ये कहानी है एक ऐसी लड़की की जो अपने मां बाप के साथ रहते हुए भी बिना किसी प्यार के बड़ी हुई है। फिर उसकी लाइफ में आता एक ऐसा शक्श जो अपने साथ ना सिर्फ खुशियां लाता है बल्कि एक ऐसा राज लाता है जिस से वो लड़की हिल जाती है। अब वो राज क्या ये आपको कहानी म... ये कहानी है एक ऐसी लड़की की जो अपने मां बाप के साथ रहते हुए भी बिना किसी प्यार के बड़ी हुई है। फिर उसकी लाइफ में आता एक ऐसा शक्श जो अपने साथ ना सिर्फ खुशियां लाता है बल्कि एक ऐसा राज लाता है जिस से वो लड़की हिल जाती है। अब वो राज क्या ये आपको कहानी में ही पता चलेगा।
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रोमानिया रोमानिया, यूरोप का एक देश है, जो अपनी खूबसूरती के लिए विख्यात है। यहाँ का खाना, लोग, घूमने की जगहें, यहाँ का मौसम, सब अपने आप में एक अलग पहचान रखते हैं। यहाँ एक और चीज़ है जो अपनी अलग पहचान रखती है, वह है यहाँ का माफिया राज। पूरी दुनिया में कई जगहों पर माफियाओं का राज चलता है, जिनमें से रोमानिया एक है। जैसे हर देश की एक राजधानी होती है, वैसे ही हर छोटे-बड़े माफिया गैंग का एक सरताज ज़रूर होता है। यूरोप के माफियाओं की राजधानी रोमानिया है और यहाँ का सरताज है ऑलिवर मार्टिन। यूरोप की सभी गैंग आराम से अपना काम करती हैं, बिना किसी परेशानी के। लेकिन अगर कोई समस्या होती है, तो उसे किसी पंचायत के सरपंच की तरह निपटाने का काम वहाँ के सरताज का होता है। लेकिन अगर यह सरताज ने ही कुछ किया हो, तो उसके गुनाहों की सजा देने की ज़िम्मेदारी बाकी के सरताजों की होती है, जो अपने-अपने महाद्वीपों पर मौजूद हैं। दुनिया में केवल पाँच ही सरताज मौजूद हैं, जो आपसी सहमति से काम करते हैं, लेकिन आंतरिक परेशानियाँ सबकी बनी रहती हैं। ये पाँच सरताज एशिया, यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में मौजूद हैं। ऑस्ट्रेलिया अपने कठोर कानूनों के चलते किसी गैंग को पनपने नहीं देता, लेकिन चोरी-छिपे ये अपना अवैध व्यवसाय करते हैं। जैसे एक राजा के बाद उसका वारिस उसका बेटा होता है, ठीक वैसा ही कानून यहाँ भी लागू है। लेकिन अगर किसी का बेटा नहीं है, तो वहाँ की सबसे ताकतवर गैंग का लीडर सरताज बनता है। ऑलिवर मार्टिन अपने सख्त व्यवहार और कानून को लेकर हमेशा चर्चा का विषय रहता है। उसके दो ही उसूल हैं: ड्रग्स और ह्यूमन ट्रैफिकिंग छोड़कर जो करना है, वह बिज़नेस कर सकते हैं। लेकिन अगर कोई ये बिज़नेस करता पाया गया, तो उसकी हालत बद से बदतर करने में ऑलिवर कोई कसर नहीं छोड़ता। ऑलिवर लगभग पचास वर्ष का आदमी है, लेकिन अपनी फिट बॉडी की वजह से कोई उसकी असली उम्र बताने में सफल नहीं होता। ऑलिवर की एक पत्नी थी, जिससे वह बहुत प्यार करता था, लेकिन किसी बीमारी से उसकी मृत्यु हो गई। उसके बाद उसने अपने बेटे को पालने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मार्टिन मेंशन यह एक बेहद आलीशान बंगला था, जिसके आस-पास कोई और घर मौजूद नहीं था। इस मेंशन के सामने एक बड़ा सा गार्डन बना हुआ था, वहीं पीछे की तरफ एक बड़ा पूल मौजूद था। इस पर हुआ गोल्डन कलर इसे किसी महल जैसा दिखा रहा था। गेट से लेकर अंदर तक काले रंग के कपड़ों में गार्ड खड़े हुए थे, जो किसी चिड़िया को भी पर नहीं मारने देने में सक्षम थे। अंदर हॉल में एक बड़ा झूमर टंगा हुआ था, जिसके नीचे सोफे लगे हुए थे। उन सोफों में से एक पर बैठा हुआ था यूरोप का सरताज, ऑलिवर मार्टिन। गहरे नीले रंग के सूट में, हल्के सफेद बाल और हल्की दाढ़ी में, कोई उसकी असली उम्र पहचानने में गलती कर सकता था। वह अपना न्यूज़पेपर पढ़ने में व्यस्त था, तो वहीं घर के नौकर अपना काम करने में। वहीं ऊपर एक आलीशान कमरे के किंग साइज़ बेड पर एक लड़का सोया हुआ था। 6’1 की हाइट, जिम में बनाई हुई बॉडी, वहीं उसकी पीठ पर बना एक टैटू उसकी शर्टलेस बॉडी को और भी खूबसूरत बना रहा था। जैसे ही उसने करवट ली, उसके घने ब्राउन बाल उसकी आँखों पर आ गए। कुछ ही समय बाद उसने धीरे से अपनी आँखें खोली और उठकर बैठ गया। आँखें खुलते ही उसने अपनी हल्की नीली आँखों से घड़ी की तरफ देखा, तो चौंक गया। वह जल्दी से उठा और अपने कपड़े लेकर बाथरूम में भाग गया। मि. मार्टिन आराम से बैठे हुए थे, जब सीढ़ियों से उन्हें किसी के उतरने की आवाज़ सुनाई दी। "आज तुम लेट हो, सोन।" उन्होंने बिना मुड़े ही कहा और अपने हाथ में पकड़ा कप होठों से लगा लिया। "सॉरी डैड, कल थोड़ा लेट हो गया था पार्टी में और ड्रिंक भी ज़्यादा हो गई थी।" उस लड़के ने सर झुकाते हुए कहा, मानो उसे अपने किए पर बहुत शर्मिंदगी हो। "अब तुम्हें ये सब छोड़ना होगा, क्योंकि अब तुम्हें शादी करनी होगी।" उन्होंने जैसे ही कहा, उस लड़के को एक बड़ा झटका लगा और इसी के चलते वह जल्दी से खड़ा हो गया। "ये आप क्या कह रहे हैं डैड, शादी?" वह अब भी अपने झटके से बाहर नहीं आया था। "कल रात के नशे के साथ अपनी याददाश्त भी उड़ा आया हो क्या, देव? क्या तुम्हें ये याद नहीं कि मेरी गद्दी पर तुम्हें ही बैठना है और उसके लिए शादी करना बहुत ज़रूरी है।" उन्होंने गुस्से से कहा, तो वह अपनी जगह पर बैठ गया। यह है ऑलिवर मार्टिन का बेटा, देवांश मार्टिन। कहने को यह रोमानियन है, लेकिन इसकी माँ हिन्दू होने के कारण उसका यह नाम पड़ा। ना केवल नाम, बल्कि ऐसी बहुत सी चीज़ें थीं जो इसने अपनी माँ से सीखी थीं और उन्हें यह आज तक फॉलो भी करता था। यह अपने काम के प्रति बहुत सीरियस रहता है, वहीं इसके होठों पर मुस्कान देखना ईद के चाँद देखने के बराबर है। "सॉरी डैड, शायद दिमाग से निकल गया था।" उसे कुछ याद आया, इसलिए वह अब चुपचाप बैठ गया था। "चलो अच्छा है, तुम्हें याद तो आया कि तुम्हें मेरी गद्दी पर बैठना है और सारा साम्राज्य संभालना है।" ऑलिवर ने हल्की नाराज़गी से कहा, तो देव कुछ नहीं कह पाया, क्योंकि वह जानता था कि उसकी गलती है कहीं न कहीं। "मैंने तुम्हारी शादी फिक्स कर दी है और अगले हफ्ते तुम्हें शादी करनी है।" उन्होंने अपनी कॉफी का मग टेबल पर रखा और वहाँ से चले गए। वहीं उनकी बात सुनकर देवांश के चेहरे के भाव बिल्कुल बदल गए।
"मैंने तुम्हारी शादी फिक्स कर दी है।" ऑलिवर ने कहा और अपना कॉफी मग टेबल पर रखकर वहाँ से चला गया। उनकी बातें सुनकर देवांश के चेहरे के भाव बदल गए। ऐसा लग रहा था जैसे उसे यह बात बिल्कुल रास नहीं आई थी।
वह भी उठा और तुरंत अपने कमरे की ओर बढ़ गया। कमरे का दरवाजा खोला तो वहाँ बहुत कम रोशनी थी, लाइट बंद होने की वजह से; लेकिन देवांश ने भी लाइट जलाने की जहमत नहीं उठाई।
उस अंधेरे में एक किंग साइज़ सोफ़े पर एक साया, किसी राजा की तरह बैठा हुआ था, जिसे साफ़ तौर पर देख पाना संभव नहीं था।
"क्या हुआ? कुछ परेशान लग रहे हो?" उस साये ने देवांश से सवाल किया।
"परेशान ना होऊँ तो और क्या करूँ? डैड ने मेरी शादी फिक्स कर दी है, और वह भी पता नहीं किसके साथ। तू जानता है ना, मैं यह शादी-वादी नहीं करना चाहता।" देवांश ने उस साये को देखते हुए कहा।
"तुझे आगे जाकर अपने पापा का यह माफ़िया बिज़नेस संभालना है, तो उसके लिए यह करना बहुत ज़रूरी है। और शादी करना कुछ बुरा नहीं है। एक बार जाओ, देखो लड़की कौन है, उससे बात करो, तब अपना डिसीज़न लो, समझे?" उस साये ने समझाया। तब कहीं जाकर देवांश को समझ आया कि वह क्या गलती कर रहा था।
"हाँ, तुम सही कह रहे हो। मुझे एक बार उस लड़की से मिलना चाहिए और उससे बात करनी चाहिए। लेकिन क्या मैं उस लड़की से कभी प्यार कर पाऊँगा? क्योंकि मैं उसे जानता भी नहीं हूँ।" देवांश एक बार फिर दुखी हो गया था क्योंकि वह बिना वजह किसी लड़की की ज़िन्दगी बर्बाद नहीं करना चाहता था।
"तो टाइम लो, शादी करो और आराम से उसे समझो। ऐसा नहीं है कि अरेंज मैरिज में प्यार नहीं होता। होता है, बहुत होता है। प्यार होने के लिए शादी से पहले प्यार होना ज़रूरी नहीं है, समझे?" उस साये ने उसे एक बार और समझाया।
"क्या बात है? तुम्हें बहुत जानकारी है प्यार की। कितनी बार किया है प्यार?" देवांश ने मज़ाक करते हुए पूछा।
"अभी तक तो नहीं हुआ, लेकिन जब होगा, तब सबसे पहले तुम्हें बताऊँगा।" साये ने कहा और मुस्कुरा दिया। उसकी मुस्कान उस अंधेरे में तो नहीं दिख रही थी, लेकिन उसके अल्फ़ाज़ों से साफ़ ज़ाहिर था कि वह मुस्कुरा रहा था।
"मुझे इंतज़ार रहेगा तुम्हारे प्यार और इज़हार का। चलो, अभी चलता हूँ, थोड़ा काम से बाहर जाना है।" देवांश ने कहा और कमरे से बाहर निकल गया। वहीं वह साया एकटक शून्य को निहार रहा था, जैसे कुछ सोच रहा हो।
दूसरी तरफ़, एक घर था जो न ज़्यादा बड़ा था, न ज़्यादा छोटा। शहर के अंदर होने के कारण इसके आस-पास बहुत से घर थे। उस घर के बाहर एक गाड़ी खड़ी थी, शायद यह इसी घर के मालिक की गाड़ी थी। अंदर से कुछ आवाज़ें आ रही थीं, जैसे कोई किसी बात पर बहस कर रहा हो।
"मॉम, ये आप क्या कह रही हैं? मैं शादी कर लूँ, वह भी उस माफ़िया से? बिल्कुल नहीं।" अमारा ने झल्लाते हुए कहा।
"तो परेशानी क्या है अमारा? के तू ऐसे रही हो जैसे तू किसी पुलिस वाले की बेटी हो! भूल मत, हम भी माफ़िया ही हैं, समझी?" मिसेज़ ग्रे ने घुर्राते हुए कहा।
"लेकिन आप जानती हैं मॉम कि उसके बारे में सब क्या बातें करते हैं। उसने अपनी गर्लफ्रेंड को मार डाला था।" अमारा ने एक और दलील दी।
"वह सब मैं नहीं जानती। मुझे सिर्फ़ इतना पता है कि देवांश मार्टिन यूरोप का होने वाला सरताज है और उससे तुम्हारी शादी होने का मतलब है हमारा पॉवरफ़ुल होना, और यह मौका मैं किसी भी कीमत पर नहीं खो सकती, समझी तुम?" मिसेज़ ग्रे ने उसके दोनों गालों को अपने अंगूठे और उंगलियों के बीच में दबाते हुए कहा।
अमारा कुछ कहती, उससे पहले ही मि. ग्रे वहाँ आ गए।
"कल देवांश मार्टिन तुमसे मिलने आ रहा है। अगर तुमने कोई गड़बड़ की या उसके सामने कोई बदतमीज़ी की, तो याद रखना, मैं तुम्हारी खाल उधेड़ने से भी पीछे नहीं हटूँगा, समझी तुम?" उन्होंने गुस्से से कहा और अपनी पत्नी का हाथ पकड़कर वहाँ से बाहर निकल गए।
अमारा ग्रे सुंदर सी, लेकिन थोड़ी डरी-डरी रहने वाली लड़की थी। ना जाने उसे किस बात का डर सताता था। वह अभी कुछ दिनों पहले ही अठारह साल की हुई थी। बड़ी-बड़ी पलकें, गुलाबी होंठ, गर्दन से थोड़ा नीचे आते बाल उसे बहुत खूबसूरत बनाते थे; लेकिन एक कमी जो उसमें दिखती थी, वह थी उसकी दुबली-पतली काया। वह अपनी उम्र के बच्चों से कुछ ज़्यादा ही कम वज़नी थी।
वह चुपचाप चलते हुए अपने कमरे में आई, जो ज़्यादा बड़ा नहीं था, न ही वहाँ ज़्यादा सामान मौजूद था। वह धम्म से अपने बेड पर बैठ गई और अपने घुटनों को मोड़कर उन पर अपने हाथ लपेट लिए।
उसे रोना आ रहा था अपनी किस्मत पर। ना जाने उसके मन में क्या ख्याल चल रहे थे।
"मुझे यह शादी नहीं करनी।" उसने रोते हुए खुद से कहा।
"आखिर परेशानी क्या है शादी करने में?" कमरे में एक आवाज़ गूँजी। अमारा ने इस तरफ़ देखा तो उसका प्रतिबिम्ब खड़ा था।
"वह माफ़िया है, लोगों को मारना काम है उसका।" वह अब भी रो रही थी।
"दुनिया में हर एक ताक़तवर इंसान कमज़ोर या बुरे लोगों को मारता है और तुम्हारे पिता भी एक माफ़िया हैं।" प्रतिबिम्ब की आवाज़ आई।
"लेकिन सब कहते हैं उसने अपनी गर्लफ्रेंड को मार डाला था।" अमारा ने फिर वही दलील दी।
"सब कहते हैं उसने अपनी गर्लफ्रेंड को मार डाला। क्या किसी ने उसके पीछे का सच बताया? क्या कभी किसी ने इसकी वजह जानने की कोशिश की?" उस प्रतिबिम्ब की बात सुनकर अमारा का रोना कुछ कम हुआ। क्योंकि कहीं न कहीं उसकी बात सही थी।
"मेरे ख्याल से तुम्हें शादी कर लेनी चाहिए। क्या पता यहाँ से कुछ बेहतर मिल जाए तुम्हें वहाँ। और अपने पापा की धमकी को मत भूलना।" उस प्रतिबिम्ब ने कहा और गायब हो गया। वहीं अमारा एक बार फिर सोच में डूब गई।
उसने कुछ सोचा और उठ खड़ी हुई।
"मैं यह शादी करूँगी, फिर जो होगा देखा जाएगा।" उसने खुद से कहा और एक झटके में अपने आँसू पोछ लिए।
यह शादी करने का फैसला आखिर क्यों लिया था अमारा ने? क्या चल रहा था उसके दिमाग में?
अमारा ने फैसला कर लिया था कि वह देवांश से शादी कर लेगी ताकि उसके माँ-बाप उसे माफ़ कर दें।
देवांश नहाकर बाथरूम से बाहर निकला। उसके शरीर पर बस एक तौलिया था। बालों से निकलता पानी उसके शरीर से बहकर नीचे जा रहा था। उसकी एब्स पैक्स बॉडी पर वह फिसलता पानी किसी मोती की तरह नज़र आ रहा था।
वह जल्दी से अपनी अलमारी की ओर गया और वहाँ से कपड़े निकालकर पहनने लगा। उसने एक ब्राउन टैक्सीडो पहना जो उसकी बॉडी में बहुत स्मूथली फिट हो रहा था, जैसे बता रहा हो कि उसके टेलर ने बहुत अच्छा काम किया था। ब्राउन टैक्सीडो के साथ व्हाइट शर्ट और टाई; पहले बालों को जेल से सेट किया; वह किसी हॉलीवुड हीरो को मात देने की काबिलियत रखता था।
कुछ ही देर में वह तैयार होकर अपने स्टडी रूम में चला गया, जो उसी के कमरे में खुलने वाले एक दरवाज़े के पार था। वह अंदर गया तो देखा, एक अँधेरे से टेबल पर वह साया किसी राजा की तरह विराजमान था।
"तो तुम तैयार हो अपनी होने वाली दुल्हन से मिलने के लिए?" उस साये ने सवाल किया।
देवांश उसके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया।
"आप मज़ाक उड़ा रहे हैं मेरा?" देवांश थोड़ा तुनककर बोला।
"अरे, मैं भला तुम्हारा मज़ाक क्यों उड़ाने लगा? जो सच है वही तो कहा।" उस साये ने हल्का मुस्कुराते हुए कहा। देवांश थोड़ा चिढ़ गया था।
"मैं जा रहा हूँ, आप उड़ाइए मेरा मज़ाक।" देवांश ने मुँह बिगाड़ा और बाहर निकल गया। उसके साथ ही उस साये की जोर की हँसी स्टडी रूम में गूंज गई।
देवांश बाहर आया तो उसका सिक्योरिटी हेड वहीं खड़ा था, जिसका नाम लूका था। यह बहुत वक़्त से देवांश के साथ था और उन चंद लोगों में शामिल था जिन पर देवांश बहुत ज़्यादा भरोसा करता था।
देवांश के वहाँ आते ही लूका ने उसे सर झुकाकर हेलो किया। देवांश ने भी सर हिला दिया। लूका ने गाड़ी का गेट खोलते ही वह अपनी कार में बैठ गया और गाड़ियों का एक काफ़िला उस महल से बाहर निकल गया।
कुछ ही देर में वह काफ़िला एक बड़ी सी बिल्डिंग के पास आकर रुका, जो मार्टिनस की ही कंपनी की बिल्डिंग थी। वह बिल्डिंग लगभग 50 मीटर की होगी, जिस पर बहुत बड़ा गोल्डन साइन लगा हुआ था, जिस पर तीन ही अक्षर थे और वो थे मार्टिन।
यह कंपनी ऑलिवर ने अपनी पत्नी देवयानी के साथ शुरू की थी, जो पूरे विश्व में एक्सपोर्ट और इम्पोर्ट का काम करती थी। यह भी एक काम था जो यूरोप का सरताज माफ़ियागिरी के अलावा किया करता था।
देवांश पूरे टशन के साथ अपनी गाड़ी से उतरा और अपने कोट की बटन बंद करता हुआ अंदर की ओर बढ़ गया। वहाँ मौजूद सभी लोग बहुत हसरत भरी निगाहों से देख रहे थे, फिर चाहे वह लड़की हो या लड़का। देवांश जितना दिखने में स्मार्ट था, उतना ही दिमाग से भी तेज था और उसकी इन सबके अलावा एक और ख़ासियत थी कि वह आज तक किसी लड़की के करीब नहीं गया था।
वह लम्बे-लम्बे डग भरता हुआ अपने केबिन में पहुँच गया। उसने जैसे ही अपने ऑफिस का गेट खोला, वैसे ही एक लड़की भागते हुए आई और उसके गले लग गई। उसे देखकर एक बार को तो देवांश के एक्सप्रेशन बदल गए, लेकिन फिर वह नॉर्मल हो गया।
"क्या हुआ एमिली, तुम इतनी खुश क्यों हो?" उसने उस लड़की, यानी एमिली को खुद से अलग करते हुए सवाल किया।
वह लड़की उससे अलग हुई। वह बहुत खुश दिखाई दे रही थी, जैसे उसे कोई अनोखा तोहफ़ा मिल गया हो।
"बस यूँ ही, आज खुश हूँ मैं, क्योंकि मॉम को आज हॉस्पिटल से छुट्टी मिल रही है।" उसने खुशी से चहकते हुए कहा।
उसकी बात सुनकर देवांश को बहुत तसल्ली हुई, क्योंकि एमिली की माँ कई दिनों से हॉस्पिटल में एडमिट थी, जिसकी वजह से वह काफ़ी दुखी थी। एमिली भी एक ऐसी इंसान थी जिस पर देवांश भरोसा करता था।
"चलो अच्छा है, एटलीस्ट अब तुम काम पर फ़ोकस थोड़ा तो कर पाओगी।" देवांश ने उसे चिढ़ाते हुए कहा। एमिली का मुँह बन गया।
"अच्छा ठीक है, अब मुँह मत बनाओ और जल्दी से जो प्रोजेक्ट दिया था उसे पूरा करो और मेरी जितनी भी मीटिंग्स हैं, अब दोपहर बाद की, उसे पोस्टपोन कर दो।" देवांश ने एक ही साँस में पूरी बात कह दी थी।
वह अपनी चेयर के पास आया और अपना कोट उतारकर साइड में लगे एक स्टैंड पर टाँगकर अपनी कुर्सी पर बैठ गया। हल्की बियर्ड, ब्राउन आँखें, जेल से सेट किए बाल, व्हाइट बॉडी फिट शर्ट जो उसके एब्स को दिखाने में काफ़ी सफल लग रही थी। उसने अपनी शर्ट की बाजुओं को कोहनी तक फ़ोल्ड कर लिया। वह इस वक़्त इतना हैंडसम लग रहा था, जैसे कोई ग्रीक का देवता हो। कोई भी इस वक़्त उस पर मोहित होने के लिए तैयार रहता, फिर चाहे लड़का हो या लड़की।
"वैसे देवांश, एक बात तो माननी पड़ेगी, तुम हैंडसम तो हो।" एमिली उसके सामने वाली चेयर पर बैठते हुए बोली। एमिली देवांश की कॉलेज की फ्रेंड थी, जो अब उसके लिए असिस्टेंट का काम करती थी, लेकिन उसमें कुछ और ख़ासियतें भी थीं, जो आपको आगे पता चलेंगी।
"मुझसे फ़्लर्ट करना हो गया हो तो अब काम करो चुपचाप।" देवांश ने बिना अपनी नज़र फ़ाइल से उठाए कहा और अपना काम करता रहा।
"हाँ, ठीक है, कर रही हूँ अपना काम।" उसने मुँह बनाया और खड़े होकर अपनी डेस्क पर चली गई। देवांश के केबिन से निकलते ही वह होठों ही होठों में मुस्कुराया और अपना काम करता रहा।
देवांश को काम करते हुए लगभग दोपहर के दो बज गए थे, लेकिन उसे न समय का होश था, ना खाने-पीने का। वह अभी कुछ देर और व्यस्त रहता कि उसके फ़ोन में एक मैसेज आया, जिसे सुनकर उसका ध्यान टूटा। उसने फ़ोन चेक किया तो पता चला कि वह लेट हो चुका है और उसे अभी कहीं पहुँचना भी था।
उसने एमिली को बुलाया और सब समझाते हुए वहाँ से निकल गया, लेकिन लूका ने उसका साथ यहाँ भी नहीं छोड़ा था।
देवांश के फ़ोन पर एक मैसेज आया जिससे वह होश में आया कि उसे कहीं जाना था। उसने जल्दी से एमिली को बुलाया और सारा काम समझाकर निकल गया, लेकिन लूका उसके साथ ही था।
देवांश की कार और उसके आगे-पीछे तीन-चार कारें चल रही थीं, जो किसी काफ़िले से कम नहीं थीं। यह काफ़िला किसी को भी यह दिखाने के लिए काफ़ी था कि ये गाड़ियाँ किसकी हैं।
देवांश कार में बैठा अपनी ही सोच में गुम था। वह यह शादी नहीं करना चाहता था, लेकिन अपने पिता के ख़िलाफ़ नहीं जा सकता था। और सबसे बड़ी बात, उसे सरताज की कुर्सी संभालनी थी, जिसके लिए उसकी बीवी का होना बहुत ज़रूरी था।
वह इसी सोच में गुम था जब वह मि. ग्रे के घर पहुँच गया। लूका ने उसके लिए गेट खोला, जिससे वह तुरंत बाहर निकल गया।
मि. और मिसेज़ ग्रे पहले से ही उसका इंतज़ार कर रहे थे।
"कैसे हैं आप, मि. मार्टिन?" मि. ग्रे ने उसे कुछ ज़्यादा ही मक्खन लगाते हुए कहा।
"मुझे सर बुलाओगे तो ज़्यादा बेहतर रहेगा।" देवांश ने बिना किसी भाव के कहा। उसे मक्खन लगाने वाले और चापलूस लोगों से सख़्त नफ़रत थी। वहीं, देवांश का एटीट्यूड देखकर लूका को हँसी आ रही थी क्योंकि वह इतना एटीट्यूड वाला बंदा नहीं था जितना वह बाहरवालों को दिखाता था।
"आइए सर, अंदर चलते हैं।" मि. ग्रे ने एक बार फिर चापलूसी की, जिसे देवांश ने इस बार पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया। वे सब अंदर आ गए और हॉल में बैठ गए। वहीं, लूका देवांश के पीछे हाथ बाँधे खड़ा हो गया था। मि. ग्रे उससे और बात करना चाहते थे, लेकिन वह ज़्यादा बोलने वाला इंसान नहीं लग रहा था, इसलिए चुप थे।
"मेरे पास पूरा दिन नहीं है, इसलिए अपनी बेटी को जल्दी बुलाइए।" उसने अपनी कठोर आवाज़ में कहा। उसकी बात सुनकर वे दोनों पति-पत्नी हड़बड़ा गए और जल्दी से अंदर चले गए।
वहीं दूसरी तरफ, अमारा अपने कमरे में इधर-उधर टहल रही थी। जब से उसने देवांश की आवाज़ सुनी थी, उसके पूरे बदन में सिहरन दौड़ गई थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह देवांश का ख़ौफ़ है या कुछ और। वह अभी टेंशन में टहल ही रही थी कि उसके कमरे का दरवाज़ा खुला और मि. और मिसेज़ ग्रे अंदर आ गए। उनके ऐसे अचानक आने से वह थोड़ी घबरा गई थी।
"देवांश बाहर आ चुका है और तुम्हें बुला रहा है। तो चुपचाप उसके पास जाओ और उससे बात करो। अगर तुमने कुछ और किया या कोई गड़बड़ की, तो देखना फिर तुम।" मिसेज़ ग्रे ने उसे आँखें दिखाते हुए कहा, जिससे वह और भी डर गई।
"मैं कोई गड़बड़ नहीं करूँगी, मम्मी।" उसने काँपती आवाज़ में कहा।
"यही तुम्हारे लिए अच्छा भी होगा। अब चलो जाओ और उससे बात करके उसे इम्प्रेस करो।" मिसेज़ ग्रे ने कहा और उसे बाहर जाने का इशारा किया।
उनका इशारा पाकर अमारा चुपचाप बाहर निकल गई और हॉल की ओर बढ़ गई। जैसे-जैसे उसके कदम देवांश की ओर बढ़ रहे थे, वैसे-वैसे उसका दिल बहुत ज़ोर से धड़क रहा था, जिसका रीज़न उसे भी नहीं मालूम था। जैसे ही वह हॉल में आई, उसने देखा सामने दो आदमी थे। एक जो सोफ़े पर बैठा अपने फ़ोन में बिज़ी था, वहीं दूसरा उसके पीछे अपने हाथ बाँधे खड़ा था।
अमारा धीरे कदमों से अंदर आ गई। उसके कदमों की आहट सुनकर देवांश ने सर उठाकर उसे देखा, तो देखता ही रह गया। गोरा चेहरा, उस पर आते हुए भूरे बाल, गुलाबी होंठ, जिन्हें लाल लिपस्टिक से रंगा हुआ था। उसने एक पिंक कलर की मिडी पहनी हुई थी, जिस पर लैवेंडर फूल बने हुए थे। उसने अपने कानों में उसी फूल के इयरिंग्स पहने हुए थे। दुबली-पतली सी काया में वह सामने खड़ी हुई थी, और देवांश उसे देखे जा रहा था।
देवांश ने एक इशारा किया, और उसका इशारा पाते ही लूका वहाँ से बाहर निकल गया। अब उस हॉल में सिर्फ़ अमारा और देवांश बचे हुए थे। जहाँ अमारा अपना सर झुकाकर खड़ी हुई थी, वहीं देवांश लगातार उसे घूर रहा था, जिसे अमारा ख़ुद पर बखूबी महसूस कर पा रही थी, लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि एक नज़र भी देवांश को उठाकर देख सके।
"तुम्हारा नाम क्या है?" देवांश ने बिना पलक झपकाए उसे देखते हुए सवाल किया।
"अ... अमारा।" उसने घबराते हुए जवाब दिया। देवांश उसकी घबराहट को अच्छे से भांप रहा था।
"उम्र क्या है तुम्हारी?" उसने अगला सवाल किया।
"जी, कुछ दिनों पहले अठारह की हुई हूँ।" इस बार अमारा ने सहजता से जवाब दिया था।
देवांश को सामने खड़ी यह लड़की बेहद प्यारी लगी थी, और उससे भी प्यारी थी इसकी यह आवाज़, जिसे वह बस सुनता रहना चाहता था। अमारा को देखकर ना जाने देवांश के मन में क्या भावनाएँ आ रही थीं कि वह बस उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी गोद में बिठाना चाहता था ताकि सब से उसे छुपाकर रख सके।
"तुम्हें इस शादी से कोई परेशानी तो नहीं है ना?" देवांश ने उससे यह सवाल कर तो लिया था, लेकिन अब उसे डर था कि कहीं यह लड़की मना ना कर दे। कहीं वह यह शादी नहीं करना चाहता था, और कहीं अमारा को देखते ही उसे खोने का डर भी सताने लगा।
वहीं अमारा ने जब देवांश का सवाल सुना, तो उसे मि. और मिसेज़ ग्रे के कहे शब्द याद आने लगे।
"अगर तुमने कोई गड़बड़ की, तो मैं तुम्हारी खाल उधेड़ दूँगा, समझी?"
"कोई भी परेशानी खड़ी मत करना, मेरे लिए, समझी तुम?"
जिन्हें याद कर वह थोड़ी घबरा गई थी, और उसकी यह घबराहट देवांश से छुपी नहीं थी।
"जी... जी, मुझे कोई परेशानी नहीं है इस शादी से।" उसने जल्दी से अपनी बात ख़त्म की।
"ठीक है, तो तैयार रहो मेरी बनने के लिए। अब सिर्फ़ एक हफ़्ता है तुम्हारे पास, उसके बाद तुम मेरी हो जाओगी।" यह बात उसने अमारा के एकदम करीब आकर बोली थी। ना जाने क्यों अमारा के शरीर में सिहरन पैदा हो रही थी देवांश की बातें और उसकी नज़दीकी महसूस करके।
"क्या मैं... मैं आपसे एक रिक्वेस्ट कर सकती हूँ?" जैसे ही देवांश उससे दूर जाने लगा, अमारा ने बहुत हिम्मत करके बोला।
"बिल्कुल कर सकती हो, लेकिन तभी जब तुम अपनी यह घबराहट भूलकर अच्छे से कहो तो।" देवांश एक बार फिर उसके करीब आ गया था, जिसे महसूस कर वह दो कदम पीछे हट गई थी। हालाँकि देवांश को यह पसंद नहीं आया था, लेकिन अभी वह कुछ भी नहीं कर सकता था।
"मुझे इंडियन स्टाइल में शादी करनी है।" इस बार अमारा ने अपना चेहरा उठाकर काफ़ी संधे हुए लहजे में कहा, जिसे देख देवांश का दिल फिर से ज़ोर-ज़ोर से धड़क उठा था।
"ठीक है, जैसा तुम कहो....... डॉल।" ना जाने क्यों देवांश के दिल से यह आवाज़ आई, और उसने अमारा को 'डॉल' कहा था और उसके सर पर हाथ फेरते हुए बाहर की ओर निकल गया। वहीं अमारा वहीं खड़ी उसे जाते हुए देख रही थी और उसके ख़यालों में खोती जा रही थी। उसे भी देवांश का ख़ुद के लिए 'डॉल' कहना बहुत अच्छा लगा था, और इसका रीज़न तो उसे भी नहीं मालूम था।
देवांश अमारा के घर से जा चुका था। अमारा जल्दी से अपने कमरे में पहुँच गई थी। उसके कानों में देवांश का कहा बस एक ही शब्द गूंज रहा था: "डॉल"। ना जाने उस शब्द में ऐसा कुछ था, या देवांश की आवाज और उसके कहने के तरीके में, जिससे अमारा पूरी तरह उससे प्रभावित हो चुकी थी।
दूसरी ओर, मि. और मिसेज ग्रे अपनी बेटी किंशादी की शादी यूरोप के होने वाले सरताज से होने की खुशी में डूबे हुए थे। इससे उन्हें बहुत फायदा होने वाला था, जिसके बारे में किसी को कोई खबर नहीं थी।
देवांश अपनी कार में बैठा हुआ अमारा के बारे में ही सोच रहा था। उसे बार-बार अमारा के घबराहट से हिलते गुलाबी होठ याद आ रहे थे, जो उसके शरीर में एक अजीब हलचल पैदा कर रहे थे।
कुछ ही देर में वह अपने मेंशन पहुँच चुका था। कार से उतरकर वह सीधा अपने स्टडी रूम में चला गया जहाँ साया पहले से ही उसका इंतज़ार कर रहा था।
"तो कैसी रही अपनी होने वाली बीवी से मुलाक़ात?" उस साए ने मुस्कुराते हुए पूछा, जैसे वह देवांश पर कोई तंज कर रहा हो।
"बहुत अच्छी।" देवांश ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया और वह उस साए के सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया। वह साया देवांश के चेहरे को बहुत गौर से देख रहा था, जैसे कुछ पढ़ने की कोशिश कर रहा हो।
"तो तुम्हें उस लड़की से प्यार हो गया है, वह भी पहली ही नज़र में।" उसने बिना किसी भाव के कहा। देवांश बुरी तरह चौंक गया।
"ये आप क्या कह रहे हैं?" उसने नासमझी से पूछा।
"वही कह रहा हूँ जो तुम्हारी आँखों में दिख रहा है, समझे।" उस साए ने बिना बात को घुमाए कहा।
"ऐसा कुछ नहीं है, आप ज़्यादा सोच रहे हैं।" उसने मुँह बनाया और खड़ा हो गया।
"मैं ये लिख कर दे सकता हूँ कि बहुत जल्द तुम मेरे पास आओगे ये कहने कि तुम उससे प्यार करते हो।" उस साए ने कहा। देवांश बिना जवाब दिए वहाँ से बाहर निकल गया।
वह साया अब भी अंधेरे में मुस्कुरा रहा था, जैसे उसने देवांश की कोई चोरी पकड़ ली हो।
देवांश बाहर जा ही रहा था कि वह किसी से टकरा गया और उस व्यक्ति ने उसे अपनी बाहों में पकड़ लिया। देवांश ने नज़र उठाई तो सामने जेम्स खड़ा था।
जेम्स एंडरसन देवांश का बेस्ट फ्रेंड था। वह देवांश के बारे में सब कुछ जानता था, वहीं देवांश भी उसकी हर खबर रखता था। यह एक बिज़नेसमैन था, लेकिन माफ़िया न होने के बावजूद किसी बड़े माफ़िया से भी ज़्यादा खतरनाक था। यह अपने दुश्मनों को बहुत बुरी मौत देता था, जिससे कोई इससे फिर उलझने की कोशिश न करे। इसकी एक कमज़ोरी थी कि यह एक नंबर का ठरकी था, लेकिन अगर सामने वाले की मर्ज़ी न हो तो यह उसे छूता भी नहीं था, क्योंकि इसका मानना था कि जो होना चाहिए, दोनों की मर्ज़ी से होना चाहिए, वरना ज़बरदस्ती करने में कोई मज़ा नहीं आता।
"आज तुम यहाँ क्या कर रहे हो? मुझे तो लगा था तुम अब भी अपनी रात रंगीन करने की तैयारी में हो?" देवांश ने उस पर टोण्ट मारते हुए कहा।
"क्या यार देवांश, तुम भी हमेशा मुझे छेड़ते रहते हो। अब मैं हर टाइम ऐसा नहीं करता।" उसने मुँह बनाते हुए कहा। देवांश ने सिर हिलाया और बाहर की ओर निकल गया।
"अरे, वो कहाँ है? ये तो बताते जाओ।" वह पीछे से चिल्लाया।
"अपने स्टडी रूम में।" उसने बिना मुड़े जवाब दिया और अपनी गाड़ी में बैठकर चला गया। लूका भी उसकी कार में बैठ गया। उसकी कार के आगे-पीछे दो-दो गाड़ियाँ चलने लगीं।
जेम्स अंदर आया और सीधा स्टडी में चला गया जहाँ वह साया बैठा हुआ था।
"हे, कैसा है तू?" जेम्स ने उसके सामने रखी चेयर पर बैठते हुए पूछा।
"मुझे लगा था तू किसी के साथ अपना बिस्तर शेयर कर रहा होगा, लेकिन तू तो यहाँ है।" उस साए ने भी देवांश की ही तरह जेम्स पर तंज कसते हुए कहा।
"तू भी यही कह रहा है और अभी बाहर देवांश भी ऐसा ही कुछ कहकर गया है। क्या मैं इतना बड़ा ठरकी हूँ?" जेम्स ने बहुत मासूम शक्ल बनाते हुए पूछा।
"नहीं, ऐसा नहीं है, बस थोड़ा बड़ा ठरकी है बस।" उस साए ने कहा और मुस्कुरा दिया। जेम्स बहुत चिढ़ गया था।
देवांश उस साए के बारे में सोच रहा था क्योंकि उसने ही कहा था कि उसे अमारा से प्यार हो गया है, लेकिन वह यह मानना नहीं चाहता था।
अभी देवांश अपनी सोच में ही गुम था कि उसकी गाड़ी एक झटके के साथ रुकी। ऐसे अचानक रुकने से उसे बहुत ज़्यादा गुस्सा आया और वह ड्राइवर पर चीख उठा।
"ऐसे कोई गाड़ी रोकता है क्या, बेवकूफ?" वह काफी गुस्से में था, जिससे ड्राइवर डर गया था।
"देवांश, आगे शायद कुछ हुआ है, इसलिए गाड़ी रुकी है। तुम बैठो, मैं अभी देखकर आता हूँ।" लूका ने कहा और बिना कुछ सुने कार से उतरकर आगे चला गया।
वह जैसे ही आगे गया, उसने देखा कि एक लड़के को कुछ लड़के मिलकर पीट रहे थे। वह बहुत कोशिश कर रहा था खुद को छुड़ाने की, लेकिन पीटने वालों की संख्या ज़्यादा होने के कारण वह कुछ नहीं कर पा रहा था।
लूका आगे नहीं बढ़ा और अपने गार्ड्स को इशारा किया। उन्होंने उस लड़के को पीटने वाली गैंग से छुड़ा लिया।
"क्या हो रहा है यह?" लूका ने अपनी कड़क आवाज़ में पूछा।
"सर, ये लोग मुझे मार रहे हैं क्योंकि मैं इनसे एक बैट जीत गया और ये उसका पैसा मुझे नहीं देना चाहते।" उस लड़के ने बेहद मासूमियत से कहा। लूका उसे देखते ही रह गया। माथे पर आते बाल, गोरा चेहरा, शहद के रंग की आँखें, उसके पतले हाथ जिनके कोने से खून बह रहा था, उसकी पतली लम्बी नाक जो मार पड़ने की वजह से लाल हो चुकी थी।
लूका ने अपने दिमाग से खयालों को झटका और गार्ड से इशारा कर उस लड़के को अपने साथ गाड़ी में बैठाने को कहा। साथ ही, उन पीटने वाले लड़कों को एक गुस्से से भरी नज़र देखते हुए वापस देवांश के पास बैठ गया।
जब देवांश ने उससे पूछा कि बाहर क्या हुआ, तो उसने सारी बात उसे कह सुनाई। जिसके बाद देवांश ने उस लड़के को तुरंत हॉस्पिटल ले जाने का आदेश दे दिया।
लूका और देवांश अपनी कंपनी पहुँच चुके थे। वहीं, देवांश के गार्ड उस लड़के को हॉस्पिटल पहुँचा चुके थे।
अद्वैत अपने ऑफिस में बैठा कुछ काम कर रहा था, लेकिन उसके दिमाग में उस साये की कही बात ही घूम रही थी— "तुम्हें प्यार हो गया है उससे।" उसकी आँखों के सामने बार-बार अमारा का चेहरा ही आ रहा था, जिससे वह काम पर फोकस नहीं कर पा रहा था।
कुछ देर बाद वह उठा और लूका के साथ घर के लिए निकल गया। कुछ ही देर में वह घर पहुँच गया और अपने डैड के रूम की ओर चला गया।
"डैड, मुझे आपसे कुछ ज़रूरी बात करनी है।" उसने रूम का दरवाज़ा खोलते हुए कहा।
जैसे ही देवांश ने दरवाज़ा खोला, उसने देखा उसके डैड उसकी मॉम की फोटो लेकर बैठे हुए थे।
"आप ठीक हैं ना, डैड?" उसने चिंता भरे स्वर में पूछा, क्योंकि मि. मार्टिन की आँखें हल्की लाल हो रखी थीं।
"हाँ, बेटा, मैं ठीक हूँ। बस तुम्हारी माँ की आज थोड़ी ज़्यादा याद आ रही थी।" उन्होंने अपनी आँखें साफ़ की और उस फोटो को साइड टेबल पर रख दिया।
"आप बहुत प्यार करते थे ना, डैड, मॉम से?" उसने दीवार पर लगी उस बड़ी सी तस्वीर को देखते हुए पूछा, जो बेड के पीछे लगी हुई थी, जिसमें उसके मॉम-डैड मुस्कुरा रहे थे और बहुत पास खड़े थे।
"करता था, नहीं, करता हूँ और हमेशा करता रहूँगा।" उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा। देवांश भी मुस्कुरा दिया।
"मुझे आपसे कुछ बात करनी थी, डैड।" उसने मुद्दे पर आते हुए कहा।
"हाँ, बोलो, क्या बात है, बेटा?"
"डैड, अमारा इंडियन स्टाइल में शादी करना चाहती है।" उसने बिना घुमाए सीधे-सीधे कहा।
"तो इसमें परेशानी क्या है, बेटा? तुम भी तो हाफ इंडियन हो, और मुझे तो खुशी हो रही है ये जानकर कि तुम अपनी होने वाली बीवी की इतनी परवाह करते हो। God bless you. जाओ, तैयारी करो, शादी में बहुत कम समय बाकी रह गया है।" उन्होंने उसके सर पर हाथ फेरा और वहाँ से चले गए।
लूका को न जाने क्या सूझा था, वह अपने घर से निकला और सीधा हॉस्पिटल पहुँच गया जहाँ कल उस लड़के को एडमिट करवाया गया था। उसने रिसेप्शन से उसके बेड का पता किया और सीधा वहीं पहुँच गया जहाँ वह लड़का आराम से लेटा हुआ था।
"अब कैसे हो तुम?" लूका ने सवाल किया।
लूका की आवाज़ सुनकर उस लड़के ने जल्दी से अपनी आँखें खोल दीं और झटके से बैठ गया। वहीं लूका भी वहीं पड़े स्टूल पर बैठ गया।
"अब मैं ठीक हूँ सर, और आपका बहुत-बहुत शुक्रिया कि आपने मुझे कल बचा लिया, वरना पता नहीं वो मुझे और कितना मारते।" उसने कल का नज़ारा याद करते हुए कहा। लूका हल्का सा मुस्कुरा दिया, जिससे उसके दोनों गालों के डिम्पल दिखने लगे।
लूका एक छः फुट लंबा, चौड़ा और गोरे रंग का इंसान है, जिसकी ग्रे कलर की आँखें हैं और जब वह स्माइल करता है तो उसके दोनों गालों में डिम्पल पड़ते हैं, जो उसे और स्मार्ट बनाते हैं। यह कहने को तो देवांश का बॉडीगार्ड है, लेकिन उसका उतना ही अच्छा दोस्त भी है, इसलिए उसे हमेशा उसके नाम से ही बुलाता है।
वहीं, वह लड़का लूका के डिम्पल देखकर उसे एकटक निहारता ही रहा था।
"नाम क्या है तुम्हारा?" लूका ने पूछा तो उसका ध्यान टूटा और वह हकीकत में वापस आया।
"जी, मेरा नाम माइक है।"
"काम क्या करते हो?" उसने अपना अगला सवाल किया।
"जी, मैं एक बार में वेटर का काम करता हूँ।" उसने अपना सर झुकाते हुए जवाब दिया।
"वैसे, तुम्हें वो लोग पीट क्यों रहे थे?" लूका ने कल की बात याद करते हुए पूछा।
"वो, मैं जिस क्लब में काम करता हूँ, उसमें कुछ अमीर लड़के आते हैं। उन लोगों ने एक स्टूपिड सी शर्त लगाई थी मुझसे, जिसे मैं जीत गया और उनसे पैसे माँगने लगा। और यही चीज़ उन्हें पसंद नहीं आई और मुझे मारने लगे।" माइक ने पूरी बात उसे बता दी।
उसकी बात सुनकर लूका किसी सोच में पड़ गया। उसे समझ आ रहा था कि अगर यह कल वापस क्लब में गया, तो वो लोग इसे मारने कल फिर वहाँ आ सकते हैं।
"तुम अब उस क्लब में काम करने नहीं जाओगे।" लूका ने उसे आदेश देते हुए कहा।
"लेकिन सर, मैं काम नहीं करूँगा तो अपने भाई की फीस कैसे भरूँगा?" माइक ने परेशान होते हुए कहा।
"ठीक है, तुम जब ठीक हो जाओ तब मुझे कॉन्टैक्ट करना। ये लो मेरा फ़ोन नंबर।" लूका ने उसे अपना नंबर दिया और वहाँ से बाहर निकल गया। वहीं माइक बैठे-बैठे यही सोच रहा था कि अभी क्या हुआ।
धीरे-धीरे समय बीत रहा था और देवांश और अमारा की शादी की तारीख नज़दीक आ रही थी। वहीं अमारा खुश भी थी और थोड़ी डरी हुई भी, क्योंकि देवांश के बारे में आए दिन न्यूज़ में कुछ न कुछ आता रहता था, जो उसे डराने के लिए काफी था।
इस बीच, देवांश ने अमारा के घर अपना डिज़ाइनर भेज दिया था ताकि वह उसकी ड्रेस का माप ले सके और उसकी फीस तैयार कर सके। देवांश ने फैसला ले लिया था कि वह शादी दो तरह से करेगा—क्रिश्चियन और इंडियन—दोनों तरह से, ताकि अमारा की विश भी पूरी हो जाए और उनके नियम भी ना टूटें।
शादी में ज़्यादा मेहमान नहीं आने वाले थे, जिसका कारण था ऑलिवर मार्टिन। ऑलिवर नहीं चाहते थे कि ज़्यादा मेहमान आएँ, जिससे किसी चीज़ का खतरा उनके परिवार को हो।
हालाँकि, वे डरते किसी से नहीं थे, लेकिन लापरवाही बरतना उन्होंने नहीं सीखा था, और वो भी तब जब बात उनके परिवार की हो। सब तैयारियाँ लगभग हो चुकी थीं, क्योंकि कल शादी थी। पहले क्रिश्चियन वेडिंग होने वाली थी, वहीं रात को इंडियन वेडिंग होने वाली थी। जहाँ क्रिश्चियन वेडिंग चर्च में होने वाली थी, वहीं इंडियन देवांश के मेंशन में होने वाली थी।
शादी का दिन आ चुका था। आज ही शादी होने वाली थी। देवांश अपने रूम में रेडी हो रहा था, वहीं वो साया भी उसके साथ उसके रूम में मौजूद था।
शादी की सारी तैयारी हो चुकी थी। पहले क्रिश्चियन तरीके से शादी होनी थी, जो चर्च में रखी गई थी। देवांश अपने कमरे में तैयार हो रहा था। वहीं, वो साया उसके कमरे में ही एक कोने में, थोड़े अंधेरे में, एक राजा की तरह सोफे पर बैठा हुआ, देवांश को देख रहा था।
देवांश ने ब्लैक कलर का थ्री पीस सूट पहना था। व्हाइट शर्ट, ब्लैक टाई, जेल से सेट बाल और क्लीन शेव; जिसमें वो बहुत ज्यादा हैंडसम लग रहा था।
"ये तुम्हारे लिए।"
इतना कहकर उस साये ने देवांश की तरफ एक बॉक्स उछाल दिया।
देवांश ने भी फुर्ती दिखाते हुए जल्दी से उस बॉक्स को कैच कर लिया। उसने बॉक्स खोला तो उसमें एक महंगी और सुंदर वॉच थी।
"वाह! ये बहुत अच्छी है, लेकिन ये मुझे क्यों दी?" देवांश ने उस साये से सवाल किया।
"आज तुम्हारी शादी है, उसी खुशी में है ये।" उसने मुस्कुराते हुए कहा। वहीं देवांश आगे बढ़ा और उस साये को गले लगा लिया।
थोड़ी देर बाद देवांश अपनी कार में था। वहीं ऑलिवर उसकी बगल में बैठे हुए थे और लूका गाड़ी ड्राइव कर रहा था। वे सब चर्च जा रहे थे क्योंकि शादी की टाइमिंग दोपहर की थी।
दूसरी तरफ, ग्रे हाउस में भी मि. और मिसेज ग्रे तैयार खड़े हुए थे। मि. ग्रे ने एक ब्लैक सूट पहना था, वहीं मिसेज ग्रे ने ऑलिव ग्रीन कलर का गाउन पहना हुआ था। वहीं अमारा अपने कमरे में मिरर के सामने बैठी हुई थी। उसने एक व्हाइट गाउन पहना हुआ था, जो देवांश ने ही उसके लिए भिजवाया था। वो एक खुला हुआ लंबा गाउन था, जिसका गला और बाजू जाली की बनी हुई थी।
अमारा को बहुत ज्यादा घबराहट हो रही थी। वो बार-बार अपने हाथ मसल रही थी।
"अमारा, चलो जल्दी, टाइम हो रहा है शादी का।" मिसेज ग्रे ने कहा और वहाँ से बाहर निकल गईं।
उसने कुछ नहीं कहा और अपने सर पर लगा वेल (शादी के समय चेहरे को ढकने वाला कपड़ा) को सही किया और मिसेज ग्रे के साथ बाहर निकल गई।
अपने समय से अमारा, मिसेज और मि. ग्रे के साथ चर्च पहुँच गई थी। वहीं देवांश, ऑलिवर और लूका पहले से ही वहाँ मौजूद थे। सारे मेहमान भी अपनी जगहों पर बैठे हुए थे। मिसेज ग्रे भी एक कुर्सी पर जाकर बैठ गईं, वहीं मि. ग्रे अमारा के साथ ही खड़े थे क्योंकि उन्हें रस्म के अनुसार अमारा को देवांश के पास छोड़ना था।
जब चर्च के पादरी ने अमारा को पुकारा, तो मि. ग्रे ने अमारा का हाथ पकड़कर अपने हाथ पर रख दिया और धीरे-धीरे चलते हुए आगे बढ़ने लगे। वहीं, पादरी के सामने खड़ा देवांश अमारा को एकटक देख रहा था। वो किसी सफ़ेद परी की तरह उसकी ओर चली आ रही थी।
अमारा और देवांश अब एक-दूसरे के सामने खड़े हुए थे। वहीं पादरी उनकी शादी करवाने के लिए तैयार खड़ा हुआ था।
"मि. देवांश मार्टिन, क्या आप मिस अमारा ग्रे का, उनके सुख में, उनके दुख में, उनकी बीमारी में, उनका साथ देने का वादा करते हैं? क्या आप इनको अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करते हैं?" पादरी ने देवांश को देखकर सवाल किया।
"येस, मुझे स्वीकार है।" देवांश ने जवाब दिया।
"मिस अमारा ग्रे, क्या आप मि. देवांश मार्टिन को, उनकी अच्छी-बुरी परिस्थिति में, उनके सुख-दुख में, उनका साथ देने का वादा करती हैं? क्या आप इन्हें अपने पति के रूप में स्वीकार करती हैं?" इस बार उन्होंने सवाल अमारा से किया था।
"जी, मैं स्वीकार करती हूँ।" अमारा ने जवाब दिया।
"आप एक-दूसरे को अंगूठी पहना सकते हैं।" पादरी के कहने के बाद लूका ने एक रिंग बॉक्स देवांश के सामने रख दिया। देवांश ने अंगूठी उठाई और बहुत धीरे से अमारा की उंगली में पहना दी। वहीं मिसेज ग्रे ने भी एक अंगूठी अमारा की ओर बढ़ा दी, जिसे अमारा उठाकर देवांश को बढ़ाकर उसकी उंगली में पहना दिया।
सभी गेस्ट खुशी से तालियाँ बजा रहे थे। उनकी तालियाँ जैसे ही रुकीं, पादरी ने अगली घोषणा कर दी।
"अब आप अपनी दुल्हन को किस कर सकते हैं।"
पादरी के अल्फ़ाज़ सुनते ही अमारा बहुत ज्यादा नर्वस हो गई थी। उसने पहले कभी किसी को किस नहीं किया था और आज अचानक इतने सारे लोगों के सामने उसे किस करना पड़ेगा, जिससे वो बिल्कुल भी कम्फ़र्टेबल नहीं हो पा रही थी।
वो कुछ और सोच पाती या कह पाती, उससे पहले ही उसे अपने गाल पर कुछ गरम और बहुत सॉफ्ट फील हुआ, जिसे महसूस करते ही उसकी आँखें बंद हो गईं। ये देवांश के लिप्स थे, जो उसने अमारा के गाल पर रखे थे, जिसने अमारा के शरीर में झनझनाहट पैदा कर दी थी।
देवांश के किस करते ही पूरा चर्च एक बार फिर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था। धीरे-धीरे करके सब उन्हें शादी की बधाइयाँ देने लगे, इसलिए वे दोनों ही चुपचाप खड़े हुए थे। वहीं अमारा को देवांश की करीबी एक अलग सा सुकून दे रही थी, जिससे वो काफी खुश थी।
काफी देर बाद सारा कार्यक्रम खत्म हुआ, जिससे सब लोग फ्री हो गए थे। अब देवांश को अपने घर जाना था, तो वहीं अमारा को अपने घर, क्योंकि उसे भारतीय दुल्हन की शादी के लिए तैयार होकर मार्टिन मेंशन वापिस आना था। इसलिए वे दोनों अलग-अलग रास्ते चले गए।
मन तो दोनों का नहीं था कि वे एक-दूसरे से दूर जाएँ, लेकिन मजबूरी थी, तो उन्हें करना पड़ा। देवांश को कोई फ़ोन आया, जिसके कारण उसे जाना पड़ा। लेकिन जाने से पहले ऑलिवर ने उसके साथ लूका को भेज दिया और खुद दूसरी गाड़ी में मार्टिन मेंशन के लिए निकल गए।
धीरे-धीरे समय बीत रहा था। मेहमान एक बार फिर एक नई शादी देखने के लिए मार्टिन मेंशन में इकट्ठे हो चुके थे। वहीं दूसरी ओर, अमारा को भी मेकअप आर्टिस्ट ने इंडियन स्टाइल में तैयार कर दिया था। उसका लहंगा और ज्वैलरी खुद देवांश ने अपने एक डिज़ाइनर से तैयार करवाया था। लहंगे में अमारा बहुत ज्यादा सुंदर दिख रही थी।
वो तैयार होकर खुद को आईने में देख रही थी। ना जाने क्यों उसे बहुत अजीब सी फीलिंग आ रही थी, जिसे वो लगातार इग्नोर कर रही थी।
वहीं मार्टिन मेंशन के स्टडी में बैठा वो साया कुछ काम कर रहा था कि तभी उसका फ़ोन बजने लगा। जैसे ही उसने अपना फ़ोन उठाया और सामने वाले की बात सुनी, तो वो दंग रह गया।
मार्टिन मेंशन में इंडियन स्टाइल में शादी की सभी तैयारियाँ हो चुकी थीं। यह मेंशन उस वक्त किसी महल से कम नहीं लग रहा था। हर तरफ़ लोग अपने-अपने कामों में लगे हुए थे। मेंशन के हॉल के बीचों-बीच एक बड़ा सा मंडप सजाया गया था, जिसके बीच में एक हवन वेदिका रखी हुई थी।
देवांश ऊपर खड़ा हुआ यह सब देख रहा था, लेकिन उस वक्त उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। दिखने में ऐसा लग रहा था जैसे वह गुस्से में अभी किसी को उठाकर बाहर फेंक देगा।
वह अभी देख ही रहा था कि दो लोग उसके पास आकर खड़े हो गए। उनमें से एक लूका था और दूसरा जेम्स।
"चल, शादी के लिए तैयार हो जा। ऐसे खड़े रहने से कुछ नहीं होगा।" जेम्स ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा। देवांश ने कोई जवाब नहीं दिया।
"बॉस, आप रेडी हो जाइए। जेम्स ठीक कह रहा है, टाइम भी हो रहा है शादी का।" इस बार लूका ने कहा।
"तेरी मुझसे कोई दुश्मनी है क्या? इसको बोलता है बॉस और मुझे जेम्स?" जेम्स ने मुँह बनाते हुए सवाल किया।
"क्योंकि मैं इनके लिए काम करता हूँ।" लूका ने अपना जवाब दिया और एक बार फिर देवांश के चेहरे की ओर देखने लगा, जिस पर कोई भाव नहीं था।
"लूका, जेम्स ठीक कह रहा है। तुम मुझे देवांश ही कहा करो, आखिर तुम मेरे दोस्त हो।" देवांश ने बहुत शांति से कहा और अपने कमरे में चला गया। वहीं जेम्स और लूका दोनों उदास हो गए।
देवांश अपने रूम में आकर बिस्तर पर पड़ी शेरवानी को अजीब नज़रों से घूर रहा था। उसने एक झटके से वह उठाई और उसे लेकर बाथरूम की ओर चला गया। थोड़ी ही देर में वह शीशे के सामने तैयार खड़ा था।
"चल भाई, तेरी शादी का वक्त हो गया है।" जेम्स ने रूम में आते हुए कहा।
"हाँ, चल।" देवांश ने छोटा सा जवाब दिया और रूम से बाहर निकल गया। जेम्स भी उसके साथ निकल गया।
अमारा भी मि. और मिसेज़ ग्रे के साथ मार्टिन मेंशन आ चुकी थी। अमारा ने एक बहुत सुंदर सा लहँगा पहना हुआ था, जिसमें वह बेहद सुंदर दिख रही थी। देवांश मार्टिन मेंशन के बीच में सजे हुए मंडप में बैठ चुका था, लेकिन उसने अब तक अमारा को नहीं देखा था। वहीं पंडित जी के बुलाने पर अमारा को भी देवांश के बगल में बिठा दिया गया था।
जैसे ही अमारा बैठ गई, देवांश ने उसे एक नज़र देखा तो देखता ही रह गया। कितनी सुंदर वह क्रिश्चियन वेडिंग ड्रेस में लग रही थी, उससे कहीं ज़्यादा सुंदर वह इस इंडियन ड्रेस में लग रही थी। देवांश उसे देखे जा रहा था, वहीं अमारा का पूरा ध्यान पंडित जी द्वारा पढ़े मंत्रों पर था, जिन्हें वह बहुत ध्यान से सुन रही थी।
धीरे-धीरे शादी की सभी रस्में पूरी होने लगीं, जिन्हें वे दोनों पंडित जी के कहे अनुसार कर रहे थे।
"अब आप कन्या की मांग में सिंदूर भरकर उन्हें यह मंगलसूत्र पहना दीजिए।" पंडित जी ने एक थाल देवांश की ओर बढ़ाते हुए कहा। देवांश ने हाँ में सिर हिला दिया।
उसने एक सिक्के की मदद से थोड़ा सिंदूर किया और अमारा की मांग में भर दिया। उसके बाद उसने मंगलसूत्र उठाया और उसके गले में पहना दिया। इस सब में अमारा की आँखें बंद ही थीं।
"शादी संपन्न हुई। आप अपने बड़ों का आशीर्वाद ले लीजिए।" पंडित जी ने जैसे ही कहा, देवांश अपनी जगह से खड़ा हो गया।
देवांश को खड़ा होते देख अमारा भी खड़ी होने लगी, लेकिन उसके लहँगे की वजह से वह ऐसा नहीं कर पाई और वापस अपनी जगह पर बैठ गई। देवांश उसकी स्थिति समझ गया था, इसलिए उसने आगे बढ़कर अमारा की तरफ़ अपना हाथ आगे बढ़ा दिया। अमारा ने एक नज़र उसे देखा, फिर उसके हाथ को और आखिर में उसका हाथ थाम लिया।
अपने हाथ में अमारा का हाथ आते ही देवांश ने उस पर अपनी पकड़ मज़बूत कर ली थी। अमारा के स्पर्श से उसकी दिल की धड़कनों की गति बढ़ गई थी, लेकिन यह बात उसने अपने चेहरे पर नहीं आने दी। वह अमारा का हाथ थामे ही ऑलिवर की ओर बढ़ा और दोनों ने झुककर उनके पैर छुए। ऑलिवर ने भी बड़ी खुशी से उन्हें आशीर्वाद दे दिया था। यह कुछ छोटी-मोटी रस्में-रिवाज़ थे जो ऑलिवर और देवांश को उनकी पत्नियों ने सिखाए थे, जिन्हें वे दोनों ही कभी नहीं भूलते थे।
अमारा जैसे ही अपने पैरेंट्स के पास जाने लगी, वैसे ही देवांश ने उसका हाथ थामकर रोक लिया और उसे आगे नहीं जाने दिया। वह पलटा और उसका हाथ थामे ही वह ऊपर की ओर चला गया। वहाँ मौजूद सभी लोग उसे देखते ही रह गए, लेकिन किसी में इतनी हिम्मत नहीं थी कि कोई उसे कुछ कह सके। अमारा भी थोड़ी शॉक थी कि देवांश ने उसे उसके पैरेंट्स से मिलने तक नहीं दिया। लेकिन अभी उसने कुछ न बोलना ही ठीक समझा।
कुछ ही देर में वे दोनों देवांश के रूम के सामने थे। देवांश ने रूम खोला और हाथ के इशारे से अमारा को अंदर जाने का इशारा किया। वह भी चुपचाप अंदर चली गई और जाकर बेड पर बैठ गई। वहीं देवांश रूम में न जाकर उसका गेट बंद किया और रूम के बाहर से ही कहीं चला गया। वहीं अमारा उस बंद दरवाज़े को देखती रह गई।
नीचे सभी मेहमान धीरे-धीरे करके वापस जा रहे थे, वहीं मि. और मिसेज़ ग्रे अभी भी वैसे ही खड़े हुए थे। उन्हें तो उम्मीद थी कि देवांश उनके सामने झुकेगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था, जिससे उनकी उम्मीद टूट रही थी। उन्हें गुस्सा तो बहुत आ रहा था, लेकिन वे अभी कुछ कर नहीं सकते थे, इसलिए चुप थे।
"देवांश के बिहेवियर के लिए मैं शर्मिंदा हूँ मि. ग्रे। प्लीज़ आप उसकी हरकतों को दिल पर मत लीजिएगा। वह गुस्से में कभी-कभी ऐसा कर जाता है।" ऑलिवर ने बात की गंभीरता को समझते हुए उन्हें संभाला।
"अरे, कोई बात नहीं मि. मार्टिन। हो जाता है कभी-कभी। शायद थकान और वर्क लोड की वजह से।" मि. ग्रे ने अपना गुस्सा दबाते हुए झूठी मुस्कान के साथ जवाब दिया। ऑलिवर भी कोई कच्चा खिलाड़ी नहीं था; वह चेहरे को देखकर मन के हालचाल बता दिया करता था, लेकिन इस वक्त वह कुछ नहीं बोल सकता था क्योंकि सामने उसके मेहमान खड़े थे।
ऑलिवर ने आगे कुछ नहीं कहा, तो मि. और मिसेज़ ग्रे दोनों वहाँ से निकल गए, लेकिन उनका गुस्सा अब तक शांत नहीं हुआ था।
मि. और मिसेज ग्रे अपने घर पाँच बजे पहुँच चुके थे, लेकिन उनका गुस्सा अब तक शांत नहीं हुआ था।
"मुझे लगता है जॉय, हमने गलती कर दी, देवांश से अमारा की शादी करवा कर। देखा नहीं तुमने उसके तेवर कितने ज़्यादा हैं?" मिसेज ग्रे ने अपने पति से कहा।
"तुम इतनी चिंता क्यों करती हो? अभी उसमें बहुत वक्त है। वक्त के साथ ये भी कम हो जाएँगे।" मि. ग्रे ने बेफिक्री से कहा। जिस पर मिसेज ग्रे का मुँह बन गया था।
शादी खत्म हो चुकी थी, इसलिए जेम्स का अब मार्टिन मेंशन में कोई काम नहीं था। उसने अपने घर जाने का सोचा और अपनी कार से निकल गया। आज का मौसम कुछ ठीक नहीं था। रात हो चुकी थी और हल्की-हल्की बारिश हो रही थी, जो कभी भी तेज हो सकती थी। आज उसके साथ उसके गार्ड्स नहीं थे, तब भी वह बेफिक्री से अपनी कार चला रहा था।
रास्ते पर कुछ स्ट्रीट लाइट्स जल रही थीं, लेकिन रात अपने चरम पर थी, इसलिए अंधेरा भी काफी था। जेम्स खुद में ही मग्न आगे बढ़ रहा था, तभी उसे उस सुनसान रास्ते पर कोई दिखाई दिया। उसने सुपरहीरो टाइप कोई सूट पहन रखा था और शायद कुछ परेशान लग रहा था।
जेम्स को ऐसे अकेले ट्रैवल करना मना था, और अनजान लोगों से बात करना तो और भी ज़्यादा मना था क्योंकि वह एक बिज़नेसमैन था और उसके प्रोफ़ेशन में कौन कहाँ क्या कर दे, कोई नहीं कह सकता था। लेकिन उससे रहा नहीं गया और वह कार से उतरकर सामने खड़े व्यक्ति के पास चला गया।
वह कोई उन्नीस-बीस साल का लड़का था, जिसने एक सुपरहीरो सूट पहना हुआ था।
"हेलो, कौन हो तुम? यह बीच रास्ते में खड़े होने का क्या मतलब है?" जेम्स ने अपनी कड़क आवाज़ में सवाल किया।
वह लड़का उसकी आवाज़ सुनकर थोड़ा सहम गया था।
"प्लीज सर, मेरी मदद कर दीजिए ना। मुझे लिफ़्ट दे दीजिए।" उसने मिमियाते हुए कहा।
जेम्स ने उसे ध्यान से देखा तो उसे समझ आया कि उसने मार्वल मूवी के हीरो डॉक्टर स्ट्रेंज का सूट पहना हुआ था।
उस लड़के का सूट कुछ ऐसा दिख रहा था। ना जाने क्यों जेम्स को उस लड़के की भोली शक्ल पर तरस आ गया था, इसलिए उसने उसकी मदद करने की ठान ली थी।
"ठीक है, चलो गाड़ी में बैठो जल्दी।" जेम्स ने उसे आदेश दिया और खुद गाड़ी की ओर बढ़ गया।
ज़्यादा अंधेरा होने की वजह से वह लड़का जेम्स को ढंग से देख नहीं पाया था। उसके कहने पर वह लड़का गाड़ी में आकर बैठ गया था। गाड़ी की लाइट जल रही थी, जिस वजह से उसे जेम्स का चेहरा बहुत अच्छे से दिखाई दे गया था, जिसे देखकर वह खो गया था।
जेम्स एक गेहुँआ रंग का, छः फीट का इंसान था, जो करीब पच्चीस-छब्बीस साल का था, यानी देवांश की उम्र का। उसके काले बाल कंधे तक आते थे, जिनकी उसने एक पोनी बना रखी थी, लेकिन उसके बाल इधर-उधर बिखरे हुए थे, जो उसे और भी ज़्यादा अट्रैक्टिव बना रहे थे।
जेम्स एंडरसन
जेम्स की पर्सनैलिटी उसे काफी ज़्यादा प्रभावित कर रही थी, जिसे वह बहुत गौर से देख रहा था।
"नाम क्या है तुम्हारा?" उसने स्टीयरिंग व्हील पर अपनी पकड़ बनाते हुए उस लड़के से सवाल पूछा।
"मेरा नाम रेन है, लेकिन मेरे दोस्त मुझे डॉक्टर स्ट्रेंज बुलाते हैं।" उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
"अच्छा, तो इसलिए तुम यह डॉक्टर स्ट्रेंज सूट पहनकर सड़कों पर घूमते हो?" जेम्स ने एक ताना कसते हुए कहा, लेकिन उसकी बात रेन को कुछ खास पसंद नहीं आई थी।
"ऐसा नहीं है। मैं तो बस एक थीम पार्टी से आ रहा था। पैसे नहीं थे, तो टैक्सी वाला यहीं उतारकर चला गया।" रेन ने थोड़े दुखी लहजे में कहा और अपना चेहरा खिड़की की तरफ कर लिया।
जेम्स को अब अपनी गलती समझ आ गई थी। उसे यूँ ही किसी को ताना नहीं मारना चाहिए था, लेकिन वह खुद के बिहेवियर से मजबूर था।
"एड्रेस बताओ अपना।" कुछ देर की चुप्पी के बाद उसने सवाल किया। तो रेन ने भी बिना किसी ना-नुकुर के उसे एड्रेस बता दिया था, और अपना चेहरा एक बार फिर खिड़की के बाहर कर दिया था। अब जेम्स को रेन का खुद को ऐसे इग्नोर करना अच्छा नहीं लग रहा था।
इस बात को वह खुद समझ नहीं पा रहा था कि कुछ देर पहले मिला वह लड़का उसका इग्नोर करना उसे क्यों चुभ रहा है, लेकिन उसने इन सब बातों को इग्नोर किया और अपना ध्यान गाड़ी चलाने पर लगा दिया।
करीब आधा घंटा ड्राइव करने के बाद रेन का घर आ गया था। वह एक छोटा सा घर था, जिसके आस-पास बहुत सारे घर थे, जो आपस में चिपके हुए थे। वहाँ का माहौल बता रहा था कि यह एक लोअर मिडिल क्लास सोसाइटी है। जेम्स ने रेन की ओर देखा तो वह लगभग सो चुका था। उसके बाल उसके माथे पर फैले हुए थे, और इस वक्त वह बहुत ज़्यादा क्यूट लग रहा था।
जेम्स ने खुद के खयालों को झटका और रेन को उठाने लगा। कुछ देर के बाद वह उठ गया और जेम्स को देखने लगा, जैसे कोई किसी अनजान को देखता हो।
"ऐसे मत देखो। मैं वही हूँ जिसने तुम्हें आज लिफ़्ट दी थी, समझे।" जेम्स ने एक बार फिर अपने कड़क स्वभाव में आते हुए कहा।
"थैंक यू सर। क्या मैं आपका नाम जान सकता हूँ?" रेन ने उसकी तरफ देखते हुए पूछा।
"जेम्स।" उसने सिर्फ़ इतना सा ही जवाब दिया।
रेन ने कुछ नहीं कहा और गाड़ी से उतरकर चला गया। वहीं जेम्स उसे जाते हुए देख रहा था, जब तक वह आँखों से ओझल नहीं हो गया।
मार्टिन मेंशन
देवांश रात के करीब बारह बजे घर आया था। पूरे मेंशन में अंधेरा छाया हुआ था। उसने बिना कोई आवाज़ किए अपना रुख सीढ़ियों की ओर किया और अपने कमरे की तरफ़ चला गया। जैसे ही उसने गेट खोला, उसकी नज़र सबसे पहले बेड पर बैठे-बैठे सोती हुई अमारा पर गई। वह अब तक अपने शादी के लहंगे में थी और उसके गहने भी ज्यों के त्यों थे।
देवांश बिना किसी आवाज़ के उसकी ओर बढ़ गया।
देवांश रात बारह बजे घर पहुँचा। वह सीधा अपने कमरे में गया। जैसे ही उसने अपने कमरे का दरवाज़ा खोला, देखा अमारा बैठे-बैठे सो रही थी। उसने अभी तक अपने कपड़े नहीं बदले थे। उसके गहने भी वैसे ही पहने हुए थे। वह अपने घुटनों पर सिर रखकर सो रही थी। वह धीरे-धीरे अमारा के पास गया।
वह उस दुल्हन के जोड़े में बहुत खूबसूरत लग रही थी। देवांश उसमें खो सा गया था। उसे पता ही नहीं चला कब वह अमारा के एकदम करीब पहुँच गया। वह बहुत ध्यान से उसे देख रहा था कि तभी अमारा का सिर घुटनों से लुढ़क गया। वह नीचे गिरने वाली थी कि देवांश ने अपना एक हाथ उसके सिर के नीचे लगा दिया, जिससे वह नहीं गिरी।
इस झटके से अमारा की आँखें खुल गईं। उसने देवांश को इतने करीब देखा तो वह बुरी तरह चौंक गई।
जब अमारा ने देखा कि देवांश उसके बहुत करीब है, तो उसने खुद को छुड़ाया और बेड के एक किनारे पर बैठ गई।
देवांश को उसका यह व्यवहार बहुत अजीब लगा, लेकिन उसने सोचा कि शायद वह उसकी नज़दीकी से डर रही है। इसलिए उसने कुछ नहीं कहा और एकटक अमारा को देखता रहा।
अमारा न जाने क्यों बेहद डर गई थी। उसके माथे पर पसीने की बूँदें उभर आई थीं, जिन्हें ठंडा करने में वहाँ का एसी भी असफल हो रहा था।
देवांश उसकी हालत समझ रहा था। इसलिए उसने उसे शांत करने के लिए अपना हाथ उसकी ओर बढ़ाया। इससे वह और डर गई और पीछे खिसकने लगी।
बेड काफी बड़ा था, लेकिन अमारा पहले से ही बेड के कोने पर थी। बार-बार खिसकने से वह बेड के बाहरी कोने पर सिमट गई। देवांश ने जैसे ही हाथ बढ़ाया, अमारा का बैलेंस बिगड़ गया और वह बेड से नीचे सरक गई।
"बच्ची!" अमारा को देखकर देवांश के मुँह से एक चीख निकली। फुर्ती दिखाते हुए उसने अमारा का एक हाथ थाम लिया। अगर उसने समय पर न थामा होता, तो अमारा गिरकर चोटिल हो जाती।
देवांश ने उसका हाथ पकड़ रखा था। अपनी पकड़ मज़बूत करते हुए उसने उसे अपने करीब खींच लिया। खींचने से वह लगभग उसके ऊपर आ गई।
अब स्थिति यह थी कि देवांश बेड पर लेटा हुआ था और अमारा उसके ऊपर थी। दोनों एक-दूसरे की आँखों में देख रहे थे। अमारा को होश आया तो वह जल्दी से उठ गई और फिर बेड के कोने पर जा बैठी।
"बच्ची, वहाँ मत बैठो, गिर जाओगी और तुम्हें चोट लग जाएगी।" देवांश ने हाथ दिखाते हुए कहा। उसे अमारा की हरकतों पर गुस्सा आ रहा था, लेकिन वह पहले से ही डरी हुई थी। वह उसे और डराना नहीं चाहता था, इसलिए जितना हो सका अपने गुस्से को नियंत्रित कर रहा था।
"प्लीज़ मेरे पास मत आना, प्लीज़।" अमारा ने लगभग रोते हुए कहा। उसने हाथ भी जोड़ लिए थे। देवांश उसकी हालत देखकर चौंक गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसने ऐसा क्या कर दिया जिससे वह इतना डर रही थी।
"अच्छा, मैं पास नहीं आ रहा, बिलकुल भी नहीं आ रहा, लेकिन तुम पहले बेड पर अच्छे से बैठो, वरना गिर जाओगी, समझी।" देवांश ने अपने सारे भावों पर काबू करते हुए, इत्मीनान से कहा।
उसकी बात मानकर अमारा धीरे-धीरे आगे हुई, लेकिन अब भी उनके बीच में काफी दूरी थी। देवांश बहुत ध्यान से उसे देख रहा था और उसे समझ आ गया था कि ज़रूर कोई बात है जिससे वह इतनी डरी हुई है।
"पहले अपने कपड़े चेंज करो, उसके बाद सो जाओ, ठीक है?" उसने कहा।
"मुझे यहाँ नहीं सोना है।" अमारा ने डरते हुए जवाब दिया। उसे न जाने क्यों देवांश से बेहद डर लग रहा था।
"क्यों नहीं सोना यहाँ? और कहाँ सोना है?" अमारा का यह व्यवहार उसे गुस्सा दिला रहा था, लेकिन वह उस पर गुस्सा नहीं करना चाहता था।
"आ...आपके पास नहीं सोना।" उसने फिर डरते हुए जवाब दिया।
"तुम मुझ पर इतना यकीन कर सकती हो कि तुम्हारी मर्ज़ी के बिना मैं तुम्हें हाथ भी नहीं लगाऊँगा। यह वादा है मेरा, और मैं अपना वादा कभी नहीं तोड़ता।" उसकी स्थिति समझते हुए देवांश ने कठोर आवाज़ में कहा।
उसकी बात सुनकर अमारा को थोड़ी तसल्ली हुई और उसने चैन की साँस ली।
"तुम्हारे कपड़े अलमारी में हैं, जाकर चेंज कर लो। इन कपड़ों में परेशानी होगी।" वह बेड से खड़े होते हुए बोला और अपने कपड़े लेकर दूसरे कमरे में चला गया।
अमारा को देवांश का यह व्यवहार बहुत अच्छा लग रहा था। जहाँ वह थोड़ी देर पहले डर रही थी, वहाँ अब उसे चैन मिल गया था।
वह अलमारी की ओर गई। जैसे ही उसने उसे खोला, सामने का नज़ारा देखकर वह दंग रह गई। उस अलमारी में तीन रो में कपड़े टँगे हुए थे, वहीं कुछ फोल्ड करके रखे हुए थे। इतने कपड़े देखकर उसे शॉक लगना जायज़ भी था, क्योंकि उसे इतने कपड़े कभी नहीं मिले थे।
अमारा ने एक जोड़ी कपड़े उठाई और उन्हें लेकर सीधा बाथरूम में चली गई। कुछ देर बाद वह बाथरूम से निकली तो उसने पीच कलर की एक टी-शर्ट पहनी हुई थी, जिस पर कोई कार्टून बना हुआ था, साथ ही एक लोअर पहना हुआ था।
वह जल्दी से आई और अपने बिस्तर में घुसकर खुद को कम्बल से सर तक ओढ़ लिया। उसे डर था कि कहीं देवांश आ गया और उससे कुछ कह दिया या कुछ पूछ लिया तो वह क्या करेगी। इस से बेहतर उसने सोना समझा।
कुछ समय बाद देवांश ने कमरे का गेट खोला तो देखा अमारा सचमुच सो चुकी थी। वह उसके पास आया और उसके सिर पर हाथ फेरने लगा।
देवांश कमरे में आया, तब तक अमारा सचमुच सो चुकी थी। वह धीरे-धीरे चलकर बेड तक आया और उसके करीब जाकर बैठ गया। उसने अमारा के सर पर हाथ रख दिया और बहुत हौले-हौले उसका सर सहलाने लगा।
"कोई तो बात है बच्ची, जो तुम बता नहीं पा रही हो, लेकिन तुम चिंता मत करो। तुम्हारी सारी परेशानियों को तुमसे बहुत दूर कर दूँगा मैं, और तुम्हें दुनिया की सारी खुशियाँ दूँगा। और ये सिर्फ़ बातें नहीं हैं, इन्हें सच भी करके दिखाऊँगा। वादा करता हूँ, तुम्हारी परमिशन के बिना तुम्हें छुऊँगा भी नहीं।" देवांश ने बहुत धीरे से कहा और बहुत आराम से उसका माथा चूम लिया। वहीं इस सब से बेखबर अमारा सो रही थी।
उसने अमारा को अच्छे से कंबल ओढ़ा दिया और खुद उससे दूरी बनाकर लेट गया, लेकिन उसकी आँखों में नींद नहीं थी। ना जाने कौन-सी चिंता उसे सता रही थी। उसने अमारा की ओर अपना रुख किया और उसे एकटक देखने लगा, और न जाने कब देखते-देखते ही सो गया था।
हेबेर स्ट्रीट
यह एक ऐसी जगह थी जहाँ लोग बहुत छोटे-छोटे घरों में अपना गुजारा करते थे; जैसे मुंबई में चॉल होती है, ठीक वैसे ही इस जगह को इमेजिन किया जा सकता है, लेकिन दिखने में यह मुंबई चॉल से बिलकुल अलग थी।
एक छोटे से घर में तीन लोग एक छोटी सी डाइनिंग टेबल पर बैठकर खाना खा रहे थे।
"ब्रो, आपने बताया नहीं आपको यह चोट कैसे लगी?" एक लगभग बीस साल के लड़के ने अपने पास बैठे दूसरे लड़के से पूछा, जिसकी उम्र कुछ चौबीस-पच्चीस रही होगी।
"कुछ नहीं छोटे, बस ऐसे ही एक छोटा सा एक्सीडेंट हो गया था, लेकिन अभी मैं ठीक हूँ।" उस बड़े लड़के ने अपनी नज़रें चुराते हुए जवाब दिया। शायद वह सच बोलना नहीं चाहता था।
"आप झूठ बोल रहे हैं ना ब्रो? क्योंकि जब आप सच बोलते हैं तो सामने वाले के चेहरे की ओर देखते हैं, ना कि दूसरी तरफ।" उस छोटे लड़के ने अपना खाना छोड़कर सवाल किया।
"ऐसी कोई बात नहीं है रेन, मैं सच ही बोल रहा हूँ।" उस बड़े लड़के ने एक बार फिर अपने खाने में अपनी नज़रें गाड़ते हुए जवाब दिया।
वह छोटा लड़का, यानी रेन, कुछ कहता उससे पहले ही एक आवाज़ उस घर में गूंज उठी, जो उस तीसरे इंसान की थी जो वहाँ मौजूद था।
"कितनी बार कहा है तुझे रेन, कि अपना मुँह बंद रखा कर! जब वह मना कर रहा है तो नहीं हुआ होगा कुछ।" उस आदमी ने गुस्से से कहा।
"लेकिन पापा—" रेन ने कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था कि उस आदमी ने अपना हाथ दिखाकर उसे रोक दिया।
"और तुम आज के पैसे कहाँ हैं?" उस आदमी ने उस बड़े लड़के से सवाल किया।
"वो अंकल, आ...आज पैसे नहीं हैं। क्लब में मुझे कोई टिप नहीं मिली।" उस लड़के ने बहुत हौले से कहा, क्योंकि उसके जवाब के बाद क्या होने वाला था, शायद वह जानता था।
"तेरी हिम्मत कैसे हुई बिना पैसे लिए मेरे घर में घुसने की? घुसा तो घुसा, ऊपर से यहाँ बैठा मुफ्त की रोटियाँ तोड़ रहा है?" उस आदमी ने गुस्से से कहा और उस बड़े लड़के की खाने की प्लेट उठाकर जमीन पर दे मारी, जिससे उसका सारा खाना फैल गया।
"तेरा बाप तो मर गया, लेकिन तुझे मेरे सर पर मरवाने के लिए छोड़ गया। पैसे लाया नहीं है और मुफ्त का खाना खाने आ जाता है! चल, निकल मेरे घर से! और जब तक पैसे न हों, यहाँ दिखना मत।" उस आदमी ने उस बड़े लड़के का हाथ पकड़कर उसे घर से बाहर निकाल दिया और दरवाज़ा बंद कर दिया। वहीं रेन भागता हुआ दरवाज़े तक आया और उसे रोकने की कोशिश करने लगा।
"ये आप क्या कर रहे हैं? इतनी रात में ब्रो कहाँ जाएँगे? और हमारे अलावा उनका है ही कौन? प्लीज़ ऐसा मत कीजिए।" रेन ने बहुत गिड़गिड़ाते हुए कहा।
"अगर तुझे उसकी इतनी ही फ़िक्र है, तो तू भी उसके साथ जा सकता है, लेकिन याद रखना, उसके बाद मेरी लाश देखने को नसीब होगी तुझे।" उस आदमी ने गुस्से से कहा और एक कमरे में चला गया। रेन वहीं जमीन पर बैठ गया और उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।
यह आदमी कोई और नहीं, रेन के पिता हैं, जो करीबन 46-47 साल के हैं। इनका सबसे ज़्यादा पसंदीदा काम है, दारू पीना और जुआ खेलना। अपने इन दोनों शौक़ों को पूरा करने के लिए ये किसी भी हद तक जा सकते हैं।
एक अंधेरी सड़क पर एक लड़का चला जा रहा था। कहाँ जाना था, पता नहीं; क्या करना था, यह भी पता नहीं। उसके बाल उसके माथे पर आ रहे थे। मौसम थोड़ा सर्दी भरा था, लेकिन उसे इससे कोई मतलब नहीं था। उसकी आँखों से बस आँसू बह रहे थे, जिन्हें उसने रोकने की या पोंछने की कोई कोशिश नहीं की।
इक्का-दुक्का गाड़ियों का शोर रोड पर आ रहा था। जिस तरफ़ से वह चल रहा था, उससे इतना तो साफ़ था कि उसे अपना कोई होश नहीं था। वह अपने में ही मग्न रोड क्रॉस कर रहा था कि तभी एक गाड़ी बहुत जोर से ब्रेक लगाकर रुकी। अगर वह ड्राइवर समय से ब्रेक न लगाता, तो शायद वह लड़का अब तक ऊपर पहुँच चुका होता। उस गाड़ी का ड्राइवर बेहद गुस्से से बाहर निकला और सीधा उस लड़के की तरफ़ बढ़ गया।
उस ड्राइवर ने उस लड़के की कॉलर पकड़ी और उस पर अपनी गन तान दी।
"तुझे मरने के लिए मेरी ही गाड़ी मिली थी?" उस ड्राइवर ने बेहद गुस्से से कहा।
लेकिन उस लड़के ने कोई जवाब नहीं दिया। जैसे ही उस ड्राइवर की नज़र उस लड़के पर पड़ी, वह शॉक रह गया।
"माइक!" उस ड्राइवर के मुँह से बस यही निकला।
"माइक? क्या हुआ तुम्हें? और इतनी रात को यहाँ क्या कर रहे हो?" उस ड्राइवर ने उसे हिलाते हुए पूछा, क्योंकि वह बिलकुल ठीक नहीं लग रहा था।
जैसे ही उस लड़के, यानी माइक ने सामने एक जाना-पहचाना चेहरा देखा, तो उसके सब्र का बाँध टूट गया और वह सामने खड़े इंसान के गले लगकर जोर से रो दिया। वहीं वह ड्राइवर अब भी शॉक में खुद से लिपटे हुए उस लड़के को देख रहा था।
माइक उस गाड़ी के ड्राइवर के गले लग कर रो रहा था। वहीं वो ड्राइवर सदमे में उसे खुद से सटाए खड़ा हुआ था। उसे समझ नहीं आया कि यह अचानक क्या हुआ।
"माइक," उसने माइक को खुद से अलग किया, वो उससे अलग नहीं हुआ। यह बात उसके लिए थोड़ी अजीब थी।
उसने माइक को पकड़कर जब अलग किया, तो माइक उसकी बाहों में झूल गया। माइक को ऐसे देखकर उसे बहुत अजीब सा महसूस हो रहा था, लेकिन फिलहाल उसने अपने जज्बातों को परे फेंक दिया और जल्दी से माइक को अपनी बाहों में उठाकर अपनी कार की ओर चल दिया। उसने ड्राइवर के बगल वाली सीट पर उसे अच्छे से बैठाकर सीट बेल्ट लगाया और खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और गाड़ी आगे बढ़ा दी।
वह गाड़ी तो चला रहा था, मगर बार-बार अपने बगल की सीट पर आँखें बंद किए बैठे माइक को देख रहा था। उसे न जाने क्यों उसकी चिंता हो रही थी। ऐसा तो कोई रिश्ता भी नहीं था उन दोनों के बीच, तो यह चिंता किस बात की? इसका जवाब तो उस ड्राइवर के पास भी नहीं था।
उसने एक भरपूर नज़र माइक पर डाली और गाड़ी को एक मोड़ पर मोड़ दिया। माइक एक अच्छी हाइट का, थोड़ा दुबला-पतला लड़का था, जिसकी उम्र चौबीस-पच्चीस के करीब रही होगी। चेहरा गोल और गोरा था, जिस पर उसके बाल कभी-कभी आ जाया करते थे।
कुछ देर गाड़ी चलाने के बाद उसने गाड़ी एक घर के आगे रोकी। वह घर न ज्यादा बड़ा था, न ही ज्यादा छोटा, लेकिन दिखने में खूबसूरत था।
उस ड्राइवर ने हॉर्न बजाया तो एक गार्ड ने जल्दी से गेट खोल दिया। उस गेट पर दो गार्ड तैनात थे, जिनमें से सिर्फ एक ही दिखाई दे रहा था। गेट के खुलते ही उसने गाड़ी अंदर की ओर बढ़ा दी। जल्दी ही गाड़ी रुक गई क्योंकि मेन गेट से घर की दूरी ज्यादा नहीं थी।
वह गाड़ी से बाहर निकला और माइक की ओर आ गया। उसने गेट खोला और माइक की सीट बेल्ट खोलने के लिए झुक गया।
उसने झुककर बेल्ट खोलने की कोशिश की, तभी उसे अपनी गर्दन पर माइक की गर्म साँसें महसूस हुईं। यह उसके लिए एक नया और अजीब एहसास था। उसने खुद के दिमाग में आ रहे ख्यालों को झटका और एक झटके से उसकी बेल्ट खोल दी। उसने आगे बढ़कर माइक को गोद में उठा लिया। उसने माइक को ब्राइडल स्टाइल में उठा रखा था। वह धीरे-धीरे चलकर मेन डोर तक पहुँचा और अपने पैर से उसे खोल दिया।
उसका घर अंदर से काफी सुंदर था। अंदर घुसते ही सामने सोफ़े रखे हुए थे, वहीं एक दीवार से सटी हुई सीढ़ियाँ थीं। सीढ़ियों के आगे एक गेट था जो किचन के लिए खुला था। वहीं सोफ़ों से थोड़ी दूरी पर, दीवार से ही लगा हुआ एक फायर प्लेस था, जिसके बगल में एक सार कटी हुई लकड़ियाँ रखी हुई थीं।
जैसे ही उसने दरवाज़ा खोला था, ठीक वैसे ही अपनी कलाई से उसने दरवाज़ा बंद कर दिया और माइक को थामे हुए ही ऊपर बढ़ गया। उसने अपने पैर का इस्तेमाल एक बार फिर दरवाज़ा खोलने पर किया और अपने कमरे में दाखिल हो गया। उसने बेहद ध्यान से माइक को बिस्तर पर लिटा दिया और खुद सीधा हो गया।
उसने एक भरपूर नज़र माइक पर डाली और अपनी जेब से फ़ोन निकालकर किसी को फ़ोन मिला दिया। फ़ोन पर बात करने के बाद वह माइक की ओर आ गया। उसने गौर किया कि उसके और माइक के दोनों के ही कपड़े गीले थे। शायद रास्ते में हुई बारिश ने उन्हें ज़्यादा नहीं, लेकिन उनके कपड़ों को भिगोने का काम ज़रूर किया था। वह उठा और अपनी अलमारी की ओर बढ़ गया। उसने एक दराज़ खोला और उसके भरे हुए कपड़े उसके सामने आ गए।
यह उसकी आदत थी कि कपड़ों को फ़ोल्ड करने से अच्छा ऐसे ही ठूँस दो जिससे समय बच सके। सफ़ाई का काम अपने कमरे में वह हमेशा खुद ही किया करता था। उसने जैसे-तैसे वहाँ से दो टी-शर्ट उठाईं और दो शॉर्ट्स लेकर जल्दी से दरवाज़ा घुमाकर बंद कर दिया। अब कहीं जाकर उसे राहत मिली कि उसका काम नहीं बढ़ा था।
कपड़े तो उसने निकाल लिए थे, लेकिन सवाल यह था कि अब वह माइक के कपड़े कैसे बदलेगा। उसने अपने अंदर की सारी हिम्मत इकट्ठा की और माइक की ओर बढ़ गया। जैसे-तैसे करके उसने उसके कपड़े बदल दिए।
वह कपड़े बदलकर सीधा हुआ ही था कि तभी उसका दरवाज़ा बजा। उसने आने की परमिशन दी तो एक नौकर एक डॉक्टर के साथ कमरे के दरवाज़े पर खड़ा हुआ था।
उसने डॉक्टर को अंदर बुलाया और नौकर को वापस भेज दिया। डॉक्टर ने अंदर आकर माइक को एक नज़र देखा, फिर अपना रुख ड्राइवर की तरफ किया, जैसे पूछ रहा हो कि क्या यही है उसका मरीज़? जिस पर उसने हाँ में सर हिला दिया। उसकी सहमति मिलते ही डॉक्टर जल्दी से उसे चेक करने लगा और वह वहाँ खड़ा हुआ डॉक्टर को उसका काम करते हुए देख रहा था।
अपना काम खत्म करने के बाद डॉक्टर ने अपना रुख उस शख्स की तरफ किया जो बहुत देर से चुपचाप एक बगल में खड़ा हुआ था।
"देखिए मि. लूका, इनकी तबियत इसलिए खराब हुई है क्योंकि इनको किसी चीज़ का स्ट्रेस है और बहुत दिनों से ठीक से खाना न खाना भी एक बड़ी वजह है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो इनकी तबियत और खराब हो सकती है और हो सकता है कि इनका बच पाना...." वह डॉक्टर अपनी बात पूरी नहीं कर पाया था क्योंकि लूका ने उसके सर पर अपनी गन तान दी थी।
जी हाँ, यह ड्राइवर कोई और नहीं, बल्कि लूका ही था, देवांश का मेन सिक्योरिटी हेड। डॉक्टर ने माइक के मरने की बात की जो उसे बिलकुल भी पसंद नहीं आई थी, इसलिए उसने गुस्से से अपनी कमर में अटकी गन निकालकर डॉक्टर पर तान दी थी।
उस गन को देखकर ही डॉक्टर का हलक सूख गया था। उसने थूक गटककर अपना गला तर किया था।
"देखिए मि. लूका, इसमें गुस्सा करने की...." डॉक्टर बड़ी मुश्किल से बोल रहा था, लेकिन लूका की गुस्से भरी आँखों को देखकर उसके शब्दों ने भी उसका साथ छोड़ दिया था।
"इसको ठीक करने के लिए जो करना पड़े करो। मुझे यह सही-सलामत चाहिए, समझा?" लूका ने गुस्से से कहा और अपनी गन अंदर रख ली थी। डॉक्टर बेचारा कुछ नहीं कह सका, सिवाय मुँह हिलाने के।
लूका माइक को घर तो ले आया था, लेकिन उसे अब उसकी सेहत की चिंता सता रही थी। इसी चिंता के चलते उसने डॉक्टर को धमका भी दिया था। वह अब परेशान था कि भला ऐसा क्या हुआ था कि माइक ढंग से खाना भी नहीं खा रहा था। बस इसी चिंता में वह वहीं बैठा-बैठा नींद के आगोश में चला गया।
अगली सुबह सूरज निकल चुका था, जिसने काली रात के फैले हुए पंखों को समेट दिया था। हर सुबह की तरह पंछी चहचहा रहे थे और अपने घोंसलों से निकल आए थे। यह तो वह सब था जो हर रोज होता था, लेकिन आज इस सुबह में कुछ नयापन था, और यह नयापन देवांश के लिए था।
वह अपनी आदत अनुसार सुबह जल्दी उठ चुका था और अपनी जिंदगी के सबसे बड़े बदलाव को बहुत ध्यान से देख रहा था। वह बदलाव कोई और नहीं, अमारा ही थी। वह बिना किसी चिंता-फिक्र के सोई हुई थी। उसके चेहरे पर उसके जागने से ज़्यादा मासूमियत तैर रही थी। वह तो आराम से सो रही थी, लेकिन उसके चेहरे के नूर और मासूमियत ने किसी और की नींद ज़रूर उड़ा रखी थी, और वह था देवांश।
वह अमारा को देख रहा था। अभी कल ही तो उनकी शादी हुई थी। उसने तो अमारा से ठीक से बात तक नहीं की थी। वह आराम से सोई हुई थी, और देवांश के नाम का सिंदूर और मंगलसूत्र क्रमशः उसके माथे और गले की शोभा बढ़ा रहे थे, जो यकीनन अमारा को और भी खूबसूरत बना रहे थे।
उसे सिंदूर और मंगलसूत्र का न मतलब पता था, न इम्पॉर्टेंस, जैसा उसे पंडित जी ने कहा था, वैसा ही उसने करता गया। उसने अपनी माँ को हमेशा इन दो चीज़ों को अपने माथे और गले में सजाए हुए देखा था। उसने शायद ही कभी सोचा होगा कि कोई होगी जो यह सब उसके लिए करेगी। वह अभी बिना किसी भाव के उसे एकटक देखे ही जा रहा था कि अचानक उसे महसूस हुआ जैसे उसके दिल ने धड़कना ही बंद कर दिया हो। उसकी साँस ऊपर-ऊपर और नीचे-नीचे रह गई थी।
उसने बहुत मुश्किल से अपना सिर नीचे किया तो पाया यह अमारा का हाथ था जो उसके सीने पर रखा हुआ था। वह सो रही थी और अनजाने में ही उसने ऐसा कर दिया था। देवांश ने बहुत मुश्किल से अपनी बढ़ती हुई साँसों को नियंत्रित किया और बहुत धीरे से, बिना उसके हाथ को हिलाए, बिस्तर से निकल गया। उसने अमारा को एक नज़र देखा और अपने कपड़े लेता हुआ कमरे से बाहर निकल गया। वहीं बेचारी अमारा आराम से सो रही थी, इस बात से अनजान कि अनजाने में ही उसने किसी की जान लगभग निकाल ही दी थी।
देवांश अपने जिम जा चुका था। वहीं अमारा भी धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलने लगी। पहले तो उस नई जगह को देखकर चौंक गई थी, फिर उसे याद आया कि कल ही उसकी शादी हो चुकी थी।
वह जल्दी-जल्दी इधर-उधर देखने लगी। उसे डर था कि कहीं देवांश न हो यहाँ, लेकिन उसे तब तसल्ली मिली जब रूम में उसके अलावा कोई नहीं था।
वह उठी और धीरे-धीरे बाथरूम की ओर बढ़ गई। एक अच्छा शावर लेने के बाद उसने बाथरोब पहना और बाहर निकल आई। लेकिन बाहर उसके लिए एक और शॉक वेट कर रहा था। देवांश, जो अभी-अभी जिम से लौटा था, वह शर्टलेस रूम में खड़ा हुआ था।
अमारा को अब हद से ज़्यादा शर्म आ रही थी। एक तो वह खुद बाथरोब में, ऊपर से देवांश बिना शर्ट के खड़ा था। शायद देवांश उसकी हालत समझ रहा था, इसलिए उसने जल्दी से कपड़े उठाए और बाथरूम में चला गया। अब कहीं जाकर उसे चैन आया था। वह भी चेंजिंग रूम में अपने कपड़े बदलने चली गई।
अमारा नीचे आकर मार्टिन मेंशन को बहुत ध्यान से देख रही थी। हल्की घुमावदार सीढ़ियाँ, हॉल में रखा शानदार सोफा सेट, उसके बीच में लगी एक कांच की टेबल, उसी हॉल में लगा एक बड़ा सा कांच का ही झूमर जो वहाँ की शान बढ़ा रहा था। दीवार के पास रखी टेबल पर कुछ एंटीक रखे हुए थे, साथ ही वहाँ बड़े-बड़े गमले भी थे। कुल मिलाकर वहाँ की शान-ओ-शौकत का बखान वहाँ का सामान ही आराम से कर रहा था।
वह नीचे आई तो देखा ऑलिवर सोफे पर बैठे आराम से अखबार पढ़ रहे थे, साथ ही अपनी कॉफी का लुत्फ़ उठा रहे थे। वह सीधा उनके पास आकर खड़ी हो गई। उन्होंने सिर उठाकर उसे देखा और मुस्कुरा दिए।
"गुड मॉर्निंग अंकल।" अमारा ने बेहद प्यार से कहा।
"गुड मॉर्निंग अमारा। अच्छा होगा अगर आप हमें देवांश की तरह डैड कहें।" उन्होंने भी प्यार से जवाब दिया और इशारे से उसे अपने पास बैठने को कहा।
"तो कैसा लगा आपको आपका नया घर?" उन्होंने बात आगे बढ़ाने के उद्देश्य से सवाल किया।
"बहुत अच्छा है डैड। मुझे बहुत पसंद आया।" अमारा की बात में सच्चाई थी। उसे वह मेंशन वाकई बेहद पसंद आया था।
"आप हमेशा ऐसे ही खुश रहिए और कोई भी परेशानी आए या तकलीफ़ हो, आप सीधा हमें कह सकती हैं, ठीक है?" उन्होंने अमारा के सर पर हाथ फेरते हुए कहा।
यह आज पहली दफ़ा था जब अमारा के सर पर किसी ने इतने प्यार से हाथ फेरा था, उसे अपनेपन का एहसास दिलाया था। यहाँ तक कि कभी उसके खुद के पिता मि. ग्रे ने उससे इतनी अच्छी तरह से बात नहीं की थी जितनी ऑलिवर कर रहे थे। यही सब सोचकर उसकी आँखें नम हो गईं, लेकिन उसने उन्हें अपनी आँखों में ही कैद कर लिया।
ऑलिवर का कोई इम्पॉर्टेन्ट कॉल आ गया, जिसकी वजह से वह वहाँ से उठकर चले गए। अमारा बेचारी अकेली क्या करती, इसलिए वह किचन के चक्कर लगाने चली गई। किचन में दो शेफ़ ब्रेकफ़ास्ट बना रहे थे, वहीं दो और नौकर प्लेट्स वगैरह डाइनिंग टेबल पर लगा रहे थे। अमारा को खाना बनाना बहुत अच्छी तरह से आता था, लेकिन नई जगह पर उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह किचन में दाखिल भी हो, कहीं उससे कोई गड़बड़ हो गई तो।
सुबह का वक्त था। ठंडी हवा कमरे में चल रही थी। कमरे में लगे सफेद परदे हिल रहे थे। वहीं एक लड़का, बेड पर आराम से पेट के बल सोया हुआ था। अचानक उसने अजीब सी हलचल पैदा कर दी, लेकिन उसकी आँखें अब भी बंद थीं। उसके माथे पर बल पड़ गया था, साथ ही उसके पसीने छूट रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे वह कोई डरावना सपना देख रहा हो।
वह अब सीधा अपनी पीठ के बल लेट चुका था। उसने अपने ऊपर पड़ी चादर को कसकर पकड़ लिया था, जैसे कोई उससे वह छीनकर ले जाएगा। जब उससे सहन न हुआ, तो वह एक चीख के साथ उठ गया। उसका पूरा शरीर पसीने से भीगा हुआ था और डर की वजह से वह इधर-उधर देख रहा था।
तभी कमरे का दरवाजा खुला और लूका, हाथ में एक ट्रे पकड़े, अंदर आया। लेकिन जैसे ही उसने माइक की हालत देखी, उसने ट्रे को एक टेबल पर पटक दिया और माइक के पास बढ़ गया।
"माइक, क्या हुआ? तुम डर क्यों रहे हो? सब ठीक है ना?" उसने थोड़े शशंकित भाव से पूछा। लेकिन माइक ने कुछ नहीं कहा, बस कसकर उसे गले लगा लिया, जैसे कि उसने थोड़ा सा भी ढीला छोड़ा तो लूका कहीं गायब हो जाएगा।
लूका भी उसकी हालत समझ रहा था। उसे लग रहा था कि शायद माइक ने कोई बुरा सपना देख लिया होगा, इसलिए ऐसे व्यवहार कर रहा था। इसलिए वह कुछ नहीं बोला, बस धीरे-धीरे उसकी पीठ सहलाता रहा। वहीं माइक, कुछ न बोलते हुए, बस चुपचाप अपने आँसू बहा रहा था, जिसका कारण उसके करीब बैठे इंसान को भी मालूम नहीं था।
कुछ देर बाद माइक शांत हुआ। और तभी कुछ उसके दिमाग में खटका। वह जल्दी से लूका से अलग हुआ और आँखें फाड़कर हर तरफ देखने लगा।
"ये मैं कहाँ हूँ और आप कौन हैं?" उसने बहुत मासूमियत से सवाल किया। वह इस वक्त इतना मासूम दिख रहा था कि किसी को भी उस पर प्यार आ सकता था, लेकिन लूका को गुस्सा आ रहा था।
उसे गुस्सा इसलिए आ रहा था क्योंकि माइक उसे भूल चुका था। उसे याद ही नहीं था कि लूका कौन है?
"क्या तुम्हें बिल्कुल याद नहीं कि कुछ रोज पहले तुम्हें मैंने कुछ लड़कों से पीटने से बचाया था?" लूका ने एक आइब्रो उठाते हुए सवाल किया।
माइक आराम से सोचने लगा कि ऐसा कब हुआ था। जैसे ही उसे याद आया, उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव थे, वहीं लूका के चेहरे पर एक एटीट्यूड वाला लुक था।
"सॉरी, उस दिन मैं आपको थैंक यू नहीं बोल पाया था और आज भी आपने मेरी मदद की, उसके लिए आपका बेहद शुक्रिया। और मैं आपको पहचान नहीं पाया, उसके लिए माफ़ करना।" माइक ने मुस्कुराते हुए कहा, जिस पर लूका भी बस मुस्कुरा कर रह गया।
"कोई बात नहीं। चलो अब उठो और नाश्ता कर लो। फिर मैं तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ देता हूँ।" लूका ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा। अभी तक जो माइक बहुत नॉर्मल था, घर का नाम सुनते ही उसका मुँह ऐसा हो गया जैसे किसी ने कोई जहर घोल दिया हो उसके मन में।
"मेरा कोई घर नहीं है।" उसने रूखेपन से कहा और उस टेबल तक बढ़ गया जिस पर खाना रखा हुआ था।
लूका को उसकी बात बहुत अजीब लगी थी, लेकिन वह माइक का चेहरा पहले ही देख चुका था कि वह कितना ज़िद पर अड़ा हुआ था, इसलिए उसने कुछ न कहना ही ठीक समझा।
"अच्छा, कोई बात नहीं। तुम यहाँ आराम से रहो और अच्छे से खाओ। डॉक्टर ने बताया था मुझे कि तुम कितने कमज़ोर हो गए हो।" उसने अपनी जगह से उठते हुए जवाब दिया और कमरे के दरवाजे की ओर बढ़ गया।
"आप कहाँ जा रहे हैं?" माइक ने एक सैंडविच मुँह में ठूँसते हुए पूछा।
"बस ऑफिस।" उसने जवाब दिया और जल्दी से वहाँ से निकल गया। उसे जाते देख माइक ने भी अपना सर झटका और अपना सारा ध्यान अपनी सैंडविच खाने और जूस पीने पर लगा दिया।
मार्टिन मेंशन
अपना काम खत्म करके देवांश नीचे आया तो उसने अमारा को किचन में बाहर से झाँकते हुए देखा। वह बहुत धीरे से उसके पास गया और उसके पीछे खड़ा हो गया।
"यह घर अब तुम्हारा भी है। तुम जहाँ चाहे जा सकती हो। ऐसे झाँकने की ज़रूरत नहीं है।" उसने अपनी रेशमी आवाज़ में कहा। ऐसा लग रहा था जैसे उसकी आवाज़ में किसी पुरानी शराब जैसा नशा हो।
उसकी आवाज़ सुनकर अमारा जल्दी से पीछे पलटी और उसे देखकर अपने पीछे की दीवार से चिपक गई। ऐसा लग रहा था जैसे उसे बस एक मौका मिले और वह इस दीवार में ही समा जाए।
"आ... आप..." वह हकलाते हुए बोली। उसके ऐसे अचानक आ जाने से वह काफ़ी डर गई थी।
"हाँ, मैं। क्यों? किसी और को होना चाहिए था?" वह अपनी आइब्रो उठाते हुए बोला।
"न... नहीं, वह बस यूँ ही पूछा।" वह अब भी कुछ डरी हुई थी।
"रिलेक्स। इतना घबराने की ज़रूरत नहीं है, ओके। आओ, नाश्ता कर लो।" उसने अमारा का हाथ अपने हाथ में थाम लिया और आगे बढ़ गया। वहीं अमारा की नज़र सिर्फ़ देवांश के उस हाथ पर थी जिस में उसने अमारा का हाथ थामा हुआ था।
यूनिवर्सिटी ऑफ़ रोमानिया
यह एक काफ़ी बड़ा कैंपस था क्योंकि यह यूनिवर्सिटी ही इतनी बड़ी थी। इस यूनिवर्सिटी में हर स्ट्रीम की अलग-अलग बिल्डिंग थीं, जिनका रास्ता एक बहुत बड़े ग्राउंड से होकर जाता था। उस ग्राउंड में हरी-भरी घास लगी हुई थी।
यहाँ पर एक कैंटीन थी जो बहुत बड़ी थी। अक्सर उसी में सब स्ट्रीम के बच्चे बैठते थे।
वहीं ग्राउंड के एक तरफ़ सीमेंट की कुछ टेबल और बेंच लगी हुई थीं, और उनके आस-पास पेड़-पौधे भी लगे हुए थे जो वहाँ छाया का बहुत अच्छा काम कर रहे थे। वहीं एक बेंच पर एक ग्रुप बैठा गप्पे मार रहा था। जिसमें तीन-चार लड़के और दो लड़कियाँ थीं।
एक लड़का उस ग्रुप में चुपचाप बैठा हुआ था। सभी उसे देखकर कानाफूसी कर रहे थे, जैसे उनके लिए यह कोई नई चीज़ हो।
"क्या हुआ रेन? तू इतना चुपचाप क्यों है?" उनमें से एक लड़के ने सबको चुप करवाकर उससे पूछा।
यूनिवर्सिटी ऑफ़ रोमानिया
रेन और उसके कुछ दोस्त गार्डन में एक तरफ़ बैठे हुए थे; जिनमें से तीन-चार लड़के और दो लड़कियाँ थीं। वहाँ वे सब लोग आपस में बातें कर रहे थे, वहीं रेन चुपचाप बैठा हुआ था। तभी उसके एक दोस्त ने उन सबको शांत करवा दिया।
"क्या हुआ रेन? तू इतना चुपचाप क्यों है?" उसके एक दोस्त ने सवाल किया, जिसका नाम जॉय था।
"हाँ, बता ना यार, परेशान क्यों है? तेरे पापा से फिर लड़ाई हुई क्या?" इस बार यह सवाल एक लड़की ने किया, जिसका नाम एला था।
"लड़ाई नहीं हुई, लेकिन इस बार पापा ने भाई को घर से निकाल दिया और मुझे कसम दी है कि मैं उन्हें खोजने ना जाऊँ।" रेन ने बेहद दुख भरे लहज़े में कहा।
रेन और उसके घर की क्या कंडीशन है, यह उसका पूरा ग्रुप जानता था। इसलिए सब अंदाज़ा लगा लिया करते थे कि उसके दुखी होने की वजह क्या है।
"ये क्या हुआ? कैसे हुआ? क्यों हुआ? कब हुआ?...." यह इनके ग्रुप का सबसे एंटीक पीस था, जिसका नाम सैम था। उसे हिंदी गानों का बड़ा शौक था, तो जो भी परिस्थिति हो, यह बस गाना शुरू कर देता था, उस परिस्थिति से मैच करती हुई। वही उसने अभी किया था।
"चुप हो जा सैम! क्या हर वक़्त तुझे गाने सूझते हैं? देख नहीं रहा है वो कितना परेशान है।" एला ने उसे लताड़ा।
"अब माइक कहाँ है? तूने जानने की कोशिश की?" ग्रुप में एक सवाल फिर उठा।
"कैसे करता हूँ जानने की कोशिश? भाई का फ़ोन तक बंद आ रहा है, समझ ही नहीं आ रहा क्या करूँ?" वो एक बार फिर दुखी हो गया था।
"तू चिंता मत कर, वो जल्द ही मिल जाएगा, ठीक है।" जॉय ने उसे संत्वना दी।
सब अपनी बातों में लग गए, वहीं रेन का ध्यान कुछ देर के लिए ही सही, लेकिन माइक से हट चुका था।
शाम का वक़्त था, लेकिन सूरज अब भी अपनी लालिमा लिए छिपने को तैयार था। देवांश की गाड़ी, और उसके साथ उसके बॉडीगार्ड्स की गाड़ी, एक हॉस्पिटल में आकर रुकी। देवांश ने अपने चेहरे को मास्क से कवर कर रखा था। उसने बिना किसी पर ध्यान दिए अंदर की ओर बढ़ गया। वह चलते-चलते एक वार्ड के सामने रुका और उसके अंदर घुस गया; वहीं उसके गार्ड्स बाहर ही रुक गए। वह अंदर गया जहाँ एक बेड पर एक आदमी लेटा हुआ था, जिसके चेहरे पर ऑक्सीजन मास्क लगा हुआ था, जिसकी वजह से उसका चेहरा ठीक से नहीं देख पा रहा था। उसके माथे पर और हाथ पर चोट लगी हुई थी, जिस पर पट्टी थी।
देवांश बिना किसी भाव के उसे देखता रहा। ना जाने उसकी आँखों में ऐसा क्या था, यह तो वही जानता था, लेकिन वह उस लेटे हुए इंसान को देख रहा था। वह कुछ देर उसे देखता रहा, फिर हाथ बढ़ाकर उसके सर पर हाथ फेरने लगा।
"जल्दी ठीक हो जाओ, प्लीज़। मुझसे अकेले यह सब हैंडल नहीं होता।" उसका लहज़ा बेहद कमज़ोर था। तभी उसकी एक आँख से आँसू निकल कर उस लेटे हुए इंसान के हाथ पर गिर गया। उसने जल्दी से अपने आँसू पोछे और बेहद जल्दी से वहाँ से निकल गया; साथ ही उसके गार्ड्स भी उसके पीछे हो लिए।
मार्टिन मेंशन
शाम हो चुकी थी और देवांश के लौटने का वक़्त हो चुका था। अमारा भी अपने कमरे में चुपचाप बैठी हुई थी, क्योंकि उसे करने को कोई काम ही नहीं मिल रहा था। कहाँ उसे ग्रे हाउस में मिसेज़ ग्रे थोड़ी देर के लिए भी चैन की साँस नहीं लेने दिया करती थीं।
वह अपनी इसी सोच में गुम थी, जब उसने किसी के कदमों की आहट सुनी। उसने सर उठाकर देखा तो देवांश कमरे में ही चला आ रहा था। उसे देखकर अमारा जल्दी से बेड से उठकर खड़ी हो गई।
"क्या हुआ? तुम्हारी तबियत ठीक है ना? तुम ऐसे क्यों खड़ी हो गई?" देवांश ने अपना बैग एक साइड में रखते हुए पूछा; साथ ही साथ उसका हाथ भी अमारा के माथे पर चला गया था।
"जी...जी, मैं ठीक हूँ।" उसने अटकते हुए जवाब दिया।
"मैं तुम्हारे लिए कुछ लाया हूँ।" देवांश उठा और अपने बैग से कुछ पेपर्स निकालकर अमारा के सामने कर दिए, जो एक पतली सी ट्रांसपेरेंट फ़ाइल में थे।
उन पेपर्स को देखकर अमारा का दिमाग कहीं और ही चलने लगा। उसे याद आने लगा कि उसकी एक नॉवेल में ऐसा ही कुछ लिखा था, जब हीरोइन अपने पति को शादी की पहली रात उसे खुद को छूने नहीं देती, तो अगले दिन वह हीरोइन को डाइवोर्स दे देता है।
अब अमारा को भी यही लग रहा था कि उसके कल रात को की गई हरकत की वजह से देवांश उसे डाइवोर्स दे रहा है। यह सोचते ही उसके हाथ-पैर काँपने लगे। उसे डर था कि कहीं यह डाइवोर्स हो गया, तो मि. और मिसेज़ ग्रे उसका क्या हाल करेंगे।
देवांश को यह बहुत अजीब लग रहा था कि अचानक उसे क्या हुआ है। उसके माथे पर पसीना था और हाथों की कपकपाट साफ़ दिखाई दे रही थी। वह जैसे ही उसे संभालने के लिए आगे बढ़ा, अमारा उसके पैरों में लगभग गिर पड़ी।
"प्लीज़, आप मुझे डाइवोर्स मत दीजिये। आप जो बोलोगे, जैसे बोलोगे, मैं करूंगी, पर प्लीज़ यह डाइवोर्स मत दीजिये।" वह बहुत गिड़गिड़ाते हुए बोली।
उसकी बातें देवांश के लिए किसी ऐसे शॉक जैसी थीं, जैसे किसी ने भरी गर्मी में उस पर गरम पानी डाल दिया हो।
"अमारा, यह क्या कर रही हो? उठो और यहाँ बैठो।" उसने अमारा को उठाया और बेड पर बिठा दिया।
"तुम यह क्या कर रही थीं, हाँ? और तुम्हें किसने कह दिया कि यह डाइवोर्स पेपर्स हैं? और मैं भला तुम्हें डाइवोर्स क्यों दूँगा?" वह अब भी शॉक में लग रहा था।
"वो कल रात मैंने...मैंने आपको माना किया, तो मुझे लगा कि...कि आप मुझे...." उसकी बात अधूरी ही रह गई, वहीं देवांश समझ चुका था कि उसने गलत समझ लिया था।
"और यह आइडिया तुम्हें आया कहाँ से कि मैं तुम्हें डाइवोर्स दूँगा उस बात के लिए?" देवांश को गुस्सा तो आ ही रहा था, लेकिन उसकी नादान बातें उसे मुस्कुराने पर मजबूर भी कर रही थीं।
"वो मैंने एक नॉवेल में पढ़ा था।" उसने मासूमियत से जवाब दिया।
देवांश इस बात से सदमे में था कि अमारा उसे तलाक देने वाला समझ रही थी और उसके पैरों में गिरकर उससे विनती कर रही थी। उसे गुस्सा तो आ रहा था, लेकिन अमारा की मासूमियत देखकर उसने अपने गुस्से को पिघलता हुआ महसूस किया।
"और यह तुम्हें क्यों लगा कि मैं तुम्हें तलाक दूँगा?" देवांश ने एक भौं उठाकर उससे सवाल किया।
"वह मैंने ऐसा एक नॉवेल में पढ़ा था।" उसने भी सिर झुकाकर जवाब दिया।
अब उसका दिमाग घूम गया था, लेकिन उसने जैसे-तैसे करके खुद को नियंत्रित किया। उसने अमारा को कंधे से पकड़कर अपनी ओर खींचा और बेहद प्यार से बोला,
"देखो अमारा, जानता हूँ हमारा रिश्ता भी कुछ दिनों पहले ही बना है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि तुम मेरे बारे में कोई भी गलत धारणा बना लो। जैसे कहीं पढ़ा या देखा होता है, ज़रूरी नहीं कि वह सच ही हो। इसलिए अपने दिमाग से ये बातें निकाल दो और मुझ पर भरोसा रखो कि मैं तुम्हारे साथ कभी कुछ गलत नहीं करूँगा।" उसने अमारा का सिर सहला दिया।
उसकी बात सुनकर अमारा को बेहद शांति मिली थी। वरना उसके दिमाग में तो उथल-पुथल मच चुकी थी कि अगर देवांश उसे सच में तलाक दे देगा तो उसके माता-पिता उसका क्या हाल करेंगे।
"तो इसमें क्या है?" अब उसने मुद्दे की बात की।
"इसमें तुम्हारा एडमिशन फॉर्म है। इसे भरकर मुझे दो ताकि तुम्हारा एडमिशन हो सके। मैं चाहता हूँ तुम अपनी डिग्री की पढ़ाई पूरी करो।" उसने अपनी बात खत्म की और अमारा की ओर देखा जो उसे बेहद सम्मान की नज़रों से देख रही थी।
"क्या हुआ?" उसके भाव देखकर देवांश ने पूछा।
"थैंक यू सो मच। आप बहुत अच्छे हैं।" वह जल्दी से देवांश के गले लग गई।
वह एकदम से सदमे में आ गया अमारा के इस कदम से। कुछ ही पलों में अमारा को भी होश आ गया और होश आते ही उसका ध्यान अपनी धड़कनों पर गया जो इतना शोर कर रही थीं कि उसे अपने कानों में यह आवाज़ सुनाई दे रही थी। वह जल्दी से देवांश से अलग हुई और कमरे से बाहर निकल गई। वहीं देवांश अपने दिल पर हाथ रखकर उसे धीरे-धीरे सहला रहा था।
देवांश नीचे आया और अपने मीटिंग रूम में चला गया जो नीचे हॉल के एक तरफ़ बना हुआ था। इस रूम में सिर्फ़ बेहद विश्वासपात्र लोग ही आ सकते थे, बाकी कोई नहीं और न ही इस रूम के बारे में ज़्यादा लोगों को कोई खास जानकारी थी।
"बताओ, क्या बात है कि तुमने मुझे इस वक़्त यहाँ बुलाया?" देवांश ने सामने खड़े इंसान को देखकर पूछा।
सामने लूका खड़ा था। इसी ने देवांश को मैसेज भेजकर इस रूम में बुलाया था।
"मुझे किसी के बारे में कुछ बात करनी थी देवांश, इसलिए यहाँ बुलाया है तुम्हें।" लूका ने बेहद साफ़ अल्फ़ाज़ों में कहा। लूका और देवांश बहुत अच्छे दोस्त थे। वे कॉलेज में एक साथ ही पढ़े थे और देवांश ने यह जॉब लूका को ऑफ़र की थी जिसे उसने मान लिया था।
"तुम्हें माइक के बारे में बात करनी है जो फिलहाल तुम्हारे घर में रहता है, सही कहा ना?" देवांश ने उसकी तरफ़ बिना देखे ही जवाब दिया।
"जानता हूँ तुम्हें सब पहले से ही पता होता है, लेकिन मुझे हर बात बताना सही लगता है इसलिए बता रहा हूँ।" लूका ने अपनी बात खत्म ही की थी कि तभी उस रूम में एक और इंसान ने एंट्री ली।
यह एक लड़का था जिसकी उम्र लगभग 32 रही होगी। उसने एक हल्के मोटे फ्रेम का चश्मा लगा रखा था। उसके हाथ में एक टैबलेट था और साथ ही कान पर ब्लूटूथ लगा रखा था। वह शक्ल से ही कोई प्रोफ़ेशनल लग रहा था।
"बताओ मैक्स, क्या खबर है?" देवांश ने अपना ध्यान लूका से हटाते हुए उस इंसान पर डाला जो अभी-अभी आया था।
"सर, उसका..." मैक्स ने कहना शुरू ही किया था कि तभी किसी की घूरती हुई नज़र उसे अपने ऊपर महसूस हुई। उसने सिर उठाकर देखा तो वह नज़रें लूका की थीं। शायद वह उन घूरती हुई नज़रों का मतलब समझ गया था।
"सर, उनका नाम माइक है और वह अनाथ है। उसका एक भाई है जो उसके अंकल का बेटा है और उसने पिछली रात उसे घर से निकाल दिया था जब वह लूका से मिला। वह एक बार में वेटर का काम करता है। कुछ अजीब भी पता चला है उसके बारे में।" मैक्स ने थोड़ा सस्पेंस बनाते हुए कहा।
"क्या पता चला है?" देवांश के कुछ बोलने से पहले ही लूका बोल उठा।
"एक साल पहले वह एक महीने के लिए कहीं गायब हो गए थे। कहाँ गए, कैसे गए, नहीं पता और न कुछ पता चल पाया।" मैक्स ने अपनी बात खत्म की और उस कमरे में एक बार फिर सन्नाटा पसर गया।
"ठीक है मैक्स, अब तुम जाओ। जब ज़रूरी होगा तब मैं तुम्हें कॉन्टैक्ट करूँगा।" देवांश ने उसे जाने की इजाजत दी जिसे उसने सिर झुकाकर स्वीकार किया और उस रूम से बाहर चला गया।
"देवांश, वह..."
"लूका, तुम अपनी पर्सनल लाइफ़ में क्या करते हो, मुझे इससे कोई परेशानी नहीं है, लेकिन एक बार हमेशा याद रखना, अगर माइक ने कभी कोई गड़बड़ की या वह किसी दुश्मन का आदमी निकला तो उसे गोली तुम खुद मारोगे।" देवांश ने उसकी बात काटते हुए अपनी बात पूरी की जिस पर लूका सिर्फ़ हाँ में गर्दन हिलाने के अलावा कुछ न कह पाया और देवांश वहाँ से बाहर चला गया।
लूका के पास कहने के लिए कुछ भी नहीं बचा था, इसलिए वह भी वहाँ से बाहर निकल गया। लूका अपनी गाड़ी चला रहा था और उसका ध्यान सामने रोड पर था, लेकिन उसके दिमाग में अब भी देवांश की ही बातें चल रही थीं। उसने अपना सिर झटका और गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी।
करीब 15 मिनट बाद उसने गाड़ी अपने घर के सामने रोकी और गार्ड ने उसे देखकर गेट खोल दिया। गाड़ी पार्क करने के बाद उसने अपने कदम अंदर की ओर बढ़ा दिए, साथ ही उसकी नज़र माइक को खोजने लगी।
"माइक कहाँ है?" उसने अपने घर के एक नौकर से पूछा।
"वह तो अपने कमरे में है सर।" नौकर का जवाब पाते ही लूका के कदम माइक के कमरे की ओर मुड़ गए, वही कमरा जिसमें लूका उसे पहली बार लेकर आया था।
"माइक कहाँ है?" घर में घुसते ही, जब लूका को माइक कहीं दिखाई नहीं दिया, तो उसने अपने नौकर से सवाल किया।
"सर, वह अपने रूम में है।" नौकर ने उसे जवाब दिया और अपने काम में लग गया।
लूका बिना देर किए उस कमरे की ओर बढ़ गया जहाँ वह पहली बार माइक को लेकर आया था।
लूका अंदर गया तो देखा, कमरे की सारी लाइटें बंद थीं और कोई बिस्तर पर सिकुड़ कर सो रहा था। लूका उसके पास पहुँचा तो देखा, वह इंसान किसी खरगोश के बच्चे की तरह सो रहा था। लूका ने उसके सिर पर हाथ फेरा और उठकर जाने लगा, लेकिन अचानक रुक गया। उसने पलटकर देखा तो जो माइक अब तक शान्ति से सो रहा था, अचानक बुरी तरह काँप रहा था और साथ ही कुछ बुदबुदा रहा था।
लूका थोड़ा झुका और उसके होठों के करीब कान लगाकर सुनने लगा। उसे माइक के शब्द साफ़ सुनाई देने लगे।
"हेल्प! हेल्प!" वह बार-बार बस यही बोल रहा था।
लूका समझ गया कि वह ज़रूर कोई बहुत बुरा सपना देख रहा होगा। इसलिए उसने माइक के सिर पर धीरे-धीरे हाथ फेरना शुरू कर दिया।
लूका के हाथ फेरने के कुछ देर बाद ही माइक शांत होकर एक बार फिर सो चुका था। लूका उसे देखकर मुस्कुराया और उठकर वहाँ से बाहर चला गया।
एक अनजान जगह
शहर से दूर, यह एक शांत इलाका था जहाँ ज़्यादा लोगों का आना-जाना नहीं होता था। वहीं एक जगह बहुत सारे लोग इकट्ठे हुए थे। बहुत सारी लाइटें जगमगा रही थीं, साथ ही उनकी महँगी-महँगी गाड़ियाँ भी वहाँ खड़ी हुई थीं, जो यह दिखाने के लिए काफी था कि यहाँ जितने भी लोग मौजूद थे, अच्छे खासे अमीर थे।
क्या लड़का और क्या लड़की, लगभग सभी वर्ग के लोग इस भीड़ में मौजूद थे और जोर-जोर से चिल्ला रहे थे। ऐसा लग रहा था कि वे किसी चीज़ को सपोर्ट कर रहे हों। वहीं भीड़ के बीचों-बीच दो लोग खड़े हुए थे। दोनों ने ही शॉर्ट्स पहने हुए थे और हाथों में ग्लव्स पहने हुए थे, लेकिन ऊपर उन्होंने कुछ नहीं पहना था, जिससे उनकी बॉडी साफ़ दिख रही थी। उन्हें देखकर ही लग रहा था कि वे दोनों बॉक्सिंग करने के लिए तैयार हैं।
एक बॉक्सर, जिसके चेस्ट पर बहुत से टैटू थे, वह लगभग अट्ठाईस का लग रहा था। वहीं दूसरा बॉक्सर, उसने चेहरे पर मास्क पहना हुआ था, जिससे उसकी शक्ल दिखाई नहीं दे रही थी। उसकी उम्र बीस साल की लग रही थी; यानी वह दूसरा बॉक्सर ज़्यादा उम्र का नहीं था।
कुछ ही देर में वहाँ एक लग्जरी गाड़ी के साथ कुछ और गाड़ियाँ आकर रुकीं। उस लग्जरी गाड़ी से एक बेहद हैंडसम लड़का उतरा, जिसकी उम्र करीब सत्ताइस रही होगी। वह लड़का इतना आकर्षक दिख रहा था कि वहाँ मौजूद न सिर्फ़ लड़कियों की, बल्कि लड़कों की निगाहें भी उस पर टिक गईं। लेकिन उस लड़के ने सबको इग्नोर किया और एक साइड में एक बड़ी सी चेयर पर बैठ गया।
यह जगह इल्लीगल बॉक्सिंग के लिए बेहद फेमस थी और इस वक़्त यहाँ उसी बॉक्सिंग की तैयारी हो रही थी। इस इल्लीगल बॉक्सिंग की जानकारी बड़े और पैसे वाले लोगों को होती थी और इसी वजह से पुलिस कुछ नहीं कर पाती थी। लेकिन फिर भी, इस बॉक्सिंग को कराने वालों को थोड़ा सतर्क रहना पड़ता था।
इस बॉक्सिंग पर सभी लोग पैसे लगाते थे और जीतने वाले को उसका हिस्सा मिलता था। कुछ लोग बॉक्सिंग अपनी मर्ज़ी से करते थे, कुछ मजबूरी में। लेकिन इस बॉक्सिंग का एक सबसे खतरनाक रूल था कि अगर इसमें किसी की जान जाती है, तो इसके लिए वहाँ का कोई भी इंसान ज़िम्मेदार नहीं होगा।
वह हैंडसम इंसान जैसे ही अपनी कुर्सी पर बैठ गया, सभी सतर्क हो गए कि अब मैच शुरू होने वाला है। वहाँ के रेफरी ने सीटी बजाई और दोनों बॉक्सर ने लड़ाई शुरू कर दी।
दोनों बॉक्सर बहुत बुरी तरह से एक-दूसरे को मार रहे थे। कोई एक भी कमी नहीं छोड़ रहा था दूसरे को पीटने में, क्योंकि उन्हें पता था कि जो जीतेगा, वही पैसे ले जाएगा। आखिरकार, ये फ़ाइट्स होती भी तो सिर्फ़ पैसों के लिए थीं। वहाँ खड़े लोग अपने-अपने फ़ेवरेट बॉक्सर को चिल्ला-चिल्लाकर सपोर्ट कर रहे थे।
सब तरफ़ सिर्फ़ दो ही आवाज़ें सुनाई दे रही थीं: एक थी DS, जो उस मास्क वाले बॉक्सर का नाम था, और दूसरी तरफ़ आवाज़ें आ रही थीं लाइम के नाम की, जो उस दूसरे बॉक्सर का नाम था। एक बॉक्सर नीचे गिर गया और अचानक ही सब कुछ शांत हो गया। हुआ यह था कि DS नाम के बॉक्सर ने लाइम को एक जोरदार पंच मारा था, जिसकी वजह से लाइम नीचे गिर गया और इसी के साथ मैच ख़त्म हो गया था।
DS के सपोर्टर्स उसका नाम चिल्लाकर अपनी खुशी दर्ज कर रहे थे, वहीं लाइम के सपोर्टर एकदम शांत पड़ चुके थे। DS सभी को हाथ दिखाकर सबका अभिवादन कर रहा था और उसकी पीठ लाइम की तरफ़ थी। अब उसे अपनी हार का गुस्सा था या अपने से कम उम्र के इंसान से हार जाने की शर्म, वह उठा और एक मुक्का तानते हुए DS की ओर बढ़ गया। लाइम उस पर पीछे से हमला करने ही वाला था कि तभी उसका हाथ किसी ने बुरी तरह से पकड़ लिया।
उस शांत इलाके को इस इंसिडेंट ने और ज़्यादा शांत कर दिया था। पहला तो यह बॉक्सिंग रूल्स के ख़िलाफ़ था कि किसी पर पीछे से हमला हो, दूसरा, ऐसा करने वाला लाइम का हाथ जिसने पकड़ा था, वह और कोई नहीं, वही हैंडसम शख़्स था जो कुछ देर पहले वहाँ किसी राजा की तरह बैठा हुआ था। उसने लाइम का न सिर्फ़ हाथ पकड़ा हुआ था, बल्कि उसकी आँखें भी गुस्से से दहल रही थीं। उसके कंधे तक लंबे बाल उसे और ज़्यादा आकर्षक बना रहे थे।
यह सब देखते ही कुछ लोग वहाँ भागते हुए पहुँचे, जिन्होंने इस बॉक्सिंग को ऑर्गेनाइज़ किया था।
"सॉरी मि. जेम्स, यह गलती हो गई।" उनमें से एक आदमी अदब से झुकते हुए बोला।
जेम्स ने उस लाइम का हाथ पकड़ा हुआ था और वह बेहद गुस्से में भी लग रहा था। इतने में ही वहाँ की फाइट को ऑर्गेनाइज़ करने वाले कुछ लोग पहुँच गए।
"सॉरी मि. जेम्स, इनसे गलती हो गई।" उन लोगों में से एक आदमी ने बड़े अदब से सर झुकाते हुए कहा।
जेम्स ने अपनी जलती हुई निगाहें उन लोगों पर डाली तो वे भी एक बार को सहम गए।
"गलती हो गई? यह यहाँ का रूल नहीं है कि कोई पीछे से वार करे।" वह बेहद गुस्से से गर्जा। सभी उससे डर रहे थे, लेकिन कहीं न कहीं उसकी बात से सहमत भी थे।
लाइम को जेम्स ने कुछ गार्ड्स की ओर धकेल दिया, जो उसे उसकी करनी की सज़ा देने वाले थे।
DS अब भी खड़ा जेम्स को प्रशंसा भरी नज़रों से देख रहा था। जेम्स उसके सामने आकर खड़ा हो गया और उसे गहरी नज़रों से देखने लगा, जैसे कुछ खोज रहा हो उसमें।
"थैंक यू सर, आज के लिए।" DS ने चेहरा घुमाते हुए जवाब दिया।
"सामने वाले से जीत लेना ही काफी नहीं होता, उसके मूव्स पर भी ध्यान रखना चाहिए, वरना कौन कब पलट कर वार कर दे, कोई नहीं कह सकता।" जेम्स ने अपनी भारी आवाज़ में कहा। DS ने उसकी बात को सर हिलाकर स्वीकार कर लिया था। उसे जेम्स की बात सही भी लगी थी और उसके लिए एक सीख भी।
"तुम्हारी उम्र ज़्यादा नहीं लगती, तो ये इल्लीगल फाइट्स क्यों?" जेम्स ने अपनी भरी आवाज़ में सवाल किया।
"कुछ मज़बूरियाँ होती हैं सर, वरना पिटना किसी को पसंद नहीं होता, शायद। और सही कहा आपने, मैं अभी कॉलेज में पढ़ता हूँ।" DS ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया। हालाँकि उसके मास्क की वजह से उसकी मुस्कुराहट दिखाई नहीं दे रही थी, लेकिन उसकी आँखें उसकी मुस्कुराहट की गवाही दे रही थीं।
"कौन से कॉलेज में पढ़ते हो?" जेम्स ने एक और सवाल दागा।
"सॉरी सर, मैं अनजान लोगों को अपनी पर्सनल डिटेल्स नहीं देता।" DS ने सर हल्के से झुकाते हुए कहा और हाथ हिलाते हुए वहाँ से निकल गया। उसे निकलता देख जेम्स शॉक रह गया, क्योंकि आज तक ऐसा नहीं हुआ था कि किसी ने उसे उसके सवालों के जवाब न दिए हों। खैर, उसने सर झटका और अपनी गाड़ी की ओर बढ़ गया, साथ ही उसके गार्ड्स भी उसके पीछे ही थे।
मार्टिन मेंशन
देवांश सोफ़े पर बैठा कुछ फ़ाइल्स चेक कर रहा था। सामने रखी टेबल पर उसका लैपटॉप खुला हुआ था, जिसमें कुछ ग्राफ़्स दिख रहे थे। अमारा धीरे-धीरे चलकर उसके पास आई और उसके सामने एक पेपर बढ़ा दिया।
देवांश ने एक नज़र उसे देखा और दूसरी नज़र उसके हाथ में मौजूद पेपर को।
वह समझ गया था कि उसके हाथ में वही पेपर मौजूद है जो उसने उसे फ़िल करने के लिए दिए थे।
"पूरा भर दिया?" उसने बिना अमारा को देखे सवाल किया।
"हाँ, बिलकुल पूरा भर दिया और साइन भी कर दिए।" अमारा ने एक उत्साह के साथ जवाब दिया। यह आज पहली बार था जब देवांश ने उसकी इतनी उत्साह भरी आवाज़ सुनी थी। उसने जल्दी से सर उठाकर देखा तो आज उसकी आँखों में एक अलग सी चमक थी, जो देवांश ने पहले कभी नहीं देखी थी।
"तुम कॉलेज जाने के लिए कुछ ज़्यादा ही एक्साइटेड लग रही हो?" उसने अपना सर अपनी फ़ाइल्स में घुसाए हुए ही सवाल किया।
"हाँ, क्योंकि मेरा कॉलेज जाने का बड़ा दिल था, लेकिन मैं कभी जा ही नहीं पाई, इसलिए।" उसने एक बड़ी मुस्कुराहट के साथ जवाब दिया, जिसे देखकर देवांश भी हल्का सा मुस्कुरा दिया।
"जाओ, जाकर सो जाओ, बहुत रात हो गई है।"
"आप भी जल्दी सो जाइएगा।" उसने देवांश से कहा और जल्दी से भागकर बिस्तर में घुस गई और खुद को कम्बल से अच्छी तरह कवर कर लिया, जैसे देवांश कोई शेर हो और उसे कम्बल से बाहर देखते ही उस पर हमला कर देगा। देवांश उसकी हरकत पर मुस्कुराते हुए सर झटका और फिर अपने काम में लग गया।
सब अपने-अपने बेड पर शांति से सो रहे थे, लेकिन कोई था जिसकी नींद उड़ी हुई थी। वह रात के सन्नाटे में अपने आदमियों पर चिल्ला रहा था, जैसे उन्होंने कोई गुनाह किया हो। जब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ, तो उसने अपनी बंदूक निकाली और तीन बार फायर किया। देखते ही देखते तीन आदमी उसके सामने किसी कटे हुए पेड़ की तरह लुढ़क गए। इससे उसे कोई फर्क नहीं पड़ा। उसने अपने चेहरे पर उन आदमियों के खून को साफ़ किया और वहाँ से चला गया।
अगली सुबह
लूका तैयार होकर नीचे आया तो उसे हर जगह देखने पर भी माइक नहीं मिला था। उसने अपना रुख उसके कमरे की तरफ़ कर दिया। उसने दरवाज़ा खोला तो देखा माइक कुछ परेशान सा यहाँ से वहाँ घूम रहा था।
"क्या हुआ? परेशान क्यों हो?" लूका ने उसका हाथ पकड़कर पूछा।
माइक ने एक नज़र उसे देखा और फिर उसके पकड़े हाथ को झटक दिया। एक सेकंड भी नहीं लगा लूका के हाथ को झटकने में। लूका के लिए यह आश्चर्य की बात थी कि वह भोला सा इंसान, जिसे उसने अब तक गुस्से में नहीं देखा था, वह अब उसका हाथ झटक रहा था।
"बताओ भी, बात क्या है?" लूका ने खुद को शांत करते हुए पूछा।
"आप मुझे यहाँ क्यों ले आए? आपके लोग मुझे जाने क्यों नहीं देते?" माइक के चेहरे पर एक साथ कई भाव थे, जिन्हें लूका अच्छे से महसूस कर पा रहा था।
"पहले शांत हो जाओ और लो, पानी पीओ।" उसने बगल की टेबल पर रखे ग्लास को उठाकर माइक के मुँह पर लगा दिया। अब बेचारे के पास पानी पीने के अलावा ऑप्शन ही क्या था? उसने भी चुपचाप पानी पी लिया।
"अब एक-एक करके बताओ कि बात क्या है?" लूका ने उसे थोड़ा शांत देखकर उससे पूछा।
"मैं आपके साथ क्यों रह रहा हूँ? मतलब आप मुझे बिना जान-पहचान के, बिना किसी रिश्तेदारी के कैसे रख रहे हैं अपने घर में? अगर मैंने कोई चोरी कर ली या आपको मार दिया तो?" माइक ने परेशानी से कहा।
लूका उसकी बात पर हँसना चाहता था कि यह मासूम सा इंसान, जो कोई चूहा न मारे, वह उसे मारने की बात कर रहा था, लेकिन उसने जैसे-तैसे करके खुद को हँसने से रोका।
"बस इतनी सी बात तो उसकी चिंता मत करो, क्योंकि भरोसा तो तुम पर तभी हो गया था जब तुम्हें पहली बार रोड पर उन लड़कों से पिटते देखा था। और रही रिश्ते की बात, तो ऐसा करो, तुम मुझसे शादी कर लो।" लूका ने बात तो बहुत आराम से कही थी, लेकिन तभी एक बहुत ज़ोर की आवाज़ उसके कानों में पड़ी, जिससे उसने अपने दोनों कान अपने हाथों से बंद कर लिए।
"क्यायययययययय"
लूका ने साफ अल्फाज़ों में माइक से शादी करने का प्रस्ताव रखा। माइक को बहुत बड़ा झटका लगा और वह गला फाड़कर चीख पड़ा।
"क्यायायायायायाया!"
उसकी चीख सुनकर लूका ने झट से अपने कान बंद कर लिए।
"क्या कर रहे हो? मेरे कान फाड़ने का इरादा है क्या?" उसने दोनों कानों को सहलाते हुए कहा।
"तो आपने ही तो कहा कि शादी कर लो। भला दो लड़के भी शादी करते हैं क्या? शादी तो एक लड़का और एक लड़की के बीच होती है ना?" माइक ने बेहद मासूमियत से कहा। उसकी बातें सुनकर लूका का मन हुआ कि वह किसी दीवार में जाकर सिर दे मारे।
"छोड़ो इस बात को, और तुम परेशान मत हो। तुम पहले थोड़ा और ठीक हो जाओ, फिर तुम्हारी जॉब के बारे में सोचेंगे, ठीक है?" उसने माइक का सिर सहलाया और उसका हाथ पकड़कर बाहर की ओर ले गया। उसने माइक को एक जगह बिठाया और खुद दूसरी जगह बैठ गया। वहीं, उसके नौकर ने दोनों के लिए खाना परोस दिया।
मार्टिन मेंशन
देवांश ने अमारा का एडमिशन वहाँ की प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी में करवा दिया था। अब उसे सिर्फ़ अपनी स्ट्रीम के लिए फ़ॉर्म भरकर एडमिनिस्ट्रेशन को देना था। देवांश अमारा के एडमिशन की बात पहले ही ऑलिवर को बता चुका था, जिससे उन्हें कोई परेशानी नहीं थी; बल्कि वे इस बात से खुश थे कि अब अमारा को घर में अकेले नहीं रहना पड़ेगा।
सब नाश्ता करके अपने काम पर जा चुके थे। ऑलिवर किसी से मीटिंग करने बाहर जा चुके थे, वहीं अमारा जल्दी से अपने कमरे में भाग गई। देवांश भी उसके पीछे-पीछे ऊपर आ गया था। जब देवांश कमरे में आया, तो देखा अमारा एक-एक ड्रेस खुद पर लगाकर देख रही थी कि उस पर कौन-सी अच्छी लगेगी। देवांश उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया। जैसे ही अमारा ने शीशे में उसे देखा, वह एकदम हड़बड़ा गई। तभी देवांश ने पीछे से ही उसे दोनों कंधों से थाम लिया।
"आराम से, बच्ची। मैं तुम्हें खा नहीं जाऊँगा, समझी?" देवांश ने बेहद शांति से कहा। अमारा कुछ न कह सकी और चुपचाप खड़ी हो गई। अमारा चुपचाप खड़ी शीशे में उसे देख रही थी कि वह क्या कर रहा है। देवांश ने बेड पर से एक क्रॉप टॉप और डेनिम उठाया और उसे थमा दिया।
"ये तुम पर अच्छा लगेगा। यही पहनो।" अपनी बात खत्म करके वह कमरे से बाहर चला गया। अमारा उसे जाते हुए देखती रही।
उसे देवांश की ये छोटी-छोटी बातें बहुत पसंद आ रही थीं। वह जल्दी से अपने कपड़े उठाते हुए बाथरूम में भाग गई। कुछ देर बाद देवांश कमरे में आया, तो अमारा तैयार होकर एक बार फिर शीशे के सामने खड़ी हुई थी। देवांश ने उसे गौर से देखा तो वह अपने बालों में उलझी हुई थी।
"क्या हुआ? बाल क्यों नहीं बना रही?" उसने अपनी फाइलें इकट्ठा करते हुए पूछा।
"वो…मु… मुझे बाल बनाना नहीं आता।" उसने हल्की शर्मिंदगी से कहा।
देवांश के लिए यह बात थोड़ी चौंकाने वाली थी। भला उसे अपने बाल बनाना क्यों नहीं आता था? और आज तक उसके बालों को कौन बनाता था? ऐसे न जाने उसके मन में कितने सवाल थे।
"तुम्हारे बाल पहले कौन बनाता था?" आखिरकार उसने अपने मन का सवाल कर ही लिया।
"मेरे स्कूल में एक काम करने वाली आंटी थी, वो ही रोज़ स्कूल जाने पर मेरे बाल बनाती थी।" उसने मासूमियत से जवाब दिया।
देवांश ने कुछ नहीं कहा और उसे ड्रेसिंग टेबल के सामने बिठा दिया और खुद उसके बालों में कंघी करने लगा। उसके हाथ तो अमारा के बालों में चल रहे थे, लेकिन दिमाग कहीं और ही चल रहा था। ऐसा क्या था अमारा के माँ-बाप में, जो उन्होंने अमारा की इतनी सी भी फ़िक्र नहीं की थी? जो भी जानकारी उसने अमारा के बारे में निकलवाई थी, उसमें कुछ अच्छा सुनने को नहीं मिला था। उसके माँ-बाप ने उसकी पढ़ाई पूरी नहीं करवाई, उसे कहीं बाहर नहीं जाने दिया, कभी उसकी कोई केयर नहीं की, लेकिन यह सब क्यों था, इसका जवाब देवांश के पास नहीं था।
उसने जैसे-तैसे करके अमारा के बालों को एक हाई पोनी में बांध दिया। उसे देखकर वह खुश हो गई।
"चलो, अब तुम्हें कॉलेज छोड़ देता हूँ। और हाँ, कॉलेज में दो गार्ड्स हमेशा तुम्हारे साथ रहेंगे।"
"नहीं!" देवांश की बात सुनकर अमारा एकदम से चीखी, जिससे देवांश का ध्यान उस पर गया।
"क्या हुआ?"
"मुझे कोई गार्ड्स नहीं चाहिए, प्लीज। अगर किसी को पता चला कि आप मेरे हसबैंड हैं, तो कहीं सबका फ़ोकस मुझ पर ही ना आ जाए, जो मुझे पसंद नहीं आएगा।" उसने अपनी आँखें टिमटिमाते हुए पूरी मासूमियत से कहा। देवांश को हार माननी पड़ी।
उसने हाँ में सिर हिलाया और दोनों नीचे की ओर चले गए, जहाँ ऑलिवर और उनके साथ एक आदमी खड़ा था। जैसे ही वे नीचे पहुँचे, उस आदमी ने एक बॉक्स देवांश के सामने रख दिया। देवांश ने वह बॉक्स लिया और उसे अमारा की ओर बढ़ा दिया। अमारा उसे सवालिया निगाहों से देख रही थी।
"ये केविन है, मेरा पीए। और तुम्हारे पास फ़ोन नहीं था, इसलिए ये तुम्हारे लिए। इसमें मेरा और डैड का नंबर फ़ीड है। कोई प्रॉब्लम हो तो मुझे या डैड को कॉल करना, ओके?"
अमारा बेहद खुश थी। उसे आज वह सब मिल रहा था, जिसकी कामना कभी उसने करनी छोड़ दी थी। उसका मन हो रहा था कि वह उछल-कूद, डांस करे, लेकिन अभी वह ऐसा कुछ नहीं कर सकती थी। देवांश ने उसका हाथ पकड़ा और उसे घर के बाहर लेकर चला गया, जहाँ गाड़ियों का काफ़िला खड़ा था। देवांश ने उसे अंदर बिठाया और खुद बैठ गया। अमारा खुशी से खिड़की से बाहर निकलकर ऑलिवर को बाय कर रही थी। वे भी घर के बाहर खड़े मुस्कुराते हुए उसे देखकर हाथ हिला रहे थे।
हेबर स्ट्रीट, रेन का घर
रेन अपने घर में चक्कर काट रहा था और साथ ही किसी को फ़ोन मिला रहा था, लेकिन दूसरी तरफ़ से उसे कोई जवाब नहीं मिल रहा था। परेशान होकर उसने अपना फ़ोन सोफ़े पर दे मारा। गुस्सा तो उसे बहुत आ रहा था, लेकिन अभी वह कुछ कर नहीं सकता था।
"फ़ोन पर गुस्सा उतारने से कुछ नहीं होगा।" उसके डैड हॉल में आते हुए बोले, जो शायद थोड़े नशे में लग रहे थे।
"आपको बिलकुल भी शर्म नहीं आती ना, डैड? एक तो आपने भाई को घर से निकाल दिया, ऊपर से आपको उनकी जरा सी भी चिंता नहीं है।" वह खीझते हुए बोला।
सच तो यही था कि रेन अपने भाई की चिंता में बेहाल हो रहा था, वहीं उसके डैड को रत्ती भर भी चिंता नहीं थी।
"हाँ, नहीं है चिंता। अच्छा ही है कि घर नहीं आया, और उससे भी अच्छा होगा कि वह कहीं जाकर मर जाए।" उन्होंने गुस्से से कहा और धम्म से सोफ़े पर बैठ गए।
"डैड!" रेन गुस्से से चीखा और बाहर निकल गया। लेकिन दोनों ही बाप-बेटे ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि दरवाज़े की ओट में खड़ा कोई उनकी बातें सुन रहा था, और उसकी आँखें नम थीं।
लूका तैयार हो चुका था। उसे मार्टिन मेंशन के लिए निकलना था; आखिर वह देवांश का सिक्योरिटी हेड था, तो उसका देवांश के साथ होना ज़रूरी था। घर से निकलने से पहले वह एक बार माइक से मिलने पहुँचा, जो अपने कमरे में चुपचाप बैठा हुआ था।
“तुम्हें कहाँ जाना है? तुम जा सकते हो, लेकिन तुम्हें ड्राइवर के साथ जाना होगा, ठीक है?” लूका ने पूरी बात एक ही बार में खत्म करते हुए कहा।
“ठीक है, मुझे मंज़ूर है।” माइक बेहद खुश हो गया था; आखिर उसे बाहर जाने को मिल रहा था।
कुछ ही देर में लूका बाहर निकल गया।
माइक तैयार हुआ और घर से बाहर आया, तो देखा वहाँ एक गाड़ी और एक ड्राइवर पहले से ही मौजूद थे, जो उसे देवांश ने ही दे रखे थे। ज़्यादातर लूका को ड्राइवर की ज़रूरत नहीं पड़ती थी, लेकिन उसने आज खास माइक के लिए ड्राइवर को बुलावा लिया था। माइक खुशी-खुशी कार में बैठ गया और ड्राइवर को एक जगह का एड्रेस बता दिया। वह एड्रेस पाकर ड्राइवर ने भी गाड़ी आगे बढ़ा दी थी।
मार्टिन मेंशन
यहाँ देवांश ने अमारा को एक फ़ोन देकर सब कुछ समझा चुका था। वह अमारा को अकेले कॉलेज तो नहीं छोड़ना चाहता था, लेकिन उसे डर था कि कहीं अमारा उसकी केयर को जेल न समझ ले, और वह उसे खुलकर अपनी ज़िंदगी जीने देना चाहता था। अभी वह बाहर निकले, इतने में ही लूका वहाँ पहुँच गया। देवांश और अमारा पीछे बैठे, साथ ही लूका आगे बैठ गया और उनकी गाड़ियों का काफ़िला आगे बढ़ गया।
गाड़ी में बैठी अमारा बहुत ध्यान से सड़कों को देख रही थी, मानो बहुत समय के बाद देख रही हो। देवांश उसकी एक-एक हरकत नोट कर रहा था, लेकिन उसने अमारा से कुछ नहीं कहा। उनकी गाड़ी यूनिवर्सिटी गेट पर आकर रुकी। अमारा बाहर जाती, उससे पहले ही देवांश ने उसका हाथ पकड़ लिया।
“तुम यहाँ नई हो, लेकिन डरने की कोई ज़रूरत नहीं है। सबको ज़िंदगी में सब काम पहली बार जीने होते हैं, बाद में उनकी आदत पड़ जाती है। कोई भी परेशानी हो, बस एक कॉल करना, और मैं तुम्हारे पास होऊँगा, ठीक है ना?” देवांश ने उसे कम्फ़र्ट करते हुए कहा, क्योंकि उसने अमारा के डर हुए चेहरे को देख लिया था।
उसकी बात सुनकर अमारा को बहुत शांति मिली और उसने छोटी सी मुस्कान के साथ हाँ में सर हिला दिया। देवांश आगे बढ़ा और उसका माथा चूम लिया।
“अपना ध्यान रखना।” इसके साथ ही उसने आगे बढ़कर अमारा की तरफ़ का दरवाज़ा खोल दिया और वह धीरे से बाहर निकल गई।
जब तक अमारा अंदर नहीं चली, तब तक देवांश वहीं खड़ा रहा। अमारा के अंदर जाते ही वह भी अपनी कंपनी के लिए निकल गया। अमारा ने यूनिवर्सिटी के अंदर कदम रख दिया था। उसे अंदर से बेहद डर भी लग रहा था, लेकिन वह अपने डर को खुद पर हावी नहीं होना चाहती थी। वह अंदर आई, तो उसे एक ग्रुप दिखाई दिया, जिसमें लड़के और लड़कियाँ दोनों ही शामिल थे, जो कुछ हँसी-मज़ाक कर रहे थे।
अमारा उनके पास से होकर गुज़री ही थी कि तभी उनमें से एक ने उसे पुकारा। वह ऐसे पुकारे जाने से डर गई, क्योंकि उसे यह पता था कि कॉलेज के पहले दिन सभी रैगिंग ज़रूर करते हैं। अब वह कुछ नहीं कर सकती थी, इसलिए चुपचाप उनके सामने खड़ी हो गई।
“न्यू एडमिशन?” उस ग्रुप के एक लड़के ने पूछा, जिस पर अमारा ने हाँ में सर हिला दिया।
“चलो इधर आओ, अब तुम्हारी रैगिंग होगी।” उनके ग्रुप में से फिर एक आवाज़ उभरी, जिसे सुनकर अमारा की आँखें और खराब होने लगीं। वह बेहद धीरे-धीरे कदमों से चलकर उनके पास आई और अपनी नज़रें नीचे करके खड़ी हो गई।
“अब तुम ऐसा करो…” किसी ने कहा, लेकिन उससे पहले ही कोई बोल पड़ा।
“बस!”
सब उसकी बात सुनकर चुप हो गए।
“बस यार! कितना मज़ाक करोगे? देख नहीं रहे, वो डर रही है।” उनके लीडर ने बोला, जो बड़े गौर से अमारा को देख रहा था।
“तुम जाओ और अपनी पढ़ाई करो, ठीक है।” उसने अपना रुख अमारा की ओर करते हुए कहा। अमारा को शायद इसी बात का इंतज़ार था और वह वहाँ से बहुत स्पीड में निकल गई।
“क्या यार! रेन थोड़ी बात तो करने देता।” उस ग्रुप की एक लड़की ने कहा।
“बस करो यार! एक तो मूड सुबह से ठीक नहीं है, ऊपर से तुम एक न्यू स्टूडेंट को तंग कर रहे हो।” रेन बोला और उठकर वहाँ से चला गया।
ये रेन और उसके दोस्त थे, जो रैगिंग तो नहीं, लेकिन रैगिंग के नाम पर न्यू स्टूडेंट से मज़ाक करते थे, लेकिन मज़ाक भी सिर्फ़ इतना कि सामने वाला परेशान न हो जाए। आज सुबह हुई लड़ाई की वजह से रेन का मूड बहुत बिगड़ा हुआ था। एक तो उसके भाई का उसे कुछ पता नहीं चल रहा था, ऊपर से उसके डैड के उसके भाई के ख़िलाफ़ बोले शब्द उसके अंदर लगी आग पर घी का काम कर रहे थे। सभी अपनी जगह चुप हो गए थे, क्योंकि कोई भी रेन को दुखी नहीं करना चाहता था।
देवांश अपने ऑफिस पहुँच चुका था। लूका आगे से उतरा और पीछे का दरवाज़ा खोल दिया। देवांश अपने पूरे टशन में गाड़ी से उतरा; ब्राउन टैक्सिडो और ब्लैक गॉगल में वह कमाल लग रहा था। सभी उसे चोर नज़रों से देख रहे थे, क्योंकि वे अच्छे से जानते थे कि अगर देवांश ने किसी को बिना काम के बैठे देखा, तो वह उसकी बैंड बजाने में वक़्त नहीं लगाएगा; इसलिए कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था। वह अपने केबिन की ओर बढ़ गया, जहाँ पर केविन और एमिली दोनों ही मौजूद थे।
केविन, देवांश का पीए था, वहीं एमिली देवांश की मैनेजर के साथ-साथ उसकी पीए का काम भी बखूबी संभाल लिया करती थी। एमिली देवांश के भरोसेमंद लोगों में से एक थी। देवांश केबिन में आया, तो एमिली उसके गले लग गई; देवांश ने भी हल्की मुस्कान के साथ उसे गले लगा लिया।
“क्या बात है? शादी के बाद अब दर्शन दिए हैं अच्छे से।” वह देवांश को छेड़ते हुए बोली।
“तुम बिज़ी थीं और मुझे भी काम था, बस इसलिए।” देवांश उसके मस्ती भरे अंदाज़ से बखूबी परिचित था, इसलिए वह बस मुस्कुराते हुए उसकी बातों को नज़रअंदाज़ कर दिया करता था। वहीं लूका और केविन दोनों ही खड़े होकर उन दोनों को देख रहे थे।