इशिका शर्मा, एक मासूम सी लड़की, जो बेहद बेपरवाह और जिंदादिल लड़की है। क्या होगा, जब अपने हर दूसरे कदम के साथ गलती करने वाली इशिका की लाइफ में एक परफेक्ट इंसान आएगा। एके, उर्फ आरव कपूर, जो दुनिया के लिए एक सक्सेसफुल बिलेनियर बिजनेसमैन है, जबकि असल सच्... इशिका शर्मा, एक मासूम सी लड़की, जो बेहद बेपरवाह और जिंदादिल लड़की है। क्या होगा, जब अपने हर दूसरे कदम के साथ गलती करने वाली इशिका की लाइफ में एक परफेक्ट इंसान आएगा। एके, उर्फ आरव कपूर, जो दुनिया के लिए एक सक्सेसफुल बिलेनियर बिजनेसमैन है, जबकि असल सच्चाई उससे बिल्कुल परे है। आरव कपूर, कोई ओर नहीं माफिया की दुनिया का किंग है, जिसके साथ मौत चलती है। क्या होगा, जब मासूम सी इशिका और आरव टकराएंगे और आरव को उससे पहली नजर में प्यार हो जाएगा। क्या आरव छुपा पाएगा, अपनी आइडेंटिटी और रह पाएगा इशिका के साथ? क्या होगा जब इशिका के सामने आरव की सच्चाई आएगी। क्या इशिका आरव को छोड़ देगी या आरव इतनी आसानी से अपने पहले प्यार को जाने देगा? जानने के लिए पढ़िए, "mafia king's innocent obsession."
Page 1 of 1
"उफ़्फ़! मैं फिर से लेट हो गई!" इशिका हड़बड़ाते हुए बड़बड़ाई।
उसके घने, काले बाल रातभर अधूरी नींद की वजह से बिखरे हुए थे। जल्दी में उसने उन्हें ढीली-सी पोनीटेल में बाँधा था, लेकिन कुछ लटें बार-बार उसके माथे पर गिर रही थीं। हल्की ओवरसाइज़ व्हाइट टी-शर्ट और नीली जीन्स में वह सिंपल लग रही थी, फिर भी उसकी सादगी में एक अलग सी ताज़गी झलक रही थी।
आँखों में मासूमियत थी, गालों पर हल्की लाली और उसके पतले होंठों पर हल्का सा लिप बाम— ये छोटी-छोटी चीज़ें थी जो उसे और खूबसूरत बना रही थीं।
वो तेज़ी से अपने पैरों को सैंडल में सरकाते हुए आगे बढ़ी। उसके हाथ में ऑरेंज जूस का छोटा सा कैन था, जो आज का उसका ब्रेकफ़ास्ट था।
जैसे ही वह दरवाज़े से बाहर निकली, वो अपनी पड़ोसन, मिसेज जया भटनागर से टकराने ही वाली थी।
"अरे बाप रे! ज़रा ध्यान से! तुमने तो मेरी सब्ज़ियां लगभग गिरा ही दी थी!" मिसेज जया ने डाँटते हुए कहा। उनके हाथ में टोकरी थी, जिसमें से कुछ टमाटर बाहर की तरफ निकल रहे थे।
इशिका ने जल्दी से कहा, "सॉरी आंटी! लेकिन मुझे सच में बहुत देर हो रही है!"
जया जी ने पीछे से आवाज़ लगाई, "क्या तुम्हारा अलार्म टाइम पर नहीं बजा?"
इशिका दौड़ते हुए बोली, "नहीं।"
"मैं सेट करना भूल गई थी।"
मिसेज जया ने भौंहें सिकोड़ीं और सिर हिलाया और कहा, "आज इतना इम्पोर्टेंट दिन है, और तुम अलार्म सेट करना भूल गई? मैं हमेशा कहती हूँ कि तुम कितनी लापरवाह हो, तुम्हारा सिर हमेशा बादलों में रहता है। अगर तुम ऐसे ही चलती रहीं, तो तुम्हें पता भी नहीं चलेगा कि कब कोई तुम्हें बेवकूफ बना देगा।"
इशिका दौड़ते हुए बोली, "सॉरी आंटी, मैं वापस आकर आपकी सारी डाँट सुनूँगी, लेकिन अभी मुझे भागना है! अगर मैं यूनिवर्सिटी पहुंचने में लेट हुई, तो… मैं तो मर ही जाऊँगी!"
वह बिजली की तरह तेज़ी से आगे बढ़ी। उसके काले बाल हवा में लहरा रहे थे।
"रुको! क्या वह ऑरेंज जूस ही तुम्हारा ब्रेकफ़ास्ट था?" मिसेज जया ने पीछे से आवाज़ लगाई।
लेकिन इशिका तब तक वहाँ से जा चुकी थी।मिसेज जया ने एक गहरी साँस ली। "ओह, बेचारी… अपना ख़्याल भी नहीं रख सकती। काश उसे कोई ऐसा मिल जाए जो उसका ख़्याल रख सके।"
---
इशिका यूनिवर्सिटी के गेट की तरफ़ भागी और जैसे ही उसने अंदर कदम रखा, उसके घुटनों ने जवाब दे दिया उसके घुटने लगभग से जाम हो गए थे।
"हाह...हाह..." वह हाँफने लगी, उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था। इशिका हांफते हुए बोली "मैं आ गई... मैं आ गई... आख़िरकार पहुँच ही गई।" वह एक पल के लिए दीवार का सहारा लेकर खड़ी हुई, उसके माथे पर पसीने की बूँदें चमक रही थीं। उसकी साँस फूल रही थी, लेकिन उसके चेहरे पर जीत की एक पतली सी मुस्कान थी।
उसने अपनी घड़ी देखी। सेमिनार शुरू होने में सिर्फ़ पाँच मिनट बचे थे।
"उफ़्फ़्फ़! सिर्फ़ पाँच मिनट! क्या इस बेचारी आत्मा को एक पल के लिए भी आराम नहीं मिल सकता?" उसने मन ही मन सोचा और लगभग रो पड़ी। उसकी कमर में हल्का दर्द महसूस हो रहा था, लेकिन उसके पास रुकने का टाइम नहीं था। यह सेमिनार उसके लिए बहुत ज़रूरी था, उसकी डिग्री और उसके फ्यूचर के लिए।
इशिका ने फिर से अपनी मैराथन शुरू की, लेकिन इस बार रास्ता उतना स्मूथ नहीं था, जितना पहले था। उसका दिमाग़ सिर्फ़ सेमिनार हॉल तक पहुँचने पर फोकस कर रहा था। वो दौड़ते हुए अचानक किसी से टकरई, इशिका एक सेकंड देर से समझ पाई कि वह किसी से टकरा गई थी।
उसके हाथ में जो फ़ाइल थी, वह हवा में उड़ गई और उसके अंदर सलीके से रखे सारे पेपर्स एक तूफ़ानी बारिश की तरह ज़मीन पर बिखर गए।
इशिका का दिमाग़ सुन्न पड़ गíया।
"बस हो गया... मैं मर गई... मेरा काम ख़त्म।" इशिका खुद से बुदबुदायी
उसकी प्रेज़ेंटेशन फ़ाइल में थीसिस पेपर्स का मोटा-सा बंडल था। जैसे ही वो हवा में उड़कर चारों तरफ फैल गया, उसे लगा जैसे एक नई आफत उसके सामने खड़ी हो। इतने सारे पेपर्स को दुबारा अरेंज करना, उसके जैसी मेसी लड़की के लिए, अलमोस्ट इम्पॉसिबल टास्क था। और सबसे बड़ी टेंशन — सिर्फ़ चार मिनट बचे थे! इतनी कम टाइम लिमिट में तो सिर्फ मिरेकल ही हो सकता था।
आज का सेमिनार उसकी जॉब हंटिंग के लिए बहुत इम्पोर्टेंट था। और उसे प्रेजेंट करने वालों में सबसे पहले रखा गया।
प्रोफेसर ने सख़्ती से वार्निंग दी थी कि लेट आने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और जो चांस खो देगा, उसे दोबारा मौका नहीं मिलेगा।
प्रोफेसर की सख़्त आवाज़ अब भी कानों में गूंज रही थी —
“लेट आने वालों को कोई दूसरा मौका नहीं मिलेगा।”
उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था, हाथ थोड़े काँप रहे थे और दिमाग में हर तरह का डर दौड़ रहा था। चार मिनट का टाइमिंग, प्रोफेसर की सख़्ती और उसकी नर्वसनेस – सब मिलकर उसे ऐसा महसूस करा रहे थे जैसे पूरा सेमिनार उसका मिनी-डूम्सडे बन चुका हो।
इशिका ने पिछली रात इसी सेमिनार की तैयारी में देर तक मेहनत की थी। इतनी कि, ठीक से सो भी नहीं पाई और थकान में अलार्म लगाना ही भूल गई। अब उसे लग रहा था मानो उसकी सारी कोशिशें बेकार चली जाएँगी।
वह घुटनों के बल बैठ गई, और अंदर से पूरी तरह टूटी हुई। पेपर्स उसके हाथ से फिसलकर ज़मीन पर बिखरते जा रहे थे, और उसकी आँखों के सामने मानो पूरी दुनिया डगमगा रही थी।
इशिका खुद से बातें कर रही थी “सब कुछ खराब हो गया,मैं तो गई काम से, ना प्रेजेंटेशन, ना जॉब"
वहाँ से गुज़र रहे दूसरे स्टूडेंट्स उसे देखकर हँस रहे थे और बातें कर रहे थे "इसका कुछ नहीं हो सकता, कितनी केयरलैस है ये।" उनकी फुसफुसाहट इशिका को साफ़ सुनाई दे रही थी।
"कम से कम मेरी मदद तो कर दो, मेरा मज़ाक उड़ाने के बजाय! कितने पत्थर दिल लोग हैं," इशिका ने अपने मन में कहा।
लेकिन तभी उसने अचानक अपने गालों पर ज़ोरदार थप्पड़ मारा। "होश में आ, सोनिया! तुम यहाँ हार नहीं मान सकती! तुम अभी भी कर सकती हो!"
इशिका ने घबराहट में अपने थीसिस पेपर्स तेज़ी से समेटने शुरू किए और उन्हें छाँटने की कोशिश करने लगी। लेकिन हर पल के साथ उसका आत्मविश्वास कम होता जा रहा था। यह काम अब उसे लगभग असंभव लगने लगा। उसकी आँखों में हल्के आँसू चमकने लगे जब उसने मन ही मन सबसे बुरी सिचुएशन को इमेजिन किया। उसके कंधे मानो हार मानकर झुक गए।
“मेरी जॉब…” वह बुदबुदाई।
तभी अचानक, किसी ने उसके हाथों से सारे पेपर्स ले लिए।
“ह-हे! वापस दो! वे मेरे हैं!” इशिका चौंककर बोली।
लेकिन उसके बाकी शब्द उसके होंठों तक ही अटक गए, क्योंकि सामने उसने देखा—थ्री पीस सूट में एक बेहद हेंडसम आदमी था। उसकी हल्की ग्रे आईज और फेस पर हल्की बियर्ड अगर कोई एक बार देख ले तो नजर न हटा पाए। वो उसके सामने घुटनों के बल झुका और इशिका का मुँह खुला का खुला रह गया।
"य-यह कौन है? यह हैंडसम आदमी कौन है? मुझे लगा था कि ऐसे हैंडसम आदमी सिर्फ़ फ़िक्शन में ही होते हैं।"
उसकी एक झलक ने इशिका के दिल में हलचल मचा दी थी।
उसका मुँह कई बार खुला और बंद हुआ, लेकिन वह कुछ भी नहीं कह पाई।
इशिका का दिल जोरो से धड़ने लगा उसने अपने दिल पर हाथ रखा "क्या मेरा दिल हमेशा इतनी ज़ोर से धड़कता था? मुझे यह पहली बार क्यों सुनाई दे रहा है?"
उस पल समय थम सा गया। इशिका को लगा कि इस भीड़ में भी, वे दोनों ही यहाँ अकेले थे।
इशिका की सांसें अभी भी तेज़ चल रही थीं। फिर तुरंत उसकी नजर ज़मीन पर बिखरे हुए पन्नों पर गई उनको देखकर उसकी आँखों में बेबसी झलक रही थी। उसने एक नजर वापस उन पन्नों की तरफ देखा तो उसे कोई उठा रहा था, वो कोई और नहीं वही हैंडसम आदमी था जिसे देखकर उसके दिल की धड़कन तेज चलने लगी थी।
वो इस काम को ऐसे कर रहा था, जैसे यह बस एक और साधारण काम हो। लेकिन इशिका के लिए? यह तो किसी चमत्कार से कम नहीं था।
उसने एक पल को उन पन्नों पर नज़र डाली और फिर... जैसे कोई जादूगर मंच पर अपने ट्रिक्स दिखाता है, वैसे ही उसके हाथ तेज़ी से चलने लगे। पन्ने हवा में हल्के से सरकते, उसकी उंगलियों के बीच फिसलते और पल भर में सही क्रम में आकर जम जाते।
हर मूवमेंट इतना फ्लूइड, इतना स्मूद था कि इशिका पलक भी झपकाना भूल गई। उसे लगा मानो किसी म्यूज़िक की धुन पर वो हाथ डांस कर रहे हों।
सिर्फ कुछ सेकंड्स और जहाँ अभी थोड़ी देर पहले अफ़रा-तफ़री मची थी, वहाँ अब एक सलीके से रखा हुआ साफ़-सुथरा ढेर था और ज़मीन पर कोई भी पन्ना इधर-उधर नहीं।
उस आदमी ने उसे घूर कर देखा और वह सीधी खड़ी हो गई।उसने शांति से पेपर्स उसे वापस कर दिए।
इशिका ने उन्हें एक झटके में वापस ले लिया। उसने चेक किया और उसकी आँखें हैरानी से बाहर निकल आईं। इशिका ने तेज़ी से पन्नों को पलटा। उसकी थीसिस के सभी एक सौ चौहत्तर पन्ने सही पेज नंबर के साथ, करीने से एक के नीचे एक जमे हुए थे।
इशिका ख़ुशी से चिल्लाई—
"यह... यह... यह तो एक मिरेकल है!"
"तुम... तुमने यह कैसे किया?"
लेकिन उस आदमी ने कोई जवाब नहीं दिया।
"मुझे भी यह जादू सिखाओ!"
ख़ामोशी से वह बस उसे घूर रहा था।
इशिका इतनी ख़ुश थी कि उसने उसके हाथ पकड़ लिए और उन्हें ज़ोर से हिलाया।
"बहुत-बहुत शुक्रिया सर! आपने आज मेरी जॉब बचा ली!"
उस आदमी ने नीचे अपनी हथेलियों को देखा, जिन्हें इशिका पकड़े हिला रही थी, लेकिन उसके चेहरे पर ज़रा भी बदलाव नहीं आया।
इशिका को अचरज हुआ।
'वह कुछ कह क्यों नहीं रहा है?'
फिर अचानक उसके दिमाग़ में कुछ क्लिक हुआ।
'हम्म... ओह!'
उसका दिल बैठ गया।
"ओह, भगवान... हे भगवान, क्यों? आपने इतना बेहतरीन आदमी बनाया, लेकिन उसे आवाज़ देना भूल गए? कितने निर्दयी हो आप!"
इशिका ने थोड़ी झिझक के साथ आगे बढ़कर उसके कंधे पर हल्के से थपथपाया।
"चिंता मत करो। भले ही तुम बोल नहीं सकते, लेकिन भगवान ने तुम्हें एक गॉडली-हैंडसम चेहरा तो दिया है। वहाँ, वहाँ…" उसने उसे सांत्वना देने के अंदाज़ में कहा।
लेकिन उस आदमी के चेहरे पर कोई असर नहीं हुआ। वह अब भी उसी अनरीडेबल एक्सप्रेशन के साथ उसे घूर रहा था।
इशिका अचानक हड़बड़ा कर खड़ी हो गई।
"मुझे अब भागना होगा!" उसने जल्दी से कहा।
फिर दोबारा झुककर उसने आभार व्यक्त किया—
"एक बार फिर आपका बहुत-बहुत धन्यवाद! अगर हम फिर कभी मिले, तो प्लीज़ मुझे आपको एक मील ट्रीट करने देना। या अगर आपको मेरी मदद की ज़रूरत पड़े… तो बेझिझक पूछना!"
इशिका हवा की तरह तेज़ी से भाग गई, और माफ़िया किंग, जिसने अपनी ज़िंदगी में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा था, पहली बार उसे जाते हुए देखने के लिए मुड़ा।
उसने अपनी जेब से एक सिल्की ब्लैक फ़ोन निकाला, उसे अपने कान से लगाया, उसकी नज़रें अभी भी उस दिशा में थीं जहाँ से इशिका गई थी
"उस लड़की के बारे में सारी इन्फॉर्मेशन चाहिए," उसकी आवाज़ ठंडी और शांत थी, लेकिन उसमें एक अथाह गहराई थी जो किसी को भी कंपकपा सकती थी। "पता करो, वह कौन है, कहाँ रहती है, उसके पेरेंट्स कौन हैं, और आज उसका यह प्रेजेंटेशन किस कंपनी के लिए था।"
फ़ोन के दूसरी तरफ़ से एक घबराई हुई आवाज़ आई, "जी, बॉस तुरंत जानकारी मिल जाएगी।"
माफ़िया किंग ने फ़ोन कट कर दिया, लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। उसके चेहरे पर अब एक हल्की सी, लगभग इंपरसेप्टिबल मुस्कान थी, जो उसके स्टोइक चेहरे पर किसी विलेन की शातिर चाल की तरह लग रही थी।
'तो, इशिका शर्मा ,' उसने मन ही मन दोहराया, "तुम्हें लगता है मैं बेजुबान हूँ? और मुझे ट्रीट देना चाहती हो?" उसकी मुस्कान गहरी हुई, 'तुमने तो खुद ही अपने लिए परेशानी खड़ी कर दी'
तभी उसके पास एक और आदमी आया, जिसका चेहरा कठोर और डरा हुआ था, वह शायद उसका सिक्योरिटी चीफ़ था।
"बॉस, आज के लिए आपकी अगली मीटिंग शिडयूल्ड है। मिस्टर अरोड़ा आपका इंतज़ार कर रहे हैं, और वह कुछ ज़्यादा ही बेचैन लग रहे हैं..."
माफ़िया किंग ने उसे एक नज़र से देखा, जिससे आदमी तुरंत चुप हो गया। उसकी आँखें किसी शिकारी की तरह थीं।
"मिस्टर अरोड़ा इंतज़ार करते रहेंगे," उसने कहा, उसकी आवाज़ में लोहे जैसी दृढ़ता थी। "मेरी प्रायोरिटी अब कुछ और है।"
उसकी निगाहें फिर से उस दिशा में मुड़ीं जहाँ इशिका भागते हुए गई थी, उसकी आँखों में एक गहरा, अनजाना इरादा था। वह केवल उसे 'एक अनाड़ी लड़की' के रूप में नहीं देख रहा था, उसकी नज़रें उससे कहीं ज़्यादा दूर, कहीं ज़्यादा गहरे फ्यूचर को देख रही थीं।
"और अगर वह इस जॉब के लिए सेलेक्ट हो जाती है, तो उसकी कंपनी के मालिक को कह देना कि मुझे उनके साथ डिनर पर बात करनी है," उसने अपने सिक्योरिटी चीफ़ को निर्देश दिया, जिसकी आवाज़ में एक अजीब सा ऑथोरिटी था,"और अगर वह सेलेक्ट नहीं होती है... तो मुझे उसकी ख़ुद से मिलने की व्यवस्था चाहिए, किसी भी कीमत पर।"
सिक्योरिटी चीफ़ ने सिर झुका लिया, उसके चेहरे पर एक गहरी चिंता छा गई। उसे पता था कि जब बॉस कोई बात इतनी गंभीरता से कहते हैं, तो उसका मतलब क्या होता है। यह सिर्फ़ एक रिक्वेस्ट नहीं थी, यह एक हुक्म था। इशिका का जीवन, अनजाने में, एक ऐसे जाल में उलझ चुका था, जिससे बाहर निकलना लगभग असंभव था, और उसे अभी तक इस बात की भनक भी नहीं थी.
क्या इशिका को कभी पता चल पाएगा कि जिस 'बेजुबान' आदमी ने आज उसकी मदद की, वह असल में एक ख़तरनाक माफ़िया किंग था, जिसकी दुनिया में एक बार घुसने के बाद बाहर निकलना नामुमकिन था? और क्या वह कभी समझ पाएगी कि उसकी एक छोटी सी मदद की पेशकश ने उसकी ज़िंदगी की दिशा ही बदल दी थी?
सेमिनार हॉल के अंदर, मेघा ने हाथ हिलाया,
"इशिका , यहाँ! हे भगवान, तुम आख़िरकार आ ही गईं!"
इशिका हाँफती हुई उसकी बगल वाली कुर्सी पर बैठ गई। इशिका की साँस अभी भी तेज़ चल रही थी, जैसे वो किसी लंबी दौड़ से सीधा यहाँ पहुँची हो। माथे पर पसीने की महीन बूँदें चमक रही थीं, और बाल थोड़े बिखरे हुए थे।
मेघा ने हँसते हुए उसके सिर पर हल्का सा थप्पड़ मारा।
"सीरियसली, इशिका? तू तो बड़ी मुश्किल से टाइम पर पहुँची है!"लेकिन इशिका उसकी बात सुन ही नहीं रही थी।
इशिका की आँखों में एक अजीब सी चमक थी — जैसे उसने अभी-अभी कुछ ऐसा देखा हो, जो उसके दिमाग़ से निकल ही नहीं रहा।
मेघा ने भौंहें चढ़ाईं। "अरे, मैं तुमसे बात कर रही हूँ, बेवक़ूफ़!" मेघा की आवाज़ में हल्की सी झुंझलाहट थी, लेकिन उसके चेहरे पर मुस्कान अब भी थी।
"मेघु, (इशिका प्यार से मेघा को यहीं बोलती थी) मुझे लगता है मैं प्यार में पड़ गई हूँ..." इशिका ने धीरे से बुदबुदाया, जैसे वो किसी सपने में बोल रही हो।
मेघा का मुँह खुला का खुला रह गया। "क्या? तुम्हारा सर कहीं टकरा गया है क्या?"
"नहीं, लेकिन मेरा दिल ज़रूर कहीं टकराया है। मेघु, क्या फ़र्स्ट लव ऐसा ही होता है? मुझे अपनी धड़कनें इतनी साफ़ सुनाई दे रही हैं।" इशिका ने अपने सीने पर हाथ रखा, इशिका ने अपनी आंखों को बंद करके कहा । इशिका के चेहरे पर एक ऐसी मासूमियत थी जो मेघा ने पहले कभी नहीं देखी थी।
मेघा ने उसके गालों को ज़ोर से खींचा। "ओह! ओह! दर्द हो रहा है!" इशिका चिल्लाई।
"दर्द होना ही चाहिए। जब तुम्हारी इतनी इम्पोर्टेंट प्रेज़ेंटेशन है, तब तुम्हें प्यार के बारे में सोचने की क्या ज़रूरत है?" मेघा ने अपने हाथों को कमर पर रखा, उसकी आवाज़ में डाँटने का लहजा था, लेकिन आँखों में हल्की सी चिंता भी थी।
इशिका ने एक गहरी साँस ली और कहा, "मैं क्या करूँ अगर मुझे बाहर एक इतना हैंडसम आदमी मिला, जिसने आज मेरी जॉब बचाई? जिस पल से मैंने उसे देखा हैं, तब से सिर्फ़ उसका चेहरा मेरे दिमाग़ में एक स्वीट सायरन की तरह घूम रहा है।"
मेघा ने अपना माथा पकड़ लिया। "तुम कौन हो? मेरे दोस्त के शरीर पर किसने कब्ज़ा कर लिया है?" उसने मज़ाक में कहा, लेकिन उसकी आवाज़ में थोड़ी सी हैरानी भी थी।
"मैं अभी भी वही हूँ, इशिका शर्मा।" इशिका ने मुस्कुराते हुए कहा।
ठीक उसी पल, दरवाज़ा खुला और प्रोफेसर अंदर आए। उनके चेहरे पर हमेशा की तरह वो सख़्त और गंभीरता थी। पूरे हॉल में एक पल के लिए सन्नाटा छा गया।
इशिका ने फुसफुसाते हुए कहा। "मैं तुम्हें सब कुछ बाद में बताऊँगी।"
मेघा का मुँह थोड़ा टेढ़ा हुआ। "बस इस प्रेज़ेंटेशन को ख़राब मत करना।"
"उस हैंडसम आदमी ने मेरी जॉब बचाई है, तो मैं इसे ख़राब नहीं करूँगी और उसकी मदद को बर्बाद नहीं जाने दूँगी।" इशिका ने एक स्ट्रांग वॉइस के साथ कहा।
मेघा के पास कहने के लिए और कुछ नहीं था। उसे पता था कि जब इशिका कुछ ठान लेती है, तो वो उसे पूरा करके ही दम लेती है।
प्रोफेसर पोडियम के बीच में खड़े हुए। उनकी गहरी आवाज़ हॉल में गूँज उठी—
“स्टूडेंट्स। मुझे उम्मीद है कि आप अपनी प्रेज़ेंटेशन के लिए तैयार हैं।”
प्रोफेसर ने हाथ के इशारे से पैनल के दूसरी ओर बैठें जजेस की ओर सबका ध्यान डायवर्ट किया।
“यहाँ आपके सामने जजिंग पैनल बैठा है। अलग-अलग कंपनियों के एग्ज़ेक्यूटिव्स का यह मिक्स आपकी थीसिस और परफ़ॉर्मेंस को जज करेगा। अगर उन्हें आपका काम पसंद आया, तो वे आपको सीधे जॉब कॉन्ट्रैक्ट ऑफ़र करेंगे। और हाँ, अगर किसी स्टूडेंट को एक से ज़्यादा ऑफ़र मिले, तो वह अपनी पसंद की कंपनी चुनने के लिए आज़ाद होगा। रिज़ल्ट लंच के बाद अनाउंस किए जाएँगे।”
सभी स्टूडेंट्स ने सिर हिलाया। सेमिनार हॉल में एक अलग सा तनाव महसूस किया जा सकता था। हर किसी के चेहरे पर थोड़ी घबराहट थी, थोड़ी उम्मीद थी। ये उनके करियर का सवाल था।
"कोई सवाल?" प्रोफेसर ने अपनी तीखी निगाहों से सबको देखा।
"नहीं सर।" सभी स्टूडेंट्स ने एक साथ कहा।
प्रोफेसर ने आगे कहा "हम शुरू करने जा रहे हैं। इस पल से, किसी भी लेट स्टूडेंट को हॉल में आने की इजाज़त नहीं है।" प्रोफेसर के शब्द हॉल में गूँजे।
इशिका ने गले में घूँट भरी और अपने मन में कहा, “मैं सचमुच आज वो लेट स्टूडेंट हो सकती थी। उस आदमी ने मेरी जान बचा ली, सच में।”
इशिका के दिमाग़ में फिर से उस हैंडसम आदमी का चेहरा घूम गया।
लाइट्स धीमी हुईं और प्रोजेक्टर शुरू हुआ। स्क्रीन पर पहला स्लाइड दिखा।
"इशिका शर्मा।" प्रोफेसर ने पहला नाम पुकारा।
"यस सर!" इशिका तेज़ी से खड़ी हुई, लेकिन उसका घुटना डेस्क से टकराया और वो दर्द से 'ओह...' करके चिल्लाई।
"प्फ़्ट..." दूसरे स्टूडेंट्स ने फुसफुसाते हुए उसकी इस बेवकूफी पर हँसना शुरू कर दिया। हॉल में हल्की फुसफुसाहट और हँसी गूँज उठी।
मेघा ने अपना माथा पकड़ लिया। "ओह, इशिका! तुम कब सुधरोगी?"
"चुप रहो!" प्रोफेसर की आवाज़ ने पूरी क्लास में सन्नाटा कर दिया।
सब सीधे होकर बैठ गए।
"मिस इशिका शर्मा। अब तुम्हारी बारी है।" इशिका ने हां में सिर हिलाया। उसने एक गहरी साँस ली, अपने कपड़ों को ठीक किया और आत्मविश्वास के साथ पोडियम की तरफ़ बढ़ गई। इशिका का दिल अभी भी धड़क रहा था, लेकिन अब ये प्यार की नहीं, प्रेज़ेंटेशन की घबराहट थी। उसने अपने नोट्स पर एक आख़िरी नज़र डाली।
इशिका ने अपनी प्रेज़ेंटेशन शुरू की, साथ ही अपनी थीसिस भी दिखाती गई। शुरुआत में हल्की घबराहट थी, उसकी आवाज़ में थोड़ी सी झिझक थी, लेकिन जैसे ही वो अपने सब्जेक्ट में उतरती गई, उसका आत्मविश्वास बढ़ता गया। उसने अपने रिसर्च को इतने पैशन और डिटेल से समझाया कि सेमिनार हॉल में मौजूद सभी लोग, यहाँ तक कि प्रोफेसर भी, ध्यान से सुनने लगे। इशिका के स्लाइड्स साफ़ और इंगेजिंग थे, और इशिका ने हर पॉइंट को इतने प्रभावी ढंग से समझाया कि कोई भी उसे नाकार नहीं सकता था। इशिका ने अपनी आवाज़ में उतार-चढ़ाव लाया, हाथ के इशारों से मैन प्वाइंट को हाईलाइट किया, और इसी के साथ इशिका के चेहरे पर एक गंभीर, फोकस्ड एक्सप्रेशन था। ये वही इशिका थी जो पढ़ाई में हमेशा टॉप आती थी, न कि वो जो थोड़ी देर पहले प्यार में डूबी हुई थी।
दूसरी तरफ़, एक ग्लास पैनल के ज़रिए, आरव उसे चुपचाप देख रहा था। उसका चेहरा शांत था, उसकी आँखों में कोई ख़ास इमोशन नहीं थे, लेकिन उसकी नज़रें इशिका पर टिकी हुई थीं। जैसे ही इशिका स्टेज पर अपने हाथों से इशारे कर रही थी, स्लाइड्स में इंपोर्टेंट पॉइंट्स को हाईलाइट कर रही थी, अचानक आरव की नज़रें अपने ही हाथों पर चली गईं। उसे याद आया कि कैसे उसने उसके हाथों को ज़ोर से हिलाया था, और फिर उसके कंधे पर थपथपाया था।
आरव के सीने में एक अजीब सी फीलिंग उठी। उसे किसी का यूँ छूना पसंद नहीं था, वो कभी किसी को इतनी नज़दीक आने नहीं देता था, लेकिन इशिका ने ऐसा किया, और उसे गुस्सा नहीं आया। ये बात उसे परेशान कर रही थी।
आरव ने अपना फ़ोन निकाला और वॉट्सऐप पर किसी को मैसेज टाइप किया। उसका व्हाट्सएप नेम काफी अजीब था। "डोंट मैसेज मी इफ यू वांट टू लिव।" मतलब साफ था। "अगर जिंदा रहना है, तो मुझे मैसेज मत करना।"
आरव ने एक नजर उसके नाम को घूरा। उसने फिर मैसेज में लिखा, "आज मैं उससे मिला!"
सामने से जवाब आया, "तुमने मेरा स्टेटस और यूज़रनेम देखा?"
“हां..!” आरव ने जवाब दिया।।
“फिर बताओ, मेरे नाम और स्टेटस का क्या मतलब है?” उसने पूछा।
“अगर जिंदा रहना है, तो मुझे मैसेज मत करना।” आरव ने जवाब दिया।
“तो फिर तुमने मुझे मैसेज करने की हिम्मत क्यों की? समझ नहीं आता, मुझे शान्ति चाहिए।” उसने चिढ़ते हुए लिखा।
“लेकिन मुझे मेरे सवालों के जवाब चाहिए।” आरव ने आगे लिखा।
“दफा हो जाओ।” उसने काफी बेरुखी से जवाब दिया
उसके इतना बेरुखी से बात करने के बावजूद आरव टाइपिंग कर रहा था। उसने आगे लिखा, “उसने मेरा हाथ हिलाया। उसने मेरे कंधे पर भी थपकी दी।”
सामने से कोई जवाब नहीं आया। एक मिनट, दो मिनट, तीन मिनट, पाँच मिनट... आरव काफी धैर्य से उसके जवाब के इंतेज़ार में अपनी स्क्रीन पर घूरता रहा। उसकी आँखों में एक अजीब सी बेचैनी थी, जैसे वो किसी गहरे सवाल का जवाब ढूँढ रहा हो।
अगले कुछ मिनिट में नोटिफिकेशन साउंड बजा तो आरव ने तुरंत मैसेज चेक किया।
उसने जवाब में लिखा था, “तुम मुझे क्यों इन्फ़ॉर्म कर रहे हो कि तुमने उसके हाथ काट दिए? तुम्हें छूने वाले के साथ तुम यही तो करते है। जो मर्जी करो, मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।”
“मैंने उसके हाथ नहीं काटे।” आरव ने आगे लिखा।
“तो, तुमने उसे मार डाला। बढ़िया। उसकी बॉडी मेरे पास ले आओ। मैं कुछ एक्सपेरिमेंट्स करना चाहता हूँ।” इस बार उसने एक्साइटमेंट में जवाब दिया।
“मैंने उसे नहीं मारा।” आरव ने जवाब दिया।
“अगर नहीं मारा, तो आखिर जानना क्या चाहते हो। सीधे सीधे मुद्दे पर आओ।” उसने इस काफी काफी झुंझलाहट भरे स्वर में पूछा।
“मैं जानना चाहता हूँ कि मैंने उसे क्यों नहीं मारा।” आरव ने आगे कहा।
इस बार फिर उसने कोई जवाब दिया। आरव को लगा वो जवाब नहीं देने वाला।
तभी दूसरी तरफ से उसने गुस्से में पूछा, “तुम मुझे क्या समझते हो?”
“डॉक्टर।” आरव ने इतना ही लिखा।
“जरूरी नहीं हर डॉक्टर भगवान हो, और जान बचाए। मरना चाहते हो तुम मेरे हाथों।” वो एक डॉक्टर था।
“नहीं।” आरव बोला।
“तो, दफा हो जाओ। अगर तुमने दोबारा मुझे ऐसे फालतू सवाल पूछ कर डिस्टर्ब किया, तो अगली बॉडी, जिसकी मैं चीरफाड़ करूँगा, वो तुम्हारी होगी।”
और फिर वो इंसान ऑफ़लाइन हो गया।
आरव आदमी ने अपना फ़ोन वापस रख दिया। उसे अपना जवाब नहीं मिला था, इसलिए वो वापस इशिका की प्रेज़ेंटेशन देखने लगा। उसके चेहरे पर अब भी कोई भावना नहीं थी, लेकिन उसकी आँखों में एक गहरा सवाल था। उस लड़की में ऐसा क्या था जो उसे दूसरों से अलग बनाता था? जो उसके नियमों को तोड़ने पर भी उसे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा?
दूसरी तरफ इशिका ने आख़िरकार अपनी प्रेज़ेंटेशन और थीसिस पूरी कर ली थी। हॉल में एक पिन ड्रॉप साइलेंस था। हर कोई चुपचाप और इम्प्रेस्ड था। वो भले ही थोड़ी डिज़ी और लापरवाह हो सकती थी, लेकिन जब वो सीरियस होती थी, तो हमेशा परफ़ॉर्मेंस फ़्लॉलेस होती थी।
"थैंक यू," उसने सिर झुकाया। उसकी आवाज़ में हल्की राहत थी।
प्रोफेसर ने सिर हिलाया। उन्होंने कहा, "नेक्स्ट है अनन्या माथुर।"
दूसरी तरफ मेघा की आंखों में चमक थी वह खुशी इशिका के आने का इंतजार कर रही थी, उसने इशिका को पकड़ लिया और फुसफुसाई, "तुम तो ऑसम थी! तुम्हें तो यक़ीनन एक नहीं, बल्कि मल्टीपल ऑफ़र मिलेंगे। तुम्हारी थीसिस माइंड-ब्लोइंग थी।"
इशिका मुस्कुराई। "थैंक्स, मुझे ज़्यादा की परवाह नहीं। मुझे बस एक कंपनी ऑफ़र करे और फिर मैं पैसे कमाऊँगी! ढेर सारे!" उसकी आँखों में चमक थी, जैसे उसने पहले ही खुद को एक बड़ी कंपनी में काम करते हुए देख लिया हो।
एक-एक करके, सबकी प्रेज़ेंटेशन ख़त्म होती गई और लंच ब्रेक का समय हो गया।
मेघा इशिका के लिए खुश थी लेकिन उसे अंदर ही अंदर डर भी लग रहा था। मेघा ने इशिका से बोला "इशिका... मुझे उम्मीद है मुझे ऑफ़र मिलेगा क्योंकि यार, मैं अपनी प्रेज़ेंटेशन के दौरान स्टटर कर गई।"
इशिका ने उसे थपकी दी। "तुम्हारी थीसिस एक्सीलेंट थी। नर्वस होना नॉर्मल है। तुम ज़्यादा चिंता कर रही हो।"
"इशिका..." मेघा बोलते हुए इशिका के गले लग गई, उसकी आँखों में हल्की नमी थी।
लंच ख़त्म होने के बाद कुछ एग्ज़ेक्यूटिव्स स्टूडेंट्स को संबोधित करना चाहते थे, इसलिए सब क्लास में वापस इकट्ठा हो गए। माहौल में एक अलग तरह की उत्सुकता थी। हर कोई यह जानने के लिए बेताब था कि क्या उन्हें कोई ऑफ़र मिलेगा।
ज़्यादातर एग्ज़ेक्यूटिव्स और मैनेजर्स ने स्टूडेंट्स के प्रयासों और प्रेज़ेंटेशन्स की तारीफ़ की और अपनी कंपनी की पॉलिसीज़ के बारे में बताया। स्टूडेंट्स को उम्मीद थी कि उनमें से कुछ शायद उन नामों को अनाउंस करेंगे जिन्हें चुना गया है, इसलिए हर कोई बहुत एक्साइटेड था।
लेकिन उन्होंने किसी ख़ास नाम का ज़िक्र नहीं किया और हॉल में एक निराशा छा गई। कुछ स्टूडेंट्स के चेहरे पर उदासी साफ़ दिख रही थी, जबकि कुछ अभी भी उम्मीद लगाए बैठे थे।
जब वे आपस में फुसफुसा रहे थे, तो दरवाज़ा खुला।
अचानक चारों ओर सन्नाटा छा गया जैसे ही आख़िरी आदमी अंदर आया। सबकी साँसें लगभग उनके गले में ही अटक गईं। वो आदमी नहीं, जैसे कोई तूफान अंदर आया हो। उसकी मौजूदगी इतनी ज़बरदस्त थी कि हवा भी भारी लगने लगी। उसका लंबा क़द, सूट में लिपटी मज़बूत बॉडी, और उसके चेहरे पर वो ठंडा, पत्थर जैसा एक्सप्रेशन... सब कुछ उसे साधारण से परे बनाता था। उसकी आँखों में एक ऐसी गहराई थी, जो किसी को भी अपनी पकड़ में ले ले।
इशिका को अचानक तेज़ खाँसी आ गई। उसकी नज़रें उस पर टिकी थीं।
“वो वही हैंडसम आदमी!”
मेघा ने उसे ज़ोर से हिलाया और फुसफुसाई। "इशिका! ये कौन प्रिंस है? क्या ये इंसान भी है? क्या हम एक ही दुनिया में रहते हैं?" मेघा की बातों से ऐसा लग रहा था, जैसे वह बौखला गई हो।
इशिका भी उतनी ही हैरान थी। उसका दिल धड़क रहा था, लेकिन अब ये प्यार और घबराहट का अजीब मिक्स था।
वहां सामने आरव खड़ा था वो खुद से ही बोली “ये भी उन जजेस में से एक था? और उसने मुझे मेरी प्रेज़ेंटेशन शुरू होने से ठीक पहले पागलों जैसी हरकतें करते देखा था?”
इशिका ने मन ही मन गहरी सांस ली और कहा “ मेरे इस नई नवेली प्यार को तो मारो गोली, मुझे तो जॉब मिलने की भी कोई उम्मीद नहीं लग रही है।”
दूसरी तरफ मेघा अलग ही दुनिया में खोई हुई थी "इशिका! वो... वो कितना हैंडसम है!" मेघा ने फिर फुसफुसाई आवाज में कहा, उसकी आँखें उस पर से हट ही नहीं रही थीं।
इशिका ने एक आह भरी और जवाब में कहा। "वो सचमुच हैंडसम तो है लेकिन वो बेचारा बोल नहीं सकता।" उसकी आवाज़ में हल्की उदासी थी, या यूं कहें एक तरह की सहानुभूति।
"क्या! वो बात नहीं कर सकता?" मेघा की आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं। ये उसके लिए एक शॉकिंग रिवील था।
इशिका ने दुख से सिर हिलाया। "हाँ।"
"धत्। ये तो बहुत बुरा है।" मेघा ने कहा, उसकी आवाज़ में भी अब सहानुभूति थी।
इशिका ने धीरे से कहा "है ना? भगवान कितना अनफ़ेयर है।" इशिका और मेघा एक दूसरे से धीरे-धीरे बातें कर रही थी।
तभी आरव, जिसे इशिका ने मन ही मन में वह आदमी समझ लिया था जो बोल नहीं सकता। वो शांति से पोडियम पर चढ़ा और माइक के सामने खड़ा हो गया। पूरा हॉल खामोश था, सबकी नज़रें उस पर थीं। उसके चेहरे पर अभी भी कोई इंप्रेशन नहीं था, लेकिन उसकी आँखों में कुछ ऐसा था जो किसी को भी डिस्ट्रैक्ट कर सकता था।
वहीं दूसरी तरफ इशिका और मेघा अभी भी एक दूसरे से बातें कर रही थी। “ मुझे साइन लैंग्वेज सीखनी चाहिए थी, उसे कैसा महसूस होगा अगर कोई उसे समझेगा ही नहीं?”
इशिका ने काफी मासूमियत से कहा था।
इसी बीच आरव ने भी स्टूडेंट की भीड़ में इशिका को ढूँढ लिया और उसकी नज़रें उस पर टिक गईं। फिर उसने अपना हाथ उठाया, उँगली उसकी तरफ़ की, और अपने होंठों को हल्के से खोला।
"इशिका शर्मा।"
उसकी आवाज़ गूँजी, साफ़, गहरी और कमांडिंग। पूरे हॉल में एक झटके में सन्नाटा छा गया। इशिका की आँखें फटी की फटी रह गईं, उसका दिल एक पल के लिए धड़कना भूल गया। उसके दिमाग़ में बस एक ही बात गूँज रही थी, वो... वो तो बोल सकता है!
आरव ने जब इशिका का नाम लिया तब इशिका अपनी एल्बो को डेस्क पर टिकाए हुए बैठी थी। आरव की आवाज सुनते ही इशिका अचानक फिसली और अपनी सीट से लगभग गिरते-गिरते बची। उसका मुँह घबराहट में खुला का खुला रह गया और आँखें शॉक से बाहर निकल आई थीं।
इशिका ने खोई हुई आवाज में बोला “क्या मैंने सही सुना, ये हैंडसम मैन ही ब...बोला?”
इशिका की यह हरकत देखकर मेघा ने अपने सर पर हाथ रख लिया। “तुम्हारा ब्रेन सही से काम कर रहा है या नहीं? वो किस एंगल से तुम्हें म्यूट लगा ?”
इशिका ने फिर से वही बोला “व-व-वह… वह बोला…”
मेघा ने उसे तिरछी नज़र से देखा। “सबने सुना। तुम तो सच में होपलेस हो। न सिर्फ़ वो बोला, बल्कि उसने तुम्हारा नाम भी लिया, तुम्हें क्यों लगा कि वह म्यूट है?”
इशिका ने मेघा की तरफ देखा और कहा “क्योंकि जब मैंने उससे बात की तो उसने कोई रिस्पांस नहीं दिया। जब कोई इंसान जवाब नहीं देता तब ये सब यही तो समझेंगे ना”
मेघा अभी भी सिर पकड़ कर बैठी हुई थी। मेघा ने इशिका की तरफ देखते हुए कहा “इशिका… तुम्हें ये क्यों नहीं लगा कि शायद वह बस एक नेचुरली शांत टाइप का इंसान हो सकता है? तुमने तो सीधा कन्क्लूज़न पर छलांग लगा दी कि वह म्यूट है? तुम एक इडियट हो!”
वे दोनों पीछे क्या चल रहा है, उसे भूलकर आपस में बातें कर रही थी।
तभी पीछे से प्रोफेसर ने सख़्ती से कहा, “इशिका शर्मा शायद आपको सुना नहीं खड़ी हो जाओ।”
“यस, सर!” इशिका हरबराहट में बोलते हुए एक सोल्जर की तरह अटेंशन में खड़ी हो गई।
इशिका की नज़रें मिस्टर आरव से मिलीं, लेकिन इशिका को बहुत एम्बेरेसमेंट फील हो रही थी। आरव से मिलते ही इशिका अपनी नज़रों को बार बार हटा रही थी। “हे भगवान... अब में क्या करूँ मुझसे तो नज़ारे तक नहीं मिलाई जा रही।”
इशिका आरव को देखकर अंदर ही अंदर खुश भी थी और वह घबराहट के मारे कुछ से कुछ बोले जा रही थी। “भगवान प्लीज इसकी याद्दाश मिटा दो या फिर ऐसा करो कि जिस टाइम हम मिले थे उसे वक्त का कुछ भी इसे याद ही ना हो मैं आपसे भीख माँगती हूँ। मैं कोई मंत्र पढ़ो और इसकी यादाश्त मिट जाए, वुश।”
लेकिन आरव ने इतनी देर में दोबारा कुछ नहीं बोला, आरव बस इशिका को देख रहा था आरव ने सिर्फ एक बार इशिका का नाम लिया था।
क्लास में बैठे हर स्टूडेंट ने सोचा कि शायद इशिका ने बहुत बड़ी गड़बड़ कर दी है और अब उसे ह्यूमलिएट किया जाने वाला है। क्लास में एक अजीब सा सन्नाटा छा गया था, हर कोई अपनी साँस रोके हुए था, ये देखने के लिए कि आगे क्या होने वाला है। कुछ स्टूडेंट्स के चेहरों पर तो हल्की सी मुस्कान भी थी, उन्हें लग रहा था कि अब कोई बड़ा ड्रामा होने वाला है।
कुछ मिनट बीत गए, लेकिन कुछ नहीं हुआ। मिस्टर आरव बस ख़ामोशी से इशिका को देखे जा रहे थे। आरव की नज़रें इतनी इंटेंस थीं कि इशिका को लगा जैसे वो स्कैन हो रही हो। उसके अंदर एक अजीब सी घबराहट पैदा हो रही थी।
प्रोफेसर की भौंहें चढ़ गईं थी, वह भी घबराहट से सोच रहे थे। “मिस्टर आरव कुछ बोल क्यों नहीं रहे? क्या मुझसे कोई गलती हो गई है?”
प्रोफेसर ने अपना गला साफ़ किया। “उम्म, मिस्टर आरव? आपने सॉन्ग इशिका को बुलाया। क्या आपको उससे कुछ कहना है?”
मिस्टर आरव ने कोई रिस्पांस नहीं दिया। उसकी आँखें अब भी इशिका पर टिकी थीं, बिलकुल स्थिर और इंटेंस। क्लास में मौजूद सभी लोग, यहाँ तक कि मेघा भी, सोचने लगी कि आख़िर चल क्या रहा है। वहीं इशिका के अंदर एक तूफ़ान उठ रहा था। उसकी हार्टबीट इतनी तेज़ हो चुकी थी कि उसे अपने कानों में उसकी धक-धक सुनाई दे रही थी।
ये सन्नाटा इशिका को अंदर से खाए जा रहा था। मिस्टर आरव का पूरा अटेंशन उसी पर फ़ोकस था, लेकिन वह कुछ और कह नहीं रहे थे।
इशिका एकदम स्ट्रेट खड़ी सोच रही थी “क्या आप मुझसे इतने नाराज़ हैं? इशिका को अंदर ही अंदर रोना आ रहा था। प्लीज़ कुछ बोलो एक बार। ये सस्पेंस बहुत डरा रहा है मुझे।”
अचानक, क्लासरूम का दरवाज़ा खुला और एक आदमी हाँफता हुआ अंदर आया। वह एक ब्लैक सूट में था और उसके बाल थोड़े बिखरे हुए थे, जैसे वह अभी-अभी दौड़कर आया हो। “सॉरी, बॉस! मैं लेट हो गया।”
आरव ने उस पर कोई कमेंट नहीं किया। उनकी नज़रें अभी भी इशिका पर ही थीं, जैसे उन्होंने उस नए आने वाले आदमी को नोटिस ही न किया हो।
प्रोफेसर ने पूछा, “आप कौन हैं…?”
अपने सूट को ठीक करते हुए वो आदमी सीधा खड़ा हुआ, “मैं रेहान मेहरा हूँ, मैं बॉस का असिस्टेंट हूँ।”
रेहान मेहरा ने क्लास में एक नज़र घुमाई, फिर मिस्टर जियांग की ओर देखा, फिर उसकी नज़र मिस्टर खुराना पर पड़ी, जिन्होंने बस हल्के से सिर हिलाया। बस इतना इशारा काफी था। रेहान ने एक गहरी साँस ली और थोड़ी झुँझलाहट के साथ प्रोफेसर की ओर देखा। “ओह। वेल, एक्चुअली मिस्टर खुराना ने इशिका शर्मा का नाम लिया था लेकिन… वह कुछ और कह नहीं रहे हैं, आप देख रहे हैं…”
रेहान ने अपनी आइब्रोज़ ऊपर कीं और कहा, “ओह! बॉस को लगा कि आप लोग पहले ही समझ गए होंगे। क्या यहाँ कोई भी इतना ओबवियस नहीं है?”
क्लास एक दम शांत थी यहाँ तक प्रोफेसर भी। सबके चेहरों पर साफ दिखाई दे रहा था कि किसी को कुछ भी समझ नहीं आया। कुछ स्टूडेंट्स तो आपस में फुसफुसा रहे थे, सोच रहे थे कि आख़िर आरव क्या कहना चाहता था। इशिका का दिल भी तेज़ी से धड़क रहा था, इशिका को अंदर से लग रहा था जैसे आज उसका आखिरी दिन हो उसके दिल की धड़कन हवा से बातें कर रही थी।
रेहान ने एक गहरी साँस ली, उसे ऐसा फील हो रहा था जैसे वो दुनिया के सबसे अन-इंटेलिजेंट लोगों से घिरा हो। “सीरियसली… मुझे लगा था कि इस कॉलेज के स्टूडेंट्स और प्रोफेसर्स इंटेलिजेंट होंगे, ये देखते हुए कि ये कॉलेज कितना फ़ेमस है। आप लोग बॉस का इतना सिम्पल मेसेज कैसे नहीं समझ पाए? उन्होंने इशिका शर्मा का नाम इसलिए लिया क्योंकि उन्होंने उसे खुराना इंडस्ट्रीज के लिए रिक्रूट किया है।”
ये सुनकर इशिका तो एकदम फ़्रिज हो गई। उसकी आँखें कई बार ब्लिंक हुईं। उसके कान जैसे बजने लगे थे और दुनिया एक पल के लिए रुक सी गई थी। “ क्या मैंने अभी-अभी कुछ ग़लत सुना? रिक्रूट किया है? मुझे?“”
प्रोफेसर को भी अपनी आँखों पर यक़ीन नहीं हुआ। वह आंखें बड़ी करते हुए बोले “बस इतना ही?”
रेहान मेहरा ने अपनी आइब्रोज़ सिकोड़ीं और गर्दन हिला कर बोला, “ऑफ़ कोर्स। अगर बॉस को उसे रिक्रूट नहीं करना होता तो वह उसका नाम मेंशन करने की ट्रबल क्यों लेते? ये एक रिक्रूटमेंट ड्राइव है, आफ्टर ऑल, जो कैंपस में चल रही है।”
स्टूडेंट एक दूसरे से धीरे-धीरे बात कर रहे थे, “क्या ये बस एक और लाइन नहीं कह सकते थे?।” क्लास में फुसफुसाहट बढ़ गई। हर कोई हैरान था। सबको यही लग रहा था कि इशिका ने कुछ गड़बड़ की है, लेकिन उसे तो जॉब मिल गई थी!
ये सुनने के बाद इशिका का मन थोड़ा शांत हुआ।इशिका ने सीधी नज़र से मिस्टर आरव की ओर देखा, अचानक उसके मन में स्ट्राइक हुआ वह सोचने लगी “मिस्टर खुराना ने मुझे सिलेक्ट किया? नहीं, वेट। क्या आपको मुझे स्कॉल्ड नहीं करना चाहिए?”
ये सवाल उसके होंठों से निकल गया, इससे पहले कि वह उसे रोक पाती। इशिका ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया।
क्लास में फिर सन्नाटा छा गया। सबने इशिका की ओर देखा, मानो उसने कोई बहुत बड़ी गलती कर दी हो। मेघा ने अपने माथे पर हाथ रख लिया।
आरव अभी भी इशिका की तरफ ही देख रहा था। आरव की आँखें अब भी उतनी ही इंटेंस थीं, जितनी पहले थीं।
रेहान मेहरा फिर से चिढ़ गया। उसने एक लंबी साँस ली, जैसे वह हर रोज़ इस तरह की सिचुएशन से गुज़रता हो। "बॉस पूछ रहे हैं कि आपको ऐसा क्यों लगता है?"
इशिका भौचक्की होकर वहीं खड़ी थी। इशिका अपने होंठों को हल्के से हिलाने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसकी आवाज नहीं निकली।
मेघा को इशिका पर अफसोस हो रहा था क्योंकि इशिका पूरी तरह ब्लैक हो गई थी, “बेचारी इशिका“
रेहान के पूछने पर इशिका सोच में पड़ गई। “क्यों? मैंने सोचा कि मिस्टर खुराना म्यूट हैं और मैंने तो मिस्टर खुराना के कंधे पर पिटीफ़ुली थपथपाया भी था, जबकि मिस्टर खुराना तो अच्छे से बोल सकते हैं ! और मैंने एक एग्ज़ीक्यूटिव के साथ ऐसा बिहेव किया। मुझे जॉब मिलने के बजाय कॉलेज से ही निकाल देना चाहिए।”
इशिका का ध्यान टूटा तो एहसास हुआ कि अगर उन्हें इस बात से कोई प्रॉब्लम नहीं है तो इस सब्जेक्ट को बाहर लाने का कोई फायदा नहीं था। शायद वह इस बात को भूल गए थे, या उन्हें इस बात से कोई फ़र्क़ ही नहीं पड़ा था।
इशिका ने अपना गला साफ करते हुए जवाब में कहा। "कुछ नहीं।"
रेहान मेहरा ने मुस्कुराते हुए कहा, "वेल, तब मैटर ओवर। हम आपको जल्द ही एक ऑफ़िशियल अपॉइंटमेंट लेटर भेजेंगे। बी श्योर टू बी प्रेज़ेंट ऑन टाइम।"
इशिका ने सिर झुक कर जवाब में कहा "यस, सर..... मुझे सिलेक्ट करने के लिए बहुत-बहुत थैंक यू! मैं इस ऑपर्चुनिटी को सिंसियरली अप्रिशिएट करती हूँ और मैं आपको डिसअपॉइंट न करने के लिए अपनी हार्ड वर्क करूँगी।"
मिस्टर खुराना ने इशिका को काफ़ी देर तक देखा और बिना कुछ और कहे वहाँ से चले गए। रेहान मेहरा ने क्लासरूम पर एक आख़िरी नज़र डाली और अपने बॉस के पीछे-पीछे चला गया।
इशिका अपनी सीट पर ढह गई जैसे बेहोश हो गई हो, इशिका पूरी तरह से ड्रेन्ड और एग्ज़ॉस्टेड महसूस कर रही थी, जैसे उसने अभी-अभी कोई जंग जीती हो। उसके हाथ-पैर काँप रहे थे, और उसे लगा जैसे उसके शरीर में ज़रा भी एनर्जी नहीं बची है।
मेघा जोर से हंसते हुए बोली। "मिस्टर मेहरा उसका असिस्टेंट था या उसका ट्रांसलेटर?"
लीहुआ ने आँखें बंद करते हुए कहा, "यह सवाल तो अच्छा है लेकिन यार, मैं बहुत टायर्ड हूँ। ऐसा लगा जैसे मैं एक गेसिंग गेम खेल रही थी, लेकिन मैं टेरिबली हार गई।"
इशिका के जवाब में मेघा ने बोला “बोल तो तू सही रही है। वह हैंडसम तो है, लेकिन थोड़ा अजीब भी है।"
इसका ने उसे एक हल्का सा मारते हुए कहा। "मेरे हैंडसम मेन के बारे में ऐसा मत कहो। वह अजीब नहीं है, बस थोड़ा शांत है।
क्या... तुम मेरे ही वर्ड्स मुझ पर वापस फेंक रही हो? मेघा ने सोचा।
"एनीवे, लेकिन कांग्रेचुलेशंस! तुम्हें जॉब मिल गई, इशिका! और उसने तुम्हें पर्सनली यहां आकर बोला “बुद्धू।” अभी सब कितने जेलस होंगे," मेघा ने एक्साइटमेंट में आंख मारते हुए बोला।
इशिका शरमाते हुए मुस्कुराई। "वेल, मैं भी हैप्पी हूँ। मेरे प्यार ने मेरा नाम लिया।”
इशिका ने ड्रीमली कहा “आह, उसके मुंह से मेरा नाम कितना ब्यूटीफ़ुल साउंड कर रहा था…।” इशिका की आँखें चमक रही थीं, जैसे वो अभी भी उस पल को जी रही हो।
मेघा ने इशिका को झंझोड़ते हुए कहा। "तुम प्यार में कैसे हो सकती हो जब तुम उससे आज ही मिली हो? और यह मत भूलो कि वह अब तुम्हारा बॉस है।"
आह... इशिका चौंकते हुए बोलिए। "मैं क्या करूँगी अगर उनकी कंपनी वर्क-रिलेशनशिप्स अलाउ नहीं करेगी? मेरे हैंडसम प्रिंस मुझे कैसे प्रपोज़ करेंगे?" इशिका अभी भी अपनी ही दुनिया में थी।
"..."
मेघा ने हार मानते हुए एक लंबी गहरी साँस ली। "तुम इंपॉसिबल हो।" अभी इशिका को समझाना ऐसा था जैसे दीवार से सर पटकना।
---
कुछ फ़ॉर्मेलिटीज़ कम्प्लीट करने के बाद, इशिका ख़ुशी से एक ट्यून गुनगुना रही थी और प्रैक्टिकली ख़ुशी से हॉप कर रही थी।
मुझे जॉब मिल गई! मुझे जॉब मिल गई! और वो भी मेरे हैंडसम प्रिंस की कंपनी में! “गॉड, क्या यह मेरी किस्मत है? मुझे यक़ीन ही नहीं हो रहा कि मेरी इतनी अच्छी किस्मत हो सकती है। यह तो किसी सपने जैसा लग रहा है।”
इशिका गलियारों से गुज़र रही थी, उसके होंठों पर एक बड़ी सी मुस्कान थी। उसके दिमाग़ में आरव का चेहरा घूम रहा था, आरव की वो गहरी झील जैसी आँखें और वह अजीब सी ख़ामोशी। सब कुछ इशिका को एक मिस्ट्री मैन की तरह लग रहा था, और इशिका को यह मिस्ट्री बहुत पसंद आ रही थी। उसे लगा जैसे दुनिया का हर गाना उसके लिए ही बज रहा है।
अचानक, इशिका की आँखें चौड़ी हो गईं जब उसका पैर किसी चीज़ से टकरा गया। इशिका लड़खड़ाई और उसके हाथ-पैर बेतरतीब तरीक़े से हवा में उछले और फिर वह ज़ोर से गिरी। उसकी किताबें और नोट्स भी ज़मीन पर बिखर गए।
पीछे से एक तीखी आवाज़ आई, "ओह... हो इशिका। क्या तुम अब ठीक से चल भी नहीं सकती?"
ये अनन्या और उसकी फ्रेंड्स की आवाज़ थी। वे क्लासरूम से बाहर निकल रही थीं और इशिका को ज़मीन पर गिरा देख मुस्कुरा रही थीं। अनन्या ने अपनी दोस्त, जोया को कोहनी मारी।
जोया ने नाक सिकोड़ी। "उसके पास मत जाओ अनन्या। उसकी सिलीनेस का कोई क्योर नहीं है। क्या पता तुम्हें भी कैच कर ले?"
अनन्या और उसकी फ्रेंड्स ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगीं। दोनों की हँसी गलियारों में गूँज रही थी। इशिका को उनकी बातों का बुरा लग रहा था, उसका मन कर रहा था कि वह उठकर उन दोनों को धक्का दे दे लेकिन इशिका अभी उठने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी।
इशिका ने दर्द से अपनी आइब्रोज़ सिकोड़ीं क्योंकि उसके नीज़ और एल्बो पर पड़े चोट के निशान दर्द कर रहे थे। एक छोटी सी चीख़ उसके होंठों से निकली “ओह।” जैसे ही इशिका ने अपना सिर ऊपर उठाया, उसे किसी के लेग्स दिखाई दिए। इशिका की आँखों के सामने एक डार्क ग्रे कोट और ब्लैक ट्राउज़र्स एक आदमी खड़ा था।
इशिका के मुंह से तुरंत निकला "आह, परफ़ेक्ट टाइमिंग! प्लीज़ मुझे उठने में हेल्प करो।"
इशिका ने बिना किसी हिचकिचाहट के उस आदमी का कोट पकड़ा, उसे अपनी ओर खींचा, और उसके सपोर्ट से वह खड़ी हो गई। उसने ठीक से आदमी को देखे बिना, उसके हाथों को पकड़ा और उन्हें ज़ोर से शेक किया।
"आप एक सेवियर हैं! आपका बहुत-बहुत थैंक यू सो-"इशिका की जुबान वहीं रुक गई थी फिर जैसे इशिका के मुंह से जो लाइंस निकलने वाली थी वह खत्म ही हो गई हो। इशिका एकदम स्टक हो गई थी। इशिका ने अटकते हुए बोला
“ है... है.... हे... हैंडसम प्रिंस…"
इशिका की आँखें इतनी चौड़ी हो गई थीं कि जैसे अभी बाहर आ जाएँगी। इशिका ने जिस आदमी का कोट पकड़ा था, वो कोई और नहीं, बल्कि वही मिस्टर आरव खुराना था, जो अभी-अभी क्लास से गया था। इस बार भी आरव के चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं था, लेकिन आरव की आँखें इशिका को गहराई से देख रही थीं। इशिका का दिल फिर से पागलों की तरह धड़कने लगा।