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क्या प्यार करोगे मुझसे?

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Divya yadav

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"कोई तो होता जिससे मैं भी अपने दिल की बात कहती पर ये तो मुमकिन ही नहीं!" "कभी कोई मुझे भी अपनी बाहों में भरकर इकरार करता पर ये सब तो मेरे ख्वाब हैं हसीं!" "नहीं चाहिए साथ किसी का अब इस ज़िन्दगी में क्योंकि कोई साथ निभाये मेरा, ये तो कभी होगा ही न...

Total Chapters (3)

Page 1 of 1

  • 1. क्या प्यार करोगे मुझसे? - Chapter 1

    Words: 1061

    Estimated Reading Time: 7 min

    💔



    "कोई तो होता जिससे मैं भी अपने दिल की बात कहती

    पर ये तो मुमकिन ही नहीं!"

    "कभी कोई मुझे भी अपनी बाहों में भरकर इकरार करता

    पर ये सब तो मेरे ख्वाब हैं हसीं!"

    "नहीं चाहिए साथ किसी का अब इस ज़िन्दगी में

    क्योंकि कोई साथ निभाये मेरा, ये तो कभी होगा ही नहीं!"

    "पहले परिवार ने मुँह मोड़ लिया मुझसे रिश्ता भी तोड़ लिया

    जब साथ नहीं कोई अपना तो अब गैरों की भी कोई गुंजाइश बाकी रही नहीं!"


    :::::::::::::::::::::::::::::::::::::::

    उस खाली सी सड़क पर एक लड़की पैदल चली जा रही थी। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। पर आँखों में जैसे कोई दर्द था जो बाहर आने को बेताब थे। उसकी वो खूबसूरत सी कत्थई आँखें एकटक खाली सड़क को बस एकटक देख रही थी।

    सफेद कलर का फूल लेंथ सूट पहना हुआ था उसने और उसका लाल दुपट्टा हवे में लहरा रहा था। उसके काले लंबे बाल बार बार उसके खूबसूरत चेहरे पर आ रहे थे पर उस लड़की को उनसे भी कोई प्रॉब्लम नहीं थी।

    अचानक उस लड़की के कदम रूक गए। जब उसकी नज़र सामने से आती एक स्पोर्ट्स कार पर पड़ी। वो तेज़ी से आगे बढ़ रही थी। अगले ही पल वो लड़की बीच सड़क पर उस गाड़ी के सामने खड़ी हो गई।

    वो गाड़ी उस लड़की के एकदम पास आ कर तेज़ी से रुकी। उस लड़की ने हेडलाइट के कारण अपने हाथों से अपना चेहरा कवर कर लिया था।

    उस गाड़ी का दरवाज़ा झटके से खुला और एक लड़का गुस्से से बाहर आया। उस लड़के ने गुस्से में उस लड़की की बाह पकड़ी और खींच के उसके गाल पर थप्पड़ मार दिया।

    अचानक से हुआ क्या उस लड़की को कुछ भी समझ नहीं आया पर वो एकटक नज़रों से उस लड़के को देखने लगी।

    उस लड़के ने गुस्से में अपने दाँत पिसते हुए कहा। "अगर मरने का इतना ही शौक चढ़ा है ना? तो कहीं और जा कर मरो समझी।" इतना कह कर उस लड़के ने उस लड़की को साइड में धकेल दिया। वो लड़की लड़खड़ा कर साइड में गिर गई। वो लड़का वापस अपनी गाड़ी में आ बैठा।

    उस लड़के के बगल में एक लड़की बैठी हुई थी उसने तुरन्त उस लड़के के गाल पर हाथ फेरते हुए कहा! "बेबी तुम्हारे लिए इतना गुस्सा ठीक नहीं।"

    उस लड़के ने खुद को नॉर्मल किया और हल्की स्माइल के साथ अपने बगल में बैठी लड़की की तरफ देखा तो वो भी मुस्कुरा दी। लड़के ने गाड़ी स्टार्ट की और वहां से चला गया।

    वहीं सड़क पर पड़ी लड़की वैसे ही पड़ी थी। उसकी आँखों से आंसु निकल कर गाल पर आ गए। पर उसके चेहरे पर अब भी कोई भाव ना था। उसने बड़ी ही बेदर्दी से अपने आंसु पोछे और खड़ी हो गई। उसे पता ही नहीं था। की उसे जाना कहां है। वो बस ऐसे ही खाली सड़को पर चले जा रही थी।

    वो लड़की ज्यादा दूर नहीं चली थी। जब किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा। वो लड़की झटके से पलटी तो सामने उसी की हम उम्र लड़की खड़ी थी। उसे देखते ही वो लड़की उससे लिपट गई।

    "इतना कुछ हो गया फलक! और तुने मुझे बताना भी जरूरी नहीं समझा। अगर तेरे घर वालो ने तुझे निकाल दिया तो तु मेरे पास क्यों नहीं आई?" उस लड़की ने फलक को खुद से दूर कर के सवाल किया।

    "मेरे सगे माँ बाप ने मुझे घर से निकाल दिया नैना! तु बता मैं किस पर भरोसा करूं। अपनी जान देने के सिवाय मेरे पास और.....!" इससे आगे फलक कुछ कहती नैना ने जोर से उसके गाल पर थप्पड़ जड़ दिया और उसे झंझोरते हुए बोली। "होश में रह कर बात कर फलक! तु तो ऐसी कभी नहीं थी। फिर एक इंसिडेंट.....!"

    फलक ने गुस्से में नैना का हाथ झटक दिया और बोली। "वो सिर्फ इंसिडेंट नहीं था। नैना! मेरा बलात्कार हुआ है। जबरदस्ती हुई है मेरे साथ। मैने आवाज उठाना चाहा तो मेरे अपने माँ बाप ने मुझे घर से निकाल दिया। क्योंकि उनकी सो कॉल्ड इज्जत कम हो रही थी। इसमें मेरा क्या कसूर नैना! मेरा क्या कसूर! मैने क्या गलत किया नैना? क्या?" कह कर फलक वहीं घुटनों के बल बैठ कर रो पड़ी।

    फलक को ऐसे देख नैना की भी आँखें भर आई। उसने नीचे घुटनों पर बैठ कर फलक को अपने सीने से लगाते हुए कहा। "तेरी कोई गलती नहीं है फलक! इसलिए ऐसा कोई कदम मत उठा। जिससे उस हैवान की हिम्मत बढ़ जाए। हम लड़ेंगे। तुझे इंसाफ जरूर मिलेगा। मैं दूंगी तेरा साथ।"

    "सच में?" फलक नैना से अलग हुई और उसकी आँखों में देख कर उसने उससे सवाल किया। तो नैना ने हां में अपनी मुंडी हिला दी। फिर उसे उठा कर वो पास में ही मौजूद अपनी गाड़ी के पास ले गई।

    "तुम्हें कैसे पता। इन सब के बारे में और तुम यहां कैसे?" फलक ने गाड़ी में बैठते ही नैना से सवाल किया।

    आयुष का कॉल आया था। उसने मुझसे कहा। की मैं कैसे भी कर के उसकी दीदी को ढूंढ लूं और उनकी हेल्प करूं।

    "आयु....!" फलक धीरे से बड़बड़ाई।

    "हां आयु! और तु उसी आयु को छोड़ इतना बड़ा गुनाह करने चली थी। तु जानती है वो तुझसे कितना प्यार करता है?" नैना ने फलक को समझाते हुए कहा। तो फलक ने अपना सिर झुका लिया। एक उसका भाई ही तो था! जो उसे सपोर्ट करता था। पर वो आज कुछ नहीं कर पाया। उसके माँ बाप ने उसे कमरे में बंद जो कर दिया था। वैसे भी वो बारह साल का बच्चा क्या ही कर सकता था?

    फलक को यूं चुप देख अब नैना भी खामोश हो गई और कुछ ही देर में उनकी गाड़ी एक बड़े से घर के सामने आ कर रुकी।

    फलक यूं नैना के घर जाने में हिचकिचा रही थी। पर नैना उसे खींच कर अपने साथ अंदर ले गई।

    नैना ने फलक को हॉल में बिठाया और खुद अपने मॉम डैड के रूम में चली गई। कुछ देर बाद नैना हल्की स्माइल के साथ उसके सामने आई और उसे अपने साथ अपने कमरे में ले गई।

    "तेरे मम्मी पापा मुझे यहां रखने के लिए राजी हो गए?" फलक के इस सवाल पर नैना एक पल उसे देखती रही फिर उसने धीरे से ना में अपना सिर हिला दिया।

    फलक कुछ पल नैना के चेहरे को देखती ही रह गई। जब उसके अपने माँ बाप ने उसे नहीं रखा तो फिर गैरो से उम्मीद करना उसके लिए बेफिजूल ही है।

    To be continue:-

  • 2. क्या प्यार करोगे मुझसे? - Chapter 2

    Words: 1053

    Estimated Reading Time: 7 min

    फलक का वहां रहना लगभग नामुमकिन था। वो उसी पल नैना के घर से चली जाना चाहती थी पर नैना ने उसे रोक लिया।

    ये रात बहुत लंबी थी। फलक को नींद ही नहीं आ रही थी। वो बस आँखें मूंदे नैना के सोने का इंतजार कर रही थी। कुछ देर बाद जब उसे लगा की नैना अब सो चुकी है। तो उसने अपनी आँखें खोली और जल्दी से उठ बैठी। वो अपना दुपट्टा संभाले रूम के बाहर निकल ही रही थी की अचानक किसी ने उसका हाथ पकड़ लिया।

    फलक ने एकदम से अपनी आँखें भींच ली। उसने जल्दी से नैना की तरफ पलट कर उसे एक्सप्लेन करना चाहा। पर जैसे ही उसने नैना की आँखों में आँसू देखे। वो खामोश हो गई।

    "मुझे पता है, मैं चाहे जितनी कोशिश कर लूँ। तु नहीं रुकेगी। पर जाने से पहले तुझे मेरी कुछ बातें माननी पड़ेगी। बोल! मानेगी ना?" नैना ने उम्मीद से फलक की तरफ देखा।

    फलक चाह कर भी नैना को मना नहीं कर पाई और उसकी भी आँखें भर आई। उसने फौरन हां में अपनी मुंडी हिला दी।

    नैना ने उसको एक छोटा सा बैग थमाते हुए कहा। "ये तु अपने पास रख और यहां से दूर चली जा। पर तुझे हमेशा मेरे टच में रहना होगा! चाहे जितनी भी मुश्किलें क्यों ना आए तेरी लाइफ में। तु कभी कोई गलत कदम नहीं उठाएगी। प्रॉमिस कर तु मेरी सारी बात मानेगी!" नैना ने अपने आंसु साफ करते हुए अपना हाथ आगे बढाया। तो फलक कभी उसके हाथ को तो कभी उसके चेहरे को देखती।

    "प्रॉमिस मि?" नैना ने दोबारा कहा।

    "पर नैना.....?" फलक ने कुछ कहना चाहा तो नैना ने उसे टोकते हुए कहा। "मुझे कुछ नहीं सुनना फलक तु बस मुझसे प्रॉमिस कर।" फलक ने हार कर उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा। "प्रॉमिस!"

    नैना ने उसका हाथ खींचते हुए कहा। "फिलहाल थोड़ा सा आराम कर ले। फिर मैं तुझे नहीं रोकूंगी।" फलक ने कुछ नहीं कहा और वो नैना की बात मान गई। कुछ ही देर में दोनों गहरी नींद में थी।

    अचानक फलक हड़बड़ा के उठी तो नैना अब भी सो रही थी। फलक ने उसे देख कर स्माइल दी। आखिर वही तो थी। जिसने उसे समझा उसका साथ दिया। पर वो ये बिल्कुल भी नहीं चाहती थी की उसकी वजह से उसकी फैमिली में कोई प्रॉब्लम हो। वो जल्दी से बाहर जाने लगी। तभी नैना ने उसे टोका। "तु कुछ भूल रही है फलक!"

    फलक के कदम ठिठक गए। उसने पलट कर देखा तो नैना उसे घूर रही थी और उसके हाथ में वही बैग था जो नैना ने फलक को दिया था।

    _____________

    कुछ देर बाद फलक और नैना रेल्वे स्टेशन पर थे। नैना ने फलक को टिकट थमाते हुए कहा। "ये ले टिकिट! पहुंच के कॉल करना तुम्हारे बैग में फोन है।"

    नैना की बात सुनकर फलक ने हैरानी से उसे देखा। तभी ट्रेन की आवाज सुन नैना ने फलक की हैरान आँखें इग्नोर की और उसे ट्रेन में चढ़ने का इशारा किया।

    फलक की आँखें नम हो गई। उसने झट से नैना को अपने गले से लगा लिया। "चल अब सेंटी मत हो और जल्दी जा वरना ट्रेन मिस हो जायेगी।" फलक हल्के से मुस्कुरा दी और नैना को बाय कह वो ट्रेन में सवार हो गई।

    कुछ ही पलों में वो ट्रेन नैना की आँखों से ओझल हो गया। "ये नया सफर तेरी लाइफ में सिर्फ खुशियाँ ही लाए।" नैना ने कहा और वहां से चली गई।

    ________________

    खिड़की के पास बैठी फलक की नज़रें बाहर थी। वो खामोशी से अपने शहर को पीछे छूटते हुए देख रही थी। वहीं उसके सामने वाली सीट पर एक लड़की बैठी थी। उसकी उम्र लगभग चौदह से पंद्रह साल की थी। छोटा सा खूबसूरत चेहरा उस पर बड़े फ्रेम वाला चश्मा! वो लड़की बेहद क्यूट लग रही थी। वो अपनी पलकें झपकाते हुए फलक को ही देख रही थी।

    बहुत देर से खुद पर किसी की नज़रें महसूस कर फलक ने अब अपनी नजरें सामने की तो सामने बैठी लड़की मुस्कुरा दी। फलक ने भी उसे हल्की सी स्माइल दी और वापस से अपनी नजरें खिड़की की तरफ कर दी। तभी सामने बैठी लड़की की आवाज उसके कानों में पड़ी। "हाई! माय नेम इज माही! क्या मैं आपके पास बैठ सकती हुं?" माही ने अपना नाम बताते हुए फलक से पूछा।

    फलक ने वापस माही की तरफ देखा और मुस्कुरा कर बोली। "बिल्कुल!"

    माही झट से फलक के पास आ कर बैठ गई।

    "आप बहुत सुंदर हो! क्या मैं आपको दी बुला सकती हुं?" माही ने अपनी आँखें टिमटिमाते हुए बेहद मासूमी से पूछा। फलक उसे देख कर मुस्कुरा दी और हामी भर दी। ये देख कर माही का चेहरा खुशी से चमक उठा।

    "अच्छा! क्या तुम अकेली हो! साथ में कोई नहीं है क्या?" फलक ने इधर उधर देखते हुए कहा। तो माही एकदम से उदास हो गई।

    "तुम अकेली हो?" फलक ने हैरानी से माही की तरफ देखते हुए कहा। तो माही ने हामी भर दी।

    "तुम अकेली! तुम जानती हो, ये सेफ नहीं है!" फलक ने हैरानी और गुस्से के मिले जुले भाव से कहा तो माही ने मुंह फुला लिया।

    फलक ने ये देख कर खुद को शांत किया और माही से कहने लगी। "अच्छा सॉरी! देखो! अकेले कहीं जाना सेफ नहीं। अगर तुम्हारे घर वालो ने तुम्हें अकेले भेजा है तो वो गलत है। तुम अभी बहुत छोटी हो!"

    "हां वही तो! अभी मैं छोटी हुं, इसलिए मैं अपने घर जा रही हुं। मुझे हॉस्टल में नहीं रहना।" माही ने बेहद मासूमी से कहा।

    "मतलब तुम हॉस्टल से भाग के आई हो?" फलक उस बच्ची की हरकत से हैरान थी। वहीं उसका सवाल सुन कर माही ने फौरन हां में अपनी मुंडी हिला दी।

    "तुम्हारा घर कहां है, तुम्हें अपना एड्रेस तो पता है ना?" फलक ने पूछा तो माही ने फौरन हां में अपना सिर हिला दिया।

    "ठीक है, अब जब तक तुम अपने घर नहीं पहुंच जाती। तुम मेरे साथ रहोगी। ओके?" फलक ने माही को घूरते हुए कहा तो माही ने मुंह लटका के हां में अपना सिर हिला दिया। वहीं फलक तो ये सोच के रिलेक्स थी की ये बच्ची किसी गलत हाथो मे ना लगी। उसने माही का हाथ पकड़ लिया और उसके साथ ऐसे ही कुछ कुछ बातें करने लगी। माही तो शुरू से ही फलक के साथ कंफर्टेबल थी। कुछ ही देर में उनकी मंजिल आ गई।

    देहरादून

    To be continue:-

  • 3. क्या प्यार करोगे मुझसे? - Chapter 3

    Words: 1052

    Estimated Reading Time: 7 min

    स्टेशन पर उतरते ही फलक ने माही का हाथ पकड़ा और आगे बढ़ गई। चलते चलते ही उसने अपने हाथ में पकड़ा बैग खोल कर देखा। तो उसमें कुछ पैसे और एक छोटा सा कि पैड वाला मोबाइल था। फलक वहीं एक बेंच पर बैठ गई और माही को अपने पास बिठा दिया। फलक ने सबसे पहले नैना को कॉल कर अपने पहुंचने की खबर दी तो नैना ने उसे एक नाम बताया! "अंजली!" अंजली नैना की फ्रेंड थी। जो देहरादून से थी। उसकी हेल्प से उसने फलक के लिए एक रेंट का रूम ढूंढ दिया था और एक रेस्टोरेंट में वेट्रेस की जॉब भी। ये सुन कर फलक और ज्यादा भावुक हो गई। उसकी फ्रेंड उसके लिए इतना कुछ कर रही थी।

    "थैंक यू नैना! थैंक यू सो मच।" फलक ने अपनी आँखों में आई नमी साफ करते हुए कहा।

    "अब सेंटी मत हो! मैं कुछ दिनों में आती हुं तुमसे मिलने।" इतना कह नैना ने कॉल एंड कर दिया और अब फलक ने माही की तरफ देखते हुए कहा। "तुम्हें अपने घर का नंबर पता है?"

    माही ने फौरन हां में अपना सिर हिला दिया। तो फलक ने नंबर डॉयल किया और माही को पकड़ा दिया।

    कुछ रिंग के बाद ही दूसरी तरफ से किसी ने कॉल रिसीव कर लिया और सामने से एक गंभीर आवाज उभरी। जो किसी लड़की की थी।

    "हैलो दी! मैं माही।" माही ने आवाज सुनते ही कहा।

    "माही तुम! तुम्हें हॉस्टल में फोन किसने दिया।" सामने से नाराजगी भरी आवाज उभरी।

    "दी मैं हॉस्टल में नहीं हुं। मैं स्टेशन में हुं।" माही ने डरते हुए कहा।

    "क्या! तु..... तुम! कौन से स्टेशन में हो जल्दी बताओ मैं अभी आती हुं।" सामने वाले ने अपना गुस्सा किसी तरह कंट्रोल करते हुए कहा।

    "मैं देहरादून स्टेशन में हुं दी!" माही धीरे से बोली। तो सामने से कॉल एंड हो गया।

    माही ने फोन फलक की तरफ बढ़ा दिया।

    "क्या हुआ?" फलक ने फोन अपने हाथ में लेते हुए कहा।

    "दी आ रही है, वो गुस्से में है।" माही ने मायूसी से कहा।

    "ऐसा तो होना ही था। तुमने इतनी बड़ी गलती जो की है, उन्हें तुम्हारी फिक्र हो रही होगी।" फलक ने कहा तो माही का चेहरा और लटक गया।

    लगभग दस मिनट बाद एक गाड़ी स्टेशन पर आ कर रुकी और एक लड़की उसमे से तेज़ी से बाहर आई। हल्की गोरी रंगत लिए वो लड़की खूबसूरत लग रही थी। परेशान सी वो लड़की तेज़ी से अंदर आई और अपनी नजरें इधर उधर दौड़ाने लगी।

    वहीं बेंच पर बैठी माही की नज़र जैसे ही उस लड़की पर पड़ी। वो चीख पड़ी। "दी!"

    आवाज सुनते ही उस लड़की ने माही की तरफ देखा और तभी माही की नजरों का पीछा करते हुए फलक ने भी उस तरफ देखा। सामने उसकी हम उम्र एक लड़की खड़ी थी।

    फलक भी अपनी जगह से माही साथ खड़ी हो गई और वो लड़की उनके पास आ गई।

    उस लड़की ने फलक को गौर से देखते हुए कहा। "फलक! राइट....?"

    फलक हैरानी से अपनी आँखें बड़ी कर उस लड़की को देखने लगी।

    "इतना हैरान होने की जरूरत नहीं है, मुझे नैना ने तुम्हारी तस्वीर भेजी थी। उसने बताया होगा तुम्हें मेरे बारे में, मेरा नाम अंजली है।" अंजली ने अपना इंट्रोडक्शन देते हुए कहा तो फलक के फेस पर हल्की सी स्माइल आ गई।

    "और तुम.......!" अंजली ने गुस्से से माही के कान पकड़ते हुए कहा।

    "दी सॉरी! प्लीज माफ कर दो! पर मुझे वापस जाने के लिए मत कहना। मुझे बस आपके साथ रहना है, प्लीज दी।" कहते कहते माही के आंसु बहने लगे। ये देख कर अंजली ने उसके कान को छोड़ दिया। और उसके सामने झुकते हुए बोली। "माही! मैने कितनी बार कहा है, तुम्हारा यूं अकेले निकलना सेफ नहीं है, तुम मेरी सुनती क्यों नहीं। अगर आज दीदी तुम्हारे साथ नहीं होती तो?" अंजली ने माही को अपने सीने से लगा लिया।

    माही ने भी अपना सिर अंजली के सीने में छुपा लिया।

    _______________

    कुछ देर बाद अंजली की गाड़ी एक छोटे से मगर खूबसूरत बगीचे के बीच बने घर के आगे रुकी। गाड़ी के रुकते ही सामने से अंजली और माही बाहर आए और पीछे से फलक।

    "ये है हमारा घर! ऊपर एक रूम खाली है, तुम वहां रह सकती हो! वैसे भी मैं अकेले ही रहती हुं।" अंजली ने मुस्कुरा कर कहा और माही का हाथ पकड़ कर आगे बढ़ गई और उसके पीछे अपना छोटा सा बैग लिए फलक।

    _____________________

    "ये तुम्हारा रूम! तुम फिलहाल मेरे कपड़े यूज कर सकती हो।" माही ने मुस्कुरा कर कहा। पर फलक अब भी खामोश थी। उसे तो सब सपने सा लग रहा था।

    "तुम्हारी फैमिली.......!" फलक अंजली से कुछ कहना चाहती थी। पर कह ही नहीं पा रही थी।

    "डॉन्ट वरी! मुझे नैना ने सब बता दिया है और वैसे भी यहां मेरे और मेरी बहन के सिवाय कोई नहीं रहता और अब तुम भी हो।" अंजली ने मुस्कुरा कर कहा तो फलक के होंठो पर भी स्माइल आ गई।

    ये दिन यूहीं बीत गया। रात में एक सुकून भरी नींद के बाद जब फलक ने अपनी आँखें खोली तो उसे बेहद अच्छा महसूस हुआ। आज से उसकी लाइफ की नई शुरुवात होनी थी। वो जल्दी से नहा कर रेडी हो गई और नीचे आई।

    नीचे माही और अंजली उसी का वेट कर रहे थे।

    हल्के गुलाबी रंग का सिंपल सा सूट पहने फलक काफी खूबसूरत लग रही थी। बस उसके चेहरे पर एक स्माइल की ही कमी थी।

    "क्या मैं लेट हुं?" फलक ने उनकी तरफ देखते हुए मासूमी से पूछा।

    "नहीं! हम बस अभी ही आए हैं, आओ ब्रेकफास्ट कर लो! फिर तुम्हें तुम्हारे काम वाली जगह भी छोड़ दूं। नैना ने मुझे बताया की तुम्हारे पास कोई डॉक्यूमेंट्स नहीं है, तो ब मुश्किल मुझे यही जॉब मिली तुम्हारे लिए। वो रेस्टोरेंट मेरे दूर के अंकल का है तो तुम्हें कोई प्रॉब्लम नहीं होगी। आज मैंने छुट्टी ली हुई है तो तुम्हें आज मैं वहां ड्रॉप कर दूंगी। मुझे माही का एडमिशन भी करवाना है।" अंजली ने फलक और माही को ब्रेकफास्ट सर्व करते हुए कहा तो माही और फलक मुस्कुरा दी।

    तीनों ने अपना ब्रेकफास्ट किया और घर को लॉक कर के बाहर निकल गई।

    अंजली ने सबसे पहले फलक को रेस्टोरेंट में छोड़ा और वहां के मैनेजर से बात कर के वो माही के साथ वहां से चली गई।

    फलक ने अपने आप को रिलैक्स किया और अपने काम में लग गई।

    To be continue:-