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Rebirth phoneix 🐦‍🔥 queen deep in love

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Evil queen era.. Dora

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Total Chapters (18)

Page 1 of 1

  • 1. Rebirth phoneix 🐦‍🔥 queen deep in love - Chapter 1

    Words: 1143

    Estimated Reading Time: 7 min

    दूर घने जंगल में.... जहां जंगली जानवरों की आवाजें बेतहाशा गूंज रही थी।

    वहीं एक हल्का हल्का सा साया नजर आ रहा था, दिखने में बेहद खूबसूरत थी ,

    तभी वहां कुछ धीमी मगर साफ और दिलकश आवाज सुनाई दी.......

    मैरा नाम सारा है और

    में मर चुकी हूं।

    जिसे उसके अपने जैविक पिता और सौतेली बहन ने मिलकर मारा , उसका सहारा छीन लिया और वह एक भटकती हुई आत्मा बन गई।

    वह बेबस होकर देख रही थी कि उसका शव जंगल में पड़ा है और जंगली जानवर उसे खा रहे हैं। उसका चेहरा पहचान में भी  नहीं आ रहा था।

    कितने दिन-रात बीत गए, कोई नहीं जानता।

    अभी वह कह ही रही थी कि

    तभी बैंगनी चोगा पहने एक आदमी  वहां आया। उसने ज़मीन पर बिखरे शवों पर नज़र डाली। उसकी आवाज़ घमंड से भरी और निर्दयी मज़ाक उड़ाती हुई थी।

    “सारा, तुम तो अमीर खानदान ुकी बेटी हो, फिर भी इतनी दुखद मौत मरी?”

    सारा हवा में तैर रही थी और देख रही थी कि वह आदमी उसके सिर और हाथ-पाँव को एक-एक करके उठाकर जोड़ रहा है।

    फिर उसने बहुत ध्यान से उसे शादी का जोड़ा और फीनिक्स क्राउन पहनाया।

    अब उसकी आवाज़ कोमल हो गई और उसमें हल्की कसक थी—
    “अब बहुत अच्छी लग रही हो ”

    बहुत अच्छी लग रही हो?
    सारा ने सिर हिलाया। उसे यक़ीन नहीं हुआ। उसके सीने में सवालों का तूफ़ान उठ रहा था। वह पूछना चाहती थी कि वह ऐसा क्यों कर रहा है!

    “सारा, आज से तुम मेरी राजकुमारी हो।”
    उस आदमी की गहरी और भारी आवाज़ में बरसों का प्यार छुपा था।

    क्या वह उससे शादी करने आया था?

    सारा का दिल कांप गया। यह कैसे हो सकता था? उसकी बदनामी पूरे राज्य में थी, उसे कोई प्यार नहीं करता था। फिर कोई उसकी लाश से इतना गहरा प्यार कैसे कर सकता था कि उससे शादी तक कर ले?

    “मैं तुम्हें अपने घर ले जाऊँगा।”
    वह आदमी सारा की टूटी-फूटी, बदबूदार लाश को ऐसे उठा रहा था, जैसे कोई नायाब खज़ाना उठा रहा हो।

    सारा सचमुच उसके लिए आँसू बहाना चाहती थी। वह पास जाने की कोशिश करने लगी ताकि उसका चेहरा साफ़ देख सके, मगर उसकी आँखें धुंधली थीं। वह उसकी भौंह तक साफ़ नहीं देख पा रही थी।

    तभी उसे अचानक दर्द महसूस हुआ!

    सारा का बिखरा हुआ दिमाग़ जैसे किसी ने चोट मारी हो, और दर्द इतना गहरा था कि उसकी आँखों से आँसू बह निकले।

    नहीं!

    वह तो पहले ही मर चुकी थी, फिर आँसू कहाँ से आए?

    “मालिक, मत मारिए! दीदी ने जान-बूझकर नहीं किया!”

    उस भारी आवाज़ के साथ, एक जानी-पहचानी आकृति दौड़कर आई।

    सारा ने आँखें खोलीं और देखा—वह माया थी, उसकी नौकरानी, जो कई साल पहले मर चुकी थी। वह सामने खड़ी होकर उसे बचा रही थी।

    सारा ने खुद को ज़ोर से थप्पड़ मारा।

    क्या वे दोनों परलोक में फिर से मिले थे?

    “दीदी, आप ठीक हैं? अगर आपने रागिनी को पानी में नहीं धक्का दिया तो जल्दी मालिक को समझाइए, वरना यह मारना-पीटना बंद नहीं होगा!” माया की आँखों में चिंता थी। चाहे वह खुद मार खाए, लेकिन सारा की रक्षा कर रही थी।

    रागिनी को पानी में धक्का देना, मार खाना और माया का बचाना…

    सारा की आँखें चौड़ी हो गईं।
    क्या वह… फिर से जन्म ले चुकी थी?

    “नालायक बेटी, अब भी अपनी गलती मानने से इंकार करती है!”
    हर्षवर्धन सिंह गरजे और डंडा फिर से उस पर उठाया।

    “मैंने कुछ भी ग़लत नहीं किया!”

    सारा अचानक खड़ी हो गई और उस डंडे को पकड़ लिया। उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था।

    वह सचमुच पुनर्जन्म ले चुकी थी!

    पाँच साल पहले, जब रागिनी ने जान-बूझकर पानी में छलांग लगाई थी, सबने सोचा कि सारा ने उसे धक्का दिया है। उसके पिता, हर्षवर्धन सिंह, ने उसे बहुत मारा था। उसकी खाल उधड़ गई थी, घाव गहरे थे। माया भी उसे बचाते-बचाते घायल हो गई थी। हर्षवर्धन ने पक्षपात करके सम्राट द्वारा भेजा गया हज़ार साल पुराना जिनसेंग रागिनी को दे दिया ताकि उसका शरीर मज़बूत हो। जब उसके दादाजी दरबार से लौटे और यह सुना, तो ग़ुस्से में उनका ख़ून उगल पड़ा!

    यह सब इसलिए हुआ क्योंकि वह मूर्ख थी! रागिनी की चाल में फँस गई थी।

    सारा ने दाँत भींचे। अपनी पिछली ज़िंदगी में वह रागिनी की मीठी बातों में फँसी रही, उसकी बात मानकर दुखद मौत मरी। उसने अपने आस-पास के लोगों को भी बर्बाद किया। उसके दिल में पछतावा और आक्रोश भरा था!

    सारा की आँखें लाल हो गईं। उसने सिर उठाया और हर्षवर्धन सिंह को देखा। उसकी निगाहें चाकू की तरह तेज़ थीं।
    “मैंने रागिनी को धक्का नहीं दिया था। उसने जान-बूझकर मुझे खींचा और खुद गिरी!”

    “बकवास! तेरी बहन तो कितनी दयालु और मासूम है। वह तुझे क्यों खींचेगी? सारा, तू वाकई बहुत क्रूर है। पहले भी तूने उसे तंग किया और अब जब उसे तेज़ बुखार है, तब भी उस पर इल्ज़ाम लगा रही है!”
    हर्षवर्धन सिंह ग़ुस्से में फिर उसे मारने को दौड़े।

    रागिनी अस्त-व्यस्त बालों और पीली सूरत के साथ बाहर आई। उसने सारा का रास्ता रोका।
    “पिताजी, अगर मारना है तो मुझे मारिए। बहन ने जान-बूझकर नहीं किया। मैं ही सही से खड़ी नहीं थी।”

    “रागिनी, तुझे अभी भी तेज़ बुखार है, तू अंदर जाकर लेट जा!”

    हर्षवर्धन सिंह ने तुरंत डंडा फेंका और उसे चादर ओढ़ाने लगे। उसकी बेबसी देखकर उनका दिल जैसे चीर गया।

    सारा ने उस पाखंडी रागिनी को घूरा और होंठों पर हल्की मुस्कान आई। उसने उसे खींचकर सीधे तालाब में धक्का दे दिया।

    “रागिनी!” हर्षवर्धन सिंह चिल्लाए।

    वह पानी में कूदे और उसे बचाया। फिर पलटकर सारा की ओर लपके और हाथ उठाया।
    “नालायक बेटी, तू इतनी निर्दयी कैसे हो सकती है कि अपनी बहन को मेरे सामने ही डुबो दे!”

    सारा फुर्ती से बच गई और ठंडी आवाज़ में बोली—
    “क्या वही नहीं कहती थी कि मैंने उसे धक्का दिया? जब मुझे ग़लत इल्ज़ाम सहना ही पड़ा, तो क्यों न इसे सच कर दूँ?”

    बचपन से ही सारा मार्शल आर्ट्स सीखती रही थी, उसका स्वभाव सख़्त था। लोगों की नज़र में हमेशा वही मज़बूत थी और रागिनी कमज़ोर। जब भी रागिनी बीमार पड़ती या कोई मुसीबत आती, तो दोष उसी पर लगाया जाता।

    हर्षवर्धन सिंह ने जैसे ही रागिनी को भौंहें सिकोड़ते देखा, वह फिर सारा पर बरस पड़े।

    पहले वह अपने पिता के शक के कारण हमेशा हीन भावना में रही। उनका विश्वास और प्यार पाने के लिए वह रागिनी की खुशामद करती रही, और बदले में बार-बार फँसाई और बेइज़्ज़त होती रही।
    लेकिन अब… वह रागिनी से उसका हर झूठा इल्ज़ाम वसूल करेगी!

    माया ने जब अपनी मालकिन सारा को इतना मज़बूत और बग़ैर गिड़गिड़ाए खड़े देखा, तो वह हक्का-बक्का रह गई। जैसे उसकी दीदी बिल्कुल नई इंसान बन गई हो!

    मेरी यह नई कहानी है और पहली भी उम्मीद करती हूं की आपको पसंद आएगी और पसंद आए तो मुझे लाइक कमेंट्स और शेयर करना बिल्कुल भी मत बोलना और अपनी इस प्यारी लेखक को छोटा सा स्टीकर जरूर भेजना।

  • 2. Rebirth phoneix 🐦‍🔥 queen deep in love - Chapter 2

    Words: 1565

    Estimated Reading Time: 10 min

    “बहन, मुझे पता है कि मैं गलत थी। मैं फिर ऐसा करने की हिम्मत नहीं करूंगी। कृपया मेरी जान बचा लीजिए! मैं भविष्य में निश्चित रूप से आपकी पूरी सेवा करूंगी!”

    रागिनी नौकरानियों की सुरक्षा में थी, लेकिन उसके चेहरे पर आंसुओं की दो लकीरें थीं, जैसे सारा ने उसके साथ कुछ अक्षम्य किया हो।

    लेकिन उसके मन में पहले ही दांत पीसने की भावना थी। वह सोच रही थी कि आमतौर पर जो हर बात मानती थी और अन्याय होने पर भी कुछ नहीं बोलती थी, आज सारा के साथ क्या हो गया?

    उसने कैसे हिम्मत की कि अपने पिता के सामने उसे पानी में धकेल दिया!

    इस विचार से उसका गुस्सा बढ़ गया। उसने हर्षवर्धन सिंग के सामने और भी कमजोर होकर रोते हुए कहा, “पापा, बहन को गलत मत समझिए। वह भी चाहती है कि आप उसे ज्यादा देखें और उसके साथ रहें। हमारे बीच पिता-पुत्री संबंध में बाधा डालना मेरी गलती थी। जब तक बहन शांत नहीं होती, मैं आपसे नहीं मिलूंगी!”

    “रागिनी, यह क्या बकवास कह रही हो? पापा का दिल तो तुम्हारे लिए दुखता है…” हर्षवर्धन सिंग ने रागिनी का हाथ पकड़ा और सारा से चिल्लाए, “जल्दी से अपनी बहन से माफी मांगो! तुम दो घंटे तक झील में रहोगी। समय पूरा होने से पहले ऊपर आने की अनुमति नहीं है! वरना मैं तुम्हारे पैर तोड़ दूंगा!”

    सारा ने बचपन में अपनी मां को खो दिया था। हालांकि उसके दादाजी उस पर बहुत प्यार करते थे, वह अपने पिता का प्यार चाहती थी और कभी हर्षवर्धन सिंग के आदेशों की अवज्ञा करने की हिम्मत नहीं करती थी। वह तब भी हिले नहीं जब उसे बर्फ में आधे दिन तक घुटनों के बल खड़ा रहने का दंड मिलता।

    इस समय सारा ने तंज कसा, “पिता, आपको सही और गलत का अंतर नहीं पता, और न ही यह समझ आता कि श्रेष्ठ कौन और नीच कौन है। आप मुझे, अपनी जैविक बड़ी बेटी को, एक गैरकानूनी बेटी के लिए दंडित कर रहे हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि दादाजी आपको महत्वपूर्ण पद पर नहीं रखना चाहते थे।”

    “तुमने क्या कहा?” हर्षवर्धन सिंग इतना गुस्से में आया कि उसका चेहरा हरा पड़ गया। न केवल उसकी हमेशा आज्ञाकारी बेटी ने उसकी अवज्ञा की, बल्कि उसने यह भी सबके सामने उजागर कर दिया कि उसके पिता उसे पसंद नहीं करते। यह किसी जोरदार थप्पड़ से कम नहीं था।

    उसने छड़ी उठाई और सारा को फिर से पीटा।

    सारा सीधे खड़ी हुई। “पिताजी, आपकी सुनने की क्षमता खराब है क्या? अगर आप गैरकानूनी बेटी के कारण मुझे फिर मारेंगे, और यह बात बाहर फैल गई, तो लोग मेरे बारे में सौ गुना बुरा कहेंगे!”

    “तुम…” हर्षवर्धन सिंग का हाथ जो छड़ी पकड़े था, कांप गया।

    सारा ने मुड़कर रागिनी की नजरों से सामना किया। उसका खूबसूरत चेहरा एक शानदार और ठंडी शालीनता लिए था। “रागिनी, याद रखना, अगर तुम फिर मुझे पानी में धकेलने का आरोप लगाओगी, तो मैं तुम्हें वहीं डुबो दूंगी।”

    रागिनी की आंखों में आंसू थे, और उसका चेहरा और भी पीड़ित लग रहा था।

    “तुम क्या बकवास कर रही हो, बच्ची! रागिनी तुम्हारी बहन है!”

    हर्षवर्धन सिंग का दिल रागिनी के सामने खड़े होकर दुखता था। जब उसने सारा की ओर देखा, तो उसकी नजरों में घृणा और गुस्सा भरा था।

    सारा के होंठों पर ताने भरी मुस्कान आई। उसने रागिनी को पकड़ा और झील में फेंक दिया।

    सभी घबरा कर रागिनी को बचाने में जुट गए।

    जब सारा वहां से चली गई, तभी सभी के दिमाग में चेतावनी की घंटी बजने लगी। बड़ी मिस पहले जैसी नहीं थी!

    सारा ने माया को आँगन में वापस लाया।

    माया ने दांत पीसते हुए अपने कमजोर शरीर को संभाला। “मिस, अपने कमरे में वापस जाइए और आराम कीजिए। मैं आपके लिए डॉक्टर बुलाती हूं।”

    सारा ने उसका हाथ सहलाया। “अच्छी लड़की, वापस जाओ और मेरा इंतजार करो। मैं खुद दवा लेने जा रही हूं।”

    उसकी मां, राजकुमारी   अवंतिका , महान शौर्य साम्राज्य की नंबर एक महिला डॉक्टर थीं। हालांकि वह प्रसव के समय चल बसी थीं, लेकिन सारा ने अपनी मां की प्रतिभा विरासत में पाई थी और बचपन से ही दवा-उपचार जानती थी। वह कई साल पढ़े डॉक्टरों से भी जल्दी सीख सकती थी। बाहरी चोटों का इलाज करने के लिए दवा लिखना उसके लिए कठिन नहीं था।

    लेकिन इस बार, वह सिर्फ सामान्य दवा लेने नहीं जा रही थी, बल्कि अपने दादाजी द्वारा संजोई गई हजार साल पुरानी जिनसेंग लेने वाली थी।

    उसके दादा ने जिनसेंग को फार्मेसी के एक गुप्त कमरे में रखा था। शुरुआत में, उन्होंने केवल उसे इसके बारे में बताया था। लेकिन पिछले जीवन में, पिता को खुश करने के लिए, सारा ने इस जानकारी का इस्तेमाल किया। परिणामस्वरूप, रागिनी अनजाने में पानी में गिर गई और इस हजार साल पुरानी जिनसेंग को अपने पिता के माध्यम से ले लिया।

    इस बार, वह पहले वार करना चाहती थी और स्थिति पर नियंत्रण रखना चाहती थी। वह उन्हें अवसर नहीं देने वाली थी!

    लेकिन जैसे ही उसने डिब्बा खोला, उसकी आँखों के सामने सुनहरी चमक फैली और वह एक अनजानी जगह में चली गई।

    हरा घास जैसे कालीन की तरह बिछा था, और हवा में दवाओं की खुशबू फैली हुई थी। दूर से झरने की आवाज़ आती थी।

    “मुझे मत खाओ, मुझे मत खाओ! मैं तुम्हें मेडिसिन किंग वैली दे दूंगी, मुझे मत खाओ, हू हू…”

    “तुम कौन हो?”

    बच्चे की रोने की आवाज उसके मन में गूंजी, और सारा का सिर दर्द से भर गया।

    “मैं हजारों साल पुरानी आत्मा जिनसेंग हूँ। एक इंसान ने गलती से मुझे तोड़ दिया… लेकिन मैं मरना नहीं चाहता। जब तक तुम मुझे नहीं खाओगी, मेडिसिन किंग वैली की सब चीजें तुम्हारी हैं!” छोटी जिनसेंग की आवाज तीन साल के बच्चे जैसी थी, जो दिल को छू जाती थी।

    सारा ने अपने सामने की चीज़ों को अजीब नजरों से देखा। यह वह दृश्य नहीं था जो उसने कभी देखा हो। हर्बल फील्ड में लगाई गई दुर्लभ जड़ी-बूटियाँ सौ साल में भी मुश्किल से मिलती थीं।

    जब उसने हर्बल फील्ड में ब्लड क्लॉटिंग ग्रास देखा, उसकी आंखें तुरंत चमक उठीं। “यहाँ वास्तव में इतनी ज्यादा हैं!”

    पिछले जीवन में, जब उसे पीटा गया था, उसके बड़े भाई समीर ने उसे एक स्टॉक ब्लड क्लॉटिंग ग्रास दी थी। जब उसने इसे प्राप्त किया, उसने सोचा कि वह कंजूस है और सिर्फ एक ही दे रहा है। बाद में, उसने जाना कि ब्लड क्लॉटिंग ग्रास जल्दी घाव भरता और मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत करता है। यह बेहद दुर्लभ था। एक स्टॉक बाजार में हजारों सिल्वर के लायक था!

    उस स्टॉक को उसके बड़े भाई ने सैन्य शिविर से लिया था जब उसे गंभीर बाहरी चोटें लगी थीं। सैन्य शिविर ने इसे उसे इस लिए दिया था ताकि वह ठीक होने के बाद सैन्य प्रतियोगिता में भाग ले सके।

    लेकिन वह इसे इस्तेमाल करने की हिम्मत नहीं कर सका और उसे सारा को दे दिया, जिसे उसने गुस्से में फेंक दिया।

    अब जब उसने इसके बारे में सोचा, तो उसे लगा कि वह कितनी मूर्ख थी!

    उसने आगे देखा और पाया कि अन्य कीमती जड़ी-बूटियाँ, जैसे क्रोकस और सारकोफैगस, भी हर जगह थीं। यह डॉक्टरों के लिए स्वर्ग था।

    “सभी प्रकार के जानवरों के सींग और आत्मा वाली जड़ी-बूटियाँ फार्मेसी में हैं।” छोटी जिनसेंग की आवाज़ सारा को आगे खींच रही थी।

    घाटी में एक शानदार फार्मेसी थी। दुर्लभ जड़ी-बूटियाँ और उपकरण सभी मौजूद थे। सबसे महत्वपूर्ण, यहाँ का पानी भी औषधीय ऊर्जा से भरा था।

    सारा ने पत्तियों से कुछ ओस पी। उसने सिर्फ प्यास बुझाई नहीं, बल्कि उसके रक्त में भी अच्छी सर्कुलेशन महसूस हुई। हर्षवर्धन सिंग द्वारा मारे जाने से जो दर्द था, वह तुरंत गायब हो गया।

    “जिनसेंग, क्या यह तुम्हारी जगह है?”

    “ओह… ऐसा कह सकते हो! एक समझौता करते हैं। जब तक तुम मुझे नहीं पकाओगी, यह जगह तुम्हारी होगी!” छोटी जिनसेंग बहुत उदार था।

    हालांकि वह सिर्फ उसकी आवाज सुन सकती थी, सारा ने महसूस किया कि यह अच्छा समझौता है।

    उसने पलक झपकाई और तुरंत फार्मेसी में लौट आई। डिब्बा खाली था, लेकिन छोटी जिनसेंग की आवाज़ उसके मन में गूँज रही थी। “चिंता मत करो, जब मैं तुम्हारे शरीर में हूँ तो भाग नहीं सकता। अगर तुम्हें कुछ चाहिए, किसी भी समय मुझे बुलाओ। मैं पहले सोने जा रहा हूँ…”

    सारा ने लंबी राहत की सांस ली। उसने सोचा कि पिछली जिंदगी में रागिनी ने जिनसेंग खा कर कैसे ईश्वरीय डॉक्टर बन गई थी। सब उसे चाहते थे और वह दिन-ब-दिन और अधिक शक्तिशाली हो गई थी!

    तो यही कारण था!

    इस जीवन में, वह इस अवसर को अपने हाथ में मजबूती से लेना चाहती थी!

    उसने मेडिसिन किंग वैली से कुछ ब्लड क्लॉटिंग ग्रास के स्टॉक निकाले और उन्हें खून जमाने वाली क्रीम में बदल दिया। उसने इसे अपने घाव पर लगाया और यह तुरंत असर करने लगी। उसने माया को बुलाया और उसके घाव पर लगाया। माया ने महसूस किया कि उसके शरीर के घाव में अचानक दर्द कम हो गया।

    उसकी आंखें आश्चर्य से भर गईं। “मिस, क्या आपने यह दवा खुद बनाई? क्या जड़ी-बूटियाँ बहुत महंगी थीं? इसे मुझ पर मत लगाइए। इसे बचाकर भविष्य में इस्तेमाल कीजिए!”

    उसका दिल मरहम के लिए दुखता था। वह चाहती थी कि कुछ क्रीम अपने शरीर से निकालकर वापस बोतल में डाल दे।

    क्या लगता है आपको...?  कैसा लगा आपको यह चैप्टर मुझे कमेंट करके जरूर बताना और जैसा मैंने कहा यह मेरी पहली नोवेल है आपको कैसी लगी मुझे कमेंट करके जरूर बताना ज्यादा से ज्यादा शेयर करना और अपनी प्यारी लेखक को छोटा सा स्टीकर जरूर देना जिससे मेरी हेल्प हो जाए......

  • 3. Rebirth phoneix 🐦‍🔥 queen deep in love - Chapter 3

    Words: 1509

    Estimated Reading Time: 10 min

    हालाँकि सारा अमीर परिवार की सबसे बड़ी बेटी थी, वह आमतौर पर बहुत गरीब रहती थी। उसके कपड़े और गहने, चाहे कितने भी महंगे हों ताकि लोगों का ध्यान खींच सकें, सभी रागिनी द्वारा छीन लिए जाते थे। वह, जो हमेशा रागिनी पर निर्भर रहती थी ताकि उसके पिता में उसका सम्मान बना रहे, कभी इसकी परवाह नहीं करती थी।

    उसी समय, रागिनी अक्सर उसे फंसाती और वह पिता से मार खा जाती। उसे नहीं पता था कि भविष्य में ये दवाइयाँ पर्याप्त होंगी या नहीं।

    माया की बातें सारा को और भी बेवकूफ महसूस करवा रही थीं। उसने माया को पूरी बोतल दवा दे दी और शांत स्वर में कहा, “इस बोतल को अपने पास रखो। भविष्य में हमारी दवा खत्म नहीं होगी।”

    “मिस, आप…” माया उत्साहित और बेचैन हो गई। सारा के आज के काम बिल्कुल उसकी पुरानी स्वभाव से अलग थे।

    लेकिन उसे यह भी चिंता थी कि अगर रागिनी फिर उसे धोखा देने आए, तो वह उसके जाल में फंस सकती है।

    सारा समझ सकती थी कि यह लड़की उसकी चिंता कर रही थी, लेकिन उसे बहुत ज्यादा बताना सुविधाजनक नहीं था। उसने एक महत्वपूर्ण बात पूछी, “भाई की चोट कैसी है? आँगन से कोई खबर आई?”

    माया की नाजुक भौंहें हल्की सिकुड़ गईं। “बड़े भाई बड़े मालिक  और दूसरी मिस से सतर्क रहते हैं। आँगन के लोग हमेशा चुप रहते हैं, लेकिन कल, जब मैंने आदर्श को देखा, जो बड़े भाई के पीछे थे, सैन्य डॉक्टर को भेजते हुए उनका चेहरा गंभीर था। मुझे लगता है कि बड़े भाई की चोट हल्की नहीं है।”

    वैसे, समीर की चोट का संबंध भी सारा से था।

    असल में, समीर की प्रतियोगिता थोड़ी ही देर में होनी थी, और जनरल की पोस्ट निश्चित रूप से उसके लिए थी। लेकिन, वह रागिनी के झांसे में आ गई और समीर को एक कटोरी सूप दे दिया, जो रागिनी ने तैयार किया था।

    रागिनी ने कहा कि यह जिनसेंग टॉनिक है, लेकिन ऐसा नहीं सोचा था कि इसमें जहर होगा।

    समीर सावधान व्यक्ति था। वह अपने पिता और रागिनी द्वारा दी गई कोई भी चीज़ कभी नहीं खाता, लेकिन वह अपनी बहन पर सतर्क नहीं था।

    लेकिन यही सूप था जो उसने दिया, और जो लगभग समीर की जान ले लेता!

    सारा का दिल सोचकर ही दुख गया। समीर उसका सगा भाई था, जो हमेशा उससे प्यार करता था। वह इतनी मूर्ख कैसे हो सकती थी कि रागिनी को उसे नुकसान पहुँचाने दे!

    केवल उस दुखद और असंभव पिता-भाई के प्यार और बहनत्व के लिए?

    यह तो हास्यास्पद था!

    “ठक ठक!”

    दरवाजे पर कोई खटखटाया, और सारा जल्दी से अपने चेहरे का भाव नियंत्रण में लायी।

    जब माया ने दरवाजा खोला, उसने आदर्श को देखा। वह कहने ही वाली थी कि मिस बड़े भाई की चोट के लिए चिंता कर रही हैं, तभी आदर्श ने उसे एक घास की पत्ती फेंकी और ठंडे स्वर में कहा, “बड़े भाई ने उस मूर्ख को यह बाहरी चोट ठीक करने के लिए दी!”

    यह सारा का ही क्षेत्र था। माया के अलावा कोई नहीं था। माया तुरंत भौंहें तान बैठी। “आप किसे मूर्ख कह रहे हैं!”

    “बताओ कौन है मूर्ख?”

    “तुम!”

    माया इतनी गुस्से में लाल हो गई, लेकिन वह सारा और समीर के बीच संबंध खराब नहीं करना चाहती थी, इसलिए उसने मुड़कर मुस्कुराते हुए कहा, “मिस, जल्दी देखिए यह क्या है! बड़े भाई ने आदर्श को भेजा है ताकि यह आपकी चोट ठीक करे। इसमें ज़रूर बेहतरीन औषधियाँ हैं!”

    सारा ने ब्लड क्लॉटिंग ग्रास (रक्त रोकने वाली घास) को चूमा, और उसकी आँखों में आँसू भर आए। अपने पिछले जीवन में, क्योंकि उसके बड़े भाई ने इस घास का इस्तेमाल अपनी चोटों के इलाज के लिए नहीं किया, उसे गौरव ने मार्शल आर्ट्स प्रतियोगिता में चुपके से नुकसान पहुँचाया था। उसके कई पसलियाँ टूट गई थीं और जनरल की पोस्ट भी खो बैठा था।

    वह हमेशा उसे सबसे अच्छा देता था, लेकिन वह हमेशा उसे चोट पहुँचाती और निराश करती रही।

    सारा ने अपनी आँखों के कोनों को पोंछा और आँखें बंद करके मेडिसिन किंग घाटी में प्रवेश किया। उसने कुछ ब्लड क्लॉटिंग ग्रास की पत्तियाँ चुनीं और कुछ दुर्लभ जड़ी-बूटियाँ मिलाकर दो बोतल हीलिंग मरहम तैयार की, जिसे समीर को भेजना था।

    समीर का आँगन उसके दादा जी के पास था। वहाँ एक सुनहरी पट्टिका लगी थी, जिस पर सम्राट द्वारा “अथांग गार्डन” लिखा हुआ था। एक युवा और प्रसिद्ध जनरल को वीर होना चाहिए था, लेकिन उसकी वजह से वह यहाँ आराम कर रहा था।

    सारा पहले ही अपने दिल में लाखों बार अपराधबोध महसूस कर चुकी थी।

    वह दवा लेकर आँगन में गई। आँगन की रखवाली कर रहे नौकर ऐसा दिख रहे थे जैसे उन्होंने भूत देखा हो। कुछ लोग डंडा लेकर खड़े थे ताकि वह फिर से समीर को नुकसान न पहुँचाए।

    सारा उनकी हरकतों की परवाह किए बिना समीर के कमरे की ओर बढ़ी।

    आदर्श को खबर मिल चुकी थी और वह पहले ही समीर के रास्ते में तलवार उठाकर खड़ा था।

    जब उसने सारा को देखा, आदर्श का चेहरा ठंडा हो गया और उसकी आँखों में घृणा भर गई। “बड़ा भाई सो रहा है। वह यहाँ नहीं है। हट जाओ!”

    सारा ने सिर झुकाया। आदर्श केवल इसलिए उससे परेशान था क्योंकि वह अपने भाई के प्रति वफादार था। उसका स्वर अपराधबोध से भरा था। “मैं सिर्फ अपने भाई से मिलने आई हूँ। कृपया जाकर पूछिए कि वह मुझसे मिलना चाहते हैं या नहीं।”

    आदर्श ने ठंडी नाक सिकोड़ी ।

    वह आम तौर पर सारा को सबसे ज्यादा नापसंद करता था। समीर की बहन होने के नाते, वह बचपन से ही बेवकूफ रही थी। जब तक समीर उसकी देखभाल नहीं करता, रागिनी उसे उकसाती रहती। लेकिन, जब समीर बड़ा हुआ, उसे और भी चीज़ें करनी थीं। उसे साहित्य सीखना था, मार्शल आर्ट्स अभ्यास करना था और रणभूमि में लड़ना था। वह कैसे हर समय उसकी देखभाल कर सकता था?

    समीर कुछ सालों तक वापस नहीं आया, और सारा रागिनी के हाथों गुलाम बन गई। उसने आँगन में सब कुछ सुना। न केवल वह समीर के करीब नहीं आई, बल्कि उसने रागिनी और अपने भाई की मदद से उसे कई बार नुकसान पहुँचाया।

    आदर्श चाहता था कि सारा का दिमाग खुल जाए और देखा जाए कि उसके अंदर क्या है।

    इस समय, भले ही सारा कह रही थी कि वह समीर से मिलने आई है, आदर्श उस पर विश्वास नहीं करता था।

    उसने आँखें घुमाईं। “हमारा बड़ा भाई आपकी दया स्वीकार नहीं कर सकता। कौन जानता है कि आप फिर से उसके लिए किस तरह का जहर लेकर आ रही हैं!”

    सारा ने मुट्ठियाँ बंद कीं और धीमी आवाज में कहा, “मैं अपने भाई को नुकसान नहीं पहुँचाऊँगी। अगर उसे थोड़ी भी चोट हुई, तो आप मेरे साथ जो चाहें कर सकते हैं।”

    उसकी आँखों में दृढ़ संकल्प देखकर आदर्श बहुत हैरान हुआ। सारा आमतौर पर घमंडी और तानाशाह होती थी। अब वह किस तरह की चाल चला रही थी?

    जैसे ही वह सोच रहा था, कमरे से एक कमजोर आवाज़ आई। “आदर्श, उसे अंदर आने दो।”

    “भाई…”

    यह गर्म और मधुर स्वर सारा की आँखों में आँसू भर गया।

    वह अधीरता से दरवाजा खोलकर अंदर गई। कमरे में दवा और खून की गंध फैली थी।

    समीर जरूर गंभीर रूप से घायल था और बहुत खून खो चुका था!

    सारा तेजी से बिस्तर की ओर दौड़ी। समीर उठकर बैठने की कोशिश कर रहा था, लेकिन जब उसने सारा को देखा, उसने मजबूरी से मुस्कुराया। “बहन, तुम यहाँ हो।”

    “भाई…” सारा आँसुओं के साथ पास आई। जैसे ही उसने समीर का हाथ पकड़ा, उसे लगा कि उसका पुनर्जन्म असली है।

    उसकी नज़र उसके सुंदर भौंहों, खूबसूरत आँखों और उसकी आँखों में प्यार पर गई। ऐसा लगा जैसे बंधी हुई रोशनी की लहरें उसे घेरे हुए हों।

    सारा ने मरहम निकाली, और उसकी आँखों में माफी की भावना थी। “भाई, तुम इतनी गंभीर चोट में हो और फिर भी मुझे ब्लड क्लॉटिंग ग्रास दिया। यह मरहम मैंने ब्लड क्लॉटिंग ग्रास से बनाई है। इसे इस्तेमाल करो, तुम्हारी चोट जल्दी ठीक होगी।”

    “लेकिन तुम्हारी चोट का क्या?” समीर ने भौंहें चढ़ाईं और उसके सुंदर चेहरे पर चिंता की झलक आई। “अगर मैं देर से नहीं सुनता, तो निश्चित रूप से पिता तुम्हें फिर से नहीं मारते। यह ब्लड क्लॉटिंग ग्रास बाहरी चोट के इलाज में बहुत अच्छी है। बहन, तुम वापस जाकर अपनी चोट ठीक करो। मैं ठीक हूँ।”

    समीर का दिल दुखता था और वह उदास था। उसका खून उबल पड़ा और वह तुरंत जोर से खाँस पड़ा।

    “भाई, तुम गंभीर रूप से घायल हो और फिर भी कहते हो कि सब ठीक है? मुझे चोट नहीं लगी। और मैंने पहले ही मरहम लगा दिया है। देखो।” सारा ने अपनी आस्तीनें ऊपर उठाईं। उसके गोरे और नाजुक हाथ पर चोट का निशान पहले ही लगभग गायब हो गया था। ब्लड क्लॉटिंग ग्रास का असर बहुत अच्छा था।

    समीर ने उसका हाथ पकड़ा, लेकिन उसके दिल में गुस्सा उमड़ पड़ा। “पिता सही और गलत नहीं जान सकते। यह बहुत ज्यादा है!”

    आगे इस कहानी में क्या होगा जाने के लिए बने रहे मेरे साथ और पढ़ीए  मेरी इस दिलचस्प कहानी को ......

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  • 4. Rebirth phoneix 🐦‍🔥 queen deep in love - Chapter 4

    Words: 1501

    Estimated Reading Time: 10 min

    “भाई, गुस्सा मत होइए। जल्दी से दवा लगाइए!” सारा डर के मारे फिर से उसे भड़का न दे, इसलिए जल्दी-जल्दी उसे कहने लगी।

    समीर ने उसके हाथ में रखी दवा को देखा, फिर उसकी आँखों में देखा, लेकिन वह थोड़ा हिचकिचा रहा था।

    आदर्श तुरंत समीर के हाथ से दवा छीनकर सारा की ओर चौकस चेहरा बनाकर देखते हुए बोला, “बड़े भाई, इसे मत लगाइए! इस दवा में कोई जहर हो सकता है। अगर आपकी चोट सड़ गई तो क्या होगा? और अगर आप अपाहिज हो गए तो?”

    “चुप रहो!” समीर ने ठंडी दृष्टि से उसे डांटा।

    “भाई, मैंने तो कुछ गलत नहीं कहा! क्या पिछले कुछ सालों में इस बहन ने आपको नुकसान नहीं पहुँचाया? अगर वह न होती, तो क्या आप इतनी गंभीर चोटिल होते? आप तो बड़े उदार हैं। जो रक्त जमाने वाला हर्ब आपके लिए मान्यवर ने दिया, आप उसे आसानी से उसे दे देते हैं। मुझे तो लगता है कि आपकी निर्दयी बहन ने उसमें कुछ मिलाकर आपको नुकसान पहुँचाने की कोशिश की है!”

    “मैंने ऐसा नहीं किया!”

    सारा ने अपने हाथ पर मरहम लगाई और फिर समीर की ओर मुड़ी। “भाई, चिंता मत कीजिए। अगर मैंने आपको फिर से कोई दवा दी, तो मैं भयानक मौत मरूंगी!”

    “ऐसा मत कहो। मैं इसे लगाऊँगा।”

    समीर ने उसे कमरे के बाहर रुकने को कहा और आदर्श की मदद से दवा लगाई।

    जब सारा फिर से अंदर गई, आदर्श की आँखें almost बाहर निकलने वाली थीं। उसके शरीर के हर बाल पर उसकी नाराज़गी झलक रही थी।

    सारा ने नज़रअंदाज़ किया और दिल पर नहीं लिया। उसने समीर के बिस्तर के पास दो नई दवाओं की बोतलें रख दीं। “भाई, आप एक युवा जनरल हैं, इसलिए ये दवाएं हमेशा आपके पास होनी चाहिए। अगर कम पड़ जाए, तो किसी को भेजकर मुझे बताइए। मैं सुनिश्चित करूंगी कि आप पूरी तरह ठीक हों। हाँ, उम्मीद है कि आप कभी घायल न हों।”

    उसकी जीवंत आँखों में चमक थी, और समीर का दिल बेहद गर्म हो गया।

    अधिकतर समय, वह सारा की चाल में नहीं फंसते थे और उसकी मंशा को देख भी लेते थे।

    लेकिन जब भी वह उसे खुश देखता, तो हड्डियाँ और मांस तक टूटने के बावजूद कुछ भी करने को तैयार हो जाता।

    वह अपनी बहन को हर समय सुरक्षित नहीं रख सकता था, इसलिए बस उसे खुश देखने की पूरी कोशिश करता।

    सारा ने अब समीर की देखभाल में बाधा नहीं डाली। जब उसने देखा कि वह दवा लगा चुका है और वापस चला गया, आदर्श पीछे से अपनी आँखें घुमाते रहे। “दयालु बनने का नाटक, लेकिन तुम तो अशुभ हो!”

    सारा ने पलटकर उसकी ओर देखा। उसकी आँखें नंगे तलवार जैसी तेज थीं!

    आदर्श तुरंत साँस रोक लिया।

    लेकिन यह केवल एक पल के लिए था, फिर सारा की आँखों में शांति लौट आई। उसने हल्का झुककर कहा, “पहले मैं जल्दबाज़ थी और अपने भाई को चोटिल कर दिया। आपके बुरे व्यवहार को समझना चाहिए, लेकिन मैं, सारा, कसम खाकर कहती हूँ कि अब मैं अपने भाई की पूरी सुरक्षा करूंगी और उसे किसी भी चोट से बचाऊंगी!”

    आदर्श की आँखें चौड़ी हो गईं। “क्या?”

    क्या उसने गलत सुना?

    सारा कह रही थी कि वह बड़े भाई की सुरक्षा करना चाहती है?

    क्या वह पागल हो गई थी?

    आदर्श जल्दी दौड़े और समीर से पुष्टि करने को कहा।

    लेकिन समीर बिस्तर पर झुकते हुए भौंहें चढ़ा रहा था।

    “इन दो दवाओं की बोतलों में निश्चित रूप से केवल एक रक्त जमाने वाला हर्ब नहीं है। और भी कई कीमती औषधीय जड़ी-बूटियाँ हैं।”

    उसका चेहरा गंभीर था। हालांकि सारा में थोड़ी चिकित्सा प्रतिभा थी, लेकिन उसके पास जो पैसा था, वह अक्सर रागिनी ले लेती या पिता को खुश करने के लिए गिफ्ट खरीदने में इस्तेमाल करती। वह ज्यादा रक्त जमाने वाला हर्ब नहीं खरीद सकती थी, और न ही ये औषधीय जड़ी-बूटियाँ।

    फिर उसने यह दवा कैसे प्राप्त की?

    सारा अभी अपने आंगन में वापस आई थी कि हर्षवर्धन सिंग ने माया को पकड़ लिया और हजार साल पुरानी जिनसेंग लेने के लिए मजबूर किया।

    “सारा, मैं सच में तुमसे निराश हूँ! रागिनी ने तुम्हारे साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया, भले ही तुमने उसे तेज बुखार दिया, फिर भी उसने तुम्हारे लिए प्रार्थना की! तुम चुपके से फार्मेसी गई और हजार साल पुरानी जिनसेंग ले आई। क्या तुम उसे जानबूझकर मारने की कोशिश कर रही हो?”

    हर्षवर्धन सिंग ने सारा की ओर इशारा किया और उसे डाँटते हुए कहा, जैसे सामने खड़ी लड़की उसकी जैविक बेटी नहीं बल्कि दुश्मन हो।

    सारा का चेहरा शांत था, और उसका स्वर भी स्थिर। “हजार साल पुरानी जिनसेंग दादाजी को सम्राट ने दी थी। पिताजी, क्या आप रागिनी को देना चाहते हैं?”

    “क्या हुआ? क्या इसे अकेले रखना चाहते हो? रागिनी मेरी बेटी है, तुम्हारी वास्तविक बहन है, और सिंग परिवार का खून  है। क्या वह इसका उपयोग नहीं कर सकती? जल्दी से जिनसेंग सौंपो!” जैसे कि उसे डर था कि सारा खुद के लिए जिनसेंग न ले ले। हर्षवर्धन सिंग ने आते ही सारा के कमरे की तलाशी ली, लेकिन कुछ नहीं मिला।

    उसकी दृष्टि सारा पर पड़ी।

    सारा ने हर्षवर्धन सिंग की ओर उपहासपूर्ण नजरों से देखा। यह वही पिता था जिसे उसने सालों तक सम्मान दिया। वह छोटी उम्र में मां को खो चुकी थी और अपने माता-पिता के प्यार को सबसे ज्यादा महत्व देती थी। वह चाहती थी कि हर्षवर्धन सिंग उसे प्यार करे और सुरक्षित रखे। जब उसने देखा कि वह रागिनी को ज्यादा ध्यान दे रहे हैं, तो उसने पूरी कोशिश से उसे खुश किया, ताकि पिता का कुछ कमतर प्यार रागिनी के लिए मिल सके।

    लेकिन उसने उसे कैसे व्यवहार किया?

    पहले, उसने मां के साथ उनका विश्वास तोड़ा, फिर रागिनी के साथ मिलकर दादाजी को मारने की साजिश की, और फिर उसके भाई पर देशद्रोह का आरोप लगाया, सभी को नरक में धकेल दिया।

    फिर हर्षवर्धन  मैंशन में बैठते, और अपनी इच्छानुसार महिलाओं और बच्चों को गले लगाते!

    “भाई और मैंने जिनसेंग इस्तेमाल कर लिया। पिताजी, आप दूसरी खोजिए!”

    सारा के होंठों पर उपहास की मुस्कान थी। जैसे उम्मीद थी, उसने देखा कि हर्षवर्धन सिंग गुस्से में थे। “क्या कहा? तूम  दोनों… तूम  दोनों ने जिनसेंग इस्तेमाल कर लिया? रागिनी का क्या होगा?”

    “क्या मजाक है! भाई और मैं इसका उपयोग क्यों नहीं कर सकते? हम तो सिंग परिवार के वास्तविक बच्चे हैं। रागिनी कौन है? कैसे किसी अनाम अवैध बेटी को सम्राट द्वारा दिया गया जिनसेंग मिल सकता है?” सारा का स्वर दबंग था, और उसकी आभा तलवार जैसी तेज।

    हर्षवर्धन सिंग की दृष्टि क्रूर थी। वह सच में सारा के शब्दों का जवाब नहीं दे पा रहे थे!

    क्योंकि बुजुर्ग ने अनुमति नहीं दी थी, इसलिए वह शालिनी से विवाह नहीं कर सकते थे। रागिनी और उसका भाई भी मैंशन में कोई स्थिति नहीं रखते थे।

    लेकिन पहले, सारा हमेशा उनकी बात मानती थी। अगर वह कुछ भी चाहते थे, वह उसे देने के लिए तैयार रहती थी। अब, उसने जिनसेंग इस्तेमाल कर लिया और इतनी जिद्द दिखा रही थी।

    संदेह उसके दिल में उठ रहा था, लेकिन जब उसने याद किया कि रागिनी अभी भी बिस्तर पर है, तो उसका स्वर नरम हो गया। “पिताजी जानते हैं कि आप आज संतुष्ट नहीं हैं, लेकिन पहले आपने रागिनी को नुकसान पहुँचाया। मैं आपको सजा कैसे न दूँ? गुस्सा हो, तो भी खत्म कीजिए। जल्दी से जिनसेंग निकालिए! आप और आपके भाई इसे खत्म कैसे करेंगे?”

    “अगर मैं कहूँ कि खा लिया, तो खा लिया!”

    सारा ने हर्षवर्धन सिंग की मनाने की कोशिश को अनदेखा किया। उसने माया को कमरे में खींचा और दरवाजा बंद कर दिया।

    हर्षवर्धन सिंग आंगन में चिल्लाए, फिर मैंशन से बाहर दौड़े और जिनसेंग की तलाश में निकल गए।

    सारा ने सुना कि हर्षवर्धन सिंग सभी बड़े मेडिकल स्टोर गए, लेकिन केवल सौ साल पुराना छोटा जिनसेंग ही मिला।

    जब माया ने यह सुना, तो उसका छोटा चेहरा फूल गया। उसने सारा पर नाराज़गी जताई, “हषवधन बहुत पक्षपाती है! उन्हें मिस पर कोई फर्क नहीं पड़ा, लेकिन मिस रागिनी की इतनी चिंता की। जो लोग नहीं जानते, वे सोचेंगे कि मिस रागिनी ही सिंग परिवार की वास्तविक बेटी है!”

    “क्या रागिनी हमेशा यह नहीं कहती कि वह सिंग परिवार की बेटी है और उसकी परवरिश और शिष्टाचार मुझसे बेहतर है?” सारा के होंठों के कोने उपहासपूर्ण मुस्कान में मुड़ गए। उसने कलाई का पट्टा कस लिया।

    “मिस, इतनी रात हो गई। क्या आप अभी भी बाहर जा रही हैं? क्या आप मेरे लिए वह दवा लाने जा रही हैं? अब जब वह छीन ली गई है, तो छोड़ दीजिए। मुझे अब इसकी जरूरत नहीं। मिस, मैं नहीं चाहती कि आप घायल हों!” माया ने जल्दी से सारा को रोका, सोचते हुए कि यह सब उसकी ज्यादा बोलने की वजह से हुआ। उसने दिन में सारा से कहा था कि जब हर्षवर्धन ने कमरे की तलाशी ली, तो उसने वह दवा ले ली थी।

    अगर सारा अब इसे लेने जाती, तो शायद उसका नुकसान हो जाता।


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  • 5. Rebirth phoneix 🐦‍🔥 queen deep in love - Chapter 5

    Words: 1483

    Estimated Reading Time: 9 min

    “पगली लड़की, माँगने से अच्छा है कि फिर से बना लो। वैसे भी मेरे भाई को भी दवा चाहिए। मुझे जाकर और जड़ी-बूटियाँ तोड़नी होंगी।” सारा ने उसके सिर पर हाथ फेरकर उसे ढाँढस बंधाया, लेकिन असल में उसके मन में कुछ और ही योजना थी।

    वह फुर्तीली थी और अगर वह चुपचाप हवेली से निकलती तो किसी को पता भी न चलता। लेकिन उसने जानबूझकर मुख्य दरवाज़े से बाहर निकलना चुना ताकि चौकीदार उसे देख ले और जाकर हर्षवर्धन सिंग और रागिनी को खबर दे दे।

    उसने जिंनसेन  किंग घाटी से इतनी सारी खून रोकने वाली जड़ी-बूटियाँ निकाल ली थीं, यह किसी को भी शक में डाल सकता था। इसलिए वह जानबूझकर ऐसे दिखा रही थी मानो सच में जड़ी-बूटियाँ तोड़ने जा रही हो।

    सारा ने अपने कदम जानबूझकर धीमे कर दिए। जैसे ही हर्षवर्धन हवेली के लोग उसके पीछे आए, वह शहर के बाहर पहाड़ की तरफ भागी। दो बार घूमते ही उसने उन्हें चकमा दे दिया।

    दोनों नौकर एक-दूसरे को देखने लगे।
    “कहाँ गई? बड़ी बेटी कहाँ चली गई?”

    “मैं तुमसे ही पूछ रहा हूँ! मैंने कहा था न उस पर नज़र रखो, और तुमने उसे खो दिया। अब जाकर मालिक को कैसे मुँह दिखाओगे?”

    सारा ने देखा कि दोनों नौकर चले गए, तो उसके होंठों पर हल्की सी मुस्कान आई। वह जिनसेन घाटी में जाने ही वाली थी कि तभी एक तेज़ हवा चली।

    “शूँऽऽऽ!”

    एक तीर की आवाज़ हुई, सारा तुरंत मुड़ी और झुक गई। पीछे एक जंगली भेड़िया गिरा और दो बार चिल्लाने से पहले ही मर गया।

    सारा ने तीर चलने की दिशा में देखा तो पास ही एक लंबा आदमी खड़ा था।

    सारा ने हैरानी से पूछा, “तुमने मेरी जान बचाई?”

    दूसरे आदमी ने अभी कुछ कहा भी नहीं था कि सारा ने एक और छाया देख ली।

    उसे कभी अंधेरे या भूतों से डर नहीं लगा, लेकिन उस शख़्स के आने से उसका पूरा शरीर काँप गया। एक अनजाना दबाव उसकी तरफ बढ़ा।

    उस आदमी के पतले होंठ हल्के से खुले और उसकी गहरी, भारी आवाज़ में अजीब सा आकर्षण था।
    “सारा।”

    उसने उसका नाम बिल्कुल सही लिया।

    सारा ने तुरंत सोचना शुरू कर दिया—आख़िर उसने कौन-से बड़े आदमी को नाराज़ किया है?

    पहले, जब वह रागिनी के इशारे पर चलती थी, उसने कई बड़े लोगों को नाराज़ किया था। यही उसकी पिछली ज़िंदगी की दुखद मौत का कारण भी बना था।

    चाँदनी की मदद से सारा ने उसे गौर से देखा। असली शक्ल भले साफ़ न दिखी हो, लेकिन उसके नक्श बहुत तीखे और बेहद परफ़ेक्ट थे। वह ज़रूर बहुत हैंडसम होगा!

    रावेरी शहर में सबसे हैंडसम आदमी था सातवाँ राजकुमार—राहूल

    वह उसे जानता था, तो क्या वह वही है…?

    “सातवें राजकुमार?”

    यह सुनते ही उस आदमी का ग़ुस्सा भड़क उठा। उसकी ठंडी, गहरी आवाज़ खून की प्यासी लग रही थी।
    “फिर से कहो!”

    “नहीं कहूँगी।” सारा ने अपनी गर्दन सिकोड़ ली। यह आदमी बहुत डरावना था। वह सातवें राजकुमार को और नाराज़ नहीं करना चाहती थी। वह पलटी और भागना चाहती थी.

    लेकिन वह आदमी पहले ही उसकी हर हरकत भाँप चुका था। उसने आसानी से उसे पकड़ लिया और यहाँ तक कि उसे कसकर अपनी बाँहों में भर लिया। सारा को लगा मानो उससे कुछ छीन लिया गया हो।

    जब वह भागकर रोशनी में पहुँची तो वह आदमी, जो अचानक ग़ुस्से में आया था, ग़ायब था। उसकी कमर से बँधी जेड की ताबीज़ भी ग़ायब थी।

    “चोर?”

    सारा ने दाँत भींचे। काश, वह दोबारा उससे न टकराए। वरना वह उसकी खाल उधेड़ डालेगी!

    नवें राजकुमार की हवेली

    अगर अश्वत ने अपनी आँखों से न देखा होता तो कभी यक़ीन न करता कि उनके महाराज, जो पिछले तीस साल से किसी औरत के पास तक नहीं गए, खुद एक लड़की की ताबीज़ चुरा लाए।

    अगर अच्छा कहें तो यह एक ‘रोमांचक हरकत’ थी, लेकिन सच कहें तो…

    “महाराज, राजमहल में हज़ारों जेड ताबीज़ हैं, आपने कभी उन पर ध्यान तक नहीं दिया। तो फिर सिर्फ़ सारा की ताबीज़ ही क्यों चाहिए आपको?” अश्वत सारी रात यह सवाल दबाकर नहीं रख पाया।

    यह तो बहुत चौंकाने वाली बात थी!

    रेयांश की बैंगनी पोशाक बिना हवा के भी लहरा रही थी। उसकी आँखों में एक खतरनाक आकर्षण था। उसने अपने लंबे, सुडौल हाथों से ताबीज़ उठाई और भारी, गहरी आवाज़ में कहा—
    “क्योंकि यह सारा की है। उसने खुद मुझे उकसाया है।”

    अश्वत चुप हो गया।

    महाराज, क्या आपको यक़ीन है कि आपने ही उसे उकसाया नहीं?

    सिंग  हवेली

    दोनों नौकर ने आकर हर्षवर्धन सिंग को बतायि कि वे सारा को खो बैठे।

    हर्षवर्धन सिंग ग़ुस्से से चिल्लाए—
    “नालायक! एक लड़की पर नज़र नहीं रख सकते, तुम लोगों को रखकर क्या फ़ायदा!”

    “पिताजी…”

    बिस्तर पर लेटी रागिनी की आवाज़ बहुत धीमी थी, उसका नाज़ुक चेहरा पीला और कमज़ोर लग रहा था।
    “दीदी शायद मेरे लिए ही जड़ी-बूटियाँ तोड़ने गई होंगी। पिताजी, उन्हें ग़लत मत समझिए। जब दीदी वापस आएँ तो उन्हें प्यार से समझाइए।”

    “पागल हो क्या? मेरी भोली बेटी, वह हज़ार साल पुरानी जिनसेंग खा गई, जिसकी वजह से तुम बिस्तर पर पड़ी हो और ठीक भी नहीं हो पा रही, फिर भी तुम उसके लिए अच्छा बोल रही हो!” हर्षवर्धन सिंग ने अपनी लाड़ली बेटी को देखा और उनके दिल में काँटे चुभे।

    क्यों उन्होंने उस सारा को मारा नहीं?

    अगर पहले ही उसे मार डाला होता, तो क्या वह आज ज़िंदा रहकर जिनसेंग खा जाती? और उसने तो सब खा लिया, रागिनी के लिए कुछ छोड़ा भी नहीं!

    सोचकर ही उनका ख़ून खौल गया।

    रागिनी की आँखों में एक चमक आई। अब तक सारा हमेशा उनकी बात मानती थी। कभी ग़ुस्सा करती तो भी वह अपने पिता की ताक़त का डर दिखाकर उसे दबा देती थी। लेकिन अब उसने उसे तीन बार पानी में धकेला और ऊपर से घर की सबसे कीमती जिनसेंग भी खा गई। कितनी घटिया लड़की है!

    वह ज़रूर उससे सबकुछ निकलवाकर वापस लेगी!

    इस हवेली में वह हर्षवर्धन सिंग की आँखों का तारा थी। यहाँ कोई यह कहने की हिम्मत नहीं कर सकता था कि वह असली बेटी नहीं है। और सारा? वह तो नालायक थी, जो असली बेटी कहलाने लायक भी नहीं थी!

    “पिताजी, मुझे यक़ीन नहीं होता कि दीदी ऐसी होंगी। अगर उन्होंने सच में जिनसेंग खा ली हो, तो भी… मैं कोई शिकायत नहीं करूँगी।”
    रागिनी की आँखों से आँसुओं की दो बूँदें गिरीं और उसका गुलाबी-सफेद चेहरा और ज़्यादा बेबस और दयनीय लगने लगा।

    हर्षवर्धन सिंग का ग़ुस्सा और बढ़ गया। अब जब बूढ़े मालिक सीमा पर युद्ध लड़ रहे थे, तो हवेली की ताक़त उनके हाथों में थी। अगर वह सारा को काबू में नहीं रख पाए, तो लोग उनका मज़ाक उड़ाएँगे। और जब बूढ़े मालिक लौटेंगे और अगर सारा पर ज़्यादा ध्यान दिया, तो यह उनकी ताक़त को भी ख़तरे में डाल सकता है। वह किसी भी हाल में यह होने नहीं देंगे।

    सुबह की ओस से भीगी हुई सारा वापस हवेली पहुँची। उसे पता था कि हर्षवर्धन सिंग उसके लिए कुछ अच्छा नहीं सोच रहे होंगे, लेकिन उसने इतना बड़ा तमाशा खड़ा कर देंगे, यह उसने नहीं सोचा था।

    पूरी हवेली के लोग हॉल के बाहर खड़े थे।

    रागिनी भी अपनी बीमार हालत में वहाँ आई थी।

    लेकिन उसका इंतज़ाम बहुत शाही था। कुर्सी पर नरम पंखों वाला गद्दा बिछा था, सफेद लोमड़ी की खाल का कोट ओढ़ाया गया था। यहाँ तक कि उसके बालों में लगी सुनहरी पिन पर भी लाल माणिक जड़े थे। ऐसा लग रहा था मानो वह सचमुच इस हवेली की मालकिन हो।

    हर्षवर्धन सिंग उसकी सेहत को लेकर इतने परेशान थे कि ज़ोर से बोलने की हिम्मत भी नहीं कर रहे थे।

    “दरवाज़े पर क्यों खड़ी है? नालायक बेटी, अंदर आ और घुटनों के बल बैठ जा!”

    नालायक बेटी।

    सारा के होंठों पर हल्की मुस्कान आई। वह सीधी खड़ी होकर सामने आई और बिना हिले-डुले बोली—
    “पिताजी, क्या बात है?”

    “सारा, तुम इस हवेली की बड़ी बेटी होते हुए भी न बहनों से प्यार करती हो, न परिवार को साथ रखती हो। ऊपर से दवा-खाने से जिनसेंग और खून रोकने वाली घास भी चुरा लीं।” हर्षवर्धन सिंग ने छाती पकड़ ली, मानो दिल का दौरा पड़ने वाला हो।

    उन्होंने एक किताब और आधी बोतल दवा उसके सामने फेंक दी।
    “पूरी हवेली जानती है कि दवा-खाने में रखी कई जड़ी-बूटियाँ सेना के लिए हैं। जो भी लेता है, उसे रजिस्टर करना पड़ता है। अगर तुम मनमानी करोगी, तो यह चोरी ही कहलाएगी! इससे हमारी हवेली और हमारे वफ़ादार सिपाहियों की इज़्ज़त कहाँ जाएगी!”

    हर्षवर्धन सिंग ने सबके सामने उसे डाँटा। हवेली में पहले से ही जो लोग सारा को नापसंद करते थे, उनकी नफ़रत और बढ़ गई।

    “यह तो बड़ी बेटी है, फिर भी अपने ही घर की दवाएँ चोरी करती है!”

    “हर्षवर्धन जी, आपको इस बार इसे सख़्त सज़ा देनी ही होगी!”

    “बिल्कुल! ज़रा देखिए तो, हमारी रागिनी को। यही असली बेटी की शान होती है!”


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  • 6. Rebirth phoneix 🐦‍🔥 queen deep in love - Chapter 6

    Words: 1402

    Estimated Reading Time: 9 min

    जब रागिनी ने यह चर्चा सुनी तो उसके होंठ संतोष से ऊपर उठ गए।
    यही तो वो चाहती थी!

    सारा पहली बेटी कहलाने के लायक नहीं थी!

    सारा ने दवाई की शीशी उठाई और रजिस्टर देखा। फिर उसने बंधी हुई माया पर नज़र डाली और समझ गई कि हर्षवर्धन सिंह दवा के बहाने उसे मुश्किल में डालना चाहता है।

    वो हँसते हुए बोली, “पिता जी, क्या आपको पता है चोरी किसे कहते हैं?”

    उसका आत्मविश्वासी और न झुकने वाला रवैया देख हर्षवर्धन सिंह गुस्से से भर उठा।
    “तुमने बिना पूछे जड़ी-बूटियाँ लीं और उनका हिसाब भी नहीं लिखा। ये चोरी है! ऊपर से तुमने जिनसेंग और ब्लड क्लॉटिंग ग्रास भी ले लिया, जो बहुत कीमती हैं!”

    सारा ठंडी हँसी के साथ बोली—
    “पहली बात, मैंने ब्लड क्लॉटिंग ग्रास चोरी नहीं किया। दूसरी बात, जिनसेंग हवेली की दवाई की कोठरी का नहीं था, वो तो दादाजी ने मुझे दिया था। उसका हिसाब इस किताब में लिखा ही नहीं है, बस वहाँ रखा था। तो जब मैंने अपनी ही चीज़ ली, तो आपने मुझे डाँटा किस हक से?”

    सारा ने अपनी जेब से कुछ ब्लड क्लॉटिंग ग्रास निकालकर दिखाया।
    “पिता जी, ये माया को दी गई दवाई है। इसमें ब्लड क्लॉटिंग ग्रास है, लेकिन ये मैं खुद पहाड़ पर चढ़कर तोड़कर लाई हूँ। ये पौधा चट्टानों के किनारे उगता है, जिसे तोड़ना जान जोखिम में डालने जैसा है। यही वजह है कि ये अनमोल है। मैंने अपनी जान जोखिम में डालकर ये तोड़ा, और आप इसे चोरी कह रहे हैं? मैं ये मानने से इनकार करती हूँ!”

    उसकी तेज़ आवाज़ पूरे हॉल में गूँज गई, जैसे सबके दिलों पर हथौड़ा पड़ गया हो।

    हर्षवर्धन सिंह के माथे पर ठंडा पसीना छलक आया।


    ---

    अथांग गार्डन

    समीर ने सारा की दवाई ली और सिर्फ एक दिन में बहुत ठीक हो गया। उसने बिस्तर से उठकर चलने की कोशिश की।

    आँगन में कोई नहीं था, बस आदर्श दवा लेकर आया था। जब उसने देखा कि समीर चल पा रहा है, तो हैरानी और खुशी से भर गया।
    “यंग मास्टर, आप इतनी जल्दी ठीक हो गए!”

    समीर भी खुश था। “मेरी बहन की दवाई कमाल की है। मैं आज उससे मिलना चाहता हूँ।”

    समीर को हमेशा से शक था कि सारा की दवाइयाँ लाना आसान नहीं होगा। अगर वो किसी मुसीबत में फँस गई, तो वो पहले से जानकर उसकी मदद करना चाहता था।

    आदर्श ने उसे रोकने की कोशिश की और नज़रें चुराईं।
    “यंग मास्टर, आपको और आराम करना चाहिए। उस झंझट में मत पड़िए।”

    समीर ने उसका हाथ पकड़कर गुस्से से पूछा—
    “क्या मतलब है तुम्हारा? मेरी बहन को क्या हुआ? वो कहाँ है?”

    आदर्श झिझकते हुए बोला,
    “हॉल में… मास्टर उसे सबक सिखा रहे हैं। उसने दवाई की कोठरी से जड़ी-बूटियाँ चुरा लीं…”

    आदर्श ने मन ही मन आह भरी। उसे लगा सारा सच में बेवकूफ है। समीर को दवा देना ठीक था, पर फिर से मुसीबत मोल क्यों ली?

    समीर झटपट भागा, उसकी बीमार हालत के बावजूद। आदर्श पीछे से चिल्लाया,
    “यंग मास्टर धीरे! आपके अंदर और बाहर दोनों चोटें ठीक नहीं हुईं। उसकी फिक्र मत कीजिए। वो बेवकूफी कर ही बैठती है… अरे, यंग मास्टर!”




    समीर को डर था कि सारा को फिर से हर्षवर्धन सिंह डाँटेंगे या मारेंगे। लेकिन जब वो पहुँचा, तो उसने देखा कि सारा हॉल के बीचोंबीच सीधी खड़ी है।

    उसकी साफ़ आवाज़ सबको सुनाई दी—
    “ये सिंग हवेली सचमुच सख़्त है। मैं हवेली की पहली बेटी हूँ, इसलिए हमेशा उदाहरण पेश करती हूँ। इसी वजह से मैं कभी भी कोठरी की कीमती दवाइयाँ इस्तेमाल नहीं करती। चाहे पिता जी ने मुझे पीट-पीटकर घायल कर दिया हो, फिर भी मैं अपनी जान जोखिम में डालकर दवाई तोड़कर आई, ताकि खुद को ठीक कर सकूँ।

    लेकिन पिता जी, आप सिंग हवेली के मालिक हैं और दादाजी की गैरमौजूदगी में परिवार के मुखिया हैं। फिर भी आपने हज़ार साल पुराना जिनसेंग अपनी रखैल की औलाद को देना चाहा। और ब्लड क्लॉटिंग ग्रास आपके पहरे में चोरी हो गया! इसकी ज़िम्मेदारी आपकी है!”

    सारा की सफेद बाँह पर पड़ा बड़ा घाव साफ़ दिख रहा था। उसके हर शब्द में सच्चाई और दम था।

    हर्षवर्धन सिंह का चेहरा राख जैसा हो गया। उसकी मुट्ठियाँ कसकर सफेद पड़ गईं।

    ये मानो उसे सबके सामने थप्पड़ मारा गया हो। उसने बस अकड़कर कहा,
    “तो क्या हुआ अगर मैं रागिनी पर तरस खा रहा हूँ? वो तुम्हारी सगी बहन है! तुम बड़ी बहन होकर भी छोटी बहन से इतनी कंजूस हो?”

    सारा ने तुरंत जवाब नहीं दिया, जिससे उसे लगा कि शायद वो दब गई है।

    लेकिन अगले ही पल सारा ने भौंहें उठाईं और ठंडी हँसी के साथ बोली,
    “पिता जी, अपने बच्चों पर तरस खाना ग़लत नहीं है। लेकिन आप भूल रहे हैं कि आपके असली बच्चे सिर्फ मैं और मेरा भाई हैं! बाकी औलादों का तो कोई दर्जा ही नहीं है। तो बताइए, वो मेरी बहन कैसे हुई? और मैं उसे जिनसेंग क्यों दूँ?”

    सारा के ये शब्द रागिनी के दिल पर खंजर की तरह चुभे।
    यही उसकी सबसे बड़ी पीड़ा थी!

    वो जन्म से रखैल की बेटी थी। सालों से उसने ये बोझ झेला, हर कला— संगीत, चित्रकला, शिष्टाचार— में खुद को सारा से बेहतर बनाया। पर फिर भी, सारा का पहला हक़ उससे ऊपर था क्योंकि वो वैध बेटी थी।

    अपमान छुपाने के लिए रागिनी ने अपना लोमड़ी फर का कोट और सोने का पिन उतार दिया। सादे सफेद कपड़े पहनकर धीरे से झुकते हुए बोली,
    “बहन सही कहती है, मैं सच में लायक नहीं हूँ। मेरे कारण बहन और पिता जी को इतनी बड़ी बहस करनी पड़ी। ये मेरी ग़लती है।”

    फिर वो उठी और खंभे से सिर मारना चाहा। मगर दासियाँ रोक लीं, बस हल्की खरोंच आई।

    हर्षवर्धन सिंह का दिल चीर गया। उसने उसे सँभाला और सारा पर गुस्से से चिल्लाया—
    “देखा तुमने क्या किया? अपनी बहन को मेरे सामने सताने की हिम्मत करती हो? जल्दी से ब्लड क्लॉटिंग ग्रास निकालो और उसकी चोट पर लगाओ!”

    उसने नौकरों को आदेश दिया कि सारा से दवा छीन लें।

    सारा की नज़रें बिजली जैसी चमकीं।
    “कौन हिम्मत करेगा!”

    उसकी आँखों से इतनी तेज़ रोशनी निकली कि कोई पास जाने की हिम्मत न कर सका।

    उसने रागिनी पर ठंडी नज़र डाली और बोली,
    “पिता जी, अगर आप उसे ब्लड क्लॉटिंग ग्रास देना चाहते हैं, तो दवाई की कोठरी से ले लीजिए। लेकिन नियम के मुताबिक, कीमती दवा लेने पर उतनी ही कीमत चुकानी पड़ती है। और आपने खुद कहा था कि मैंने ब्लड क्लॉटिंग ग्रास नहीं चुराया, इसका मतलब आप पहरेदारी ठीक से नहीं कर पाए। इसलिए इसकी कमी आपको पूरी करनी होगी। वरना दादाजी को पता चला तो वो आपको निकम्मा मानेंगे कि आप घर की दवा तक नहीं संभाल पाए!”

    ये सुनकर हर्षवर्धन सिंह का खून खौल उठा। बाहर एक डंठल की कीमत तीन हज़ार चाँदी की थी। और पहले ही एक डंठल उसने रागिनी और उसके भाई को दे दिया था। अब भरपाई करनी हो तो दस हज़ार चाँदी खर्च करनी पड़ेगी!

    ये बदमाश लड़की उसे जान-बूझकर कंगाल करना चाहती थी!

    “रुको! तुम्हारे पास तो कुछ है, क्यों न तुम ही अपनी बहन को दे दो?” हर्षवर्धन सिंह दर्द से कराहते हुए बोला।

    सारा ने घायल माया को सँभालकर उसके हाथ में दवा रखी और ठंडे स्वर में बोली—
    “मैंने जो ब्लड क्लॉटिंग ग्रास तोड़ा है, वो बहुत मुश्किल से मिला है। मैं ज़्यादा नहीं दे सकती।”

    रागिनी ने आँसू पोंछते हुए कहा—
    “बहन, मुझे बस एक ही चाहिए। अगर तुम दे दोगी तो मैं तुम्हारी बहुत आभारी रहूँगी।”

    असल में उसे अपने पिता का पैसा बर्बाद करना बर्दाश्त नहीं हो रहा था। क्योंकि वो पैसा उसी, उसकी माँ और भाई का था। ये तो उनका नुकसान था!
    और सारा ने इतने सारे तोड़े थे, तो उसके मन में लालच और बढ़ गया।

    सारा ने लंबी साँस ली।
    “ये माया के लिए भी पूरे नहीं पड़ते। तुम्हारे लिए मेरे पास कुछ भी अतिरिक्त नहीं है।”

    इतना कहकर वो माया को लेकर बाहर निकल गई।

    आँगन में मौजूद सभी लोग ये सुन चुके थे।
    सारा की नज़र में, दूसरी बेटी रागिनी उसकी दासी माया से भी कमतर थी!

    रागिनी का खून गले में अटक गया और वो लगभग बेहोश होते-होते बची।

    “यंग मास्टर?” आदर्श ने धीरे से समीर से कहा,
    “क्या आप अपनी बहन का पक्ष नहीं लेंगे?”

    समीर वहीं खड़ा था, लेकिन…
    वो अब तक चुप क्यों था?

    आगे इस कहानी में क्या होगा जाने के लिए बने रहे मेरे साथ और पढ़ीए  मेरी इस दिलचस्प कहानी को ......

    और अच्छे अच्छे कमैंटस करना ज्यादा से ज्यादा शेयर भी ।
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  • 7. Rebirth phoneix 🐦‍🔥 queen deep in love - Chapter 7

    Words: 1403

    Estimated Reading Time: 9 min

    समीर होश में आया, उसकी आँखें बुझ गईं।
    “उसे अब इसकी ज़रूरत नहीं है।”

    वो असल में उसकी हवेली में जाकर उससे मिलने ही वाला था, लेकिन उसने कहा कि उसे अपनी चोट का इलाज अपनी दासी के साथ करना है। इस समय उसके लिए वहाँ जाना ठीक नहीं था, इसलिए वह अपने ही आँगन में लौट आया।

    लेकिन आदर्श को बड़ा अफ़सोस हुआ।
    “यंग मास्टर, आप अपनी चोट की परवाह किए बिना उसकी रक्षा करते हैं, लेकिन सारा तो आपकी परवाह तक नहीं करती। उसे सच में पता ही नहीं कि उसके लिए अच्छा क्या है!”

    सारा तो बचपन से ही किसी को भाती नहीं थी। अगर यंग मास्टर ने उसे हमेशा बचाया और उसे सिर पर न बिठाया होता, तो उसकी ज़िंदगी बहुत दुख भरी होती।

    “आदर्श।” समीर की आवाज़ ठंडी थी और उसमें एक सिपाही का रौब था।

    आदर्श तुरंत सीधा खड़ा हो गया।
    “यंग मास्टर, मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ?”

    “वो मेरी छोटी बहन है, सिंग हवेली की बड़ी बेटी। तुम्हें उसका नाम लेकर नहीं पुकारना चाहिए!” समीर ने गहरी आवाज़ में डाँटा।

    आदर्श हक्का-बक्का रह गया। वह तो सब यंग मास्टर के लिए ही कर रहा था!

    “जाकर अपनी सज़ा लो। तीस डंडे!”

    “जी!”

    आदर्श को सारा बिल्कुल पसंद नहीं थी, पर उसने कभी समीर का हुक्म नहीं टाला।

    समीर अकेला अपने आँगन में लौट आया। उसकी चोटें गहरी थीं, वह तेज़ नहीं चल पा रहा था। पर यह अंधेरी रात उसे और भी शर्मिंदा कर रही थी।

    अगर उसके पास अपनी बहन के साथ ज़्यादा वक्त होता, अगर वो हर बार समय पर उसके पास पहुँच पाता, तो उसे इतनी बार तंग और कमज़ोर नहीं किया जाता। उसे इस हालत तक नहीं पहुँचना पड़ता कि वह मजबूरी में सख़्त बनकर हवेली के सारे मामले सँभाले।

    जितनी मज़बूत वह बन रही थी, उतना ही अपराधी समीर खुद को महसूस करता था।

    सारा के आँगन में, माया ने अभी-अभी तोड़ी हुई ब्लड क्लॉटिंग ग्रास पकड़ी थी। उसकी आँखें नम थीं, आँसू बहने ही वाले थे।

    “यंग मिस, मेरी वजह से आपको सिंग साहब ने डाँटा। मुझे तो सच में मर जाना चाहिए!”

    सारा ने माया का कॉलर पकड़कर उसे खड़ा किया।
    “इस तरह खुद को दोष देने से मुझे कोई फ़ायदा नहीं होगा। माया, अगर तुम मेरी दासी बनना चाहती हो, तो अपना गुस्सा काबू में रखना होगा और सोचना होगा कि कैसे खुद को और मुझे सुरक्षित रखना है।”

    सारा ने दिल में एक लंबी साँस ली। माया की ये आदत उसी से आई थी। पहले वो खुद भी कमज़ोर और डरपोक थी। अगर कोई उसके बारे में कुछ बुरा कह देता, तो वो तीन दिन तक सोचती रहती। वो झुक जाती, और लोग उसे और भी मूर्ख समझकर रौंदते रहते। अगर उसे सिंग हवेली की असली बेटी का रुतबा दिखाना है, तो उसे मज़बूत बनना होगा।

    इंसान की ताक़त अंदर से आती है। दिल मज़बूत होना चाहिए और हुनर उससे भी मज़बूत।

    उसका तो पहले ही पुनर्जन्म हो चुका था। पिछली ज़िंदगी में उसका नाज़ुक दिल बार-बार कुचला गया था। इस जन्म में वह खुद को एक अटूट दिल वाली बनाएगी, ताकि खुद की और उन लोगों की रक्षा कर सके जिन्हें वह पिछली ज़िंदगी में बचा नहीं सकी।

    और जहाँ तक ताक़तवर हुनर का सवाल है… उसके पास जब मेडिसिन किंग वैली है, तो उसे उसका पूरा इस्तेमाल करना ही होगा!

    सिंग हवेली उसके पिता के काबू में थी और वह हर तरह से बँधी हुई थी। सबसे पहला काम था पैसा कमाना। पैसा होगा तभी वह अपने पिता और रागिनी से टक्कर ले पाएगी।

    सारा और माया ने उसका कमरा टटोला, जैसा सोचा था वैसा ही—कहीं कुछ कीमती नहीं मिला। वह चिढ़ गई।

    माया ने चुपके से उसे देखा और सावधानी से पूछा,
    “मिस, अगर आपके पास पैसे हुए, तो आप उन्हें सिंग साहब और मिस रागिनी को खुश करने में तो नहीं लगाएँगी न?”

    पिछले दो दिन की घटनाओं ने माया को बहुत तसल्ली दी थी। सारा बहुत बदल गई थी।

    लेकिन फिर भी उसे डर था कि कहीं सारा एक पल में फिर से रागिनी के धोखे में न आ जाए।

    सारा ने उसकी पेशानी पर हल्की चपत लगाई।
    “अभी मैंने तुम्हें क्या सिखाया? मेरे पास तो अभी एक तांबे का सिक्का भी नहीं है, तो दूसरों को कैसे दूँ?”

    “अगर होगा तो?”

    “तो मैं सोचूँगी कि और कैसे ज़्यादा पैसा कमाया जाए।”

    माया ने मुँह फुलाया और भागकर एक लकड़ी का डिब्बा उठाकर ले आई।

    सारा ने डिब्बे से एक कॉन्ट्रैक्ट निकाला।
    “क्या माँ ने ये मेडिकल सेंटर मेरे लिए छोड़ा था?”

    माया ने लाल आँखों से सिर हिलाया।
    “ये मैडम की आख़िरी दुकान है। उन्होंने कहा था कि इसे कभी मत बेचना, जब तक जान पर न बन आए।”

    सारा की आँखों में हैरानी चमकी। पिछली ज़िंदगी में तो वह और माया अचानक मारी गई थीं। यानी उसके पास वसीयत थी ही।



    रागिनी के सिर की चोट का इलाज करने के लिए, हर्षवर्धन को मजबूरी में फ़ार्मेसी से ब्लड क्लॉटिंग ग्रास निकालनी पड़ी। लेकिन सारा ने सबके सामने कह दिया कि पैसे चुकाने होंगे, नहीं तो चोरी कहलाएगी!

    ये जाल तो उसने सारा के लिए बिछाया था, पर सारा ने उसी रस्सी से उसका गला घोंट दिया। मजबूरी में उसे फ़ार्मेसी को दस हज़ार ताँबे देने पड़े!

    उसका मन कर रहा था कि सारा की हड्डियाँ चूर-चूर कर दे।

    “पापा, ये सब मेरी गलती है। आपकी इतनी बड़ी रकम बर्बाद हो गई। अगर माँ को पता चला तो वो मुझे ही दोष देंगी कि मैंने आपकी चिंता नहीं की।” रागिनी बिस्तर पर घुटनों के बल बैठकर रोई और बोली।

    हर्षवर्धन का दिल तुरंत पिघल गया। उसने उसे लेटाया।
    “मेरी प्यारी बेटी, ये तो साफ़-साफ़ सारा की गलती है! उसने तुम्हें घास देने से इनकार किया और मुझे हज़ारों ताँबे खर्चने पर मजबूर कर दिया। मैं उसे सबक सिखाने का मौका ज़रूर ढूँढूँगा।”

    हर्षवर्धन को गुस्सा ये था कि सारा, जो हमेशा उसकी मर्ज़ी की गुलाम रही थी, अचानक बदल गई थी। अब वो उसके काबू में नहीं थी, बल्कि पलटकर उसी को जकड़ रही थी। इससे उसे खतरे और डर का अहसास हुआ। वह उसे और बढ़ने नहीं दे सकता था!

    “पापा, कल मेरी कविता सभा थी, लेकिन अब मेरे चेहरे पर चोट है, जाना ठीक नहीं होगा। कृपया किसी को सातवें राजकुमार से माफ़ी माँगने भेज दीजिए और कह दीजिए कि मैंने उनकी मेहरबानी का कद्र नहीं किया।”

    रागिनी की याद दिलाने पर हर्षवर्धन को ख्याल आया कि सारा तो सातवें राजकुमार की दीवानी थी और शादी का रिश्ता सम्राट से माँगने तक की कोशिश की थी।

    सम्राट ने हामी तो भर दी थी, लेकिन हुक्मनामा अभी जारी नहीं हुआ था!

    वो सारा को काबू में नहीं रख पा रहा था, लेकिन सातवें राजकुमार का नाम लेकर दबाव बनाएगा, तो वो उसकी बात मानने पर मजबूर हो जाएगी।

    उसने तुरंत रागिनी का कंधा थपथपाया।
    “मेरी अच्छी बेटी, ये मामला मुझे सौंप दो। तुम आराम करो। मैं सारा को तुम्हें फिर चोट नहीं पहुँचाने दूँगा।”

    रागिनी ने डरपोक चेहरा बनाकर सिर हिलाया, लेकिन उसकी आँखों में चालाकी की झलक थी।

    अगले दिन, सारा अपनी वसीयत वाली दुकान देखने जाने को तैयार थी। मेडिसिन किंग वैली में बहुत सी जड़ी-बूटियाँ थीं। अगर उसके पास मेडिकल सेंटर होगा, तो वह अच्छे पैसे कमा सकेगी। तब वह धीरे-धीरे सिंग हवेली की ताक़त हर्षवर्धन से वापस लेगी और अपने व अपने भाई के दुश्मनों को एक-एक कर खत्म करेगी।

    लेकिन जैसे ही वह हवेली से निकलने लगी, दो सख़्त चेहरे वाले पहरेदारों ने उसे रोक लिया।
    “राजकुमार आपको बुला रहे हैं!”

    “राजकुमार?” सारा ने भौंहें उठाईं। दोनों के कपड़े शाही सिपाहियों जैसे थे। सिंग हवेली तो राजगद्दी की लड़ाई में कभी शामिल नहीं होती थी, किसी राजकुमार से उसका रिश्ता भी न था। लेकिन वे उसे जिस दिशा में ले जा रहे थे, वो थी—रागिनी का सनसेट कोर्ट।

    आँगन में, रेयांश सफेद चाँदनी रंग की पोशाक पहने खड़ा था। उसके गले और बाजू पर उड़ते हुए ड्रैगन के बादल का डिज़ाइन कढ़ा था, जो उसकी पहचान का प्रतीक था। उसकी शख्सियत इतनी शालीन थी कि लोग दीवाने हो जाएँ।

    सारा का दिल धक से रह गया।

    हाँ, पिछली ज़िंदगी में रेयांश ही उसका सपना था। चाहे रेयांश ने कभी उसके साथ अच्छा व्यवहार न किया हो, उसकी आँखें सिर्फ़ उसी से भरी रहतीं।

    एक लड़की की चाहत वाकई दिमाग़हीन और बेवकूफ़ी भरी होती है।


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  • 8. Rebirth phoneix 🐦‍🔥 queen deep in love - Chapter 8

    Words: 1376

    Estimated Reading Time: 9 min

    रेयांश ने उसकी ओर हिकारत और नफरत से देखा।
    सारा ने होंठों को व्यंग्य से मोड़ा।
    “क्या मैं जान सकती हूँ, राजकुमार ने मुझे क्यों बुलाया?”

    रेयांश की एम्बर जैसी आँखों में हैरानी की झलक चमकी।
    बदलापुर में हर कोई जानता था कि सारा उसे चाहती है।
    वो हमेशा उसके सामने झुकी रहती थी, डरती थी कि कहीं उसे नाराज़ न कर दे।
    यहाँ तक कि उसकी ओर ठीक से देखती भी नहीं थी।

    लेकिन अब, वो सिर ऊँचा करके, सीना तानकर, उस पर निगाह डाल रही थी।
    इससे रेयांश बहुत नाराज़ हुआ।
    उसकी आवाज़ हिकारत से भरी थी।
    “सारा, कुछ दिन नहीं मिला और तुम इतनी बदल गई?
    घर में अपने पिता की नहीं मानती, बहन को सताती हो।
    क्या तुम्हें देश के कानूनों की इज़्ज़त नहीं?”

    सारा ज़ोर से हँस पड़ी।
    “राजकुमार, आप मज़ाक कर रहे हैं।
    देश के कानूनों की अहमियत मुझे बखूबी पता है।
    जहाँ तक घर के नियमों की बात है…
    कहीं आप गलत दरवाज़े तो नहीं आ गए?”

    सारा की आँखों की खिल्ली उड़ाती नज़र ने रेयांश को याद दिलाया
    कि यह सिंग  महल है, न कि उसका।
    वो यहाँ आकर उसके घर के नियम सिखाएगा?
    साल का सबसे बड़ा मज़ाक यही था।

    “सारा!”
    रेयांश की आवाज़ ठंडी और गहरी हो गई,
    “क्या तुम मेरी बेइज़्ज़ती कर रही हो?
    रागिनी मेरी अच्छी दोस्त है और मैं  दक्षिणी युद्ध के  हर्षवर्धन सिंग की इज़्ज़त करता हूँ।
    लेकिन अब, तुम उनका ऐसा अपमान करती हो।
    मैं तुम्हें छोड़ूँगा नहीं!”

    “ओह?”
    सारा ने भौंहें उठाईं।
    वो जानना चाहती थी कि आखिर वो क्यों उसे छोड़ने वाला नहीं।

    “अभी घुटनों के बल बैठकर
    हर्षवर्धन सिंग और रागिनी से माफ़ी माँगो,
    तो मैं तुम्हें छोड़ दूँगा।
    वरना मुझसे बेरहमी की उम्मीद मत करना!”

    रेयांश के शब्द बड़े पक्के और धर्मी लग रहे थे।
    अगर सारा एक बार मर चुकी न होती,
    तो शायद हर बात मान लेती।
    लेकिन अब… वो क्यों उसकी सुने?

    पिछले जन्म में, वो रागिनी से मिला हुआ था,
    उसे फुसलाकर हमेशा चक्कर कटवाता रहा।
    यहाँ तक कि उसकी मौत से पहले,
    उसके सामने ही रागिनी के साथ सोया था।

    इस जन्म में, क्यों वो उसकी माने?

    सारा ने ठंडी नज़र से कहा,
    “मैं वो नहीं करूँगी जो राजकुमार ने कहा।
    मुझे और काम हैं,
    तो मैं राजकुमार का साथ नहीं दूँगी।”

    उसका चेहरा सख़्त हो गया।
    रेयांश के सामने रहना समय की बर्बादी थी!
    पुनर्जन्म के बाद का उसका हर पल क़ीमती था।
    उसे किसी कचरे पर क्यों बरबाद करे?

    “सारा, वहीं रुक जाओ!”
    रेयांश ग़ुस्से से गरजा।
    वो तो हमेशा सारा की चाहत का आदी था।
    लेकिन उसने कभी ठंडेपन से उसे नज़रअंदाज़ नहीं किया था।

    उसने धमकाया,
    “अगर तुम आज रागिनी से माफ़ी नहीं माँगती,
    तो यहाँ से जाने का सोचो भी मत!”

    उसके पहरेदार,
    एक आगे और एक पीछे खड़े होकर सारा का रास्ता रोक लिए।

    सारा के होंठ ठंडी मुस्कान में उठे।
    क्या उसके पिता की इजाज़त से बिना,
    वो उसके ही घर में उसे सबक सिखाने आया था?

    “राजकुमार, मत कीजिए!”
    रागिनी हरे कपड़े पहने कमरे से भागती हुई आई।
    उसका शरीर बेंल की तरह लचकदार था,
    दो कदम चलकर सीधे रेयांश की ओर गिर पड़ी।

    रेयांश ने तुरंत उसे थाम लिया,
    उसकी आँखें दर्द से भर गईं।
    “रागिनी, तुम बीमार हो,
    फिर क्यों बाहर आई?
    कमरे में जाओ और आराम करो।”

    “राजकुमार, सब मेरी गलती है।
    अगर आप आज मेरी बहन को सज़ा देंगे,
    तो मैं खुद को कभी माफ़ नहीं करूँगी!
    राजकुमार, प्लीज़ उसे दोष मत दीजिए!”

    रागिनी के नाज़ुक चेहरे पर आँसुओं की दो धार बह निकलीं।
    उसकी भौंहों के बीच लगा सिंदूरी टीका
    और भी मनमोहक लग रहा था।

    रेयांश ने उसे गले लगाया और भावुक हुआ।
    लेकिन उसके दिल में,
    सारा के लिए नफ़रत और बढ़ गई।

    “सारा, देखो रागिनी तुम्हारे लिए कितनी अच्छी है।
    बीमार होते हुए भी, वो तुम्हारे लिए दया की गुहार लगा रही है!
    तुमने उसे पानी में धक्का दिया
    और उसका जिनसेंग भी छीन लिया।
    कितनी नीच हरकत है!
    तुरंत रागिनी से माफ़ी माँगो!”

    इतना कहकर,
    रेयांश ने अपने दोनों पहरेदारों को इशारा किया
    कि वे सारा पर हमला करें।

    सारा का चेहरा ठंडा हो गया,
    आँखों में बेरुख़ी झलक रही थी।

    “हमला करो!
    इसे रागिनी के सामने घुटनों के बल झुकाकर
    माफ़ी मंगवाओ!”
    रेयांश ने ग़ुस्से में आदेश दिया।

    दोनों पहरेदार तुरंत सारा की ओर झपटे।

    सारा के पास ज़्यादा ताक़त नहीं थी,
    लेकिन जब उन्होंने उसका हाथ पकड़ा
    तो उसके भीतर अचानक
    अचंभित कर देने वाली शक्ति फूट पड़ी।

    उसने एक को दस मीटर दूर फेंक दिया,
    और दूसरे को सीने पर मुक्का मारकर
    खून उगलवा दिया।

    रेयांश और रागिनी दंग रह गए।
    सारा खुद भी हैरान थी।

    पिछले जन्म में उसने युद्ध कला को गंभीरता से नहीं सीखा था।
    दादाजी ने मजबूर किया था,
    तो भी उसने बस साधारण-सा अभ्यास किया।
    राजसी पहरेदारों को हराना तो नामुमकिन था।

    लेकिन अब…

    “मारो इन्हें!
    इन कमीने लोगों की धुलाई करो!”
    तीन साल के बच्चे की आवाज़ उसके दिमाग़ में गूँजी।

    सारा की भौंहें हल्की हिलीं।
    “लिटिल जिनसेंग, तुम?”

    “मैं हज़ारों साल पुराना हूँ,
    छोटी तो तुम हो!
    अगर ये तुम्हें तंग करेंगे,
    तो ये मुझे तंग कर रहे हैं!
    इन्हें पीटो!
    रहम मत करना!”

    लिटिल जिनसेंग गुस्से में
    अपनी नन्ही-सी आवाज़ में चिल्लाया।
    उसकी आवाज़ कच्ची और प्यारी थी।

    सारा मुस्कुराई।
    “ठीक है।”

    लिटिल जिनसेंग ने उसे मान दिया था,
    तो वो उसे निराश नहीं कर सकती थी।

    दोनों पहरेदार फिर से खड़े हुए
    और दोबारा उस पर टूट पड़े।

    सारा ने टांग घुमाकर उन्हें गिरा दिया।
    फिर मुक्के और लातें बरसा दीं।
    पूरा सनसेट कोर्ट उनकी चीख़ों से गूँज उठा।

    “सारा, हिम्मत कैसे की तुमने!
    मेरे लोगों को छुआ भी?”
    रेयांश का चेहरा हरा पड़ गया।
    उसने ऐसी बेइज़्ज़ती पहले कभी नहीं झेली थी।

    उसने गिरे पहरेदारों पर चिल्लाया,
    “नालायक!
    एक औरत से नहीं निपट पाए!”

    “राजकुमार, हमें छोड़ दीजिए…”
    दोनों पहरेदार ज़मीन पर तड़पते हुए रोने लगे।
    सारा बहुत डरावनी थी!
    वो उनसे कहीं ज़्यादा ताक़तवर थी!

    “बहन, तुम…
    तुम राजकुमार को चोट मत पहुँचाना!
    वरना अगर सम्राट ने हमें दोषी ठहराया,
    तो हमारा सिंग महल बर्बाद हो जाएगा!”
    रागिनी ने रेयांश से टिककर कहा,
    उसका दिल ग़ुस्से से जल रहा था।
    उसने जान-बूझकर उकसाया था।
    अगर सारा ने रेयांश को हाथ लगाया,
    तो सम्राट उसे ज़रूर सज़ा देगा!

    “वो नहीं भुगतेगी।”
    एक ठंडी और गहरी आवाज़ गूँजी।

    आवाज़ आने से पहले ही
    मानो एक पहाड़-सा दबाव सबके दिलों पर उतर आया।

    रेयांश का दम घुटने लगा
    और उसने देखा कि कौन आया था।
    “नवे सम्राट चाचा ?
    आप यहाँ क्यों?”

    कौन-सी आँधी चली थी
    जो इस बड़े देवता को सिंग महल में ले आई?

    रागिनी काँप उठी।
    उसकी आँखों पर यक़ीन नहीं हो रहा था
    कि उसने सच में शौर्य साम्राज्य के सबसे इज़्ज़तमंद नवें महाराज रूद्राक्ष को देख लिया!

    रूद्राक्ष बैंगनी-सुनहरी नागिन वाले वस्त्र पहने हुए थे,
    पूरे शरीर से ठंडक निकल रही थी।
    धूप तो तेज़ थी,
    लेकिन जैसे ही वो अंदर आए,
    आँगन में ठंडी सर्दी उतर आई।

    सारा ने उलझन में भौंहें चढ़ाईं।
    ये यहाँ क्या कर रहा है?

    कहते हैं कि नवां सम्राट रूद्राक्ष
    बहुत ताक़तवर, निर्दयी और खून का प्यासा है।
    कोई उसके मिज़ाज को समझ नहीं पाता।
    दरबार में हर कोई उससे डरता है,
    मानो वो खुद यमराज हो।

    रेयांश भी उसके सामने
    एक बिल्ली बन जाता था।

    और वो…
    सारा की आँखें चौड़ी हो गईं।
    क्या उसकी कमर से लटकता वो चमकदार जेड पेंडेंट…
    उसका नहीं था?

    कमिना है!
    उस रात का आदमी… वही था?

    सारा ने दाँत भींचे।

    रूद्राक्ष ने सारा की घूरती निगाह को नज़रअंदाज़ कर दिया।
    वो रेयांश के सामने आया और मुस्कराया।
    “किसने तुम्हें हिम्मत दी कि
    बूढ़े जनरल सिंग के घर में
    उपद्रव मचाओ?”

    रेयांश ने तुरंत सिर झुका लिया,
    मन में खीज से भरा।
    सम्राट चाचा , मैंने कोई उपद्रव नहीं किया।
    सारा हद से बढ़ गई है।
    उसने रागिनी को सताया और
    अपने पिता की नहीं मानी।
    वो सच में नालायक है!”

    “ऐसा है क्या?”
    रूद्राक्ष का लहजा ऊँचा हो गया।
    उसके होंठों पर मुस्कान थी,
    लेकिन पूरे शरीर से हड्डी कंपा देने वाली ठंडक निकल रही थी।

    रेयांश का दिल ज़ोर से धड़कने लगा।
    उसके दबाव में ऐसा लग रहा था
    मानो पूरा शरीर जम गया हो।

    आगे इस कहानी में क्या होगा जाने के लिए बने रहे मेरे साथ और पढ़ीए  मेरी इस दिलचस्प कहानी को ......

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  • 9. Rebirth phoneix 🐦‍🔥 queen deep in love - Chapter 9

    Words: 1380

    Estimated Reading Time: 9 min

    “राजकुमार मेरे घर पधारे और मैं बाहर आकर स्वागत भी न कर पाया, कृपया मुझे माफ़ कीजिए!”

    जब हर्षवर्धन ने सुना कि रूद्राक्ष आ चुके हैं, तो वे जल्दी-जल्दी वहाँ पहुँचे।

    रूद्राक्ष के स्वभाव को कोई नहीं जानता था। यहाँ तक कि सम्राट भी उनसे डरते थे। पूरे शौर्य साम्राज्य में कोई उन्हें उकसाने की हिम्मत नहीं करता था।

    उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आज वो सिंग महल क्यों आए हैं।
    हर्षवर्धन ने बिना सोचे, सारा पर दोष डालना चाहा।
    “नालायक बेटी, ज़रूर तूने ही राजकुमार को नाराज़ किया होगा। जल्दी से घुटनों के बल बैठ और राजकुमार से माफ़ी माँग!”

    सारा की नज़र और ठंडी हो गई।
    “मैंने राजकुमार को नाराज़ नहीं किया। माफ़ी माँगने की कोई ज़रूरत नहीं।”

    नवे राजकुमार रूद्राक्ष  उसका जेड पेंडेंट चुरा लाया था! और अब उसी के सामने पहनने की हिम्मत भी कर रहा था। कितना घृणित!

    “उसे तंग मत करो। उसमें मेरे जिनसेंग वंश की बहुत आभा है!”
    लिटिल जिनसेंग कराह उठा।
    रूद्राक्ष के पूरे शरीर से जिनसेंग की गंध आ रही थी, और उसके शरीर में जीवन शक्ति इतनी प्रचुर थी कि लोग जल उठें।

    अगर उसने जेड पेंडेंट न छीना होता, तो सारा कभी उसे छेड़ती भी नहीं।

    “तूने ही नवें राजकुमार को नाराज़ किया होगा, वरना वो सिंग महल क्यों आते? जल्दी घुटनों के बल बैठकर माफ़ी माँग!”
    हर्षवर्धन का चेहरा ग़ुस्से से लाल हो गया। उसने ठान लिया था कि रूद्राक्ष का सारा दोष सारा पर ही डालेगा।

    रागिनी मन ही मन बेहद खुश हुई।
    आज सारा ने रेयांश की परवाह नहीं की,
    लेकिन अगर उसने रूद्राक्ष को नाराज़ कर दिया,
    तो उसकी मौत पक्की थी!

    रेयांश को भी नहीं पता था कि रूद्राक्ष क्यों आए हैं,
    पर वो इस सम्राट-चाचा को नाराज़ नहीं करना चाहता था।
    “मैंने अभी थोड़ी देर पहले ग़लती की।
    लेकिन अगर सम्राट-चाचा सारा से नाराज़ हैं,
    तो मैं खुद सारा को सबक सिखाऊँगा।”

    इतना कहकर उसने सारा को हिकारत भरी नज़र से देखा।

    सारा ने मन ही मन भौंहें उठाईं।
    ये सब लोग सचमुच उसे फँसाना चाहते थे!

    लेकिन देखना था कि इस नवें सम्राट-चाचा का जवाब क्या होगा।

    धूप के नीचे, उस आदमी की लंबी काया पर सुनहरी चमक पड़ रही थी,
    जैसे कोई देवता धरती पर उतरा हो।
    उसकी हिकारत भरी नज़र में जन्मजात शाही ठसक थी।
    उसकी आवाज़ ठंडी और गहरी गूँजी—
    “मैं आज बूढ़े जनरल सिंग के कहने पर उनकी पोती से मिलने आया हूँ।”

    उसके पीछे अश्वत ढेर सारे कीमती टॉनिक लिए खड़ा था।
    गुलाबी लकड़ी के डिब्बे की पैकिंग देखकर ही पता चल रहा था कि उनमें कितनी कीमती चीज़ें थीं।

    हर्षवर्धन ने राहत की साँस ली।
    शुक्र है, वो मुसीबत खड़ी करने नहीं आया था।
    लेकिन उसके पिता तो सिर्फ सारा की परवाह करते थे।
    क्या रूद्राक्ष सच में उसी से मिलने आए थे?

    हर्षवर्धन का दिल धड़क उठा।
    “राजकुमार, क्या आप ये चीज़ें मेरी बड़ी बेटी सारा को देने आए हैं?”

    रागिनी का दिल भी कस गया।
    क्यों हर अच्छी चीज़ हमेशा सारा को ही मिलती थी?

    रूद्राक्ष ने आलस भरे अंदाज़ में कहा,
    “नहीं।”

    सारा चुप रह गई।
    उसके मन में सवालों की झड़ी लग गई।
    क्या दादाजी ने उसे सच में रागिनी का ख्याल रखने को कहा था?
    क्या वो भी रागिनी का नौकर था?
    क्या वो इतना बेतुका हो सकता है?

    सारा ने उसे ठंडी नज़र से देखा।

    लेकिन रागिनी बेहद खुश हो उठी।
    उसने सोचा, आखिरकार उस बूढ़े ने उसे भी महत्व दिया।
    अब जब रूद्राक्ष उससे मिलने आया है,
    तो बदलापुर की सभी युवतियों में उसकी हैसियत बढ़ जाएगी।

    उसने जल्दी से झुककर धन्यवाद किया।
    “राजकुमार, आपकी मेहरबानी के लिए बेहद आभारी हूँ। शुक्रिया!”

    उसने तुरंत अपनी दासी कात्यानी को बुलाया।
    “जल्दी से राजकुमार की चीज़ें ले लो।”

    कात्यानी अश्वत की ओर बढ़ी ही थी
    कि रूद्राक्ष की ठंडी आवाज़ गूँजी—
    “मैंने कब कहा कि ये तुम्हारे लिए हैं?”

    उसकी आवाज़ इतनी डरावनी थी
    कि रागिनी का शरीर अनायास काँप उठा
    और उसका दिमाग़ सुन्न हो गया।

    उसके पिता की सिर्फ दो बेटियाँ थीं—
    सारा और वो।
    अगर ये सारा के लिए नहीं,
    तो फिर उसके लिए क्यों नहीं?

    रेयांश ने रागिनी की आँखों में कमजोरी देखी
    और उसे दया आई।
    “सम्राट-चाचा, अगर ये सारा के लिए नहीं हैं,
    तो फिर क्यों नहीं रागिनी के लिए?
    रागिनी सारा से सौ गुना बेहतर है।
    बूढ़े जनरल सिंग भी उसी को ज़्यादा दुलारेंगे।”

    हर्षवर्धन भी उलझन में था।
    उसे समझ नहीं आ रहा था कि रूद्राक्ष क्या कर रहे हैं।

    सबका दिल धक-धक कर रहा था।
    रूद्राक्ष ने हर्षवर्धन को देखा और कहा,
    “ये तोहफ़ा सिंग की इकलौती वैध बड़ी बेटी के लिए है।
    सिंग की सिर्फ एक कानूनी पत्नी थी,
    और बच्चे सिर्फ उसी से मिले हक़ के वारिस हैं।
    बाक़ी जिनके पास कोई उपाधि नहीं है,
    वे बूढ़े जनरल सिंग की पोती कहलाने लायक भी नहीं!”

    “अ… हा हा हा!”
    लिटिल जिनसेंग हँस-हँसकर लोट-पोट हो गया।
    “कितना नीच है!”

    सारा ने भी सिर हिलाया।
    वो वाकई बड़ा नीच था!

    रागिनी का चेहरा लाल पड़ गया।
    रूद्राक्ष की चीज़ें उसके लिए नहीं थीं।
    उल्टा उसने उसे नाजायज़ कहकर दादा जी की पोती मानने लायक भी नहीं समझा!
    उसकी आँखों से आँसू फूट पड़े।

    रेयांश उसका बचाव करना चाहता था,
    लेकिन जैसे ही उसने रूद्राक्ष की आँखों में देखा,
    उसकी आँखों की खून-सी चमक देखकर डर से काँप उठा।

    अश्वत ने वो चीज़ें सारा को दीं।
    “कुमारी सारा, ये सबसे अच्छा जिनसेंग है—
    लाल जिनसेंग, बैंगनी जिनसेंग।
    अगर आपको और चाहिए,
    तो राजकुमार महल में बता दीजिए।”

    अश्वत ने जान-बूझकर हर्षवर्धन की ओर देखा।
    हर्षवर्धन ने शर्म से सिर झुका लिया।
    उसका चेहरा जलने लगा।
    ये तो साफ़-साफ़ उसे पहले सारा का जिनसेंग छीनने पर ताना मारना था!

    सारा ने सामान लिया और ठंडे स्वर में कहा,
    “धन्यवाद, राजकुमार।”

    सब लोग रूद्राक्ष से डर रहे थे,
    लेकिन उसने उनकी ओर बेरुख़ी से देखा।

    रूद्राक्ष ने हल्की-सी भौंहें उठाईं।
    उसकी आँखों में दिलचस्पी की झलक आई।

    हर्षवर्धन ने इस बड़े देवता रूद्राक्ष को विदा किया।
    रेयांश भी काले चेहरे के साथ चला गया।
    रागिनी अपमानित होकर घर के भीतर रो पड़ी।

    सारा ने वो चीज़ें आँगन में पटक दीं
    और सीधे रूद्राक्ष की गाड़ी में चढ़ गई।

    रूद्राक्ष गाड़ी में आँखें मूँदकर आराम कर रहे थे।
    सारा झटपट कूदी और उनके कमर की ओर हाथ बढ़ाया।
    उसकी रफ़्तार बिजली जैसी थी।

    “हिस्स…”
    सारा दर्द से कराह उठी।
    “राजकुमार, वो जेड पेंडेंट मुझे वापस दो!”

    “ये जेड पेंडेंट मेरा है।
    मैं तुम्हें क्यों लौटाऊँ?”
    रूद्राक्ष ने आलस भरे अंदाज़ में आँखें खोलीं।
    उसकी आँखों में शरारती चमक थी।

    उसके होंठ हल्के से उठे,
    सिंग महल की गंभीर शान से बिल्कुल अलग।
    मानो जान-बूझकर उसे बहला रहा हो।

    सारा ने दाँत भींचे।
    वो सच में कहना चाहती थी
    कि इससे बेशर्म आदमी उसने कभी नहीं देखा!

    उसने पेंडेंट की ओर इशारा किया।
    “ये जेड पेंडेंट मेरी माँ की यादगार है।
    इस पर मेरा नाम खुदा हुआ है।
    राजकुमार ने इसे मुझसे छीना है।
    कृपया मुझे लौटा दीजिए।”

    रूद्राक्ष ने पेंडेंट हाथ में लिया।
    उस पर सच में “सारा” लिखा था।
    पर उसने बिना हिचक कहा—
    “ये पेंडेंट मेरा है।”

    “तुम…”

    अब समझाने से कुछ नहीं हो रहा था,
    तो सारा ने सीधे छीनना चाहा।

    लेकिन चाहे उसकी ताक़त और तेज़ी कितनी भी हो,
    रूद्राक्ष के सामने वो कुछ नहीं थी।

    रूद्राक्ष ने उसके हाथ पीछे कर दिए
    और उसे अपनी बाँहों में खींच लिया।
    सारा सीधे उसकी छाती से टकरा गई।

    वो सख़्त थी!
    सारा के सिर के पीछे दर्द हुआ।

    और जितना पास आई,
    उतना ही वो आदमी की हल्की-सी खुशबू महसूस कर पाई।

    लिटिल जिनसेंग को भी
    रूद्राक्ष के पुराने ज़ख्मों की गंध आ गई।

    सारा ने ताना मारा।
    “राजकुमार के पुराने ज़ख्म गंभीर हैं।
    आपको काग के पेड़ की छाल,तृणमणि और वज्रशल्क   से दवा का काढ़ा बनाना चाहिए।”

    रूद्राक्ष ने हल्की-सी भौंहें उठाईं।
    “तुम्हें दवा की समझ है?”

    सारा की आँखों में हिकारत थी।
    “राजकुमार को मुझ पर यक़ीन नहीं?”

    “मुझे यक़ीन है।”
    रूद्राक्ष की मुस्कान में एक शैतानी झलक आई।

    सारा का दिल अचानक धक से रह गया।
    वो ठंडे चेहरे से गाड़ी से कूद पड़ी।
    “तुम पागल हो!”

    अगर वो उसकी हर बात पर इतना जल्दी यक़ीन करेगा,
    तो इसमें उसकी क्या ग़लती?

    आख़िरकार, उसने उसका जेड पेंडेंट छीना था!

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  • 10. Rebirth phoneix 🐦‍🔥 queen deep in love - Chapter 10

    Words: 1431

    Estimated Reading Time: 9 min

    सारा समझ नहीं पा रही थी कि रूद्राक्ष ने उसका जेड पेंडेंट क्यों लिया, इसलिए उसने बस छोड़ दिया।

    अगर किसी लड़की का जेड पेंडेंट किसी अनजान मर्द के हाथ में चला जाए, तो उसकी इज़्ज़त खराब हो सकती थी। लेकिन वह इंसान रूद्राक्ष था, वो आदमी जिससे शौर्य साम्राज्य की सारी औरतें शादी करना चाहती थीं। सारा को डर नहीं था कि वो उसकी मासूमियत खराब करेगा।

    उसने इसे एक टाइम-बम माना जिसे आगे चलकर सुलझा सकती थी। अभी उसे अद्वैतिय मेडिकल स्टोर जाकर जांच करनी थी।

    अद्वैतिय मेडिकल स्टोर राजपत रोड के आखिर में था। दरवाजे पर कांसे की तख्ती टंगी थी, जिस पर लिखा था “अद्वैतिय मेडिकल स्टोर”। दरवाजा पुराना और साधारण था। अंदर हॉल में दो बुढ़े डॉक्टर बैठे थे और दवाई की अलमारी के सामने एक नौजवान मुंशी ऊबकर जम्हाई ले रहा था।

    सारा अंदर गई और देखा कि यह जगह सच में जर्जर थी।

    यह उसकी माँ की छोड़ी हुई दुकान से बिलकुल अलग थी। उसे लगा कि इस मेडिकल स्टोर से ज्यादा कमाई नहीं होती।

    उसने हल्की खाँसी की। दोनों बुढ़े डॉक्टर उसकी तरफ देखने लगे। उनमें से एक बोला,
    “तुम बीमार नहीं लग रही हो। डॉक्टर से मिलने की ज़रूरत नहीं।”

    “सही है, मैं बीमार नहीं हूँ। मैं बस ये जानना चाहती हूँ कि मालिक कौन है?” — सारा ने शांत स्वर में कहा।

    दवाई की अलमारी पर बैठे नौजवान ने आलसी अंदाज़ में कहा,
    “मालिक यहाँ नहीं हैं।”

    सारा ने उसे कॉन्ट्रैक्ट दिखाया और पूछा,
    “मालिक कब लौटेंगे?”

    यह सुनते ही उस मुंशी ने अपनी लापरवाह चाल छोड़ दी और सारा को पीछे वाले हॉल में ले गया।

    सारा ने वहाँ रखी सादी-सी चाय की मेज़ को झाड़ा और देखा कि लकड़ी बहुत पुरानी हो चुकी थी।

    वह एक कप चाय बनाने जितना समय इंतज़ार करती रही, तभी गहरे हरे रंग का चोगा पहने एक अधेड़ आदमी अंदर आया। उसने झुककर हाथ जोड़कर सारा का अभिवादन किया,
    “मुझे पता नहीं था कि युवती आ चुकी हैं। आपको नज़रअंदाज़ करना मेरी गलती है।”

    सारा ने उसे अपनी काँच-सी आँखों से देखा, जिनमें संदेह झलक रहा था।

    वह आदमी जल्दी से बोला,
    “मेरा नाम धनंजय है, और मैं इस मेडिकल स्टोर को संभाल रहा हूँ। मैं यहाँ का मैनेजर हूँ।”

    “मैनेजर धनंजय, अब से मैं अपनी माँ की जगह इस मेडिकल स्टोर को सँभालूँगी। आगे से मैं ही इसकी मालिक हूँ।” — सारा ने चाय के प्याले की ढक्कन को तौलते हुए शांत लेकिन दबंग आवाज़ में कहा।

    मैनेजर धनंजय हँसते हुए बोला,
    “मिस, यह तो बहुत अच्छा है कि आप मेडिकल स्टोर सँभालना चाहती हैं। लेकिन हमारी दुकान की आमदनी बहुत कम है। मुझे डर है कि यह आपकी ज़रूरतें पूरी न कर सके। आप बुरा मत मानिएगा।”

    धनंजय यहाँ कई सालों से काम कर रहा था। वह जानता था कि सारा सिंग हवेली की बड़ी बेटी है। शायद वह पैसे के लिए आई थी, लेकिन यहाँ तो आमदनी नाम मात्र की थी, इसलिए उसे साफ बोलना पड़ा।

    सारा ने दृढ़ स्वर में कहा,
    “पैसा कमाना ही सबकुछ नहीं है। मेडिकल स्टोर की पहचान भी होनी चाहिए। धीरे-धीरे चलाना मुश्किल नहीं है। लेकिन अब सबको मेरे तरीके से चलना होगा। नफा-नुकसान मैं खुद उठाऊँगी।”

    “मिस, आपका आत्मविश्वास अच्छा है।” — मैनेजर धनंजय ने ऊपर से मुस्कुराया, लेकिन भीतर ही भीतर सारा की बातों पर भरोसा नहीं किया।

    क्योंकि सबको पता था कि सारा डरपोक और नाकारा कहलाती थी। बदलापुर भर में उसकी बेवकूफ़ी की चर्चा थी। क्या वह सच में दवाई जानती थी? वह इस मेडिकल स्टोर को कितना अच्छा चला सकती थी?

    शायद आखिर में यह दुकान और ज़मीन भी खो दे!

    सारा ने सिर हिलाया और बाहर निकल गई।

    धनंजय के पीछे खड़े मुंशी ने तिरस्कार से कहा,
    “क्या यही वह बेवकूफ़ बड़ी बेटी नहीं है? और अब मेडिकल स्टोर सँभालने आई है। छी!”

    मैनेजर धनंजय ने साँस भरी,
    “रहने दो। आखिर  मास्टर भी नहीं रहे। और इस मेडिकल स्टोर में कुछ बचा भी नहीं है।”

    वह याद करने लगा कि बीस साल पहले अद्वैतिय मेडिकल स्टोर पूरे शौर्य साम्राज्य में मशहूर था। अब यह हाल हो चुका था कि इसे कोई जिंदा नहीं कर सका। यह उसके आख़िरी दिन थे।

    “मैनेजर धनंजय।”

    अचानक सारा की वापसी ने मैनेजर धनंजय और मुंशी दोनों को चौंका दिया। धनंजय को याद आया कि सारा ने अभी उनसे कोई पैसा नहीं माँगा था। उसने जल्दी से काउंटर पर रखे बचे-खुचे दर्जनों चाँदी के सिक्के निकालकर कहा,
    “मिस, यह सारी चाँदी है। आप सब ले लीजिए।”

    सारा ने उन चाँदी की गिनतियों को देखा और सिर हिला दिया। उसने काउंटर पर कुछ दवाइयाँ रखीं और कहा,
    “आपकी पाचन शक्ति कमजोर है, अंदरूनी कमी है। और कई सालों से आपके पैरों में गठिया है। यह दवा आपको आराम देगी। ले लीजिए।”

    यह कहकर वह बाहर निकल गई।

    मैनेजर धनंजय उसकी पीठ को देखता रह गया।

    उसने दवाई उठाई और सूंघी। फिर मुंशी की तरफ मुड़कर हैरानी से बोला,
    “क्या मैंने गलत सुना? उसने मेरी बीमारी सही पहचानी और दवा भी लिख दी?”

    “नहीं… लेकिन उसने तुम्हारी नब्ज़ भी नहीं देखी, फिर कैसे जान लिया? उसकी दवाई की कला तो कमाल की है!” — मुंशी भी दंग रह गया।

    धनंजय को अनायास ही अपने पुराने मालिक की याद आ गई।

    उधर, सारा के मन में छोटा जिनसेंग फिर दौड़ने लगा।
    “वह तुम्हें इतना नीचा दिखाता है, फिर भी तुमने उसकी मदद की!”

    सारा शांत रही,
    “किसी और के लिए ठीक है। लेकिन चूँकि मुझे उससे स्टोर सँभालने में मदद लेनी है, तो मुझे उसे अपना हुनर दिखाना ही होगा।”

    छोटा जिनसेंग तुनककर बोला,
    “अरे, इतना झंझट क्यों? सीधा क्यों नहीं कह देती कि तुम्हें दवाई आती है और तुम्हारे पास मेडिसिन किंग वैली की ढेरों जड़ी-बूटियाँ हैं?”

    सारा ने स्थिर स्वर में कहा,
    “हुनर ज़्यादा जल्दी दिखाओगे तो लोग जलने लगेंगे। जब तक इंसान मज़बूत न हो जाए, अपनी ताकत छिपाना ही समझदारी है।”

    पिछले जन्म में उसने बहुत सबक सीखे थे, अब उसे लंबी सोच रखनी थी।

    जब वह आँगन लौटी तो अभी भी मेडिकल स्टोर कैसे सँभालना है, यही सोच रही थी। तभी उसने देखा कि आँगन में लोगों का झुंड खड़ा है।

    जैसे ही उन्होंने उसे देखा, सब झुककर बोले,
    “प्रणाम, बड़ी मिस।”

    सारा ने भौंहें सिकोड़ लीं। तभी माया दौड़कर उसके कान में फुसफुसाई,
    “मिस, ये सब सिंग साहब ने भेजे हैं। कहते हैं कि हमारे आँगन में नए नौकर जोड़े गए हैं।”

    सारा ने चारों तरफ देखा। तीन दासियाँ, तीन बूढ़ी औरतें और चार नौकर खड़े थे। सब साफ-सुथरे दिख रहे थे, लेकिन चेहरों में से किसी से वह परिचित नहीं थी। यह सब हर्षवर्धन के आदमी थे।

    ऊपर से तो उसके पिता ने मदद के लिए लोग भेजे थे, लेकिन हकीकत में यह उसकी जासूसी के लिए थे, है ना?

    सारा ने ठंडी आवाज़ में कहा,
    “सब बाहर निकलो। मुझे किसी की ज़रूरत नहीं।”

    वह अंदर चली गई। आँगन में खड़े दर्जनभर लोग एक साथ घुटनों पर गिर पड़े।

    उनमें से आगे खड़ी दासी रेवती बोली,
    “सिंग साहब ने हमें भेजते समय कहा था, अगर युवती ने हमें स्वीकार नहीं किया, तो इसका मतलब होगा कि आपको हमारा सेवा करना अच्छा नहीं लगता और आप हमें सज़ा देंगी। कृपया हमें दंड दें!”

    सारा ने उन्हें अनदेखा किया और अंदर चली गई।

    घर में आते ही माया ने होंठ काटते हुए कहा,
    “मिस, यह तरीका ठीक नहीं है। अगर बात फैल गई तो आपकी इज़्ज़त खराब हो जाएगी।”

    “क्या मेरी इज़्ज़त बची हुई है जो और खराब होगी?” — सारा ने परवाह ही नहीं की। फिर सोचा,
    “वैसे, इन्हें रखना भी बुरा नहीं है। देखते हैं इनके मालिक मुझसे क्या चाल चलते हैं। दो घंटे बाद इन्हें उठने को कहना, और कह देना कि मैं इन्हें रखने के लिए राज़ी हूँ। लेकिन यह सब अपने मालिक के वफादार रहेंगे और मेरे शयनकक्ष में कोई नहीं आएगा।”

    माया को यह सुझाव ठीक लगा, तो उसने वैसा ही किया।

    उसने उन सबको पूरे दो घंटे तक घुटनों पर झुकाए रखा!

    दो घंटे बाद, रेवती और बाकी को उठने दिया गया। माया ने उन्हें थोड़ा समझाया और उनके काम बाँट दिए। उनके घुटने सूज गए थे और दर्द से कराहते हुए वे किसी तरह काम निपटाकर अपने बिस्तर पर लौटे।

    दूसरी तरफ सनसेट कोर्ट में, रागिनी को कोई खबर नहीं मिली।

    कात्यानी ने कहा,
    “सारा सचमुच बहुत सख्त है। उसने उन्हें पूरे दो घंटे घुटनों पर झुकाए रखा, फिर जाकर काम पर लगाया। सब इतने थक गए कि तुम्हें देखने की हिम्मत भी नहीं जुटा सके, मिस। आज तो हमें कुछ पता ही नहीं चल सका।”


    आगे इस कहानी में क्या होगा जाने के लिए बने रहे मेरे साथ और पढ़ीए  मेरी इस दिलचस्प कहानी को ......

    और अच्छे अच्छे कमैंटस करना ज्यादा से ज्यादा शेयर भी ।
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  • 11. Rebirth phoneix 🐦‍🔥 queen deep in love - Chapter 11

    Words: 1340

    Estimated Reading Time: 9 min

    रागिनी ने टायफाइड का काढ़ा पिया और उसका गोरा-सा चेहरा गुस्से से विकृत हो गया।
    “सारा! वो मुझसे जीत नहीं सकती! रेवती से कहो कि वह ज़रूर वह टॉनिक ढूँढ निकाले जो राजकुमार ने उसे दिया है। सारा उस जैसी अच्छी चीज़ की हक़दार नहीं है!”

    कात्यानी ने हामी भरी और तुरंत संदेश भिजवा दिया।

    सुबह जल्दी सारा उठ गई और आँगन में सरसराहट सुनी। कल जो लोग आए थे, वे बहुत मेहनती निकले और सुबह-सुबह झाड़ू-पोंछा शुरू कर दिया था।

    माया ने नाश्ता बनाया और नाखुश चेहरे के साथ उसके पास लाई।
    “रेवती हद कर रही है। उसे सबकुछ छूना है, हर जगह जाना है। यहाँ तक कि हमारे भंडार-घर में भी घुसना चाहती है।”

    सारा ने हल्की मुस्कान के साथ खिचड़ी खाई।
    “हमारे भंडार-घर में कुछ है ही नहीं। अगर वह जाना चाहती है, तो जाने दो।”

    “लेकिन, नौवें राजकुमार ने जो तीन बढ़िया जिनसेंग दिए थे, वो तो वहीं रखे हैं!” — माया ने सतर्क होकर कहा।

    वो ही एकमात्र खज़ाना था जो सारा के पास था। माया को उसकी सुरक्षा करनी थी और किसी और के हाथ नहीं लगने देना था।

    सारा ने आदेश दिया,
    “भंडार-घर की चाबी रेवती को दे दो और कहो कि वही इसकी देखभाल करे।”

    “मिस, रेवती के इरादे अच्छे नहीं हैं। आप उसे चाबी कैसे दे सकती हैं?” — माया घबराकर बोली।

    सारा निर्विकार रही, लेकिन उसका सुंदर चेहरा चालाक और गहरी सोच वाला लग रहा था।
    “उसे उसके असली मालिक ने किसी मकसद से भेजा है। अगर हम उसे मौका ही नहीं देंगे, तो वह अपने असली इरादे कैसे दिखाएगी?”

    माया ने वैसा ही किया जैसा कहा गया था, पर उसे सारा की सीख याद थी। जब उसने रेवती को चाबी दी, तो जान-बूझकर कठोर चेहरा बनाकर बोली,
    “यह लो। मिस ने तुम पर भरोसा किया है। भंडार-घर की देखभाल तुम्हें करनी है। अगर कुछ भी गायब हुआ, तो मिस तुम्हें कभी माफ़ नहीं करेंगी!”

    रेवती की आँखों में गर्व की चमक आई।
    “समझ गई, बहन माया। मैं भंडार-घर का अच्छी तरह ध्यान रखूँगी।”

    चाबी मिलते ही उसने तुरंत सनसेट कोर्ट खबर भेजी। रागिनी ने उसे आदेश दिया कि सारे जिनसेंग उठा लाओ और उनकी जगह कुछ और रखकर बक्से में डाल दो।

    टेबल पर रखे तीन चमकदार जिनसेंग देखकर रागिनी के चेहरे पर संतोष की मुस्कान आई।
    “तो क्या हुआ अगर यह राजकुमार ने उसे दिए थे? आखिरकार ये मेरे ही हाथ लगे ना!”

    कात्यानी तुरंत चापलूसी करने लगी,
    “हाँ, वो बेवकूफ़ बड़ी मिस इतनी महंगी चीज़ की हक़दार ही कहाँ है! और अगर उसे पता भी चल गया कि कुछ गायब है, तो भी वह आपसे उलझ नहीं पाएगी! आप तो सिंग साहब की चहेती हैं! और रेवती को भी सिंग साहब ने ही उसके पास भेजा है। अगर उसने रेवती पर गुस्सा उतारा, तो मतलब वह सिंग साहब के खिलाफ जाएगी और उसे चुपचाप सहना पड़ेगा!”

    रागिनी ने अपनी पतली, गोरी उँगलियों से जिनसेंग सहलाए और संतुष्ट होकर सिर हिलाया।
    “अगर वो बूढ़ा सिंग मुझे ज़्यादा पसंद करता, तो राजकुमार ये चीज़ें मुझे ही देते!”

    बचपन से ही वह सारा से कहीं बेहतर थी। जो भी सारा का था, सब उसका होना चाहिए था!

    शाम को माया चुपचाप सारा के पास आई और बताया कि उसने रेवती को चोरी करते देखा — उसने जिनसेंग चुराकर सब रागिनी को दे दिए।

    सारा ने ताली बजाई।
    “ठीक है, तो चलो जिनसेंग पिताजी को ही दे आते हैं।”

    माया ने तुरंत तीन बक्से उठाए और मुस्कुराते हुए सारा के साथ आगे के हॉल में चली गई।

    हर्षवर्धन और रागिनी अभी-अभी भोजन समाप्त कर चुके थे, जब सारा ने पूरे परिवार को कुछ भिजवाया। हर्षवर्धन बहुत चकित हुआ और हॉल में खास उसके इंतज़ार में बैठ गया।

    जब सारा और माया पहुँचे, तो देखा कि समीर भी वहाँ मौजूद था। उसने काले बादल जैसे डिज़ाइन वाली कसी हुई पोशाक पहनी थी, लंबे बाल ऊँचे बाँध रखे थे। उसकी भौंहों में वीरता झलक रही थी और उसका व्यक्तित्व दबदबा झलकाता था। लेकिन सारा को देखते ही उसकी आँखों की ठंडी चमक नरम पड़ गई।

    “छोटी बहन।” — समीर ने नरमी से पुकारा।

    सारा उसके पास गई और उसकी नब्ज़ देखी। उसकी अंदरूनी चोटें लगभग भर चुकी थीं और चेहरे से लगा कि बाहरी घाव भी ठीक होने वाले हैं।

    सारा को खास संतोष हुआ।

    हर्षवर्धन ने नाखुश होकर दाढ़ी सहलाई,
    “सारा, तुमने इतने लोगों को क्यों जुटा लिया?”

    समीर को बचपन से ही बुढ़े जनरल सिंग ने पाला था और उसमें उनकी सारी निर्णायकता आ गई थी। उसके दिल में सारा ही उसकी असली बहन थी, पिता के लिए उसमें कोई भाव नहीं था। वह आकर सीधे ‘पिता’ कह देता, पर उनसे कुछ नहीं कहता और सारा पर इतना स्नेह लुटाता कि पिता की परवाह ही नहीं करता।

    इसीलिए हर्षवर्धन भाई-बहन की इस नज़दीकी को सहन नहीं कर पाता था।

    सारा ने आज्ञाकारी चेहरा बनाकर कहा,
    “मैं तो बस पिताजी और भाई को अच्छी चीज़ें देने आई हूँ।”

    “बहन वाकई बहुत सोचती है।” — रागिनी ने मीठी आवाज़ में कहा।

    समीर ने सारा की कलाई दबाई।
    “क्यों न तुम अपनी अच्छी चीज़ें खुद के लिए रखो?”

    उसे पता था कि सारा की सारी अच्छी चीज़ें पहले ही छीन ली गई थीं। उसने खुद कभी कोई अच्छी चीज़ अपने लिए नहीं रखी।

    अब जब उसने फिर से कोई खज़ाना निकाला, तो समीर का दिल और दुख गया।

    सारा मुस्कुराकर बोली,
    “भाई, बैठ जाइए।”

    रागिनी ने सोचा था कि उसकी सारी अच्छी चीज़ें तो वही तीन जिनसेंग थीं, जो वह ले चुकी थी। अब सारा के पास और क्या बचा होगा?

    लेकिन जब सारा ने जिनसेंग वाला बक्सा निकाला, तो उसका चेहरा तुरंत बदल गया।

    सारा ने तीन बक्से हर्षवर्धन, समीर और रागिनी को दिए और खुले दिल से बोली,
    “ये लाल जिनसेंग, जिनसेंग और बैंगनी जिनसेंग हैं। कल राजकुमार ने मुझे दिए थे। राजकुमार इतने महान हैं, तो ये तोहफ़े अच्छी चीज़ ही माने जाएँगे ना? इसलिए मैं इन्हें पिताजी, बड़े भाई और रागिनी को दे रही हूँ।”

    हर्षवर्धन की आँखें चमक उठीं।
    “बिलकुल! ये तो बहुत बढ़िया है!”

    उसे पहले सिर्फ बुढ़े जनरल सिंग के जिनसेंग पर नज़र थी। लेकिन रूद्राक्ष का दर्जा तो उससे कहीं ऊँचा था, तो उसकी चीज़ें सौ गुना कीमती थीं!

    उसने बक्सा खोलते ही हैरानी से आँखें फाड़ दीं।
    “य-ये क्या!”

    समीर ने भी बक्सा खोला और अंदर की चीज़ देखकर उसकी भौंहें गहरी सिकुड़ गईं।

    रागिनी के हाथ काँप उठे और उसने सारा को घूरा।
    “यह कमीनी!”

    सारा मासूमियत से बोली,
    “पिताजी, क्या हुआ? क्या राजकुमार का दिया तोहफ़ा अच्छा नहीं है?” गणतंत्र

    हर्षवर्धन ने गुस्से से साधारण-सी जड़ी जमीन पर फेंक दी और सारा की तरफ इशारा करके चिल्लाया,
    “ये क्या बेकार चीज़ है! ये तोहफ़ा तो राजकुमार का हो ही नहीं सकता! तुम अपने पिता को धोखा दे रही हो!”

    सारा घबराई हुई बोली,
    “पिताजी, मैंने झूठ नहीं कहा। मेरा तो इरादा सबको जिनसेंग देने का था, लेकिन कौन जानता था… शायद राजकुमार ने गलती से गलत चीज़ भेज दी होगी। क्यों न मैं अभी उनके महल जाकर उनसे पूछ लूँ?”

    वह इतनी भोली दिख रही थी कि जैसे सचमुच गुस्से में वहाँ जाने वाली हो।

    समीर ने उसे रोक लिया।
    “बहन, यह ज़रूर सिंग हवेली के लोगों की करतूत है।”

    वह सारा के आगे खड़ा हो गया और बक्सा हर्षवर्धन के सामने रखकर बोला,
    “पिताजी, राजकुमार का तोहफ़ा गलत कैसे हो सकता है? अगर बहन देना ही नहीं चाहती, तो इतनी ईमानदारी से पेश भी नहीं आती। साफ है कि किसी ने उसके आँगन में रखी चीज़ों से छेड़छाड़ की और जिनसेंग बदल दिए। इसलिए शक तो उसके आँगन के किसी आदमी पर ही है।”

    हर्षवर्धन ने मेज़ पर जोर से हाथ पटका।
    “हिम्मत कैसे हुई! किसने राजकुमार की दी चीज़ चुराने की जुर्रत की! कोई है! बड़ी मिस के आँगन के सब नौकरों को यहाँ लाओ!”

    रागिनी का दिल काँप उठा।
    “पिताजी, इस तरह शोर मचाकर जाँच करना ठीक नहीं होगा। क्यों न हम बहन के आँगन में जाकर अच्छे से खोजबीन करें?”


    आगे इस कहानी में क्या होगा जाने के लिए बने रहे मेरे साथ और पढ़ीए  मेरी इस दिलचस्प कहानी को ......

    और अच्छे अच्छे कमैंटस करना ज्यादा से ज्यादा शेयर भी ।
    और पसंद आए तो स्टिकर जरूर भेजना.....

  • 12. Rebirth phoneix 🐦‍🔥 queen deep in love - Chapter 12

    Words: 1323

    Estimated Reading Time: 8 min

    ऊपर से तो वो यह सब सारा की खातिर कर रही थी, लेकिन अंदर ही अंदर वह घबराई हुई थी।

    सारा के पास सारा जिनसेंग था। अगर यह राज़ खुल गया तो…

    “नौकरों की चोरी को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए। उन्हें सबके सामने पूछताछ करनी चाहिए ताकि पूरे सिंग हवेली के लोग सबक लें।” समीर ने अपनी आवाज़ धीमी की।

    उसने हाथ लहराते हुए आदेश दिया, “आदर्श, जाकर मेरी छोटी बहन के आंगन से सभी लोगों को यहाँ बुलाओ। एक भी पीछे न छूटे।”

    आदर्श ने तुरंत हाथ जोड़कर कहा, “जी, यंग मास्टर।”

    सारा गुस्से से कांप उठी। “धततेरे की! बड़ी मुश्किल से मेरे पास कुछ ऐसा आया था जो पिताजी को देने लायक था, और किसी ने उसे चुरा लिया!”

    उसकी बातें सुनकर हर्षवर्धन गुस्से और झुंझलाहट से भर गए, बल्कि उन्हें यह भी लगा कि वह अपनी बेटी के कर्ज़दार हैं।

    पिता होने के बावजूद, उन्होंने कभी सारा को खास दुलार नहीं दिया, उल्टा उससे कई अच्छी चीजें छीन लीं। अब जब उसे बेहतरीन जिनसेंग मिला तो वह वही उन्हें भेंट करना चाहती थी।

    लेकिन जैसे ही उन्हें जिनसेंग की चोरी का ख्याल आया, उनका गुस्सा और भड़क उठा। “ये लोग इतने हिम्मती कैसे हो गए! अगर मुझे पता चल गया किसने चुराया है, तो मैं उसे जिंदा चमड़ी उधेड़ दूँगा!”

    रागिनी का बदन कांप गया। वह चुपचाप निकल जाना चाहती थी, लेकिन सारा ने आवाज़ लगाई, “रागिनी, कहाँ जा रही हो? चिंता मत करो। पिताजी ज़रूर मेरा जिनसेंग ढूँढ देंगे।”

    रागिनी को मजबूर होकर वहीं रुकना पड़ा।

    उसकी आँखों में एक पल के लिए जलन चमकी, मगर उसने आज्ञाकारी स्वर में कहा, “हाँ, पिताजी बुद्धिमान और शक्तिशाली हैं। हमें ज़रूर जिनसेंग मिल जाएगा।”

    आदर्श जल्दी ही रेवती को खींचकर ले आया। रेवती को हॉल में फेंक दिया गया, वह काँप रही थी।

    आदर्श बोला, “सिंग साहब और यंग मास्टर को सूचित करता हूँ—ये दासी बड़ी मिस के आंगन के स्टोररूम की देखरेख करती है। जिनसेंग चोरी का मामला इसी से जुड़ा हुआ लगता है।”

    हर्षवर्धन का कलेजा गुस्से से जल उठा। “हरामखोर! तूने राजकुमार द्वारा दी हुई जिनसेंग चुराने की हिम्मत की! मरने की इच्छा है? बता, जिनसेंग कहाँ छिपाया?”

    रेवती की आँखों में डर भर आया, उसने जल्दी से सिर हिलाया। “सिंग साहब, दया कीजिए। मैंने जिनसेंग नहीं चुराया। मैंने नहीं चुराया!”

    “रेवती, सच बता दो, वरना पिताजी कभी माफ़ नहीं करेंगे!” सारा ने उसे ज़ोर से थप्पड़ मारा।

    “मैंने नहीं किया!” रेवती ने सख़्ती से इंकार किया।

    “तो तेरे शरीर पर इतनी तेज जिनसेंग की गंध क्यों आ रही है?” समीर की सूंघने की शक्ति तेज थी और उसने तुरंत नोटिस किया।

    हर्षवर्धन भी उसके पास गए और गंध सूंघी। उनका गुस्सा और भड़क उठा। “बता, जिनसेंग कहाँ छिपाई है!”

    रेवती ने घबराकर खुद को सूंघा। उसे बहुत अजीब लगा। उसने कपड़े बदल लिए थे और अच्छे से धोए थे। गंध तो होनी ही नहीं चाहिए थी। फिर भी…

    उसने तुरंत सारा की ओर देखा। अभी-अभी वही तो उसे छुई थी!

    सारा के चेहरे पर मासूमियत थी। लेकिन असल में उसने रेवती पर हल्का-सा जिनसेंग पाउडर मल दिया था।

    रेवती के दिल में नफ़रत उमड़ आई।

    हर्षवर्धन को बस जिनसेंग की चिंता थी। जब रेवती चुप रही, तो उन्होंने अपने आदमियों को उसे सज़ा देने का आदेश दिया।

    रेवती को पीट-पीटकर रुला दिया गया। “सिंग साहब, दया करें! मुझे छोड़ दीजिए!”

    “सच बोल! जिनसेंग कहाँ है?”

    रेवती होंठ दबाकर बेहद बेबस महसूस कर रही थी। हाँ, उसने जिनसेंग लिया था, लेकिन वह तो पहले ही रागिनी को दे चुकी थी। सबके सामने सच बोलती तो रागिनी उसे कभी नहीं छोड़ती!

    उसने रागिनी की ओर मदद की उम्मीद से देखा। रागिनी ने उसे घूरा, लेकिन मीठे स्वर में बोली, “रेवती, ये जिनसेंग बेहद कीमती है। अगर तूने चुपके से चुराकर बेच दिया है, तो अभी बता दे। तेरे इतने सालों की सेवा के खाते में मैं पिताजी से कह दूँगी कि हल्की सज़ा मिले। वरना अगर पिताजी गुस्से में आ गए और तुझे मार डाला तो…”

    रागिनी ने अपना सीना पकड़ लिया, और आगे बोल न सकी।

    रेवती का शरीर डर से कांप उठा। रागिनी साफ़ इशारा कर रही थी—अगर उसने धोखा दिया तो वो उसे मरवा देगी!

    आख़िरकार रेवती घुटनों के बल गिर गई। “मालिक, मुझे माफ़ करें। जिनसेंग मैंने चुराई और बेच दी।”

    “लोगो! इस गद्दार को पीट-पीटकर मार डालो!” हर्षवर्धन का चेहरा लाल हो गया।

    “पिताजी, रुकिए। ये जिनसेंग राजकुमार द्वारा दी गई थी। इतनी अनमोल चीज़ है। भले ही उसने बेच दी हो, इतनी जल्दी तो निपट नहीं सकती। हम अभी भी पता कर सकते हैं। क्यों न भैया जाकर जाँच लें?” सारा ने सलाह दी।

    हर्षवर्धन ने सिर हिलाया। “जाँच करो! हमें जिनसेंग हर हाल में ढूँढनी है!”

    उनके दिल में दर्द उठ रहा था।

    वो तीन अद्वितीय जिनसेंग थीं!

    समीर ने आदेश दिया, “आदर्श, तुरंत जाँच करो।”

    आदर्श कई सालों से समीर के साथ था, तेज और निर्णायक। उसने जल्दी ही रिपोर्ट दी, “सिंग साहब, रेवती ने जिनसेंग नहीं बेची। जिनसेंग अब भी हवेली के भीतर ही है।”

    सारा के होंठों पर मुस्कान उभरी। “पिताजी, लगता है यह दासी आपको बेवकूफ़ बना रही है। जिनसेंग अभी भी सिंग हवेली के अंदर ही है।”

    हर्षवर्धन ने गुस्से से मेज़ पर हाथ पटका। “नीच औरत, तूने हिम्मत की मुझे धोखा देने की? इसे पीट-पीटकर मार डालो!”

    रेवती की खाल उधेड़ दी गई। वह बिलखते हुए गिड़गिड़ाने लगी, “सिंग साहब, मेरी जान बख्श दो! मेरी जान…”

    “जिनसेंग कहाँ है!” हर्षवर्धन ने उसे लात मार दी।

    “जिनसेंग… है…” रेवती ने डर से रागिनी की ओर देखा। अब वह और मार नहीं सह सकती थी।

    सारा ने याद दिलाया, “अगर नहीं बोली, तो मर जाएगी।”

    रागिनी ने घबराकर रूमाल मरोड़ा और कमजोर निगाहों से पिताजी की ओर देखा। “पिताजी, देर हो गई है। क्यों न रेवती को कैद कर कल फिर पूछें?”

    “पिताजी, यह ठीक नहीं। यह अंदर का मामला है। ज़रूर कोई साथी भी होगा। तुरंत पूछताछ करनी होगी ताकि जिनसेंग जल्दी मिले।” समीर ने गंभीर स्वर में कहा।

    रागिनी का चेहरा फीका पड़ गया। “भैया, क्या आप मुझे रेवती की साथी समझ रहे हैं?”

    समीर का चेहरा ठंडा था। उसने उसकी ओर देखा तक नहीं। “मैं बस जिनसेंग पाना चाहता हूँ।”

    हर्षवर्धन ने रागिनी को दिलासा देते हुए सिर थपथपाया, “रौ’र, तू ग़लत सोच रही है। समीर का वो मतलब नहीं था। लेकिन यह जिनसेंग साधारण चीज़ नहीं। हमें इसे तुरंत ढूँढना होगा!”

    “हाँ। अगर राजकुमार को पता चला कि हमने उनकी दी हुई चीज़ गँवा दी, तो वो हमें दोष देंगे।” सारा ने आह भरी।

    रूद्राक्ष का नाम सुनते ही हर्षवर्धन का दिल कस गया। “लोगो, इस दासी को तब तक पीटो जब तक बोल न दे!”

    चाबुकों की तड़तड़ाहट गूँज उठी, रेवती की दर्द भरी चीखें निकलती रहीं। आख़िरकार वह टूट गई और चिल्लाई, “दूसरी मिस ने… मुझसे जिनसेंग चुरवाया! जिनसेंग उसी के पास है!”

    हॉल में सबकी नज़रें रागिनी पर टिक गईं। उसका दिल धक् से रह गया और आँखों से आँसू फूट पड़े। “पिताजी, मैं बेगुनाह हूँ! मैं अपनी बहन की जिनसेंग क्यों चुराऊँगी!”

    हर्षवर्धन ने भी यक़ीन नहीं किया। “ये कैसी बकवास! रागिनी ऐसा क्यों करेगी!”

    “रेवती, सोच-समझकर बोल। अगर तूने रागिनी पर झूठा इल्ज़ाम लगाया, तो मैं तुझे उसके लिए जान से मार डालूँगी!” सारा की आवाज़ में तीखा ख़तरा था।

    जितना वो सख़्त बोली, रेवती को उतना ही लगा कि सच बताना ही उसकी बचने की उम्मीद है।

    वह घिसटते हुए हर्षवर्धन के पैरों में आ गिरी। “सिंग साहब, सच में दूसरी मिस ने ही मुझसे चुरवाया। जिनसेंग अभी भी उसके आंगन में है! यकीन न हो तो खोज लो! उसने अभी तक निपटाया नहीं है।”

    रागिनी चाहती थी कि काश वह रेवती को वहीं मार सके!

    यह नीच औरत!

    “पिताजी, देर मत कीजिए। अभी उसके आंगन की तलाशी लें तो सब साफ़ हो जाएगा।” समीर ने ठान लिया था कि सारा की चीज़ चोरी नहीं होने देगा।


    आगे इस कहानी में क्या होगा जाने के लिए बने रहे मेरे साथ और पढ़ीए  मेरी इस दिलचस्प कहानी को ......

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  • 13. Rebirth phoneix 🐦‍🔥 queen deep in love - Chapter 13

    Words: 1415

    Estimated Reading Time: 9 min

    “पिताजी, अगर मेरे आंगन की तलाशी से मेरी बेगुनाही साबित हो सकती है, तो मैं तैयार हूँ! बस इतना है कि आधी रात में मेरे आंगन की तलाशी ली जाए, और अगर यह बात फैल गई, तो मेरी प्रतिष्ठा…” रागिनी ने कमजोर स्वर में रोते हुए कहा।

    हर्षवर्धन के मन में थोड़ी हिचक थी। अगर आंगन की तलाशी का समाचार फैल गया, तो रागिनी की प्रतिष्ठा पर असर पड़ेगा।

    “पिताजी, यह दासी झूठ बोल रही है। मैंने तो पहले ही कहा था कि मैं इसे रागिनी को दूँगी, तो वह किसी को चोरी करने क्यों भेजती? और वैसे भी, क्या उसने मुझे जासूसी करने के लिए मेरे आंगन में ambush लगाने के लिए बदनाम नहीं किया था? यह रागिनी के लिए बहुत अन्याय है!”

    सारा ने रागिनी की ओर से बचाव किया। “मेरी राय में, बेहतर होगा कि राजकुमार को सूचित करें और उनसे तलाशी में मदद लें।”

    जैसे ही उसने रूद्राक्ष का नाम लिया, हर्षवर्धन घबराए। “हम इस बात की सूचना राजकुमार को नहीं देंगे! आंगन की तलाशी लें। आदमियों, चलो सनसेट कोर्ट की ओर!”

    वह अपने आदमियों के साथ दौड़े और रागिनी का हाथ पकड़कर सांत्वना दी, “रागिनी, चिंता मत करो। पिताजी ज़रूर तुम्हारी बेगुनाही साबित करेंगे।”

    रागिनी ने सिर हिलाकर धन्यवाद व्यक्त किया, लेकिन उसके मन में अत्यधिक बेचैनी थी। उसने सारा को तीव्र नज़र से देखा।

    सारा का चेहरा मासूम लग रहा था, जैसे उसने कुछ गलत किया ही न हो।

    समीर सारा के पास चल रहे थे और उसके साथ थे। “चिंता मत करो, मैं ज़रूर जिनसेंग ढूँढ लूंगा।”

    “ठीक है, धन्यवाद, भैया!” सारा का दिल गर्माहट से भर गया।

    रागिनी ने मन ही मन सोचा कि वह बिल्कुल भी आंगन की तलाशी नहीं होने दे सकती। इसलिए, आंगन के प्रवेश द्वार तक पहुँचने से पहले उसने बेहोशी का नाटक किया।

    “रागिनी, क्या हुआ?” हर्षवर्धन का दिल द्रवित हो गया, उसने उसे सहारा दिया।

    जैसे ही वह बेहोश हुई, हर्षवर्धन तुरंत डॉक्टर को बुलाने लगे।

    सारा आगे बढ़ी। “पिताजी, मुझे देखने दीजिए।”

    “तुम?” हर्षवर्धन आश्चर्यचकित हुए। “तुम क्या जानती हो?”

    जब उन्होंने देखा कि सारा ने तीन चांदी की सूइयाँ निकालकर रागिनी को चुभाने लगी, तो वह तुरंत रुक गए। “रुको! रागिनी को चोट मत पहुँचाओ!”

    “पिताजी, मुझे दवाओं का मोटा-मोटा ज्ञान है। बस कुछ सूइयों की जरूरत है और रागिनी जाग जाएगी।” सारा का चेहरा निश्चिंत था।

    “यह… मुझे पता क्यों नहीं था कि तुम दवाओं जानती हो!”

    हर्षवर्धन चिंता में कांप उठे।

    “पिताजी, यह सब मेरी छोटी बहन की दवा की वजह से था कि मेरी चोटें इतनी जल्दी ठीक हो गईं।”

    समीर की यह बात सुनकर हर्षवर्धन को थोड़ी राहत मिली।

    सारा ने चुपके से होंठों को मोड़ा और रागिनी के   बिंदुओं में सूइयाँ चुभाई। रागिनी बेहोशी का नाटक कर रही थी, लेकिन जब तीन मुख्य बिंदु चुभे, तो वह तुरंत उछली और चिल्लाई, “आह! दर्द हो रहा है!”

    उसकी तेज़ आवाज़ ने हर्षवर्धन को चौंका दिया। “रागिनी, तुम…”

    “पिताजी, रागिनी ठीक है।” सारा ने रागिनी को थपथपाया।

    रागिनी ने दांत पीसे और सारा की ओर गुस्से से देखा।

    उसने जानबूझकर उसे चुभाया था!

    और दर्द बहुत ज़्यादा था!

    सारा का चेहरा निश्चिंत था, जैसे उसे कुछ भी फर्क न पड़ता हो।

    वह और रागिनी किनारे खड़ी थीं। रागिनी अत्यधिक बेचैन थी और पसीना बह रहा था। उसने देखा कि समीर के आदमियों ने तीन जिनसेंग ढूंढ लिए हैं और वह फिर से बेहोश होने लगी।

    लेकिन सारा हल्की मुस्कान के साथ बोली, “डरो मत। मेरी दवा कला से, मैं तुम्हें जागने से रोक नहीं सकती।”

    “तुम…”

    रागिनी की आँखें लाल हो गईं। उसने सूइयों से होने वाले दर्द को याद किया और तुरंत डर महसूस किया।

    हर्षवर्धन ने ढूँढे गए जिनसेंग को disbelief में देखा। “यह… रागिनी क्या हो रहा है? क्या तुमने वाकई रेवती से ऐसा करने के लिए कहा था?”

    “पिताजी, मैंने नहीं किया! अगर हिम्मत होती, तो भी मैं ऐसा नहीं करती!” रागिनी फर्श पर गिरकर घुटनों से खून बहाती रही।

    हर्षवर्धन को भी विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने रेवती को घूरा। “हिम्मत की, बड़ी मिस का जिनसेंग चुराने और दूसरी मिस पर इल्ज़ाम लगाने की!”

    रेवती खून से लथपथ संघर्ष कर रही थी। “सिंग साहब, मैं झूठ नहीं बोल रही। सच में यह दूसरी मिस ही थी!”

    उसने रागिनी की ओर resentfully देखा। वह साफ़ तौर पर उसकी तरफ़ से काम कर रही थी, लेकिन रागिनी उसे बुरी तरह पीटते हुए देख रही थी। वह बहुत क्रूर थी!

    “पिताजी, अगर आप मुझपर विश्वास नहीं करते, रागिनी आपकी इज़्ज़त पर हैं। चाहे आप मुझे सिंग हवेली से बाहर निकाल दें, मैं कुछ कहने की हिम्मत नहीं करूंगी।” रागिनी की नाजुक आँसू लोटस की तरह बह रही थी।

    हर्षवर्धन हमेशा उससे खेद महसूस करते थे। इस क्षण वह उसे दोष कैसे दे सकते थे?

    लेकिन आज के मामले में कई लोग शामिल थे। उनका पक्षपात लोगों में गपशप पैदा कर सकता था, इसलिए उन्हें किसी को मरवाना पड़ा।

    उन्होंने हाथ हिलाकर आदेश दिया, “आदमियों, रेवती ने जिनसेंग चुराई और दूसरी मिस पर इल्ज़ाम लगाया। उसे घसीटकर मार डालो!”

    रेवती ज़मीन पर गिरी। वह जानती थी कि हर्षवर्धन पक्षपाती हैं। इसलिए वह desperation में सारा के पास घिसटकर गिड़गिड़ाई, “बड़ी मिस, मेरी जान बचा लो। मैं दोबारा ऐसा नहीं करूंगी, दोबारा नहीं!”

    सारा ने उसे ठंडे स्वर में हटा दिया। “अगर तुम्हें पता था कि ऐसा होगा, तो पहले क्यों किया? तुमने खुद ही अपनी मौत चुनी।”

    सारा की बात ने रेवती को जगाया। अगर वह सारा के आंगन की दासी होती, तो क्यों उसकी जान खतरे में होती?

    वह रागिनी के लिए काम कर रही थी, लेकिन अपनी जान बचाने के लिए उसे इस्तेमाल कर रही थी!

    रेवती की आँखों में despair थी क्योंकि उसे सार्वजनिक रूप से मार डाला गया।

    रागिनी ने हर्षवर्धन के दिल में अपनी स्थिति सुधारने के लिए रोते हुए कहा, “पिताजी, यद्यपि रेवती ने मुझ पर इल्ज़ाम लगाया, लेकिन जिनसेंग मेरे आंगन में मिला। मेरी जिम्मेदारी है। पिताजी, कृपया मुझे सज़ा दें।”

    हर्षवर्धन ने ठुड़ी कसकर दबाई। “तुम्हें दोष नहीं दिया जा सकता। यह सब उस नीच लड़की रेवती की गलती है!”

    सारा पर गुस्सा निकालने से डरकर, हर्षवर्धन ने खास तौर पर सारा को कहा, “सारा, तुम्हारी बहन को इस मामले में गलत साबित नहीं किया गया। जिनसेंग चुराई थी, वह रेवती थी। तुम उस पर गुस्सा मत निकालना।”

    सारा ने दिल में मुस्कुराया। परिणाम इतना स्पष्ट था, फिर भी रागिनी ही दोषी साबित हुई?

    छोड़ो।

    उसके पिता कभी सही-गलत का फर्क नहीं कर पाए। इसलिए उसने उम्मीद नहीं की थी कि वह रागिनी को सज़ा देंगे।

    सारा बोली, “ज़रूर, मैं अपनी छोटी बहन को दोष नहीं दूँगी, लेकिन वह आज इतनी दहशत में थी कि बेहोश हो गई। मुझे डर है कि उसे पूरी तरह आराम की जरूरत है। पिताजी, क्यों न आप उसे एक महीने तक आंगन में आराम करने दें और बाहर न निकलने दें? इस तरह आज रात की घटना फैलकर उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान नहीं पहुँचेगी।”

    हर्षवर्धन ने दाढ़ी सहलाते हुए सिर हिलाया। “यह भी अच्छा है।”

    उन्होंने रागिनी से कहा, “रागिनी, अगले एक महीने तक आंगन में रहो। बाहर मत निकलो।”

    “हाँ, मैं पिताजी और बहन की बात याद रखूँगी।” उसने ज़ाहिर में सहमति दी, लेकिन मन ही मन सारा को चिथड़े-चिथड़े करने की इच्छा रखती थी!

    वह बस ऐसे ही एक महीने के लिए बंद कर दी गई!

    उसकी नजर तीन जिनसेंग पर पड़ी। उसका दिल दुखा क्योंकि सारा उन्हें वापस लेने वाली थी। वह एक माँगना चाहती थी।

    लेकिन सारा तुरंत बोली, “पिताजी, भले ही जिनसेंग मिल गई है, सिंग हवेली में चोरों से सुरक्षा मुश्किल है। इसे दोबारा खोने से बचाने के लिए, बेहतर होगा कि भैया इसे पहले रख लें।”

    “ठीक है… मैं रख लूंगा। मेरी चीज़ों को कौन छूने की हिम्मत करेगा!” हर्षवर्धन ने तुरंत उसे रोक दिया। वह इस जिनसेंग को बहुत चाह रहे थे, इसलिए किसी और को लेने कैसे दे सकते थे?

    “भैया सेना के प्रबंधन में सख़्त हैं। आंगन के नौकर भी सेना से हैं। वे निश्चित रूप से दुरुपयोग नहीं करेंगे। राजकुमार यह जानकर निश्चिंत होंगे कि जिनसेंग भैया के पास है। लेकिन अगर राजकुमार को आज रात की घटना का पता चला…”

    सारा का छोटा चेहरा चिंता में भर गया।

    हर्षवर्धन पहले ही रूद्राक्ष के गुस्से वाला चेहरा सोच सकते थे।

    उन्होंने निराशा में हाथ हिलाया। “छोड़ो! समीर के पास ही रहने दो ।”

    आज रात की उथल-पुथल के बाद, उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ और गुस्से में अपने कमरे में लौट आए।

    आगे इस कहानी में क्या होगा जाने के लिए बने रहे मेरे साथ और पढ़ीए  मेरी इस दिलचस्प कहानी को ......

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  • 14. Rebirth phoneix 🐦‍🔥 queen deep in love - Chapter 14

    Words: 1420

    Estimated Reading Time: 9 min

    जब समीर जिनसेंग लेकर चला गया, तो उसने सारा को उसके कमरे तक छोड़ दिया।
    हल्की-सी चाँदनी समीर की आँखों पर पड़ी, जिससे उनमें एक नरम चमक झलक रही थी, मानो उन पर चाँदी की परत चढ़ी हो।

    उसने नरम आवाज़ में कहा—
    “बहन, चिंता मत करो। जिनसेंग मेरे पास है। तुम कभी भी आकर ले सकती हो। मैं इसकी हिफाज़त करूँगा और किसी को भी इसे छूने का मौका नहीं दूँगा।”

    सारा का लहजा शांत था—
    “असल में तो मैं ये जिनसेंग तुम्हें ही देना चाहती थी। तुम अपने लिए रख लो।”

    समीर हैरान हुआ—
    “इतनी महंगी चीज़, तुम्हें परवाह नहीं?”

    सारा हल्के से मुस्कराई—
    “ये तो बस कुछ जिनसेंग ही हैं। मेरे भाई का मुझ पर जो प्यार है, उसकी बराबरी इनकी कीमत कभी नहीं कर सकती।”

    उसकी आँखों में हल्की-सी ग्लानि चमकी। पिछले जीवन में समीर की दुखद मौत का दृश्य उसकी आँखों के सामने आ गया।
    आज पुनर्जन्म के बाद वह हर पल को सँभालना चाहती थी, जो उसे समीर के साथ मिले।

    समीर ने कभी किसी के चेहरे पर इतनी गहरी ग्लानि नहीं देखी थी।
    ऐसा लग रहा था मानो उसने कोई बड़ा पाप किया हो और अब प्रायश्चित कर रही हो।

    लेकिन, उसकी बहन ने कौन-सा ऐसा भारी अपराध किया था?

    समीर ने धीरे से अपना हाथ सारा के कंधे पर रखा। उसकी आवाज़ उतनी ही कोमल थी जितनी कि चाँदनी—
    “बहन, मैं जिंदगी भर तुम्हें दुलारूँगा। तुम्हें मेरे सामने झिझकने की ज़रूरत नहीं। अगर कभी कोई तुम्हें दुख पहुँचाए, तो मुझे बताना। मैं तुम्हारे लिए ज़रूर बदला लूँगा!”

    “ठीक है।” सारा हल्के से मुस्कराई।
    पुनर्जन्म के बाद यह उसकी पहली सच्ची मुस्कान थी।

    समीर ने देखा कि वह आँगन में लौट रही है। तभी आदर्श बगल में खड़ा था। उसकी आँखों में अविश्वास भरा हुआ था।
    “सारा अब पहले जैसी नहीं रही। अब तो उसके पास दिमाग भी है।”

    समीर ने सख्ती से उसकी तरफ देखा।
    आदर्श ने तुरंत अपना मुँह ढक लिया—
    “मेरा मतलब था—बड़ी मिस!”

    समीर का सुंदर चेहरा वीरता से भरा हुआ लग रहा था।
    इस जन्म में वह अपनी बहन की रक्षा हर हाल में करेगा।


    --
    जैसे ही सारा वापस लौटी, उसकी उम्मीद के मुताबिक पूरा आँगन घुटनों पर बैठे लोगों से भरा हुआ था।
    कुछ दासियाँ, बूढ़ी औरतें और नौकर—all उसके सामने थे। उनकी आँखों में डर था, जैसे कुछ कहना चाहते हों लेकिन हिम्मत न हो।

    वह जैसे ही आराम के लिए कमरे में जाने लगी, बूढ़ी औरत कांता तुरंत बोली—
    “बड़ी मिस, हम पर भरोसा कीजिए। हम सब आपके वफादार हैं!”

    सारा ने ठंडी हँसी के साथ होंठ मोड़े—
    “मुझे तो ऐसा नहीं लगता। तुम वफादार हो, या फिर रेवती की लाश देखकर मजबूरी में वफादार बनने का नाटक कर रहे हो?”

    सबके चेहरों पर लालिमा-सी छा गई।
    वे हैरान भी थे, शर्मिंदा भी और डरे हुए भी।

    बूढ़ी औरत कांता के पाँव काँप गए। वह घुटनों पर गिर पड़ी और गिड़गिड़ाने लगी—
    “मिस, चाहे पहले हमें किसी ने भेजा हो, अब हम पूरी वफादारी से आपके लिए काम करेंगे। हमें एक मौका दीजिए, मिस। हमें भी रेवती जैसा अंजाम मत दीजिए!”

    हाँ, हर किसी को मौत से डर लगता है।
    रेवती की मौत अब उन सबके सिर पर लटकती तलवार बन गई थी।

    माया ने एक कुर्सी खींचकर सारा को बैठने दिया।
    सारा ने ठंडी आवाज़ में कहा—
    “रेवती की लाश देखी तुमने? जाकर देखो! वही अंजाम होगा उनका, जो मुझे धोखा देकर दूसरों का साथ देंगे। मैं, सारा, इसे बर्दाश्त नहीं कर सकती!
    जो मेरे साथ वफादार रहना चाहता है, वो यहीं रहे।
    बाकी सब अभी जा सकते हैं!”

    उसने उन्हें सोचने का मौका दिया।
    दो नौकर तुरंत उठकर चले गए—क्योंकि सारा की पहले की बदनाम छवि उन्हें याद थी और अब मौका मिला तो निकल लिए।

    बाकी बूढ़ी औरत कांता और उसके साथी वहीं घुटनों पर टिके रहे।

    सारा ने माया से पूछा—
    “सिंग हवेली में इनका मासिक वेतन कितना है?”

    माया ने एक-एक करके बताया—
    “दो छोटी दासियाँ—महीने का एक तौला चाँदी, बूढ़ी औरत—दो तौला, और नौकर—एक तौला।”

    सारा ने सिर हिलाया।
    “आज से, जो मेरे प्रति वफादार रहेंगे, उन्हें पाँच तौला चाँदी हर महीने मिलेगा।”

    बूढ़ी औरत कांता और बाकी लोगों की आँखें फटी की फटी रह गईं।
    “प…पाँच तौला?”

    इतना पैसा तो कई लोग पूरे साल में भी नहीं कमाते!
    सिंग हवेली में आज तक इतना बड़ा वेतन किसी को नहीं मिला था।

    सारा का चेहरा ठंडा था लेकिन उसकी आवाज़ में एक बेहद प्रबल असर था—
    “जो लोग मेरे पास रहकर सेवा करेंगे, उनका अच्छा ख्याल रखा जाएगा। लेकिन अगर किसी के मन में बुरे इरादे हुए, तो सख्त सज़ा दूँगी। समझ गए?”

    सब इतने भावुक और आश्वस्त हुए कि एक-एक कर सिर झुकाकर बोले—
    “मिस, हम ज़रूर आपकी सेवा करेंगे!”
    “हाँ, हम नौकर भी!”

    फिर सारा उन्हें जाने को कहकर अपने कमरे में लौट आई।

    माया ने भौंहें सिकोड़कर धीरे से पूछा—
    “मिस, आपकी मासिक पेंशन तो बहुत कम है। इतनी बड़ी तनख्वाह का इंतजाम कहाँ से करेंगी?”

    सारा ने एक प्याला चाय पिया, लेकिन स्वाद कड़वा लगा और उसने थूक दिया।
    “पुरानी चाय तो लगभग खत्म हो चुकी है, है न?”

    माया ने सिर हिलाया—
    “हाँ, मिस! घर में अब पुरानी चाय लगभग खत्म है। अगर आपने वादा किए पाँच तौला पूरे न किए तो…”

    सारा शांत आवाज़ में बोली—
    “पूरा होगा। कल सुबह कोई मुझसे मिलने आएगा। माया, तुम दरवाज़े पर इंतज़ार करना।”

    “कौन?”

    माया और पूछना चाहती थी, लेकिन सारा बिस्तर पर लेट गई और सो गई।
    उसका आत्मविश्वास देखकर माया के मन से भी संदेह दूर हो गया।


    ---

    अगली सुबह, माया दरवाज़े पर खड़ी सोच रही थी—
    कौन सारा से मिलने आने वाला है?
    क्या कोई उसे पैसे देने वाला है?

    तभी मैनेजर धनंजय सुबह-सुबह सिंग हवेली पहुँचे और सारा से मिलने की माँग की।
    माया ने देखा कि वह सादे कपड़ों में थे, उन्हें देखकर बिल्कुल नहीं लगा कि वह पैसे लाएँगे।

    वह उन्हें सारा के पास ले गई।
    जैसा उसने सोचा था, मैनेजर धनंजय ने आते ही कहा—
    “मिस, अगर आप सचमुच इतनी काबिल हैं, तो कृपया अद्वैतिय मेडिकल स्टोर को बचा लीजिए!”

    माया घबराकर लगभग रोने लगी—
    “मिस, हमारे पास अब मेडिकल स्टोर चलाने के लिए बिल्कुल भी पैसे नहीं बचे!”

    मैनेजर धनंजय ने भी लाचारगी से कहा—
    “हालाँकि मेडिकल स्टोर चलाने के लिए पैसा बहुत ज़रूरी है, लेकिन मिस की दवा कला कमाल की है! आपने जो दवा दी थी, मैंने दो दिन इस्तेमाल की और मेरी टाँगों का दर्द काफी कम हो गया।”

    उनकी आँखों में चमक थी, जब वह सारा की ओर देख रहे थे।

    सारा ने सिर हिलाया—
    “अब जब तुम्हारी टाँगें ठीक हो रही हैं, तो काम करना आसान होगा। इसे ले जाओ और मेडिकल स्टोर में इस्तेमाल करो। यकीन है जल्द ही बिकेगा।”

    उसने मेज़ पर से दो ब्लड क्लॉटिंग ग्रास निकालकर रख दिए।

    मैनेजर धनंजय ने जैसे ही जड़ी-बूटी की खुशबू सूंघी, वह दंग रह गए—
    “ये तो अभी-अभी तोड़ी गई ताज़ी जड़ी-बूटी है! जब दवा में इस्तेमाल होगी तो बेहद असर करेगी। इसकी एक गोली कम से कम साढ़े तीन हज़ार तौला चाँदी में बिकेगी।”

    दो ब्लड क्लॉटिंग ग्रास = सात हज़ार तौला!

    माया की आँखें खुशी से चमक उठीं—
    “मिस, ये तो कमाल हो गया!”

    उसने आदर से मैनेजर धनंजय को विदा किया।
    वह अनुभवी थे और अच्छे संबंध भी रखते थे।
    सिर्फ एक दिन में उन्होंने दोनों जड़ी-बूटियाँ बेच दीं और पूरे सात हज़ार तौला चाँदी लेकर सारा के पास लौटे।

    सारा ने नोट गिने। तीन हज़ार अपने पास रखे और चार हज़ार उन्हें सौंप दिए।

    मैनेजर धनंजय घबरा गए—
    “मिस, ये पैसे आप रख लीजिए। सिंग हवेली में रहते हुए आपको पैसों की ज़रूरत पड़ेगी।”

    उन्होंने चोरी-छिपे सारा के आँगन का मुआयना भी किया था।
    बदलापुर में शायद सारा सबसे निर्धन बेटी थी।
    उन्हें अपने पुराने मालिक की तरफ से उस पर तरस आ रहा था।

    लेकिन सारा बोली—
    “ये पैसे अद्वैतिय मेडिकल स्टोर के लिए हैं। सबसे पहले, दोनों बूढ़े वैद्यों को हज़ार-हज़ार तौला दे देना। उनकी कला बेहतरीन है और उन्होंने सालों तक मेडिकल स्टोर के साथ कष्ट झेले हैं। ये उनके लिए सांत्वना होगी।
    दूसरा, स्टोर की मरम्मत कराओ, उसे बड़ा बनाओ और और लोगों को भर्ती करो।”

    मैनेजर धनंजय ने सिर झुकाकर कहा—
    “मुझे सब याद रहेगा। मिस, मैं वैसा ही करूँगा जैसा आपने कहा। बस कुछ ही समय में हमारा मेडिकल स्टोर फिर से सही तरह से चलने लगेगा।”

    उनकी आँखों में उम्मीद झलक रही थी, जब वह सारा की ओर देख रहे थे।

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  • 15. Rebirth phoneix 🐦‍🔥 queen deep in love - Chapter 15

    Words: 1475

    Estimated Reading Time: 9 min

    माया ने मैनेजर धनंजय को बाहर भेजा और उछलते हुए खुशी-खुशी लौट आई।
    “मिस, हमारा अद्वैतिय मेडिकल स्टोर अब ज़रूर और तरक्की करेगा। आगे चलकर आपके पास बहुत सारा पैसा होगा!”

    सारा ने सिर हिलाया।
    “ये तो बस पहला क़दम है। अद्वैतिय मेडिकल स्टोर का प्रबंधन इससे कहीं बड़ा है।”

    औषधीय जड़ी-बूटियों के अलावा औषधि किंग घाटी में कई तरह की सब्ज़ियाँ भी उगाई जाती थीं। सारा ने कुछ सब्ज़ियाँ और मूली निकालीं और माया से पकाने को कहा। दोनों ने वही खाकर दो दिन बिताए और साफ़ महसूस किया कि उनका शरीर और ताक़तवर हो गया है।

    उसने माया से कहा कि कुछ सब्ज़ियाँ समीर को भी भेज दो।

    जब माया लौटी तो आदर्श भी वहीं था। उसने सारा को एक कार्ड दिया।
    “युवा मिस, जनरल परीक्षा पाँच दिन बाद होगी। युवा मालिक चाहते हैं कि आप भी चलकर देखें।”

    जनरल की परीक्षा, जनरल बनने की सख़्त शर्त थी।

    शौर्य साम्राज्य ने युद्ध कला के बल पर ही दुनिया को शांत किया था। उनके पूर्वज सम्राट युद्ध कला में असाधारण थे। उन्होंने युद्ध कला में निपुण लोगों को दरबार में बुलाकर जनरल बनाया और उनका प्रशिक्षण कराया। इस तरह लाखों ताक़तवर सैनिक तैयार हुए और वे नौ प्रांतों में मशहूर हुए।

    लेकिन शौर्य साम्राज्य में जनरल बनना आसान नहीं था। चाहे कोई बड़े घराने से आता हो, फिर भी उसे सख़्त परीक्षा पास करनी ही पड़ती थी। हर साल ये परीक्षा होती थी ताकि जनरल कभी ढीले न पड़ें। अगर वे पिछड़ते, तो तुरंत पद और अधिकार खो देते और अगली परीक्षा तक इंतज़ार करना पड़ता।

    पिछले जीवन में, समीर उसकी वजह से फँस गया था और बड़ी मुश्किल से युद्ध कला प्रतियोगिता में टिका रहा। लेकिन आख़िरी प्रतियोगिता में वह गौरव से हार गया और जनरल का पद खो बैठा।

    लेकिन इस जीवन में…

    सारा की ख़ूबसूरत आँखों में दृढ़ता चमक उठी।
    “मैं ज़रूर जाऊँगी और बड़े भाई का हौसला ख़ुद बढ़ाऊँगी।”

    आदर्श उसकी सहज सहमति देखकर दंग रह गया।
    “आप सच में जाएँगी? कहीं युवा मालिक को नीचे तो नहीं खींचेंगी?”

    “ये कैसी बात है! मिस अपने बड़े भाई की बहुत परवाह करती हैं। उन्होंने उसके लिए खाना भेजना भी नहीं भूला!” माया ने गुस्से में आदर्श के पाँव पर ज़ोर से पैर रख दिया।

    आदर्श दर्द से कराह उठा और गुस्से से माया को घूरने लगा।
    “बेवकूफ़ लड़की! ये हिंसा कहाँ से सीख ली!”

    उसे तुरंत याद आया—ये सब तो सारा से सीखा है!

    उसके चेहरे के घाव अभी तक भरे भी नहीं थे।

    “माया, इसे बाहर निकालो।”

    सारा ने हल्के स्वर में आदेश दिया। माया ने तुरंत झाड़ू उठाकर आदर्श को बाहर खदेड़ दिया।

    आदर्श घबराकर भागते हुए अथांग गार्डन पहुँचा और सिर हिलाते हुए बड़बड़ाया—
    “इनसे पंगा लेना नामुमकिन है!”

    अब वह बड़ी मिस से कभी टकराने की हिम्मत नहीं करेगा।




    नवें सम्राट का महल।

    राहुल, जो शानदार कपड़ों में सजा था, रूद्राक्ष के सामने उछलता-कूदता आया और शरारती अंदाज़ में आँख मारी।
    “नवें सम्राट चाचा, जनरल परीक्षा पाँच दिन बाद होगी। सबसे ज़्यादा दाँव तो बुढ़े जनरल सिंग के दो पोते—समीर और गौरव—पर लग रहे हैं। आप किस पर दाँव लगाएँगे?”

    रूद्राक्ष ने अपनी मज़बूत उंगलियों से मेज़ पर दस्तक दी।
    “समीर।”

    “तो मैं गौरव पर दाँव लगाऊँगा! समीर को कुछ दिन पहले चोट लगी थी, वह इतनी जल्दी ठीक नहीं हो सकता। ऊपर से उसकी एक बहन है, जिसने उसे ज़हर दिया और जो बोझ बनी हुई है, तो वह गौरव को कैसे हरा सकता है।” राहुल ने अपनी कमर से लटकती जेड पिक्सियू को दबाया और दृढ़ भाव से कहा।

    “एक बहन जो बोझ है?” रूद्राक्ष के होंठों पर हल्की मुस्कान उभरी।
    “ज़रूरी नहीं।”

    राहुल ने उसके होंठों की मुस्कान देखी तो बुरी तरह काँप उठा।
    “सम्राट चाचा, आप… आप हँस तो नहीं रहे?”

    हे भगवान!

    उसे एक बेहद डरावना आभास हुआ।

    वह मनमौजी आठवाँ राजकुमार था, और उसके पिता ने भी उसे कभी गंभीरता से नहीं लिया था। लेकिन वह सिर्फ़ एक शख़्स से डरता था—अपने नवें सम्राट चाचा, रूद्राक्ष से!

    उसे ख़ासतौर पर रूद्राक्ष की हँसी से डर लगता था।

    क्योंकि अगर वे मुस्कुरा दें, तो ज़रूर किसी पर मुसीबत टूटने वाली होती थी।

    रूद्राक्ष उससे दस साल बड़े थे और बचपन से ही “दूसरे लोगों के बेटे” जैसे थे—कविता, साहित्य, घुड़सवारी, धनुर्विद्या—सबमें श्रेष्ठ। शौर्य साम्राज्य में उनकी बराबरी का कोई नहीं था।

    उनका स्वभाव भी बेहद विचित्र था। बचपन में, राजकुमार गुरुजी या आचार्य से नहीं, बल्कि नवें सम्राट चाचा से सबसे ज़्यादा डरते थे।

    अगर वे मस्ती कर रहे होते और कोई कह देता—“नवें सम्राट चाचा आ गए”—तो सब काँप जाते!

    रूद्राक्ष ने ठंडी निगाहों से राहुल को देखा।
    “मैं हँस नहीं सकता?”

    उनके चारों ओर यमराज जैसा डरावना आभामंडल छा गया। राहुल काँप उठा और जल्दी-जल्दी मुर्गे की तरह सिर हिलाने लगा।
    “न-नहीं… आप हँस सकते हैं, सम्राट चाचा! आप जब हँसते हैं तो पूरे शौर्य साम्राज्य में सबसे अच्छे लगते हैं!”

    “हूँ, तुम्हारी पसंद अच्छी है।” रूद्राक्ष ने संतोष से सिर हिलाया और सारा का जेड लॉकेट हाथों में घुमाने लगे।

    “अरे… सम्राट चाचा, लेकिन अभी आपने क्या कहा? बुढ़े जनरल सिंग की नादान पोती तो बस समीर को नीचे ही गिराएगी, है ना?” राहुल ने झिझकते हुए फिर पूछा।

    रूद्राक्ष ने उसकी ओर देखना भी ज़रूरी नहीं समझा।
    “कुछ दिन पहले मैंने उसे तीन जिनसेंग दिए थे। समीर की चोट अब तक ठीक हो जानी चाहिए। और जहाँ तक किसी के उसे बेवकूफ़ कहने की बात है, तो मुझे लगता है उसे सेना के कैंप में भेजना चाहिए, ताकि वह सुधर सके।”

    “अलविदा, सम्राट चाचा!”

    राहुल आँधी की तरह महल से भागा और अपने निवास पर पहुँचकर सीने पर हाथ मारते हुए बोला—
    “हे भगवान! फौज के कैंप में जाना तो मौत को दावत देना है!”

    उसकी माँ, सम्राट उपपत्नी, ने उसे बचपन से ही बिगाड़ रखा था। उसकी घुड़सवारी और धनुर्विद्या सबसे ख़राब थी। फौज के कैंप में जाना तो मौत माँगने जैसा था!

    लेकिन सम्राट चाचा सिर्फ़ इसलिए उसकी जान लेना चाहते थे क्योंकि उसने सारा को बेवकूफ़ कह दिया?

    ये तो सरासर पक्षपात था!

    “सम्राट चाचा में ज़रूर कुछ गड़बड़ है!” बदलापुर की आठ त्रिगुट टोली का मुखिया होते हुए, राहुल ने तुरंत नोट कर लिया कि रूद्राक्ष का सारा के प्रति व्यवहार कुछ अलग है!


    ---

    पाँच दिन बाद, मैजिक टावर।

    सारा लाल रंग की सुनहरी कमल कढ़ाई वाली पोशाक पहनकर घोड़ा-गाड़ी से उतरी और युवतियों के एक समूह के साथ अवलोकन मंच पर जा बैठी।

    उसकी सीट सबसे आगे की तीनों में पहली थी। राजकुमारियों को छोड़कर, यह सबसे अच्छी जगह थी, जहाँ से पूरा दृश्य और प्रतियोगिता मंच साफ़ दिख रहा था।

    कई लोग उसे ईर्ष्या से देख रहे थे। कार्मिक मंत्रालय के मंत्री की बेटी कामना ने तो उसे ताना भी मारा—
    “अब तो परिवार के रसूख पर सहारा लेकर, कोई भी बेवकूफ़ मैजिक टावर तक पहुँच सकती है।”

    सारा अपनी सीट पर बैठी रही और बेपरवाह स्वर में बोली—
    “सही कहा। अगर तुम चुप रहतीं, तो किसी को पता भी न चलता कि तुम अपने परिवार के रसूख पर टिकी एक बेवकूफ़ हो।”

    कामना का चेहरा लाल हो गया।
    “मैं तुम्हारी बात कर रही हूँ!”

    सारा ने मासूमियत से उसकी ओर देखा।
    “मैं भी तुम्हारी ही बात कर रही हूँ! क्या कुछ ग़लत हुआ? मिस कामना, क्या तुम इतनी उतावली हो कि ख़ुद को ही बेवकूफ़ साबित करना चाहती हो?”

    आस-पास बैठी युवतियाँ हँस पड़ीं। कामना गुस्से में पैर पटकने लगी।
    “त-तुम्हें तो अपनी बहन से सबक़ दिलवाना चाहिए! रागिनी कहाँ है? मैं उसे ढूँढूँगी और कहूँगी कि वो तुम्हें अच्छी तरह सबक़ सिखाए!”

    सारा ने ठंडी हँसी हँसी और उसकी आँखें बर्फ़ जैसी ठंडी हो गईं।
    “तो क्या मंत्री के घर की परवरिश यही है—की रखैल की बेटी, वैध पत्नी की बेटी को सिखाए? और छोटी बहन बड़ी बहन को सबक़ दे? तभी तो मिस कामना इतनी मूर्ख है।”

    “सारा, तुम मुझे मूर्ख कहने की हिम्मत करती हो? और रागिनी? अगर उसने तुम्हें नहीं पीटा तो मैं…”

    “धड़ाम!”

    कामना अपनी बात पूरी भी न कर पाई थी कि सारा ने उसे लात मारकर दूर गिरा दिया।

    सारा ने झुककर अपने जूते साफ़ किए। उसकी ठंडी शख़्सियत बर्फ़ की मूर्ति जैसी थी।
    “अगर पिटना चाहती हो, तो दूसरों को बुलाने की ज़रूरत नहीं। बस बोल देना।”

    कामना दो नौकरानियों के सहारे उठी और चिल्लाई—
    “सारा, तुमने मुझे लात मारी! मैं तुम्हें छोड़ूँगी नहीं!”

    सारा तो बस कहना ही चाहती थी—ये तुम्हारी मर्ज़ी है।

    लेकिन तभी एक पुरुष स्वर गूंजा—
    “उसे न छोड़ने के लिए तुम करोगी क्या?”

    कामना वहीं ठिठक गई, जैसे बर्फ़ की सुई ने उसे छेद दिया हो।

    साथ बैठी युवतियाँ भी खामोश हो गईं।

    तभी  सम्राट   रूद्राक्ष सामने आए। उनकी बैंगनी-सुनहरी पोशाक हवा न होते हुए भी लहरा रही थी। उनका चेहरा, जिसने अनगिनत औरतों को दीवाना बनाया था, इस वक्त घमंड और ख़ूनी आभा से दमक रहा था।


    आगे इस कहानी में क्या होगा जाने के लिए बने रहे मेरे साथ और पढ़ीए  मेरी इस दिलचस्प कहानी को ......

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  • 16. Rebirth phoneix 🐦‍🔥 queen deep in love - Chapter 16

    Words: 1438

    Estimated Reading Time: 9 min

    “राजकुमार…” कामना हक्का-बक्का रह गई।

    मैजिक टावर की सीटें औरतों और मर्दों के लिए अलग थीं। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि रूद्राक्ष इधर आ जाएँगे और वह तुरंत डर गई।

    लेकिन बगल की युवतियों ने उसे याद दिलाया—
    “राजकुमार ज़रूर इस बेवकूफ़ का साथ नहीं देंगे। शायद वो तो चाहते हैं कि तुम इसे सबक़ सिखाओ!”

    “हाँ, कामना, मत डर!”

    कामना तो वैसे भी लाड़ली पली थी और बहुत अक़्लमंद कभी रही नहीं। ये सुनते ही उसका आत्मविश्वास लौट आया।

    उसने स्कर्ट उठाई और सारा की ओर इशारा करते हुए बोली—
    “मैं चाहती हूँ कि ये मेरी ड्रेस का मुआवज़ा दे और घुटनों पर बैठकर मुझे दंडवत करे! राजकुमार, ये ड्रेस मेरी माँ ने स्वर्ग सुगंध भवन से मँगवाई है। ये बेहद अनमोल है और बदलापुर में इसकी केवल एक ही जोड़ी है! अभी-अभी सारा ने मुझे लात मारी। इसे ज़रूर माफ़ी माँगनी चाहिए!”

    “ओह?”
    रूद्राक्ष ने भौंह उठाई और सारा की ओर देखा।
    “क्या तुम मुआवज़ा दोगी और घुटनों पर बैठोगी?”

    सारा ने आँखें घुमाईं।
    “नहीं!”

    रूद्राक्ष को सारा को डाँटते देख कामना को लगा कि अब तो वो उसकी तरफ़ हैं। उसने तुरंत मौके का फ़ायदा उठाकर दबाव डालना शुरू कर दिया—
    “अगर तुमने घुटने नहीं टेके तो राजकुमार तुम्हें ज़रूर सज़ा देंगे!”

    सारा की आँखें हल्की सिकुड़ीं और उसकी नज़र रूद्राक्ष की कमर पर लटके जेड पेंडेंट पर पड़ी।

    वो अब भी वही पहने हुए था!

    उसने तो कपड़े तक बदल लिए थे, लेकिन पेंडेंट बदलने और उसे लौटाने का ख्याल तक नहीं आया?

    “सारा, घुटनों पर बैठकर माफ़ी माँगो!”
    रूद्राक्ष को अपने पक्ष में पाकर कामना और अकड़ गई।

    सारा ने उसे बेपरवाही से देखा और ठंडी आवाज़ में बस दो शब्द बोले—
    “सपना देख।”

    “तुम… राजकुमार, आपको इसे ठीक से सज़ा देनी ही होगी!”
    मार खाकर पास आने की हिम्मत न जुटा पाने वाली कामना अब रूद्राक्ष से मदद माँगने लगी।

    रूद्राक्ष ने सिर हिलाया।
    “हाँ, सही कहा। ठीक से सज़ा मिलनी चाहिए।”

    सारा हल्का सा भौं सिकोड़कर सुन रही थी। तभी रूद्राक्ष बोले—
    “अगर तुमने मेरी सवारी को चौंकाया और मुझे नाराज़ किया, तो मैं तुम्हें दंड दूँगा कि तुम घुटनों पर बैठकर देखो।”

    “राजकुमार, मेरी मिस का आपको बुरा मानने का कोई इरादा नहीं है। कृपा कर उसे माफ़ कर दीजिए!” माया तुरंत घुटनों पर बैठकर सारा के लिए गिड़गिड़ाने लगी।

    उसने सारा की ड्रेस का कोना पकड़कर कहा—
    “मिस, जल्दी से राजकुमार से माफ़ी माँग लीजिए।”

    रूद्राक्ष को नाराज़ करना गंभीर अपराध था!
    अगर सिंग को पता चलता तो वे मिस को ज़रूर कड़ी सज़ा देते।

    सारा ने हल्का सा शरीर झटककर रूद्राक्ष की ओर घृणा भरी नज़र डाली।

    कामना बेहद खुश हो गई। उसने हाथ कमर पर रखकर सारा को आदेश दिया—
    “तुम हिम्मत करके राजकुमार की बात नहीं मानोगी? तुम्हारी मौत तय है। जल्दी घुटनों पर बैठो!”

    “हाँ, बिल्कुल सही!”

    “सारा ने कामना का अपमान किया है, उसे दंड मिलना ही चाहिए!”

    “राजकुमार वाक़ई बहुत न्यायप्रिय हैं। ऐसी बेवकूफ़ को दंड मिलना ही चाहिए!”

    राहुल तो काफी देर से मंच पर बैठा तमाशा देख रहा था, लेकिन घटनाक्रम उसकी उम्मीद से परे था। उसने अपनी गोरी सुंदर शक्ल पर हाथ फेरा।
    “क्या सम्राट चाचा सारा को अलग नज़र से नहीं देखते? फिर अब ऐसा क्यों कर रहे हैं?”

    क्या ये बूढ़े कुंवारे सच में सारा का ध्यान खींचना चाहते थे?

    सारा का दिमाग़ तेज़ी से चल रहा था कि इस मुसीबत बने नवें राजकुमार से कैसे बचा जाए। लेकिन तभी उसने महसूस किया कि वह पीछे आ चुके हैं और उसकी कान के पास गरम साँस टकराई।

    आदमी ने बेहद ठंडी और गहरी आवाज़ में कहा—
    “मैं तुमसे कह रहा हूँ।”

    उसकी आँखों की ठंडी चमक सीधे कामना पर पड़ी।

    कामना का चेहरा पीला पड़ गया।
    “र…राजकुमार… आप तो सारा को दंड देना चाहते थे, है न?”

    पास बैठी दो लड़कियां भी दंग रह गईं। आखिर सज़ा तो कामना को क्यों मिल रही थी?

    “मुझे कभी भी एक बात दोहराना पसंद नहीं।”

    रूद्राक्ष ने दबे स्वर में उसे डाँटा। कामना इतनी डर गई कि तुरंत वहीं घुटनों के बल गिर पड़ी।

    धम्म!

    वो ठीक सारा के सामने घुटनों पर गिरी।

    सारा ने भौंहें उठाईं। ये पलटा तो बहुत जल्दी हुआ।

    “हूँ।”

    रूद्राक्ष की गहरी साँस उसकी गर्दन के पीछे छू गई, जिससे उसका बदन काँप उठा।

    जब सारा ने पलटकर देखा, वो पहले ही बैठ चुके थे।

    संयोग से उनकी सीट ठीक उसके ऊपर थी।

    सारा का चेहरा हल्का लाल पड़ गया। रूद्राक्ष की साँस अब भी उसकी गर्दन पर महसूस हो रही थी, मगर दिल में अजीब-सा उलझाव गहराता जा रहा था।

    ये आदमी करना क्या चाहता है?

    उसने उसका जेड पेंडेंट छीन लिया और आज तो जान-बूझकर उसे चिढ़ा रहा था!

    और इस तरह…

    पुनर्जन्म के बाद ये पहली बार था जब सारा किसी को पूरी तरह समझ नहीं पा रही थी।

    सभी लोग अपनी-अपनी सीटों पर बैठ गए, बस कामना अब भी ज़मीन पर घुटनों के बल थी।

    वो तो लाड़-प्यार में पली थी। उसने अपने माता-पिता के सामने तक कभी घुटने नहीं टेके थे। और अब न सिर्फ़ सारा के सामने अपमानित होकर घुटनों के बल बैठी थी, बल्कि प्रतियोगिता भी इसी हाल में देखनी पड़ी।

    वो रोते हुए बुदबुदाई—
    “हु…हु… राजकुमार, मुझे ही क्यों दंड दे रहे हैं? साफ़-साफ़ सारा ही तो मुझे तंग कर रही थी!”

    पीछे खड़ी एक युवती ने दयालुता से सलाह दी—
    “अब और मत कहो। अगर तुमने राजकुमार को और नाराज़ किया, तो तुम्हारे पिता तक मुश्किल में पड़ जाएँगे!”

    “तुमसे मतलब?”
    कामना का स्वभाव तो खराब था ही। उसने तुरंत उसे थप्पड़ जड़ दिया।

    रश्मि ने सिर झुका लिया और आगे समझाने की हिम्मत नहीं की।

    रूद्राक्ष ने मगर सब सुन लिया और सबके सामने कहा—
    “क्योंकि मुझे तुम पसंद नहीं हो।”

    पसंद नहीं?

    इससे कामना और भी तिलमिला गई। उसका नाज़ुक चेहरा आँसुओं से लाल हो गया।
    “राजकुमार, आपको मुझसे क्यों नफ़रत है? तो फिर सारा का क्या?”

    “वो तुमसे ज़्यादा सुंदर है।”

    रूद्राक्ष ने हाथ से सिर टिकाया और निगाह सारा पर डाली।

    सारा ने हाथ बाँध लिए और पीछे पलटकर देखने की कोशिश तक नहीं की।

    क्या ये आदमी जान-बूझकर उसका इस्तेमाल करके कामना का अपमान कर रहा था?

    कामना तो फिर बच्चों की तरह फूट-फूटकर रोने लगी।

    प्रतियोगिता शुरू से अंत तक, वो पूरे चार घंटे घुटनों पर बैठी रही।

    इसी दौरान, राहुल लगातार तेज़ी से लिखता रहा और एक शानदार अध्याय पूरा कर दिया। उसने आख़िरी वाक्य लिखा—
    “औरत तो न पिघली, मगर मर्द तो कब से उसे चाहता था।”

    उसने किताब बंद की और रूद्राक्ष को ऊपर-नीचे देखा। उसे लगा ये तो बिल्कुल हक़ीक़त जैसा लग रहा था!

    उसका सम्राट चाचा तो सारा पर दिल हार चुका था!

    वो बेशर्मी से कह रहे थे कि वो सुंदर है!

    चाहे लड़की ने उन्हें नज़रअंदाज़ कर दिया हो, वो फिर भी बार-बार उसकी ओर देख लेते।

    “पच्चीसवीं लड़ाई, समीर विजयी!”

    मैदान में नगाड़े की आवाज़ गूँजी। समीर का लंबा-चौड़ा शरीर स्थिरता से मंच पर उतरा। उसके लंबे बाल हवा में उड़ रहे थे और वह बेहद वीर लग रहा था।

    “वाह, जनरल सिंग कितने हैंडसम हैं!”

    “जनरल सिंग की युद्ध कला बेहद मज़बूत है, इस बार तो निश्चित रूप से उनका प्रमोशन होगा!”

    “हु…हु… मैं उनसे शादी करना चाहती हूँ! समीर सबसे अच्छे हैं!”

    सारा भी समीर के लिए बेहद खुश थी। वह दर्शक मंच से खड़े होकर चिल्लाई—
    “भाई, तुम कर सकते हो!”

    समीर पलटकर उसकी ओर मुस्कुराया, जिससे मंच पर बैठी असंख्य युवतियाँ चीख़ पड़ीं।

    “आह! जनरल सिंग मुस्कुराए! कितने सुंदर लगते हैं!”

    “भाई समीर ने ज़रूर मुझ पर मुस्कुराया है! हाँ, मुझ पर ही!”

    “हूँ, बहुत ज़्यादा सोच रही हैं! बड़े मास्टर ने तो अपनी मिस पर मुस्कुराया है, उन पर नहीं!” माया ने व्यंग्य किया।

    सारा ने भी होंठों पर मुस्कान लाई और समीर को देखा। मगर उसने गौर किया कि समीर की नज़रें दूसरी तरफ़ जा रही थीं। इससे पहले कि वो देख पाती कि वो किसे देख रहा है, उसने तुरंत ध्यान प्रतियोगिता पर टिका लिया।

    “छब्बीसवीं लड़ाई, समीर बनाम गौरव!”

    “समीर बनाम गौरव!”
    प्रतियोगिता संचालक ने तीन बार ऊँची आवाज़ में घोषणा की।

    एक प्याला चाय पीने जितना समय बीत गया। समीर के सामने का स्थान खाली रहा। गौरव कहीं दिखाई ही नहीं दिया।

    सारा ने हल्का सा माथा सिकोड़ लिया। उसे अपने पिछले जीवन की समीर और गौरव की लड़ाई याद आई, जिसका नतीजा यह था कि समीर बुरी तरह घायल हुआ और गौरव से हार गया।

    लेकिन अब समीर अपनी चोट से पूरी तरह ठीक होकर लगातार दस बार जीत चुका था। शायद गौरव अब उससे लड़ने की हिम्मत ही नहीं कर पाया।

    आगे इस कहानी में क्या होगा जाने के लिए बने रहे मेरे साथ और पढ़ीए  मेरी इस दिलचस्प कहानी को ......

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  • 17. Rebirth phoneix 🐦‍🔥 queen deep in love - Chapter 17

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