स्वरा और राग की प्रेम कहानी, जो दो भिन्न संस्कृतियों के बीच पनपती है। क्या उनका प्यार इस टकराव को पार कर पाएगा? दो प्रतिष्ठित परिवार, जिनकी जड़ें अलग-अलग परंपराओं में हैं, क्या अपने बच्चों के इस अद्भुत मिलन को स्वीकार करेंगे? स्वरा और राग,... स्वरा और राग की प्रेम कहानी, जो दो भिन्न संस्कृतियों के बीच पनपती है। क्या उनका प्यार इस टकराव को पार कर पाएगा? दो प्रतिष्ठित परिवार, जिनकी जड़ें अलग-अलग परंपराओं में हैं, क्या अपने बच्चों के इस अद्भुत मिलन को स्वीकार करेंगे? स्वरा और राग, नाम ही संगीत के हैं। उनकी प्रेम कहानी, सुर और सरगम की तरह, एक-दूसरे से टकराती है और एक नई धुन बनाती है। क्या उनके रिश्ते को मंजूरी मिलेगी, या यह प्रेम रिश्तों के टकराव की वजह से अधूरा रह जाएगा? यह कहानी प्रेम, धोखे, छल, और मात के जटिल मिश्रण से भरी है। यह एक ऐसी कहानी है जो आपको भावनाओं के एक बवंडर में ले जाएगी, जहाँ प्रेम की अद्वितीय परिभाषा गढ़ती है। क्या यह प्यार फलेगा-फूलेगा या अंततः संघर्ष में बदल जाएगा? जानने के लिए तैयार हो जाइए एक ऐसे प्रेम की कहानी के लिए जो दिलों को छू जाएगी!
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हरिराम त्रिवेदी जिनका शास्त्रीय संगीत में बहुत ऊंचा नाम था। उनका परिवार बनारस के सबसे सर्वश्रेष्ठ खानदान में से एक था। उनकी पत्नी का नाम मंगला त्रिवेदी था। उनका इकलौता बेटा था विक्रम त्रिवेदी जिसकी पत्नी का नाम था दीपा त्रिवेदी। इन दोनों की एक बेटी है जिसका नाम है सरगम त्रिवेदी।
वहीं त्रिवेदी जी के खास दोस्त पंकज शास्त्री और शांति शास्त्री हैं। जिनके दो पोते हैं एक राग और दूसरा सुर। दोनों के लिए हरिराम गुरु समान भी हैं। पंकज के परिवार में दो बेटे हैं। बड़ा बेटा जिसका नाम है अमित शास्त्री और उसकी पत्नी का नाम है नेहा शास्त्री। छोटे बेटे का नाम है समीर शास्त्री और उसकी पत्नी का नाम है पूजा शास्त्री। इन दोनों बेटों के ही एक एक बेटे है जिनका नाम राग और सुर है। इसके अतिरिक्त अमित की एक बेटी भी है राम्या शास्त्री जो सबसे छोटी है।
यह तो हो गए दो प्रतिष्ठित परिवारों के नाम इसके अलावा एक परिवार और भी है जो है स्वरा का परिवार। संगीता मेहरा जो एक सिंगल पैरेंट है और उसकी इकलौती बेटी है स्वरा मेहरा। संगीता अपने नाम की तरह ही है यानी कि संगीत उसकी रोम रोम में बसता है। हरिराम त्रिवेदी को कोई टक्कर दे सकता है तो वह है संगीता मेहरा। स्वरा को संगीत विरासत में मिला है। और उसे संगीत के किसी भी रूप को अपनाने और जीने की पूरी आजादी है।
अब सवाल यह उठता है कि स्वरा के पिता कौन है ?
एक तरफ स्वरा आजाद है वहीं सरगम बंधी है शास्त्रीय संगीत से। उसके दादा और पिता को उस पर बहुत गर्व है। उसे मॉडर्न तौर तरीके से जीने, घूमने फिरने की आजादी बिल्कुल भी नहीं है। उसके ऊपर परिवार की प्रतिष्ठा को बरकरार रखने का उत्तरदायित्व है।
त्रिवेदी निवास के सामने वाला घर मेहरा निवास ही है। वहीं शास्त्री निवास उनसे दूर दूसरे मोहल्ले का हिस्सा है।
मेहरा और त्रिवेदी दोनों एक दूसरे के लिए किसी दुश्मन से कम नहीं है। दोनों एक दूसरे को फूटी आंख देख नहीं सकते। इनकी दुश्मनी की जड़े भी गहरी ही हैं।
शास्त्री निवासहरिराम त्रिवेदी जिनका शास्त्रीय संगीत में बहुत ऊंचा नाम था। उनका परिवार बनारस के सबसे सर्वश्रेष्ठ खानदान में से एक था। उनकी पत्नी का नाम मंगला त्रिवेदी था। उनका इकलौता बेटा था विक्रम त्रिवेदी जिसकी पत्नी का नाम था दीपा त्रिवेदी। इन दोनों की एक बेटी है जिसका नाम है सरगम त्रिवेदी।
वहीं त्रिवेदी जी के खास दोस्त पंकज शास्त्री और शांति शास्त्री हैं। जिनके दो पोते हैं एक राग और दूसरा सुर। दोनों के लिए हरिराम गुरु समान भी हैं। पंकज के परिवार में दो बेटे हैं। बड़ा बेटा जिसका नाम है अमित शास्त्री और उसकी पत्नी का नाम है नेहा शास्त्री। छोटे बेटे का नाम है समीर शास्त्री और उसकी पत्नी का नाम है पूजा शास्त्री। इन दोनों बेटों के ही एक एक बेटे है जिनका नाम राग और सुर है। इसके अतिरिक्त अमित की एक बेटी भी है राम्या शास्त्री जो सबसे छोटी है।
यह तो हो गए दो प्रतिष्ठित परिवारों के नाम इसके अलावा एक परिवार और भी है जो है स्वरा का परिवार। संगीता मेहरा जो एक सिंगल पैरेंट है और उसकी इकलौती बेटी है स्वरा मेहरा। संगीता अपने नाम की तरह ही है यानी कि संगीत उसकी रोम रोम में बसता है। हरिराम त्रिवेदी को कोई टक्कर दे सकता है तो वह है संगीता मेहरा। स्वरा को संगीत विरासत में मिला है। और उसे संगीत के किसी भी रूप को अपनाने और जीने की पूरी आजादी है।
अब सवाल यह उठता है कि स्वरा के पिता कौन है ?
एक तरफ स्वरा आजाद है वहीं सरगम बंधी है शास्त्री संगीत से। उसके दादा और पिता को उस पर बहुत गर्व है। उसे मॉडर्न तौर तरीके से जीने, घूमने फिरने की आजादी बिल्कुल भी नहीं है। उसके ऊपर परिवार की प्रतिष्ठा को बरकरार रखने का उत्तरदायित्व है।
त्रिवेदी निवास के सामने वाला घर मेहरा निवास ही है। वहीं शास्त्री निवास उनसे दूर दूसरे मोहल्ले का हिस्सा है।
मेहरा और त्रिवेदी दोनों एक दूसरे के लिए किसी दुश्मन से कम नहीं है। दोनों एक दूसरे को फूटी आंख देख नहीं सकते। इनकी दुश्मनी की जड़े भी गहरी ही हैं।
शास्त्री निवास -
आज शास्त्री निवास में जोरों शोरों की धूमधाम हो रखी थी। उनके दोनों बेटे विदेश से पढ़ाई पूरी करके घर लौट कर जो। आ गए थे। सुर बड़ा बेटा था और राग छोटा बेटा था। उनकी वापसी के उपलक्ष में वहां पार्टी रखी हुई थी। पार्टी में में मुख्य मेहमान त्रिवेदी परिवार ही था।
स्वरा अपनी मां के साथ कुछ हफ्ते पहले ही अपने इस पुश्तैनी घर में वापस लौट कर आई थी। वह दोनों मां बेटी काफी दिनों से शिफ्टिंग में ही लगे हुए थे। घर सेट करते हुए उन्हें काफ़ी दिन निकल गए। आज स्वरा शांति से अपनी कॉफी एंजॉय करते हुए बालकोनी में खड़ी हुई थी। उसने कॉफी पीते हुए देखा उनके सामने वाला बड़ा सा घर जो अक्सर शांत दिखाई देता था आज वहां अच्छी खासी चहल पहल दिखाई दे रही थी। सारे लोग सज धज कर कहीं जा रहे थे शायद। स्वरा उन्हें ध्यान से देख रही थी। घर की औरतों ने पारंपरिक कपड़े पहने हुए थे। साड़ियों का पल्लू सर पर रखा हुआ था। उनके साथ उसकी हमउम्र एक लड़की भी थी जिसने भी सूट सलवार पहना हुआ था। वह साधारण, सुंदर और कद में लंबी और पतली सी थी बिल्कुल उसी की तरह। वह सारे लोग गाड़ियों में बैठे और निकल गए।
तभी संगीता की आवाज ने स्वरा का ध्यान भंग करते हुए उसे पुकारा। वह अपनी मां की पुकार पर अंदर आ गई। संगीता ने मुस्कुराते हुए कहा...डार्लिंग खाना तैयार है, डिनर कर लो।
स्वरा मुस्कुराते हुए अपनी कुर्सी खींचते हुए एक तरफ बैठते हुए बोली....वाह ! क्या खुशबू है। मेरी जान आप खाना तो बहुत ही लाजवाब बनाती हैं। सोचती हूं अगर आप संगीतकार नहीं होती तो आप एक मास्टर शेफ तो जरूर ही होती।
संगीता मुस्कुराते हुए कहती है....एक मास्टरशेफ़ की ही बेटी हूं। स्वाद तो विरासत में मिला है मुझे। तुम्हारे नानाजी हलवाई थे बहुत बड़े और नामी। उनका खाना पकाने का शौक बहुत ही शानदार था जिसने उन्हें नाम, पहचान और शोहरत दी थी। पर उन्हें एक ही अफसोस रहा उम्र भर की उनके कोई बेटा नहीं था जो उनकी विरासत को आगे बढ़ा सके। थी तो बस मैं उनकी इकलौती संतान जिसे सबकुछ सौंप कर वह इस दुनियां से चले गए।
हेलो डियर रीडर्स यह मेरा पहला उपन्यास है यहां। उम्मीद है कि आप सपोर्ट करेंगे और भरपूर प्यार देंगे इस कहानी को। कमेंट्स में लिखकर बताइए जरूर कैसी लग रही है कहानी की शुरुवात।
पिछले अध्याय में आपने देखा कि हरिराम त्रिवेदी शास्त्रीय संगीत के महान व्यक्ति थे, जिनका परिवार बनारस के श्रेष्ठ खानदानों में से एक था। उनकी पत्नी मंगला त्रिवेदी, और बेटा विक्रम और बहू दीपा थे। उनकी एक बेटी सरगम त्रिवेदी थी। हरिराम के दोस्त पंकज शास्त्री और शांति शास्त्री हैं, जिनके पोते राग और सुर हैं। पंकज के दो बेटे अमित और समीर हैं, जिनकी पत्नियाँ नेहा और पूजा हैं। अमित की बेटी राम्या है। इसके अलावा, स्वरा मेहरा है, जो संगीता मेहरा की बेटी है, जो एक सिंगल पैरेंट हैं। स्वरा को संगीत विरासत में मिला है, जबकि सरगम शास्त्रीय संगीत से बंधी है। मेहरा और त्रिवेदी परिवारों में दुश्मनी है। शास्त्री निवास में पार्टी का आयोजन हो रहा था, जबकि स्वरा अपनी माँ के साथ अपने घर में वापस आई थी। स्वरा ने सामने के घर में लोगों को देखा, और उसकी माँ ने उसे डिनर के लिए बुलाया।
अब आगे
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स्वरा कहती है....संगीत और पाककला दोनों मुझे आपसे विरासत में मिले हैं राइट। काश! नानू जिंदा होते, मैं मिल पाती उनसे।
संगीता शांत हो गई थी उसकी बात सुनकर। आखिर वह ही तो वजह थी अपने डैड की मौत की। कौन सा पिता कुंवारी गर्भवती बेटी को ऐसे देखना सहन कर पाता। अचानक मिले सदमों ने उनकी जान ले ली। वह कर भी क्या सकती थी उसे भी प्यार में धोखा ही मिला था।
संगीता को चुप कहीं खोया हुआ देख स्वरा ने कहा....हमारे सामने वाले पड़ोसी जो दिखते भी नहीं हैं आज जल्दबाजी में सज धज कर कहीं जा रहे थे। बड़े ही अजीब टाइप लग रहे थे आई मीन संस्कारी टाइप के।
संगीता खामोशी के साथ गंभीर स्वर में कहती है...तुम उनसे दूर ही रहना। ऐसे लोग दिखावे के लिए संस्कारी होते हैं। मैं जानती हूं उन्हें वह बिल्कुल भी अच्छे इंसान नहीं है। डैड को दोस्ती में धोखा दिया था इन्होंने। उनकी इंसल्ट भी की थी। हमारे उनके साथ कोई खास रिश्ते नहीं है बेहतर होगा कि तुम भी उनसे दूरी बनाए रखोगी। वह दिखने में ही संस्कारी है लेकिन राजनीति उनके घर का मुख्य पेशा है। उस घर का हर इंसान ऐसा ही है।
संगीता की बात सुनकर स्वरा का आगे कोई सवाल करने का मन नहीं हुआ क्योंकि पिछली बातें याद दिला कर वह अपनी मॉम को हर्ट नहीं करना चाहती थी। इसी वजह से आजतक उसने अपनी मां से अपने डैड के बारे में कोई सवाल नहीं किया था।
संगीता कहती है....स्वरा तुम्हारा यहां मिड सेमेस्टर में कॉलेज में एडमिशन होगा जिसके लिए तुम्हें और अधिक तैयार रहने की जरूरत होगी। और एक एडवाइस देना चाहूंगी तुम्हें हर बार की तरह ही सेम एडवाइस होगी बिना सोचे समझे किसी पर भी भरोसा करके प्यार में मत पड़ जाना। मैं नहीं चाहती कि तुम मेरी तरह धोखा खाओ और सारी जिंदगी उस दर्द को सहती रहो। प्यार वास्तव में एक छलावा है तुम इससे खुद को जितना दूर रखोगी बेहतर होगा। सिर्फ अपने करियर पर ध्यान देना तुम। तुम्हें मेरी तरह ही एक प्रसिद्ध संगीतकार बनना है। जिसकी आवाज पूरे बनारस में ही नहीं पूरे देश में गूंजेगी। यहां मैं एक सपने के साथ वापस लौटकर आई हूं तुम जानती हो। तुम्हारे नानू का सपना। वह अपनी उस स्वीट शॉप को एक बड़े ब्रांड में बदलते देखना चाहते थे। एक होटल और कैफे में भी। मैंने सब प्लान कर लिया है। मुझे बस मेरी बेटी का विश्वास और सपोर्ट चाहिए।
स्वरा कहती है....मॉम मैं बहुत एक्साइटेड हूं इसके लिए। मैं आपके साथ उनके सपने को पूरा करने में आपकी पूरी मदद करूंगी।
संगीता मुस्कुराते हुए उसे गुड़ नाइट बोलकर उसके माथे पर किस करके वहां से चली गई थी।
वहीं त्रिवेदी परिवार शास्त्री निवास पहुंच चुका था। वहां उनका स्वागत गर्मजोशी से किया गया। दोनों लड़के दिखने में यंग और स्मार्ट थे। सब उनकी तारीफ कर रहे थे। सरगम उनके साथ बचपन में खेली थी। उसके बाद वह इनसे कभी नहीं मिली थी क्योंकि दोनों को बाहर पढ़ने के लिए भेज दिया गया था।
पंकज शास्त्री, हरिराम से कहते हैं...मैं चाहता हूं कि बच्चे हमारे व्यापार से जल्द से जल्द जुड़ जाए इसलिए उन्हें बुला लिया वापस। उनकी आगे की बची हुई पढ़ाई भी यहीं हो जाएगी साथ ही व्यापार भी सीख लेंगे। हम चाहते ही नहीं थे कि बच्चे बाहर जाए लेकिन उनके माता पिता की जिद थी हमें माननी पड़ी। हमारी एक इच्छा हमेशा से थी कि हम दोस्त से आगे बढ़कर समधी बन जाए। सरगम भी बड़ी हो गई है। कॉलेज पूरा होते ही हमारे सुर से उसका रिश्ता कर देंगे हम। बस यह दोनों थोड़ा एक दूसरे को जान ले ताकि आगे दिक्कत ना हो। बच्चे वैसे भी बाहर पढ़कर आए हैं तो उनकी आचार व्यवहार में थोड़ा अंतर होगा ही।
हरिराम मुस्कुराते हुए कहते हैं....मेरी इच्छा तो बहुत पहले से ही थी लेकिन किस्मत ने हमें तब बेटियां ही नहीं दी। दोनों अपनी बात कहकर हंसते हुए कहते हैं....हमारी ये पीढ़ी हमारे सपने को पूरा करेगी। वैसे भी सरगम इतनी संस्कारी लड़की है कि कौन उसे अपने घर की बहू बनाना नहीं चाहेगा।
वहीं सरगम उन दोनों को भीड़ से घिरा हुआ देख रही थी। वे दोनों बहुत अधिक ही व्यस्त थे जिसकी वजह से वह उनसे मिल नहीं पाई। राम्या, सरगम को अपने साथ लेकर चली गई। उन दोनों के हालात एक जैसे ही थे। दोनों को परिवार की परंपरा संस्कार के रूप में थोप दी गई थी। दोनों थोड़ा उड़ना चाहती थी लेकिन उनके पंखों में वो ताकत नहीं थी। दोनों एक दूसरे की अच्छी सहेली थी। वजह हमेशा साथ रहना, एक ही स्कूल में पढ़ना लिखना और फैमिली फंक्शन में जाना। दोनों एक दूसरे का अच्छा सहारा थी। यहां भी सरगम को उसका साथ मिल गया था।
राम्या उसे दिखा रही थी कि उसके दोनों भाई उसके लिए कितने सारे गिफ्ट लेकर आए थे। वह उसे गिफ्ट्स दिखाते दिखाते कॉल आ जाने पर कमरे से बाहर बनी बालकोनी पर बात करने चली गई। तभी सुर कमरे में आ गया। वहीं किसी के आने की आहट होने पर सरगम जैसे ही पलटी वह सुर से टकरा कर उसकी बाहों में जा गिरी। सुर में उसे बचाते हुए अपनी बाहों में थाम कर पकड़ लिया था।
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सुर ने सरगम को सीधे खड़े होने में मदद करते हुए कहा...तुम ठीक हो ?
सरगम ने सर हिलाकर जवाब देते हुए कहा... जी, मैं बिल्कुल ठीक हूं। धन्यवाद मुझे गिरने से बचाने के लिए।
तभी वहां राम्या आते हुए कहती है....भाई, ये सरगम है। त्रिवेदी अंकल की पोती और आपके बचपन की दोस्त।
सुर ने मुस्कुराते हुए कहा....ओहो ! नाइस टू मीट यू सरगम !
हम बचपन में साथ खेला करते थे याद है मुझे। तुम अब काफी बड़ी हो गई हो। इतना कहकर वह हंसने हुए कहता है...मैं भी।
वैसे अब तुम क्या कर रही हो ? अपने दादू की तरह सिंगर बनना है या फिर कुछ और।
राम्या बीच में बोलते हुए कहती है....भाई आप जले पर नमक क्यों छिड़क रहे हैं? आप जानते ही हैं इस परिवार की मर्यादा का सारा भार हम औरतों और लड़कियों पर है। आप लोग चाहे जो कर सकते हैं।
सुर, राम्या के सर पर टपली मारते हुए कहता है....दादा जी रोज कॉल करके इंस्ट्रक्शन देते थे। सुबह दादाजी, दिन में मम्मी और रात को पापा। हमें भी तीनों वक्त डोज मिलती थी इसलिए अधिक उड़ने की जरूरत नहीं है। जितना कंट्रोल वो तुझे करते हैं उतना हमें भी करते हैं। बिजनेस ज्वाइन करने के लिए बुलाया है उन्होंने हमें यहां मौज मस्ती के लिए नहीं। हमारे सपनों से भी उन्हें कोई मतलब नहीं है।
राम्या कहती है....मुझे लगा था आप वहां ऐश कर रहे थे लेकिन हमारे निर्दयी घरवाले ऐसा कैसे होने दे सकते थे।
सरगम उनके बीच में बोलते हुए कहती है....आप दोनों गलत हैं। उनके संस्कार उनकी संपत्ति है जिसे वह हमें नहीं सौंपेंगे तो किसे सौंपेंगे। वह जो भी करते हैं हमारे लिए बेस्ट करते हैं। आपको समझना चाहिए उनको भी। इतनी अच्छी लाइफ हमें उनकी वजह से ही मिली है।
उसकी बात अभी खत्म हुई बाकी ही थी कि वहां नेहा शास्त्री, सुर की मॉम आते हुए सरगम के सर पर हाथ रखते हुए कहती है....कुछ भी कहो हरिराम जी के संस्कार तुममें झलकते हैं। तुम बहुत ही प्यारी बच्ची हो।
सुर कहता है...मैं चलता हूं नीचे, मुझे भूख लगी है।
नेहा उसे रोकते हुए कहती है....सुर इन दोनों को भी साथ ले जाओ। इसे अच्छा लगेगा। तुम इसे राग से भी मिलवा देना।
वहीं स्वरा गिटार लेकर बैठी हुई थी। उसने व्हाइट कलर की एक वन पीस ड्रेस पहनी हुई थी। खुली हुई खिड़की से भीतर आती हुई हवा हाफ जुड़े से निकले हुए बालों को उड़ा रही थी। वह जितनी खूबसूरत थी उतनी ही बेहतरीन सिंगर भी थी। हर रोज वह संगीत की प्रैक्टिस किया करती थी। उसे शास्त्रीय संगीत के साथ मॉडर्न संगीत भी आता था। जब वह अपने संगीत की प्रैक्टिस समाप्त कर चुकी थी तब उसे एक साथ बहुत सारी गाडियां रुकने और शोर होने आवाज सुनाई दी। उसने कमरे की बालकोनी से झांका तो देखा वह लोग पार्टी से वापस घर लौट आए थे।
उसने एक भरे पूरे परिवार को हंसते मुस्कुराते हुए देखा था। वह उन्हें देखकर सोचने लगी काश मेरे पास भी ऐसा ही एक परिवार होता जैसे सबके पास होता है। डैड होते, मैं मॉम डैड को एक साथ देखना चाहती हूं लेकिन जानती हूं कि यह सिर्फ एक सपना ही होगा। ये लड़की बहुत लकी है जिसके पास मॉम, डैड, दादी दादू सब हैं। एक मैं जिसका पूरा परिवार उसकी मॉम है और उनसे वह सवाल तक नहीं कर सकती क्योंकि उन्हें दुख पहुंचेगा।
कौन होगा जिसने मॉम को धोखा दिया था ? मैं उस इंसान से हमेशा नफरत करूंगी। उसने मॉम को इतना दुख जो पहुंचाया। आई हेट यू। तुमने हमसे हमारा सब छीन लिया।
वह इस सब में डूबी हुई थी कि सरगम अपने कमरे में आकर बाहर बालकोनी में आकर खड़ी हो गई थी। वह कहीं खोई हुई स्वरा को देख रही थी। कितनी आजाद है यह लड़की जैसे चाहे कपड़े पहन सकती है। कुछ दिनों से देख रही थी वह उसे, इतनी स्वछंदता उसने आजतक अपने जीवन में नहीं देखी थी। आस पास रहने वाली लड़कियां भी उनके परिवार का खौफ खाती थी और अपनी मर्यादा में रहती थी। यह लड़की जो सामने खड़ी थी, यह गलत तो नहीं थी कहीं से भी फिर भी जाने क्यों उसके परिवार और संस्कार के हिसाब से वह बिल्कुल भी सभ्य नहीं थी।
स्वरा की नजर भी सामने खड़ी सरगम पर पड़ती है। दोनों ने एक दूसरे को इस तरह से आमने सामने पहली बार देखा था। दोनों कोई रिएक्शन दे पाती इससे पहले ही सरगम की कजिन दिया उसे खींचते हुए भीतर ले जाती है और बालकोनी का दरवाजा बंद करते हुए कहती है....तू पागल है क्या बाहर जाकर क्यों खड़ी हो गई। तुझे पता है ना दादाजी को यह सब बिल्कुल भी पसंद नहीं है। मैंने तेरी मॉम यानी बड़ी मां को यहां आते हुए देख लिया था। चल जल्दी से सो जाते हैं।
सरगम ने गर्दन हिलाते हुए अपने नाइट के कपड़े अलमारी से निकाले और बाथरूम चली गई। कपड़े बदल कर जब वह लौटी तो उसकी मॉम कमरे में आ चुकी थी। दीपा उससे कहती है....सरगम जल्दी सो जाओ, हमें सुबह मंदिर चलना है और जल्दी उठना होगा।
सरगम ने कहा... मॉम मुझे कल कॉलेज जल्दी पहुंचना है क्योंकि एक प्रैक्टिकल एग्जाम है मेरा।
दीपा ने कहा....दादी का हुकुम है, उन्हें मना तो नहीं कर सकते ना। हम थोड़ा जल्दी कर लेंगे पूजा उसके बाद तुम कॉलेज के लिए निकल जाना।
सरगम से अब कुछ कहते नहीं बना लेकिन दिल ही दिल में वह जानती थी कि यह गलत है। परिवार वाले अपने काम के अलावा कोई तीसरी बात जरूरी समझते ही नहीं थे। खासकर उसकी पढ़ाई को। वह जब चाहे उसकी छुट्टी करवा लेते थे। कोई समझने को राजी ही नहीं था और अपनी बात रखने का कोई ऑप्शन भी नहीं था वरना बात उसकी मां के संस्कारों पर आ जाती। करती क्या मरती उसे हर बार उनकी हर अनुचित डिमांड माननी ही पड़ती थी। सरगम सो चुकी थी। वहीं स्वरा तारों को निहारते हुए आखें बंद करके बिस्तर पर लेट गई थी।
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सुर ने सरगम को गिरने से बचाया और राम्या ने सरगम को सुर का बचपन का दोस्त बताया। सुर ने सरगम से उसकी पढ़ाई के बारे में पूछा, राम्या ने परिवार के नियमों का जिक्र किया, और सरगम ने परिवार के संस्कारों की सराहना की। नेहा शास्त्री ने सरगम को हरिराम जी के संस्कार की झलक बताया और सुर को सरगम और राम्या को साथ ले जाने के लिए कहा। स्वरा ने एक संपन्न परिवार को देखा और एक ऐसे परिवार की इच्छा की, जबकि सरगम और दिया के बीच बातचीत हुई। दीपा ने सरगम को मंदिर जाने और परीक्षा के लिए जल्दी उठने के लिए कहा, जिससे सरगम को उनकी अनुचित मांगों का पालन करने पर मजबूर होना पड़ा।
Now Next
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अगले दिन स्वरा कॉलेज जा चुकी थी। वह डीन के केबिन में संगीता के साथ बैठी हुई थी। डीन जो संगीता को जानता था वह उससे प्रोफेशनल होने के साथ थोड़े अपनेपन के साथ बातचीत कर रहा था। स्वरा की ग्रेड्स से वह बहुत प्रभावित था इसलिए उसका एडमिशन उसने बिना किसी दिक्कत हो गया था।
वहीं सुर और राग दोनों भी इंडिया वापस आए थे। उनका वहां स्कूल ही पूरा हो गया था। और कॉलेज का वह मिड सेमेस्टर बीच में छोड़ कर आए थे। यहां भी मिड सेमेस्टर चल रहा था इसलिए उन्होंने भी स्वरा की तरह कॉलेज में मिड सेमेस्टर में ही एडमिशन लिया था। उन्हें दिक्कत इसलिए नहीं हुई क्योंकि उनका परिवार भी यहां का नामी परिवार था।
वहीं सरगम भागते हुए कॉलेज पहुंची थी। वह डीन के केबिन से बाहर आ रहे सुर से जा टकराई। सुर ने उसे संभाल कर पकड़ते हुए कहा.... हे! मिल्खा सिंह कहां भागे जा रही हो ?
सरगम ने कहा....कहीं नहीं, मेरा प्रैक्टिकल एग्जाम है और मैं लेट हो गई हूं इससे अधिक कुछ नहीं बता सकती अभी। वह उसे बाय बोलकर जल्दी से वहां से चली गई।
सुर उसकी हड़बड़ी देखकर मुस्कुरा देता है। वहीं स्वरा संगीता के साथ बाहर जा रही थी।
सामने से आ रहे हैंडसम, टॉल और दिखने में क्यूट से एक लड़के से उसका हाथ टकरा जाता है। उसने आखों पर ब्राउन चश्मा लगाया हुआ था।
वह एटीट्यूड में अपने साइड से निकली लड़की की तरफ देखता। उसे उसका चेहरा नहीं दिखता बल्कि चेहरे की साइड पर आए बाल दिखाई देते हैं।
वह उससे गुस्से में बोलता है... हे! यू! देख कर नहीं चल सकती।
स्वरा पलट कर उसकी तरफ देखती है लेकिन तभी उसके आगे चल रही उसकी मॉम संगीता कहती हैं...स्वरा क्या हुआ चलो, मुझे देर हो रही है।
स्वरा का अभी साइड फेस ही दिख पाया था। अपनी मॉम की आवाज सुनकर वह वापस उनकी तरफ पलटते हुए बिना कोई जवाब दिए वहां से चली गई।
राग भी अपनी एक एल्बो उचका कर देखने के बाद वहां से आगे बढ़ गया था। आगे जाकर वह सुर को देखता है जो मुस्कुराने में लगा हुआ था।
राग, सुर के पास पहुंचकर उससे कहता है...क्या बात पहले ही दिन कोई मिल गई तुझे ?
सुर कहता है....ऐसा कुछ नहीं है। सरगम के बारे में बताया था तुझे अभी वो ही मिली थी। ऐसे भाग रही थी जैसे मिल्खा सिंह हो वो। वैसे उसका एग्जाम था और वो लेट थी। मुझे हमारा दिन याद आ गया। याद है हॉस्टल में पार्टी करने के बाद जब हम ऐसे ही दौड़ते भागते स्कूल पहुंचे थे।
राग कहता है....सरगम वही ना जो त्रिवेदी जी की पोती है और बचपन में हमारे साथ खेला करती थी।
सुर कहता है....कल पार्टी से तू कहीं गायब हो गया था और उसके बाद जब लौटा तो वह जा चुकी थी इसलिए मिल नहीं पाया उससे।
राग कहता है....क्या करूंगा मिलकर उससे? वैसे भी ये सारी लड़कियां अजीब ही होती हैं जब देखो घूरती रहती हैं बदतमीज कहीं की। कॉलेज में जब से आया हूं पागलों की तरह पीछे पड़ी है बेवकूफ।
सुर हंसते हुए कहता है...इधर भी यही हाल है। कॉलेज आना शुरू करने के बाद जाने क्या होगा ?
राग हंसते हुए कहता है....तेरे पास सरगम है, उसे अपनी गर्लफ्रेंड बता कर पीछा छुड़वा लियो।
सुर कहता है और तू ? तू कैसे बचेगा ?
राग कहता है....जैसे हमेशा बचता आया हूं। मेरा एटीट्यूड ही काफी है उन्हें मुझसे दूर रखने के लिए।
दोनों हंसते मुस्कुराते बात करते हुए वहां से बाहर आ गए थे। वह दोनों कॉलेज कैंपस का एक राउंड लगाते हुए सारी चीजें देखते हैं और फिर वहां से घर के लिए निकल जाते हैं।
कॉलेज की एक नई शुरुवात होनी थी या यू कहो कि उनकी जिंदगी की एक नई शुरुवात होनी थी। किसकी कहानी किसके साथ बननी है यह चारों इससे अनजान हैं।
सरगम का एग्जाम हो गया था। वह बाहर आते हुए खुश दिख रही थी। सरगम की दोस्त उससे कहती है....चलो, आज हम सब कोई मूवी देखने चलते हैं।
सब जाने को तैयार थे लेकिन सरगम मना कर देती है यह कहते हुए कि अगर गलती से किसी ने उसे देख लिया तो वह मुश्किल में पड़ जाएगी। वह नहीं जा सकती। उसके मना करने पर बाकी के दोस्त चले जाते हैं। सरगम बुझी आंखों से उन्हें जाते हुए देख रही थी। एक ऐसी जिंदगी जी रही थी जिसमें आजादी की एक सांस भी उसे नसीब नहीं थी।
सरगम वहां से घर आती है। घर आने के बाद दादी के कहने पर घर के काम करवाने में मदद करती है। बड़ी मां भी आ गई थी तीर्थ यात्रा से इसलिए वह उनके पास जाकर भी बैठ कर आती है। वह सबके लिए कुछ ना कुछ लेकर आई थी। उनके कमरे में रौनक सजी हुई थी। सरगम सबको चाय बनाकर ला कर देती है। उसके लिए एक दुपट्टा लेकर आई थी वह उसे देते हुए बोली...सरगम ये बहुत सुंदर है तुम्हारे एक दो सूट पर चल जाएगा।
वह दादी की तरफ देखते हुए कहती हैं....लड़की बड़ी हो गई है आप लोग इसके लिए रिश्ता क्यों नहीं देखते ? वो शास्त्री जी के बेटे हैं उनसे बात कीजिए। सरगम अपने ही खास लोगों के घर ब्याह कर जाएगी। मेरी कोयल तो कितने अच्छे से सेटल हो गई है अपने ससुराल में। इतना पढ़ लिख कर इसे करना ही क्या है ? शादी के बाद कौन सा इसे कमाने जाना है। यह सब डिग्री विग्री धरी रह जाएंगी शादी होते ही। पता नहीं क्यों लड़की को कॉलेज भेज रहे हैं।
दादी जी कहती हैं....शास्त्री जी के पोते कल ही आए हैं और अभी वह आगे पढ़ेंगे। बच्चे बाहर पढ़ कर आए हैं तो उन्हें लड़की भी पढ़ी लिखी ही चाहिए, बस इसीलिए जा रही है यह कॉलेज। आजकल के बच्चे और उनकी डिमांड्स थोड़ी अलग ही हैं। खैर हम बात करेंगे उनसे इसकी शादी को लेकर , हमें भी फिक्र रहती है इसकी शादी की।
कहानी जारी है....!!!
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पिछले अध्याय में आपने देखा कि सुर ने सरगम को गिरने से बचाया और राम्या ने सरगम को सुर का बचपन का दोस्त बताया। सुर ने सरगम से उसकी पढ़ाई के बारे में पूछा, राम्या ने परिवार के नियमों का जिक्र किया, और सरगम ने परिवार के संस्कारों की सराहना की। नेहा शास्त्री ने सरगम को हरिराम जी के संस्कार की झलक बताया और सुर को सरगम और राम्या को साथ ले जाने के लिए कहा। स्वरा ने एक संपन्न परिवार को देखा और एक ऐसे परिवार की इच्छा की, जबकि सरगम और दिया के बीच बातचीत हुई। दीपा ने सरगम को मंदिर जाने और परीक्षा के लिए जल्दी उठने के लिए कहा, जिससे सरगम को उनकी अनुचित मांगों का पालन करने पर मजबूर होना पड़ा।
अब आगे
स्वरा और संगीता डीन के ऑफिस में बैठे हैं। सुर और राग भी भारत लौट आए हैं और कॉलेज में एडमिशन लेते हैं। सरगम कॉलेज में भागती हुई जाती है और सुर से टकराती है। स्वरा एक लड़के से टकराती है। राग और सुर कॉलेज के कैंपस में घूमते हैं। सरगम परीक्षा के बाद खुश दिखती है, लेकिन वह दोस्तों के साथ फिल्म देखने नहीं जा पाती है। घर पर, दादी और बड़ी माँ सरगम की शादी की बात करती हैं।
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सरगम ने कमरे में हुई उन सबकी बात चीत सुन ली थी। वह सब सुनकर अपने कमरे में आ गई थी। हाथों में दुप्पटा लिए उसे देख रही थी। लाल रंग का खूबसूरत सा दुपट्टा था यह। वह शीशे के सामने आकर खड़ी हो गई और अपने हाथ में पकड़े उस दुप्पटे को अपने सर पर ओढ़ लिया। वह आईने में खुद को ऐसे निहार रही थी मानों दुल्हन बनकर तैयार खड़ी हो।
एक गहरी सांस छोड़ते हुए कहती है....जाने कौन होगा वो जो मेरी जिंदगी में आएगा ? क्या वहां भी यही सब कुछ होगा ? क्या हमें भी मम्मी पापा की तरह छुपकर बाहर अकेले जाना पड़ेगा ? कितना अजीब है एक अजनबी से शादी करके हमेशा के लिए उसकी हो जाऊंगी। सारी जिंदगी उसके नाम करने वाली हूं फिर वह अजनबी कैसे रहेगा ? तू भी कितनी झल्ली है सरगम ? वो तेरा पति होगा और वह ले जाएगा तुझे जहां तू चाहेगी, फिल्म दिखाने भी।
थोड़ी देर खामोश होते होते हुए कहती है...क्या यह तुम होने वाले हो सुर शास्त्री ? अगर यह तुम हो तो समझ लो कि मैं तुम्हें बहुत प्यार देने वाली हूं पूरी लाइफ। इतना कहकर वह शर्माते हुए मुस्कुराती है और दुप्पटा संभालकर अपनी अलमारी में रख देती है।
अभी उसने दुप्पटा संभालकर रखा ही था कि बाहर से संगीत की एक प्यारी सी धुन उसके कानों में सुनाई देती है। वह बाहर छज्जे पर आकर देखती है कि सामने एक लड़की शॉर्ट ड्रेस पहने हुए गिटार बजा रही थी। उसके कर्ली हेयर हवा में लहरा रहे थे। सरगम उसे देखती ही रह गई। इतना आजाद उसने अपने इस मोहल्ले में उसने किसी लड़की को पहली बार देखा था और वो भी शॉर्ट ड्रेस में ? वह उसे देखे ही जा रही थी। वहीं स्वरा अपनी धुन में गिटार बजाने में लगी हुई थी।
तभी दीपा जो उसकी मां है वह उसके कमरे में आते हुए उसे बाहर सामने की तरफ देखते हुए देखती है। वह गुस्से में सरगम का हाथ पकड़कर उसे भीतर खींच कर लाते हुए कहती है....लड़कियों को बहुत अधिक बाहर ताक झांक नहीं करनी चाहिए। जानती हूं कि तुम सामने उस बेशर्म लड़की को देख रही थी आइंदा ऐसा कभी मत करना। उस लड़की की तरफ देखना और बात करना तुम्हारे संस्कारों के खिलाफ है याद रखना। इतना कहकर वह बालकोनी का दरवाजा बंद करके पर्दे डालते हुए उसे सो जाने की हिदायत देती है।
सरगम बिना कुछ बोले बिस्तर पर चली गई थी।
वहीं स्वरा ने सरगम की तरफ तब देखा था जब दीपा उसे खींच कर ले जा रही थी। वह उन्हें बालकोनी का दरवाजा बंद करते हुए देखती है और वापस अपनी प्रैक्टिस में लग जाती है।
स्वरा मन में सोचती है...यह लोग कितने अजीब हैं शहर में रहने के बावजूद भी इतनी जल्दी सो जाते हैं।
दीपा के जाने के बाद सरगम वापस से बालकोनी के परदे खिसकाते हुए वहीं एक साइड खड़े होकर बाहर देख रही थी क्योंकि अभी उसे नींद नहीं आ रही थी।
वहीं संगीता, स्वरा की मॉम उसके पास आकर पीछे से उसके लगे लगते हुए उसके गले में हाथ डालकर उसके गाल पर किस करते हुए कहती है.... माय क्यूटी डार्लिंग, चलें अब डिनर कर लें।
स्वरा मुस्कुराकर खड़ी होती है और गिटार अपनी मॉम के हाथ में पकड़ाते हुए कहती है.... इट्स योर टर्न माय ब्यूटीफुल मॉम।
संगीता भी थोड़ी देर तक उसके साथ गिटार बजा कर संगीत में उसका साथ देती है। उसके बाद वह दोनों वहां से चली जाती हैं।
सरगम उन दोनों को देख रही थी। वहीं दिया उसके पास आते हुए कहती है....यह हमारे नए पड़ोसी हैं। पता चला है कि सिंगल मॉम हैं। यह दोनों मां और बेटी हैं।
सरगम एकदम से कहती है....वही मैं सोच रही थी कि यह इतनी आजाद कैसे है ? अब समझ आया इसके घर में कोई आदमी नहीं है जो इन्हें कंट्रोल कर सके।
दिया कहती है....तुझे बुरा लगता है कि सब हमें कठपुतली की तरह नचाते हैं ? तू तो हमेशा इन सबको सपोर्ट करती है राइट ?
सरगम कहती है....बिल्कुल भी नहीं है ऐसा कुछ कि मुझे बुरा लगता है। पर खिड़की से बाहर देख भी ना सकें इसका थोड़ा बुरा लगा मुझे। मॉम को इतना कंट्रोल भी नहीं करना चाहिए। समझना चाहिए उन्हें हमें भी कि हम उनकी उम्र के नहीं है। हम उनकी उम्र के थॉट प्रॉसेस को रेस्पेक्ट करते हैं तो उन्हें भी एक बार हमारे बारे में सोचना चाहिए बस इतना ही।
दिया कहती है....तुम सही कह रही हो। वैसे मैं सोच रही थी कि इन्होंने सारी चीजें अकेले कैसे की होंगी आई मीन अकेले एक बच्चे को पालना कितना मुश्किल काम है। हमारी मॉम्स, दादी, चाची, कोई भी इतनी इंडिपेंडेंट नहीं है। कितने सारे काम होते हैं जो सिर्फ मर्द ही कर पाते हैं उन्होंने सब कैसे किया होगा ?
सरगम ने उसकी तरफ देखते हुए कहा.... मैंने सोचा ही नहीं इस बारे में ? लेकिन तुम्हारा प्रश्न बिल्कुल सही है ?
कहानी जारी है.....!!!
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