क्या होगा अगर आपका प्यार आपकी शादी के दिन ही ग़ायब हो जाए… और दो साल बाद एक अजनबी बनकर लौट आए? पिया की ज़िंदगी में सबसे खूबसूरत दिन, उसकी शादी का दिन… लेकिन दूल्हा बारात के बीच से अचानक ग़ायब हो गया। दो साल बाद, पिया एक नई नौकरी शुरू करती है और उ... क्या होगा अगर आपका प्यार आपकी शादी के दिन ही ग़ायब हो जाए… और दो साल बाद एक अजनबी बनकर लौट आए? पिया की ज़िंदगी में सबसे खूबसूरत दिन, उसकी शादी का दिन… लेकिन दूल्हा बारात के बीच से अचानक ग़ायब हो गया। दो साल बाद, पिया एक नई नौकरी शुरू करती है और उसका नया बॉस वही शख़्स निकलता है—लेकिन उसे पिया याद ही नहीं। क्या ये उसकी याददाश्त का खेल है… या कोई छुपी हुई साज़िश? मोहब्बत, धोखा और रहस्य के इस सफ़र में हर एपिसोड आपको एक नए सवाल से जकड़ लेगा। "पिया… लौट आओ" — एक ऐसी कहानी, जिसमें प्यार भी है… और एक ऐसा सच, जो ज़िंदगी बदल दे।
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सुबह की हल्की धूप में पिया का कमरा सुनहरी रोशनी से नहा रहा था। फूलों की खुशबू, हल्दी की महक और ढोलक की थाप मिलकर एक उत्सव का रंग बिखेर रहे थे। आईने के सामने बैठी पिया, लाल जोड़े में, अपने चेहरे पर झलकती घबराहट और खुशी को छुपाने की कोशिश कर रही थी।
माँ: "पिया, बस थोड़ी देर में बारात पहुँच जाएगी, बेटा… आज तेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत दिन है।"
पिया ने हल्की सी मुस्कान दी। दिल में कई ख्वाब सजे थे — आदित्य से शादी, नए घर की शुरुआत, और प्यार से भरा एक भविष्य।
मंडप फूलों से सजा था। रिश्तेदार, मेहमान, और बच्चे चारों तरफ़ चहल-पहल में व्यस्त थे। बैंड की धुन दूर से सुनाई दे रही थी — बारात आ रही थी।
पिया ने अपनी सहेली को खिड़की से बाहर झाँकते देखा।
सहेली: "देख, दूल्हा घोड़ी पर है… कितना हैंडसम लग रहा है!"
पिया के गाल लाल हो गए। उसने धीमे से सिर झुका लिया।
लेकिन तभी… भीड़ में हलचल हुई। बैंड की आवाज़ धीमी पड़ी। लोग फुसफुसाने लगे।
किसी ने कहा: "अरे… दूल्हा कहाँ गया?"
पलक झपकते ही खबर फैल गई — आदित्य गायब हो गया है। मंडप में अफरा-तफरी मच गई।
पिया की माँ भागकर आईं।
माँ: "पिया… आदित्य नहीं मिल रहा… किसी को समझ नहीं आ रहा वो कहाँ गया।"
पिया का चेहरा सफेद पड़ गया। उसके कानों में शोर गूंजने लगा, जैसे किसी ने सारी खुशियाँ खींच ली हों।
पुलिस बुलाई गई। गाड़ियों की आवाज़, लोगों के सवाल, और पिया की सूनी आँखें… हर तरफ़ बेचैनी थी। किसी ने कहा कि शायद वो भाग गया, किसी ने कहा अपहरण हुआ है — लेकिन सच कोई नहीं जानता था।
रात होते-होते, रोशनी बुझ गई, फूल मुरझा गए, और पिया का सपना चकनाचूर हो गया।
*"उस रात पिया ने दुल्हन का जोड़ा उतार दिया… लेकिन अपने सवाल कभी नहीं उतारे।"*
दो साल बाद…
समय के पन्ने पलटे, लेकिन पिया की ज़िंदगी जैसे उसी पन्ने पर अटक गई थी। शादी वाले दिन की वो आखिरी तस्वीर, उसके मन में धुंधली नहीं हुई — बल्कि और गहरी हो गई थी।
अब वो उसी शहर में एक साधारण-सी किराए की फ्लैट में रहती थी। रिश्तों से दूरी, सपनों से दूरी, बस ज़िम्मेदारियों के साथ गुज़र-बसर।
सुबह 8:00 बजे
पिया शीशे के सामने खड़ी थी। आज उसके नए ऑफिस का पहला दिन था — एक बड़ी कॉर्पोरेट कंपनी, *मेहरा ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज़*।
उसने हल्के नीले रंग की शर्ट और काले फॉर्मल पैंट पहने, बालों को साफ़ बाँधा।
दिल में थोड़ी घबराहट थी, लेकिन उसने खुद को संभाला — "नई शुरुआत है पिया, अब अतीत में नहीं जीना।"
ऑफिस का माहौल काँच की दीवारें, चमचमाते फर्श, और कॉफी मशीन की खुशबू। रिसेप्शनिस्ट ने मुस्कुराकर उसका स्वागत किया — रिसेप्शनिस्ट: "मैम, आप पिया शर्मा? सर आपकी मीटिंग रूम में इंतज़ार कर रहे हैं।"
पिया ने गहरी सांस ली और मीटिंग रूम का दरवाज़ा खोला और फिर… समय रुक गया।
टेबल के पास खड़ा शख़्स — वही चेहरे की बनावट, वही नज़रें, वही आवाज़ जो उसने अनगिनत बार अपने सपनों में सुनी थी… *आदित्य!*
लेकिन उसकी आँखों में कोई पहचान नहीं थी।
साफ़, ठंडी, और औपचारिक निगाह।
वो (हल्की सी मुस्कान के साथ): "हाय, मैं अयान मेहरा… आपका नया बॉस। वेलकम टू द टीम, मिस शर्मा।"
पिया का दिल तेज़ी से धड़कने लगा।
वो हिल भी नहीं पाई, बस उसे घूरती रह गई।
मीटिंग में अयान ने प्रोजेक्ट के बारे में बात करना शुरू किया — टारगेट, रिपोर्ट, डेडलाइन।
पिया बस उसकी आवाज़ सुन रही थी, जैसे हर शब्द अतीत की किसी गली से आ रहा हो।
लेकिन उसने एक बार भी यह नहीं कहा — "पिया, ये तुम हो?"
ना कोई हैरानी, ना कोई सवाल… जैसे वो सच में उसे पहली बार देख रहा हो।
ऑफिस के बाद पिया ने पार्किंग में उसकी कार देखी — एक काली SUV, जिसके आगे एक पर्सनल सिक्योरिटी गार्ड खड़ा था।
जब अयान कार में बैठा, तो उसने शीशे के पीछे से पिया की तरफ़ देखा… और कुछ पल के लिए, उसकी आँखों में एक अजीब-सी बेचैनी चमकी।
लेकिन अगले ही पल, वो नज़र गायब हो गई।
कार चल पड़ी…
और पिया वहीं खड़ी रह गई, दिल में एक ही सवाल के साथ —
*"अगर वो सच में आदित्य है… तो मुझे पहचान क्यों नहीं रहा?"*
अगले कुछ दिन पिया ने जैसे मशीन की तरह गुज़ारे —
ऑफिस आना, अयान के दिए टास्क पूरे करना, घर लौटना।
लेकिन दिमाग हर पल उसी चेहरे पर अटका था।
सुबह की मीटिंग में अयान बड़े ध्यान से प्रोजेक्ट रिपोर्ट देख रहा था। उसकी उंगलियां पेन से टेबल पर हल्की-हल्की थाप दे रही थीं।
पिया को साफ़ याद था — आदित्य भी ऐसे ही करता था, जब सोच में डूबा होता था।
उसने हिम्मत करके पूछा —
पिया: "सर… हम पहले कहीं मिल चुके हैं क्या?"
अयान (सर उठाए बिना): "नहीं… शायद आपका कोई हमशक्ल रहा होगा।"
उसकी आवाज़ ठंडी थी, लेकिन उसमें एक अजीब-सा ठहराव था… जैसे कुछ कहने से रोक रहा हो।
दोपहर का लंच ब्रेक था पिया कैंटीन में बैठी थी। दूर से अयान और एक अनजान आदमी की बातचीत सुनाई दी — बहुत धीमी, लेकिन कुछ शब्द साफ़ थे:
"सिक्योरिटी टाइट रखो… उन्हें पता नहीं चलना चाहिए।"*
पिया ने चुपचाप नोट किया — *उन्हें* कौन?
शाम होने पर पिया को एक बहाना बनाकर अयान के केबिन में जाना पड़ा।
वो फाइल ढूंढ रही थी, जब उसकी नज़र मेज़ के कोने पर रखी एक पुरानी तस्वीर पर पड़ी —
तस्वीर धुंधली थी, लेकिन साफ़ दिख रहा था — लाल जोड़े में दुल्हन… और उसके बगल में आदित्य जैसा दिखने वाला आदमी।
पिया का गला सूख गया।
दरवाज़ा अचानक खुला।
अयान अंदर आया, उसकी आँखों में हैरानी और शक।
अयान:"आप यहाँ क्या कर रही हैं?"
पिया (घबराते हुए): "वो… फाइल ढूंढ रही थी, सर।"
अयान ने तस्वीर जल्दी से दराज़ में डाल दी और ठंडी नज़र से बोला —
अयान: "अगली बार बिना इजाज़त के मत आना।"
रात में पिया बालकनी में बैठी थी, आसमान में बादल घिरे थे।
उसके मन में अब यकीन था — अयान ही आदित्य है।
लेकिन सच तक पहुंचना आसान नहीं होगा, क्योंकि कोई न कोई उसे पहचानने से रोक रहा है…
और सबसे डरावनी बात ये थी — शायद खुद अयान भी उस सच से डरता है।
क्रमश....!!
हैलो दोस्तो यह मेरी पहली नॉवेल है प्लीज़ सपोट 🙏
ऑफिस में आज का दिन बाकी दिनों से अलग था।
शाम तक तेज़ बारिश शुरू हो गई थी। काँच की दीवारों पर पानी की बूँदें बह रही थीं, और बाहर आसमान में बिजली चमक रही थी।
ज़्यादातर लोग जल्दी घर निकल गए, लेकिन पिया को एक रिपोर्ट पूरी करनी थी।
रात 8:15 बजे ऑफिस का फ़्लोर लगभग खाली था।
दूर अयान के केबिन में हल्की-सी रोशनी थी।
पिया ने सोचा, शायद वो भी किसी प्रेज़ेंटेशन में व्यस्त होगा।
लेकिन अचानक एक अजीब-सी आवाज़ सुनाई दी — जैसे किसी का कराहना।
वो डरते-डरते अयान के केबिन की तरफ़ बढ़ी।
अंदर का नज़ारा देखकर पिया का दिल जोर से धड़कने लगा —
अयान कुर्सी पर झुका हुआ था, दोनों हाथ सिर पर रखे, पसीने में भीगा हुआ, और तेज़ साँस ले रहा था।
पिया (घबराकर): "सर… आप ठीक हैं?"
अयान ने ऊपर देखा, आँखें लाल, चेहरा जैसे किसी पुराने डर से घिरा हो।
वो कुछ बड़बड़ाने लगा —अयान (टूटे हुए स्वर में): "…पिया… लौट आओ…"
यह सुनकर पिया वहीं जम गई। ये वही नाम था… उसका नाम।
उसका दिल कह रहा था, ये महज़ संयोग नहीं हो सकता।
अचानक अयान का सिक्योरिटी गार्ड कमरे में घुसा।
गार्ड (सख़्ती से): "मैम, सर को आराम चाहिए। प्लीज़ बाहर चलिए।"
उसने पिया को लगभग धकेलते हुए दरवाज़ा बंद कर दिया।
घर लौटते समय बारिश में भीगती पिया के दिमाग में सिर्फ़ एक ही बात गूंज रही थी —"वो मेरा नाम क्यों ले रहा था, अगर उसे मैं याद नहीं?"
अब पिया को यकीन हो गया था — अयान का अतीत उसी से जुड़ा है, और ये सिर्फ़ याददाश्त का मामला नहीं…
कुछ बहुत गहरा, बहुत खतरनाक खेल चल रहा है।
पिया ने तय कर लिया था — अब उसे सच जानना ही है।
अयान की आंखों में पहचान की झलक, उसका नाम बड़बड़ाना, और वो पुरानी तस्वीर… सब इत्तेफ़ाक़ नहीं हो सकते।
सुराग की तलाश में शनिवार की सुबह, पिया अपने पुराने मोहल्ले पहुँची — वही जगह जहाँ उसकी शादी होनी थी।
गली में पुरानी दुकानें अब भी थीं, लेकिन लोग जैसे उस दिन की बातें भूलना चाहते थे।
वो पास के *शर्मा फोटो स्टूडियो* में गई, जहाँ अक्सर शादी की शूटिंग होती थी।
मालिक, एक अधेड़ उम्र का आदमी, पिया को देखकर ठिठक गया।
मालिक: "आप… पिया बिटिया? बहुत साल हो गए… उस दिन जो हुआ, बड़ी अफसोस की बात थी।"
पिया: "क्या आपके पास उस दिन की कोई रिकॉर्डिंग है? शायद बारात का वीडियो?"
मालिक ने हिचकिचाते हुए एक पुरानी हार्ड ड्राइव निकाली।
मालिक: "कुछ हिस्सा मिटा दिया गया था, लेकिन एक क्लिप बची है।"
वीडियो क्लिप लैपटॉप की स्क्रीन पर बारात का शोर, बैंड-बाजे की धुन, और फिर… अचानक अफरा-तफरी।
कैमरा थोड़ा हिल रहा था, लेकिन साफ़ दिखा — दो अजनबी काले कपड़ों में आदित्य को घेरते हैं, उसे बांह से पकड़ते हैं, और भीड़ से दूर ले जाते हैं।
पीछे एक काली SUV खड़ी है… और नंबर प्लेट आधी ढकी हुई।
वीडियो अचानक रुक जाता है।
पिया का दिल कसकर जकड़ गया।
अब उसे पता था — आदित्य शादी से भागा नहीं था, उसे **किडनैप** किया गया था।
सच दबाने की ताक़त किसके पास होगी यह सोचते हुए पिया इस फुटेज को लेकर पुलिस स्टेशन पहुँची।
इंस्पेक्टर ने फाइल देखी, लेकिन कुछ देर बाद ठंडी आवाज़ में कहा —इंस्पेक्टर: "ये मामला दो साल पुराना है। और… ऊपर से आदेश है कि इसे फिर से न खोला जाए।"
पिया (हैरान): "आदेश? किसके?"
>इंस्पेक्टर (कंधे उचकाते हुए): "मैं इतना ही कह सकता हूँ… बहुत बड़े लोग इसमें शामिल हैं।"
रात को घर लौटते समय, पिया को लगा जैसे कोई उसका पीछा कर रहा है।
पीछे मुड़कर देखा तो एक काली SUV थोड़ी दूर चल रही थी… बिल्कुल वैसी जैसी वीडियो में थी।
उस पल उसे अहसास हुआ — वो जितना सच के करीब जाएगी, उतना ही खतरे के करीब पहुँच जाएगी।
क्या पिया और अयान के बीच भावनात्मक नज़दीकियाँ बढ़ पाएंगी ?
पिया ने तय कर लिया था कि वो पीछे नहीं हटेगी।
अब सवाल सिर्फ़ अयान की पहचान का नहीं था — उसकी ज़िंदगी भी दांव पर लगी थी।
ऑफिस में बदलता माहौल और अयान का व्यवहार पिया के प्रति थोड़ा नरम होने लगा था।
जहाँ पहले सिर्फ़ औपचारिक बातें होती थीं, अब वो कभी-कभी पूछ लेता —
अयान:"आजकल आप काफी थकी-थकी लग रही हैं… सब ठीक है?"
पिया बस हल्की मुस्कान दे देती, लेकिन अंदर ही अंदर उसकी धड़कनें तेज़ हो जातीं।
एक शाम ऑफिस से निकलते वक्त भारी बारिश हो रही थी।पिया ने गेट से बाहर कदम रखा ही था कि सामने काली SUV आकर रुकी।
ड्राइवर ने खिड़की से झाँककर कहा —ड्राइवर: "मैम, सर ने भेजा है।"
वो हिचकिचाई, लेकिन SUV में बैठ गई।
अंदर अयान था, सीट बेल्ट लगाए, उसके हाथ में एक छतरी थी।
अयान: "बारिश में भीगने देतीं तो कल ऑफिस में बुखार लेकर आतीं।"
उसकी बात सुनकर पिया को पहली बार लगा कि शायद उसके अंदर कहीं वही आदित्य छुपा है — जो उसकी फ़िक्र करता था।
खतरे का साया उनके आस पास ही मंडरा रहा था। घर छोड़ने के बाद अयान की SUV जैसे ही आगे बढ़ी, एक और कार तेज़ी से पास से गुज़री।
अयान ने रियर व्यू मिरर में देखा, फिर धीरे से सिक्योरिटी गार्ड को कुछ कहा।
पिया ने ध्यान दिया — उसके चेहरे पर चिंता थी, लेकिन उसने कुछ नहीं बताया।
एक रात उनके ऊपर हमला हुआ तीन दिन बाद, कंपनी का एक इवेंट था।
होटल की पार्किंग में अयान अपनी कार की तरफ़ बढ़ रहा था कि अचानक पीछे से एक शख़्स चाकू लेकर झपटा।
पिया वहीं थी — उसने बिना सोचे अयान को खींचकर पीछे कर दिया।
गार्ड ने तुरंत हमलावर को पकड़ा, लेकिन वो ज़्यादा देर हाथ में नहीं आया — जैसे किसी ने उसे भागने का मौका दे दिया हो।
अयान ने पिया को देखा —अयान: "तुम ठीक हो?"
पिया (हांफते हुए):"आप पर हमला क्यों हुआ? ये लोग कौन हैं?"
अयान कुछ कहने ही वाला था, लेकिन फिर ठहर गया।
अयान: "ये बातें और ये जगह तुम्हारे लिए सुरक्षित नहीं हैं।"
उस रात, पिया को नींद नहीं आई।
अब उसके मन में डर और मोहब्बत — दोनों बराबर थे।
वो सोच रही थी — अगर उसने अयान को बचाया है, तो क्या अब अयान भी उसे बचाएगा… सच से?
पिया को अयान के अतीत और कॉर्पोरेट घोटाले के बारे में चौंकाने वाला सच कैसे पता चलता है। जानने के लिए अगले भाग का इंतजार करें।
कमेंट्स जरुर लिखें धन्यवाद्
पिया को अब यकीन हो चुका था — अयान किसी बड़े और खतरनाक रहस्य में फँसा है।
लेकिन ये सिर्फ़ उसका अतीत नहीं, उसका वर्तमान और शायद उसका भविष्य भी तय करेगा।
अनचाही फाइल - एक दिन, अयान मीटिंग के लिए बाहर गया था। पिया को उसकी डेस्क पर एक USB ड्राइव दिखी, जिस पर सिर्फ़ एक शब्द लिखा था "Confidential" दिल धड़कते हुए उसने ड्राइव अपने लैपटॉप में लगाई।
स्क्रीन पर फोल्डर खुले — *Projects, Accounts, Legal Docs*… और फिर एक फोल्डर जिसका नाम था "Truth"
उसमें मौजूद वीडियो देखकर पिया की सांस रुक गई —
अयान, या कहें आदित्य, शादी से एक हफ्ता पहले किसी बड़े कॉन्फ्रेंस रूम में बैठा था।
टेबल पर कई लोग थे — और उनमें से एक शख़्स था *कबीर मल्होत्रा*, जो अब अयान का बिज़नेस पार्टनर था।
वीडियो का सच - वीडियो में आदित्य कह रहा था —आदित्य: "मैं इस घोटाले में शामिल नहीं हो सकता। अगर ये सामने आया तो कई ज़िंदगियाँ बर्बाद होंगी।"
कबीर ने ठंडी हँसी के साथ जवाब दिया —
**कबीर:** "तो हमें यकीन दिलाना पड़ेगा कि तुम चुप रहोगे… हमेशा के लिए।" वीडियो अचानक वहीं कट गया।
**जुड़ते हुए टुकड़े**
अब सब साफ़ था — शादी के दिन आदित्य को किडनैप करने के पीछे कबीर का हाथ था।
शायद उसकी याददाश्त मिटाई गई, और फिर एक नई पहचान के साथ उसे *अयान मेहरा* बनाकर उसी के बिज़नेस में इस्तेमाल किया गया।
पिया के हाथ ठंडे पड़ गए।
उसने तय कर लिया — अब वो ये सच अयान को बताएगी।
लेकिन सवाल था — क्या अयान उसकी बात मानेगा… या उसे भी खतरा मानकर दूर कर देगा?
**खतरनाक मुलाक़ात** उस रात पिया ऑफिस से निकल रही थी कि पार्किंग में कबीर से सामना हो गया।
कबीर ने मुस्कुराकर कहा — "मिस शर्मा, आपको नई नौकरी कैसी लग रही है?"
उसकी मुस्कान में कुछ ऐसा था, जैसे वो सब जानता हो।
कबीर (धीरे से): "कुछ चीज़ें जानना बेहतर नहीं होता… वरना लोग ग़ायब हो जाते हैं।"
पिया के दिल में डर की ठंडी लहर दौड़ गई।
पिया पूरी रात जागती रही। उसके मन में बस एक ही ख्याल था — *अब और इंतज़ार नहीं। अयान को सब कुछ आज ही बता दूँगी।*
सुबह का ऑफिस**
अयान अपने केबिन में था, लेकिन चेहरा थका हुआ लग रहा था।
पिया ने धीरे से दरवाज़ा बंद किया और सामने बैठ गई।
पिया: "सर… नहीं, अयान… मुझे आपसे बहुत ज़रूरी बात करनी है।"
अयान (भौं सिकोड़ते हुए):** "क्या हुआ?"
पिया: "आप आदित्य हैं… मेरी शादी वाले दिन आपको किडनैप किया गया था। और इसके पीछे कबीर मल्होत्रा का हाथ है।"
अयान का चेहरा सफ़ेद पड़ गया।
अयान: "ये… ये नाम तुमने कहाँ से सुना?"
पिया ने USB ड्राइव उसकी ओर बढ़ा दी।
यादों का तूफ़ान आया। अयान ने वीडियो देखा।
पहले तो बस चुप बैठा रहा, लेकिन फिर उसके हाथ काँपने लगे, माथे पर पसीना, और आंखों में पानी।
उसके दिमाग में टूटी-फूटी यादें लौटने लगीं — मंडप, बारात, अचानक अंधेरा, कार में घसीटा जाना, इंजेक्शन की चुभन… और फिर कुछ नहीं।
अयान (टूटे स्वर में): "मैं… मैं सच में आदित्य हूँ?"
पिया (आँखों में आँसू): "हाँ… और मैं दो साल से तुम्हें ढूँढ रही थी।"
**धोखे का सामना**अचानक दरवाज़ा खुला।
कबीर अंदर आया, सिक्योरिटी गार्ड के साथ।
उसके हाथ में पिस्तौल थी।
कबीर (ठंडी हँसी): "तो, आखिरकार तुम्हें सब पता चल गया… लेकिन अब ये तुम्हारा आखिरी दिन होगा।"
**पीछा और गोलीबारी**
अयान ने मेज़ उलट दी, पिया को नीचे खींच लिया।
गार्ड ने गोली चलाई, काँच टूट गया।
अयान और पिया पीछे के दरवाज़े से भागे, गलियारे में दौड़ते हुए पार्किंग की तरफ़।
बारिश हो रही थी, टायरों की चरमराहट, और कबीर की गाड़ी उनके पीछे।
अयान ने पिया का हाथ पकड़ा, दोनों एक पुरानी वेयरहाउस बिल्डिंग में घुस गए।
-आखिरी टकराव*अंदर अंधेरा था।
कबीर की आवाज़ गूँज रही थी — "आदित्य… तू बच नहीं सकता।"
अयान ने पिया से फुसफुसाकर कहा —
अयान:** "तुम यहाँ छुपो… मैं ये खत्म कर दूँगा।"
जब कबीर पास आया, अयान ने अचानक उस पर हमला कर दिया।
गिरते-पड़ते, मारपीट, और फिर… अयान ने उसकी पिस्तौल छीनकर कबीर पर तान दी।
अयान (गुस्से से):"ये खेल अब खत्म!"
पुलिस के सायरन दूर से सुनाई दिए — शायद पिया ने पहले ही कॉल कर दिया था।
कबीर को गिरफ्तार कर लिया गया, और उसका पूरा घोटाला सामने आ गया।
बारिश थम चुकी थी, लेकिन पिया का दिल अब भी तेज़ धड़क रहा था।
वेयरहाउस के बाहर पुलिस की गाड़ियाँ खड़ी थीं, कबीर हथकड़ियों में जकड़ा हुआ था, और अयान चुपचाप खड़ा था — जैसे दो साल का बोझ अचानक उतर गया हो।
पुलिस के जाने के बाद, अयान ने पिया की ओर देखा।
उसकी आँखों में नमी थी, लेकिन इस बार उनमें पहचान भी थी। यादों की वापसी हो रही थी।
अयान: "पिया… मुझे सब याद आ रहा है। वो दिन… हमारी शादी… और फिर अंधेरा। मैं सोचता था, ये सब बस एक सपना था… लेकिन तुम असल में थी… और हो।"
पिया (आँसू रोकते हुए): "मैंने तुम्हें कभी खोया नहीं… बस तुम्हें ढूँढने में दो साल लग गए।"
अयान ने उसके हाथ थाम लिए।
अयान:"मुझे माफ़ कर दो… तुम्हें छोड़कर जाने का इरादा कभी नहीं था।"
>पिया:"तुम्हें माफ़ करने के लिए मुझे बस तुम्हारा लौट आना चाहिए था।"
नई शुरुआत का वक्त आ गया था।
कुछ हफ़्तों बाद, मीडिया में कबीर के घोटाले और गिरफ्तारी की खबरें छा गईं।
अयान ने आधिकारिक रूप से अपना नाम *आदित्य मल्होत्रा* घोषित किया और कंपनी की बागडोर खुद संभाल ली।
एक शाम, ऑफिस की छत पर, सूरज ढलते वक्त…
आदित्य: "अब हमारी कहानी वहीं से शुरू होगी, जहाँ से टूटी थी।"
पिया ने मुस्कुराकर सिर हिला दिया।
दोनों छत से शहर की रोशनी देख रहे थे कि नीचे सड़क पर एक काली SUV धीरे-धीरे गुज़री।
अंदर बैठा शख़्स धुंधला-सा दिखा… और उसके होंठों पर हल्की-सी मुस्कान थी।
पिया ने आदित्य की ओर देखा —
**पिया:** "शायद खेल अभी खत्म नहीं हुआ।"
आदित्य ने उसका हाथ और कसकर पकड़ लिया।
**आदित्य:** "तो हम इसे साथ मिलकर खत्म करेंगे।"
और आसमान में पहली बार शांति का चाँद चमक उठा… लेकिन छाया अब भी बाकी थी।
SUV वाला रहस्यमय शख़्स यह कौन था ? जाने अगले भाग में।
क्रमश.....!!!
बारिश के बाद की ठंडी हवा में शहर की सड़कों पर नमी फैली हुई थी।
पिया और आदित्य, हाथ में हाथ डाले, अपनी कार की तरफ़ बढ़ रहे थे। अब दोनों एक-दूसरे के और करीब आ गए थे। शादी की तारीख़ अभी तय नहीं हुई थी, लेकिन उनके बीच का सुकून अटूट लग रहा था… **अभी तक।
**रात 9:30 बजे – शहर की मुख्य सड़क**
कार धीरे-धीरे चल रही थी।
पिया ने गाने की आवाज़ थोड़ी बढ़ा दी, लेकिन आदित्य का ध्यान बार-बार रियर-व्यू मिरर पर जा रहा था।
पीछे से एक काली SUV लगभग उसी स्पीड में चल रही थी।
पिया: "क्या हुआ? ऐसे क्यों देख रहे हो?"
आदित्य (धीरे): "वो गाड़ी… पिछले पाँच मिनट से हमारा पीछा कर रही है।"
अगले मोड़ पर आदित्य ने अचानक स्पीड बढ़ा दी, SUV भी तेज़ हुई।
एक सिग्नल पर, SUV उनके बगल में आकर रुकी।
शीशा नीचे हुआ… अंदर से एक भारी आवाज़ आई —
"आदित्य… खेल अभी खत्म नहीं हुआ।"
आवाज़ ठंडी थी, लेकिन उसमें एक अजीब-सी चुनौती छुपी थी।
SUV फिर अचानक आगे बढ़ी और अंधेरे में गायब हो गई।
घर पहुंचकर पिया ने आदित्य से पूछा — "तुम्हें वो आदमी कौन लगा?"
आदित्य:"आवाज़… जानी-पहचानी थी। लेकिन चेहरा अंधेरे में साफ़ नहीं दिखा।"
अचानक आदित्य का फोन बजा — *अननोन नंबर।*
उसने कॉल रिसीव किया।
सिर्फ़ तीन शब्द सुनाई दिए — "तिजोरी ढूँढ लो।"
कॉल कट गया।
पिया और आदित्य दोनों एक-दूसरे को देखने लगे —
ये कोई नया खेल शुरू हो चुका था।
सुबह का वक्त था, लेकिन आदित्य का दिमाग पूरी रात जागने के बाद भी शांत नहीं हो पाया था।
काली SUV, फोन कॉल, और वो तीन शब्द — *"तिजोरी ढूँढ लो"* — अब उसके कानों में चिपक गए थे।
**ऑफिस में** पिया एक रिपोर्ट तैयार कर रही थी जब रिसेप्शन से कॉल आया —
**रिसेप्शनिस्ट:** "मैम, मिस्टर विक्रम राय आपसे और सर से मिलने आए हैं।"
पिया का नाम सुनकर वो चौंक गई।
अगले ही पल, केबिन का दरवाज़ा खुला —
एक लंबा-चौड़ा, सलीके से सूट पहने आदमी अंदर आया। उसके चेहरे पर बेहद शातिर मुस्कान थी, और आँखें… ठंडी, जैसे कुछ छुपा रही हों।
**विक्रम:** "आदित्य… कितने साल हो गए। और ये हैं पिया… आपसे तो अब तक सिर्फ़ नाम सुना था।"
**तना हुआ माहौल**
आदित्य ने सवालिया निगाह से देखा —
**आदित्य:** "तुम यहाँ क्यों आए हो, विक्रम?"
**विक्रम (हल्की हँसी):** "सीधा मुद्दे पर… अच्छा है। तुम्हारे पास कुछ है, जो मेरा है। तिजोरी… और उसमें रखा डाटा।"
पिया ने हैरानी से आदित्य को देखा।
**पिया:** "तिजोरी? ये कौन-सी तिजोरी?"
विक्रम ने पिया की तरफ़ देख कर कहा —"शायद तुम्हें अब तक सच्चाई नहीं पता।"
वो झुककर मेज़ पर एक छोटा-सा चिप रखा।
विक्रम:"ये डाटा अरबों का है। और इसका आधा हिस्सा मेरे पास है, आधा… तुम्हारी यादों में, आदित्य।"
**खतरनाक इशारा**विक्रम जाने लगा, लेकिन जाते-जाते बोला —
**विक्रम:** "एक हफ़्ता। तिजोरी मेरे हवाले करो… वरना अगली बार मैं SUV से नहीं, एम्बुलेंस से भेजूँगा।"
दरवाज़ा बंद हुआ, और केबिन में सन्नाटा छा गया।
पिया ने धीमे से कहा —
**पिया:** "ये खेल कब खत्म होगा?"
आदित्य ने उसकी तरफ़ देखा — "शायद… अब ये खेल बस शुरू हुआ है।"
ऑफिस में विक्रम की धमकी के बाद माहौल भारी था।
पिया को लग रहा था कि कोई उन्हें देख रहा है, जैसे हर कदम पर नज़र रखी जा रही हो।
**शाम – कैफ़े कॉर्नर**
आदित्य और पिया एक शांत कोने में बैठे थे, प्लान बनाने की कोशिश कर रहे थे कि तभी पीछे से एक खुशमिज़ाज आवाज़ आई —"अरे यार! आदित्य मल्होत्रा! कितने साल हो गए!"
आदित्य मुड़ा — सामने *समीर खान* खड़ा था, कॉलेज का पुराना दोस्त। हमेशा की तरह हंसता-मुस्कुराता, लेकिन इस बार उसकी मुस्कान थोड़ी ज्यादा परफेक्ट लग रही थी।
आदित्य: "समीर! यार, कहाँ ग़ायब था तू?"
समीर: "बिज़नेस में बिज़ी था… सुना था तू बड़े खेलों में फँस गया है। सोचा, मदद कर दूँ।"
**अचानक का ऑफ़र**
समीर ने आदित्य के लिए ड्रिंक मंगाई और बोला "देख, जो भी प्रॉब्लम है, मुझ पर छोड़ दे। मैं ऐसे लोगों को जानता हूँ जो विक्रम जैसे आदमी को सीधा कर देंगे।"
पिया ने हल्के से आदित्य को इशारा किया — *"ध्यान से सुनो, ये बहुत उत्सुक है।"*
लेकिन आदित्य ने मुस्कुरा कर हामी भर दी।
**पर्दे के पीछे**
रात को, समीर एक अंधेरी गली में SUV के पास खड़ा था। ड्राइवर साइड का शीशा नीचे हुआ — विक्रम अंदर बैठा था।
विक्रम: "तू उनके बहुत करीब जा चुका है?"
समीर: "हाँ… आदित्य मुझे पूरी तरह भरोसा करेगा। एक-दो दिन में पता लगा लूँगा कि तिजोरी कहाँ है।"
विक्रम: "अच्छा। और पिया?"
समीर (हंसते हुए): "वो तो अपने-आप जाल में आ जाएगी।"
SUV धीरे-धीरे अंधेरे में गायब हो गई, लेकिन खेल अब और खतरनाक हो गया था — क्योंकि अब दुश्मन उनके सबसे पास था।
रात के 2 बजे थे आदित्य अचानक पसीने से भीगा हुआ उठ बैठा। सांस तेज़, आंखें डरी हुई।
पिया ने लाइट जलाई और पूछा"क्या हुआ? फिर बुरा सपना?"
आदित्य:"ये सपना नहीं था… ये याद थी।"
**फ्लैशबैक – 2 साल पहले**
आदित्य (कबीर की पहचान में) एक पुरानी हवेली के तहखाने में खड़ा है।
उसके हाथ में एक कोड लॉक वाली लोहे की तिजोरी है।
वो कोड डालते हुए खुद से कहता है — *"ये डाटा कभी गलत हाथों में नहीं जाना चाहिए।"*
अंदर — चांदी की छोटी-छोटी चिप्स, जिन पर अजीब-से कोड उकेरे हुए हैं।
अचानक, दरवाज़ा तोड़ते हुए कोई आता है… लेकिन चेहरा धुंधला।
**वापस वर्तमान में**
आदित्य ने पिया को पूरी बात बताई।
आदित्य: "मुझे अब पता है… तिजोरी कहाँ है। हवेली के नीचे, तहखाने में।"
पिया: "लेकिन हवेली किसकी?"
आदित्य ने मोबाइल पर लोकेशन ढूंढने की कोशिश की, पर स्क्रीन पर एक मैसेज फ्लैश हुआ —*"Too late, Aditya."*
**दूसरी परत का खुलासा**
अगले दिन, समीर अचानक आदित्य के घर आ गया।
समीर: "यार, मैंने सुना हवेली वाला मामला है। अगर चाहो तो मैं भी चलूँ?"
पिया को उसकी जल्दीबाज़ी पर शक और गहरा हो गया।
उसने धीरे से आदित्य से कहा —"ये हवेली सिर्फ़ हमें पता होनी चाहिए… किसी और को नहीं।"
लेकिन आदित्य को अंदाज़ा नहीं था कि हवेली का रास्ता पहले से ही किसी और के पास पहुँच चुका है — और वो कोई बाहर वाला नहीं, बल्कि उनके बीच का कोई था।
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सुबह की ठंडी हवा में पिया बाजार जाने के लिए घर से निकली।
आदित्य अभी फोन पर किसी को हवेली के बारे में जानकारी दे रहा था — या यूं कहें, देने ही वाला था — कि तभी उसे दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ आई।
**सड़क पर पिया अपने बैग से मोबाइल निकाल ही रही थी कि पीछे से एक काली वैन उसके पास आकर रुकी।
दो नकाबपोश आदमी उतरे, किसी को कुछ समझ आता उससे पहले उन्होंने पिया को पकड़ लिया। उसका मोबाइल ज़मीन पर गिरा और स्क्रीन पर *आदित्य* का नाम चमक रहा था… लेकिन कॉल उठाने वाला कोई नहीं था।
**घर पर – 10 मिनट बाद, आदित्य का फोन बजा — *अननोन नंबर। वो घबराकर उठा।
आवाज़ (विक्रम): "तिजोरी… हवेली… और डाटा। सब मेरे पास लाओ, 24 घंटे में।"
आदित्य: "और पिया?"
विक्रम: "सही सलामत है… अभी।"
फिर एक फोटो भेजी गई — पिया एक अंधे कमरे में, हाथ बंधे हुए, और उसके पीछे दीवार पर *लाल रंग से बना एक अजीब सा निशान*।
**आदित्य का गुस्सा**
उसने तुरंत समीर को कॉल किया —आदित्य: "पिया का अपहरण हो गया है। हवेली जाना होगा।"
समीर (शांत लहजे में): "चिंता मत कर, मैं सब संभाल लूंगा।"
कॉल रखने के बाद समीर उसी समय विक्रम के आदमी को मैसेज भेज रहा था —"टारगेट हुक्ड. हवेली लोकेशन उसे खुद दिलवाएगा।"
रात का सन्नाटा पसरा हुआ था। काली जीप में आदित्य और समीर सुनसान सड़क से गुजर रहे थे।
चांदनी में वो पुरानी हवेली दूर से किसी भूतिया किले जैसी लग रही थी — टूटी खिड़कियां, दीवारों पर बेलें, और गेट पर जंग लगा ताला।
हवेली के अंदर वह दरवाज़ा तोड़कर दोनों अंदर दाख़िल हुए।
अंदर अंधेरा था, बस दीवार पर लगी एक पुरानी लालटेन टिमटिमा रही थी।
आदित्य के कदम जैसे किसी पुराने नक्शे को याद कर रहे हों — सीधे एक गुप्त सीढ़ियों की तरफ़ बढ़ते हुए।
समीर (धीरे से): "तुझे ये सब याद कैसे आ रहा है?"
आदित्य: "ये जगह… मैंने पहले देखी है।"
वहीं तहखाने में सीढ़ियां नीचे एक ठंडी, सीलन भरी जगह में खत्म हुईं। बीच में एक लोहे की भारी तिजोरी रखी थी।
तिजोरी पर वही अजीब लाल निशान बना था — जो पिया के अपहरण वाली फोटो की दीवार पर था।
आदित्य ने कोड डालना शुरू किया।
हर क्लिक के साथ उसके दिमाग में फ्लैश आने लगे —
पिया, शादी का मंडप, भागता हुआ वो खुद, और फिर… पिया किसी और के साथ हवेली में।
**सच का पहला झटका**
तिजोरी खुली — अंदर चांदी की कई चिप्स थीं।
लेकिन सबसे ऊपर पिया की एक फोटो रखी थी, जिसमें वो विक्रम के साथ खड़ी मुस्कुरा रही थी… और तारीख़ थी *उसकी शादी से एक हफ़्ता पहले की*।
आदित्य के हाथ से चिप गिर पड़ी। आदित्य: "ये… कैसे हो सकता है?"
समीर पीछे हटकर चुपचाप अपने मोबाइल से विक्रम को मैसेज भेज रहा था —"तिजोरी खुल चुकी है। अब तुम्हारी बारी।"
तिजोरी से चिप्स और फोटो उठाकर आदित्य बाहर निकलने ही वाला था कि अचानक हवेली के गेट के पास से गोली चलने की आवाज़ आई।
गोलियां दीवारों से टकराकर गूंज उठीं, और हवा में बारूद की गंध फैल गई।
हमला करते हुए काले कपड़ों में तीन लोग अंदर घुस आए।
समीर ने आदित्य को धक्का देकर एक तरफ गिराया और चिल्लाया — "भाग! मैं संभाल लूंगा!"
आदित्य सीढ़ियों से ऊपर भागा, लेकिन तभी उसने पीछे मुड़कर देखा —
समीर लड़ तो रहा था, पर गोलियां सिर्फ़ आदित्य की तरफ जा रही थीं, जैसे असली निशाना वही हो।
**बाहर का सीन**
आदित्य किसी तरह हवेली के पिछवाड़े से निकला और जंगल की तरफ दौड़ा।
लेकिन वहां पहले से ही एक SUV खड़ी थी… जिसमें विक्रम बैठा था।
विक्रम:"अच्छा हुआ तुम आ गए, आदित्य। अब तिजोरी मुझे दे दो और पिया को ले जाओ।"
आदित्य ने गुस्से से कहा — "पहले पिया।"
विक्रम ने दरवाज़ा खोला — और पिया बाहर आई…
लेकिन उसके चेहरे पर डर नहीं था, बल्कि हल्की-सी मुस्कान थी।
**चौंकाने वाला सच**
**पिया:** "कबीर… या आदित्य… जो भी तुम हो, तुमसे मिलकर अच्छा लगा।
लेकिन तुम्हें अब समझ जाना चाहिए — ये खेल हम दोनों ने शुरू किया था, और मैं विक्रम के साथ थी… शुरू से।"
आदित्य का दिमाग सुन्न हो गया।
उसके हाथ की चिप्स जमीन पर गिर गईं, और विक्रम ने मुस्कुराते हुए उन्हें उठा लिया।
**अंतिम वार**
विक्रम ने पिया के कंधे पर हाथ रखा — "तुम्हें जिंदा छोड़ रहे हैं, ताकि देख सको कि हम इस डाटा से क्या करेंगे।"
SUV तेज़ी से दूर चली गई, और आदित्य अकेला जंगल में खड़ा रह गया — उसके दिमाग में सिर्फ़ एक सवाल गूंज रहा था:"क्या पिया ने कभी मुझसे सच में प्यार किया था… या वो भी एक खेल था?"
जंगल में खड़े-खड़े आदित्य की सांसें भारी हो रही थीं।
उसकी आंखों में गुस्सा, दर्द और ठंडी योजना की चमक — तीनों एक साथ उतर आए थे।
उसने मिट्टी में पड़ी एक टूटी हुई चिप उठाई और अपनी जेब में रख ली।
आदित्य (खुद से):"अब खेल खत्म… उनके लिए।"
**अतीत का ताला खोलना**
आदित्य शहर लौटते ही एक पुराने गोदाम में गया —
ये वही जगह थी जहां वो “कबीर” के नाम से अपने मिशन चलाता था।
दीवार पर टंगे नक्शे, फाइलें और हथियारों के बीच उसने एक दराज खोली —
अंदर उसका पुराना ब्लैक-ऑप्स आईडी कार्ड और एक कोड-ड्राइव थी, जो किसी भी सिस्टम को हैक कर सकती थी।
आदित्य: "कबीर वापस आ गया है।"
**पहला कदम – विक्रम का जाल तोड़ना**
रात में आदित्य ने विक्रम के गोदाम में सेंध लगाई।
उसने कैमरों को बायपास करके सर्वर रूम तक पहुंचा और वहां से विक्रम के पूरे नेटवर्क का बैकअप ले लिया।
डेटा में एक चौंकाने वाली चीज मिली —
पिया के पासवर्ड-प्रोटेक्टेड फोल्डर, जिसमें उसकी और विक्रम की कई गुप्त मीटिंग्स की रिकॉर्डिंग थी… और कुछ अनजान चेहरों के साथ मीटिंग्स भी।
**पिया की चाल का अंदाज़ा**
एक वीडियो में पिया कह रही थी —"अगर आदित्य जिंदा है, तो उसे यहां लाना मेरी ज़िम्मेदारी है। वो अकेला शख़्स है जो तिजोरी का कोड जानता है।"
ये सुनकर आदित्य की मुट्ठियां भींच गईं, लेकिन उसकी आंखों में शिकारी की ठंडी शांति आ गई।
**अगला शिकार**
आदित्य ने तय किया — पहले समीर।
क्योंकि विक्रम और पिया तक पहुंचने के लिए उसे उनके सबसे कमजोर कड़ी पर वार करना था।
समीर इस वक्त शहर के एक आलीशान होटल में था।
आदित्य ने अपने पुराने नेटवर्क से होटल के ब्लूप्रिंट और सिक्योरिटी कोड हासिल किए…
और फिर काले कपड़ों में, चेहरे पर नकाब, वो होटल की छत से नीचे उतरा — बिल्कुल एक शिकारी की तरह, जो अपने शिकार की सांसों की आवाज़ तक सुन सकता है।
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