yeh kahani hai do ese dilo ki jo ek baar jurre toh ese jurre ke dobara juda hone se bhi darta ho. ek tarf he Reet Grewal jo ki Punjab ke ik chotte se shehar se hai aur apni zindagi main ho rhi moosibton se hamesha dari sehmi rehti hai jese bhagwan ne... yeh kahani hai do ese dilo ki jo ek baar jurre toh ese jurre ke dobara juda hone se bhi darta ho. ek tarf he Reet Grewal jo ki Punjab ke ik chotte se shehar se hai aur apni zindagi main ho rhi moosibton se hamesha dari sehmi rehti hai jese bhagwan ne usse uski khushiya hi sheen li ho. dusri tarf hai Arjun Singhanya jo ke business world ka king hai aur puri Mumbai pe raaj karta hai aur usse sirf apne buisness aur kaam ke ilawa sirf apne bhaiyo se pyar hai aur kisi se nhi. ladkiyon se toh vo koso door rehta hai aur pyar mohabbat uske liye kuch nhi hai vo in batton pe yakeen hi nhi karta or hamesha ignore karta hai in chejo ko.Toh kya hoga jab yeh do dil milenge apas mein janne ke liye padhiye meri novel " Tera Har Dar Mera Hai".
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अमृतसर पंजाब
सुबह का समय
चांद खुद को छुपा के जा चुक्का था और सूरज अपनी गर्मी के लिए हमेशा की तरह था।
एक लड़की अपने तकिए को गले लगाए सो रही थी।उसके चेहरे पे मुस्कान थी चुभी चिक्स, गोरा रंग, इक दम क्यूट सी उसने बेबी पिंक कलर की पांडा वाली टी शर्ट पहनी थी साथ में मैचिंग लोवर पहना हुआ था।
तभी कमरे का दरवाजा खुलता है और इक लड़की अंदर आती है।
देखने में ऐसा कोई परी आसमान से उतर आई हो काला कमर तक लहराते बाल काजल से सानी हेज़ल भूरी आंखें उम्र लगभग 24 वर्ष ऊंचाई 5 फुट 3 इंच , गोरा रंग, माथे पर छोटी सी काली बिंदी, काले कुर्ते के साथ सफेद प्लाजो पेहना हुआ था।
वो अंदर आते हुए बिस्तर पर सोई लड़की को आवाज लागाती हुई खिड़की से पर्दा इक तरफ करती है।
"मुस्कान...मुस्कान उठ जा यार देख सुबह 8:00 बज गए हैं हम देर हो जाएंगे इंटरव्यू के लिए। देख मैं तैयार भी हो गई हूं और तू अभी तक अपने इस तकिये को गले लगाए ऐसे सो रही है जैसे यह तकिया न हो तेरा बॉयफ्रेंड हो।
वो बिस्तर पर सोई लड़की तकिये को और ज़ोर से गले लगाते हुए कहती है "सोने दे न रीत बस 5 मिनिट में उठ रही हूं। तू जा तब तक गुरुद्वारे हो आ और आते टाइम मेरे लिए प्रसाद लेती आना।
( यह थी हमारी कहानी की मुख्य नायिका रीत ग्रेवाल। रीत इक सुलझी हुई समझदार लड़की है जो हमेशा अपने पास्ट को लेके परेशान रहती है किस्मत के इक खेल ने उस से उसकी सारी खुशियां शीन ली थी रीत पहले की तरह अब कभी खुश नहीं होती थी सिर्फ उसके चेहरे पे ऊपरी हसी ही दिखाई देती थी इक हादसे से पहले रीत की जिंदगी बहुत खुशनुमा थी चेहरे पे अलग ही रौनक रहती थी।)
रीत उससे नकली गुस्सा दिखाते हुए और टेबल पे पढ़ा पानी का ग्लास उठाते हुए कहती है "अगर तू 5 गिनते नहीं उठी तो मैं यह पानी का ग्लास तेरे मुंह पे फेक दूंगी 1, 2,...3..
उसकी बात सुनके मुस्कान करवट लेके कहती है " भूल जा बहुत बार सुन चुकी हूं तेरी धमकी और यह भी पता है कि तेरी धक्लमकी कभी सच नहीं होतीइई....... अहहहाह.....।
रीत ने उसकी बात सुनके वो पानी का भरा ग्लास उसके ऊपर फेक दिया था जिस से मुस्कान के बालों से लेके कपड़े तक गिले हो गए थे। जिसे देख के मुस्कान हंसने लगती है।
मुस्कान गुस्से से उठ के बेड पे बैठते हुए कहती है " यह क्या किया तूने रीत मैं तुझे छोडूंगी नहीं।
रीत ग्लास टेबल पे रख के अपने हाथ नखरे से झड़ते हुए कहती है " तो क्या कह हिन्दी तुम मैं सिर्फ धमकियां देती हूं कुछ करती नहीं फिर अपने हाथों से उसका चेहरा ऊपर उठा के कहतीभाई इस बारे में आपका क्या ख्याल है मिस मुस्कान सोनी।
" तू रुक बेटा तू अब मुझसे नहीं बचेगी; मुस्कान बेड से उठती हुई कहती है।
रीत कमरे से बाहर भागते हुए कहती है " पहले पकड़ के तो दिखा।
दोनों भागते भागते हॉल में आ जाती है। रीत सोफे से कुशन्स उठा के मुस्कान की तरफ फेंकती है तो मुस्कान कैच करके जमीन पे फेक देती है। उन दोनों का हल्ला सुन के किचेन में काम कर रही इक औरत बाहर आती है जिसने हाथ में कड़छी पकड़ रखी थी।
वो औरत कड़छी वाला हाथ अपनी कमर पे टिका के दोनों को आवाज लगाते हुए कहते है " मुस्कान रीत बस करो ( यह है मुस्कान की मां प्रति सोनी सिंपल और सादगी से रहने वाली सिंपल सलवार सूट पहने हुए, गले में दुप्पटा, कानों में सोने की बलिया और चेहरे पे नूर) तुम दोनों 2 मिनट में तुम दोनों ने हॉल का नक्शा बिगड़ दिया है तुम दोनों की सुबह शांति से नहीं हो सकती न। अब बताओ शांति से क्या हुआ है किस बात के लिए सुबह सुबह तुम दोनों ने घर को जंग का मैदान बना दिया है।
दोनों सिर झुका के खड़ी हो जाती है और इक दूसरे को चोर निगाह से घूरने लगती है।
प्रति जी दोबारा से कहती है " अब बोलोगी भी या सारी सफाई दोबारा करवाओ फिर बोलोगी।
तभी दरवाजे से इक लड़का अंदर आते हुए कहता है " होना क्या है मम्मी यह मोटी फिर नहीं उठ रही होगी और इसकी हालत देख के लग रहा है कि रीत दी ने इस के ऊपर पानी वाला अत्याचार किया है।
( यह मुस्कान का छोटा भाई करनवीर सोनी है दिखने में हैंडसम उमर करीब 20 साल करनवीर आर्ट्स स्टूडेंट है और पेंटिंग्स बनाना उससे बहुत पसंद है। )
मुस्कान करनवीर की बात से और चीड़ जाती है और उससे फिंगर पॉइंट करते हुए कहती है " तुझे तो मैं बाद में देखती हूं बंदर पहले जरा इससे निपट लूं ।" इतना कह के मुस्कान डाइनिंग टेबल पे पढ़ा पानी वाला जग उठा के रीत की तरफ बड़ी ही थी कि प्रीति जी उसके हाथ से जग छींटे हुए कहती है " बस करो तुम दोनों जब देखो मस्ती सुझाती हैं दोनों को अब और नहीं।"
उनकी बात सुनके दोनों इक दूसरे को आंख मारती है फिर मुस्कान प्रति जी के कंधे पे कोहनी टिकाए हुए कहती है "मम्मी मुझे लगता है आपको आपके जिले इलाही याद कर रहे है उसके बाद रीत भी दूसरी तरफ आ के कहती है हां मुझे भी बो जी की आवाज सुनाई दी और आज तो आप लग भी अनारकली रही हो।"
उन दोनों की नौटंकी देख के प्रति जी कहती है " आज मैं तुम दोनों की बातों मैं नहीं आने वाली फिर मुस्कान की तरफ देखते मुस्कान तू मुझे 10 मिनिट में डाइनिंग टेबल पे चाहिए ब्रेकफास्ट के लिए नहीं तो भूखी जाना इंटव्यू में फिर रीत की तरफ देखते हुए " और तुम सारा खाना डाइनिंग टेबल पे लगाओ वरना मेरा तो पता नहीं लेकिन तुम्हें अनारकली का नच जरूर नचाऊंगी आई बात समझ में तूम दोनों के।
दोनों हां में सिर हिला के आपने अपने बताए हुए काम में लग जाती हैं। करनवीर उन दोनों को डांट पड़ती देख चुपके से निकलने ही वाला था के उसके कानों में प्रति जी की आवाज सुनाई पड़ती है " आप कहा चले शहजादे सलीम आपको फरमान नहीं भेजूंगी नाश्ते का अपना यह तामझाम रखके आकर नाश्ता करो।"
अपने कलर्स के लिए तामझाम सुनके करनवीर चिढ़ते हुए कहता है " मम्मी यह मेरे कलर्स है कोई तामझाम नहीं।"
प्रति जी उसका कान मोड़ते हुए कहती है " बेटा तुम्हारी मां हूं समझा मुझे मत ही समझा और यह रख के आके खाना खा लेना वरना सारा दिन अपने इन कलर्स से खेलते रहना नाश्ता भूल जा।"
करनवीर कान मरोड़ने की वजह से चलते हुए कहता है " आह...आह मम्मी कान छोड़ो दर्द हो रहा है। दो ही कान होते है इंसान के पास तोड़ दोगे तो बहु नहीं मिलेगी आपको इक कान वाले लड़के को कौन लड़की देगा।"
प्रीति जी उसका कान छोड़ के गाल पे चमाट लगते हुए कहती है " धर्म बंद कर और जा जल्दी मुंह हाथ धो के आ नाश्ता ठंडा हो जाएगा वरना।"
उन तीनों के जाने के बाद प्रीति जी मुस्कराने लगती है अकेले में तो पीछे से इक साख उनके कंधे पे हाथ रखके कहते है " क्या हुआ आज हमारी प्रीति जी भूत खुश नजर आ रही है ।"
जारी है ................
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प्रीति जी अकेले में मुस्करा रही थी पीछे से एक शख्स उनके कंधे पे हाथ रखके कहते है " क्या हुआ आज हमारी प्रीति जी बहुत खुश नजर आ रही है।"
प्रीति जी पीछे घूम के देखती है तो उनके पीछे इक 45 वर्ष का आदमी खड़ा था व्हाइट कुर्ता पजामा सिर पे रुमाल बंधा हुआ चेहरे पे तेज। यह मुस्कान और करनवीर के पापा है रणवीर सोनी घर के मुख्या।
प्रीति जी उन्हें देखते हुए कहती है " आ गए आप चलिए बैठ जाएं नाश्ता बस लगने ही वाला है। रणवीर जी उन्हें प्रसाद देते हुए कहते है " अरे हमारे घर की रौनक कहा है हमारी प्यारी लाडो रानी ।"
रीत किचन से खाना डाइनिंग पर लगाते हुए कहती है " आपकी लाडो रानी पूरी रात नहीं सोई खांसती रही है कल कृण के साथ जाके जिद्द करके आइसक्रीम खा ली थी अब सारी रात न खुद सोई न मुझे सोने दिया।"
उसकी बात सुनके रणवीर जी रीत के कमरे में जाते है तो वहां एक 5 साल की छोटी सी प्यारी सी बच्ची आराम से अपने टेडीबियर को पकड़े सो रही थी। जो के रीत की बेटी थी।
वो उसके पास जाके उसके सिर पे हाथ फेरते हुए कहते है लाडो ... लाडो उठ जाए देखिए हम आपके लिए प्रशाद लाए है।"
वो प्यारी सी बच्ची अपनी मासूम आवाज में कहती है " हीर को अभी और सोना है नानू हीर को नींदी आ रही है।"
रणवीर जी उसको प्यार से अपनी गोद में उठाके कहते है " पहले यह बताइए हीर ने आज नानू को प्यार क्यों नहीं किया।"
हीर अपनी मासूम आवाज में कहती है " नानू हीर को खांसी आ रही है अगर हीर आपके पास आती तो आपको भी लग जाती।"
दरवाजे पे खड़ी प्रीति जी उन दोनों को अपनी नम आंखों से देखते हुए अपने मन में कहती है "भगवान हमारी रीत और हीर की जिंदगी खुशहाल बना दे कब तक रीत खुश होने का ऊपरी दिखावा करती रहेगी और हम जानते है हीर बाकी बच्चों को अपने पेरेंट्स के साथ खुश देख के खुद के लिए बुरा फील करती है इसीलिए रोज अपने नानुबके साथ गुरुद्वारे जा के अपने पापा मम्मी का साथ मांगती है।" वो अपनी आंखें साफ करके अंदर आती है और हीर का गाल सहलाते हुए कहती है " उठ गया मेरा प्यारा बच्चा वैसे हम आपसे गुस्सा है अपने नानू के कहने पे एक बार में उठ गए और हम आपको उठाने आए तो क्यों नहीं उठे।"
हीर प्रीति जी की बात सुनके कहती है " नानी स्टॉप ओवररिएक्टिंग नानू तो हमें पार्क लेके जाते है हमारे साथ खेलते भी है आप तो दिनभर काम ही करते रहते हो हीर के साथ खेलते भी नहीं।"
उसकी बात सुनके प्रीति जी का मुंह बन जाता है और रणवीर जी हंसने लगते है और हीर को गले लगा लेते है।
दूसरी तरफ
मुंबई,
एक seven star hotel के luxuries room में माहौल एक दम ठंडा था कमरे में तकरीबन 6 लोग बैठे थे और एक किंग साइज सोफे पे राजा की तरह इक शख्स बैठा था जिसका औरा इतना खतरनाक था कि वह बैठे लोगों को ठंडा पसीना आ रहा था नीली आँखें जो दिखने में तो खूबसूरत थी लेकिन एक दम एक्सप्रेसनलेस, हैंडसम फेस गोरा रंग कोई भी देखे तो पहली ही नजर में फिदा हो जाए मस्कुलर बॉडी उमर तकरीबन 27 वर्ष हाइट 6 फुट ब्लैक बिजनेस सूट में वो एक दम नर्क का राजा लग रहा था। वहा एक मीटिंग चल रही थी। कमरे में एक आदमी लैपटॉप पे उसको प्रोजेक्ट डिटेल दे रहा था। तभी उस डेविल का फोन बजता है तो वो स्क्रीन की तरफ देखते हुए अपनी खतनाक आवाज में कहता है " Meeting is over evebody get out" . उसकी इतनी खतरनाक आवाज सुनके किसी की हिम्मत नहीं हुई उसके सामने कुछ बोलने की।
उन लोगों के जाने के बाद वो शख्स सोफे से उठ के रूम की बालकनी की तरफ जाते हुए कॉल पिक करके कहता है "Updates ".
दूसरी तरफ से इक लड़के की आवाज आती है "गुड न्यूज है बोस हमने उसकी लास्ट लोकेशन ट्रेस कर ली है हम उसकी लोकेशन के लिए निकल चुके है और आपको भी भेज दी है।"
वो शख्स अगली तरफ की बात सुनके फोन कट कर देता है और फोन को हाथ में घूमते हुए कहता है " it's time to show you Who is Devil Arjun Singhaniya".
एक सुनसान जगह पे एक खण्डर जैसी जगह बनी हुई थी जिसके आस पास दूर दूर तक जंगल था उस खण्डर के अंदर एक शख्स को इक लकड़ी की कुर्सी पे बांध के रखा गए था ( जो अर्जुन के Fashion trendz co. का डिजाइनर गौरव माथुर था और अर्जुन की कंपनी में काम करके उसकी बहुत सारी कंपनी डिटेल्स उसके राइवल्स को शेयर करता था जब उसे पता चला कि अर्जुन को इस बात की खबर लग चुकी है तो वो कही छिप गया था लेकिन अर्जुन के आदमियों ने उसे ढूंढ निकाला था) उसके आस पास ग्रे सूट पहने हाथ में ए के 47 पकड़े कुछ आदमी खड़े थे जिनके यूनिफॉर्म पे AS का लोगो लगा हुआ था।
तभी उस खंडर के बाहर कुछ ब्लैक गाड़ियां आ के रुकती है और उनमें से एक गाड़ी का दरवाजा खुलता है और एक शख्स अपनी आंखों पे शेड्स चढ़ाए बाहर निकलता है उसका औरा इतना खतरनाक था कि उसके खुद के गार्ड्स उसके बाहर निकलते ही अपने घुटनों के बल बैठ गए थे। उसकी शान में। वो शख्स अंदर जाके उस कुर्सी पे बैठे इंसान को देख के डेविल स्माइल करता है और कुर्सी के एक साइड अपना पैर रखे अपने घुटने पे कोहनी टिकाए उसके ऊपर झुके अपनी कोल्ड वॉयस में कहता है " क्या लगा था तुम्हें मेरे साथ अर्जुन सिंघानिया के साथ गद्दारी करोगे और कही भी छिप जाओगे और मैं तुम्हें ढूंढ नहीं पाऊंगा तूने क्या दूध पीता बच्चा समझा था।"
अर्जुन अपनी कमर से gun निकल के उसके माथे पे रखके कहता है " मेरे साथ गद्दारी करने वाले को तो मैं नर्क से भी ढूंढ के मारता हूं तू तो फिर जमीन पे था यहां सिर्फ मेरा राज है।"
फिर सीधे खड़े होके अपने कातिल अंदाज में गए हुए कहता है " न जाने तू मेरे इरादे ले जाऊंगा सांसे चुरा के।" फिर gun में जितनी गोलियां थी उस के माथे पे चला देता है।"
उस आदमी की लाश कुर्सी समेत जमीन पे गिरी थी और अर्जुन अपने गार्ड्स को कहता है " इस कचरे को नाले में फेक दो जब कीड़े इसकी लाश को नोच नोच के खायेंगे तब आएगा मजा।" अपने गार्ड्स को इंस्ट्रक्शन देने के बाद वो वहा से अपनी गाड़ी में बैठ के निकल जाता है।
उसके गार्ड्स अपने बॉस की इंस्ट्रक्शन फॉलो करते हुए उसकी लाश को ले जाते है।
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अमृतसर पंजाब,
दो लड़कियां गुरुद्वारे में माथा टेक रही थी जो कि मुस्कान और रीत थी। मुस्कान माथा टेक के कहती है "बाबा जी मुझे मेरे लिए कुछ नहीं चाहिए बस मेरी रीत को सारी खुशियां दे दीजिए मुझे पता है यह आज भी अपने पास्ट को याद करके रात को रोया करती है। यह सिर्फ हमारे सामने ही खुश रहने का दिखावा करती है लेकिन अपने मन में अभी भी बहुत दर्द लिए बैठी है।"
रीत माथा टेक के अरदास में अपने मन में कहती है " बाबा जी मेरी इस फैमिली के सिर पे अपना मेहर वाला हाथ रखना जो खुशियां इन सब ने मुझे दी है शायद ही मुझे कभी वापस मिलती मुझे और मेरी हीर को कभी बेगना नहीं समझा और मेरी इस झल्ली को भी खुश रखना और गुस्सा थोड़ा कम कर देना।"
दोनों माथा टेक के बाहर आके प्रसाद लेती है और खाने लगती है और जोधा घर से जूते पहनने लगती ही है के मुस्कान फिर अंदर भाग जाती है।
उसे जाते देख रीत अपने माथे पे हाथ मारके कहती है यह लड़की कभीनही सुधरेगी फिर दोबारा प्रसाद लेने गई होगी कभी कभी तो यह लगता है अगर इसकी ड्यूटी प्रसाद बांटने में लगी होती तो यह बल्कि संगत के लिए कुछ छोड़ती न।"
उतने में मुस्कान वालिस आती है और उसकी तरफ देख के कहती है " चल अब इंटरव्यू अच्छा जाएगा।
रीत उससे छोटी आंखे करके घूरते हुए कहती है " हो गया तेरा दोबारा प्रसाद लेने वाला कार्यक्रम अब तो सेवादार भी तुझे पहचान गए होंगे लिफाफे में भर के ले आना था रस्ते में खाती रहती।"
मुस्कान उसका गुस्सा देख के कहती है " अरे यार तू गुस्सा क्यों हो रही है take a chill pill न।"
"अब चल वरना लेट हो जाएंगे ऑलरेडी बहुत टाइम वेस्ट किया है तूने सुबह से ।" रीत कहती है और मुस्कान मुंह बना के उसके पीछे पीछे आने लगती है दोनों ऑटो में बैठ के निकल जाती है।
कुछ देर में दोनों एक बड़ी सी बिल्डिंग के बाहर खड़ी थी जिसके ऊपर भूत बड़ा बोर्ड लगा था Singhania Group of Companies"
दोनो अंदर जाती है और देखती कंपनी बहुत बड़ी थी और हर चीज बहुत ही यूनिक थी।
जिसे देख के मुस्कान आँखें बड़ी करके कहती है " यार अगर यह जॉब लग गई लाइफ सेट है।"
रीत उसकी बात सुनके कहती है " दुआ कर इंटर्व्यू अच्छा जाए।"
दोनों रिसेप्शन पे जाती है और रीत कहती है " हेलो maam क्या आप बता सकते हो डिजाइनिंग डिपार्टमेंट के लिए इंटर्व्यू किस साइड होनी है।"
रिसेप्शन पे बैठी लड़की अपने सहमे खड़ी अप्सराओं को देख के उनमें खोए हुए हाथ से लेफ्ट साइड इशारा करती है । दोनों उसे थैंक्यू बोलके उस साइड चली जाती है।
कुछ देर बाद दोनों एक केबिन में जाती है और केबिन के अंदर की चकाचक देख के दोनों की आंखे बड़ी हो जाती है हर चीज इतनी एक्सपेंसिव और लक्जरियस थी इक दम साफ। केबिन में चेयर पर सामने इक 30 साल का लड़का बैठा था जो दिखने में हैंडसम था और बहुत ही एलिगेंट लग रहा था उसने ऑफ वाइट कलर की टी शर्ट पहनी थी और साथ में ब्राउन फॉर्मल पेंट पहनी थी साथ में व्हाइट कलर के शूज पहने थे इक हाथ में वाच दूसरे हाथ में मोर पंख वाला डायमंड ब्रेसलेट पहना था बाल सलीके से सेट थे गठीला शरीर वो किसी ग्रीक गोद की तरह लग रहा था । यह था सिंघानिया फैमिली का बड़ा बेटा आदित्य सिंघानिया जिसे बिजनेस में बिल्कुल इंट्रेस्ट नहीं था। उससे शायरी लिखना पसंद था और वो लिटरेचर पढ़ना पसंद करता था और आज भी वो उसी सिलसले में अमृतसर के खालसा कॉलेज से कुछ बुक्स लेने आया था क्योंकि खालसा कॉलेज में बुक फेयर चल रहा था। तो अर्जुन ने उसे डिजाइनर के इंटरव्यू लेने अमृतसर वाली ब्रांच में भेज दिया (क्योंकि पहले डिजाइनर को तो अर्जुन ने नर्क का द्वार दिखा दिया था अब उससे अपनी कंपनी के लिए कोई अच्छा डिजाइनर चाहिए था जो वेस्टर्न और इंडियन दोनों तरह के कपड़े डिजाइन करे) आदित्य को लक्जरियस से ज्यादा सिंपल लाइफ पसंद थी और वो सिंपल ही रहता था और वो वो अर्जुन के उलट बिल्कुल डिसेंट और सॉफ्ट हार्टेड था।
मुस्कान और रीत उसे ग्रीट करती है तो आदित्य उन्हें बैठने का इशारा करता है। दोनों थैंक्यू बोल के बैठ जाती है और आदित्य को थोड़ा सहमी नजरों से देखने लगती है
आदित्य उन्हें ऐसे देखता पाकर कहता है " आप दोनों मुझसे इसे क्यों देख रहे हो जैसे मैं कोई इंसान न हो के कोई भूत हूं relax रहिए मुझसे डरने की कोई जरूरत नहीं है मैं भी आपकी तरह इंसान ही हूं। उसकी बात सुनके दोनों इक दूसरे को देखने लगती है। तो आदित्य उन्हें कहता है " क्या हुआ।"
मुस्कान उसके जवाब में कहती है " वो एक्चुली सिर जब हम यह आए थे तो हमने किसी को बात करते हुए सुना था कि जो इस कंपनी बॉस है वो बहुत बड़े डेविल है ई में उनके गुस्से का कोई पता नहीं किस बात पे और कब आ जाए।
उसकी बात सुनके रीत अपना सिर पीट लेती है और मन में ही बोलती है " यह लड़की कभी भी कुछ भी सोच समझ के क्यों नहीं बोलती अब अगर Mr. Singaniya हमें बाहर फेक देगे तो गई नौकरी मिलने से पहले ही।"
वहीं आदित्य मुस्कान की बात सुनके हंसने लगता है उससे हंसता देख दोनों हैरान हो जाती है क्योंकि उन्हें इस वक्त आदित्य ही कंपनी का बॉस लग रहा था।
आदित्य अपनी हंसी रॉक के कहता है " relax मै आपका बॉस नहीं हूं मैं आपके बॉस का बड़ा भाई हूं और मैं उसकी तरह डेविल बिल्कुल नहीं हूं सो आप आराम से अपना इंटरव्यू कंप्लीट कर सकती है।"
उसकी बात सुनके दोनों की सांस में सांस आती है।
उसके बाद आदित्य कहता है " Ok tell me about yourself.
वो दोनों अपना इंट्रऑडक्शन देती है। उनके इंट्रो से आदित्य काफी इंप्रेस्ड था उसके बाद आदित्य उन्हें ब्लैंक पेपर और कुछ स्टेशनरी देता है और कुछ डिजाइन ड्रॉ करने को बोलता है जिसमें मुस्कान एक बहुत प्यारी वेस्टर्न ड्रेस ड्रॉ करती है।
और रीत को वेस्टर्न से ज्यादा इंडियन ड्रेसेस पहना और उन्हें डिजाइन करना पसंद था। इसलिए वो उस ब्लैंक पेपर पर इक भूत सुंदर होता पट्टी वाली कॉम्बिनेशन कलर की साड़ी ड्रॉ करती है।
आदित्य उनके डिजाइंस देख के और भी ज्यादा इंप्रेस हो जाता है और उनके डिजाइंस अर्जुन को मेल कर देता है कुछ देर बाद उसके फोन में नोटिफिकेशन आता है "सिलेक्टेड"
आदित्य उन्हें देख के कहता है " कांग्रेचुलेशन गर्ल्स आप दोनों को आपके डेविल बॉस ने सलेक्ट कर लिया है।" फिर अर्जुन को डेविल कहने वाली बात पे हंसने लगता है।
दोनों की आंखे बड़ी हो जाती है जहां उन्हें अपने इतनी बड़ी कंपनी में सेलेक्ट होने की खुशी हो रही थी वहीं उन्हें आदित्य की हसी साफ बता रही थी के वो अब एक एक्वायर्ड कंडीशन में आ चुकी है।
रीत आदित्य को देख के कहती है " Thanku sir and we are very sorry for saying about our boss that stupid word.
आदित्या उसकी बात सुनके कहता है " अरे इट्स ओके वो है ही डेविल सब को डरा के रखा हुआ है उसने आप लोग बुरा मत माने और मेरे सामने तो बोल दिया उसके सामने मत बोलिएगा।"
मुस्कान उसकी बात सुनके स्माइल करके कहती है" Thanku again sir क्या अब हम जा सकते है।"
आदित्य कहता है " हां बिल्कुल आपका ऑफर लेटर आपको आपकी मेल पे मिल जाएगा एंड आपको काम कल से ही काम स्टार्ट करना होगा और एक बात कुछ दिन यह पे काम करने के बाद आपको मुंबई वाली ब्रांच में शिफ्ट करना पड़ेगा।"
उसकी बात सुनके दोनों थोड़ी टेंशन में आ जाती है जिसे देख के आदित्य उनसे सवाल करता है " क्या बात है कोई परेशानी है क्या आप दोनों इतना tenssd क्यों लग रही है।"
रीत कहती है "वो एक्चुली सिर हम यहां तो काम कर सकते है लेकिन मुंबई शिफ्ट करना थोड़ा डिफिकल्ट हो जाएगा हमारे लिए।"
आदित्य उनसे कहता है " ओह ! तो कोई बात नहीं आप इक बार सोच लीजिए आराम से और फिर मैनेजर को बता दीजिए।" इतना कह के आदित्य केबिन से निकल जाता है।
रीत और मुस्कान केबिन से निकल के अपने घर के लिए निकल जाती है।