Plz is story ko sirf 18+ log hi padhe isme romanch ke sath dark romance or bahot sare amazing twist bhi hai to chaliye le chalte hai apko season 3 me मैरिज हॉल एक शानदार और आकर्षक जगह, जो फूलों की सजावट, रंगीन लाइटों और झूमरों से सजा हुआ है। हॉल के अ... Plz is story ko sirf 18+ log hi padhe isme romanch ke sath dark romance or bahot sare amazing twist bhi hai to chaliye le chalte hai apko season 3 me मैरिज हॉल एक शानदार और आकर्षक जगह, जो फूलों की सजावट, रंगीन लाइटों और झूमरों से सजा हुआ है। हॉल के अंदर का माहौल एक शाही और भव्य वातावरण को दिखा रहा था । ताजे फूलों की माला और गुलदस्ते हॉल को एक सुंदर और आकर्षक रूप दे रहे थे । रंगीन लाइटें और झूमर हॉल को रोशन कर रहे थे । फूलों का एक लंबा स पर्दा जो निकाह के स्टेज को ओर भी खूबसूरत बना रहा था । एक तरफ दूल्हा एक शानदार शेरवानी पहनकर रेड फूलों से बना सेहरा साफा उसके शाही व्यक्तित्व को दिखा रहा था । दूसरी तरफ दुल्हन एक सुंदर गरारे में जो शाही रंग सुनहरे रंग का था। हार, कंगन, बाली और नथ शामिल होते हैं, जो उसकी सुंदरता को और निखर रहे थे । वही कुछ दूर पे से किसी लड़की की आवाज अराही थी ।"सानिया देखो न जीजू शरण रहे है जैसे निकाह करके यह तुम्हे नहीं तुम उन्हें ले जाओगी " इस आवाज में कुछ ऐसा जादू था कि वहां बैठे सारे के सारे मेहमानों की नजरे उसे लड़की पर ठहर गई थी जिस लड़की ने डार्क ब्लू कलर किया लहंगा पहना हुआ था और उसके ब्राउन हेयर करली उसकी कमर के नीचे लहरा रहे थे उसकी ice ब्ल्यू आइज बेहद खूबसूरत थी। वही उसका रंग समुद्र में सदियों से पड़े किसी सीट में पड़े चमकते हुए मोती की तरह पूरे हाल में चमक रहा था ऐसी सुंदरता जो कभी किसी ने देखी ना सुनी थी। वह मुस्कुरा कर अपनी दोस्त सानिया से बातें करती हुई सबके दिलों में उतर रही थी की तभी वहां गोली चलने की आवाज आती है। एक साथ मैरिज हॉल के बाहर रोल रॉयस गाड़ी खड़ी थी ब्लैक उसने से हर गाड़ी से ब्लैक यूनिफॉर्म पहने गॉड्स निकल रहे थे लेकिन उनमें से एक गाड़ी जो उनसे अलगथी।उसने से एक था वैराग्य सिंघानिया माफिया और किंग ऑफ बिज़नस। वैराग्य का लुक बहुत प्रभावशाली था। उसकीं आंखें तेज और गहरी हैं, जो उनके दिमाग की तेजस्विता को दर्शा रही थी उसके बाल काले और घने हैं, जो उनके चेहरे को और भी आकर्षक बना रहे थे । वैराग्य के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कराहट बनी थी जो उनके आत्मविश्वास और शांति को दर्शा रही थी। उसके कंधे चौड़े और मजबूत हैं, जो उनकी दबंग और शक्तिशाली व्यक्तित्व को दर्शा रहे थे । वैराग्य के पहनावे में एक अलग ही स्टाइल था।वह डार्क ग्रे रंग के कपड़े पहने किसी ग्रीक गॉड जैसा लग रहा था , जो उनकी दबंग और रहस्यमयी छवि को और भी बढ़ा थे। वैराग्य ने आगे बढ़ कर दूल्हे को उठाया और बोला " वैराग्य सिंघानिया के कुछ माफिया टाइप डायलॉग जो दूल्हे से कहे गए: - "तुम्हारी शादी नहीं होनी चाहिए, और अगर तुमने ऐसा करने की कोशिश की, तो तुम्हें इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा।" दूल्हा समीर खान बोला "
कनक अंबानी
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Plz is story ko sirf 18+ log hi padhe isme romanch ke sath dark romance or bahot sare amazing twist bhi hai to chaliye le chalte hai apko season 3 me
मैरिज हॉल एक शानदार और आकर्षक जगह, जो फूलों की सजावट, रंगीन लाइटों और झूमरों से सजा हुआ है। हॉल के अंदर का माहौल एक शाही और भव्य वातावरण को दिखा रहा था ।
ताजे फूलों की माला और गुलदस्ते हॉल को एक सुंदर और आकर्षक रूप दे रहे थे ।
रंगीन लाइटें और झूमर हॉल को रोशन कर रहे थे ।
फूलों का एक लंबा स पर्दा जो निकाह के स्टेज को ओर भी खूबसूरत बना रहा था ।
एक तरफ दूल्हा एक शानदार शेरवानी पहनकर रेड फूलों से बना सेहरा साफा उसके शाही व्यक्तित्व को दिखा रहा था ।
दूसरी तरफ
दुल्हन एक सुंदर गरारे में जो शाही रंग सुनहरे रंग का था।
हार, कंगन, बाली और नथ शामिल होते हैं, जो उसकी सुंदरता को और निखर रहे थे ।
वही कुछ दूर पे से किसी लड़की की आवाज अराही थी ।"सानिया देखो न जीजू शरण रहे है जैसे निकाह करके यह तुम्हे नहीं तुम उन्हें ले जाओगी "
इस आवाज में कुछ ऐसा जादू था कि वहां बैठे सारे के सारे मेहमानों की नजरे उसे लड़की पर ठहर गई थी जिस लड़की ने डार्क ब्लू कलर किया लहंगा पहना हुआ था और उसके ब्राउन हेयर करली उसकी कमर के नीचे लहरा रहे थे उसकी ice ब्ल्यू आइज बेहद खूबसूरत थी।
वही उसका रंग समुद्र में सदियों से पड़े किसी सीट में पड़े चमकते हुए मोती की तरह पूरे हाल में चमक रहा था ऐसी सुंदरता जो कभी किसी ने देखी ना सुनी थी।
वह मुस्कुरा कर अपनी दोस्त सानिया से बातें करती हुई सबके दिलों में उतर रही थी की तभी वहां गोली चलने की आवाज आती है।
एक साथ मैरिज हॉल के बाहर रोल रॉयस गाड़ी खड़ी थी ब्लैक उसने से हर गाड़ी से ब्लैक यूनिफॉर्म पहने गॉड्स निकल रहे थे लेकिन उनमें से एक गाड़ी जो उनसे अलगथी।उसने से एक था वैराग्य सिंघानिया माफिया और किंग ऑफ बिज़नस।
वैराग्य का लुक बहुत प्रभावशाली था। उसकीं आंखें तेज और गहरी हैं, जो उनके दिमाग की तेजस्विता को दर्शा रही थी उसके बाल काले और घने हैं, जो उनके चेहरे को और भी आकर्षक बना रहे थे ।
वैराग्य के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कराहट बनी थी जो उनके आत्मविश्वास और शांति को दर्शा रही थी। उसके कंधे चौड़े और मजबूत हैं, जो उनकी दबंग और शक्तिशाली व्यक्तित्व को दर्शा रहे थे ।
वैराग्य के पहनावे में एक अलग ही स्टाइल था।वह डार्क ग्रे रंग के कपड़े पहने किसी ग्रीक गॉड जैसा लग रहा था , जो उनकी दबंग और रहस्यमयी छवि को और भी बढ़ा थे।
वैराग्य ने आगे बढ़ कर दूल्हे को उठाया और बोला "
वैराग्य सिंघानिया के कुछ माफिया टाइप डायलॉग जो दूल्हे से कहे गए:
- "तुम्हारी शादी नहीं होनी चाहिए, और अगर तुमने ऐसा करने की कोशिश की, तो तुम्हें इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा।"
दूल्हा समीर खान बोला " कौन हो तुम क्यों ऐसे हमारी शादी में आकर डिस्टर्ब कर रहे हो ?"
वैराग्य" मैं कौन हूं तुम्हारा इससे कोई लेना देना नहीं ,
- "मैं तुम्हारे फैसले को बदलने के लिए तुम्हें एक मौका दे रहा हूं, अगर तुम नहीं मानते हो, तो तुम्हारी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी।"
- "तुम्हारी जिंदगी मेरी मर्जी से चलेगी, तुम्हारी अपनी मर्जी नहीं चलेगी।"
- ", अगर तुम मेरी बात नहीं मानते हो, तो तुम्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।"
- "तुम्हारी शादी का मतलब है मेरे लिए तुम्हारी जिंदगी का अंत, इसलिए मैं ऐसा नहीं होने दूंगा।"
वैराग्य ने समीर को मारना स्टार्ट कर दिया था । वही यह सब देख सनम जो सानिया की शादी अटेंड करने आई थी वह फोलो के पर्दे को हटाती हुई आकर जमीन पे गिरे हुए समीर को उठाने लगती है ।
ओर वैराग्य उसके लंबे बालों को जमीन पे बिखरे देख रहा था ।
वो लड़की जो बेपनाह खूबसूरत थी । उसने गुस्से में अपने बालों को झटका आकर वैराग्य के सामने खड़ी हो गई ।
क्या हो तुम इस तरह आकर तमाशा कर रहे चाहते क्या हो तुम इंसान नहीं जानवर हो तुम "
सनम बोले जा रही थी वही वैराग्य सनम के चेहरे में ऐसा खो गया था ।की वो बस उसे देख कर क्रिपी स्माइल दे रहा था ।
ओर सनम गुस्से में बोले जा रही थी । तभी वैराग्य कहता है " ओके नहीं मारता दुल्हन को बुलाओ यहां "
सनम " क्यों उसे भी मारना है क्या ..?"
वैराग्य " जितना कहा उतना करो "
सनम " बोलो जो बोलना है मुझसे मैं ही हूं दुल्हन "
इतना कहना था कि वैराग्य के चेहरे पे गुस्से की लकीरें पड़ गई थी ।
ओर सनम जिसने अपनी दोस्त को बचाने के लिए खुदको एक अंजान मुसीबत में डाल लिया था ।
वहां खड़े सभी हैरान थे वैराग्य ने सनम को अपने कंधों पे उठाया और उसको बेहोश किया ।
बाहर की तरफ ले जाने लगा तभी उसके इशारा करने पर उसका विदेशी असिस्टेंट मार्गो बोला " अगर किसी ने यह जो हुआ वो डिसकस किया तो वो अपनी जिंदगी से जाएगा "
कुछ ही देर में वहां से सारी गाड़िया जा चुकी थी ।
वैराग्य दर्शन के बड़े ताऊ सा का बेटा एक नो का खडूस ओर बदतमीज

वैराग्य सिंघानिया
सनम श्रीवास्तव निर्भय और निर्भय की खोई बेटी
एक दम त्रिशा जैसी या उससे भी सुंदर निर्भय की छवि

वैराग्य के इशारे पे सारी कार्स वहां के एक एयरपोर्ट पे रुकती है जहां वैराग्य का खुदका जेट रेडी होता है ।
I swear Main tumhari jindagi Hell banaa dunga"
वैराग्य यह कह कर सनम को अपनी गोद में उठता है उसे अजीब सा अहसास होता है ।जैसे उसने फूलों की टोकरी उठा रखी हो सनम से आती खुशबू उसके बालों की लटे वैराग्य के चेहरे पे वो एक पल को खुद पे हैरान हो गया था ।
सनम इतनी नाजुक थी कि वैराग्य को लग रहा था उसने किसी सॉफ्ट फूल को उठा लिया है ।
क्या लगता है दोस्तों आखिर क्या होने वाला है सनम के साथ क्या वैराग्य हकीकत जान पाएगा या वह सनम को गलत ही समझता रहेगा आखिर क्यों बैराग ने सनम की दोस्त सानिया की शादी करवाई थी इसके पीछे का राज क्या है और क्यों वह इस तरह से सनम को दुल्हन समझ कर उठा लाया था यह सब जानने के लिए बने रहिए मेरी स्टोरी के साथ इस स्टोरी को मैं रोज एक पाठ पोस्ट करूंगी अगर अच्छी रिव्यूइंग रही तो थैंक यू सो मच मुझे पढ़ने के लिए
इस समय वैराग्य राजस्थान पहुंच है चुका था उसने अपने प्राइवेट फॉर्म हाउस पे जेट की लैंडिंग करवाई थी ।
वो जैसे ही सनम को लेकर अंदर इंटर करता है सारे सर्वेंट हैरान थे जो वैराग्य लड़कियों से आज तक हाथ मिलना भी गुनाह समझता था ।वो अपने कंधे पे किसी लड़की को उठा लाया है ।
वैराग्य सनम को बेड पे लगभग फेंकते हुए बालकनी पे अचूका था । उसने सिगार जला कर अपने होंठो से लगा ली थी ।
तभी उसका फोन रिंग करने लगा था ।" बड़े सरकार वो लड़की कोई ओर थी उसने सुसाइड कर ली ..."
वैराग्य हैरान होकर कहता है" क्या सबूत है तुम्हारे पास ?"
सरकार आपको इस लड़की की बहन की वीडियो भेज रहा हूं "
वैराग्य अंदर आकर अपने बेड के सामने वाले सोफे पे किसी राजा की तरह बैठ जाता है और लैपटॉप ऑन करके देखने लगता है।
सामने इस लड़की की बहन एनी बंधी हुई रोते हुए कह रही थी " देखो यह लड़की भले ही मेरी बहन है लेकिन........… मैं क्या ही कहूं इसके बारे में इसके वजह से मैं हमेशा परेशानी में रहती हूं"""""""""यह इतने खराब कैरेक्टर की है कि इससे बहन कहते हुए भी शर्म आती है मुझे इसका चक्कर मेरे बॉयफ्रेंड के साथ भी था................... और मेरे बॉयफ्रेंड के दोस्त के साथ भी था तुम्हें यकीन नहीं आता तो मेरे फोन में वीडियो देख लो इसकी लड़कों के साथ यह लड़की हर किसी को अपना दीवाना बना लेती है ना जाने कितनों के साथ सो चुकी है इसे खुद गिनती याद नहीं होगी और इसने अपनी दोस्त के बॉयफ्रेंड को भी फसाने की कोशिश की थी जब वह फंसा नहीं तो उसने अपनी दोस्त से उसका ब्रेकअप कर दिया
"
यह सब देख कर वैराग्य का दिल गुस्से से भर गया था उसने एक नजर बेड पे पड़ी बेहोश सनम को देख ओर गुस्से में अपनी मुट्ठियों को कस लिया । I can't believe this ye ladki aisi nahin ho sakti Na jaane kyon Mera Dil Kah Raha Hai"तभी उसके दिमाग में अपने असिस्टेंट की कही हुई बात याद आती है।
और उसके बहन की कही हुई बातें उसके दिमाग में चलने लगते हैं कुछ ही देर में लैपटॉप में एक वीडियो चल रही थी जिसमें सनम ना के बराबर कपड़ों में बेड पर लेटी हुई अंगड़ाइयां ले रही थी और उसके बगल में एक लड़का था जो अपनी शर्ट उतार रहा था यह देखकर उसका गुस्से से बुरा हाल था उसने लैपटॉप उठा कर फेंक दिया था।
इतनी मासूम दिखने वाली लड़की इतनी घटिया कैसे हो सकती है इसे तो मैं ऐसा सबक सिखाऊंगा की यह याद रखेगी"
मुझे एक बार इस लड़की से बात करनी ही होगी"
वह उसे लड़की को होश में लाने का बहुत कोशिश करता है लेकिन वह लड़की तो ऐसे रिएक्ट कर रही थी जैसे वह नशे में हो ऐसा कैसे हो सकता था। उसने गुस्से में पानी से भर जग सनम के ऊपर डाल दिया था इससे भी जब सनम को होश नहीं आया तो उसने सनम को उठाया और अपने सामने खड़ा करने की कोशिश की तभी उसे सनम की आवाज सुनाई दी जो पूरी नशे में डूबी हुई लग रही थी।"क्या कर रहे हो तुम प्लीज मुझे सोने दो मेरा सर बहुत घूम रहा है"
इतना सुना था कि वैराग्य को और भी गुस्सा आ गया था वह उसे लेकर सीधा वॉशरूम के अंदर आ गया था अब उसने शावर ऑन किया और उसके सामने सनम को खड़ा खड़ा कर दिया शावर का पानी सनम के ऊपर पढ़ने लगा था अब सनम का जिस कांपने लगा था अब वह पूरी तरह से भी कर कांप रही थी।
वैराग्य की नजरे उसके पंखुड़ी जैसे होंठो पे ठहरी बूंदों पे थी उसका दिल जोर से धड़का था ।
वह उसे यूंही देख रहा था किस तरह उसके नाजुक जिस्म पर बूंदें गिर कर खुश हो रही थी उसे भिगो कर ओर उसके कपड़े उससे ऐसे चिपके थे जैसे वो कभी उसे नहीं छोड़ेंगे।
एक पल को वैराग्य का दिल हुआ कि उसके कपड़ो को उससे अलग कर दे फिर उसने खुदको ही डांटते हुए कहा " क्या सोच रहा है फालतू का वैराग्य इसे होश में लाना है "
वही सनम अपनी आंखों को खोलने की कोशिश करते हुए " पानी पानी मैं मर जाऊंगी आह.....आह,,,,,plz,,,,,,,, बचाओ मुझे "
उसके कांपते हुए होंठो को वैराग्य अभी देख ही रहा था कि सनम खुद ही उससे चिपक कर खड़ी हो गई थी ।
और जैसे ही सनम मुझसे चिपकी तो सनम के भीगे हुए नाजुक जिस का कमल सा एहसास वैराग्य की वह धड़कने बढ़ाने में कामयाब हो गया था जिसे वह कब से कंट्रोल कर रहा था।
उसने अपने हाथ बढ़ाकर उसके बालों को पड़कर पीछे किया जिससे सनम के भीगे हुए कांपते हुए वोट ठीक उसके होंटो के सामने थे और वह इतना करीब थे कि एक दूसरे की सांस एक दूसरे के चेहरे पर महसूस कर रहेथे।
वैराग्य अब अपना कंट्रोल होने लगा था उसने अपने होठों को उसके कापते हुए होठों पर रख दिया था और एक आंख से उसके दिल में लग गई थी आज तक उसने कभी किसी लड़की का हाथ तक नहीं पड़ा था और अचानक उसे यह फीलिंग आना और इस तरह किसी को लड़की को किस करना बहुत एक्साइटेड कर रहा था।
वह उसे दीपली किस तरह करने लगा था। जो वक्त के साथ बहुत ही पैशनेट हो गई थी और अब सनम को हल्का-हल्का दर्द भी दे रही थी क्योंकि वह किसके साथ उसके लिप्स को बाइट भी कर रहा था।
तकरीबन 20 से 25 मिनट के बाद जैसे ही वैराग ने महसूस किया की सनम की सांस फूलने लगी हैं उसने उसे छोड़ दिया ऐसा होते ही सनम जो लगभग नशे में थी वह एकदम से अपने सीने पर हाथ रखकर जोर जोर से सांस लेने लगती है उसे ऐसा करते देखा वैराग्य कादिल और जोरो से धड़कने लगा था और वह बेकार बेकरार हो गया था उसने एक झटके से सनम को अपनी ओर खींचा और अपने हाथों को उसकी कमर से होते हुए उसकी पीठ पर ले जाने लगा और अगले ही पल उसने उसकी आंखों में देखते हुए उसके ब्लाउज की डोरी खींच दी थी।
दूसरी तरफ
एक आलीशान बंगला जिसे देखकर देखने वाले की आंखें फटी की फटी रह जाए।
उसे बंगले के सामने कई सारी रोल्स-रॉयस गाड़ियां आकर रुकती हैं।
एक गाड़ी को छोड़कर बाकी सारी गाड़ियों से ब्लैक कलर की यूनिफॉर्म पहने ढेर सारे आदमी निकाल कर बची हुई गाड़ी को घेर लेते हैं।
और इधर जल्दी-जल्दी से एक गार्डन गेट खोल देता है और सेल्यूट करके खड़ा हो जाता है।
यह सारे ब्लैक यूनिफॉर्म वाले आदमी गॉड्स होते हैं और सलूट करने वाला गार्डन इन सब का बॉस होता है वह बढ़कर गाड़ी के पास जाकर अंदर बैठे हुए एक आदमी को इशारा करता है और अंदर बैठा हुआ आदमी कोई और नहीं उनके मालिक का असिस्टेंट था जिसका नाम पीटर था।
यह देखने में 8 फीट का लंबा चौड़ा इंसान जो की असिस्टेंट से ज्यादा गार्ड बॉडीगार्ड लगता था वह उसे गार्ड का इशारा पाते ही कहता है अपने बगल में बैठे हुए अपने बॉस से सर हम विला पहुंच चुके हैं"
वही उसका बस जो बैठा लैपटॉप पर कुछ कर रहा था । पीटर की बात सुनकर लैपटॉप बंद करके किनारे रख देता है और वही उसका जो पर्सनल बॉडीगार्ड था जिसका नाम तेज था वह जाकर दरवाजा खोलता है।
वही दरवाजा खुलते ही अंदर बैठा शख्स अपना पांव एक बाहर निकलता है उसके पैरों में पड़ा हुआ ब्रांडेड जूता चमकता हुआ और वह जब बाहर आता है तो उसने थ्री पीस सूट पहन रखा था जो डार्क ब्लू था वह उसकी पर्सनालिटी को और चार चांद लग रहा था
यह शख्स भी कम सुंदर नहीं होता लंबी चौड़ीकत काठी किसी बॉडीबिल्डर की तरह चमकती हुई आंखें वह काफी ज्यादा स्मार्ट लग रहा था किसी राजकुमार की तरह।
जैसी वह शख्स बाहर आता है वह तेजी से बड़ी पूर्ति के साथ विला के अंदर एंट्री कर जाता है उसके साथ उसके दोनों का और गार्ड भी अंदर आ जाते हैं।
यह शख्स जो इन सब का बॉस था और अंदर बड़ी पूर्ति से आया था यह कोई और नहीं बल्कि वीर रघुवंशी था।
और वीर सिर्फ मुंबई पर ही नहीं इंडिया पर ही नहीं पूरे वर्ल्ड का माफिया किंग था जिसे ईगल के नाम से अंडरवर्ल्ड में जाना जाता था।
वीर रघुवंशी कट सिक्स फीट रंग हुआ बेहद शानदार पर्सनैलिटी जो का ज्यादातर टाइम जिम में या ऑफिस में बीता था पर्सनालिटी ऐसी की कोई लड़की देखे तो बेहोश हो जाए यह कोई और नहीं मृदंग रघुवंशी और मुग्धा रघुवंशी का बेटा था।

Veer raghuvanshi
तृषा जैसी उसको देखते हैं खुशी से दौड़ कर आती है और उसे गले लगाते हुए कहती है "आ गया मेरा गबरू जवान"
वीर "हां दादीसा आखिर आना ही पड़ा आप मानने वाली कहां होतीहैं। आप कभी मेरी सुनती भी है,,,,?"
उसकी बातों में हल्की-हल्की नाराजगी साफ दिख रही थी।
वही तृषा बेपरवाह सी मुस्कुरा रही थी और उसने आवाज लगाई "मुग्ध मुग्ध बेटी जरा आओ तो देखो ना तुम्हारा चांद पूरे 6 महीने बाद निकल आया है"
मुग्धा जैसे ही चंद सुनती है तुरंत भाग कर आती है क्योंकि नीली आंखों के वैसे वीर को घर में सब प्यार से चांदी बुलाते थे।
मुग्धा आंखों में आंसू लिए वीर को देख रही थी"मॉम इसे का दीजिए कि मैं इस बात नहीं करूंगी मैं इससे नाराज हूं"
वीर "ऐसे कैसे बात नहीं करेंगे ठीक है मैं फिर चला जाता हूं"
मुग्धा गुस्से में उसके सीने पर मारते हुए "खबरदार फिर जाने की बात की तो ऐसी रह गया ना तो मैं मम्मी जी की जगह कभी नहीं ले पाऊंगी"उसने मुस्कुरा कर तृषा की ओर देखा था और बोली थी है ना मॉम,,,?"
त्रिशा "हां और क्या यार पता है मुग्धा बेटी मुझे तो लगता है कि मेरे सारे पोते अपने दादाजी को पड़ गए हैं इनका क्या होगा यह भगवान ही जाने"
तभी वीर हंसते हुए कहता है"अच्छा-अच्छा,,,, अभी बहुत हुआ आपका फैमिली ड्रामा मुझे अब आपके हाथ का खाना खाना है जल्दी से मुझे खिलाई तो,,,,, बहुत जोरों की भूख लगी है"
जैसी दिशा ने वीर की यह शब्द सुने थे वह खुशी-खुशी किचन की तरफ सर्वेंट को खाना सर्वे करने का खाने के लिए चली गई थी।
*************
वही राजस्थान का एक बहुत ही मशहूर और बड़ाकॉलेज
जिसमें सारे बॉयज एंड गर्ल्स शूटिंग कर रहे थे और स्टेज पर बैंड्स लगे हुए थे म्यूजिक चल रहा था।
उन आवाज़ों को गौर से सुनने में पता चल रहा था। वह किसी कृपार्थ कृपार्थ के नाम की हुटिंग कर रहे थे।
गर्ल्स उसमें ज्यादा एक्साइटेड लग रही थी बॉयज भी कुछ काम नहीं थे कुछ ही देर में वहां एक बड़ा ही स्मार्ट सा लड़का जिसकी उम्र लगभग 19 20 साल होगी हाथों में गिटार लिए स्टेज पर आता है और अपनी जैकेट को उतार कर घूमते हुए ऑडियंस की तरफ देखा है ऐसा होते ही सारी लड़कियां एक दूसरे पर गिर पड़ी थी और हुटिंग और तेज हो गई थी।
उसे लड़के ने गिटार की धुन बजाते हुए गाना स्टार्ट किया।
हे हे लाललल लाला ,,,,,,,,,,
लाला हे हे हे है है लल्ला""""""
ए मेरी ए मेरी कॉलेज की नटखटी लड़कियों,,,,,"
यू मोहब्बत से मुझको ना देखा करो,,,,"
उसके गाने का शुरू होना ही था कि पूरे कॉलेज में तालियों की आवाज हूटिंग के साथ तेज हो गई थी ।
मेरी मेरी चाहत मेरी आरजू के लिए,,,,,,,,
मेरी चाहत मेरी आरजू के लिए,,,,,,
अपनी मासूमियत को ना रुसवा करो,,,,,,,
गर्ल्स जोर जोर से हूटिंग कर रही थी और बॉयज झूम रहे थे ।
ए मेरी ए मेरी कॉलेज की नटखटी लड़कियों,,,,,"
यू मोहब्बत से मुझको ना देखा करो,,,,"
रहा हूं मैं तुम्हें मशवरा काम का,,,,,,,,
जो भी सोचा है मैंने तुम भी सोचा करो,,,,,,,
ए मेरी ए मेरी कॉलेज की नटखटी लड़कियों,,,,,"
यू मोहब्बत से मुझको ना देखा करो,,,,"
एक लड़की स्टेज पे चढ़ कर आकर उसे हग करने वाली होती है तभी वो हाथों से न का इशारा करते हुए गया है ।
जो बदल जाए मैं वह ज़माना नहीं,,,,,,,,
जो फिसल जाए मैं वह दीवाना नहीं,,,,,,,
वार जाएंगे तेरे यह खाली सभी,,,,,,,,,,,,,
तीर नजरों का मुझ पर ना मारा करो,,,,,,
ए मेरी ए मेरी कॉलेज की नटखटी लड़कियों,,,,,"
यू मोहब्बत से मुझको ना देखा करो,,,,"
एक लड़की उसके तरफ फ्लाइंग किस करती है वह उसे देखकर गाता है।
हर किसी को यह दिलदार मिलता नहीं,,,,,,
इतनी आसानी से प्यार मिलता नहीं,,,,,,,,,,
सॉन्ग खत्म होते ही वो स्टेज से नीचे आता है उसके गार्ड्स उसको घेर लेते है भीड़ से बचकर वो अपनी कार में बैठ कर चैन की सांस लेता है ।
उसके पीछे लड़कियां इस कदर पागल थी कि वह आत्महत्या भी करने को तैयारथी। होती भी क्यों ना वह कोई आम इंसान तो ही ना था वह तो कृपा और दर्शन का इकलौता बेटा था कृपार्थ सिंघानिया जूहू बहू कृपा की कॉफी था और नेचर उसका दर्शन जैसा था लड़कियों से दूर रहने वाला।
तो क्या लगता है दोस्तों मृदंग और मुग्धा के बेटे वीर की लाइफ में कैसी लड़की आनी चाहिए आप सब कमेंट में जरूर बताना
और कृपा के बेटे के लिए किस तरह की लड़की चाहिए आप सब का सजेशन चाहती हूं
दे
उसके पीछे लड़कियां इस कदर पागल थी कि वह आत्महत्या भी करने को तैयारथी। होती भी क्यों ना वह कोई आम इंसान तो ही ना था वह तो कृपा और दर्शन का इकलौता बेटा था कृपार्थ सिंघानिया जूहू बहू कृपा की कॉफी था और नेचर उसका दर्शन जैसा था लड़कियों से दूर रहने वाला।
अब आगे .......
मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया
अंजान आइलैंड
एक आलीशान कमरे में बिना शरट के एक लड़का लेटा हुआ था।
उसके चेहरे पर हल्की शिकन थी शायद कल रात का नशा अभी भी नहीं होता था , उसने एक गहरी सांस ली और फिर से सो गया लेकिन शायद अब उसकी नींद पूरी हो चुकी थी उसने एक झटके में अपने ऊपर पड़ा ब्लैंकेट नीचे फेंक दिया और अचानक की उसकी आंखें खुली थी उसकी आंखें डार्क ब्लू कलर की थी चेहरे पर हल्की-हल्की ब्लैक बियर्ड उसकी आंखें लाल हो रही थी शायद कल रात के नशे की वजह से या फिर बहुत ज्यादा गुस्से की वजह से, उसके होंठ परफेक्ट शेप में इस तरह से कि वह उसकी खूबसूरती में चांद चांद लगाते थे और किसी को भी अपने और आकर्षित कर सकते थे ।
उसका रंग मीडियम था न ज्यादा फेयर न उससे कम था । उसकी हाइट इसका चौड़ा सीना शायद दुनिया की हर लड़की का ख्वाब था।
उसको देखकर पता चल रहा था कि वह किस कदर हैंडसम था। लेकिन उसकी पर्सनालिटी और औरा बेहद ठंड और खतरनाक था।
वह लड़का बिना सोते समय वॉशरूम में घुस गया था और कुछ की देर बाद वह वापस आया तो परफेक्ट बिजनेस सूट में था जिसमें उसकी पर्सनालिटी और भी अट्रैक्टिव हो गई थी।
उसने खुद को शीशे में देखा वह बेहद हॉट लग रहा था। वह एक नजर शीशे को देखकर बाहर निकल गया था।
उसके बाहर निकलते ही उसका पर्सनल सेक्रेटरी जो बाहर सर झुकाए खड़ा था वह बोला"बस आज फिर से मुंबई में व्यक्तियों का अवार्ड इवेंट है और हम इस बार भी नॉमिनेटेड है"
उसकी बात सुनते ही वह लड़का गुस्से में बोला"तो इसमें इतना काटने की कौन सी बात है अगर है तो होने दो???"
सर आपको लगता है यह बहुत बड़ी बात नहीं है?" वह अपने पसीने को पूछते हुए कह रहा था"लेकिन यह बहुत बड़ी बात है इससे पहले आप ऑस्ट्रेलिया में थे और इस अरसे में यहां बहुत कुछ बदल चुका है"
अब आपकी पापा की कंपनी टॉप में नहीं है अब हमारे कंपटीशन में कोई बहुत ही स्ट्रांग आ गया है"
आपने अभी-अभी बिजनेस में कदम रखा है और कोई है जो 4 सालों से यह अवार्ड अपने नाम कर रहा है"
की बात सुनकर इस लड़के के चेहरे पर गुस्से से भरी लिखी है आ गई थी और तुरंत उसने पूछा"कौन है वो?"
बस उसको आज तक किसी ने नहीं देखा है और यही उसकी खासियत है कि उसे किसी ने नहीं देखा"
वह लड़का हंसते हुए कहता है"कैसा आदमी है उसको तुम स्ट्रॉन्ग कह रहे हो"
उसका असिस्टेंट"बॉस को कोई लड़का नहीं लड़की है जो हर किसी से मीटिंग में मास्क लगाकर मिलती है"
अब तुम मेरे सामने मेरी बराबरी में एक लड़की को ले आओगे तुम्हें लगता है कोई लड़की मेरे बराबर खड़ी हो सकती है अभी तक इस लड़की का टाइम था क्योंकि मैं इस फील्ड में नहीं था अब मैं इस फील्ड में हूं उसका टाइम एंड होता है"
क्या पता तुम्हारी वह मुंह छुपाने वाली लड़की यह अवार्ड खरीद लेती हो लेकिन अब उसे पता चलेगा कि उसका पाल किसी ऐसे वैसे से नहीं बल्कि रुद्राक्ष रघुवंशी " से पड़ा है"
रुद्राक्ष रघुवंशी।
बेहद अट्रैक्टिव पर्सनैलिटी और अपने कोल्ड और खतरनाक औरे से जाना जाता था । जिसकी पर्सनालिटी बेहद मिस्टीरियस थी।
इसकी डार्क ब्लू आईज में हमेशा ऐसा लगता था कि जैसे कोई आग जल रही है वह इतनी गहरी थी जो उसे काफी अट्रैक्टिव बनती थी जो लड़की उसको देखी थी वह उसकी दीवानी हो जाती थी उसकी सारी पढ़ाई लिखाई अब तक बाहर हुई थी।
दुनिया दिखाए के लिए वह बहुत ही शांत और सीधे स्वभाव का इंसान था लेकिन वह तो अंदर की बात उसका असिस्टेंट किया उसके घर वाले ही जानते थे कि वह कितना अंदर से डार्क और कितना खतरनाक था।
वह एक शैतान था मानो वह कब क्या करता था क्या सोचता था कोई नहीं जानता था वह अपने घर वालों को बिना बताए एक अपने ही आईलैंड पर चला आया था।
निर्भय रघुवंशी का इकलौता बेटा और उनकी बीवी निर्भया कितना चाहती थी कि वह इंडिया लौट आए लेकिन वह नहीं आया था और वह भी मिस्टीरियस था।
लेकिन आखिरकार कल रात उसके दर्द में उसे इमोशनल ब्लैकमेल करके उसे ऑस्ट्रेलिया का पूरा बिजनेस अंपायर की जिम्मेदारी सौंप दी थी अब वह पूरे अंपायर का अकेला मलिक था।
ऐसा नहीं था कि निर्भय रघुवंशी के सिर्फ एक ही बेटा ही था उनकी एक बेटी भी थी।जो खो गई थी ।
त्रिशा उसको वापस इंडिया में चाहती थी । इसलिए निर्भय उसे इंडिया बुलाना चाहता था ।

रुद्राक्ष रघुवंशी
वही दूसरी तरफ लोनावला
एक सुनहरी सुबह ख़ुसूरत से बंगले की बालकनी से होकर जाती धूप जो उस रूम के बेड पे लेटी शख्सियत को उठाने में कामयाब नहीं हो पाई थी ।
कमरे में हर तरफ ढेर सारे पेपरो का अंबार बिखरा पड़ा था जिस बात की गवाही दे रहा था की रात भर मेहनत करने वाले को अपनी मेहनत पसंद नहीं आई थी।
उसकी सुंदरता अद्वितीय थी। वह एक कामयाब बिजनेस वुमन बन गई थी, जिसकी आँखें हरी और गहरी थीं। उसके बाल रेशमी और लंबे थे, जो उसकी पीठ पर झूलते हुए एक सुंदर दृश्य प्रस्तुत करते थे। उसके चेहरे पर आत्मविश्वास और सफलता की चमक थी, जो उसे और भी आकर्षक बनाती थी।
वह एक अप्सरा की तरह सुंदर थी, जिसकी सुंदरता और व्यक्तित्व दोनों अद्वितीय थे। उसकी हरी आँखें जैसे कि एक जादुई दुनिया की खिड़की थीं, जो उसकी गहराई और भावनाओं को दर्शाती थीं।
तभी उसके दरवाजे पर नौकरी और वह गुस्से में अपनी हरि आपको खोलते हुए उठ बैठी थी किसी की हिम्मत नहीं थी उसके घर में कि उसे इस वक्त उठा देता।
उसने रिमोट का बटन प्रेस किया सामने उसकी सेक्रेटरी जारा खड़ी थी।
अपने हाथों को बने सब को झुकाए वह कहती है"मैं सॉरी तो डिस्टर्ब यू बट क्या करती अभी 1 घंटे बाद आपकी ऑस्ट्रेलिया वाले लोगों से मीटिंग है" और आपने ही कहा था, की यह मीटिंग आप .......आप खुद अटेंड करेंगी "
आज दिन में आपकी लगभग तीन मिटिंग है इसके बाद 1:00 बजे इटली वाली डेलिगेट्स के साथ मीटिंग है और शाम में 3:00 बजे के करीब मशहूर बिजनेसमैन जो अभी-अभी यहां शिफ्ट हुए हैं लंदन से उनके साथ मीटिंगहै"
उसकी सारी बातें सुनकर सामने बैठकर बैठी हुई लड़की ने अपने बालों को पड़कर लपेटा औरबोली"मुझे अच्छे से पता है मेरी कब कितने बजे किसके साथ हुई है तुम्हें टेंशन लेने की कोई जरूरत नहीं है"
उसके अंदाज पर जारा अपना पसीना पूछते हुए घबरा कर वहां से जाने लगी थी क्योंकि सामने बैठी लड़की कोई और नहीं उसकी कंपनी की सीईओ के साथ डायरेक्टर भी हो गई थी।
काफी डरती भी क्यों नहीं क्योंकि सामने बैठी लड़की कोई और नहीं एक टाइम के जाने माने बिजनेसमैन अंबानी की बड़ी बेटी कनक अंबानी थी ।

कनक अंबानी
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इधर वैराग्य अब पूरी तरह सनम के हुस्न खो चुका था ।उसने सनम का ब्लाउज थोड़ा नीचे किया ।ओर उसके कंधे पे अपने प्यासे होंठ रख दिए ।
सनम जो बिल्कुल होश में होकर भी बेहोशी की हालत में थी ।उसने जैसे ही अपने कंधों पे किसी के गर्म होंठ महसूस किए तो तुरंत खुदको छुड़ाने लगी ।
" ये क्या कर रहे हो तुम घटिया आदमी दूर रहो मुझसे "
अभी सनम उससे अपने गुस्से ओर नफरत का इजहार कर ही रही थी कि तभी वैराग्य ने उसे अपने करीब खींच कर उसके ब्लाउज को उसके नाजुक हिस्से के नीचे कर दिया ओर उसके सॉफ्ट निप्प**** को पांच करते हुए बोला " यू hate me babe but your body loves me your nipple hard when I touch"
Itna kah kar vairagya ne Sanam ke bra ke andar se uske nipple ko pinch karna start ker diya tha jisse siya siskane lagi thi
सनम जो बिल्कुल होश में होकर भी बेहोशी की हालत में थी ।उसने जैसे ही अपने कंधों पे किसी के गर्म होंठ महसूस किए तो तुरंत खुदको छुड़ाने लगी ।
" ये क्या कर रहे हो तुम घटिया आदमी दूर रहो मुझसे "
अभी सनम उससे अपने गुस्से ओर नफरत का इजहार कर ही रही थी कि तभी वैराग्य ने उसे अपने करीब खींच कर उसके ब्लाउज को उसके नाजुक हिस्से के नीचे कर दिया ओर उसके सॉफ्ट निप्प**** को पांच करते हुए बोला " यू hate me babe but your body loves me your nipple hard when I touch"
Itna kah kar vairagya ne Sanam ke bra ke andar se uske nipple ko pinch karna start ker diya tha jisse sanam.siskane lagi thi
अब आगे ..........
मत करो pls तुम यह सब क्यों कर रहे हो pls मुझे छोड़ दो मेरी मोम मेरे लिए परेशान ओर डैड मुझे ढूंढ रहे होंगे
वो खुदको छुड़ाते हुए कह रही थी ।
वही वैराग्य जो उसे परेशं कर रहा था अब इसके जज्बातों में आग लग चुकी थी ।उसने सनम।की बर*** हटाई और उसके पिंकिश निप**** को अपने रफ होंठो में ले लिया ।
सनम को अपने पैरों के बीच मोइस महसूस हो रहा था ।
वो आपे नर्म गुलाबी होठों को अपने दांतों के बीच दबा कर आगे भरने लगी थी ।
तभी एक दम से मोबाइल की रिंगिंग सुनाई देती है । सनम होश में आते हुए छोड़ो मुझे तुमने किस हक से मुझे छुआ है ?"
ज़रूर तुमने मुझे कोई नशा दिया है तभी मैं आह,,,,,,,,"
वैराग्य ने एक नजर उसकी आंखों को देखा जिसमें नशे के साथ आंसू भी थे वो होश में आते हुए वहां से बाहर जाता है ।
कॉल अटेंड करके "बोलो अगर कोई जरूरी काम ना हुआ तो समझ लेना तुम्हारा आखिरी दिन है"
बैरागी ने अपनी शर्ट पहनते हुए कहा और दूसरी तरफ से इसका खास आदमी बोला"जो लड़कियां हमने सप्लाई की थी उनसे बात नहीं बनी,उसे कुछ अलग चाहिए तो क्यों न जिस लड़की को आप इंडिया से लिए है उसे,,,,,,,"
अभी उसकी बात पूरी भी नहीं हो पाई थी कि तभी गुस्से से वैराग्य चीखा तेरी बहन को भेज देते हैं?"
वो लड़की सप्लाई नहीं होगी वो मेरे साथ इंडिया जाएगी ।
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Angel night club
वीर कम ऑन बेबी , तुम कब से यहां बैठे काम में बिजी हो चलो मैं डांस करते हैं , कितना काम करते हो इतना काम करने की जरूरत ही क्या है पूरी दुनिया तुम्हारी ही तो है ?
पलक में मुंह बनाते हुए कहा था । वहीं वीर ने अपनी गर्दन की तरफ उठाई और अपनी नीली आंखों से उसको देखा वह जो कब से बैठा लैपटॉप पर कुछ कर रहा था पालक की बातों से उसका ध्यान उसकी तरफ गया।
वह इस वक्त हल्का गुस्सा होते हुए बिखरे बालों के साथ अपनी नीली आंखों को उसे भूलने का काम में लाते हुए किसी कामदेव का अवतार लग रहा था।
वही वीर के सारे आदमी असिस्टेंट उसके बॉडीगार्ड चारों तरफ चल की निगाह रखे हुए वहां तैनात थे और होते भी क्यों ना वीर को आम इंसान से था नहीं आखिरकार वह मृदंक रघुवंशी का इकलौता बेटा जो था वीर रघुवंशी।
उसने अपनी नजरे उठाकर पलक को देखा ही था। उसके चेहरे पर अलग ही भाव आ गए थे वही पलक जानती थी वह एक साल से वीर रघुवंशी को डेट कर रही थी और उसने अपने मन में सोच रखा था कि वह उसी से शादी करेगी।
वही वीर ने अपने स्टाइल में और कोड वाइज में कहा "यस यू आर राइट काम तो मैं हर रोज ही करता हूं"
इतना कहकर वीर ने पलक को अपनी ओर खींचा और उसकी गर्दन में अपना चेहरा छुपा लिया।
पालक की सांस थम गई थी क्योंकि वीर कभी उसके करीब नहीं आता था और आता था तो उसे ऐसे ही पागल कर देता था।
वह बोली रूम में चलते हैं प्लीज यहां नहीं प्लीज सब देखेंगे"
वही वीर ने उसकी यह बातें सुनकर और उसकी बड़ी हुई सांसों को देखा तो बोला "यहां क्यों नहीं?"
मुझे किसी से डर नहीं लगता और आज तो मैं और तुम एक दूसरे की बाहों में यही रात गुजारेंगे"
इतना कहकर वीर ने पलक को सोकर पर गिरा दिया था और फिर उसके ऊपर आ गया था।
उसके करीब जाने लगा था कि तभी उसके मोबाइल में रिंग होने लगती है।
रिंग की आवाज सुनते ही पलक ने गुस्से भरी निगाहों से वीर को देखा क्योंकि वह दोनों एक साल से रिलेशन में थे लेकिन अब तक फिजिकल नहीं हुए थे और वह अब फिजिकल होना चाहतीथी।
वह गुस्से में चल की तरह उसके फोन को झपट हुई बोली यह तुम्हारा फोन ना मेरी सौतन हो गया है"
लेकिन भी नहीं जब उसकी यह हरकत देखी तो वह बोला "अपनी लिमिट क्रॉस मत करो ना जाने किसका फोन है" वह अपनी शर्ट के बटन बंद करते हुए बोला।
कौन मर गयाहै?"
वहीं दूसरी तरफ सैम जो जल्दी से डरते हुए बोला बॉस ग्रैंड मास्टर को पता चल गया है ,जल्दी आइए अब मुझसे हैंडल नहीं हो पा रहा है ।"
इतना सुनते ही वीर मोबाइल जमीन पर पटक दिया था ।
ओर गुस्से में वहां से चला गया था वही पलक का गुस्से में बुरा हाल था ।
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वही दूसरी तरफ रुद्राक्ष मीटिंग अटेंड करके अपने आइलैंड वापस जाने की तैयारी कर रहा था तभी उसका मोबाइल रिंग हुआ था ।
रुद्राक्ष अपना मोबाइल उठते हुए नरमी से बोला हेलो दीदा किसी हो आप?"
मैं ठीक हूं तुम घर कब आ रहे हो ?"
कब तक तुम अपनी मोम को तड़पाओगे ?अपनी मोम के बारे में नहीं तो डैड का ही सोचो "
ओर उनका भी न सही तो मेरे सोचो ऐसा न हो मैं तुम्हारे इंतेज़ार में रहूं ही न ..."
अभी त्रिशा की बात खत्म नहीं हुई थी कि रुद्राक्ष गुस्से में बोला दीदा दोबारा मत कहना आप यह बात "
ओर ई थिंक dida आप सास बहु सीरियल्स देखने लगी हो तभी इतनी सेंटी बातें कर रही हो ,ओर कौन सी जिम्मेदारी नहीं उठाई मैने बताइए जरा मुझे ?"
कुछ ही देर में वह अपने आइलैंड पे था ।अपने विला के हॉल में बैठा किसी राजा जैसा लग रहा था ।सामने टीवी चल रही थी ।उसका सारा ध्यान टीवी पर था ।ओर कुछ ही देर में डिक्लेयर हो गया था कि बेस्ट बिजनेस अवॉर्ड गोज to कनक अंबानी ।
जैसे ही यह नाम अनाउंस हुआ था रुद्राक्ष की पकड़ रिमोट पे कस गई थी उसकी आंखें लाल हो गई थी ।
तभी उसका असिस्टेंट बोला जैसा मैने आपको बताया था "
उसकी बात पे रुद्राक्ष उसको घूरते हुए बोला " जरूरी नहीं कि हर बार वही हो जो होता अरह है "
इतना कह कर उसने उसे जाने का इशारा किया ओर गहरी सांस लेते हुए बोला " हर बार की तरह इस बार भी यह अवार्ड ले चुकी हो तुम कनक अंबानी, लगता है अब तुमसे मिलने का टाइम आगया है ,बहुत उड़ लिया अकेले आसमान में अब तुम्हारे पर करने अर्ह हूं"
वीर की गाड़ी मुंबई की सड़कों पे दौड़ रही थी ।आज उसकी ड्राइविंग स्किल साफ साफ दिख रही थी ।
वो बहुत ही शार्प ड्राइविंग कर रहा था ।जिससे वो अगले 1 घंटे त्रिशा विला पहुंच गया था ।
वीर ने कार की चाभी बाहर गार्ड की तरफ फेंकी और अंदर की तरफ आगया ।
सामने ही हॉल में उसे आरंभ त्रिशा मृदंक और निर्भय मिल गए थे ।
वीर ने सिर झुका कर कहा क्या हुआ दादू इससे पहले की आरंभ की है बोलता मृदंक गुस्से में बोला चिल्लाकर बस बहुत हो चुका आज क्या बहाने बनाओगे तुम वीर .....?
तुम्हारे दादू के लड़ प्यार ने ही तुम्हे बिगड़ रखा है कितना मन किया था डैड को पर ....."
अभी मृदंक की बात पूरी नहीं हुई थी कि तभी आरंभ बोला " मैने ही तुम्हे ज्यादा छूट दे रखी थी वीर आज यही सब देखना सुनना पड़ रहा है ....."
वीर" सौरी दादू ,,,,,,पर आखिर अपलोगो को पलक से प्रॉब्लम क्या है ? ई लव हर सो मच "
आरंभ " खबरदार ,,,, हमने अपने दोस्त की पोती से तुम्हारी शादी फ़िक्स की है समझे आप"
आरंभ " हम सब कल बनारस जा रहे है तुम्हारी इंगेजमेंट के लिए ओर डेट भी फिक्स कर आएंगे "
वीर " डैड दादी पागल हैंस गए है ,एक गांव की लड़की से वीर रघुवंशी की शादी करना चाहते है ,वीर ,,,,, रघुवंशी,,,, की शादी मैं कोई टॉय हूं जो आप सबकी मर्जी से जीयु?"
आप दादू को समझा दीजियेगा मैं यह शादी नहीं करूंगा ,इतना बोल कर वो जिम को तरफ चला गया था ।
वही मृदंक और त्रिशा परीशान हो गए थे ।यह दादा पोता दोनों जिद्दी है ।
तभी निर्भया बोली वीर सही कह रहा है गांव की लड़की के साथ वो एडजस्ट कैसे करेगा ?"
।
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त्रिशा विला के टॉप फ्लोर सबसे खूबसूरत फ्लोर जो ज्यादा नेचुरल चीजों से भरा था ।
जिसकी खूबसूरत फूलों से भरी बालकनी और जिम एरिया से लेकर सब कुछ इसी फ्लोर पे थे।
इसी मिरर बेस्ड बालकनी पे एक महारा जैसा सोफा काउच जिसपे इस फ्लोर ओर कमरे का मालिक यानि वीर रघुवंशी बैठकर अपनी काफी एंजॉय करता था।
इस फ्लोर पे आने की इजाजत किसी को भी नहीं थी उसकी gf पलक को भी नहीं थी।
इस फ्लोर पे शांति थी बेपनाह जो कि किसी तूफान से पहले आने वाली शांति जैसी थी ।
क्योंकि तूफान तो खुद स्विमिंग करने में बिजी था।
वीर काफी देर से पानी के अंदर था वही तृषा और मुग्धा दोनों ही उसके बाहर आने का वेट कर रही थी।
करीब 10 मिनट बाद वीर स्विमिंग पूल से बाहर निकाला उसकी हॉट बॉडी पर बस एक टावर उसकी कमर पर रेप था
पानी की बूंदे उसकी बॉडी को और हॉट बना रहीथी।
उसने खुद को वाइप किया कपड़े चेंज करके वह रूम में आ गया था।
जहां पहले से ही तृषा औरमुग्धा उसका वेट कर रही थी।
उसे देखकर मुग्धा नमी से बोली" तुम्हें अपने दादा की इस तरह से इंसल्ट नहीं करनी चाहिए थी वह गलत नहीं है वह तुम्हारा भला ही चाहते हैं तुम्हें भी पता है कि हमारी फैमिली का नाम कितना कितना नाम है"
वह तुम्हारे भले के लिए ही होगा वह जो कुछ भी करेंगे “
तुम्हारी इन सब हरकतों की वजह से हमारे खानदान की इज्जतखतरे में है"
तभी वीर हंसते हुए कहता है
"Wow that's great, मतलब आप भी अब बाकियों की तरह मुझे ही सुनाने लगी है मॉम?"
आप सबको क्या लगता है की एक गवार लड़की के आ जाने से मैं बदल जाऊंगा?"उसके हर दुख का कारण आप होंगी "
आपको क्या लगता है की शादी कर देने से मैं अपनी गर्लफ्रेंड को भूल जाऊंगा कभी नहीं उसकी हर कदम कदम पर बेज्जती होगी दर्द मिलेगा और उन सब का कारण आप सब होंगे"
अगर यह सब जानने के बाद भी आप चाहती हैं कि मैं उसे लड़की से शादी करूं तो मुझे कोई एतराज नहीं है"
ये सब सुन कर त्रिशा को अपने दिल में तेज दर्द महसूस हुआ था ।वो मुग्धा को पकड़ते हुए बोली "चलो इससे बात करने का कोई फायदा नहीं है "
लेकिन एक बात कान खोल कर मेरी वीर तुम सुन लेना कि अगर तुमने यह शादी नहीं कि यह शादी के बाद उसे लड़की को थोड़ा भी तकलीफ दी तो तुम अपनी दीदा को खो दोगे"
इतना कहकर कि त्रिशा रुकी नहीं मुग्धा का हाथ पकड़ कर बाहर चली गई थी ।
वही वीर गुस्से में सोच रहा था और वह सोचते हुए अपने जिम एरिया की तरफ चला गया था उसे अच्छी तरह से पता था कि आज उसकी पूरी रात जिम एरिया में ही गुजरने वाली थी।
अभी यह लड़की इस घर में आई भी नहीं है गवार और अभी से लोग मेरे खिलाफ होने लगे न जाने क्यों यह सोचते हुए वह पंचिंग बैक को इस तरह से मार रहा था जैसे वह अंतिम बैग नहीं सामने वही गवार लड़की हो
उसे पाल उसे लड़की से जिनकी शक्ल भी उसने नहीं देखी थी उसे बेपनाह नफरत हो रही थी।
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इधर कनक जैसी ही ऑफिस आई पूरे ऑफिस में लोग उसके लिए बुके लेकर सर झुकाए खड़े थे। वही कनक हो रहा इतना खतरनाक होता था कि वह सब डरे समय ही रहते थे।
उसकी हरी आंखों पुर ऑफिस को अपनी तीखी नजरों से स्कैन कर रही थी और वही सबको इसकी खतरनाक नजरे गुस्से से भारी अपने ऊपर महसूस हो रही थी मांस के नीचे भी उसका एक्सप्रेशन इतना खतरनाक महसूस हो रहा था।
अचानक उसकी असिस्टेंट दिया बोली " मैम आप आज इतनी देर से एंट्रेंस पे ही रहेंगी क्या बात है ?"
उसकी बात पे कनक गुस्से में उसे घूरते हुए बोली जस्ट शट अप दिया अगर तुमने अपना काम अच्छे से किया होता तो मुझे यहां इतनी देर खड़ा नहीं होना पड़ता"
उसकी बात पे दिया का दिल जोरो से धड़का था।कनक की आंखों में गुस्सा नई था उसने अपने पीछे देख कर उसे कोल्ड औरे में कहा"किसने आपको मुझसे मिलने से रोक था ?"
काम को बात पे ड्राइवर घबरा कर बोला" बेटा वो वो,,,,,,,"
ड्राइवर की बात पूरी होने से पहले ही कनक बोली " जितना पूछा उतना ही जवाब दीजिए "
ड्राइवर ने रिसेप्शन पे बैठी लड़की तरफ इशारा किया ।
उसने रिसेप्शन पे बैठी लड़की की तरफ इशारा किया और बोली"दिया असम आज शाम तक मुझे रिसेप्शन पे न्यू जॉइनिंग चाहिए और रिमाइंड इट , इस इस कंपनी के सारे रूल पता होना चाहिए"
उसकी इस बात पर दिया ने गहरी सांस लेकर सोचा कि यह रिसेप्शन वाली लड़की काफी एजुकेटेड थी लेकिन कनक अंबानी की लिस्ट में माफी शब्द नहीं था वह माफ करना नहीं जानती थी रूल तोड़ने वाले की उसके लाइफ में कोई एंट्री नहीं थी।
और इस लड़की ने तो ड्राइवर को जो की पैसों की मदद मांगने कनक के पास आ रहा था उसे उसके पास नहीं जाने दिया था।
रिसेप्शन वाली लड़की चिल्ला चिल्ला कर उसकी आवाज दे रही थी माफिया मांग रही थी दवाइयां दे रही थी लेकिन कनक पर उसके बातों का कोई असर नहीं हो रहा था वह सीधा अपने फ्लोर की तरफ चली गई थी।
क्या होगा जब रुद्राक्ष कनक आमने-सामने होंगे दोनों ही आग ऐसीआग जिसके मिलने की कोई उम्मीद ना और अगर ऐसी आज मिल जाए तो क्या होगा?
जाने के लिए पढ़ते रहिए मेरी स्टोरी
राजस्थान
एक छोटे से घर में एक लड़की बैठी पढ़ रही थी । वही एक छोटी सी बच्ची जिसकी शक्ल उस लड़की से मिल रही थी ।वह बोली दुआ दीदी क्या यार पढ़ती रहती हो तुम अगर मां अगई तो तुम पिट जाओगी "
वह लड़की अपनी पेन रख कर सिर उठा कर सामने खड़ी अपनी प्यारी सी बहन को देख कर कहती है " मां की मार भी मेरे इरादे नहीं बदल सकती छोटी ..."
वह लड़की जो सिंपल से कॉटन के सूट में भी खूबसूरती की मिसाल लग रही थी लंबे सिल्की बाल नाजुक सा जिस्म रंगत ऐसी चंद की चमक फीकी पड़ जाए ।
अभी वो दोनो बाते ही कर रही थी कि पीछे से किसी औरत के चिल्लाने की आवाज आई " दुआ...... ओ दुआ.....कहां मर गई "
दुआ जल्दी से बुक बंद करके रख देती है और हाथ में पेन रखने ही वाली होती है कि तभी उसकी मां राधिका आ जाती है " तू फिरसे लग गई तेरी शादी हमने फ़िक्स कर दी है इतने बड़े घर में तुझे पता है "
दुआ" मां मुझे नहीं करनी शादी मुझे पढ़ाई करनी है मैं कोई शादी नहीं करने वाली "
उसने अपनी आंखों को रोल करते हुए कहा ।
" अगले हफ्ते तेरी शादी है समझी तो अब अपने सपने भूल जा"
इतना सुनना था कि दुआ ने कहा " कैसा लड़का है कहा का है ?"
राधिका "लड़का ऐसा है कि सारी लड़कियां उसकी दीवानी है समझी"
दुआ" तो बोलो उन्हीं से कर ले मेरे पीछे क्यों पड़ गया "
राधिका ने गुस्से में उसके बाल खींचे थे वही दुआ रोने लग गई ऐसे ही रोते रोते वो सो गई थी ।अगली सुबह उसकी आंख राधिका के उठाने से खुली " उठ दुआ जल्दी से तैयार हो जा तेरे ससुराल वाले अर्ह है "
दुआ ने गुस्से में देखा एक नजर अपनी मां को जो सगी होने के बाद भी सौतेली दिख रही थी ।
गुस्से में राधिका का दिया कपड़ा लेकर वॉशरूम में चली गई थी ।
इधर राजस्थान की जमीन पे जेट लैंड हो चुका था ।
त्रिशा आरंभ मृदु मुग्धा निर्भय निर्भया सब बाहर उतरे और range रोवर में बैठ कर बड़ी शान से जैसलमेर के तंग गलियों में इंटर कर चुके थे ।
वहां के लोग हैरान थे यह देख कर इतने अमीर लोग श्याम जैसे कंजूस आदमी के घर ।
वही निर्भया ने निर्भय से कहा " मुझे यह लोग लालची लग रहे ये रिश्ता ठीक नहीं है निर्भय जी "
निर्भय " डैड के फैसले पे शक कर रही तुम ?"
जैसे ही दुआ मरून रंग के सिंपल से सूट में बाहर आई एक दम त्रिशा के मुंह से निकला " कृपा "
सबने देखा तो देखते रह गए मुग्धा बोली "यह लड़की ही मेरे वीर की लाइफ बनाएगी मृदु मेरा दिल कह रहा है ।"
जाते हुए त्रिशा ने राधिका से कहा था" हमारी अमानत आपके पास है इसका ख्याल रखना हम अपनी अमानत अगले हफ्ते ले जाएंगे"
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वही वीर सिगरेट पी रहा था उसके बगल तीन लड़कियां थी।
दो उसके आस पास। बैठी थी ओर वही उसके दोस्त बैठे थे । वीर का ध्यान कही ओर देख कर एक दोस्त उसकी गोद में बैठते हुए बोली " वीर तुम क्या कर रहे हो किस सोच में गुम हो तुम्हे याद है न आज रात !अपनी जिफ की बात पे वीर अपनी उंगलियों बड़े प्यार से उसके चेहरे पे फेरते हुएबोला" स्वीटहार्ट वीर जो कहता है वो पत्थर की लकीर है "
इतना सुनते ही पलक अपने होंठ वीर की गर्दन पे रख देती है और कहती है " तुम्हारे रूम में "
इतना सुनते ही वीर गुस्से से कहता है पलक डार्लिंग जहां जाने की औकात न हो वह का नाम नहीं लेते "
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वही दूसरी तरफ रुद्राक्ष का जेट दिल्ली एयरपोर्ट मुंबई एयरपोर्ट लैंड कर चुका था ।
उसका चेहरा मास्क से कवर था पर उसका औरा इतना खतरनाक था कि ही कोई डर जाए वो सीधा अपनी कार की तरफ बढ़ गया था सलोन बाद वो इंडिया आया था।
उसने घर पे कहा था कि वो दो दिन बाद आएगा ।पर अपनी मां को सरप्राइज़ देने के लिए वो आज ही आगया था ।
आगे उसका असिस्टेंट बैठा था ।तभी रुद्राक्ष की खतरनाक आवाज गूंजी " जल्द से जल्द अम्बानी इंड्रस्टीज से मीटिंग फ़िक्स करो "
बॉस मैने सुना है वो बहुत खतरनाक लेडी है उसके साथ आप प्लेज कोई रिस्क मत लो "
रुद्राक्ष ने उसे घूर कर देखा " सो व्हाट औरत से डर जाऊं ? इंपोसिबल "
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वही दूसरी तरफ रॉयल नाइट क्लब इस क्लब में लगभग 1500 रूम थे जिसकी ऊंचाई काफी थी नीचे ब्लैक सोल गेंद के पार्टी चल रही थी और वही उसके टॉप फ्लोर से किसी लड़की की चीखने की आवाजें अराही थी ।
उस आवाज को सुन कर किसी का भी दिल फैट जाता मानो किसी लड़की की इज्जत के साथ साथ उसकी रूह को भी ज़ख्म दिए जा रहे हो ।
कुछ तीन घंटों बाद वहां से आवाजें आनी बंद हो गई थी ।
उस रूम के दरवाजे पर एक आदमी काफी खतरनाक वहशी जैसा जिसकी ब्लैक यूनिफॉर्म पर ब्लैक सोल का लोगो था वो नॉक करता है और अंदर से एक मोटा काला आदमी निकलता है ।जो सिगरेट के धुएं को छोड़ता कड़ी खुश नजर अर्ह था ।
असिस्टेंट " चलिए बॉस मीटिंग का टाइम होगया "
यह सुनते ही वह आदमी जिसका नाम पीटर था वह उसे घूर के देखता है और आगे बढ़ जाता है।
पीटर उसके साथ जा चुका था ।उसके जाते ही एक मास्क गर्ल उस रूम में आई ओर सामने एक 16 17 साल की लड़की बिन कपड़े के बेजान बिस्तर पे पड़ी थी जिसे पीटर ने बेरहमी से रेप करके छोड़ा था उसके सीने पे नोचने काटने ओर चबाने के निशान मौजूद थे ।
यह सब देख कर उस मास्क गर्ल की हरी आँखें खून हो गई थी उसने उस लड़की नब्ज़ चेक की और चिल्ला कर बोली जा की रात पीटर तेरी आखिरी रात होगी ।
कुछ देर बाद ही मास्क गर्ल अपने विला में थी वो फ्रेश होकर आई ओर शीशे के सामने खड़ी हो गई इस वक्त उसका हुस्न उसके बाल उसके खतरनाक औरे में ओर भी हसीन लग रहे थे ।
वही उसने कॉल की" संदीप कल रात तक मुझे पीटर मेरे टॉर्चर रूम में चाहिए "
संदीप अपना पसीना पूछते हुए बोला इस मम"
संदीप घबरा गया था क्योंकि उसकी मम कोई ओर नहीं कनक अंबानी थी ।जिससे वही नहीं सब डरते थे ।
एक अंधेरे कमरे में एक आदमी बुरी हालत में कुर्सी से बांधा था ।उसकी हालत देख कर पता चल रहा था कि उसे मारा गया है उसकी करहे वहां गूंज रही थी ।
तभी एक झटके से दरवाजा खुलता है और मास्क पहने हुए लड़की उसके सामने थी अपनी हरि आंखों को लाल किए हुए वो उसे घूर रही थी।
मास्क में होने के बाद भी उसकी हरि आँखें ही की पहचान सकता था क्योंकि वो सिर्फ कनक अंबानी की हो सकती थी ।
गुस्से में वो फुफकारी "बहुत जुबान चल रही थी तुम्हारी मीटिंग रूम में न ?"
बहुत बकवास कर रहा था तू ,अब चलो मेरे सामने अपनी जबान ,सुनाओ मुझे "
इससे पहले की वो आदमी कुछ कहता उसका सीना कनक के हाथ में पकड़े नुकीले चाकू से चल हो चुका था ।वो तड़प कर दम तोड़ चुका था ।
कनक चीखी " ले जाओ इस गंदगी के ढेर को यहां से " ओर खुद चली गई थी।वहां खड़े आदमी उसे ऐसे उठा कर ले गए जैसे उनके रोज का काम हो लाश को ठिकाने लगाना ।
इधर कनक बाहर आकर आप ई गाड़ी में बैठ चुके थी ।ड्राइवर ने कांपती आवाज में पूछा " मम कहां चलना है ?"
कनक " घर "
और कुछ ही देर में वो अपने घर के मैं गेट से इंटर हो गई थी ।वही उसके डैड के दोस्त का बेटा करन जौहरे जो कबसे उसका वेट कर रहा था ।उसको आते देख कर बोला "क्या यार कितना टाइम लगा दिया कनक "
आओ डिनर करते है "
कनक " मैने कर लिया करन तुम कर लो ,I need some rest "बोलकर वो जा चुकी थी ।
ओर करन उसकी स्लिम सी बॉडी को पीछे से जाए देख मुस्करा दिया था ।
कनक उसका ऑब्सेशन बन चुकी थी वो उसे हर हाल में पाना चाहता था ।
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वही वीर आज त्रिशा विला खाली होने की वजह से पलक के साथ यही था पलक " मैं तुम्हारी gf हूं यार ओर गेस व्हाट ,तुम्हारे घरवाले उस गाओ की गवार को तुम्हारी दुल्हन बनाने गए है तो मैं कहां हूं ?"
अपने दादा से डर कर तुम अपनी जिफ छोड़कर एक गवार से शादी कैसे कर सकते हो वीर ?"
वीर ने ड्रिंक का ग्लास खत्म करते हुए कहा " शादी जैसी बकवास चीज में मेरा इंट्रेस्ट न था न है और रही उस गवार की बात तो वो शादी के दूसरे दिन ही डायवोर्स लेकर चली जाएगी समझी ओर मेरे रूम में जाने की बात कभी मत करना "
पलक के माथे पे बल पद गए फिर भी वीर का उस लड़की से नफरत करना अच्छा लग रहा था।
पलक को यकीन हो गया वो गवार भले ही इस घर में वीर के कमरे में अजय पर वीर कभी उसे एक्सेप्ट नहीं करेगा ।ओर पलक हर चीज की हेड थी वीर की ओर वीर उसकी हर बात मानता था ।यही काफी था ।
तभी वीर का मोबाइल वाइब्रेट होता है वो देख कर कहता है "अब तुम जाओ और अपने दोस्तों को भी ले जाओ "
वीर का कोई दोस्त नहीं था इनमें सब पलक के दोस्त थे ।
वीर का दोस्त तो आने वाला था ।उसकी शादी पर ।
पलक ने कहा " वीर तुम मुझे किस तरह ट्रीट कर रहे हो ई एम एयर gf यार "
वीर गुस्से में जितना बोला वो करो समझी ओर वो अपना मोबाइल लेकर बाहर आकर किसी को कॉल करता है ।" जे रेडी रखो मैं अभी पहुंचता हूं " इतना कहकर वो अपनी कार में बैठ चुका था ।
उसका जेट की है ही देर उड़ान भर कर दुबई लैंड हो चुका था।
जेट के लैंड होते ही न जाने कितने गार्ड्स उसके पास आकर खड़े हो जाते है और वीर किसी शहजादे की तरह बाहर निकल कर अपने गॉगल्स लगते हुए बाहर आया था ।
बाहर 10 गाड़िया लगी थी कि है ही देर में वीर एक आइलैंड पे आगया था जहां दूर दूर तक बस समंदर था ।सामने ही एक आदमी खड़ा था ब्लॉक सूट में जो सिगरेट सुलगा रहा था ।
वीर को देखते हुए बोला गोल्डी की गंग में तुम्हारा स्वागत है ब्लैक ईगल "
वही वीर मुस्कुराते हुए बोला " कुत्तों के गैंग में ईगल कभी नहीं इन्वेस्ट करता "
ओर मैं यहां तेरे साथ एंजॉय करने नहीं तुझसे अपने डायमंड लेने आया हूं "
तू उनके लायक नहीं है अपने बेस्ट से बेस्ट डायमंड तुझे सेल किए थे और तूने उनकी कीमत 500 करोड़ भेजी वो पूरे 6000 करोड़ के थे शायद तेरे जैसे कुत्ते की औकात ही नहीं थी उसे चुने कि भी "
वीर की बात पे गोल्डी हस्ते हुए बोला" मेरे ही देश में आकर मुझसे चालाकी करती मानना पड़ेगा तुम्हारे बारे जितना सुना था तुम वैसे ही हो "
लेकिन तुम्हे नहीं पता तू यहां अकेले आगया गोल्डी से दुश्मनी शेर के मुंह में हाथ डालने जैसा है "
तुझे क्या लगता है तू यहां से बच कर जा सकता है ?"
उसकी बात पे वीर हसने लगा था ।उसकी हादी इतनी डरावनी थी कि सब हैरान होगे थे।
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वही रुद्राक्ष अपने घर के गेट से इंटर होते हुए सोच रहा था कि त्रिशा विला आना उसके लिए काफी भरी था ।उसे इतने सालों में इस घर की याद कभी नहीं आई थी ।
लेकिन अब अपना घर देख कर उसकी आंखों में सुकून दिखने लगा था ।
जैसे ही वह मैं हाल में इंटर हुआ वहां त्रिशा निर्भया निर्भय कॉफी एंजॉय कर रहे थे ।तभी निर्भया का दिल जोर से धड़का उसे अजीब सी खुशी महसूस हुई उसने अपने पीछे जब रुद्राक्ष को देख तो रोने लगी दौड़ कर उसे गले लगा लिया था ।
सामने ही रुद्राक्ष अपनी आईसी ब्ल्यू आइज से उन्हें देख रहा था।
निर्भय आंसुओं को पूछते हुए बोली" बेटा रुद्राक्ष कही सपना तो नहीं देख रही हूं मैं यह तुम ही हो न ?"
रुद्राक्ष निर्भय को गले लगाते हुए बोला नहीं मोम यह मैं सच में ही हूं"
त्रिशा ने आरंभ को आवाज दी और कुछ ही देर में सर घर हॉल में था ।
रुद्राक्ष "दादू अब आप खुश है न ?"
आरंभ " बहुत खुश "वो उसे गले लगाते हुए कह रहा था ।
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वीर की हंसी इतनी खतरनाक थी । सिक्योरिटी और उसके आदमी डर गए थे गोल्डी के आदमियों ने तुरंत वीर के सर पर रख दी थी और तभी वीर हंसते हुए बोला " कुत्ते की गंग वाले pahle yeh to dekh le की हीरे कहा है ?"
इतना कह कर वीर समंदर की तरफ कूद चुका था और गोल्डी जब तक कुछ समझ पाया कि एक तेज धमाके के साथ आइलैंड उड़ चुका था ।
वही वीर जो एक शिप के आने पे उस पे अपने आदमियों के साथ खड़ा था मुस्करा रहा था ।
ओर बोला पुलिस को तुमने हैंडल कर लिया न ? उसके असिस्टेंट मैक्स ने है में सर हिलाया ।
यह सुन कर हीरे भी सैफ है वीर अपनी शर्ट उतार कर गार्ड को देते हुए " मुझे गोल्डी से जुड़े लोग की रिपोर्ट शाम तक चाहिए मैक्स यह काम तुम करोगे "
मैक्स के हम में सर हिलाते ही उसने एक खतरनाक स्माइल की ओर कुछ ही घंटों में वो अपने हीरे लेकर इंडिया लैंड कर चुका था ।
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सब लोग त्रिशा विला में आराम से बैठे थे वही नौकरों में अफरा तफरी थी क्योंकि रुद्राक्ष इतने साल बाद वापस आया था ।ओर आरंभ चाहता था उसकी किसी चीज में कमी न हो ।
रुद्राक्ष किसी मिटिंग के लिए बाहर गया था ।ओर सब बैठे दुआ के बारे में बाते कर रहे थे ।
तभी वीर घर में इंटर करता है और लिफ्ट की तरफ बढ़ जाता है ।
तभी आरंभ" आगे तुम अपनी जिफ के पास से ?
वीर " इस दादू ओर आप भी आगे उस गवार लड़की को मेरे नाम की रिंग पहना कर जिससे मेरा कोई लेना देना मतलब नहीं "
आरंभ ने गुस्से में कहा "अब तुम्हारा मतलब उससे ही होगा वीर "
आप समझते नहीं दादू आज के ज़माने में गाओ में बच्चे भी लव मैरिज कर रहे हैं और मैं थे मोस्ट हैंडसम बैचलर वीर रघुवंशी गई की गोरी से शादी कर लूं लोग क्या सोचेंगे?"
उसकी बात पे मृदंक चिल्लाते हुए बोला " अगले हफ्ते तुम्हारी शादी है और तुम ऐसी बातें कर रहे हो"
मृदु की बात सुनकर हस्ते हुए वीर ने कहा wow अब तो डैड भी आपकी जुबान बोलने लगे दादू"
अच्छा एक बात बताओ आप सब अगले हफ्ते शादी उसके बाद क्या ?"
फिर उसने सबको देखते हुए कहा नहीं पता न किसीको ?"मैं बताता हूं उसके अगले हफ्ते डायवोर्स "
कैसा लगा मेरा प्लान आप सबको यही सोच कर आप अपना फैसला मुझपर थोप रहे है दादू "
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दूसरी तरफ छत पे बैठी दुआ अपने हाथ की रिंग को बड़े गौर से देख रही थी ।ओर आसमान में आते जाते बदलो को तभी चुटकी आई ओर बोली दीदी आप की तो लाटरी निकल पड़ी "
देखो मैं पिताजी का मोबाइल ले आई हूं चलो न जीजू का नाम सिरच कर ते है "
इतना कहकर छुटकी ने मोबाइल पे फेस बुक पेज खोला और नाम सोचने लगी क्या नाम था क्या अरे हां वीर रघुवंशी जैसे ही उसने सर्च किया वीर की फोटोज दिखने लगी उसके ऑफिशियल पेज पे उसने उसे देखते हुए कहा " इतना हैंडसम इंसान इस धरती का तो नहीं हो सकता "
उसपे दुआ ने एक नजर वीर की स्विमिंग पूल की पिक देखी थी और नफरत से मुंह मोड़ते हुए मन में बोली थी
हुं इतना हैंडसम है शहर का ladka पक्का हजार गर्ल्स के साथ फ्लर्ट करता होगा ।
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वीर पंचिंग बैग पे लगातार मरे जा रहा था ।
उसका चेहरा पसीने से तर था ।यउसका गुस्सा पंचिंग बैग पे निकल रहा था । तभी वहां त्रिशा अगई थी।
काफी रखते हुए बोली " वीर"
पर वीर ने आज अपनी जान से प्यारी दीदा को भी इग्नोर कर दिया था ।वो लगातार पंचिंग बैग पे मारने की कोशिश कर रहा था ।
त्रिशा ने चिल्ला कर कहा था वीर ...."
वीर ने गुस्से में कहा चली जाइए आप भी यहां से मैं किसी से बात नहीं करना चाहता सब कुछ जानते हुए भी आपने उन्हें का साथ दिया है, और आपको क्या लगता है कि मैं उसे गंवार अनपढ़ लड़की को एक्सेप्ट कर लूंगा मैं किसी सड़क से आप लड़की को एक्सेप्ट नहीं करूंगा और अगर आपने मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की तो इसका कामयाब वह लड़की सारी जिंदगी भुगतेगी"
आप सब जानते हुए भी उसे लड़की की जिंदगी खराब करना चाहतीहै? "वीर रघुवंशी कोई आम नाम नहीं है बल्कि एक शैतान का नाम है"
वह लड़की एक शैतान के सामने आने का प्रयास कर रही है मैं उसकी जिंदगी नर्क बना दूंगा"
त्रिशा"वीर मेरी बात को सुनो वह लड़की सच में ना गवार है नाही अनपढ़ है वह बहुत एक सजी हुई मासूम और प्यारी सी लड़की है"
देखना तुम खुद ही शादी के पास उसको हर्ट करना नहीं चाहोगे और उसके नाम नखरे उठाओगे वह तुम्हारी दीदी से भी ज्यादा मासूम है"
वीर "दीदा मैं आपकी इंसल्ट नहीं करना चाहता , लेकिन आप अपनी तुलना एक अनपढ़ गवार से कर रही है"
चली जाइए आप यहां से मैं नहीं चाहता कि मैं आपकी इंसल्ट कर दूं"वीर का गुस्सा देखते हुए तृषा वहां से चली गई थी और भी फिर से पंचिंग बैग पर अपना गुस्सा निकालते हुए बोल रहा था नफरत है मुझे तुमसे तुम्हारी शक्ल मैं अभी नहीं देखी है और तुम यहां अभी आई भी नहीं है उससे पहले ही तुमने सबको मेरे खिलाफ कर दिया है"
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इधर रुद्राक्ष अपने रूम की बालकनी में खड़ा था ।तभी त्रिशा अति है "रुद्र बेटा तुम अगय यह हम सभी के लिए बहुत खुशी की बात है ।"
अब तुम्हारी भी शादी की उम्र हो रही है रुद्र वीर के बाद तुम्हारा नो है "
त्रिशा ने उसके गालों को हाथ लगाते हुए कहा था ।
रुद्राक्ष तुरंत नो वे दीदा मैं इंडिया किसी ओर मकसद से आया हूं मुझे इन सब में बांधने की कोशिश मत कीजियेगा "
कुछ देर बाद त्रिशा चली गई थी और रुद्राक्ष चंद को देख रहा था उसकी स्लीव्स फोल्ड थी।ऊपर तक जा रही थी उसकी आईसी ब्ल्यू आइज में बेचैनी थी ।
उसके चेहरे पे चांदनी कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रही थी ।
उस की स्मार्टनेस खूबसूरती बेहिसाब थी अपने डीडी के जैसे या उससे कही ज्यादा पर इतना हैंडसम होकर भी उसने अपने करीब कभी किसी लड़की को आने नहीं दिया था ।
वो अच्छे से जनता था कि लड़कियां किसी होती है क्योंकि वीर की लाइफ में वो ऐसी ही लड़कियां देख रहा था ।
ओर उसके आस पास भी या तो लस्ट से भरी लड़कियां या पैसे के प्रेमी लड़कियां थी किसी अच्छी लड़की से आज तक वह मिला ही नहीं था।
इसलिए इसलिए अचानक से शादी की बात सुनकर रुद्राक्ष को बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा है और आता भी क्यों ना लड़कियां कहां इसका भी होती थी कि उन पर ट्रस्ट किया जाए।
फिलहाल तो उसे कनक अंबानी को भी करना था और यही सब सो कर उसने गहरी सांस ली थी उसकी हॉटनेस का कहीं तो कोई फायदा होता है वह मुस्कुरा रहा था।
क्या होगा रुद्राक्ष के ख्यालों का असल में मेल क्या कनक होगी शिकार उसकी हॉटनेस का या वो खुद ही घायल होगा कनक के हुस्न का कहा ले जाएगी दोनों भाइयों की नफरत जानने के लिए बने रहे मेरे साथ
वह खुदपे इतना कॉन्फिडेंट था कि उसके होंठो की मुस्कान गहरी हो गई थी।होता भी क्यों न आखिर उसकी पर्सनालिटी ऐसी थी ।जिससे इंप्रेस होकर हर लड़की आहें भरती थी ।ओर कल वो कनक को अपनी इसी पर्सनेलिटी से इंप्रेस करने वाला था ।
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वही दूसरी तरफ कनक अपने रूम के बेड पे बैठी उसके चेहरे पे चांदनी ऐसे पद रही थी जैसे कह रही हो इस चेहरे की चमक के आगे मैं भी फीकी हूं ।
उसके सुनहरे बाल लंबे हवा से लहराते हुए बेड पे बिखरे हुए थे आज बिना मास्क हरि आँखें किस कदर खूबसूरत लग रही थी ये तो चंद को देख कर ही पता चल रहा था ।वो जैसे कनक का हुस्न देख कर शर्मा कर बादलों में चुप रहा था ।
कनक ने एक नज़र चंद को देख ओर लेट कर नींद कि आगोश में चली गई । लग चुकी थी।
वही कनक के सोए हुए जिस्म को देख कर किसी के अंदर आग़ लग चुकी थी।
सामने बैठा शख्स ड्रिंक का ग्लास खाली करते हुए सामने स्क्रीन पर चल रही कनक की लाइव वीडियो पे हाथ फेरतेन हुए डेविल स्माइल कर रहा था ।
इस जिस्म के दीवाने करोड़ों है ।पर यह जिस्म सिर्फ मेरे रूम में मेरे बेड पे मेरी राते रंगीन करने के लिए बना है "
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सुबह का टाइम त्रिशा विला रुद्राक्ष ऑफिस जाने की तैयारी में था जल्दी जल्दी तभी निर्भया " इतनी जल्दी जल्दी कहां जा रहे हो बेटा सुबह सुबह ?"
जैसे ही निर्भया की बात सुनी रुद्राक्ष का असिस्टेंट बोला " सर की एक इंपॉर्टेंट मीटिंग है वहीं जा रहे है "
निर्भया बोली " ओह तो अच्छे से डील हो जाए जैसे परदेस तुम नो वन जो यह भी हो जाओ "
उसकी बात पे रुद्र काफी के शिप लेते हुए बोला "don't worry मोहन के बाद सिर्फ रघुवंशी का ही नाम वन पे होगा "
यह कहते हुए उसके चेहरे पे गहरी स्माइल थी ।कुछ ही देर में दोनो कार में थे । रुद्राक्ष ने असिस्टेंट से पूछा कनक अंबानी की तरफ से कोई रिप्लाई आया?"
असिस्टेंट ने नहीं में सर हिलाया । बोला "आएगा क्योंकि ऑफर ही ऐसा दिया है कौन ऐसा ऑफर ठुकराएगा "
जिसपे रुद्राक्ष गहरी सोच लिए हुए बोला अच्छा बिजनेसमैन या वूमेन जरूर ठुकराएगी अब देखते है कनक अंबानी क्या करती है "
तभी ऋतिक ने कहा था " आज आप उनसे मिलेंगे तो पता कर लेना सिर"
रुद्राक्ष " तुम्हे कुछ ज्यादा एक्साइटमेंट नहीं है कनक अंबानी से मिलने की ?"
ऋतिक " अब हर कोई उससे मिलना चाहता है उसे देखना चाहता है तो उनमें से एक मैं भी हूं"
उसकी बात सुन कर रुद्र ने उसे घूर ओर बोला" ओह इतना जुनून है उससे मिलने का?"
तो एक काम करो आज तुम घर पे ही रहो मैं देख लूंगा "
यह शंका रितिक रिक्वेस्ट कर रहा था ।पर रुद्राक्ष का फैसला कभी बदला था जो आज बदल जाता ?
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वही दूसरी तरफ ऑफिस कनक ऑफिस आ चुकी थीं।
उसके आप ही पूरे ऑफिस में अफ्रा तफरी मच गई थी ।
उसकी असिस्टेंट हिना जल्दी से केबिन में आई ओर बोली "मम आज रघुवंशी इंटरप्राइजेज से मीटिंग है आप रेडी" हो ?
कनक ने अपना सर बैक पे टिकटे हुए कहा " हां "
हीन कहती है" मैम आपको इस कंपनी से मिटिंग करने से पहले एक बार चेक करना चाहिए था क्योंकि mr रुद्राक्ष रघुवंशी कल ही इंडिया आए है और यहां का कुछ उन्हें पता है नहीं इसके बारे में क्या जाने हम"
कनक ने अपनी हरि आंखों को उठा कर हिना को देखा और बोली " तुम मीटिंग पर फोकस करोगी कोई ज्यादा अच्छा रहेगा"
कुछ ही देर में रुद्राक्ष अंबानी इंटरप्राइजेज के बाहर खड़ा है उसके चेहरे पर घमंड था अपनी खूबसूरती का ।
उसके गार्ड्स आसपास खड़े थे । वहीं रितिक सोच करके आया था वह उसके आगे खड़ा था। और गिलास से बनी बिल्डिंग को देख रहा था।
कुछ देर में वह दोनों कनक की प्राइवेट लिफ्ट में थे। वही वही रुद्राक्ष की ब्लू आईज खामोश थी।
पर ऋतिक बड़ा एक्साइड था ।कनक से मिलने के लिए ओर होता भी क्यों न आखिर वो कनक अंबानी थी कम age में इतनी पावरफुल वुमन ।
कुछ ही देर में हो दोनों कनक के फ्लोर पर थे और हिना खड़ी मुस्कुरा रही थी।
और अपना हाथ बढ़ाते हुए गुड मॉर्निंग सर रहती है रुद्राक्ष से उसके चेहरे पर साइन की बूंदे देखकर यह अच्छे से जान लिया था कि वह उसकी पर्सनालिटी से काफी इंप्रेस थी।
अपने मन में सोच रही थी कि इस इंसान से ज्यादा हैंडसम और हॉट शायद ही कोई होगा उसको देखने भर से उसकी फीलिंग अलग हो रही थी सांसें तेज हो गई थी।
रुद्राक्ष इस बात को अच्छी तरह समझ चुका था ।कि जब सेकेट्री उसकी हॉटनेस से इतना इंप्रेस है तो बॉस भी हो जाएगी ।
उसके दिमाग में एक ही बात चल रही थी क्या कनक इतनी बेवकूफ है कि यह डील मंजूर करेगी ?
उसने एक नजर मीटिंग रूम को देखा ।तभी कही से आती खुशबू ने उसे सुकून दिल दिया था उसने सामने खड़ी हिना को देख यह खुशबू उसे नहीं अरही इतना तो उसे पता था
तभी हिल की तक तक की आवाज से उसने दूर की तरफ देखा जहां से एक लड़की बिजनेस सूट पहले अरबी थी उसके चेहरे पे मास्क लगा था ।पर फिर भी उसकी ग्रीन आइज उसकी खूबसूरती को बयान कर रही थी ।
उसके लंबे बाल उसकी पीठ पर बलखा रहे थे ।वो इस ओरे के साथ आकर अपनी डायरेक्टर की चेयर पे बैठी थी ।की रुद्राक्ष उससे काफी इंप्रेस होता नजर अर्ह था ।वो पिघलने लगा था ।तभी कनक की आवाज से उसे होश आया "लगता है किसी क्लासी कंपनी के साथ यह आपकी पहली मीटिंग है " क्योंकि ऐसे पहली बार वाले ही रिएक्ट करते है mr रघुवंशी "
रुद्राक्ष को अचानक होश आया उसने मन में सोचा मैं इसकी खूबसूरती से पिघलने नहीं इसे बर्बाद करने आया हूं ।
वो बोला " ओर आपकी किसी रॉयल से फर्स्ट मीटिंग है तभी अपने मास्क अब भी लगाया हुआ है ms अंबानी?"
उसकी बात पे कनक बोली बिल्कुल पर शायद आपको मुझसे मिलने की ऐसी एक्साइटमेंट थी कि अपने ईमेल नहीं चेक की की होती तो पता होता कि यहां की डायरेक्टर हर मीटिंग मास्क के साथ ही करती है ।"
अगर आपको प्रॉब्लम हो तो आप जा सकते है mr रघुवंशी"
उसकी इस बात पे रुद्राक्ष ने ऋतिक को देखा था घूर के ।
कनक भी उसके ब्ल्यू आइज में खो गई थी ।उसके शार्प फीचर उसकी परफेक्ट हाइट उसके लुक ने उसे भी कही" न कही पिघला दिया था ।
रुद्राक्ष बोला" बिल्कुल आपकी कंपनी नो1 पे है आपके साथ कौन काम नहीं करना चाहेगा ms अंबानी?"
कनक " हां सही कहा अपने कुछ को उनकी मोटिवेशन यहां लाती है तो कुछ को उनकी जलन "
कनक की बात पे ऋतिक ने अपने शैतान बॉस को देखा जो काफी कंट्रोल से बैठा था वरना जिस तरह से कनक उसकी बैक तो बैक बेइज्जती कर रही थी उसने तो अब तक कनक को मार देना था ।
तभी रुद्राक्ष बोला " मुझे ms अंबानी से अकेले में बात करनी है"
उसकी बात पे कनक बोली "हिना नहीं जाएगी यहां से आपको कुछ भी बात करनी हो यही करो "
रुद्राक्ष बोला "ओह गॉड आप तो डर गई ms अंबानी कही अपको ऐसा तो नहीं लग रहा न कि मैं आपसे आपका सब कुछ चीन लूंगा ?"
कनक तुरंत बोली " हिना बाहर वेट करो "
सबके जाने के बाद रुद्राक्ष अपनी चेयर से उठ कर कनक की चेयर के करीब आगया था उसपर झुकते हुए बोला " पहले भी कहा है कि मुझे घूमा फिरा के बात करनी नहीं आती तो मैं तुम्हे बताता चलूं कि तुम्हारे पर काटने आया हूं मैं तुमसे सबकुछ छीनने"
क्या होगा इनकी इस मुलाकात का अंजाम ? जानने के लिए पढ़िए मेरी स्टोरी
कनक की सांसें तेज होने लगी थी रुद्राक्ष से अति खुशबू उसे अजीब सा फील कर रही थी ।
उसने खुदको सम्हालते हुए कहा जो भी करना हो करे मेरे पास इतना फालतू टाइम नहीं है
"
तभी रुद्राक्ष बोला " सोचा तुम्हे वॉर्म कर दूं क्योंकि तुम्हारा"
सब कुछ मैं छीने वाला हूं नाम स्टेटस सब मिस अंबानी"
उसकी बातों को सुनने के बाद कनक के मुंह से अचानक हसी निकल गई " यह सब सोचने से पहले मेरे बारे में पता तो कर लिया होता तुमने mr रघुवंशी "
तुम्हे क्या लगा तुम वो बकवास सा ऑफर दोगे पे मैं एक्सेप्ट कर लूंगी?"
खेर मेरा अंदाजा सही था तुम्हे यहां बुलाने का मेरा फैसला गलत नहीं था इससे तुम्हारे इरादे तो पता चले "
उसकी इस बात पे रुद्राक्ष ने काफी पीते हुए कहा "गुड ।उठे भी ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी "
कनक " तो एक काम करिए अपनी कमर कस लीजिए mr रघुवंशी"क्योंकि मेरे थोड़े बहुत रहम पे रघुवंशी को कोई जनता भी था पर अब तुम्हारा नमो निशान मिट देगी कनक अंबानी
उसकी इस बात पे रुद्राक्ष ने उसे अपनी तरफ खींच लिया था ।ओर कानक की आँखें लाल हो गई थी ।
यूसे बिल्कुल नहीं पसंद था कोई उसे छुए ।उसने नफरत से सामने देखा और अचानक से रुद्राक्ष ने उसका मास्क उतर कर फेंक दिया था ।ओर एक पल को उसकी दुनिया थम सी है थी।हरि आँखें खूबसूरत चेहरा गुलाबी होंठ खूबसूरती की सारी हद पार हो रही थी।
सच कहते है लोग जिसने कनक अंबानी को एक बार देख लिया वो उसे भूल नहीं सकता था ।वो उसका होकर ही रह जाता है इस चेहरे में ऐसा कुछ तो था ।
देख कर लगता था ऊपर वाले ने बड़ी फुर्सत में बनाया होगा ।रुद्राक्ष होश में आते हुए उसकी आंखों में देखते हुए बोला " ऐसा भी क्या है जो इस चेहरे को छुपाने पद रहा है" ms अंबानी "
क्या तुम्हारा असली चेहरा दुनिया जानती है कितनी के खून से रंगे है तुम्हारे हाथ?
तुमने न जाने कितने का घर उजड़ा है "
ओर वैसे भी सब पैसों से खरीदा जा सकता है मैं भी तुम्हें खरीद सकता हु ," बताओ कितना पैसा चाहिए मेरे बिस्तर तक आने के लिए ?"
अब जनक का चेहरा लाल हो गया था शर्म से नहीं गुस्से से आग थी वो जिसे अब शोला बनते देख रहा था रुद्राक्ष ।
रुद्राक्ष समझ गया था उसे गुस्सा कैसे आता है " सुनने में तो यह भी आया है कि तुमने अपने मां बाप का खून किया है "
तुम इतनी घटिया हो कनक अंबानी "
अभी वो कुछ आगे कहता कि एक जोर का थप्पड़ उसके गल पे पड़ा था रुद्राक्ष को असर नहीं हुआ पर कनक फुफकारी थी " मैं उन घटिया औरतों में से नहीं जो तुम्हारे बिस्तर पे बिछती होंगी समझे "
अपनी औकात में रही mr रघुवंशी ""
यह कह कर वो जाने लगी थी कि तभी रुद्राक्ष ने उसके बालों को मुट्ठी में कैद करते हुए कहा अपने मां बाप को तो खा गई " अब किसको खाना है घटिया औरत 1 महीने के अंदर तुम्हे तुम्हारी औकात न दिखाई तो मैं रुद्राक्ष रघुवंशी नहीं "
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कनक इस टाइम चुप चाप हाल में बैठी डिनर कर रही थी।
उसने रेड कलर की स्लीवलेस स्टेप टी,शर्ट पहनी थी और लोअर उसके खुले लंबे बाल चेयर से नीचे लहरा रहे थे ।
वही एकांश उसकी खूबसूरती को ऐसे देख कर अपनी नजरे अपनी प्लेट के बजाय कनक की क्लीवेज पे थी क्योंकि कनक के ब्रेस्ट साल्क में काफी सुडौल थे ।
उसने अपने अंदर गर्मी महसूस की और उठ कर बोला मेरा हो गया कनक मैं रूम में जा रहा हूं "
कनक ने उसे देख भी नहीं था ।उसके मोम डैड की आरजू थी कनक और एकांश का साथ वरना कनक उसे कभी अपने घर में बर्दाश्त नहीं करती।
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वही दूसरी तरफ रुद्राक्ष बैठा सबके साथ डिनर कर रहा था घर में वीर की शादी की तैयारियों चल रही थी उसी की बाते डाइनिंग टेबल पे हो रही थी ।
त्रिशा "रुद्राक्ष आप भी चलना कल हम लोगों के साथ शॉपिंग पे "
रुद्राक्ष " नो वे दीदा मेरी कल इंपोर्टेंट मीटिंग है कल ऑस्ट्रेलिया से डेलिगेट्स अर्ह है। "
तभी निर्भय बोला " क्या तुमने उस लड़की को डराया धमकाया है रुद्र जो तुम ये मीटिंग कर रहे ?"
रुद्राक्ष" ओह गॉड डैड आप क्यों इस कनक अंबानी के लिए इतना सोच रहे ? वह कोई सती सावित्री नहीं है बल्कि आग है, इसके लिए गिल्ट फील करना छोड़ दीजिए"
रुद्राक्ष अपने रूम में आकर सोने की कोशिश कर रहा था । लेकिन उसकी आंखों में नींद नहीं थी उसे बार-बार कनक का खूबसूरत चेहरा नजर आ रहा था।
तुम चाहे जितनी खूबसूरत हो ,कनक अंबानी पर मैं तुमसे सिर्फ नफरत करता हूं मुझे तुम्हारे चेहरे से नफरत है"
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वहीं कनक अपने रूम में लेटी हुई थी कि तभी उसका फोन रिंग करने लगा जैसे ही उसने फोन उठाया दूसरी तरफ से ही नाबोली"मम कल रुद्राक्ष रघुवंशी ने एक मीटिंग रखी है जिसमें उसने ऑस्ट्रेलिया अमेरिका दोनों जगह से दिल्ली गेट्स को बुला लिया है यह मीटिंग नहीं होनी चाहिए"
कनक आराम सेबोली"करने दो उसको मीटिंग तुम्हें उससे क्या तू अपने काम पर फोकस करो"
हिना"मैं यह कैसी बातें कर रही है यह मीटिंग हम लोग के लिए लॉस होगी "
कनक ने अब गुस्से मेंकहा"हिना तुम कुछ दिन के लिए छुट्टी क्यों नहीं ले लेती"
कल तुम सब की छुट्टी है समझी तुम"इतना कह कर उसने फोन साइड पर रख दिया था अपनी आंखें बंद कर ली थी।
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वही अंबानी मेंशन में एकांश बेड पे लेटा कनक को लैपटॉप की स्क्रीन पे टच कर रहा था ।
वो शर्ट लेस था ।ओर उसका खास अंग भी एक्टिव था उसके हाथ तेजी से अपने खास पार्ट को प्लेजर दे रहे थे ।
ओर वो सिर्फ कनक का नाम।ले रहा था ।तभी वहां कनक की खास नौकरानी बिना नॉक किए अंदर आ जाती है जिसे देख कर एकांश गुस्से में उसे अपने ऊपर खींचते हुए इतनी हिम्मत तुम्हारी "
लेकिन उस लड़की केल ऊपर गिरते ही एकांश अपना कंट्रोल खो देता है और उसके होंठो को अपने होंठो में ले कर वाइल्ड किस करने लगता है ।
वो कुछ देर में उसकी आंखों में देखते हुए कहता है योर टेस्ट नोट बैड " ओर उसके सारे कपड़े एक एक कर निकल कर फेंक देता है अब उस रूम में उस लड़की की सिसकियां ही सुनाई दे रही थी ।
Rr ऑफिस
एक शानदार मीटिंग रूम रुद्राक्ष अपनी शान से बैठा इसके ओरे से ही उसकी पर्सनालिटी और निखर रही थी।
निर्भय " रुद्र अंबानीस की कंपनी का नाम तन खत्म हो चुका था जब कनक डैड मोम एक्सीडेंट में चल बसे थे ।
उसे लड़की ने अपने नंबर अपने टैलेंट से फिर से अंबानी कंपनी को नंबर वन पर बनाया है।"
रुद्राक्ष "बेड बार-बार आप मुझे यह क्यों बताना चाह रहे हैं कि मैं जैसे उसके क्लाइंट को छीन लिया हो मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है यह जो क्लाइंट्स है वह मेरे जाने वाले हैं उसके नहीं "
मुझे उसे कनक अंबानी की बर्बादी देखनी है वह हद से ज्यादा बदतमीज है"
उसकी बात सुनकर निर्भय वापस बोल"बेटे तुम्हारी में लिखो कट हो चुकी है तभी तो ऐसा कह रहे हो तुम एक लड़की से हारने से डरते हो लेकिन सच यही है कि तुम्हें अभी उसकी ताकत का अंदाजा नहीं है"
कुछ ही देर में मीटिंग स्टार्ट हो चुकी थी और रुद्राक्ष ने काफी अच्छे से सब कुछ हैंडल भी किया था उसके आने वाले क्लाइंट भी काफी कुछ नजर आ रहे थे।
लेकिन जैसे ही रुद्राक्ष ने उनसे यह कहा कि फिर पेपर साइन करें तभी उनका हेड बॉल"आई एम सॉरी श्री रघुवंशी मुझे लगता है कि आपकी कंपनी में इन्वेस्ट करने से अच्छा कि हम अंबानी कंपनी में इन्वेस्ट कर ले"
इतना सुना था कि रुद्राक्ष की आंखें लाल हो गई थी गुस्से से उसका बुरा हाल था जिस दिल के लिए उसने इंडिया आने का निर्णय लिया था वही डील उसके हाथों से निकलती हुई नजर आ रही थी लेकिन और कुछ कहना उसकी ईगो को हर्ट करने के बराबर था जो रुद्राक्ष रघुवंशी कभी नहीं कर सकताथा।
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वहीं दूसरी तरफ कनक अपने केबिन में बैठी हुई सामने उन्हें क्लाइंट से बातें करती हुई मुस्कुरा रही थी क्योंकि यह सब चालू की थी अगर रुद्राक्ष को उससे नफरत की तो उसे भी रुद्राक्ष से काफी नफरत थी और वह उसकी कंपनी को मिट्टी में मिला देना चाहती थी।
उसे यह सोचकर ही खुशी मिल रही थी कि इस वक्त रुद्राक्ष किसी पागल की तरह गुस्सा हो रहा था।
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शाम का टाइम कनक काफी ज्यादा खुश नजर आ रही थी वह अपनी ड्रिंक एंजॉय कर रही थी और होती भी क्यों ना खुश आज उसने रुद्राक्ष रघुवंशी का घमंड चकनाचूर कर दिया था।
उससे उसकी डील छीन ली थी। एक बार कनेक्ट में घड़ी पर नजर डाली जिसमें रात के 12:00 बज रहे थे वह काफी थक गई थी उसने अपना पास उठाया और बाहर की तरफ निकल आई।
वह अपनी गाड़ी के पास आकर ड्राइविंग सीट संभाल चुकी थी। वही हैरानपुरा ड्राइवर उसको देख रहा था। वह बिना उसको देख बोलिए आज मैं खुद ही ड्राइविंग करूंगी"
और गाड़ी को टीवी से लेकर आगे बढ़ गई थी। आज उसे हद से ज्यादा खुशी मिल रही थी। क्योंकि वह हर उसे शख्स का घमंड तोड़ सकती थी जो उसके बारे में कुछ गलत बोल और यहां तो रुद्राक्ष ने उसे छू भी लिया था।
उसे देख भी लिया था फिर वह उसे ऐसी कैसे जाने देती?
यही सब सोच हुए वह पास ड्राइविंग करती हुई जा रही थी कि तभी उसके कर के सामने एक कर आकर रुक जाती है और उसने अचानक से ब्रेक लगाए थे।
वह गुस्से में बाहर निकली और गाड़ी के पास आकर बोलि" क्या बदतमीजी है?"
तभी उस गाड़ी से रुद्राक्ष लाल आँखें लेकर निकला कनक ने जैसे उसे देख कनक के फेस पे डेविल स्माइल आगई थी।
रुद्राक्ष अपनी कार की बोनट पे बैठा गुस्से में उसे घूर रहा था ।अब वो धीरे धीरे अपनी आंखों में गुस्सा लिए उसके करीब अर्ह था ।
कनक हस्ते हुए कहती है "जीत का जश्न तो देखा था हार" का जश्न मनाते आज पहली बार देख रही हूं"
अभी वो हद ही रही थी कि तभी उसकी हंसी एकदम से रुक गई थी।
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वही वीर की हल्दी भी हो गई थी ।उसने घर आना छोड़ दिया था । आरंभ के डर से उसने मेहदी भी लगवाई थी।
ओर आखिर शादी का दिन भी आगया था ।कल वीर रघुवंशी मोस्ट हैंडसम बैचलर को शादी होने वाली थी।
जिसके पीछे लड़कियां पागल थी वो फाइनली किसी एक का होने जा रहा था ।पर उसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था ।
आज भी वह बार में बैठा ड्रिंक कर रहा था ।उसने काफी इंपोर्टेड डील साइन की थी ।जो उसके लिए काफी फायदेमंद थी ।
वही उसने कुछ ड्रग्स की भी डील की थी ।वही पलक उसकी पार्टनर बन कर उसके बगल में बैठी थी ।
वीर का हाथ पलक की कमर पे था उसे कल अपनी दुल्हन लाना था पर उसे उससे कोई मतलब नहीं था।
पलक उसकी गर्दन को स्मेल करते हुए बोली आज की रात मैं तुम्हें अपना बनाना चाहती हूं"
तभी वीर बोला आज नहीं पलक डार्लिंग बस आज की रात इंतेज़ार कर लो कल उस गवार को आने दो तो मैं दिखाता हूं मैं क्या हूं"
********* वही दुआ अपनी कमरे की खिड़की पे खड़ी अपनी मेहदी को देख रही थी ।कल उसकी जिंदगी बदलने वाली है ।वो दुआ मेहरा से दुआ रघुवंशी हो जाएगी ।
उसके नाजुक कंधे अमीरी का बोझ उठाने को तैयार न थे उसे डर लग रहा था उन लोगों से उस लड़के से जाने वो केस होगा ।
वो अपनी रिंग देख कर खुदाई बोली जाने कल क्या होने वाला है यही सब सोचते सोचते उसकी आंखों में नींद अगई थी ।
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अगली सुबह
दुआ को आज जल्दी उठा दिया गया था उसे सब तैयार करने में लगे थे क्योंकि बारात जल्दी आने वाली थी ।उसका लहंगा मुंबई से ही आया था ।
मुंबई के खास डिजाइनर ने उस लहंगे को तैयार किया था ।
दुआ ने वो लहंगा पहन लिया था वो उससे भी ज्यादा भरी था उसका नाजुक सा बदन उस लहंगे में सोने की तरह चमक रहा था ।
वही दूसरी तरफ एक प्राइवेट जेट आकर लैंड हुआ था उसने पूरा रघुवंशी परिवार था ।
काफी सारी गाड़िया वहां पहले से काफी थी जिसमें बैठ चुके थे सारे लोग ओर वीर तो आज किसी देश का शहजादा लग रहा था ।क्रीम शेरवानी में ।लेकिन चेहरे पे वही गुस्सा ।
जेट उसका ओर ख़ुसुरत डेकोरेट किया गया था ।वीर के दिल में इस लड़की के लिए काफी नफरत बढ़ गई थी ।
वही पलक इसको कॉल कर रही थी ।वीर का दिल नहीं हो रहा था इस वक्त उससे बात करने को ।
पलक लगातार उसको कॉल कर रही थी ।आखिरकार वीर ने उसकी कॉल रिसीव ही कर ली ।
बोला " बोलो पलक "
पलक " वीर ई केनी इस तुम तुम्हे कॉल नहीं करना चाहिए मुझे पर क्या करूं मुझे बहुत हर्ट हो रहा है कि तुम किसी ओर से शादी कर रहे हो "
वीर"मैं जनता हम पर प्रोमिस जैसे वो अर्जी वैसे ही चली जाएगी पलक "
पलक " अच्छा एक प्रोमिस करो तुम उसके साथ सुहागरात नहीं मनाओगे "
वीर गुस्से में" अपनी बकवास बंद करो " कह कर कॉल कट किया ओर उधर उधर देखने लगा ।
वीर का दूल्हा रूप सबके होश उड़ा रहा था ।वो चुप चाप मंडप में बैठ चुका था ।वही दुआ भी घुंघट डाले उसके बगल में आकर बैठ गई थी ।न वीर ने उसे देख न दुआ ने उसे देखा दोनों के दिलों में एक दूसरे के लिए नफरत पनप रही थी।
कुछ ही देर में शादी सम्पन्न हो चुकी थी ।दुआ की मांग का सिंदूर ओर गले का मंगल सूत्र गवाह बन गया था कि वह दुआ मेहरा से दुआ रघुवंशी हो गई थी ।
दुआ ने अपनी भीगी कल को कौन सा पर एक नजर अपने दूल्हे पर डाली वही वीर की भी निगाह ना चाहते हुए भी इसी वक्त दुआ पर ठहर गई थी। उसके दिल में अजीब सी धड़कन हुई थी जिसे उसने इग्नोर करके उसे नफरत से देखा था अब उन दोनों का साथ जन्मो जन्मों के लिए बन चुका था लेकिन नफरत एक दूसरे के दिलों में
बरकरार थी।
नहीं वीर की हॉटनेस दुआ के दिल में जगह बना पाई हम ना दुआ की मासूमियत वीर के दिल में जगह बना पाए।
एक ही आंखों में नफरत तो दूसरे की आंखों में अफसोस था।
बुआ के मासूम से चेहरे पर मेकअप और उसके बहुत ही नाजुक सी नाक में वो बड़ी सी नथ उसकी खूबसूरती में चार चांद लग रहे थे।
लेकिन दोनों ही एक दूसरे को नफरत से देख रहे थे उन दोनों की पहली ही मुलाकात इस कदर नफरत भरी थी तो आगे जाने क्या होने वाला था।
अभी मैं गुस्से में उसे पर सनम के हटाई और मंडप छूकर आगे बढ़ गया था लेकिन दोनों का गठबंधन होने की वजह से दुआ भी उसके पीछे खींची हुई चली गई थी।
वही शब्बीर को बहुत ही संस्कारी समझ रहे थे कि उसने तुरंत ही सबका आशीर्वाद लेने के लिए कदम बढ़ा लिए थे।
कभी छुट्टी आई और बोली "जीजू आपके जूते मैं चुरा लिए हैं उसके लिए मुझे पैसे चाहिए जल्दी से निकालिए मेरे पैसे "
वीर ने बिना कुछ बोलेगी अपने असिस्टेंट को इशारा किया था और उसके असिस्टेंट ने उसे किया था जिस पर भी मैं साइन करके छुट्टी की तरफ बढ़ा लिया था।
कुछ ही देर में दुआ एक लग्जरियस गाड़ी में बैठी हूं प्यार से बाहर अपने शहर को अलविदा कह रही थी।
वही मैक्स का मैसेज आता देखकर वीर ने मुंह बना लिया था। क्योंकि मैथ्स के मैसेज में लिखा था "बॉस भाभी को बहुत खूबसूरत है"
तभी वीर का मोबाइल रिंग हुआ था ।ओर कॉल रिसीव कर वीर ने हेलो कहा था कि दुआ का दिल जोर से धड़का था ।
न जाने दूसरे तरफ कौन है जिससे बात करके इनके चेहरे पे इतनी खुशी है दुआ ने सोचा तभी उसे वीर की आवाज सुनाई दी " I love you to my sweetheart 💋"
दुआ हैरान थी जिस आदमी के साथ अभी कुछ देर पहले उसकी शादी हुई थी वो किसको ई लव यू कह रहा था ।
वही दुआ की तरफ जरा भी वीर का ध्यान नहीं था उसने उसे अजनबी समझ कर पलक।से प्यार भरी बाते शुरू कर दी थी ।
वीर ने दुआ से बात करना सही नहीं समझा था नहीं उसने उससे बात की थी और ना ही बात करने की कोशिश ।
दुआ में एक लंबी सांस ली और अपनी नाम आंखों को छुपाती हुई बाहर देखने लगी उसके पापा ने उसकी जिंदगी खराब कर दी थी उसकी ऐसे इंसान से शादी कर कर उसकी पढ़ाई छोड़वा कर ।
ऐसी शादी जिसमें ना वह खुश थी ना ही उसका यह पति जो उसके ही बगल में बैठकर किसी और से प्यार के वादे कर रहा था।
कुछ ही देर में दुआ अपना लहंगा संभालते हुए जाट में बैठ चुकी थी और अपने शहर को अलविदा कह चुकी थी।
जैसे ही उनका जेट मुंबई लैंड हुआ था वैसे ही गाड़ियों की लंबी लाइन लगा चुकी थी।
दुआ ने अपने घूंघट में अपनी बेचैनी छुपा ली थी ।
पूरा रघुवंशी परिवार वीर और द्वारा से पहले तृषा मेंशन जा चुका था क्योंकि उन्हें आने वाली नई बहू की स्वागत की तैयारी भी तो करनी थी।
वही एक टाइम में दो अनजान शख्स ऐसे बैठे थे जैसे वह एक दूसरे से ना वाकिफ हो उन दोनों के बीच एक गहरा और मजबूत रिश्ता था।
वीर काफी कंट्रोल कर रहा था क्योंकि उसे अपने दादा आरंभ की इज्जत का बहुत पास था।
यह सारा धर्म सिर्फ तृषा मेंशन तक पहुंचाने का था जैसी गाड़ी दिशा में इंसान के गेट पर हुई थी वीर वहां से निकलकर बिना दुआ को देख अंदर चला गया था।
दीवाने यह सब देखकर अपनी ना मन को साफ किया और अपना लहंगा संभालते हुए अभी दो-तीन कदम आगे ही बड़ी थी कि तब तक कुछ सर्वेंट उसके पास आकर खड़ी हो गई थी।
वीर जाकर अंदर के एंट्रेंस तो पहले ही से खड़ा था वही दुआ अपने भारी लगने से संभालते हुए धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ा रही थी तभी उसके मुंह से अचानक से आह निकली थी जिसे सुनकर वीर को कुछ फर्क नहीं पड़ा था लेकिन वही तृषा और मुग्धा परेशान हो गई थी।
सभी तृषा गुस्से से सर्वेंट के ऊपर दहाडी "तुम लोगों ने अच्छे से गार्डन की सफाई नहीं की है क्या जो कटा मेरी बहू के पांव में चुभ गया त्रिशा उसके पैर से कांटे निकलते हुए बोली थी ।
उन सब को फिक्र करते देखकर दुआ इतना तो समझ चुकी थी कि उसका पूरा परिवार उसे किसी बच्चे की तरह समझने वाला है यह सोचकर उसे कुछ तो तसल्ली हुई थी।
उन सब की फिक्र देखकर दुआ धीरे से बोली "कुछ नहीं हुआ बस थोड़ी सी चोट लगी है मैं ठीकहूं"
वही वीर ने गुस्से में हूं तेरा करके अपने मन में सोचा हूं कैसे मासूमियत पर घूम कर रही है गवार कही की "
जैसे ही वेलकम हो गया था जो अंदर आई थी वीर गुस्से में चिल्लाते हुए बोला कि हो गया ना आपका ड्रामा आ गई ना आपकी चाहिए अब मुझे जाने दीजिए अगर और कोई रसम बाकी हो मेरा खिलौना बनाने के लिए तो बताइए"
उसने काफी गुस्से में हुआ को देखते हुए यह सब कहा था।
और उल्टे पैर बाहर की तरफ निकल गया था। वही पिज़्ज़ा अपना दिल थामे दुआ को देख रही थी। मुग्धा बोली मॉम आप अपने रूम में जाइए आराम कीजिए मैं दुआ को उसके रूम में पहुंच कर आती हूं"
वही इन लोगों को देखकर दुआ हैरान खड़ी परेशान होकर उसे देख रही थी क्या अभी जो इतना कुछ बोलकर अपनी शादी की रात बाहर चला गया था वह उसका पति था?
अभी भाई यह सब सो ही रही थी कि तभी मुग्धा से लेकर लिफ्ट की तरफ आ गई थी और वीर के फ्लोर पर लाकर रूम को खोलकर उसे अंदर लेकर आई वही दुआ हैरान थी सच में यह कैमरा इतना खूबसूरत इतना बड़ा था कि यह पूरा मीनि विला लग रहा था।
यहां स्विमिंग पूल और बहुत सी बाकी चीज थी वहीं बालकनी की जीवनी देखकर दुआ काफी इंप्रेस हो गई थी।
तभी मुग्धा बोली"बेटा बहुत से ऐसे राज नहीं फ्लोर पर
जो तुम ना जानोगे बेहतर है वहीं वीर के साथ भी यह शादी जबरदस्ती हुई है तो प्लीज उसे समझने की कोशिश करना उसे थोड़ा टाइम देना मैं जानती हूं कि तुम्हारे लिए यह सब बहुत मुश्किल होगा लेकिन मुझे यकीन है कि तुम यह कर सकती हो"
कबड्डी में तुम्हारे कपड़े रखे हैं तुम अपने कपड़े चेंज करके सो जाओ"यह कहकर वह नीचे चली गई थी।
उसने जाने के बाद दुआ ने रोते हुए नम आंखों से कहा" शादी की रात अकेले सो जाऊं अमीर खानदान का पिंजरा सोने का और कैद उसमें दुआ रघुवंशी"यह कहकर वेस्ट हुए अचानक से रोने लगी थी रोटी-रोटी जब उसका दिल हल्का हो गया तो उसने अपने आंसू पूछे और एक नाइट सूट कर से निकलकर वॉशरूम में चली गई।
कुछ ही देर में वह नींद की वडियो में जा चुकी थी। तभी अचानक से कमरे का दरवाजा खुलता है और कमरे में कोई आता है।
जो भी इंसान कमरे के अंदर आया था वह लेटी हुई दुआ को अपनी लाल आंखों से ढूंढ रहा था जिसे महसूस करके दुआ ने अपनी आंखें खोल दी थी।
मुंबई का होटल केसिनो
वीर बार में बैठा ड्रिंक कर रहा था वही पलक उसके पास बैठी हुई उसे सेड्यूस कर रही थी।
वीर ने अब तक न जाने कितनी बोतल खाली कर दी थी वही पलक उसके गानों पर उंगलियां फिर आते हुए कह रही थी "वीर तुमने तो आज कमाल कर दिया तुमने उसे गवार को आज शादी की रात अकेले छोड़ दिया है यह तुमने बहुत अच्छा किया मैं आज सच में बहुत खुश हूं"
जब भी मैं कोई जवाब नहीं दिया तो उसने आगे कहा"क्या कर रही होगी वह अपनी सुहागरात की सेज पर अकेली लेती होगी है ना?"
इतना सुनते ही वीर ने उसका जबड़ा अपने हाथों से दबाया और बोला मैंने तुम्हें अपनी पर्सनल लाइफ में इंटरफेयर करने का कभी नहीं दिया तुम यहां मुझे फ्रेश मुड करने आई थी ना कि मुझे परेशान करने?"
तभी पलक ने बहुत नरमी से कहा मैं तो बस यही कह रही थी कि वह गंवार अनपढ़ तुम्हें डिजर्व नहीं करती"पलक में उसकी गर्दन पर अपने होंकरते हुए कहा था वही वीर ने उसको दूर झटके से फेंक दिया था "मैंने तुमसे कितनी बार कहा है किमेरे करीब बताया करो"
तभी पलक ने उठकर वीर को अपनी बाहों में लेते हुए कहा मैं कुछ और नहीं कर रही बस तुम्हें महसूस करना चाहती हूं कि और पालक अपने दिल में खुश हो रही थी सोते हुए की भी रिश्ता किंग और वह उसकी क्वीन में वो गवार कभी नहीं आ सकती।
**********"
सुबह के 7:00 बज चुके थे दिशा मेंशन में आज सब के सब सो रहे थे क्योंकि लोगों को शादी की थकान की की आज कोई जल्दी नहीं उठने वाला था वही वीर अपनी गाड़ी बाहर पार करके सीधा लिफ्ट से अपने फ्लोर पर आया था और जैसे ही उसने दरवाजा खोला था अपने रूम का उसके दिमाग में मेहंदी और गुलाबों की खुशबू में हिट किया था।
उसने में स्विच ऑन किया सामने बेड पर पड़ी अफ़्सरा को देख जो बेहद कमसिन और मासूम लग रही थी उसकी खूबसूरती ऐसी थी कोई भी उसका दीवाना हो जाता ।
लेकिन वीर पर उसकी खूबसूरती का कोई असर नहीं था उसने उसे नफरत से देखते हुए कहा देखो मैं महारानी कैसे सो रही है मेरी जिंदगी कैद करके मेरी आजादी छीन कर।"
जैसी वीर के दिमाग में यह सारी बातें आई वैसी उसने पानी से भर जाग उठा कर सीधा दुआ के मुंह पर फेंका था।
पानी पढ़ते की दुआ बचाओ बचाओ छुट्टकी कहां हो तुम इन आवाजों के साथ उसका बैठ गई थी।
तभी उसकी नजर अपने पास खड़े शैतान पर गई जो खड़ा उसे दूर रहा था और उसके करीब आकर उसकी गर्दन को पकड़ कर दबाते हुएबोला"कैसा लग रहा है कैसा महसूस कर रही हो दुआ मेरा इतने बड़े घर में आकर? इतने नरम मुलायम बिस्तर पर सोकर बताओ ना तुम्हें कैसा लग रहा है? ०
लेकिन तभी दुआ ने गुस्से में उसको झटका औरबोली"पहले तो अपनी जुबान नीची रखो समझे तुम्हारी नौकर नहीं हूं जो तुम अपना रौब मुझपर झड़ रहे हो "
यह बेचारी समझ कर मुझ पर अत्याचार करने की कोशिश कर रहे हो मैं मेरी नहीं जा रही थी तुमसे शादी करने के लिए समझे मुझे तुमसे शादी करने में कोई इंटरेस्ट नहीं था"
तुम्हारे घर वाले आए थे मुझे वहां से लेने मैं खुद नहीं आई थी, और तुम जैसा घटिया इंसान क्या मुझे तमीज सिखाएगा जिसके शादी से पहले ही कई जगह चक्कर हो"
वीर को बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि मासूम सी दिखने वाली गांव की एक गवार लड़की इतनी बदतमीज होगी वह उसे ऐसे ही देख रहा था तभी दुआ फिर से बोलिए क्या हुआ अब बोलती बंद हो गई क्या"
दुआ की बात पर वीर हंसते हुए बोला "हा हा अब तुम जैसी गवार लड़की मुझे बताएगी कि मुझे किस के साथ अफेयर रखना है किस के साथ नहीं अगर तुम्हें शादी नहीं करनी थी तो फिर करी क्यों?"
तुम्हारे दादा ने तीन करोड़ में तुम्हें भेजा है समझी और जब खुद से इतना अच्छा रिश्ता मिले तो कोई क्यों मना करेगा"
इतना कहकर वीर ने उसकी आंखों में देखते हुएकहा"तुम ऐसी पहली लड़की हो जिसे देखकर मेरी नफरत बढ़ती ही जाती है और हर पल बढेगी"
और रही बात शादी की तो तुम्हें बता दूं कि अगले महीने ही तुम्हें तलाक देकर यहां से दफा कर दूंगा मेरी एक गर्लफ्रेंड नहीं दो गर्लफ्रेंड है क्या कर दोगी और मैं उसी से प्यार करता हूं उसी से शादी करुंगा उसी के साथ रहूंगा"
और रहूंगा क्या रहता हूं मैं उसके साथ मैं उसके साथ रातें बिताता हूं उसके साथ सो चुकाहूं"यह बात वीर ने पूरी झूठ बोली थी क्योंकि उसने कभी भी पलक को किस तक नहीं किया था।
उसने यह बात सिर्फ दुआ को गुस्सा दिलाने के लिए और हर्ट करने के लिए वह गुससा दिलाने कही थी।
सब कुछ सुनकर दुआ बोलिए और कुछ?"
मैं तुम्हें देखने में भी अपनी इंसल्ट समझता हूं जब तक यहां हो एक कोने में पड़ी रहो परिवार की बहू हो लेकिन मेरी बीवी कभी नहीं बन सकती समझी तुम और मेरी जिंदगी में कभी भी इंटरफेयर करने की कोशिश मत करना।"
और तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मेरे बिस्तर पर सोने की चुपचाप से जाकर कोच पर सो जाओ"
इतना कह कर वीर ने उसका बिस्तरउठाकर कोच पर फेंक दिया।ओर बोला" तुम इस घर की बहू हो तुमने पैसों के लिए मुझसे शादी की है तुम्हें पैसा इज्जत सब कुछ मिलेगा लेकिन मेरी बीवी होने का हार कभी नहीं मिलेगा समझी तुम "यह बोलकर वह बेड पर गिर गया था।
दुआ गुस्से में हंसते हुए बोली कि मैं जानती थी अमीर लोग ऐसे ही होते हैं तुमसे इसी घटियापन की उम्मीद थी और वैसे ही तुम निकले वह अपने बिस्तर पर लेट गई थी।
********
सुबह 12:00 बज चुके थे अब पूरा रघुवंशी परिवार जा चुका था वही निर्भया सर्वेंट को खाने का ऑर्डर दे रही थी और सारे लोगहॉल में बैठे काफी का मजा ले रहे थे तभी सामने से आती दुआ जिसने रेड कलर का अनारकली सूट पहना था उसकी खूबसूरती आज और निखार के आ रही थी सच में उसे देखकर कोई का ही नहीं सकता था कि वह किसी गांव से बिलॉन्ग करती है उसकी खूबसूरती इस कदर थी चांद भी देखे तो शर्मा जाए।
उसे कॉफ़ी का मग देते हुए तृषा ने कहा बेटा और बेटा बैठो "
दुआ ने तुरंत तृषा और आरंभ के पहले पैर छुए फिर बाकी सब के पैर छूकर उसने काफी का मग ले लिया था और काफी का एक ही सीट लेते उसके दिल में ढेरों से सुकून आया था।
कुछ ही देर में वहां वीर भी नीचे आता दिखाई दिया जो अपनी लाल के लिए दुआ को ही घूर रहा था।
सब डाइनिंग टेबल पर बैठ गए थे और दिशा ने वीर के बगल वाली चेयर को हल्का सा खिसकते हुए दुआ को इशारा किया "आओ अपनी जगह पर बैठो"
दुआ नी एक नजर वीर के चेहरे को देखा और धीरे से जाकर उसके बगल में बैठ गई जिस पर वीर ने धीरे से उसके कानों के पास कहा था।" ले लो मजे तुम अच्छे-अच्छे खाने के तुम्हें तो ऐसे खान की आदत नहीं होगी ना"
दुआ ने स्माइल करते हुए धीरे से कहा था कि तुम जैसा घटिया आदमी अपना घटिया पन ही दिखाएगा"
जिस पर वीर ने मुस्कुराते हुए हल्के से कहा घटिया और अपने हाथों को बड़े ही सेकसी वे में दुआ की लैप पर घूमना शुरू किया जिससे दुआ की एक चीख निकल गई ।
सब ने हैरान होते हुए बुआ को देखा और पूछा क्या हुआ बेटा अगर तुम्हारी तबीयत खराब है तो हम डॉक्टर को बुलाएं?"
दीवाने शर्मिंदा होते हुए कहा नहीं नहीं कुछ नहीं वह मिर्च मेरे मुंह में आ गई ना मुझे ज्यादा तीखा खाने की आदत नहीं है"
तभी आराम ने सर्वेंट के ऊपर चिल्लाते हुए कहा कि तुम सबसे पूछ कर खाना नहीं बना सकते क्या?
दोबारा ऐसी गलती तुम लोगों से नहीं होनी चाहिए"
कुछ देर बाद दुआ अपने कमरे में आकर बैठ गईथी। वही वीर भी उसके पीछे रूम में आ गया था । उसे देखते ही दुआ गुस्से में चीखी थी।"तुम घटिया इंसान तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मुझे छूने की?"
उसकी बात पर वीर बड़े आराम से दुआ से बोल"मेरे पास राइट है तुम्हें छूने का"
वैसे भी तुमने अपने आशु आराम के लिए मुझसे शादी की है तो क्या मैं थोड़े से मजे के लिए तुम्हें छू भी नहीं सकता?"
वीर की बात सुनते ही दुआ ने वीर की कॉलर को कश्यप अपने हाथों में पकड़ा और बोलिए यह सब ना तुम अपनी उन गर्लफ्रेंड के साथ करना मेरे साथ नहीं आइंदा से मुझे अपने ही घटिया और गंदे हाथों से छूने की कोशिश की तो मैं तुम्हारी जान लेलूंगी"
इतना सुनते ही वीर ने दुआ को पीछे दीवार से लगाकर खड़े होकर उसके करीब आते हुए कहा मेरा हक है तुम पर तुम्हारे इस जिस्म पर समझी तुम और हां हमने तो अभी अपनी फर्स्ट नाइट भी नहीं बनाई चलो अभी बनाते हैं"
इतना कहकर वीर उसके और करीब आ गया था और उसकी गर्दन पर अपनी गरम सांसें छोड़ते हुए उसकी कमर को टाइट पढ़ते हुए बोला"यू नो व्हाट तुम्हें छुने के बिन में अपने ......उसने अपने अंगूठे से दुआ के नर्म गुलाबी होठों को रब करना शुरू किया जिससे दुआ कि सिसकी निकल गई थी वह सच में वीर के छुअन से पिघल रही थी।
दुआ की सिसकी सुनते ही वीर हंसते हुए उससे दूर हुआ और बोला सी मिस दुआ मेरा मेरे हल्के से छूने से ही बर्फ की तरह पिघलने लगी मेरेएक इशारे पे तुम मेरे बिस्तर पे भी जाओगी "
दुआ ने अपनी नज़रे अपने नीचे कर ली थी क्योंकि उसकी चोरी पकड़ी गई थी वह भी नहीं जानती थी कि वह कल में क्या हो गई थी ।
सभी वीर हंसते हुए बोला यू नो व्हाट तुम तो इतनी लूज़ करेक्टर की हो ना जाने कितने मर्दों के बिस्तरपर........
अभी वीर की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि तभी......
वीर दुआ के करीब जाकर ऐसा कुछ बोला जिससे दुआ कि बर्दाश्त खत्म हो गई थी ।तभी अचानक से जोरदार थप्पड़ की आवाज आई और वीर का चेहरा एक तरफ हल्का सा झुक चुका था।
दुआ चिखती हुई कह रही थी।
"श्री वीर रघुवंशी तुम्हारा खुद का करैक्टर लूज है और तुम मुझ पर कीचड़ उछलना चले हो आइंदा से मेरे करीब आने के पहले और मुझे कुछ कहने से पहले अपने गिरेबान में झांक लेना समझे"
वीर का गुस्सा इस वक्त साथ में आसमान पर पहुंच चुका था ।उसने दुआ के बालों को अपनी मजबूत मुट्ठी में भर कर खींचा था और अपने होंठ दुआ की गर्दन पे रख कर उसकी स्किन को अपने दांतों से खींच था ।
इस टाइम वो दुआ के इतने करीब था कि दुआ अपनी स्किन पे पे कुछ हार्ड स फील कर रही थी ।दुआ चीखी थी वीर गेट लास्ट दफा हो जाओ यहां से "
वह उसकी बातों को इग्नोर करके वहां से जा चुका था वाशरूम । वही दुआ बिस्तर पे गिरने के अंदाज से बैठ कर अपना सर पकड़ लेती है "मैं क्यों इस आदमी की करीबी से पिघल रही आखिर मेरे साथ यह सब क्यों हो रहा था?"
वही वॉशरूम के अंदर जाकर वीर ने कोल्ड वॉटर शावर ऑन कर दिया था और उसके नीचे खड़े होकर खुद को कंट्रोल कर रहा था।
क्योंकि वह जो कुछ भी कहे कुछ भी सोच लेकिन सच तो यही था की दुआ की हल्की सी करीबी भी उसके अंदर की मर्दानगी को जाग चुकी थी जो कभी नहीं हुआ था यहां तक की उसकी गर्लफ्रेंड पालक के पास जाने पर भी नहीं हुआ था वह दुआ की हल्की सी करीबी से हो गया था।
वह कोड शब्द लेकर बाहर आया और बिजनेस सूट पहनकर तैयार होकर उसने एक नजर बालकनी में खड़ी दुआ पर डाली दुआ उसका सामना नहीं करना चाहती थी क्योंकि उसे शर्म आ रही थी।
वहीं वीर को भी उससे कोई मतलब नहीं था उसने एक डेविल स्माइल की और बाहर निकल गया।
"************
वीर इस वक्त अपने ऑफिस में बैठा हुआ सामने लगी पेंटिंग को अपनी नीली आंखों से दूर रहा था तभी पलक उससे आके बोली "वीर तुम्हारी शादी के बारे में मेरे डैड को पता चल गया है लेकिन वह तुमसे गुस्सा नहीं है लेकिन बस वह चाहते हैं कि तुम मुझसे शादी आई मीन तू समझ रहे हो ना कि वह क्या चाहते हैं"
वीरकहता है"उन्हें मुझसे अच्छा लड़का मिलेगा नहीं इसीलिए वह कुछ भी बर्दाश्त कर रहे हैं और तुम और तुम्हारा बाप क्या चाहता है इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता अगर तुम चाहती हो कि तुम्हारी हालत उस जबरदस्ती की बीवी के जैसी ना हो तो आइंदा से कभी मुझ पर अपने फैसले मत थोपना"
वीर की बातों से पलक खिसियानी हंसी हंसते हुए बोली"अच्छा छोड़ो इन बातों को आज हम बीच पर पार्टी करेंगे ना शाम में?"
डोंट केनो आप भी सकता हूं और नहीं भी क्योंकि हो सकता है घर वालों ने आज उसे जबरदस्ती की बीवी के साथ मेरा रिसेप्शन रखाहो"
तभी पलक ने हंसते हुए कहा था कोई बात नहीं मेरे लिए इतना ही काफी है कि दुनिया के सामने मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड हूं और तुम्हारे ऑफिस वाले मुझे किसी क्वीन की तरहट्रीट करते हैं"
**********
शाम का टाइम हो चला था सूरज डूबने को आ गया वहीं दुआ नहा कर जस्ट आई थी पीच कलर की साड़ी उसके ऊपर गजब ढह रही थी।
उसके लंबे भाई भीगे हुए बाल उसकी कमर पर बिखरे हुए थे वह सीधे बालकनी में आ गई थी सामने समंदर की लहरें देखकर उसे बड़ा सुकून आ रहा था और नीचे वाली गार्डन में पौधों को पानी दे रहा था।
उसने एक नजर कमरे को देखा जहां पर वीर की तरह-तरह की अवार्ड लेते हुए पिक लगी हुई थी।
और कुछ पिक्स ऐसी थी जिनम भी लड़कियों के साथ खड़ा था। लड़कियां साड़ी उससे चिपक कर खड़ी हुई थी यह देखकर दुआ ने कहा "घटिया इंसान यह कितना घटिया है यह तो इसकी शक्ल से पता चल रहा है"
तभी वह पीछे मुड़ी थी और अपने सामने वीर को देखकर घबरा गई थी।
वीर गुस्से में चिल्लाया तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे रूम की चीजों को हाथ लगाने की मेरी चीजों को कोई हाथ लगाए मैं बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करता।
दुआ के पास यह कहते हुए वह आ गया था।
तभी दुआ बोली "और तुम्हारी हिम्मत फिर से कैसे हुई मेरे पास आने की दूर रहो मुझसे"
वीर उससे थोड़ा दूर हुआ बोल और तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई अपने भीगे हुए बालों को लेकर मेरे रूम में घूमने की?"
यह मेरा भी कमरा है और मुझे मत सिखाओ कि मुझे ढीले बल लेकर घूमना है कि सूखे बल लेकर घूमना है समझे तुम"
वीर गुस्से से चिल्लाया कितनी बार तुमसे कहा है कि मुझसे बदतमीजी से बात मत किया करो"
तभी वह हंस के बोली की सुबह से तुम कह रहे थे कि तुम्हें मैं खुद अपने करीब लाती हूं और अब क्या हुआ तुम बार-बार मेरे करीब आने के बहाने ढूंढ रहे हो?"
वीर ने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा तुम जैसी सोकर लड़कियों के करीब जाने से तो अच्छा है कि मैं कुछ खुशी कर लूं कभी तुमने अपनी शक्ल आईने में अच्छी है बंदरिया लगती हो पूरी मेरे पीछे दुनिया की लड़कियां घूमती है समझी तुम"
वीर की बात पर वह हंसते हुएबोलिए"ओह रियली अगर ऐसा है तो कम से कम अपनी उन 100 कार्ड गर्लफ्रेंड्स में से एक को बस मेरी जगह लाकर दिखाइए तो जानू"
हां बस एक महीने रुक जाओ मैं लाकर दिखाऊंगा और तुम्हें घर से बाहर फेंक कर दिखाऊंगा"यह कहते हुए वीर ने एक बॉक्स उसके तरफ बढ़ाया था और बोला यह को फोन यह तुम्हारी आज की कमाई है रख लो हर दिन नए-नए गिफ्ट लो और खुश रहो बस एक महीने की बात है"
उसने जैसे ही मोबाइल फोन देखा फोन उसको ऑन किया और अपने घर का नंबर मिलकर बात करने लगी।
वही वीर स्कूल साइड एरिया में स्विमिंग करने चला गया था लेकिन कुछ देर में उसका मोबाइल रिंग करने लगा था उसने मोबाइल रिसीव किया और बातें करने लगा।
चुटकी से बात करने के बाद उसने सोचा कि वीर से बात की जाए छुटकी को यहां लाने के लिए वह पूल साइड एरिया में चली आई थी लेकिन उसे अंदाजा नहीं था और वह फूलों के पास जाते ही फिसली और डायरेक्ट पुल के अंदर गिर गई।
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कहीं दूसरी तरफ रुद्राक्ष के हाथ में कुछ देखकर कनक के चेहरे पर हल्का सा डर नजर आने लगा था।
लेकिन उसने खुद के दर को कंट्रोल करते हुए कहा देखो रुद्राक्ष यह क्या हरकत है तुम्हें देखकर ऐसा लग रहा है कि जैसे मेंटल एसाइलम आबी अभी भागे हो"
उसके दर को भागते हुए रुद्राक्ष ने कहा क्या हुआ? तुम तो किसी चीज से नहीं डरती फिर क्या हुआ अपनी मौत को अपने सामने देख कर डर लग रहा है"
यह बातें रुद्राक्ष ने कनक के करीब आकर कहीं थी। वही है उन दोनों में शराबी फैसला नहीं था हवा भी उन दोनों के बीच से गुजर नहीं सकती थी।
उसकी बात सुनकर कनक में हंसते हुए कहा ठीक है तुम मुझे मारना चाहते हो तो मारो मैं मौत से नहींडरती"
इस वक्त रुद्राक्ष की आंखों में सिर्फ उसके लिए गुस्सा ही गुस्सा था उसने एक नफरत कहीं निगाह से उसको ऊपर से नीचे की तरफ देखा और अपने हाथ में पड़ी हुई चीज उसके पीछे खड़ी हुई कर पर फेंकी जिसे कनक दर से अपने कानों पर हाथ रखकर नीचे बैठ चुकी थी।
आ
इससे पहले की धमाका होता रुद्राक्ष ने कनक है हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा था और झटके से कनक रुद्राक्ष के सीने से लगी कांप रही थी।
कनक की गाड़ी टुकड़े टुकड़े होकर बिखर गई थी ।
ओर कनक उसके सीने से चिपकी हुई थी उसे ऐसे देख कर रुद्राक्ष को हंसी अगई थी।
वह अच्छे से जानता था कि कनक अंबानी के लिए एक कार का टूटना कोई बड़ी बात नहीं थी।
पर उसने जो कुछ किया था उससे वह काफी डर गई थी।
वो उसके सीने से चिपकी थी उसके होंठ कांप रहे थे ।ओर इसी बात का फायदा उठा रहा था रुद्राक्ष रघुवंशी।वही जैसे ही कनक को अपनी नाजुक कमर पे किसी के हाथ महसूस हुए थे वो गुस्से से उसे दूर होते हुए बोली थी"तुम घटिया इंसान "
उसकी बात पे रुद्राक्ष ने कहा " क्या हुआ डर लग रहा है?
तुम्हारे जैसी घटिया लड़की को कोई फर्क नहीं पड़ रहा पर पड़ेगा बहुत जल्दी क्योंकि तुम्हे पता चलेगा कि तुमने रुद्राक्ष रघुवंशी से पंगा लिया है"
कनक की तरफ देखते हुए बोला "मैं तुम्हे बर्बाद करने ही वाला हूं तो अच्छा है कि तुम ऑटो में ट्रैवल करना सीख लो "
यह सुनते ही कनक उसके बहुत करीब आई थी ।
ओर गुस्से में बोली"मुझेबर्बाद करोगे तो बच तो तुम भी नहीं पाओगे "
रुद्राक्ष के लिए कनक का उसके इतने पास आना उसकी धड़कनें बढ़ने का काम कर रहा था ।
वह दोनों इतने करीब थे की कनकसे आई हुई खुशबू रुद्राक्ष को दीवाना बना रही थीं। वह इस लड़की को इतने करीब से देख रहा था। जिसकी खूबसूरती में वह पहले ही दिन अपना दिल हार बैठा था। पर वह आपने नफरत के आगे मजबूर था।
इससे पहले की रुद्राक्ष कुछ समझ पाता है तभी कनक में हंसते हुए उसके पीछे खड़ी कर का दौर खोला और 30 को घुमाते हुए स्टार्ट कर बोलिए ऐसा है कि मैं किसी से नहीं डरती ठीक है और मैं तुम्हारी कर ले जा रही हूं तुम अपने लिए कोई रिक्शा ढूंढ लेना"
वह जा चुकी थी और रुद्राक्ष उसके पीछे खड़ा हुआ गुस्से में किसी को कॉल कर रहा था।
क्या होगा इस सफर का अंजाम जानने के लिए बने रहे मेरे साथ
आज सुबह-सुबह ही कनक अपने ऑफिस आ गई थी क्योंकि उसे आज अबेरिस ग्रुप के साथ आज एक इंपॉर्टेंट मीटिंग और डील फिक्स करनी थी।
आज वह लेट नहीं होना चाहती थी इसीलिए वह टाइम पर आ चुकी थी जैसे ही वापस में इंटर हुई वैसे ही वहां सारे एम्पलाइज ने खड़े होकर उसकी ग्रीट किया उसने अपनी गर्दन घुमा कर सबको इशारा किया और अपने केबिन में जाकर हिना को आवाज दी "मीटिंग कितने बजे की है?"
हिना ने जवाब दिया" मैं मैं 10:00 बजे फिक्सकी है"
उसे पर कनक ने अपने कोड इंप्रेशन से कहा"10:00 बजने में 10 मिनट बाकी है अगर वह टाइम पर नहीं आते तो मीटिंग कैंसिल कर देना"
हिना उसकी बात का मतलब समझते हुए बोली मैं माफ फिक्र मत कीजिए मैं सब ठीक कर दूंगी और यह कह कर वह बाहर चली जाती है इस देर में वापस आती है और कहती है ओब्रायस आ चुके है"
कनक ने उसकी बात सुनकर अपने सर को हिलाया और मीटिंग रूम की तरफ चली गई वहां पर सब ने उसे ग्रीट किया।
कनक ने तुरंत कहा गुड मॉर्निंग मिस्टर ओबरॉय खुशी हुई आपसे मिलकर अच्छा लगा कि आप हमारे साथ काम करेंगे"
उसकी बात पर मिस्टर रोक रहा है उसे ऊपर से नीचे तक देखते हुए बोला "एक दो बार हमारी कंपनी ने आपकी कंपनी को टक्कर क्या दी दी मिस अंबानी आप तो हमें अपना दुश्मन ही समझ बैठी हम आपके दुश्मन नहीं आपके दोस्त हैं"
उसकी बात पर कनक में हंसते हुए कहा"अब आप बच्चे नहीं रहे हैं मिस्टर ओबरॉय आप बड़े हो चुके हैं उम्मीद करती हूं आपको दिल करने के लिए यह सब खेल नहीं खेलने पड़ेंगे अब आप बड़े होकर की सारे फैसले लेंगे"
अभी मिस्टर ओबेरॉय हंसते हुए बोले "कि आप काफी पास फॉरवर्ड है न अंबानी खैर आप कहना क्या चाहतीहै हम आपसी दुश्मनी के चक्कर में यहां आप आएहैं?"
कनक ने कहा आप जिस काम के लिए आए हैं बहुत जल्दी से करिए फालतू की बातों के लिए मेरे पास टाइम नहीं है मिस्टर ओबेरॉय"
कनक का कोल्ड एक्सप्रेशन देखकर श्री ओबरॉय जल्दी से बोले"वेल हम चाहते हैं कि आप हमारी फैशन मैगजीन के साथ काम करें और उससे जो प्रॉफिट होगा वह हम आपको 25% दे देंगे"
कनक तुरंतबोली"25 नहीं मुझे 50% चाहिए"
श्री ओबेरॉय की हंसी गायब हो गई थी। वह तुरंतबोला"आपकी कंपनी नंबर वन पर है इसलिए मैं एक काम करना चाहता था लेकिन आपको लगता है मजाक सुन रहाहै"
उसे पर कनक तुरंत बोली"श्री ओबेरॉय आप मेरी कंपनी का ब्रांड और नाम उसे करके अपनी मैगजीन को नंबर वन पर लाना चाहते हैं तो क्या मैं इतना भी नहीं आपसे प्रॉफिट ले सकती अगर आपको दिल मंजूर होकर थी वरना आपके लिए बाहर का गेट खुला है"
श्री ओबराय ने कहा मुझे यह दिल मजबूर है लेकिन इसमें मेरे और भी पार्टनर्स है मैं उन्हें भी बुलाना चाहता हूं उनसे भी आपको मिलना चाहिए"
उसकी बात सुनकर कनक ने तुरंत कहा "जिसको बुलाना हो बुला लो मैं मिलने के लिए तैयार हूं लेकिन मैं अपनी डील चेंज नहींकरूंगी"
उसकी बात सुनकर मिस्टर ओबराय ने किसी को कॉल की थी और तकरीबन 5 मिनट के बाद ही एक लंबी चौड़ी पर्सनालिटी का हैंडसम और होता आदमी मीटिंग रूम में अंतर होता है।
जैसी कनक के सामने देखा उसके कर मदन में आग लग चुकी थी क्योंकि वह जिस आदमी से सबसे ज्यादा नफरत करती थी उसे अपने सामने देख रही थी फिलहाल वह कुछ बोलने की सच में नहीं थी।
सामने से रुद्राक्ष रघुवंशी अपने फोल्डर और पर्सनालिटी को लेते हुए आ चुका था।
वही रुद्राक्ष उसके पास आकर चेयर पर बैठते हुए कहा कि काफी जल्दी मुलाकात हो गई आपसे मिस अंबानी अच्छा लगा आपसे मिलकर"
उसकी बात सुनकर कनक ने हंसते हुए कहा "अच्छा तो लगा ही था मिस्टर रघुवंशी आखिरकार आप इतनी बड़ी कंपनी में जो खड़ेहैं"
कनक की बात में कुछ ऐसा था की रुद्राक्ष अपने गुस्से को कंट्रोल करते हुए बोला कि" आखिरकार अब हम बिजनेस पार्टनर है वह भी मिस्टर होता है की बदौलत तो अब तो मिलना लगा ही रहेगा"
दोनों की रजामंदी सुनने के बाद मिस्टर ओबरॉय बोला मैं अपनी कंपनी में आप दोनों की कीमत तैयारकरवा देता हूं"
जिसे सुनकर कनक तुरंत बोली कि मैं अपनी कंपनी पूरी तरह से नहीं छोड़ सकती मैं कभी-कभी आ जाया करूंगी"
इतना कहकर उसने हिना को देखा था और हिना ने उसका इशारा पाते ही कहना शुरू किया"श्री ऑब्रॉयस जब तक मैं आपकी कंपनी में रहेंगे आपको उनका पूरा ख्याल रखना होगा आपकी तरफ से कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए"
मिस्टर ओबरॉय तुरंत बोल मैं हर बात के लिए एग्री करताहूं"
श्री ओबरॉय और हिना दोनों ही जा चुके थे अब मीटिंग रूम में सिर्फ कनक और रुद्राक्ष बचे थे।
कनक ने तुरंत कहा अब क्या आपको धक्के देकर यहां से बाहर निकलना होगा मिस्टर रघुवंशी?"
उसकी बात का रुद्राक्ष ने अपनी कॉल वॉइस में कहा क्यों मेरा यहां होना तुम तुम्हें डरा रहा है क्या या तुम मेरी करीबी से डर रही हो?"
यह एक कमरे में हम दोनों का अकेले होना तुम्हें डरा रहाहै?"
रुद्राक्ष की बात पर कनक ने अपने दिल में अजीब सा कुछ महसूस किया था इस बीच रुद्राक्ष उसके कभी काफी करीब आ चुका था।
उसकी हरकत पर कनक धीरे से बोली तुम्हें कुछ ज्यादा ही शौक नहींहै चिपकने का?"
मुझसे दूर रहकर बात करो मिस्टर रघुवंशी"
कनक की बात पर रुद्राक्ष की नजर उसके होंठोपर ठहरी थी।
उसके इस कदर पास आने से कनक गुस्से में उसे देखते हुए बोलि" कि मेरी कंपनी में खड़े होकर मुझसे ही बकवास करने की जरूरत नहीं है दफा हो जाओ यहां से"
इतना कहके कनक आगे बढ़ चुकी थी लेकिन वही रुद्राक्ष ने उसे अपने पास खींचकर उसके करीब जाते हुए अपने होठ से उसके कान को टच करते हुएकहा"मैं सच में तुम्हारे इस घमंड को तोड़ना चाहता हूं मिस अंबानी तुम्हारा यह मुस्कुराता हुआ चेहरा मुझे बिल्कुलपसंद नहीं"
तुमने मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी डील मुझे छीनी है और अब मैं तुमसे जो छीनुंगा तू उसके लिए तैयार रहना"
इतना कहकर वह उसे पीछे की तरफ करते हुए बाहर चला गया था।
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इधर दुआ जैसी पानी में गिरी वह छटपटाना लगी क्योंकि उसे तैरना नहीं आता था और उसे गहरे पानी से डर लगता था।
वही वीर अपनी कॉल में बिजी था शायद कोई इंपॉर्टेंट कॉल की लेकिन जैसी उसको पानी में किसी के गिरने के एहसास हुआ इसलिए पलट कर देखा।
चारों तरफ कोई नहीं दिखा लेकिन जैसी उसकी नजर पानी में गई तो बुआ के बालों को देखकर वह तुरंत समझ गया था कि दूंआ को तैरना नहीं आता वह गिर गईथी।
वह बिना एक सेकंड गंवाए पानी में कूद गया था और कुछ ही सेकंड में दुआ को अपनी गोद में उठकर पूल के किनारे लिटा चुका था।
दुआ बिल्कुल बेहोश की उसकी पीच कलर की साड़ी उसके बदन से चिपक चुकी थी जो उसके फिगर को शो कर रही थी उसके भीगे हुए बाल उसके चेहरे से चिपके हुए थे।
वह बेहोशी की हालत में भी गहरी गहरी सांस ले रही थी इधर वीर ने उसके गालों को थपथपाते हुए कहा वोकअप दुआ नाटक मत करो मुझे पता है तुम नाटक कर रही हो
मुझे फिर मेरे घर वालों के सामने नीचा दिखाना चाहती हो"
वीर काफी टाइम से कोशिश कर रहा था जब दुआ नहीं होश में तो वो समझ चुका था कि वह बेहोश हो चुकी है।
अगली पर उसने अपने दोनों हाथों से दुआ कर थोड़ा ऊपर उठाया और अपने रफ होंठ दुआ के गुलाब के पंखुड़ी जैसे होंठो पे रख दिए थे ।
अचानक ही जैसे रुद्राक्ष की सारी दुनिया जाम सी गई थी यह जाने कौन सा एहसास था जो उसे पहली बार हो रहा था ऐसा लगता था कि उसने दुनिया की सबसे मुलायम चीज को छूआ है।
वीर की सारी दुनिया जैसे तुमसे गई थी। उसने तो बस दुआ की मदद के लिए ही उसे किस किया था पर पर अब उसके जादू के आसार में पागल हो रहा था।
उसकी किस ओर भी इटेंस हो गई थी।जैसे जैसे उसकी किस की शिद्दत बढ़ रही थी दुआ धीरे-धीरे होश में आ रही थी और होश में आते ही जैसे उसने अपने होठों पर किसी के होंठ महसूस किए तुरंत धक्का दिया था उसके धक्के का वीर को कोई असर नहीं हुआ था वो उसे ओर भी डिप्ली किस कर रहा था ।
वही दुआ ने जब यह देख तो वीर को दूर करके एक जोर का थप्पड़ उसके गालों पे दे दिया ।
वीर हैरानी ओर नफरत से दुआ को देख रहा था।ओर दुआ ने चीखते हुए कहा था "तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मेरी छूने की तुमने अपने गंदे हाथों से अपने गंदे होंठो से मुझे कैसे छुआ?"
और सुबह तो तुम बड़ी बकवास कर रहे थे अब क्या हुआ तुम्हारा खुद पर कंट्रोल नहीं रहा?"उसकी बातों से वीर जो
अब तक बर्दाश्त कर रहा था। उसका कंट्रोल आप ऊपर से हट गया था।
उसने तुरंत उसके बालों को अपनी मुट्ठी में काश और अपने करीब करते हुए बोला
"तुम हो क्या एक मामूली सी लड़की तुम्हारी हैसियत भी नहीं है मेरे बगल में खड़े होने की और तुमने मुझे थप्पड़ मारा यहां तुम्हारी लाश पड़ी होती अगर वक्त पर मैं तुम्हें नहीं बचाता "
और तुम जैसी गरीब लड़कियों की तो घटियापन की आदत होती है उनकी औकात नहीं होती मैं तुम्हारे करीब आना तो दूर की बात है तुम्हारी शक्ल भी नहीं देखना चाहता समझी दुआ मेहरा जबरदस्ती की वाइफ"
वीर ने गुस्से में उसको कहा था वह दोनों इतने करीब से की दुआ के गले बाल वीर के चेहरे पर थे और उसका भीगा हुआ जिस्म वीर के बॉडी से टच हो रहा था ।
दुआ के जिस्म का हर हिस्सा वीर से चिपका हुआ था ।
इस वक्त वीर गुस्से से भरा हुआ था उसके चेहरे पर सिर्फ नफरत दिख रही थी। वीर उसके कानों के करीब जाकर बोला
"दुआ मेहरा तुमने शैतान को जगाया है सोए हुए शेर को जगा कर तुमने अच्छा नहीं किया है क्योंकि यह थप्पड़ तुमने मुझे नहीं अपने आप को मारा है पहले तो मैंने सोचा था कि तुम्हें डाइवोर्स देकर यहां से दफा कर दूंगा लेकिन आप तुम्हारा एक-एक दिन नरक ना बना दिया तो मेरा नाम भी वीर रघुवंशी नहीं "
इतना कहकरभी वीर उसे धक्का दिया और बहुत बाहर चला गया गुस्से में। दुआ वही धक्का पाकर दीवार से जा लगी थी। अब उसे सच में गिल्टी फील हो रहा था क्योंकि उसने सच में ओवर रिएक्ट कर दिया था।
बुआ ने अपने आंसू पूछे और कबाड़ से दूसरी साड़ी निकाल कर वॉशरूम में चली गई थी जब वह वॉशरूम से आई तो वीर जा चुका था वह मुझे मां से नीचे डाइनिंग हॉल की तरफ आ गई थी जहां पर पूरी फैमिली बैठी हुई थी वह धीरे-धीरे चलती हुई वीर के बगल वाली चेयर पर बैठ गई।
वीर ने उसको महसूस करके अपनी चेयर थोड़ा पीछे कर दी थी।
वही उसको चुप देखकर तृषा बोलिए बेटा दुआ आपको क्या पसंद है खाने में आप तो कुछ बोलते ही नहीं ना हमें कुछ बताती है हमें कैसे पता चलेगा आपकी नापसंद और पसंद"
सभी मुद्दा बोलती है"मॉम यह बहुत ही रिजर्व रहती है मैं तो सोच रही हूं कि इसको शाम में शॉपिंग के लिए लेकर चली जाऊं"
तृषा कहती है"कोई जरूरत नहीं है तुम्हें उसको ले जाने की वीर किस लिए है आखिर अब दुआ वीर की जिम्मेदारी है वीर को ही उसकी हर चीज पूरी करनी होगी"
त्रिशा की बात पर आरंभ भी बोला कि हां और क्या दुआ को बाहर ले जाओ मुंबई दिखाओ घुमाओ फिर आओ समंदर के पास ले जाओ कल पक्का तुम लोग बाहर जा रहे हो"
आरंभ की बात पर वीर उगते हुए बोला"दादू कल मुझे बहुत जरूरी काम है कल मैं नहीं जा सकूंगा"
वीर की बात सुनकर आरंभ में थोड़े गुस्से से कहा" मैंने कह दिया ना कि तुमसे लेकर जा रहे हो तो जा रहे हो अब यह बात तुम मानो चाहे ना मानो फिर आगेसमझे...."
आरंभ की बात सुनते ही वीर ने गुस्से से कहा" यह बात आपने कहा शादी के टाइम कही होती तो आगे नौबत ही नहीं आती और मैं अपने काम को इस लड़की के लिए नहीं छोडूंगा आप जो चाहे समझ ले"
इतना कहकर वीर बिना नाश्ता किए चला गया था वही दुआ को अफसोस हो रहा था जब सब चले गए तो उसने इशा से कहा कि" दादी आपको क्या जरूरत थी शॉपिंग की बात करने के लिए मुझे कोई शॉपिंग नहीं करनी है "उसने धीरे से अपने आंसू पहुंचे और अपने कमरे की तरफ चलीगई।
वह डिनर करके अपने रूम में आ गई थी लेकिन अब उसे अफसोस हो रहा था की वीर बिना कुछ खाए चला गया था सच में उसने और रिएक्ट कर दिया था अब वह क्या करें बस चुपचाप से बेड पर लेट गई थी लेकिन नींद उसकी आंखों से कोसो दूर थी।
उसने अपना मोबाइल उठाया और मोबाइल में देखने लगी।
*****
दूसरी तरफ बीच पर पार्टी हो रही थी जहां पर भी बैठा रिंग कर रहा था और पलक उसके पास बैठी इंजॉय कर रही थी और बाकी सारे लड़का लड़की वहां एक दूसरे की बाहों में लिपटे हुए थे।
हर तरफ गाने का शोर था लड़का लड़की बोतल लेकर एक दूसरे की बाहों में डांस कर रहेथे।
वीर जो आराम से पत्थर के पास सोते हुए बैठा दिन कर रहा था पलक उसके पास बैठी तब से उसे चुप देख रही थी वह बोली"कब से देख रही हूं वीर तुम चुपचाप बैठे हो, चलो ना डांस करते हैं इंजॉय करते हैं, क्या हुआ है आखिर मुझे बताओ क्या उसे गवार लड़की ने तुमको कुछ बोला है क्या?"
वीर ने उसकी उंगली अपने गालों पर से हटाते हुए गुस्से मेंकहा"शांत रहो तुम्हारे हम भैया दोस्तों ने पहले ही इतना शोर करके मेरा दिमाग खराब कर दियाहै पहले यह सब नाटक बंद करो"
कहीं ऐसा ना हो मैं तुम्हारे दोस्तों को हमेशा के लिए शांत कर दूं"
उसकी बात पर पलक चलते हुए बोली"तुम्हारी गवार बीवी के साथ तो तुम ऐसे नहीं करते और मेरे दोस्तों के साथ ऐसा करने की सोच रहे हो और एक तो तुम्हारी वह सीक्रेट दी तुम उसके बारे में मुझे कुछ बताते भी नहीं जब देखो काम कामकाम"
मैं तो तुम्हें यहां प्रेस फुल करने लाई थी लेकिन तुम हो कि मुझ पर ध्यान नहीं देते पलक कब से चिल्ला रही थी लेकिन वीर पर उसकी बातों का कोई असर नहीं हो रहा था।
वीर के मन में बस दुआ के थप्पड़ की गन चल रही थी और उसके दिल में उसके लिए नफरत बढ़ती जा रही थी।
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पलक वीर पर चिल्ला रही थी। लेकिन वीर पर उसकी बातों का असर नहीं हो रहा था वह ड्रिंक पर ड्रीक किया जा रहा था। उसने एक बोतल उठाई और समंदर के किनारे पहुंच गया और बोतल को नीचे पटकते हुए बोला आखिर "उसकी हिम्मत कैसे हुई मुझे थप्पड़ मारने की वह घटिया लड़की मेरी जबरदस्ती की वाइफ इतनी हिम्मत मैं उसको सबक सिखा कर रहूंगा"
पलक बार-बार उसको संभालने की कोशिश कर रही थी तब उसकी तरफ देख रहे थे पलक में सबको जाने का इशारा किया और उसने जो प्लान किया था होटल रूम में बुक करके वह उसमें कामयाब होने वाली थी उसने वीर को पकड़ा और अपने साथ लेकर जाने लगी आज हम दोनों एक हो जाएंगे और तुम अपना गुस्सा बेड पर निकल सकतेहो"
वही वीर ने उसको झटकते हुए गुस्से में कहा था।"मुझे कहीं नहीं जाना तुम्हारे साथ तुम यहां से जा सकती हो कभी चार्ल्स जो उसका पीछा कर रहा था हर जगह उसके साथ रहता था वह पीछे सेआता है"बस आपने बहुत दिन करनी है आपके घर चलना चाहिए चलिए मैं आपके घर छोड़ देता हूं"
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वही रात के लगभग डेढ़ 2:00 बजे दुआ की याद खुली बाहर काफी तूफानी बारिश हो रही थी जिससे वह काफी डर गई थी उसके फ्लोर पर और किसी का कमरा भी नहीं था इसको पर उसको बहुत ज्यादा डर लग रहा था।
गलती हुई बादलों की बिजलियों से वह घबरागई थी। सभी रूम का डोर खुलता है और वीर नशे की हालत में आगे आता है जोर से बिजली चमकती है और बस तस्वीर के बदन से चिपक जाती है।
वीर दुआ के डर को महसूस कर सकता था। तभी अचानक से लाइट आ गई और दुआ ने जब देखा कि वह वीर के गले लगे हुई है तो एकदम से पीछे होते हुएबोली"तुम खड़ूस रघुवंशी अब आ रहे हो?"
कभी वीर ने उसे बेड पर धक्का दे दिया था और वह बेड पर गिर गई थी।
दुआ ने सर उठाकर वीर को देखा तो उसकी खतरनाक स्पाइन को देखते हुए वह हल्का सा डरते हुएबोली"तुम इस तरह मुझको क्यों देख रहे हो क्योंकि मैं थोड़ी सी डर गई थी इसलिए तुम्हारे गले से लग गई थी"
वह हालाते हुए वीर से कह रही थी तभी वीर ने दरवाजा लॉक कर दिया। जिसे देखकर दुआ डर से कांपने लगी।
उसने अपनी कैफ की आवाज में कहा देखो दरवाजा बंद करो वीर मुझे अभी भी डर लग रहा है देखो मैंने तो तुमसे माफी भी मांग ली है फिर तुम इस तरह क्यों कर रहे हो?"
बस मैं डर गई थी बस मैं डर गई थी "दुआ अपना पसीना साफ करते हुएबोली।
वीर अपनी शर्ट के बटन खोलते हुए उसे बड़े ही अजीब नगरों से देख रहा था। यह देखकर दुआ और भी डर गई थी और वह घबराते हुए बोली"देखो मुझे तुम्हारे इरादे ठीक नहीं लग रहे प्लीज तुम यहां से बाहर जाओ देखो तुम ठीक नहीं कर रहे हो तुम होश में नहीं हो क्या?"
मैं तो तुम्हारे लायक नहीं ना ना मेरी हैसियत से तुम्हारे बराबर खड़े होने की फिर यह तुम क्या कर रहेहो?"
वह घबराहट में बड़बड़े जा रही थी और वीर उसकी तरफ बढ़ता ही जा रहा था।
और अगले ही पल वीर दुआ के बहुत करीब आ गया था। जिसे दुआ की चीख निकल गईथी।
वीर दुआ के होठों के तरफ देखते हुए अपनी उंगलियों से उसके होठों को सहलाते हुए कहने लगा"मैं तुम्हारे इन होठों को किस किया तुमने मुझे थप्पड़ मार दिया, तो चलो अब मैं तुम्हें अच्छे से किस करता हूं फिर तुम मुझे एक थप्पड़ मार देना"
या फिर एक काम करते हैं इस डेट पर मैं तुम्हारे साथ वह सब करता हूं जिससे तुम्हारी चीखें रात भर इस कमरे में गूंजेगी, फिर सुबह तुम मुझे चाहे जितना मार लेना"
वीर की बातों को सुनकर दुआ एकदम से डर से बोली देखो तुम ऐसा मत करो प्लीज उसने कोई हिम्मत से वीर को धक्का देते हुए खुद भागती हुई बालकनी में आ गई थी लेकिन वीर अभी उसके पीछे धीरे-धीरे कदम बढ़ा रहा था और दुआ अपना सर न में हिलती हुई पीछे जारही थी।
कभी वीर ने झटके से बात करने का दरवाजा बंद कर दिया और उसे लॉक कर दिया और चुपचाप से आराम से खतरनाक स्माइल की तरफ देकर आकर अपने बेड पर सो गया।
वही दुआ ने जब यह देखा तो वह रोने लगी और कहने लगी " वीर बहुत तेज बारिश हो रही है , मैं भीग़ कर बीमार पड़ जाऊंगी प्लीज दरवाजा खोल दो"
वीर पर उसकी बातें कोई असर नहीं हो रहा था। दुआ नहीं जब देखा कि वीर दरवाजा नहीं खोल रहा तो उसने अपनी साड़ी से खुद को लपेटा और वहीं कोने में बैठ गई और बारिश भी तेज हो चुकी थी।
*********""
वहीं दूसरी तरफ कनक आज ओबराय ऑफिस जाने वालीथी।
अब रोज से सबसे पहले ओबरी ऑफिस ही जाना था क्योंकि वह जानती थी कि इस प्रोजेक्ट में उसका भी फायदा था और वह चाहती थी की मेहनत से इस प्रोजेक्ट को सक्सेसफुल बना दे।
करीब 1 घंटे बाद ओबेरॉय ऑफिस पहुंच चुकी थी यहां पर पहले ही बोर्ड लगा दिया गया था कि बाहर के लोग वहां अलाउड नहीं थे सिर्फ वह इंटर हो सकती थी या फिर ओबेरॉय केपार्टनर्स ऑब्रॉयस के पार्टनर्स।
कनक को देखकर मिस्टर ओबरॉय और हिना दोनों ही उसके पास आ गए थे कि ना यहां पहले ही सुबह-सुबह आ गई थी उन दोनों कर देख कर कनकबोली"आज ऑडिशन है तो आप लोगों ने मुझे क्यों यहां बुलाया है मॉडल आपको सेलेक्ट कर लेते"
अभी मिस्टर ओबरॉय बोला कि हमें लगता है हमें कोई हॉलीवुड की मॉडल सेलेक्ट कर लेनी चाहिए ताकि हमारे मैगजीन की ज्यादा प्रॉफिट हो"
उसकी बात पर सुनके कनक बोली" श्री ओबरॉय लगता है, आपको सब कुछ प्लेट में सजा के मिल गया है इसीलिए आप अपना दिमाग लगाना नहीं चाहते आपको क्या लगता है कि इंडियन बाहर की मॉडल को ही पसंद करेंगे नहीं बिल्कुल नहीं हमें इंडियन कल्चर को ही अपनी मैगजीन के फ्रंट पेज पर लाना होगा"
और बाहर से मॉडल हायर करने का मतलब है की डबल पैसे लगाना इससे अच्छा कि हम कम पैसों में ज्यादा प्रॉफिट गेन कर सकते हैं"
कनक की बात पर मिस्टर ओबरॉय बोले"ओके मैंम जैसा आप कहे"
कभी विश्व ओबेरॉय के पीछे खड़ा हुआ रुद्राक्ष बोला"मिस्टर ओबरॉय आप तो अभी से बिक गए"
रुद्राक्ष की बात पर कनक उसकी तरफ मोड़ते हुएबोली"जिनको सब प्लेट में सजा सजाए मिलता है ना वही ऐसे घटिया इडियास देते हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत के दम पर यह सब बनाया हो वही समझ सकते हैं प्रॉफिट और गेन क्या है"
कनक बात पर रुद्राक्ष ने उसके हाथों को जोर से दबाते ही होता है खेरात में?"
श्री बेला पीछे हो गए थे वही हिना भी डर से कांपनेलगी थी। लेकिन कनक रुद्राक्ष की आंखों में आंखें डालकर उसे घूरने लगी थी।
उसके घूरने को देखते हुए रुद्राक्ष ने गुस्से मेरी आवाज से कहा"आज तो तुमने मेरे लिए यह लव इस्तेमाल किए हैं आइंदा से अगर तुमने ऐसे शब्द मेरे लिए इस्तेमाल किया ना तो...."
फिर बाद में गुस्से को कंट्रोल करते हुए बोला"वेल मिस कनक रही बात खैरात की तो तुमसे तो बहुत बेहतर है ना?"
मुझे अगर अपने बाप से मिला है तो हर किसी को अपने बाप से ही मिलता है, और तुम्हें तो कमाना ही था मेहनत करके क्योंकि तुम एक नाजायज औलाद हो और ऐसी नाजायजऔलाद को कौन हिस्सा देता है"
तो ट्रस्ट इस बात पर कानस में अपनी आंखों को कस कर बंद कर दिया था और वही रुद्राक्ष के हाथों पर उसके नाखून कस गए थे।
अभी तक कुछ कहती है कि तभी उसके फोन पर शिवाय का फोन आने लगा था। उसने खुदके गुस्से को कंट्रोल किया और कॉल रिसीव करके एक साइड चलीगई।
लेकिन रुद्राक्ष की आंखें जलने लगी थी न जाने क्यों कनक के फोन पर किसी आदमी के नाम को देखकर इसे बहुत तेज गुस्सा आया और अगले भी पल उसने कनक का हाथ पकड़ कर घसीटा था। वही मिस्टर ओबेरॉय और और हिना आगे आए थे लेकिन रुद्राक्ष का गुस्सा देखकर
वह किनारे हो गए थे। रुद्राक्ष कनक का हाथ खींचते हुए एक अंधेरे रूम मेंले गया।
कनक अपनी हर मुमकिन कोशिश कर रही थी रुद्राक्ष से उसको छुड़ाने की लेकिन उसकी हर कोशिश बेकार थी।
वह गुस्से में बोली यह क्या बदतमीजी है छोड़ो मेरा हाथ लगता है तुम्हें शौक है बेइज्जती करने की घटिया इंसान"
तनक की बात सुनते ही रुद्राक्ष में उसके मुंह को कसकर दबाते हुए बोला"कनक अंबानी मेरे सब्र का इतना इम्तिहान मत लो कहीं ऐसा ना हो कि मेरी नफरत की आग इतनी बढ़ जाए कि तुम ही साथ में जलकर राख हो जाओ "
तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मेरे डैड के बारे में ऐसी बातें करने की?"
क्या कहा था तुमने कि मेरे डैड ने अपनी बीवी को छोड़कर मेरी मॉम से शादी की और बच्चे पैदा किया वह एक कॉल बॉय हैं?"
मैं तुम्हें दिखाऊंगा की कॉल बाय क्यों क्या होता है?"
तुम्हारा यह घमंड मेरे बिस्तर पर इस तरह टूटेगा कि तुम कई दिनों तक अपने पैरों पर चल भी नहीं पाओगी बिस्तर से उथने लायक भी नहीं बचोगी"
रुद्राक्ष के एक लफ्ज़ को सुनकर कनक का चेहरा दर से सफेद हो गया था। वह उसकी करीबी से बहुत ज्यादा डर रही थी लेकिन फिलहाल रुद्राक्ष को कोई होश नहीं था वह किस पोजीशन में खड़ा है।