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💞तेरे प्यार में दीवाना💞

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Kahkasha kassu

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कहानी अभिमन्यु राठौर और हीर शर्मा की,दोनों एक दूसरे से बहुत अलग है। जहां अभिमन्यु मुंबई का एक टॉप बिजनेसमैन है। तो वहीं हीर शर्मा जो काम बिगड़ता में माहिर है। वही अभिमन्यु की एक और पहचान है। जिससे सभी लोग हैं अनजान, अभिमन्यु को हीर को पहली नजर म...

Total Chapters (45)

Page 1 of 3

  • 1. 💞तेरे प्यार में दीवाना💞 - Chapter 1

    Words: 1221

    Estimated Reading Time: 8 min

    "एक लड़की और एक लड़का दोनों ही एक रोमांटिक गाने पर डांस कर रहे थे। उस लड़की ने रेड कलर का गाउन पहना हुआ था और रेड कलर की लिपस्टिक लगाई हुई थी। बालों का जुड़ा बनाया हुआ था। उस लड़के ने ब्लैक कलर का कोट-पैंट पहना हुआ था।


    "तेरी चाहत में हम भूल बैठे जहां"

    होश खुद का नहीं अब ज़रा भी रहा।"

    होश खुद का नहीं अब ज़रा भी रहा।"

    हम भी दिखने लगे"

    थोड़े दिवाने से"

    अब मेरा दिल भी लगने शरफिरा"

    जाने कैसा ये जादु कर दिया"

    जाने कैसा ये जादु कर दिया"

    दिल तेरे प्यार में जोगी हो गया"

    दिल तेरे प्यार में जोगी हो गया"


    "इसी के साथ दोनों कपल्स वहाँ पर डांस कर रहे थे। तभी किसी ने उनके ऊपर पानी गिरा दिया। "बचाओ! कोई बचाओ! मुझे, बाढ़ आ गई। माँ, बचाओ मुझे!"
    लेकिन यह क्या? यह लड़की तो सपना देख रही थी! तभी उसने अपनी आँखें खोलीं और सामने देखकर हैरान हो गई।



    सामने उसकी दादी खड़ी थीं। उसकी दादी का नाम पार्वती देवी था, जो एक NGO चलाती थीं। "सुबह के 9:00 बज रहे हैं, कब तक सोती रहोगी तुम?" फिर हीर की तरफ देखकर कहती हैं, "इसका सपना कभी खत्म ही नहीं होता। नींद में ही बड़बड़ा रही थी।" हीर जल्दी से दादी के डर से बेड से उतर गई। " हीर अपना सर झुकाए नीचे खड़ी थी।



    फिर हीर ने अपनी मां के कानों में धीरे से कहा, "मां, इस खड़ूस बुढ़िया से मुझे बचालो..." हीर ने अपनी मां के कानों में धीरे से कहा था, इसलिए दादी ने नहीं सुना।


    "हीर, तैयार होकर नीचे आओ। हम तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं," कहकर दादी वहां से चली जाती हैं।


    "हीर, क्या कह रही हो? मां जी ने सुन लिया तो तुम्हारे साथ मेरी भी खैर नहीं। अगली बार तो मां जी ने तुम्हें छोड़ दिया था, इस बार तो तुम्हारी अच्छे से क्लास लगती। शायद तुम्हें खाना भी नहीं खाने को मिलता," मां ने कहा।



    "नहीं, नहीं! मुझे भूखा नहीं रहना। आप तो जानती हो न, भूख से मेरा क्या हाल हो जाता है!" हीर ने कहा।


    "अच्छा, ठीक है। अब जाओ, जाकर रेडी हो जाओ," मां ने जवाब दिया।


    हीर ने कहा, "मां, आज मैंने बहुत अच्छा सपना देखा। आपको पता है, मैं हीरो के साथ डांस कर रही थी।


    "हां, और वह भी सपने में!" उसकी मां ने सर पर हाथ मारते हुए कहा,


    "मां, काश यह सपना नहीं हकीकत होता। वाओ! कितना रोमांटिक सीन था वो।


    अच्छा, ठीक है, पहले जाकर रेडी हो जाओ।" उसकी मां ने कहा।" हीर तुरंत बाथरूम में भाग जाती है।


    यह थी हमारी कहानी की हीरोइन हीर शर्मा, जो एक चंचल और चुलबुली सी लड़की है, जिसकी उम्र 20 साल है। इसने अपनी पढ़ाई 2 महीने पहले ही पूरी की है।



    हीर दिखने में बेहद खूबसूरत है। उसके लंबे, घने, काले कमर तक बाल, पतले गुलाबी होंठ, गोरा रंग, और हाइट 5 फीट 4 इंच है। घनी काली पलकों वाली भूरी आंखें, जो एक बार इसकी आंखें देखें तो देखता ही रह जाए।"छोटा सा चेहरा", पतली कमर परफेक्ट फिगर... कोई देखे तो घायल ही हो जाए। काम बिगाड़ने में माहिर और गुस्सा तो इसकी छोटी सी नाक पर रहता है।


    सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठकर नाश्ता कर रहे थे।
    तभी हीर ने कहा, "मुझे यह बीमारों वाला खाना नहीं खाना, मां! आप मेरे लिए पैनकेक बना दीजिए ना, प्लीज।" तो उसकी दादी ने कहा, "जो बना है, वही खाओ। पैनकेक कभी और खा लेना, और वैसे भी तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है।"


    "नहीं तो ये आलू के पराठे खा लो," दादी ने कहा। "दादी, यह बहुत स्पाइसी है, मैं नहीं खाऊंगी।" "कुछ स्पाइसी नहीं है। तुम्हारे हिसाब से ही बनवाया है। इससे तुम बीमार नहीं पड़ोगी," दादी ने समझाया।


    फिर हीर ने कहा, "हां हां, आप तो यही कहोगी ना! खुद तो टेस्टी नाश्ता करती हो और मुझे बीमारों वाला खाना खाना पड़ता है," हीर ने मुंह बिचकते हुए कहा।



    दरअसल, हीर हमेशा बीमार पड़ जाती है। दादी जानती थीं कि हीर नाटक कर रही है। हीर ने नाश्ता देखते ही अपना मुंह बना लिया था।


    तभी उसकी मां ने कहा, "हीर, खा लो ना बेटा, तुम्हारे अच्छे के लिए ही तो बोल रहे हैं ना।"


    "हीर ने मुंह बनाते हुए कहा, "मुझे नहीं खाया जाएगा, रोज यही सब। यह सब खा-खा कर बोर हो गई हूं।


    " तभी दादी ने कहा, "दिव्या, इसके लिए पैनकेक बना दो।"


    "अच्छा ठीक है, मैं 5 मिनट में पैनकेक बना कर लाती हूं," फिर थोड़ी देर में हीर ने पैनकेक खाया। तभी उसके फोन में किसी लड़की का कॉल आया। उसने कॉल पिक किया,


    तो उधर से उस लड़की ने कहा, "मैं तेरा गार्डन में वेट कर रही हूं, तू भी थोड़ी देर में आ जाना।"


    "ओके, मैं थोड़ी देर में आती हूं," हीर ने कहा। फिर हीर नाश्ता करके थोड़ी देर में ही गार्डन पहुंच जाती है। हीर ने निशा से कहा, "तूने मुझे यहां क्यों बुलाया है? क्या बात करनी है?" यह थी हीर की बेस्ट फ्रेंड निशा अवस्थी। निशा, हीर से उम्र में 2 साल बड़ी थी।



    निशा ने कहा, "मैं एक अच्छे जॉब की तलाश में हूं। मैंने अपना रेज़्यूमे बहुत सी कंपनियों में दे दिया है। तुझे भी जॉब करनी है क्या?"


    तो हीर ने चिल्लाते हुए कहा, "नहीं, नहीं! मुझे जॉब नहीं होगा और वैसे भी दादी तो कहती हैं कि मैं काम बिगाड़ने के लिए ही बनी हूं, सुधारने के लिए नहीं।"


    "और यह बात सही भी है। मुझसे हर काम बिगड़ जाता है, और वैसे भी घर पर दादी की डांट सुनती हूं। मुझ में इतनी हिम्मत नहीं है कि मैं अपने बॉस की भी डांट सुनूं,"


    निशा ने कहा। "तू इतनी डरपोक कब से हो गई? चल, ठीक है, कोई बात नहीं।"
    "अच्छा, मैं अब चलती हूं।" "Okay, bye। मैं भी चलती हूं," हीर ने कहा और दोनों वहां से अपने-अपने घर के लिए चली गईं।


    अगले दिन,


    हीर सुबह जल्दी-जल्दी उठकर बाथरूम में भाग गई थी कि कहीं दादी फिर से आकर उसे न उठा दें। अगर हीर लेट से उठती थी, तो दादी उसके ऊपर पानी का पूरा जग खाली कर देती थीं।


    इसी वजह से हीर आज जल्दी उठ गई थी और बाथरूम भाग गई थी। हीर ने बाथरूम में जोर से चीखा, तभी उसकी मां और दादी उसके चिल्लाने की आवाज़ सुनकर बाथरूम के पास आ गए।


    दादी ने कहा, "तुम इतनी जोर से क्यों चीखी? क्या हुआ?" हीर अपना सर नीचे झुकाए खड़ी थी। तभी हीर ने धीरे से कहा, "दादी, वो... मैं... मेरे हाथ से जल्दबाजी में नल टूट गया।"


    "मैं क्या करूं? मैं तो जल्दी उठी थी ना, इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। मैं तो काफी सुधर गई हूं," हीर ने अपने होंठों का पाउट बनाते हुए कहा।


    तभी उसकी दादी ने कहा, "हां, हां, यह तुम्हारी गलती
    थोड़ी है! यह तो गलती की गलती है जो तुम्हारे हाथों से करवा देती है।"


    "हां दादी, आपने बिल्कुल सही कहा, यह मेरी गलती नहीं है," तभी हीर को याद आया कि वह क्या कह रही है।


    उसकी मां ने कहा, "ठीक है, कोई बात नहीं। तुम जाकर नहा लो।" हीर ने अपना सर हिलाया और वहां से चली गई।
     

    °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°

    Hello Guys .... ये मेरी पहली कहानी है मुझे पुरी उम्मीद है आप सबको ये कहानी बहुत पसंद आएगी तो पढ़कर जरूर बताइएगा आपको कैसी लगी और अगर कहानी पसंद आए तो लाइक और कमेंट जरुर कर दीजिएगा

  • 2. 💞तेरे प्यार में दीवाना💞 - Chapter 2

    Words: 1208

    Estimated Reading Time: 8 min

    अगली सुबह ....

     

    "हीर डाइनिंग पर बैठ कर नाश्ता कर रही थी। हीर ने अपनी दादी से कहा।" दादी में निशा से मिलने जा रही हुं। निशा ने जॉब के लिए अप्लाई की है।

     

    "उसकी दादी ने कहा।" अच्छा ठीक है लेकिन याद रखना बाहर की चीजे मत खाना..ok thanks..दादी आप कितनी अच्छी हो ठीक है। और जल्दी घर आना ok bye इतना बोल कर हीर घर से निकल गई।

     

    ..Hii..निशा हीर ने कहा" तो निशा ने भी उसे बोला हीर मुझे जॉब मिल गई।  क्या सच में हा कल शाम को कॉल आया था। कल से ही ऑफिस ज्वाइन करना है।


    "हीर ने खुश होते हुए कहा.. wou.. ये तो बहुत अच्छी बात है चल फाइनली तुझे जॉब मिल गई "निशा पार्टी तो बनती हैं।


    "हा पहली सैलरी मिलते ही तुझे पार्टी दूंगी। अच्छा चल पानी पूरी खाते है। निशा ने कहा"


    "तो हीर ने कहा" नहीं यार मै नहीं खा सकती क्योंकि दादी ने मना किया है। "मेरी तबियत खराब हो जाएगी। अच्छा चल हम ..icecreem.. खाते है फिर दोनो.. icecreem.. खाने चली गई 

     

    रात के वक्त....

     

    "एक बार में दो लड़का सोफे पर बैठकर बाते रहा था। दोनो ही काफी हैंडसम था। उसमे से एक था। विवान शाह और अभिमन्यु राठौड़ दोनों एक ही दिन पैदा हुए थे। अभिमन्यु विवान से ज्यादा हैंडसम था। क्योंकि वह हमारी कहानी का हीरो था। 

     

    "जिसकी उम्र लगभग 26 साल गौरा रंग 6 फीट हाइट मस्कुलर बॉडी, काली आंखे, अच्छे से सेट किए हुए बाल,चेहरे पर हल्की सी बीयर्ड,जिम में बनाई हुई। मस्कुलर बॉडी जो देखकर साफ पता चल रहा था। कि बंदा जिम में कितना पसीना बहाता होगा। जिससे लड़किया उसकी तरफ अट्रैक्टिव हो जाती थी। 

     

    "उसने इस वक्त ब्लैक पैंट और व्हाइट शर्ट ऊपर के दो बटन खुले थे। जिसमे उसका मस्कुलर बॉडी साफ दिख रहा था। दोनों काफी मजे कर रहे थे। फिर थोड़ी ही देर में दोनों स्टेज पर जाकर लड़कियों के साथ जाकर डांस करने लगा। 

     

    "तभी एक लड़की ने अभिमन्यु से कहा" मैने हम दोनों के लिए एक प्राइवेट रूम बुक किया है। आज मुझे तुम्हारे साथ कुछ.. time ..स्पेन करना है। तुम हमेशा काम में बिजी रहते हों। इतना कहकर वो लड़की अभिमन्यु की बातें सुने बिना उसे अपने साथ ले गई।

     

    "अब दोनो एक रूम में थे। वो लड़की अभिमन्यु की गोद मे बैठ कर उसे किस करने वाली थी। कि अभिमन्यु ने कहा" आज मेरा मन नहीं है। आज मुझे जरूरी काम है। तो इस लिए मुझे जाना होगा.. bye baby.. इतना बोल कर अभिमन्यु बहा से चला गया।

     

    "दरअसल वो लड़की अभिमन्यु की गर्ल फ्रेंड खुशी थी। जिसकी उम्र लगभग 24 थी। दोनो कॉलेज फ्रेंड थे। खुशी को अभिमंयु पर बहुत गुस्सा आया। फिर थोडी देर में वो भी बहा से चली गई। 

     

    "अभिमन्यु और विवान दोनो गाड़ी में बैठ कर हस रहे थे। विवान ने कहा" क्या बोल रही थी। वो मेकैप की दुकान उसे तेरे साथ time स्पेन करना है। अच्छा हुआ तू बहा से निकल गया। नहीं तो आज तेरे इज्जत पर हमला हो जाता।

     

    "ऐसे कैसे वो मेरे करीब आ जाती। मेरे करीब सिर्फ एक ही लड़की आएगी। जिससे में शादी करूंगा। और शादी में उससे करूंगा। जिससे मुझे प्यार होगा। 

     

    "विवान ने कहा" अभी पहले तू शादी कर ले। फिर में शादी करूंगा। और वैसे भी मैंने अपने लिए एक लड़की पसंद कर ली है। अभिमन्यु ने उसे हैरानी से देखा। तो विवान ने कहा" अपने ऑफिस में एक नई एम्पलॉई आ रही है। जिसका नाम निशा अबस्थी है। "मैंने उसे जॉब पर रख लिया है। वह कल से ही हमारे ऑफिस को ज्वाइन कर रही है।



    " अच्छा तूने तो इस बारे में मुझे बताया ही नहीं।  अच्छा चल पता चलेगा तेरे लायक है या नहीं? अभिमन्यु ने कहा"

     

    अगले दिन...

     

    "दोपहर के वक्त...एक स्कूल बस में कुछ बच्चों को किडनैप करके ले जाया जा रहा। उस बस में क्लास टीचर और कुछ गुंडों के हाथ में  गन था। और वह टीचर के  ऊपर गन लगाए हुए खड़े थे।


    "दरअसल इन गुंडों का दो आदमी पुलिस कस्टडी में था। इसलिए इन लोगों ने बच्चो को किडनैप किया था। और उन गुंडों ने पूरे बस को हाईजेक कर लिया था। 


    "तभी वहां गरीबों का मसीहा हीरो उन बच्चों को बचाने के लिए आ गया। हीरो अपनी बाइक पर सवार था। तो वही बस ड्राइवर ने हीरो को टक्कर मारी जिससे हीरो सड़क के दूसरी तरफ जा गिरा। और उसके बाह में चोट लग गया। 


    "फिर वह अपनी बाइक पर बैठा और फिर से बस का पीछा करने लगा। फिर उसने बस के पीछे वाली साइट पकड़ के बस के ऊपर चढ़ गया। और उसके अंदर आ गया।



    "तभी उसे आदमी ने उसके सर पर बार करना चाहा जिससे हीरो खुद के बचाव करते हुए "बस की दूसरी साइड आ गया आ गया। और अपनी गण निकाल कर उस आदमी को शूट कर दिया। और बस से बाहर फेक दिया।  हीरो ने पलक झपकते ही सारे गुंडो को मार दिया। 

     

    "तभी बस का बैलेंस बिगड़ने लगा। और बस ड्राइवर भी बस से कूद कर पानी में गिर गया। सभी बच्चे डर के मारे शोर मचा रहे थे। तभी टीचर ने सारे बच्चों को संभाल लिया। 

     

    "और हीरो ने बस का बैलेंस संभालते हुए बस चलाने लगा। जिससे उसे पता चल गया। कि बस का ब्रेक फेल हो गया है। इसी वजह से वह बस ड्राइवर भी बस से कूद गया था। 


    "फिर बहा पर दो बस और एक बस आई। और उस में से दो लोग पहले बाली बस पर आ गए। और एक एक कर के बच्चो को दूसरी बस पर पहुंचने लगे। इस वक्त दोनो बस सो की स्पीड से चल रही थी। 


    "इसी तरह से सारे बच्चे और टीचर दूसरी बस पर आ गए। अब बस में कोई नहीं था। बस में सिर्फ हीरो था। अब वो बस उस खाई की तरफ जा रही थी। 


    "और देखते ही देखते वो बस खाई में गिर गई। दूसरी बस भी बहा खड़ी थी। सभी लोग देख रहे थे। बहुत देर हो जाने के बाद भी हीरो का कुछ पता नहीं चला। 


    "सभी लोग परेशान खड़े थे। वो सब और बच्चे के चेहरे पर उदासी झलक रही थी। की तभी बहा उन लोगो ने हीरो की आवाज सुनी। हीरो उन सबके सामने खड़ा था। हीरो को देख कर सभी बच्चे खुश हो गए। 


    "हीरो को आज तक किसी ने नहीं देखा था। क्यूंकि वो अपने पूरे चहरे को हमेशा मास्क से कभर कर रखता था। सिर्फ उस की आंखे दिखाई देती थीं। फिर सभी बच्चे हीरो के गले लग गए। 


    "हीरो ने कहा" आप सब के हीरो को कुछ नहीं हो सकता। फिर उसने सभी बच्चो का माइन डायबट करने के लिए अपनी पॉकेट में से चॉकलेट निकली। और सभी बच्चो को दे दिया। जिससे सभी बच्चे बहुतखुश हो गए। 


    "फिर उसमे से एक लेडी टीचर ने कहा" जिसकी उम्र लगभग 45 होगी। सच में आज फिर से आपने बड़ा काम किया है। आप बहुत अच्छे इंसान हैं। आपके मां बाप ने बहुत अच्छे संस्कार दिए हैं।"आप सिर्फ इंडिया में ही नही पूरे बल्ड में आपका नाम मसहुर हैं.. thank you so much... फिर सभी लोग बहा से चले गए 


    "अभिमन्यु अपनी ऑफिस में बैठा कुछ काम कर रहा था। तभी विवान केबिन में आया ।उसने अभिमन्यु की बाह पर चोट लगे देखा तो पूछा... 


    °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°


    स्टोरी जारी है अगले भाग में....पढ़कर समीक्षा जरूर कीजिएगा

  • 3. 💞तेरे प्यार में दीवाना💞 - Chapter 3

    Words: 1183

    Estimated Reading Time: 8 min

    रात के वक्त...





    "अभिमन्यु अपने केबिन में बैठा लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था। तभी विवान केबिन में आया। उसने अभिमन्यु की वाह पर चोट लगे देखा। तो पूछा तुझे यह चोट कैसे लगी।


    "तो अभिमन्यु ने कहा" वह क्या है ना दोपहर में रोहन के साथ फुटबॉल खेल रहा था।  तभी लग गया होगा। शायद मैंने ध्यान नहीं दिया। 


    "फिर दोनों एक दूसरे की तरफ देखकर खूब जोर से हंसने लगे। तो फिर अभिमन्यु ने कहा पागल है। क्या हंस रहा है।


    "तू भी तो हंस रहा है। विवान ने कहां 


    "घर चलते हैं सब हमारा wait कर रहे होंगे। और वैसे भी मैं बहुत थक गया हूं। अभिमन्यु ने कहा"


    "ठीक है घर चलते हैं। तू  रेस्ट कर लेना। विवान ने कहा"


    "अभिमन्यु ने अपनी गाड़ी की key उठाई। और केबिन से  बाहर निकल गया। और उसके पीछे-पीछे विवान भी बाहर आ गया। दोनों गाड़ी में बैठकर अपने घर के लिए निकाल गए।


    राठौड़ मेंशन...


    "दोनों की गाड़ी एक बड़े से door के अंदर आकर रुकी। विवान अपने घर चला गया। दोनों का घर बगल में ही था। अभिमन्यु का घर बहुत बड़ा और काफी सुंदर था। चारों तरफ बॉडीगार्ड खड़े थे। अभिमन्यु अपने घर के अंदर आ गया। घर में इस वक्त सभी लोग  hool में बैठे थे। घर अंदर से भी काफी खूबसूरत था।



    "अभिमन्यु भी उन सभी के साथ वहां पर लगे सोफे पर बैठ गया। उसके घर में उसकी चाची नयनतारा और उसके चाचा जी प्रतिक राठौड़ उसकी दादी विमला देवी छोटा भाई रोहण राठौर जिसकी उम्र लगभग 23 साल होगी। यह अभी बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहा है।


    "एक बहन विशाखा राठौर..जिसकी उम्र अभिमन्यु के ही बराबर होगी। यह दोनों उस के चाचा के बच्चे हैं। अभिमन्यु के मां-बाप की बचपन में ही डेथ हो गई थी। इसलिए चाचा चाची ने ही उसे पाला था। अभिमन्यु की फैमिली बहुत sweet है। अभिमन्यु अपनी फैमिली से बहुत प्यार करता है। अभिमन्यु और उसके चाचा जी बिजनेस संभालते हैं। 



    "आओ अभिमन्यु बेटा हम तुम्हारा ही wait कर रहे थे। नयनतारा ने कहा"


    "प्रतीक ने जब उसकी बाह पर चोट देखा। तो पूछने लगे। अभी तुम्हारी बाह पर तो चोट लगी है। नयनतारा डॉक्टर को बुलाओ। इस लड़के को अपना ध्यान भी रखना नहीं आता।


    "नहीं चाचू डॉक्टर को बुलाने की जरूरत नहीं है। मै ठीक हू अभिमन्यु ने कहा"


    "मै फर्स्ट स्टेज बॉक्स लेकर आता हूं। रोहन ने कहा" और फर्स्ट स्टेज बॉक्स लाने चला गया।


    "बेटा तुम्हारे बाह पर इतना चोट लगा है। तुम्हें दर्द नहीं होता है। क्या मुझे तो समझ नहीं आता। कितना चोट लगा है। मेरे बच्चे को नयनतारा ने कहा"


    "लीजिए फर्स्ट स्टेज बॉक्स लेकर आ गया। रोहन ने अपनी मॉम के हाथ में फर्स्ट स्टेज बॉक्स देते हुए कहा" 


    "छोटी मम्मा रिलैक्स ज्यादा चोट नहीं है। आप ज्यादा हाईपर मत होइए। मैं ठीक हूं? अभिमन्यु ने कहा"


    "हां दिख रहा है। कितना ठीक है। ऑफिस में भी ऐसे ही करता है। कभी यहां तो कभी वहां कभी यह काम तो कभी वह काम एक पल भी आराम नहीं करता है।नयनतारा जी ने कहा"


    "मुझे तो समझ नहीं आता। इसकी बीवी इसे कैसे संभालेगी। प्रतीक जी ने कहा"


    तो अभिमन्यु ने बीच में ही ठोकते हुए कहा।" जैसे छोटी मम्मा आपको संभाल रही है। और बोलते हुए मुस्कुराने लगा। 



    "हे क्या कहा तूने वह मुझे संभाल रही है। या मैं उसे संभाल रहा हूं। नयनतारा ने अभिमन्यु की वहां पर दवाई लगाकर पट्टी बांध दि थी।



    "तो उन्होंने कहा" अच्छा जी आप मुझे संभाल रहे हैं। अभी मैं सबको आपके कॉलेज के किस्से सुनाने लग जाऊंगी। न तो सब तो आपको ही कहेंगे। फिर क्या था फिर तो जंग छिड़ गया।



    "आप कॉलेज टाइम में कैसे बेशर्म इंसान थे। जब कोई लड़की देखी नहीं थी। उसके पीछे ही पड़ जाते थे। वह तो मैं थी। जो आपको मैंने संभाल लिया। और आपने शादी से पहले प्रॉमिस भी तो किया था ना.. आप मेरे अलावा किसी और की तरफ देखेंगे भी नहीं? नयनतारा जी ने मुंह बनाते हुए कहा"



    "सभी लोग इन दोनों की बातें सुनकर हंस रहे थे। अच्छा sorry मुझे माफ कर दोबारा से नहीं बोलूंगा। प्रतीक जी ने कहा"


    "पापा यह सब इसकी वजह से हुआ है। इसने फिर से आप दोनों की भी झगड़ा कराया। विशाखा ने अभिमन्यु की तरफ उंगली पॉइंट करते हुए कहा"



    "तो अभिमन्यु भी कहां पीछे रहने वाला था। "उसने भी अपनी उंगली विशाखा की तरफ पॉइंट करते हुए कहा" तू चुप बैठ मैंने कुछ नहीं किया। यह दोनों खुद ही झगड़ रहे हैं। और मैं तो बस इतना ही कहा ना की छोटी मम्मा उन्हें झेल रही है sorry संभाल रही है। उसने मुंह बिचकते हुए कहा"



    "फिर क्या था। नयनतारा गुस्से में बोली।" तुम दोनों चाचा भतीजे की प्लानिंग मैं सब समझतती हूं। तुम दोनों बस मुझे परेशान करना चाहते हो। और वैसे भी तुम दोनों एक जैसे हो। 


    "ठीक कहां मम्मी आपने दोनों ही आपको परेशान करते रहते हैं। विशाखा ने कहा"


    "अरे नयनतारा यहां आओ मेरे पास बैठो। यह तो इनका रोज का ही काम है। जब तक यह लोग लड़ेंगे। नहीं एक दूसरे को परेशान नहीं करेंगे। तब तक इनको रात में नींद नहीं आएगी। दादी ने नयनतारा को शांत करवाते हुए कहा"और वह जाकर सोफे पर बैठ गई।



    "अभी जब तुम्हारी शादी होगी ना.. जब तुम्हारी बीबी तुमसे लड़ेगी। तो मैं उसकी ही साइड लुंगी। यह बात मैं आज बोल देती हूं। और उसको अच्छे से समझा दूंगी। कि वह तुम्हें खूब कुटे तुम्हारी चटनी बना दे तब जाकर मेरा बदला पूरा होगा। नयनतारा जी ने कहा" 



    "नहीं छोटी मम्मा आप यह क्या बोल रही हो। यह तो rong है। आप ऐसा करोगी। मेरे साथ आप तो मेरी प्यारी छोटी मम्मा होना। अभिमन्यु ने नयनतारा के कंधे पर सर रखकर कहा" 


    "वैसे नयनतारा हमें अभिमन्यु के लिए एक अच्छी सी लड़की देखनी चाहिए। जो इस बे लगाम घोड़े को अपनी मुट्ठी में बांध कर रख सके। एक ऐसी लड़की जो बहुत खूबसूरत हो उसके लंबे काले बाल हो भुरी आंखें हो लंबी सी पतली सी कमर और गोरा रंग और संस्कारी भी हो। जो बिल्कुल हमारे अभी के लायक हो। 



    "हां मां जी आप बिल्कुल सही कह रही है। हमें ना बिल्कुल ऐसे ही लड़की चाहिए। जैसी आपने बताई? नयनतारा ने अभिमन्यु की तरफ देखते हुए कहा"



    "वैसे अभी तुम्हारी उस गर्लफ्रेंड का क्या नाम था। विशाखा ने सोचते हुए कहा" हां खुशी... खुशी था उसका दादी आप ऐसा करिए। अभी की शादी खुशी से ही करवा दीजिए। वैसे भी यह दोनों एक दूसरे को बहुत अच्छे से जानते हैं। और आपको लड़की ढूंढनी भी नहीं पड़ेगी।


    "मुझे उस खुशी से शादी नहीं करना। अभिमन्यु ने कहा" 


    "अच्छा तू तो लड़की ढूंढने से रहा अब हमारे ही पसंद की लड़की से तुझे शादी करनी होगी। दादी ने कहा"


    "तो प्रतीक जी बीच में ही बोले इस घर में सब ने ..love marriage..शादी की है। तो अभिमन्यु की..arrange marriage ..कैसे हो सकती है। मेरा अभिमन्यु सूली पर नहीं चलेगा। अभी तू टेंशन मत ले मैं तेरे साथ हूं। 

     
    °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°


    क्या अभिमन्यु की शादी arrange marriage होगी क्या उसकी दादी अभिमन्यु की शादी करवा कर ही मानेंगी। हेलो दोस्तों कमेंट में जरूर बताएंगा  please हमारी यह कहानी कैसी लगी 😊

  • 4. 💞तेरे प्यार में दीवाना💞 - Chapter 4

    Words: 1151

    Estimated Reading Time: 7 min

    "हां चाचू आपने बिल्कुल सही कहा" यह लोग कितने होशियार हैं। जब मेरी बारी आई। तो नियम ही चेंज कर दिया। और आप लोगों को लगता है। कि मैं arrange marriage वाला बंदा हूं। बाय द वे तब के तब देखी जाएगी। दादी आप ज्यादा टेंशन मत लीजिए। और जाकर आराम करिए। आप सभी जाकर सो जाइए।
     

    अगली सुबह...
     

    "आज सुबह मौसम बहुत अच्छा था। और ठंडी हवाएं चल रही थी। आज हीर सुबह जल्दी उठ गई थी। और बाहर का मौसम देखकर हीर बाहर गार्डन में आकर टहल रही थी। इस वक्त सुबह के 8:00 रहे थे। तभी थोड़ी ही देर में निशा उसके घर पर आई। उसने ही को गार्डन में देखा। तो वो इस तरफ आ गई। 



    ..Hii.. हीर निशा ने अपना हाथ हिलाकर थोड़ी दूर पर से ही कहा" हीर ने जब निशा को देखा। तो वह दौड़ती कुदती हुई। उसके पास आकर उसके गले लग गई।


    "तो निशा ने कहा" तू ऊछल क्यों रही है। एकदम बंदर के जैसे..


    "हीर ने गुस्से से उसे धकेलते हुए कहा" तूने फिर से मुझे बंदर कहा। मैं नहीं बंदर तू है। और यह बता इतनी सुबह-सुबह हीर ने इतना ही कहा था। कि निशा ने बीच में उसे ठोकते हुए कहा"


    "तेरे लिए सुबह होगी। मेरे लिए तो कब की सुबह हो चुकी है। इसलिए अभी तक नाइट ड्रेस में ही घूम रही है। वैसे मुझे तुझ से कुछ बात करनी थी। वो पायल के के बारे मे..


    "हीर ने कहा पायल अपने बॉयफ्रेंड अनुज के साथ शादी करने वाली है मैंने पायल को कितना समझाया। की मत कर उसे अनुज से शादी लेकिन उसने मेरी बात नहीं मानी..


    "निशा ने कहा" अच्छा तू ऐसा क्यों कह रही है। वह दोनों एक दूसरे को पसंद करते है। तो इसमें तुझे दिक्कत क्यों हो रही है।


    "नहीं निशा मुझे सही नहीं लगता वह सही लड़का नहीं है। वह बस पायल के पैसों से प्यार करता है। ना की पायल से वह दोनों हमेशा उसे होटल में मिलते हैं ना आज मैंने ने एक सॉलिड प्लान बनाया है। मैं उस अनुज पर नजर रखूंगी आज दोपहर को ही जाऊंगी। 


    "तू और तेरा जुगाड़ू दिमाग कभी नहीं बदलने वाला। जो भी करना संभाल के करना में नहीं रहूंगी। वहां तुझे संभालने के लिए इसलिए अपना ध्यान रखना। और बाद में मुझे कॉल करके बताना। निशा ने कहा"



    "वैसे मैं ऑफिस जा रही हुं। आज मेरा पहला दिन है। तू भी चल मेरे साथ निशा ने कहा"


    नहीं नहीं मुझे नहीं जाना बहुत बोरिंग जगह होती है। मैं  बैठे-बैठे  बोर हो जाऊंगी। और फिर मुझे ले जाने का खामियाजा तुझे भुगतना पड़ेगा। हीर ने अपने होंठो का पाउट बनाते हुए कहा"


    "अच्छा चल ठीक है। मैं तो तुझसे मिलने आई थी। वैसे मुझे 9:00 बजे तक में ऑफिस पहुंचना है। अच्छा ठीक है। फिर मिलती हुं। इतना कहकर निशा वहां से चली गई।


    "हीर भी आकर अपने अपने रूम में तैयार होने लगी। हीर नीचे आकर अपना ब्रेकफास्ट किया। और अपनी मां से बातें करने लगी।


    "उसकी मां ने कहा" हीर कितना बोलती हो तुम थोड़ा सांस भी ले लिया करो।



    "हमारे साथ NGO चलो तुम्हारा मन लगेगा। घर पर कितना बैठी रहोगी। अब कुछ काम काम करो। हीर की दादी ने कहा"


    "मां आप यह क्या कह रही है। यह काम थोड़ी करेगी। यह तो काम तमाम कर देगी। भूल से भी इसको अपने साथ मत ले जाइए। दिव्या ने कहते हुए जब हीर की तरफ देखा।


    तो हीर उसे ही गुस्से से देख रही थी। "और कहां मां आप भी अब मेरे पीछे पड़ गई है। पहले दादी क्या काम थी। जो आप भी मुझे परेशान करने लगी।


    "अब क्या करूं तुम्हारी हरकतें ही ऐसी है। बड़ी हो गई हो। लेकिन दिमाग अभी भी बचपन वाला है। इतना बोलकर दादी और दिव्या दोनों हंसने लगी।


    "हां हां हंस लीजिए आप दोनों बहुत हंसी आ रही है। आप दोनों को अरे अभी मैं कौन सी बड़ी हो गई हूं। अभी तो मैं वही आपकी छोटी सी हीर हूं। इतना बोलकर हीर ने अपना रोंडू सा फेस बना लिया।


    "हां तुम तो हमारी लिए बचपन वाली हीर ही हो। तुम इस घर के इकलौती संतान हो। भला हम तुम्हें कैसे उदास रहने दे सकते हैं। हम तो खुद चाहते हैं। तुम हमेशा खुश रहो। इतना बोलकर दादी ने हीर को गले से लगा लिया। 



    "हीर ने भी मुस्कुरा कर अपनी बाहें दादी के गले में लपेट दि। हां बच्चा हम सब चाहते हैं। तुम हमेशा खुश रहो। और तुम्हारे मां-बाप को भी तुम्हें खुश देखकर उनकी आत्मा को शांति मिलेगी।  दिव्या जी ने कहा" अच्छा बताओ तुम्हें क्या खाना है। आज मैं तुम्हारे लिए कुछ अच्छा सा बनाऊंगी।


    "हीर ने दिव्या जी की तरफ देखते हुए कहा" नहीं मां मैं दोपहर को अपने दोस्तों से मिलने होटल जा रही हूं। वहीं पर कुछ खा लूंगी। रात में मेरे लिए कुछ हल्का सा बना देना। 



    दोपहर के वक्त...



    "एक बड़े से होटल में एक लड़का लड़की लंच करने के लिए आए थे। वही उसकी टेबल के सामने एक और लड़का बैठे उन दोनों को ही घूर रहा था।  वह लड़का दिखने में बहुत अजीब लग रहा था। उसने अपने सर पर पगड़ी पहनी हुई थी। सेट पेंट जो बहुत ढीली डाली पहनी हुई थी। चेहरे पर उसके दाढ़ी थी। जो दिखने में ही पंजाबी लग रहा था। 


    "यह कोई और नहीं बल्कि हमारी हीर थी। जो पायल और अनुज पर नजर रखे हुए थे। तभी अनुज बाथरूम की तरफ जाने लगा। तो हीर भी उसके पीछे जाने लगी। लेकिन तभी अनुज हीर की आंखों से ओझल हो गया। हीर इधर-उधर देखने लगी। लेकिन अनुज उसे कहीं दिखाई नहीं दिया। 



    "तो हीर ने कहा" यह अनुज का बच्चा कहां मर गया। अभी तो इधर ही आया था। पता नहीं कहां चला गया। वह अनुज को ढूंढते हुए आगे बढ़ गई ही ढूंढते ढूंढते एक प्राइवेट टॉप फ्लोर पर आ गई। उसे पता ही नहीं चला वह टॉप फ्लोर पर है।



    "जहां एक इंपॉर्टेंट मीटिंग चल रही थी। वहां बहुत सारे लोग सोफे पर बैठे हुए थे। और बहुत सारे गॉड्स ब्लैक कपड़े में खड़े हुए थे। यह था अभिमन्यु राठौर का फ्लोर जहां अभिमन्यु राठौर की इंपॉर्टेंट मीटिंग चल रही थी। 



    "हीर ढूंढते ढूंढते आगे बड़ी तभी वो किसी से टकरा गई। उस इंसान के हाथों में वाइन का गिलास था। जिससे पूरा वाइन उस इंपॉर्टेंट फाइल जो डेस्क पर रखा हुआ था। उस पर गिर गया। यह देखते ही अभिमन्यु का पारा हाय हो गया। हीर चारों तरफ इतने सारे बॉडीगार्ड्स को देखकर डर गई।


    "तभी अभिमन्यु ने हीर की दोनों वाह जोर से पकढ़ते हुए जोर से चिल्ला कर कहा" तुझे दिखाई नहीं देता अंधा है। क्या मेरी पूरी फाइल खराब कर दी। और इतना बोलते ही उसने गुस्से में आकर हीर को एक जोरदार थप्पड़ उसके चेहरे पर दे मारा... 


    °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°


    क्या हीर अभिमन्यु के गुस्से से बच पाएगी या अभिमन्यु  इसके लिए हीर को सजा देगा अब क्या होगा हेलो दोस्तों कमेंट में जरूर बताइए आपको हमारी यह कहानी कैसी लगी

     

  • 5. 💞तेरे प्यार में दीवाना💞 - Chapter 5

    Words: 1127

    Estimated Reading Time: 7 min

    "अभिमन्यु ने हीर के चेहरे पर एक जोरदार थप्पड़ मारा। जिस से हीर का चेहरा दूसरी तरफ झुक गया। और उसके सर की पगड़ी नीचे जमीन पर गिर गया। जिससे उसके लंबे घने काले बाल खुलकर लहराने लगे। यह देख कर अब सभी लोग हीर को हैरानी से देख रहे थे। अभिमन्यु ने हीर को हैरानी देखा। तो उसके हाथ खुद ब खुद उसके चेहरे की तरफ बढ़ने लगा। उसने हीर के चेहरे पर से दाढ़ी हटाया। तो उसे पता चला। कि यह कोई लड़का नहीं बल्कि एक लड़की है। 



    "हीर डरी सहमी सी बहा पर सर झुकाए खड़ी थी। थप्पड़ पढ़ने की वजह से हीर का खूबसूरत चेहरा लाल हो गया था। और उसकी आंखों में आंसू थे। अभिमन्यु तो बस एक टाइम हीर के चेहरे को ही देख रहा था। हीर वहां पर खड़ी सिसक सिसक कर रो रही थी। उसने अपने हाथो से अपने आंसू पोछे.. 


    "तभी प्रतीक जी ने कहा" अभी यह क्या कर रहे हो। वो लड़की है। तो अभिमन्यु ने अपनी पॉकेट से रुमाल निकाला। और हीर के आगे कर दिया। हीर ने अपनी नजरे उठा कर अभिमन्यु की तरफ देखा। पर वो रुमाल नहीं लिया। 


    "अभिमन्यु तो बस हीर की भूरी आंखों में ही देख रहा था। दोनो ऐसे ही कुछ देर एक दूसरे को देख रहे थे। हीर की आंखे अभी भी लाल थी। यह देख कर अभिमन्यु के दिल में एक दर्द सा उठा। हीर रोंदू सा फेस बना कर अभिमन्यु को ही देख रही थी। हीर इस वक्त अभिमन्यु को बहुत cute लग रही थी। 



    "फिर हीर बहा से दौड़ती हुई भाग गई। थोड़ी देर बाद बहा से सभी लोग चले गए। आप वहां पर उसके चाचा जी विवान और बॉडीगार्ड ही थे। अभिमन्यु भी वहां से बीना कुछ कहे चला गया। 


    रात के वक्त...


    "जीम में अभिमन्यु गुस्से से पंचिम बैग पर पंच कर रहा था। उसे बहुत गुस्सा आ रहा था। खुद पर विवान खड़ा ये सब देख रहा था। उसने कहा" ये इसे क्या हुआ।" तभी किसी ने कहा पहली नजर बाला प्यार हो गया है। ये थे प्रतीक जी जिन्होंने अभिमन्यु की हालत को जल्द ही समझ लिया था।


    "विवान ने उनकी तरफ देखा। और कहा" चाचू आप यह क्या कह रहे हैं।


    "मैं सही कह रहा हूं। बिनु मैं इसका चाचा हूं। मैं देख कर बता सकता हूं। अभी के मन में क्या चल रहा है। प्रतीक जी ने मुस्कुराते हुए कहा"


    "क्या सच में क्या सच में हमारे अभी को प्यार हो गया है।  विवान ने खुश होते हुए कहा"


    "हां बिनु अभी को उस लड़की पर हाथ नहीं उठाना चाहिए था। प्रतीक जी ने विवान की तरफ देखकर कहा"


    क्या चाचू आप भी अभी को क्या पता था। कि वो लड़की है। अरे उसे छोड़िए हमें तो खुद नहीं पता था। विवान ने कहा"


    शर्मा मेंशन ...


    "फिर आपने बेड पर लेटी हुई थी। रोने की वजह से उसकी आंखें अभी भी लाल थी। हीर अपने में ही बड़बड़ा रही थी। उस मॉन्स्टर को तो मैं छोडूंगी नहीं बस एक बार वो मुझे मिले। तो मैं उसको मार मार के चटनी ना बना दिया ना.. तो मेरा नाम भी हीर शर्मा नहीं समझता क्या है। वह खुद को इतनी जोर से मुझे थप्पड़ मार दिया। वह तो अच्छा हुआ घर में किसी ने नहीं देखा। नहीं तो मैं क्या जवाब देती। हीर यही सब बडबडाते हुए हीर को नींद आ गई। 


    सुबह के वक्त...


    राठौड़ मेंशन ...


    "इस वक्त सभी लोग hool में बैठे हुए थे। सभी लोग brekfast कर रहे थे। तो बही अभिमन्यु चुपचाप बैठा था। तभी विवान बहा आया। और कहा आज नाश्ते में क्या है। छोटी मम्मा


    "नयनतारा जी ने उसे जवाब दिया। आओ बिनु तुम भी हमारे साथ बैठ कर नाश्ता कर लो। तो वो चाचू की बगल वाली साइड पर बैठते हुए अभिमन्यु की तरफ देखा।  


    "तो उसे चुपचाप देख कर उसने प्रतीक जी की तरफ इशारा किया। उन्होंने भी अभिमन्यु की तरफ देखा। अब वो दोनो मुस्करा रहे थे। तभी दोनो एक साथ गाना गाने लगे। 


    आखिया दे कोल रह जाने दे"

    कहना है जो कह जाने दे"

    तेरे ख्यालों में बीते ये रातें"

    दिल मेरा मांगे एक ये दुआ"

    तू सामने हो और करू में बाते"

    लम्हा रहे यूं तेरा हुआ" 


    "अब सभी उन दोनों को ही देख रहे थे। अभिमन्यु उन दोनो को ही घूर रहा था। फिर दोनो मुस्कुरा कर आगे गाने लगे।


    पहले तो कभी यूं मुझको ना ऐसा कुछ हुआ"

    दीवानी लहरों को  जैसे साहिल मिला"

    ओ एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा" 

    एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा"

    ओ मेरे सोडेया वे छड़ सारी गलियां"

    नाल तेरे चलेया वे ले चल मुझको दुनिया से दूर" 


    "हो गया आप दोनो का भजन क्यों गा रहे है। अभिमन्यु ने उन दोनों की तरफ देखकर घूरते हुए कहा"



    "अरे हम तो गाना गा रहे है। दोनो ने एक साथ में कहा"


    "में समझ रहा हूं आप दोनो गाना क्यों गा रहे हैं। अभिमन्यु ने हल्के गुस्से में कहा"

    "हा तो अच्छी बात है। ना हमे समझाना भी नहीं पड़ेगा। विवान ने कहा"


    "आप दोनो गाना क्यों गा रहे हो। कोई खास बात है क्या नयनतारा जी ने कहा" 


    "नहीं छोटी मम्मा हम तो बस ऐसे ही गा रहे थे। चाचु अगर आप को इनसे बचना है ना तो चुप ही रहिएगा। अभिमन्यु ने धीरे से कहा"


    "क्यू डैड बच कर क्यू रहेंगे। कोई बात है क्या रोहन ने कहा"


    "नहीं तू चुपचाप से बैठ? अभिमन्यु ने रोहन की तरफ देखते हुए कहा" 


    रात के वक्त...


    "हीर गार्डन में टहल रही थी। की हीर ने खुद से कहा" वो अनुज का बच्चा कल कहा गायब हो गया था। वो तो मेरे सामने ही उस तरफ गया था। फिर ऐसे अचानक कहा गायब हो गया। यही सब हुए वो घर के अंदर आ गई। 


    दूसरे दिन...


    "हीर बैठ कर नाश्ता कर रही थी। उस ने कहा मां मुझे  मैक्रोनी खाना आप बना दो ना प्लीज़ सेंडबिच ही खाओ। मैक्रोनी से बीमार हो जाओगी। दादी प्लीज न एक दिन खा लूंगी। तो क्या हो जायेगा। मां प्लीज बना दो ना दिव्या तुम रहने दो तुम ज्यादा काम मत किया करो।  तुम्हारी तबियत ठीक नहीं रहती है। 


    "नित्या तुम हीर के लिए मैक्रोनी बना दो। और हा तेल मसाले कम देना। जी दादी नित्या ने कहा" और किचन की तरफ चली गई। थोड़ी ही देर मे हीर ने अपना नाश्ता खत्म किया। और दादी से बोल कर दादी मुझे कुछ काम है। में आती हूं इतना बोल कर बाहर चली गई। वो अपनी स्कूटी में बैठ के निकल गई। हीर स्कूटी को प्लेन समझ कर चलाती थी। आज भी वो बहुत स्पीड में चला रही थी। 


    °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°


    क्या हीर का एक्सीडेंट हो जायेगा या फिर हीर किसी और का एक्सीडेंट कर देगी जानने के लिए आगे का भाग जरूर पढ़िए और कमेंट में जरूर बताइएगा  
    कहानी जारी है अगले भाग में 😊😊😊
     

  • 6. 💞तेरे प्यार में दीवाना💞 - Chapter 6

    Words: 1199

    Estimated Reading Time: 8 min

    "हीर के पास स्कूटी थी जिसका नाम पिंकी था। और हीर की फैब्रेट भी थी। हीर अपनी स्कूटी को प्लेन समझ कर चला रही थी। आज भी वो बहुत स्पीड में चला रही थी। हीर अपने ही धुन में मगन थी। कि तभी उसकी स्कूटी किसी की कार से जा टकराई। और हीर सड़क पर गिर गई। जिसे वो जोर से चीखी? 


    "तभी गाड़ी में से एक लड़का बाहर आया। हीर ने उस की तरह उगली पॉइंट करते हुए कहा" अंधे हो क्या दिखाई नहीं देता हैं। क्या तुमहे आंखे है या बटन हीर बहुत स्पीड में बोले जा रही थी। बोलते हुए वो खड़ी हो गई। और विवान की तरफ उंगली पॉइंट करते हुए बोली तेरी हिम्मत कैसे हुई। मेरी पिंकी को टच करने की ...
     
     
    "नहीं नहीं मैंने को पिंकी टच नहीं किया। इनफेक्ट मैं तो उसे जानता भी नहीं हूं। और और कभी उससे मिला भी नहीं हूं। यह बात तुम पिंकी से खुद ही पूछ लेना। विवान ने बड़ी ही जल्दी मैं कह दिया ...
     
     
    "ओ हलो मैं अपने स्कूटी की बात कर रही हूं। मेरी स्कूटी का नाम पिंकी है। तभी बोलते हुए उस की नजर गाड़ी के पास खड़े दुसरे लड़के पर गई। जो अभी कुछ देर पहले उस की आबाज सुन कर गाड़ी से बाहर आया था।


    "ये कोई और नहीं बल्कि अभिमन्यु था। विवान तो बस हीर को हैरानी से आखें फाड़ कर देख रहा था। अभिमन्यु उसके पास आकर खड़ा हो गया। उसने हीर को नीचे से ऊपर तक देखा। 



    "आज हीर ने ब्लैक कलर का प्लाजो सूट पहना हुआ था। उसने अपने बालों को खुला रखा था। माथे पे स्टोन वाली छोटी बिंदी होठों पर गुलाबी लिपस्टिक लगाई हुई थी। जिसमे वो बला की खूबसूरत लग रही थी। 



    "हीर ने उसे पहचान लिया। अब हीर ने  गुस्से से घूरते हुए कहा" उस दिन मुझे तूने मुझे थप्पड़ मारा था ना.. उस का बदला आज मैं लेकर रहूंगी। इतना बोल कर वो इधर उधर कुछ ढंढंने लगी। फिर उसे एक किनारे एक मोटा सा रोड मिला। जिससे उसे मारने के लिए आगे बड़ी। और फिर रुक गई ...


    "अभिमयु ने कहा" रुक क्यों गई मारो मुझे... 
     
     
     
    "फिर हीर ने उसकी गाड़ी की तरह देखा। और और उसके गाड़ी की हेडलाइट को तोड़ दिया। अभिमन्यु रोको इसे मुझे लगता है।"यह लड़की पागल है। विवान ने अभिमन्यु से कहा"


    "तभी अभिमन्यु ने हीर को देखकर कहा" इसे जो करना है। करने दो विवान ने अभिमन्यु की तरफ हैरानी से देखा...
     
     
    "फिर विवान ने खुद आगे आकर हीर से कहा" तुम ये क्या कर रही हो। छोड़ दो उसे दिन के लिए मैं सॉरी बोलता हूं तुमसे ...



    "तभी हीर रुक गई। अभिमयु अपने पॉकेट में हाथ डाले खड़ा था। फिर हीर ने कहा मेरा बदला अभी पूरा नहीं हुआ है। और पागल किसे बोला पागल हो तुम तुम्हारा पूरा खानदान इतना कहकर हीर चुप हो गई। 



    "हो गया तुम्हारा या और भी कोई नुकसान करना है। मेरा अभिमन्यु ने हीर की तरफ उंगली पॉइंट करते हुए कहा" 


    "मुझ से ऐसे बात मत करना पहले तो अपनी उंगली नीचे करो। नहीं तो तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा। हीर ने अभिमन्यु की तरफ देखकर गुस्से में कहा" इस वक्त हीर की छोटी सी नाक परभी हिसाब गुस्सा था।


    तो अभिमन्यु ने अपना दोनों हाथ अपने पॉकेट में डाला और कहा" चलो ठीक है। अब तुमसे तुम्हारी ही भाषा में बात करूंगा। तुम मुझे जानती हो। कि में कौन हुं। में अभिमन्यु राठौर मुंबई का जाना माना बिजनेसमैन ....
    बिजनेस बल्ड में मेरा नाम पहले नंबर पे आता है। 


    तो हीर ने उस के बातो का जवाब दिया। तुम कोई भी हो मुझे उस से फर्क नहीं पड़ता...
     

    "अभिमन्यु ने उस से पूछा।" अच्छा चलो अब यह बताओ तुमने जो मेरा इतना नुकसान किया है। उसकी भरपाई कौन करेगा...


    "हे मैं क्यों करूं भरपाई? हीर ने हैरानी से कहा"



    "क्योंकी तुम ने मेरी गाड़ी का हेड लाइट तोड़ दिया।  तुमने उस दिन भी मेरा नुकसान किया था। और आज भी एक काम करो। तुमने जो मेरा नुकसान क्या है। उसके पैसे मुझे दे दो। नहीं तो ...फिर उसने थोड़ा रुक कर कहा"  जेल जाने के लिए तैयार रहो...
     
     
    "हीर तो सदमे में खड़ी थी। उसने मन में सोचा यह ऐसा नहीं कर सकता। अब मैं क्या करूं एक काम करती हूं। मैं इसको इसके पैसे दे देती हूं। 
     
    "हीर ने बड़े ही कॉन्फिडेंस से अभिमन्यु से कहा" तो ठीक है। मैं तुम्हें तुम्हारे पैसे दे देती हूं। बताओ कितने पैसे हुए ..
     
     
    "अभिमन्यु ने हीर की तरफ देखकर तिरछा मुस्कुराते हुए कहा" ज्यादा खुश होने कि जरूरत नहीं है। यह कोई 10/20 हजार रूपए की बात नहीं है। पूरे 2 लाख का नुकसान किया है। तुमने वैसे मेरे पास दूसरा ऑप्शन है। तुम मेरी ऑफिस में मेरी पर्सनल एम्प्लोई की पोस्ट पर काम करोगी ...
     
     
    "दरअसल अभिमन्यु ने उसे देखते हुए समझ लिया था। कि वो मिडिल क्लास फैमिली से है। तभी हीर ने चिल्लाकर कहा" मुझसे नहीं होगा।



    "मैं तुमसे पूछ नहीं रहा हूं।  बता रहा हूं.. this is my order ..फिर उसके हाथ में अपना कार्ड थमाते हुए कहा" यह रहा मेरा कार्ड और कल सुबह 9:00 मेरे ऑफिस आ जाना। और अपने सारे डाक्यूमेंट्स भी लेकर आना और हां जरा भी देरी नहीं होना चाहिए। क्योंकि मुझे काम में देरी बिल्कुल भी पसंद नहीं है। 



    "हीर गुस्से से तमतमाते हुए कहा" ओह तो तुम मुझसे ऐसे बदला लोगे। और मैं नहीं आने बाली और तुम दोनों चूजे को तो मैं देख लूंगी। तुम दोनों चूजे को तुम दोनों की  नानी ना याद दिला दी। तो मेरा नाम में हीर शर्मा नहीं ...
     
     
    "अभिमन्यु यह हमें चूजा बोल रही है। विवान ने अभिमन्यु की तरफ देखते हुए कहा" अभिमन्यु ने उसे रिलैक्स रहने को कहा"


    "हीर ने अपनी उंगली पॉइंट करते हुए कहा" तूने मुझे थप्पड़ मारा था। और तूने मेरी पिंकी का एक्सीडेंट किया है। तुम दोनों को नहीं छोडूंगी।



    "हां तो मिस हीर शर्मा कल भूल से भी भूल मत करना नहीं आने की.. और वैसे भी मुझे तुम्हारे बारे में पता लगाने में ज्यादा देर नहीं लगेगा। और कुछ ही देर मे तुम्हारे घर पे तुम्हारे सामने रहूंगा। इसलिए मुझे से होशियारी मत करना। और इसके लिए मैं तुम्हें जेल भी भेज सकता हूं..wait and watch.. 



    "हीर अपना मुंह फुलाए हुए खड़ी थी। अभिमन्यु ने एक नजर हीर की तरफ देखा। और गाड़ी में बैठकर निकल गया। हीर अभी भी वहीं पर खड़ी थी। उसने खुद से कहा" हीर सब तेरी वजह से हुआ है। क्या जरूरत थी। इतनी स्पीड में स्कूटी चलाने की अब हो गया ना सियप्पा कितनी बड़ी मुसीबत में फंस चुकी है। कहां मैं उस अनुज के बारे में पता लगाने निकली थी। और यह सब हो गया। अब मैं क्या करूं कुछ समझ में नहीं आ रहा। अगर मैं कल ऑफिस नहीं गई। तो यह चूजा मेरे घर पर आ जाएगा। और फिर सबको पता चल जाएगा। मेरे कांड के बारे में.. कुछ सोच हीर कोई तो आईडिया ला अपने दिमाग में इसके दिमाग में एक आइडिया आया। हां यह सही रहेगा। फिर हीर वहां से निकल गई। 


    °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
     
    क्या अभिमन्यु हीर को जेल भेजने बाला है क्या हीर अभिमन्यु के ऑफिस में उस की पर्सनल एंप्लॉई बन कर काम करना चाहेगी जानने के लिए अगला भाग जरूरी पड़ेगा और कमेंट में जरूर बताइएग  😊😊😊
     
     
     

  • 7. 💞तेरे प्यार में दीवाना💞 - Chapter 7

    Words: 1290

    Estimated Reading Time: 8 min

    सुबह के वक्त ...



    "अभिमन्यु अपने केविन में बैठा लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था। और उसके सामने विवान चेयर पर बैठ था। अभिमन्यु ने अपने हाथ में पहनी घड़ी में टाइम देखा। तो उसने विवान से कह"  मैं दो दिन बाद इंडिया से बाहर जा रहा हु। कुछ काम है। कुछ दिनों में वापस आ जाऊंगा। तुम यहां सब संभाल लेना। विवान ने अपना सर हा में हिलाया।
     



    "फिर अभिमन्यु ने अपने मोबाइल निकाल कर किसी को कॉल लगाया। और कहा..come fast my.. केबिन असिस्टेंट मोहित थोड़ी ही देर में उसके केबिन में आया। और कहा" जी सर आपने बुलाया... ‌
     


     
    "हु अगले 10 मिनट में मुझे इस लड़की की इन्फॉर्मेशन चाहिए। उसके तरफ एक फोटो बड़ाते हुए कहा" जी सर हो जाएगा। मोहित इतना कहकर केविन से बाहर चला गया।


     
    "विवान ने अभिमन्यु की तरफ देखते हुए पूछा तूने उसका पता लगाने के लिए दिया है।

     
     
    "तो अभिमन्यु ने अपना सर हां मैं हिलाया।

     
    "मगर क्यों अब तू उससे बदला लेगा। विवान ने कहा"

     
    "नहीं विवान मैं उससे बदला लेने के मूड में नहीं हूं। अभिमन्यु ने कुछ सोचते हुए कहा" वह अभी तक ऑफिस नहीं आई है। इसलिए कुछ तो करना ही होगा ना..
     
     
    "अभी यार जाने भी दे? विवान ने कहा"
     
     
    "ऐसे कैसे जाने दूं। उसे अब मैं उसे नहीं भूल सकता। पहली बार जब देखा था। तब से मेरे दिल में बैठ गई है। उसे देखे बिना में रह ही नहीं पा रहा हूं..अभिमन्यु ने मुस्कुराते हुए कहा"


    "इसका मतलब तुझे सच में उसे लड़की से प्यार हो गया है। मतलब हम सही सोच रहे थे। विवान ने मुस्कुराते हुए कहा"
     


    "तभी मोहित केबिन में आया। और एक फाइल देते हुए कहा" सर ये रही उस लड़की कि सारी इन्फॉर्मेशन.. अभिमन्यु ने मोहित की तरफ देखकर कहा" ठीक है तुम जाओ। और मोहित केबिन से चला गया। 
     
     

    "अभिमन्यु ने फाइल ओपन की और सब कुछ पड़ते कहा" हीर.. nice name.. अभिमन्तु ने विवान से कहा" हीर की दादी जो NGO चलाती है। हीर के पैरेंस की बचपन में ही डेथ हो गई है। BA तक पढ़ाई की है। और हमेशा टॉपर रही है verry impres... 

     
    "वैसे उसे देख कर लगता नही है। कि वो हमेशा टॉपर रही होगी। विवान ने कंफ्यूजन से कहा"
     

     
    "विवान तुम यहां सब संभाल लेना। में थोड़ी देर में आता हूं। अभिमन्यु ने बाहर जाते हुए कहा"
     

    "तू कहा जा रहा है। विवान ने कहा" लेकिन तब तक अभिमन्यु जा चुका था। शायद अभी हीर के घर जा रहा होगा। लेकिन अकेला चला गया। मुझे भी नहीं लेकर गया।
     

    "इधर हीर अपने बेडरूम में अभी तक मजे से सोई हुई थी। फिर थोड़ी ही देर में हीर ने उठकर घड़ी में टाइम देखा। इस वक्त घड़ी में 11:00 बज रहे थे। तो हीर ने कहा" लगता है वो मॉन्स्टर नहीं आया। उस ने तो कहा था। कि वह मेरे घर पर मेरे सामने रहेगा। हम्मम लगता है। शायद भूल गया अच्छा है नहीं आया। नहीं तो मेरे कांड के बारे में सबको पता चल जाता। और अगर आया भी मैं फिर से नाटक करने लग जाऊंगी। और वैसे भी दादी को तो पता ही है। कि मेरी तबीयत सुबह से खराब है। फिर वह सुबह की बात याद करने लगती है।


     फ्लैशबैक...


    "सुबह दादी उसे उठाने के लिए उसके बेडरूम में आई। हीर उठो। और कितनी देर तक सोती रहोगी। तुम्हें सुबह गार्डन टहलना भी तो है। ठंडी ठंडी हवा में..


    "नहीं दादी मुझे सोने दो ना मेरी तबीयत ठीक नहीं है। हीर ने कहा"


    "क्यों क्या हुआ तुम्हारी तबीयत को वह आज सुबह से ही सर में दर्द हो रहा है हीर ने अलसाई आवाज में कहा"


    "क्या रात भर सोई नहीं थी। क्या दादी ने उसे बैठे हुए कहा" तो देखा की हीर को बुखार भी है। अरे तुम्हें तो बुखार है।"मैं डॉक्टर को बुलाती हूं।



    "नहीं दादी मैं ठीक हूं। हीर ने अधमरी आवाज में कहा" कैसे ठीक हो और क्या खाया था। तुमने रात को दादी ने हल्के गुस्से में कहा"


    "दादी कुछ खाया तो नहीं पर रात को बारिश हुई थी ना तो मैंने बारिश के पानी में नहा लिया हीर ने धीरे से कहा"



    "ओहो कितनी बार कहां है बारिश के पानी में मत नहाया करो। अब पड़ गई ना बीमार चलो ठीक है। तुम थोड़ी देर आराम कर लो। फिर उसके बाद ब्रेकफास्ट करके दवाई ले ले लेना दादी ने कहा" हीर ने अपना सर हां मैं हिलाया। और सो गई।



    क्या हुआ मां हीर अभी तक उठी नहीं क्या दिव्या जी ने दादी की तरफ देखकर कहा"


    नहीं दिव्या आज हीर की तबीयत थोड़ी खराब है। उसका ध्यान रखना मुझे जरुरी काम है। मैं थोड़ी देर में आती हूं।


    फ्लैशबैक एंड...


    "हीर अपना ब्रेकफास्ट करके दवाई ले लेती है। हीर क्या जरूरत थी। तुम्हें रात को बारिश में भीगने की कितनी बार तुम्हें मना किया है। लेकिन तुम मुझे हमारी बात सुनती ही कहां हो तुम्हें तो बस अपनी मनमानी करनी है। दिव्या जी ने हीर को देखते हुए कहा"


    सॉरी मां दोबारा ऐसा नहीं करूंगी। अच्छा मां मैं चलती हूं। मुझे निशा से मिलना है। हीर ने दिव्या जी को देखकर कहा"


    "कोई जरूरत नहीं है बाहर जाने की और वैसे भी मां ने तुम्हें आराम करने को कहा है। दिव्या जी ने मना करते हुए कहा"


    " तो हीर ने कहा" नहीं मां में अब ठीक हूं। दवाई ले ली है ना..


    नहीं कोई जरूरत नहीं है। बाहर जाने की एक बार बोल दिया ना घर में रहो। उतने में ही दिव्या जी की मोबाइल पर कॉल आया। दिव्या जी ने कॉल पिक किया। तो उधर से किसी ने कुछ कहा"


     
    "फिर दिव्या जी ने कहा" ठीक है कहकर कॉल कट कर दिया। दिव्या जी ने हीर की तरफ देखा। और कहा" हीर तुम्हें यह फाइल लेकर मां ने ऑफिस में बुलाया है। यह फाइल मां सुबह भूल कर चली गई थी।

     
    "ओके मां.. इतना कहकर हीर फाइल लेकर घर से निकल गई।
     

    "दरअसल हीर की दादी का NGO घर की थोड़ी दूरी पर था। इसलिए हीर पैदल ही निकल गई ।15 से 20 मिनट में हीर ऑफिस पहुंच गई। उसने अपनी दादी के केबिन का दरवाजा खोला। और अंदर चली गए। अंदर आकर हीर ने अपनी दादी के सामने फाइल रखा। और सामने टेबल पर चढ़ के बैठ गई। उस ने तो अंदर आते समय ध्यान हीर नहीं दिया था। की कोई उसके पीछे चेयर पर बैठा हुआ है। हीर सही से बैठो बच्चा और पीछे मुड़ के तो देखो कौन आया है।


     
    "ऐसा कौन आया है। दादी जो आप इतना खुश हो रही हो। तभी हीर ने पीछे मुड़कर देखा। उसकी तो आंखें हैरानी से बड़ी हो गई। फिर वह एकदम से टेबल से नीचे उतर गई। और जोर से बोली क्या मैं सपना देख रही हूं। उसके सामने अभिमन्यु चेयर पर बैठा मुस्कुरा रहा था। हीर अभिमन्यु को एक तक देख रही थी जो अपने होठों पर तिरछी स्माइल हीर को ही देख रहा था


     
    "तभी दादी की आवाज उसके कानों में गई। हीर तुम इन्हें जानती हो। हीर ने कभी दादी की तरह तो कभी अभिमन्यु की तरफ देखा। और और अपना सर कभी हां में हिलने लगी। तो कभी ना में हिलने लगी। और बोली नहीं-नहीं दादी में इसे नहीं जानती..


     
    "अभिमन्यु तो बस एक तक हीर को ही देख रहा था। आज हीर ने व्हाइट कलर की क्रॉप टॉप और जिंस पहनी हुई थी। उसने अपने लंबे बालों को खुला रखा था। और बालों के एक साइड हेयरस्टाइल पीन लगाया था। होठों पर गुलाबी लिपस्टिक  जिसमें वो बेहद प्यारी लग रही थी।


    °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°

    हेलो फ्रेंड अगर आप लोगों को यह वाली कहानी पढ़नी है तो पॉकेट पर जाकर पढ़ सकते हैं वहां पर आपको यह वाली कहानी पूरे भाग में मिल जाएगी और अगर कहानी पसंद आए तो लाइक और कमेंट करने में जरा भी कंजूसी मत करना दिल खोल के कमेंट कर दीजिएगा

  • 8. 💞तेरे प्यार में दीवाना💞 - Chapter 8

    Words: 1284

    Estimated Reading Time: 8 min

    "अभिमन्यु एक्टर हीर को देख रहा था। हीर देख कर अभिमन्यु का दिल तो बाहर आने को हो गया। हीर को देख उसका गला सूखने लगा। उसने सामने रखे टेबल पर पानी ग्लास उठाया। और पीने लगा। तभी हीर ने जोर से कहा" तुम पानी पीकर नहीं आए हो। क्या पी तो ऐसे रहे हो जैसे कितने दिन के प्यास हो।



     "अभिमन्यु ने गिलास टेबल पर रखते हुए उसकी तरफ देखा। और मन में कहा" अब तुम इतनी खूबसूरत लगोगी। तो मेरा यही हाल होगा ना! और तुम मुझे चैन से पानी भी नहीं पीने देती हो।


     
     "हीर बेटा ऐसे नहीं बोलते हैं। उसकी दादी ने उसे समझते हुए कहा" 


    "हीर ने अपने मन में सोचा इस मॉन्स्टर ने दादी को सब बता तो नहीं दिया। अगर इसने दादी को सब बता दिया..ना तो मैं इसे नहीं छोडूंगी। वैसे इसके शैतानी खोपड़ी में चल क्या रहा है। हीर उसे गुस्से से ही घूर रही थी। 



    "अभिमन्यु हीर के चेहरे को देखकर समझ गया था। कि हीर क्या सोच रही हैं। हीर बेटा यह है अभिमन्यु रठौर एक बहुत बड़ा बिजनेसमैन जिसने इतनी कम उम्र में ही अपने दम पर इतना नाम कमाया है। अभिमन्यु यह है मेरी पोती हीर शर्मा ... अभिमन्यु यहां डोनेशन देने के लिए आया है। इसने 5 लाख का चेक हमारे NGO में दिया है। हीर की दादी ने अभिमन्यु की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा"



    "हीर ने कुछ सोचते हुए कहा" दादी मैं घर जा रही हूं। आपको तो पता है मेरी तबीयत ठीक नहीं है। बुखार है और सर में भी दर्द हो रहा है। यह बातें हीर ने अभिमन्यु की तरफ देखकर बोला। जिससे अभिमन्यु समझ गया। की हीर उसे यह बात उसे दखकर बोल रही है।


     
    "हीर बेटा तुम ने दवाई ली थी। दादी ने कहा" हीर ने अपना सर हमें हिलाया। 


     
    "ओके मैंम अब मैं चलता हूं। अगर और किसी तरह की मदद की जरूरत हो। तो मुझे प्लीज बताइएगा। मुझे आपकी मदद करके बहुत खुशी होगी। अभिमन्यु ने हाथ जोड़कर नमस्ते कहा" और बाहर चला गया। हीर अभी भी वैसे ही खड़ी थी। अभिमन्यु आकर अपनी कार में बैठकर हीर के बारे में सोचने लगा। यह लड़की मुझे देखकर चौंक गई। इसे तो लगा होगा। कि मैं इसे बदला लेने के मूड में हूं। वैसे तुम बहुत प्यारी हो। हीर आज तक मेरी जिंदगी में कोई ऐसी लड़की नहीं आई।  तुम बाकियों से बहुत अलग हो। फिर अभिमन्यु कार स्टार्ट करके वहां से निकाल गया। 
     

    रात के वक्त...

     
    "अभिमन्यु सुबह तू हीर के घर पर गया था क्या.. विवान ने पूछा। अभिमन्यु ने अपना सर हां में हिलाया।

     
    "तो प्रतीक जी ने पूछा..यह हीर कौन है।

     
    "चाचू वही लड़की जिसने अभिमन्यु के दिल पर कब्जा किया है। विवान ने उन्हें जवाब दिया।
     
    "अच्छा तो उस लड़की का नाम हीर है। प्रतीक जी ने  मुस्कुराते हुए कहा"  
     
    "अभिमन्यु ने दोनों को वो सारी बातें बता दी। जो कुछ सुबह में हुआ था। अभिमन्यु ने फिर कहा उसे लगा। मैं यहां उसे बदला लेने आया हूं।  सदमे में ही खड़ी थी। उसकी शक्ल तो देखने लायक थी।

     
    "उसने कुछ उल्टा सीधा तो नहीं कहा ना विवान ने पूछा।
     
    "नहीं आज कुछ नहीं कहा" वैसे एक बात तो मानना पड़ेगा। चाचू जैसा दादी ने इमेजिन किया था। हीर बिल्कुल वैसे ही दिखती है। बस थोड़ा नखरा है। पर कोई बात नहीं मैं उसका नखरा सारी जिंदगी उठाऊंगा।अभिमन्यु की बातें सुनकर प्रतीक जी और विवान दोनों हंसने लगे। 
     

     
    सुबह के वक्त....


    "अभिमन्यु जीम से वापस आकर तैयार हो रहा था। आज उसने  फॉर्मल कपड़ा पहना था। जिसमें वो बहुत हैंडसम लग रहा था। फिर वह नीचे आया और डाइनिंग टेबल पर बैठ कर ब्रेकफास्ट करने लगा।


     
    "छोटी मम्मा इतना हैवी नाश्ता मैं नहीं करता आपको तो पता है। मुझे नाश्ते में बस कुछ हल्का ही पसंद है। अभिमन्यु ने नयनतारा जी की तरफ देखकर कहा"


    अच्छा बाबा ठीक है। तुम सैंडविच खालो मैं अभी लेकर आती हूं। नयनतारा जी ने कहा और किचनकी तरफ चली गई। फिर थोड़ी देर में नयनतारा जी अभिमन्यु के लिए सैंडविच लेकर आ गई।  अभिमन्यु ने ब्रेकफास्ट किया। और ऑफिस के लिए निकल गया।
     
     
    शर्मा हाउस..


    "हीर की तबीयत अब कल से बेहतर थी। हीर सोफे पर बैठकर अपने मोबइल पर गेम खेल रही थी। तभी सामने से आई हुई। निशा ने उसे आवाज दिया। हीर ने उसे देखा। और गले से लग गई। नमस्ते आंटी निशा ने दिव्या जी की तरफ देखकर कहा" 


    "नमस्ते बेटा कैसी हो तुम...दिव्या जी ने मुस्कुराते हुए कहा"

     
    "मैं अच्छी हूं आटी..निशा ने जवाब दिया।


    "गुड.. दिव्या जी ने कहा",
     
    "निशा तू यहां.. हीर ने पूछा"

     
    "हां वो मैं ऑफिस जा रही थी। तो सोचा तुझसे मिल लूं। वैसे अब तेरी तबीयत कैसी है। निशा ने कहा"


    मैं ठीक हूं कल ज्यादा तबीयत खराब थी। हीर ने जवाब दिया। हीर ने निशा से कहा"


    अच्छा तो आज मेरे ऑफिस चल तुझे अच्छा लगेगा। निशा ने हीरा को देखते हुए मुस्कुरा कर कहा"

     
    "वहां हां तो सही कह रही है। वैसे भी घर पर बैठे-बैठे बोर हो गई हूं। फिर दोनों ऑफिस के लिए निकल गई। थोड़ी ही देर में वो दोनों ऑफिस के सामने खड़ी थी। हीर ने कहा" वाऊ निशा  तेरा ऑफिस कितना खूबसूरत है। और कितना बड़ा है।

     
    "हां अंदर तो चल अंदर तो इससे भी ज्यादा खूबसूरत है। निशा ने हंसते हुए कहा"

     
    "फिर दोनों अंदर चली गई हीर अंदर सभी तरफ आंखें फाड़ कर देख रही थी। निशा मुझे ऐसा लग रहा है। मैं किसी पैलेस में आई हूं। सच में बहुत अच्छा ऑफिस है। तेरा यहां आकर तो मेरा मूड ही अच्छा हो गया।  यह लोग यहां के एम्पलोई हैं। हीर ने हैरानी से कहा" इतने सारे एम्पलाई है।"यहां निशा ने अपना सर हमें हिलाया। और यह है मेरा केबिन.. बहुत अच्छा है। हीर सामने लगे चेयर पर बैठते हुए बोली। 

     
    "सामने से आ रहे अभिमन्यु की नजर हीर पर पड़ी। जो हंस-हंसकर निशा से बातें कर रही थी। फिर सभी एंप्लोई खड़े होकर अभिमन्यु को गुड मॉर्निंग विश करने लगे। हीर ने सभी को हैरानी से देखा। फिर वो भी सामने देखने लगी। जहां उसकी नजर अभिमन्यु से मिली। अभिमन्यु एक विनिंग स्माइल के साथ उसे ही देख रहा था।  सामने देखकर हीर की हालत खराब हो गई। अभिमन्यु के कदम हीर के तरफ अपने आप ही बढ़ने लगे। हीर अभी भी कन्फ्यूजन में खड़ी थी। उसे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। कि यह अभिमन्यु यहां क्या कर रहा है।


     
    "अभिमन्यु अपने पेट की पॉकेट में हाथ डाले उसके सामने खड़ा था। तो मिस हीर शर्मा तुम यहां मेरे ऑफिस में जॉब के लिए आई हो। मैंने तो तुम्हें पहले ही ऑफर दिया था। निशा हीर को हैरानी से देख रही थी।

     
     
    "तभी हीर ने अपने अंदाज में कहा" जी नहीं मैं यहां जॉब करने के लिए नहीं आई हूं। वो दरअसल यह मेरी फ्रेंड है। यह यहां जॉब करती है। और मैं इसी के साथ यहां आई थी। मुझे पता नहीं था यह तुम्हारा ऑफिस है।

     
    "अनजाने में ही सही लेकिन तुम मेरे ऑफिस आई चलो अच्छी बात है। अभिमन्यु ने कहा"

     
     "मैं यहां जॉब नहीं करने वाली समझ गए तुम.. हीर ने उंगली पॉइंट करते हुए कहा" सभी लोग हीर और अभिमन्यु को ही हैरानी देख रहे थे। आज तक अभिमन्यु से किसी ने ऐसी बात नहीं की थी। लेकिन हीर ऐसी पहली थी। जिसे अब सभी के सामने अभिमन्यु से बदतमीजी से बात की थी। पर इसका अभिमन्यु पर कोई असर नहीं हुआ। क्योंकि वह तो हीर को अपना दिल दे चुका था। अभिमन्यु जो चुपचाप खड़ा हीर को देख रहा था। तभी उसने हीर का हाथ पकड़ा। और उसे अपने साथ ले जाने लगा।

     
    °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°


    अब क्या करेगा अभिमन्यु हीर के साथ क्या हीर अभिमन्यु को चकमा देकर ऑफिस से निकाल पाएगी जानने के लिए अगला भाग जरुर पड़े और कमेंट में जरूर बताइएगा
     

  • 9. 💞तेरे प्यार में दीवाना💞 - Chapter 9

    Words: 1089

    Estimated Reading Time: 7 min

    अभिमन्यु हीर को देख रहा था तभी उसने हीर का हाथ पकड़ा। और उसे अपने साथ ले जाने लगा। सभी लोग हैरानी से उसे जाते हुए देख रहे थे। छोड़ो मेरा हाथ कहां लेकर जा रहे हो। मुझे हीर ने चिल्लाते हुए कहा"



    "तभी अभिमन्यु ने अपने केबिन का डोर खोला। और अंदर आ गया। और डोर को अंदर से बंद कर दिया।



    "ये देखकर हीर ने कांपती हुई। आवाज में कहा" तुमने यह डोर बंद क्यों किया है। जाने दो मुझे.. मुझे घर जाना है।



     "अभिमन्यु ने हीर को नीचे से ऊपर तक देखा। जो सिंपल कपड़ों में भी बहुत खूबसूरत लग रही थी।  हीर ने आज सिंपल सा पिंक कलर का प्लाजो सूट पहना था। मुझे मेरे पैसे नही चाहिए बस में ये चाहता हूं। कि तुम यहां पर काम करो। अभिमन्यु ने उसके तरफ अपने कदम बढ़ाते हुए कहा" जिसे देख कर हीर पीछे जाने लगी। हीर वहीं पर रुक गई। क्योंकि पीछे दीवार था।




    "अभिमन्यु इस वक्त हीर के बहुत करीब खड़ा था। और उसकी आंखों में देख रहा था। हीर को इस वक्त बहुत डर लग रहा था। वह अपना सर झुकाए नीचे खड़ी थी। तभी हीर ने अभिमन्यु को धक्का दिया। और वहां से भागने लगी। लेकिन उससे पहले अभिमन्यु ने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने तरफ खींच लिया। जिससे हीर अभिमन्यु के सीने से जा लगी। हीर अपनी आंखें बड़ी कर के अभिमन्यु को देख रही थी। अभिमन्यु का हाथ हीर की पतली सॉफ्ट कमर पर था। 




    "हीर बहुत अजीब लग रहा था। अभिमन्यु खोए हुए हीर को देख रहा था ... तभी हीर उससे अलग होने की कोशिश करने लगी। और कहा" छोड़ो मुझे..




    "तो अभिमन्यु ने कहा" चुपचाप ऐसे खड़ी रही ...अब हीर कि आंखों में आंसू थे। हीर चुपचाप वैसे खड़ी रही। अभिमन्यु उसके बहुत करीब आ गया। तभी हीर ने उसे जोर से धक्का दिया। और जाकर दूर खड़ी हो गई। और जोर से चिल्ला कर बोली।" क्या करने वाले थे। फिर उसने उंगली पॉइंट करते हुए कहा" तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई। मेरे करीब आने की.. और हा मेरे साथ कुछ भी ऐसा वैसा करने की कोशिश भी मत करना।




    "तभी डोर खुला और कोई अंदर आया। वह विवान था। जो अंदर आया था। उसने अंदर हीर और अभिमन्यु को देखा। अब वह दोनों को हैरानी से देख रहा था। विवान ने हीर से पूछा।" हीर तुम यहां हमारे ऑफिस में  ...




    "हीर ने उसकी बातों का कोई जवाब नहीं दिया। हीर तो बस गुस्से में अभिमन्यु को देख रही थी। "तुम चाहते हो ना मैं यहां पर जॉब करूं। एक दिन तुम खुद पछताओगे। मुझे यहां पर जॉब पे रखकर अब मैं यहां जॉब करूंगी। हीर ने गुस्से में कहा...



    "अभिमन्यु ने बड़े ही शांत आवाज में कहा" अगर तुम्हारा मन नहीं है। तो कोई बात नहीं तुम जा सकती हो ...



    "शायद तुमने ठीक से सुना ना नही मुझे यहां जॉब करना है। और अब मैं तुम्हें तुम्हारे पैसे दिए। बिना कहीं नहीं जाने वाली। अपने पैसे के लिए जान जा रहा है। तुम्हारा हीर ने गुस्से में कहा"



    "अभिमन्यु लाचारगी से हीर को ही देख रहा था। उसकी हीर की बातें बहुत बुरी लगी। उसने विवान की तरफ देखते हुए धीरे से कहा" विवान हीर को उसका काम समझा दो। फिर उसने हीर की तरफ देखा। हीर की आंखों में आंसू और गुस्सा दोनों था। फिर वहां से चला गया। अभिमन्यु का केबिन बहुत बड़ा था। और उसके अटैक में एक बेडरूम स्टडी रूम और जीम था। 



    "हीर आओ यहां बैठो मैं तुम्हें तुम्हारा काम समझा देता हूं। विवान हीर को देखकर कहा" हीर ने सर हा में हिलाया। और सोफे पर आकर बैठ गई।



    "विवान ने हीर की तरफ देखा वह बहुत उदास लग रही थी। उसने हीर से कहा" हीर क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी। 




    "हीर ने उसकी तरफ देखा। और कहा" मुझे तुमसे कोई दोस्ती नहीं करनी। तुम दोनों एक जैसे हो...




    "अच्छा कोई बात नहीं पर मैं तुम्हें आज से अपना दोस्त मानूंगा। आज से तुम मेरी.. little cute friend ..हो विवान ने कहा" एक बात बताओ। हीर तुम यहां हमारे ऑफिस में तुमने तो कहा था। तुम जॉब नहीं करोगी।




    "हां क्या करूं मेरी फूटी किस्मत मैं खुद ही यहां चली आई। हीर ने रोंडू सा शक्ल बना कर कहा" अरे बात दरअसल यह है कि वो मॉन्स्टर ने जो मुझे कार्ड दिया ना वो कार्ड मैंने देखा भी नहीं। और वहीं पर फेंक दिया। काश मैं वह कार्ड एक बार देख लेती। तो वो ठरकी इंसान मेरे ऊपर जुल्म नहीं करता।




    "अभिमन्यु डोर के पास खड़ा उसकी सारे बातें सुन रहा था  जो कुछ देर पहले ही बाहर आया था। अच्छा मैंने तुम पर कौन सा जुल्म किया है। जरा मैं भी तो सुनु...



    "अभिमन्यु की आवाज सुनकर हीर ने चुपचाप अपना सर झुका लिया। तभी अभिमन्यु ने जोर से कहा" बताओ कुछ पूछ रहा हूं। तुमसे और क्या कहा तुमने ठरकी मै ठरकी दिखता हूं। क्या तुम्हें ... 




    "हीर ने अपना हाथ दिखाते हुए कहा" देखो तुम मुझसे ऐसे बात नहीं कर सकते। और हां मुझसे दूर रहकर बात करो। तुम तो सच में बड़े वाले ठरकी हो। तुम्हें क्या लगता है। मैं तुमसे डर जाउंगी। मैं जा रही हूं राक्षस कहीं का.. कहते हुए हीर अजीब मुंह बनाकर केबिन से बाहर निकल जाती है। अभिमन्यु उसे जाते हुए देखता रहता है। अभिमन्यु ने अपना सर झटका और जाकर चेयर पर बैठ गया।


    रात के वक्त... 



    "हीर डाइनिंग टेबल पर बैठकर खाना खा रही थी। उसने दादी से कहां दादी कल सुबह मुझे जल्दी उठा देना।


    "उसकी  दादी ने हैरानी से पूछा।" क्यों कल इतनी जल्दी उठाने के लिए क्यों बोल रही हो। कल कुछ खास है क्या...


    "हां दादी कल से मैं जॉब करने के लिए जा रही हुं। हीर ने कहा"


    "अच्छा तुम जॉब करोगी। लेकिन वहां कोई सियापा मत कर देना। दिव्या जी ने कहा" 



    "हमें बहुत खुशी है। कि तुम अब जॉब करना चाहती हो। अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती हो। दादी ने मुस्कुराते हुए कहा" 


    "फिर हीर खाना खाकर अपने बेडरूम में आ गई। बेड पर बैठते हुए खुद से बड़बड़ाते हुए बोली सियापा तो होगा। मेरी नहीं उस राक्षस की लाइफ में बहुत हीरो बन रहा है ना! अब पता चलेगा। हीर से पंगा लेना बहुत भारी पढ़ने वाला है। तो फिर  तैयार रहना हीर शर्मा आ रही है। तुम्हारी लाइफ में भूचाल मचाने के लिए तुम्हे अगर तुम्हारी नानी न याद दिला दी। तो मेरा नाम भी हीर नही अच्छे-अच्छो को सबक सिखाया है। मैंने अब तुम्हारी बारी है।



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     जानने के लिए अगला भाग जरूर पढ़िएगा लाइक और कमेंट में जरूर बताइएगा आप को हमारी कहानी कैसी लगी

  • 10. 💞तेरे प्यार में दीवाना💞 - Chapter 10

    Words: 1385

    Estimated Reading Time: 9 min

    अगला दिन...



    "दादी ने आज हीर को सुबह जल्दी उठा दिया था। हीर अपने बेडरूम में मिरर के सामने खड़ी होकर तैयार हो रही थी। आज उसने ग्रे कलर का प्लाजो सूट पहना था। होठों पर गुलाबी लिपस्टिक माथे पर छोटी स्टोन वाली बिंदी जिसमें वो बहुत खूबसूरत लग रही थी। आज हीर का ऑफिस का पहला दिन था। वह ऑफिस आ रही थी। अभिमन्यु के ऊपर बिजलियां गिराने के लिए..



    "हीर ने अपना पिट्टू बैग उठाया। और नीचे के तरफ आने लगी। उसने डाइनिंग टेबल पर बैठते हुए अपनी मां से कहा" मां आपने मेरे लंच बनाया है क्या...



    "उसकी मां ने कहा" हां तुम्हारा फेवरेट आलू का पराठा बनाया है। और भिंडी की सब्जी यह लो। तुम्हारा टिफिन और मैं अभी आई...


    "ठीक है मां अब मैं चलती हूं।  नहीं तो मैं पहले दिन ही लेट हो जाऊंगी। फिर हीर ने अपनी दादी को गले लगाते हुए उनके गालों पर किस किया। और बोली बाय दादी ...


    "अरे रुको उसकी मां ने पीछे से कहा" दही शक्कर तो खा लो। पहला दिन है आज तुम्हारा फिर उसने दही शक्कर खाया और अपनी मां के गालों पर किस किया। उसकी मां ने भी उसे आशीर्वाद दिया। और कहा" अच्छे से काम करना मन लगाकर! और घर से निकल गई ...



    राठौर इडस्ट्रीज...


    "हीर और निशा दोनों बैठकर बातें कर रही थी। हीर ने निशा को सब बता दिया था। हीर तूने तो कहा था। तू यहां जोब कभी नहीं करगी। दरअसल हीर ने निशा को आधी अधूरी बात ही बताई थी। निशा मैं तो यही पर सब उल्टा पुल्टा हो गया। मैंने उस दिन इतना अच्छा प्लान बनाया था। पर रात को बारिश होने की वजह से सारा प्लान धरा रह गया। मैंने सोचा मैं जब सुबह उठूंगी। तो मैं दादी के ऑफिस जाऊंगी। और बच्चों को डांस सिखाऊंगी। और तुझे तो पता है। मुझे बच्चों को डांस सीखना कितना पसंद है। और दादी भी काफी टाइम से बोल रही थी। फिर वो मिस्टर राक्षस घर भी आता। तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि मैं तो घर में हूं ही नहीं! और अगर वह दादी को कुछ भी कहता। तो मैं तो यही कहती की मैं उसके ऑफिस में काम नहीं करने वाली हूं।



    "और तेरी दादी तेरे कहने से मान लती है। निशा ने मुस्कुराते हुए कहा"


    "मोहित ने आकर हीर से कहा" सर ने आपको अपने केबिन में बुलाया है।


    "निशा मुझे इस राक्षस ने अपने केबिन में क्यों बुलाया है। हीर ने कहा"


    "हीर जाकर तो देख सर ने तुझे अपने केबिन में क्यों बुलाया है  ऐसे डरेगी तो काम कैसे करेगी। निशा ने हीर को समझाते हुए कहा" फिर हीर ने अपना सर हा में हिलाया। और केविन की तरफ बढ़ गई।



    "उसने केविन का डोर नोक किया  तो अंदर से किसी ने कहा.. coming.. कहा हीर अंदर आई सामने चेयर पर अभिमन्यु बैठा हुआ। अपने लैपटॉप में कुछ काम कर रहा था। और विवान भी चेयर पर बैठा हुआ था। उसने हीर को देखा। और कहा" हे हीर तुम आ गई। हम तुम्हारा ही वेट कर रहे थे।



    "अभिमन्यु ने अपनी नजरे उठाकर हीर की तरफ देखा। हीर को देखकर उसका दिल सीने से बाहर आ गया। और पंख लगा कर उड़ने लगा।



    "हीर ने कहा" तुमने मुझे बुलाया था। हीर की आवाज से अभिमन्यु अपने होश में आया।



    "अभिमन्यु ने उसकी तरफ देखते हुए कहा" आज से मैं तुम्हारा बॉस हूं। इसलिए तुम मुझे तुम की बजाय आप कह कर बुलाओगी।



    "हीर ने अपना सर हिला दिया। अभिमन्यु ने दीर की तरफ एक फाइल देते हुए कहा" यह कुछ फाइल्स है बैठकर इसे पूरा पढ़ो। हु हीर ने वो फाइल ले लिया। और बाहर जाने लगी।



    "मिस हीर तुम कहां जा रहे हो। यहां सोफे पर बैठकर पढ़ो। यह भी तो देखना है। तुम्हें पढ़ने आता है। या नहीं...अभिमन्यु ने सीरियस स्टोन में कहा"



    "अच्छा तुम ये कैसे कह सकते हो। मुझे पढ़ना नहीं आता। मैं टॉपर रह चुकी हूं। मुझे बहुत अच्छे से आता है। हां यह बात अलग है। मैंने बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई नहीं की है। लेकिन फिर भी पूरी कोशिश कर रही हूं ... हीर ने थोड़ी गुस्से में कहा"


    "तुम भूल रही हो। हीर शर्मा मैंने अभी-अभी तुमसे कहा है। मैं तुम्हारा बॉस हूं इसलिए तुम मुझे आप कह कर बुलाओगे। और हां काम ज्यादा बातें कम अब जाओ अपना काम करो थोड़ी देर बाद हीर फाइल लेकर सोफे पर बैठी हुई थी। उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। अब क्या करूं। मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा कहां से स्टार्ट करूं। और कहां से खत्म और राक्षस ने मुझे इतना सारा फाइल दे दिया है।



    "अभिमन्यु ने एक नजर हीर की तरफ देखा। जो अपने में ही बड़बड़ा रही थी। उस के चेहरे पर एक छोटी सी स्माइल आ गई। उसने समझ लिया। हीर क्या सोच रही है। उसने अपने मन में कहा" तुम चाहे कितने भी कोशिश कर लो। मुझ से दूर जाने की पर मैं ऐसा होने नहीं दूंगा। अब मैं हमेशा तुम्हें अपने सामने रखूंगा।



    "लंच टइम... हीर ने कहा" कहा लंच का टाइम हो गया है। और मुझे बहुत भूख भी लगी है तो मैं लंच कर लूं..



    "ठीक है कर लो। तुम लंच लेकर आई हो मैं कुछ और भी आर्डर करूं। तुम्हारे लिए अभिमन्यु हीर की तरह देखते हुए कहा"



    "नहीं मुझे कुछ नहीं चाहिए तुम अपने लिए हीर बोलते हुए रुक गई। वह मेरा मतलब है। आप अपने लिए आर्डर कर लो। और हीर ने अपना पर्स उठाया। और बाहर जाने लगी।


    "तभी अभिमन्यु ने कहा" तुम कहां जा रही हो।


    "वह मैं निशा के साथ लंच करने जा रही थी।  हीर ने पीछे पलट कर अभिमन्यु की तरफ देखते हुए कहा"


    "कोई जरूरत नहीं है यहीं बैठकर लंच करो। अभिमन्यु ने हीर को लगभग आर्डर देते हुए कहा"



    "हीर ने अपना सर हमें हिलाया। और सोफे पर बैठ गई। हीर ने लंच का बॉक्स निकाला। और लंच करने लगी।


    शाम के वक्त...


    "विवान ने कॉफी मंगवाई थी। उसने कॉफी हीर को देते हुए कहा" हीर काम बाद में करना पहले कॉफी पिलो।


    "नहीं में कॉफी नहीं पीती हूं हीर ने कहा" विवान ने पूछा।"


    "वो मुझे इसकी स्मेल पसंद नहीं है। हीर ने अजीब सा मुंह बनाते हुए कहा"



    "विवान इसके लिए चाय मांगा दो। अभिमन्यु ने कहा।"



    "तभी केबिन के अंदर कोई एंटर करता है। अरे भाई यहां क्या हो रहा है। प्रतीक जी ने अंदर आते हुए कहा"



    "चाचू कुछ नहीं हम तो बस कॉफी पी रहे थे। विवान ने कहा।"


    "उन्होंने जब हीर को देखा। तो पूछा ये लड़की तो...


    "चाचू ये यहां की नई एंप्लॉई है। हीर शर्मा आज से ही ज्वॉइन किया है। हीर ये है मेरे चाचू और यहां के हेड तुम्हारे बड़े सर अभिमन्यु ने हीर का इंट्रोडक्शन करवाते हुए कहा"

    ...hello सर हीर ने कहा... 


    "थोड़ी देर बाद सर अब मैं चलती हूं। सात बज गए है।
    अभिमन्यु के टेबल की तरफ आते हुए कहा"



    "हीर रूको में तुम्हे ड्रॉप कर देता हूं  अभिमन्यु ने कहा।"


    "नही में निशा के साथ चली जाऊंगी। हीर ने कहा।"


    "ओके ध्यान से जाना और हा हो सके। तो स्कूटी कम स्पीड में ही चलाना। अब जाओ। अभिमन्यु ने कहा।" हीर ने अपना सारा हमें हिलाया। और वहां से चली गई।


    "क्या बात अभी बड़ी फिक्र जताई जा रही है। प्रतीक जी ने मुस्कुराते हुए कहा"



    "नहीं चाचू इस लड़की की आदत है। स्कूटी को प्लेन समझ कर चलती है। अभिमन्यु ने प्रतीक जी की तरफ देखकर कहा"


    "लेकिन अभी बेटा मुझे ये समझ नहीं आया। की तुमने इसको काम पर क्यू रखा। प्रतीक जी ने पूछा।"



    "चाचू बहुत मुश्किलों से मानी है। यहां जॉब के लिये।  इसने तो हमारे अभी को क्या कुछ नहीं कहा पता नहीं क्या क्या नाम रखा है। विवान ने हंसते हुए कहा।"



    "मुझे तो पहले से ही लग रहा था। मैने विवान से कह दिया था। कि प्यार का मामला है। वैसे हीर मान गई क्या तूने उसको अपने दिल की बात बताई । प्रतीक जी ने मुस्कुराते हुए कहा"



    "चाचू अभी नहीं कहा है। बीना बताए पंजा मरती है। बता दूंगा। तो कच्चा चबा जायेगी। अभिमन्यु ने मुंह बनाते हुए कहा"


    "चलो जो भी हो मुझे मेरी बहु पसंद है। प्रतिक जी ने मुस्कुराते हुए कहा"


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    जानने के लिए अगला भाग जरुर पड़े लाइक और कमेंट जरुर करे यह कहानी भी बहुत ही इंटरेस्टिंग है तो प्लीज फ्रेंड इस स्टोरी को भी अपना ढेर सारा प्यार दीजिएगा

  • 11. 💞तेरे प्यार में दीवाना💞 - Chapter 11

    Words: 1316

    Estimated Reading Time: 8 min

    सुबह के वक्त ...
     
     
    "अभिमन्यु अपने बालों में हाथ फिरते हुए नीचे आ रहा था। इस वक्त नीचे सभी उसका वेट कर रहे थे। वह टेबल पर बैठते हुए अपनी दादी और सभी को गुड मॉर्निंग विश किया...
     


     
    "अभी बेटा तुमने बताया नहीं तुम इंडिया से बाहर जा रहे हो। प्रतीक जी ने पूछा...


    "हां चाचू मेरा इंपॉर्टेंट काम है इसलिए मुझे जाना होगा। अभिमन्यु ने प्रतीक जी की तरफ देखकर कहा"


    "ठीक है। अपना ध्यान रखना और मुझे अपडेट देते रहना प्रतीक जी ने अभिमन्यु की तरफ देखते हुए कहा"


    "आप टेंशन मत लीजिए। मैं सब संभाल लूंगा और मैं अकेले थोड़ी जा रहा हूं। मेरे साथ रोनी भी है। मैंने विवान को कह दिया। वह यहां सब संभाल लेगा.. आप स्ट्रेस मत लीजिए। अभिमन्यु ने शांत स्वर में कहा"
     
     
    "अभी बेटा तू कितना काम काम करता है। थोड़ा आराम भी कर लिया करो नयनतारा जी ने कहा"



    "नहीं छोटा मम्मा जब तक मेरा काम नहीं होगा। तब तक मैं आराम नहीं करूंगा। अभिमन्यु ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा"


    दादी ने अभिमन्यु को देखकर परेशान होते हुए कहा" अभी बेटा अपना ध्यान रखना। जब तू बाहर रहता है ना! तो तेरी टेंशन लगी रहती है।


    दादी.. don't worry.. सब ठीक है। कुछ नहीं होगा। और मैं अभी थोड़ी जा रहा हूं। एक-दो दिन में वापस आ जाऊंगा। मेरा भी तो मन आप लोगों के बिना नहीं लगता। अभिमन्यु ने मुस्कुराते हुए कहा"
     

     
    "वही दूसरी तरफ निशा आज हीर को लेने उसके घर ही आ गई थी। हीर रेडी हो रही थी। तभी निशा ने कहा" हीर जल्दी कर देर हो जाएगी हमें...



    "थोड़ी देर और निशा बस मेरा हो गया। हीर ने कहा" फिर हीर ने अपना पिट्टू बैग उठाया। दादी और मां के गले लगी। और दोनों स्कूटी पर बैठकर निकल गए। आज दोनों को लेट हो गया था...
     
     

     "अभिमन्यु अपने ऑफिस के स्टडी रूम में कुछ फाइल्स चेक कर रहा था... अभी यार जाना जरूरी है। क्या मैं भी चलता हूं तेरे साथ ... विवान ने कहा"



    .. don't worry.. विवान सिर्फ मीटिंग के लिए जा रहा हूं। और कुछ नहीं है अच्छा ठीक है। अब चलो बाहर बैठते हैं। इतना टाइम हो गया। आज हीर नहीं आई है। क्या अभिमन्यु ने पूछा...


    "वैसे अभी एक बात बता जब उसको कोई काम वाम नहीं आता है। तो तूने उसे जॉब पर रखा ही क्यों है विवान ने पूछा।


    "वैसे बात तो सही पूछ रहा है वह क्या है ना मैं चाहता हूं। हीर मेरे नजर के सामने रहे अभिमन्यु ने मुस्कुराते हुए कहा" 
     
     
    "क्या बातें चल रही है। मेरे बिना प्रतीक जी ने अंदर आते हुए कहा ...


    "अरे चाचू कुछ नही दरअसल इस रांझे का दिल नहीं लग रहा। अपनी हीर के बिना विवान ने उसे छेड़ते हुए कहा"

     
    "क्या हीर अभी तक नहीं आई है। मोहित को बुलाकर पूछो प्रतीक जी ने कहा" तो अभिमन्यु ने मोहित को कॉल करके अपने केबिन में बलाया। मोहित मिस हीर आई है क्या... 



    "जी सर वो अभी थोड़ी देर पहले ही आई है। मोहित ने जवाब दिया...


    "ठीक है जाओ उसे मेरे केबिन में भेजो। अभिमन्यु ने मोहित की तरफ देखकर कहा"


    ओके सर मोहित कहकर केबिन से बाहर चला गया ...
     
     
    "केविन का दरवाजा खुला। और हीर अंदर आई और उसने गुड मॉर्निंग कहा" गुड मॉर्निंग प्रतीक सर गुड मॉर्निंग विवान सर उन दोनों ने भी कहा गुड मॉर्निंग हीर... लेकिन हीर ने अभिमन्यु से कुछ नहीं कहा ...अभिमन्यु जो हीर को ही देख रहा था उसे लगा हीर उसे भी गुड मॉर्निंग कहेगी। लेकिन उसने नही कहा ...हीर एक छोटी स्माइल लिए अभिमन्यु को ही देख रही थी। उन दोनों ने भी देखा। हीर ने उसे गुड मॉर्निंग नही कहा ...



    "तभी अभिमन्यु ने कहा" गुड मॉर्निंग मिस हीर अभिमन्यु ने मुस्कुराते हुए कहा" अभिमन्यु उसे देखता रहा।

     
    "फिर हीर ने अभिमन्यु से कहा" सर आप ने बुलाया था। हीर ने धीरे से कहा"


    "हां मैने तुम्हे यहां किसी काम से बुलाया था। ये सारे फाइल अच्छे से चेक करो। तभी में इन पे साइन करूंगा। अभिमन्यु ने हीर को देखते हुए कहा" हीर ने अपना सर हा में हिलाया और बाहर चली गई।
     
     
    "अभिमन्यु के कानों में किसी की हंसी की आबाज़ आ रही थी। उसने अपनी नजरे उठा कर देखा। तो दोनो हस रहे थे। तुझे बड़ी हसी आ रही है। और चाचू आप भी इसके साथ मिल कर हंस रहे हो। अभिमन्यु ने मुंह बनाते हुए उन दोनों की तरफ देखकर कहा"


    अरे यार क्या करूं उसने तुझे मॉर्निंग विश तक नहीं। कि तू अपनी शक्ल देख तेरी शक्ल तो देखने लायक है। विवान ने हंसते हुए कहा"


    अब नहीं कहा तो मैं क्या करूं इस लड़की को मुझसे ही प्रॉब्लम है। सबसे अच्छे से बात करती है। सिवाय मेरे कभी-कभी मुझे बहुत गुस्सा आता है  अभिमन्यु ने गुस्से में कहा" 
     
     
    ...Don't worry...अभि वक्त के साथ सब ठीक हो जाएगा। और विवान बन तुम अभी को ज्यादा परेशान मत करो। चलो ठीक है मैं अपने केबिन में जाता हूं। प्रतीक जी ने कहा और केविन से चले गए।
     
     
    "अच्छा तू बता निशा के साथ तेरी बॉन्डिंग कैसी है अभिमन्यु ने विवान की तरफ देखकर कहा"


    "मेरी और निशा की  इन कुछ दिनों में काफी अच्छी बॉन्डिंग हो गई है। मैं और निशा लंच साथ में करते हैं। मैंने तो निशा को अपनी फिलिंग्स के बारे में सब बता दिया है।
     
     
     "यह कब हुआ? अभिमन्यु ने चौंकते हुए कहा"
     
     
    "जब मैं और निशा रेस्टोरेंट डिनर करने के लिए गए थे। तब मैंने उसे सब बता दिया। विवान ने मुस्कुराते हुए कहा"

     
    "अच्छा और उसने क्या जवाब दिया। अभिमन्यु ने पूछा...

     
    "वो मुझे पहले से पसंद करती है। विवान ने कहा...


    "क्या वह तुझे पसंद करती है तू मुझे कुछ छुपा रहा है। क्या अभिमन्यु ने कहा"


    "हां वह मैं और निशा एक दूसरे को बहुत पहले से जानते हैं। एक डेढ़ साल पहले मैंने अपनी कार से निशा की मॉम का एक छोटा सा एक्सीडेंट कर दिया था। इस दौरान हम दोनों की मुलाकात हुई थी। मुझे तो याद ही नहीं था। निशा ने बताया। मुझे उसने यह बताया कि वह मुझे पहले दिन से ही पसंद करती है। फिर क्या हमारी गाड़ी आराम से चल रही है। विवान ने सब बताते हुए कहा"

     
     
    "अभिमन्यु ने थोड़े गुस्से में कहा" अबे साले तूने तो मुझे कुछ बताया भी नहीं! और मैं तुझे अपने हर बातें बताता हूं। तूने मुझसे छुपा कर अच्छा नहीं किया। चलो कोई बात नहीं तुम दोनों की यह पहली डेट थी। सही है तू आगे निकल गया। मैं तो अभी भी वही हूं। मुझे तुझसे जलन हो रही है। लगता है फ्यूचर में तु पहले बाप बनेगा।
     
     
    "चल अब मैंने तुझे सब बता दिया। अब मुझे तू जल्दी से आशीर्वाद दे दे। कि मैं जल्दी से शादी कर लूं। विवान ने उसे आशीर्वाद मांगते हुए कहा"


    "अरे यह क्या बोल रहा है। तू मैं कोई बुजुर्ग आदमी नहीं हूं। जो तुझे आशीर्वाद दूंगा। आशीर्वाद लेना ही है। तो घर के बड़ों का ले... अभिमन्यु ने घूरते हुए कहा" 
     
     
    "थोड़ी देर बाद अभिमन्यु ने हीर को अपने केबिन में बुलाया। हीर सोफे पर बठ कर अभिमन्यु के जवाब का वेट कर रही थी। तभी अभिमन्यु ने कहा" फाइल पूरा चेक कर लिया तुमने..


    "हीर ने कहा" नहीं अभी थोड़ा बहुत बाकी है। बस थोड़ा ही हुआ है।
     

    "ठीक है इस फाइल को भी अच्छे से चेक कर लेना। अभिमन्यु ने उसे फाइल देते हुए कहा"  और हां पहले लंच कर लो। उसके बाद काम करना। अभिमन्यु ने हीर की तरफ देखते हुए कहा"


    "सर मैं निशा के पास जा रही हूं। लंच करने के लिए और हीर अभिमन्यु का जवाब सुने बिना ही केबिन से बाहर चली गई... अभिमन्यु  उसे जाते हुए देखता रहा।
     

    "हीर निशा के टेबल पर आकर बैठ गई। और कहा" चल निशा हम लंच करते हैं ...


    "तभी निशा ने कहा" हीर मैंने थोड़ी देर पहले विवान के साथ लंच कर लिया है। 
     

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  • 12. 💞तेरे प्यार में दीवाना💞 - Chapter 12

    Words: 1227

    Estimated Reading Time: 8 min

    ""निशा ने कहा" हीर मैंने लंच कर लिया है।



    .. क्या.. तूने मेरे बिना ही लंच कर लिया। मेरा वेट भी नहीं किया। हीर ने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा"



    "हीर तू कर लेना मुझे अभी बहुत काम है। निशा ने कहा" तो हीर गुस्से में तमतमाती हई। वापस केबिन मैं आकर सोफे पर बैठ गई...


    "अभिमन्यु उसे देखकर समझ जाता है। उसे तो पहले से ही पता था। निशा विवान के साथ लंच करती है। उसे यह नहीं मालूम था। कि हीर इतने गुस्से में आएगी‌। 


    "हीर सोफे पर बैठे-बैठे ही बड़बड़ा रही थी। उस निशा की बच्ची मेरे बिना ही लंच कर के बैठ गई। मैं छोडूंगी नहीं उसे...


    अभिमन्यु ने उसे बड़बढ़ाते हुए देखा। तो पूछा क्या हुआ तुम ठीक हो और लंच कर लिया। क्या तुमने चलो साथ में लंच करते हैं ...


    "नहीं मुझे नहीं करना लंच मेरा मूड नहीं है। आप कर लो हीर ने गुस्से में कहा...


    "अभिमन्यु ने अपने मन में कहा" बाप रे ये तो आग का गोला बनी हुई है। फिर अभिमन्यु अपनी चेयर पर से उठकर सोफे पर आकर हीर के बगल में बैठ गया। उसने हीर से कहा" देखो जो भी बात हो। तुम मुझे बता सकती हो। शायद मैं तुम्हारी इसमें कुछ मदद कर सकूं...


    "हीर ने कुछ सोचते हुए कहा" आप क्या मेरी मदद करेंगे। और क्या बताऊं मैं आपको निशा मेरे बिना ही लंच कर के बैठ गई। उस ने मुझे याद भी नहीं किया। मेरी किसी को जरूरत ही नहीं है...


    "तुम्हारी जरूरत किसी को हो या ना हो पर मुझे तुम्हारी जरूरत है। और हां मैं तुम्हें ऐसे उदास तो नहीं रहने दूंगा। अभिमन्यु ने यह बात धीरे से कही थी...


    "अभी आपने कुछ कहा था क्या... हीर ने पछा...



    "नहीं मैंने तो अभी कुछ नहीं कहा क्यों तुमने कुछ सुना क्या अच्छा चलो लंच कर लेते हैं। वैसे तुम्हें क्या खाना है। मैं तुम्हारे लिए कुछ ऑर्डर कर दूं। क्या अभिमन्यु ने कहा"


    "देखिए आपको मेरी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। मैंने कहा ना मुझे कुछ नहीं खाना। हीर ने उसे गुस्से से जवाब दिया।"


    "ठीक है मत खाओ मुझे तो बहुत भूख लगी है। मैं तो खाऊंगा। अभिमन्यु ने थोड़ी देर पहले ही अपने लिए लंच ऑर्डर किया था। वो लंच निकाल कर खाने लगा ...


    "हीर उसे ही घुर रही थी। तभी उसने अपने लंच बॉक्स में से लंच निकला ।और खुद भी खाने लगी... यह देखकर अभिमन्यु के चेहरे पर एक छोटी सी ना दिखने वाली स्माइल आ गई।



    रात के वक्त...



    "अभिमन्यु अपने केविन के बाहर किसी से फोन पर बातें कर रहा था। तभी अचानक से किसी ने आकर उसे पीछे से हग कर लिया। उसने खुद से उसको अलग करते हुए जैसे ही पीछे मुड़कर देखा। तो सामने खुशी खड़ी थी। तभी उसने कहा" तुम यहां...
     


    "हेलो बेबी तुम तो मुझे भूल ही गए हो। तुम मुझे कभी याद ही नहीं करते। इसलिए मैंने सोचा मैं तुमसे यहां ऑफिस में आकर मिलू। चलो ना हम कहीं डिनर करने चलते हैं। खुशी ने उसके गले लगते हुए कहा...



    "नहीं खुशी मुझे अभी बहुत काम है। मैं नहीं जा सकता। अभिमन्यु ने खुशी से कहा" सामने से हीर आ रही थी। तभी अभिमन्यु की नजर उसे पर पड़ जाती है। अभिमन्यु ने अपने मन में सोचा। हीर अभी तक घर नहीं गई। अगर उसने मुझे ऐसे इसके साथे देख लिया। तो पता नहीं क्या सोचेगी...


    "तभी हीर की नजर दोनों पर पड़ती है। वह सामने खड़ी होकर दोनों को हैरानी से देख रही थी ... अभिमन्यु ने खुशी को खुद से अलग किया। और कहा" खुशी तुम अभी घर जाओ मुझे कुछ जरूरी काम है ...



    "बेबी यह क्या बात हुई। एक तो हम दोनों इतने दिनों बाद मिले। और तुम हो। कि मुझे खुद से दूर कर रहे हो। चलो ना किसी अच्छी सी जगह पर ... थोड़ी देर हीर ऐसे ही खड़ी होकर दोनों देख रही थी। फिर निशा के साथ बाहर चली गई...


    "नहीं खुशी मैं कल किसी जरूरी काम से बाहर जा रहा हूं। मेरी कल सुबह की फ्लाइट है। इसलिए मुझे सारा काम फिनिश करना है। और मैं काफी थक गया हूं। मैं घर जा रहा हूं। तुम भी घर चली जाओ। अभिमन्यु ने उसे जवाब दिया। और ऑफिस से बाहर आ गया ... खुशी गुस्से में अभिमन्यु को जाते हुए देख रही थी।



    "अभिमन्यु गाड़ी की सीट पर बैठ कर कुछ सोच रहा था। हीर ने मुझे और खुशी को एक साथ देख लिया। कहीं वो कुछ गलत ना समझ ले। फिर कर स्टार्ट करके वहां से निकल गया...



    अगली सुबह...



    "अभिमन्यु ने अपने दादी के पैर छूते हुए कहा" दादी मुझे आशिर्वाद दीजिए। कि मैं अपने मकसद में कामयाब हो सकूं...


    "अरे मेरा आशिर्वाद तो हमेशा तेरे साथ है। दादी ने अपना हाथ उसके सर पर रखते हुए कहा" अभिमन्यु अपने परिवार से मिलकर एयरपोर्ट के लिए निकल गया।


     
    "निशा और हीर ऑफिस में बैठे अपना काम कर रही थी। हीर ने कहा... वैसे आज वह राक्षस कहीं नजर नहीं आ रहा मुझे...



    तभी निशा ने कहां अभिमन्यु सर इंडिया से बाहर गए...



    "और तुझे कैसे पता हीर ने पूछा... वह मुझे विवान ने बताया था। निशा ने उसे काम करते हुए जवाब दिया...



    "वैसे निशा में कुछ दिनों से देख रही हूं। तू कुछ दिन से अजीब ही लगा रही है। बात क्या है तेरे और विवान के बीच में क्या खिचड़ी पक रही है। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा। मैंने शाम को तुम दोनों को साथ में चाय पीते हुए देखा था।
     


    "निशा ने उसे एक नजर देखा। और फिर लैपटॉप में कुछ काम करने लगी। फिर बहाना बनाते हुए कहा" अरे नहीं हीर हम तो बस ऐसे ही कॉफी पी रहे थे। तू ज्यादा सोच रही है और कोई बात नहीं है ...



    "शायद तू सही कह रही है। मुझे कुछ ज्यादा ही सोचने की आदत हो गई है। हीर ने अपने होठों का पाउट बनाते हुए कहा"


    रात के वक्त...



    "अभिमन्यु लंदन के एक प्राइवेट रूम में बैठा हुआ था। उसके साथ दो लोग और भी उसे रूम में मौजूद थे। वह था अभिमन्यु का दोस्त रोनी जो अभिमन्यु का बचपन का दोस्त था। दूसरा था जॉन जो अभिमन्यु का बॉडीगार्ड था। अभिमन्यु का चेहरा इस वक्त काफी एक्सप्रेशन लेश था। उसकी आंखे काफी सख्त थी। कुछ पता चला उस अनय सिह के बारे में वह लंदन क्यों आया था। अभिमन्यु ने सर्द लहजे में कहा ...


    "वो यहां किसी से मिलने आया था। उसके दूसरे दिन ही वो यहां से निकल गया था। पर इंडिया नही गया था। रोनी ने कहा"


    "मुझे उसकी सारी इनफार्मेशन चाहिए। पता करो वो यहां क्यों आया था। अभिमन्यु ने रोनी की तरफ देखकर कहा"


    "अभिमन्यु सब हो जायेगा रोनी ने कहा ...दरअसल रोनी अभिमन्यु एक दूसरे को बचपन से जानते हैं। रोनी अनाथ था  तब अभिमयू के डैड अजय राठौर ने उसे पाला था। इसलिए वो आज अभिमन्यु के साथ है।


    "अभिमन्यु इस वक्त एक गिलास विंडो के सामने खड़ा सिगरेट के कस ले रहा था। और उसका चेहरा काफी सख्त था। अभिमन्यु मैं जानता हूं। तुम अंकल आंटी को बहुत मिस करते हो। तुम्हारे मॉम डैड का कातिल बहुत जल्द पकड़ा जाएगा। रोनी ने कहा...


    "और मैं उस इंसान को अपने हाथो से तड़पा तड़पा कर मारूंगा। आखिर कब तक छुपा रहेगा। मुझसे  कभी ना कभी तो सामने आएगा। ही अभिमन्यु ने गुस्से में लेकिन सर्द आवाज में कहा"


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    जानने के लिए अगला भाग जरूर पढ़िएगा लाइक और कमेंट जरुर करिएगा 
     

  • 13. 💞तेरे प्यार में दीवाना💞 - Chapter 13

    Words: 1181

    Estimated Reading Time: 8 min

    "इस वक्त अभिमन्यु की आखों मे गुस्सा नफरत और दर्द साफ दिख रहा था। रोनी पता करो वो अनय सिंह यहां से  कहा गया था। और किससे मिलने गया था। वो कहा है। और उसकी आगे क्या करने बाला है। अभिमन्यु ने कहा"



    "रोनी ने अपना सर हा में हिलाया और कहा" हा अभिमन्यु तुम सही कह रहे हो। में पता लगता हुं। में कल इंडिया के लिए वापस निकल जाऊंगा।


    "अभिमन्यु ने बेड पर बैठते हुए कहा" और हा केयरफुल रहना। क्यों की में नहीं चाहता। कि मेरी वजह से तुम्हे कुछ भी हो ...


    "अभी यार दोनो एक दूसरे को दोस्त कम भाई ज्यादा मानते है। और अगर मुझे तुम्हारे लिए अपनी जान भी देनी पड़े। तो मैं पीछे नहीं हटूंगा। रोनी ने कहा"


    "ये तुम कैसी बाते कर रहे हो तुम्हे कुछ नहीं होगा। हम कल भी साथ थे। और हमेशा साथ रहेंगे। अब तुम भी जाकर आराम करो। इतना बोल अभिमन्यु लेट गया।


    अगले दिन...


    "हीर उठ जाओ बेटा और कितनी देर सोती रहोगी। निशा तुम्हारा बेट कर रही है। मां सोने दो ना। आज मेरा मन नहीं कर रहा। हीर ने कसमसाते हुए कहा"


    "हीर उठ जा ना यार देख तेरी वजह से में लेट हो जाऊंगी। निशा ने कहा"


    "ये ऐसे नही उठेगी लगता है। मां को बुलाना पड़ेगा। दिव्या जी का इतना कहना था। कि हीर अपनी बेड से उठ कर खड़ी हो गई।


    "नहीं मां दादी को मत बुलाना मैं जा रही हूं। तभी हीर जल्दी से बाथरूम की तरफ भाग गई। हीर तैयार होकर नीचे आई। आज उसने व्हाइट कलर का प्लाजो सूट पहना था। जिसमें वह बहुत प्यारी लग रही थी। थोड़ी देर बाद दोनों ऑफिस के लिए निकल गई।


    "दोनों ऑफिस में बैठकर अपना काम कर रही थी। तभी हीर ने कहा" निशा चलना हम आइसक्रीम का खाकर आते हैं। बस थोड़ी देर में आ जाएंगे...



    "हीर यह तू क्या कह रही है। तू जानते हैं ना मुझे बहुत सारा काम है। और विवान ने इन सब की जिम्मेदारी मुझे दी है। मैं ऐसे नहीं जा सकती। निशा ने हीर की तरफ देखकर कहा"


    "निशा तुझे नहीं लगता तो कुछ ज्यादा ही उसे विवान के क्लोज हो रही है। तू मुझसे कुछ छुपा रही है। क्या मुझे तुझ में कुछ अजीब लग रहा है। हीर ने निशा को घूरते हुए देखकर कहा"


    "नहीं हीर ऐसा कुछ नहीं है। हम तो बस फ्रेंड हैं। निशा ने अपनी नज़रें चुराते हुए हिर को जवाब दिया।"


    शाम के वक्त...


    "हीर की तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही थी। वह बहुत थकी हुई थी। तभी विवान ने पूछा।" हीर तुम्हें क्या हुआ तुम ऐसे चुप क्यों बैठी हो।



    "कुछ नहीं वह मेरा सर बहुत भारी लग रहा है। और कुछ दिनों से काम की वजह से मैं ठीक से सोई भी नहीं हूं। शायद तुम्हें नहीं पता मुझे मेरी नींद बहुत प्यारी है। रोज सुबह जल्दी उठकर ऑफिस आना। यह सब मेरे से नहीं होता है। शायद इसी वजह से थोड़ी थकान है। हीर ने विवान से कहा"



    "हां विवान हीर को अपनी नींद बहुत प्यारी है। अगर इसकी नींद पूरी नहीं होती है। तो यह सारा दिन चिड़चिड़ी रहती है। इसको अपने नींद की बहुत फिक्र है। इसको नींद के आगे कुछ दिखता ही नहीं है। निशा ने विवान से कहा" 




    "अच्छा हीर तुम जाकर अभिमन्यु के केबिन में बठो मैं वही आता हूं। तुम्हें मेडिसिन दे दूंगा। तो तुम्हारी तबीयत ठीक हो जाएगी। विवान ने कहा"



    "लेकिन मैं वहां क्यों जाऊं वह राक्षस तो नहीं है ना। और वैसे भी अभी मेरा काम करने का मन नहीं है। यही बैठती हूं। हीर ने कहा"



    "मैंने कहा ना तुम अभिमन्यु के केबिन में बैठो। और हां तुम्हें काम करने की जरूरत नहीं है। तुम अभी जाकर आराम करो। विवान ने उससे कहा"




    "ठीक है जा रही हूं। हीर अभिमन्यु के केबिन में आकर बैठ गई। हीर थोड़ी देर ऐसे ही बैठे-बैठे बोर हो रही थी। फिर वो अपना मोबाइल निकाल कर गेम खेलने लगी। गेम खेलते हीर को प्यास लगने लगी। तो उसने सोचा कि पहले पानी पी लु।




    "हीर ने जैसे ही पानी का जग उठाया। तो सारा पानी टेबल पर रखे उसे फाइल पर गिर गया।  यह देखते ही डर के मारे हीर के हाथों से जग छूट कर नीचे फर्श पर गिर गया। और टूट गया। अब हीर जल्दी-जल्दी उसे फाइल को अपने हाथों से साफकर रही थी। लेकिन इस चक्कर में वो फाइल पूरा खराब हो गया। 




    तभी किसी ने पीछे से कहां यह क्या-किया। तुमने हीर ने पीछे मुड़कर देखा। उसके सामने अभिमन्यु खड़ा था। जो उसे ही घुर रहा था। अभिमन्यु आगे आया। यह क्या-क्या तुमने मेरा पूरा फाइल खराब कर दिया। तुम्हें पता भी है। यह कितना इंपॉर्टेंट फाइल था। एक तो तुमने इस पर पानी गिरा दिया। ऊपर से इसे और खराब कर दिया। अभिमन्यु ने हीर को देखकर गुस्से में कहा"




    "हीर जब अभिमन्यु को ऐसे बोलते देखा। तो वह जोर से बोल पड़ी। मैंने जान बूझ कर कुछ नहीं किया। गलती से हो गया।



    तभी अभिमन्यु ने थोड़े सर्द आवाज में कहा" एक तो तुमने इतनी बड़ी गलती कर दी ऊपर से मुझ पर ही चिल्ला रही हो। और यह क्या हाल बनाया हुआ है। तुमने मेरे केबिन का ऊपर से जग भी तोड़ दिया। तुमने और यह सारी फाइल्स इधर-उधर बिखरी पड़ी है।




    "हीर जो चुपचाप खड़ी थी। उसे अभिमन्यु को देखकर गुस्सा आने लगा। तभी वह टेबल पर रखे सारे सामानों को उठा उठा कर फेंकने लगी।



    "उसने टेबल पर रख फाइल्स को नीचे फर्श पर फेंकते हुए कहा" मैंने कहा ना मैंने जान बूझकर नहीं हुआ। फिर भी आप मुझ पर चिल्लाई जा रहे हैं। फिर कुछ ही देर में वह बोलते हुए सारे सामानों को इधर से उधर फेक दिया। था या यूं कहो कि पूरे केबिन का कबाड़ा बना दिया था ... हीर क्या कर रही हो... don't do this... अभिमन्यु ने चिल्लाते हुए कहा"




    "नहीं मैं तो करूंगी। हीर अपने ही धुन में बोले जा रही थी।



    तभी अभिमन्यु ने हीर की बाह को कस कर पकढ़ते हुए अपनी तरफ किया  और जोर से उस पर चिल्लाते हुए कहा" तुम पागल हो। क्या जब एक बार बोल रहा हूं। रुक जाओ रुक जाओ। तुम्हारे समझ में नहीं आता है। क्या तुम्हें यह सब करके बहुत मजा आता है।



    "जिससे हीर की आंखें हैरानी से बड़ी हो गई। अभिमन्यु उससे बहुत गुस्से में बात कर रहा था। यह देखकर हीर को बहुत डर लगने लगा। क्योंकि आज तक इतनी ऊंची आवाज में उस से किसी ने बात नहीं की थी।




    "एक दो दिन के लिए मैं बाहर क्या चला गया। तुमने मेरे कबिन को कबाड़ खाना ही बना दिया। तुम समझती क्या हो। खुद को जो तुम्हारे मन में आएगा। तुम वही करोगी। लेकिन यह सब मेरे सामने नहीं चलने वाला अभिमन्यु ने बहुत गुस्से में कहा" और जोर से उसे धक्का दे दिया।




    "जिससे हीर को टेबल से चोट लग गई। और वो वहीं खड़ी रो रही थी। विवान केविन अभी आया ही था। कि उसे सामने यह नजारा देखकर कुछ समझ नहीं आया।


    °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°


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  • 14. 💞तेरे प्यार में दीवाना💞 - Chapter 14

    Words: 1149

    Estimated Reading Time: 7 min

    "विवान ने अभिमन्यु से पूछा तू इस पर चिल्ला क्यों रहा है। कुछ हुआ है क्या...



    "अभिमन्यु ने उसके बातों का कोई जवाब नहीं दिया। और हीर की तरफ देखकर अपनी उंगली पॉइंट करते हुए कहा" किस से पूछ कर तुम मेरी केविन में आई। दोबारा मेरी परमिशन के बिना मेरे केबिन में आने की कोशिश भी मत करना।



    "हीर अपना सर झुकाए बहुत जोर-जोर से रो रही थी। तभी हीर ने अपनी रोती हुई। आंखों से अभिमन्यु को देखा। और कहा" मैं अपनी मर्जी से यहां नहीं आई थी। आपने मुझे जबरदस्ती यहां रखा हुआ है।




    "अभिमन्यु ने उसे पर चिल्लाते हुए कहा" मुंह बंद करो अपना मुझे तुमसे कोई बात नहीं करना।



    "अभिमन्यु यह कैसे बात कर रहा है। तू देख तो वो बेचारी कितना डर रही है। विवान ने कहा"




    "विवान तू चुपचाप खड़ा रह तू इस बीच में कुछ ना ही बोल तो बेहतर है। यह सब देख रहा है। यह सब इसने किया है। और तू अच्छे से जानता है। मुझे यह इधर-उधर बिखरा हुआ। बिल्कुल पसंद नहीं। फिर अभिमन्यु टेबल से टेक लगाकर खड़ा हो गया।



    "हीर अपना सर झकाए रो रही थी। रोने की वजह से उसकी आंखें लाल हो गई थी। इस वक्त अभिमन्यु बहुत गुस्से में था। उसने अभिमन्यु की तरफ देखते हुए कहा" वो मैंने हीर ने इतना ही कहा था। कि अभिमन्यु ने फिर से उसे पर जोर से चिल्लाते हुए कहा" चुप और निकलो मेरे केविन से तुमने सुना नहीं मैंने क्या कहा गेट आउट ‌... हीर ने अपने हाथों से अपने गालों पर आ रहे। आंसू को साफ किया। और केविन के बाहर चली गई।




    "अभिमन्यु क्या हो गया है। तुझे तू ऐसे कैसे बात कर रहा था। हीर से तू पागल हो गया है क्या... विवान ने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा"



    "विवान प्लीज मैं अभी किसी से बात करने के मूड में नहीं हु। तू प्लीज जा यहां से मुझे कुछ टाइम अकेले रहना है। विवान भी गुस्से से केविन से बाहर निकल गया। 




    "इधर हीर अपनी दादी की गोद में सर रखकर जोर-जोर से रो रही थी। हीर क्या हुआ बेटा तुम इतना क्यों रो रही हो। कुछ हुआ है उसकी दादी ने पूछा।"



    "हीर बच्चा बताओ ना क्या। हुआ उसकी मां ने परेशानी से पूछा।" 



    "दादी क्या आपने मुझे कभी भी डाटा है। नहीं ना आज उसे राक्षस ने मुझे बहुत डांटा है। गलती से मुझसे उसकी फाइल खराब हो गई। इतनी सी बात के लिए उसने मुझे इतता सारा डाटा हीर किसी बच्चे की तरह रो कर बोल रही थी। 



    "कोई बात नहीं बेटा तुम ऐसे रोओ मत सब ठीक हो जाएगा। उसकी मां ने कहा"



    "हां हीर तुम ऐसे रूओगी। तो तुम्हारी तबीयत खराब हो जाएगी। दादी ने उसके सर पर प्यार से सहलाते हुए कहा"



    "नहीं दादी अब मुझे काम ही नहीं करना उसकी हिम्मत कैसे हुई। मुझ पर चिल्लाने की मैं छोडूंगी। नहीं उसे हीर रो-रो कर बोले जा रही थी। रोने की वजह से उसकी आंखें लाल हो गई थी। और चेहरा पूरा मुरझा गया था।




    "हीर बेटा चलो फ्रेश हो जाओ। और खाना खाकर आराम करो रात काफी हो गया है। उसकी मां ने कहा"




    "नहीं मेरा मन नहीं है खाना खाने का मैं सोने जा रही हूं। हीर ने कहा" और ऊपर अपने रूम में चली गई। आधी रात को हीर जोर से चिल्ला कर वेड से उठकर बैठ गई। उसकी आवाज सुनकर उसकी दादी और मां उसके रूम में आते हुए कहा"




    "हीर क्या हुआ बेटा तुम इतनी जोर से क्यों चीखी। कोई बुरा सपना देखा क्या... मां ने पूछा।" 




    "मुझे बहुत डर लग रहा है। वो मेरे मम्मा पापा को मार डालगे। मुझे अपने मम्मा पापा को बचाना है। वो मुझे भी मार डालेंगे। हीर ने रोते हुए कहा"




    "उसकी दादी ने उसे गले लगाते हुए कहा" हीर बच्चा तुमने बुरा सपना देखा है। कुछ नहीं हुआ देखो हम सब यही तुम्हारे पास है। हम तुम्हें कुछ नहीं होने देंगे। हीर अपनी दादी के गले लगे। सिसक सिसक कर रो रही थी। उसकी दादी ने उसे सहलाते हुए कहा" कुछ नहीं होगा। बच्चा हम सब है ना...



    "हीर अपनी दादी के गले लगे अब शांत हो चुकी थी। दिव्या इसे तो बहुत बुखार है। इसकी तो पूरी बॉडी गर्म हो रही है। उसकी दादी ने कहा"




    "मां में ठंडा पानी और पट्टी लेकर आती हूं। उससे हीर का बुखार उतर जाएगा। दिव्या जी ने कहा" 



    सुबह के वक्त...


    "अभिमन्यु अपने केबिन में उदास बैठा हुआ था। उसका आज काम करने का मन नहीं कर रहा था। वह एक गहरी सोच में कहीं खोया हुआ था। उसके सामने  विवान चेयर पर बैठा हुआ था। उसने अभिमन्यु से पूछा क्या हुआ। अभि तुमने कुछ बताया नहीं उस अनय सिंह के बारे में कुछ पता चला। वो वहां किसी से मिलने गया था।




    "अभिमन्यु ने खोए हुए अंदाज में ही उसे जवाब दिया। नहीं अभी पता नहीं चला है। पर बहुत चल पता चल जाएगा। तभी अभिमन्यु ने विवान से पूछा।" हीर को मेरे केबिन में बलाओ ...



    "अब क्यों बुला रहा है  उसे और डांटना है क्या तेरा मन कल नहीं भरा था। तेरी वजह से कितना रो कर गई। वो एक तो उसकी तबीयत ठीक नहीं थी। ऊपर से तूने उसे इतना कुछ सुना दिया। विवान ने गुस्से में कहा"




    "क्या हीर की तबीयत ठीक नहीं थी। अभिमन्यु ने हैरानी से पूछा।"



    "हां वो बता रही थी।  उसके सर में  दर्द था। इसीलिए मैंने उसे यहां भेज दिया था। ताकि वो थोड़ा रेस्ट कर लेगी। विवान ने कहा"



    "अच्छा ठीक है जब वो आएगी। तो मैं उससे सॉरी बोल दूंगा। मुझे भी उसे डांट कर अच्छा नहीं लगा। यार रात भर सोया नहीं हूं। अरे यार मेरा मूड सही नहीं था। और केबिन की हालत देखकर मेरा गुस्सा और बढ़ गया। इस वजह से मैंने उसे डांट दिया। मोहित से पूछ वो आई है। अभिमन्यु ने कहा"



    "विवान ने अपना फोन निकाल कर मोहित को कॉल किया। और पूछा।" हीर आई है। क्या उधर से मोहित ने कहा जी सर सिर्फ निशा आई है। उसके साथ हीर नहीं है। ठीक है उसे हमारे केबिन में भेजो विवान ने इतना कह कर कॉल दिया। 



     "हीर नहीं आई है शायद वो ज्यादा हर्ट हो गई। विवान ने कहा" तभी निशा केविन के अंदर आई विवान ने उसे पूछा।" निशा तुम अकेली आई हो। हीर कहां है। वो तुम्हारे साथ ऑफिस नहीं आई...



    "नहीं सर हीर अपने घर पर है। उसकी तबीयत ठीक नहीं है। इसीलिए वो आज नहीं आई निशा ने जवाब दिया।



    "तो अभिमन्यु ने पूछा।" क्या हुआ उसे वह ठीक तो है।



    "सर उसकी तबीयत रात से बहुत ज्यादा खराब है। मैं सुबह उसे लेने के लिए गई थी। तब मुझे पता चला। निशा ने अभिमन्यु की तरफ देखकर कहा"



    "ठीक है तुम जाओ। विवान ने उससे कहा और जाने का इशारा कर दिया। निशा ने अपना सर हां में हिलाया। और चली गई।


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  • 15. 💞तेरे प्यार में दीवाना💞 - Chapter 15

    Words: 1172

    Estimated Reading Time: 8 min

    "ठीक है निशा तुम जोओ अपना काम करो विवान ने उसे कहा और जाने का इशारा कर दिया। निशा ने अपना हां मैं हिलाया और चली गई।
     
     

    "क्या हुआ अभिमन्यु तू क्या सोच रहा है। विवान ने पूछा।" अभिमन्यु ने उसके बातों का कोई जवाब नहीं दिया। और अपनी गाड़ी की चाभी उठाया। और बाहर चला गया।
     
     

    "विवान उसका पीछा करते हुए जल्दी से उसके पास आया। और बोला।" अभि तू कहां जा रहा है। देख मैं जानता हूं। तु हीर से मिलने जा रहा है।
     
     

    "विवान मुझे जाने दे मेरी वजह से उसकी तबीयत खराब हो गई। मुझे उससे मिलना है। अभिमन्यु ने जवाब दिया।
     
     

    "तू ऐसे कैसे उसके घर पर उससे मिलने जा सकता है। वह लोग क्या सोचेंगे। तेरे बारे में... विवान ने कहा"
     
     

    "देख विवान मैं यह सब कुछ नहीं जानता। मैं बस यह जानता हूं। कि मुझे हीर से मिलना है। उसकी कंडीशन के बारे में जानना है। अभिमन्यु ने जवाब दिया...
     
     

    "अभी तुझे देखकर हीर की तबीयत और ज्यादा खराब हो जाएगी। तु प्लीज मत जाना। विवान ने चीढ़ते हुए कहा" अभिमन्यु ने उससे कुछ नहीं कहा और गाड़ी में बैठ गया।
     

     
    "विवान उसे जाते हुए देखता रहा। और खुद से कहने लगा। कम से कम मुझे तो साथ चलने के लिए बोलता। लेकिन नहीं इसे तो अकेले जाना है।



     
    "हीर कि दादी उसका ध्यान रख रही थी। और दिव्या जी मंदिर गई थी। हीर के लिए प्रार्थना करने... हीर इस वक्त अपने रूम में सो रही थी। उसको अभी भी बहुत बुखार था। तभी नित्या कमरे में आई। और कहा" दादी आपसे मिलने के लिए कोई आया है। वो अपना नाम राठौर बता रहा है।

     
     
    "दादी ने कहा" ठीक है। तुम उसे घर के अंदर बुलाओ। मैं आती हूं। फिर दादी रूम से चली गई।



    "नित्या ने आकर अभिमन्यु से कहा" आप अंदर आकर बैठ जाइए। दादी अभी आ रही है। अभिमन्यु अंदर आया। और हीर के पूरे घर को देख रहा था। हीर का घर ना तो छोटा था। और ना ही ज्यादा बड़ा था। इतना बड़ा था कि उसमें उसकी फैमिली आराम से रहती थी। उसके घर में तीन बेडरूम नीचे था। और तीन बैडरूम ऊपर के फ्लोर पर बना हुआ था। उसके घर में छोटा सा गार्डन एरिया बना हुआ था। और थोड़े बहुत सुंदर-सुंदर फ्लावर्स के पौधे लगे हुए थे। वो घर देखा ही रहा था। कि तभी दादी आई।

     
     
    "अभिमन्यु ने दादी को नमस्ते किया। तुम यहां कोई काम था। क्या दादी ने अभिमन्यु से बैठते हुए कहा" और उसे भी बैठने का इशारा क्या...

     
     
    "वो मैं हीर से मिलने आया था। मुझे पता चला कि उसकी तबीयत खराब है। अभिमन्यु ने धीरे से कहा"
     
     
     
    "हीर तुम्हारे यहां जॉब कर रही है। क्या दादी ने पूछा।" तो अभिमन्यु ने अपना सर हां में हिलाया।

     
     
    "वैसे क्यों डांटा था। तुमने मेरी हीर को पता है। वो कल रोती हुई घर आई थी। और उसने मुझे सब बताया। की कैसे तुमने उस पर चिल्लाया था। दादी ने नाराजगी से कहा"

     
     
    "आई एम सॉरी मुझे उस पर नहीं चिल्लाना चाहिए था। अभिमन्यु ने धीरे से कहा"


     
    "हीर की तो आदत है। चीजों को तोड़ फोड़ करने की उससे कोई काम आता नहीं है। यही तो मैं सोच रही थी‌‌। वह ऑफिस में कैसे काम करती होगी। दादी ने कहा"

     
     
    "आई'एम सॉरी आप मुझसे नाराज तो नहीं है। अभिमन्यु ने कहा"
     
     

    "नहीं ऐसी बात नहीं है। मैं भला तुमसे नाराज क्यों रहूंगी। तुम तो बहुत अच्छे लड़के हो मैं समझ सकती हूं। तुम इतना मत सोचो ।वो तो बीमार पड़ती रहती है। दादी ने मुस्कुराते हुए कहा"

     
     
    "नहीं दादी वो मेरी वजह से भी बीमार पड़ गई है। मुझे इतना स्ट्रीक नहीं होना चाहिए था। फिर वो बोलते हुए चुप हो गया। और कुछ सोचते हुए बोला। सॉरी मैंने आपको दादी बोल दिया। अभिमन्यु ने कहा"



     
    "कोई बात नहीं तुम मुझे दादी बोल सकते हो। मैं जैसे हीर की दादी हूं। वैसे तुम्हारी भी दादी ही हूं। दादी ने कहा"


     
    "वैसे हीर की तबीयत अब कैसी है। वो ठीक तो है ना। अभिमन्यु ने परेशान होकर पूछा।"
     

     
    "दरअसल सुबह मैंने डॉक्टर को बुलाया था। डॉक्टर चेकअप करके दवाई दी है। पर अभी उसकी तबीयत ठीक नहीं हुई है। वो अपने रूम में सो रही है। तुम उससे मिल सकते हो। तुम हमारे घर पर पहली बार आए। तो लंच करके ही जाना।

     
     
    "दादी मैं लंच करके ही जाऊंगा। अभिमन्यु ने मुस्कुराते हुए कहा" और ऊपर हीर के रूम में चला गया। उसने जैसे हीर के रूम में कदम रखा। सामने उसे हीर सोती हुई। दिखाई दी उसके कदम अपने आप हीर की तरफ बढ़ने लगे।

     
    "वह आकर हीर के बगल में वेड पर बैठ गया। हीर इस वक्त नाइट सूट में थी। हीर के थोड़े से बाल उसके चेहरे पर थे। अभिमन्यु ने उसे अपने हाथों से उसके चेहरे पर आ रहे बालों को हटाया। इस वक्त हीर का चेहरा पूरा मुरझाया हुआ था। पर फिर भी वह बहुत खूबसूरत लग रही थी। हीर को देखकर अभिमन्यु को खुद पर गुस्सा आ रहा था।



    "मैं तुम्हें कैसे डांट सकता हूं। हीर तुम मेरे लिए बहुत मायने रखती हो। मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा। इस वक्त अभिमन्यु की आंखों में आंसू साफ झलक रहा था। उसकी आंखों में साफ दिख रहा था। वो हीर से कितना प्यार करता है।

     
     
    "अभिमन्यु इस वक्त हीर के हाथ को पकड़ कर बैठा हुआ था। अभिमन्यु हीर को खोए हुए अंदाज में कहा" तुम चिंता मत करो। अब मैं तुम्हें पर कभी गुस्सा नहीं करूंगा। आज तुम्हारी आंखों में मेरी वजह से आंसू आए हैं। प्रॉमिस आज के बाद मैं तुम्हारी आंखों में एक भी आंसू नहीं आने दूंगा। उसके बाद उसके फोरहेड पर किस किया।

     
     
    तभी अभिमन्यु की नजर टेबल पर रखे हीर की बचपन की तस्वीर पर गई। हीर अपने बचपन में बहुत क्यूट थी। उसके थोड़े लंबे बाल थे। वो एकदम प्रिंसेस की तरह लग रही थी। अभिमन्यु उस तस्वीर को देखकर मुस्कुराने लगा। फिर उसने उस तस्वीर को अपने कोर्ट के अंदर डाल लिया। अब तुम्हारी यह तस्वीर मेरे पास रहेगी। अभिमन्यु बहुत देर से हीर को ही एक तक देख रहा था। तभी उसने देखा की हीर को होश आ रहा है।

     
     
    "हीर को धीरे-धीरे होश आ रहा था। उसने धीरे से अपनी आंखें खोली। वह अपने सामने अभिमन्यु को देखकर डर गई। और अधमरी आवाज में बोली। तु तुम यहां मेरे घर पर क्या कर रहे हो।
     
     
    ..don't worry ..मैं यहां तुमसे मिलने आया था। और तुम मुझसे डरो। मत मैं तुम्हें कुछ नहीं कहुगा। अभिमन्यु ने हीर को  देखते हुए कहा" और हां कल के लिए सॉरी हो सके। तो मुझे माफ कर देना। अभिमन्यु ने अपना कान पड़कर हीर को सॉरी बोला .. हीर  ने उसे कुछ नहीं कहा और चुपचाप ऐसे ही बैठी रही।
     
     
     
    "क्या हुआ तुम मुझे माफ नहीं करोगी। अब तो सॉरी भी बोल रहा हूं ना। प्लीज माफ कर दो। अभिमन्यु ने मुस्कुराते हुए कहा"

     
     
    "ठीक है मैंने आपको माफ किया। लेकिन दोबारा मुझसे ऐसे बात मत करना मुझे डर लगता है। हीर ने रोंडू सी आवाज मैं कहा"


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  • 16. 💞तेरे प्यार में दीवाना💞 - Chapter 16

    Words: 1327

    Estimated Reading Time: 8 min

    "क्या हुआ तुम मुझे माफ नहीं करोगी। अब तो बंदा Sorry भी बोल रहा है ना। प्लीज माफ कर दो ना। अभिमन्यु ने उदास होते हुए कहा"

     
     
    "ठीक है मैंने आपको माफ किया। लेकिन मुझसे ऐसे बात मत करना। मुझे डर लगता है। हीर ने रोंडू सी आवाज में कहा"


     
    "आई प्रॉमिस अब तुमसे ऐसे कभी बात नहीं करूंगा। तुम पर कभी गुस्सा नहीं करूंगा। अब ठीक है या और भी कुछ बोलो अभिमन्यु ने कहा"


     
    "हीर ने अपना sir हा में हिलाया। और मुस्कुराने लगी। उसे ऐसे मुस्कुराते देखकर अभिमन्यु के बेचैन दिल को अब जाकर चैन मिला। वह हीर की मुस्कुराहट में खोया हुआ था। थोडी देर ऐसे ही बैठने के बाद अभिमन्यु ने कहा" अब जब तक तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं हो जाती। तब तक तुम्हें ऑफिस आने की कोई जरूरत नहीं है।

     
     
    "मतलब मुझे फिर से ऑफिस आना पडेगा। मैंने तो सोचा था। अब मैं नहीं जाऊंगी हीर ने उदास होते हुए कहा"
     


    "देखो जब तक तुम बीमार हो तब तक ही छुट्टी दे रहा हूं। उसके बाद तुम्हें कोई छुट्टी नहीं मिलेगा। अभिमन्यु ने सख्त लहजे में कहा"


     
    "मैं यह कैसे भूल गई जल्लात इंसान तो हमेशा जल्लात ही रहता है। हीर ने मुंह बनाते हुए कहा"


     
    "अच्छा मैं जल्लात हूं और कौन- कौन नामो से तुम मुझे बुलाती हो मॉन्स्टर राक्षस ठरकी क्या मैं ये सब नाम डिजर्व करता हूं। फिर मैं सोच रहा हूं क्यों ना मैं तुम्हारा कोई अच्छा सा नाम रख दु। फिर उसने कुछ सोचने की एक्टिंग की और कहा" तुम्हारा नाम होना चाहिए। चुडैल पिशाचिनी भटकती आत्मा प्यासी आत्मा इतना बोलकर अभिमन्यु ने हीर की तरफ देखा। जो गुस्से से उसे ही घुर रही थी... what happened...मुझे ऐसे क्यों देख रही हो। नाम पसंद नहीं आया क्या... तुम्हें अभिमन्यु ने कहा"
     
     

    "आप बहुत अजीब प्राणी है। आप मेरा ऐसा अजीब नाम नहीं रख सकते। हीर ने गुस्से में मुंह फुलाते हुए कहा"
     


    "अच्छा मैं तुम्हारा ऐसा अजीब नाम नहीं रख सकता। पर तुम मेरा रख सकती हो। अभिमन्यु ने उसी के स्टाइल में कहा"


     
    "वैसे एक बात कहूं। तुम सोते हुए बहुत प्यारी लग रही थी। कोई कह नहीं सकता की तुम जागते हुए इतना बोलती हो। अभिमन्यु ने कहा"
     
     

    "अच्छा आप मुझे सोते हुए भी ताड रहे थे। मैं आपको छोडूगी। नहीं आपको जार में डालकर आपकी चटनी बना दूंगी। और क्या कहा मैं बहुत बोलती हूं। हीर ने कहा"


     
    "सच्ची तो कह रहा हूं तुम इतना बोलती हो। कि सामने वाली की सुनती ही नहीं हो। कभी- कभी तो मैं कंफ्यूज हो जाता हूं। अभिमन्यु ने अपनी आइस रोल करके कहा"

     
     
    "देखिए? हीर ने कहा"


     
    "मुझे कुछ नहीं देखना... अभिमन्यु ने कहा"


     
    "देखिए मैं बीमार हूं ना। मुझे प्लीज परेशान मत करिए। हीर ने कहा" हीर की तबीयत अब पहले से बेहतर थी। इसी तरह से दोनों के बीच में नोक झोक चल रहा था।


     
    "हीर ने कहा" आप नीचे जाइए मैं रेडी होकर आती हूं।


     
    "ठीक है तुम रेडी होकर नीचे आओ। अभिमन्यु ने इतना कहा" और फिर नीचे चला गया। हीर रेडी होकर नीचे आई। अभिमन्यु की नजर आई हुई। हीर पर पडी उसने उसे नीचे से ऊपर तक देखा। उसने आज सिंपल कपडा पहनी हुई थी। अपने बालों को पोनीटेल बनाया हुआ था। होठों पर Lip बाम उसमें भी वो बहुत खूबसूरत लग रही थी। दादी और अभिमन्यु तीनों हाल में बैठे हुए थे। बातें कर रहे थे।

     
     
    "फिर कुछ देर बाद नित्या ने चाय नाश्ता लाकार टेबल पर रख दिया। और वह लोग खाने लगे। थोडी देर बाद अभिमन्यु ने कहा" अच्छा अब मैं चलता हूं।

     
     
    "अरे तुम ऐसे कैसे जा सकते हो। मैंने तुमसे कहा था ना। तुम खाना खाकर जाओगे। दादी ने कहा"


     
    "क्या अब यह खाना भी खा कर जाएंगे। हीर ने कहा"

     
    "हीर बेटा ऐसा नहीं बोलते हैं। दादी ने उससे कहा"
     
     

    "कोई बात नहीं दादी फिर कभी पक्का खाऊंगा। अभिमन्यु ने कहा"
     


    "क्या कहा आपने दादी यह मेरी दादी है। आपकी नहीं हीर ने गुस्से में घूरते हुए कहा"
     

    "लेकिन आज से यह मेरी भी दादी है मैं भी इन्हें दादी बोल सकता हूं अभिमन्यु ने कहा"
     


    "नहीं यह मेरी दादी है सिर्फ मेरी है। मैं अपनी दादी को किसी को नहीं दूंगी। दादी आप बोल दो इन्हें आप मेरी दादी हो। और किसी की नहीं बोलो ना दादी हीर ने बच्चों की तरह जिद करते हुए कहा"
     


    "हां हां मैं तुम्हारी ही दादी हूं। हीर को ऐसे जिद करते देख अभिमन्यु को बडा प्यार आ रहा था। उस पर वो मुस्कुराए बिना रह नहीं सका।


     
    "अभिमन्यु ने दादी के पैर छुए और कहा" अच्छा दादी अब मैं चलता हूं। टाइम मिला तो दोबारा जरूर आऊंगा।


     
    "हीर ने अभिमन्यु की तरफ देखकर गुस्से में कहा" क्या कहा आपने फिर दोबारा आएंगे। यहां दोबारा आने की जरूरत नहीं है।

     
     
    "अब यह मेरी दादी है और मेरी दादी का घर है। तो आना जाना लगा ही रहेगा। इतना कहकर अभिमन्यु घर से बाहर चला गया। फिर थोडी देर बाद दिव्या जी घर आए। तो दादी ने उनसे पूछा।" दिव्या तुम्हे जाने से दो- तीन घंटे हो गए हैं। तुम कहां थी। हम कब हम कब से तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं।


     
    "मां आज मंदिर के बाहर एक छोटी बच्ची मुझे मिली थी। उसकी मां को चोट लगी थी। इसीलिए मैं उसे अस्पताल लेकर चली गई थी। इसलिए मुझे देर हो गई। आने में दिव्या जी ने कहा"

     
    शाम के वक्त.
     
     
    "अपने अभिमन्यु अपने चेयर से टेक लगाए बैठा हुआ था। और विवान फाइल Check कर रहा था। विवान ने कहा" अभि इस फाइल पर तेरे Sign चाहिए।
     


     
    "अभिमन्यु ने उसे कोई जवाब नहीं दिया। तो विवान ने उसे अपना sir उठा कर देखा। अभिमन्यु के चेहरे पर इस वक्त बहुत सुकून था। उसका चेहरा एक दम शांत था। और वह मुस्कुराते हुए हीर के बारे में सोच रहा था।
     
     


    "लगता है रांझा अपनी हीर के बारे में सोच रहा है। इसलिए अकेले- अकेले मुस्कुरा रहा है। क्या हुआ अभी सब ठीक तो है ना। तू हीर के घर पर गया था। कुछ बताया नहीं वहां क्या हुआ। विवान ने अभिमन्यु से पूछा।
     


     
    "फिर अभिमन्यु ने अपनी आंखें खोली और मुस्कुराते हुए कहा सब ठीक है विवान हीर की तबीयत अब पहले से ठीक है बस थोडी वीक है कुछ दिनों में ठीक हो जाएगी मैंने उसे Sorry कहा अब वह मुझसे नाराज नहीं है।
     


     
    "वह तो मैं तुझे देखते समझ गया था। सब ठीक है। चलो अच्छा हुआ। जो तू हीर के घर पर चला गया। नहीं तो मैं बेवजह रोक रहा था। तुझे विवान ने कहा"
     
     
    "मैं अब उसकी आंखों में एक भी आंसू नहीं आने दूंगा। हीर मेरे लिए बहुत खास है। लेकिन एक बात तो खास है। उसमें बोलती कितना है। यार सामने वाले को भी चुप करा देती है। बीमार है लेकिन फिर भी बहुत बोल रही थी
    मैं बहुत देर से उसके पास बैठा था। उसके बकबक सुन रहा था। उसने तो अपनी दादी को सब बता दिया। मेरे बारे में एकदम बच्चों की तरह शिकायत करती है। पर जैसी भी हो। वो अब मेरी है। अभिमन्यु ने खोए हुए अंदाज में कहा" उसके चेहरे पर अब एक सुकून था। ऐसे ही ऐसे ही चार- पांच दिन बीत जाते हैं।


     
    रात के वक्त...,


     
    "अभिमन्यु अपने बेडरूम में बैठकर अपने मोबाइल में मेल Check कर रहा था। आज ऑफिस में उसका काम करने का बिल्कुल भी मन नहीं कर रहा था। इसलिए वह घर जल्दी आ गया था। उसे चार- पांच दिन से हीर की बहुत याद आ रही थी। अब बस इंतजार नहीं होता। हीर मन तो ऐसा कर रहा है। अभी तुम्हारे घर आ जाऊ। तुमसे मिलने के लिए. तुम्हे बिना देखे मुझे रात में नींद नहीं आता। यह चार- पांच दिन बहुत मुश्किल से मैंने निकाला है। अब जब तक तुम्हें देख नहीं लूंगा। तब तक मुझे चैन नहीं मिलेगा। तुम्हें तो अंदाजा भी नहीं है। हीर मैं तुमसे कितना प्यार करता हूं। तुम अब पहले से ठीक हो चुकी हो।

     
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    हमारे हीरो की बेकरारी दिन पर दिन बढती जा रही है। जानने के लिए अगला भाग जरुर सुनिएगा लाइक और कमेंट जरुर करेगा आपको हमारी कहानी कैसी लगी
     
     

  • 17. 💞तेरे प्यार में दीवाना💞 - Chapter 17

    Words: 1185

    Estimated Reading Time: 8 min

    सुबह के वक्त.


     
    "अभिमन्यु अपने बेडरूम में रेडी हो रहा था। वो बार- बार घडी की तरफ देख रहा था। उसे आज काफी जल्दी थी। ऑफिस जाने की. उसने अपने बालों को अच्छे से सेट किया फिर अपने ब्रांडेड वॉच को अपने हाथों पर पहने जल्दी से Room से बाहर निकल गया।



     
    "अभिमन्यु बाहर ही जा रहा था। की तभी नयनतारा जी ने पीछे से आवाज लगाया। अभी बेटा नाश्ता तो कर लो तुम ऐसे जा रहे हो।


     
    "नहीं छोटी मम्मा ऑफिस में खा लूंगा। अभी मुझे जल्दी जाना है। अभिमन्यु ने जाते हुए कहा"


     
    "यह इसे क्या हुआ। आज इतनी जल्दी ऑफिस जा रहा है। दादी ने कहा"


     
    "कुछ नहीं मां शायद किसी से मिलने की कुछ ज्यादा ही जल्दी है। इसे प्रतीक जी ने मुस्कुराते हुए कहा"


     
    "फिर थोडी देर में वह ऑफिस के पार्किंग एरिया में अपनी कार लगाकर ऑफिस के अंदर चला गया। थोडी देर बाद अभिमन्यु अपने केबिन में बैठे हुए विवान का इंतजार कर रहा था। तभी विवान के केविन में आया। तो अभिमन्यु ने उससे कहा" मैं कब से तेरा वेट कर रहा हूं। तू अब आ रहा है। मैंने तुझे सुबह Call करके बताया था। आज ऑफिस हम जल्दी आएंगे।


     
    "अरे यार पैतालीस मिनट ही तो लेट आया हूं। अब इतना भी क्या गुस्सा कर रहा है। विवान ने चेयर पर बैठते हुए कहा"


     
    "देख विवान में गुस्सा नहीं कर रहा हूं। तुझे पता है ना आज से हीर ऑफिस फिर से ज्वाइन कर रही है। अभिमन्यु ने कहा"


     
    "अरे यार तू तो ऐसे बोल रहा है। जैसे कोई सरप्राइस प्लान किया हो। उसके लिए विवान ने कहा"


     
    "कितना टाइम हो गया। अभी तक हीर नही आई अब तक तो उसे आ जाना चाहिए था। अभिमन्यु ने उदास होते हुए कहा"


     
    "अरे यार तू बिना अभी तो नौ: तीस ही हुआ है। शायद रास्ते में होगी आ जाएगी। तू Tension मत ले विवान ने कहा"


     
    तभी केबिन का Door ओपन हुआ। और प्रतीक जी अंदर आए और उन्होंने कहा" क्या बात है। अभी तुम इतना बेचैन हो रहे हो। आज नाश्ता भी नहीं किया ऐसे ही ऑफिस आ गए। मुझे लगता है। कि मां को तेरे बारे में बताना पडेगा। कि उनके पोते को एक खूबसूरत सी लडकी से प्यार हो गया है। और जल्दी से तेरी शादी करवानी पडेगी। नहीं तो तू ऐसे ही बिना खाए पिए घूमता रहेगा।


     
    "नहीं चाचू ऐसी बात नहीं है। एक्चुअली हीर आज बहुत दिनों बाद ऑफिस आ रही है। तो बस इसीलिए मैं थोडा एक्साइड हूं। अभिमन्यु ने थोडा धीरे से कहा"

     
     

    "वो क्या है ना चाचू रांझे का अपनी हीर के बिना दिल ही नहीं लगता है। बेचारा उतावला हो रहा है। अपनी हीर से मिलने के लिए... विवान ने अभिमन्यु को छेडते हुए कहा"


     
    "तू कुछ ज्यादा नहीं बोल रहा है। विवान वैसे तू भी तो निशा का वेट कर रहा है ना। अभिमन्यु ने उसे टोन मारते हुए कहा"


     
    तभी केबिन का Door ओपन हुआ। और हीर अंदर आई। उसने Good Morning विश किया Good Morning प्रतीक sir Good Morning विवान sir



    "अभिमन्यु ने उसे एक नजर अच्छे से देखा। और अपने मन में कहां तुम मुझे विश नहीं करोगी। यह तो मुझे पता है लेकिन मुझे बुरा लगा तुम सबको विश कर सकती हूं। सिवाय मेरे जहां एक थोडी देर पहले अभिमन्यु के चेहरे पर खुशी थी। तो वहीं अब उसके चेहरे पर साफ पता चल रहा था। उसे कितना बुरा लगा है। फिर उसने अपना sir झटका और हीर से कहा" अब तुम्हारी तबीयत कैसी है।


     
    "हीर ने अपना sir हां में हिलाया और कहा। अब मैं ठीक हूं।
     

    "ठीक है जाओ अब तुम अपना काम करो। अभिमन्यु ने उसे कहा" तो हीर वहा से चली गई।


     
    "अभी तू कुछ परेशान लग रहा है। सब ठीक तो है ना विवान ने पूछा।"

     
    "क्या खाक ठीक है एक तो इतने दिनों बाद ऑफिस आई है। कुछ भी नहीं कहा ना Hi ना हेलो Good Morning तो कभी बोलती ही नहीं है। मुझे जैसे मैं इसका दुश्मन बैठा हुं। कम से कम मेरे बारे में पूछ लेती। मैं कैसा हूं अच्छा खासा मूड खराब कर दिया। इस लडकी ने. एक दिन इस लडकी के प्यार में पागल हो जाऊंगा। अभिमन्यु ने उदास होते हुए कहा"
     
     

    "यार अभी तू प्लीज उदास मत हो देखना। सब ठीक हो जाएगा। देखना उस भी तुझे एक दिन प्यार हो जाएगा। विवान ने कहा"

     
    "और वह एक दिन कब आएगा। अभिमन्यु ने कहा"


     
    "अभी तुम ज्यादा रिएक्ट कर रहे हो। वैसे मेरे पास एक आईडिया है। तुम तो जानते हो मैं और नयनतारा फर्स्ट टाइम Collage में मिले थे। तभी से मैं उसे पसंद करता था। मैंने भी बहुत कुछ किया हैं। उसको मनाने के लिए तुम ऐसा करो। आज शाम को हीर को कोई अच्छी जगह पर घूमने लेकर जाओ। प्रतीक जी ने कहा"

     
     
    "अच्छा आपको लगता है मैं बोलूंगा। और वह मेरे साथ चलने के लिए तैयार हो जाएगी। अभिमन्यु ने कहा"


     
    "एक काम करते हैं। अभी तु हीर और मैं निशा हम चारों ही चलते हैं। कहीं घूमने के लिए विवान ने मुस्कुराते हुए कहा"


     
    "अबे साले तेरी वाली इतनी आसानी से मान गई। तो तू क्यों जा रहा है। हमें जाने देना मैं तुम दोनों के बीच नहीं आया। तू क्यों आ रहा है। हम दोनों के और वैसे भी मुझे हीर के साथ अकेले जाना है। अभिमन्यु ने चिढते हुए कहा"

     
     
    "अरे यार तू समझ नहीं रहा है। अगर तुम दोनों गए। तो हीर फिर से तुझे गलत समझेगी। और ऐसे भी पता नहीं क्या क्या सोचती है। तेरे बारे में विवान ने उसे समझते हुए कहा"


     
    "अच्छा चल ठीक है। टेबल बुक कर लेना। अभिमन्यु ने उससे कहा. हु। विवान ने हां मैं sir हिलाया।


     
    शाम के वक्त.


     
    "अभिमन्यु और विवान दोनों रेस्टोरेंट में बैठे हुए थे। विवान अभी तक यह दोनों नहीं आई। फोन करके पूछ कहां है अभिमन्यु ने कहा"


     
    "अरे यार अभी थोडी देर पहले मैंने निशा को Call किया था। उसने कहा था। वह घर से निकल गइ है। तु थोडा सब्र रख।


     
    "फिर थोडी देर हीर और निशा आ गई। अभिमन्यु को ऐसे बैठे- बैठे बहुत गुस्सा आ रहा था। लेकिन जब उसने हीर को देखा। तो उसका गुस्सा छूमंतर हो गया।


     
    "अभिमन्यु हीर को ऊपर से नीचे तक देखा। तो बस देखता ही रह गया। हीर ने आज रेड Color का लॉन्ग फ्रॉक पहनी हुई थी। रेड Color की लिपस्टिक और बालों को खुला रखा। और बालों के एक साइड हेयर स्टाइल पिन लगाया था। जिसमें वह बहुत खूबसूरत लग रही थी।


     
    "तो वहीं दूसरी तरफ विवान का भी हाल कुछ ऐसा ही था। निशा ब्लैक Color के ड्रेस में बहुत खूबसूरत लग रही थी। वैसे तो निशा भी बहुत खूबसूरत थी। लेकिन हीर ज्यादा खूबसूरत थी।


     
    तभी अभिमन्यु अपने सेंस में आया। और कहा" हम दोनों कब से वेट कर रहे हैं। तुम दोनों का.
     


    तभी हीर ने कहा" वैसे आप हमारा वेट क्यों कर रहे थे। और हमें यहां क्यों बुलाया है।


     
    "बस ऐसे हीर मेरा मन हो रहा था। बाहर डिनर करने का तो मैंने इसीलिए बुला लिया अच्छा चलो बताओ। क्या खाओगी। तुम दोनों विवान ने जवाब दिया।


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    जानने के लिए अगला भाग जरुर सुनिएगा लाइक और कमेंट जरुर करेगा आपको हमारी कहानी कैसी लगी.

  • 18. 💞तेरे प्यार में दीवाना💞 - Chapter 18

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 19. 💞तेरे प्यार में दीवाना💞 - Chapter 19

    Words: 1214

    Estimated Reading Time: 8 min

    "अच्छा बताओ तुम दोनों क्या खाओगी। क्या आर्डर करूं तुम दोनों के लिए हमने तो अपने हिसाब से आर्डर कर दिया है। अगर तुम दोनों को कुछ और भी खाना है। तो बताओ विवान ने कहा" तभी वहां पर वेटर खाना लेकर आ गया।



     
    "इतना सारा खाना देखकर हीर का मुंह खुला का खुला रह गया। तो उसने कहा" यह इतना सारा खाना कौन खाएगा।
     


    "यह सब खाना हम लोग खाएगे। बस थोडा ही तो है। अभिमन्यु ने जवाब दिया।


     
    "यह आपको थोडा लग रहा है। आप दोनों सांड की तरह खाते होंगे। पर मैं इतना खाना नहीं खाती हु। और इतना स्पाइसी भी.


     
    "मुझे अगर कुछ खिलाना ही है। तो तीखे गोलगप्पे खट्टे मिठठे गोलगप्पे चटपटे वाले चाट और आइसक्रीम बस इसके अलावा मुझे और कुछ नहीं चाहिए। अब सभी लोग हीर को देख रहे थे।


     
    "हीर तुम यह सब नहीं खा सकती। नहीं तो तुम बीमार पड जाओगी। और फिर दादी मुझे पूछेगी। मैं उनके डांट नहीं सुनुगी। तुम्हारी वजह से बार- बार मुझे सुनना पडता है। और डिनर में यह सब कौन खाता है। निशा ने कहा"


     
    "क्या तुम यह सब खाओगी। हीर अभिमन्यु ने पूछा।"


     
    "तो हीर ने कहा" हां मुझे यही सब खाना है। नहीं तो मैं कुछ नहीं खाऊंगी। और वह भी सडक के किनारे लगे। ठेले में यह सब कुछ मिलता है। मैं वहीं से खाऊंगी। मुझे यहां का कुछ नहीं खाना हीर बच्चों की तरह बोल रही थी।


     
    "नहीं अभिमन्यु sir इसे बाहर का खाने मत दीजिएगा। यह यही सब खा कर तो बीमार पडती रहती है। लेकिन फिर भी इसके समझ में नहीं आता है। निशा ने कहा"


     
    "तुम मुझे सिर्फ अभिमन्यु बोल सकती हो। अभी हम ऑफिस में नहीं है। मैं सिर्फ ऑफिस में तुम्हारा बॉस हूं। ऑफिस के बाहर नहीं। अभिमन्यु ने निशा से कहा" तो निशा ने मुस्कुरा कर अपना sir हां में हिलाया।


     
    "और हां तुम्हारे लिए मैं सैंडविच मंगवा देता हूं। तुम वही खाओगी। अभिमन्यु ने हीर की तरफ देखते हुए कहा"


     
    "नहीं मैं तब कुछ भी नहीं खाऊंगी। हीर ने जिद करते हुए कहा"


     
    "हीर प्लीज बात को समझो। तुम बाहर का अनहेल्दी खाना नहीं खा सकती। तुम अभी- अभी ठीक हुई हो। फिर से भी बीमार पडना है। अभिमन्यु ने उसे समझाते हुए कहा" फिर अभिमन्यु ने सेंडबीच ऑडर कर दिया।


     
    "फिर थोडी देर में बेटर ने सैंडविच लाकर टेबल पर रख दिया ।अब सभी अपना- अपना खाना एंजॉय कर रहे थे। तो वहीं दूसरी तरफ हीर चुपचाप बैठी हुई थी।. हीर अपनी जलती हुई। आंखों से निशा को ही देख रही थी। फिर उसने निशा से कहा" सब तेरी वजह से हुआ है। निशा घर चल तुझे बताती हूं। फिर वह खाने लगी। तो वहीं दूसरी तरफ अभिमन्यु उसका रिएक्शन देखकर मुस्कुराने लगा।



     
    "हीर ने अभिमन्यु के हाथों में वाइन का गिलस देखा। तो कहने लगी यह क्या है। आप शराब भी पीते हो। अभिमन्यु को वाइन पीते हुए ठस्का लग गया। वैसे भी आपको देख कर लगता है। आप एक नंबर के घटिया इंसान हो।


     
    "यह शराब नहीं है यह वाइन है। तुम्हें भी पीना है। अभिमन्यु ने बाइन का एक Sip लेते हुए कहा"


     
    "नहीं नहीं मैं यह सब बेकार चीज नहीं पीती। हीर ने कहा"
     


    तभी विवान ने कहा" हीर छोडो ना यह सब इसकी तो आदत है। यह तो कुछ भी पिता है। तुम्हें तो पता भी नहीं है। इसने कैसा- कैसा शौक पाल रखा है। अभिमन्यु ने विवान को गुस्से से घूर कर देखा।


     
    "विवान और निशा एक दूसरे का हाथ पकडे हुए खाना खा रहे थे। तभी हीर ने दोनों को ऐसे देख लिया। हीर का हाथ खाना खाते खाता वही रुक गया। अब हीर दोनों को खो जाने वाली नजरों से घूर रही थी। दोनों को देख कर उसे कुछ समझ नहीं आया।


     
    तभी अभिमन्यु ने हीर को नोटिस किया। कि वह विवान और निशा को देख रही है। इस वक्त हीर के चेहरे पर गुस्सा साफ दिख रहा था।


     
    "अभिमन्यु को समझते देर नहीं लगी उसने मन में सोचा। अभी मेरी बडी बुराई कर रहा था ना। अब देख कैसे में हीर नाम का बोम तेरे उपर फोडता हूं। अब देख तुझसे कैसे बदले लेता हूं। मैं अभिमन्यु ने मुस्कुराते हुए हीर की तरफ देखा।


     
    "क्या हुआ तुम ठीक तो हो तुम कुछ खा क्यों नहीं रही हो। कुछ और चाहिए क्या तुम्हें.. अभिमन्यु ने कहा"


     
    "नहीं मैं ठीक हूं। वैसे यह दोनों ऐसे क्यों बैठे हैं। इसे देखकर तो ऐसा लग रहा रहा है। जैसे यह दोनों कोई और ही है दुनिया में है। हीर ने विवान और निशा की तरफ देखकर हल्के गुस्से में कहा"


     
    तभी अभिमन्यु ने मुस्कुराते हुए कहा" अब यह दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं। तो ऐसे ही बैठेंगे ना.


     
    "क्या यह कब हुआ। और आपको कैसे पता हीर ने चिल्लाते हुए कहा" और अभिमन्यु को गुस्से से घूरने लगी।


     
    "तुम मुझे ऐसे क्यों देख रही हो मुझे विवान ने कुछ नहीं बताया। वो तो मैं इन दोनों को देख कर समझ गया था। अभिमन्यु ने जवाब दिया.


     
    "आप इन दोनों को देख कर कैसे समझ गए। कि यह दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं। हीर ने हैरानी से पूछा।"


     
    "जब हम किसी से प्यार करते हैं ना। तो ऐसा ही रिएक्शन होता है। तुम नहीं समझोगी। जब तुम्हें किसी से सच्चा होगा ना। तब तुम्हारा भी यही हाल होगा। अभिमन्यु ने हीर की तरफ देखते हुए कहा"


     
    "छी कितनी गंदी बातें करते हो। आप और वैसे भी मुझे किसी से प्यार नहीं होने वाला। क्योंकि मैं अपनी दादी और मां से प्यार करती हूं। हीर ने कहा"


     
    "हीर की बातें सुनकर अभिमन्यु उदास हो गया। फिर वह अपने मन में सोचने लगा। नहीं हीर ऐसा नहीं हो सकता। जब मुझे तुमसे सच्चा प्यार है। तो तुम्हें भी मुझसे एक न एक दिन सच्चा प्यार होगा। यह मुझे विश्वास है।


     
    तभी हीर ने जोर से कहा" क्या कर रहे हो। तुम दोनों हम पागल बैठे हैं। यहां क्या और निशा तू. तूने मुझसे इतनी बडी बात छुपाई। तू तो मेरी सच्ची दोस्त है ना। फिर तूने मुझे क्यों नहीं बताया।


     
    "निशा और विवान अपने ख्यालों में खोए हुए थे। वह अपने ख्यालों से बाहर आए। तो हीर उन पर चिल्ला रही थी। उन्हें तो कुछ समझ में नहीं आया। फिर विवान ने अभिमन्यु की तरफ अभिमन्यु के कान में धीरे से कहा" यार अभी इसे क्या हुआ यह इतना चिल्ला क्यों रही है। मेरे तो कुछ समझ से बाहर है।


     
    "देख नहीं रहा है क्या आग का गोला बने घूम रही है। अब ऐसे तुम दोनों उसके सामने बैठोगे। तो वह तो ऐसे चिल्लाएगी ना। अभिमन्यु ने कहा"


     
    "मतलब मैं कुछ समझा नहीं तू कहना क्या चाहता है। विवान ने पूछा।"


     
    "तू खुद ही पूछ ले उससे अब मैं क्या बताऊं। अभिमन्यु ने जवाब दिया.


     
    "हीर क्या हुआ। तू ऐसे भडक क्यों रही है। निशा ने पूछा।"


     
    "मैं सब जान चुकी हूं। निशा इसलिए मुझसे छुपाने की कोशिश भी मत करना। तुझे क्या लगा मुझे कुछ पता नहीं चलेगा। मुझे सब पता चल चुका है। कि तुम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हो। अब मैं तुम दोनों के मुंह से सुनना चाहती हु। हीर ने निशा की तरफ देखकर कहा"


     
    "विवान चुपचाप खडा वहां हीर की बातें सुन रहा था। उसने अभिमन्यु की तरफ देखा। जो चुपचाप वाइन पी रहा था। और विवान के मजे ले रहा था।


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    फ्रेंड्स आगे की कहानी जानने के लिए नेक्स्ट चैप्टर जरूर सुनेगा
     

  • 20. 💞तेरे प्यार में दीवाना💞 - Chapter 20

    Words: 1064

    Estimated Reading Time: 7 min

    "इसलिए तुम्हें बुरा मानने की कोई जरूरत नहीं है। विवान ने पीछे से कहा"


     
    "अगर उसे खुशी ने मुझसे दोबारा पंगा लिया ना। तो मैं सच बता रही हूं। मैं उसे इस बार नहीं छोडूगी। वाशिंग मशीन में डालकर उसे धो डालूंगी। हीर ने गुस्से से कहा"


     
    "हां हीर मैंने उसे तुम्हारे बारे में ऐसा कुछ नहीं कहा है। वह गलत सोच रही है खुशी मेरी Girlfriend थी। मैंने उससे ब्रेकअप कर लिया है। शायद इसीलिए उसे लगा हो। कि तुम मेरी नई Girlfriend हो इसीलिए मैंने उसे छोड दिया है। इसलिए वह तुम्हें सुना रही थी। पर तुम उसकी बातों का बुरा मत मानो। अभिमन्यु ने कहा"
     


    "अच्छा हुआ जो आपने उसे घमंडी से ब्रेकअप कर लिया। वैसे भी वह आपके लायक नहीं है। अगर आपकी शादी उस चुडैल से हो जाती। तो सबसे ज्यादा दुख मुझे होता। मैं तो यही कहती हे भगवान मेरे अभिमन्यु sir की किस्मत फूट गई। जो उन्हें ऐसी लडकी मिली है। हीर अपने ही धुन में बोले जा रही थी। तो वहीं विवान और निशा उसकी बातें सुनकर हंस रहे थे। तो वहीं दूसरी तरफ अभिमन्यु उसे मुस्कुराए हुए देख रहा था।
     


    "उसने अपने मन में सोचा सही कहा" तुमने हीर वो मेरे लायक नहीं थी। क्योंकि मेरे लायक सिर्फ तुम हो। हम दोनों की जोडी रब ने बनाई है। जब दिल मिल गया है। तो एक न एक दिन हम दोनों भी एक हो जाएंगे।
     


    "सच में तुम्हारी यही अदाओं पर तो मुझे प्यार आता है। क्योंकि तुम बहुत मासूम हो। अच्छा चलो में तुम दोनो को ड्रॉप कर देता हूं। अभिमन्यु ने कहा"
     


    "अभिमन्यु ड्राइविंग सीट पर बैठ गया। विवान फ्रंट सीट पर बैठ गया। और दोनो हीर और निशा पीछे सीट पर बैठ गई। और सभी बहा से निकल गए। थोडी देर में दोनों को उस के घर पर छोडा और वो दोनो बहा से निकल गए।
     


    अगले दिन.


     
    "अभिमन्यु और विवान एक जरूर Meeting घर से निकल गए। थोडी देर बाद सभी लोग Meeting Room में बैठ कर किसी बात पर डिस्कस कर रहे थे। आप ऐसा कैसे कह सकते हैं। की आप इस project को केंसिल कैसे करें सकते है। विवान ने कहा"
     


    "इस वक्त अभिमन्यु चुप बैठा था। उसके हाथ में एक फाइल थी। तभी अभिमन्यु ने एक फाइल को डेस्क पर पटकते हुए कहा"
     


    "देखिए Mister सेहगल हमारी डील पहले ही हो चुकी थी। अब हम बिजनेस पार्टनर है। आप ऐसे मुकर नही सकते में आप को किसी और के साथ डील नहीं करने दूंगा। अभिमन्यु इस वक्त काफी गुस्से में था। काफी देर डिस्कसन चला रहा था।


     
    "फिर अभिमन्यु Meeting Room से बाहर निकल गया। उसके पीछे विवान भी निकल गया। अभिमन्यु गुस्से से अपनी कार में आकर बैठ गया। विवान भी फ्रंट सीट पर आकर बैठ गया।
     

    "वो सेहगल ऐसा कैसे कर सकता है। उसको में किसी और के साथ बिजनस करने लायक नहीं छोडूंगा। अभिमन्यु ने गुस्से में कहा"


     
    "अभी यार छोड जाने दे चल घर चलते है। वैसे भी काफी टाइम हो गया है। विवान ने कहा". फिर दोनो घर के लिए निकल गए।
     

    राठौड मेंशन.

     
    रात के वक्त. टेरिस पर अभिमन्यु विवान और प्रतीक जी तीनों बैठ कर बाते कर रहे थे। तो बही अभिमन्यु के हाथ में वाइन का गिलास था। उसने एक Sip लेते हुए कहा". चाचू आप को नहीं पता उस वक्त मुझे उस सेहगल पर इतना गुस्सा आ रहा था। आखिर वो ऐसा कैसे कर सकता है।
     


    "अभि तुम पहले शांत हो जाओ और ठंडे दिमाग से सोचो। तुम अपने तरीके से हैंडल करो। जैसा तुम्हे ठीक लगे चाहे जो हो जाए। ये project कैंसिल नही होना चाहिए। प्रतिक जी ने कहा तभी रॉनी भी बहा पर आ गया।


     
    "कुछ पता चला उस सेहगल ने ऐसा क्यों किया। विवान ने पूछा।"


    "हां उस सेहगल एक बडी पार्टी से हाथ मिलाया है। लेकिन रोनी ने कहा. लेकिन क्या प्रतिक जी ने पूछा।


     
    "उसके बारे में कोई जानता नहीं है। आज तक किसी ने उसे नहीं देखा। ज्यादा कुछ पता नहीं चला इसके बारे में रोनी ने कहा"


     
    "अच्छा तुम लोग बैठ के बाते करो मुझे तो बडी जोर की नींद आ रही है। में तो चला सोने के लिए। प्रतिक जी ने कहा" और वहा से चले गए।


     
    "क्या हुआ अभी तू क्या सोच रहा है। विवान ने कहा"


     
    "में सब जानता हूं इस शख्स के बारे में यह है। बलवंत रायचंद का बेटा सौरभ रायचंद अभिमन्यु ने कहा"
     


    "क्या. पर तुझे ये सब कैसे पता। विवान ने हैरानी से पूछा।"


     
    "में बलवंत रायचंद को बहुत अच्छे जानता हूं। लेकिन उसके बेटे सौरभ को में नहीं जानता। और न ही वो मुझे जानता है। अभिमन्यु ने कहा"

     
    "लेकिन तू इन्हे कैसे जानता है। रोनी ने पूछा।"


     
    "डैड के बिजनस पार्टनर रह चुके हैं। इन्हीं लोगों के वजह से ये सब हुआ है। और उसके किए की सजा उसे मिल चुकी है कही ऐसा तो नहीं ये अपने बाप की मौत का बदला लेने आया है। रोनी ने कहा"

     
    "जो भी हो मुझे उससे कोई फर्क नही पडता। वो मेरा कुछ नहीं बिगाड पाएगा। अभिमन्यु ने कहा" अब तीनों वाइन पी रहे थे।


     
    "वैसे विवान मैने सुना है। तू शादी करने वाले हैं। रोनी ने पूछा।",
     

    "क्यू. नही करू तू कुबारा मरेगा। इसका ये मतलब नहीं कि मैं भी कुबांरा मरू। विवान ने कहा"


     
    "तो रोनी का मुंह लटक गया। नहीं मेने ऐसा कब कहा" बल्कि में तो बहुत खुश हूं। रोनी ने कहा"

     
    अगले दिन.

     
    "अभिमन्यु अपने चेयर से टेक लगाए बैठा हुआ था। वह एक गहरी सोच में था। उसको देखकर ऐसा लग रहा था। जिसे वो कुछ सोच रहा हो। तभी उसका फोन रिंग करने लगा। उसने Call पिक किया वह बातें ही कर रहा था। कि. तभी हीर अंदर आई। वह अभिमन्यु के सामने आकर खडी हो गई।


     
    "sir यह रही आपकी इंपॉर्टेंट फाइल हीर ने कहा"  अभिमन्यु ने Call cut किया। और उसने अपनी नजर जब हीर की तरफ उठा कर देखा। तो वो सांस लेना ही भूल गया।
     


    "सामने हीर अपना हाथ पीछे क्रॉस किए हुए खडी थी। अभिमन्यु उसे एकतक देख रहा था। हीर ने आज ब्लैक जींस व्हाइट शर्ट व्हाइट शूज और वालों को पोनीटेल किया हुआ था। होठों पर पिंक लिपस्टिक आंखों में काजल जिसमें बहुत खूबसूरत लग रही थी। हर बार कि तरह इस बार भी हीर को देखकर अभिमन्यु कि हालत खराब हो गई।


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    हीर हर बार अभिमन्यु का जीना दुश्वार कर देती है जानने के लिए अगला भाग जरूर सुनिएगा लाइक और कमेंट जरुर करिएगा आपको हमारी कहानी कैसी लगी.