Novel Cover Image

❤️कहानी दिलों की ❤️

User Avatar

Ramandeep Kaur

Comments

0

Views

263

Ratings

40

Read Now

Description

कभी खुद से , कभी खुद के लिए तो कभी अपनो के लिए लड़ते दो दिलों की कहानी । क्या ये कहानी अपनी मंजिल तय कर पाएगी जा रह जायेगी बीच रास्ते । जानने के लिए पड़े गगन सृष्टी की कहानी ❤️कहानी दिलों की ...बस के जाते ही उस सड़क के एक कोने पर गांव का नाम सीता पुर...

Total Chapters (30)

Page 1 of 2

  • 1. ❤️कहानी दिलों की ❤️ दो थप्पड़ - Chapter 1

    Words: 1104

    Estimated Reading Time: 7 min

    "सृष्टी , सृष्टी कहां जा रही हो बात तो सुनो" बस से उतरते ही एक लड़की ने कहा।

    वही बस कंडक्टर दोनो को देख मुस्करा दिया ,उस ने सीटी बजाई और बस अपने अगले सफर पर चल पड़ी।

    बस के जाते ही उस सड़क के एक कोने पर गांव का नाम सीता पुर लिखा था (काल्पनिक नाम), जो की उस सड़क से कुछ एक किलोमीटर अंदर की तरफ था।

    रंजीता सृष्टी के पीछे पीछे आवाज लगाते हूए जा रही थी वही सृष्टी आगे आगे जा रही थी ।

    "मेरी बात तो सुन ना यार अच्छा सॉरी माफी दे दे ना" रंजीता ने कहा ।  

    "तुने आज सही नही किया घर पर पता चला ना तो उनको कितना बुुरा लगेगा, तू समझ नही रही" ,सृष्टी ने कहा जो आगे आगे जा रही थी।

    उसने एक बार भी पीछे मुड़ कर नही देखा। रंजीता जो उस के पीछे चल रही थी उसने हाथ में पकड़ी बुुुक को अपने सिर पर दे मारा और सृष्टी को देख बोली "अच्छा बाबा मेनेे गलती की उस मुकेश को बुला कर , माफ कर दे ना"।

    पर सृष्टी को तो जैसे कोई फर्क ही नही पड़ रहा था वो बस चले जा रही थी । रंजीता को जब लगा के वो नही रूकने वाली तो वो भाग कर उस के पास चली आई , और कंधे से पकड़कर उसे अपनी तरफ करते हुए , "चल ठीक है आज ये गलती हो गई अब आगे नही होगी। मुझे माफ कर दे ना। देख आज तो हमारा आखरी पेपर था, तो सब क्लास मेट्स मिल कर वहां पर हल्की सी पार्टी ही तो कर रहे थे। मुकेश भी आ गया तो उसमें इतना गुस्सा करने की क्या जरूरत", रंजीता ने कहा तभी सृष्टी जो गुस्स से उसे देख रही थी ।

    गेहूंऐ रंग की, बड़ी बड़ी आंखे काजल से भरी हुई यो और भी बड़ी लग रही थी ,दोनो आंखो के बीच छोटी सी काले रंग की बिंदी उस से ऊपर छोटा सा माथा, तीखी नाक चेहरे पर माकस जिसे उसी समय सृष्टी ने उतारा ,तो गुस्से से भरे लब जो भीचे हुए थे।

    सृष्टी रंजीता के हाथ हटाते हूए "मैंने कब मना करा था वहां जाने से, पर वो मुकेश को देखा ना वो कैसे सब के सामने मेरा हाथ पकड़ लिया उसने"।

    रंजीता उसे देखते हूए , "तुने कोने सा सुखा जाने दिया सब के सामने ही तो उसे दो लगा दी थी।" 

    सृष्टी रूजीता की बात सुन ,"वही तो, बस दो ही लगा पाई, उस जैसे को तो मैं ना मुंह काला करके सब के सामने घुमाती। पर वो बच गया"।

    सृष्टी ने बात कही वही रंजीता हैरान सी उसे देखने लगी। दोनो एक दूसरे को देख रही थी, और फिर जोर से ठहाका लगा कर हंसने लगी।

    दोनो फिर से चलने लगी ,रंजीता सृष्टी को देख कर ,"सच में यार मजा बहुत आया उसे देख कर ,कैसा मुंह हो गया था जब तुने उसे मारा"।

    सृष्टी रंजीता का हाथ पकड़कर ,"देख ये बात तेरे मेरे बीच में ही रहनी चाहिए , तुम्हे पता है ना घर पर अगर किसी को पता चला तो मेरा कॉलेज जाने का सपना , सपना ही रह जायेगा"।

     रंजीता सृष्टी के हाथ पर हाथ रखते हुए, "पता है मुझे, तू टेंशन मत ले मेरी तरफ से बेफिक्र रह।" सृष्टी के चेहरे पर स्माईल आ गई । दोनो सहेलीयां चलते हूए बातें करने लगी । 

    रंजीता सृष्टी दोनो ही बचपन की दोस्त थी कुछ महीने पहले ही सृष्टी इस गांव में आई थी , रंजीत इसी गांव की थी , और स्कूल मे भी एक साथ ही पड़ी।

    बारवी के पेपर्स का सेंटर पास में लगते शहर में था जो की गांव से एक घंटे की दूरी पर था । दोनो सुबह ही निकल जाती थी और पेपर देकर शाम को ही घर आती , आज उनको कुछ ज्यादा ही देर हो गई थी आखरी पेपर था और क्लास मेट्स ने पार्टी करने का सोचा था । वही पर मुकेश नाम के लड़के से सृष्टी की लड़ाई हो गई थी ।

    बस फिर क्या था वो पार्टी से उसी समय निकल गई और बस में आकर बैठ गई रंजीता उस के पीछे पीछे ही आ गई थी , और पुरे रास्ते उस से बात करने की कोशिश कर रही थी ।अब जाकर सृष्टी रंजीता से बोली । 

    दोनो बाते करते हुए गांव पहुंच गई, मेन सड़क से गांव हट कर था , रोज तो रंजीता का भाई उनको लेने आ जाता था। पर आज लेट आने का बता कर गई थी तो भाई नही आया था। 

    "चलो घर आ गया", रंजीता ने कहा और दोनो ही अपने अपने घर के दरवाजे के पास पहुंच गई।घर आमने सामने ही थे दोनो के ।

    रंजीता अपने घर चली गई और सृष्टी ने जैसे ही दरवाजा खोला तो पुरे घर में शांती ही शांती थी । सृष्टी ने धीरे से दरवाजा बंद करा और सीधे दबे कदमों से अंदर आने लगी ।

    "जहां हो वही रूक जाओ", एक आवाज आई , सृष्टी ने देखा तो उस की मामी सामने खड़ी उसे ही देख रही थी।

    सृष्टी ने उन्हे देखा और नजरें झुका ली। सृष्टी की मामी उस के पास आई और आते ही दो थप्पड़ उसे मार दिये पर सृष्टी के मुंह से एक आवाज नही निकली।

    मामी सृष्टी को देख कर ,"पता तो चल गया होगा ना के ये किस लिए है"।

    सृष्टी जो चुप सी खड़ी थी मामी को देख कर ,"मामी उसने सब के सामने मेरा हाथ पकड़ लिया था, मुझे अच्छा नही लगा था पर वो छोड़ ही नही रहा था मेरा हाथ तो गुस्से में मैंने उसे मारा था" ।

    मामी गुस्से से भर कर, "तुमको पता है वो कोन है ,फिर भी तुमने इतनी बड़ी गलती कर दी , जानती हो ना आज अगर मैं तुमको यहा से बाहर कर दूं तो कहां रहोगी", । सृष्टी नीचे ही देख रही थी । 

    मामी गुस्से को दबाते हूए, "मेरी एक बात कान खोल कर सून लो, अंदर मुकेश और मेरे भाई बहन बैठे है, तेरे मामा भी वही है, चुप चाप चल और वो जो भी कहे मानती जा" ,मामी बोली । 

    सृष्टी ने हैरानी से उनको देखा,

    "चल अब"

    "नही मामी मुझे नही जाना वो अच्छा लड़का नही है", सृष्टी ने कहा । 

    मामी ने सृष्टी की एक ना सुनी और सृष्टी के हाथ से किताब लेकर एक तरफ रख दी और दुपट्टा उस के सिर पर रखते हुए,"अगर तुमने कुछ भी गड़बड़ की तो मुझ से बुरा कोई नही होगा समझी , रही बात अंदर जाने की तो अंदर जाकर जो भी होगा उसे सुनती जाना ,तेरे लिए अच्छा होगा"।

    रब राखा

    कॉमेंट करते जाने और फॉलो भी ताके आगे आने वाले भाग क नोटीफिकेशन आपको समय पर मिल जाए।

  • 2. ❤️हमारा रिश्ता हो गया ❤️ - Chapter 2

    Words: 1266

    Estimated Reading Time: 8 min

    मामी सृष्टी को लेकर हॉल में आई तो एक तरफ एक आदमी औरत बैठे हूए थे ,उनके पास ही एक लड़का बैठा हूआ था जो , सृष्टी को ही देख रहा था । एक सॉफे पर उस के मामा बैठे थे ,जो चुप से उसे ही देख रहे थे । सृष्टी वही बैठ गई जहां पर उस की मामी ने उसे बैठने को कहा ।

    सामने बैठे आदमी को देख सृष्टी की मामी मुसकुरा कर ,"भाई भाभी ये रही सृष्टी, जिसके बारे में मेने बताया था। नादान है इसे पता नही था के मुकेश इसे पसंद करता है। वर्ना ये ऐसी गलती नही करती"।

    वही सिर झुकाये बैठी सृष्टी की आखों में से आंसू बहे जा रहे थे । सामने बैठे दोनो शख्स सृष्टी को देख कर बहुत खुश नजर आ रहे थे । जैसा मुकेश ने बताया था उस से कहीं ज्यादा खुबसुरत थी सृष्टी। मुकेश के चेहरे पर भी अपनी जीत की मुस्कान थी ।

    "हमे लड़की पसंद है बहन", मुकेश के पापा ने कहा।

    मामी खुशी से उनको देख कर , "मैने तो पहले ही कहा था के सृष्टी सब को पसंद आयेगी"। 

    "पर एक बात जैसा इसने आज किया ना वैसा फिर ना हो" मुकेश की मम्मी ने सख्त स्वर में कहा।

    मामी अपनी भाभी को देख कर , "क्या बात करती हो भाभी अभी बच्ची है , धीरे धीरे सब समझ जायेगी , अभी उम्र ही क्या है" ।  

    "राधा अभी दोनो बच्चो की उम्र नही हूई शादी की और अभी तो बस बारवी के पेपर ही दिये है बच्चो ने",सृष्टी के मामा ने उसकी  मामी से कहा जिनका नाम राधा है।

    राधा सृष्टी के मामा को देख कर ,"तो मैं कौन सा आज ही इस की शादी की बात कर रही हूं, अभी तो इसे पड़ना है बहुत कुछ करना है, तब तक मुकेश भी पड़ लिख कर कुछ बन जाये तब शादी होगी दोनो की" । 

    मुकेश सब को देख रहा था वही सृष्टी जो चप सी बैठी थी उस की आखों से आसूं बहे जा रहे थे , दिल कर रहा था के वो यहां से कहीं चली जाये पर वो एसा कर भी नही सकती थी । 

    मुकेश के पापा सृष्टी के मामा को देख कर ,"तो ठीक है फिर आज हम रोका कर देते है, क्या कहते हो पवन"।

    "जी जैसा आप कहे", पवन ने कहा और साथ ही राधा को देखा जो उसे ही देख रही थी ।

    मुकेश की मम्मी ने उठ कर सृष्टी को मुकेश के पास बैठा दिया ,और खुद दोनो जन एक तरफ बैठ गये । 

    पहले सृष्टी के मामा मामी ने दोनो की झोली शगुन रखा फिर मुकेश के मम्मी पापा ने । दोनो वैसे ही बैठे थे के मुकेश के पापा ने फोटो ले ली , इन सब में सृष्टी ने एक बार भी नजर उपर उठा कर नही देखा। 

    वो बस चुप चाप सी बैठी रही । सब लोगो ने हंसी खुशी में चाय नाश्त किया ।पर सृष्टी चुप सी बैठी थी, "लो तुम भी चाय पी लो", मुकेश धीरे से सृष्टी के कान मे बोला तो सृष्टी डर गई उसे नही पता था के बात यहां तक पहुंच जायेगी । वर्ना वो ये काम कभी ना करती ,भुल कर भी मुकेश को नही मारती वो।

    सृष्टी को कुछ ना बोलता देख मुकेश थोड़ा सा और सृष्टी की तरफ झुक गया तो दोनो के कंधे आपस मे टकरा गये । सृष्टी के पुरे बदन में सनसनी सी हुई जैसे लाखों चीटियां उसे काट रही हो । उसने एक नजर मुकेश को देखा जिस की आखों मैं उस की जीत दिख रही थी , मानो कह रही हो देखा लिया ना मैं क्या कर सकता हूं ।

    मुकेश सृष्टी को देख मुस्कुराया और राधा को देख , "बुआ क्या सृष्टी मुझे घर दिखा सकती है , हमारी बात भी हो जायेगी"। 

    "बिल्कुल ",राधा ने कहा वही पवन उसे देखने लगा , " कुछ बात करनी होगी दोनो ने ", राधा ने पवन को देख कहा ।

    "जा सृष्टी मुकेश को घर दिखा दे", राधा ने सृष्टी से कहा, तो वो चुप सी उठ कर चल दी वही मुकेश भी उसके पीछे पीछे चल दिया । 

    "देखा तुमने मुझे सब के सामने मारा तो अब तुम सब के सामने मेरी हो जाओगी", मुकेश ने चलते हूए सृष्टी से कहा । सृष्टी जो धीरे धीरे चल रही थी उस के कदमों की रफतार तेज हो गई । 

    मुकेश को गुस्सा आ गया तो उसने सृष्टी का हाथ पकड़कर उसे दिवार से लगा दिया जिस से सृष्टी के सिर पर लिया दुपट्टा एक तरफ को हो गया । रोने की वजह से आंखें लाल हो गई थी उस की । 

    मुकेश जिसे अपनी जीत पर घमंड हो रहा था वो अकड़ से बोला ,"बहुत अकड़ है ना तूम में, देखना सारी अकड़ कैसे निकलती है अब"। वही सृष्टी उसे देख डर गई थी मुकेश की आखें एक दम लाल हो गई थी एसा लग रहा था मानो वो अभी कुछ भी कर दे । 

    सृष्टी दोनो हाथ मुकेश के सीने पर रख उसे धक्का देने लगी पर मुकेश ने सृष्टी के दोनो हाथ पकड़कर उस की पीठ के पीछे लगा दिए, अपना चेहरा सृष्टी के चेहरे के पास लाकर , "क्या सृष्टी अब तो हमारा रिश्ता हो गया है, तो ये सब करने की क्या जरूरत" । 

    सृष्टी जो डरी हुई सी उसे देख रही थी अपने हाथ को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी । पर मुकेश की पकड़ उतनी ही कस जाती । मुकेश आखें तो बस सृष्टी के होठों पर थी जिन पर मुस्कान की लाली नही थी, बस डर था । मुकेश का चेहरा इस समय सृष्टी के चेहरे के बेहद पास आ गया था । यहां डरी हुई सी सृष्टी उसे खुद से दूर करने की कोशिश कर रही थी । 

    "सृष्टी आ जाओ ",तभी राधा जी की आवाज आई तो मुकेश उस से दूर हो गया । और सृष्टी जल्दी से उस तरफ चली गई । वही मुकेश के होठो पर तिरशी स्माईल आ गई, "अब तो मजा आने वाला है" ,उस ने जाती हुई सृष्टी को देख कहा और उस के पीछे पीछे चल दिया।

    मुकेश के पापा ने राधा से कहा ,"अच्छा बहना अब हम चलते है"। वही मुकेश ने आगे आगे आकर राधा पवन के पैर छु लिए।  

    मुकेश के मम्मी पापा मुकेश के साथ चले गए , सृष्टी अपने रूम में चली गई , वो बेड पर लेटी हूई फूट फूट कर रोने लगी ।   

    "बस कर बच्चे ऐसे रोने से कुछ नही होगा" , पवन सृष्टी के पीछे पीछे ही आ गये थे और उस के सिर पर हाथ रख कर बोले। 

    "तो मैं क्या करू मामा जी । मैंने क्या गलती कर दी जो मामी ने ये सब करा। मैंने उसे मारा था तो उसकी गलती थी ना" ,सृष्टी अपने मामा के गले लगते हुए बोली।

    मामा उस के सिर को सहलाते हुए "वो जैसे आये थे ना हम सब घबरा गये थे। मुकेश भी बहुत कुछ बोल रहा था तो क्या करते , तेरी मामी अपने भाई की कोई बात नही टालती है तो फिर क्या करते" ।

    सृष्टी अपने मामा को देख कर "पर मामा जी मुझे अभी शादी नही करनी है, मुझे पड़ना है कुछ बनना है"। पवन ने मुस्करा कर उसे देखा

    "तो हम कोन सा शादी कर रहे है, देखा नही तेरी मामी ने ही कह दिया के अभी तो सृष्टी को बहुत पड़ना है, कुछ बनना है और फिर मुकेश भी तब तक कुछ पड़ लिख जायेगा" ,पवन सृष्टी का चेहरा हाथो में लेते हुए कहा । 

    "जो हूआ उसे भुल जाओ" , दरवाजे से आवाज आई तो दोनो उस तरफ देखने लगे वही सृष्टी एक बार फिर डर गई थी ।


    रब राखा

  • 3. ❤️ वो आंखे ❤️ - Chapter 3

    Words: 2110

    Estimated Reading Time: 13 min

    "तेरी मामी ने ही कह दिया के अभी तो सृष्टी को बहुत पड़ना है , कुछ बनना है और फिर मुकेश भी तब तक कुछ पड़ लिख जायेगा" पवन सृष्टी का चेहरा हाथो में लेते हुए बोले ।

     सृष्टी पवन को देख धीरे से और नजरें झुकाये , "मामा जी वो अच्छा नही है। बहुत अजीब तरीके से देखता है, और जिस दिन से उसे पता चला के आप मेरे मामा है, तो वो मुझे हर बार छुने की कोशिश करता है"।


    पवन जो सृष्टी की हर एक बात को सुन रहे थे उन्होने गहरी सांस ली और सृष्टी के सिर पर हाथ रख कर ,"बस कर और कितना रोयेगी , मेरी बहन तुम्हे ऊपर से देख रही होगी और मुझे कोस रही होगी कि फुल जैसी बच्ची को खुश नही रख पाया मैं" ।


    सृष्टी जल्दी ने अपने आसूं साफ कर ना में सिर हिलते हूए "नही मामा जी आप ने तो कोई कमी नही छोड़ी है , मम्मी आपसे खुश है बहुत खुश" । 


    "जो हूआ उसे भुल जाओ" , दरवाजे से आवाज आई तो दोनो उस तरफ देखने लगे वही सृष्टी एक बार फिर डर गई थी ।


    दोनो का ध्यान दरवाजे पर गया यहां राधा खड़ी थी तो सृष्टी हाथ से अपना चेहरा साफ कर सिर झुका कर बैठ गई राधा सृष्टी के पासकर उस के आगे खाने की प्लेट रख ,"बहुत रो लिया कुछ खा भी लो "।


     सृष्टी ने मामा को देखा और चुप चाप खाने लगी। राधा पवन उसे देख रहे थे । पर बोले कुछ नही, "लड़का पसंद है ना" , मामी सृष्टी को देख कर बोली। तो सृष्टी ने हां में सिर हिला दिया।

    राधा सृष्टी की खाली प्लेट एक तरफ रख उसे देखते हुए ,"अच्छा तो फिर उस पर हाथ क्यूं उठाया"।

     सृष्टी के आसूं फिर से बहने लगे । मामी ने सृष्टी का चेहरा अपने हाथो में भर लिया और उसे देखने लगी,"पागल लड़की दो थप्पड़ क्यूं मारे थे , दो और मारती ना" ।


    सृष्टी हैरानी से उनको देखने लगी । मामी ने पास के ड्रा से क्रीम निकाली और सृष्टी के गाल पर क्रीम लगाने लगी.,"ये मत सोचना के मैंने तुम पर ये रिश्ता थोपा है , बिल्कुल नही । ये तो बस तुम्हारे लिए करा है, घर में तो मैं तुम्हें रख नही सकती, तेरे भाई की पुरी डिमांड है के तू पड़ लिख कर जो बनना चाहे बन और उसके लिए तुम्हे घर से बाहर जाना होगा"।


    वही पवन और सृष्टी उसे देख रहे थे । तो मामी ने प्यार से सृष्टी को देखा ,"बेटा मेरा भाई है वो ,मुझे पता है वो कैसा है, मैं उसकी हर बात मानती हूं उसका भी कारण है। पर ये नही के अब तुम्हारे साथ गलत करूं। तूं लड़की जात है , उतना खतरा बाहर वालों से नही जितना अपनों से होता है, क्यूँकि कीचड़ हमेशा अपने ही उठाते है हम पर। बाहर वाले तो बस तमाशा देखते है"।

    सृष्टी चुप सी उनकी बातें सुन रही थी ।

    राधा सृष्टी के हाथ पकड़कर, "मुकेश जब घर आया था तो उसकी आंखो में मैंने कुछ गलत देखा था, बस इस लिए उसे शांत करने के लिए मैंने ये सब करा। अब वो तुम्हे कुछ नही कहेगा और तू आराम से अपनी पढ़ाई कर सकती है" ।

    सृष्टी हैरान सी उनको ही देख रही थी ,फिर उनके हाथ पर अपनी पकड़ कसते हुए "मामी आप सच कह रही हो"।

     "हा, सच" मामी सृष्टी के बाल सही करते हूय बोली।
    सृष्टी उनके गले से लग गई,"मुझे माफ कर दो उस समय जोर से थप्पड़ लग गया ना" मामी ने कहा ।

    सृष्टी उनको देख कर,"नही मामी आपने गलत नही करा, बस उस समय अच्छा नही लगा था जब मुकेश ने मेरा हाथ पकड़ा था"।


    मामी सृष्टी को देखने लगी फिर उस के गाल पर हाथ रख , "बेटा माना के मैं मां नही बन सकती, पर कोशिश कर रही हूं, गलती हो तो माफ करना बाहर कोई कुछ भी कहे तो बताने से गरेज भी मत करना"।

    सृष्टी फिर से उनके गले से लग गई, "आप ही तो हो मामी जो मुझे समझती हो"।

    "और मैं कहां हूं" पवन दोनो को देख बोले ।

    तो सृष्टी ने उनको भी गले से लगा लिया।

    तीनो जन खुश थे के तभी सृष्टी का फोन बजा,"नीरज भईया" सृष्टी अपना चेहरा साफ करते हुए बोली और जल्दी से वीडियो कॉल अटेंड करा ।

     "भईया कैसे है आप ,आज मेरे पेपर हो गये और आज का पेपर तो बहुत अच्छा गया" सृष्टी ने चहकते हुए कहा । 


    वही नीरज जो इस समय आर्मी यूनीफॉर्म में दिख रहा था सृष्टी को देख कर ,"तो फिर तेरे गाल सुजे हूय क्यूं है"।


    वो परेशान सा लग रहा था , राधा पवन एक दूसरे को देखने लगे ।

    तो सृष्टी हंस कर बोली, "वो रंजीता है ना उस के साथ लड़ाई हो गई थी, और फिर क्या ,उसने मुझे मारा और मेने उसे" ।

     नीरज हस कर "तुम दोनो भी ना, चलो मम्मी पापा से भी बात करा दो" ।

     सृष्टी ने जल्दी से फोन राधा को दे दिया ।राधा फोन देखते हुए ,"बेटा कैसे हो" ।
    नीरज फोन पर देखते हुए " मम्मी मैं तो ठीक हूं, आप बताओ और हां मुझे अभी छुट्टी नही मिली तो जब मिलेगी तब बता दूँगा , पैसों की जरूरत हो तो बता देना"।

    "अच्छा मम्मी पापा कहां है उनसे भी बात कर लूं फिर हमे जाना है" नीरज जल्दी से बोला और कुछ देर बात करके फोन कट कर दिया। 

    राधा दोनो को देख ,"चलो तुम लोग चेंज करलो मैं खाना लगा देती हूं"।

    तो पवन और सृष्टी उठ कर चल दिए वहीं राधा रसोई में आकर काम करने लगी । 

     सृष्टी रसोई में आकर ,"मामी अब मैं भी खाना बनाना सीखूंगी मम्मी ने कहा था के छुट्टियों में मुझे सिखायेंगी। 


    राधा ने उस के सिर पर हाथ रख दिया "कल से सीख लेना" ।

    सृष्टी राधा को देखे जा रही थी , तो राधा ने उस से पुछा "क्या बात है जो इतने देर से देख रही हो" ।

    सृष्टी स्लेब पर हाथ मारते हुए, "मैंने आपको गलत समझा मुझे लगा जब आप को पता चलेगा तो आप मुझे बाहर पढ़ने नही जाने देंगी"।

    राधा मुस्कुरा दी और रोटी सेंकते हूऐ, "बाहर कहां जाओगी , तेरे भाई ने कालेज देखा है जहां पर वो पड़ा था। वहीं से तुमे भी अपनी पढ़ाई करनी , वो यहां का बेस्ट कालेज है" ।


    सृष्टी हैरान सी राधा को देखते हुए ,"उस कालेज में तो पहले टेस्ट देना होता है" ।



    मामी गैस बंद करते हुए, "पर तुम्हें तो डिजाइनिंग सीखनी है ना ड्रेस डिजाइनिंग, उस में टेस्ट नही होता"।


    सृष्टी खुशी से "सच्च में मामी"।

    राधा अपने हाथ पानी से साफ करते हुए ," सच्च में पर हां मैं पहले कह देती हूं मुझे अच्छे अच्छे सूट बनाकर देना। जैसे अब खुद के सिलाई करती हो"।

    "आप कहे तो आपका गाउन तैयार कर देती हूं" सृष्टी मुस्कुरा कर बोली ।
     मामी ने हस्ते हुए , "गांव वाले कहेंगे बहू लाने की उम्र में ये गाउन पहन कर घुम रही है" । सृष्टी हंसने लगी ।

    पवन जो वहीं आ गये थे दोनो को देख कर , "क्या बातें हो रही है दोनो में।

     "कुछ नही बस कालेज की बात कर रहे है" मामी सृष्टी के कुछ कहने से पहले ही बोली ।

    तो सृष्टी चुप कर गई , वही मामा जी भी हंस दिये ।

    "हा, नीरज ने बताया था" पवन ने दोनो को देख कर कहा ।  

    सृष्टी ने सारा खाना टेबल पर लगाया और तीनो ने मिल कर खाना खाया । खाना खाने के बाद सृष्टी रूम में आ गई , और फिल्म देखने लगी ।

    "राधा मुझे लगा था के आज तुम गुस्से में कुछ गलत फैसला ना ले लो" पवन जो बेड पर बैठे थे, राधा को आता देख बोले।

    राधा हस्ते हुए अपने हाथों पर क्रीम लगा रही थी ,"पता है मुझे ,मैं सृष्टी की मां नही बन सकती, पर उतनी ही फिक्र है मुझे भी, आज मुकेश को देखा था ना कितने गुस्से में था , और भाई भाभी भी, उनको पता था के सृष्टी के मम्मी पापा नही है। बस इसी बात का फायदा उठा कर वो कुछ गलत ना कर दे ये सोच कर ये सब करा मैंने" ।


    पवन कुछ सोचते हुए राधा को देख ,"पर राधा अभी के लिए तो बात यहीं पर खत्म कर दी हमने पर सृष्टी को मुकेश पसंद नही है । मुकेश ने भी तो गलत हरकत की है कोई भी लड़की ऐसे लड़के को पसंद नही कर सकती"।




    "देखो जी फिलहाल अभी के लिए तो बात संभाली है , बाद का बाद में देखेंगे" राधा बोली और लेट गई वही पवन भी सोचते हुए लेट गये।


    दुसरी तरफ मुकेश एक नदी के किनारे बैठा हुआ था उसके पास दो और लडके बैठे हूए थे ।

    "क्या भाई आज तो बहुत मजे में लग रहा है ऐसी भी कौन सी लॉटरी लग गई, जो तू हमे बीयर पिला रहा है" एक लड़के ने मुकेश से कहा जो खुद भी बीयर पी रहा था।

    मुकेश बोतल मुंह से हटाते हूए ,"बात तो बहुत खास है , पर अभी बस इतना समझो ये पार्टी है मेरी तरफ से पर वजह मत पुछो"। 


    बाकी सब भी बिना सवाल करे बीयर पीने लगे उनको भी क्या था मुकेश की खुशी से ,वो तो बस बियर फ्री की मिल रही थी तो उसी का भोग कर रहे थे । मुकेश बस सृष्टी के चेहरे को ही उस आसमान में देख रहा था ।




    मुकेश अपने गाल पर हाथ रख ,"बहुत जल्द तुम से अपनी बेज्जती का बदला लूंगा, जो तूने सब के सामने मुझे मारा सब के सामने, बस हाथ ही पकड़ा था और तूने सब के सामने मुझे थप्पड़ मार दिया। सब मुझ पर हस रहे थे ,सब के सब , इस बेज्जती को तो में कभी भुल नही सकता"।

    आखें गुस्से से लाल हो गई थी , बार बार उसे सृष्टी का खुद को थप्पड़ मारना याद आ रहा था , "सृष्टी बहुत ही घमंड हे ना तुम्हे खुद पर , देखना कैसे तेरा ये घमंड मै तोड़ता हूं ", मुकेश बीयर पे बीयर पीये जा रहा था , और गुस्से मे सृष्टी के बारे में सोच रहा था ।

    ••••••••


    एक लड़का पंचिंग बैग पर एक के बाद एक पंच मार रहा था। वही एक बैठा लड़का उसे देख रहा था । 

    दूसरा लड़का जो बैठा था वो पहले लड़के के कंधे पर हाथ रख , "बस कर यार बहुत हूआ, कितना गुस्सा करेगा अब तू"।

    पहला लड़का जो रूक गया था वो पंचिंग बैग को दोनो हाथों से पकड़ उस से सिर लगाते हूए , "महज चार घंटे हुए है , और वो आखें मुझे हर जगह दिख रही है , परेशान हो गया हूं मैं " ।

    दूसरा लड़का हैरान होकर ," गगन वो आँखे ही तो है इतना भी क्या हो गया "। 


    गगन एक तरफ आकर पानी की बोतल अपने सिर पर गिरा कर बैठ गया । फिर सामने खड़े लड़के को देख कर , "सतीश वो आखे और उसमें ठहरे आंसू कुछ तो था उनमे पता नही क्या पर जो भी था बस उनको देखते जाने का मन था पर वो बस ही चली गई " ।


    बोलता हुए गगन ने गुस्से से हाथ में पकड़ी पानी की बोतल को मोड़ दिया । सतीश उस के कंधे पर हाथ रखकर , "बस कर तु कबसे इन चीजों को मानने लगा , तु तो इन सबसे  दूर ही रहता है, तो आज बस चंद पल उस लड़की को देख तू गुस्सा हो रहा है ।जब के तुम्हारे एक कहने पर लड़किया की लाइन लग जाये "।


     गगन यहां बैठा था उस के दूसरी तरफ देखा यहां पर एक छोटी सी बाली थी जो सोने की थी। गगन उस बाली को उठा कर हाथ में लेते हुए । "ये आखें अलग थी बहुत अलग ,तु नही समझ रहा" गगन बेचैन सा बोला और अपनी जगह से उठ उस बाली को पर्स में रखते हुए ," चल अंटी वेट कर रही होगी गगन ने सतीश से कहा ।तो सतीश भी सिर हिलाते हूए उस के पीछे चल दिया ।


    "आ गये तुम दोनो मै कब से इंतजार कर रही थी चलो बैठो खाना खाओ" , गगन सतीश को सीढ़ियो से उतरते हुए देख एक औरत ने कहा साथ ही वो रसोई से सामान लेने चली गई । गगन सतीश दोनो आकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गये । अंटी ने दोनो को खाना सर्व  करा और खुद भी उनके पास बैठ कर खाने लगी ।

    "तुम दोनो की छुट्टीआ है, क्यू ना एक बार  अपने नाना नानी को ही मिल आओ वो भी  मिलने का कहते रहते है और तुम दोनो जा ही नही पाते"  अंटी ने  खाते हुए कहा । गगन सतीश  दोनो ने उनको देखा फिर एक दूसरे को देख कर सिर हिला दिया । 


    रब राखे

  • 4. ❤️कहानी दिलों की ❤️ - Chapter 4

    Words: 2139

    Estimated Reading Time: 13 min

    खाना खाने के बाद गगन छत पर आ गया और आसमान को देखने लगा यहां पर चांद पुरे आसमान पर आपनी रोशनी बिखेर रहा था । गगन को उस चांद में वही दो आखें नजर आ रही थी जिन में गुस्सा और ठहरे हुए आसूं थे और माथे की वो छोटी सी बिंदी जो काले रंग की थी । 

     "कोन हो तुम" , गगन ने चांद को देखते खुद से कहा । 

    जिस समय सृष्टी उस रेस्ट्रां से निकल कर बाहर आई थी उसी समय गगन जो उस रेस्ट्रां के बाहर खड़ा था, सृष्टी उस से टकरा गई टकराने की वजह से सृष्टी के कान की बाली वही गिर गई । जिसे गगन ने देखा और सृष्टी को देने के लिए उस का पीछे पीछे चल दिया तब तक रंजीता भी बाहर निकली और सृष्टी के हाथ पकड़कर उसे रोकते हुए कुछ कहने लगी ।

    तब गगन की नजर सृष्टी की आंखो पर गई काजल की वजह से वो आखें और भी बड़ी बड़ी लग रही थी ,पुरा चेहरा तो माकस की वजह से दिख नही रहा था ।

    गगन जो सृष्टी की बाली देने उसके पीछे आया था वो तो बस खड़ा ही रह गया । ना जाने क्यूं पर वो बाली उसने अपने हाथ में बंद कर ली । 

    वही सृष्टी अपने हाथ छुड़ा के चलने लगी तो रंजीता भी उस के पीछे पीछे चल दी । गगन भी दोनो के पीछे पीछे चल दिआ । सृष्टी रंजीता दोनो आकर बस में बैठ गई ।सृष्टी खिड़की वाली सीट पर बैठी थी जिस से उसे देखा जा सकता था , गगन तो एक तरफ खड़ा उसे ही देखे जा रहा था। तभी बस चल दी ।

    गगन भागा भी बस के पीछे पर बस अपनी रफ्तार पर चली गई थी । गगन उस बाली को देखने लगा जो हाथ में थी । "पता नही अब कब ये आंखें दिखेंगी ।"

    " जब तू सोयेगा और कल हम नाना नानी को मिलने जायेगे तब दिखेगी", पीछे से सतीश ने आते हुए कहा ।

     गगन उसे देख कर," ठीक है कल भी देख लेते है ", और उस के साथ नीचे चल दिया । 

    ●●●●●

    मुकेश जो अभी भी बीयर पे बीयर पीये जा रहा था , और गुस्से में सृष्टी के बारे में सोच रहा था । तभी उस का फोन बजा ।

    "हां पापा आ रहा हूं", मुकेश ने फोन कान से लगाते हूए कहा ।

    फिर उन लड़को को देख कर ,"जा रहा हूं मैं तूम सब भी निकलो यहां से ", कहते हुए मुकेश अपनी बाइक पर बैठ कर निकल गया । 

    मुकेश अपने मां बाप की एक लौती संतान , बहुत लाड-प्यार में पाला गया उसे। उस की हर एक गलती को नजर अंदाज कर दिया गया था शुरू से ही , इसी की वजह से आज वो एसा इंसान बन गया था के जो चीज उसे पसंद हो वो उसे चाहीए ही थी , रंजीता सृष्टी और मुकेश तीनो बचपन से एक ही स्कुल में पड़े थे ।

    मुकेश ने बहुत बार सृष्टी को देख था स्कुल में क्लास तो सेम थी पर सेक्शन अलग अलग थे। ग्यारहवीं बारवी में आकर उनका एक ही सेक्शन हो गया था कुछ बच्चे कही और पढ़ने चले गये थे । जिस से बाकी बच्चे एक ही सेक्शन में आ गये ।

     तब से तो मुकेश की नजर सृष्टी पर ही रहती थी , बहुत बार सृष्टी ने उसे इग्नोर कर दिया था । पर उस की हरकते बढ़ती ही जा रही थी , एकदम से सृष्टी का रास्ता रोक लेना पीछा करना , बहुत कुछ पर सृष्टी ने कभी भी उसे देखा तक नही था ।

    धीरे धीरे तो सृष्टी ने वो रास्ता भी बदलना शूरू कर दिया यहां पर मुकेश खड़ा दिखता था। पर जिस दिन पहला पेपर था उसी दिन सृष्टी अपने मामा जी के साथ कालेज आई थी रंजीता भी साथ ही थी पहला दिन था तो मामा जी खुद आये थे दोनो को छोड़ने।

    उसी दिन मुकेश भी वही था तो वो अपने फुफा जी से मिलने आ गया तब उसे पता चला के सृष्टी उनके घर में रहती है , वो तो खुश हो गया था ये जानकर , के सृष्टी का पता चल गया के वो बुआ के पास रहती है पर सृष्टी ने उसे फिर से इग्नोर कर दिया ।

     आज तो थप्पड़ भी मारा उसे , मुकेश को ये सब अपनी बेजती लग रही थी । मुकेश घर पहुंचा तो उस की मम्मी ने उसे अंदर किया और गेट लगा दिया बीना कुछ बोले वो अपने रूम में गया और अंदर से दरवाजा बंद करके बेड पर लेट गया । तो उस की मम्मी भी बीना कुछ कहे अपने कमरे में चली गई । ये तो रोज का ही था । 

    सृष्टी छः महीने पहले ही अपने मामा मामी के घर आई थी , एसा नही था कि उस का परिवार नही था , बस उस परिवार में मम्मी पापा नही थे , छः महीने पहले ही उनका कार एक्सीडेंट हो गया था दोनो ने उसी समय आखरी सांस ली थी । 

    चाचा चाची ने सृष्टी को अपने पास रखने से मना कर दिया उनका भी अपना परिवार था और फिर भाई नही रहा तो उस के हिस्से की ज़मीन उनकी हो जाती , कछ दिन सृष्टी उस घर में रही थी यहा पर वो अपने मम्मी पापा के साथ रहती थी । 

     डर और अकेलेपन के कारन वो बीमार हो गई , उन दिनो नीरज भी घर आया हूआ था , जब उसे पता चला के सृष्टी अकेली है तो वो अपने पाप के साथ सृष्टी को देखने गया । 

    पर वहां के हालात देख कर वो दंग रह गया, सृष्टी की हालत बहुत खराब थी , शायद उसने दो दिन से कुछ खाया भी नही था बुखार की वजह से उसे इतना भी होश नही था के वो बाथरूम तक जा सके , बेसुध सी वो बेड पर लेटी हूई थी ,बहुत समेल आ रही थी उस कमरे से , बुखार से तप रही थी वो, उसे कुछ होश नही मथा , नीरज ने जल्दी से ऐंबुलेंस को फोन करा और गुस्से में आकर सृष्टी के चाचा चाची के घर चला गया ।

     ये जानने के क्यू उस नन्ही सी जान को एसे छोड़ दिया । तो चाची ने कहा हमारा भी घर बार है , उसे देखे के लोगो के बच्चो को , वो दिन था नीरज सृष्टी के घर को ताला लगा कर उसे हॉस्पीटल लेगया । मामा तो बस ये सब देखते ही रह गये थे उन्हे नही लगा था के वो बच्ची अकेली है वो तो उसके चाचा चाची के सहारे ही छोड़ कर चले गए थे । 

    वो आखरी दिन था सृष्टी का उस घर में , नीरज उसे अपने साथ घर ले आया था बहन थी वो उसकी , मामी ने भी बहुत प्यार से रखा उसे ,पर सृष्टी को डर रहता था कही मामी उसे कालेज जाने से मना ना कर दे , पर आज वो भी डर जाता रहा था ।

    मामी तो उसकी दोस्त बन गई थी । नीरज अपनी बहन पर जान वार्ता था । उस की हर छोटी बड़ी डिमांड पुरी करता था वो , इस समय वो राजस्थान में था , वही सृष्टी मामी मामा के साथ अपने गांव में रहती थी । 

    सृष्टी अगले दिन मजे से उठी और वैसे ही नाइटसूट में बार आ गई , सामने ही मामा मामी बैठे हूआ थे , दोनो को गुडमोर्निंग बोल सृष्टी वही पर मामी की गोद में सिर रख कर लेट गई । 

    "क्या हूआ आज उठना नही है क्या" , मामी ने सृष्टी के बाल सही करते हुए कहा । तो सृष्टी ने ना में सिर हिला दिया । 

    अब सृष्टी के अंदर का डर गायब हो गया था जो उसे मामी से लगता था , तो वो उनके साथ खुल गई थी । वही मामी के चेहरे पर मुस्कान आ गई । 

    "रंजीता आई थी तूझे मिलने" , मामी ने सृष्टी से कहा । 

    सृष्टी मामी ओ देख कर ,"वो मोटी सुबह सुबह क्यूं आई थी "।

    " पता नही मुझे बस इतना कह रही थी के आज उस के भाई की सगाई है ",मामी ने कहा।

     सृष्टी जल्दी से उठ कर बैठ गई , और हैरान सी मामी को देख ने लगी । मामी मुस्कुरा रही थी । 

    "वो मोटी मुझे मार देगी उसने मुझे कहा था के आज के दिन मैं उसी के घर रहूं, पर मैं तो सब भुल गई" , सृष्टी ने अपना सिर पकड़कर कहा । 

    "तो जा फिर अच्छे से तैयार होकर जाना ",मामी ने कहा । सृष्टी वहां से भागती हूई अपने कमरे में आई और जल्दी से कपड़े लेकर बाथरूम में घुस गई । वही मामी मामा उसे ऐसे जाता देख मुस्कुरा दिए ।

    "आप जल्दी आ जाना हम सब को बुलाया है उन्होने , सगाई शाम की ही है तो जल्दी आ जाना आप" ,मामी ने मामा से कहा तो वो सिर हिला कर चले गये ।

    पवन पटवारी का काम करते थे । मामी भी जल्दी से रसोई में आई और सृष्टी के बाहर आने से पहले ही उसके लिए खाना लगा दिया वर्ना वो वैसे ही भाग जायेगी। वही सृष्टी जल्दी से तैयार होकर बाहर आई तो मामी सामने ही बैठी हूई थी , वो बैठ कर खाना खाने लगी ।  

    "अच्छा मामी मैं जा रही हूं जल्दी आ जाऊंगी"। 

    "अरे ये अपना फोन वाला पर्स तो लेजा ",मामी ने पीछे से कहा तो सृष्टी जलदी से मामी के पास आई और अपना फोन लेकर चली गई । पागल लड़की मामी ने कहा और अपने काम में लग गई । 

     सृष्टी रंजीता के घर आई तो देखा के सब तरफ महमान ही दिख रहे थे ,वो सब सृष्टी को ही देख रहे थे । तभी एक अंटी सृष्टी के पास आई , "सृष्टी ,तुम सृष्टी हो ना", उन्होंने कहा ।

     सृष्टी ने हां करदी , वो हस्ते हूय चली गई । सृष्टी ने हैरानी से उनको जाते हुए देखा । 

    "सृष्टी तू आ गई ,जा पहले जाकर रंजीता को देख वो मुंह फुला कर बैठी हूई है ", एक लड़के ने सृष्टी से कहा । सृष्टी ने उसे देखा तो वो रंजीता का भाई करन था ।

     "जी भाई", सृष्टी ने कहा और रंजीता के रूम की और चली गई । वही रंजीता मुँह फुलाये बैठी हूई थी । 

    "क्या हुआ तू मुँह फुलाये क्यूं बैठी है , सृष्टी ने रंजीता को देख कर कहा । 

    "तू जा मुझे तूझसे कोई बात नही करनी ", रंजीता ने दूसरी तरफ घुमते हूए कहा । 

    "अरे मेरी रानी बात तो बता ना" ,सृष्टी ने रंजीता के पास बैठ कहा ।

    " मैं तोरा इंतजार कर रही थी और तू है की सो रही थी । तुम्हे पता है आज सगाई है और कितनी तैयारी करनी है मम्मी मामी बुआ सब आई है और सब को तैयार करना है ,तूमको तो सब आता है ना पर मुझे कुछ भी नही आता तो बता मैं क्या करूं" , रंजीता ने एक सांस में कहा । 

    "अरे रूक जा सांस तो लेले" , सृष्टी ने रंजीता के हाथ पकड़कर कहा । 

    वही रंजीता ने दो बार गहरी सांस ली और सृष्टी को देख कर, "अब बता क्या करूं"। 

    सृष्टी ने सोचते हुए कहा ,"शाम को चार बजे सब यहां से निकलेंगे क्यूँकि सगाई तो छः बजे की है ना ", सृष्टी ने सोचते हुए कहा । रंजीता ने हां में सिर हिला दिया ।

    "तो बस आराम से सब को तैयार करदेगे बस तू ना अब ये सब छोड़ और मैं जो बताने जा रही हूं ना उसे ध्यान से सुन " सृष्टी ने कहा । रंजीता उसे देखने लगी , सृष्टी ने उसे कल घर आकर जो भी हूआ था ,सब बता दिया । रंजीता हैरान सी उस की बातें सुन रही थी ।

    " यार ये मुकेश तो बड़ा कमीना निकला" , रंजीता ने सृष्टी से कहा । 

    सृष्टी रूजीता को देखते हुए, " हां पर मुझे इतना पता चल गया के मामी मेरा हमेशा अच्छा ही सोचेगी , कल उन्होंने सारी बात संभाल ली , वर्ना वो मुकेश का क्या पता क्या करता" । सृष्टी उस बात को सोच कर ही डर गई जब मुकेश का चेहरा उस के चेहरे के एकदम सामने था ।  

    रंजीता सृष्टी को देखकर "आंटी ने सही करा तब तक तूम पड़ लिख जाओ गी और वो भी कही और चला जायेगा " । सृष्टी खुश हो गई इस बात से ।

    "वैसे तू नाराज क्यूं थी" ,सृष्टी ने रंजीता से कहा । 

    "कुछ नही यार मेरे मामा भी आये है ,और तूमको पता है वो कह रहे है के आगे की पढ़ाई ना मैं दिल्ली जा कर ही करूं वहां पर बेस्ट कालेज है" ,रंजीता ने उदासी से कहा ।

    सृष्टी का चेहरा उतर गया तो रंजीता उसके हाथ पकड़कर ," नही मै नही जाने वाली हम दोनो एक साथ ही पड़ाई पुरी करेंगे", रंजीता ने कहा । सृष्टी मुस्कुरा कर ,"हां हम एक साथ ही पड़ेंगे ",सृष्टी ने कहा और रंजीता के गले लग गई। 

    रब राखा

  • 5. ❤️कहानी दिलों की ❤️ - Chapter 5

    Words: 2103

    Estimated Reading Time: 13 min

    सृष्टी का चेहरा उतर गया तो रंजीता उसके हाथ पकड़कर ," नही मै नही जाने वाली हम दोनो एक साथ ही पड़ाई पुरी करेंगे", रंजीता ने कहा । सृष्टी मुस्कुरा कर ,"हां हम एक साथ ही पड़ेंगे ",सृष्टी ने कहा और रंजीता के गले लग गई। 

    रंजीता ने सृष्टी के पेट में गुदगुदी करनी शूरू कर दी वही सृष्टी भी कहां कम थी उसने भी रंजीता को गुदगुदी करनी शूरू कर दी ।दोनो बेड पर लेट कर खिलखिला कर हसने लगी ।

    रंजीता उसे देख कर ,"यार तू ना ऐसे ही हस्ती रहा कर " । सृष्टी भी उसे देखने लगी । 

    " सारे रिश्ते दार आ गये क्या ", सृष्टी ने बैठते हुए कहा । 

    "बाकी मामा मामी बुआ सब आ गया है , बस मासी रह रही है , वो सीधे वही आयेंगी ",रंजीता ने लेटे हुए ही बताया । 

    "रंजीता चल जल्दी से आ वो देख तेरी मासी आ गई ", रंजीता की मम्मी सुनेना रंजीता के कमरे में आते हूए बोली ।

    वही रंजीता हैरानी से उठ कर बैठ गई," पर मम्मी वो तो शाम को ही आने वाली थी ना" ।

    " वो तेरे मोसा जी है ना उनका यहां पर कुछ काम था तो वो आ गए और बताया भी नही , अब हम क्या करेंगे" ,सुनेना ने घबराता हूए कहा । 

    सृष्टी ये सब देख रही थी । "मासी ही तो है , इस में डरने वाली क्या बात है" , सृष्टी ने सुनाना की घबराहट देख कहा ।

     सुनेना ने एक बार सृष्टी को देखा और रंजीता को देख कर  ," इसे बता दो सारी बात , पहले मुझे कमरे देखने होगें यहा पर उनको रहने का बोल दू पर यहां पर कहा मिलेगे एसे कमरे ", सुनेना अपना सिर पकड़कर बैठ गई । सृष्टी रंजीता को हैरानी से देख रही थी ।

    " अरे वो हमारे मासी ना बहुत अमीर घराने से है , मुम्बई के टॉप बिजनेस मेन है मोसा जी ,तो अब तू जान सकती है ना के वो कैसे होगे ", रंजीता ने आराम से कहा । 

    "मम्मी जल्दी चलो ना नीचे मासी मोसा जी बैठे हूए है ",करन ने रूम में आते हूए कहा । 

    "चल ठीक है मैं ना नीचे जा रही हूं तू जल्दी से आ जा ", सुनेना जी कहते हुए करन के साथ नीचे चली गई वही सृष्टी रंजीता को देख रही थी । 

    "वो बात ये हो के मम्मी ना मासी को बहुत मानती है , वो क्या है ना मासी की दूसरी शादी है , और वो भी इतने अच्छे खानदान में । तू झुठ माने गी पहली बार वो यहां पर आई है ,वो भी मोसा जी के साथ , बस इस लिए मम्मी हाइपर हो रही है ", रंजीता ने अपने बेड से उतरते हुए कहा और सृष्टी का हाथ पकड़ नीचे आ गई ।  

    दोनो जैसे ही सीढ़ियो से नीचे आ रही थी वैसे ही नीचे के हॉल में एक दम शांती सी लग रही थी । 

    सृष्टी रंजीता हैरान से एक दूसरे को देखने लगी । "यार तेरे मोसा जी तो सब को कैसे देख रहे है मुझे तो अब डर लगने लगा है ",सृष्टी ने वहां पर सब को देख कर कहा वही बाकी सब एक ही इन्सान को देख रहे थे । 

    तभी वहां पर हँसने की आवाज आई," क्या कर रहे हो आप भाईसाहब , यहां पर हम लोग खुशियां मनाने आये है , जैसे आप लोग रह रहे है वैसे ही हम भी यही आपके साथ रह लेगे । आखिर एसे ही तो मिलने और एक दूसरे को जानने का मौका मिलता है ", एक आदमी की आवाज आई ।  

    सब लोग उनकी बात से हसने लगे ।" जैसा आप कहे ", रंजीता के पापा मनोहर ने कहा । 

    " अब हमारी रंजीता बेटी कहा है ,उन्हे भी तो बुलाओ उन से मिल लिया जाये" , उस शख्स ने कहा । 

    वही रंजीता ,सब के बीच में से आगे आई , यहा पर रंजीता की मासी सीता और मोसा जी अरनव बैठे हूए थे जिन्हे रंजीता ने वीडियो कॉल पर एक दो बार देखा था । 

    "ये रही रंजीता" , सुनेना जो सीता के पास बैठी थी वो बोली । तो सीता मासी ने रंजीता को अपने गले से लगा लिया वही अरनव मोसा जी ने उस के सिर पर हाथ रखा । 

    "बहुत प्यारी बच्ची है ", उनहो ने कहा । 

    रंजीता हैरान सी उनको देख रही थी जैसा उनके बारे में वो लोग सोच रहे थे के वो बहुत अमीर है तो उनमे इगो भी बहुत होगा पर, एसा कुछ नजर तो नही आ रहा था खास कर अरनव मोसा जी को देखे कर , हां मासी को देख कर लग रहा था के वो जरूर चकाचौंध से बच नही पाई । 

    रंजीता भी खुश होकर उनसे मिली , "चल रंजीता खाने का बंदोबस्त करते है ", सुनेना ने रंजीता से कहा तो रंजीता वहा से जाते हूए सृष्टी को भी अपने साथ ही ले गई । बाकी सब भी अपने अपने कामो में लग गये थे । मनोहर ,अरनव सीता और करन वही बैठ कर बाते करने लगे । 

    रंजीता सृष्टी सुनेना जी के साथ , रसोई में लगी हुई थी और अपनी ही बातों में लगी हुई थी ," बाते बाद में कर लेना, पहले जल्दी जल्दी हाथ चलाओ" , सुनेना जी सृष्टी रंजीता को खुसुर-पुसुर करते देख कहा । 

    तो वही दोनो हसने लगी । क्यूँकी सुनेना जी जब भी परेशान होती तो एसे सी सब को बोलती थी और इस समय रंजीता सृष्टी उन के सामने थी । वही सुनेना जी कर कुछ और रही थी और हो कुछ और रहा था । 

    "अंटी जी आप ना बाहर जाकर बैठो मैं और रंजीता ये सब सामान बाहर लेकर आती है" ,सृष्टी ने सुनेना जी के हाथ पकड़कर कहा ।  

    सुनेना जी ने सृष्टी के गालों को छू लिया , "ठीक है मुझे पता है तूम कर सकती हो , पर इसे भी कुछ सिखा दो" , सुनेना जी ने रंजीता की तरफ देख कर कहा तो रंजीता ने मुंह बना लिया 

    वही सृष्टी हस दी ,"आप चलो हम दोनो आती है ",सृष्टी ने कहा । तो सुनेना जी चली गई । "चल जल्दी से हाथ चला" , सृष्टी ने रंजीता से कहा । 

    वही सुनेना सब के पास आकर बैठ गई , "क्या सुनेना एक दो नौकर ही रख ले , कितना काम करना पड़ता है तूझे ", सीता ने सुनेना से कहा । 

    तो सुनेना हस्ते हूय ," क्या बोल रही हो ,नौकर रखने की क्या जरूरत है, हम ही तो सब जन है , बस आज थोड़ा सा काम बड़ गया है पर सृष्टी आई है रंजीता की सहेली दोनो मिल कर काम करवा देती है" , सुनेना ने कहा तो। सीता मुस्कुरा थी । 

    "वो बात ये है के हमारी धर्मपत्नी जी को इस सबकी आदत नही है ये तो एक गिलास पानी ले ले खुद से वो भी बहुत बड़ी बात है" , अरनव जी ने मजाक करते हूय कहा तो सब हस दिये सीता को छोड़ कर वो उनको घुरे जा रही थी ।

    करन मनोहर और अरनव जी अपनी बातो में लग गये तो सीता सुनेना के साथ लग गई । 

    तभी सृष्टी और रंजीता वही सब के लिए चाय नाश्ता ले आई ," तो ये है सृष्टी ", अरनव जी ने सृष्टी को देख कर कहा , सृष्टी ने दोनो को नमस्ते कहा ।

    "जी भाई साहब यही है सृष्टी" , सुनेना जी सृष्टी को देख कहा। 

    "बहुत प्यारी बच्ची है" , अरनव जी ने कहा , सृष्टी मुस्कुरा दी । वही रंजीता खड़ी थी , "बैठो तूम दोनो" , अरनव ने कहा तो रंजीता झट से सृष्टी का हाथ पकड़कर वही करन के पास बैठ गई ।

    "क्या कर रही हो तुम दोनो" , अरनव जी ने ही आगे सवाल पुछा साथ ही चाये का घुंठ भी लिया ।

    " कल ही हमारे पेपर खत्म हुए है" , रंजीता ने कहा।

    " ये तो बहुत खुशी की बात है , और आगे क्या करने का सोचा है" , अरनव जी ने कहा ।  

    "फैशनडिजाइनिंग का कोर्स करना है हमे,बहुत अचछी फैशनडिजाइनर बनना है ",सृष्टी ने मुस्कुरा कर कहा । 

    "बहुत खुब आगे बहुत स्कोप है इस में ",अरनव ने कहा । वही सब लोग उनकी बातें सुन रहे थे । 

    "मोसा जी आपको पता नही ये कितना कुछ जानती है , ये यो मेने सूट पहना है , ये इसी ने सिला है ,यो इसने पहना है वो भी इसी ने सिला है और यो मम्मी ने पहना है वो भी इसी ने सिला है" , रंजीता ने कहा । 

    अरनव जी ने बहुत ध्यान से सृष्टी को देखा तो पाया के जो सूट उसने सिले है बहुत ही अच्छे से सिले है वो मुस्कुरा दिए । तभी उनका फोन बजने लगा तो उन्होने फोन उठा लिया । "जी जी जी हम लोग कल पहुंच जायेगे बस आप पेपर्स तैयार रखना" , अरनव ने बात करते हुए कहा ।  

    "वो पास के शहर में जमीन देखी है सोचा सगाई के लिए तो आना ही है तो उसका भी काम हो जाये ",सीता ने सब को बताया  



    " ये तो बहुत अच्छी बात है" , सुनेना जी ने कहा । 

    "मोसा जी चलो मैं आपको रूम दिखा देता हूं तब तक आप आराम कर ले" , करन ने उठते हूए कहा ।

    वही अरनव जी भी उठ कर चलने लगे , मनोहर जी भी बाकी के कामो में लग गये। सीता सुनेना बातें करने लगी और रंजीता सृष्टी को वापस अपने कमरे में ले गई ।

    ●●●●●●●●

    "क्या बात हे जाना नही है क्या आज अभी तक सो रहा है", सतीश ने गगन को हिलाते हूए कहा । 

    तभी उस का ध्यान गगन के गले में पहनी हुई चेन में गया जिस में उसने उस बाली को ढाला हूआ था । सतीश मुस्कुरा दिया और उस बाली को निकाल कर , "वैसे ये बाली है कोई रिंग नही जो चेन में पड़ी रहेगी ", सतीश उस चेन को देखते हुए कहा । 

    गनग एकदम से उठ कर बैठ गया और उस बाली को लेते हुए," तु ना दूर ही रह इन सब से और मेरी बात सुन आगे से हाथ भी मत लगाना" , गगन ने कहा और उठ कर बाथरूम में चला गया ।

    सतीश मुस्कुराये बीना नही रह सका और और अपना फोन उठा कर उसे देखने लगे फिर उस के चेहरे पथ स्माईल आ गई । "रिधी माइ लव" , सतीश ने फोन को देखते हुए कहा ।

     बारह बजे के आस पास दोनो अंटी को बाये बोल कर नाना नानी के घर के लिए निकल गये । दोनो अपनी काले रंग की महिंद्रा थार गाड़ी में थे । 

    "अब यहां पर क्यू रोक दी गाड़ी", सतीश ने गगन से कहा अभी दोनो को निकले हुए पंद्रह मिनट ही हुए थे और शहर से निकलने भी नही थे । 

    "तू यहीं रूक मैं आता हूं", कहते हुए गगन गाड़ी से बाहर निकल गया । वही सतीश उसे देखता रहा तभी उसने गगन को ज्वैलरी शॉप पर जाते देखा तो वो हैरान हो गया ।

     "अब ये क्या लेने चल दिया" , सतीश ने खुद से ही कहा । दस मिनट बाद गगन बाहर आया तो सतीश उसे देखने लगा ।।

    "क्या ऐसे क्या देख रहा है ", गगन ने अपनी सीट बेल्ट लगाते हुए कहा । 

    "तु कब से ज्वेलरी खरीदने लगा" , सतीश ने तिरशी नजर से गगन को देखते हुए कहा । 

    गगन चाबी लगाते हुए।" बहुत खास है" , कहते हुए गगन ने चाबी लगा कर गाड़ी आगे बड़ा दी । 

    सतीश उसे देखता ही रह गया । फिर मुस्कुरा कर," मुझे भी बता देता तो मैं रिधी के लिए कुछ खरीद लेता "। 

    "देख वो लड़की मुझे पसंद नही और जो मुझे पसंद नही उस के बारे में मै बात करना भी सही नही समझता" ।

    "जिस दिन तुमको प्यार होगा ना उस दिन मैं भी ऐसे ही बात करूगा"।  

    "मुझे नही सुनना इस बारे में कुछ भी ", गगन ने गाड़ी चलाते हुए कहा । 

    ●●●●●●●

    "यार तेरे मोसा जी तो बहुत ही अच्छे है उनको देख कर लगा ही नही के वो इतने बड़े आदमी है ", सृष्टी ने रंजीता से कहा ।  

    "हा मुझे भी यकीन नही हो रहा वो एसे है , चल जो भी है वो है बहुत ही मस्त , देखा नही कितने अच्छे से बात कर रहे थे ।पर मुझे ना मासी लगी के उनको सच्ची में अपनी अमीरी का नषा हो गया है ",रंजीता ने कहा ।

    " चल वो छोड़ और ये बता के आज रात क्या पहने गी" । 

    तो रंजीता जल्दी से उठी और अपने कपड़े लेकर आ गई ," ये पहन रही हूं मैं अच्छा है ना"।

    " बहुत ही सुंदर है ये तो", सृष्टी ने ड्रेस देख कर कहा । 

    रब राखा

  • 6. ❤️कहानी दिलों की ❤️ - Chapter 6

    Words: 2290

    Estimated Reading Time: 14 min

    " बहुत ही सुंदर है ये तो", सृष्टी ने ड्रेस देख कर कहा । 

    दोनो आपस में बातें  कर रही थी के तभी सुनेना रंजीता के रूम में आकर ,"सृष्टी वो मासी को पहले तैयार कर देना उनको ज्यादा भीड़ भाड़ पसंद नही है" , सुनेना ने कहा  ।

     वही रंजीता सुनेना का हाथ पकड़कर," बस करो मां इतनी टेंशन लेने की जरूरत नही है मासी ही तो है।"


    "बेटा मासी है, आज पहली बार आई है घर तो इस लिए फिक्र हो रही है ,क्यूंकि वो बहुत देर से बाहर ही तो थी , यहां उसे कुछ कमी ना रहे बस इस लिए ये सब कर रही हूं।"

    "ये भी ठीक है" ,रंजीता ने कहा और सृष्टी को देख कर ,"चलो मासी के रूम में चले "। सृष्टी ने हां करदी ।

    दोनो ही सीता के रूम में गई तो दोनो ही देखती रह गई , सीता ने बेड पर महंगी साड़ी और ज्वेलरी रखी हूई थी ।  

    "वाह मासी ये तो बहुत सुंदर है" , रंजीता ने जल्दी से आगे आकर एक नेकलेस को हाथ लगा कर कहा । 

    "हां बहुत महंगा है ये सब ", सीता ने स्माईल करते हूय कहा फिर सृष्टी को देखने लगी ,"तो तूम हो जिसे मेकअप करना आता है ," सीता ने सृष्टी का गोर से देखते हुए कहा ।

    " जी" सृृष्टी ने कहा।

    "तो चलो फिर जल्दी करना "वो बोली और साथ ही अपने बेग से मेकअप किट निकालने लगी। 




    "वो क्या है ना , मैं अपना सामान ले कर आई हूं मुझे दूसरो की जुस की हूइ चीजो से अर्जी है " , सीता ने कहा तो सृष्टी ने हां करदी ।

    "तुम्हे आता तो है ना मेकअप करना , बहुत महंगी किट है ये ", सीता ने सृष्टी से कहा जब सृष्टी उस मेकअप किट को देख रही थी ।

    " जी" , सृष्टी ने कहा और आगे बड़ कर मासी का मेकअप करने लगी वही रंजीता बैठ कर देख रही थी । 


     सृष्टी ने बहुत ही अच्छे से मासी का मेकअप कर दिया , था वही मासी खुद को देख कर हैरान रह गई थी बिल्कुल नेचुरल लगरही थी वो ।

    सृष्टी सब सामान वापस से पैक करने लगी तो मासी ने अपने पर्स से दो हजार का नोट निकाला और सृष्टी के आगे कर दिया । सृष्टी रंजीता हैरानी से उनको देखने लगी ।

    "तूमने अच्छा काम किया है तो रख लो" सीता वैसी ही बोली ।

    " नही मासी जी मैं पैसो के लिए नही करती हूं ये सब ", सृष्टी ने कहा ।

    " हा मासी जी, सृष्टी पैसो के लिए नही करती वो तो मेरे कहने पर आई थी ",रंजीता ने आगे बड़ सृष्टी की हां में हां मिलाते हुए कहा "।

     मासी ने दोनो को देखा और अपने पैसे पर्स में रखते हूये , "ठीक है " ।


    सृष्टी रंजीता वहां से जाने लगी तो मासी ने आवाज देकर दोनो को रोक लिया । दोनो सीता को देखने लगी ," रंजीता मैं सिर्फ तुम्हारी मासी हूं ", सीता ने रंजीता को देख कहा और एक सरसरी सी नजर सृष्टी पर डाली और अपना पर्स देखने लगी । ।




    रंजीता ने एक बार सृष्टी को देखा , सृष्टी ने स्माईल कर दी । दोनो बीना कुछ कहे वहां से बाहर आ गई । मासी ने दोनो को देख कर सिर हिलाया ," बड़ी आयी मैं पैसे नही लेती , तो दूसरे के घर में पुरा दिन क्या करती है ,और मां बाप भी अच्छे है जो अपनी लड़की को किसी के भी घर भेज देते है, जब पता है यहां पर कितने मेहमान आये है" , सीता खुद से ही बोल रही थी । 

    तभी उसे लगा पीछे कोई है ," तूम यहां क्या कर रही हो" ,सीता ने पीछे देखा तो वहां पर सृष्टी खड़ी थी । 

    "वो मेरा फोन रह गया था" , सृष्टी ने टेबल से अपना फोन उठाते हुए कहा और सीता को देख कर बाहर चली गई। सीता भी अपने कपड़े चेंज करने लगी ।



    "तूझे क्या हूआ" , रंजीता ने सृष्टी को देख कर कहा । 

    "कुछ नही" ,सृष्टी ने कहा । 

    "तो चल फिर मम्मी बुआ चाची सब तुम्हारा वेट कर रही है ", रंजीता सृष्टी के हाथ पकड़कर कहा ।

    " मैं अपना सामान लेकर आती हूं , तब तक तूम सब को बोल दो" , सृष्टी ने बाहर की तरफ जाते हूए कहा । और घर के लिए चली गई । वही रंजीता उसे देखती रह गई।

    "इसे क्या हुआ", रंजीता ने सृष्टी को देख कहा और वापस से अपने कमरे में आ गई ।  
    "क्या हूआ सृष्टी सब ठीक तो है ना" ,राधा ने सृष्टी को आते देख कहा । 

    "हां मामी वो मेकअप का सामान लेने आई थी" , सृष्टी ने अपने रूम की तरफ जाते हूए कहा और बीना रूके चली गई, अंदर आते ही सृष्टी बेड पर बैठ गई , उसे तो बस सीता के कहे बोल ही सुनाई दे रहे थे । 

    सृष्टी चुप सी लेटी हूई थी के उस की आखों के कोने से कुछ आसूं बह गये ।सृष्टी ने वैसे ही आखें बंद कर ली । 

    "सृष्टी क्या बात है कब से तेरा इंतजार कर रही हूं ", रंजीता ने आते हूए कहा । उस के साथ ही राधा भी अंदर आ गई ।

    "क्या हूआ सृष्टी तूं रो क्यूं रही है ", रंजीता सृष्टी को देख कर उस के पास बैठ कर बोली । राधा मामी भी उसे ही देख रही थी।

    " कुछ नही बस मम्मी की याद आ गई थी" , सृष्टी अपना सिर झुकाये बोली । राधा उसे देख रही थी ,उसने कुछ नही कहा ,तो रंजीता ने सृष्टी को गले से लगा लिया। 

    " पागल हो गई हो क्या, हम सब भी तो है ना यहां पर ", रंजीता ने कहा फिर राधा को देखशकर , "अंटी अब आप ही समझाओ इसे के हम सब इसे कितना प्यार करते है और ये एसे रो रही है "।


    राधा ने सृष्टी के सिर पर हाथ रख दिया , "चल उठ और आज अपनी नई वाली किट लेकर जा जो नीरज ने तुम्हे दी थी" , राधा ने कहा । 

     सृष्टी उनको देखने लगी ,"अब जा भी फिर मुझे भी तैयार करना है , तू क्या चाहती है तेरी मामी ऐसे ही जाये ", राधा ने हँसते हूए कहा तो सृष्टी मुसकुरा दी और हां मैं सिर हिला दिया । 


    राधा दोनो को रूम में छोड़ खुद बाहर चली गई तो सृष्टी उठी और अलमारी से मेकअप किट निकालने लगी। 

    "यार ये वाली किट तो नीरज भईया लाये थे ना तेरे लिये ,तो तू इसे रहने दे दूसरी ले आ", रंजीता ने सृष्टी को देख कहा । 


    "क्या करना है इसे रख कर भाई तो मुझे फिर ला देगे , चल तू आज इसी से सब को तैयार करते है" , सृष्टी ने कहा । और रूम से बाहर निकल गई ।

    "अच्छा रंजीता सृष्टी को जल्दी भेज देना  नही नही मेकअप आर्टिस्ट को ,राधा ने दोनो को जाते हूए देख कर कहा ती रूजीता ने सिर हिला दिया । 


    दोनो रंजीता के रूम में आई तो सब औरतें सृष्टी का ही इंतजार कर रही थी तो सृष्टी अपनी किट रखते हुए सब को देखने लगी फिर मुस्कुरा कर तो शूरू करें उस ने कहा ।

    "लो आंटी जी अब आप सब लोग तैयार है , एक बार खुद को देख लो" , सृष्टी ने सुनेना के माथे पर बिंदी लगाते हुए कहा । वही रंजीता उनकी साड़ी सही कर रही थी ।


    "हां मम्मी बता दो , कैसा लगा आपको , मेरा तो सब से बेस्ट मेकअप करा है सृष्टी ने" ।

    "बहुत अच्छा करा है ", सुनेना ने सृष्टी के गाल छूह कर कहा । 

    "अच्छा सृष्टी राधा और पवन भाईसाहब के साथ समय पर पहुंच जाना , ठीक है", सुनेना ने सृष्टी से कहा, सृष्टी ने हां में सिर हिला दिया और अपना सामान लेकर चली गई ।
     वही रंजीता की बुआ चाची मामी तो बस खुद को ही देखे जा रही थी सब ही बहुत प्यारी लग रही थी । "क्या दीदी आपने उस लड़की की मेहनत तो दी ही नही ", रंजीता की मामी ने सुनेना से कहा। 

    "वो नही लेगी और मैं उसे पैसे देकर पराया भी नही करना चाहती , रंजीता के जैसी ही है मेरे लिए तो" , सुनेना ने उनको देख कर कहा । 

    "पर दीदी वो सारा सामान लेकर आई थी ना" , रंजीता की मामी ने कहा । 


    "मामी सृष्टी ऐसी ही है और आप टेन्शन ना लो मैं हूं ना ",रूजीता ने कहा । मामी ने सिर हिला दिया , और सब औरते जैसे ही रंजीता के रूम से बाहर निकली तो सामने से आ रहे मनोहर जी और अरनव जी ने उनको देखा ।  

    "क्या कहे, आप लोग तो पहचान में भी नही आ रही हो" , अरनव जी ने सब को देख कर कहा । 

    वही मनोहर जी सीता को देख कर ," आप तो बिल्कुल ही बदल गई है " । सब औरते हँसने लगी।

    " मैं पापा, मै कैसी लग रही हूं", रंजीता ने आगे आकर कहा तो मनोहर जी अरनव जी तो देखते ही रह गए , "तुम तो सब से प्यारी लग रही हो",दोनो ने एक साथ कहा । 


    "आ गई चल कुछ खा ले पहले ", राधा ने सृष्टी को देख कहा। 


    "नही मामी मुझे भुख नही है सुनेना अंटी ने बहुत खिला दिया था ,मैं थोड़ी देर लेट जाऊं ",सृष्टी ने कहा ।


    " ठीक है आराम कर ,पर जल्दी उठ जाना ",मामी ने कहा और अपने रूम में चली गई वही सृष्टी अपने रूम में आते ही बेड पर लेट गई । तभी उस का ध्यान अपने कान पर गया और जल्दी से बैठ गई।

     फिर साइड टेबल की ड्रा से एक छोटा सा बॉक्स निकाला कर देखने लगी उसे खोला तो उस में एक बाली थी ।


    "पता नही मेने कहां खो दिया मम्मी ने कितने प्यार से लेकर दी थी"।







    ●●●●●●●●●●●●●●







    गगन सतीश दोनो एक रूम में लेटे हुए थे । शाम हो गई थी, दोनो दो बजे के आस पास ही यहां पर पहुंच गये , वोतो नाना नानी को सरप्राइज देने आये थे पर यहां आकर पता चला के नाना नानी तो पड़ोस के गांव गये है वहां पर कोई जान पहचान है।


    गगन तो बस अपनी चैन को ही देख रहा था जिस मे उस ने वो बाली डाली हूइ थी पर बाली एक छोटी सी ट्रांसपेरंट बॉक्स में थी जो गगन की चेन में था । 

    " अबे बस कर तुमको देख कर तो लग रहा है तु सच में प्यार में पड़ गया" , सतीश ने कहा जो गगन को ही दख रहा था।


     गगन मुस्कुरा कर," अच्छा एसा है क्या"।

    "हा ऐसा ही है ", सतीश ने कहा । 

    गगन उसे देखने लगा । "तो फिर मै देखता हूं कितनी देर में मुझे मेरा प्यार मिलता है" , गगन ने कहा 

    सतीश उठ कर बेड पर बैठ गया और गगन को ही देखने लगा," एक बात बताओ तुमको मेरी रिधी से बहुत प्रॉब्लम है ना जब के तूने उसे देखा है , फिर इस हिसाब से मुझे उस अनदेखी लड़की से कितनी नफरत होनी चाहीये जिस ने मेरे अच्छे खासे दोस्त को पहली ही नजर में दिवाना बना दिया ", सतीश गुस्से से बोला । 

     गगन वापस से सीधे लेटते हुए , अपनी चेन को देखने लगा ,"पहली नजर नही बस आंखों ने, वो काली काजल से भरी आंखें", गगन ने कहा । सतीश ने उसे देख सिर ना में हिला दिया ।

    "क्या बात है आज तूम दोनो यहां पर कैसे आ गये हम बुढ़ो को मिलने" ,तभी रुम में ये आवाज आई तो गगन सतीश उस तरफ देखने लगे । 

    वही सामने दो हम उम्र जोड़ा जिनके सिर के बाल सफेद हो गये थे वो दिखे । गगन जल्दी से उठा और उनके गले लग गया । "नाना नानी", गगन ने कहा ।

    वही सतीश भी आकर उनके गले लग गया । 
    "हम तो आपको सरप्राइज देने आये थे पर आप दोनो पहले ही घर से बाहर चले गये" , गगन ने कहा और नाना के हाथ पकड़कर उनको बेड बैठा दिया सतीश ने भी नानी को बैठाया ।


    "हा नानी आपके हाथ का हलवा खाना था मुझे पर आप तो यहां थी ही नही" ,सतीश ने कहा , नानी नाना दोने खुश थे उनको देख कर । 

    "वो पास के ही गांव में एक जान पहचान है उनके बेटे की सगाई है और कुछ दिनो में शादी भी तो बस घर पर ही चले गये कहा शहर जाते उस से अच्छा था यही मिल आये" ,नाना ने कहा ।

    गगन ने सिर हिला दिया वही नानी दोनो की देख कर ,"रामू ने खान तो खिलाया ना के वो भी नही खाया "।

    "हमने खाना खा लिया और पेट भर कर खाया पर आपके हाथ के बने हलवे की तो बात ही कुछ और है", सतीश ने कहा । 

    नानी उसके गाल को छुते हूए, "चल आज रात वही खिलाऊंगी तुमको", नानी ने कहा तो सतीश मुंह में पानी भर कर, "आज तो फिर बस वही खाने वाला हूं मैं।"


    गगन ने उसके सिर पर एक चपत लगा दी," बस कर और कितनी एक्टिंग करेगा तू"।


    "जितना मेरा मन चाहेगा", सतीश ने कहा और नानी को देखने लगा ,"देखो नानी ये हमेशा ऐसे ही करता है और मुझे ये भी कहता है के आप मेरी नानी नाना नही हो ",सतीश ने कहा तो नानी गगन को देखने लगी ।


    " नही नानी ये झुठ बोल रहा है ",गगन ने जल्दी से कहा ।


    " बस करो तुम दोनो क्या बच्चो के जैसे लड़ते हो ",नानू ने दोनो को देख कहा तो दोनो चुप कर गये ।


    "ठीक है अब तुम दोनो जाऔ और खेत देख कर आओ" , नानू ने कहा और नानी को देख कर ,"चलो अब तुमको भी तो योगा करना है ",नानी सिर हिला कर उनके साथ चल दी । वही गगन सतीश दोनो उनको देखते रहे ।







    रब राखा 

  • 7. ❤️कहानी दिलों की ❤️ - Chapter 7

    Words: 2187

    Estimated Reading Time: 14 min

    "चल सृष्टी जल्दी कर तेरे मामा जी बाहर इंतजार कर रहे है", मामी सृष्टी को बुलाते हुए उस के रूम में ही चली आई । तो वो सृष्टी को देख कर वही दरवेजे पर ही रूक गई। 

    "बहुत सुंदर लग रही हो तूम " राधा ने आगे आते हूए कहा और सृष्टी के कान के पीछे काला टीका लगा कर उसे देखने लगी । सृष्टी ने साड़ी पहन रखी थी, जो वो मामी के साथ जाकर कुछ दिन पहले ही लाई थी अपने जन्मदिन पर।आज दूसरी बार साड़ी पहनी थी उसने ।

    " ये जो प्लेट्स है ना इनको एसे रखते है" , मामी ने झुक कर साड़ी सही करते ने कहा । 

    "हा मामी वो मुझ से हो नही रहा था।" 

    "अपनी बिंदी तो लगा" राधा ने सृष्टी को देख कहा तो सृष्टी ने जल्दी से छोटी सी काले रंग की बिंदी लगा ली ।

     मामा जी भी खुश हो गये थे सृष्टी को देख कर , तीनो गाड़ी में बैठे और चले गये । पुरे रास्ते सृष्टी कुछ ना कुछ बात करते हुए जा रही थी । वही मामी भी उस से बाते कर रही थी । 

    सृष्टी पहले से ज्यादा मामी से बात करने लगी थी पहले वो बस चुप सी रहती उतनी ही बात करती जितनी मामी बोलती । पर मुकेश के साथ हूए उस वाक्य के बाद सृष्टी अब खुल कर बात करने लगी थी । महज एक दिन में ही उस में बहुत फर्क आ गया था । 

     तीनो बातें करते हुए शहर पहुंच गये थे , अभी शाम ही हूई थी , शहर की सड़को पर भी भारी आवाजाई थी " ये रहा वो कॉलेज यहां पर अब तूम आगे अपनी पढ़ाई करोगी " मामी ने सृष्टी को बाहर की तरफ इशारा करते हूय कहा ।

    वही सृष्टी ने बाहर की तरफ देखा तो बड़े बड़े अक्षरों में देव कॉलेज नाम लिखा हूया था । बढ़ा सा गेट उस के आगे अभी भी कुछ बच्चे आ जा रहे थे ,सृष्टी खुश होकर देखने लगी ।  

    "अभी तो दो महीने है मामी ", सृष्टी ने बाहर देखते हुए कहा । 

    "आराम कर लो दो महीने तक , खाना बनाना सीखना है ना तो इस बार वही सीखेंगे , दसवी के बाद तूमने ब्यूटीशियन का कोर्स करा था , और ग्यारवी में सिलाई सीखी थी ,तो इस बार खाना बनाना सीख लो ", राधा ने सृष्टी को देख कर कहा ।  

    "लो जी पहुंच गये" , पवन ने गाड़ी रोकते हुए बोले । 

     तीनो बाहर निकले और उस गार्डन के अंदर चले गये जिसे बहुत ही खूबसूरती से सजाया गया था । सृष्टी राधा और पवन सब के पास आ कर रूक गये वही सुनेना मनोहर ने पवन राधा को लेट आने पर बाते भी की ,पर सृष्टी को देखकर सब भुल गये । उस प्लेन लाल रंग की साड़ी में वो बहुत ही खुबसुरत लग रही थी ।  

    "ये क्या कर के आई है तू" ,रंजीता सृष्टी को अपने साथ लेजाते हूए बोली ।

    " सृष्टी हैरानी से इधर उधर देखते हूए , क्या हूआ कपड़ो पर कुछ लगा है क्या।"    

    तो रंजीता उसे देख कर , "इतनी खुबसुरत लग रही है के क्या कहूं देख वो लड़का कब से तूझे देखे जा रहा है ", रंजीता ने सृष्टी को एक तरफ इशारा करके कहा ।

    वही सृष्टी ने उस तरफ देखा तो वो लड़का जो उस तरफ खड़ा था सृष्टी को देख कर जल्दी से स्माईल कर दी ।

    सृष्टी ने रंजीता को देखा और उसे घुरते हूए ,"तूमे कोई और काम नहीं ,जब देखो यही सब चलता रहता है तेरे दिमाग में ।"

    "बस कर यार यही उम्र है दोस्त बनाने की ।"

    "बस बहुत हूआ चल अब देख सब स्टेज पर खड़े है।" सृष्टीने ने रंजीता की बात काटते हुए कहा और उस का हाथ पकड़कर उसे अपने साथ ले गई ।

    "ये क्या उस ने तो तुम्हे देखा भी नही " ,वही दूसरी तरफ खड़े लड़के के दोस्त ने कहा ।

    " कोई बात नही अभी तो आये है देखेगी अच्छे से देखे गी", उस लड़के ने मुस्कुरा कर कहा । 

    सगाई की रस्म शूरू हूई तो रंजीता सृष्टी का हाथ पकड़कर उसे अपने साथ करन के पास ले गई ।  

    जैसे ही लड़का लड़की ने अंगुठी एक दूसरे को पहनाई वैसे ही आसमान में पटाखों की आवाज आने लगी ये सब-कुछ बहुत ही खुबसुरत लग रहा था । सब लोग डान्स करने लगे ।

     सीता और अरनव जी कुछ ही देर में वहा से निकल कर कही चले गये थे । रंजीता सृष्टी और रंजीता की चाची की लड़की एक साथ लगी हुई थी , तीनो मजे से डान्स कर रही थी तभी वो लड़के भी वहीं आ कर डान्स करने लगे और बार बार तीनो से टकरा जाते। 

    वो लड़का जो सृष्टी को देख रहा था वो तो जान जान कर सृष्टी से टकरा रहा था ।सृष्टी दूसरी तरफ हो रही थी तो वो फिर से उस तरफ चला जाता । रंजीता अपनी चाची की लड़की के साथ कुछ देखने चली गई । तो वही सृष्टी भी डान्स फ्लोर से हट कर एक तरफ राधा पवन को देखने लगी । 

    तो उसे राधा पवन किसी से बात करते हुए दिखे । सृष्टी को लगा के कोई उसे ही देख रहा है ।वैसे भी डान्स फ्लोर पर वो लड़का कुछ ज्यादा ही पास आ रहा था , सृष्टी जल्दी से उस जगह से आगे बड़ गई, उसे लग रहा था के कोई लगातार उसे ही घुरे जा रहा है । सृष्टी पीछे की तरफ देखते हुए चल रही थी तभी वो किसी से टकरा गई ।

    "क्या कर रही हो ध्यान से चलो",राधा ने कहा वो सृष्टी को इधर उधर देखता देख उसकी तरफ चल दी वही सृष्टी तो पीछे ही देख रही थी इस लिए राधा ने उसे पकड़ लिया वर्ना वो ग्राउंड पर बिछी तार में फस कर गिर जाती ।

    "कुछ नही मामी बस मैं तो बस आपके पास ही आने वाली थी मुझे लगा के कोई है मेरे पीछे तो उस तरफ देखने लगी" , सृष्टी ने पीछे की तरफ देख कर कहा । 

    राधा भी पीछे की तरफ देखने लगी ,"वहा तो कोई भी नही है", राधा ने कहा , और सृष्टी को देख कर," वैसे ही लगा होगा चलो खाना खा लो , जाना भी है।"

    सृष्टी उनके साथ चल दी । वही रंजीता रासते में मिल गई तो अभी जो हूआ सृष्टी उस सब के बारे में भुल गई और रंजीता के साथ फिर से डान्स फ्लोर पर चली गई क्यूंकि इस समय रंजीता के भाई भाभी दोनो नाच रहे थे । तो रंजीता सृष्टी को भी अपने साथ ले गई । राधा पवन तो बस सृष्टी के चेहरे की मुस्कुराहट को देख रहे थे ।

    "अगर तूम चाहो तो सब ठीक रहता पर नही तूमने कभी भी खुद के उपर किसी को समझा ही नही , मुझे लगा था के तूम मेरे बच्चो के लिये सही रहोगी पर तुमने तो उनको मुझ से दूर कर दिया ",अरनव जी जो अपनी गाड़ी की पिछली सीट पर बैठे हुऐ थे वो सीता से बोल रहे थे इस समय वो गुस्से में लग रहे थे । 

    सीता उनको घुर कर देख रही थी । सामने ड्राइवर गाड़ी चला रहा था । "मेने किसी से कुछ नही कहा , और बात कुछ एसी हूई भी नही थी। हर बात पर मुझे दोष देना छोड़ दिजीए ,आपको भी पता है सच्चाई क्या है।"

    अरनव जी ने लंबी सांस ली और बाहर की तरफ देखने लगे, तो सीता ने उनके हाथ पर हाथ रख दिया , "सब ठीक है ।" 

    अरनव जी ने दूसरा हाथ उनके हाथ पर रख दिया ," जश का फोन आया था ,कल बहुत जरूरी मिटिंग है ,मुझे किसी भी हाल में जाना है।"

    "तो चलते है ना जमीन का काम खत्म कर लो पहले" ,सीता ने उनको देख कहा ।

    ●●●●●●

    "कितनी रात हो गई है", राधा ने कहा और पीछे बैठी सृष्टी को देखा जिसकी आखों में नींद आ गई थी । पवन जो कार चला रहे थे उनका ध्यान सामने सड़क पर ही था । 

    पहले ही उनको देर हो गई थी निकलते हुए और जब वो अभी शरह से बाहर ही आये थे तो उनकी कार का टायर पंचर हो गया पवन जी ने उस टायर को बदला जिस में कुछ समय लग गया था।

    " बस अब हम कुछ समय में घर होगे" ,पवन ने सामने देखते हुए कहा । सामने सड़क पर चाँद की रोशनी थी पर फिर भी गॉव का रास्ता होने की वजह से पुरा इलाका ही शांत था इतना के दिल में अजीब सा डर पैदा हो रहा था । 

    "करन का फोन आया था वो लोग दूसरे रास्ते से निकल गये थे उनके साथ लड़की वालो के कुछ महमान थे तो उनको घर छोड़ते हुए जाना था।" राधा ने बताया ।

    पवन जी ने कुछ नही कहा और सामने ही देख रहे थे , तभी उन्होने जोर से ब्रेक लगा दी । 

    "क्या हूया", राधा जो सृष्टी को देख रही थी , खुद को बहुत मुश्किल से संभाला था उस ने । सृष्टी का सिर भी आगे की सीट से जा लगा जिस से वो नींद से उठ कर समझने लगी के हूया क्या । 

    " पता नही ऐसा लगा के किसी से टक्कर हो गई है ",पवन जी ने कहा ।और दरवाजा खोलने लगे तो राधा ने उनका हाथ पकड़ लिया ।

    " चलो जी देखो बहुत रात हो गई है",राधा ने कहा । 

    "एक बार देख लूं बस।" पवन जी ने कहा और बाहर निकल गये पर उनको बाहर कुछ भी दिखाई नही दिया । 

    "ऐसे कैसे हो सकता है मुझे लगा के किसी से टकराव हुए ", पवन जी ने खुद से कहा और वापस गाड़ी की तरफ चल दिये । राधा सृष्टी दोनो अंदर से ही पवन जी को देख रही थी।  

    पवन आकर कार में बैठे और दोनो को देख कर, "कोई नही था मेरा वहम था शायद ",उन्होने कहा और जैसे ही कार स्टार्ट करने लगे तभी कुछ नकाबपोश लड़को ने आकर कार को घेर लिया । पवन जी हैरान रह गये और जल्दी से कार को अंदर से लॉक कर चलाने लगे पर कार चल ही नही रही थी ।

    राधा सृष्टी को ही देख रही थी जो ये सब देख डर गई थी, "बस सृष्टी हम लोग अभी निकल जायेगे घबराना नही", राधा ने उसके सिर पर हाथ रख कहा वही पवन जी कोशिश कर रहे थे कार चलाने की पर कार आगे बढ़ ही नही रही थी । 

    तभी सृष्टी की तरफ का शीशा टूट गया जिस की टुकड़े आकर सृष्टी की बाहर पर लगे । 

    शीशा टूटते ही राधा पवन भी डर गये वही सृष्टी ने राधा के हाथ कस कर पकड़ लिये , उस की आखों में आसूं आ गये थे । 

    तभी एक नकाबपोश ने टूटे हुए कांच को एक तरफ कर डोर को अंदर से खोला और सृष्टी की कलाई पकड़ कर बाहर खींचने लगा । 

    "मामी मामी जी मुझे नही जाना" ,सृष्टी रोते हुए कहने लगी वही राधा ने सृष्टी के दूसरे हाथ को पकड़ रखा था । वो उसे नही छोड़ रही थी तभी राधा की तरफ का शीशा टूटा और साथ ही उस के सिर पर कुछ लगा जिस से राधा वही बेसुध सी हो गई । सृष्टी पवन बस देखते ही रहे गये उतने में उस नकाबपोश ने सृष्टी को बाहर खिंच लिया था तो पवन जी जल्दी से बाहर निकले लेकिन तीसरे नकाबपोश ने उन के सिर पर कुछ मारा जिस से वो वही पर गिर गये ।  "देख इनके पास कुछ भी मिले तो वो सब ले ले ,लो आज तो इतना बड़ा माल हाथ लगा है के मजा ही आ गया" , पहले नकाबपोश ने अपने चारों साथियो से कहा और सृष्टी को देखा जिस की कलाई उस के हाथ में। थी और वो अपने मामी मामी को देख रही थी । 

    "बहुत खुबसुरत है ये तो ",वो नकाबपोश सृष्टी के चेहरे को हाथ लगाकर बोला तो सृष्टी ने उसे धक्का दे दिया , और भागने लगी।

    सृष्टी के अचानक धक्का देने से वो नकाबपोश संभल नही पाया और गिर गया । 

    "अबे पकड़ उसे", कहते हूए चारों उसके पीछे भागने लगे । 

    रोती हूई सृष्टी भाग रही थी पर साड़ी में खुद के पैर फंसने की वजह से वो सड़क पर गिर गई ।

    वही वो नकाबपोश भी ज्यादा दूर तो थे नही सृष्टी से तो वो एकदम से वही पहुंच गए। सृष्टी अभी उठने की कोशिश ही कर रही थी के वो पहला नकाबपोश जिस ने सृष्टी को गाड़ी से बाहर निकाला था उसने सृष्टी को पकड़कर खड़ा किया और उस को एक थप्पड़ दे मारा जिस से सृष्टी वापस से गिर गई ।

     वही वो नकाबपोश सृष्टी की तरफ झुका और उसके बाल पकड़कर चेहरा उपर कर उसे देखने लगा सृष्टी रो रही थी खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी पर उस में अब इतनी ताकत नही रही थी के वो फिर से भाग सके गिरने की वजह से उसके हाथ छिल गये थे । 

    "बहुत शोंक है ना तुमको भागने का, अब देखता हूं कैसे भागती हो", कहते हुए उस नकाबपोश का दूसरा हाथ सृष्टी के कंधे पर जा रहा था यहां पर पल्लू को पिन करा हूआ था । वही सृष्टी की आखों मे डर साफ साफ दिख रहा था ।

    रब राखा

  • 8. ❤️कहानी दिलों की ❤️ - Chapter 8

    Words: 2112

    Estimated Reading Time: 13 min

    डर की वजह से सृष्टी बस उन आखों को ही देखे जा रही थी जो इस समय उसे घुर कर देख रहे थे । 

    "एसा मत करो मैं किसी से कुछ नही कहूंगी", सृष्टी ने रोते हुए कहा ।पर उस नकाबपोश को कोई रहम नही आया उसने झटके से पल्लू को खिच दिया जिस से कंधे से ब्लाउज पिन करा था  फट गया । उस कंधे की स्किन साफ दिखने लगी ।


    सृष्टी उसे धक्का देने लगी पर उस नकाबपोश की आखों में अब हवस दिख रही थी ।  

    "तुम तीनो देखो कोई है तो नही", उस ने अपने साथियो से कहा तो उसके साथी चले गये। वही सृष्टी उसे खद से दूर कर रही थी पर इस समय उस नकाबपोश पर तो हैवानियत सवार थी।  

    यहां से ब्लाउज पटा था। नकाबपोश के हाथ उस जगह पर जा रहे थे । वही सृष्टी उसके हाथ को बार बार हटा रही थी । गुस्से से आकर नकाबपोश ने सृष्टी के दोनो हाथ पकड़कर उसे वही सड़क पर ही लेटा दिया और सृष्टी के दोनो हाथ सिर से उपर कर एक हाथ से पकड़कर उस पर झुकते हुए,"बस बहुत हूआ तेरा रोना धोना , बहुत हाथ चलते है तेरे", कहते हुए नकाबपोश ने दूसरे हाथ से उस ब्लाउज के फटे हुए कपड़े को पकड़कर खिच दिया।

    सृष्टी की आखें बंद हो गई वो जितना हो सके जोर जोर से चिल्ला रही थी पर इस समय कोई उसकी आवाज सुनने वाला नही था । 

    तभी सृष्टी को अपने उपर भार सा महसूस हुआ सृष्टी ने आखे खोल कर देखा तो वो नकाबपोश उसी पर गिरा हुआ था । सामने उसे राधा दिखी जो खड़ी थी और उस के हाथ मे कुछ रॉड के जैसा था । जल्दी से सृष्टी ने उस लड़के को धक्का देकर दूसरे तरफ करा और राधा के गले लग रोने लगी । 


    "सृष्टी भाग वो दूसरे लड़के आते होंगे मै तेरे मामा जी को देखती हूं" , राधा ने सृष्टी के बाल उस के चेहरे से हटाते हूए कहा और साथ ही साड़ी के पल्लू को अच्छा से उसके चारों तरफ लपेट दिया । 

    "नही मामी आपको छोड़ कर नही जा सकती अपके सिर से तो खुन आ रहा है ",सृष्टी राधा के चेहरे को देख बोली जिसके कान के पास खुन लगा हूआ था । 

    "जल्दी कर मेरी छोड़ और निकल कोई रास्ते में मिले तो मदद मांग लेना" , कहते हुए राधा वापस से कार की तरफ चलदी सृष्टी भी उस के साथ ही चली जा रही थी । 

     कार के पास आकर देखा तो पवन वही सड़क पर गिरे हुए थे राधा सृष्टी दोनो उनको उठाने की कोशिश करने लगी । 


    "मेरा फोन मामी फोन कहा है मैं अभी करती हूं करन भाई को ", सृष्टी ने कहा । 


    "कुछ नही है हमारे पास वो सब कुछ ले गये।"

     तभी वहां पर आवाजे आने लगी ये उन्ही लड़को की आवाजे थी । राधा सृष्टी दोनो डर कर उस तरफ देखने लगी । 


    "जा सृष्टी इन खेतो के बीच से जा , जल्दी जा ",राधा ने कहा तो सृष्टी भरी हुई आंखो से राधा को देखने लगी । 


    "अपने मामा के लिए जा सृष्टी वो ठीक नही है कोई मदद जरूर मिलेगी" मामी ने भी भरी हुई आखों से कहा सृष्टी जल्दी से उठ कर उन खेतों की तरफ भागने लगी , जिस तरफ राधा ने उसे कहा था ।


    रोती हूई सृष्टी नंगे पैर भाग रही और पैरों में तो अब खुन आने लगा था वही साड़ी को कस के पकड़े हुए वो बस बेसुध सी आगे बढ़ी जा रही थी । 




    " ये क्या बात हुई माना तुम गुस्सा हो पर इस का मतलब ये तो नही के तू इस समय तक बाहर रहे। पता भी है नाना नानी कितने परेशान है मेने पुरा गॉव देख लिया और तू यहां पर आकर बैठा है", सतीश सामने बेठे गगन को देख बोल रहा था वही गगन चुप सा बैठा हूआ था । 


    "अब चल भी देख बारह बज गये है , घर पर नाना नानी है जो तुम्हारा इंतजार कर रहे है", सतीश ने कहा तो गगन उसे देखने लगा । 


    "जा तु मुझे कही नही जाना मैं यही पर ठीक हूं ", उस ने कहा। 

    "पागल हो गया है गुस्सा तु नाराजगी तेरी भुगते कोन नाना नानी अरे खुद की नही तो उनकी फिक्र कर ले वो अभी तक जाग रहे है बस तूझे देखने के लिए और तु है, हर छोटी छोटी बातों पर मुंह फुला लेता है।"


    "बस बहुत हूआ, तुम्हारे लिए होगी छोटी बात, पर मेरे लिए बहुत बड़ी बात है ,कभी उन लोगो ने पुछा मैं कहा हूं नही ना और अज कैसे पता चला के मैं यहां हूं नाना नानी ने ही बताया होगा ना" , गगन ने कहा । 

    सतीश उसे घरते हूए ,"तेरा दिमाग फिर गया है क्या तु खुद ही उनको सरप्राइज देने आया था बीना बताये तो फिर वो लोग कैसे बता सकते है", सतीश ने कहा तो गगन जो गुस्से से उसे ही घुर रहा था वो चुप सा रह गया । 

    सतीश उसे देखने लगा । फिर उस के पास बैठ उसके कंधे पर हाथ रख ।" माना के कुछ प्रॉब्लम्स चल रही है पर उनमे सब को मत शामिल करो, नाना नानी ने कुछ खाया भी नही है ,चल उठ चल उनको खाना खिला जाकर ", सतीश ने कहा तो गगन उठ कर चलने लगा । वही सतीश मुस्कुरा रहा था । 


    गगन नाना नानी से लड़ कर खेतों में आ गया था यहा पर भी एक कमरा ऐसा बना हूआ था यहा पर गगन आराम से रह सकता था ।  

    "वैसे तू झुठ क्यूं बोल रहा है के, नाना नानी ने खाना नही खाया।" गगन ने चलते हूए कहा तो सतीश उसे देखने लगा । 

    "पगल हो गया है क्या ,मेने भी नही खाया अभी तक ",सतीश ने कहा तभी उसे डकार आ गई । गगन रूक कर उस की तरफ पलट कर उसे देखने लगा तो सतीश इधर उधर देखते हूए। 

    "हां तो खा लिया भुख लगी थी मुझे और नाना नानी ने भी खा लिया।"


    गगन वापस से सामने देखने लगा । अभी कुछ कदम आगे आये ही थे के एक तरफ गन्ने के खेत से निकल कर कोई गगन से टकरा गया । वही हैरान सा गगन जो संभल गया था अपने सीने से लगे हूए कुछ महसूस कर रहा था । 


    "कोन हो तुम दूर हटो कहते हुए गगन उस इंसान को खुद से दूर कर ने लगा उतनी ही देर में सतीश ने अपने फोन की फ्लेशलाईट जला दी । 

    तभी गगन का ध्यान उस इंसान के चेहरे पर गया जिस की आखें बंद थी और वो इस समय गगन के हाथों मे था । 


    "ये तो लड़की है", सतीश ने कहा वही गगन तो बस उसे देखता ही रह गया फिर उन बंद आंखो को जिन का सारा काजल रोने की वजह से गालों पर आ गया था इस समय सृष्टी बिल्कुल अलग लग रही थी बाल खले हुए थे और साड़ी को जिस हिसाब से उसने बेहोशी में भी पकड़ा था उस से गगन का माथा ठनक गया । 

    "गगन ये तो लड़की और इतनी रात को यहां पर क्या कर रही है" , सतीश ने कहा ।


    गगन तो बस उसे देख रहा था, फिर उस लड़की के गालों पर हाथ मारते हुए," हे उठो क्या हूआ और इतनी रात को यहां पर क्या कर रही हो।"


     उसी समय सृष्टी ने हल्की सी आंखे खोली और गगन को देखा जो उसे ही देख रहा था । कुछ पल में वो अपने होश में आ गई ।


    "मुझे छोड़ दो", एक्दम से सृष्टी ने चिल्ला कर कहा और गगन को धक्का दे खुद से दूर करा । वही गगन जो इस एक्शन से अनजान था वो भी दो कदम पीछे हट गया जिस से सृष्टी से पकड़ हट गई और सृष्टी वही पर गिर गई । 

    सतीश जो ये सब देख रहा था जल्दी से उसने गगन को खड़ा करा और सृष्टी को देखने लगे । 

    " देखो मुझे कुछ मत करो मैं ,किसी को कुछ नही कहूंगी ",सृष्टी वैसे ही बैठे हूए बोली आखों से आसूं बहे जा रहा थे।


     तभी गगन उस के पास बैठ गया तो डर के मारे सृष्टी अपने घुटनो में सिर देकर रोने लगी । गगन सतीश दोनो उसे इस हाल में देख कर हैरान थे और उसे देख समझ गये थे के क्या हूआ होगा । 

     गगन ने सृष्टी के सिर पर हाथ रखा तो सृष्टी एक्दम से उसे देखने लगी , "देखो डरो नही बताओ आखिर तुम यहां पर कैसे और इस हाल में क्यूं।"

     कुछ पल सृष्टी ने उसे देखा तो फिर एक दम से गगन का हाथ पकड़कर रोते हुए ,"मेरे मामा मामी को बचा लो वो ,वो बेहोश है , वो लोग उनको मार देगें , मुझे भी मार देगे ",कहते हुए सृष्टी गगन के हाथ पर सिर रख रोने लगी ।


    गगन ने पीछे मुड़ के सतीश को देखा , "गाड़ी लेकर आ मैं तुमको आगे मिलता हूं।"

    और सृष्टी को देख कर ," कहां पर है तुम्हारे मामा मामी।"

    "वो वो हम लोग शहर से वापस आ रहे थे तो रास्ते में कुछ नकाबपोश ने हमे घेर लिया और फिर", कहते हुए सृष्टी ने खुद को देखा तो उस की साड़ी कंधे से नीचे गिरी हुई थी तो जल्दी से खुद को समेटने लगी ।

     गगन का ध्यान भी सृष्टी पर गया तो जल्दी से अपनी नजर फेर ली ।" चलो हम अभी चलते है ",कहते हुए गगन खड़ा हो गया ।


    वही सृष्टी भी खड़े होने की कोशिश करने लगी पर उस से खड़े नही हुआ जा रहा था तो गगन ने अपना हाथ आगे कर दिया जिसे पकड़ कर सृष्टी खड़ी हो गई । 


     गगन आगे आगे चल रहा था उस ने कान से फोन लगाया हूआ था वही सृष्टी धीरे धीरे उस के पीछे चल रही थी ।


    तभी दोनो कच्चे रास्ते पर पहुंच गये और सामने ही सतीश गाड़ी लेकर खड़ा दिखा ।


    गगन ने पीछे मुड़ कर देखा तो सृष्टी धीरे धीरे चल रही थी , "जल्दी चलो ",गगन ने कहा तो सृष्टी ने अपने कदमों को तेज कर लिया । 


    गगन ने सृष्टी को पीछे की सीट पर बैठा कर दरवाजा बंद करा और खुद सतीश की सीट पर बैठते ही गाड़ी को बड़ा दीया । सृष्टी बेचैन सी बाहर की तरफ देख रही थी । गगन ने एक बार फ्रंट मीरर से सृष्टी को देखा जिस की आखों में आसूं थे और वो बाहर की तरफ देख रही थी । 


     "यहीं पर तो थे मामा जी" , सृष्टी ने हैरान होकर कहा जब वो उस जगह पर पहुंची तो देखा यहां पर बस कार ही थी गगन बीना गॉड़ी रोके आगे बढ़ गया । 

     "रूको मेरे मामा मामी यही थे वो आस पास हो होगे ", सृष्टी ने गगन से कहा ।


    " वो लोग हॉस्पिटल में है" , गगन ने कहां सृष्टी चुप हो गई उस के चेहरे पर डर नही था अब ।पर गगन के चेहरे पर इस समय एक साया सा आया। 

    "तुम्हारा नाम ",सतीश ने पीछे बैठी लड़की को देख कहां 


    "सृष्टी ,सृष्टी है मेरा नाम" , सृष्टी ने कहा ।

    फिर उस गाड़ी में चुप्पी छा गई। कोई कुछ नही बोल रहा था । वही सृष्टी खुद की साड़ी को अपने हाथों में कसे हुए ,थी बीच बीच में उस के आसूं बहे जा रहे थे जिसे वो अपने हाथ से साफ कर ही थी । 

    "मामा मामी ठीक है ना।" कुछ देर की चुप्पी के बाद सृष्टी ने कहा , तो गगन ने मीरर से उसे देखा । 

    "बस हम पहुंच ने ही वाले है।"

    सृष्टी ने सिर हिला दिया ।

    कुछ ही देर में गाड़ी हॉस्पिटल के सामने खड़ी थी । गगन सतीश दोनो ही उतर गये और सृष्टी को देखने लगे । जो धीरे से उतरी  इस समय पैर पर बने घाव में दर्द शुरू हो गया था तो लड़खड़ा गई पर जल्दी से गाड़ी को पकड़ सिधी खड़ी हो गई गगन सतीश दोनो उसे देखते रहे , पर आगे नही आये । वही सृष्टी उनके पीछे पीछे चल दी ।


    जैसे ही तीनो अंदर आये तो रोशनी में सृष्टी का चेहरा अब साफ साफ दिखने लगा था जिस पर काजल के फैलने के इलावा भी निशान थे और ये निशान सृष्टी की गाल पर बने थप्पड़ के निशान थे जो बहुत ही ज्यादा उभरे हुए थे । 


    सृष्टी का चेहरा देख कर ही गगन ने एक तरफ चेहरा घुमा लिया । पर साथ ही उस के हाथ की मुठ्ठीआ भी कस गई । रात का समय होने की वजह से हॉस्पिटल खाली था । सृष्टी ने उस जगह पर खड़े खड़े सब जगह देखा।

    " सर मेरे मामा जी कहा है", सृष्टी ने गगन की पीठ देख कर कहां । गगन जो इस समय सृष्टी की तरफ पीठ कर खड़ा था एक्दम उसे देखने लगा ।







    रब राखा 

  • 9. ❤️कहानी दिलों की ❤️ - Chapter 9

    Words: 2134

    Estimated Reading Time: 13 min

    " सर मेरे मामा मामी जी कहा है", सृष्टी ने गगन की पीठ देख कर कहां । गगन जो इस समय सृष्टी की तरफ पीठ कर खड़ा था एक्दम उसे देखने लगा । तभी एक हवलदार गगन के सामने आकर खड़ा हो गया तो गगन उसे देख कर सृष्टी को देखने लगा । 

    "चलो ",गगन ने कहा तो सृष्टी उस के पीछे पीछे चलने लगी सतीश सृष्टी के पीछे था । तभी उस का ध्यान सृष्टी के पैरों पर गया जिन से फर्श पर खुन के दाग बन रहे थे ।


    "तुम्हे तो चोट आई है", सतीश ने जल्दी से कहा पर सृष्टी को तो जैसे कोई होश नही था वो गगन के पीछे चली जा रही थी वही गगन ने भी सतीश की बात को इग्नोर कर दिया । 


    "इस तरफ", उस हवलदार ने कहा गगन उसी के पीछे पीछे चला जा रहा था ।सृष्टी भी चली जा रही थी पर सतीश को इस समय सृष्टी पर तरस आ रहा था आखिर गगन एसा कैसे कर सकता है ये लड़की इतने दर्द में है और गगन चुप है । 


    हवलदार एक रूम के आगे आकर खड़ा हो गया । तो गगन ने पीछे मुड़ कर सृष्टी को देखा , "तुम्हारी मामी अंदर है" ,गगन ने कहा सृष्टी ने उसे देखा ।


    "मामा जी", वो हैरान रह गई थी अकेले मामी के बारे मे सुन कर ।


     गगन जो सृष्टी को ही देख रहा था अपनी नजर दूसर तरफ करते हूय ,"उनका अभी ऑपरेशन चल रहा है । तब तक तुम अपनी मामी से मिल लो वो भी अभी बेहोश है।"


    सृष्टी का मुंह हैरानी से खुल गया।"देखो घबराओ नही जाओ पहले मिल लो", कहते हुए गगन ने रूम का दरवाजा खोल दिया तो सृष्टी वैसे ही अंदर चली गई । 



    अंदर जाते ही सृष्टी ने देखा के उस की मामी बेड पर लेटी हूई थी और उनके सिर पर पट्टी बंधी हुई थी । धीरे से सृष्टी बेड के पास के टेबल पर आकर बैठ गई।

    "मामी उठो ना देखो मम्मी भी नही है पास मुझे डर लग रहा है आप ही तो हो जिसे मै सब-कुछ बताती हूं और आप भी एसे लेटी हो मुझे अच्छा नही लग रहा उठो ना मामी।" सृष्टी राधा का हाथ पकड़कर बोल रही थी वही राधा नींद में थी । 

    सृष्टी बस एकटक राधा को देखे जा रही थी आंसू बहे जा रहे थे । 

    दरवाजे पर खड़ा गगन ये सब देख रहा था तो वो बाहर की तरफ होकर दरवाजा बंद करते हूए, सतीश को देखने लगा ।

    जो उसे ही देख रहा था ।" नानी का फोन आया था वो पुछ रही थी ",सतीश ने कहा । 
    "उनको कहो के कुछ देर में आते है ये लड़की यहां पर अकेली है छोड़ कर नही जा सकते" , गगन ने कहा।


    सतीश ने सिर हिला दिया वही दोनो बाहर बैठ गये । हवलदार अभी भी वैसे ही खड़ा हूआ था । तभी सामने से एक चौंतीस पैंतीस साल का लड़का आते हूए दिखा जिस देख हवलदार सीधा खड़ा हो गया । 

    " सर आपकी तो छुट्टी है ना", हवलदार ने हैरानि से कहा ।

    "क्या अपडेट है अभी ", उस लड़के ने हवलदार की बात इग्नोर कर पुछा तो हवलदार ने सब बता दिया । और एक तरफ बैठे गगन सतीश की तरफ इशारा करते हूय," ये अभी अभी एक लड़की को लेकर आये है जिस की हालत सही नही है। "

     उस आदमी ने दोनो को देखा तो उनके पास आकर," तुम दोनो जो भी जानते हो सब बता दो ",वो आदमी बोला 

    तो गगन सतीश ने सब बता दिया ।

    "चाचा एक बात याद रखना इस सब मे कही भी उस लड़की का चेहरा शामिल ना हो", गगन ने कहा ।

    "बिल्कुल तुम दोनो इस बात की चिंता मत करो।"

    कहते हुए उस आदमी ने दरवाजा खोला तो सामने देख कर हैरान रह गया । 

    "सृष्टी ",उस ने कहा तो गगन सतीश हैरान से उसे देखने लगे वही सृष्टी ने आवाज की तरफ देखा तो हैरान हो गई फिर अपनी जगह से खड़े होकर भागते हुए उस की तरफ आई ।

    "करन भाई देखे ना क्या हो गया" , सृष्टी ने कहा तो करन जो अभी वैसे ही खड़ा था उसने अपनी पहनी हूई जेकिट उतार कर जल्दी से सृष्टी के उपर ओढ़ दी और उसे गले से लगा लिया। 


    "ये सब क्या है हम सब कब से तुम लोगो को फोन कर रहे है ",पर बोलते हुए करन रूक गया वही उसे सृष्टी अब बेजान सी दिख रही थी तो जैसे ही करन ने उसे देखा सृष्टी उसकी बाहों में झुल गई।

     गगन सतीश दोनो ये सब देख हैरान थे । "गगन जाओ डाक्टर नर्स को बुलाओ ",कहते हुए करन ने सृष्टी को उठाया और रूम में लगे दूसरे बेड पर लेटा कर उसे के चेहरे को थपथाने लगा ।

    "चाचु आप जानते हो इनको ",गगन ने कहा । 

    "बहन है मेरी ,रंजीता के साथ ही पड़ती है ।" करन ने सृष्टी को देख कहा , गगन भी चुप सा सृष्टी को देखने लगा । 

    सतीश डॉक्टर को लेकर आ गया । "डॉक्टर मेरी बहन है देखो क्या हो गया इसे ",करन ने कहा ।

    "आप बाहर जाये ",लेडी डॉक्टर ने कहा तो तीनो ही बाहर आ गये ।


    गगन सतीश अभी भी करन को ही देख रहे थे," चाचु आप ठीक तो हो", सतीश ने उसके कंधे पर हाथ रख कहा तो करन ने उसे देखा । 

    "पवन अंकल कहां है ।"

    "उनका ऑपरेशन हो रहा है , सिर पर गहरी चोट आई है उनके ",गगन ने कहा ।

    वही उस हवलदार ने भी यही कहा । अस्ल में जब राधा ने सृष्टी को वहां से जाने का कहा था तब उस सड़क पर दो हवलदार बाइक पर से जा रहा थे तो उन्होने ही पवन राधा को हॉस्पिटल पहुंचाया था ।


    और जब सृष्टी गगन को मिली थी तब गगन ने करन को ही फोन कर सब पता करने का कहा था । 

    "तो आज आपकी सगाई थी ",गगन ने कहा ।


    "हां तुम्हारे नाना नानी घर आये थे ", करन ने कहा और फिर अपने फोन को देखने लगा कुछ सोच कर उस ने फोन की स्क्रीन ओन की तो समय रात के दो बज रहे थे । 


    फोन के डायल बाक्स को देखा तो नीरज का नंबर सब से उपर था करन ने उसे फोन लगा दिया , पहली रिंग पर ही फोन उठा लिया गया । 

    "करन कहा है तू,मम्मी पापा और सृष्टी मिल गये क्या फोन क्यूं नही उठा रहे थे मेरी बात करा उनसे ", दूसरी तरफ से आवाज आई जिस में फिक्र चिंता सब महसूस हो रहे थे । 

    करन ने एक लंबी सांस ली और जो उसे पता था वो सब नीरज को बता दिया । "नीरज सुन रहा है ना नीरज ", करन ने कहा तो दूसरी तरफ से हां की आवाज आई। 


    "देख मैं हूं यहां पर तू परेशान मत हो" , करन ने कहा ।


    "मैं कुछ दिनो में आता हूं ",नीरज ने कहा और फोन कट कर दिया ।वही करन फोन को देखने लगा ।

    "तुम दोनो घर जाओ अब मैं यही पर हूं और नाना नानी को कुछ मत बताना ", करन ने दोनो को देख कहा तो दोनो उसे देख हां में सिर हिलाते हूए चले गये । 


    "सृष्टी कैसी है वो ठीक तो हे ना" , करन ने सामने से आ रही डॉक्टर को देख कहा ।

    "मैं इंस्पेक्टर को बताऊं जा भाई को" , डॉक्टर ने कहा ।

    "प्लीज रिचा जल्दी करो", करन ने कहा तो डॉक्टर जिसका नाम रिचा है उसने करन के हाथ पर हाथ रख दिय और उसे केबिन में आने का कहा । करन भी उसके साथ चल दिया । 

    "बैठो ",रिचा ने अपनी कुर्सी पर बैठते हूए कहा तो करन उसके पास बैठ गया । 


    "रिचा देखो जो भी है सब सच सच बताना ",करन ने कहा ।


    "सृष्टी के साथ जबरदस्ती की कोशिश की गई है उसके कपडों और चेहरे पर आये निशान से तो यही लग रहा है ,उसने खुद को बचाने की कोशिश भी की जिसके चलते वो उन लड़को से जा मिली । इस समय वो बेहोश है दवाई का असर भी है", रिचा ने कहा तो करन हैरान सा उसे देखना लगा । 

    "वो सड़क ही तो है यहां से सब आते जाते है आज तक एसा नही हुआ तो फिर आज ये सब कैसे ",करन ने अपना सिर पकड़ते हूए कहा वही रिचा उसके कंधे पर हाथ रखा हुआ , "संभालो खुद को।"

    "कैसे संभालें मेरी गलती थी जो मेने अंकल अंटी को अकेले भेजा उनको भी अपने साथ लेकर जाना चाहिए था।" करन ने रिचा को देखते हुए कहा । 

    "देखो करन ये हादसा है जो किसी के भी साथ हो सकता है हमे तो उन लड़को का शुक्रगुजार होना चाहीए जिन्होने उसे संभाला ",रिचा ने कहा । 

    "ठिक है पर तुम तो घर थी फिर यहां पर किसे ", करन ने रिचा के हाथ पर हाथ रख कहा ।

    "वो एक्दम से कॉल आ गया तो आना पड़ गया । अंकल का ऑपरेशन हो चुका है और वो खतरे से बाहर है सुबह तक उनको होश भी आ जायेगा" , रिचा ने पास पड़ी थरमस से चाय दो कप में डालते हुए कहा और एक कप करन की तरफ बड़ा दिया । 

    "मुझे मम्मी पापा को बताना होगा रंजीता तो पागल हो गई थी जब उसे पता चला के सृष्टी अभी तक घर नही आई थी ।"करन ने कहा और फोन घर लगा कर मनोहर जी को सब बता दिया । और साथ ही सुबह आने का कहा । 

    "चाय पी लो करन सब ठीक है अब तुमको एक इंस्पेक्टर के तोर पर सब काम करना है" , रिचा ने कहा । करन ने सिर हिला दिया । 

    "मैम पेशंट को अलग वार्ड में शिफ्ट कर दिया है ", एक वार्डबॉये ने आकर कहा ।

    "ठीक है ",रिचा ने कहा । और करन को देख कर ,"तूम बैठो में एक बार देख कर आती हूं।"करन ने भी सिर हिला दिया । 


     सुबह के समय जब सृष्टी को होश आया तो सामने रंजीता बैठी हूई दिखी । रंजीता सृष्टी के हाथ पकड़कर बैठी हूई थी तो एक दम से उसे गले से लगा लिया । 

    "तु ठीक तो है ना", रंजीता ने कहा।  

    सृष्टी ने सिर हिला दिया । फिर उसे दूर करते हुए ,"मामी मामा जी कहा है मुझे उनसे मिलना है ।"  

    "वो ठीक है और इस समय अंटी के पास मम्मी है तू बस आराम कर", रंजीता ने कहा । 

    तभी सृष्टी ने खुद को देखा तो उस के कपड़े चेंज थे और इस समय वो हॉस्पिटल के कपड़ो में थी ।

    "चल ना मुझे मिलना है", सृष्टी ने फिर से कहा तभी करन रूम में आया और सृष्टी को देखने लगा । सृष्टी पहले तो खुश हो गई उसे देख कर फिर नजरें झुका ली । 

    "ये क्या है तुने नजरें क्यूं झुकाई ", करन ने कहा ।

    पर सृष्टी ने कुछ नही कहा । "चल आ तुमको मिला दूं वर्ना तू रोती रहेगी ",रंजीता ने कहा तो करन ने उसे देखा फिर एक व्हीलचेयर पास करते हुए ,"इस पर बैठ कर जाना अभी पैरों के जख्म बहुत गहरे है", रंजीता ने सिर हिला दिया। करन दोनो के सिर पर हाथ रख बाहर चला गया ।

    वही बाहर मनोहर जी के साथ अरनव भी आये हुए थे उनको जैसे ही पता चला के मनोहर इतनी रात को हॉस्पिटल जा रहे है तो वो उसी समय उन्के साथ आ गये थे । पर अब वो चुप से पवन को देख रहे थे वही राधा भी एक तरफ बैठी हूई थी ।

    करन भी वही पर आ गया तो उनको बाहर ले आया और एक चेयर पर बैठा दिया । 

    "मोसा जी आप सच्च में इतने अच्छे दोस्त थे ",करन अरनव जी से बोला ,"हा बेटा बहुत अच्छे दोस्त थे हम ", अरनव जी ने कहा ।


    जब अरनव जी ने पवन को देखा तो देखते ही रह गये वो दोनो कालेज टाइम के दोस्त थे पर फिर सब अपनी अपनी जिन्दगी में बिजी हो गये के मिलने का मौका ही नही मिला ।


    सुनैना राधा को लेकर बाहर आई तो सामने से रंजीता सृष्टी को देख उनके चेहरे पर मुस्कान आ गई । 

    "तू ठीक है ना ",राधा ने सृष्टी को देख कहा । सृष्टी भी उनको देखा हां में सिर हिला दिया ।" मामा जी कैसे है ", सृष्टी ने पुछा । 

    "अब ठीक है डॉक्टर बता रहे थे के वो बहुत जल्द ठीक हो जायेगे ", राधा ने कहा । 

    अरनव जो सृष्टी को ही देख रहे थे ,वो हैरान हो गये ।कल जिस सृष्टी से वो मिले थे ये तो बिल्कुल ही बदल गई थी ।चेहरे पर अभी भी निशान थे जो नीले पड़ गये थे । और चेहरा तो बिल्कुल ही मुर्झा गया था । 


    "मामी मै मामा जी से मिल लूं ",सृष्टी ने कहा तो राधा ने रंजीता को इशारा कर जाने का कहा । रंजीता सृष्टी को अपने साथ ले गई ।


    रब राखा 

  • 10. ❤️कहानी दिलों की ❤️ - Chapter 10

    Words: 2217

    Estimated Reading Time: 14 min

    "मामी मै मामा जी से मिल लूं ",सृष्टी ने कहा तो राधा ने रंजीता को इशारा कर जाने का कहा । रंजीता सृष्टी को अपने साथ ले गई ।


    पवन के सिर पर पट्टी बंधी थी जो अभी भी सो रहे थे । सृष्टी रंजीता दोनो ने उनको देखा और वापस बाहर आ गये ।


    "कुछ खा लो", करन ने सृष्टी से कहा पर सृष्टी ने मना कर दिया । तो रंजीता ने सृष्टी को हल्का सा खिलाया । 

    ••••
    "बच्चे रात को कहा रह गये थे।" नानी ने गगन से कहा जब सुबह गगन उठ कर आगन में घुम रहा था । तो नानी भी वही आ गई ।


    गगन ने उनको देखा फिर उनका हाथ पकड़कर अपने साथ एक तरफ ले जाकर बैठा दिया ।" नानी हम दोनो बस खेत में ही थे, कहते हुए गगन ने सब बता दिया जो भी रात को हूआ । 


    नानी हैरान सी रह गई ये बात सुन कर ,"वो बच्ची कैसी है अब।" नानी ने पुछा । "ठीक है करन चाचु के पड़ोसी ही थे वो लोग ", गगन ने कहा । 


    "क्या सृष्टी की बात कर रहा है क्या, वो तो बहुत ही मासूम लड़की है" , नानी ने हैरान होते हूए कहा ।तो गगन हैरान सा उनको देखने लगा। आपको कैसे पता उस के बारे में गगन ने कहा । 

    "अरे बहुत प्यारी बच्ची है, मां बाप नही है उसके तो नीरज अपने साथ ही ले आया उसे कुछ महीने पहले ही तो आई है यहां पर", नानी ने कहे । 


    फिर गगन के सिर पर हाथ फेरकर ,"बहुत अच्छा किया तुम दोनो ने ।चलो मैं चाय बनाती हूं तुम आ जाओ ",कहते हुए नानी चली गई तो गगन वहीं बैठा रहा ।


    दोपहर के समय राधा के भाई भाभी दोनो आये उनके साथ मुकेश भी था।

     "ये सब कैसे हो गया राधा" , उनके भाई ने कहा तो राधा ने कुछ नही कहा ।

    " वैसे ये सब हुआ कैसे उस सड़क पर तो हम बचपन से आते जाते है पर आज तक किसी के साथ एसा होते हूए नही सुना" , राधा के भाई ने कहा। 

    " जरूरी नही के सब पहले के जैसा ही हो भाई सब कुछ बदल गया है तो फिर ये तो रास्ता था यहां पर सब आते जाते है होगा कोई उनमें से" , राधा ने कहा । 


    उस का भाई चुप कर गया । वही राधा की भाभी ने मुंह बना लिया ।  

    "सृष्टी कहां है मुझे उस से मिलना है", मुकेश ने कहा । 

    "वो इस समय अपने रूम में है", राधा ने कहा ।

    "मै मिल कर आता हूं ", मुकेश ने कहा और उठ कर चला गया राधा नउसे देखती ही रह गई।

    मनोहर अरनव सुनेना रंजीता कुछ देर पहले ही निकले थे तो सृष्टी इस समय अकेली ही थी ।

    मुकेश रूम में आया तो देखा सृष्टी लेटी हूई थी सो रही थी वो , मुकेश धीरे धीरे सृष्टी के पास आया और उसे देखने लगा इस समय मुकेश के चेहरे पर एक मुस्कान थी।

    मुकेश ने हाथ बढ़ा कर सृष्टी के गाल पर रखा यहां पर निशान बना हुआ था। तो सृष्टी एक दम से उठ गई और अपने सामने मुकेश के देख वो डर के जल्दी से बैठ गई।

    "क्या हूआ क्या आराम से मैं ही हूं , इतना डरने की क्या जरूरत" , मुकेश ने पास पड़े टेबल पर बैठता हुए कहा ।


    वही सृष्टी अपने बेड पर एक तरफ सुकूड़ कर बैठ गई थी डरी हूई आखे जो इस समय मुकेश पर ही थी और मुकेश की आखें जिनमें कुछ तो था वो चमक कुछ तो अजीब सा था उन आखों में 

    "डरने की जरूरत नही है , तुम डर क्यू रही हो", मुकेश ने कहा ।


    "तुम यहां पर क्या कर रहे हो", सृष्टी ने कहा और पीछे दरवाजे की तरफ देखा जो बंद था । फिर उसने मुकेश को देखा जो उसे ही देख रहा था ।

    "अरे डर क्यू रही हो , मैं हूं और हां अब तो मैं तुमसे मिलता रहूंगा आखिर शादी होने वाली है हमारी ।" मुकेश ने कहा और सृष्टी को ही देखने लगा जो उसे देख रही थी । 


    कुछ देर वैसे ही बैठे रहने के बाद मुकेश अपनी जगह से खड़ा हूआ और सृष्टी के पास बेड पर बैठ गया सृष्टी की आखें हैरानी से फैल गई और पसीने की कुछ बूंदे उस के चेहरे माथे पर आ गई । 

     मुकेश ने अपनी पेंट की जेब से रूमाल निकाला और सृष्टी के पास होकर उस पर हल्के से झुकते हुए उस के चेहरे को साफ करने लगा , वही सृष्टी एक तरफ को होने लगी तो सतीश ने उसे के हाथ को पकड़ कर अपने करीब कर लिया ,"आखिर तुम डर क्यू रही हो मैं ही हूं और अब मुझे ही देखोगी अपने चारों तरफ , तो ये डर निकाल दो ।"

    सृष्टी चुप सी उसे देखने लगी ।" तुमको एक सरप्राइज मिलने वाला है वो भी बहुत जल्द तो रेडी रहना" , कहते हुए मुकेश सृष्टी के गाल पर हाथ रख उसे अंगुठे से सहलाने लगा । सृष्टी खुद में ही सिमटी जा रही थी।  


    मुकेश का ध्यान तो सृष्टी के होठो की तरफ था बस एक बार छूने की चाह थी उसे , तभी दरवाजे पर कोई आवाज आई तो मुकेश अपनी जगह से उठ गया । 

    दरवाजा खुला तो करन अंदर आया जो मुकेश को देखा कर हैरान रह गया वही सृष्टी को डरे हुए देखा तो वो परेशान सा उस के पास आया।  

    "अच्छा अब मैं चलता हूं फिर मिलते है ",मुकेश ने सृष्टी से कहा और करन को बाय बोल कर चला गया । 

    हैरान सा करन मुकेश को देखता ही रह गया फिर सृष्टी को देखा जो पसीने से भीगी हुई थी । "क्या हूआ सृष्टी सब ठीक तो है ना।"

    " जी भाई" , सृष्टी ने कहा तो करने उस के पास बैठ गया ।

    "कल को हम लोग यहां से घर जा रहे है अंकल को होश आ गया है डॉक्टर ने कहा है के कल तुम सबको डिस्चार्ज मिल जायेगा।" सृष्टी करन के गले लग गई । तो करन ने भी सृष्टी के सिर पर हाथ रख दिय ।

    पुलिस की कार्रवाई चल रही थी पर अभी तक कोई हाथ नही आया था । 
    शाम को मनोहर सुनेना रंजीता और अरनव घर पहुंच गये थे वही सीता सब का इंतजार कर रही थी । 

    "जीजा जी आप अपने कमरे में आराम करो में वहीं चाय लाती हूं", सुनेना ने कहा तो अरनव अपने कमरे में चले गए तो सुनेना भी चली गई । वही रंजीता सुनेना के साथ रसोई में लग गई थी । 


    "एसी क्या जरूरत थी के आप ने इतनी इम्पोर्टेंट मिटिंग ही कैंसल कर दी" , सीता गुस्से से बोली तो अरनव जी उसे देख कर ," तुम्हारे सामने ही तो बताया था के सृष्टी वो बच्ची हॉस्पिटल में मैं है तो देखने गया था" ,अरनव जी ने कहा ।

    " ये क्या बात हुई अभी कल ही तो मिले थे उस लड़की से और आज इतना प्यार आ गया , ये मत भुलो के आपबहुत बड़े आदमी है , और ये सब आपको नही करना चाहीए वो लोग हमारी बराबरी के नही है ",सीता ने कहा और बेड पर बैठ गई।

    "बस करो सीता ये बराबरी बराबरी करना छोड़ दो , तो खुश रहोगी , और वैसे भी किसी के सुख मे काम आये जा नही पर दूख मे हमेशा काम आना चाहीए",अरनव जी ने कहा ।

     सीता उनको देख कर," खुश ही हूं अगर आप ये सब ना करें इस लिए मैं नही आना चाहती थी यहां पर , पर आप ही नही माने" , सीत ने कहा ।

     "बहन है तुम्हारी यहां हम आये है , और कल जिस परिवार के साथ हादसा हूआ वो और कोई नही पवन है मेरा दोस्त है मेरा कालेज टाईम का दोस्त समझी ", अरनव जी ने गुस्से से कहा । 


    "और हां सीता एक बात याद रखो , कभी भी किसी को उस के पैसो से मत प्रखो , पैसा तो बस यही तक का साथी है।"

    "गलत है आप आज के जमाने में हर खुशी पैसे से ही खरीदी जाती है , दोस्ती से नही ", सीता ने कहा और लेट गई वही अरनव जी ने अफसोस में सिर हिला दिया । 


    वो जानते थे के सीता के लिए सब रिश्ते एक तरफ है और पैसा एक तरफ , वो तो यहां पर आती भी नही अगर इस बार सुनेना अरनव से बात ना करती , वो भी गलती से अरनव जी ने सीता के फोन पर सुनेना का नाम देख कर उठा लिया था ,तो आगे से सुनेना ने शिकायती लहजे में कहा था।


    "क्या बात है जीजा जी ,आप को हमसे रिशता रखने में शर्म आती है के हम आपके जितने बड़े लोग नही है ",तो अरनव जी बस सुनते ही रह गये थे ।  

    "सीता बता रही थी के आप लोग करन की सगाई में नही आ सकते बहुत काम है आपको ", सुनेना बोली । अरनव जी समझ गये थे के सीता खुद ही जाना नही चाहती और काम का बहाना लगा रही है , "हम आयेगे सुनेना तूम परेशान मत हो ",वो बोले तो सुनेना खुश हो गई ।


    सृष्टी राधा और पवन ने वो रात हॉस्पिटल में ही काटी थी यहां पर सृष्टी बस मुकेश के बारे में ही सोच रही थी तो करन ने भी उनको अकेला नही छोड़ा था । 

    दूसरे दिन दोपहर तक सब लोग घर चले गये , यहां पर अरनव सीता सुनेना मनोहर उनका इंतजार कर रहे थे । 


    "कैसा लग रहा है अब ",अरनव जो पवन का पास उनके रूम में बैठे थे उन्होने कहा तो वही राधा एक तरफ बैठी हूई थी सीता भी वही थी ।

    " ठीक हूं तू बता तू कैसा है", पवन ने कहा । 

    अरनव मुस्कुरा कर ,"मैं तो ठीक हूं देख तेरे सामने ",पवन मुस्कुरा दिया फिर राधा को देखा जो चप सी बैठी थी । अरनव ने भी एक तरफ राधा को देखा ओर वापस से पवन को देखने लगे । 

    " चल तू आराम कर अब मैं कुछ दिन यही पर हूं तो आराम से बातें करेंगे ",अरनव ने कहा और सीता को देख चलो बोले और दोनो बाहर चले गये । वही सुनेना ने रंजीता के साथ मिल कर खाना बनाया और दोनो मां बेटी राधा पवन को खाना खिलाने आ गई। रंजीता सृष्टी के कमरे में चली गई । 

     "ये क्या कर रही हो", रंजीता ने आगे बड़ प्लेट टेबल पर रख कहा और सृष्टी को बेड पर बैठा दिया । 

    "अरे नहाना था अजीब सा लग रहा था "सृष्टी ने कहा।

    "वो तो ठीक है पर तुम्हारी चोट में पानी चला गया होगा।"


     "नही गया ",सृष्टी ने कहा रंजीता ने उसे बेड पर बैठाया और पैर देखे तो गुस्से से सृष्टी को घुरने लगी । 


    "पागल हो गई है तू तो", रंजीता ने कहा ।


    "ठीक है ना ठीक हो जायेगा खाना दे मुझे बहुत भुख लगी है", सृष्टी ने कहा तो रंजीता ने उस के आगे प्लेट कर दी ।


    "भाई ने बताया वो लोग कोन थे जिन्होने मुझे हॉस्पिटल पहुंचाया ।" सृष्टी ने खाना खाने के बाद रंजीता से पुछा ।

    " हां वो पास के ही गांव से थे भाई को जानते है घर भी आये थे मुझे तो नही पता पर भाई ने बताया था", रंजीता सृष्टी के बाल बनाते हुए कहा । सृष्टी भी सोच में पड़ गई । 

     शाम होते होते नीरज के ससुराल से भी लोग आ गये थे। जिस में नीरज की मंगेतर जूही का भाई और मम्मी पाप थे। इस समय पवन राधा बाहर सॉफे पर ही बैठै हूए थे। सृष्टी भी धीरे धीरे उनके पास आकर बैठ गई थी । 

    "हमे तो अभी पता चला वो भी गाँव मे किसी के मुंह से के आप लोगो के साथ ये सब हो गया तो भागे चले आये", औरत ने कहा तो राधा उसे देखने लगी वही सृष्टी पवन भी हैरान हो गये थे ।

    "और नही तो क्या हमे तो ये भी पता चला के सृष्टी को तो वो लोग उठा कर ले गये थे ,आस पास के गाँव में तो यही बाते हो रही है ", उस आदमी ने कहा तो सृष्टी की आखें में आसूं आ गये ।

    " आप भी बहनजी लोगो की सुनी सुनाई बातों पर विश्वास करती हो , एक बार पुछ लो आकर एसा कुछ नही हूआ था ",

     राधा ने कहा वही सृष्टी नजरे झुकाये बैठी थी । 

    " मम्मी ये क्या बात कर रही है आप", उस लड़के ने कहा तो दोनो चुप कर गये ।

    "अंटी मम्मी पापा के कहने का मतलब है के हमने भी लोगो से सुना इसी लिए तो जल्दी से आ गये आप सब को देखने ।"


    "उन लोगो ने तो हमारे मोबाइल पर्स जो भी था वो भी ले लिया चौर ही थे वो लोग ", पवन जी ने कहा । 


    " पुलिस इस बात की छान बीन कर रही है जल्द ही पकड़े जायेगे वो सब" , लड़के ने कहा और सृष्टी को देख कर ।


    "देखो सृष्टी लोगो की बातों में मत आना लोग तो किसी को भी जीने नही देते तुमको तो सब का ध्यान रखना है ।" सृष्टी ने सिर हिला दिया । 


    "गुड गर्ल अभी तो छुटीया ही चल रही है ना तो आगे का क्या सोचा है ।" उस लड़के ने पुछा तो सृष्टी उसे आगे के बारे में बताने लगी । वही राधा पवन खुश थे के सृष्टी बात कर रही है। 


    रब राखा

  • 11. ❤️कहानी दिलों की ❤️ - Chapter 11

    Words: 2282

    Estimated Reading Time: 14 min

    "गुड गर्ल अभी तो छुटीया ही चल रही है ना तो आगे का क्या सोचा है ।" उस लड़के ने पुछा तो सृष्टी उसे आगे के बारे में बताने लगी । वही राधा पवन खुश थे के सृष्टी बात कर रही है। 

    सब लोग बाते करते रहे , कुछ देर बाद वो सब चले गये । राधा ने रात का खाना बनाया और तीनो खा कर सोने चले गये ।

    "क्या हूआ तुम दोनो तो मिलने गये थे उस लड़की से फिर इतनी जल्दी केसे आ गये ।" नानी ने गगन से पुछा वही सतीश भी बैठा हूआ था । 

    "नानी वो चाचु है ना रास्ते में ही उनसे बात हुई तो पता चला के उन सब को डिस्चार्ज मिल गया है और सब घर चले गये है तो हम लोग वापस आ गये", सतीश ने कहा ।

    " बच्चो रास्ते में ही तो गाँव पड़ता है ,मिल आते", नाना जी ने कहा ।

    "नही नानू हम किसी को नही जानते ,और चाचू से बात हो गई थी तो हम आ गये ",गगन ने कहा। 


    "चलो कोई बात नही खाना खाओ वैसे भी कल रात से सोये नही हो दोनो अच्छे से ,तो सो जाओ", नानी ने सब को खाने पर बैठने का कहा । 

    तो नानू सतीश गगन आकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गये ।

    " क्या सोच रहा है तू", सतीश ने गगन से कहा जो छत पर आसमान को ही देखे जा रहा था।

    " कुछ नही बस ये सोच रहा हूं के उस आंखो वाली से फिर मुलाकात कब होगी ,होगी भी जां नही ", गगन ने कहा । 

    "तु उस के बारे में सोच रहा है! मुझे लगा के सृष्टी के बारे में सोच रहे होगे ",सतीश ने हैरानी से कहा । गगन सतीश को देखने लगा ।

    "नही यार मुझे इस लड़की से हमदर्दी है पर जो तू सोच रहा है वैसा कुछ नही , ये लड़की कही से भी उस आखों वाली के सामने कुछ भी नही ", गगन ने कहा ।

    सतीश हैरान सा उसे ही देख रहा था । "तुमको सृष्टी की हालत पर जरा सा भी तरस नही आया कोई और होता तो उसका फटा ब्लाउज देख कर पहले उसे ढकने की सोचता पर तुमने कुछ नही करा , तू समझ रहा है ना" , सतीश ने कहा ।

    गगन उसे देख कर ," मेने उसे देखा ही नही तो मुझे नही पता क्या हूआ क्या नही , और हां मै ने एक वादा करा है खुद से , एक ही लड़की मेरी जिंदगी में आयेगी , और वो आ चुकी है" , गगन ने कहा ।

    "हां वो आंखो वाली पता है मुझे , पर एक बात याद रख सृष्टी से कभी दोबारा मिलना हो तो अपनी गलती की माफी जरूर मांग लेना ",सतीश ने कहा ।

    गगन उसे देखने लगा । "मेने क्या किया उस के साथ जो मुझे माफी मागनी होगी।" 

    "वही तो तुमने कुछ कीया ही नही, उस लड़की के पैरों से खुन बह रहा था और तु उसे अपने पीछे भगाये जा रहा था। माना के तू उसे नही देख रहा था। पर उस के दर्द को तो देख ही रहा था लेकिन नही तुम पर तो कोई असर ही नही हूआ", सतीश ने कहा । 
    "बस सतीश बहुत हूआ तु बार बार उस लड़की से कंपेयर मत ही कर देख मै अपनी जिंदगी जीने वाला हूं तो कोई क्या कहता है मुझे कोई फर्क नही पड़ता", गगन ने कहा और नीचे चला गया । वही सतीश सिर हिला कर उसे देखता रह गया । 







     अंधेरी सड़क पर, सृष्टी अकेले भागी जा रही थी पसीने से लथपथ कभी पीछे देखती तो कभी आगे देख सृष्टी भाग रही थी। तभी उस के सामने कोई आ गया जिसे देख सृष्टी की आखें बड़ी बड़ी हो गई ।

     वो शख्स सृष्टी की तरफ बढ़ने लगा तो सृष्टी पीछे होने लगी पर पैर पर चोट की वजह से वो गिर गई । तो वो शख्स सृष्टी पर झुक कर उस के साड़ी के पल्लू को खिच दिया । 

    एक तेज चीख के साथ सृष्टी उठ कर बैठ गई । पसीने से भीगी हुई सृष्टी इधर उधर देखने लगी । तभी रूम का दरवाजा खुला और सामने नीरज खड़ा दिखा, सृष्टी उसे देखने लगी वही नीरज के चेहरे पर भी डर साफ साफ था ।

    "क्या हूआ सृष्टी ",नीरज ने सृष्टी के पास आकर कहा तो सृष्टी नीरज से लिपटकर रोने लगी नीरज ने सृष्टी को गले से लगा लिया ।

     " बस अब रोना नही सृष्टी मैं पहुंच गया कोई कुछ नही कहेगा", नीरज ने सृष्टी के सिर पर हाथ रख कहा वही सृष्टी उसके गले लगे हूए, "भाई वो मुझे मार देगा ",सृष्टी ने कहा नीरज की आखों में गुस्सा आ गया । राधा भी आ गई तो सृष्टी की हालत देख कर वो भी घबरा गई ।वही नीरज को देख हैरान हो गई । 

    "तु कब आया", राधा ने कहा तो नीरज ने उनको देखा, फिर सृष्टी के चेहरे से बाल हटा कर ,"बस सृष्टी चुप बहुत रो लिया देखो में हूं", तो सृष्टी फिर से उसके गले लग गई । 

    "मां पानी लाओ ",नीरज ने कहा तो राधा पानी लेने चली गई । समय अभी आधी रात ही हूई थी । 

    सृष्टी ने पानी पीया और नीरज को देखने लगी ,"सो जा मै आ गया ", नीरज ने कहा तो सृष्टी उसका हाथ पकड़कर ही सो गई । वही राधा दोनो भाई बहन को देख रही थी । 
     नीरज ने सृष्टी के हाथ से अपना हाथ निकाला फिर उस के सिर पर हाथ रख कर । उसे देख राधा को देखा ।राधा की आखों में भी पानी आ गया था ।

    "बस मम्मी मैं आ गया ना रोने की जरूरत नही ",, नीरज ने उनको गले लगा कर कहा तो राधा के आंसू बहने लगे ।

    "देखो सब ठीक है और मैं आ गया अब सब ठीक करके ही जाऊंगा ", नीरज ने कहा। दोनो ने सृष्टी को देखा जो सो रही थी । फिर दोनो उस के रूम से बाहर आ गये । 

    नीरज का बैग वही हॉल में पड़ा था ।" पाप कैसे है ",नीरज ने सॉफे पर बैठते हूए कहा ।


    " वो सो रहे है" , राधा ने कहा और रसोई से पानी लेने चली गई ।

    नीरज वही टेक लगा कर बैठ गया । आते समय उस ने अपनी कार को देखा था जिस के चारों टायर पंचर हो रखे थे , करन जो खुद नीरज को रेलवे स्टेशन से लेकर आया था उसने बताया तो नीरज ने भी कार देखी थी जो अभी पुलिस स्टेशन थी । 

    "नीरज ये सब सोच समझ कर कीया गया है वर्ना उस रास्ते पर आज तक कभी ऐसा नही हूआ। चलो टायर पंचर होगा तो एक होगा चारों टायर एक साथ कैसे पंचर हो सकते है।" करन ने कहा तो नीरज उसे देखने लगा । 

    "सृष्टी की हालत देख मैं भी डर गया था। "

    करन ने सामने देखते हुए कहा था। तो नीरज की नसें कस गई थी गुस्से से चेहरा लाल हो गया था उस का । 

    "नीरज पानी लो", इस आवाज से नीरज होश में आया तो राधा के हाथ से पानी लेकर पीने लगा ।

    "भुख लगी होगी ना मैं अभी खाना बनाती हूं ", राधा ना कहा । 

    "नही मां बस चाय बना दो अपने हाथ की भुख नही है। ट्रेन में खा लिया था खाना ",नीरज ने कहा और अपने रूम की तरफ चला गया राधा भी रसोई की और चल दी । 
    नीरज फ्रेश होकर बाहर आया तो लोअर टीशर्ट में था राधा ने भी चाय के साथ जल्दी से टोस्ट बना दिए थे तो नीरज उनको देखने लगा । "मुझे पता है तुमको भुख लगी है", राधा ने कहा तो नीरज ने स्माइल कर दी । 

    "मम्मी आप आराम कर लो मैं यही हूं" , नीरज ने टोस्ट खाते हुए कहा तो राधा उसे देखने लगी ।

    "क्या बात हे नीरज तु परेशान लग रहा है कुछ हूआ है क्या" , राधा ने पुछा ।नीरज उनको देखने लगा । 

    "फिर एक टोस्ट राधा को खिलाते हुए , मम्मी झुठ कहने का सवाल नही है अब बात आप तीनो की जान पर बन आई है तो परेशान हूं", नीरज ने कहा । राधा उसे देखे जा रही थी । 

    " आप बेफिक्र रहे मैं ठीक हूं और सबकुछ सही कर दूंगा अब आप आराम करो" , नीरज ने कहा और अपने टोस्ट खाने लगा । 

    राधा ने उसके सिर पर हाथ रखा और अंदर चली गई नीरज भी अपने टोस्ट खा कर वही सॉफे पर ही लेट गया । थके होने की वजह से उसे नींद आ गई ।


    सुबह सृष्टी धीरे धीरे बाहर हॉल में आई ,"मामी पता है रात को नीरज भाई सपने में आया थे", सृष्टी ने सॉफे पर बैठते हूए कहा ।

    वही दूसरे सॉफे पर बैठे पवन नीरज हैरान से उसे ही देख रहे थे, यहां सृष्टी के चेहरे पर एक खामोशी सी शाई हूई थी । 


    "क्या सुपने में आये थे नीरज भाई", पवन जी ने कहा।

    "हा मामा जी और पता हे मुझे पानी भी पिलाया ",सृष्टी ने कहा और सिर उपर कर देखा तो सामने नीरज को देख हैरान हो गई। फिर आखें मसलने लगी दूसरी बार देखा तो नीरज मुस्कुराता हूआ दिखा

    तो सृष्टी खुशी से नीरज के पास आने को हूई पर नीरज ने उसे बैठे रहने का कहा और खुद सृष्टी के पास आ गया । 

    "सपना नही मैं ही आय था" , नीरज ने कहा तो सृष्टी उसके गले लग गई, इस समय सब के आखे नम हो गई थी ।

    "बस कर अब मैं आया हूं तो रो कर दिखायेगी मुझे", नीरज ने कह तो सृष्टी ने ना में सिर हिला दिया । 


    "अच्छा मम्मी जाओ हम दोनो भाई बहन के फेवरेट परांठे बना दो", नीरज ने कहा । 

    "बिल्कुल मै अभी आलू के परांठे बना कर लाती हूं, तब तक तूम सब चाय पीयो ।"

    "अंटी जी बनाने की जरूरत नही है बस खाने की जरूरत है ",बाहर से आ रहे करन ने कहा वही रंजीता के हाथ में टिफिन था । 

    " चलो बैठो फिर देर किस बात की ",नीरज ने कहा वही राधा अंदर से प्लेट लेकर आ गई रंजीता नीरज से मिली और वही बैठ गई सृष्टी भी खुश हो गई थी । हसी खुशी वाले माहोल में सब ने परांठे खाये । और बैठ कर बाते करने लगे । 


    "देखो सृष्टी दो दिन बाद मेरी शादी है और तुमको डान्स करना है" ,करन ने कहा ।

    "बिल्कुल करेगी जरूर जरूर। डान्स तो सबसे ज्यादा पसंद हे सृष्टी को" ,नीरज ने सृष्टी के सिर पर हाथ रख कहा ।

    "बिल्कुल भाई मेंने डान्स भी सोच रखा है बस चोट सही हो जाये" , सृष्टी ने कहा तो नीरज करन के चेहरे पर गुस्सा आ गया । 


    सृष्टी भी चुप कर गई और अपना सिर झुका लिया । "क्या हूआ सृष्टी डान्स नही करना क्या ",करन ने कहा तो सृष्टी भरी आखो से उसे देखने लगी ।


    "करना है ना , और रुची भाभी के साथ ",सृष्टी ने कहा , नीरज ने सृष्टी के सिर पर हाथ रख दिया । 

    "चल सृष्टी अंदर चल पहले दवाई खा ले बाकी बाते बाद में", रंजीता ने सृष्टी का हाथ पकड़कर कहा और उसे अंदर ले गई ।


    वही नीरज करन पवन बैठे बातें करने लगे। राधा रसोई में बर्तन सफ करने लगी तब उस के कान में बाहर से कुछ बातो को आवाज पड़ी । 

    "नमस्ते मामा जी" , नीरज ने अपने सामने खड़े मामा से कहा वही मुकेश और मामी भी थे । 

    सब लोग बैठ गये तो राधा भी अपने भाभी भाई से मिलने आई । "भाई भाभी सब ठीक तो है ना", राधा ने कहा। 

    "हा बहना सब ठीक है सब कुछ ठीक है , हम तो बस बात करने आये थे ", रमेश राधा के भाई ने कहा । राधा उनको देखने लग गई । 

    तो रमेश ने पवन नीरज और करन को देखा फिर मुकेश को देखा ।" बात ऐसी है के हम सोच रहे है के सृष्टी मुकेश की शादी  अब कर दी जाये ", रमेश ने कहा तो करन नीरज हैरान रह गये । राधा पवन भी उसे देखने लगे । 

    "ये क्या बात हो रही है सृष्टी मेरी बहन की शादी मुकेश से ,ये कैसे हो सकता है ", नीरज ने गुस्से से कहा और राधा को देखा ।

    "मम्मी क्या बात है ,जो आप लोगो ने मुझ से छुपाई है", नीरज ने कहा । 


    "बेटा बात जो भी हो पर ये सच्च है के मुकेश सृष्टी का रोका हो चुका है।हम तो बस अपने घर की इज्जत लेजाने की बात कर रहे है ।वैसे भी आस पास के गांव में बात हो रही है। जिस में सृष्टी की ही बदनामी है", रमेश ने कहा ।


    नीरज तो बस अपने मामा की बात सुनता रह गया । फिर राधा को देखा जो हैरान सी सब देख रहे थी । 

    "भाई अभी ऐसा नही होगा मेने पहले ही कह दिया था तो आप ये सब लेकर क्यूं बैठ गये हो", राधा ने गुस्से से कहा ।

    "देख बहना पहले जो भी कहा हो वो पहले की बात अब हमे भी तो अपने घर की इज्जत को देखना है ना, जो एक रात लूटते हूये बच्ची" , रमेश ने कहा तो नीरज गुस्से से खड़े होकर ,"बस मामा जी बहुत बोल लिया आपने ।आप मामा हो तो लिहाज कर रहा हूं मै, वर्ना मुकेश की हरकतें कैसी है ये मुझ से बेहतर कोन जान सकता है ",नीरज ने कहा तो मुकेश के चेहरे के रंग उड़ गये । 

    "ये कैसी बात हुई हम तो वही बात कह रहे है जो सब कह रहे है ओर इस मे गलत भी क्या है", नीरज की मामी ने कहा तो नीरज उनको देखने लगा ।

    " बस मामी सब क्या-कहते है उस से फर्क नही पड़ता पर अपने क्या कहते है उस से फर्क पड़ता है ", नीरज ने कहा 




    रब राखा 

  • 12. ❤️कहानी दिलों की ❤️ - Chapter 12

    Words: 2167

    Estimated Reading Time: 14 min

    " बस मामी सब क्या-कहते है उस से फरक नही पड़ता पर अपने क्या कहते है उस से फर्क पड़ता है ", नीरज ने कहा 

    "सृष्टी रंजीता दरवाजे से लगी ये सब देख रही थी , सृष्टी की आखों में आंसू बहे जा रहे थे, वही रंजीता उसे चुप करा रही थी । 


    राकेश राधा को देख कर ,"देखो राधा ये बात बहुत बड़ रही है । हम सब एक दूसरे को जानते है ,माना मुकेश की कुछ आदते सही नही है , शादी के बाद सब सही हो जाता है, जिम्मेदारी नाम की भी चीज है।"

     "वाह मामा जी क्या बात कही है , आपकी बेटी होती और कल को उस के साथ एसा हो फिर क्या कहेगे , और रही बात ज़िम्मेदारी की तो पहले जिम्मेदारी क्या होती है वो मुकेश को बताये, जिम्मेदारी संभालना तो बाद की बात है", नीरज ने कहा।


    पवन सब को शांत कराते हुए ," देखो भाईसाहब हम अभी तो इस रिश्ते के खिलाफ है बेटी है वो हमारी , और हम सृष्टी को एसे किसी के साथ नही जाने दे सकते, तो समझे हमने ये रिश्ता तोड़ दिया", पवन ने कहा । 


    "ऐसे कैसे तोड़ दिया रिश्ता । आप ये कर ही नही सकते , रिश्ता रखना है जा नही ये हमारा फैसला होगा" , राकेश ने कहा । 


    "कोन सी सदी में जी रहे हो आप आज को देखिये और फिर बताये कोन रिश्ता रखता है और कौन तोड़ता है",नीरज ने कहा ।

    "भाई बस बहुत हूआ,अब बस करे ",राधा ने कहा तो राकेश उसे देख कर ।

    "लगता है बहना तुमको अपने परिवार से प्यार नही है । प्यार होता तो ऐसे बात नही करती ", राकेश ने कहा तो राधा के चेहरे के रंग उड़ गये । वही पवन भी स्तंभ से रह गए । 

    "बस मामा हमारा परिवार इतना कमजोर नही के किसी की कोई भी बात से टूट जाये । ये धमकी ना आप लोग अपने पास ही रखें", नीरज ने कहा । 

     "तो ठीक है फिर सुनो हकीकत खुद की ",राकेश ने कहा और जैसे ही कुछ कहने लगे उसी समय सृष्टी कमरे से बाहर आई और सब के बीच खड़ी होकर।

    "भाई  मैं और मुकेश एक दूसरे से प्यार करते है। कुछ दिन पहले ही हमारा रोका हो गया था , उसके बाद ये सब हो गया ", सृष्टी ने कहा वही सब हैरान से उसे देखने लगे । ।

    "सृष्टी ये क्या बोल रही है, तुमको पता भी है ये सब क्या कह रही है तू", नीरज ने गुस्से से कहा ।

     सृष्टी ने नजरे पहले ही झुकी हूई थी,"हा भाई यही सच है , हम दोनो बहुत पहले से एक दूसरे को पसंद करते है", सृष्टी ने कहा । 

    नीरज तो बस देखता हो रह गया वही पवन राधा भी हैरान से खड़े उसे ही देख रहे थे । 

    "नीह सृष्टी ये सच नही है तू झुठ बोल रही है।"

    " यही सच है भाई", सृष्टी ने उसे देख कहा । 



    नीरज बस उसे देखता ही रह गया । रंजीता आकर करन के पास खड़ी हो गई तो करन ने उसे देखा ," ये सब क्या है रंजीता , तुम ने कभी भी मुझे इस बारे में नही बताया, आखिर चल क्या रहा है ये सब।"

    "सृष्टी सही कह रही है हमने ही कभी नही बताया",रंजीता ने कहा तो करन हैरान सा उसे देखने लगा । 

     राकेश मुस्कुरा कर ।"तो फिर क्या कहते हो नीरज अब क्या तुमको यकीन हो गया ना", राकेश ने कहा तो नीरज चप सा सब को देखने लगा । 

    " ठीक है इन दोनो की शादी मैं खुद करवाऊंगा पर पहले इन दोनो को पढ़ाई पुरी करनी होगी "। नीरज ने कहा ।

     "ठीक है हमे मंजुर है तब तक क्यू ना सगाई ही कर दे", मुकेश की मम्मी ने कहा ।
    सृष्टी चुप रही वही राधा उनको देखने लगी तभी दरवाजे पर कुछ गिरा तो सब का ध्यान उस तरफ चला गया । 


    दरवाजे पर गगन सतीश अपने नाना नानी के साथ खड़े थे तो गगन का हाथ लगने से दरवाजे की आवाज हुई थी । 

     सृष्टी ने एक नजर उस तरफ देखा फिर नजरें झुका ली । "गगन सतीश दादा दादी आप" , करन ने कहा । 

    " हां करन वो तो हम बच्ची को देखने आये थे" , नाना ने कहा । 

    "हा आइये ना" , करन ने कहा और नीरज को देख कर ,"नीरज गगन जिस के बारे में बताया था" , तो नीरज ने आगे बढ़ गगन को देखा फिर उसे गले लगा लिये। 

    "शुक्रिया मेरी बहन को सही सलामत लाने के लिए", गगन ने भी सिर हिला दिया । नीरज सब को अंदर लाया और सॉफे पर बैठा दिया । 

     वही राकेश मुकेश उस की ममी बैठे हूए सब देख रहे थे ।राधा ने उनको पानी दिया सृष्टी रंजीता के साथ अंदर चली गई थी उस ने दूसरी नजर किसी को देखा ही नही।

    "एसा करते है अभी सगाई कर देते है" , अम्मा बाबू जी भी यही पर है", राकेश ने कहा । 

    " ठीक है , अभी हो गी सगाई ",नीरज ने कहा । वही राधा हैरान सी अभी भी सब देख रही थी । नाना नानी को भी समझ नही आ रहा था के वो क्या बात करे उन्होने सब बातें सुन ली थी । गगन सतीश तो चुप से बैठे हुए थे । 

    "मम्मी आप सृष्टी को तैयार कर ले आये", नीरज ने कहा तो राधा सृष्टी के रूम में चली गई ।वही सृष्टी रंजीता के पास बैठी हूई थी उसे ही देख रही थी । 

    "ये सब क्या है सृष्टी तूने ये क्या किया ",राधा ने अंदर आकर कहा वही सृष्टी कुछ नही बोली रंजीता भी अब उसे समझा कर धक गई थी पर सृष्टी चुप ही रही।  

    "सृष्टी सच सच बता आखिर क्या हूआ जो तुने इस तरह से नीरज की बात काट दी" । 

    "मैं बाहर जाती हूं ",रंजीता ने कहा ।

    "नही यहीं बैठ", राधा ने उस का हाथ पकड़कर कहा ।


    फिर सृष्टी को देख कर," तु बता रही है के मैं बाहर जाकर सब को ना करूं।"

    सृष्टी ने राधा के हाथ पकड़कर उसे अपने पास बैठा लिये । "मामी नही अगर आपने एसा करा तो मुकेश सब को सच्च बता देगा", सृष्टी ने कहा । राधा हैरान सी उसे देखने लगी 

     "कैसा सच्च सृष्टी तु क्या कह रही है । "राधा ने सृष्टी को कंधो से पकड़कर कहा । 
    तो सृष्टी ने अपने फोन पर मैसेज ओपन कर राधा को देखा दिया जो कुछ देर पहले का था । राधा हैरान सी सृष्टी को देखने लगी ।


    "मामी मुझे आपसे बढ़कर कोई नही है , और भाई से भी अगर उन्होने कुछ गलत कदम उठाया तो क्या करेगे , अगर उनकी हिम्मत टूट गई फिर। मै उनकी आंखो में सब के लिए गुस्सा नही देखना चाहती । "सृष्टी ने कहा ।


    राधा सृष्टी का चेहरा अपने हाथो में थाम ते हुए, " मेरी बच्ची ये तुमने क्या किया ।"

    " मुझे बस आप सब चाहीए और वैसे भी शादी किसी ना किसी से होनी हो है तो ये ही सही", सृष्टी ने कहा । 

    राधा रंजीता दोनो उसे देखने लगी । "चलो तैयार हो जाओ नीरज आज ही चहता है सगाई हो जाये ", राधा ने कहा और एक अनारकली सुट निकाल कर सृष्टी के सामने रख दिया और खुद अपने आसूं साफ करते हूय बाहर जाने लगी।


    " मामी ये बात सिर्फ हमारे बीच ही रहनी चाहीए", सृष्टी ने पिछे से कहा ।

    तो राधा ने सिर हिला दिया । वही अरनव सीता सुनेना मनोहर इन सब को भी बुला लिया था। गगन सतीश तो थे ही अपने नाना नानी के साथ ।


    "ले देख ले आजकल कल गांव की लड़किया खुले आम सब को बताती है वो किस से प्यार करती है", गगन ने सतीश कान में  कहा । 

    तो सतीश उसे देखने लगा । "क्यूं अगर मोबाइल फोन गांव में आ सकता है , तो प्यार क्यूं नही" ,सतीश ने भी धीरे से कहा तो गगन उसे देखने लगा । 


    पर जब से अरनव सीता आके बैठे थे तब से ही नाना नानी सतीश गगन को ही देख रहा थे ।वही गगन खद के गुस्से को कंट्रोल करे हूए था । इस लिए वो सतीश से बात करने की कोशिश कर रहा था । ता के उसे गुस्सा ना आये । 


    "मुझे ये लड़का सही नही लग रहा पता नही सृष्टी ने ऐसा क्यू कहा" , सतीश ने मुकेश को देख गगन से कहा वो गगन का ध्यान दूसरी तरफ लगाना चाहता था , वही मुकेश के चेहरे पर स्माईल थी ।


    सुनेना राधा रसोई मेें सब काम देख रही थी ।" ये सब क्या है राधा , और सृष्टी एसा कैसे कर सकती है", सुनेना जी ने हैरान होकर पुछा , तो राधा उनको देखने लगी । 

    "मम्मी अंटी सृष्टी बाहर आ जाये क्या। " रंजीता ने आकर कहा तो राधा रंजीता के साथ चली गई । 

    नीरज तो जैसे यहां था ही नही , तभी उस की नजर सामने गई यहां पर सृष्टी रोयल ब्लू कलर के सुट में बाहर आ रही थी । आज ना तो सृष्टी ने काजल ही लगाया था और ना ही माथे पर बिंदी । वो बस एसे ही सिर बना कर बाहर आ गई थी।  

    "यहां बैठो ",मुकेश की मम्मी ने सृष्टी को मुकेश के पास बैठाते हुए कहा । सृष्टी चुप सी बैठ गई उसने एक नजर भी किसी को नही देखा कोन यहा पर है कोन नही किसी का होश  नही था उसे । 

    अरनव मनोहर भी चुप से थे वही सीता के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी । अरनव का ध्यान गगन पर जा रहा था । फिर वो सामने देखने लगते यहां पर सृष्टी को बैठाया गया था।  

    करन ने उनको चुप रहने का कहा था ,वही गगन से अब रहा नही गया तो उठ कर बाहर चला गया । 


    "वो फोन आया होगा मै देखता हूं ",सतीश ने सब से कहा और उठ कर उस के पीछे पीछे चला गया ।


     नीरज ने कुछ नही कहा वही राकेश ने अपने पास से अंगुठी निकाली उनको देख कर लग रहा था वो सारी तैयारी कर के ही आये है।  

     राकेश ने वो अंगुठी मुकेश को दे दी तो वही राधा भी एक रिंग ले आई । और सृष्टी को थमा दी ।

    कुछ ही देर में दोनो ने एक दूसरे को अंगुठी पहना दी। मुकेश को देख लग रहा था के वो आज बहुत खुश हे उसके चेहरे पर अलग ही चमक थी ।वही राकेश उसकी पत्नी भी खुश थे बाकी सब तो खुश होने का दिखावा कर रहे थे । 

    राधा सुनेना सब के लिए चाय नाश्ता ले आई ।

    "क्या था ये तू इस तरह से बाहर क्यूं आया।" सतीश ने गगन से कहा । तो गगन उसे देख कर ।


    " क्या मतलब और कैसे बाहर आता अपने पैरों पर ही चल कर आया हूं",गगन ने उसे घुरते हुए कहा । 


    "तू ना सुधर जा ये जो हर समय अपने नाक पर गुस्से की पोटली लेकर घुमता है वो किसी दिन फट जायेगी" , सतीश ने कहा और गगन के पास ही बैठ गया । बाहर आकर गगन बाहर लगी चारपाई पर बैठ गया था । 


    "क्या सोच रहा है, तू , अब ये मत कहना उन आखों वाली को सोच रहा था ", सतीश ने कहा तो गगन उसे देख कर । "सच कहूं तो हा उसे ही सोच रहा था ।"


    सतीश ने उसे देखा तो गगन सामने देखने लगा।  

    "पता नही क्यूं पर वो आखें ,एसा लगता है के हर समय मुझे ही देख रही है" , गगन ने कहा ।


    सतीश ने उसे देखा , "बस कर यार जब उसे मिलना होगा तब देख लेना अब तो बस कर। कितने दिनो से बस उसी की बात हो रही है" , सतीश ने कहा ।

    "तो फिर बता अंदर जो देखा वो सच था के गलत।"

    "क्या गलत तुने देखा नही मुकेश का बाप कुछ तो जानता है जिसके कहने से सब टूट जाता इस लिए सृष्टी ने आगे आके बात संभाल ली।"


    गगन मुस्कुरा कर ," तू भी ना , कैसी बाते कर रहा है, चल मान लिया वो कुछ ऐसा बोलता तो घर टूट जाता तो क्या अब तक जो घर जुड़ा हूआ था वो बस किसी के कुछ कहने से ही टूट जाता" , गगन ने कहा ।

    सतीश उसे देखने लगा । फिर सिर हिला कर," बात तो तेरी भी सही है चल छोड़ ये सब हम दोनो ना तुम्हारी उस काली आखों वाली पर फोक्स करते है ",सतीश ने कहा तो गगन उसे देख मुस्कुरा दिया । 


    अंदर भी सब का चाये नाश्ता हूआ तो सब लोग ही उठ कर चलने के लिए तैयार हो गये । नाना नानी ने सृष्टी के सिर पर हाथ रखा और पवन राधा को मिल चल दिये ।

    गगन सतीश पहले ही बाहर थे तो वो दोनो भी उनके साथ चले गये । अरनव सुनेना मनोहर रंजीता करन भी चले गये थे । मुकेश अपने ममी पापा के साथ पहले ही चला गया था । 


    राधा पवन वही बैठे हुए थे । नीरज चुप सा अपने कमरे में चला गया ।सृष्टी ने उस से बात करनी चाही पर कोई बात नही हूई ।



    रब राखा

  • 13. ❤️कहानी दिलों की ❤️ - Chapter 13

    Words: 2211

    Estimated Reading Time: 14 min

    नीरज चुप सा अपने कमरे में चला गया ।सृष्टी ने उस से बात करनी चाही पर कोई बात नही हूई ।




    वो दिन ऐसे ही बीत गया । शाम को रंजीता सृष्टी को बुलाने आई क्युकी आज उनके घर में गाने बजाने का प्रोग्राम था।




     पर सृष्टी ने जाने से मना कर दिया, रंजीता ने बहुत कहा पर सृष्टी नही गई वो तो अपने रूम से ही बाहर नही निकली । 




     रंजीता चुप सी बाहर आ गई । सामने ही नीरज दिखा तो रंजीता को देख कर, "क्या हूआ अकेली ,सृष्टी कहां है", तो रंजीता ने पीछे दरवाजे को देखा । 




    "भाई उस ने आने से मना कर दिया है ", रंजीता ने कहा और चली गई । राधा भी चुप सी देख रही थी । वो भी कुछ नही बोली । नीरज ने गहरी सांस ली और सृष्टी के रूम की और चला गया ।




    पुरे रूम में अंधेरा था, बस हल्के हल्के से किसी के सिसकने की आवाज आ रही थी । नीरज ने लाइट का बटन दबाया तो सृष्टी को देखने लगा जो सिराहने में मुह देकर रो रही थी । आवाज बाहर ना आये इस लिए जितना है सके सिराहने को मुंह में दबाया हूआ था।  




    नीरज वही बेड पर बैठ कर उसे देखने लगा। फिर धीरे से उसके मुंह से सिरहाना बाहर निकालते हुए ," उठो चलो करन बुला रहा है।"




     सृष्टी बेड पर बैठते हूए," मेरा मन नही है भाई , आप चले जाऔ।"




     "मुझे नही पता सृष्टी तुमने ऐसा क्यूं करा मैं रोक नही सकता तूमको ,कोई दबाव नही है तुम पर तुम अपनी मर्जी की मालिक हो। पर मुझे समझ नही आ रहा के इन दिनो ऐसा क्या हो गया के इतनी बड़ी बात हो गई और मुझे किसी ने बताया भी नही । और तुम भी एसे सब के सामने बोल दिये मुझे अच्छा नही लगा । बाकी देख तैरा फैसला है। अभी मुझे जाना होगा मेरी छुट्टी रद हो गई है किसी जरूरी काम से अपना ध्यान रखना और हां फोन पर बात करती रहना , बाकी करन है वो सब देख रहा है ", नीरज ने कहा ।




    "भाई आप मेरी वजह से जा रहे हो ना , मेने आपका दिल दुखाया ना , मुझे माफ करदो। पर ऐसे मत जाओ ना, मामा मामी के साथ रहे अगर मेरी वजह से जा रहे है तो मैं अपने घर चली जाती हूं आपके सामने कभी नही आऊंगी" , सृष्टी ने नीरज के हाथ पकड़कर कहा ,वही नीरज उसे ही देख रहा था।




    "पागल हो गई है क्या, एसा कुछ भी नही है ,मैने एक हफ्ते की छुट्टी मांगी थी पर दो दिन की ही छुट्टी मिली थी।"नीरज ने कहा तो उस का फोन बजने लगा तो उसे देख सृष्टी को दिखाते हुए," देख मेरे सीनियर का है " नीरज ने कहा ।







     सृष्टी उसे देखने लगी । नीरज ने फोन स्पीकर पर डाला और सृष्टी को देख कर "सर सबह तक पहुंच जाऊंगा।"




    "नही नीरज वो गलती से तुमको मैसेज भेज दिया था, अस्ल में तुमने जो एक हफ्ते की छुट्टी मांगी थी वो अप्रूव हो गई है तो अब आराम से आना। अपने मम्मी पापा का ध्यान रखना ",दूसरी तरफ से कहा गया । नीरज चुप रहा सृष्टी बस फोन को ही देखे जा रही थी ।




    " थैंक्यू सर", नीरज ने कहा और फोन कट गया । 

    सृष्टी ने नीरज को देखा वही नीरज सृष्टी को देख रहा था , "देख सृष्टी एक बात मेरी भी याद रख। तु चाहे उस मुकेश को पसंद करती है ।पर शादी नही होगी उस से" ,नीरज ने कहा । सृष्टी एक्दम से उस के गले लग गई । 

    "जैसा आप कहोगे भाई वैसा ही करूंगी बस आप मुझ से नाराज मत होना ।" 

    "बिल्कुल भी नही तुमसे नाराज होकर मै रह भी नही सकता" , नीरज ने कहा और फिर सृष्टी के बाल सही करते हुए।




    " चल अब तैयार हो जा आज हम दोनो भाई बहन करन को बताते है, कैसे डान्स करते है", नीरज ने कहा तो सृष्टी ने सिर हिला दिया ।




    " मै भी कपड़े बदल कर आता हूं", नीरज ने उठते हुए कहा और चला गया । सृष्टी भी उठी और जल्दी से तैयार होने लगी ।

    राधा पवन दोनो नीरज को ही देख रहे थे, राधा ने नीरज सृष्टी की बातें सुन ली थी । और अब दोनो नीरज के सामने बैठे हूए थे । 

    " मम्मी इस में सृष्टी कहां गलत थी जो आपने बीना सोचे समझे मुकेश के साथ रोका कर दिया । गलत था मुकेश तो उस के साथ वैसा होना ही था । सृष्टी को तो दो की जगह दस थप्पड़ मारने चाहीये थे ,पर नही आपके इस फैसले से आज क्या हो गया सोचा है आपने", नीरज गुस्से से बोला । 




    वही राधा पवन चुप से बैठे थे ।"अभी तो बस मुझे इतना ही पता चला है के मुकेश ने सृष्टी का हाथ पकड़ लिया था, और बहुत जल्द ये भी पता कर लूंगा आखिर सृष्टी ने हा क्यूं की और उस दिन मैं किसी की नही सूनूगा जिस दिन मुझे सच पत चला ,आप दोनो की भी नही ।" नीरज ने कहा और अपने रूम में चला गया । 







    वही पवन राधा एक दूसरे को देखने लगे । "जो भी होगा अच्छा ही होगा तूम फिक्र मत करो" ,पवन ने राधा के कंधे पर हाथ रख कहा । 







    " मुझे कुछ नही चाहीये बस ये चाहती हूं के ये राज किसी को ना पता चले जिस के लिए मेने क्या क्या नही किया" , राधा ने कहा तो पवन उसे देखने लगे । 




    "बस करो हम दोनो मिल कर कुछ कर लेगे ,पर इस समय नीरज सही है।" पवन ने कहा । 




    "हा आप सही हो अब बात बहुत आगे बड़ गई है मुझे भी अब भाई से बात करनी ही होगी" , राधा ने कहा तो पवन ने भी सिर हिला दिया । 




     सृष्टी तैयार होकर हॉल में आकर सब को देखने लगी वही सब सृष्टी को देख रहे थे।




     पिंक कलर के पटियाल सुट में बहुत ही प्यारी लग रही थी वो ,"ये क्या सृष्टी काजल नही लगाया और बिंदी भी नही", राधा ने कहा ।










     सृष्टी मुस्कुरा कर," नही मामी मेरा मन नही है", उसने कहा ।




    " ठीक है चलो हम चलते है मम्मी पापा आप दोनो ध्यान रखना", कहते हुए नीरज सृष्टी के साथ चल दिया । सृष्टी भी नीरज के साथ चल दी । 







     करन ने जैसे ही नीरज सृष्टी को देखा तो उनके पास आ गया । "तु तो जाने वाला था ।" करन ने कहा तो नीरज ने उसे बताया के उस की छुट्टी मान ली है, । वही करन ने सृष्टी को देखा जिस के चेहरे पर भी मुस्कान थी ।  




    "चलो ",'तूम दोनो कहते हुए करन दोनो को अंदर ले गया वही पर सब लोग बैठे हूए थे रंजीता ने सृष्टी को देखा तो उछल कर उस के पास आ गई और सृष्टी का हाथ पकड़कर एक तरफ को चल दी यहां पर कम शोर था , और वहा से सब दिख भी रहा था ।




    "तुने तो मना कर दिया था ।फिर कैसे" , रंजीता ने कहा तो सृष्टी नीरज को देखते हुए ,"भाई ने कहा तो आ गई और पता है अब भाई शादी तक रूकने वाले है" सृृष्टी ने कहा ।




    रंजीता उसे देखने लगी ," तु ठीक है ना , सोच ले सब सच बता दें," रंजीता ने कहा।  




    सृष्टी रंजीता को इशारा कर नीरज को देखने का कहा ," क्या मेरे सच बताने से ऐसी मुस्कान मिल जायेगी भाई के चेहरे पर देख वो कितने खुश है , इतने खुश रह पायेगे",सृष्टी ने कहा।




     फिर रंजीता को देख कर," मुझे तो बस भाई इसे ही खुश चाहीये उस के लिए मुझे जो भी करना पड़े करूंगी", सृष्टी ने कहा । 




    " मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं पता है करन भाई ने सब को बोल दिया के रंजीता यही रह कर पड़ेगी सब मान भी गये", रंजीता ने खुश हो कर बताया ।




     तभी बाहर से सब की आवाजे आने लगी तो रंजीता सृष्टी दोनो बाहर आ गई, तो देखा करन नीरज दोनो एक साथ नाच रहे थे वही बाकी सब खुशी से उनके उपर से पैसो की बारिश कर रहे था । 







    यहां पर सृष्टी रंजीता खड़ी थी वही एक कोने से अरनव जी बाहर आये और सृष्टी को देखा , "आजकल के जमाने में तुम जैसी साफ दिल की लड़की भी हो सकती है। भगवान तुम पर अपना हाथ सदा रखे।"




    अरनव जी उस समय पीछे से आ रहे थे सृष्टी रंजीता की बातें सुन वही रुक गये।







    रंजीता बस सृष्टी को ही देख रही थी जो सामने नीरज करन को देख रही थी उस के चेहरे पर स्माईल थी ।




    "सॉरी सृष्टी पर मुकेश की बात मेने करन भाई को बताई और भाई ने नीरज भाई को पर तु मुझ से नाराज मत होना जब तुमको पता चले" , रंजीता ने मन ही मन कहा ।




    "क्या देख रही हो । सामने देख कितना अच्छा है सब ",सृष्टी ने कहा ।




    रंजीता सामने देखने लगी। सब लोग नाचने लगे थे, मनोहर जी के घर में पहली शादी थी और ये शादी भी करन की पसंद की लड़की से ही थी। करन नीरज रिचा जूही एक ही कालेज से पड़े थे और चारो ही अच्छे दोस्त भी थे ।




    एसे ही दिन भी बीत गये थे। करन की शादी हो गई थी बहुत धूम धाम से शादी हुई थी । इन दो दिनो मे सृष्टी इतनी खुश थी के पीछले कुछ दिनो उस के साथ जो भी हूआ था उसे भुल ही गई थी । 







    पवन राधा नीरज भी यही चाहते थे के सृष्टी सब भुल जाये । 




    करन रिचा के साथ घुमने चला गया था । वही नीरज की छुट्टीआ भी अब खत्म हो गई पर अभी भी इस केस के बारे में कुछ भी पता नही चला था, वो लोग कोन थे कहा से आये थे, कुछ भी नही पता चला था । करन ने नीरज को बेफ़िक्र होकर जाने का बोल दिया था । 




    " देख सृष्टी डरने की जरूरत नही है समझी और एक बात याद रखना मुझ से कुछ भी मत छुपाना ", नीरज ने सृष्टी के सिर पर हाथ रख कहा तो सृष्टी ने सिर हिला दिया । 




    "आप दोनो भी अपना ध्यान रखना" , नीरज ने राधा पवन से कहा ।







    " क्या हूआ मुंह क्यूं उतरा हूआ है", रंजीता ने सृष्टी से कहा जब वो शाम को उसे मिलने आई तो देखा के सृष्टी मुंह लटकाये बैठे हूई थी । 




    "कुछ नही वो भाई चले गये तो मन नही लग रहा है", सृष्टी ने कहा ।




    "हां यार मेरा भी यही हाल है। अच्छा वो मैं बताने आई थी के आज ना अरनव मोसा जी का फोन आया था ।बता रहे थे के वो बहुत जल्द ही हमे मिलने आयेगे",रंजीता ने कहा ।




     सृष्टी खुश होकर " सच्च में तेरे मोसा जी तो बहुत ही अच्छे है।"







    "चल ठीक है फिर कल से ना हम लोगो को तैयारी करनी है अब कुछ दिनो में कालेज जाना है ",रंजीता ने कहा ।




     तो सृष्टी उसे देख कर हैरान होते हूए,"पुरा डेढ महीना पड़ा है अभी तो आराम कर।"




    रंजीता कुछ और कहती उस से पहले अंदर से राधा की आवाज आई ,"सृष्टी जल्दी से आ जा देख मैं तड़का डालने जा रही हूं आजा सब देख सुन ले ", राधा ने कहा ।







    सृष्टी रंजीता को देख कर," चल आजा आज से ही मेने कुकिंग क्लासेज शुरू की है", कहते हुए सृष्टी आगे आगे चल दी वही रंजीता उसके पीछे पीछे चल दी।




    राधा रसोई में खड़ी दोनो को सब बता रही थी। वही सृष्टी तो देख रही थी पर रंजीता डर रही थी जब राधा ने तेल में प्याज डाला तो वो चार फुट पीछे जा कर खड़ी हो गई ।




    "मामा जी वो कल ना आप मुझे ये सामान ला दोगे ", सृष्टी ने रात के खाने के बाद पवन के आगे एक पेपर करते हुए कहा । तो पवन राधा को देखने लगा ।




    " वो आज जूही का भाई आया था । जूही को कपड़े सिवाने थे , उसी सिल सिले में ये सब है। शाम से ही लगी हुई है क्या क्या लाना है। उस की लिस्ट बनाने के लिए",राधा ने कहा ।




    "ठीक है सृष्टी कल ये सब आ जायेगा , पर उस के लिए तुमको मेरे लिए कुछ करना होगा" , पवन ने कहा।




     सृष्टी उनको देख कर ।" बिल्कुल आप जो कहो वो ही करूंगी ना" , सृष्टी ने पास बैठते हूए कहा । तो पवन ने उसके सिर पर हाथ रख दिया ,"बस ऐसे ही खुश रहा कर मुझे तो इसी मे खुशी मिलती है", पवन ने कहा सृष्टी मुस्कुरा दी । 







    "मेने कहा सुनो जी लड़की जैसी भी हो पर उसके हिस्से में बहुत जमीन आती है उड़ती उड़ती खबर मिली है के सृृष्टी के दादू ने उस के हिस्से की जमीन को उसे देने का फैसला करा है", मुकेश की मम्मी ने राकेश को दूध का गिलास देते हूए बताया, दोनो अपने कमरे में बैठे हूए थे । 




    राकेश दूध का गिलास मुंह से लगा कर एक घुंठ पीया और गिलास वापस से टेबल पर रख कर ।




    "तो तुमको क्या लगा के मैं ऐसे ही इस सब के पीछे पडा हूं, अगर सृष्टी की शादी मुकेश से हो जाये तो सब जमीन हमारी हो जायेगी।" राकेश के चेहरे पर इस समय शातिर मुस्कान  थी । 










    रब राखा 

    कॉमेंट करते जाना आप सब भूल जाते है

  • 14. ❤️कहानी दिलों की ❤️ - Chapter 14

    Words: 1064

    Estimated Reading Time: 7 min

    "तो तुमको क्या लगा के मैं ऐसे ही इस सब के पीछे पडा हूं, अगर सृष्टी की शादी मुकेश से हो जाये तो सब जमीन हमारी हो जायेगी।" राकेश के चेहरे इस समय शातिर मुस्कान  थी । 

    धीरे धीरे दिन बीतने लगे , वही सृष्टी रंजीता दोनो कुछ ना कुछ करती ही रहती थी । कभी कुछ तो कभी कुछ ,करन रीचा तो दोनो की शरारतो  को देख देख ही खुश हो जाते थे।  


    करन ने अपनी तरफ से बहुत  कोशिश की थी उस दिन के हादसे के पीछे जो भी है उसे पकड़ने के लिए पर अभी तक कुछ भी हाथ नही लगा था । 


    वही दूसरी तरफ  गगन सतीश  भी वापस  शहर चले गये थे । दोनो एम बी ऐ फाइल  में थे तो इस समय  दोनो का आखरी साल था ।

    "क्या हूआ आज तू परेशान  क्यूं है", सतीश  ने गगन से कहा तो गगन उसे देख कर," यार इतने दिन हो गये पर वो काजल वाली लड़की का कुछ पता नही कहा गई।"


    सतीश  उसे देख कर मुस्करा दिया । "एसा करते है दो दिन में हमारे कालेज  शूरू होने जा रहे है तो फिर देखते है ।" सतीश ने कहा ,तो गगन उसे देख मुस्करा दिया ।

    " मामी मुझे समझ  नही आ रहा कल कोन सा सुट पहन कर कालेज  जाऊं , बताओ ना।" सृष्टी राधा के आगे पीछे घुमते हुए  बोली । 


    राधा ने एक सुट पर हाथ रख कर," लो ये पहन लो और हा काजल लगा कर जाना इतने दिनो से छोड़ ही दिया है तुमने तो सब लगाना ",राधा ने कहा। 

    सृष्टी उनको देख कर," वो मामी मुकेश  भी वही पड़ने वाला है और उस ने साफ साफ कहा है के आंखों मे काजल ना लगाऊं ",सृष्टी ने कहा ।


    राधा हैरान सी उसे देखने लगी । वही सृष्टी ने सिर झुका लिया ।  "मैं आज ही बात  करती हूं उस से", राधा ने कहा ।


    सृष्टी उनका हाथ  पकड़कर  खिंचते  हूए,"  नही मामी आप ऐसे कुछ नही करेंगी प्लीज वो सोचेगा मेने कुछ कहा है प्लीज  मामी" ,सृष्टी ने कहा तो राधा ने उस के सिर पर हाथ  रख दिया। 


    "चल ठीक है और हां कल कॉलेज  का पहला दिन है तो बुरी बातो पर ध्यान नही देना ठीक है ",राधा ने कहा । सृष्टी ने भी हां में सिर हिला दिया । 


     दूसरे दिन सृष्टी रंजीता दोनो ही रिचा के साथ  शहर  कॉलेज गई , क्यूकि  रीचा को हॉस्पिटल  जाना था उस समय  तो रिचा दोनो को अपने साथ  कार में ही ले गई  । 


    "अच्छा रंजीता सृष्टी डरने की जरूरत  नही है ,तुम दोनो का जो डिपार्टमेंट है उस के बारे में पता चल जाये गा और हां कोई  कुछ भी कहे तो बोल देना डॉक्टर  रिचा भाभी है" , रिचा ने कहा तो सृष्टी रंजीता ने सिर हिला दिया । 


    रिचा दोनो को गेट पर छोड़ कर चली गई ।दोनो अंदर जाने के लिए  चल दी तभी पीछे से आकर किसी ने सृष्ट के कंधे पर हाथ  रख दिया । सृष्टी ने एक्दम से पीछे मुड़ कर देखा तो सामने मुकेश खड़ा था । जो सृष्टी को देख मुस्करा  रहा था । 


    "चलो एक साथ हम दोनो चलते है" , मुकेश  ने कहा सृष्टी उसे देखती ही रह गई ।

    "हम दोनो चले जायेगे तुम जाओ ",रंजीता ने कहा तो मुकेश  उसे देखने लगा । 

    मुकेश  को गुस्से में देख रंजीता डर गई  थी "चलो हम चलते है ", सृष्टी ने कहा तो मुकेश का ध्यान रंजीता से हट गया और सृष्टी को देखने लगा । 


    "चलो आज हम दोनो इस कालेज  में एक साथ  चलते  है ",  मुकेश  ने कहा और साथ  ही सृष्टी का हाथ  पकड़ लिया । सृष्टी उसे देखने लगी फिर रंजीता को देखा जो उसे ही देख रही थी ।


    मुकेश  ने सृष्टी का हाथ  पकड़कर  खिंचते हूए  उसे अपने साथ  चलने के लिए  कहा और दोनो गेट से अंदर जाने लगे ।

    रंजीता बस दोनो को देखती ही रह गई । वही पीछे से आ रहा सतीश  जो फोन  कान से लगाए हूए  था वो रंजीता से टकरा गया । जिस से रंजीता गिरते गिरते बची । 

    "सॉरी सॉरी सॉरी वो मेने देखा नही", कहते हुए  सतीश  ने सामने देखा तो रंजीता को देख  वही रूक गया ।


    "ठीक है मैं तुमसे बाद में बात  करता हू", कह कर फोन कट कर दिया । और रंजीता को देख कर," तुम यहां।"

    रंजीता उसे देख कर," हा मैं यहां पर", उस ने कहा और वहा से चली गई  ।


    "वाह अजीब लड़की है ये तो" , सतीश  ने जाती हुई  रंजीता को देख कहा जो अब गेट से अंदर चली गई  थी ।


    "क्या बात है तु किस से बात कर रहा है", गगन ने सतीश  के कंधे पर हाथ  रख कहा तो सतीश  उसे देखने लगा ।


    "अरे वो लड़की सृष्टी है ना उस की दोस्त  भी यही पर पड़ रही है", सतीश  ने कहा गगन उसे देख कर ।

    "तो क्या करूं अब चल अंदर चले ये छः महीने हमे अभी यहां पर पुरे करने है ",गगन ने कहा और दोनो अंदर चल दिय ।

    "देखो अब हम पहुंच  चुके है मेरा हाथ  छोड़ दो प्लीज ", सृष्टी ने मुकेश  से कहा तो मुकेश  उसे देखने लगा ।


    "सृष्टी अब तुम ऐसे क्यूं कर रही हो जैसे हम दोनो अजनबी है। यार सगाई  हो गई है और शादी होने वाली है तो ये सब नॉर्मल है", मुकेश  ने कहा । 


    सृष्टी कुछ कहती उस से पहले ही मुकेश  उसे देख  कर चेहरे पर आये बाल कान के पीछे करते हुए  ,"और तुम्हारे भाई  को भी तो खुश होने का चांस मिलना चाहीए ना बाकी तुम खुद ही समझदार  हो ", मुकेश  ने कहा ।


    सृष्टी को बहुत  ही अजीब सा लग रहा था मुकेश  का खुद को छुना पर वो कुछ बोल नही पा रही थी । 


    "औये लैला मजनू  ये सब काम करने को घर में  रूम है ,यहा पर ये सब करते हुए  शर्म नही आ रही ",दूसरी तरफ से आवाज आई तो सृष्टी ने उस तरफ देखा तो वहा पर कुछ चार पांच लड़के खड़े थे । 

     "वो क्या है ना आज सृष्टी का पहला दिन है कालेज  का तो बस उसे बता रहा था क्या केसे होता है ",मुकेश  ने एक लड़के से कहा ।


    तो वो लड़का सृष्टी को देखने लगा ,"चलो आज मैं बताता हूं तुमको कॉलेज  के बारे में ",उस लड़के ने कहा तो सृष्टी की आखों में डर साफ साफ दिखने लगा  ।


    रब राखा 

  • 15. ❤️कहानी दिलों की ❤️ - Chapter 15

    Words: 1244

    Estimated Reading Time: 8 min

    तो वो लड़का सृष्टी को देखने लगा ,"चलो आज मैं बताता हूं तुमको कॉलेज  के बारे में ",उस लड़के ने कहा तो सृष्टी की आखों में डर साफ साफ दिखने लगा  ।

     "ये रहा देव कॉलेज यहां का सब से पुराना और फेमस कॉलेज",  उस लड़के ने कहा और आगे आकर सृष्टी के कंधे पर हाथ  रखने लगा तो सृष्टी वहां से एक कदम पीछे हट गई। 


    मुकेश जो सृष्टी का हाथ  पकड़कर खड़ा था वो उस लड़के को देखने लगा । "ओ मेरा हाथ  अच्छा नही है, क्या पर इसका हाथ  तो अभी तक पकड़कर रखा है", उस लड़के ने  सृष्टी से  कहा ।

    सृष्टी मुकेश  कुछ बोलते उस से पहले ही रंजीता वहां आ गई, और सृष्टी के पास खड़ी होकर ।


    "देखो ध्यान से देखो किसने किसका हाथ  पकड़ रखा है", रंजीता ने कहा तो सब लड़कों का ध्यान सृष्टी मुकेश  के हाथ  पर गया तो पाया सृष्टी का हाथ  तो मुकेश  ने पकड़कर  रखा था। अभी भी सृष्टी का हाथ मुकेश  के हाथ  पर कसा नही था । 

    "अब तसल्ली हो गई  ना तो हो गया तुम सबका और रही बात  यहां पर पढ़ने की तो हा हमारा पहला दिन है।  मेरी भाभी का नाम रीचा है ।भाई  का नाम करन है और सृष्टी के भाई  का ना नीरज है।"


    " और सृष्टी की भाभी का नाम जूही दूसरा लड़का बोला ।" हां रंजीता ने कहा । 

    तो वो लड़का जो पीछे ही खड़ा था आगे आकर मुकेश  के कंधे पर हाथ  रख कर ।" तो तु है मुकेश , चल तुझ से कुछ गप शप हो जाये", कहते हुए  उस लड़के ने पीछे खड़े लड़कों को इशारा कर अपने पीछे आने का कहा ।और मुकेश  को अपने साथ  लेकर चल दिया । वही सृष्टी रंजीता हैरान सी देखती ही रह गई  । 


    "चल चले", रंजीता ने सृष्टी से कहा और दोनो आगे चल दी ।


    "क्या हूआ क्या ढूंढ रही हो", एक आवाज से दोनो ने पीछे देखा तो पीछे सतीश गगन खड़े दोनो को ही देख रहे थे ।


    यहां पर सतीश  के चेहरे पर स्माईल  थी वही गगन के चेहरे पर कोई भी भाव नही था । वो बस रंजीता को देख रहा था ना के सृष्टी को।

    "वो हमे हमारा डिपार्टमेंट किस तरफ है नही पता", रंजीता ने कहा। सतीश  ने सामने लगे बोर्ड  की तरफ  इशारा कर दिया जिस पर सब डिपार्टमेंट और उनकी तरफ  जाने का ऐरो बने हुए  थे । 


    "थैंक्यू ",सृष्टी ने कहा और दोनो आगे बड़ गई  वही गगन ने एक नजर सृष्टी को देखा ।


    "अब चले ",सतीश  ने कहा तो गगन आगे आगे चल दिया । सतीश  उसे देख," अब क्या हूआ खुद ही तो तुने वीरान को बोल कर उस मुकेश  को सृष्टी से अलग कर दिया और खुद उसे देखा भी नही ",सतीश  ने कहा ।


    गगन जो आगे आगे चल रहा था वो सतीश को देखने लगा । "क्युकी वो लड़का मुझे सही नही लगा" , गगन ने कहा । 

    सतीश  कुछ कहने लगा  तो गगन उस के बोलने से पहले बोल पड़ा ।" इस का मतलब  ये नही के सृष्टी अच्छी लगी। मेरे लिये वो कुछ नही है।" 


    "हद्द है यार ये लड़का भी मेने तो ऐसा कुछ कहा ही नही ये खुद से ही सब बातें बना लेता है।" सतीश  ने जाते हूए  गगन को देख कहा । और खुद भी उस के पीछे पीछे चल दिया ।


    सृष्टी रंजीता दोनो क्लास में  पहुंची तो सामने का नजारा देख हैरान रह गई  । सब लड़के लड़कीया एक दूसरे के साथ  बैठे बातें कर रहे थे । कुछ लड़कियों का तो मेकअप हद्द से ज्यादा था वही कुछ एक के कपड़े अजीब से थे । सृष्टी रंजीता दोनो ही सूट में थी । 


    "वाह यार देख तो सही यहां पर और तु है के ये सृट पहन कर आ गई  मुझे भी यही पहनने को कह दिया ",रंजीता ने कहा और एक तरफ डेकस पर बैठ गई। 

    सृष्टी चुप सी बैठ गई  वो अभी भी मुकेश  के बारे में ही सोच रही थी और बार बार अपने हाथ  को दूसरे हाथ से साफ  कर रही थी जिस हाथ  को मुकेश  ने पकड़ रखा था । 

    रंजीता तो अपने ध्यान पुरी क्लास को देख रही थी वही सृष्टी अपनी सोच में गुम थी ।

    तभी क्लास में टीचर आई और सब बच्चे उनको देख  अपनी अपनी जगह पर बैठ गए।

    " सृष्टी चल ना हम भी कैन्टीन चलते है देख सब लोग जा रहे है" , रंजीता ने उठते हुए  कहा तो सृष्टी जो अभी भी कुछ सोच रही थी वो उसे देखने लगी । जैसे उस ने कुछ सुना ही ना हो । 


    रंजीता ने सृष्टी के चेहरे को देखा और उस के पास बैठ  कर, " देख यार जां तो सच्च सब को बता दे, जां फिर इस सब के बारे में सोचना बंद कर दे । तू जानती है अगर सच सामने आया तो क्या होगा और अगर सच छुपा रहा तो मुकेश से रोज ही मुलाकात  होगी और वो एसा ही करेगा क्युकी उसे सब पता है।" रंजीता ने कहा ।


    सृष्टी उसे देखने लगी साथ ही उसकी आखों में आंसू आ गये , "मेने तो सब खो दिया मम्मी पापा अपना घर भी । मुझे पता है अपनो से दूर जाकर कैसा लगता है । तो भाई के साथ  मैं वैसा कैसे कर सकती हूं तु ही बता ना" ,सृष्टी ने कहा । रंजीता उस के हाथ  पर हाथ  रख कर । 


    "सृष्टी तो फिर ये सब सोचना छोड़ दे ,दो महीने हो गये है इस बात को, पर तु आज भी वैसी ही रह रही है । सब के सामने खुश  और अकेले में सोचती रहती है।"  रंजीता ने कहा ।

    सृष्टी उसे देखने लगी ।"चल अब उठ जा मेरे पेट में तो चुहे कूदने लगे है", रंजीत ने सृष्टी के हाथ  खिंचते हूए  कहा तो सृष्टी उठ कर चल दी । 




    दोनो सहेलीया बाहर आ गई  और कैन्टीन की तरफ चल दी । वही गगन सतीश  भी कैन्टीन की तरफ ही जा रहे थे । तभी रास्ते में एक लड़की ने आकर सतीश  के कंधे पर हाथ  रख दिया । सतीश  ने पलट कर देखा तो उस लड़की को देख खुश होते हूए  ।


    "रिधी तुम यहां पर मुझे बताया क्यूं नही", सतीश  ने कहा ।


    वही रिधी उसे देख कर," हां मम्मी का ट्रांसफर  इस कॉलेज  में होगया तो बस तुमको सरप्राइज देना था ",रिधी ने कहा और सतीश  की बांह पकड़कर  उसे देखने लगी। वही सतीश  रिधी को देख रहा था ।


    गगन जो आगे बड़ गया वो दोनो को देख रहा था । फिर सिर हिला कर सामने देखा तो सृष्टी रंजीता एक टेबल पर बैठी बातें करती हुई  दिखी ।गगन गुस्स से मुठ्ठीआ कसते हुए  उस तरफ चल दिया । 


    "तुम तुम दोनो उठो इस टेबल से ",गगन ने कहा तो सृष्टी रंजीता दोनो उसे देखने लगी । 


    "क्या हो गया भाई  आप एसे क्यू बोल रहे हो बहुत  सारे टेबल है कही पर भी बैठ जाओ आप" , रंजीता ने चारों तरफ देखते हुए  कहा । 

    "तुम मैं तुम्हरा भाई  नही समझी और तुम  (गगन ने सृष्टी  को देखा कहा ) तुम इस टेबल पर नही बैठ सकती हो मैं ।यहां पर बैठता हूं  और जब तक इस कॉलेज  में हूं यही पर बैठूंगा तो इस टेबल के आस पास भी नही दिखना समझी" , गगन ने कहा ।

    सृष्टी जो गगन के पहली बात पर ही उठ गई  थी उसने अपना बैग लिया और दूसरे टेबल  की तरफ बड़ गई  । वही रंजीता हैरान सी गगन को देखती रह गई  ।







    रब राखा 

  • 16. ❤️कहानी दिलों की ❤️ - Chapter 16

    Words: 1081

    Estimated Reading Time: 7 min

    सृष्टी जो गगन की पहली बात पर ही उठ गई  थी उसने अपना बैग लिया और दूसरे टेबल  की तरफ बड़ गई  । वही रंजीता हैरान सी गगन को देखती रह गई  ।


    "लो मुबारक हो अपना टेबल", रंजीता ने अपना बैग उठाते हुए कहा और चली गई  वही गगन ने उस तरफ घुर कर देखा । सृष्टी रंजीता दोनो दूसरे टेबल पर जाकर बैठ गई  । 


    गगन ने दोनो को देखा और  अपने टेबल को देख कर वही बैठ गया । सतीश  भी रिधी के साथ  वही आ गया । 


    "ये कया बात हुई तुने उन दोनो से ऐसे बात क्यूं की"  , सतीश ने गगन से कहा । वही रिधी सृष्टी रंजीता को देख रही थी । 


    "अरे ये दोनो तो आज कलास में भी थी ।  मैं भी तो उसी कलास में हूं ",रिधी ने कहा ।

    "अच्छा कैसी है ये दोनो" सतीश  ने कहा। 

    "एक दम गवार टाइप की ",रिधी ने कहा सतीश  गगन दोनो उसे देखने लगे । 

    अस्ल में सतीश  रिधी से सोशल साइट्स पर मिला था यहां पर उनकी बात चीत होने लगी थी फिर धीरे धीरे एक दूसरे को जानने लगे थे सतीश  बहुत  बार रिधी से मिलने उस के शहर भी गया था । लेकिन इस तरह पहली बार बात हो रही थी दोनो की ।


    "गवार टाइप का क्या मतलब हुआ " , सतीश  ने रिधी से पुछा । 

    रिधी सतीश  को देख कर ,"अरे देखो ध्यान से दोनो ने कैसे चोटीया बना रखी है उपर से तो सुट पहन कर आई है,  मतलब डिजाइनिंग करने आई है पर खद का पता नही", रिधी ने कहा । 


    गगन ने एक नजर दोनो को देखा जो इस समय  चाये पकोड़े खा रही थी । फिर उसने चारों तरफ देखो यहां पर ज्यादातर लड़कियों ने जीन्स पहन रखी थी । 


     "ठीक तो है बल्की सब से अलग है दोनो", गगन ने कहा सतीश  उसे देख मुस्कुरा दिया । 


    "ये ही है तुम्हरा फ्रेंड गगन" , रिधी ने गगन की तरफ इशारा कर सतीश  से पुछा तो सतीश  ने हां में सिर हिला दिया । 


    " हैलो गगन मेरा नाम  रिधी है",  रिधी ने गगन की तरफ हाथ बड़ा कर कहा वही गगन ने एक नजर रिधी को देखा फिर अपने हाथ  को देख कर ,"मेरा नाम गगन है", वो बोले और उठ कर चला गया ।

    "ये अजीब  नही है क्या ",रिधी ने सतीश से कहा ।


    "वो अपनी चाय पकोड़े लेने गया है इस समय  उसे चाय पकोड़े चाहीये ही चाहीए।"  सतीश  ने कहा ।और गगन को देखने लगा । पर बीच बीच में उस का ध्यान सृष्टी रंजीता की तरफ उठ रहा था।


    गगन ने कैंटीन जाकर चाये पकोड़े के लिए  ऑर्डर दिया तो पता चला के आज पकोड़े खत्म हो गया है। एक लड़की ने आखरी पकोड़े ले लिये। जिसे सुन गगन को गुस्स आ गया। 


    उस ने देखा था सृष्टी के हाथ में पकोड़े ।वो वहां से मुड़ा और एक नजर सृष्टी की तरफ देखा जिसके टेबल पर आब मुकेश  बैठा हूआ था 


    सृष्टी रंजीता दोनो बातें कर ही थी तभी मुकेश  वही आकर बैठ गया और सृष्टी को देखने लगा वही सृष्टी के चेहरे की मुस्कान चली गई  थी । रंजीता भी चुप सी उसे देखने लगी। 

    "बहुत  खुश नजर आ रही हो मैं क्या चला गया तम तो बहुत खुश हो गई  ये नही के एक बार बात ही कर ले या पुछ लूं के सुबह उन लड़को ने कुछ कहा तो नही।" मुकेश  ने गुस्स से भर कर सृष्टी को देख कहा । 

     "हम तो चाहते ही है के तुम हमारे साथ  मत रहो पर तुम ही हो चिपकू टाइप के ।" रंजीता ने धीरे से कहा और पकोड़े खाने लगी ।

    मुकेश ने उसे गुस्से  से देखा , "वो ये तो एसे ही बोल रही है।" सृष्टी ने जल्दी से कहा तो मुकेश  उसे देखने लगा । 


    वही सृष्टी उसे नही देख रही थी , तो मुकेश  ने सृष्टी के हाथ  पर हाथ  रख दिया जो टेबल पर रखा हूआ था । सृष्टी हैरान हो कर उसे देखने लगी और अपना हाथ  पीछे खींचने लगी तो मुकेश  ने उस के हाथ  को और भी कस कर पकड़ लिया । 

    "मुकेश  मेरा हाथ  छोड़ो सब देख रहे है" , सृष्टी ने कहा।


    मुकेश  ने उस का हाथ  नही छोड़ा बल्कि  सृष्टी के आगे पढ़ी चाये की गलासी उठा कर मुंह को लगाने लगा ।तभी पीछे से किसी ने उस की पीठ पर जोर से हाथ  जड़ दिया ।

    मुंह तक जाती चाये की गलासी छलक कर  पुरी चाये उसी पर गिर गई।  सृष्टी रंजीता हैरान सी मुकेश के पीछे खड़े गगन को देख रही थी । जिस का हाथ  मुकेश  की पीठ पर था । 

    "ये क्या बदतमीजी है",  मुकेश  ने पीछे मुड़ते हूये कहा तो सामने गगन को देख चुप हो गया । वही गगन मुस्कुरा कर टेबल की तरफ देखने लगा । 


    "वो क्या है ना मुझे पकोड़े बहुत  पसंद है पर आज ये लड़की सारे पकोड़े ले आई  तो बस उनको ही खाने आ गया" । गगन ने कहा और प्लेट से पकोड़े उठा कर खाने लगा ।

    सृष्टी रंजीता हैरान सी उसे देख रही थी । तभी उस टेबल  पर सुबह वाला लड़का  विरान  आ गया । 


    "हैलो सृष्टी क्या चल रहा है यहां पर।" विरान ने कहा ।

    "कुछ नही बीन बुलाये महमान  पकोड़े खा रहा है ,आप भी खाओ", रंजीता ने कहा तो विरान उसे देख मुस्करा कर ,"अगर आप कहे तो जरूर खा लूंगा।"


    मरंजीता उसे देख मुंह दूसरी तरफ मोड़ लिया । वही विरान ने एक नजर गगन मुकेश  को देखा फिर सृष्टी को देख कर, "अच्छा सृष्टी मेरा ना विरान है और तुम्हारी जूही  भाभी का छोटा भाई  ", वीरान ने कहा।


    तो सृष्टी जो अभी तक हैरान थी ।उस की बात सुन रिलेक्स  हो गई  । वही मुकेश  भी उसे ही देखने लगा 

    "मैं और गगन एक ही क्लास में है।" विरान ने कहा । सृष्टी ने गगन को देखा जो पकोड़े खा रहा था ।




    मुकेश  कुछ कहता उस से पहले ही विरान ने उस के कंधे पर हाथ  रखा और उसे अपने साथ लेकर चला गया ।




    "ये सब क्या था ",रंजीता  ने कहा सृष्टी अभी भी हैरान सी उस तरफ देख रही थी जिस तरफ विरान मुकेश को लेकर जा रहा था ।




    "मुझे नही पता कया हो रहा है ",सृष्टी ने कहा और गगन की तरफ देखा तो वो  पकोड़े से भरी फ्लेट  खाली कर चुका था और इस समय  उस के हाथ  में चाय की गलासी थी




    "सारे पकोड़े खा लिये" ,सृष्टी ने हैरानी वाले भाव से कहा । 




    रब राखा 

  • 17. ❤️कहानी दिलों की ❤️ - Chapter 17

    Words: 1044

    Estimated Reading Time: 7 min

    "सारे पकोड़े खा लिये" ,सृष्टी ने हैरानी वाले भाव से कहा । गगन उसे देखने लगा ।

    "वो क्या है ना आज से पहले एसा नही हूआ के कॉलेज आकर मेने पकोड़े ना खाये हो , और आज तुम मेरे हिस्से के पकोड़े लेकर आ गई तो बस मैं यहां आ गया।" गगन ने आराम से कहा । वही रंजीता उसे देख कर । 

    "देखो हमने पैसे दिए  थे पकोड़ो के हमने तो बस टेस्ट ही करें थे बाकी सारे तो तूम खा गये। "रंजीता ने कहा । 

    "अपने भाई से एसे बात करती हो क्या।" गगन ने उसे देख कहा तो रंजीता का मुंह  खुला रह गया । 

    "कोन सा भाई अभी कुछ देर पहले तो मुझे इतना डांटा था और अब जब खुद ने हमारे पकोड़े खा लिए तो भाई ,ये गलत बात है।" रंजीता ने गुस्से से कहा ।

    सृष्टी अभी भी खाली प्लेट को ही देख रही थी ।रंजीता उसे देख कर, "चल अब आज का तो दिन ही खराब है", उस ने कहा । तो सृष्टी उसे देखने लगी गगन सृष्टी को ही देख रहा था ।

    "अब मैं क्या खाउंगी ",सृष्टी बोली।

    रंजीता ने अपने सिर पर हाथ दे मारा," यार आज क्या, पकोड़े लवर्स मिल रहे है क्या। एक ये बंदा जो बीना बताये सारे पकोड़े खा गया और एक ये जो बस चुप रह कर सब देख रही थी तब बोलती जब पकोड़े पलेट से खाली होकर इस के पेट मे जा रहे थे  ", रंजीता ने कहा । 

    सृष्टी ने गगन को देखा जो उसे ही देख रहा था,"नही अब चल क्लास लेनी है", कहते हुए सृष्टी ने अपना बैग लिया और चलने लगी फिर रूक कर वापस गगन की तरफ देखा जो अभी भी वेसे ही बैठा हूआ था । 

    गगन ने गर्दन घुमा कर देखा तो सृष्टी उसके पास खड़ी थी ।तो उसे देखने लगा । 

    "थैंक्यू", सृष्टी ने कहा तो गगन ने उसे ध्यान से देखा ।

    "वो उस रात  मुझे बचाने के लिए और मामा मामी के पास पहुंचाने के लिए ", सृष्टी ने आगे कहा तो गगन उठ कर खड़ा हो गया और चारों तरफ देखते हूए सृष्टी को देखने लगा । सृष्टी मुश्किल से ही गगन के कंधे तक आ रही थी ।

    "उस रात  अगर तुम्हारी जगह कोई  और भी होती तो उसे भी मैं ऐसे ही ट्रीट  करता", गगन ने कहा । 

    सृष्टी उस की बात सुन उसे देखने लगी ।"लेकिन  अगर आपकी जगह मैं किसी और के हाथ  लग गई  होती तो यहां पर नही होती", सृष्टी ने कहा । 

    "दिल से आपकी शुक्रगुजार हूं मैं अगर कभी जिंदगी में आपको मेरी मदद चाहीये होगी तो मैं आपके साथ  खड़ी ",होंगी सृष्टी ने कहा ।

    गगन ने सृष्टी को देखा और बीना कुछ कहे वहां से चला गया । सृष्टी उसे देखती रही फिर वो भी रंजीता के पास चली गई।  

    "क्या कहा भाई  ने ",रंजीता ने चलते हूए  सृष्टी से पुछा । 

    "कुछ  नही बस यही के उस रात अगर मेरी जगह कोई और होती तब भी वो एसे ही मदद  करते उस की" ,सृष्टी ने कहा । रंजीता उसे देखने लगी । 

    वही सतीश  का पुरा ध्यान गगन पर ही था पर बैठा रिधी के साथ  था ।" चलो रिधी तुम को भी तो क्लास  लेनी है ना मुझे भी जाना है", सतीश  ने कहा तो रिधी उसे बाये बोल चली गई  । 

    सतीश  अपनी जगह से उठा और गगन की तरफ चल दिया । "क्या हूआ तेरा मुंह क्यूं लटका है", सतीश  ने कहा ।

    "कुछ नही बस मेरा मुड एसा है ",गगन ने कहा और चलने लगा वही सतीश  सिर हिला कर चल दिया । 

    "वैसे उनके पकोड़े खा कर दिमाग  सही नही हूआ क्या " ,सतीश  ने क्लास में आते हूए  कहा तो गगन को एक पल के लिए  सृष्टी की बात याद आ गई  । "सारे पकोड़े खा लिए ! "।

    गगन के चेहरे पर स्माईल  आ गई पर उसे जल्दी ही छुपाते हूए ," तो क्यो करता उन दोनो ने आखरी हिस्स ले लिया था जो अक्सर मेरा होता था ,तो खा लिए  ", गगन ने कहा ।

    वही सतीश  आकर  डेकस पर बैठ गया ।तो गगन भी उस के साथ  बैठते हूए  ।"पर तू क्यूं उदास है तेरी रिधी तो अब रोज ही मिला करेगी तुमसे" गगन ने कहा सतीश  उसे देखने लगा ।

    कॉलेज  की छुट्टी के बाद सृष्टी रंजीता दोनो आकर बस में बैठ गई  थी ।वही उनको विरान भी बस में दिखा । 

    "यार माना ये तेरी भाभी का भाई  है। पर ऐसा क्यूं लग रहा है जैसे ये हमारा पीछा कर रहा है ", रंजीता ने सामने देखते हुए  कहा ।

    सृष्टी ने उसे देखा तो विरान ने स्माइल  कर दी सृष्टी ने भी स्माइल  करदी और रंजीता को देख कर पागल ये बस आगे ही तो जा  रही है।और उनका गांव भी आगे है  ना ", सृष्टी ने कहा तो रंजीता ने विरान को देखा जिस ने उसे देख स्माईल  कर दी तो रंजीता ने उसे घर दिया । विरान हस दिया । 

    रंजीता ने मुंह बना लिया और फिर सृष्टी को देखने लगी ।

    दोनो का गांव आ गया तो दोना बस से उतर गई। "अच्छा सृष्टी वो मैं सोच रही थी के कल को जीन्स पहनते है ना।"

    तो सृष्टी उसे देख कर ,"तु पहन ले मुझे नही फननी।"  

    तभी पीछे से हॉर्न की आवाज आई तो रंजीता ने पीछे मुड़ कर देखा । सामने करन अपनी जीप में बैठा हूआ मिला ।

    "भाई ",रंजीता सृष्टी दोनो एक साथ  बोली और आकर गाड़ी में बैठ गई  । 

    करन ने भी मुसकुरा कर जीप आगे बड़ा दी । "पता है भाई आज क्या हूआ" , कहते हुए  रंजीता  ने  आज कॉलेज में जो भी हूआ वो सब बता दिया । 

    करन सृष्टी को देखने लगा जो चुप सी थी । "सृष्टी क्या हूआ तू बहुत  चुप सी है ",करन ने कहा।

    "हां भाई वो ना आज सर मेरे पकोड़े खा गये ना इस लिए।" सृष्टी ने कहा ।

    वही रंजीता ने अपना माथा पीट लिया । करन तो हसने लगा । "चलो आज मैं तुम दोनो को पकोड़े खिलाता हूं और सृष्टी तुम कहो तो उस सर को सलाखों के पीछे कर दूं" करन ने कहा ।

    सृष्टी हैरान सी उसे देखने लगी । फिर उस जीप में हसने की आवाज गूजने लगी ।

    रब राखा ।

    समीक्षा और रेटिंग देते जाये

  • 18. ❤️कहानी दिलों की ❤️ - Chapter 18

    Words: 1039

    Estimated Reading Time: 7 min

    "सारे पकोड़े खा लिये" ,सृष्टी ने हैरानी वाले भाव से कहा । गगन उसे देखने लगा ।


    "वो क्या है ना आज से पहले एसा नही हूआ के कॉलेज आकर मेने पकोड़े ना खाये हो , और आज तुम मेरे हिस्से के पकोड़े लेकर आ गई तो बस मैं यहां आ गया।" गगन ने आराम से कहा । वही रंजीता उसे देख कर । 

    "देखो हमने पैसे दिए  थे पकोड़ो के हमने तो बस टेस्ट ही करें थे बाकी सारे तो तूम खा गये। "रंजीता ने कहा । 


    "अपने भाई से एसे बात करती हो क्या।" गगन ने उसे देख कहा तो रंजीता का मुंह  खुला रह गया । 


    "कोन सा भाई अभी कुछ देर पहले तो मुझे इतना डांटा था और अब जब खुद ने हमारे पकोड़े खा लिए तो भाई ,ये गलत बात है।" रंजीता ने गुस्से से कहा ।


    सृष्टी अभी भी खाली प्लेट को ही देख रही थी ।रंजीता उसे देख कर, "चल अब आज का तो दिन ही खराब है", उस ने कहा । तो सृष्टी उसे देखने लगी गगन सृष्टी को ही देख रहा था ।

    "अब मैं क्या खाउंगी ",सृष्टी बोली।

    रंजीता ने अपने सिर पर हाथ दे मारा," यार आज क्या, पकोड़े लवर्स मिल रहे है क्या। एक ये बंदा जो बीना बताये सारे पकोड़े खा गया और एक ये जो बस चुप रह कर सब देख रही थी तब बोलती जब पकोड़े पलेट से खाली होकर इस के पेट मे जा रहे थे  ", रंजीता ने कहा । 


    सृष्टी ने गगन को देखा जो उसे ही देख रहा था,"नही अब चल क्लास लेनी है", कहते हुए सृष्टी ने अपना बैग लिया और चलने लगी फिर रूक कर वापस गगन की तरफ देखा जो अभी भी वेसे ही बैठा हूआ था । 


    गगन ने गर्दन घुमा कर देखा तो सृष्टी उसके पास खड़ी थी ।तो उसे देखने लगा । 

    "थैंक्यू", सृष्टी ने कहा तो गगन ने उसे ध्यान से देखा ।

    "वो उस रात  मुझे बचाने के लिए और मामा मामी के पास पहुंचाने के लिए ", सृष्टी ने आगे कहा तो गगन उठ कर खड़ा हो गया और चारों तरफ देखते हूए सृष्टी को देखने लगा । सृष्टी मुश्किल से ही गगन के कंधे तक आ रही थी ।


    "उस रात  अगर तुम्हारी जगह कोई  और भी होती तो उसे भी मैं ऐसे ही ट्रीट  करता", गगन ने कहा । 


    सृष्टी उस की बात सुन उसे देखने लगी ।"लेकिन  अगर आपकी जगह मैं किसी और के हाथ  लग गई  होती तो यहां पर नही होती", सृष्टी ने कहा । 

    "दिल से आपकी शुक्रगुजार हूं मैं अगर कभी जिंदगी में आपको मेरी मदद चाहीये होगी तो मैं आपके साथ  खड़ी ",होंगी सृष्टी ने कहा ।

    गगन ने सृष्टी को देखा और बीना कुछ कहे वहां से चला गया । सृष्टी उसे देखती रही फिर वो भी रंजीता के पास चली गई।  

    "क्या कहा भाई  ने ",रंजीता ने चलते हूए  सृष्टी से पुछा । 

    "कुछ  नही बस यही के उस रात अगर मेरी जगह कोई और होती तब भी वो एसे ही मदद  करते उस की" ,सृष्टी ने कहा । रंजीता उसे देखने लगी । 

    वही सतीश  का पुरा ध्यान गगन पर ही था पर बैठा रिधी के साथ  था ।" चलो रिधी तुम को भी तो क्लास  लेनी है ना मुझे भी जाना है", सतीश  ने कहा तो रिधी उसे बाये बोल चली गई  । 

    सतीश  अपनी जगह से उठा और गगन की तरफ चल दिया । "क्या हूआ तेरा मुंह क्यूं लटका है", सतीश  ने कहा ।

    "कुछ नही बस मेरा मुड एसा है ",गगन ने कहा और चलने लगा वही सतीश  सिर हिला कर चल दिया । 

    "वैसे उनके पकोड़े खा कर दिमाग  सही नही हूआ क्या " ,सतीश  ने क्लास में आते हूए  कहा तो गगन को एक पल के लिए  सृष्टी की बात याद आ गई  । "सारे पकोड़े खा लिए ! "।

    गगन के चेहरे पर स्माईल  आ गई पर उसे जल्दी ही छुपाते हूए ," तो क्यो करता उन दोनो ने आखरी हिस्स ले लिया था जो अक्सर मेरा होता था ,तो खा लिए  ", गगन ने कहा ।

    वही सतीश  आकर  डेकस पर बैठ गया ।तो गगन भी उस के साथ  बैठते हूए  ।"पर तू क्यूं उदास है तेरी रिधी तो अब रोज ही मिला करेगी तुमसे" गगन ने कहा सतीश  उसे देखने लगा ।


    कॉलेज  की छुट्टी के बाद सृष्टी रंजीता दोनो आकर बस में बैठ गई  थी ।वही उनको विरान भी बस में दिखा । 


    "यार माना ये तेरी भाभी का भाई  है। पर ऐसा क्यूं लग रहा है जैसे ये हमारा पीछा कर रहा है ", रंजीता ने सामने देखते हुए  कहा ।

    सृष्टी ने उसे देखा तो विरान ने स्माइल  कर दी सृष्टी ने भी स्माइल  करदी और रंजीता को देख कर पागल ये बस आगे ही तो जा  रही है।और उनका गांव भी आगे है  ना ", सृष्टी ने कहा तो रंजीता ने विरान को देखा जिस ने उसे देख स्माईल  कर दी तो रंजीता ने उसे घर दिया । विरान हस दिया । 

    रंजीता ने मुंह बना लिया और फिर सृष्टी को देखने लगी ।

    दोनो का गांव आ गया तो दोना बस से उतर गई। "अच्छा सृष्टी वो मैं सोच रही थी के कल को जीन्स पहनते है ना।"

    तो सृष्टी उसे देख कर ,"तु पहन ले मुझे नही फननी।"  


    तभी पीछे से हॉर्न की आवाज आई तो रंजीता ने पीछे मुड़ कर देखा । सामने करन अपनी जीप में बैठा हूआ मिला ।

    "भाई ",रंजीता सृष्टी दोनो एक साथ  बोली और आकर गाड़ी में बैठ गई  । 

    करन ने भी मुसकुरा कर जीप आगे बड़ा दी । "पता है भाई आज क्या हूआ" , कहते हुए  रंजीता  ने  आज कॉलेज में जो भी हूआ वो सब बता दिया । 

    करन सृष्टी को देखने लगा जो चुप सी थी । "सृष्टी क्या हूआ तू बहुत  चुप सी है ",करन ने कहा।

    "हां भाई वो ना आज सर मेरे पकोड़े खा गये ना इस लिए।" सृष्टी ने कहा ।


    वही रंजीता ने अपना माथा पीट लिया । करन तो हसने लगा । "चलो आज मैं तुम दोनो को पकोड़े खिलाता हूं और सृष्टी तुम कहो तो उस सर को सलाखों के पीछे कर दूं" करन ने कहा ।


    सृष्टी हैरान सी उसे देखने लगी । फिर उस जीप में हसने की आवाज गूजने लगी ।


    रब राखा ।

  • 19. ❤️कहानी दिलों की ❤️ - Chapter 19

    Words: 2278

    Estimated Reading Time: 14 min

    जैसे ही पकोड़े खाने लगी गगन वहीं आकर बैठ गया और सृष्टी के आगे से प्लेट खिच कर अपने आगे कर ली दोनो हैरान सी उसे देखती रह गई  ।


    "ये क्या है ये हमारे पकोड़े है" , सृष्टी ने जल्दी से कहा और प्लेट को अपनी तरफ खिचने लगी पर दूसरी तरफ से गगन ने भी प्लेट  पकड़ ली और एक हाथ  आगे बड़ा कर सृष्टी के आगे पढ़ी चाय की गलास भी उठा ली ।




    "मजा आ गया, बहुत  थक गया था मैं पता है तुम सब की पार्ट की तैयारी जो कर रहा हूं मैं।" गगन ने चाय का सिप लेते हुए  रंजीता को देख कहा और फिर पकोड़े खाने लगा वही रंजीता हैरान सी उसे देख रही थी । 




    "हमारे पकोड़े है छोड़ो आप ", सृष्टी फिर से बोली , वही गगन रंजीता को देख रहा था ।




    "खाओ क्या हूआ तुम खा क्यूं नही रही हो" , तो रंजीता सिर हिला कर," भाई ये क्या कर रहे है , पकोड़े तो सृष्टी के है उसे खाने दे ना आप" , रंजीता ने कहा । 




    "तू मेरी बहन है के इसकी" , गगन ने वैसे ही प्लेट  पकड़े हूए कहा और सृष्टी को देख कर चाय का घुंट अंदर करा । 




    "वैसे तुम ये जो चुप चुप सी रहती हो मेरे सामने जा ऐसी ही हो", गगन ने कहा । सृष्टी ने उसे घुरा फिर प्लेट को देखा और एक हाथ  में सारे पकोड़े उठा कर प्लेट छोड़ दी ।और चुप चाप अपना बैग लेकर वहां से चली गई  ।रंजीता उसे देखती ही रह गई  ।




    "सृष्टी रूक ना कहा जा रही है ", बोलते हुए  रंजीता भी उसके पीछे पीछे चल दी । वही गगन अभी भी चाय का घूंट लेते हुए  दोनो की देख रह था कुछ पल पहले जो मुस्कान उस के चेहरे पर थी वहां पर अब एक गुस्स  आ गया था । 

    सृष्टी उस की आखों से दूर चली गई  थी तभी गगन ने नजर उठा के दूसरी तरफ देखा तो वहां पर मुकेश  रोहन के साथ  खड़ा गगन को ही देख रहा था । गगन ने एक गहरी नजर उनपर डाली तो वो दोनो वहां से चले गये ।




    "तु यहा पर क्या कर रहा है और यहां पर तो वो बैठी थी ना मिस चुप चुप और मिस बक बक ।" सतीश  ने गगन के पास बैठते हूए  कहा ।




    "मेरी बहन है वो", गगन ने सतीश  को देख कहा । 




    "कोन मिस चुप चुप ",




    गगन ने उसे घुरा, " वो नही ",बोलतेहुए  गगन उठ गया ।

    तो सतीश  मुस्कराते हुए," बस भी कर यार पता चल गया के तू सृष्टी को प्रोटेक्ट कर रहा था मेने देखा था मुकेश  को रोहन के साथ  इसी तरफ आते हुए",  सतीश  ने कहा ।




    गगन आगे चलने लगा और सतीश  उस के पीछे पीछे ।"ये रोहन और मुकेश  मुझे भी सही नही लगे कोई  तो खिचड़ी पक रही है इन दोनो के बीच में", सतीश  ने कहा । 




    "हा और वो जो भी हो बहुत  जल्द पता चल जायेगा", गगन ने कहा ।




    "वो सब तो ठीक है  बता आगे का क्या करना है ", सतीश  ने पुछा ।

    "कुछ नही बस अब तैयारी करनी है और कुछ नही ",गगन ने कहा ।




    सृष्टी गुस्से से लाल हूई जा रही थी और पकोड़े जो हाथ  में पकड़े थे उनको एसे ही खाये जा रही थी । रंजीता उसे देखते हुए"  देख भाई ना ऐसे  ही कर रहे थे ",रंजीता ने कहा।  




    सृष्टी ,ने  उसे देखा फिर गुस्से से सामने देखने लगी , रंजीता चुप सी बैठ गई  और उसे देखने लगी । "अच्छा अब उठ क्लास में चले देख तुने गुस्से में कितनी घास निकाल दी है बेचारी सोच रही होगी कहां आकर फस गई मै ",रंजीता ने कहा ।




    सृष्टी वैसे ही चुप सी उठी और चल दी क्लास की और रंजीता उस के पीछे पीछे चल दी । 

    "क्या हूआ ये इतनी चुप चुप सी क्यूं है ", रिधी ने सृष्टी को देखा तो रंजीता से पुछ लिया । रंजीता ने कैन्टीन की सारी बात बता दी ।




    "ओ तो ये बात है", रिधी ने कहा। रंजीता ने हां में सिर हिला दिया । "रिधी हँस्ते हुए  तो ये सब देखने में तो बहुत मजा आया होगा ना ", रंजीता उसे देखते हुए हँसने लगी ।




    "सच बताऊं तो भाई के सामने सृष्टी कुछ भी नही है मतलब  कंधे तक नही आई भाई के और दोनो पकोड़ो के लिए  एसे लड़ रहे थे मानो आज नही मिले तो ना जाने क्या हो जायेगा ", रंजीता ने कहा ।




    "हो गया तेरे तो चुप रह समझी", सृष्टी जो दोनो की बातें सुन रही थी वो गुस्से से बोलो । रिधी रंजीता दोनो उसे देख हसने लगी । 




    तभी क्लास में एक नाम पुकारा गया । "मिस बक बक ",सब लोग उस तरफ देखने लगे तो सामने सतीश खड़ा था ।




    "मिस बक बक ",सतीश ने सामने देखते हुए   कहा यहा सामने ही रिधी और रंजीता बैठी हूई  थी । 

    पर दोनो में  से कोई  नही उठी । तो सतीश उनकी तरफ चलते हूए आ गया । रिधी के चेहरे पर स्माईल  आ गई  थी सतीश  को अपनी तरफ आता देख कर । 




    "मिस बक बक मैं आप ही को बुला रहा हूं", सतीश  ने कहा तो रंजीता की आखें बड़ी बड़ी हो गई। वही रिधी सतीश  को देखने लगी ।




    "मिस बक बक तुम से ही बात कर रहा हूं", सतीश  ने कहा । सृष्टी जो कब से गुस्से में थी वो हँसने लगी उस की हस्सी की आवाज सुन सब क्लास उसे देखने लगी । 




    दो दिन में पहली बार सृष्टी हसी थी क्लास में वो भी इतनी खुल कर ।वर्ना उस की तो आवाज भी रंजीता रिधी के सिवाय किसी ने ना सुनी थी ।




    "औ सर जी एक बार फिर से बक बक बोलो" । रंजीता ने जल्दी से सतीश  के हाथ को पकड़कर कहा वो सब अचानक ही हो गया था रंजीता का ध्यान तो सृष्टी की हसी पर ही था । 




    "अरे बोलो ना जल्दी से बक बक मतलब मिस बक बक ",रंजीता ने फिर से कहा वो सृष्टी को ही देख रही थी ।




    "मिस बक बक ये आप क्या कर रही है" , सतीश  ने कहा तो रंजीता उसे देखने लगी।

    "मेने क्या किया ",रंजीता ने पुछा । तो सतीश  ने इशारा करा ।रंजीता ने देखा तो जल्दी से हाथ  हटाते हूए,"  सॉरी सॉरी वो मैं बहुत  खुश  थी तो पता नही चला मेरी गलती ",रंजीता ने कहा । 

    और सृष्टी को देखने लगी जो अब मुंह पर हाथ रख हस रही थी । उसका  पुरा चेहरा हँसने की वजह से लाल हो गया था । 




    वही रिधी जो सतीश  को देख रहो थी वो गुस्से में आ गई  थी । और उठ कर वहां से चली गई।  रंजीता ने उसे जाते हूए  देखा फिर सृष्टी के कंधे पर हाथ  रख कर, " तू ठीक है ना अब", उस ने कहा तो सृष्टी ने सिर हिला दिया । 




    रंजीता ने अपनी साइड में देखा तो हैरान रह गई  वहा पर सतीश  नही था । "अब ये कहां  गया रंजीता ने कहा"  ।तभी क्लास में टीचर आ गये । सब बच्चे शांत हो गये ।




    टीचर के आने के बाद सब का ध्यान उन पर चला गया था । वही रिधी क्लास से बाहर आ गई थी सतीश भी उस के पीछे पीछे आ गया था ।


    "तुम क्लास नही ले रही ", सतीश ने कहा ,वही रिधी उसे बीना देखे ग्राऊंड मे आ गई थी ।

    "रिधी तुम से ही बात कर रहा हूं ",सतीश  ने कहा । रिधी ने उसे देखा जो पीछे ही रूक गया था फिर वो उस की तरफ चल कर आई और हाथ पकड़कर साफ करने लगी ।



    "ये क्या कर रही हो ",सतीश ने कहा ।

    "कुछ नही बस इतना याद रखना मेरे सिवाय तुमको और कोई भी हाथ नही लगा सकता", रिधी ने कहा सतीश हैरान सा सतीश उसे देख रहा था । "पागल हो गई  हो क्या वो सब अचानक हूआ था देखा नही उस ने मुझे सॉरी बोला ।" सतीश ने कहा ।


    "मुझे नही पता ये सब ",रिधी ने कहा ,वही सतीश उसे देखता ही रह गया जो सतीश के हाथ को रब करे जा रही थी।

    "रिधी" सतीश ने अपना हाथ उस के हाथ से छुड़ा लिया , "बस करो वो सब अचानक हूआ था । और ये कॉलेज है यहा पर ये सब चलता है।" सतीश ने कहा।


    "मुझे पता है यहां पर सब चलता है पर प्लीज तुम उस रंजीता से दूर रहो", रिधी ने कहा ।



    सतीश उसे देखता रहा फिर मुसकुरा कर ,"ठीक है बाबा आज से दूर और हां तुम भी ये सब छोड़ो और जाओ क्लास लो।"


    "नही अब नही ,अब गई तो वो टीचर मुझे बहुत सुनाएगी।" रिधी ने कहा । सतीश उसे देखता रहा ।

    "औये सुन", पीछे से आवाज आई जब सृष्टी रंजीता दोनो ही कॉलेज गेट पर पहुंच गई थी । दोनो ने पीछे मुड़ कर देखा तो गगन खड़ा था ।



    सृष्टी ने उसे देख मुंह बना लिया और दूसरी तरफ देखने लगी । वही गगन रंजीता के पास आ कर ,"ये ले ये दो बैच है एक अपनी किसी फ्रेंड को भी दे सकती हो, ये बैच तूम दोनो का पार्टी में आने का कार्ड ही समझ लो इस के बीना तुम लोग काॅलेज के अंदर भी नही आ सकती।" गगन ने कहा ।



    सृष्टी गगन की बात सुन उसे घुरने लगी ।और आगे आकर रंजीता के हाथ से बैच लेकर उसे वापस गगन को देते हुए ,"आप अपने बैच अपने पास ही रखे समझे। हम नही आ रहे पार्टी में", सृष्टी ने कहा ।गगन रंजीता को देखने लगा ।

    "नही आ रही हो का क्या मतलब है तुमको तो जरूर आना है चाहे कोई और आये जा ना आये ",गगन ने वापस से बैच रंजीता को देते हुए कहा ।


    "नही भाई हम नही आ सकते ।वो क्या है ना भाभी का बर्थडे है और हमे भाभी के लिए सरप्राइज पार्ट की तैयारी करनी है।" रंजीता ने कहा ।


    गगन उसे देखने लगा ।"अच्छा तो करन चाचू की पत्नी ना, उनकी बात कर रही हो" , गनन ने कहा। रंजीता ने हां में सिर हिला दिया ।

    "कोई बात नही रख लो अगर मन करा तो आ जाना वैसे भी पार्टी तो दिन की होगी।"गगन ने कहा तो रंजीता ने सिर हिला दिया । वही सृष्टी रंजीता का हाथ पकड़कर उसे अपने साथ लेकर चली गई।

    अगला दिन भी ऐसे ही निकल गया था कॉलेज में यहां पर गगन सतीश वीरान पुरी टीम ही पार्टी की तैयारी में लगी हुई थी वही , मुकेश रोहन के साथ मिल कर अपनी ही प्लानिंग कर रहा था ।

    रंजीता सृष्टी इस सब से दूर कल को होने वाली पार्टी की बातों में लगी हुई थी के रात को जाकर कया कया करना है । वही रिधी आज पुरा दिन रंजीता से उखड़ी सी रही थी जिस की वजह किसी को नही पता थी ।

    दोनो बस से उतर कर गांव की और जा रही थी । तभी उनके सामने आकर एक कार खड़ी हो गई उस में से रीचा ने दोनो को बैठने का कहा तो सृष्टी रंजीता दोनो बैठ गई।



    "भाभी आज आप बहुत जल्दी नही आ गई ", रंजीता ने पुछा ।



    "हां रंजीता वो क्या है ना मुझे निकलना है मुम्बई के लिया तो बस इस लिए आ गई मैं कुछ कपड़े पैक कर लूंगी" , रीचा ने कहा । सृष्टी रंजीता दोनो एक दूसरे को देखने लगी । "आप जा रहो हो ",रंजीता ने हैरानी से कहा ।


    "हा जाना है मुझे वो क्या है ना वहां के हॉस्पिटल में कोई सीरियस कैस है और मुझे बुलाया है।" रीचा ने कहा ।दोनो एक दूसरे को देखने लगी।


    "क्या हूआ तुम दोनो का मुंह क्यूं उतर गया है कोई बात है क्या ",रीचा ने पुछा ।

    "नही भाभी कोईबात नही है ",सृष्टी ने कहा तब तक सब गाँव भी पहुंच चुके थे तो सब अपने अपने घर के लिए चल दिये ।


    सृष्टी आके अपने रूम में लेट गई वही राधा ने उस के सिर पर हाथ रखा ,"क्या हूआ आज चुप चुप क्यूं है कुछ हूआ है क्या।" राधा ने कहा ।

    "नही मामी वो बस एसे ही है अभी आती हूं चेंज करके ", सृष्टी ने कहा ।

    "अच्छा वो नीरज का फोन आया था बोल रहा था दो महीने बाद उसे छुट्टी मिल रही है तो सोच रहे है तब की ही शादी रख लेते है" , राधा ने कहा ।

    सृष्टी उछल के बैठ गई और राधा को देख कर "सच्ची मामी आप सच कह रही हो फिर मेरी भी भाभी आ जायेगी रंजीता की तरह" , सृष्टी ने पुछा । राधा ने उसके सिर पर हाथ रखा ,"हां बिल्कुल अब तु बता ऐसा करे हम " , राधा ने कहा ।


    "अरे बिल्कुल ऐसी ही करना है भाभी आयेगी फिर मैं भी भाभी के साथ बातें करूगी , सृष्टी बोली ।


    "चल ठीक है फिर जल्दी से फ्रेश हो और खाने पर आ जा" ,मामी ने कहा और तो सृष्टी उठ कर चली गई।

    सृष्टी जल्दी से उठी और अपने कपड़े लेकर बाथरूम की तरफ चली गई।

    "देखा ना तुने अपनी आखों से आज गगन वहां पर नही था पर फिर भी मैं सृष्टी से बात नही कर पाया अपने दोस्त को मिला भी नही पाया।"मुकेश ने कहा ।


    वही रोहन जो चुप सा बैठा हूआ था वो मुकेश को देख कर ,"अबे चिल्ल कर रुक जा अभी ये फंक्शन होने दे फिर सब लोग अपने अपने काम में बिजी हो जायेगे ", रोहन ने कहा ।



    "हा फिर मैं जो चाहे वही कर सकूंगा" , मुकेश ने कहा दोनो इस समय नदी किनारे बैठे बीयर पी रहे थे । रात हो चुकी थी दोनो।को ही कोई होश ना था दोनो ही बीयर पीए जा रहे थे ।






    रब राखा 

  • 20. ❤️कहानी दिलों की ❤️ - Chapter 20

    Words: 2126

    Estimated Reading Time: 13 min

    रात हो चुकी थी दोनो  को ही कोई  होश ना था दोनो ही बीयर पीए जा रहे थे । 

    "सृष्टी तुम सच में नशा हो,  जिस दिन से तुमको देखा है चैन नही मिला है और वो तुम्हरा देख कर नजरें फेरना दिल ले गया।" रोहन जो आसमान को ही देख रहा था उस ने मन ही मन कहा और बियर की बोतल मुंह को लगा ली । 




    रोहन ये वही लड़का था जो करन की सगाई में सृष्टी के आस पास घुम रहा था । उस दिन से अब तक वो बस सृष्टी के बारे में ही सोच रहा था ।

    लेकिन  जब कॉलेज में सृष्टी को देखा तो वो खुशी से उस की तरफ चल दिया । पर मुकेश  ने उसे रोक लिया फिर उसे पता चला के सृष्टी की तो सगाई मुकेश के साथ हो गई है। मुकेश  रोहन को जानता था दोनो के पापा को आपस में काम रहता था । 

    "यार आज तो बहुत  काम होगया है, थक गया हूं मैं" ,सतीश  बेड पर लेटते हुए  बोला वही गगन उसे देख रहा था उस ने अपनी सिगरेट सुलगा ली ।

    "क्या हो गया जो आज इस की जरूरत आन पढ़ी।"  सतीश  ने गगन को देखा पुछा । 

    गगन धूऐं के छले बनाते हुए," बस आज तलब सी उठी है ",गगन ने कहा पर उस की आंखो के आगे से तो बस कॉजल से भरे नैन ही घुम रहे थे।  

    "पागल मत बन माना वो आंखे खुबसुरत थी पर इस का मतलब  ये नही के तू अब इस का सहारा ले, पता है तुमको ये सब कितना हानिकारक है तुम्हारे लिए", सतीश  ने कहा ।




    " कुछ नही होगा  समझा।" गगन ने कहा फिर कुछ सोच कर ,"वो कल रंजीता नही आयेगी और ना ही उस की सहेली", गगन ने कहा सतीश  उसे देखने लगा ।




    "तुमको कैसे पता के वो नही आ रही है ।"


    "वो इस लिए  क्यूंकि कल करन चाचू की पत्नी मतलब  चाची का जन्म दिन है और वो दोनो उनको सरप्राइज पार्टी देने वाली है", गगन ने कहा ।


    "रे वाह तुमको तो ये भी पता है के वो क्यूं नही आ रही हैं ",सतीश  ने कहा ।


    गगन ने उसे घुरा," मेरी बहन ने बताया है अब ये मत पुछना के मेरी बहन कैसे समझा ", गगन ने तल्ख लहजे से कहा । 


    "तो फिर करन चाचू कैसे हो गये वो भाई हूए ना ", सतीश  ने कहा ।

    "वो रिश्ता  मेने खुद बनाया है तो इसे एसे ही चलते रहने दो समझे ", गगन ने कहा और बच्ची हुई सिगरेट को ऐशटरे में रख दिया ।


    "ठीक है भाई तु याद कर अपनी नैनो वाली को हमे तो नींद आ रही है" , सतीश  ने कहा और लेट गया । गगन भी कुछ देर बैठा रहा फिर वो भी लेट गया । 


    सब सीनियर्स पहले ही कॉलेज पहुंच  चुके थे और सब तैयारीया देख रहे थे । बाकी के स्टूडेंट्स भी आ गये थे ।

     रोहन भी पहुंच चुक था , क्यूंकि वो भी एम बी ऐ फाइनल में था , उस के दो साथी भी घुम रहे थे।  वही गगन ने उसे देखा और सतीश  को एक इशारा कर दिया ।




    सतीश  ने दूसरी तरफ देखा तो दो लड़के रोहन के पीछे लग गये वो जो भी कर रहा था उस की सारी जानकारी गगन तक पहुंच  रही थी । 




    सब बच्चे पहुंच चुके थे । इस समय  सब एक बड़े से हॉल में  इकठ्ठे हूए  थे यहां पर एक तरफ   स्टेज लगी हुई  थी । 

    सब बच्चे आपस में बाते कर रहे थे ।" हैलो एवरीवन जैसे के आप सब को पता है आज आप सब के स्वागत के लिए हम लोगो ने ये पार्टी रखी है । तो आज का दिन आप सब के नाम" , गगन ने कहा वो इस समय  स्टेज पर माइक लेकर खड़ा था । 




    "तो आज  बहुत  ही ब्यूटीफुल सी गर्ल्स  रेमप वाक कर सकती है और गुड लूकिंग बॉयस भी कर सकते है जिनको जज हमारी टीम करेगी और किसी एक लड़की लड़के को मिस और मिस्टर फ्रेशर्स चुनेगी ",गगन ने कहा ।

    तो सब लड़कीया एक तरफ खड़ी हो गई  वही सब लड़के भी एक तरफ खड़े हो गये ।वहां पर अलग से टीम ने पेपर्स पर उन के नाम लिख कर सब बच्चो की ड्रेस पर लगाने शूरू कर दिए। 







    सतीश जो लड़कियों  की एक लाइन के नाम लिख रहा था । लड़किया नाम बोल रही थी सतीश  लिख लिख कर पेपर दे रहा था और वो आगे निकल जा रही थी । नाम सतीश  ने नीचे देखते हुए कहा । 




    "रंजीता",  आवाज आई तो सतीश  ने सिर उठा कर देखा तो सामने रंजीता खड़ी थी । बेबी पिंक कलर के फ्लोरल लोंग स्कर्ट के साथ  ,सेम ही कलर का टॉप था , खुले बाल । हल्का सा मेकअप बहुत  प्यारी लग रही थी वो ।




    "मिस बक बक तुम तो नही आने वाली थी फिर कैसे आ गई ", सतीश  ने पुछा ।

    "वो क्या है ना सर बड़ी लंबी कहानी है और अभी मुझे नही सुनानी है ,तो आप अपना काम करो और मुझे मेरे नाम का पेपर दो" , रंजीता ने कहा । सतीश ने भी उसे पेपर दे दिया 

    तो रंजीता आगे बड़ गई  । सतीश  ने पीछे देखा तो सृष्टी खड़ी  थी । सृष्टी ने मोरपंखी डिजाइन का गोल घेर वाला सुट पहन रखा था जिस के साथ चुड़ीदार पहनी हूए  थी ।

    "लो तुम्हरा नाम ",सतीश ने मुस्करा के सृष्टी को पेपर दिया ।तो सृष्टी भी आगे जाकर लाइन में लग गई  यहा पर सब लड़किया स्टेज  पर जा रही थी ।




    "देखा तुमने कैसे देख रहा था, मुझे तो गुस्सा आ रहा था , पुछ रहा था के मैं आने नही वाली थी , मतलब  मेरा मन मै आयूं के नही ये कोन होता हे पूछने  वाला ",रंजीता गुस्स से बोली।




    सृष्टी उस के कंधे पर हाथ  रख ,"बस कर यार आज क्या हो गया है पहले बस मे लड़ ली  और अब फिर से गुस्सा कर रही हो।"  सृष्टी  ने कहा ।




    वही स्टेज पर लड़किया  चली जा रही थी ।और दोनो आगे भी बड़ी रही थी । 




    "मुझे आ रहा है गुस्सा तो क्या करूं तुम ही बता ", रंजीता ने कहा ।




    "अच्छा चल अब मुंह  सही कर देख  अब तेरा नंबर आ गया है जाने का", सृष्टी ने कहा । वही रंजीता ने सामने देखा यहां पर एक लड़की सब लड़कियो को  आगे भेज रही थी ।




    तभी रंजीता को स्टेज  पर भेजा  गया । तो सामने बैठे सब लोग हसने लगे।  पहले तो रंजीता अपना काम कर रही  थी  पर जैसे ही उसे बच्चो के हसने की आवाज सुनी तो वो रूक गई।




    रंजीता हैरान सी सब को देख रही थी वही सामने बैठे जज भी रंजीता को देख हस रहे थे ।




    "ओये मिस बक बक तुम्हरा यहा पर क्या काम", निचे बैठे बच्चो  में से आवाज आई रंजीता का मुंह  खुला रह गया फिर जल्दी से उसने अपने नाम का पेपर देखा तो गुस्से से लाल पीली हो गई क्यूंकि उस के नाम की जगह मिस बक बक लिखा था ।




    रंजीता ने गुस्से से सामने देखा यहा पर सब उसे ही देख रहे थे तभी उस की नजर एक तरफ खड़े सतीश  पर चली गई  जो बेचारा सा मुह बनाकर उसे  ही देख रहा था । 

    "औये मिस बक बक अब यही पर रहने का इरादा है क्या ",फिर से आवाज आई ।रंजीता ने सब को देखा फिर चेहरे पर बड़ी सी स्माईल  लाकर कर स्टेज से नीचे उतर गई  । 




    रंजीता के उतरते ही सृष्टी स्टेज पर आई और बहुत  ही प्यारी सी स्माईल  के साथ  उसने  वॉक की । दोनो के बाद  लड़को की टर्न थी तो उनकी बारी शूरू हो गई  । 




    रंजीता नीचे आई तो सब से पहले सतीश को देखने लगी । और गुस्से से उस की तरफ चल दी । वही सतीश  यहां पर खड़ा था वहां से हिला और जल्दी से दूसरी तरफ चला गया ।  रंजीता दांत पीस कर रह गई। 




    उसी समय  सृष्टी रंजीता को देखते हुए  आई  और उस के कंधे पर हाथ  रख कर ,"चल हम लोग नाम वाला पेपर बदल ले", सृष्टी ने कहा । 




    "अब तो ऐसे ही रहना है ",रंजीता ने कहा और गुस्से से पैर पटकते हुए  चल दी । वही रिधी ने सृष्टी के कंधे पर हाथ  रखा तो सृष्टी देखने लगी ।




    "तुम दोनो तो नही आने वाली थी ना फिर कैसे आ गई  ", रिधी ने कहा तो सृष्टी मुस्करा  कर, "हां बस भाभी को जाना पडा तो हम यहां आ गई ",सृष्टी ने कहा 




    "अच्छा पहले राउंड में तुम दोनो लास्ट में थी थो बात नही कर पाई चलो देखते है अगले राउंड में किस किस का नाम आया है" , रिधी ने कहा और अगे आगे चल दी वही सृष्टी उस के पीछे पीछे चल दी ।




    रंजीता पहले ही जान आई थी के सेकेड राउंड मे कुल दस लड़कियां है जिनमें रिधी  रंजीता और सृष्टी भी शामिल थी । 

    "तु कहा चली गई  थी",सृष्टी ने रंजीता को देख कहा। 

    "कुछ नही बस नाम देखने गई  थी ",रंजीता ने कहा तभी सृष्टी को लगा के उस के कंधे पर कुछ है उसने मुड़ कर देखा तो हैरान हो गई  पीछे कोई  और नही मुकेश खड़ा था । 




    मुकेश ने जल्दी से सृष्टी का हाथ पकड़ लिया और मुस्करा कर ,"देखो ना ये मेरा दोस्त  है तुम से मिलना चाहता है ", मुकेश  ने कहा तो सृष्टी उस तरफ देखने लगी ।




    वहां पर रोहन खड़ा था जो सृष्टी को ही देख रहा था । सृष्टी अपना हाथ  मुकेश  के हाथ  से खिंचते हूए  , सिर हिला दिया । वही मुकेश  की पकड़ सृष्टी के हाथ  पर कस गई  ।




    रंजीता गुस्से से आगे बड़ी तो मुकेश  ने उसे घुरा, "हम दोनो की बातों में तुम ना ही आओ तो अच्छा रहेगा तुम्हरे लिए ", मुकेश  ने कहा । सृष्टी ने रंजीता को कुछ भी कहने से रोक दिया।




    "हम इस समय  कॉलेज  में है प्लीज मेरा हाथ  छोड़ दो", सृष्टी  ने धीरे से कहा ।

    वही मुकेश मुस्करा रहा था । तभी स्टेज  से नाम की आवाज आई जिन में से सृष्टी का भी नाम था।




    "देखो हाथ  छोड़ो", रंजीता ने कहा तो मुकेश  सृष्टी को देख कर ।

    "बाद में बात करते है बहुत  जरूरी है मुझे उम्मीद  है तुम ज्यादा वेट नही कराओगी", मुकेश ने कहा ।




    सृष्टी ने जल्दी से सिर हिला दिया । वही रोहन  तो कब से सृष्टी के हाथ  को देख रहा था जो मुकेश के हाथ  में था और अंदर ही अंदर वो जल भुन रहा था ।




    मुकेश सृष्टी का हाथ  छोड़ कर चला गया वही सृष्टी चुप सी रंजीता के साथ  चल दी । यहा पर बाकी की सब लड़कियां भी खड़ी थी ।" तुम दोनो कहां  रह गई थी ,अगले राउंड में क्वेश्चन पूछेंगे", रिधी ने बताया  ।




    "वो बस जरूरी काम आ गया था ", रंजीता ने कहा सृष्टी चुप सी खड़ी थी तो रंजीता ने उसके कंधे पर हाथ  रख दिया। वही फिर से बारी बारी सब लड़कियां स्टेज  पर जाने लगी ।




    सृष्टी का नंबर लास्ट था तो तब तक उस ने अपने अंदर के डर को काबू कर लिया और चल दी स्टेज की और । 




    "क्या हूआ कुछ नजर आया जो नही आना चाहीये था ",सतीश फोन पर बोल रहा था ।




    "नही अभी तक तो कुछ ऐसा नजर नही आया बस रोहन के साथ  एक लड़का दिखा था जो अब नही है" , दूसरी तरफ से आवाजा आई ।




    "कोन था", सतीश  ने पुछा और  स्टेज की तरफ देखने लगा यहां पर रिधी चल रही थी बेहद ही टाइट कपड़ो में थी वी कुछ पल के लिए सतीश  उसे देखता ही रह गया । 

    "फस्ट इयर का ही स्टूडेंट लग रहा था" , दूसरी तरफ से आवाजा आई  ।




    "ठिक है तम ध्यान रखो ",कहते हुए  सतीश  ने फोन रखा और स्टेज  की तरफ देखने लगा यहा रिधी जवाब देकर वापस  जा रही थी ।

    "यार देखा है इस लड़की को मस्त लग रही है", एक तरफ से कुछ लड़को की आवाज आ रही थी ।जिसे सतीश  ने सुन लिया और फिर सिर हिला कर वो चुप सा रह गया ।




    उसी समय  स्टेज पर रंजीता आई तो सब फिर से हँसने लगे क्यूंकि  अभी भी उस का नाम मिस बक बक ही लिखा हूआ था । साथ ही जज ने  उस से प्रश्न पुछा ।




    "तो मिस बक बक ये कुछ  अजीब  नाम नही है।"







    रंजीता ने उनको देखा और वही एक लड़की रंजीता को माइक देकर चली गई  । "जी मैम अजीब नाम है तभी तो सब के आकर्षण का कारन है वर्ना मुझ से पहले भी चार लड़कियां  जा चुकी है पर इतनी गर्मजोशी  से स्वागत नही हूआ उनका ",रंजीता ने कहा उस के कहने में अलग ही कॉन्फिडेंस था । जज भी मुस्कुरा दिया रंजीता वापस चली गई।  सतीश  के चेहरे पर भी एक मुस्कान आ गई  




    रब राखा