Novel Cover Image

My brother's bestfriend

User Avatar

Black rose🖤💫

Comments

5

Views

46

Ratings

8

Read Now

Description

कभी-कभी ज़िंदगी बिल्कुल शांत लगती है — जैसे सब कुछ अपनी जगह पर है, कोई हलचल नहीं। सोना मलिक की ज़िंदगी भी कुछ ऐसी ही थी। एक सीधी-सादी, मासूम-सी लड़की, जिसके लिए उसका भाई आर्यन ही उसकी पूरी दुनिया था — उसका protector, उसका सबसे बड़ा सहारा। उसकी...

Total Chapters (5)

Page 1 of 1

  • 1. My brother's bestfriend - Chapter 1

    Words: 1000

    Estimated Reading Time: 6 min

    📖 Chapter 1 – पहली मुलाक़ात

    दिल्ली की शामों में एक अजीब जादू होता है — धुँधली हवा, सड़क के किनारे चाय की महक, और दूर से आती गाड़ियों की हल्की गूंज।
    उसी हलचल के बीच, सोना मलिक अपने कॉलेज से लौट रही थी।
    कानों में धीमी म्यूज़िक चल रही थी, हाथ में बैग लटक रहा था, और आँखों में वही मासूम चमक थी जो उसके नाम की तरह सुनहरी लगती थी।

    सोना एक सीधी-सादी लड़की थी — लेकिन उसकी सादगी के पीछे ज़िद और आत्मविश्वास की परतें थीं।
    वो किसी से जल्दी हार नहीं मानती थी। उसके लिए ज़िंदगी सीधी रेखा नहीं, बल्कि खुद से किए वादों की लड़ाई थी।

    जैसे ही घर के दरवाज़े की कुंडी खुली, उसने ऊँची आवाज़ में कहा,
    “भैया... मैं आ गई!”

    हॉल में बैठे आर्यन मलिक ने लैपटॉप से नज़र उठाई और मुस्कुरा दिया।
    “आ गई तू? बढ़िया। जल्दी तैयार हो जा। डिनर पर चल रहे हैं — आज एक खास दोस्त आ रहा है।”

    सोना ने बैग सोफे पर फेंका और भौंहें चढ़ाईं,
    “फिर से आपके वही बोरिंग दोस्तों में से कोई? भैया, प्लीज़, मुझे ना जाने दो।”

    आर्यन ने हँसते हुए जवाब दिया,
    “नहीं, ये वाला थोड़ा अलग है। पहली बार मिलोगी उससे। यकीन मान, बोर नहीं होगी।”

    सोना ने कंधे उचकाए। उसके लिए यह बस एक और शाम थी — भाई के दोस्तों, उनके बिज़नेस टॉक्स और बेमतलब के formalities के साथ।


    ---

    कुछ देर बाद वो हल्के पीच रंग की ड्रेस में नीचे उतरी। बालों की लटें उसके गालों को छू रही थीं, और वो बिना कोशिश के भी खूबसूरत लग रही थी।

    तभी दरवाज़े की घंटी बजी।
    आर्यन ने उत्साह से उठकर दरवाज़ा खोला — और सामने था अमन रायज़ादा।

    लंबा कद, हल्के फॉर्मल कपड़े, और आँखों में वो ठहराव जो किसी पुरानी कहानी का रहस्य छुपाए हो। उसके चेहरे पर आत्मविश्वास का एक अजीब सुकून था, जैसे वो हर जगह फिट बैठता हो, पर फिर भी किसी से जुड़ा न हो।

    “अमन!” आर्यन ने उसे गले लगाया। “कहाँ था यार इतने दिनों से?”

    अमन मुस्कुराया, “ज़िंदगी के जंजाल में।”

    दोनों अंदर आए, और तभी अमन की नज़र सोना पर पड़ी।
    वो कुछ पल के लिए रुक गया — जैसे किसी पुराने गाने की धुन अचानक कानों में पड़ गई हो।

    सोना भी थोड़ी असहज हुई, फिर झट से नज़रें झुका लीं।
    आर्यन ने हँसते हुए कहा,
    “सोना, ये है अमन — मेरा बेस्ट फ्रेंड। और अमन, ये मेरी छोटी शैतान बहन।”

    सोना ने हल्की मुस्कान दी, “हाय…”

    अमन ने सिर हिलाया। उसकी नज़रें गहरी थीं — इतनी कि सोना को लगा, वो उसकी चुप्पी तक पढ़ लेगा।


    ---

    डिनर टेबल पर माहौल हँसी–ठिठोली से भर गया था।
    आर्यन और अमन पुराने कॉलेज के किस्सों में खोए थे — मस्ती, बंक, लड़कियाँ, और आज का बिज़नेस।

    सोना चुपचाप खा रही थी, पर बार-बार उसे महसूस हो रहा था कि अमन की निगाहें कभी-कभी उसकी तरफ टिक जाती हैं।
    वो न तो सीधी बात कर रहा था, न पूरी तरह नज़रें फेर रहा था — जैसे कोई उसे समझने की कोशिश कर रहा हो।

    “तू अब भी उतनी ही शरारती है?” अमन ने अचानक पूछा।

    सोना चौंक गई। “मतलब?”

    अमन ने होंठों पर हल्की मुस्कान लाई,
    “तेरे भैया के किस्से सुने हैं। सोचा बहन भी वैसी ही होगी — थोड़ी नटखट, थोड़ी जिद्दी।”

    सोना ने नज़रें उठाईं, “और आप कौन होते हैं जज करने वाले? आप तो मुझे जानते भी नहीं।”

    अमन ने सिर झुकाकर धीरे से कहा,
    “जज नहीं कर रहा, बस… अंदाज़ा लगा रहा हूँ।”

    आर्यन ने बीच में हँसते हुए टोका,
    “बस करो तुम दोनों! पहली बार मिले हो और अभी से नोकझोंक शुरू।”

    सोना ने तुनककर प्लेट की तरफ देखा, पर उसके होंठों पर अनचाही मुस्कान आ गई थी।
    वो नहीं समझ पा रही थी कि उसे गुस्सा ज़्यादा आ रहा था या दिलचस्पी।


    ---

    डिनर के बाद अमन ने घड़ी पर नज़र डाली और उठ खड़ा हुआ।
    “अब चलता हूँ, आर्यन। देर हो रही है।”

    आर्यन अंदर चला गया, और सोना अनमने ढंग से अमन को दरवाज़े तक छोड़ने आई।

    हवा में ठंड बढ़ गई थी। सड़क की लाइटें हल्की सुनहरी आभा बिखेर रही थीं।
    अमन कुछ पल चुप रहा, फिर बोला,
    “तुम्हें पता है… तुम्हारी आँखें बहुत बातें करती हैं।”

    सोना ने भौंचक्की नज़रों से उसकी तरफ देखा।
    “Excuse me? क्या मतलब है इसका?”

    अमन ने धीमी मुस्कान दी, “गलत मत समझना। बस इतना कि तुम मासूम दिखती हो, पर अंदर से बहुत ज़िद्दी हो। सही कहा न?”

    वो पल सोना के लिए जैसे ठहर गया। उसने गहरी साँस ली, “आपको तो बड़ा confidence है अपने observation पर।”

    अमन हल्के से हँसा, “शायद… पर मुझे यकीन है कि तुम्हें मैं बिलकुल पसंद नहीं हूँ।”

    सोना ने ठंडी आवाज़ में कहा, “बिलकुल सही।”

    अमन की नज़रें उसके चेहरे पर कुछ पल के लिए टिकी रहीं — उतनी देर जितनी में कोई अनकही बात दिल से निकलकर हवा में घुल जाती है।
    फिर वो बस मुस्कुराया और चला गया।


    ---

    दरवाज़ा बंद होते ही सोना ने खुद से बड़बड़ाया,
    “कितना अजीब आदमी है! खुद को क्या समझता है?”

    लेकिन अपने कमरे में पहुँचकर जब आईने के सामने खड़ी हुई, तो बेइख्तियार उसके ज़ेहन में वही गहरी आँखें घूम गईं।
    दिल ने एक हल्की सी हलचल महसूस की, जिसे उसने ज़ोर से झटकने की कोशिश की।

    “पागल हूँ मैं… किसी अजनबी के बारे में क्यों सोच रही हूँ!”

    लेकिन दिल की धड़कनें कुछ और ही कहानी कह रही थीं।
    उसे नहीं पता था — ये पहली मुलाक़ात उसकी ज़िंदगी की सबसे बड़ी उलझन बनने वाली थी।

    To be continued
    .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... .....

  • 2. My brother's bestfriend - Chapter 2

    Words: 1000

    Estimated Reading Time: 6 min

    Chapter 2 – अनकहे जज़्बात

    रात बीत चुकी थी, लेकिन नींद सोना की आँखों से कोसों दूर थी।
    कमरे की दीवारों पर हल्की पीली रोशनी पड़ रही थी, और वो तकिये में मुँह दबाए बार-बार करवटें बदल रही थी।
    हर बार जब आँखें बंद करती, वही चेहरा सामने आ जाता — अमन रायज़ादा।

    “कितना अजीब है वो…” उसने खुद से बुदबुदाया।
    “ना ठीक से बात करता है, ना चुप रहता है… और फिर भी…”
    वो रुक गई। दिल की बात ज़ुबान पर आने से पहले ही वो तकिये से मुँह दबा कर मुस्कुराने लगी, जैसे खुद से लड़ रही हो।


    ---

    सुबह का सूरज खिड़की से झाँक रहा था। आर्यन पहले ही ऑफिस के लिए निकल चुका था।
    सोना नीचे आई तो हॉल में सन्नाटा था, लेकिन कॉफ़ी की हल्की खुशबू हवा में तैर रही थी।
    वो धीरे से रसोई में गई, और जैसे ही काउंटर पर नज़र पड़ी — वहाँ रखा था कॉफ़ी मग, जिस पर लिखा था “AR”।

    “AR…” सोना ने कप उठाया।
    “आर्यन का नहीं हो सकता, वो तो चाय पीता है।”
    फिर याद आया — Aman Raizada.

    वो मुस्कुरा दी।
    “तो जनाब यहाँ तक अपनी निशानी छोड़ गए।”


    ---

    कॉलेज में दिन सामान्य था, लेकिन उसका मन कहीं और अटका हुआ था।
    क्लास के बीच में ही सहेली माया ने चुटकी ली,
    “कहाँ खोई रहती है आजकल? किसी की याद सता रही है क्या?”

    सोना ने किताब से चेहरा छिपाते हुए कहा,
    “कुछ नहीं यार, बस थोड़ी थकी हूँ।”

    पर उसकी मुस्कान ने सब कह दिया था।
    दिल में कहीं कोई हलचल थी — कुछ नया, कुछ अनजाना।


    ---

    शाम को जब वो घर लौटी, गाड़ी गेट के पास खड़ी थी।
    “भैया आ गए?” उसने सोचा।
    लेकिन जैसे ही अंदर कदम रखा, आवाज़ आई —
    “Hi again.”

    सोना पलटी।
    दरवाज़े के पास वही खड़ा था — अमन रायज़ादा।
    सफेद शर्ट की बाँहें मुड़ी हुईं, और आँखों में वही हल्की शरारत।

    “आप?” उसने हैरान होकर कहा।
    “भैया तो घर पर नहीं हैं।”

    अमन मुस्कुराया,
    “पता है। उन्होंने मुझे कुछ फाइल्स दी थीं, वही लेने आया हूँ। लेकिन लगता है अब मुझे चाय भी खुद बनानी पड़ेगी।”

    सोना ने ताना मारा,
    “तो फिर बना लीजिए। किचन उधर है।”

    अमन हँसा,
    “ओह, तो अब तुम मेहमानों को खुद चाय बनाने भेजती हो? कितनी ‘संस्कारी’ बहन हो आर्यन की।”

    सोना ने नज़रों में गुस्सा और होंठों पर हल्की मुस्कान लिए कहा,
    “संस्कार तो हैं, लेकिन attitude वालों पर खर्च नहीं करती।”

    अमन उसकी बात पर हँस पड़ा।
    “तुम्हें पता है, तुम्हारी बातें हमेशा सिर में घूमती रहती हैं। शायद इसलिए मुझे तुम्हारा जवाब सुनने की लत लग गई है।”

    सोना ने घूरा,
    “आपको तो हर बात में ताना मारना होता है, है ना?”

    “नहीं,” उसने गंभीर लहजे में कहा, “कभी-कभी सच बोलना भी ज़रूरी होता है।”


    ---

    कुछ पल की खामोशी के बाद उसने पूछा,
    “कॉलेज कैसा चल रहा है?”

    सोना को थोड़ा अजीब लगा — पहली बार अमन ने उससे कुछ normal पूछा था।
    “ठीक है,” उसने जवाब दिया, “Final year है, तो थोड़ा दबाव है।”

    अमन ने सिर हिलाया।
    “दबाव ज़रूरी होता है। वही इंसान को मजबूत बनाता है।”

    उसके शब्दों में एक अनुभव था, जैसे उसने खुद बहुत कुछ झेला हो।
    सोना कुछ पल उसे देखती रही।
    “आप हमेशा इतने mature कैसे लगते हैं?”

    अमन ने हल्की मुस्कान दी,
    “क्योंकि दुनिया ने मुझे जल्दी बड़ा कर दिया।”

    सोना का दिल जैसे कुछ पल के लिए रुक गया।
    उसने पहली बार उसकी आँखों में देखा — वहाँ कोई arrogance नहीं था, बस एक छिपा हुआ दर्द।


    ---

    तभी दरवाज़े की आवाज़ आई।
    आर्यन लौट आया था।
    “अरे, तुम दोनों मिले?” उसने खुश होकर कहा।
    “अमन को अब बार-बार आना पड़ेगा, मेरा नया प्रोजेक्ट उसी के साथ है।”

    सोना ने हँसी रोकते हुए कहा,
    “मतलब अब ये रोज़ दिखेंगे?”

    अमन ने उसी लहजे में जवाब दिया,
    “लगता है किसी को मेरी आदत पड़ने वाली है।”

    आर्यन ने दोनों की तरफ देखा और हँसते हुए कहा,
    “तुम दोनों के बीच क्या chemistry है यार! लगता है ये घर अब और interesting हो जाएगा।”

    सोना ने जल्दी से कहा,
    “भैया, ऐसा कुछ नहीं है।”

    लेकिन अमन बस मुस्कुरा रहा था। उसकी आँखों में वही न जाने क्या था, जिससे सोना नज़रें चुराने लगी।


    ---

    रात को जब वो अपने कमरे में गई, आईने के सामने रुकी।
    “वो फिर आ गया…” उसने खुद से कहा,
    “और मैं फिर उससे उलझ पड़ी।”

    पर अंदर कहीं, उसे पता था — अब ये उलझन बस झगड़े की नहीं, जज़्बातों की थी।


    ---

    वहीं नीचे, अमन अपनी गाड़ी में बैठा मुस्कुरा रहा था।
    बारिश फिर से शुरू हो चुकी थी।
    उसने शीशे पर गिरती बूँदों को देखा और धीमे से कहा,
    “तुम जितना भागो, सोना… उतना ही पास आओगी।”

    और उस रात, दोनों के बीच कुछ ऐसा जुड़ गया था — जो न कहा गया, न माना गया… बस महसूस किया गया।


    To be continued
    .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ......

  • 3. My brother's bestfriend - Chapter 3

    Words: 1003

    Estimated Reading Time: 7 min

    📖 Chapter 3 – धड़कनों का शोर

    सुबह की हल्की हवा खिड़की से भीतर आ रही थी। परदे हौले–हौले लहरा रहे थे, और उनके बीच से छनकर आती धूप सोना के चेहरे पर पड़ रही थी। नींद में भी उसके होंठों पर हल्की मुस्कान थी — जैसे किसी प्यारे ख्वाब ने उसे छू लिया हो।

    ख्वाब वही था... अमन रायज़ादा का।
    वो सपना जिसमें उसने कुछ कहा नहीं, लेकिन उसकी नज़रों ने बहुत कुछ कह दिया था।

    सोना ने करवट बदली, आँखें खोलीं, और खुद पर झुंझलाने लगी —
    “मुझे क्या हो गया है? हर वक्त वही क्यों याद आता है?”

    वो उठकर आईने के सामने गई, बालों को सँवारते हुए खुद को देखती रही।
    आईने में उसे वही नज़ारा याद आया जब अमन ने कल उसकी तरफ देखा था — बिना किसी मुस्कान के, लेकिन आँखों में कुछ ऐसा था जिससे उसकी साँसे रुक गई थीं।


    ---

    नीचे हॉल में आर्यन और अमन साथ बैठे थे।
    आर्यन के हाथ में लैपटॉप था, और अमन कुछ फाइलें देख रहा था। दोनों काम में डूबे थे, पर जैसे ही सोना सीढ़ियों से नीचे उतरी, अमन की नज़र अनजाने में उस पर चली गई।

    सफेद सलवार-कमीज़ में वो किसी ताज़गी की तरह लग रही थी — मासूम, लेकिन आत्मविश्वासी।
    अमन ने नज़रें झुका लीं, पर होंठों पर हल्की मुस्कान तैर गई।

    आर्यन ने कहा,
    “सोना, अमन नाश्ता नहीं करेगा जब तक तुम उसे जबरदस्ती ना कहो। पता नहीं ये खुद को क्या समझता है।”

    सोना ने मुस्कुराते हुए कहा,
    “तो ये काम मुझसे क्यों करवाना है? आप कह दीजिए ना।”

    अमन ने हँसते हुए जवाब दिया,
    “क्योंकि मैं तुम्हारे कहने पर ही मानता हूँ शायद।”

    सोना ठिठक गई।
    आर्यन ने तो ध्यान नहीं दिया, लेकिन उसके दिल की धड़कन थोड़ी तेज़ हो गई।


    ---

    नाश्ते की टेबल पर अजीब-सी खामोशी थी।
    आर्यन फोन पर किसी कॉल में व्यस्त था, और अमन बार-बार कॉफ़ी की चुस्कियाँ ले रहा था — बिना किसी शब्द के।

    सोना ने आखिर बोल ही दिया,
    “आप हमेशा इतने चुप रहते हैं? या सिर्फ़ जब मैं होती हूँ तब?”

    अमन ने भौंह उठाई,
    “कभी-कभी चुप रहना ज़रूरी होता है। सब कुछ शब्दों से नहीं कहा जाता।”

    “और कभी-कभी ज़रूरी होता है कि इंसान बोल दे, वरना सामने वाला गलत समझता है।”
    सोना ने पलटकर कहा, उसकी आवाज़ में हल्की झुंझलाहट थी।

    अमन ने सीधा उसकी आँखों में देखा,
    “तो फिर तुम भी बोल दो, क्या समझना चाहिए मुझे?”

    सोना का गला सूख गया।
    वो जल्दी से उठ खड़ी हुई, “मुझे कॉलेज के लिए देर हो रही है।”

    अमन मुस्कुराया, “ठीक है, मैं छोड़ दूँ?”
    “नहीं, धन्यवाद।”
    उसने अपने बैग का स्ट्रैप कंधे पर डाला और बाहर निकल गई।

    लेकिन पीछे से आती अमन की नज़रों की गर्माहट उसे पूरे रास्ते महसूस होती रही।


    ---

    कॉलेज में दिन सामान्य था, पर मन नहीं।
    क्लास में बैठी-बैठी वो नोट्स पर ध्यान देने की कोशिश कर रही थी, पर दिमाग कहीं और था।

    माया ने फिर से चुटकी ली,
    “अब बता भी दे न, कौन है वो?”

    सोना ने उसे घूरा, “तू हर बात को रोमांस बना देती है।”
    माया ने हँसते हुए कहा, “तो फिर दिल में जो हलचल है वो क्या है?”

    सोना के पास कोई जवाब नहीं था।
    बस हल्की मुस्कान थी — वही जो खुद से छिपी रहती है लेकिन सबको दिख जाती है।


    ---

    शाम को जब वो घर लौटी, बाहर बारिश हो रही थी।
    गेट के पास वही गाड़ी खड़ी थी।
    वो पल भर के लिए रुक गई — दिल ने बिना वजह एक धड़कन छोड़ दी।

    दरवाज़ा खुला, और अमन बरामदे में खड़ा था।
    स्लेटी शर्ट, हल्की भीगी हुई बालों की लटें, और नज़रों में वही शरारत जो हर बार उसे असहज कर देती थी।

    “बारिश में भी ड्रामा बंद नहीं होता तुमसे,” उसने मुस्कुराते हुए कहा।

    सोना ने झट से पलटकर कहा, “आप हर वक्त मेरे बारे में सोचते रहते हैं क्या?”

    अमन करीब आया, उतनी दूरी पर जहाँ उसकी साँसें सोना तक पहुँच रही थीं।
    “शायद हाँ,” उसने धीमे से कहा, “क्योंकि जब कोशिश करता हूँ भूलने की, तुम और याद आ जाती हो।”

    सोना ने नज़रे झुका लीं, लेकिन उसके गालों पर हल्की लाली साफ़ दिख रही थी।
    वो जल्दी से भीतर चली गई।


    ---

    रात को आर्यन देर से घर आया।
    सोना ड्राइंग रूम में बैठी थी, किताब खोले लेकिन ध्यान कहीं और था।
    अमन वहाँ नहीं था, पर उसकी मौजूदगी अब भी घर की हवा में तैर रही थी।

    वो सोच रही थी — क्यों हर मुलाकात कुछ नया एहसास छोड़ जाती है?
    क्यों उसकी हर बात दिल पर असर कर जाती है?

    वो खुद को समझा नहीं पा रही थी।
    लेकिन जो हो रहा था, वो सिर्फ़ एक ‘crush’ नहीं था — वो कुछ गहरा था।


    ---

    उधर, दूसरी ओर अमन अपने कमरे की खिड़की पर खड़ा था।
    बारिश अब थम चुकी थी।
    उसने अपनी हथेलियों में एक पुरानी तस्वीर थामी हुई थी — बचपन की, जिसमें वो और आर्यन थे।

    “तू मेरा भाई जैसा है…” वो बुदबुदाया,
    “और उसकी बहन… क्यों मेरे दिल के इतने करीब आ रही है?”

    उसके चेहरे पर एक जटिल मुस्कान थी — जैसे वो खुद से लड़ रहा हो।
    वो जानता था कि ये रिश्ता आसान नहीं है।
    पर दिल... दिल को कौन समझाए?

    उसने खिड़की बंद की, गहरी साँस ली और आँखें मूँद लीं —
    पर अंदर कहीं वो जानता था, अब कुछ बदल चुका है।

    क्योंकि कभी-कभी... खामोशी भी इज़हार बन जाती है।

    To be continued
    .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ...

  • 4. My brother's bestfriend - Chapter 4

    Words: 1000

    Estimated Reading Time: 6 min

    📖 Chapter 4

    सुबह की हल्की ठंड हवा में घुली थी। खिड़की से आती धूप ने पूरे कमरे को सुनहरे रंग में रंग दिया था। सोना अपने बिस्तर पर बैठी थी, हाथ में एक कप कॉफ़ी और मन में हजारों ख़याल। वो अपने फोन की स्क्रीन पर लगी तस्वीर देख रही थी — अपने भाई आर्यन और अमन की।

    वो तस्वीर देखने भर से उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई, लेकिन दिल में अजीब-सी हलचल भी हुई।
    कितना अजीब था ना… जिस इंसान को वो कुछ महीनों पहले तक सिर्फ़ ‘भैया का परेशान करने वाला दोस्त’ समझती थी, आज वही उसके हर ख़याल में शामिल था।

    “मुझे क्या हो गया है…” उसने खुद से कहा, कप टेबल पर रख दिया, और उठकर बाहर चली गई।


    ---

    हॉल में आर्यन और अमन पहले से मौजूद थे। दोनों किसी फाइल पर चर्चा कर रहे थे, पर जैसे ही सोना ने कदम रखा, अमन की नज़र उस पर टिक गई।
    सादे गुलाबी कुर्ते में, खुले बालों के साथ वो आज कुछ और ही लग रही थी।

    आर्यन ने मुस्कुराते हुए कहा,
    “सोना, तुम आ गई! अच्छा हुआ। अमन को ज़रा कैंपस तक छोड़ आना, उसे वहाँ किसी से मिलना है।”

    सोना ने चौंककर कहा,
    “मैं? लेकिन मुझे भी कॉलेज जाना है।”

    अमन ने हल्की मुस्कान के साथ कहा,
    “तो रास्ता एक ही है, मिस मलिक।”

    सोना ने मन ही मन गहरी साँस ली।
    “ठीक है…”


    ---

    गाड़ी का सफर अजीब-सा शांत था। बारिश के बाद की सड़कें भीगी थीं, और कार के शीशे पर धूप के कतरे चमक रहे थे।
    सोना खिड़की से बाहर देखती रही, पर उसके दिल में अंदर कुछ बेचैन था।

    “तुम कुछ कहना चाह रही हो?” अमन ने अचानक पूछा।
    सोना ने नज़रें उसकी तरफ़ मोड़ी।
    “आपको ऐसा क्यों लगा?”

    “क्योंकि तुम्हारी खामोशी बहुत बोलती है,” अमन ने जवाब दिया, “और मैं अब उसे समझने लगा हूँ।”

    सोना की साँस जैसे थम गई।
    कुछ पल के लिए कार में बस दोनों की साँसों की आवाज़ थी।

    “आपको लगता है, सब कुछ समझ लेना इतना आसान होता है?”
    उसने हल्की आवाज़ में कहा।

    अमन मुस्कुराया,
    “नहीं, लेकिन कुछ लोग इतने साफ़ दिल के होते हैं कि उनकी बातें बिना बोले भी सुनाई देती हैं।”

    सोना उसकी तरफ देखती रही — उस पल में उसकी आँखों में कोई मज़ाक नहीं था, कोई arrogance नहीं था, बस सच्चाई थी।
    वो झट से नज़रें फेर ली।

    “आप हर वक्त बातें ऐसे क्यों करते हैं कि कोई कुछ सोचने पर मजबूर हो जाए?”
    अमन ने हल्की हँसी में कहा,
    “शायद इसलिए क्योंकि तुम सोचती हो… बाकी तो बस सुनते हैं।”


    ---

    कॉलेज पहुँचे तो अमन ने कार पार्क की।
    “धन्यवाद,” सोना ने कहा, उतरते हुए।
    “हर बार धन्यवाद बोलना ज़रूरी है क्या?” अमन ने गंभीर लहजे में पूछा।
    सोना ठिठक गई, “तो फिर क्या कहूँ?”
    “बस मुस्कुरा दो,” उसने कहा और गाड़ी का दरवाज़ा बंद कर दिया।

    सोना मुस्कुराई — चाहकर भी नहीं रोक पाई।


    ---

    शाम को जब वो वापस लौटी, आर्यन घर पर नहीं था।
    वो किचन में कुछ बना रही थी, तभी पीछे से किसी ने कहा,
    “मुझे भी कॉफ़ी चाहिए।”

    वो पलटी — वही अमन।
    “आप फिर आ गए?”
    “हाँ,” उसने मुस्कुराते हुए कहा, “भैया की फाइल छोड़ने।”

    सोना ने कॉफ़ी मशीन चालू की, और बोली,
    “आपको इतनी फाइलें कैसे मिल जाती हैं कि हर बहाने घर तक ले आती हैं?”

    अमन किचन के स्लैब पर टिक गया,
    “शायद बहाने नहीं हैं, आदत बन गई है यहाँ आने की।”

    सोना ने पलटकर उसकी तरफ़ देखा।
    उसकी आवाज़ में कोई मस्ती नहीं थी, सिर्फ़ सच्चाई थी।
    उस पल उसके दिल की धड़कनें फिर तेज़ हो गईं।

    “आपको… मुझसे कुछ कहना था?”
    उसने धीरे से पूछा।

    अमन कुछ पल खामोश रहा, फिर बोला —
    “कभी-कभी कुछ बातें वक़्त आने पर ही कही जा सकती हैं, सोना।”

    उसकी नज़रों में कुछ ऐसा था जो सोना को पल भर के लिए वहीं रोक गया।
    वो कुछ कह पाती, उससे पहले ही दरवाज़े की आवाज़ आई —
    आर्यन लौट आया था।

    “अरे, तुम दोनों यहीं हो? अमन, डिनर करके जाना,” आर्यन ने कहा।

    अमन ने सिर हिलाया, “ज़रूर।”


    ---

    डिनर की मेज़ पर माहौल थोड़ा हल्का था।
    आर्यन अपने ऑफिस की बातों में व्यस्त था, लेकिन अमन और सोना के बीच नज़रों का एक अलग संवाद चल रहा था — जो सिर्फ़ दोनों समझ सकते थे।

    सोना ने प्लेट में खाना परोसा, लेकिन हर बार जब उसकी उंगलियाँ अमन के करीब जातीं, उसे अपने भीतर एक हल्का कंपन महसूस होता।

    वो कुछ कहने ही वाली थी कि अमन ने धीमे से कहा,
    “तुम्हारा ये खामोश रहना बहुत खतरनाक है, सोना।”

    “क्यों?” उसने नज़रें मिलाए बिना पूछा।
    “क्योंकि जब तुम बोलती नहीं, तब तुम्हारी आँखें सब कह देती हैं।”

    सोना ने झट से नज़रें झुका लीं।
    आर्यन ने कुछ सुना नहीं था, पर अमन के चेहरे पर वही मुस्कान थी — जो सिर्फ़ सोना के लिए थी।


    ---

    रात को जब अमन चला गया, सोना बालकनी में आकर खड़ी हो गई।
    हवा में अब भी उसकी खुशबू थी।
    उसने आसमान की तरफ़ देखा — वहाँ चाँद बादलों के बीच से झाँक रहा था।

    “मुझे नहीं पता ये सब क्या है,” उसने खुद से कहा,
    “पर जो भी है… अब इसे नज़रअंदाज़ करना मुश्किल हो गया है।”


    ---

    उसी वक्त, अमन अपनी कार में था।
    उसने रियर-व्यू मिरर में खुद को देखा और हल्के से बुदबुदाया,
    “अब सिर्फ़ नज़रें ही नहीं… शायद दिल भी मानने लगा है।”

    उसकी उंगलियाँ स्टीयरिंग पर थमी रहीं, और चेहरा खामोश मुस्कान में बदल गया।
    कुछ एहसास ऐसे होते हैं जो कहे नहीं जाते… बस महसूस किए जाते हैं —
    और आज रात, दोनों ने वही महसूस किया।

    To be continued ... .... ..
    .... ...... ...... ..... .. ... .... .. ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ......

  • 5. My brother's bestfriend - Chapter 5

    Words: 1000

    Estimated Reading Time: 6 min

    📖 Chapter 5 – दिल की सरगोशियाँ

    रात बीत चुकी थी, लेकिन नींद आज फिर सोना की आँखों से कोसों दूर थी।
    कमरे की खिड़की से आती हल्की हवा उसके चेहरे से टकरा रही थी, बाल बार-बार उसके गालों पर आ रहे थे, और दिल में वही बेचैन-सी धड़कन गूंज रही थी — जैसे कोई नाम बार-बार फुसफुसा रहा हो… “अमन।”

    वो उठकर आईने के सामने आई। अपनी ही परछाईं को देख रही थी, जैसे खुद से सवाल कर रही हो —
    “क्या ये सिर्फ़ पसंद है… या कुछ और?”

    हर बार जब वो उसके करीब होती, दिल की धड़कनें बेकाबू हो जातीं। और जब वो सामने नहीं होता, तो जैसे सब खाली लगने लगता।

    “नहीं…” उसने खुद से कहा, “ये सब सिर्फ़ attraction है, और कुछ नहीं।”
    पर अगले ही पल उसके चेहरे पर वही शर्मीली-सी मुस्कान लौट आई।




    सुबह हल्की धूप कमरे में फैली थी। आर्यन पहले ही ऑफिस निकल चुका था, और सोना किचन में नाश्ता बना रही थी। तभी पीछे से किसी की भारी आवाज़ आई —
    “Good morning, Miss Chef.”

    वो पलटी — और सामने वही था।
    सफेद शर्ट, नीली जीन्स, और चेहरे पर वो शरारती मुस्कान।

    “आप… फिर?” सोना ने हैरानी से पूछा।
    “तुम्हारे भैया ने बुलाया है, एक मीटिंग है साथ में।”

    “और आप सीधे किचन में घुस आए?”
    अमन ने मुस्कुराते हुए कहा,
    “जहाँ कॉफ़ी की खुशबू हो, वहाँ खुद को रोक पाना मुश्किल होता है।”

    सोना ने उसे घूरा,
    “कॉफ़ी नहीं, काम कर रही थी।”
    “तो फिर मुझे भी काम दे दो,” उसने पास आते हुए कहा।

    सोना एक कदम पीछे हटी।
    “नहीं चाहिए मदद।”
    अमन हँस पड़ा, “डर गई?”
    “मैं? किसी से नहीं।”

    “अच्छा…” अमन थोड़ा झुका, उसके बहुत करीब आकर बोला,
    “तो फिर इतनी जल्दी दूर क्यों हट जाती हो?”

    सोना के दिल की धड़कनें अचानक तेज़ हो गईं। उसकी साँसें अटक-सी गईं।
    “आपका तरीका सही नहीं है,” उसने धीमी आवाज़ में कहा।

    अमन ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा,
    “तुम्हें लगता है, मुझे परवाह है सही-गलत की?”
    और फिर एक पल में वो मुस्कुराकर पीछे हट गया, जैसे कुछ हुआ ही न हो।

    “कॉफ़ी बन जाने पर मुझे बुला लेना,” उसने हल्के स्वर में कहा और बाहर चला गया।

    सोना वहीं खड़ी रह गई, उसके कदम जैसे ज़मीन पर जम गए हों।
    दिल जोर से धड़क रहा था, पर चेहरे पर गुस्सा और हल्की झिझक का अजीब-सा मेल था।

    “ये आदमी पागल है… लेकिन…”
    उसने धीरे से मुस्कुरा दिया,
    “दिल भी कुछ अजीब हो गया है।”


    ---

    शाम तक सब सामान्य रहा, लेकिन उसके मन में वही सुबह का पल घूमता रहा।
    अमन का अंदाज़, उसकी आँखों की तीव्रता, और वो हल्की-सी मुस्कान — सब कुछ जैसे दिल में बस गया था।

    रात को जब वो बालकनी में बैठी किताब पढ़ रही थी, बाहर की सड़क पर गाड़ी की लाइटें चमकीं।
    वो नीचे झाँकी — गेट के पास अमन खड़ा था।

    “अब ये यहाँ क्या कर रहा है…” वो बड़बड़ाई, पर कदम अपने आप नीचे बढ़ गए।

    जैसे ही वो बाहर पहुँची, अमन ने उसकी तरफ देखा।
    “तुम्हारा भाई घर पर नहीं है?”
    “नहीं, मीटिंग के लिए बाहर गए हैं। लेकिन आप?”

    “कुछ फाइल्स देने आए था… और शायद किसी से बात करने का मन था।”

    “किससे?” सोना ने पूछा।
    “तुमसे।”

    सोना के होंठों पर मुस्कान आई, लेकिन उसने तुरंत छिपा ली।
    “आपको लगता है मैं इतनी फुर्सत में हूँ?”
    “तुम्हारे पास वक्त नहीं होता, पर बातें हमेशा तुम्हारे आसपास ठहर जाती हैं।”

    सोना ने धीरे से कहा,
    “आप हमेशा इतने अजीब बातें क्यों करते हैं?”
    “क्योंकि सच्ची बातें कभी आसान नहीं होतीं।”


    ---

    दोनों बालकनी के पास खामोश खड़े रहे।
    हवा में ठंडक थी, पर उस खामोशी में एक गहरी गर्मी थी — दिल की।

    अमन ने अचानक कहा,
    “जानती हो, तुम्हारी सबसे बड़ी दिक्कत क्या है?”
    सोना ने भौंहें चढ़ाईं, “क्या?”
    “तुम अपने दिल की सुनने से डरती हो।”

    सोना पल भर को सन्न रह गई।
    “और आप?”
    “मैं तो कब का सुन चुका हूँ,” उसने धीमे से कहा।

    उसकी आँखों में वो बात थी, जिसे शब्दों की ज़रूरत नहीं थी।
    सोना कुछ पल उसे देखती रही — फिर बोली,
    “अगर भैया को पता चला तो?”

    अमन मुस्कुराया,
    “तो कह देना कि उनकी बहन को मेरा attitude पसंद नहीं।”

    दोनों हँस पड़े — लेकिन उस हँसी में एक सच्चाई थी, जो धीरे-धीरे एक रिश्ता बन रही थी।


    ---

    रात गहराती चली गई।
    अमन ने जाते-जाते दरवाज़े पर रुककर उसकी तरफ देखा और कहा,
    “कभी-कभी, सबसे बड़ी गलतियाँ ही ज़िंदगी की सबसे खूबसूरत शुरुआत होती हैं।”

    सोना ने कुछ नहीं कहा। बस खामोश खड़ी रही — और उसके जाने के बाद भी उसकी आवाज़ देर तक कानों में गूंजती रही।

    उसने आसमान की तरफ देखा, और हल्के से मुस्कुराई,
    “शायद अब ये गलती मुझे भी करनी पड़ेगी…”


    To be continued.....
    .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ...