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तेरा नाम दिल पर लिखा

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एक तरफ़ शहरों वाला और दूसरी तरफ़ महलों वाली । क्या जुड़ेंगे इनके दिलों के तार ? क्या होगा इनमें भी प्यार ? जानने के लिए पढ़िए  " तेरा नाम दिल पर लिखा " ....

Total Chapters (5)

Page 1 of 1

  • 1. तेरा नाम दिल पर लिखा - Chapter 1

    Words: 968

    Estimated Reading Time: 6 min

    " यह धारावाहिक और इसमें दिखाए सभी पात्र काल्पनिक हैं । इसका असल जिंदगी से कोई संबंध नहीं है । यह धारावाहिक केवल पाठकों के मनोरंजन के लिए लिखी जा रही है । " * * * * * कहानी के एहम किरदार : दर्श मेहरा - हमारी कहानी का हीरो । जिसे संगीत से बेहद प्यार है । जो अपने दोस्तों पर जान छिड़कता है । हैंडसम इतना की लड़कियां देखे तो उसपर लट्टू हो जाए । मगर जनाब प्यार के मामले में थोड़े कच्चे हैं 🤭 लड़कियों को ज़्यादा भाव नहीं देते । तुलसी रजावत - प्यारी ,भोली और थोड़ी लड़ाकू । सुन्दर इतनी जैसे स्वर्ग की अप्सरा धरती पर उतर आई हो । ये हैं जयपुर के एक राज परिवार से । तुलसी को प्यार और शादी वादी में कोई दीचस्पी नहीं हैं । ( बाकी किरदारों के बारे में आपको कहानी में पता चलेगा 🫣 ) * * * * * कहानी की शुरुआत : मसूरी , खूबसूरत वादियां और जनवरी के ठंडे मौसम में एक लड़का झील के किनारे हाथों में गिटार लिए बैठा है । इतने ठंड में भी उसने सिर्फ एक सफ़ेद शर्ट पहन रखी है । " परफेक्ट शोट " यह आवाज़ सुनकर वो लड़का वहां से खड़ा हो गया । " क्या बात है दर्श । बहुत अच्छा शॉट आया है । और तेरी आवाज़ तो है ही कातिल । देखना तुम्हारी यह म्यूजिक वीडियो बहुत वायरल जायेगी । " उसके दोस्त ने कहा । तो यह हैं हमारी कहानी के नायक, हमारे हीरो दर्श मेहरा । जो इस वक्त अपने दोस्त और अपनी छोटी सी टीम के साथ मुंबई से मसूरी एक म्यूजिक वीडियो शूट करने आया है । जैसा मैंने बताया था दर्श को म्यूजिक से बेहद प्यार है । एक बड़ा सिंगर बनने का उसका सपना है । जिसके लिए वो बहुत मेहनत कर रहा है । दर्श अभी अगले शॉट की तैयारी कर ही रहा था की उसे एक विडियो कॉल आई । दर्श कॉल उठाता है । " ओए कब तक आएगा तू जयपुर ? मेरी शादी हो रही है भाई " दूसरी तरफ़ से आवाज़ आई जो की दर्श के बेस्ट फ्रेंड आरुष की थी । " क्या बात है आरू अब तुझे भाभी से ज्यादा मेरा इंतज़ार है 🤭 " दर्श ने उसे चिढ़ाते हुए कहा । आरुष - " चल ओए । ज्यादा मत बोल ... ये बता कब आ रहा है तू ? " दर्श - " भाई मेरा तो शूट है । अगले एक हफ्ते तक फ्री नहीं होऊंगा । " " एक हफ्ता .... एक हफ़्ते में मेरी शादी है भाई । मैं तुझे कब से जयपुर बुला रहा हूं । और तू है की तेरे तो शूट ही खत्म नहीं होते 🙄 .... अगर दर्श तू मेरी शादी पे नहीं आया न तो मैं तुझे वहीं आके पीटूंगा जहां तेरा शूट चल रहा है । " आरुष की बात पूरी होती उससे पहले ही उसे फ़ोन से ज़ोर ज़ोर से हंसने की आवाज़ आई । दर्श अपनी हसी कंट्रोल करते हुए कहता है । " तू कितना प्यारा है यार । तुझे तंग करने में मुझे बड़ा मज़ा आता है 😂 .... भाई भला मैं तेरी शादी कैसे मिस कर सकता हूं । आज मेरे शूट का आखरी दिन है । कल की फ्लाईट पकड़ के सीधा तेरे पास ही आ रहा हूं । अब ज्यादा गुस्सा मत हो " आखरी बात दर्श ने बेचारा सा मुंह बनाते हुए कहा तो आरुष बोला । " तेरे ये मुंह बनाने से मैं पटने नहीं वाला । जल्दी पहुंच । दर्श - " मैं तुझे पता के क्या करूंगा । " आरुष ने हस्ते हुए कहा । " हां वो भी है । अब तो मेरी भी शादी हो रही है । मैं तो कहता हूं तू भी अपने लिए कोई ढूंढ ले । कब तक कवारा रहेगा । " दर्श - " नहीं यार मेरा तो सारा ध्यान मेरे म्यूजिक पर ही है । और वैसे भी मुझे आज कल की शहरों वाली लड़कियां नहीं पसंद । " आरुष - " और अगर यहां तुझे अपनी पसंद की कोई मिल गई तो ? " **** दूसरी तरफ़ जयपुर , एक खूबसूरत बगीचा जहां एक लड़की पौधों को पानी दे रही है । उसके लंबे बाल उसकी कमर पर लेहरा रहे हैं । हाथ में पाइप लिए वो अपनी ही धुन में बगीचे में पानी छिड़क रही थी । तभी किसीने उसे आवाज़ दी । " तुलसी ..... तुलसी .... " ये हैं हमारी कहानी की हीरोइन तुलसी रजावत । सुंदर , संस्कारी । तुलसी को अपने आस पास सब कुछ सजा कर रखने का बड़ा शौंक है । अपने काम से तो वो किसी प्रोफेशनल इंटीरियर डिजाइनर से कम नहीं है । पर ज्यादा पढ़ी लिखी न होने के कारण लोग उसे कम हांकते हैं । तुलसी ने पीछे मुड़कर देखा तो उसकी बहन आशना उसे आवाज़ लगाती हुई उसके पास आ पहुंची । तुलसी - " आशना तुम यहां ? क्या हुआ कुछ चाहिए था ? " आशना - " अरे नहीं बहन मैं तो तेरे ही पास आ रही थी । वो मामा जी ने बताया की शादी की सारी तैयारियां तू कर रही है । तो सोचा तुझे ही अपनी पसंद बता दूं । " तुलसी - " मुझे पता है तुम्हारी पसंद । सब कुछ वैसा ही होगा आख़िर मेरी बहन की शादी है । " आशना - " मैं जानती हूं तुम जो करोगी बेस्ट करोगी 😊 " तो बात कुछ ऐसी है की आरुष जो दर्श का बेस्ट फ्रेंड है और आशना जो तुलसी की चचेरी बहन है ... दोनों की शादी हो रही है । और जिस पैलेस में उनकी शादी होनी है वो तुलसी की फैमिली का पुश्तैनी पैलेस / मेहल है । जारी । ..... तो कैसे लिखेंगे यह दोनों एक दूजे का नाम अपने दिल पर ❤️ ?

  • 2. तेरा नाम दिल पर लिखा - Chapter 2

    Words: 715

    Estimated Reading Time: 5 min

    अब आगे , अगली सुबह , दर्श की सुबह 9 बजे की फ्लाईट थी । कुछ ही घंटों में वो जयपुर पहुंच गया । और पैलेस जाने के लिए उसने कैब बुक की । **** जयपुर , आशना - " तुलसी चल न .... " तुलसी - " अरे आशना तुम जाओ न मेरा वहां क्या काम " आशना - " तेरा ही तो सबसे बड़ा काम है । देख मेरे और आरुष के सभी दोस्त मुंबई से आ गए हैं । और सब शादी की discussion कर रहे हैं । तुझे तो चलना ही पड़ेगा आख़िर तैयारियां तो तुझे ही करवानी है । " आशना तुलसी को खीच कर अपने साथ ले गई । ..... थोड़ी देर बाद ..... आशना और आरुष अपने फ्रैंड्स और भाई बहनों के साथ बैठे मज़ाक मस्ती करते हुए शादी की प्लैनिंग कर रहे हैं । तुलसी भी वही आशना के पास बैठी थी । वो लोग शादी की थीम डिसाइड कर रहे थे । तभी आशना की फ्रैंड जिसका नाम समीरा है उसने कहा । " फ्रेंड्स क्यों न हम संगीत का थीम ब्लैक रखें ? " आशना - " काला ? " तुलसी - " नहीं शुभ दिन पर काला रंग नहीं पहनना चाहिए । " समीरा - " ओह कम ओन तुलसी । तुम कितनी ओल्ड फैशन हो । आज कल ब्लैक का Trend है । " " इस गवार को क्या पता trends के बारे में " समीरा मन में बोली । उसने काफ़ी कुछ सोच रखा था आशना की शादी के लिए । और सोचे भी क्यों न बेस्ट फ्रेंड की शादी हार दोस्त के लिए खास होती है । आशना का तुलसी से लगाव देख उसे अभी से जलन होने लगी थी । आरुष - " मैं तो लाईट ब्लू सोच रहा हूं । " आशना - " nice choice आरु । लाइट ब्लू बहुत प्यारा लगेगा । " कुछ देर ऐसे ही उनकी बातें चली और फिर कुछ लोग अपने कमरे में चले गए तो कुछ पैलेस में घूमने । कुछ देर बाद .... एक गाड़ी पैलेस के बाहर रुकती है । दर्श गाड़ी से बाहर उतरता है । आरुष को दर्श ने पहले ही बता दिया था की वो पहुंच गया है । आरुष उसे उसके कमरे तक ले जाता है । आरुष - " चल भाई अब तू आराम कर । शाम को मिलते हैं ।" दर्श - " हां भाई । मैं तो बहुत थक गया । अब शाम को ही मिलूंगा । " आरुष उसका सामान रखवा के अपने कमरे में चला जाता है । *** शाम का वक्त , दर्श सोकर उठा तो उसने सोचा की क्यों ना थोड़ा पैलेस की खूबसूरती देख ली जाए । दर्श अपने कमरे की बालकनी में गया । बालकनी से नीचे उसे कुछ बच्चे खेलते हुए नज़र आते हैं । दर्श को वो सब बड़े प्यारे लग रहे थे तो वो अपने कमरे से निकल कर बाहर उनके पास चला जाता है । दर्श - " हेलो बच्चों । आप लोग क्या खेल रहे हो ? " " भईया क्या आप खेलोगे हमारे साथ ? आपको बस अपनी आंखों पर पट्टी बांधनी है और हमे पकड़ना है । अगर आपने पकड़ लिया तो आप जीत गए । " एक छोटे लड़के ने दर्श से कहा । दर्श - " ठीक है " कहकर दर्श अपने घुटनों पर बैठ जाता है । एक छोटी सी लगभग चार साल की बच्ची आकार दर्श की आंखों पर पट्टी बांध देती है । और अपनी तोतली आवाज़ में कहती है । " आपतो... दिख तो नहीं ला ना ? " दर्श उसकी बात सुन हस देता है 🤭 । और अपनी गर्दन ना में हिला देता है । सब बच्चे इधर उधर भागने लगते हैं की कहीं दर्श उन्हें पकड़ ना ले । " मैं यहां हूं भईया । यहां आओ " एक छोटा लड़का बोला । " नहीं भईया यहां " दूसरे लड़के ने कहा । " भईया यहां " एक बच्ची ने कहा । सब बच्चे दर्श को खूब परेशान करते हैं पर दर्श उन्हें पकड़ नहीं पाता । तभी कोई दर्श की बाएं ओर से गुजरता है । दर्श झट से उसे अपनी बाहों में जकड़ लेता है । की कहीं वो भाग ना जाए । जारी । ..... दर्श ने आखिर किसको पकड़ लिया ?? क्या लगता है आपको ?? 🤭

  • 3. तेरा नाम दिल पर लिखा - Chapter 3

    Words: 814

    Estimated Reading Time: 5 min

    सब बच्चे दर्श को खूब परेशान करते हैं पर दर्श उन्हें पकड़ नहीं पाता । तभी कोई दर्श की बाएं ओर से गुजरता है । दर्श झट से उसे अपनी बाहों में जकड़ लेता है । की कहीं वो भाग ना जाए । * * * अब आगे , जैसे ही दर्श उसे पकड़ता है सभी बच्चे हंसने लगते हैं । दर्श अपनी आंखों से पट्टी हटाता है तो अपनी जगह पर जम सा जाता है । दर्श की बाहों में कोई बच्चा नहीं बल्की एक खूबसूरत लड़की थी । 🤭 ..... दोनों की नज़रें आपस में मिली । दर्श बिना पलखें झपकाए उसे देखे जा रहा था । " अरे तुलसी दीदी आप आ गई । चलो आप भी खेलो हमारे साथ । " एक बच्चे ने उस लड़की से कहा । हां भाई हां । वो लड़की तुलसी ही थी । बधाई हो आपका अंदाजा सही निकला । बच्चे की आवाज़ से दर्श अपने होश में आया । तुलसी तो पहले से ही दर्श की पकड़ से छूटने की कोशिश कर रही थी । पर दर्श ने उसे काफ़ी कस कर पकड़ रखा था । होश में आते ही दर्श उसे दूर हो गया । " आई एम सो सॉरी । हम बस खेल रहे थे मुझे पता नहीं चला । Really sorry " दर्श ने तुलसी से कहा । उसे ये सब अजीब लग रहा था । कैसे उसने किसी लड़की को बिना उसकी इजाज़त के अपनी बाहों में थाम लिया । तुलसी गुस्से में दर्श को घूरते हुए बोली । " खेलने का तो ठीक है पर इतनी ज़ोर से पकड़ने की क्या ज़रूरत थी ? अगर मेरी जगह कोई बच्चा होता तो तुम उसे भी इतनी ज़ोर से पकड़ते ? " ..... " चलो बच्चों हम अंदर जाकर खेलते हैं । आगे से इनके साथ मत खेलना 😒 " दर्श - " एक मिनिट । तुम्हें गुस्सा किस बात का है ? मैं बच्चों के साथ खेल रहा था उस बात का या मैंने तुम्हें कस के पकड़ा उस बात का ? " तुलसी - " वजह से बच्चों को चोट लग सकती थी । " " मतलब तुम्हें मेरे पकड़ने से कोई प्रोब्लम नहीं है ? ओह thank god .... मैं तो ऐसे ही guilty फील कर रहा था । .... वैसे भी इतने हैंडसम , चार्मिंग लड़के के पकड़ने से क्या ही प्रोब्लम होगी । " दर्श ने अपने बालों में हाथ घुमाते हुए कहा । तुलसी - " ओह हेलो । Self obsessed इंसान । ..... तुम क्या कहीं के शहज़ादे हो जो इतनी डींगें हांक रहे हो ? " दर्श - " तो तुम कोन सा कोई राजकुमारी हो ? जो बच्चों को हुकुम दे रही हो की मेरे साथ ना खेलें ? " दर्श की बात सुन तुलसी ज़ोर ज़ोर से हस पड़ी । " क्या ? पागल वागल हो गई हो क्या ? " दर्श ने अजीब सा मुंह बनाते हुए कहा । तुलसी ने अपनी हसी कंट्रोल करके एटीट्यूड के साथ कहा । " ये महल मेरी फैमिली का पुश्तैनी मेहल है । तो हुई न मैं यहां की राजकुमारी । " 😏 दर्श ने सोचा था तुलसी को चुप करा देगा पर यहां तो तुलसी ने उसकी ही बोलती बंद कर दी । 😂 दर्श को यकीन नहीं हो रहा था की वो इस पैलेस की राजकुमारी से बात कर रहा है । दर्श - " त.... तो... ( थोड़ा अटकते हुए ) तो क्या हुआ अगर तुम इस पैलेस की प्रिंसेस हो तो । तुम मुझे बच्चों के साथ खेलने के लिए नहीं रोक सकती । तुलसी - " वो तो बच्चे ही बताएंगे की उन्हें किसके साथ खेलना है । " तुलसी ने पीछे पलट के देखा तो सभी बच्चे पहले ही वहां से भाग चुके थे । तुलसी ने दर्श को घूरकर देखा और मुस्कुरा कर पैलेस के अंदर चली गई । सभी बच्चे अपनी तुलसी दीदी को बहुत पसंद करते थे और उसकी सभी बातें मानते थे । क्योंकी तुलसी उनका बहुत ध्यान रखती थी । और हां ये सब बच्चे उस मेहल में काम करने वाली महिलाओं के थे जो अपने छोटे बच्चों को घर छोड़कर नहीं आ सकती थी । इसलिए वो उन्हें यहां लाती थी । और तुलसी को उनके साथ वक्त बिताना बहुत अच्छा लगता था । तुलसी को जाते देख दर्श खुद से ही बोला । " क्या लड़की थी ये । चेहरे से इतनी सुन्दर की कुछ पल के लिए तो मैं भी खो गया । पर इसकी बातें .... ऑफो 😬 । कितना खतरनाक घूरकर गई है । दुबारा इसके सामने मत जाना दर्श क्या पता ये झांसी की रानी तलवार लेके तेरे पीछे ही न पढ़ जाएं । " दर्श अपने कमरे में जाने लगा तो रास्ते में ही किसी ने उसे आवाज़ लगाई । दर्श ने पलट कर देखा तो वहां..... जारी । कैसी लगी दर्श और तुलसी की लड़ाई 😂 ?? मुझे तो बड़ा मज़ा आया ।

  • 4. तेरा नाम दिल पर लिखा - Chapter 4

    Words: 907

    Estimated Reading Time: 6 min

    अब आगे , दर्श अपने कमरे में जाने लगा तो रास्ते में ही किसी ने उसे आवाज़ लगाई । दर्श ने पलट कर देखा तो वहां समीरा थी । समीरा आरुष के ज़रिए दर्श से मिली थी । और जबसे उसने दर्श को देखा है तबसे उसके पीछे पड़ी है । दर्श समीरा को पसंद नहीं करता । उसे ऐसी लड़कियां बिल्कुल नहीं पसंद जिसे अपनी ज़िद के आगे किसी का दर्द भी दिखाई ना दे । और समीरा उसे तो जो चीज़ पसंद आ जाए उसे पाने के लिए वो कुछ भी कर सकती है । " हे भगवान ! क्या दिन है आज का ..... पहले उस लड़की से झड़गा और अब ये चिपकू मेरे सामने आ गई 😬 .... कहां जाऊं मैं ? " दर्श अपने मन में कहता है । समीरा - " हे दर्श । तुम आ गए और तुमने बताया भी नहीं " " आरुष को बताया था । और तुम यहां ? " दर्श ने अंजान बनते हुए कहा । जैसे उसे कुछ पता ही ना हो । समीरा - " obviously अपनी बेस्ट फ्रेंड की शादी अटेंड करने आई हूं । " " ग्रेट यू एंजॉय । मैं बाद में मिलता हूं । अभी मेरे सिर में दर्द हो रहा है । मैं जाके थोड़ा आराम कर लूं ।" दर्श ने एक बड़ी सी स्माइल चेहरे पर बिखेरते हुए कहा । मन में तो उसके कुछ और ही चल रहा था । समीरा - " अरे तुम चलो । मैं तुम्हारा हेड मसाज कर देती हूं । देखना तुम्हारा सिर दर्द पल भर में गायब हो जाएगा । " " सिर दर्द तो गायब हो जाएगा पर दिमाग में जो दर्द होगा उसका क्या 🙄 " दर्श अपने मन में ही बोला । " अरे नहीं नहीं तुम्हें तकलीफ लेने की ज़रूरत नहीं । मैं थोड़ी देर आराम करूंगा तो ठीक हो जाएगा । " कहकर दर्श बिना समीरा की बात सुने वहां से चला गया । * * * रात का वक्त , सबने अपना डिनर अपने अपने कमरों में ही किया । रात काफी हो गई है । सब अपने अपने कमरों में सो गए थे । पर दर्श को नींद ही नहीं आ रही थी और आएगी भी कैसे दिन भर तो वो सोता रहा । दर्श अपनी बालकनी में आया । थोड़ी खुली हवा लेने के लिए दर्श वहीं कुर्सी पर बैठ गया । दर्श ने अपनी आँखें बंद की और एक ठंडी हवा का झोंका उसके चेहरे को छूकर गया । दर्श अभी हवा को महसूस कर ही रहा था की उसे कहीं से पायल की आवाज़ सुनाई दी । उसने अपनी आंखें खोली और आस पास नज़र घुमाई । उसे कोई दिखाई नहीं दिया तो उसने फिर से आंखें बंद कर ली । थोड़ी देर बाद फिर उसे पायल की आवाज़ आई । इस बार दर्श ने बालकनी से नीचे देखा । तो नीचे उसे गार्डन में एक लड़की दिखाई दी । शायद वो कुछ ढूंढ रही थी । दर्श ने सोचा नीचे जाकर देखते हैं । पर फिर उसे खयाल आया की रात के 1 बज रहे हैं । इतना बड़ा महल है और वो भी पुश्तैनी । कहीं कोई भूत चुड़ैल ना हो । ये सब सोच कर दर्श थोड़ा डर गया । पर फिर उसने खुद को शांत किया और कमरे से निकल कर नीचे आ गया । नीचे आकार दर्श ने थोड़ी हिम्मत की और उस लड़की के पास गया । दर्श ने उसके कंधे पर हाथ रखा तो वो डर से चिल्लाई । उसकी चीख सुनकर दर्श की भी चीख निकल गई । दर्श - " तुम यहां क्या कर रही हो ? " " मेरी छोड़ो .... तुम यहां क्या करने आए हो ? " वो लड़की कोई और नहीं तुलसी ही थी । 🤭 दर्श - " आधी रात को इतने बड़े महल में राजकुमारी को घूमना शोभा देता है क्या ? " तुलसी - " ओह हैलो ! .... ये हमरा महल है । मैं चाहे दिन में घूमूं या रात में । तुम्हें उससे क्या ? और तुम चिल्लाए क्यों ? " दर्श - " पहले तुम चिल्लाई " 😬 तुलसी - " हां तो तुम ऐसे एक दम से आ गए तो मैं डर गई । .... वैसे तुम क्यों चिल्लाए ? " दर्श - " इतने पुराने महल में आधी रात को पायल पहन के भूत चुडैलों की तरह घूमोगी तो कोई भी डर जाएगा ना । " तुलसी - " तो तुमसे किसने कहा था अपने कमरे से बाहर निकलने को 🙄 " " वैसे तुम इतनी रात को यहां क्या कर रही हो ? " दर्श ने अपनी भौहें उचकाते हुए कहा । " वो मेरी एक पायल नहीं मिल रही । मैने हर जगह देख लिया । शायद शाम को तुमसे लड़ते वक्त यहां गिर गई हो । इसलिए ढूंढ रही हूं । " तुलसी ने उदास सा चेहरा बनाते हुए कहा । " इतनी रात को तुम एक पायल ढूंढ रही हो । " दर्श ने उसे आश्चर्य से देखते हुए कहा । तुलसी - " हां । और कुछ कहना है ? " " नहीं । पर.... " इससे आगे दर्श कुछ कहता तुलसी ने उसे बीच में रोकते हुए कहा । " जाओ जाके सो जाओ । " कहकर तुलसी वापिस अपनी पायल ढूंढने लगी । तुलसी का परेशान चेहरा दर्श को अच्छा नहीं लगा । दर्श - " मैं मदद करता हूं तुम्हारी । " जारी । क्या तुलसी दर्श की मदद लेगी ? 🤭

  • 5. तेरा नाम दिल पर लिखा - Chapter 5

    Words: 1156

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब आगे , तुलसी का परेशान चेहरा दर्श को अच्छा नहीं लगा । " मैं मदद करता हूं तुम्हारी । " दर्श ने आगे बढ़ते हुए कहा । " कोई ज़रूरत नहीं है । " तुलसी ने उसे साफ़ मना कर दिया । दर्श - " चुरा नहीं लूंगा तुम्हारी पायल ।.... I'll help you " तुलसी ने एक बार उसकी ओर देखा । थोड़ा सोचने के बाद वो मान गई । आखिर फायदा तो उसी का था । दोनों गार्डन में पायल ढूंढने लगे । दर्श पायल ढूंढते हुए खुद में ही बड़बड़ा रहा था । " क्या है ये लड़की । एक तो आधी रात को पायल कौन ढूंढता है सुबह भी तो ढूंढ सकती थी । और ऊपर से हेल्प लेने में भी इतने नखरे । हर वक्त बस झांसी की रानी बनना है इसको " । कुछ देर ढूंढने के बाद दर्श को एक चमकती चीज़ दिखी । दर्श ने उसे उठा कर देखा तो वो एक पायल थी । दर्श उस पायल को अपने हाथ में लहराते हुए तुलसी की तरफ़ मुड़ा । दर्श पायल को हाथ में लहराते हुए " ये है क्या ? " " हां । यही है मेरी पायल " तुलसी ने दर्श के हाथ से पायल लेनी चाही तो दर्श ने अपना हाथ पीछे कर लिया ।.... तुलसी ने फिर से हाथ आगे किया पर दर्श ने फिर अपना हाथ पीछे कर लिया । अब तुलसी चिढ़ गई । तुलसी - " क्या कर रहे हो ? मेरी पायल मुझे दो " । " एक शर्त पर " कहते हुए दर्श के चेहरे पर एक कातिल मुस्कान बिखर गई । " कैसी शर्त ? " तुलसी ने उसे घूरते हुए कहा । " मैं ये पायल तुम्हें पहनाऊंगा " कहते हुए दर्श के चेहरे की मुस्कान और गहरी हो गई । " ओह हैलो । अपनी ये तरकीबें ना किसी और पर आजमाना । मैं नहीं आने वाली तुम्हारी बातों में । मुझे मेरी पायल दो । " तुलसी ने उसपर अपना गुस्सा बरसाते हुए कहा 😤 । दर्श - " ठीक है । दम है तो खुद लेलो " तुलसी दर्श के हाथों से अपनी पायल खींचने की कोशिश करने लगी । पर दर्श बार बार अपना हाथ दूर ले जा रहा था । तुलसी अपनी पैरों की उंगलियों पर खड़ी हो गई ताकी उसका हाथ दर्श के हाथ के पास पहुंच सके और दर्श की तरफ़ झुक कर उसके हाथ से पायल लेने लगी । दोनो काफ़ी करीब खड़े थे । एक पल को दर्श की नज़रें तुलसी के चेहरे पर आ ठहरी । जब तुलसी ने दर्श की तरफ़ देखा तब उसे एहसास हुआ की वो अंजाने में उसके कितना करीब आ गई है । तुलसी उससे दूर हटी । उसने एक गहरी सांस ली और कहा । " एक काम करो इसे तुम ही रख लो । मैं भी देखती हूं तुम इस पायल का आखिर करते क्या हो । " कहकर तुलसी वहां से चली गई । दर्श ने एक नज़र जाती हुई तुलसी को देखा और फिर उस पायल को देखते हुए खुद से ही बोला । " ये क्या हरकतें कर रहा हूं मैं ? मैंने उसे उसकी पायल क्यों नहीं दी ? पर उसने भी तो मुझे इतना परेशान किया । मैं भी तो थोड़ी मस्ती कर सकता हूं 🤭 । ...... पर अब मैं इस पायल का क्या करू ? ... कल दे दूंगा उसे । " दर्श ने एक गहरी सांस ली और उस पायल को अपनी जेब में रख लिया । दर्श ने गार्डन पर एक नज़र डाली जो इस वक्त काफ़ी भूतिया लग रहा था । बिना एक भी सेकंड गवाए दर्श अपने कमरे में आ गया । इधर तुलसी का चेहरा उदास था । तुलसी अपने कमरे में बेड पर लेटी थी पर उसे नींद नहीं आ रही थी । तुलसी खुद से बोली .... " मां की पायल ....क्यों मैंने वो पायल गिराई । 🥺 ... कोई बात नहीं तुलसी अब गिरनी थी तो गिर गई । ..... और वो चमगादड़ 😬 ..... ऐसे लड़कों को तो बस मोका चाहिए होता है लड़कियों से फ्लर्ट करने का । तू फिकर मत कर आखिर वो करेगा भी क्या तेरी पायल का । मिल जायेगी तुझे । " ये सब सोचते हुए और खुद को दिलासा देते हुऐ तुलसी की आंख लग गई । * * * अगली सुबह , दर्श , आरुष , आशना , उनके दोस्त और भाई बहन सब साथ में नाश्ता करते हैं । अब मैं आपको कुछ नए किरदारों से मिलवाती हूं । जिनके बारे में मैंने पहले ज़िक्र नहीं किया । अभी इसलिए बता रही हूं क्यूंकि आगे इनकी भूमिका है कहानी में । रूहान - " आरुष और दर्श का दोस्त । उम्र में उनसे थोड़ा बड़ा है । मिजाज़ ज़रा मजाकिया है । सगाई हो गई है और यहां अकेला शादी में शामिल होने आया है । " गरिमा - " आशना की एक और दोस्त । समीरा, आशना और गरिमा एक दूसरे को स्कूल टाईम से जानते हैं । अच्छे स्वभाव की लड़की है । " नाश्ता करने के बाद आशना तुलसी को अपने पास बुलाती है जो इस वक्त कुछ सामान रखवा रही थी । आशना तुलसी को अपने कुछ और दोस्तों से मिलवाती है जो कल ही आए थे । इसी दौरान तुलसी और गरिमा की भी जान पहचान हो जाती है । आरुष और दर्श भी उनके पास आते हैं । आरुष ने दर्श और तुलसी को एक दूसरे से मिलवाते हुए कहा । " तुलसी ये है मेरा बेस्ट फ्रैंड , मेरा भाई , मेरा जिगरी यार दर्श मेहरा । और दर्श ये तुलसी है आशना के मामा की बेटी और ये जो इतना सुन्दर और आलीशान पैलेस है ये भी इन्ही का है । " " तभी तो रात को चुड़ैल बनी घूमती है । " दर्श ने आंखें घूमते हुए धीरे से कहा .... पर तुलसी ने सुन लिया । तुलसी ने दर्श को देखा और उसे घूरते हुए मन में बोली । " अगर मुझे मेरी पायल ना लेनी होती तो मैं अभी इस चमगादड़ का मुंह तोड़ देती ।" 😤 दोनों का मन में एक दूसरे की बुराई करना चालू था । अब सबके सामने तो दोनों झगड़ा कर नहीं सकते थे । आरुष और आशना के हिसाब से तो दोनों अभी पहली बार मिले हैं । तुलसी तो दर्श को लगातार घूरे जा रही थी । दोनों को कल रात की बातें याद आ गई । दर्श को याद आया की उसके पास तो तुलसी की पायल थी जो उसे तुलसी को वापिस करनी थी । पर दर्श भी कहां कम था इतनी आसानी से थोड़ी पायल हाथ में थमा देगा । 🤭 थोड़ी देर बाद , आरुष , आशना , तुलसी , दर्श और रूहान गार्डन में बैठे बातें कर रहे थे । तुलसी वहां बैठना तो नहीं चाहती थी मगर अपनी पायल और आशना के कहने पर वहां उन सबके साथ बैठ गई । जारी । कैसे लेगी तुलसी दर्श से अपनी पायल ?