यह कहानी है। चित्तौड़गढ़ के शाही घराने की जिसे एक जादूगरनी या आप डायन भी कह सकते हैं। उस डायन ने श्राप दिया था। जिस वजह से शाही खानदान की लड़कियों को इस श्राप का आज तक सामना करना पड़ रहा है। और इसी वजह से पूरे चित्तौड़गढ़ में इस श्राप का आतंक फैल... यह कहानी है। चित्तौड़गढ़ के शाही घराने की जिसे एक जादूगरनी या आप डायन भी कह सकते हैं। उस डायन ने श्राप दिया था। जिस वजह से शाही खानदान की लड़कियों को इस श्राप का आज तक सामना करना पड़ रहा है। और इसी वजह से पूरे चित्तौड़गढ़ में इस श्राप का आतंक फैला हुआ है। सदियों से चली आ रही पीढ़ी को इस श्राप का सामना करना पड़ रहा है। जिसमें कई मासूम लड़कियों की जान चली गई। क्या इस तरफ से मासूम आयुषी की भी जान चली जाएगी। या आयुषी को इस श्राप से मुक्ति मिलेगा। आखिर कौन आएगा। आयुषी को इस श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए.. आखिर अब क्या होगा। आयुषी के साथ? क्या चित्तौड़गढ़ गांव को कभी इस श्राप से मुक्ति मिल पाएगा। क्या कोई आएगा जो डायन का विनाश करेगा। क्या इस धरती को बुराई से आजादी मिल पाएगी। क्या होगा जब मासूम आयुषी खुद डायन का शिकार बन जाएगी काली दुनिया का राजा शैतान जिसका चित्तौड़गढ़ में जन्म हुआ। और अब पूरे चितौड़गढ़ पर अपना आतंक फैला रहा है। क्या आयुषी काले दुनिया की रानी बन जाएगी। काली दुनिया का साया जो है। आयुषी पर छाया क्या आयुषि इन सब से बच पाएगी। श्रापित चित्तौड़गढ़ कभी इस श्राप से आजाद हो पाएगा। आखिर क्या है। काली दुनिया का सच क्या इस रहस्य को कोई सुलझा पाएगा। क्या कोई ऐसा आएगा जो इस सारी दुनिया को खत्म करने के लिए बना होगा।
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यह कहानी पुर्णतया काल्पनिक है। और मात्र मनोरंजन के उद्देश्य से लिखी गई है। यह एक जादू टोना और हैवान डायन की कहानी है। जिसे चित्तौड़गढ़ के लोगों और लड़कियों को श्राप का सामना करना पड़ता है। और न जाने इस श्राप की वजह से कितनी ही मासूम लोगों की जान गई है।
सन् 1870...
चित्तौड़गढ़ के रियासत के शासक के महाराज उदय प्रताप सिंह जो पूरे चित्तौड़गढ़ के लोगों के लिए भगवान थे इनके पिता की मृत्यु बचपन में ही हो गई थी। तब से इन्होंने ही पुरे रियासत को संभाला और पूरे चित्तौड़गढ़ के महाराज है।
"आज महल में उत्सव का माहौल था। क्यों कि राजा उदय प्रताप सिंह की छोटी बहन का विवाह था। इसलिए पूरे महल को खूबसूरती से सजाया गया था। लेकिन इन सबके बीच राजा उदय प्रताप सिंह अपने महल में मौजूद नहीं थे। वह कुछ दिन पहले ही कुछ काम की वजह से महल से बाहर गए हुए थे लेकिन अभी तक वापस नहीं लौटे थे। जिस वजह से राजा उदय प्रताप सिंह की पत्नी मीनावती दुखी थी।
"रानी मीनावती अपने कक्ष में तैयार हो रही थी। थोड़ी देर में रानी मीनावती तैयार हो गई। तो वह अपने कक्ष से बाहर निकल कर कुछ दासियो के साथ एक कक्ष में प्रवेश किया उस कक्ष में एक लड़की दुल्हन के जोड़े में तैयार बैठी थी।
"रानी मीनावती उनके सामने आकर खड़ी हुई और फिर मुस्कुराते हुए उन्हें देखकर कहा" राजकुमारी आज आप बहुत सुंदर लग रही हैं।
"राजकुमारी मीनाक्षी ने मुस्कुरा दिया तो रानी मीनावती उनके बगल में बैठ गई। और फिर मुस्कुराते हुए कहा" मीनाक्षी आपके भाई साहब यहां नहीं है। तो इसलिए आपकी शादी की सारी रस्में हम करेंगे।
"तो राजकुमारी मीनाक्षी ने रानी मीनावती की तरफ देखकर कहा" भाभी सा भाई सा को गए हुए। कितने दिन हो गए। लेकिन वह अभी तक नहीं आए। हमें उनकी बहुत चिंता हो रही है वह ठीक तो होंगे ना अब तक तो उन्हें महल वापस आ जाना चाहिए।
"रानी मीनावती ने राजकुमारी मीनाक्षी को आश्वासन देते हुए कहा" आप चिंता ना करें राजकुमारी आपके भाई सा बिल्कुल ठीक होंगे। और वह बहुत जल्द वापस लौट आएंगे जरूर किसी काम में फंस गए होंगे। इसलिए उन्हें आने में वक्त लग रहा है।
"रानी मीनावती की बातें सुनकर राजकुमारी मीनाक्षी ने सहमति जताते हुए कहा" आप सही कह रहे हैं। भाभी सा राजकुमारी मीनाक्षी और रानी मीनावती दोनों आपस में बातें कर रहे थे।
तभी उन्हें एक दासियो ने आकर बताया। कि महाराज महल में प्रवेश कर चुके हैं यह सुनकर रानी मीनावती और राजकुमारी मीनाक्षी प्रसन्न हुई।
"रानी मीनावती ने राजकुमारी मीनाक्षी की तरफ देखकर कहा" देखा हमने कहा था। ना राजा सा जल्दी लौट आएंगे देखिए आपके विवाह से पहले ही वह आ गए हैं अब आप खुश तो है।
थोड़ी देर बाद रानी मीनावती और राजकुमारी मीनाक्षी दोनों महल के दूसरे हिस्से में आई जहां पर महाराज उदय प्रताप सिंह थे। महाराज उदय प्रताप सिंह ने शाही पोशाक पहने था सर पर मुकुट था। जिसमें वह रियासत के महाराज लग रहे थे।
"उन्हें देखकर राजकुमारी मीनाक्षी उनके गले लग गई। और रोते हुए कहा भाई सा आप कहा" चले गए थे हमें तो लगा कि आप हमारी विवाह में नहीं आ पाएंगे। अगर आप थोड़ी देर और कर देते तो हमारा विवाह हो जाता।
"महाराज उदय प्रताप सिंह ने राजकुमारी मीनाक्षी के सर को सहलाते हुए कहा" आप चिंता ना करें राजकुमारी हम आ गए हैं। फिर दोनों अलग हुए तभी रानी मीनावती की नजर महाराज उदय प्रताप सिंह के पास में खड़ी एक लड़की पर गई जो दिखने में बहुत सुंदर थी।
"रानी मीनावती ने महाराज उदय प्रताप सिंह की तरफ देखकर कहा" महाराज यह लड़की कौन है। आपने उनके बारे में हमें नहीं बताया।
"महाराज उदय प्रताप सिंह ने एक नजर उसे लड़की की तरफ देखा और फिर रानी मीनावती की तरफ देखकर कहा" पहले राजकुमारी का विवाह हो जाए। उसके बाद बात करेंगे। रानी मीनावती ने सहमति में अपना सर हिलाया महाराज उदय प्रताप के बगल में खड़ी वह लड़की रहस्यमयी तरीके से मुस्कुरा रही थी।
थोड़ी देर बाद मंडप में राजकुमारी मीनाक्षी को दूल्हे के बगल में बैठा दिया गया था। इस वक्त राजकुमारी मीनाक्षी की शादी की रसमें चल रहे थे। तो वही मंडप के सामने महाराज उदय प्रताप सिंह खड़े हुए थे।
थोड़ी देर में राजकुमारी मीनाक्षी का विवाह संपन्न हुआ। इसके बाद महाराज उदय प्रताप सिंह ने पूरी जनता की तरफ देखकर कहा" जिसे सुनने के लिए पूरा राज्य उत्सुक था।
महाराज ने एक नजर रानी मीनावती की तरफ देखा फिर उस लड़की का हाथ पकड़ कर सब की तरफ देखते हुए कहा" यह हमारी पत्नी है। हमने दो दिन पहले इनसे विवाह किया था।
"महाराज उदय प्रताप सिंह की बातें सुनकर पूरी जनता चकित रह गई। वही रानी मीनावती ने स्तब्ध खड़ी थी। और महाराज की तरफ ही देख रही थी। वह आगे आई। और उन्होंने महाराज की तरफ देखकर कहा" महाराज यह आप क्या कह रहे हैं। आपने इसे विवाह कर लिया। पर क्यों ऐसी क्या समस्या हो गई। कि आपको इनसे विवाह करना पड़ा।
पूरी राज्य महाराज उदय प्रताप सिंह के रंगीन मिजाज के बारे में जानते थे। विवाह से पहले वह काफी रंगीन मिजाज के थे। लेकिन रानी मीनावती से विवाह करने के बाद उन्होंने खुद को काफी बदल लिया था। क्योंकि रानी मीनावती से उनका प्रेम विवाह हुआ था।
"महाराज उदय प्रताप सिंह ने रानी मीनावती की तरफ देखकर कहा" हम आपकी समस्या समझ सकते हैं। रानी साहिबा लेकिन जब हम यात्रा पर गए थे। तब हम जंगल के रास्ते से जल्दी महल वापस लौटना चाहते थे। लेकिन कुछ लोगों ने हम पर हमला कर दिया। और तब जंगल में शताक्षी बाई ने हमारी जान बचाई थी। इसके बाद हम दोनों मित्र बन गए। लेकिन शताक्षी बाई के पास इनका कोई अपना नहीं था। यह जंगल में एक छोटे से लकड़ी के घर में रहती थी। हमें इनकी कहानी सुनने के बाद हमें बहुत दुख हुआ। बस इसी कारण हमें इनसे विवाह करना पड़ा रानी साहिबा हम आपसे निवेदन करते हैं। कि आप शताक्षी बाई को अपनी छोटी बहन मानेंगी।
"रानी मीनावती महाराज उदय प्रताप सिंह की तरफ देख रही थी। यह सब जानने के बाद उनकी आंखों से आंसू झर झर गिरने लगे। महाराज उदय प्रताप सिंह का एक 10 साल का बेटा था। और 5 साल की एक बेटी जो अपने मां के बगल में खड़े थे।
"तभी शताक्षी बाई आगे आई और उन्होंने महाराज उदय प्रताप सिंह की तरफ देखकर कहा" महाराज आप हमारा वचन भूल रहे हैं। आपने हमें वचन दिया था। क्या आप उस वचन को नहीं निभाएंगे।
"महाराज उदय प्रताप सिंह ने शताक्षी बाई के तरफ देखकर कहा" हमने आपको जो वचन दिया है। वो वचन हम और हमारा पूरा राज्य आज से निभाएगा। महाराज उदय प्रताप सिंह की बातें सुनकर शताक्षी बाई के चेहरे पर एक रहस्यमई मुस्कान फैल गई।
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आखिर शताक्षी बाई ने महाराज उदय प्रताप सिंह से ऐसा कौन सा वचन लिया था जिन्हें उनकी पूरी राज्य को निभाना होगा
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