Novel Cover Image

इश्क के रंग अनेक ( छोटी-छोटी प्यार वाली कहानी )

User Avatar

priyanka bagani

Comments

0

Views

62

Ratings

0

Read Now

Description

**एक अनकही प्रेम कहानी** यह एक ऐसी कहानी है जो कई किरदारों के जीवन को छूती है, जहाँ प्रेम, बिछड़न और संयोगों का ताना-बाना बुना गया है। हर किरदार की अपनी अनूठी प्रेम कहानी है, जो 5, 7 या 10 एपिसोड में पूरी होती है। कुछ कहानियाँ खुशियाँ लाएंगी, हँ...

Total Chapters (33)

Page 1 of 2

  • 1. ख्वाबों का सफर ( 💞A )- Chapter 1

    Words: 1051

    Estimated Reading Time: 7 min

    शाम के पाँच बज रहे थे। हिल स्टेशन मसूरी की ठंडी हवा में हल्की-हल्की बारिश घुली हुई थी।

    आसमान बादलों से भरा, सड़कें भीगीं, और हवा में मिट्टी की खुशबू...

    अनाया, एक 26 साल की फ्रीलांस जर्नलिस्ट, दिल्ली से ब्रेक लेकर यहाँ आई थी। मोबाइल बंद, लैपटॉप दूर — बस खुद से मिलने के लिए।

    वो कैफे "क्लाउडबेरी" के बाहर खड़ी थी, पीली रेनकोट पहने, बाल थोड़े बिखरे, और नज़रें आसमान पर।

    अचानक तेज़ हवा चली, और उसकी छतरी पलट गई। हड़बड़ाहट में वो उसे संभाल ही रही थी कि तभी

    एक आवाज़ आई — "Hold on! Let me help." उसने मुड़कर देखा — एक लंबा, कॉन्फिडेंट, हल्की दाढ़ी वाला लड़का — आरव।

    नीले शर्ट में भीगा हुआ, हाथ में बाइक हेलमेट, चेहरे पर मुस्कान।

    उसने आगे बढ़कर छतरी को ठीक किया और कहा, "अब संभाल जाएगी, मिस...?"

    अनाया ने हँसते हुए कहा, "मिस अनाया। और Thank you .. mister helper?"

    "आरव," उसने जवाब दिया, "रेन-रेस्क्यू स्पेशलिस्ट."

    दोनों हँस पड़े। बारिश थोड़ी तेज़ हुई, तो

    आरव बोला, "आप कहाँ जा रही हैं? रोड पर अभी लैंडस्लाइड अलर्ट है, खतरनाक है।

    "अनाया ने कहा, "होटल जा रही थी, पर शायद ये बादल मुझे यहीं रोक लेना चाहते हैं।."

    "तो कॉफी?" उसने पूछा। कैफे के अंदर धीमी म्यूजिक चल रही थी। लकड़ी की खिड़कियों से बाहर बारिश की बूंदें बह रही थीं।

    आरव ने कैपुचिनो ऑर्डर किया, अनाया ने हॉट चॉकलेट। दोनों खामोश थे, पर उस खामोशी में भी कुछ था — जैसे कोई अनकहा कनेक्शन।

    "आप दिल्ली से हैं?" आरव ने पूछा।

    "हाँ, और तुम?" "मुंबई। फोटोग्राफर हूँ। नेचर और लोगों के शॉट्स लेता हूँ... कभी-कभी फीलिंग्स के भी.

    " अनाया मुस्कुराई, "फीलिंग्स के फोटोज भी होते हैं?"

    "हाँ," आरव बोला, "जब आँखों में कहानी हो, तो कैमरा बस विटनेस बन जाता है."

    उस पल में आरव ने कैमरा उठाया, और बिना पूछे उसकी एक कैंडिड फोटो ले ली।

    अनाया ने चौंक कर कहा — "अरे! तुमने पूछा नहीं!" "कुछ चीजें पूछने से उनका मैजिक चला जाता है," उसने मुस्कराकर कहा।

    अनाया के गालों पर हल्की लाली थी — शायद गुस्सा नहीं, कुछ और।

    बाहर बारिश रुक रही थी, पर उनके बीच का मौसम बदलने लगा था। कैफे से बाहर निकलते वक्त

    आरव ने उसे छतरी ऑफर की। "आप इसे रख लो। लगता है तुम्हारे और बारिश के बीच थोड़ा कॉम्प्लिकेटेड रिश्ता है." "और तुम्हारा?" उसने पूछा।

    "मेरा और बारिश का तो पुरानी दोस्ती है... कभी भीगता हूँ, कभी छुपाता हूँ."

    अनाया ने हँसते हुए छतरी ली और कहा — "फिर मिलेंगे, मिस्टर फोटोग्राफर." "होप सो, मिस जर्नलिस्ट." रात को होटल पहुँचकर अनाया ने अपना मोबाइल निकाला।

    इंस्टाग्राम खोला — और चौंक गई। उसकी तस्वीर — वही कैंडिड शॉट — आरव के पेज पर थी, कैप्शन के साथ: "Some stories begin with rain."

    अनाया के होंठों पर मुस्कान आई। उसने उस पोस्ट को चुपचाप दिल का निशान दिया।

    नीचे आरव का मैसेज आया — "तो... मिस जर्नलिस्ट को अपनी कहानी पसंद आई?"

    अनाया ने जवाब दिया — "शायद। देखते हैं कहाँ तक जाती है।"

    उसके बाद रात भर बारिश चलती रही। खिड़की के बाहर गरजते बादल थे, और अंदर अनाया के दिल में पहली बार किसी के नाम की धीमी गूंज।

    अगले दिन सुबह की धूप थोड़ी झाँकी ही थी कि फिर से बादल छा गए।

    Anaya ने अपनी खिड़की से बाहर देखा — वही भीगा हुआ आसमान, और पहाड़ों पर धुंध की परत।

    रात भर Aarav की वो पोस्ट और उसकी मुस्कान उसके दिमाग़ में घूम रही थी।

    “Some stories begin with rain…”

    वो खुद से मुस्कुराई, जैसे कोई राज़ अपने दिल में छिपाए बैठी हो।

    नीचे लॉबी से किसी ने आवाज़ दी —

    > “Miss Anaya! कोई आपसे मिलने आया है।”

    वो नीचे उतरी, और वहाँ Aarav खड़ा था — नीली जैकेट में, हाथ में वही पुरानी छतरी।

    > “Good morning, Miss जर्नीलिस्ट. सोचा तुम्हे सिटी टूर करवा दू.”

    “तुम गाइड भी हो क्या?” उसने हँसते हुए कहा।

    “Photographer हूँ, पर दिल से एक्सपलोरेर.”

    ---

    दोनों निकल पड़े पहाड़ी रास्तों पर।

    झरनों के पास, पाइन के पेड़ों के बीच से धूप छन रही थी। Aarav उसे अपने favorite spots दिखा रहा था —

    एक पुराना लकड़ी का पुल, एक छोड़ी हुई ट्राम लाइन, और वो कैफ़े जहाँ उसने पहली exhibition की थी।

    हर जगह Aarav कैमरा निकालता, और कभी Anaya की मुस्कान, कभी हवा में उड़ते उसके बालों को capture करता।

    Anaya ने एक बार कहा —

    > “तुम मुझे click करते हो, या अपनी story लिखते हो?”

    Aarav ने जवाब दिया —

    “Kabhi-kabhi दोनों एक हि होती हैँ.”

    वो पल धीमे-धीमे कुछ और में बदल रहा था।

    बादल फिर घिरने लगे, और बारिश की पहली बूंद गिरी — Aarav ने हँसते हुए कहा,

    > “Lagta hai baarish ko hum dono pasand aa gaye.”

    ---

    बारिश तेज़ हुई तो दोनों पास के पुराने मंदिर की छत के नीचे आकर रुक गए।

    हवा में ठंडक थी, और Anaya काँप गई। Aarav ने अपनी जैकेट उतारकर उसके कंधों पर डाल दी।

    > “थोड़ा better?”

    “हान … बट तुम भीग जाओगे।”

    “कोई बात नहीं, मुझे बारिश पसंद है।”

    बारिश की बूँदें Aarav के बालों से होकर उसकी गर्दन तक बह रही थीं।

    Anaya का दिल हल्के-हल्के धड़कने लगा।

    उसने धीरे से कहा —

    > “तुम हमेशा इतने calm रहते हो?”

    Aarav मुस्कराया, “नहीं … kabhi-kabhi दिल भी हिल जाता है.”

    उनकी नज़रें मिलीं।

    कुछ सेकंड के लिए दुनिया थम सी गई।

    बारिश की आवाज़ ही बस सुनाई दे रही थी।

    Anaya ने आँखें झुका लीं — और Aarav ने हल्के से कहा,

    > “तुम्हारी आँखें … कहानी लिखती हैँ.”

    वो मुस्कराई, पर उस मुस्कान के पीछे बेचैनी थी — दिल में कुछ नया जागा था।

    ---

    बारिश थोड़ी कम हुई, Aarav ने कहा,

    > “चलो, तुम्हे एक जगह दिखता हूँ.”

    वो दोनों पहाड़ के पीछे बने पुराने lookout point पर पहुँचे। वहाँ से पूरा valley दिखता था — बादलों के बीच झरने, और नीचे चाय के बागान।

    Aarav ने कैमरा सेट किया।

    > “Ek shot?”

    “अब परमिशन लोगे?”

    “अब तुम मेरी कहानी हो, पूछना ज़रूरी है.”

    Anaya हँसी और कैमरे की तरफ़ मुड़ी।

    उसने आँखें बंद कीं, हवा उसके बालों को उड़ा रही थी। Aarav ने फोटो क्लिक की — और शायद उसी पल उसके दिल ने भी क्लिक किया।

    ---

    फोटो के बाद दोनों पास की बेंच पर बैठे रहे।

    मौन था, लेकिन उस खामोशी में हज़ार बातें थीं।

    Anaya ने कहा,

    > “तुम्हारे लाइफ में कोई है, Aarav?”
    plz follow me.....

  • 2. ख्वाबों का सफर( B )- Chapter 2

    Words: 1003

    Estimated Reading Time: 7 min

    Aarav ने कुछ पल सोचा — > “था. पर अब सिर्फ यादें हैँ.” Anaya ने धीरे से कहा, > “कभी कभी यादें भी इंसान से ज़्यादा ज़िंदा लगती हैँ.” Aarav ने उसकी ओर देखा — > “और तुम? तुम्हारे लाइफ में कोई है?” “नहीं. सिर्फ कहानियाँ.” बारिश फिर शुरू हो गई। Aarav ने छतरी खोली, और दोनों उसके नीचे सिमट गए। उनके कंधे एक-दूसरे से हल्के से छू रहे थे। Anaya ने उसकी ओर देखा — Aarav की आँखें गहरी, शांत, और कुछ कहती हुईं। वो पल बहुत करीब था — लेकिन इतना भी नहीं कि शब्द टूट जाएँ। Aarav ने बस इतना कहा — > “Let’s keep this moment as it is.” Anaya मुस्कराई — “Perfectly imperfect.” --- रात को होटल लौटकर Anaya ने फोन खोला। Aarav ने उसे भेजी वो फोटो — कैप्शन था: > “When two storms meet, the world gets quiet.” ☔ Anaya ने उस तस्वीर को देर तक देखा। उसकी उंगलियाँ स्क्रीन पर टिक गईं — जैसे Aarav का नाम छू रही हों। बाहर फिर बारिश शुरू हुई थी। वो मुस्कराई — और धीरे से फुसफुसाई, > “Maybe, this is how stories fall in love.” जहाँ Anaya शहर लौटती है, Aarav से दूर… लेकिन उसके एहसासों से नहीं। (यादों का सफ़र) तीन दिन बाद... Mussoorie की हवा अब ठंडी कम और भारी ज़्यादा लगने लगी थी। Anaya को वापस दिल्ली लौटना था। उसने होटल की खिड़की से बाहर देखा — वही बादल, वही पहाड़… बारिश लेकिन आज सब कुछ खाली-सा लग रहा था। शायद उसका दिल का कोई कोना खाली था उसने Aarav से मिलने का प्लान नहीं बनाया था। कभी-कभी, कुछ विदाइयाँ बोले बिना ही ज़्यादा सच्ची लगती हैं। या कुछ बोलने के लिए था ही नहीं... कभी-कभी खामोशी ज्यादा अच्छी लगती है शब्दों से.... सामान पैक करते वक्त उसकी नज़र एक चीज़ पर अटक गई — Aarav की दी हुई छतरी । वही नीली छतरी, जिसके नीचे वो बारिश से बची थी , और शायद पहली बार किसी के दिल में भीग गई थी । उसने उसे उठाया , और मुस्कुराई — > “क्या अजीब है ना … एक छोटी सी चीज भी दिल से चिपक जाती है ।” अपना बैग लेकर निकल गई रेलवे स्टेशन के लिए... ट्रेन के सफ़र में खिड़की के बाहर बारिश अब भी चल रही थी । Anaya ने मोबाइल खोला — Aarav का Instagram देखा। वो नई फोटो अपलोड कर चुका था — एक खाली बेंच, और कैप्शन: > “Sometimes, the person is gone, but the moment stays.” Anaya के होंठों पर हल्की मुस्कान आई, पर आँखों में नमी भी। उसने खुद के अकाउंट पर एक पोस्ट डाली — एक ब्लर फोटो बारिश की, और लिखा — > “Some stories don’t need endings.” दिल्ली लौटकर ज़िंदगी फिर अपनी तेज़ रफ़्तार में घुलने लगी। Meeting, deadlines, interviews — लेकिन Aarav के साथ बिताए तीन दिन किसी धीमी धुन की तरह उसके भीतर बजते रहे। कभी किसी चीज में उसकी याद आ ही जाती थी कभी-कभी वो अचानक Aarav की आवाज़ सुनने का धोखा खा जाती, कभी Aarav के भेजे message notification जैसा vibration महसूस करती — लेकिन फोन खाली रहता। कई बार इंस्टाग्राम खुलती थी और बंद करती थी पर कुछ भी नहीं मिलता था एक शाम वो अपने घर की बालकनी में बैठी थी, चाय का कप हाथ में, तभी उसका दोस्त रिहा बोला, > “You look… different. क्या हुऐ, किसी से मिली थी क्या mountains में?” Anaya मुस्कुराई — > “Maybe… किसी कहानी से.” उसकी आंखें नम हो जाती है उसे खुद नहीं पता था उसके साथ क्या हो रहा है या शायद पता था..... उस रात Anaya को नींद नहीं आई। वो laptop पर Aarav का profile देखने लगी — हर फोटो, हर caption, हर comment उसे और करीब खींचता जा रहा था। एक फोटो में Aarav खुद था — गीले बाल, कैमरा हाथ में, और पीछे पहाड़। Caption था: > “Clicked by someone who didn’t even realize she was capturing me.” Anaya ने screen को हल्के से छुआ — > “मैं हि थी ना …” हम्म्म्म उसने खुद से कहा। वो चुपचाप Aarav को message टाइप करने लगी — > “Hey…” फिर रुक गई। कभी-कभी एक “Hey” के बाद बहुत कुछ कहना पड़ता है… और वो शायद तैयार नहीं थी। पता नहीं अजीब सी कशमकश थी कुछ दिन नहीं हफ्ते बीते। एक सुबह उसे courier मिला — एक छोटा-सा brown box। खोला तो अंदर Aarav का postcard था। > “Mussoorie has been quieter without your laugh. The rains ended, but I think the story didn’t.” — Aarav. नीचे छोटा-सा sketch बना था — एक लड़की छतरी पकड़े, और पीछे एक लड़का, बारिश में मुस्कराता हुआ। Anaya के होंठ काँपे — उसने postcard को अपने दिल के पास रखा और फुसफुसाई, > “काश तुम यहाँ होते …” शाम को वो अपने favorite café गई — वही कोना जहाँ वो अपनी stories लिखती थी। लैपटॉप खोला, नया फ़ाइल बनाई, और टाइप किया — Title: “Some Stories Begin With Rain” वो लिखती रही — Aarav की हँसी, उसकी बातें, बारिश की महक… उसकी इमोशनल उसका लुक सब शब्दों में उतरने लगा। हर लाइन में Aarav था, हर paragraph में उनकी अधूरी मुलाक़ात। कहानी लिखते-लिखते उसने महसूस किया — शायद यही प्यार है — जब कोई दूर होकर भी हर साँस में बसा रहे। रात को उसने Aarav को message भेजा — > “I wrote something. Inspired by a photographer who loves rain.” Aarav का reply कुछ देर बाद आया — > “Then maybe, that rain was worth it.” 🌧️ Anaya ने उस message को बार-बार पढ़ा। दिल में एक अजीब शांति थी, जैसे कोई अधूरा सपना अब मुस्कराने लगा हो । उसके दिल को करार आ गया था । जहाँ किस्मत Aarav और Anaya को फिर से मिलाएगी — इस बार भीड़ में, लेकिन अब एहसास पहले से गहरे होंगे। क्या फिर मिलेंगे या फिर नहीं मिलेंगे या बढ़ जाएंगे हमेशा के लिए क्या रह जाएंगे उनकी मुलाकात अधूरी या होगा इश्क पूरा आगे का पढ़ने के लिए बने रहिए प्लीज फॉलो मी ऐसी ही छोटी-छोटी लव स्टोरी आपको पढ़ने के लिए मिलेगी जस्ट स्टे विद मी


    plz follow me.....

  • 3. ख्वाबों का सफर ( C ) - Chapter 3

    Words: 1033

    Estimated Reading Time: 7 min

    Mumbai Mein Dobara Mulaqat (मुंबई में दोबारा मुलाक़ात) मुंबई। तीन महीने बाद। भीड़, ट्रैफिक, और हवा में नमक और सपनों की गंध। Anaya अब एक reputed lifestyle magazine में काम कर रही थी। नए असाइनमेंट के लिए उसे एक young photographer पर feature story करनी थी — नाम था Aarav Mehra। जब उसने ईमेल पढ़ा, तो उसके हाथ कुछ पल के लिए रुक गए। “किस्मत भी न… कहानी अधूरी छोड़कर फिर वहीं से शुरू कर देती है।” --- वो दिन बारिश का ही था। Venue: Bandra का एक art café — “The Canvas Room।” Anaya जब पहुँची, café की दीवारों पर Aarav की photographs टंगी थीं — वही misty hills, वो chhata, और एक फोटो… उसका चेहरा बारिश में झिलमिलाता हुआ। Anaya ठिठक गई। नीचे लिखा था: > “She didn’t know she was my muse.” दिल ज़ोर से धड़का। उसी पल पीछे से एक आवाज़ आई — > “You finally came.” वो पल जैसे फिर से मुस्कराया। Aarav सामने था — अब पहले से थोड़ा बदला हुआ। थोड़ा mature, थोड़ा calm… लेकिन आँखों में वही warmth। > “फीचर के बहाने मिलने का plan तोह नहीं था ना?” Aarav ने छेड़ा। “मैं professional हूँ, Mr. Photographer,” उसने मुस्कराकर कहा। “और मैं still hopelessly unprofessional… जब बात तुम्हारी हो.” दोनों हँस पड़े। --- Interview शुरू हुआ, लेकिन हर सवाल जवाब के बीच उनकी नज़रों की अपनी भाषा थी। Aarav जब अपने काम की बातें करता, Anaya उसकी आँखों में खो जाती — कैमरे की बात करते-करते वो जैसे Anaya की आत्मा को पढ़ रहा था। > “तुम अब भी बारिश को पसंद करती हो?” “तुम्हारे बिना मज़ा नहीं आती.” “तोह बारिश से या मुझसे?” “शायद दोनों से.” उनके बीच की हवा में अब वो पुरानी झिझक नहीं थी। सिर्फ़ एक खामोश खिंचाव — जो दोनों महसूस कर रहे थे। शाम ढलने लगी। Café की लाइट्स धीमी हो गईं। बाहर हल्की फुहारें गिर रहीं थीं — जैसे Mussoorie का मौसम मुंबई तक चला आया हो। Aarav ने कहा, > “एक जगह चलोगी? It’s my studio — nearby.” Anaya ने सिर हिलाया। कुछ देर बाद वो दोनों एक छोटे से sea-facing studio में पहुँचे। कमरा मोमबत्तियों की रोशनी में चमक रहा था — चारों ओर तस्वीरें, और बीच में एक बड़ा glass window जिससे समंदर दिखता था। Aarav ने धीरे से कहा, > “मैं जब भी लोनली फील करता हूँ, यहाँ आता हूँ … यह जगह मुझे याद दिलाती है के कुछ कहानियाँ रूकती नहीं.” Anaya खामोश रही। वो window के पास गई, हवा में बाल उड़ने लगे। Aarav पास आया — उसके इतने पास कि उसकी सांसें उसके बालों में उलझ गईं। > “तुम बदली नहीं,” उसने फुसफुसाया। “और तुम भी नहीं … बस और गहरे हो गए हो,” उसने हल्के से कहा। कुछ सेकंड की खामोशी — फिर उनकी नज़रें मिलीं। आँखों में वही अधूरी कहानी पूरी होने की चाह थी। Aarav ने उसके गाल से एक बाल हटाया। उसका स्पर्श धीमा था, मगर उसमें सैकड़ों शब्द छिपे थे। Anaya की पलकों ने जवाब दिया — बिना बोले, बिना झिझक। उनके बीच की दूरी कुछ इंच रह गई। बाहर समंदर की लहरें टकरा रही थीं — और अंदर दो धड़कनें एक साथ चल रही थीं। Anaya ने धीरे से कहा, > “शायद मैं तुम्हे भूल नहीं पायी.” Aarav ने मुस्कराकर फुसफुसाया, “मैं तोह तुम्हे कभी जाने हि नहीं दिया.” मोमबत्तियों की लौ हिली — हवा में मिठास और चाहत घुल गई। कंधे हल्के से छूए, और समय जैसे रुक गया। पर इससे पहले कि पल कुछ और कहता, Aarav पीछे हट गया। > “मैं नहीं चाहता, फिर से कुछ गलत समझा जाये.” Anaya मुस्कराई, > “कभी कभी सही और गलत सिर्फ एक एहसास से तय होता है।” दोनों खिड़की के पास खड़े रहे, खामोशी में भी एक धुन थी — दिलों की। --- रात के आखिर में Aarav ने कहा, > “मैं कल Goa जा रहा हूँ — solo project के लिए. तुम आ ओगी?” Anaya ने उसकी तरफ देखा — वो invitation सिर्फ़ किसी trip का नहीं था… शायद किसी नई शुरुआत का था। वो मुस्कराई, > “Maybe this time, the rain will follow us again.” Aarav ने उसका हाथ हल्के से थामा — बस कुछ पल के लिए। और वही स्पर्श — शब्दों से ज़्यादा गहरा था।

    अगले दिन

    गोवा की हवा में एक अलग-सी मिठास थी।

    नीला आसमान, नारियल के पेड़ों की छाँव और समंदर की लहरों की आवाज़ — सब कुछ जैसे किसी अधूरी कविता को पूरा करने की कोशिश कर रहे थे।

    Anaya एयरपोर्ट से बाहर निकली तो Aarav वहीं खड़ा था, हाथ में sunglasses और होंठों पर वो हल्की मुस्कान — वही मुस्कान जिसने पहली बार Mussoorie की बारिश में उसका दिल चुरा लिया था।

    > “Welcome to Goa, Miss Journalist.”

    “यहाँ भी कहानी लिखनी है क्या?” उसने मुस्कुराते हुए पूछा।

    “कहानी तोह लिख हि गयी है... बस अब उस से जीना बाकी है।”

    उनका होटल समंदर के बिलकुल सामने था।

    बालकनी से लहरें दिखतीं, और हवा में नमकीन खुशबू तैरती रहती।

    शाम को Aarav ने कहा,

    > “Sunset देखना चाहोगी?”

    Anaya ने सिर हिलाया — “हमेशा से मेरी कमजोरी रहा है।”

    दोनों समंदर किनारे चले।

    पैरों के नीचे गीली रेत थी, लहरें पैरों को छूकर लौट रहीं थीं।

    सूरज धीरे-धीरे डूब रहा था, आसमान नारंगी और सुनहरी लकीरों से रंग गया था।

    > “तुम्हे पता है,” Aarav ने कहा, “मुझे sunset हमेशा किसी good buy जैसा लगता है... बस difference इतना है, कल फिर मिलता है।”

    “और मुझे सनराइज किसी होप जैसा,” Anaya बोली, “जो हर goodbye के बाद आता है।”

    दोनों हँसे, लेकिन उस हँसी में गहराई थी — जैसे किसी डर, किसी चाह और किसी अधूरेपन की परत हो।

    रात हुई तो Aarav ने Anaya को अपने beach-side studio में बुलाया।

    कमरा खुला-खुला था, बीच में paintings और photographs बिखरे हुए।

    एक कोने में guitar रखा था।

    > “तुम guitar बजाते हो?”

    “कभी कभी, जब शब्द फ़ैल हो जाते हैं।”

    उसने एक हल्की धुन बजाई — धीमी, romantic।

    Anaya ने आँखे बंद कर लीं।

    वो संगीत उसके दिल की हर धड़कन को छू रहा था।

    कुछ देर बाद Aarav ने धीरे से कहा,

    > “Anaya, कभी कभी लगता है, life बहुत सिंपल थी... तुम आयी और सब complicated हो गया।”

    Anaya मुस्कुराई,

    > “और मुझे लगता है, तुम आकर सब clear कर गए।”

    plz follow me.....

  • 4. ख्वाबों का सफर(D)- Chapter 4

    Words: 1003

    Estimated Reading Time: 7 min

    उनकी नज़रें मिलीं।

    उस एक पल में न कोई संगीत था, न कोई शब्द — सिर्फ़ silence था, जो बहुत कुछ कह रहा था।

    Aarav धीरे से आगे बढ़ा।

    उसकी उंगलियाँ Anaya के बालों में उलझीं, उसने बस हल्के से कहा —

    > “तुम मेरे लिए inspiration से ज़्यादा हो।”

    Anaya की आँखों में एक चमक थी,

    > “और तुम मेरे लिए वो line हो, जिसे मैं हर बार लिखती हूँ, पर पूरा नहीं कर पाती।”

    उसने उसका हाथ थाम लिया।

    Aarav ने धीरे से उसकी उंगलियाँ अपनी उंगलियों में पिरो दीं।

    दिल की heartbeat तेज़ हो गई — जैसे हवा भी उनकी सांसों के साथ चल रही हो।

    कुछ सेकंड तक वो एक-दूसरे के इतने करीब थे कि हर साँस महसूस हो रही थी।

    Anaya ने कहा,

    > “क्या तुम्हे लगता है, हम फिर से वही गलती दोहरा रहे हैं?”

    Aarav ने धीरे से मुस्कराकर कहा,

    > “अगर ये गलती है... तो शायद यही मेरा favourite सिन है।”

    Anaya हँसी, लेकिन आँखों में नमी थी।

    वो Aarav के कंधे पर सिर रखकर बोली,

    > “तुम्हे पता है, मैं तुम्हे चाहती हूँ, लेकिन मुझे तुमसे डर भी लगता है।”

    > “क्यों?”

    “क्योंकि तुम मेरे अंदर वो हिस्सा जगा देते हो, जो सालों से सोया हुआ था।”

    Aarav ने धीरे से कहा,

    > “फिर उसे जगने दो, Anaya… उसे जीने दो।”

    वो खिड़की के पास खड़े रहे — समंदर की लहरें अब तेज़ थीं।

    उनके बीच कोई शब्द नहीं, सिर्फ़ touch, बस वो एहसास जो बोलता नहीं, बस महसूस होता है।

    ---

    रात गहराती गई।

    बाहर समंदर गरज रहा था, भीतर दो दिल चुप थे — पर जुड़े हुए।

    Anaya ने आसमान की तरफ देखा —

    > “शायद दिल के रास्ते हमेशा आसान नहीं होते।”

    “पर अगर मंज़िल तुम हो,” Aarav ने कहा, “तो मुश्किलें भी खूबसूरत लगती हैं।”

    Anaya ने मुस्कराकर कहा —

    > “तोह चलो, फिर इस सफ़र को अधूरा ना छोड़ें।”

    और बस, उस क्षण में, दो आत्माएँ एक ही लय में साँस लेने लगीं।

    ना कोई वादा, ना कोई डर — सिर्फ़ एक एहसास कि शायद यही real love है।

    aarav:- मैं उसकी कमर से पकड़ के अपनी और खींचा और उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए और एक लांग kiss करने लगे । aarav किस करते हुए धीरे-धीरे anaya के शर्ट की बटन खोलने लगा और अब अन्य उसके सामने उसके सामने सिर्फ इनर बियर पर थी औरaanya सांस लेने में तकलीफ होने लगी तो अब में अपने होंठ उसके गर्दन पर चलने चालू कर दिए aanya मोन कर रही थी aarav में उसे छोड़ उसके आंखों में देखा जैसे आगे बढ़ाने के लिए पूछ रहा हो anaya अपनी पलके चिपका दी और उसे आगे बढ़ाने की परमिशन दे दी और aarav धीरे से उसकी गोद में उठाया नहीं रखेगा उसे पर लेटा दिया और अपनी शर्ट उतार के फेक दी और वापस से दोनों किस करने लगे

    कब उनके कपड़ों उतार के कमरे के किसी कोने में पहुंचे aarav उससे पूछा your first time.

    anaya हम्म्म पर...

    aarav मुझे फर्क नहीं पड़ता मैं सिर्फ इसलिए पूछ रहा हूं ताकि तुम्हें तकलीफ कम हो...

    anaya hmmm

    फिर aarav धीरे-धीरे उसके अंदर एंटर्ड हुआ anaya की हल्की सी चिखा निकल गई।

    aarav उसके साथ बहुत सॉफ्ट था सबसे बहुत प्यार से प्यार कर रहा था।

    और कब वह दोनों एक दूसरे में इतनी खो गए कि उन्हें पता ही नहीं चला रात कब हुई और सुबह कहां हुई मैं पता ही नहीं चला....

    गोवा की वो शाम, जो इतनी खूबसूरत शुरू हुई थी, अब किसी अनकहे डर में बदल रही थी।

    Anaya ने Aarav के चेहरे पर वो मुस्कान नहीं देखी, जो हर बार उसके पास होती थी।

    आज उसकी आँखों में कुछ अलग था — एक silence, जो शब्दों से भारी था।

    > “Aarav, सब ठीक है?”

    “हाँ…” उसने कहा, मगर आवाज़ में सच्चाई नहीं थी।

    रात का खाना खामोशी में बीता।

    Anaya ने महसूस किया — Aarav किसी सोच में डूबा है, जैसे किसी पुराने ज़ख्म का दरवाज़ा खुल गया हो।

    उसने धीरे से पूछा,

    > “क्या मैं जान सकती हूँ, तुम किसी चीज से भाग रहे हो? क्या कल जो हमारे बीच में हुआ ....”

    Aarav ने उसकी तरफ देखा — उसकी आँखों में सवाल नहीं, बस सच्चा concern था।

    वो कुछ पल चुप रहा, फिर बोला,

    > “Anaya… कल तो मेरी जिंदगी की सबसे खूबसूरत शाम थी पर....मुझे तुमसे कुछ छुपाना नहीं चाहिए। पर हर सच खूबसूरत नहीं होता।”

    > “फिर भी सुनना चाहूँगी।”

    Aarav ने गहरी साँस ली —

    > “तीन साल पहले… मैंने किसी बहुत ज्यादा प्यार करता था।”

    Anaya ने चौंककर कहा,

    > “किसी को?”

    “हाँ… मीरा। मेरी मंगेतर।”

    कमरा जैसे अचानक ठंडा हो गया।

    Anaya के दिल की धड़कन एक पल को रुक सी गई।

    “वो भी photographer थी,” Aarav ने कहा।

    “हम दोनों एक assignment पर थे — Himachal की पहाड़ियों में। मौसम खराब था, और मैंने insist किया कि हमें रुकना चाहिए। पर वो stubborn थी… कहने लगी ‘perfect shot कभी इंतज़ार नहीं करता।’”

    Aarav की आँखें भीग गईं।

    > “उस रात वो पहाड़ी से गिर गई। मैं वहाँ पहुँच भी नहीं पाया।”

    Anaya खामोश थी।

    वो Aarav के पास गई, उसका हाथ थाम लिया।

    > “तुम्हारी गलती नहीं थी।”

    Aarav ने सिर झुकाया,

    > “पर मेरे दिल को ये बात मानती नहीं। हर बार जब मैं camera उठाता हूँ, मुझे लगता है मीरा मेरे हर shot के पीछे छुपी है।”

    Anaya की आँखें भी भर आईं।

    > “शायद वो आज भी तुम्हारे अंदर जिंदा है… किसी इंस्पिरेशन की तरह।”

    Aarav ने हल्की मुस्कान दी,

    > “और शायद तुम वो वजह हो, जिसने मुझे फिर से जीना सिखाया।”

    कुछ देर तक दोनों खामोश रहे।

    समंदर की लहरें किनारे से टकरा रही थीं, जैसे उनके दिलों के अंदर के तूफ़ान को आवाज़ दे रही हों।

    Anaya ने धीरे से Aarav के चेहरे को छुआ।

    उसका टच बेहद कोमल था , जैसे दर्द को सहला रहा हो ।

    > “अब वक़्त है , अतीत को जाने देने का, Aarav। ”

    Aarav ने उसकी आँखों में देखा —

    > “अगर मैं ना जाने दूँ , तो क्या तुम रहोगी?”
    plz follow me.....

  • 5. ख्वाबों का सफर (E) - Chapter 5

    Words: 1049

    Estimated Reading Time: 7 min

    Anaya ने बस सिर हिलाया — “मैं यहीं हूँ… जब तक दिल चाहे।”

    रात लंबी थी, लेकिन उस रात दोनों के बीच एक नया connection बना —

    ना वादों का, ना उम्मीदों का, बस एक सच्चे understanding का।

    Aarav ने धीरे से कहा,

    > “तुम्हारे आने से मेरा guilt हल्का हुआ है।”

    “और तुम्हारे सच ने मेरे दिल को और करीब ला दिया,” Anaya ने जवाब दिया।

    खिड़की से आती हवा ने मोमबत्तियाँ हिलाईं —

    उनकी लौ में अब उदासी नहीं थी, बस एक नई शुरुआत की चमक थी।

    ---

    सुबह जब Anaya उठी, Aarav बाहर बालकनी में था — हाथ में coffee और सामने सूरज।

    वो बोली,

    > “Aarav, अब तुम क्या सोच रहे हो?”

    “सोच रहा हूँ… शायद अब वक्त आ गया है एक नई story लिखने का।”

    Anaya मुस्कुराई,

    > “इस बार main भी co-writer बनूंगी।”

    Aarav ने कहा,

    > “Deal.”

    और उस मुस्कान के साथ, अतीत का साया धीरे-धीरे फीका पड़ गया।

    उनके बीच अब सिर्फ़ love, healing और एक नई उम्मीद बची थी।

    गोवा की वो सुबह सुनहरी थी, लेकिन Anaya के मन में हल्का तूफ़ान चल रहा था।

    Aarav अब खुल चुका था, उसके अतीत की सारी परतें अब सामने थीं।

    पर जब सच सामने आता है, तो दिल एक नया सवाल पूछने लगता है —

    क्या मैं किसी की अधूरी कहानी का हिस्सा हूँ… या एक नई कहानी की शुरुआत?

    Anaya बालकनी में खड़ी थी। हवा में कॉफी की खुशबू और लहरों की आवाज़ घुली थी।

    Aarav पीछे आया, पीछे से गले लगाया और उसकी कंधे पर अपना चेहरा रखा।

    > “सोच में हो?”

    “थोड़ा,” Anaya ने कहा।

    “कभी-कभी सोचती हूँ… शायद मैं बहुत देर से आई।”

    Aarav ने उसकी आँखों में देखा,

    > “और मुझे लगता है, तुम बिल्कुल सही वक़्त पर आई।”

    Anaya मुस्कुराई, पर मुस्कान के पीछे हल्की झिझक थी।

    वो Aarav से चाहती थी… लेकिन कहीं भीतर डरती भी थी —

    कहीं ये प्यार फिर किसी दर्द का कारण न बन जाए।

    शाम को वो दोनों बीच पर गए।

    सूरज डूब रहा था, आसमान पर बैंगनी रोशनी बिखरी थी।

    Aarav ने कहा,

    > “Anaya, अगर ज़िंदगी दोबारा मौका दे तो क्या तुम मेरे साथ रहोगी?”

    वो कुछ पल चुप रही।

    > “रहना चाहती हूँ, Aarav… पर मुझे डर है। तुम अभी भी मीरा को अपने दिल से जाने नहीं दे पाए।”

    Aarav ने गहरी साँस ली।

    > “सच कहूँ तो शायद उसे कभी भूल नहीं पाऊँ। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं तुम्हें कम चाहता हूँ।”

    Anaya की आँखें भर आईं।

    > “प्यार में हिस्से नहीं होते Aarav… या तो पूरा होता है, या कुछ भी नहीं।”

    Aarav ने उसकी ओर बढ़कर कहा,

    > “तो शायद मैं सीख रहा हूँ… कैसे किसी को पूरी तरह चाहा जाए।”

    लहरों की आवाज़ और हवा की नमी ने उस पल को और गहरा बना दिया।

    Anaya ने उसकी तरफ देखा —

    वो आदमी जो टूटा था, लेकिन फिर भी किसी को पूरी तरह महसूस करने की कोशिश कर रहा था।

    > “तुम्हें पता है,” उसने कहा,

    “मुझे तुम्हारा दर्द भी अच्छा लगता है, क्योंकि उसमें सच्चाई है।”

    Aarav मुस्कराया,

    > “और मुझे तुम्हारी हिम्मत, क्योंकि उसमें प्यार है।”

    उनके बीच की खामोशी अब मीठी थी — कोई जल्दबाज़ी नहीं, कोई वादा नहीं, बस एक moment जो अपने आप सब कह रहा था।

    Aarav ने उसका चेहरा अपनी हथेलियों में लिया —

    > “तुम मेरे साथ रहोगी?”

    Anaya की पलकों ने जवाब दिया —

    धीरे से झुककर उसने उसका माथा चूमा।

    वो एक छोटा-सा kiss था, पर उसमें हर भावना छुपी थी — प्यार, डर, अपनापन और अधूरापन सब एक साथ।

    रात गहराने लगी।

    Anaya होटल के कमरे में वापस आई, लेकिन नींद नहीं आ रही थी।

    वो balcony में बैठकर diary लिखने लगी —

    > “कभी-कभी प्यार भी किसी गलती की तरह आता है। पर वो गलती इतनी खूबसूरत होती है कि उसे सही कहने का मन करता है…”

    लिखते-लिखते उसने आँखे बंद कर लीं।

    हवा उसके बालों को उड़ा रही थी।

    Aarav चुपचाप दरवाज़े से उसे देख रहा था।

    वो आगे बढ़ा, और बिना कुछ बोले उसकी diary धीरे से बंद कर दी।

    > “अब कहानियाँ लिखना बंद करो, Anaya,” उसने फुसफुसाया।

    “अब उन्हें जीने का वक़्त है।”

    Anaya ने उसकी तरफ देखा —

    उसकी आँखों में अब डर नहीं था, बस यक़ीन था।

    वो मुस्कराई, और Aarav के हाथ पर अपनी उंगलियाँ रख दीं।

    उस पल में ना अतीत था, ना भविष्य…

    बस वो आज,

    जहाँ दो दिल एक-दूसरे के rhythm में धड़क रहे थे।

    सुबह की पहली किरणों ने समंदर को सोने की तरह चमका दिया था।

    Aarav और Anaya बालकनी में बैठे थे — हाथों में कॉफी, लेकिन दोनों की नज़रें कहीं और थीं।

    वो खामोशी जो अब शब्दों से ज़्यादा गहरी थी, दोनों के बीच एक पुल बन चुकी थी।

    > “Anaya…” Aarav ने धीरे से कहा।

    “हम्म?”

    “क्या तुम्हें कभी डर नहीं लगता? इतने deep रिश्ते में खो जाने का?”

    Anaya ने मुस्कराते हुए कहा,

    > “प्यार में डर नहीं, भरोसा चाहिए। डर तब होता है जब भरोसा कमज़ोर हो… और मुझे तुम पर trust है।”

    Aarav ने उसकी तरफ देखा —

    उसकी आँखों में सच्चाई थी, लेकिन कहीं अंदर एक तूफ़ान भी।

    > “अगर मैं कहूँ कि मुझे एक और बार दूर जाना है? अकेले, एक नए प्रोजेक्ट पर?”

    “कितने दिनों के लिए?”

    “शायद एक महीना…”

    Anaya का दिल हल्का-सा डोल गया।

    वो Aarav की दुनिया समझती थी — कैमरा, यात्राएँ, कहानियाँ।

    पर अब वो चाहती थी कि Aarav उसके बिना भी उसे अपने frame में रखे।

    रात को Anaya समुद्र किनारे चली गई।

    वो रेत पर बैठी थी, और सामने लहरें ऐसे आ-जा रही थीं जैसे कोई सवाल पूछ रही हों।

    > “क्या मैं Aarav के लिए सही हूँ?” उसने खुद से पूछा।

    “या मैं बस किसी टूटे हुए दिल की मरहम हूँ?”

    Aarav पीछे से आया —

    उसने कुछ नहीं कहा, बस उसके पास बैठ गया।

    उन दोनों के बीच सिर्फ़ लहरों की आवाज़ थी, और दिल की धीमी heartbeat।

    Aarav ने धीरे से कहा,

    > “Anaya, मुझे जाना है… पर इस बार मैं भाग नहीं रहा।”

    “फिर?”

    “मैं लौटने के लिए जा रहा हूँ।”

    Anaya की आँखें भीग गईं, लेकिन होंठों पर मुस्कान थी।

    > “अगर लौटोगे, तो मैं यहीं रहूँगी।”

    Aarav ने उसका हाथ पकड़ा —

    > “तुम्हें वादा नहीं करूँगा, क्योंकि वादे अक्सर टूटते हैं…

    पर ये कहूँगा कि my heart knows only your rhythm।”

    plz follow me.....

  • 6. ख्वाबों का सफर( F )- Chapter 6

    Words: 1039

    Estimated Reading Time: 7 min

    उसने Anaya के चेहरे को हल्के से छुआ,

    वो touch बहुत कोमल था — जैसे किसी डर को मिटा रहा हो।

    Anaya ने आँखें बंद कर लीं — उस स्पर्श में उसे सुरक्षा भी थी, प्यार भी।

    > “कभी-कभी लगता है, तुम मेरे भीतर बस गए हो।”

    “और मुझे लगता है, तुम्हारे बिना मैं अधूरा हूँ।”

    Aarav ने उसके होठो पर एक लंबा चुम्बन रखा — बिना किसी जल्दबाज़ी के, बस एहसास के साथ।

    वो पल इतना सच्चा था कि समंदर की हवा भी रुक गई लगती थी।

    दो दिन बाद Aarav की फ्लाइट थी।

    Anaya उसे एयरपोर्ट तक छोड़ने आई।

    दोनों के बीच कोई वादा नहीं, कोई goodbye नहीं — बस आँखों में forever का एहसास था।

    > “जाओ, Aarav,” Anaya ने कहा,

    “लेकिन इस बार कहानी अधूरी मत छोड़ना।”

    Aarav मुस्कराया,

    “अब कहानी मेरे हाथ में नहीं है… तुम्हारे पास है।”

    Anaya ने उसे जाते हुए देखा —

    हर कदम के साथ उसके दिल की धड़कन बढ़ती गई,

    लेकिन इस बार दर्द में भी सुकून था।

    कई हफ्ते बीत गए।

    Anaya ने खुद को काम में डुबो दिया, लेकिन हर जगह Aarav की झलक थी —

    कॉफी की खुशबू में, कैमरे की क्लिक में, और हर शाम ढलते सूरज में।

    एक दिन अचानक उसका फ़ोन बजा —

    स्क्रीन पर Aarav का नाम चमक रहा था।

    उसने उठाया,

    > “Anaya… मैं लौट आया हूँ।”

    उसकी आँखें भीग गईं।

    > “तो अब कहानी आगे बढ़ेगी?”

    “हाँ,” Aarav बोला, “अब शुरू होगी हमारी असली कहानी — धड़कनों के पार।”

    ---

    वो हँसी, और बस इतना कहा,

    > “Welcome home, Aarav.”

    लहरें किनारे पर टकराईं — जैसे प्यार की गवाही दे रही हों।

    अब उनके बीच कोई डर नहीं था, कोई दीवार नहीं थी।

    सिर्फ़ दो धड़कनें, जो एक ही सुर में धड़क रही थीं —

    एक वादा, जो शब्दों में नहीं, एहसासों में था।

    मुंबई की शाम थी।

    बारिश की हल्की फुहारें गिर रहीं थीं, और शहर एक बार फिर सपनों से भीग रहा था।

    Anaya की खिड़की के बाहर, वही पुराना चाँद टंगा था — लेकिन आज उसका मन किसी और वजह से मुस्कुरा रहा था।

    Aarav लौट आया था।

    तीन हफ़्तों की दूरी जैसे एक लम्बा साल लग रही थी।

    और अब वो वापस था — अपने पुराने अंदाज़ में, कैमरा कंधे पर, और होंठों पर वही lazy smile जो किसी भी दिन को खूबसूरत बना दे।

    Anaya कॉफी बना रही थी जब Aarav अंदर आया।

    > “Smells good,” उसने कहा,

    “कॉफी या मैं?” Anaya ने तुरंत पलटकर जवाब दिया।

    Aarav हँसा —

    “दोनों। पर कॉफी से ज़्यादा addictive तुम हो।”

    Anaya ने मुँह बनाया,

    > “तीन हफ़्ते बाद आए हो और फ्लर्टिंग शुरू?”

    “क्या करूँ, मेरा profession है तुम्हारे expressions कैप्चर करना।”

    वो हँस पड़ी —

    और Aarav ने उसी हँसी की एक तस्वीर खींच ली।

    > “Delete karo!” उसने कहा।

    “Impossible. ये मेरी फवौरीते फ्रेम है।”

    Anaya ने नकली गुस्से में cushion फेंका, Aarav ने पकड़ लिया —

    और कुछ पल में वो दोनों हँसते-हँसते एक-दूसरे के और करीब आ गए। फिर वही कमरा बेड और वह दोनों उन दोनों की सांस एक दूसरे में घुलती हुई महसूस हो रही थी जैसे तड़प रहे थे एक दूसरे से मिलने के लिए तीन हफ्तों की दूरियां....

    वो बालकनी में बैठे, कॉफी और संगीत के बीच बातें करते रहे। aanya ने aarav की शर्ट पहनी हुई थी और उसकी गोदी में बैठी थी

    Anaya बोली,

    > “तुम्हारे जाने के बाद सब कुछ सुना-सुना लगा।”

    “क्यों?”

    “क्योंकि तुम्हारी बातें मेरे कानों में गूँजती रहती थीं।”

    Aarav मुस्कराया —

    > “तो अब से मैं सिर्फ़ तुम्हारे पास रहूँगा, हर आवाज़ की तरह।”

    वो खामोशी में मुस्कराई।

    उसने Aarav के हाथ पर अपनी उंगलियाँ रख दीं — एक सुकून था उस स्पर्श में,

    जैसे कोई कह रहा हो, you’re home now.

    Aarav ने धीरे से कहा,

    > “तुम जानती हो, इस बार मैं सिर्फ़ तुम्हारे पास लौटकर नहीं आया… मैं अपने अंदर भी लौटा हूँ।”

    Anaya ने पूछा,

    > “मतलब?”

    “मतलब अब guilt नहीं है, बस gratitude है। मीरा की याद अब दर्द नहीं, स्ट्रेंथ बन गई है… क्योंकि उसने मुझे तुम्हारे पास लाया।”

    Anaya की आँखें भर आईं।

    उसने कहा,

    > “और मुझे लगता है, अब तुम्हारे अंदर जो खाली जगह थी, वो भर चुकी है।”

    Aarav ने मुस्कराकर कहा,

    > “हाँ, तुम्हारे नाम से।”

    वो दोनों हँस पड़े, और उनके बीच की हवा में कॉफी, बारिश और प्यार की महक तैर गई।

    रात को Aarav ने कहा,

    > “Anaya, एक चीज़ है जो मैं तुम्हें दिखाना चाहता हूँ।”

    वो उसे अपने studio ले गया —

    दीवार पर एक नई फोटो सीरीज़ लगी थी, नाम था —

    “The Return of Light.”

    हर तस्वीर में Anaya थी — कभी हँसती, कभी सोच में, कभी बस खामोश रोशनी में नहाई हुई।

    Anaya ने पलटकर Aarav को देखा —

    > “तुमने… मेरी तस्वीरें कब लीं?”

    “हर बार, जब तुमने मुझे feel कराया कि मैं फिर से ज़िंदा हूँ।”

    Anaya की आँखें भीग गईं।

    > “तुम पागल हो।”

    “प्यार में थोड़ा पागलपन ज़रूरी होता है,” Aarav ने मुस्कराकर कहा।

    उस रात Anaya की बालकनी से समंदर की लहरें साफ़ सुनाई दे रहीं थीं।

    वो Aarav के कंधे पर सिर रखकर बोली,

    > “तुम्हारे लौटने की खुशबू… जैसे किसी नए मौसम की शुरुआत।”

    Aarav ने हल्के से कहा,

    “और इस बार, मैं कहीं नहीं जाऊँगा।”

    दोनों चुप रहे,

    पर उस silence में एक वादा था —

    बिना शब्दों का, बिना शर्तों का, बस सच्चे दिल का।

    मुंबई की सुबह आज कुछ अलग थी।

    Anaya ने खिड़की खोली तो समंदर की हवा में एक अजीब सी बेचैनी थी।

    Aarav usually इस वक़्त तक balcony में होता — हाथ में coffee, आँखों में ideas —

    पर आज वहाँ सन्नाटा था।

    उसने फोन उठाया।

    कोई message नहीं। कोई call नहीं।

    > “Aarav?” उसने धीरे से पुकारा — पर जवाब सिर्फ़ हवा ने दिया।

    थोड़ी देर बाद दरवाज़ा खुला।

    Aarav अंदर आया — थका हुआ, उलझा हुआ, जैसे किसी सोच में डूबा हो।

    Anaya ने पूछा,

    > “सब ठीक है?”

    “हाँ… बस थोड़ा confused हूँ,” उसने मुस्कराने की कोशिश की।

    > “क्या हुआ?”

    Aarav ने गहरी साँस ली।

    > “Anaya, मुझे एक offer आया है — Paris Photography Residency के लिए। तीन महीने का प्रोजेक्ट है… दुनिया भर के top photographers के साथ।”

    Anaya की आँखें चमक उठीं,

    > “That’s amazing! Aarav, ये तुम्हारा dream था!”

    plz follow me.....

  • 7. ख्वाबों का सफर (end )- Chapter 7

    Words: 1126

    Estimated Reading Time: 7 min

    > “हाँ… लेकिन मैं तुमसे दूर कैसे रहूँगा?” उसकी आवाज़ काँप गई। “मैं फिर वही गलती नहीं दोहराना चाहता — किसी को छोड़कर अपने सपने के पीछे भागना…” Anaya कुछ पल चुप रही। फिर बोली, > “Aarav, अगर मैं सच में तुम्हारी ‘home’ हूँ, तो तुम्हें कभी डरना नहीं चाहिए घर छोड़ने से। क्योंकि जो घर सच्चा होता है, वो तुम्हारा इंतज़ार करता है।” Aarav की आँखें भर आईं। > “पर अगर मैं लौटकर आया और तुम नहीं रहीं?” Anaya ने हल्के से मुस्कराकर कहा, > “तो समझ लेना कि मैं वहीं हूँ — तुम्हारी हर तस्वीर की रोशनी में।” शाम को वो दोनों Marine Drive पर बैठे थे। भीड़ थी, लेकिन उनके बीच सन्नाटा। Aarav का हाथ Anaya के हाथ में था — और वो दोनों जानते थे, ये goodbye नहीं, बस एक pause है। Aarav ने कहा, > “मैं रोज़ तुम्हें लिखूँगा।” “और मैं तुम्हारे हर letter का इंतज़ार करूँगी,” Anaya बोली। > “Anaya…” “हाँ?” “तुम मुझसे नाराज़ तो नहीं?” “नहीं Aarav, बस थोड़ा डर है… पर प्यार डर से बड़ा होता है।” वो मुस्कुराई — आँसू के साथ। Aarav ने उसका चेहरा अपने हाथों में लिया, और हल्के से कहा, > “You’re my forever frame.” उसने Anaya की आँखों में देखा — वो नज़र सब कुछ कह गई। फिर वो धीरे से उठा, टैक्सी में बैठा, और Anaya की ओर आखिरी बार मुड़कर देखा। Anaya वहीं खड़ी रही — बारिश फिर शुरू हो गई थी, पर इस बार वो भी नहीं हिली। क्योंकि उसे मालूम था, सच्चा प्यार हमेशा लौटकर आता है। Aarav अब पेरिस में था। रात का शहर वहाँ भी जागता था — रोशनी में डूबा हुआ, सड़कों पर संगीत, हवा में जादू। लेकिन उसके कमरे की खिड़की से जब वो Eiffel Tower की चमक देखता, तो उसे मुंबई की बारिश याद आती… और Anaya की हँसी। पहली रात उसने एक ख़त लिखा। हाथों से, पुराने अंदाज़ में। > "Dear Anaya, यहाँ की हर रोशनी में तुम्हारा चेहरा दिखता है। जब कैमरा उठाता हूँ, तो तुम्हारी आँखों की तरह कोई depth नहीं दिखती। मैंने आज Seine नदी के किनारे एक तस्वीर ली — उसे देखकर लगा, जैसे तुम खिड़की से झाँककर मुझे देख रही हो। तुम्हारे बिना हर तस्वीर अधूरी लगती है। With all my love, Aarav” Anaya ने वो ख़त दो दिन बाद खोला। उसने उसे बार-बार पढ़ा — और फिर मुस्कराते हुए कहा, > “पागल…” पर उस मुस्कान में एक आँसू छिपा था। हर हफ़्ते एक नया ख़त आता — कभी एक फोटो के साथ, कभी बस कुछ शब्दों में भरे जज़्बात। दूसरे ख़त में Aarav ने लिखा — > “Anaya, मैंने आज तुम्हारी याद में एक फोटो सीरीज़ शुरू की है — ‘Letters to Her’. हर तस्वीर में मैं वो एहसास कैद करता हूँ जो मैं तुम्हारे लिए महसूस करता हूँ। ये सिर्फ़ तस्वीरें नहीं हैं, ये हमारे बीच की दूरी का पुल हैं।” Anaya ने वो शब्द अपने दिल में रख लिए। रात को वो बालकनी में बैठकर उसकी तस्वीरें देखती — और हर फ्रेम में उसे Aarav की साँसों की गर्मी महसूस होती। तीसरे ख़त में लिखा था — > “यहाँ की हवा बहुत ठंडी है, पर जब मैं तुम्हारे लिखे आख़िरी message को पढ़ता हूँ, तो दिल में warmth आ जाती है। शायद प्यार यही है — जब कोई दूर रहकर भी तुम्हारे आसपास महसूस हो।” Anaya ने जवाब में लिखा — > “तुम्हारे ख़त अब मेरे दिन की शुरुआत बन गए हैं। जब तुम वापस आओगे, तो शायद मैं तुम्हें पहचान न पाऊँ… क्योंकि अब मैं तुम्हें पहले से ज़्यादा प्यार करने लगी हूँ।” तीन महीने बीत गए। हर हफ़्ते का ख़त एक नया रंग लाता — कभी nostalgia, कभी longing, कभी pure love. उनके शब्दों ने दोनों के बीच एक नया रिश्ता बुन दिया था — जहाँ दूरी थी, लेकिन तन्हाई नहीं। Aarav ने आख़िरी ख़त में लिखा — > “Anaya, यह मेरा आख़िरी पत्र है इस दूरी का। कल की flight से लौट रहा हूँ। तुम्हारे लिए कुछ लेकर आ रहा हूँ — और शायद एक सवाल भी, जो मैंने अब तक नहीं पूछा।” Anaya ने ख़त को सीने से लगाया। दिल की धड़कन तेज़ हो गई — क्या Aarav वो सवाल पूछने वाला था, जिसका जवाब वो पहले से अपने दिल में जानती थी? तीन महीने बाद की सुबह। मुंबई की हवा में वही पुरानी महक थी — समंदर, बारिश, और थोड़ी-सी बेचैनी। Anaya ने अपने बालकनी के पौधों पर पानी डाला, पर मन कहीं और था। हर आवाज़ पर लगता — “शायद Aarav…” घंटी बजी। दिल धड़क उठा। दरवाज़ा खोला — वो सामने था। वही मुस्कान, वही गहराई, वही आँखें — बस अब उनमें एक नया सुकून था। > “Welcome back,” Anaya ने फुसफुसाया। “I missed this voice,” Aarav ने कहा। दोनों कुछ पल बस देखते रहे — बिना शब्दों के, जैसे हर ख़त, हर तस्वीर, हर खामोशी अब एक लम्हे में सिमट आई हो। Aarav ने बैग खोला। अंदर एक छोटी सी डायरी थी — जिस पर लिखा था “Letters to Her – Final Chapter” Anaya ने पूछा, > “ये क्या है?” “मेरी exhibition का आख़िरी हिस्सा। लेकिन असल में… हमारी कहानी का पहला।” उसने धीरे से डायरी खोली। हर पन्ने पर Aarav के फोटो और उसके शब्द थे — हर फ्रेम में वो थी — उसकी मुस्कान, उसकी आँखें, उसकी मौजूदगी। आख़िरी पन्ने पर बस एक लाइन लिखी थी — > “Every picture needs a name. I want you to give mine.” Anaya ने सिर उठाया, कुछ कहने ही वाली थी कि Aarav उसके सामने घुटनों पर बैठ गया। जेब से एक छोटी सी अंगूठी निकाली — सिंपल, सिल्वर, जैसे उसके प्यार की सादगी। > “Anaya…” “Hmm?” “क्या तुम मेरी ज़िंदगी की आख़िरी तस्वीर बनोगी — वो तस्वीर जो कभी धुंधली न पड़े?” Anaya की आँखों में आँसू आ गए, पर होंठों पर मुस्कान थी। > “तुम्हारी हर तस्वीर में मैं थी, Aarav। अब तुम्हारी ज़िंदगी में भी रहना चाहती हूँ।” Aarav ने हल्के से अंगूठी उसके हाथ में पहनाई। कमरे में बारिश की आवाज़ थी, पर उस पल दोनों के कानों में बस एक-दूसरे की साँसें गूँज रही थीं। > “I love you,” Aarav ने कहा। “I know,” Anaya ने मुस्कराते हुए जवाब दिया। कुछ हफ्तों बाद उनकी exhibition हुई — नाम था “Letters to Her.” हर फ्रेम के नीचे लिखा था — > Captured by Aarav. Inspired by Anaya. लोग तस्वीरें देखते रहे, पर असली तस्वीर तो वही दो लोग थे — जो अब एक-दूसरे के बिना अधूरे नहीं थे। रात को terrace पर, शहर की रोशनी के बीच Anaya ने Aarav से पूछा, > “अब क्या करोगे?” “अब? बस तुम्हें कैप्चर करता रहूँगा, हर दिन, हर पल।” “और अगर मैं गुस्सा हो गई तो?” “तो वो भी मेरी favorite picture होगी,” उसने मुस्कराते हुए कहा। दोनों हँस पड़े। और ऊपर आसमान में चाँद ने जैसे उनकी कहानी पर मुहर लगा दी —

    plz follow me....

  • 8. “दिल से इलाज” ( A )- Chapter 8

    Words: 1002

    Estimated Reading Time: 7 min

    मुंबई की सुबह हमेशा थोड़ी शोरगुल भरी होती है — हॉर्न, बारिश की हल्की नमी और भागते लोगों की बेचैनी।

    लेकिन उस सुबह कुछ अलग था।

    सूरज बादलों के पीछे छिपा था, और समुद्र की ओर से आती हवा अस्पताल की सफ़ेद दीवारों को छूती हुई भीतर चली जा रही थी।

    🚪 सिटी हॉस्पिटल, मुंबई — सुबह 8:45

    “मैडम, आपका टोकन नंबर 37 है, आप वेटिंग एरिया में बैठ जाइए,”

    रिसेप्शनिस्ट ने बिना चेहरा उठाए कहा।

    “पर मुझे जल्दी डॉक्टर से मिलना है… पापा की तबियत बहुत ज़्यादा ख़राब है,”

    आवाज़ में घबराहट और हल्की रुलाई थी।

    वो लड़की — आयरा सेन, उम्र लगभग बीस के आस-पास, आँखों में बेचैनी और होंठों पर अधूरी दुआ।

    हाथ में एक पुरानी फाइल थी, और पर्स से झाँकती दवाइयों की पर्चियाँ।

    वो अपने पिता के इलाज के लिए तीन दिन पहले ही कोलकाता से मुंबई आई थी।

    पर आज तक डॉक्टर से सीधा मिलना नहीं हो पाया था।

    वो रिसेप्शन काउंटर से झुककर बोली —

    “मैम, प्लीज़, एक बार डॉक्टर आर्यन मेहरा से मिलवा दीजिए। उन्होंने खुद बोला था कि मैं आज आऊँ।”

    रिसेप्शनिस्ट ने चश्मा ठीक करते हुए कहा,

    “डॉ. आर्यन बहुत बिज़ी हैं, मैडम। वो सिर्फ इमरजेंसी केस देखते हैं। आपका केस रेगुलर चेकअप का है।”

    आयरा ने गहरी साँस ली और बेंच पर जाकर बैठ गई।

    चारों तरफ़ मरीज, रोते बच्चे, सफ़ेद कपड़ों में नर्सें — सब कुछ एक-सा लग रहा था।

    लेकिन उसके अंदर एक डर था — कहीं देर न हो जाए।

    कुछ देर बाद, एक हल्की आवाज़ गूँजी —

    “नेक्स्ट पेशेंट… मिस्टर सेन?”

    आयरा तुरंत उठी।

    “जी! जी, हम हैं…”

    वो फाइल उठाकर अंदर की ओर भागी। दरवाज़े के ऊपर लिखा था –

    🩺 Dr. Aryan Mehra, M.S. (Cardio Surgeon)

    कमरे में घुसते ही उसे हल्की नीली खुशबू और साफ-सुथरा माहौल महसूस हुआ।

    सामने डॉक्टर आर्यन बैठे थे — सफ़ेद कोट, गले में स्टेथोस्कोप, और चेहरे पर एक ऐसी गंभीरता, जैसे दुनिया का हर दर्द उन्होंने देखा हो।

    उनकी आँखें शांत थीं, पर उनमें थकान छिपी थी — जैसे नींद कई रातों से ग़ायब हो।

    वो रिपोर्ट देख रहे थे, और बोले बिना सिर उठाए बोले —

    “पेशेंट कौन है?”

    “मेरे पापा…”

    आवाज़ काँपी।

    “नाम — सुनील सेन।”

    डॉक्टर ने सिर उठाया।

    पहली बार उनकी नज़र आयरा से मिली।

    वो पल एकदम ठहर गया — जैसे किसी ने वक्त पर पॉज़ बटन दबा दिया हो।

    आयरा ने हल्के झटके से खुद को संभाला।

    “बैठिए,” डॉक्टर ने कहा, और रिपोर्ट्स अपने सामने फैलाईं।

    “आपके पिताजी को हार्ट के दो ब्लॉकेज हैं,” उन्होंने ठंडी आवाज़ में कहा, “लेकिन ऑपरेशन अभी नहीं करेंगे। पहले कुछ टेस्ट और करने होंगे।”

    “पर डॉक्टर, वो बहुत दर्द में हैं…”

    “मुझे पता है,” उन्होंने बीच में टोका, “दर्द की दवा दे दी जाएगी। हम जल्दबाज़ी नहीं कर सकते।”

    आयरा को ग़ुस्सा आया।

    “पर आप समझ क्यों नहीं रहे? मेरे पापा तीन रात से सो नहीं पा रहे। क्या हर मरीज को बस फाइल समझते हैं आप?”

    डॉक्टर ने नज़रें उठाईं।

    कमरे में एक पल को सन्नाटा छा गया।

    “मिस सेन,” उन्होंने धीरे पर ठंडे स्वर में कहा,

    “मैं अपने हर मरीज को दिल से देखता हूँ। लेकिन मैं भगवान नहीं हूँ, जो तुरंत ठीक कर दूँ।

    आप अगर चाहें तो किसी दूसरे डॉक्टर को दिखा सकती हैं।”

    ये सुनकर आयरा चुप हो गई।

    उसकी आँखों में आँसू थे, पर उसने उन्हें रोक लिया।

    वो फाइल उठाकर जाने लगी, तभी डॉक्टर बोले —

    “वो दर्द जो आपके चेहरे पर है… वही आपके पापा के दिल में है। अगर आप परेशान होंगी, तो वो और टूटेंगे। पहले खुद को संभालिए, फिर उन्हें।”

    आयरा ने दरवाज़े की तरफ़ देखा, फिर धीमे से बोली —

    “कभी-कभी डॉक्टर साहब, जो खुद टूटा होता है, वही दूसरों को संभालना सिखा देता है।”

    और बाहर चली गई।

    डॉक्टर आर्यन कुछ सेकंड तक फाइल देखता रहा।

    फिर मुस्कुराया — बहुत हल्का, बहुत छोटा-सा।

    “अजीब लड़की है…” उसने खुद से कहा।

    शाम को जब आर्यन घर पहुँचा, तो छोटी-सी आवाज़ आई

    “पापा, आप फिर लेट क्यों आए?”

    वो मुस्कुराया।

    “आर्या, मेरे पास मरीज बहुत थे।”

    छह साल की आर्या, पिंक फ्रॉक में, गोद में टेडी लिए बैठी थी।

    उसने मुंह फुला लिया —

    “हर दिन मरीज, मरीज… मेरे लिए कब टाइम है?”

    आर्यन झुककर बोला,

    “अच्छा, आज टाइम है। बताओ, क्या चाहिए?”

    “आप मम्मा को वापस लाओ…”

    कमरे में सन्नाटा छा गया।

    आर्यन की मुस्कान वहीं थम गई।

    उसने बेटी को गोद में उठाया, उसके माथे पर किस किया।

    “मम्मा हमेशा हमारे साथ हैं, बस हमें दिखती नहीं हैं।”

    “झूठ,” आर्या ने कहा, “अगर होतीं तो मुझे हर रात डर नहीं लगता।”

    आर्यन की आँखें भर आईं, पर उसने कुछ नहीं कहा।

    बस कमरे की लाइट बंद की, और बेटी को अपनी बाँहों में सुला लिया।

    बाहर हल्की बारिश हो रही थी।

    उसके मन में दिन का वही दृश्य घूम रहा था —

    वो लड़की… उसकी आँखें… उसकी बात —

    > “जो खुद टूटा होता है, वही दूसरों को संभालना सिखा देता है।”

    🌧️ अगली सुबह

    अगले दिन जब आर्यन हॉस्पिटल पहुँचा, तो रिसेप्शन पर वही लड़की दिखी — आयरा।

    इस बार उसके चेहरे पर थोड़ी शांति थी, और हाथ में फलों की टोकरी।

    वो मुस्कुराकर बोली —

    “गुड मॉर्निंग, डॉक्टर।

    मुझे लगा शायद आप नाराज़ होंगे, इसलिए मैं माफ़ी माँगने आई हूँ।”

    आर्यन ने चश्मा उतारकर देखा,

    “आपको लगता है मैं इतना फ्री हूँ कि किसी के भी नाराज़ होने का भी टाइम निकाल लूँ?”

    आयरा हँस पड़ी।

    “ओह, तो आप हँस भी लेते हैं?”

    वो मुस्कुराया, बस एक पल को।

    फिर बोला —

    “आपके पापा के टेस्ट आज शाम तक हो जाएंगे। रिपोर्ट्स मैं खुद देख लूँगा।”

    “धन्यवाद, डॉक्टर,” उसने धीरे से कहा,

    “और हाँ, अगर आपको कॉफी पसंद हो, तो मैं आपके लिए ला सकती हूँ।

    कहते हैं, हँसी और कॉफी – दोनों दिल के लिए अच्छी होती हैं।”

    आर्यन ने उसकी ओर देखा —

    कई सालों बाद किसी ने उसके ‘दिल’ की बात की थी।

    वो कुछ कह नहीं पाया, बस सिर झुका लिया।

    plz follow me....
    plz follow me.....

    5 se 10 chapter Mein finish ho jayegi aapko Ek acchi aur Pyari Si romantic Kahani dekhne ko milegi padhte rahiye.....

  • 9. दिल से इलाज (B) - Chapter 9

    Words: 1014

    Estimated Reading Time: 7 min

    हॉस्पिटल की दीवारों पर हल्की धूप झिलमिला रही थी।

    हर तरफ़ एंटीसेप्टिक की खुशबू और मशीनों की बीपिंग आवाज़ — जो किसी को भी याद दिला देती है कि यहाँ हर सेकंड किसी की सांसों का हिसाब लिखा जा रहा है।

    आयरा रिसेप्शन से अपने पिता की रिपोर्ट लेकर कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट की ओर बढ़ रही थी।

    वो डॉक्टर आर्यन के बारे में सोच रही थी —

    “कितने रूखे हैं ये इंसान! पर न जाने क्यों, जब बोलते हैं, तो उनकी आँखों में एक अजीब-सी थकान दिखती है… जैसे खुद किसी दर्द से भाग रहे हों।”

    शाम के करीब पाँच बजे वह फिर से उसी कमरे में पहुँची।

    डॉक्टर आर्यन अपने केबिन में रिपोर्ट्स देख रहे थे।

    दरवाज़े पर खटखटाहट हुई।

    “Come in,” उन्होंने कहा।

    आयरा अंदर आई — हाथ में दो कप कॉफी।

    “डॉक्टर, ये आपके लिए।”

    “मैंने कॉफी ऑर्डर नहीं की,” आर्यन ने बगैर नज़र उठाए कहा।

    “मालूम है,” आयरा बोली, “पर मैं लाई हूँ। क्योंकि कल आप हँसे थे — और किसी डॉक्टर को मुस्कुराने के लिए एक कॉफी तो बनती है।”

    आर्यन ने सिर उठाया, और हल्का सा मुस्कुराया।

    “आप बहुत बात करती हैं।”

    “और आप बहुत कम,” उसने तुरंत जवाब दिया।

    “तो बैलेंस बना रहता है,” वो बोली और कुर्सी पर बैठ गई।

    आर्यन एक पल के लिए उसे देखता रहा।

    वो लड़की अलग थी — न ज़्यादा बनावटी, न डरपोक।

    सीधी, सच्ची, और थोड़ी अजीब-सी।

    “आपके पापा की रिपोर्ट्स बेहतर नहीं हैं,” आर्यन ने कहा, “दो ब्लॉकेज हैं, और हमें एंजियोग्राफी करनी पड़ेगी।”

    आयरा चुप रही।

    “मतलब ऑपरेशन?”

    “अभी नहीं। पहले टेस्ट, फिर डिस्कशन। लेकिन डरिए मत, मैं हूँ।”

    उसके ‘मैं हूँ’ कहने में जो भरोसा था, वो किसी दवा से ज़्यादा असरदार था।

    आयरा के दिल में थोड़ी राहत सी आई।

    वो बोली,

    “आप हमेशा इतने गंभीर रहते हैं?

    कभी हँसना-गाना, मस्ती करना पसंद नहीं?”

    आर्यन ने गहरी साँस ली।

    “कभी करता था… अब वक्त नहीं।”

    “वक्त नहीं या वजह नहीं?”

    उसने सीधे उसकी आँखों में देखा।

    आर्यन चौंका, फिर मुस्कुरा दिया —

    “आपको हर बात जाननी ज़रूरी लगती है?”

    “हाँ, क्योंकि जो डॉक्टर दूसरों का दिल ठीक करता है, उसका दिल टूटा क्यों है — ये जानना दिलचस्प है।”

    दोनों के बीच हल्की हँसी गूँज उठी।

    कमरे का माहौल जो अब तक ठंडा था, थोड़ा गर्म लगने लगा।

    उस शाम आर्यन जल्दी घर लौटा।

    दरवाज़ा खुलते ही छोटी-सी आवाज़ आई —

    “पापा… आज इतनी जल्दी?”

    “हाँ, आज जल्दी छुट्टी मिल गई।”

    “झूठ!”

    छोटी आर्या ने टेबल पर रखी घड़ी की ओर इशारा किया — “ये जल्दी नहीं है, ये तो रात हो रही है।”

    आर्यन हँस पड़ा।

    “अच्छा बाबा, देर नहीं हुई। चलो, बताओ आज स्कूल में क्या हुआ?”

    “कुछ नहीं, सब boring था। बस टीचर ने बोला कि कल पेरेंट्स मीटिंग है। आप आएंगे ना?”

    आर्यन एक पल चुप हो गया।

    उसने बेटी के बालों में हाथ फेरा।

    “हाँ, ज़रूर आऊँगा।”

    आर्या की आँखें चमक उठीं।

    वो दौड़कर उसके गले लग गई —

    “आप सबसे अच्छे पापा हैं।”

    उस रात आर्यन नींद में भी मीरा को देख रहा था।

    वो सफ़ेद साड़ी में मुस्करा रही थी —

    “आर्यन, तुम हँसते क्यों नहीं अब?”

    “क्योंकि तुम नहीं हो…”

    वो सपना टूट गया।

    आर्यन उठ बैठा, माथे पर पसीना था।

    वो बालकनी में गया, हवा तेज़ चल रही थी।

    वो सोचने लगा —

    “क्यों ये लड़की एक हि मुलाक़ात मे मेरे भीतर उतर रही है?

    मैंने तो अपने दिल पर ताला लगाया था…”

    अंदर कमरे में आर्या सो रही थी, उसकी छोटी-सी मुट्ठी में आयरा का दिया पेन पकड़ा था।

    वो मुस्कराया।

    “शायद कोई दवा नहीं, कोई इंसान ही है जो हमें ठीक कर सकता है।”

    अगली सुबह हॉस्पिटल में हल्की हलचल थी।

    आयरा अपने पापा को लेकर वॉर्ड में आई।

    आर्यन rounds पर थे।

    जैसे ही उन्होंने कमरे में प्रवेश किया, आयरा ने कहा —

    “गुड मॉर्निंग, डॉक्टर।”

    “गुड मॉर्निंग, मिस सेन,” उन्होंने जवाब दिया।

    फिर मरीज की रिपोर्ट देखते हुए बोले,

    “हम कल एंजियोग्राफी करेंगे। चिंता मत कीजिए, सब ठीक रहेगा।”

    आयरा ने धीरे से कहा,

    “अगर मैं डर गई तो आप संभाल लेंगे न?”

    आर्यन ने बिना देखे कहा,

    “मैं डॉक्टर हूँ, संभालना मेरा काम है।”

    फिर रुककर उसकी ओर देखा —

    “और शायद अब चाहत भी।”

    आयरा की आँखों में हल्की चमक आई।

    “मतलब?”

    “मतलब… अब मेरे पास एक कॉफी पार्टनर है, तो डर किस बात का।”

    दोनों हल्के से हँस पड़े।

    अगले कुछ दिनों में आयरा रोज़ हॉस्पिटल आती। उसकी मन आर्यन की तरफ खिंचा चला जा रहा था। अट्रैक्शन था प्यार था कि क्या पता नहीं पर उसे डॉक्टर आर्यन पसंद आने लगा था उसके आसपास रहने की इच्छा होती थी तो बस किसी न किसी बहाने से हॉस्पिटल आ जाती थी।

    कभी अपने पिता के लिए, कभी बस “रिपोर्ट लेने” के बहाने।

    और हर बार डॉक्टर आर्यन थोड़ा-थोड़ा खुलता चला जाता।

    कभी वो पूछती —

    “डॉक्टर, आपको म्यूज़िक पसंद है?”

    “पहले था… अब नहीं सुनता।”

    “क्यों?”

    “क्योंकि यादें बजने लगती हैं।”

    कभी वो कहती —

    “आपको डर लगता है?”

    “हाँ, जब कोई करीब आने लगे।”

    “तो फिर मैं दूर रहूँ?”

    “रह भी जाओ तो क्या, दिल तो वहीं घूमता रहेगा जहाँ चैन मिले।”

    ऐसे ही बातों-बातों में दोनों की ज़िंदगी में एक नया अहसास आने लगा था।

    वो अहसास जो अनकहा होता है, पर महसूस बहुत होता है।
    अयारा के मन में हो रहा था उसके दिल को सुकून था बस बहाना था डॉक्टर के आसपास रहने का और डॉक्टर को देखते-देखते उसने भी मन बना लिया था कि उसे डॉक्टर ही बना है आगे जाकर इन मुलाकातों का क्या होता है स्थिति तो पता नहीं पर वह लम्हा लम्हा डॉक्टर के करीब अपने आप को महसूस करने लगी थी उसे पर अपना हर जताने लगी थी उसे खुद नहीं पता था कि वह कब बदलते जा रही है और आर्यन भी उसकी तरफ खिंचाव महसूस कर रहा था वह खुद को रोकने की कोशिश कर रहा था कि यह गलत है वह उसे बहुत छोटी है वह मीरा से प्यार करता है उससे आगे नहीं बढ़ता है उसे खुद को बड़े मुश्किलों से रोक रखा था पता नहीं क्या था उसे लड़की में जो उसकी दिल के अंदर घुसते ही जा रही थी और उसकी रूह को छू रही थी

  • 10. दिल से इलाज (C)- Chapter 10

    Words: 1038

    Estimated Reading Time: 7 min

    अगली सुबह मुंबई की बारिश थम चुकी थी, पर अस्पताल की खिड़कियों से टपकती बूंदें अब भी हवा में ठंडक घोल रही थीं। सिटी हॉस्पिटल का वो कॉरिडोर हमेशा की तरह व्यस्त था — मरीजों की फाइलें, बीप करती मशीनें, और सफेद कोटों में घूमते डॉक्टर। इन्हीं के बीच, एक नयी लड़की का चेहरा बार-बार सबकी निगाहें अपनी ओर खींच रहा था।

    वो थी — आयरा।

    उसके हाथ में स्टील का टिफिन बॉक्स था, बाल हल्के से गीले, और चेहरे पर वही मासूम चमक। वो जल्दी-जल्दी किसी को खोजते हुए दौड़ती हुई रिसेप्शन पर पहुँची।

    “डॉ. आर्यन मेहरा की ओपीडी कहाँ है?” उसने घबराते हुए पूछा।

    रिसेप्शनिस्ट ने बिना ऊपर देखे कहा, “ब्लॉक बी, रूम नंबर 204। लेकिन अब विज़िटिंग टाइम खत्म हो गया है।”

    आयरा ने मुँह बना लिया, “थोड़ा टाइम बढ़ा दो ना दीदी, मेरे पापा का केस वही देख रहे हैं।”

    रिसेप्शनिस्ट ने चश्मा सीधा किया, “मैडम, यह अस्पताल है, पार्क नहीं… टाइम का नियम सबके लिए एक जैसा है।”

    आयरा ने गहरी सांस ली, “ठीक है, पर मैं फिर भी जाऊँगी। अगर डॉक्टर साहब डाँटेंगे, तो मैं बोल दूँगी — पापा का दिल कमजोर है, पर मेरी ज़िद मजबूत।”

    वो मुस्कुराई और बिना किसी की इजाज़त लिए आगे बढ़ गई।

    डॉ. आर्यन उस वक़्त अपने केबिन में बैठे फाइलें देख रहे थे। उनके सामने एक छोटा सा फोटो फ्रेम रखा था — उनकी दिवंगत पत्नी मीरा का। वो फोटो हमेशा टेबल पर रहता था, जैसे हर मरीज से पहले वो उसी से ताक़त लेते हों।

    उसी वक़्त दरवाज़ा बिना दस्तक के खुला।

    “Excuse me! मैं आयरा बोल रही हूँ…”

    आर्यन ने बिना ऊपर देखे कहा, “दरवाज़े पर knock करने की आदत डालिए, मिस आयरा।”

    “ओह, सॉरी डॉक्टर साहब, पर अगर मैं knock करती, तो शायद आप मिलने से मना कर देते।”

    आर्यन ने फाइल नीचे रखी, और पहली बार उसे ध्यान से देखा। वही चेहरे की मासूमियत, पर आँखों में एक अलग चमक।

    “आपके पिताजी का ECG रिपोर्ट देखा है मैंने, पर उन्हें अब स्ट्रेस नहीं लेना चाहिए,” आर्यन ने प्रोफेशनल टोन में कहा।

    “तो आप ही समझाइए ना उनको, वो मेरी बात नहीं सुनते। कहते हैं, डॉक्टर बस दवा देता है, इलाज भगवान करता है।”

    आर्यन मुस्कुराए बिना नहीं रह सके, “तो आप क्या सोचती हैं?”

    “मैं सोचती हूँ कि कुछ डॉक्टर खुद भगवान के दूत होते हैं… बस वो खुद नहीं मानते।”

    आर्यन ने एक पल को रुककर उसकी आँखों में देखा — वहाँ एक अजीब सी सच्चाई थी। फिर उन्होंने चेहरा मोड़ लिया, “ठीक है, उन्हें कल सुबह लाना।”

    आयरा बाहर निकली तो गलियारे में एक नन्ही सी लड़की खड़ी थी, हाथ में गुड़िया लिए। बड़ी-बड़ी आँखें, दो चोटियाँ, और मासूमियत का समंदर।

    “आप डॉक्टर अंकल से मिलने आईं?” उसने पूछा।

    “हाँ, लेकिन तुम कौन?”

    “मैं रिया हूँ… आर्यन डैडी की बेटी।”

    आयरा के कदम ठिठक गए। “ओह… तुम्हारे डैडी?”

    “हाँ, मम्मी स्वर्ग में हैं,” रिया ने सहजता से कहा, जैसे उसे इसकी आदत हो।

    आयरा के गले से शब्द नहीं निकले। छोटी बच्ची का चेहरा एक पल में उसके दिल में उतर गया।

    “और तुम अकेली आई हो?” आयरा ने पूछा।

    रिया ने मुस्कुराते हुए कहा, “नहीं, नर्स दीदी बाहर हैं, पर वो बहुत बोरिंग हैं। आप मुझसे बातें करोगी?”

    आयरा ज़मीन पर झुककर बैठी, “हाँ, लेकिन एक शर्त पर — तुम मुझे अपना दोस्त मानोगी।”

    रिया खिलखिला उठी, “डन डील!”

    उस पल आर्यन का केबिन का दरवाज़ा खुला। उन्होंने बेटी को देखा और थोड़ा चौंक गए, “रिया! तुम फिर यहाँ?”

    रिया बोली, “डैडी, ये मेरी नई दोस्त आयरा दीदी हैं!”

    आर्यन ने गंभीर स्वर में कहा, “रिया, तुम्हें खेलने का टाइम नीचे गार्डन में मिलता है, यहाँ नहीं।”

    रिया का चेहरा उतर गया। आयरा को अच्छा नहीं लगा, पर वो चुप रही।

    आर्यन ने उसकी तरफ देखा, “मिस आयरा, मैं नहीं चाहता कि रिया अजनबियों से बातें करे।”

    “डॉक्टर साहब, कभी-कभी अजनबी भी अपनों से ज़्यादा अपनापन दे जाते हैं,” उसने हल्की मुस्कान के साथ कहा और वहाँ से चली गई।

    आर्यन एक पल के लिए कुछ नहीं बोले।

    कमरे में एक अजीब सी खामोशी छा गई — जैसे किसी ने उनके दिल के पुराने दरवाज़े पर धीरे से दस्तक दी हो।

    रात को जब आर्यन अपने घर पहुँचे, रिया टीवी के सामने अपनी गुड़िया से बातें कर रही थी —

    “डैडी आज फिर नाराज़ थे, पर आयरा दीदी बहुत प्यारी हैं…”

    आर्यन ने सुना, पर कुछ नहीं कहा। उन्होंने मीरा की फोटो उठाई और धीरे से बोला,

    “देखो मीरा… कोई लड़की फिर से हमारी ज़िंदगी में आने की कोशिश कर रही है। पर मैं नहीं चाहता कि रिया को फिर किसी और की आदत लगे… वो फिर अकेली न रह जाए।”

    फोटो के शीशे पर रिया की परछाई उभरी — और आर्यन के दिल में दर्द की एक और लहर उठी।

    अगले दिन अस्पताल में एक हल्की-सी अफरा-तफरी थी। एक बुज़ुर्ग मरीज को अचानक चक्कर आ गए थे। आर्यन तुरंत पहुँचे, और वही समय था जब आयरा भी वहाँ थी।

    “डॉक्टर साहब, इनकी साँस रुक रही है!” उसने घबराते हुए कहा।

    “कृपया पीछे हटिए, मुझे काम करने दीजिए,” आर्यन ने कहा और CPR शुरू किया।

    आयरा पीछे खड़ी काँपती हुई सब देख रही थी। कुछ मिनट बाद जब मरीज की साँसें लौट आईं, तो सबने राहत की सांस ली।

    आयरा की आँखों में आँसू थे।

    आर्यन ने कहा, “देखा, यही डॉक्टर का काम है — मौत से भी उम्मीद खींच लाना।”

    “और यही वजह है कि मैं आपको भगवान का दूत कहती हूँ,” आयरा ने कहा, उसकी आवाज़ काँप रही थी।

    आर्यन पहली बार थोड़ा मुस्कुराए, “आप बहुत बातें करती हैं, मिस आयरा।”

    “हाँ, क्योंकि चुप रहने वाले लोग ही सबसे ज़्यादा दर्द में होते हैं।”

    आर्यन कुछ पल उसे देखते रहे। पहली बार उन्हें लगा, शायद यह लड़की केवल मरीज की बेटी नहीं, किसी पुराने अधूरे रिश्ते की दस्तक भी है।

    ---

    रात को जब वो फिर घर पहुँचे, रिया दरवाज़े पर खड़ी थी,

    “डैडी, आज आयरा दीदी ने मुझे चॉकलेट दी।”

    आर्यन ने पूछा, “कब मिली तुम उससे?”

    “वो पापा के मरीज वाले रूम में थी… उसने बोला, तुम बहुत प्यारी हो।”

    रिया ने मुस्कुरा कर कहा, “क्या वो मम्मी जैसी हैं?”

    आर्यन के पास कोई जवाब नहीं था। उन्होंने बस रिया को गले लगा लिया और मन ही मन सोचा —

    “कहीं ये लड़की… हमारे दिल के बंद कमरे का दरवाज़ा तो नहीं खोल देगी?”

  • 11. दिल से इलाज -(D) Chapter 11

    Words: 1097

    Estimated Reading Time: 7 min

    एक दिन आर्या हॉस्पिटल आई — पापा को सरप्राइज़ देने।

    वो डॉक्टर के केबिन में पहुँची तो आयरा वहाँ बैठी थी।

    “आंटी! आप यहाँ?”

    “हाँ, तुम्हारे पापा को परेशान कर रही हूँ,” आयरा ने मुस्कराकर कहा।

    आर्या बोली,

    “अच्छा! पापा तो बोलते हैं कोई उन्हें परेशान नहीं कर सकता।”

    आर्यन बोला, “क्योंकि मैंने परेशान होने की ट्रेनिंग ले रखी है।”

    तीनों हँस पड़े।

    आयरा ने पूछा,

    “आर्या, तुम्हें पापा के साथ हॉस्पिटल में अच्छा लगता है?”

    “हाँ, लेकिन कभी-कभी वो बहुत सख्त होते हैं। मम्मा कहती थीं कि हँसने से दिल ठीक रहता है।

    पापा हँसते ही नहीं।”

    कमरे में हल्की चुप्पी छा गई।

    आर्यन ने बेटी की ओर देखा, फिर आयरा की ओर —

    वो समझ गया कि अब कुछ चीज़ें सिर्फ सर्जरी से नहीं, प्यार से ठीक होंगी।

    रात को जब आर्यन ने बेटी को सुलाया, तो उसने पूछा,

    “पापा, वो आंटी अच्छी हैं ना?”

    “हाँ, बहुत अच्छी।”

    “तो आप उन्हें हमारी मम्मा बना लो ना…”

    आर्यन ठिठक गया।

    बेटी ने मासूमियत से कहा,

    “मम्मा तो आसमान में हैं, पर अगर नीचे भी एक मम्मा आ जाए तो क्या बुरा है?”

    आर्यन की आँखें भर आईं।

    वो बस बोला — “सो जाओ, बेटा।”

    पर दिल में कहीं कुछ बदल रहा था — जैसे कोई बंद दरवाज़ा धीरे-धीरे खुल रहा हो।

    मुंबई की वो रात बाकी रातों से अलग थी। आसमान में बादल नहीं थे, पर हवा में कुछ अधूरा-सा अहसास था।

    आर्यन अपने घर की बालकनी में बैठे थे, मीरा की फोटो सामने रखी थी।

    उन्होंने धीरे से कहा, “मीरा, तुम्हारे जाने के बाद ज़िंदगी रुक सी गई थी... पर अब नहीं जानता, ये जो लड़की आयी है, वो क्यों मुझे तुम्हारी यादों में हिलोरें दे जाती है। मैं उसे दूर रखना चाहता हूँ, पर शायद दिल अब थक गया है अकेले रहने से।”

    अंदर से रिया की आवाज़ आई —

    “डैडी, कहानी सुनाओ ना।”

    आर्यन ने फोटो टेबल पर रखी, और बेटी के कमरे में गए।

    रिया ने तकिये को गले लगाया हुआ था, “आज वाली कहानी आयरा दीदी वाली सुनाओ।”

    आर्यन ने हैरानी से पूछा, “कौन-सी?”

    रिया बोली, “वो जिसमें दीदी डॉक्टर अंकल से नहीं डरती और उनसे झगड़ती है।”

    आर्यन मुस्कुराए, “रिया, वो कहानी नहीं हक़ीक़त है।”

    रिया ने भोलेपन से पूछा, “तो क्या वो आपकी फ्रेंड हैं?”

    आर्यन कुछ पल चुप रहे, फिर बोले, “नहीं, बस एक मरीज की बेटी हैं।”

    रिया हँस दी, “झूठ! अगर बस मरीज की बेटी होती, तो आपकी आँखें चमकती नहीं जब आप उनका नाम लेते।”

    आर्यन एक पल को रिया को देखने लगे —

    कभी-कभी बच्चे वो सच बोल देते हैं, जो बड़े लोग छिपा नहीं पाते।

    अगले दिन सुबह अस्पताल के गलियारे में कुछ अलग माहौल था।

    आयरा आज थोड़ी घबराई हुई थी — क्योंकि आज उसके पिता का बड़ा टेस्ट था, और रिपोर्ट्स तय करेंगी कि उनका ऑपरेशन कब होगा।

    वो डॉक्टर आर्यन के केबिन के बाहर बैठी थी, टिफिन उसके पास रखा था।

    “डॉक्टर साहब को तो कुछ मीठा पसंद नहीं, लेकिन ये खीर मम्मी के हाथों की रेसिपी है… शायद अच्छा लगे,” वो खुद से बुदबुदा रही थी।

    थोड़ी देर बाद अंदर से आवाज़ आयी, “मिस आयरा, अंदर आइए।”

    वो जल्दी से उठी और अंदर चली गई।

    आर्यन ने फाइल देखते हुए कहा, “रिपोर्ट्स ठीक हैं। ऑपरेशन दो दिन बाद रखेंगे।”

    “धन्यवाद, डॉक्टर साहब,” उसने कहा।

    फिर झिझकते हुए बोली, “मैंने आपके लिए कुछ लाया है… खीर।”

    आर्यन ने भौंहें चढ़ाईं, “मुझे मीठा पसंद नहीं।”

    “हाँ, पर शायद मीरा जी को पसंद था…”

    आर्यन का चेहरा सख्त हो गया। “आपको मेरी पत्नी के बारे में बात करने का कोई हक़ नहीं, मिस आयरा।”

    कमरे में खामोशी छा गई।

    आयरा ने धीरे से टिफिन वापस उठाया, उसकी आँखें भर आईं।

    “माफ़ कीजिए… मेरा मतलब आपको दुख पहुँचाना नहीं था,” वो बुदबुदाई और बाहर निकल गई।

    आर्यन कुछ पल चुप बैठे रहे। उनके मन में अपराधबोध था।

    “मीरा, मैंने फिर किसी को रुला दिया… शायद अब भी तुम्हारे जाने का ग़ुस्सा दुनिया से निकाल रहा हूँ,” उन्होंने बुदबुदाया।

    वो बाहर निकले, और देखा — आयरा अस्पताल के गार्डन में एक बेंच पर बैठी थी, टिफिन अब भी हाथ में था।

    वो उसके पास पहुँचे,

    “मिस आयरा…”

    वो चौंकी, आँसू पोंछे और कहा, “जी डॉक्टर साहब, अब मैं चली जाती हूँ।”

    आर्यन बोले, “रुकिए… वो खीर… क्या अब भी ठंडी नहीं हुई?”

    आयरा ने मुस्कराकर कहा, “शायद नहीं।”

    दोनों वहीं बेंच पर बैठे — पहली बार बिना सफेद कोट और औपचारिकता के।

    “आप मीरा जी से बहुत प्यार करते थे?” उसने हिचकते हुए पूछा।

    आर्यन ने गहरी सांस ली, “वो मेरी पहली और आख़िरी मोहब्बत थीं… या कम से कम मैं यही सोचता था।”

    “और अब?”

    “अब बस रिया है… बाकी सब डर है। किसी को फिर दिल में आने देने का डर।”

    आयरा ने बहुत धीरे से कहा, “डर प्यार का दुश्मन नहीं होता, डॉक्टर साहब… कभी-कभी वही तो हमें सिखाता है कि प्यार कितना ज़रूरी है।”

    आर्यन ने उसकी तरफ देखा — उसकी आँखों में कोई दया नहीं, बस समझ थी।

    और यही उन्हें सबसे ज़्यादा अच्छा लगा।

    शाम को जब आयरा अपने पिता को देखने वार्ड में पहुँची, रिया वहाँ खड़ी थी।

    “दीदी! आज फिर आ गए?”

    “हाँ, पापा की हालत देखने।”

    रिया ने मुस्कुराते हुए कहा, “डैडी बोले थे कि आप गुस्सा हो गई थीं, इसलिए मैंने सोचा चॉकलेट दे दूँ।”

    उसने पॉकेट से छोटी सी Dairy Milk निकाली।

    आयरा हँसी, “इतनी प्यारी बच्ची का तो कोई गुस्सा रह ही नहीं सकता।”

    वो झुककर बोली, “रिया, अगर मैं तुम्हें गले लगाऊँ, तो डैडी नाराज़ तो नहीं होंगे?”

    रिया खिलखिलाई, “अगर वो नाराज़ होंगे तो मैं भी बोलूँगी — डैडी को hug चाहिए।”

    दोनों हँस पड़ीं।

    दूर से आर्यन ये सब देख रहे थे। उनके चेहरे पर एक ऐसी मुस्कान थी जो बहुत दिनों बाद लौटी थी।

    उन्होंने मीरा की यादों से भरा दिल थामते हुए सोचा —

    “क्या यही वो पल है जहाँ ज़िंदगी फिर से शुरू होती है?”

    रात को घर लौटते वक्त आर्यन ने गाड़ी धीमी की। सामने से आयरा पैदल जा रही थी, बारिश की हल्की बूँदें गिर रही थीं।

    वो गाड़ी रोककर बोले, “बैठ जाइए, बारिश तेज़ हो जाएगी।”

    “नहीं, मैं ठीक हूँ,” उसने मुस्कुराकर कहा।

    “ज़िद मत कीजिए, आपको सर्दी लग जाएगी।”

    “आप तो खुद कहते हैं, हर इंसान को अपनी सेहत की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए,” उसने छेड़ा।

    आर्यन हँस पड़े — बहुत दिनों बाद खुलकर।

    “आप तो मरीज से ज़्यादा शरारती हैं।”

    “और आप डॉक्टर से ज़्यादा अकड़ू,” उसने हँसते हुए जवाब दिया।

    गाड़ी में कुछ देर खामोशी रही। सिर्फ बारिश की बूँदें और हवा की आवाज़।

    आयरा ने खिड़की से बाहर देखते हुए कहा,

    “डॉक्टर साहब, कभी-कभी लगता है ना… कुछ लोग ज़िंदगी में अचानक आते हैं, पर जैसे हमेशा से वहीं थे।”

  • 12. दिल से इलाज - (E) Chapter 12

    Words: 1013

    Estimated Reading Time: 7 min

    आर्यन ने हल्की मुस्कान दी, “हाँ… और डर ये होता है कि कहीं वो फिर चले न जाएँ।”

    दोनों के बीच कुछ अनकहे शब्द तैर रहे थे —

    ना कोई वादा, ना कोई इकरार, बस एक एहसास कि शायद दिल फिर से धड़कने की वजह ढूँढ रहा है।

    उस रात जब आर्यन सोने गए, रिया ने पूछा —

    “डैडी, अगर मम्मी स्वर्ग में हैं तो क्या वहाँ भी अस्पताल होता होगा?”

    आर्यन ने आँखें बंद कीं, “शायद नहीं बेटा, वहाँ सब ठीक होते होंगे।”

    रिया ने कहा, “तो जब सब ठीक हो जाते हैं, तो क्या मीरा मम्मी भी मुस्कुराती होंगी?”

    आर्यन ने कहा, “हाँ, शायद वो आज मुस्कुरा रही हैं… कहीं ऊपर से।”

    रिया ने पूछा, “क्यों?”

    आर्यन ने धीमे से कहा, “क्योंकि नीचे किसी ने हमें फिर से जीना सिखाना शुरू कर दिया है।”

    खिड़की से आती चाँदनी उस रात कमरे में उतर आई —

    और आर्यन के दिल में पहली बार, एक उम्मीद की रोशनी जल उठी।

    मुंबई की सुबह हमेशा तेज़ होती है — हॉर्न की आवाज़ें, भागते लोग, और कॉफ़ी की खुशबू।

    पर सिटी हॉस्पिटल के अंदर हर सुबह एक जैसी थी —

    सफेद दीवारें, बीप करती मशीनें, और आर्यन की वही गंभीर चाल।

    डॉक्टर आर्यन मेहरा — जिन्हें सब “स्टोन डॉक्टर” कहते थे, क्योंकि उनके चेहरे पर कभी कोई भाव नहीं आता था।

    लेकिन आज कुछ बदला था।

    वो ऑपरेशन थिएटर की तरफ जा रहे थे, तभी गलियारे में किसी की आवाज़ आई —

    “डॉक्टर साहब, ज़रा रुकेगा!”

    वो पलटकर देखे —

    वही, आयरा।

    हाथ में कागज़ों की फाइल, और चेहरे पर वही बेबाक मुस्कान।

    “फिर आप? अब क्या हुआ?”

    “कुछ नहीं हुआ, बस ये पूछना था कि पापा के ऑपरेशन से पहले आप थोड़ा कम डरावना चेहरा रख सकते हैं?”

    आर्यन ने गहरी सांस ली, “मिस आयरा, मैं डरावना नहीं, बस सख्त हूँ।”

    “सख्त और अकड़ू में फर्क होता है, डॉक्टर साहब,” उसने हँसते हुए कहा।

    आर्यन ने हल्का सिर झटका, “आपको हर वक़्त मज़ाक सूझता रहता है?”

    “जी हाँ, क्योंकि ज़िंदगी बहुत छोटी है, मुस्कुराने के लिए किसी की इजाज़त नहीं चाहिए।”

    उसकी बात में कुछ ऐसा था, जो आर्यन को चुप करा गया।

    वो बिना कुछ कहे अंदर चले गए, पर उनके चेहरे पर एक मुस्कान रह गई —

    जिसे उन्होंने खुद भी महसूस नहीं किया।

    ऑपरेशन थिएटर के बाहर सब तैयार था।

    आयरा के पिता स्ट्रेचर पर लेटे थे, उनके चेहरे पर हल्की चिंता थी।

    “पापा, डरिए मत, सब ठीक होगा,” आयरा ने कहा।

    वो मुस्कुराए, “बेटा, डॉक्टर बहुत सख्त है, पर उसकी आँखों में सच्चाई है।”

    “वो सख्त नहीं, थोड़ा… खड़ूस हैं,” आयरा ने धीरे से कहा।

    आर्यन पीछे से बोले, “अगर आपकी बेटी ने मेरी तारीफ़ पूरी कर ली हो, तो हम ऑपरेशन शुरू कर सकते हैं।”

    दोनों चौंक गए।

    आयरा ने झेंपते हुए कहा, “सॉरी डॉक्टर साहब, मैंने बस…”

    आर्यन ने बिना देखे कहा, “बस ज़ुबान थोड़ी तेज़ है आपकी।”

    ऑपरेशन शुरू हुआ।

    घंटों की मेहनत के बाद, जब आर्यन बाहर निकले, उनके माथे पर पसीना था, पर चेहरा संतुलित।

    “ऑपरेशन सफल रहा,” उन्होंने कहा।

    आयरा की आँखों में आँसू आ गए, “थैंक यू, डॉक्टर साहब… आपने सच में चमत्कार कर दिया।”

    “मैं चमत्कार नहीं करता, मिस आयरा, बस काम करता हूँ,” उन्होंने कहा और आगे बढ़ गए।

    पर भीतर ही भीतर, उन्हें पता था — आज पहली बार किसी की आँखों में उन्होंने सिर्फ धन्यवाद नहीं, भरोसा देखा था।

    अगले दिन, जब सब सामान्य हुआ, तो हॉस्पिटल की कैंटीन में आर्यन अकेले बैठे थे।

    वो बहुत कम बोलते थे, और शायद ही कभी किसी के साथ कॉफी पीते।

    तभी किसी ने आवाज़ दी —

    “डॉक्टर साहब, आज अकेले-अकेले कॉफी?”

    वो बिना ऊपर देखे बोले, “हाँ, कभी-कभी सुकून चाहिए होता है।”

    “तो फिर थोड़ा हँस भी लीजिए, सुकून बढ़ जाएगा।”

    वो ऊपर देखे — आयरा, कॉफी कप लिए उनके सामने बैठ चुकी थी।

    “आपको किसने बुलाया यहाँ?”

    “किसी ने नहीं, पर दिल ने कहा, ‘कॉफी पीते हैं, डॉक्टर का मूड शायद सुधर जाए।’”

    आर्यन ने अनमने ढंग से पूछा, “आप हमेशा इतनी ज़िद्दी रहती हैं?”

    “जी नहीं, सिर्फ अच्छे लोगों के लिए,” उसने तुरंत कहा।

    आर्यन ने पहली बार हल्का मुस्कुराते हुए कहा, “और अगर मैं अच्छा नहीं निकला तो?”

    “तो फिर मैं कोशिश करूँगी कि आप अच्छे बन जाएँ।”

    दोनों हँस दिए।

    कैंटीन की खिड़की से आती हल्की धूप, और उनके बीच बनती एक अजीब-सी आरामदायक खामोशी।

    बिना कुछ कहे, दोनों के दिल थोड़ा और पास आ गए।

    शाम को आर्यन घर पहुँचे तो रिया ने दौड़ते हुए गले लगाया,

    “डैडी! आज मैं स्कूल में ‘माँ’ पर कविता सुनाई!”

    “अच्छा? क्या बोलीं?”

    रिया ने मासूमियत से कहा,

    “माँ चली गईं, पर उनकी खुशबू रहती है… हर सुबह डैडी की आँखों में।”

    आर्यन की आँखें भर आईं।

    “बहुत सुंदर कहा बेटा,” उन्होंने कहा और उसे कसकर गले लगाया।

    तभी बेल बजी।

    दरवाज़े पर — आयरा थी।

    “आप यहाँ?”

    “रिया ने बुलाया था,” उसने कहा।

    रिया पीछे से बोली, “हाँ डैडी! मैंने आयरा दीदी को प्रॉमिस किया था कि मैं उन्हें अपनी ड्रॉइंग दिखाऊँगी।”

    आर्यन कुछ नहीं बोले।

    रिया आयरा का हाथ पकड़कर अंदर ले गई,

    “दीदी, ये देखो — ये मैं हूँ, ये डैडी, और ये मम्मी…”

    आयरा ने प्यार से पूछा, “और ये जो बादल में दिल बना है?”

    रिया बोली, “वो मम्मी का है, वो ऊपर से हम पर प्यार बरसाती हैं।”

    आयरा ने हल्के से मुस्कुरा कर कहा, “बहुत प्यारी ड्रॉइंग है।”

    आर्यन पीछे खड़े थे, उनके चेहरे पर मिली-जुली भावनाएँ थीं —

    खुशी भी, डर भी, और कुछ ऐसा जो वो खुद समझ नहीं पा रहे थे।

    रात को जब आयरा जाने लगी, रिया ने कहा, “दीदी, कल फिर आओ ना!”

    “अगर डैडी ने अनुमति दी तो,” उसने मुस्कुरा कर कहा।

    आर्यन बोले, “रिया, अब बहुत देर हो गई है, शुभ रात्रि बोलो।”

    रिया मुँह फुलाकर बोली, “डैडी आपको पसंद नहीं करतीं दीदी?”

    आयरा झेंप गई।

    आर्यन ने गहरी सांस ली, “रिया, ऐसा नहीं है।”

    “तो फिर उन्हें मुस्कुराते क्यों नहीं?”

    आर्यन कुछ पल चुप रहे, फिर कहा, “कभी-कभी लोग हँसना भूल जाते हैं, बेटा।”

    रिया बोली, “तो फिर आयरा दीदी सिखा देंगी ना!”

    आयरा की आँखों में नमी थी।

    वो बोली, “अगर आपकी इजाज़त हो तो, मैं रिया को कभी-कभी कहानी सुनाने आ सकती हूँ।”

  • 13. दिल से इलाज (F)- Chapter 13

    Words: 1000

    Estimated Reading Time: 6 min

    आर्यन ने धीमे स्वर में कहा, “जैसा आप चाहें…”

    पहली बार उनके शब्दों में ना नहीं था।

    अगले कुछ दिनों में रिया और आयरा की दोस्ती गहरी हो गई।

    वो रोज़ शाम को आती, कहानियाँ सुनाती, और रिया को हँसाती।

    आर्यन उन्हें दूर से देखते, कभी कुछ कहते नहीं, पर अंदर कुछ बदल रहा था।

    एक शाम, जब रिया सो गई थी, आयरा जाने लगी।

    आर्यन ने धीरे से कहा,

    “मिस आयरा…”

    वो रुकी, “जी?”

    “रिया को आपकी आदत पड़ रही है… और मुझे डर है कि अगर आप चली गईं तो वो टूट जाएगी।”

    आयरा ने शांत स्वर में कहा,

    “डॉक्टर साहब, कभी-कभी किसी को आदत नहीं, अपनापन मिलता है… और अपनापन कभी तोड़ता नहीं।”

    आर्यन ने उसकी ओर देखा —

    वो पल ऐसा था जैसे किसी बंद कमरे की खिड़की खुल गई हो।

    उस रात आर्यन ने पहली बार मीरा की फोटो से कहा,

    “मीरा, अगर तुम होतीं तो शायद कहतीं — ज़िंदगी वहीं नहीं रुकती जहाँ हम रुक जाएँ।”

    उन्होंने फोटो फ्रेम नीचे रखा, और आँखें बंद कर लीं।

    कहीं उनके भीतर एक नई धड़कन जाग रही थी।

    शायद ये नफ़रत नहीं, एक नया एहसास था।

    सुबह के सात बजे का वक्त था।

    मुंबई की सड़कों पर हल्की बारिश की बूंदें गिर रही थीं।

    हवा में ठंडक थी, और हॉस्पिटल के गेट पर भीगा हुआ नीला बोर्ड चमक रहा था —

    “City Care Hospital”

    डॉक्टर आर्यन अपनी कार से उतरे, सिर पर हल्की टोपी, हाथ में कॉफी मग।

    पर उनकी कॉफी ठंडी हो चुकी थी — जैसे उनका मूड।

    “डॉक्टर साहब, आज फिर बारिश में अकेले?”

    वो पलटे, और सामने —

    आयरा, हाथ में छतरी, चेहरे पर वही शरारती मुस्कान।

    “आप हर वक्त टपक पड़ती हैं,” आर्यन ने कहा।

    “जी नहीं, मैं बस सही वक्त पर आती हूँ,” आयरा ने छेड़ते हुए कहा।

    आर्यन ने भौंह उठाई, “सही वक्त मतलब?”

    “मतलब, जब आपको किसी की ज़रूरत होती है — चाहे आप मानें या ना मानें।”

    आर्यन ने हल्के से मुस्कुराया, “मुझे किसी की ज़रूरत नहीं।”

    “अरे वाह, इतना घमंड?”

    “नहीं, बस सच।”

    “सच ये है कि आप अपने चारों ओर दीवारें बनाकर रखते हैं, ताकि कोई अंदर न झाँक सके।”

    आर्यन कुछ पल चुप रहे।

    फिर बस बोले — “और आप बहुत ज़्यादा बोलती हैं।”

    “क्योंकि कोई तो है जो आपको सुनने पर मजबूर करता है,”

    आयरा ने कहा और छतरी उन्हें थमा दी।

    “अब इसे पकड़िए, वरना डॉक्टर साहब बीमार पड़ जाएँगे।”

    आर्यन ने मन ही मन मुस्कुराते हुए कहा,

    “आपको मेरी चिंता कब से होने लगी?”

    “उस दिन से, जब आपकी आँखों में दर्द देखा था,” उसने धीमे स्वर में कहा।

    उस दिन हॉस्पिटल में केस कम थे।

    आर्यन अपने ऑफिस में बैठे फाइलें देख रहे थे कि दरवाज़ा खुला।

    “Knock करना भूल गईं क्या?” उन्होंने कहा।

    “Knock किया था, पर आपने सुना नहीं,” आयरा बोली।

    “आपको कुछ काम था?”

    “हाँ, एक कॉफी डेट पर चलना है।”

    आर्यन हँस दिए — शायद महीनों बाद किसी ने उनके चेहरे पर वो मुस्कान देखी थी।

    “मुझे काम है।”

    “काम तो रोज़ रहेगा, पर मौका नहीं।”

    “मौका?”

    “आपको मुस्कुराते देखने का।”

    आर्यन ने फाइल बंद की, कुर्सी से उठे, और बोले —

    “चलिए, सिर्फ दस मिनट।”

    “देखा, कहा था ना — दिल के दरवाज़े खुल रहे हैं,” आयरा बोली।

    कॉफी कैफ़े में हल्का म्यूज़िक चल रहा था।

    आर्यन थोड़े नर्वस थे — शायद इतने सालों में पहली बार वो किसी महिला के साथ कॉफी पर बैठे थे, जो उनकी मरीज़ की बेटी नहीं थी, बल्कि कोई और मायने रखती थी।

    “आप हमेशा इतने सीरियस रहते हैं?” आयरा ने पूछा।

    “मेरे पेशे में मुस्कुराने की बहुत जगह नहीं।”

    “पर दिल में तो है ना?”

    आर्यन ने उसकी आँखों में देखा —

    “कभी था।”

    “अब?”

    “अब… शायद फिर से कोशिश कर रहा हूँ।”

    “कभी कोशिश नहीं करनी पड़ती डॉक्टर साहब, प्यार तो अपने आप हो जाता है,” उसने हँसते हुए कहा।

    “आपको बहुत तजुर्बा है क्या?”

    “नहीं, पर फिल्में बहुत देखती हूँ,” उसने हँसकर जवाब दिया।

    दोनों हँस पड़े।

    आस-पास के लोग देख रहे थे — वो सख्त डॉक्टर आर्यन, जो कभी किसी से बात नहीं करते थे, आज हँस रहे थे, और किसी को देखकर मुस्कुरा रहे थे।

    कॉफी की ख़ुशबू, हल्की बारिश की बूँदें, और दोनों के बीच अजीब-सा सुकून।

    कॉफी खत्म हुई, पर बातचीत नहीं।

    आयरा ने पूछा, “आपकी वाइफ़ कैसी थीं?”

    आर्यन कुछ देर चुप रहे।

    “मीरा… बहुत सीधी थीं, बहुत सच्ची। वो हर सुबह मुझसे कहती थीं — ‘ज़िंदगी में किसी के लिए रुकना नहीं, आर्यन, चलना सीखो।’

    और फिर… वो चली गईं।”

    “कैंसर?”

    “हाँ, तीन साल पहले। मैं डॉक्टर था, पर कुछ नहीं कर सका।”

    आयरा ने चुपचाप उनका हाथ पकड़ लिया।

    आर्यन ने देखा — उनकी आँखों में कोई दया नहीं थी, सिर्फ समझ।

    शायद पहली बार किसी ने उनकी खामोशी को पढ़ा था।

    “आपकी बेटी बहुत प्यारी है,” आयरा ने कहा।

    “रिया मेरी जान है। पर वो… अब भी अपनी माँ को ढूँढती है।”

    “और शायद आपको भी।”

    आर्यन ने हैरानी से उसकी तरफ देखा।

    “मतलब?”

    “मतलब ये कि रिया को ममता चाहिए, और आपको किसी का साथ। दोनों की दवा एक ही है — प्यार।”

    अगले दिन रिया ने आयरा को बुलाया।

    “दीदी, कल डैडी का बर्थडे है!”

    “सच?”

    “हाँ, पर डैडी को सरप्राइज़ पसंद नहीं, इसलिए हम देंगे!”

    रिया की मासूम योजना थी —

    “आप केक बनाएँ, मैं कार्ड बनाऊँगी!”

    शाम को जब आर्यन घर आए, तो लाइट बंद थी।

    जैसे ही उन्होंने दरवाज़ा खोला —

    “सप्राइज़ डैडी!”

    रिया और आयरा दोनों सामने खड़ी थीं, गुब्बारे और केक के साथ।

    आर्यन मुस्कुरा दिए — शायद कई सालों बाद उन्होंने “जन्मदिन मुबारक” सुना था।

    “आपको याद था?” उन्होंने आयरा से पूछा।

    “रिया ने बताया, पर मैंने सोचा, आज आपको बस खुश रहना चाहिए।”

    आर्यन ने धीरे से कहा,

    “मुझे समझ नहीं आता… आप ऐसा क्यों करती हैं?”

    “क्योंकि कभी-कभी किसी को मुस्कुराने का मौका देना सबसे बड़ा तोहफ़ा होता है।”

    रिया ने कहा, “डैडी, अब केक काटिए ना!”

    आर्यन ने केक काटा, और रिया ने कहा, “दीदी, आप भी खिलाइए!”

    आयरा झिझकी, पर रिया ने उनका हाथ पकड़कर केक आर्यन के मुँह तक पहुँचा दिया।

    plz follow me.....

    plz follow me.....

  • 14. दिल से इलाज (G) - Chapter 14

    Words: 1043

    Estimated Reading Time: 7 min

    वो पल कुछ सेकंड का था, पर दोनों के दिलों में कुछ गहराई तक उतर गया।

    रात को जब सब सो गए, आयरा जाने लगी।

    आर्यन ने कहा,

    “रुकिए…”

    वो रुकी।

    “धन्यवाद… आज बहुत दिन बाद अच्छा लगा।”

    “कभी-कभी ‘धन्यवाद’ काफी नहीं होता,” आयरा बोली।

    “तो क्या चाहिए होता है?”

    “थोड़ी सी हिम्मत… किसी को ‘पसंद करता हूँ’ कहने की।”

    आर्यन चुप रहे।

    कुछ पलों तक सिर्फ बारिश की आवाज़ गूंजती रही।

    फिर उन्होंने धीरे से कहा,

    “अगर मैं कहूँ कि मुझे डर लगता है?”

    “किस बात का?”

    “कि अगर मैंने किसी को फिर से चाहा… तो खो दूँगा।”

    आयरा ने आगे बढ़कर कहा,

    “हर खोया हुआ रिश्ता सज़ा नहीं होता, आर्यन। कभी-कभी वो सिखाता है कि प्यार दोबारा भी हो सकता है।”

    उनकी आँखें मिलीं।

    समय जैसे थम गया।

    कोई शब्द नहीं, सिर्फ धड़कनों की गूंज।

    आयरा ने धीरे से कहा,

    “शुभ रात्रि, डॉक्टर साहब… और हाँ, डर मतिए। ज़िंदगी आपके दरवाज़े पर फिर से दस्तक दे रही है।”

    वो चली गई —

    पर पीछे छोड़ गई एक अनकही मोहब्बत।

    उस रात आर्यन देर तक जागते रहे।

    मीरा की तस्वीर के सामने खड़े होकर बोले,

    “मीरा, मैंने आज पहली बार किसी को देखा… और तुम्हारी तरह शांति महसूस की।”

    फ्रेम में मुस्कुराती तस्वीर जैसे जवाब दे रही थी —

    “प्यार को मत रोको, आर्यन… रिया को एक माँ चाहिए, और तुम्हें एक ज़िंदगी।”

    वो मुस्कुराए।

    खिड़की के बाहर बारिश थम चुकी थी, पर उनके दिल में नई शुरुआत की बूंदें गिर रही थीं।

    सुबह का तनाव

    मुंबई की सुबह धुंधली थी।

    सिटी हॉस्पिटल के गलियारे में लोग जल्दी-जल्दी अपने काम में व्यस्त थे।

    पर आज आर्यन का मूड कुछ अलग था।

    कुछ फ़ाइलों में गलती हुई थी, कुछ ऑपरेशन डिले हो गए थे, और ऊपर से आयरा की मुस्कान आज उन्हें परेशान कर रही थी।

    “डॉक्टर साहब, आप फिर अकेले बैठे हैं?”

    आयरा का आवाज़ गलियारे में गूँज रही थी।

    आर्यन ने फाइलों पर ध्यान देते हुए कहा,

    “मुझे किसी की जरूरत नहीं, मिस आयरा।”

    “अरे वाह, अब आपको खुद से ही प्यार हो गया है क्या?”

    आर्यन ने भौंहें चढ़ाईं,

    “आप बस बातें करना बंद कीजिए।”

    “बोलती क्यों नहीं? जब तक बोलती रहूँगी, तब तक आपकी ज़िंदगी में रंग आएगा।”

    आर्यन ने मुँह सिकोड़ा।

    “आपको कभी लगता है कि मैं भी अपनी सीमाएँ रखता हूँ?”

    “सीमाएँ? डॉक्टर साहब, आपने तो अपनी दहलीज़ तक बनाई हुई है।”

    आज रिया की दादी (आयरा की माँ) ने अचानक अस्पताल आने का फैसला किया।

    रिया खुश थी, पर आर्यन घबरा गए।

    “डैडी, दीदी की माँ आ रही हैं!” रिया चिल्लाई।

    आर्यन की नीली आँखें कड़क उठीं।

    “मैंने कहा था, पर्सनल लाइफ में किसी को नहीं घुसने दूँगा।”

    “लेकिन रिया कह रही थी कि मैं आऊँ!” आयरा ने कहा।

    “तो आप उसे झूठ क्यों बोल रही थीं कि मैं नाराज़ हूँ?” आर्यन ने चुप्पी तोड़ी।

    आयरा का चेहरा फीका पड़ गया।

    “डॉक्टर साहब, मैंने सच कहा। आप हमेशा कहते हैं कि किसी पर भरोसा नहीं करना चाहिए। मैं भरोसा करती हूँ, इसलिए आई।”

    दोनों के बीच खामोशी छा गई।

    रिया चुपचाप खड़ी थी, आँखों में सवाल।

    आर्यन ने गहरी सांस ली।

    “मिस आयरा, कभी-कभी लोग भरोसा नहीं करते, क्योंकि डर होता है कि कोई उनकी ज़िंदगी में आएगा और सब कुछ बदल देगा।”

    आयरा ने धीरे कहा,

    “डॉक्टर साहब, कभी-कभी डर ही प्यार का हिस्सा होता है। डर है, पर महसूस करना भी ज़रूरी है।”

    आर्यन ने पलकों को बंद किया।

    “मुझे लगता है कि मैं नहीं चाहता कि कोई मेरी जटिल ज़िंदगी में आए।”

    आयरा ने हौले से कहा,

    “पर रिया को तो आपसे प्यार है… और आप भी जानते हैं कि आप उसके लिए क्या हैं।”

    वो पल ऐसा था जैसे हवा रुक गई हो।

    दोनों के बीच अनकहे शब्द, अधूरी बातें, और दबे जज़्बात

    सब खुलने के लिए तैयार थे।

    दोपहर में कैंटीन में अचानक टकराव हुआ।

    आर्यन अपनी कॉफी पी रहे थे, आयरा सामने बैठी।

    “डॉक्टर साहब, आप हमेशा इतने कड़क क्यों रहते हैं?”

    “मैं कड़क नहीं, सिर्फ व्यस्त हूँ।”

    “व्यस्त? व्यस्त रहने का मतलब किसी को दूर रखना नहीं होता।”

    आर्यन उठ खड़े हुए।

    “और आप इतनी ज़िद्दी क्यों हैं? रिया मेरी बेटी है, उसका निर्णय मेरी इजाज़त के बिना कोई नहीं ले सकता।”

    आयरा ने ठंडी आँखों से कहा,

    “मैं सिर्फ उसके लिए सोच रही थी। आप खुद सोचिए, क्या प्यार डर से छोटा हो जाता है?”

    दोनों के बीच तनाव इतना बढ़ गया कि कैंटीन के लोग भी देखते रह गए।

    शाम को आर्यन अपने ऑफिस में बैठे थे।

    हाथ में फाइल, पर दिल में भारीपन।

    आयरा ने दरवाज़ा खटखटाया।

    “डॉक्टर साहब, मुझे आपसे कुछ कहना है।”

    आर्यन ने सिर झटकते हुए कहा,

    “आज नहीं, मिस आयरा। मैं थक गया हूँ।”

    “लेकिन यह भी सच है कि मैं रिया से दूर नहीं रह सकती… और आपसे भी।”

    आर्यन ने पलकों को ऊपर उठाया, “मिस आयरा, आप समझ नहीं रही हैं। मेरी ज़िंदगी जटिल है। मेरी पत्नी की यादें, मेरी बेटी की मासूमियत… सब कुछ उलझा हुआ है।”

    आयरा धीरे बोली,

    “और यही वजह है कि आपको प्यार करने से डर लगता है। पर डर ही प्यार को और गहरा बनाता है।”

    आर्यन ने अचानक कहा,

    “मैं नहीं चाहता कि रिया को किसी और से लगाव हो। अगर मैं आपको स्वीकार करूँ, तो उसे भी स्वीकार करना पड़ेगा। क्या आप इसे संभाल सकती हैं?”

    आयरा ने आंखें झुका ली।

    “मैं नहीं जानती, डॉक्टर साहब… पर मैं कोशिश करूँगी।”

    आप जानते है ३-४ दिन पापा की छुट्टी रही है फिर मैं चली जाऊंगी



    अगले दिन सुबह, आयरा ने रिया को स्कूल छोड़ने के बाद आर्यन से कहा,

    “मुझे जाना होगा। आप शायद सही थे मै रिया को परेशान नहीं करना चाहती।”

    आर्यन की नीली आँखों में दर्द था।

    “क्या आप फिर नहीं आएँगी?”

    आयरा ने धीरे कहा,

    “शायद… पर मेरा दिल यहाँ है।”

    आर्यन ने चुपचाप सिर झुकाया।

    रिया पीछे से बोली,

    “डैडी, दीदी वापस आएँगी ना?”

    आर्यन ने सिर्फ हाथ हिलाया,

    और खिड़की से बाहर देखते हुए बोला,

    “हाँ बेटा… शायद।”

    उस शाम, मुंबई की बारिश थम चुकी थी।

    पर आर्यन के दिल में एक तूफ़ान था —

    प्यार, डर, और जज़्बातों की जंग।

    रिया अपनी माँ की याद में सो रही थी,

    आयरा अपने घर लौट रही थी,

    और आर्यन — पहली बार महसूस कर रहे थे कि प्यार सिर्फ दिल में नहीं,

    बल्कि जज़्बातों में, हर मुस्कान में, हर आँसू में मौजूद होता है।

    डोर बन जाती है।

  • 15. दिल से इलाज ( end ) - Chapter 15

    Words: 1172

    Estimated Reading Time: 8 min

    मुंबई की सुबह हल्की धुंध में छिपी थी।

    सिटी हॉस्पिटल की पार्किंग में आर्यन अपनी कार में बैठे थे, कॉफी पीते हुए।

    रुकी हुई सांसें और हल्की उदासी… पर आज कुछ अलग था।

    गलियारे में हल्की हँसी की आवाज़ आई।

    “डॉक्टर साहब, जल्दी आइए! आज रिया ने नया प्रोजेक्ट बनाया है।”

    आर्यन पलटे — आयरा सामने खड़ी थी, हाथ में रंग-बिरंगे कागज़ और पेंसिल।

    “प्रोजेक्ट? रिया ने बनाया?”

    “हाँ, और मैं आपकी मदद करूँगी।”

    आर्यन ने मुँह बनाते हुए कहा,

    “मुझे कला का कोई ज्ञान नहीं।”

    “पता है, इसलिए मैं यहाँ हूँ। कला और विज्ञान का मेल… वही ज़िंदगी है।”

    आर्यन ने हल्के से मुस्कराया।

    शायद आयरा की बातों में कोई जादू था, जो दिल को छू जाता था।

    रिया ने अपनी ड्रॉइंग बोर्ड रखी और उत्साहित स्वर में कहा,

    “डैडी, दीदी, देखो!”

    उसने बड़े रंगीन पंख और सूरज बनाए, और बीच में अपने परिवार की तस्वीर —

    आर्यन, रिया, और आयरा।

    आर्यन की नीली आँखें चमक उठीं।

    “यह… बहुत सुंदर है, रिया।”

    “हँसते हुए?” रिया ने पूछा।

    “हाँ, हाँ, बिल्कुल।”

    आयरा ने कहा,

    “अब आपकी बारी, डॉक्टर साहब, इसे और रोचक बनाइए।”

    आर्यन ने फुसफुसाया,

    “मेरे हाथों में पेंट ब्रश? मैं फेल हो जाऊँगा।”

    आयरा ने हँसते हुए कहा,

    “तो फिर मैं आपका गाइड बनूँगी।”

    और यहीं से शुरू हुआ हल्का-फुल्का हँसी-मज़ाक।

    आर्यन के चेहरे की गंभीरता धीरे-धीरे उतरने लगी।

    ब्रेक टाइम में आयरा ने कॉफी तैयार की।

    “यह आपके लिए, डॉक्टर साहब — थोड़ा मीठा, थोड़ा कड़वा, ठीक वैसे जैसे आपकी ज़िंदगी।”

    आर्यन ने कप उठाया, और मुस्कुराए —

    “आप सच में… हमेशा कुछ कहती रहती हैं।”

    “जी हाँ, ताकि आप भी बोलें और हँसें।”

    रिया ने बीच में कहा,

    “डैडी, दीदी ने मुझे सिखाया कि अगर आप हँसेंगे, तो दिन अच्छा होगा।”

    आर्यन ने धीरे से कहा,

    “तो इसका मतलब मैं अब रोज़ हँसूँगा?”

    आयरा ने आंखें मटकाईं,

    “ज़रूर, वरना मैं रोज़ आकर आपको परेशान करूँगी।”

    सब हँस पड़े।

    आर्यन महसूस कर रहे थे कि इन छोटी-छोटी बातों में भी प्यार छुपा हुआ था।

    दिन बीत गया

    रिया की मासूम मासूमियत और आयरा की चुलबुली मुस्कान आर्यन के दिल में जगह बनाने लगी।

    एक शाम, जब हॉस्पिटल का काम ख़त्म हुआ, आयरा और आर्यन एक बेंच पर बैठे।

    “डॉक्टर साहब, कभी लगता है कि हम हमेशा सिर्फ काम में उलझे रहते हैं?” आयरा ने पूछा।

    “हाँ, और कभी लगता है कि समय भी हमारी तरफ नहीं है।”

    आयरा ने धीरे कहा,

    “पर कुछ पल ऐसे भी होते हैं, जहाँ हम सिर्फ महसूस करते हैं… और यही पल याद रहते हैं।”

    आर्यन ने उसकी ओर देखा।

    “आप बहुत सच्ची बातें करती हैं।”

    “सच्चाई ही तो प्यार की नींव है।”

    आयरा की मुस्कान में कुछ गर्मी थी,

    जो आर्यन को भीतर तक छू गई।

    रिया ने उन दोनों को देखकर एक शरारती योजना बनाई।

    “डैडी, दीदी, देखो मैंने आपके लिए गिफ्ट बनाया।”

    यह एक छोटा सा कार्ड था, जिस पर लिखा था —

    “आप दोनों मेरी दुनिया के सुपरहीरो हैं।”

    आर्यन और आयरा एक-दूसरे की तरफ देखते रहे।

    आर्यन ने धीरे से कहा,

    “वह… सच में क्या कहती है।”

    आयरा ने मुस्कराते हुए कहा,

    “वो सिर्फ वही बोलती है जो दिल में होता है।”

    और यही पल था जब आर्यन ने पहली बार महसूस किया —

    हमें प्यार के छोटे-छोटे इशारों की भी ज़रूरत होती है।

    रात को जब आर्यन अपने ऑफिस में अकेले थे, आयरा ने मैसेज किया —

    “आपने आज हँसा?”

    आर्यन मुस्कुराए, और जवाब दिया —

    “हाँ, आपकी वजह से।”

    कुछ देर बाद आयरा ने लिखा —

    “तो फिर कल भी हँसना मत भूलना।”

    आर्यन ने हल्का सिर झटका,

    “शायद यह प्यार की पहली नज़दीकी है,” उन्होंने मन ही मन कहा।

    आर्यन को अब एहसास हुआ कि आयरा सिर्फ रिया की दोस्त नहीं,

    बल्कि उनके लिए भी एक सहारा बन चुकी थी।

    उसकी हँसी, उसकी बातें, और उसकी समझ —

    सब कुछ धीरे-धीरे आर्यन के दिल को भरने लगा।

    रिया सो रही थी,

    आयरा घर लौट रही थी,

    और आर्यन अपने ऑफिस की खिड़की से बाहर देखते हुए मुस्कुरा रहे थे।

    “शायद प्यार सिर्फ अचानक नहीं आता… कभी-कभी उसे महसूस करना पड़ता है।”

    बस २ दिन फिर वह चली जाएगी

    मुंबई की सुबह हल्की धूप और ताजगी के साथ आई।

    आज का दिन आर्यन, आयरा और रिया के लिए बहुत खास था।

    आर्यन ने तय किया कि अब वह आयरा के साथ अपने प्यार को इजहार करेंगे।

    आर्यन ने अपनी पत्नी की याद में गहरी साँस ली और धीरे से कहा,

    “मीरा, अब हम सब मिलकर खुशियाँ मनाएँगे।”

    आर्यन को अपने केबिन में आया और आयरा को बुलाया

    उस आने का हाथ पकड़ कहा मुझे ज्यादा कुछ तो बोलना नहीं आता बस एक ही सवाल पूछना चाहता हूं क्या मेरी जिंदगी में आगे रिया की मां बनोगी....

    आयरा:- हम्म्म्म बहुत खुश हुई.....

    जब कोई हमारी जिंदगी से दूर जाता है तो हमें उसकी हमें समझ में आ जाती है......

    सिटी हॉस्पिटल में टीम मीटिंग चल रही थी।

    आर्यन ने सभी का ध्यान खींचा और कहा,

    “मैं आज एक व्यक्तिगत बात साझा करना चाहता हूँ।”

    टीम ने ध्यान से सुना।

    आर्यन ने मुस्कुराते हुए कहा,

    “आयरा अब सिर्फ हमारी बेटी रिया की दोस्त नहीं है, बल्कि मेरी जिंदगी की अहम हिस्सा है।

    मैं आयरा के साथ अपने प्यार और जिम्मेदारी को स्वीकार करता हूँ।”

    टीम ने तालियाँ बजाईं, और कुछ कर्मचारी भावुक हो गए।

    आयरा ने आर्यन का हाथ पकड़कर कहा,

    “मैं भी यही महसूस करती हूँ।”

    रिया ने रंग-बिरंगे बैलून और फूल सजाए।

    आर्यन और आयरा ने एक-दूसरे के लिए छोटे-छोटे गिफ्ट तैयार किए।

    रिया ने कहा,

    “देखो, अब सब जानते हैं कि हम एक परिवार हैं!”

    आर्यन ने मुस्कुराते हुए कहा,

    “और यही खुशियाँ हमें और करीब लाती हैं।”

    आयरा ने कहा,

    “प्यार केवल दिल में नहीं, बल्कि हर पल में महसूस किया जाता है।”

    रीया ने अपने दोस्तों के साथ खेल का आयोजन किया — दौड़, छुपन-छुपाई और छोटी-छोटी शरारतें।

    आर्यन और आयरा भी शामिल हुए।

    आर्यन ने देखा कि आयरा की मुस्कान उसके दिल को छू रही थी।

    आयरा ने कहा,

    “देखो, प्यार और खुशियाँ केवल रोमांस में नहीं, बल्कि हमारे साझा समय में भी हैं।”

    आर्यन ने सहमति में सिर हिलाया,

    “और रिया… वह हमें हर बार हँसने और प्यार करने की याद दिलाती है।”

    रात को, घर लौटते समय, आर्यन और आयरा खिड़की के पास खड़े थे।

    आर्यन ने धीरे से कहा,

    “आयरा, अब मुझे लगता है कि मेरी जिंदगी पूरी हो गई है। प्यार, परिवार और खुशियाँ सब मेरे पास हैं।”

    आयरा ने मुस्कुराते हुए कहा,

    “और यह सिर्फ शुरुआत है… हम सब मिलकर खुशियों की नई दुनिया बनाएंगे।”

    रिया सो चुकी थी, पर उसके सपनों में भी यह खुशी और प्यार समा गया था।

    आर्यन ने खिड़की से बाहर देखा और धीरे से कहा,

    “मीरा, अब मैं पूरी तरह समझ गया हूँ, प्यार और परिवार का असली मतलब।”

    मुंबई की रात शांत थी।

    आर्यन, आयरा और रिया ने महसूस किया कि प्यार का सार्वजनिक इज़हार केवल शब्दों में नहीं, बल्कि विश्वास, अपनापन और साझा खुशियों में छुपा है।

    बाहरी चुनौती, पेशेवर दबाव और छोटी-छोटी शरारतें — सबने उनके परिवार को मजबूत किया।

    और अब, उनका परिवार पूरी तरह से एक-दूसरे के लिए एक घर और प्यार का प्रतीक बन गया था।

  • 16. 💞 “तुमसे कहना था…( A ) ” Chapter 16

    Words: 1026

    Estimated Reading Time: 7 min

    सुबह की धूप कॉलेज कैंपस की हर ईंट पर सुनहरी परत चढ़ा रही थी। चारों ओर हल्की हवा थी, जिसमें गुलमोहर के फूल उड़कर हवा में नाच रहे थे। यूनिवर्सिटी का नया सेशन शुरू हुआ था, और हर तरफ़ नई उम्मीदों की गूंज थी। भीड़ के बीच एक लड़की धीरे-धीरे कॉलेज गेट के अंदर दाखिल हुई — सफेद सलवार सूट, कंधे पर बैग, और चेहरे पर एक चमक जैसे सूरज से उसने थोड़ी रौशनी उधार ली हो। वह थी सिया शर्मा। सिया ने अपने बालों को हल्के से पीछे किया और बोली, “ओ माई गॉड, नैना! इतने बड़े कॉलेज में पहले दिन रास्ता कैसे ढूंढेंगे?” पीछे से उसकी दोस्त नैना हँसते हुए बोली, “रास्ता ढूंढने की चिंता मत कर, सीनियर्स हमें वैसे भी पकड़ ही लेंगे रैगिंग के लिए।” दोनों खिलखिलाकर हँस पड़ीं। पहले दिन की घबराहट में भी सिया की आँखों में एक चमक थी — कुछ पाने की, कुछ नया सीखने की, और शायद कुछ महसूस करने की जो उसे अभी खुद नहीं पता था। पहली क्लास “बैठ जाइए सब, चुपचाप।” यह आवाज़ जैसे हवा को काटती हुई आई। क्लासरूम के दरवाज़े पर एक लंबा, सधे हुए व्यक्तित्व वाला आदमी खड़ा था — प्रो. आर्यन मेहरा। काली शर्ट, हल्के ग्रे ट्राउज़र, और गले में एक आईडी कार्ड। उसकी आँखें गहरी थीं, लेकिन उनमें एक दूरी थी — जैसे वह दुनिया को देखता है पर खुद को उसमें शामिल नहीं करता। वह बोला, “मैं प्रोफेसर आर्यन मेहरा। आज से मैं आपकी साइकोलॉजी ऑफ़ ह्यूमन बिहेवियर पढ़ाऊँगा। उम्मीद है, आप सब सिर्फ़ किताबें नहीं, इंसानों को भी समझना सीखेंगे।” सिया की नज़रें अनजाने में उस पर ठहर गईं। उसके लहजे में एक ठंडक थी, लेकिन शब्दों में ऐसी गहराई कि कोई भी सुनते ही खिंच जाए। क्लास में जब सब अपना परिचय देने लगे, तब सिया की बारी आई। वह खड़ी हुई और बोली — “माय नेम इज़ सिया शर्मा। मैंने साइकोलॉजी इसलिए चुनी क्योंकि... मुझे इंसानों के चेहरे पढ़ना अच्छा लगता है।” आर्यन ने हल्की मुस्कान दी। “चेहरे पढ़ने वाली को पहले अपने एक्सप्रेशन पर काम करना चाहिए। ज़्यादा बातें आँखें कह देती हैं, मिस शर्मा।” क्लास में हल्की हँसी गूँज गई, लेकिन सिया के दिल में जैसे कुछ धड़क गया। यह पहली बार था जब किसी ने उसकी नज़रों में छुपे सवालों को ऐसे पहचान लिया था। ☕ कैंटीन का कोना ब्रेक में नैना बोली, “तूने देखा न? वो प्रोफेसर आर्यन... कितना हैंडसम है यार!” सिया हँसी, “हैंडसम नहीं, डेंजरस है। उसकी आँखें ऐसे लग रही थीं जैसे किसी की रूह तक पढ़ ले।” “तो फिर तू डर गई?” “नहीं...” सिया ने कॉफी की सिप लेते हुए कहा, “बस… लगा जैसे किसी ने पहली बार मुझे देखा हो, सच में देखा हो।” नैना उसे छेड़ते हुए बोली, “पहले दिन से ही प्रोफेसर पर क्रश! चल तू तो निकली रोमांटिक साइकोलॉजिस्ट।” सिया मुस्कुरा दी, पर भीतर कहीं कुछ हल्का सा हिल गया था — जैसे किसी अनकही चाहत की शुरुआत। -🌧️ लाइब्रेरी की मुलाकात शाम को जब क्लास खत्म हुई, सिया लाइब्रेरी गई। वहाँ भीड़ कम थी। वह Human Emotions and Mind नाम की किताब ढूंढ रही थी। ऊपर की शेल्फ पर रखी किताब तक उसका हाथ नहीं पहुँच रहा था। वह उछलकर लेने की कोशिश कर ही रही थी कि पीछे से किसी ने किताब निकालकर उसकी ओर बढ़ा दी। वही गहरी आवाज़ — “किताबें पढ़ने से पहले इंसान को खुद को समझना चाहिए, मिस शर्मा।” वह पलटकर देखती है — प्रो. आर्यन। सिया हड़बड़ा गई, “थ… थैंक यू, सर।” वह बस सिर हिलाकर बोले, “थोड़ा ध्यान रखिए। हर चीज़ पहुँच से ज़्यादा ऊँचाई पर नहीं होती।” सिया मुस्कुरा दी, “पर जो चीज़ ऊँचाई पर हो, उसे पाने का मज़ा ही कुछ और होता है।” आर्यन कुछ क्षण उसे देखता रहा। फिर हल्की मुस्कान के साथ बोला, “आपके जैसे लोग हमेशा मुश्किल में पड़ते हैं।” “और आपके जैसे लोग हमेशा बचा लेते हैं,” सिया ने धीमे से कहा, मगर आर्यन ने सुन लिया। वह बिना कुछ बोले वहाँ से चला गया, पर उसके कदमों की आहट सिया के दिल में रह गई। - उस दिन के बाद सिया को समझ नहीं आ रहा था कि क्यों उसकी निगाहें क्लास में सिर्फ़ एक चेहरे को ढूंढती हैं। कभी आर्यन की बातों में खो जाती, कभी उसकी खामोशी में कुछ ढूँढती। आर्यन भी उसे नोटिस करने लगा था — पर हर बार अपने चेहरे को सख़्त रखता। उसे डर था कि कहीं वो अपने जज़्बात को एक स्टूडेंट के साथ बाँधकर खुद से न हार जाए। एक दिन उसने स्टाफ रूम में खुद से कहा — “आर्यन… तू फिर से वही गलती नहीं करेगा।” वह यादों में खो गया — अपनी मंगेतर रिया की, जो उसे छोड़कर चली गई थी। वह अब किसी से जुड़ना नहीं चाहता था। लेकिन किस्मत को किसी की चाह नहीं पूछनी होती… कभी-कभी वो खुद कहानियाँ लिख देती है। अगला दिन सिया क्लास में सबसे पहले पहुँची। उसने नोटबुक खोली, पर नज़र बार-बार दरवाज़े पर थी। आर्यन आया, और जैसे ही उसकी आँखें सिया से मिलीं, दोनों ने पल भर को कुछ महसूस किया — एक अनकहा पल, जो किसी किताब में नहीं लिखा था। क्लास के अंत में आर्यन ने कहा, “नेक्स्ट क्लास में सबको Emotion Mapping Project देना है। जो अपने फीलिंग्स को सही से नहीं समझेगा, वो दूसरों का एनालिसिस नहीं कर सकता।” सिया बोली, “अगर खुद को समझना इतना आसान होता, तो साइकोलॉजी की ज़रूरत ही क्या थी, सर?” आर्यन ने उसकी ओर देखा — “शायद इसलिए कि लोग जैसे आप हैं… वो खुद को समझना चाहें तो भी बच निकलती हैं।” सिया चुप हो गई। वह समझ नहीं पा रही थी — यह तंज था या तारीफ। पर उस एक वाक्य ने उसके दिल में जैसे कोई लकीर खींच दी थी। - रात की सोच घर लौटकर सिया ने अपनी डायरी खोली और लिखा: > “वो प्रोफेसर है, मैं उसकी स्टूडेंट। लेकिन उसकी हर बात, हर नजर मुझे कुछ नया सिखा जाती है। शायद प्यार ऐसा ही होता है — जब कोई सिखाए भी और छू ले दिल को भी।” बाहर बारिश शुरू हो चुकी थी। सिया खिड़की से आसमान देख रही थी, और हर बूंद उसे वही एहसास दिला रही थी — कुछ शुरू हो चुका है, जिसे वो खुद भी नहीं समझ पा रही।

  • 17. तुम से कुछ कहना था...(B) - Chapter 17

    Words: 1053

    Estimated Reading Time: 7 min

    कॉलेज की घड़ी की सुइयाँ दोपहर के दो बजा रही थीं। कैंपस में लंच ब्रेक का समय था — भीड़, बातें, हँसी और कॉफ़ी की खुशबू सब एक साथ घुली हुई थी।

    लेकिन सिया की नज़र बार-बार क्लासरूम की खिड़की की ओर जा रही थी, जहाँ प्रो. आर्यन अक्सर ब्रेक में अकेले बैठकर किताबें पढ़ते थे।

    नैना ने टोका, “क्या हुआ? तू तो आज लंच को हाथ भी नहीं लगा रही। कहीं प्रोफेसर साहब ने कुछ कहा क्या?”

    सिया मुस्कुरा दी, “नहीं… बस, पता नहीं… वो क्लास में कुछ अलग होते हैं। जब पढ़ाते हैं, तो लगता है जैसे हर बात सिर्फ़ मुझे समझाने के लिए कह रहे हों।”

    नैना ने आँखें घुमाई, “अरे दीवानी, वो सबको पढ़ाते हैं, सिर्फ़ तुझे नहीं।”

    सिया बोली, “हाँ… पर फिर भी ना, जब वो बोलते हैं तो दुनिया थम जाती है।”

    नैना ने उसकी तरफ़ इशारा किया —

    “थोड़ा ध्यान रख, प्यार और इज़्ज़त की लाइन बहुत पतली होती है, सिया।”

    सिया ने गहरी साँस ली।

    उसे खुद भी डर था — कहीं वो कोई हद पार न कर दे।

    इमोशन मैपिंग प्रोजेक्ट

    अगले दिन क्लास में आर्यन ने सबको अपने प्रोजेक्ट्स जमा करने को कहा।

    सिया ने अपनी कॉपी आगे बढ़ाई।

    “सर, ये मेरा प्रोजेक्ट है — ‘इंसान की आँखों में छुपे डर’।”

    आर्यन ने पन्ने पलटे। हर पेज पर सिया ने खूबसूरत स्केच बनाए थे — चेहरे, नज़रें, और उनके पीछे छिपे भाव।

    वो रुका और बोला,

    “आपने हर भाव को बहुत सही पकड़ा है। लेकिन इसमें एक चेहरा ज़्यादा बार बना है… यह कौन है?”

    सिया थोड़ी झेंप गई।

    “सर… वो बस एक कल्पना है।”

    आर्यन ने मुस्कराते हुए कहा,

    “कल्पना या प्रेरणा?”

    सिया कुछ नहीं बोली। उसकी आँखें नीचे झुक गईं।

    आर्यन ने कॉपी वापस दी —

    “जो भी है, उसे अपनी सीमा में रखना सीखिए। कभी-कभी प्रेरणा ही इंसान को हदें पार करवा देती है।”

    उसका लहजा सख़्त था, लेकिन आँखों में कुछ और था —

    जैसे वो खुद भी किसी सीमा से बंधा हो।

    स्टाफ रूम के बाहर

    क्लास के बाद सिया बाहर निकल रही थी, तभी आर्यन की आवाज़ आई,

    “मिस शर्मा।”

    सिया रुकी,

    “जी, सर?”

    “आपके प्रोजेक्ट में जो भाव हैं, वो किताबों से नहीं आते। क्या आपने कभी ऐसा कुछ महसूस किया है?”

    सिया मुस्कराई, “आप ये पूछ रहे हैं कि क्या मैं किसी से प्यार करती हूँ, सर?”

    आर्यन चौंका, फिर बोला, “मैंने ‘प्यार’ शब्द नहीं कहा।”

    “पर आपने सोचा तो ज़रूर,” सिया ने धीमे से कहा।

    आर्यन कुछ पल चुप रहा, फिर बोला,

    “आप बहुत स्मार्ट हैं, मिस शर्मा… लेकिन दुनिया आपकी इस समझ को हमेशा सही नहीं मानेगी।”

    “तो क्या सही समझ को छुपा लेना चाहिए, सर?”

    आर्यन ने कुछ नहीं कहा। वह बस हल्की मुस्कान के साथ वहाँ से चला गया।

    पर उस मुस्कान में एक पूरा तूफ़ान था।

    🌧️

    शाम को मौसम बदला।

    कैंपस में अचानक बादल छा गए और तेज़ बारिश शुरू हो गई।

    सिया क्लास से निकल ही रही थी कि बिजली कड़की, और वह दौड़कर पास के पेड़ के नीचे आ खड़ी हुई।

    कुछ देर बाद किसी ने छाता उसके ऊपर ताना —

    वो आर्यन था।

    “आप अभी तक गई नहीं?”

    सिया मुस्कुराई, “बारिश से डर नहीं लगता, सर। बस भीगने का मन नहीं था।”

    “कभी-कभी डर और मन एक ही चीज़ होते हैं,” आर्यन बोला।

    दोनों चुप हो गए।

    सिर्फ़ बारिश की आवाज़ और दोनों के दिलों की धड़कनें थीं।

    सिया ने धीरे से कहा,

    “सर, क्या आपको भी बारिश में अतीत याद आता है?”

    आर्यन ने हल्का सिर झुकाया,

    “हाँ… कुछ यादें ऐसी होती हैं, जो भीगने नहीं देती।”

    सिया ने उसकी आँखों में देखा — वहाँ एक गहराई थी, दर्द था, और एक अनकहा साया।

    “कभी किसी को इतना चाहा है कि वो आपकी हर सोच में हो?”

    सिया का सवाल अचानक निकला।

    आर्यन ने नज़र फेर ली,

    “कभी-कभी चाहत ही इंसान को सबसे बड़ा कैदी बना देती है।”

    सिया कुछ कहना चाहती थी, पर आर्यन ने छाता उसके हाथ में थमा दिया —

    “घर चली जाइए, मिस शर्मा। सर्दी लग जाएगी।”

    और वह चल दिया, भीगते हुए, बिना छाते के।

    सिया देखती रह गई —

    जिसके पास सबसे ज़्यादा समझ थी, वही खुद सबसे ज़्यादा उलझा हुआ था।

    डायरी

    उस रात सिया ने लिखा —

    “वो खुद को सख़्त दिखाता है, पर उसकी आँखों में इतनी नरमी है कि दिल पिघल जाए।

    मैं नहीं जानती, ये क्या है… पर जो भी है, इससे बचना अब मुश्किल है।”

    अगला दिन:

    अब क्लास में सिया के बैठने का तरीका बदल गया था।

    वो हमेशा पहली बेंच पर बैठती, और हर सवाल का जवाब पहले देती।

    आर्यन कभी-कभी उसे रोकता —

    “कभी दूसरों को भी जवाब देने दीजिए।”

    पर उसके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान होती, जो सब कुछ कह जाती थी।

    धीरे-धीरे कॉलेज में कुछ लोगों की नज़रें दोनों पर उठने लगीं।

    कई बार जब सिया प्रोफेसर के साथ अकेले लाइब्रेरी या प्रोजेक्ट रूम में दिखती, तो कानाफूसी शुरू हो जाती।

    सिया को फर्क नहीं पड़ता था, लेकिन आर्यन हर अफ़वाह से बेचैन हो जाता।

    वह खुद को समझाता — “ये सिर्फ़ एक स्टूडेंट है… सिर्फ़ एक स्टूडेंट।”

    पर उसका दिल हर बार उसे झूठा साबित कर देता।

    कॉन्फ्रेंस हॉल

    एक दिन कॉलेज में “माइंड एंड इमोशन” पर सेमिनार था।

    आर्यन स्पीकर था, और सिया ऑर्गनाइज़र टीम में।

    जब आर्यन स्टेज पर आया और बोलना शुरू किया, सिया ने पहली बार उसे पूरे गौर से देखा —

    उसकी आवाज़, उसकी आँखें, उसका हर शब्द जैसे सीधे उसके दिल पर उतर रहा था।

    “इंसान अपने दिल को जितना दबाता है, वो उतना ही ज़ोर से लौटकर आता है…”

    आर्यन बोल रहा था, और सिया की आँखों में आँसू थे।

    सेमिनार के बाद सिया चुपचाप बाहर निकल गई।

    आर्यन ने देखा और उसके पीछे गया।

    “आप ठीक हैं, मिस शर्मा?”

    सिया ने धीमे से कहा,

    “आप जो बोल रहे थे, वो किसी थ्योरी जैसा नहीं लगा… वो किसी की कहानी लग रही थी।”

    आर्यन ठहर गया।

    “शायद हर प्रोफेसर के पास एक कहानी होती है जिसे वो कभी पढ़ा नहीं पाता।”

    सिया ने पूछा, “और अगर कोई पढ़ना चाहे तो?”

    आर्यन मुस्कुराया, “तो वो कहानी उसका इम्तिहान बन जाती है।”

    सिया की आँखों में जवाब था —

    “मैं इम्तिहान देने को तैयार हूँ।”

    उस रात आर्यन अपने ऑफिस में देर तक बैठा रहा।

    टेबल पर सिया का प्रोजेक्ट रखा था।

    उसने पन्ने पलटे और रुक गया —

    एक स्केच था, जिसमें उसका चेहरा बना था।

    नीचे लिखा था —

  • 18. तुम से कुछ कहना था....( C) - Chapter 18

    Words: 1030

    Estimated Reading Time: 7 min

    “कुछ चेहरे कभी नहीं भूलते, क्योंकि वो हमें खुद से मिलवा देते हैं।”

    आर्यन ने गहरी साँस ली।

    “सिया…” उसके होंठों पर उसका नाम आया, और वो खुद को रोक नहीं पाया।

    वो समझ गया —

    अब ये सिर्फ़ इमोशन नहीं रहा,

    ये कुछ ज़्यादा था।


    दिन भर बादल घिरे रहे।

    कॉलेज का माहौल भी किसी अनकही बेचैनी से भरा था।

    सिया की नज़रें हर घड़ी क्लासरूम के दरवाज़े पर थीं — जैसे किसी का इंतज़ार हो।

    आर्यन आज क्लास में नहीं आया था।

    पूरे दिन उसकी गैरहाज़िरी ने सिया को अजीब बेचैनी दी।

    वह बार-बार सोचती — “क्या हुआ होगा? कहीं बीमार तो नहीं?”

    क्लास खत्म होने के बाद सिया सीधा स्टाफ रूम पहुँची, लेकिन वहाँ भी कोई नहीं था।

    वह धीरे-धीरे लाइब्रेरी की ओर चली गई।

    दरवाज़े के पास आर्यन खड़ा था — अकेला, खिड़की से बारिश को देखते हुए।

    उसकी आँखों के नीचे थकान थी, बाल हल्के गीले, और चेहरे पर वही गंभीरता जो सिया को खींचती थी।

    “सर…”

    आर्यन ने मुड़कर देखा — सिया।

    “आप यहाँ क्या कर रही हैं?”

    “आपको ढूँढ रही थी,” सिया ने सीधा जवाब दिया।

    आर्यन ने हल्की साँस ली,

    “आपको तो अब तक क्लास में होना चाहिए था।”

    सिया ने धीमे से कहा,

    “क्लास तो आपसे ही शुरू होती है, सर।”

    आर्यन एक पल के लिए कुछ नहीं बोल सका।

    उसकी आँखों में एक गहराई थी, और सिया उस गहराई में उतरती चली गई।

    “बारिश बहुत तेज़ है,” उसने कहा, “घर जाइए।”

    “आप भी तो नहीं गए,” सिया बोली।

    आर्यन मुस्कुराया,

    “मुझे बारिश पसंद है, मिस शर्मा। ये शोर सब कुछ छुपा देता है।”

    सिया आगे बढ़ी,

    “या फिर सब कुछ कह देता है, सर।”

    आर्यन ने उसकी ओर देखा —

    पहली बार उसकी नज़रें सिया की आँखों में ठहर गईं।

    बाहर गरजते बादलों के बीच सिया ने खिड़की से हाथ बढ़ाया।

    बारिश की बूंदें उसकी उँगलियों को छूने लगीं।

    “कभी-कभी लगता है कि बारिश में सब कुछ धुल जाता है,” उसने कहा।

    “कुछ चीज़ें नहीं धुलतीं, सिया,”

    आर्यन ने पहली बार उसका नाम लेकर कहा।

    “कुछ यादें, कुछ गुनाह… और कुछ एहसास हमेशा रह जाते हैं।”

    सिया ने धीरे से मुस्कुराया,

    “तो क्या आपको भी कोई ऐसी याद है जो अब तक धुली नहीं?”

    आर्यन चुप रहा।

    फिर बोला,

    “हाँ… एक ऐसी गलती, जिसे सुधारा नहीं जा सकता।”

    सिया ने उसकी आँखों में देखा — वहाँ दर्द था।

    “शायद वो गलती नहीं थी, सर… वो किसी को सच्चे दिल से चाहने की कोशिश रही होगी।”

    आर्यन ने सिर झुकाया,

    “आप बहुत कुछ जानना चाहती हैं।”

    “क्योंकि आप बहुत कुछ छुपाते हैं,” सिया ने कहा।

    कुछ सेकंड तक दोनों चुप रहे।

    सिर्फ़ बारिश बोल रही थी।

    बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी।

    सिया ने कहा, “घर जाना अब मुश्किल है, सर।”

    आर्यन ने थोड़ी झिझक के बाद कहा,

    “सामने कैंटीन है… चलिए वहीं तक चलते हैं।”

    दोनों छाते के नीचे साथ चले —

    कदम पास, पर दिलों के बीच अब भी हिचकिचाहट थी।

    कैंटीन लगभग खाली थी।

    सिया ने दो कॉफी ऑर्डर की।

    आर्यन ने कहा, “आपको कॉफी बहुत पसंद है।”

    “आपको कैसे पता?”

    “हर बार जब आप सोच में होती हैं, आपकी उंगलियाँ कप के चारों ओर घूमती हैं,”

    आर्यन ने कहा।

    सिया चौंक गई,

    “तो आप मुझे नोटिस करते हैं?”

    आर्यन ने बस हल्की मुस्कान दी,

    “मैं अपने छात्रों को समझने की कोशिश करता हूँ।”

    सिया ने कॉफी की चुस्की ली और कहा,

    “आप कोशिश नहीं करते, सर… आप महसूस करते हैं। और यही तो फर्क है आपमें।”

    आर्यन ने पहली बार नज़रें झुका लीं।

    कितनी अजीब बात थी — एक स्टूडेंट उसकी दीवारों को एक-एक करके गिरा रही थी।

    अचानक बिजली कड़की।

    आर्यन के चेहरे पर एक साया उतर आया।

    सिया ने पूछा,

    “डर गए?”

    वह बोला,

    “नहीं, बस याद आ गया… एक शाम थी ऐसी ही। बारिश, बिजली, और किसी का जाना।”

    “रिया?”

    आर्यन ने चौंककर देखा,

    “आपको कैसे पता?”

    “आपकी आँखें बता देती हैं, सर। जब भी आप रिया का नाम सुनते हैं, आपकी पलकें भारी हो जाती हैं।”

    आर्यन कुछ क्षण चुप रहा,

    “वो चली गई थी… बिना कुछ कहे। और मैं अब भी हर बार कुछ कहना चाहता हूँ, पर कह नहीं पाता।”

    सिया ने धीमे से कहा,

    “शायद आपको अब कहना चाहिए, लेकिन सही इंसान से।”

    आर्यन ने उसकी आँखों में देखा —

    वहाँ एक सच्चाई थी, जो किसी किताब से नहीं सीखी जा सकती थी।

    कैंटीन के बाहर हवा तेज़ हो गई।

    सिया का दुपट्टा उड़कर आर्यन के कंधे पर आ गिरा।

    दोनों ने एक साथ उसे पकड़ा —

    उनके हाथ टकराए, और एक पल के लिए सब कुछ थम गया।

    बारिश बाहर थी, पर भीगते वो दोनों थे — भावनाओं में।

    आर्यन ने धीरे से कहा,

    “आपको नहीं पता, आप क्या कर रही हैं।”

    सिया बोली,

    “मुझे सब पता है, सर। बस आप नहीं मानते।”

    आर्यन ने कदम पीछे खींचे।

    “ये सही नहीं है, सिया। मैं आपका प्रोफेसर हूँ।”

    “और मैं आपकी स्टूडेंट,”

    सिया बोली,

    “पर दिल को डिग्री नहीं चाहिए होती, सर।”

    आर्यन कुछ कह नहीं पाया।

    उसने बस इतना कहा,

    “आपको कल से मेरी क्लास में नहीं आना चाहिए।”

    सिया का दिल धड़क उठा।

    “क्यों?”

    “क्योंकि मैं अब आपको सिर्फ़ स्टूडेंट की तरह नहीं देख पा रहा।”

    सिया की आँखें नम हो गईं।

    “तो फिर क्या देख रहे हैं?”

    आर्यन ने नज़रें फेर लीं।

    “वो जो देखना नहीं चाहिए।”

    वह उठ गया और बाहर चला गया —

    बारिश में भीगते हुए, जैसे खुद को सज़ा दे रहा हो।

    सिया वहीं बैठी रही, कॉफी ठंडी होती रही।

    उसने खिड़की से बाहर देखा और मन ही मन कहा —

    “अगर ये गुनाह है, तो मैं हर दिन ये गुनाह करने को तैयार हूँ।”

    रात को सिया ने अपनी डायरी में लिखा:

    “वो मुझसे दूर भागता है, पर उसकी हर बात में मैं शामिल हूँ।

    आज उसने कहा कि मैं क्लास में न आऊँ —

    पर मैं कैसे न जाऊँ वहाँ, जहाँ पहली बार दिल की आवाज़ सुनी थी।”

    वहीं दूसरी तरफ़,

    आर्यन अपने कमरे में बैठा था —

    हाथ में सिया की प्रोजेक्ट कॉपी, और दिल में एक उलझन।

    वह खुद से बोला,

    “तूने फिर वही गलती की, आर्यन।

    पर शायद… ये गलती ही ज़िंदगी की सबसे सच्ची बात है।”

    बाहर बारिश अब भी हो रही थी —

    लेकिन अब वो दोनों की कहानी का संगीत बन चुकी थी।

  • 19. तुम से कुछ कहाना था (D) - Chapter 19

    Words: 1007

    Estimated Reading Time: 7 min

    कॉलेज की लाइब्रेरी के कोने में बैठी सिया आज पहली बार अपने नोट्स पर ध्यान नहीं दे पा रही थी।

    पन्ने खुलते जा रहे थे, पर शब्द जैसे धुँधले हो गए हों।

    हर एक शब्द के बीच उसे बस एक चेहरा दिख रहा था —

    प्रोफेसर आर्यन मेहरा।

    उसकी शांत आँखें, गहरी आवाज़, और वह ठहराव जो सिया के दिल में तूफ़ान पैदा कर देता था।

    पिछले हफ्ते की बारिश वाली शाम के बाद, दोनों जैसे अपने-अपने रास्तों में खो गए थे।

    आर्यन ने क्लास में बातों को सीमित कर दिया था — अब कोई मुस्कान नहीं, कोई हल्की मज़ाक की बात नहीं।

    सिया को लगा जैसे वो दीवार खड़ी कर रहा हो, जो हर कोशिश के बाद भी पार नहीं की जा सकती।

    नैना ने झटके से उसकी किताब बंद की —

    “अरे तू सुन भी रही है मैं क्या बोल रही हूँ? आज फेस्टिवल कमिटी की मीटिंग है, चलना नहीं क्या?”

    सिया ने थके से लहजे में कहा, “तू जा नैना, मुझे कुछ काम है।”

    नैना ने उसे गौर से देखा —

    “सिया, तू ठीक तो है न? कुछ दिन से तू बहुत चुप-चुप है।”

    सिया ने ज़बरदस्ती मुस्कराया —

    “कुछ नहीं... बस थकान है।”

    पर असल में, वह थकान नहीं थी, वह खामोशी थी जो आर्यन के न बोलने से आई थी।

    दिल में जो बात थी, वह शब्दों तक नहीं पहुँच पा रही थी।

    दूसरी तरफ़, आर्यन अपने ऑफिस में बैठा था।

    खिड़की से आती हवा फाइलों के पन्नों को उड़ा रही थी।

    वह बार-बार सिया का नाम देख रहा था — "Sia Sharma – Class Representative."

    हर मीटिंग में उसका नाम आता, और हर बार वह खुद को याद दिलाता —

    "No, Aryan. तू प्रोफेसर है… यह रिश्ता नहीं हो सकता। तेरे लिए ना सिया के लिए नहीं समाज के लिए पर मैं क्यों उस की तरफ खिंचा चला जा रहा हूं मुझे अपने आप को रुकना हि होगा.... "

    उसे याद था वो शाम, जब बारिश में दोनों पेड़ के नीचे खड़े थे।

    सिया की भीगी पलकें, उसके शब्द — “कभी-कभी दिल दिमाग से ज़्यादा समझदार होता है, सर।”

    वो लाइन अब आर्यन के दिल में हथियार की तरह चुभती थी।

    अगले दिन, कॉलेज में Psychology Exhibition थी।

    सिया ने अपने ग्रुप के साथ मिलकर “Emotional Triggers in Human Mind” पर प्रोजेक्ट तैयार किया था।

    प्रोजेक्ट देखने आए गेस्ट्स, फैकल्टी और स्टूडेंट्स — सब के बीच जब सिया ने बोलना शुरू किया, तो सबका ध्यान उसी पर टिक गया।

    वो आत्मविश्वास से कह रही थी —

    “कभी-कभी इंसान अपने जज़्बात को दबा देता है, क्योंकि उसे डर होता है — लोग क्या कहेंगे, समाज क्या कहेगा हम सब की खुशियां देखते हैँ पर अपनी.... ।

    लेकिन असल में वही भावनाएँ हमें इंसान बनाती हैं।”

    आर्यन भी वहीं खड़ा सुन रहा था।

    सिया के शब्द उसके भीतर उतरते जा रहे थे, जैसे वो हर पंक्ति उसके लिए ही कह रही हो।

    जब प्रेज़ेंटेशन ख़त्म हुआ, तो तालियाँ गूँज उठीं।

    सिया की नज़रें अनजाने में आर्यन की तरफ़ उठीं —

    और बस कुछ पल…

    दोनों की नज़रें मिलीं —

    न कोई मुस्कान, न कोई इशारा,

    बस वो नज़रों की खामोश बातचीत जिसने दोनों के दिलों को थाम लिया।

    शाम को, आर्यन ने खुद को ऑफिस में बंद कर लिया।

    वो जानता था, वो सिया की ओर खिंचता जा रहा है।

    पर एक आवाज़ उसके अंदर बार-बार गूँजती —

    "तू उसका टीचर है आर्यन, उसका सहारा नहीं।"

    वो कुर्सी से उठा, शीशे में खुद को देखा —

    थकान, बेचैनी, और अनकहे जज़्बात उसके चेहरे पर साफ़ थे।

    तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई।

    “May I come in, Sir?”

    वो आवाज़… सिया की थी।

    आर्यन एक पल को जड़ हो गया।

    “Come in,” उसने धीमे से कहा।

    सिया अंदर आई, हाथ में एक फाइल थी।

    “Sir, ये प्रोजेक्ट रिपोर्ट साइन करनी थी।”

    आर्यन ने फाइल ली, बिना कुछ बोले साइन किया।

    पर सिया वहीं खड़ी रही।

    उसकी आँखें कुछ कहना चाहती थीं।

    “कुछ और?” आर्यन ने पूछा।

    सिया ने हल्की आवाज़ में कहा,

    “हाँ, एक बात थी… जो शायद मुझे नहीं कहनी चाहिए थी, लेकिन अब रह भी नहीं पा रही।”

    आर्यन ने नज़र उठाई।

    सिया की आँखों में एक सच्चाई थी —

    वो मासूम सच्चाई, जो किसी डर से नहीं, बस दिल से निकली थी।

    “Sir, क्या कभी ऐसा हुआ है कि आप किसी से दूर रहना चाहें… पर हर रास्ता फिर उसी की ओर ले जाए?”

    आर्यन कुछ नहीं बोला।

    बस उसकी साँसें तेज़ हो गईं।

    सिया मुस्कराई — “मुझे जवाब नहीं चाहिए, बस इतना जानना था कि शायद मैं अकेली नहीं हूँ।”

    और वो फाइल टेबल पर रखकर चली गई।

    आर्यन वहीं खड़ा रह गया, जैसे वक्त ठहर गया हो।

    वो समझ गया — अब ये सिर्फ़ एक स्टूडेंट और प्रोफेसर की दूरी नहीं थी…

    ये कशिश थी, जो चाहे जितनी रोक लो, मिटती नहीं।

    रात देर तक आर्यन अपने कमरे में बैठा रहा।

    बाहर हल्की बारिश हो रही थी — वही बारिश, जो शायद उनके बीच की चुप्पी में फिर से कुछ कह रही थी।

    वो खिड़की से बाहर देखता रहा, और मन ही मन कहा —

    “सिया… मुझे तुमसे डर नहीं, बस खुद से डर है।”

    कॉलेज की सुबह हमेशा हल्की धूप और हल्की हलचल के साथ आती थी।

    लेकिन आज का माहौल कुछ अलग था।

    सिया जैसे ही अपनी बैग लेकर क्लास में पहुंची, उसे हल्की टकराहट महसूस हुई —

    लोग उसकी ओर बार-बार देख रहे थे।

    “तूने सुना?”

    पीछे से एक लड़का बोला, और उसकी आवाज़ में अचरज के साथ उत्सुकता भी थी।

    सिया ने घूरते हुए कहा,

    “किस बात की?”

    लड़का हँसते हुए बोला,

    “सुनो, सुना है प्रो. आर्यन और सिया शर्मा…”

    सिया की नज़रें टकटकी में बदल गईं।

    “क्या सुना है?” उसने कड़ा स्वर लिया।

    लड़का झिझकते हुए बोला,

    “अरे… मतलब… लोग कह रहे हैं कि आप दोनों के बीच कुछ है।”

    सिया का दिल धड़क गया।

    उसने खुद को शांत किया और अंदर चली गई।

    क्यों लोग दूसरों की जिंदगी में इतनी जल्दी दख़ल देते हैं?

    आर्यन की प्रतिक्रिया

    आर्यन क्लास में खड़ा था।

    उसे खबर पहले ही मिल चुकी थी।

    कुछ स्टूडेंट्स के मुँह से फुसफुसाहटें सुनकर उसका चेहरा गंभीर हो गया।
    plz follow me.....

  • 20. तुमसे कुछ कहना था (E) - Chapter 20

    Words: 1003

    Estimated Reading Time: 7 min

    उसने क्लास में आवाज़ उठाई, “सभी ध्यान दें। अफ़वाहों पर भरोसा मत कीजिए। अगर किसी को किसी विषय पर जानकारी चाहिए, तो सीधे मुझसे पूछें।” क्लास शांत हो गई। लेकिन आर्यन जानता था — सिर्फ़ क्लास में नहीं, पूरे कॉलेज में ये अफ़वाहें फैल चुकी थीं। और ये अफ़वाहें सिया को ही चोट पहुँचा रही थीं। --- ☕ कैफेटेरिया की मुलाकात लंच ब्रेक में सिया अकेली कैफेटेरिया में बैठी थी। कॉफी का कप उसके हाथ में हल्के कंपन के साथ था। नैना पास आई और बोली, “सिया… सुन तो रही होगी। लोग क्या-क्या कह रहे हैं।” सिया ने सिर झुकाया, “मुझे फर्क नहीं पड़ता। बस… मुझे डर है कि प्रो. आर्यन परेशान होंगे।” नैना ने मुस्कराते हुए कहा, “फर्क तो उन्हें पड़ेगा ही। पर तुम… तुम क्यों खुद को परेशान कर रही हो?” सिया ने हल्की मुस्कान दी, “क्योंकि मैं जानती हूँ कि ये अफ़वाहें हमारी दूरी बढ़ा सकती हैं। और मैं इससे डर रही हूँ।” --- 🌧️ बारिश और अकेलापन शाम को बारिश शुरू हो गई। सिया लाइब्रेरी से निकल रही थी। बारिश की बूंदें उसकी चोटी पर गिर रही थीं, और उसकी आँखों में कुछ हल्का सा आंसू था। वही गहरी आवाज़ — “सिया।” वो पलटकर देखती है — आर्यन, बिना छाते के। “सर…” सिया की आवाज़ में हल्की चिंता थी। आर्यन ने हाथ बढ़ाया, “तुम ठीक हो?” सिया ने सिर हिलाया। “मैं ठीक हूँ… बस, लोग…” आर्यन ने कदम बढ़ाए और उसका हाथ हल्का छू लिया। “लोगों की बातों से कभी मत डरना। जो सही है, वो हमेशा सामने आता है। बस हमें अपने दिल की सुननी होती है।” सिया की आँखों में चमक आ गई। लेकिन तभी एक स्टूडेंट ने उनका देख लिया और फुसफुसाया — “देखो, ये दोनों तो…” सिया ने तुरंत हाथ खींच लिया और बोली, “सर, मुझे क्लास में जाना है।” और वह दौड़ती हुई चली गई। आर्यन वहीं खड़ा रह गया, हाथ में छाया रह गई, और मन में एक हल्की पीड़ा। उसने खुद से कहा — “ये दूरी मुझे और उसके बीच की खाई और गहरी बना रही है। पर ये ज़रूरी है।” --- 🌟 रात की डायरी सिया रात को अपनी डायरी में लिखती है: > “लोग क्या कहते हैं, इससे फर्क नहीं पड़ता। डर है बस इस बात का कि कहीं वो खुद इससे परेशान न हो जाए। मैं चाहती हूँ कि वो सिर्फ़ मुझे प्रोफेसर के तौर पर देखे… लेकिन दिल कह रहा है कि ये मुमकिन नहीं।” आर्यन अपने कमरे में बैठा था। वो सोच रहा था कि कैसे ये अफ़वाहें उनकी खामोशी को तोड़ सकती हैं। “मैं इसे रोक नहीं सकता… पर मैं खुद को और सिया को इस उलझन में नहीं डाल सकता।” --- अगले दिन कॉलेज में माहौल और भी तनावपूर्ण था। दोनों की नज़रें बार-बार मिलतीं, पर कोई पहला कदम नहीं बढ़ाता। सिया हर बार सोचती — क्या मैं उससे बात करूँ या फिर खुद को रोक लूँ? आर्यन भी हर बार सोचता — अगर मैंने उसे बुलाया, तो क्या मैं खुद को रोक पाऊँगा? और इस दूरी में, उनकी खामोशी ही सबसे ज़्यादा बोल रही थी। कॉलेज की सुबह हमेशा हल्की धूप और हल्की हलचल के साथ आती थी। लेकिन आज का माहौल कुछ अलग था। सिया जैसे ही अपनी बैग लेकर क्लास में पहुंची, उसे हल्की टकराहट महसूस हुई — लोग उसकी ओर बार-बार देख रहे थे। “तूने सुना?” पीछे से एक लड़का बोला, और उसकी आवाज़ में अचरज के साथ उत्सुकता भी थी। सिया ने घूरते हुए कहा, “किस बात की?” लड़का हँसते हुए बोला, “सुनो, सुना है प्रो. आर्यन और सिया शर्मा…” सिया की नज़रें टकटकी में बदल गईं। “क्या सुना है?” उसने कड़ा स्वर लिया। लड़का झिझकते हुए बोला, “अरे… मतलब… लोग कह रहे हैं कि आप दोनों के बीच कुछ है।” सिया का दिल धड़क गया। उसने खुद को शांत किया और अंदर चली गई। क्यों लोग दूसरों की जिंदगी में इतनी जल्दी दख़ल देते हैं आर्यन क्लास में खड़ा था। उसे खबर पहले ही मिल चुकी थी। कुछ स्टूडेंट्स के मुँह से फुसफुसाहटें सुनकर उसका चेहरा गंभीर हो गया। उसने क्लास में आवाज़ उठाई, “सभी ध्यान दें। अफ़वाहों पर भरोसा मत कीजिए। अगर किसी को किसी विषय पर जानकारी चाहिए, तो सीधे मुझसे पूछें।” क्लास शांत हो गई। लेकिन आर्यन जानता था — सिर्फ़ क्लास में नहीं, पूरे कॉलेज में ये अफ़वाहें फैल चुकी थीं। और ये अफ़वाहें सिया को ही चोट पहुँचा रही थीं। ☕ कैफेटेरिया की मुलाकात लंच ब्रेक में सिया अकेली कैफेटेरिया में बैठी थी। कॉफी का कप उसके हाथ में हल्के कंपन के साथ था। नैना पास आई और बोली, “सिया… सुन तो रही होगी। लोग क्या-क्या कह रहे हैं।” सिया ने सिर झुकाया, “मुझे फर्क नहीं पड़ता। बस… मुझे डर है कि प्रो. आर्यन परेशान होंगे।” नैना ने मुस्कराते हुए कहा, “फर्क तो उन्हें पड़ेगा ही। पर तुम… तुम क्यों खुद को परेशान कर रही हो?” सिया ने हल्की मुस्कान दी, “क्योंकि मैं जानती हूँ कि ये अफ़वाहें हमारी दूरी बढ़ा सकती हैं। और मैं इससे डर रही हूँ।” 🌧️ बारिश और अकेलापन शाम को बारिश शुरू हो गई। सिया लाइब्रेरी से निकल रही थी। बारिश की बूंदें उसकी चोटी पर गिर रही थीं, और उसकी आँखों में कुछ हल्का सा आंसू था। वही गहरी आवाज़ — “सिया।” वो पलटकर देखती है — आर्यन, बिना छाते के। “सर…” सिया की आवाज़ में हल्की चिंता थी। आर्यन ने हाथ बढ़ाया, “तुम ठीक हो?” सिया ने सिर हिलाया। “मैं ठीक हूँ… बस, लोग…” आर्यन ने कदम बढ़ाए और उसका हाथ हल्का छू लिया। “लोगों की बातों से कभी मत डरना। जो सही है, वो हमेशा सामने आता है। बस हमें अपने दिल की सुननी होती है।” सिया की आँखों में चमक आ गई। लेकिन तभी एक स्टूडेंट ने उनका देख लिया और फुसफुसाया — “देखो, ये दोनों तो…” सिया ने तुरंत हाथ खींच लिया और बोली, “सर, मुझे क्लास में जाना है।” और वह दौड़ती हुई चली गई। आर्यन वहीं खड़ा रह गया, हाथ में छाया रह गई, और मन में एक हल्की पीड़ा। उसने खुद से कहा — “ये दूरी मुझे और उसके बीच की खाई और गहरी बना रही है। पर ये ज़रूरी है।”