैने अगर अब थोड़ा सा भी लेट करती ना तू श्रिया तो हम दोनों की शामत आनी थीं।"
श्रिया _ बस कर मेरी मां कितना बोलेगी तु... में ठीक हु और मेरा फोन स्विच ऑफ हो गया थ।
स्मृति _ अच्छा कहा थीं पूरी रात?"
यह सुनकर श्रिया गभरा सी जाती हैं लेकिन खुद को नॉर्मल कर बोली वो में वो... में...
स्मृति _ क्या में में? ठीक से बोल कहा थी तुम?
वह बोल ही रही थी कि श्रिया अचानक से बोली मेरी न्यूज बाद में कवर करना पहले मुझे फ्रेश होने दे कही पापा आ गए थे और उन्होंने मुझे इस हालत में देख लिया तो।"
स्मृति _ हा यार पहले फ्रेश हो जा पहले भी अंकल आ चुके थे और मैने उन्हें झूठ बोल दिया था कि तुम सो रही हों जाओ जाओ फ्रेश हो जाओ वहीं श्रिया भी जल्दी से वहां से फ्रेश होने चली जाती हैं ।
श्रिया वॉशरूम में शॉवर के नीचे नेक्ड खड़ी थी पानी की बुंदे उसके शरीर पर मोती की तरह फिसल रही थीं उसे जो दर्द हो रहा था जिसे वह कबसे संभाले हुए थीं वह जैसे यहां आते ही आंसू बनकर उसकी आखों से निकल ने लगे थे।
"My first touch of intimacy was with someone I barely knew..!
श्रिया अपना हाथ अपने निचले हिस्से की तरफ ले जाती हैं जहां कल रात का वो दर्द उसे याद आ रहा आह्ह कितना निर्दय था वो आदमी इतना वाइल्ड जिसे में सह भी नहीं पा रही थी मुझ नाजुक सी लड़की का क्या हाल कर दिया उस मॉन्स्टर ने हुह.. और वह गुस्से में आईने के सामने देख बोली
तुम जो कोई भी हो फिर कभी मत मिलना मुझे मेरी लाइफ में दोबारा वैसे भी मैने कहा उसे देखा था?"
लेकिन फिर भी शीशे की तरफ अपनी उंगली दिखा कर कभी भी मत मिलना।"
वही दूसरी तरफ........
एक आदमी शॉवर के नीचे नेक्ड खड़ा हुआ था उसके दोनों हाथ दीवार पर सटे हुए थे।
वह अपनी काली गहरी आंखों से शीशे में देख रहा था उसकी आँखें हल्की लाल हो रखी थी।
वह गुस्से में एक एक शब्द चबाते हुए बोला मुझे उस कुछ नोट की गड्डी रख गई थीं समझ क्या रखा था कोई मामूली सा आदमी जो पेसो के लिए किसी लड़की के साथ सो गया था और पैसे छोड़ भाग गई वहां से।
वह आदमी अपनी आंखें बंद कर लेता है शॉवर का ठंडा पानी उसके मस्कुलर बॉडी ओर फिसल रहा था उसके वो एब्स, उसके कंधे पर वो बना ड्रैगन का टैटू चमक रहा था जिससे वह और ज्यादा खतरनाक, हॉट लग रहा था।
जिसे देख कोई भी उस पर दीवाना हो जाए।
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वहीं श्रिया नहा कर रेडी होकर बाहर ब्रेकफास्ट के लिए जाती हैं जहां स्मृति और उसके पापा आशुतोष जी बैठे हुए उसका ही इंतजार कर रहे थे उसे आता देख आशुतोष जी बोले..
आशुतोष जी_ गुड मॉर्निंग श्रिया कल क्या ज्यादा ही थक गई थी जो इतनी देर लगी तुम्हें?
श्रिया बैठते हुए।
श्रिया _ पापा वो घूमते घूमते थक गई थी में कुछ ज्यादा ही इसीलिए मेरी आंख ही नहीं खुली सुबह जल्दी।
आशुतोष जी _ हम्म वैसे अपनी पैकिंग कर लो आज ही हम निकल रहे हैं इंडिया के लिए 1 बजे की फ्लाइट है हमारी 12 बजे से पहले रेडी रहना।
यह सुनकर श्रिया के आंखों में चमक आ जाती हैं वह भी तो यहां से जल्द से जल्द इंडिया लौट जाना चाहती थी उसे डर था कही वह उस आदमी से फिर से ना मिल जाए और वह ऐसा चाहती नहीं थी वह अपने चेहरे पर आई खुशी को छुपा लेती हैं और दुःखी एक्सप्रेशन के साथ बोली पापा इतनी जल्दी क्या एक दो दिन रुक नहीं सकते उसके यह बदलते एक्सप्रेशन स्मृति ने देख लिए थे।
आशुतोष जी _नहीं हमारा काम यहां खत्म हो चुका होगा और एक दो दिन की वजह से हमारे काम का नुकसान भी हो सकता है और ये मुझे गवारा नहीं।
इतना बोल वह अपना ब्रेकफास्ट खत्म कर चले जाते है उनके जाते है स्मृति बोली।
स्मृति _ तुम इतनी खुश क्यों हो रही थी तुम तो रुकना चाहती थीं ना यहां और घूमना चाहती थीं मुझे पता है तुम्हे कितना पसंद है घूमना फिरना और अब इंडिया जाने की बात से ही इतना खुश हो गई कल तक तो जैसे जाना भी नहीं चाहती थी।
श्रिया _ में कहा खुश हु? लेकिन मेरे कहने ना कहने से पापा को क्या ही फर्क पड़ता वो मेरी बात वैसे भी नहीं मानते दुःखी होने से अच्छा जाने की खुशी ही मना लू ।
स्मृति उसी अजीब तरीके से देखने लगती है।
श्रिया _ मुझे ऐसे घूरने से अच्छा होगा कि जल्दी से ब्रेकफास्ट कर लो हमें पैकिंग भी करनी हैं ।
फिर दोनों बिना कुछ बोले अपना अपना ब्रेकफास्ट करने लगती हैं।
दूसरी तरफ..........
वीआईपी लाउंच......
वीआईपी लाउंच में एक इटालियन मॉडल बैठी हुई थीं जिसका नाम जूलियाना था वहीं जो कबसे यहां बैठी एक शक्श का बेसब्री से इंतजार कर रही थी इंतजार करते हुए उसे आधे घंटे से ज्यादा हो चुका था लेकिन वहां किसी का नामों निशान नहीं था।
जूलियाना फ्रस्टेड हो चुकी थी वह वहां जोर से बोली।
जूलियाना _ मैं किसी का इंतज़ार नहीं करती लेकिन यहाँ काफ़ी देर से हूँ और तुम्हारे बॉस अब तक नहीं आए याद रखना लोग मुझसे मिलने का इंतज़ार करते हैं न कि मैं उनका।"
"I do not wait for anyone, yet I’ve been here long enough, and still your boss has not arrived Remember, people wait to meet me not the other way around."
वही सिद्धार्थ जो अभी अभी अंदर आया था उसकी यह बात सुनकर उसे हंसी आ जाती है जो वह कंट्रोल नहीं कर पाता और हंसते हुए really?"
सिद्धार्थ _ मिस जूलियाना आप जिसकी बात कर रही हैं ना उनसे मिलने के लिए लोगों को महीने पहले अपॉइटमेट लेना होता है तब जाकर वे लोग हमारे बॉस से मिल पाते है और कल आप को पता ही आप मिलने के लिए क्या कर रही थी आप पर मैने तरस खा कर हा बोल दिया था वो भी बॉस से थोड़ा झूठ बोलकर और अपने मन में... और पता नहीं इस लड़की ने क्या कर दिया जिससे बोस इतना भड़क चुके हैं है गुस्सैल आदमी को और ज्यादा भड़का दिया है अगर पता चल गया उन्हें तो मेरी शांत सी जिंदगी पगले से ही अशांत है अब इस पागल लडकी की वजग से में ना फंस जाऊ अरे यार किस मनहूस घड़ी में इसे मैने हा कह दिया था।
वह सोच ही रहा था कि इतने में दरवाजा खुलता है और एक बेहद हैंडसम आदमी जिसकी हाइट क़रीब 6’4 थी दिखने में जितना हैंडसम उतना ही खतरनाक लग रहा था।
वही उसके आते ही सिद्धार्थ अपना सिर झुका लेता है जूलियाना जो इतना बोल रही थी उसे देख उसकी बोलती भी बंद हो चुकी थीं अब वह शक्श चलते हुए वहां बैठ जाता है एक टांग पर पैर रखकर और अपनी काली गहरी आंखें से जूलियाना को घूरने लगता हैं उसकी आँखें लाल हो रखी थी ।
वह शक्श अपनी भारी आवाज में बोला सिद्धार्थ क्या यही वो लड़की है?"
सिद्धार्थ _ यस बॉस यही है वो।
जूलियाना जो अब तक ऐसे खड़ी थी अपने होश में आती है और अपनी ड्रेस को थोड़ा सा खींच कर बोली।
जूलियाना _ हेलो में जूलियाना रोसी हु यहां की सबसे फैमस मॉडल आपने मेरे बारे में ज़रूर सुना होगा।"
शक्श बिना किसी एक्सप्रेशन के ...
शख़्स _ मैं फालतू न्यूज और सस्ते मैगज़ीनों में छपने वाले चेहरों की खबर नहीं रखता।
तुम कहती हो मॉडल हो? तो क्या? आधी दुनिया कैमरे के सामने कपड़े उतारकर खड़ी हो जाती है अगर यही तुम्हारी पहचान है तो तुम्हें खुद पर शर्म आनी चाहिए याद रखना यहाँ तुम्हारा नाम या शोहरत किसी काम की नहीं।
मेरे सामने तुम सिर्फ़ एक आम लड़की हो जिसकी अहमियत उतनी है जितनी सड़क पर पड़े एक बेकार कागज़ की।"
जूलियाना अपनी बेइज्जती होता देख बोली।
जूलियाना_तुमने ही तो मुझे बुलाया था और अब मेरी बेइज्जती कर रहे हो? तुम जानते नहीं हो मेरे पीछे कौन है!”
वो अभी अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाई थी कि जो शख़्स अब तक बिल्कुल शांत ठंडे अंदाज़ में बैठा था अचानक से उठ खड़ा हुआ उसकी आँखों में इतनी ठंडक थी कि जूलियाना का दिल एक पल को थम-सा गया उसके हाथों में पहने ब्लैक ग्लव्स चमक रहे थे।
एक पल में उसने आगे बढ़कर जूलियाना के घने बालों को बेरहमी से पकड़ लिया और पूरे ज़ोर से उसका सिर सामने रखी टेबल पर दे मारा।
जूलियाना चीख पड़ी आह्ह्ह ..!!
खून की हल्की बूंद उसके होंठ के किनारे से बह निकली।
पीछे खड़ा सिद्धार्थ सब देख रहा था उसकी आँखों में जरा भी हैरानी नहीं थी मानो उसे पहले से पता हो कि यही होना है उसके होंठों पर हल्की सी मुस्कान थी।
सिद्धार्थ दो टके की लड़की... द ग्रेट अरण्य सिंघानिया से जुबान लड़ाएगी?”
अरण्य ने जूलियाना का चेहरा फिर से टेबल पर दबाते हुए ठंडी, नफ़रत भरी आवाज़ में कहा ।
अरण्य _कल तूने पैसे फेंककर जो मेरी बेइज्जती की थी... उसका हिसाब आज मिलेगा।
तू ही थी ना... वही घटिया चाल चलने वाली लड़की?नअब समझ आया किससे पंगा लिया है?”
जूलियाना की आँखों से आँसू बह रहे थे वो तड़पते हुए बोली
जूलियाना_म-मुझे माफ़ कर दो मैं बस तुमसे मिलना चाहती थी कल मुलाक़ात नहीं हो पाई थी आज पहली बार तुमसे मिल रही हूँ।”
लेकिन अरण्य के चेहरे पर कोई रहम नहीं था उसकी आँखों में सिर्फ़ नफ़रत गुस्सा था।
जूलियाना _ गलत... कोई गलत फेमी हुई है में में वो लड़की नहीं हु छोड़ दो मुझे में पैर पड़ती हु तुम्हारे ..." आह्ह्ह
अरण्य एक नजर उसे देख छोड़ देता है और गुस्से से
अरण्य _ सिद्धार्थ अगर यह नहीं तो कौन थी वो लड़की जिसने अरण्य सिंघानिया से पंगा लेने की हिम्मत करी या फिर जानबूझकर किया हैं जितना जल्दी हो सके पता लगाओ।
अरण्य ने पहने हुए ग्लव्स वह जूलियाना के मुंह पर फेंक देता है और वहां से चला जाता हैं वहीं सिद्धार्थ भी एक नजर उसे देख वहां से निकल जाता हैं।
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श्रिया और स्मृति एक कार में थे वहीं आशुतोष जी दूसरी कार में थे दोनों गाड़िया मिलान की सड़कों पर तेजी से आगे बढ़ रही थी एयरपोर्ट के जाने के लिए।
श्रिया खिड़की खोल कर बाहर के नज़ारे को देख रही थी उसे जाने का मन हो भी रहा था और नहीं भी स्मृति उसे एक नजर देखती है और बोली।
स्मृति _ मुझे पता है तुम्हारा जाने का बिल्कुल मन नहीं है बचपन से साथ हु तेरे मन में कब क्या चलता है मुझे भी पता चल जाता हैं।
श्रिया उसकी बात सुनकर मुस्कुरा देती है आखिर उसे भी पता था उसकी सहेली कम बहन ज्यादा थी वो।
उनकी गाड़ी सिग्नल पररुकती हैं श्रिया अपना चेहरा बाहर कर बाहर से आती ठंडी हवा को महसूस कर रही थीं ।"
वही दूसरी लेन में एक महंगी ब्लैक कलर की कार आकर रुकती हैं जो किसी और की नहीं अरण्य की कार थीं अरण्य अपनी ब्लैक विंडो वाली कार में गहरी नज़रें टिकाए बैठा था बाहर से कोई भी अंदर देख नहीं सकता था लेकिन अंदर से बाहर साफ साफ देखा जा सकता था।
तभी उसकी नज़र अपोजिट लेन में खड़ी एक कार पर गई।
उस कार की विंडो से एक लड़की ने अपना चेहरा हवा की ओर झुका रखा था उसके बालों को हवा लहरों की तरह उड़ा रही थी बस वही पल था जब अरण्य के दिल में अजीब सी हलचल उठी जैसे कुछ उसे खींच रहा हो जैसे उसकी नज़र उसी पर रुक जानी चाहिए।"
वह देख ही पाता ठीक से उसका चेहरा की उससे पहले अचानक बीच में एक बड़ी SUV आकर रुक गई उसने देखने की कोशिश की लेकिन कुछ नज़र नहीं आया।
पता नहीं क्यों अरण्य के अंदर बेचैनी सी होने लगी वह खुद से ही मुझे आखिर ऐसा क्यों हो रहा है में तो ऐसा नहीं हु और खासकर लड़कियों के मामले में तो कभी नहीं।
इतने में सिग्नल ग्रीन हो गया और उसकी गाड़ी आगे बढ़ गई वह देखने की कोशिश करता है लेकिन कार वहां से जा चुकी थी।"
उसकी आँखें अब भी तलाश रही थीं दिल की धड़कनें तेज़ हो चुकी थीं गुस्से से उसके होंठों से निकला।
अरण्य _ “F*cking shit… what the hell!”
अरण्य फिर से ड्राइवर पर तेज़ आवाज़ में झल्लाकर कहा,
अरण्य _Drive faster, damn it Don’t you get it? Move!”
उसके ऐसे बर्ताव से आगे बैठा सिद्धार्थ भी शोक में आ गया था आखिर उनके बॉस को अचानक क्या हो गया आखिर क्यों इतना गुस्सा कर रहे है उसे लगा शायद वह उस लड़की की वजह से अब भी गुस्से में था वह ड्राइवर को गाड़ी तेज चलाने का इशारा करता है।
सी
ड्राइवर भी उसका इशारा समझ चुका था।
गाड़ी ने झटके से स्पीड पकड़ ली लेकिन अरण्य का गुस्सा और बेचैनी दोनों कम नहीं हुए उसे लग रहा था जैसे उसने अभी-अभी अपनी ज़िंदगी का सबसे बड़ा मौका गँवा दिया हो… कुछ ऐसा जो देखा भी नहीं फिर भी उसकी नसों में ज़हर बनकर दौड़ रहा था।
Malpensa airport (MXP) ........
दो गाड़िया Malpensa airport के टर्मिनल-1 के ड्रॉप-ऑफ ज़ोन पर आकर रुकती हैं जिसमें से पहले श्रिया और स्मृति उतरी फिर पीछे से आशुतोष जी और आशुतोष जी के असिस्टेंट बाहर निकलते हैं उनकी फ्लाइट थीं इंडिया की ।
आशुतोष जी ने गहरी साँस ली और अपने असिस्टेंट की ओर देखते हुए कहा।
आशुतोष जी _चलो चेक-इन जल्दी करते हैं हमारी फ्लाइट इंडिया की है और बिज़नेस क्लास बोर्डिंग है टाइम बर्बाद करने का मूड नहीं है।”
असिस्टेंट ने तुरंत आगे बढ़कर गाइड किया।
असिस्टेंट _सर यहाँ से चेक-इन काउंटर तक hardly 10–15 minutes लगेंगे उसके बाद सिक्योरिटी और पासपोर्ट कंट्रोल मिलाकर लगभग 30–35 minutes और लग सकते हैं बिज़नेस क्लास के लिए फास्ट ट्रैक है तो ज्यादा देर नहीं होगी कुल मिलाकर एक घंटे से कम में हम lounge तक पहुँच जाएंगे।”
स्मृति _तो boarding तक कितना वक्त है?”
असिस्टेंट ने टिकट पर एक नज़र देख कर कहा ।
असिस्टेंट _फ्लाइट में अभी लगभग ढाई घंटे हैं मिस सैफ साइड से हमारे पास आराम से 1.5–2 घंटे का बफर होगा बोर्डिंग स्टार्ट होने से पहले हम बिज़नेस लाउंज में सैटल हो सकते हैं।”
श्रिया _परफेक्ट चलो फिर।”
सब लोग अपने हैंडबैग और ट्रॉली लेकर टर्मिनल के अंदर से आती रोशनी और लंबी लाइनों में आगे बढ़ जाते है।
चेक-इन और सिक्योरिटी क्लियर करने के बाद सब लोग बिज़नेस क्लास लाउंज से सीधे अपनी India bound flight की ओर बढ़े लाउंज से निकलते ही एयरब्रिज से गुजरते हुए उनका वेलकम एयर होस्टेस ने किया और उन्हें बिज़नेस क्लास की कंफर्टेबल सीटों तक पहुँचाया गया।
सीट पर बैठते ही श्रिया ने गहरी साँस ली और मुस्कुराते हुए कहा।
श्रिया _Finally… अब आराम मिलेगा ये रश तो हमेशा ही सिर चढ़ जाता है।”
स्मृति ने सीट बेल्ट लगाते हुए खिड़की से बाहर झांका रनवे पर खड़ी लाइट्स से भरी गाड़ियाँ और फ्लाइट्स चमक रही थीं।
स्मृति _पता है श्री अगली बार जब हम यहाँ आएँगे ना तो सिर्फ ट्रांज़िट में नहीं तब हम यहां ज्यादा दिन रुकेंगे, घूमेंगे, शॉपिंग करेंगे और वो फेमस इटालियन फूड भी खाएँगे जो हमने इस बार मिस कर दिया।
श्रिया _ Exactly इस बार तो ज्यादा दिन रुक ही नहीं पाए अगली बार पूरा मज़ा लेंगे Pasta, pizza, gelato सब असली taste में ।
दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा और हँस दीं।
थोड़ी देर में फ्लाइट रनवे पर दौड़ पड़ा और हवा में ऊँचाई पकड़ लेता है एयर होस्टेस ने आकर वॉर्म टॉवेल और वेलकम ड्रिंक्स सर्व की बिज़नेस क्लास की spacious सीटें धीरे-धीरे बेड में बदल गईं।
असिस्टेंट ने टाइमिंग समझाते हुए कहा।
असिस्टेंट _ सर flight duration लगभग 8 घंटे 30 मिनट का है टाइम डिफरेंस की वजह से हम local time के हिसाब से सुबह तक पहुँच जाएंगे।”
आशुतोष जी ने सिर हिलाया और सीट recline कर ले लिया।
स्मृति और श्रिया भी आराम से सेटल हो गई थीं।
खिड़की से बाहर अंधेरे में चमकते बादलों और नीचे जगमगाती लाइट को देखते हुए उनकी बातें धीरे-धीरे ख्वाबों में बदल चुकी थी।
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लखनऊ......
आहूजा हाउस........
एक औरत जिनकी उम्र करीब 43 साल के आस पास लग रही थी जिनका नाम नवेशा आहूजा था जो कि श्रिया की मम्मी थीं वह बाहर की तरफ देखते हुए ।
नवेशा जी _ अब तक तो आ जाना चाहिए था कहा रह गए है ये लोग पता नहीं क्यों इन्हें इतना टाइम लगा है आने में।
उन्हें ऐसे देख पास में ही बैठी उनकी सास जिनका नाम सरस्वती आहूजा था वे बोली
सरस्वती जी _ अरे आ जायेगे बहु इतनी चिता क्यों कर रही हो बच्चियां अकेले थोड़ी है हमारा बेटा है उनके साथ।
नवेशा जी _ क्या करु मां जी कल बात हुई थी ओर श्रिया ने कहा था इंडिया पहुंचते ही फोन करेगी बस इसलिए।
तभी उनके ससुर यानि कि कमल आहूजा आते हैं जिन्हें देख नवेशा जी अपना पल्लू संभाल लेती है ।
कमल जी आकर सरस्वती जी के पास मुझे बैठते हुए बोले।
कमल जी _ क्या हुआ किस बात की किसको चिता हो रही हैं आप दोनों को?"
सरस्वती जी _ कुछ नहीं बस आपके बेटे और आपकी पोती की बात चल रही है वह आए नहीं इसीलिए परेशान हैं।"
उनकी बात सुनकर कमल जी हंसते हुए बोले।
कमल जी _ इतनी जल्दी क्यों परेशान हो जाती हो बहु हमारी बात हुई है आशुतोष से आ रहे हैं वो अभी रास्ते में हैं।
उनकी बात खत्म भी नहीं हुई थी कि इतने में गाड़ी का हॉर्न सुनाई देता हैं उसमें से आशुतोष जी और श्रिया बाहर निकलते है स्मृति को आशुतोष जी के असिस्टेंट ने घर छोड़ दिया था दोनों घर के अंदर आते हैं वहीं सर्वेंट उनका लगेंज लेकर आ रहे थे।"
श्रिया दौड़ते हुए नवेशा जी के गले से लग जाती हैं और बोली।
श्रिया _ i Miss you mamma!
नवेशा जी उसके माथे को चूम कर बोली
नवेशा जी _ i Miss you too बच्चा..
सरस्वती जी _ अच्छा सारा प्यार और मिस किया सिर्फ अपनी मां को किया और आपकी दादी का क्या उनकी याद नहीं आई ह्म्म जाओ हम आपसे बात नहीं करते।
उन्हें ऐसा करता देख वहां पर सभी हंस देते हैं वहीं सीढ़ियों से उतर रही लड़की जिसके चेहरे पर अब तक मुस्कान थी वह नीचे देखकर एक पल के लिए गायब हो जाती हैं लेकिन फिर भी अपने चेहरे पर मुस्कान लाते हुए वह नीचे की तरफ बढ़ने लगती हैं।"
श्रिया अपनी दादी के पास जाकर उनके गले से लगते हुए बोली ।
श्रिया _ दादी आप को में कैसे भूल सकती हु उनके गाल खींचते हुए देखिए ना आप कितनी सुंदर हो गई सच सच बताइए आपने मुझसे छुपकर कौनसी क्रीम लगाई है जिससे आप मुझसे भी सुंदर हो गई है?"
सरस्वती जी _ हा हा ये मस्के हमें मत लगाओ सब समझ रहे हैं हम और आपसे सुंदर कोई नहीं हैं हमारी परी आपके खूबसूरती का कोई जवाब नहीं है समझी आप।
उनकी बात पर श्रिया और नवेशा जी मुस्कुरा देती हैं सच में उसकी खुबसूरती का कोई जवाब नहीं था इतना सुंदर थी श्रिया वहीं वहां श्रिया की बड़ी बहन आती है जिसका नाम था महिरा आहूजा जो कि उससे 3 साल बड़ी थीं वह अपनी दादी की बात सुनकर फीकी सी हंसी हस देती हैं।
वह भी सुंदर थी लेकिन अपनी बहन से कम और जितने भी उसकी तारीफ कर रहे होते है वह लोग जब श्रिया को देख लेते थे तो हमेशा उन दोनों का कंपैरिजन होता था और हर कोई कहता था आपकी छोटी बेटी बहुत सुंदर है आपकी बड़ी बेटी से भी ज्यादा और यही बात कब से वह सुनती आ रही थी जिसके उसके दिल में अपनी ही छोटी बहन से जलन पैदा होने लग गई थी यहां तक कि सभी घरवाले भी उसे ज्यादा प्यार करते थे।
महिरा को आया हुआ देख श्रिया उसके पास जाकर हग करती है महिरा भी उसे हग करती हैं और बोली कैसी रही तुम्हारी इटली की ट्रिप?
श्रिया मुंह बनाते हुए धीरे से बोलती है।
श्रिया _ क्या वह ट्रिप मजेदार भी होनी चाहिए ना जिद करके साथ गई है बड़ी मुश्किल से भाई ने पापा को मनाया था वह भी उनकी बिज़नस ट्रिप थी ऐसे में हम क्या ही मजे कर सकते थे।
महिरा ने उसकी बात सुन ली थी और वह उसे हंसते हुए देख रही थीं वही श्रिया अपने होठ दबा देती हैं और आंखों से इशारा करती है कि वह उनके पापा को ना बताए जो कुछ भी उसने अभी कहा था वहीं महिरा उसका इशारा समझ कर अपना सिर हिला देती हैं।
रात के वक्त..................
श्रिया अपना रूम में अपने लैपटॉप को गोद में लेकर बैठी हुई थी और उसके हाथ में फोन था वह स्मृति से बात कर रही थीं।
श्रिया _कल हमारा कॉलेज का फर्स्ट डे है तुम्हें एक्साइटमेंट हो रही है या सिर्फ मैं ही नर्वस हूँ?”
स्मृति_मैं भी एक्साइटेड हु तैयारी तो थोड़ी हाफ रेडी है पर कोई बात नहीं बस सुबह देख लेंगे सब मैनेज हो जाएगा और तुमने?"
श्रिया मुस्कुराई और अपने लैपटॉप पर कुछ स्क्रॉल करती हुई बोली।
श्रिया _में देख लूँगी वैसे babe मुझे कोई रोमांटिक मूवी रिकमेंड कर दो ना कुछ दिल छू लेने वाली।”
स्मृति _अरे तुमने 365 Days movie देखी है किसी और ने भी बताया था मैं ने अभी तक नहीं देखी लेकिन सुनने में तो बहुत रोमांटिक और वर्थ वॉचिंग लगती है।”
श्रिया ने curiosity से आँखें बड़ी कीं और बोली।
श्रिया _ओह ठीक है वो ट्राई करूंगी वैसे तुम कौन सी movie देख रही हो अभी?”
स्मृति _मैं कुछ मज़ेदार और लाइट वॉचिंग मूड वाली मूवी ही देख रही हूँ लेकिन सीरियसली 365 Days तुम्हें देखनी चाहिए वैसे भी तुम्हे रोमांटिक मूवी बहुत पसंद है I am sure तुम्हे पसंद आएगी वो।"
कुछ देर दोनों ने हँसते हुए बातें कीं फिर श्रिया ने फोन थोड़ी सी धीरे से रखा और बोली ।
श्रिया _ ओके मैं लैपटॉप पर मेरा आधा बचा हुआ ड्रामा देख लेती हूँ कल के लिए रेडी रहना और कल फिर सारी updates देंगे।”
बाय बोलकर दोनों ने फोन रख दिया।
श्रिया ने लैपटॉप थोड़ा साइड में किया और खिड़की से बाहर देखते हुए सोचने लगी कि कल कॉलेज का पहला दिन कितना मज़ेदार और कलरफुल होने वाला है।
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कॉमेंट करना ना भूले और स्टोरी कैसी है वो भी बता दो!
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अगली सुबह............
अरे जल्दी उठो कॉलेज के पहले दिन ही लेट से जाने वाली को क्या नवेशा जी जो कबसे श्रिया को उठा रही थी लेकिन मजाल है कि वह हिली भी हो।
श्रिया नीद में ही बड़ बड़ा रही थी अरे रुको मेरी मुझे अकेला छोड़ कहा जा रहे हो अरे मेरा खाना मुझे शॉपिंग करनी है और ना जाने क्या क्या।"
नवेशा जी अपने माथे पर हाथ रख देती हैं।
नवेशा जी _ पता नहीं यह लड़की क्या बडबडा रही है नीद में कॉलेज का पहला दिन है आज के दिन भी देर से उठने वाली हो वह फिर एक बार जोर से चिल्ला देती हैं श्रिया.... अपने उठ भी जाओ वरना तुम्हारे पापा को बुलाउ तुम्हे उठाने के लिए।
श्रिया जल्दी से उठ बैठती हैं और अपनी आंखे मसलते हुए क्या हुआ यार मम्मा चेन से सोने भी नहीं देती हैं कितना जुल्म होता हैं इस मासूम सी लड़की पर यहां ।"
नवेशा जी उसे घूरकर देखने लगती हैं और उसकी ऐसी बाते सुनकर बोली।
नवेशा जी _ अच्छा जी जुल्म होता हैं यहां रोज कौन लेट उठता हैं रात को देर रात जगने के बाद देर से उठना बस यही काम होता है आपका राजकुमारी जी।
श्रिया मासूम सा चेहरा बनाकर मुस्कुराते हुई बोली।
श्रिया _ में राजकुमारी तो हु ना आपने सही कहा अब इसी राजकुमारी की और सोने की इच्छा है चलिए जाइए सेविका यहां से हमें और सोना है हमें परेशान मत करिए ।
नवेशा जी _ सेविका की बच्ची रुक अभी बताती हु तुम्हे में।
श्रिया जल्दी से उठ खड़ी होती हैं और बेड से कूद कर बाथरूम की तरफ जाते हुए बोली।
श्रिया _ जा रही हु यार मम्मा गुस्सा मत करो ना आप मेरा टेस्टी सा ब्रेकफास्ट रेडी रखना।
इतना बोल वह बाथरूम में घुस कर दरवाजा बंद कर देती हैं नवेशा जी अपना माथा पीट लेती है वह उसका बिखरा हुआ बेड सही कर वहां से चली जाती हैं।
कुछ मिनिटों बाद.....
श्रिया नहाकर आ चुकी थी और जल्दी जल्दी रेडी होने लगती है सच ही कहा था नवेशा जी ने अगर वह कुछ देर और सोई रहती तो पक्का आज वह कॉलेज के पहले दिन ही लेट हो जाती।"
श्रिया आईने के सामने खड़ी हुई एक बार फिर से अपने आप को देख रही थीं सब कुछ सही है कि नहीं।
उसने हल्की स्काई ब्लू डेनिम जींस पहनी थी साथ में वाइट स्टीन शर्ट जिसकी स्लीव्स उसने हल्के से मोड़ रखी थीं गले में एक डेलिकेट सिल्वर चेन और हाथ में स्मार्ट वॉच बाल खुले थे हल्के वेव्स में झूलते हुए उसके कंधों पर आ रहे थे।
चेहरे पर सिर्फ हल्की रेड लिप बाम वैसे तो उसके रेड चेरी जैसे होठों को उसकी भी जरूरत नहीं थी लेकिन फिर भी वह लगा लिया करती थीं।
पैरों में व्हाइट स्नीकर्स और हाथ में उसका टेन लेदर स्लिंग बैग उसका पूरा लुक सिम्पल मॉडर्न और क्लासी लग रहा था।
वह अपने आप को देख ही रही थी कि इतने में दरवाजे पर आवाज आती है।
श्रिया _ आजाइए दरवाजा खुला है ।
उसके कहते ही दरवाज़ा खुलता है और उसका बड़ा भाई जिसका नाम था उत्कर्ष आहूजा वह अंदर आता हैं उसे आता देखकर श्रिया भी दौड़कर जाती है और उससे गले से लगकर बोली।
श्रिया _ भाई आप कहा थे कल मम्मा ने बताया कि किसी प्रोजेक्ट के सिलसिले की वजह से आप ऑफिस में ही रुक गए थे।
उत्कर्ष ने उसकी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए कहा।
उत्कर्ष _हाँ थोड़ा ज़रूरी काम था आजकल परफ्यूम और क्लोथिंग वाले प्रोजेक्ट में काफी दबाव है।
हमारी कंपनी ‘बंसल ग्रुप ऑफ डायमंड एंड डिज़ाइन’ के साथ कॉलेब करना चाहती हैं हमारे स्टेट में तो वो पहले से फेमस और काफी बड़ी है पूरे इंडिया में भी उसका नाम है बस उसी काम में उलझा था।”
श्रिया _आजकल आप हमेशा यही बोलते हो काम;काम और बस काम ।
उत्कर्ष_अरे बस कुछ दिन की बात है, फिर सब नॉर्मल हो जाएगा छोड़ो ये सब ये बताओ इटली में मज़ा आया कि नहीं?”
श्रिया ने मुँह बनाते हुए कहा ।
श्रिया_हू कुछ नहींbआपने बात तो की थी लेकिन मज़ा ही नहीं आया इटली में ... मैं और स्मृति ठीक से एंजॉय भी नहीं कर पाए कितना सोचा था कॉलेज शुरू होने से पहले मज़े करेंगे लेकिन सब काम में निकल गया।”
वह उदास होकर नीचे देखने लगी उत्कर्ष ने हँसते हुए आगे बढ़कर उसके गाल पकड़ लिए ।
उत्कर्ष _बस कर न मिस ड्रमैटिक मेरा काम खत्म होते ही हम कहीं घूमने चलेंगे ठीक है जितना घूमना है उतना घूम लेना।”
श्रिया _सच में भाई?”
उत्कर्ष _हाँ भई पक्का वादा अब चलो कॉलेज नहीं जाना क्या और हाँ पहले ब्रेकफास्ट कर लो।”
श्रिया _ ओके भाई।
दोनों हँसते हुए नीचे की ओर चल दिए।
श्रिया ब्रेकफास्ट कर कॉलेज के लिए निकल जाती हैं।
Lucknow Institute of business & commarce ( LIBC ) .........
लखनऊ उत्तर प्रदेश की राजधानी जिसे इसे नवाबों का शहर कहा जाता है यह शहर अपनी तहज़ीब, अदब, और मेहमाननवाज़ी के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है।
गोमती नदी के किनारे बसा यह शहर आधुनिकता और परंपरा का सुंदर संगम है जहाँ पुराना लखनऊ अपनी मिट्टी की खुशबू लिए हुए है ।
श्रिया की कार कॉलेज के गेट पर पहुँच गई।
गेट के पास स्मृति खड़ी अपने बैग को हल्का सा घुमा रही थी ।
स्मृति ने लाइट वॉश डेनिम जीन्स, ऊपर हल्की पीच कलर की शर्ट, और सफेद स्नीकर्स बाल सीधे और कंधों तक खुलकर गिर रहे थे उसके कानों में छोटे स्टडी एसेसरीज़ वाले इयररिंग्स थे और हाथ में वह अपना ब्लैक बैकपैक पकड़े हुए थी।
जैसे ही उसने श्रिया को देखा उसकी आँखों में खुशी चमक उठी। वह तुरंत मुस्कुराई और हाथ हिलाकर बुलाने लगी।
स्मृति _ Finally आ गई तुम।
श्रिया ने भी मुस्कुराते हुए उसका हाथ पकड़ा और दोनों साथ में कॉलेज के अंदर बढ़ने लगी।
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श्रिया और स्मृति अंदर की तरफ बढ़ जाती हैं दोनों हंसते हुए अंदर की तरफ जा रही थीं आस पास कई सारे स्टूडेट्स थे उन दोनों को वहां पर कई सारे स्टूडेट्स देख रही थीं दोनों थी ही दिखने में सुंदर और खासकर श्रिया की जोकि उन सबसे कई ज्यादा सुन्दर थीं लड़के छोड़ो आसपास की लड़कियां भी उसे देख रही थी दोनों सबको इग्नोर कर श्रिया और स्मृति सीधे बी.कॉम फर्स्ट ईयर की क्लास की तरफ बढ़ीं।
एक लड़का बोला।
लड़का _ यार क्या लड़की है दोनों इनको देख तो लग रहा है जैसे आजतक जो हमने खूबसूरत लड़कियां देखी थी वह तो इनके सामने कुछ भी नहीं थी।
दूसरा लड़का _ सच कहा अरे उस व्हाइट वाली के तो क्या कहने पहली नजर में ही दिल घायल कर दे।
दूसरी तरफ क्लास में........
क्लासरूम में पहुँचते ही दोनों ने देखा कि कुछ स्टूडेंट्स पहले से ही अपनी सीटों पर बैठे थे।
श्रिया ने अपनी सीट के पास जाते हुए देखा कि एक लड़की जिसका नाम ईशा था जोर-जोर से अपने बारे में तारीफ कर रही थी।
ईशा_ सच में मैं इस कॉलेज में सबसे स्टाइलिश , सुंदर और स्मार्ट स्टूडेंट हू ।
लेकिन जैसे ही ईशा की नज़र श्रिया पर पड़ी उसका चेहरा अचानक गंभीर हो गया हल्की जलन उसके हाव-भाव में साफ़ झलक रही थी।
ईशा_ओह… ये कौन है?”
उसकी बात सुनकर उसके पास की बैठी लड़कियां भी उस तरफ देखने लगती हैं।
श्रिया और स्मृति ने क्लास में आकर बैठ जाती हैं श्रिया ने मुस्कुराते हुए स्मृति की ओर देखा और दोनों आराम से बैठ गईं क्लास शुरू हुई और प्रोफेसर ने सबका introduction लिया गया क्लास खत्म होते ही जब सब लोग बाहर निकलने लगे।
ईशा के चेहरे पर जलन साफ देखी जा सकती थी वह उसे सुनाते हुए बोली।
ईशा _ चलो देखेंगे तुम्हें यहाँ टिकना easy नहीं होगा।
श्रिया ने हल्की मुस्कान के साथ indirectly जवाब दिया।
श्रिया _अरे किसी को प्रूव करने की जरूरत नहीं समय सब बताता है।”
स्मृति ने भी सिर हिलाकर हँस दी और दोनों बाहर निकल गईं।
श्रिया_मुझे तो भूख लगी है चलो कैंटीन चलते हैं।”
स्मृति ने सिर हिलाया और दोनों कैंटीन की तरफ बढ़ीं कैंटीन में हल्की भीड़ थी कुछ लोग पहले से टेबल पर बैठे थे कुछ लाइन में खड़े थेश्रिया और स्मृति एक खाली टेबल की तरफ बढ़ीं और बैठ गई तभी अचानक एक लड़का उनके पास आ गया।
लड़का _Hey girls… new admission?”
स्मृति ने थोड़ी चौंककर बोली ।
स्मृति _अरे अरे हमसे पूछे बिना यहां कैसे बैठ गए ना जान पहचान ऐसे कोई थोड़ी बैठ जाता हैं।
अरे जब बातें होगी तभी तो जान-पहचान होगी वैसे मेरा नाम युग है और मैं बीकॉम फर्स्ट ईयर का स्टूडेंट हूँ।”
श्रिया_ अच्छा तो तुम हमारे ही क्लास के हो?”
युग _हम्म लेकिन पहली क्लास तो मिस हो गई।”
धीरे-धीरे बातचीत बढ़ने लगी युग दिखने में काफी स्मार्ट और हैंडसम था वह काफी फ्रेंडली था और थोड़ी ही देर में दोनों उसके साथ कंफर्टेबल हो चुकी थीं।
युग_मैं कुछ खाने के लिए लेकर आता हूँ ।
स्मृति ने हल्का सा हाथ उठाकर मना कर बोली।
स्मृति _अरे नहीं हमठीक है हम खुद ले लेंगे।
लेकिन युग उसकी बात सुनके भी जैसे इग्नोर कर देता हैं और वह कैंटीन की लाइन की तरफ बढ़ गया जाता हैं।
श्रिया और स्मृति ने एक-दूसरे की तरफ देखा और हँसी रोकते हुए कहा।
श्रिया _पहली ही interaction लगता है ये सेमेस्टर इंट्रस्टिंग होने वाला है।”
स्मृति_ सच में आज तो काफी कुछ ड्रामा देख लिया है।
दोनों ने हँसते हुए युग की ओर देखा जो अब कैंटीन के दूसरे कॉर्नर से खाने के लिए आइटम्स चुन रहा था।
कुछ दिन बीत चुके थे और युग की श्रिया और स्मृति के साथ अच्छी फ्रेंडशिप हो चुकी थी।
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बैंगलोर सिंघानिया मेंशन..........
सिंघानिया मेन्शन एक बेहद शानदार और मॉडर्न हेरिटेज-स्टाइल का बड़ा सा मेंशन था एंट्री गेट से अंदर आते सामने एक विशाल cobblestone ड्राइववे खुलता था जिसके दोनों तरफ खूबसूरत लैंडस्केप्ड गार्डन फैले थे बगीचा इतना बड़ा था कि छोटे-छोटे रास्ते और फाउंटेन के बीच वॉक के लिए परफेक्ट स्पेस था वहाँ ऑर्नामेंटल ट्रीज एग्जॉटिक पौधे और फूलों की बहार थी।
मेन्शन का मुख्य भवन कॉम्बिनेशन था कंटेंपरेरी और क्लासिक आर्किटेक्चर का था बड़ी-बड़ी ग्लास विंडो थी जैसे ही मुख्य दरवाज़ा खुलता था सीधे एक विशाल एंट्री हॉल मे दीवारों पर abstract art और पेटिंग लगी थीं ऊँचे सीलिंग में क्रिस्टल झूमर टंगे हुए थे,जो पूरी जगह को luxuriously illuminate करते थे।
हॉल अपने आप में इतना बड़ा था कि उसमें कई अलग-अलग सीटिंग अरेजमेंट की जगह थी ।
मेन्शन में बड़े बड़े कई सारे रूम थे उन में से एक रूम जो काफी बड़ा था थर्ड फ्लोर पर जहां वही एक रूम था जिसमें मास्टर बेडरूम जिसमें वॉक इन क्लोसेट और लक्जरियस एन सुइट बाथरूम था ।
और थर्ड फ्लोर पर ही लाइब्रेरी स्टडी रूम थे ।
Gym state-of-the-art equipment से लैस था और उसके पास एक mini lounge area भी था।
स्विमिंग पूल आउटडोर था infinity edge के साथ poolside loungers और shaded cabana के साथ पुल एरिया के पास Jacuzzi और स्मॉल आउटडोर बार भी था मेन्शन में स्मॉल एंटरटेंमेंट हॉल था जहां इनडोर गेम्स billiards table और स्मॉल म्यूजिक कॉर्नर थे आउटडोर टेरेस से बगीचे और fountain का view देखने लायक था और terrace पर modern seating arrangement के साथ evening parties या casual gatherings की perfect जगह थी।
कुलमिलाकर सिंघानिया हाउस बेहद शानदार और काफी बड़ा था।
हॉल में एक बुजुर्ग महिला बैठी हुई थीं वह थी गायत्री सिंघानिया अरण्य की दादी जो कि स्वभाव से बेहद चुलबुली और चंचल थी जो अपने उम्र के हिसाब से बिल्कुल भी बर्ताव नहीं करती थी हमेशा हसी मजाक से रहने वाली थी।
गायत्री जी वहा बैठी अपनी पोती जो थी अरण्य की छोटी बहन उर्वी सिंघानिया उसकी तरफ देख बोली।
गायत्री जी _ हम तुमसे कब से कह रहे हैं हमारे पोते को फोन लगाइए लेकिन तुम हो कि फोन कर नहीं रही हो उसके आने पर पक्का डाट पढ़वाएं उनसे तुमको समझी।"
उर्वी _ दादी आप मेरी छोड़ो अपनी सोचिए मुझे पता है आप क्या करने को मुझे कह रही हैं अगर मैने वह काम कर दिया ना तो भाई मुझे छोड़ेंगे नहीं आपको पता है उन्हें झूठ बोलने वाले बिल्कुल पसंद नहीं है आपके साथ मेरी भी क्लास लगेगी।"
गायत्री जी _ हम जैसा कहते हैं वैसा करना होगा वरना हम अरण्य को बता देगे कि तुम झूठ बोलकर अपने दोस्तों के साथ पार्टी में गई थी फिर सोचो क्या होगा।
इतना बोलकर गायत्री जी के चेहरे पर मुस्कान आ जाती हैं जैसे कह रही हो तुम्हे मेरी बात माननी होंगी वरना अच्छा नहीं होगा।"
उर्वी यह सुनकर बोली।
उर्वी _ दादी आप ऐसा कुछ नहीं कर रही हैं समझी।
गायत्री जी _ एक बार फिर से सोच लो।
उर्वी हार मानते हुए बोली ।
उर्वी _ ठीक है ठीक है आप जैसा कहेगी वैसा ही करूंगी लेकिन आगे जो भी होगा उसकी जिम्मेदारी आपकी होगी।
गायत्री जी _ अरण्य को फोन करो और उसे कहो इंडिया आने के लिए अब तो 2 साल होने को आए हैं हमने उसे नहीं देखा क्या उसे कोई चिता है भी कि नहीं अपने परिवार अपने दादी की उसे कहना कि हमारी तबियत ठीक नहीं है और हम दवाई नहीं ले रहे हैं जब तब वह खुद इंडिया नहीं आ जाते तब तक हम दवाई नहीं लेने वाले।"
उर्वी आंखे फाड़े अपनी दादी को देख रही थीं झूठ कैसे बोलने को कह रही थीं उर्वी अरण्य को फोन लगा देती है ।
इटली..........
अरण्य आलीशान से केबिन में बैठा हुआ था उसके सामने सिद्धार्थ जो अभी अभी वहां आकर खड़ा हो गया था वह कुछ बोलता उससे पहले ही वहां रखा उसका फोन बज उठा वह उसे रिसीव कर अपनी दादमदार आवाज में बोलता है।
अरण्य _ हेलो!
उर्वी उसकी आवाज सुनकर डर जाती हैं लेकिन हिम्मत कर बोली ।
उर्वी _ भाई वो दादी की तबियत ठीक नहीं है और वह दवाई लेने से भी मना कर रही है कह रही हैं जब तक आप वापस नहीं आ जाते तब तक वह अपनी दवाई नहीं लेने वाली चाहे जो हो जाए।
उर्वी की बात सुनकर अरण्य गुस्सा हो जाता हैं।
अरण्य _ यह क्या बात हुई भला दादी को फोन दो।
उर्वी गायत्री जी को फोन दे देती हैं वहीं गायत्री जी फोन लेते ही झूठ मुठ का खांसने लगती हैं और वैसे ही बोली।
गायत्री जी _ हेलो...."
अरण्य _ दादी यह क्या जिद है आपकी तबियत ठीक नहीं है तो आप दवाई क्यों नहीं ले रही यह क्या बेफिजूल की हरकत कर रही है आप ?"
गायत्री जी _ तुम्हे जो समझना है समझो लेकिन हम नहीं लेने वाली हैं दवाई ठीक है तुम्हे नहीं आना है मत आओ हमारे मरने के बाद ही आ जाना।
इतना बोलकर वह फोन कट कर देती हैं वहीं अरण्य को उनकी बात सुनकर काफी गुस्सा आ जाता हैं ओर वह अपना फोन गुस्से से वहां पर पटक देता हैं सिद्धार्थ उसे देख यह समझ चुका था कि अब जो भी उसने बोलना होगा वह सोच समझकर ही बोलना होगा वरना उसके खैर नहीं।
सिद्धार्थ _ बॉस वो लडकी जो उस दिन आई थीं उसकी जानकारी मिल चुकी है।
यह सुनकर अरण्य के चेहरे पर गहरी ठंडी मुस्कान आ जाती हैं डरावनी सी।
सिद्धार्थ _नाम श्रिया आहूजा, उम्र उन्नीस साल, लखनऊ की रहने वाली वहां के जाने माने बिज़नस मैन मिस्टर आशुतोष आहूजा की सबसे छोटी बेटी।”
इतना सुनते ही अरण्य ने कुर्सी से सिर उठाया उसकी आँखों में जैसे किसी अंधेरे सागर की गहराई उतर आई हो होंठों पर धीरे-धीरे फैलती हुई एक अजीब ठंडी और डराने वाली मुस्कान ।
वहां कुछ सेकंड के लिए सन्नाटा छा गया।
सिद्धार्थ की आवाज़ रुक गई और उसने हिचकिचाते हुए कहा
“बॉस…?”
अरण्य ने कुर्सी से उठते हुए कहा।
अरण्य _अब तो इंडिया जाना ही पड़ेगा आख़िर उस लड़की में इतनी हिम्मत है कि उसने मुझे चुनौती दी देखना पड़ेगा उसे और जो बाकी बचा है उसका हिसाब चुकता भी करना है।”
वह धीरे-धीरे अपना कोट उठाकर पहनता है फिर अपनी घड़ी सीधी करता है और खिड़की के पास जाकर खड़ा हो जाता है
बाहर की रोशनी उसके आधे चेहरे पर पड़ती है बाकी आधा चेहरा अंधेरे में डूबा हुआ था वही से उसकी मुस्कान फिर उभरी ।
अरण्य _चलो इंडिया…”
सिद्धार्थ _बॉस सब तैयार है बस आपके इशारे का इंतज़ार था।”
अरण्य ने कोई जवाब नहीं दिया और आगे बढ़ गया और सिद्धार्थ उसके पीछे।
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अब आगे..............
बैंगलोर एयरपोर्ट........
सुबह का वक्त.......
बैंगलोर एयरपोर्ट पर प्राइवेट रनवे पर जो सिर्फ प्राइवेट vip लोगों के लिए ही था उस पर एक ब्लैक प्राइवेट जेट जिस पर सिर्फ़ “A.S.” के सुनहरे अक्षर से लिखा हुआ था वह धीरे-धीरे रुकता है।
उसका दरवाज़ा खुलता है और सीढ़ियों पर कदम रखता है अरण्य सिंघानिया।
काले शेड्स, काली शर्ट के ऊपर ग्रे कोट और चेहरे पर वही शांत लेकिन खतरनाक एक्सप्रेशन लिए वह आदमी बाहर उतरता है ।"
सीढ़ियों के नीचे पहले से चार बॉडीगार्ड खड़े थे सूट में ईयरपीस लगाए नज़रें झुकी हुईं उसके आते ही वह उसे ग्रीट करते हैं उसके यहां आने की खबर किसी को भी नहीं थी यहां तक कि सिंघानिया मेंशन में भी नहीं।
उनमें से एक ने झुककर कहा ।
बॉडीगार्ड _ Welcome back to India, Boss”
अरण्य ने बस हल्के सिर से इशारा किया और आगे बढ़ा।
रनवे के किनारे पर खड़ी थी उसकी ब्लैक रॉल्स रॉयस फैंटम
गाड़ी का दरवाज़ा उसके पास पहुँचने से पहले ही खुद खुल गया वह उसके अंदर बैठ गया और उसके साथ उसके गाड़ियों का काफिला आगे बढ़ने लगता हैं।
सिद्धार्थ पहले से आगे की गाड़ी में था उसने इंटरकॉम से आवाज़ दी ।
सिद्धार्थ _ बॉस सब तैयारी हो चुकी है सिंघानिया हाउस के लिए रास्ता क्लियर है।”
अरण्य _Good वहाँ पहुँचने से पहले किसी को भनक नहीं लगनी चाहिए कि मैं इंडिया में हूँ समझे?”
सिद्धार्थ _Yes Boss."
रॉल्स रॉयस धीरे-धीरे आगे बढ़ती है उसके पीछे और आगे की गाड़िया भी बढ़ने लगती हैं ।
पूरा काफिला जैसे किसी राजा की वापसी का संकेत दे रहा था।
रास्ते भर अरण्य चुप रहा उसकी नज़रें बाहर देख रही थीं बैंगलोर की सड़कों पर भागती दुनिया और उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ रहा था।"
उसके दिमाग में बस एक ही नाम घूम रहा था श्रिया आहूजा…”
वो हल्के से मुस्कुराया ।
कुछ ही देर में काफिला ‘सिंघानिया मेंशन’ के गेट पर पहुँचता है।
गेट अपने आप खुलता है और सारी गाड़िया लाइन से अंदर जाने लगती हैं गाड़ी जैसे ही अंदर जाती है स्टाफ एक पल की देरी किए बिना एक लाइन में खड़ा हो जाता है।
गार्ड दरवाज़ा खोलता है और अरण्य बाहर निकलता है ..!"
बाकी सभी स्टाफ देख एक साथ बोले वेलकम होम सर।”
अरण्य बिना कुछ बोले सीधा मेंशन के अंदर के अंदर चला जाता है उसके कदमों की आवाज वहां गूंज जाती हैं।
वही इस वक्त हॉल में कोई नहीं होता है लेकिन बाहर की हलचल सुनकर सभी नीचे आते हैं और अरण्य को देख सभी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था गायत्री जी के साथ उर्वी भी नीचे साथ आती हैं दोनों उसे देख एक काफी खुश हो गए थे लेकिन उर्वी को डर भी लग रहा था पक्का अब उसकी क्लास लगेगी यही सोच कर उसे डर लग रहा था।
वही सीढ़ियों से अविनाश सिंघानिया अरण्य के पापा और किचेन के अंदर से अरण्य की मां निशा सिंघानिया निकलती है अपने बेटे को देख वह बहुत खुश हो जाती है ।
अरण्य अंदर आता हैं निशा जी उसके पास जाकर उसे गले से लगाते हुए बोली।
निशा जी_ कितना तुम्हे याद किया है सबने और तुम्हें किसी की याद नहीं आती सोचा भी है कितना तड़प उठे थे तुम्हे देखने के लिए वह शिकायत करते हुए बोली।
अरण्य उसने अलग होकर अपनी दादी की तरफ देख कर बोला।
अरण्य _वैसे मुझे अब तो आना ही था मेरा सब कुछ यही है जो मुझे चाहिए जिसकी तलाश है मुझे उसके बिना में कैसे वहां रह सकता हूं।
किसी को कुछ समझ नहीं आता अरण्य के कहने का क्या मतलब था अरण्य एक टक गायत्री को घूरने लगता है और अपनी डरावनी आवाज में बोला।
अरण्य _ कैसी है दादी आप?" आपकी तबियत तो ठिक है ना कही आप बीमार तो नहीं हो गई थी ना और दवाई ना ली हो आपने ऐसा कुछ बोलिए ना दादी चुप क्यों है आपको खुशी नहीं हुई आपका पोता आया है ओर आप है कि चुप खड़ी हुई है?"
गायत्री जी के साथ उर्वी खड़ी हुई थी वो धीरे धीरे गायत्री जी के पीछे चली गई थी खिसकते हुए और उसे ऐसे देख अविनाश जी ओर निशा जी को कुछ ना कुछ गड़बड़ लगने लगती हैं जरूर दादी पोती ने मिलकर कुछ तो कांड किया होगा।
अविनाश जी _ क्या हुआ है मां आप चुप क्यों हैं वैसे तो कबसे कह रही थी हमें हमारे पोते से मिलना है उन्हें जल्द से जल्द बुलाओ और जब वो आ गया है तो आप चुप खड़ी है ।
गायत्री जी के चेहरे पर डर साफ झलक रहा था और वह अचानक करहाते हुए बोली।
गायत्री जी _ आह हमारे पैर आह क्या हुआ अचानक बहुत दर्द कर रहे हैं ।
निशा जी और उर्वी उन्हें सहारा देते हुए सोफे पर बैठा देती हैं।
निशा जी _ क्या हुआ मां अचानक क्या हुआ है आपको अनिनाश जी डॉक्टर को बुलाइए क्या हुआ है ठीक तो है आप?"
अविनाश जी को भी अपनी मां की नौटंकी दिख रही थी इसीलिए वह चुप ही रहते हैं।
अरण्य उन्हें घूरते रहता है और फिर उनकी तरफ बढ़ने लगता हैं उसे बढ़ता देख वह दोनों वहां से खिसक जाती हैं गायत्री जी अपना थूक गटक लेती हैं।
अरण्य उनके एकदम नजदीक आ जाता हैं और झुककर उनके हाथ पकड़ लेता है और बेहद धीमी आवाज में कहता है।
अरण्य _ अबकी बार में आपको छोड़ रहा हूं दादी आपके इस झूठ के लिए लेकिन अगली बार आपने ऐसा कुछ भी करने की सोची तो आपको इसकी सजा जरूर मिलेगी ...."
इतना बोल वह सीधा खड़ा हो जाता हैं और उर्वी की तरफ देखता है जो अरण्य की नजरे अपने ऊपर महसूस कर अपनी नजरे झुका लेती हैं।"
अरण्य का रूम..........
शावर से निकलने के बाद अरण्य शीशे के सामने खड़ा था बालों से गिरते पानी की बूंदें उसके गले से होते हुए नीचे फर्श पर गिर रही थीं जो उसे बेहद हॉट बना रही थीं।
उसने वाइट शर्ट पहनी बटन आधे खुले हुए और हाथ में whiskey का ग्लास।
टेबल पर रखी एक फाइल उसकी नज़र में आई Shria Ahuja” लिखा था ऊपर bold अक्षरों में।
वह फाइल उठाता है और उसे धीरे-धीरे खोलता है।
पहले ही पेज पर उसकी तस्वीर थी हँसती हुई, मासूम, और खूबसूरती की मलिका उसकी नज़र कुछ पल वहीं ठहर जाती है।
उसके होंठों पर हल्की सी मुस्कान आई एक ऐसी मुस्कान जो जुनून और ख़तरे दोनों का मिलन थी उसकी उंगलियाँ तस्वीर के किनारे को छूती हैं जैसे किसी याद को महसूस कर रही हों।
वह धीरे से कहता है
अरण्य _“You really don’t know, Shria… how dangerously beautiful you are.”
वह तस्वीर को और करीब लाता है नज़रें अब उसकी आंखों पर नही बल्कि पूरे चेहरे पर घूमती हैं हर फीचर को ध्यान से देखता है जैसे उसे याद करना चाहता हो महसूस करना चाहता हो।
“You walked away once… but not this time.”
उसकी आवाज़ में धीमी लेकिन बेहद खतरनाक भी लग रही थी
वह whiskey का घूंट लेता है ग्लास टेबल पर रखता है और कुर्सी पर झुककर बैठ जाता है।
अरण्य _“You’ve no idea how deep you’ve crawled into my mind.”
वह हल्के से हँसता है।
“Now it’s my turn to find you… and make you remember me.”
उसकी आँखों में आग सी चमक रही थी जुनून, गुस्सा और एक खतरनाक आकर्षण का मिश्रण।
फाइल को बंद करते हुए उसने कहा..!!"
अरण्य _“Let the game begin.”
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अब आगे..…..........
लखनऊ..........
सुबह से ही आहूजा हाउस में हलचल थी कहीं फूलों की खुशबू बिखरी थी तो कहीं रिबन और बलून के रंग उड़ रहे थे ड्रॉइंग रूम को चमकदार लाइट्स से सजाया जा रहा था।
बीचों-बीच खड़ी थी श्रिया हल्की पिंक सूट में बाल खुले हुए चेहरे पर हल्की मुस्कान वही सबको ऑर्डर दे रही थी।
श्रिया _फूलों की आर्च ज़रा थोड़ा बाईं तरफ करो… हाँ अब परफेक्ट है केक टेबल पर कैंडल्स बाद में रखना है पहले टेबल कवर बदलो।लाइट्स थोड़ी डिम रखो मम्मी-पापा को सॉफ्ट लाइट पसंद है।”
हर छोटी-छोटी चीज़ पर उसकी नज़र थी। किसी ने सजावट में गलती की तो वो बिना गुस्सा किए बस मुस्कुरा कर कहती ।
श्रिया _कोई बात नहीं ऐसे कर लो देखो कितना अच्छा लगेगा।”
घरवाले उसे देखकर हँसते हुए लगता है इवेंट मैनेजर बन गई है हमारी श्रिया।
श्रिया _ क्यों नहीं दादी आखिर मम्मी-पापा की 25 वीं ऐनिवर्सरी है।”
आशुतोष जी और नवेशा जी को सुबह से ही बाहर भेजा गया था और उत्कर्ष उन्हें बहाने बनाकर लेट करवा रहा था उनके लिए उन्होंने सरप्राइस जो कबसे सोच रखा था ऐसे ही थोड़ी वह इसे बर्बाद होने दे सकते थे।
हॉल में बैठे कमल जी और सरस्वती जी उसे देख रहे थे जो सुबह से इन्हीं तयारी ओ में उलझी हुई थी।
कमल जी _ श्रिया सुबह से तुम काम कर रही हो थक नहीं गई हो क्या बेटा? अब आराम भी कर लो हो गया है सारा काम।"
श्रिया _ नहीं दादा जी काम रोज थोड़ी ना रोज करती हु वैसे भी एक दिन की बात है ।
सरस्वती जी _ रहने दीजिए आप आपकी पोती आज किसी की सुनने वाली नही है।
हाइवे पर.........
हाईवे पर एक गाड़ी तेजी से चल रही थी जिसमें आहूजा परिवार बैठा हुआ था सामने ड्राइविंग सीट पर उत्कर्ष बगल में आशुतोष जी और पीछे की सीट पर नवेशा जी और महिरा।
पीछे बैठी महिरा अपने मोबाइल पर कुछ देख रही थीं या सिर्फ देखने का नाटक कर रही थीं वही उत्कर्ष ने आगे के शीशे से उसकी तरफ देखा और हल्का-सा इशारा किया महिरा ने मुस्कुराते हुए सिर हिला दिया।
कुछ देर बाद उत्कर्ष ने बोला,
उत्कर्ष _पापा आपको वो क्लाइंट याद हैं ?जिन्होंने हमें अपनी एनिवर्सरी पार्टी में इनवाइट किया था वही मिस्टर शर्मा उन्होंने कहा था कि फैमिली समेत है आज ही उनकी वेडिंग anniversary कि पार्टी है।
आशुतोष जी _तो क्या सोच रहा है तुम?”
उत्कर्ष_हम यहीं से सीधा चलें उनका घर शहर के बाहर है अगर घर जाकर तैयार हुए तो देरी हो जाएगी।”
आशुतोष जी ने कुछ पल सोचा फिर मुस्कुराते हुए बोले,
आशुतोष जी _ठीक है जैसा तुम कहो वैसे भी पार्टी में लेट पहुँचना अच्छा नहीं लगता।”
नवेशा जी _तो फिर हमें तैयार भी तो होना होगा न?”
उत्कर्ष _हाँ मम्मा यहीं पास में एक शॉप है वहीं से आप सब के लिए आउटफिट ले लेते हैं।”
गाड़ी एक लक्ज़री बुटीक स्टोर के सामने आकर रुकी चारों अंदर चले गए जहाँ सिल्क की साड़ियों की चमक सूट की एलिगेंस और ज्वेलरी की हल्की सी चमक साफ दिखाई दे रही थीं सबकुछ क्लासी और परफेक्ट लग रहा था।
महिरा ने एक नेवी ब्लू गाउन उठाया श्रिया के लिए भी सोचने लगी अगर वो होती तो उसे ये कलर बहुत पसंद आता।”
नवेशा जी ने पेस्टल पिंक सिल्क साड़ी चुनी आशुतोष जी ने अपनी क्लासिक ब्लैक कोट-सेट और उत्कर्ष ने ग्रे ब्लेज़र के साथ वाइट शर्ट ली एकदम स्टाइलिश और ग्रेसफुल।
कुछ देर में सब तैयार थे।
उत्कर्ष ने कार का दरवाज़ा खोला ।
उत्कर्ष _चलो अब पार्टी का वक्त है।”
महिरा_आज तो मम्मा-पापा भी बिल्कुल फिल्मी लग रहे हैं।”
आशुतोष जी _फिल्मी नहीं फैमिली लग रहे हैं।”
करीब एक घंटे की ड्राइव के बाद कार धीरे-धीरे सुनसान रास्तों से गुजर रही थी चारों तरफ़ सन्नाटा और घना अंधेरा फैला हुआ था न कोई स्ट्रीट लाइट न किसी घर की रौशनी बस कार की हेडलाइट्स ही रास्ता दिखा रही थीं।
नवेशा जी ने खिड़की से बाहर झाँकते हुए कहा,
नवेशा जी _अरे ये कैसी पार्टी है ना लाइट दिख रही है ना कोई घर... तुम्हारे क्लाइंट रहते कहाँ हैं उत्कर्ष?”
उत्कर्ष _क्या पता कोई सरप्राइज़ हो मम्मा हो सकता है उन्होंने कुछ अलग प्लान किया हो।”
असल में उत्कर्ष ने उन्हें अलग-अलग रास्तों से घुमा दिया था ताकि उन्हें अंदाज़ा भी न हो कि वो उनके अपने ही घर — आहूजा हाउस की ओर जा रहे हैं वहाँ पहले से ही सारी लाइट्स ऑफ करवा दी गई थीं ताकि पूरी तरह सीक्रेट रहे।
थोड़ी देर बाद कार रुकती है बाहर सन्नाटा पसरा हुआ था।
आशुतोष जी _कुछ दिख नहीं रहा जाएंगे कैसे अंदर?”
नवेशा जी_कहीं गिर ना जाऊं अंधेरा ही अंधेरा है।”
महिरा _डोंट वरी मम्मा आप दोनों भाई का और मेरा हाथ पकड़ लो।”
दोनों ने अपने मम्मी पापा का हाथ थाम लिया और चारों धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे।
जैसे ही वे हॉल के दरवाज़े के अंदर पहुँचे महिरा और उत्कर्ष ने एक साथ उनका हाथ छोड़ दिया।
अगले ही पलnपूरा हॉल जगमगा उठा चारों तरफ़ रंग-बिरंगी लाइट्स जल उठीं फूलों की खुशबू हवा में फैल गई।और सबकी आवाज़ गूँज उठी ।
“HAPPY ANNIVERSARY!!”
आशुतोष जी और नवेशा जी कुछ पल तक वहीं खड़े रह गए आँखों में हैरानी और चेहरे पर गहरी मुस्कान के साथ पूरे हॉल में उनके रिश्तेदार, दोस्त और बिज़नेस क्लाइंट्स मौजूद थे ।
भीड़ से श्रिया आगे बढ़ी सुंदर सा गाउन पहने हुए चेहरे पर प्यारी मुस्कान लिए वह सीधे आकर नवेशा जी और आशुतोष जी से लिपट गई।
श्रिया _हैप्पी ऐनिवर्सरी मम्मा-पापा…”
नवेशा जी की आँखें नम हो गईं उन्होंने उसे गले से लगाते हुए कहा।
नवेशा जी _तुम सबने इतना बड़ा सरप्राइज़ कैसे प्लान कर लिया…”
आशुतोष जी _ तभी में सोच रहा था कि आज तीनों भाई बहन इतना अजीब क्यों बिहेव कर रहे हैं और क्यों घर आने से रोका जा रहा था।
तीनों बस हल्का सा मुस्कुरा देते हैं।
म्यूज़िक धीमे-धीमे बजने लगा और स्टेज के बीचों-बीच एक बड़ा-सा खूबसूरत केक रखा था सफेद और सुनहरे रंग का, जिस पर लिखा था “Happy 25th Wedding Anniversary mamma papa "
नवेशा जी अब भी भावुक थीं आँखों में चमक और होंठों पर मुस्कान।
आशुतोष जी ने उनकी तरफ़ देखकर कहा।
आशुतोष जी _पच्चीस साल कब बीत गए पता ही नहीं चला।”
सब लोग तालियाँ बजाने लगे फिर श्रिया ने नाइफ पकड़ाते हुए ।
श्रिया _अब केक कटिंग तो बनती है न मम्मा-पापा!”
लाइट्स थोड़ी डिम की गईं, और सब एक साथ गाने लगे
“Happy Anniversary to you…”
आशुतोष जी और नवेशा जी ने एक-दूसरे की ओर देखा मुस्कुराए
और दोनों ने साथ में केक काटा।
सभी तालियाँ बजाने लगे पहला पीस आशुतोष जी ने नवेशा जी को खिलाया और फिर नवेशा जी ने प्यार से उन्हें खिलाया उसके बाद उन्होंने महिरा, उत्कर्ष, श्रिया कमल जी और सरस्वती जी को भी केक खिलाया।
आगे बढ़कर रिश्तेदार दोस्त और बिज़नेस क्लाइंट्स एक-एक करके उन्हें विश करने लगे किसी ने फूलों का गुलदस्ता दिया किसी ने गले लगकर कहाआप दोनों हमेशा ऐसे ही खुश रहें।”
उत्कर्ष _आज की रात सिर्फ मम्मा-पापा के लिए है…
पूरा हॉल तालियों से गूँज उठा।
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श्रिया वहां खड़ी हुई मुस्कुराते हुए स्मृति से हस कर बाते कर रही थी।
स्मृति _ wow क्या डेकोरेशन करवाया है तुमने मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है तुम भी इतना सुंदर डेकोरेशन करवा सकती हो?"
श्रिया स्मृति को घूरकर देखने लगती उसकी नजरों को देख स्मृति बोली,
स्मृति _ में तो बस मजाक कर रही थी तू कहा मेरे मजाक को सीरियस ले रही है।
वही दो जोड़ी आंखें उसे ही देख रही थी जबसे वह आदमी यहां आया था तबसे उसकी नजरे सिर्फ श्रिया पर ही जमी हुई थीं उनके बगल में खड़े उसके पेरेंट्स ने यह देख लिया था कि उनका बेटा कबसे श्रिया को घूरे जा रहा था और दोनों ही एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्करा देते हैं..."
वह था प्रणव बंसल..... वही बंसल ग्रुप जिसकी बात उत्कर्ष ने महिरा से करी थी मिस्टर दिनेश बंसल और उनकी वाइफ मिसेज रजनी बंसल दोनों ही नवेशा जी और आशुतोष जी जहां खड़े थे उनकी तरफ बढ़ जाते हैं।
प्रणव जो कि श्रिया को देख रहा था तभी उससे एक लड़की टकरा जाती हैं प्रणव उसे गिरती उससे पहले उसके कमर पर अपने हाथ कस लेता है वह लड़की ओर कोई नहीं महिरा थी ...!"
गिरने के डर से महिरा अपनी आंखें बंद कर लेती है लेकिन किसी की मजबूत पकड़ का अहसास होते ही वह अपनी आंखे खोल लेती हैं तब उसके सामने एक हैंडसम सा चेहरा दिखाई देता हैं जिसमे वह खो सी जाती हैं।
प्रणव _ क्या तुम ठीक हो लगी तो नहीं तुम्हे?"
लेकिन महिरा को तो कोई होश ही नहीं था प्रणव एक बार फिर से बोलता है।
प्रणव _ सुनो... क्या तुम ठीक हो।
अबकी बार महिरा होश में आती है और उसकी बात सुनकर अपना सिर हिला देती हैं और सीधी खड़ी हो जाती है।"
महिरा _ थैंक यू मुझे गिरने से बचा लिया तुमने।
प्रणव _ कोई बात नहीं।
महिरा _ मेरा नाम महिरा आहूजा है।
प्रणव _ काफी ब्यूटीफुल नाम है तुम्हारी ही तरह काफी हॉट हो तुम .. वैसे मेरा नाम प्रणव बंसल है।
महिरा _ वैसे तुम्हारा नाम भी अच्छा है तुम्हारी तरफ और दिखने में भी तुम हैंडसम लगते हो।
उसकी बात सुनकर प्रणव के चेहरे पर तिरछी मुस्कान आ जाती हैं।
प्रणव _ क्या तुम मेरे साथ ड्रिंक करना चाहोगी?"
महिरा को प्रणव पसंद आ गया था रिच भी था और दिखने में भी काफी हैंडसम था उसने भी बंसल’स के बारे में सुन रखा था काफी।
महिरा _ हा क्यों नहीं चलो फिर।
दोनों ही एक साथ चल देते हैं।
आशुतोष जी और नवेशा जी जहां खड़े थे वहां उनके पास दिनेश जी और रजनी जी आते हैं उन्हें देखकर आशुतोष जी बोले,
आशुतोष जी _आप लोग आए यहां… यह देखकर मुझे बहुत खुशी हुई है मिस्टर बंसल।
दिनेश जी _ क्या आप भी मिस्टर बंसल कह कर बुला रहे हैं इतनी फॉर्मेलिटी मत करिए नाम से ही बुलाइए मुझे आशुतोष जी कहना ही पड़ेगा आपका इंतजाम वाकई बढ़िया है यहां का décor और सब कुछ शानदार है।”
आशुतोष जी _इस सब का श्रेय हमारी छोटी बेटी श्रिया को जाता है उसने सब कुछ खुद संभाला और ये खूबसूरत पार्टी की तैयारी की।”
रजनी जी _सच में… यह बच्ची बहुत समझदार और टैलेंटेड है।
दिनेश जी ने बिना बात घुमाए सीधे मुद्दे पर आते हुए कहा "
दिनेश जी _ आशुतोष जी आपकी छोटी बेटी श्रिया… मैं चाहता हूँ कि उसका रिश्ता मेरे बेटे प्रणव के साथ हो उसे वह काफी पसंद है।”
आशुतोष जी कुछ पल के लिए सोच में पड़ गए लेकिन धीरे-धीरे उनका चेहरा हौले से चमक उठा और उन्होंने सिर हिलाकर ‘हा’ कर दिया।
नवेशा जी कुछ बोलने ही वाली थीं कि आशुतोष जी ने हल्के हाथ से उन्हें चुप करवा दिया।
रजनी जी ने मुस्कुराते हुए कहा,
रजनी जी_अगर आपकी हाँ है तो क्यों ना आज ही सगाई कर दी जाए? वैसे भी मौका शानदार है और सभी मेहमान यहाँ मौजूद हैं।”
आशुतोष जी _ ठीक है हमे कोई प्रॉब्लम नहीं है।
आशुतोष जी जब माइक लेकर इसकी अनाउसमेंट करते हैं तो बाकी सभी मेहमान जहां खुश होते हैं वहीं उत्कर्ष, स्मृति, श्रिया, कमलजी और सरस्वती जी यह सुनकर शोक हो जाते आखिर अचानक क्या हुआ उन्हें तो इन सबकी कुछ खबर ही नहीं थी और सबसे ज्यादा शोक में श्रिया थी उसे यह बिल्कुल पसंद नहीं आया था बिना उसके मर्जी के कैसे उसके पापा उसका रिश्ता तय कर सकते थे?"
वहीं महिरा जो अपनी फ्रेंड्स के साथ हँसी मज़ाक कर रही थी
उसने यह announcement सुनी और उसका चेहरा अचानक बदल गया धीरे-धीरे उसका गुस्सा श्रिया की तरफ जो था उससे ज्यादा बढ़ चुका था क्योंकि प्रणव उसे पहली नजर में पसंद आ चुका था लेकिन यहां तो बाजी श्रिया ने मार ली थी वह गुस्से ओर नफरत लिए श्रिया की तरफ देखने लगती हैं..!"
स्टेज पर.........
श्रिया और प्रणव स्टेज पर खड़े थे प्रणव जो श्रिया को घूरे जा रहा था उसके चेहरे पर मुस्कान थी वहीं श्रिया बेमन से वहां खड़ी थी उसके चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं था उसका मन हो रहा था कि वह भाग जाए वहां से वह नम आंखों से उत्कर्ष और अपनी मम्मा की तरफ देखती हैं जो उसकी तरफ ही देख रहे थे उन्हें भी यह सब बिलकुल पसंद नहीं आ रहा था..."
स्मृति अपनी फ्रेंड को देख रही थीं जिसके चेहरे से साफ पता चल रहा था कि उसे यह सगाई नहीं करनी थी वह बड़बड़ाते हुए बोली।
स्मृति _ अंकल अपने यह सही नहीं किया है आपको सिर्फ अपनी खुशी की पड़ी है लेकिन अपनी बेटी की नहीं।"
रजनी जी वहां रिंग लेकर आती हैं पहले श्रिया प्रणव को रिंग पहना देती है।
सभी तालिया बजाने लगते है।
अब प्रणव रिंग उठाकर श्रिया के हाथ को कसकर पकड़ लेता है वही श्रिया को यह बिल्कुल अच्छा नहीं लगता ओर वह हाथ छुड़ाने की कोशिश करती है लेकिन उसने बहुत टाइट उसका हाथ पकड़ रखा था वह धीरे से उसकी उंगली में रिंग पहना देता हैं लेकिन रिंग उसकी उंगली के साइज से बड़ी होती है।"
रजनी जी _ कोई बात नहीं अभी के लिए पहने दो बाद में नई ले लेंगे।
प्रणव श्रिया को रिंग पहना देता उसके पहनाते ही श्रिया एक झटके से अपना हाथ छुड़ा लेती हैं और उससे थोड़ा दूर हो जाती है उससे प्रणव से अच्छी वाइब नहीं आ रही थी।"
प्रणव _“You know… you’re really lucky that I chose you!Beauty like yours… it’s meant for someone handsome and rich… like me.”
श्रिया की आँखें थोड़ी सिकुड़ गईं!उसके होंठ हल्के से कड़े हुए
उसका मन अंदर से उबल रहा था लेकिन उसने शांत रहकर जवाब दिया।
धीरे-धीरे उसने प्रणव की तरफ़ देखा और ठंडी तीखी आवाज़ में बोली,
श्रिया _Lucky ? ओह इतना तो तुम सोच भी नहीं सकते और अगर खूबसूरती सिर्फ़ अमीर और हैंडसम के लिए होती तो शायद तुम्हारी ego इतनी बड़ी नहीं होती।”
प्रणव _ intresting तुम्हे जवाब देने भी आते हैं देखता हूं कब तक जवाब देती हो मुझे।
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कौन है वो साया जो मुझे किस करने के जा रहा था।"
बैंगलोर.......
सिंघानिया हाउस......
सुबह के वक्त अरण्य सीढ़ियों से होते अपनी स्लीव को सही करते हुए नीचे की तरफ बढ़ रहा था वैसे घर में लिफ्ट भी थी लेकिन वह कभी कबार ही उसे उसे करता था वह नीचे आता है जहां अविनाश जी और गायत्री जी बैठी हुई थी उर्वी कॉलेज के लिए जल्दी चली गई थी और निशा जी पूजा धर में से होते हुए हॉल में आती है।
अरण्य सबको एक नजर दिखकर कहता है,
अरण्य _ काम के सिलसिले में... में लखनऊ जा रहा हूं।
उसकी यह बात सुनकर अविनाश जी कुछ रिएक्ट नहीं करते हैं लेकिन निशा जी और गायत्री जी एक दूसरे की तरफ देखते हुए एक साथ ही बोल पड़ती हैं।
क्या?"
अरण्य _ आप दोनों ऐसे चिल्ला क्यों रही हैं?"
गायत्री जी _ तुम्हे ठीक से आए कुछ दिन भी नहीं हुए हैं और तुम फिर से जाने की बात कर रहे हो!"
निशा जी _ क्या इतना जरूरी काम आ गया कि इतनी जल्दी जा रहे तो पता है मुझे जल्दी लौटने नहीं वाले हो तुम हमारे साथ रहने का मन भी नहीं होता है क्या सिर्फ काम और काम परिवार को तो जैसे भूल ही जाते हो।
गायत्री जी _ सच कहा है निशा तुमने हमारी तो किसी को पड़ी ही नहीं है।
अरण्य को अब गुस्सा आने लगा था एक तो उसे जाना था और उसकी मां और दादी उसे इमोशनल ब्लैकमेल करने पर आ चुकी थी।
अविनाश जी ने उसके बदलते हुए एक्सप्रेशन को देख लिया था वह उन दोनों को भी इशारे से उसकी तरफ देखने को कहता है दोनों भी अरण्य की तरफ देखने लग जाती हैं और उसके चेहरे को देख कर ही चुप हो जाती हैं।
अविनाश जी _ ऐसे किसी को जाते हुए टोकते नहीं है।"
निशा जी _ बिल्कुल सही कहा आपने!"
अरण्य _ चकता हु।
फिर वह वहां से बाहर की तरफ बढ़ जाता हैं और उनकी गाड़िया लाइन से सिंघानिया मेंशन से निकल जाती है।
दूसरी तरफ लखनऊ में........
आहूजा हाउस में..... अलग ही माहौल था आज।
श्रिया के कमरे में.....
श्रिया अपनी मां नवेशा जी से कह रही थी।
श्रिया _ मम्मा मुझे उससे शादी नहीं करनी है पापा मेरी मजूरी के बिना कैसे उन्हें हा कह सकते हैं ओर सगाई भी करवा दी।
श्रिया रो रही थीं ...
सरस्वती जी रूम में आती हैं तब वो देखती हैं कि श्रिया रो रही हैं जो उन्हें बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता है वह उसे गले से लगाकर बोली,
सरस्वती जी _ ऐसे रोते नहीं तुम तो हमारी स्ट्रॉन्ग पोती हो चलो चुप हो जाओ तुम्हारे दादा जी बात कर रहे हैं तुम्हारे पापा से।
नीचे हॉल में.........
कमल जी _ आशुतोष हमें तुमसे यह उम्मीद नहीं थी कि तुम ऐसा कुछ करोगे किसी को बताए बिना तुमने श्रिया की शादी तय करदी यहां तक कि उसकी सगाई भी करा दी उसकी मंजूरी है या नहीं वह शादी करना चाहती हैं या नहीं यह तक नहीं पूछा।"
आशुतोष जी _ मेरी बेटी है वह और मुझे उसके लिए यह रिश्ता सही लगा है पापा।
उत्कर्ष _ पापा आप यह क्या बोल रहे हैं आपको पता है ना अभी मेरी और महिरा की भी शादी नहीं हुई है और आप है कि श्रिया की शादी करना चाह रहे हैं लोग क्या कहेंगे अपने बड़े बेटे ऑर बेटी को छोड़ छोटी बेटी की शादी करा दी..!"
आशुतोष जी _ मुझे कौन क्या कहता है उससे कोई फर्क नहीं पड़ता बंसल फैमिली काफी रईस हैं और तो और पूरे इंडिया में भी उसका नाम बढ़ रहा है भूलो मत इन्हीं के साथ तुम कबसे काम करने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हो सोचो अगर श्रिया की शादी हो गई उस परिवार में तो सबसे ज्यादा हमें ही फायदा होगा।
उत्कर्ष _ नहीं करना मुझे उनके साथ काम नहीं चाहिए ऐसा काम जो मेरी बहन की खुशियों को कुचल जाने से मिले।
कमल जी _ उत्कर्ष सही कह रहा है।
आशुतोष जी थोड़ा गुस्से से।
आशुतोष जी _ बस अब बहुत हो गया आप को जो सही लग रहा है वह आप लोग कह रहे हैं और जो मुझे सही लगा वह मैं कर रहा हूं में उसका पिता हूं मुझे भी उसकी परवाह है और जो भी में कर रहा हूं उसमें उसका ही भला है।
इतने में वहां श्रिया, नवेशा जी और सरस्वती जी भी आ जाती है और उन्होंने भी सब सुन लिया था।
आशुतोष जी _ मेरा फैसला पक्का है और इस बात पर मुझे कोई बहस नहीं चाहिए।
और वह वहां से चले जाते हैं।
कमल जी _ हमे नहीं लगता अब आशुतोष मानने वाला है।
वह श्रिया के सिर पर हाथ रख बोले,
कमल जी _ हमें लगता हैं यही आपकी किस्मत में होना था जितनी जल्दी हो सके अब इसे ही स्वीकार करना होगा हमें।
वहीं महिरा बाजू में मुठ्ठी भींचे खड़ी थी उसे लगा था सबके कहने पर उसके पापा मान जाएंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ उल्टा अब तो लग रहा था जैसे शादी होकर रहेगी।
नहीं महिरा तुझे यह शादी होने नहीं देनी है।
महिरा _ कुछ भी हो जाए यह शादी में किसी भी हालत में होने नहीं दूंगी।
श्रिया के रूम में...........
श्रिया बेड पर पेट के बल लेटी हुई थी उसके दिलों दिमाग में बस उस दिन की ही यादें चल रही थी उस अंजाम आदमी के साथ जिसके साथ उसने एक रात बिताई थी।
श्रिया _ आह्ह्ह...!" यह क्या हो रहा है मेरे साथ क्यों मुझे उस अंजाम आदमी का ही ख्याल आता रहता है हर बार।
मुझे कैसे भी करके यह शादी नहीं करनी है उस घटिया प्रणव से तो बिलकुल भी नहीं कमिना खुद को कुछ ज्यादा ही होशियार समझ रहा है।"
तभी उसे स्मृति की कोल आती हैं और रिसीव करते हैं उसकी तेज आवाज सुनाई देती हैं।
स्मृति _ क्या अंकल माने ? क्या उन्होंने शादी के लिए मना किया?
श्रिया _ नहीं मान रहे हैं ऐसा लग रहा है जैसे कल ही मेरी शादी करा देंगे।
स्मृति _ अब क्या करेगी तू?"
श्रिया _ कुछ भी करुंगी में यह शादी करने से रही में अभी तो वक्त है कुछ ना कुछ idea मिल ही जाएगा सुन ना में बाद में बात करती हु इतना बोल वह फोन कट कर देती हैं।"
श्रिया अपनी आंखे बंद कर लेती हैं तभी उसे दिखता है कि कोई साया उसकी तरफ बढ़ रहा है और उसे पकड़ कर एक कमरे में बेड पर पटक कर खुद उसके ऊपर आकर उसे दबोच लेता है और उसके होठों के करीब बढ़ रहा होता हैं इसके आगे कुछ होता वह अपनी आंखें खोल लेती है।
श्रिया _ यह क्या था क्या अजीब सा दिख रहा है मुझे कौन है वो साया जो मुझे किस करने के जा रहा था।"
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LIBC collage........
गार्डन एरिया.......
सुबह की हल्की धूप गार्डन की हरी घास पर बिखरी हुई थी।श्रिया और स्मृति अपने बैग साइड में रखे कॉफी के कप लिए बैठी हुई थीं तभी पास की बेंच पर बैठी कुछ लड़कियाँ हँसते हुए बात कर रही थीं।
लड़की _सुना है आज कॉलेज में दो नए प्रोफ़ेसर आने वाले हैं…”
दूसरी ने झट से कहा हाँ और सुना है दोनों काफी हैंडसम हैं यार
अब तो एक भी क्लास मिस नहीं करनी चाहिए हमें।”
तीसरी लड़की _अगर प्रोफेसर ऐसे ही निकले तो पढ़ाई का मज़ा ही कुछ और होगा।”
सभी लड़कियाँ खिलखिलाकर हँसने लगीं।
श्रिया मुस्कुराते हुए स्मृति से बोली।
श्रिया _क्या कोई नए प्रोफ़ेसर आ रहे हैं?”
स्मृति ने कंधे उचका दिए और बोली,
स्मृति _पता नहीं यार पर इनकी बातों से तो यही लग रहा है
अब देखते हैं कौन आते हैं जो इन सबको इतना एक्साइटेड कर गए हैं।”
दोनों ने अपनी किताबें समेटीं तभी कॉलेज की बेल बजी सभी स्टूडेंट्स क्लास की तरफ़ बढ़ने लगे।
क्लासरूम में कुछ देर बाद.........
सभी स्टूडेंट्स अपने ग्रुप में बातें कर रहे थे कि तभी दरवाज़ा खुलता हैनऔर प्रिंसिपल अंदर आते हैं।
पूरा क्लास एकदम से शांत हो गया उनके आते ही।
प्रिंसिपल _गुड मॉर्निंग स्टूडेंट्स ।
आज हमारे कॉलेज में दो नए प्रोफेसर जॉइन कर रहे हैं प्लीज उनका वेलकम कीजिए।”
सभी स्टूडेट्स एक्साइटेड होकर दरवाजे की तरफ देखने लगते हैं ।
तभी एक 25 साल के करीब एक आदमी अंदर दाखिल होता हैं उसके आते ही हवा जैसे थम सी गई थीं लड़के भी उनकी पर्सनालिटी देखकर चुप हो गए और लड़कियों की आँखें अनायास ही बड़ी हो गईं।
ऊँचा कद ग्रे शर्ट की फोल्ड की हुई स्लीव्स कलाई पर महँगी घड़ी, और चेहरे पर वो किलर स्माइल जो किसी का भी दिल पिघला दे।
वो क्लास में हुए इधर-उधर नहीं सिर्फ़ एक दिशा में देख रहा था सीधे श्रिया की तरफnउसकी आँखें कुछ पल के लिए ठहर गईं।
श्रिया जो अभी तक सीधी बैठी थी अचानक उसका दिल तेजी से धड़कने लगा वो समझ नहीं पा रही थी ये अजीब-सा एहसास क्या है उसने धीरे से अपने दिल पर हाथ रख लिया जैसे उसे रोकने की कोशिश कर रही हो।
दोनों की नजरे आपस में मिलती हैं श्रिया की नजरे उस हैंडसम चेहरे पर ठीक जाती हैं।
अरण्य के होंठों पर हल्की कातिलाना मुस्कान आई ।
बाकी सभी लड़कियाँ फुसफुसाईं ओ माई गॉड वो तो किसी मूवी हीरो से कम नहीं लग रहा उनसे भी काफी हैंडसम हैं यार सच में पहली बार देख रही हु।
बाकी सभी लड़कियां भी यही कह रही थीं।
ईशा की नजरे भी उसपर से हट नहीं रही थी।
दरवाज़ा फिर से खुला एक और हैंडसम शख्स अंदर आया,
थोड़ा कैज़ुअल स्टाइल नेवी ब्लू ब्लेज़र, व्हाइट शर्ट,और उसकी आँखों में शांत, लेकिन चार्मिंग स्माइल।
स्मृति ने तुरंत श्रिया की तरफ झुककर कहा।
स्मृति _देख ना श्रिया ये कितना हैंडसम है!”
श्रिया हल्के से मुस्कुराई वो तो बस उस सख्श को देखे जा रही थी।
श्रिया _हाँ सच में… काफी हैंडसम हैं।
लेकिन उसकी आवाज़ में एक हल्की घबराहट थी क्योंकि उसकी नजरें बार-बार सख्श की तरफ खिंच जा रही थीं।
प्रिंसिपल _स्टूडेंट्स ये हैं मिस्टर अरण्य सिंघानिया
आपको इकोनॉमिक्स पढ़ाएँगे।”
और ये हैं मिस्टर शशांक मल्होत्रा आपके इंग्लिश के प्रोफेसर होंगे।”
दोनों ने सभी स्टूडेट्स को एक साथ “गुड मॉर्निंग” विश किया।
अरण्य की भारी आवाज़ पूरे क्लास में गूँज उठी “Hope we’ll make learning a little… more interesting.”
क्लास में लड़कियों के चेहरों पर एक्साइटमेंट साफ झलक रहा था लेकिन उनकी यह खुशी एक पल की ही होने वाली थी।
श्रिया वो खुद को संभाल नहीं पा रही थी क्योंकि अरण्य की नजरें अब भी सिर्फ उसी पर थीं।
सभी स्टूडेंट्स में एक्साइटमेंट साफ झलक रही थी आखिर नए प्रोफेसर इतने हैंडसम जो थे लड़कियाँ अपने बाल सँवार रही थीं, कोई लिपग्लॉस लगा रही थी,कोई तो बस उन्हें देख रही थी।
प्रिंसिपल _ चलिए अब क्लास लेंगे मिस्टर अरण्य।
और प्रिंसिपल के साथ शशांक भी उनके साथ चला जाता है अगले ही पल दरवाज़ा जोर से बंद होता हैं।
अरण्य सामने खड़ा हुआ था सबके बिना एक्सप्रेशन के।
अरण्य अपनी भारी ठंडी आवाज़ में बोला,
अरण्य _यहाँ मैं टीच करने आया हूँ मॉडलिंग शो के लिए नहीं।”
लड़कियाँ जो अभी तक बाते कर रही थी उसके बारे में वह सभी एकदम से सीधी बैठ गईं।
डेस्क पर हाथ रख।
अरण्य _“Economics is not about memorizing words… it’s about understanding how the world moves और अगर किसी को मज़ाक लग रहा है तो door is open… निकल सकता है।”
पूरा क्लास एकदम शांत हो चुका था।
फिर उसने एक लड़के की तरफ देखा कर कहा।
अरण्य _तुम उसने इशारा किया .... Define Demand and Supply.”
वो लड़का हकला गया ..."
लड़का _“स...सर… वो…”
अरण्य की नजरें तेज़ हो गईंnवो धीरे से पास गया और डेस्क पर झुककर बोला ।
अरण्य _इतना टाइम मोबाइल में लगाने से अच्छा थोड़ा पढ़ लिया होता अब पूरी क्लास के सामने खड़े रहो Hands up.”
सभी को समझ आया कि यह प्रोफेसर बाकी से अलग है और सबसे स्ट्रिक्ट भी।
कुछ लड़कियों ने एक-दूसरे को देखान उनके चेहरों से हँसी गायब थी उनके सपनों वाला हैंडसम प्रोफेसर अब एक खतरनाक स्ट्रिक्ट प्रोफेसर निकले थे।
अरण्य की निगाहें क्लास पर घूम रही थीं लेकिन बार-बार टिक रही थीं श्रिया पर।
वो कभी कुछ पूछने के बहाने उसकी तरफ देखता कभी नोटबुक में कुछ लिखते हुए उसे ही देखता।
श्रिया को बार-बार महसूस हो रहा था जैसे उसकी हर हरकत पर कोई नजर रख रहा है वो पेन गिरने का बहाना बनाकर झुकी,
और उठकर देखा अरण्य की निगाहें अब भी उसी पर थीं।
वो जल्दी से नजरें झुका लेती है।
अरण्य ने अपनी बुक बंद की और बोला ।
अरण्य _“Next lecture, be prepared. I don’t repeat myself.”
सभी धीरे-धीरे क्लास से निकलने लगे m
श्रिया और स्मृति भी उठीं ।
स्मृति _यार ये तो बहुत स्ट्रिक्ट है मुझे तो डर लग रहा है।
श्रिया _हाँ थोड़ा ज़्यादा ही स्ट्रिक्ट है…”
स्मृति _ थोड़ा ज्यादा नहीं बहुत ज्यादा स्ट्रिक्ट हैं।
अरण्य जाती हुई श्रिया को पीछे से देख रहा था उसके बदन के हर हिस्से को जैसे अपनी आंखों में उतार रहा हो।
सभी बाहर निकल गए सिर्फ़ अरण्य क्लास में रह गया था।
कॉरिडोर में.......
श्रिया ने अचानक अपना बैग खोला तो याद आया वो अपनी नोटबुक वहीं क्लास में भूल आई है।
श्रिया _ तुम जाओ मैं आती हूँ नोटबुक लेकर आ रही हूं में।
वो तेज़ी से सीढ़ियाँ चढ़ती हुई क्लास तक पहुँची दरवाज़ा आधा खुला था वो अंदर गई और झुककर डेस्क पर नोटबुक उठाने ही वाली थी कि…किसी से टकरा गई।
जैसे किसी दीवार से टकरा गई हो ऐसा लग रहा था उसे श्रिया ने नज़र उठाई तो सामने अरण्य था जिससे वह नीचे गिरने वाली थी अरण्य के हाथ उसकी कमर को जकड़ लेते हैं।
श्रिया के नर्म मुलायम रेड चेरी जैसे होठ अरण्य के गले पर थे।
श्रिया का दिल ज़ोरों से धड़कने लगा उसकी आँखें घबराई हुई थी।
वह पीछे हटने की कोशिश करती है लेकिन अरण्य की मजबूत पकड़ से वह छूट नहीं पा रही थी।
अरण्य तो जैसे पागल हो चुका था उसके नर्म होठों को अपनी गर्दन पर महसूस कर उसे उसके होठों को स्वाद चखना था उन्हें निचोड़ ना था।
अरण्य ने झुककर उसके कान के पास हल्की भारी आवाज़ में कहा ।
अरण्य _Cherry…”
श्रिया की साँसें अटक गईं, उसके गालों पर गर्मी दौड़ गई उसकी उंगलियाँ अरण्य की शर्ट को छूकर हट गईं,जैसे वो खुद को संभालना चाहती हो।
अबकी बार उसने जोर से उसे धकेला और वहा से भाग जाती यह तो अच्छा था कि उसकी पकड़ मजबूत नहीं थी।
अरण्य के होंठों पर एक शैतानी आ चुकी थीं
अरण्य _दिलचस्प शुरुआत है मिस आहूजा…”
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स्मृति जो शशांक के ख्यालों में खोई हुई थी वह अचानक किसी से टकरा जाती है और किसी की बाहों में जुल जाती हैं सामने और कोई नहीं बल्कि शंशाक ही उसे कमर से पकड़े हुए खड़ा था स्मृति को लगा वह खुली आंखों से ही सपना देख रही हैं जो शशांक उसे पकड़े हुए है।
स्मृति _ अब तो में दिन में भी खुली आंखों से सपने देख रही हु लग रहा है जैसे शशांक सर मुझे अपनी बाहों में पकड़े हुए हैं यार सच में पहली नजर में आप मुझे पसंद आ गए हैं सर..... मुझे तो आपको किस करने का मन हो रहा है कितने हैंडसम हैं आप।"
शशांक_ तो करो ना किस मुझे रोका किसने है।
स्मृति _ सही कहा इससे अच्छा सपना मेरे लिए कोई और हो ही नहीं सकता और आपने भी मुझे परमिशन दे दी है।
इतना बोल वह शशांक के गालों पर किस कर देती हैं।
शशांक_ में क्या कोई छोटा बच्चा हु जो मुझे गाल पर किस कर रही हो लिप किस चाहिए मुझे।
स्मृति मुस्कुराते हुए उसके होठों की तरफ बढ़ने लगती हैं तभी उसे अहसास होता हैं क्या उसे सपने में भी रियल किस की हो ऐसा लगता है क्या?"
स्मृति शशांक के होठों को छूकर देखती है फिर ऊपर उसकी आंखों में देखती हैं जो उसे ही दीवानगी भरी नजरों से देख रही थीं उसे रियलाइज होता है कि वह कोई सपना नहीं देख रही थीं वो सच था और सच में उसने शशांक को किस करी थी अच्छा की उसने गाल पर किस की थी उसके स्मृति के गाल शर्म से लाल हो जाते है।"
स्मृति धीरे से बोली "
स्मृति _ सॉरी सर मुझे लगा वो... में वो में ....
शशांक_ क्या लगा तुम्हे?"
स्मृति _ कुछ नहीं सर आगे से ऐसी गलती नहीं होगी माफ कर दीजिए।
शशांक टेढ़ी मुस्कान लिए बोला।
शशांक_ कोई बात नहीं मुझे तुम्हारी ऐसी गलती पसंद आ गई है आगे भी ऐसी गलतियां करती रहना।
स्मृति हैरानी ही उसकी तरफ देखती हैं उसके गाल अब भी लाल थे वह बिना कुछ कहे उसकी बाहों से छूट कर निकल जाती हैं क्योंकि दोनों कबसे वैसे ही पोजीशन में थे वहां।
शशांक दूर जाती स्मृति को अपने गालों पर हाथ फेर ते हुए देख रहा था और वहीं हाथ वह अपने होठों पर रख देता है।"
श्रिया और स्मृति आपस में टकरा जाती हैं दोनों ही हड़बड़ी में जो बढ़ी जा रही थी।
श्रिया _ अआऊच..! क्या कर रही हैं इतनी हड़बड़ी में कहा?"
स्मृति _ क्या हड़बड़ी में तुम्हे ही तो देखने आ रही थी में मेरा छोड़ तू क्या कर रही थी नोट बुक लेने में कितना टाइम लगता है?"
श्रिया बाद बदलते हुए..."
श्रिया _ चल ना वरना लेट हो जाएंगे।
दोनों वहां से श्रिया के घर के लिए निकल जाते हैं क्योंकि स्मृति आज श्रिया के घर पर ही रुकने वाली थी।
शाम का वक्त हो रहा था और बाहर धुएं दार बारिश हो रही थीं हल्का हल्का अंधेरा भी होने लगा था लखनऊ की सड़कों पर एक काली मर्सडीज तेजी से आगे बढ़ रही थीं ।
अंदर बैठा अरण्य जिसकी नजरे बाहर की तरफ थीं तभी उसे एक लड़की दिखी जिसका सिर्फ शरीर दिख रहा था क्योंकि उसका चेहरा छाते से ढका हुआ था अरण्य उसे इग्नोर कर देता हैं लेकिन वह अचानक ही बोल उठा।
अरण्य _ stop .."
आगे की सीट पर बैठा सिद्धार्थ पीछे मुड़कर देखता है आखिर उसके बॉस ने इस बारिश में गाड़ी क्यों रोकने को कहा वहीं अरण्य गुस्से में गाड़ी से बाहर निकल जाता हैं भीगते हुए वह आगे बढ़ता है और और जिस लड़की को उसने अभी अभी देखा था उस लड़की का जाकर हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लेता है वह लड़की सीधा अरण्य की बाहों में समा जाती हैं और उसका छाता भा नीचे गिर जाता हैं वहीं अरण्य गुस्से में बोलता है।"
अरण्य _ यहां क्या कर रही हो?"
बारिश के पानी से दोनों भीग रहे थे दोनों के कपड़े भी आपस में चिपक चुके थे वहीं सिद्धार्थ जो उनकी तरफ छाता लेकर आ रहा था उसे अरण्य बिना देखते ही बोलता है।
अरण्य _ आगे बढ़ने की हिम्मत भी मत करना बिना कोई सवाल किए वापस जाओ।
सिद्धार्थ भी आगे बढ़ते रुक जाते हैं और बिना कुछ भी बोले वह वापस से गाड़ी में आ जाता हैं.."
अरण्य उसे खुद से दूर कर।
अरण्य _ बोलो यहां क्या कर रही थी तुम?"
वही लड़की डरी सी नजरों से सामने देखती हैं ओर हकलाते हुए।
लड़की _ वो में वो .... पास ही के मोल में कुछ लेने गई थी।
अरण्य _ आज जो किया सो किया लेकिन आज के बाद कही भी ऐसे भटकते हुए दिखा ना तो तुम्हारी खैर नहीं समझी।
लड़की अरण्य की तरफ देखती हैं जिसके चेहरे पर गुस्से की लकीरें थीं लड़की डर से उससे छुटने की कोशिश करने लगती हैं..!
अरण्य _ मुझसे दूर होने का ख्याल भी मत लाना इस छोटे से दिमाग में तुमने लगती कर दी मुझे छेड़ कर अब मुझसे बचना मुमकिन नहीं।
लड़की के सिर के ऊपर से सारी बाते जा रही थी।
लड़की _ छोड़िए ना मुझे घर जाना है।
अरण्य उसे घूर कर ऊपर से नीचे तक देखता है बारिश में भीगने की वजह से उसके कपड़े उसके गोरे से बदन से चिपक चुके थे अंदर से उसकी पहनी हुई व्हाइट कलर की ब्रा उसे साफ दिखाई देने लगी थी साथ ही उसका गोरा सा पेट भी उसके वह गोल गोल भरे हुए ब्रेस्ट जैसे उसे पागल कर रहे थे अरण्य का खुद पर जैसे बस नहीं चल रहा था अचानक वह उसके ब्रेस्ट को नीचे से हल्के से पकड़ लेता है।"
लड़की की आंखे बड़ी बड़ी हो जाती हैं ।
अरण्य के हाथ और ऊपर बढ़ने ही वाले थे कि उसे गाड़ी हा हॉर्न सुनाई देता हैं जिससे उसे होश आता हैं तभी उसे यह अहसास भी होता है कि इस लड़की का हर हिस्सा उभर कर दिख रहा था जिस पर सिर्फ अब उसका ही हक था वह अपना कोट उतार कर उसे पहना देता है।
लड़की बस मासूमियत से अरण्य को देख रही थीं।
लड़की _ क्या अब में जा सकती हु सर?"
वह जैसे ही आगे बढ़ पाती के उसे गरजती हुई आवाज सुनाई देती हैं,
अरण्य _ मिस श्रिया आहूजा आपको कुछ समझ नहीं आता है क्या?"
श्रिया रुक जाती हैं वहीं अरण्य उसका हाथ पकड़ कर अपने साथ गाड़ी तक ले जाता हैं ओर अंदर बैठे ड्राइवर और सिद्धार्थ दोनों को बाहर निकलने को कहता है।
अरण्य _ तुम दोनों दूसरी गाड़ी में आओ।
अरण्य ने श्रिया को अपना बड़ा सा कोट पहना दिया था जिससे उसका चेहरा साफ दिख नहीं रहा था गाड़ी वहां से आगे बढ़ जाती हैं।
वही ड्राइवर और सिद्धार्थ एक दूसरे को मुंह ताकते रह जाते हैं वहां।
गाड़ी में..........
अरण्य ड्राइविंग सीट पर बैठा हुआ था और उसके बगल में श्रिया।
अरण्य श्रिया की तरफ एक नजर देख,
अरण्य _ आज के बाद ऐसे बाहर बिल्कुल मत निकलना समझ आया और हा अंदर का बाहर दिखे जैसा मैने देख लिया है तुम्हारे बदन को ऐसे कपड़े आज के बाद मत पहनना समझी!"
श्रिया के गाल और कान शर्म से लाल हो जाते हैं ओर वह अपना सिर नीचे झुका लेती हैं।
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आगे आगे और भी रोमांटिक पार्ट आयेंगे पढ़ने के लिए फॉलो कर लेना.....
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अगली सुबह......
अरण्य श्रिया को आहूजा हाउस के बाहर छोड़ कर चला गया था यह तो अच्छा था कि श्रिया को ऐसी हालत में किसी ने नहीं देखा था वह जल्दी से अपने कपड़े बदल कार सो गई थी जब तक स्मृति रूम में आती है तब तक वह सो चुकी थी जिससे स्मृति के सवालों से बच गई थी।
स्मृति शॉवर लेकर बाहर आ चुकी थी वही श्रिया अब भी सो रही थी स्मृति जब भी श्रिया के घर रुकती थी तो उसके कपड़े पहन लिया करती थीं।"
जैसे ही स्मृति वॉडरोब खोलती हैं और श्रिया की एक टी शर्ट निकालने को होती हैं कि इतने में वह कोट भी साथ में नीचे गिर जाती हैं स्मृति उसे उठाकर देखती हैं हड़बड़ी में श्रिया ने कोट को ऐसे ही वहां पर रख दिया था स्मृति उसे देखती हैं फिर खुद से ही आखिर यह कोट है किसका?"
स्मृति _ श्रिया उठ जा कितना सोएगी।
श्रिया _ यार स्मृति सोने देना।
स्मृति _ यह कोट किसका है?
उसकी यह बात सुनकर श्रिया जल्दी से उठकर बैठ जाती हैं और स्मृति के हाथ में पकड़े हुए कोट को झट से उठकर ले लेती हैं।
स्मृति _ सच सच बताना किसका है यह मुझे इतना तो पता है उत्कर्ष भाई को तो होने से रहा है।
श्रिया कुछ पल को चुप रहती है फिर धीरे से बोली,
श्रिया _ यह कोट अरण्य सर का है और वह उसे कैसे वह उसे मिले और उसे छोड़ने आए सब बता देती हैं।
स्मृति _ तु भी ना पागल है इतना भी क्या जरूरी सामान तुम्हें लेना था जो चली गई थी ऐसे अच्छा हुआ जो सर तुम्हे मिल गए उन्हों तेरी सेफ्टी के लिए ही तो किया है।
श्रिया अच्छा हुआ जो मिल गए? लेकिन मिल कर जो उन्हें कहा और किया वह कैसे बताऊं ओर वह क्यों कहा और किया उन्होंने?"
स्मृति _ चल अब खड़ी क्या हैं कॉलेज भी जाना है हमें।
दोनों ही ब्रेकफास्ट कर वहां से कॉलेज के लिए निकल जाते हैं।"
कॉलेज क्लास रूम में.......
आज पहली क्लास शशांक लेने वाला था उसके क्लास में आते ही स्मृति एक पल गभरा जाती हैं और शशांक से अपनी नजरे चुराने लगती है वही शशांक को यह समझ आ रहा था ।
शशांक_ कल हमारी जान पहचान हो ही चुकी हैं सभी से... डोंट वरी में आपके अरण्य सर जितना स्ट्रिक्ट तो नहीं हु।
सभी क्लास राहत की सास लेती हैं अच्छा था उनकी एक सर तो स्ट्रिक्ट नहीं थे वरना अरण्य से तो उनको काफी डर लगने लगा था।"
शशांक पढ़ाने लगता है वही स्मृति इस बीच उसकी तरफ देखती तो दोनों की नजरे आपसमे टकरा जाती और स्मृति इस eye contact को अवॉइड करने की कोशिश कर रही थी।
क्लास खत्म होते ही शशांक चला जाता हैं लेकिन जाते जाते स्मृति को देखते हुए निकल जाता हैं।"
उसके जाने के बाद अरण्य क्लास में आता हैं उसके आते ही सभी स्टूडेंट्स एकदम से चुप हो जाते है।
क्लासरूम की हवा जैसे अचानक भारी हो गई थी।
हर लड़की की नजर कुछ पल को वहीं अटक गई पर उसका चेहरा इतना कोई ज़्यादा देर देखने की हिम्मत नहीं कर सका।
उसने सीधे बोर्ड पर लिखा “Micro Economics Market Structures”
उसने पढ़ाना स्टार्ट कर दिया और जैसे ही लेक्चर खत्म होने होने को हुआ उसने पलटकर कहा,
अरण्य _आज जो पढ़ाया है कल उसका टेस्ट होगा…
और जिसे जवाब नहीं आया उसे punishment मिलेगी।”
श्रिया जो इस बीच स्मृति की तरह ही अरण्य से नजरे नहीं मिला पा रही थी।
क्लास खत्म होते ही अरण्य वहां से निकल जाता है।
स्मृति जल्दी घर जा चुकी थी आज वहीं श्रिया टैक्सी का वेट कर रही थी क्योंकि उनकी घर पर फिलहाल कोई गाड़ी नहीं थी उसके दादा और दादी उनके किसी रिश्तेदार की तबियत खराब होने की वजह से वहां गए हुए थे और उसके मम्मी पापा भी किसी की शादी अटेंड करने गए हुए थे और उत्कर्ष भी काम से बाहर ही था और रही थी उसकी बड़ी बहन महिरा जोकि उसका श्रिया को खुद पता नहीं होता था कब आती हैं और जाती थी उनको अभी आने में कुछ दिन तो लगने ही वाले थे।
इसीलिए घर पर सिर्फ श्रिया और महीरा ही थे।"
श्रिया कबसे टैक्सी का wait कर रही थी लेकिन टैक्सी का कोई दूर दूर तक नामों निशान नहीं था।
श्रिया खुद से ही,
क्या यार एक तो कुछ देर बाद अंधेरा हो जाएगा लेकिन अभी तक टैक्सी नहीं मिल रही हैं ।
इतने में उसे गाड़ी के हॉर्न की आवाज सुनाई देती हैं जिसे सुनकर वह पीछे पलटती है जहां अरण्य की कार थीं और अरण्य ड्राइविंग सीट पर बैठा हुआ उसे ही घूर रहा था श्रिया ना समझी में उसकी तरफ देखती रहती है वही अरण्य उसे ना आता देख जोर जोर से हॉर्न बजाने लगता हैं श्रिया अपने कानों पर हाथ रख लेती है।
अरण्य गुस्से में कार से उतरता है और उसका हाथ पकड़ कर उसे गाड़ी की तरफ ले जाकर दरवाजा खोल अंदर बैठा देता हैं और खुद भी आकर बैठ जाता हैं.!"
श्रिया _ सर... यह अप क्या कर रहे हैं में खुद चली जाऊंगी।
अरण्य _ तो फिर इतनी देर से क्या कर रही थी यहां?"
श्रिया के पास उसका कोई जवाब नहीं था इसीलिए वह चुप ही बैठती हैं ।
बाहर बारिश भी शुरू हो चुकी थी और रास्ते पर कुछ ज्यादा ही ट्राफिक हो रहा था जिसमें उनकी गाड़ी भी अटक चुकी थीं श्रिया बाहर की तरफ देख रही थीं कब ट्रैफिक क्लियर होगा और कब वह घर पहुंच पाएगी उसे भूख लगी थी काफी ज्यादा।
तभी उसके पेट में से आवाजें आने लगती है श्रिया कि आंखें बड़ी बड़ी हो जाती है और वह अपने दोनों हाथों से पेट को दबाने लगती हैं ताकि उससे उसकी आवाजें ना आए लेकिन इसका उल्टा और ज्यादा ही आवाज आने लगती हैं श्रिया शर्म के मारे अपना पूरा सिर नीचे झुका लेती हैं।
अरण्य पीछे से एक packed निकालकर उसकी तरफ बढ़ा देता हैं श्रिया हैरानी से उसकी तरफ देखती हैं फिर उस packed को ले लेती हैं जिसमें कोल्डड्रिंक और बर्गर निकलता था जिसे देख उसके चेहरे पर लंबी सी स्माइल आ जाती हैं अरण्य को ऐसे फूड बिलकुल भी पसंद नहीं थे लेकिन पता नहीं क्यों आज उसने यह मंगवा लिया था श्रिया मजे से खाने लगती है.!"
कार धीरे धीरे आगे बढ़ रही थीं अचानक एक झटका लगता हैं और उसके हाथ में पकड़ी हुई कोल्डड्रिंक उसपर गिर जाती हैं उसका टॉप खराब हो चुका था ।
श्रिया _ क्या कर रहे हैं आप देखो ना कोल्डड्रिंक गिरा दी।
तभी उसे ध्यान आया कि उसने किस्से यह कहा है वह तिरछी नजरों से अरण्य को देखती हैं और अपना मुंह बंद कर लेती हैं।
अरण्य _ I Hate wasting my time like this ."
इतना बोल वह जोर से स्टेरिंग पर अपना हाथ दे मारता है।
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श्रिया और अरण्य को ट्रैफिक में फंसे हुए 1 घंटे से ऊपर होने को आया था।
तभी उसे महिरा की कॉल आने लगती हैं उसे देख श्रिया परेशान हो जाती हैं महिरा उसे ऐसे तो कॉल नहीं करती थी लेकिन आज क्या हो गया था जो वह कॉल कर रही थी उसके लेट होने पर।
श्रिया कॉल उठाती हैं,
श्रिया _ हेलो दी।
महिरा _ हेलो कहा हो तुम अब तक आई नहीं? प्रणव आया है इसीलिए कॉल किया है कब तक आ रही हैं तू?"
प्रणव का नाम सुनकर श्रिया अपने बगल में बैठे अरण्य को देखती हैं उसे प्रणव बिल्कुल पसंद नहीं था एक तो जैसे जबरदस्ती उसकी सगाई और शादी तय कर दी थी श्रिया झूठ बोलते हुए।
श्रिया _ दी में आज घर नहीं आ रही हु में स्मृति के साथ उसके घर पर हु प्रोजेक्ट के सिलसिले में।"
उसकी यह बात सुनकर अरण्य के चेहरे पर तिरछी मुस्कान आ जाती हैं।
वही उसकी यह बात सुनकर महिरा भी खुश हो जाती हैं उसके लिए यह मौका सही था प्रणव के साथ वक्त बिताने का।
महिरा _ ठीक है।
और फोन कट जाता हैं।
महिरा प्रणव को यह बात बताती है जिसे सुनकर उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता और गुस्सा आने लगता हैं उसने खास उसके लिए कैंडल लाइट डिनर तैयार करवाया था ।
महिरा _ देखो ना तुम उसे कितने प्यार से डिनर के लिए ले जाने के लिए आए थे लेकिन वो है कि स्मृति के साथ अपना टाइम एंजॉय कर रही होगी तुमने कितना प्यार से उसके लिए यह सब प्लान किया होगा मुझे तो तुम्हारे लिए बुरा लग रहा है।
वह प्रणव के बदलते हुए एक्सप्रेशन को देख रही थीं ।
प्रणव _ क्या तुम आना चाहोगी मेरे साथ?"
महिरा कुछ देर सोचने का नाटक करती हैं फिर बोली ।
महिरा _ सच में?"
प्रणव _ हा अगर तुम्हे कोई प्रॉब्लम ना हो तो।
महिरा _ मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है में रेडी होकर आती हु।
और वह अपने रूम में चली जाती हैं वहीं प्रणव में सोफे पर बैठ जाता हैं।
वही दूसरी तरफ.........
उनकी गाड़ी ट्रैफिक से निकल चुकी थीं ओर आगे बढ़ रही थी श्रिया सोच में पड़ गई थी अब वह घर तो जा नहीं सकती और स्मृति के यहां भी नहीं तो अब वह जाए कहा यही सोच रही थी।
वह देखती हैं कि अरण्य आगे की तरफ बढ़ रहा था उसने तो अबतक कुछ पूछा भी नहीं था और उसने भी कुछ बताया नहीं था कि उसे कहा छोड़ना है फिर वह कहा जा रहे थे?
श्रिया _ सर आप कहा ले जा रहे है मुझे?"
अरण्य _ अपने अपार्टमेंट में ।
श्रिया _ लेकिन में वहां नहीं आ सकती आपके साथ।"
अरण्य _ अच्छा तो फिर कहा जाओगी इतनी रात को अपने घर तुम जा नहीं सकती अगर अपनी दोस्त के घर जाना होता तो कब का बता चुकी होती।
श्रिया उसकी बात सुनकर चुप हो जाती हैं सच ही कहा था उसने अब वह जाए कहा यही तो वह सोच रही थी।"
श्रिया _ लेकिन में आपके साथ ऐसे कैसे?"
अरण्य _ मैने एक बार कह दिया ना मुझे बार बार रिपीट करना पसंद नहीं है समझ आया।
कुछ देर बाद कार एक बिल्डिंग के बाहर रुकती हैं अरण्य ने यहां पर एक बंगलों भी खरीद लिया था लेकिन फिर भी वह उसे इस अपार्टमेंट ले आया था।
अरण्य ओर श्रिया उतरकर लिफ्ट की तरफ बढ़ जाते है अरण्य आगे और श्रिया उसके पीछे चल रही थी।
लिफ्ट खुलती हैं और दोनों अरण्य के अपार्टमेंट के बाहर खड़े हुए थे अरण्य डोर ओपन करता है और दोनों अंदर चले जाते हैं ।"
अपार्टमेंट बेहद शानदार और लक्जरी था उनके घर से भी ज्यादा वह तो चारों तरफ देखती ही रह जाती है वह खुद से ही सोच में पड़ जाती हैं क्या सर प्रोफेसर होकर भी इतना ज्यादा कमाते होगे अब उसे कौन बताए कि अरण्य कितना ज्यादा कमा लेता था सिर्फ एक दिन का ही उसके लिए यह तो कुछ भी नहीं था..."
अरण्य _ अब देखती ही रहोगी या चलोगी भी आओ मेरे साथ।
अरण्य उसे अपने बेडरूम में ले जाकर बोला तुम्हारे कपड़े खराब हो चुके है कपड़े चेंज कर लो।
श्रिया _ लेकिन मेरे पास कपड़े नहीं है।
अरण्य उसे wordrobe से अपनी एक शर्ट निकाल कर दे देता हैं और कहता है।
अरण्य _ सुबह तुम्हारे लिए कपड़े आ जायेगे अभी के लिए इसे पहन लो।"
उसके लिए अभी कपड़े अरण्य मंगवा सकता था लेकिन अरण्य ऐसा नहीं चाहता था इसीलिए उसने उसे अपनी शर्ट दे दी थी श्रिया झिझकते हुए शर्ट ले लेती हैं और वहां से बाथरूम के अंदर चली जाती हैं।
उसके जाने के बाद अरण्य उसका फोन निकाल कर अपने फोन से किसी को message भेजता है और जो श्रिया के फोन पर पासवर्ड था वह खुल जाता हैं अरण्य कुछ देर उसके कुछ करने के बाद उसे वापस रख कर वहां से अपना लैपटॉप लेकर दूसरे रूम में आकर बैठ जाता हैं..!"
उसके सामने लैपटॉप की स्क्रीन खुली हुई थी जिस पर उसे एक लड़की की खुली हुई नंगी पीठ नजर आ रही थी वह और कोई नहीं श्रिया थी जो अभी नहा रही थीं।
श्रिया की अपर बॉडी नेक्ड थी उसने सिर्फ पैंटी पहनी हुई थीं और दूसरी तरफ उसका मुंह था इसीलिए अरण्य को सिर्फ उसकी गोरी नेक्ड पीठ दिखाई दे रही थीं।
अरण्य बेताबी से बोला,
अरण्य _मेरी तरफ देखो था यहां देखो चेरी में कबसे बेताब हुए जा रहा हूं उन्हें देखने के लिए दिखा दो।
उसके इतना बोलते ही श्रिया भी अचानक से उसकी तरफ ही घूम जाती हैं।
अब अरण्य के सामने श्रिया के गोल गोल रसीले से दिखने वाले उसके ब्रेस्ट सामने थे जिसे देख कर अरण्य पागल हुए जा रहा था वह लैपटॉप को उठाकर कर उसे चूम लेता है।
अरण्य _ कितने रसीले हैं यह इन्हें चूसने में कितना मजा आएगा एक दिन इन्हें पूरा निचोड़ कर इनका सारा रस पी जाऊंगा।"
अरण्य के निचले हिस्से में भी अब तो हलचल होने लगी थी उसका नीचे का पार्ट श्रिया के ब्रेस्ट देखकर और उसे इस हालत में देखकर खड़ा हो चुका था।
वही इस बात से अंजान श्रिया आराम से नहा रही थीं कि उसे इस तरह देखकर कोई पागल हुए जा रहा था।"
श्रिया नहाकर कर अपने आपको अच्छे से टॉवेल से पोंछ
कर अरण्य की दी हुई शर्ट पहन कर बाहर आ जाती हैं बाहर आकर वह देखती है कि रूम पूरा खाली था इसीलिए वह नीचे चली जाती हैं वहां भी अरण्य उसे नहीं दिखता है।
श्रिया खुद में ही,
श्रिया _ आखिर सर कहा चले गए मुझे अकेले यहां छोड़कर चले तो नहीं गए ना? मम्मा मुझे डर लग रहा है मुझे अकेले नहीं रहना सर आप कहा हो?"
उसके इतना कहते ही उसे अरण्य आता दिखाई देता हैं ऊपर की तरफ से उसने भी कपड़े बदल लिए थे।
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अब आगे..........
अरण्य श्रिया को देखते हुए ही नीचे की तरफ बढ़ रहा था क्या कयामत लग रही थीं वह उसकी शर्ट पहने हुए।
श्रिया का अरण्य की शर्ट पहना हुआ लुक आपको मेरे व्हाट्सएप चैनल पर मिल जाएगा वहां से देख लेना......
श्रिया उसे आता देख शर्ट को नीचे की तरफ खींचने की कोशिश कर रही थी उसने सिर्फ उसकी शर्ट पहन रखी थी लेकिन उसके अंदर कुछ नहीं जिससे उसे अनकॉर्टेबल फील हो रहा था।
वही अरण्य को उसके हल्के हल्के उभार नजर आ रहे थे जिन्हें देखते हुए वह नीचे की तरफ आ रहा था।
श्रिया पीछे की तरह जाने लगती हैं जैसे जैसे अरण्य नीचे आ रहा था वह पीछे की तरफ जा रही थीं..!
श्रिया पीछे खिसकती ही जा रही थी और वह टेबल से टकरा जाती हैं वहीं उसका हाथ वहां रखे कांच के वाश पर लगने से वह नीचे गिर जाता हैं ऑर साथ में श्रिया भी नीचे गिर जाती हैं।
श्रिया _ आह्ह.."
उसके हाथ में एक कांच का टुकड़ा धस गया था और वह आंखों में आसू लिए अपने हाथ को देख रही थीं खून की हल्की धार बहने लगी थीं।
अगले ही पल अरण्य की आवाज़ उसकी तरफ बढ़ते हुए गूंज उठी तेज़ ठंडी और गुस्से से भरी,
अरण्य _ध्यान कहाँ है तुम्हारा अगर तुम्हें ज़्यादा लग जाती तो?!”
वो झुककर उसका हाथ पकड़ता है।
अरण्य _कभी अपने आस-पास भी देखा करो हमेशा यूँ ही खोई रहती हो क्या?
वह उसे सोफे पे बैठाकर मेडिक बॉक्स लेकर उसके पास बैठता है और बिना कुछ बोले उसे अपनी गोद में बिठा लेता है।
श्रिया_सर मुझे .... मुझे नीचे उतरना है…"
उसकी आवाज़ कांप रही थी पर अरण्य ने उसे और पास खींच लिया,
अरण्य _चुप रहो हिलना मत।”
वो उसकी उँगलियों को धीरे से साफ करता है पट्टी बांधते हुए उसकी साँसें उसकी गर्दन से टकरा रही थीं।
श्रिया का दिल बेकाबू धड़कने लगा वो समझ नहीं पा रही थी कि ये डर है या कुछ और।
वो उठने की कोशिश करती है लेकिन अरण्य का हाथ उसकी कमर पर कस जाता है।
अरण्य _कहां जा रही हो?”
श्रिया _आप ऐसा क्यों कर रहे हैं हमारा रिश्ता सिर्फ़ टीचर-स्टूडेंट का है उससे ज़्यादा कुछ नहीं।”
अरण्य हल्का झुकता है उसकी खुशबू महसूस करते हुए बेहद धीमी मगर खतरनाक़ आवाज़ में कहता है ।
अरण्य _रिश्ता उससे कहीं गहरा है खबरदार जो मुझसे दूर जाने की कोशिश भी की।क्योंकि अब तुम मुझसे बच नहीं सकती।”
अरण्य ने उसकी उंगलियों पर अपने अंगूठे से हल्का दबाव देते हुए कहा ।
अरण्य _अब अगर खुद को फिर चोट पहुंचाई तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा तुम्हारे लिए समझीं?”
श्रिया उसकी बात सुनकर चुप ही बैठी रहती हैं लेकिन कुछ देर बाद वह उसकी गोद से उठने की कोशिश करने लगती हैं लेकिन अरण्य था कि उसे छोड़ ही नही रहा था
उसके इतना ज्यादा हिलने डुलने लगती हैं अरण्य अचानक उसका फेस पकड़ कर ऊपर उठा लेता है और अपने सख्त लिप्स को श्रिया के नर्म लिप्स पर रख उसे वाइल्डली किस करने लगता हैं।
अरण्य जैसे जन्मों का भूखा हो वैसे श्रिया को किस कर रहा था श्रिया की दबी हुई आवाज मुंह से निकल रही थीं वह पूरी फ्रिज हो चुकी थीं।"
श्रिया _ उम्मम उम्म..!"
वह खुदको छुड़ाने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसकी मजबूत पकड़ से छूट नहीं पा रही थी थक हार कर वह अपनी कोशिश बंद कर देती हैं।
वहीं अरण्य अपने एक हाथ से उसके ब्रेस्ट को पकड़ कर प्रेस कर देता हैं।
श्रिया _ आह्ह्हह्ह्ह.. उम्मन .!!
बिचारी की आवाज भी मुंह से निकल नहीं रही थी काफी देर तक वह उसके होठों को चूमने और काटने का सिलसिला जारी रखता साथ ही उसके शर्ट के ऊपर से धीरे धीरे से उसके ब्रेस्ट को प्रेस भी....
श्रिया को अब सांस लेने में प्रोबलेम होने लगी थी इस का अहसास अरण्य को हो चुका था इसीलिए वह लास्ट में उसके होठों को स्मूच कर छोड़ देता हैं।
श्रिया गहरी गहरी सांसे ले रही थी उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था अभी जो उसके साथ हुआ था।"
अरण्य उसके गले में काट लेता श्रिया की सिसक निकल जाती हैं अरण्य उसी पर फिर से किस कर कहता है ।
अरण्य _ अब से तुम पर सिर्फ मेरा हक है सिर्फ और सिर्फ अरण्य सिंघानिया का!"
कितनी नाजुक सी हो कुछ देर की किस भी संभाली नहीं जा सकी तुमसे। इससे आगे मुझे कैसे झेल पाओगी।
श्रिया खुदको छुड़ाते हुए बोली।
श्रिया _ यह गलत है आप मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते छोड़िए मुझे।
लेकिन वह अरण्य की मजबूत पकड़ से छूट नहीं पा रही थी काफी कोशिश के बाद भी उसके सारी कोशिश नाकाम हो रही थी थक हार कर वह कब उसके बाहों में सो गई उसे पता ही नहीं वही अरण्य उसकी छोटे से फेस को अपनी आंखों में जैसे समा लेना चाहता हो उस तरह से निहारे जा रहा था कभी उसके होठों पर तो कभी उसके गाल, नाक, आंखों पर वह किस किए जा रहा था।"
वही दूसरी तरफ...........
महिरा और प्रणव की कार एक शानदार skyline view restaurant के सामने आकर रुकती है जगह बिल्कुल वैसी थी जैसी किसी रोमांटिक फिल्म में होती है गुलाबों की सजावट, बीच में मोमबत्तियाँ, और दूर से बहती ठंडी हवा में हल्का सा म्यूजिक ।
महिरा की नज़रें एक पल को सब पर रुक गईं ।
उसके चेहरे पर ना जाने वाली स्माइल थी लेकिन दिल में जलन भी।
क्योंकि वह जानती थी ये सब उसके लिए नहीं था ये जगह ये टेबल ये हर रोमांटिक अरेंजमेंट…सब श्रिया के लिए था।
महिरा प्रणव से,
महिरा _कितनी लकी है श्रिया जो तुम्हारे जैसा पार्टनर उसे मिला…
वही मन ही मन लेकिन शायद अब उसकी ये किस्मत ज़्यादा देर टिकेगी नहीं।”
प्रणव बिना कुछ कहे उसे बैठने का इशारा किया।
प्रणव _तुम्हे क्या पसंद है जो चाहो ऑर्डर कर लो ।
महिरा ने फेक स्माइल के साथ menu उठाया पर उसने देखा प्रणव की नज़र बार-बार उसकी उंगली में पहनी रिंग पर जा रही थी वो वही रिंग थी श्रिया के साथ सगाई की।
वो उसे हल्के से घुमाने लगा जैसे किसी अनजाने ख्याल में खो गया हो महिरा के अंदर जैसे ज्वालामुखी उबल रहा हो ।
उसने मन ही मन कहा,
महिरा _हर बार… हर बार वो श्रिया ही क्यों हर बार वही सबकी पसंद क्यों बन जाती है अबकी बार नहीं अब तो उसे खुश नहीं रहने दूँगी।”
तभी waiter आकर खाना सर्व करता है दोनों बिना कुछ बाते किए डिनर करने लगते है महिरा बीच बीच में कुछ बोल भी रही थी लेकिन प्रणव जैसे उसको उसकी बातों में कोई इंट्रेस्ट ही ना हो ऐसा लग रहा था।
कुछ देर बाद पास बैठे musicians ने एक रोमांटिक ट्यून छेड़ दी ।
वही महिरा की आँखों में चमक आ जाती हैं उसे लगा अब प्रणव उसका हाथ थामेगा शायद उसके साथ डांस करेगा शायद आज वो उसे वैसे देखेगा जैसे वो चाहती है..."
पर प्रणव ने बिना ऊपर देखे बस इतना कहा,
प्रणव _Please stop that music.”
म्यूजिक रुक गया उसी पल महिरा के अंदर जो हॉप थी वह भी खत्म हो गई थी।
डिनर खत्म होते ही दोनों वहां से आहूजा हाउस के लिए निकल जाते हैं उसे वहां छोड़ प्रणव वहां से निकल जाता हैं महिरा बस उसकी जाती हुई कार को घूरे जा रही थीं।
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अब आगे............
अगली सुबह..............
श्रिया की नीद धीरे धीरे से खुलती हैं और वह नीद में ही बेड से उठकर अपनी आंखे मलते हुए वॉशरूम का दरवाज़ा खोलकर अंदर चली जाती है अंदर का नजारा देख श्रिया की जोरदार चीख निकल जाती हैं।"
श्रिया _ आह्ह्हह्ह..!!
वही अरण्य जो शॉवर के नीचे अपनी आंखें बंद किए हुए खड़े था वह चीख सुनकर अरण्य आंखे खोल लेता है।
उसके फैंस दूसरी तरफ था इसीलिए श्रिया ने उसको बैंक साइड नेक्ड देखा था लेकिन अरण्य श्रिया की आवाज सुनकर उसकी तरफ घूम जाता हैं जिससे अब श्रिया के आंखों के सामने उसका प्राइवेट पार्ट भी दिख रहा था जिसे देख उसकी आंखें बड़ी बड़ी हो जाती हैं।"
श्रिया के मुंह से अनजाने में ही निकल जाता हैं।
श्रिया _ क्या बॉडी है और कितना बड़ा है।"
वही उसकी बात सुनकर अरण्य के चेहरे पर डेविल स्माइल आ जाती हैं और वह बोला,
श्रिया _ क्या इसे छूना चाहोगी?"
वही श्रिया को अहसास होता हैं वह क्या बोल गई और वह वहां से जल्दी से भागने जाना चाहती थीं वह जैसे ही मुड़कर जाने वाली थीं कि अरण्य उसे पकड़ लेता है और बोला ,
अरण्य _इतनी जल्दी कहा चेरी आओ मेरे साथ तुम भी नहा लो।
श्रिया का हाथ पकड़कर वह उसे शॉवर के नीचे ले आता हैं शॉवर का ठंडा पानी उन दोनों के शरीर पर गिर रहा था श्रिया ने जो शर्ट पहनी हुई थीं वह भीगने की वजह से अब उसके बदन से पूरी चिपक चुकी थीं और उसकी बॉडी का शेप उभर कर दिख रहा था उसके वह गोरे गोरे ब्रेस्ट को अरण्य ऊपर से ही अपनी दोनो हाथों से उसके ब्रेस्ट को मुठ्ठी में भर लेता है।
श्रिया _ आह्ह छोड़िए सर आह्ह्ह..."!
श्रिया उसके दोनों हाथों को पकड़ लेती हैं और उन्हें छुड़ाने की कोशिश करने लगती है।
अरण्य को इससे गुस्सा आ जाता हैं और वह अपना एक हाथ उसके ब्रेस्ट से हटाकर उसके बालों को पकड़कर उसे चूमने लगता हैं।
श्रिया _ उम्मन आह्हह्ह...!!!
वह उसे बहुत ही वाइल्ड तरीके से चूम रहा था साथ ही उसके ब्रेस्ट को भी ज्यादा ही दबा रहा था बिचारी श्रिया उससे छूट भी नहीं पा रही थी।
कुछ देर बाद वह उसे छोड़ कर उसकी शर्ट को फाड़ देता हैं अब श्रिया उसके सामने पूरी नेक्ड हो चुकी थी शर्ट के अलावा उसने अंदर से कुछ भी नहीं पहना था ना ब्रा और पैंटी अरण्य के सामने वह पूरी नेक्ड हो चुकी थी अरण्य उसके पूरे शरीर को ललचाई नजरों से देख रहा था।
वही श्रिया अपने दोनों हाथों से उसके प्राइवेट पार्ट को छुपाने की कोशिश कर रही थी।
अरण्य _ छुपाने से कोई फायदा नहीं है आखिर यह सब कुछ मेरा ही है।
वह उसे दीवार की तरफ धकेल लेता है और उसके ब्रेस्ट को अपने मुंह में भर उन्हें शक करने लगता हैं साथ में उसके निप्पल को अपनी जीभ से छेड़ा जा रहा था।
श्रिया बस गहरी गहरी आहे भर रही थीं दर्द के साथ कही ना कही यह अहसास उसे भी अच्छा लग रहा था और वह बिना उसे रोके खुद उसे वह सब करने दे रही थीं काफी देर तक उनके साथ छेड़खानी करने के बाद वह उसके ब्रेस्ट को छोड़ देता है जो पूरे लाल हो चुके थे और उसपर रेड पर्पल निशान भी थे..!
श्रिया _ सर आप ऐसा क्यों कर रहे हैं यह सही नहीं हैं।
वह उसके किटी को ऊपर से सहलाते हुए कहता है,
अरण्य _ shhhh... एक भी शब्द अपने मुंह से मत निकालो समझी जो मेरा है उसे ही में ले रहा हूं समझी करने को तो बहुत कुछ करना है लेकिन अभी सही वक्त नहीं है।
श्रिया के शरीर में अजीब सी सिरहन दौड़ जाती हैं और उसकी नजरे दोबारा अरण्य के प्राइवेट पार्ट के तरफ चली जाती हैं।
दोनों साथ में ही नहाकर बाहर निकलते हैं श्रिया के लिए कपड़े मंगवा लिए थे अरण्य ने वह उसे दे देता है दोनो रेडी होकर ब्रेकफास्ट कर वहां से कॉलेज के लिए निकल जाते हैं इस बीच श्रिया अरण्य के साथ बोलती नहीं जब दोनों कॉलेज के पास पहुंच जाते हैं तब श्रिया बोली।
श्रिया _ सर मुझे यही उतार दीजिए में यही से आ जाऊंगी अगर किसी ने हमें साथ में देख लिया तो ?"
अरण्य _ अगर साथ में देख लिया तो क्या हो जाएगा?"
श्रिया अपने हाथों की उंगलियां मोड़ते हुए।
श्रिया _ सर प्लीज यही उतार दीजिए ना प्लीज..."
वह मासूम सी शक्ल बनाकर उसकी तरफ देखती हैं और अरण्य उसकी यह शक्ल देखकर उसे वहीं उतार कर वहां से कॉलेज की तरफ बढ़ जाता हैं।
श्रिया को तो यकीन नहीं हो रहा था जो भी कल और आज उसके साथ हुआ था श्रिया वहां से चलते हुए कॉलेज के अंदर बढ़ने लगती हैं तभी उसे पीछे से स्मृति की आवाज आती है वह पीछे मुड़कर देखती हैं जहां स्मृति आ रही थीं ..!"
स्मृति _ कहा से आ रही हैं तु?"
श्रिया _ क्या मतलब कहा से आ रही हु घर से ही आऊंगी और कहा से आने को बोल रही हो?"
स्मृति _ झूठ मत बोल मैने देखा था तुझे अरण्य सर की गाड़ी से उतरते हुए।
श्रिया खुदको नॉर्मल रखते हुए बोली,
श्रिया _ वो रास्ते में टैक्सी खराब हो गई थीं और इतने में सर वहां से गुजर रहे थे तो उन्होंने मुझे लिफ्ट दे दी।
स्मृति _ तुम वहां कॉलेज से दूर क्यों उतर गई यहां आकर भी तो उतर सकती थी?
श्रिया _ तुम क्या एक पुलिस की तरह से मुझसे सवाल जवाब कर रही हो तुम जैसे सवाल कर रही हों वैसे बाकी लोग भू सवाल कर मेरा दिमाग ना खा जाए इसीलिए वहीं उतर गई थी।
इतना बोल वह वहां से आगे बढ़ जाती हैं स्मृति उसके पीछे चलते हुए।
स्मृति _ अरे रुक ना में तो बस ऐसे ही पूछ रही थी तुम तो नाराज़ हो गई।
और वह भी साथ में चलने लगती हैं दोनों क्लास की तरफ चली जाती हैं उनके पीछे हो ईशा भी आ रही थी वह खुद से ही।
ईशा _ तुम अपनी खूबसूरती का जाल बिछा कर अरण्य सर को फसाना चाहती हो ना श्रिया लेकिन में ऐसा होने नहीं दूंगी।
उसने भी श्रिया को अरण्य की कार से उतरते हुए देख लिया था वो भी वहां से सीधा क्लास की तरफ बढ़ जाती हैं।
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