ये कहानी है अंजू और सार्थक की जिनका रिश्ता जुड़ता है कॉन्ट्रैक्ट से जहां अंजू अपने साथ हुए धोखे के कारण इस रिश्ते में बंधती है तो सार्थक अपने प्यार के लिए। क्या होगा इनके इस रिश्ते का अंजाम ये आपको कहानी पढ़ने पर पता चलेगा। 💫 "उसके लिए ये रिश... ये कहानी है अंजू और सार्थक की जिनका रिश्ता जुड़ता है कॉन्ट्रैक्ट से जहां अंजू अपने साथ हुए धोखे के कारण इस रिश्ते में बंधती है तो सार्थक अपने प्यार के लिए। क्या होगा इनके इस रिश्ते का अंजाम ये आपको कहानी पढ़ने पर पता चलेगा। 💫 "उसके लिए ये रिश्ता एक कागज़ी समझौता था, पर मेरे लिए ये ज़िन्दगी की सबसे हसीन सौगात थी। वो हर दिन दूर जाने की कोशिश करती रही, और मैं हर लम्हा उसे अपना बनाने का सब्र करता रहा।" ❤️ "वो कहती है ये रिश्ता बस समय की कैद है, पर मेरे लिए ये उसकी यादों का सुकून है। वो जितना इंकार करती है, उतना ही मेरा दिल उसे अपना मान लेता है।"
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"अंजू ये गलत है, तु ये पागलपन मत कर! एक बार घर में बात कर के तो देख।" उस लड़के ने उसे समझाना चाहा।
"नितिन! अगर तुझे मेरा साथ देना है तो दे! वरना तु जा सकता है।" अंजू ने अपने कपड़े एक बैग में डालते हुए कहा।
"अरे यार! पर भाग के शादी करना कहां तक सहीं है?" नितिन ने खींचते हुए कहा।
"तो क्या करूं! घर पर बताऊंगी तो सब खत्म हो जाएगा। मैने बहुत सोच समझ कर ये कदम उठाया है। अब चल।" अंजू ने अपना बैग उठाते हुए नितिन से कहा।
"ठीक है।" नितिन ने कहा और उसका बैग ले लिया।
"मम्मा पापा आते होंगे। जल्दी चल।" कहते हुए अंजू नितिन के साथ बाहर आई और डोर लॉक कर के चाभी उसने वहीं नीचे बिछे पैरदान के नीचे रख दिया।
नितिन की बाइक में बैठ कर अंजू वहां से चली गई।
सुबह के ग्यारह बज रहे थे।
कुछ देर बाद नितिन ने अपनी बाइक एक मंदिर के सामने रोकी। अंजू अपना सामान लेकर नीचे उतरी। नितिन भी उसके साथ ही था।
अंजू मंदिर के पीछे बने छोटे से घर में चली गई। वहीं से एक पंडित निकल कर नितिन के पास आए और वो दोनों शादी की तैयारियों में लग गए।
कुछ देर बाद अंजू शादी के जोड़े में बिल्कुल दुल्हन सी सजी घर से बाहर आई। उसे देख नितिन मुस्कुरा दिया।
(अंजू एक मिडिल क्लास लड़की थी। सांवली सी रंगत वाली उस लड़की के चेहरे पर गजब का आकर्षण था। कॉलेज के लास्ट के दिनों में वो सबसे दूर रहती थी। किसी से ज्यादा बात करना उसे पसंद नहीं था। पर आखिर में कॉलेज के दिनों में ही उसे साहिल से प्यार हो गया। वो उसी से शादी के लिए घर से भाग आई थी। क्योंकि साहिल के घर वालो ने साहिल की शादी कहीं और तय कर दी थी। अंजू की फैमिली में उसके पापा मम्मी और एक छोटी बहन थी। उसके पापा एक ईमानदार कांस्टेबल और माँ हाऊस वाइफ थी। उसकी बहन अभी स्टडी कर रही थी। नितिन अंजू का पड़ोसी और दोस्त दोनों था।)
लाल जोड़े में अंजू बेहद खूबसूरत लग रही थी। गले में सिंपल सा हार हाथों में चूड़ियां। माथे में मांग टीका और छोटी सी बिंदी। सिंपल से मेकअप में भी वो बेहद खूबसूरत लग रही थी।
अंजू वहां आई और उनके साथ उनका हाथ बटाने लगी। पर नितिन ने उसे रोक दिया और वहां दूल्हा दुल्हन वाली जगह में उसे बिठाते हुए बोला। "तु बस यहां बैठ कर अपने दूल्हे का वेट कर समझी।"
अंजू बस मुस्कुरा कर रह गई।
काफी समय हो चुका था। पर साहिल का कोई अता पता नहीं।
"ये साहिल कहां रह गया?" नितिन ने नाराजगी से कहा।
"किसी काम से फस गया होगा।" अंजू ने नितिन से ज्यादा खुद को तसल्ली दी। क्योंकि उसके चेहरे पर परेशानी साफ झलक रही थी।
साहिल का इंतजार करते करते अब तीन बज गए। तो नितिन ने अंजू को साहिल को कॉल करने के लिए कहा।
अंजू ने हां में सिर हिलाया और साहिल का नंबर डॉयल किया। रिंग जाती रही, जाती रही, जाती रही! पर सामने से कॉल रिसीव नहीं किया गया। अंजू ने दुबारा नंबर नंबर डॉयल किया। तो अब वही नंबर ऑफ आ रहा था। अब अंजू की परेशानी और ज्यादा बढ़ गई।
"क्या हुआ?" अंजू को परेशान देख नितिन ने उससे सवाल किया।
"फोन बंद है।" अंजू ने बेचारगी से कहा।
"मुझे तो ये लड़का पहले से ही पसंद नहीं था। अब उसकी हरकतें भी ऐसी हैं।" नितिन खुद में ही नाराजगी से बड़बड़ाया।
"तुमने कुछ कहा?" अंजू ने नितिन की बात सुनी नहीं तो पूछ लिया।
"कुछ नहीं! तुम किसी और को कॉल करो जिसे साहिल के बारे में पता हो।" नितिन ने बात बदली तो अंजू ने हां कहा और अपने फोन में लग गई। पर दूसरा नंबर बिजी था। ऐसे ही शाम हो गई।
पंडित जी अब पूजा की तैयारी कर रहे थे। शाम हो चुकी थी और मंदिर में लोगो का आना शुरू हो चुका था। वो लोग एक साइड बैठे थे। कुछ लोग उन्हें ही देख रहे थे। अब अंजू के मन में भी डर बैठने लगा था। उसने आखिर में साहिल के दोस्त प्रेम को कॉल किया।
दो रिंग के बाद ही कॉल रिसीव हो गया।
"हैलो प्रेम!" कॉल रिसीव होते ही अंजू ने कहा।
"कौन?" सामने से प्रेम ने हैरानी से पूछा।
"मैं अंजू बोल रही हुं। साहिल कहां है, उसका नंबर बंद है।" अंजू ने पूछा तो सामने कुछ पल की शांति छा गई।
"प्रेम!" अंजू ने जैसे उसे होश में लाया।
"सॉरी भाभी! आई मिन अंजू! पर साहिल ने शादी कर ली है और आज नहीं! अभी उसके घर में ग्रैंड रिशेप्सन है।" सामने से प्रेम ने कहा तो अंजू के हाथ से उसका फोन छूटते छूटते बचा।
"य...... ये क्या बकवास कर रहे हो तुम! साहिल तो मुझसे शादी करने। वाला है।" अंजू ने गुस्से में प्रेम पर भड़कते हुए कहा।
"सॉरी टू से! बट अक्चूली में उसकी शादी हो चुकी है। वो भी उसकी बचपन की दोस्त रिया के साथ। यकीन ना हो तो खुद जा कर देख लो। उसके घर में अभी पार्टी चल रही है। सेलिब्रेशन कर रहा है साहिल। अपनी वाइफ के साथ।" प्रेम ने आखिर में थोड़ा चिढ़ाने वाले अंदाज में कहा और इससे पहले अंजू उससे कुछ कहती उसने कॉल एंड कर दिया।
अंजू तो जैसे अपनी जगह पर जम सी गई थी।
"क्या हुआ अंजू?" नितिन ने परेशान हो कर पूछा।
"वो साहिल.....! साहिल ने किसी और से शादी कर ली नितिन।" अंजू ने लगभग रुवासा हो कर कहा था।
"अंजू........!" नितिन चीखा। क्योंकि नितिन के कुछ कहने या समझने से पहले वो मंदिर की सीढ़ियों से होती हुई वहां से जा रही थी। नितिन भी उसे पुकारते हुए उसके पीछे गया।
एक ऑटो रुकवा कर अंजू उसपर बैठ गई। इससे पहले नितिन उस तक पहुंचता। ऑटो वहां से निकल चुका था।
परेशान सा नितिन इधर उधर ऑटो देखने लगा। कुछ देर बाद उसे एक ऑटो दिखा तो वो उसपर सवार हो कर वहां से निकल गया। कुछ देर सोचने के बाद आखिर उसे साहिल का एड्रेस याद आ ही गया। उसके अंदाजे से वो साहिल के घर ही गई होगी। सोचकर उसने ऑटो ड्राइवर को साहिल के घर का एड्रेस बता दिया।
बीच रास्ते में ही ऑटो खराब हो जाने की वजह से अंजू ऑटो से निकल कर रोड पर दौड़ने लगी। ये देख ऑटो वाले ने उसे अपने पैसे के लिए पुकारा। पर अंजू ने सुना ही नहीं। वो बस वहां से भागी जा रही थी।
To be continue:-
नितिन ने ऑटो रुकवाई। जिस ऑटो में अंजू बैठी थी। वो वहीं खड़ी थी। ये देख नितिन ऑटो के पास आया।
"सुनिए! जो लड़की ऑटो में बैठी थी वो कहां है?" नितिन ने ऑटो ड्राइवर से पूछा।
"वो लड़की! बहुत अजीब थी। ऑटो का किराया दिए बिना ही उधर भाग गई।" ऑटो ड्राइवर ने नाराज हो कर एक ओर इशारा करते हुए कहा तो नितिन ने उसे पैसे देते हुए कहा। "वो मेरी दोस्त है, और ये रहे उसके पैसे।"
ऑटो वाले ने पैसे ले लिए, तभी पीछे से नितिन के ऑटो का ड्राइवर आ कर उससे पैसे मांगने लगा। तो नितिन ने उसे भी पैसे दे दिए। वो ऑटो लेकर वहां से चला गया। नितिन अब ऑटो वाले की बताई दिशा की तरफ बढ़ गया।
"अंजू...... ! कहां हो यार?" कहते हुए नितिन ने अब दौड़ लगा दी। नितिन की नज़रें भी इधर उधर दौड़ रही थी।
"अब तो उस साहिल का घर भी आने वाला है, ये लड़की कहीं वहां पहुंच तो नहीं गई।" नितिन ने मन ही मन सोचा। जब उसकी नज़र साहिल के बंगले की तरफ भागती अंजू पर पड़ी।
"अंजू रुको यार!" नितिन ने उसे पुकारा। पर अंजू ने सुना ही नहीं वो वैसे ही भागती रही।
"प्लीज अंजू! एक बार मेरी बात तो सुनो।" नितिन ने उसके ना रुकने पर फिर से उसे पुकारा। पर वो अपना लहंगा संभाले और तेज़ी से भागने लगी।
अंजू अब साहिल के बंगले के सामने खड़ी थी। बेहद खूबसूरती से सजाया गया था आज बंगले को। मानों आज बेहद बड़ी पार्टी हो। अंजू का दिल बैठ गया।
अंजू ने अंदर जाने के लिए कदम बढ़ाया ही था की गार्ड्स ने उससे इन्विटेशन कार्ड मांगा। अंजू उन्हें साइड कर अंदर जाने लगी। तो गार्ड्स ने उसे रोक लिया। अंजू गार्ड्स पर भड़कने लगी थी। जब नितिन वहां पहुंचा।
गार्ड्स अंजू को धक्का दे कर बाहर करने लगे जब नितिन ने उन्हें रोका और उनसे भीड़ गया। वो दोनों गार्ड्स नितिन को संभालने लगे।
मौका देखते ही अंजू मेन गेट के अंदर चली गई।
बंगले के अंदर बहुत चहल पहल थी। पार्टी भी काफी शानदार थी। बहुत जाने माने लोग वहां आए हुए थे।
अंजू ने जैसे ही बंगले के अंदर कदम रखा। बहुत सी नजरें उसे अजीब तरह से घूरने लगी। पर अंजू ने सब को इग्नोर किया और अपनी नजरें घुमाते हुए वो किसी को ढूंढने लगी।
अगले ही पल सारी लाइट्स ऑफ हो गई और एक स्पॉट लाइट सीढ़ियों पर पड़ी। सीढ़ियों पर एक स्मार्ट सा लड़का एक ब्यूटीफुल लड़की का हाथ थामे सीढ़ियों से नीचे आ रहा था। उनके चेहरे की चमक उनकी खुशी बयान कर रही थी। वो दोनों जैसे ही नीचे आए। सारी लाइट्स एकाएक ऑन हो गई और उसी पल उस लड़के की नज़र सामने खड़ी लड़की पर पड़ी। वो लड़का कोई और नहीं बल्कि उसका प्यार उसका साहिल था। जो अब किसी और के साथ था।
अंजू की आँखें नम हो गई। पर सामने खड़े साहिल की आँखों में, ना तो पछतावा था और ना ही कोई अफसोस। ये देख कर अंजू का दिल तो डूब ही गया था। आंसु लुढ़क कर गालों पर बह आए। जब गेट पर खड़े गार्ड्स अंदर आए और अंजू को वहां से ले जाने लगे।
गार्ड्स को देखते ही साहिल ने उन्हें कुछ इशारा किया तो वो लोग अंजू को ले कर वहां से चल दिए।
साहिल पार्टी में सभी से मुस्कुरा कर मिल रहा था। उसने अपने साथ खड़ी लड़की की कमर को पकड़ा हुआ था। दोनों इस वक्त काफी क्लोज थे।
"मैं थोड़ी देर में आता हूं। तुम मेरा यहीं वेट करो।" साहिल ने उस लड़की के कान में धीरे से कहा तो उसने मुस्कुरा कर हामी भर दी।
साहिल तेज़ी से बंगले के बाहर निकला।
बाहर अंजू और नितिन खड़े थे। वो दोनों वहां से जाना चाहते थे। पर गार्ड्स ने उन्हें रोक रखा था।
"हे! तुम यहां क्या कर रही हो! वो भी ऐसे! कहीं तुमने भी तो शादी नहीं कर ली।" साहिल ने हद से ज्यादा मुस्कुराते हुए कहा।
"यू......!" कहते हुए नितिन आगे बढ़ा ही था की इतने में ही गार्ड्स ने उसे पकड़ लिया।
"अरे यार रिलेक्स ज्यादा हाइपर होने की जरूरत नहीं है, समझे! मुझे पता है, छोड़ी हुई चीज किसी को रखना नहीं पसंद। पर यार इसे तो खुद साहिल खुराना ने छोड़ा है। कोई तो बात होगी ना इसमें।" साहिल ने अंजू को देखते हुए मुस्कुरा कर कहा और अपनी आई विंक कर दी।
अंजू ने गुस्से में अपने दांत पीस लिए और आगे बढ़ कर उसने साहिल को थप्पड़ मार दिया। साहिल की आँखें पल में लाल हो गई उसने गुस्से में अंजू को उसके बालो से पकड़ कर अपने करीब कर लिया।
"एक बार तुमने मेरी इंसल्ट की थी। तो देखा ना मैने क्या किया। बार बार वही गलती करने की कोशिश मत करो समझी। अब निकलो यहां से।" इतना कह कर साहिल ने उसे वहीं धकेल दिया।
अंजू पीठ के बल नीचे गिर गई।
"अंजू....!" नितिन चीखा और गार्ड्स को धक्का दे कर वो अंजू के पास गया।
"सर....!" एक गार्ड ने साहिल से कुछ कहना चाहा पर साहिल ने उसे हाथ दिखा कर चुप करवा दिया।
"पागल इंसान! ये प्रेगनेंट है, तुम्हें इतना भी नहीं पता।" नितिन ने गुस्से में साहिल से कहा। अंजू अपना पेट पकड़े बैठ गई।
"आई नो वैरी वेल! इसलिए तो इसे धक्का दिया। ताकि ये पाप भी खत्म हो जाए। वरना कल को ये अपना बच्चा ले कर अपना हक मांगने आ जायेगी।" साहिल ने कहा तो अंजू उसे अपनी आंसु भरी आँखों से देखने लगी। उसे यकीन नहीं हो रहा था की साहिल इतना घटिया है।
"नितिन! प्लीज मुझे यहां से ले चलो।" अंजू ने रोते हुए नितिन से रिक्वेस्ट की। तो नितिन ने साहिल को घूरते हुए कहा। "तुम जैसा घटिया इंसान मैने आज तक नहीं देखा। अपने ही बच्चे को मारना चाहा है तुमने! एक बाप का सुख कभी नहीं भोग पाओगे।" नितिन ने गुस्से में कहा और अंजू को अपनी बाहों में उठा लिया।
अंजू ने अपना चेहरा नितिन के सीने में छुपा लिया। उसके आंसु रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। रह रह कर उसे अपने और साहिल के साथ में बिताए वो सारे हसीन पल याद आ रहे थे जो अब उसके लिए जहर के समान थे।
पीछे खड़ा साहिल उन्हें जाते हुए देखता रहा और व्यंग से मुस्कुरा दिया।
"सर....! बिग बॉस आ चुके हैं!" एक गार्ड ने डरते हुए कहा।
"व्हाट! बेवकूफ पहले बताना था ना।" कह कर साहिल ने उसे घूरा और तेज़ी से अंदर चला गया।
To be continue:-
पार्टी शुरू हुए अभी कुछ ही वक्त हुआ था। जब दरवाजे से एक शख्स ने एंट्री ली।
वहां मौजूद सारे लोग उसे ही देखने लगे।
साफ रंग, काले बाल जो सलीके से सेट थे। एक हाथ में महंगी घड़ी तो दूसरे हाथ में प्लेटिनम का बेहद सिंपल सा एंटीक ब्रेसलेट, भूरी आँखें और उनमें भरा उसका एटीट्यूड, चेहरे पर हल्की स्माइल वो भी एटीट्यूड से भरी हुई। उसकी पर्सनाल्टी वहां मौजूद लोगों से एकदम अलग थी।
काला सूट पहने वो शख्स पार्टी में सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किए हुए था।
वहां मौजूद लोगों को वो अनदेखा कर आगे बढ़ा। तभी रिया (साहिल की वाइफ) उसके सामने आ गई।
"हाय सार्थक! मुझे लगा नहीं था तुम आओगे!" रिया ने मुस्कुरा कर कहा।
"आना तो था ही! आखिर मेरे भाई की शादी की पार्टी है।" सार्थक ने हल्की सी स्माइल के साथ कहा।
"थैंक यू ब्रो! जो आप मेरे बुलाने पर आ गए।" साहिल ने सार्थक के गले लगते हुए कहा।
"पर मैं यहां ज्यादा देर नहीं रुकने वाला!" सार्थक ने कहा और साहिल को खुद से दूर कर दिया।
"क्या ब्रो!" साहिल ने मुंह बनाया। पर सार्थक ने उसे पूरी तरह से नजर अंदाज कर दिया और दूसरी तरफ चला गया। जहां शांति हो। उसे अकेले रहना ज्यादा पसंद था।
"तुम्हारा भाई मुझे जरा भी नहीं पसंद!" रिया ने सार्थक को घूरते हुए साहिल से कहा।
"धीरे बोलो! वरना तुम और मैं सड़क पर नज़र आयेंगे।" साहिल ने भी सार्थक को घूरते हुए धीमे आवाज में कहा।
"तुम सार्थक से इतना डरते क्यों हो?" रिया ने कहा। पर इससे पहले साहिल कुछ कहता। उनसे मेहमान मिलने आने लगे और उन्हें बधाई देने लगे।
साहिल और रिया सभी से मुस्कुरा कर मिल रहे थे। वहीं एक साइड खड़ा सार्थक उन्हें ही देख रहा था। उसके दोनों हाथ पॉकेट में थे। कुछ बिजनेस मैन उससे मिलना चाहते थे। पर उसका असिस्टेंट किसी को भी उसके पास जाने ही नहीं दे रहा था।
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ऑटो में बैठी अंजू के आंसु थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे। नितिन लगातार उसे चुप करवाने की कोशिश कर रहा था। पर वो चुप ही नहीं हो रही थी।
ऑटो रुका तो अंजू ने बाहर देखते हुए नितिन से कहा।
"हम कहां है?"
"यहां मेरे दोस्त का फ्लैट है, जो खाली है! मैने उससे बात कर ली है, तुम यहां रह सकती हो। तुम्हारे बारे में अब तक तुम्हारे घर वालो को पता चल चुका होगा तो तुम वहां नहीं जा सकती।"
नितिन ने कहा तो अंजू और ज्यादा मायूस हो गई। दोनों ऑटो से बाहर आए। नितिन ने ऑटो का किराया दिया। उसके तुरंत बाद ही ऑटो वहां से निकल गया।
अंजू की आँखों से बरबस ही थमे हुए आंसु फिर बहने लगे।
"अब मैं क्या करूंगी नितिन! सब खत्म हो गया! सब कुछ.....! सारा कसूर मेरा है! मैने उस पर आँख बंद कर के भरोसा किया था नितिन! तुम जानते हो! जब मैंने उसे कहा कि मैं प्रेगनेंट हुं। तो एक पीएल के लिए उसके चेहरे का रंग ही उड़ गया था। पर अगले ही पल वो ऐसे बिहेव करने लगा जैसे वो बहुत खुश है और उसने मुझसे तभी प्रॉमिस भी किया की वो आज के ही दिन मुझसे शादी करेगा। क्योंकि आज पूरे एक साल होने वाले थे हमें रिलेशन में आए! पर उसने तो आज ही सब खत्म कर दिया। सब कुछ.......।" अंजू कहते कहते वहीं घुटने के बल बैठ गई।
नितिन ने जल्दी से अंजू को संभाला और उसे फ्लैट के अंदर ले गया। उसने खाने का ऑर्डर कर दिया था। जो कुछ देर में आ भी गया था।
नितिन फ्लैट के एक कमरे को साफ कर रहा था ताकि अंजू यहां आराम से रहे! तो वहीं अंजू सोफे पर बैठी एकटक सामने दीवार को घूर रही थी।
कुछ देर बाद नितिन अंजू के पास आ कर बोला।
"बस अब बहुत हुआ! ये सब छोड़ो और खाना खा कर आराम करो। तुम बहुत थक गई हो।" नितिन ने उसे उठाते हुए कहा।
"तुम खा लो! मेरा मन नहीं है।" अंजू ने अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा और रूम में चली गई। नितिन उसे देखता ही रह गया। उसे साहिल पर बेहद गुस्सा आ रहा था।
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पार्टी लगभग खत्म हो चुकी थी सार्थक भी वहां से जा चुका था। साहिल रिया के साथ अपने रूम में था।
रिया का मुड़ थोड़ा खराब था। क्योंकि उनकी पार्टी का सारा अटेंशन तो सार्थक ही ले गया था।
साहिल रिया के पास आया और उसके हाथ पर अपना हाथ रखा तो रिया ने उसका हाथ गुस्से में झटकते हुए कहा। "तुम जैसा डरपोक इंसान मैने लाइफ में कभी नहीं देखा। मुझसे बात करने की कोशिश भी मत करना। हमेशा उस सार्थक के नीचे रहते हो! उसके भाई हो या नौकर! जो उसके आगे तुम्हारी कोई वेल्यू ही नहीं।"
रिया की बात सुनकर साहिल को गुस्सा आ गया।
"बस बहुत हुआ तुम्हारा! चुप हुं इसका मतलब ये नहीं की कुछ भी बकवास करोगी। अरे तुम अभी मुझे जानती ही कहां हो।"
कहते हुए उसने रिया के गालों को अपने एक हाथ से दबा दिया।
"क्या कहा डरपोक! मैं क्या हुं तुम्हें थोड़ी देर में पता चल जायेगा।" इतना कह कर साहिल ने रिया को बेड पर धकेल दिया।
रिया संभल ही नहीं पाई और बेड पर गिर गई।
"साहिल......!" रिया ने गुस्से में उसे देखा और उठने लगी। पर साहिल ने उसे फौरन वापस धक्का दे दिया और अब वो उसके ऊपर था।
"सोचा था आज की रात तुम्हारे साथ प्यार से पेश आऊं। पर शायद यही तुम्हारी किस्मत है।" साहिल ने मुस्कुरा कर कहा। पर उसकी मुस्कुराहट उतनी ही खतरनाक थी। जितना की वो खुद।
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सार्थक इतनी रात को अपने ऑफिस के केबिन में था। वो साइड में लगे वॉल से बाहर का नजारा देख रहा था। जब किसी ने डोर नॉक किया। सार्थक ने अपनी घड़ी में टाइम देखा। रात के दो बज रहे थे।
"कम इन!" सार्थक ने कहा तो उसका असिस्टेंट राहुल अंदर आ गया।
"सर ये रही सारी इनफॉर्मेशन।" कहने के साथ ही राहुल ने टेबल पर एक फाइल रखी और जम्हाई ली। तो सार्थक ने उसे घूर कर देखा।
राहुल ने फौरन अपने मुंह पर हाथ रख लिया। सार्थक अभी भी उसे घूर रहा था तो राहुल ने अपने मुंह से हाथ हटाते हुए सिर झुका कर कहा। "सॉरी सर!"
"तुम अब जा सकते हो!" सार्थक ने कहा तो राहुल फौरन वहां से भाग गया।
राहुल के जाते ही सार्थक अपनी चेयर पर बैठ गया और वो फाइल अपनी तरफ सरका कर उसने फाइल खोला।
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राहुल के जाते ही सार्थक अपनी चेयर पर बैठ गया और वो फाइल अपनी तरफ सरका कर उसने फाइल खोला।
पहले पेज में ही अंजू की खूबसूरत सी तस्वीर थी। उसके साथ ही उसकी कुछ डिटेल्स।
"अंजना मिश्रा! उर्फ अंजू......!" सार्थक ने उसके नाम पर हाथ फेरते हुए कहा।
सार्थक ने पूरी फाइल पढ़ने के बाद उस फाइल को डिस्ट्रॉय कर दिया। उसके बाद वो वहां से निकल कर सीधे अपने बंगले की तरफ चला गया।
शहर के सबसे पोर्श इलाके में सार्थक का बंगला था। अंधेरे में भी वो सफेद बंगला बेहद खूबसूरत दिख रहा था। आस पास काफी हरियाली थी। वहां का मौसम भी काफी खुशनुमा सा था। मानों अभी बारिश होने वाली हो।
सार्थक बंगले की तरफ बढ़ गया। उसने अभी अंदर कदम रखा ही था की इतने में ही एक आवाज ने उसके कदम रोक दिए।
"आज इतने लेट आने की वजह?"
सार्थक ने सामने देखा। तो सामने सोफे पर एक उम्र दराज औरत बैठी हुई थी।
"दादी! आपसे कितनी बार कहा है की इतनी लेट मत जागा कीजिए! तबियत खराब हो जायेगी।" सार्थक ने उनके पास आते नाराजगी से कहा।
"अगर इतनी ही फिक्र होती है, तो मुझे चिंता करने के लिए मजबूर क्यों करता है तु! मेरे बारे में सोच कर ही जल्दी आ जाया कर!" दादी ने शिकायती लहजे में कहा।
"दादी! आपने टाइम देखा है! तीन बजने को है और आप.....!" कहते हुए सार्थक ने उन्हें वहां से उठाया और उनके साथ उनके कमरे की तरफ बढ़ गया।
"आपने खाना खाया?" सार्थक के सवाल पर दादी ने हां में अपनी गर्दन हिला दी। वो दोनों अब दादी के रूम में पहुंच चुके थे।
"चलिए अब अच्छे बच्चे की तरह सो जाइए। हम इस बारे में सुबह बात करेंगे!" सार्थक ने कहा तो दादी ने मुंह बना कर कहा। "हां और सुबह मेरे जागने से पहले ही तु यहां से गायब हो जाना।"
"कल यहीं रहूंगा। आप पहले अपनी आँखें बंद करिए और जल्दी से सो जाइए।" सार्थक ने दादी को बेड पर लिटाते हुए कहा।
सार्थक की बात मान कर दादी ने अपनी आँखें बंद कर ली और सार्थक उनका सिर सहलाने लगा। कुछ ही देर में दादी नींद की आगोश में थी।
दादी को सुला कर सार्थक अपने रूम में जा चुका था।
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अंजू ने सुबह उठते ही नितिन से अपना सामान मंगा लिया था।
"अब मैं इस शहर में नहीं रह सकती नितिन! मैं उससे बहुत दूर चली जाऊंगी। उसने हर बार मुझे धोका दिया। फिर भी मैं अंधी बनी रही। अब मैं उसकी शक्ल भी नहीं देखना चाहती।" अंजू ने बिना किसी भाव के कहा और अपने कपड़े ले कर वो चेंज करने चली गई।
वहीं नितिन का फोन लगातार बज रहा था। पर वो फोन रिसीव नहीं कर रहा था।
"कल से तुम घर पर नहीं हो! आंटी परेशान होंगी। तुम्हें उनसे बात करनी चाहिए।" वॉशरूम से बाहर आते हुए अंजू ने कहा तो नितिन ने उसकी बात को इग्नोर करते हुए परेशानी से कहा। "पर तुम जाओगी कहां?"
"कहीं भी! जहां मेरी किस्मत ले जाए।" एक हल्की सी स्माइल के साथ अंजू ने कहा और अपना बैग ले कर वो वहां से निकल गई। नितिन ने उसे रोकना चाहा पर वो नहीं मानी। नितिन ने उसे ड्रॉप करना चाहा। पर इसके लिए भी अंजू ने साफ इंकार कर दिया। नितिन अब बस उसे खुद से दूर जाते ही देख सकता था।
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सार्थक की आँख उसके फोन की वजह से खुली जो बज रहा था।
"हैलो!" सार्थक बेड पर सीधा बैठ गया।
सामने से कुछ कहा गया। तो सार्थक के एक्सप्रेशन एकदम से चेंज हो गए। उसने सामने वाले को कुछ कहा। जिससे सामने से भी जवाब आया।
अंत में सार्थक ने कहा। "जो कहा है उतना करो!" कह कर उसने कॉल कट कर दिया और उठ कर सीधा अपनी दादी के कमरे में गया।
दादी अभी सो रही थी। ये देख कर वो वहां से सीधा अपने जिम में चला गया।
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रिया बेड पर लेटी खामोशी से एकटक छत को घूर रही थी। मानों वो किसी गहरी सोच में हो! वहीं उसे अपनी बाहों में भींचे हुए साहिल बेहद गहरी नींद में था।
रिया उसकी बाहों से आजाद हो जाना चाहती थी। पर इससे साहिल की नींद खुल जाती। बीती रात के बाद रिया को साहिल से अजीब सा डर लगने लगा था। वो बस यहां से भाग जाना चाहती थी! कहीं बहुत दूर....!
रिया इन्हीं सब ख्यालों में खोई हुई थी की एकदम से उसे अपनी गर्दन पर साहिल की सांसें महसूस हुई। उसने चौंक कर साहिल की तरफ देखा तो दोनों का चेहरा आपस में बेहद करीब था।
"क्या सोच रही हो! कहीं रात में कोई कमी तो नहीं रही ना?" कहते हुए साहिल के हाथ रिया के शरीर पर रेंग रहे थे।
"म...... मुझे फ्रेस होने जाना है।" रिया ने उसका हाथ हटाना चाहा। पर साहिल ने उसके हाथ को जकड़ते हुए कहा। "जब मैं कहूंगा! तभी तुम बेड से नीचे पैर रखना समझी!" साहिल ने उसे आँखें दिखाई।
"साहिल! आई एम सॉरी! पर तुम मेरे साथ ऐसा........!" रिया की बात उसके गले में ही रह गई। क्योंकि साहिल ने उसकी गर्दन पकड़ ली थी। "सॉरी! सॉरी माय फूट! मैं तुम्हें अपना ये रूप बाद में दिखाना चाहता था! पर तुमने तो मुझे पहली रात में ही अपने असली रूप में आने पर मजबूर कर दिया! तो अब भुगतो।" साहिल ने उसे खुद से दूर धकेलते हुए कहा और उठ कर फ्रेस होने चला गया।
साहिल को ऐसे देख रिया की आँखें नम हो गई। रात के किस पहर में जाने उसकी आँखें सुखी थी जो अब फिर गीली हो चुकी थी। वो चादर से लिपटी बेड से उठी और नीचे बेदर्दी से पड़े अपने कपड़े उठाने लगी।
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अंजू की टैक्सी रेल्वे स्टेशन के सामने आ कर रुकी और वो अपना किराया दे कर सामान के साथ स्टेशन के अंदर चली गई।
वो यहां आ तो गई थी पर अब उसे ये समझ नहीं आ रहा था की वो जाए कहां?
अपने ख्यालों को परे झटकते अंजू पास के बेंच पर जा कर बैठ गई। तभी उसी प्लेटफार्म पर एक गाड़ी आ कर रुकी। जाने उस वक्त अंजू के मन में क्या आया। वो उस ट्रेन की तरफ बढ़ गई। जबकि उसे ये भी नहीं मालूम था की ये ट्रेन जाने कहां वाली है।
अंजू अभी ट्रेन के करीब पहुंची ही थी की इतने में ही कुछ लोग उसके सामने आ गए। उसके सामने खड़े ब्लैक पेंट व्हाइट शर्ट पहने सारे आदमी किसी टीम के मेंबर लग रहे थे। सभी की आँखों में काला चश्मा था और कानों में ब्लूटूथ।
To be continue:-
अचानक अपने सामने इतने लोगो को देख कर अंजू घबरा गई। उसने अपने कदम पीछे लिए। पर पीछे भी सेम ड्रेस में कुछ लोग खड़े थे। तो उसके कदम जहां थे वहीं थम गए।
मदद की आस से अंजू ने अपनी नजरें इधर उधर घुमाई। पर सब लोग वहां खड़े दूर से ही ये सब होते हुए देख रहे थे।
"कौन हो तुम लोग?" अंजू ने डरते हुए उनसे सवाल किया। जो उसके सामने खड़े थे। उसने उन लोगो पर से अपना ध्यान हटा लिया जो यहां थे तो बस तमाशा देखने के लिए।
"आपको हमारे साथ चलना होगा।" उनमें से एक ने अंजू के सवाल का जवाब दिया।
जवाब सुनकर अंजू ने हैरानी से कहा। "क्यों?"
"क्योंकि ये बिग बॉस का ऑर्डर है।" उसी आदमी ने फिर से जवाब दिया।
"कौन बिग बॉस! मैं किसी को नहीं जानती और तुम मुझे ऐसे कहीं भी चलने के लिए नहीं कह सकते! अब हटो मेरे रास्ते से! मुझे जाना है।" अंजू ने अपने डर पर काबू पाते हुए गुस्से में उन्हें घूरते हुए कहा।
"आपको हमारे साथ चलना ही होगा! वरना हमें ही आपको जबरदस्ती ले जाना होगा।" उस आदमी ने एकदम नॉर्मली टोन में कहा। मानों उसके लिए किसी को उठाना मामूली बात हो।
अंजू इतने सारे लोगो को देख कर पहले से ही डरी हुई थी। ऊपर से सामने खड़े आदमी की बातें उसे और ज्यादा डरा रही थी।
"तुम लोग ऐसा कुछ नहीं कर सकते! निकलो यहां से, वरना मैं तुम्हारी पुलिस में कंप्लेंट कर दूंगी।" अंजू ने उन्हें वॉर्न करते हुए कहा। ये शब्द कहते हुए भी वो घबरा रही थी। क्योंकि वो पब्लिक प्लेस में थी। वहां लोगो के साथ पुलिस भी थी। जो शांत थी। मतलब साफ था। सामने कोई पॉवर फूल बंदा था।
अपनी धमकी का असर ना होते देख अंजू ने वहां खड़े एक ऑफिसर को इशारा किया। पर अंजू के इशारा करते ही उस ऑफिसर ने उसपर से अपनी नजरें हटा ली थी। ये देखकर अंजू की रही सही हिम्मत भी टूट गई।
"कौन है तुम्हारा बिग बॉस! कहीं वो साहिल तो नहीं?" अंजू ने अब हार मानते हुए अपना शक जाहिर किया। तो सामने खड़े आदमी ने उसकी तरफ एक फोन बढ़ा दिया।
अंजू ने वो फोन थाम लिया और अपने कान से लगाया।
"हैलो कौन?" अंजू ने फोन कान में लगाते ही सवाल किया।
"मैं कौन हुं ये जाने के लिए तुम्हें मेरे पास आना होगा। वहीं सारी बातें क्लियर होंगी।" सामने से आवाज आई।
"और मैं ना आऊं तो?" अंजू ने हल्के गुस्से में कहा।
"तो मेरे गार्ड्स तुम्हें उठा कर ले आयेंगे।" सामने से आवाज आई तो अंजू को गुस्सा आ गया।
"यू.........!" अंजू अपनी बात कहती। उससे पहले ही उसके कान में बीप बीप की आवाज आने लगी।
अंजू ने फोन कान से हटाया और घूरने लगी।
"मैम......!" सामने खड़े गार्ड ने उसे पुकारा।
"चलो!" कह कर अंजू ने उसका फोन उसे थमा दिया और उनके साथ ही चल दी।
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"दादी! मेरी एक इंपोर्टेंट मीटिंग है, तो मुझे अभी जाना होगा! आने में टाइम हो जायेगा आप खाना खा के सो जाइयेगा! जागेंगी तो तबियत पर असर होगा।" डाइनिंग टेबल पर ब्रेकफास्ट करती दादी के पास आते हुए सार्थक ने कहा।
सार्थक पूरी तरह से अपने मीटिंग में जाने के लिए रेडी था।
"टाइम हो जायेगा! कह तो ऐसे रहा है, जैसे रोज बड़ा टाइम पर आता है।" दादी ने उसे घूरते हुए कहा। फिर अपनी नजरे हटा कर अपना नाश्ता करने लगी।
"आप गुस्सा मत हुआ करो! आप पर सूट नहीं करता।" कहते हुए सार्थक ने दादी के गाल खींचते हुए आगे कहा। "अच्छा कोशिश करूंगा जल्दी आने की।"
"ठीक है अब जा! वरना मेरे कोमल से गाल खींच कर तु इनमें झुर्रियां ला देगा।" दादी ने अपने गाल सार्थक से छुड़वाते हुए कहा और अपने गाल मलने लगी।
"ओके दादी! ख्याल रखना! लव यू!" कहते हुए सार्थक अपने आँखों में शेड्स चढ़ाते हुए निकल गया।
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"हम जा कहां रहे हैं?" अनजान रास्तों को देखते हुए अंजू ने कहा।
"बस मैम हम थोड़ी देर में पहुंच जाएंगे। फिर आप खुद ही देख लेना।" सामने बैठे गार्ड ने कहा। तो अंजू अब खामोश हो गई और बाहर की तरफ देखने लगी।
कुछ देर बाद उनकी गाड़ी एक खूबसूरत से घर के सामने आ कर रुकी। आस पास हरियाली और शहर से दूर बना ये छोटा सा घर बेहद खूबसूरत था। वो घर पूरी तरह से फूल पत्तो से ढका हुआ था। यहां तक की उसके मेन डोर पर भी लताएं लिपटी हुई थी। जो उसे और खूबसूरत बना रही थी।
अंजू तो उस जगह को देखती ही रह गई। कोई भी यहां आए तो उसका मन ही ना करे जाने का। इतनी खूबसूरती बसी थी उस जगह में। जिस वजह से छोटे छोटे पक्षी, तितली और भौरें सभी वहीं मंडरा रहे थे।
ये सारा नजारा देख के अंजू के होंठो पर एक प्यारी सी स्माइल आ गई।
"मैम आप अंदर वेट करिए! बिग बॉस आते ही होंगे।" उस गार्ड ने फिर से कहा।
"अब मुझे उनका वेट भी करना होगा?" अंजू ने चीड़ कर कहा। पर गार्ड खामोशी से वहां से चला गया। अंजू उसे बस घूर के ही रह गई। फिर उसने सारे ख्याल झटके और मेन गेट खोल कर अंदर चली गई।
वहां का नजारा देखने में वो ऐसी मग्न हुई। की उसके जहन से ये बात निकल ही गई की वो यहां किसी के बुलाने कर आई है।
वहां मौजूद छोटे से गार्डन में झूला भी था। उसे देखते ही अंजू के फेस पर स्माइल आ गई और वो जा कर झूले पर बैठ गई। वहां से तो वो घर और भी खूबसूरत लग रहा था।
कुछ तितलियां मंजू के इर्द गिर्द घूमने लगी तो अंजू मुस्कुराते हुए उन्हें देखने लगी। अब उसका पूरा ध्यान उन तितलियों पर था। जब एक अनजान आवाज उसके कानों में पड़ी। उसी पल अंजू के होंठो की स्माइल सिमट गई। उसने अपने बगल में देखा। तो सामने एक हैंडसम सा शख्स आँखों में शेड्स चढ़ाए खड़ा था। वो कोई और नहीं बल्कि सार्थक ही था।
अपनी आँखों से शेड्स हटाते हुए सार्थक ने अंजू को गौर से देखा।
"क्यों बुलाया मुझे यहां?" अंजू ने सीधा मुद्दे पर आते हुए कहा।
"अंदर चल कर बात करे?" सार्थक ने घर की तरफ इशारा करते हुए कहा। तो अंजू उससे पहले ही घर की तरफ बढ़ गई।
अंजू को आगे जाता देख सार्थक के लब मुस्कुरा दिए। फिर वो भी अपनी मुस्कान समेटते हुए उसके पीछे ही चल दिया।
To be continue:-
"क्यों बुलाया मुझे यहां?" अंजू ने सीधा मुद्दे पर आते हुए कहा। वो उसे ऐसे देख रही थी मानों उसे पहले से ही जानती हो।
"अंदर चल कर बात करे?" सार्थक ने घर की तरफ इशारा करते हुए कहा। तो अंजू उससे पहले ही घर की तरफ बढ़ गई।
अंजू को आगे जाता देख सार्थक के लब मुस्कुरा दिए। फिर वो भी अपनी मुस्कान समेटते हुए उसके पीछे ही चल दिया।
"हम्म्......! अब जल्दी बोलो तुमने मुझे यहां क्यों बुलाया है।" अंजू ने बिना सार्थक की तरफ देखे ही कहा।
"मैने तुम्हें वॉर्न किया था अंजू!" सार्थक ने कहा तो अंजू ने उसे घूरते हुए कहा। "तो इसलिए मुझे यहां बुलाया गया है, ताकि तुम मुझे बेज़्जत कर सको। क्योंकि मैंने तुम्हारी बात नहीं मानी और तुम्हारी बजाए तुम्हारे भाई को चुना।" अंजू ने गुस्से में सार्थक की आँखों में देखते हुए कहा।
"नो! मैने तुम्हें इसलिए यहां बुलाया है।" कहते हुए सार्थक ने उसके सामने कुछ पेपर्स रख दिए।
अंजू ने वो पेपर्स नहीं देखे और सार्थक को घूरते हुए बोली। "अब ये क्या है?"
"पहले वाला ऑफर! बस इस बार कुछ चेंजेस है।" सार्थक ने कहा तो अंजू की आँखें छोटी हो गई। "मेरा जवाब तब भी ना था और अब भी ना है। मुझे तुममें कोई इंट्रेस्ट नहीं है, तो शादी तो बहुत दूर की बात है।" कहते हुए अंजू वहां से उठ गई। पर इससे पहले वो वहां से आगे एक भी स्टेप लेती। सार्थक की आवाज उसके कानों में पड़ी। "तो अकेली कहां जाओगी! इस नाजायज बच्चे के साथ?"
अंजू ने अपनी मुट्ठियाँ भींच ली जो सार्थक की आँखों से छुपी नहीं थी। उसके होंठो पर एक डेविल स्माइल उभर आई थी। तभी अंजू गुस्से से उसकी तरफ पलटी और उसे मुस्कुराते देख उसका गुस्सा और बढ़ गया।
"यू......! असल में ना! तुम दोनों भाइयों में कोई अंतर ही नहीं है।" अंजू ने बेहद गुस्से में कहा।
सार्थक अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ। वो अंजू के सामने उसके बेहद करीब आ गया और उसकी आँखों में देख कर नाराजगी से बोला। "तुम अभी मुझे जानती ही कितना हो! जो उससे मुझे कंपेयर कर रही हो?"
"एक ने इस्तेमाल कर के छोड़ दिया और दूसरा उसका फायदा उठाना चाहता है।" अंजू ने अजीब सी मुस्कान के साथ कहा। पर अभी भी उसकी बात खत्म नहीं हुई थी।
"कहीं ये तुम दोनों का कोई प्लान तो नहीं! मैने तुम्हें रिजेक्ट किया। फिर साहिल मेरी लाइफ में आ गया और मेरा यूज कर के छोड़ दिया। ताकि तुम.....!" अंजू इससे आगे कुछ कहती। सार्थक ने गुस्से में उसका गला पकड़ लिया।
"बहुत बकवास कर ली तुमने! तुम जानती भी हो! तुम्हारे रिजेक्शन के बाद मैने तुम्हारी तरफ देखा भी नहीं पर ये भी सहीं था की तुम्हें भुला भी नहीं। पांच महीनों बाद कल रात तुम्हें साहिल के साथ देखा। तो मन किया तुम्हारी जान ले लूं! पर अफसोस वो भी मुश्किल था। अब या तो मेरी लाइफ में आ जाओ। या इस बच्चे को गिरा दो.......! क्योंकि मैं नहीं चाहता की तुम सच में वापस साहिल के पास जाओ। अगर तुम ये बच्चा गिरा भी देती हो! तब भी मेरी नजरें तुम पर ही रहेगी।" कहते हुए सार्थक मुस्कुरा दिया। उसने अंजू का गला छोड़ दिया था।
"मुझे ये दोनों ही मंजूर नहीं।" अंजू को उसकी स्माइल से ही डर लग रहा था। फिर भी उसने खुद को संभालते हुए कहा। वो अपना गला सहला रही थी जो अब भी हल्का दुःख रहा था। उसने अपने कदम पीछे लिए। वो अब यहां बिल्कुल भी नहीं रुकना चाहती थी।
"तुम्हें लगता है साहिल ने तुम्हें छोड़ दिया है। उसके तुम तक पहुंचने से पहले मेरे आदमी तुम तक पहुंच गए। वरना तुम इस वक्त हॉस्पिटल में होती। इससे आगे शायद तुम समझ ही गई होगी।" सार्थक ने कहा तो अंजू उसे हैरानी से देखने लगी।
"तुम झूठ बोल रहे हो! उसे तो अब मुझसे कोई मतलब ही नहीं।" अंजू ने हैरानी से कहा।
सार्थक ने अब कुछ नहीं कहा और अगले ही पल एक आदमी अंदर आया।
"मैडम को अपनी और साहिल की कॉल रिकॉर्डिंग सुनाओ।" सार्थक ने उस आदमी से कहा तो उस आदमी ने अपना सिर हिला दिया और अपने जेब से अपना फोन निकाल लिया।
कुछ ही सेकंड बाद उस फोन पर एक रिकॉर्डिंग चलने लगी।
"कल के कल उस लड़की को जे के हॉस्पिटल ले कर आना तुम्हारा काम है। मुझे इसमें कोई भी लापरवाही नहीं चाहिए।" इतना प्ले होते ही सार्थक ने उस आदमी को हाथ से इशारा किया की वो प्ले रोक दे।
अंजू ने अपनी पलकें झपकी और सार्थक की तरफ देख कर बोली। "ये भी तो हो सकता है ना! की उसे इस बच्चे की फिक्र हो! कल वाले इंसिडेंट के बाद शायद वो जानना चाहता हो की बेबी ठीक है या नहीं।"
"आगे प्ले करो।" सार्थक ने उस आदमी से कहा तो उस आदमी ने दुबारा रिकॉर्डिंग ऑन कर दी।
"मैं नहीं चाहता वो लड़की कभी भी मेरे रास्ते में आए या मुझे अपने बच्चे को ले कर ब्लैक मिल करे! मैं उसे ऐसा कोई मौका नहीं दूंगा। अगर कल सहीं से सारा काम हुआ तो तुम्हें मुँह माँगी किमत मिलेगी।।" उसी के साथ रिकॉर्डिंग बंद हो गई और अंजू उस फोन को घूरने लगी।
"अब बताओ अपना फैसला! क्या तुम इसके साथ हॉस्पिटल जाना चाहती हो?" सार्थक ने सामने खड़े आदमी की तरफ इशारा किया तो अंजू ने जल्दी ने ना में गर्दन हिलाई। पर अगले ही पल जाने क्या सोच कर उसने हामी भर दी।
ये देख सार्थक को गुस्सा आ गया था। उसने गुस्से में कुछ कहना चाहा पर उससे पहले ही अंजू ने सामने टेबल पर पड़े पेपर्स उठाते हुए कहा। "मैं हॉस्पिटल चली जाऊंगी! पर उससे पहले मुझे ये देखना है।"
अंजू के हाथ में इस वक्त मैरीज पेपर्स थे। उनके साथ ही कुछ और डॉक्यूमेंट्स भी। जिनमें कुछ शर्तें भी मेंशन थी।
"ये शर्तें क्यों?" अंजू ने पेपर्स सार्थक के आगे करते हुए कहा।
"क्यों कोई प्रॉब्लम है क्या! इतना तो अच्छा है! बेबी होने के बाद मैं उसे लीगली एडॉप्ट कर लूंगा। हालांकि ये सब एक सिक्रेट रहेगा। ताकि साहिल बाद में प्रॉब्लम क्रिएट ना करे। इसके साथ ही तुम मुझे कभी छोड़ कर नहीं जाओगी। मेरे अलावा तुम्हारी लाइफ में कोई दूसरा मर्द नहीं आना चाहिए।" सार्थक ने अंजू की आँखों में देखते हुए कहा।
"अच्छा और कोई दूसरी औरत बीच में आ गई तो?" अंजू ने गुस्से में सार्थक को घूरते हुए कहा तो सार्थक हल्के से मुस्कुरा दिया।
To be continue:-
"तो तुम मेरी जान ले लेना या फिर उसकी! पर मैं ऐसा मौका आने ही नहीं दूंगा।" सार्थक ने मुस्करा कर कहा।
अंजू वैसे ही खड़ी सार्थक को घूर रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था वो क्या करे?
अनायास ही अंजू के हाथ पेट में चले गए। उसकी प्रेग्नेंसी को तीन महीने होने वाले थे। वो सोच रही थी की साहिल से शादी के बाद सब ठीक हो जायेगा। उसने दिल से इस बच्चे को अपनाया था और अब वो इस बच्चे को खोना नहीं चाहती थी। अपने किए की सजा वो इस बेकसूर को कैसे दे सकती थी। कैसे वो साहिल को इस मासूम की जान लेने दे सकती थी। इसमें इस बच्चे का क्या कसूर था?
अंजू ने अब ज्यादा ना सोचते हुए सार्थक की तरफ देखते हुए कहा। "मैं तैयार हुं इस शादी के लिए! पर तुम अपनी लिमिट में रहना! क्योंकि मैं ये शादी सिर्फ और सिर्फ अपने बच्चे के लिए कर रही हुं।"
"ओके!" सार्थक के चेहरे पर एक दिलकश स्माइल उभर आई थी। वो तो अंजू के हां से ही काफी खुश था।
अंजू ने पेपर्स उठाए और सब पर साइन कर के उसने वो पेपर्स सार्थक की तरफ बढ़ा दिया।
सार्थक पेपर्स देख कर मुस्कुरा दिया।
"अब से तुम मेरे साथ खुराना विला में रहोगी।" सार्थक ने अंजू की तरफ देखते हुए कहा तो अंजू अब की बार खामोश ही रही।
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"क्या बकवास कर रहे हो! किन लोगो के साथ चली गई वो! जल्दी पता करो।" साहिल जो फोन में किसी से बात कर रहा था। उसी पर भड़कते हुए बोला और कॉल एंड कर दिया। आज वो अपने रूम से बाहर ही नहीं निकला था ना ही रिया को कहीं जाने दिया था।
"साहिल! प्लीज मुझे बाहर जाना है, मेरा दम घुट रहा है यहां?" रिया ने नम आँखों के साथ साहिल को देखते हुए कहा।
"पर मुझे तो सुकून मिल रहा है।" साहिल ने मुस्कुरा कर कहा। वो फिर से उसके करीब होने लगा। जब रिया ने उसे मना करते हुए कहा। "नहीं साहिल मुझे अब जाने दो। मैं..........!" रिया कहती ही रह गई और साहिल उसकी बातों को अनसुना कर एक बार फिर उसमें खो चुका था।
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खुराना विला के सामने आ कर सार्थक की गाड़ी रुकी और वो गाड़ी रुकते ही बाहर आया। बाहर आकर सार्थक ने अंजू की साइड का दरवाजा खोला।
अंजू ने एक पल के लिए हिचक कर सामने देखा था। फिर वो भी गाड़ी से बाहर आ गई।
सार्थक ने अंजू को साथ चलने का इशारा किया और वो दोनों साथ साथ विला की तरफ बढ़ गए।
सार्थक की दादी जो की सामने हॉल में ही सोफे पर बैठी थी। सार्थक की गाड़ी की आवाज सुनकर काफी खुश हुई थी। क्योंकि वो बहुत टाइम बाद घर इतनी जल्दी आया था।
दादी खुशी से दरवाजे की तरफ बढ़ी थी।
दरवाजे पर आते ही दादी की नज़र सार्थक के साथ आती अंजू पर पड़ी। तो उनकी मुस्कान धीमी पड़ गई।
"ये कौन है?" सार्थक दरवाजे के पास पहुंचा ही था की दादी ने उसे सवाल कर लिया।
अंजू दादी को देख कर ही घबरा गई थी।
सार्थक ने एक नजर अंजू की तरफ देखा! फिर वापस से अपनी दादी की तरफ देखते हुए बोला। "ये आपकी बहू है दादी!"
"क्या?" दादी सार्थक की बात सुनकर हैरान थी।
"पर तुने तो शादी से इंकार कर दिया था ना! फिर अचानक?" दादी ने हैरानी से सार्थक की तरफ देखते हुए कहा।
"ये शादी का डिसीजन जल्दी में लेना पड़ा दादी! क्योंकि अंजू मेरे बच्चे की माँ बनने वाली है।" सार्थक ने कहा तो दादी को अब उस पर गुस्सा आ गया। वहीं अंजू सार्थक की बात सुनकर हैरानी से उसे देखने लगी थी।
दादी ने गुस्से में सार्थक पर हाथ उठा दिया। पर सार्थक खामोश ही रहा। जबकि अंजू एक कदम पीछे हो गई थी।
"तु एक लड़की से बिना शादी के संबंध कैसे बना सकता है सार्थक! तु पहले ही इससे शादी कर सकता था।" दादी ने गुस्से में आगे कहा। "और कैसी शादी की है तुने हां! की किसी को कानों कान खबर नहीं।"
दादी को इतने गुस्से में देख सार्थक ने आगे बढ़ कर उनका हाथ थामा और उन्हें समझाते हुए बोला। "रिलैक्स दादी! इस शादी की बात मैं ऑफिसियल सबके सामने अनाउंस करूंगा। और मैंने इससे पहले शादी इसलिए नहीं की! क्योंकि इसने खुद शादी से इंकार किया था।"
दादी ने अब अंजू की तरफ देखा! तो वो सिर झुकाए खड़ी थी। ये देख दादी अंजू के पास आई और उसके सिर पर हाथ रखा। तो अंजू ने अपना सिर उठा कर उनकी तरफ देखा। वो बेहद प्यार से अंजू की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी। ये देख कर अंजू की आँखें नम हो गई।
एक सर्वेंट को कह कर दादी ने आरती की थाल मंगवाई और सार्थक के साथ अंजू का गृह प्रवेश किया। अंजू को बेहद अजीब लग रहा था। उसने कभी सोचा भी नहीं था की वो सार्थक से ऐसे जुड़ जायेगी।
सार्थक के शादी कर लेने से दादी काफी खुश थी। वो अभी अंजू से बात करने बैठी ही थी की सार्थक वापस बाहर की तरफ जाते हुए बोला। "मुझे कुछ काम है! तो........!" सार्थक अभी कह ही रहा था। की इतने में ही दादी ने उसे टोका। "अगर आज तेरे कदम बाहर गए! तो अंजू को मैं अपने साथ ही रखूंगी।" दादी ने कहा तो सार्थक ने अपनी आँखें छोटी कर के उन्हें घूरा था। पर फिर खुद को नॉर्मल कर दादी को मनाते हुए बोला। "जल्दी आ जाऊंगा दादी।"
"तो जा ना किसने मना किया है, वैसे भी अब तो मेरे साथ समय बिताने के लिए कोई आ गया है।" दादी ने मुस्करा कर अंजू की तरफ देखा। जो सिर झुकाए बैठी अपने हाथों की उंगलियों को आपस में उलझा सुलझा रही थी।
सार्थक ने एक नजर दादी की तरफ देखा! फिर अंजू की तरफ।
एक गहरी सांस के साथ सार्थक अब अपने रूम की तरफ बढ़ गया। ये देख कर दादी के होंठो पर एक गहरी मुस्कान उभर आई थी।
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शाम होने को आई जी। जब रिया ने अपनी थकी थकी आँखें खोली। साहिल उसके बगल में औंधे मुंह बेहद गहरी नींद में सो रहा था। ये महसूस करते ही रिया। जो शायद बेड से उठ भी नहीं पा रही थी। उसने जबरदस्ती खुद को बेड से उठा कर खड़ा किया था। पर तभी उसे वो पल याद आया जब वो अपने कपड़े उठा रही थी और साहिल ने आ कर उससे वो छीन कर फेंक दिया था।
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"पूरे समाज में इस लड़की ने हमारी नाक कटवा दी।" सुरेश मिश्रा ने गुस्से में कहा। रात भर से उनकी बेटी गायब थी। अंजू ने उनके नाम लेटर छोड़ दिया था जो उड़ कर बेड के नीचे चला गया था। जो अभी सुरेश के हैं लगा था। वो उस लेटर को पढ़ कर काफी गुस्से में थे। उन्होंने घर से अंजू का सारा सामान निकाल कर बाहर फेंक दिया।
"ये आप क्या कर रहे हैं?" सुरेश को अंजू की तस्वीर दीवार से उतारते देख उनकी पत्नी आभा ने उन्हें टोकते हुए कहा।
"तुम सामने से हट जाओ! अब ये लड़की हमारे लिए मर चुकी है, जिस लड़की के लिए उसके माँ बाप से ज्यादा उसका प्यार मायने रखता है, उस लड़की का मर जाना ही अच्छा है।" सुरेश ने गुस्से में आभा को खुद से दूर करते हुए कहा। वहीं उनकी दूसरी बेटी संजू! वो घबराई सी एक कोने में खड़ी अपने पापा को देख रही थी। उसकी आँखें नम थी।
"ये आप क्या कह रहे हैं, वो बच्ची है हमारी!" आभा ने रोते हुए कहा।
"नहीं है वो हमारी बच्ची! ऐसा कदम उठाने से पहले उसने एक बार भी हमारे या हमारी इज्जत के बारे में सोचा! क्या होता बता देती तो! बच्ची है, मान जाते उसकी खुशी के लिए, इतने साल पाला! ताकि वो आज हमें ये दिन दिखाए। कितना नाज था उसपर मुझे! उसने एक पल हमारे बारे में सोचा?" सुरेश गुस्से में मानों पागल हो गया था। उसने अंजू की सारी चीज़े घर से बाहर कर दी। उसकी एक भी चीज अब उस घर में नहीं थी। सारी घर के बाहर लावारिस पड़ी थी।
सुरेश हाथ में केरोसिन का डब्बा ले आया और अंजू के सारे सामान पर छिड़क कर उसपर जलती माचिस की तीली फेंकते हुए हुए बोला। "अब से मेरी बस एक ही बेटी है। संजना मिश्रा।"
संजना अपनी माँ के गले लग कर रो पड़ी। उसकी माँ की आँखों में भी आंसु थे।
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रिया तैयार हो कर रूम से बाहर आई। उसके चेहरे पर बिल्कुल भी रौनक नहीं थी। वो बाहर आई ही थी। की तभी बाहर से मिसेज शिखा खुराना (साहिल की माँ) अंदर आई। उनके पीछे एक सर्वेंट था जो उनका सामान लिए अंदर आ रहा था।
"अरे रिया!" शिखा ने रिया को देखते ही खुशी से कहा।
रिया शिखा के पास आई। वो उनसे कुछ कहना चाहती थी पर कह नहीं पा रही थी।
"सॉरी बेटा! कल मैं पार्टी में शामिल नहीं हो पाई! साहिल के डैड की मीटिंग थी। आज भी मैं नहीं आ पाती पर मुझे अपने बहु बेटे से मिलना था सो आ गई।" शिखा ने मायूस होते हुए कहा और रिया को अपने साथ वहीं बिठा लिया। सर्वेंट्स उनकी खतीरदारी में लग गए।
रिया चाह कर भी साहिल की हरकत के बारे में शिखा को नहीं बता पाई और वो आपस में बातें करने लगे।
कुछ देर बाद साहिल आया। उसने जैसे ही शिखा को देखा वो खुशी से उनकी तरफ बढ़ा।
"आप कब आई मॉम?" साहिल अपनी मॉम को हग करते हुए बोला।
"बस अभी थोड़ी देर पहले! वैसे कैसा है मेरा बच्चा?" शिखा ने प्यार से साहिल के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा।
"मैं एकदम ठीक हुं! डैड क्यों नहीं आए?" साहिल ने जब शिखा को अकेले देखा! तो वो समझ गया कि उसके डैड नहीं आए।
"उनकी मीटिंग थी! वो तो मुझे भी नहीं आने दे रहे थे। पर मैं ही जिद कर के आ गई।" शिखा ने कहा तो साहिल हँस कर बोला। फिर तो डैड भी आ ही जायेगें! क्योंकि वो आपके बिना रह ही नहीं सकते।
साहिल की इस बात पर शिखा ने उसके सिर पर चपत लगाई तो साहिल की हँसी और गहरी हो गई।
साहिल को ऐसे देख रिया ने मन ही मन कहा। "आखिर कितने चेहरे हैं तुम्हारे?"
रिया को खुद की तरफ देखते देख साहिल ने उसकी तरफ देख कर अपनी भवें उठाई तो रिया ने फौरन उस पर से अपनी नजरें हटाई। ये देख साहिल की भवें इकट्ठी हो गई।
कुछ देर बाद शिखा आराम करने अपने रूम में चली गई और साहिल तुरंत रिया के पास आ कर बैठ गया।
रिया अपनी जगह से उठने को हुई तो साहिल ने उसका हाथ पकड़ कर खींच लिया। जिस वजह से वो सीधे साहिल की गोद में आ गिरी।
"बिना मेरी इजाजत तुमने बेड से नीचे पैर कैसे रखा?" कहते हुए साहिल उसकी उंगलियों को अपने हाथ में जकड़े मरोड़ रहा था।
"इट्स हार्टिंग! छोड़ो साहिल।" रिया चीखी। तो साहिल ने उसका मुंह बंद कर दिया।
"अगली बार मेरे सामने चीखने की कोशिश भी मत करना! समझी।" साहिल ने बेहद गुस्से में उसे घूरते हुए कहा। उसने इतनी जोर से रिया का मुंह दबाया हुआ था की वो सांस भी नहीं ले पा रही थी।
रिया ने जल्दी से हां में गर्दन हिलाई! तो साहिल ने उसे छोड़ दिया।
साहिल से छूटते ही रिया गहरी गहरी सांसें लेने लगी।
"मैं फ्रेस हो कर आया! तब तक मेरे लिए लंच रेडी कर दो।" इतना कह कर साहिल वापस अपने रूम की तरफ बढ़ गया और रिया गुस्से से उसे घूरने लगी।
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सार्थक घर से ही अपने ऑफिस का काम कर रहा था। जिस वजह से उसकी दादी और चिढ़ी हुई थी। वो अंजू के साथ अपने रूम में उससे बातें कर रही थी।
"ये लड़का पूरी तरह से अपने बाप पर गया है, जब देखो.....!" दादी अभी कह ही रही थी की इतने में ही दरवाजे से सार्थक की नाराजगी भरी आवाज उभरी! "दादी! मैने आपसे कितनी बार कहा है, उस आदमी से मेरी तुलना मत कीजिए। पर फिर भी.......!" इतना कह कर सार्थक गुस्से से अपना पैर पटकते हुए वहां से चला गया।
अंजू वहीं बैठे सार्थक और दादी को ही देख रही थी।
"वो थोड़ी देर में ठीक हो जायेगा।" दादी ने अंजू को हैरान परेशान देखा। तो उसका हाथ सहलाते हुए बोली।
अंजू ने कुछ नहीं कहा बस खामोश ही रही।
"अच्छा जाओ तुम आराम कर लो!" इतना कह कर दादी ने बेड के पास मौजूद एक बटन को प्रेस किया। इतने में ही जिन की तरह एक मेड हाजिर हो गई।
"इन्हे सार्थक के कमरे में छोड़ आओ।" दादी ने उस मेड से कहा तो मेड ने अपना सिर हिला दिया और अंजू को अपने साथ चलने के लिए कहा।
"मेरे साथ आइए मैम!" कहते हुए वो मेड आगे बढ़ गई और उसके पीछे अंजू।
मेड ने अंजू को सार्थक के कमरे में छोड़ दिया और वहां से चली गई।
To be continue:-