ये कहानी है ईरा नाम के एक बीस साल की लड़की की जो फंस चुकी है नॉवेल की दुनिया में वो भी उस नॉवेल की विलेन बनकर । उस कहानी की विलेन का नाम भी ईरा ही होता है। इस नॉवेल से बाहर आने के लिए ईरा को नॉवेल की विलेन को मरने से बचाना होगा । क्या ईरा बचा पायेगी... ये कहानी है ईरा नाम के एक बीस साल की लड़की की जो फंस चुकी है नॉवेल की दुनिया में वो भी उस नॉवेल की विलेन बनकर । उस कहानी की विलेन का नाम भी ईरा ही होता है। इस नॉवेल से बाहर आने के लिए ईरा को नॉवेल की विलेन को मरने से बचाना होगा । क्या ईरा बचा पायेगी खुद को नॉवेल की दुनिया में । क्या ईरा आ पाएगी नॉवेल की दुनिया से बाहर ? कैसे फंसी वो इस नॉवेल की दुनिया में । जानने के लिए जुड़े रहिए हमारे साथ अंत तक इस कहानी में ।
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ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है जो केवल मनोरंजन के उद्देश्य से लिखी गई है।
रात का वक्त एक बड़े से आलिशान घर में एक खूबसूरत सी लड़की अपने कमरे की खिड़की के पास बैठ कर चांद को निहार रही थी। अपनी आंखों में खालीपन से बस चांद को देखे जा रही थी। ये लड़की कोई और नहीं ईरा था। मासूम चेहरा, गहरी काली आंखें, सुर्ख लाल होंठ और खुले बालों में बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। चांद की रोशनी उसके चेहरे पे आने से वो और भी ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी।
ईरा बचपन से ही बहुत टैलेंटेड थी लेकिन किसी कारण से उसे घर में कोई पसंद नहीं करता। इस वक़्त रात के 12 बजे थे और आज उसका जन्म दिन था लेकिन आज भी उसके घर से किसी ने फोन तक नहीं किया। उसके मां-बाप यहां तक कि उसके भाई-बहन भी उसे पसंद नहीं करते थे। इसलिए उस घर से दूर दूसरे शहर में एक फार्म हाउस में रहने के लिए आ गई थी। वो पिछले तीन साल से यहीं रही है लेकिन आजतक उससे कोई मिलने नहीं आया। वो कोई कमजोर लड़की नहीं थी लेकिन सबके अंदर एक इच्छा होती है कि उसके मां-बाप उसे प्यार करें।
ईरा के अलावा वो अपने तीनों बच्चों को बहुत प्यार करते थे। ईरा के दो भाई जिनका नाम हर्षिद और रुद्र है और एक बहन जिसका नाम ईशा है।
इतने बड़े आलिशान घर में भी वो अकेली ही थी। अपने सारे काम वो खुद ही करती थी। उसके मां-बाप को तो शायद याद भी नहीं होगा कि आज उसका जन्म दिन है। वो ये सब सोच ही रही थी कि तभी उसका फोन बजा और फोन पे उसकी इकलौती बेस्टफ्रेंड मनीषा का नाम फ्लैश हो रहा था। ईरा ने जैसे ही उसका फोन उठाया मनीषा ने उसे हैप्पी बर्थडे विश किया और उसे उसका कॉलेज बल बैग खोलने कहा।
जब ईरा ने अपना कॉलेज बैग खोला तो उसे उसमें एक गिफ्ट नज़र आया। उसके होठों पे एक प्यारी सी मुस्कान आ गई। उसने जब उस बुक को खोल कर देखा तो उसमें एक नॉवेल थी। ईरा ने आजतक कभी भी कोई नॉवेल नहीं पढ़ी थी इसलिए मनीषा ने उसे एक नॉवेल गिफ्ट कर दिया। ये एक रोमांटिक लव स्टोरी वाली नॉवेल थी।
मनीषा का कॉल कट करने के बाद ईरा वहीं खिड़की के पास बैठ कर नॉवेल पढ़ने लगी। नॉवेल की विलेन का नाम था ईरा और हीरोइन का नाम था राधिका। बहुत पीढ़ियों बाद खानदान में ईरा यानी एक लड़की पैदा हुई थी। अपने पूरे घर की इकलौती प्रिंसेस थी वो। उसके मां-बाप भाई डांटना तो दूर उससे ऊंची आवाज़ में बात तक नहीं करते थे।
उसकी जो भी ख्वाहिश होती वो उसकी बस एक आवाज़ पे पूरी हो जाती। लेकिन ऐसा सिर्फ उसके 12 साल तक ही था। उसके मां के बेस्टफ्रेंड के मौत के बाद उनके साथ उनकी इकलौती बेटी राधिका भी रहने लगी। राधिका के आने के बाद सब कुछ बदलने लगा। एक हादसे के कारण सब लोग ईरा से सब लोग नफ़रत करने लगते हैं।
नॉवेल वाली ईरा की कहानी उसे काफी हद तक अपने जैसे ही लग रही थी बस उन दोनों में फ़र्क़ इतना था कि इस ईरा को अब अपने घरवालों के रूखे बर्ताव से कोई फर्क नहीं पड़ता।
और बाद में आगे चल के नॉवेल वाली ईरा को हीरो से प्यार हो जाता है। लेकिन हीरो तो हीरोइन के प्यार में पागल था। इस चक्कर में ईरा गुस्से में आकर हीरो को पाने के लिए राधिका को परेशान करती है तो हीरो उसे मार देता है।
नॉवेल पढ़ते-पढ़ते कब ईरा की आंख लग गई उसे खुद भी पता नहीं चला। चांद की रोशनी उसके चेहरे पे पर रही थी जिसके उसका चेहरा और भी सुंदर लग रहा था। इसी रोशनी से उसके गले का पेंडेंट भी चमकने लगा।
अगली सुबह जब ईरा उठती है तो वो खुद इस नॉवेल का किरदार बन चुकी थी। उसके दिमाग में एक आवाज़ गूंजती है।
"अगर तुम्हें बाहर अपनी असली दुनिया में जाना है तो तुम्हे इस नॉवेल की विलेन ईरा को मरने से बचाना होगा। तुम्हारा असली शरीर इस वक़्त कोमा में है। अगर तुम इस कहानी की विलेन ईरा को नहीं बचा पाई तो तुम्हारा असली शरीर कभी भी कोमा से बाहर नहीं आएगा और भी इसके साथ हमेशा के लिए नॉवेल की दुनिया में ही फंस कर रह जाओगी।"
नॉवेल वर्ल्ड
उसने धीरे से अपनी आंखे खोली तो देखा कि वो इस वक़्त किसी हॉस्पिटल बेड पर लेती हुई है। उसे होश में आता देख वहीं सोफे पे बैठा लड़का उसके पास जाता है और उसका हाथ पकड़ते हुए कहता है, "प्रिंसेस मैंने आपको कितनी बार समझाया है ऐसे रात को अकेले बाहर नहीं जाते और आपको इतनी ड्रिंक करने की क्या ज़रूरत थी। अगर आपको कुछ जाता तो।"
उसे ये सब जो समझा रहा था वो उसका बड़ा भाई ईशान मल्होत्रा है। पूरी फैमिली में बस यही है जो ईरा से प्यार करता है और उसे उसपर पूरा भरोसा भी है लेकिन ईरा अपने भाई ईशान को बिल्कुल भी पसंद नहीं करती ।
राधिका की दोस्त आज उससे मिलने आई थी लेकिन वो सीढ़ियों से गिर जाती है और इसका इल्ज़ाम भी ईरा पर आ जाता है । उसकी मां ने उसे बहुत डांटा था उसकी एक बात तक नहीं सुनी। ईरा की मां ने ये फैसला सुना दिया था कि वो अब इस घर में नहीं रह सकती । उसे अब उसके दादा दादी के पास रहना होगा । इसी गुस्से में ईरा रात को गाड़ी लेके निकल गई। उसने एक बार जाके काफ़ी ड्रिंक की। ड्रिंक करके गाड़ी चलाने के कारण उसके गाड़ी का छोटा सा एक्सीडेंट हो गया। उसे ज़्यादा चोट नहीं आती थी लेकिन ईशान उसे हॉस्पिटल ले आया।
क्या ईरा खुद को बचा पाएगी और नॉवेल से बाहर आ पाएगी। आखिर उसकी फैमिली उससे क्यों नफ़रत करती है। ईरा की फैमिली के बारे में मैं अभी ज़्यादा नहीं बता रही क्योंकि वो आपको आगे पता चलेगा। जानने के लिए पढ़ते रहिए इस थ्रिलर और सस्पेंस से भरी कहानी को।
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पिछले अध्याय में, आपने देखा कि एक खूबसूरत लड़की, ईरा, एक आलीशान घर में अकेली बैठी चाँद को निहार रही थी। ये अपने जन्मदिन पर उदास थी क्योंकि उसके परिवार ने उसे अनदेखा कर दिया था। उसके बाद, उसकी बेस्ट फ्रेंड मनीषा ने उसे एक नॉवेल गिफ्ट की। नॉवेल में, ईरा नाम की एक लड़की है जिसकी फैमिली उसे एक ग़लतफ़हमी के कारण नफ़रत करती है, लेकिन बाद में हीरो से प्यार हो जाता है और उसे पाने के चक्कर में मारी जाती है। नॉवेल पढ़ते-पढ़ते ईरा सो गई और जब जागी तो उसने खुद को नॉवेल के अंदर पाया, जहाँ उसे विलेन, ईरा को बचाने के लिए कहा गया था। ये एक हॉस्पिटल बेड पर उठी और उसके भाई ईशान ने उससे बात की, जो उससे प्यार करता था। ईरा को एक एक्सीडेंट हो गया था और अब वो उस नॉवेल की दुनिया को समझने की कोशिश कर रही है।
अब आगे
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ईरा को याद था कि नॉवेल वाली ईरा ने इस बात पे बहुत गुस्सा किया था और वो अपने दादा - दादी के घर नहीं गई थी जिससे सब घर वाले उससे और भी ज़्यादा नफ़रत करने लगे थे। इसलिए इस ईरा ने सोच लिया था कि ये अपने दादा के घर चली जाएगी। उसने बड़े ही प्यार से अपने भाई का हाथ पकड़ लिया और कहा, "भाई आप मुझे दादा-दादी के घर पे छोड़ दो। मुझे अब वापस सिंघानिया मेंशन नहीं जाना।"
ईशान ने जब ये सुना तो एक पल के लिए उसने राहत की साँस ली क्योंकि उसे डर था कि ईरा नहीं मानेगी। ईशान खुद भी नहीं चाहता था कि वो दादा-दादी के पास जाके अकेले रहे, लेकिन वो ये भी नहीं चाहता था कि ईरा अपने मम्मी-पापा और उसके बड़े भाई आरव की कड़वी बातें सुने। उसे आज ईरा में कुछ अलग लग रहा था पर क्या वो उसे समझ नहीं आया।
अस्पताल से डिस्चार्ज करने के बाद ईशान एरा को पहले घर ही लेकर गया ताकि वह वहां से अपने सामान को ले सके। जब ईशान और मेरा घर पहुँचे तब उन्होंने देखा कि उनकी माँ अनीता जी और पिता विकास जी राधिका और उसके बड़े भाई आरव के साथ बैठकर आराम से खाना खा रहे थे।
राधिका अनीता जी की बेस्ट फ्रेंड की बेटी है। उनकी मौत के बाद राधिका भी ईरा की फैमिली के साथ ही रहती है। उन चारों ने एरा को ईशान के साथ देखा, लेकिन उन लोगों ने उसे इग्नोर कर दिया जैसे कि वह वहाँ थी ही नहीं, लेकिन राधिका ने बड़े ही प्यार से इरा की तरफ़ देखते हुए कहा, "कल रात तुम कहाँ थी? अंकल आंटी को तुम्हारी कितनी टेंशन हो रही थी।"
"क्या तुम्हें नहीं पता कि रात को ऐसी लड़कियों को अकेले घर से बाहर नहीं जाना चाहिए। तुमने खाना नहीं खाया होगा ना, आकर हमारे साथ बैठकर ब्रेकफ़ास्ट कर लो।" सबको ऐसा लग रहा था कि अब ईरा जरूर राधिका पर गुस्सा करेगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ बल्कि इसके उलट ईरा ने राधिका की बात को ऐसे इग्नोर कर दिया जैसे कि वह वहाँ थी ही नहीं।
आरव ने थोड़े ठंडे लहजे में कहा, "चुपचाप बैठ के खाना दिखाओ, कोई ज़रूरत नहीं है उसे यहाँ बुलाने की।" आरव की बात सुनने के बाद ईरा ईशान के साथ सीधे अपने कमरे में चली गई। ईरा ने अपने मन ही मन कहा, "अगर मुझे जिंदा रहना है तो चाहे जो भी हो, मुझे इस नॉवेल की हीरो और हीरोइन से बच के रहना पड़ेगा। और इस राधिका की बच्ची से दूर रहने का सबसे अच्छा उपाय तो यही है कि मैं इस घर से दूर चली जाऊँ।" उसे याद था कि नॉवेल वाली ईरा का अस्पताल से आने के बाद राधिका से अच्छा खासा झगड़ा हुआ था।
उसे जब राधिका ने खाने को पूछा था तो ईरा ने उसे काफ़ी कुछ सुना दिया था जिसके कारण उसे उसकी माँ ने उसके कमरे में ही बंद कर दिया था पूरे एक दिन के लिए और खाना भी नहीं दिया था। ईरा ने अपने मन में कहा, "कैसे माँ-बाप है जो अपनी बेटी को छोड़कर किसी दूसरे की बेटी पर ज़्यादा भरोसा करते हैं।"
ईरा ने तुरंत अपना सामान पैक किया और वहाँ से निकलने लगी, लेकिन तभी ईशान ने कहा, "प्रिंसेस, लाओ अपना बैग मुझे दो। मैं तुम्हें दादा-दादी के घर छोड़ने चलूँगा।" तो ईरा ने उसे हाथ दिखाकर रोकते हुए कहा, "नहीं भाई, अगर आप मेरे साथ आए हैं तो मैं जानती हूँ आपको मम्मी से बहुत डाँट पड़ेगी। मैं ड्राइवर के साथ चली जाऊँगी।" उसे याद था कि नॉवेल में ईशान उसके लिए बहुत कुछ करता था, हर बार घर से डाँट भी सुनता था सिर्फ ईरा के लिए। लेकिन फिर भी ईरा उसे बिल्कुल पसंद नहीं करती थी। इसलिए उसने सोच लिया था कि इस बार ईरा ऐसा बिल्कुल नहीं करेगी।
ईरा ने ईशान को गले लगाया और फिर वहाँ से चली गई। उसके दादा-दादी का घर ज़्यादा दूर नहीं बल्कि दिल्ली में ही था। लगभग 20 मिनट में ही वो दादा-दादी के घर पहुँच गई। जैसे ये एक बहुत ही बड़ा आलीशान घर था जैसे ही वह उसके अंदर गई उसने देखा कि गेट पर ही दादी नीलिमा सिंघानिया उसका इंतज़ार कर रही थी। दादी के पीछे ही उसके दादाजी भीष्मभर सिंघानिया भी खड़े थे। दादी ने तुरंत उसे गले लगा लिया। ईरा ने भी उन्हें गले लगाया।
दादी को गले लगाते ही इरा की आँखों में थोड़ी नमी तैर गई क्योंकि आज तक कभी किसी ने इरा को इस तरह से प्यार से गले से नहीं लगाया था। वह तो हमेशा हॉस्टल या फिर अकेले ही फार्म हाउस में रहा करती थी। इसलिए उसे इन चीज़ों की आदत नहीं थी, लेकिन दादी के गले लगाने से उसे बहुत अच्छा फ़ील हो रहा था। उसे अपनापन का एहसास ज़िंदगी में पहली बार समझ में आ रहा था।
गले लगने के बाद ईरा ने तुरंत दादी और दादाजी के पैर छुए। उन्होंने भी उसे हमेशा खुश रहने का आशीर्वाद दिया। उसके बाद दादी ने एक नौकरानी को इरा का कमरा दिखाने के लिए कहा। ईरा उस नौकरानी के पीछे चली गई।
ईरा जब कमरे के अंदर गई तो उसने देखा यह कमरा बहुत ज्यादा पर नहीं था लेकिन बहुत ही खूबसूरत था यह ब्लू और ब्लैक के थीम पर पेंट था इरा को यह कलर कॉन्बिनेशन काफी पसंद आया उसने देखा साइड में ही एक स्टडी टेबल और एक सोफा भी था कमरे में एक टीवी भी लगा हुआ था।
हीरा अपना सामान रखकर सीधे बाथरूम में शॉवर लेने चली गई। शॉवर लेने के बाद वह बाथरूम लपेटकर अपने रूम में बहार आई। नहाने के कारण उसका चेहरा एकदम लाल हो चुका था वह इस वक्त बेहद ही खूबसूरत लग रही थी उसने तुरंत अपने सूटकेस से एक जींस और एक शर्ट निकाल कर पहन लिया इसमें वह काफी एलिगेंट नजर आ रही थी।
तभी नीचे से दादी की आवाज इरा... ईरा ... बेटा खाना तैयार है। आकर खा लो।
आज के लिए बस इतना ही पढ़ कर समीक्षा देना ना भूले। आपकी समीक्षा देने से हमें कहानी लिखने में हौसला मिलता है और मजा भी आता है।