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हां इश्क़ है मुझे भी

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Monika tyagi

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ये कहानी है ईशानी और अविका दो बहनों की जो अपने बीच के रिश्ते के असल सच से अनजान हैं। ईशानी जो बेइंतहा खूबसूरत हैं ना सिर्फ चेहरे से बल्कि दिल से भी, अपनी खूबसूरती को बदसूरत चेहरे के पीछे छुपा कर रखती हैं तो वही उसके चरित्र की खूबसूरती को अविका बदसूरत...

Total Chapters (14)

Page 1 of 1

  • 1. हां इश्क़ है मुझे भी - Chapter 1

    Words: 1193

    Estimated Reading Time: 8 min

    एक लड़की उम्र यही कोई 20 -22के आसपास एक बड़े से रॉयल कमरे में जिसकी आंखों पर मोटे लेंस का चश्मा लगा था जिसे वो बार-बार आंखों पर लगा रही थी और बार-बार उतार रही थी.....!! साथ ही उसके हाथ तेजी से अलमारी से कपड़े निकाल कर सूटकेस में लगाने में लगे हुए थे .....!! चेहरे पर दर्द और फ्रस्ट्रेशन दोनों नजर आ रहे थे क्योंकि बार-बार चश्मा उतारना , लगाना उसके काम को अवरुद्ध कर रहा था और ऐसा लग रहा था जैसे उस कमरे में कोई बड़ा सैलाब या तूफान आने वाला है या उस कमरे में किसी ने टाइम बम लगाया हुआ है और वो बस फटने ही वाला है और इससे पहले कि वो फटे उस कमरे को वो छोड़ देना चाहती थी ! और रही बार-बार चश्मे को आंखों पर चढ़ाने और उतारने की बात तो ऐसा करना मजबूरी थी उसकी .......कोई खेल नहीं खेल रही थी .....!!क्योंकि उसकी आंखों से बेतहाशा लगातार बहते आंसू उसे ऐसा करने के लिए मजबूर कर रहे क्योंकि उसकी लंबी घनी पलके भीग बार-बार उन आंखों से बहते अश्कों से भी जा रही थी और भीग कर बार-बार चश्मे के संपर्क में आकर उसे भिगो दे रही थी तो वो अपने चश्मे को उतारकर साफ करती हैं।
    सामान पैक करके वो लड़की बहुत सारी ऐसी चीज जिन्हें वो अपने साथ नहीं ले जा सकती थी, कैसे ले जाती एक सूटकेस और एक पिट्ठू बैग में पूरा रूम तो पैक नहीं हो सकता था ना तो एक-एक चीज को छू कर देखती है जैसे उनसे जुड़ी यादों को अपने अंदर समेट लेना चाहती थी । और ये सब करते हुए कितनी बार उसके होठों पर मुस्कुराहट बिखरी और कितनी बार उसके चेहरे पर दर्द उतर आया, उसका उसे भान ही नहीं था .....!! एहसास ही नहीं हो रहा था! होता भी कैसे  इतनी सारी मिक्स फिलिंग्स थी उन्हें कुछ पलों में समेट पाना संभव भी तो नहीं था । फिर वो गहरी सांस लेती है और खुद को यादों के भंवर से बाहर निकलती है और अंदर से मजबूत करने की कोशिश करके कबर्ड से कुछ चादर निकालती है....!!चादर आपस में बांधती है और अपने रूम की बालकनी पर आती है चादर का एक छोर बालकनी की रेलिंग से बांधती है और दूसरे छोर से अपने सूटकेस को बांधकर धीरे-धीरे सूटकेस को नीचे आंगन में उतार देती है उसके बाद वो लड़की एक बार फिर रोते हुए अपने चश्मे को उतारती है और साफ करके फिर से अपनी आंखों पर चढा लेती है और एक भरपूर नजर पूरे कमरे पर डालती है जैसे उस कमरे को अपनी आंखों में हमेशा के लिए बसा लेना चाहती हो ....!!
    अपनी आस्तीन से अपने गालों पर लुढ़क आए आंसुओं को साफ करती है और अपनी जींस की पॉकेट से अपना मोबाइल निकाल कर एक आखरी बार उस कमरे के साथ अपनी सेल्फी लेते हुए मुस्कुराने की कोशिश करते हुए फोटो क्लिक करती है मुस्कुराते ही उसके ब्रेसिल्स लगे दांत दिखने लगते हैं ...!! वो सेल्फी को एक बार चेक करती हैं और खुद के चेहरे पर उसका हाथ अनायास ही चला जाता है और उसके होंठ हल्के से फड़फड़ाते हैं ,,,,,,,, क्यों मेरे साथ ही क्यों.....?? इतनी बुरी तो दिखती हूं फिर भी.......??
    लेकिन उसे अपने सवाल का जवाब नहीं मिलता....!! स्क्रीन धुंधली पड़ जाती है और एक बार फिर आंखों का पानी विजन को धुंधला कर जाता है।
    वो लड़की गहरी सांस लेती है जैसे तैयार कर रही हो खुद को....!! क्यों, कैसे ,किस लिए....?? ये तो वही जानती थी....!! खैर अपने दिमाग में उमड़ते घुमड़ते असंख्य सवालों और दर्द को समेट कर वो लड़की रेलिंग के पास आती है और एक स्टूल पर चढ़कर चादर के सहारे धीरे-धीरे नीचे उतर जाती है.....!!

    अपना लगेज संभालती है और आहिस्ता आहिस्ता चोरी चोरी अपने कदम बढ़ाती है तो गार्डन के एक कोने में कुछ  हलचल देख उसके कदम ठहर जाते हैं....!! वो अपने चश्मे को अपनी हथेली से हिला कर अपनी नाक पर ठीक से व्यवस्थित करती है और अपनी बड़ी-बड़ी नीली आंखों को सिकोड़कर अंधेरे में मौजूद साए को देखने की कोशिश करती है.....!!धीरे-धीरे चांद की धूमिल सी रोशनी में जो देखती है तो स्तब्ध रह जाती हैं, ये देख कर कि उसकी जुड़वा बहन उसी के बेस्ट फ्रेंड के साथ बेल की भांति लिपटी हुई थी और दोनों बुरी तरह से एक दूसरे को चूम रहे थे......!!


    ये देख वो लड़की बुरी तरह लड़खड़ा जाती है लेकिन इससे पहले की लड़खड़ा कर गिरती तुरंत ही खुद को संभाल भी लेती है और खुद से बोलती है,,,,,,,, दिमाग सुन पड़ गया था....!!समझ में नहीं आ रहा था राहुल कि तुमने सोहम और अविका ( उस लड़की की बहन) के  झूठ में क्यों उनका साथ दिया .....?? क्यों उनके झूठे इल्जाम को सच ठहरा कर मुझे झूठा बना दिया....?? सोहम तो है ही बुरा फिर भी आज उसने अपनी दोस्ती अच्छे से निभा दी! लेकिन तुम फेल हो गए या शायद मैं ही फेल हो गई......!!  तुम्हारे और मेरी बहन के बीच में ये  सब कुछ चल रहा था और मुझे पता ही नहीं था.......!!अपनी गर्लफ्रेंड के लिए तुमने अपनी दोस्त की पीठ में खंजर उतार दिया.....!! क्यों......?? सिर्फ अपनी गर्लफ्रेंड को खुश करने के लिए.......!! अब तक ये सब सोचते हुए उस लड़की की हिचकियां बंधने लगती है तो वो अपने मुंह पर कस कर हाथ रख लेती है ताकि एक दूसरे को बुरी तरह से खाने को बेचैन और सबसे बेपरवाह उसकी बहन और दोस्त जिनकी वजह से आज वो इस तरह चोरी छुपे इस घर को छोड़ने पर मजबूर है, जो कहने के लिए उसका अपना घर है लेकिन उस घर में उसका कोई भी नहीं है...! फिर भी एक महफूज छत थी जो शायद अब उसके लिए महफूज नहीं रही थी।

    वो लड़की एक बार फिर अपनी भर आई आंखों को साफ करके धीरे से अपना बैग उठाती है और एक बार फिर अपनी बहन और बेस्ट फ्रेंड को देखते हैं और फिर अपना सिर झटक कर बिना आहट किये वहां से खामोशी से निकल जाती है......!!




    कौन है ये लड़की है और ऐसा क्या हुआ है उसके साथ...?? क्यों इस तरह रात के अंधेरे में घर छोड़ने को मजबूर है...??
    ये जानने के लिए उसकी लाइफ में थोड़ा पीछे से झांकना पड़ेगा....!! वैसे उसे इस तरह सामान पैक करते देख आपके दिमाग में पहला क्या विचार आया था ...?? इस उम्र में कोई लड़की ऐसे कपड़े पैक करके रात के अंधेरे में घर से जा रही हो तो पहला ख्याल, किसी बॉयफ्रेंड के साथ भाग रही है या ज्यादा खूबसूरत अट्रैक्टिव होती तो शायद हीरोइन बनने जा रही है या शायद दिल इस हद तक टूट गया कि वहां रहकर संभाल पाना मुश्किल है....!! या शायद खुद ही टूट कर इस कदर बिखर गई कि अब अपने उस विकृत रूप को औरों की आंखों से देख नहीं पाएगी.....!!और शायद इन्हीं में से किसी एक कारण की वजह से वहां से भाग जाना चाहती है शायद कुछ तो उसने ऐसा गलत किया है या उसके साथ गलत हुआ है कि इसके बाद उसकी किसी से नजरे मिलाने की हिम्मत नहीं है ....!!सवाल बहुत सारे हैं.....!! आपके दिमाग में जो आ रहा हो कृपया लिख दें।

    मिलते हैं नेक्स्ट पार्ट में !कुछ पार्ट्स तक कहानी फ्लैशबैक में चलेगी। आगाज़ कैसा लगा जरूर बताइए😊😊

  • 2. हां इश्क़ है मुझे भी - (एक्सीडेंट)Chapter 2

    Words: 1062

    Estimated Reading Time: 7 min

    एक तेज रफ्तार कार सड़क पर दौड़ती जा रही थी....!! कार एक 26- 27 साल का लड़का ड्राइव कर रहा था ....!!पीछे की सीट पर दो खूबसूरत सी लड़कियां बैठी थी और दोनों की ही गोद में दो बच्चियां थी....!! दोनों एक दूसरे के कान में कुछ बोल कर जोर से हंस रही थी।

    ड्राइविंग सीट पर बैठा लड़का नकली नाराजगी के साथ रियर व्यू मिरर में देखते हुए बोलता है,,,, नो सेंसर प्लीज़.....!!


    उनमें से एक लड़की जिसका नाम स्नेहा है और वो सुकेश की पत्नी है  हंसते हुए बोलती है,,,,,,,,सुकेश आप प्लीज़ ड्राइविंग पर ध्यान दीजिए ना....!! ये दो बहनों की सीक्रेट बातें हैं आप क्यों अपने कान यहां लगा रहे हैं.....??

    सुकेश : ये तो गलत बात है स्नेहा एक तो दोनों बहने पीछे की सीट पर बैठकर मुझे ड्राइवर बनाए हुए हो ,ऊपर से अपनी बातों में शामिल भी नहीं कर रहे...!! ऐसे तो यार मैं बोर हो जाऊंगा.....!! देखो ये गलत बात है इस तरह कान में खुसर पुसर  करके ड्राइवर का दिमाग डायवर्ट मत करो ....!!ड्राइवर बनने में मुझे कोई आपत्ति नहीं है लेकिन ऐसे तो मत जताओ कि जैसे मैं एक्जिस्ट ही नहीं करता.....!! इतने दिन साथ रही हो लेकिन तुम दोनों की सीक्रेट बातें ही खत्म नहीं हो रही है.....!! सोच लो घर पहुंच कर मैं भी अनिरुद्ध के साथ टीम बना लूंगा तो तुम दोनों बहने फिर लगी रहना आपस में....!! हम दोनों ..........

    विद ग्रेट प्लेजर.....!! सुकेश जी...!! अगर आप मेरे पति को संभाल ले ना तो सच में मजा आ जाए ....!भई मुझसे तो नहीं सम्भलते....!!
    सुकेश की बात खत्म होने से पहले ही स्नेहा की बहन नेहा जवाब देती है और उसकी बात खत्म होते ही नेहा और स्नेहा दोनों एक दूसरे को हाई-फाईव देती है और हंसने लगती है ...!!
    नेहा की बात में स्नेहा आगे बात जोड़ते हुए बोलती है,,,,, नेहा एकदम सही बोल रही है वैसे भी 2 महीने बाद मिलेंगे अनिरुद्ध जी अपनी पत्नी से आपकी तरफ मुंह उठा कर देख ले तो आप अपनी खुशकिस्मती समझना अपनी पत्नी को देखने से फुर्सत ही नहीं मिलने वाली उन्हें....!! मेरी बात मानिए  दरवाजे से छोड़कर वापस लौट चलेंगे....!! आपका भी भ्रम बना रहेगा....!! क्यों नेहा....?? कहते हुए स्नेहा जहां पहले अपने पति को चिढ़ाती है वही नेहा को कोहनी मारती है....!! बदले में नेहा शरमा जाती हैं तो स्नेहा अब नेहा को छेड़ते हुए बोलती है ,,,,,, अनिरुद्ध जी का नाम लिया नहीं और मैडम के गाल अभी शर्म से लाल होने लगे.....!!


    सुकेश : बात तो सही है ....!! हम बेचारे पति कितने मासूम होते हैं इतने दिनों बाद पत्नी से मिलने पर सब कुछ भुला बैठते हैं और बस पत्नी की तरफ ध्यान रहता है और एक पत्नियां है जिन्हें फर्क ही नहीं पड़ता ....!! स्नेहा 2 महीने से मैं भी आपसे दूर था और आप दोनों बहने 2 महीने से साथ है फिर भी आप मुझे नजरअंदाज कर रही हैं.....!!

    नेहा : वैसे स्नेहा सुकेश जी कह तो सही रहे हैं  ....!!जा बैठ जा आगे जाकर......!!


    स्नेहा :इतनी भी क्या जल्दी है तुम्हें घर छोड़कर इन्हीं को देखना है ....!! इन्हें तो आदत है ड्रामा करने की....!! ध्यान मत दे......!!

    सुकेश :(अपनी गर्दन थोड़ी सी पीछे मोड़ते हुए )अच्छा ड्रामा कर रहे हैं हम.....??
    तभी अचानक से नेहा जोर से चींखती है सुकेश जी सामने देखिए.....!!

    लेकिन इससे पहले की सुकेश सामने देखकर कार को संभाल पाते सामने से तेज रफ्तार आते ट्रक की चपेट में कार आ जाती है टक्कर होते ही कार पलट जाती हैं और उसमें आग लगनी शुरू हो जाती हैं .....!! सड़क किनारे मौजूद लैंड पर कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा था तो अच्छी खासी तादाद में मजदूर थे। टकराव की आवाज सुनकर सभी लोग एक्सीडेंट वाली जगह पर दौड़ कर पहुंचते हैं और कार को सीधा करते हैं और तुरंत ही कार को काटने की कवायत शुरू हो जाती है....!!
    भीड़ में से ही कोई पुलिस को फोन कर देता है तो जब तक भीड़ गाड़ी को काटकर कार के अंदर मौजूद लोगों को बाहर निकालती है तब तक एंबुलेंस और पुलिस की गाड़ी भी आ चुकी होती है तुरंत सबको एंबुलेंस में शिफ्ट किया जाता है तभी एक मोबाइल बजने की आवाज आती है तो एक इंस्पेक्टर मोबाइल की घंटी की आवाज सुनकर कार में झांकता है तो एक लेडीज पर्स में मोबाइल बज रहा था इंस्पेक्टर फोन उठाता है और एक्सीडेंट की सूचना फोन करने वाले को देता है......!! एक्सीडेंट की खबर सुनकर दूसरी तरफ से घबराई आवाज में फोन करने वाला बोलता है,,,,,, इंस्पेक्टर मेरी पत्नी नेहा का फोन है ये .....!!वो कैसी है......??

    इंस्पेक्टर नेहा और स्नेह दोनों को देखता है और फिर बोलता है सर दोनों औरतें बेहोश है इनमें से आपकी पत्नी कौन है मैं नहीं जानता आप तुरंत अस्पताल पहुंचिए....!! सभी को अस्पताल ले जाया जाता है ....!! एंबुलेंस जैसे ही अस्पताल के गेट पर रूकती है तो तुरंत अनिरुद्ध की कार भी पहुंच जाती है।

    दोनों बच्चियों शायद अपनी अपनी मां की गोद में होने की वजह से सुरक्षित थी उन्हें हल्की-फुल्की खरोचे ही आई थी....!! लेकिन थोड़ी देर के इलाज के बाद ही सुकेश की सांसे थम जाती है...!!
    एक ही इमरजेंसी वार्ड में स्नेहा और नेहा का इलाज चल रहा था.....!!
    दोनों ही पिछले 4 घंटे से बेहोश थी तभी धीरे-धीरे एक बहन की सांसे थम जाती हैं उसे वार्ड से बाहर ही ले जा रहे थे कि तभी दूसरी को होश आता है और वो जोर से चिल्लाती है स्नेहा......!! कहां ले जा रहे हो स्नेहा को.....?? क्या हुआ है उसे......?? स्नेहा को वापस.......... इतना बोलते हुए नेहा फिर से बेहोश हो जाती है

    अब तक नेहा और स्नेह के पेरेंट्स भी पहुंच चुके थे.....!! एक बेटी की डेड बॉडी सामने थी और दूसरी को होश में आकर चींखते देख वो लोग तय नहीं कर पाते की जो हमेशा के लिए इस दुनिया से चली गई है उसके साथ आगे बढ़े या जो चींख कर फिर से बेहोश हो गई है उसके पास जाए......??

    अनिरुद्ध  उनकी मुश्किल आसान करते हुए बोलते हैं,,,,,,,,, मॉम डैड आप नेहा के पास रुकिए मैं फॉर्मेलिटी पूरी कर लेता हूं। नेहा को कभी भी फिर से होश आ गया तो नेहा को संभालने वाला भी कोई चाहिए.....!! नेहा सच जान चुकी है ...!! दोनों बहनों में बहुत प्यार है खासतौर से नेहा की तो जान  बसती है स्नेहा में.....!!आप ही उसे संभाल सकते हैं मुझसे नहीं होगा.....!! मैं नहीं संभाल पाऊंगा और ना ही नेहा को इस हाल में देख पाऊंगा.....!!


    क्रमशः

  • 3. हां इश्क़ है मुझे भी -(मैं गुनहगार हूं) Chapter 3

    Words: 1255

    Estimated Reading Time: 8 min

    अनिरुद्ध जी उनकी मुश्किल आसान करते हुए बोलते हैं,,,,,,,,, मॉम डैड आप नेहा के पास रुकिए मैं फॉर्मेलिटी पूरी कर लेत हूं। नेहा को कभी भी फिर से होश आ गया तो नेहा को संभालने वाला भी कोई चाहिए.....!! नेहा सच जान चुकी है ...!! दोनों बहनों में बहुत प्यार है आप ही उसे संभाल सकते हैं मुझसे नहीं होगा.....!!

    कुछ दिन बाद नेहा दोनों बच्चियों के साथ डिस्चार्ज होकर घर आ जाती है नेहा के पेरेंट्स सुधीर जी और सुजाता जी दोनों ही अनिरुद्ध के यहां पर रुके हुए थे क्योंकि नेहा की स्थिति संभली नहीं थी वो अपनी बहन को याद करके कभी भी उठकर रोना शुरू कर देती थी....!! घर आने के बाद भी नेहा ठीक नहीं थी। पूरे 2 महीने लग जाते हैं नेहा को इस ट्रोमा से निकल कर आने में.....!! पूरी तरह ठीक हो गई थी ऐसा तो नहीं हुआ था लेकिन हां अब अपनी बच्चियों पर ध्यान देने लगी थी.....!!
    खासतौर से स्नेहा की बेटी पर......!!


    शाम का समय था अनिरुद्ध सुधीर जी और सुजाता जी ड्राइंग हॉल में बैठे हुए थे तभी एक बच्ची के जोर जोर से रोने की आवाज आती है तो पहले तो सब लोग कुछ मिनट तक यह सोचकर रुक रहते हैं कि नेहा संभाल लेगी क्योंकि बच्चियों को संभालने में वो अपने दर्द से बाहर आ रही थी। इसलिए वो लोग भी चाहते थे कि उन्ही में बिजी रहे.....!! कम से कम उसका दिमाग उस एक्सीडेंट से डाइवर्ट हो.....!!

    लेकिन जब काफी देर हो जाती है तो सुजाता जी से नहीं रहा जाता और वो उठकर नेहा के कमरे की तरफ बढ़ती है पीछे-पीछे अनिरुद्ध जी और सुधीर जी भी आते हैं लेकिन सुजाता जी हाथ के इशारे से उन्हें दरवाजे के बाहर ही रोक देती है और अकेले ही कमरे के अंदर जाती है तो देखती हैं कि नेहा, स्नेहा की बेटी अविका के साथ खेल रही थी जबकि उसकी खुद की बेटी बुरी तरह से रो रही थी ।नेहा का उसकी तरफ ध्यान तो क्या होता, वो उसकी तरफ से पीठ किए हुए ऐसे बैठी थी जैसे कुछ हो ही नहीं रहा है......!!


    सुजाता जी जल्दी से आगे बढ़कर नेहा की बेटी को गोदी में उठाते हुए बोलती है नेहा ध्यान कहां है बेटा तुम्हारा ईशानी कब से रो रही है......?? यह सुनकर भी नेहा पर कोई असर ही नहीं होता वह एक नजर सुजाता जी को देखते हैं और फिर से अविका के साथ खेलने में बिजी हो जाती है .....!!


    ये देखकर सुजाता जी पहले ईशानी को शांत करती है और फिर बाहर जाकर अनिरुद्ध जी को ईशानी को थमाकर वापस रूम में आती है और नेहा के सामने बैठकर उसका हाथ पकड़कर प्यार से अपने हाथ में लेकर बोलती हैं ,,,,,,,,नेहा बेटा हो क्या गया है तुम्हें ....??अविका चुप है फिर भी तुम उसे खिला रही हो !जबकि ईशानी इतनी बुरी तरह से रो रही है! तुम उस पर ध्यान नहीं देती हो आजकल....!! वो भी तुम्हारी बेटी है उसे भी तुम्हारी जरूरत है......!!


    नेहा कुछ पल सुजाता जी के चेहरे को देखती हैं और फिर अगले ही पल अपनी आंखों में आंसू भर कर बोलती है,,,,,मुझे पता है मां कि ईशानी मेरी ही बेटी है लेकिन उसके पास सब है मेरी अविका के पास तो कोई भी नहीं है....!!! मैं गुनहगार हूं इस बच्ची की.....!!

    सुजाता जी ये कैसी बहकी बहकी बातें कर रही है.....?? इसमें तेरी क्या गलती है......??

    नेहा :(रोते हुए) गलती है मेरी मॉम...!! सारी गलती मेरी ही है....!! मैंने ही कहा था उन्हें मेरे साथ आने के लिए वरना वो तो अपने घर जा रहे थे !ना वो लोग मेरे साथ आते ,ना हीं एक्सीडेंट होता और ना वो दोनों........ और ना अविका इस तरह अनाथ होती.....!! सब मेरी ही गलती है माॅम...!! सब मेरी ही गलती है....!! लेकिन मैं अपनी गलती सुधारुंगी इसे कभी अपने मॉम डैड की कमी का एहसास नहीं होने दूंगी.....!! बोलकर नेहा अविका को अपने गले से लगाकर बिलख बिलख कर रोने लगती है! नेहा की ऐसी हालत देखकर बाहर खड़े सुधीर जी और अनिरुद्ध भी अपने आंसू आने से नहीं रोक पाते....!!


    थोड़ी देर बाद नेहा शांत होती है और फिर सुजाता जी से बोलती है,,,,,,,, मॉम आप मुझे एक वादा करेंगी.....??

    सुजाता जी अपनी नम आंखों को पोंछकर नेहा के सिर पर हाथ रखते हुए बोलती है,,,,,,,, बोल मेरी बच्ची.......!! क्या चाहिए.....??


    नेहा : मॉम मैं नहीं चाहती कि अविका को कभी भी ये महसूस हो कि वो अनाथ है! आज के बाद कोई भी ये जिक्र नहीं करेगा की अविका स्नेहा की बेटी है अविका मेरी बेटी है आज से मेरी दो बेटियां है.....!! मैं नहीं चाहती कि बड़े होकर कभी भी उसे इस घर में परायापन महसूस हो.....!! उसे कभी भी मेरे व्यवहार से ये वालों की ईशानी को मैं उससे थोड़ा सा भी ज्यादा प्यार करती हूं! हो सकता है कभी मैं उसे डांट बैठू तो उसके ज़हन में ये बात आए कि क्योंकि वो मेरी अपनी बेटी नहीं है इसलिए मैंने उसे डांटा है .....!!


    नेहा की हालत को देखते हुए और वैसे भी जो नेहा ने कहा था गलत भी नहीं कहा था दोनों बहनों में इतना प्यार था तो यही प्यार आगे दोनों बछिया में भी बना रहे इसलिए सभी लोग यह फैसला करते हैं कि कभी भी इस बात का जिक्र नहीं होगा.....!!


    धीरे-धीरे समय गुजर रहा था और बच्चियों बड़ी हो रही थी नेहा का झुकाव अविका की तरफ बढ़ता जा रहा था सुजाता जी ने कई बार नेहा को समझने की कोशिश की लेकिन नेहा की इमोशनल बातें सुनकर वो चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही  थी....!!

    सुधीर जी कई बार शांति से नेहा से बात करने की सोचते लेकिन सुजाता जी हर बार उन्हें रोक लेती ये कहकर की क्या चाहते हैं आप....??एक बच्ची मै खो चुकी हूं दूसरी के अंदर का गिल्ट ही नहीं निकल रहा है.....!! उसके अंदर का गिल्ट उसे अविका पर ज्यादा ध्यान देने के लिए मजबूर कर देता है......!!







    सुधीर जी :इसका परिणाम जानती हो उसके लाड़ प्यार ने अविका को बिगाड़ दिया है !और ईशानी हमेशा सहमी सी रहती है ! उसकी छोटी से छोटी गलती पर भी नेहा भड़क उठती है जबकि अविका की बड़ी-बड़ी बदतमीजियों को भी वो नजरअंदाज कर देती है ,बल्कि अनिरुद्ध के सामने भी नहीं आने देती ! पर्दा डालती है उसकी गलतियों पर.....!! इसका परिणाम भयंकर निकलेगा.....!! जो मैं देख रहा हूं वो तुम नहीं देख पा रही हो सुजाता नेहा अपने गिल्ट में दोनों बच्चियों के साथ गलत कर रही है.....!!
    ईशानी अपनी मां के प्यार के लिए तरसती रहती है और अविका को नेहा के प्यार का ओवरडोज मिल रहा है ....!! अति हर चीज की बुरी होती है...!! उसका प्यार अविका को स्पॉइल कर रहा है.....!! जिद्दी हो गई है.....!! झूठ बोलती है अभी तो 10 साल की है यही सब चलता रहा तो मुझे डर है कि........

    सुजाता जी :आप बेकार के डर दिमाग से निकाल दीजिए नेहा का इलाज चल तो रहा है ना.....!! देखना एक दिन वो सही हो जाएगी.......!!


    10 साल हो गए हैं....!!कब सही होगी.....??

    सुजाता जी : तो क्या करें कोशिश कर तो रहे हैं कितने डॉक्टर बदल लिए लेकिन कुछ दिन हल्का-फुल्का आराम लगता है और फिर किसी न किसी बहाने वो स्नेहा को याद कर बैठती है !और फिर से उसका वही हाल हो जाता है ! सारा इलाज जीरो हो जाता है !अपने दिल पर पत्थर रखकर स्नेहा और सुकेश की फोटो हर जगह से हटा दी है ताकि नेहा का दर्द कम हो जाए लेकिन फिर भी वो भूल ही नहीं पा रही है उस हादसे को.....!! ऐसे लगता है जैसे उसकी जिंदगी वहीं रुक गई है।

    क्रमशः

  • 4. हां इश्क़ है मुझे भी - Chapter 4

    Words: 1389

    Estimated Reading Time: 9 min

    सुजाता जी : तो क्या करें कोशिश कर तो रहे हैं कितने डॉक्टर बदल लिए लेकिन कुछ दिन हल्का-फुल्का आराम लगता है और फिर किसी न किसी बहाने वो स्नेहा को याद कर बैठती है और फिर से उसका वही हाल हो जाता है अपने दिल पर पत्थर रखकर स्नेहा और सुकेश की फोटो हर जगह से हटा दी है ताकि नेहा का दर्द कम हो जाए लेकिन फिर भी वो भूल ही नहीं पा रही है उस सबको.....!!आप अपना बीपी मत बढ़ाइए.....!! इस बार छुट्टियों में नेहा बच्चियों के साथ आएगी तो मैं बात करूंगी.......!!


    सुधीर जी : हर बार यही कहकर रोक लेती हो कब तक नेहा खुद को स्नेहा और सुकेश की मौत का जिम्मेदार मान कर अपनी खुद की बेटी को यूं नजरअंदाज करती रहेगी.....!! ये जो कुछ भी हो रहा है सही नहीं हो रहा है! इस बार अच्छे से नेहा से बात करना ....!!अगर तुमसे ना हो पाए तो फिर मैं बात करूंगा.....!! मुझसे नहीं देखा जाता उस मासूम के साथ ये भेदभाव.....!! नेहा को ये समझना होगा कि खुद को अविका की क़सूरवार मानते मानते नेहा ,ईशानी की क़सूरवार बनती जा रही है.....!! जो हो चुका उसे बदला नहीं जा सकता  लेकिन जो सामने है उसे सुधारा जा सकता है! जहां उसकी कोई गलती नहीं थी वहां जबरदस्ती खुद को गिल्टी मान रही है लेकिन जहां वो सरासर गलत है उधर वह बात ही नहीं करना चाहती जब एहसास होगा तब उस गुनाह के बोझ से खुद को कैसे मुक्त कर पाएगी, सोचा है तुमने.....?? कैसे करेगी उसका प्रायश्चित....?? दो प्यार के बोल के लिए तरसती है ईशानी.....!! उसकी आंखों में खालीपन देखकर सीना छलनी हो जाता है....!! लगता है जैसे हम भी गुनाह कर रहे हैं उस मासूम के प्रति....!! सब कुछ हमारी आंखों के सामने हो रहा है फिर भी मजबूर है...!! कुछ नहीं कर पा रहे हैं उसके लिए....!!


    सुजाता जी : (सुधीर जी के हाथ पैर हाथ रखते हुए) टेंशन मत लीजिए मैं बात करूंगी ना......!!


    सुधीर जी : टेंशन कैसे ना लू .....हर बार तुम यही कहती हो लेकिन हर बार तुम्हारे बात करने पर नेहा इमोशनल हो जाती है और तुम उसकी बातों में आ जाती हो.....!! ना खुद ढंग से बात कर पाती हो ना मुझे करने देती हो......!!

    सुजाता जी :तो क्या करूं आप ही बताइए .....??आप क्यों भूल जाते हैं कि डॉक्टर ने क्या कहा था .....??दवाइयां चल रही है ना नेहा की......!! अभी भी नेहा उस एक्सीडेंट के गिल्ट से बाहर नहीं आई हैं ! आप भूल जाते हो कि स्नेहा में जान बसती थी नेहा की.....!!जरा सा बात करते ही इमोशनल हो जाती हैं ; डर लगता है कि फिर उसका डिप्रेशन ना बढ़ जाए.....!! उसकी हालत देखने के बाद भी आप ऐसी बात कर रहे हैं.....?? मैंने सोचा है कि मैं उसे साइकैटरिस्ट के पास लेकर जाऊंगी वो ही कुछ मदद करेंगे.....!! ईशानी की तरफ भी वो ध्यान दे इस बारे में समझाएंगे.....!!

    सुधीर जी :ठीक है....!! लेकिन अबकी बार नेहा को समझना होगा....!! अगर इस बार ऐसा नहीं हुआ तो मुझे कोई ना कोई कड़ा कदम उठाना होगा या तो मैं नेहा से बात करूंगा वह समझेगी तो ठीक वरना ईशानी हमारे पास रहेगी.....!! इस तरह कम से कम हमसे जितना हो पाएगा उसे उसके हिस्से का प्यार देने की कोशिश हम करेंगे....!!

    सुजाता जी : आप रहने दीजिए मैं मौके की नजाकत को देखकर अपने तरीके से बात करूंगी....!! और अगर इस बार नेहा नहीं मानी तो हम दोनों अनिरुद्ध और नेहा को अपने बुढ़ापे का हवाला देकर समझाएंगे कि वो इशानी को हमारे पास छोड़ दे....!!




    कुछ दिन बाद नेहा दोनों बच्चियों के साथ अपने मायके आती है तो अगले ही दिन सुजाता जी बहाने से उसे अपने साथ अस्पताल ले जाती हैं .....!! अपने प्लान के मुताबिक सुजाता जी नेहा को साइकैटरिस्ट से मिलवाने ले जाती है! नेहा खामोशी से साइकैटरिस्ट की बात सुन लेती हैं और इस दरमियान नेहा की तबीयत भी थोड़ा बिगड़ जाती हैं तो डॉक्टर अपनी ही एक साथी डॉक्टर को बुलाकर नेहा की तबीयत डिस्कस करता है और तुरंत ही कुछ टेस्ट कराने के लिए बोलते हैं....!! नेहा तैयार नहीं थी लेकिन डॉक्टर और सुजाता जी के सामने आखिर उसे सरेंडर करना पड़ता है और टेस्ट करा लेती है......!! डॉक्टर के केबिन से बाहर निकल कर नेहा सुजाता जी से नाराज हो जाती हैं लेकिन फिर भी डॉक्टर की बताइ दवाइयां लेने मेडिकल स्टोर पर तो चली जाती है लेकिन सुजाता जी पर नाराज भी बहुत होती है इधर सुजाता जी जिनके घुटने में दर्द था वो धीरे-धीरे नेहा के पीछे-पीछे मेडिकल स्टोर तक पहुंचती है तो नेहा गुस्से में उनकी बात सुने बिना आगे आगे अपनी कार की तरफ बढ़ जाती है....!! सुजाता जी के आने पर नेहा जैसे ही कार ड्राइव करके थोड़ा आगे बढ़ती है तो सुजाता जी अपनी बात रखने की कोशिश करती है जिस पर नेहा उन पर बुरी तरह से बिफर पड़ती है .....!!और बोलती है,,,,,, मॉम आपने पहले क्यों नहीं बताया था ....??आप मुझे झूठ बोलकर यहां लाकर क्या साबित करना चाहती है कि मैं एक बुरी मां हूं .....?? तभी सुजाता जी का फोन बजता है और सुजाता जी के फोन उठाने के चलते कुछ देर के लिए बेहतर रुक जाती है !फोन सुनने के बाद वापस नेहा का बड़बड़ाना शुरू हो जाता है! मां बेटी के बीच अरगुमेंट चालू हो चुकी थी.....!!
    सुजाता जी को भी नेहा के रवैए पर गुस्सा आ रहा था .....!! क्योंकि नेहा कुछ सुनती नहीं है और कार में ही दोनों के बीच कहां सुनी बहुत बढ़ जाती है ......!!इस सब  में अचानक से सुजाता जी जिनका सुबह से ही बीपी बढ़ा हुआ था उनका बीपी इतना बढ़ जाता है कि वो बेहोश हो जाती है......!!
    ये देखकर नेहा बुरी तरह से घबरा जाती हैं और  यू टर्न लेकर वापस हॉस्पिटल जाने का सोचती है लेकिन तभी पास में एक नर्सिंग होम दिखाई देता है तो नेहा सुजाता जी को वहीं लेकर पहुंच जाती है.....!!


    कुछ घंटे बाद सुजाता जी को होश आता है लेकिन वो अपने हाथ पैर नहीं हिला पा रही थी ....!! बोलने के लिए मुंह खोलती हैं तो मुंह में अजीब सा खिंचाव महसूस होता है और जुबान उठने के लिए तैयार ही नहीं होती है....!! सुजाता जी जोर लगा कर बोलने की कोशिश करते हैं लेकिन सिवाय घुटी घुटी सी ग ग ग की आवाज के ,मुंह से कुछ नहीं निकलता....!! सुजाता जी की जुबान और आधे शरीर पर लकवा मार गया था।
    पूरा जोर लगाकर अपने हाथ पैर हिलाने की कोशिश करती हैं तो वो भी नहीं हिला पाती ! उनका ये हाल और कोशिश देख एक तरफ खड़ी नेहा बुरी तरह से फूट-फूट कर रो पड़ती है और रोते हुए बोलती है मुझे माफ कर दो डैड सब मेरी गलती है.....!! मैं सच में बहुत बुरी हूं.....!!
    स्नेहा और सुकेश जी के एक्सीडेंट के वक्त भी मैं  उनके साथ थी तब वो लोग मुझे छोड़ने आ रहे थे और हमेशा के लिए दुनिया छोड़ कर चले गए ....!! मॉम मुझे डॉक्टर के पास लेकर आई और उनका ये हाल हो गया.....!!

    सुधीर जी :खुद को संभालो नेहा! ना पहले तुम्हारी कोई गलती थी और ना ही अब कोई गलती है....!! बोलते हुए सुधीर जी नेहा को कस के अपनी बाहों में भींच लेते हैं

    नेहा जोर से चींख कर खुद को सुधीर जी से दूर धकेलती है और रोते हुए बोलती है नहीं डैड सारी गलती मेरी ही है .....!! पहली बार भी और अबकी बार भी.....!! वो लोग अपने घर जा रहे थे! मैंने ही उन्हें अपने साथ आने के लिए बोला था! अगर वो मेरे साथ नहीं आते तो वो एक्सीडेंट नहीं होता और ना हीं मारे जाते.....!!
    मॉम मुझे समझा रही थी लेकिन मैंने उनसे  ठीक से बात नहीं की....!! गुस्सा दिखाया उन पर.....!! मेरे गलत व्यवहार की वजह से ही उनका बीपी इतना बढ़ गया.....!! मैं सच में बहुत बुरी हूं ! मै अपने अपनों के ही दुख का कारण बन रही हूं ....!! मनहूस हूं मैं! मुझे ही नहीं होना चाहिए था, बोलते हुए नेहा अचानक से फेंट होकर गिर जाती है.....!!

    सुधीर जी तुरंत डॉक्टर को आवाज देते हैं......!! नर्स की मदद से सुधीर जी नेहा को उठाकर रूम में ही मौजूद  काउच पर लिटाते हैं....!!

    वहीं दूसरी तरफ बिस्तर पर असहाय पड़ी सुजाता जी जो बेशक जिंदा लाश की तरह पड़ी थी लेकिन सब कुछ देख सुन और समझ रही थी की आंखें ये सारा मंजर देखकर अपनी बेबसी पर बह रही थी....!!

  • 5. हां इश्क़ है मुझे भी - Chapter 5

    Words: 1093

    Estimated Reading Time: 7 min

    वहीं दूसरी तरफ बिस्तर पर असहाय पड़ी सुजाता जी जो बेशक जिंदा लाश की तरह पड़ी थी लेकिन सब कुछ देख सुनो और समझ रही थी की आंखें ये सारा मंजर देखकर अपनी बेबसी पर बह रही थी....!!

    तुरंत डॉक्टर को बुलाया जाता है और नेहा को दूसरे रूम में शिफ्ट किया जाता है! एक तरफ पत्नी और एक तरह बेटी ये सब देखकर सुधीर जी को 10 साल पुराना मंजर याद आ जाता है जब एक तरफ दोनों बेटियां जिंदगी और मौत के बीच झूल रही थी और एक तरफ दामाद के सांसों की डोर टूट चुकी थी....!! एक बेटी की मांग का सिंदूर उजड़ चुका था....!! और थोड़ी देर बाद ही बेटी भी दामाद के पीछे पीछे अपने अंतिम सफर पर निकल चुकी थी! आज भी कमोबेश यही स्थिति थी पत्नी के पास रुके या बेटी का हाल देखें समझ नहीं पा रहे थे....!! पत्नी को सांत्वना देने के लिए शायद शब्द नहीं बचे थे और बेटी वो तो दुख के ऐसे सागर में डूबी हुई थी कि कुछ सुनने समझने को तैयार ही नहीं थी ,डॉक्टर के अनुसार पैनिक अटैक आया था....!!
    एक तरफ पत्नी के आंसू नहीं थम रहे थे और तो उसी तरह बेटी बेहोश थी! होश में आती भी थी तो खुद को दोष देकर रोती चिल्लाती और फिर से बेहोश हो जाती.....!!

    एक रूम से दूसरे रूम के चक्कर काटते हुए सुधीर जी चक्कर खाकर गिरने लगते हैं तभी पीछे से अनिरुद्ध जी आकर उन्हें संभाल लेते हैं....!!

    सुधीर जी और सुजाता जी को उनके हाल पर छोड़कर अनिरुद्ध नेहा और अपनी बेटियों अविका और ईशानी को लेकर वापस लौट जाते हैं ....!! वहां रुकने का कोई फायदा था भी नहीं ! सुजाता जी को देखकर नेहा की तबीयत सुधर नहीं रही थी बल्कि और बिगड़ रही थी इसलिए सुधीर जी  सजेस्ट करते हैं कि नेहा इस माहौल से दूर रहेगी, तो शायद अपने दुख से बाहर आ जाए वरना सुजाता जी को देख-देख कर खुद को दोष देती रहेगी....!!

    माहौल चेंज करने के लिए डॉक्टर की सलाह पर अनिरुद्ध नेहा और बच्चियों को लेकर हिल स्टेशन चले जाते हैं.....!! पहले दो दिन तो नेहा थोड़ी अनमनी सी ही रहती है लेकिन अनिरुद्ध के अपनी बेटियों को नेहा की स्थिति समझाकर बिजी करने की कोशिश तीसरे दिन रंग ले आती है ,जब अविका और ईशानी के जोर देने और खींच कर ले जाने पर मौसम के पहले स्नोफॉल को एंजॉय करने बाहर आ जाती हैं और नेहा थोड़ी देर में ही दोनों बच्चियों के साथ मस्ती करने लगती है बहुत दिनों बाद नेहा को हंसते खिल खिलाते देख दूर खड़े अनिरुद्ध की आंखें भर आती है...!!

    कुछ दिन हिल स्टेशन पर बहुत प्यारे गुजरते हैं !नेहा नॉर्मल हो रही थी इलाज भी लगातार चल रहा था डॉक्टर ने किसी भी तरह की परेशानी से दूर रहने के लिए बोला था! अनिरुद्ध जी ने नेहा को अपने ही घर में बिजी कर दिया था ! अब जो नेहा का अपने मायके जाने का सिलसिला था वो भी टूट गया था ना तो सुधीर जी चाहते थे कि नेहा वहां आए और ना ही अनिरुद्ध भेजना चाहते थे कारण था सुजाता जी.....!!
    फिर से सुजाता जी को देखकर नेहा का डिप्रेशन सिर उठा सकता था इसलिए ससुर दामाद ने डिसाइड किया था कि नेहा जहां खुश है वहीं रहने दो.....!! हां बच्चियां जरूर नाना नानी के घर चली जाती थी खास तौर से ईशानी क्योंकि अविका को लेकर नेहा की पजेसिवनेस कम नहीं हुई थी बल्कि दिन पर दिन और बढ़ रही थी.....!!

    नेहा को इस बारे में समझाना सबने बंद कर दिया था! वैसे समझाने  वाला था भी कौन....?? सुधीर जी अपने बिजनेस और सुजाता जी की वजह से आ ही नहीं पाते थे तो वो भेदभाव देख ही नहीं पाते थे....!! ईशानी से पूछते जरुर थे लेकिन ईशानी  मुस्कुरा कर सब ठीक है बोल देती थी! और अनिरुद्ध देखकर भी नजर अंदाज कर जाते थे क्योंकि थोड़ा सा टोकने पर भी नेहा की तबीयत बिगड़ जाती थी ! कुल मिलाकर अनिरुद्ध ने नेहा को उसके हाल पर छोड़ दिया था ऐसा नहीं है कि उन्हें ईशानी से प्यार नहीं था सिर्फ पत्नी से प्यार था लेकिन अपनी मां की हालत देखकर ईशानी जरूर से ज्यादा समझदार हो गई थी बच्चों के साथ जब कुछ गलत होता है तो दौड़ कर सबसे पहले दो लोगों के पास जाता है अपनी मॉम डैड.....!!
    मां जो सुनने के लिए तैयार नहीं थी और डैड को बता कर वो परेशान नहीं करना चाहती थी! जहां ईशानी बहुत ज्यादा समझदार हो गई थी वही अविका की नादानियां बढ़ती जा रही थी! वो अच्छे से समझ चुकी थी कि चाहे वो गलत हो या सही उसकी मां उसी का साथ देगी और इशानी अपना मुंह सिल लेगी ! जिसका भरपूर फायदा वो उठाती थी !हर चीज में अपनी मनमानी ! हर चीज में अपनी जिद्द...!!इशानी को परेशान करके तो उसे कुछ अलग ही आनंद आता था।

    इसी तरह एक साल गुजर गया था अब दोनों बच्चियां 11 साल की हो गई थी.....!!

    एक दिन दोनों पड़ोस में अपनी एक फ्रेंड के यहां खेलने गई थी वहां से लौटते हुए अविका पत्थर उठाकर स्ट्रीट डाॅग पर दे मारती है....! स्ट्रीट डॉग अविका पर भौंकना और गुर्राना शुरू कर देता है.....!!

    अविका कुत्ते को भोंकते देख घबरा जाती है और ईशानी के पीछे हो जाती है ईशानी तुरंत अविका को शांत करते हुए बोलती है अक्कू डर मत मैं हूं ना ....?!मेरे पीछे रह मैं संभाल लूंगी....!! तू बस चिल्ला मत शांत रहो! कुछ नहीं कहेगा वो.....!!

    लेकिन अविका और जोर-जोर से चीखती है और उसे चींखते देख कुत्ते का भौंकना भी बढ़ जाता है......!!
    ईशानी कुत्ते और अविका के बीच में खड़ी थी और क्योंकि अविका जोर से चिल्ला रही थी तो कुत्ता भी साइड हो होकर अविका को ही भौंके जा रहा था .....!!ना अविका शांत होने को तैयार थी ना ही कुत्ता....!!

                




    कुत्ता साइड से निकल कर जैसे ही अविका की तरफ आता है अविका तुरंत ईशानी को पकड़कर पूरी ताकत से उस कुत्ते के ऊपर धकेल देती है.....!! ऐसे जैसे कोई चारा हो......!!

    ईशानी सीधे कुत्ते के ऊपर जाकर गिरती है! ईशानी के पैरों वाला हिस्सा कुत्ते के ऊपर और मुंह सीधे सड़क पर जाकर लगता है......!!

    अविका ने जो सोच कर ईशानी को धक्का दिया था वो ट्रिक काम कर गई थी अब कुत्ता अविका को भौंकना छोड़ ईशानी को काटना शुरु कर देता है क्योंकि था तो आखिर जानवर ही ईशानी उसके ऊपर जाकर गिरी थी तो कुत्ते को भी लगी थी तो ऐसे में उसका पूरा कंसंट्रेशन अब ईशानी पर शिफ्ट हो जाता है। जिसका फायदा उठाकर अविका, ईशानी और कुत्ते दोनों से दूर चली जाती है।

  • 6. हां इश्क़ है मुझे भी - Chapter 6

    Words: 1228

    Estimated Reading Time: 8 min

    अविका ने जो सोच कर ईशानी को धक्का दिया था वो ट्रिक काम कर गई थी अब कुत्ता अविका को भौंकना छोड़ ईशानी को काटना शुरु कर देता है क्योंकि था तो आखिर जानवर ही ईशानी उसके ऊपर जाकर गिरी थी तो कुत्ते को भी लगी थी तो ऐसे में उसका पूरा कंसंट्रेशन अब ईशानी पर शिफ्ट हो जाता है। जिसका फायदा उठाकर अविका ईशानी और कुत्ते दोनों से दूर चली जाती है।

    कुत्ता ईशानी को नोचने लगता है और ईशानी मदद के लिए अविका से गुहार लगाती है लेकिन अविका अपने हाथ झाड़ कर मुस्कुराते हुए वहां से भाग जाती.......!!

    जबकि ईशानी की हालत बहुत खराब हो जाती हैं एक तो गिरने की वजह से सीधा ईशानी का मुंह सड़क पर लगता है जिससे उसके आगे के कई दांत टूट जाते हैं दूसरा कुत्ते ने भी उसके पैर में एक दो जगह काट लिया था शायद से कुत्ता उसे मार ही डालता अगर पीछे से आती कार से उतरकर एक फैमिली उसे बचाती नहीं....!!

    वो लोग पहले तो उसे यूं ही सड़क पर छोड़कर जाने वाले होते हैं लेकिन कार में मौजूद एक उम्र दराज महिला जो शायद उस परिवार की मुखिया थी, नहीं मानती तो वो लोग (महिला का बेटा और ड्राइवर) तुरंत उसे कार में डालते हैं तब तक जिस घर के सामने यह हादसा हुआ था उस घर की बुजुर्ग मालकिन निकल कर आ जाती है तो कार में मौजूद महिला उन बुजुर्ग महिला से बोलती है,,,,,,,, आंटी जी हम इस बच्ची को आगे मौजूद हॉस्पिटल में लेकर जा रहे हैं अगर आप इसे जानते हैं तो प्लीज इसकी पेरेंट्स को बता देना वो लोग जल्दी हॉस्पिटल पहुंच जाए एक्चुअली हमारी फ्लाइट है और हमें तुरंत ही निकलना है......!!


    इतने मैसेज देने के बाद कार चल पड़ती है और कार में बैठी लेडी जो उन उम्र दराज औरत की बहु थी , मुंह बनाते हुए गुस्से से बोलती है,,,, ओह गॉड व्हाट ए हॉरिबल गर्ल ...!!मैंने देखा उसने जानकर इस लड़की को कुत्ते के आगे धक्का दिया .....!! फिर वो ईशानी से पूछती है ,,,,,नाम क्या है तुम्हारा.....?? ईशानी जिसका पूरा चेहरा खून से लथपथ था मुश्किल से अपनी पथराई सी आंखें खोलती है बोलने की कोशिश करती है लेकिन कोशिश करने पर भी बोल नहीं पाती एक तो मुंह से इतना खून बह रहा था तो पता ही नहीं चल रहा था की चोट कितनी लगी है .....??


    तो उस लेडी का बेटा बोलता है,,,,,,,,, मॉम वो कैसे बोलेगी उसका पूरा फेस खून से भरा हुआ है.....!! ईशानी के चेहरे पर खून इतना था कि उस की नीली आंखों के अलावा कुछ भी नजर नहीं आ रहा था......!! और मदहोशी इस हद तक छाई हुई थी कि कर में मौजूद लोगों के सवालों की आवाजें तो उसे फिर भी सुनाई दे रही थी बेशक लग रहा था जैसे दूर से कहीं से आवाज आ रही है लेकिन चेहरे एक दम धुंधले हीं दिख रहे थे.....!!

    वो लोग फटाफट उसे अस्पताल में एडमिट करवाते हैं और साथ ही जो इलाज में खर्च आता है वो भी जमा करा कर  एयरपोर्ट के लिए निकल जाते हैं....!!
    थोड़ी देर में ही नेहा और अनिरुद्ध हॉस्पिटल पहुंच जाते हैं।
    एक हफ्ते बाद इशानी को डिस्चार्ज मिल जाता है ईशानी के ऊपर नीचे के चार-चार दांत टूट चुके थे और मसूड़े बुरी तरह जख्मी थे जिसकी वजह से अभी भी उसे लिक्विड डाइट पर रखने के लिए डॉक्टर ने बोला था! उसे लगा था कि इस बार तो अविका की खैर नहीं होगी लेकिन घर आते ही उसका यह भ्रम टूट जाता है जब नेहा उससे हल्की नाराजगी के साथ बोलती है,,,,,, ईशानी देख लिया अपने पागलपन का नतीजा क्या जरूरत थी उस कुत्ते को छेड़ने की....??
    ये सुनकर ईशानी कुछ बोलने के लिए मुंह खोलने वाली होती है तभी अविका परेशान होते हुए बोलती है,,,,,,,, मॉम आपने प्रॉमिस किया था ना आप ईशानी को नहीं डाटेंगी उसे पहले ही कितनी लगी हुई है....!! जाने दीजिए ना......!!

    ईशानी समझ गई थी कि अब उसके सच बोलने से कोई फायदा नहीं है अविका ने पूरी कहानी ही पलट कर सुना दी थी ! अब अगर ऐसे में उसने अविका का नाम लिया भी तो उसकी मॉम हमेशा की तरह अविका का हीं पक्ष लेगी और अगर उसने अपना पक्ष दृढ़ता से रखने की कोशिश की तो फिर उसकी मां आउट ऑफ कंट्रोल हो जाएगी और घर का माहौल पूरा खराब हो जाएगा और फिर वही पैनिक अटैक अस्पताल और न जाने क्या-क्या ....?? हमेशा की तरह इस बार भी ईशानी खामोश रह जाती है।

     काफी टाइम बाद ईशानी के दांत आ तो जाते हैं लेकिन वे प्रॉपर नहीं आते बहुत ज्यादा टेढ़े-मेढ़े आते हैं जिसकी वजह से इशानी को ब्रेसेस लगाए जाते हैं....!!

    ईशानी ने अपने हालातो से पूरी तरह समझौता कर लिया था! अविका हमेशा झूठ बोलकर उसे फंसा देती थी और उसे हमेशा डांट खानी पड़ती फिर भी वो खुश रहने के तरीके ढूंढ लेती थी.....!! ऐसा लग रहा था जैसे हालात उसे हराने पर आमादा हो और उसने उनसे ना हारने की कसम खाई हो.....!!स्कूल खत्म हुआ और स्कूल खत्म होने से पहले ही हाई स्कूल में ईशानी के चेहरे पर मोटे लेंस का चश्मा भी लग गया ! शुक्र था कि वो चश्मे से देख पा रही थी वरना तो एक बार को लगा था कि उसकी आंखें ही चली जाएगी दरअसल इसके पीछे भी अविका ही थी....!! जिसने केमिस्ट्री लैब में ईशानी की रैक पर मौजूद केमिकल की बॉटल्स के अंदर का केमिकल बदल दिया था जिसकी वजह से ईशानी हादसे का शिकार हो जाती है .....!! वजह ज्वेलैसी थी ....!!नेहा तो हमेशा अविका के फेवर में ही रहती थी लेकिन अपने नानू के मुंह से हमेशा ईशानी की तारीफ अविका से बर्दाश्त नहीं होती थी हालांकि सुधीर जी इस बात का ध्यान रखते थे कि एक की तारीफ में दूसरे का दिल न दुखे लेकिन अविका इतना ज्यादा सेल्फ सेंटर्ड थी कि ईशानी की तारीफ में कहे गए एक शब्द को भी वो बर्दाश्त नहीं कर पाती थी अनिरुद्ध हालांकि ज्यादातर बाहर ही रहने लगे थे क्योंकि वर्कलोड बढ़ गया था! अपना बिजनेस ऊपर से सुधीर जी का बिजनेस भी काफी हद तक वही संभालने लगे थे क्योंकि सुधीर जी की दो बेटियां ही थी और अब एक तो बढ़ती उम्र की वजह से और ऊपर से सुजाता जी की हालत के चलते उन्होंने काम से लगभग रिटायरमेंट ले लिया था तो उनका बिजनेस भी  अनिरुद्ध को ही देखना पड़ता था लेकिन जब भी घर आते तो ईशानी के रिजल्ट को देखकर जरूर उसकी तारीफ कर देते और अविका को पढ़ाई में ध्यान लगाने की नसीहत कर बैठते......!!ईशानी जो पढ़ने में बहुत अच्छी थी नीट का एग्जाम अच्छी रैंक से क्लियर करती है !  जबकि अविका  पढ़ने में ज्यादा अच्छी नहीं थी....!! पढ़ाई में उसका ध्यान ही नहीं लगता था .....!!


    जब काउंसलिंग की डेट आती है तो क्योंकि अनिरुद्ध अपने बिजनेस के सिलसिले में इंडिया से बाहर थे तो ईशानी अकेले ही काउंसलिंग के लिए जाती है लेकिन उसे बीच में ही लौटना पड़ता है क्योंकि पीछे से नेहा की तबीयत बिगड़ जाती है....!! और एम्स से एमबीबीएस करने का ईशानी का सपना टूट जाता है......!! ईशानी सामने से मुस्कुराती है लेकिन दिल से बेहद दुखी थी....!! और ऐसे में उसके स्कूल फ्रेंड राहुल का फोन आता है.....!!

    स्टोरी कैसी लग रही है कृपया कमेंट करके बताइए और हो सके तो प्लीज फॉलो भी कर लीजिए। वैसे जाता ही क्या है फॉलो करने में स्टोरी पोस्ट होते ही आपको अपडेट मिल जाएगा।

  • 7. हां इश्क़ है मुझे भी - (आई एम सॉरी ईशू)Chapter 7

    Words: 1205

    Estimated Reading Time: 8 min

    एम्स से एमबीबीएस करने का ईशानी का सपना टूट जाता है......!! ईशानी सामने से मुस्कुराती है लेकिन दिल से बेहद दुखी थी....!! और ऐसे में उसके स्कूल फ्रेंड राहुल का फोन आता है.....!!

    राहुल : हे इशानी कहां बिजी है यार....?? लगता है तू तो अभी से वर्ल्ड फेमस डॉक्टर बन गई.....!! तुझसे बात करने के लिए भी हफ्तों पहले अपॉइंटमेंट लेना पड़ेगा।

    ये सुनकर ईशानी का गला भर आता है और वो जो अपने परिवार की बेरुखी को मुस्कुराते हुए झेल जाती थी और अपनी भावनाओं को रोक लेती थी अपने दोस्त के आगे संभाल नहीं पाती और रो देती है।

    राहुल : क्या हुआ यार....?? मैं तो मजाक कर रहा था! अरे मुझे पता है तू मुझे मिस करेगी वहां पर लेकिन तू परेशान मत हो! मैं आऊंगा तुझसे मिलने ....!! तेरे मिस करने से पहले तेरे सामने प्रकट हो जाऊंगा......!!

    ईशानी मैं किसी को मिस नहीं करूंगी.......!!


    राहुल :(ईशानी को हंसाने की कोशिश करते हुए) बड़ी दुष्ट है यार खबरदार अगर मेरे जैसा दोस्त वहां पर बनाया तो....!! दोस्त नंबर वन मैं हूं और मैं ही रहूंगा .....!!


    ये सुनकर इशानी और जोर से रो देती है और बोलती है,,,,,,, किसी और को नहीं बनाऊंगी दोस्त! वैसे भी कोई मेरा दोस्त  बनने के लिए तैयार नहीं होता .....!! और अब ऐसा होगा भी नहीं....!! क्योंकि मैं कहीं नहीं जा रही.....!! मैं काउंसलिंग में पहुंची ही नहीं.....!! बोलकर ईशानी राहुल को सब कुछ बता देती है.....!!


    वही पहली बार नेहा ईशानी को परेशान देखकर उससे बात करने आई थी और ईशानी को रोते देख और रोकर राहुल को सब कुछ बताते देख नेहा के कदम वहीं ठहर जाते हैं.....!! हालांकि नेहा ने कोई बात सुनी नहीं थी लेकिन फिर भी अंदाजा था कि वो किस वजह से परेशान है.....!! ईशानी के आंसुओं के पीछे की तकलीफ समझ रही थी नेहा ....!!


    दूसरी तरफ पूरी बात सुनने के बाद राहुल ईशानी को समझाता है तो ईशानी उसकी कोई बात समझने की बजाय बाद में बात करती हूं कह कर कॉल कट कर देती है और अपने फोन को जैसे ही साइड में फेक कर मुड़ती है तो बाहर खड़ी नेहा पर उसकी नजर पड़ती है....!!

    ईशानी तुरंत जल्दी से अपने आंसू साफ करती है और खुद को स्थिर करते हुए बोलती है ,,,,,अरे मॉम आप .....!!आपकी तबीयत ठीक नहीं है ! आप क्यों आए मुझे बुला लेते.......!!

    नेहा तेजी से ईशानी की तरफ कदम बढ़ाती है और कुछ पल ईशानी के चेहरे को ध्यान से देखकर अगले ही पल ईशानी को कस के गले लगा लेती है.....!!
    आई एम सॉरी इशू.....!! मेरी वजह से तुम्हारा सपना टूट गया इतनी मेहनत की थी तुमने और मेरी ये कमबख्त तबीयत.....!! मना किया था मैंने अविका से तुम्हें बताने के लिए, लेकिन ये लड़की भी जल्दी ही घबरा जाती है.....!! हर बार अपनों के दर्द का कारण बन जाती हूं जैसे ही नेहा जी यह शब्द बोलती हैं तुरंत ईशानी उन्हें खुद से दूर करते हुए बोलती है,,,,, ये कैसी बात कर रही है आप मॉम .....??आपसे बढ़कर मेरे लिए कुछ भी नहीं है.....!! मेरा सपना भी नहीं.....!! एग्जाम का क्या है ,अगले साल फिर दे लूंगी.......!!

    नेहा नहीं मेरी वजह से तुम्हारा साल बर्बाद............


    ईशानी नेहा के मुंह पर अपनी हथेली रखते हुए बोलती है प्लीज मॉम इस तरह की बात करके अपना दिल मत दुखाइए अच्छा है ना एक साल और आपके पास रहूंगी.....!!

    नेहा : बहला रही हो मुझे.....?? तुम्हारे आंसू तो कुछ और ही कहानी कह रहे हैं.....!!




    ईशानी : माँम आप गलत समझ रही हैं .....!!काउंसलिंग के लिए जा रही थी तभी मुझे अजीब सी घबराहट हो रही थी अजीब से विचार आ रहे थे कि पता नहीं मैं कैसे रहूंगी वहां पर आपके और अविका के बिना ....!! अगर मैं जाती तो रह भी पाती या नहीं.....!! आपने पूरी बात नही सुनी अधूरी बात सुनकर आपने ये निष्कर्ष निकाल लिया...!! ये आंसू तो बस उसी वजह से थे....!!

    ईशानी बातें बनाकर नेहा को उसके गिल्ट से निकालने की हर संभव कोशिश कर रही थी क्योंकि जब भी नेहा को दौरा पड़ता था तब शुरुआत खुद को ब्लेम करने से ही होती थी और अब फिर से नेहा ऐसे ही कर रही थी तो ईशानी अंदर तक घबरा जाती है।

    ईशानी बातें बनाकर नेहा को समझाने में कामयाब तो हो जाती हैं और ईशानी की  बात समझ कर फिर भी अपने वहम को पूरी तरह दूर करने के लिए नेहा थोड़ा सोचते हुए बोलती हैं,,,,,,,,, तुम सच में इसीलिए नहीं रो रही थी.....?? मुझे बहला तो नहीं रही हो ना....??


    ईशानी :(मुस्कुराकर नेहा को साइड हग करते हुए) बिल्कुल नहीं मॉम.....!!

    और इस बार ईशानी की मुस्कुराहट कृत्रिम नहीं थी क्योंकि इतने सालों में बहुत कम बार ऐसा हुआ है कि जब नेहा ने उस पर अपना प्यार बरसाया है । उसकी चिंता की है ।लेकिन जब भी ऐसा हुआ है वो मूमेंट ईशानी के यादगार पलों में शामिल हो गया....!!


    नेहा :सच बोल रही हो....??

    ईशानी : बिल्कुल मॉम ....!!मैं आपसे झूठ क्यों बोलूंगी....??

    ये सुनकर नेहा सुकून की सांस लेती है और ईशानी का गाल प्यार से छूते हुए बोलती है लेकिन फिर भी तुम्हारा नुकसान तो हुआ है ना, लेकिन मैं तुम्हारा साल बर्बाद नहीं होने दूंगी तुम्हारा एडमिशन इसी साल होगा! तुम्हें घर से दूर भी नहीं जाना पड़ेगा ! हमारे शहर में ही मौजूद प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में कल ही तुम्हारे एडमिशन के लिए अप्लाई करेंगे....!! इस तरह तुम्हें घर से दूर भी नहीं जाना पड़ेगा और परेशान भी नहीं होओगी! ठीक है ना....?? ये सुनकर ईशानी को धक्का लगता है लेकिन फिर भी वो अपने चेहरे पर अपने दिल की बात आने नहीं देती और ना चाहते हुए भी मुस्कुरा कर हां में गर्दन हिला देती है....!!

    अगले दिन अविका और ईशानी दोनों का ही एडमिशन शहर के ही मेडिकल कॉलेज में करवा दिया जाता है....!!

    ईशानी ने झूठ बोलकर नेहा को कंफर्टेबल करने की कोशिश की थी ताकि नेहा को फिर से दौरा ना पड़ जाए लेकिन उसकी ये कोशिश उस पर भारी पड़ जाती है ....!! सबसे पहले उसे अपने सपने से समझौता करना पड़ता है एम्स से एमबीबीएस करने का सपना.....!! लेकिन कहते हैं ना काबिलियत अवसर की मोहताज नहीं होती, वो अपने लिए खुद अवसर बना लेती है और ऐसा ईशानी ने करके दिखा दिया था एमबीबीएस के 2 साल कंप्लीट हो गए थे और ईशानी टॉपर थी.....!!
    लेकिन अगर वो अपने सपने से समझौता नहीं करती तो शायद उसके साथ वो नहीं होता जो आज हुआ था अपने सपने से किया समझौता आज उसे उस मोड़ पर ले आया था जहां उसे रात के अंधेरे में चोरी छुपे अपना घर छोड़ना पड़ रहा था......!!

    कहते हैं घर इंसान के लिए सबसे सुरक्षित जगह होती है....!! लेकिन जब उस घर में रहना मुश्किल हो जाए और उसे छोड़ने पर इंसान मजबूत हो जाए तो क्या बाहर की दुनिया में वो खुद को सुरक्षित रख पाएगी.....?? कहां जाएगी ईशानी.....?? ना स्टडी कंप्लीट हुई ना कोई डिग्री हाथ में....!! ऐसे में कैसे सरवाइव करेगी ईशानी.....?? भोली है लेकिन इतनी नादान नहीं है कि बाहर की दुश्वारियां ना समझती हो फिर ऐसा क्या हुआ जो इतना बड़ा फैसला लेने के लिए मजबूर है ईशानी ....??
    आने वाले पार्ट्स में जानेंगे....!! नेक्स्ट पार्ट से स्टोरी वापस से ईशनी के पास उसके प्रेजेंट में लौट जाएगी जी हां ईशानी यही नाम है उस लड़की का...!!

    क्रमशः

    मोनिका

  • 8. हां इश्क़ है मुझे भी -(ईशानी ने छोड़ा घर) Chapter 8

    Words: 1305

    Estimated Reading Time: 8 min

    वो लड़की अब तो नाम पता है ना ईशानी एक बार फिर अपनी भर आई आंखों को साफ करके धीरे से अपना बैग उठाती है और एक बार फिर अपनी बहन और बेस्ट फ्रेंड को देखती हैं और फिर अपना सिर झटक कर बिना आहट किये वहां से खामोशी से निकल जाती है......!!

    गेट के पास पहुंचकर ईशानी के कदम ठहर जाते हैं लेकिन आज शायद उसकी किस्मत में इस घर में रुकना नहीं लिखा था जैसे कहा जाता है कि दाने-दाने पर खाने वाले का नाम लिखा होता है वैसे ही हर जगह की भी शायद अपनी व्यवस्थाएं हैं जैसे ईश्वर ने लिखा है कौन कब तक इस दुनिया में रहेगा कब जाएगा इसी तरह किसके भाग्य में कहां का दाना पानी कहां की छत लिखी है ये भी निश्चित होता है तभी तो गार्ड गेट पर मौजूद नहीं था शायद नेचर की कॉल अटेंड करने निकल गया था ! और ईशानी बड़े आराम से खामोशी के साथ बाहर निकल जाती है! बाहर आकर उस महल जैसे आलीशान घर को मुड़कर एक नजर देखती है और तेजी से सड़क पर उसके कदम बढ़ने लगते हैं। सड़क पर चलते हुए मुश्किल से 10 मिनट ही गुजरे थे कि तभी एक गाड़ी का हार्न सुनाई देता है ईशानी एक साइड होती है और लिफ्ट के लिए उसका हाथ उठाने ही लगती है कि तभी उसके कानों में एक आवाज गूंजती है,,,,,,,,, "उस काम के लिए तो तू भी बुरी नहीं है" इस आवाज के साथ ईशानी बुरी तरह सहम जाती है! ना सिर्फ सहम जाती है बल्कि चेहरे का रंग भी ऐसे उड़ जाता है जैसे उसने कोई मौत से भी भयानक मंजर देख लिया हो......!!


    हालांकि ईशानी ने अपना हाथ कार रोकने के लिए नहीं दिया था फिर भी कार उसके पास में आकर रुक जाती है। बिना रोके यूं सुनसान सड़क पर कार के रुकने से ईशानी की धड़कनें बढ़ जाती है ,लेकिन फिर कार में से एक औरत अपना चेहरा बाहर निकाल कर बोलती है,,,,,,,,, बेटा कहीं छोड़ दूं क्या......??

    घबराहट ईशानी पर इतनी हावी थी कि उसके शब्द नहीं निकल रहे थे लेकिन उस औरत को देखकर थोड़ी राहत की सांस लेते हुए लड़खड़ाती जुबान में हां नहीं बोल पाती और मुंह से निकल जाता है ,,,,,ना ....!!नहीं मैं चली जाऊंगी......!!

    अंजान औरत :इस सुनसान सड़क पर इस तरह तुम्हारा अकेले जाना सेफ नहीं है! आ जाओ मैं छोड़ दूंगी....!! बात भी सही थी और उस औरत ने इतने प्रेम भाव से कहा था कि ईशानी तुरंत आगे बढ़कर बिना कुछ बोले कार पर बैठ जाती है.....!!


    अजनबी औरत : कहां जा रही हो......??


    पहला सवाल ही ईशानी को झटका देने वाला था....!! उसने तो खुद नहीं सोचा था कि वो कहां जा रही है बस उसे घर छोड़ने की जल्दी थी.....!! जल्दी थी सबकी नजरों से दूर चले जाने की इस तरह और ऐसे चले जाने की कि अब उसके अपनो का सामना उसे कभी दोबारा ना करना पड़े क्योंकि अब और किसी की नजरों में नफरत देखने की हिम्मत नहीं थी।


    अचानक पूछे सवाल पर पता नहीं के रूप में उसका रिएक्शन बाहर आता है लेकिन फिर अगले ही पल वो खुद को संयमित करने की कोशिश करते हुए बोलती हैं,,,,,,, मेरा मतलब है स्टेशन .....!!वो दरअसल वहां पर मेरी फ्रेंड मिलेगी तो उसके साथ उसके घर जा रही हूं ....!! वो एक कस्बे में रहती है और उसने नाम बताया तो था पर मैं भूल गई.......!! ईशानी अपनी गलती को सुधारने की कोशिश करते हुए बोलती चली जाती है।


    ये सुनकर वो औरत ऊपर से नीचे तक ईशानी को और उसकी बातों को तोलती है और एक डेविल स्माइल उसके चेहरे पर आ जाती है......!!और बातों का सिलसिला आगे बढ़ाते हुए औरत अगला सवाल पूछती है टिकट तो तुम्हारे पास होगा ना दिखाओ तो कितने बजे की ट्रेन है......??

    जी.....??? क्यों.....?? मतलब आपको क्यों देखना है......?? घबराहट में इतना ही उसके मुंह से निकलता है।

    औरत : अरे बस इसलिए कि कहीं ऐसा ना हो जाए की तुम लेट हो जाओ दरअसल आगे बस थोड़ा सा ही आगे चलकर मुझे ना थोड़ा सा काम था....!! तो मैं सोच रही थी कि वहां से होते हुए तुम्हें मैं स्टेशन छोड़ दूं.......!!

    ईशानी को अजीब सी बेचैनी घेर लेती है! उस औरत की नजरे और उसके सवाल अब ईशानी को परेशान कर रहे थे ,तो वो तुरंत बोलती है ,,,,आप अपना काम कर लीजिए मुझे यही उतार दीजिए.....!! मुझे सीधे स्टेशन ही जाना है कहीं और नहीं......!!


    वो औरत उस लड़की की कही बात को नजरअंदाज करते हुए बोलती है,,,,,,, मैं भी क्या पूछ रही हूं समय तो तुम्हारे पास है तभी तो पैदल जा रही थी और हम तो कार से हैं तो 10 मिनट में मेरा काम हो जाएगा और तुम्हें स्टेशन भी छोड़ दूंगी उस औरत ने जैसे अपना फरमान सा सुनाया था ये सुनकर ना जाने क्यों ईशानी को कुछ ठीक नहीं लगता और वो तुरंत परेशान होकर रटना शुरु कर देती है,,,, प्लीज़ कार रुकवाइए मुझे यही उतरना है।
    इतना बोलते ही औरत अपने असली रंग में आ जाती है और बोलती है,,,,,,,, चुप करके बैठो ज्यादा शोर शराबा मुझे पसंद नहीं है। और साथ ही अपने ड्राइवर को आदेश देती है अकरम बैलगाड़ी की तरह मत चला तेजी से चल.....!!

    ईशानी :आप मुझे उतारिए मुझे नहीं जाना है......!!

    बदले में वो औरत उसे देखकर बस मुस्कुरा देती है और फिर से कार की स्पीड बढ़ाने को बोलती है....!! अब तक ईशानी को अच्छे से समझ में आ गया था कि वो फंस चुकी है लेकिन रिएक्ट नहीं करती और खामोशी से बैठ जाती है उसे इतनी खामोशी से बैठे देख 2 मिनट बाद वो औरत भी रिलैक्स हो जाती है......!!

    तभी ईशानी धीरे से अपनी बोतल खोल उसमें से पानी पीती है और अपने मुंह पर हाथ रखकर उल्टी आने जैसा मुंह बनाती है......!!

    औरत : ए मेरे ऊपर नहीं उधर खिड़की की तरफ मुंह कर.....!!

    लेकिन ईशानी उसी की तरफ और झुक जाती है तो वो औरत पीछे हटती है और अगले ही पल इस अफरा तफरी में ईशानी उस औरत के सिर को जोर से कार के दरवाजे में दे मरती है और अगले ही पल वो औरत बेहोश हो जाती है।
    उसके बेहोश होते ही ईशानी चिल्ला कर ड्राइवर से कार रोकने के लिए बोलती है ....!!ड्राइवर नहीं सुनता तो ईशानी उस औरत की साड़ी का पल्लू खींचकर उस ड्राइवर के गले में डाल देती है और ड्राइवर को  कार रोकने पर मजबूर कर देती है जैसे ही कर रूकती है ड्राइवर के सर को भी जोर से स्टेरिंग पर देकर मारती है .....!!ड्राइवर भी बेहोश हो जाता है तो ईशानी कर का गेट खोलकर उतरने लगते हैं लेकिन फिर सुनसान रास्ता देख अपना इरादा बदल लेती है और हैं और दोनों लोगों को कार से धकेल कर नीचे गिरा देती है और कार लेकर निकल जाती है.....!! बस स्टॉप से काफी दूरी पर कार रोककर तेजी से बस स्टॉप की तरफ बढ़ती है और  बस स्टॉप से बाहर निकलती सबसे पहली बस में बैठ जाती है......!! ना मंजिल थी कोई ना सफर का कोई ठिकाना था बस इस सबसे दूर जाना था.....!!

    बस धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी और ईशानी बस की सीट से सिर लगाकर बस की खिड़की के झरोखों से यादों के गलियारे में पहुंच जाती है......!! बस उस शहर से बाहर जा रही थी....!! सब कुछ छूट रहा था .....!!सब कुछ....!! और शायद यही सब कुछ छूटने की तड़प उसे अपने अतीत में ले जाती है......!!


    नेक्स्ट पार्ट से ईशानी का पास्ट (ज्यादा पीछे नहीं पिछले 10-15 दिनों की घटनाओं) को ईशानी के सफर के दौरान जानने की कोशिश करेंगे उसके इस तरह घर छोड़ने की वजह जाने नहीं की कोशिश करेंगे.....!!
    ईशानी के घर से निकलते ही उसका पहली मुसीबत में पड़ना और उससे अपनी सूझबूझ से बाहर आना कैसा लगा कृपया ज्यादा से ज्यादा समीक्षा करके बताइए क्या लगता है आपको घर में जो संघर्ष था घर से बाहर वह संघर्ष काम होगा या बढ़ जाएगा...??

  • 9. हां इश्क़ है मुझे भी - (लैब)Chapter 9

    Words: 1052

    Estimated Reading Time: 7 min

    ईशानी खिड़की से बाहर आसमान की तरफ अपना सिर उठाकर मन ही मन में बोलती है,,,,,क्यों हर बार मै ही सारे रिश्ते हार जाती हूं......?? कहां गलत होती हूं मैं, जो हर बार गुनहगार बना दी जाती हूं......?? मॉम, डैड का प्यार अविका को ही मिला......!! यहां तक की दोस्तों की भीड़ भी अविका के पास है....!! फिर भी कोई शिकायत नहीं थी मुझे क्योंकि सुना था कि बेशक एक ही सही लेकिन अगर एक सच्चा दोस्त आपके पास हो तो आपसे खुशकिस्मत कोई नहीं है....!! राहुल से मिलने के बाद खुद को खुश किस्मत समझने लगी थी लेकिन वो भी आज...........

    दो ही रिश्ते तो थे मेरे पास में.....!! सबने हमेशा गलत समझा  लेकिन नानू और  राहुल ये दोनों फिर भी मुझसे प्यार करते थे लेकिन आज राहुल ने भी......... ऐसा गिराया की खुद की नजरों में भी गिरा हुआ महसूस कर रही हूं......!! कैसे सामना करूंगी नानू का ....??नहीं वहां नहीं जा सकती मैं.....!! अपनी बेगुनाही का एक ही तो सबूत था मेरे पास राहुल , उसने भी मुंह मोड़ लिया.....!!

    क्यों अविका क्यों किया तुमने मेरे साथ ऐसा .......?? कुछ भी तो नहीं था मेरे पास ........!!सब छीन लिया मुझसे.....!! मैंने क्या बिगाड़ा था तुम्हारा सब कुछ तो था तुम्हारे पास खूबसूरत चेहरा , मॉम डैड का अटूट विश्वास नानू नानी का प्यार और ढेर सारे दोस्त.....!!

    मैंने हमेशा तुम्हें अपनी बहन मान कर प्यार किया ....!! उस दिन जो कुछ देखा जो कुछ किया वो मेरी गलती थी.....?? क्या गलत किया था उस दिन मैंने....?? उस दिन भी तो तुम्हारी मदद ही की थी....!! नहीं जानती थी कि तुम्हारी मदद नहीं बल्कि तुम्हारी नफरत को और हवा दे रही हूं।

    इसी के साथ ईशानी 10 दिन पहले की घटना को याद करने लगती है......!!

    हे ईशानी उधर कहां दौड़ी चली जा रही है मैं कब से तुझे हाय बोल रहा हूं.....??

    ईशानी : सॉरी राहुल मैंने ध्यान ही नहीं दिया वो दरअसल मेरा ध्यान सर की तरफ था थोड़ी सी प्रॉब्लम थी तो बस वही समझना था....!! कल सर आए नहीं थे और आज मैंने उन्हें उधर ऊपर के फ्लोर पर लैब की तरफ जाते देखा है प्लीज़ तुम बुरा मत मानना मैं तुमसे थोड़ी देर में जाकर मिलती हूं......!!

    राहुल :सर से बाद में मिल लेना पहले ये बता .........

    ईशानी : प्लीज राहुल तू जानता है ना जब तक मेरी प्रॉब्लम सॉल्व नहीं होगी ना मेरे दिमाग में घूमती रहेगी प्लीज़ तुझे थोड़ी देर में मिलती हूं ना......!!

    राहुल  :(मुंह फुलाते हुए) जा किताबी कीड़ा कहीं की.....!! तुझे चैन तो पड़ेगा ही नहीं ....!!अरे कुछ खुद पर भी ध्यान दे....!! तेरी उम्र की लड़कियों जैसे शौक पाल.....!! कभी-कभी तो मुझे शक होने लगता है कि तू लड़की है भी कि नहीं.....??

    ईशानी :प्लीज़ राहुल तू फिर शुरू मत हो जा क्या मतलब है मेरी उम्र की लड़कियां.....?? मेकअप ,फोटो स्टाइलिश कपड़े पहनो ...!! उससे क्या हो जाएगा ....?उससे चेहरा थोड़े ही बदल जाएगा ....??नहीं चाहिए मुझे कि कोई मुझे देखे....!! अच्छा है कोई नहीं देखता तो मुझे अनकंफरटेबल फील नहीं होता....!! वैसे भी मेकअप से कुछ नहीं बदलने वाला.....!!

    राहुल :क्यों तेरा मन नहीं करता कोई तेरा बॉयफ्रेंड हो कोई तुझे देखे , सराहे.....

    ईशानी :ऐसा कोई फालतू का शौक या सपना नहीं है मेरा.....!! और वैसे भी यह सपना अगर मैं देखूं भी तो फिजूल ही होगा क्योंकि मेकअप से थोड़े बहुत लुक्स इंप्रूव किये जा सकते हैं चेहरा नहीं बदला जा सकता .....!! फिर ऐसा सपना क्यों देखूं ....??हां सपने में जरूर ऐसा सपना देखा जा सकता है लेकिन वो पूरा नहीं होने वाला.....!! मेरा सिर्फ एक ही सपना है डॉक्टर बनना और उस सपने को पूरा करना पूरी तरह मेरे हाथ में है। उस पर मेहनत करूंगी तो वो सपना साकार हो जाएगा लेकिन ये तो नहीं होने वाला.....!!

    राहुल:(तेजी से ईशानी के पीछे चलते हुए) बस तेरी ये होपलेस बातें ना दिल तोड़ देती है यार........

    ईशानी :(राहुल को बीच में ही टोकते हुए) हॉपलेस नहीं हूं हकीकत में जीना पसंद करती हूं....!! (गहरी सांस लेकर)तुम्हारी ये चने के झाड़ पर चढ़ाने की आदत कब जाएगी.....?? फिर ईशानी राहुल के हाथ को थामते हुए बोलती हैं,,,,,, प्लीज़ राहुल मत दिखाओ वो सपने जो मैं अच्छे से जानती हूं कभी पूरे नहीं होने वाले .....!!तुम बहुत अच्छे दोस्त हो....!! मैं जानती हूं इस तरह की बातें करके तुम मेरा मोरल बढ़ाना चाहते हो....!! लेकिन मुझे सच में प्रॉब्लम नहीं है! मैं जो हूं उसे अच्छे से एक्सेप्ट कर चुकी हूं.....!! आंखों पर ये इतने मोटे लेंस का चश्मा बॉयफ्रेंड से कम थोड़ी है इसके बिना तो मैं रह ही नहीं सकती.....!! दुनिया थम जाती है मेरी......!! दांतों पर चढ़े हुए ब्रेसेस....!! मेरा चेहरा देखकर लोगों का दिन खराब होता है मेरी मुस्कुराहट देखकर लोग मुंह बनाते हैं.....!!

    राहुल : तुम आज काफी मायूस लग रही हो, क्या अविका ने फिर कुछ कहा ....??

    ईशानी नहीं कुछ भी नहीं....!!

    राहुल :कहां है वो....??

    ईशानी : तुम उसे कुछ नहीं कहोगे उसने कुछ भी नहीं कहा....!!

    राहुल :अरे बाबा कुछ नहीं कह रहा......!! तुम्हारी कसम फिर भी यकीन ना आए तो फिर मत बताओ.....!!

    ईशानी :मुझे नहीं पता लेकिन 15 मिनट पहले मैंने उसे कैंटीन के पास देखा था.....!!

    राहुल :अच्छा ठीक है मुझे लाइब्रेरी में कुछ काम है ,मिलता हूं बोलकर राहुल वहां से चला जाता है।

    ईशानी सीढ़ियां चढ़कर लैब की तरफ बढ़ती है! इतनी सुबह लैब में कोई काम नहीं होता था! जो भी प्रैक्टिकल क्लासेस होती थी 2:00 बजे के बाद होती थी और फिलहाल सुबह के 9:00 बज रहे थे....!!

    ईशानी लैब के बंद दरवाजे को धकेलती है तो वो खुल जाता है.....!!

    वही लैब के काफी अंदर घूम कर जाने के बाद एक कोने में दो लोग एक दूसरे को बुरी तरह से चूमने में लगे हुए थे....!! दरवाजा खुलने की आवाज सुनकर एक आदमी जिसकी उम्र 45 50 के बीच में थी चौकते हुए उस लड़की के होठों को अपने होंठों की गिरफ्त से आजाद करते हुए बोलता है,,,,,,,, लगता है कोई है......!!

    लड़की जिसकी उम्र 20- 21 साल के आसपास थी मुंह बनाते हुए उस आदमी को फिर से अपने नजदीक खींचती है और उसके कान में धीरे से बोलती है,,,,,,,,, कोई नहीं है ....!!बस तुम्हारा डर है.....!! कम ऑन रुको मत ! थोड़ी देर में मेरी क्लास है ......!! और वो वर्मा एकदम फ्यूज बल्ब, उसके सब्जेक्ट में पास होने के लिए मुझे पढ़ाई ही करनी पड़ेगी.....!! तुम्हारे साथ वाली मेहनत काम नहीं आएगी......!!

    क्रमशः

    मोनिका

  • 10. हां इश्क़ है मुझे भी - (धमकी)Chapter 10

    Words: 1127

    Estimated Reading Time: 7 min

    लड़की जिसकी उम्र 20-21 साल के आसपास थी मुंह बनाते हुए उस आदमी को फिर से अपने नजदीकी खींचती है और उसके कान में धीरे से बोलती है,,,,,,,,, कोई नहीं है ....!!बस तुम्हारा डर है.....!! कम ऑन रुको मत थोड़ी देर में मेरी क्लास है ......!! और वो वर्मा एकदम फ्यूज बल्ब उसके सब्जेक्ट में पास होने के लिए मुझे पढ़ाई ही करनी पड़ेगी.....!! तुम्हारे साथ वाली मेहनत काम नहीं आएगी......!!

    अब वो प्रोफेसर उस लड़की को अपनी बाहों में कस के जकड़ते हुए बोलता है,,,,, इतना बुरा सा मुंह तो मत बनाओ जानेमन एक मेरे साथ ही तो मेहनत करती हो बाकी सब्जेक्ट में तुम्हें खुद पास कर देता हूं सोचो अगर सबकी ऐसे ही क्लास लेनी पड़ती तो.....??

    लड़की : तो कौन सा एहसान कर दिया.....?? उन लोगों से बचा कर अकेले सब की कमी पूरी करते हो.....!!


    ये सुनकर प्रोफेसर डेविल स्माइल के साथ एक बार फिर उस लड़की की होंठों पर अपने  होंठ जैसे ही रखता है तो तभी पीछे से काफी दूरी पर खड़ी ईशानी की आवाज पहुंचती है क्या हो रहा है यहां......??

    ईशानी की आवाज को पहचान कर वो लड़की तुरंत हड़बड़ा कर प्रोफेसर को खुद से दूर धकेलते हुए बोलती है ,,,,,, छोड़ो मुझे और इतना बोलकर रोते हुए ईशानी की तरह भागती हैं तो उस लड़की का चेहरा देखकर ईशानी घबराकर बोलती है,,,,,,,, अविका तुम ......??

    लेकिन अविका कोई जवाब नहीं देती.....!! जवाब देती भी कैसे उसका दिमाग तो तेजी से इस बात में लगा हुआ था कि अब वो इशानी को कौन सी झूटी कहानी कह कर बहलाएगी ......?? जवाब ना देना पड़े इसलिए अविका जोर से रोने लगती है और रोते हुए ईशानी के गले लग जाती हैं......!! और गले लगे कर रोते हुए ही बुरी तरह घबराने की एक्टिंग करते हुए ईशानी को थोड़ा सा घुमा देती हैं, इस तरह की दौड़कर आने की वजह से अविका की पीठ प्रोफेसर की तरफ थी लेकिन 90 डिग्री के एंगल पर घुमा कर वह अपना चेहरा प्रोफेसर की तरफ कर लेती है और इशारे से उसे खामोश रहने के लिए बोलती है....!! और साथ ही इशारे से ये भी समझाती हैं कि उसकी सुनाई स्टोरी में इंटरफेयर ना करे.....!!





    ईशानी अविका को शांत करते हुए बोलती है,,,,,,, शांत हो जा अवि कुछ नहीं होगा....!! तू चल मेरे साथ इनकी इस घटिया हरकत की सजा इन्हें जरूर मिलेगी....!! इन्होंने जो स्टूडेंट टीचर की मर्यादा तोड़ी है उसकी सजा इन्हें जरूर मिलेगी ! पहले इनकी घटिया हरकतों के बारे में डीन सर को बताएंगे वही तय करेंगे कि उनके खिलाफ कॉलेज का मैनेजमेंट क्या एक्शन लेगा....?? उसके बाद पुलिस स्टेशन चलेंगे......!!

    स्कूल और कॉलेज को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है और किसी भी मंदिर में शैतान नहीं रह सकता.....!! बोलकर ईशानी अविका कि कलाई थाम कर जैसे ही आगे बढ़ती हैं तो अविका अपनी जगह से टस से मस भी नहीं होती...!!




    ईशानी घूम कर प्रश्न सूचक दृष्टि अविका पर डालती है तो अविका आंसू भरी आंखों से ना में गर्दन हिलाते हुए बोलती है,,,,,,,,,, नहीं ईशू ....!! डीन के पास नहीं जा सकती मैं.....!! मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई ईशू......!! मैं नहीं जा सकती.....!! अगर मैं डीन के पास गई तो मैं कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी.....!!


    ईशानी :ये क्या बोल रही है तू.....??

    अविका : सर के पास मेरा एम एम एस है...!!

    ईशानी :व्हाट.....??






    अविका : मैं और सोहम एक दूसरे से प्यार करते हैं....!! कॉलेज से घर जाने के बाद तो मिलने का मौका नहीं मिलता तो हम लोग कभी किसी खाली क्लासरूम कभी लाइब्रेरी और कभी कॉलेज की छत पर में लिया करते थे। कुछ दिन पहले सोहम का बर्थडे था तो हम लोग चुपचाप टेरेस पर आ गए और पता नहीं कैसे अपनी भावनाओं पर कंट्रोल नहीं कर पाए और बहक गए हमें लगा हम अकेले हैं लेकिन छत पर सर भी मौजूद थे....!!सर ने चुपके से हमारा एमएमएस बना लिया ! अब अगर मैं इनकी शिकायत करुंगी तो वो एमएमएस भी बाहर आ जाएगा.....!! और तू तो जानती है ना  डैड को पता चलेगा तो क्या होगा डैड तो मेरी जान ही ले लेंगे.....!! और माॅम, वो ये सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाएंगी......!!

    अविका की बनाई कहानी सुनकर प्रोफेसर को भी जोश आता है और वो तुरंत आगे बढ़ते हुए डेविल स्माइल के साथ बोलता है सुन लिया ना अब अपनी बहन को यहां छोड़ कर चुपचाप खामोशी से निकल जाओ......!!


    ईशानी :मेरे होते हुए आप अपने गंदे मंसूओं में कामयाब नहीं हो सकते.....!! मैं अपनी बहन को ऐसे राक्षस के हवाले करके चली जाऊंगी यदि ऐसा आप सोचते हैं तो ये आपकी भूल है......!!


    प्रोफेसर :क्या करोगी .....??उसकी जगह तुम रुकोगी....?? सॉरी बेबी तुमसे भी काम चला लेता लेकिन तुम्हारा चेहरा मुझे कुछ खास पसंद नहीं है.....!! और जब सामने रसमलाई हो तो सड़ी हुई मिठाई की तरफ कौन मुंह मारता है.....?? हां कभी ये अवेलेबल ना हो तो तुम्हारे बारे में भी सोच सकता हूं....!! बोलते हुए प्रोफेसर अपना हाथ उठाकर ईशानी के चेहरे को छूने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ता है लेकिन ईशानी नफरत के साथ दो कदर पीछे हट जाती हैं .....!!

    प्रोफेसर :(डेविल स्माइल के साथ) इतना गुस्सा....?? तेरे जैसी लड़की को कोई नहीं मिलने वाला ....!! मैं तो तुझ पर एहसान कर रहा था पर चल छोड़ मूड खराब मत कर निकल यहां से वरना 2 मिनट लगेगी एम एम एस वायरल करने............

    लेकिन इससे आगे वो प्रोफेसर कुछ बोल पाता ईशानी एक जोरदार मुक्का उसके मुंह पर दे मरती है इससे ईशानी के हाथ में भी जोर से लगती है जिसका सबूत था उसके हाथ से बहता खून लेकिन प्रोफेसर भी संभाल नहीं पता उसके आगे के दो दांत टूट जाते हैं....!! प्रोफेसर की आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है और अगले ही पल प्रोफेसर जमीन पर बेहोश पड़ा था.....!!


    इशानी को खुद भी खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि उसने एक मुक्के में प्रोफेसर को चित्त कर दिया था लेकिन कहते ना जब बात अपनों पर आती है तो एक साधारण से इंसान में भी असाधारण शक्ति आ जाती है.....!! ईशानी जो बेहद नर्म दिल की थी अचानक से प्रोफेसर पर हमला कर तो देती है लेकिन प्रोफेसर को बेहोश देख वो घबरा जाती है और प्रोफेसर को देखने के लिए नीचे झुकती है तो प्रोफेसर की पॉकेट में से उसका फोन झांकने लगता है....!! उसे देखते ही ईशानी तुरंत प्रोफेसर का फोन निकालती है ताकि सोहम और अविका का एमएमएस डिलीट कर सके....!!


    वहीं दूसरी तरफ ईशानी के हाथ में प्रोफेसर का फोन जाते ही अविका अपना प्लान और अपनी कहानी खराब होने के डर से तुरंत ईशानी के हाथ से प्रोफेसर के फोन को छीन लेती है और तुरंत बात बनाते हुए बोलती है,,,,,,,,, नहीं ईशू ....!! मैं ... मैं खुद डिलीट करूंगी......!! मैं नहीं चाहती तू वो सब देखें....!!

    ईशानी हां में पलके झपकाते हुए मोबाइल अविका की तरफ बढ़ा देती है।




    क्रमशः


    मोनिका

  • 11. हां इश्क़ है मुझे भी - अविका की प्लानिंगChapter 11

    Words: 1177

    Estimated Reading Time: 8 min

    ईशानी जो बेहद नर्म दिल की थी अचानक से प्रोफेसर पर हमला कर तो देती है लेकिन प्रोफेसर को बेहोश देख वो घबरा जाती है और प्रोफेसर को देखने के लिए नीचे झुकती है तो प्रोफेसर की पॉकेट में से उसका फोन झांकने लगता है....!! उसे देखते ही ईशानी तुरंत प्रोफेसर का फोन निकालती है ताकि सोहम और अविका का एमएमएस डिलीट कर सके....!!


    वहीं दूसरी तरफ ईशानी के हाथ में प्रोफेसर का फोन जाते ही अविका अपना प्लान और अपनी कहानी खराब होने के डर से तुरंत ईशानी के हाथ से प्रोफेसर के फोन को छीन लेती है और तुरंत बात बनाते हुए बोलती है,,,,,,,,, नहीं ईशू ....!! मैं ... मैं खुद डिलीट करूंगी......!! मैं नहीं चाहती वो सब तू भी देखें....!! (अविका ने शर्मिंदगी से भरी एक लड़की की इतनी जबरदस्त एक्टिंग की थी कि एक्टिंग के जितने अवार्ड है शायद उसे मिल जाते बॉलीवुड में ही नहीं हॉलीवुड में भी...!! काश किसी ने उसका यही टैलेंट पहचान लिया होता.....!!)

    ईशानी पलके झपका कर उसे खुद का एमएमएस डिलीट करने की परमिशन दे देती है....!! वह खुद भी ये सब देखकर ना तो अविका को और ना हीं खुद को शर्मिंदा करना चाहती थी....!!


    अविका ने इसके बाद ईशानी को रो धो कर इमोशनल कर दिया था और बात को आगे ना बढ़ाने के लिए भी राजी कर लिया था....!!


    प्रोफेसर को वही उसके हाल पर छोड़कर दोनों बहने वहां से निकलने लगती हैं तो ईशानी फिर से वापस आती है और प्रोफेसर के फोन को लैब के केमिकल में डाल देती है तो अविका उसे सवालिया नजरों से देखती है तो ईशानी बोलती है,,,,,,,जो इंसान इतना घटिया है, मुझे डर है कि तेरे अलावा और किसी लड़की की पिक या एमएमएस ना हो इसके पास, इसलिए इसके फोन का पूरी तरह नष्ट हो जाना है ठीक है।

    अविका दिखावे के लिए ही सही ईशानी के गले लगती है और तिरछी नजर से प्रोफेसर को देखकर धीरे से अपनी गर्दन झटकती है और मन में बोलती है,,,,," साला मिट्टी का शेर" रायता फैलाकर कैसे फर्श पर फैला पड़ा है.....!! कहा था लैब का गेट ढंग से चेक कर ले ....!! बड़े कॉन्फिडेंस में उड़ रहा था अब ना सिर्फ मुझे अकेले ही सारा रायता समेटना पड़ा बल्कि जिससे मैं सीधे मुंह बात करना भी पसंद नहीं करती उसके आगे गिड़गिड़ाना भी पड़ा ....!!हाऊ डिस्गस्टिंग .....?? ये तो ऐसे हो गया जैसे कौवे के सामने हंस को अपनी काबिलियत प्रूव करनी पड़ जाए....!! जबकि सब जानते हैं कि हर लिहाज से हंस कौवे से बेहतर है....!!


    वही इस इंसिडेंट को पूरा हफ्ता गुजर गया था लेकिन अब प्रोफेसर की दाल नहीं गल रही थी ईशानी अविका को लेकर पूरी तरह अलर्ट थी जिससे प्रोफेसर ही नहीं अविका को भी परेशानी हो रही थी....!! मेडिकल में एडमिशन तो ले लिया था लेकिन पढ़ना अविका के बस की बात नहीं थी....!! उसकी इच्छा तो मॉडलिंग की थी जिसके लिए उसने नेहा से परमिशन भी ले ली थी मगर एक शर्त पर कि प्रोफेशनल डिग्री लेने के बाद ही वो इस लाइन में जाएगी ! इसलिए मजबूर थी ....!! और इसी मजबूरी में उसने आसान रास्ता ढूंढ लिया था प्रोफेसर को खुश करके पास होने का रास्ता....!! ईशानी की नजर उसे अपनी आजादी में खलल लगती है क्योंकि अब तक ईशानी अविका के व्यवहार के चलते उसके किसी मामले में इंटरफेयर नहीं करती थी दोनों बहनों में काफी दूरियां थी लेकिन अब ईशानी का पूरा ध्यान अविका पर था! वो नहीं चाहती थी कि अविका फिर से ऐसी किसी परेशानी में पड़े....!!

    प्रोफेसर क्लासरूम में पढ़ाते हुए अविका से कोई सवाल करता है जिसका जवाब अविका नहीं दे पाती तो प्रोफेसर उससे और दो-तीन सवाल करता है लेकिन अविका का ध्यान क्लासरूम में था ही नहीं तो वो किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे पाती तो प्रोफेसर अविका को डांटते हुए बोलता है,,,,,, अगर यही रवैया रहा तो इस बार के मिड सेमेस्टर में तुम पास होने से रही....!! 15 दिन बाद एग्जाम है.....!!
    अविका उस चैप्टर में प्रॉब्लम होना बताती हैं तो प्रोफेसर उसे बाद में स्टाफ रूम में मिलने के लिए बोलता है तो तब ईशानी बीच में ही प्रोफेसर को टोकते हुए बोलती ,,,,,


    ईशानी : सर सारी गलती मेरी है ये तो मुझसे कह रही थी समझाने के लिए लेकिन मैं ही नहीं समझा पाई थी....!! एक्चुअली एग्जाम के चक्कर में दूसरे सब्जेक्ट में बिजी थी लेकिन मैं आज ही अविका को समझा दूंगी!

    प्रोफेसर अपना मन मसोस कर रह जाता है और फिर बेहद सख्त लहजे में बोलता है,,,,, 2 दिन है तुम्हारे पास अपनी बहन से चैप्टर समझो अगर ना समझ पाई तो फिर मेरे से समझने आ जाना एक काम तो तुम्हें करना ही पड़ेगा वरना फेल हो जाओगी....!!
    बेशक प्रोफेसर का बस नहीं चल रहा था लेकिन भरी क्लास में उसने दबे शब्दों में अविका तक अपनी बात या कह सकते हैं धमकी पहुंचा दी थी...!!

    जिसका असर होता है और नेक्स्ट डे ही अविका शाम के टाइम ईशानी के गले में हाथ डालते हुए बोलती है ,,,,,,,ईशू वो मेरी फ्रेंड है ना तपस्या उसकी छोटी बहन का बर्थडे है और मैं उसे ना नहीं बोल पाई अब अगर ऐसे में मैं जाऊंगी तो माॅम हां नहीं बोलेंगी क्योंकि एग्जाम सिर पर है लेकिन तू बोल देगी ना कि हम दोनों की तैयारी हो गई है और हम दोनों जा रहे हैं तो मॉम अलाउ कर देंगी....!!

    ईशानी :बिल्कुल नहीं मॉम को अलाउ करना भी नहीं चाहिए.....!! तूने सुना ना उस प्रोफेसर ने क्या कहा.....??


    अविका : (ईशानी के गले में अपनी बांह डालते हुए) उसके कहने से क्या होगा कर क्या लेगा वो....?? मेरे पास है तो सिस्टर पावर ....!! जो मुझे चैप्टर भी करवा देगी और उस प्रोफेसर से भी बचा लेगी....!! और अगले ही पल अविका ईशानी के गले लगते हुए बोलती हैं,,,,,,, मुझे माफ कर दे ईशू ....!! मैं सच में एक बहुत बुरी बहन हूं....!! सभी बहनों में कितना प्यार होता है , ये मैंने आज देखा तपस्या अपनी छोटी बहन से कितना प्यार करती हैं और मैं हमेशा तुझसे लड़ती रहती हूं....!! कोई मौका नहीं छोड़ती तुझे सुनाने का, फिर भी तू........... पहली बार मुझे पता चला कि अपने-अपने ही होते हैं....!! मेरे इतने बुरे व्यवहार के बाद भी तू मेरे काम आई.....!! मुझे माफ कर दे प्लीज़ बोलते हुए अविका की आवाज भर्रा जाती है.....!!

    अविका की आवाज का दर्द जब ईशानी को महसूस होता है तो ईशानी तुरंत उसे खुद से दूर करते हुए बोलती है,,,,,, कैसी माफी.....?? किस बात की माफी.....?? तुझे एहसास हो गया उतना काफी है....!!

    अविका :(खुश होते हुए )सच में.....?? तूने मुझे माफ कर दिया ....!!

    ईशानी : हां बाबा सच में अब क्या गीता पर हाथ रखकर कसम खाऊं........??

    अविका : नहीं गीता पर हाथ रखकर कसम खाने की जरूरत नहीं है बस मॉम के पास जाकर पार्टी के लिए परमिशन ले ले.....!! प्लीज मना मत करना .....!! आज ये बुद्धू लौट कर घर को आई है तो इस खुशी में पार्टी करना तो बनता है ........!!


    ईशानी को अपनी इमोशनल बातों में फंसा कर कौन सा खेल खेलने वाली है अविका....??
    क्या उसका यही खेल ईशानी के घर छोड़कर जाने की वजह बनेगा.....??

    क्रमशः

    मोनिका

  • 12. हां इश्क़ है मुझे भी - Chapter 12

    Words: 1221

    Estimated Reading Time: 8 min

    अविका : नहीं गीता पर हाथ रखकर कसम खाने की जरूरत नहीं है बस मॉम के पास जाकर पार्टी के लिए परमिशन ले ले.....!! प्लीज मना मत करना .....!! आज ये बुद्धू लौट कर घर को आई है तो इस खुशी में पार्टी करना तो बनता है ........!!

    ईशानी :यार अविका......

    अविका : प्लीज ईशू मना मत कर .....!! इस बुद्धू की खुशी के लिए प्लीज़ एक नई शुरुआत करते हैं.....!! अविका मुंह  लटका कर एकदम भोला सा चेहरा बनाकर बोलती है।


    ईशानी उसके चेहरे की तरफ देखती हैं तो अविका तुरंत ही ईशानी के दोनों गाल पकड़ते हुए बोलती है,,,,, प्लीज ना बहन मान जा.....!! देख अगर आज तू मेरी बात मानेगी ना फिर तू जितनी देर बिठाकर पढ़ाएगी मैं उतनी देर पढ़ूंगी लेकिन आज थोड़ा चिल करते हैं....!! पार्टी, डांस, म्यूजिक मजा आ जाएगा......!!


    ईशानी : अक्कू तू अच्छे से जानती है ना मुझे ये
    पार्टी पार्टी बिल्कुल पसंद नहीं है तुझे जाना है तो मैं मॉम से तेरी सिफारिश कर दूंगी.....!!


    अविका  :(मुंह बनाते हुए) फिर मुझे भी नहीं जाना है....!! पार्टी का तो बहाना था मैं तो बस हमारे रिश्ते को नार्मल करने की कोशिश कर रही थी लेकिन इतनी जल्दी रिश्ता नॉर्मल हो  भी कैसे सकता है, मैं भी क्या पागलपन कर रही थी इतना कुछ तेरे साथ किया है आसान थोड़ी है सब कुछ भुला देना......!!



    अविका की इमोशनल बातें सुनकर ईशानी को बुरा लगता है और ना चाहते हुए भी वो अविका के सामने से कदम बढ़ाने पर दोनों के रिश्ते को एक मौका देने के उद्देश्य से  बोलती है,,,,, ओके ठीक है ! अब ऐसे मुंह मत लटका! चल रहे हैं दोनों.....!!


    ईशानी के मानते ही अविका खुशी से उछल पड़ती है और अगले ही पल ईशानी को गले लगा कर बोलती है ,,,,,,थैंक यू... थैंक यू ...थैंक यू... थैंक यू.... थैंक यू ...............सो मच......!! आज देखना मैं तुझे अपनी फेवरेट ड्रेस पहनाकर ले चलूंगी.....!! तुझे देखते ही सब गिर पड़ेंगे.......!!


    ईशानी : (हाथ जोड़ते हुए) मैं जैसे हूं वैसे ही ठीक हूं मुझे किसी को नहीं गिराना है.....!!

    अविका :ओके तुझे नहीं गिराना है लेकिन मैं चाहती हूं कि सब तुझे देखे तो देखते रह जाए पता तो चले फैशन आईकॉन अविका की बहन ईशानी भी फैशन में कम नहीं है.....!!
    तेरी ड्रेसिंग सेंस को देखकर अब कोई  भी तेरा मजाक नहीं उड़ाएगा और अगर किसी ने उड़ाया ना तो  मुंह तोड़ दूंगी उसका......!!


    ईशानी :एक मिनट तू पार्टी में जा रही है या झगड़ा करने क्योंकि कोई ना कहे ऐसा हो ही नहीं सकता.....!! तू बदली है लेकिन तेरे दोस्त , वो तो नहीं बदले ना.....!!


    अविका  :बदलना पड़ेगा ....!! सबको बदलना पड़ेगा....!!अगर उन्हें मेरा दोस्त रहना है तो बिल्कुल बदलना पड़ेगा .....!!कोई मेरी बहन को कुछ भी कहे ये मैं बर्दाश्त नहीं करूंगी......!! अच्छा अब यह सब छोड़ चल ना मॉम से बात करते हैं......!!

    दोनों मिलकर नेहा से रिक्वेस्ट करती हैं तो ईशानी के ये बोलने पर कि वो अविका की तैयारी करवा देगी, नेहा थोड़ी ना नुकर के बाद आखिर मान जाती हैं......!!

    अविका सिर्फ यही नहीं रुकती वो जबरदस्ती ईशानी को अपनी शॉर्ट ड्रेस में से जो सबसे लॉन्ग थी मतलब घुटनों तक आती थी पहनने के लिए मना लेती है....!!
    (पहली बार ईशानी ने इस तरह की ड्रेस पहनी थी वरना कुर्ती और जींस ही पहना करती थी चाहे कॉलेज जाए या किसी फंक्शन में.....!!)
    और आईने के सामने बिठाकर जबरदस्ती उसका मेकअप भी कर देती है...!!


    दोनों जैसे ही पार्टी में जाने के लिए बाहर आती है तो नेहा ईशानी को देखकर हैरान रह जाती है और अपनी आंखें बड़ी-बड़ी करके ईशानी को देखते हुए सोफे से खड़ी हो जाती है और बोलती है,, ईशानी तुम............


    लेकिन इससे पहले कि नेहा अपनी बात पूरी करती ईशानी अविका की तरफ देखते हुए बोलती है देखा बिल्कुल अच्छी नहीं लग रही हूं मैं.......!! मैंने कहा था ना ये ड्रेस............



    लेकिन ईशानी अपनी बात पूरी करती उससे पहले नेहा आगे बढ़कर ईशानी के गाल को छूते हुए बोलती है ,,,,,ौबहुत प्यारी लग रही हो.....!! ज्यादा देर मत करना जल्दी आना सिर्फ तुम्हारी वजह से भेज रही हूं....!! बोलकर नेहा आगे बढ़कर ईशानी का माथा चूमते हुए बोलती है ,,,,,,, जल्दी आना.....!!

    बदले में ईशानी खुश होकर हां में गर्दन हिलाती हैं .....!!

    अविका तुरंत ईशानी का हाथ थामती है और उसे खींचते हुए बोलती है चल ना अब जल्दी कर....!!

    अविका ईशानी का हाथ खींच कर आगे बढ़ रही थी जबकि ईशानी का दूसरा हाथ मुस्कुराते हुए अपने माथे पर चला जाता है जहां पर नेहा ने अभी-अभी किस्स किया था....!! नेहा ने बहुत कम बार ईशानी पर ऐसे आगे बढ़कर अपना प्यार लुटाया था और जब भी ऐसा किया था वो मोमेंट ईशानी के लिए यादगार बन गया था उसके खुश होने की वजह बन गया था......!!

    थोड़ी देर में ही दोनों बहने पार्टी में होती हैं......!! पार्टी एक फार्महाउस पर थी....!! जैसे ही कार रूकती है ईशानी एकदम सुनसान इलाके में फार्महाउस देखकर बोलती है,,,,, अक्कू तूने तो बोला था पार्टी होटल में है.....!!

    अविका :हां पहले होटल में ही थी ....!!! लेकिन फिर गेस्ट लिस्ट लंबी हो गई और पूरा होटल बुक था तो जो हाल पार्टी के लिए बुक किया था वो छोटा पड़ रहा था तो उसने ये पार्टी अपने फार्म हाउस पर रख ली....!!
    फिर अविका ईशानी का हाथ पकड़ कर बोलती है,,,,,, तू ना ज्यादा मत सोचा कर.....!! पार्टी कहां है कहा नहीं इस बात से क्या फर्क पड़ता है हमें तो बस मस्ती करनी है चल ना....!! बोलकर ईशानी को लगभग घसीटते हुए फार्महाउस के अंदर ले जाती हैं.....!!

    पार्टी में वाकई बहुत लोग थे सभी ईशानी और अविका के हम उम्र या 4-6 साल बड़े.....!! काफी लोग आ चुके थे और काफी आ रहे थे.....!!

    ईशानी पहली बार इस तरह की पार्टी में आई थी तो पार्टी का माहौल देखकर उसे बड़ा अजीब सा फील हो रहा था ईशानी अपनी नजर चारों तरफ घुमाते हैं बोलती है,,,,,, अक्कू तेरी फ्रेंड के मॉम डैड कहीं नजर नहीं आ रहे.....!!

    अविका :सभी के मॉम डैड हमारे मॉम डैड की तरह खड़ूस नहीं होते जिन्हे लगता है कि हम अभी भी इतनी छोटी बच्ची है कि उनके दोस्तों और रिश्तेदारों के बीच में केक काटेंगे! सब लोग गिफ्ट देंगे और हम प्लास्टिक स्माइल चिपका कर उन्हें अच्छे बच्चों की तरह थैंक्यू अंकल जी, थैंक यू आंटी जी बोलकर उनके सामने संस्कारी बच्चे बनकर, उनके साथ डिनर करेंगे और बस हो गई बर्थडे पार्टी....!! उसके पेरेंट्स समझदार है जानते हैं यंगस्टर्स को स्पेस चाहिए होता है....!! इसलिए यहां कोई बड़ा बूढ़ा अलाऊ नहीं है सिर्फ फ्रेंड्स.....!!

    ईशानी अपनी आंखें चौड़ी करते हुए बोलती है,,,, ये तू कैसी बातें कर रही है प्लास्टिक स्माइल कहां सजाते हैं ...??अच्छा तो लगता है सब लोगों के आने से.....!! और इतनी भीड़ देखकर तो लग रहा है जैसे पूरे शहर के यंगस्टर्स ही तेरी फ्रेंड के फ्रेंड है....!! अब समझ में आया ये पढ़ने में इतनी वीक क्यों है.....!! इतने दोस्त हैं तो इसकी तो पार्टियां ही खत्म नहीं होती होगी....!!

    अविका : तू चल ना इतनी माथा पच्ची क्यों कर रही है .....??पार्टी करने आए हैं वही करते हैं ....!!यहां भी रिसर्च लेकर बैठ गई....!!


    ईशानी :तेरी दोस्त है तुझे समझाना चाहिए....!!


    अविका : उसकी लाइफ है वो जाने उसका काम !ना मुझे किसी की लाइफ में इंटरफेयर करने का शौक है ना करवाने का........!! अब प्लीज माता यहां प्रवचन देने मत बैठ जाना....!! चल ना बोलकर अविका तेजी से आगे बढ़ जाती है....!!

    क्रमशः

    मोनिका

  • 13. हां इश्क़ है मुझे भी - (गब्बर इज बैक)Chapter 13

    Words: 1271

    Estimated Reading Time: 8 min

    इधर ईशानी अटेंडेंट को बर्फ लगाती रहती है जिसे देखकर अविका जिसे अपने प्लान को जल्द से जल्द पूरा करके अपना मकसद हासिल करना था बुरी से तप गई थी.....!!

    *******

    दूसरी तरफ कहीं और भी पार्टी चल रही थी यहां से काफी दूर किसी और शहर में,,,,,,,,,

    एक बेहद हैंडसम 25- 26 साल का लड़का, देखने में बेहद अट्रैक्टिव, क्लब में एंटर करता है....!!

    उसके एंटर करते ही लगभग से सारी लड़कियों की नजरें उस पर जाती हैं या शायद उसी के आने का इंतजार कर रही थी और शायद इसीलिए बार-बार सभी की नजरे गेट की तरफ जा रही थी पलके बिछा इंतजार कर रही थी अगर यह कहे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी ...!!और उसके आते ही सबकी नज़रें उसी पर ठहर कर रह जाती हैं.....!!

    तभी एक लड़की तेजी से दौड़ते हुए उसके करीब जाती हैं और लगभग उसके गले में झूलते हुए बोलती है,,,,,,,, ओह आयुष आई एम सो हैप्पी...!! मुझे लगा था तुम आओगे ही नहीं....!!

    आयुष :(अपने गले से उसकी बांहों को अलग करते हुए) यार कृति जैसे सिंगल पीस में आया हूं वैसे ही वापस जा सकूं इतना रहम करो.....!! जिस तरह तुम गर्दन पर लटक कर अपनी झूलने की कला का प्रदर्शन कर रही हो, मुझे एक कलाकृति बनाकर छोड़ोगी ....!!

    बदले में कृति अपने दांत निपोरते हुए बोलती है,,,,,,,,, जोकिंग ! हां.....!!तुम्हारे सेंस ऑफ ह्यूमर की तो मैं फैन हूं.....!!

    तो आयुष अपने बालों में हाथ मारते हुए बोलता है,,,,, दांत दिखाने जैसा कुछ नहीं था ! ना कोई सेंस थी और ना ही कोई  ह्यूमर बस आज थोड़ा बकवास करने का मन था।

    कृति : (आयुष के क्लोज होते हुए)तुम कुछ भी करो तुम्हारे मुंह से सब अच्छा लगता है....!!

    लेकिन इससे पहले की कृति आयुष के और ज्यादा क्लोज आ पाती, आयुष उसे रोकने की इरादे से अपने हाथ में पकड़े बुके को दोनों के बीच में करके डिस्टेंस मेंटेन करते हुए बोलता है,,,,,,,,,, मैनी मैनी हैप्पी रिटर्न ऑफ़ द डे....!!

    कृति बुके लेकर किसी को इशारे से बुलाती है और उसे हैंड ओवर करते हुए आयुष की बांह थाम कर बड़े शान से आगे बढ़ जाती है....!! शान से इसलिए क्योंकि तिरछी नजर से जब कृति अपनी फ्रेंड्स पर नजर मारती है तो कहीं ना कहीं सब की आंखों में जलन और आयुष्य के करीब आने की हसरत साफ-साफ दिखती है

    कुछ देर इधर-उधर की बात करने के बाद कृति आयुष को डांस फ्लोर पर ले जाती है। इस बीच कृति ने किसी को भी आयुष के नजदीक आने नहीं दिया था ऐसे लग रहा था जैसे पार्टी में बस वही अकेला गेस्ट है....!!

    डांस करते हुए 20 मिनट हुए थे जबकि आयुष के फोन को बजाते हुए 10 मिनट हो गए थे। डांस करते हुए आयुष को प्यास लगती है तो वो एक्सक्यूज मी बोलकर जब एक तरफ जाता है तो डांस फ्लोर से दूर जाने पर उसे अपना फोन बजता हुआ महसूस होता है तो आयुष तुरंत कॉल अटेंड करता है

    एक घबराई सी आवाज आती है.....!!

    आयुष जिसे कुछ समझ में नहीं आता थोड़ा और दूर जाते हुए अपने एक कान पर हाथ रख कर बोलता है दादी यार क्लियर बोलो ....!! कुछ समझ में नहीं आ रहा है....!!

    दूसरे छोर से आयुष की दादी (सरस्वती जी) : समझ में तो मेरे भी नहीं आ रहा है कैसे हुआ लेकिन बवंडर आ गया है.....!!

    आयुष  (चौंकते हुए) :क...क... क्या मतलब .....??

    सरस्वती जी :(माथे में हाथ मारते हुए) वही जिसे समझने के बाद तू हकला रहा है मतलब गब्बर इज बैक....!!

    आयुष :दादी क्यों जवानी में हार्ट अटैक देने पर लगी हो.....?? ऐसा कैसे हो सकता है.....?? ऐसा भी कोई प्रैंक करता है क्या.....?? मत करो प्लीज़......!! पोते को सेहरा सजाकर घोड़ी चढ़ते नहीं देखना है.....??

    सरस्वती जी :हो सकता है नहीं ,हो गया है....!! बातों में समय खराब मत कर जल्दी आ....!! सेहरा बांधने के लिए सिर और घोड़ी चढ़ने के लिए पैर सही सलामत होंगे तभी तो ये सब कर पाएगा .........!!

    आयुष ये सुनते ही तेजी से क्लब से बाहर की तरफ भागता है और दौड़ते हुए अपनी कार के पास आता है और दौड़ते दौड़ते ही बोलता है,,,,, बवंडर आ चुका है या आने वाला है...?? मतलब आज शहीदी निश्चित है या बचने के चांस है...?? इतना तो बता दो यार....!!

    10 मिनट पहले फोन आया था आधे घंटे में पहुंच रहा है....!! सरस्वती जी जल्दी से बोलती हैं।

    आयुष :(तेजी से ड्राइव करते हुए) यार कैसी दादी हो आप त्यागपत्र दे देना चाहिए आपको दादी की पोस्ट से....!! अपने पोते का ध्यान नहीं रख सकती....??

    सरस्वती जी :ध्यान नहीं रखती तो कॉल करती क्या.....??

    आयुष : दादी मां बात को घुमाइए मत आप भी अच्छे से जानते हैं मैं किसकी बात कर रहा हूं.....!! अब रखिए और मुझे ड्राइव करने दीजिए।

    आधे घंटे का सफर आयुष अगले 15 मिनट में तय कर देता है और घड़ी की तरफ देखते हुए मुस्कुराकर खुद की पीठ थपथपाते हुए बोलता है यू आर ग्रेट आयुष...!! बवंडर तुझे अपने जद में लेता उससे पहले तू पहुंच........ बस इतना ही बोल पाया था आयुष कि तभी उसकी नजर सामने खड़ी कार पर पड़ती है और तुरंत उसके माथे पर पसीना तैर जाता है....!!

    अनायास ही उसके होठों से निकलता है,,,,,, ,,,,,, आहान भाई.......!! आहान का नाम होठों पर आने से पहले ही आयुष की पसीने छूटने लगते हैं और वो तेजी से कार से निकलता है और गहरी सांस लेकर खुद को हिम्मत देता है फिर सबसे पहले अपने फोन को स्विच ऑफ करता है और दबे पांव घर के अंदर प्रवेश करता है !सारी लाइट्स ऑफ थी तो ये देख आयुष मन में बोलता है टाइमिंग के हिसाब से भाई अभी-अभी पहुंचे होंगे फिर भी इतना सन्नाटा ! सारी लाईट्स ऑफ .....?? कुछ तो झोल है दया.....?? मतलब मेरे लिए पूरी फील्डिंग लगाई हुई है ! ये ख्याल दिमाग में आते ही आयुष तुरंत विपरीत दिशा में चलता है और बाहर आकर बंगलों के साइड में जाता है तो आयुष की नजर अपने रूम की खिड़की की तरफ जाती हैं तो वहां लाइट जली होती है....!!  मेरे कमरे की लाइट चल रही है, मतलब भाई को पता चल गया कि मैं रूम में नहीं हूं ! मर गए आज तो कोर्ट मार्शल तय है! कुछ सोच आयुष, इतना स्मार्ट है तू ! खुद पर भरोसा रख ! और याद रख कोशिश करने वालों की हार नहीं होती !खुद से इतना बोल आयुष के होठों पर डेविल स्माइल आ जाती है और वो गार्डन में मौजूद सीढ़ी निकालता है और उसे आहान के रूम की बालकनी से लगा देता है......!!

    आयुष जल्दी से सीढ़ी चढ़ता है और बालकनी में आ जाता है और धीरे से बालकनी का स्लाइडिंग गेट खोलता है और जैसे ही रूम के अंदर आता है तभी एक शांत सी आवाज गूंजती है,,,,,,, मेन डोर में कोई प्रॉब्लम है जो बालकनी से आने की जरूरत पड़ गई.....??

    आयुष अच्छे से सवाल करने वाली आवाज को पहचानता था और सुनते ही आयुष की घिग्घी बंध जाती है और वो जल्दी से घबराकर  अपनी आवाज बारीक करते हुए बोलता है,,,,,,, गा....गा..... गा .....गलतफहमी हुई है आपको च....च...चोर हूं मैं तो रुल के हिसाब से बालकनी से ही आ..आऊंगा.....!!आ...आपका भाई नहीं जो म...........मेन.... गेट...!! बोलकर कस के अपनी आंखें मींच लेता है और तेजी से वापस बालकनी की तरह बढ़ता है (घबराहट में आयुष झूठ बोलने की कोशिश में सच छुपा नहीं पाता या कहे कि खुद ही खुद को फंसा लेता है)

    लेकिन इससे पहले की आयुष के कदम बालकनी में पड़ते  रूम की लाइट ऑन हो जाती हैं और अबकी बार वो शांत आवाज दहाड़ में बदल जाती हैं,,,,,, रुको....!!

    दहाड़ सुनते ही आयुष के कदम फर्श से ऐसे चिपकते हैं जैसे उनमें अब आगे बढ़ने की सामर्थ्य ही ना बची हो.....!!

    क्रमशः

    मोनिका

  • 14. हां इश्क़ है मुझे भी -(सूली पर नहीं चढ़ा रहा) Chapter 14

    Words: 1452

    Estimated Reading Time: 9 min

    लेकिन इससे पहले की आयुष के कदम बालकनी में बढ़ते  रूम की लाइट ऑन हो जाती हैं और अबकी बार को शांत आवाज दहाड़ में बदल जाते हैं,,,,,, रुको....!!

    दहाड़ सुनते ही आयुष के कदम फर्श से ऐसे चिपकते हैं जैसे उनमें अब आगे बढ़ने की सामर्थ्य ही ना बची हो.....!!

    आहान के घूमो बोलते ही आयुष घूमता है तो आहान टेबल पर रिमोट रखते हुए अपनी इजी चेयर से खड़ा होता है और अपनी पैंट में अपने दोनों हाथ डालकर बोलता है,,,,,,

    (आहान के कुछ भी बोलने से पहले आहान से मिलवा देते हैं,,,,, ये है आहान मित्तल उम्र 29 बिजनेस वर्ड में जाना माना नाम..!! डायमंड का बहुत बड़ा बिजनेस है जो देश विदेश तक फैला है और अब नया-नया बंदे ने फैशन इंडस्ट्री में भी कदम रखा है लेकिन खुद लाइमलाइट से दूर रहना पसंद करता है...!! हालांकि इनके पिता का भी काफी नाम है लेकिन उसे ऊंचाइयों पर ले जाने में अहान का बहुत बड़ा हाथ है ! जहां आयुष का पूरा समय बिजनेस से दूर मस्ती करते हुए गुजरता है वही आहान का सोते-जागते उठते-बैठते हर वक्त बस काम में....!! इसलिए घर में कम और बाहर ज्यादा रहता है और हां आयुष के लुक्स को लेकर जो डिस्क्रिप्शन दिया था वो आहान के सामने फीका है )

    हां तो अब आहान की सुन लेते हैं.....!! मतलब आयुष को सुनाते हुए सुन लेते हैं।

    आहान : लगता है आज फिर तुम्हें अपने भाई की बहुत याद आ रही थी और आज भी तुम मेरे बेडरूम में मेरे बेड पर सोने आए थे लेकिन  मेरी एब्सेंस में तुम बालकनी का दरवाजा इस्तेमाल करके चोरों की तरह क्यों आते हो किसी दिन गोली चला दी मैंने तो....?? फ्रंट डोर में कोई प्रॉब्लम है.......?? आहान बहुत शांति से बोलता है।

    आयुष ना में गर्दन हिलाता है तो आहान, आयुष के करीब जाता है और आयुष की तरफ अपना रुमाल बढ़ाते हुए बोलता है........ पसीना पोंछ लो....!! आयुष कांपते हाथों से रुमाल पकड़ता है और अपना पसीना पोंछता है तो अहान बोलता है,,,,,, कल सुबह रेडी रहना कल से तुम ऑफिस ज्वाइन कर रहे हो! टेबल पर फाइल के साथ ही पेनड्राइव भी है दोनों देख लेना कल की मीटिंग तुम ही लीड करोगे .......!!

    ये सुनते ही आयुष थूक सटकते हुए बड़ी मुश्किल से बोलता है ,,,,,,,,,भ....भ... भाई म.......म...मै कैसे.....??

    आहान :मैं देख रहा हूं आजकल तुम मुझे मिस बहुत करने लगे हो इतना कि मुझसे मुलाकात नहीं हो पाती तो मेरे रूम में सो जाते हो तो मैंने सोचा अबसे तुम हर वक्त मेरे साथ रहोगे.......!!

    आयुष  :न .....नही भाई...!!

    अहान :क्या नहीं....?? मुझे मिस नहीं करते या ऑफिस ज्वाइन नहीं करोगे....??

    आयुष जो कि नज़रें झुकाए हुए था धीरे से नजरे उठाता है और पीछे सरस्वती जी को खड़े देख अपने लटके चेहरे को और लटका लेता है ....!!

    आहान  : ऐसे चेहरा लटकाने की जरूरत नहीं है बहुत खेल लिया तुमने ये विक्टिम कार्ड अब कोई भी सिफारिश काम नहीं करेगी बोलते हुए आहान तिरछी नजर से गर्दन घुमाकर सरस्वती जी की तरफ घूरकर देखता है।

    सरस्वती जी : बिल्कुल सही कह रहा है तू अनु बेटा....!! ये ऐसे ही मुंह बनाकर सबको इमोशनल कर देता है तू  ऐसे मुझे क्या देख रहा है ....??मेरी तरफ से बिल्कुल बेफिक्र रह ! बहुत चूना लगा लिया इसने ये भोली सी सूरत बनाकर  मैं तो इसका पक्ष कतई नहीं लेने वाली...!!

    आयुष :दादी....!!!(दादी बोलता जरूर है लेकिन सिर्फ होंठ फड़कते हैं लेकिन सुर में तब्दील नहीं हो पाते क्योंकि गले से आवाज नहीं निकलती ! बदले में सरस्वती जी उसे इशारे से समझाती है कि फिलहाल खामोश रहने में ही भलाई है!)

    और खुद आहान का साथ देते हुए बोलती है और क्या अनु सही कह रहा है.....!!26 के हो गए हो अगर अब भी जिम्मेदारियां नहीं संभालोगे तो कब संभालोगे....?? वो 22 का था तब से बिजनेस संभालता है और देख अब 29 का हो गया है 7 साल का लंबा एक्सपीरियंस हो गया है कितना काबिल हो गया है कामयाबी का शिखर छू लिया है अब तो बस एक दुल्हन लाने की देर है......!! तू भी तीन-चार साल का एक्सपीरियंस ले ले फिर तेरी भी शादी की तैयारी करूं सरस्वती जी बहती गंगा में अपना चाहत, इच्छा, तमन्ना को तैराकर अहान की तरफ बढ़ा देती है.....!!

    आहान :(अपनी आईब्रो उठाते हुए) दादी मां उसे जिम्मेदार बनाने के लिए बिजनेस जॉइन करा रहा हूं शादी कराने के मकसद से नहीं......!!

    सरस्वती जी :मैंने कब कहा तेरा मकसद शादी कराने का है मेरा तो है ना ये तो तू मुझ पर छोड़ दे ! अपने दोनों पोतो के लिए बहु तो मैं ही लेकर आऊंगी तेरे लिए तो मैंने देखनी भी..........

    लेकिन आहान हर बार की तरह अपनी शादी की बात टालते हुए बोलता है दादी मां कुछ बना हुआ है घर में तो प्लीज़ खाने के लिए भिजवा दीजिए ...!! सर में दर्द है थोड़ा आराम करना चाहता हूं वैसे भी सुबह बहुत बड़ी डील फाइनल करनी है.....!!

    सरस्वती जी हां मैं गर्दन हिला कर रूम से जाने लगते हैं तो उनके पीछे-पीछे आयुष भी चल देता है तो आहान आयुष को रोकते हुए टेबल की तरफ झुकता है और फाइल और पेन ड्राइव उठाकर आयुष के हाथ में देते हुए बोलता है,,,,,,, मेरे ख्याल से तुम्हें अभी कई घंटे नींद नहीं आएगी क्योंकि अगर मैं नहीं आता तो शायद सुबह 4:00 बजे तक पार्टी ही करते तुम ...?तो अब 4:00 बजे तक बैठकर इसे स्टडी करो....!!

    आयुष बेहद दयनीय चेहरा बनाकर (ऐसे कि जैसे अभी रो देगा) अहान की तरफ देखता है।

    आहान :बिजनेस जॉइन करने के लिए कह रहा हूं ! सूली पर नहीं चढ़ा रहा हूं। मेरे ख्याल से तुम मुझे ना उम्मीद नहीं करोगे..!!

    आयुष सिर हिला कर खामोशी से निकल जाता है और अपने रूम में आते ही अपनी दादी मां को कॉल करके उनसे बोलता है ,,,,,,,,,, देख लिया दादी मां आपका प्यार भाई के सामने आते ही कैसे पार्टी बदल लेती हो.....!!

    तो वो बोलती है,,,,,,, मेरे लाल बदलनी पड़ती है ! तू क्या चाहता है वो मेरी बात भी काटने लगे अरे जताना पड़ता है कि तेरे प्यार में थोड़ा सा कभी-कभी बहक जाती हूं जो ढील दे देती हूं अगर तेरी हर बात में साथ देने लगी तो फिर मेरी भी नहीं सुनेगा ....!!देख जैसे अनु बोल रहा है फिलहाल वैसे कर, डिनर पर कोशिश करती हूं मैं बात करने की......!! और वैसे भी गलत क्या बोल रहा है.....??ऑफिस ज्वाइन करने के लिए ही तो कह रहा है ....!!अपनी तरह खडूस बनने के लिए थोड़े ही बोल रहा है....!! चल अब रख भूखा है मेरा अनु.....!!

    आयुष :आपका दूसरा पोता भी भूखा है! कुछ खाया थोड़ी था.....??

    सरस्वती जी :(आयुष को छेड़ते हुए) क्यों अभी-अभी अनु से झाड़ खाई तो थी.....!!

    आयुष ठीक है खाई थी भर भर के खाई थी और पेट भरा हुआ है मेरा और अगर थोड़ी बहुत स्वीट डिश की कमी रह गई थी तो आपके तानों से पूरी हो गई....!!कोई जरूरत नहीं है मेरे रूम में खाना भिजवाने की करा लो मुझ मासूम से भूखे पेट गधा मजदूरी .....!! अब सुबह तक बैठकर मारूंगा सिर इस फाइल में.....!! बेकार की कहावत है की मूल से ब्याज प्यार होता है.....!! इतना बोलकर आयुष जैसे ही फोन कट करने लगता है तो सरस्वती जी के हंसने की आवाज उसके कानों में पड़ती है तो आयुष चिढ़ते हुए बोलता है,,,,,,,, हां हां हंसिए खूब हंसिए पर मत भूलिए कि आपका बड़ा पोता तो काम में बिजी हो जाता है , ये छोटा ही हमेशा आपके काम आता है और मैं फिर से रिपीट कर रहा हूं बिल्कुल कुछ मत भेजना मेरे रूम में ....!! दिल टूटा हुआ है मेरा बहुत प्यार सब मर गई कसमे वादे प्यार वफ़ा सब पाते हैं बातों का क्या कोई किसी का नहीं जहां में झूटे नाते हैं नातो का क्या....!! बोलकर आयुष कॉल कट कर देता है !

    सरस्वती जी अपने गर्दन झटकती है और फोन की तरफ देखते हुए मुस्कुरा कर बोलता है नाटक बाज और फिर मेड से मीठे में आहान का फेवरेट कस्टर्ड जो उन्होंने यह सोचकर बनाया था कि आहान कल सुबह आने वाला है निकालने के लिए बोलकर खुद आयुष के लिए खाने की प्लेट लगाती हैं....!!

    इधर ईशानी को अटेंडेंट को बर्फ लगाते देख अविका जो बुरी तरह से चिढ़ी हुई थी और गुस्सा भी बहुत आ रहा था लेकिन फिर भी खुद को कंट्रोल करते हुए बोलती हैं

    सॉरी पिछले पार्ट में भी ईशानी की स्टोरी आगे नहीं बढ़ पाई थी नेक्स्ट से ईशानी के बारे में ही बताएंगे दरअसल ये पूरी रात ईशानी पर बहुत भारी गुजरने वाली है और यही भयानक रात हमेशा के लिए ईशानी को अपने घर से दूर ले जाने वाली है...!! जहां उसके संघर्ष खत्म हो जाएंगे ये तो नहीं कहती लेकिन हां शायद टॉर्चर कुछ काम हो जाएं और शायद थोड़े सुकून के साथ जी पाए....!!

    क्रमशः

    मोनिका