Novel Cover Image

Revenge By Love

User Avatar

Black rose🖤💫

Comments

0

Views

97

Ratings

4

Read Now

Description

कभी- कभी जिन्दगी मे ना चाहते हुए भी हमे जिन्दगी मे वो फैसला लेना पडता है जो हम नही लेना चाहते है । प्यार और नफरत के दरमियान काफी कम फासला होता है । कब ये फासला नजदीकीयो मे बदल जाये इसका एहसास भी नही हो पाता । .अतीत के पन्नो मे सुलगती एक प्रमे कहानी...

Total Chapters (26)

Page 1 of 2

  • 1. Revenge By Love - Chapter 1

    Words: 1285

    Estimated Reading Time: 8 min

    📖 Revenge by Love

    Chapter 1 – “ज़हर और ज़िंदगी के दरमियान”

    रात का अँधेरा… और उसके बीच शहर की सबसे ऊँची हवेली जगमगा रही थी।
    बारिश की बूँदें उस हवेली की खिड़कियों से टकरा रही थीं, मानो किसी टूटे दिल की आवाज़ बाहर गूंज रही हो।

    अंदर, रूद्राक्ष सिंह अपने महोगनी के स्टडी-रूम में बैठा था। सामने एक बड़ा-सा ग्लास, जिसमें व्हिस्की की तल्ख़ खुशबू थी।
    उसकी नज़र बाहर नहीं थी—उसकी नज़र उस अतीत पर थी, जिसने उसकी रूह को छलनी कर दिया था।

    वो मुस्कराया… लेकिन वो मुस्कान ज़हरीली थी।
    “प्यार?” उसने अपने आप से कहा।
    “प्यार तो मैंने किया था, रूहानी। और बदले में तुमने मुझे मेरी ही रूह से दूर कर दिया। अब देखना… तुम्हारी हर धड़कन पर मेरी नफ़रत हावी होगी।”

    उसने ग्लास टेबल पर दे मारा। काँच के टुकड़े बिखर गए, जैसे उसकी मोहब्बत की चकनाचूर यादें।


    पेरिस

    रोशनी, शोर और कैमरों की फ्लैशेस।
    एक विशाल हॉल में फैशन शो हो रहा था। मंच पर मॉडल्स चल रही थीं—काले और सुनहरे रंग के आउटफ़िट्स में, जो सबकी आँखों को चकाचौंध कर रहे थे।

    “Ladies and gentlemen… presenting the Queen of Dark Fashion… Ruha Couture!”

    स्पॉटलाइट्स जलीं और सामने आई—रूहानी खुराना।
    काली साड़ी में, गले में चोकर, आँखों में गहरा काजल।
    उसका हर कदम आत्मविश्वास और शान से भरा था।

    भीड़ तालियों से गूँज उठी।
    “Ruha… Ruha…” का शोर हॉल में फैल गया।

    लेकिन शो ख़त्म होने के बाद, जब सब लोग चले गए—
    रूहानी ड्रेसिंग रूम में आईना देख रही थी।
    वो वही चेहरा था, जो कभी किसी की मोहब्बत में खिलता था।
    आज वही चेहरा दर्द और नफ़रत से चमक रहा था।

    उसने आईने में खुद से फुसफुसाया—
    “रूद्र… तुमसे प्यार मेरी सबसे बड़ी गलती थी। अब जब हमारी मुलाक़ात होगी… तो मैं तुम्हें वही दर्द दूँगी, जो तुमने मुझे दिया है।”

    उसकी आँखें लाल हो चुकी थीं।


    ---

    🔥 तीन दिन बाद

    मुंबई

    शहर के बीचोबीच एक पाँच सितारा होटल में बिज़नेस समिट होने वाला था।
    यहाँ दुनिया के बड़े-बड़े इंवेस्टर्स, डिज़ाइनर्स और एंटरप्रेन्योर्स आने वाले थे।

    रूद्राक्ष सिंह इस समिट का मेन होस्ट था।
    वो अपने ब्लैक सूट में किसी शेर की तरह मंच पर खड़ा था।
    सारा मीडिया उसके नाम के नारे लगा रहा था।

    “Mr. Rudra Singh! The Young Tycoon! King of Enterprises!”

    लेकिन ठीक उसी वक्त—
    स्पॉटलाइट दरवाज़े पर पड़ी।
    लाल गाउन में, अपने कॉन्फिडेंस और अटिट्यूड के साथ अंदर दाख़िल हुई—रूहानी।

    पूरा हॉल एक पल को थम गया।
    रूद्र की साँसें रुक-सी गईं।
    पाँच साल बाद… वो सामने थी।

    उसकी आँखें अब मासूम नहीं थीं, उनमें एक ठंडी नफ़रत की आग जल रही थी।
    और रूद्र की आँखें?
    उसमें भी वही तड़प, वही दर्द… और साथ ही एक खतरनाक चाहत।

    दोनों की नज़रें मिलीं।
    भीड़ के शोर में भी एक ख़ामोशी उनके बीच उतर आई।

    रूद्र ने अपने आप से कहा—
    “तो आ ही गई… मेरी रूह।”

    रूहानी ने हल्की मुस्कान दी, लेकिन वो मुस्कान ज़हर से भरी थी।
    “अब देखो, रूद्राक्ष सिंह… इस बार खेल मेरे नियमों पर होगा।”




    रूद्र मंच से उतर कर सीधा उसकी ओर बढ़ा।
    लोग समझ रहे थे कि वो किसी बड़े मेहमान का स्वागत करने जा रहा है।
    लेकिन असल में वो जा रहा था—अपने अतीत की उस चिंगारी की तरफ़, जिसने उसे आज तक जिंदा रखा था।

    वो उसके सामने खड़ा हुआ।
    चेहरा पास लाकर फुसफुसाया—
    “तुम बदल गई हो, रूहानी।”

    रूहानी ठंडी हँसी के साथ बोली—
    “तुम भी, रूद्र। पहले तुम्हारे होंठों पर मोहब्बत का नाम था… अब बस ताक़त और नफ़रत झलकती है।”

    रूद्र ने उसके हाथ पर उँगलियाँ रख दीं, इतनी कसकर कि वो चाह कर भी छुड़ा न सके।
    “मोहब्बत कभी मरी नहीं थी, रूह। बस अब उसका रूप बदल गया है। अब ये मोहब्बत तुम्हें चैन से जीने नहीं देगी… और न ही किसी और की बाँहों में सुकून लेने देगी।”

    रूहानी ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा—
    “तो सुन लो, रूद्राक्ष सिंह… अब मैं तुम्हारी वो मासूम रूहानी नहीं हूँ। अब मैं सिर्फ़ बदला हूँ। और मेरा बदला… तुम्हारे प्यार से भी ज़्यादा खतरनाक होगा।”

    उनकी नज़रें टकराईं—
    प्यार और नफ़रत का dangerous खेल शुरू हो चुका था।


    ---

    मुंबई का वही होटल…

    रात गहराने लगी थी। समिट का पहला दिन ख़त्म हो चुका था।
    बिज़नेस की दुनिया के बड़े लोग अपनी–अपनी महफ़िलों में मशगूल थे। लेकिन पूरे होटल में सबसे ज़्यादा चर्चा सिर्फ़ एक चीज़ की थी—
    “पाँच साल बाद Rudra Singh और Ruha Khurana का आमना–सामना।”

    लोग कानाफूसी कर रहे थे।
    “क्या ये दोनों पहले से एक-दूसरे को जानते हैं?”
    “इतनी ठंडी निगाहों से किसे देखा जाता है भला?”
    “लगता है इस कहानी में बहुत कुछ छुपा है…”

    लेकिन इन फुसफुसाहटों से बेख़बर, रूद्र और रूहानी अपने-अपने कमरे में अकेले थे।


    ---
    रूद्र का कमरा

    सूट की टाई खोलकर उसने शीशे में खुद को देखा।
    आँखों में वही गुस्सा, वही सवाल… जो पाँच साल से उसके सीने में जल रहे थे।
    उसने धीरे से आईने पर हाथ मारा—
    “क्यों लौटी हो, रूहानी? वो भी ऐसे वक्त जब मैंने अपने साम्राज्य को मुकम्मल बना लिया है।”

    उसके चेहरे पर एक शिकारी मुस्कान आई।
    “पर कोई बात नहीं… अब खेल मैं खेलूँगा। तुम्हें हर हाल में झुकना पड़ेगा। या तो मेरे सामने… या मेरी नफ़रत के बोझ तले।”


    ---

    रूहानी का कमरा

    उसने लाल गाउन उतार कर काला नाइट-रोब पहना और बाल खोल दिए।
    आईने में खुद को देखा—
    “कमज़ोर मत पड़ना, रूह। यही मौका है। पाँच साल पहले उसने तुम्हें तोड़ दिया था। अब वक़्त है उसे तोड़ने का।”

    उसकी आँखों में एक आँसू आकर थम गया… लेकिन तुरंत उसने होंठ भींच लिए और काजल के नीचे उस आँसू को छुपा लिया।
    “नहीं। आँसू दुश्मन के सामने कमजोरी होते हैं। और मैं अब उसकी दुश्मन हूँ।”


    ---

    🔥 तीन घंटे बाद –

    होटल का प्राइवेट बार

    रूद्र और रूहानी, दोनों को पता था कि ये टकराव टाला नहीं जा सकता।
    दोनों उसी बार में आ पहुँचे।

    हल्की जैज़ म्यूज़िक बज रही थी।
    रूद्र ने ब्लैक शर्ट पहन रखी थी, टॉप बटन खुले हुए।
    रूहानी लाल वाइन के ग्लास के साथ बार-काउंटर पर बैठी थी।

    वो मुस्कुराई—
    “तो Mr. Rudra Singh, अब भी आदत नहीं गई? बार के कोने में बैठकर दूसरों को शिकार की तरह देखना।”

    रूद्र पास आया, उसके बिल्कुल करीब।
    “और तुम्हें भी आदत नहीं गई, Ruha—
    दुनिया के सामने क्वीन बनना और अकेले में वो मासूम लड़की बन जाना, जिसे मैंने कभी चाहा था।”

    रूहानी का चेहरा तन गया।
    “वो लड़की मर चुकी है, रूद्र। तुमने उसे मार डाला था। अब सामने जो है… वो सिर्फ़ राख है, और उस राख में छुपी आग।”

    रूद्र ने उसकी वाइन का ग्लास हाथ से ले लिया और खुद पी गया।
    “तो फिर उस आग को मैं अपने तरीके से बुझाऊँगा। चाहे तुम चाहो या ना चाहो।”

    रूहानी ने उसकी कलाई पकड़ ली, ज़ोर से।
    “मुझसे खेलोगे तो जल जाओगे, रूद्र। ये भूलना मत।”

    उनकी आँखें टकराईं—
    बार का सन्नाटा और गाढ़ा हो गया।


    ---

    Flashback –

    पाँच साल पहले

    कॉलेज का कैंपस।
    बारिश हो रही थी।
    रूहानी छतरी लिए खड़ी थी, और रूद्र भीगते हुए उसके सामने आया।

    “तुमसे आख़िरी बार कह रहा हूँ, रूहानी। मुझे छोड़कर मत जाओ।”
    उसकी आँखों में दर्द था।

    लेकिन रूहानी ने पीछे हटते हुए कहा—
    “तुम्हें समझ नहीं आएगा, रूद्र… कुछ फैसले हमारे बस में नहीं होते।”

    और वो चली गई थी…
    रूद्र वहीं भीगता रह गया, टूटा हुआ।


    -- flashback end

    रूद्र ने उसका चेहरा अपने करीब खींचा।
    “पाँच साल पहले तुमने जो किया, उसका हिसाब मैं हर पल ले रहा हूँ। अब तुम्हारी हर साँस… मेरे हिसाब की गिनती होगी।”

    रूहानी की नब्ज़ तेज़ हो गई थी, लेकिन उसने मुस्कुराकर जवाब दिया—
    “तो तैयार रहना, रूद्राक्ष सिंह… क्योंकि इस बार शिकारी और शिकार की पहचान बदल चुकी है।”

    उनकी नज़रों में नफ़रत थी… और उसी नफ़रत के भीतर जल रही थी वही पुरानी मोहब्बत।




    💔 Chapter 1 समाप्त

  • 2. Revenge By Love - Chapter 2

    Words: 1035

    Estimated Reading Time: 7 min

    📖 Revenge by Love

    🌌 Flashback – पाँच साल पहले

    कॉलेज का कैंपस।

    बारिश हो रही थी।

    रूहानी छतरी लिए खड़ी थी, और रूद्र भीगते हुए उसके सामने आया।

    “तुमसे आख़िरी बार कह रहा हूँ, रूहानी। मुझे छोड़कर मत जाओ।”

    उसकी आँखों में दर्द था।

    लेकिन रूहानी ने पीछे हटते हुए कहा—

    “तुम्हें समझ नहीं आएगा, रूद्र… कुछ फैसले हमारे बस में नहीं होते।”

    और वो चली गई थी…

    रूद्र वहीं भीगता रह गया, टूटा हुआ।

    ---

    Flashback end

    रूद्र ने उसका चेहरा अपने करीब खींचा।

    “पाँच साल पहले तुमने जो किया, उसका हिसाब मैं हर पल ले रहा हूँ। अब तुम्हारी हर साँस… मेरे हिसाब की गिनती होगी।”

    रूहानी की नब्ज़ तेज़ हो गई थी, लेकिन उसने मुस्कुराकर जवाब दिया—

    “तो तैयार रहना, रूद्राक्ष सिंह… क्योंकि इस बार शिकारी और शिकार की पहचान बदल चुकी है।”

    उनकी नज़रों में नफ़रत थी… और उसी नफ़रत के भीतर जल रही थी वही पुरानी मोहब्बत।

    अब आगे👉

    Chapter 2 – “साज़िश और सन्नाटा”

    बार का माहौल पहले ही भारी था, लेकिन जब रूद्र ने उसकी कलाई पकड़ी तो जैसे पूरा कमरा सन्नाटे में डूब गया।

    दोनों के बीच की नज़दीकी ऐसी थी कि उनकी साँसों की आवाज़ तक साफ़ सुनाई दे रही थी।

    रूहानी ने अपनी नज़रें झुका लीं, लेकिन वो झुकना उसकी हार नहीं थी। वो सिर्फ़ वक़्त का खेल थी।

    “छोड़ो मुझे, रूद्र। तुम्हारे स्पर्श से अब मुझे सिर्फ़ नफ़रत आती है।”

    रूद्र ने ठंडी हँसी छोड़ी।

    “नफ़रत? नफ़रत भी उसी से की जाती है, जिससे मोहब्बत कभी बेइंतहा हुई हो। और तुम ये झूठ कभी छुपा नहीं पाओगी कि तुम्हारा दिल अब भी उसी मोहब्बत के बोझ तले दबा है।”

    रूहानी ने उसकी कलाई झटके से छुड़ा ली और पीछे हटते हुए कहा—

    “अगर तुम सोचते हो कि पाँच साल में मैंने वही मासूमियत संभाल कर रखी है तो भूल जाओ। अब मैं Ruha Khurana हूँ… वो नाम जो तुम्हारी ताक़त से कहीं आगे है। और इस बार मैं सिर्फ़ अपने लिए नहीं, तुम्हारे खिलाफ़ जी रही हूँ।”

    उसकी आवाज़ ज़हरीली थी, पर उसकी आँखों में वो चमक अब भी थी… जो रूद्र को कमज़ोर बना देती थी।

    ---

    🌑 रूद्र का दांव

    रूद्र ने आगे बढ़कर उसके कान के पास फुसफुसाया।

    “तुम्हारे इस कॉन्फिडेंस को मैं टूटते हुए देखना चाहता हूँ, Ruha। तुम्हारे इन नकली मुस्कानों के पीछे छुपे आँसू मैं निकाल कर लाऊँगा। और तब… तुम देखोगी कि असली शिकारी कौन है।”

    रूहानी उसकी इस नज़दीकी से काँप उठी, लेकिन उसने अपने डर को मुस्कान में बदल दिया।

    “याद रखना, रूद्र… अगर तुम आग हो, तो मैं वो तूफ़ान हूँ जो उस आग को बुझा भी सकता है और भड़का भी सकता है।”

    दोनों के बीच ये तकरार वहीं थम गई जब बारटेंडर पास आया।

    “Sir, Ma’am… will you order something?”

    रूद्र ने उसकी तरफ़ देखे बिना जवाब दिया—

    “हमारा खेल ही हमारी ड्रिंक है।”

    और रूहानी ने कंधे उचका दिए, मानो ये जंग अब शुरू हो चुकी हो।

    ---

    🌌 Flashback – कॉलेज की आख़िरी रात

    रूहानी हॉस्टल के गेट पर खड़ी थी, बैग उसके हाथ में।

    उसकी आँखें भीगी हुई थीं, लेकिन दिल और भी भारी।

    रूद्र उसके सामने खड़ा था।

    “कम से कम बता तो दो कि क्यों जा रही हो? अगर कोई परेशानी है तो हम साथ मिलकर उसका हल निकाल सकते हैं।”

    रूहानी ने होंठ काटे और धीरे से कहा—

    “कभी-कभी हालात हमें मजबूर कर देते हैं, रूद्र। और तुम्हारे लिए सबसे अच्छा यही है कि मैं चली जाऊँ।”

    रूद्र ने उसका हाथ पकड़ने की कोशिश की, लेकिन उसने झटके से छुड़ा लिया और तेज़ क़दमों से अंधेरे में खो गई।

    उस रात बारिश ज़्यादा तेज़ हो गई थी… और रूद्र की दुनिया उसी बारिश में बह गई थी।

    ---

    🌙 वर्तमान – होटल का गलियारा

    बार से निकलकर दोनों अपने-अपने रास्ते चले, लेकिन एक-दूसरे की मौजूदगी उनके सीने पर भारी थी।

    रूद्र कमरे की ओर जाते हुए सोच रहा था—

    “पाँच साल पहले के उस पल की वजह मैं जान कर रहूँगा। चाहे वो कितनी भी गहराई में दफ़न हो। और जब सच सामने आएगा, Ruha, तुम्हारा सारा साम्राज्य ढह जाएगा।”

    दूसरी ओर, रूहानी अपने कमरे में पहुँची और शीशे के सामने बैठ गई।

    उसने खुद से कहा—

    “वो अब भी वही है—ज़िद्दी, बेरहम और मोहब्बत का कैदी। पर मैं भी बदल चुकी हूँ। अब मैं सिर्फ़ उसकी जेल नहीं बनूँगी, मैं उसकी सज़ा बनूँगी।”

    ---

    🔥 अगले दिन – बिज़नेस समिट का दूसरा दिन

    हॉल लोगों से भरा हुआ था।

    आज Ruha Couture और Rudra Enterprises दोनों की प्रेज़ेंटेशन थीं।

    सारा मीडिया, सारे इंवेस्टर्स उनकी टकराहट देखने के लिए बेताब थे।

    स्टेज पर सबसे पहले रूहानी आई।

    ब्लैक और गोल्ड गाउन में उसकी एंट्री किसी रानी की तरह थी।

    उसने अपनी प्रेज़ेंटेशन शुरू की—

    “Fashion सिर्फ़ कपड़ों का नाम नहीं, ये ताक़त है। और आज Ruha Couture वो ताक़त है जो हर दिल पर राज़ करेगी।”

    तालियों की गड़गड़ाहट गूँज उठी।

    लेकिन तभी स्टेज के पर्दे पीछे से खुले और रूद्र ने अपने अंदाज़ में एंट्री की।

    “Power सिर्फ़ बिज़नेस में नहीं, दिलों पर भी होती है। और याद रखो, हर रानी के सामने एक राजा ज़रूरी होता है।”

    भीड़ हैरान रह गई।

    क्या ये महज़ बिज़नेस की लड़ाई थी… या फिर मोहब्बत और नफ़रत का युद्ध?

    ---

    🌑 स्टेज पर आमना-सामना

    रूद्र और रूहानी आमने-सामने खड़े थे।

    उनकी आँखों में वही नफ़रत थी, लेकिन उनके बीच की chemistry भी सबके सामने साफ़ झलक रही थी।

    रूहानी ने मुस्कराकर कहा—

    “तो अब तुम मेरे रास्ते में आ ही गए।”

    रूद्र ने उसी अंदाज़ में जवाब दिया—

    “रास्ते में नहीं, तुम्हारे हर कदम के नीचे।”

    उनकी ये बातें सुनकर सब लोग हैरान थे, लेकिन किसी को असली सच का अंदाज़ा नहीं था।



    जब समिट खत्म हुआ, रूहानी अकेली कार की तरफ़ जा रही थी।

    अचानक किसी ने उसका हाथ कसकर पकड़ लिया।

    उसने मुड़कर देखा—रूद्र था।

    उसकी आँखों में आग थी।

    “अब खेल शुरू होगा, Ruha। और इस खेल में… तुम्हारी हार तय है।”

    रूहानी ने उसकी पकड़ से हाथ छुड़ाया, लेकिन उसकी मुस्कान और भी ज़हरीली थी।

    “मत भूलो, रूद्राक्ष सिंह… मैंने भी पाँच साल इंतज़ार किया है। और अब मैं वो हर राज़ सामने लाऊँगी… जिससे तुम्हारी साँसें भी ज़हर लगेंगी।”

    हवा में बारूद-सी गंध थी।

    प्यार और नफ़रत का ये खेल अब और भी ख़तरनाक होने वाला था।

    ---

    💔 Chapter 2 समाप्त

  • 3. Revenge By Love - Chapter 3

    Words: 1092

    Estimated Reading Time: 7 min

    जब समिट खत्म हुआ, रूहानी अकेली कार की तरफ़ जा रही थी।
    अचानक किसी ने उसका हाथ कसकर पकड़ लिया।
    उसने मुड़कर देखा—रूद्र था।

    उसकी आँखों में आग थी।
    “अब खेल शुरू होगा, Ruha। और इस खेल में… तुम्हारी हार तय है।”

    रूहानी ने उसकी पकड़ से हाथ छुड़ाया, लेकिन उसकी मुस्कान और भी ज़हरीली थी।
    “मत भूलो, रूद्राक्ष सिंह… मैंने भी पाँच साल इंतज़ार किया है। और अब मैं वो हर राज़ सामने लाऊँगी… जिससे तुम्हारी साँसें भी ज़हर लगेंगी।”

    हवा में बारूद-सी गंध थी।
    प्यार और नफ़रत का ये खेल अब और भी ख़तरनाक होने वाला था।


    --अब आगे 👉

    📖 Chapter 3 – “अँधेरे में जलती आग”

    🌌 मुंबई की रात

    होटल की बालकनी से शहर की रोशनी झलक रही थी। रूहानी वहाँ खड़ी थी, लाल गाउन हवा में लहरा रहा था। उसकी आँखों में सिर्फ़ एक ही भावना थी—जुनून और बदला।

    “पाँच साल… पाँच साल कैसे बर्दाश्त हुए, रूद्राक्ष सिंह?” उसने अपने आप से कहा।
    “तुमने मुझे तोड़ दिया, मेरे प्यार को दफ़न कर दिया। और अब… अब मैं तुम्हें वही अहसास दिलाऊँगी, जो मैंने अपने दिल में दबा रखा था।”

    बारिश की हल्की बूँदें उसकी आँखों पर गिर रही थीं। वो आँसू नहीं थे, बल्कि उसकी आग की नमी। हर बूँद उसकी ठंडी नफ़रत को और गहरा कर रही थी।


    ---

    रूद्र का कमरा

    वहीं रूद्र भी अपने कमरे में था। ब्लैक सूट में, टाई ढीली, वह शीशे में खुद को देख रहा था। उसकी आँखों में वही शिकारी चमक थी, जिसे कोई भी समझ नहीं सकता था।

    “Ruha…” उसने धीरे से फुसफुसाया।
    “तुमने सोचा कि दूर रहकर मैं तुम्हें भूल जाऊँगा? भूल नहीं, बस मैं अब अपने तरीके से खेल रहा हूँ। हर कदम पर तुम्हें महसूस करूँगा। हर साँस में तुम्हें ढूँढूँगा। और जब तक ये खेल खत्म नहीं होगा, तुम्हारा दिल मेरी ज़हर भरी मोहब्बत का बोझ उठाता रहेगा।”

    उसने अपने हाथ की मुठ्ठी कस ली। ग्लास में मौजूद व्हिस्की उसकी सच्चाई को छुपा नहीं पा रही थी।


    ---

    होटल का लॉबी

    अगले दिन की सुबह। समिट का दूसरा दिन शुरू हो चुका था। रूहानी अपने ब्लैक और गोल्ड गाउन में स्टाइलिश और बेहतरीन नजर आ रही थी। लोग उसकी ओर नज़रें टिकाए थे। Ruha Couture के पोस्टर हर कोने में चमक रहे थे।

    रूद्र भी अपनी तरफ़ से कोई कमी नहीं छोड़ रहा था। Rudra Enterprises के बड़े-बड़े बैनर और विज्ञापन हॉल के हर हिस्से में लगे थे। उसकी मौजूदगी का ही ऐसा दबाव था कि सब लोग उसकी तरफ़ देखे बिना रह नहीं पा रहे थे।

    दोनों की नजरें अक्सर टकरा रही थीं। और ये टकराव सिर्फ़ बाहरी था—भीतर से उनके दिल एक-दूसरे को समझ रहे थे।


    आमना-सामना

    रूहानी की प्रेज़ेंटेशन शुरू हुई।
    “Fashion सिर्फ़ कपड़ों का नाम नहीं है, ये ताक़त है। Ruha Couture हर दिल पर राज़ करेगी। और मैं यह दिखाऊँगी कि दर्द को कैसे खूबसूरती में बदला जा सकता है।”

    तालियों की गड़गड़ाहट।
    और फिर, पर्दे के पीछे से रूद्र ने अपने ब्लैक सूट में एंट्री ली। उसकी नज़रें सिर्फ़ रूहानी पर थीं।

    “Power सिर्फ़ बिज़नेस में नहीं, दिलों पर भी होती है। और याद रखो, हर रानी के सामने एक राजा ज़रूरी होता है।”

    भीड़ में सन्नाटा छा गया। हर कोई सोच रहा था कि ये महज़ बिज़नेस की टक्कर है। मगर जो सबको नहीं पता था—ये टकराव, उनकी पुरानी मोहब्बत और नफ़रत की आग का खेल था।



    स्टेज पर, दोनों आमने-सामने।
    रूहानी ने मुस्कराया—“तो अब तुम मेरे रास्ते में आ ही गए।”
    रूद्र ने जवाब दिया—“रास्ते में नहीं, तुम्हारे हर कदम के नीचे।”

    उनकी नज़रों में जो आग और जलन थी, वो सिर्फ़ बाहरी शांति को तोड़ रही थी। हर शब्द में ज़हरीला प्यार और अनकही नफ़रत थी।

    रूहानी ने धीरे से कहा—
    “पाँच साल… तुम्हारी याद में बिताए हर पल ने मुझे सिखाया कि केवल ताक़त ही काम आती है। और अब मैं ताक़त बनकर आई हूँ।”

    रूद्र ने हल्की हँसी के साथ कहा—
    “ताक़त… पर याद रखो, ताक़त सिर्फ़ पेश करने से नहीं आती। उसे हासिल करना पड़ता है। और मैं तुम्हें दिखाऊँगा कि असली ताक़त मेरे पास है।”

    भीड़ में लोग अनजाने में तालियाँ बजा रहे थे। मगर रूहानी और रूद्र की नज़रें सिर्फ़ एक-दूसरे पर टिक गई थीं।


    ---
    Flashback – कॉलेज की मासूम मोहब्बत

    कॉलेज का कैंपस। बारिश हो रही थी।
    रूद्र और रूहानी छतरी के नीचे खड़े थे।

    “तुम क्यों जा रही हो, रूहानी?” रूद्र ने आँखों में दर्द लिए पूछा।
    “कभी-कभी, हालात हमें मजबूर कर देते हैं। तुम्हारे लिए… ये सही है। मैं चली जाऊँगी।”

    रूद्र ने हाथ बढ़ाया, मगर रूहानी ने झटके से छुड़ा लिया।
    उस रात, बारिश में भीगते हुए, रूद्र का दिल टूट गया।

    वो वादा जिसे रूद्र ने किया था—“मैं तुम्हें कभी नहीं भूलूँगा”—वो उस रात बारिश में बह गया।


    ---
    वापसी – वर्तमान

    रूहानी कमरे में अकेली थी। आईने में खुद को देख रही थी।
    “वो अब भी वही है—ज़िद्दी, बेरहम और मोहब्बत का कैदी। पर मैं भी बदल चुकी हूँ। अब मैं सिर्फ़ उसकी जेल नहीं बनूँगी, मैं उसकी सज़ा बनूँगी।”

    रूद्र अपने कमरे में बैठा था। उसने खुद से कहा—
    “Ruha… तुमने मुझे तोड़ दिया। अब तुम्हें वही अहसास मिलेगा। और फिर देखना… मेरी नफ़रत और मोहब्बत का मिश्रण तुम्हें हर पल झकझोर देगा।”


    ---

    प्राइवेट मीटिंग

    होटल की गैलरी

    शाम को, होटल की एक गैलरी में दोनों की मुलाक़ात हुई।
    रूहानी ने अपने हाथों में फ़ोल्डर रखा। उसमें Ruha Couture का नया प्रोजेक्ट था।
    रूद्र ने अपनी काली फ़ाइल उठाई—Rudra Enterprises के अगले बड़ा प्रोजेक्ट के साथ।

    दोनों ने एक-दूसरे की ओर देखा।
    “तुम सच में बदल गई हो,” रूद्र ने कहा।
    “और तुम?” रूहानी ने सवाल किया।
    “मैं वही हूँ… वही शिकारी, जो तुम्हें हर कीमत पर अपने जाल में फँसाएगा।”

    वो फ़ोल्डर टेबल पर रखकर एक-दूसरे के करीब आए।
    रूहानी ने धीरे से कहा—
    “अगर तुम मेरा दिल जीतना चाहते हो… तो ये खेल आसान नहीं होगा।”

    रूद्र ने हाथ बढ़ाया।
    “और अगर मैं हारना नहीं चाहता?”
    “तो फिर, अपने आप को संभालो… क्योंकि मैं सिर्फ़ मोहब्बत की Ruha नहीं हूँ। मैं बदले की Ruha हूँ।”

    दोनों की नज़रों में आग और प्यार का मिश्रण साफ़ झलक रहा था।


    -- रात मै

    होटल का सुरक्षा गार्ड अचानक पास आया।
    “Sir… Ma’am… कोई बड़ी घटना हो सकती है। कुछ अजनबी लोग आपकी प्रेज़ेंटेशन देखने आ रहे हैं।”

    रूद्र और रूहानी ने एक-दूसरे की ओर देखा।
    “अजनबी?” रूहानी ने फुसफुसाया।
    रूद्र ने ठंडी हँसी के साथ कहा—
    “शायद ये हमारी जंग का नया मोड़ है। और याद रखो, Ruha… हर मोड़ पर असली खेल सिर्फ़ हमारे बीच होगा।”

    हवा में अब एक अजीब सी गंध थी। नफ़रत और मोहब्बत दोनों का धुआँ हर तरफ़ फैल गया।


    ---

    💔 Chapter 3 समाप्त

  • 4. Revenge By Love - Chapter 4

    Words: 1063

    Estimated Reading Time: 7 min

    📖 Chapter 4 – “अतीत की छाया और पहली आग”



    शाम को, होटल की एक गैलरी में दोनों की मुलाक़ात हुई।
    रूहानी ने अपने हाथों में फ़ोल्डर रखा। उसमें Ruha Couture का नया प्रोजेक्ट था।
    रूद्र ने अपनी काली फ़ाइल उठाई—Rudra Enterprises के अगले बड़ा प्रोजेक्ट के साथ।

    दोनों ने एक-दूसरे की ओर देखा।
    “तुम सच में बदल गई हो,” रूद्र ने कहा।
    “और तुम?” रूहानी ने सवाल किया।
    “मैं वही हूँ… वही शिकारी, जो तुम्हें हर कीमत पर अपने जाल में फँसाएगा।”

    वो फ़ोल्डर टेबल पर रखकर एक-दूसरे के करीब आए।
    रूहानी ने धीरे से कहा—
    “अगर तुम मेरा दिल जीतना चाहते हो… तो ये खेल आसान नहीं होगा।”

    रूद्र ने हाथ बढ़ाया।
    “और अगर मैं हारना नहीं चाहता?”
    “तो फिर, अपने आप को संभालो… क्योंकि मैं सिर्फ़ मोहब्बत की Ruha नहीं हूँ। मैं बदले की Ruha हूँ।”

    दोनों की नज़रों में आग और प्यार का मिश्रण साफ़ झलक रहा था।

    होटल का सुरक्षा गार्ड अचानक पास आया।
    “Sir… Ma’am… कोई बड़ी घटना हो सकती है। कुछ अजनबी लोग आपकी प्रेज़ेंटेशन देखने आ रहे हैं।”

    रूद्र और रूहानी ने एक-दूसरे की ओर देखा।
    “अजनबी?” रूहानी ने फुसफुसाया।
    रूद्र ने ठंडी हँसी के साथ कहा—
    “शायद ये हमारी जंग का नया मोड़ है। और याद रखो, Ruha… हर मोड़ पर असली खेल सिर्फ़ हमारे बीच होगा।”

    हवा में अब एक अजीब सी गंध थी। नफ़रत और मोहब्बत दोनों का धुआँ हर तरफ़ फैल गया।




    अब आगे 👉❣️


    ruhani ka room

    रूहानी अपनी गैलरी में खड़ी थी।
    नए कलेक्शन की डिज़ाइन और नोट्स के बीच, उसके मन की दुनिया कहीं और थी।
    रूद्राक्ष… उसका नाम आते ही दिल की धड़कन तेज़ हो गई।

    “पाँच साल… कैसे बर्दाश्त हुए, रूद्राक्ष सिंह?” उसने धीरे से कहा।
    “तुमने मुझे तोड़ दिया, मेरे प्यार को दफ़न कर दिया। अब मैं तुम्हें वही अहसास दिलाऊँगी, जो मैंने अपने दिल में दबा रखा था।”

    गैलरी की हल्की रोशनी में उसका चेहरा कठोर और खूबसूरत दिख रहा था। लाल लिपस्टिक और काजल के नीचे छुपी आँखें बता रही थीं कि अब Ruha Khurana सिर्फ़ एक नाम नहीं, एक मिसाइल थी।


    ---

    फ्लैशबैक – पाँच साल पहले,


    कॉलेज का कैंपस

    कॉलेज का मैदान हरा-भरा और बरसाती मौसम से भीगा हुआ था।
    रूहानी अपने दोस्तों के साथ कैफेटेरिया जा रही थी।
    रूद्राक्ष पीछे-पीछे आ रहा था।
    बारिश की हल्की बूँदें उनके बीच की दूरी कम कर रही थीं।

    “रूहानी…” रूद्र ने हाथ बढ़ाया।
    “पीछे हटो,” उसने धीरे से कहा।
    “मैं तुम्हारे लिए खड़ा हूँ। बस एक बार, सिर्फ़ एक बार मुझे सुनो,” रूद्र ने पुख़्ता और दर्द भरी आवाज़ में कहा।

    रूहानी ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा—
    “तुम नहीं समझोगे। कभी-कभी प्यार और मजबूरी का फासला हमारे हाथ में नहीं होता।”

    रूद्र का चेहरा दर्द और आश्चर्य से भर गया।
    “मजबूरी? क्या मजबूरी तुम्हें मुझसे दूर ले जाएगी?”
    “हाँ… और मुझे छोड़ दो। ये सबसे बेहतर है।”

    बारिश में भीगते हुए रूद्र ने उसका हाथ पकड़ने की कोशिश की, लेकिन रूहानी ने झटके से छुड़ा लिया।
    उस पल, रूद्र का दिल टूट गया।
    रूहानी… अपनी मजबूरी और दर्द को सहते हुए कॉलेज से दूर हो गई।


    ---
    कॉलेज के पहले झगड़े

    रूद्र और रूहानी लाइब्रेरी में थे।
    रूद्र ने पूछा—
    “तुम हमेशा मुझसे दूर क्यों रहती हो?”
    रूहानी ने आँखें झुका लीं—
    “क्योंकि मैं नहीं चाहती कि कोई मेरे दिल को देखे और उसका फायदा उठाए। और तुम… तुम्हारा मतलब सिर्फ़ ताक़त दिखाना है।”

    “परवाह? मेरी परवाह सिर्फ़ तुम्हारे लिए थी… और अभी भी है। पर अब तुम दूर हो, रूहानी। और दूर रहकर भी तुम्हें महसूस करता हूँ।”

    उनकी आंखों में मोहब्बत और नफ़रत की झलक थी।
    और यही झलक उनके भविष्य की आग का पहला इशारा बन गई।




    कॉलेज की रातें अक्सर लंबी और अनकही बातें लेकर आती थीं।
    एक रात, कैफेटेरिया की खिड़की से बारिश की बूँदें गिर रही थीं।
    रूद्र ने धीरे से कहा—
    “मुझे अब भी याद है वो पहला दिन… जब तुम्हारी हँसी ने मेरी दुनिया बदल दी।”

    रूहानी ने ठंडी हँसी छोड़ी—
    “हाँ… और वही हँसी अब दर्द की वजह है।”

    रूद्र ने कदम बढ़ाया और उसके पास खड़ा हुआ।
    “Ruha… तुम्हारे बिना मैं अधूरा हूँ। और मुझे पता है… तुम्हारे दिल में भी मेरी जगह है।”

    रूहानी ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा—
    “हां, जगह है। पर वो जगह अब सिर्फ़ दर्द की है। मोहब्बत का कोई हिस्सा नहीं बचा।”

    उस पल, रूद्र ने महसूस किया कि मोहब्बत कभी मरती नहीं।
    वो बस बदल जाती है—कभी आग, कभी राख।


    ---वर्तमान

    रूहानी गैलरी से बाहर आई।
    होटल का लॉबी दिखा।
    रूद्र वहीं खड़ा था। उसकी नज़रें फिर से रूहानी पर टिक गईं।

    “Ruha… तुम्हारा अंदाज़ अभी भी वही है—मुझे परेशान करने वाला।”
    “और तुम्हारा?” रूहानी ने मुस्कुराया।
    “वही शिकारी, जो हर कीमत पर तुम्हें अपने जाल में फँसाएगा।”

    हवा में एक अनकहा खतरनाक रोमांस था।
    दोनों के बीच की दूरी और नज़दीकी के बीच, हर पल नया ट्विस्ट था।


    ---

    रूहानी ने फ़ोल्डर से नया प्रोजेक्ट निकाला—Ruha Couture के अंतरराष्ट्रीय लॉन्च का।
    रूद्र ने अपनी फ़ाइल खोली—Rudra Enterprises के निवेश का।

    दोनों की नजरें टकराईं।
    रूहानी ने कहा—
    “अगर तुम मेरा दिल जीतना चाहते हो… तो ये खेल आसान नहीं होगा।”
    रूद्र ने हाथ बढ़ाया—
    “और अगर मैं हारना नहीं चाहता?”
    “तो संभालो अपने आप को… क्योंकि मैं सिर्फ़ मोहब्बत की Ruha नहीं हूँ। मैं बदले की Ruha हूँ।”

    दोनों की नज़रों में आग और प्यार का मिश्रण साफ़ झलक रहा था।


    ---

    रात होटल की गैलरी

    सुरक्षा गार्ड ने चेतावनी दी—
    “Sir, Ma’am… कुछ अजनबी लोग यहाँ हैं। ये आपका नया प्रोजेक्ट देखने आए हैं।”

    रूद्र ने ठंडी हँसी के साथ कहा—
    “शायद ये हमारी जंग का नया मोड़ है। और याद रखो, Ruha… हर मोड़ पर असली खेल सिर्फ़ हमारे बीच होगा।”

    रूहानी ने फुसफुसाया—
    “तो खेल शुरू करो, रूद्राक्ष सिंह। पर याद रखो… जो आग तुम जलाते हो, वो तुम्हें भी झकझोर सकती है।”

    हवा में नफ़रत और मोहब्बत का धुआँ हर तरफ़ फैल गया।


    ---

    अगले दिन

    रूहानी और रूद्र दोनों तैयार थे।
    ये सिर्फ़ बिज़नेस की लड़ाई नहीं थी।
    ये उनकी दिल की, अतीत की और अनकहे दर्द की जंग थी।

    रूहानी अपने दोस्तों से बोली—
    “आज मुझे सिर्फ़ अपनी ताक़त दिखानी है। और रूद्र… तुम्हारा असली सामना अभी बाकी है।”

    रूद्र अपने सहकर्मियों से—
    “Ruha… तुम सोचती हो कि मैं तुम्हारे खेल में फँस जाऊँगा? भूल जाओ। असली खेल अभी शुरू नहीं हुआ है।”

    दोनों जानते थे—जो भी अगला कदम होगा, उसमें सिर्फ़ एक जीत सकता है।


    ---

    💔 Chapter 4 समाप्त

    like comment and share ❣️

  • 5. Revenge By Love - Chapter 5

    Words: 1000

    Estimated Reading Time: 6 min

    📖 Chapter 5 – “पहला वार और अधूरा सच”

    🌌 मुंबई – समिट का तीसरा दिन

    बड़ा हॉल रोशनी से जगमगा रहा था।
    क्रिस्टल झूमरों के नीचे सैकड़ों लोग बैठे थे—बिज़नेस टाइकून, मीडिया, नामी डिज़ाइनर और इंटरनेशनल इंवेस्टर्स।

    आज का दिन खास था।
    क्योंकि आज पहली बार Rudra Enterprises और Ruha Couture का आमना-सामना लाइव होने वाला था।
    सबको मालूम था कि ये महज़ प्रेज़ेंटेशन नहीं—बल्कि दो पुरानी कहानियों की जंग है।

    रूहानी ब्लैक सिल्क साड़ी में आई थी।
    उसकी चाल में एक अलग ही रानी जैसी ठसक थी।
    चारों तरफ़ कैमरे फ्लैश कर रहे थे।

    रूद्र ब्लैक टक्सीडो में दाख़िल हुआ।
    उसकी नज़रें सीधी रूहानी पर थीं।
    जैसे भीड़ और शोर का कोई मतलब ही नहीं हो।


    ---
    स्टेज पर आमना-सामना

    होस्ट ने घोषणा की—
    “आज हम सबके सामने इंडिया के दो सबसे बड़े नाम—Ruha Khurana और Rudraksh Singh… Welcome on stage!”

    तालियों की गड़गड़ाहट।
    दोनों साथ-साथ स्टेज पर आए।
    लेकिन उनकी आँखों की जंग हर किसी को महसूस हो रही थी।

    रूहानी ने सबसे पहले माइक उठाया—
    “Fashion सिर्फ़ कपड़े नहीं, ये एक आर्ट है… और आर्ट हमेशा दिल से निकलता है। Ruha Couture आज हर उस औरत की आवाज़ बनेगा, जो अपनी कहानी खुद लिखना चाहती है।”

    तालियाँ बजीं।
    लेकिन तभी रूद्र माइक लेकर खड़ा हुआ।
    “Art तभी तक अच्छा है, जब तक वो practical हो। और business… सिर्फ़ दिल से नहीं चलता। उसमें दिमाग और ताक़त दोनों चाहिए। और वही Rudra Enterprises के पास है।”

    भीड़ हँसी और तालियों से गूँज गई।
    पर असली जंग अब शुरू हो चुकी थी।


    ---

    रूहानी का वार

    रूहानी ने मुस्कुराते हुए कहा—
    “Mr. Rudraksh Singh… हर औरत का सपना सिर्फ़ ताक़त नहीं होता। उसे सम्मान भी चाहिए। और Ruha Couture उसी सम्मान की पहचान है।”

    उसकी आँखें सीधी रूद्र की आँखों से टकरा रही थीं।
    उस पल सबको लगा—ये सिर्फ़ बिज़नेस की बात नहीं। ये दो दिलों की आग है।

    रूद्र ने भी पलटवार किया—
    “सम्मान? Interesting… पाँच साल पहले जो औरत बिना बताए चली गई, वो आज सम्मान की बातें कर रही है? सच बताओ, Ruha… तुम किससे भाग रही थीं? मुझसे… या अपने दिल से?”

    हॉल में सन्नाटा छा गया।
    हर नज़र उन दोनों पर थी।
    लेकिन सिर्फ़ रूहानी और रूद्र जानते थे कि ये सवाल एक पुराने घाव को कुरेद रहा है।


    ---

    फ्लैशबैक – कॉलेज का आख़िरी दिन

    कॉलेज का कैंपस।
    बारिश तेज़ हो रही थी।
    रूहानी बैग लेकर भाग रही थी।

    रूद्र पीछे-पीछे आया।
    “कम से कम बता तो दो कि क्यों जा रही हो?”

    रूहानी की आँखों से आँसू बह रहे थे।
    “कभी-कभी हालात हमें मजबूर कर देते हैं, रूद्र। और तुम्हारे लिए सबसे अच्छा यही है कि मैं चली जाऊँ।”

    रूद्र ने हाथ पकड़ने की कोशिश की।
    “तुम मेरे बिना नहीं जा सकती, रूहानी। मैं तुम्हारे बिना अधूरा हूँ।”

    उसने हाथ छुड़ा लिया।
    “अधूरा रहना ही हमारी किस्मत है।”

    उस दिन, रूद्र की आँखों में पहली बार असली टूटन थी।


    ---

    Flashback end

    रूहानी ने गहरी साँस ली और माइक उठाया।
    “Past कभी किसी को define नहीं करता। असली ताक़त ये है कि इंसान अपने घावों से उठकर फिर से खड़ा हो। और मैं खड़ी हूँ… पहले से ज्यादा मज़बूत होकर।”

    तालियों की गूँज हॉल में फैल गई।

    रूद्र ने उसके करीब आकर धीरे से फुसफुसाया—
    “मज़बूत? या नकली मुखौटा? क्योंकि मैं जानता हूँ… तुम्हारी आँखों में अभी भी वही मोहब्बत है, जो तुम्हें बेचैन कर रही है।”

    रूहानी काँप गई।
    लेकिन उसने मुस्कान ओढ़ ली।
    “मोहब्बत? वो तो मैंने पाँच साल पहले दफ़न कर दी थी।”

    “और उसकी चिंगारी अभी भी जल रही है…” रूद्र ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा।


    ---

    🌑 ड्रामा – मीडिया का सवाल

    प्रेज़ेंटेशन के बाद, पत्रकारों ने दोनों को घेर लिया।
    “Miss Khurana, Mr. Singh… क्या ये rivalry सिर्फ़ business की है, या personal भी?”

    रूहानी ने सीधे कैमरे में देखकर कहा—
    “Business और personal दोनों ही। क्योंकि मैं अपने अतीत को अपने भविष्य से अलग नहीं कर सकती।”

    भीड़ शोर मचाने लगी।
    रूद्र ने ठंडी मुस्कान के साथ कहा—
    “तो तैयार रहो, Ruha… क्योंकि ये खेल सिर्फ़ जीत और हार का नहीं होगा। ये खेल दिल का भी होगा।”


    ---

    🌙 होटल की पार्किंग – पहली भिड़ंत

    रात को, जब सब खत्म हुआ, रूहानी अपनी कार की तरफ़ जा रही थी।
    अचानक, रूद्र ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे कार से टिकाकर खड़ा कर दिया।

    “क्यों कर रही हो ये सब? मुझे हर कदम पर चुनौती क्यों देती हो?”

    रूहानी ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा—
    “क्योंकि तुमने मुझे तोड़ा है, रूद्र। और अब मैं तुम्हें तोड़ूँगी। तुमने मेरा प्यार छीन लिया… अब मैं तुम्हारी जीत छीन लूँगी।”

    रूद्र ने उसकी कलाई कसकर पकड़ी।
    “तुम्हारा सच अब भी मुझसे छुपा है। पर मैं कसम खाता हूँ… उसे निकाल कर रहूँगा। और जब वो सच सामने आएगा… तुम मेरे सामने झुक जाओगी।”

    रूहानी की आँखें नम थीं।
    लेकिन उसने अपने आँसुओं को छुपाते हुए ठंडी हँसी छोड़ी—
    “देखते हैं, रूद्राक्ष सिंह। खेल अभी शुरू हुआ है।”


    ---रात की ठंडी हवा ने रूहानी की साड़ी के पल्लू को और ज़ोर से लहरा दिया। पार्किंग की रोशनी फीकी पड़ रही थी — लोग चले जा चुके थे, कुछ गाडियाँ अब बस खड़ी थीं। रूद्राक्ष ने उसकी कलाई छोड़ते ही एक कदम पीछे हटकर उसे देखा। चेहरा शांत, पर आँखों में तूफान।

    “खेल शुरू हुआ है,” उसने धीमी आवाज़ में कहा, “और मैं हार मानने वाला नहीं।”

    रूहानी ने कार की डोरी पकड़कर ठंडी हँसी दी। “हार? रूद्राक्ष, तुमने कभी नहीं जाना कि हार भी अलग तरह की ताक़त होती है। मैं खोने से डरती हूँ — पर मैं क्या खो चुकी हूँ, ये भी मैं जानती हूँ।”

    वो कार में बैठी, इंजन चालू करने ही वाली थी कि रूद्राक्ष ने एक कदम आगे बढ़कर धीमे से कहा, “सिर्फ़ यही मत समझना कि मैं तुम्हें तोड़कर ही लौटूँगा। मैं तुम्हें समझूँगा — या तो तुम सच बोलोगी, या मैं सच निकाल कर रहने दूँगा।

    To be continued 💕
    ....... .............. ........... ........... ...........
    ........ ............. ........... ....... ..... .... ....
    ........ ..... ..... .... .... .... ..... .... ..... ...... ....
    ..... ....... ...... ....

  • 6. Revenge By Love - Chapter 6

    Words: 1199

    Estimated Reading Time: 8 min

    रात की ठंडी हवा ने रूहानी की साड़ी के पल्लू को और ज़ोर से लहरा दिया। पार्किंग की रोशनी फीकी पड़ रही थी — लोग चले जा चुके थे, कुछ गाडियाँ अब बस खड़ी थीं। रूद्राक्ष ने उसकी कलाई छोड़ते ही एक कदम पीछे हटकर उसे देखा। चेहरा शांत, पर आँखों में तूफान।

    “खेल शुरू हुआ है,” उसने धीमी आवाज़ में कहा, “और मैं हार मानने वाला नहीं।”

    रूहानी ने कार की डोरी पकड़कर ठंडी हँसी दी। “हार? रूद्राक्ष, तुमने कभी नहीं जाना कि हार भी अलग तरह की ताक़त होती है। मैं खोने से डरती हूँ — पर मैं क्या खो चुकी हूँ, ये भी मैं जानती हूँ।”

    वो कार में बैठी, इंजन चालू करने ही वाली थी कि रूद्राक्ष ने एक कदम आगे बढ़कर धीमे से कहा, “सिर्फ़ यही मत समझना कि मैं तुम्हें तोड़कर ही लौटूँगा। मैं तुम्हें समझूँगा — या तो तुम सच बोलोगी, या मैं सच निकाल कर रहने दूँगा।”

    रूहानी ने उसकी तरफ़ देखा — कांपते हुए होंठों पर कड़वी हँसी। “सच? कौन-सा सच? पांच साल पुराना? वो सच जो तुमने अपने हिसाब से लिखा था? या वो सच जो आज़ाद होकर खड़ा है?”

    रूद्राक्ष कुछ कहे बिना सरक गया। फिर पलटकर बोला, “तुम्हारी सफलता मुझे रास नहीं आ रही। मैं देखना चाहता हूँ कि जब तुम्हारा असली चेहरा सबके सामने आयेगा, तब तुम किस तरह खड़ी रहोगी।”

    उन्होंने अलग-अलग रास्ता लिया। रूहानी ड्राइव कर के चली गई — पर ठंडी हवा के साथ उसके दिल में एक और चुभन उठी: रूद्र के शब्दों में जो आत्मविश्वास था, वो सिर्फ़ शेखी नहीं — कहीं कोई गहरा राज़, कोई बस-छुपा हुआ हथियार भी था।

    अगला दिन तेज़, बेचैन और धुँधला-सा लगा। समिट का चौथा सत्र शुरू होने से पहले ही खबरें उड़ने लगी थीं — Ruha Couture के शो के पीछे कौन-सा अनपेक्षित ब्रेकिंग होगा, और Rudra Enterprises का अगला कदम क्या होगा। मीडिया अनफिल्टर्ड अंदाज़ में सवाल बार-बार उठा रही थी। रूहानी की टीम में तनाव दिखने लगा; Aanya, उसकी मैनेजर, बार-बार उस पर नज़र रख रही थी।

    “Ruha,” Aanya ने फ़ोल्डर थामते हुए कहा, “कुछ लोग चर्चा कर रहे हैं कि Rudra ने हमारे कुछ मुख्य सप्लायर्स से संपर्क किया है। अगर वो कोई कॉन्ट्रैक्ट कैंसिल कर देता है तो लॉन्च में बड़ा असर पड़ेगा।”

    रूहानी ने चाय का घूँट लिया और आँखें बंद कर लीं। “मैंने सब कुछ पढ़ रखा है, Aanya. ये युद्ध सिर्फ़ स्टेज का नहीं रहेगा। वॉयस खबरें शहर भर में फैलेंगी — और मेरे कलेक्शन की कीमत वही लोग तय करेंगे जो डर को बढ़ाते हैं।”

    Aanya ने धीमी आवाज़ में कहा, “हम एक निजी प्रीव्यू कर लेते हैं — कुछ चुनिंदा क्लाइंट्स, प्रेस का एक भरोसेमंद हिस्सा। अचानक से उनकी छवि बदल सकती है। और सुप्लायर्स को भी हम अग्री कर सकते हैं — ऑफर बढ़ा कर।”

    रूहानी ने आँखें खोलीं। “ठीक है। लेकिन डर से लड़ने का तरीका शोर नहीं, रणनीति है। हमें दिखाना होगा कि Ruha Couture का कोई खेल नहीं… ये स्थायी ब्रांड है।”

    रात के वक्त रूद्राक्ष अपने बोर्ड रूम में बैठा था। खिड़की से शहर की रोशनी नीचे चमक रही थी जैसे तारों का बिखरा हुआ समूह। उसने अपने लॉरियों की रिपोर्ट्स पढ़ीं — कुछ कंटेंट मैनेजर्स को मोटा पैसा दे कर Ruha के सप्लायर्स से बातचीत रोकी जा रही थी। उसके चेहरे पर शांत मुस्कान थी।

    “तुम लड़ने वाली हो?” उसने खुद से कहा। “आओ फिर — मैं तुम्हें दिखाऊँगा कि शह और बाज़ी दोनों किसे कहते हैं।”

    समिट के अगले पन्ने पर Ruha का प्राइवेट प्रीव्यू तय हुआ — केवल पचास लोगों के लिए, लेकिन उन पचास का असर बाज़ार पर बड़ा होगा। Aanya ने RSVP भेजे, नोटिस भेजा, और Ruha ने खुद कुछ ग्राहक कॉल किए। पर शाम से पहले एक अज्ञात मेल आया — Ruha के ड्रेसिंग रूम में मिली एक लिफाफ़ी, बिना नाम के।

    लिफाफ़ी में एक तस्वीर और एक छोटा सा टाइप किया नोट था: “तुमने जो चुना, उसका हिसाब अब चुकाना होगा। याद रखो — हर फैसला एक वजह से होता है। — R.”

    रूहानी की हथेली में तस्वीर का कागज़ ठंडा था। फोटो धुंधली थी—कॉलेज के वही बरसात भरे दिन की, पर उसमें रूद्र का मुख कुछ अलग था; मुस्कान के पीछे कुछ और भी छुपा दिख रहा था। उसकी जगह पर एक साया था — किसी तीसरे का रूप, जिसे रूहानी नाम से पहचान सकती थी, पर चेहरे साफ़ नज़र नहीं आते थे।

    Aanya ने नोट देखा तो उसकी सांस ही अटक गई। “ये Rudra का काम हो सकता है — या कोई और जो तुम्हारे अतीत से जुड़ा है।”

    रूहानी ने तस्वीर फेंकने का सोचकर उसे ध्यान से अपने पास रख लिया। “ये खेल तो वे सब करेंगे जो डरते हैं, Aanya. पर मैं डरने वाली नहीं। हम प्रीव्यू कर रहे हैं — आज ही। और मुझे वह हर वो कारण दिखाना है जो मुझे आज यहाँ तक ले आया है।”

    रात में, होटल की छत पर, रूद्राक्ष अपने फोन में वही तस्वीर देख रहा था, और एक पुराना वॉइस मेसेज फिर से बजा — किसी आवाज़ का फुसफुसाना: “अगर उसने सच बताया तो तुम्हारा घर हल जाएगा।” रूद्राक्ष ने अपने चेहरे पर कड़ी मुस्कान लगाई। संगीत की तरह उसकी योजना भी धीमी थी, पर असरदार।

    Ruha के प्रीव्यू में जबल्दस्त भीड़ थी — पर मीडिया का हिस्सा सीमित और चुना हुआ था। Ruha ने अपने कलेक्शन को एक-एक कर के पेश किया, हर आउटफिट के पीछे एक कहानी जो दर्द से पली थी। क्लाइंट्स चुप थे, कुछ आँखों में आँसू भी थे। सफलता का अहसास रूहानी के अंदर उभरा — पर उसी समय उसके पैकेट में रखा हुआ वही फोटो बार-बार उसके दिमाग़ में बज रहा था।

    आख़िर में, एक विशेष अतिथि के रूप में रूद्राक्ष का नाम आया — पर वह फिज़िकली वहाँ नहीं आया था; उसकी ओर से एक प्रतिनिधि भेजा गया जिसने एक छोटा-सा बयान दे दिया: “हम किसी के अतीत का फायदा उठाना नहीं चाहते। लेकिन सही साहस वही दिखा सकता है जो अपने सच से जूझे।” बयान ने हवा में एक अलग तरह की बेचैनी छोड़ दी।

    रात के अंत में, Ruha अपने रूम में बिछी हुई थी। मेहमानों की तारीफ़ें उसके कानों में शेहनाई बन कर गुञ्ज रही थीं — पर उसके हाथ में वही फोटो और नोट फिर से आ गए। इस बार नोट के पीछे कुछ और करारा था: एक तारीख और एक नाम — एक जगह जहाँ पाँच साल पहले रात थी। रूहानी की रगों में खून जम-सा गया।

    उसी रात रूद्राक्ष ने एक कॉल की — उस आवाज़ से जिसकी वजह से तस्वीर भेजी गई थी। “क्या वह प्रीव्यू तुम्हें हिला पाया?” उसने पूछा, उसकी आवाज़ में दिलकश ठंडक।

    रूहानी ने बिना हिचक जवाब दिया, “हाँ। पर इससे मेरे कदम नहीं डगमगाएंगे।”

    रूद्राक्ष ने मुस्कुराकर कहा, “चलो देखते हैं, Ruha… कौन-सा सच आज बाहर आता है — और कौन-सा रह कर रह जाता है।”

    दोनों अलग-अलग कमरों में बैठे थे — पर अब उनके बीच जो खेल चल रहा था, उसमें सिर्फ़ शब्द और जीत-हार नहीं — कोई ऐसा सच था जो सामने आने से पहले ही उनकी रूहों को झकझोर चुका था। अगले दिन का सूरज दोनों के लिए सिर्फ़ नए व्यावसायिक मौके नहीं लेकर आने वाला था; वो पुराना सच, जिसे रूहानी सुरक्षित रखना चाहती थी, अब सार्वजनिक होने की कगार पर खड़ा था।

    To be continued 💕

  • 7. Revenge By Love - Chapter 7

    Words: 1015

    Estimated Reading Time: 7 min

    ---

    📖 Chapter 7 – “सच का साया और अधूरी प्यास”

    मुंबई की रात फिर से बरसात में भीग रही थी।
    होटल की ऊँची इमारत की खिड़कियों से नीली रोशनी झलक रही थी। बाहर तूफ़ान था, लेकिन असली तूफ़ान तो उन दो दिलों के बीच पल रहा था—रूहानी और रूद्राक्ष।

    रूहानी अपने कमरे में अकेली बैठी थी। उसके सामने टेबल पर वही तस्वीर और नोट रखा था। नोट के पीछे लिखी तारीख़ और जगह—“15 जून, 5 साल पहले, क्लिफ हिल्स”—बार-बार उसकी आँखों के सामने तैर रही थी।

    उसका हाथ काँप रहा था।
    “यही वो रात थी… जब सबकुछ खत्म हुआ। जब मैं चली गई थी।”

    उसकी साँसें तेज़ हो गईं। उसने खुद को आईने में देखा—कितनी मज़बूत दिख रही थी, लेकिन भीतर से वो टूटन अभी भी ज़िंदा थी।


    ---

    🌑 रूद्राक्ष की बेचैनी

    दूसरी तरफ़, रूद्राक्ष अपने सूट में व्हिस्की का गिलास लिए खिड़की के पास खड़ा था। बाहर गिरती बारिश को वो घूर रहा था।

    “पाँच साल पहले की रात…” उसकी आँखें सिकुड़ गईं।
    “तुम भागी क्यों, Ruha? तुमने मुझसे सच क्यों छुपाया? उस रात तुम अकेली नहीं थी… मैं सब जानता हूँ। लेकिन मैं तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हूँ।”

    उसने गिलास को ज़ोर से टेबल पर दे मारा।
    काँच टूट गया, जैसे उसके भीतर दबे जज़्बात।


    ---

    🌙 टकराव का खेल

    अगली सुबह होटल के कॉरिडोर में दोनों का सामना हुआ।
    रूहानी सादी सफ़ेद शर्ट और ब्लैक ट्राउज़र में थी—क्लासिक और कॉन्फिडेंट।
    रूद्राक्ष ब्लैक थ्री-पीस सूट में, उसकी चाल में वही शिकारी वाली ठसक।

    दोनों के बीच से स्टाफ और मेहमान गुजर रहे थे, लेकिन हवा भारी थी।

    “रात कैसी गुज़री, Miss Khurana?” रूद्राक्ष ने ठंडी मुस्कान के साथ पूछा।
    रूहानी ने बिना उसकी तरफ़ देखे जवाब दिया—“कम से कम मेरी रात नींद से खाली नहीं थी। तुम्हें देखकर लगता है, तुम्हें फिर से नींद नहीं आई।”

    रूद्र हँसा, मगर उसकी आँखों में दर्द और गुस्सा साफ़ झलक रहा था।
    “नींद मुझे तब आएगी जब तुम वो सच बताओगी, जिसे तुमने पाँच साल से दबाकर रखा है।”

    रूहानी रुक गई। उसकी साँसें तेज़ हुईं, लेकिन उसने अपने चेहरे पर एक नकली शांति ओढ़ ली।
    “सच? हर किसी की अपनी परिभाषा होती है। तुम्हारे लिए वो सच होगा… मेरे लिए वो नर्क।”


    ---

    🔥 फ्लैशबैक – उस रात का साया

    पाँच साल पहले।
    क्लिफ हिल्स का वही इलाका।
    बारिश की रात।

    रूहानी भीगी हुई सड़क पर भाग रही थी। उसके हाथ में एक बैग था, आँखों से आँसू बह रहे थे। पीछे से किसी की कार की हेडलाइट्स उस पर पड़ रही थीं।

    रूद्राक्ष चीख रहा था—
    “रुक जाओ, Ruha! मुझे बताओ आखिर हुआ क्या है?”

    पर रूहानी रुकी नहीं। उसने बस एक बार पीछे मुड़कर देखा और आँसू भरी आँखों से फुसफुसाई—
    “अगर तुम सच्चाई जान गए, तो मेरी दुनिया और तुम्हारी दोनों तबाह हो जाएँगी।”

    उस रात का राज़ वही था, जिसे आज भी कोई नहीं जानता था।


    ---

    🌌 वापसी – वर्तमान

    रूहानी ने गहरी साँस ली और रूद्राक्ष को ठंडी नज़रों से देखा।
    “तुम्हें सच्चाई चाहिए? तो इंतज़ार करो। लेकिन जब वो सामने आएगी… तुम्हें सहन करने की ताक़त नहीं होगी।”

    रूद्र ने धीरे से उसके कानों के पास झुककर कहा—
    “मैं तुम्हें तोड़ना चाहता हूँ, Ruha… क्योंकि जब तुम टूटोगी, तभी तुम मेरे पास वापस आओगी।”

    रूहानी काँप गई। उसके दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं। वो जानती थी, ये आदमी उसे नफ़रत के नाम पर भी उतनी ही शिद्दत से चाहता है जितना कभी मोहब्बत करता था।


    ---

    🌙 रूहानी की रात

    उस रात वो अपने कमरे में अकेली थी। खिड़की के बाहर बारिश लगातार हो रही थी।
    उसने अपनी डायरी खोली, जिसमें कॉलेज के दिनों से लेकर आज तक की कहानियाँ दर्ज थीं।

    “रूद्र… मैंने तुमसे मोहब्बत की थी। पर वही मोहब्बत मेरी सबसे बड़ी सज़ा बन गई। मैं तुम्हें सच नहीं बता सकती… क्योंकि अगर तुमने वो जान लिया, तो शायद तुम मुझे कभी माफ़ नहीं करोगे।”

    आँसू उसके गालों पर बह रहे थे, लेकिन उसकी उंगलियाँ पन्ने पर तेज़ी से चल रही थीं।


    ---

    🌑 रूद्र की कसम

    उसी वक्त, रूद्र अपने कमरे में बैठा था।
    उसके सामने रूहानी की पुरानी तस्वीर थी—कॉलेज की, जब दोनों बारिश में भीगते हुए हँस रहे थे।

    उसने तस्वीर उठाकर कहा—
    “मैं तुम्हें छोड़ने वाला नहीं हूँ, Ruha। न अतीत में, न आज। ये खेल मैं तभी खत्म करूँगा जब तुम्हें तुम्हारे घुटनों पर झुका दूँगा। जब तुम खुद आकर कहोगी कि तुम्हारा सच सिर्फ़ मेरा है।”

    उसने आँखें बंद कर लीं।
    “और अगर इसके लिए मुझे तुम्हारी नफ़रत भी चाहिए… तो मैं उसे भी अपना लूँगा।”


    ---

    🌌 ट्विस्ट – नया खिलाड़ी

    रात गहरी हो रही थी।
    होटल की लॉबी में एक अजनबी दाख़िल हुआ। उसके चेहरे पर रहस्यमयी मुस्कान थी, हाथ में ब्लैक ब्रीफ़केस।

    रिसेप्शन पर उसने सिर्फ़ इतना कहा—
    “Miss Ruha Khurana से मिलने आया हूँ। उन्हें कह दीजिए… ‘अतीत लौट आया है।’”

    रिसेप्शनिस्ट चौंक गई, लेकिन कॉल कर दिया।

    रूहानी कमरे में खड़ी थी, तभी फोन बजा। रिसेप्शन ने संदेश पहुँचाया।
    उसकी आँखें चौड़ी हो गईं। होंठ काँप उठे।

    “अतीत…” उसने धीरे से फुसफुसाया।
    “नहीं… ये नहीं हो सकता।”

    वो समझ गई थी—खेल अब सिर्फ़ उसके और रूद्र के बीच नहीं रहा। कोई तीसरा भी इस जंग में कदम रख चुका था। और शायद वही तीसरा… उस पाँच साल पुराने राज़ की चाबी था।


    --
    TO BE CONTINUED 💕
    .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ...

  • 8. Revenge By Love - Chapter 8

    Words: 1009

    Estimated Reading Time: 7 min

    📖 Chapter 8 – "झूले की मासूमियत और दिल की कशिश"


    ---

    सुबह का सूरज मुंबई के उस होटल के बगीचे में सुनहरी किरणें बिखेर रहा था। चारों तरफ़ हरियाली थी, लेकिन दिलों के भीतर अब भी बेचैनी और तनाव का धुआँ फैला हुआ था।

    रूद्र ने अपनी ब्लैक शेड्स लगाई, गार्डन के रास्ते पर चल पड़ा। उसका कदम मज़बूत था, लेकिन मन के भीतर तूफ़ान चल रहा था। उसने रात की वो नोकझोंक याद की—रूहानी की आँखों की चमक, उसकी चुनौती और वो अनकहा दर्द।

    “क्यों अब भी उसकी आँखें मुझे परेशान कर देती हैं?”
    उसने खुद से बुदबुदाया।

    इसी बीच हल्की हंसी की आवाज़ें सुनाई दीं।

    उसकी नज़र झूलों की तरफ़ गई। वहाँ बच्चे खेल रहे थे—हँसते, शोर करते। उसी भीड़ के बीच उसने उसे देखा—रूहानी।

    रूहानी ने हल्की पीली साड़ी पहन रखी थी, बाल खुले हुए और चेहरे पर एक शांति। वो बच्चों के बीच झूले को धक्का दे रही थी, उनके साथ हँस रही थी। उसकी आँखों में वो मासूमियत थी, जो पाँच साल पहले कॉलेज की कैंटीन में चमका करती थी।

    रूद्र ठिठक गया।
    “ये वही है… या मैं सिर्फ़ अपनी नज़रों से धोखा खा रहा हूँ?”


    ---

    बच्चों के साथ रूहानी

    एक छोटी बच्ची झूले पर बैठी थी। वो जोर-जोर से हँस रही थी और रूहानी कह रही थी—
    “ज़ोर से पकड़ो, वरना गिर जाओगी!”

    बच्ची बोली—“दीदी, और तेज़!”

    रूहानी मुस्कुराई और झूले को और तेज़ धक्का दिया।
    उस हंसी में इतनी मासूमियत थी कि हर कोई वहाँ ठहरकर देख रहा था।

    लेकिन रूद्र के सीने में कुछ अजीब-सा हो रहा था।
    “वो बच्चों के साथ इतनी सहज क्यों है? उसकी ज़िंदगी में अब कौन है… जो उसे ये खुशी दे रहा है?”

    उसकी आँखें अनायास उस बच्ची के चेहरे पर ठहर गईं। उसकी बड़ी-बड़ी आँखें… वही मासूम चमक। रूद्र का दिल एक पल के लिए रुक गया।

    “नहीं… ये मेरा वहम है। ये नहीं हो सकता…”
    उसने सर झटका, लेकिन शक का बीज उसके भीतर लग चुका था।


    ---

    अनजाना टकराव

    रूहानी ने अचानक नज़र उठाई और उसकी नज़र से टकरा गई।
    वो पल जैसे थम गया।

    झूला झूलती बच्ची ज़ोर से बोली—“दीदी, देखो! कोई अंकल आपको घूर रहे हैं।”

    रूहानी के चेहरे पर हल्की मुस्कान आई, लेकिन उसकी आँखें ठंडी थीं। उसने बच्ची का झूला धीरे किया और धीरे-धीरे रूद्र की ओर चली आई।

    “लगता है तुम्हें बच्चों की हंसी से एलर्जी है, Mr. Rudra Singh।”

    रूद्र ने शेड्स उतार दिए, उसकी आँखों में वही शिकारी चमक थी।
    “नहीं, मुझे बस ये सोचकर हैरानी हो रही थी… कि तुम जैसी औरत बच्चों के साथ इतना जुड़ाव रख सकती हो।”

    रूहानी की साँस रुक सी गई, लेकिन उसने तुरंत खुद को संभाला।
    “हर औरत की दुनिया सिर्फ़ नफ़रत और बदले तक सीमित नहीं होती, रूद्र। कुछ रिश्ते दिल से निभाए जाते हैं… बिना किसी मतलब के।”

    रूद्र पास झुका, फुसफुसाते हुए बोला—
    “या शायद… कुछ रिश्ते छुपाए जाते हैं?”

    उसके इस इशारे पर रूहानी के चेहरे की मुस्कान फीकी पड़ गई। वो तुरंत पलटी और बच्चों की तरफ़ बढ़ गई।
    लेकिन रूद्र की नज़र उसके हर हाव-भाव को पढ़ चुकी थी।


    ---

    शाम – होटल का कॉन्फ्रेंस हॉल

    दिन का दूसरा सेशन शुरू हो चुका था। चारों तरफ़ बिज़नेस टाइकून, डील्स, और कैमरों की चमक।

    रूहानी स्टेज पर स्पीच दे रही थी। उसकी आवाज़ मज़बूत थी—
    “बिज़नेस सिर्फ़ पैसों का खेल नहीं है। ये भरोसे का रिश्ता है। और जो भरोसा एक बार टूटता है… उसे जोड़ने में ज़िंदगी लग जाती है।”

    उसके शब्द सीधे रूद्र के दिल पर चोट कर रहे थे।
    “ये मुझ पर वार कर रही है।”
    वो भीड़ में बैठा, मुस्कुराया—
    “खेल अभी शुरू हुआ है, रूहानी।”

    स्पीच ख़त्म होते ही तालियों की गड़गड़ाहट हुई। रूहानी मंच से उतरी और लोगों से मिल रही थी। तभी एक शख़्स वहाँ आया—आर्यन मेहरा।

    लंबा, हैंडसम, और रूहानी के बहुत करीब। उसने रूहानी का हाथ थामकर कहा—
    “ब्रिलियंट स्पीच, Ruha। तुम्हारे बिना ये समिट अधूरा है।”

    रूहानी ने सहजता से मुस्कुराते हुए जवाब दिया—
    “थैंक्यू, आर्यन।”

    लेकिन ये सब रूद्र देख रहा था। उसकी मुट्ठियाँ कस गईं।
    “तो यही है वो शख़्स… जिसके लिए तुमने मुझे छोड़ा था?”

    उसकी आँखों में जलन थी, गुस्सा था, और दिल में वही पुराना दर्द।


    ---
    Flashback – कॉलेज कैंपस

    बारिश की वो शाम।
    रूद्र और रूहानी कैंटीन में बैठे थे।
    रूद्र ने उसका हाथ थाम लिया—
    “तुम सिर्फ़ मेरी हो, रूह। कोई तीसरा हमारी कहानी में जगह नहीं पा सकता।”

    रूहानी ने धीमी आवाज़ में कहा—
    “ज़िंदगी हमेशा तुम्हारी ज़िद से नहीं चलेगी, रूद्र।”

    उसके शब्दों में कुछ छुपा हुआ था… जैसे कोई राज़।
    लेकिन रूद्र ने तब ध्यान नहीं दिया।


    ---

    वर्तमान में वापसी

    रूद्र का दिल अब भी उस राज़ को पकड़ने की कोशिश कर रहा था।
    उसने तय कर लिया—
    “ये समिट सिर्फ़ बिज़नेस का नहीं, बल्कि सच का खेल होगा। रूहानी को छुपाने का मौका नहीं मिलेगा। मैं हर परत उधेड़कर रख दूँगा।”

    रूहानी दूर खड़ी थी, लेकिन उसकी आँखों में भी वही संकल्प था।
    “तुम सोचते हो तुम मुझे तोड़ दोगे, रूद्र? नहीं। इस बार मैं तुम्हें गिराऊँगी। तुम्हें समझ नहीं आएगा कि कब तुम्हारे साम्राज्य की नींव हिल चुकी होगी।”

    भीड़ के शोर के बीच… उनकी आँखें फिर से टकराईं।
    वो नज़रें कह रही थीं—
    लड़ाई अभी शुरू हुई है।

    To be continued 💕

    .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ...
    .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ...

  • 9. Revenge By Love - Chapter 9

    Words: 1053

    Estimated Reading Time: 7 min

    📖 Chapter 9 – "अनकही सच्चाई की परछाइयाँ"


    ---

    मुंबई का वही होटल…
    रात का माहौल अब हल्का ठंडा हो चुका था। कॉन्फ्रेंस हॉल की रौनक धीरे–धीरे खत्म हो गई थी। बिज़नेस टाइकून अपने-अपने सर्कल में डील्स और ड्रिंक्स में उलझे थे। लेकिन किसी का भी ध्यान बार–बार उसी ओर खिंच रहा था—

    रूद्र सिंह और रूहानी खुराना।

    दोनों का एक ही छत के नीचे होना, सबके लिए चर्चा का विषय था।


    ---

    रूद्र का कमरा

    रूद्र अपने सूट की जेब से एक पुरानी तस्वीर निकालकर देख रहा था। तस्वीर हल्की धुंधली थी, लेकिन उसमें हँसती हुई रूहानी थी… और उसके पास खड़ा एक छोटा बच्चा।

    उसकी उंगलियाँ तस्वीर पर टिक गईं।
    “ये बच्चा कौन है? और क्यों जब भी मैं उस छोटी बच्ची को देखता हूँ, तो दिल बेकाबू हो जाता है?”

    वो अचानक खड़ा हुआ।
    “नहीं… मुझे खुद से सवाल करने की आदत नहीं है। मैं जवाब ढूँढता हूँ। और अब रूहानी को जवाब देना ही होगा।”

    उसने गहरी साँस ली और कमरे से बाहर निकल पड़ा।


    ---

    रूहानी का कमरा

    रूहानी आईने के सामने बैठी थी। उसकी आँखों में थकान साफ़ झलक रही थी।
    उसने धीरे से खुद से कहा—
    “रूह… मज़बूत रहना। बच्चों की सच्चाई सामने नहीं आनी चाहिए। अगर रूद्र को पता चल गया तो न सिर्फ़ तुम्हारा राज़ टूटेगा… बल्कि उनकी ज़िंदगी भी।”

    इतना कहते ही दरवाज़े पर दस्तक हुई।
    रूहानी चौंकी।
    दरवाज़ा खोला तो सामने खड़ा था—रूद्र।

    उसकी आँखों में वही कठोरता थी।
    “क्या मैं अंदर आ सकता हूँ? या तुम्हें अब भी डर है कि कहीं मैं तुम्हारे राज़ खोल न दूँ?”

    रूहानी ने होंठ भींचे और दरवाज़ा खोल दिया।
    “आओ। मगर याद रखना, रूद्र… कुछ दरवाज़े खोलने के बाद बंद नहीं होते।”


    ---

    कमरे के भीतर

    रूद्र ने कमरे में कदम रखते ही नज़रें घुमाईं। सब कुछ सलीके से रखा था। लेकिन उसके सामने टेबल पर एक छोटा–सा स्केचबुक पड़ा था।
    उसने उसे उठा लिया।

    पन्ना पलटा तो उसमें बच्चों की ड्रॉइंग थीं—
    घर, सूरज, झूले और एक परिवार।
    पर सबसे आख़िरी पन्ने पर… तीन छोटे-छोटे चेहरे बने थे।

    रूद्र की साँस थम गई।
    “ये बच्चे… कौन हैं?”

    रूहानी तुरंत उसके हाथ से स्केचबुक खींच लाई।
    “ये तुम्हारे काम की चीज़ नहीं, रूद्र। छोड़ दो।”

    लेकिन रूद्र पीछे हटने वाला कहाँ था।
    वो उसके बहुत करीब आ गया, उसकी आँखों में झाँकते हुए बोला—
    “तो तुम सच में कुछ छुपा रही हो।”

    रूहानी ने उसकी नज़र झेलते हुए जवाब दिया—
    “हाँ, छुपा रही हूँ। क्योंकि हर सच दुनिया को दिखाने लायक नहीं होता।”

    रूद्र के होंठों पर हल्की मुस्कान आई।
    “तो इसका मतलब, मेरे शक बेकार नहीं हैं। तुम्हारी ज़िंदगी में कोई है… और शायद बच्चे भी।”

    रूहानी का दिल जोर से धड़क उठा, लेकिन उसने चेहरा शांत रखा।
    “मान लो जो तुम्हें मानना है, रूद्र। मेरी ज़िंदगी अब तुम्हारे सवालों का जवाब नहीं देती।”


    ---

    होटल का गार्डन – देर रात

    रूहानी कमरे से निकलकर गार्डन में आ गई। ठंडी हवा में उसके बाल उड़ रहे थे। उसके हाथ में वही स्केचबुक था, जिसे उसने कसकर पकड़ रखा था।

    वो बेंच पर बैठी और धीरे से फुसफुसाई—
    “अर्जुन, आर्या, रूहान… तुम मेरे दिल की धड़कन हो। तुम्हें इस दुनिया की नज़र से बचाकर रखना ही मेरी सबसे बड़ी जीत है।”

    उसकी आँखें नम हो गईं।

    लेकिन उसे ये अंदाज़ा नहीं था कि दूर खड़ा रूद्र उसकी हर हरकत देख रहा था।

    “रूहान…?”
    रूद्र ने धीरे से नाम दोहराया।
    उसके सीने में एक अजीब-सी सनसनी दौड़ गई।
    “ये नाम… इतना जाना-पहचाना क्यों लग रहा है?”


    ---

    Flashback – पाँच साल पहले

    कॉलेज का आख़िरी दिन।
    रूद्र और रूहानी साथ बैठे थे।
    रूद्र ने मज़ाक में कहा था—
    “अगर कभी हमारा बेटा हुआ तो उसका नाम मैं रखूँगा—रूहान। क्योंकि उसमें मेरा भी अक्स होगा और तुम्हारा भी।”

    रूहानी ने हँसते हुए सिर झुकाया था।
    “तुम्हें हमेशा ज़िद रहती है।”


    ---

    वर्तमान में वापसी

    रूद्र के पाँव वहीं जम गए।
    “नहीं… ये सिर्फ़ इत्तेफ़ाक नहीं हो सकता। उसने वही नाम रखा जो मैंने सोचा था?”

    उसके चेहरे पर गुस्से और शक की लकीरें गहरी हो गईं।
    “रूहानी खुराना… तुम मुझसे कितने सच छुपा रही हो? और क्यों?”


    ---

    रात का सन्नाटा

    रूहानी गार्डन से उठकर कमरे की तरफ़ चली गई।
    लेकिन रूद्र वहीं खड़ा रहा, उसकी आँखों में आग जल रही थी।
    “अब खेल और दिलचस्प हो गया है। तुमने मेरे बेटे का नाम छुपाकर रखा, रूहानी?
    या फिर… ये सिर्फ़ मेरा भ्रम है?”

    उसकी मुट्ठी कस गई।
    “सच मैं ढूँढूँगा। और जब सच सामने आएगा… तुम्हारी पूरी दुनिया हिल जाएगी।”

    रात की हवा में गूंज रहा था—
    दो दिलों के बीच छुपा हुआ सच, जो धीरे-धीरे बाहर आने की तैयारी कर रहा था।


    To be continued 💕
    .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ...

  • 10. Revenge By Love - Chapter 10

    Words: 1049

    Estimated Reading Time: 7 min

    📖 Chapter 10 – “वो प्यार जो अधूरा रह गया”


    ---

    मुंबई – होटल का कमरा, देर रात

    रूद्र खिड़की के पास खड़ा था। बाहर शहर की रोशनी जगमगा रही थी, लेकिन उसके भीतर एक अँधेरा था—इतना गहरा कि उसमें कोई रोशनी झाँक ही नहीं सकती थी।
    हाथ में वही पुरानी तस्वीर थी, वही धुंधला-सा सबूत जो उसके सीने में तूफ़ान मचाए हुए था। तस्वीर में हँसती हुई रूहानी और उसके पास खड़ा बच्चा… और अब रूहानी की जुबान से फिसला वो नाम—रूहान।

    उसके दिल में सवाल गूंज रहा था—
    “क्या सच में ये बच्चा मेरा है? क्या पाँच साल पहले रूहानी सिर्फ़ मुझे छोड़कर नहीं गई… बल्कि मेरे हिस्से की मोहब्बत भी अपने साथ ले गई?”

    उसकी मुट्ठी तस्वीर पर कस गई।
    “नहीं… अब और अधूरा नहीं रहूँगा। सच्चाई मुझे लेनी ही होगी, चाहे इसके लिए उसे तोड़ना पड़े या खुद टूटना पड़े।”


    ---
    रूहानी का कमरा

    रूहानी बिस्तर पर बैठी थी। उसकी आँखें खुली थीं, लेकिन उनमें नींद नहीं थी।
    उसने धीरे से हाथ बढ़ाकर नाइटस्टैंड से एक पुराना लॉकेट उठाया। लॉकेट खोलते ही उसमें एक छोटी तस्वीर थी—उस और रूद्र की।

    तस्वीर देखते ही उसकी आँखों में नमी तैर आई।
    “तुमसे दूर होना मेरी मज़बूरी थी, रूद्र… नफरत नहीं। अगर तुम सच जान जाते तो शायद आज हम दोनों का अतीत, वर्तमान और भविष्य… सब कुछ बदल जाता।”

    वो तस्वीर सीने से लगाकर आँसू रोकने की कोशिश करने लगी, लेकिन टूटकर बिखर गई।
    “काश तुम समझ पाते… मैंने तुम्हें छोड़ा नहीं, मैंने खुद को तोड़ा था।”


    ---
    Flashback – पाँच साल पहले, कॉलेज का दौर

    कैंपस का वो समय जब हर ओर सिर्फ़ हँसी, दोस्ती और मोहब्बत का रंग था।
    रूद्र और रूहानी कॉलेज की शान माने जाते थे। दोनों साथ दिखते तो सब कहते—“ये जोड़ी हमेशा रहेगी।”

    उस दिन बारिश हो रही थी।
    कैंटीन के पास बैठी रूहानी कॉफी पी रही थी और रूद्र उसके पास आकर बैठा।
    “जानती हो, रूह… जब तुम मुस्कुराती हो ना, तो लगता है पूरी दुनिया जीत ली मैंने।”

    रूहानी ने मुस्कुराते हुए उसकी आँखों में देखा।
    “तो हमेशा जीतते रहो, क्योंकि तुम्हारी ये दुनिया मैं ही हूँ।”

    रूद्र ने उसका हाथ थाम लिया।
    “एक वादा करो… चाहे कुछ भी हो, तुम मुझे छोड़कर कभी नहीं जाओगी।”

    रूहानी ने उसकी हथेली में उंगलियाँ फँसाते हुए कहा—
    “वादा करती हूँ, रूद्राक्ष। तुम्हें छोड़ना मेरी ज़िंदगी छोड़ने जैसा होगा।”

    दोनों हँस पड़े।
    लेकिन ये वादा ही बाद में सबसे बड़ा जख्म बन गया।


    ---

    कॉलेज – वो हादसा

    कुछ ही हफ्तों बाद, उनकी मोहब्बत के बीच एक साया आ गया—आरव मेहरा।

    आरव, जो रूहानी का बचपन का दोस्त था, अचानक कॉलेज में दाख़िल हुआ।
    उसकी आँखों में रूहानी के लिए वही दीवानगी थी जो रूद्र के दिल में थी। फर्क सिर्फ़ इतना था—रूद्र की मोहब्बत उसे आज़ादी देती थी, जबकि आरव का जुनून उसे बाँध लेना चाहता था।

    एक शाम, कैंपस की लाइब्रेरी में आरव ने रूहानी से कहा—
    “रूह, तुम जानती हो ना… मैं बचपन से सिर्फ़ तुम्हें चाहता हूँ। तुम्हारा और मेरा रिश्ता रूद्र से पहले का है।”

    रूहानी ने सख़्त लहज़े में कहा—
    “आरव, मैं तुम्हें दोस्त मानती हूँ। और रूद्र ही मेरा सब कुछ है। ये बात समझ लो।”

    लेकिन आरव ने उसके हाथ पकड़ने की कोशिश की।
    “नहीं, तुम मेरी हो। और मैं तुम्हें कभी किसी और का नहीं होने दूँगा।”

    उस वक़्त ठीक वहीं खड़ा था—रूद्र।
    उसकी आँखों में आग जल रही थी।
    “हाथ छोड़ो उसका, वरना…”

    आरव ने हँसते हुए हाथ छोड़ा, लेकिन ज़हर उगला।
    “तुम सोचते हो रूहानी सिर्फ़ तुम्हारी है? नहीं रूद्र… तुम्हारे और उसके बीच हमेशा मैं रहूँगा। देख लेना, एक दिन वो तुम्हें छोड़कर मेरे पास आएगी।”

    रूद्र का गुस्सा चरम पर था। उसने आरव को धक्का दिया, लेकिन रूहानी बीच में आ गई।
    “बस करो, रूद्र! और तुम भी, आरव! अगर सच में मुझे चाहते हो तो मेरी ज़िंदगी से दूर हो जाओ।”

    आरव ने जाते-जाते कहा—
    “दूर जाऊँगा, लेकिन याद रखना… हमारी कहानी अभी खत्म नहीं हुई।”


    ---

    टूटन की शुरुआत

    उस दिन से रूद्र के दिल में शक का बीज पड़ गया।
    वो हर पल सोचने लगा—“क्या रूहानी सच में सिर्फ़ मेरी है? या आरव की बातों में कहीं सच्चाई छुपी है?”

    रूहानी लाख समझाती रही, लेकिन रूद्र का शक उसकी मोहब्बत पर भारी पड़ने लगा।

    एक रात, कॉलेज फेस्ट के बाद, जब सब जश्न मना रहे थे… रूद्र ने रूहानी को आरव के साथ बात करते हुए देखा।
    वो दूर खड़ा रहा, लेकिन उसके दिल में तूफ़ान मच गया।

    “क्या यही वादा था? क्या यही सच है?”

    रूहानी ने बाद में समझाने की कोशिश की—
    “वो आख़िरी बार मुझसे बात करने आया था। मैंने साफ़ कहा कि मेरा उससे कोई रिश्ता नहीं। क्यों नहीं समझते, रूद्र?”

    लेकिन रूद्र की आँखों में सिर्फ़ शक था।
    “तुम्हें उसे समझाने की ज़रूरत क्यों पड़ी? अगर तुम्हें सच में सिर्फ़ मैं चाहिए था तो उसके पास गई ही क्यों?”

    रूहानी टूटकर बोली—
    “क्योंकि मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती थी, रूद्र। तुम्हें सब सच बताना चाहती थी। लेकिन तुम… तुम मुझ पर भरोसा ही नहीं कर पाए।”


    ---
    वो आख़िरी रात

    कॉलेज के आख़िरी दिन, जब रूहानी जाने की तैयारी कर रही थी, रूद्र ने उसे रोक लिया।
    “तुम ऐसे नहीं जा सकती। बताओ, क्या आरव की वजह से जा रही हो?”

    रूहानी की आँखें नम हो गईं।
    “कुछ फैसले हमारे बस में नहीं होते, रूद्र। मुझे मजबूरियों ने बाँध लिया है। लेकिन याद रखना… मैंने तुम्हें कभी धोखा नहीं दिया।”

    रूद्र ने गुस्से और दर्द में कहा—
    “तो जाओ। लेकिन एक दिन मैं तुम्हें ढूँढूँगा और तुम्हारे हर राज़ का हिसाब लूँगा।”

    उस रात बारिश में भीगते हुए दोनों अलग हो गए।
    रूहानी चली गई… और रूद्र वहीं रह गया, अधूरा और टूटा हुआ।


    ---

    वर्तमान – होटल की छत पर

    रूद्र फ्लैशबैक से बाहर आया। छत पर खड़ा होकर उसने आसमान की तरफ़ देखा।
    “तो यही था हमारा अतीत। एक शक, एक मजबूरी और एक अधूरा सच… जिसने सब बर्बाद कर दिया।”

    उसकी आँखों में आग थी।
    “लेकिन अब मैं तुम्हें खोने नहीं दूँगा, रूहानी। चाहे तुम चाहो या ना चाहो… सच सामने आएगा। और जब आएगा, तुम मेरी हो जाओगी। बस मेरी।”

    नीचे लॉबी में उसी वक़्त रूहानी अपने बच्चों की तस्वीरें फोन में देख रही थी।
    उसके होंठों पर हल्की फुसफुसाहट निकली—
    “अगर रूद्र को सच पता चल गया… तो क्या वो हमें अपना पाएगा, या फिर हमेशा के लिए खो देगा?”


    ---

    ✨ To be continued 💕

  • 11. Revenge By Love - Chapter 11

    Words: 1024

    Estimated Reading Time: 7 min

    📖 Chapter 11 – “नन्हीं रूहों की धड़कनें”


    ---

    रूहानी का घर – सुबह

    खिड़की से हल्की धूप कमरे में घुस रही थी। रूहानी रसोई में खड़ी थी, हाथ में चाय का कप और आँखों में गहरी थकान।
    पिछली रात उसके लिए आसान नहीं रही थी। रूद्र का सामना करने के बाद से दिल बार–बार वही सवाल कर रहा था—“क्या वो बच्चों को सच में स्वीकार करेगा? या फिर उन्हें भी अपने शक और नफ़रत में जकड़ लेगा?”

    “मम्मा…”

    उसकी सोच टूटी। छोटी–सी मासूम आवाज़ ने उसे पलटने पर मजबूर किया।
    दरवाज़े पर खड़ी थी आरु—उसकी बेटी।

    आरु की आँखों में वही चमक थी जो रूद्र की मुस्कान में हुआ करती थी। शरारती, चंचल और हमेशा सवालों से भरी हुई।
    वो दौड़कर आई और माँ की गोद में चढ़ गई।
    “मम्मा, आज स्कूल नहीं जाना। आज आप हमारे साथ पूरा दिन खेलो।”

    रूहानी मुस्कुरा दी।
    “बेटा, मम्मा का काम भी है न…”

    लेकिन आरु ने मुँह फुला लिया।
    “हमेशा यही बोलती हो। पापा भी नहीं हैं, और आप भी काम में लगी रहती हो।”

    ये सुनकर रूहानी का दिल काँप गया। वो अपने गले में फँसी हुई सिसक को निगल गई।
    “पापा…” ये शब्द हमेशा उसे अंदर से तोड़ देता था।


    ---
    रूहान – वो साया जो चुप रहता था

    तभी पास ही से धीमी आवाज़ आई।
    “आरु, मम्मा को तंग मत करो।”

    ये था रूहान।
    आरु का जुड़वाँ भाई, शांत और गम्भीर। उसकी आँखों में गहराई थी—बिल्कुल रूद्र की तरह। वो अक्सर चुप रहता, लेकिन उसकी खामोशी बहुत कुछ कह देती।

    रूहानी ने देखा कि रूहान हमेशा अपनी बहन का ध्यान रखता है। जब आरु शरारत करती, वो उसे सँभाल लेता। जब वो रोती, तो चुप कराने के लिए उसके पास खड़ा हो जाता।
    “मेरे बच्चे… तुम दोनों मेरी ताक़त हो।” उसने मन ही मन सोचा।

    लेकिन आज रूहान की आँखों में अजीब सी उदासी थी।
    “क्या हुआ, बेटा?” रूहानी ने पूछा।
    रूहान ने बस इतना कहा—
    “मम्मा, अगर हमारे पापा होते तो… क्या वो हमें पसंद करते?”

    रूहानी का दिल जोर से धड़का। उसने रूहान को कसकर गले लगा लिया।
    “तुम्हारे पापा… तुम दोनों को जान से ज़्यादा प्यार करते।”
    उसकी आवाज़ काँप रही थी, लेकिन बच्चों ने ध्यान नहीं दिया।


    ---
    रूद्र की दस्तक

    दूसरी तरफ़… रूद्र अपने मन की लड़ाई लड़ रहा था।
    वो कार में बैठा था, उसी तस्वीर को बार–बार देख रहा था।
    “आज मैं सच्चाई के और करीब जाऊँगा। चाहे कुछ भी हो, इन बच्चों से मिलना ही होगा। अगर वो मेरे हैं… तो मैं उन्हें दुनिया से छुपकर जीने नहीं दूँगा।”

    उसका ड्राइवर बोला—
    “सर, कहाँ जाना है?”
    रूद्र ने आँखें बंद करके कहा—
    “उसके घर। रूहानी के घर।”

    उसके भीतर ग़ुस्से और जिज्ञासा का संगम था।
    “आज देखूँगा… वो नन्हीं आँखें आखिर किसकी तरह दिखती हैं।”


    ---
    बच्चों का खेल – और अचानक आई परछाई

    घर के आँगन में आरु और रूहान खेल रहे थे।
    आरु ने खिलखिलाते हुए कहा—
    “चलो, मैं परी बनूँगी और तुम सुपरहीरो।”

    रूहान ने गंभीरता से सिर हिलाया।
    “ठीक है, लेकिन सुपरहीरो किसी को चोट नहीं पहुँचाते।”

    “तो फिर तुम मम्मा को खुश करोगे न?”
    रूहान ने चुपचाप ‘हाँ’ में सिर हिला दिया।

    तभी गेट पर दस्तक हुई।
    रूहानी रसोई से निकली और दरवाज़ा खोला। सामने खड़ा था—रूद्र।

    उसकी आँखें सीधे बच्चों पर पड़ीं।
    पहले आरु… जिसने शरारती मुस्कान के साथ उसे देखा।
    फिर रूहान… जिसकी गम्भीर आँखों में उसे अपनी ही परछाई नज़र आई।

    रूद्र का दिल काँप गया।
    “ये… ये मेरे ही तो…”
    लेकिन उसने तुरंत खुद को सँभाला।


    ---
    पहला सामना

    आरु मासूमियत से दौड़कर उसके पास आ गई।
    “अरे, आप कौन हो? हमारे नए टीचर हो क्या?”

    रूद्र पल भर के लिए मुस्कुरा दिया।
    “और अगर मैं कहूँ… मैं तुम्हारा दोस्त हूँ?”

    आरु खिलखिला उठी।
    “तो फिर आप मेरे साथ खेलोगे। लेकिन… पहले ये बताओ, आपकी मुस्कान मम्मा जैसी क्यों नहीं है?”

    ये सुनकर रूद्र का दिल चीर गया।
    वो बोलना चाहता था—“क्योंकि तुम्हारी मम्मा मेरी मुस्कान थी।”
    लेकिन उसने खुद को रोक लिया।

    रूहान चुपचाप खड़ा था। उसकी गम्भीर आँखें लगातार रूद्र को देख रही थीं।
    “आप कौन हैं?” उसने सीधे सवाल किया।

    रूद्र उसकी गहराई में खो गया। ये वही सवाल था, जो उसकी रूह को हर दिन खाए जा रहा था।
    “मैं… कोई हूँ… जिसे तुम्हारे बारे में सब जानना है।”


    ---
    रूहानी की बेचैनी

    रूहानी तुरंत बीच में आ गई।
    “रूद्र! तुम यहाँ क्यों आए हो?”

    रूद्र ने ठंडी निगाहों से उसे देखा।
    “तुम जानती हो क्यों। इन बच्चों को देखना था मुझे। और अब… मुझे जवाब चाहिए।”

    बच्चे मासूमियत से माँ–बाप की इस बातचीत को देख रहे थे। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि माहौल अचानक इतना भारी क्यों हो गया।

    रूहानी ने बच्चों को अंदर भेज दिया।
    लेकिन आरु जाते-जाते बोली—
    “मम्मा, ये अंकल अच्छे हैं। इन्हें मत डाँटो।”

    ये सुनकर रूद्र की आँखों में नमी तैर गई।


    --- सवालों का तूफ़ान

    जैसे ही बच्चे कमरे में गए, रूद्र फट पड़ा।
    “सच बताओ, रूहानी! क्या ये दोनों मेरे हैं? क्या तुमने मुझसे ये सबसे बड़ा सच छुपाया?”

    रूहानी की आँखों से आँसू बह निकले।
    “रूद्र… मैंने सिर्फ़ मजबूरी में ये किया। मैंने तुम्हें कभी धोखा नहीं दिया।”

    रूद्र ने दीवार पर मुक्का मारा।
    “मजबूरी? या तुम्हारा नया खेल? मैंने तुम्हें खोया… और अब देख रहा हूँ, तुमने मुझे मेरे बच्चों से भी दूर रखा।”

    उसकी आवाज़ इतनी भारी थी कि रूहानी काँप गई।
    लेकिन उसने हिम्मत करके कहा—
    “हाँ, ये तुम्हारे ही बच्चे हैं। लेकिन मैंने सच इसलिए छुपाया… क्योंकि तुम्हारा शक, तुम्हारा ग़ुस्सा… तुम हमें बर्बाद कर देते।”

    रूद्र का चेहरा सख्त हो गया।
    “अब बहुत हो गया। मैं इन बच्चों को अपना नाम दूँगा… चाहे तुम चाहो या नहीं।”




    अंदर कमरे में बैठे रूहान ने खिड़की से झाँककर अपने पापा को देखा।
    उसकी आँखों में आँसू थे, लेकिन होंठों पर एक हल्की फुसफुसाहट—
    “तो आप ही हो… हमारे पापा।”

    आरु ने उसका हाथ थाम लिया।
    “पापा अच्छे लगते हैं, न?”

    रूहान चुप रहा। लेकिन उसके दिल में पहली बार उम्मीद की एक किरण जगी थी।


    ---

    ✨ Chapter 11 समाप्त ✨
    .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ...

  • 12. Revenge By Love - Chapter 12

    Words: 1061

    Estimated Reading Time: 7 min

    📖 Chapter 12 – “मासूमियत और भ्रम”

    🌅 मुंबई – सुबह की हल्की धूप

    होटल के लॉबी में हल्की हलचल थी। समिट का तीसरा दिन खत्म हुआ, और आज रूहानी बच्चों को लेकर बाहर आई थी।

    आरु, छोटी सी नटखट लड़की, लाल गुलाबी ड्रेस में दौड़ रही थी। उसकी हँसी होटल के फ़्लोर तक गूँज रही थी।
    रूहान, उसके भाई, हाथ में छोटा बैग लिए शांत और गंभीर दिख रहा था। उसकी आँखों में वह गंभीरता थी, जो उसके पिता की तरह लग रही थी—लेकिन मासूमियत अभी भी उसमें थी।

    रूहानी ने उनके हाथ पकड़े और धीरे से कहा—
    “सावधान रहो, बच्चों… यहाँ लोग बहुत हैं।”

    आरु ने चिढ़ते हुए कहा—
    “माँ, मुझे डर नहीं लगता। मैं खेलना चाहती हूँ।”

    रूहानी मुस्कुराई, लेकिन उसके मन में एक हल्की चिंता थी। वह जानती थी कि आज रूद्र कहीं पास हो सकता है, और अगर उसने उन्हें देख लिया… तो क्या होगा?


    ---

    रूद्र का पहला सामना

    रूद्र होटल के गार्डन में अकेला खड़ा था। उसने अपने फोन में कुछ मैसेज चेक किए, लेकिन नजरें बाहर की ओर थी। तभी उसकी नजर बच्चों पर पड़ी।

    “ये…?” उसने धीरे से फुसफुसाया।
    आरु और रूहान को देखकर उसका दिल धक्-धक् करने लगा।

    रूहानी बच्चों के साथ खेल रही थी, unaware कि रूद्र उन्हें देख रहा है।

    रूद्र ने धीरे-धीरे कदम बढ़ाए।
    “वो… मेरे बच्चे?” उसने अपने आप से कहा, आँखों में सस्पेंस और शॉक का मिश्रण।

    आरु ने अचानक उसकी ओर देखा और चहकते हुए बोली—
    “हैलो अंकल!”

    रूद्र ठिठक गया। उसकी नज़रें रूहानी पर गई।

    रूहानी ने सिर हिलाया—“नहीं… अभी नहीं, रूद्र। बस थोड़ी दूरी बनाए रखो।”

    लेकिन रूद्र का दिल पहले ही धक्-धक् कर रहा था।


    ---

    आरु और रूद्र का पहला खेल

    आरु अपने छोटे हाथों में गेंद लेकर दौड़ पड़ी। रूहानी ने उसे पकड़ने की कोशिश की, लेकिन रूद्र ने एक पल में कदम बढ़ाकर गेंद पकड़ ली।

    “हाय! तुम कौन हो?” आरु ने उसकी ओर देखा, आंखों में चमक।
    रूद्र मुस्कुराया, थोड़ा हिचकिचाते हुए—
    “मैं… बस तुम्हारा दोस्त हूँ। तुम्हारे साथ खेलने आया हूँ।”

    आरु ने खुशी से चहकते हुए कहा—
    “अच्छा! खेलेंगे!”

    रूद्र और आरु ने धीरे-धीरे गेंद खेलना शुरू किया। रूहानी दूर खड़ी देख रही थी, उसका दिल एक अजीब भाव से भर गया।

    रूहान पास आया, चुपचाप। उसने रूद्र को देखा और गंभीर होकर कहा—
    “तुम कौन हो?”

    रूद्र ने झुककर उसे देखा—
    “मैं… एक दोस्त हूँ। तुम मेरे साथ डरते नहीं, है ना?”

    रूहान ने सिर हिलाया, लेकिन उसकी आंखों में जिज्ञासा और सतर्कता साफ़ दिखाई दे रही थी।


    ---

    बच्चों के मासूम पल

    तीनों ने कुछ मिनट खेला। आरु बार-बार हँसी में बोलती—
    “अंकल, तुम अच्छे हो!”

    रूद्र के दिल में धीरे-धीरे भावनाएँ उठ रही थीं। उसकी नज़रें रूहानी पर गईं।

    रूहानी ने शांत होकर कहा—
    “देख रहे हो, रूद्र? ये तुम्हारे बच्चे हैं। और तुम्हें अभी सच्चाई का सामना करना होगा। लेकिन… धैर्य से।”

    रूद्र की आँखों में हल्की नमी थी। उसने मन ही मन कहा—
    “तो ये… मेरे हिस्से की मासूमियाँ हैं। और मैं उन्हें खोने नहीं दूँगा।”


    ---
    रिया की एंट्री

    तभी लॉबी में रिया ने एंट्री ली। उसकी नज़रें बच्चों और रूद्र पर टिक गईं।

    “ओह! ये कौन से छोटे सितारे हैं?” उसने हँसते हुए पूछा।
    रूहानी ने कठोर होकर कहा—
    “रिया… ये हमारे निजी पल में हस्तक्षेप मत करो।”

    लेकिन रिया ने मुस्कान ओढ़ते हुए कहा—
    “बस, थोड़ी नज़र मारी। इतने प्यारे बच्चों को देखकर हर कोई खुश हो जाता है। है ना, रूद्र?”

    रूद्र की नज़रें रिया पर टिक गईं। उसकी हँसी में कुछ शक और सतर्कता थी।

    रिया ने धीरे-धीरे योजना बनाना शुरू कर दिया—
    “अगर मैं रूहानी और रूद्र के बीच भ्रम पैदा कर दूँ… तो खेल और मज़ेदार होगा।”


    ---

    बच्चों की हरकतें और bonding

    आरु और रूद्र धीरे-धीरे एक दूसरे के साथ हँसी-मज़ाक करने लगे।
    रूहान भी धीरे-धीरे रूद्र के पास आया। उसने छोटी-छोटी बातें शुरू की।

    रूद्र ने सोचा—
    “ये छोटे से चेहरों पर मासूमियत, ये छोटे हाथ… और मैं अभी भी उनका सच नहीं जान पाया। लेकिन अब मैं उनके लिए भी खड़ा रहूँगा।”

    रूहानी को ये देख कर थोड़ी राहत हुई। उसने सोचा—
    “कम से कम उनके सामने रूद्र की कठोरता थोड़ी कम है। ये बच्चे उन्हें धीरे-धीरे जानेंगे। लेकिन सच को अभी सुरक्षित रखना होगा।”


    ---



    शाम को, होटल के बगीचे में सभी लोग इकट्ठा हुए।
    आरु और रूहान रूद्र के पास थे।

    रिया ने चुपके से रूहानी की ओर देखा और मुस्कुराई।
    “चलो, खेल शुरू होता है।” उसने धीरे से फुसफुसाया।
    उसकी नज़रें बच्चों और रूद्र पर लगातार टिकी थीं।

    रूहानी ने उसे देख लिया। उसके होंठ सिकुड़ गए—
    “मैंने कहा था, हस्तक्षेप मत करना। पर ये खेल अब मेरे नियंत्रण से बाहर जा रहा है।”

    रूद्र ने बच्चों को गले में लिया। उसकी आँखों में प्यार और एक हल्की हलचल थी—
    “तो ये मेरी मासूमियाँ हैं। और मैं उन्हें कभी नुकसान नहीं होने दूँगा।”

    आरु ने चहकते हुए कहा—
    “अब तुम हमारे साथ हमेशा खेलोगे, है ना अंकल?”

    रूद्र ने मुस्कान ओढ़ते हुए कहा—
    “हाँ, हमेशा।”

    लेकिन उसकी नज़रें रिया पर गईं।
    “और ये जो लड़की है… उसकी चालें मुझे परेशान कर सकती हैं। मुझे सतर्क रहना होगा।”


    ---


    रूद्र और बच्चों के बीच धीरे-धीरे bonding शुरू हुआ।
    आरु की नटखटियां और रूहान की गंभीरता ने रूद्र के भीतर पिता की भावनाएँ जगा दीं।
    रूहानी ने उन्हें दूर से देखा, राहत और चिंता दोनों के मिश्रण में।

    लेकिन हवा में एक नई साज़िश थी—रिया। उसकी मुस्कान में वो शरारत और चालाकी थी, जो रूद्र और रूहानी के बीच भ्रम और तनाव पैदा कर सकती थी।

    रूद्र ने मन ही मन कहा—
    “ये खेल अभी शुरू हुआ है… और अब मैं सिर्फ़ रूहानी के खिलाफ़ नहीं, बल्कि उसकी सुरक्षा और बच्चों के लिए भी लड़ रहा हूँ। सच सामने आएगा… चाहे किसी की कितनी भी चाल हो।”


    ---

    💔 Chapter 12 समाप्त
    .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ...

  • 13. Revenge By Love - Chapter 13

    Words: 1005

    Estimated Reading Time: 7 min

    📖 Chapter 13 – “छल और दिल की लड़ाई”

    🌅 मुंबई – होटल का बगीचा

    सुबह की हल्की धूप बगीचे में फैल रही थी।
    आरु और रूहान खेल रहे थे। रूद्र उनके साथ धीरे-धीरे कदम मिला रहा था।
    आरु बार-बार रूद्र के पास आती—“अंकल, पकड़ो!” और रूद्र मुस्कान के साथ गेंद पकड़ता।

    रूहानी पास खड़ी थी। उसकी आँखों में हल्की चिंता और एक संतोष का मिश्रण था।
    “कम से कम बच्चों के सामने तो तुम नरम लग रहे हो, रूद्र,” उसने मन ही मन कहा।

    लेकिन रिया भी वहाँ थी। उसने चुपके से दोनों की ओर देखा और मुस्कुराई।
    “देखना, कुछ न कुछ करूँगी, और दोनों का खेल उलझ जाएगा,” उसने मन ही मन कहा।


    ---
    रिया की चाल

    रिया ने धीरे से रूद्र की ओर कदम बढ़ाया।
    “अरे, तुम बच्चों के साथ बहुत अच्छे लग रहे हो। लेकिन ये सब public है… और देखो, लोग हमें देख रहे हैं,” उसने कहा।

    रूद्र ने पलटकर उसे देखा। उसकी आँखों में सस्पेंस और सतर्कता थी।
    “क्या चाहिए तुम्हें, रिया?” उसने गंभीर लहज़े में कहा।

    रिया ने हल्की मुस्कान दी—“बस थोड़ी friendly बातें। ये tension थोड़ी कम हो जाएगी।”

    रूहानी ने रिया की तरफ़ देखा और अपने हाथ में फ़ाइल कसकर पकड़ ली।
    “Friendly बातें? हमेशा नहीं, रिया। ये बच्चों के सामने है… और ये खेल तुम्हारे बस का नहीं।”

    लेकिन रिया को ये चुनौती और मज़ेदार लगी।


    ---

    बच्चों और रिया का पहला interaction

    आरु ने रिया को देखा और दौड़ती हुई उसके पास गई—“हैलो! तुम कौन हो?”
    रिया ने मुस्कराते हुए कहा—“मैं बस तुम्हारी दोस्त बनने आई हूँ।”

    रूहान ने कुछ कदम पीछे हटते हुए देखा। उसकी आँखों में सतर्कता थी।
    रूद्र ने उसे पास खड़ा कर लिया।
    “आरु, रूहान… ध्यान रखना। कुछ भी अचानक हो सकता है।”

    आरु ने हँसते हुए कहा—“अंकल, डरने की कोई बात नहीं!”
    रूद्र ने हल्की हँसी दी, लेकिन उसकी नज़रें लगातार रिया पर टिक गई थीं।


    ---

    रिया की साज़िश

    रिया ने बच्चों की मासूमियत को देखकर एक subtle प्लान बनाना शुरू किया।
    वह जानती थी कि अगर रूद्र और रूहानी के बीच थोड़ी misunderstanding आ जाएगी… तो सबका खेल और रोचक बन जाएगा।

    उसने धीरे से कहा—
    “अरे, तुम्हारे बच्चे कितने प्यारे हैं… पर मुझे लगता है, रूद्र… तुम थोड़ा strict हो रहे हो, है ना?”

    रूद्र ने पलटकर उसे देखा।
    “Strict? मैं सिर्फ़ उनके लिए सतर्क हूँ। तुम्हें क्या मतलब है?”

    रिया ने मासूमियत ओढ़ी—“बस… थोड़ा teasing… बच्चों के लिए safe space चाहिए ना?”

    रूद्र ने अपनी आंखें मूँद ली। उसके मन में ख्याल आया—“ये लड़की सिर्फ़ trouble पैदा करने आई है।”


    ---

    रूहानी और रूद्र का private moment

    बच्चे थोड़ी दूरी पर खेल रहे थे। रूहानी ने धीरे से रूद्र की ओर देखा।
    “देखो, तुमने उन्हें देखा? उनके सामने नरम होना जरूरी था। और तुम कर रहे हो।”

    रूद्र ने हल्की हँसी दी—“हाँ, लेकिन तुम्हारी चिंता समझ में आती है। पर मैं उनके लिए कोई compromise नहीं करूँगा।”

    रूहानी ने मुस्कुराते हुए कहा—“मैं जानती हूँ… और यही वजह है कि तुम्हें अभी पूरी सच्चाई नहीं पता।”

    रूद्र ने उसकी ओर देखा, आँखों में intensity थी—
    “सच सामने आएगा, चाहे तुम चाहो या ना चाहो। और फिर देखना… तुम्हारी नफरत और मोहब्बत दोनों मेरी होंगी।”

    रूहानी ने हल्की हँसी दी—“देखते हैं, रूद्राक्ष सिंह। देखते हैं।”


    ---

    बच्चों की bonding

    आरु और रूहान धीरे-धीरे रूद्र के करीब आ रहे थे।
    आरु बार-बार कहती—“अंकल, यहाँ खेलो!”
    रूहान भी धीरे-धीरे पास आया, लेकिन अपनी गंभीरता और सतर्कता बनाए रखी।

    रूद्र ने सोचा—“ये मासूमियत… और ये छोटे चेहरों की मासूम हँसी… मुझे तोड़ने वाले अतीत से भी ऊपर उठने में मदद कर रही है।”

    रूहानी ने दूर से देखा। उसने मन ही मन कहा—
    “अभी बच्चों के सामने वो नरम है। लेकिन ये खेल अभी शुरू हुआ है। सच को अभी किसी भी पल बाहर लाना पड़ सकता है।”


    ---



    होटल के बगीचे में हल्की हवा चल रही थी।
    रिया बच्चों के पास धीरे-धीरे गई और कहा—“तुम लोगों के बीच बहुत प्यारे हो। पर कभी-कभी कुछ चीजें… ज्यादा खुलकर सामने आती हैं।”

    रूद्र ने तुरंत intervene किया—
    “रिया… अभी बस।”

    रूहानी ने पीछे खड़ी होकर उसकी ओर देखा। उसका दिल धक्-धक् कर रहा था।
    “ये लड़की बस हमारा game और confuse कर रही है। पर मुझे अभी सावधान रहना होगा।”

    आरु ने उत्साहित होकर कहा—“अंकल, खेलना अच्छा लगा!”
    रूद्र ने मुस्कान दी—“हाँ, बहुत अच्छा। और मैं हमेशा तुम्हारे लिए हूँ।”

    रूहान ने थोड़ी हिचकिचाहट के बाद कहा—“तुम अच्छे हो।”

    रूद्र ने धीरे से सिर हिलाया।
    उसकी आँखों में प्यार, सतर्कता और protective instincts का मिश्रण था।




    रूद्र और बच्चों की bonding धीरे-धीरे मजबूत हो रही है।
    आरु की नटखटता और रूहान की गंभीरता रूद्र को पिता की भूमिका में खड़ा कर रही है।
    रूहानी दूर से देख रही है, संतोष और चिंता दोनों के मिश्रण में।

    लेकिन रिया की subtle साज़िश हवा में घुल चुकी थी।
    “ये खेल अभी खत्म नहीं हुआ,” रूद्र ने मन ही मन कहा।
    “और अब मैं सिर्फ़ रूहानी और बच्चों के लिए ही नहीं, बल्कि सच और सुरक्षा के लिए भी लड़ूँगा।”


    ---

    Chapter 13 समाप्त
    .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ...

  • 14. Revenge By Love - Chapter 14

    Words: 1020

    Estimated Reading Time: 7 min

    ---

    📖 Chapter 14 – “छल और दिल का जाल”

    मुंबई – होटल का ब्रेकफास्ट हॉल

    सूरज की सुनहरी रोशनी हॉल में फैल रही थी।
    आरु और रूहान पहले से ही टेबल पर बैठे थे। रूद्र उनके पास धीरे-धीरे आया।
    “अच्छा खाओ, बच्चों। दिन लंबा होगा,” उसने मुस्कान के साथ कहा।

    आरु ने उत्साहित होकर कहा—“अंकल, मुझे बताओ, आज क्या करेंगे?”
    रूहान ने थोड़ी हिचकिचाहट के बाद कहा—“हाँ, सही में… तुम्हारे साथ समय अच्छा लगता है।”

    रूहानी दूर से देख रही थी। उसने मन ही मन कहा—
    “ये छोटे चेहरे और उनकी मासूमियत… मेरे लिए और तुम्हारे लिए सबसे बड़ा सच छुपाए हुए हैं।”


    ---

    रिया की subtle interference

    रिया भी वहीं बैठी थी। उसने मासूमियत का आभास देते हुए कहा—
    “तुम्हारे बच्चे बहुत प्यारे हैं, रूद्र। पर मुझे लगता है, कभी-कभी कुछ secrets… थोड़ा confuse कर सकते हैं।”

    रूद्र ने उसे गंभीर दृष्टि से देखा—
    “Secrets? किस बारे में?”

    रिया ने हल्की हँसी दी—“बस… कुछ बातें जो अभी सबको पता नहीं हैं। और कभी-कभी truth छुपा कर रखना भी मजेदार होता है।”

    रूहानी ने नजरें झुका लीं। उसने सोच लिया कि रिया की चालों से बच्चों के और उनके बीच के moments प्रभावित होंगे।


    ---

    बच्चों की नटखटता और bonding

    आरु ने अचानक कहा—“अंकल, चलो पार्क में खेलते हैं।”
    रूद्र ने हँसते हुए कहा—“ठीक है, चलो। पर ध्यान रखना, कोई trouble नहीं हो।”

    रूहानी ने पास खड़े होकर कहा—“मैं भी आती हूँ। बच्चों की safety सबसे ज़रूरी है।”

    रिया भी धीरे-धीरे उनका पीछा करने लगी। उसने अपने अंदर की mischievous plan को execute करना शुरू कर दिया।
    “अगर थोड़ी confusion हो गई, तो मज़ा और बढ़ जाएगा,” उसने मन ही मन कहा।


    ---

    पार्क – पहला outdoor interaction

    बच्चे दौड़ रहे थे। आरु बार-बार रूद्र के पास आती—“अंकल, पकड़ो!”
    रूद्र मुस्कान के साथ गेंद पकड़ता।
    रूहान भी धीरे-धीरे पास आया, लेकिन सतर्कता बनाए रखी।

    रिया ने बच्चों की मासूमियत को देख कर एक plan सोचा।
    उसने धीरे से कहा—“तुम दोनों बहुत प्यारे हो… पर कभी-कभी कुछ बातें… बाहर आ सकती हैं।”

    रूद्र ने तुरंत intervene किया—
    “रिया… अभी बस। बच्चों के साथ कोई games नहीं खेल रहे हो।”

    रूहानी ने दूर से देख कर कहा—
    “ये लड़की सिर्फ़ trouble और confusion पैदा कर रही है। पर हमें शांत रहना होगा।”


    ---
    रूद्र और रूहानी की private moment

    बच्चे थोड़ी दूरी पर खेल रहे थे। रूहानी ने धीरे से रूद्र की तरफ देखा।
    “देखो, तुम उनके लिए कितने attentive हो। पर सच… अभी छुपा हुआ है।”

    रूद्र ने उसकी तरफ गंभीर दृष्टि से देखा—
    “सच सामने आएगा, चाहे तुम चाहो या ना चाहो। और फिर देखना… तुम्हारी नफरत और मोहब्बत दोनों मेरी होंगी।”

    रूहानी ने हल्की हँसी दी—“देखते हैं, रूद्राक्ष सिंह। देखते हैं।”


    ---

    बच्चों के secret moments

    आरु और रूहान धीरे-धीरे रूद्र के करीब आ रहे थे।
    आरु बार-बार कहती—“अंकल, खेलो!”
    रूहान ने थोड़ी हिचकिचाहट के बाद कहा—“तुम अच्छे हो।”

    रूद्र ने मुस्कान दी और कहा—“हाँ, हमेशा तुम्हारे लिए।”
    उसकी आँखों में प्यार, सतर्कता और protection का mixture था।

    रूहानी दूर से देख रही थी। उसका दिल धक्-धक् कर रहा था।
    “ये bonding अभी सिर्फ़ शुरुआत है। सच को अभी सामने लाना बाकी है।”


    ---

    रिया की subtle sazish

    रिया बच्चों के पास धीरे-धीरे गई और कहा—“तुम दोनों बहुत प्यारे हो… पर कभी-कभी truth बाहर आ सकता है।”
    रूद्र ने तुरंत intervene किया—
    “बस, रिया। अब ये खेल तुम्हारे बस का नहीं।”

    रूहानी ने पीछे खड़ी होकर देखा। उसके मन में चिंता और संतोष दोनों थे।
    “अब बच्चों के सामने उसकी चालें fail नहीं होनी चाहिए। पर सच सामने लाने के लिए समय सही होना चाहिए।”


    ---
    evening

    होटल के बगीचे में हल्की हवा चल रही थी।
    रूद्र और बच्चों की bonding धीरे-धीरे मजबूत हो रही थी।
    आरु की नटखटता और रूहान की गंभीरता रूद्र को पिता की भूमिका में खड़ा कर रही थी।

    रूहानी दूर से देख रही थी। उसने मन ही मन कहा—
    “ये खेल अभी खत्म नहीं हुआ। सच को सामने लाना… सिर्फ़ समय की बात है।”

    रिया की subtle interference भी हवा में घुल चुकी थी।
    “ये खेल अभी और उलझ जाएगा,” रूद्र ने मन ही मन कहा।
    “और अब मैं सिर्फ़ रूहानी और बच्चों के लिए ही नहीं, बल्कि सच और सुरक्षा के लिए भी लड़ूँगा।”


    ---

    Chapter 14 समाप्त

    .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ...

  • 15. Revenge By Love - Chapter 15

    Words: 1010

    Estimated Reading Time: 7 min

    📖 Chapter 15 – “खेल और छुपा सच”

    मुंबई – होटल का बगीचा

    सूरज की हल्की किरणें बगीचे में फैल रही थीं।
    रूद्र बच्चों के साथ खेल रहा था। आरु लगातार रूद्र के पास दौड़ रही थी—“अंकल, पकड़ो!”
    रूहान थोड़ी दूरी पर खड़ा देख रहा था। उसकी आँखों में हल्की शरारत और मासूमियत थी।

    रूद्र ने मुस्कान के साथ कहा—“देखो, तुम्हारी energy मुझे भी तरोताज़ा कर रही है।”

    रूहानी दूर से देख रही थी। उसने धीरे से कहा—
    “ये bonding जितनी अच्छी लग रही है, उतनी ही खतरनाक भी है। सच सामने आने का समय करीब है।”


    ---

    रिया की नई साज़िश

    रिया ने बच्चों की मासूमियत का फायदा उठाने का नया plan सोचा।
    उसने धीरे से कहा—“तुम दोनों बहुत प्यारे हो, पर कभी-कभी कुछ बातें… बाहर आ सकती हैं।”
    रूद्र तुरंत उसके पास आया—“बस, रिया। बच्चों के साथ कोई भी खेल तुम्हारे बस का नहीं।”

    रिया ने हल्की हँसी दी—“बस मज़ाक कर रही थी, Rudra… कुछ भी serious नहीं।”
    लेकिन उसकी आँखों में एक अलग चमक थी।

    रूहानी ने पास से देखा। उसने मन ही मन कहा—
    “ये लड़की बच्चों के और हमारे बीच और उलझन पैदा करने वाली है। ध्यान रखना पड़ेगा।”


    ---

    रूद्र और बच्चों का bonding deepen

    आरु अचानक रूद्र के पास आई—“अंकल, मुझे दिखाओ कैसे kick मारते हैं।”
    रूद्र ने मुस्कुराते हुए कहा—“ठीक है, देखो।”
    उसने आरु को slowly guide किया।

    रूहान भी पास आया और धीरे से कहा—“अंकल, मुझे भी सिखाओ।”
    रूद्र ने मुस्कान के साथ दोनों बच्चों को खेल सिखाया।
    इस bonding ने रूद्र को पिता की भूमिका में और मजबूत कर दिया।

    रूहानी दूर खड़ी होकर देख रही थी।
    “ये पल सुंदर है… पर सच छुपा हुआ है। और सच को छुपाना अब मुश्किल होगा।”


    ---

    बच्चे और secret hints

    आरु ने अचानक कहा—“अंकल, तुम्हें पता है ना… मैं तुम्हारे साथ खेलना पसंद करती हूँ।”
    रूहान ने भी कहा—“हाँ, तुम्हारे साथ रहना safe लगता है।”

    रूद्र के चेहरे पर मुस्कान थी। लेकिन उसके मन में सवाल गूंज रहे थे—
    “क्या ये दोनों सच में मेरे बच्चे हैं? या सिर्फ़ coincidence है?”

    रूहानी ने पास खड़े होकर देखा। उसने धीरे से कहा—
    “इनकी मासूमियत में भी एक सच छुपा हुआ है। और समय आने पर सब सामने आएगा।”


    ---


    रिया ने बच्चों के पास जाकर कहा—“तुम दोनों बहुत प्यारे हो, पर कभी-कभी secrets… बाहर आ सकते हैं।”
    रूद्र तुरंत उसकी तरफ़ देखा—“बस, अब ये खेल बंद करो। बच्चों के साथ कोई confusion नहीं चाहिए।”

    रूहानी ने दूर से देखा। उसने मन ही मन कहा—
    “रीया की चालें अभी भी fail नहीं हुई हैं, पर उसे मैं रोकूँगी। पर सच को छुपाना अब आसान नहीं होगा।”


    ---

    emotional confrontation

    बच्चे थोड़ी दूरी पर खेल रहे थे। रूहानी ने धीरे से रूद्र की तरफ देखा—
    “देखो, तुम उनके लिए कितने attentive हो। पर सच अभी भी छुपा हुआ है।”

    रूद्र ने गंभीर दृष्टि से उसकी तरफ देखा—
    “सच सामने आएगा। चाहे तुम चाहो या ना चाहो। और जब आएगा, तुम्हारी नफरत और मोहब्बत दोनों मेरी होंगी।”

    रूहानी ने हल्की हँसी दी—“देखते हैं, रूद्राक्ष सिंह। देखते हैं।”


    ---

    suspense build-up

    बच्चे धीरे-धीरे रूद्र के करीब आ रहे थे।
    आरु बार-बार कहती—“अंकल, खेलो!”
    रूहान ने थोड़ी हिचकिचाहट के बाद कहा—“तुम अच्छे हो।”

    रूद्र ने मुस्कान दी और कहा—“हाँ, हमेशा तुम्हारे लिए।”
    उसकी आँखों में प्यार, सतर्कता और protection का mixture था।

    रूहानी दूर से देख रही थी। उसका दिल धक्-धक् कर रहा था।
    “ये bonding अभी सिर्फ़ शुरुआत है। सच को अभी सामने लाना बाकी है।”

    रिया की subtle interference भी हवा में घुल चुकी थी।
    “ये खेल अभी और उलझ जाएगा,” रूद्र ने मन ही मन कहा।
    “और अब मैं सिर्फ़ रूहानी और बच्चों के लिए ही नहीं, बल्कि सच और सुरक्षा के लिए भी लड़ूँगा।”


    ---

    Chapter 15 समाप्त

    .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ...

  • 16. Revenge By Love - Chapter 16

    Words: 1005

    Estimated Reading Time: 7 min

    📖 Chapter 16 – “छुपी मासूमियत और पहली झलक”

    मुंबई – होटल का बच्चों वाला कमरा

    सूरज की हल्की किरणें कमरे में फैल रही थीं।
    आरु और रूहान अपने खिलौनों में व्यस्त थे।
    आरु ने अचानक कहा—“अंकल, देखो मैं कैसे jump कर सकती हूँ।”
    रूद्र मुस्कुराया और पास जाकर उसे guide करने लगा।

    रूहानी दूर खड़ी होकर देख रही थी।
    उसकी आँखों में हल्की चिंता और प्यार की मिश्रित भावना थी।
    “ये पल कितने सुंदर हैं… पर सच अब भी छुपा हुआ है,” उसने मन ही मन कहा।


    ---


    रिया कमरे में आई और बच्चों के पास बैठी।
    “तुम दोनों बहुत प्यारे हो,” उसने मुस्कान के साथ कहा।
    आरु तुरंत बोली—“रीया आंटी, आप भी खेलें।”
    रिया ने धीरे से कहा—“देखती हूँ, पर मुझे बच्चों की energy संभालनी होगी।”

    रूद्र ने तुरंत ध्यान दिया—“बस, रिया। बच्चों के साथ कोई confusion नहीं चाहिए।”
    रिया ने हल्की हँसी दी—“बस मज़ाक कर रही थी।”
    लेकिन उसकी आँखों में एक subtle cunning चमक थी।

    रूहानी दूर से देख रही थी।
    “ये लड़की बच्चों और हमारे बीच और उलझन पैदा कर रही है। समय रहते इसे संभालना होगा।”


    ---
    बच्चों और रूद्र का bonding

    रूद्र बच्चों के पास बैठ गया।
    आरु ने उसकी उंगलियाँ पकड़कर jump करने की कोशिश की।
    रूद्र ने मुस्कान के साथ guide किया—“ठीक है, देखो।”

    रूहान भी पास आया।
    “अंकल, मुझे भी सिखाओ।”
    रूद्र ने दोनों को धीरे-धीरे खेल सिखाया।
    इस bonding ने रूद्र को पिता की भूमिका में और मजबूत कर दिया।

    रूहानी पास खड़ी होकर observation कर रही थी।
    “ये पल सुंदर है… पर सच छुपा हुआ है। और सच को छुपाना अब मुश्किल होगा।”


    ---

    आरु ने अचानक कहा—“अंकल, तुम्हें पता है ना… मैं तुम्हारे साथ खेलना पसंद करती हूँ।”
    रूहान ने भी कहा—“हाँ, तुम्हारे साथ रहना safe लगता है।”

    रूद्र के चेहरे पर मुस्कान थी।
    लेकिन उसके मन में सवाल गूंज रहे थे—
    “क्या ये दोनों सच में मेरे बच्चे हैं? या सिर्फ़ coincidence है?”

    रूहानी ने पास खड़े होकर देखा।
    “इनकी मासूमियत में भी एक सच छुपा हुआ है। और समय आने पर सब सामने आएगा।”


    ---



    रूद्र ने बच्चों से खेलते हुए कहा—“तुम दोनों बहुत smart हो। और तुम्हें सुरक्षित रखना मेरी responsibility है।”
    रूहानी ने धीरे से उसके पास आकर कहा—
    “सच सामने आएगा। चाहे तुम चाहो या ना चाहो। और जब आएगा, तुम्हारी नफरत और मोहब्बत दोनों मेरी होंगी।”

    रूद्र ने उसकी ओर देखा—“देखते हैं, रूहानी। ये खेल अभी खत्म नहीं हुआ।”




    बच्चे धीरे-धीरे रूद्र के करीब आ रहे थे।
    आरु बार-बार कहती—“अंकल, खेलो!”
    रूहान ने थोड़ी हिचकिचाहट के बाद कहा—“तुम अच्छे हो।”

    रूद्र ने मुस्कान दी—“हाँ, हमेशा तुम्हारे लिए।”
    उसकी आँखों में प्यार, सतर्कता और protection का mixture था।

    रूहानी दूर से देख रही थी।
    उसका दिल धक्-धक् कर रहा था।
    “ये bonding अभी सिर्फ़ शुरुआत है। सच को अभी सामने लाना बाकी है।”

    रिया की subtle interference भी हवा में घुल चुकी थी।
    “ये खेल अभी और उलझ जाएगा,” रूद्र ने मन ही मन कहा।
    “और अब मैं सिर्फ़ रूहानी और बच्चों के लिए ही नहीं, बल्कि सच और सुरक्षा के लिए भी लड़ूँगा।”


    night 🌃

    रात होते ही होटल का वातावरण बदल गया।
    बच्चे सो रहे थे, लेकिन रिया ने चुपके से कुछ papers लेकर कमरे से बाहर निकली।
    उसने फुसफुसाया—“देखते हैं… Rudra और Ruha का सच कब सामने आता है।”

    रूहानी ने खिड़की से बाहर झाँकते हुए देखा।
    “रीया की चालें अभी भी fail नहीं हुई हैं, पर उसे मैं रोकूँगी। पर सच को छुपाना अब आसान नहीं होगा।”

    रूद्र कमरे में खड़ा, बच्चों की नींद देखते हुए, मन ही मन कह रहा था—
    “ये मासूमियत कितनी भी सुंदर क्यों न हो, सच को अब सामने आना ही है। और मैं उसे छुपने नहीं दूँगा।”


    ---

    Chapter 16 समाप्त .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ...

  • 17. Revenge By Love - Chapter 17

    Words: 1028

    Estimated Reading Time: 7 min

    📖 Chapter 17 – “सच की पहली झलक और छुपी चालें”

    मुंबई – होटल का कमरा, सुबह

    सूरज की हल्की किरणें कमरे में फैल रही थीं।
    आरु और रूहान अभी-अभी उठे थे।
    आरु ने कहा—“मम्मी, आज हम खेलेंगे ना?”
    रूहानी मुस्कुराई—“हाँ, बच्चों, खेल शुरू करने से पहले नाश्ता कर लेते हैं।”

    रूद्र पास आया।
    “तुम दोनों जल्दी तैयार हो जाओ, फिर मैं तुम्हारे साथ खेलूँगा।”
    बच्चों की आँखों में excitement और थोड़ी नर्म मासूमियत झलक रही थी।
    रूहानी ने चुपके से रूद्र को देखा।
    “ये पल सुंदर है… पर सच अब भी छुपा हुआ है।”


    ---

    रिया की नई चाल

    रिया ने पिछले रात के papers को ध्यान से देख लिया था।
    उसने खुद से कहा—“अब देखना… Rudra और Ruha के बीच का खेल और उलझेगा। बच्चों के बारे में कुछ भी पता चल गया तो chaos मचेगा।”
    वो चुपके से कमरे में घुसने की योजना बना रही थी।
    लेकिन रूहानी ने उसकी shadow देख ली।
    “रीया… मैं जानती हूँ तुम क्या सोच रही हो। पर बच्चों और सच को तुम अपने खेल में इस्तेमाल नहीं कर सकती।”


    ---

    बच्चों के साथ bonding

    रूद्र ने बच्चों को उठाया और breakfast table पर बैठाया।
    “आरु, तुम्हारा favourite pancake?”
    आरु खुश होकर बोली—“हाँ अंकल!”
    रूहान ने भी नज़रें उठाकर कहा—“मुझे भी।”

    रूद्र ने दोनों के लिए plate में pancake रखा।
    “तुम दोनों बहुत smart हो। और हमेशा safe रहना मेरी जिम्मेदारी है।”
    रूहानी दूर खड़ी observation कर रही थी।
    “ये bonding अब केवल playful नहीं है… ये trust का foundation बन रही है। और सच के सामने आने की राह तैयार हो रही है।”


    ---



    रूद्र ने रूहानी की तरफ़ देखा—“तुमने बच्चों को कभी अकेला क्यों नहीं छोड़ा?”
    रूहानी ने हल्की मुस्कान दी—“क्योंकि मैं जानती थी कि तुम्हारे दिल में उनके लिए भी जगह है। और अब तुम उन्हें judge नहीं कर सकते।”
    रूद्र के मन में सवाल गूंजा—“क्या सच में ये बच्चे मेरे हैं? या सिर्फ़ coincidence है?”
    रूहानी ने पास खड़े होकर धीरे से कहा—“सच आने वाला है, रूद्र। और तुम तैयार रहो।”




    आरु अचानक बोली—“अंकल, देखो मैं कैसे jump कर सकती हूँ।”
    रूहान ने कहा—“मैं भी try करूंगा।”

    रूद्र ने दोनों को धीरे-धीरे guide किया।
    उसकी आँखों में प्यार, सतर्कता और fatherly care का mixture था।
    रूहानी ने दूर से देखा।
    “ये bonding अभी सिर्फ़ शुरुआत है। सच को अब छुपाना मुश्किल होगा।”

    रिया कमरे में चुपके से आई।
    “ये खेल और उलझ जाएगा। Rudra और Ruha को अब बहुत सतर्क रहना पड़ेगा।”
    उसने बच्चों की drawing और कुछ notes चुरा लिए।
    “इनसे clues मिल सकते हैं,” उसने फुसफुसाया।


    ---


    रूद्र ने बच्चों को गले लगाया—“तुम दोनों मेरे लिए बहुत खास हो। हमेशा safe रहना।”
    रूहानी ने पास खड़े होकर कहा—“ये पल सुंदर है… पर सच आने वाला है। और सच के सामने सबकुछ बदल जाएगा।”

    बच्चों की मासूमियत, रूद्र की protective nature, और रूहानी की सावधानी एक साथ कमरे में घुल गई।
    सारा माहौल suspense और emotional tension से भरा था।




    रिया अब और भी चालाक हो गई थी।
    उसके हाथ में papers और notes थे।
    “ये सच सामने लाने का सही मौका होगा। पर पहले देखो… Rudra कैसे react करता है।”

    रूहानी ने खिड़की से बाहर देखा—“सच छुपाना अब मुश्किल है। और जो भी होगा, मैं बच्चों और Rudra दोनों के लिए ready हूँ।”

    रूद्र बच्चों की मासूमियत में खोया हुआ था।
    “ये पल जितना beautiful है, उतना ही fragile भी। सच सामने आने वाला है… और फिर कोई भी कदम आसान नहीं रहेगा।”


    ---

    🌙 रात मै

    रात को बच्चे सो चुके थे।
    रिया फिर से चुपके से कमरे में घुसी।
    उसने धीरे से notes और drawings उठाए।
    “अब देखना… ये सच कब सामने आता है। Rudra और Ruha की कहानी और twisted होने वाली है।”

    रूहानी खिड़की से बाहर झाँक रही थी।
    “रीया की चालें fail नहीं हुईं, पर मैं तैयार हूँ। सच अब सामने आएगा।”

    रूद्र कमरे में खड़ा था।
    बच्चों की नींद देखते हुए मन ही मन कह रहा था—
    “ये मासूमियत कितनी भी beautiful क्यों न हो, सच सामने आएगा। और मैं उसे छुपने नहीं दूँगा।”


    ---

    Chapter 17 समाप्त
    .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ...

  • 18. Revenge By Love - Chapter 18

    Words: 1061

    Estimated Reading Time: 7 min

    📖 Chapter 18 – “छुपे रहस्य और पहला खुलासा”

    मुंबई – होटल का लिविंग रूम, सुबह

    रूहानी बच्चों को तैयार कर रही थी।
    आरु ने उठकर अपनी छोटी ड्रेस संभाली, वहीं रूहान अपने बालों में हाथ फेर रहा था।
    रूद्र पास खड़ा था, दोनों बच्चों की ओर मुस्कराते हुए।
    “तुम दोनों बहुत smart हो, और आज मैं तुम्हें थोड़ा secret mission देता हूँ।”
    बच्चों की आँखों में उत्साह चमक उठा।
    “Secret mission? क्या हमें मज़ा आएगा?” आरु ने पूछा।
    रूद्र ने धीरे से कहा—“हाँ, पर याद रखना… ये सिर्फ़ हमारे बीच रहेगा।”

    रूहानी ने पास खड़े होकर देखा और मुस्कान छुपाई—“ये bonding अब और गहरी हो रही है। पर सच अब भी छुपा है।”


    ---



    रिया ने पिछली रात के papers और drawings को analyze किया।
    उसने खुद से कहा—“अब देखना, Rudra कब सच के नज़दीक पहुँचता है। बच्चों के clues और उनकी activities बहुत कुछ reveal कर सकती हैं।”
    वो silently बच्चों के कमरे में घुसी और उनकी drawing notebooks उठाकर बाहर चली गई।
    “ये clues मुझे Rudra तक ले जाएँगी… और chaos create होगा।”


    ---

    बच्चों का playful morning

    रूद्र ने बच्चों को secret mission के rules बताना शुरू किया।
    “आरु, तुम्हें एक code मिलना है। वहीं रूहान, तुम्हें clues ढूँढने होंगे। अगर सही तरीके से करोगे, तो मैं तुम्हें special treat दूँगा।”

    बच्चों ने खुशी-खुशी हाथ उठाए—“Yes, अंकल!”
    रूहानी दूर खड़ी देख रही थी, उसकी आँखों में mixture of concern और amusement।
    “ये moment बहुत pure है… पर सच सामने आने वाला है, और फिर कोई भी आसान नहीं रहेगा।”


    ---


    आरु ने अपने drawing notebook में कुछ sketches बनाए।
    रूहान ने भी secret notes लिखे।
    रूद्र ने देखा और internally सोचा—“ये handwriting… ये सब कुछ familiar लगता है। क्या सच में ये मेरे बच्चों की hints हैं?”

    रूहानी ने पास आकर कहा—“ध्यान रखना, रूद्र। ये playful moments हैं, पर hidden truths भी हैं।”

    रूद्र ने हल्की मुस्कान दी—“मैं समझ रहा हूँ, Ruha… slowly, मैं सब decipher करूँगा।”


    ---

    पहला खुलासा

    रूद्र बच्चों के sketches और notes ध्यान से देख रहा था।
    तभी एक drawing में उसने अपने childhood favorite toy को देखा।
    “ये… ये वही है जो मैंने बच्चों के लिए रखा था!”
    रूहानी पास आई और शांत लहज़े में कहा—“हाँ, तुम सही देख रहे हो। वो toy मैंने specially रखा था ताकि… तुम उसे पहचान सको।”

    रूद्र की आँखें खुल गईं।
    “तो ये सच… सच में मेरे बच्चे हैं?”
    रूहानी ने धीमे स्वर में कहा—“हाँ, रूद्र… आरु और रूहान तुम्हारे ही बच्चे हैं। लेकिन इस सच को अभी public मत करना।”

    रूद्र ने धीरे से बच्चों को गले लगाया।
    “तुम दोनों… मेरे लिए कितना मतलब रखते हो, इसका अंदाज़ा भी नहीं है। और अब मैं किसी भी कीमत पर तुम्हें खोने नहीं दूँगा।”


    ---रिया की खतरनाक चाल

    रिया ने secretly ये moment देखा और silently सोच रही थी—“अब सच सामने आने वाला है। पर मुझे इससे फायदा उठाना है। Rudra और Ruha के बीच trust टूटेगा… और मैं middle में chaos create करूँगी।”

    उसने अपने plans और भी tight कर लिए।
    “अब देखना… बच्चों के clues कैसे play करेंगे और Rudra का reaction क्या होगा।”


    --emotional bonding

    रूद्र ने बच्चों के साथ breakfast table पर बैठकर उन्हें treat दिया।
    “आरु, रूहान… तुम दोनों के बिना मेरी life अधूरी थी। अब मैं हमेशा तुम्हारे पास रहूँगा।”
    बच्चों की मासूम हँसी और रूहानी की silent observation ने room का atmosphere magical बना दिया।
    “ये पल perfect है… पर सच का pressure अभी खत्म नहीं हुआ।”

    रूहानी ने ध्यान से देखा—“Rudra slowly clues decipher कर रहा है, और फिर… सब कुछ बाहर आ सकता है।”


    ---



    रिया अब और aggressive हो गई।
    उसने secretly बच्चों की notebooks और drawings को अपने पास रख लिया।
    “ये clues मेरे हाथ में हैं… अब देखना Rudra कैसे react करता है। और कैसे मैं अपनी plans execute करूँगी।”

    रूद्र ने अचानक कहा—“Ruha… हम सबको अब ready रहना होगा। ये bonding बहुत precious है, लेकिन external interference भी बड़ी खतरा है।”
    रूहानी ने सिर हिलाया—“मैं ready हूँ, Rudra। बच्चों और सच दोनों के लिए।”


    ---


    रात को, बच्चे सो चुके थे।
    रूद्र और रूहानी खिड़की के पास खड़े थे।
    “अब… सच सामने है। पर मैं जानता हूँ, ये केवल शुरुआत है। Ria के plans अभी complete नहीं हुए।”

    रिया secretly outside खड़ी थी।
    उसकी आँखों में cunning और malicious plan था।
    “अब देखना… Rudra और Ruha के बीच कौन जीतेगा, और कौन हार जाएगा। बच्चों के clues से ये खेल और intense होने वाला है।”

    रूद्र ने softly कहा—“Ruha… अब कोई भी secret safe नहीं। और मैं इसे uncover करूँगा।”

    रूहानी ने हाथ पकड़कर कहा—“और मैं भी ready हूँ, Rudra। हम सब सच के लिए लड़ेंगे। पर बच्चों को हमेशा safe रखेंगे।”


    ---

    Chapter 18 समाप्त

    .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ...

  • 19. Revenge By Love - Chapter 19

    Words: 1097

    Estimated Reading Time: 7 min

    📖 Chapter 19 – “छुपा हुआ साया”


    ---

    मुंबई – रूहानी का घर, शाम का वक्त

    सांझ की हल्की धूप कमरे में घुस रही थी। रूहानी बच्चों के कमरे की तरफ़ जा रही थी। अन्दर अजीब-सा सन्नाटा था, केवल हल्की हँसी और खिलौनों की आवाज़ सुनाई दे रही थी।

    आरु अपने टेडी बियर के साथ सोफे पर बैठी थी, और रूहानी मुस्कुराई।
    “आरु, अब पढ़ाई का समय है,” उसने कहा।
    आरु ने नज़रें उठाई, छोटी सी मुस्कान के साथ—“माँ, क्या पापा आज आएँगे?”

    रूहानी की दिल में हल्की धड़कन हुई। उसने धीरे से कहा—
    “आरु… अभी नहीं। पर तुम्हारा पापा हमेशा तुम्हारे दिल में है।”

    इसी दौरान कमरे के दूसरे कोने में एक और छोटा सा बच्चा दिखाई दिया, जिसे रूहानी ने अभी तक पूरी तरह ध्यान से नहीं देखा। वो चुपचाप अपनी किताब में लगा हुआ था। उसका नाम वीर था, और उसकी आँखों में थोड़ी सी गंभीरता थी, जो उसकी उम्र से बड़ी लगती थी।

    रूहानी ने उसे देखा और मुस्कराई—
    “वीर, अब समय है खेलने का। चलो, बहार चलते हैं।”

    वीर ने सिर हिलाया, लेकिन उसकी नज़रें किसी और तरफ़ टिक गई थीं।


    -- रूद्र काबच्चों के बारे में सोचना
    रूद्र अपने ऑफिस में बैठा था। आज का समिट खत्म हो चुका था, पर उसके दिमाग़ में सिर्फ़ रूहानी और बच्चे घूम रहे थे। उसने धीरे से अपने हाथों में तस्वीरें देखी—आरु और रूहान की।

    “ये बच्चे… सच में मेरे हैं?” उसने खुद से पूछा।
    दिल में हल्की सी उम्मीद और डर दोनों मौजूद थे।

    उसी समय उसकी secretary आई—
    “Sir, Ruha Khurana के बच्चे आपके होटल में हैं। उन्होंने बताया कि आप मिलना चाहते हैं।”

    रूद्र की आँखें चमकी। उसने बिना जवाब दिए, तुरंत कार के लिए निकलने की तैयारी की।


    ---

    होटल का लॉबी

    रूद्र जैसे ही लॉबी में पहुँचा, उसने रूहानी को देखा। वो बच्चों के पास खड़ी थी।

    आरु तुरंत दौड़ी और रूद्र के पास आई।
    “पापा!”

    रूद्र का चेहरा अचानक बदल गया। उसकी आँखों में भरोसा और शक का मिश्रण था। उसने आरु को अपने गले में लिया।
    “आरु… तुम सच में मेरी हो?”

    रूहानी ने धीमे से कहा—
    “हाँ, रूद्र… और अभी तुम्हें और भी कुछ दिखना बाकी है।”

    उसी समय कमरे के एक कोने से वीर बाहर आया। उसने चुपचाप रूद्र को देखा, और उसकी आँखों में हल्की सी डर और काउराग का मिलाजुला भाव था।

    रूद्र ने धीरे से कहा—
    “और ये कौन है?”

    रूहानी मुस्कुराई और धीरे से बोली—
    “वीर… तुम्हारा और मेरा बच्चा है।”

    रूद्र की सांसें रुक गई। उसने उसे करीब बुलाया।
    वीर ने थोड़ी देर झिझक दिखाई, फिर रूद्र के हाथ में अपना हाथ रखा।

    रूद्र की आँखों में आँसू थे, पर उसने मुस्कान ओढ़ ली।
    “तो ये हमारी दुनिया… ये हमारे बच्चे हैं।”


    ---



    रूद्र धीरे-धीरे बच्चों के पास बैठा। उसने आरु से कहा—
    “तुम्हें पता है, तुम्हारे पापा ने तुम्हारे लिए कितनी मोहब्बत की है?”

    आरु ने सिर हिलाया—“हाँ पापा, मम्मी ने बताया।”

    रूद्र ने फिर वीर की ओर देखा। वीर थोड़ी देर चुप रहा, फिर धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ा।
    “पापा…” उसने धीरे से कहा।

    रूद्र ने उसकी आँखों में देखा। वो वही गंभीरता थी, जो उसे पहले ही दिखी थी।
    “वीर, मैं जानता हूँ… तुम्हें मुझसे डर लग रहा है। पर मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ। हमेशा।”

    रूहानी ने पास खड़े होकर देखा। उसके दिल में हल्की राहत थी। उसने महसूस किया कि रूद्र अब बच्चों को अपनाने के लिए तैयार है, लेकिन अब भी सच सामने लाने का खेल बाकी था।


    ---



    रूद्र ने रूहानी की आँखों में देखा।
    “तुमने मुझे इतनी लंबी छुट्टी दी… और फिर ये सब कैसे?”

    रूहानी ने धीरे से कहा—
    “कभी-कभी सच सामने लाने से पहले सुरक्षा ज़रूरी होती है। अब वक्त है कि तुम हमारे साथ जुड़ो। लेकिन ये आसान नहीं होगा, रूद्र। बच्चों के साथ जुड़ना… हमारी दुनिया को बदल देगा।”

    रूद्र ने गहरी साँस ली।
    “मैं तैयार हूँ। चाहे सच कितना भी कठिन क्यों न हो, मैं अपने बच्चों के साथ रहूँगा। और तुम्हारे साथ भी।”

    रूहानी ने हल्की मुस्कान दी।
    “पर खेल अभी खत्म नहीं हुआ। अभी भी बहुत कुछ बाकी है—कुछ राज़, कुछ डर… और कुछ जख्म। तुम्हें सब सामना करना होगा, रूद्र।”

    रूद्र ने सिर हिलाया।
    “मैंने पहले भी खेल खेला है, Ruha… अब ये खेल मेरे लिए और भी निजी है। ये हमारी दुनिया है। और इस बार मैं हारने वाला नहीं हूँ।”


    ---


    रूद्र ने बच्चों को अपनी गोद में लिया। आरु और वीर उसके गले में चिपक गए।
    रूहानी ने पास खड़े होकर देखा। उसकी आँखों में हल्की आँसू थी, लेकिन मुस्कान भी थी।

    “पहली मुलाक़ात… लेकिन ये सिर्फ़ शुरुआत है,” उसने सोचा।
    रूद्र ने भी महसूस किया—सच्चाई अब धीरे-धीरे बाहर आने वाली है।

    हवा में हल्की सी ठंडक थी, पर दोनों के दिलों में जो आग जल रही थी, वो कभी बुझने वाली नहीं थी।
    अब सिर्फ़ समय बताएगा—कैसे रूद्र और रूहानी अपने अधूरे प्यार और बच्चों के साथ नई शुरुआत करेंगे।


    ---

    chapter 19समाप्त
    .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ...

  • 20. Revenge By Love - Chapter 20

    Words: 1025

    Estimated Reading Time: 7 min

    📖 Chapter 20 – “तीनों के संग पहली रात”



    मुंबई – रूहानी का घर, रात का समय

    घर में हल्की रोशनी थी। रूहानी बच्चों के साथ तैयार हो रही थी। आज की रात खास थी—रूद्र पहली बार अपने तीनों बच्चों के साथ पूरी तरह समय बिताने वाला था।

    आरु अपने खिलौनों के साथ कमरे में मस्ती कर रही थी।
    रूहान अपने छोटे-छोटे काम में व्यस्त था, पर उसकी नज़रें बार-बार रूद्र की ओर टिकी थीं।
    वीर, जो अभी भी थोड़ा गंभीर और शांत था, चुपचाप अपने कमरे में बैठा, लेकिन उसकी आँखों में हल्की उत्सुकता झलक रही थी।

    रूहानी ने बच्चों को इकट्ठा किया।
    “बच्चो, पापा आज हमारे साथ रात बिताएँगे। हम सब साथ में खाना खाएँगे, खेलेंगे और फिर कहानी सुनेंगे।”

    आरु खुशी से चिल्लाई—“पापा, जल्दी आओ!”
    रूहान ने धीरे से कहा—“हाँ पापा, मैं भी तैयार हूँ।”
    वीर चुपचाप आया, लेकिन धीरे-धीरे उसके होंठों पर हल्की मुस्कान थी।


    ---
    रूद्र का घर पहुँचना

    रूद्र अपने कार से उतरा। उसने घर के दरवाज़े पर रूहानी को देखा।
    “नमस्ते… बच्चों के लिए क्या लाया हूँ?” उसने मुस्कान के साथ पूछा।

    रूहानी ने उसे अंदर आने का इशारा किया।
    “बस, तुम्हारे लिए तीनों बच्चे तैयार हैं। आओ, मिलो।”

    रूद्र ने धीरे-धीरे कदम बढ़ाए। आरु दौड़ी और उसकी गोद में कूद गई।
    “आरु… तुम हमेशा इतनी प्यारी रहोगी।”
    रूद्र ने आरु को गले लगाते हुए कहा।

    रूहान उसके पास आया और हाथ पकड़कर खड़ा हुआ।
    “पापा… क्या हम खेल सकते हैं?”
    “ज़रूर, रूहान। सब साथ खेलेंगे।”

    वीर थोड़ा पीछे खड़ा रहा। रूहानी ने उसकी ओर देखा।
    “वीर, पापा तुम्हारे लिए भी आए हैं। डरने की ज़रूरत नहीं।”

    वीर ने धीरे से सिर हिलाया। रूद्र ने उसकी ओर झुककर कहा—
    “वीर, मैं जानता हूँ… थोड़ा समय लगेगा। पर मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।”

    वीर ने धीरे-धीरे उसकी गोद में अपना हाथ रखा। रूद्र की आँखों में खुशी और हल्की नर्मी झलक रही थी।


    ---


    रूद्र ने बच्चों के साथ खाना खाने की व्यवस्था की।
    आरु ने खाना खाते हुए पूछा—“पापा, आप हमसे हमेशा साथ रहेंगे?”
    रूद्र ने हल्की हँसी के साथ कहा—“हमेशा, आरु। अब से हमारी दुनिया हमेशा साथ रहेगी।”

    रूहान ने उसके हाथ पकड़कर कहा—“हम आपको बहुत याद करते थे।”
    रूद्र की आँखें नम हो गई। उसने बच्चों को अपने गले में लिया।
    “और मैं भी तुम्हें। अब कोई बीच में नहीं आएगा। हम हमेशा साथ रहेंगे।”

    वीर धीरे-धीरे पास आया। रूद्र ने उसे गले लगाया।
    “वीर, अब डरने की कोई बात नहीं। तुम मेरे हिस्से के हो, और मैं तुम्हें हमेशा सुरक्षित रखूँगा।”

    रूहानी ने पास खड़े होकर देखा। उसके होंठों पर मुस्कान थी, पर दिल में हल्का डर भी था।
    “क्या रूद्र सच में बच्चों को अपनाने के लिए तैयार है, या ये सिर्फ शुरुआत की कोशिश है?”


    ---
    खेल और कहानी का समय

    रात में खाना खाने के बाद, रूद्र ने बच्चों के लिए एक छोटा सा गेम शुरू किया।
    आरु और रूहान बहुत उत्साहित थे। वीर थोड़ा चुप रहा, लेकिन धीरे-धीरे उसकी हँसी भी निकलने लगी।

    खेल के बाद रूद्र ने कहा—“अब कहानी सुनने का समय है।”
    रूद्र ने बच्चों को अपने पास बैठाया।
    “ये कहानी एक परिवार की है, जो हमेशा साथ रहता है। कभी दुख आता है, कभी खुशी, लेकिन प्यार हमेशा बना रहता है।”

    आरु ने कहा—“पापा, ये कहानी हमारी है?”
    रूद्र ने मुस्कान के साथ कहा—“हाँ आरु… हमारी।”

    रूहानी ने पास खड़े होकर देखा। उसका दिल भर आया। उसने सोचा—
    “अब बच्चे भी धीरे-धीरे रूद्र को अपनाने लगे हैं। लेकिन सच को पूरी तरह सामने लाने का खेल अभी बाकी है।”




    रूद्र बच्चों को कमरे में बिस्तर पर ले गया।
    आरु ने उसकी गोद में सिर रखा। रूहान उसके हाथ पकड़कर सो गया। वीर भी धीरे-धीरे शांत हो गया।

    रूद्र खिड़की के पास खड़ा था। उसने धीरे से कहा—
    “Ruha… अब मैं जान गया हूँ कि हमारी जिंदगी का सबसे बड़ा हिस्सा ये तीनों बच्चे हैं। पर सच हमेशा सामने आएगा। और जब आएगा… हमारा परिवार पूरा होगा।”

    रूहानी पास खड़ी थी। उसने धीरे से कहा—
    “हाँ, रूद्र… अब वक्त है कि सच बाहर आए, और हम सभी के बीच कोई रहस्य न रहे।”

    रूद्र ने सिर हिलाया।
    “हम तैयार हैं, Ruha। अब हमारी कहानी सिर्फ़ तीनों बच्चों और हमारी दुनिया के लिए है। कोई भी चीज़ इसे नहीं तोड़ सकती।”


    ---

    ✨ Chapter 20 समाप्त
    .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ... .... ...... ...... ..... .. ... ...... ...... ...... ....... .... ♡ ........
    ...... ..... ..... ..... ..... ..... ...... ...... ..... . ...... ....... ...... ..... ...... ...... ...... ...... ......... ..... .. ... ...