*"वान्या चौहान – ruthless, डॉमिनेंट और अपने साम्राज्य की रानी। रितिका सिंह – बहादुर, स्वतंत्र और कभी हार न मानने वाली। जब परिस्थितियाँ रितिका को एक शादी में फँसाती हैं, जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी, तो दो पूरी अलग दुनिया एक-दूसरे से टकराती... *"वान्या चौहान – ruthless, डॉमिनेंट और अपने साम्राज्य की रानी। रितिका सिंह – बहादुर, स्वतंत्र और कभी हार न मानने वाली। जब परिस्थितियाँ रितिका को एक शादी में फँसाती हैं, जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी, तो दो पूरी अलग दुनिया एक-दूसरे से टकराती हैं। नफ़रत, अहंकार और शक्ति के खेल उनके दिनों पर हावी होते हैं… लेकिन कभी-कभी, ज़बरदस्ती का बंधन भी दिल को झकझोर सकता है। ‘कैद-ए-मोहब्बत’ एक ऐसी कहानी है, जहाँ नफ़रत धीरे-धीरे प्यार में बदलती है, कैद सच्ची चाहत में, और दो आत्माएँ एक-दूसरे पर भरोसा करना सीखती हैं – एक रहस्यों और खतरों से भरी दुनिया में।"*
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चौहान मैंशन का विशाल हॉल सुनसान था। दीवारों पर लगी पुरानी पेंटिंग्स, क्रिस्टल की झूमर की चमक और गहरे लाल कालीन पर पड़ती रोशनी सब कुछ इस घर की शान और ताक़त दिखा रही थी। लेकिन उस समय वहाँ सिर्फ़ एक ही शख़्स था जिसकी मौजूदगी हर कोने को भारी बना रही था – Vanya Chauhan।
काले रंग के बिज़नेस सूट में बैठी Vanya के चेहरे पर एक ठंडी कठोरता थी। उसकी आँखें इतनी गहरी और सख़्त थीं जैसे सामने वाले का क़त्ल बिना हथियार के कर दें। वो किसी आम इंसान की तरह नहीं, बल्कि एक शेरनी की तरह अपनी कुर्सी पर बैठी थी – जिस पर दुनिया झुकती है।
Vanya के हाथों में कॉफ़ी का कप था, लेकिन उसकी नजरें Ritika पर टिकी थीं, जैसे वो उसके हर फीलिंग, हर डर को पढ़ सकती हो। उसका हर मुस्कुराना, हर झुकना, और हर पल Ritika के लिए खतरे जैसा महसूस हो रहा था।
दरवाज़ा खुला। अंदर आई Ritika Singh।
साधारण सलवार-कुर्ते में, चेहरे पर मासूमियत और आँखों में डर और गुस्से का मिश्रण। उसके कदम भारी थे, लेकिन उसकी ठोड़ी ऊँची थी। वो जानती थी कि उसकी family की हालत खराब है, लेकिन वो खुद टूटने वाली नहीं।
Ritika ने अपने हाथ अपने सामने मोड़ लिए, जैसे खुद को संभाल रही हो।
“मैं इसे झेल लूंगी… किसी भी हाल में। लेकिन मैं डरने वाली नहीं। ये महल या जेल… फर्क सिर्फ़ perception का है।”
“तो तुम आ ही गईं…” – Vanya ने ठंडी आवाज़ में कहा, जैसे वो पहले से जानती हो।
“बैठो।”
Ritika ने पलटकर उसकी आँखों में देखा।
“मैं बैठने नहीं आई। मुझे जवाब चाहिए – तुमने मेरे पापा के बिज़नेस में क्यों दख़ल दिया?”
Vanya हल्की हँसी हँसी।
“दख़ल? ओह Ritika, मैंने तो सिर्फ़ तुम्हारे पापा का क़र्ज़ चुका दिया। 50 करोड़ का छोटा सा favor… और बदले में मैं सिर्फ़ एक चीज़ चाहती हूँ।”
Ritika की साँस अटक गई।
“क्या?”
Vanya अपनी कुर्सी से उठी, धीरे-धीरे उसके करीब आई। उसकी ऊँची हील्स संगमरमर पर गूंज रही थीं। Ritika का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।
उसके कदम इतने confident थे कि Ritika को पहली बार असली डर महसूस हुआ – डर, लेकिन एक अजीब curiosity के साथ।
“ये कौन है… और इतनी ताक़त कैसे रखती है?” Ritika ने खुद से पूछा।
और क्यों दिल का एक अजीब हिस्सा उसे देखने के बाद बेचैन हो गया है?
Vanya उसके बिल्कुल पास आकर रुकी।
“तुम।”
Ritika का चेहरा सुन्न पड़ गया।
“क्या मज़ाक है ये?”
Vanya ने Ritika की ठुड्डी पकड़कर ऊपर उठाया। उसकी पकड़ सख़्त और हुकूमत से भरी थी।
“ये मज़ाक नहीं है, Ritika। ये तुम्हारी नई ज़िंदगी की शुरुआत है। तुम मुझसे शादी करोगी। और अगर मना किया… तो तुम्हारा परिवार सड़क पर आ जाएगा।”
Ritika की आँखें भर आईं। गुस्सा और बेबसी उसके पूरे जिस्म में काँप रही थी।
“ये ज़बरदस्ती है! ये शादी नहीं, ये सौदा है। तुम मुझे कैद कर रही हो।”
Ritika ने पीछे हटने की कोशिश की, लेकिन Vanya की ताक़त और confidence ने उसे रोक दिया। वो पहली बार महसूस कर रही थी कि इस दुनिया में उसके पास अपनी कोई ताक़त नहीं है।
“मैं कभी हार नहीं मानूँगी… पर क्या मैं सच में उसके सामने खड़ी रह पाऊंगी?” Ritika ने खुद से कहा।
“क्या मेरे पास कोई रास्ता है… या मैं बस मजबूरी में उसकी दुल्हन बन जाऊँगी?”
Vanya की आँखों में एक पल के लिए अजीब सी चमक आई – जैसे उसे Ritika की बहादुरी पसंद आ रही हो।
वो और करीब झुकी, Ritika के कान के पास फुसफुसाई –
“जेल कहो या सौदा… फर्क नहीं पड़ता। तुम मेरी बनोगी। और कोई ताक़त मुझे रोक नहीं सकती।”
Ritika ने उसकी पकड़ झटक दी।
“तुम सोचती हो पैसा और ताक़त से सब खरीदा जा सकता है? तो सुन लो, मेरा दिल कभी तुम्हारा नहीं होगा।”
Vanya ने ठंडी मुस्कान दी।
“दिल? ओह Ritika, तुम्हारा दिल मुझे नहीं चाहिए। मुझे सिर्फ़ तुम्हारा नाम, तुम्हारा साथ और तुम्हारी मौजूदगी चाहिए। तुम्हें चाहो या न चाहो – तुम मेरी दुल्हन बनोगी।”
Ritika का दिल तेज़ी से धड़क रहा था। उसने खुद को समझाया कि ये सिर्फ़ एक शुरुआत है, और वो कभी टूटेगी नहीं।
लेकिन अंदर एक अजीब सी हलचल थी – डर और नफ़रत के बीच कहीं attraction की पहली झलक।
“मैं इससे नफरत करूँ या डर… या फिर ये अजीब खिंचाव मुझे अंदर से हिला रहा है?”
Ritika के गाल पर आँसू लुढ़क आए। वो चाहकर भी चुप नहीं रह पाई।
“तुम मुझे तोड़ नहीं सकती, Vanya। मैं तुम्हें कभी accept नहीं करूँगी।”
Vanya ने उसकी आँखों में गहराई से देखा।
“Challenge accepted, Mrs. Soon-to-be-Chauhan।”
उसकी आवाज़ में इतनी ताक़त थी कि पूरे हॉल की हवा भारी हो गई।
Ritika ने अपने हाथों को आपस में दबाया। वो जानती थी कि इस रात के बाद उसकी दुनिया बदल जाएगी। जेल या महल… फर्क अब सिर्फ़ perception का था। उसके लिए ये महल भी जेल था।
और फिर उसने खुद से कहा, “मुझे मजबूत रहना होगा। चाहे कुछ भी हो, मैं कभी हार नहीं मानूँगी। ये शेरनी जितनी भी ताक़तवर हो, मैं अपनी जगह बनाने की कोशिश करूँगी।”
Ritika ने एक गहरी साँस ली। उसकी आँखों में determination की चमक थी, लेकिन दिल में डर अभी भी मौजूद था।
उस रात Ritika ने तय कर लिया – चाहे ये शादी मजबूरी हो, लेकिन वो Vanya को कभी अपने दिल में जगह नहीं देगी।
Ritika ने खुद को संभाला और अपने आँसुओं को पोंछा।
“ये रात सिर्फ़ शुरुआत है… और मैं कभी हार नहीं मानूँगी। चाहे कितनी भी ताक़त सामने हो, मैं अपनी मर्यादा और खुद की इज़्ज़त बचा कर रहूँगी।”
वो एक पल के लिए खिड़की की ओर देखी, बाहर की चाँदनी हॉल में गिर रही थी।
“इस महल में मैं फँसी हो सकती हूँ, लेकिन मेरा मन और मेरी सोच हमेशा आज़ाद रहेगी। Vanya चाहे जितना दबाव डालें, मैं अपनी सीमाओं को कभी नहीं तोड़ने दूँगी।”
Ritika की आँखों में determination की चमक और दिल में हल्की धड़कन थी – डर, गुस्सा और शायद एक अजीब curiosity का मिश्रण।
“ये सिर्फ़ शुरूआत है…और मैं अपनी कहानी खुद लिखूँगी
चौहान मैंशन की सुबह हमेशा भारी और शांत होती थी। सूरज की हल्की रोशनी बड़े-बड़े झरोखों से आती, लेकिन हॉल में फैली गहरी छायाएँ Ritika के मन पर और ज्यादा दबाव डाल रही थीं। हर कोना उसकी आँखों में डर और अजीब curiosity की लहरें पैदा कर रहा था।
Ritika ने अपनी पलंग पर बैठकर गहरी साँस ली। उसे अब यकीन हो चुका था कि अब उसकी जिंदगी हमेशा बदल गई है। उसकी आँखों में determination थी, लेकिन साथ ही दिल में डर भी छुपा था। “मैं इस शेरनी के सामने अपनी मर्यादा नहीं खोऊँगी। चाहे जो भी हो, मैं अपनी सीमाओं को तोड़ने नहीं दूँगी।”
महल का हॉल अभी भी खाली था। Vanya के कदमों की गूंज दूर-दूर तक सुनाई दे रही थी। Ritika जानती थी कि हर आवाज़ उसे सताएगी। उसकी नजर खिड़की से बाहर पड़ी – बगीचे में सुबह की धूप की सुनहरी रौशनी थी, लेकिन हॉल में वही ठंडी छाया और दबाव था।
दरवाज़ा धीरे-धीरे खुला। Vanya का silhouette हॉल में दिखाई दिया। उसके काले सूट ने उसकी authority और भी बढ़ा दी थी। Ritika ने खुद को तुरंत संभाला।
“सुबह की सलामती, Mrs. Chauhan,” Vanya ने ठंडी मुस्कान के साथ कहा।
Ritika ने उसकी तरफ बिना ज़ोर दिए देखा।
“सुबह की सलामती, Vanya। लेकिन ये सलामती मेरे लिए… कुछ मायने नहीं रखती।”
Vanya ने हँसी के बजाय उसकी आँखों में सीधे देखा। उसकी नजरें Ritika को पढ़ रही थीं, उसकी हर कमजोरी, हर डर और हर हिम्मत। Ritika ने खुद को पीछे खींचा। “ये दुनिया मेरी नहीं है… और शायद कभी नहीं होगी।”
Vanya ने एक कदम आगे बढ़ाया।
“आज तुम मेरी तरफ से सीखोगी कि यहाँ कौन rule करता है। और मैं कोई हल्की ताक़त नहीं हूं। इस घर में मेरे नियम हैं, और तुम उन्हें मानोगी।”
Ritika ने ठोड़ी ऊँची की।
“मैं मानूँगी… लेकिन सिर्फ अपने dignity के लिए। तुम्हारा डर मुझे कभी नहीं रोक पाएगा।”
Vanya की आँखों में एक हल्की चमक आई। उसकी मुस्कान में एक अजीब सा threat और subtle amusement था।
“Very well, Mrs. Chauhan. तुम्हें जल्दी सीखना होगा।”
दिन बितता गया, लेकिन Ritika का मन भारी था। हर कमरे में कदम रखते हुए वह महसूस कर रही थी कि ये महल अब उसका prison बन गया है। Vanya की presence हर जगह थी – उसकी नजरें, उसकी बातें, और उसकी silent threat।
Lunch का समय आया। Chowkidar और कुछ staff सामने आए, लेकिन Vanya ने Ritika के लिए कुछ personal arrangement रखा। Ritika ने खुद को कोशिश कर के composed रखा, लेकिन हर बात में Vanya का subtle control उसे चुभ रहा था।
Ritika ने सोचा, “मैं खुद को रोकूँगी… पर क्या मैं कभी असली आज़ादी महसूस कर पाऊँगी?”
Vanya ने धीरे से कहा,
“ये खाना तुम अकेले खाओगी। मैं यहाँ नहीं बैठूँगी।”
Ritika ने उसकी तरफ देखा। “ये वही तरीका है डर पैदा करने का। हर पल मुझे याद दिलाना कि मैं powerless हूँ।”
Lunch के बाद Ritika अपने कमरे में बैठी, खिड़की से बाहर देख रही थी। उसने बगीचे के पेड़ों और सुबह की हवा में कुछ comfort पाया। लेकिन मन के भीतर डर, गुस्सा और curiosity की लहरें कम नहीं हुईं। “ये केवल शुरुआत है… और मैं अपनी boundaries नहीं छोड़ने दूँगी। चाहे जो भी हो, मैं अपनी story खुद लिखूँगी।”
Vanya ने कमरा खड़ा होकर दरवाज़े के पास खड़ा देखा। उसका हर movement Ritika के लिए tension बढ़ा रहा था।
“Ritika, तुम्हें मेरी जिंदगी में adjust करना होगा। यहाँ rules बदलते नहीं… और मेरी उम्मीद है कि तुम उन्हें जल्दी सीखो।”
Ritika ने धीरे से कहा,
“मैं adjust करूँगी… लेकिन कभी डर कर नहीं।”
Vanya ने उसकी तरफ मुस्कान भरी, जैसे उसकी हिम्मत उसे पसंद आई हो, लेकिन साथ ही उसकी authority को चुनौती देना भी उसे और ज्यादा खींच रहा हो।
“Good. तुम आज से मेरी rules सीखोगी… और believe me, तुम जल्दी सीख जाओगी।”
दिन खत्म होते-होते, Ritika के मन में emotions उभर आए। डर, गुस्सा, curiosity और attraction का अजीब मिश्रण। … ये दुनिया… और ये महल… सब मेरे लिए खतरा हैं। पर मुझे खुद को संभालना होगा। मैं कभी अपनी हिम्मत नहीं खोऊँगी।”
रात में, जब महल में silence छाया, Ritika ने अपने pillow को कसकर पकड़ लिया। उसकी आँखें खुली थीं, और दिमाग में questions की भारी लहरें थीं। “क्या मैं सच में survive कर पाऊँगी? क्या ये डर और tension कभी खत्म होंगे? और ये attraction… क्या ये सिर्फ़ illusion है या कुछ और?”
वहीँ, महल के बड़े हॉल में Vanya की silhouette खिड़की के पास खड़ी थी, चाँद की रौशनी में confident और dangerous। उसकी आँखों में वही गहरी intensity थी जो Ritika को घेर रही थी। Ritika ने धीरे से whispered किया,
“मैं कभी टूटूंगी नहीं चाहे कितनी भी ताक़त हो। मैं अपनी मर्यादा और dignity बचाऊँगी। और अगर ये दुनिया मुझे डराने आएगी, मैं उसे अपनी हिम्मत से जवाब दूँगी। ये शुरुआत है, और मेरी कहानी अब मेरी अपनी होगी।”
अगली सुबह, महल में हल्की हवा चली। Ritika ने सोचा कि आज वह खुद को और मजबूत बनाएगी। हर step में उसकी awareness बढ़ी थी। हर shadow, हर noise उसके मन में alertness पैदा कर रही थी। Vanya उसे observe कर रही थी, और Ritika जानती थी कि उसका mistake उसका weakness बन सकता है।
Vanya ने धीरे से कहा,
“Mrs. Chauhan, strength दिखाना easy है, पर control रखना… वो असली challenge है।”
Ritika ने जवाब दिया,
“Control भी तभी सच्चा होता है जब इंसान अपनी limits जानता हो। मैं अपनी strength और dignity दोनों बचाऊँगी
Vanya ने उसकी आँखों में चमक देखी। ये पहला पल था जब उसने महसूस किया कि Ritika केवल डर से नहीं, बल्कि intellect और courage से भी मुकाबला कर सकती है।
दिन भर, Ritika ने हर interaction में subtle resistance दिखाया। उसने देखा कि Vanya केवल physically नहीं, बल्कि mentally भी उसे test कर रही थी। हर command, हर glance, हर subtle threat का जवाब उसने अपनी intelligence और calmness से दिया।
Ritika ने खुद से कहा,
“ये महल और ये व्यक्ति मुझे तोड़ने की कोशिश कर रहे है पर मैं उनकी expectations से नहीं, अपनी boundaries से जीऊँगी
चौहान मैंशन की दूसरी सुबह भी उतनी ही ठंडी थी, जितनी पिछली रात की चुप्पी। बाहर बगीचे में हल्की हवा बह रही थी, लेकिन अंदर… हवा में एक अजीब सा तनाव था। Ritika ने खिड़की खोली, सुबह की धूप उसकी आँखों पर पड़ी, पर उसे गर्मी के बजाय ठंडक महसूस हुई।
वह अभी भी कल की बातें याद कर रही थी — Vanya की आँखों का वो confidence, उसकी ठंडी मुस्कान, और उसके हर शब्द में छिपी वो शक्ति, जो किसी को भी तोड़ दे। Ritika जानती थी कि आज भी उसे उसी ताक़त से टकराना है।
कमरे के बाहर से हल्के कदमों की आहट आई। वही तेज़ चाल, वही confident rhythm। Ritika ने सिर घुमाया — Vanya थी। आज उसने काला नहीं, बल्कि सफेद सूट पहना था। फिर भी, उस पर नर्मी के बजाय एक अजीब कठोरता झलक रही थी।
“Good morning, Mrs. Chauhan,” Vanya ने मुस्कुराते हुए कहा।
“Morning,” Ritika ने ठंडे स्वर में जवाब दिया।
Vanya ने उसके कमरे के अंदर झाँका — हर चीज़ अपनी जगह पर थी। “तुम्हारी आदतें जल्दी बन रही हैं,” उसने धीमे स्वर में कहा।
Ritika ने पलटकर कहा, “नियमों के लिए नहीं, बल्कि अपने survival के लिए।”
Vanya के होंठों पर एक हल्की मुस्कान आई। “Survival… interesting word. लेकिन याद रखना, यहाँ survive वही करता है, जो rules follow करता है।”
Ritika ने शांत स्वर में कहा, “या वो… जो खुद के लिए rules बना ले।”
Vanya कुछ पल के लिए रुकी। उसकी आँखों में हल्की चमक थी, जैसे उसे Ritika की हिम्मत पसंद आई हो।
“तुम्हारा attitude dangerous है, Ritika। पर शायद मुझे यही पसंद है।”
Ritika ने कुछ नहीं कहा, बस नजरें झुका लीं। भीतर से उसका दिल जोर से धड़क रहा था, लेकिन चेहरे पर वही संयम था।
Breakfast के लिए दोनों dining hall पहुँचीं। टेबल पर महंगे बर्तन, चाँदी के चम्मच, और बीच में एक गुलाब रखा था — शायद Vanya की किसी अनकही habit का हिस्सा। Ritika बैठी, और तभी Vanya ने कहा,
“आज तुम्हें मेरे साथ town चलना होगा। कुछ formalities बाकी हैं।”
“Formalities?” Ritika ने पूछा।
Vanya ने calmly कहा, “Marriage registration, signatures, and… media appearance.”
Ritika का चेहरा सख्त हो गया। “तुम्हें ये सब दिखावा करना है?”
Vanya ने उत्तर दिया, “दुनिया को दिखावा चाहिए, Ritika। सच्चाई उन्हें नहीं भाती।”
Vanya ने पास झुककर धीरे से कहा, “और अगर तुमने इंकार किया… तो तुम्हारे घरवालों तक सच्चाई पहुँचने में देर नहीं लगेगी।”
Ritika की साँसें भारी हो गईं, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। उसकी आँखों में आँसू नहीं थे — बस ठंडी आग थी।
“ठीक है, चलती हूँ,” उसने धीरे से कहा
कार के अंदर पूरा रास्ता सन्नाटा रहा। Vanya खिड़की के बाहर देख रही थी, और Ritika बस अपनी हथेलियाँ मरोड़ रही थी। बीच-बीच में Vanya की नजर उस पर पड़ती, जैसे वह उसके हर gesture को analyze कर रही हो।
“तुम्हें मुझसे डर नहीं लगता?” Vanya ने अचानक पूछा।
Ritika ने उसकी तरफ देखा। “डर लगता है… पर उससे ज़्यादा घुटन होती है।”
Vanya ने हल्की हँसी छोड़ी। “Interesting. तुम्हारी honesty शायद मुझे एक दिन नुकसान पहुँचा दे।”
Ritika ने जवाब दिया, “या फिर तुम्हें इंसान बना दे।”
Vanya ने कुछ नहीं कहा, लेकिन उसकी आँखों में हल्का disturbance था — जैसे किसी ने उसके भीतर की दीवार पर एक हल्की दरार डाल दी हो।
शाम होते-होते वे महल वापस लौटीं। Ritika थकी हुई थी, पर Vanya में वही confidence था।
Vanya ने कहा, “तुमने आज अच्छा control दिखाया। Media में कोई गलत word नहीं बोला।”
Ritika ने शांत स्वर में कहा, “क्योंकि मैंने अपनी मर्यादा को दाँव पर नहीं लगाया।”
Vanya पास आई, उसकी आवाज़ गहरी हो गई —
“Marayada और ego में फर्क होता है, Ritika। एक इंसान को protect करती है… और दूसरी उसे अकेला कर देती है।”
Ritika ने धीरे से जवाब दिया, “और कुछ लोग अपने power के पीछे इतना छिप जाते हैं कि खुद को भी खो देते हैं
Vanya कुछ पल तक चुप रही। उसकी नजरों में पहली बार softness आई। उसने Ritika के पास झुककर कहा,
“तुम्हारी हिम्मत… मुझे डराती है।”
Ritika ने हल्की साँस ली। “और तुम्हारी ताक़त… मुझे चुनौती देती है।”
दोनों के बीच सन्नाटा फैल गया। हवा में एक अनकहा tension था — डर, आकर्षण और अहंकार का अजीब मिश्रण
रात को Ritika अपने कमरे में अकेली थी। उसने आईने में खुद को देखा — वही चेहरा, वही आँखें, पर आज उनमें एक नई जिद थी। उसने खुद से कहा,
“मैं अब डरूँगी नहीं। अगर इस खेल में मुझे खेलना है… तो मैं अपने तरीके से खेलूँगी।”
वहीं, महल के terrace पर Vanya खड़ी थी, चाँद की ओर देखती हुई। उसके मन में Ritika की बातें गूँज रही थीं।
“क्या सच में… मैं खुद को खो रही हूँ?” उसने खुद से पूछा।
उसकी उँगलियाँ railing पर टिकीं, और हवा के झोंके से उसके बाल उड़ रहे थे। उसने धीरे से whispered किया,
“Mrs. Chauhan
तुम जितना मुझसे लड़ोगी, मैं उतना तुम्हारे और करीब आऊँगी।”
अगली सुबह, Ritika ने महल के गलियारों में staff से कुछ बातें करने की कोशिश की, लेकिन सब डर से चुप थे। हर किसी की आँखों में वही भय था — Vanya का नाम सुनते ही सन्नाटा। Ritika समझ गई, ये महल केवल पत्थरों से नहीं, बल्कि डर से बना है।
उसने अपनी डायरी निकाली और लिखा
“अगर मैं यहाँ रहूँगी, तो मुझे इस डर के साम्राज्य को तोड़ना होगा। Vanya से नहीं भागना है… उसे समझना है, और शायद उसी के अंदर का इंसान खोज निकालना है।”
शाम को Vanya और Ritika फिर आमने-सामने थीं।
“आज रात dinner मेरे साथ नीचे हॉल में होगा,” Vanya ने ठंडे स्वर में कहा।
Ritika ने जवाब दिया, “मैं dinner करूँगी… पर डर के साथ नहीं।”
Vanya मुस्कुराई, “तुम्हारी ये बातें मुझे परेशान भी करती हैं और… आकर्षित भी।”
Ritika ने आँखों में सीधे देखा —
“शायद इसलिए कि तुम जानती हो, तुम्हारे अंदर कहीं न कहीं वो हिस्सा अब भी जिंदा है जो किसी से डरता है।”
Vanya के कदम रुक गए। कुछ पल की खामोशी के बाद उसने धीरे से कहा,
“शायद तुम सही हो, Ritika… शायद।”