Novel Cover Image

Blood Ties

User Avatar

bhairvi Chaudhary

Comments

0

Views

2

Ratings

0

Read Now

Description

जयपुर की शाही हवेलियों के बीच, एक खून से लथपथ कहानी छुपी है — बदले और मोहब्बत की। अनिका मेहरा, एक साधारण लड़की नहीं, बल्कि मजबूरी में दुनिया के खतरनाक खेल में उतर चुकी है। उसके पिता के कर्ज़ और खोए हुए सम्मान ने उसे एक चोर बना दिया है, जो सिर्फ एक...

Total Chapters (1)

Page 1 of 1

  • 1. Blood Ties - Chapter 1

    Words: 1003

    Estimated Reading Time: 7 min

    राजस्थान जयपुर.....


    जयपुर की शामें हमेशा दिलकश मानी जाती हैं। हवा में गुलाब की खुशबू, ढलते सूरज की सुनहरी किरणें और दूर से आती मंदिर की घंटियों की ध्वनि मिलकर एक अद्भुत नज़ारा पेश करती हैं। मगर उस शाम माहौल कुछ अलग था। किले के पीछे खड़ी पुरानी हवेली पर एक अजीब सा सन्नाटा छाया था। यह हवेली कभी रौनक से भरी रहती थी, पर अब यह खामोशियों का कैदखाना बन चुकी थी।



    हवेली के सबसे ऊपर वाले कमरे में 22 साल की अनिका मेहरा बैठी थी। उसके हाथ में चाय का प्याला था, पर निगाहें खिड़की से बाहर नहीं, बल्कि मेज़ पर रखी एक पुरानी तस्वीर पर जमी थीं। तस्वीर में उसका पिता राजन मेहरा मुस्कुरा रहा था।

    राजन मेहरा जयपुर का बड़ा कारोबारी था। उसका नाम इज़्ज़त, ताक़त और भरोसे का पर्याय था। लेकिन वक्त ने करवट ली और एक बड़ी गलती ने सब बर्बाद कर दिया। राजन ने कुछ व्यापारियों से भारी कर्ज़ लिया था। शुरुआत में सब ठीक चला, पर जल्द ही धोखाधड़ी और साज़िशों ने उसे बर्बाद कर दिया। अब वही लोग उसका पीछा कर रहे थे।

    अनिका जानती थी कि उसके पिता ने गलत फैसले लिए, लेकिन उसने यह भी देखा था कि उन्होंने अपने परिवार को हमेशा टूटने नहीं दिया। उसके लिए पिता सिर्फ़ एक इंसान नहीं, बल्कि उसकी दुनिया थे। पर अब उनकी दुनिया खतरे में थी।



    अनिका खिड़की पर खड़ी थी कि तभी उसने देखा — हवेली के बाहर काले रंग की एक लग्ज़री कार आकर रुकी। धूल के बादल उठे और गेट के पास गहरी खामोशी छा गई। कार का दरवाज़ा खुला। बाहर निकला एक लंबा, चौड़े कंधों वाला आदमी। काली शर्ट, हल्की दाढ़ी और आँखों में ठंडी कठोरता। वह था — अर्जुन सिंह राजावत।

    अर्जुन का नाम पूरे राजस्थान में खौफ़ और ताक़त से जोड़ा जाता था। राजावत खानदान कभी रियासत के जमाने में शासक थे, और आज भी उनकी बादशाहत का असर कायम था। अर्जुन, 28 साल का, इस खानदान का वारिस था। बचपन से उसे यही सिखाया गया था कि परिवार की इज़्ज़त सबकुछ है — और इसके लिए खून बहाना भी पड़े तो पीछे नहीं हटना।



    अर्जुन का मक़सद साफ़ था। वह यहाँ एक पुराना दस्तावेज़ लेने आया था — जो मेहरा परिवार के कर्ज़ और धोखाधड़ी की सच्चाई उजागर कर सकता था। उसकी चाल में उतावलापन नहीं, बल्कि ठंडी दृढ़ता थी। हवेली के चौखट पर कदम रखते ही उसके जूते की आहट गूँजी।

    अनिका का दिल धड़कने लगा। वह जानती थी कि अर्जुन यहाँ क्यों आया है। उसने जल्दी से अपनी पुरानी डायरी को उठाया और किताबों के बीच छुपा दिया। वह चाहती थी कि उसके पिता का नाम और उनका राज़ पूरी तरह उजागर न हो।



    अर्जुन हवेली के ड्रॉइंग रूम में पहुँचा। बड़ी-बड़ी पेंटिंग्स, धूल भरे झूमर और टूटी कुर्सियाँ — सब हवेली की बर्बादी की गवाही दे रहे थे। उसकी नजर टेबल पर रखे फाइलों पर पड़ी। वह धीरे से उनकी तरफ़ बढ़ा।

    उसी पल उसे पीछे से किसी की मौजूदगी का एहसास हुआ।
    “कौन है वहाँ?” — उसकी आवाज़ ठंडी पर कठोर थी।

    अनिका ने सांस रोक ली। उसने परदे के पीछे से झाँकते हुए देखा — अर्जुन की आँखें तेज़ तलवार की तरह चमक रही थीं। वह झूठ बोलना चाहती थी, पर उसकी आँखें डर से सब कह चुकी थीं।

    अर्जुन ने टेबल से एक फाइल उठाई और बिना देखे बोला —
    “छुपने से सच नहीं बदलता। सामने आओ।”

    अनिका ने धीरे-धीरे कदम बढ़ाए। उसकी आँखें अर्जुन से मिलीं। पलभर के लिए दोनों रुक गए। ये पहली मुलाक़ात नहीं थी। बचपन की धुंधली यादों में वे एक-दूसरे को जानते थे। लेकिन वक्त और हालात ने उन्हें ऐसे मोड़ पर ला खड़ा किया था जहाँ पहचान भी दुश्मनी जैसी लग रही थी।



    अनिका को याद आया — जब वह 10 साल की थी, तब उसका पिता उसे एक राजसी समारोह में ले गया था। वहाँ उसकी मुलाक़ात छोटे अर्जुन से हुई थी। दोनों ने साथ खेला था, हँसी-मज़ाक किया था। लेकिन वही दिन आख़िरी था। राजावत और मेहरा परिवारों की दुश्मनी ने उनके बीच की मासूम दोस्ती को खत्म कर दिया था।

    आज सालों बाद वही अर्जुन उसके सामने था — पर अब मासूम बच्चा नहीं, बल्कि खौफ़नाक इंसान बन चुका था।



    “ये दस्तावेज़ मेरे परिवार की इज़्ज़त बचा सकते हैं,” अर्जुन ने फाइल उठाते हुए कहा।
    अनिका ने जवाब दिया — “या फिर इन्हीं से किसी की ज़िंदगी बर्बाद भी हो सकती है।”

    दोनों की निगाहें भिड़ीं। कमरे में सन्नाटा था, पर उनके दिलों में तूफ़ान। अर्जुन के चेहरे पर गुस्सा था, लेकिन उसकी आँखों में जिज्ञासा भी झलक रही थी। अनिका की आँखें डर से भरी थीं, पर उनमें एक अजीब हिम्मत भी थी।



    जैसे ही अर्जुन दस्तावेज़ को पलटने लगा, हवेली के पीछे से अचानक एक जोरदार आवाज़ आई। खिड़की का शीशा टूटा और हवा में धूल भर गई। दोनों ने चौंककर उस ओर देखा।

    “यहाँ और भी लोग हैं…” अर्जुन ने धीमी आवाज़ में कहा।
    अनिका ने घबराकर उसके करीब कदम बढ़ाए, “ये लोग मेरे पापा को ढूँढ रहे हैं… अगर उन्हें पता चल गया कि तुम यहाँ हो, तो तुम भी खतरे में पड़ जाओगे।”

    अर्जुन ने उसकी ओर देखा। पहली बार उसकी आँखों की कठोरता थोड़ी पिघली।
    “तो हमें जल्दी करना होगा।”



    बाहर से कदमों की आहटें पास आती जा रही थीं। अनिका और अर्जुन कमरे के बीच खड़े थे। एक तरफ़ दस्तावेज़, दूसरी तरफ़ उनका अतीत और सामने आने वाला खतरा।

    अनिका का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। अर्जुन ने फाइल अपने हाथ में कसकर पकड़ ली।
    “ये लड़ाई अब सिर्फ़ तुम्हारे पिता की नहीं, अनिका…” — उसने धीमे स्वर में कहा — “ये मेरी भी है।”

    दरवाज़ा धड़ाम से खुला। काले कपड़ों में तीन हथियारबंद आदमी अंदर दाख़िल हुए।

    कमरा खामोश हो गया। लेकिन हवेली की दीवारें गवाह थीं कि एक नई कहानी शुरू हो चुकी थी — खून, बदला और रिश्तों की। मिलते है नेक्स्ट चैप्टर मे.....

    to bi continue....

    पसंद आये तो लाइक कमैंट्स जरुर करे। और आपको मेरी और भी स्टोरी पढ़नी है तो मेरी प्रोफाइल मे आपको उसकी लिंक मिल जायगी। आप मुझको वहा फॉलो कीजिये। और प्ल्ज़ मुझको सपोर्ट कीजिये।......