1️⃣ आई दोस्तों चलिए मिलते हैं। एक परिवार से एक बड़ा ही "खूबसूरत प्यारा सा छोटा-सा घर, जिसके अंदर से खिलखिला कर हंसने की आवाजें आ रही थी। और जैसे ही हम घर के अंदर जाते हैं। तों हम देखते हैं की एक जगह पति-पत्नी चाय पीते हुए मुस्कुरा कर, एक-दूसरे से बात... 1️⃣ आई दोस्तों चलिए मिलते हैं। एक परिवार से एक बड़ा ही "खूबसूरत प्यारा सा छोटा-सा घर, जिसके अंदर से खिलखिला कर हंसने की आवाजें आ रही थी। और जैसे ही हम घर के अंदर जाते हैं। तों हम देखते हैं की एक जगह पति-पत्नी चाय पीते हुए मुस्कुरा कर, एक-दूसरे से बातें कर रहे थे। तब अचानक से उनकी दोनों, छोटी "बेटियां जाकर उनके पास बैठ जाती है। दोनों पति-पत्नी अपनी बेटियों, को इतनी "शांति से अपने पास बैठा हुआ देखकर, थोड़ा सा चौंक जाते हैं। लेकिन तभी उन्हें उनकी बड़ी बेटी, की चीखने की आवाजें सुनाई देती है, ! अब दोनों पति-पत्नी पूरी तरह से, परेशान हो जाते हैं। और जल्दी से "दौड़कर अपनी बेटी के कमरे में जाते हैं। उन्होंने देखा की उनकी बड़ी बेटी, खिड़की से दूसरी तरफ मुंह करके खड़ी हुई थी. और अपने दोनों हाथों को, अपने मुंह पर रखकर बहुत ज्यादा "डर रही थी. और चीख रही थी। तब उसकी लड़की, के माता-पिता "जल्दी ही उसके पास जाकर कहने लगे_ अरे “कनक बेटी क्या हुआ तुम्हें, तुम इतना क्यों घबरा रही हो? हमें क्या हो गया बताओ? ( कनक शर्मा, हमारी "कहानी की मैन लीड हीरोइन, बड़ी ही खूबसूरत और प्यारी “कनक शर्मा बड़ी-बड़ी गहरी नीली झील सी आंखें, एकदम दूध जैसा गोरा जिस्म हाइट तकरीबन 5 फुट इंच लंबे घने काले बाल , कुल मिलाकर "कमाल की खूबसूरत सी काया, जिसे "कोई एक बार देखे तो बस देखता रह जाए! )))))))) अब दोनों पति-पत्नी दंपति, काफी ज्यादा परेशान हो चुके थे. अपनी बेटी की ऐसी हालत देखकर, तभी “कनक ने अपने हाथों से, बिस्तर की ओर इशारा किया! अब तभी इससे पहले की, दोनों पति-पत्नी कुछ समझ पाते! तभी उनका “लाडला बेटा वहां आ गया था. और उसे बिस्तर पर से एक नकली "छिपकली उठाता हुआ! अपने माता-पिता को दिखाने लगा था. और कहने लगा- देखा पापा अपने दोनों छुटकियों, ने फिर से “कनक को परेशान किया है। इन्होंने नकली छिपकली, से डराने की कोशिश की है। इसी वज़ह से ये डर रही थी. और चीख रही थी. अब जैसे ही “कनक को इस बात के बारे में, पता चला की उसकी "बहनों ने उसे डराने के लिए नकली छिपकली, का इस्तेमाल किया है। तो वो बहुत ही गुस्सा हो गई थी,, और जल्दी से उसके हाथ में एक गमला लें लिया। उसे पकड़कर दोनों बहनों को, मारने के लिए दौड़ने लगी थी. तभी उसका भाई भी, पीछे-पीछे दौड़ने ने लगा था. और तीनों बहनों की लड़ाई को, सुलझाने की कोशिश करने लगा था,, और दोनों पति-पत्नी अपने बच्चों को, ऐसी शरारतें करता देखकर, इस तरह से हंसी मज़ाक सुनते हुए पूरी तरह से हंसने लगे थे,, और एक बार फिर सर झटक कर, वापस आकर अपनी चाय पीने लगे थे। तब मिस्टर रमेश शर्मा, अपनी पत्नी "सीमा शर्मा से कहने लगें- देखा आपने इन बच्चों की, शरारते कभी कम नहीं होगी,, दोनों छोटी रश्मि, और दिव्या, “कनक को परेशान करने का कोई, मौका नहीं छोड़ती है। आप तो जानती है ना की, हमारी “कनक तीनों बच्चों से अलग है। वो छोटी-छोटी
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आई दोस्तों चलिए मिलते हैं। एक परिवार से एक बड़ा ही "खूबसूरत प्यारा सा छोटा-सा घर, जिसके अंदर से खिलखिला कर हंसने की आवाजें आ रही थी।
और जैसे ही हम घर के अंदर जाते हैं। तों हम देखते हैं की एक जगह पति-पत्नी चाय पीते हुए मुस्कुरा कर, एक-दूसरे से बातें कर रहे थे।
तब अचानक से उनकी दोनों, छोटी "बेटियां जाकर उनके पास बैठ जाती है। दोनों पति-पत्नी अपनी बेटियों, को इतनी "शांति से अपने पास बैठा हुआ देखकर, थोड़ा सा चौंक जाते हैं।
लेकिन तभी उन्हें उनकी बड़ी बेटी, की चीखने की आवाजें सुनाई देती है, ! अब दोनों पति-पत्नी पूरी तरह से, परेशान हो जाते हैं। और जल्दी से "दौड़कर अपनी बेटी के कमरे में जाते हैं।
उन्होंने देखा की उनकी बड़ी बेटी, खिड़की से दूसरी तरफ मुंह करके खड़ी हुई थी. और अपने दोनों हाथों को, अपने मुंह पर रखकर बहुत ज्यादा "डर रही थी. और चीख रही थी।
तब उसकी लड़की, के माता-पिता "जल्दी ही उसके पास जाकर कहने लगे_ अरे “कनक बेटी क्या हुआ तुम्हें, तुम इतना क्यों घबरा रही हो? हमें क्या हो गया बताओ?
( कनक शर्मा, हमारी "कहानी की मैन लीड हीरोइन, बड़ी ही खूबसूरत और प्यारी “कनक शर्मा बड़ी-बड़ी गहरी नीली झील सी आंखें, एकदम दूध जैसा गोरा जिस्म हाइट तकरीबन 5 फुट इंच लंबे घने काले बाल , कुल मिलाकर "कमाल की खूबसूरत सी काया, जिसे "कोई एक बार देखे तो बस देखता रह जाए! ))))))))
अब दोनों पति-पत्नी दंपति, काफी ज्यादा परेशान हो चुके थे. अपनी बेटी की ऐसी हालत देखकर,
तभी “कनक ने अपने हाथों से, बिस्तर की ओर इशारा किया!
अब तभी इससे पहले की, दोनों पति-पत्नी कुछ समझ पाते! तभी उनका “लाडला बेटा वहां आ गया था. और उसे बिस्तर पर से एक नकली "छिपकली उठाता हुआ! अपने माता-पिता को दिखाने लगा था. और कहने लगा- देखा पापा अपने दोनों छुटकियों, ने फिर से “कनक को परेशान किया है।
इन्होंने नकली छिपकली, से डराने की कोशिश की है। इसी वज़ह से ये डर रही थी. और चीख रही थी.
अब जैसे ही “कनक को इस बात के बारे में, पता चला की उसकी "बहनों ने उसे डराने के लिए नकली छिपकली, का इस्तेमाल किया है। तो वो बहुत ही गुस्सा हो गई थी,, और जल्दी से उसके हाथ में एक गमला लें लिया। उसे पकड़कर दोनों बहनों को, मारने के लिए दौड़ने लगी थी.
तभी उसका भाई भी, पीछे-पीछे दौड़ने ने लगा था. और तीनों बहनों की लड़ाई को, सुलझाने की कोशिश करने लगा था,,
और दोनों पति-पत्नी अपने बच्चों को, ऐसी शरारतें करता देखकर, इस तरह से हंसी मज़ाक सुनते हुए पूरी तरह से हंसने लगे थे,, और एक बार फिर सर झटक कर, वापस आकर अपनी चाय पीने लगे थे।
तब मिस्टर रमेश शर्मा, अपनी पत्नी "सीमा शर्मा से कहने लगें- देखा आपने इन बच्चों की, शरारते कभी कम नहीं होगी,,
दोनों छोटी रश्मि, और दिव्या, “कनक को परेशान करने का कोई, मौका नहीं छोड़ती है। आप तो जानती है ना की, हमारी “कनक तीनों बच्चों से अलग है। वो छोटी-छोटी चीजों को लेकर डर जाती है। सीमा जी, आप समझाओ दोनों को, इस तरहां से “कनक को ना डराया करे,..
अभी वो दोनों आपस में बातें कर ही रहे थें. की उनके तीनों बेटीयां उनके, पास आ गए थी।
और “कनक अपनी दोनों छोटी बहनों को, मारने के लिए पीछे से दौड़ रही थी, और कह रही थी- की मैं तुम दोनों को, आज नहीं छोडूंगी! तुम लोगों ने एक बार फिर, मुझे डराया ये जानते हुए भी कि मुझे छिपकली, कॉकरोच और "कीड़े मकोड़े सब चीजों से, कितना ज्यादा डर लगता है।
ऐसा कह कर “कनक उन तीनों को मारने के लिए दौड़ने लगी थी,, लेकिन वो दोनों ही उसका, मज़ाक उड़ाते हुए वहां से दौड़ाकर चले गए थे.
तब “कनक रोनी शक्ल बनाकर अपने पिता के, पास बैठ गई थी. और कहने लगी थी,,
ये सब क्या है पापा? आखिरकार मुझे इतना ज्यादा, डर क्यों लगता है? और आपने देखा रश्मि, और "दिव्या मुझे किस तरह से परेशान करते हैं?
अभी “कनक ने इतना ही कहा था. की तभी "रमेश शर्मा जी अपनी बेटी की बातें सुनकर मुस्कुरा दिये, और कहने लगे- बच्चा इस तरह से बच्चों में छोटी-मोटी, शरारतें तों चलती रहती है! आपको इस तरह से छोटे-छोटे शरारतों, पर डरना नहीं चाहिए। ऐसा कहकर “कनक के पिता रमेश जी उसे, समझाने की कोशिश करने लगे थे।
अब कनक का रोना सुनकर- दिव्या "रश्मि और साथ ही साथ उसका भाई, भी हांफते हुए जल्दी से आकर उसके, आस-पास बैठ गए थे।
और और तभी दिव्या अपने, कान पकड़ते हुए कहा _ माफ करना “कनक दी मैं वादा करती हूं। की मैं आप को, बिल्कुल भी परेशान नहीं करूंगी।
तभी रश्मि ने भी दिव्या की हां में, हां मिलाई थी. वहीं आरव अब “कनक के कंधे पर हाथ रख कर बैठ गया था. और कहने लगा- तुम अच्छी तरह से जानती हो की मुझे, अपनी "प्यारी सी बहन की आंखों में एक भी आंसू, देखना पसंद नहीं है। तों तुम क्यों इतना रोती हों। ऐसा कहकर आरव, “कनक को डांटने लगा था.
तब कनक जल्दी से “आरव के गले लग गई, और सहमते हुए बोली_ भाई एक आप ही है! पूरे घर में जो मुझे, सबसे ज्यादा प्यार करते हैं।
आप जानते हैं ना, मुझे छिपकली से कितना ज्यादा डर लगता है। और ये “दिव्या की बच्ची जब देखो छिपकली, लेकर मेरे पीछे दौड़ती रहती है। या तो मेरे कपड़ों में नकली छिपकली, डाल देंगी या फिर मेरे बिस्तर में छिपकली, कॉकरोच डाल देती है।
इतना ही नहीं आपको पता है? पिछले दिनों इसने क्या किया? पिछले दिनों उसने जब मैं सो रही थी. मेरी तकिया के ठीक नीचे इसने, नकली छिपकली को रख दिया था. और आप जानते हैं उस वक़्त मेरी, क्या हालत हो गई थी. ऐसा कहकर “कनक रोनी शक्ल बनाकर अपने, भाई “आरव के गले लग गई थी।।।।
और “आरव बड़े ही प्यार से उसे, संभालने लगा था. तब मिस्टर शर्मा एंड मिसेज शर्मा, अपने "बच्चों के आपस में इतना प्यार, देखकर मुस्कुराने लगे थे।
और मन ही मन में दुआ करने लगे थे. की हमारे इस बच्चे इसी तरह से, हँसते खेलते रहे! और हमारे परिवार को कभी, किसी की बुरी नजर ना लगे।
वहीं दूसरी ओर,_
एक बड़ी सी ब्लैक रंग के मर्सिडीज़ कार, सड़कों पर बेपरवाही से दौड़ रही थी. और इस बेपरवाही से दौड़ते हुए उसने, सड़क किनारे सो रहे "लोगों के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी थी।।
उनमें से एक आदमी, की तो मौके पर ही "मौत हो गई थी. साथ-साथ कुछ बहुत ही बुरी, तरह से घायल हो चुके थे।
लेकिन उसे वक़्त ताकत के नशे में चूर, मिस्टर “अबीर सूर्यवंशी को किसी के दर्द, किसी के "मौत से कोई लेना देना नहीं था. उस वक़्त वो केवल अपनी, धुन में आगे बढे जा रहा था।।।
और सीधा वो कार, कहीं और नहीं बल्कि उस "शहर के मशहूर नाइट क्लब के बाहर रुकतीं हैं।
और वहां जाकर “अबीर सूर्यवंशी ने पूरी तरह से पार्टी में एंजॉय, करना शुरू कर दिया था।
अभी “अबीर सूर्यवंशी एक की जान, लेकर "कुछ लोगों को घायल करके वहां आ रहा था. लेकिन उसके चेहरे पर शिकन, या पछतावा दूर-दूर तक कहीं नहीं था।
“अबीर सूर्यवंशी ने वहां जाकर जोरों शोरों से, पार्टी इंजाय करना शुरू कर दिया था. इतना ही नहीं पार्टी की सबसे, ज्यादा हॉट लड़कियां “अबीर सूर्यवंशी के आसपास, आकर डांस करने लगी थी.
कहीं ना कहीं उन्हें लग रहा था. की ना जाने कब “अबीर सूर्यवंशी की नज़र उन लड़कियों, पर पड़ जाए! और उनके जिंदगी बन जाए।
क्योंकि “अबीर सूर्यवंशी जिस भी लड़की, के साथ एक रात गुजारा करता था. उस "लड़की को आगे कुछ और काम करने की, जरूरत नहीं पड़ती थी. क्योंकि उसे वो एक ही रात में, मालामाल कर दिया करता था।
तो इसीलिए “अबीर सूर्यवंशी के आते ही, लड़कियों ने उसे चारों तरफ से घेर लिया था.
लेकिन “अबीर सूर्यवंशी की नज़र इस बार उन हॉट लड़कियों, पर से हटकर एक खूबसूरत सी "वेटर पर जाकर ठहर गई थी।
वो वेटर बड़ी ही ख़ूबसूरत लग रही थी. बड़ी-बड़ी काजल से सनी हुई आंखें, नाम मात्र की "होठों पर लिपस्टिक, वो बड़ी ही प्यारी लग रही थी। वेल.. वो वेटर अभी किसी को, ड्रिंक सर्व कर रही थी।
लेकिन तभी “अबीर सूर्यवंशी उसके पास आ गया था. और उसका हाथ थामकर वो, उसे अपने "साथ रूम में लेकर जाने लगता हैं।
लेकिन उस वेटर ने अब रोना, शुरू कर दिया था. और वो गिड़गिड़ाते हुए बोली_ नहीं-नहीं साहब आप हमें जाने दीजिए, हमने कुछ नहीं किया है।हमारा कोई कसुर नहीं है। प्लीज़ साहब हमें, जाने दीजिए!
आप हमारे साथ ऐसी-वैसी हरक़त मत कीजिए! हम मजबूरी में, यहां काम करते हैं। पर हम ऐसा-वैसा कोई काम नहीं करते हैं। ऐसा बोलकर- वो वेटर “अबीर से खुदको छोड़े जाने, की गुहार लगाने लगी थी।
लेकिन “अबीर को ये बात कुछ, खास पसंद नहीं आयी और अचानक वो उस वेटर, के "बालों को कसकर पड़कर बोला_ “अबीर सूर्यवंशी को तुम पसंद आ गई, होतो "तुम्हारी हिम्मत नहीं होनी चाहिए! कि “अबीर सूर्यवंशी के आगे तुम, अपनी जुबान खोल सकों।
जो मैं कर रहा हूं! करने दो ट्रस्ट मी, आज के बाद “अबीर सूर्यवंशी को तुम हमेशा याद रखोगी। ऐसा बोलकर उसने, उसकी तरफ "बेशर्मी से आँख मार दी थी. “अबीर ने उस वेटर को, सीधा बेड पर धक्का दे दिया था।
और जल्दी ही उसको उसके, कपड़ों से आज़ाद करके! उसके "साथ उसने अपनी पूरी मनमानी, करनी शुरू कर दी थी।
उस लड़की रोने की आवाज़ें, पूरे कमरे में गूंज रही थी. पर जब “अबीर सूर्यवंशी अच्छी तरह से उस वेटर के साथ, अपनी मनमानी करके उठा। और अपने कपड़े पहनने लगा।
तब खुद को चादर में समेटते हुए वो, वेटर “अबीर सूर्यवंशी की ओर देखकर चीखी! और उसे कोसते हुए बोली_ आज जिस तरह से ताकत, घमंड और "दौलत के नशे में चूर होकर, जिस तरह से "तुमने आज मेरी इज्ज़त को, तार-तार किया है। देखना “अबीर सूर्यवंशी तुम कभी सुकून से, नहीं रह पाओगे। तुम मौत की भीख मांगोगे लेकिन तुम्हें, कभी मौत भी नहीं मिलेगी,
तुम्हे कभी "कोई मोहब्बत नही करेगा,
देखना “अबीर सूर्यवंशी ,,।
ये बोलते हुए वो वेटर लड़की, गुस्से से से काँप रही थी। उसकी बात सुनकर- “अबीर घमंड मे चूर होकर बोला_ “अबीर सूर्यवंशी को कभी, मोहब्बत नहीं होगी।
नफरत है “अबीर सूर्यवंशी को मोहब्बत के नाम से, ऐसा बोलकर “अबीर जल्दी ही वहां से, निकल चुका था ।।।।
और वही वो लड़की कभी अपने बदन के उतरे हुए कपड़ों को, फर्श पर गिरे हुए देख रही थी. तो कभी उस ब्लैंक्क चेक को देख रही थी. जो इस वक़्त “अबीर सूर्यवंशी उसे थमा कर गया था।।। ❤✍🏻
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अब आगे--
वही वो लड़की कभी अपने बदन के उतरे हुए कपड़ों को, फर्श पर गिरे हुए देख रही थी. तो कभी उस ब्लैंक्क चेक को देख रही थी. जो इस वक़्त “अबीर सूर्यवंशी उसे थमा कर गया था।।।
और अगले पल वो फूट-फूट कर रोने लगी थी.
वहीं दूसरी ओर,_
“अबीर सूर्यवंशी एक औरत की इज्जत लूटकर, कुछ बेसहारा लोगों की जान, लेकर आराम से जाकर अपने "शानदार विला मे सो गया था।
और वही “अबीर सूर्यवंशी की मां “मेघा सूर्यवंशी अपने बेटे को, प्राउड की नजरों से देख रही थी. हालांकि उन्हें इस बात की, इनफार्मेशन मिल चुकी थी. कि उनके बेटे ने आज किस तरह से, सड़क पर सोए हुए "लोगों के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी थी।
जिनमें से एक की मौत भी हो गई थी. साथ ही साथ उसके बाद क्लब में जाकर, किस तरह से एक "लड़की की इज्जत को तार-तार किया था. लेकिन उनके चेहरे पर, किसी तरह का कोई अफसोस नहीं था।
उल्टा अपने बेटे के इस तरह के, कारनामे को सुनकर- भी वो काफी ज्यादा प्राउड नजरों से, अपने बेटे को देख रही थी।
तभी “अबीर के पिता मिस्टर “प्रयाग सूर्यवंशी वहां आते हैं और अपनी पत्नी की, ओर देखकर बरसते हुए बोले_ देखा तुमने आज तुम्हारे लाडले ने क्या किया? कुछ पता चला या नहीं? तुम्हें पता ये लड़का मेरी रेपुटेशन की, धज्जियां उड़ा देगा।।
अरे मैं कह रहा हूं! अभी भी वक़्त है लगाम लगाओ! इस पर तुमने हरकतें देखी है इसकी,
तभी “मेघा जी अपने होठों पर उंगली रखते हुए बोली_ धीरे बोलिए धीरे मेरा बेटा सो रहा है। उसकी नींद डिस्टर्ब नहीं होनी चाहिए! समझे आप,
और रही बात मेरे बेटे की की, मेरे बेटे ने क्या किया है। कुछ गलत नहीं किया मेरे बेटे ने, अरे क्या जरूरत है? उन गरीब लोगों को, इस तरह से "फुटपाथ पर सोने की हां, और रही बात उस लड़की की वो एक मामूली सी वेटर, का काम करती थी. एक क्लब में।
अरे मेरे बेटे ने तों उसकी, जिंदगी चमका दी है। उसे, उसकी मुंह मांगी कीमत देकर! अब उसे इस तरह से एक वेटर, का काम तो नहीं करना पड़ेगा ना।
Well अब हमेशा की तरह “मेघा ने अपने पति के सामने, अपने बेटे की करतूतो पर पर्दा डाल दिया था. और इमोशनल होते हुए बोली_ देखिये वो हमारा एकलौता बेटा है। और आप अच्छी तरह से जानते हैं की, कितनी मन्नतो से हमने उसे पाया है।
और वैसे भी हमारे पास इतनी सारी, जमीन जायदाद है। अगर वो इनका इस्तेमाल नहीं करेगा? तों कौन करेगा? हां,
और वैसे भी आपको तों, राजनीति से ही फुर्सत नहीं मिलती है। और आपने जो ऑफिसर्स लगा रखे हैं। वो सब किस काम के लिए लगा रखे हैं? हां बोलिए, उनको कैस को रफा दफा करें?
और मेरे बेटे पर, इतनी सी भी आंच नहीं आनी चाहिए! ऐसा बोलकर “मेघा जी जल्दी ही अपने, कमरे में चली गई थी।
तब प्रयाग सूर्यवंशी एक नज़र अपने "बेटे की ओर देखता हुआ, वो भी जाकर "कमिश्नर के साथ फोन कॉल अटेंड करने लगा था,
वहीं दूसरी ओर,_
शर्मा परिवार आज काफी ज्यादा खुश था. क्योंकि आज उनके बेटे उनके, बेटे को "स्कॉलरशिप मिलने वाली थी. और वो फ्युचर एजुकेशन के लिए, बाहर जाने वाला था. तो उनकी खुशी का आज "कोई ठिकाना नहीं था।
सभी लोग, काफी ज्यादा खुश थे.
वहीं “कनक तों काफी ज्यादा, सबसे ज्यादा खुश थी. क्योंकि वो हमेशा से ही अपने भाई को, कामयाब देखना चाहती थी।
एक पूरे घर में उसका भाई ही था. जो उसके सुख-दुख दर्द का साथी था. इतना ही नहीं वो अपने मन की हर बात, अपने भाई के साथ शेयर किया करते थी।
कनक को अपने भाई से, कुछ खास लगाव इसलिए भी था. क्योंकि उसका भाई उसी की हमउम्र का था. वो दोनों “ट्विंस थे। तो इसीलिए उन दोनों में काफी ज्यादा, अंडरस्टैंडिंग और अटैचमेंट थी। कनक बस अपने भाई को, पूरी तरह से "कामयाब और खुश देखना चाहती थी.
वेल आज “आरव अपने कॉलेज जाने वाला था. वहां जाकर वो अपने स्कॉलरशिप, के डॉक्यूमेंट वगैरह लेकर एक हफ्ते के अंदर अंदर "हायर स्टडीज के लिए बाहर जाने वाला था।
तो इसीलिए पूरे घर में सब खुश थे. लेकिन कहीं ना कहीं सबको थोड़ा-थोड़ा दुख भी हो रहा था- की अगर “आरव इस तरह से घर से बाहर चला जाएगा, तो वो सब लोग उसके बिना कैसे रहेंगे?
क्योंकि भले ही वो, छोटा-सा मिडिल क्लास परिवार था. लेकिन उन सब में एक-दूसरे से बेहद मोहब्बत थी. वो सब एक-दूसरे के बिना रहने के बारे में, लोग सोच भी नहीं सकते थे।।।।
लेकिन फिलहाल यहां “आरव के भविष्य का सवाल था. तो जिसकी वजह से वो उसे, रोक भी नहीं सकते थे।
हालांकि कनक ने “आरव से बोला भी था. भाई अगर पॉसिबल होतो आप, यहीं पर रहकर अपनी स्टडीज कंप्लीट कर लीजिए ना, कम से कम आप हमारी आंखों के सामने तो रहेंगे।
आप अच्छी तरह से जानते हैं की, आपका एब्सेंट में "रशमी और दिव्या मुझे, कितना ज्यादा परेशान करेगी। और फिर मेरा ख्याल कौन रखेगा?
आप तो जानते हैं ना की, आप मेरा इकलौता सहारा हों! अब जैसे ही “कनक ने रोने से शक्ल बनाकर “आरव को थोड़ा सा ब्लैक मेल किया।
तब आरव मुस्कुराते हुए बोला_ अरे मेरी प्यारी बहना, इधर आओ यहां बैठो! देखो आज मैं, तुम्हें एक बात समझाता हूं! डर बिल्कुल अपने दिल, और दिमाग़ से निकाल दों।
जितना डरोगी उतना "दुनिया तुम्हें डरायेंगी।
जिस दिन तुम डरना छोड़ दोगी, बेखोफ हो जिओगी! मुझे पूरी उम्मीद है की कभी भी तुम्हें, कोई डरा नहीं पाएगा।।
ऐसे बोलकर “आरव अपनी बहन को समझाने लगा था. की "दिव्या और रश्मि की शरारतों से वो, बिल्कुल भी ना डरे।
अगर वो कॉकरोच, या "छिपकली उसके ऊपर छोड़ते है! तो वो घबराएं नहीं, बल्कि उसका सामना करें! क्योंकि अगर “कनक इसी तरह से डरती रहेंगी! तों अपनी जिंदगी के उतार-चढ़ाव को वो, कैसे फेस करेगी। कहीं ना कहीं “आरव को इस वक़्त अपनी, बहन की चिंता हो रही थी.
तभी उसके पिताजी वहां, आते हुए और बोले_ अरे बेटा अब ये सब तो तुम लोगों का चलता रहेगा! तुम जाओ तुम्हें, लेट हो रहा है। ठीक है फटाफट से अपने, डॉक्यूमेंट वगैरा ले आओ। तब तक हम तुम्हारी, पैकिंग वगैरह कर देते हैं।
और इसी के साथ में तुम्हें, बताना चाहूंगा! की तुम्हारे लिए हम सब, शॉपिंग करने जा रहे हैं। ठीक है तों कॉलेज हम तुम्हें, छोड़ेंगे और हम सब भी साथ चल रहे हैं। उसके बाद हम तुम्हारी, शॉपिंग करेंगे।
ताकि तुम तुम्हें बाहर किसी भी चीज़ की कमी ना हो, ऐसा कहकर- वो अपने बेटे के सर पर हाथ फेरने लगे थे।
तब “आरव मुस्कुरा दिया और वो खुश होकर बोला_ अरे वाह, अगर आप लोग भी साथ चलेंगे! तों बेस्ट हो जाएगा, चलो चलते हैं। फिर ऐसा बोलकर- पूरा परिवार अपने एक छोटी सी गाड़ी में, शॉपिंग मॉल की तरफ रवाना हो चुका था।
वहीं दूसरी ओर,_
तकरीबन 11:00 “अबीर सूर्यवंशी की आंख खुली थी. आंख खुलते ही उसके सामने नींबू पानी रखा हुआ था. ताकि उसका हैंगओवर, थोड़ा सा कम हो जाए "नींबू पानी पीकर उसे थोड़ा बैटर लगा था।
फिर उसने उल्टा सीधा नहाया था. नहाकर फटाफट से अपनी शर्ट, लेकर बाहर जाने लगा!
तब उसकी मां, उसे पीछे से रोकते हुए बोलीं_ अरे बेटा इतनी जल्दी में, कहां जा रहा है? रुक जा बेटा इतनी जल्दी में, जाने की क्या जरूरत है?
तब “अबीर चिढ़ते हुए बोला_ क्या मोम मैंने आपको, कितनी बार कहा है- की इस तरह से मुझे, मत टोका कीजिए! मुझे जाने दीजिए मुझे जाना है।
और वैसे भी मुझे देर हो रही है! मेरा दोस्तों के साथ ऐसे प्लान है। ऐसा बोलकर, जल्दी ही “अबीर बिना अपनी "मां की मेघा की, कोई बात सुने अपनी गाड़ी लेकर, एक बार फिर "वहां से रवाना हो चुका था।
और मेघा ने जल्दी ही कुछ गार्ड्स को उसके, पीछे-पीछे भेज दिया था. “मेघा अपने बेटे के सिक्योरिटी का पूरी तरह से, ख्याल रखा करती थी।
जब भी वो अकेले अपनी गाड़ी लेकर, जाया करता था. तो उसके आगे पीछे वो, बॉडीगार्ड की गाड़ियां भेज दिया करती थी।। ताकि उसके बेटे को, किसी तरह की कोई परेशानी ना आए।
वेल.. वहीं दूसरी ओर,_
मिस्टर शर्मा ने अपने बेटे आरव, को कॉलेज में छोड़ दिया था. और फिर उसके बाद वो, अपनी "बेटियों और पत्नी को लेकर मौल आ गए थे. और वहां पर वो, सब शॉपिंग करने लगे थे।
तभी माल के बाहर “कनक की नज़र एक छोटे से ठेले पर पड़ी थी. जहां पर काफी प्यारे प्यारे छोटे छोटे, फ्लावर पॉट रखे हुए थे. जिन्हें एक बुजुर्ग बेच रहे थे।
अब जैसे ही “कनक की नजर फ्लावर्स पर पड़ी, तो वो खुशी से चहक उठी थी. और तुरंत “रश्मि का हाथ पकड़ कर बोली_ रश्मि वो देखो कितने पूरे सुंदर-सुंदर छोटे-छोटे फूल है। चलो चलकर खरीदते हैं।
तब “रश्मि आंखें मटकाते हुए बोली_ अरे “कनक दीदी हम यहां, मोल आये है। तो आप यहां से कुछ ले लीजिए ना, और ये क्या जब जहां भी "आपको फ्लावर पॉट्स देखते हैं! आप तो बिल्कुल बच्ची बन जाती है। कोई इस तरह का बर्ताव करता है?
क्या तब सीमा जी वहां आयी, और “रश्मि को डांटते हुए बोली_ क्यों मेरी बेटी को डांट रही हो! हां, अगर उसे फ्लावर चाहिए तों दिला दो ना, तब तक हम यही माल मे तुम्हारा, इंतजार कर रहे है। जाओ 1 मिनट लगेगी मॉल के बाहर ही तो है।
उस वक़्त वो सेकंड फ्लोर पर थे. और वहां से ही “कनक ने वो छोटे-छोटे फ्लावर पॉट्स को गमले उन्हें बेचते हुए एक बुजुर्ग को देखा था।
तब “कनक ने जल्दी ही रश्मि, के साथ नीचे आ गई थी. क्योंकि “कनक काफी ज्यादा डरती थी. वो अकेली कहीं नहीं जाती थी। तो इसीलिए वो अपनी बहन का हाथ थाम, कर नीचे आ गई थी।
और फटाफट से उसने, मॉल के सड़क पर जो "बुजुर्ग पोर्ट बेच रहे थे. उनसे वो फ्लोवर पॉट खरीदने शुरू कर दिए थे।
लेकिन तभी अचानक “अबीर सूर्यवंशी की गाड़ी जो कि वो, पूरी स्पीड पर चल रहा था. उसने वो गाड़ी सीधा उस, फ्लावर के "बुजुर्ग के ठेले की ओर कर दी थी। और जोरदार उस फ्लावर पॉट पर टक्कर मार दिए थे।
वही “रश्मि ने उसे गाड़ी को आते हुए देख लिया था. फटाफट से “कनक का हाथ पकड़ कर उसने उसे फुटपाथ की, ओर खींच लिया था. जिससे उन दोनों बहनों को तो कुछ नहीं हुआ था। लेकिन छोटे-छोटे गमले छोटे-छोटे पौधे, सारे सड़क पर फैल गए थे. और वो बुजुर्ग आदमी अब रोने लगा था.
तो रश्मि जोरों से चीखतीं हुए बोली- अरे अंधा है क्या? ये ताकत के नशे में चूर "अमीर आदमी गरीब आदमी को, आदमी ही नहीं समझते हैं! पता नहीं क्या समझते हैं ये खुदको? ऐसा बोलकर- “रश्मि गुस्से से उसे गाड़ी वाले, पर चिल्लाने लगे थी।
लेकिन “कनक बहुत ज्यादा डर गई थी।
उसने “रश्मि का हाथ पकड़ा और उसे, शांत कराते हुए बोली_ ये क्या कर रही है तू, हमें किसी के मामले में ऐसा, नहीं बोलना चाहिए! तू चल यहां से पापा-मम्मी के पास चलते हैं।
लेकिन “रश्मि गुस्से से अपनी बहन को घूरती हुई बोली_ कनक दीदी आखिर आप में, इमोशंस नाम की कोई चीज है या नहीं है? आप इतनी सारी नाइंसाफी अपनी आंखों के, सामने देखते हुए चुप कैसे रह सकती है?
आपने देखा नहीं उन बुजुर्ग का, पूरा का पूरा ठेला उस अमीर आदमी ने गिरा दिया है हां,
तब कनक “रश्मि को समझाते हुई बोली_ देख “रश्मि हमें किसी के भी मामले में, टांग नहीं अड़ानी चाहिए! तू चल यहां से और मैं, तेरी बहन हूं ना तू तुझे मेरी बात माननी होगी।
तू चल मेरे साथ,
देख अगर तु नहीं चली तो मैं, मम्मी पापा से तेरे शिकायत कर दूंगी! ऐसे कहकर “कनक रश्मि को वहां से खींचते हुए वापस मॉल में ले आयी थी।
लेकिन रश्मि का मूड पूरी तरह से अपसेट हो चुका था। जिसे उसके मां-बाप ने नोटिस कर लिया था. और उनके पूछते ही उसने सारी, बातें बता दी थी। और किस तरह से “कनक डर के मारे उसे वहां खींच कर ले आयी।
उसने ये बात भी बता दी थी और तुम रश्मि बोली_ डैड मुझे समझ में नहीं आता है की दीदी इतना ज्यादा डरती क्यों है? क्यों आप उसके अंदर थोड़ी बहुत हिम्मत नहीं भर देते हैं? अगर दीदी आज मुझे नहीं रोकती मैं, उस "अमीर आदमी को अच्छा खासा सबक सिखाती।।।
दूसरी ओर,_
वहीं “अबीर रघुवंशी जिसने अपने कानों पर हेडफोन पहन रखे थे. और लापरवाही से फुल वॉल्यूम में म्यूजिक सुन रहा था. उसने ये टक्कर जानबूझकर नहीं की थी।
लेकिन म्यूजिक में वो, इतना खो गया था. की एक पल के लिए उसकी हल्की सी आंखें बंद हुई, और उसी में गाड़ी का एक "कॉर्नर उस ठेले से जा टकरा गई थी।
वेल.. उसने अब गाड़ी माल के बैक साइड में रोक दी थी. और फटाफट से शॉपिंग करने के लिए मॉल में जाने लगा था. लेकिन “कनक और रश्मि का मूड उस वक़्त, अपसेट हो चुका था। और तब मिस्टर शर्मा अपनी पत्नी और बच्चों को, लेकर वहां से निकल गए थे।।।।
ठीक उसी वक़्त “अबीर सूर्यवंशी ने मॉल में एंट्री की थी. वो तो लापरवाही से, गाना सुनता हुआ आगे बढ़ रहा था. और उसके ठीक बराबर में से “कनक निकल गई थी.
उसका दुपट्टा एक पल के लिए “अबीर के कंधे पर से छूकर निकला था. लेकिन ना “अबीर ने ध्यान दिया, और ना ही “कनक ने दोनों ही अपने-अपने मंजिल, की ओर रवाना हो चुके थे।।।।
शॉपिंग करने के बाद जल्दी ही “अबीर सूर्यवंशी शहर के मशहूर होटल ग्रेनाइट प्लेस, में जा पहुंचा था. और वहां जाकर अपनी पसंद का कुछ फूड वगैरा आर्डर, करके खाना चाहता था.
लेकिन वहीं पर “आरव जो की ग्रेनाइट में उसने, एक टेबल बुक किया था. अपनी पूरी "फैमिली के लिए क्योंकि वो, भी देश जाने से पहले अपनी पूरी "फैमिली को ट्रीट देना चाहता था।
तो इसीलिए उसने अपनी फैमिली को, फोन करके होटल में आने के लिए कह दिया था. लेकिन बदकिस्मती से वो, उसी वक़्त “अबीर सूर्यवंशी से टकरा गया था।✍🏻
3️⃣
वहीं पर “आरव जो की ग्रेनाइट में उसने, एक टेबल बुक किया था. अपनी पूरी "फैमिली के लिए क्योंकि वो, भी देश जाने से पहले अपनी पूरी "फैमिली को ट्रीट देना चाहता था।
तो इसीलिए उसने अपनी फैमिली को, फोन करके होटल में आने के लिए कह दिया था. लेकिन बदकिस्मती से वो, उसी वक़्त “अबीर सूर्यवंशी से टकरा गया था।
अब आगे--
जो की उस वक़्त अपने फेवरेट ड्रिंक पीता हुआ बिल्कुल अपने बाप का माल समझकर होटल में टहल रहा था। वो “आरव से टकरा गया था. और “अबीर की ड्रिंक उसके कपड़ों पर गिर गए थी।
अब “अबीर लाल आंखों से आरव को, घूरने लगता है।
तब आरव जल्दी से माफी मांगते हुए बोला- आई एम सो सॉरी ब्रो.. मैंने आपको देखा नही,।
लेकिन आरव, का इस तरह से सॉरी कहना “अबीर सूर्यवंशी को अंदर ही अंदर तक तपा गया था. और वह आरव, की ओर देखकर बोला- तेरी इतनी औकात नहीं की तू, मेरे सामने खड़ा भी हो सके! और तो मुझे ब्रो, कह रहा है। हां,
तब आरव उसकी बात सुनकर, चिड़ सा गया था. और बोला - हे व्हाट्स हैपन.. जल्दी ही वो साइड से निकलने लगा।
लेकिन तब तक “अबीर सूर्यवंशी ने उसका हाथ कस पकड़ लिया था. और बोला- इतनी भी क्या जल्दी आ जाने की, तुमने “अबीर सूर्यवंशी से टकराने की हिम्मत की है। इतना ही नहीं तुमने मुझे ब्रो, बोला है। तो इतनी आसानी से मैं, तुम्हें कैसे जाने दे सकता हूं।
अब आरव उसकी बात सुनकर, हैरान हो गया था. लेकिन उससे पहले की, कुछ वो समझ पाता “अबीर ने खींच कर एक मुक्का उसके मुंह पर दे मारा था।।।
और “आरव फर्श पर गिर पड़ा, अब तो “आरव को भी काफी तेज गुस्सा आता है, की ये "शख्स आखिर उसके साथ इस तरह का, बर्ताव कैसे कर सकता है। इसीलिए खड़ा होकर “आरव ने भी उसके मुंह पर एक मुक्का खींचकर दे मारा था।
और जैसे ही “आरव ने अबीर सूर्यवंशी पर हाथ उठाया उसके सभी, बॉडीगार्ड्स जो उसकी "मां उसके साथ हमेशा भेजा करती थी. उन सबने आकर “आरव को गन पॉइंट पर ले लिया था।
लेकिन “अबीर सूर्यवंशी की उस वक़्त इगो हर्ट हुई थी. और वो बोला- इसे मारने का हक सिर्फ और सिर्फ मेरा है। क्योकि किसी ने पहली बार “अबीर सूर्यवंशी पर हाथ उठाया है। तो इसे इतनी आसान मौत तो किसी भी कीमत पर नहीं मिलेगी।
अब “आरव हैरान हो गया था. उसे समझ नही आ रहा था. की “अबीर आखिर करना करना क्या चाहता है? और एक और वो “अबीर के आदमियों के हाथ में गन देखकर डर भी गया था।
और लड़खड़ाती जुबान में बोला- देखो देखो ब्रो सॉरी सर, आपको जरूर कोई ना कोई गलतफहमी हुई है। प्लीज़ मामूली सी बात है। मुझे जाने दीजिए, वैसे भी मेरे लिए आज बहुत बड़ा दिन है। मैं पहली बार अपनी फैमिली, को ट्रीट दे रहा हूं।
सो प्लीज..
अब जैसे ही “अबीर सूर्यवंशी ने ये सुना, वह बड़ी ही बुरी तरह से राक्षस, की तरह हंसने लगा था. और एरोगेंट वॉइस में बोला- वेरी वेरी बेड स्वीटहार्ट लेकिन कुछ सपने, लोगों के अधूरे ही रह जाते हैं। जो कभी भी पूरे नहीं होते हैं। यह कहते हुए “अबीर बड़ा ही डेंजर लग रहा था।
और इससे पहले की “आरव कुछ भी समझ पाता अचानक “अबीर ने अपने आदमी के हाथ से स्टिक, लेकर “आरव पर ताबड़ तोड़ वार कर दिया था।
अब लगातार वार, से “आरव के आंखों के सामने अंधेरा छा गया था. और लास्ट टाइम उसे अपने परिवार का बारिश में, आइसक्रीम खाते हुए खिलखिला कर हंसते हुए, मौज मस्ती करते हुए चेहरा ही नज़र आता है। और अचानक "उसकी आंखें बंद हो गई थी।
वही “आरव पर जान लेवा हमला करने के बाद, जल्दी ही उसके बॉडीगार्ड्स “अबीर को वहां से लेकर चले गए थे ।।
और जैसे ही “अबीर वहां से गया ठीक उसी वक़्त, “आरव का परिवार वहां आता है। और वो काफी हैरान हो रहे थे. क्योंकि पूरे के पूरे होटल के लोग, खड़े होकर एक तरफ देख रहे थे।
और जैसे ही मिस्टर शर्मा, थोड़ा सा आगे गए! उन्होंने देखा की उनका लाडला बेटा, वहां खून से लथपथ पड़ा हुआ है। तो उनकी जोरों चीख निकल गई थी.
सब दौड़कर जल्दी से वहां पहुंचे।
“कनक ने अपने भाई को वहां देखा, साथ-साथ उसके रश्मि, दिव्या, में छोटी बहन उनकी मां, ने अपने प्यारे "बेटे को देखा! जो आज अपनी फैमिली, को ट्रीट देना चाहता था।
उन्हें वहां देखा तो उनके, तो पैरों के तले से जमीन खिसक चुकी थी. और वो पूरी परिवार अब “आरव को उठाने की कोशिश करने लगा था।
उनकी चीख उस वक़्त, उस होटल में गूंज रही थी. वो बूरी तरह से चीख चिल्ला रहे थे. और उसे अपने बेटे को डॉक्टर को, दिखाने को सबसे रिक्वेस्ट कर रहे थे।
वही “कनक तो एकदम पत्थर के जैसी जम गई थी. उसे तो कुछ ना दिख रहा था. ना सुनाई दे रहा था. सिर्फ और सिर्फ उसकी, आंखों के सामने उस वक़्त अगर कोई था. तो उसके "भाई का खून से लथपथ चेहरा।।।
जल्दी ही कुछ लोगों ने एंबुलेंस को, फोन कर दिया था. एंबुलेंस में “आरव को अस्पताल लेकर जाया गया था। वहाँ emeregncy वॉर्ड मे “आरव का इलाज होने लगा था।
लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. क्योंकि ज्यादा खून बहजाने की वजह से, और सर पर लगातार "लोहे की रोड़ से वार करने पर आरव, कोमा मे जा चुका था।
अब तो उसका पूरा परिवार, पूरी तरह से टूट चुका था. हर तरफ सिर्फ, रोने चीखने चिल्लाने की आवाज आ रही थी. मिस्टर शर्मा का इकलौता बेटा, आज एक "अमीरजादे की एगो की भेंट चढ़ गया था।।।।
Well.. अब क्योंकि कुछ लोगों, ने “अबीर को आरव को, मारते हुए वीडियो बना ली थी. और उसे पोस्ट भी कर दिया था. रातों-रात वो वीडियो वायरल हो गई थी. तो इसीलिए इस केस, ने बहुत ही ज्यादा तूल पकड़ लिए थी।
तो रातों-रात ही वह वीडियो, वायरल हो गई थी। और वह वीडियो शर्मा परिवार, के सामने भी आ गई थी. अब तो उनकी आंखें हैरानी से फैल गई थी। क्योंकि उन्होंने “अबीर सूर्यवंशी के बारे में अच्छी तरह से सुना था।
वेल.. अस्पताल के बाहरी काफी ज्यादा जमावड़ा लग चुका था. इतना ही नहीं शहर, के कितने ही सारे संस्था वाले अपने-अपना मोर्चा, लेकर वहां खड़े हो गए थे। क्योंकि “अबीर सूर्यवंशी शहर का जाना पहचाना चेहरा था।
इतना ही नहीं सबसे ज्यादा प्रयाग, सूर्यवंशी के अपॉजिट लोग अब इस मामले को ज्यादा तुल देने लगे हुए थे। क्योंकि उसके पिता जो कि, वहां के होने वाले "नेता थे. तो इसीलिए हर कोई अब उनके बेटे, को सज़ा दिलाना चाहता था।
इसीलिए पूरे शर्मा परिवार, के साथ सभी लोगों की सहानुभूति थी. और सभी बाहर खड़े होकर “अबीर सूर्यवंशी को गिरफ्तार करने का नारा लगा रहे थे।
वहीं “कनक की तो पूरी दुनिया ही उजड़ गई थी. अपने भाई से वो बेहद "मोहब्बत किया करती थी. उसने सपने में भी नहीं सोचा था. कि उसका "भाई इस तरह से कोमा मे चले जाएगा।
यहां तक की “कनक कीआंखों से तो एक भी आंसू नहीं आया था. वो कभी अपने भाई, के मशीनों के बीच पड़े शरीर को देखती! तों कभी उसके लहूलुहान सिर को देखती, जहां पर लोहे की रोड से लगातार वार हुए थे।
कनक को तो ऐसा लग रहा था. की बस एक बार उसका "भाई उठ जाए तो उसके बाद वो, अपने "भाई के सारे दुख अपने सर पर ले लेंगी!
लेकिन अपने भाई, को ठीक कर देगी।
लेकिन यहां तो उसका भाई, खामोश था. वो कुछ बोल ही नही रहा था. वह "भाई जो की हमेशा उसका साथ देना चाहता था. एक उसके एक इशारे पर, कुछ भी करने को तैयार रहता था. हमेशा उसकी मदद करता था.
इस दुनिया से लड़ने के लिए उसे, ताकत दिया करता था. हर चीज में उसे भरोसा दिलाया करता था. उसका वो भाई, अब कोमा मे जा चुका था।
कनक एक जिंदा लाश की, तरफ हॉस्पिटल के कोने में बैठी हुई थी. उसकी बहन रश्मि, और दिव्या “कनक को रुलाने की कोशिश कर रहे थे. की एक बार “कनक रो देगी! तों शायद इसका थोड़ा सा गम हल्का हो जाएगा।
लेकिन “कनक की आंखों से एक भी आंसू का कतरा नहीं बहा था. वो बस केवल अपने सामने मशीनों मे पड़े हुए, अपने बेजान "भाई के शरीर को देखे जा रही थी. उसकी हालत उस वक़्त बहुत ज्यादा खराब हो चुकी थी।
मिस्टर शर्मा अपनी बेटी की, ऐसी हालत देखने के बाद तेरे अंदर कटकर रह गए थे. उस वक़्त सभी खून के आंसू रो रहे थे. इतना बे-हिसाब दर्द उनके जिंदगी में भर उठा था. जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था।
उनकी पूरी दुनिया, एक पल में उजड़ चुकी थी.
किसी को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था. वेल.. जल्दी ही “आरव का इलाज हाई स्टेज पर किया जाने लगा था. क्योंकि ये एक बहुत बड़ा केस बन चुका था।
पूरा परिवार एमरजेंसी रूम के, बहार बेसूध होकर बैठा रहा था. कितने घंटे तक “कनक गुमसुम सी बैठी रही। और अपनी पिछली यादें ताजा करने लगी थी. लेकिन उसकी आंखों से, अभी तक एक भी आंसू नहीं बहा था।
क्योंकि अपने भाई को, इस तरह से देखना उसे बहुत ज्यादा सदमा पहुंचा गया था।
वेल.. आरव को अस्पताल में भर्ती के दूसरा, दिन हो चुका था. पूरा का पूरा परिवार अभी भी गमजदा था. उस परिवार और कोई भी ऐसा नहीं था. जो उन लोगों को संभाल सकें! केवल कुछ पड़ोसियों के अलावा...
कुछ पड़ोसी उनकी मदद के लिए आगे आए थे. उन्हें समझाने की भरपूर कोशिश कर रहे थे. क्योंकी “आरव उस घर का एकलौता बेटा था. सबको “आरव से बहुत ज्यादा उम्मीदें थी। सब लोगों की दुनिया “आरव के इर्दगिर्द ही तो घूमती रहती थी।
वेल.. 24 घंटे बाद मिस्टर शर्मा, थोड़ा सा अपनी सेंस में वापस आए! और अपने परिवार को संभालने लगे थे।।।
थोड़ा बहुत दिव्या, रश्मि, और उनकी "पत्नी सीमा जी तो संभल गई थी. और लगातार अपने बेटे के ठीक होने की दुआएं करने लगी थी. लेकिन “कनक कनक को तो मानो किसी चीज, का कोई होश ही नहीं था।
वो तो बस एक ट्रक लगातार एक ही जगह बैठी हुई थी. कब से सिर्फ और सिर्फ एमरजैंसी, रूम की तरफ ही देखे जा रही थी।
क्योंकि “आरव वेंटिलेटर पर था. और लगातार उसकी सासे कभी कम हो रही थी. तों कभी ज्यादा हो रही थी. तो लगातार डॉक्टर उसे कंट्रोल कर रहे थे। और उसकी "जान बचाने की पूरी कोशिश कर रहे थे।
Well.. 48 घंटे बाद मिस्टर शर्मा, अपने "बिवी और बेटियों को थोड़ा बहुत कुछ खिला पिला रहे थे. “कनक ने एक घूंट पानी तक नहीं पिया था. उसका शरीर इस वक़्त काफी, ज्यादा कमजोर हो गया थीं।
तब उसके पिता अपनी बेटी, के पास गए उसके सर पर हाथ रखकर बोले- मेरे बच्चे अगर तू, इस तरह से हिम्मत हार जाओगी! तो कैसे चलेगा? देख तेरा भाई बीमार है! अगर तू भी बीमार हो गई तो मैं, किसे किसे कैसे सम्हालूंगा। ये बोलकर मिस्टर शर्मा, अपनी बेटी को समझने की भरपूर कोशिश कर रहे थे।
तब सीमा जी, आगे आयी और अपनी बेटी को गले से लगाकर एक तरफ बैठ गई थी. लेकिन तभी अचानक कुछ, अनजाने मेहमान भी आए थे।
वो अनजाने मेहमान कोई और नहीं, बल्कि वही मिनिस्टर “अबीर सूर्यवंशी के पिता प्रयाग, और "मां मेघा जी थे. जो दोनों वहां आए थे। उन्होंने वहां आकर अपना दुख जाहिर किया था।
और बदले में मिस्टर शर्मा, को कितने ही सारे पैसे ऑफर किए थे. ताकि व लोग अपना "केस वापस ले सके।
क्योंकि जनता के दबाव में, आकर साथ ही साथ उस वीडियो के वायरल होने पर अब “अबीर सूर्यवंशी को अरेस्ट कर लिया गया था.
और “अबीर सूर्यवंशी गुस्से से पागल हो चुका था. उसने सपने में भी नहीं सोचा था. कि इस तरह से एक मामूली से आदमी को, मारने पर उसे इस तरह से गिरफ्तारी देनी पड़ सकती है।
हालांकि ये सबकुछ वीडियो वायरल, होने की वजह से हुआ था. जिसकी वजह से पूरे देश में उसके खिलाफ आक्रोश भर उठा था. और सभी लोगों से भरा बुला कह रहे थे.
तों इसीलिए अपनी "राजनीति की चाल चलते हुए उसके पिता, ने उस वक़्त कुछ पल के लिए “अबीर को अरेस्ट होने के लिए कह दिया था।
ताकि मामला ठंडा हो जाए, और इसीलिए वो आज हॉस्पिटल मे ही “कनक के परिवार को पैसे ऑफर करने के लिए आए थे।
और साथ ही साथ उन्होंने ये भी बोला, कि भले ही आपका बेटा कोमा में है। लेकिन उसके बदले में हम आपको इतना रुपया पैसा देंगे। और आपके बेटे, का विदेशो मे इलाज कराएंगे। और आपको कभी भी जिंदगीभर पैसों, की कमी महसूस नहीं होगी।
जो रुपया पैसे आपका बेटा, बाहर जाकर कमाता उससे कहीं 100 गुना पैसे हम आपको देंगे। बस बदले में आपको अपनी कंप्लेंट, वापस लेनी होगी।
अब “कनक जो एक मामूली सी लड़की, जो एक छिपकली को देखकर नकली कॉकरोच तक को देखकर डर जाया करती थी. वो “अबीर सूर्यवंशी के पिता की ऐसी बातें सुनकर, ना जाने उस डरी सहमी “कनक में कहां से जान आ गई।
और उसने वो पेपर जिन पर ये, बात लिखी हुई थी. की हम लोग अपने "कंप्लेंट वापस लेना चाहते हैं! उन पेपर को फाड़कर उसे, मिनिस्टर के मुंह पर ही फेंक दिए थे।✍🏻 ❤️
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अब “कनक जो एक मामूली सी लड़की, जो एक छिपकली को देखकर नकली कॉकरोच तक को देखकर डर जाया करती थी. वो “अबीर सूर्यवंशी के पिता की ऐसी बातें सुनकर, ना जाने उस डरी सहमी “कनक में कहां से जान आ गई।
अब आगे--
और उसने वो पेपर जिन पर ये, बात लिखी हुई थी. की हम लोग अपने "कंप्लेंट वापस लेना चाहते हैं! उन पेपर को फाड़कर उसे, मिनिस्टर के मुंह पर ही फेंक दिए थे।
और “कनक गुस्से से बौखलाते हुए बोली- जब तक तेरे बेटों को फांसी, नहीं हो जाएगी ये बहन चैन से नहीं बैठेंगी। “कनक के मुंह से ऐसी बात सुनकर, जितने, हैरान उसके माता-पिता थे.
वही “अबीर सूर्यवंशी के माता-पिता दोनों, के तनबदन में आग लग गई थी. और वो दोनों गुस्से से वहां से वापस आ गए थे।
मिस्टर सूर्यवंशी, के वहां से जाने के बाद “कनक के पिता मिस्टर शर्मा उसके, पास आए और सहमते हुए बोले- बेटी है क्या किया तूने? हम लोगों की इतनी औकात और हिम्मत नहीं है! कि हम उन लोगों का मुकाबला कर सके। वो बहुत अमीर लोग हैं। उनकी पहुंच ऊपर तक है! पुलिस, प्रशासन सब कुछ उनकी जेब में है।
“कनक अजीब से एक्सप्रेशन लाते हुए बोली- नहीं पापा, नहीं भले ही पुलिस प्रशासन उनकी जेब में हों। लेकिन जब तक मेरे भाई को, इंसाफ नहीं मिल जाता!
तब तक मैं, चैन से नहीं बैठूगी।
कनक पुरे 48 घंटे, के बाद कुछ बोली थी. और वो भी सीधा-सीधा मिनिस्टर के खिलाफ बोली थी. “कनक की आंखों में डर या, किसी भी तरह है का "कोई भी भाव दिखाई नहीं दे रहे थे।
तभी कनक की मां, सीमा जी आगे आयी! और उसके सर पर हाथ रखकर सहलाने लगी, और दर्दभरी आवाज़ में बोली- तुम कौन हो? क्या तुम वाकई मेरी वह डरी सहमी हुई, सी बेटी “कनक हो? हां..
कौन हो तुम!? जो एक नकली "छिपकली तक को देखकर डर जाया करती थी. आज वो कितनी हिम्मत से उन लोगों, के सामने खड़ी हुई थी। आज तुम मुझे, बड़ी बदली बदली सी नज़र आ रही हों।
तभी “कनक ने एक जहरीली सी मुस्कुराहट के साथ ,अपनी मां को देखते हुए कहती है, “कनक वो डरी सहमी “कनक तो कब की मर चुकी है। मां.. क्या आपको दिखाई नहीं दे रहा? उसके भाई की बुरी हालत देखने के बाद, साथ-साथ उसके सिर से बहते लगातार खून को देखकर!
आपकी डरी सहमी “कनक मर चुकी चुकी है।
अब मैं वो “कनक नहीं हूं जो पहले थी।
और जब तक की मैं, अपने "भाई के गुनहगार को कड़ी सजा नहीं दिला देती! तब तक मैं चैन सुकून से नहीं बैठूंगी। ऐसा बोलकर, “कनक जल्दी ही अपने भाई, के वॉर्ड में चली गई थी।
वहीं दूसरी ओर,_
अबीर सूर्यवंशी को, पब्लिक के दबाव में आकर अरेस्ट कर लिया गया था. और वह इस वक़्त जेल के, वीआईपी सलाखों के पीछे गुस्से से तमतमा रहा था. क्योंकि उसे ये कैद 1 मिनट के, लिए भी बर्दाश्त नहीं हो रही थी।
उसे कैद में रहने की आदत ही नहीं थी. उसे हर वक़्त खुल्लम-खुल्ला रहना, आजादी से मौज मस्ती करना शराब पीना, "लड़की बाजी करना ये सब बेहद पसंद था।।।।।
और अब वो यहाँ पिछले तीन, घंटे से बंद था. तो उसका दिमाग इस वक़्त बहुत ज्यादा खराब हो चुका था. और वो गुस्से से सब पर चिल्ला रहा था.
सभी पुलिस वाले एक तरफ दुबक के खड़े हुए थे. वो “अबीर सूर्यवंशी की ताकत को अच्छी तरह से जानते थे. लेकिन वो मजबूर थे।
अगर वो “अबीर सूर्यवंशी को अरेस्ट नहीं करते तो, "पब्लिक इखट्टा होकर उनके, पूरे पुलिस स्टेशन को आग लगा सकते थी. तो इसीलिए पब्लिक के दबाव में आकर, उन्होंने “अबीर अरेस्ट कर लिया था।।
लेकिन अब “अबीर सूर्यवंशी का गुस्सा, उनके हद से बाहर हो रहा था. तभी “अबीर सूर्यवंशी के पिता वहां आते हैं। उन्हें देखकर सभी पुलिस वालों ने, अपना सर झुका लिया था. और वो जल्दी ही अपने बेटे, के ठीक सामने जाकर बैठ गए।
और “अबीर सूर्यवंशी अपने पिता की ओर देखने लगा था. अपने पिता से वो बहुत कम बात किया करता था. लेकिन अपने पिता की वो, बहुत ज्यादा इज्जत किया करता था।
तब उसका पिता लाल आंखों, के साथ “अबीर की ओर देखते हुए बोले- आज सिर्फ और सिर्फ तेरी वजह से हम कहीं के नहीं रहें! हमारा समाज में सर झुक चुका है। अरे अगले 6 महीने में इलेक्शन है। और मैं, यहां का सीएम बनने वाला हूं।
लेकिन उससे पहले ही तूने, सबकुछ गु गोबर कर दिया क्या जरूरत थी. तुझे उस "आदमी को लोहे की रोड से मारने की हां, आखिर कब आएगी तेरे भेजे में बात.. क्यों तू, अपनी हरकतों से बाज नहीं आ जाता है।
आज सिर्फ और सिर्फ तेरी वजह से, एक दो कौड़ी की "लड़की ने मेरे मुंह पर कागज फाड़कर फेका! सिर्फ और सिर्फ तेरी, वजह से "मुझे इस तरह की बेइज्जती का सामना करना पड़ा।
सिर्फ तेरी वजह से,
अब अबीर के पिता उसे, अपने शब्दों से मार रहे थे. और वो लाल सुर्ख आंखों, के साथ अपने "पिता की बात सुन रहा था. उसका गुस्सा बढ़ चुका था. और वो तमतमाते हुए बोला- किसकी हिम्मत हुई? आपके, साथ बदतमीजी करने की? किसने फेंके आपके, ऊपर कागज? बताइए मुझे? मैं, उसे नहीं छोडूंगा डैड... बताइए मुझे? मैं उसकी जान ले लूंगा।
तब उसके पिता ने एक तमाचा उसके, मुंह पर दे मारा था. और गुस्से से तिलमिलाकर बोले- कि एक जान, तो तू ले ही चुका है। अब एक और जान लेना चाहता है? और कितनी सारी मुसीबतें हमारे सामने खड़ी करना चाहता है?
आखिर तु, समझदार बन क्यों नहीं जाता है? क्यों तूने, हमारी जिंदगी नर्क बनाकर रखी है? अब मेरी बात ध्यान से सुन, चुपचाप करके कुछ दिन तक इस जेल में बिता! तब तक तुझे यहां से, बाहर निकलवाने का रास्ता खोजता हूं।
तब “अबीर सूर्यवंशी अजीब सी शक्ल बनाकर बोला- ऐसा नहीं हो सकता है। ऐसी कोई सलाखें नहीं बनी है। जो “अबीर सूर्यवंशी को कैद में रख सकें। मैं, यहां से अगले 24 घंटे, के अंदर अंदर बाहर निकलूंगा! देख लीजिएगा। अब ऐसा कहकर, “अबीर दूसरी तरफ पीठकर कर खड़ा हो गया था।
और उसके पिता, अपने हाथों की मुट्ठी को "कसकर बंद करते हुए वहां से बाहर निकल गए थे।
Well.. अपने पिता के जाने के बाद, जल्दी ही “अबीर ने एक इंस्पेक्टर को अपने पास बुलाया, और ऑर्डर देने वाली आवाज में बोला- की वो उसे अपना फोन दे!
उस इंस्पेक्टर ने जल्दी से, कापते हुए हाथों से “अबीर सूर्यवंशी को अपना फोन थमा दिया था. क्योंकि इंस्पेक्टर ही क्या, पूरा "शहर इस बात के बारे में जानता था. कि “अबीर सूर्यवंशी का गुस्सा कितना खतरनाक है।
और वो कब क्या कर सकता है। किसी की भी जान ले सकता है। लेकिन इस बार उसे, पब्लिक ने ट्रैप किया था. उसकी वीडियो, वायरल हो गई थी. जिसकी वजह से देश भर में उसके खिलाफ "नारेबाजी हुई थी। तो इसीलिए पुलिस, प्रशासन को उसे अरेस्ट करना ही पड़ा था।
अबीर ने फोन लेकर किसी और को नहीं बल्कि, अपने एक खास बॉडीगार्ड कम उसका "दोस्त ज्यादा को फोन किया था।
वह उसका बॉडीगार्ड के साथ-साथ उसका दोस्त भी था. और इस वक़्त वो कहीं और नहीं बल्कि पुलिस स्टेशन के बाहर ही खड़ा हुआ था. उसका नाम था देवांश..
अब देवांश, ने जैसे ही अपने बॉस की आवाज सुनी, 1 मिनट के अंदर अंदर वो, उसकी आंखों के सामने मौजूद था. और सर झुकाकर खड़ा हो गया था।
तो अबीर सूर्यवंशी, ने देवांश की ओर बिना किसी इमोशंस के देखते हुए कहा- देवांश, पता लगाओ किसने पिताजी की बेइज्जती की है। और यहां से निकलने की तैयारी करो!
देवांश अबीर की बात सुनकर, तिरछा मुस्कुराया हां, में सिर हिलाया, और जल्दी ही वहां से गायब हो चुका था. और वहां से गायब होकर वो, सीधा एक लॉयर से मिलता है।
जिस लॉयर ने सेटलमेंट वाले पेपर रेडी करके “अबीर सूर्यवंशी के पिता को दिए थे। की अगर इन सेटेलमेंट वाले पेपर्स, पर जिस "लड़के पर जानलेवा हमला हुआ है। उसके परिवार उसके, माता-पिता साइन कर देते हैं! तो उनका बेटा, बाहर आ सकता है।
जल्दी ही ये बात देवांश को पता लग चुकी थी. और एक बार फिर सेटलमेंट के पेपर बनवा कर वो “अबीर के सामने मौजूद था.
और शान्त लहज़े में “अबीर से बोला- सेटेलमेंट के पेपर, लेकर बड़े "मालिक उसे लड़के के घर वालो के पास गए थे. जिस पर आपने हमला किया है। और उसकी, बहन ने वो पेपर फाड़कर बड़े "मालिक के ऊपर फेका था।
अब तो “अबीर का दिमाग खिसक गया था. क्योंकि किसी औरत, ने वो पेपर फाड़े थे. तो ये जानकर पहले ही झुंझला गया था. लेकिन ये सुनकर, की उसकी बहन ने वो पेपर फाड़े थे. उसका पारा और भी बढ़ चुका था।
अबीर को अपनी गलती का इतना सा, भी एहसास नहीं था। की उसकी वजह से किसी की "जान पर बन गई थी. किसी का भाई अधमरा हुआ पड़ा था. उस वक़्त वो पूरी तरह से "दौलत के नशे में चूर था. और दमदार आवाज़ में बोला- उसकी बहन केवल 1 घंटे, के अंदर अंदर मुझे अपनी आंखों के सामने दिखनी चाहिए।
जाओ और जाकर उसे, मेरे सामने लेकर आओ।
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5️⃣
1 घंटे के अंदर अंदर मुझे अपनी आंखों के सामने देखनी है। जाओ और जाकर उसे लेकर आओ ,।।।।
अब आगे--
वहीं दूसरी और मिस्टर “शर्मा अपनी पत्नी और बच्चों को, घर भेज ने के बारे मे सोचने लगे लेकिन “कनक जाने से साफ-साफ इनकार कर दिया था,
लेकिन मिस्टर “शर्मा बेबसी से बोले, आप सब घर जाओ आराम करने के लिए, क्योकि इस वक़्त उनके बेटे का अभी भी क्रिटिकल सिचुएशन थी. और उसका इलाज किया जा रहा था.
तो इस तरह से सब के सब अगर, वहां रहते तो सब की भी तबीयत खराब हो सकती थी। तो इस समय मिस्टर “शर्मा ने दिमाग से काम लेते हुए उन “सीमा जी को सबको घर ले जाने को कहा,
लेकिन “कनक अपनी जींद पर अड़ी रही, और सुबकते हुए बोली, कि वो यहां से कहीं नहीं जाएंगी।
तभी डॉक्टर साथ ही उनका स्टाफ वहां आया, उन सबकी और पॉलीटली देखकर बोला, हम आपके परिवार के दुख को समझ रहे हैं आप सब लोगों की जान आपके बेटे में है। लेकिन आप फ्रीक मत कीजिए, हम पूरी कोशिश कर रहे हैं उनकी "जान बचाने के उनके लिए, अगले 24 घंटे थोड़ा ज्यादा भारी है। अगर 24 घंटे उन्होंने पार कर लिया तों उनकी, जान बच सकती है।
लेकिन वो कॉमा से कब बाहर आ पाएंगे? कब नहीं? इसके बारे में हम कुछ नहीं कह पाएंगे। डॉक्टर की बात सुनकर सभी की आंखें एक बार फिर झलक पड़ती हैं।
लेकिन “कनक का चेहरा एक बार फिर से सपाट था. उसे तो कुछ अलग ही तरह का सदमा सा लगा था. किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था. की आखिरकार “कनक कुछ रिएक्ट क्यों नहीं कर रही है।
तभी डॉक्टर ने उन सबको आश्वासन दिलाते हुए बोले, आप सब लोग घर जाइए और फ्रेश होकर आ जाइए! और मिस्टर “शर्मा आप अपने परिवार को जाकर घर छोड़ आइये.. उसके बाद आप हॉस्पिटल आ जाइएगा।
सबने उनकी बात मान ली थी. क्योंकि अगर वो इस तरह से ज्यादा देर तक, अपने "परिवार को लेकर यहां रहने देते तो वो, सभी डिप्रेशन में चले जाते और बीमार हो जाते। और अगर वो सभी डिप्रैस हो जाते तो उनके “बेटे का ख्याल कौन रखता? तो कहीं ना कहीं यही सोचते हुए मिस्टर, “शर्मा जबरदस्ती “कनक और बाकी सबको कुछ खिलाने पिलाने और आराम, करने के लिए घर ले आए थे,।।
क्योंकि जो डॉक्टर, उनके बेटे का इलाज कर रहे थे. वो मिस्टर “शर्मा के बहुत अच्छे दोस्त थे. उनके भरोसे “बेटे को कुछ देर के लिए छोड़कर! अपने परिवार को बहला फुसलाकर घर, छोड़ने के लिए लेकर आ गए थे. उन्होंने सोचा, की बच्चों को घर छोड़कर और वापस आकर अस्पताल में रुक जाएंगे।
वही दूसरी ओर,
देवांश जल्दी ही 8 से 10 लोगों को अपने साथ लेकर “कनक के घर के लिए निकल चुका था. उस वक़्त पूरा परिवार एक तरफ बैठा हुआ था. कोई कुछ खा नही पा रहा था. और सभी एक दूसरे का हाथ थामकर ख़ामोशी से इस तरह से बैठे हुए थे। मानो कि उनकी पूरी दुनिया उजड़ गई हो?
वैसे भी उनका “बेटा उस घर की जान ही था. और उसको खो देने के डर से ही उनका बुरा हाल था. उन्हे ऐसा लग रहा था. मानो की उनकी पूरी दुनिया ही उजड़ चुकी थी।
Well... अचानक उनके दरवाजे पर लगातार जोरों से दस्तक हुई, पहले तो मिस्टर “शर्मा चोंक गए और जैसे तैसे अपने कांपते हाथों से जल्दी उन्होंने दरवाजा खोल दिया.
दरवाजा खुलते ही तुरंत “देवांश ने उन्हें, अचानक धक्का दे दिया था. और बाकी के आदमी ने आकर पूरे के पूरे परिवार को गन पॉइंट पर ले लिया था. और सबको धमकी देने लगते है। घरवाले सब डर से चिखने-चिल्लाने लगते हैं।
लेकिन “देवांश ने सबको बंदूक का खौफ दिखाकर शांत करा दिया था. कोई कुछ नहीं बोल पा रहा था. तभी मिस्टर “शर्मा कांपती हुई आवाज में बोले, कौन हो तुम लोग? और क्या चाहिए तुमको? तुम सब यहां क्या कर रहे हो?
तब “देवांश सबसे पहले रश्मि, दिव्या, की ओर देखता हुआ कनक की ओर देखने लगा और रोबदार आवाज़ में बोला, हमारे बॉस आपकी बेटी से मिलना चाहते हैं। इन्हें अभी और हम इसी वक़्त हमारे साथ चलना होगा। और डोंट वरी.. हम उनके साथ किसी तरह की कोई हरकत नहीं करेंगे। लेकिन इन्हें हमारे साथ चलना ही होगा।
अब जैसे ही “कनक ने ये सुना उसके, तन बदन में पूरी तरह से आग लग चुकी थी. एक डरपोक सी रहनेवाली लड़की इतनी ज्यादा खतरनाक हो सकती थी. इसका कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता था।
अब क्योंकि “देवांश ने कनक को वहां से लेकर जाने की बात कही थी. अब मिस्टर “शर्मा ने अपना सर झुका लिया था. उन्हें समझ नहीं आया की वो सिचुएशन में क्या बोले? उन्होंने गुस्से से “देवांश को देखते हुए अपनी तीनों बेटियों को, "अपने सीने से लगा दिया।
लेकिन कुछ सोचते हुए, “कनक तुरंत आगे आकर बोली, मेरे परिवार को छोड़ दो मैं तुम्हारे साथ चलूंगी।
“कनक का इतनी ज्यादा बेरुखी तरीके से ये जवाब देने से, कहीं ना कहीं “देवांश को हैरान कर गया था. वरना आज तक कितनी ही लड़कियां ऐसी थी. जो की “अबीर सूर्यवंशी के नाम से ही खौफ खाया करती थी।
कुछ लड़कियां तो ऐसी भी थी, जो “अबीर सूर्यवंशी की एक रात पाने के लिए, अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया करती थी. क्योंकि “अबीर सूर्यवंशी एक रात के बदले उन्हें अच्छी खासी कीमत दिया करता था। उसके बाद उन्हें किसी तरह के कोई, काम करने की जरूरत नहीं पड़ती थी।
अब कनक जल्दी ही “देवांश के साथ गाड़ी में बैठकर पुलिस स्टेशन रवाना हो चुकी थी।
वही “शर्मा परिवार पूरी तरह से रोने लगा, उन्होंने “कनक को रोकने की बहुत कोशिश की थी. वही सीमा जी का तो रो-रो कर बुरा हाल था. वो सपने में भी नहीं सोच सकती थी. की उनकी बेटी इस तरह से आज पुलिस, स्टेशन जाएगी। किसी भी इज्जतदार आदमी, के लिए उसकी बेटी का "पुलिस स्टेशन जाना बहुत बड़ी बात थी.
तभी सीमा जी रोते हुए अपने पति से बोली, आप को अस्पताल जाना चाहिए, क्योंकि.. हमारा “बेटा वहां अकेला है। और जैसे ही “कनक घर पर आएगी मैं आपको इन्फॉर्म कर दूंगी
क्योंकि ये वक़्त रोने का नहीं था. उन्हें अपने परिवार को संभालने का समय था. तो जल्दी से “रमेश शर्मा अपनी पत्नी के बात मानते हुए, फटाफट से अस्पताल की और रवाना हो चुके थे. और जाने से पहले जोर देकर बोले, जैसे ही “कनक घर पर आए तो सबसे पहले सीमा, मुझे इंफोर्म करें।
तब सीमा जी ने लाचारी से अपना सिर हिला दिया था. और रश्मि, "दिव्या जो एक दूसरे से चिपककर खड़ी होकर रो रही थी. वो उन्हें संभालने लगी। अपनी बेटियों को हौसला देते हुए शांत कराने लगी।
वही दूसरी ओर,
अबीर सूर्यवंशी बेसब्री से “कनक के आने का इंतजार कर रहा था. क्योकि उसने “देवांश को काम सौंपा था. तो उसे इस बात का पूरी तरह से अंदाजा था. की “देवांश अपना काम हर हाल में कंपलीट करेगा।
और यही हुआ था. कनक ने आज एक ब्लैक रंग का सूट पहना हुआ था. और उसने अच्छी तरह से दुपट्टे से खुद को कवर किया हुआ था. हालांकि उसका खूबसूरत सा चेहरा साफ साफ दिखाई दे रहा था । और अब जल्दी ही कनक, “अबीर सूर्यवंशी की जेल के ठीक सामने मौजूद थी।
तभी “देवांश अबीर सूर्यवंशी उस वक्त जेल में आंखों पर अपनी बाजू को रख कर लेटा हुआ था। “कनक के आते ही एक अजीब सी खुशबू वहां फैल गई थी. और “अबीर सूर्यवंशी बेचैन होकर उठा, और तभी उसकी निगाह अपनी सेल के ठीक सामने खड़ी हुई “कनक पर पड़ती है।
“कनक को देखते ही “अबीर सूर्यवंशी का दिल, जोरो से धड़कने लगा। वो अपने होश हवास खो बैठा था. उसकी जिंदगी में आज तक एक से बढ़कर एक खूबसूरत लड़कियां आयी थी. लेकिन “कनक को देखकर वो एकदम पागल सा हो गया था। कभी उसकी निगाह “कनक के खूबसूरत होठों पर जाती तो कभी आंखों पर जाती ।
वही “कनक की आंखों में उस वक्त सिर्फ़, “अबीर सूर्यवंशी के लिए नफरत ही नफ़रत दिखाई दे रही थी. से जिसका कोई अंदाजा नहीं लगा सकता था.
वही अबीर सूर्यवंशी पागलों की तरह “कनक को देखने लगा, “कनक के शरीर का कोई हिस्सा दिखाई नहीं दे रहा था. उसने पूरी बाजुओ के साधारण सूट कमीज पहने था. एकदम डिफरेंट तरीके से उस वक़्त वहां मौजूद थी।
तभी “देवांश वहां आया और अबीर सूर्यवंशी को इस तरह से कनक को देखता हुआ देखकर बौखला गया था. और खुद के एक्सप्रेशन को सम्हालते हुए बोला.. बॉस ये, “कनक शर्मा है इसी ने बड़े साहब के साथ बदतमीजी की थी।
अब जैसे ही “देवांश ने वहां आकर ये बताया, “अबीर सूर्यवंशी अपने हसीन ख्वाब से बाहर आया।
और एक लूक “देवांश की ओर देखकर, “कनक की ओर देखकर बोला, देखो मैं जानता हूं कि जो कुछ भी हुआ है। वो ठीक नहीं हुआ है। लेकिन तुम्हारे भाई, को इस तरह से मेरे रस्ते में नहीं आना चाहिए था। ना वो मेरे रास्ते में आता ना मैं उसे इतना मारता।
Well... अब तुम फिकर मत करो तुम्हारे भाई के इलाज के साथ साथ में मैं तुम्हें, इतनी दौलत दूंगा.. इतनी दौलत दूंगा.. कि तुम्हें तुम्हारे, "परिवार को जिंदगी भर कमाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। और वैसे भी मैंने, "तुम्हारी फाइनेंसियल कंडीशन चेक कराई है। जो की कुछ खास ठीक नहीं है।
लेकिन “अबीर सूर्यवंशी अपनी छत्रछाया में तुम्हारे परिवार, को लेगा तो "तुम्हें परेशान होने की कोई जरूरत नहीं होगी। तुम जाओ.. और जाकर सेटलमेंट पेपर्स, पर साइन कर दो और बोल दो कि तुम ये केस, वापस ले रही हो ठीक है शाबाश... जाओ घर जाओ ऐसा बोलकर , “अबीर सूर्यवंशी एक ही झटके में “कनक को ऑर्डर देने लगा।
वही कनक, “अबीर सूर्यवंशी की इस तरह की बेशर्मी और उसकी बेटूकी बातें सुनकर पूरी तरह से झल्ला गई थी. उसने सपने में भी नहीं सोचा था. ये वही इंसान था जिसने उनकी पूरी जिंदगी में अंधेरा भर दिया, और उसका भाई का जो नया future शुरु होने वाला था. वो खत्म कर दिया.. और उसकी लगभग मार ही डाला था. वो इतनी आसानी से रूबाब जताते हुए यहां खड़े होकर कह रहा है। वो केस वापस लेकर, वो वापस घर जाए! और वो उसके बदले में उसको उसके घर को गोद ले लेगा। उसके घर का खर्चा पानी वो चलाएगा। कोई इंसान इतना ज्यादा बदतमीज, इतना ज्यादा बेशर्म कैसे हो सकता है?
कनक एकदम गुस्से से उसकी और देखने लगी, और अचानक उसने, जेल कि सलाखों के अंदर अपने हाथों को डालकर “अबीर सूर्यवंशी के गिरेबान को पकड़ लिया था.✍🏻 दोस्तों जैसे ही view increase hoge iss novel ke chapter daily aayege। please jyada Se jyada like shere comment kre our apna saath bnaaye rakhe।
“तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? यहां आराम से बैठकर ये कोल्ड ड्रिंक और पिज़्ज़ा खाने की! मैं तुम्हारा कब से क्लासरूम में इंतज़ार कर रहा था! हां, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इस तरह बिहेव करने की?”
कहीं न कहीं ये कहते हुए राघव की आवाज़ अपने आप ही ऊंची हो गई थी। लेकिन अवनी ने उसे कोई जवाब नहीं दिया। वह शांति से अपने पिज़्ज़ा खाने पर कंसंट्रेट करने लगी थी।
ये देखकर उसके पास खड़े दोस्त, जो कि मोना और राघव के पीछे-पीछे वहीं तक आए थे, उन्हें भी काफी बुरा लगा। वे राघव को टोकते हुए बोले —
“अरे, ये क्या राघव! मैं समझा था तुम्हारे घर की नौकरानी है यार तू इस पर थोड़े कम अत्याचार किया कर, लेकिन ये क्यों ये किस तरह का बर्ताव कर रही है! ऐसा लग रहा है जैसे इसके कानों तक तुम्हारी आवाज़ जा ही नहीं रही है! देखा तुमने इसको?”
उन लोगों की बातें सुनकर राघव का गुस्सा अब आउट ऑफ कंट्रोल हो चुका था। देर न करते हुए उसने पिज़्ज़ा खा रही अवनी के हाथों से पिज़्ज़ा लेकर ज़मीन पर फेंक दिया, और उसकी कोल्ड ड्रिंक भी वहीं गिरा दी। फिर अवनी को घूरते हुए बोला —
“ये क्या हो गया है तुम्हें? हां, सब लोग मुझे कहते हैं कि तुम्हारा मानसिक संतुलन बिल्कुल भी ठीक नहीं है! लेकिन मैं ही किसी की बात पर यकीन नहीं करता था। मगर आज जिस तरह का तुम बर्ताव कर रही हो, उसे देखकर सब पता चल रहा है कि वाकई तुम्हारा मानसिक संतुलन ठीक नहीं है!
मेरी एक बात कान खोलकर सुन लो, अगर तुम किसी तरह का कोई ड्रामा कर रही हो, तो अभी और इसी वक्त माफ़ी मांगो और जाकर कैंटीन से दूसरी ड्रिंक लेकर आओ समझीं?”
अब ये सब ड्रामा होते देखकर आसपास के लोग, जो कैंटीन में खाना खाने या कॉफी पीने आए थे, सभी खड़े होकर ये तमाशा देखने लगे थे।
वहीं अवनी ने अपने हाथों की उंगलियों को कुशलतापूर्वक पोंछा, अपने मुंह को बंद किया और तुरंत उठ खड़ी हुई। राघव की ओर देखते हुए बोली —
“क्यों? मैं तुम्हारे लिए कोल्ड ड्रिंक लाऊं? क्या मैं तुम्हारी नौकरानी हूं जो तुम्हारे लिए कुछ लेकर आऊं? तुम्हारी भलाई इसी में है कि खुद जाओ और जो भी तुम्हें खाना है, जाकर लेकर आओ समझे तुम! और आगे से मुझसे ऊंची आवाज़ में बोलने के बारे में सोचना भी मत!”
ये कहकर उसने उससे कोई और बात नहीं की, अपना बैग उठाया और सीधा कंधे पर टांगकर वहां से चली गई।
वहीं राघव तो ऐसा हो गया मानो वह बिल्कुल पत्थर का बन गया हो। उसने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि अवनी उससे कभी इस तरह की बातें भी कर सकती है। वह तो शुरू से ही अवनी को इतना डरा-धमकाकर रखता था कि अवनी की उसके सामने आवाज़ तक नहीं निकलती थी। लेकिन आज अवनी जिस तरह से उससे बातें कर रही थी, ये देखकर उसे बड़ा ही अजीब लगा।
राघव को पहली बार एहसास हुआ कि असल में इतने दिनों से वह मालिक बनने का ड्रामा करते-करते सचमुच ही खुद को मालिक मान बैठा था।
, लेकिन असल में तो वह सिर्फ नौकर का बेटा ही है। ये रिलायज़ होते ही उसके माथे से पसीना निकलना शुरू हो चुका था, क्योंकि इतने सालों से उसने कॉलेज में एक अलग तरह की अपनी शान बनाई हुई थी। हर कोई उसे मिस्टर दिग्विजय मेहता का बेटा ही समझा करता था, क्योंकि मेहता इंडस्ट्रीज शहर की सबसे जानी-मानी इंडस्ट्रीज में से एक थी। इतना ही नहीं, कितने ही ट्रस्ट, हॉस्पिटल और कॉलेज—सब उसके पिता के नाम से चलते थे।
यहां तक कि जिस कॉलेज में इस वक्त अवनी और राघव पढ़ रहे थे, उसके ट्रस्टी भी मिस्टर दिग्विजय मेहता ही थे — यानी अवनी के पिता।
फिलहाल अब अवनी को यूं जाते देखकर मोना पूरी तरह से तिलमिला उठी थी और राघव की ओर गुस्से से देखकर बोली —
“ये क्या था? ये मामूली सी नौकरानी तुम्हें बातें सुनाकर चली गई!”
वहीं उसके दोस्त भी आसपास आकर खड़े हो गए और बोले —
“ये क्या राघव! इस नौकरानी की इतनी हिम्मत यार, तेरे मुंह पर तुझे इतनी सारी बातें सुनाकर चली गई — और तू है कि चुपचाप खड़ा देखता रहा! एक बात बोलूं, अगर ये मेरे घर की नौकरानी होती, तो मैं इसकी ऐसी हालत कर देता कि इसे अपने जन्म पर भी अफसोस होता!”
जैसे ही राघव के दोस्त ने अपनी भड़ास निकालते हुए ये कहा, राघव तो पूरी तरह से सन्न पड़ चुका था। अभी तक उसके कानों में अवनी की कही हुई बातें ही गूंज रही थीं। वह सोच भी नहीं सकता था कि अवनी इस तरह से उसके किसी काम को मना कर देगी, क्योंकि आज तक पूरे 16 सालों में ऐसा कभी नहीं हुआ था कि अवनी ने उसके किसी काम को करने से मना किया हो।
जब वह बहुत छोटी थी — केवल चार से पांच साल की — तभी से राघव उसकी ज़िंदगी में था। राघव ने धीरे-धीरे उस मासूम नन्ही-सी अवनी को अपने जाल में फंसाकर अपने छोटे-छोटे काम करवाने शुरू कर दिए थे।
धीरे-धीरे अवनी की मानसिक स्थिति कुछ ऐसी हो गई थी कि राघव के अलावा उसे कोई और दिखाई ही नहीं देता था। एक नहीं, बल्कि कई बार जब कोई राघव के बारे में उल्टी-सीधी या गलत बातें भी करता था, तो ये बात भी अवनी बर्दाश्त नहीं कर पाती थी।
एक बार उसके पिता, मिस्टर दिग्विजय मेहता ने उसे बोला भी था कि वह नौकर के बेटे से इतनी ज़्यादा नज़दीकियां न बढ़ाए। उस दिन के बाद से अवनी ने अपने पिता से भी बातें करना बंद कर दिया था।
राघव उसकी ज़िंदगी का सबसे इंपॉर्टेंट हिस्सा बन चुका था। अब तक उसने कभी भी राघव की किसी बात को मना नहीं किया था — चाहे शॉपिंग करना हो, महंगी गाड़ियों में घूमना-फिरना हो, हर तरह से अवनी ने उसे ऐश करवाई थी।
इतना ही नहीं, अवनी के पैसों पर ही राघव हर रोज़ पार्टी किया करता था। हज़ारों, लाखों, करोड़ों रुपए वह यूं ही उड़ा देता था, बिल्कुल अपने बाप का माल समझकर।
और अवनी तो उसके प्यार में पूरी तरह से पागल थी — जो उसके लिए हर छोटी-बड़ी चीज़ करने के लिए तैयार रहती थी।
लेकिन आज… अवनी का इतना कड़ा जवाब सुनकर राघव की हैरानी का कोई ठिकाना नहीं था। वह अपने सोचने-समझने की शक्ति खो बैठा था।
फिलहाल उसने तुरंत ही अपने दोस्त की ओर देखकर कहा —
“अभी मैं उसे कुछ नहीं कह सकता। तुम जानते हो ना, मेरे पिताजी ने खुद उसका एडमिशन यहां करवाया है। और पिताजी की वजह से ही वह मुझे ये बातें सुनाकर चली गई है। इसे मैं घर जाकर देख लूंगा…”
राघव ने दांत पीसते हुए कहा और सीधा अवनी के पीछे-पीछे जाने लगा।
वहीं अवनी इस वक्त गहरी सोच में आगे बढ़ रही थी कि तभी वह किसी से टकरा गई। वह कोई और नहीं बल्कि उसकी क्लासमेट रिचा थी।
रिचा ने अवनी को देखकर तुरंत गले से लगा लिया और बोली —
“अरे यार अवनी! कहां चली गई थी तुम? तुम जानती हो, मैं तुम्हें कब से ढूंढ रही हूं! तुम तो जानती हो, जिस दिन तुम नहीं आती ना, उस दिन कॉलेज में मेरा दिल ही नहीं लगता।
लेकिन तुम हो कि तुम्हें अपने उस मालिक के बेटे के पीछे घूमने से ही फुर्सत नहीं होती! जब देखो, उसकी टेल बनकर उसके आगे-पीछे घूमती रहती हो!
कितनी बार मना किया है मैंने तुम्हें, लेकिन तुम हो कि मेरी कोई बात नहीं सुनती!”
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रिचा शुरू से ही अवनी के साथ कॉलेज में थी और वह अवनी की सच्ची और पक्की दोस्त थी।
अवनी का इस तरह से राघव के आगे-पीछे घूमना उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं आया करता था।
लेकिन अवनी उल्टा उसे ही डांट दिया करती थी — जब भी रिचा राघव के बारे में कोई उल्टी-सीधी बातें बोलती, तो अवनी उससे कितने-कितने दिनों तक बातें नहीं करती थी और उससे झगड़ा भी कर लिया करती थी।
लेकिन आज रिचा की बातें सुनकर अवनी शांत थी।
अब रिचा थोड़ी चौक गई और अवनी को देखकर बोली —
“क्या बात है अवनी? आज तो मेंने तुम्हारे ‘द ग्रेट मिस्टर राघव मेहता’ को कुछ बातें सुनाई हैं? तो क्या अब तुम मुझसे डांटोंगी नहीं? मुझसे झगड़ा नहीं करोगी?”
ये सुनकर अवनी मुस्कुराई, रिचा के कंधे पर हाथ रखा और अचानक उसे गले से लगा लिया, क्योंकि अवनी को अपना पिछला जन्म अच्छी तरह याद था।
उसे ये भी याद था कि उसके पिछले जन्म में अगर उसकी कोई सच्ची दोस्त थी, तो वो सिर्फ और सिर्फ रिचा ही थी — जो उसे हमेशा राघव से दूरी बनाए रखने को कहती थी और सही-गलत को पहचानने की सलाह देती थी।
क्योंकि कई बार रिचा, मोना और राघव को कॉलेज की टेरेस पर एक-दूसरे को किस करते हुए देख चुकी थी।
उसने ये बात अवनी को बताई भी थी, लेकिन अवनी ने उसकी बातों पर यकीन नहीं किया, और उन दोनों के बीच एक बड़ा झगड़ा हो गया था।
उस झगड़े के बाद अवनी कई दिनों तक रिचा से नहीं बोली थी।
तब से रिचा भी राघव के बारे में बातें करने से बचने लगी थी।
लेकिन आज, जैसे राघव ने पूरे क्लासरूम में अवनी के मुंह पर पानी फेंका, ये बात रिचा से बर्दाश्त नहीं हुई।
वह अवनी के सामने राघव को बुरा-भला कहने लगी।
मगर इस बार अवनी ने कोई रिएक्ट नहीं किया — बल्कि उसने रिचा को गले से लगा लिया।
रिचा काफी हद तक हैरानी से ठहर सी गई, फिर खुद को कंट्रोल करके बोली —
“अब तो बताओ ना, क्या तुम्हें मेरी बात बुरी लगी?”
अवनी मुस्कुराते हुए बोली —
“नहीं रिचा, बिल्कुल भी नहीं। और एक बात और सुन लो — वो मेरा मालिक नहीं है, बल्कि मैं उसकी मालकिन हूं।”
जैसे ही रहस्यमय तरीके से अवनी ने ये कहा, रिचा की हैरानी का कोई ठिकाना नहीं रहा।
उसे अवनी की बात पर कोई खास यकीन नहीं आया, बल्कि उसे अवनी के लिए बुरा लगने लगा।
वह सोचने लगी कि शायद अवनी वाकई मानसिक रूप से बीमार हो चुकी है, जो इस तरह से राघव की जगह खुद को उसकी ‘मालकिन’ बता रही है।
क्योंकि राघव ने चारों तरफ एक ऐसी झूठी अफवाह, एक ऐसा भ्रम पैदा कर रखा था कि सब लोगों की नजरों में मेहता इंडस्ट्रीज के इस विशाल साम्राज्य का इकलौता वारिस सिर्फ और सिर्फ राघव ही था।
लेकिन किसी को भी दूर-दूर तक इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि असल में मिस्टर दिग्विजय मेहता की सिर्फ एक ही संतान थी — और वो थी अवनी मेहता।
फिलहाल अब रिचा ने मन ही मन सोचा कि उसे कुछ न कुछ करके अवनी को डॉक्टर के पास लेकर जाना होगा और उसका इलाज करवाना पड़ेगा।
उसे ये भी लग रहा था कि अवनी बहुत गरीब है, और उसके पास इतने पैसे नहीं होंगे कि वह डॉक्टर के पास जाकर अपना इलाज करवा सके — इस बात से बेखबर कि असल में उसके नाम से ही तो खुद हॉस्पिटल चलते थे।
फिलहाल अब जल्दी ही अवनी के साथ रिचा क्लासरूम में जा पहुंची।
जब क्लासरूम में बैठकर अवनी ने एक पल के लिए खुद को शांत करने की कोशिश की, तो उसका दिल बिल्कुल भी कॉलेज में नहीं लग रहा था।
सच तो ये था कि वह कुछ वक्त अकेले खुद के साथ बिताना चाहती थी —
और जो कुछ भी उसके पिछले जन्म में उससे गलतियां हुई थीं, उन गलतियों को वह इस जन्म में पूरी तरह से सुधारना चाहती थी।
आगे की स्टोरी जानने के लिए बने रहिए दोस्तों। और सुनते रहिए पॉकेट एफएम।
---
अवनी का दिल बिल्कुल भी कॉलेज में नहीं लग रहा था।
सच तो ये था कि वह कुछ वक्त अकेले खुद के साथ बिताना चाहती थी —
और जो कुछ भी उसके पिछले जन्म में उससे गलतियां हुई थीं, उन गलतियों को वह इस जन्म में पूरी तरह से सुधारना चाहती थी।
इसलिए उसने गहरी सांस ली और रिचा की ओर देखकर कहा —
“मुझे लग रहा है कि मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है, इसलिए मैं घर जा रही हूं।
आई होप कि तुम्हें बुरा नहीं लगेगा… मैं तुम्हें कल मिलूंगी, ठीक है?”
अब ये सुनकर रिचा तुरंत बोल पड़ी —
“अरे तो फिर तुम अकेली घर क्यों जा रही हो? मैं भी चलती हूं ना तुम्हारे साथ!”
कहीं ना कहीं रिचा को लग रहा था कि अवनी की शायद मानसिक स्थिति कुछ ठीक नहीं है,
तो उसे अकेले भेजना ठीक नहीं होगा।
इसलिए उसने सोचा कि वह भी उसके साथ चली जाए।
लेकिन ये सुनकर अवनी मुस्कुराई और बोली —
“अच्छा! तुम मेरे साथ चलोगी? चलो तो ठीक है, मैं तुम्हें भी घर ड्रॉप कर दूंगी।”
ये सुनकर रिचा वाकई हैरानी से भर गई,
क्योंकि रिचा के पास तो पहले से ही अपनी स्कूटी थी,
जिससे वह रोज़ कॉलेज आया-जाया करती थी।
लेकिन अवनी तो हमेशा राघव के साथ ही आया-जाया करती थी।
आज अगर वह कॉलेज से घर जाने को कह रही है,
तो वह आखिर किसके साथ जाने वाली थी?
राघव तो अभी कॉलेज में ही था।
फिलहाल अब जल्दी ही अवनी ने रिचा से कहा —
“चलो…”
और सीधा कॉलेज के बाहर आकर अपनी चमचमाती हुई ब्लैक SUV में बैठ गई।
अब जैसे ही अवनी इतनी बड़ी शानदार गाड़ी में बैठी,
रिचा की आंखें हैरानी से बड़ी हो गईं।
वह बोली —
“अवनी! ये क्या कर रही हो तुम?
इस तरह से अपने मालिक की गाड़ी में क्यों बैठी हो?
अगर उसने तुम्हें देख लिया, तो वह बहुत बेइज़्जती करेगा,
बहुत सारी बातें सुनायगा — हो सकता है कि सबके सामने तुम पर हाथ भी उठा दे!
तुम तो जानती ही हो ना उसे…
तुम्हें इस तरह से उसकी गाड़ी में नहीं बैठना चाहिए।”
तब अवनी केवल एक तिरछी सी मुस्कुराहट के साथ बोली —
“तुम फिक्र मत करो, चलो बैठो मेरे साथ।”
और तभी उसने आगे बैठे हुए ड्राइवर की ओर देखकर कहा —
“ड्राइवर, चलिए… मुझे अभी इसी वक्त घर जाना है।”
अब ये सुनकर तो ड्राइवर पूरी तरह से हैरानी से भर गया,
क्योंकि वह ड्राइवर कोई और नहीं, बल्कि राघव का ही पिता था।
अब ये देखकर कि अवनी घर जाने को कह रही है,
वह थोड़ा हिचकिचाते हुए बोला —
“लेकिन अवनी बेटा, वो राघव जी तो अभी आए ही नहीं हैं…”
असल में, राघव का पिता यानी ड्राइवर राजेश भी
अपने बेटे के इस तरह के घिनौने कामों में पूरी तरह से उसकी मदद किया करता था।
कहीं ना कहीं उसे लगता था कि अगर एक बार उसका बेटा अवनी जैसी अमीर लड़की से शादी कर ले —
या फिर चाहे शादी के बाद उसे रास्ते से हटा भी दे —
बस एक बार सारी जमीन-जायदाद अपने नाम करवा ले,
तो उसके बाद उसका रास्ता पूरी तरह से साफ हो जाएगा।
वहीं अवनी ने ड्राइवर की बात सुनकर थोड़ा गुस्से से कहा —
“ये आप क्या बकवास किए जा रहे हैं?
मेरा इरादा इस वक्त किसी को भी साथ में ले जाने का नहीं है।
और ये मेरी गाड़ी है!
अभी और इसी वक्त मुझे घर लेकर चलिए —
और सबसे पहले रास्ते में मेरी फ्रेंड को ड्रॉप कीजिएगा।”
अब ये सुनकर तो रिचा की हैरानी और भी बढ़ गई।
कहीं ना कहीं वह डरने भी लगी थी।
उसे लगने लगा कि अवनी की मानसिक स्थिति पहले से भी ज़्यादा खराब हो चुकी है
और वह अब इस तरह की बातें करके शायद उसे भी किसी मुसीबत में फंसा देगी।
वह थोड़ा घबराकर बोली —
“अवनी, वो… मुझे याद आया कि मुझे कुछ जरूरी काम है,
तो मैं तुमसे बाद में मिलूंगी।”
कहीं ना कहीं रिचा उस वक्त पूरी तरह डर चुकी थी,
और ये कहते हुए तुरंत अवनी की गाड़ी से नीचे उतर गई।
उसे लगने लगा था कि शायद राघव अब आकर
अवनी के साथ-साथ उसके साथ भी कोई बड़ा ड्रामा कर दे।
रिचा के मन में अब अवनी के लिए पूरी सहानुभूति थी,
और उसने सोच लिया था कि मौका मिलते ही
वह उसकी मम्मी से बात करके अवनी को डॉक्टर के पास लेकर जाएगी।
और उसकी मानसिक स्थिति का इलाज करवाएगी।
फिलहाल अब ड्राइवर राजेश अवनी की आवाज़ सुनकर पूरी तरह से हैरानी से भर उठा था, क्योंकि आज अवनी की आवाज़ में मालिकों वाला अंदाज़ साफ़ झलक रहा था।
वरना वह कभी भी राजेश के सामने अपनी आंखें उठाकर बात तक नहीं किया करती थी, क्योंकि राघव ने बहुत ही साफ़ शब्दों में अवनी को समझा दिया था कि—
“मेरे पिता से तुम्हें इज़्ज़त से पेश आना है।”
लेकिन आज तो अवनी के तेवर पूरी तरह से बदल चुके थे।
फिलहाल एक बार राजेश को लगा कि शायद कुछ ग़लतफ़हमी हो गई है, इसलिए अवनी ने ऐसे बोल दिया।
तो वह थोड़ा सा झिझकते हुए बोला,
“देख लो अवनी बेटा, अगर तुम इस तरह से चलने के लिए कहोगी तो मैं तो चल पड़ूंगा, लेकिन कहीं राघव बुरा ना मान जाए, देख लो।”
अब ये सुनकर अवनी को बहुत गुस्सा आया था और वो तेज़ आवाज़ में बोली—
“देखिए, आप मेरे ड्राइवर हैं, और आप होते कौन हैं ये तय करने वाले कि आपके बेटे को बुरा लगेगा या नहीं!
इस बात की फ़िक्र करने की कोई ज़रूरत नहीं है।
मेरा आपके बेटे से कोई लेना-देना नहीं है।
और सीधा चलिए — मुझे घर जाना है, देर हो रही है, समझे आप?”
अब ये सुनकर तो राजेश के भी माथे पर पसीना छलक आया।
वह सोचने लगा —
“आख़िर इस लड़की को आज हुआ क्या है?
कहां तो ये मेरे बेटे के बिना एक पल भी आगे नहीं बढ़ती थी, और आज ये इस तरह की बातें कर रही है?
क्या किया है मेरे उस बेवकूफ बेटे ने जो ये लड़की इस तरह बर्ताव कर रही है?
ये तो ऐसी नहीं थी, ये तो हमेशा से ही उसकी सारी बातें मानती थी।”
अब उसे ये सब देखकर काफ़ी बुरा भी लग रहा था, लेकिन वह इस तरह से अपने बेटे को वहां छोड़कर नहीं जा सकता था।
क्योंकि अगर वह आज अवनी को लेकर जाता, तो सभी लोगों को इस बात का पता चल जाता कि राघव और अवनी के बीच असल रिश्ता क्या है।
और वह अपने बेटे की इस तरह की बेइज़्ज़ती पूरे कॉलेज के सामने नहीं होने देना चाहता था।
इसलिए उसने अवनी के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा—
“बेटा, प्लीज़… आप तो जानती हैं ना कि मेरा बेटा भी इसी कॉलेज में पढ़ता है।
अब मैं जानता हूं कि आप दोनों के बीच ज़रूर किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ होगा, लेकिन आप परेशान मत होइए।
मैं डांटूगा उस नालायक को!
उसकी हिम्मत कैसे हुई अवनी बेटी को नाराज़ करने की!
देखना, वो बस अभी आ जाएगा, फिर मैं साथ में तुम दोनों को घर लेकर चलता हूं।”
कहीं न कहीं राजेश खुशामद करते हुए कहने लगा था,
लेकिन अब अवनी पूरी तरह से इरिटेट हो चुकी थी।
ठीक उसी वक्त उसके पिता ने जल्दी से राघव को मैसेज कर दिया था।
वहीं राघव, जोकि अपने ग्रुप के साथ क्लासरूम में बैठा हुआ था, सबको शेखी बघारते हुए कह रहा था—
“आने वाले 15 तारीख़ को मैं अपना बर्थडे इस शहर के सबसे बड़े लग्ज़री होटल में दूंगा!”
क्योंकि उसे पैसों की कोई टेंशन नहीं थी।
पैसे तो हमेशा से ही भरपूर मिलते आ रहे थे।
इस बार भी वह पूरी तरह से ऐय्याशी करना चाहता था और सभी के सामने खुद को बहुत अमीर दिखाना चाहता था।
इसलिए उसने सभी को पार्टी का इन्विटेशन पहले से दे दिया था, जो एक हफ्ते बाद होने वाली थी।
फिलहाल अपने पिता का मैसेज देखकर वह पूरी तरह से चौंक गया और बोला—
“अच्छा दोस्तों, मुझे ना अभी घर जाना होगा।
आज मैं जाकर अवनी को सबक सिखाऊंगा।
उसकी हिम्मत कैसे हुई मुझे इस तरह बोलने की!
ठीक है, मैं चलता हूं।”
ये बोलकर वह फटाफट बाहर की ओर बढ़ गया।
वहीं मोना और उसके बाकी दोस्त एक मिनट के लिए खड़े होकर सोचने लगे—
“क्यों ना हम भी चलकर देखें कि आखिर राघव अवनी के साथ क्या करने वाला है।”
क्योंकि सबको पता था कि अवनी हमेशा राघव के साथ ही आती-जाती है,
और ये बात मोना को कुछ खास पसंद नहीं आया करती थी।
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हालांकि कभी भी राघव ने अवनी को कोई स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं दी थी, बल्कि वह मोना के पीछे लगा रहता था। उसे मोना बहुत ही ज्यादा पसंद थी और उसका इरादा बस किसी तरह अवनी की सारी प्रॉपर्टी अपने नाम करके और उसे अपने रास्ते से हटाकर मोना को अपनी जिंदगी में लेकर आने का था।
फिलहाल अब सभी उसके पीछे-पीछे जाने लगे थे और अवनी वही अब गुस्से से राजेश को देखकर बोली थी —
“क्या आपको सुनाई नहीं दे रहा? मुझे अभी इस वक्त घर जाना है, चलिए! और आप, मेरे ड्राइवर है तो आप अपने बेटे की नहीं मेरी बात सुनिए — चलिए जल्दी से।”
अब इस तरह की बातें अवनी के मुंह से सुनकर राजेश का भी काफी हद तक धैर्य चूर हो चुका था और वह सोचने लगा था कि इस लड़की के तो पर कुछ ज्यादा ही निकल आए हैं — किस तरह से वह उसकी बेइज़्ज़ती कर रही है!आने दो राघव को, इसकी तो मैं अच्छी-खासी सजा जरूर दिलवाऊंगा।
कहीं न कहीं ये सोचते हुए राजेश अंदर- से थोड़ा घबराया हुआ खड़ा था, और तभी उसे राघव आता हुआ दिखाई दिया।
अब जैसे ही राघव वहां आया, उसने पहले से ही अवनी को गाड़ी में बैठे हुए देखा तो वह पूरी तरह से चौंक गया। लेकिन फिर उसने देखा कि मोना और उसके बाकी दोस्त भी वहीं आ रहे हैं, तो वह जल्दी से स्टाइल में आगे बढ़ा, और अवनी के साइड से दरवाजा खोलकर उसमें बैठने लगा।
लेकिन अवनी ने तुरंत दरवाजा बंद कर लिया और राघव को घूरते हुए बोली —
“तुम मेरी गाड़ी में मेरे साथ नहीं आ रहे हो! जाओ ऑटो लेकर आओ या रिक्शा लेकर आओ।”
अब ये सुनकर तो राघव पूरी तरह स्तब्ध सा रह गया था। होश संभालने के बाद से वह महंगी बड़ी कार में ही कॉलेज आता,जाता रहा था, लेकिन आज जैसे ही अवनी ने उसे इस तरह कहा, उसकी हैरानी का ठिकाना नहीं रहा।
वहीं मोना हैरानी से बोली —
“ए लड़की, तेरा दिमाग खराब हो गया है? ये क्या बकवास हो रही है?”
वही उसके दोस्त भी आकर खड़े होकर बोले —
“वैसे यार, राघव मानना पड़ेगा, तू बिल्कुल ठीक कह रहा है! पता नहीं तो इस पागल नौकरानी को कैसे बर्दाश्त करता है? देखो, वही तेरी ही गाड़ी में तुझे बैठने से मना कर रही है — देखो भैया, क्या दिन आ गए हैं, भलाई का तो जमाना ही नहीं रहा।”
ये बोलते भी वे लोग आपस में अब चर्चा करने लगे —
इस लड़की को देखो किस तरह नवाबजादी की तरह बैठी हुई है, ऐसा लग रहा है कि यही इस गाड़ी की मालकिन है।”
आगे की स्टोरी जानने के लिए बने रहिए दोस्तों और सुनते रहिए पॉकेट एफएम।
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पिछले अध्याय में, आपने देखा कि अवनी कॉलेज में खुश नहीं थी और वह कुछ समय अकेले बिताना चाहती थी। उसने रिचा से कहा कि वह घर जा रही है, रिचा उसे कंपनी देने गई। अवनी ने ड्राइवर को घर जाने के लिए कहा। रिचा डर गई और उतर गई। ड्राइवर ने अवनी के व्यवहार में बदलाव देखा। अवनी ने उसे राघव की बात सुनने से इनकार कर दिया। राघव को उसके पिता ने संदेश दिया। राघव अवनी को सबक सिखाने गया। मोना और उसके दोस्त उसका पीछा करते हैं। अवनी ने राजेश को घर ले जाने के लिए कहा। राघव आया और अवनी ने उसे गाड़ी में बैठने से मना कर दिया।
अब आगे
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इस लड़की को देखो किस तरह नवाबजादी की तरह बैठी हुई है, ऐसा लग रहा है कि यही इस गाड़ी की मालकिन है।”
क्या इसे ये नहीं पता कि इसकी औकात सिर्फ एक नौकर से ज्यादा कुछ नहीं है? क्योंकि पिछले तीन सालों से सभी लोगों ने सिर्फ अवनी को राघव की एक नौकर के रूप में ही देखा है। किसी ने भी उसकी असली जिंदगी, उसकी असली पहचान जानने की कभी कोशिश ही नहीं की।
राघव ने जो अवनी के बारे में सब लोगों को बताया, वही सब लोग सच मानते चले गए। अब सबको यही लग रहा था कि शायद अवनी की मानसिक स्थिति खराब हो चुकी है, जो इस तरह की बातें कर रही है।
वहीं रिचा भी अब भीड़ का हिस्सा बन चुकी थी क्योंकि सभी लोगों को ये पूरा मामला एक बड़ा अच्छा-खासा ड्रामा लग रहा था।
वही राघव ने जैसे ही ये देखा कि कॉलेज के काफी सारे लोग वहां आकर खड़े हो गए हैं और ऊपर से उसकी दोस्त, उसकी गर्लफ्रेंड, उसका प्यार — मोना — भी वहां मौजूद है, तो वो अपनी बेइज्जती होते हुए नहीं देख सकता था।
देर न करते हुए उसने गहरी सांस ली और अवनी को आंख दिखाते हुए बोला —
“अवनी, ये क्या बदतमीज़ी कर रही हो तुम? याद रखना, अगर इस बार मुझे गुस्सा आ गया, तो मैं तुमसे बात तक नहीं करूंगा, समझी तुम?”
जैसे ही राघव ने दांत पीसते हुए ये कहा, अवनी को एक पल के लिए वो सारी बातें याद आ गईं जब-जब राघव उसे इस तरह धमकाया करता था।
उसे याद आया कि कैसे जब भी राघव उसे छोड़ने की बात करता था, तब उसकी हालत बहुत खराब हो जाया करती थी — क्योंकि न तो उसके पास मां थी, न ही पिता का साथ। राघव ही उसका इकलौता बचपन का दोस्त था।
जब-जब राघव उसे छोड़ने की धमकी देता था, अवनी पूरी तरह टूट जाती थी, रोने लगती थी और राघव से माफी मांग लिया करती थी।
आज भी राघव ने यही सोचा था — कि जैसे ही वो अवनी को बात न करने की धमकी देगा, अवनी फिर से रो पड़ेगी और माफी मांगेगी।
लेकिन आज तो अवनी के चेहरे के हावभाव पहले से भी ज्यादा सख्त हो गए। वो राघव को घूरते हुए बोली —
“अपनी फालतू की बकवास बंद करो! मुझे कोई शौक नहीं है तुमसे किसी भी तरह की माफी मांगने का। वैसे भी मैंने कोई गलती नहीं की। और मैंने कहा ना — मेरी गाड़ी में तुम नहीं जाओगे, मतलब तुम नहीं जाओगे! तो गेट आउट हो जाओ यहां से!”
अवनी ने उसे घूरते हुए ये कहा और फिर ड्राइवर को देखकर बोली —
“ड्राइवर, क्या तुम्हें सुनाई नहीं दे रहा? अभी और इसी वक्त मुझे घर लेकर चलो! क्या मुझे बार-बार ये बात रिपीट करनी होगी?”
अब ये सुनकर तो राघव के तन-बदन में आग लग गई थी, क्योंकि अवनी उसके ही मुंह पर, उसके ही पिता से इस तरह की बातें कर रही थी। उसे बहुत गुस्सा आया, लेकिन वो अपना गुस्सा वहां पब्लिक में किसी को दिखा नहीं सकता था, क्योंकि सबकी नजरों में वो मालिक था और अवनी नौकरानी।
लेकिन अपनी बेइज्जती वो इस तरह भी नहीं सह सका। उसने तुरंत अपने पिता को इशारा किया, और उसके पिता ने गाड़ी के दरवाजे ऑटोमेटिक खोल दिए।
देर न करते हुए राघव गाड़ी में बैठ गया और अचानक उसने अवनी को धक्का देकर बाहर गिरा दिया।
वो उसे घूरते हुए बोला —
“बदतमीज़ लड़की! तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई सब लोगों के सामने मुझसे इस तरह बात करने की? हां, तुम ऐसा कैसे कर सकती हो? क्या तुम भूल गई हो कि तुम कौन हो? क्या तुम्हें मेरी बात सुनाई नहीं देती? क्या मेरे साथ नहीं रहना? मुझसे शादी नहीं करनी?”उसने शादी वाले बाते इस तरह से बोली थी कि अवनी के अलावा किसी और को सुनाई न दे।
ये बोलते हुए उसने अवनी को गाड़ी से धक्का दे दिया और अपने पिता को वहां से चलने के लिए कहा।
अब ये देखकर तो मोना और उसके बाकी दोस्त, साथ ही क्लासमेट्स — सभी पूरी तरह से हंसने लगे थे।
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वही रिचा को अवनी के लिए बहुत ज्यादा बुरा लग रहा था। देर ना करते हुए वो अवनी के पास आई और उसे कंधों से पकड़कर उठाने लगी थी। वही मोना अब चु-चु करते हुए अवनी के पास आकर बोली थी, “ये क्या? यही होता है जब कोई नौकरानी इस तरह से मालिक बनने की कोशिश करती है। उसके साथ ऐसा ही होता है।”
राघव ने ये कोई पहली बार नहीं किया था, न जाने कितनी ही बार वो उस पर हाथ उठा चुका था, उसे बेइज्जत कर चुका था, उसे धक्का दे चुका था। लेकिन अवनी ने कभी उसकी बात का बुरा नहीं माना। उल्टा वो राघव की खुशामद ही किया करती थी कि बस राघव उसे अपनी जिंदगी से दूर ना करे। वो पूरी तरह से उसकी खुशामद किया करती थी ताकि वो उसे पूरी तरह से अपना ले।
लेकिन फिलहाल अब जैसे ही राघव ने इस तरह से उसे धक्का दिया, तो मोना तुरंत ही मुस्कुराते हुए उसके पास आई और अपने बाकी फ्रेंड्स और राघव के दोस्तों की ओर देखकर बोली — “देखा तुम लोगों ने? जब किसी नौकरानी के पर निकल आते हैं, तो उन्हें इसी तरह से काटा जाता है! क्या नौकरानी, तुम इतनी ज्यादा ऊपर कैसे चढ़ गई कि मालिकों की ही गाड़ी में बैठकर उन पर हुक्म चलाने लगी? क्या वो गाड़ी तुम्हारे बाप की थी?”
अब जैसे ही मोना ने इस तरह से कहा, रिचा तुरंत अवनी के कानों में बोली थी, “अवनी, शांत हो जा! तुझे क्या हो गया है? मैं जानती हूँ कि सब लोगों के मुँह से ‘नौकरानी’ सुन-सुनकर तेरे दिमाग में कुछ खराबी आ गई है। लेकिन तू फिकर मत कर, मैं तुझे डॉक्टर के पास लेकर चलूँगी — देखना, तू बिल्कुल ठीक हो जाएगी।”
तभी राघव का एक दोस्त विनय आगे आया और बोला था, “वैसे अवनी, अगर तुम्हें बुरा ना लगे तो मैं तुम्हें लिफ्ट दे सकता हूँ, और डोंट वरी — मेरी कंपनी, राघव से भी ज्यादा मज़ेदार होगी।”
अब जैसे ही विनय ने ललचाई नज़रों से अवनी को देखते हुए ये कहा, अवनी के तन-बदन में पूरी तरह आग लग चुकी थी। अचानक वो गुस्से से उठ खड़ी हुई और खींचकर एक जोरदार तमाचा उसने विनय के मुँह पर दे मारा।
क्योंकि उसे विनय की केवल यही बात बुरी नहीं लगी थी — बल्कि उसके पहले जन्म में, जब राघव ने उसकी ज़िंदगी की हद पार करते हुए विनय और बाकी चार दोस्तों को अवनी के पास भेजा था, तब विनय ने उसके साथ गलत व्यवहार करने से पहले उसे बुरी तरह मारा था।
अचानक ये याद आते ही अवनी का खून खौल उठा। उसने खींचकर विनय के मुँह पर थप्पड़ जड़ दिया था।
अब ये देखकर सब सन्न रह गए। वही विनय गुस्से से लाल आँखों से अवनी को घूरने लगा था। लेकिन ठीक उसी वक्त, इससे पहले कि विनय अवनी पर कुछ गुस्सा करता या कुछ कहता, उसके दोस्तों ने आकर उसे पकड़ लिया और कहने लगे — “तुझे इस तरह की एक नौकरानी के मुँह लगने की कोई जरूरत नहीं है। वक्त आने पर इससे हम अच्छा खासा बदला ले लेंगे। शांत हो जा।”
फिलहाल अब मोना की ओर देखकर अवनी बोली थी — “मुझे लिए बिना वो गाड़ी यहाँ, इस कॉलेज से बाहर नहीं जाएगी।”
जैसे ही अवनी ने ये कहा, अब तो मोना की आँखें हैरानी से बड़ी हो गई थीं। वही रिचा को भी लगने लगा कि आखिर अवनी को हुआ क्या है! कहां तो एकदम शांत और चुप-चुप रहने वाली अवनी अचानक इतनी ज्यादा शेर कैसे बन गई? कहीं ना कहीं, इस वक्त उसके दिलो-दिमाग में काफी सारे सवाल चल रहे थे।
लेकिन ठीक उसी वक्त, अवनी ने अपने बैग से फोन निकाला और सीधा अपने पिता को फोन लगाते हुए कहा था — “हमारा ड्राइवर मुझे बिना लिए कॉलेज से चला गया है।”
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“और मुझे अभी, इस वक्त घर आना है। उसको बोलो कि वो मुझे अभी लेकर जाए, वो भी इसी वक्त।”
अवनी ने अपने विलेन अंदाज़ में कहा था।
उसकी ये बात आसपास मौजूद सभी लोगों ने सुन ली थी और सबको लगने लगा था कि शायद इसके दिमाग का संतुलन पूरी तरह से बिगड़ चुका है।
लेकिन तभी अवनी ने मुस्कुराते हुए अचानक बैक काउंटडाउन करते हुए कहा था — “3… 2… 1…”
अब जैसे ही अवनी ने ‘वन’ कहा, उसी के साथ उसकी गाड़ी आकर एक बार फिर से वहीं रुक गई थी।
गाड़ी को वहां वापस आते देख सब लोग हैरानी से एक-दूसरे की ओर देखने लगे थे।
और तभी ड्राइवर गाड़ी से बाहर निकला और गाड़ी का पिछला दरवाज़ा खोलकर अवनी को इशारे से अंदर बैठने के लिए कहा।
वहीं राघव गुस्से से तिलमिला रहा था।
वो जानता था कि उसके दोस्तों के दिलों-दिमाग में इस वक्त बहुत सारे सवाल चल रहे होंगे और सब ये सोच रहे होंगे कि आखिर ये नौकरानी की बेटी को वापस लेने के लिए क्यों आया है।
तभी उसने गाड़ी में बैठे-बैठे ही मोना की ओर देखकर कहा था,
“तुम तो जानती हो ना कि मेरे पिता इसे कितना ज्यादा पसंद करते हैं। उन्होंने ही इसका एडमिशन इस कॉलेज में करवाया है।
उन्हें बिल्कुल अच्छा नहीं लगेगा कि मैं इसे ऐसे यहां छोड़ दूं।
इसलिए मजबूरी में इसे वापस लेकर आना पड़ा।
और वैसे भी इसने जो बदतमीजी की है, उसके बारे में मैं अपने पिता से इसके सामने ही शिकायत करूंगा।”
ये बोलकर उसने गहरी सांस ली और फटाफट गाड़ी के शीशे बंद कर दिए थे।
वहीं अवनी उसकी सारी बातें सुन चुकी थी, लेकिन उसने किसी भी तरह का कोई रिएक्शन नहीं दिया।
वो जानती थी — कितने सालों से राघव ने अपने झूठ का ये साम्राज्य बनाया है, और उसे टूटने में वक्त तो लगेगा ही।
कोई जल्दी से अवनी की बातों पर यकीन नहीं करेगा, इसलिए उसे पेशेंस से काम लेना होगा।
फिलहाल, देर ना करते हुए गाड़ी अब मेहता मेंशन की ओर रवाना हो चुकी थी।
वहीं सभी लोगों ने राघव की बातें सुनने के बाद राहत की सांस ली थी।
सबको लगा — “बड़े अमीर लोग हैं, और हो सकता है कि बच्चों की तरह इस लड़की को पाला हो, तो लगाव हो गया होगा।”
यही सोचकर सब लोग अब बस अगले दिन का इंतज़ार करने लगे थे,
ताकि जान सकें कि अगले दिन कॉलेज में राघव ने अवनी को किस तरह से सज़ा दी होगी।
वहीं दूसरी ओर अब राघव गुस्से से अवनी को देख रहा था।
लेकिन इस बीच उसके पिता ने उसे अच्छी तरह फटकार दिया था —
“तुम अवनी से इस तरह बिगाड़ नहीं सकते!
हाँ, मैं जानता हूँ कि आज वो लड़की ज़रूर बदतमीज़ी से बोल रही थी,
लेकिन अगर वो लड़की हमारे हाथ से निकल गई,
तो हमारे हाथ से सब कुछ निकल जाएगा!
भूलो मत कि हम लोग क्या हैसियत रखते हैं —
हम इस तरह से उसकी नाराज़गी मोल नहीं ले सकते।
तुम्हें किसी न किसी तरह उसे वापस मनाना ही होगा।”
ये सुनकर राघव अंदर ही अंदर गुस्से से जल उठा था।
लेकिन कहीं न कहीं उसके पिता की बात सच भी थी।
उसने सोच लिया था कि —
एक बार जब वो अवनी से शादी कर लेगा,
उसके बाद गिन-गिनकर उससे ऐसा बदला लेगा,
ऐसा बदला कि उसे अपने जन्म लेने पर भी अफ़सोस होगा।
वहीं अवनी शांति से बैठी हुई बाहर की ओर देख रही थी।
आज उसे कल की तरह एक अजीब-सी ताजगी का एहसास हो रहा था।
लेकिन ठीक उसी वक्त राघव ने खुद को कंट्रोल करते हुए एकदम ठंडे, मगर अहंकारी अंदाज़ में कहा था —
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---अवनी शांति से बैठी हुई बाहर की ओर देख रही थी।
आज उसे एक अजीब-सी ताजगी का एहसास हो रहा था।
लेकिन ठीक उसी वक्त राघव ने खुद को कंट्रोल करते हुए एकदम ठंडे, मगर अहंकारी अंदाज़ में कहा था।
“अवनी, क्या हो गया है तुम्हें? तुम मुझसे नाराज़ हो क्या? तुम्हें कोई बात बुरी लगी हो क्या? क्या तुम फिर से मोना को लेकर किसी गलतफहमी में तो नहीं आ गई ना? कहीं उस रिचा ने तुम्हें कुछ कहा तो नहीं?”
क्योंकि उससे पहले भी एक बार अवनी थोड़ा-सा राघव से नाराज़ हुई थी — जब उसने राघव को मोना को किस करते हुए देख लिया था।
रिचा ने यह बात अवनी को बताई थी, और जब उसने राघव से इस बारे में पूछा था, तो राघव ने उसे अपने झूठे प्यार में उलझा लिया था।
आज भी उसे लगा कि शायद मोना को लेकर अवनी को कोई गलतफहमी हो गई होगी, जो वह इस तरह का बर्ताव कर रही है।
वह सोच रहा था कि थोड़ी कोशिश करेगा तो सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा।
यह सोचते हुए वह उसकी ओर घूरते हुए देखने लगा था।
लेकिन अवनी ने उसकी बातों का कोई जवाब नहीं दिया।
अब राघव को अवनी के ऊपर गुस्सा तो बहुत आ रहा था।
उसका दिल कर रहा था कि अवनी को खींचकर एक तमाचा मार दे,
लेकिन फिर उसने अपने पिता की ओर देखा —
क्योंकि उसके पिता साइड मिरर में कड़ी नज़रों से उसी को देख रहे थे।
तब उसने अपने चेहरे पर झूठी मुस्कान लाकर बोला,
“अवनी, मेरी बात ध्यान से सुनो, प्लीज़।
तुम्हें इस तरह नाराज़ होने की कोई ज़रूरत नहीं है।
मैं तुम्हें पहले भी बता चुका हूँ कि मोना सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरी एक अच्छी दोस्त है।
उससे जलने की या कोई गलतफहमी पालने की बिल्कुल ज़रूरत नहीं है।
मैं सिर्फ़ तुमसे प्यार करता हूँ और तुमसे ही शादी करूंगा।
मेरा उससे कोई लेना-देना नहीं है।”
अवनी उसकी बातें ध्यान से सुन रही थी,
लेकिन अब उसकी कही हुई बातें उसके सिर के ऊपर से जा रही थीं —
क्योंकि अवनी अब यह बात अच्छे से समझ चुकी थी कि राघव कितना घटिया इंसान है
और आगे चलकर उसके साथ क्या करने वाला है।
उसका दिल तो कर रहा था कि इस वक्त वहीं उसके मुंह पर जोर से थप्पड़ जड़ दे,
लेकिन उसने खुद पर काबू रखा और बिना कुछ जवाब दिए बस चुपचाप बैठी रही।
वहीं राघव अंदर ही अंदर जलता रहा,
लेकिन तब तक मेहता मेंशन आ चुका था।
अवनी तुरंत ही गाड़ी से उतरी और सीधा अपने कमरे की ओर जाने लगी थी।
वहीं राघव हैरानी से बैठा रह गया —
क्योंकि आज पहली बार ऐसा हुआ था कि अवनी ने राघव के लिए गाड़ी का दरवाज़ा नहीं खोला था।
यह देखकर वह पूरी तरह से तिलमिला गया और सोचने लगा कि आखिर इस लड़की को हुआ क्या है।
वहीं अवनी के उतर जाने के बाद उसका पिता, राजेश, गुस्से से राघव को देखते हुए बोला,
“क्या कर रहा था तू, बेवकूफ़ लड़के?
तुझे कितनी बार कहा है कि तुझे अगर दूसरी लड़कियों के साथ इश्क़ फरमाना है तो वह बाद में कर,
लेकिन इस तरह इस लड़की के सामने आशिक मत बन जा!
देखा तूने, तूने उसे कितना नाराज़ कर दिया है?
कुछ भी कर, उसे मना!
वह हमारे लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी है।
याद रखना, जो हम ये ऐश वाली ज़िंदगी जी रहे हैं —
वह सिर्फ़ उसी लड़की की बदौलत है।
अगर वह लड़की हमारे हाथ से निकल गई,
तो हमारे हाथ कुछ भी नहीं आएगा।
सुन रहा है ना तू मेरी बात?”
अब राजेश की बात सुनते हुए राघव बोला,
“फिक्र मत कीजिए पिताजी,
वो पूरी तरह से मेरी मुट्ठी में है।
हाँ, वह थोड़ी देर के लिए मुझसे नाराज़ हो गई है,
शायद आज मैंने उसे क्लासरूम में थोड़ा ज़्यादा डांट दिया था।
लेकिन आप चिंता मत कीजिएगा — मैं उसे बहुत जल्द मना लूंगा।
वैसे भी, वह मेरे प्यार में पूरी तरह पागल है।
मैं ज़रा सा भी उसे मनाऊंगा,
तो वह वैसे ही करेगी जैसे मैं कहूंगा।”
यह कहते हुए राघव के चेहरे से घमंड साफ झलक रहा था।
देर न करते हुए वह गाड़ी से उतरा और अपने पिता के पीछे-पीछे चल दिया।
फिलहाल, अवनी जैसे ही अंदर गई,
तो उसकी नौकरानी — जो कि मैसेज़ मार्था थी —
जो शुरू से ही अवनी को बेहद पसंद करती थी,
उसे अवनी और राघव का साथ बिल्कुल भी पसंद नहीं था।
उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था कि राघव अवनी के आसपास रहे —
क्योंकि राघव के चेहरे से ही शैतानियत और चालाकी झलकती थी।
मिसेज़ मार्था, जिन्होंने बचपन से लेकर अवनी का ध्यान रखा था,
एक नौकरानी की तरह नहीं, बल्कि मां बनकर उसके साथ रहीं थीं।
इसलिए उन्हें अवनी के लिए हमेशा बहुत बुरा लगता था —
कि अवनी एक बेचारी मासूम लड़की है, और ये राघव उसके साथ कैसा बर्ताव करता है।
हमेशा उसे अपनी नौकरानी बनाकर रखता है,
जबकि खुद अवनी के पीछे नौकरों की लाइन लगी रहती है।
फिलहाल, आज पहली बार अवनी ने खुद से आगे बढ़कर
मैसेज़ मार्था को आवाज़ लगाई और उनकी ओर देखकर बोली,
“मैसेज़ मार्था… मुझे बहुत भूख लगी है,
आप प्लीज़ मेरे लिए खाना लगा दीजिए।”
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अब यह सुनकर मिसेज़ मार्था थोड़ा सा चौक गई थीं, क्योंकि आज पहली बार अवनी ने उन्हें कहा था कि वह उसके लिए खाना लगा दें — उसे भूख लगी है। जबकि जब भी अवनी कॉलेज जाया करती थी, वह सबसे पहले खुद ही राघव की पसंद का खाना टेबल पर लगाने के लिए कह दिया करती थी — “सबसे पहले राघव के लिए खाना लगाओ बाद में, मैं खाऊँगी, उसके बाद ही सब लोग खाएँगे।” लेकिन आज जिस तरह से अवनी ने कहा कि वह उसके लिए खाना लगा दें, वह वाकई मिसेज़ मार्था को हैरानी से भर गया था।
फिलहाल अवनी जल्दी ही सीधा अपने कमरे में चली गई और अपने कमरे का दरवाज़ा अंदर से लॉक कर लिया। वहीं राघव तुरंत उसके पीछे-पीछे आया और कमरे का दरवाज़ा खटखटाते हुए बोला — “अवनी, प्लीज़ दरवाज़ा खोलो! यह क्या बचपना है? अवनी, हम लोग बात भी तो कर सकते हैं न? तुम मेरी बात सुनो — देखो, मोना और मेरे बीच वैसा कुछ नहीं है जैसा तुम समझ रही हो। देखो, वरना मुझे गुस्सा आ जाएगा अभी! मेरी बात सुनो और दरवाज़ा खोलो।”
राघव पूरी तरह घमंड में डूबा था। उसे लग रहा था कि अवनी थोड़े ही समय के लिए उससे नाराज़ हुई है, पर धमकी देने पर वह दरवाज़ा खोल देगी और सब कुछ फिर ठीक हो जाएगा। लेकिन अवनी ने दरवाज़ा नहीं खोला।
अपने कमरे में आकर अवनी ने अच्छी तरह अपने कमरे को देखा — और उसे राघव की तस्वीरें हर जगह भरी पड़ी मिलीं। हर एक तस्वीर में राघव उसके साथ था; बचपन से लेकर आज तक पूरे कमरे में राघव की तस्वीरें थीं। यह सब देखकर उसे अजीब तरह का डर-सा महसूस हुआ और एक-एक करके पिछले जन्म में जो कुछ भी उसके साथ हुआ था, सब याद आने लगा।
देर न करते हुए उसने सारी तस्वीरें कमरे से निकालकर एक तरफ फेंक दीं। तस्वीरें निकालने के बाद वह सीधा अपने शानदार बाथरूम में गई और जोर से चिल्लाने लगी — क्योंकि उसके पिछले जन्म का दर्द जब याद आया तो वह सहन नहीं कर पाई। उसने सोचा कि आखिरकार वह इतनी बेवकूफ कैसे रही कि उसने एक आदमी को अपनी ज़िंदगी पर इस कदर हावी कर लिया; उसने उसकी हर तरह की हरकतें सह लीं। यह सब सोचकर उसे बड़ा अजीब सा लग रहा था।
पूरी तरह अपनी फ्रस्ट्रेशन उतारने के बाद उसने शावर लिया, फटाफट फ्रेश होकर बाहर आ गई। जैसे ही वह बाहर आई, उसने देखा कि राघव डायनिंग टेबल पर बैठा उसकी प्रतीक्षा कर रहा है और मिसेज़ मार्था ने सबसे पहले राघव के लिए ही खाने की थाली लगा दी थी।
यह देखकर अवनी के माथे पर चुभन आई; वह घूरते हुए बोली — “आप क्या कर रही हैं? मैंने आपसे खाना माँगा था, तो आप यह खाना राघव के लिए क्यों लगा रही हैं? और वैसे भी वह ड्राइवर का बेटा है — बोलो उसे कि जाकर अपनी जगह पर खाना खाए। उसकी हिम्मत कैसे होती है मेरे साथ डायनिंग टेबल पर बैठने की?”
अब जैसे ही अवनी ने गुस्से में यह कहा, राघव के हाथ मुट्ठियाँ बन गए। उसका गुस्सा आउट-ऑफ-कंट्रोल था। वह तुरंत अवनी को घूरते हुए बोला — “तुम ड्राइवर का बेटा को क्या समझती हो? हाँ! क्या तुम भूल गई हो कि तुम कौन हो? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे इस तरह बात करने की? मेरा मोना से कोई लेना-देना नहीं है — तो तुम इसे इतना क्यों बढ़ा रही हो?”
अब जैसे ही राघव ने यह कहा, अवनी ने गहरी साँस ली और तुरंत राघव की खाने की थाली हाथ में लेकर जमीन पर पटक दी। फिर मिसेज़ मार्था से देखकर बोली — “जाइए, जाकर मेरे लिए खाना लगा दीजिए, प्लीज़।”
मिसेज़ मार्था ने यह नज़ारा देखा और उनकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं।
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उन्होंने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि अवनी इस तरह का कोई डिसीजन ले लेगी। आज तक कितने ही मौके आए थे जब राघव ने कितनी ही बार सब नौकरों के सामने अवनी को नीचा दिखाया था, लेकिन अवनी ने उसका पलटकर जवाब देना तो दूर की बात, उसकी ओर आँख उठाकर तक नहीं देखा था। सभी लोग घर के नौकरों को यह बात ज्यादा बुरी लगती थी। लेकिन आज, मानो सब कुछ बदल सा गया था।
मिसेज़ मार्था की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था; फटाफट से उन्होंने गरमा-गरम खाना लेकर अवनी को सर्व किया, और अवनी आराम से खाने लगी। राघव के लिए यह देख पाना आउट-ऑफ-कंट्रोल हो चुका था। वह मन ही मन सोचने लगा कि आखिर क्या हुआ, ऐसी कौन सी बात बुरी लग गई, जो अवनी इस तरह से बुरा बता रही है। आज से पहले तो वह उसे कई बड़ी-बड़ी बेज्जती दे चुका था, तब अवनी ने बुरा नहीं माना। लेकिन आज क्या हुआ है? क्या वह कोल्ड ड्रिंक, जो उसने मोना के लिए मंगवाई थी, क्या वो बात बुरी लग गई?
कहीं ना कहीं यह सोचते हुए वह अचानक अवनी के पास घुटनों के बल बैठ गया और बोला — “अवनी, मैं जानता हूँ कि तुम मुझसे नाराज होने का नाटक कर रही हो। मैं जानता हूँ कि तुम मेरे बिना रह ही नहीं सकती और मुझसे बात किए बिना नहीं रह सकती। देखो, अगर तुम्हें इस बात का गुस्सा आ रहा है कि मैंने मोना के लिए तुम्हारे सामने कोल्ड ड्रिंक मंगवा दी, तो ठीक है, मत लो। लेकिन इस तरह से नाराज मत होना। तुम तो जानती हो ना कि मैं तुम्हें कितना पसंद करता हूँ।”
अब जैसे ही राघव ने मीठी चाशनी में डूबे शब्दों में यह कहना शुरू किया, अवनी ने कोई रिएक्शन नहीं दिया। लेकिन ठीक उसी वक्त एक नौकर वहाँ आया और अपनी आदब से झुककर बोला — “मिस्टर डोबरियाल आपसे मिलने के लिए आए हैं।”
अवनी ने जैसे ही यह सुना, वह पूरी तरह से हैरानी और घबराहट से भर गई। मिस्टर डोबरियाल का नाम सुनते ही उसकी आँखों के सामने मिस्टर अंश डोबरियाल का चेहरा याद आ गया। अंश कोई और नहीं बल्कि वही इंसान था जिसे उसके पिता ने उसके लिए चुना था। मिस्टर अंश एक जाना माना रईस था, जो बिजनेस मीटिंग के जरिए अवनी के पिता, मिस्टर दिग्विजय मेहता के करीब आया था। मिस्टर दिग्विजय को अंश काफी पसंद आया था — एकदम हैंडसम, रईस, और अवनी के लिए बिल्कुल ठीक लगता।
अवनी के लिए उसने उससे बात भी की थी, लेकिन अवनी ने तुरंत ही बिना मिले उसे मना कर दिया था, क्योंकि उसकी आँखों पर तो राघव के प्यार की झूठी पट्टी बंधी हुई थी। वही राघव, अंश का नाम सुनकर पूरी तरह गुस्से से भर गया और नोकर को चांटा मारते हुए बोला — “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई, इस तरह से यहाँ आकर उसके बारे में जानकारी देने की जाकर उसे मना कर दो? अवनी उससे नहीं मिलेगी।”
अब यह सुनकर नौकर वहां से जाने लगा, क्योंकि भले ही मेंशन पूरी तरह अवनी का था, लेकिन ऑर्डर सिर्फ राघव का चला करता था। लेकिन अवनी तुरंत नौकर को देखकर बोली — “ठहरो, मैं आ रही हूँ। उन्हें इज्जत के साथ लिविंग रूम में बिठाओ।”
यह सुनकर राघव का चेहरा काला पड़ गया। वह अवनी को घूरते हुए बोला — “यह बहुत ज्यादा हो रहा है। मैं तुमसे माफी मांग चुका हूँ, और अब तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकती। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई कि अंश से मिलने की कोशिश कर रही हो? तुम जानते हो ना कि मुझे वह बिल्कुल भी पसंद नहीं है, और मैं बिल्कुल नहीं चाहता कि वह तुम्हारे आसपास रहे। तो तुम मुझसे नहीं मिलोगी — मतलब नहीं मिलोगी।”
तभी अवनी गुस्से से अपने खाने की थाली पर अपना हाथ मारते हुए बोली थी। आगे की स्टोरी जानने के लिए बने रहिए दोस्तों।