कभी-कभी ज़िंदगी हमें ऐसे मोड़ पर ला खड़ा करती है जहाँ दिल की ख्वाहिशें और हालात की मजबूरियाँ आमने-सामने खड़ी हो जाती हैं। रिया और आरव की शादी भी ऐसी ही मजबूरी से शुरू हुई थी—जहाँ एक तरफ़ प्यार की तलाश थी, तो दूसरी तरफ़ बिज़नेस डील की ठंडी शर्तें।... कभी-कभी ज़िंदगी हमें ऐसे मोड़ पर ला खड़ा करती है जहाँ दिल की ख्वाहिशें और हालात की मजबूरियाँ आमने-सामने खड़ी हो जाती हैं। रिया और आरव की शादी भी ऐसी ही मजबूरी से शुरू हुई थी—जहाँ एक तरफ़ प्यार की तलाश थी, तो दूसरी तरफ़ बिज़नेस डील की ठंडी शर्तें। लेकिन क्या हर रिश्ता कॉन्ट्रैक्ट पर चलता है? या फिर किसी रिश्ते की गहराई कागज़ पर नहीं, दिल पर लिखी जाती है? पढ़िए सीइओ की प्यार वाली कहानी "🌹 अनवांटेड सीईओ ब्राइड 🌹" क्या होगा इनकी कहानी में ? क्या सीइओ उसे एक्सेप्ट करेगा या फिर वह रह जाएगी अनवांटेड ?????
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मुंबई की शाम हमेशा भीड़भरी और शोर-शराबे से भरी रहती थी, लेकिन उस शाम रिया का दिल बिल्कुल शांत और खाली था।
“रिया बेटा, हमें ये शादी करनी ही होगी…”
पिता की आवाज़ में वो बेबसी थी जो रिया ने पहले कभी महसूस नहीं की थी।
उसके पापा की कंपनी, वर्मा ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज़, दिवालियेपन की कगार पर खड़ी थी।
दूसरी तरफ़ था आरव मल्होत्रा—शहर का सबसे बड़ा बिज़नेस टायकून, जिसका नाम सुनते ही लोग सहम जाते थे।
वो ठंडा, कठोर और “बिज़नेस मशीन” कहलाता था।
रिया ने जब पहली बार उसके बारे में सुना तो उसके मन में डर बैठ गया।
“पापा, मैं किसी ऐसे इंसान से शादी कैसे कर सकती हूँ, जिसे मैं जानती तक नहीं?”
उसने रोते हुए कहा।
पिता की आँखें भर आईं—
“बेटा… ये सिर्फ शादी नहीं है, ये हमारे अस्तित्व की आख़िरी उम्मीद है। आरव ने कहा है अगर तुम शादी के लिए राज़ी हो जाओ, तो वो हमारी कंपनी को बचा लेगा।”
रिया का दिल टूट चुका था।
उसके सारे सपने, उसके ख्वाब, सब कुछ जैसे राख में बदल गए।
शादी का दिन
भव्य हॉल, चमकते झूमर, मीडिया की भीड़ और करोड़ों की डील जैसा माहौल।
हर कोई इस शादी को “बिज़नेस अलायंस” कह रहा था, लेकिन रिया के लिए ये उसके सपनों की मौत का दिन था।
दूल्हे की तरह नहीं, आरव वहाँ खड़ा एक सीईओ की तरह लग रहा था।
काले शेरवानी में, ठंडी आँखों के साथ, जैसे उसे इस शादी से कोई फर्क ही नहीं पड़ता।
फेरे शुरू हुए।
हर मंत्र के साथ रिया को लग रहा था कि उसके दिल पर एक और बोझ बढ़ रहा है।
फेरे खत्म होते ही आरव उसके कान में झुका और बेहद ठंडी आवाज़ में बोला—
“याद रखना, मिसेज़ मल्होत्रा… ये शादी सिर्फ़ एक डील है। तुम्हें मुझसे किसी प्यार या अपनापन की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।”
रिया की आँखों में आँसू छलक आए।
लेकिन उसने सिर झुका लिया—
क्योंकि उसके पास कोई और रास्ता ही नहीं था।
शादी के बाद का पहला दिन हर लड़की के लिए खास होता है,
लेकिन रिया की सुबह अजनबीपन और खालीपन के बीच हुई।
वो जब नींद से जागी, तो उसके बगल में कोई नहीं था।
आरव रात को ही ऑफिस चला गया था, और नौकरानी ने आकर सिर्फ़ इतना कहा —
“मैडम, सर ने नाश्ता डाइनिंग टेबल पर लगाने को कहा है… लेकिन वो शायद नहीं आएँगे।”
रिया ने एक लंबी साँस ली।
जिस रिश्ते को वो दिल से निभाना चाहती थी, उस रिश्ते में शुरुआत से ही दरारें थीं।
कॉफ़ी टेबल पर पहली मुलाक़ात
दोपहर के समय आरव लौटा।
वो अपनी टाई ढीली करते हुए सोफ़े पर बैठ गया और लापरवाही से बोला —
“मुझे कॉफ़ी चाहिए।”
रिया धीरे से बोली —
“मैं बना देती हूँ…”
कुछ ही देर बाद जब उसने कप उसके सामने रखा, तो आरव ने एक नज़र उठाकर उसे देखा।
उस नज़र में अपनापन नहीं, बल्कि ठंडापन था।
“तुम्हें मेरी इन आदतों की आदत डालनी होगी, मिसेज़ मल्होत्रा।”
उसकी आवाज़ में ऐसा लग रहा था जैसे वह पत्नी से नहीं, किसी कर्मचारी से बात कर रहा हो।
रिया ने हिम्मत जुटाकर पूछा —
“क्या हमारे बीच… कभी सामान्य रिश्ता नहीं हो सकता?”
आरव हँसा नहीं, गुस्सा नहीं हुआ, बस एकदम सपाट बोला —
“मैं शादी में यकीन नहीं रखता। मेरे लिए ये बस एक कॉन्ट्रैक्ट है। तुम्हें सिर्फ नाम के लिए मेरी पत्नी बनना है, और मुझे तुम्हारे पिता की कंपनी संभालनी थी। हम दोनों अपनी-अपनी वजहों से इस समझौते में बँधे हैं। बस।”
रिया की आँखों में आँसू भर आए, लेकिन उसने चुपचाप सिर झुका लिया।
दिन गुज़रते गए।
रिया पूरे घर में अकेली घूमती रहती, किताबों से दिल बहलाती, नौकरों से बात करती।
लेकिन असली साथी की कमी उसे हर पल सालती थी।
वो कभी-कभी छत पर जाकर तारों को देखती और सोचती —
“क्या ये ज़िंदगी मुझे इसी अकेलेपन में जीनी है?”
आरव देर रात तक काम करता।
घर आता भी तो उसके चेहरे पर थकान और चिड़चिड़ापन होता।
उनके बीच बातचीत बस कुछ औपचारिक शब्दों तक सीमित रह गई थी।
एक रात डाइनिंग टेबल पर आरव और रिया आमने-सामने बैठे थे।
रिया ने हिम्मत करके कहा —
“मैंने तुम्हारे लिए कढ़ी-चावल बनाए हैं। सुना था तुम्हें पसंद हैं।”
आरव ने बस एक चम्मच खाया और तुरंत नैपकिन रखते हुए बोला —
“मुझे समय बर्बाद करना पसंद नहीं। अगली बार से शेफ ही बनाएगा। तुम अपनी पढ़ाई या किताबों में ध्यान दो।”
रिया का दिल जैसे टूटकर बिखर गया।
उसने सोचा था शायद उसके हाथों का बना खाना कोई रिश्ता जोड़ देगा, लेकिन वहाँ दीवार और ऊँची हो गई।
उस रात उसने तकिये में मुँह छिपाकर आँसू बहाए।
और तभी उसके दिल में एक वादा जन्मा—
“अगर ये रिश्ता मजबूरी से शुरू हुआ है… तो मैं ही इसे अपनी सच्चाई और प्यार से बदलूँगी।”
बरसात की रात
मुंबई की सड़कों पर मूसलाधार बारिश हो रही थी।
रिया खिड़की के पास खड़ी थी।
उसने कभी बारिश को इतना उदास न देखा था।
आरव फिर से देर से घर आया।
वो हमेशा की तरह भीगा हुआ, मोबाइल पर बिज़नेस डील की बातें करते हुए अंदर आया।
रिया ने धीरे से कहा—
“तुम भीग गए हो… पहले कपड़े बदल लो, मैं अदरक वाली चाय बना देती हूँ।”
आरव ने उसकी तरफ़ देखा तक नहीं।
बस फोन पर बात करता हुआ अपने कमरे में चला गया।
रिया चुपचाप मुस्कराने की कोशिश करती रही, लेकिन उसकी आँखें भर आईं।
अगली सुबह रिया तेज़ बुख़ार में थी।
बारिश में खड़े-खड़े वो ठंड खा गई थी।
जब आरव ने देखा कि वो सोफ़े पर लेटी काँप रही है, तो उसके कदम रुक गए।
दिल में पहली बार चिंता की हल्की-सी लहर उठी।
“रिया…” उसने धीरे से पुकारा।
रिया ने आँधी-सी आवाज़ में कहा—
“मैं ठीक हूँ…”
आरव ने तुरंत डॉक्टर बुलाया, सारी दवाइयाँ लाकर खुद अपने हाथों से उसे दीं।
रात भर वो उसके पास बैठा रहा।
पहली बार उसका चेहरा नरम और आँखें बेचैन थीं।
रिया ने धुंधली नज़रों से देखा—
“तुम्हें परवाह है मेरी?”
आरव चौंक गया।
उसने नज़रें चुराते हुए कहा—
“मतलब… तुम मेरी ज़िम्मेदारी हो। तुम्हें कुछ हो गया तो लोग उँगली मुझ पर उठाएँगे।”
लेकिन उसके दिल ने भी सच छुपाया नहीं—
वो परवाह कर रहा था। बहुत गहरी।
कुछ दिन तक आरव ने रिया का ख्याल रखा।
उसके लिए सूप बनवाया, दवा का टाइम याद रखा, और ऑफिस भी जल्दी आने लगा।
रिया जब मुस्कराकर “थैंक यू” कहती, तो उसके चेहरे पर एक अनजानी शांति उतर आती।
धीरे-धीरे उसे एहसास हुआ कि रिया सिर्फ़ मासूम नहीं, बल्कि बहुत मजबूत भी है।
वो नौकरों से हँसी-मज़ाक करती, घर की हर चीज़ को अपनेपन से सँवारती, और ज़रा-सी बात पर सबका दिल जीत लेती।
एक शाम आरव ने उसे बालकनी में बैठा किताब पढ़ते देखा।
उसने अनायास पूछ लिया—
“तुम इतनी खुश कैसे रहती हो… जबकि मैं तुम्हें कभी खुश नहीं रख पाया?”
रिया ने मुस्कराकर कहा—
“खुशी छोटी-छोटी चीज़ों में ढूँढनी पड़ती है। अगर हम दूसरों से उम्मीद करें, तो कभी खुश नहीं रह सकते।”
आरव चुप हो गया।
उसके दिल में पहली बार रिया की बात गहराई से उतर गई।
अब जब भी वो ऑफिस से लौटता, तो अनजाने में उसकी नज़रें रिया को ढूँढतीं।
रिया की हँसी, उसकी देखभाल, और उसकी मासूमियत—सब उसे बाँधने लगे।
वो मानना नहीं चाहता था, लेकिन सच ये था—
रिया धीरे-धीरे उसके दिल की जमी बर्फ़ पिघला रही थी।
कमेंट्स
उस दिन आरव ऑफिस से जल्दी लौट आया।
रिया छत पर पौधों को पानी दे रही थी।
उसके गीले बाल हवा में उड़ रहे थे, और चेहरे पर मिट्टी की खुशबू के साथ एक मासूम मुस्कान थी।
आरव कुछ देर वहीं खड़ा रहा।
वो पहली बार उसे यूँ खुलकर देख रहा था—बिना किसी नकली सजावट, बिना किसी दिखावे के।
सिर्फ़ रिया… सच्ची और साफ़।
उसने धीमे से कहा—
“तुम्हें ये सब करने में मज़ा आता है?”
रिया ने मुस्कराकर उसकी तरफ़ देखा—
“हाँ। पौधे और इंसान दोनों को सिर्फ़ देखभाल चाहिए… फिर वो खिलने लगते हैं।”
आरव उस पल कुछ बोल न सका, लेकिन उसके दिल में कुछ हल्का-सा हिल गया।
डाइनिंग टेबल पर उस रात का माहौल अलग था।
रिया ने अपनी पुरानी कॉलेज की मज़ेदार घटनाएँ सुनानी शुरू कीं।
कैसे उसने और उसकी दोस्त ने प्रोफ़ेसर की क्लास में मच्छरदानी लगाई थी, और कैसे पूरा क्लासरूम हँसी से गूँज उठा था।
आरव पहले तो बस चुपचाप सुनता रहा,
लेकिन जब रिया ने मिमिक्री करके प्रोफ़ेसर की आवाज़ निकाली, तो उसके होंठों पर अनजाने में मुस्कान आ गई।
रिया ठिठक गई—
“आप… हँसे?”
आरव ने नज़रें झुका लीं।
“शायद।”
रिया की आँखों में चमक आ गई।
“मतलब आप इंसान हैं, रोबोट नहीं।”
और दोनों के बीच पहली बार हल्की-सी हँसी गूँज उठी।
कुछ दिन बाद, किचन में गलती से रिया की कलाई जल गई।
जब आरव ने देखा तो उसका चेहरा सख़्त हो गया।
“रिया! तुम्हें ज़रा-सी भी सावधानी नहीं है क्या?”
उसने तुरंत फर्स्ट एड बॉक्स उठाया और खुद उसके हाथ पर मरहम लगाया।
रिया दर्द से मुँह सिकोड़ रही थी,
और आरव उसे सँभालते हुए बुदबुदाया—
“मैं नहीं चाहता तुम्हें चोट लगे…”
रिया उसकी आँखों में देखती रही।
वहाँ पहली बार चिंता नहीं, बल्कि प्यार की परछाई थी।
उस रात रिया ने डायरी में लिखा—
"शायद आरव उतने ठंडे नहीं, जितना दुनिया कहती है।
उसके दिल के पीछे कहीं गहराई में… एक धड़कन छिपी है।"
और उधर आरव अपने कमरे में अकेले बैठा सोच रहा था—
"क्यों मुझे उसकी मुस्कान इतनी सुकून देती है? क्यों मैं अब उसके आँसुओं से डरने लगा हूँ?"
दोनों के बीच अभी भी दूरी थी, लेकिन उस दूरी के बीच प्यार की पहली कोंपलें फूट चुकी थीं।
आरव की बेचैनी
गेस्ट हाउस वाली रात के बाद आरव के दिल में एक अजीब-सी हलचल थी।
वो ऑफिस में बैठा भी रिया की मुस्कान याद करता,
मीटिंग में होते हुए भी उसके मासूम चेहरे की छवि उसकी आँखों के सामने आ जाती।
कभी-कभी वो खुद से झुंझलाता—
"नहीं, मैं रिश्तों में नहीं पड़ सकता। प्यार… प्यार सिर्फ़ दर्द देता है।"
लेकिन सच ये था कि उसके दिल की दीवारें अब दरक रही थीं।
रिया ने अब आरव की खामोशियों को पढ़ना सीख लिया था।
वो जानती थी कि उसके भीतर बहुत दर्द है, जो वह किसी को बताना नहीं चाहता।
एक शाम जब आरव घर आया, थका और चिड़चिड़ा,
रिया उसके लिए कॉफ़ी लेकर आई और धीरे से बोली—
“कभी-कभी अपने बोझ किसी और के साथ बाँट लेना चाहिए। दिल हल्का हो जाता है।”
आरव ने उसकी तरफ़ देखा,
लेकिन उसकी आँखों में कोई सवाल नहीं था, बस अपनापन था।
उस अपनापन ने उसके सीने में दबे ज्वालामुखी को हिलाकर रख दिया।
कुछ दिन बाद, आरव और रिया एक चैरिटी इवेंट में गए।
वहाँ एक छोटी बच्ची रिया से लिपटकर कहने लगी—
“आप तो मेरी मम्मी जैसी हो…”
रिया ने बच्ची को प्यार से गले लगाया।
उसकी आँखों में मातृत्व की कोमलता देखकर आरव ठिठक गया।
उसके दिल से आवाज़ निकली—
"काश, रिया हमेशा मेरी ज़िंदगी में ऐसे ही रहे।"
उसी रात, जब दोनों बालकनी में खड़े चाँद देख रहे थे,
आरव ने धीमे स्वर में कहा—
“रिया… तुमने मेरी ज़िंदगी बदल दी है।”
रिया ने हैरानी से उसकी ओर देखा।
“क्या मतलब?”
आरव उसकी आँखों में देखते हुए बोला—
“मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि शादी… मुझे सुकून दे सकती है।
लेकिन तुम्हारे साथ रहकर मुझे लगता है जैसे… मैं अधूरा नहीं हूँ।”
रिया की साँसें थम गईं।
उसने धीमे से पूछा—
“तो… क्या ये सिर्फ़ डील वाली शादी नहीं रही?”
आरव ने एक कदम उसकी तरफ़ बढ़ाते हुए कहा—
“नहीं, रिया… अब ये मेरा सच है।
मुझे तुमसे… प्यार हो गया है।”
रिया की आँखों में आँसू भर आए।
जिस इज़हार का वो महीनों से इंतज़ार कर रही थी, आज उसके सामने सच बनकर खड़ा था।
उसने काँपती आवाज़ में कहा—
“तुम्हें पता भी है ये मेरे लिए कितना मायने रखता है?”
आरव ने उसका हाथ थामकर कहा—
“हाँ, और अब से मैं हर लम्हा तुम्हें वो देना चाहता हूँ… जिसकी तुम हक़दार हो।”
आरव ने उसे पहली बार चूमा। उसके होठों को चूमते हुए वेह उसमें खो गया था। उसने उसे दीवार से सटाते हुए उसके दोनों हाथों को ऊपर की तरफ करते हुए बांधा और उसके होठों को चूमने लगा। यह किस एक लोंग किस में बदल गई।
उसने उसकी आँखों में झाँकते हुए धीमे स्वर में कहा —
“आज मैं तुम्हारे साथ सभी हदें पार कर देना चाहता हूँ।”
यह शब्द मानो वातावरण में घुलते ही एक अनकहा जादू बुन गए। कमरे की खामोशी अब बोझिल नहीं रही, बल्कि एक मधुर संगीत-सा महसूस होने लगी। वह लरज गई, उसकी धड़कनें तेज़ हो उठीं। उसका हाथ उसके हाथ में सिमट गया, और उस स्पर्श से जैसे पूरे शरीर में एक मीठी सिहरन दौड़ गई।
धीरे-धीरे उसने उसे अपनी ओर खींच लिया। उनकी साँसें एक-दूसरे से टकराने लगीं। आँखों की खामोश भाषा ने शब्दों को पीछे छोड़ दिया था। उनके बीच अब केवल चाहत, अपनापन और एक गहरी तड़प बाकी थी।
उस रात समय जैसे ठहर गया था। दीये की हल्की रोशनी और खिड़की से आती चाँदनी दोनों को एक दिव्य आभा में नहला रही थी। वे एक-दूसरे में खोते चले गए—जैसे दो नदियाँ मिलकर सागर का रूप ले लेती हैं। हर पल एक नई अनुभूति, हर स्पर्श एक नई गहराई समेटे हुए था।
उसके होंठों पर मुस्कान थी और आँखों में भीनी नमी। जैसे सदियों की प्रतीक्षा आज पूरी हो रही हो।
वह रात केवल एक मिलन की रात नहीं थी—यह वह क्षण था जब प्रेम ने अपना असली रूप पाया। यह रात उनकी आत्माओं के मिलन की साक्षी बनी।
सुबह जब पहली किरण खिड़की से भीतर आई, तो दोनों एक-दूसरे की बाहों में सिमटे हुए थे। उस शांति और तृप्ति में मानो दुनिया की सारी अधूरी कहानियाँ पूरी हो गई थीं।
उस रात, पहली बार दोनों के बीच सच्चे रिश्ते की नींव रखी गई।
अब ये शादी किसी मजबूरी या सौदे की नहीं, बल्कि दिल की कबूलियत की शादी बन चुकी थी। एसी शादी जिसमें प्यार था, मंजूरी थी और वो सब कुछ था जो एक पति पत्नी के रिश्ते में होना चाहिए। आज शादी के बाद पहली बार उन्होनें एक साथ इतने करीब होते हुए रात गुजारी थी, जिसमें दोनों पूर्णता के साथ एक दूसरे के हो गए थे। रिया खुश थी कि उसकी अनचाही शादी अब चाहत की शादी में बादल चुकी थी।
कमेंट्स
आरव और रिया की ज़िंदगी अब बदल चुकी थी।
जहाँ पहले चुप्पी और ठंडापन था, अब वहाँ हँसी और अपनापन था।
आरव ऑफिस से जल्दी आने लगा, रिया उसके लिए नए-नए व्यंजन बनाने लगी।
रिया ने सोचा—
"अब शायद मेरी ज़िंदगी भी किसी फ़िल्मी कहानी जैसी हो सकती है… जहाँ अंत हमेशा खुशियों से होता है।"
लेकिन तक़दीर ने एक बार फिर करवट ली।
आरव का सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी था — करण मेहता, एक चालाक और निर्दयी बिज़नेसमैन।
उसे आरव और रिया की शादी कभी हज़म नहीं हुई थी।
उसने मीडिया में अफ़वाहें फैलानी शुरू कर दीं—
कि रिया ने आरव से शादी सिर्फ़ दौलत और कंपनी बचाने के लिए की है।
यहाँ तक कि उसने नकली सबूत भी तैयार कर दिए, जिनमें दिखाया गया कि रिया गुपचुप करण से मिलती है।
एक शाम करण ने आरव को तस्वीरें भेजीं —
रिया, कॉफ़ी शॉप में करण से मिल रही थी।
(सच यह था कि करण ने खुद बहाने से रिया को बुलाया था, ताकि चाल चल सके।)
आरव ने जब तस्वीरें देखीं, उसका दिल सिहर गया।
उसके भीतर का पुराना डर और अविश्वास फिर जाग उठा।
रिया जब घर लौटी तो उसने देखा कि आरव की आँखों में गुस्सा और ठंडापन है।
“तुम… करण से क्यों मिली?”
उसकी आवाज़ काँप रही थी, जैसे दिल टूटने वाला हो।
रिया हैरान रह गई।
“क्या? मैं… मैं तो बस… उसने कहा था कि किसी चैरिटी प्रोजेक्ट पर बात करनी है…”
लेकिन आरव ने बीच में ही कहा—
“बस! मुझे और बहाने मत दो।
शायद करण सही कह रहा था… ये शादी भी तुम्हारे लिए सिर्फ़ सौदा थी।”
रिया की आँखों में आँसू भर आए।
“आरव… तुम मुझ पर भरोसा नहीं कर सकते? इतने दिन की मेरी सच्चाई, मेरी परवाह… सब झूठ लगती है तुम्हें?”
आरव चुप रहा।
उसका दिल रिया पर विश्वास करना चाहता था, लेकिन दिमाग़ बार-बार धोखे की कहानियाँ सुना रहा था।
उस रात दोनों एक ही छत के नीचे होकर भी हजारों मील दूर हो गए।
रिया ने अपने कमरे में बैठकर आँसुओं में लिखा—
"अगर मेरा प्यार सच्चा है… तो मुझे खुद अपने रिश्ते को बचाना होगा।
मैं करण की चाल को बेनक़ाब करके रहूँगी।"
करण की धमकी
रिया ने करण को फोन मिलाया।
उसकी आवाज़ ठंडी लेकिन दृढ़ थी—
“तुम्हारी ये गंदी चाल मैं यूँ ही नहीं छोड़ूँगी।”
करण हँस पड़ा—
“ओह प्रिय, तुम्हें लगता है कि कोई तुम्हारी बात पर यकीन करेगा?
आरव तो पहले ही तुम्हें शक की नज़र से देख रहा है।
अगर तुमने ज़्यादा शोर मचाया, तो मैं ऐसे सबूत पेश कर दूँगा कि दुनिया भी तुम्हें लालची औरत मान लेगी।”
रिया के सीने में आग जल उठी।
लेकिन उसके चेहरे पर डर नहीं, संकल्प था।
रिया ने चुपचाप करण की चालों का पता लगाना शुरू किया।
उसने पुराने कर्मचारियों से बातें कीं, उसकी कंपनी के अकाउंट्स की कॉपियाँ देखीं।
धीरे-धीरे सच सामने आने लगा—
करण न सिर्फ़ धोखेबाज़ था, बल्कि आरव की कंपनी को बर्बाद करने के लिए अवैध सौदे भी कर रहा था।
रिया ने सारे सबूत एक पेन ड्राइव में इकट्ठा कर लिए।
लेकिन ये काम आसान नहीं था।
करण के लोग हर जगह उसकी निगरानी कर रहे थे।
एक रात जब रिया करण के ऑफिस से निकल रही थी, तो उसके गुंडों ने रास्ता रोका।
“मैडम, बहुत जासूसी हो गई। अब घर बैठिए।”
रिया डर से काँप गई, लेकिन उसने हिम्मत नहीं खोई।
“हटो मेरे रास्ते से!”
गुंडे पास बढ़े ही थे कि अचानक वहाँ गाड़ी आकर रुकी—
आरव की गाड़ी।
वो बाहर निकला, उसकी आँखों में आग थी।
उसने गुंडों को धक्का दिया और रिया को अपनी बाँहों में खींच लिया।
“हिम्मत कैसे हुई मेरी पत्नी को छूने की?”
गुंडे भाग गए।
रिया काँपती हुई बोली—
“आरव… मैंने करण की साज़िश के सबूत जुटाए हैं। वो हमें तोड़ना चाहता था।”
आरव स्तब्ध रह गया।
उसने रिया की आँखों में सच्चाई देखी।
उसकी अपनी नज़रों से शर्म टपक पड़ी—
“रिया… मैं तुम्हारे प्यार पर शक करके… कितना बड़ा पाप कर बैठा।”
रिया की आँखों से आँसू बहे, लेकिन उसने धीरे से कहा—
“प्यार में शक ज़हर होता है, आरव।
अगर हम साथ हैं, तो हमें हर हाल में एक-दूसरे पर विश्वास करना होगा।”
आरव ने उसके हाथ थामकर कहा—
“मुझे माफ़ कर दो, रिया।
अब चाहे जो भी हो, मैं तुम्हें और हमारे रिश्ते को कभी अकेला नहीं छोड़ूँगा।”
अगले दिन आरव और रिया ने मिलकर करण की साज़िश सबके सामने रख दी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में सबूत दिखाए गए, और करण को गिरफ्तार कर लिया गया।
मीडिया वही सवाल कर रही थी—
“क्या अब ये रिश्ता सिर्फ़ बिज़नेस डील है या सच्चा प्यार?”
आरव ने सबके सामने रिया का हाथ थाम लिया और कहा—
“ये रिश्ता अब मेरी ज़िंदगी है।”
करण के जेल जाने के बाद, आरव और रिया की ज़िंदगी में जैसे कोई तूफ़ान थम गया हो।
पहली बार, दोनों ने बिना किसी डर या शक के चैन की साँस ली।
सुबह जब धूप खिड़की से कमरे में उतरी, तो रिया ने देखा—
आरव सोते हुए भी उसका हाथ थामे हुए था।
उसके चेहरे पर पहली बार मासूम मुस्कान थी।
रिया ने मन ही मन सोचा—
"काश ये लम्हा कभी ख़त्म न हो।"
इस रिश्ते को सिर्फ़ मजबूरी मानती थीं, अब रिया को सीने से लगाकर बोलीं—
“तुम्हारे जैसे बहादुर और सच्चे दिल की लड़की ही इस घर की बहू बनने लायक थी।”
रिया की आँखों में खुशी के आँसू आ गए।
अब उसे पहली बार लगा कि यह घर सचमुच उसका है।
शाम को आरव ने रिया को शहर की सबसे ऊँची इमारत की छत पर बुलाया।
हवा चल रही थी, आसमान में चाँद खिल रहा था।
आरव धीरे से बोला—
“रिया, जब ये शादी हुई थी, मैं इसे बोझ समझता था।
लेकिन आज… ये शादी मेरी सबसे बड़ी दौलत है।
क्या तुम… मुझे फिर से अपना पति मानकर, अपने दिल से स्वीकार करोगी?”
रिया मुस्कुराई, उसकी आँखें नम थीं।
“आरव… मेरे दिल ने तो कब का तुम्हें अपना लिया था।”
दोनों ने एक-दूसरे को गले लगा लिया।
चाँदनी रात उनकी मोहब्बत की गवाह बन गई।
कुछ हफ़्तों बाद, जब सब कुछ सँभल चुका था, रिया ने डॉक्टर से चेकअप करवाया।
वो घर लौटी तो उसके हाथ में एक रिपोर्ट थी।
दिल धड़क रहा था… होंठों पर हल्की मुस्कान थी।
रिपोर्ट देखकर उसके होठों से सिर्फ़ एक शब्द निकला—
“आरव…”
आरव ने हैरानी से पूछा—
“क्या हुआ?”
रिया ने उसकी हथेली में रिपोर्ट रख दी।
उसमें साफ़ लिखा था—
“प्रेग्नेंसी पॉज़िटिव”।
आरव की आँखों में आँसू आ गए।
उसने रिया को अपनी बाँहों में भर लिया—
“ये हमारी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत तोहफ़ा है।” (9)
कमेंट्स
खुशियों का आग़ाज़
रिया की प्रेग्नेंसी की खबर ने पूरे घर को ख़ुशियों से भर दिया।
आरव की माँ पूजा करवाने लगीं, और घर में मेहमानों का आना-जाना बढ़ गया।
हर कोई रिया को दुलार से देख रहा था।
रिया अक्सर सोचती—
"ये वही रिश्ता है जिसे कभी मजबूरी समझा जाता था… और आज ये मेरी दुनिया की सबसे बड़ी ताक़त बन गया है।"
ज्यादा समय रिया के साथ बिताने लगा।
वो हर छोटी चीज़ का ध्यान रखता—
कभी उसका पसंदीदा फ्रूट लाता, कभी आधी रात को आइसक्रीम खिलाने बाहर ले जाता।
रिया मुस्कुराकर कहती—
“तुम्हें पता है, पहले तुम बहुत सख़्त और ठंडे लगते थे… और अब किसी केयरिंग पति से कम नहीं।”
आरव जवाब देता—
“पहले मुझे प्यार की अहमियत ही नहीं थी, रिया।
तुमने मुझे सिखाया कि असली ताक़त प्यार और अपनापन है, न कि पैसा और अहंकार।”
लेकिन ज़िंदगी इतनी आसान कहाँ होती है।
प्रेग्नेंसी के सातवें महीने में अचानक डॉक्टर ने कहा—
“रिया को बहुत स्ट्रेस नहीं लेना चाहिए।
उनकी तबीयत थोड़ी नाज़ुक है।
किसी भी टेंशन से बच्चे पर असर पड़ सकता है।”
ये सुनते ही आरव बेचैन हो गया।
उसने ऑफिस में हाथ से काम सँभालना शुरू किया और बोर्ड मीटिंग्स में जाने से मना कर दिया।
अब उसकी दुनिया सिर्फ़ रिया और आने वाला बच्चा था।
इसी दौरान करण का एक और साथी सामने आया—
विक्रम, जो आरव की कंपनी का अंदरूनी पार्टनर था।
वो कंपनी पर कब्ज़ा करने की साज़िश रच रहा था।
लेकिन इस बार आरव अकेला नहीं था।
उसने रिया से वादा किया था—
“चाहे जो भी हो, मैं तुम्हें तनाव में नहीं डालूँगा।
लेकिन अगर कोई हमारे परिवार को चोट पहुँचाने की कोशिश करेगा, तो मैं चुप भी नहीं बैठूँगा।”
आने वाले कल की आहट
रात को जब रिया बच्चे की हलचल महसूस करती, तो उसकी आँखें चमक उठतीं।
उसने आरव का हाथ अपने पेट पर रखा और बोली—
“देखो, ये हमें बुला रहा है।”
आरव की आँखें भीग गईं।
“ये हमारे प्यार की सबसे खूबसूरत निशानी है, रिया।
मैं इसे ऐसी दुनिया देना चाहता हूँ जहाँ कोई साज़िश, कोई डर न हो।”
रिया ने उसकी ओर देखा और धीरे से कहा—
“जब तक हम साथ हैं, सब ठीक होगा।”
डॉक्टर ने आराम और खुशी की सलाह दी थी, इसलिए आरव ने रिया को पहाड़ी इलाके की अपनी प्राइवेट विला में ले आया।
चारों ओर हरे-भरे पेड़, शांत झील और ताज़ी हवा।
रिया ने मुस्कुराकर कहा—
“ये जगह तो सपनों जैसी है।”
आरव ने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा—
“तुम और हमारा बच्चा, दोनों को अब सिर्फ़ सुकून चाहिए।
बाकी दुनिया का शोर यहाँ तक नहीं पहुँचेगा।”
कुछ दिन दोनों ने वहीं बिताए—
सुबह की सैर, किताबें, हँसी-मज़ाक और ढेर सारी बातें।
ये वो पल थे जो उनकी यादों में हमेशा के लिए छप गए।
लेकिन उन्हें नहीं पता था कि शहर में विक्रम लगातार अपनी चालें बुन रहा था।
वो करण का पुराना दोस्त था और अब अकेले ही आरव की कंपनी पर कब्ज़ा करना चाहता था।
वो कहता—
“आरव जितना बिज़नेस छोड़कर अपनी बीवी के पीछे पड़ा है, उतना ही आसान होगा उसे हराना।”
उसने आरव के कुछ भरोसेमंद लोगों को पैसे और लालच से तोड़ दिया।
धीरे-धीरे कंपनी की नींव हिलने लगी।
एक शाम विला में बैठा आरव फाइलें देख रहा था।
उसके माथे पर शिकन थी।
रिया ने पास आकर उसका हाथ पकड़ लिया—
“तुम फिर से टेंशन ले रहे हो, है ना?”
आरव ने गहरी साँस ली।
“रिया, मैं चाहता हूँ कि तुम्हें किसी भी परेशानी का अहसास न हो…
लेकिन लगता है कोई परछाईं हमारा पीछा कर रही है।
कंपनी के अकाउंट्स में गड़बड़ी है, और मुझे शक है कि इसके पीछे विक्रम का हाथ है।”
रिया ने दृढ़ आवाज़ में कहा—
“आरव, याद है तुमने मुझसे वादा किया था?
हम अब हर मुश्किल का सामना साथ करेंगे।
अगर विक्रम साज़िश कर रहा है, तो हम मिलकर उसका सच सामने लाएँगे।”
आरव ने रिया की आँखों में देखा।
उसकी पत्नी अब पहले वाली मासूम और डरी हुई लड़की नहीं रही थी, बल्कि उसकी ताक़त बन चुकी थी।
उसी रात, विला के बाहर एक अजनबी गाड़ी खड़ी दिखाई दी।
आरव ने खिड़की से देखा—
काला शीशा, अंदर बैठा कोई शख़्स उन्हें घूर रहा था।
रिया घबराई—
“ये कौन हो सकता है?”
आरव ने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा—
“मुझे लगता है तूफ़ान आने ही वाला है…”
विक्रम अब खुलकर सक्रिय हो गया था।
उसने आरव की कंपनी के कुछ अहम दस्तावेज़ चोरी कर लिए थे और मीडिया में झूठी खबरें फैलाने की योजना बनाई।
उसका मक़सद साफ़ था — आरव और रिया के रिश्ते में शक पैदा करना और कंपनी को हड़पना।
विक्रम ने अपने लोगों को कहा—
“आरव को तबाह करना है, और उसके प्यार की ताक़त को कमज़ोर दिखाना है।
अगर उसे रिया की चिंता सताएगी, तो वो अपनी कंपनी संभालने में कमजोर पड़ जाएगा।”
आरव ने कुछ अजीब संकेत देखे—
कुछ कर्मचारियों का बर्ताव बदल गया, फाइनेंशियल रिपोर्ट्स में गड़बड़ी, और अचानक कुछ ऑर्डर मिस होने लगे।
उसने तुरंत सिक्योरिटी कैमरे और सर्विलांस की जाँच शुरू कर दी।
रात में, रिया ने देखा कि आरव पूरी रात जागकर फाइलें देख रहा था।
“आरव, तुम फिर से अपनी सेहत खतरे में डाल रहे हो।
डॉक्टर ने तुम्हें आराम करने को कहा था।”
आरव ने सिर हिलाया।
“मुझे अब कोई आराम नहीं चाहिए, रिया।
अगर किसी ने हमारे प्यार और हमारी ज़िंदगी को खतरे में डाला, तो मैं उसे रोकूँगा।”
अगली सुबह, विक्रम ने ऑफिस में घुसपैठ की कोशिश की।
आरव ने तुरंत अपनी टीम के साथ जाँच की।
विक्रम का असली चेहरा सबके सामने आया।
रिया ने फोन पर सूचना दी—
“आरव, मैं सबूत इकट्ठा कर रही हूँ, तुम सिर्फ़ तैयार रहो।”
आरव की आँखों में गर्व था।
“ये वही महिला है जिसे मैंने अपनी ज़िंदगी का साथी माना है।
अब कोई भी हमारी खुशी छीन नहीं पाएगा।”
रिया ने विक्रम के कंप्यूटर और फाइलों को हैक करके सारे सबूत निकाल दिए।
सभी झूठ और साज़िश का असली चेहरा सामने आ गया।
मीडिया और बोर्ड के सामने विक्रम की चाल बेनक़ाब हो गई।
विक्रम ने आख़िरी कोशिश की—आरव को डराने की।
लेकिन आरव ने उसकी चाल को पहले ही पढ़ लिया था।
“हमारी ज़िंदगी में अब कोई तूफ़ान नहीं आएगा… जब तक हम साथ हैं।”
इस घटना के बाद, आरव और रिया का रिश्ता और मजबूत हुआ।
अब वह सिर्फ़ पति-पत्नी नहीं, बल्कि साथी और संरक्षक भी बन चुके थे।
रिया ने कहा—
“आरव, अब कोई डर नहीं है, न कोई शक।
हम दोनों के बीच अब सिर्फ़ प्यार और विश्वास है।”
आरव ने उसे गले लगाकर कहा—
“हाँ रिया… और आने वाला हमारा बच्चा हमारी सबसे बड़ी ताक़त होगा।” (12)
कमेंट्स
रिया के नौवें महीने में डॉक्टर ने कहा कि डिलीवरी का समय नज़दीक है।
आरव ने पूरा घर सजाया, हर कोने में फूल और खुशबू फैला दी थी।
उसकी आंखों में उत्सुकता और बेचैनी दोनों झलक रही थीं।
रिया ने मुस्कराकर कहा—
“आरव, तुम्हारी ये तैयारी देखकर लगता है जैसे तुम खुद ही बच्चा बनने वाले हो।”
आरव ने हँसते हुए कहा—
“और तुम्हारी देखभाल में मेरा अनुभव बढ़ता जा रहा है।
अब कोई तूफ़ान आए या न आए, मैं तुम्हें और हमारे बच्चे को हर हाल में सुरक्षित रखूँगा।”
डिलीवरी के समय अचानक रिया की तबीयत बिगड़ी।
आरव तुरंत उसे हाथ पकड़कर कार में बैठा लिया।
रास्ते में उसकी आँखों में डर था, लेकिन उसका हाथ थामे रिया ने कहा—
“आरव, डरने की ज़रूरत नहीं… हम साथ हैं।”
उसने गहरी साँस ली और महसूस किया कि अब उनका प्यार सिर्फ़ शब्दों में नहीं, बल्कि ज़िंदगी बचाने वाले हर कदम में बदल गया है।
डिलीवरी रूम में घंटों की मेहनत के बाद, डॉक्टर ने कहा—
“बधाई हो! बच्चा हुआ।”
आरव और रिया की आँखों में आँसू आ गए।
नन्हा बच्चा रोते हुए अपनी दुनिया में कदम रख चुका था।
रिया ने अपने सीने पर उसे रखा, और आरव ने हाथ थामते हुए कहा—
“ये… हमारी सबसे बड़ी दौलत है। हमारी सच्चाई और खुशी।”
घर लौटकर, दोनों ने नन्हे मेहमान का स्वागत किया।
आरव ने कहा—
“अब हमारी ज़िंदगी का सफ़र और भी खूबसूरत होगा।
हमारा प्यार अब सिर्फ़ हम तक सीमित नहीं… ये हमारी नई ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका है।”
रिया ने मुस्कुराते हुए कहा—
“हाँ, और इस बार हम किसी तूफ़ान से डरेंगे नहीं… क्योंकि हम साथ हैं।”
रात को दोनों बालकनी में बैठे, बच्चे की हल्की नींद की आवाज़ सुनते हुए।
रिया ने कहा—
“देखो, ये नन्हें कदम हमारे प्यार की सबसे बड़ी कहानी लिखेंगे।”
आरव ने सिर झुकाकर कहा—
“और मैं हर पल उनकी रक्षा करने का वादा करता हूँ।
हमारी कहानी अब सिर्फ़ हमारी नहीं, बल्कि हमारे परिवार की भी है।”
रिया और आरव के घर में सब कुछ सामान्य लग रहा था।
लेकिन घर के बाहर एक अजनबी निगरानी कर रहा था।
उसका मक़सद सिर्फ़ डर पैदा करना था।
रिया अपने बच्चे को गोद में लेकर बालकनी में खड़ी थी।
उसने महसूस किया कि कोई उसकी ओर देख रहा है।
“आरव… तुमने बाहर कुछ देखा?”
आरव ने खिड़की से देखा, लेकिन कोई नहीं था।
फिर भी उसका दिल अजीब डर और बेचैनी से भर गया।
“कोई है… मैं महसूस कर रहा हूँ। हमारी खुशियों को खतरा है।”
अचानक आरव के ऑफिस से फोन आया।
विक्रम की चालें अब तेज़ हो गई थीं।
कंपनी के पुराने लोग फर्जी दस्तावेज़ और झूठी खबरें फैला रहे थे।
आरव और रिया अब केवल प्यार में नहीं, बल्कि जीवन और मौत के डर में भी एक-दूसरे के साथ खड़े थे।
रिया ने धीरे से कहा—
“आरव, हम इसे अकेले नहीं झेल सकते… हमें अपनी चाल और योजनाओं से मुकाबला करना होगा।”
आरव ने रिया का हाथ थाम लिया।
“हमारे प्यार में अब सिर्फ़ रोशनी नहीं, अंधेरा भी है।
लेकिन याद रखो, अंधेरा हमें और करीब लाएगा।”
रिया ने उसके गले में सिर रखा।
उसके दिल की धड़कन और बच्चा दोनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी ने रोमांस को गहरा और खतरनाक बना दिया।
विक्रम ने घर के बाहर अजीब घटनाएँ करवाईं—
अचानक बिजली चली गई।
फोन और इंटरनेट का कनेक्शन कट गया।
रात में अजनबी आवाज़ें, दरवाज़े पर खटखट।
रिया डर गई लेकिन उसने खुद को संभाला।
“आरव… डर नहीं। हम साथ हैं, और अब मैं तुम्हारे साथ हर खतरे का सामना कर सकती हूँ।”
आरव ने उसका चेहरा अपने हाथों में लिया।
“तुम बस मेरे साथ रहो… बाकी सब मैं संभालूँगा।”
रात के सन्नाटे में, दोनों बालकनी पर खड़े थे।
हवा तेज़ थी, चाँद आधा ढका हुआ।
आरव ने धीरे से कहा—
“तुम मेरी दुनिया की सबसे खतरनाक और खूबसूरत चीज़ हो… रिया।”
रिया ने मुस्कुराते हुए कहा—
“और तुम मेरे सबसे मजबूत और डरावने साथी हो।”
दोनों की नज़रों में रोमांस और खतरनाक आकर्षण का मिश्रण झलक रहा था।
विक्रम ने अब अपनी चालें तेज़ कर दी थीं।
उसने आरव और रिया के घर के बाहर छुपकर निगरानी रखी और घर के भीतर भी कई गोपनीय लोग रखे थे।
रात में अचानक लाइट चली गई और अलार्म बज उठा।
आरव ने तुरंत रिया को गोद में उठाया।
“रिया, डरो मत। बस मेरे पीछे रहो।”
रिया के दिल की धड़कन तेज़ हो गई।
डर था, लेकिन उसके होंठों पर हौसले की मुस्कान थी।
“आरव… मैं तुम्हारे साथ हूँ। कोई हमें नहीं तोड़ सकता।”
विक्रम ने फोन पर धमकी दी—
“आरव, तुम अपनी पत्नी और बच्चे की सुरक्षा नहीं कर सकते।
अगर तुम अब नहीं झुकोगे, तो ये घर तुम्हारे लिए ही नरक बन जाएगा।”
आरव का गुस्सा उबल पड़ा।
“मैं कभी डरकर नहीं झुकूँगा। और तुम्हारे हर चाल का जवाब तुम्हें भुगतना पड़ेगा।”
आरव और रिया बालकनी में खड़े थे।
हवा तेज़ थी, बारिश की बूंदें उनकी त्वचा पर पड़ रही थीं।
आरव ने उसे अपनी बाँहों में खींच लिया।
“डर मत, रिया… अब कोई अंधेरा तुम्हें अकेला नहीं छोड़ सकता।”
रिया ने उसकी छाती से सिर टिका लिया।
“आरव… तुम्हारे साथ अंधेरा भी रोशनी जैसा लगता है।”
उनके बीच की नज़दीकियाँ अब सिर्फ़ रोमांस नहीं, बल्कि सुरक्षा और प्यार की कसक भी बन गई थीं।
विक्रम के लोग घर में घुस आए।
लेकिन आरव ने अपनी सुरक्षा टीम और कुछ चालाक चालों से सबको बाहर निकाल दिया।
रिया ने अपने तेज़ दिमाग और साहस से कई सुरक्षा कैमरों को हैक किया और असली सबूत रिकॉर्ड किए।
विक्रम की हर चाल अब विफल हो गई।
लेकिन रात का डर और रोमांच उनके दिलों में गहरा बैठ गया।
रात के सन्नाटे में, बारिश में भीगते हुए, आरव और रिया ने अपनी आँखों में डर और प्यार दोनों को महसूस किया।
आरव ने धीरे से कहा—
“रक्षा करने के लिए, प्यार और खतरे का मिश्रण ज़रूरी होता है।”
रिया ने हँसते हुए जवाब दिया—
“तो अब हम हमेशा अंधेरे में भी साथ रहेंगे… डर और प्यार दोनों के साथ।”
उसके इतना कहते ही आरव ने उसे अपनी बाहों में खींचते हुए उसके करीब आकर उसके होठो पर अपने होठ रख दिए। थोड़ी देर तक दोनो एक दूसरे को लिप किस करते रहे। इसके बाद आरव के हाथ उसकी वेस्ट तक पहुंचे और वो उसे अपनी बाहों में उठा कर बेडरूम में ले गया। दोनों ने एक दूसरे के कपड़े खोलते हुए रात का आनंद लिया। (15)
कॉमेंट्स
बारिश थम चुकी थी, मगर हवा अब भी तेज़ चल रही थी।
आसमान में बिजली चमकती और हर बार रिया का चेहरा सफ़ेद रोशनी में निखर जाता।
आरव ने उसे अपनी ओर खींचा, उसकी हथेलियों में गर्मी और बेचैनी दोनों थीं।
“रिया,” वह फुसफुसाया, “अब ये खेल आख़िरी मोड़ पर है।
विक्रम सिर्फ़ हमारा नहीं, हमारे बच्चे का भी दुश्मन बन चुका है।”
रिया की आँखों में न डर था, न आँसू — सिर्फ़ एक दृढ़ निश्चय।
“तो उसे हमारी जीत देखनी ही होगी।”
सुबह होते ही आरव को एक ईमेल मिला —
विक्रम ने उसके खिलाफ़ झूठे दस्तावेज़ पब्लिक कर दिए थे, जिससे आरव की कंपनी बंद हो सकती थी।
मीडिया, पुलिस, सबके सामने उसे गुनहगार साबित करने की कोशिश थी।
आरव ने कंप्यूटर स्क्रीन पर गुस्से से मुट्ठी मारी।
रिया उसके पास आई, उसका हाथ थामा।
“तुम्हें अब डरने की ज़रूरत नहीं, आरव।
मैं वो सबूत लेकर आऊँगी जो इस खेल को खत्म करेगा।”
आरव ने उसे देखा —
“रिया, ये बहुत खतरनाक है।”
रिया ने मुस्कराकर कहा —
“प्यार हमेशा थोड़ा खतरनाक होता है… लेकिन जब किसी को बचाने के लिए जिया जाए, तो वही प्यार सबसे पवित्र बन जाता है।”
रात में रिया अकेले विक्रम की फैक्ट्री पहुँची।
चारों ओर अंधेरा, मशीनों की धीमी आवाज़ें, और कैमरे की झिलमिलाती लाल लाइटें।
उसने चुपके से लैपटॉप जोड़ा, डेटा कॉपी किया —
उसी में छिपे थे सारे सबूत जो विक्रम को गिरा सकते थे।
अचानक पीछे से किसी ने पकड़ लिया।
विक्रम की आवाज़ आई —
“कौन सोच सकता था कि आरव की बीवी इतनी चालाक निकलेगी।”
रिया ने पलटकर कहा —
“और कौन सोच सकता था कि इतना बड़ा आदमी इतनी छोटी हरकतों पर उतर आएगा।”
विक्रम हँसा, “तुम्हें लगता है तुम जीत सकती हो?”
रिया के होंठों पर हल्की मुस्कान आई —
“मैं नहीं… हमारा प्यार जीतेगा।”
विक्रम की फैक्ट्री में धमाका हुआ।
आरव समय पर पहुँचा —
उसने रिया को अपनी बाहों में उठाया, धुएँ और लपटों के बीच।
“रिया! तुम ठीक हो?”
“तुम आ गए… मुझे पता था,” उसने उसकी छाती पर सिर रखा।
दोनों बाहर भागे, धुआँ और आग उनके पीछे जलती रही।
उनके बीच उस वक्त डर, दर्द और प्यार का मिलाजुला तूफ़ान था।
रात में अस्पताल के कमरे में रिया का हाथ थामे आरव बैठा था।
उसकी आँखों में आँसू थे, मगर होंठों पर हल्की मुस्कान।
“मैंने कहा था न… हम साथ रहेंगे, चाहे अंधेरा कितना भी गहरा क्यों न हो,” रिया ने फुसफुसाया।
आरव ने सिर झुकाया —
“अब मैं वचन देता हूँ, रिया —
कभी तुम्हें अकेला नहीं छोड़ूँगा।
प्यार हमारा कवच होगा, और यादें हमारी रोशनी।”
रिया की आँखें चमक उठीं —
“तो ये खेल खत्म नहीं… अब हमारी कहानी शुरू हुई है।”
राख में दबी सांसें
धुएं और आग के उस हादसे को हुए दो हफ्ते बीत चुके थे।
रिया अब भी अस्पताल में थी, शरीर पर ज़ख्म थे, पर आंखों में चमक वैसी ही थी।
आरव हर दिन उसके पास बैठता —
कभी कुछ नहीं कहता, बस उसकी हथेली अपने होंठों से छूता।
“रिया, मुझे माफ़ कर दो… अगर तुम न होती तो मैं खुद को खो देता।”
रिया ने कमजोर आवाज़ में कहा —
“आरव… ये ज़ख्म हमारे प्यार की कीमत नहीं, उसकी पहचान हैं।”
---
नई सुबह का उदय
एक सुबह, सूरज की पहली किरण कमरे में दाखिल हुई।
रिया ने हल्की मुस्कान के साथ आंखें खोलीं।
“देखो… अब रोशनी वापस आ गई।”
आरव ने उसके माथे को चूमा —
“हाँ, लेकिन इस बार ये रोशनी तुम्हारे भीतर से निकली है।”
दोनों ने मिलकर फैसला किया —
अब वे डरकर नहीं, बल्कि अपना साम्राज्य फिर से खड़ा करेंगे।
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बदले का आगाज़
आरव ने विक्रम के खिलाफ सारे सबूत पब्लिक कर दिए।
विक्रम की कंपनी बंद हो गई, और उसके सारे लोग गिरफ्तार हुए।
मीडिया अब आरव और रिया को “द फीनिक्स कपल” कहने लगी —
क्योंकि उन्होंने राख से नई शुरुआत की थी।
रिया ने कहा —
“जिसने हमें जलाया, उसने ही हमें अमर बना दिया।”
---
डार्क प्यार की शपथ
रात को दोनों अपने पुराने घर लौटे।
वहीं बालकनी, वही हवा — पर अब एहसास अलग था।
रिया ने आरव की आंखों में देखा —
“अब हम अंधेरे से डरेंगे नहीं… उसे गले लगाएंगे।
क्योंकि जो प्यार मौत से गुजर चुका हो, उसे कोई मिटा नहीं सकता।”
आरव ने उसका चेहरा अपनी हथेलियों में लिया —
“हमारा प्यार अब रोशनी नहीं, आग है।
और इस आग से हम अपनी नई सुबह जलाएँगे।”
उनके होंठ मिले —
एक ऐसे आलिंगन में जहाँ डर, दर्द, और चाह — सब एक हो गए। एक बार फिर से प्यार और चुंबन ने गर्म सांसों को आगोश में ले लिया था। जिस्म एक हो रहे थे। कपड़े इधर उधर बिखरे पड़े थे। सिसकती आवाजें कमरे में गूंज रही थी। दर्पण में दो अक्श एक होते दिख रहे थे।
कई महीने बाद, उनका नया ऑफिस तैयार हुआ।
उसका नाम था —
“Phoenix Empire” – Rising from the Ashes.
रिया अपनी कुर्सी पर बैठी थी,
बच्चा पास में खेल रहा था, और आरव खिड़की से बाहर देख रहा था।
“अब सब कुछ हमारा है,” रिया ने कहा।
आरव मुस्कराया —
“नहीं, रिया। सब कुछ तुम्हारे प्यार की वजह से है।”
शाम की हवा में, दोनों एक-दूसरे के पास बैठे थे।
रिया ने धीरे से कहा —
“हमारी कहानी अंधेरे से शुरू हुई थी…
लेकिन अब, हर अंधेरे में हमारा नाम चमकेगा।”
आरव ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया —
“क्योंकि हम वो हैं, जो प्यार की राख से भी
नई सुबह बना लेते हैं।”
रिया और आरव एक दूसरे की आंखों में खोते हुए एक दूसरे की बाहों में प्यार के बेहतरीन पलों में डूब चुके थे। संगमरमर से बदन को तराश कर वह प्रेम के नए तरंगों के आवेग में खोए जा रहे थे। हर दिन उनका प्यार बढ़ता ही जा रहा था। मुश्किलें उनके प्यार को नए मुकाम पर पहुंचा रही थी। आरव ने रिया को प्यार से चूमना शुरू कर दिया था। अंधेरी रात के गुजरते हर पल के साथ उनके जिस्म एक हो रहे थे। प्रेम की आहटे उनके कमरे में गूंज रही थी। (17)
कमेंट्स लिखना मत भूलना ।।
कुछ साल बाद
रिया और आरव की जिंदगी अब पूरी तरह बदल चुकी थी।
उनका बच्चा, आर्या, अब पाँच साल का हो चुका था — नटखट, चंचल और बहुत समझदार।
घर में हर कोना खुशी और हंसी से गूंजता था।
लेकिन आरव और रिया के बीच का प्यार अभी भी वैसा ही गहरा था — समय, डर और चुनौतियों की आग में पका हुआ।
एक शाम, हल्की बारिश हो रही थी।
रिया बालकनी में खड़ी थी और आर्या को छाते के नीचे लेकर हंस रही थी।
आरव पास आया, उसकी आँखों में हमेशा की तरह प्यार और सुरक्षा का मिश्रण था।
“तुम और आर्या दोनों को देख कर, लगता है जैसे पूरी दुनिया मेरे पैरों के नीचे हो।”
रिया ने मुस्कुराया, बालों में बारिश की बूंदें चमक रही थीं।
“और तुम्हारे पास वही ताक़त है जो हर तूफ़ान से हमें बचाती रही।”
आरव ने उसका हाथ अपने हाथों में लिया, हल्के से आलिंगन किया।
“तुम्हारे बिना ये प्यार, ये घर, ये दुनिया कुछ भी नहीं होता।”
रिया और आरव की आँखों में अब सिर्फ़ आकर्षण नहीं, बल्कि विश्वास, आदर और गहरा प्यार था।
वो एक-दूसरे की आँखों में खो जाते, और शब्दों की बजाय सिर्फ़ नज़रों से बातें होतीं।
“आरव…” रिया ने धीरे से कहा, “कभी लगता है कि हमारी कहानी, सारे खतरे और अंधेरे के बाद, यही पल हमारे लिए सबसे खास है।”
आरव ने मुस्कराकर सिर हिलाया।
“हाँ… और मैं वादा करता हूँ, हर आने वाले पल में तुम्हें और आर्या को इसी प्यार और सुरक्षा से ढकूँगा।”
आर्या ने अपने छोटे हाथों से दोनों के हाथ पकड़े।
“माँ, पापा… तुम हमेशा साथ रहोगे न?”
रिया और आरव एक साथ हँस पड़े।
आरव ने उसे उठाया और अपने गले से लगा लिया।
“हमेशा, आर्या… हमेशा।”
उस छोटे से आलिंगन में, डार्क रोमांस के सारे डर और दर्द अब प्यार और अपनापन में बदल गए थे।
अंधेरा चाहे कितना भी गहरा रहा हो, अब उनकी दुनिया रोशनी और गर्माहट से भरी थी।
आर्य को सुलाने के बाद आरव और रिया अपने कमरे में आ चुके थे। बाहर बरसती बारिश मौसम के मिजाज को रोमांटिक बना रही थी। आरव ने रिया के होठों को चूमना शुरू कर दिया। दस मिनट तक चूमने के बाद उसने उसकी साड़ी का पल्लू गिरा कर गर्दन को चूमना शुरू कर दिया। चूमते चूमते उसकी ब्लाऊज की डोरी को खोल दिया। धीरे धीरे करते हुए उसके बदन से सारे कपड़े अलग हो रहे थे। बाहर बारिश भी तेज हो रही थी। आरव और रिया बिस्तर पर एक हो रहे थे। उनका प्यार दिन प्रतिदिन गहराता जा रहा था।
रात खत्म होने के बाद, घर में हल्की धूप आई।
आरव और रिया बालकनी में खड़े थे, हाथों में हाथ लिए।
“देखो, ये सुबह हमारी नई शुरुआत है,” रिया ने कहा।
आरव ने मुस्कुराते हुए कहा —
“और हर नई सुबह में मैं तुम्हारे साथ रहूँगा… हमेशा।”
आर्या अब सात साल की हो चुकी थी।
आज उसका पहला स्कूल कार्यक्रम था।
रिया और आरव दोनों उसे तैयार कर रहे थे।
आर्या के हाथ में छोटा बैग, माथे पर मुस्कान, और आँखों में चमक थी।
“माँ, पापा… मुझे डर लग रहा है,” आर्या ने हल्की आवाज़ में कहा।
आरव ने उसे गोद में उठाया और चुम्मा दिया।
“डर मत, आर्या। तुम हमारी सबसे बड़ी ताक़त हो। और हम हमेशा तुम्हारे साथ हैं।”
रिया ने सिर थपथपाया — “हाँ बेटा, ये दुनिया तुम्हारे लिए ही है, और हम तुम्हें कभी अकेला नहीं छोड़ेंगे।”
स्कूल में आर्या की छोटी-छोटी दोस्ती और प्रतियोगिताएँ थीं।
लेकिन एक बच्चा, जो आर्या को पसंद नहीं करता था, ने खेल में उसका रास्ता रोका।
आर्या थोड़ी घबराई, और तभी रिया ने अचानक अपना हाथ उसके कंधे पर रखा।
“डरने की ज़रूरत नहीं,” रिया ने फुसफुसाया।
आरव भी पास आया, उसके हाथ में एक छोटा नोट था —
“हम तुम्हारे साथ हैं। किसी भी अंधेरे से डरने की ज़रूरत नहीं।”
आर्या ने मुस्कुराकर कहा —
“माँ-पापा… आप दोनों मेरे हीरो हैं।”
स्कूल के बाद, घर लौटते हुए बारिश शुरू हो गई।
आरव ने रिया और आर्या को अपनी छतरी के नीचे रखा।
हवा में बारिश की बूंदें और उनके बीच की नज़दीकियाँ…
डार्क रोमांस टच के साथ, बारिश की भीगती हवा ने उनके प्यार को और रोमांचक बना दिया।
“आरव, याद है जब पहली बार तूफ़ान में हम दोनों बालकनी पर खड़े थे?”
रिया ने हल्की मुस्कान के साथ पूछा।
आरव ने उसकी आँखों में देखा —
“हाँ, और अब मैं हर तूफ़ान में तुम्हारे साथ खड़ा रहूँगा। हर अंधेरा रोशनी बन जाएगा।”
आर्या ने दोनों के हाथ थामे और बोली —
“माँ-पापा, मैं भी हमेशा आपके साथ रहूँगी।”
इस छोटे से परिवार में प्यार, रोमांच और डर — तीनों का मिश्रण अब स्थायी था।
आरव और रिया की नज़दीकियाँ सिर्फ़ रोमांस नहीं थीं, बल्कि विश्वास और सुरक्षा का अहसास भी थीं।
हर लम्हा, हर आलिंगन, हर मुस्कान उन्हें और करीब ला रही थी।
कई सालों से सब कुछ शांत था —
लेकिन उस रात आरव को फिर वही पुराना सपना आया।
विक्रम की हँसी… जलती फैक्ट्री… रिया की चीखें…
वो अचानक उठ बैठा, माथे पर पसीना।
रिया ने घबराकर उसका हाथ थामा, “आरव, फिर वही सपना?”
“हाँ,” उसने कहा, “जैसे कोई साया फिर लौट आया हो…”
रिया ने उसकी आँखों में देखा,
“अंधेरे से मत भागो, आरव…
हमने उसे हराया है — और अगर वो लौटा भी,
तो इस बार उसे रोशनी में ही जला देंगे।”
अगले दिन दफ़्तर में एक पार्सल आया —
बिना नाम का।
अंदर एक पुरानी फोटो थी — आरव, विक्रम, और किसी अंजान औरत की।
पीछे लिखा था —
“हर कहानी अधूरी रहती है जब तक सच सामने न आए…”
आरव का चेहरा सफेद पड़ गया।
वो तस्वीर उसके पुराने अतीत की थी —
जिसे उसने कभी किसी से साझा नहीं किया था, यहाँ तक कि रिया से भी नहीं।
रिया ने वो फोटो देखी, लेकिन उसकी आँखों में शक नहीं था।
बस एक ठहराव, एक गहरी साँस — और फिर वही अटूट भरोसा।
“आरव, अगर ये अतीत है तो सामना करो।
मैं तुम्हारे साथ हूँ — हर साए के पार।”
आरव ने उसका चेहरा थामा,
“तुम्हारा ये विश्वास ही मेरी सबसे बड़ी ताक़त है, रिया।”
उनके बीच एक गहरी चुप्पी थी —
जहाँ शब्दों की जगह दिल की धड़कनें बोल रही थीं।
रात को फिर से किसी ने उनके घर की लाइट बंद कर दी।
बालकनी पर हवा के साथ एक पुरानी खुशबू आई —
वो वही इत्र था जो विक्रम इस्तेमाल करता था।
रिया ने महसूस किया कि अतीत अब सिर्फ़ याद नहीं,
एक छिपा हुआ ख़तरा बनकर लौट आया है।
उसने आरव का हाथ थामा —
“अबकी बार डर नहीं, आरव…
अगर अतीत लौटा है, तो हम उसे इस बार ख़त्म करेंगे।”
आरव ने उसकी आँखों में गहराई से देखा —
“सिर्फ़ हम नहीं, हमारा प्यार भी उसका जवाब बनेगा।”
बिजली चली गई।
मोमबत्ती की हल्की लौ में रिया और आरव एक-दूसरे के सामने थे।
आँखों में डर नहीं — जुनून और विश्वास का मेल।
वो पल शांत था,
पर भीतर एक वादा धड़क रहा था —
कि चाहे अतीत कितना भी डार्क क्यों न हो,
उनका प्यार उससे ज़्यादा शक्तिशाली रहेगा। (20)
कमेंट्स
रिया ने उस तस्वीर को फिर से ध्यान से देखा।
तीनों चेहरों में सबसे ज़्यादा बेचैनी उस औरत की आँखों में थी।
वो औरत कोई और नहीं, आरव की माँ थी — जिसे आरव बचपन में खो चुका था।
उसकी उँगलियों में वही कंगन था जो अब रिया के पास था…
“आरव, ये तुम्हारी माँ है न?”
आरव की आवाज़ भारी पड़ गई —
“हाँ… लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा, विक्रम के साथ उसकी फोटो क्यों?”
रिया ने कहा,
“शायद यही वो रहस्य है जिसे किसी ने कभी खोला नहीं…”
दोनों उसी शाम पुरानी फैक्ट्री की तरफ़ गए,
जहाँ सालों पहले आग लगी थी।
जले हुए दीवारों पर अब भी राख की गंध थी।
रिया ने दीवार पर कुछ उकेरा देखा —
“V.R. PROJECT – 2008”
“V” यानी Vikram और “R”… आरव की माँ Raina।
रिया फुसफुसाई, “तुम्हारी माँ और विक्रम किसी पुराने प्रोजेक्ट में साथ थे…”
आरव का दिल तेज़ धड़कने लगा,
“तो ये खेल बहुत पुराना है, रिया। शायद मेरे बचपन से भी।”
उसी समय एक औरत की परछाईं पीछे दिखाई दी —
लंबे बाल, सादी साड़ी, और धीमी आवाज़ —
“किसी ने मुझे नहीं बुलाया, पर मैं हमेशा यहाँ थी…”
रिया और आरव दोनों ठिठक गए।
वो विक्रम की माँ थी — जो अब तक परदे के पीछे से सारे खेल की सूत्रधार थी।
“तुम्हारी माँ और मेरा बेटा… दोनों एक-दूसरे से जुड़े थे,”
उसने कहा, “और अब तुम दोनों उनके अधूरे वादे पूरे कर रहे हो।”
रिया ने काँपते स्वर में पूछा,
“क्या मतलब?”
“विक्रम ने तुम्हारे पिता की कंपनी हड़पने की साज़िश नहीं की थी,
वो तुम्हारी माँ की रक्षा कर रहा था…
लेकिन किसी ने दोनों को धोखा दिया।”
आरव के भीतर सब कुछ टूट गया।
रिया ने उसका हाथ थाम लिया —
“आरव, जो कुछ भी हुआ, वो बीता था।
हम अब उसका बोझ नहीं, उसकी सीख बनेंगे।”
उसने उसकी आँखों में देखा —
“तुम्हारी माँ ने जो अधूरी कहानी छोड़ी थी,
हम उसे प्यार से पूरा करेंगे।”
आरव की आँखों में आँसू आ गए।
उसने धीरे से कहा —
“रिया, तुम मेरी सबसे बड़ी रोशनी हो।”
रात को घर लौटकर, दोनों बालकनी में खड़े थे।
चाँद पूरा था, हवा शांत।
आरव ने कहा —
“अब मुझे समझ आया… सच्चा प्यार सिर्फ़ पाने का नहीं,
बल्कि हर सच को स्वीकार करने का नाम है।”
रिया ने सिर उसके कंधे पर रखा —
“और सच्चे रिश्ते अतीत से नहीं डरते,
वो उसे अपने अंदर समेट लेते हैं।”
सालों से जिस सच के साए में वे जी रहे थे,
वो रात आखिर खत्म हुई।
रिया ने जब बालकनी के पर्दे हटाए,
तो पहली बार सूरज की किरणें उसके चेहरे पर यूँ पड़ीं
जैसे किसी ने उसकी आत्मा को आशीर्वाद दिया हो।
आरव ने उसकी ओर देखा,
“रिया… सब कुछ राख हो चुका था,
पर तुमने उसमें से भी मुझे रौशनी दिखा दी।”
रिया मुस्कुराई, “कभी-कभी राख ही वो ज़मीन बनती है,
जहाँ नया जीवन जन्म लेता है।”
“VR Group of Industries” का नाम अब बदल चुका था —
अब वो था “RAY Industries”,
“Raina + Aryav = RAY” —
उसकी माँ और उसका नाम,
और उस पर रिया की सोच की रोशनी।
नई लॉन्च मीटिंग में आरव ने कहा —
“आज हम एक नई कहानी शुरू कर रहे हैं।
अब ये कंपनी सिर्फ़ मुनाफ़े का प्रतीक नहीं,
बल्कि उन रिश्तों का सम्मान है जो हर अंधेरे में भी एक-दूसरे को थामे रहते हैं।”
रिया ने उसके पीछे खड़ी होकर ताली बजाई —
कभी जो रिश्ता ‘अनचाहा’ कहलाता था,
वो अब कंपनी की नींव बन चुका था।
शाम को दोनों ऑफिस की टेरेस पर थे।
हल्की बारिश शुरू हो गई थी —
आसमान धुँधला, पर दिल साफ़।
रिया ने मुस्कुराकर कहा,
“कभी सोचा था, ये सब यूँ खत्म होगा?”
आरव ने सिर हिलाया,
“खत्म नहीं, रिया… शुरू हुआ है।
हमारा प्यार किसी कहानी का ‘एंड’ नहीं,
बल्कि उस राख से उगता हुआ नया सवेरा है।”
रिया ने उसकी ओर देखा —
“तो वादा करो, चाहे जो भी हो,
अब किसी बात को अधूरा नहीं छोड़ोगे।”
आरव ने उसका हाथ थामा,
“वादा करता हूँ — इस बार,
हर शब्द, हर एहसास, हर खामोशी को पूरा करूँगा।”
बारिश की बूँदें उनके हाथों पर गिर रही थीं,
और हवा में गूँज रही थी —
उनकी साँसों की धीमी ताल,
जैसे दो आत्माएँ एक नई किस्मत लिख रही हों। बारिश की हर बूंद के साथ हर पल उनकी गर्म सांसे एक दूसरे से टकरा रही थी। आरव ने रिया की तरफ प्रेम भरी निगाहों से देखना शुरु कर दिया था। रिया ने शर्माते हुए अपनी नजरें झुका ली थी। आरव ने अपने होठ उसके भीगते होठो पर टिका दिए थे। प्रेम रस पीने को व्याकुल दो पंछी बेपरवाही से एक दूसरे को चूम रहे थे। इस भीगते पल में आरव और रिया फिर से एक बार और एक होने को आतुर नजर आ रहे थे। आरव हर पल उसे अपने करीब खिंचता हुआ बेचैन हो रहा था। जल्द ही दोनों बेपर्दा हो चुके थे। टेरेस पर ही उनका रोमांस अपने चरम पर पहुंच गया था। जल्द ही आरव ने रिया के साथ रोमांस की सीमा को आगे बढ़ाते हुए उसके बदन के हर हिस्से को चूमना शुरू कर दिया था। छत पर पड़ती बारिश और उनका यह डार्क रोमांस ने वहां के वातावरण को रोमांटिक बना दिया था। उन दोनों को परवाह नहीं रही थी कि कोई उन्हें देख लेगा। दोनों लगातार एक दूसरे मे समाते जा रहे थे। कुछ घंटे बाद उन्हें होश आया तो उन्होनें अपने आपको संभालते हुए अपने कपड़ों को भी संभाला। सारा ऑफिस खाली हो चुका था। बारिश भी बंद हो गई थी। वह दोनो भी घर की ओर निकल गए।
एक साल बाद —
रिया ने एक किताब लिखी:
“The Unwanted Bride — A Story of Fire and Faith”
जो बेस्टसेलर बन गई।
कवर पेज पर एक पंक्ति थी —
“कभी-कभी जिन रिश्तों को हम अनचाहा कहते हैं,
वही हमें वो पहचान देते हैं,
जो दुनिया में कोई और नहीं दे सकता।”
आरव ने किताब हाथ में लेकर मुस्कुराया,
“रिया, अब तुम मेरी कहानी नहीं, मेरी विरासत हो।”
रिया ने धीरे से जवाब दिया —
“और तुम मेरे हर शब्द की वजह…”
क्योंकि “अनवांटेड सीईओ ब्राइड” अब सिर्फ़ एक उपन्यास नहीं,
बल्कि दो आत्माओं की यात्रा थी —
जो अंधेरे से रौशनी तक साथ चलीं। (22)
कमेंट्स
आर्या अब 12 साल की हो चुकी थी।
उसके चेहरे में माँ की मासूमियत और पिता की दृढ़ता दोनों झलक रहे थे।
स्कूल से लौटते हुए वह अक्सर सोचती —
“मम्मी-पापा ने मुझे हमेशा सिखाया कि प्यार में ताक़त है, डर में नहीं।”
आरव और रिया अब अपने बिज़नेस और परिवार दोनों में संतुलन बनाए हुए थे।
लेकिन आर्या को पता नहीं था कि उसके जीवन में भी जल्द ही कुछ पुरानी छायाएँ लौटेंगी।
एक दिन आर्या को स्कूल से लौटकर रूम में एक अज्ञात पत्र मिला।
पत्र में लिखा था —
“जो विरासत तुम्हारे माता-पिता ने बनाई, उसकी कीमत तुम भी चुकाओगी।
अंधेरा हमेशा लौटता है।”
आर्या की आँखों में डर और उत्सुकता दोनों थे।
वह तुरंत रिया के पास गई।
“मम्मी… ये क्या है?”
रिया ने पत्र पढ़ा और अपने हाथों से उसका चेहरा छुआ।
“आर्या, कभी-कभी अतीत अपने साए में लौटता है।
लेकिन डर को सामने नहीं आने देना — हमेशा अपने हौसले पर भरोसा रखना।”
आरव पास आया और धीरे से कहा —
“बेटी, तुम हमारी सबसे बड़ी ताक़त हो।
अब तुम्हें ही हमारी कहानी का अगला अध्याय लिखना है।”
शाम को, बारिश की हल्की बूंदों में आरव और रिया बालकनी पर खड़े थे।
आर्या घर में खेल रही थी, हँसी की आवाज़ से घर गूँज रहा था।
“रिया… अब मैं समझता हूँ,” आरव ने कहा,
“हमारा प्यार सिर्फ़ हमारे लिए नहीं था।
हमने जो मजबूरी में शुरू किया, वो अब हमारी विरासत बन गई —
और हमारी बच्ची को भी वही शक्ति देगी।”
रिया ने मुस्कराते हुए कहा —
“और इसी विरासत में, हमारे प्यार की अगली कहानी भी लिखी जाएगी।”
अगले ही दिन, आर्या के स्कूल में एक नई छात्रा आई।
उसका नाम था इशिका, और वो आर्या के माता-पिता की पुरानी बिज़नेस दुश्मनी से जुड़ी थी।
आर्या ने पहली बार महसूस किया कि जो अंधेरा माता-पिता की जिंदगी में था,
वो अब उसकी भी दुनिया में धीरे-धीरे प्रवेश कर रहा है।
आरव और रिया ने उसे समझाया —
“प्यार और अपनापन ही तुम्हारे सबसे बड़े कवच हैं।
अंधेरा चाहे जितना भी गहरा हो, तुम्हारी हिम्मत और हमारी शिक्षा तुम्हें हमेशा रोशनी दिखाएगी।”
आर्या ने हाथ पकड़ते हुए कहा —
“तो मैं भी इस विरासत को आगे बढ़ाऊँगी…
और अपने डर को हराकर नई कहानी लिखूँगी।”
आर्या अब 12 साल की हो चुकी थी,
और स्कूल में उसे नई स्टूडेंट इशिका के साथ समूह प्रोजेक्ट करना पड़ा।
इशिका बेहद चालाक और चालबाज़ थी,
और आर्या को पहली बार महसूस हुआ कि जो अंधेरा माता-पिता के जीवन में था,
वो अब उसकी दुनिया में धीरे-धीरे प्रवेश कर रहा है।
इशिका ने आर्या को प्रोजेक्ट में परेशान करना शुरू कर दिया।
छोटे झूठ, अफवाहें और बीच-बीच में शर्मिंदा करने वाले कमेंट्स।
आर्या घबराई, लेकिन उसे याद आया कि माँ-पापा ने उसे सिखाया था:
“डर के आगे ही रोशनी है।”
शाम को आर्या घर लौटी और रिया ने उसे गले लगाया।
“आर्या, डरना मत।
हमारे अतीत में जितना भी अंधेरा था, हमने उसे हमेशा प्यार और अपनापन से हराया।”
आरव ने थपकी देते हुए कहा —
“तुम्हारे अंदर वही ताक़त है, जो हमें बचा सकती थी।
इशिका जैसी लड़ाई में तुम भी जीत सकती हो।”
आर्या ने ठान लिया —
“मम्मी-पापा, मैं डरने वाली नहीं हूँ।
मैं भी अपनी कहानी लिखूँगी।”
अगले दिन स्कूल में, प्रोजेक्ट का फाइनल प्रेज़ेंटेशन था।
इशिका ने पहले से तैयारी कर रखी थी,
लेकिन आर्या ने अपने माता-पिता की सीख और अपनी बुद्धि का इस्तेमाल किया।
उसने अपनी प्रस्तुति में छोटे-छोटे इशिका के झूठ और चालों को धैर्य और समझदारी से उजागर किया,
और पूरे क्लास के सामने अपनी बात रखी।
सभी विद्यार्थी और टीचर हैरान रह गए।
आर्या ने महसूस किया —
डर और दबाव में भी आत्मविश्वास से सामना करना सबसे बड़ी जीत है।
शाम को, बारिश की बूंदों में आर्या अपने माता-पिता के पास आई।
आरव ने उसे गले लगाया, रिया ने उसके माथे को चूमा।
“तुमने पहली चुनौती जीत ली,” रिया ने कहा।
आर्या ने हँसते हुए कहा —
“मम्मी-पापा, आपकी कहानी ने मुझे ये हिम्मत दी।
अब मैं भी अंधेरे से डरने वाली नहीं।”
आरव ने रिया की ओर देखा और फुसफुसाया —
“हमारा प्यार, हमारी ताक़त… अब ये हमारी बेटी में भी है।”
रिया ने मुस्कुराते हुए उसका हाथ थामा —
“और इसी प्यार और अपनापन से, हम हर अंधेरे को रोशनी में बदलेंगे।”
आर्या के स्कूल प्रोजेक्ट की जीत के कुछ ही दिन बाद,
एक पुराने चेहरे ने शहर में दस्तक दी।
वह कोई और नहीं, बल्कि विक्रम का पुराना सहयोगी – करण था,
जो अब माता-पिता की विरासत को चुनौती देने आया था।
आर्या ने पहली बार महसूस किया कि जो डर उसके माता-पिता ने झेला था,
वो अब उसकी जिंदगी में भी प्रवेश कर गया है।
आरव और रिया ने तुरंत बैठक की।
“आर्या को अकेला मत छोड़ो,” आरव ने कहा।
“इस बार उसे वही हिम्मत दिखानी होगी जो उसने स्कूल में दिखाई।”
रिया ने थपकी दी —
“और हमें भी उसे हर कदम पर सपोर्ट करना है।
हमारे अतीत के डर को अब उसे भी समझना होगा, लेकिन हमारी सीख के साथ।”
अगले दिन, करण ने आर्या की कंपनी के नए प्रोजेक्ट में बाधा डालने की कोशिश की।
लेकिन आर्या ने साहस दिखाया और सभी कर्मचारियों को अपने साथ जोड़ लिया।
उसने अपनी बुद्धि, धैर्य और माता-पिता से सीखी हुई रणनीति का इस्तेमाल किया।
इशिका भी अब आर्या के पक्ष में खड़ी हो गई।
क्लास और टीम ने देखा कि आर्या अकेली नहीं, बल्कि अपनी विरासत और प्यार के साथ मजबूत है।
शाम को बारिश में घर लौटते हुए, आर्या ने कहा —
“मम्मी-पापा, अब मैं समझ गई हूँ… प्यार और हिम्मत का मेल ही सबसे बड़ी ताक़त है।”
आरव ने उसे गोद में लिया —
“और यही ताक़त हमें हमेशा अंधेरे से लड़ने की हिम्मत देती है।”
रिया ने सिर थपथपाया —
“हमारा प्यार सिर्फ़ तुम्हारे लिए नहीं,
हमारी कहानी की हर पीढ़ी के लिए रौशनी बनता है।”
बारिश की हल्की बूंदों में, तीनों एक-दूसरे के करीब थे।
डार्क रोमांस का असर अब सिर्फ़ उनके माता-पिता तक सीमित नहीं रहा,
आर्या ने भी उसमें अपनी जगह बना ली थी।
आर्या की जीत से न केवल करण की चालें नाकाम हुईं,
बल्कि उसने अपने भीतर की ताक़त को भी पहचाना।
उसने महसूस किया कि अंधेरे के बावजूद, प्यार और परिवार की रोशनी हमेशा रास्ता दिखाती है। (25)
कमेंट्स
आर्या अब 13 साल की हो चुकी थी।
उसकी उम्र छोटी थी, पर सोच और हिम्मत दोनों में बड़ी।
शहर में उसके माता-पिता की बनाई विरासत को खतरा था।
करण और उसके पुराने सहयोगियों ने फिर से चाल चलना शुरू किया।
आर्या ने घर लौटकर रिया और आरव से कहा —
“मम्मी-पापा, अब मुझे अकेले ही सामना करना होगा।
लेकिन मैं डर नहीं रही।”
आरव ने उसका हाथ थामते हुए कहा —
“तुम अकेली नहीं हो, बेटा।
हमेशा तुम्हारे साथ हैं, हर कदम पर।”
आर्या ने अपने माता-पिता की रणनीति और स्कूल में सीखी गई बुद्धि का इस्तेमाल किया।
उसने इशिका और कुछ दोस्तों की मदद से नए प्रोजेक्ट को संभाला।
करण की चालें नाकाम हुईं, और उसकी टीम धीरे-धीरे आर्या के नेतृत्व को मानने लगी।
शाम को आर्या ने देखा कि उसके माता-पिता बालकनी में खड़े हैं।
बारिश की बूंदें धीरे-धीरे उनके हाथों और चेहरे पर गिर रही थीं।
आरव ने रिया की ओर देखा और धीरे से कहा —
“देखो, हमारी कहानी अब तीसरे हिस्से में भी जारी है।
हमारी बेटी ने वही सीख और हिम्मत दिखाई जो हमने दिखाया।”
रिया ने मुस्कराकर कहा —
“और यही डार्क रोमांस और प्यार का जादू है —
जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलता है।”
आर्या ने उनके बीच खड़े होकर कहा —
“मम्मी-पापा, अब मैं अपनी राह खुद बनाऊँगी।
लेकिन आपकी सीख और प्यार हमेशा मेरे साथ रहेंगे।”
आर्या ने न केवल अपने माता-पिता की विरासत को संभाला,
बल्कि उसे अपने अंदाज़ में नया रूप दिया।
पुराने दुश्मन न केवल हार गए, बल्कि उनके साथ पुराने अंधेरे भी खत्म हो गए।
आरव और रिया ने देखा कि उनकी मेहनत और प्यार अब अगली पीढ़ी में भी जिंदा है।
रात को, तीनों घर की छत पर खड़े थे।
चाँद की रोशनी में बारिश की हल्की बूंदें गिर रही थीं।
आरव ने रिया को अपने पास खींचा,
“हमने अपनी कहानी के हर अंधेरे को पार किया।
अब हर नई पीढ़ी इसे आगे बढ़ाएगी।”
रिया ने सिर उसके कंधे पर रखा,
“और हमारा प्यार हमेशा उसके साथ रहेगा।”
आर्या ने मुस्कुराते हुए कहा,
“मैं तैयार हूँ, माँ-पापा…
नई दुनिया, नई कहानी और नई चुनौती के लिए।”
सूरज की पहली किरण घर के बाग़ में गिर रही थी।
आर्या बगीचे में खेल रही थी, उसकी हँसी हवा में गूँज रही थी।
आरव और रिया बालकनी में खड़े थे, हाथों में हाथ लिए,
सालों के डर और चुनौतियों के बाद पहली बार पूरी तरह शांति और संतोष महसूस कर रहे थे।
आरव ने रिया की आँखों में देखा और फुसफुसाया —
“हमने जो शुरू किया था… वो अब सिर्फ़ हमारी कहानी नहीं,
ये हमारी विरासत और हमारी बेटी की दुनिया बन गई है।”
रिया ने मुस्कराकर सिर हिलाया —
“और इस प्यार और अपनापन ने हर अंधेरे को रोशनी में बदल दिया।”
आर्या दौड़ती हुई आई और दोनों के बीच खड़ी हो गई।
“मम्मी-पापा, अब मैं जानती हूँ कि डर के आगे ही शक्ति है।
और मैं हमेशा आपकी तरह साहस और प्यार से अपनी राह चुनूँगी।”
आरव ने उसे गोद में उठाया, रिया ने माथे पर हल्का चुम्मा दिया।
“तुम हमारी सबसे बड़ी सफलता हो, आर्या,” उन्होंने साथ में कहा।
“और तुम्हारे साथ हमारी कहानी अब और भी खूबसूरत बन रही है।”
शाम को, हल्की बारिश में, आरव और रिया ने एक-दूसरे का हाथ थामा।
बारिश की बूँदें उनके बालों और कपड़ों पर गिर रही थीं।
लेकिन उनका दिल और आत्मा दोनों गर्म थे —
डार्क रोमांस की गहराई और विश्वास से भरे।
आरव ने धीरे से कहा —
“रिया… चाहे अतीत में कितने भी अंधेरे आए,
हम हमेशा एक-दूसरे के साथ थे।
और अब, हम हमेशा एक-दूसरे के साथ रहेंगे।”
रिया ने उसकी आँखों में देख कर मुस्कुराया —
“हमारा प्यार सिर्फ़ कहानी नहीं,
ये हमारी जिंदगी, हमारी विरासत और हमारी बेटी में भी बसा है।”
बारिश में उनका आलिंगन, बिना शब्दों के,
सारी भावनाओं और विश्वास का प्रतीक बन गया।
रात को, पूरा परिवार छत पर खड़ा था।
चाँद और सितारे उनके ऊपर चमक रहे थे।
आर्या ने देखा और कहा —
“मम्मी-पापा, हमारी कहानी सिर्फ़ खत्म नहीं हुई।
ये अब हमारी नई दुनिया की शुरुआत है।”
आरव ने सिर हिलाकर जवाब दिया —
“हां बेटा, और इस नई दुनिया में हम हमेशा एक-दूसरे की रोशनी बनेंगे।”
और इस तरह, अनवांटेड सीईओ ब्राइड की कहानी
अंधेरे से गुज़र कर, प्यार, विश्वास और परिवार की ताक़त के साथ
नई पीढ़ी में अपनी जगह बना गई।
आर्या अब 18 साल की हो चुकी थी।
स्कूल खत्म, कॉलेज शुरू, और साथ में RAY Industries में इंटर्नशिप भी।
उसकी नजरें उसी जुनून और आत्मविश्वास से भरी थीं, जो माता-पिता में था।
लेकिन इस बार चुनौती सिर्फ़ बिज़नेस की नहीं थी,
बल्कि पुराने दुश्मनों की वापसी और दिल की उलझनें भी सामने थीं।
कॉलेज के पहले दिन, आर्या ने देखा कि एक नया छात्र आया है।
उसका नाम था अद्विक, तेज़, चालाक और रहस्यमयी।
उसकी पहली नज़र में ही आर्या ने महसूस किया —
“ये सिर्फ़ कोई साधारण लड़का नहीं है।”
अद्विक की बातें और मुस्कान आर्या को आकर्षित करने लगीं,
लेकिन उसके आसपास एक छिपा हुआ खतरा भी था।
आरव और रिया ने उसे चेताया —
“आर्या, याद रखना… इस नई दुनिया में हर चमकदार चेहरा दोस्त नहीं होता।”
रिया ने थपकी दी —
“लेकिन प्यार, भरोसा और हिम्मत तुम्हें हमेशा सही राह दिखाएंगे।”
आर्या ने सिर हिलाया —
“मम्मी-पापा, मैं तैयार हूँ।
अंधेरा चाहे जितना भी बड़ा हो, मैं उससे डरने वाली नहीं।”
अद्विक की नजरें अक्सर आर्या पर टिकती थीं।
और आर्या भी उसकी गहरी आंखों में एक अजीब आकर्षण महसूस करने लगी।
लेकिन दोनों जानते थे — ये प्यार सरल नहीं,
बल्कि सस्पेंस और डार्क रोमांस की शुरुआत थी।
आर्या ने खुद से कहा —
“मैं अपने माता-पिता की तरह साहसी रहूँगी,
और अपने दिल की आवाज़ सुनते हुए आगे बढ़ूँगी।”
आर्या ने ऑफिस में देखा कि कुछ पुराने दस्तावेज़ गुम थे।
और अद्विक का नाम अचानक हर रिपोर्ट में कहीं ना कहीं जुड़ा हुआ था।
क्या ये लड़का सच में दोस्त है, या नई चुनौती और अतीत की परछाईं लेकर आया है? (28)
कमेंट्स लिखना मत भूलना डियर रीडर्स। आपके कॉमेंट बहुत मैटर करते हैं। प्रोत्साहन मिलता है।
कॉलेज की लाइब्रेरी में हल्की बारिश की आवाज़ गूँज रही थी।
आर्या खिड़की के पास बैठी फाइलें पढ़ रही थी,
तभी पीछे से एक गहरी आवाज़ आई —
“तुम हमेशा इतनी गंभीर रहती हो, आर्या?”
वो अद्विक था।
हाथ में किताब, चेहरे पर हल्की मुस्कान, और आँखों में कुछ ऐसा…
जो आर्या को असहज भी करता और आकर्षित भी।
आर्या ने बिना ऊपर देखे कहा —
“कुछ लोग काम से प्यार करते हैं।”
अद्विक ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया —
“और कुछ लोग… उन लोगों से।”
आर्या ने नज़रें उठाईं।
उनकी आँखें मिलीं — कुछ सेकंड के लिए वक्त जैसे थम गया।
बारिश की बूंदें शीशे पर फिसल रही थीं,
और उनके बीच एक अनकही हलचल शुरू हो चुकी थी।
दिन बीतते गए।
अद्विक आर्या के करीब आने लगा —
कभी मदद के बहाने, कभी बातचीत के जरिए।
लेकिन एक दिन आर्या ने देखा —
उसके लैपटॉप में RAY Industries की इंटरनल फाइलें खुली थीं।
वो चौंक गई।
“अद्विक, ये फाइलें तुम्हारे पास कैसे आईं?”
अद्विक ने शांत स्वर में कहा —
“मुझे तुम्हारे पिता की कंपनी के बारे में सब पता है।”
आर्या का दिल धड़क उठा —
“क्यों? तुम कौन हो?”
अद्विक कुछ पल चुप रहा, फिर बोला —
“वो जान लोगी… पर सही समय पर।”
उस रात आर्या को अपने पिता के पुराने ऑफिस से एक ईमेल मिला —
Subject: “अद्विक से सावधान रहो।”
नीचे सिर्फ एक लाइन थी — “अतीत लौट आया है।”
आर्या का दिल सिहर गया।
क्या अद्विक उसी दुश्मन परिवार से है जिसने उसके पिता को कभी तोड़ने की कोशिश की थी?
या फिर वो किसी बड़ी साज़िश में फँस चुका है?
अगले दिन क्लास में अद्विक ने उससे कहा —
“डरो मत मुझसे, आर्या। मैं तुम्हारा दुश्मन नहीं हूँ।”
आर्या ने ठंडे स्वर में कहा —
“तो साबित करो।”
अद्विक पास आया,
इतना पास कि आर्या की साँसें रुक सी गईं।
उसने धीरे से कहा —
“सच्चाई तुम्हें डराएगी… लेकिन मैं वादा करता हूँ, मैं तुम्हें टूटने नहीं दूँगा।”
उसकी आवाज़ में वो अजीब सुरक्षा और खतरे का मिश्रण था।
आर्या पहली बार समझ नहीं पा रही थी —
क्या वो उस पर भरोसा करे, या उससे दूर भागे।
अद्विक चला गया, लेकिन टेबल पर एक पुरानी फोटो रख गया।
उस फोटो में — आरव और अद्विक के पिता साथ खड़े थे…
और नीचे लिखा था —
“दोस्ती, जो अब दुश्मनी में बदल चुकी है।”
आर्या की आँखों में सवालों का तूफ़ान उठ गया।
अतीत फिर लौट रहा था।
और इस बार, प्यार और खतरा दोनों उसके दिल को घेरे हुए थे।
कॉलेज की उस सुबह सब कुछ सामान्य लग रहा था, लेकिन आर्या के भीतर तूफ़ान उठ रहा था। उसकी आँखों में नींद नहीं थी, क्योंकि रातभर वह उस पुरानी तस्वीर को देखती रही थी जिसमें उसके पिता आरव और अद्विक के पिता साथ खड़े थे। फोटो पुरानी थी, पर उस पर लिखा वाक्य – “दोस्ती, जो अब दुश्मनी में बदल चुकी है” – उसे बेचैन कर रहा था। क्या अद्विक उसी परिवार से था जिसने कभी उसके पिता को धोखा दिया था? या फिर ये सब किसी गहरी चाल का हिस्सा था?
क्लास शुरू हो चुकी थी। अद्विक हमेशा की तरह शांत चेहरा लिए आया, उसकी आँखों में वही रहस्य छिपा था जो आर्या को भीतर तक खींच लेता था। उसने कुछ नहीं कहा, बस उसके पास बैठ गया। आर्या चाहती थी कि वो उससे कुछ पूछे, कुछ बोले, ताकि ये मौन टूटे, लेकिन दोनों के बीच सिर्फ़ खामोशी गूँज रही थी। लेक्चर खत्म होने के बाद अद्विक ने उसकी ओर देखा और बहुत धीरे कहा, “आर्या, मुझे पता है तुम मुझसे सवाल करना चाहती हो… लेकिन हर जवाब की एक कीमत होती है।” आर्या ने नज़रें झुका लीं, उसका दिल कहता था कि ये लड़का कुछ छुपा रहा है, पर उसका मन उस पर यक़ीन करना चाहता था। जब वो लाइब्रेरी से बाहर निकली, तब हल्की बारिश शुरू हो चुकी थी।
अद्विक ने बिना कुछ कहे अपना जैकेट उसके कंधों पर डाल दिया। “भरोसा एक आदत होती है, आर्या,” उसने कहा, “और तुम्हें ये आदत अभी लगनी बाकी है।” आर्या कुछ बोल नहीं पाई। उसकी उंगलियाँ हल्के से कांपीं, पर उसने खुद को संभाल लिया। “मैं किसी पर आसानी से भरोसा नहीं करती,” उसने धीमे से कहा। अद्विक मुस्कुराया, “और शायद इसी वजह से मैं तुम्हें समझना चाहता हूँ।”
अगले दिन जब आर्या ऑफिस पहुँची तो माहौल अलग था। RAY Industries की सिक्योरिटी टीम एक फाइल चोरी की जाँच कर रही थी। आर्या को देखते ही उनके लीडर ने कहा, “मैम, इस डेटा एक्सेस लॉग में आपके नाम से एंट्री हुई है।” आर्या के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। “क्या? मैंने तो कुछ भी नहीं किया!” लेकिन स्क्रीन पर टाइमस्टैम्प उसके अकाउंट से मेल खा रहा था।
उसे तुरंत याद आया — उस रात अद्विक ने उसके सिस्टम पर कुछ देखा था… क्या वही था जिसने फाइलें एक्सेस कीं? जब उसने अद्विक से पूछा तो उसने शांत स्वर में कहा, “अगर मैं कहूँ कि मैंने किया, तो क्या तुम मुझ पर भरोसा करोगी?” आर्या का दिल जोर से धड़कने लगा। “तो तुमने किया?” अद्विक ने उसकी आँखों में देखा, “मैंने किया, लेकिन तुम्हारे खिलाफ नहीं।” “तो फिर किसके लिए?” “तुम्हारे पिता के लिए।” आर्या चौंक गई। “मेरे पिता?” अद्विक ने कहा, “तुम्हारे पिता और मेरे पिता सिर्फ़ दोस्त नहीं थे, वो पार्टनर भी थे। लेकिन जब उनकी कंपनी टूटी, तो सारा इल्ज़ाम मेरे पिता पर लगा। उन्होंने सब कुछ खो दिया, यहाँ तक कि अपनी जान भी। मैं बस सच्चाई साबित करने लौटा हूँ।” उसकी आवाज़ में सच्चाई की गहराई थी, लेकिन साथ ही बदले की कड़वाहट भी। आर्या कुछ नहीं बोल सकी। वो सोच भी नहीं सकती थी कि जिस पर वो भरोसा करने लगी थी, वो उसके परिवार के अतीत से जुड़ा है। रात को जब वो घर पहुँची, तो उसने अपने पिता आरव से पूछा, “पापा… अद्विक नाम सुना है कभी?” आरव का चेहरा पलभर में बदल गया। उसकी आँखों में पुराना डर और पछतावा झलक गया। “आर्या… तुम उससे दूर रहो,” उसने बस इतना कहा। “वो उस आग की राख से आया है जिसे हमने बहुत मुश्किल से बुझाया था।” लेकिन आर्या के भीतर अब जिज्ञासा और भावनाएँ दोनों जल रही थीं।
अगले दिन उसने अद्विक को कॉल किया। “मिलना है मुझे तुमसे,” उसने ठंडी आवाज़ में कहा। अद्विक मुस्कुराया, “मैं जानता था तुम आओगी।” शाम को दोनों उस पुराने वेयरहाउस में मिले जहाँ से सब शुरू हुआ था — RAY Industries का पहला ऑफिस। दीवारों पर जंग, हवा में सन्नाटा, और उनके बीच एक अधूरी कहानी की गंध। अद्विक ने धीरे से कहा, “यहीं पर हमारे पिता की दोस्ती खत्म हुई थी… और शायद यहीं से हमारी कहानी शुरू होगी।” आर्या ने एक गहरी साँस ली। “लेकिन मैं किसी बदले की कहानी का हिस्सा नहीं बनना चाहती।” अद्विक ने कदम आगे बढ़ाया, उसकी आवाज़ बेहद धीमी थी — “तो बनो सच्चाई की कहानी का हिस्सा। बस एक मौका दो मुझे।” आर्या ने उसकी आँखों में देखा। वहाँ दर्द भी था, प्यार भी, और एक ऐसा अंधेरा जो उसे अपने भीतर खींच रहा था। उसने सिर्फ़ इतना कहा, “एक मौका… बस एक।” और इसी के साथ उनके बीच शुरू हुई एक नई कहानी — जिसमें अतीत की राख, बदले की आग और उभरते प्रेम की लौ एक साथ जलने लगी।
कमेंट्स
रात का आसमान बादलों से घिरा था और हवा में अजीब सी बेचैनी थी। आर्या उसी पुराने वेयरहाउस के बाहर खड़ी थी जहाँ पिछले दिन उसने अद्विक से मुलाकात की थी। उसके भीतर कई सवाल थे, पर जवाब कोई नहीं। जब उसने दरवाज़ा खोला तो अंदर अंधेरा था, सिर्फ़ एक कोने में हल्की रौशनी झिलमिला रही थी।
अद्विक वहीं बैठा था, उसके सामने पुरानी फाइलें खुली थीं और एक पुराना पेनड्राइव टेबल पर रखा था। आर्या आगे बढ़ी, “ये सब क्या है?” अद्विक ने ऊपर देखा, उसकी आँखों में गहराई थी — “सच। वो सच जिसे तुम्हारे पिता ने कभी किसी को नहीं बताया।”
आर्या का दिल धड़क उठा। “क्या मतलब?”
अद्विक ने पेनड्राइव उठाया, “इसमें वो सब है जो बीस साल पहले हुआ था। तुम्हारे पिता और मेरे पिता की साझेदारी का अंत, और वो एक झूठ जिसने मेरे परिवार को तबाह कर दिया।” आर्या के होंठ सूख गए। “और अब तुम क्या करना चाहते हो? बदला?”
अद्विक ने हल्की मुस्कान दी — “नहीं, अब मैं सच्चाई चाहता हूँ। बदला तो अंधा होता है, लेकिन मैं देखना चाहता हूँ कि तुम्हारे पिता ने आखिर क्यों किया वो सब।” आर्या ने धीरे से कहा, “मेरे पिता झूठे नहीं हैं।” अद्विक ने शांत स्वर में कहा, “फिर डर कैसा? खोल दो ये फाइलें।” उसने लैपटॉप चालू किया और फाइलें चलने लगीं। स्क्रीन पर पुराने ईमेल्स, अनुबंध, ट्रांज़ैक्शन रिकॉर्ड्स दिखे —
सब में आरव और अरिंदम (अद्विक के पिता) के नाम थे। अचानक एक वीडियो खुला।
आरव और अरिंदम ऑफिस में बहस कर रहे थे। “तुम समझते नहीं हो, अरिंदम! ये डील कंपनी को खत्म कर देगी!” आरव की आवाज़ गुस्से से भरी थी। अरिंदम बोला, “और तुम डर के मारे पीछे हट रहे हो। मैं अपने दम पर इसे पूरा करूँगा।” फिर कैमरा हिला, आवाज़ें गुम हो गईं, और वीडियो वहीं रुक गया।
आर्या ने कंपकंपाती आवाज़ में पूछा, “इसके बाद क्या हुआ था?” अद्विक ने गहरी साँस ली, “उसके बाद आग लगी। पुलिस रिपोर्ट कहती है कि शॉर्ट सर्किट था, लेकिन मेरे पिता की लाश वहीं मिली। तुम्हारे पिता को बचा लिया गया, पर उन्होंने कभी नहीं बताया कि उस रात क्या हुआ।” आर्या की आँखों में आँसू थे। “नहीं… ये सच नहीं हो सकता।”
अद्विक आगे बढ़ा, उसने उसके गाल पर हाथ रखा। “मैं तुम्हारे पिता को दोष नहीं देना चाहता, आर्या। लेकिन मैं जानना चाहता हूँ कि उस रात सच्चाई क्या थी। और अगर वो निर्दोष हैं… तो मैं पहला व्यक्ति बनूँगा जो दुनिया के सामने उनका नाम साफ़ करेगा।” उसकी आवाज़ में ईमानदारी थी, और उसके स्पर्श में एक ऐसी गर्माहट जो आर्या के डर को धीरे-धीरे पिघला रही थी। बाहर बारिश तेज़ हो गई थी, हवा में बिजली की गंध थी, और अंदर दो दिलों की धड़कनें एक हो रही थीं — एक सच्चाई की खोज में, एक विश्वास की लड़ाई में। आर्या ने आँखें बंद कीं और बस इतना कहा, “मैं तुम्हारी मदद करूँगी।” अद्विक मुस्कुराया, “तुम नहीं जानती, ये रास्ता कितना खतरनाक है।” आर्या ने उसकी आँखों में देखा, “मैं अपने पिता की बेटी हूँ, डरना मेरी फितरत नहीं।” अद्विक ने सिर झुकाया, “तो फिर सच की लौ जलाते हैं… साथ में।” उसने लाइट बंद की, और दोनों उसी अँधेरे में निकल पड़े जहाँ अतीत की परछाइयाँ अब भी सांस ले रही थीं। कहीं दूर, हवा में एक पुरानी आवाज़ गूँजी — “हर सच, किसी न किसी झूठ की राख में छिपा होता है।”
कार की हैडलाइट पर लकीरें खींच रही थीं और अंदर दोनों खामोश बैठे थे। आर्या की निगाहें बाहर थीं, लेकिन उसका मन कहीं और था — उस रात में जब उसके पिता की ज़िंदगी बदल गई थी।
अद्विक ने स्टीयरिंग पर हाथ कसते हुए कहा, “जिस आदमी से हम मिलने जा रहे हैं, वो तुम्हारे पिता के पुराने अकाउंटेंट थे। वही आख़िरी व्यक्ति है जिसने उस डील के दस्तावेज़ देखे थे।”
आर्या ने धीरे से कहा, “अगर वो सच जानता है तो इतने सालों से चुप क्यों है?” अद्विक ने बिना देखे जवाब दिया, “कभी-कभी डर इंसान को खरीद लेता है।”
शहर के बाहरी इलाके में वो पुराना घर आया, जहाँ दीवारें काई से ढकी थीं और छत से पानी टपक रहा था। दरवाज़ा खोलने पर एक बूढ़ा आदमी दिखा, झुकी कमर, काँपते हाथ, और आँखों में पुराने डर की परछाईं। “तुम लोग कौन?” उसने पूछा। अद्विक ने धीरे से कहा, “अरिंदम घोष का बेटा… और आरव राय की बेटी।” बूढ़ा आदमी ठिठक गया। उसकी साँस जैसे अटक गई। “इतने साल बाद भी तुम लोग चैन से नहीं बैठे…” उसकी आवाज़ टूटी हुई थी। आर्या आगे बढ़ी, “हमें सच्चाई चाहिए… बस इतना।” बूढ़ा आदमी काँपते हुए कुर्सी पर बैठ गया। “उस रात जो हुआ, वो किसी की समझ में नहीं आया। डील फेल हो गई थी, कंपनी पर लोन था, और फिर एक कॉल आई किसी विदेशी निवेशक से। अरिंदम ने हामी भरी, पर आरव नहीं मान रहे थे। दोनों में झगड़ा हुआ। फिर… धमाका।” आर्या ने डरते हुए पूछा, “क्या वो शॉर्ट सर्किट था?” बूढ़े ने सिर हिलाया, “नहीं… वो जानबूझकर लगाया गया था।” कमरे में सन्नाटा छा गया।
अद्विक ने झटके से पूछा, “किसने किया?” बूढ़ा आदमी काँपते हुए बोला, “मुझे नहीं पता… बस इतना जानता हूँ कि उस रात वहाँ तीसरा शख्स भी था। कोई जो कैमरे के अंधे कोने से निकल गया था।” अद्विक की आँखों में आग थी, “कौन?” बूढ़ा आदमी बोला, “मुझे नाम नहीं मालूम, पर उसके हाथ में वही रिंग थी… जो आज तुम्हारे पिता के पास है।” आर्या जैसे पत्थर बन गई। उसके कानों में बस वही शब्द गूंज रहे थे — “वही रिंग…” उसके पिता की रिंग, जो वो हमेशा पहनते थे, उनके लिए गर्व और पहचान की निशानी थी। अद्विक ने उसकी तरफ देखा, “अब क्या तुम भी मानती हो कि तुम्हारे पिता निर्दोष थे?” आर्या की आवाज़ टूट रही थी, “मैं नहीं जानती अद्विक… शायद मैं अब कुछ नहीं जानती।”
बूढ़े आदमी ने कमजोर हँसी के साथ कहा, “सच तो कोई भी पूरी तरह निर्दोष नहीं होता, बच्ची।” जैसे ही वो बोलकर उठा, बाहर से किसी के कदमों की आवाज़ आई। अद्विक तुरंत खिड़की की ओर भागा, लेकिन वहाँ सिर्फ़ गाड़ी के टायरों की आवाज़ थी, जो दूर अंधेरे में गायब हो गई। जब वो लौटे, तो बूढ़ा आदमी फर्श पर पड़ा था — साँसें बंद। उसके हाथ में एक मुड़ा हुआ कागज़ था, जिस पर बस एक लाइन लिखी थी — “सच की राख में ही अगली आग जलती है।” आर्या ने वो कागज़ पकड़ा और उसकी आँखों से आँसू बह निकले। “अब कोई पीछे नहीं हटेगा,” उसने कहा, “न मैं, न तुम।” अद्विक ने उसका हाथ थामा, “अब ये सिर्फ़ हमारे पिता की कहानी नहीं रही, आर्या… ये हम दोनों की है।” हवा में राख की गंध थी, बारिश की बूँदें ज़मीन पर गिर रही थीं, और उन दोनों की परछाइयाँ एक हो गईं — एक वादा, एक जंग और एक गहराता रिश्ता जो अब लौटना नहीं जानता था।
कमेंट्स
रात का सन्नाटा किसी अदालत की तरह भारी था। हवाएँ धीमी थीं, पर भीतर तूफ़ान उमड़ रहा था। आर्या घर लौटी तो हवेली की बत्तियाँ बुझी थीं, बस आरव के कमरे से हल्की रौशनी झलक रही थी। उसने दरवाज़ा खोला — पिता फाइलों में झुके बैठे थे, आँखों के नीचे थकान की गहरी लकीरें, जैसे बरसों से किसी बोझ के साथ जी रहे हों। आर्या ने दरवाज़ा बंद किया और धीमी आवाज़ में कहा, “पापा… मुझे सब पता चल गया।”
आरव ने नज़र उठाई, उनकी आँखें कुछ पल के लिए खाली रहीं, फिर धीमे बोले, “कितना पता चला?” आर्या आगे बढ़ी, “इतना कि अब झूठ और सच में फर्क करना मुश्किल हो रहा है। अद्विक के पिता की मौत… वो हादसा नहीं था।”
आरव का चेहरा जैसे पत्थर का हो गया। उन्होंने कुर्सी की पकड़ और कस ली। “किसने बताया?” “जिसने आख़िरी बार उन्हें ज़िंदा देखा था,” आर्या ने कहा। “वो अकाउंटेंट… जो अब नहीं रहा।” कुछ क्षण के लिए सन्नाटा छा गया। घड़ी की टिक-टिक भी भारी लग रही थी।
फिर आरव उठे और खिड़की के पास जाकर खड़े हो गए। “हर सच अधूरा होता है, आर्या। जो तुमने सुना, वो आधा सच है।” आर्या की आवाज़ काँपी, “तो बाकी आधा बताइए। उस रात क्या हुआ था?”
आरव ने धीमी साँस ली, “अरिंदम मेरा दोस्त था, मेरा भाई जैसा। लेकिन लालच इंसान को बदल देता है। उसने कंपनी को गिरवी रखने का फैसला किया एक विदेशी सिंडिकेट को, जो गैरकानूनी था। मैंने मना किया, तो उसने कहा — या तो साथ दो, या रास्ते से हट जाओ। उस रात ऑफिस में हमारी बहस हुई। मैं चला गया… लेकिन जब लौटा, सब राख हो चुका था।” आर्या ने काँपती आवाज़ में कहा, “तो आग किसने लगाई?” आरव की आँखों में आँसू थे। “मुझे नहीं पता, बस इतना जानता हूँ कि जब मैं पहुँचा, तब अरिंदम दरवाज़े के पीछे था, और उसकी साँसें टूट रही थीं। उसने बस एक शब्द कहा — ‘धोखा’। फिर सब ख़त्म।”
आर्या चुप थी, उसके भीतर जैसे कुछ टूट रहा था। “और आपने सब छुपा लिया…” आरव की आवाज़ टूटी, “कभी-कभी सच कहना भी एक गुनाह बन जाता है, आर्या। मैं नहीं चाहता था कि तुम्हारी ज़िंदगी उस अतीत की छाया में फँस जाए।” उसकी आँखें भीग गईं, “मैं बस चाहता था कि तुम रोशनी में रहो।” दरवाज़े पर आवाज़ हुई।
अद्विक खड़ा था — उसकी आँखों में आँसू और गुस्सा दोनों थे। “तो आप मानते हैं, मेरे पिता निर्दोष थे?” आरव ने उसकी ओर देखा, “वो मेरे दोस्त थे, अद्विक। और जो कुछ हुआ, उसके लिए मैं भी खुद को माफ नहीं कर पाया।” अद्विक की मुट्ठियाँ भींच गईं। “आपकी चुप्पी ने मेरा परिवार तोड़ दिया।” आरव ने धीमे से कहा, “और तुम्हारे पिता की महत्वाकांक्षा ने मेरा।”
दोनों एक-दूसरे को देखते रहे — दो पीढ़ियों का दर्द, दो दिलों का अतीत। आर्या उनके बीच आ गई, उसकी आवाज़ काँप रही थी लेकिन आँखों में हिम्मत थी। “बस बहुत हुआ… अब ये दुश्मनी ख़त्म होगी। कोई जीत नहीं रहा, सब हार रहे हैं।” उसकी आँखों में आँसू थे, पर स्वर दृढ़ था। “अब मैं सच्चाई के साथ जियूँगी, चाहे वो जितनी भी कड़वी क्यों न हो।” बाहर बिजली कड़की, और उसी पल सब कुछ जैसे साफ़ हो गया।
आरव ने अद्विक के कंधे पर हाथ रखा। “अगर मैं तुम्हारे पिता को वापस नहीं ला सकता, तो कम से कम उनका नाम मिटने नहीं दूँगा।” अद्विक की आँखें नम थीं। “सच शायद किसी की ज़िंदगी लौटा नहीं सकता, पर झूठ को खत्म ज़रूर कर सकता है।”
आर्या ने धीरे से उनका हाथ थामा, “अब हम तीनों साथ हैं — सच्चाई के लिए।” दूर कहीं, आसमान खुलने लगा था। बारिश की बूँदें धीरे-धीरे थम रहीं थीं, जैसे सालों की ग़लतफ़हमी धुल रही हो। अँधेरे में पहली बार एक रौशनी दिखी — वो रौशनी जो झूठ के चेहरे से नक़ाब हटा रही थी, और तीन ज़िंदगियों को एक नई शुरुआत दे रही थी।
रात बीत चुकी थी। बारिश थम चुकी थी, बस खिड़की से छनकर आती ठंडी हवा कमरे में तैर रही थी। आर्या खामोश बैठी थी — एक हाथ में कॉफी का मग था, दूसरे में एक पुराना फोटोफ़्रेम। उसमें उसके पिता आरव और अद्विक के पिता अरिंदम साथ खड़े थे, मुस्कुराते हुए, जैसे वक़्त ने अभी कोई ज़ख्म नहीं दिया था। वो तस्वीर देख आँसू अपने आप गिर पड़े, पर ये आँसू कमज़ोरी के नहीं, एक राहत के थे — अब कोई झूठ नहीं बचा था।
नीचे लॉन में अद्विक खड़ा था। ठंडी हवा उसके चेहरे से खेल रही थी, पर उसके भीतर कुछ और ही जल रहा था — ग़ुस्सा नहीं, बल्कि वो तड़प जो किसी अपने को समझने में देर से आई हो। आर्या चुपचाप नीचे आई, बिना कुछ कहे उसके पास खड़ी हो गई। दोनों ने कुछ नहीं कहा, बस आसमान की ओर देखा। तारों के बीच आधा चाँद झाँक रहा था, जैसे उम्मीद का एक टुकड़ा रह गया हो।
कुछ पल यूँ ही बीते। फिर अद्विक ने धीरे से कहा, “तुम्हारे पापा बुरे नहीं हैं। बस हालात ने उन्हें वैसा बना दिया जैसा वो नहीं थे।” आर्या ने हल्की मुस्कान दी, “और तुम्हारे पिता ग़लत नहीं थे, बस उनकी सच्चाई किसी ने सुनी नहीं।” अद्विक ने उसकी ओर देखा, “क्या हम अब सच के साथ जी पाएँगे?” आर्या ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा, “हाँ, लेकिन इस बार बिना डर के।”
अद्विक के चेहरे पर पहली बार शांति थी। उसने धीरे से आर्या का हाथ थामा — बिना शब्दों के, बिना किसी वादा किए। बस एक एहसास कि अब सब खत्म नहीं, बल्कि कुछ नया शुरू हो रहा है। हवाएँ थोड़ी तेज़ हुईं, जैसे आसमान ने भी उस पल को महसूस किया हो।
अंदर से आरव की आवाज़ आई, “आर्या, कल बोर्ड मीटिंग है।” वो अंदर चली गई, पर अद्विक वहीं खड़ा रहा। उसने उस पुराने महल को देखा — दीवारों पर अतीत की परछाइयाँ थीं, लेकिन अब हर कोना जैसे साँस ले रहा था।
सुबह होते ही सब कुछ बदल गया। आरव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सच सबके सामने रखा — पूरी कहानी, वो आग, वो झूठ, और अपनी चुप्पी। मीडिया में सनसनी मच गई, लेकिन आरव के चेहरे पर एक अजीब सुकून था। “सच देर से आया, पर आया सही वक़्त पर,” उन्होंने कहा। अद्विक ने मंच से उतरते हुए उनके पास जाकर कहा, “अब मेरे पिता का नाम मिटेगा नहीं।” आरव ने सिर हिलाया, “और मेरा अपराध भी।”
जब सब खत्म हुआ, आर्या बाहर आई। धूप खिली थी। अद्विक गाड़ी के पास खड़ा था, उसकी ओर देखते हुए। आर्या ने कहा, “अब आगे क्या?” अद्विक ने मुस्कुराते हुए कहा, “अब ज़िंदगी… बिना पुराने बोझ के।”
आर्या ने उसकी आँखों में झाँका — वहाँ अब ग़ुस्सा नहीं था, बस सच्चाई और अपनापन था। उसने कुछ कहे बिना बस मुस्कुरा दिया। अद्विक ने कहा, “शायद किस्मत ने हमें इसलिए मिलाया, ताकि दोनों परिवारों का अंत नहीं, एक नई शुरुआत हो।”
उसने धीरे से आर्या का हाथ छुआ — बस इतना कि एहसास रहे, पर बंधन न बने। आर्या ने सिर झुकाकर कहा, “शुरुआतें हमेशा आसान नहीं होतीं…” अद्विक ने जवाब दिया, “पर अब डरना भी नहीं पड़ेगा।”
आसमान में फिर वही आधा चाँद था — अधूरा, लेकिन सुंदर। दोनों ने उसकी ओर देखा और चुपचाप एक ही रास्ते पर चल पड़े, जैसे दो अधूरे हिस्से अब एक मुकम्मल कहानी बनने जा रहे हों।
और इसी तरह “Unwanted CEO Bride” की कहानी ने अपने पहले चक्र को पूरा किया —
जहाँ धोखे की जगह सच्चाई ने ली,
और मजबूरी की जगह प्रेम ने।
कमेंट्स
तीन साल बीत चुके थे।
लेकिन कुछ अतीत ऐसे होते हैं, जो वक्त नहीं मिटा पाता — वो बस सो जाते हैं, और सही समय पर फिर जाग उठते हैं।
मुंबई की रातें अब भी उतनी ही तेज़ थीं, लेकिन ऊँचे कॉर्पोरेट टावरों के बीच एक नया नाम गूँज रहा था — AARV Industries.
आर्या आरव मल्होत्रा अब उस साम्राज्य की सीईओ थी — वही साम्राज्य, जिसकी नींव झूठ और धोखे पर रखी गई थी, लेकिन अब उसे सच और हिम्मत से सँभाल रही थी।
कॉनफ्रेंस रूम में दर्जनों कैमरों की फ्लैश लाइटें चमक रही थीं। मीडिया के सवाल, निवेशकों की नज़रें, और आर्या का चेहरा — शांत, लेकिन भीतर कहीं गहराई में तपिश थी।
“Miss Malhotra, आप इस साझेदारी को जोखिम भरा नहीं मानतीं? वो भी Advik Roy जैसे पार्टनर के साथ?”
सवाल सुनकर माहौल में सिहरन सी दौड़ गई।
आर्या ने हल्की मुस्कान दी, “हर साझेदारी जोखिम लेकर ही बनती है। फर्क सिर्फ़ इतना है — मैं अब डरती नहीं।”
पीछे बैठा अद्विक उसकी तरफ देख रहा था — उसकी आँखों में वो ठंडापन अब नहीं था, पर कुछ ऐसा ज़रूर था जो रहस्य में लिपटा था।
तीन सालों में दोनों ने न सिर्फ अपने परिवारों की सच्चाई को दुनिया के सामने रखा, बल्कि साथ मिलकर एक नई कंपनी खड़ी की — एक ऐसा एम्पायर जो सिर्फ बिज़नेस नहीं, उनकी नई पहचान बन चुका था।
पर आज कुछ अलग था।
बोर्ड मीटिंग खत्म होने के बाद आर्या ने अद्विक को देखा।
“तुम आज कुछ चुप हो।”
अद्विक ने मुस्कराकर कहा, “कुछ तूफान अंदर चल रहे हैं, जिन्हें बाहर आने में वक्त लगता है।”
आर्या ने कहा, “हमने सब कुछ पार कर लिया अद्विक। अब डर किस बात का?”
वो झुका, उसकी ओर देखते हुए बोला — “डर अब नहीं, आर्या… बस यकीन की परीक्षा बाकी है।”
उस रात हवेली में आरव अपने पुराने कमरे में बैठे थे। खिड़की से बाहर देखते हुए उन्होंने महसूस किया — जैसे वही पुराने साये लौट आए हों। टेबल पर एक लिफाफा रखा था, जिस पर कोई नाम नहीं था, बस एक शब्द — “Revenge”.
उन्होंने काँपते हाथों से लिफाफा खोला — अंदर एक फोटो थी, जिसमें अद्विक किसी अनजान महिला के साथ था… और पीछे लिखा था — “You trusted the wrong bloodline again.”
आरव का दिल धड़क उठा।
वो तुरंत नीचे भागे, पर आर्या जा चुकी थी।
रात के अंधेरे में अद्विक की कार भी नहीं थी।
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दूसरी ओर, शहर के बाहर, एक पुरानी फैक्ट्री की ओर बढ़ती गाड़ी में अद्विक अकेला था।
फोन बजा — स्क्रीन पर नंबर अज्ञात था।
आवाज़ आई, “Welcome back, Mr. Roy… हमने कहा था ना, ये कहानी खत्म नहीं हुई।”
अद्विक की आँखों में ठंडा गुस्सा चमका। “मैं अब खेल नहीं खेलता।”
आवाज़ हँसी, “लेकिन आर्या खेल का मोहरा बन चुकी है।”
गाड़ी रुक गई। फैक्ट्री के दरवाज़े खुले, और अंदर अंधेरे में कुछ पुराने चेहरे नज़र आए — वो लोग, जिन्होंने कभी अरिंदम रॉय को गिराया था… और अब उसी खून से बदला लेने लौटे थे।
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सुबह की पहली रोशनी में आर्या का फोन बजा। स्क्रीन पर लिखा था — Advik Roy – last location: Abandoned Factory, Sector 9.
उसका चेहरा सफेद पड़ गया।
वो जानती थी, ये सिर्फ एक बिज़नेस वार नहीं — ये वो आग थी जो तीन साल बाद फिर से भड़क उठी थी।
वो गाड़ी में बैठी, और तेज़ी से शहर से बाहर निकल गई।
पीछे सूरज उग रहा था, लेकिन उसके दिल में अंधेरा फिर गहराने लगा था।
शहर की सीमाओं से बाहर हवा में नमी थी, और सड़कें जैसे अंधेरे में खो गई थीं। आर्या की कार पुरानी फैक्ट्री के सामने रुकी। गेट जंग लगा था, दीवारों पर पुरानी पेंटिंग्स की परतों के नीचे बस सन्नाटा था। उसने धीरे से दरवाज़ा खोला—और भीतर घुसते ही उसे वही ठंडी धातु की गंध महसूस हुई, जो सिर्फ़ डर और साज़िश की जगहों में होती है।
“अद्विक?” उसकी आवाज़ खाली हॉल में गूँज उठी। जवाब नहीं मिला, बस छत से गिरती पानी की बूँदों की आवाज़। वो आगे बढ़ी—हर कदम सावधानी से, जैसे ज़मीन भी अब भरोसेमंद नहीं रही। अचानक एक परछाई दीवार पर उभरी। वो पलटी—और सामने अद्विक खड़ा था। उसके चेहरे पर अजीब सा ठंडा भाव था।
“तुम यहाँ क्यों आई?” उसकी आवाज़ में कोई गर्माहट नहीं थी।
आर्या ने काँपते स्वर में कहा, “क्योंकि मुझे लगा… तुम मुसीबत में हो।”
अद्विक ने हल्की हँसी भरी—वो हँसी जिसमें दर्द था, लेकिन कोई करुणा नहीं। “मुसीबत? या तुम सोचती हो मैं खुद मुसीबत हूँ?”
आर्या ने एक कदम और पास आकर कहा, “तुम्हारे बारे में कुछ झूठ फैले हैं, मैं सब साफ करना चाहती हूँ।”
अद्विक ने नज़रें झुका लीं, “कुछ झूठ साफ नहीं किए जाते, आर्या… उन्हें जीना पड़ता है।”
उसकी आवाज़ में ऐसी कड़वाहट थी, कि आर्या को महसूस हुआ—कुछ बहुत गहरा टूट चुका है।
“मेरे पिता की मौत सिर्फ़ हादसा नहीं थी,” अद्विक बोला, “वो एक सौदा था—जो तुम्हारे पापा ने अधूरा छोड़ा था। और अब वही सौदा पूरा करने का वक्त है।”
आर्या ने सख्त स्वर में कहा, “तुम क्या कह रहे हो?”
अद्विक ने धीरे से उसके हाथ से फाइल ली, उसमें पुराने दस्तावेज़ थे—‘Roy-Malhotra Energy Deal, Confidential – 2014’।
“ये समझौता सबकी बर्बादी की जड़ है, आर्या। तुम्हारे पिता ने जो रोका, अब वो फिर शुरू हो चुका है। और इस बार खेल में सिर्फ़ पैसे नहीं, ज़िंदगियाँ दाँव पर हैं।”
आर्या की साँसें तेज़ हो गईं।
“तो हम इसे रोकेंगे।”
अद्विक ने उसकी आँखों में देखा—“हम?”
वो मुस्कराया, पर उस मुस्कान में दर्द था। “क्या तुम अब भी मुझ पर भरोसा करती हो?”
आर्या ने कुछ पल उसकी आँखों में देखा—वो आँखें जो कभी उसकी कमजोरी थीं, अब सवाल बन चुकी थीं।
फिर उसने धीरे से कहा, “हाँ… लेकिन अगर तुम झूठ नहीं बोल रहे हो।”
वो क्षण भारी था। बाहर बिजली कड़की, फैक्ट्री की खिड़कियाँ काँप उठीं।
अद्विक ने आगे बढ़कर उसकी कलाई थाम ली। “तो तैयार हो जाओ, आर्या… अब जो खेल शुरू होगा, उसमें न विजेता बचेगा, न निर्दोष।”
आर्या ने उसके चेहरे की ओर देखा—वहाँ अब नफ़रत नहीं, एक अजीब सा अपनापन था, जैसे दोनों जानते हों कि इस अंधेरे से निकलने का रास्ता सिर्फ़ साथ है।
अचानक फैक्ट्री की दूसरी तरफ़ से आवाज़ आई—कुछ लोग अंदर घुस चुके थे।
अद्विक ने उसका हाथ खींचा, “भागो!”
दोनों पीछे की ओर दौड़े, गलियारों से होते हुए पुराने स्टोर तक पहुँचे।
वहाँ एक गुप्त दरवाज़ा था—लोहे की जाली से ढका हुआ। अद्विक ने उसे खोला, और दोनों बाहर निकल गए।
पीछे से गोलियों की आवाज़ गूँजी, हवा में बारूद की गंध फैल गई।
बाहर बारिश शुरू हो चुकी थी। दोनों सड़क पर भागते हुए एक पुरानी कार तक पहुँचे।
अद्विक ने स्टीयरिंग पकड़ा, इंजन स्टार्ट किया, और कार अंधेरे में गुम हो गई।
कुछ देर बाद जब वे शहर के किनारे पहुँचे, आर्या ने पूछा, “अब कहाँ?”
अद्विक ने सड़क पर नज़र रखते हुए कहा, “जहाँ से ये सब शुरू हुआ था—अरिंदम के पुराने बंगले में।”
आर्या चुप रही। वो जानती थी, अब सिर्फ़ सौदा नहीं, बल्कि उस अतीत का सामना होना था जो उनके बीच की आख़िरी दीवार बन चुका था।
बारिश की बूँदें शीशे पर गिरती रहीं, और कार रात के अंधेरे में दौड़ती रही—जहाँ न भरोसा था, न यकीन… बस दो साये थे जो अब एक-दूसरे से टकराने वाले थे।
कमेंट्स
रात का सन्नाटा गहराता जा रहा था। सड़कें सुनसान थीं, और आसमान में बादल ऐसे तैर रहे थे जैसे किसी ने ऊपर से धुआँ उड़ा दिया हो। कार एक सुनसान रास्ते से गुज़र रही थी — वही रास्ता जो कभी अरिंदम रॉय के पुराने बंगले की ओर जाता था। आर्या खिड़की से बाहर देख रही थी; बारिश की बूँदें शीशे पर गिरते ही टूट रही थीं, ठीक वैसे ही जैसे उसका भरोसा बार-बार बिखर चुका था।
बंगला दूर से नज़र आने लगा — चारों तरफ़ बेलें लिपटी थीं, दीवारों पर वक्त की धूल, और दरवाज़े पर जंग लगा ताला। जैसे किसी ने जानबूझकर उस जगह को भुला दिया हो। अद्विक ने कार रोकी, इंजन बंद हुआ, और हवा में सन्नाटा उतर आया।
“यहीं से सब शुरू हुआ था,” उसने धीमे से कहा।
आर्या ने दरवाज़ा खोला। मिट्टी की गंध हवा में तैर रही थी, पुराने दिनों की किसी याद की तरह। उन्होंने अंदर कदम रखा — दरवाज़े की चरमराहट किसी टूटे दिल जैसी लगी।
अंदर धूल के बीच अरिंदम की पुरानी तस्वीरें टंगी थीं। एक में वो आरव के साथ थे, हँसते हुए। दूसरी में उनकी पत्नी, और एक छोटी सी बच्ची — वही बच्ची जिसे देखकर आर्या कुछ पल ठिठक गई।
“ये कौन है?” उसने पूछा।
अद्विक ने कहा, “मेरी बहन… ‘अमायरा’। बचपन में गायब हो गई थी… किसी को पता नहीं चला कि कहाँ गई।”
आर्या ने तस्वीर को छुआ, “वो अब कहाँ है?”
अद्विक ने बस इतना कहा, “कभी-कभी साये लौटते हैं, आर्या। और जब लौटते हैं, तो अंधेरा अपने साथ लाते हैं।”
उसकी आवाज़ में कुछ ऐसा था जो डर पैदा कर रहा था। आर्या ने चारों ओर देखा — मेज़ पर एक पुराना बॉक्स रखा था, जिस पर राख की परत थी। अद्विक ने उसे धीरे से खोला।
अंदर एक पुराना पेंड्राइव और कुछ अधूरे दस्तावेज़ थे। फाइल पर लिखा था —
Project Shadow – 2014
आर्या ने फाइल उठाई और पन्ने पलटे।
“यह तो… बायोटेक रिसर्च का कॉन्ट्रैक्ट है,” उसने कहा। “लेकिन इसमें हमारे दोनों परिवारों के नाम हैं।”
अद्विक की आँखें ठंडी थीं। “यही असली सौदा था, आर्या। मेरे पिता और तुम्हारे पिता मिलकर एक ऐसी टेक्नोलॉजी बना रहे थे जिससे ऊर्जा पैदा की जा सके, लेकिन उस रिसर्च के पीछे था एक और राज़…”
“क्या?” आर्या ने पूछा।
अद्विक ने धीरे से कहा, “वो टेक्नोलॉजी इंसानों पर टेस्ट की जा रही थी।”
आर्या की साँस अटक गई। “मतलब—”
“हाँ,” अद्विक ने कहा, “किसी ने उन टेस्ट्स को लीगल दिखाने के लिए झूठे कागज़ बनाए। और जब मेरे पिता ने मना किया, तो उन्हें हटा दिया गया।”
उसकी आँखों में लपटें थीं।
“और अब वही प्रोजेक्ट फिर से शुरू हो चुका है — इस बार हमारे नामों के नीचे।”
आर्या ने एक कदम पीछे हटाया। “कौन कर रहा है ये सब?”
अद्विक ने उसकी आँखों में देखा। “शायद वो… जिसे तुम परिवार कहती हो।”
उसी पल ऊपर की मंज़िल से किसी के चलने की आवाज़ आई।
दोनों ने सिर उठाया — कोई था वहाँ।
अद्विक ने इशारा किया, और दोनों धीरे से सीढ़ियाँ चढ़ने लगे।
ऊपर पहुँचकर उन्होंने दरवाज़ा खोला — और सामने जो था, देखकर दोनों ठिठक गए।
कमरे में धूल भरी कुर्सी पर कोई बैठा था। चेहरे पर नकाब, आँखों में ठंडी सिहरन।
आवाज़ आई — “काफी देर कर दी तुम दोनों ने।”
वो उठा, और नकाब हटाया।
आर्या की साँस थम गई।
वो आरव मल्होत्रा थे।
“पापा…” आर्या की आवाज़ काँपी।
अद्विक के चेहरे पर जमीं ठंडक अब पिघलने लगी थी, लेकिन वो कुछ बोल नहीं पाया।
आरव ने कहा, “मुझे सब पता चल गया है… और अब सच कहने का वक्त नहीं, उसे ख़त्म करने का वक्त है।”
कमरे की खिड़की से बिजली कड़की, हवा के साथ परदे फड़फड़ाए।
आर्या एक कदम बढ़ी, “पापा, आप यहाँ क्या कर रहे हैं?”
आरव ने पेंड्राइव की ओर देखा, “वो चीज़ जिसके लिए तुम्हारे पिता मरे… और जिसे मैंने छुपाया। वो अगर दुनिया के सामने आई, तो सब मिट जाएगा — मैं, तुम, अद्विक… सब।”
अद्विक ने कहा, “तो आप अब भी उसे बचाना चाहते हैं?”
आरव की आँखों में ग़ुस्सा चमका। “मैं अपने परिवार को बचाना चाहता हूँ!”
आर्या की आँखों में आँसू आ गए। “किस कीमत पर, पापा?”
आरव चुप रहे। फिर धीरे से बोले, “सच कभी मुफ़्त नहीं आता, आर्या… और आज रात, कोई न कोई उसकी कीमत चुकाएगा।”
बाहर तूफ़ान तेज़ हो गया था।
खिड़की की हवा में परदे उड़ रहे थे, और उस कमरे में तीन पीढ़ियों की कहानियाँ एक-दूसरे के आमने-सामने थीं — सच, झूठ और खून।
कमरा सन्नाटे में डूबा था, लेकिन उस सन्नाटे की अपनी आवाज़ थी — टूटते रिश्तों की, बिखरते भरोसे की, और उन चीखों की जो शब्द नहीं बन पाईं। आरव की आँखों में वही आग थी जो सालों पहले सब कुछ जला चुकी थी। आर्या ठिठकी हुई खड़ी थी, समझ नहीं पा रही थी कि सामने खड़ा व्यक्ति उसका पिता है या एक ऐसा आदमी जिसने सच्चाई से सौदा कर लिया था। अद्विक आगे बढ़ा, उसकी आवाज़ धीमी लेकिन दृढ़ थी — “आपने उस रिसर्च को क्यों नहीं रोका?”
आरव ने नज़र उठाई, “क्योंकि वो रिसर्च इंसानियत को खत्म करने के लिए नहीं, उसे नया रूप देने के लिए थी। तुम्हारे पिता ने उसे गलत दिशा दी।”
अद्विक के चेहरे पर गुस्सा तैर गया। “मेरे पिता ने उसे रोका क्योंकि वो जानते थे कि उसका इस्तेमाल लोगों पर होगा!”
आरव की मुट्ठियाँ भींच गईं, “वो लोग जिन्हें दुनिया पहले ही त्याग चुकी थी। जो मरने के कगार पर थे, उन्होंने ही तो हमें मौका दिया… और उसी के बदले तुम्हारे पिता ने हमें धोखा दिया।”
आर्या ने काँपते स्वर में कहा, “पापा… आप जो कह रहे हैं, वो किसी भी तरह सही नहीं है।”
आरव ने उसकी ओर देखा, “सही? तुम सही की बात करती हो, आर्या? सही वो होता है जिससे ज़िंदगी बचती है। मैंने बस वही किया जो ज़रूरी था।”
अचानक बिजली कड़की, और रोशनी चली गई। कमरे में अब सिर्फ एक टॉर्च की हल्की किरण बची थी जो आर्या के हाथ में थी। उसके दिल की धड़कनें तेज़ थीं।
अद्विक धीरे से बोला, “हम पेंड्राइव पुलिस को देंगे, और सब सच सामने आएगा।”
आरव हँसा, वो हँसी दर्द से भरी थी। “तुम सोचते हो सच्चाई इतनी आसान है? जिस दिन ये डेटा बाहर जाएगा, न तुम्हारे पिता का नाम बचेगा, न मेरा। बस हम सब की मिट्टी समान हो जाएगी।”
आर्या आगे बढ़ी। “तो मैं मिट जाऊँगी, लेकिन झूठ में नहीं जिऊँगी।”
उसने पेंड्राइव अपनी मुट्ठी में कस ली।
आरव ने कदम बढ़ाया, “आर्या, वो डेटा किसी के हाथ नहीं लगना चाहिए।”
अद्विक उसके सामने आ गया, “वो उसकी बेटी है, उसे धमकाने का हक़ नहीं आपको।”
आरव की आँखों में अंधेरा भर गया, “तुम नहीं जानते अद्विक, ये सब तुम्हारे पिता की वजह से शुरू हुआ था… और अब इसे खत्म करने के लिए तुम्हें ही हटाना होगा।”
उसने दराज़ से एक बंदूक निकाली।
आर्या चीखी, “पापा नहीं!!”
पर वो पल जैसे हमेशा के लिए ठहर गया।
अद्विक ने झपटकर आर्या को पीछे खींच लिया। गोली चली — दीवार से टकराई, और कमरे में धुआँ फैल गया।
आर्या ने पेंड्राइव फर्श पर गिराई। वो लुढ़ककर अरिंदम की पुरानी तस्वीर के सामने जा रुका।
उसकी फ्रेम में दरार पड़ गई — जैसे बीते हुए सालों का झूठ भी अब टूट चुका हो।
आरव वहीं खड़ा रह गया, उसकी साँसें तेज़ थीं, और आँखों से आँसू बह निकले।
“मैं… मैं बस चाहता था कि तुम सुरक्षित रहो,” उसने काँपते स्वर में कहा।
आर्या धीरे से उसके पास आई। “सुरक्षा उस सच में नहीं होती पापा… जो हमें खुद से दूर कर दे।”
अद्विक ने बंदूक उसके हाथ से धीरे से नीचे की ओर धकेल दी।
आरव थककर कुर्सी पर गिर पड़ा।
“शायद तुम दोनों सही हो,” उसने कहा। “सच की कीमत मुझे ही चुकानी होगी।”
आर्या ने काँपते हाथों से उसका चेहरा छुआ, “नहीं पापा, हमें साथ रहना है।”
पर आरव ने उसकी हथेली पर कुछ रखा — एक छोटी सी चाबी। “तहख़ाने में वो सर्वर है जिसमें असली डेटा है। इसे नष्ट कर दो… ताकि कोई इसे फिर इस्तेमाल न कर सके।”
वो उठे, और दरवाज़े की ओर बढ़े।
अद्विक कुछ कहता, उससे पहले उन्होंने कहा, “शायद यही मेरा प्रायश्चित है।”
और अगले ही पल—
एक तेज़ धमाका हुआ।
छत के एक हिस्से में आग लग चुकी थी।
आर्या चिल्लाई, “पापा!”
पर धुएँ और आग के बीच उनका चेहरा आख़िरी बार नज़र आया — शांत, जैसे किसी ने आखिरकार सज़ा स्वीकार कर ली हो।
अद्विक ने आर्या को खींचा, “चलो, देर हो जाएगी!”
दोनों नीचे दौड़े, तहख़ाने में पहुँचे।
सर्वर जलने ही वाला था।
आर्या ने चाबी लगाई, और एक बटन दबाया — “DELETE ALL DATA.”
स्क्रीन पर संदेश आया — “Project Shadow – Terminated.”
जैसे ही आख़िरी डेटा मिटा, आग तेज़ हो गई।
दोनों भागते हुए बाहर निकले।
बाहर बारिश शुरू हो चुकी थी, और पीछे बंगला राख में बदल रहा था।
आर्या घुटनों के बल बैठ गई, आँसू बारिश में घुल गए।
“सब खत्म हो गया…” उसने कहा।
अद्विक ने उसका हाथ थामा, “नहीं… अब सब शुरू होगा।”
वो दोनों राख की गंध में खड़े थे — एक युग की विरासत ख़त्म हो चुकी थी।
पर अब जो कहानी शुरू होगी, वो सिर्फ़ दो परिवारों की नहीं, बल्कि दो आत्माओं की होगी जो अंधेरे से होकर रोशनी तक पहुँची थीं।
कमेंट्स
आग बुझ चुकी थी। आसमान पर भोर की पहली किरणें थीं — धुएँ और राख के बीच नई ज़िंदगी की हल्की सी खुशबू।
आर्या ने आसमान की ओर देखा — उसके चेहरे पर आँसुओं की परत थी, लेकिन आँखों में शांति थी।
अद्विक उसके पास आया, उसके कंधे पर हल्के से हाथ रखा।
“अब सब खत्म हो गया…” उसने धीमे से कहा।
अद्विक मुस्कुराया, “नहीं, अब शुरुआत है।”
कई दिन बीत गए। वो दोनों शहर से दूर पहाड़ों में बने एक छोटे-से कॉटेज में रहने लगे।
ना कोई ऑफिस, ना कोई साज़िश — बस चुप्पी, बारिश, और उनके बीच की अनकही समझ।
कभी-कभी वो दोनों झील के किनारे बैठते। हवा में ठंडक होती, सूरज पहाड़ों के पीछे छिपता।
आर्या अपने स्केचबुक में कुछ बनाती — और अद्विक उसके बालों में गिरती हवा को रोकने की कोशिश करता।
“तुम अब भी उतनी ही खूबसूरत लगती हो जब चुप होती हो,” अद्विक ने कहा।
आर्या हँस दी, “तो अब बोलना छोड़ दूँ?”
“नहीं,” उसने मुस्कराते हुए कहा, “बस इतना चाहूँगा कि जब बोलो तो मेरे पास रहो।”
वो दोनों झील के किनारे लंबी चुप्पी में बैठे रहे। सिर्फ़ उनके दिलों की धड़कनें थीं — और हवा का संगीत।
अद्विक ने धीरे से उसका हाथ थामा।
उसकी हथेली ठंडी थी, लेकिन उस छूने में इतनी गर्मी थी कि आर्या की आँखें भीग गईं।
“तुम्हें कभी डर नहीं लगा?” आर्या ने पूछा।
“डर?” अद्विक ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा, “डर तो तब लगा था, जब लगा कि तुम्हें खो दूँगा।”
आर्या ने उसके सीने पर सिर रख दिया।
“अब हम किसी को नहीं खोएँगे,” उसने फुसफुसाकर कहा, “अब बस रौशनी होगी।”
शाम को कॉटेज में मोमबत्तियों की लौ झिलमिला रही थी।
अद्विक ने गिटार उठाया — उसकी पुरानी आदत थी, लेकिन आर्या ने उसे कभी बजाते नहीं देखा था।
उसने एक धीमी सी धुन छेड़ी, वही जो आर्या के पिता को पसंद थी।
आर्या की आँखें भर आईं।
वो उसके पास आई, और बिना कुछ कहे, बस उसकी बाँहों में समा गई। अद्विक ने आर्या के होठों को चूमा। उसके बालों को कंधे से हटाते हुए उसके कंधे पर चूमा जिससे आर्या सिहर उठी थी। अद्विक ने उसे बाहों में उठाया और कमरे में ले आया। उसे बिस्तर पर लिटाते हुए खुद उसके उपर आ गया। उसने उसे किस करते हुए धीरे धीरे करते हुए उसके ब्लाउज के हुकखोलने शुरू कर दिए। उसकी ब्रेस्ट को चूमते हुए वह उसके कपड़े निकालते हुए धीरे धीरे उसमें समाते जा रहा था। पूरे कमरे में उन दोनों के प्यार की सिसकियां गूंज रही थी। इतने वक्त से साथ होने के बाद यह उनका पहली बार था जब दोनों ने सारी हदें तोड़ दी थी दो जिस्म एक जान बनकर।
दोनों चुप थे — न कोई वादा, न कोई शिकायत।
बस साँसों की गर्माहट और बीते हुए कल की ठंडक के बीच का संतुलन।
अद्विक ने उसके बालों को पीछे किया।
“अब आगे क्या?” उसने पूछा।
आर्या ने उसकी आँखों में देखा — “अब हम किसी और की कहानी नहीं बनेंगे… अपनी लिखेंगे।”
अद्विक मुस्कराया, “Unwanted से… Unbreakable तक।”
दोनों हँस पड़े।
उस रात आसमान में हल्की बर्फ़ गिर रही थी।
कॉटेज के बाहर जगमग लाइट्स थीं, अंदर मोमबत्तियों की महक।
आर्या ने अद्विक के कंधे पर सिर रखा।
“वादा करो, अब कोई अंधेरा नहीं आएगा।”
अद्विक ने धीरे से उसका माथा चूमा।
“वादा… अगर अंधेरा आया भी, तो हम दोनों मिलकर उसे रोशनी में बदल देंगे।”
खिड़की के बाहर से बर्फ़ की परतें धीरे-धीरे गिर रही थीं —
और अंदर, दो आत्माएँ जो कभी टूटी थीं, अब एक-दूसरे में सुकून पा चुकी थीं।
बीते हुए झूठ, दर्द और आग की राख के बीच अब सिर्फ़ प्यार था —
शांत, सच्चा, और अनंत।
एक साल बीत चुका था।
पहाड़ों की वो ठंडी हवाएँ अब भी उसी तरह चलती थीं, पर अब उस कॉटेज की खिड़की से हँसी की आवाज़ें भी आती थीं।
आर्या और अद्विक अब एक नए सफ़र पर थे —
दर्द की राख से उगी हुई एक रौशनी का नाम था — “A.R. Foundation”,
जहाँ “A” था आर्या, और “R” था रौशनी, उनके नए प्रोजेक्ट का नाम,
जो उस अधूरी रिसर्च को इंसानियत की भलाई के लिए बदलने की कोशिश थी।
सुबह का सूरज धीमे-धीमे पहाड़ की चोटियों को छू रहा था।
आर्या बालकनी में खड़ी कॉफी पी रही थी।
नीले शॉल में लिपटी, हवा में उसके बाल उड़ रहे थे।
अद्विक पीछे से आया, बिना कुछ कहे उसके कंधों के चारों ओर अपनी बाँहें रख दीं।
“अब भी कॉफी इतनी कड़वी क्यों?” उसने मुस्कराकर पूछा।
आर्या ने हँसते हुए जवाब दिया — “क्योंकि मिठास तो तुमसे मिलती है।”
अद्विक ने झुककर फुसफुसाया — “तो अब हर सुबह दो कप कॉफी और दो दिलों की मिठास, पक्की बात।” इतना कहने के बाद अद्विक ने उसके होठों को चूम लिया।
दोनों कुछ देर वहीं खड़े रहे,
चुपचाप उस नज़ारे को देखते — नीचे झील, सामने सूरज, और बीच में उनका सुकून।
थोड़ी देर बाद, दोनों ऑफिस पहुँचे — अब उनका नया मुख्यालय वही कॉटेज के पास बना एक छोटा-सा “Innovation Center” था।
वहाँ कुछ युवा वैज्ञानिक काम कर रहे थे, जिनकी आँखों में सपने थे और दिलों में भरोसा।
आर्या उन्हें समझा रही थी,
“हम अब वही नहीं दोहराएँगे जो पहले हुआ। हम वो करेंगे जिससे लोग जिएँगे, डरेंगे नहीं।”
अद्विक उसे देख रहा था, उसकी आवाज़ में वही दृढ़ता थी जो कभी उसके पिता की थी।
वो सोचता — “कभी जिसे मैंने खो दिया था, वही अब मेरी पूरी दुनिया है।”
शाम ढली।
कॉलेज के बच्चे पास की गली में दीवाली की लाइट्स लगा रहे थे।
आर्या और अद्विक हाथ में दीया लेकर झील के किनारे पहुँचे।
आर्या बोली — “हर साल इस दिन मैं कुछ माँगती थी।”
“और इस साल?” अद्विक ने पूछा।
“इस साल कुछ माँगने को नहीं बचा…”
वो मुस्कुराई, “बस शुक्रिया है — तुम्हारे लिए।”
अद्विक ने दीया पानी में रखा।
“अब हमारी कहानी में बस रौशनी बचेगी।”
आर्या ने उसकी ओर देखा,
धीरे से कहा — “मुझे अब डर नहीं लगता, अद्विक। न अंधेरे से, न अकेलेपन से।”
अद्विक ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा —
“क्योंकि अब तुम कभी अकेली नहीं हो।”
वो पल ठहर गया।
हवा में फूलों की खुशबू थी, पानी में दीए की लौ थिरक रही थी,
और दो दिल — जो कभी एक-दूसरे के खिलाफ़ थे — अब एक ही धड़कन में थे।
रात को जब वो दोनों लौटे, तो कॉटेज की दीवार पर नया नेमप्लेट लगा था —
“Mr. & Mrs. Advik Rathore – House of Light”
अंदर मोमबत्तियाँ जल रही थीं।
आर्या ने अद्विक की बाँहों में सिर रखकर कहा —
“अब ये कहानी पूरी हो गई।”
अद्विक मुस्कुराया —
“नहीं आर्या, कहानियाँ पूरी नहीं होतीं… बस आगे बढ़ती हैं।”
वो धीरे से बोला —
तुम मेरी Unforgettable Queen हो।”
आर्या की आँखें चमक उठीं, और वो हँसी में डूब गई।
कहीं बाहर हवा चली — और दीये की लौ झिलमिलाई,
पर बुझी नहीं।
दोनों एक बार फिर से एक होने को बेताव थे। एक दूसरे को बेतहाशा चूमते हुए एक दूसरे में समा जाने को आतुर थे। हर बीतता लम्हा उनके प्यार की गर्माहट और सांसों कि सिसकियां को बढ़ा रहा था। अद्विक, आर्या के उपर आकर उसे बेताहसा चूमे जा रहा था। उनके बदन से कपड़े उतार चुके थे। दोनों रोमांस में डूबे इन् लम्हों को जी रहे थे।
कमेंट्स
भोर की ठंडी हवा में पहाड़ों के उस कॉटेज से हल्की धुआँ सी महक उठ रही थी — कॉफी की, और शांति की। आर्या ने जैसे ही खिड़की खोली, बाहर की हवा ने उसके बालों को उड़ा दिया। झील पर सूरज की परछाई झिलमिला रही थी। सब कुछ शांत था… पर वो शांति धोखे जैसी लग रही थी।
“अद्विक?” उसने पुकारा।
“यहाँ हूँ,” आवाज़ आई — झील के पास, लकड़ी की बेंच पर बैठा हुआ अद्विक अपने लैपटॉप पर कुछ देख रहा था।
वो धीरे-धीरे वहाँ पहुँची।
“फिर काम?”
“पुराने ईमेल्स चेक कर रहा हूँ,” अद्विक ने कहा, “किसी ने ‘R-Project’ के नाम से हमारे सर्वर पर अटैक करने की कोशिश की है।”
आर्या ने भौंहें सिकोड़ लीं। “R-Project?”
“हाँ…” उसने धीमे से कहा, “वही कोड नेम… जो कभी मेरे पिता के रिसर्च पेपर पर था।”
हवा ठंडी थी, पर आर्या के भीतर गर्म लपट उठी।
“मतलब… कोई और उस फाइल तक पहुँचना चाहता है?”
अद्विक ने स्क्रीन बंद की, उसकी आवाज़ में तनाव था —
“किसी ने वो सब दोबारा शुरू कर दिया है। और इस बार, हमारे बिना।”
---
दो हफ्ते बाद — मुंबई।
A.R. Foundation का नया ऑफिस शहर के बीचोंबीच था।
कांच की दीवारें, और अंदर आर्या की सादगी से भरी डेस्क — पर आज ऑफिस कुछ अलग लग रहा था।
एक नया चेहरा, नई ऊर्जा, और एक रहस्यमय मुस्कान के साथ —
इशान मेहरा — साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट।
आर्या ने हाथ बढ़ाया, “Welcome to the team, Mr. Mehra.”
इशान ने मुस्कराकर कहा, “Thank you, Ma’am. मैंने आपकी और मिस्टर राठौड़ की कहानी पढ़ी है… लगता है, असली रोमांच अभी शुरू हुआ है।”
आर्या उसकी आत्मविश्वासी नज़र से कुछ पल के लिए असहज हुई,
पर उसके बाद हँस पड़ी — “उम्मीद है आप रोमांच में सर्वर भी बचा लेंगे।”
इशान हँस पड़ा। “सर्वर भी, और शायद… आप भी।”
वो बात हवा में रह गई, पर अद्विक की आँखों ने उसे साफ़ पकड़ लिया।
---
उधर, उसी शाम को एक और नई शख्सियत आई —
सिया मल्होत्रा, एक नामचीन बायोटेक इंडस्ट्रियलिस्ट,
जिसने आर्या और अद्विक की फाउंडेशन के साथ काम करने का प्रस्ताव भेजा था।
वो बेहद आकर्षक, आत्मविश्वासी और रहस्यमय थी।
जब उसने पहली बार अद्विक से हाथ मिलाया, उसकी आँखों में कुछ था —
ना सिर्फ़ जिज्ञासा, बल्कि एक गहरी पहचान की चमक।
“आपका काम पढ़ा है, मिस्टर राठौड़,” उसने धीमे स्वर में कहा।
“कभी सोचा नहीं था कि कोई आदमी विज्ञान को इतना… इमोशनली जी सकता है।”
अद्विक ने मुस्कुराते हुए कहा, “कभी किसी ने सिखाया नहीं था, बस आर्या ने कर दिखाया।”
सिया की आँखों में हल्की मुस्कान आई — “शायद अब आप दोनों को कोई नया आईडिया चाहिए।”
उसकी आवाज़ में कुछ ऐसा था जो अद्विक के भीतर छिपे डर को छू गया।
और शायद आर्या ने भी वो महसूस किया — क्योंकि उसी रात वो खिड़की के पास बहुत देर तक खामोश खड़ी रही।
---
अगले दिन ऑफिस में माहौल गर्म था।
इशान ने बताया — “सर्वर अटैक फिर हुआ है। पर इस बार अटैकर ने खुद को ‘Black Hydra’ कहा है।”
“Hydra?” आर्या ने फुसफुसाया, “वो तो हमारे पुराने रिसर्च का कोड नेम था…”
अद्विक ने सिर झुकाया, “मतलब… वो जिंदा है।”
सिया मीटिंग टेबल पर झुकी,
“अगर वो सच में वापस आया है, तो हमें भी वैसी ही चाल चलनी होगी — ठंडी, और तेज़।”
उसने अद्विक की आँखों में देखा — “मैं आपकी मदद कर सकती हूँ, लेकिन आपको मुझ पर भरोसा करना होगा।”
आर्या ने ठंडी साँस ली, “और हमें किस पर भरोसा नहीं करना चाहिए?”
सिया मुस्कराई, “बस उस पर… जो तुम्हें ज़्यादा ध्यान से देख रहा है।”
आर्या मुड़ी — इशान की निगाहें उसी पर थीं।
क्षण भर के लिए कुछ अजीब हुआ —
वो नज़रें जैसे समय रोक रही थीं।
---
रात ढल रही थी।
ऑफिस की आख़िरी लाइटें बुझ चुकी थीं।
सिर्फ़ आर्या की केबिन में हल्की रोशनी थी।
इशान अंदर आया,
“आप अब भी काम कर रही हैं?”
“सुकून वहीं मिलता है,” उसने कहा।
“सुकून…” इशान ने दोहराया, “कभी किसी इंसान से भी मिल सकता है, आर्या।”
आर्या ने उसकी ओर देखा, और उस पल सब कुछ जैसे ठहर गया।
बाहर बारिश हो रही थी, अंदर उनकी साँसों में एक अजीब-सी गर्माहट थी।
दूर कहीं अद्विक उसी समय सिया के साथ एक पुराने लैब की जाँच कर रहा था —
जहाँ दीवार पर वही प्रतीक उभरा जो सबकुछ की जड़ था —
“HYDRA LIVES.”
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🔥 कहानी अब फिर से बदलने वाली थी।
एक नई चाल, नए रिश्ते, और पुराने दर्दों की राख में जलती परछाइयाँ।
अब आर्या और अद्विक के बीच सिर्फ़ प्यार नहीं,
बल्कि “विश्वास” का इम्तिहान आने वाला था।
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क्या चाहो तो मैं इसका अध्याय 2 – “Hydra Awakens” लिखूँ,
जहाँ इशान और सिया दोनों की असली पहचानें सामने आने लगें —
और आर्या-अद्विक के बीच तीव्र इमोशनल-रोमांटिक टकराव दिखे,
जिसमें प्यार, ईर्ष्या और रहस्य तीनों मिलें?
🔥 Unwanted CEO Bride – Season 4 : The Shadows Return
अध्याय 2 – Hydra Awakens 🔥
रात गहराती जा रही थी। शहर की रोशनियाँ जैसे किसी अदृश्य डर से काँप रही थीं। आर्या के ऑफिस में अब भी वही हल्की पीली लाइट जल रही थी। बाहर बारिश अब भी जारी थी, और अंदर कंप्यूटर स्क्रीन पर चल रही फाइलें एक के बाद एक खुल रही थीं।
इशान उसके ठीक पीछे खड़ा था — शांत, गहरा, और रहस्यमय।
“आर्या,” उसने धीरे से कहा, “तुम जानती हो Hydra अब सिर्फ़ कोई हैकर नहीं… एक सिस्टम है। वो खुद को हर जगह फैला चुका है।”
आर्या ने नज़र उठाई — “और तुम ये सब इतने आत्मविश्वास से क्यों कह रहे हो?”
इशान मुस्कराया, “क्योंकि मैंने उसे पहले देखा है… उसके अंदर से।”
कमरे में अचानक सन्नाटा छा गया।
“मतलब?” आर्या ने धीरे से पूछा।
“मतलब, कभी Hydra का हिस्सा मैं भी था।”
उसकी आवाज़ शांत थी, पर आर्या का दिल ज़ोर से धड़कने लगा।
“तुम…”
“हाँ,” इशान ने कहा, “पर अब मैं तुम्हारी तरफ़ हूँ। क्योंकि तुम्हारे पिता जिस मिशन को रोकना चाहते थे, वही अब किसी और नाम से जिंदा किया जा रहा है।”
आर्या का सिर भारी हो गया।
“मतलब ये सब खत्म नहीं हुआ…”
इशान ने उसकी ओर बढ़ते हुए कहा,
“इसीलिए तो मैं यहाँ हूँ — तुम्हें बचाने के लिए।”
वो कुछ और कहती, उससे पहले दरवाज़ा खुला।
अद्विक अंदर आया, गीले बालों में बारिश की बूंदें थीं, चेहरे पर बेचैनी।
उसकी नज़र इशान पर पड़ी —
और फिर आर्या पर।
“तुम दोनों इस वक़्त यहाँ क्या कर रहे हो?”
आर्या ने धीरे से कहा, “Hydra के डेटा पर काम कर रहे थे।”
अद्विक ने ठंडी हँसी के साथ कहा, “या एक-दूसरे को समझने की कोशिश?”
उस पल हवा में एक खामोश टकराव भर गया।
इशान ने सहज स्वर में कहा, “मिस्टर राठौड़, मुझे लगता है अब हमें साथ काम करना चाहिए।”
“साथ?” अद्विक ने तीखे स्वर में कहा, “तुम्हारे जैसे लोग साथ नहीं, एजेंडा लेकर आते हैं।”
आर्या बीच में आई,
“बस करो तुम दोनों। यह वक़्त एक-दूसरे से उलझने का नहीं है।”
अद्विक ने उसकी ओर देखा, “कभी-कभी उलझनें ही सच खोलती हैं, आर्या।”
फिर उसने इशान की ओर देखा, “और मैं तुम्हारे सच से मिलना चाहता हूँ।”
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दूसरी ओर, उसी रात – एक अंधेरी लैब में।
सिया एक लैपटॉप के सामने बैठी थी।
स्क्रीन पर Hydra का चिन्ह चमक रहा था।
उसने कानों में ईयरपीस लगाया,
“फेज़ वन पूरा हुआ। अब हमें बस आर्या की एक्सेस चाहिए।”
दूसरी ओर से एक ठंडी, धातु जैसी आवाज़ आई —
“और अद्विक?”
सिया ने मुस्कराकर कहा, “वो पहले ही मेरे जाल में है।”
उसकी आँखों में कुछ था — एक ठंडी आग।
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अगले दिन, A.R. Foundation – Conference Room
सभी स्क्रीन पर Hydra का नया हमला दिखाया गया।
हर सर्वर पर वही लाइन उभर रही थी —
“The Dead Return. The Light Shall Fade.”
आर्या ने फाइलें बंद कीं।
“वो हमें टारगेट नहीं कर रहा… वो हमें आज़माना चाहता है।”
इशान ने कहा, “वो चाहता है कि तुम उसे ढूँढो। ताकि वो तुम्हें पकड़ सके।”
अद्विक उठा, “तो ठीक है। हम खेलते हैं।”
वो तीनों एक ही टीम में थे — पर अब उनके बीच भरोसा नहीं, केवल उद्देश्य था।
और उस उद्देश्य के बीच —
धीरे-धीरे एक खामोश रेखा खिंच रही थी।
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रात को, पहाड़ी कॉटेज –
आर्या बालकनी में बैठी थी, हवा में चाँदनी और ठंड दोनों थी।
इशान उसके पास आया, दो कप कॉफी लेकर।
“तुम अब भी सोई नहीं?”
“नींद शायद अब सिर्फ़ याद बन गई है।”
इशान ने मुस्कराकर कहा, “फिर यादों में सुकून ढूँढो।”
वो दोनों कुछ देर चुप रहे।
हवा में एक शांति थी — वो जो दो घायल आत्माओं के बीच होती है।
आर्या ने कहा, “कभी-कभी सोचती हूँ, अगर सब न हुआ होता… तो क्या मैं भी ऐसी होती?”
इशान ने धीरे से कहा, “नहीं। तब शायद दुनिया तुम्हें पहचान ही नहीं पाती।”
उसकी नज़रें गहरी थीं, और उस पल आर्या ने पहली बार महसूस किया —
कि किसी की आँखें सुकून भी दे सकती हैं और डर भी।
उधर उसी वक़्त, सिया अद्विक के साथ थी —
एक पुराने फैक्ट्री के तहख़ाने में, जहाँ Hydra के कोड फिर से मिल रहे थे।
वो धीरे से बोली, “तुम्हें पता है अद्विक, जो कोड ये चला रहे हैं… वो तुम्हारे पिता के सिग्नेचर से शुरू होता है।”
अद्विक सन्न रह गया।
“मतलब ये सब…”
“हाँ,” सिया ने मुस्कराते हुए कहा, “तुम्हारे पिता ने Hydra को कभी खत्म नहीं किया था… उन्होंने उसे छिपाया था।”
अद्विक ने सिया की ओर देखा —
उसकी आँखों में सच्चाई भी थी और आकर्षण भी।
सिया ने धीरे से कहा,
“तुम्हें डर लगता है?”
“डर नहीं… बस यकीन नहीं कि किस पर भरोसा करूँ।”
“तो फिलहाल मुझ पर कर लो,” उसने कहा,
और उसकी मुस्कान में वो अँधेरा था — जो किसी को भी खींच ले।
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💥 अब खेल शुरू हो चुका था।
चार लोग — दो जोड़ों की तरह, पर चार दिशाओं में।
प्यार, साज़िश, और पुराने गुनाहों का नया जन्म।
और पीछे — Hydra फिर जाग उठा था।
कमेंट्स
सुबह की धूप झील पर तैर रही थी, पर उस उजाले के पीछे हर किसी की ज़िंदगी में अब धुंध फैलने लगी थी।
आर्या अपने ऑफिस की खिड़की से बाहर देख रही थी — कहीं दूर पहाड़ों के पार, जैसे कोई अधूरी याद छिपी हो।
उसकी उंगलियाँ टेबल पर रखी फाइल के पन्नों को छू रही थीं, लेकिन दिमाग में सिर्फ एक नाम गूंज रहा था — इशान।
पिछली रात उसके शब्द अब भी कानों में थे — “कभी-कभी सुकून किसी इंसान से भी मिलता है…”
वो नहीं समझ पा रही थी कि वो कब उसके अंदर तक उतर गया। शायद उसके आत्मविश्वास में, या शायद उसकी चुप्पी में।
और उसी पल दरवाज़े पर दस्तक हुई।
“Come in,” उसने कहा।
इशान अंदर आया, मुस्कान में वही गर्मजोशी थी — और उसकी आँखों में वही रहस्यमयी चमक।
“आज कुछ उदास लग रही हो,” उसने धीरे से कहा।
“बस… बहुत कुछ चल रहा है,” आर्या ने कहा, “Hydra, डेटा ब्रीच, सिया का प्रोजेक्ट…”
“और तुम्हारे दिल में?”
आर्या ने सिर उठाया।
“वहाँ भी शोर है,” उसने फुसफुसाया।
इशान कुछ पल खामोश रहा, फिर आगे बढ़कर उसके पास आया —
“शोर का इलाज कभी-कभी ख़ामोशी होती है,”
और उसने धीरे से उसकी हथेली थाम ली।
वो पल कुछ कहता नहीं, पर बहुत कुछ कह गया।
आर्या ने उसकी आँखों में देखा, जैसे वहाँ कोई सच्चाई छिपी हो — या फिर एक जाल, जो बेहद सुंदर था।
आर्या को शांत देखकर वह उसके करीब आया बहुत करीब जहां सांसों की गर्माहट को महसूस किया जा सकता था। उसने आर्या के होठों पर अपने होंठ रखते हुए उसे चूमना शुरू कर दिया। आर्या बिना किसी विरोध के अपनी आंखें बंद कर चुकी थी और उसका साथ दे रही थी। ईशान के हाथ उसके उभारों पर आ चुके थे। एकदम से होश आते हुए आर्या ने ईशान को खुद से दूर हटाते हुए कहा यह सही नहीं है ईशान। मैं और अद्विक अभी भी रिश्ते में हैं बेशक हमारी शादी ना हुई हो लेकिन हमारा रिश्ता है एक दूसरे से। मैं उसे धोखा नहीं दे सकती।
ईशान बिना कुछ कहे वहां से बाहर जा चुका था। वहीं आर्या अब खुदको अधूरा सा महसूस कर रही थी। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे।
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दूसरी ओर – उसी दिन शाम को
अद्विक और सिया पुराने लैब में Hydra के कोड को डिकोड करने की कोशिश कर रहे थे।
सिया ने स्क्रीन पर झुककर कहा,
“देखो, ये कोड ‘A-13’ से शुरू होता है — ये वही सीक्वेंस है जो तुम्हारे पिता ने अपनी आख़िरी रिपोर्ट में इस्तेमाल किया था।”
अद्विक चुपचाप उसे देखता रहा।
सिया की आँखों में जो जुनून था, वही कभी आर्या की आँखों में देखा था —
पर अब वो जुनून कुछ और था… तेज़, खतरनाक, और नशे जैसा।
वो कोड तोड़ते हुए बोली,
“तुम जानते हो, अद्विक, तुम्हारे पिता Hydra को खत्म नहीं करना चाहते थे। वो उसे evolve करना चाहते थे।”
अद्विक ने आश्चर्य से कहा, “मतलब वो इसे रोकना नहीं चाहते थे?”
सिया मुस्कराई,
“कभी-कभी विनाश ही नई शुरुआत होती है… शायद तुम्हारे पिता भी यही मानते थे।”
उसकी आवाज़ में अजीब-सी गहराई थी, और अद्विक उसके और करीब चला आया।
वो बोली, “तुम्हारी आँखों में वही डर है जो उनके में था… लेकिन फर्क ये है — तुम चाहो तो उसे काबू कर सकते हो।”
अद्विक ने धीमे से कहा,
“और अगर मैं हार गया?”
सिया ने उसकी ओर झुककर कहा,
“तो मैं जीत लूँगी।”
वो पल थमा, और हवा में सन्नाटा फैल गया।
कहीं बाहर बिजली गिरी — और अंदर उनके बीच का फासला गायब हो गया।
सिया एकदम से अद्विक से लिपट गई। वह अद्विक के सीने से लिपटी हुई थी। अद्विक उसे सभालते हुए उसकी कमर को सहला रहा था। वहीं सिया ने उसे टाईट हग कर लिया था। दोनों के बीच कुछ हो जाने जैसा महसूस हो रहा था।
बहुत देर के बाद सिया जब उससे अलग हुई तो दोनों एक दूसरे की तरफ देखते रहे। अद्विक ने सिया के पास आकर उसे किस करना शुरू कर दिया। दोनों किस मे इतना डूब गए थे कि उन्हें होश नहीं रहा। दोनों एक दूसरे के कपड़े खोलते हुए एक दूसरे को बेतहाशा प्यार करते हुए एक दूसरे में समाते जा रहे थे बिना किसी प्रदा और शर्म के।
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कुछ देर बाद ईशान वापस कमरे में आ चुका था ।
अब कॉटेज में रात ढल चुकी थी।
बिजली गुल थी, सिर्फ मोमबत्ती की रोशनी थी।
इशान उसके पास था, दोनों सिस्टम पर काम कर रहे थे।
“Hydra का नया पैटर्न दिखा रहा है कि कोई अंदर से डेटा भेज रहा है,” इशान ने कहा।
आर्या ने माथा पकड़ा, “मतलब कोई हमारा ही आदमी?”
इशान ने उसकी ओर देखा,
“या कोई जो तुम्हारे बहुत करीब है।”
उसकी आवाज़ में इशारा था — और आर्या के मन में अद्विक का नाम आया।
वो बोली, “नहीं… वो ऐसा नहीं कर सकता।”
इशान हल्के स्वर में बोला,
“कभी-कभी जो सबसे सच्चा लगता है, वही सबसे बड़ा झूठ होता है।”
वो उसके बहुत पास आ चुका था।
आर्या का दिल तेज़ धड़क रहा था।
इशान ने कहा,
“मुझे नहीं पता ये सब कैसे होगा, लेकिन एक बात समझो — जब सब टूटेगा, मैं तुम्हारे साथ रहूँगा।”
उसकी आवाज़ में वादा नहीं, चुनौती थी।
बाहर बारिश शुरू हो चुकी थी।
मोमबत्ती की लौ हिल रही थी,
और उस पल में दो परछाइयाँ एक-दूसरे के बहुत करीब थीं —इतनी करीब कि सच और झूठ का फ़र्क मिटने लगा था। ईशान एक बार फिर से खुद से नियंत्रण खो चुका था। उसने आर्या को पकड़ कर अपने करीब खींच लिया और उसे बेतहाशा चूमने लगा। काफी देर तक उसे चूमने के बाद वह बोला अब मत रोको आर्या खुद को आज जो होना है हो जाने दो हमारे बीच। अद्विक और तुम्हारा रिश्ता इतना अटूट होता तो मैं तुम्हारी जिंदगी में आ नहीं पाता।
इतना कहकर उसने आर्या को दोबारा से चूमना शुरु कर दिया। उसके कपड़े खोलते हुए उसे अन्दर कमरे में ले आया। वह अब नग्न आर्या के उपर लेटा उसे चूम रहा था और धीरे धीरे उसमें समाते जा रहा था। आज फिर दो जिस्म एक हो रहे थे।
दूसरी ओर, उसी रात — सिया अपने अपार्टमेंट में किसी से फोन पर बात कर रही थी।
“Plan आगे बढ़ चुका है। आर्या और अद्विक दोनों अलग-अलग दिशाओं में जा रहे हैं।”
फोन के दूसरी ओर आवाज़ आई —
“Good. Divide them before you destroy them.”
सिया ने मुस्कराकर कहा,
“Divide तो हो चुके हैं… अब बस Hydra को सांस लेनी है।”
उसने शीशे में अपनी परछाई देखी।
“और जो आग उन्होंने शुरू की थी… वो अब मेरे नाम होगी।”
अद्विक अपनी गाड़ी में था, अकेला।
फोन बजा — इशान का नाम स्क्रीन पर चमका।
वो हँसा, “कितना नाटक करेंगे तुम लोग… अब मैं सब जानता हूँ।”
फोन के दूसरी ओर इशान की ठंडी आवाज़ आई,
“फिर मिलते हैं, मिस्टर राठौड़… Hydra तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है।”
स्क्रीन काली हो गई।
अद्विक की आँखों में पहली बार डर नहीं,
बल्कि वही आग थी — जो कभी उसके पिता की आँखों में थी।
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🔥 कहानी अब अपने सबसे गहरे मोड़ पर थी — प्यार, धोखा, और सत्ता का ताना-बाना एक हो चुका था।
अब आर्या और अद्विक दोनों अपने-अपने नए साथी के साथ Hydra के भूलभुलैया में उतर चुके थे —
पर असली दुश्मन कौन है, ये अभी किसी को नहीं पता।
पिछले अध्याय में, आपने देखा कि आर्या इशान के साथ आकर्षित हो रही है, जबकि अद्विक सिया के साथ Hydra के कोड को डिकोड करने की कोशिश कर रहा है। आर्या और इशान के बीच एक अंतरंग पल होता है, जिससे वह भ्रमित हो जाती है। अद्विक और सिया भी करीब आते हैं, जिससे उनका रिश्ता और गहरा हो जाता है। बाद में, इशान आर्या को यह चेतावनी देता है कि कोई उनके करीब है जो उनके खिलाफ काम कर रहा है। सिया, दूसरी ओर, किसी को बताती है कि आर्या और अद्विक अलग हो गए हैं। अद्विक को इशान का फोन आता है, जो उसे Hydra के बारे में बताता है।
अब आगे
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रात के तीन बजे, शहर की सड़कों पर सन्नाटा था। बस दूर किसी पुराने गोदाम में कंप्यूटर सर्वर की हल्की भनभनाहट सुनाई दे रही थी।
Hydra अब पूरी तरह जाग चुका था।
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आर्या अपने कमरे में अकेली बैठी थी। टेबल पर बिखरे कोड्स, स्क्रीन पर चलती लाइन्स, और दिल में बेचैनी।
इशान को उसने दो दिन से नहीं देखा था।
वो लगातार काम में डूबा हुआ था, और जब भी आर्या उसे कॉल करती, उसकी आवाज़ में अब वो गर्माहट नहीं होती।
वो ठंडी, नपी-तुली, मशीन जैसी हो गई थी।
आर्या ने कॉफी का मग उठाया, पर उसकी आँखें बार-बार अद्विक की पुरानी फोटो पर चली जातीं।
“कितना आसान होता अगर सब खत्म न हुआ होता…” उसने खुद से कहा।
तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई।
“आर्या?”
वो वही था — अद्विक।
बारिश में भीगा हुआ, चेहरे पर थकान, लेकिन आँखों में एक अजीब चमक।
“तुम यहाँ क्या कर रहे हो?”
“तुमसे मिलने आया हूँ।”
आर्या ने गहरी साँस ली, “अब कहने को कुछ बचा है?”
अद्विक ने कदम बढ़ाए, “हाँ, एक सच्चाई।”
“Hydra सिर्फ कोई सिस्टम नहीं है, आर्या। ये तुम्हारे पिता की कोडिंग से बना एक self-evolving network है। और सिया…”
वो रुका, “सिया सिर्फ़ मेरी पार्टनर नहीं… Hydra की वारिस है।”
आर्या के हाथ से मग गिर पड़ा।
“क्या?”
“हाँ। और वो हमें दोनों को खत्म करके Hydra को फाउंडेशन में घुसाना चाहती है।”
आर्या का दिल धड़क उठा, “तो तुम उसके साथ थे?”
अद्विक ने उसकी ओर देखा — “कभी था, पर अब नहीं। अब मैं सिर्फ़ तुम्हारे साथ हूँ।”
वो करीब आया, उसकी आँखों में थकान थी, और उस थकान में सच्चाई की गर्मी।
आर्या ने बहुत देर बाद उसकी आँखों में देखा।
“मुझे अब भरोसा करना मुश्किल लगता है।”
“तो मत करो,” अद्विक ने फुसफुसाया, “बस एक बार दिल से सुनो।”
वो पल ठहर गया।
बाहर तूफ़ान था, भीतर सन्नाटा।
अद्विक ने आगे बढ़कर उसकी हथेली थामी,
“आर्या, मैं अब किसी और के लिए नहीं लड़ रहा… सिर्फ़ तुम्हारे लिए।”
उसके शब्दों में सच्चाई थी, और आर्या की आँखों में नमी।
उसने धीरे से कहा, “तुम जानते हो, मैं अब भी तुमसे नफ़रत नहीं कर पाई।”
अद्विक ने मुस्कराकर कहा, “नफ़रत में भी प्यार की जड़ें होती हैं।”
वो दोनों कुछ पल के लिए एक-दूसरे के बहुत करीब थे, जैसे वक्त ने उन्हें फिर वहीं लौटा दिया हो जहाँ सब शुरू हुआ था।
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उसी समय – Hydra का बेस, मुंबई के बाहरी इलाके में।
सिया अंधेरे कमरे में खड़ी थी।
उसके सामने इशान था।
“तो तुमने सब कर दिया?” उसने पूछा।
इशान ने ठंडे स्वर में कहा, “हाँ। आर्या अब अद्विक पर भरोसा करने लगी है। अब वो हमारे जाल में हैं।”
सिया मुस्कराई, “पर याद रखो, Hydra में कोई साझेदार नहीं होता। सिर्फ़ एक विजेता।”
“और वो कौन होगा?” इशान ने पूछा।
सिया आगे झुककर बोली,
“मैं।”
वो उसकी आँखों में देखते हुए हँसी —
“तुम सोचते हो कि मैं तुम्हारा इस्तेमाल कर रही हूँ… पर असल में Hydra हम सबका इस्तेमाल कर रहा है।”
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दूसरे दिन – A.R. Foundation के हेडक्वार्टर
आर्या और अद्विक ने एक सीक्रेट फाइल खोली — “Project Raavan.”
वो Hydra का असली कोड था — एक ऐसा सिस्टम जो किसी भी नेटवर्क को अपने कंट्रोल में ले सकता था।
“अगर ये एक्टिवेट हुआ, तो दुनिया की हर टेक कंपनी Hydra के अधीन होगी,” आर्या ने कहा।
अद्विक ने कहा, “हमें इसे खत्म करना होगा।”
“लेकिन इसके लिए हमें किसी को बलिदान देना होगा…”
अद्विक ने उसकी ओर देखा, “कौन?”
वो चुप रही।
“आर्या?”
“इशान,” उसने धीरे से कहा।
“वो ही अंदर से Hydra का रास्ता खोल सकता है।”
अद्विक सन्न रह गया।
“तुम उसे मारना चाहती हो?”
“अगर Hydra को खत्म करना है तो हाँ।”
वो एक पल के लिए उसे देखता रहा —
वो वही आर्या थी जो कभी दया और सच्चाई की मिसाल थी,
पर अब उसकी आँखों में ठंडापन था — वो ठंडापन जो सच्चाई से आता है।
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रात को – पुराने बेस के नीचे।
इशान स्क्रीन पर Hydra का कोर डिक्रिप्ट कर रहा था।
सिया पीछे से आई, “तुम्हें लगता है तुम इसे रोक सकते हो?”
इशान ने कहा, “नहीं, मैं इसे खुद के लिए खोल रहा हूँ।”
वो हँसी, “तुम सोचते हो तुम जीत जाओगे?”
“नहीं,” उसने कहा, “मैं तुम्हें हारते देखना चाहता हूँ।”
वो दोनों भिड़ गए।
लड़ाई में कोड्स उड़ रहे थे, सिस्टम ओवरलोड हो रहा था।
सिया ने गन निकाली —
“Hydra को खत्म करने की कीमत खून है, और आज वो तुम्हारा होगा।”
पर तभी अद्विक और आर्या अंदर आए।
“सिया!” आर्या चिल्लाई।
सिया मुस्कराई,
“आ गई तुम भी… Hydra को उसका पूरा परिवार मिल गया।”
वो गन इशान की तरफ़ तानी,
पर अद्विक ने बीच में आकर गोली अपने कंधे पर झेली।
“अद्विक!” आर्या चीख पड़ी।
वो उसके पास भागी,
उसने धीरे से मुस्कराकर कहा, “मैंने कहा था ना… अब मैं सिर्फ़ तुम्हारे लिए लड़ता हूँ।”
सिया भागने लगी,
इशान ने आख़िरी कोड एंटर किया — “Hydra Terminate.”
सिस्टम ब्लास्ट हो गया, सबकुछ आग में घिर गया।
आर्या ने अद्विक को अपने सीने से लगाया —
“तुम्हें कुछ नहीं होगा, सुन रहे हो?”
वो मुस्कराया, “अब डर नहीं लगता…”
और आँखें बंद कर लीं।
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🔥 स्क्रीन काली हो गई।
Hydra का लोगो धीरे-धीरे जलकर मिट गया।
पर उसी राख में एक लाइन चमकी —
“Reborn Protocol Initiated.”
Hydra खत्म नहीं हुआ था — वो सिर्फ़ इंतज़ार कर रहा था।
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अंधेरे में धुआँ फैला हुआ था। बेस की दीवारें जल चुकी थीं, सर्वर के तार पिघल रहे थे, और स्क्रीन पर सिर्फ़ एक लाइन चमक रही थी —
“Reborn Protocol Initiated.”
आर्या ने अद्विक को अपनी बाँहों में पकड़ा हुआ था।
उसकी साँसें धीमी थीं, लेकिन पूरी तरह थमी नहीं।
उसके होंठों से खून की धार बह रही थी, और आँखों में आधे बंद पलकें किसी पुराने वादे की तरह थरथरा रही थीं।
“मत जाओ… अब नहीं…” आर्या की आवाज़ काँप रही थी।
अद्विक ने मुश्किल से फुसफुसाया — “Hydra खत्म नहीं हुआ… तुम इसे रोक सकती हो।”
“लेकिन अकेली कैसे?”
“तुम कभी अकेली नहीं थी…” उसने कहा, “मैं तुम्हारे भीतर हूँ…”
उसने मुस्कुराने की कोशिश की — और उसका हाथ धीरे-धीरे उसकी उँगलियों से छूट गया।
वो चीख उठी —
“अद्विक्क्क!”
उसकी आवाज़ उस धुएँ में खो गई।
तीन दिन बाद।
A.R. Foundation के बिल्डिंग में खामोशी थी।
इशान गंभीर चोटों के साथ ICU में था।
Hydra का नेटवर्क ऑफलाइन था, लेकिन उसके डेटा का 13% हिस्सा गायब हो गया था।
आर्या को पता था — वो हिस्सा सिया के पास है।
वो लैब के अंदर अकेली बैठी थी।
चेहरे पर चोट के निशान थे, पर आँखों में अब कोई डर नहीं था।
वो कंप्यूटर पर Hydra के बचे हुए डेटा को देख रही थी।
अचानक स्क्रीन पर एक पॉप-अप उभरा —
“HELLO, ARYA.”
वो सिहर गई।
“सिया…” उसने बुदबुदाया।
स्पीकर से हँसी की आवाज़ आई, “बधाई हो, तुमने सब कुछ खो दिया और फिर भी Hydra को छुआ तक नहीं।”
आर्या ने मुट्ठी भींच ली, “तुम्हें नहीं पता तुम किससे खेल रही हो।”
“खेल?” सिया बोली, “अब असली खेल शुरू होगा। Reborn Protocol Hydra को इंसानी दिमाग़ों से जोड़ देगा। अब ये मशीन नहीं — इंसान बनेगा।”
आर्या ने कोड खोला।
उसका चेहरा कठोर हो गया।
“तो फिर अब इसे इंसान की तरह ही मारना होगा।”
रात में आर्या पुरानी झील के किनारे पहुँची — वही जगह जहाँ अद्विक ने पहली बार उससे अपने दिल की बात कही थी।
वहाँ अब सिया उसका इंतज़ार कर रही थी।
सफेद कोट, हवा में उड़ते बाल, और चेहरा जो अब पहले से ज़्यादा ठंडा और खतरनाक लग रहा था।
“तुम आईं,” सिया ने कहा, “Hydra को खत्म करने की कोशिश में खुद Hydra बन चुकी हो, आर्या।”
“कम से कम मैं उसे दुनिया पर राज करने नहीं दूँगी,” आर्या बोली।
सिया मुस्कराई, “और इसके लिए तुम क्या करोगी? वो कोड जो अद्विक ने बनाया था, वो अब तुम्हारे खून में है।”
“क्या?”
“हाँ, Reborn Protocol उसी वक्त शुरू हुआ जब तुमने उसे बाँहों में थामा। Hydra अब तुम्हारे भीतर है।”
आर्या सन्न रह गई।
उसकी आँखों में बिजली-सी चमक उठी।
वो पीछे हटना चाहती थी पर उसके शरीर में एक झटका दौड़ा।
स्क्रीन-सी चमक उसकी आँखों में उभरी —
Hydra: Active.
सिया ने कदम बढ़ाया, “अब तुम ही Hydra हो।”
आर्या ने गहरी साँस ली —
“तो फिर मैं खुद को खत्म कर दूँगी।”
उसने अपने हाथ में एक छोटा चिप निकाला — Neural Overload Key
अद्विक ने कभी कहा था, “अगर Hydra कभी कंट्रोल से बाहर हो जाए, तो ये Key उसे अंदर से नष्ट कर सकती है।”
सिया ने कहा, “तुम ऐसा नहीं कर सकती — ये तुम्हें भी मार देगा।”
आर्या ने मुस्कराया — वही मुस्कान जो अद्विक की याद जैसी थी।
“प्यार और युद्ध में क्या फर्क रह गया, सिया?”
उसने Key को एक्टिवेट किया।
तेज़ सफ़ेद रोशनी फैली।
Hydra का कोड हवा में घुलने लगा, सिया चीख पड़ी —
“तुम नहीं जीतोगी!”
आर्या की आवाज़ आई, “मैं नहीं… इंसानियत जीतेगी।”
सब कुछ रोशनी में समा गया।
छह महीने बाद।
बारिश का मौसम था।
A.R. Foundation के शीशे जैसे चमकते ऑफिस की खिड़कियों पर बूंदें रुक-रुककर गिर रही थीं।
शहर में ठंडी हवा थी, लेकिन आर्या के अंदर कुछ और ही तूफ़ान चल रहा था।
अब वो “वो आर्या” नहीं रही थी — जो किसी के इशारों पर मुस्कराती थी,
अब वो बोर्ड मीटिंग्स में लोगों की नज़रें झुका देने वाली CEO थी।
कड़क आवाज़, ठंडी निगाहें, और सलीके से बंधे बाल।
पर इस सलीके के पीछे एक टूटा हुआ दिल छुपा था — जो अद्विक के साथ कहीं रह गया था।
वो अपने केबिन में बैठी थी, सामने नई भर्ती की फ़ाइलें थीं।
फाइल पर लिखा नाम देखते ही उसकी उँगलियाँ रुक गईं —
“Ishaan Malhotra – Senior Financial Advisor”
दिल की धड़कन अजीब तरीके से थम गई।
उसी पल दरवाज़ा खुला।
“May I come in, ma’am?”
वो था — वही इशान।
सूट में, बाल हल्के से भीगे हुए, और आँखों में वही ईमानदारी — पर इस बार कुछ और भी था…
एक गहराई।
आर्या ने खुद को संभाला,
“आप… यहाँ?”
इशान ने धीमे स्वर में कहा,
“आपकी कंपनी में एक नई शुरुआत चाहिए थी। और शायद… ज़िंदगी में भी।”
आर्या ने नज़रे झुका लीं, “हमारे बीच अब कुछ कहने-सुनने को नहीं बचा।”
“शायद,” वो मुस्कराया, “पर महसूस करने को अब भी बहुत कुछ बाकी है।”
उसके शब्दों ने आर्या के अंदर कुछ हिला दिया, पर उसने खुद को फिर सख़्त बना लिया।
“आप अपने काम पर ध्यान दीजिए, मिस्टर मल्होत्रा।”
“जी, मिस CEO।”
वो चला गया, पर उसकी मुस्कराहट पीछे रह गई।
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कुछ हफ़्ते बीत गए।
मीटिंग्स, क्लाइंट्स, प्रेजेंटेशन — आर्या का हर दिन काम से भरा था।
पर अब ऑफिस में एक अजीब सुकून था — शायद उस शख्स की वजह से,
जो बिना कहे उसके हर काम में मदद करता था।
कभी मीटिंग से पहले उसके लिए कॉफी लाना,
कभी गलती से गिरे काग़ज़ उठाना,
या बस चुपचाप उसके पास से गुजरना —
जैसे हवा में एक पुरानी याद फिर बहने लगी थी।
एक शाम, दोनों देर तक ऑफिस में रुके हुए थे।
बाहर बारिश ज़ोरों से हो रही थी।
लाइट्स डिम थीं, फाइल्स के बीच कॉफी की खुशबू थी।
आर्या ने थकी हुई आँखों से पूछा, “आप अब भी इतने शांत कैसे रह लेते हैं?”
इशान ने कहा, “क्योंकि मैं हर दिन किसी को देखता हूँ, जो मुझसे भी ज़्यादा टूटा हुआ है… और फिर भी मुस्कुरा लेता है।”
आर्या की नज़रों में नमी आई, “मत छेड़ो वो बातें, इशान।”
“मैं छेड़ नहीं रहा,” वो धीरे से बोला, “बस कहना चाहता हूँ… मैं अब तुम्हारा दर्द बाँटना चाहता हूँ।”
उनके बीच सन्नाटा था — पर वो सन्नाटा बहुत कुछ कह रहा था।
वो दोनों एक-दूसरे को देख रहे थे, जैसे वक्त वहीं थम गया हो।
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अगले दिन बोर्ड मीटिंग थी।
आर्या को फंडिंग के लिए एक बड़ा डील साइन करना था,
पर सामने बैठा क्लाइंट वही था — अद्विक मेहरा।
कमरे में जैसे हवा जम गई।
अद्विक जिंदा था।
थोड़ा बदला हुआ, पर आँखों में अब भी वही आत्मविश्वास।
“Long time, Arya,” उसने मुस्कराकर कहा।
“तुम…” वो बस यही कह पाई।
“हाँ, मैं। शायद किस्मत अब भी हमारा हिसाब पूरा करना चाहती है।”
इशान उस मीटिंग में भी मौजूद था।
उसकी आँखों में सब कुछ साफ़ था —
वो समझ गया था कि आर्या के लिए ये सिर्फ़ एक बिजनेस मीटिंग नहीं, एक जख्म का दोबारा खुलना था।
मीटिंग खत्म होते ही अद्विक ने कहा,
“आर्या, हमें बात करनी चाहिए। अकेले।”
मीटिंग रूम में जब उसने दरवाज़ा खोला, तो सब कुछ जैसे थम गया। सामने कुर्सी पर बैठा चेहरा वो था जिसे उसने कभी अपनी ज़िंदगी से मिटा दिया था — या कम से कम कोशिश की थी। अद्विक। उसकी साँस अटक गई, हाथों में पकड़ी फाइल गिरते-गिरते रह गई। पूरे कमरे की हलचल, लोगों की आवाज़ें, सब पृष्ठभूमि में खो गईं। वो बस उसे देख रही थी, जैसे किसी पुराने सपने में लौट आई हो, जिसे फिर से देखने की हिम्मत नहीं थी। अद्विक ने धीरे से कहा, “Long time, Arya.” उसके लहजे में वो पुरानी गर्माहट नहीं थी, कुछ ठंडा और गहरा था, जैसे वो उसे परख रहा हो। आर्या ने कुछ बोलने की कोशिश की, पर शब्द गले में अटक गए। “तुम…” बस यही कह पाई। “हाँ, मैं। ज़िंदा हूँ… और लौट आया हूँ।” कमरे की हवा जैसे और भारी हो गई। आर्या की आँखों में भावनाओं का सैलाब था, पर चेहरा अब भी एक परफेक्ट CEO जैसा सख़्त। उसने खुद को सँभाला, लेकिन भीतर कुछ बिखर चुका था। “मीटिंग जारी रखो,” उसने टीम से कहा, और खुद बिना कुछ बोले बैठ गई। उसकी नज़रें बार-बार उसकी ओर खिंच जातीं, पर वो हर बार खुद को रोक लेती।
मीटिंग खत्म होने के बाद, जब सब बाहर चले गए, अद्विक ने धीरे से कहा, “आर्या, हमें बात करनी चाहिए। अकेले।” वो पलभर चुप रही, फिर बोली, “तुम्हें जिन बातों का हिसाब देना था, वो तुम्हारे चले जाने के दिन ही खत्म हो गया।” अद्विक ने नज़रें नीची कीं, “इतना आसान नहीं है भूलना, आर्या।” उसकी आवाज़ में वो दर्द था, जिसे सुनकर आर्या का दिल काँप गया, पर उसने खुद को ठंडा रखा, “मेरे लिए अब कोई फर्क नहीं पड़ता।” उसने बिना उसकी ओर देखे दरवाज़ा खोला और बाहर निकल गई, पर उसके कदम भारी थे, जैसे हर कदम पर कोई अधूरी याद खींच रही हो।
बाहर लॉबी में इशान खड़ा था। उसने जैसे ही आर्या को देखा, आगे बढ़ा, “आर्या, तुम ठीक हो?” उसने पलटकर देखा, आँखों में अब ठंडापन था, “तुमसे ये सवाल करने का हक मैंने कब दिया, मिस्टर मल्होत्रा?” उसकी आवाज़ में नफ़रत थी, जो शायद खुद से ज़्यादा उसके ऊपर थी। “काम पर ध्यान दो, पर्सनल लाइफ़ में मत आओ।” उसने साफ़ शब्दों में कहा और चली गई, पीछे इशान बस वहीं खड़ा रह गया — कुछ टूटा हुआ, कुछ अपराधी-सा। उसके चेहरे पर वही अधूरा अफ़सोस था — जैसे उसने बहुत कुछ खो दिया हो, जिसे वो अब फिर से पाना चाहता है।
क्या अद्विक का लौटना सिर्फ़ एक इत्तेफ़ाक़ नहीं था।
वो वापस आया था… सिर्फ़ आर्या के लिए।
और अब तीनों की ज़िंदगी में एक नया संघर्ष शुरू होने वाला था —दिल, फ़र्ज़ और अतीत के बीच।
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