कहानी अध्यांश शेखावत और अंशिका सुर्यवंशी की.. अध्यांश जो एक माफिया किंग है। जिसे लोगो को मारने से पहले एक बार सोचता भी नहीं है। उसके जिंदगी में सब कुछ है। लेकिन फिर भी उसकी जिंदगी में अंधेरा है। और अंशिका के आने के बाद उसकी जिंदगी में रोशनी आ जाती है... कहानी अध्यांश शेखावत और अंशिका सुर्यवंशी की.. अध्यांश जो एक माफिया किंग है। जिसे लोगो को मारने से पहले एक बार सोचता भी नहीं है। उसके जिंदगी में सब कुछ है। लेकिन फिर भी उसकी जिंदगी में अंधेरा है। और अंशिका के आने के बाद उसकी जिंदगी में रोशनी आ जाती है। लेकिन दोनो एक दूसरे से जुदा हो जाते हैं। किसी के जीने मरने से अध्यांश को कोई फर्क नहीं पड़ता था। तो वही अंशिका के दुर होने से अध्यांश कि जिंदगी पर फर्क पड़ता है। तो क्या अध्यांश अंशिका को ढूंढ पाएगा। क्या यह दोनों एक दूसरे के कभी हो पाएंगे। या रह जाएगी। इनकी कहानी अधूरी...तो जानने के लिए पढ़ते रहिए। तेरे इश्क में बेकाबू...
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दिल्ली...
एक सुनसान इलाके में एक बड़ा सा बंगलो बना हुआ था। इसके चारों तरफ ब्लैक यूनिफॉर्म पहने हाथों में बंदूक लिए बॉडीगार्ड खड़े थे। बंगाल के अंदर बिल्कुल अंधेरा था। हाल के बीचो-बीच सोफा लगा हुआ था। जिस पर कोई शख्स किसी राजा की तरह एक पैर पर दूसरा पैर रखकर बैठा था। इस वक्त उसने पूरा ब्लैक सूट पहन रखा था। और अपने चेहरे पर ब्लैक मास्क लगा रखा था। जिससे उसके सिर्फ इस अंधेरे में उसकी काली गहरी आखें दिखाई दे रही थी। और उसके आसपास उसके बॉडीगार्ड खड़े थे। और उसके सामने एक शख्स नीचे बैठकर अपनी जान के भीख मांग रहा था। उसके चेहरे पर जगह-जगह चोट के निशान थे। और वहां से खून निकल रहा था उसके कपड़े भी फटे हुए थे। इससे यह पता चल रहा था। कि उसको बहुत पीटा गया हो। और उसकी बहुत पूरी हालत थी।
"उस शख्स ने बेहद ही सर्द आवाज में कहा" तुमने गलती नहीं गुनाह किया है। और मेरे डिक्शनरी में गुनाह करने की कोई माफी नहीं है। सिन्हा तुम्हें अच्छे से पता है। कि मैं गलती करने वाले को कभी माफ नहीं करता बल्कि उसे अपने हाथों से सजा देता हूं। उस शख्स के ऐसा बोलते ही सामने फर्श पर बैठे शख्स के चेहरे पर पसीने की बूंदे दिखने लगी जबकि ठंड का मौसम था। फिर भी इस मौसम में उसे आदमी को बहुत गर्मी लग रही थी। क्योंकि उसके सामने बैठा शख्स किस शैतान से काम नहीं था। जो किसी को सजा देने से पहले उसकी आखिरी विश भी नहीं पूछता था। उस शख्स ने अपने सामने बैठे शख्स के चेस्ट पर एक लात रखकर उसे दूर धकेलते हुए कहा" क्या हुआ। इतनी ठंड में भी तुम्हें गर्मी लग रही है।
"सिन्हा ने हकलाते हुए कहा" मुझे माफ कर दीजिए मालिक आज के बाद से ऐसी गलती मैं कभी नहीं करूंगा। मेरे घर पर मेरी बुड़ी मां मेरा इंतजार कर रही होगी। प्लीज मैं अपने जान के भीख मांगता हूं। आपसे
"उस शख्स ने अपने पॉकेट से सिगरेट निकाला और फिर लाइटर से जला कर उसे अपने होठों के एक कोने में रख कर उसके कश भरने लगा। और फिर सामने पड़े शख्स को इशारे करके उसे अपनी तरफ आने को कहा" तो सिन्हा रेंगते हुए अपने सामने बैठे शख्स के पास आकर उसके कदमों में बैठ गया।
"उस शख्स ने ठंड वॉइस में कहा" तुम्हें पता है। ना सिन्हा मुझे झुकना पसंद नहीं है। इसलिए तुम यहां आकर मेरे पास बैठो।
"तो सिन्हा ने डरते हुए कहा" लेकिन मालिक मैं आपके पास कैसे बैठ सकता हूं।
"तो उसे शख्स ने सर्द निगाहों से उसे करते हुए कहा" क्यों तुम इंसान नहीं हो क्या।
"सिन्हा ने इस बात पर हामी भारी और फिर उस शख्स के बगल में आकर जैसे ही बैठने वाला था। तभी उस शख्स ने उसे एक जोर का लात मारा। जिससे वह दूर जाकर गिरा और उसने सर्द निगाहों से उसे घुरते हुए कहा" तेरी इतनी हिम्मत नहीं है। कि तु मेरे सामने मेरे बगल में भी बैठ सके। ब्लैक डेविल के नाम से जानते हैं। लोग मुझे और तू ब्लैक डेबिल के जूतों के भी बराबर के लायक नहीं है। फिर तेरी इतनी औकात नहीं कि तु मेरे सामने मेरी बराबरी में बैठे फिर ब्लैक डेविल ने अपने बॉडीगार्ड को इशारा किया। तो उसके बॉडीगार्ड ने सिन्हा को पकड़ कर खड़ा किया। फिर ब्लैक डेविल सिन्हा के सामने आकर खड़ा हुआ। और उसके ऊपर अपने सिगरेट के धुओं को छोड़ते हुए कहा"
तुने यह कैसे सोच लिया। कि इतना सब कुछ हो जाने के बाद मैं तुम्हें माफ कर दूंगा। और तुम्हें तुम्हारी जान बख्श दूंगा फिर उसे शख्स ने अपने मुंह से सिगरेट निकाला। और सिन्हा के गालों पर रख दिया। जिससे सिन्हा के दर्द की वजह से उसके मुंह से चीख निकलने लगी। फिर उसने सिगरेट को उसकी आंखों पर रख दिया। आंखों के जलन की वजह से सिन्हा दर्द से छटपटा रहा था। जिससे पूरे बंगले में सिन्हा की एक दर्द भरी चीख गुंजने लगी तो।
"ब्लैक डेविल ने गुस्से में गरजते हुए कहा" दर्द हुआ होना भी चाहिए क्योंकि तू इसी लायक है। इन फैक्ट तु इससे भी ज्यादा दर्दनाक मौत डिस्टर्ब करता है। तुम जैसे गद्दार को जीने का कोई हक नहीं है मैं तेरे लिए कितना कुछ नहीं किया लेकिन तूने चल पैसों के लिए मुझे गद्दारी की जिसकी सजा तुझे मिलकर रहेगी। फिर उसने अपने बॉडीगार्ड की तरफ इशारा किया। तो बॉडीगार्ड ने उसके हाथों में गण दे दी। और ब्लैक डेविल ने गन लेकर सिन्हा के माथे के बीचों बीच शूट कर दिया। और वहां पर सिन्हा के दर्द भरी चीख गुंज गई। इसी के साथ वहां पर एक सन्नाटा पसर गया ब्लैक डेविल के ब्लैक मास्क पर पूरे खून के छीटे पड़े हुए थे। ब्लैक डेविल ने अपने बॉडीगार्ड की तरफ देखकर कहा" यह सब जल्दी क्लीन हो जाना चाहिए।
"बॉडीगार्ड ने हमें भरी और जल्दी से पूरे बंगलो की क्लीन करने लगे। ब्लैक डेविल बंगलो से बाहर आया। और अपनी कार में बैठ गया। कार के ड्राइविंग सीट पर उसका राइट हैंड टाइगर बैठा था। टाइगर ने ब्लैक डेविल को मिरर से देखा और अपने मन में सोचते हुए कहा" अफ्फ पता नहीं अब किसकी साहमत आने वाली है। और वैसे भी आज तक ब्लैक डेविल के कहर से कोई नहीं बचा है। फिर टाइगर ने कार स्टार्ट कर दी। ब्लैक डेविल अपनी ब्लैक कार में बैठकर वहा से चला गया।
ब्लैक डेविल इसके बारे में कोई कुछ नहीं जानता है। कैसा दिखता है। कौन है। कहां से आया है। और क्या मकसद है। किसी को कुछ नहीं पता ।
इंदौर...
एक महल जैसा घर जो देखने में बहुत ही खूबसूरत था उस घर के बड़े से नाम प्लेट पर सूर्यवंशी लिखा हुआ था रात का समय था जिससे घर में चारों तरफ लाइट जल रही थी। और घर काफी खूबसूरत लग रहा था। घर में थोड़ी हलचल हो रही थी। एक बड़ा सा रूम था। और बालकनी के दीवारों पर एक लड़की खड़ी हुई थी। उसके सामने दो लड़के खड़े थे। जो उससे रिक्वेस्ट कर रहे थे। कि वह दीवारों पर से नीचे उतर जाए।
"एक लड़के ने रिक्वेस्ट करते हुए अपने हाथ जोड़कर कहा" क्या कर रही है। मेरी मां प्लीज उतर जा अगर तेरा पैर स्लिप हुआ ना तो तु उस तरफ गिरेगी और तेरी बॉडी के साथ-सा शायद तेरी हड्डियां भी नहीं बचेगी तेरे अंतिम संस्कार के लिए इसलिए प्लीज अंशु नीचे उतर जा।
यह थी हमारी कहानी की हीरोइन अंशिका सूर्यवंशी" उम्र 20 साल हाइट 5 फीट 4 इंच"बेदाग गोरा रंग काली गहरी बड़ी-बड़ी आंखें" और उस पर बेहद ही काली घनी पलखे"गुलाब के पंखुड़ियां की तरह गुलाबी सुर्ख होंठ"पतली और परफेक्ट फिगर तीखे नैन नक्श" हंसते हुए गालो पर डिंपल" कमर तक लहराते काले घने लंबे और सिल्की बाल जिसकी उसने अभी पोनीटेल में बंधी हुई थी। अंशिका देखने में बहुत खूबसूरत है। ऐसा लगता था। जैसे ऊपर वाले ने बहुत ही फुर्सत से उसे बनाया हो। अगर कोई भी उसकी तरफ एक बार देख ले। तो बिना पलके छपकाए देखा ही रह जाए। चंचल और हंसमुख जो किसी के भी चेहरे पर उदासी को मिटा देती है। और बहुत ही मासूम दुनिया दारी छल कपट से बिल्कुल अनजान है।अंशिका अभी कॉलेज के सेकंड ईयर में है।
"अंशिका के सामने जो दो लड़के खड़े हैं वह दोनों अंशिका के भाई हैं। अंशिका दो भाइयों की इकलौती और पूरे घर में सब की लाडली है।
"अंशिका ने नकली का रोते हुए कहा" विधान भाई मतलब आप मेरे मरने से पहले ही मेरी अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे हो.. this is not fair..
"सौरभ ने अंशिका को समझाते हुए कहा" अंशु तू इसकी बातों में माता यह तो पागल है कुछ भी बोलता रहता है। तो प्लीज बच्चा नीचे उतर जा देख कर तुझे कुछ हो गया। तो हम भी जीते जी मर जाएंगे। और पापा उन्हें तो तू जानती है वह तुझे कितना प्यार करते हैं।
"तभी रूम में एक लड़की आई उसने इस वक्त साड़ी पहन रखा था दिखने में काफी खूबसूरत थी। वह सौरभ की वाइफ वेदिका थी।
"वेदिका के हाथ में इस वक्त मोबाइल था उसने सौरभ की तरफ देखकर कहा" सौरभ मैंने पापा जी को कॉल लगाया था। और उन्हें वेदिका ने इतना ही कहा था।
"सौरभ ने उसकी तरफ देखकर थोड़े गुस्से में कहा" तुम पागल हो गई। हो वेदिका एक तो पहले से ही यहां यह हमारे सर पर तांडव कर रही है। और तुमने एक नया बॉम फोड़ दिया अगर पापा को पता चला। तो पता नहीं वह क्या करेंगे तुम तो उनका गुस्सा जानती हो। तुम्हें उन्हें यह सब नहीं बताना चाहिए था हम हैंडल कर रहे हैं। ना तुम्हारे पेट में एक भी बात नहीं पचती है।
"अंशिका ने कहा" भाई पहले आप मुझसे प्रॉमिस करोगी आप पापा से बात करोगे। मुझे कॉलेज ट्रिप पर जाने की परमिशन दिलाओगे तब मैं नीचे उतरूंगी। नहीं तो मैं सच में यहां से आज कूद जाऊंगी। अगर नसीब में हुआ। तो अगले जन्म में आप लोगों से मुलाकात होगी। ओके बाय मैं चलती हूं। अंशिका का पैर स्लिप हुआ और वह एकदम चीख पड़ी।
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तो क्या लगता है आप सबको क्या अंशिका को उसके भाइयों उसे बचा लेंगे
तो आप सबको स्टोरी का पहला चैप्टर और हीरो का करैक्टर कैसा लगा और आप सबको हमारी प्यारी अंशिका कैसी लगी आखिर एक ब्लैक डेविल और एंजेल की जोड़ी कैसे मैच करेगी कमेंट में जरूर बताइएगा
अंशिका का पैर स्लिप हो गया। जिस वजह से वह डर की वजह से चीख पड़ी। इससे पहले कि वह बालकनी की दीवार पर से नीचे गिरती। तभी विधान ने उसके एक हाथ को पकड़ लिया। और दूसरे हाथ को सौरभ ने पकड़ा था। दोनों ने उसे ऊपर खींच लिया।
"अंशिका इस वक्त बहुत ज्यादा डर गई थी। इसलिए उसकी आंखों में आंसू भरे हुए थे। वह जल्दी से सौरभ के गले लग गई। तो सौरभ ने उसके सर को सहलाते हुए कहा" कुछ नहीं हुआ सब ठीक है।
"अंशिका रो रही थी फिर वह सौरभ से अलग हुई। सौरभ ने उसके आंसू को पूछते हुए कहा" हो गया तेरा ड्रामा या और हम सबको और परेशान करना है। हमेशा एडवेंचर लेते रहती है।
"अंशिका ने मासूमियत से कहा" भाई मुझे कॉलेज ट्रिप पर जाना है। आप प्लीज इस बारे में पापा से बात कर लो। अगर आपने बात नहीं कि तो मैं सच में यहां से कूद कर अपनी जान दे दूंगी। आप लोग मुझे कभी बाहर नहीं जाने देते पर इस बार तो जाने दो। मैं अकेली कहां हूं मेरी और भी फ्रेंड तो मेरे साथ जा रही है ना।
"तो विधान ने कहा" अच्छा ठीक है अंशु तू रो मत मैं डैड से बात करूंगा। और उन्हें मनाने की पूरी कोशिश करूंगा। लेकिन अगर उन्होंने मना किया। तो फिर इसमें हमारी कोई गलती नहीं होगी। और तू हमें ब्लैकमेल नहीं कर सकती।
"अंशिका ने जिद करते हुए कहा" भाई प्लीज मुझे जाने दो ना।
"तो सौरभ ने अंशिका की तरफ देखकर थोड़ी गुस्से में कहा" अंशु जिद मत करो।
"तो अंशिका ने थोड़े गुस्से में कहा" ऐसे तो आप सब कहते हो। कि आप सब मुझसे बहुत प्यार करते हो। लेकिन आप लोग मेरी इतनी छोटी सी विश पूरी नहीं कर सकते। इतना बोलकर अंशिका वहां से वॉशरूम में चली गई।
"सौरभ विधान सोफे पर बैठ गए वेदिका ने परेशान होते हुए कहा" आप पापा जी से बात क्यों नहीं करते है। अंशिका कभी इस घर से बाहर नहीं गई है। पर इस बार जिद कर रही है। तो प्लीज आप पापा जी से बात करके देखिए शायद वह मान जाए।
"सौरव ने वेदिका की तरफ देखकर कहा" नहीं भी दिखा मुझे नहीं लगता डेड मानेंगे क्योंकि हमारे बहुत से दुश्मन है। जो एक मौके की तलाश में बैठे हैं। और अंशिका वह हम सबकी जान है हम उसे बाहर जाने नहीं दे सकते।
"तो विधान ने मुस्कुराते हुए कहा" भाई अगर ऐसी बात है। तो अंशु के साथ मैं चला जाता हूं। थोड़े दिन में भी घूम फिर कर आ जाऊंगा। और वैसे भी काम के चक्कर में मैं भी बाहर नहीं जा पा रहा हूं।
"सौरभ ने विधान की तरफ देखकर गुस्से में कहा" कोई जरूरत नहीं है। चुपचाप से घर में ही बैठे रहो काम पर ध्यान दो। पहले से ही हमारा बिज़नेस और घाटे में जा रहा है। और तुम यह सब छोड़कर बाहर घूमने जाना चाहते हो। अगर डैड को यह सब पता चला तो तेरी खैर नहीं।
"तभी अंशिका वॉशरूम से बाहर आई उसने देखा कि सभी उसके रूम में ही बैठे हुए थे। वह जाकर वेदिका के पास बैठ गई और उसने गुस्से में कहा" अब आप सब यहा बैठकर क्या कर रहे हो। मैं सुसाइड नही करूंगी। इसलिए प्लीज आप सब यहा से जाओ।
"विधान ने हंसते हुए कहा" तेरा कोई भरोसा थोड़ी है। तू पागल लड़की है। कभी भी कुछ भी कर सकती है। इसलिए हम तुझे छोड़कर कहीं नहीं जाने वाले।
"अंशिका ने विधान की तरफ देखकर मुंह फूलाते हुए कहा" विधान भाई मैं आपको पागल कहां से नजर आती हूं। अब आप सब मुझे घर से बाहर नहीं जाने दोगे तो मैं ऐसा ही करूंगी।
"सौरभ ने अंशिका की तरफ देखकर कहा" अंशु बिल्कुल गलत बात है आज तो तुमने ऐसी गलती कर ली है। पर दोबारा ऐसा कुछ मत करना। समझ गई। ना और तुम कहीं नहीं जाओगे। और ना मैं डेड से इस बारे में बात करूंगा। सो जाओ। फिर सौरभ सोफे से उठकर रूम से बाहर चला गया।
"अंशिका बुलाए बैठी थी उसे इस तरह देखकर विधान ने कहा" अंशु अब मैं तेरे लिए कुछ नहीं कर सकता। तू तो जानती है। ना इस घर में डैड और भाई के मर्जी के बिना इस घर में एक पत्ता भी नहीं हिलता है। सो प्लीज अपने इस भाई को माफ कर देना।
"अंशिका ने विधान की तरफ देखकर गुस्से में कहा" भाई मैं क्या कहती हूं। आप सब मेरे लिए एक बड़ा सा पिंजरा लेकर आओ। जिसमें मैं आराम से पंछी की तरह कैद होकर रह सकूं।
"विधान ने जोर से हंसते हुए कहा" हां यह भी सही आईडिया दिया है। तूने मैं इस बारे में भाई से बात करता हूं।
" वेदिका ने विधान की तरफ देखकर गुस्से में कहा" विधान एक तो पहले से ही अंशु परेशान है। और ऊपर से तुम और उसे परेशान कर रहे हो।
"विधान ने अपना कान पड़कर अंशिका से सॉरी कहते हुए कहा" सॉरी अंशु माफ कर दे अपने इस पागल भाई को।
"अंशिका ने कुछ नहीं कहा" वह अपनी जगह से उठी और बैठकर साइड में आकर लेट गई। उसे लेटते देख कर विधान और वेदिका रूम से बाहर चले गए।
अगली सुबह...
एक बड़े से होटल के एक प्राइवेट रूम में एक लड़का उल्टा बैठ पर लेटा हुआ था। इस वक्त उसने अपनी बॉडी पर सिर्फ टॉवल पहना था उसके बांहे पर पट्टी बंधी हुई थी।
"तभी उसे रूम में तीन लड़के एक साथ इंटर हुए और दो लड़का उस सोए हुए लड़के के ऊपर आकर लेट गया। और उसके कानों में धीरे से कहा.. good morning baby..
"सोए हुए लड़के ने उन दोनों को अपने ऊपर से हटाया। और उसे एक लात मारकर बेड से नीचे गिरा दिया। वह लड़का अपनी कमर पर हाथ रखते हुए उसे लड़के की तरह घूरते हुए कहा" वह क्या कर रहा है। अगर अभी मेरा कमर टूट जाता तो।
"वो लड़का उठकर बेड पर बैठ गया। और उसने उसे लड़के को घूरते हुए कहा" सागर तू लड़की नहीं है। और कितनी बार कहां है। तुझे कि मुझे यह बेबी मत बोलाकर और मुझसे चिपका मत कर फिर उसने दूसरे लड़के की तरफ देखकर कहा" और तू अब बच्चा नहीं रहा है। इसलिए ऐसी हरकतें करना बंद कर नहीं। तो किसी दिन मेरे हाथों से पिटेगा।
"सागर ने मुंह बनाते हुए कहा" देख ले आकाश अब तेरा भाई तेरा ही नहीं हो रहा है। तो हमारा क्या होगा।
"आकाश ने गुस्से में कहा" सही कह रहे हो सागर भाई आप अध्यांश भाई तो सिर्फ दूसरों को डराना धमकाना ही जानते हैं। और इन्हें आता क्या है।
" अध्यांश ने दोनों को किलर लुक दिया। और फिर बेड से उठकर खड़ा हो गया। और उसने अपने बालों में हाथ फसाते हुए कहा" तुम दोनों की तरह चीप हरकतें नहीं करता हूं। मैं और ना ही मुझे यह सब पसंद है। अगर मुझसे इतना ही चिपकने का शौक है। तो अपने लिए कोई लड़की ढूंढ लो दिन रात उसे ही चिपकते रहना।
अध्यांश शेखावत इस कहानी का हीरो" उम्र 27 साल" 6 फीट 1 इंच लंबी हाइट" गोरा रंग" काली गहरी आंखें"जिम में बनाई हुई मस्कुलर चेस्ट बॉडी"चेहरे पर हल्की सी बियर्ड"थोड़े बड़े बाल जो उसके फोरहेड पर आते थे दिखने में काफी अट्रैक्टिव जो किसी भी लड़की के ड्रीम बॉय जैसा"दिखने में बहुत ही हैंडसम लेकिन लड़कियां इनको दुर से ही देखती हैं। क्योंकि पास जाने की किसी की हिम्मत नहीं होती। क्योंकि इनका गुस्सा बहुत ही खतरनाक है।
आकाश अध्यांश का छोटा भाई है। जो अभी लगभग 25 साल का है दिखने में हैंडसम है। और सागर और ध्रुव दोनों अध्यांश के बेस्ट फ्रेंड है। और हम उम्र भी लेकिन सागर थोड़ा मजाकिया है।
अध्यांश के मॉम डैड की डेथ उसके बचपन में हो गई थी। जब वह 8 साल का था। फैमिली में उसके दादू और उसकी बुआ है। जो लंदन में रहते हैं।
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कहानी कैसी लगी यह मुझे जरूर बताइएगा क्योंकि मुझे इससे मोटिवेशन मिलेगी
एक लड़का जो सोफे पर बैठकर अपना फोन चला रहा था। वह जोर से हंसने लगा। उसने हंसते हुए कहा.. you are right..अध्यांश तु बिल्कुल सही कह रहा है। इन दोनों के लिए अब लड़की हमें ही ढूंढनी पड़ेगी। क्योंकि हमसे पहले इन दोनों के ही शादी करनी पड़ेगी।
"सागर ने गुस्से में कहा" ध्रुव के बच्चे मुंह बंद रख अपना जब अध्यांश शादी करेगा तभी मैं भी शादी करूंगा। नहीं तो मैं भी शादी नहीं करूंगा। और जब तक अध्यांश की शादी नहीं होगी। तब तक मैं इसी से चिपकता रहूंगा या यूं कहूं कि मैं इसकी गर्लफ्रेंड बनकर इसके आगे पीछे घूमता रहूंगा। ताकि यह मुझसे तंग आकर कोई ना कोई लड़की तो अपने लिए पटा ही लेगा।
"ध्रुव ने सागर का मजाक उड़ाते हुए कहा" क्यों तु गे है क्या जो तुझे अध्यांश की गर्लफ्रेंड बनना है।
"ध्रुव की बातें सुनकर सागर ध्रुव को गुस्से में घूरने लगा। उसने बेड से एक पीलो उठाकर सागर के ऊपर मारते हुए कहा" पागल हो गया है क्या।
"ध्रुव ने अध्यांश की तरफ देखकर कहा" अध्यांश अब तेरी चोट कैसी है।
"अध्यांश ने अपना सर हल्का सा हिलाते हुए कहा.. I am fine..
"आकाश ध्रुव के साइड में आकर बैठ गया। और उसने अध्यांश की तरफ देखकर कहा" लेकिन भाई कल रात को आप पर हमला किसने किया था। उसके बारे में कुछ पता चला क्या।
"अध्यांश ने बिना किसी भाव के कहा" अभी तो पता नहीं चला है। लेकिन बहुत जल्द पता चल जाएगा जो भी है। लगता है। उसकी मौत मेरे ही हाथों लिखी है। फिर अध्यांश वॉशरूम में फ्रेश होने के लिए चला गया।
थोड़ी देर बाद अध्यांश वॉशरूम से फ्रेश होकर बाहर आया अब वह रेडी हो रहा था। मिरर के सामने वह अपने बाल सेट कर रहा था। तभी ध्रुव ने कहा अध्यांश हम यहां होटल में कब तक रहेंगे।
"तो अध्यांश ने ध्रुव की तरफ देखकर कहा" मैंने घर को रिनोवेशन पर दे दिया है। कुछ दिनों में हम वहां शिफ्ट हो जाएंगे।
"अध्यांश ने इस वक्त ब्लैक कलर का बिजनेस सूट पहना था जिसमें वह काफी हैंडसम लग रहा था। उसने अपने हाथों में रिस्ट वॉच पहना। और फिर आंखों पर ब्लैक गॉगल्स लगाकर रूम से बाहर चला गया।
"आकाश ने अध्यांश को जाते हुए देखा तो उसने मुंह बनाते हुए कहा" अब यह भाई अकेले-अकेले क्या हनीमून मनाने के लिए जा रहे हैं। चलो हम भी चलते हैं। फिर वह सब भी होटल के बाहर आ गए। और ब्लैक कार में बैठकर वहां से निकल गए।
सूर्यवंशी विला...
इस वक्त सभी डाइनिंग टेबल पर बैठकर ब्रेकफास्ट कर रहे थे। अंशिका चुपचाप बैठी थी। क्योंकि उसका मूड रात से खराब था। इस वजह से कुछ खाने का भी मन नहीं कर रहा था।
"सौरभ ने अंशिका की तरफ देखकर कहा" अंशु क्या हुआ अभी तक गुस्सा हो क्या हमसे।
"अंशिका से खाने नकली का हंसते हुए कहा" नहीं भाई मैं आपका क्यों रह सकती हूं। भाई आप सब ने मुझे ट्रिप पर जाने नहीं दिया। लेकिन मैं अभी थोड़ी देर बाद सारिका के साथ कॉलेज जा रही हूं। मुझे लाइब्रेरी से कुछ बुक कलेक्ट करने हैं। कॉलेज जाने के लिए भी मना मत करना मैं बता रही हूं आपको।
"सौरभ ने धीरे से मुस्कुराते हुए कहा" ओके कॉलेज जाने के लिए मना नहीं करूंगा। लेकिन तुम बॉडीगार्ड के साथ जाना और अपना ख्याल रखना।
"अंशिका ने मुस्कुराते हुए कहा" ओके भाई मैं अपना पूरा ख्याल रखूंगी।
"विधान ने अंशिका की तरह देखकर कहा" क्या बात है। अंशु कॉलेज जाने के नाम से ही खुश हो गई। कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं है।
"अंशिका ने विधान की तरफ देखकर तेरे से कहा" भाई आप अपना मुंह बंद रखो नहीं। तो सौरभ भाई आपके पूरे दांत बाहर निकाल देंगे। फिर आप बिना दांत के पोपले लगोगे।
"विधान ने जल्दी से अपने मुंह पर उंगली रखते हुए अपना सर हां में हिलाते हुए कहा" हां मेरी बहन तू बिल्कुल सही कह रही है। हमारा जल्लाद भाई सच में मेरे दांत बाहर निकाल देगा। फिर तो मुझे कोई लड़की भी पसंद नहीं करेगी।
"विधान की बातें सुनकर अंशिका जोर से हंसने लगी। वह दोनों धीरे से बात कर रहे थे। इसलिए सौरभ ने उन दोनों की बातें नहीं सुनी सौरव ने उन दोनों की तरफ देखकर कहा" चुपचाप से अपना ब्रेकफास्ट करो बाद में तुम दोनों गॉसिप कर लेना। थोड़ी देर बाद उन सब का ब्रेकफास्ट हो गया। तो विधान और सौरभ ऑफिस के लिए निकल गया। अंशिका ने वेदिका को बाय बोला और अपनी फ्रेंड सारिका के साथ कॉलेज के लिए निकल गई।
"अंशिका कार में चुपचाप बैठी थी। तो सारिका ने उसकी तरफ देखकर कहा" क्या हुआ अंशु तू इस तरह चुपचाप क्यों बैठी है। जरूर तेरे दिमाग में कुछ खुरापाति चल रहा है।
"अंशिका ने सारिका की तरफ देखकर उसे चुप रहने का इशारा किया। फिर उसने ड्राइविंग सीट पर बैठे बॉडीगार्ड से का बॉडीगार्ड भैया क्या आपके पास पानी है। मुझे बहुत प्यास लगी है।
"बॉडीगार्ड ने पानी का बोतल उठा कर देखा। तो उसमें पानी नहीं था। फिर उसने कहा" सॉरी मेम इसमें तो पानी नहीं है बॉडीगार्ड ने एक साइड में कार को रोक दिया। और अंशिका की तरह देखकर कहा आप 5 मिनट बैठिए में पानी लेकर आता हूं। इतना कहकर बॉडीगार्ड कार डोर ओपन करके वहां से चला गया।
"बॉडीगार्ड के जाते ही अंशिका के फेस पर एक बड़ी सी स्माइल थी। उसने राहत के साथ ली। और सारिका की तरफ देखकर कहा" अब यही बैठने का इरादा है। क्या जल्दी निकल यहां से नहीं। तो वह बॉडीगार्ड आ जाएगा। सारिका ने अपना सर हां में हिलाया। और दोनों कार से बाहर निकल गई फिर दोनों एक दूसरे को ताली दी।
"तो सारिका ने कहा" क्या बात है। अंशु तेरा आईडिया तो कभी फ्लॉप हो ही नहीं सकता। तभी तो मैं सोचूं कि तू इतना शांत क्यों बैठी है। फिर सारिका को सोचते हुए कहा" लेकिन हम पैदल कैसे जाएंगे।
"अंशिका ने कार की चाबी निकाल ली। और कहा" हम पैदल ही जाएंगे अगर हम कार से गए। तो भाई हमें ढूंढ लेंगे और मैं अपना फोन बंद कर रही हूं। तू भी अपना फोन बंद कर ले अंशिका ने अपना फोन स्विच ऑफ किया। और फिर सारिका की तरफ देखकर कहा" पहले हम कॉलेज जाएंगे। उसके बाद हम वहां से पार्क घूमने के लिए जाएंगे। तब मन हुआ। तो वापस घर आ जाऊंगी।
"सारिका ने अंशिका को घूरते हुए कहा" और अगर तेरा मन नहीं हुआ तो कहां जाएगी।
"अंशिका ने खुश होते हुए कहा" कहीं भी चली जाऊंगी। और क्या एक दिन की खुलकर आजादी बनाऊंगी दोनों बातें करते हुए चल रही थी। तभी अंशिका के सामने से एक ब्लैक कार फुल स्पीड में आई। कार का इनबैलेंस हो गया था। जिससे अंशिका डर गई। वह ब्लैक कार वाला अपना बैलेंस संभालते हुए रोकने की कोशिश कर रहा था।
अंशिका ने अपने कान पर हाथ रख लिया। और वह ब्लैक कार उसके गोल गोल घूम रहा था। और अंशिका बीच में डरी सहमी खड़ी थी। फिर वह ब्लैक कार एकदम से रुकी। और उसे कार का विंडो डाउन हुआ। उसमे बैठा शख्स कोई और नहीं बल्कि अध्यांश था। कार के रुकते ही अंशिका ने राहत की सांस ली। इस वक्त उसे ऐसा लग रहा था। जैसे यमराज ने उसके प्राण लेकर वापस उसे दे दिए हो।
अध्यांश अपनी कार से बाहर निकाला। और अपनी आंखों पर से गॉगल्स निकाल कर सामने खड़ी अंशिका की तरफ देखने लगा। अंशिका ने गुस्से में अध्यांश की तरह देखा दोनों एक दूसरे की तरफ देख रहे थे।
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स्टोरी को लाइक और कमेंट कीजिएगा कहानी कैसी लगी यह मुझे जरूर बताइएगा क्योंकि मुझे इससे मोटिवेशन मिलेगी
अध्यांश अपनी कार से बाहर निकाला। और सामने खड़ी अंशिका की तरफ देखने लगा। अंशिका ने गुस्से में अध्यांश की तरह देखा दोनों एक दूसरे के तरफ देख रहे थे।
अध्यांश ने अंशिका की तरफ नीचे से ऊपर तक देखा अंशिका ने पीच कलर का अनारकली सूट पहना था। बाल खुले थे। और उसके लम्बे बाल हवा में लहरा रहे थे। और होठों पर पिंक लिपस्टिक आंखों में गहरा काजल माथे पर छोटी स्टोन वाली बिंदी पैरों में हाई हील्स जिसमें अंशिका बहुत खूबसूरत लग रही थी।
अंशिका को देखकर अध्यांश की हार्टबीट एकदम से तेज हो गई। वह बिना पलके छपकाए एक टक अंशिका को देखने लगा। अध्यांश को खुद की तरफ इस तरह देखते देख अंशिका उसके सामने आकर खड़ी हो गई। और उसने अपने कमर पर दोनों हाथ रखकर उसे गुस्से में घुरते हुए कहा" ऐसे क्या देख रहे हो। पहले कभी लड़की नहीं देखी है। क्या
तभी वहां पर एक कार और आकर रुकी उस कार में से सागर ध्रुव और आकाश बाहर निकाला। उन तीनों ने जब सामने देखा तो वह तीनों एक दूसरे की तरफ देखने लगे।
अंशिका की आवाज से अध्यांश अपने सेंस में आया अंशिका ने गुस्से में उसे पर गरजते हुए कहा" ओ हैल्लो ऐसे आखें फाड़ कर क्या देख रहे हो।
"अध्यांश ने अंशिका की तरह देख कर कहा.. mind your language..
"अंशिका ने उसकी तरफ उंगली पॉइंट करते हुए कहा" आपनी यह अंग्रेजी को अपने पॉकेट में रखो। देखो अपने आसपास तुमने कितने लोगों का कितना नुकसान किया है।
"अध्यांश ने इधर-उधर देखा सड़क के एक साइड में ठेला था। उसका सारा सामान इधर-उधर बिखरा हुआ था। और सब खराब हो गया था अध्यांश ने फिर अंशिका की तरह देखकर कहा" ओके जितना भी नुकसान हुआ है मैं पे करने के लिए रेडी हूं।
"अंशिका ने गुस्से में कहा" नुकसान पे करने के लिए रेडी हो। और अगर कोई मर जाता। तो क्या उसे भी तुम जिंदा कर देते अरे देखो मुझे कितना डर गई थी। मैं अगर मेरा एक्सीडेंट हो जाता और मैं मर जाती तो।
"अध्यांश ने अंशिका को नीचे से ऊपर तक घूरते हुए कहा" तो क्या हां बिल्कुल ठीक हो तुम कुछ भी नहीं हुआ है । और जो भी हुआ वह मैंने जानबूझकर नहीं किया था। मेरा ध्यान कहीं और था इस वजह से यह सब हो गया।
"अंशिका ने गुस्से में अध्यांश की तरफ उंगली पॉइंट करते हुए कहा" ज्यादा ना हीरो मत बनो तुम जैसे को मैं अच्छे से जानती हूं। घमंडी मच्छर की औलाद कहीं के तुम समझते क्या हो। खुद को गाड़ी चलाते हुए दिमाग सो जाता है क्या यहां पर किसी को कुछ भी हो सकता था। यह सड़क है। तुम्हारा घर नहीं हां पूरी दुनिया को तुम अपनी पॉकेट में लेकर घूमते हो। क्या जो सब तुम्हारे हिसाब से चलेंगे।
"आकाश ने सागर की तरफ देखकर कहा" यह लड़की तो कुछ ज्यादा ही बोल रही है। भाई के गुस्से से इसे कोई नहीं बचा सकता।
"अध्यांश ने अंशिका की तरफ देखकर कहा" देखो तुम कुछ ज्यादा बोल रही हो। मैं कुछ बोल नहीं रहा इसका मतलब यह नहीं है। कि तुम्हारे मन में जो भी आएगा। तुम बकवास करती जाओगी और मैं बोल रहा हूं। ना जो भी नुकसान हुआ है। उसे मैं पे कर दूंगा फिर इतना हंगामा मचाने के क्या जरूरत है।
"सारिका आगे आई उसने अंशिका का हाथ पकड़ कर कहा" अंशु क्या कर रही है। छोड़ना यह सब हमें पहले से ही बहुत लेट हो चुका है। चल हम यहां से चलते हैं।
"अंशिका ने सारिका से अपना हाथ छोड़ाते हुए कहा" सरू तु इन लोगों के बारे में कुछ नहीं जानती यह लोग ऐसे ही होते हैं एक्सीडेंट कर देते हैं। और बड़ी आसानी से पतली गली से निकल लेते हैं। आज मैं इस लंगूर जैसे इंसान को बिल्कुल नहीं छोड़ने वाली।
"अध्यांश का पेशेंस अब जवाब दे रहा था। ना जाने वह कब से अंशिका की बकवास बातें सुन रहा था। वह कब से अपने गुस्से को शांत करके खड़ा था। और मैटर सॉल्व करने की कोशिश कर रहा था। लेकिन अंशिका बात को बढ़ा रही थी। जिसे अध्यांश को और ज्यादा गुस्सा आ रहा था।
अध्यांश की नजर अंशिका के गुलाबी होठों पर थी। जो न जाने कब से पटर पटर किए जा रही थी। अध्यांश ने अंशिका का हाथ पड़कर उसे अपने तरफ खींच जिससे अंशिका अध्यांश के चेस्ट से जा लगी अध्यांश ने अंशिका के कमर पर अपने हाथ रखकर उसे अपने और करीब खींच लिया। और एक हाथ अंशिका के सर के पीछे रखकर उसके बालों को अपने मुट्ठी में भरा और उसके चेहरे को अपने चेहरे के करीब करके उसके होठों पर अपने हाथ रख दिया।
अध्यांश की इस हरकत पर अंशिका की आंखें हैरानी से बड़ी हो गई थी। उसने कुछ पल तो रिएक्ट ही नहीं किया। अध्यांश ने अपनी होंठ अंशिका के होंठो पर रखकर सिर्फ टच किया था। उसे किस नहीं किया था। लेकिन जब अध्यांश अंशिका के इतने करीब आया। तब उससे कंट्रोल नहीं हुआ। और उसने अंशिका को काफी पेशेंटली किस करने लगा।
"वहीं यह सब देखकर आकाश सागर ध्रुव सारिका वह सब भी आंखें फाड़ कर दोनों को देख रहे थे। आकाश ने अपने पलके छपकाते हुए कहा" ओ तेरी में कोई सपना तो नहीं देख रहा हूं। भाई को आज क्या हो गया है यह तो खुले आम आज रोमांस कर रहे हैं।
अध्यांश अंशिका को पेशेंटली किस कर रहा था। और उसके होठों पर वाइट भी कर रहा था। उसके इस तरह वाइट करने से अंशिका को दर्द हो रहा था। फिर उसने अपने छोटे-छोटे हाथों से अध्यांश के चेस्ट पर मारने लगी। लेकिन इससे अध्यांश को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था।
"ध्रुव ने आकाश और सागर की तरफ देखकर धीरे से कहा" बिचारी को सांस लेने में प्रॉब्लम हो रही है। लेकिन इसका जल्लाद भाई बेचारी लड़की को छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं है।
"तो सागर ने मुस्कुराते हुए कहा" हां लाइफ की फर्स्ट किस है शायद इसीलिए जी भर के फर्स्ट किस को एंजॉय कर रहा है। इसलिए इस लड़की को नहीं छोड़ना चाहता होगा।
"आकाश ने बेचारा सा मुंह बनाते हुए कहा" भाई में भाई के साथ कहीं भी जा सकता हूं। लेकिन भाई की प्राइवेसी में अपनी यह लंबी सी टांग भी नहीं अड़ा सकता नहीं तो वह मेरी टांगे तोड़कर फेंक देंगे।
"ध्रुव ने मुस्कुराते हुए कहा" सही कहा तेरे भाई का कोई भरोसा नहीं है। उसके मन में कब क्या चलता रहता है। और कब क्या करता है। यह कोई नहीं कह सकता।
काफी देर तक अध्यांश अंशिका के होठों पर किस करता रहा। ऐसा लग रहा था। जैसे अध्यांश उसके होठों को खा ही जाएगा। और न जाने कितने जन्मों का प्यासा है। जब अंशिका को सांस लेने में प्रॉब्लम हुई। तब जाकर अध्यांश ने उसके होठों को छोड़ दिया। लेकिन उसे खुद से अलग नहीं किया था। वह अभी भी अंशिका को अपनी बाहों में लेकर खड़ा था। और इस वक्त उसकी आंखों में देख रहा था। अंशिका की आंखें इस वक्त नम थी। उसने अध्यांश के सीने पर दोनों हाथ रखकर उसे खुद से दूर धकेल दिया।
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कहानी कैसी लगी यह मुझे जरूर बताइएगा क्योंकि मुझे इससे मोटिवेशन मिलेगी और फ्रेंड्स मुझे आप सबकी सपोर्ट की बहुत ज्यादा जरूरत है इसलिए प्लीज सपोर्ट कीजिएगा
अध्यांश और अंशिका अभी भी एक दूसरे की बाहों के घेरे में खड़े थे। अंशिका की आंखें इस वक्त नम थी। उसने अध्यांश के सीने पर दोनों हाथ रखकर उसे खुद से दूर धकेल दिया।
"अंशिका इस वक्त गुस्से में अध्यांश को घुर रही थी। तभी सारिका ने अंशिका की तरफ देखकर बेचारा सा मुंह बनाकर कहा" अंशु तेरे गुलाबी सॉफ्ट होंठो का मर्डर हो गया इसलिए बोलती हूं। तुझे की इतना ज्यादा मत बोला कर ज्यादा बोलना सेहत के लिए हानिकारक होता है। अब देख रिएक्शन हो गया ना।
अंशिका ने गुस्से में घुर कर सारिका की तरफ देखा। तो सारिका चुप हो गई। वही सारिका की बातें सुनकर आकाश और सागर को हंसी आ रही थी। पर उन दोनों ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया। और अपनी हंसी को कंट्रोल करके खड़े रहे।
अंशिका ने एक नजर सब की तरफ देखा। सब लोग उसे अजीब नजरों से देख रहे थे। अंशिका को बहुत एंबेरिश फील हो रहा था। फिर अंशिका ने अध्यांश की तरफ गुस्से में देखा तो अध्यांश ने अपने दोनों कंधे उचका दिए
अंशिका ने अध्यांश की तरफ घुरते हुए कहा.. you cheap.. इंसान तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई। अपने कटे फटे होठों से मेरे सॉफ्ट होंठो को कुचलने की। अंशिका को इस वक्त बहुत गुस्सा आ रहा था उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। कि वह क्या करें। तभी साइट पड़े पत्थर पर उसकी नजर गई उसने वह पत्थर उठाया। और अध्यांश की गाड़ी के सामने शीशे पर दे मारा। जिससे गाड़ी का शीशा टूट गया।
"अंशिका के इस हरकत पर अध्यांश अपनी एक भौंहे उठाकर देख रहा था। अंशिका अध्यांश के थोड़ा करीब आकर खड़ी हुई और उसकी तरफ देखकर कहा" दोबारा से मुझसे पंगा मत लेना। नहीं तो बहुत भारी पड़ेगा।
" अध्यांश ने अंशिका की बातों का कोई जवाब नहीं दिया। उसने अपने आंखों पर गॉगल्स से लगाया। और जाकर दूसरी कार में बैठ गया। अंशिका उसे देख रही थी। फिर उसने सारिका का हाथ पकड़ा। और अध्यांश की तरफ देखकर उसे मुंह चिढ़ाते हुए कहा" दोबारा से मुझसे मत टकराना फिर अंशिका वहां से चली गई। तो अध्यांश ने अपनी कार को स्टार्ट की और वह भी वहां से निकल गया।
"सागर ने अध्यांश की कार को जाते हुए देखकर कहा" अरे यह तो अकेले-अकेले निकल गया। अब हम कैसे जाएंगे इसकी गाड़ी भी पूरी डैमेज हो चुकी है।
"आकाश ने कहा" अध्यांश भाई हमारी कार लेकर गए हैं। इसका मतलब यह है। कि इस कार की जिम्मेदारी हमारी है। ध्रुव भाई आप मैकेनिक को बुलाकर इस कार को ठीक करवाओ नहीं तो अध्यांश भाई हम तीनों को उल्टा लटका देंगे। क्योंकि गलती तो वह लड़की करके गई है सजा हमें ही मिलेगी।
शेखावत अंपायर...
अध्यांश अपने ऑफिस आया तो सभी स्टाफ ने अध्यांश को ग्रीट किया। अध्यांश ने सबको इग्नोर किया। फिर अपने प्राइवेट लिफ्ट की तरफ चला गया। वहां से वह 45 फ्लोर पर गया जहां उसका केबिन बना हुआ था।
अध्यांश एक सक्सेसफुल बिजनेसमैन हैं। शेखावत अंपायर का ओनर पहले उसका बिज़नेस लंदन में था। फिर उसने अपने बिजनेस को इंडिया में शिफ्ट कर लिया तब से ही वह इंडिया में ही अपने बिजनेस को हैंडल कर रहा है। और उसको कई बार बिजनेस अवार्ड भी मिल चुका है। अध्यांश की ब्रांच हर शहर में है।
अध्यांश अपने केबिन में आया और चेयर पर बैठकर उसने अपना सर चेयर से टिका दिया। और आंखें बंद कर लिया। लेकिन उसकी आंखें बंद करते ही उसकी आंखों के सामने अंशिका का चेहरा आ रहा था। वह सब सीन किसी फिल्म की तरह उसकी आंखों के सामने घूमने लगा उसे वह सब याद आ रहा था। जब उसने अंशिका को किस किया था। यह सब याद आते ही उसकी हार्टबीट एकदम से तेज हो गई
" अध्यांश ने एक झटके में अपनी आंखें खोली और उसने अपने दिल पर हाथ रखकर गहरी सांस लेकर कहा" यह मुझे क्या हो रहा है। जब से उस लड़की से मिला हूं। तब से ही मेरी बॉडी अजीब रिएक्ट कर रही है। अध्यांश ने अपने बालों में हाथ फेरते हुए कुछ सोचने लगा। फिर उसने अपना लैपटॉप ऑन किया। और उसे पर स्पीड में उंगली चलाने लगा।
" अध्यांश लैपटॉप पर कुछ देख रहा था जिसे देखकर उसने धीरे से कहा" अंशिका सूर्यवंशी अध्यांश ने अंशिका के बारे में सारी इनफार्मेशन निकाल ली थी। तभी अध्यांश को किसी के आने की आहट सुनाई दी। तो उसने अपना लैपटॉप बंद करके एक फाइल निकाला। और खुद को रिलैक्स करके उस फाइल को रीड करने लगा।
अध्यांश के केबिन का डोर ओपन हुआ। और आकाश केविन के अंदर आया और अध्यांश के सामने वाले चेयर पर बैठ गया। और मुस्कुराते हुए अध्यांश की तरफ देखने लगा।
अध्यांश ने जब आकाश को ऐसे मुस्कुराते हुए देखा तो उसने अपनी भौंहे उठा कर कहा.. what happened..आकाश
"आकाश ने मुस्कुराते हुए कहा" यह तो मुझे आपसे पूछना चाहिए भाई के क्या हुआ है। जहां तक मुझे पता है। आपके बारे में आप किसी लड़की के करीब जाने की दुर की बात है। उसे तो आप एक नजर उठा कर भी नहीं देखते हो। फिर आज इस लड़की में ऐसा क्या था। जो आपने उसे किस किया क्या इसका मतलब मैं यह समझ लूं कि यही वह लड़की है। जो मेरी होने वाली भाभी बनेगी।
"सागर ध्रुव केबिन में आया और सोफे पर बैठ गया। सागर ने रोने की एक्टिंग करते हुए कहा" हाय मैं तो लुट गया। बर्बाद हो गया। अध्यांश तु मेरे होते हुए किसी और को किस कैसे कर सकता है।
"अध्यांश में सागर की तरफ देखकर गुस्से में कहा" हो गया तुम दोनों का मेलो ड्रामा शुरु अगर तुम दोनों चुप नहीं हुए तो कल मैं तुम दोनों को पागल खाने में शिफ्ट करवा दूंगा फिर रहना उन पगलों के साथ थैंक गॉड ध्रुव तु इन दोनों के जैसा नहीं है वरना पता नहीं मैं अपनी लाइफ में इतने सारे पागलों को कैसे झेल पाता
"ध्रुव ने हंसते हुए कहा" अध्यांश तुझे तो इन दोनों पागल का पता ही है। यह दोनों काम कम और मजाक ज्यादा करते हैं तु बता तु आज मुझे कुछ अलग ही लग रहा है। कुछ खास है क्या उस लड़की में देख अध्यांश अब हमसे मत छुपाना। हम तेरे दोस्त हैं इसलिए जो भी तेरे दिल में है वह हमारे सामने खोल कर रख दे।
"आकाश ने ध्रुव की तरफ देखकर कहा" ध्रुव भाई मैंने भी भाई से यही पूछा था। पर भाई ने मुझे कोई जवाब ही नहीं दिया। अरे कम से कम मुझे ही बता दो। वही लड़की मेरी भाभी बनेगी।
"सागर ने अध्यांश की तरफ देखकर कहा" अध्यांश बताना क्या सच में वह लड़की तुझे पसंद आ गई है। अगर ऐसा है। तो फिर हमें भी अपने लिए कोई अच्छी सी लड़की पसंद करनी होगी। क्योंकि मैंने पहले ही कहा था। कि जब तू शादी करेगा तभी मैं भी शादी करूंगा।
" अध्यांश ने उन सब की तरफ देखकर कहा" ऐसा कुछ नहीं है जैसा तुम सब सोच रहे हो।
वहीं दूसरी तरफ अंशिका एक रेस्टोरेंट में बैठी थी। और मजे से अपनी फेवरेट डिश इंजॉय कर रही थी। लेकिन उसे इस बात का पता ही नहीं था। कि वह जहां बैठी है। उसके आसपास के लोग कौन हैं।
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तो क्या लगता है आप सबको आखिर अंशिका के आसपास ऐसे कौन लोग है जिसकी उसे खबर तक नहीं है
अंशिका रेस्टोरेंट में बैठी थी। और मजे से अपने फेवरेट डिश का रही थी। उसके साथ उसकी फ्रेंड सारिका भी बैठी थी शाम हो गई थी। लेकिन अंशिका अभी तक अपने घर नहीं गई थी। पहले वह कॉलेज गई थी। उसके बाद पार्क घूमने गई थी। फिर दोनों यहां रेस्टोरेंट में आ गई। क्योंकि दोनों को बहुत भूख लगी थी। इसलिए दोनों बैठकर मजे से खा रही थी।
"सारिका ने मुस्कुराते हुए कहा" यार अंशु अच्छा किया जो तू मुझे यहां ले आई भूख से मेरा बहुत बुरा हाल था।
"अंशिका ने मुस्कुराते हुए कहा" सर मेरे होते हुए मुझे कुछ हो सकता है। क्या आप यह सब बातें छोड़ और मजे कर मेरी आजादी की पार्टी की
अच्छा और मुझे अपनी आजादी की पार्टी नहीं दोगी। तुम पीछे से आवाज आई। तो अंशिका और सारिका ने पीछे मुड़कर देखा पीछे खड़े शख्स को देखकर अंशिका हड़बड़ा कर खड़ी हुई उसके हाथ में पिज़्ज़ा का एक पीस था। जो छूट कर नीचे फर्श पर गिर गया।
"सामने खड़ा शख्स कोई और नहीं सौरभ था जो हाथ बांधे अंशिका को घुर रहा था। अंशिका ने हकलाते हुए कहा" भा.. भाई..आप यहां मेरा मतलब आप यहां क्या कर रहे हो।
"सौरभ ने अंशिका को घूरते हुए कहा" क्यों मैं यहां नहीं आ सकता। क्या सिर्फ तुम ही आ सकती हो। तुम्हें क्या लगा था। तुम भाग जाओगी और हमें कुछ पता नहीं चलेगा।
"अंशिका ने मासूमियत से अपना सर न में हिलाते हुए कहा" नहीं भाई मैं भागी नहीं थी। सच्ची आपको जरूर किसी ने मेरे खिलाफ भड़काया है मैं तो कॉलेज गई थी।
"सौरभ ने अपने भौंहे चढ़ा कर कहा" अच्छा तुम कॉलेज गई। थी। तो फिर यहां क्या कर रही हो। अब तक तो तुम्हें घर पर होना चाहिए था। और तुम्हारे साथ तो बॉडीगार्ड भी होने चाहिए थे तो फिर वह कहां है।
"अंशिका ने इधर-उधर देखा फिर सौरभ की तरफ देखकर कहा" पता नहीं भाई वह सब कहां चले गए आपको पता है। भाई वह सारे बॉडीगार्ड ना बहुत कामचोर हैं। एक काम ठीक से नहीं करते मेरा ख्याल भी नहीं रखते आप ना उन सबको जॉब पर से निकाल दो।
"सौरभ ने अपना सर न मिलाते हुए कहा" हां वह तो मुझे दिख रहा है। अब तुम्हारा हो गया हो। तो घर चले मैं घर जा रहा हूं।
"अंशिका ने सारिका की तरफ देखकर कहा" शुरू में चलती हूं। अगर मैं जिंदा रही। तो तुझे कल मुलाकात जरुर होगी बरना यार मुझे कभी मत भूलना।
"सारिका ने मुस्कुराते हुए कहा" हां ठीक है मैं कॉलेज में तेरा वेट करूंगी।
"सौरभ ने अंशिका को देखकर लाचारी से कहा" इस लड़की के तो ड्रामे ही खत्म नहीं होते हैं। फिर उसने अंशिका का हाथ पकड़ कर ले जाते हुए कहा अब चलो भी और कितना ड्रामा करना है तुम्हें
"अंशिका ने अपना मुंह बनाते हुए कहा "भाई एक आखरी बार अपने फ्रेंड से मिल रही थी। और उसमें भी आपको मेरा ड्रामा नजर आ रहा है.. very bad..
"सौरभ ने अंशिका को गाड़ी में बिठाया और खुद ड्राइविंग सीट पर आकर बैठ गया। सौरभ ड्राइविंग कर रहा था। और अंशिका सौरभ की तरफ देख रही थी। फिर अंशिका ने अपने गाल पर उंगली से टाइप करते हुए का" भाई आपने बताया नहीं आप यहां क्यों आए थे।
"सौरभ ने अंशिका की तरफ देखा और फिर ड्राइविंग पर फोकस करते हुए कहा" क्यों तुमने मुझे बताया था। क्या कि तुम वहां से क्यों भागी थी। इस बात पर अंशिका ने कोई जवाब नहीं दिया वह मुंह बनाते हुए विंडो से बाहर देखने लगी। थोड़ी देर में वह दोनों घर पहुंच गए। तो अंशिका गाड़ी से निकाल कर पैर पटकते हुए घर के अंदर चली गई।
"इस वक्त सब लोग डिनर कर रहे थे अंशिका का मूड सही नहीं था। विधान ने अंशिका की तरफ देखकर कहा" क्या बात है अंशु आज फिर से कुछ गड़बड़ कर दिया। क्या तूने
"तो सौरव ने कहा" आज फिर से बॉडीगार्ड को चकमा देकर भाग गई थी। और रेस्टोरेंट में अपनी आजादी का जश्न मना रही थी। तब मैंने इसे पकड़ लिया इस वजह से मूड ऑफ है इसका
"अंशिका ने गुस्से में कहा" भाई आप ना मुझे थोड़ी देर भी खुली हवा में चैन की सांस नहीं लेने देते हो।
"सौरभ ने कहा" अंशु कोई नौटंकी नहीं कल डैड आ रहे हैं। इसलिए तुम हरकतें अपनी सुधार लो नहीं मैं बता रहा हूं। तुम जो कांड कर रही हो। ना उन सब के बारे में मैं डैड को बताने में एक मिनट की भी देरी नहीं करूंगा।
"वेदिका ने अंशिका की तरफ देखकर कहा" अंशु तुम्हारे भाई बिल्कुल सही कह रहे हैं। अब तुम बच्ची नहीं हो। तो ऐसी हरकतें करना बंद कर दो। और अपने पढ़ाई पर ध्यान दो।
"अंशिका ने गुस्से में कहा" हां भाभी एक आपकी कमी थी। आप तो भाई का ही साथ दोगी। मुझ बेचारी का कौन साथ देगा मैं तो इस घर में अकेली हूं कोई मुझे अपना समझता ही नहीं है। मुझे लगता है। मैं इस घर की बेटी ही नहीं हूं जरूर पापा मुझे कहीं से उठाकर लाए। होंगे फिर अंशिका गुस्से में उठकर अपने रूम में चली गई।
"विधान ने सौरभ की तरफ देखकर कहा" विधान भाई कल डैड आ रहे हैं। तो अब बुआ जी की तबीयत कैसी है।
"सौरभ ने कहा" अब पहले से बेहतर है डैड तो कह रहे थे। इतना बड़ा ऑपरेशन हुआ है रिकवर होने में टाइम लगेगा।
"अंशिका अपने रूम में बैठी थी। और अजीब अजीब मुंह बनाते हुए कह रही थी। पता नहीं आज सुबह मैं किसका मुंह देखकर उठी थी। जब से सुबह हुई है। तब से मेरे साथ बुरा ही हो रहा है। पहले वह इंसान जिसने मेरे प्यारे होठों का मर्डर कर डाला छोडूंगी। नहीं मैं उस इंसान को उसकी हिम्मत कैसे हुई मुझे किस करने की समझता क्या है। खुद को अंशिका को इस वक्त अध्यांश पर उसे गुस्सा आ रहा था। अगर वह इस वक्त अंशिका के सामने होता तो जरूर अंशिका अध्यांश का सर फोड़ देती।
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स्टोरी को लाइक और कमेंट कीजिएगा कहानी कैसी लगी यह मुझे जरूर बताइएगा क्योंकि मुझे इससे मोटिवेशन मिलेगी और फ्रेंड्स मुझे आप सबकी सपोर्ट की बहुत ज्यादा जरूरत है इसलिए प्लीज सपोर्ट कीजिएगा
अंशिका बेड पर बैठी थी उसे नींद नहीं आ रही थी। गुस्से के मारे अब उसे कुछ खाने का मन कर रहा था। फिर वह अपने रूम से निकाल कर बाहर आई। "अंशिका ने पहले इधर-उधर देखा और फिर खुश होते हुए कहा" चलो अच्छा है। सब सो गए फिर वह एक रूम का डोर ओपन करके रूम के अंदर चली गई। सामने विधान वेट पर उल्टा लेटा हुआ था। और खर्राटे मार कर सो रहा था।
"अंशिका ने अपनी कमर पर हाथ रखकर विधान को घूरते हुए कहा" एक तो मेरा यह भाई इनको भी बेल के जैसे खर्राटे लेकर सोने की आदत है। पता नहीं अगले जन्म में क्या ही थे। जो इस जन्म में ऐसे खर्राटे लेते हैं।
"अंशिका ने विधान को आवाज देते हुए कहा" विधान भाई उठो मुझे आपसे कुछ जरूरी बात करनी है। लेकिन अंशिका के उठाने से भी विधान नहीं उठा। तो बहुत चीड़ गई। फिर अंशिका ने एक पेपर लिया और उसे मोड कर विधान के कानों में घुसा दिया।
इससे विधान को गुदगुदी लग रही थी। उसने अपने कान पर हाथ रखते हुए कहा" कौन है। बे किसने मेरी नींद हराम करने की कोशिश की फिर वह आंखें मसलते हुए उठ कर बैठ गया। उसके सामने अंशिका बैठकर मुस्कुरा रही थी।
"विधान ने अंशिका को घुरते हुए कहा" तू तू मेरे रूम में क्या कर रही है। तुझे रात को भी चैन नहीं मिलता है। क्या खुद नहीं सोई कम से कम मुझे तो सोने दे मेरी मां
"अंशिका ने मुस्कुराते हुए कहा" भाई मुझे आइसक्रीम खाना है। चलो हम बाहर से आइसक्रीम खाकर आते हैं।
"विधान ने मना करते हुए कहा" नहीं नहीं मुझे नहीं जाना। तेरा तो कुछ नहीं होगा। अगर विधान भाई को पता चला। तो वह मुझे चिता पर लौटा देंगे। और मुझे कुछ पूछेंगे भी नहीं कि इसमें मेरी गलती भी है। या नहीं इतना कहकर वह बेड पर वापस लेट गया।
"तो अंशिका ने उसके हाथ खींचकर उसे उठाते हुए कहा" भाई चलो ना किसी को कुछ पता नहीं चलेगा सब इस वक्त सो रहे हैं। प्लीज प्लीज चलो ना अंशिका बहुत जिद कर रही थी। तो उसके जिद करने की वजह से विधान अपनी जगह से उठा। फिर उसने हामी भरी फिर दोनों घर से बाहर निकल गए।
वहीं दूसरी तरफ सड़क के एक किनारे पर एक ब्लैक
कार रुकी हुई थी। उसके अंदर अध्यांश बैठा था। और अपने लैपटॉप पर कुछ कर रहा था। तभी उसके फोन पर रिंग हुआ। उसने कॉल रिसीव करके अपने कान पर लगाया और बेहद सर्द आवाज में कहा"बताओ मेरा काम हुआ है। या नहीं या तुमने मेरा टाइम वेस्ट करने के लिए मुझे कॉल किया है।
"उधर से किसी शख्स ने डरते हुए कहा" बस प्लीज मुझे थोड़ा वक्त दीजिए मैं आपका काम जरुर कर दूंगा।
"अध्यांश ने गुस्से में कहा" मैंने तुम्हें पहले ही बहुत टाइम दे दिया है। अब मैं तुम्हें कोई टाइम नहीं देने वाला क्योंकि टाइम ओवर हो चुका है। और टाइम रहते हैं तुमने मेरा काम नहीं किया.. this is your mistake..सो अपनी पनिशमेंट के लिए तैयार रहना इतना कहकर अध्यांश ने कॉल कट कर दिया। अध्यांश को इस वक्त बहुत गुस्सा आ रहा था। उसने अपनी कार का विंडो डाउन किया। और फिर अपने गुस्से को शांत करने लगा।
थोड़ी देर बाद विधान की कार सड़क के साइड में रुकी थी। और सड़क के साइड में आइसक्रीम का स्टोर लगा था। विधान और अंशिका वहां पर खड़े होकर आइसक्रीम खा रहे थे।
"अंशिका ने मुस्कुराते हुए कहा" विधान भाई आप सच में बेस्ट भाई हो आप उस खडूस की तरह नहीं हूं। आप मेरी हर विश पूरी करते हो। थैंक यू सो मच
"विधान ने मुस्कुराते हुए कहा" हां सही कहा तेरा अच्छा भाई बनने के चक्कर में किसी दिन में सूली पर चढ़ जाऊंगा।
"अंशिका ने हंसते हुए कहा" कोई बात नहीं भाई मैं आपको गवाही देकर बचा लूंगी। फिर आपको कुछ नहीं होगा। दोनों मुस्कुराते हुए एक दूसरे से बातें कर रहे थे। और आइसक्रीम खा रहे थे। इस बात से अनजान की एक जोड़ी आंखें उन दोनों को ही कब से घुरे जा रहे हैं।
"विधान ने मुस्कुराते हुए कहा" और खाना है। आइसक्रीम या अब घर भी चलना है।
"अंशिका ने मुस्कुराते हुए कहा" नहीं भाई मेरा तो मन भर गया। सच में मैं जब भी आपसे कुछ कहती हूं। आप इनकार नहीं करते हो.. I love you bhai I really love you.. world in the West my brother..फिर अंशिका ने विधान के गालो पर जोर से किस कर दिया।
"अंशिका ने अपना फोन निकाला और मुस्कुराते हुए कहा" विधान भाई एक सेल्फी ले लेते हैं। उस जल्लाद भाई को जलाना भी तो है। विधान और अंशिका ने एक सेल्फी ली और फिर दोनों कार में बैठकर वहां से चले गए वही उनसे थोड़ी दूर पर अध्यांश की कार खड़ी थी। वह उन दोनों को देख रहा था।
अध्यांश अपनी कार में से अंशिका को ही देख रहा था। और उसकी हर एक्टिविटी पर उसकी नजर थी। जो देखकर अध्यांश की गुस्से से मुठिया कसी हुई थी। अध्यांश ने सामने देखा फिर कर स्टार्ट करके वहां से निकल गया। थोड़ी देर बाद उसकी कार एक होटल के सामने रुकी यह होटल अध्यांश का ही था।
अध्यांश ने अपनी कार को पार्किंग में खड़ी की और कार से निकलकर होटल के अंदर चला गया। वह अपने रूम में आया। और उसने अपना कोट सोफे पर रखकर वॉशरूम में शॉवर लेने के लिए चला गया। अध्यांश आकर वॉशरूम में शावर के नीचे खड़ा हो गया। शावर से निकलता हुआ पानी उसके पूरी बॉडी को भीग रहा था। जिससे कुछ हद तक अध्यांश का गुस्सा शांत हो गया। लगभग 1 घंटे तक वह शावर के नीचे खड़ा रहा।
थोड़ी देर बाद अध्यांश वॉशरूम से बाहर निकाला। इस वक्त उसने खुद पर वाइट टॉवल लपेट रखा था। फिर वह क्लोजेट रूम में गया। उसने एक टीशर्ट और लोअर निकाल कर पहन लिया। और अपना फोन लेकर बालकनी में आ गया। उसने किसी को फोन मिलाकर अपने कान पर लगा लिया।
जब उधर से कॉल पिक हो गया। तब अध्यांश ने सर्द आवाज में कहा मैं एक लड़की की फोटो भेज रहा हूं। उस लड़की पर हर एक्टिविटी पर नजर रखना। मुझे उसकी हर एक्टिविटी की इनफार्मेशन चाहिए वह कहा" जाती है। किससे मिलती है। क्या करती है। सब कुछ जानना है। मुझे
उधर से अध्यांश के असिस्टेंट ने अपने कान से फोन हटाकर फोन को घुरते हुए धीरे से कहा" आज सर को क्या हो गया है। किसी लड़की पर नजर रखने के लिए कह रहे हैं। जबकि यह तो लड़कियों से कोसों दूर भागते हैं। मतलब लड़कियों से तो इनका 36 का आंकड़ा है फिर आज ऐसा क्या हो गया।
"अध्यांश ने बेहद सर्द आवाज में कहा तृषान लगता है। तुम्हें मेरी बात समझ नहीं आई है। और अगर नहीं समझे हो। तो अगले 10 मिनट में पनिशमेंट के लिए तैयार रहना।
" तृषान ने कहा" नहीं सर मैं सब समझ गया। मुझे क्या करना है आपका काम हो जाएगा। लेकिन सर आप इस लड़की की पर नजर रखने के लिए क्यों कह रहे हैं। मेरा मतलब है। आपको तो लड़कियों से एलर्जी है। मतलब आप तो लड़कियों से हमेशा दूर ही रहते है।
"अध्यांश ने सर्द लहजे में कहा" हो जाएगा नहीं हो जाना चाहिए। और जितना कहा है। उतना करो ज्यादा सवाल नहीं इतना कहकर अध्यांश ने कॉल कट कर दिया।
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तो फिर चलिए नेक्स्ट पार्ट पर मुलाकात होगी तब तक कहानी पढ़ कर रेटिंग और समीक्षा करके जरूर बताइएगा कि आपको कहानी कैसी लगी और प्लीज
सपोर्टिंग मी..
अध्यांश ने सर्द लहजे में कहा" हो जाएगा नहीं हो जाना चाहिए और जितना कहा है। उतना करो ज्यादा सवाल नहीं इतना कहकर अध्यांश ने कॉल कट कर दिया।
"तृषान ने फोन को देखते हुए खुद से कहा" अजीब बात है। इस आदमी को आज हो क्या गया है। एक लड़की पर नजर रखने के लिए कह रहे हैं। खैर मुझे क्या अगर मैंने अपना काम नहीं किया। तो पता नहीं इस आदमी का दिमाग कभी भी सटक सकता है। और मुझे इतनी जल्दी नहीं मरना है। अरे अभी तो मेरी शादी भी नहीं हुई है
फिर तृषान अपने काम पर लग गया
अध्यांश बालकनी में खड़ा होकर चांद को एक तक देख रहा था। उसके चेहरे पर इस वक्त कोई भाव नहीं था। उसके मन में इस वक्त काफी कुछ चल रहा था। फिर वह बालकनी से रूम के अंदर आया।
अगले दिन...
"अंशिका सारिका के साथ कॉलेज आई हुई थी। क्योंकि आज कॉलेज के स्टूडेंट ट्रिप पर जा रहे थे। अंशिका का चेहरा आज उदास लग रहा था। क्योंकि वह कॉलेज ट्रिप पर नहीं जा रही थी। इसलिए उसने आज बेबी पिंक कलर का जॉर्जेट का प्लाजो सूट पहना था। जिसमें वह बहुत खूबसूरत लग रही थी। लेकिन वह अपना मुंह लटका कर खड़ी सबको जाते हुए देख रही थी। कुछ लड़कियों ने अंशिका को देखकर कहा" अंशु क्या तुम कॉलेज ट्रिप पर नहीं जा रही हो
"अंशिका ने मुस्कुराते हुए कहा" नहीं यार मैं नहीं जा रही हूं। तुम सब जाओ और इंजॉय करो। कॉलेज में एक बस आई हुई थी। जिससे वह सारे स्टूडेंट ट्रिप पर जाने वाले थे। फिर वह सब स्टूडेंट बस में बैठ गए। और वह बस कॉलेज से बाहर चली गई। अंशिका और सारिका वहां पर खड़ी थी। उसे बस को जाते हुए देख रही थी।
"अंशिका ने कहा" पता नहीं मैं किस घर में पैदा हुई हूं। जो हर वक्त मुझ पर गहरा पहरा रहता है। ना बाहर जाने की परमिशन है। और ना ही अपनी आजादी से अपनी जिंदगी जीने की परमिशन है।
"सारिका ने अंशिका की तरह देखकर कहा" अंशु यार तेरी वजह से मैं भी कॉलेज ट्रिप पर नहीं जा पाई काश तेरे भाई इतने अकडू टाइप के नहीं होते तो हम भी सब की तरह इंजॉय कर रहे होते।
"अंशिका ने रोंदु सी आवाज में कहा" सरू यार मुझे बहुत बुरा लग रहा है। काश भाई ऐसे नहीं होते तो कितना अच्छा होता। ना तभी वहां पर दो लड़कियां और आ गई।
"सारिका ने उन दोनों की तरफ देखकर कहा" अरे तुम दोनों अभी तक यहां हो बस तो चली गई। मेघा क्या तुम दोनों भी कॉलेज ट्रिप पर नहीं जा रही हो।
"मेघा ने कहा" नहीं यार मैं भी नहीं गई। क्योंकि मेरी मां की तबीयत ठीक नहीं है। इसलिए मैं नहीं गई।
"अंशिका ने उन सब की तरफ देखकर कहा" चलो फिर हम कहीं बैठकर अपनी पार्टी करते हैं। फिर उन सब ने इस बात पर हमें भारी फिर वह सब कॉलेज से निकल गई। थोड़ी देर बाद वह सब एक रेस्टोरेंट में आकर बैठ गई।
"अंशिका ने उन सब की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा" बताओ तुम सब क्या खाओगे आज मेरी तरफ से फुल पार्टी है। इसलिए जिसको जो खाना है। वह तुम लोग ऑर्डर कर सकते हो बिल में पे करूंगी। हम सब ने अपने लिए अपना-अपना आर्डर किया।
थोड़ी देर में उन सब का आर्डर आ गया। तो वह सब खा रही थी। अंशिका ने अपने लिए सिर्फ कॉफी आर्डर किया था। उसने कॉफी पीते हुए सारिका की तरफ देखकर कहा" सरू यार आज मुझे ना बहुत बोरियत महसूस हो रहा ह। चल आज कुछ अलग ट्राई करते हैं।
"सारिका ने अंशिका की तरफ देखकर घूरते हुए कहा" अच्छा अब तुझे कौन सा पंगा खड़ा करना है। देख कुछ भी पंगा मत करना चुपचाप से यही बैठी रह। वरना तेरे साथ-साथ मैं भी किसी के हाथों पिट जाऊंगी।
"अंशिका ने कहा" ऐसा नहीं होगा। कोई मुझे हाथ तो लगा कर देखें। मैं उसके हाथ तोड़ दूंगी। अंशिका ने कॉफी खत्म किया। फिर उसने अपना फोन उठाया। और सेल्फी लेने लगी। उसने सब की तरफ देखकर कहा" चलो तुम सब भी आ जाओ। हम एक ग्रुप सेल्फी लेते हैं। फिर वह सभी आकर अंशिका के बगल में खड़ी हो गई। और पोस्ट देने लगी। अंशिका ने उन सबके साथ सेल्फी लेने लगी।
वही उनसे थोड़ी दूरी पर अध्यांश का टेबल था। अध्यांश किसी क्लाइंट से अपने बिजनेस मीटिंग के सिलसिले में यहां रेस्टोरेंट आया था। इस वक्त उसने ब्लैक कलर का थ्री पीस सूट पहना था। और चेहरे पर ब्लैक मस्क और आंखों में ब्लैक गॉगल्स लगाया था। जिसमें वह बहुत हैंडसम और डैशिंग लग रहा था।
"अध्यांश के साथ आकाश सागर और ध्रुव वह सब इस मीटिंग में शामिल थे। अध्यांश ने उन क्लाइंट की तरफ देखकर कहा" यह मेरा एक ड्रीम प्रोजेक्ट है। इस पर मैं कई सालों से वर्क कर रहा हूं। इस प्रोजेक्ट में कुछ भी गड़बड़ नहीं होना चाहिए।
"बिजनेस क्लाइंट ने कहा" ओके मिस्टर शेखावत आप जैसा चाहते हैं। वैसा ही होगा। इसमें कोई गड़बड़ नहीं होगी। और हम कल से ही इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर देंगे।
"अध्यांश ने उनकी तरफ देखकर कहा" ओके मिस्टर बत्रा लेकिन आपको अपना काम शुरू करने से पहले इन पेपर्स पर साइन करने होंगे। आप एक बार इन पेपर को रीड कर लीजिए। फिर साइन करना मिस्टर बत्रा ने हामी भरी और उन पेपर्स को रीड करने लगा।
"अध्यांश वहां पर बिल्कुल शांत बैठा था। इस बात से अनजान की एक तूफान फिर से उसकी तरफ बढ़ रहा है। अंशिका सेल्फी लेते हुए अध्यांश की तरफ आ गई थी। उसने अपने पैरों में हाई हील्स पहना था। अंशिका के हाई हील्स कारपेट में फंस गए। जिस वजह से उसके कदम लड़खड़ा गए। इससे पहले कि वह गिरती उसने खुद को संभाल लिया। तभी वह पीछे किसी से टकरा गई। और एकदम से किसी के ऊपर जा गिरी।
"अंशिका के इस तरह गिरने से एक पल के लिए सभी हड़बड़ा गए ध्रुव सागर और आकाश वह तीनों उठकर खड़े हो गए हैं। और बिजनेस क्लाइंट भी खड़े हो गए। और वह सब आंखें फाड़ कर अपने सामने देखने लगे।
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आप सब समीक्षा में जरूर करके बताइएगा कि आपको हमारी अंशिका का करैक्टर कैसा लगा
अंशिका के इस तरह गिरने से एक पल के लिए सभी हड़बड़ा गए। ध्रुव सागर और आकाश वह तीनों उठकर खड़े हो गए। और बिजनेस क्लाइंट भी खड़े हो गए। और वह सब आंखें फाड़ कर अपने सामने देखने लगे। सब लोग अध्यांश और अंशिका को आगे बढ़कर देख रहे थे। क्योंकि सबको पता था। कि अध्यांश लड़कियों से हमेशा दूर ही रहता है। पर आज यह सब देखकर वह सब फ्रिज हो गए थे।
एक साइड में तृषान खड़ा था। उसने जब अंशिका को देखा तो उसने अपने मन में कहा" यह तो वही लड़की है। जिसके बारे में सर ने मुझे काम दिया था। इस पर नजर रखने के लिए।
वहां पर सारिका और उसकी दोनों फ्रेंड भी आकर खड़ी हो गई। सारिका ने अपना माथा पीटते हुए कहा" इस लड़की ने फिर से कांड कर दिया।
अध्यांश अंशिका को एक तक देख रहा था। क्योंकि अंशिका अध्यांश के गोद में ही जाकर गिरी थी। अध्यांश के चेहरे पर मास्क था। जिस वजह से वह अध्यांश को नहीं पहचान पाई। और आंखें बड़ी करके अध्यांश को देख रही थी। फिर उसने इधर-उधर देखा तो देखा। कि सब लोग उसे ही देख रहे थे।
अंशिका ने सब की तरफ देखते हुए कहा" प्लीज मुझे ऐसे मत देखिए मैं भी आप सब की तरह इंसान हूं। कोई भूत प्रेत नहीं जो आप सब मुझे ऐसे घुर रहे हैं।
"तभी अंशिका के कानों में अध्यांश की आवाज बड़ी अध्यांश ने सर्द आवाज में कहा.. get up..
"अंशिका ने अध्यांश की तरफ देखकर कहा" कुछ कहा क्या आपने मुझे आपकी आवाज आई थी। अभी
"अध्यांश ने अपनी आईब्रो चढ़ाते हुए कहा" तुम्हें पता भी है तुम कहां बैठी हो।
"तो अंशिका ने हैरानी से कहा" मतलब...
"अध्यांश ने सर्द आवाज में कहा" तुम मेरी गोद में बैठी हो अपने बेड पर नहीं इसलिए चुपचाप से उठो।
"अंशिका ने जब देखा कि वह अध्यांश के गोद में बैठी है। तो जल्दी से उठकर खड़ी हो गई। और हकलाते हुए कहा" वह मुझे पता नहीं था। कि मैं कब आपकी गोद में आकर बैठ गई। और मुझे तो याद भी नहीं है।
सब लोग अंशिका को हैरानी से देख रहे थे। अंशिका ने सब की तरफ देखा। फिर अध्यांश की तरफ देखकर अजीब सा मुंह बनाते हुए कहा" यह लोग मुझे ऐसे क्यों घुर रहे हैं। मुझे इन सब से डर लग रहा है। प्लीज आप मुझे इन सब से बचा लेना मैं अकेली लड़की इन सब का सामना कैसे करूंगी।
अध्यांश अंशिका की तरफ देख रहा था। तभी उसकी नजर टेबल पर पड़े। उस पेपर पर गई। जो अब पूरी तरह से गिला हो चुका था। अध्यांश ने वो फाइल उठाया। और उस फाइल को देखने लगा। यह देखकर आकाश ने जल्दी से कहा" मैंने नहीं किया। यह सब इसकी वजह से हुआ है। मैं तो बस पानी पी रहा था। इसी ने मुझे टक्कर मारी थी। जिस वजह से पानी इस फाइल पर गिर गया।
"अंशिका ने जल्दी से कहा" अरे आप झूठ क्यों कह रहे हो। मैंने कब किया फिर उसने अध्यांश की तरफ देखकर कहा" उनकी बातों पर भरोसा मत करना।
"अध्यांश अंशिका को देख रहा था। पेपर खराब हो जाने की वजह से अध्यांश को बहुत गुस्सा आ रहा था। लेकिन वह अपना गुस्सा कंट्रोल करने की पूरी कोशिश कर रहा था पर अंशिका किस काम आएगी। वह तो हर बार अध्यांश को गुस्सा दिलाती थी। अंशिका ने उसे अभी तक नहीं पहचाना था। फिर अध्यांश ने अपने चेहरे पर से मास्क हटाया। अध्यांश को देखकर अंशिका की आंखें हैरानी से फैल गई। उसने हकलाते हुए कहा" आप तो वही होना जिसने कल मुझे अंशिका इतना कह कर चुप हो गई। अंशिका ने अपने चेहरे को नॉर्मल किया। और थोड़े गुस्से में कहा" मैंने आपसे कहा था। ना मुझे दोबारा मत टकराना। फिर भी आप मुझे टकरा गए।
"अध्यांश ने अपनी एक आईब्रो चढ़ाते हुए कहा" मैं तुमसे नहीं टकराया हूं। आज भी तुम मुझे टकराई हो। और कल भी तुम ही मुझे टकराई थी।
"तो अंशिका ने अध्यांश की तरफ देखकर जोर से कहा" अरे ऐसे कैसे आप मुझसे टकराए थे। आप अपनी उस खटारा गाड़ी को मेरे ऊपर चढ़ा देते।
"आकाश ने सागर के कानों में कहा"लो हो गया इस लड़की ने भाई की फेवरेट कार को खटारा कह दिया। अब तो भाई का गुस्सा सातबे आसमान पर होगा
आकाश आगे गया और उसने बात को संभालते हुए आगे बढ़कर कहा.. hi beautiful..आकाश...
"अंशिका ने एक नजर आकाश के हाथों को देखा फिर आकाश की तरफ देखकर मुंह बनाते हुए कहा" हा तो आकाश हो आकाश पर ही रहो धरती पर आने की जरूरत नहीं है।
"अंशिका की बातें सुनकर आकाश का मुंह लटक गया। सागर और थोड़ा दबा के हंसने लगा। आकाश नहीं दोनों की तरफ उस में देखा।
"अंशिका ने अध्यांश की तरफ देखकर कहा" और आप मुझे ऐसे क्यों देख रहे हैं। जो भी हुआ। इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। लाइए दीजिए मुझे पेपर मैं ठीक कर देती हूं। अंशिका ने अध्यांश के हाथों से पेपर ले लिया। और टेबल पर रखकर टिशू पेपर से उस पेपर को सूखाने लगी। अंशिका ने एक नजर अध्यांश की तरह देखा। और फिर मुस्कुराते हुए खुद मन में सोचने लगी। कल मुझे किस किया था। ना अब उसका बदला में इस पेपर से लूंगी। अब देखो मैं क्या करती हूं।
अंशिका ने पेपर सही करने के बजाय उसे और खराब कर दिया। अंशिका टिशू पेपर से पेपर को सुखाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन इस चक्कर में उसने पेपर के दो टुकड़े कर दिए। यह देखकर अध्यांश को और गुस्सा आ गया। उसने पेपर उठाया। और उसके दोनों टुकड़े को देखते हुए कहा" यह सही किया तुमने" अंशिका की हरकतों की वजह से अध्यांश का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया था।
"अंशिका ने अध्यांश की तरफ देखकर मुंह बनाते हुए कहा" अरे आप इतना गुस्सा क्यों कर रहे हो मैं तो बस सही करने की कोशिश कर रही थी। लेकिन गुस्सा तो आपके नाक पर बैठा रहता है। फिर उसने एक गिलास पानी उठाया। और अध्यांश की तरफ घुरते हुए कहा" लिजिए पानी पीजिए इससे आपका गुस्सा शांत हो जाएगा। लेकिन अध्यांश ने अंशिका के हाथों से पानी का गिलास नहीं लिया। यह देखकर अंशिका को गुस्सा आ गया। अंशिका ने गुस्से में कहा" मलाई का तो जमाना ही नहीं है। एक तो मैं इन्हें पानी पिला रही हूं। और ये मुझे एटीट्युड दिखा रहे हैं। हूं एटीट्युड की दुकान इतना कहकर उसने पानी का गिलास अध्यांश के मुंह पर दे मारा।
सेल्फ
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यह अंशिका ने क्या कर दिया अब देखते हैं अध्यांश क्या करेगा अंशिका के साथ...
"अंशिका ने अध्यांश की तरफ देखकर मुंह बनाते हुए कहा" अरे आप इतना गुस्सा क्यों कर रहे हो। मैं तो बस सही करने की कोशिश कर रही थी। लेकिन गुस्सा तो आपके नाक पर बैठा रहता है। फिर उसने एक गिलास पानी उठाया। और अध्यांश की तरफ करते हुए लिजिए पानी पीजिए। इससे आपका गुस्सा शांत हो जाएगा। लेकिन अध्यांश ने अंशिका के हाथों से पानी का गिलास नहीं लिया। यह देखकर अंशिका को गुस्सा आ गया। उसने पानी का गिलास अध्यांश के मुंह पर दे मारा...
अंशिका ने गुस्से में अध्यांश के मुंह पर एक गिलास पानी उड़ेल दिया। वहां पर खड़े सभी लोग हैरानी से अंशिका को देख रहे थे। अंशिका की इस इस हरकत पर अध्यांश को बहुत गुस्सा आ रहा था। वो गुस्से में अंशिका को घुर रहा था।
"तो अंशिका ने अध्यांश की तरफ देखकर कहा" आप मुझे ऐसे क्यों देख रहे हैं। आपको बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था। इसलिए मैंने आपके ऊपर पानी डाल दिया। अब तो आपका गुस्सा कम हो गया ना और अगर नहीं हुआ है। तो घर जाकर फ्रीजर में बैठ जाना। इससे हंड्रेड परसेंट आपका गुस्सा शांत हो जायेगा।
अध्यांश ने अपने पेट के पॉकेट से रुमाल निकाला। और अपने चेहरे को साफ किया। फिर अंशिका की तरफ देखकर घुरते हुए कहा नाम क्या है। तुम्हारा और कहां रहती हो।
"अंशिका ने मुंह बनाते हुए कहा" क्यों मैं आपको अपना नाम और एड्रेस क्यों बताऊं। आप क्या मेरा रिश्ता लेकर जाओगे मेरे घर पर..
अध्यांश ने सर्द आवाज में कहा जितना पूछा है। उतना जवाब दो फिर अंशिका की तरह होंगे। पॉइंट करते हुए कहा" वरना तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा।
"अंशिका ने अध्यांश की तरफ देखा और फिर कुछ सोचते हुए कहा फूलकुमारी..
" अध्यांश ने अंशिका की तरफ देखकर कहा" ओके मिस फुल कुमारी जी आपने जो गलती की है। उसके पनिशमेंट आपको मिलेगी। सो इसके लिए रेडी रहना।
"मिस्टर बत्रा ने कहा" मिस्टर शेखावत अब इस प्रोजेक्ट का क्या करना है।
अध्यांश ने कहा फिलहाल के लिए आप अभी जाइए। मैं इस बारे में आपसे बाद में डिसकस करूंगा। फिर वह क्लाइंट्स वहां से चले गए। तो अध्यांश अपने सीने पर हाथ बांधे और अंशिका की तरफ देखकर कहा" सो मिस फुलकुमारी जी आप बताइए आपको इस गलती की क्या पनिशमेंट मिलनी चाहिए। क्युकि आपकी वजह से मेरा ड्रीम प्रोजेक्ट डिले हो गया।
"तो ध्रुव जल्दी से आगे आया और कहा" अध्यांश जाने भी दे हम मैनेज कर लेंगे।
"अध्यांश ने ध्रुव की तरफ घुरते हुए कहा" मैंने तुमसे तो सबाल नही किया था तो फिर तु क्यु जबाब दे रहा है.. and one more thing..जब मैं इससे बात कर रहा हूं तो बीच में कोई कुछ नहीं बोलेगा..understand..
अंशिका तो अभी चुपचाप खड़ी थी। जैसे उसके मुंह में ताला लग गया। हो वह बस टुकुर टुकुर सब को देख रही थी।
"सारिका ने अंशिका के कानों में धीरे से कहा" अंशु तूने फिर से पंगा कर लिया। अब यह तुझे कौन सी पनिशमेंट देगा।
अंशिका ने बेपरवाही से कहा मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता यह मुझे कौन सी पनिशमेंट देगा। यह सब तो मैंने जानबूझकर किया है। इसकी हिम्मत कैसे हुई थी। कल मुझे किस करने की बस उसी का बदला लिया है। मैंने
"तो सारिका ने हैरानी से कहा" क्या मतलब तूने यह सब कुछ जानबूझकर किया है।
तो अंशिका ने कहा यह सब मैंने जानबूझकर क्या है। लेकिन अब तू अपना मुंह बंद रख इस एटीट्यूड की दुकान को पता नहीं चलना चाहिए।
"अंशिका और सारिका दोनों आपस में खुसर फुसर कर रही थी। तभी अध्यांश के नजर अंशिका पर चली गई। तो अंशिका ने मुस्कुराते हुए कहा" तो क्या मैं यहां से जा सकती हूं।
"तो अध्यांश ने अंशिका को गहरी नजर देखकर कहा" क्यों मैंने तुम्हें यहां पर बांध कर रखा है। क्या जो तुम मुझसे पूछ रही हो तुम्हारी मर्जी..
"अंशिका ने मुंह बिचकाया और कहा" ओके बाय दो दो बार तो मिल गए हो। लेकिन मैं हाथ जोड़कर विनती करती हूं। की तीसरी बार मुझसे मत टकराना.. I request you..इतना कहकर अंशिका वहां से चली गई। अंशिका के साथ उसकी फ्रेंड और सारिका भी चली गई। अध्यांश अंशिका के इस एटीट्यूड को देखकर हल्का सा मुस्कुराया फिर उसने अपने इस्माइल को जल्द ही छुपा लिया। फिर अध्यांश ने अपने आंखों पर गॉगल्स लगाया। और रेस्टोरेंट से बाहर आ गया। वह अपनी ब्लैक चमचमाती कार में बैठकर अपने होटल के लिए निकल गया।
अंशिका अपने घर आई और फिर अपने रूम में चली गई। वॉशरूम गई और फ्रेश होकर अपने ड्रेस को चेंज किया। फिर नीचे आकर सभी के साथ सोफे पर बैठ गई। अब तक शाम हो चुकी थी। अब तक विधान और सौरभ भी ऑफिस से आ गए थे। क्योंकि उनके दादा आलोक सूर्यवंशी जो बिजनेस के सिलसिले में बाहर गए हुए थे। वह लौट रहे थे।
"अंशिका ने विधान और सौरभ की तरफ देखकर कहा" भाई पापा कब तक आएंगे अपने तो कहा था। कि शाम को वह आ जाएंगे फिर अभी तक क्यों नहीं आए।
सौरभ अपना फोन चला रहा था। उसने अपने फोन को साइड में रखा। और फिर अंशिका की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा उनकी फ्लाइट लैंड हो गई है। वह एयरपोर्ट से निकल गए हैं। बस घर पहुंचते ही होंगे।
मतलब मेरी बेटी को मेरी बहुत याद आ रही है। यह आवाज सुनकर सब ने दरवाजे की तरफ देखा। वहां पर एक लगभग 55 साल के उम्र का एक आदमी खड़ा था। जो दिखने में हैंडसम था इस उम्र में भी काफी फिट थे। उन्होंने इस वक्त बिजनेस सूट पहना था। और आंखों पर नजर वाला चश्मा था। चेहरे पर गहरी दाढ़ी थी। उनके चेहरे से ही उनका एटीट्यूड साफ पता चल रहा था। आलोक जी काफी सख्त मिजाज के इंसान थे। लेकिन वह अपनी फैमिली से और अपनी बेटी अंशिका से बहुत प्यार करते थे।
"अंशिका ने जब अपने पापा को देखा। तो वह खुशी से सॉफ से उठकर जल्दी से दौड़ते हुए जाकर आलोक जी के गले लगा गई।
"आलोक जी ने अंशिका को अपने सीने से लगा लिया। और मुस्कुराते हुए अंशिका के बालों को सहलाने लगे अंशिका ने खुश होते हुए कहा" पापा आप आ गए। मैं कब से आपका ही वेट कर रही थी। इतना कहकर वह आलोक जी से अलग हुई।
तो आलोक जी ने मुस्कुराते हुए कहा मुझे तो आना ही था। मेरी बेटी जो मेरा इंतजार कर रही थी। और वैसे भी मैं जिस काम से गया था वह पूछ लिए मैं जल्दी वापस आ गया।
अंशिका ने मुस्कुराते हुए कहा ठीक है। लेकिन अगली बार से मैं आपको कहीं बाहर नहीं जाने दूंगी। आपको पता है। आप जब घर में नहीं थे ना तब मैं कितना उदास रहती थी। उनसे बड़ी मासूमियत से कहा था यहां क्या हो रहा था। आलोक जी को छोटी-छोटी बात की खबर थी। वह बिना किसी भाव के अंशिका को देख रहे थे।
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इस स्टोरी को लाइक और कमेंट कीजिएगा कहानी कैसी लगी यह मुझे जरूर बताइएगा क्योंकि मुझे इससे मोटिवेशन मिलेगी और फ्रेंड्स मुझे आप सबकी सपोर्ट की बहुत ज्यादा जरूरत है इसलिए प्लीज सपोर्ट कीजिएगा
"आलोक जी घर आ गए थे। उन्हें देखकर अंशिका बहुत खुश हुई थी। और खुशी से उनके गले लग गई थी। फिर अंशिका आलोक जी से शिकायतें कर रही थी। अंशिका ने थोड़ा उदास होते हुए कहा" पापा अगली बार से आप मुझे छोड़ कर मत जाना। आपको पता है। आपके बिना मेरा 1 मिनट भी मन नहीं लग रहा था। सौरभ भाई और विधान भाई वह दोनों बिल्कुल भी अच्छी नहीं है। मेरा जरा भी ख्याल नहीं रखते। आप खुद ही देख लो। आप नहीं थे। तब मेरी क्या हालत हो गई है। आपके बिना मेरा खाना खाने का भी मन नहीं करता था। अंशिका भोला सा चेहरा बनाकर आलोक जी से सौरभ और विधान की शिकायतें कर रही थीं। उसकी यह चालाकी देखकर सौरभ और विधान ने एक दूसरे की तरफ देखा। अंशिका की एक्टिंग देखकर विधान की हंसी छूटने वाली थी। लेकिन उसने अपनी हंसी को कंट्रोल कर रखा था।
"आलोक जी ने अंशिका के सर पर हाथ रखते हुए कहा" कोई बात नहीं अब मैं आ गया हूं। ना अब मैं अपनी बेटी का ख्याल खुद रखूंगा। और इन दोनों की तो मैं बाद में क्लास लेता हूं। इन दोनों में मेरी बेटी को खूब परेशान किया है। ना तुम चिंता मत करो। तुम्हारा बदला अब मैं लूंगा इन दोनों से!
"तभी विधान ने अपने कंधे उचकाते हुए कहा" लेकिन डैड मैंने क्या किया हमने तो इसे परेशान नहीं किया है। बल्कि यही हम दोनों भाइयों को परेशान कर रही थी। क्या यूं कहूं कि इसने तो पूरे घर को ही सर पर उठा रखा था।
"आलोक जी ने विधान की तरफ अपनी उंगली पॉइंट करते हुए कहा" विधान में अपनी बेटी से बात कर रहा हूं। ना तुम्हें हमारे बीच में बोलने की इजाजत नहीं है। इसलिए जाकर एक कोने में चुपचाप से खड़े हो जाओ। और हम बाप बेटी को आराम से बात करने दो।
"आलोक जी की बातें सुनकर विधान ने मुंह लटका लिया। और उसने बड़ा बढ़ाते हुए खुद से कहा" भलाई का तो जमाना नहीं है। एक तो मैं इसकी हर बार मदद करता हूं। और यह हर बार हमारी शिकायत करती है। भाई का तो समझ आता है। पर मेरा क्यों मैं तो इसके साथ अच्छे से ही पेश आता हूं।
"सौरभ ने विधान की तरफ देखा उसने विधान की तरफ देखकर स्माइल पास किया जैसे उसे चढ़ा रहा हो। की और उसकी मदद करो। विधान ने जब सौरभ की तरफ देखा तो उसने मुंह बना लिया। सौरभ ने आलोक जी की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा" डेड आपको आने में कोई परेशानी तो नहीं हुई ना!
"आलोक जी ने सौरभ की तरह देखकर कहा" नहीं मुझे तो कोई परेशानी नहीं हुई है। फिर वह सब आकर सोफे पर बैठ गए। वेदिका ने आलोक जी को पानी दिया। फिर आलोक जी अपने रूम में फ्रेश होने के लिए चले गए। फिर डिनर करने के थोड़ी देर बाद वह स्टडी रूम में सोफे पर बैठ गए। इस वक्त वहां पर सौरभ और विधान था। वह सब बैठकर चाय पी रहे थे। और फिर बातचीत कर रहे थे।
"आलोक जी ने सौरभ की तरफ देखकर कहा" यहां का काम कैसा चल रहा है। सौरभ मुझे उम्मीद है। कि तुमने यहां का सारा काम अच्छे से संभाला होगा।
"सौरभ ने कहा यहा" सब ठीक है। डेड मैं यहां सब संभाल लिया है।
"आलोक जी के चेहरे पर इस वक्त एक अलग ही एक्सप्रेशन थे उन्होंने कुछ सोचते हुए कहा" तो क्या उसे ब्लैक डेविल के बारे में कुछ पता चला। या अभी तक तुम दोनों ऐसे ही हाथ पैर हाथ धरे बैठे हो।
"तो विधान ने कहा" डेड हमें थोड़ा टाइम दीजिए। हम उस ब्लैक डेविल के बारे में जल्द ही पता लगा लेंगे।
"आलोक जी ने तुम्हें गुस्से मारे नजर से विधान को देखते हुए कहा" जो करना है। जल्दी करो वह ब्लैक डेविल पुरे इंडिया का प्रेसिडेंट है। इस वजह से सब कुछ उसके अंडर में है। हमें कैसे भी करके उससे उसके पावर और पोजीशन को छीनना है। और हां इस घर की सिक्योरिटी टाइट कर दो। अंशिका इस घर से बाहर अकेली कहीं नहीं जाएगी। उसके साथ बॉडीगार्ड होने चाहिए। क्योंकि हमारे बहुत सारे दुश्मन है। हमारी एक गलती हम पर बहुत भारी पड़ सकती है।
"सौरभ ने कहा.. don't worry.. डेड हम उसे डेविल के बारे में है। जल्दी पता लगा लेंगे। फिलहाल के लिए कल हमारी एक इंपॉर्टेंट मीटिंग है। पहले हमें उसे पर ध्यान देना होगा।
"तो आलोक जी ने कहा" तुम दोनों ने तो मीटिंग की सारी तैयारी कर ही दी होगी। ठीक है। बाकी की बातें बाद में करते हैं मैं काफी थका हुआ हूं। मुझे रेस्ट करना है। फिर आलोक जी स्टडी रूम से बाहर चले गए।
"विधान ने सौरभ की तरफ देखकर कहा" भाई मैं भी सोने जा रहा हूं। उस डेबिल का क्या करना है। यह आप सोच लो मुझसे नहीं होगा। मैंने तो बस डेड के सामने बड़ी-बड़ी बातें कर दी आप तो जानते हो।
"सौरभ ने विधान की तरफ देखकर गुस्से में कहा" तो मुझे क्या नींद नहीं आ रही है। मैं क्या कोई मशीन का बना हुआ हूं। मैं भी एक इंसान हूं। मुझे भी रेस्ट की जरूरत होती है। जो काम तुझे मिला है। तू अपना काम करके ही सोएगा।
वहीं दूसरी तरफ अध्यांश अपने स्टडी रूम में बैठा हुआ था। और उसके हाथ में एक पेन था। जिसे वह घूमाते हुए कुछ सोच रहा था। इस वक्त उसके चेहरे पर एक डेविल स्माइल थी। फिर अध्यांश का असिस्टेंट तृषान स्टडी रूम में आया। और उसने एक फाइल को स्टडी टेबल पर रखते हुए कहा" सर यह कल की मीटिंग की फाइल है। आप इसे एक बार चेक कर लीजिएगा। और मीटिंग की सारी तैयारियां हो चुकी है। अध्यांश वह फाइल उठाकर उसे एक बार चेक करने लगा।
"अध्यांश ने फाइल चेक किया। और फिर तृषान की तरफ देखकर कहा" ठीक है। अब तुम यहां से जा सकते हो। तृषान वहां से चला गया। तो अध्यांश अपने चेयर पर लीन होकर बैठ गया। और फिर डेविल स्माइल करते हुए कहा" तो अब होगा। धमाका अब होगा। जो तुमने कभी अपने सपने में भी नहीं सोचा था।
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फ्रेंड्स स्टोरी पढ़ कर कम से कम 20 कमेंट जरुर कर दीजिएगा और कमेंट में बताइएगा कि आपको स्टोरी कैसी लग रही है प्लीज फ्रेंड्स थोड़ा तो तरस खाइए मुझे गरीब पर मुझे भी आप सबके सपोर्ट की बहुत ज्यादा जरूरत है
अगले दिन...
सूर्यवंशी विला में इस वक्त सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठकर नाश्ता कर रहे थे। अंशिका अपने पापा के साथ वाली चेयर पर बैठी थी। क्योंकि उसकी आदत थी। जब भी आलोक जी घर पर होते थे। तो वह आलोक जी के बगल वाले चेयर पर ही बैठी थी। और वही उसकी चेयर थी।
"सौरभ ने आलोक जी की तरफ देखकर कहा" डेड हमें मीटिंग के लिए शेखावत अंपायर जाना होगा। क्योंकि हमारी मीटिंग शेखावत के साथ होने वाली है।
"अंशिका ने बीच में टोकते हुए कहा" पापा मतलब आप ऑफिस जा रहे हो। मैं तो सोचा था। आज पूरा दिन आपके साथ अच्छा सा टाइम स्पेंड करूंगी। आप कल ही तो आए हो। फिर आज से कम पर क्यों जा रहे हो। भाई को भेज दो आप मत जाओ।
"आलोक जी ने अंशिका की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा" नहीं अंशु हमारी यह बहुत इंपॉर्टेंट मीटिंग है। इसे हम डिले नहीं कर सकते। अगर हमें यह प्रोजेक्ट पसंद आया। तो आज ही हम इसे साइन कर देंगे। इससे हमारा बहुत फायदा होगा।
"अंशिका ने मासूमियत से कहा" तो इतना काम करने की जरूरत ही क्या है। हमारे पास तो पहले से ही इतना सारा पैसा है। फिर भी आप सबको बस काम ही सुजता है। अरे पैसो का क्या अचार बनाना है।
"सौरभ ने अंशिका को समझाते हुए कहा"अंशु तू जिद मत कर तू हम संडे को कहीं घूमने जाएंगे। सौरभ की बात सुनकर अंशिका मुंह फुला कर बैठ गई।
"अंशिका ने कहा" भाई आप मुझे हर बार ऐसे ही बोलते हो। कि हम यहां जाएंगे वहां जाएंगे। लेकिन कहीं नहीं जाते मैं तो जा रही हूं। मॉल सारिका के साथ मैं यहां घर पर अकेली नहीं बैठी रह सकती। फिर अंशिका ने आलोक जी की तरह देखकर कहा" क्यों पापा मैं बाहर घूमने जा सकती हूं। ना..
"तो आलोक जी ने हां मैं अपना सर हिला दिया। थोड़ी देर बाद उन सभी का नाश्ता हो गया था। वह सब ऑफिस के लिए निकल गए।
अंशिका गुस्से में पर पटकते हुए अपने रूम में आई। और फिर उसने अपना पर्स उठाकर रूमसे बाहर आ गई। अंशिका ने सारिका को भी कॉल करके बुला लिया था। और अब तक सारिका आ चुकी थी। फिर दोनो कार में बैठी उसके आगे पीछे दो बॉडीगार्ड्स की कार और थी। अंशिका ने खुद से बड़ा बढ़ाते हुए कहा" हमेशा मेरे पीछे काले भैंस जैसे दिखने वाले साड़ को मेरे आगे पीछे लगा कर रखते हैं। मेरे कॉलेज में अगर इन सब साड़ को देख लिया। तो मेरा तो एक भी बॉयफ्रेंड नहीं बनेगा। पहले से ही मैं सिंगल हूं। और मुझे बॉयफ्रेंड की जरूरत ही क्या है। मैं तो अकेली काफी हूं। यही सब बडबडाते हुए थोड़ी देर में वह शॉपिंग मॉल पहुंच चुकी थी।
शेखावत अंपायर...
अध्यांश की कार एक बड़े से ऑफिस के सामने आकर रुकी अध्यांश अपने कार से निकाला। और फिर ऑफिस के अंदर आ गया। वह अपने प्राइवेट लिफ्ट की तरफ आया। इस वक्त अध्यांश ने ब्लैक कलर का बिजनेस सूट पहन रखा था। जिसमें वह बहुत ही हैंडसम लग रहा था। उसने अपने आंखों पर ब्लैक कलर का गॉगल्स लगाया था। थोड़ी देर में लिफ्ट 35 वे फ्लोर पर आकर रुकी। अध्यांश अपने केबिन के तरफ चला गया। अध्यांश के फ्लोर पर आने की परमिशन किसी को नहीं थी। सिर्फ उसके दोस्त और उसके फैमिली मेंबर ही उसके फ्लोर पर आ सकते थे।
अध्यांश अपने केबिन में आया। और उसने अपना कोर्ट निकाल कर चेयर पर रख दिया। और फिर चेयर पर बैठकर लैपटॉप ऑन करके कुछ काम करने लगा।
तभी थोड़ी देर बाद अध्यांश के केबिन का डोर ओपन हुआ। और आकाश अंदर आया। उसने अध्यांश की तरफ देखकर कहा" भाई मैं आपसे यह कहने आया था। की मीटिंग में मेरी क्या जरूरत है। मैं इस मीटिंग में नहीं आ रहा हूं।
"अध्यांश ने सर्द निगाहों से आकाश को घूरते हुए कहा" तुम मुझे यहां बताने आए हो या फिर मेरी परमिशन लेने के लिए आए हो।
"आकाश ने अपने दांत दिखाते हुए कहा" दोनों ही समझ लीजिए भाई..
"अध्यांश ने अपनी आंखें छोटी करके आकाश को घूरते हुए कहा.. just shut up..तुम्हारा कोई बहाना नहीं चलेगा। हर बार मीटिंग में तुम ऐसे ही बहाना करते हो। लेकिन इस बार बिल्कुल नहीं चुपचाप से कॉन्फ्रेंस रूम में एक घंटा पहले से जाकर बैठ जाओ। और हां भागने की कोशिश तो बिल्कुल भी मत करना। नहीं तो इस बार मैं तुम्हारी दोनों टांगे तोड़ दूंगा।
"आकाश ने मुंह बनाते हुए कहा" लेकिन भाई यह तो गलत है। ना आप मुझे ऐसी धमकी मत दो। एक तो आपको इतना प्यारा भाई मिला है। और आप हमेशा मुझे डरा कर रखते हो। मैं अभी दादू को कॉल करके आपके बारे में उन्हें सब बता दूंगा। कि आप मुझे छोटे और प्यारे बच्चे को कैसे डरा धमका कर काम करवाते हो।
"अध्यांश ने आकाश की तरफ देखकर डेविल स्माइल करते हुए कहा" अच्छा तो तुम्हें काम करना पसंद नहीं है। चलो कोई बात नहीं ठीक है। तो मत करो। काम मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है। लेकिन हां मेरी भी एक बात तुम कान खोल कर सुन लो। तुम अपने शूज और अपने एक्सपेंसिव वॉच वह सब निकाल कर यहां पर रखो। और चलते बनो और हां तुमने यह जो अपनी बॉडी पर कपड़े पहन रखे हैं। ना यह सब उतार के यहां पर रख दो। क्योंकि यह सब कुछ तो मेरे पैसों का ही है। और तुम तो कोई काम करते नहीं हो। तो फिर तुम्हें यह लग्जरी लाइफ ही तो नहीं मिलेगी ना...
"आकाश भोला सा मुंह बनाकर अध्यांश की तरफ देख रहा था तभी ध्रुव और सागर वहां पर आया। ध्रुव ने अध्यांश और आकाश की तरफ देखते हुए कहा" क्या हुआ। यहां का माहौल कुछ ज्यादा ही गर्म लग रहा है। फिर से कुछ कर दिया। क्या इस नमूने ने..
"अध्यांश ने आकाश की तरफ देखकर कहा" मुझे ऐसे मत देखो जो काम कहा है। वह करो नहीं तो इसके लिए मेरे पास और भी लोग हैं।
"आकाश ने भोला सा बनाकर कहा" भाई आप मेरे साथ ऐसा करोगे। मैं तो आपका छोटा भाई हूं। देखो कितना प्यारा हूं। थोड़ा तो तरस खाओ मुझ पर..
"अध्यांश ने आकाश की बातों का कोई जवाब नहीं दिया। उसने अपना फोन उठाया। और किसी को कॉल लगा दिया। और कुछ कह कर फिर उसने कॉल कट कर दिया। थोड़ी देर बाद दो बॉडीगार्ड अध्यांश के केबिन के डोर पर खड़े थे। तो अध्यांश ने दोनों की तरफ देखकर कहा" इस उठाओ। और मेरे ऑफिस से बाहर फेंक दो। क्योंकि मुफ्तखोरो के लिए मेरे ऑफिस में कोई जगह नहीं है।
"आकाश रोने की एक्टिंग करते हुए ध्रुव के गले लगते हुए कहा" भाई प्लीज मुझे अध्यांश भाई से बचा लो। नहीं तो यह लोग सच में मुझे यहां से बाहर फेंक देंगे। अरे मेरा तो हड्डी पसली टुट जाएगा। कही ऐसा ना हो मैं लगड़ा हो जाओ।
"अध्यांश अपने चेयर से उठा। और सागर ध्रुव की तरह देखकर कहा" तुम दोनों इसकी नौटंकी में बिल्कुल भी मत आना। यह बस नौटंकी कर रहा है। यह मेरे साथ मीटिंग अटेंड करने नहीं चलेगा। तो इसका इससे भी बुरा हाल करूंगा। मैं क्योंकि मुफ्त में मैं इसे कुछ भी नहीं देने वाला हूं। दोनों बॉडीगार्ड जैसे ही आकाश की तरफ बढ़ रहे थे। आकाश सागर के पीछे छुप गया।
"तो सागर ने कहा" अच्छा ठीक है। तू इसे माफ कर दे। यह हमारे साथ मीटिंग में चल रहा है। फिर सागर ने आकाश का हाथ पकड़ा। और उसे मीटिंग रूम में लेकर जाने लगा। अध्यांश और ध्रुव वह दोनों भी कॉन्फ्रेंस रूम की तरफ जाने लगे।
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हेलो रीडर्स कहानी पढ़कर कमेंट और समीक्षा जरूर कर दीजिएगा और बताइएगा कि आपको यह वाली स्टोरी कैसी लग रही है आप सबको पसंद तो आ रही होगी ना अध्यांश और अंशिका की जोड़ी आप सबको कैसी लगी
थोड़ी देर बाद अध्यांश कॉन्फ्रेंस रूम में आ गया। कॉन्फ्रेंस रूम में इस वक्त सभी बिजनेसमैन बैठे थे। अध्यांश ने इस वक्त अपने चेहरे पर ब्लैक कलर का मांस लगा रखा था। वह अपने सिर चेयर पर आकर बैठ गया। उसके सामने और भी कई बिजनेसमैन थे। जो इस मीटिंग को अटेंड करने के लिए आए थे। वहीं उनमें से आलोक जी सौरभ और विधान भी था। इस प्रोजेक्ट को ध्रुव रिप्रेजेंट कर रहा था। उसने प्रोजेक्टर पर एक प्रोजेक्ट लगाया। प्रोजेक्टर पर किसी जमीन का सीन चल रहा था। जहां पर अध्यांश गरीबों के लिए हॉस्पिटल बनना चाहता था। यही अध्यांश का ड्रीम प्रोजेक्ट था। यह मीटिंग लगभग दो-तीन घंटे चली सभी बिजनेसमैन को अध्यांश का यह प्रोजेक्ट बहुत पसंद आया। इसलिए सभी ने इस बात पर हमें भारी फिर अध्यांश से कुछ बिजनेसमैन से हैंडशेक किया।
"तभी आलोक जी ने अध्यांश की तरफ हाथ बढ़ाते हुए मुस्कुरा कर कहा" हेलो मिस्टर शेखावत मुझे भी आपका यह प्रोजेक्ट बहुत पसंद आया है।
"अध्यांश ने आलोक जी से हाथ मिलाते हुए बिना किसी भाव के कहा.. thank you so much..मिस्टर सूर्यवंशी यह हमारी फर्स्ट मीटिंग थी.. and I hope..आपको मेरे साथ काम करके अच्छा लगे।
"तो सौरभ ने मुस्कुराते हुए कहा" बिल्कुल मिस्टर शेखावत हम आपके साथ यह डील कंफर्म करना चाहते हैं। और फिर इस प्रोजेक्ट पर 50% हमारे भी होंगे।
"सौरभ की बात सुनकर अध्यांश ने सौरभ की तरफ देखकर सर्द लहजे में कहा.. no way..मैं अपनी चीज किसी को देने में यकीन नहीं रखता हूं। और मेरा एक ही उसूल है। ना तो मैं अपनी चीज किसी को देता हूं। और ना ही यह उम्मीद रखता हूं। कि मुझे कभी किसी से कुछ मांगना पड़े। आप तो 50% की बात कर रहे हैं। मैं तो आपको एक परसेंट का भी शेयर्स इस हॉस्पिटल में नहीं दूंगा।
"आलोक जी ने कुछ सोचते हुए बात को संभालते हुए कहा" अरे मिस्टर शेखावत आप तो बुरा मान गए। मेरा बेटा तो बस मजाक कर रहा था। हम आपके साथ यह डील कंफर्म करने के लिए ही आए हैं। ना कि यहां लड़ाई झगड़ा करने के लिए सौरभ को आलोक जी की बातें कुछ समझ नहीं आई। आलोक जी ने उसे आंखों के इशारे से चुप रहने के लिए कहा" विधान तो वहां पर चुपचाप ही खड़ा था। क्योंकि उसे बहुत बोरियत महसूस हो रही थी। वह बस जल्दी से घर जाना चाहता था।
"आलोक जी ने अध्यांश की तरफ देखकर कहा" मिस्टर शेखावत अगर आप बुरा ना माने तो क्या आज रात आप हमारे घर डिनर पर आ सकते हैं।
"अध्यांश ने पूरे एटीट्यूट के साथ कहा.. no thanks..बट मैं किसी के घर नहीं जाता हूं। इसलिए मुझे डिनर पर इनवाइट करने से कोई फायदा नहीं है।
"आलोक जी ने मुस्कुराते हुए कहा" अरे ऐसे कैसे नहीं अब तो हम बिजनेस पार्टनर बन गए हैं। और इस हिसाब से तो हमारा एक दूसरे के घर आना जाना तो लगा ही रहेगा। और मैंने सुना है। आपने अपना घर रिनोवेशन पर दिया है। आप होटल में रह रहे हैं। अगर आप चाहे तो कुछ दिन हमारे घर पर हमारे मेहमान बनकर रह सकते हैं। इससे हमें बहुत खुशी होगी।
"अध्यांश आलोक जी के घर डिनर पर नहीं जाना चाहता था। अध्यांश कुछ खाने ही वाला था। तभी ध्रुव ने मुस्कुराते हुए कहा.. sure..मिस्टर सूर्यवंशी यह भी कोई कहने की बात है। आप इतना रिक्वेस्ट कर रहे हैं। और हम आपके घर डिनर पर ना आए ऐसा भी हो सकता है। क्या हम जरूर आएंगे। ध्रुव की बातें सुनकर अध्यांश ध्रुव को घुर कर देख रहा था। क्योंकि ध्रुव ने अध्यांश को कुछ बोलने का मौका ही नहीं दिया था। वही ध्रुव के हां की कहते ही आलोक जी एक कुटिल हसी हंसने लगे। फिर थोड़ी देर बाद वह सब वहां से चले गए।
वहीं दूसरी तरफ अंशिका सारिका के साथ शॉपिंग मॉल में शॉपिंग कर रही थी। वह अपने लिए ड्रेस देख रही थी। उसने एक दो ड्रेस ट्राई की जो उसे बहुत पसंद आई। फिर अंशिका की नजर एक खूबसूरत से गाउन पर चली गई।
"अंशिका ने सारिका की तरफ देखकर कहा" सरू यह देख यह वाला गाउन कितना खूबसूरत है। एक काम करती हूं। सरू यह वाला गाउन भी ले लेती हूं। यह गाउन भाई के एनिवर्सरी पर पहनूंगी। ऐसे करते-करते अंशिका को जो भी ड्रेस पसंद आ रहा था। उसने सब ले लिया था।
"अंशिका को ऐसे करते देखकर सारिका इरिटेट हो रही थी। उसने अंशिका की तरफ देखकर कहा" अंशु यार और कितना तुझे लेना है। इतनी सारी तो शॉपिंग कर ली है। अब घर चलते हैं ना..
"अंशिका ने सारिका की तरफ देखकर कहा" अरे ऐसे कैसे अभी तो पेट पूजा बाकी है। अभी कुछ खाया पिया नहीं है। ऐसे कैसे घर चली जाऊं जब शॉपिंग करने आई हूं। तो आइसक्रीम पानी पुरी चाट यह सब खाए बगैर में घर कैसे जा सकती हूं। तुझे तो पता है। ना रात भर मुझे यही सब याद करके नींद नहीं आएगी।
"तो सारिका ने कहा" अच्छा ठीक है। तो फिर चल हम किसी रेस्टोरेंट में चलते हैं। क्योंकि मुझे अब और शॉपिंग नहीं करनी है। मेरा बस हो गया।
"अंशिका ने सारिका को रोकते हुए कहा" अरे ऐसे कैसे अभी तो मुझे और भी बहुत सारी शॉपिंग करनी है। सैंडल देखते हैं। तू भी अपने लिए सैंडल देख ले।
"सारिका ने परेशान स्वर में कहा" ठीक है। मेरी मां देख लेती हूं। मैं अपने लिए भी पर अब मैं यहां ज्यादा देर नहीं रुकूंगी। तुझे जो भी लेना है। जल्दी ले।
वहीं दूसरी तरफ अध्यांश गुस्से में आकर अपने केबिन पर चेयर पर बैठ गया। ध्रुव सागर और आकाश भी उसके केबिन में आ गए थे। अध्यांश ने ध्रुव की तरफ देखकर गुस्से में घूरते हुए कहा" यह क्या बकवास कर रहा था। तू.. तुझे अच्छे से पता है। ना..मैं उसके घर नहीं जाना चाहता। फिर भी तूने डिनर के लिए हां कह दिया।
"ध्रुव ने कहा" अध्यांश अपने गुस्से को कंट्रोल में रख हमारा मकसद उसके घर डिनर पर जाना नहीं है। बल्कि इसके पीछे बहुत बड़ा मकसद है।
"अध्यांश ने कहा"जानता हूं। कि हमारा क्या मकसद है। पर तुझे पता है। ना.. कि वह इंसान कितना गिरा हुआ है। वह इंसान अपनी आदत से मजबूर है। और मुझे उस इंसान पर एक परसेंट का भी भरोसा नहीं है। बस एक बार मैं जो जा रहा हूं। वह मुझे मिल जाए। फिर मैं उसे इंसान को बताऊंगा कि मैं कौन हूं।
"सागर ने कहा" हां तो फिर ठीक है। यह तय रहा कि आज रात को हम मिस्टर सूर्यवंशी के घर डिनर पर जा रहे हैं।
"आकाश ने बीच में कहा" अरे नहीं मैं कहीं नहीं जा रहा। आप लोगों के साथ उस इंसान का कोई भरोसा नहीं है। अगर उसने मुझे ही काट कर आप सबके आगे परोस दिया। तो मेरा क्या होगा। मेरा तो राम नाम सत्य हो जाएगा। ना..अध्यांश ध्रुव सागर आकाश की बेतुकी की बातें सुनकर उसकी तरफ घूर कर देख रहे थे।
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सागर ने आकाश की तरफ देखकर गुस्से में कहा" आकाश तू बच्चा नहीं है। तू तो इतना मेच्योर और एक मर्द है। क्या तू खुद को किसी से बचा नहीं सकता क्या जो हर वक्त डरता रहता है।
"तो ध्रुव ने हंसते हुए कहा.. alright..कभी-कभी तो मुझे शक होता है। आकाश की तू अध्यांश का भाई है। या नहीं कहीं ऐसा तो नहीं की अंकल आंटी ने तुझे कहीं सड़क से उठाकर लाया हो। इसलिए तेरी हरकतें बिल्कुल अलग है अध्यांश से..
"आकाश ने अध्यांश की तरफ देखकर कहा" ने ध्रुव भाई आप गलत कह रहे हो। मॉम डैड ने मुझे नहीं बल्कि भाई को सड़क पर से या किसी अनाथालय से उठाकर लाया है। तभी तो यह मेरे जैसे नहीं है। मुझे देखो मैं कितना हैंडसम क्यूट हूं। और यह तो कितने खडूस अकडू हैं। जब देखो सबको डरते और धमकाते रहते हैं। मेरा और इनका तो कोई मेल ही नहीं है। क्योंकि इन्हें ही मॉम डैड ने उठा कर लाया है। और यह बात मैं बहुत अच्छे से जानता हूं। क्योंकि जब मैं मॉम के टमी में था ना तब मैं सब कुछ सुन सकता था। और देख सकता था। तभी से मुझे पता है। कि यह मेरा अपना भाई नहीं है। इसलिए तो मुझ पर इतना जुल्म और अत्याचार करता है। इतना कहकर आकाश रोने की एक्टिंग करने लगा।
वही आकाश की बातें सुनकर अध्यांश आकाश की तरफ गुस्से में देख रहा था। उसने एक पेपर रोल करके आकाश की तरफ देखते हुए कहा" बस बहुत हो गया। अब तु मेरी नजरों से दूर हो जा। नहीं तो सच बता रहा हूं किसी दिन में तेरा मर्डर कर दूंगा।
"ध्रुव ने आकाश के सर पर एक चपत लगाते हुए कहा" चुप बे कितना एक्टिंग करेगा। तु थकता नहीं है क्या यह सब करके..
रात के वक्त...
"आलोक जी ने अध्यांश के डिनर की सारी तैयारी करवा दी थी। वह सब बस अध्यांश का है इंतजार कर रहे थे। तभी उन सबके कानों में कार की होर्न की आवाज आई। अध्यांश अपनी कार से बाहर निकाला और फिर वह घर के अंदर चला गया। उसके साथ ध्रुव सागर और आकाश अंदर गए।
"आलोक जी ने मुस्कुराते हुए अध्यांश का वेलकम किया। आलोक जी ने उन सभी को सोफे पर बैठने को कहा"तो वह सब सोफे पर आकर बैठ गए। वेदिका ने उन सब को चाय नाश्ता सर्वे किया।
"सौरभ ने मुस्कुराते हुए कहा.. I hope..के आप लोगों को यहां तक आने में कोई दिक्कत नहीं हुई होगी।
"अध्यांश ने सख्त लहजे में कहा"no issue..
"आलोक जी ने मुस्कुराते हुए कहा" वैसे अगर आप चाहे तो यहां हमारे घर पर रह सकते हैं। मैंने आपको यह बात सुबह भी बताई थी। और फिर हम अपना काम भी आसानी से कर सकते हैं।
"आकाश ने इधर-उधर घर को देखते हुए कहा" वैसे आपका घर बहुत खूबसूरत है।
"तो विधान ने मुस्कुराते हुए कहा.. thank you so much..तभी विधान की नजर सामने से आई। हुई अंशिका पर गई। जो अपने हाथों में बहुत सारा शॉपिंग बैग लिए अंदर आ रही थी। विधान उठकर अंशिका की तरफ चला गया। और उसने अंशिका की तरफ देखकर कहा" तू सुबह की गई हुई। अब घर आ रही है। और यह क्या तूने तो पूरे खानदान का ही शॉपिंग कर लिया है।
"अंशिका ने सारा शॉपिंग बैग नीचे जमीन पर छोड़ दिया और फिर विधान की तरफ देखकर गुस्से में कहा" मैंने पूरे खानदान का ठेका थोड़ी लिया है। जो मैं पूरे खानदान का शॉपिंग करने जाऊंगी। यह सब तो मेरे लिए है। अंशिका की आवाज सुनकर उन सबका ध्यान भी अंशिका की तरफ चला गया। अंशिका को देखकर अध्यांश को कोई हैरानी नहीं हुई।
"तो विधान ने कहा" मतलब इतनी सारी शॉपिंग तूने अपने केले के लिए की है।
"तो अंशिका ने अपना सर हमें हिला दिया उसने सारे शॉपिंग बैग को उठाकर विधान के हाथों में देते हुए कहा" यह सारे शॉपिंग बैग्स मेरे रूम में रखना है चलिए क्योंकि मैं बहुत थक गई हूं।
"विधान ने कहा" मुझे क्या खुद का नौकर समझ रखा है। मैं यह सारे शॉपिंग बैग्स नहीं उठाने वाला..
"अंशिका आलोक जी के सामने आकर खड़ी हुई और उसने आलोक को देखकर कहा" पापा आप समझा दीजिए अपने बेटे को कभी भी मेरी बात नहीं मानते हैं। मैं तो इतनी थक गई हूं। ऊपर से मुझे और परेशान कर रहे हैं। यह सारे शॉपिंग बैग्स मेरे रूम तक ही तो पहुंचना है। कौन सा मैं इन्हें मार्केट से लाने के लिए कुछ कह रही हूं। फिर अंशिका ने विधान की तरफ देखकर कहा" भाई अगर आप ने मेरी बात नहीं मानी तो मैं आपका सारा राज खोल दूंगी।
"विधान ने अंशिका की बात सुनकर हड़बड़ाते हुए कहा", अच्छा बाबा चल रहा हूं। ना तेरे साथ तु धमकियां क्यों दे रही है। फिर विधान ने धीरे से कहा मैं चल रहा हूं। लेकिन तू इस बारे में किसी को कुछ नहीं बताएगी। अंशिका ने विधान की तरफ देखकर मुंह बिचकाया।
"अंशिका ने आलोक जी की तरफ देखकर कहा" पापा मैं बस थोड़ी देर में फ्रेश होकर आती हूं। मुझे भूख भी बहुत जोर की लगी है। तो आलोक जी ने अपना सर हमें हिला दिया। अंशिका वहां से चली गई। अध्यांश कब से अंशिका को ही देख रहा था। पर अंशिका ने अध्यांश पर ध्यान ही नहीं दिया था।
"आकाश ने ध्रुव के कानों में धीरे से कहा" मतलब यह तूफानी एक्सप्रेस मिस्टर सूर्यवंशी की बेटी है। ध्रुव ने आकाश की बात सुनकर अपने कंधे उचका दिए।
थोड़ी देर बाद अंशिका फ्रेश होकर आई। उसने इस वक्त बेबी पिंक कलर का नाइट सूट पहन रखा था। और उसने अपने बालों को पोनीटेल में क्या हुआ था। वह जाकर आलोक जी के बगल में बैठ गई। और फिर उनके कंधे पर कर रख लिया। अंशिका ने किसी की तरफ ध्यान नहीं दिया। और आलोक जी से कहा" पापा आज मैंने ढेर सारी शॉपिंग की है। आपको पता है। भाई ने मुझे कॉलेज ट्रिप पर जाने नहीं दिया। इसलिए मैं शॉपिंग पर भी ना जाऊं क्या..
"आलोक जी ने मुस्कुराते हुए कहा" हां तुम्हारा जहां मन करे तुम वहां जा सकती हो। पर बॉडीगार्ड के बिना तुम कहीं पर भी नहीं जाओगी यह मेरा ऑर्डर है।
"अंशिका ने आलोक जी के कंधे पर से अपना सर हटाया और फिर आलोक जी की तरफ देखकर घूरते हुए कहा" यह क्या बात हुई भला अब क्या मैं अपने आगे पीछे वह काले साड़ को लेकर घूमोगी। क्या मेरी क्या इमेज रह जाएगी। अंशिका कह रही थी। तभी उसकी नजर सामने चली गई। जहां पर अध्यांश बैठा था। अध्यांश को देखकर अंशिका जोर से चीख पड़ी।
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अंशिका आलोक जी से बातें कर रही थी। तभी उसकी नजर सामने बैठे अध्यांश पर चली गई। अध्यांश को देखकर अंशिका की आंखें हैरानी से बड़ी हो गई। और उसके मुख से चीख निकल गई। अंशिका को देखकर आलोक जी ने कहा" क्या हुआ बच्चा तुम इस तरह क्यों चीखी..
"अंशिका की नजर अध्यांश पर थी अंशिका ने खुद से बड़ाबढ़ाते हुए कहा" मैं तो अभी तक सोने भी नहीं गई हूं। फिर मैं अपने सपने में एटीट्यूड की दुकान को क्यों देख रही हूं। फिर अंशिका ने अपने हाथों पर चुटकी काटा वह छुटकी अंशिका को जोर की लगी तो अंशिका ने कहा" नहीं यह तो मेरा सपना नहीं है। इसका मतलब एटीट्यूड की दुकान सच में मेरे घर में प्रकट हो गए हैं। लेकिन कैसे और यहां क्या कर रहे हैं। अध्यांश को देखकर अंशिका ने मुंह बनाते हुए अपने मन में यही सब सोच रही थी अध्यांश अंशिका को देख रहा था। और उसके हर एक्सप्रेशन को नोट करके वह समझ रहा था। कि इस वक्त अंशिका अपने मन में क्या सोच रही होगी। अंशिका का ऐसा एक्सप्रेशन देखकर अध्यांश को मन ही मन हंसी आ रही थी।
"अध्यांश को अपने घर पर देखकर अंशिका को बहुत गुस्सा आ रहा था। उसने बिना सोचे समझे आलोक जी की तरफ देखकर कहा" पापा यह यहां क्या कर रहे हैं।
"अंशिका की बातें सुनकर आलोक जी ने हैरानी से कहा" तुम इन्हें पहले से जानती हो क्या जो ऐसी बातें कर रही हो।
"अंशिका ने अपना सर हमें हिलाते हुए कहा" पापा मैं इन्हें बहुत अच्छे से जानती हूं। यह बहुत बुरे इंसान है। आपको नहीं पता इन्होंने मेरे साथ क्या किया था। इन्होंने मुझे कि... अंशिका अपने बात बोल रही थी। तभी उसे याद आया कि वह क्या कहने जा रही थी। अंशिका बोलते हुए चुप हो गई।
"तो सौरभ ने कहा" क्या हुआ अंशु तू चुप क्यों हो गई। क्या तू मिस्टर शेखावत को पहले से जानती है।
"तो अंशिका ने अपना सर ना में हिलाते हुए कहा" नहीं भाई मैं इन्हें कैसे जानुंगी मैं तो आज पहली बार इनसे मिल रही हूं। और मैंने आज इन्हें पहली बार ही देखा है। ऐसा तो नहीं है। कि यह दुनिया के आठवें अजूबे हैं। और मुझे इन्हें देखकर शॉक लगा हो।
"आलोक जी ने अंशिका से कहा" अंशु बेटा यह हमारे बिजनेस पार्टनर अध्यांश शेखावत है। आज यहां डिनर के लिए आए हैं। आलोक जी ने अध्यांश की तरफ देखकर कहा" मिस्टर शेखावत यह हमारी इकलौती बेटी अंशिका सूर्यवंशी है।
"अंशिका ने मुंह फूलाते हुए कहा" पापा ये हमारे घर खाने पर क्यों आए हैं। उनके घर में खाना नहीं बना है क्या..और फिर अध्यांश की तरफ देखकर कहा" और आप अगर आपके घर में खाना नहीं बना। तो आप यहां क्या मुंह उठा कर चले आएंगे। सब अंशिका को आंखें फाड़ कर देख रहे थे। आकाश ध्रुव और सागर तीनों ने एक दूसरे की तरफ देखा।
आलोक जी ने बात को संभालते हुए कहा माफ कीजिएगा मिस्टर शेखावत बुरा मत मानिएगा। इसे ऐसे ही बात करने की आदत है। कुछ भी किसी के भी बोल देती है।
अध्यांश ने हल्का सा मुस्कुराते हुए कहा.. don't worry..मिस्टर सूर्यवंशी मुझे उनकी कही हुई कोई भी बातों का बुरा नहीं लगा है।
"वेदिका ने कहा" अच्छा ठीक है। बातें तो बाद में भी होती रहेगी। पापा जी खाना रेडी है। आप सब चलिए पहले डिनर कर लीजिए। फिर वह सब डायनिंग एरिया में आ गए। और फिर चेयर पर बैठकर डिनर करने लगे।
"अंशिका ने अपने प्लेट में खाना लिया। और फिर अध्यांश को घूरते हुए अजीब तरीके से खाने लगी। वह खाना कम और अध्यांश को ज्यादा घुर रही थी। अध्यांश अपना खाना खा रहा था। तभी उसकी नजर अंशिका पर चली गई। अंशिका को खुद को ऐसे देख कर अध्यांश ने बडबडाते हुए कहा" लगता है आज खाना हजम नहीं होने वाला है।
"अध्यांश को देखकर अंशिका ने खाने का एक बड़ा सा बाइट लिया। और मुंह में ठुसकर खाने लगी। अंशिका को इस तरह खाता देखकर एक पल के लिए तो अध्यांश उसे देखा ही रह गया।
"अंशिका ने वेदिका की तरह देखकर कहा" भाभी मुझे और कुछ दो बहुत जोर की भूख लगी है। आज तो ऐसा लग रहा है। जैसे डाइनिंग टेबल का सारा खाना मेरे ही पेट में जाएगा। और किसी को कुछ खाने के लिए मिलेगा ही नहीं..
"तो विधान ने मुस्कुराते हुए कहा" तेरा पेट है या समंदर जो इतना सारा खाना खुद अकेले खा जाएगी। देख तू अपने पेट को पेट ही रहने दे उसे गोदाम मत बना।
"अंशिका को देखकर अध्यांश धीरे-धीरे खा रहा था। उसने गहरी सांस लेते हुए खुद से कहा" भुक्कड़ लड़की मुझे देखकर ही कैसे कर रही है। जैसे अभी मुझे खाने के साथ खा जाएगी।
थोड़ी देर बाद सभी का डिनर हो गया। फिर वह सब लिविंग रूम में आकर बैठ गए। आलोक जी ने कहा" तो क्या सोचा है। अपने आप लोग कुछ दिन हमारे घर पर रुकेंगे या नहीं..
"अध्यांश ने कहा" कल हमारे घर का रिनोवेशन कंप्लीट हो जाएगा। इसलिए आज हम यहां रुक जाएंगे। लेकिन कल हम यहां से चले जाएंगे।
"अंशिका ने गुस्से में मुंह फुलाते हुए कहा" यह क्या बात हुई पहले यह लोग बिन बुलाए हमारे घर में टपक पड़े। और अब यहां रहने के लिए भी कह रहे हैं। क्या इन लोगों के पास इनका घर नहीं है। जो यह हमारे घर पर रहेंगे।
"सौरभ ने कहा" अंशु प्लीज चुप हो जाओ। तुम फिर सौरभ ने अध्यांश की तरफ देख कर कहा" ठीक है जैसी आपकी मर्जी पर आज रात आप यहां रख रहे हैं। यह जानकर हमें बहुत खुशी हुई। फिर सौरभ और विधान ने उन सभी को उन सब का रूम दिखा दिया। सौरभ और विधान ने अपने कुछ कपड़े उन तीनों को दे दिए थे।
"अध्यांश फ्रेश होकर अभी-अभी बाथरुम से बाहर आया था। तभी किसी ने अध्यांश के डोर पर नोक किया। तो अध्यांश ने डार खोल वहां पर अंशिका खड़ी थी। अंशिका दनदनाते हुए रूम के अंदर आई। और गुस्से में कहा" आपकी हिम्मत कैसे हुई। मेरे घर में रहने की अभी के अभी निकले मेरे घर से..
"अध्यांश ने अपने सीने पर हाथ बंधे अंशिका को घूरते हुए कहा" तुम शायद भूल रही हो। कि तुम्हारे बाप ने मुझे खुद ऑफर किया था। यहां रहने के लिए और वैसे भी कल मेरे घर का रिनोवेशन कंप्लीट हो जाएगा। तो रिलैक्स में यहां से कल खुद चला जाऊंगा।
"अंशिका ने गुस्से में कहा" 1 मिनट आपने जो मेरे साथ किया है। ना उसके लिए तो मैं आपको इस घर में 1 मिनट भी रुकने न दूं। और आप कल जाने की बात कर रहे हैं। आपको अभी इसी वक्त मेरे घर से जाना होगा। अंशिका अध्यांश का हाथ पड़कर उसे रूम से बाहर निकालने लगी। तभी कारपेट में उसका पैर फंस गया। और वह अध्यांश के साथ बेड पर गिर गई।
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"अंशिका अध्यांश के रूम में उसे घर से निकलने के लिए आई थी। तभी अंशिका का पर कारपेट में फंसकर स्लिप हो गया। और अंशिका अध्यांश के साथ बेड पर गिर गई।
अध्यांश ऊपर था। और अंशिका अध्यांश के नीचे दबी हुई थी। इस वक्त दोनों एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे। अध्यांश अंशिका की आंखों में देख रहा था अंशिका की आंखों में एक अलग ही कशिश थी।
तभी अंशिका ने अध्यांश के सीने पर दोनों हाथ रखकर कहां ऐसे इस तरह मुझे घुर क्यों रहे हो। उठो मेरे ऊपर से.. वरना दम घुटने से मेरी अभी मौत हो जाएगी।
",अध्यांश ने टेड़ा स्माइल करते हुए कहा" और अगर नहीं उठा तो क्या कर लोगी। तुम इतनी दुबली पतली नाजुक लड़की मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती। वैसे तुम्हें हमारी पहली मुलाकात याद तो होगी। ना और सॉरी तुम भूल भी कैसे सकती हो। हमारी पहले मुलाकात थी। इतनी रोमांटिक कैसे मैंने तुम्हारे नरम और खूबसूरत नाजुक होठों को कुचल कर रख दिया था। अगर मेरे सामने ज्यादा बोली तो फिर से मैं वह सब करने से पीछे नहीं हटूंगा।
"अंशिका ने गुस्से में अध्यांश के कंधे पर मारते हुए कहा" मुझे ना आपकी फालतू बातें सुनने में बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं है मेरे ऊपर से उठो मोटे हाथी कहानी के...
"तो अध्यांश ने अपनी एक भाव में चढ़कर कहा" क्या कहा तुमने मुझे मोटा हाथी मैं तुम्हें कहां से मोटा हाथी दिखता हूं। फिर अध्यांश अंशिका के ऊपर से उठकर खड़ा हो गया।
"अंशिका भी उठकर खड़ी हो गई। और उसने अध्यांश की तरफ अपनी उंगली पॉइंट करते हुए कहा" आप मुझे धमकी नहीं दे सकते यह मेरा घर है। समझे आप और मैं आपको इस घर से बाहर निकाल कर ही रहूंगी। तभी मुझे सुकून मिलेगा।
"अध्यांश ने अपने दोनों पॉकेट में हाथ डाला और अंशिका को नीचे से ऊपर तक घूरते हुए गहरी सांस लेकर कहा" फूल कुमारी जी तुमको ज्यादा बोल रही हो। मैंने कहा ना मेरे सामने अपनी जवान कम चलाया करो।
"अंशिका ने गुस्से में कहा" मेरा नाम फूल कुमारी नहीं है।
"तो अध्यांश ने डेविल स्माइल करते हुए कहा" अच्छा तुम्हारा नाम फूल कुमारी नहीं है। लेकिन तुमने ही तो मुझसे कहा था। कि तुम्हारा नाम फूल कुमारी है।
"तो अंशिका ने कहा" हां वह तो मैं ऐसे ही कह दिया था। लेकिन आपको अब तो मेरा नाम पता चल ही गया है। तो अब आप मुझे इस नाम से नहीं बुला सकते..
"अध्यांश ने कोल्ड वॉइस में कहा" मैं तुम्हें किस नाम से बुलाऊंगा। और किस नाम से नहीं यह मेरा डिसीजन होगा .. so get out..
"तो अंशिका ने जाने से साफ ना कर दिया। और गुस्से में कहा" मैं आपको यहां नहीं रहने दूंगी। मतलब नहीं रहने दूंगी। आप मेरे घर में रहने के लायक नहीं है। उस दिन तो आपने भी सड़क पर मुझे किस किया था। और अब आप मेरे घर में आकर रह रहे हैं। पता नहीं रात को सबके सो जाने के बाद आप मेरे साथ क्या ही करेंगे। आपको तो लड़कियों से बात करने की तमीज भी नहीं है। किससे कैसी बात करनी चाहिए। यह तो पता ही नहीं है। जब देखो गुस्सा करते हो। दूसरों को टॉर्चर करते हो। आप एक नंबर के बेशर्म इंसान हो। आपके जैसा आदमी मैं इस दुनिया में कहीं नहीं देखा। यह सब सुनकर अध्यांश को गुस्सा आ गया। अध्यांश ने अंशिका को अपने गोद में उठाया। तो अंशिका बुरी तरह हड़बड़ा गई। उसने घबराते हुए कहा" यह यह क्या कर रहे हैं। आप मुझे नीचे उतारिए अंशिका अध्यांश की गोद से उतारने के लिए छटपटा रही थी।
"अध्यांश ने अंशिका की बातों का कोई जवाब नहीं दिया। और वह अंशिका को लेकर बालकनी में आ गया। और फिर उसने गुस्से में कहा" अगर तुमने मेरे खिलाफ अब कुछ भी उल्टा सीधा बोला। ना तो मैं तुम्हें यहां से सीधा नीचे फेंक दूंगा। सोच लो यहां से नीचे गिरने के बाद तो तुम्हारी एक भी हड्डी नहीं बचेगी। अंशिका ने अपना मुंह अध्यांश के सीने में छुपा लिया। उसे इस वक्त बहुत डर लग रहा था। अध्यांश ने अंशिका को नीचे उतार दिया। अंशिका गुस्से में अध्यांश को घुर रही थी। यह देखकर अध्यांश ने अंशिका के बालों को पीछे से अपनी मुट्ठी में कस लिया। और फिर उसके होठों की तरफ बढ़ने लगा। यह देखकर अंशिका ने कसकर अपनी आंखें बंद कर ली।
अंशिका को ऐसा करते देखकर अध्यांश वहीं पर रुक गया। दोनों के होठों के बीच में एक इंच का फैसला था। जब अंशिका को अपने होठों पर कुछ एहसास नहीं हुआ। और उसे अपने चेहरे पर अध्यांश के गर्म सांसें महसूस हो रही थी। तब अंशिका ने अपनी आंखें खोल कर अध्यांश को देखा। अध्यांश वैसे ही खड़ा था। फिर अध्यांश ने अंशिका के बालों को छोड़ दिया। और गहरी सांस लेते हुए कहा" मेरा किस करना तुम्हें अच्छा नहीं लगा था। क्या अंशिका ने अध्यांश को देख रही थी। तो अध्यांश ने आगे कहां" तुम्हारी एक बहुत बुरी आदत है। अंशिका गलती खुद करती हो। और ब्लेम दूसरों को देती हो। तुमने जानबूझकर मेरा ड्रीम प्रोजेक्ट खराब किया था। इतना सब कुछ करने के बाद भी मैं तुम्हें छोड़ रहा हूं। अब जाओ यहा से ..अंशिका गुस्से में पैर पटकते हुए वहां से चली गई। अध्यांश अंशिका को जाते हुए देखा रहा। फिर उसने अपने ट्राउजर के पॉकेट से सिगरेट का पैकेट निकाला। और फिर लाइटर से जलाकर सिगरेट के लंबे-लंबे कश भरने लगा। सिगरेट पीते हुए अध्यांश का चेहरा इस वक्त एक्सप्रेशनलेस था। उसने गुस्से में दांत पीसते हुए कहा" खुद के पास बहन होते हुए भी तुमने किसी दूसरे की बहन के साथ बहुत गलत किया है। सौरभ सूर्यवंशी इसकी सजा तो तुम्हें मिलेगी। बहुत शौक है। ना तुम लोगों को दूसरों से पंगा लेने का बदला कैसे लिया जाता है। अब यह मैं तुम सबको सिखाऊंगा। अध्यांश शेखावत तुम सबको खून के आंसू रुलाएगा।
अध्यांश में से ही खड़ा होकर सिगरेट पी रहा था। तभी अध्यांश के फोन पर किसी का कॉल आया। तो अध्यांश ने अपना फोन पॉकेट से निकाल कर देखा। और फिर कॉल उठाकर अपने कान पर लगा लिया। उधर से सागर ने कहा" अध्यांश अब क्या करना है।
"अध्यांश ने बिना किसी भाव के कहा" जिस काम के लिए हम यहां आए हैं। वही काम करना है। तो तुम सब शुरू हो जाओ। अब चाहे कुछ भी हो जाए। हम अपने मकसद से पीछे नहीं हट सकते ..इतना कहकर अध्यांश ने कॉल कट कर दिया।
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आखिर किस मकसद से अध्यांश अपने दोस्तों के साथ सूर्यवंशी विला आया है आखिर अब वो करना क्या चाहता है इन लोगों के साथ आखिर उसका क्या मकसद है यह जानने के लिए आने वाला एपिसोड जरुर पड़िएगा
अध्यांश बालकनी के रेलिंग से टिक्कर खड़ा था। तभी उसके फोन पर रिंग हुआ। तो अध्यांश ने बिना देखे कॉल रिसीव करके कान पर लगा लिया। उधर से किसी ने कुछ कहा तो अध्यांश ने बिना किसी भाव के कहां"उड़ा दो इतना कहकर अध्यांश ने कॉल कट कर दिया। और बिना किसी भाव के सामने देखने लगा।
दूसरी तरफ सागर ध्रुव अध्यांश के हां का इंतजार कर रहे थे। जैसे ही अध्यांश में उन दोनों को ऑर्डर दिया सागर ध्रुव वह दोनों अपने रूम से बाहर आए। और फिर स्टडी रूम के सामने कर खड़े हो गए। लेकिन स्टडी रूम लॉक था। इसलिए सागर में ध्रुव की तरफ देखकर डेविल स्माइल दिया। फिर नकली चाबी से स्टडी रूम का दरवाजा खोला। और दोनों स्टडी रूम के अंदर चले गए ध्रुव ने स्टडी रूम के डोर को अंदर से बंद कर दिया।
स्टडी रूम बहुत बड़ा था। वहां पर बहुत सारी फाइलें रखी हुई थी। ध्रुव एक बुक सेल्फ की तरफ आकर खड़ा हो गया। और उन फाइल में से कुछ ढूंढने लगा। वही सागर भी दूसरे बुक सेल की तरफ खड़ा था। और फाइल में से कुछ ढूंढ रहा था। वह दोनों उन सारे फाइलों को खंगाल रहे थे। पर उन दोनों को अभी तक वह नहीं मिला जो वह दोनों यहां ढूंढने के लिए आए थे।
"सागर ने इरिटेट होकर कहा" यहां तो वह फाइल रखा है। ही नहीं अब हम क्या करें।
"ध्रुव ने गुस्से में कहा" यह लोग बहुत शातिर है। हमें पहले ही समझ जाना चाहिए था। कि वह फाइल यहां हो ही नहीं सकती हम यहां अपना टाइम वेस्ट करने के लिए आए हैं। अध्यांश के साथ इतना बुरा कर के यह लोग यहां इतना सुकून से रह रहे हैं।
"सागर और ध्रुव अध्यांश के रूम में आए अध्यांश अभी भी बालकनी में ही खड़ा था। अध्यांश ने उन दोनों को बिना देखे कहा" काम हो गया।
"तो ध्रुव ने अपनी कमर पर हाथ रख कर कहा" नहीं वह फाइल यहां पर मौजूद नहीं है.. I am sorry.. अध्यांश मुझे लगा था। कि वह फाइल हमें यहां मिलेगा।
"अध्यांश ने उन दोनों की तरफ देखा। फिर उसने ध्रुव के कंधे पर हाथ रख कर कहा.. it's okay..मैं पहले से ही जानता था। कि हमें यहां कुछ भी नहीं मिलने वाला है। पर कोई बात नहीं हमारे पास अभी भी हुकुम का इक्का है।
"सागर ने कन्फ्यूजन से कहा" हुकुम का इक्का मतलब अध्यांश तेरे मन में अब क्या चल रहा है।
"अध्यांश ने डेविल स्माइल करते हुए कहां"हा हुकुम का इक्का अब इस घर के हर एक्टिविटी के बारे में हमें हमारे हुकुम के इक्के के जरिए पता चलेगा। इतने दिनों से मैंने उसे इन सब में इंवॉल्व नहीं किया। बस एक सही वक्त का इंतजार कर रहा था। पर अब लगता है। कि सही वक्त आ गया है।
"ध्रुव ने कुछ सोचते हुए कहा" अध्यांश तू कहीं उसकी बात तो नहीं कर रहा है। ना नहीं अध्यांश हम ऐसा नहीं कर सकते। इन लोगों का कोई भरोसा नहीं है। अगर इन लोगों ने उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश की तो..
"अध्यांश ने दोनों को देखकर कहा" तुम दोनों अकेले गए थे। आकाश कहां है।
"सागर सोफे पर पसर कर बैठ गया और उसने गहरी सांस लेते हुए कहा" वह अपने कमरे में घोड़े बेचकर सो रहा है। हम उसे जानबूझकर नहीं लेकर गए। क्योंकि अगर वह हमारे साथ जाता। तो पहले तो वह हम दोनों को अपने बकबक से पागल कर देता। उसके चक्कर में कई बार हमारा मिशन अधूरा रह गया है। इस वजह से हम उसे अपने साथ नहीं लेकर गए। अध्यांश सागर को देख रहा था। तो सागर ने अपने कंधे उचकाते हुए कहा" अब ऐसे क्या देख रहा है। हम दोनों ने बहुत सफाई से काम किया है। किसी को हम पर शक नहीं होगा।
"अध्यांश सोफे पर बैठ गया। फिर उसने सिगरेट निकाला और लाइटर से जलाकर उसके कश भरने लगा। फिर अध्यांश ने कुछ सोचते हुए कहा" कल सुबह हम यहां से निकल जाएंगे। उसके बाद हम आगे के प्लानिंग करेंगे।
"ध्रुव ने हां में सर हिलाया और कहा" ठीक है। मैं सोने के लिए जा रहा हूं। यहां तो कुछ नहीं मिला। कम से कम नींद ही पूरी कर लेता हूं। क्या पता फिर सोने का मौका मिले या ना मिले इतना कहकर वह वहां से चला गया।
अगले दिन...
"अंशिका अपने रूम से कॉरिडोर से होते हुए नीचे आ रही थी। तभी वह सामने आ रहे शख्स से टकरा गई। टकराने की वजह से वह नीचे गिर गई। अंशिका ने चीखते हुए अपने कमर पर हाथ रख कर कहा" हाय मेरी कमर कौन अंधा इंसान है। जिसे देखकर ठीक से चलना भी नहीं आता। नीचे गिरने की वजह से अंशिका के कमर में चोट लग गया था। अंशिका अपनी कमर पड़े खड़ी हुई। उसने सामने खड़े शख्स को दिखा। उसे देखकर अंशिका की आंखों में गुस्सा आ गया।
"अंशिका के सामने अध्यांश खड़ा था। वह अपने पॉकेट में हाथ डालें अंशिका को देख रहा था। अंशिका ने अध्यांश की तरफ उंगली पॉइंट करते हुए कहा" आप क्या आपको दिखाई नहीं देता। जीती जागती इंसान जो आपके सामने से चल रही है। टकराना जरुरी है। क्या हर बार..
"तो अध्यांश ने अपनी एक भौहें चढ़ा कर कहा" अगर मैं यही बात तुम्हें कहूं। तो तुम क्या कहु तुम भी तो देख कर चल सकती हो ना..
"अंशिका ने अध्यांश को घूरते हुए कहा.. excuse me..वॅटीवर आपका जो भी नाम हो। मुझे इससे कोई लेना-देना नहीं है। यह मेरा घर है। इसलिए आप यहां दादागिरी मत कीजिए।
"अध्यांश ने अंशिका को घूरते हुए कहा" व्हाट दादागिरी अंशिका ने अध्यांश की बातों का कोई जवाब नहीं दिया। वह उसे इग्नोर करके अपनी जीभ निकाल कर उसे चिढ़ा कर नीचे की तरफ चली गई। तो अध्यांश ने अंशिका को जाते हुए देखकर कहा" यह लड़की है। या पूरी की पूरी पागल की दुकान..
"अंशिका किचन में आए। किचन में वेदिका सबके लिए नाश्ता बना रही थी। अंशिका ने वेदिका को देखकर कहा" भाभी अब क्या बना रही हो।
"तो वेदिका ने कहा" सबके लिए नाश्ता बना रही हूं। तुम बताओ तुम्हें क्या चाहिए।
"अंशिका ने मुस्कुराते हुए कहा" भाभी सुबह-सुबह चाय मिल जाए। ना तो पूरा दिन बहुत अच्छा जाता है। इसलिए प्लीज आप मुझे चाय पिला दो।
"अंशिका किचन के स्लैब पर बैठ गई। वेदिका अंशिका के लिए चाय बना रही थी। तभी उसकी नजर अध्यांश पर चले गई जो फोन पर बातें करते हुए अंशिका को देख रहा था। वेदिका ने अध्यांश के नजरों का पीछा किया। जो अंशिका को देख रहा था। यह देखकर वेदिका ने हल्का सा मुस्कुराया। किचन ओपन था। इसलिए अध्यांश अंशिका को पूरा देख सकता था। वेदिका ने चाय और बिस्किट अंशिका को दिया। अंशिका वही स्लैब बैठकर खाने लगी।
अध्यांश की बात खत्म हो जाने के बाद उसने कॉल कट किया। और फिर अपने पॉकेट में अपना फोन रख लिया। तभी उसकी नजर वेदिका पर पड़ी वेदिका ने उसे इशारे से कुछ पूछा तो ध्यान से अपना सर ना में हिला दिया।
थोड़ी देर बाद सभी डाइनिंग टेबल पर बैठकर नाश्ता कर रहे थे। तभी सौरभ के पास किसी का कॉल आया। सौरभ ने कॉल रिसीव किया। और फिर अपनी कान पर लगा लिया। उधर से किसी ने कुछ ऐसा कहा" जिसे सुनकर सौरभ के चेहरे का रंग उड़ गया। सौरभ के चेहरे का रंग उड़ता देखकर अध्यांश ने डेविल स्माइल किया। उसकी स्माइल को किसी ने नहीं देखा था। उसने जल्द ही अपनी स्माइल छुपा ली।
थोड़ी देर बाद ब्रेकफास्ट हो जाने के बाद अध्यांश ने मिस्टर सूर्यवंशी से हाथ मिलाया। और फिर मुस्कुराते हुए कहा.. thank you..मिस्टर सूर्यवंशी हमें डिनर पर इनवाइट करने के लिए..
"मिस्टर सूर्यवंशी ने मुस्कुरा कर कहा" मुझे बहुत खुशी हुई। मिस्टर शेखावत की आपको मेरे घर में कोई प्रॉब्लम नहीं हुई।
"अध्यांश मिस्टर शेखावत से बात करने के बाद उसने एक तिरछी नजर अंशिका पर डाली। जो एक साइड में खड़े अध्यांश को ही गुस्से में देख रही थी। फिर अंशिका को देखने के बाद अध्यांश ने एक नजर वेदिका की तरफ देखा। तो वेदिका ने उसे देखकर स्माइल किया। तो अध्यांश ने एक डेविल स्माइल किया। और फिर अपने आंखों पर गॉगल्स लगाकर घर से बाहर चला गया।
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तो आप सबको क्या लगता है अध्यांश और वेदिका का क्या रिश्ता होगा जानने के लिए नेक्स्ट बार जरूर पढ़िएगा फ्रेंड्स कहानी पढ़ कर समीक्षा जरूर कर दिया कीजिए क्योंकि इससे हमें मोटिवेशन मिलती है आगे कहानी लिखने में
अध्यांश की कार उसके ऑफिस के बाहर आकर रुकी। अध्यांश ने कार को पार्क में लगाया। और फिर ऑफिस के अंदर चला गया। अध्यांश से आकर अपने केबिन में बैठ गया। इस वक्त उसे काफी फ्रस्ट्रेशन हो रहा था। वहां तक जाकर भी उसके हाथ कुछ नहीं लगा था।
"सागर ने अध्यांश को इतना परेशान देखकर कहा" अध्यांश क्या हुआ।
"अध्यांश ने सागर की तरफ देखकर कहा" कुछ नहीं बस यही सोच रहा हूं। कि मैं वहां तक जाकर भी अपनी बहन के बारे में कुछ नहीं जान सका। पिछले 4 साल पहले उसके साथ जो भी हुआ। आज तक उसका कुछ भी सुराग नहीं मिला है।
"ध्रुव ने कहा" अध्यांश हमें अनु के बारे में पता चल जाएगा। तो रिलैक्स कर आज नहीं तो कल हम उसके बारे में सब पता लगा ही लेंगे। इतना तो हमें पता चल ही गया है। कि इन सब के पीछे सौरभ सूर्यवंशी का हाथ है।
"अध्यांश ने परेशान होते हुए कहा" सारी गलती मेरी है। मुझे ही अनु को इंडिया आने के लिए हां नहीं कहना चाहिए था। ना वह यहां आई। और ना ही उसके साथ इतना सब कुछ होता। मेरी बहन ने क्या कुछ नहीं सहा होगा। इन सब का बदला मिलेगा। उसे सौरभ सूर्यवंशी से अध्यांश बहुत परेशान था। उसने ध्रुव और सागर को अपने केबिन से बाहर जाने को कहा वह दोनों बाहर चले गए। तो अध्यांश थोड़ी देर खुद को शांत करने लगा। फिर उसने अपना माइंड डाइवर्ट किया। और फिर अपने काम पर फोकस करने लगा।
सूर्यवंशी विला...
अध्यांश के जाने के बाद सौरभ आलोक जी के साथ स्टडी रूम में बैठा हुआ था। थोड़ी देर पहले जो उसके पास कॉल आया था। इस बारे में वह आलोक जी से कह रहा था। सौरभ ने परेशान होते हुए कहा" डेड कल रात को हमारे आईलैंड को किसी ने बम से उड़ा दिया है।
"आलोक जी ने गुस्से में कहा" सौरभ यह क्या कह रहे हो। तुम हमारे आईलैंड को बम से कौन उड़ा सकता है। और यह सब कुछ किसने किया होगा।
"तो सौरभ ने कुछ सोचते हुए कहा" यह हमारे बिजनेस राइवल हो सकते हैं। डेड क्योंकि हमारे बहुत सारे दुश्मन है। और यह किसने किया है। कंफर्म तो मैं नहीं बता सकता।
"आलोक जी ने गुस्से में अपनी मुट्ठियां कस ली और उन्होंने सौरभ की तरफ देख कर सर्द आवाज में कहा" यह सब कुछ जिसने भी किया है। मुझे उसके बारे में सारी इनफार्मेशन चाहिए। कुछ भी करो मुझे उसके बारे में बस दो दिन के अंदर सब कुछ जानना है। कि इन सब के पीछे आखिर किसका हाथ है। किसकी हिम्मत हो गई
जिसने मेरे आईलैंड को बम से उड़ा दिया।
"सौरभ ने कहा" मैंने अपने आदमियों को लगा दिया है। हमारे और भी बहुत सारे आइलैंड है। उन सारे आईलैंड पर मैंने पहले ही सिक्योरिटी टाइट कर दिया है। मिस्टर सूर्यवंशी के बहुत सारे इल्लीगल काम थे। जिन्हें सिर्फ सौरभ संभालता था। इन सब के बारे में विधान को कानो कान तक खबर नहीं थी। विधान बस बिजनेस में ही इंवॉल्व था।
रात के वक्त...
अध्यांश सूर्यवंशी विला से निकल गया था। थोड़ी देर बाद उसकी कार एक बड़े से मेंशन के आगे आकर रुकी। वह मेंशन दिखने में काफी खूबसूरत और काफी बड़ा था। उसके आसपास लेकिन उससे थोड़े दूर पर और भी बहुत सारे घर थे। उस मेंशन के चारों तरफ ब्लैक यूनिफॉर्म पहने बॉडीगार्ड अपने हाथों में बड़े-बड़े बंदूक लिए खड़े थे।
अध्यांश अपनी कार से निकाल कर सीधा विला के अंदर चला गया। विला अंदर से भी दिखने में काफी ज्यादा खूबसूरत था। विला के अंदर हर चीज लग्जरी और एडिशन था। अध्यांश एक बड़े से मास्टर रूम के अंदर आया। मास्टर रूम देखने में काफी ज्यादा खूबसूरत था। रूम के बीच में एक किंग साइज बेड लगा हुआ था। और बैठ के सामने वाले बल पर अध्यांश से एक बड़ी सी तस्वीर लगी हुई थी। जिसमें वह काफी हैंडसम लग रहा था। रूम के एक साइड में बड़ा सा सोफा था। और एक बड़ी सी बालकनी थी। बालकनी के नीचे बहुत सारे फ्लावर प्लांट्स रखे हुए थे। बाल्कनी दिखने में बहुत खूबसूरत था। और एक साइड में ब्लैक कलर का स्विंग चेयर था।
अध्यांश ने अपना को बेड कर फीका और फिर वॉशरूम में चला गया। उसने वॉशरूम का शावर ऑन किया। और शावर के नीचे खड़ा हो गया। थोड़ी देर ऐसे शावर के नीचे खड़े रहने के बाद अध्यांश ने अपनी कमर पर टॉवल लपेटा और फिर वॉशरूम से बाहर आ गया।
अध्यांश ने एक ब्लैक कलर की ट्राउजर और वाइट कलर का टी शर्ट पहने और फिर अपना फोन लेकर बालकनी में आ गया। अध्यांश ने किसी का नंबर लगाकर अपने कान पर लगाया। और फिर कहा अब तक का क्या अपडेट है। टाइगर..
दूसरी तरफ से टाइगर ने कहा" सर यहां सब ठीक है। उन लोगों का एक आइलैंड तो हमने धमाके में उड़ा दिया। वह लोग कभी बहुत परेशान हैं। अब आगे क्या करना है।
"अध्यांश ने डेविल स्माइल करते हुए कहा" नहीं टाइगर अभी कुछ नहीं करना है। बस मेरे अगले स्टेप का इंतजार करो उन लोगों का अभी एक आइलैंड ही हमने तबाह किया है। अभी तो बहुत कुछ तबाह करना है। इतना कहकर अध्यांश ने कॉल कट कर दिया।
"अध्यांश ने डेविल स्माइल करते हुए खुद से कहा" मिस्टर सूर्यवंशी आज तो तुम्हारा चेहरा देखने लायक होगा। अफसोस मैं तुम्हारा यह चेहरा देख नहीं पाया। अभी तो तुम्हारा बस छोटा सा नुकसान हुआ है। क्योंकि यह तो ट्रेलर भी नहीं था। अभी तो ट्रेलर दिखाऊंगा। फिर बाद में पूरी मूवी देखनी होगी। तुम सबको अगर मैं तुम्हारे घर को शमशान घाट ना बना दिया। ना तो मेरा नाम भी अध्यांश शेखावत नहीं..पूरे सूर्यवंशी परिवार को बर्बाद कर दूंगा। मैं.. जिस तरह तुमने मेरी बहन को मुझे जीना है। ना उसे तरह मैं तुम सबसे तुम्हारा सब कुछ छीन लूंगा। मिस्टर आलोक सूर्यवंशी तुमसे तुम्हारे वह कीमती चीज छीन लूंगा। जो तुम्हें सबसे ज्यादा अनमोल है। क्योंकि अब मुझे तुम्हारी कमजोरी के बारे में अच्छे से पता चल गया है। आप वही बनेगी मेरे मकसद तक पहुंचाने की चाबी..
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तो आखिर अध्यांश का अब क्या मकसद हो सकता है। आखिर सूर्यवंशी परिवार से अध्यांश की क्या दुश्मनी है। जानने के लिए नेक्स्ट पार्ट जरुर पड़ेगा और कमेंट में जरूर बताइएगा। मुझे आप सबके कमेंट का बेसब्री से इंतजार रहता है।
अंशिका अपने बेड पर बैठकर अपना फोन चला रही थी। फिर उसने अपना फोन साइड में रखा और खुश होते हुए कहा" अच्छा है। वह एटीट्यूड की दुकान यहां से खुद चला गया। कल रात की नींद तो पूरी हराम कर दिया था। उन्होंने आज तो सुकून की नींद आएगी।
"अंशिका खुश होते हुए बेड पर लेट गई। तभी उसका फोन रिंग करने लगा। अंशिका ने फोन उठा कर देखा। तो उस पर अननोन नंबर शो हो रहा था। अंशिका ने गुस्सा होकर कहा" अब यह अननोन नंबर से कॉल मुझे कौन कर रहा है। अंशिका ने कॉल उठाकर कान पर लगा लिया। और गुस्से से कहा" कौन पागल है जो इतनी रात को मुझे कॉल कर रहा है।
..दूसरी तरफ से अध्यांश की ठंडी आइ.. मैं हूं अध्यांश..
"अध्यांश की आवाज सुनकर अंशिका ने अपना फोन देखा। फिर कौन कान पर लगाकर गुस्से में लगभग चिल्लाते हुए कहा" आप और आपके पास मेरा नंबर कहां से आया। और आपकी हिम्मत कैसे हुई मुझे कॉल करने की..
"अध्यांश ने अपने कान में उंगली डालकर कहा" अरे इतनी जोर से चिल्ला क्यों रही हो। कान के पर्दे फाड़ने का इरादा है क्या तुम्हारा..
"अंशिका ने झुंझलाते हुए कहा" अभी तो सिर्फ आपके कान के पर्दे फटे हैं। मेरे सामने आ जाओ तब बताती हूं। मैं क्या-क्या फाड़ सकती हूं।
"अध्यांश ने धीरे से मुस्कुराते हुए कहा" सब छोड़ो यह बताओ खाना खाया तुमने..
"तो अंशिका ने कहा" क्यों आपको मेरी इतनी फिक्र क्यों हो रही है। अगर मैं नहीं खाया तो आप क्या कर लोगे..
"अध्यांश ने गहरी सांस लेते हुए कहा" आइसक्रीम खाने चले..
आइसक्रीम का नाम सुनकर अंशिका का जी मचलने लगा। लेकिन फिर भी उसने खुद को कंट्रोल किया। और फिर गुस्से में कहा" नहीं ऑलरेडी मेरे घर में बहुत सारे आइसक्रीम पड़ी है। अगर आपको भी खाना है। तो आप भी आ जाओ। एक बार फिर से मेरे घर का खाना ठुस लेना।
"तो अध्यांश ने मुस्कुराते हुए कहा" नो थैंक्स मैंने अभी जस्ट खाना खाया है।
"अंशिका ने मुंह फुलाते हुए कहा" ओके मैं अब रख रही हूं। मुझे नींद आ रही है। अंशिका ने जल्दी से कॉल कट किया। और बेड पर लेट गई। अध्यांश ने अपने फोन को देखा फिर रूम में आ गया।
अगले दिन...
"सौरभ अपने रूम में मिरर के सामने रेडी हो रहा था। तभी वेदिका ने आकर सौरम को पीछे से हग किया। सौरभ ने मुस्कुराते हुए कहा" क्या हुआ वेदिका आज तुम कुछ ज्यादा खुश लग रही हो। फिर सौरभ ने वेदिका का हाथ पकड़ कर अपने सामने किया।
"वेदिका ने मुस्कुराते हुए कहा" सौरभ चलो ना हम कही घुमने के लिए चलते हैं। क्युकि हम काफी टाइम से कही घुमने के लिए नही गये है।
"सौरम ने कहा" सॉरी वेदिका हम किसी और दिन घुमने के लिए जाएगे। क्योंकि मुझे ऑफिस में बहुत काम है। और तुम तो जानती हो। कि मैं ऑफिस का काम छोड़कर कहीं भी घूमने के लिए नहीं जाता हूं।
"सौरभ के मना करने से वेदिका का मुंह लटक गया। और वो बेड पर बैठ गई। सौरभ ने वेदिका को देखा। और वो वेदिका के बगल में बैठ गया। और उसने वेदिका को एक साइड से हग किया। और मुस्कुरा कर कहा" सॉरी वेदिका पर नेक्स्ट टाइम पक्का लेकर जाऊंगा।
"तो वेदिका ने सौरभ की तरफ देखकर कहा" ठीक है। कोई बात नहीं पर क्या मैं अपनी फ्रेंड्स के घर जा सकती हूं। और बहुत दिन हो गए मैं अपने फ्रेंड से नहीं मिली हूं।
"तो सौरभ ने मुस्कुराते हुए कहा" तो ठीक है। तुम अपनी फ्रेंड से मिलने के लिए जा सकती हो। लेकिन अपना ख्याल रखना।
"वेदिका खुश होते हुए सौरभ के गले लग गई और कहा" ठीक है। मैं अंशु नहीं हूं। जो अपना ख्याल नहीं रख पाऊंगी। जानते हो मैं आपको जब तुम घर में नहीं होते हो। तो फिर सौरभ ने वेदिका के माथे पर किस किया। और उसका हाथ पकड़ कर उनसे बाहर आ गया। थोड़ी देर बाद सभी ने नाश्ता किया। और फिर सौरभ ऑफिस के लिए चला गया। सौरभ के ऑफिस जाने के बाद वेदिका अपने रूम में आई। उसने अपना पर्स लिया। और जैसे ही रूम से बाहर जाने वाली थी।
तभी अंशिका वेदिका के सामने आकर खड़ी हो गई। और वेदिका की तरफ देख कर कहा" भाभी आप कही जा रही हो क्या..
"तो वेदिका ने अंशिका की तरफ देखकर कहा" मैं अपनी फ्रेंड से मिलने के लिए जा रही हूं। बहुत टाइम से मैं उनसे नहीं मिला इसलिए..
"अंशिका ने खुश होते हुए कहा" भाभी मैं भी चलू आपके साथ..
"वेदिका ने अंशिका को मना करते हुए कहा" नहीं अंशु मैंने तो सिर्फ अपने बारे में सौरभ से बात की थी। तुम्हारे बारे में मुझे नहीं पता था। कि तुम भी मेरे साथ जाना चाहती हूं। नहीं तो मैं पहले ही सौरभ से इस बारे में बात कर लेती।
"अंशिका ने अपनी दोनों हाथ कमर पर रखकर कहा " ओके भाभी कोई बात नहीं आप जो अपने फ्रेंड से मिल लो। मैं भी यहां घर पर रहकर क्या करूंगी। मैं सारिका के घर पर जा रही हूं। उसे मेरी कुछ हेल्प चाहिए थी। तो वेदिका ने हामी भरी और वह घर से निकल गई।
थोड़ी देर बाद वेदिका की कार शेखावत विला के बाहर आकर रुकी। वेदिका खुद कार ड्राइव करके आई थी। वेदिका कार से बाहर आई और सीधा विला के अंदर चली गई।
"अध्यांश इस वक्त सोफे पर अकेला बैठा था। और वह थोड़ी देर में ऑफिस के लिए निकलने वाला था। अध्यांश से उठकर खड़ा हुआ। और जैसे ही बाहर जा रहा था। तभी उसकी नजर घर के अंदर आई हुई वेदिका पर पड़ी। वेदिका को देखकर अध्यांश ने उसे घुरते हुए कहा" तुम यहां क्या कर रही हो।
"वेदिका ने मुस्कुरा कर कहा" तुमसे मिलने के लिए आई हूं और क्या..
"तो अध्यांश ने शर्द आवाज में कहा" हम तो कल मिले थे। ना तो फिर आज यहां आने की क्या जरूरत थी।
"वेदिका ने अध्यांश की तरफ देखकर कहा" अध्यांश क्या तुम उस बात को लेकर अभी तक मुझसे गुस्सा हो।
अध्यांश ने वेदिका को देखा पर उसने कोई जवाब नहीं दिया। तो वेदिका धीरे से मुस्कुराई और कहा" आई एम सॉरी अध्यांश में जानती हूं। उस दिन मैंने जो भी किया। तुम उस बात से मुझे आज भी नाराज हो। यह मैं अच्छे से जानती हूं। पर.. trust me..मैंने यह सब कुछ क्यों किया। यह तुम अच्छे से जानते हो।
"अध्यांश ने वेदिका की तरफ देखकर सर्द आवाज में कहा" मुझे तुमसे इस बारे में कोई भी बात नहीं करनी है.. so leave.. अध्यांश के इस तरह रुखे विहेवीयर करने से वेदिका की आंखें नम हो गई थी।
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अगर आपको वेदिका और अध्यांश के बारे में जानना है तो नेक्स्ट पार्ट प्लीज जरुर पड़िएगा और कहानी को समीक्षा रेटिंग जरूर कर दीजिएगा
वेदिका अध्यांश के विला उससे मिलने के लिए आई थी। अध्यांश वेदिका से बहुत रुक तरीके से बात कर रहा था। वेदिका की आंखें नम हो गई थी। फिर वह एक कदम आगे हुए। और आकर अध्यांश के गले लग गए। पर अध्यांश में उसे हॉल्ड नहीं किया था। फिर वेदिका अध्यांश से अलग हुई। और मुस्कुरा कर कहा"आकाश कहां है। मुझे उससे भी मिलना है। कल मैं तुम सबसे ठीक से मिल नहीं पाई थी।
"अध्यांश ने बिना किसी भाव के कहा" ऊपर होगा अपने रूम में..
..आप यहां..पीछे से आवाज आई। तो अध्यांश और वेदिका ने पीछे देख पीछे सीढ़ी पर आकाश खड़ा था। और मुस्कुराते हुए वेदिका को देख रहा था। वह आकर वेदिका के गले लग गया। वह दोनों गले लगे हुए ही थे। तभी वहां पर सागर और ध्रुव आया। वेदिका को उन दोनों ने देखा फिर आकाश और वेदिका अलग हुए और आकाश ने कहा आप कैसी हो।
"तो वेदिका ने मुस्कुरा कर कहा" मैं तो ठीक हूं। तुम बताओ। तुम कैसे हो। क्या इतने दिनों तक तुम्हें मेरी याद नहीं आती थी।
"आकाश ने मुंह बनाया और फिर अध्यांश की तरफ देखते हुए कहा" सॉरी दी आप तो जानती हो। ना भाई कैसे हैं। उन्होंने एक बार कमेंटमेंट कर दी। तो फिर वह खुद की भी नहीं सुनते हैं।
सीध्रुव ने मुस्कुरा कर कहा" कैसी हो। वेदिका काफी टाइम बाद देखा था। तुम्हें..
सीवेदिका ने दोनों को देखकर कहा" मैं तो ठीक हूं। तुम दोनों कैसे हो।
"सागर ने कहा..good..चलो बैठ कर बात करते हैं। तुम तो शादी करने के बाद हम सबको भूल गई हो।
"वेदिका ने तिरछी निगाहों से अध्यांश की तरफ देखते हुए कहा" नहीं ऐसा नहीं है। मैं तुम सबको नहीं भूली हूं। बल्कि तुम सब मुझे भूल गए हो। मुझे मेरे भाई बहन फ्रेंड्स सब अच्छे से याद है। लेकिन तुम सब ने तो मुझसे रिश्ता ही तोड़ लिया है। इसलिए तो कुछ लोग अभी तक मुंह फूला कर बैठे हैं। मैं क्या करूं मेरे पास तो तुम सबका कांटेक्ट नंबर ही नहीं था। इसलिए तुम सबसे कांटेक्ट नहीं कर पाए।
"अध्यांश ने सागर और ध्रुव की तरफ देखकर पूरे गुस्से में कहा" लगता है। तुम दोनों को ऑफिस नहीं जाना है। पर मुझे जाना है। इसलिए मैं ऑफिस जा रहा हूं। मुझे यहां बैठकर किसी से बात करने में कोई इंटरेस्ट नहीं है। इतना कह कर अध्यांश घर से बाहर जाने लगा।
"तो वेदिका ने उसका हाथ पकड़ कर कहा" तुम कहां जा रहे हो। अभी-अभी तो मैं यहां आई हूं। अभी हमें बहुत सारी बातें करनी है। और तुम मुझे अकेला छोड़ कर जा रहे हो। वेदिका अध्यांश को सोफे के पास ले आए। और उसमें अध्यांश को सोफे पर बिठाते हुए कहा" चुपचाप से यही बैठो। समझ गए ना यहां से ही लेकिन कोशिश भी मत करना..
"अध्यांश में वेदिका की तरफ देखकर गुस्से में कहा" क्यों मुझसे बात करने में तुम्हें कब से इंटरेस्ट आ गया। जाओ अपने हस्बैंड से बात करो।
"वेदिका ने अपनी आइस रोल करके कहा.. please.. अध्यांश तुम यह टिपिकल भाइयों वाले एक्टिंग मत करो। अनु सिर्फ तुम्हारी नहीं मेरी भी बहन थी। तुम्हें तो पता है। ना मैंने जो भी किया। अनु के लिए किया था। और इस वजह से तुम सब ने तो मुझसे रिश्ता ही तोड़ दिया। तुम सबको पता है। मैं कितना हर्ट हुई थी। मैं तो अपना दर्द किसी से बया भी नहीं कर सकती थी। तुम्हें क्या लगता है। यह सब मेरी अपनी खुशी के लिए क्या है। नहीं बल्कि तुम्हारा साथ देने के लिए क्या है। अध्यांश...
"अध्यांश ने वेदिका की तरफ देखकर गुस्से में दांत को पीसते हुए कहा" पर तुम्हें ऐसा करने की जरूरत ही क्या थी। वेदिका मैं था। ना मैं अपनी अनु के कातिलों से बदला लेता। तुम्हें इन सब में इंवॉल्व नहीं होना चाहिए था। तुम्हें पता है। वेदिका वो रात आज भी मेरी आंखों के सामने घूमता है। जब तुमने मेरे ना कहने के बावजूद भी उस सौरभ सूर्यवंशी से शादी कर ली। यह सब कहते हुए अध्यांश के सामने वह रात वह मंजर घूमने लगा।
फ्लैशबैक...
लंदन में...एक बड़ा सा विला था। जो देखने में बहुत खूबसूरत था। उसे पहले के अंदर एक लड़की की आवाज गूंज रही थी। उसे लड़की ने ब्लैक कलर का जींस और उसके अंदर टॉप पहन रखा था। लंदन में ठंड की वजह से उसने लेदर का लॉन्ग जैकेट अपने ऊपर पहन रखा था। वह लड़की दिखने में खूबसूरत थी। और देखने में काफी खूबसूरत लग रही थी। वह लड़की कोई और नहीं बल्कि वेदिका थी। उसके सामने एक औरत खड़ी थी। जिसकी उम्र 55 के लगभग होगी। वो औरत अपनी उम्र से काफी ज्यादा फिट नजर आ रही थी। उसने अपनी बॉडी को काफी मेंटेन कर रखा था। वेदिका ने चिल्लाकर कहा मॉम मैंने कहा ना मैं उस इंसान से शादी करूंगी मतलब करूंगी। और इसके लिए मैं इंडिया जा रही हूं। और आप लोग मुझे नहीं रोकेंगे। यह मेरा लास्ट डिसीजन है।
तभी वहां पर थप्पड़ों की आवाज पहुंच गई। जो कि उस औरत ने वेदिका के गालों पर मारा था। वह औरत भी वेदिका की मां यानी कि अध्यांश की बुआ जी थी। अनीता जी ने गुस्से में कहा" मैंने कहा ना वेदिका तुम कहीं नहीं जा रही हो। अपना यह पागलपन छोड़ो। और चुपचाप से अपने रूम में जाकर बैठो..
"वेदिका ने हम आंखों से कहा" क्यों नहीं जा सकती है। मुझे मेरी बहन के मौत का बदला लेना है। और जब हमें पता चल चुका है। कि वह इंसान कौन है। तो हम चुप क्यों बैठे हैं। तभी उसकी नजर अध्यांश पर चली गई। फिर वह अध्यांश के सामने आकर खड़ी हुई। और कहा" अध्यांश प्लीज तुम तो मेरी बात समझने की कोशिश करो। हमारे पास यही एक रास्ता है। इसी तरह से हम उस इंसान से अपनी अनु का बदला ले सकते हैं। अध्यांश और वेदिका दोनों एक ही उम्र के थे।
"अध्यांश ने वेदिका की तरफ देखकर गुस्से में कहा" बुआ जी बिल्कुल सही कह रही है। वेदिका तुम्हें इन सब से दूर ही रहना चाहिए। तुम्हें एक बात समझ क्यों नहीं आ रही है।
तुम सबके समझाने से इस लड़की को कुछ समझ नहीं आएगा। क्यों नहीं समझ रही हो। तुम हम अपनी एक बेटी को खो चुके हैं। दूसरी को खोना नहीं चाहते। एक आदमी ने कहा जिसकी उम्र लगभग 75 साल थी। उनके सर के बाल भी सफेद हो गए थे। उन्होंने अपनी आंखों पर नजर वाला चश्मा लगा रखा था। और उन्होंने कोट पैंट पहना था। वह अध्यांश के दादू थे। दादू ने कहा" वेदिका बेटा जाओ। तुम ज्यादा परेशान मत हुओ। जाकर अपने रूम में आराम करो।
"वेदिका ने कहा" नहीं नानु मैं कहीं नहीं जाऊंगी। मैं इंडिया जा रही हूं। चाहे आप लोग इस बात के लिए राजी हो या ना हो। आप मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि अध्यांश तो कुछ करने वाला नहीं है। अब जो भी करना है। मुझे ही करना होगा। फिर वेदिका बाहर की तरफ जाने लगी।
तो फिर जाते-जाते एक बात मेरी भी सुन लो। वेदिका तुम इस घर से जा रही हो। तो अब तुम्हारे हमसे कोई रिश्ता नहीं है। इस आवाज को सुनकर वेदिका के कदम वहीं रुक गए। उसने पीछे मुड़कर देखा। अनीता जी आंखों में आंसू लिए। वेदिका की तरफ देख कर कह रही थी।
फ्लैशबैक एंड...
वेदिका के इस फैसले से घर में कोई कुछ नहीं था। इसलिए अनीता जी ने वेदिका से अपने सारे रिश्ते तोड़ लिए थे। इसलिए आज तक अध्यांश वेदिका से नाराज था।
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आगे की कहानी जाने के लिए नेक्स्ट पार्ट जरुर पड़ेगा और कहानी को रेटिंग और समीक्षा जरूर कर दीजिएगा मुझे आप सबके समीक्षा का इंतजार रहता है पर कोई भी समीक्षा नहीं करता है.. I am very sad..😂😂😂