क्या होगा अगर आपका प्यार आपकी शादी के दिन ही ग़ायब हो जाए… और दो साल बाद एक अजनबी बनकर लौट आए? पिया की ज़िंदगी में सबसे खूबसूरत दिन, उसकी शादी का दिन… लेकिन दूल्हा बारात के बीच से अचानक ग़ायब हो गया। दो साल बाद, पिया एक नई नौकरी शुरू करती है और उ... क्या होगा अगर आपका प्यार आपकी शादी के दिन ही ग़ायब हो जाए… और दो साल बाद एक अजनबी बनकर लौट आए? पिया की ज़िंदगी में सबसे खूबसूरत दिन, उसकी शादी का दिन… लेकिन दूल्हा बारात के बीच से अचानक ग़ायब हो गया। दो साल बाद, पिया एक नई नौकरी शुरू करती है और उसका नया बॉस वही शख़्स निकलता है—लेकिन उसे पिया याद ही नहीं। क्या ये उसकी याददाश्त का खेल है… या कोई छुपी हुई साज़िश? मोहब्बत, धोखा और रहस्य के इस सफ़र में हर एपिसोड आपको एक नए सवाल से जकड़ लेगा। "पिया… लौट आओ" — एक ऐसी कहानी, जिसमें प्यार भी है… और एक ऐसा सच, जो ज़िंदगी बदल दे।
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सुबह की हल्की धूप में पिया का कमरा सुनहरी रोशनी से नहा रहा था। फूलों की खुशबू, हल्दी की महक और ढोलक की थाप मिलकर एक उत्सव का रंग बिखेर रहे थे। आईने के सामने बैठी पिया, लाल जोड़े में, अपने चेहरे पर झलकती घबराहट और खुशी को छुपाने की कोशिश कर रही थी।
माँ: "पिया, बस थोड़ी देर में बारात पहुँच जाएगी, बेटा… आज तेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत दिन है।"
पिया ने हल्की सी मुस्कान दी। दिल में कई ख्वाब सजे थे — आदित्य से शादी, नए घर की शुरुआत, और प्यार से भरा एक भविष्य।
मंडप फूलों से सजा था। रिश्तेदार, मेहमान, और बच्चे चारों तरफ़ चहल-पहल में व्यस्त थे। बैंड की धुन दूर से सुनाई दे रही थी — बारात आ रही थी।
पिया ने अपनी सहेली को खिड़की से बाहर झाँकते देखा।
सहेली: "देख, दूल्हा घोड़ी पर है… कितना हैंडसम लग रहा है!"
पिया के गाल लाल हो गए। उसने धीमे से सिर झुका लिया।
लेकिन तभी… भीड़ में हलचल हुई। बैंड की आवाज़ धीमी पड़ी। लोग फुसफुसाने लगे।
किसी ने कहा: "अरे… दूल्हा कहाँ गया?"
पलक झपकते ही खबर फैल गई — आदित्य गायब हो गया है। मंडप में अफरा-तफरी मच गई।
पिया की माँ भागकर आईं।
माँ: "पिया… आदित्य नहीं मिल रहा… किसी को समझ नहीं आ रहा वो कहाँ गया।"
पिया का चेहरा सफेद पड़ गया। उसके कानों में शोर गूंजने लगा, जैसे किसी ने सारी खुशियाँ खींच ली हों।
पुलिस बुलाई गई। गाड़ियों की आवाज़, लोगों के सवाल, और पिया की सूनी आँखें… हर तरफ़ बेचैनी थी। किसी ने कहा कि शायद वो भाग गया, किसी ने कहा अपहरण हुआ है — लेकिन सच कोई नहीं जानता था।
रात होते-होते, रोशनी बुझ गई, फूल मुरझा गए, और पिया का सपना चकनाचूर हो गया।
*"उस रात पिया ने दुल्हन का जोड़ा उतार दिया… लेकिन अपने सवाल कभी नहीं उतारे।"*
दो साल बाद…
समय के पन्ने पलटे, लेकिन पिया की ज़िंदगी जैसे उसी पन्ने पर अटक गई थी। शादी वाले दिन की वो आखिरी तस्वीर, उसके मन में धुंधली नहीं हुई — बल्कि और गहरी हो गई थी।
अब वो उसी शहर में एक साधारण-सी किराए की फ्लैट में रहती थी। रिश्तों से दूरी, सपनों से दूरी, बस ज़िम्मेदारियों के साथ गुज़र-बसर।
सुबह 8:00 बजे
पिया शीशे के सामने खड़ी थी। आज उसके नए ऑफिस का पहला दिन था — एक बड़ी कॉर्पोरेट कंपनी, *मेहरा ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज़*।
उसने हल्के नीले रंग की शर्ट और काले फॉर्मल पैंट पहने, बालों को साफ़ बाँधा।
दिल में थोड़ी घबराहट थी, लेकिन उसने खुद को संभाला — "नई शुरुआत है पिया, अब अतीत में नहीं जीना।"
ऑफिस का माहौल काँच की दीवारें, चमचमाते फर्श, और कॉफी मशीन की खुशबू। रिसेप्शनिस्ट ने मुस्कुराकर उसका स्वागत किया — रिसेप्शनिस्ट: "मैम, आप पिया शर्मा? सर आपकी मीटिंग रूम में इंतज़ार कर रहे हैं।"
पिया ने गहरी सांस ली और मीटिंग रूम का दरवाज़ा खोला और फिर… समय रुक गया।
टेबल के पास खड़ा शख़्स — वही चेहरे की बनावट, वही नज़रें, वही आवाज़ जो उसने अनगिनत बार अपने सपनों में सुनी थी… *आदित्य!*
लेकिन उसकी आँखों में कोई पहचान नहीं थी।
साफ़, ठंडी, और औपचारिक निगाह।
वो (हल्की सी मुस्कान के साथ): "हाय, मैं अयान मेहरा… आपका नया बॉस। वेलकम टू द टीम, मिस शर्मा।"
पिया का दिल तेज़ी से धड़कने लगा।
वो हिल भी नहीं पाई, बस उसे घूरती रह गई।
मीटिंग में अयान ने प्रोजेक्ट के बारे में बात करना शुरू किया — टारगेट, रिपोर्ट, डेडलाइन।
पिया बस उसकी आवाज़ सुन रही थी, जैसे हर शब्द अतीत की किसी गली से आ रहा हो।
लेकिन उसने एक बार भी यह नहीं कहा — "पिया, ये तुम हो?"
ना कोई हैरानी, ना कोई सवाल… जैसे वो सच में उसे पहली बार देख रहा हो।
ऑफिस के बाद पिया ने पार्किंग में उसकी कार देखी — एक काली SUV, जिसके आगे एक पर्सनल सिक्योरिटी गार्ड खड़ा था।
जब अयान कार में बैठा, तो उसने शीशे के पीछे से पिया की तरफ़ देखा… और कुछ पल के लिए, उसकी आँखों में एक अजीब-सी बेचैनी चमकी।
लेकिन अगले ही पल, वो नज़र गायब हो गई।
कार चल पड़ी…
और पिया वहीं खड़ी रह गई, दिल में एक ही सवाल के साथ —
*"अगर वो सच में आदित्य है… तो मुझे पहचान क्यों नहीं रहा?"*
अगले कुछ दिन पिया ने जैसे मशीन की तरह गुज़ारे —
ऑफिस आना, अयान के दिए टास्क पूरे करना, घर लौटना।
लेकिन दिमाग हर पल उसी चेहरे पर अटका था।
सुबह की मीटिंग में अयान बड़े ध्यान से प्रोजेक्ट रिपोर्ट देख रहा था। उसकी उंगलियां पेन से टेबल पर हल्की-हल्की थाप दे रही थीं।
पिया को साफ़ याद था — आदित्य भी ऐसे ही करता था, जब सोच में डूबा होता था।
उसने हिम्मत करके पूछा —
पिया: "सर… हम पहले कहीं मिल चुके हैं क्या?"
अयान (सर उठाए बिना): "नहीं… शायद आपका कोई हमशक्ल रहा होगा।"
उसकी आवाज़ ठंडी थी, लेकिन उसमें एक अजीब-सा ठहराव था… जैसे कुछ कहने से रोक रहा हो।
दोपहर का लंच ब्रेक था पिया कैंटीन में बैठी थी। दूर से अयान और एक अनजान आदमी की बातचीत सुनाई दी — बहुत धीमी, लेकिन कुछ शब्द साफ़ थे:
"सिक्योरिटी टाइट रखो… उन्हें पता नहीं चलना चाहिए।"*
पिया ने चुपचाप नोट किया — *उन्हें* कौन?
शाम होने पर पिया को एक बहाना बनाकर अयान के केबिन में जाना पड़ा।
वो फाइल ढूंढ रही थी, जब उसकी नज़र मेज़ के कोने पर रखी एक पुरानी तस्वीर पर पड़ी —
तस्वीर धुंधली थी, लेकिन साफ़ दिख रहा था — लाल जोड़े में दुल्हन… और उसके बगल में आदित्य जैसा दिखने वाला आदमी।
पिया का गला सूख गया।
दरवाज़ा अचानक खुला।
अयान अंदर आया, उसकी आँखों में हैरानी और शक।
अयान:"आप यहाँ क्या कर रही हैं?"
पिया (घबराते हुए): "वो… फाइल ढूंढ रही थी, सर।"
अयान ने तस्वीर जल्दी से दराज़ में डाल दी और ठंडी नज़र से बोला —
अयान: "अगली बार बिना इजाज़त के मत आना।"
रात में पिया बालकनी में बैठी थी, आसमान में बादल घिरे थे।
उसके मन में अब यकीन था — अयान ही आदित्य है।
लेकिन सच तक पहुंचना आसान नहीं होगा, क्योंकि कोई न कोई उसे पहचानने से रोक रहा है…
और सबसे डरावनी बात ये थी — शायद खुद अयान भी उस सच से डरता है।
क्रमश....!!
हैलो दोस्तो यह मेरी पहली नॉवेल है प्लीज़ सपोट 🙏
ऑफिस में आज का दिन बाकी दिनों से अलग था।
शाम तक तेज़ बारिश शुरू हो गई थी। काँच की दीवारों पर पानी की बूँदें बह रही थीं, और बाहर आसमान में बिजली चमक रही थी।
ज़्यादातर लोग जल्दी घर निकल गए, लेकिन पिया को एक रिपोर्ट पूरी करनी थी।
रात 8:15 बजे ऑफिस का फ़्लोर लगभग खाली था।
दूर अयान के केबिन में हल्की-सी रोशनी थी।
पिया ने सोचा, शायद वो भी किसी प्रेज़ेंटेशन में व्यस्त होगा।
लेकिन अचानक एक अजीब-सी आवाज़ सुनाई दी — जैसे किसी का कराहना।
वो डरते-डरते अयान के केबिन की तरफ़ बढ़ी।
अंदर का नज़ारा देखकर पिया का दिल जोर से धड़कने लगा —
अयान कुर्सी पर झुका हुआ था, दोनों हाथ सिर पर रखे, पसीने में भीगा हुआ, और तेज़ साँस ले रहा था।
पिया (घबराकर): "सर… आप ठीक हैं?"
अयान ने ऊपर देखा, आँखें लाल, चेहरा जैसे किसी पुराने डर से घिरा हो।
वो कुछ बड़बड़ाने लगा —अयान (टूटे हुए स्वर में): "…पिया… लौट आओ…"
यह सुनकर पिया वहीं जम गई। ये वही नाम था… उसका नाम।
उसका दिल कह रहा था, ये महज़ संयोग नहीं हो सकता।
अचानक अयान का सिक्योरिटी गार्ड कमरे में घुसा।
गार्ड (सख़्ती से): "मैम, सर को आराम चाहिए। प्लीज़ बाहर चलिए।"
उसने पिया को लगभग धकेलते हुए दरवाज़ा बंद कर दिया।
घर लौटते समय बारिश में भीगती पिया के दिमाग में सिर्फ़ एक ही बात गूंज रही थी —"वो मेरा नाम क्यों ले रहा था, अगर उसे मैं याद नहीं?"
अब पिया को यकीन हो गया था — अयान का अतीत उसी से जुड़ा है, और ये सिर्फ़ याददाश्त का मामला नहीं…
कुछ बहुत गहरा, बहुत खतरनाक खेल चल रहा है।
पिया ने तय कर लिया था — अब उसे सच जानना ही है।
अयान की आंखों में पहचान की झलक, उसका नाम बड़बड़ाना, और वो पुरानी तस्वीर… सब इत्तेफ़ाक़ नहीं हो सकते।
सुराग की तलाश में शनिवार की सुबह, पिया अपने पुराने मोहल्ले पहुँची — वही जगह जहाँ उसकी शादी होनी थी।
गली में पुरानी दुकानें अब भी थीं, लेकिन लोग जैसे उस दिन की बातें भूलना चाहते थे।
वो पास के *शर्मा फोटो स्टूडियो* में गई, जहाँ अक्सर शादी की शूटिंग होती थी।
मालिक, एक अधेड़ उम्र का आदमी, पिया को देखकर ठिठक गया।
मालिक: "आप… पिया बिटिया? बहुत साल हो गए… उस दिन जो हुआ, बड़ी अफसोस की बात थी।"
पिया: "क्या आपके पास उस दिन की कोई रिकॉर्डिंग है? शायद बारात का वीडियो?"
मालिक ने हिचकिचाते हुए एक पुरानी हार्ड ड्राइव निकाली।
मालिक: "कुछ हिस्सा मिटा दिया गया था, लेकिन एक क्लिप बची है।"
वीडियो क्लिप लैपटॉप की स्क्रीन पर बारात का शोर, बैंड-बाजे की धुन, और फिर… अचानक अफरा-तफरी।
कैमरा थोड़ा हिल रहा था, लेकिन साफ़ दिखा — दो अजनबी काले कपड़ों में आदित्य को घेरते हैं, उसे बांह से पकड़ते हैं, और भीड़ से दूर ले जाते हैं।
पीछे एक काली SUV खड़ी है… और नंबर प्लेट आधी ढकी हुई।
वीडियो अचानक रुक जाता है।
पिया का दिल कसकर जकड़ गया।
अब उसे पता था — आदित्य शादी से भागा नहीं था, उसे **किडनैप** किया गया था।
सच दबाने की ताक़त किसके पास होगी यह सोचते हुए पिया इस फुटेज को लेकर पुलिस स्टेशन पहुँची।
इंस्पेक्टर ने फाइल देखी, लेकिन कुछ देर बाद ठंडी आवाज़ में कहा —इंस्पेक्टर: "ये मामला दो साल पुराना है। और… ऊपर से आदेश है कि इसे फिर से न खोला जाए।"
पिया (हैरान): "आदेश? किसके?"
>इंस्पेक्टर (कंधे उचकाते हुए): "मैं इतना ही कह सकता हूँ… बहुत बड़े लोग इसमें शामिल हैं।"
रात को घर लौटते समय, पिया को लगा जैसे कोई उसका पीछा कर रहा है।
पीछे मुड़कर देखा तो एक काली SUV थोड़ी दूर चल रही थी… बिल्कुल वैसी जैसी वीडियो में थी।
उस पल उसे अहसास हुआ — वो जितना सच के करीब जाएगी, उतना ही खतरे के करीब पहुँच जाएगी।
क्या पिया और अयान के बीच भावनात्मक नज़दीकियाँ बढ़ पाएंगी ?
पिया ने तय कर लिया था कि वो पीछे नहीं हटेगी।
अब सवाल सिर्फ़ अयान की पहचान का नहीं था — उसकी ज़िंदगी भी दांव पर लगी थी।
ऑफिस में बदलता माहौल और अयान का व्यवहार पिया के प्रति थोड़ा नरम होने लगा था।
जहाँ पहले सिर्फ़ औपचारिक बातें होती थीं, अब वो कभी-कभी पूछ लेता —
अयान:"आजकल आप काफी थकी-थकी लग रही हैं… सब ठीक है?"
पिया बस हल्की मुस्कान दे देती, लेकिन अंदर ही अंदर उसकी धड़कनें तेज़ हो जातीं।
एक शाम ऑफिस से निकलते वक्त भारी बारिश हो रही थी।पिया ने गेट से बाहर कदम रखा ही था कि सामने काली SUV आकर रुकी।
ड्राइवर ने खिड़की से झाँककर कहा —ड्राइवर: "मैम, सर ने भेजा है।"
वो हिचकिचाई, लेकिन SUV में बैठ गई।
अंदर अयान था, सीट बेल्ट लगाए, उसके हाथ में एक छतरी थी।
अयान: "बारिश में भीगने देतीं तो कल ऑफिस में बुखार लेकर आतीं।"
उसकी बात सुनकर पिया को पहली बार लगा कि शायद उसके अंदर कहीं वही आदित्य छुपा है — जो उसकी फ़िक्र करता था।
खतरे का साया उनके आस पास ही मंडरा रहा था। घर छोड़ने के बाद अयान की SUV जैसे ही आगे बढ़ी, एक और कार तेज़ी से पास से गुज़री।
अयान ने रियर व्यू मिरर में देखा, फिर धीरे से सिक्योरिटी गार्ड को कुछ कहा।
पिया ने ध्यान दिया — उसके चेहरे पर चिंता थी, लेकिन उसने कुछ नहीं बताया।
एक रात उनके ऊपर हमला हुआ तीन दिन बाद, कंपनी का एक इवेंट था।
होटल की पार्किंग में अयान अपनी कार की तरफ़ बढ़ रहा था कि अचानक पीछे से एक शख़्स चाकू लेकर झपटा।
पिया वहीं थी — उसने बिना सोचे अयान को खींचकर पीछे कर दिया।
गार्ड ने तुरंत हमलावर को पकड़ा, लेकिन वो ज़्यादा देर हाथ में नहीं आया — जैसे किसी ने उसे भागने का मौका दे दिया हो।
अयान ने पिया को देखा —अयान: "तुम ठीक हो?"
पिया (हांफते हुए):"आप पर हमला क्यों हुआ? ये लोग कौन हैं?"
अयान कुछ कहने ही वाला था, लेकिन फिर ठहर गया।
अयान: "ये बातें और ये जगह तुम्हारे लिए सुरक्षित नहीं हैं।"
उस रात, पिया को नींद नहीं आई।
अब उसके मन में डर और मोहब्बत — दोनों बराबर थे।
वो सोच रही थी — अगर उसने अयान को बचाया है, तो क्या अब अयान भी उसे बचाएगा… सच से?
पिया को अयान के अतीत और कॉर्पोरेट घोटाले के बारे में चौंकाने वाला सच कैसे पता चलता है। जानने के लिए अगले भाग का इंतजार करें।
कमेंट्स जरुर लिखें धन्यवाद्
पिया को अब यकीन हो चुका था — अयान किसी बड़े और खतरनाक रहस्य में फँसा है।
लेकिन ये सिर्फ़ उसका अतीत नहीं, उसका वर्तमान और शायद उसका भविष्य भी तय करेगा।
अनचाही फाइल - एक दिन, अयान मीटिंग के लिए बाहर गया था। पिया को उसकी डेस्क पर एक USB ड्राइव दिखी, जिस पर सिर्फ़ एक शब्द लिखा था "Confidential" दिल धड़कते हुए उसने ड्राइव अपने लैपटॉप में लगाई।
स्क्रीन पर फोल्डर खुले — *Projects, Accounts, Legal Docs*… और फिर एक फोल्डर जिसका नाम था "Truth"
उसमें मौजूद वीडियो देखकर पिया की सांस रुक गई —
अयान, या कहें आदित्य, शादी से एक हफ्ता पहले किसी बड़े कॉन्फ्रेंस रूम में बैठा था।
टेबल पर कई लोग थे — और उनमें से एक शख़्स था *कबीर मल्होत्रा*, जो अब अयान का बिज़नेस पार्टनर था।
वीडियो का सच - वीडियो में आदित्य कह रहा था —आदित्य: "मैं इस घोटाले में शामिल नहीं हो सकता। अगर ये सामने आया तो कई ज़िंदगियाँ बर्बाद होंगी।"
कबीर ने ठंडी हँसी के साथ जवाब दिया —
**कबीर:** "तो हमें यकीन दिलाना पड़ेगा कि तुम चुप रहोगे… हमेशा के लिए।" वीडियो अचानक वहीं कट गया।
**जुड़ते हुए टुकड़े**
अब सब साफ़ था — शादी के दिन आदित्य को किडनैप करने के पीछे कबीर का हाथ था।
शायद उसकी याददाश्त मिटाई गई, और फिर एक नई पहचान के साथ उसे *अयान मेहरा* बनाकर उसी के बिज़नेस में इस्तेमाल किया गया।
पिया के हाथ ठंडे पड़ गए।
उसने तय कर लिया — अब वो ये सच अयान को बताएगी।
लेकिन सवाल था — क्या अयान उसकी बात मानेगा… या उसे भी खतरा मानकर दूर कर देगा?
**खतरनाक मुलाक़ात** उस रात पिया ऑफिस से निकल रही थी कि पार्किंग में कबीर से सामना हो गया।
कबीर ने मुस्कुराकर कहा — "मिस शर्मा, आपको नई नौकरी कैसी लग रही है?"
उसकी मुस्कान में कुछ ऐसा था, जैसे वो सब जानता हो।
कबीर (धीरे से): "कुछ चीज़ें जानना बेहतर नहीं होता… वरना लोग ग़ायब हो जाते हैं।"
पिया के दिल में डर की ठंडी लहर दौड़ गई।
पिया पूरी रात जागती रही। उसके मन में बस एक ही ख्याल था — *अब और इंतज़ार नहीं। अयान को सब कुछ आज ही बता दूँगी।*
सुबह का ऑफिस**
अयान अपने केबिन में था, लेकिन चेहरा थका हुआ लग रहा था।
पिया ने धीरे से दरवाज़ा बंद किया और सामने बैठ गई।
पिया: "सर… नहीं, अयान… मुझे आपसे बहुत ज़रूरी बात करनी है।"
अयान (भौं सिकोड़ते हुए):** "क्या हुआ?"
पिया: "आप आदित्य हैं… मेरी शादी वाले दिन आपको किडनैप किया गया था। और इसके पीछे कबीर मल्होत्रा का हाथ है।"
अयान का चेहरा सफ़ेद पड़ गया।
अयान: "ये… ये नाम तुमने कहाँ से सुना?"
पिया ने USB ड्राइव उसकी ओर बढ़ा दी।
यादों का तूफ़ान आया। अयान ने वीडियो देखा।
पहले तो बस चुप बैठा रहा, लेकिन फिर उसके हाथ काँपने लगे, माथे पर पसीना, और आंखों में पानी।
उसके दिमाग में टूटी-फूटी यादें लौटने लगीं — मंडप, बारात, अचानक अंधेरा, कार में घसीटा जाना, इंजेक्शन की चुभन… और फिर कुछ नहीं।
अयान (टूटे स्वर में): "मैं… मैं सच में आदित्य हूँ?"
पिया (आँखों में आँसू): "हाँ… और मैं दो साल से तुम्हें ढूँढ रही थी।"
**धोखे का सामना**अचानक दरवाज़ा खुला।
कबीर अंदर आया, सिक्योरिटी गार्ड के साथ।
उसके हाथ में पिस्तौल थी।
कबीर (ठंडी हँसी): "तो, आखिरकार तुम्हें सब पता चल गया… लेकिन अब ये तुम्हारा आखिरी दिन होगा।"
**पीछा और गोलीबारी**
अयान ने मेज़ उलट दी, पिया को नीचे खींच लिया।
गार्ड ने गोली चलाई, काँच टूट गया।
अयान और पिया पीछे के दरवाज़े से भागे, गलियारे में दौड़ते हुए पार्किंग की तरफ़।
बारिश हो रही थी, टायरों की चरमराहट, और कबीर की गाड़ी उनके पीछे।
अयान ने पिया का हाथ पकड़ा, दोनों एक पुरानी वेयरहाउस बिल्डिंग में घुस गए।
-आखिरी टकराव*अंदर अंधेरा था।
कबीर की आवाज़ गूँज रही थी — "आदित्य… तू बच नहीं सकता।"
अयान ने पिया से फुसफुसाकर कहा —
अयान:** "तुम यहाँ छुपो… मैं ये खत्म कर दूँगा।"
जब कबीर पास आया, अयान ने अचानक उस पर हमला कर दिया।
गिरते-पड़ते, मारपीट, और फिर… अयान ने उसकी पिस्तौल छीनकर कबीर पर तान दी।
अयान (गुस्से से):"ये खेल अब खत्म!"
पुलिस के सायरन दूर से सुनाई दिए — शायद पिया ने पहले ही कॉल कर दिया था।
कबीर को गिरफ्तार कर लिया गया, और उसका पूरा घोटाला सामने आ गया।
बारिश थम चुकी थी, लेकिन पिया का दिल अब भी तेज़ धड़क रहा था।
वेयरहाउस के बाहर पुलिस की गाड़ियाँ खड़ी थीं, कबीर हथकड़ियों में जकड़ा हुआ था, और अयान चुपचाप खड़ा था — जैसे दो साल का बोझ अचानक उतर गया हो।
पुलिस के जाने के बाद, अयान ने पिया की ओर देखा।
उसकी आँखों में नमी थी, लेकिन इस बार उनमें पहचान भी थी। यादों की वापसी हो रही थी।
अयान: "पिया… मुझे सब याद आ रहा है। वो दिन… हमारी शादी… और फिर अंधेरा। मैं सोचता था, ये सब बस एक सपना था… लेकिन तुम असल में थी… और हो।"
पिया (आँसू रोकते हुए): "मैंने तुम्हें कभी खोया नहीं… बस तुम्हें ढूँढने में दो साल लग गए।"
अयान ने उसके हाथ थाम लिए।
अयान:"मुझे माफ़ कर दो… तुम्हें छोड़कर जाने का इरादा कभी नहीं था।"
>पिया:"तुम्हें माफ़ करने के लिए मुझे बस तुम्हारा लौट आना चाहिए था।"
नई शुरुआत का वक्त आ गया था।
कुछ हफ़्तों बाद, मीडिया में कबीर के घोटाले और गिरफ्तारी की खबरें छा गईं।
अयान ने आधिकारिक रूप से अपना नाम *आदित्य मल्होत्रा* घोषित किया और कंपनी की बागडोर खुद संभाल ली।
एक शाम, ऑफिस की छत पर, सूरज ढलते वक्त…
आदित्य: "अब हमारी कहानी वहीं से शुरू होगी, जहाँ से टूटी थी।"
पिया ने मुस्कुराकर सिर हिला दिया।
दोनों छत से शहर की रोशनी देख रहे थे कि नीचे सड़क पर एक काली SUV धीरे-धीरे गुज़री।
अंदर बैठा शख़्स धुंधला-सा दिखा… और उसके होंठों पर हल्की-सी मुस्कान थी।
पिया ने आदित्य की ओर देखा —
**पिया:** "शायद खेल अभी खत्म नहीं हुआ।"
आदित्य ने उसका हाथ और कसकर पकड़ लिया।
**आदित्य:** "तो हम इसे साथ मिलकर खत्म करेंगे।"
और आसमान में पहली बार शांति का चाँद चमक उठा… लेकिन छाया अब भी बाकी थी।
SUV वाला रहस्यमय शख़्स यह कौन था ? जाने अगले भाग में।
क्रमश.....!!!
बारिश के बाद की ठंडी हवा में शहर की सड़कों पर नमी फैली हुई थी।
पिया और आदित्य, हाथ में हाथ डाले, अपनी कार की तरफ़ बढ़ रहे थे। अब दोनों एक-दूसरे के और करीब आ गए थे। शादी की तारीख़ अभी तय नहीं हुई थी, लेकिन उनके बीच का सुकून अटूट लग रहा था… **अभी तक।
**रात 9:30 बजे – शहर की मुख्य सड़क**
कार धीरे-धीरे चल रही थी।
पिया ने गाने की आवाज़ थोड़ी बढ़ा दी, लेकिन आदित्य का ध्यान बार-बार रियर-व्यू मिरर पर जा रहा था।
पीछे से एक काली SUV लगभग उसी स्पीड में चल रही थी।
पिया: "क्या हुआ? ऐसे क्यों देख रहे हो?"
आदित्य (धीरे): "वो गाड़ी… पिछले पाँच मिनट से हमारा पीछा कर रही है।"
अगले मोड़ पर आदित्य ने अचानक स्पीड बढ़ा दी, SUV भी तेज़ हुई।
एक सिग्नल पर, SUV उनके बगल में आकर रुकी।
शीशा नीचे हुआ… अंदर से एक भारी आवाज़ आई —
"आदित्य… खेल अभी खत्म नहीं हुआ।"
आवाज़ ठंडी थी, लेकिन उसमें एक अजीब-सी चुनौती छुपी थी।
SUV फिर अचानक आगे बढ़ी और अंधेरे में गायब हो गई।
घर पहुंचकर पिया ने आदित्य से पूछा — "तुम्हें वो आदमी कौन लगा?"
आदित्य:"आवाज़… जानी-पहचानी थी। लेकिन चेहरा अंधेरे में साफ़ नहीं दिखा।"
अचानक आदित्य का फोन बजा — *अननोन नंबर।*
उसने कॉल रिसीव किया।
सिर्फ़ तीन शब्द सुनाई दिए — "तिजोरी ढूँढ लो।"
कॉल कट गया।
पिया और आदित्य दोनों एक-दूसरे को देखने लगे —
ये कोई नया खेल शुरू हो चुका था।
सुबह का वक्त था, लेकिन आदित्य का दिमाग पूरी रात जागने के बाद भी शांत नहीं हो पाया था।
काली SUV, फोन कॉल, और वो तीन शब्द — *"तिजोरी ढूँढ लो"* — अब उसके कानों में चिपक गए थे।
**ऑफिस में** पिया एक रिपोर्ट तैयार कर रही थी जब रिसेप्शन से कॉल आया —
**रिसेप्शनिस्ट:** "मैम, मिस्टर विक्रम राय आपसे और सर से मिलने आए हैं।"
पिया का नाम सुनकर वो चौंक गई।
अगले ही पल, केबिन का दरवाज़ा खुला —
एक लंबा-चौड़ा, सलीके से सूट पहने आदमी अंदर आया। उसके चेहरे पर बेहद शातिर मुस्कान थी, और आँखें… ठंडी, जैसे कुछ छुपा रही हों।
**विक्रम:** "आदित्य… कितने साल हो गए। और ये हैं पिया… आपसे तो अब तक सिर्फ़ नाम सुना था।"
**तना हुआ माहौल**
आदित्य ने सवालिया निगाह से देखा —
**आदित्य:** "तुम यहाँ क्यों आए हो, विक्रम?"
**विक्रम (हल्की हँसी):** "सीधा मुद्दे पर… अच्छा है। तुम्हारे पास कुछ है, जो मेरा है। तिजोरी… और उसमें रखा डाटा।"
पिया ने हैरानी से आदित्य को देखा।
**पिया:** "तिजोरी? ये कौन-सी तिजोरी?"
विक्रम ने पिया की तरफ़ देख कर कहा —"शायद तुम्हें अब तक सच्चाई नहीं पता।"
वो झुककर मेज़ पर एक छोटा-सा चिप रखा।
विक्रम:"ये डाटा अरबों का है। और इसका आधा हिस्सा मेरे पास है, आधा… तुम्हारी यादों में, आदित्य।"
**खतरनाक इशारा**विक्रम जाने लगा, लेकिन जाते-जाते बोला —
**विक्रम:** "एक हफ़्ता। तिजोरी मेरे हवाले करो… वरना अगली बार मैं SUV से नहीं, एम्बुलेंस से भेजूँगा।"
दरवाज़ा बंद हुआ, और केबिन में सन्नाटा छा गया।
पिया ने धीमे से कहा —
**पिया:** "ये खेल कब खत्म होगा?"
आदित्य ने उसकी तरफ़ देखा — "शायद… अब ये खेल बस शुरू हुआ है।"
ऑफिस में विक्रम की धमकी के बाद माहौल भारी था।
पिया को लग रहा था कि कोई उन्हें देख रहा है, जैसे हर कदम पर नज़र रखी जा रही हो।
**शाम – कैफ़े कॉर्नर**
आदित्य और पिया एक शांत कोने में बैठे थे, प्लान बनाने की कोशिश कर रहे थे कि तभी पीछे से एक खुशमिज़ाज आवाज़ आई —"अरे यार! आदित्य मल्होत्रा! कितने साल हो गए!"
आदित्य मुड़ा — सामने *समीर खान* खड़ा था, कॉलेज का पुराना दोस्त। हमेशा की तरह हंसता-मुस्कुराता, लेकिन इस बार उसकी मुस्कान थोड़ी ज्यादा परफेक्ट लग रही थी।
आदित्य: "समीर! यार, कहाँ ग़ायब था तू?"
समीर: "बिज़नेस में बिज़ी था… सुना था तू बड़े खेलों में फँस गया है। सोचा, मदद कर दूँ।"
**अचानक का ऑफ़र**
समीर ने आदित्य के लिए ड्रिंक मंगाई और बोला "देख, जो भी प्रॉब्लम है, मुझ पर छोड़ दे। मैं ऐसे लोगों को जानता हूँ जो विक्रम जैसे आदमी को सीधा कर देंगे।"
पिया ने हल्के से आदित्य को इशारा किया — *"ध्यान से सुनो, ये बहुत उत्सुक है।"*
लेकिन आदित्य ने मुस्कुरा कर हामी भर दी।
**पर्दे के पीछे**
रात को, समीर एक अंधेरी गली में SUV के पास खड़ा था। ड्राइवर साइड का शीशा नीचे हुआ — विक्रम अंदर बैठा था।
विक्रम: "तू उनके बहुत करीब जा चुका है?"
समीर: "हाँ… आदित्य मुझे पूरी तरह भरोसा करेगा। एक-दो दिन में पता लगा लूँगा कि तिजोरी कहाँ है।"
विक्रम: "अच्छा। और पिया?"
समीर (हंसते हुए): "वो तो अपने-आप जाल में आ जाएगी।"
SUV धीरे-धीरे अंधेरे में गायब हो गई, लेकिन खेल अब और खतरनाक हो गया था — क्योंकि अब दुश्मन उनके सबसे पास था।
रात के 2 बजे थे आदित्य अचानक पसीने से भीगा हुआ उठ बैठा। सांस तेज़, आंखें डरी हुई।
पिया ने लाइट जलाई और पूछा"क्या हुआ? फिर बुरा सपना?"
आदित्य:"ये सपना नहीं था… ये याद थी।"
**फ्लैशबैक – 2 साल पहले**
आदित्य (कबीर की पहचान में) एक पुरानी हवेली के तहखाने में खड़ा है।
उसके हाथ में एक कोड लॉक वाली लोहे की तिजोरी है।
वो कोड डालते हुए खुद से कहता है — *"ये डाटा कभी गलत हाथों में नहीं जाना चाहिए।"*
अंदर — चांदी की छोटी-छोटी चिप्स, जिन पर अजीब-से कोड उकेरे हुए हैं।
अचानक, दरवाज़ा तोड़ते हुए कोई आता है… लेकिन चेहरा धुंधला।
**वापस वर्तमान में**
आदित्य ने पिया को पूरी बात बताई।
आदित्य: "मुझे अब पता है… तिजोरी कहाँ है। हवेली के नीचे, तहखाने में।"
पिया: "लेकिन हवेली किसकी?"
आदित्य ने मोबाइल पर लोकेशन ढूंढने की कोशिश की, पर स्क्रीन पर एक मैसेज फ्लैश हुआ —*"Too late, Aditya."*
**दूसरी परत का खुलासा**
अगले दिन, समीर अचानक आदित्य के घर आ गया।
समीर: "यार, मैंने सुना हवेली वाला मामला है। अगर चाहो तो मैं भी चलूँ?"
पिया को उसकी जल्दीबाज़ी पर शक और गहरा हो गया।
उसने धीरे से आदित्य से कहा —"ये हवेली सिर्फ़ हमें पता होनी चाहिए… किसी और को नहीं।"
लेकिन आदित्य को अंदाज़ा नहीं था कि हवेली का रास्ता पहले से ही किसी और के पास पहुँच चुका है — और वो कोई बाहर वाला नहीं, बल्कि उनके बीच का कोई था।
अगले अध्याय का इंतजार करें और कॉमेंट लिखें।
सुबह की ठंडी हवा में पिया बाजार जाने के लिए घर से निकली।
आदित्य अभी फोन पर किसी को हवेली के बारे में जानकारी दे रहा था — या यूं कहें, देने ही वाला था — कि तभी उसे दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ आई।
**सड़क पर पिया अपने बैग से मोबाइल निकाल ही रही थी कि पीछे से एक काली वैन उसके पास आकर रुकी।
दो नकाबपोश आदमी उतरे, किसी को कुछ समझ आता उससे पहले उन्होंने पिया को पकड़ लिया। उसका मोबाइल ज़मीन पर गिरा और स्क्रीन पर *आदित्य* का नाम चमक रहा था… लेकिन कॉल उठाने वाला कोई नहीं था।
**घर पर – 10 मिनट बाद, आदित्य का फोन बजा — *अननोन नंबर। वो घबराकर उठा।
आवाज़ (विक्रम): "तिजोरी… हवेली… और डाटा। सब मेरे पास लाओ, 24 घंटे में।"
आदित्य: "और पिया?"
विक्रम: "सही सलामत है… अभी।"
फिर एक फोटो भेजी गई — पिया एक अंधे कमरे में, हाथ बंधे हुए, और उसके पीछे दीवार पर *लाल रंग से बना एक अजीब सा निशान*।
**आदित्य का गुस्सा**
उसने तुरंत समीर को कॉल किया —आदित्य: "पिया का अपहरण हो गया है। हवेली जाना होगा।"
समीर (शांत लहजे में): "चिंता मत कर, मैं सब संभाल लूंगा।"
कॉल रखने के बाद समीर उसी समय विक्रम के आदमी को मैसेज भेज रहा था —"टारगेट हुक्ड. हवेली लोकेशन उसे खुद दिलवाएगा।"
रात का सन्नाटा पसरा हुआ था। काली जीप में आदित्य और समीर सुनसान सड़क से गुजर रहे थे।
चांदनी में वो पुरानी हवेली दूर से किसी भूतिया किले जैसी लग रही थी — टूटी खिड़कियां, दीवारों पर बेलें, और गेट पर जंग लगा ताला।
हवेली के अंदर वह दरवाज़ा तोड़कर दोनों अंदर दाख़िल हुए।
अंदर अंधेरा था, बस दीवार पर लगी एक पुरानी लालटेन टिमटिमा रही थी।
आदित्य के कदम जैसे किसी पुराने नक्शे को याद कर रहे हों — सीधे एक गुप्त सीढ़ियों की तरफ़ बढ़ते हुए।
समीर (धीरे से): "तुझे ये सब याद कैसे आ रहा है?"
आदित्य: "ये जगह… मैंने पहले देखी है।"
वहीं तहखाने में सीढ़ियां नीचे एक ठंडी, सीलन भरी जगह में खत्म हुईं। बीच में एक लोहे की भारी तिजोरी रखी थी।
तिजोरी पर वही अजीब लाल निशान बना था — जो पिया के अपहरण वाली फोटो की दीवार पर था।
आदित्य ने कोड डालना शुरू किया।
हर क्लिक के साथ उसके दिमाग में फ्लैश आने लगे —
पिया, शादी का मंडप, भागता हुआ वो खुद, और फिर… पिया किसी और के साथ हवेली में।
**सच का पहला झटका**
तिजोरी खुली — अंदर चांदी की कई चिप्स थीं।
लेकिन सबसे ऊपर पिया की एक फोटो रखी थी, जिसमें वो विक्रम के साथ खड़ी मुस्कुरा रही थी… और तारीख़ थी *उसकी शादी से एक हफ़्ता पहले की*।
आदित्य के हाथ से चिप गिर पड़ी। आदित्य: "ये… कैसे हो सकता है?"
समीर पीछे हटकर चुपचाप अपने मोबाइल से विक्रम को मैसेज भेज रहा था —"तिजोरी खुल चुकी है। अब तुम्हारी बारी।"
तिजोरी से चिप्स और फोटो उठाकर आदित्य बाहर निकलने ही वाला था कि अचानक हवेली के गेट के पास से गोली चलने की आवाज़ आई।
गोलियां दीवारों से टकराकर गूंज उठीं, और हवा में बारूद की गंध फैल गई।
हमला करते हुए काले कपड़ों में तीन लोग अंदर घुस आए।
समीर ने आदित्य को धक्का देकर एक तरफ गिराया और चिल्लाया — "भाग! मैं संभाल लूंगा!"
आदित्य सीढ़ियों से ऊपर भागा, लेकिन तभी उसने पीछे मुड़कर देखा —
समीर लड़ तो रहा था, पर गोलियां सिर्फ़ आदित्य की तरफ जा रही थीं, जैसे असली निशाना वही हो।
**बाहर का सीन**
आदित्य किसी तरह हवेली के पिछवाड़े से निकला और जंगल की तरफ दौड़ा।
लेकिन वहां पहले से ही एक SUV खड़ी थी… जिसमें विक्रम बैठा था।
विक्रम:"अच्छा हुआ तुम आ गए, आदित्य। अब तिजोरी मुझे दे दो और पिया को ले जाओ।"
आदित्य ने गुस्से से कहा — "पहले पिया।"
विक्रम ने दरवाज़ा खोला — और पिया बाहर आई…
लेकिन उसके चेहरे पर डर नहीं था, बल्कि हल्की-सी मुस्कान थी।
**चौंकाने वाला सच**
**पिया:** "कबीर… या आदित्य… जो भी तुम हो, तुमसे मिलकर अच्छा लगा।
लेकिन तुम्हें अब समझ जाना चाहिए — ये खेल हम दोनों ने शुरू किया था, और मैं विक्रम के साथ थी… शुरू से।"
आदित्य का दिमाग सुन्न हो गया।
उसके हाथ की चिप्स जमीन पर गिर गईं, और विक्रम ने मुस्कुराते हुए उन्हें उठा लिया।
**अंतिम वार**
विक्रम ने पिया के कंधे पर हाथ रखा — "तुम्हें जिंदा छोड़ रहे हैं, ताकि देख सको कि हम इस डाटा से क्या करेंगे।"
SUV तेज़ी से दूर चली गई, और आदित्य अकेला जंगल में खड़ा रह गया — उसके दिमाग में सिर्फ़ एक सवाल गूंज रहा था:"क्या पिया ने कभी मुझसे सच में प्यार किया था… या वो भी एक खेल था?"
जंगल में खड़े-खड़े आदित्य की सांसें भारी हो रही थीं।
उसकी आंखों में गुस्सा, दर्द और ठंडी योजना की चमक — तीनों एक साथ उतर आए थे।
उसने मिट्टी में पड़ी एक टूटी हुई चिप उठाई और अपनी जेब में रख ली।
आदित्य (खुद से):"अब खेल खत्म… उनके लिए।"
**अतीत का ताला खोलना**
आदित्य शहर लौटते ही एक पुराने गोदाम में गया —
ये वही जगह थी जहां वो “कबीर” के नाम से अपने मिशन चलाता था।
दीवार पर टंगे नक्शे, फाइलें और हथियारों के बीच उसने एक दराज खोली —
अंदर उसका पुराना ब्लैक-ऑप्स आईडी कार्ड और एक कोड-ड्राइव थी, जो किसी भी सिस्टम को हैक कर सकती थी।
आदित्य: "कबीर वापस आ गया है।"
**पहला कदम – विक्रम का जाल तोड़ना**
रात में आदित्य ने विक्रम के गोदाम में सेंध लगाई।
उसने कैमरों को बायपास करके सर्वर रूम तक पहुंचा और वहां से विक्रम के पूरे नेटवर्क का बैकअप ले लिया।
डेटा में एक चौंकाने वाली चीज मिली —
पिया के पासवर्ड-प्रोटेक्टेड फोल्डर, जिसमें उसकी और विक्रम की कई गुप्त मीटिंग्स की रिकॉर्डिंग थी… और कुछ अनजान चेहरों के साथ मीटिंग्स भी।
**पिया की चाल का अंदाज़ा**
एक वीडियो में पिया कह रही थी —"अगर आदित्य जिंदा है, तो उसे यहां लाना मेरी ज़िम्मेदारी है। वो अकेला शख़्स है जो तिजोरी का कोड जानता है।"
ये सुनकर आदित्य की मुट्ठियां भींच गईं, लेकिन उसकी आंखों में शिकारी की ठंडी शांति आ गई।
**अगला शिकार**
आदित्य ने तय किया — पहले समीर।
क्योंकि विक्रम और पिया तक पहुंचने के लिए उसे उनके सबसे कमजोर कड़ी पर वार करना था।
समीर इस वक्त शहर के एक आलीशान होटल में था।
आदित्य ने अपने पुराने नेटवर्क से होटल के ब्लूप्रिंट और सिक्योरिटी कोड हासिल किए…
और फिर काले कपड़ों में, चेहरे पर नकाब, वो होटल की छत से नीचे उतरा — बिल्कुल एक शिकारी की तरह, जो अपने शिकार की सांसों की आवाज़ तक सुन सकता है।
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होटल की 12वीं मंज़िल।
कमरे के बाहर गार्ड्स खड़े थे, लेकिन उनके पीछे से एक परछाईं चुपचाप फिसल गई —
आदित्य, अब *कबीर* के रूप में।
**कमरे के अंदर**
समीर टेबल पर बैठा व्हिस्की पी रहा था,
जब पीछे से आदित्य ने उसके कंधे पर ठंडे ब्लेड की नोक रखी।
आदित्य (धीमे स्वर में): "सवाल बस तीन होंगे… और झूठ का मतलब मौत।"
समीर ने हल्की हंसी के साथ कहा — "तुमने वापसी तो की, लेकिन बहुत देर कर दी, कबीर।"
**पहला सवाल – पिया कहां है?**
समीर: "वो सुरक्षित है… फिलहाल। लेकिन उसकी डील विक्रम से भी बड़ी है।"
आदित्य ने ब्लेड और दबाया।
आदित्य: "डील?"
**खुलासा**
समीर: "पिया सिर्फ़ हवेली के डाटा के लिए नहीं थी… वो ‘फ़ाइल X’ के पीछे है। ये फाइल अगर गलत हाथों में गई, तो आधा देश ब्लैकआउट में चला जाएगा। और… ये फाइल तुम्हारे नाम पर रजिस्टर है।"
आदित्य ठिठक गया।
आदित्य: "तुम कहना क्या चाहते हो?"
**समीर:** "पिया तुम्हें सिर्फ़ इसलिए जिंदा चाहती है… ताकि तुम ‘फ़ाइल X’ तक का रास्ता खोलो।
और फिर… वो तुम्हें खत्म कर दे।"
दूसरा सवाल – विक्रम कहां है?
समीर: "कल रात, बंदरगाह पर। लेकिन… पिया भी वहीं होगी।"
आखिरी सवाल – तुम्हारा खेल क्या है?
समीर मुस्कुराया और बोला "मैं बस सबसे ऊंची बोली लगाने वाले के साथ हूं… चाहे वो विक्रम हो, पिया… या तुम।"
**फैसला**
आदित्य ने कुछ पल सोचा… फिर ब्लेड हटाकर समीर की कुर्सी को धक्का दिया।
आदित्य: "तो सौदा करते हैं। मुझे बंदरगाह तक ले चल… और बदले में, तेरी जान बचा दूंगा।"
समीर ने हाथ बढ़ाया, लेकिन उसकी आंखों में एक अलग ही चालाकी थी —
जैसे वो पहले से जानता हो कि बंदरगाह पर क्या होने वाला है… और वहां असली शिकारी कौन होगा।
रात 2:15 बजे — बंदरगाह पर धुंध छाई हुई थी।
जहाज़ों के हॉर्न की गहरी आवाज़ और समुद्र की खारी हवा के बीच, गुपचुप तरीके से हथियारों से लैस लोग अपनी-अपनी पोज़िशन ले रहे थे।
समीर आगे-आगे, आदित्य पीछे।
दोनों छाया की तरह क्रेट्स के बीच से गुजरते हुए उस वेयरहाउस की तरफ बढ़े, जहां से हल्की रोशनी छनकर बाहर आ रही थी।
**अंदर का नज़ारा**
वेयरहाउस के बीचोंबीच, एक बड़ी स्टील टेबल पर लैपटॉप और एक काले रंग का लॉक्ड हार्ड ड्राइव रखा था
यानी **फ़ाइल X**।
उसके सामने खड़ी थी **पिया** — काले लेदर जैकेट में, चेहरे पर ठंडी मुस्कान।
उसके दाईं ओर **विक्रम**, हथियार उठाए हुए।
**पिया:** "स्वागत है, कबीर। देर तो हो गई… लेकिन मुझे पता था, तुम आओगे।"
**तकरार**
**आदित्य:** "मुझे इस्तेमाल करने का प्लान अच्छा था… लेकिन एक गलती कर दी।"
**पिया (भौं उठाकर):** "कौन सी?"
**आदित्य:** "ये मान लेना कि मैं अब भी वो आदित्य हूं… मैं फिर से कबीर बन चुका हूं।"
**पहला धमाका**
बाहर से गोलियों की बरसात शुरू हुई —
समीर ने बाहर अपनी टीम को सिग्नल दिया था।
धुंध में गोलियां चमकने लगीं, और वेयरहाउस में अफरा-तफरी मच गई।
विक्रम ने तुरंत **फ़ाइल X** उठाकर भागने की कोशिश की, लेकिन आदित्य ने उस पर छलांग लगा दी।
दोनों गिर पड़े, और हार्ड ड्राइव जमीन पर लुढ़क गई — पिया ने उसे झपटकर उठा लिया।
**पिया का दोहरा वार**
पिया ने विक्रम पर गोली चला दी।
**पिया:** "अब कोई पार्टनर नहीं… सिर्फ़ मैं और फ़ाइल X।"
विक्रम ज़मीन पर गिर पड़ा, खून से लथपथ।
आदित्य ने ये मौका लेकर पिया के हाथ से हथियार छीन लिया, लेकिन…
पिया ने दूसरे हाथ से धुआं बम फेंका, और घनी धुंध में गुम हो गई।
जब धुंध छटी, पिया गायब थी…
बस बंदरगाह के किनारे एक पुरानी नाव इंजन की गूंज के साथ दूर जा रही थी।
आदित्य के हाथ में अब सिर्फ़ आधी टूटी हुई हार्ड ड्राइव थी —
और विक्रम आखिरी सांस लेते हुए फुसफुसाया:
**विक्रम:** "पिया… तुम्हें खत्म कर देगी… जैसे मुझे किया।"
बंदरगाह की ठंडी हवा में धुआं और खून की गंध अब भी तैर रही थी।
आदित्य के हाथ में टूटी हुई हार्ड ड्राइव का आधा हिस्सा था —
उस आधे टुकड़े में छुपा था **फ़ाइल X** तक पहुंचने का पहला दरवाज़ा।
**पहला कदम – अंडरग्राउंड में वापसी**
आदित्य अपने पुराने ठिकाने, *रेड रूम*, वापस आया।
यहां पर उसका भरोसेमंद टेक-एक्सपर्ट "रज़ा" काम करता था — वही आदमी जो कबीर के दिनों में उसके सारे डिजिटल ऑपरेशन हैंडल करता था।
**रज़ा:** "कबीर भाई… ये आधी ड्राइव भी पूरा शहर हिला सकती है। लेकिन इसका दूसरा हिस्सा जिस जगह है, वहां जाना मौत को दावत देना है।"
**आदित्य:** "और पिया वहीं जा रही है।"
**पता चलने की कीमत**
रज़ा ने ड्राइव को सिस्टम से जोड़ा —
स्क्रीन पर एक कोड और लोकेशन आई: **"ब्लैक मिरर मार्केट"**।
ये वो अंडरग्राउंड मार्केट था जहां सबसे खतरनाक डील होती थी — हथियार, डेटा, पहचान… और ज़िंदगियां।
समस्या ये थी कि वहां घुसने के लिए किसी बड़े क्रिमिनल नेटवर्क का पास होना जरूरी था।
आदित्य के पास एक ही विकल्प था — पुराने दुश्मन **"फाल्कन"** से मदद लेना, जिसे उसने सालों पहले जेल में डाला था।
**फाल्कन से सौदा**
फाल्कन, अब शहर का सबसे बड़ा स्मगलर, आदित्य को देखते ही हंसा —
**फाल्कन:** "तुम्हें मेरी मदद चाहिए? उसके लिए तुम्हें मेरा एक काम करना होगा।"
**आदित्य:** "और वो?"
**फाल्कन:** "मेरे एक आदमी को ब्लैक मिरर से जिंदा वापस लाओ… तभी मैं तुम्हें पिया तक पहुंचाऊंगा।"
**खतरनाक तैयारी**
रज़ा ने आदित्य को ब्लैक मिरर का नक्शा, नकली आईडी और एक चिप दी जो लोकेशन ट्रैक कर सकती थी।
**रज़ा:** "याद रखना, अंदर सिर्फ़ शिकारी जाते हैं… और वापस सिर्फ़ एक आता है — या तो तुम, या वो जिसे तुम ढूंढ रहे हो।"
अगली रात, आदित्य ने काले कपड़े पहने, चेहरे पर नकाब लगाया और भीड़ के बीच से होते हुए ब्लैक मिरर के गेट के सामने खड़ा हुआ।
भारी लोहे का दरवाज़ा खुला… और अंदर से अंधेरा, सिगरेट का धुआं, और मौत की गंध उसके चेहरे से टकराई।
**आदित्य (मन में):** "पिया… अब शिकारी आ गया है।"
क्या आपको यह कहानी पसंद आ रही है 0???? क्या आप अगला भाग पढ़ना चाहते हैं ? मुझे कमेंट्स में लिखकर बताएं ? ताकि मुझे इसे जल्दी जल्दी लिखने का मोटीवेशन मिलता रहे। आपके कमेंट्स बहुत प्रिसियस हैं मेरे लिए डियर रीडर्स।
लोहे का दरवाज़ा आदित्य के पीछे बंद हुआ, और एक भारी-सी खामोशी पूरे माहौल पर छा गई।
ब्लैक मिरर मार्केट वैसा बिल्कुल नहीं था जैसा उसने सोचा था —
ये किसी बाज़ार जैसा नहीं, बल्कि एक अंधेरी भूलभुलैया थी, जहां हर मोड़ पर मौत बिक रही थी।
**अंदर का माहौल**
हॉल के बीचोंबीच लोग बोली लगा रहे थे —
किसी पर हथियारों की, किसी पर डेटा की, और किसी पर इंसानों की।
दीवारों पर बड़े-बड़े स्क्रीन चमक रहे थे, जिन पर "कॉन्ट्रैक्ट्स" दिख रहे थे —
किसी को जिंदा पकड़ना, किसी को गायब करना, और कुछ को सिर्फ़ मिटा देना।
**पहला झटका**
रज़ा की दी हुई ट्रैकिंग चिप जैसे ही एक्टिव हुई, स्क्रीन पर एक ब्लिंकिंग डॉट दिखाई दिया —
और वो डॉट **लॉट 17** के पास रुक गया।
लॉट 17 के पास खड़ा था एक नकाबपोश आदमी…
उसके हाथ में वही **दूसरा हिस्सा** था, जो फ़ाइल X को पूरा करता।
आदित्य पास गया और धीमे से बोला:
*आदित्य:** "ये ड्राइव मेरी है।"
**अजनबी:** "गलत, ये अब ब्लैक मिरर की है।"
फिर उसने फुसफुसाकर कहा:
**अजनबी:** "अगर सच जानना चाहते हो… तो बाहर निकलने से पहले पिया से मत मिलना।"
अचानक सायरन बज उठा — ब्लैक मिरर में सायरन का मतलब था **शिकार शुरू हो चुका है**।
चारों तरफ हथियारबंद लोग दौड़ पड़े, और हॉल एक जंग का मैदान बन गया।
आदित्य ने जैसे-तैसे अजनबी का हाथ पकड़ा, लेकिन तभी भीड़ में किसी ने गोली चलाई…
अजनबी ज़मीन पर गिरा, और मरते-मरते सिर्फ़ एक शब्द कह सका: "मास्टर…
आदित्य के हाथ में अब दूसरा हिस्सा था —
लेकिन "मास्टर" कौन है, ये सवाल उसकी रगों में ठंडा ज़हर बनकर फैलने लगा।
और जैसे ही वो बाहर निकलने लगा, उसकी नज़र ऊपर गैलरी पर पड़ी —
वहां खड़ी थी पिया…
लेकिन उसकी आँखों में डर था, गुस्सा नहीं।
ब्लैक मिरर मार्केट से बाहर निकलते हुए आदित्य का दिल अब भी तेज़ धड़क रहा था।
हाथ में पूरी फ़ाइल X थी, लेकिन दिमाग में सिर्फ़ एक नाम गूंज रहा था — **"मास्टर"**।
**रात का ठिकाना**
आदित्य सीधे *रेड रूम* लौटा।
रज़ा ने तुरंत दोनों हिस्सों को जोड़कर डेटा अनलॉक करना शुरू किया।
स्क्रीन पर ढेरों फोल्डर खुलने लगे — सरकारी फाइलें, गुप्त ऑपरेशन्स, और सबसे ऊपर एक फोल्डर: **"MASTER"**।
रज़ा ने जैसे ही उसे खोला, स्क्रीन पर एक पुरानी तस्वीर उभरी —
एक धुंधले कमरे में चार लोग खड़े थे…
पहले तीन चेहरे आदित्य पहचानता था, लेकिन चौथा चेहरा देखते ही उसकी सांस रुक गई।
**तस्वीर का सच**
वो चौथा चेहरा था **कबीर का असली मेंटर**, जिसे वो सालों पहले एक मिशन में मारा हुआ समझता था —
**रणवीर मल्होत्रा**।
रणवीर न सिर्फ़ ज़िंदा था, बल्कि अब अंडरग्राउंड नेटवर्क का सबसे बड़ा खिलाड़ी बन चुका था — वही "मास्टर"।
रज़ा ने एक वीडियो फाइल चलाई।
वीडियो में पिया, रणवीर के साथ खड़ी थी —
उसकी आंखों में वही ठंडापन था जो आदित्य ने ब्लैक मिरर में देखा था।
**रणवीर (वीडियो में):** "आदित्य को सच मत बताना… जब तक वो खुद यहाँ आकर न मांगे।"
**पिया:** "और अगर वो आया?"
**रणवीर:** "तो या तो वो हमारे साथ होगा… या उसके खिलाफ़।"
आदित्य को अब समझ आया कि पिया की हर हरकत, हर धोखा, रणवीर के प्लान का हिस्सा था।
लेकिन सवाल ये था — क्या पिया वाकई रणवीर की साथी है, या वो भी उसी के जाल में फंसी है?
आदित्य ने रज़ा की तरफ देखा:
**आदित्य:** "रणवीर को ढूंढना है… ज़िंदा।"
**रज़ा:** "ये रास्ता वापस आने का नहीं है, कबीर।"
**आदित्य:** "मैं वापस आने नहीं… खत्म करने जा रहा हूं।"
कैमरा ज़ूम आउट करता है —
दूर किसी अंधेरे कमरे में रणवीर और पिया स्क्रीन पर आदित्य को देख रहे हैं।
**रणवीर:** "तो, खेल शुरू हो चुका है।"
आदित्य का अगला कदम साफ़ था — रणवीर के शहर में घुसना।
लेकिन वो कोई आम शहर नहीं था, बल्कि *वेरिडियन*… एक ऐसी जगह जहां हर गली, हर दुकान, हर पुलिस चौकी रणवीर के नेटवर्क के तहत काम करती थी।
यहां सच सिर्फ़ उतना ही था, जितना "मास्टर" दिखाना चाहता था।
**छद्म पहचान**
रज़ा ने आदित्य के लिए एक नई पहचान बनाई — *आर्यन मेहरा*, एक हथियारों का डीलर, जिसकी फाइलों में नकली केस और अंडरग्राउंड सर्टिफिकेट थे।
बाल छोटे, हल्की दाढ़ी, और एक पुराना टैटू जो असली आदित्य को छुपा दे।
**रज़ा:** "वेरिडियन में आर्यन मेहरा जिंदा रहेगा… लेकिन अगर किसी ने कबीर को देख लिया, तो तेरा नाम बस पत्थर पर होगा।"
**शहर में पहला कदम**
वेरिडियन में प्रवेश करते ही आदित्य को महसूस हुआ कि ये कोई आम शहर नहीं —
सीसीटीवी सिर्फ़ सड़कों पर नहीं, बल्कि गली के नुक्कड़ों पर बच्चों के खिलौनों में भी लगे थे।
लोग बात करने से पहले चारों तरफ देखते थे, जैसे हर दीवार कान लगाए सुन रही हो।
**अनजाने मददगार**
एक पुरानी बार में, आदित्य की मुलाकात *मीरा* से हुई —
एक वेट्रेस, जिसकी आंखों में डर और गुस्सा दोनों थे।
उसने फुसफुसाकर कहा:
**मीरा:** "मैं जानती हूं तुम कौन हो… और क्यों आए हो।"
**आदित्य:** "तो मदद करोगी?"
**मीरा:** "रणवीर को गिराना है तो पहले उसका 'आई' तोड़ना होगा।"
मीरा ने समझाया कि "आई" एक सुपर-सर्विलांस टॉवर है, जो पूरे शहर की नज़रें और कान है — और रणवीर का सबसे बड़ा हथियार भी।
**घुसपैठ की योजना**
टॉवर तक पहुंचने के लिए आदित्य को तीन चेकपॉइंट्स पार करने थे —
1. गार्ड्स का डेटा रूम
2. सिक्योरिटी लेवल क्लियरेंस
3. आई के कंट्रोल सेंटर
मीरा ने उसे एक नक्शा दिया, लेकिन चेतावनी भी दी:
**मीरा:** "अंदर जाने के बाद बाहर निकलने का एक ही रास्ता है… रणवीर के पास से होकर।"
रात के अंधेरे में, आदित्य ने काले कपड़े पहने, नक्शा जेब में रखा, और वेरिडियन की गलियों में गायब हो गया।
ऊपर आसमान में आई टॉवर चमक रहा था — जैसे वो खुद आदित्य को देख रहा हो।
**आदित्य (मन में):** "पहले तेरी आँख निकालूंगा, रणवीर… फिर तुझे।"
कमेंट्स करो guy's. कहानी कैसी लग रही है आपको ? क्या आप अगले भाग के लिए उत्साहित हैं ??? बताइए कमेंट के जरिए !!!!!!!! पिया आदित्य की यह कहानी आपको रोमांचक लग रही है ना ????? फिर रुकना क्यों है कमेंट करिए, रेटिंग करिए मिलते हैं अगले भाग के साथ।
रात का वक्त।
वेरिडियन शहर पर सन्नाटा फैला था, लेकिन आई टॉवर की ऊँचाई से उसकी हज़ारों आँखें हर कोने पर नज़र रख रही थीं।
ये सिर्फ़ एक इमारत नहीं, बल्कि रणवीर का सबसे बड़ा हथियार था — हर बातचीत, हर हरकत, हर रहस्य यहां रिकॉर्ड होता था।
**पहला चेकपॉइंट – डेटा रूम**
आदित्य ने शहर के पुराने सीवर रास्ते से घुसपैठ शुरू की।
लोहे की जाली काटकर वो सीधे डेटा रूम के नीचे पहुंचा।
गार्ड्स का शेड्यूल मीरा ने पहले ही दे दिया था, लेकिन एक गार्ड प्लान से पहले ही लौट आया।
आदित्य ने उसे बेहोश किया, कार्ड-स्कैनर उठाया और अंदर घुस गया।
अंदर की दीवारें सर्वरों से ढकी थीं, जो हल्की गूंज के साथ चल रहे थे।
एक टर्मिनल से उसने सिक्योरिटी सिस्टम का आधा हिस्सा बंद कर दिया।
**दूसरा चेकपॉइंट – सिक्योरिटी क्लियरेंस**
अगला कदम था बायोमेट्रिक लॉक पार करना।
मीरा का प्लान साफ था — *अंदर का आदमी* उसकी मदद करेगा।
लेकिन जैसे ही आदित्य वहां पहुंचा, उसे एहसास हुआ कि अंदर का आदमी कोई और नहीं… **पिया** थी।
**आदित्य:** "तुम यहां?"
**पिया (ठंडी आवाज़ में):** "तुम्हें यहां नहीं होना चाहिए।"
पिया ने बिना कुछ कहे अपने हाथ का स्कैन दिया, दरवाज़ा खुला… लेकिन आंखों में कोई पहचान नहीं थी, जैसे वो आदित्य को जानती ही न हो।
**तीसरा चेकपॉइंट – कंट्रोल सेंटर**
कंट्रोल सेंटर में घुसते ही आदित्य ने चारों तरफ स्क्रीन देखीं — हर स्क्रीन पर शहर की अलग-अलग फीड, और एक बड़ी स्क्रीन पर रणवीर।
**रणवीर (स्पीकर से):** "स्वागत है, कबीर… या कहूं, आर्यन?"
अचानक अलार्म बज उठा।
गेट्स लॉक हो गए और ऊपर से गार्ड्स की पूरी टीम उतरने लगी।
पिया भी वहीं खड़ी थी, लेकिन उसने कुछ नहीं किया — न मदद, न रोकथाम।
बस एक हल्की-सी फुसफुसाहट उसके होंठों से निकली:
**पिया:** "भागो…"
आदित्य ने स्मोक ग्रेनेड फेंका, सर्वर में वायरस डाला, और एक खिड़की तोड़कर टॉवर से कूद पड़ा।
नीचे गिरते वक्त उसने ऊपर देखा — पिया अब भी वहीं खड़ी थी, लेकिन इस बार उसकी आंखों में नमी थी।
**आदित्य (मन में):** "तुम्हें खोया नहीं… बस ढूंढना मुश्किल हो गया है।"
आई टॉवर से बचकर निकलने के बाद आदित्य सीधे मीरा के पास लौटा।
उसके कपड़े धूल और खून से सने थे, सांसें तेज़ थीं, लेकिन दिमाग सिर्फ़ एक सवाल पर अटका था —
*"पिया वहां क्यों थी?"*
**मीरा का शक**
मीरा ने आदित्य की बात सुनी और तुरंत बोली:
**मीरा:** "अगर वो तुम्हें मारना चाहती, तो वहां गार्ड बुलाने में सेकंड नहीं लगती।"
**आदित्य:** "लेकिन उसने मुझे रुकने भी नहीं दिया… बस ‘भागो’ कहा।"
**मीरा:** "हो सकता है, वो दोहरा खेल खेल रही हो।"
**फ्लैशबैक – पिया और रणवीर**
दूसरी तरफ, रणवीर के ऑफिस में पिया बैठी थी।
रणवीर ने आई टॉवर पर हुए हमले का वीडियो उसके सामने रखा।
*रणवीर:** "तुमने उसे भागने क्यों दिया?"
*पिया:** "अगर वो पकड़ा जाता, तो तुम्हारा असली नेटवर्क उजागर हो सकता था।"
*रणवीर (मुस्कुराकर):** "या फिर… तुम्हारा असली खेल।"
रणवीर की आंखें पिया के चेहरे में कुछ पढ़ने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन पिया उतनी ही ठंडी नज़रों से उसे देख रही थी।
**आदित्य की खोज**
मीरा की मदद से आदित्य ने वेरिडियन के अंडरग्राउंड मार्केट से एक खास डिवाइस खरीदी —
*सिग्नल स्निफर*, जो रणवीर के प्राइवेट कम्युनिकेशन चैनल पकड़ सकता था।
पहली ही कोशिश में उसे एक कोडेड ट्रांसमिशन मिला, जो पिया के कमरे से आ रहा था।
आदित्य ने सिग्नल ट्रेस किया और पाया कि पिया हर रात किसी गुप्त नंबर पर डेटा भेज रही थी… लेकिन वो नंबर रणवीर का नहीं था।
**खुलासा आधा**
उस रात आदित्य चुपके से पिया के अपार्टमेंट में घुसा।
पिया लैपटॉप पर बैठी थी, स्क्रीन पर कुछ गुप्त फाइलें ट्रांसफर हो रही थीं।
दरवाज़ा हल्का-सा चरमराया, पिया ने तुरंत पिस्तौल उठा ली…
**पिया:** "कौन है?"
**आदित्य (छाया से):** "वो जो अभी भी यकीन करता है कि तुम दुश्मन नहीं हो।"
पिया ने पिस्तौल नीचे कर दी, लेकिन कुछ नहीं बोली।
बस स्क्रीन की तरफ इशारा किया और कहा:
**पिया:** "ये डेटा अगर रणवीर को पहुंच गया… तो हम दोनों खत्म।"
आदित्य ने उसकी आंखों में देखा — इस बार वहां डर, दर्द और एक अनकही सच्चाई थी।
लेकिन जवाब देने से पहले ही बाहर से धमाका हुआ।
खिड़की के पार रणवीर के लोग रस्सियों से नीचे उतर रहे थे।
**पिया:** "अब मेरे साथ चलो… वरना सच कभी नहीं जान पाओगे।"
पिया का हाथ थामकर आदित्य ने बिना एक पल गंवाए खिड़की की ओर दौड़ लगा दी।
बाहर रणवीर के गार्ड्स रस्सियों से नीचे उतर रहे थे, हथियारों की चमक रात के अंधेरे में साफ़ दिख रही थी।
पिया ने पास पड़ी स्मोक ग्रेनेड उठाई और नीचे फेंक दी — धुएं का मोटा बादल गली में फैल गया।
**शहर से बाहर निकलने की जद्दोजहद**
दोनों सीढ़ियों से नीचे भागते हुए पीछे का दरवाज़ा तोड़कर बाहर निकले।
आदित्य को पहले से पता था कि वेरिडियन से बाहर निकलने के सिर्फ़ तीन रास्ते हैं —
1. मेन हाईवे (पूरी तरह रणवीर के गार्ड्स के कंट्रोल में)
2. रेलवे यार्ड (खतरनाक और बारूदी सुरंगों से घिरा)
3. पुराना डॉक (जहां तस्कर रात में माल चढ़ाते हैं)
पिया ने सीधे डॉक की तरफ इशारा किया।
**पिया:** "अगर वहां तक पहुंच गए तो बचने का मौका है।"
डॉक तक जाने वाले रास्ते में एक पुरानी फैक्ट्री थी, जिसे रणवीर ने सालों पहले बंद करवा दिया था।
अंदर से गुजरते समय आदित्य ने देखा कि एक कमरे में पुराने स्टील के अलमारियों में कागज़ात पड़े थे।
पिया ने जल्दी करने को कहा, लेकिन एक फाइल आदित्य की नज़र में आ गई —
उस पर लिखा था: **"प्रोजेक्ट लाज़रस"**।
उस फाइल में रणवीर के गुप्त मेडिकल एक्सपेरिमेंट्स के सबूत थे —
ऐसे सबूत, जिनसे वो कई लोगों को मानसिक रूप से कंट्रोल कर रहा था… और पीड़ितों की लिस्ट में पिया का नाम भी था।
**पिया की सच्चाई का एक हिस्सा**
आदित्य ने फाइल पिया को दिखाई।
पिया की आंखों में पानी आ गया, लेकिन उसने तुरंत उसे बंद किया और कहा:
**पिया:** "ये अभी हमारे काम का नहीं… इसे लेकर जिंदा रहना ज्यादा जरूरी है।"
आदित्य ने पहली बार समझा कि पिया की बदली हुई यादें, उसका ठंडा बर्ताव — सब शायद रणवीर की उसी दवा का असर था।
दोनों जैसे-तैसे डॉक पहुंचे।
दूर से जहाज़ की हॉर्न की आवाज़ आ रही थी, लेकिन साथ ही गार्ड्स के रेडियो पर भी अलर्ट गूंज रहा था:
*"टारगेट्स डॉक की तरफ बढ़ रहे हैं, पकड़ो उन्हें!"*
आदित्य और पिया पानी के किनारे दौड़ते हुए पहुंचे, लेकिन वहां खड़ा एक तस्करी का जहाज़ अचानक अपनी लाइट्स ऑन कर देता है —
और उसके डेक पर रणवीर खड़ा था, मुस्कुराते हुए।
*रणवीर:** "भागते-भागते थक गए होगे… अब घर चलो।" 26
कॉमेंट कीजिए।।
रात का अंधेरा पानी पर लहरों की तरह हिल रहा था, लेकिन डॉक पर माहौल सन्नाटे से भरा नहीं—तनाव से भरा था।
तस्करी के जहाज़ की तेज़ रोशनी ने आदित्य और पिया को पूरी तरह उजागर कर दिया।
रणवीर डेक पर खड़ा था, जैसे उसने पूरा खेल पहले ही जीत लिया हो।
**रणवीर:** "दो साल पहले तुम मुझे छोड़कर भागे थे, कबीर। आज तुम्हें आख़िरी बार मौका दे रहा हूं—वापस आ जाओ।"
**आदित्य:** "मुझे तुम्हारा गुलाम बनने का कोई शौक़ नहीं।"
**रणवीर (पिया की ओर देखता है):** "तो फिर उसकी जान की गारंटी भी मत मांगना।"
पिया चुप रही, लेकिन उसकी उंगलियां हल्के से आदित्य की बांह पर दबाव डाल रही थीं—एक इशारा, जो रणवीर से छुपा हुआ था।
**छुपा हुआ प्लान**
अचानक पिया ने आगे बढ़कर रणवीर से कहा:
**पिया:** "ठीक है… मैं तुम्हारे साथ चलूंगी, लेकिन इसे जाने दो।"
रणवीर ने ठंडी हंसी के साथ इशारा किया, और उसके गार्ड्स ने हथियार नीचे कर दिए।
आदित्य चौंका, लेकिन पिया की आंखों में एक पल के लिए चमक दिखी—जैसे कोई गुप्त प्लान चल रहा हो।
**धोखा या मदद?**
जैसे ही रणवीर ने पिया को डेक पर खींचा, उसने अपनी जैकेट से एक छोटा-सा डिवाइस गिरा दिया—सीधे आदित्य के पैरों के पास।
आदित्य ने झुककर देखा—ये एक *सिग्नल बीकन* था, जो मीरा की टीम को लोकेशन भेज रहा था।
**गोली और ग़दर**
रणवीर कुछ बोल पाता, उससे पहले ही डॉक के किनारे से गोलियों की बौछार हुई—मीरा की टीम ने धावा बोल दिया।
जहाज़ पर अफरा-तफरी मच गई, गार्ड्स कवर लेने लगे।
पिया ने इस मौके का फायदा उठाया, रणवीर के हाथ से बंदूक छीनी और सीधा पानी में कूद गई।
**आदित्य (चिल्लाकर):** "पिया!"
आदित्य भी उसके पीछे कूद पड़ा, और दोनों लहरों में गुम हो गए।
**अंतिम सीन**
दूर जहाज़ पर रणवीर गुस्से से चिल्ला रहा था, लेकिन अब तक पुलिस के सायरन डॉक की तरफ बढ़ रहे थे।
पानी में तैरते हुए पिया ने धीरे से कहा:
**पिया:** "ये लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई… अगला कदम तुम्हारे साथ उठाना है।"
ठंडे पानी में तैरते हुए पिया और आदित्य के सांसें तेज़ थीं।
डॉक की लाइट्स अब धुंधली पड़ चुकी थीं, लेकिन पीछे गोलियों की आवाज़ अब भी सुनाई दे रही थी।
पिया ने हाथ के इशारे से आदित्य को दाईं तरफ तैरने को कहा।
पानी के नीचे एक जंग लगा हुआ मेटल का दरवाज़ा था, आधा समुद्री काई से ढका हुआ।
आदित्य ने आश्चर्य से पूछा:
आदित्य: "ये क्या है?"
पिया: "पुराना तस्करी का रास्ता… आई टॉवर से भी पहले का।"
उसने कमर से एक छोटी चाबी निकाली और ताले में घुमाई।
दरवाज़ा चरमराता हुआ खुला, और उनके सामने अंधेरी, संकरी *अंडरवॉटर टनल* थी।
टनल में पानी घुटनों तक था और दीवारों से टपकता नमक हवा में एक अजीब गंध भर रहा था।
पिया आगे-आगे चल रही थी, आदित्य पीछे।
अचानक कहीं दूर से टॉर्च की रोशनी चमकी—और एक भारी आवाज़ गूंजी:"सोचा था मुझसे बच जाओगे?"
रोशनी ने एक चेहरा उजागर किया—
विक्रम, रणवीर का पुराना दाहिना हाथ, जिसे आदित्य ने सालों पहले एक मिशन में गिरफ़्तार करवाया था… लेकिन लगता है, वो भाग निकला था।
विक्रम: "रणवीर को तो सिर्फ़ तुम्हारा खून चाहिए, आदित्य… लेकिन मुझे बदला भी चाहिए।"
उसने पिस्तौल उठाई, लेकिन पिया ने तुरंत दीवार से लटके एक पुराने लोहे के पाइप से उस पर वार किया।
पानी में छींटे उड़े, बंदूक गिर गई, और टनल में जोर-जोर से धमाके गूंजे।
लड़ते-लड़ते विक्रम की जेब से एक वॉटरप्रूफ चिप बाहर गिर गई।
पिया ने झट से उठाई और देखा—उसमें *प्रोजेक्ट लाज़रस* के असली ब्लूप्रिंट थे, वो भी पूरे।
पिया: "ये… ये रणवीर को खत्म कर सकता है!"
लेकिन विक्रम फिर से उठ खड़ा हुआ, खून से लथपथ, आंखों में जुनून।
विक्रम: "तुम दोनों यहां से जिंदा नहीं निकलोगे।"
टनल के पीछे से पानी की तेज़ गड़गड़ाहट सुनाई देने लगी—शायद ज्वार बढ़ रहा था, और कुछ ही मिनटों में ये पूरा रास्ता पानी में डूबने वाला था।
ज्वार की गड़गड़ाहट अब और तेज़ थी—टनल में पानी कमर तक भर चुका था।
विक्रम की आंखों में पागलपन था, और उसके हाथ में फिर से पिस्तौल आ चुकी थी।
पिया और आदित्य के पास बस कुछ ही सेकंड थे।
विक्रम ने गोली चलाई—आवाज़ टनल की दीवारों से टकराकर गूंजी।
आदित्य ने पिया को खींचकर किनारे गिरा दिया, और गोली पानी में गिरकर गायब हो गई।
आदित्य (धीरे से): "हमें इसे सीधा हराना होगा, वरना ज्वार हमें मार देगा।"
तीन तरफ से खतरा उन्हें घेर रहा था।
1. विक्रम की बंदूक
2. ज्वार का बढ़ता पानी
3. टनल का आख़िरी एग्ज़िट, जो शायद अब बंद होने वाला था
पिया ने टनल की दीवार में एक पुरानी सीढ़ी देखी, जो ऊपर एक मेंटेनेंस प्लेटफॉर्म तक जाती थी।
पिया: "तुम उसे नीचे रोको, मैं ऊपर से हमला करूंगी!"
आदित्य पानी में कूदकर विक्रम की टांगों में लिपट गया, जिससे विक्रम का निशाना बिगड़ गया।
इस मौके का फायदा उठाकर पिया सीढ़ी चढ़ गई, और ऊपर से भारी मेटल चेन विक्रम के सिर पर फेंक दी।
विक्रम गिर पड़ा, लेकिन गिरते-गिरते उसने आदित्य को पानी के नीचे खींच लिया।
आदित्य पानी के नीचे तड़प रहा था, विक्रम उसकी गर्दन पकड़कर दबा रहा था।
पिया ने बिना सोचे पानी में छलांग लगाई, विक्रम के हाथ पर पाइप से वार किया, और आदित्य को खींचकर ऊपर लाई।
पानी अब सीने तक आ चुका था।
पिया और आदित्य टनल के आखिर तक दौड़े, लेकिन दरवाज़ा आधा बंद था।
आदित्य ने पूरी ताकत लगाकर उसे ऊपर उठाया, पिया पहले निकली—फिर आदित्य…
और ठीक उसी पल ज्वार का पानी पूरे ज़ोर से टनल में भर गया, विक्रम को अंदर ही निगलते हुए।
सांसें थामे दोनों बाहर आए—एक पुरानी मछुआरों की झोपड़ी के पास।
पिया के हाथ में अब भी वो चिप थी।
पिया: "ये हमारी सबसे बड़ी ताकत है… और रणवीर का सबसे बड़ा डर।"
आदित्य ने उसकी आंखों में देखते हुए कहा:"तो अब खेल पलटेगा।"
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समुद्र के किनारे पर तूफ़ानी लहरें टकरा रही थीं, लेकिन रणवीर के प्राइवेट आइलैंड विला में माहौल और भी तूफ़ानी था। टेबल पर नक्शे फैले थे, रेडियो लगातार क्रैक कर रहा था, और रणवीर के चेहरे पर गुस्से की आग जल रही थी। खबर का झटका रणवीर के गार्ड ने घबराते हुए रिपोर्ट दी: गार्ड: "सर… ब्लूप्रिंट वाली चिप गायब है।" रणवीर: "कौन ले गया?" गार्ड:"हमें पक्का यकीन है… पिया और आदित्य।" रणवीर ने गिलास इतनी जोर से मेज पर पटका कि शीशा चटक गया। रणवीर: "दो साल पहले उन्हें खत्म करने का मौका गंवाया था… अब ये मेरी सबसे बड़ी गलती बन चुकी है।" सबसे खतरनाक हथियार रणवीर ने एक गुप्त दरवाज़ा खोला। अंदर स्टील की अलमारी थी, जिसमें काले केस में एक डिवाइस रखा था— “V-Serum”—एक एक्सपेरिमेंटल बायो-वेपन, जो किसी भी इंसान को कुछ घंटों में तोड़ सकता था, दिमाग और शरीर दोनों से। रणवीर "अगर चिप वापस नहीं आई… तो ये उनका आख़िरी दिन होगा।" **पिया और आदित्य की योजना** दूसरी तरफ, मछुआरों की झोपड़ी में पिया और आदित्य चिप का डेटा देख रहे थे। स्क्रीन पर *प्रोजेक्ट लाज़रस* की असली सच्चाई खुल रही थी—ये सिर्फ तस्करी नहीं, बल्कि एक ऐसा नेटवर्क था जो देश-विदेश में सरकारों तक को ब्लैकमेल कर सकता था। आदित्य:"अगर ये सब पब्लिक हो गया तो रणवीर का साम्राज्य खत्म हो जाएगा।" पिया:"लेकिन वो हमें बीच में मारने की पूरी कोशिश करेगा।" अचानक हमला बाहर से मोटरबोट का शोर आया। आदित्य खिड़की से झांकता है—रणवीर के गार्ड्स, पूरी तरह हथियारबंद, झोपड़ी की तरफ बढ़ रहे थे। पिया ने चिप को वॉटरप्रूफ बैग में डाला और कहा: अब भागना नहीं… अब पलटवार का वक्त है।" रणवीर विला की बालकनी पर खड़ा, दूरबीन से झोपड़ी की तरफ देख रहा था। उसके चेहरे पर खतरनाक मुस्कान थी। *रणवीर: "शिकार भागने की कोशिश करे… तो शिकारी का मज़ा दोगुना हो जाता है।" रात गहरी थी, लेकिन समंदर से आती ठंडी हवा में बारूद की गंध घुली हुई थी। झोपड़ी के बाहर लहरों की आवाज़ के साथ मोटरबोट के इंजन की गूंज मिल रही थी। पिया और आदित्य अब शिकारी का इंतज़ार कर रहे थे—लेकिन इस बार शिकारी वे खुद थे। पिया ने झोपड़ी के चारों ओर पुराने फिशिंग नेट, बांस के भाले और ट्रिप वायर सेट किए थे। आदित्य ने दरवाजे के पास रेत में दो छोटे गैसोलीन के ड्रम छुपा दिए, जिनसे जुड़ी एक पतली पाइप बाहर तक जाती थी। पिया (धीरे से): "एक चिंगारी… और ये जगह उनके लिए नर्क बन जाएगी।" पहली मोटरबोट किनारे लगी, और चार गार्ड उतरे। उनके पास नाइट-विज़न गॉगल्स और ऑटोमैटिक राइफल्स थीं। जैसे ही पहला गार्ड झोपड़ी के बाईं तरफ घुसा, उसका पैर ट्रिप वायर से अटक गया— और ऊपर से फिशिंग नेट उस पर गिर पड़ा, जिसमें बांस के भाले फंसे थे। वो चीखते हुए गिर पड़ा, बाकी गार्ड घबरा गए। आदित्य जानबूझकर पीछे के दरवाजे से बाहर निकला, ताकि बाकी गार्ड उसका पीछा करें। जैसे ही वे दौड़े, पिया ने सामने से गैसोलीन पाइप में आग लगा दी— एक धमाके के साथ सामने का रास्ता जलती दीवार में बदल गया। लेकिन तभी दूसरी मोटरबोट आई—और उसमें खुद रणवीर खड़ा था। उसके हाथ में एक अजीब-सा मेटल केस था—**V-Serum**। रणवीर: "प्लान अच्छे थे… लेकिन मैं जानता हूं, तुम्हारा सबसे बड़ा डर क्या है, पिया।" उसने केस खोला—अंदर एक शीशी में काले रंग का लिक्विड था, और एक इंजेक्टर गन। रणवीर: "ये सिर्फ मारता नहीं… पहले तोड़ता है।" रणवीर ने गन पिया की तरफ तान दी, लेकिन आदित्य बीच में आ गया। *आदित्य:** "पहले मुझे आज़मा ले।" पिया चीख उठी—और स्क्रीन ब्लैक हो गई, बस गोली जैसी आवाज़ गूंजी… ज़हर और वक़्त की दौड़----- तेज़ लहरों और गूंजते दिल की धड़कनों के बीच, वह आवाज़ सिर्फ एक गोली की नहीं थी— रणवीर के हाथ में इंजेक्टर गन खाली हो चुकी थी। पानी की बौछारों के बीच, आदित्य ज़मीन पर गिरा हुआ था। उसकी बाजू पर काले रंग का लिक्विड फैल रहा था—V-Serum का असर शुरू हो चुका था। पिया (काँपते हुए): "नहीं… नहीं, ये नहीं हो सकता।" रणवीर ठंडी हंसी के साथ बोला: "अब तुम्हारे पास सिर्फ 6 घंटे हैं… और इसका एंटीडोट सिर्फ मेरे पास है।" रणवीर ने अपना वॉच डायल सेट किया— "काउंटडाउन शुरू हो गया है, पिया। या तो चिप दो… या इसे मरते देखो।" इसके बाद उसने सीटी बजाई और अपनी टीम के साथ वापस मोटरबोट में कूद गया। पिया दौड़कर किनारे तक आई, लेकिन वो दूर निकल चुका था। आदित्य की आंखों में हल्का-सा धुंधलापन आने लगा। उसके शरीर में ठंड फैल रही थी, और हाथ सुन्न हो रहे थे। आदित्य (धीरे से):** "तुम… चिप मत देना… चाहे कुछ भी हो।" पिया:** "चुप रहो, तुम्हें कुछ नहीं होगा!" पिया ने मछुआरों के रेडियो का इस्तेमाल करके शहर में अपने पुराने संपर्क “डॉ. मेहरा” को मैसेज भेजा। डॉ. मेहरा ने बताया कि V-Serum का असली फार्मूला सालों पहले एक गुप्त लैब में तैयार हुआ था— और उसका एकमात्र एंटीडोट **बंदरगाह के पुराने गोदाम** में छुपा है, जहां अब रणवीर का कंट्रोल है। पिया ने आदित्य को मछुआरे के हवाले किया और कहा: अगर मैं 5 घंटे में वापस नहीं आई… तो इसे किसी भी तरह अस्पताल ले जाना।" > उसने अपनी जैकेट में चिप छुपाई, और एक चाकू, फ्लेयर गन और नक्शा लेकर रात के अंधेरे में निकल पड़ी। रणवीर अपने विला में बैठा, कैमरों पर पिया को देख रहा था। *रणवीर:** "शिकार खुद मेरे पास आ रहा है… इस बार खेल खत्म होगा।" 32
आगे क्या होगा जानने के लिए जुड़े रहे कहा नी के साथ। कौन किसको मात देगा ? क्या शिकारी खुद ही शिकार हो जाएगा या फिर मिलेगी शिकश्त इस खेल में उसे ? रणवीर, पिया और आदित्य कौन जीतेगा इस गेम को ? रोमांच सेऔर खतरों से भरी कहानी से जुड़े रहें प्यार बरसाते रहें। सस्पेंस से जुड़े रहें !!!!!!! लव यू माय डियर reader's कॉमेंट्स कमेंट्स लिखो guy's, read करके यूं ही ना निकला करो। बताओ जरा कहानी कैसी लग रही है आप लोगों को। आपके कमेंट्स के इंतजार में आपकी लेखिका। आपके कॉमेंट्स बहुत मैटर करते हैं। प्रोत्साहित करते हैं। कमेंट्स !! रेटिंग्स !!!! लाइक !!! फॉलो !!!!❣️ 32
रात के साढ़े बारह बजे, पिया पुराने बंदरगाह पर पहुंची।
यह जगह अब वीरान थी, लेकिन टूटी-फूटी इमारतों के बीच रणवीर के गार्ड्स की परछाइयां घूम रही थीं।
समंदर की गंध में लोहे और जंग का स्वाद घुला हुआ था।
पिया ने एक खंभे के पीछे छुपकर चारों तरफ नज़र दौड़ाई।
गोदाम के बड़े गेट पर ताला था, लेकिन ऊपर टूटी खिड़की से हल्की-सी रोशनी झलक रही थी।
वो चुपचाप रस्सी से ऊपर चढ़ी और खिड़की से अंदर कूदी।
अंदर की हवा धूल और तेल की गंध से भारी थी।
बीच में एक लोहे की मेज पर मेटल केस रखा था—एंटीडोट!
लेकिन मेज के चारों ओर लाल लेज़र बीम्स फैली थीं।
पिया ने अपनी बेल्ट से छोटा-सा मिरर निकाला और लेज़र के पथ को चेक किया।
धीरे-धीरे, साँस रोककर, उसने रास्ता पार किया।
लेकिन जैसे ही उसने केस छुआ, ऊपर से लाइट्स ऑन हो गईं—और रणवीर की आवाज़ गूंजी।
"स्वागत है, पिया… मैं जानता था तुम आओगी।"
ऊपर की गैलरी में रणवीर खड़ा था, हाथ में रिमोट कंट्रोल और पिया पर निशाना साधा हुआ स्नाइपर।
"एंटीडोट ले सकती हो… लेकिन बदले में चिप मुझे देनी होगी।"
पिया ने जेब से चिप निकाली और हवा में उछाल दी।
रणवीर की नज़र चिप पर गई—और उसी पल पिया ने फ्लेयर गन फायर कर दी।
तेज़ रोशनी और धुएं से पूरा गोदाम भर गया।
पिया ने केस उठाया और पीछे के दरवाजे की तरफ दौड़ी, लेकिन जैसे ही उसने दरवाजा खोला—
सामने तीन गार्ड खड़े थे।
उनमें से एक ने उसे धक्का देकर दीवार से टकरा दिया, और केस उसके हाथ से गिर गया।
रणवीर धीरे-धीरे नीचे उतरा, केस उठाया, और पिया के कान में फुसफुसाया: "अब न एंटीडोट तुम्हारे पास है… और न वक़्त।"
वो केस लेकर बाहर चला गया, जबकि पिया घायल होकर जमीन पर पड़ी थी—
और घड़ी की सुइयां आदित्य की ज़िंदगी के आखिरी घंटे गिन रही थीं।
समय: सुबह 4:12 बजे।
आदित्य के पास अब सिर्फ़ 1 घंटा 48 मिनट बचे थे।
बारिश तेज़ हो चुकी थी, और बिजली की कड़क के बीच पिया टूटे होंठ और खून से लथपथ चेहरे के साथ उठी।
उसके मन में सिर्फ़ एक बात थी—
**"ये खेल मैं खत्म करूँगी… रणवीर नहीं।"**
पिया ने मछुआरे से एक पुरानी स्पीडबोट ली और सीधे रणवीर के प्राइवेट आइलैंड की तरफ बढ़ी।
वहां 20 फीट ऊँची लोहे की दीवार, CCTV कैमरे और हथियारबंद गार्ड्स थे।
लेकिन पिया ने बंदरगाह के नीचे के सीवर-पाइप का रास्ता चुना—एक तंग और अंधेरी सुरंग, जहां घुटनों तक गंदा पानी था।
सुरंग से निकलते ही वो किले के स्टोरेज रूम में पहुंची।
चुपके से ऊपर गई और रणवीर के ऑफिस तक पहुंची।
वहां मेटल केस टेबल पर रखा था—और आदित्य की तस्वीर भी।
पिया ने धीरे से केस उठाया, लेकिन जैसे ही बाहर निकलने लगी, पीछे से आवाज़ आई—
"मैंने कहा था, पिया… इस बार खेल खत्म होगा।"
रणवीर के हाथ में पिस्तौल थी, और चार गार्ड उसके साथ।
पिया ने जेब से चिप निकाली और रणवीर की तरफ फेंक दी।
रणवीर ने उसे पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया—और उसी पल पिया ने फ्लेयर गन उसकी आंखों में फायर कर दी।
रोशनी और जलन से रणवीर चीख उठा, गार्ड घबरा गए।
पिया ने टेबल से केस उठाया, एक गार्ड को लात मारी और खिड़की से नीचे पानी में कूद गई।
पानी में तैरते हुए, पिया ने किसी तरह किनारे तक पहुंचकर स्पीडबोट चालू की।
बारिश, तूफान और लहरों से लड़ते हुए वो शहर की तरफ भागी।
घड़ी: **5:57 AM** — आदित्य की ज़िंदगी के सिर्फ़ तीन मिनट बचे थे।
पिया अस्पताल के कमरे में घुसी, केस खोलकर एंटीडोट डॉक्टर को दिया।
डॉक्टर ने इंजेक्शन लगाया…
लेकिन मॉनिटर पर आदित्य की धड़कन एक पल के लिए रुक गई।
पिया की आंखों से आंसू बहने लगे—
और तभी *बीप… बीप…* की आवाज़ आई।
आदित्य ने धीरे-से आंखें खोलीं और मुस्कुराया: "तुम… जीत गई।"
सुबह की हल्की धूप अस्पताल की खिड़की से अंदर आ रही थी।
आदित्य अब स्थिर था, लेकिन कमजोर।
पिया उसकी कुर्सी के पास बैठी थी, हाथ में कॉफी का कप, आँखों में नींद नहीं—बस इंतज़ार।
डॉ. मेहरा कमरे में आए और कहा— "पिया, पुलिस को रणवीर के ठिकाने का पता चल गया है… लेकिन तुम्हें ये जानना ज़रूरी है कि उसने ये सब क्यों किया।"
उन्होंने एक पुरानी फ़ाइल पिया के सामने रखी।
उसमें पुराने अख़बार की कटिंग्स थीं—"वैज्ञानिक की मौत रहस्यमयी हादसे में"—और एक फोटो, जिसमें रणवीर और… आदित्य, दोनों साथ खड़े थे।
आदित्य और रणवीर एक ही रिसर्च प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे—"V-Serum"।
ये एक ऐसा सीरम था जो सैनिकों की क्षमताएं कई गुना बढ़ा सकता था, लेकिन गलत इस्तेमाल से मौत भी हो सकती थी।
रणवीर चाहता था इसे ब्लैक मार्केट में बेचना, लेकिन आदित्य ने मना कर दिया।
उनकी लड़ाई के दौरान लैब में विस्फोट हुआ—रणवीर गंभीर रूप से घायल हो गया, और सबको लगा कि वो मर चुका है।
असल में, रणवीर ने अपनी मौत का नाटक किया और वापस आने के लिए दो साल तक प्लानिंग करता रहा।
पिया की शादी के दिन आदित्य को पब्लिक में ब्लैकमेल करने का मौका मिला, इसलिए उसने बारात के बीच से गायब होकर आदित्य को बचाने की कोशिश की—लेकिन रणवीर ने उसे कैद कर लिया।
अस्पताल के बाहर गोलियों की आवाज़ आई।
खिड़की से देखा—रणवीर, घायल लेकिन ज़िंदा, अपने गार्ड्स के साथ आया था।
वो चिल्लाया— "चिप दो, वरना इस बार कोई एंटीडोट नहीं होगा!"
पिया ने आदित्य को देखा, फिर रणवीर की तरफ—
और शांत स्वर में बोली— "ये खेल आज यहीं खत्म होगा।"
पुलिस और रणवीर की टीम में मुठभेड़ शुरू हुई।
पिया ने मौका देखकर रणवीर को पीछे से पकड़ा, उसकी पिस्तौल छीन ली और सिर पर वार किया।
रणवीर ज़मीन पर गिरा, और पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
पिया और आदित्य अस्पताल की बालकनी में खड़े थे।
समंदर के ऊपर सूरज उग रहा था।
**आदित्य:** "अब सब खत्म हो गया?"
**पिया:** "नहीं… अब बस हम शुरू करेंगे।"
कैमरा दूर जाता है, लहरों की आवाज़ के साथ—
और रणवीर की दूर से आती ठंडी हंसी सुनाई देती है, जैसे वो जेल में भी अपनी अगली चाल सोच रहा हो।
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रात का समय।
समंदर के किनारे स्थित "ब्लैकवॉटर जेल"—एक ऐसी जगह, जहाँ से भागना असंभव माना जाता है।
हवा में नमक और जंग की गंध तैर रही थी।
जेल के सेल नंबर 17 में रणवीर खामोश बैठा था, आँखें बंद, मानो ध्यान में डूबा हो।
रात 2:43 बजे, जेल की लाइट्स टिमटिमाईं और बंद हो गईं।
सायरन बज उठा।
गार्ड्स दौड़ते हुए कंट्रोल रूम की तरफ गए, लेकिन CCTV मॉनिटर सिर्फ़ स्टैटिक दिखा रहा था।
ठीक उसी वक्त, रणवीर के सेल का दरवाज़ा अपने आप खुल गया।
अंधेरे से एक काला सिल्हूट अंदर आया—काले कपड़े, चेहरे पर मास्क, हाथ में इलेक्ट्रॉनिक लॉक-पिक।
*मास्क वाला:** "चलो… वक़्त कम है।"
*रणवीर (हल्की मुस्कान के साथ):** "दो साल का इंतज़ार… अब मज़ा आएगा।"
दोनों जेल की पिछली सुरंग से गुज़रे, जो समुद्र के नीचे से एक पुराने गोदी तक जाती थी।
सुरंग में पानी टपक रहा था, और दूर से लहरों की गड़गड़ाहट सुनाई दे रही थी।
गोदी पर एक तेज़ स्पीडबोट तैयार थी।
जैसे ही वो स्पीडबोट में बैठे, मास्क वाला बोला—
"पैसा और बदला—दोनों मिलेंगे। बस पिया और आदित्य को खत्म करना होगा।"
रणवीर ने समंदर की तरफ देखते हुए ठंडी आवाज़ में कहा—"खत्म नहीं… पहले तोड़ेंगे, फिर खत्म करेंगे।"
आदित्य अब साथ में एक प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी चला रहे थे, जो हाई-प्रोफाइल केस सॉल्व करती थी।
उन्हें नहीं पता था कि तूफ़ान फिर से लौट रहा है…
लेकिन अगले ही दिन, पिया के ऑफिस में एक पार्सल आया—
अंदर एक टूटा हुआ शतरंज का राजा… और खून से लिखा संदेश—
सुबह 9:15 बजे।
पिया अपने ऑफिस में खिड़की के पास खड़ी थी, हाथ में वो शतरंज का टूटा हुआ राजा और खून से लिखा संदेश।
उसका दिल तेज़ धड़क रहा था, लेकिन चेहरा ठंडा और सख़्त था।
आदित्य कमरे में आया, पार्सल देखा और भौंहें चढ़ा लीं।
**आदित्य:** "ये उसका स्टाइल है… रणवीर लौट आया है।"
**पिया:** "हाँ, और इस बार वो अकेला नहीं है।"
आदित्य ने पिया को सीज़न 2 के अंत में जेल में डाले गए रणवीर की सुरक्षा रिपोर्ट दिखाई—
रिपोर्ट के मुताबिक़, रणवीर के पास बाहर से कोई मदद करने आया था, लेकिन उसकी पहचान किसी ने नहीं देखी।
पिया को साफ़ अंदाज़ा था कि ये सिर्फ़ बदले की शुरुआत है।
दोपहर 1 बजे, पिया और आदित्य अपने क्लाइंट के साथ मीटिंग में थे।
अचानक, बाहर सड़क पर ज़ोरदार धमाका हुआ—कार में बम फट गया।
धुएँ और चिल्लाहट के बीच, आदित्य ने देखा कि पास की बिल्डिंग की छत पर कोई खड़ा था—काले कपड़ों में, हाथ में स्नाइपर।
आदित्य ने पिया को ज़मीन पर खींच लिया, लेकिन उसी वक्त पिया के मोबाइल पर कॉल आया—
**अंजान आवाज़:** "बस एक चेतावनी थी… अगली बार दिल पर निशाना होगा।"
कॉल कट गया।
पुलिस ने जांच में पाया कि बम में इस्तेमाल किया गया डिटोनेटर सिर्फ़ एक खास गैंग के पास होता है—
और वो गैंग मुंबई के अंडरवर्ल्ड में "ब्लैक हॉक" नाम से जाना जाता है।
ये वही गैंग था जो पहले रणवीर के लिए काम करता था।
रात को पिया अपने अपार्टमेंट में थी, तभी दरवाज़े के नीचे से एक लिफाफा सरकाया गया।
अंदर एक फोटो थी—
उसमें पिया और आदित्य अस्पताल के कमरे में थे… वही दिन, जब उन्होंने रणवीर को गिरफ़्तार कराया था।
फोटो के पीछे सिर्फ़ एक लाइन लिखी थी—
पिया ने खिड़की से बाहर देखा—
दूर अंधेरे में, रणवीर की परछाई सड़क के लैम्पपोस्ट के नीचे खड़ी थी… और फिर गायब हो गई।
सुबह का समय।
ऑफिस में पिया अकेली थी, हाथ में वो फोटो, जो कल रात दरवाज़े के नीचे से फेंकी गई थी।
उस फोटो के पीछे की लिखावट बार-बार उसकी नज़र में आ रही थी—
*"अब मेरी चाल।"
**आदित्य का बदला हुआ बर्ताव**
आदित्य ऑफिस में आया, लेकिन आज उसका चेहरा गंभीर था, और बात करने का लहजा ठंडा।
**आदित्य:** "पिया… हमें कुछ समय के लिए अलग-अलग काम करना चाहिए।"
**पिया (हैरान):** "अचानक क्यों?"
**आदित्य:** "तुम पर नज़र रखी जा रही है… और शायद, तुम्हारे फोन से हमारी सारी लोकेशन लीक हो रही है।"
पिया को झटका लगा—क्या आदित्य को उस पर शक हो रहा था?
उसी दोपहर, पिया को एक गुमनाम ईमेल मिला—
उसमें CCTV फुटेज था, जिसमें दिख रहा था कि पिया किसी अंधेरी जगह में जाकर रणवीर से मिल रही है।
फुटेज में पिया की पीठ थी, लेकिन आवाज़ उसकी जैसी लग रही थी—
**फुटेज की आवाज़:** "हाँ, मैं तैयार हूँ… बस आदित्य को कुछ नहीं होना चाहिए।"
पिया को साफ़ समझ आ गया—ये वीडियो नकली है, एडिट किया गया है।
लेकिन अगर आदित्य ने ये देख लिया, तो वो यकीन कर सकता है कि पिया सच में रणवीर के साथ है।
आदित्य ने पिया से वीडियो के बारे में पूछा।
पिया ने सच बताया, लेकिन आदित्य का चेहरा पढ़ना मुश्किल था।
**आदित्य:** "अगर ये सच नहीं है, तो रणवीर इतनी मेहनत क्यों करेगा?"
**पिया:** "क्योंकि वो हमें एक-दूसरे के खिलाफ़ करना चाहता है!"
रात को, पिया घर में अकेली थी।
अचानक लाइट चली गई, और दरवाज़े पर दस्तक हुई।
वो डरते-डरते दरवाज़ा खोलने गई—
लेकिन बाहर कोई नहीं था, सिर्फ़ एक टेबल पर रखा बॉक्स…
अंदर वही शतरंज का राजा, इस बार टूटा हुआ नहीं—बल्कि पूरा, और उसके नीचे एक पर्ची—
**"राजा और वज़ीर लड़ें… तो बादशाह जीतता है।" – R**
पिया के हाथ कांप गए—रणवीर ने पहला मनोवैज्ञानिक वार कर दिया था।
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कॉमेंट्स लिखकर बाताओ यार कैसी लग रही है यह कहानी आपको ??? कहानी का विषय थोड़ा अलग है लेकिन इंट्रेस्टिंग प्लॉट है ऐसा जैसा आपने कहीं नहीं पढ़ा होगा इसलिए आपसे गुजारिश है कमेंट्स करिए, सपोर्ट करिए, फॉलो करिए।
डियर रीडर्स यह कहानी एक अदभुत और अलग प्रकार की है। जो सस्पेंस थ्रिलर से जुड़ी हुई है।। आप लोग अपना प्यार और भरपू र सपोर्ट देना। मुझे कहानी पूरी करने का प्रोत्साहन मिलेगा। सब आपके ऊपर है डियर रीडर्स। एंटरटेनमेंट के बदले आपको बस अपने व्यू ज ही बताने हैं लिखकर।
जुड़े रहे , पढ़ते रहें आपकी पसंदिदा कहानी ""पिया… लौट आओ"" जो सस्पेंशन और थ्रीलर से भरी हुई कहानी है।
कॉमेंट!!!! कमेंट्स लिखो कलम उठाओ और शब्दों की माला गूंथ दो प्यारे मित्रों।38
पिछले अध्याय में आपने देखा कि "ब्लैकवॉटर जेल" से भागना असंभव माना जाता है, लेकिन रणवीर भागने में सफल रहा। रणवीर और उसके साथी जेल से भाग निकले और बदला लेने के लिए निकल पड़े। उन्होंने पिया और आदित्य को खत्म करने की योजना बनाई। पिया और आदित्य, अब एक प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी चला रहे थे।
इसके बाद, पिया को एक टूटा हुआ शतरंज का राजा मिला और उन पर हमला हुआ। आदित्य ने पिया पर शक करना शुरू कर दिया। पिया ने एक नकली वीडियो देखा जिसमें वो रणवीर के साथ दिखाई दे रही थी। रणवीर ने मनोवैज्ञानिक युद्ध शुरू कर दिया।
अब आगे
--------
सुबह 7:00 बजे।
आदित्य की आंख अचानक मोबाइल की रिंग से खुली—एक अनजान नंबर से वीडियो कॉल आ रही थी।
थोड़ी हिचकिचाहट के बाद उसने कॉल रिसीव किया…
स्क्रीन पर पिया दिखाई दी—लेकिन किसी अंधेरी गोदाम जैसी जगह में, हाथ में पैसे से भरा बैग, और सामने रणवीर खड़ा था।
रणवीर (वीडियो में):** "सिर्फ़ तुम्हारे कहने पर मैंने आदित्य को ज़िंदा छोड़ा।"
पिया (वीडियो में, ठंडी आवाज़):** "याद रखना, सौदा पूरा होना चाहिए।"
कॉल खत्म हो गई।
आदित्य का चेहरा पत्थर जैसा सख़्त हो गया।
पिया अपने घर में थी, बेख़बर कि ये नकली वीडियो अभी आदित्य को दिखाया जा चुका है।
तभी उसे एक नोट मिला, जो उसकी कार की विंडशील्ड पर चिपका था—
*"आज शाम 6 बजे, गोदाम नंबर 9 आओ। अकेली। वरना सब खत्म।"*
पिया को शक था कि ये रणवीर का जाल है, लेकिन वो गई—क्योंकि उसे लगा शायद वो खुद उसके सामने आए।
जैसे ही पिया वहां पहुँची, चारों तरफ़ कैमरे लगे हुए थे।
अचानक, रणवीर अंधेरे से बाहर आया और पास आकर बोला— "आज का खेल खास है… मैं कुछ नहीं करूंगा, बस तुम्हें यहां खड़ा रहने दूंगा।"
उसने पिया की ओर इशारा किया—और ऊपर लगे कैमरे चालू हो गए।
कुछ मिनट बाद, आदित्य की टीम उस जगह पर धावा बोल देती है, और सबसे पहले वही सीन रिकॉर्ड होता है—पिया और रणवीर आमने-सामने।
आदित्य ने पिया को देखा, लेकिन उसके चेहरे पर भरोसे की जगह शक साफ़ था।
**आदित्य:** "इतना सब होने के बाद भी तुम उससे मिलने आई?"
**पिया (गुस्से में):** "तुम सोच भी कैसे सकते हो कि मैं…"
रणवीर दूर खड़ा मुस्कुरा रहा था—
वो जानता था, अब उनके बीच पहली असली दरार पड़ चुकी है।
रात को, रणवीर अपने ठिकाने पर शतरंज की बिसात पर खेल रहा था।
उसने राजा की गोटी उठाकर कहा—
**रणवीर:** "राजा को जीतने के लिए वज़ीर का भरोसा तोड़ना पड़ता है… और ये चाल तो बस शुरूआत थी।"
सुबह 10:00 बजे।
आदित्य अपनी कार में बैठा ऑफिस जा रहा था, तभी उसे एक पैकेट मिला—किसी ने पिछली सीट पर रख दिया था।
अंदर एक पेन ड्राइव थी और एक नोट— *"सच देखने की हिम्मत है तो ये चला। – R"*
पेन ड्राइव में एक सीसीटीवी फुटेज था—
तारीख़: दो महीने पहले।
जगह: बैंक का लॉकर रूम।
फुटेज में पिया अंदर जाती है, और कुछ ही देर में बैग में फाइलें और नकदी भरकर निकल जाती है।
वीडियो के अंत में, एक फ्रेम में रणवीर की परछाई भी दिखती है—जैसे वो सिर्फ़ दूर से देख रहा हो, लेकिन शामिल न हो।
आदित्य के दिमाग में सवालों का तूफ़ान उठ गया—क्या पिया वाकई रणवीर के साथ काम कर रही है?
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जब आदित्य ने पिया से सामना किया, तो उसने साफ़ कहा— "ये वीडियो नकली है! उस दिन मैं शहर में भी नहीं थी!"
लेकिन आदित्य के चेहरे पर शक गहरा था— "अगर ये सच है, तो रणवीर हर बार तुम्हें फंसाने में इतना सफल क्यों हो रहा है?"
पिया को एहसास हुआ—रणवीर न सिर्फ़ उनकी सोच से एक कदम आगे है, बल्कि वो आदित्य के विश्वास को पूरी तरह तोड़ने की योजना पर काम कर रहा है।
शाम को, पिया को एक गुमनाम लिफाफा मिला—
अंदर एक चाबी और एक पर्ची:
*"ये चाबी तुम्हें तुम्हारा सच दिखाएगी। अगर हिम्मत है तो आधी रात को पुराने रेलवे गोदाम में आओ।"*
पिया ने तय किया कि वो जाएगी—लेकिन अकेली नहीं।
उसे अंदाज़ा था कि ये चाबी असली नहीं, बल्कि एक जाल है।
रात 12:15 बजे पिया गोदाम पहुंची, हाथ में टॉर्च और वो चाबी।
अंदर अंधेरा था, सिर्फ़ एक टेबल पर पुराना ट्रंक रखा था।
जैसे ही उसने ट्रंक खोला, अंदर ढेर सारे नकली पासपोर्ट और पैसे रखे थे—और ऊपर एक कागज़, जिसमें उसके नाम के नीचे लिखा था:
"वॉन्टेड: पिया शर्मा – देशद्रोह और हत्या"**
अचानक पीछे से दरवाज़ा बंद हो गया, और रणवीर की आवाज़ गूंजी— "अब देखो, आदित्य तुम्हारे बारे में क्या सोचता है।"
सुबह 8:00 बजे।
शहर के बीचों-बीच एक बड़े होटल में बिज़नेस कॉन्फ़्रेंस चल रही थी।
पिया को वहां एक प्रोजेक्ट प्रेज़ेंटेशन के लिए भेजा गया था, लेकिन उसे पता नहीं था कि रणवीर ने पहले से ही उस जगह को अपने जाल में बदल दिया है।
कॉन्फ़्रेंस हॉल के ठीक सामने एक शोकेस था, जिसमें कीमती हीरे का हार रखा था—होटल की ब्रांडिंग के लिए।
इवेंट शुरू होने से पहले, सीसीटीवी फुटेज में दिखा कि पिया पास आती है… और फिर अचानक हार गायब हो जाता है।
असलियत ये थी कि रणवीर ने एक प्रोफेशनल पॉकेटमार को भेजकर चोरी करवाई, और सीसीटीवी फुटेज को एडिट करके पिया को चोर दिखा दिया।
प्रेज़ेंटेशन के दौरान ही पुलिस कॉन्फ़्रेंस हॉल में घुस आई।
सबके सामने पिया को रोककर कहा गया—
"मैडम, आपको चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है।"
भीड़ में कैमरे फ्लैश हो रहे थे, मीडिया लाइव कवरेज कर रही थी।
पिया ने लाख समझाने की कोशिश की, लेकिन स्क्रीन पर फुटेज चलाया गया—और उसमें साफ़ दिख रहा था कि वही हार लेकर जा रही है।
आदित्य भी वहां मौजूद था।
उसने पिया की आंखों में देखा—डर, गुस्सा और बेबसी सब झलक रहा था।
लेकिन उसके मन में रणवीर के लगाए सारे शक के बीज उग चुके थे।
**आदित्य (धीरे से):** "अगर ये खेल है, तो बहुत ख़तरनाक है… लेकिन अगर सच है, तो मैं तुम्हारे साथ खड़ा नहीं रह सकता।"
ये सुनकर पिया का दिल जैसे टूट गया।
दूसरी तरफ़, रणवीर होटल की टॉप फ्लोर पर खड़ा ये सब देख रहा था, हाथ में वही हीरे का हार।
उसने हार को अपनी जेब में रखते हुए मुस्कुरा कर कहा—"अब राजा को लगेगा कि वज़ीर ने उसे धोखा दिया… बस, मात करीब है।" 41
कमेंट्स
पिछले अध्याय में आपने देखा कि रणवीर जेल से भाग गया और बदला लेने के लिए पिया और आदित्य को निशाना बनाया। उसने मनोवैज्ञानिक युद्ध शुरू कर दिया।
इस अध्याय में, आदित्य को एक नकली वीडियो मिलता है जिसमें पिया रणवीर के साथ दिखती है। इसके बाद, पिया को एक गोदाम में बुलाया जाता है, जहां आदित्य उसे देखता है और उस पर शक करता है। रणवीर ने पिया को फ्रेम करने के लिए नकली सबूत लगाए, जैसे कि बैंक लॉकर में चोरी और एक हीरे की हार की चोरी। अंत में, पिया को चोरी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया जाता है, और आदित्य अब उस पर पूरी तरह से शक करता है। रणवीर का खेल जारी रहता है, और वह आदित्य के विश्वास को पूरी तरह से तोड़ने के करीब है।
अब आगे
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रात 11:30 बजे।
पिया पुलिस स्टेशन की महिला लॉकअप में अकेली बैठी थी।
दिमाग में एक ही सवाल घूम रहा था—रणवीर इतना सब कर क्यों रहा है?
तभी पास वाली कोठरी से एक बूढ़ी औरत की आवाज़ आई—
**बूढ़ी औरत:** "तुम्हारा नाम… पिया शर्मा है न?"
**पिया (चौंककर):** "आप मुझे कैसे जानती हैं?"
बूढ़ी औरत ने अपना नाम "सुभद्रा" बताया।
वो बोली कि दो साल पहले, शादी के दिन जब पिया का दूल्हा गायब हुआ था… उसी रात उसने रणवीर को एक पुराना ब्रीफ़केस लिए हुए भागते देखा था।
उस ब्रीफ़केस पर आदित्य के पिता के नाम की प्लेट लगी थी।
**सुभद्रा:** "उस रात… सिर्फ़ तुम्हारा पति नहीं, आदित्य का पूरा अतीत भी गायब हो गया था।"
पिया को एहसास हुआ—रणवीर की साज़िश शायद सिर्फ़ उनसे बदला लेने की नहीं, बल्कि आदित्य के परिवार से जुड़ा कोई बहुत बड़ा राज़ दबाने की है।
सुभद्रा ने पिया को एक कागज़ का टुकड़ा दिया, जिस पर एक पते के साथ लिखा था—
*"गोदाम 17, पुराना पोर्ट। वही असली सच है।"*
लेकिन इससे पहले कि पिया कुछ पूछती, पुलिस ने सुभद्रा को वहां से हटा दिया।
उसकी जगह कोई और कैदी लाया गया—एक खामोश औरत, जो बस पिया को घूरती रही।
रात के अंधेरे में, वो खामोश औरत पिया के पास आई और फुसफुसाई— "रणवीर कहता है, तुम्हें सुबह देखने के लिए वो जिंदा नहीं चाहता।"
और जैसे ही उसने पिया पर हमला करने की कोशिश की, अचानक लॉकअप का दरवाज़ा खुला—
आदित्य वहां था, जमानत के कागज़ के साथ।
पिया को बाहर लाते वक्त आदित्य ने बस इतना कहा—
"मुझे यक़ीन नहीं कि तुम निर्दोष हो… लेकिन मैं ये भी नहीं चाहता कि तुम्हें रणवीर के हाथों मरना पड़े।"
पिया ने मन ही मन तय कर लिया—गोदाम 17 ही उसकी अगली मंज़िल होगी, चाहे आदित्य माने या न माने।
रात 2:00 बजे।
बारिश तेज़ थी, हवा में समुद्र की खारी गंध घुली हुई।
पिया और आदित्य, बिना किसी को बताए, पुराने पोर्ट पर पहुँचे।
गोदाम 17 बिल्कुल वीरान था, दीवारों पर जंग लगी लोहे की चादरें और टूटी खिड़कियाँ।
आदित्य ने टॉर्च जलाकर चारों ओर देखा।
ताले पर धूल और मकड़ी के जाले जमे थे, लेकिन अंदर से किसी के होने का आभास हो रहा था।
पिया ने लोहे की रॉड से ताला तोड़ा, और दरवाज़ा चरमराते हुए खुला।
अंदर अंधेरा था, लेकिन एक कोने में पुराना लकड़ी का ट्रंक पड़ा था—
बिलकुल वैसा ही जैसा पिया ने रेलवे गोदाम में देखा था, लेकिन इस पर चिपका था *"A.K. 1985"* का लेबल।
पिया ने ट्रंक खोला—
अंदर ढेर सारी पुरानी फाइलें, नकदी के बंडल, और *विदेशी हथियारों के सौदे* के कॉन्ट्रैक्ट थे…
सबके नीचे एक फ़ोटो थी—आदित्य के पिता, रणवीर और एक अनजान विदेशी आदमी साथ में खड़े थे।
**आदित्य (हैरान):** "ये… ये नामुमकिन है! पापा का रणवीर से कोई रिश्ता ही नहीं था!"
**पिया:** "शायद वो रिश्ता तुम्हें कभी बताया ही नहीं गया…"
पिया ने एक दस्तावेज़ निकाला—
उसमें लिखा था कि 20 साल पहले, आदित्य के पिता और रणवीर ने मिलकर एक बड़ा अवैध सौदा किया था, लेकिन बाद में सारा दोष रणवीर पर डाल दिया गया।
शायद यही रणवीर की असली वजह थी—बदला।
जैसे ही पिया ने आखिरी फाइल उठाई, ऊपर से एक लाल लेज़र डॉट उसके सीने पर पड़ा।
आवाज़ आई— "लगता है मेरे अतीत में टांग अड़ाना तुम्हारी आखिरी गलती होगी।"
गोदाम का बड़ा दरवाज़ा बंद हो गया, और बाहर से ताले में चाबी घुमाई गई।
बारिश के बीच, रणवीर की परछाई धुंध में गायब हो गई।
गोदाम 17 के दरवाज़े पर बाहर से भारी ताला लग चुका था।
बारिश की आवाज़ के बीच, पिया और आदित्य को एक अजीब-सी गंध महसूस हुई—
पेट्रोल की।
बाहर से रणवीर की आवाज़ गूँजी—
**रणवीर:** "तुम दोनों को मैं गोली से नहीं मारूंगा… तुम्हें उसी आग में जलाऊंगा, जिसमें मेरा अतीत राख हुआ था।"
अगले ही पल, गोदाम के चारों ओर पेट्रोल छिड़क कर उसने माचिस जलाई।
आग ने धीरे-धीरे लकड़ी और पुराने कागज़ों को चाटना शुरू कर दिया।
पिया ने ट्रंक से हथियारों की एक पुरानी पेटी उठाई और देखा कि उसके नीचे एक छोटा सा वेंट (हवादार खिड़की) था।
लेकिन वो वेंट सिर्फ़ एक आदमी के निकलने लायक था—और बाहर तेज़ बारिश में लोहा जंग खा चुका था।
**पिया:** "आदित्य, तुम निकलो… मैं यहाँ कुछ देर और रुकूँगी।"
**आदित्य:** "तुम पागल हो? मैं तुम्हें छोड़कर नहीं जा सकता!"
**पिया (दृढ़ आवाज़ में):** "अगर तुम नहीं गए, तो हम दोनों मर जाएंगे।"
जैसे ही आदित्य वेंट से बाहर जाने लगा, पिया ने फाइलों में से कुछ बेहद अहम दस्तावेज़ उसकी जेब में डाल दिए।
**पिया:** "इनमें वो सब है, जिससे रणवीर का चेहरा सबके सामने आएगा। लेकिन सच बोलने से पहले यकीन करना कि ये खेल सिर्फ़ उसके खिलाफ़ नहीं… और भी बड़े लोग इसमें शामिल हैं।"
आग अब छत तक पहुँच चुकी थी।
पिया ने वेंट से आदित्य को धक्का देकर बाहर निकाला और खुद पीछे आने लगी—
तभी ऊपर से जलती हुई लकड़ी का एक बड़ा टुकड़ा गिरा और रास्ता बंद हो गया।
बाहर से आदित्य चीखा— "पिया!!!"
और अंदर, पिया ने अपनी आखिरी सांस भरते हुए दीवार के पीछे एक पुरानी लोहे की सीढ़ी देखी, जो शायद किसी गुप्त रास्ते की तरफ जाती थी…
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डियर रीडर्स यह कहानी एक अदभुत और अलग प्रकार की है। जो सस्पेंस थ्रिलर से जुड़ी हुई है।। आप लोग अपना प्यार और भरपू र सपोर्ट देना। मुझे कहानी पूरी करने का प्रोत्साहन मिलेगा। सब आपके ऊपर है डियर रीडर्स। एंटरटेनमेंट के बदले आपको बस अपने व्यू ज ही बताने हैं लिखकर।
जुड़े रहे , पढ़ते रहें आपकी पसंदिदा कहानी ""पिया… लौट आओ"" जो सस्पेंशन और थ्रीलर से भरी हुई कहानी है।
कॉमेंट!!!! कमेंट्स लिखो कलम उठाओ और शब्दों की माला गूंथ दो प्यारे मित्रों।38
गोदाम की दीवार के पीछे मिली लोहे की सीढ़ी पर पिया तेजी से चढ़ने लगी।
आग का धुआँ उसके फेफड़ों में भर रहा था, आँखों से पानी बह रहा था, लेकिन ऊपर जाते ही उसे एक पतला, जंग लगा दरवाज़ा मिला।
दरवाज़ा खोलते ही ठंडी बारिश का झोंका उसके चेहरे से टकराया—वो गोदाम के पीछे के समुद्री चट्टानों पर निकल आई थी।
**दुनिया को लगा… पिया मर चुकी है**
आग पूरी तरह गोदाम को निगल चुकी थी।
समाचार चैनलों पर अगले दिन हेडलाइन थी—
*"रणवीर के गोदाम में लगी आग में संदिग्ध महिला की मौत"*
आदित्य ने जो देखा था, उस पर भरोसा कर लिया—पिया आग में जलकर मर गई।
लेकिन सच ये था—पिया उसी रात एक पुराने मछुआरे के घर छुप गई थी।
मछुआरे का नाम रामू था, जिसने उसे खाना-पानी दिया और शहर के बाहर के इलाके में छुपा दिया।
अगले कुछ दिनों में, पिया ने अपना नाम, लुक और आवाज़ बदल ली।
वो अब "नेहा वर्मा" थी—एक फ्रीलांस बिज़नेस कंसल्टेंट, जो असल में रणवीर की कंपनी के कॉन्ट्रैक्ट्स के भीतर घुसने वाली थी।
उसके पास अब दो बड़े मकसद थे—
1. रणवीर की साज़िश और उसके पुराने गुनाहों का सबूत इकट्ठा करना।
2. आदित्य को सच्चाई बताना… लेकिन तब, जब वो खुद इस जाल में फँस जाए।
रामू ने पिया को खबर दी कि रणवीर अगले हफ़्ते एक *हाई-प्रोफ़ाइल पार्टी* देने वाला है, जिसमें शहर के बड़े नेता, बिज़नेस टायकून और पुलिस अधिकारी आने वाले हैं।
पिया जानती थी—ये उसका मौका है, लेकिन जोखिम ये था कि अगर रणवीर ने उसे पहचान लिया, तो खेल उसी वक्त खत्म हो जाएगा।
पार्टी में जाने के लिए पिया ने एक नकली आईडी बनाई… और उसी के साथ एक छोटी-सी पिस्तौल भी अपने बैग में रख ली।
पार्टी की रात, रणवीर मंच पर भाषण दे रहा था।
भीड़ में एक नई, ग्लैमरस महिला खड़ी थी—काले गाउन में, लाल लिपस्टिक लगाए…
रणवीर की नजर जैसे ही उस पर पड़ी, उसका चेहरा कुछ पल के लिए सख्त हो गया।
**रणवीर (मन ही मन):** "ये… ये शक्ल मैंने कहीं देखी है।"
और पिया ने धीमे से अपने होंठों पर मुस्कान लाई—
**पिया (मन ही मन):** "खेल अब शुरू होगा… रणवीर।"
हॉल सुनहरी रोशनी से चमक रहा था।
शैम्पेन के ग्लास, धीमा म्यूज़िक, और कैमरों की फ्लैश लाइट हर कोने को भरा हुआ था।
रणवीर मंच से उतरकर मेहमानों से हाथ मिला रहा था, लेकिन उसकी नज़र बार-बार उस काले गाउन वाली औरत पर जा रही थी।
वो औरत—यानी पिया, अब “नेहा”—आहिस्ता से रणवीर के पास आई।
उसकी खुशबू, उसकी चाल, सब कुछ जैसे किसी पुराने ज़ख्म को छेड़ रहा था।
**नेहा (मुस्कुराकर):** "मिस्टर रणवीर, आपसे मिलना मेरे लिए सम्मान की बात है।"
**रणवीर (ध्यान से देखते हुए):** "हम पहले मिले हैं?"
**नेहा (रहस्यमय लहज़े में):** "शायद… या हो सकता है कि आप भूल गए हों।"
नेहा ने रणवीर को शैम्पेन का ग्लास दिया।
ग्लास के नीचे एक छोटा सा फोल्ड किया हुआ कागज़ चिपका था।
रणवीर ने भीड़ से बचते हुए ग्लास उठाया और धीरे से वो कागज़ खोला।
उसमें सिर्फ़ एक लाइन लिखी थी—
*"गोदाम 17 की राख सच नहीं जला पाई।"*
रणवीर का चेहरा पढ़ने लायक नहीं रहा।
उसके हाथ में ग्लास कांप गया, और उसने तुरंत अपने सिक्योरिटी हेड को बुलाया।
**रणवीर:** "उस औरत को ढूंढो… अभी!"
लेकिन जब सिक्योरिटी ने चारों ओर देखा, नेहा भीड़ में कहीं गायब हो चुकी थी।
रणवीर के दिमाग में सवाल गूंज रहे थे—
क्या पिया जिंदा है? अगर है, तो वो चाहती क्या है?
और अगर नहीं… तो ये राज़ कौन जानता है?
पार्टी से बाहर, पिया कार में बैठी और फोन निकाला।
उसने एक अनजान नंबर डायल किया—
**पिया:** "पहला संदेश पहुँच गया है… अब उसे अपनी अगली चाल का इंतज़ार करने दो।"
कार की खिड़की से बाहर बारिश हो रही थी, और पिया की आँखों में एक ठंडी चमक थी—
ये खेल अब सिर्फ़ बदले का नहीं था, ये रणवीर की नींव हिलाने का था।
पार्टी के बाद रणवीर अपने पेंटहाउस में बेचैन टहल रहा था।
गोदाम 17 का नाम सुनते ही उसके भीतर पुरानी यादें और डर वापस आ गए थे।
उसे पता था—अगर पिया सचमुच जिंदा है, तो अकेले उससे निपटना आसान नहीं होगा।
उसने एक पुराना फ़ोन निकाला, जिसमें सिर्फ़ एक नंबर सेव था—*"रघु"*।
रघु वो इंसान था, जिसे रणवीर ने दो साल पहले धोखा देकर जेल भिजवा दिया था, लेकिन रघु की आदित्य से भी पुरानी दुश्मनी थी।
अगले दिन, जेल के बाहर एक काली SUV आकर रुकी।
रघु बाहर आया—लंबा, चौड़ा, चेहरे पर पुरानी चोट के निशान, और आँखों में ठंडा गुस्सा।
SUV का शीशा नीचे हुआ—रणवीर अंदर बैठा था।
**रणवीर:** "तेरी आज़ादी का सिर्फ़ एक मतलब है—पिया को ढूंढना और उसे खत्म करना।"
**रघु (हल्की हंसी के साथ):** "और आदित्य?"
**रणवीर:** "अगर पिया तक पहुँचने के लिए उसकी गर्दन तोड़नी पड़ी… तो कर देना।"
इस बीच, पिया अपनी नई पहचान “नेहा” में शहर के बिज़नेस नेटवर्क में धीरे-धीरे घुस रही थी।
उसे अभी तक अंदाज़ा नहीं था कि रघु बाहर आ चुका है, लेकिन उसे ये महसूस हो रहा था कि कोई उसका पीछा कर रहा है।
एक रात, जब पिया अपने अस्थायी अपार्टमेंट की ओर लौट रही थी, उसने आईने में पीछे देखा—
एक बाइक सवार, हेलमेट लगाए, कई ब्लॉक्स से उसका पीछा कर रहा था।
पिया तेज़ी से गली में मुड़ी, लेकिन बाइक भी पीछे मुड़ गई।
वो दौड़ते हुए एक सुनसान पार्किंग में पहुंची—
और वहाँ, अंधेरे से रघु बाहर निकला।
**रघु:** "सोचा था, तुझे राख में बदल दिया गया… लेकिन देखो, राख भी कभी-कभी आग बनकर लौट आती है।"
पिया ने तुरंत अपनी जैकेट से पिस्तौल निकाली, लेकिन रघु मुस्कुराया—
**रघु:** "ये खेल बंदूक से नहीं जीता जाएगा, पिया… ये खेल तेरे सबसे क़रीबी को दर्द देकर जीता जाएगा।"
रघु के इस इशारे का मतलब साफ़ था—आदित्य।
पिया के चेहरे का रंग उड़ गया।
वो जानती थी, अगर रघु आदित्य तक पहुंच गया, तो सिर्फ़ उसकी जान ही नहीं, बल्कि उसके सारे राज़ भी खतरे में होंगे।
पिया ने मन ही मन कसम खाई—
*"इस बार, मैं किसी को खोने नहीं दूँगी… चाहे इसके लिए मुझे खुद को ही दांव पर क्यों न लगाना पड़े।"* 47
कमेंट्स
आदित्य ने अपने ऑफिस के दरवाज़े पर एक छोटा, पुराना लिफ़ाफ़ा देखा।
ना कोई नाम, ना कोई पता—बस लाल स्याही से लिखा था, *"खोलो, वरना देर हो जाएगी।"*
उसने लिफ़ाफ़ा खोला।
अंदर एक पुरानी तस्वीर थी—पिया और आदित्य, दो साल पहले की शादी के दिन, लेकिन तस्वीर के पीछे लिखा था:
*"तुम्हें सच में पता है कि वो उस दिन क्यों ग़ायब हुई?"*
साथ में एक यूएसबी ड्राइव थी।
कम्प्यूटर में ड्राइव लगाने पर स्क्रीन काली हुई, और एक धुंधला-सा वीडियो चला।
वीडियो में पिया किसी से बहस कर रही थी—वो शख़्स कैमरे में साफ़ नहीं दिख रहा था, लेकिन उसकी आवाज़ डरावनी थी:
**आवाज़:** "अगर तुमने शादी की, तो तुम्हारे दूल्हे की लाश उसी दिन दिखेगी।"
वीडियो अचानक खत्म हो गया।
आदित्य का चेहरा सख़्त हो गया—
क्या पिया ने उसे बचाने के लिए शादी से ग़ायब होना चुना था?
या ये किसी का नया खेल था, उसे पिया के खिलाफ़ करने के लिए?
दूसरी ओर, पिया को अपने नेटवर्क से पता चला कि कोई आदित्य को भड़काने की कोशिश कर रहा है।
वो टैक्सी लेकर सीधे आदित्य के ऑफिस की तरफ भागी।
बारिश हो रही थी, और हर रेड सिग्नल उसे और बेचैन कर रहा था।
आदित्य ने जैसे ही पिया को ऑफिस के दरवाज़े पर देखा, उसका गुस्सा फट पड़ा।
**आदित्य:** "क्या ये सच है? तुम शादी से इसलिए भागी थीं?"
**पिया:** "आदित्य, वो वीडियो अधूरा है! तुम सच्चाई का आधा हिस्सा देख रहे हो।"
**आदित्य:** "तो पूरा हिस्सा कौन दिखाएगा—तुम या तुम्हारे नए दोस्त?"
पिया ने देखा—रघु पास की बिल्डिंग से ये सब दूरबीन से देख रहा था, होंठों पर खतरनाक मुस्कान के साथ।
पिया को समझ आ गया कि रघु की चाल काम कर रही है—वो आदित्य के भरोसे को तोड़कर उसे अकेला करना चाहता है।
लेकिन पिया जानती थी, अगर वो अब आदित्य को सच नहीं बताती, तो शायद वो हमेशा के लिए उससे दूर हो जाएगा… और रणवीर जीत जाएगा।
रात के करीब 12 बजे, शहर की सड़कों पर सन्नाटा था।
पिया ने आदित्य को एक मैसेज भेजा—
*"तुम्हें सब सच दिखाना है, अभी। जगह: पुराना घाट, गोदाम नंबर 5।"*
आदित्य पहले तो झिझका, लेकिन जिज्ञासा और गुस्सा उसे खींचकर वहाँ ले आए।
गोदाम के अंदर पिया ने एक छोटा प्रोजेक्टर सेट किया हुआ था।
जैसे ही वीडियो चला, स्क्रीन पर वही दृश्य आया जो आदित्य ने पहले देखा था—लेकिन इस बार आगे भी रिकॉर्डिंग थी।
वीडियो में वो रहस्यमयी आवाज़ फिर बोली—
**आवाज़:** "शादी छोड़ो, वरना तुम्हारा दूल्हा मर जाएगा।"
इसके बाद पिया का जवाब आया—
**पिया (वीडियो में):** "अगर तुम्हें आदित्य से दुश्मनी है, तो मुझसे लड़ो… लेकिन मैं उसकी जान खतरे में नहीं डाल सकती।"
वीडियो में फिर रणवीर का चेहरा साफ़ दिखाई दिया—ठंडी मुस्कान के साथ।
आदित्य की आँखों में हैरानी और पछतावा साफ़ झलकने लगा।
**आदित्य:** "तो… तुम मुझे बचाने के लिए गई थीं?"
**पिया:** "हाँ, और अगर तुमने मुझ पर भरोसा किया होता, तो…"
उसकी बात अधूरी रह गई, क्योंकि बाहर से गाड़ियों के ब्रेक की तीखी आवाज़ गूंजी।
गोदाम के दरवाज़े तोड़कर रणवीर के आदमी अंदर घुस आए—हथियारों से लैस।
पिया और आदित्य ने तुरंत पास पड़ी मेज़ के पीछे पोज़िशन ली।
**रणवीर (अंदर आते हुए):** "प्यार की बातें बाद में कर लेना… पहले ये रात तुम्हारी आखिरी बनाते हैं।"
गोलीबारी शुरू हो गई।
पिया ने आदित्य की तरफ एक पिस्तौल फेंकी—
**पिया:** "आज हम या तो साथ मरेंगे… या साथ जीतेंगे।"
और इसी के साथ, गोलियों और चिल्लाहट के बीच, गोदाम की पुरानी खिड़की से कोई तीसरा शख़्स अंदर कूदा—काले कपड़ों में, चेहरा ढका हुआ।
गोदाम की टूटी खिड़की से काले कपड़ों और मास्क पहने एक शख़्स अंदर कूदा।
उसकी चाल तेज़ और एकदम सटीक थी—कुछ ही सेकंड में उसने रणवीर के दो आदमियों को निःशस्त्र कर दिया।
आदित्य और पिया दोनों पलभर के लिए गोलियों से ध्यान हटाकर उसे देखने लगे।
उसकी हर हरकत पिया को अजीब-सी जानी-पहचानी लगी।
रणवीर के लोग अब घबराने लगे थे।
वो रहस्यमयी शख़्स पलक झपकते ही एक-एक करके उन्हें गिरा रहा था—
हथियार खींचना, मुक्का मारना, और छाया की तरह गायब हो जाना।
आदित्य ने मौका देखकर पिया को खींचा—
**आदित्य:** "ये कौन है?"
**पिया (धीमे स्वर में):** "मुझे लगता है… लेकिन ये हो नहीं सकता।"
रणवीर ने एक भारी क्रेट उठाकर उसे पिया की ओर फेंका।
वो सीधे टकराने ही वाला था कि वो काले कपड़ों वाला शख़्स पिया को खींचकर बगल में ले गया।
उसकी पकड़ में वो पुराना अहसास था… वही ताक़त, वही नर्मी, जो पिया ने सिर्फ़ एक इंसान में महसूस की थी—
*विवान*, उसका पहला प्यार… जिसे सबने दो साल पहले मरा हुआ मान लिया था।
गोलीबारी के बीच पिया ने उसकी मास्क को छूने की कोशिश की, लेकिन वो पीछे हट गया।
**रहस्यमयी शख़्स:** "अभी नहीं… यहाँ से निकलो!"
उसने धुएँ का बम फेंका, और चारों तरफ़ धुंध फैल गई।
जब धुआँ साफ़ हुआ—वो जा चुका था।
पिया अब और उलझ गई थी—
अगर ये सच में विवान था, तो वो दो साल कहाँ था?
और अगर वो ज़िंदा है, तो क्या उसने ही रणवीर और रघु के इस खेल की शुरुआत की?
उसने तय कर लिया—अब वो सच्चाई किसी भी हाल में सामने लाकर रहेगी, चाहे इसके लिए उसे अतीत की सबसे दर्दनाक गलियों में क्यों न उतरना पड़े।
अगली सुबह पिया ने अपने पुराने कॉन्टैक्ट्स को एक्टिव किया—
पुलिस में एक दोस्त, मीडिया में एक भरोसेमंद रिपोर्टर, और अंडरग्राउंड हैकर “साया”।
उसने सबको सिर्फ़ एक क्लू दिया—
*"काला मास्क, बेहद तेज़ मूवमेंट, और शायद नाम… विवान।"*
साया ने कुछ घंटों में ही सीसीटीवी फुटेज निकाल लिए—
शहर के अलग-अलग इलाक़ों में वही मास्क वाला शख़्स, लेकिन हर बार कैमरे की तरफ़ पीठ करके गायब हो जाता।
जैसे वो जानबूझकर पकड़े जाने से बच रहा हो… और साथ ही पिया को सुराग़ दे रहा हो।
उधर आदित्य के दिमाग़ में एक नया शक उठ रहा था।
**आदित्य (खुद से):** "क्या ये शख़्स पिया को बचा रहा है… या उसे किसी बड़े जाल में फँसा रहा है?"
उसने बिना पिया को बताए रणवीर के एक आदमी को पकड़वाया, ताकि उससे पूछताछ कर सके।
साया ने पिया को एक लोकेशन भेजी—
पुराने शहर के बाहरी हिस्से में एक छोड़ा हुआ फैक्ट्री एरिया, जहाँ मास्क वाले को आख़िरी बार देखा गया था।
पिया ने तय किया कि वो अकेले जाएगी, ताकि किसी को पता न चले।
रात के 11 बजे, वो फैक्ट्री पहुँची।
अंदर अँधेरा था, लेकिन दीवार पर लाल पेंट से लिखा था—
*"तुम देर से आई हो।"*
जैसे ही पिया पीछे मुड़ी, एक हाथ ने उसके मुँह पर पकड़ बना ली और उसे एक कमरे में खींच लिया।
कमरे में हल्की रोशनी थी—और सामने वही मास्क वाला खड़ा था।
**मास्क वाला:** "मैं तुम्हें ढूँढ रहा था, पिया।"
**पिया (तेज़ धड़कनों के साथ):** "तुम… विवान हो?"
उसने धीरे-धीरे मास्क हटाना शुरू किया—
और तभी फैक्ट्री के बाहर टायरों की चरमराहट सुनाई दी।
पिया का दिल तेज़ी से धड़क रहा था—
क्या वो सच देखने ही वाली थी?
या ये मौका हमेशा के लिए हाथ से निकल जाएगा, क्योंकि बाहर से रणवीर के लोग फैक्ट्री को घेर रहे थे…
कमेंट्स 51
फैक्ट्री के बाहर रणवीर के आदमियों की आवाज़ें करीब आती जा रही थीं।
मास्क वाला पिया की आँखों में सीधे देख रहा था।
धीरे-धीरे उसने मास्क हटाया—
और पिया की सांस थम गई।
पिया (फुसफुसाकर):** "विवान… तुम ज़िंदा हो?"
उसके सामने वही चेहरा था, जिसे उसने अपने हाथों से अग्नि में जाते देखा था।
लेकिन आँखों में अब वो मासूमियत नहीं थी—कुछ और था… दर्द, और एक अजीब-सी दूरी।
**विवान:** "मैं मरा नहीं था, पिया… मुझे मारा गया था।"
**पिया:** "क्या मतलब?"
विवान ने एक गहरी सांस ली—
**विवान:** "दो साल पहले, तुम्हारी शादी के दिन… रणवीर ने मुझे नहीं मारा। उसने मुझे बचाया।"
पिया के लिए ये सुनना बिजली के झटके जैसा था।
**पिया:** "ये कैसे मुमकिन है? रणवीर ने ही तो—"
**विवान (बीच में रोकते हुए):** "रणवीर असली दुश्मन नहीं है… असली खेल किसी और ने रचा था।"
विवान ने बताया कि असली मास्टरमाइंड रघु नहीं… बल्कि आदित्य के अपने परिवार का कोई सदस्य है—
ऐसा इंसान जो आदित्य को खत्म करना चाहता है, और पिया का इस्तेमाल मोहरे की तरह कर रहा है।
**विवान:** "मैंने दो साल अंडरकवर रहकर सच निकाला है। लेकिन अगर मैंने तुम्हें पहले बताया होता, तो तुम्हारी जान चली जाती।"
तभी फैक्ट्री के दरवाज़े पर धमाके की आवाज़ आई—
रणवीर के लोग अंदर घुस रहे थे।
विवान ने पिया का हाथ थामा—
"अब हमारे पास बस एक रास्ता है… भागना। और इस बार, साथ में।"
जैसे ही दोनों पीछे के दरवाज़े से भागने लगे, बाहर से एक और गाड़ी आकर रुकी—
उसमें से आदित्य उतरा… हाथ में पिस्तौल लिए, और नज़रें सीधे विवान पर टिकीं।
फैक्ट्री के पिछवाड़े में हल्का धुआँ फैल चुका था, लेकिन आदित्य की नज़र बिल्कुल साफ़ थी—
वो सीधा विवान की तरफ़ बढ़ा, पिस्तौल की नली उसके सीने पर टिकाते हुए।
**आदित्य (सख़्त आवाज़ में):** "पिया से दूर हटो।"
**विवान:** "अगर मैं हट जाऊँ, तो वो मौत के मुँह में चली जाएगी।"
पिया दोनों के बीच आ गई।
**पिया:** "रुको! तुम दोनों को कुछ पता नहीं है… सच तुम दोनों के सोच से बड़ा है।"
आदित्य के चेहरे पर शक साफ़ था।
*आदित्य:** "पिया, तुम इस पर भरोसा कर रही हो? यही वो है जो तुम्हें शादी के दिन छोड़कर भाग गया था।"
विवान की आवाज़ धीमी लेकिन ठोस थी।
**विवान:** "मैं भागा नहीं था। मुझे अगवा किया गया था… तुम्हारे अपने घर के अंदर से आदेश आया था।"
आदित्य का चेहरा कस गया—
**आदित्य:** "झूठ।"
**विवान:** "नाम सुनना चाहोगे?"
विवान ने वो नाम लिया, और आदित्य का रंग उड़ गया—
क्योंकि वो नाम था *आदित्य के सगे चाचा*, जो परिवार की मिल्कियत और पॉवर हथियाने के लिए ये सब कर रहे थे।
बात पूरी भी नहीं हुई थी कि फैक्ट्री के सामने से गोलियों की बौछार होने लगी।
रणवीर के लोग और पास आ चुके थे।
विवान ने पिया को खींचा—
**विवान:** "अगर हमें सच बाहर लाना है, तो अभी निकलना होगा।"
**आदित्य (हिचकिचाते हुए):** "मैं तुम्हें छोड़ दूँ… ये सोच भी नहीं सकता। लेकिन फिलहाल…"
उसने अपनी पिस्तौल नीचे की, और तीनों धुएँ के बीच से बाहर की तरफ़ भागे।
जैसे ही वो फैक्ट्री से बाहर निकले, सामने एक काली SUV आकर रुकी—
उसके शीशे धीरे-धीरे नीचे हुए… और अंदर बैठा था वही शख़्स जिसने दो साल पहले विवान की “मौत” का आदेश दिया था—
आदित्य का चाचा, मुस्कुराते हुए।
SUV के ब्रेक लगते ही चार नकाबपोश गार्ड्स उतरे और पलक झपकते ही पिया, आदित्य और विवान को पकड़ लिया।
उनके हथियारों की ठंडी नली गर्दन पर लगी थी—
भागना अब नामुमकिन था।
अंदर बैठे आदित्य के चाचा ने कांच नीचे किया, होंठों पर ठंडी मुस्कान थी।
**चाचा:** "आख़िरकार, तीनों मोहरे एक ही जगह… अब खेल आसान हो जाएगा।"
कुछ ही देर में उन्हें एक पुरानी हवेली के अंधेरे तहख़ाने में फेंक दिया गया।
लोहे के दरवाज़े के बाहर दो गार्ड तैनात थे।
पिया ने चारों तरफ़ नज़र दौड़ाई—
जंग लगी ज़ंजीरें, नमी भरी दीवारें, और कोनों में टिमटिमाते बल्ब।
विवान ने धीरे से पिया की कलाई पकड़ी—
**विवान (फुसफुसाकर):** "डरना मत। मैंने यहाँ से पहले भी भागने का रास्ता देखा है।"
आदित्य ने शक भरी नज़र से दोनों को देखा, लेकिन कुछ बोला नहीं।
कुछ देर बाद, चाचा खुद अंदर आए—
हाथ में पुराना फोटो-ऐल्बम और एक लाल फाइल थी।
**चाचा:** "पिया, तुम्हारे पास एक ही मौका है।"
**पिया:** "क्या मतलब?"
**चाचा:** "तुम मेरी शादी करवा दो आदित्य से, फिर ये दोनों—" (उसने विवान की तरफ़ इशारा किया) "—हमेशा के लिए ग़ायब हो जाएंगे। और तुम्हें तुम्हारी ज़िंदगी और सलामती मिल जाएगी।"
पिया का दिल जोर से धड़कने लगा।
ये सिर्फ़ ब्लैकमेल नहीं था… ये उसकी आत्मा को तोड़ने की कोशिश थी।
विवान ने गुस्से में ज़ंजीर खींची।
**विवान:** "तुम्हें लगता है ये डरकर मान जाएगी?"
चाचा हंसा—
**चाचा:** "प्यार और डर… दोनों का खेल खेलना आता है मुझे।"
पिया की आँखों में आँसू थे, लेकिन चेहरे पर एक अजीब-सी ठान ली हुई शांति।
उसने धीमे से कहा— "ठीक है… मैं सोचूँगी।"
लेकिन अंदर ही अंदर उसने कसम खाई थी—
ये सोचने का वक़्त नहीं, **वार करने का वक़्त** आ गया है।
तहख़ाने में रात लंबी थी।
पिया को बाहर से गार्ड्स की धीमी बातचीत और बीच-बीच में आती जंजीरों की खनक साफ़ सुनाई दे रही थी।
वो एक कोने में बैठी दिख रही थी जैसे डर से टूट चुकी हो… लेकिन अंदर ही अंदर हर सेकंड उसका दिमाग़ चालें बुन रहा था।
विवान ने पास आकर धीमे स्वर में कहा—
**विवान:** "अगर हम दोनों गार्ड्स को एक साथ गिरा दें, तो शायद निकल सकते हैं।"
पिया ने हल्की मुस्कान दी—
**पिया:** "हम दोनों नहीं… तीनों।"
आदित्य ने चौंककर उसकी तरफ़ देखा।
**आदित्य:** "तुम मुझे भी भरोसे में ले रही हो?"
**पिया:** "भरोसा नहीं… मौका। अभी हमारे पास और कोई चारा नहीं।"
पिया ने दिन में ही देखा था कि एक गार्ड कमर में चाबी टाँगे रहता है।
प्लान ये था—
वो अपने गिरने का नाटक करेगी, गार्ड पास आएगा, और तभी आदित्य उसे पकड़कर नीचे गिरा देगा।
विवान दूसरी तरफ़ वाले गार्ड पर वार करेगा।
रात के करीब 2 बजे, पिया ने अचानक ज़ोर से खाँसना शुरू किया और जमीन पर गिर गई।
गार्ड्स घबरा गए—
एक अंदर दौड़ा, दूसरा दरवाज़े पर ही सतर्क खड़ा रहा।
जैसे ही पहला गार्ड झुका, आदित्य ने उसकी गर्दन पकड़कर दीवार से दे मारी।
विवान ने एक छलाँग में दरवाज़े पर खड़े गार्ड को गिरा दिया और उसका हथियार छीन लिया।
चाबी मिलते ही दरवाज़ा खुला—
तीनों ने धीरे-धीरे तहख़ाने से बाहर कदम रखा।
बाहर का गलियारा अंधेरे में डूबा था… लेकिन अचानक एक आकृति सामने आई—
काले कोट, सफ़ेद दस्ताने और चेहरे पर आधा मास्क पहने।
उसकी आवाज़ ठंडी थी—
**रहस्यमयी शख़्स:** "गलत चाल चल दी तुम लोगों ने… अब खेल मेरे हाथ में है।"
पिया, आदित्य और विवान ने एक साथ उसकी तरफ़ देखा—
और अगला ही पल उन्होंने महसूस किया कि ये सिर्फ़ चाचा का आदमी नहीं था…
ये कोई ऐसा था जिसे तीनों ने अलग-अलग अपनी ज़िंदगी में कभी देखा था—लेकिन कभी पहचाना नहीं। 55
कॉमेंट्स
गलियारे में अंधेरा और सन्नाटा फैला था।
नकाबपोश शख़्स धीरे-धीरे उनकी तरफ़ बढ़ रहा था, उसकी जूतों की आवाज़ हर कदम के साथ और डरावनी हो रही थी।
पिया ने धीमे स्वर में फुसफुसाया—
"ये… ये आवाज़… कहीं मैंने पहले नहीं सुनी?"
विवान ने आँखें सिकोड़ दीं, जैसे दिमाग़ में कोई पुराना चेहरा उभर रहा हो।
आदित्य ने हाथ में हथियार कसकर पकड़ा।
नकाबपोश कुछ ही कदम दूर रुका और हाथ बढ़ाकर अपना मास्क उतारा।
तीनों के चेहरों का रंग उड़ गया—
वो था **राघव**, पिया का बचपन का दोस्त, जो सालों पहले एक हादसे में मरा मान लिया गया था।
**राघव (मुस्कुराते हुए):** "मरा नहीं था, पिया… बस गायब हो गया था। तुम्हारे ‘प्यारे’ आदित्य के चाचा ने मुझे बचाया… और बनाया अपना सबसे वफ़ादार खिलाड़ी।"
विवान ने हैरानी से कहा—
**विवान:** "लेकिन तुमने हमारे खिलाफ़ क्यों?"
**राघव:** "क्योंकि जब मुझे तुम्हारी ज़रूरत थी, तुम सब ने मुझे अकेला छोड़ दिया। अब मेरी बारी है।"
पिया की आँखें भर आईं—
**पिया:** "राघव, तुम समझ नहीं रहे… हमने तुम्हें कभी नहीं छोड़ा था। हमें लगा… तुम मर चुके हो।"
राघव ने हाथ में छुरी घुमाई और ठंडी आवाज़ में कहा—
**राघव:** "पिया, एक सौदा करते हैं—तुम मेरे साथ चलो, और मैं तुम्हारे इन दोनों ‘हीरोज़’ की जान बख़्श दूँगा।"
विवान और आदित्य एक साथ बोले—
**विवान:** "तुम पिया को छू भी नहीं सकते।"
**आदित्य:** "उस तक पहुँचने के लिए तुम्हें मुझसे होकर गुजरना होगा।"
राघव हंसा—
**राघव:** "तो फिर… मौत के खेल के लिए तैयार हो जाओ।"
गलियारे के अंत में तेज़ रोशनी चमकी, और चारों तरफ़ से हथियारबंद लोग घेरने लगे।
पिया समझ गई—
अब ये सिर्फ़ भागने की लड़ाई नहीं…
ये ज़िंदगी और वफ़ादारी की असली परीक्षा है।
गलियारे में चारों तरफ़ हथियारबंद लोग खड़े थे।
राघव बीच में खड़ा था, जैसे शेर अपने शिकार को घेर चुका हो।
पिया, विवान और आदित्य पीठ-से-पीठ टिका कर खड़े थे—
तीनों के चेहरे पर अलग-अलग जज़्बात थे—ग़ुस्सा, डर और… एक अजीब-सी उम्मीद।
**राघव:** "समझ लो, बचने का कोई रास्ता नहीं।"
**आदित्य:** "तुम हमें मार सकते हो, लेकिन हम झुकेंगे नहीं।"
**विवान:** "और पिया… वो तेरे साथ कभी नहीं जाएगी।"
राघव की आँखों में ग़ुस्से की लपटें भड़क उठीं।
उसने हाथ का इशारा किया—गार्ड्स ने गोलियाँ चलानी शुरू कीं।
आदित्य ने तुरंत पिया को पीछे खींचा और पास की लोहे की प्लेट को ढाल बना लिया।
विवान ने एक गार्ड की बंदूक छीनकर सामने वालों पर फायरिंग शुरू कर दी।
गोलियों की आवाज़ पूरे तहख़ाने में गूंज रही थी।
एक गार्ड ने पीछे से पिया को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन पिया ने अपनी एड़ी उसके पैर पर ज़ोर से मार दी और उसकी कमर से चाकू खींच लिया।
राघव अब तक खामोश खड़ा देख रहा था, लेकिन फिर उसने जेब से एक छोटा-सा रिमोट निकाला।
**राघव:** "ये जगह… बारूद से भरी हुई है। एक बटन, और सब ख़त्म।"
पिया का दिल धड़क उठा—
**पिया:** "राघव, पागल मत बनो! तुम भी मर जाओगे!"
**राघव (ठंडी हँसी):** "अगर मैं नहीं रह सकता, तो तुम भी नहीं रहोगी।"
उसी वक़्त, ऊपर से एक तेज़ धमाका हुआ और छत का एक हिस्सा टूट गया—
धूल के बीच से एक रस्सी नीचे गिरी, और ऊपर से एक महिला की आवाज़ आई—
**आवाज़:** "पिया! जल्दी ऊपर आओ!"
पिया ने पहचान लिया—ये **रिया** थी, उसकी पुरानी दोस्त और इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट, जो महीनों से इस केस की जाँच कर रही थी।
विवान ने पिया को ऊपर चढ़ाया, फिर आदित्य खुद रस्सी पकड़कर ऊपर चढ़ने लगा।
लेकिन राघव ने गोलियाँ चलाईं—एक गोली आदित्य के कंधे में लगी, और वो रस्सी से झूलते हुए लटक गया।
नीचे राघव ने मुस्कुराते हुए रिमोट की बटन दबा दी।
पिया और विवान चीख पड़े—
और फिर… पूरे तहख़ाने में एक तेज़ धमाका हुआ।
तेज़ विस्फोट के बाद सब कुछ धुएँ और मलबे में बदल गया।
दीवारें गिर रहीं थीं, लोहे की बीमें चिंगारियों के साथ टकरा रही थीं।
पिया की आँखों में सिर्फ़ एक ही तस्वीर थी—रस्सी से झूलते आदित्य की, और नीचे राघव का ठंडा चेहरा।
ऊपर खड़ी रिया ने पूरी ताक़त से पिया और विवान को खींच लिया, लेकिन आदित्य…
वो नीचे गिर चुका था, मलबे और आग के बीच।
**पिया (चीखते हुए):** "आदित्य!!!"
**रिया:** "अभी रुकना नामुमकिन है, चलो!"
रिया ने पिया को बाहर खींचा, और तीनों ने तेज़ी से हवेली से बाहर भागना शुरू किया।
पीछे धमाके की गूंज अब भी सुनाई दे रही थी, लेकिन किसी इंसानी चीख का सुर नहीं था।
बाहर आते ही रिया ने गहरी सांस ली—
**रिया:** "अगर हम रुकते, तो सब मर जाते।"
पिया ने आँखों में आँसू भरकर कहा—
**पिया:** "नहीं… वो ज़िंदा है। मुझे महसूस हो रहा है।"
विवान ने कुछ बोलना चाहा, लेकिन तभी उसकी नज़र दूर जंगल की तरफ़ पड़ी—
जली हुई हवेली के पीछे एक परछाईं धीरे-धीरे चल रही थी…
लंगड़ाती हुई… और उसके हाथ में वही छोटा रिमोट था।
वो राघव था—ज़ख़्मी, लेकिन ज़िंदा।
उसने रिमोट को जेब में रखा और धीमे स्वर में कहा—
**राघव:** "अगला खेल… अब शहर में होगा। और इस बार, कोई नहीं बचेगा।"
पिया ने दूर से उसकी परछाईं देखी और दिल में ठान लिया—
अब ये सिर्फ़ अपनी जान बचाने की लड़ाई नहीं, बल्कि आदित्य को ढूंढकर राघव को खत्म करने का मिशन है।
पिया अपने छोटे से किराए के कमरे में बैठी थी।
बार-बार उसे धमाके की गूंज और आदित्य की चीख सुनाई दे रही थी।
वो बिस्तर पर करवटें बदल रही थी, तभी दरवाज़े पर हल्की-सी दस्तक हुई।
**पिया (चौंककर):** "इतनी रात को… कौन हो सकता है?"
वो धीरे-धीरे उठी, दरवाज़ा खोला—
बाहर कोई नहीं था।
बस फ़र्श पर एक पुराना, मुड़ा-तुड़ा लिफ़ाफ़ा पड़ा था।
पिया ने लिफ़ाफ़ा खोला।
अंदर एक कागज़ और एक खून से दाग़ा हुआ कपड़े का टुकड़ा था।
कागज़ पर सिर्फ़ कुछ शब्द लिखे थे—
*"मैं ज़िंदा हूँ।
लेकिन वक़्त कम है।
मुझे ढूंढो…
वहीं, जहाँ पहली बार हमारी नज़रें मिली थीं।"*
पिया के हाथ कांप गए—ये आदित्य की लिखावट थी।
पिया का दिमाग़ तुरंत पीछे चला गया—दो साल पहले, कॉलेज के एक आर्ट फेस्ट में, भीड़ के बीच आदित्य ने पहली बार उसे देखा था।
उस जगह का मतलब था—**पुराना थिएटर हॉल**, जो अब बंद और वीरान पड़ा था।
विवान ने चिट्ठी देखी और भौंहें चढ़ा लीं—
*विवान:** "ये फंदा भी हो सकता है। राघव हमें वहीं खत्म करना चाहता हो।"
**पिया:** "चाहे फंदा हो या सच… मैं जाऊँगी।"
रात के ठीक 12 बजे, पिया अकेली थिएटर हॉल पहुँची।
जगह धूल और जालों से भरी थी, लेकिन स्टेज के बीच में एक टिमटिमाती लालटेन रखी थी।
लालटेन के नीचे एक पुराना ट्रंक रखा था…
पिया ने ट्रंक खोला—
अंदर आदित्य की घड़ी, उसका फोन… और एक वीडियो रिकॉर्डर था।
पिया ने वीडियो प्ले किया—
स्क्रीन पर आदित्य का चेहरा था, ज़ख़्मी और थका हुआ।
**आदित्य (धीरे-धीरे बोलते हुए):** "पिया… अगर तुम ये देख रही हो… तो इसका मतलब मैं अब भी भाग रहा हूँ। राघव सिर्फ़ तुम्हें नहीं, पूरे शहर को निशाना बना रहा है। उसे रोकने का एक ही तरीका है—उसकी ‘ब्लैक लिस्ट’ ढूंढना… जो उसने कहीं छुपाई है।"
वीडियो अचानक कट गया।
पिया के कानों में एक और आवाज़ आई—
स्टेज के पीछे किसी के कदमों की आहट…
कमेंट्स 59
पिया ने वीडियो प्लेयर को धीरे से बंद किया और अपनी सांस रोकी।
कदमों की आहट पास आ रही थी—धीमी, लेकिन भारी, जैसे कोई बहुत सावधानी से आगे बढ़ रहा हो।
उसने पास पड़ी एक टूटी लकड़ी उठाई, हथियार की तरह पकड़ी, और स्टेज के किनारे खड़ी हो गई।
अचानक पीछे से एक हाथ आया और उसने पिया के मुँह पर हथेली रख दी।
**अनजान आवाज़:** "शांत… मैं तुम्हारी मदद करने आया हूँ।"
पिया ने छूटने की कोशिश की, लेकिन जब उसने अंधेरे में उस शख़्स का चेहरा देखा—
उसका दिल रुक-सा गया।
ये **अरमान** था—आदित्य का बचपन का दोस्त, जो शादी से ठीक एक हफ़्ते पहले रहस्यमयी तरीके से गायब हो गया था, और सबको लगा था कि वो भी राघव के हाथों मारा गया।
**पिया (हैरान):** "अरमान?! तुम… ज़िंदा हो?"
**अरमान:** "ज़िंदा… लेकिन छुपा हुआ। अगर मैं सामने आता, तो राघव मुझे भी खत्म कर देता।"
अरमान ने जेब से एक पुरानी चाभी निकाली—
**अरमान:** "ये उस ‘ब्लैक लिस्ट’ का ताला खोलती है, जिसका जिक्र आदित्य ने किया। लेकिन इसे पाने के लिए हमें शहर से बाहर, पुरानी शुगर फैक्ट्री जाना होगा।"
पिया को आदित्य के शब्द याद आए—
*"राघव सिर्फ़ तुम्हें नहीं, पूरे शहर को निशाना बना रहा है…"*
तभी बाहर से टायरों की चरमराहट सुनाई दी—काली SUV’s थिएटर हॉल के बाहर आकर रुकीं।
अरमान ने पिया का हाथ पकड़ा—
**अरमान:** "समय नहीं है। अगर उन्होंने हमें देख लिया, तो हम दोनों के लिए खेल खत्म।"
दोनों पीछे के गुप्त दरवाज़े से निकलने लगे, लेकिन पिया ने एक आखिरी बार स्टेज की तरफ़ देखा—
लालटेन बुझ चुकी थी… और अंधेरे में कोई धीमी हँसी गूंज रही थी।
पिया और अरमान पीछे के दरवाज़े से निकलकर सुनसान गली में भागे।
काली SUVs का इंजन गरज रहा था, और उसमें बैठे लोग टॉर्च और हथियार लेकर चारों तरफ़ फैलने लगे।
अरमान ने पिया को पास खड़ी एक टूटी-फूटी बाइक पर बैठाया—
**अरमान:** "पकड़कर बैठो… और पीछे मुड़कर मत देखना।"
बाइक धूल उड़ाती हुई अंधेरी सड़कों से निकल गई।
करीब 40 मिनट बाद, दोनों शहर से बाहर, एक पुरानी और जर्जर शुगर फैक्ट्री पहुँचे।
चारों तरफ़ जंग लगे पाइप, टूटी खिड़कियाँ और हवा में उड़ती धूल…
लेकिन अंदर गहरी खामोशी थी—इतनी कि दिल की धड़कन भी साफ़ सुनाई दे।
**पिया:** "ये जगह… डरावनी है।"
**अरमान:** "डर ही हमारी ढाल है। यहाँ राघव के लोग आसानी से नहीं आएँगे।"
अरमान ने फैक्ट्री के अंदर एक पुराने स्टोररूम का ताला खोला।
अंदर लोहे का बड़ा सा लॉकर था।
चाभी घुमाते ही लॉकर खुला—और उसमें से फाइलों के ढेर और एक छोटा डिजिटल हार्ड-ड्राइव निकला।
फाइलों में राघव के सारे बिज़नेस, हथियारों की सप्लाई और उसके खास गुर्गों के नाम थे।
लेकिन सबसे चौंकाने वाली चीज़ थी—एक फोटो।
फोटो में आदित्य था—ज़िंदा, लेकिन हथकड़ी में, और पीछे एक जगह जो साफ़-साफ़ एक अंडरग्राउंड बंकर जैसी लग रही थी।
पीछे दीवार पर एक नंबर लिखा था—**17-B**।
**पिया (आँखों में चमक):** "ये… यही है उसका ठिकाना।"
**अरमान:** "और अगर हमें वहाँ पहुँचना है, तो राघव को धोखा देना होगा।"
पिया और अरमान फाइलें समेट ही रहे थे कि अचानक फैक्ट्री के बाहर गोलियों की आवाज़ गूँज उठी।
खिड़की से झाँककर देखा—काली SUVs ने फैक्ट्री को घेर लिया था।
**राघव की आवाज़ (मेगाफोन पर):** "पिया… चाबी और फाइल बाहर फेंक दो, वरना इस फैक्ट्री को तुम्हारी कब्र बना दूँगा!"
पिया ने अरमान की ओर देखा—
अब या तो भागकर सब कुछ बचाया जा सकता था, या लड़कर सब खत्म हो सकता था।
चारों तरफ़ गोलियों की तड़तड़ाहट गूंज रही थी।
पुरानी शुगर फैक्ट्री की दीवारों से धूल झड़ रही थी, और हवा में बारूद की गंध घुल चुकी थी।
पिया ने फाइलों और हार्ड-ड्राइव को अपने बैग में ठूंस लिया, जबकि अरमान टूटी खिड़की के पास जाकर झाँकने लगा।
**अरमान (धीरे से):** "कम से कम दस आदमी हैं… और सबके पास ऑटोमैटिक गन।"
**पिया:** "तो? हम हाथ पर हाथ रखकर इंतज़ार नहीं कर सकते।"
गोलियों की बारिश अचानक थम गई।
बाहर सन्नाटा फैल गया—फिर भारी कदमों की आवाज़ फैक्ट्री के अंदर गूंजने लगी।
धुएँ के बीच से **राघव** अंदर आया, काले कोट में, चेहरे पर हल्की-सी मुस्कान और हाथ में पिस्तौल।
**राघव:** "पिया… तुमने सोचा था मुझसे भाग पाओगी? और तुम…" (अरमान की तरफ़ देखते हुए)
**राघव (हँसते हुए):** "कुत्ते की तरह छुपा था, अब खुद चलकर मौत के मुँह आया है।"
पिया ने एक कदम आगे बढ़कर उसकी आँखों में देखा—
**पिया:** "मौत तो तुम्हारे पीछे है, राघव। और आज मैं उसे तुम्हारे पास भेज दूँगी।"
राघव हँसा—
**राघव:** "दिलचस्प… लेकिन तुम्हारे पास हथियार नहीं है।"
पिया ने बैग से छुपा हुआ पिस्टल निकाला, जो उसे अरमान ने रास्ते में दिया था।
**पिया:** "अब है।"
पल भर में फैक्ट्री में गोलियाँ गूंज उठीं।
अरमान ने खिड़की से दो गुर्गों को ढेर किया, पिया ने लोहे के शेल्फ के पीछे छुपकर राघव पर निशाना साधा।
राघव ने चतुराई से कवर लिया, और उसके लोग धीरे-धीरे अंदर घुसने लगे।
अचानक एक गोली पिया के कंधे को छूते हुए निकल गई—वो दर्द से चीख पड़ी, लेकिन हथियार हाथ से नहीं छोड़ा।
लड़ाई के बीच, राघव ने एक ग्रेनेड निकाला और उनकी तरफ़ फेंक दिया।
अरमान ने बिजली की तेज़ी से पिया को पकड़कर साइड में धकेला—धमाका हुआ, मलबा और धुआँ चारों तरफ़ फैल गया।
जब धुआँ छँटा… पिया ने देखा, अरमान ज़मीन पर गिरा था, और राघव उसके बैग को लेकर फैक्ट्री के पीछे वाले दरवाज़े से भाग रहा था।
**पिया (चीखते हुए):** "राघव!!!"
रात, बारिश और पीछा
बारिश मूसलाधार हो रही थी।
पिया का कंधा खून से भीग चुका था, लेकिन उसकी आँखों में सिर्फ़ एक ही लक्ष्य था—राघव।
वो गली-गली भागती रही, कीचड़ में पैर फिसलते, सांसें टूटतीं, मगर कदम नहीं रुके।
सामने पुराना रेलवे यार्ड था—जहाँ ट्रेनों के कबाड़ पड़े थे, और बीच में एक अंडरग्राउंड एंट्री जैसी जगह दिख रही थी।
राघव वहीं गायब हुआ था।
पिया ने अपनी टॉर्च ऑन की और अंदर झांका।
जमीन में लोहे की सीढ़ियां नीचे उतर रही थीं—नीचे से हल्की मशीनों की आवाज़ आ रही थी।
वो सावधानी से नीचे गई, हर कदम पर उसकी सांसें तेज़ होती जा रही थीं।
नीचे पहुंचते ही उसने देखा—एक बड़ा कमरा, कंप्यूटर स्क्रीनें, और कैमरों का नेटवर्क।
राघव वहीं था, फाइलें स्कैन कर रहा था।
राघव: “तुम्हें मर जाना चाहिए था उस फैक्ट्री में।”
पिया: “शायद किस्मत को ये मंज़ूर नहीं था।”
पिया ने निशाना साधा—
लेकिन तभी पीछे से किसी ने उसकी कलाई पकड़ ली।
वो मुड़ी—और उसके सामने एक मुखौटा पहने शख़्स खड़ा था।
कद, चाल और अंदाज़ सब कुछ जाना-पहचाना लग रहा था।
मुखौटा हटते ही पिया के हाथ से बंदूक गिर गई।
पिया (सदमे में): “आ… आदित्य?”
वो ज़िंदा था।
चेहरा हल्का घायल, आँखों में ठंडापन, और होंठों पर अजनबी सी मुस्कान।
आदित्य: “इतने साल बाद तुमसे मिलकर अच्छा लगा, पिया।”
पिया: “राघव ने तुम्हें… बंदी बनाया था, है ना?”
आदित्य (धीरे से): “नहीं पिया… मैं उसके साथ था।”
सन्नाटा टूट गया
राघव ने हँसते हुए कहा—
राघव: “अब तुम समझी? जो खेल दो साल पहले शुरू हुआ था, उसमें मोहरा तुम थी।”
पिया का सिर घूम गया।
वो पीछे हटने लगी—दिल में यादों का सैलाब और आंखों में टूटती उम्मीदें।
पिया: “तुम… मेरे साथ ये सब क्यों?”
आदित्य: “क्योंकि तुम ही वो चाबी हो, जिससे ये खेल खत्म होगा।”
उसके शब्दों के साथ ही कमरे की लाइट्स बुझ गईं—और अंधेरे में बस गोलियों की आवाज़ गूँज उठी। 63
कमेंट्स
कमरा एक पल में अंधेरे में डूब गया।
लाइट्स बंद होते ही गोलियों की आवाज़ गूंजी—धांय! धांय! धांय!
कांच टूटे, मशीनें चिंगारियाँ छोड़ने लगीं, और धुआँ पूरे बंकर में भर गया।
पिया ने दीवार के सहारे खुद को संभाला।
कंधे का घाव फिर से खुल गया था, लेकिन अब दर्द से ज़्यादा सवाल उसके भीतर जल रहे थे—
“आदित्य ज़िंदा है… और राघव के साथ?”
सच का टकराव
धुएँ के बीच से आवाज़ आई—
आदित्य: “हथियार नीचे रख दो, पिया।”
पिया ने आवाज़ की दिशा में टॉर्च घुमाई—
और देखा, आदित्य का निशाना उसी पर था।
उसकी आँखों में कोई पहचान नहीं थी, बस ठंडापन, जैसे वो कभी उसका था ही नहीं।
पिया (गुस्से से): “मैंने तुम्हारे लिए सब छोड़ा था! और तुमने मुझे एक खेल बना दिया?”
आदित्य (धीरे से): “प्यार एक कमजोरी है, पिया। और राघव ने मुझे सिखाया कि भावनाएँ सबसे बड़ा जाल होती हैं।”
राघव की चाल
राघव ने मुस्कुराकर दोनों को देखा—
राघव: “अब बहुत हो गया। तुम दोनों ने जो खेल शुरू किया, अब मैं खत्म करता हूँ।”
वो फाइलें और हार्ड ड्राइव उठाने ही वाला था कि
पिया ने एक तेज़ झटका देकर अपने बैग से फ्लैश ग्रेनेड निकाला और ज़मीन पर फेंक दिया।
एक पल में पूरी जगह रोशनी और धमाके से भर गई।
राघव पीछे गिर पड़ा, आदित्य ने आँखें ढक लीं—और पिया ने मौका पाकर दीवार की दरार में छिपा दरवाज़ा खोल दिया।
भागना या सामना?
वो सीढ़ियों से ऊपर भागी।
बारिश अब भी ज़ोरों से हो रही थी।
पीछे से आदित्य की आवाज़ गूंजी— आदित्य: “तुम चाहो तो भाग जाओ, लेकिन सच्चाई तुमसे नहीं बचेगी, पिया।
पिया रुकी, पल भर के लिए पीछे देखा—
आँखों में आँसू थे, लेकिन अब डर नहीं था।
पिया: “सच्चाई से नहीं, आदित्य… अब मैं लड़ूंगी।”
वो अंधेरे में गुम हो गई।
नीचे, धुएँ में राघव ने मुश्किल से सिर उठाया।
उसकी हथेली में गोली लगी थी, और वो मुस्कुरा रहा था। राघव: “अब खेल और मज़ेदार होगा…”
कमरे के कोने में एक कैमरा अब भी चालू था—
और उसकी स्क्रीन पर साफ़ दिखा:
“PROJECT: PIYA – STAGE TWO ACTIVATED”
सुबह का धुंधलका
बारिश थम चुकी थी।
शहर की सड़कें भीगी हुई थीं, लेकिन पिया की आँखों में अब भी तूफ़ान था।
वो एक पुराने बस स्टॉप के पास बैठी थी—कपड़े खून और मिट्टी से सने हुए, कंधे पर पट्टी बांधी हुई, और बैग में वो आखिरी फ्लैश ड्राइव जो सबूतों से भरी थी।
उसके मोबाइल में एक नया मैसेज ब्लिंक हुआ—
> अज्ञात नंबर: “अगर ज़िंदा रहना चाहती हो, तो ‘Project Piya’ की सच्चाई जानो। 17B सिर्फ़ शुरुआत थी।”
पिया ने शहर के नक्शे पर 17B के आसपास की लोकेशनें ढूंढीं।
एक पुराना बायोटेक रिसर्च सेंटर दिखा — जो तीन साल पहले “फंड की कमी” के कारण बंद घोषित हुआ था।
लेकिन किसी सरकारी रिकॉर्ड में उसका लाइसेंस अब भी एक्टिव था।
> पिया (धीरे से खुद से): “तो खेल सिर्फ़ बदला या प्यार नहीं है… इसके पीछे कुछ और बड़ा है।”
रिसर्च सेंटर का रहस्य
अगली शाम, पिया उसी सेंटर पहुँची।
चारों तरफ़ जंग लगे गेट, सूखे पत्तों की सरसराहट, और अंदर झिलमिलाती पुरानी लाइटें।
वो अंदर गई — और हॉल में सैकड़ों फाइलें, लैब टेबल्स और सीरिंज पड़ी थीं।
दीवार पर बड़े अक्षरों में लिखा था:
“PROJECT: PIYA — HUMAN MEMORY TRANSFER PROGRAM”
जैसे-जैसे उसने फाइलें पढ़ीं, उसके हाथ काँपने लगे।
> “सब्जेक्ट 07: Piya Malhotra — Perfect Neural Pattern. Primary Donor: A.D. (Aditya Deshmukh).”
पिया की साँसें थम गईं।
यानी वो खुद — एक प्रोजेक्ट थी!
उसकी यादें, उसका प्यार, उसका अतीत — किसी प्रयोग का हिस्सा!
भयावह सच्चाई का अंश
कमरे के एक कोने में उसे एक रिकॉर्डिंग डिवाइस मिली।
उसने प्ले किया — और स्क्रीन पर वही चेहरा उभरा जिसे वो कभी प्यार करती थी।
> आदित्य (रिकॉर्डिंग में):
“अगर तुम ये वीडियो देख रही हो, पिया… तो इसका मतलब है प्रयोग असफल नहीं हुआ।
तुम्हारे दिमाग में वो चिप है — जो पूरी दुनिया के न्यूरल डेटा को नियंत्रित कर सकती है।
और अब… हर कोई तुम्हें चाहता है। राघव भी, मैं भी।”
पिया की आँखें ठंडी पड़ गईं।
अब वो सिर्फ़ एक प्रेमिका नहीं थी — वो एक हथियार थी।
और अब उसे अपने लिए नहीं, बल्कि अपने अस्तित्व की सच्चाई के लिए लड़ना था।
> पिया (धीरे से): “अगर मैं एक प्रोजेक्ट हूँ… तो अब ये प्रोजेक्ट मेरे नियमों पर चलेगा।”
रात का सन्नाटा
रात के दो बज रहे थे।
बायोटेक सेंटर की छत पर खड़ी पिया शहर की तरफ़ देख रही थी — चारों ओर टिमटिमाती लाइटें और बीच में उसकी ज़िंदगी का सबसे अंधेरा सच।
उसकी हथेली में एक छोटी सी मेटल चिप थी, जो उसकी अपनी नसों से जुड़ी हुई थी।
आदित्य की रिकॉर्डिंग में कहा गया था — “यह चिप तुम्हारे न्यूरल सिस्टम का हिस्सा है।”
मतलब — यह सिर्फ़ मशीन नहीं, उसके दिमाग़ का विस्तार थी।
पिया (धीरे से): “तो खेल अब मशीनों का नहीं… मेरे मन का होगा।”
कनेक्शन एक्टिवेशन
उसने पास रखे लैपटॉप से एक पुराने सर्वर को ऑन किया।
स्क्रीन पर कोड्स दौड़ने लगे —
NEURAL LINK: ESTABLISHED
ACCESSING MEMORY ROUTES...
जैसे-जैसे कोड्स आगे बढ़े, उसकी आँखों में चमक आने लगी…
और फिर अचानक — उसके दिमाग़ में अजीब-सी आवाज़ें गूंजने लगीं!
“Piya… turn back.”
“Don’t do this.”
“We are one.”
वो तीन आवाज़ें थीं —
राघव, आदित्य, और… उसका दूसरा स्वर — एक कृत्रिम चेतना, जो उसी की कॉपी थी!
वर्चुअल माइंडस्पेस
एक झटके में पिया की चेतना अंधेरे डिजिटल स्पेस में खिंच गई।
चारों तरफ़ चमकते हुए कोड, नीली लहरें, और बीच में दो आकृतियाँ —
आदित्य और राघव।
आदित्य: “स्वागत है, सब्जेक्ट 07।”
पिया: “अब मैं सब्जेक्ट नहीं, तुम्हारा अंत हूँ।”
राघव (हँसते हुए): “तुम समझती हो तुम सिस्टम पर काबू पा सकती हो?”
पिया ने अपनी हथेली खोली —
और उसके चारों ओर डिजिटल लाइट्स घूमने लगीं।
वो अब सिस्टम को अपने विचारों से नियंत्रित कर रही थी।
सिस्टम क्रैश
राघव ने फायरवॉल बढ़ाया, आदित्य ने कोड्स लॉक करने की कोशिश की —
लेकिन पिया ने सब कुछ ओवरराइड कर दिया।
अचानक उनकी छवियाँ डगमगाने लगीं, सर्वर की स्क्रीनें झिलमिलाईं।
पिया (कड़क आवाज़ में): “तुम दोनों ने मेरी यादों से खेला… अब मैं तुम्हारी दुनिया मिटा दूँगी।”
SYSTEM CORE: OVERLOAD
WARNING — DATA PURGE INITIATED
स्क्रीन पर बस एक शब्द चमका —
“PROJECT TERMINATED.”
वास्तविक दुनिया में
लैब के अंदर बिजली का झटका फैला।
पिया ज़मीन पर गिरी हुई थी, सांसें तेज़, और आँखें खुली।
सर्वर रूम धुएँ से भर चुका था।
लेकिन उसके चेहरे पर अब एक शांति थी — जैसे किसी ने भीतर की जंजीरें तोड़ दी हों।
पिया (धीरे से): “अब मैं सिर्फ़ पिया नहीं… मैं अपनी खुद की रचना हूँ।” 66
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