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इंतज़ार ( अधूरा प्यार पिछले जन्म का )

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Pooja

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दिल्ली में बने छोटे से दो मंजिले घर के एक कमरे में 23 साल की एक लड़की सो रही थी। वो सोते हुए अपनी गर्दन इधर-उधर घुमा रही थी। उसके चेहरे पर बेचैनी साफ दिख रही थी। वो सपना देख रही थी और सपने में उसे सब धुंधला-धुंधला दिखाई दे रहा था। एक लड़के और लड़क...

Total Chapters (2)

Page 1 of 1

  • 1. इंतज़ार ( अधूरा प्यार पिछले जन्म का ) - Chapter 1

    Words: 1124

    Estimated Reading Time: 7 min

    दिल्ली में बने छोटे से दो मंजिले घर के एक कमरे में 23 साल की एक लड़की सो रही थी। वो सोते हुए अपनी गर्दन इधर-उधर घुमा रही थी। उसके चेहरे पर बेचैनी साफ दिख रही थी। वो सपना देख रही थी और सपने में उसे सब धुंधला-धुंधला दिखाई दे रहा था। एक लड़के और लड़की को भागते हुए देख रही थी और उनके पीछे 15 से 20 आदमी भाग रहे थे। वो लड़का, लड़की का हाथ पकड़े भागे जा रहा था। वो दोनों भागते हुए एक पहाड़ी पर पहुंच गए। उनके सामने एक तरफ खाई थी और दूसरी तरफ तरफ़ 50 सीढ़ियों के उपर एक शिव मंदिर था। वो दोनों सीढ़ियां चढ़ते हुए मंदिर पहुंच गए। इस समय मंदिर में कोई नही था। वो दोनों वहा छिपने के लिए जगह ढूंढने लगे लेकिन तब तक उनके पीछे पड़े आदमी भी वही पहुंच गए। उन्होंने उस लड़के और लड़की दोनों को पकड़ लिया। वो आदमी लड़के को बुरी तरह मारने लगे। लड़की चिला रही थी। तभी वहां एक 25 साल का लड़का आया। उसका चेहरा भी धुंधला दिखाई दे रहा था। उस लड़के के हाथ में एक तलवार थी। वो आगे बड़ कर उस लड़के के पास गया जिसको उन आदमियों ने पकड़ रखा था। उसने तलवार उस लड़के के पेट में घोंप दी। " मान " कहते हुए वो लड़की बेड से उठ कर बैठ गई। वो घबरा रही थी। उसका पूरा चेहरा पसीने से लथपथ था। उसने घड़ी में टाइम देखा जो सुबह के चार बजा रही थी। फिर उसने एक गहरी सांस ली और पास के टेबल से पानी का गिलास उठाया और एक ही सांस में पूरा पानी पी गई । " आह , इस सपने ने मेरा दिमाग़ और नींद दोनों खराब कर रखी है। रात को नींद देर से आती है और रोज इस सपने की वजह से सुबह चार बजे आँख खुल जाती है। एक सेकंड आगे पीछे नहीं होता राइट टाइम चार बजे नींद उड़ जाती है। वो लड़की बेड से उठ कर खिड़की के पास खड़ी होकर बोली। ( ये है हमारी कहानी की नायका अनुभा चौधरी। उमर 23 साल , गोरा रंग, नीली आंखे जिसमे कोई भी डूब जाए ,पतली तीखी नाक , गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठ , कमर तक लहराते बाल , परफेक्ट फिगर और अपने मम्मी पापा की इकलौती बेटी ।) अनुभा अभी भी खिड़की के पास खड़ी सपने के बारे में सोच रही थी। ये सपना उसे तब से आ रहा है जब वो 12 साल की थी और 'मान' नाम लेकर रोज़ सुबह चार बजे उठना। ये सब उसकी समझ से परे था। उसने एक दो बार अपनी मां ( अंजली जी को बताया भी पर उन्होंने सपना कह कर बात टाल दी। उसके बाद अनिका ने भी उन्हें कुछ बताया नही कि वो बेवजह परेशान होंगे। अनुभा ने टाइम देखा छह बज गए है, उसने अपने कपड़े लिए और बाथरूम में चली गई। कुछ समय बाद वो तैयार होकर नीचे आ गई। उसने येलो कलर का साइड कट कुर्ता और साथ ब्लू जीन पहनी थी। गीले बालों को खुला छोड़ा हुआ था। अनुभा  अंजली जी से "मां आप नाश्ते में क्या बना रही हो? अंजली जी :- "तुम्हारी फेवरेट आलू की सब्जी, पूरी और हलवा।" अनुभा अंजली जी को पीछे से गले लगाते हुए " ओ थैंक्यू मां आई लव यू, लाओ मैं भी आपकी मदद करा दूं।" कह कर अनुभा उनकी हेल्प करवाने लगी। थोड़ी देर बाद अंजली जी ने नाश्ता टेबल पर लगा दिया और उतने अनुभा के पापा ( सागर ) जी भी आ गए । अनुभा :- "गुड मॉर्निंग पापा।" सागर जी अनुभा के सिर पर हाथ फेरते हुए "गुड मॉर्निंग मेरी प्रिंसेस।" तीनों नाश्ते करने के लिए बैठ गए। सागर जी:- ( खाना खाते हुए "अनु बेटा तुम्हारी मुंबई जाने की तैयारी हो गई।" ( अनुभा ) को सब प्यार से अनु कहते है अनिका :- "यस पापा सारी तैयारी हो गई है।" अंजली जी :- मैं अभी भी कह रही हूं वहा इतनी दूर जाकर क्या करना है , यहां भी इतनी सारी कंपनियां है , यही किसी कंपनी में जॉब कर ले।  अनुभा :- "मां वो इंडिया की नंबर वन कंपनी है। वहां काम करने का मौका हर किसी को नहीं मिलता। ये तो अच्छा हुआ रावी ( अनुभा की बुआ की बेटी जो मुंबई में रहती है अपने मां कमला पापा  राजेश और भाई  वरुण के साथ) ने मेरे फॉर्म पहले ही वहा सबमिट करा दिए । अब बस इंटरव्यू में पास हो जाऊं।" अंजली जी :- "यहां भी अच्छी कंपनियां हैं। वहां हमसे इतनी दूर कैसे रहोगी?" सागर जी :- अंजू ( सागर जी अंजली को प्यार से अंजू कहते है) "जाने दीजिए वहा जीजी और जीजा , रावी ,वरुण भी तो है , आप ये क्यू नही कहती कि आप उससे दूर कैसे रहेगी?" कह कर सागर जी हंस पड़े और साथ में अनुभा भी। अंजली जी :- "मुझे तंग करने में बड़ा मजा आता है आप दोनों को। आप बाप बेटी दोनों के आगे कभी मेरी चली है जो अब चल जाएगी।" लंदन..... एक बड़ी सी बिल्डिंग के आगे तीन चार गाड़ियां आकर रुकीं। आगे और पीछे वाली गाड़ियों से बॉडीगार्ड निकले और बीच वाली गाड़ी के चारों ओर खड़े हो गए। बीच वाली गाड़ी से ब्लैक कलर का थ्री सूट पहने एक लड़का बाहर निकला। उसने अपनी आंखों पर गॉगल्स लगाए और अपने कोट के बटन बंद करते हुए आगे बड़ने लगा, और साथ में बॉडीगार्ड ने उसके चारों ओर घेरा बना लिया और उसके साथ चलने लगे। ( ये है हमारी कहानी के नायक एशिया के नंबर वन बिजनेस मैन मिस्टर शिवाय सिंघानियां। उमर 27 साल , जिम में बनाई हुई बॉडी , ग्रे आंखे , जेल से सेट किए हुए बाल , और स्माइल जो ये बहुत कम ही करते है पर जब ये स्माइल करते है गालों में पढ़ने वाले डिंपल , लड़कियों के होश उड़ा देते है ,लड़कियां इन पर फिदा है पर ये जनाब किसी की तरफ़ आंख उठाकर भी नहीं देखते । शिवाय अपने केबिन में जाकर चेयर पर बैठ गया । शिवाय मैनेजर से मिस्टर गुप्ता यहां के जितने भी प्रोजेक्ट उन्हे इसी हफ्ते कंपलीट करना है, अगले हफ्ते हम इंडिया वापस जा रहे हैं। मिस्टर गुप्ता:- सर बाकी सारे प्रोजेक्ट कंपलीट हो जायेगे पर ( डरते हुए सर वो मिस्टर जॉन के साथ अभी तक मीटिंग फिक्स नही हुई। शिवाय गुस्से से "और वो क्यों?"  मिस्टर गुप्ता:- "सर मिस्टर जॉन के मैनेजर ने कहा वो अभी बिजी हैं।" शिवाय पेपर वेट घुमाते हुए "मिस्टर जॉन से बोलना अब हम बिजी हैं।" मिस्टर गुप्ता डरते हुए हकलाकर "सर वो बहुत बड़ा प्रोजेक्ट है।" शिवाय पेपर वेट घुमाते हुए उसके हाथ रूक गए "शिवाय सिंघानियां को एक ही बात दुबारा दोहराने की आदत नही है, ओके।" मिस्टर गुप्ता:- "ये.... यस... स...सर।" शिवाय गुस्से से "गेट आउट।" Wait for next part.....

  • 2. इंतज़ार ( अधूरा प्यार पिछले जन्म का ) - Chapter 2

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    Estimated Reading Time: 0 min