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TRUE LOVE ❣️

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कभी-कभी प्यार इबादत नहीं होता… वो एक *गुनाह* बन जाता है — ऐसा गुनाह जो इंसान से उसकी रूह तक छीन लेता है। **वीर रणावत**, अंडरवर्ल्ड का सबसे ख़तरनाक नाम। एक ऐसा आदमी जिसने अपनी ज़िंदगी में हर चीज़ का सौदा किया — खून का, हथियारों का...

Total Chapters (8)

Page 1 of 1

  • 1. TRUE LOVE ❣️ - Chapter 1

    Words: 2271

    Estimated Reading Time: 14 min

    वो शाम जब नज़रें फिर मिलीं

    मुंबई की शाम थी — धूप अपनी आख़िरी साँसें ले रही थी और आसमान पर धुएँ की पतली परत तैर रही थी।
    शहर की इमारतें उस धुंध में किसी पुराने किस्से की तरह गुम हो रही थीं।
    सड़क किनारे गाड़ियों की लाइटें झिलमिला रही थीं, और अरब सागर की ठंडी हवा हर चेहरे को छूती हुई गुज़र रही थी।

    वीर रणावत अपनी काली SUV में बैठा था, उसकी नज़रें दूर एक बिल्डिंग पर टिक गई थीं —
    वहीं पार्टी हो रही थी जहाँ आज मुंबई की बड़ी-बड़ी हस्तियाँ आई थीं।
    उसकी आँखों में सिगरेट की लाल चमक झिलमिला रही थी,
    और होंठों से बस इतना निकला —

    > “सौदा तो आज का है… पर खेल पुराना।”

    बॉडीगार्ड ने झुककर कहा, “साब, अंदर जाना सेफ़ रहेगा?”
    वीर ने बिना देखे कहा, “जब तक साँस है, कुछ सेफ़ नहीं होता।”

    वो दरवाज़ा खोलता है, बाहर कदम रखता है।
    हर नज़र उस पर टिक जाती है — ब्लैक सूट, स्टील जैसी चाल, और वो चेहरा जो किसी को भी मजबूर कर दे कि दोबारा पलटकर देखे।
    पर उसकी आँखों में ठंडक थी — वो ठंडक जो हर गर्म एहसास को जला दे।

    अंदर म्यूज़िक गूंज रहा था, लाइट्स घूम रही थीं।
    लोग हँस रहे थे, ड्रिंक्स उठी थीं, लेकिन वीर के कदम जैसे किसी और ताल पर चल रहे थे।
    वो कमरे के बीच में पहुँचता है — और तभी, हवा ठहर जाती है।

    उसकी नज़रें किसी को खोजती नहीं थीं, पर किसी ने उसे ढूँढ लिया था।

    वो खड़ी थी — सफ़ेद गाउन में, बाल खुले, आँखों में सादगी और हल्की उदासी।
    **सना मलिक**।

    सालों बाद जब वीर ने उसे देखा,
    तो उसे लगा जैसे उसके सारे जख्म फिर से खुल गए हों।
    कभी वही आँखें उसकी सुबह हुआ करती थीं,
    अब वही आँखें किसी और के साथ मुस्कुरा रही थीं।

    सना ने उसे देखा — और एक पल के लिए उसकी साँसें थम गईं।
    उसकी यादों में वो वीर अब भी था — वो लड़का जो उसकी उँगलियों में अंगूठी पहनाकर बोला था,

    > “अगर एक दिन मैं बुरा आदमी भी बन गया… तो भी तू मेरी वजह रहेगी।”

    पर अब उसके सामने जो खड़ा था, वो “लड़का” नहीं था —
    वो एक *गैंगस्टर* था, जिसका नाम सुनते ही लोग रास्ता बदलते थे।

    दोनों के बीच सिर्फ कुछ फीट का फ़ासला था,
    पर वो दूरी सालों की थी, और हजारों धड़कनों की भी।

    सना ने धीरे से अपने मंगेतर **आर्यन मलिक** का हाथ पकड़ा,
    जो उसी पार्टी का होस्ट था।
    आर्यन एक स्मार्ट, करिश्माई नेता था —
    लेकिन वीर की मौजूदगी में उसके चेहरे पर नकली मुस्कान के अलावा कुछ नहीं था।

    आर्यन आगे बढ़ा, मुस्कुराया —
    “ओह! मिस्टर वीर रणावत! आखिर मिल ही गए आप। सुना है आप इन दिनों फिर शहर में एक्टिव हैं।”

    वीर के चेहरे पर एक हल्की मुस्कान आई,
    “मैं तो हमेशा एक्टिव रहता हूँ, बस सबकी निगाहें कहीं और होती हैं।”

    दोनों के बीच हाथ मिला,
    और उस हाथ मिलाने में नर्मी नहीं, एक छिपी जंग थी।
    वीर की नज़रें सना पर टिकी रहीं —
    वो मुस्कुराने की कोशिश कर रही थी, पर उसकी आँखें काँप रही थीं।

    वीर ने धीमी आवाज़ में कहा,

    > “बहुत सालों बाद मिली हो, पर अब भी वही खुशबू है… जो भुलाए नहीं भूलती।”

    सना ने नज़रें झुका लीं,
    उसके दिल में डर और दर्द दोनों जाग चुके थे।

    ---

    पार्टी में म्यूज़िक बजता रहा, लेकिन वीर और सना के बीच की हवा में कुछ ऐसा था जो किसी और को महसूस नहीं हुआ।
    वो हर पल उसे देखता रहा —
    कभी भीड़ के उस पार से, कभी शीशे की परछाई में।
    हर बार उसकी नज़र जब सना पर पड़ती,
    तो जैसे उसके अंदर कोई पुराना ज्वालामुखी फट पड़ता।

    सना वहाँ से निकलने लगी, पर वीर उसके पीछे आ गया।
    बालकनी में ठंडी हवा बह रही थी।
    सना ने कहा,
    “तुम यहाँ क्यों आए हो, वीर? तुम्हारी दुनिया अब मेरी नहीं।”

    वीर हँसा, धीमी आवाज़ में बोला —

    > “दुनिया मेरी कभी थी ही नहीं, सना… तू थी। और अब भी है।”

    सना ने पलटकर देखा,
    “तुम बदल गए हो… पहले तुम मोहब्बत करते थे, अब डर लगते हो।”

    वीर की आँखें नम हुईं,
    “प्यार करने वाला डराने वाला बन गया, क्योंकि इस शहर ने सच्चे लोगों को जिंदा नहीं छोड़ा।”

    सना के होंठ काँपे,
    “तुम्हें क्या चाहिए, वीर?”

    वो पास आया, इतना करीब कि उसकी साँसें सना के चेहरे को छूने लगीं।

    > “वो जो तूने छीन लिया था… सुकून।”

    सना ने आँखें बंद कर लीं,
    और एक आँसू गिर पड़ा —
    वो आँसू जिसमें सच्चाई थी कि वो अब भी वीर से उतना ही प्यार करती है जितना पहले करती थी।

    ---

    नीचे हॉल में आर्यन गेस्ट्स के बीच हँस रहा था,
    पर उसके आदमी वीर की हर हरकत पर नज़र रख रहे थे।
    किसी ने आकर कान में कहा,
    “सर, रणावत सना मैम से अकेले में मिला है।”

    आर्यन का चेहरा सख्त हो गया,
    “उसे याद दिलाओ कि वो अब उस दुनिया में नहीं है जहाँ दिल के सौदे चलते थे।”

    ---

    वीर और सना की बात खत्म नहीं हुई थी।
    वीर ने जाते-जाते कहा,

    > “एक आख़िरी बार मिलना, बिना इन नकली लोगों के बीच। कल वही पुराना पुल याद है न? जहाँ हम दोनों ने पहली बार सितारे गिने थे?”

    सना ने कुछ नहीं कहा, बस हल्के से सिर झुका लिया।
    वीर ने सिगरेट बुझाई और चला गया।

    उसके कदमों की आवाज़ जैसे उसके दिल की धड़कनों से मिल गई थी —
    भारी, पर सच्ची।

    ---

    रात गहराती है।
    वीर अपनी कार में बैठा है, शीशे पर बारिश की बूँदें गिर रही हैं।
    उसके दिमाग में सिर्फ सना की आँखें घूम रही हैं।
    वो मुस्कुरा कर बुदबुदाता है —

    > “अब जो खेल शुरू हुआ है, उसमें हार भी मेरी होगी और जीत भी।”

    दूसरी तरफ सना अपने कमरे में अकेली बैठी है।
    आर्यन सो गया है, पर सना की नींद उड़ गई है।
    ड्रेसिंग टेबल पर वीर की वो पुरानी चेन पड़ी है, जो उसने कभी उसे दी थी।
    उसने उसे उठाया, और एक पल के लिए सीने से लगा लिया।
    वो खुद से बोली —

    > “क्यों तुम लौटे हो, वीर? जब मैंने खुद को संभाल लिया था…”

    लेकिन दिल का सौदा कोई अपने बस में नहीं रख पाता।

    ---

    अगली रात — वही पुराना पुल, वही हवा, वही शहर।
    वीर पहले से मौजूद था।
    उसकी जैकेट भीग चुकी थी, पर उसे फर्क नहीं पड़ता।
    उसके हाथ में बस एक गुलाब था — वही जगह, जहाँ कभी दोनों ने सितारे गिने थे।

    सना धीरे-धीरे आई, चेहरे पर डर और उम्मीद दोनों।
    वीर ने उसे देखा और बस इतना कहा —

    > “सालों में बहुत कुछ बदला, सना। पर जब तुझे देखता हूँ… तो लगता है वक्त झूठा है।”

    सना के होंठ काँपे, “अब देर हो चुकी है।”

    वीर ने मुस्कुरा कर कहा,
    “प्यार में देर कभी नहीं होती। बस कुछ लोग पहले हार मान लेते हैं।”

    वो करीब आया, उसकी उँगलियों को छुआ,
    और दोनों के बीच वो खामोशी थी जो हजारों शब्दों से भारी थी।

    फिर वीर ने धीमी आवाज़ में कहा,

    > “तू मेरी मोहब्बत नहीं, मेरी आदत है… और आदतें कभी मरती नहीं।”

    सना की आँखों से आँसू बह निकले।
    वो मुड़ी और चल दी।

    वीर ने उसे जाते हुए देखा —
    वो मुस्कुरा रहा था, पर आँखें नम थीं।
    उसने जेब से बंदूक निकाली,
    आसमान की तरफ चलाई —
    **“ये आसमान गवाह रहे… दिल के सौदे अब शुरू हुए हैं।”**
    “खून के नीचे छिपा प्यार”

    रात ढल चुकी थी, पर वीर के अंदर की बेचैनी नहीं।
    वो अपने पुराने गोदाम में बैठा था — चारों तरफ अंधेरा,
    सिर्फ एक बल्ब झिलमिला रहा था और मेज़ पर रखी थी एक पुरानी तस्वीर —
    वीर और सना की, कॉलेज के दिनों की।

    उसने तस्वीर पर उँगलियाँ फेरीं,
    और बुदबुदाया —

    > “प्यार का सौदा नहीं किया जाता… पर किसी दिन मुझे खुद को ही बेचना पड़ेगा।”

    दरवाज़ा खुला, अंदर उसका साथी **रघु** आया —
    “भाई, वो आर्यन मलिक की पार्टी में जो हुआ, उसकी वीडियो मीडिया तक पहुँचने वाली है।”

    वीर ने शांत होकर कहा,
    “भेजने दो। जिस दिन मेरा नाम फिर सुर्खियों में आएगा,
    उसी दिन कुछ लोगों की नींद उड़ जाएगी।”

    रघु ने झिझकते हुए पूछा,
    “पर भाई, वो सना… उससे मिलने की क्या ज़रूरत थी?”

    वीर ने गहरी साँस ली,
    “कुछ लोग छूट जाएँ तो अच्छा होता है रघु… पर कुछ लोग अगर छूट जाएँ, तो तू ज़िंदा होकर भी अधूरा रह जाता है।”

    ---

    दूसरी तरफ सना अपने कमरे में बैठी थी,
    आर्यन उसके बगल में था, पर उनके बीच सन्नाटा था।
    आर्यन ने कहा,
    “तुम आज वीर रणावत से मिली थीं, है न?”

    सना ने चौंककर देखा,
    “तुम्हें कैसे पता?”

    आर्यन मुस्कुराया,
    “इस शहर में कुछ नहीं छिपता, सना। मैं नेता हूँ, और वो अपराधी।
    पर अफसोस — दोनों को जनता से ज़्यादा किसी और की परवाह है।”

    सना ने कहा,
    “वो बस पुराने ज़माने की बात थी, आर्यन।”

    आर्यन ने ठंडी हँसी हँसी,
    “पुराने ज़माने की बातें ही आज की जंग बन जाती हैं।”

    उसने धीरे से सना के कंधे पर हाथ रखा,
    “मुझे उस आदमी से नफ़रत है,
    क्योंकि वो मेरे रास्ते में नहीं — मेरे अतीत में भी दाग छोड़ गया है।”

    सना ने कुछ समझा नहीं,
    पर उसकी आँखों में डर उतर गया।

    ---

    सुबह का सूरज उगा, पर शहर में हलचल थी।
    एक बिज़नेस टायकून की हत्या हुई थी —
    और सबके मोबाइल स्क्रीन पर एक ही नाम ट्रेंड कर रहा था —
    **“वीर रणावत वापस आया।”**

    आर्यन की प्रेस कॉन्फ़्रेंस में मीडिया चिल्ला रही थी,
    “मिस्टर मलिक, क्या आपको लगता है कि रणावत फिर से खून का खेल शुरू करेगा?”

    आर्यन ने कैमरे की तरफ देखा और बोला,

    > “अगर वीर रणावत इस शहर में है,
    > तो कानून भी अब उसे पहचान लेगा —
    > चाहे वो किसी के दिल में छिपा हो या साये में।”

    ---

    वहीं, वीर उसी वक्त अपनी टीम के साथ अंडरग्राउंड क्लबहाउस में था।
    रघु ने कहा,
    “भाई, ये मर्डर हमारे नाम पर आ गया है, जबकि हमने तो…”

    वीर ने बीच में रोका,
    “मुझे पता है किसने किया है।
    आर्यन मलिक — वो चाहता है कि मैं दुश्मन बनूँ, ताकि वो हीरो बने।”

    रघु ने कहा,
    “तो अब क्या करेंगे?”

    वीर ने सिगरेट सुलगाई,
    धुएँ में चेहरा छिपा लिया,
    और बोला —

    > “अब इस खेल में खून भी मेरा होगा, और हिसाब भी मेरा।”

    ---

    उस रात सना को किसी ने अनजान नंबर से एक मैसेज भेजा —
    **“कल पुरानी चर्च के पीछे आओ, नहीं तो देर हो जाएगी।”**
    वो डरी, पर मन में एक ही शक था — **वीर।**

    वो अगले दिन पहुँची।
    वहाँ वीर पहले से इंतज़ार कर रहा था —
    हवा ठंडी थी, आसमान में बादल और उसके दिल में तूफ़ान।

    सना ने कहा,
    “तुम जानते हो न, ये सब अब ठीक नहीं है?”

    वीर ने मुस्कुराकर कहा,
    “ठीक? इस दुनिया में क्या ठीक है, सना?
    कभी सोचा था कि तेरे fiancé ने ही मेरे बाप को मरवाया?”

    सना सन्न रह गई —
    “क्या?”

    वीर ने जेब से एक पुरानी फोटो निकाली,
    जिसमें आर्यन और वीर के पिता के बीच बहस हो रही थी।
    “वो सौदा याद है जो मेरे बाप ने मना किया था?
    आर्यन के अब्बा ने उसे मरवा दिया, और अब उसका बेटा उसी खेल को दोहरा रहा है।”

    सना की आँखों से आँसू गिरने लगे।
    “नहीं वीर… ये सब झूठ है।”

    वीर ने कहा,
    “अगर झूठ है, तो सच्चाई जानने से डर क्यों लग रहा है?”

    सना ने चिल्लाकर कहा,
    “क्योंकि मैं अब भी तुमसे प्यार करती हूँ!”

    वीर ठिठक गया —
    उसने कभी नहीं सोचा था कि वो ये बात फिर सुनेगा।
    दोनों के बीच बारिश गिरने लगी —
    और उस बारिश में जैसे उनका अतीत फिर से ज़िंदा हो गया।

    वीर ने आगे बढ़कर उसका चेहरा पकड़ा,
    “फिर क्यों किसी और की हो गई?”

    सना ने आँखें बंद की,
    “क्योंकि उस वक्त तुम्हारा रास्ता खून से भरा था… और मैं डर गई थी।”

    वीर ने धीरे से कहा,
    “अब डर खत्म कर दे, सना। इस बार मैं सिर्फ तेरे लिए लड़ूँगा।”

    सना ने कहा,
    “पर इस बार तेरे खिलाफ़ पूरी दुनिया होगी।”

    वीर हँसा,
    “दुनिया तो पहले भी थी, सना।
    अब फर्क बस इतना है — इस बार मैं तुझे खोना नहीं चाहता।”

    ---

    उसी वक्त दूर छत पर कोई कैमरा फ्लैश हुआ —
    आर्यन का आदमी दोनों की तस्वीरें खींच रहा था।

    अगले दिन, अख़बार की हेडलाइन थी —
    **“नेता की मंगेतर और गैंगस्टर के बीच गुप्त मुलाकात”**

    आर्यन का चेहरा सख्त था,
    उसने गुस्से में टेबल पर मुक्का मारा,
    “अब वो सिर्फ मेरी सगाई नहीं तोड़ेगा,
    बल्कि मेरा नाम भी मिटा देगा… उसे खत्म कर दो।”

    ---

    शाम को वीर की कार पर गोली चली —
    रघु घायल हुआ, वीर बाल-बाल बचा।
    वो समझ गया, ये आर्यन का जवाब है।
    उसने हथियार उठाया,
    “अब इस शहर में इकरार नहीं,
    सिर्फ खून लिखा जाएगा।”

    ---

    रात के अंधेरे में वीर अपने पुराने घर पहुँचा —
    वही घर जहाँ उसने और सना ने साथ सपने देखे थे।
    वहाँ अब सना थी, अकेली,
    वो डर और पछतावे में डूबी थी।

    वीर पीछे से आया,
    उसके काँधे पर हाथ रखा।
    सना ने मुड़कर देखा —
    उसके चेहरे पर खून के छींटे थे।

    “तुमने फिर से…”
    वीर ने धीरे से कहा,
    “नहीं सना, इस बार किसी को नहीं मारा…
    पर अगर मैंने कुछ नहीं किया, तो वो मुझे खत्म कर देंगे।”

    सना ने उसका चेहरा थामा,
    “कभी-कभी सुकून पाने के लिए लड़ाई छोड़नी पड़ती है।”

    वीर ने उसकी आँखों में देखा,
    “और कभी-कभी प्यार बचाने के लिए… जंग लड़नी पड़ती है।”

    वो झुकता है,
    सना की आँखों में देखते हुए,
    और पहली बार — सालों बाद — उनके होंठ मिले।
    वो पल, जब दुनिया की सारी आवाज़ें थम गईं,
    सिर्फ बारिश की बूँदें और दिल की धड़कन बाकी थी।

    ---

  • 2. TRUE LOVE ❣️ - Chapter 2

    Words: 2092

    Estimated Reading Time: 13 min

    जंग जो दिल से शुरू हुई

    रात की स्याही फिर उतर आई थी।
    वीर के ज़ख्म अभी ताज़ा थे, पर आँखों में सन्नाटा नहीं, तूफ़ान था।
    रघु अस्पताल में था, बाकी गैंग के लोग बिखरे पड़े थे।
    वीर के पास सिर्फ उसका *गुस्सा और सना की यादें* बची थीं।

    वो अपने पुराने ठिकाने पर गया, जहाँ दीवारों पर अब भी *बाप की तस्वीरें* लगी थीं।
    उसने धीमी आवाज़ में कहा,

    > “बाबा, मैंने कभी नहीं चाहा कि ये रास्ता अपनाऊँ…
    > पर अब तेरी मौत का हिसाब देना ही मेरी मोहब्बत की कीमत है।”

    उसने टेबल से पिस्तौल उठाई —
    उसी पिस्तौल से जिसने कभी उसके पिता की जान ली थी।
    “अब इसी से मैं सच्चाई निकालूँगा।”

    ---

    ### 🌧️ **दूसरी तरफ – सना**

    सना आर्यन के ऑफिस में थी,
    जहाँ मीडिया और पुलिस चारों ओर भीड़ लगाए बैठे थे।
    आर्यन शांत था, लेकिन उसकी आँखों में पिघलता ज़हर साफ़ झलक रहा था।

    “सना,” उसने कहा,
    “तुम्हें पता है, अब लोग तुम्हें मेरे खिलाफ़ इस्तेमाल कर रहे हैं?”

    सना ने धीरे से जवाब दिया,
    “कभी-कभी सच खुद को छिपा नहीं पाता, आर्यन।”

    आर्यन हँसा —
    “सच? इस शहर में जो सच बोलता है, वो या तो मरता है या बिक जाता है।
    पर वीर… वो दोनों नहीं करेगा। इसलिए मुझे उसे खत्म करना होगा।”

    सना की साँसें रुक गईं।
    “तुम उसे मारना चाहते हो?”

    आर्यन ने मेज़ पर हाथ पटका,
    “वो पहले ही मरा हुआ है, सना। बस अपनी कब्र खुद खोद रहा है।”

    सना बाहर निकली, आँखों में आँसू लिए।
    वो जानती थी अब उसे कुछ करना होगा —
    क्योंकि अगर वीर मरा, तो उसकी रूह भी मर जाएगी।

    ---

    ### 🔥 **वीर और आर्यन की पहली आमने-सामने टक्कर**

    पुरानी फैक्ट्री का वह हिस्सा अब वीर का ठिकाना था।
    आर्यन ने वहीं पुलिस छापा मरवाया।
    पर जब दरवाज़ा टूटा, वीर वहाँ था —
    कुर्सी पर बैठा, और सिगरेट सुलगाते हुए बोला —

    > “इतना शोर क्यों, आर्यन?
    > तू आया है या बारात लेकर?”

    आर्यन ने ठंडी नज़र डाली,
    “तेरा शो अब खत्म होगा, रणावत।
    इस बार तेरा नाम नहीं, तेरी साँसें मिटेंगी।”

    वीर हँसा,
    “नाम मिटाने वाले बहुत आए,
    पर यादें मिटाने वाला आज तक पैदा नहीं हुआ।”

    दोनों के बीच गोलीबारी शुरू हो गई।
    धुआँ, चीखें, गोलियों की गूंज —
    और उस अराजकता में सना दौड़ती हुई पहुँची।

    “बस करो!”
    वो चीखी — और एक गोली उसकी बाँह से छूकर निकल गई।

    दोनों रुक गए।
    वीर ने उसकी तरफ दौड़ लगाई,
    “सना! तू ठीक है?”

    सना ने काँपती आवाज़ में कहा,
    “तुम दोनों में कोई जीत नहीं सकता।
    क्योंकि जिस दिन एक मरेगा, उस दिन दूसरा भी जिंदा नहीं रहेगा।”

    आर्यन ने गुस्से से कहा,
    “सना, तुम नहीं समझती — ये खून का बदला है!”

    वीर ने पलटकर कहा,
    “और मेरा क्या? मेरे बाप का खून क्या मज़ाक था?”

    आर्यन ने चीखते हुए कहा,
    “तेरे बाप ने मेरे बाप को धोखा दिया था!”

    सना सन्न रह गई —
    “मतलब… क्या?”

    वीर ने घूरते हुए पूछा,
    “क्या बकवास कर रहा है तू?”

    आर्यन ने पिस्तौल नीचे रख दी,
    “तेरे बाप ने मेरी माँ से शादी का वादा किया था।
    वो मेरा भी बाप था, वीर!”

    कमरे में सन्नाटा छा गया।
    सना ने डर से कहा,
    “मतलब… तुम दोनों…?”

    आर्यन ने धीरे से कहा,
    “हाँ। सगे सौतेले भाई।”

    वीर का चेहरा सख्त पड़ गया।
    सालों की नफ़रत, दर्द, और बदले की आग एक झटके में बुझने लगी —
    पर राख के नीचे अब भी अंगारे थे।

    > “तो जो मैंने खोया… वो तूने पाया?”
    > “नहीं, वीर। जो हम दोनों ने खोया, वो कभी किसी को नहीं मिला।”

    ---

    ### 💞 **सना और वीर – लम्हा जो ठहर गया**

    उस रात सना वीर के साथ रही।
    वो पुराने मंदिर में बैठे थे,
    चारों तरफ़ दीपक जल रहे थे।
    वीर के कंधे पर सिर रखे सना बोली,
    “तू जानता है, अगर दुनिया को पता चला कि तू और आर्यन भाई हो,
    तो ये शहर फट जाएगा।”

    वीर ने कहा,
    “तो क्या करूँ, सना? इस दुनिया ने पहले ही सब छीन लिया है।
    अब मैं बस तुझे नहीं खोना चाहता।”

    सना ने उसकी आँखों में देखा,
    “अगर मैं तेरे साथ चली गई तो?”

    वीर मुस्कुराया,
    “तो फिर ये शहर सिर्फ हम दोनों का होगा…
    खून और इकरार से भरा।”

    सना ने कहा,
    “फिर वादा कर, चाहे कुछ भी हो जाए — तू मुझे छोड़कर नहीं जाएगा।”

    वीर ने कसम खाई,

    > “अगर तू मुझसे दूर गई, तो मैं तेरे साये में भी लौट आऊँगा।”

    दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाया —
    बारिश फिर शुरू हो गई।
    पर इस बार वो बारिश किसी दर्द की नहीं,
    किसी नए सफ़र की गवाही दे रही थी।

    ---

    ### ⚡ **अगला मोड़ – धोखा और साज़िश**

    पर सुबह होते ही सब बदल गया।
    सना के घर में पुलिस घुस आई —
    वीर के नाम का वारंट था।
    किसी ने वीर की लोकेशन लीक कर दी थी।

    वीर पकड़ा गया।
    सना चिल्लाती रह गई —
    “वो निर्दोष है!”

    आर्यन दरवाज़े पर खड़ा था,
    चेहरे पर ठंडी मुस्कान,
    पर आँखों में अपराधबोध।

    जेल में वीर ने देखा —
    दीवारों के पीछे सन्नाटा था, पर सना की आवाज़ कानों में गूंज रही थी।
    “रूह का सौदा”

    जेल की दीवारों पर ठंडक उतर आई थी।
    वीर उस सलाखों के पीछे बैठा था,
    जहाँ उसकी साँसों से ज़्यादा ज़ंजीरों की खनक सुनाई देती थी।
    चारों ओर सन्नाटा था,
    पर उसके दिल में तूफ़ान — सना का चेहरा, उसकी आँखें, उसका “वादा कर” कानों में गूंज रहा था।

    हर रात वो वही करता —
    पलकों को बंद करता और कल्पना में देखता,
    सना दरवाज़े से अंदर आ रही है,
    उसकी हथेलियों में रोशनी की तरह एक चाबी है,
    वो कहती है — *“चल वीर, अब वक्त है आज़ाद होने का।”*
    और वीर मुस्कुराकर उसकी ओर बढ़ता है।
    फिर जब आँखें खुलतीं, तो वही स्याही, वही सलाखें।

    ---

    ### 🌙 **सना – इकरार के लिए बगावत**

    सना अब डर चुकी थी, पर रुकना नहीं जानती थी।
    उसने आर्यन से दूरी बना ली थी।
    मीडिया अब उसे *“गैंगस्टर की प्रेमिका”* कह रही थी,
    पर उसे अब किसी नाम की परवाह नहीं थी।

    एक रात उसने अपने पुराने दोस्त **रज़ा** से संपर्क किया —
    रज़ा वही था जिसने कभी वीर की गैंग छोड़ी थी।
    सना ने कहा,
    “मुझे वीर को बाहर निकालना है।”

    रज़ा ने हैरानी से देखा,
    “पागल हो गई हो क्या? ये सरकार, पुलिस, मीडिया सब उसके पीछे हैं।”

    सना की आँखों में अडिग सच्चाई थी,
    “वो मेरा गुनाह नहीं, मेरा वादा है।”

    रज़ा ने थोड़ी देर सोचा, फिर बोला,
    “तो सुन — जेल की सेंट्रल सिक्योरिटी में सिर्फ एक आदमी है जो वीर तक पहुँच सकता है — *इंस्पेक्टर रावत।*
    पर वो पैसे नहीं लेता… उसे बस एहसान चाहिए।”

    सना ने ठंडी सांस ली,
    “एहसान मैं नहीं दूँगी, एहसान बनूँगी।”

    ---

    ### ⚡ **जेल ब्रेक की रात**

    बारिश हो रही थी।
    वीर को सेल नंबर 19 से ट्रांसफर करना था —
    पर उस रात सब गड़बड़ हो गया।

    अचानक बिजली चली गई,
    सायरन बजने लगे,
    और कुछ छाया सी हिली —
    दरवाज़ा खुला,
    सामने सना खड़ी थी —
    काले कपड़ों में, भीगी हुई, पर आँखों में वही आग।

    वीर हैरान रह गया,
    “तू... यहाँ?”

    सना ने कहा,
    “तेरा इकरार अधूरा था, वीर… अब पूरा करने आई हूँ।”

    वीर ने उसका हाथ पकड़ा,
    “तू जानती है बाहर क्या है?”

    “हाँ,” सना ने फुसफुसाकर कहा,
    “वो दुनिया जो हमें मारना चाहती है — पर पहले देख लेगी, हम साथ कैसे मरते हैं।”

    दोनों ने भागना शुरू किया —
    गोलियाँ चलीं, सायरन गूंजे,
    पर वो भागते रहे —
    बारिश में, अंधेरे में,
    और आख़िरकार एक गली में गायब हो गए।

    ---

    ### 🔥 **आर्यन का पतन**

    अगले दिन अख़बारों में हेडलाइन थी —
    **“वीर रणावत फरार – सना मलिक पर शक”**

    आर्यन का चेहरा गुस्से से लाल था।
    “वो मुझसे सब कुछ छीन रही है — मेरा नाम, मेरा राज़, मेरी मोहब्बत…”

    उसके सलाहकार ने कहा,
    “साहब, अब मीडिया भी आपको शक की नज़र से देख रही है।”

    आर्यन चिल्लाया,
    “क्योंकि उन्हें पता नहीं कि ये कहानी अधूरी है!”

    वो उठा,
    अपने पिता की पुरानी फाइल खोली —
    जहाँ लिखा था:
    **“रणजीत रणावत – पार्टनर डबल क्रॉस केस, 1999”**

    आर्यन की आँखें फैल गईं —
    “इस केस में सिर्फ रणावत नहीं… *मेरे पिता भी दोषी थे!*”

    उसे समझ आया कि जिस बदले के लिए वो सालों से जी रहा था,
    वो झूठ था —
    वो बस एक “राजनीतिक सेटअप” था,
    जिसमें दो परिवारों की मोहब्बत कुर्बान हुई थी।

    ---

    ### ❤️ **वीर और सना – भागती हुई रूहें**

    शहर के बाहर के पुराने हिल स्टेशन पर
    एक जर्जर बंगला था — वही वीर का नया ठिकाना।
    सना ने उसके ज़ख्मों पर मरहम लगाया।
    वीर ने कहा,
    “मैंने तुझे खतरे में डाल दिया।”

    सना ने मुस्कुराकर कहा,
    “मैं खतरा नहीं, तेरी आदत हूँ।”

    वीर ने उसकी हथेलियों को पकड़ा,
    “मैंने कभी सोचा नहीं था कि तुझ जैसी रौशनी मेरे अंधेरे में आएगी।”

    सना ने जवाब दिया,
    “और मैंने कभी नहीं सोचा था कि अंधेरा इतना खूबसूरत लग सकता है।”

    उनकी नज़दीकियाँ बढ़ने लगीं,
    साँसें मिलतीं, आँखें बातें करतीं —
    और उस रात,
    पहली बार सना ने बिना डर के कहा —

    > “मुझे तेरा नाम चाहिए, तेरी दुनिया नहीं।”

    वीर ने कहा,

    > “मेरा नाम खून से लिखा गया है, सना।
    > अगर तुझे डर नहीं, तो ये नाम तेरे माथे पर लिख दूँ।”

    सना ने उसकी हथेलियाँ थाम लीं —
    “लिख दे।”

    और वीर ने उसकी हथेली पर अपनी उँगली से नाम लिखा — **वीर।**
    उस पल दोनों ने जाना,
    अब ये मोहब्बत किसी धर्म, कानून या डर की नहीं रही।
    अब ये *रूह का सौदा* था।

    ---

    ### 💣 **राज़ का खुलासा**

    तीन दिन बाद,
    वीर के पुराने साथी रघु ने उन्हें ढूंढ लिया।
    वो घायल था, पर ज़िंदा।
    उसने कहा,
    “भाई… जो तेरा बाप मरा था, वो आर्यन के बाप ने नहीं मारा।”

    वीर और सना दोनों चौंके।
    “तो फिर कौन?”

    रघु ने धीमी आवाज़ में कहा,
    “तू जिसे ‘भाई’ मानता था — वही इंस्पेक्टर रावत।”

    वीर गुस्से से खड़ा हो गया।
    “मतलब जिसने मेरी जेल से भागने में मदद की — उसी ने मेरे बाप को मारा?”

    रघु ने हाँ में सिर हिलाया,
    “उसने दोनों घरानों को लड़वाकर *अपनी तिजोरी भरी*।
    अब वो राजनीति में आ चुका है, और आर्यन को मोहरा बना रहा है।”

    सना ने काँपते हुए कहा,
    “तो आर्यन भी इस खेल का शिकार है…”

    वीर ने ठंडी हँसी हँसी,
    “अब इस खेल का अंत मैं लिखूँगा —
    उसी खून से, जिससे उसने मेरा बचपन छीना।”

    ---

    ### ⚔️ **अंतिम टकराव**

    वीर, सना और रघु शहर लौटे।
    आर्यन अब बिखरा हुआ था —
    वो शराब में डूबा हुआ बैठा था,
    “मैं अपने ही झूठ में जीता रहा…”

    वीर उसके सामने आया।
    “अब वक्त है सच का, आर्यन।”

    आर्यन ने कहा,
    “मुझे मारने आया है?”

    वीर ने पिस्तौल फेंकी,
    “नहीं। मैं दुश्मन नहीं, भाई बनकर आया हूँ।”

    आर्यन की आँखें नम हो गईं।
    “सना… उसने मुझे नहीं छोड़ा, पर तुझे भी नहीं।”

    सना आगे आई,
    “तुम दोनों को किसी ने लड़ाया — अब दोनों मिलकर उसी को खत्म करो।”

    ---

    ### 🩸 **रावत का अंत**

    रावत अब मंत्री बन चुका था।
    सभा में भाषण दे रहा था —
    “कानून हमेशा जीतता है।”

    उसी वक्त दो आवाज़ें गूंजीं —
    **“पर झूठ कब तक?”**

    सब मुड़े —
    वीर और आर्यन मंच पर थे।
    सभी कैमरे उन पर टिके थे।

    रावत ने गार्ड्स को बुलाया,
    पर सना ने माइक पकड़ा और कहा,

    > “इस आदमी ने दो परिवारों को झूठे केस में लड़वाया,
    > ताकि वो अपराधियों से सौदे कर सके!”

    भीड़ उबल पड़ी।
    रावत भागा,
    पर वीर और आर्यन दोनों ने उसे घेर लिया।
    रावत ने गुस्से में कहा,
    “तुम दोनों तो दुश्मन थे!”

    वीर बोला,

    > “अब नहीं।
    > अब हम दोनों तेरे गुनाह की सजा हैं।”

    रावत भागने की कोशिश करता है,
    पर गोली चलती है —
    और वो वहीं गिर पड़ता है।

    रघु ने पीछे से कहा,
    “खून से लिखा इकरार — आज मुकम्मल हुआ।”

    ---

    ### 🌅 **अंत – रूह का इकरार**

    कुछ महीनों बाद…
    शहर शांत था।
    आर्यन राजनीति छोड़ चुका था और अनाथ बच्चों के लिए स्कूल चला रहा था।
    वीर अब सना के साथ था —
    कहीं पहाड़ों के बीच,
    जहाँ किसी को उनके नाम की नहीं, बस उनके सुकून की परवाह थी।

    एक शाम, सना ने कहा,
    “अब भी डर लगता है?”

    वीर ने मुस्कुराकर कहा,
    “नहीं… अब डर सिर्फ इस बात का है कि अगर तू न रही,
    तो मैं फिर वही वीर बन जाऊँगा।”

    सना ने उसका हाथ थामा,
    “तो वादा कर, इस बार सिर्फ जिएगा — मेरे लिए।”

    वीर ने कहा,

    > “अब मेरा खून नहीं बहेगा, सना…
    > अब बस इकरार लिखा जाएगा।”

    और सूरज ढलते ढलते,
    उनके साये एक हो गए —
    खून से नहीं,
    **रूह से लिखा इकरार** बनकर।

  • 3. TRUE LOVE ❣️ - Chapter 3

    Words: 2048

    Estimated Reading Time: 13 min

    रात का सन्नाटा जेल की दीवारों से टकरा कर लौट रहा था।
    वीर लोहे की सलाखों को देख रहा था — मानो वो किसी पिंजरे में नहीं, बल्कि अपने ही अतीत में कैद हो।
    हवा में सना की खुशबू अब भी थी, और दिल में उसकी आवाज़ गूंज रही थी —

    > “तू मुझसे दूर गया, तो मैं तेरे साये में भी लौट आऊँगी…”

    वीर मुस्कुराया, लेकिन वो मुस्कान दर्द से भरी थी।
    “सना… तू नहीं जानती, इस दुनिया में साया भी कभी-कभी दुश्मन बन जाता है।”

    ---

    ### ⚙️ **जेल की साज़िश**

    जेल के अंदर सब कुछ आर्यन के इशारों पर चल रहा था।
    क्लास वन अपराधियों के बीच वीर को अकेला नहीं छोड़ा गया था।
    हर दिन कोई न कोई उस पर हमला करता, पर वो हर बार बच निकलता।

    “इससे डर नहीं लगता, तेरे लोगों से भी नहीं…”
    वीर ने एक गुंडे की गर्दन पकड़ते हुए कहा,
    “पर जिस दिन मेरा बदला पूरा होगा, उस दिन मौत भी मुझसे माफी माँगेगी।”

    जेलर भी उसे चुपचाप देखता था।
    कभी-कभी लगता जैसे पूरा सिस्टम वीर से डरता हो।

    लेकिन उसी रात एक खबर आई —
    “तेरे केस का नया वकील आया है,”
    जेलर ने कहा।

    वीर ने भौंहें चढ़ाईं,
    “वकील? मुझे किसी वकील की ज़रूरत नहीं।”

    “पर ये वकील तू खुद देखना चाहेगा…”

    दरवाज़ा खुला —
    सफेद कोट, खुले बाल, और आँखों में तूफ़ान… **सना** अंदर आई।

    ---

    ### 💞 **मुलाकात जो सांस रोक दे**

    वीर की साँसें थम गईं।
    “सना… तू यहाँ?”

    वो धीरे से बोली,
    “वो जो वादा किया था, याद है ना? तू जहाँ जाएगा, मैं वहीं रहूँगी।”

    वीर की आँखों में नमी थी।
    “पागल है तू… यहाँ तेरा क्या काम?”

    सना ने मुस्कुराकर कहा,
    “तेरी रिहाई का।”

    उसने टेबल पर फाइल रखी —
    वीर के केस की फाइल, जिसमें सबूत थे कि उसे फँसाया गया था।
    “आर्यन ने सिस्टम खरीदा है, पर कानून अब भी मेरी कलम से डरता है।”

    वीर ने कहा,
    “तू ये सब क्यों कर रही है, सना?
    आर्यन तुझे छोड़ देगा अगर उसे पता चला कि…”

    सना ने बीच में टोका,
    “वो पहले ही जानता है।
    और अब मैं भी जानती हूँ कि वो कौन है —
    तेरा सौतेला भाई, मेरी बर्बादी की वजह।”

    वीर ने नज़रे झुका लीं,
    “तो तू अब भी मुझसे प्यार करती है?”

    सना ने कहा,
    “प्यार कोई सौदा नहीं, वीर।
    ये रूह का इकरार है — और मैंने अपनी रूह तेरे नाम कर दी।”

    ---

    ### ⚡ **भागने की योजना**

    सना ने वीर को बताया कि वो उसके लिए भागने की योजना बना चुकी है।
    “कल रात ट्रांसफर के बहाने तुझे बाहर ले जाया जाएगा।
    वो फाइल, वो गाड़ी, सब तैयार हैं।”

    वीर ने मुस्कुराते हुए कहा,
    “तू वकील है या डकैत?”

    सना ने जवाब दिया,
    “तेरी जान बचाने के लिए अगर मुझे डकैत बनना पड़े, तो मैं बन जाऊँगी।”

    वीर ने उसका हाथ पकड़ा,
    “सना… अगर हम भाग गए, तो ये शहर हमें कभी माफ़ नहीं करेगा।”

    सना ने उसकी आँखों में देखा,
    “शहर क्या करेगा, ये मत सोच।
    हम क्या करेंगे, वो सोच।”

    ---

    ### 🚨 **भागने की रात**

    रात के दो बजे, जेल की बिजली बंद हो गई।
    सब कुछ सना की प्लानिंग के मुताबिक था।
    गार्ड्स को किसी अज्ञात कॉल से दूसरी तरफ़ बुला लिया गया था।

    वीर को ट्रांसफर के नाम पर एक वैन में ले जाया गया।
    ड्राइवर सना थी।
    “तेरी मिसिंग रिपोर्ट बनेगी, लेकिन मैं तुझे ज़िंदा ले जाऊँगी,”
    वो बोली।

    जैसे ही वैन बाहर निकली, पीछे से सायरन गूंजने लगे।
    आर्यन को खबर मिल चुकी थी।

    “भागते रहो, लेकिन इस बार मैं खुद पीछा करूँगा,”
    आर्यन ने कार स्टार्ट की।

    ---

    ### 💣 **चेज़ – प्यार और मौत की दौड़**

    सड़कों पर गोलियाँ चल रही थीं।
    बारिश में भीगती सना कार चला रही थी, वीर उसके बगल में,
    और आर्यन पीछे — उसकी कार की हेडलाइट्स जैसे मौत की नज़र हों।

    “सना, लेफ्ट!”
    वीर चिल्लाया।
    कार मुड़ी, पर पीछे से गोली आई — और सना के कंधे को छू गई।

    “सना!”
    वीर ने स्टेयरिंग पकड़ा, गाड़ी सीधी की।

    “मैं ठीक हूँ,” उसने कहा,
    “बस एक और मोड़, वीर — फिर आज़ादी।”

    कार जंगल की ओर मुड़ गई।
    आर्यन की गाड़ी भी पीछे आई,
    और फिर एक धमाका — सना की गाड़ी खाई के किनारे रुक गई।

    वीर ने सना को बाँहों में लिया,
    “तू ठीक है?”

    “हाँ… लेकिन अब हम दोनों नहीं भाग सकते,”
    सना ने कहा,
    “आर्यन यहीं आएगा।”

    वीर ने कहा,
    “तो आने दे — अब वक्त है इस कहानी को ख़त्म करने का।”

    ---

    ### 💀 **भाइयों की आखिरी जंग**

    आर्यन सामने खड़ा था।
    बारिश, बिजली, और उनकी नफरत — तीनों साथ बरस रहे थे।

    “भाग क्यों रहा था, वीर?”
    आर्यन बोला।

    वीर ने कहा,
    “भाग नहीं रहा था — तेरे सच तक पहुँचने जा रहा था।”

    आर्यन ने हँसते हुए कहा,
    “सच? सच ये है कि मैं वो हूँ जो हमेशा तेरे साये में जिया।
    तेरी माँ को मैंने कभी नहीं देखा,
    पर तेरा बाप मेरी माँ का सपना था।”

    वीर चुप रहा,
    “तो तेरी नफ़रत तेरे दर्द से बड़ी हो गई।”

    “हाँ, और अब मैं उसे खत्म करूँगा।”
    आर्यन ने पिस्तौल उठाई।

    सना बीच में आई,
    “आर्यन! नहीं!”

    गोली चली —
    वीर ने सना को धक्का दिया,
    गोली उसकी बाँह में लगी।

    वीर गुस्से से आर्यन पर टूट पड़ा।
    दोनों मिट्टी में, बारिश में, खून में लथपथ एक-दूसरे से भिड़े।

    “भाई तू है मेरा — दुश्मन नहीं!”
    वीर चीखा।

    “भाई वो होता है जो धोखा नहीं देता!”
    आर्यन गरजा।

    एक और गोली चली —
    इस बार सना ने चलाई थी।
    गोली आर्यन के सीने में लगी।

    आर्यन नीचे गिरा,
    हाथ में खून, आँखों में वीर की परछाई।

    > “तू जीत गया, वीर… पर हमने सब हार दिया…”

    वीर घुटनों पर बैठ गया,
    “आर्यन…”

    आर्यन मुस्कुराया,
    “प्यार और खून… कभी साथ नहीं रह सकते…”
    और उसकी साँसें थम गईं।

    ---

    ### 🌹 **आखिरी इकरार**

    वीर और सना वहाँ खड़े थे —
    बारिश रुक चुकी थी, आसमान लाल हो रहा था।

    सना ने धीरे से कहा,
    “अब क्या होगा?”

    वीर ने उसकी हथेलियाँ थामते हुए कहा,
    “अब हम दोनों जीएँगे — आर्यन के हिस्से की ज़िंदगी भी।”

    सना ने मुस्कुराया,
    “तू फिर वादा कर।”

    वीर ने उसकी आँखों में झाँककर कहा,

    > “इस बार रूह का सौदा हो गया है, सना।
    > अब मौत भी हमें जुदा नहीं कर पाएगी।”

    दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाया।
    बारिश की आखिरी बूंद उन पर गिरी —
    जैसे आसमान ने भी उन्हें माफ़ कर दिया हो।

    सुबह का सूरज जैसे शर्मिंदा था।
    बारिश के बाद की ठंडी हवा वीर और सना के चेहरों को छूती जा रही थी,
    पर उनके दिलों में अब भी तूफ़ान था।

    आर्यन की लाश उस खाई के किनारे पड़ी थी —
    दोनों चुपचाप उसे देख रहे थे।
    वीर ने उसकी आँखें बंद कीं,
    “आराम कर, भाई… इस बार मौत भी तेरे साथ ईमानदार रही।”

    सना की आँखों में आँसू थे।
    “तूने उसे मारा नहीं, वीर… किस्मत ने मारा।”

    वीर ने गहरी साँस ली,
    “पता नहीं, किस्मत किसकी चाल थी — उसकी या हमारी।”

    दोनों जंगल की पगडंडी से नीचे उतरने लगे।
    वीर का कंधा अब भी खून से भीगा था,
    पर सना ने बिना कुछ कहे अपना दुपट्टा फाड़कर बाँध दिया।

    > “खून पोंछ ले, वीर… अब हमें सिर्फ जीना है।”

    ---

    ### 🌆 **नई शुरुआत की कोशिश**

    तीन दिन बाद —
    शहर से दूर, एक पुराने पहाड़ी गाँव में।
    वीर और सना ने वहीं ठिकाना बनाया।
    सना ने अपना नाम बदलकर *“सानिया”* रख लिया,
    और वीर अब *“विक्रम”* कहलाता था।

    वे दोनों एक छोटे-से स्कूल के पास किराए के घर में रहने लगे।
    दिन में सना बच्चों को पढ़ाती,
    और रात में वीर खेतों में काम करता।

    शहर में खबर फैली —
    “गैंगस्टर वीर रणावत और वकील सना गुप्ता दोनों मारे जा चुके हैं।”
    पर हकीकत यह थी कि दोनों एक नई ज़िंदगी जी रहे थे।

    कभी-कभी सना वीर के कंधे पर सिर रखकर कहती —
    “कभी लगता है जैसे हम सचमुच मर चुके हैं…
    और अब रूह बनकर जी रहे हैं।”

    वीर मुस्कुराता,
    “रूह भी तो जी सकती है, अगर उसका मकसद पवित्र हो।”

    ---

    ### 💞 **रोमांस की नयी सांस**

    रात को जब गाँव की बत्तियाँ बुझ जातीं,
    सिर्फ उनके कमरे में दीया जलता था।

    सना ने धीरे से कहा,
    “विक्रम, तू जानता है, जब तू मुझे देखता है ना… तो बाकी दुनिया गायब हो जाती है।”

    वीर ने उसकी कमर थाम ली,
    “और जब तू मुझसे दूर जाती है, तो दुनिया मर जाती है।”

    बारिश की बूंदें खिड़की पर टकरा रही थीं,
    कमरे में हल्की सी खुशबू तैर रही थी —
    जैसे खुद वक़्त भी ठहर गया हो।

    सना की साँसें भारी हो रही थीं,
    उसने आँखें बंद कीं —
    “अगर ये सपना है, तो कभी टूटने मत देना।”

    वीर ने उसके माथे पर चुंबन लिया,

    > “ये सपना नहीं, सज़ा है… जो हमने एक-दूसरे से पाई है।”

    ---

    ### ⚡ **अतीत की परछाई**

    लेकिन अतीत कभी मिटता नहीं।
    एक दिन गाँव में दो लोग आए —
    शहर से आए हुए जाँच अधिकारी।
    उनमें से एक की जेब में वीर की तस्वीर थी।

    “वीर रणावत — वांटेड माफिया,”
    उन्होंने गाँववालों से पूछा।

    सना ने खिड़की से देखा, और उसका दिल धड़क उठा।
    “वीर… हमें जाना होगा।”

    वीर ने मुस्कुराकर कहा,
    “कहाँ तक भागेंगे, सना?
    हर बार भागना भी तो पाप है।”

    सना ने उसके हाथ थामे,
    “तो पाप को पवित्र बना दे — बस एक आखिरी बार।”

    वीर ने सिर झुकाया,
    “ठीक है, इस बार अगर जाना है, तो आखिरी बार ही सही।”

    ---

    ### 🔥 **कानून बनाम प्यार**

    शाम होते ही पुलिस ने घर घेर लिया।
    वीर बाहर आया —
    हाथों में कोई हथियार नहीं, बस सना की तस्वीर थी।

    “तू गिरफ्तार है, वीर रणावत!”
    अफसर ने चिल्लाया।

    वीर मुस्कुराया,
    “जो इंसान अपने पापों से भागना छोड़ दे,
    उसे गिरफ्तार करने की ज़रूरत नहीं होती।”

    सना रो पड़ी,
    “मत जा, वीर… मैंने तेरे लिए सब छोड़ा!”

    वीर ने कहा,
    “तूने जो छोड़ा, वही मेरा हासिल है।”

    पुलिस ने उसे ले लिया।
    सना वहीं गिर पड़ी,
    और वीर बस एक आखिरी बार पलटकर बोला,

    > “सना, मेरी रूह तेरे पास छोड़ जा रहा हूँ।”

    ---

    ### ⛓️ **जेल में फिर से कैद**

    वीर को फिर जेल में डाल दिया गया।
    लेकिन इस बार वो डरता नहीं था।
    वो मुस्कुराता था —
    क्योंकि इस बार उसके पास खोने को कुछ नहीं था,
    बस सना का प्यार था जो हर साँस में गूंजता था।

    रात को उसने दीवार पर अपनी उंगलियों से लिखा —
    **“पाप वही होता है जिसमें प्यार न हो।”**

    ---

    ### 🌙 **सना की जंग**

    सना हार मानने वाली नहीं थी।
    उसने शहर लौटकर सबूत जुटाने शुरू किए।
    उसे आर्यन की एक पुरानी पेन ड्राइव मिली —
    जिसमें सब रिकॉर्ड था —
    पुलिस, मंत्री, और माफिया के बीच का गुप्त सौदा।

    आर्यन असल में किसी और के खेल का मोहरा था।
    उसके पीछे था —
    **“सेठ शंकर चौहान”**,
    जो वीर के पिता की मौत का असली गुनहगार था।

    सना ने वो सबूत कोर्ट में जमा किए।
    पर जिस दिन सुनवाई थी —
    सना को किडनैप कर लिया गया।

    ---

    ### 🔥 **वीर की वापसी**

    जेल में खबर आई —
    “वकील सना गुप्ता का अपहरण!”

    वीर ने पहली बार चुप्पी तोड़ी,
    “अब रूह भी हथियार उठाएगी।”

    उसने जेल तोड़ी —
    एक बार फिर वही वीर बना जो शहर की नसों में डर भर देता था।

    शहर में आग लग गई।
    वीर ने हर उस आदमी को ढूंढा जो सना के रास्ते में आया था।

    तीन दिन बाद,
    शंकर चौहान के महल जैसे बंगले में वीर पहुँचा।

    “तेरे पापों की गिनती खत्म करूँगा आज।”

    शंकर हँसा,
    “मैंने तेरे बाप को मारा, ताकि तू पैदा हो —
    और आज तू ही मेरे हाथों मरने आया है।”

    वीर ने कहा,
    “शैतान कभी जीतता नहीं — बस देर से मरता है।”

    गोली चली —
    और शंकर चौहान गिर गया।

    वीर ने कमरे में सना को पाया —
    बांधी हुई, पर जिंदा।

    उसने उसे गले लगा लिया।
    दोनों फूट-फूटकर रो पड़े।

    > “अब ना भागूँगा, ना छिपूँगा,
    > बस तेरे साथ जीऊँगा — चाहे ये दुनिया हमें पापी ही क्यों न कहे।”

    ---

    ### 🌅 **अंत जो नई शुरुआत है**

    दो महीने बाद…
    वीर ने खुद कोर्ट में सरेंडर किया।
    सना के सबूतों ने सच्चाई साबित की —
    वीर ने आत्मरक्षा में कदम उठाया था।

    जज ने सजा सुनाई —
    “पाँच साल की कैद, और उसके बाद स्वतंत्रता।”

    सना मुस्कुराई,
    “पाँच साल बाद… मैं यहीं रहूँगी, तेरी राह देखती।”

    वीर ने कहा,
    “पाँच साल बाद नहीं, हर दिन तेरी रूह में रहूँगा।”

  • 4. TRUE LOVE ❣️ - Chapter 4

    Words: 1761

    Estimated Reading Time: 11 min

    कैद के पाँच साल

    जेल की सलाखों के बीच से आती सूरज की रोशनी वीर के चेहरे पर पड़ रही थी।
    वो खामोश बैठा था, आँखें बंद, और होंठों पर मुस्कान थी —
    वो मुस्कान जो पाँच साल पहले सना ने छोड़ गई थी।

    वो अब भी रोज़ उसके लिखे खत पढ़ता था,
    हर लाइन जैसे उसकी आवाज़ बनकर कानों में गूंजती थी —

    > “विक्रम… नहीं, मेरे वीर,
    > अगर तेरे खयालों में मैं अब भी आती हूँ,
    > तो जान ले — मैं तेरे बिना साँस नहीं लेती।”

    वीर ने खत को सीने से लगाया और धीरे से हँस पड़ा,
    “तेरे बिना साँस नहीं लेती, और मैं तेरे बिना जीता कैसे हूँ, पागल लड़की?”

    उसकी कोठरी के पास बैठे दो कैदी मुस्कुराए।
    “भाई, तू तो सच में दीवाना है। जेल में भी रोमांस चल रहा है।”

    वीर ने आँखें ऊपर उठाईं,
    “प्यार जेल में नहीं रुकता भाई… बस टाइम टेबल बदल जाता है।”

    सब हँस पड़े।
    जेल के उस ठंडे माहौल में वीर की बातें जैसे गर्मी बन जातीं।

    ---

    ### 💌 **सना के खत और वीर की मस्ती**

    हर हफ्ते सना का खत आता।
    वो उसे ऐसे पढ़ता जैसे कोई बच्चा पहली बार कविता सुन रहा हो।

    एक दिन के खत में लिखा था —

    > “तू वहाँ खाना ठीक से खाता है ना?
    > या अब भी बस मेरी यादों पर जिंदा है?”

    वीर ने खत पढ़ते हुए मुस्कुरा कर बोला,
    “यादें भी तेरी हैं, खाना भी… बस तू खुद नहीं है।”

    पास में बैठे जेलर शर्मा ने कहा,
    “वीर, तू तो पूरा शायर बन गया रे।”

    वीर ने हँसकर जवाब दिया,
    “शायर नहीं सर, आशिक़।
    फर्क बस इतना है कि शायर दर्द लिखता है, और मैं दर्द जीता हूँ।”

    ---

    ### 🌸 **सना की ज़िंदगी बाहर**

    उधर सना अब शहर में नामी वकील बन चुकी थी।
    मीडिया उसे *“वकील साहिबा जिनका दिल जेल में है”* कहने लगी थी।

    एक दिन उसकी दोस्त ने कहा,
    “सना, तू इतनी खूबसूरत है, इतने लड़के तुझसे शादी करना चाहते हैं,
    और तू अब भी उस अपराधी के पीछे है?”

    सना ने मुस्कुराते हुए कहा,
    “वो अपराधी नहीं है, वो मेरी रूह है।”

    दोस्त बोली,
    “पर वो पाँच साल से अंदर है, तुझे डर नहीं लगता?”

    सना ने जवाब दिया,
    “डर मुझे तब लगेगा, जब वो मुझसे प्यार करना छोड़ देगा।”

    ---

    ### 😄 **वीर की मस्ती और जेल की कॉमेडी**

    वीर ने अब जेल में सबको अपना बना लिया था।
    कैदी उसे “भाई” नहीं, “वीर भैया” कहने लगे थे।

    हर शाम वो सबको कहानी सुनाता,
    “आज बताता हूँ, कैसे सना ने मुझसे पहली बार ‘आई लव यू’ कहा था…”

    सामने से एक कैदी बोला,
    “भैया, वो तो गोली चलने के बाद बोली थी ना?”

    “हाँ भाई, गोली भी चली और दिल भी।”
    सब हँस पड़े।

    एक दिन जेलर ने हँसते हुए कहा,
    “वीर, तू जेल के अंदर भी फिल्म चला रहा है क्या?”

    वीर ने जवाब दिया,
    “हाँ सर, लव स्टोरी है, सेंसर बोर्ड आप हैं।”

    ---

    ### 💞 **सना की मुलाकात**

    पाँचवें साल की सर्दी थी।
    वीर जेल की छत पर टहल रहा था, जब एक आवाज़ आई —
    “इतने बदल गए हो कि पहचानना मुश्किल हो गया।”

    वीर पलटा —
    सना वहाँ खड़ी थी, सर्द हवा में बाल उड़ते हुए,
    हाथ में टिफ़िन, और आँखों में वही चमक।

    “सना…”
    वीर की आवाज़ भर्रा गई।

    वो मुस्कुराई,
    “मिलने आई हूँ… अब तो पाँच साल पूरे होने वाले हैं।”

    वीर ने कहा,
    “पाँच साल नहीं, पाँच जन्म हो गए तेरे बिना।”

    सना ने टिफ़िन खोला,
    “पहले खा ले, फिर शायरी कर लेना।”

    वीर ने मुस्कुराकर कहा,
    “तेरे हाथ का खाना… ये तो अमृत है।”

    सना ने हँसते हुए कहा,
    “तू तो पहले भी यही कहता था, जब मैगी जला देती थी।”

    वीर ने नकली गुस्से में कहा,
    “अरे वो भी तेरी याद में जली थी, दोष मुझ पर क्यों?”

    दोनों खिलखिला कर हँस पड़े —
    जेल की दीवारें भी जैसे मुस्कुरा उठीं।

    ---

    ### 🌙 **गहरी बातें, दिल से दिल तक**

    शाम को मुलाक़ात का वक्त खत्म होने वाला था।
    सना ने धीरे से वीर का हाथ थामा,
    “बस थोड़ा और सब्र… फिर तू आज़ाद होगा, और मैं तेरे साथ रहूँगी।”

    वीर ने उसकी उंगलियाँ थामीं,
    “अगर मैं आज़ाद हो गया, तो ये दुनिया हमें नहीं छोड़ेगी।”

    सना ने कहा,
    “फिर छोड़ देने दे… मुझे अब किसी दुनिया की परवाह नहीं।”

    वीर ने मुस्कुराकर कहा,
    “मुझे भी नहीं, बस तेरा हाथ थामने की ख्वाहिश है,
    बाकी दुनिया थाम ले अपने कानून।”

    सना ने उसकी आँखों में देखा,
    “तेरी बातें अब भी वैसी ही हैं।”

    “और तू अब भी वैसी ही पागल।”

    सना मुस्कुराई,
    “पागलपन ही तो प्यार का सबूत है।”

    ---

    ### 🕊️ **आजादी का दिन**

    आख़िर वो दिन आया —
    पाँच साल पूरे हुए।
    वीर जेल के गेट से बाहर निकला।
    सूरज की रोशनी उस पर ऐसे पड़ी जैसे वो किसी दूसरी दुनिया में जन्म ले रहा हो।

    सना सामने खड़ी थी —
    सफेद साड़ी में, चेहरे पर आँसू, पर होंठों पर मुस्कान।

    वीर ने कहा,
    “लगता है रूह का सौदा पूरा हो गया।”

    सना ने जवाब दिया,
    “नहीं… अब रूह का बदला शुरू होगा।”

    दोनों ने एक-दूसरे का हाथ थामा।
    लोगों ने तस्वीरें लीं, मीडिया ने सवाल पूछे,
    पर दोनों बस एक-दूसरे को देख रहे थे —
    जैसे पाँच साल की दूरी एक पल में मिट गई हो।
    परफेक्ट ❤️🔥
    अब कहानी अपने **सबसे खूबसूरत और खतरनाक मोड़** पर पहुँचने वाली है —
    जहाँ वीर और सना की आज़ादी के बाद की ज़िंदगी शुरू तो होगी हँसी और रोमांस से,
    पर जल्द ही उस हँसी के पीछे छिपे रहस्य, पुराने दुश्मन और टूटे वादे परछाइयों की तरह लौट आएँगे...

    ### 🌅 **नई सुबह, पुराना प्यार**

    जेल से रिहा हुए वीर को सना ने अपने बंगले पर लाकर बिठाया।
    घर की चौखट पर उसने कदम रखते हुए कहा,
    “इतने साल बाद किसी के घर नहीं, तेरे दिल में कदम रख रहा हूँ।”

    सना ने मुस्कुराते हुए कहा,
    “बस ध्यान रखना, इस घर में अब लड़ाई नहीं होगी… सिर्फ प्यार, थोड़ी शरारत और बहुत सारा खाना।”

    वीर ने हँसते हुए कहा,
    “तू तो वैसे भी बहस की रानी है, मैं जीता कैसे रहूँगा?”

    “बहस नहीं वीर, *डिबेट*,” सना ने नकली अंग्रेज़ी लहजे में कहा।
    वीर हँस पड़ा, “ओहो, अब तू ‘वकील साहिबा’ बन गई है, तेरी बातों से तो जज भी डर जाए।”

    सना ने उसकी तरफ तकिया फेंक दिया, “तू जेल में गया था या कॉमेडी क्लास में?”
    वीर ने वो तकिया पकड़कर कहा, “तू मुस्कुराती है तो दुनिया की सज़ा भी हल्की लगती है।”

    सना शरमा गई, “अब बस कर… वरना फिर से केस डाल दूँगी।”

    “इस बार दिल पर डाल दे… उम्रकैद चाहिए।”

    दोनों खिलखिलाकर हँस पड़े।

    ---

    ### 🏠 **घर में हलचल और हँसी**

    वीर अब घर में खुलकर जी रहा था।
    सना की नौकरानी *रीता दी* हर दिन उसे छेड़ती,
    “वीर बाबू, आज फिर से सना दीदी के लिए गुलाब तोड़ लाए?”

    वीर मुस्कुराकर कहता,
    “दीदी के लिए नहीं, दीदी के गुस्से को ठंडा करने के लिए।”

    सना कमरे से चिल्लाती,
    “मैंने सब सुना है, मिस्टर रोमियो!”

    वीर ने जवाब दिया,
    “अरे तुम तो वकील हो, सबूत कहाँ है?”

    रीता दी हँसते-हँसते बोली,
    “तुम दोनों को देख कर लगता है प्यार का असली मतलब है *झगड़ा करते करते मुस्कुराना*।”

    ---

    ### 💞 **शहर की बात और छिपा साया**

    लेकिन बाहर की दुनिया उतनी हँसती नहीं थी।
    मीडिया ने वीर को "पूर्व गैंगस्टर" कहकर पेश किया,
    राजनीतिज्ञ आर्यन मल्होत्रा (जो पहले वीर का दोस्त था)
    अब उसे अपने रास्ते से हटाना चाहता था।

    सना ने एक दिन कहा,
    “वीर, मुझसे वादा कर — अब तू किसी झगड़े में नहीं पड़ेगा।”

    वीर ने कहा,
    “अगर किसी ने तेरी तरफ आँख उठाई, तो मैं उसकी ज़िंदगी गिरवी रख दूँगा।”

    सना ने मुस्कुराकर उसका चेहरा छुआ,
    “मुझे बस इतना चाहिए कि तू ज़िंदा रहे, बाकी दुनिया को मैं संभाल लूँगी।”

    वीर ने हँसते हुए कहा,
    “वकील और आशिक़… खतरनाक कॉम्बिनेशन है।”

    ---

    ### 💋 **प्यार की नई शुरुआत**

    रात को बारिश हो रही थी।
    सना बालकनी में खड़ी थी, भीगी हुई हवा उसके बालों से खेल रही थी।
    वीर पीछे से आया, धीरे से उसकी कमर पकड़ ली।

    “कितनी बार कहा है, ऐसे भीगना सेहत के लिए खराब है।”

    सना मुस्कुराई, “तो तू क्या डॉक्टर बन गया?”

    वीर ने कहा,
    “नहीं, बस दिल का मरीज हूँ, और दवा तू है।”

    सना पलटी, उसकी आँखों में देखा —
    “तू पाँच साल जेल में था, और आज भी वैसे ही रोमांटिक है?”

    वीर ने झुककर कहा,
    “पाँच साल में बस तेरे नाम की दुआ की है… अब वही पूरी कर रहा हूँ।”

    बारिश की बूँदें उन दोनों के बीच गिर रहीं थीं,
    और उस पल, दुनिया जैसे थम गई थी।

    सना ने धीरे से फुसफुसाया,
    “वीर…”

    “हूँ?”

    “अगर ये सपना है, तो मैं चाहती हूँ कि कभी न टूटे।”

    वीर ने मुस्कुराकर कहा,
    “तो फिर आँखें मत खोलना…”

    और अगले ही पल, वो बारिश में एक-दूसरे में खो गए।
    उनकी साँसें, उनकी धड़कनें, सब एक हो गया —
    पाँच साल का इंतज़ार एक लम्हे में सिमट गया।

    ---

    ### 💔 **धोखे की शुरुआत**

    अगले दिन सना कोर्ट जाने के लिए तैयार हो रही थी।
    वीर ने चाय पकड़ाते हुए कहा,
    “आज जल्दी आ जाना, तेरे लिए कुछ सरप्राइज़ है।”

    सना ने मुस्कुराते हुए कहा,
    “कहीं फिर से कोई गुलाबों का जंगल तो नहीं लगाया?”

    “नहीं… इस बार तेरे नाम की दीवार पर लिखा है — *‘Welcome Home, My Life’*।”

    सना की आँखें भर आईं,
    “तू सच में दिल से जीता है, वीर।”

    लेकिन उसी शाम जब सना कोर्ट से लौटी,
    तो घर के दरवाज़े पर पुलिस थी।

    “मिस सना, हमें वीर सिंह से पूछताछ करनी है —
    वो फिर से एक गैरकानूनी डील में पकड़ा गया है।”

    सना चौंक गई —
    “क्या? ये झूठ है!”

    पुलिस अफसर बोला,
    “आपके घर से सबूत मिले हैं, पैसा, हथियार, और एक रिकॉर्डिंग…”

    सना की आँखों से आँसू गिरने लगे,
    “नहीं… मेरा वीर ऐसा नहीं कर सकता।”

    वो अंदर भागी —
    वीर गायब था।

    ---

    ### 🌑 **सच या साज़िश**

    अगले दिन मीडिया में हेडलाइन थी —
    **“पूर्व गैंगस्टर वीर सिंह फिर से आपराधिक खेल में शामिल!”**

    सना चुपचाप टीवी देखती रही।
    रीता दी बोली,
    “दीदी, वो ऐसा नहीं कर सकता।”

    सना ने कहा,
    “मुझे पता है, वो नहीं… पर किसी ने उसे फँसाया है।”

    उसने आँखों में आँसू पोंछे और बोली,
    “अब वकील नहीं, प्रेमिका बोलेगी — और ये केस मैं खुद लड़ूँगी।”

    ---

    ### 🔥 **वीर की छिपी चाल**

    दूसरी तरफ, वीर शहर के बाहर एक पुरानी फैक्ट्री में था।
    उसके चेहरे पर दर्द भी था, और मुस्कान भी।

    “माफ़ करना सना… तुझे सच नहीं बता सकता।”

    वो किसी से फ़ोन पर बोला,
    “मिशन शुरू हो गया है। आर्यन अब बच नहीं पाएगा।”

    फोन कटते ही उसकी आँखों में ठंडी आग जल उठी।

  • 5. TRUE LOVE ❣️ - Chapter 5

    Words: 1684

    Estimated Reading Time: 11 min

    रात का वक्त था…
    शहर की रोशनी बुझ चुकी थी, और वीर एक पुराने गोदाम में अकेला बैठा था।
    टेबल पर पड़े नक्शे, बंदूकें और कुछ फाइलें —
    सब उसकी आँखों में जलते सवालों जैसे लग रहे थे।

    वो सना की फोटो उठाकर बोला,
    “तू मुझे माफ़ कर दे… पर जब तक ये बदला पूरा नहीं होता,
    मैं तेरे पास लौट नहीं सकता।”

    ---

    ### 🌑 **सच का खेल**

    वीर के सामने स्क्रीन पर आर्यन मल्होत्रा की तस्वीर चमक रही थी।
    कभी वही आर्यन उसका दोस्त था —
    जो अब उसका सबसे बड़ा दुश्मन बन चुका था।

    “आर्यन ने ही मेरे केस के फाइल में झूठे सबूत डाले थे,
    जिससे मैं जेल गया… और सना ने पाँच साल अकेले काटे।”
    वीर की आवाज़ ठंडी हो गई।

    वो अपने आदमी रवि से बोला,
    “हमारे पास सबूत हैं — अब आर्यन को गिराना है, पर बिना सना को बताए।
    उसे लगेगा मैं गलत हूँ, पर यही उसकी सुरक्षा है।”

    रवि ने कहा,
    “पर भैया, वो आपसे नफरत करने लगेगी।”

    वीर ने मुस्कुरा कर कहा,
    “अगर मेरे झूठ से उसकी जान बचती है,
    तो मैं उसकी नफरत को भी सिर झुकाकर सलाम करूँगा।”

    ---

    ### 🌹 **सना की तलाश**

    सना अब दिन–रात वीर को खोजने लगी थी।
    हर कोर्ट, हर थाने, हर CCTV फुटेज में उसे वीर का कोई निशान नहीं मिला।

    एक शाम वो पुराने मंदिर गई —
    जहाँ कभी वीर ने उसे पहली बार “रूह का रिश्ता” कहा था।

    सना घुटनों पर बैठकर बोली,
    “हे भगवान… अगर सच में रूह का बंधन है, तो मुझे उसका रास्ता दिखा दे।”

    अचानक तेज़ हवा चली, और उसके सामने वीर का पुराना लॉकेट गिरा —
    जिसके अंदर लिखा था *‘तू मेरा अंत भी है और अमरता भी।’*

    सना की आँखों से आँसू बहने लगे,
    “तू कहीं भी हो, वीर… मैं तुझसे मिलूँगी।”

    ---

    ### 💞 **फिर से टकराव**

    तीन दिन बाद, सना को एक खबर मिली —
    “वीर सिंह शहर के बाहर पुराने गोडाउन में देखा गया।”

    वो बिना सोचे कार लेकर वहाँ पहुँची।
    दरवाज़ा खोला —
    अंदर वीर था, हथियारों के बीच, फाइलों से घिरा हुआ।

    सना की आँखों में आँसू, पर आवाज़ में ग़ुस्सा था —
    “ये क्या है, वीर? तू फिर वही सब कर रहा है?”

    वीर चुप रहा।
    सना उसके पास आई,
    “मैंने तेरे लिए सब छोड़ा, अपनी इज़्ज़त, अपना करियर… और तू?”

    वीर ने कहा,
    “सना, प्लीज़… अभी नहीं।”

    “क्यों नहीं? मुझे सच जानने का हक़ है!”

    वीर ने एक पल उसे देखा, फिर बोला,
    “क्योंकि ये बदला है, सना… और बदला प्यार से नहीं लड़ा जा सकता।”

    सना चिल्लाई,
    “तो तूने मुझसे झूठ बोला?”

    वीर ने धीरे से कहा,
    “हाँ।”

    सना की आँखों में ठंडा दर्द उतर आया।
    “ठीक है वीर… तू अपना बदला ले, मैं अपना रास्ता।”

    वो चली गई — और वीर वहीं खड़ा रहा,
    अपनी रूह की आधी साँस उसके साथ जाते हुए महसूस करता रहा।

    ---

    ### 🌧️ **तूफान से पहले की रात**

    उस रात वीर छत पर बैठा था,
    बारिश हो रही थी, वही बारिश जो कभी उनके प्यार की साक्षी थी।

    वो बोला,
    “तू नाराज़ है, मैं जानता हूँ… पर ये सब तेरे लिए कर रहा हूँ, सना।”

    उसने आसमान की तरफ देखा,
    “अगर रूहें सच में मिलती हैं, तो तू मुझे समझेगी।”

    नीचे शहर की रोशनी में आर्यन का घर दिख रहा था —
    वहीं से सबकी शुरुआत हुई थी, वहीं अब सब खत्म होना था।

    ---

    ### 🔥 **आर्यन का खेल**

    आर्यन ने सना को अपने दफ्तर बुलाया।
    “सना जी, मुझे अफसोस है… आपका वीर सिंह फिर से गलत राह पर है।”

    सना ने गुस्से में कहा,
    “तुम कौन होते हो मेरे रिश्ते पर उंगली उठाने वाले?”

    आर्यन मुस्कुराया,
    “आप जानती नहीं, वो अब भी उसी गैंग के लिए काम करता है।
    मेरे पास सबूत हैं।”

    उसने फाइल आगे बढ़ाई।
    सना ने देखा — हर फोटोग्राफ में वीर अपराध करते हुए दिखाया गया था।

    वो सन्न रह गई।
    “नहीं… ये झूठ है!”

    आर्यन बोला,
    “अगर आप उसकी तरफ से केस नहीं छोड़तीं,
    तो अगला केस आपके खिलाफ होगा।”

    सना चुपचाप निकल गई —
    पर उसके दिल में अब एक तूफ़ान उठ चुका था।

    ---

    ### 💀 **सच का सामना**

    उसी रात, वीर ने आर्यन के गोदाम में हमला किया।
    गोलियाँ चलीं, आग लगी, चीखें गूँज उठीं।
    वीर की आँखों में अब इंसानियत नहीं थी — बस रूह की आग।

    आर्यन भागते हुए बोला,
    “तू सोचता है तू मुझे मार देगा और सब ठीक हो जाएगा?”

    वीर ने ठंडे स्वर में कहा,
    “नहीं, मैं तुझे नहीं मारूँगा…
    तू खुद अपने पापों के नीचे दबकर मरेगा।”

    जैसे ही वीर उसे पकड़ने बढ़ा —
    पीछे से एक आवाज़ आई,
    “वीर… रुक जा!”

    वो सना थी।

    वीर ने पलटकर देखा,
    वो काँप रही थी, आँखों में आँसू और डर दोनों थे।

    “तू ये सब क्या कर रहा है?”

    वीर ने कहा,
    “जो तुझे बचाने के लिए करना ज़रूरी था।”

    सना बोली,
    “बचाना नहीं, तू मुझे खो रहा है।”

    वीर चुप रहा,
    उसकी बंदूक ज़मीन पर गिर गई।

    “अगर मेरे जाने से तेरा दिल साफ़ हो जाता है,
    तो जा… मैं तेरी नज़रों में खलनायक ही सही।”

    सना की आँखों से आँसू बहे —
    “तू गलत नहीं, वीर… पर तेरी राह अब मेरी नहीं।”

    वो चली गई।
    बारिश में भीगता वीर बस खड़ा रहा,
    और उसकी आँखों में वही आखिरी चमक थी —
    जो प्यार की थी, या शायद रूह की।

    ---

    ### 🕊️ **रूह का बदला**

    तीन दिन बाद आर्यन की मौत की खबर आई।
    उसकी कार पहाड़ से गिर गई —
    पुलिस ने कहा *दुर्घटना*, पर शहर जानता था, ये बदला था।

    सना अदालत में केस लड़ रही थी,
    तभी उसे एक अनजान लिफाफा मिला।

    अंदर एक खत था —

    > “मेरी रूह अब आज़ाद है, सना।
    > तेरा वीर अब इस दुनिया में नहीं,
    > पर जब भी तू बारिश में भीगेगी,
    > मैं वहीं रहूँगा — तेरे आँसुओं के साथ।
    > – तेरा, हमेशा का रूह।”

    सना ने खत सीने से लगा लिया।
    उसकी आँखों से आँसू बहे, पर चेहरे पर मुस्कान थी।

    “तू गया नहीं वीर… तू तो मेरे अंदर बस गया

    सना को अब तीन महीने हो चुके थे वीर के जाने के।
    उसका चेहरा अब भी खूबसूरत था, पर आँखों के नीचे की थकान बता रही थी —
    कि वो हर रात किसी आवाज़, किसी परछाई, किसी याद के साथ सोती है।

    उसके ऑफिस की खिड़की के बाहर बारिश गिर रही थी,
    वो उसी में खोई हुई थी, जब रीता दी ने अंदर आकर कहा —
    “दीदी, आज फिर आप वही लॉकेट देख रही हैं?”

    सना ने मुस्कुराकर कहा,
    “हाँ रीता दी, इसमें वीर की तस्वीर नहीं… उसकी धड़कन है।”

    रीता दी बोली,
    “मुझे तो लगता है वो कहीं आसपास ही है।”

    सना ने आसमान की तरफ देखा,
    “अगर वो आसपास है… तो ज़रूर हँस रहा होगा,
    कह रहा होगा — ‘पागल लड़की, फिर बारिश में भीग रही है।’”

    दोनों मुस्कुरा दीं —
    पर अगले ही पल दरवाज़ा खुला और एक आदमी अंदर आया,
    काले कपड़ों में, चेहरा आधा ढका हुआ।

    “मिस सना मल्होत्रा?”

    सना ने कहा,
    “जी?”

    “आपसे कोई मिलना चाहता है… आज रात, पुराने घाट पर।”

    सना ने हैरानी से पूछा,
    “कौन?”

    आदमी ने सिर्फ इतना कहा —
    “वो जिसने आपकी रूह को छुआ था।”

    और वो चला गया।

    सना के हाथ काँपने लगे —
    “वीर?”

    ---

    ### 🌑 **पुराना घाट, नई धड़कन**

    रात 12 बजे सना अपनी कार से घाट पर पहुँची।
    चारों तरफ अंधेरा था, हवा में वही गंध… जो कभी वीर के परफ्यूम की थी।

    धीरे-धीरे कदमों की आवाज़ आई।
    वो पलटी — और उसका दिल रुक गया।

    सामने… वीर खड़ा था।

    वही आँखें, वही मुस्कान, बस चेहरा थोड़ा और थका हुआ।

    सना के होंठ काँप गए,
    “वीर… तू जिंदा है?”

    वीर मुस्कुराया,
    “मरा तो था, पर तेरी दुआ ने मौत से लड़वा दिया।”

    सना दौड़कर उसके गले लग गई।
    बारिश फिर से शुरू हो चुकी थी।

    “तू कहाँ था वीर? मैंने तुझे हर जगह ढूँढा…”

    वीर ने कहा,
    “मैं वहीं था जहाँ तेरे खयाल भी नहीं पहुँच सकते थे।”

    सना ने उसकी आँखों में देखा,
    “अब वापस आ जा।”

    वीर ने धीरे से कहा,
    “अभी नहीं… अभी जंग बाकी है।”

    ---

    ### 💣 **नई जंग की शुरुआत**

    वीर ने सना को बताया कि आर्यन की मौत के पीछे एक और शख्स है —
    एक और बड़ा चेहरा, जो अब सब कुछ नियंत्रित कर रहा है — *राघव मेहरा।*

    राघव वही इंसान था जिसने कभी वीर को गैंग की दुनिया में धकेला था,
    और अब वही शहर के सबसे बड़े नेता की कुर्सी पर था।

    सना ने कहा,
    “तो अब क्या करने का प्लान है?”

    वीर ने हल्की मुस्कान के साथ कहा,
    “प्लान नहीं… बदला।”

    सना ने ठंडे स्वर में कहा,
    “फिर वही बात, वीर… तू कब समझेगा कि हिंसा से कुछ नहीं मिलता?”

    वीर ने उसकी ओर झुककर फुसफुसाया,
    “तूने ही तो कहा था — *प्यार भी तो जुनून है,*
    फिर बदला क्यों नहीं हो सकता?”

    सना चुप रह गई —
    उसकी आँखों में डर भी था, और चाहत भी।

    अगले दिन वीर छिपकर सना के घर पहुँचा।
    रीता दी ने दरवाज़ा खोला, और उसे देखकर चिल्ला पड़ी,
    “हे भगवान! भूत!”

    वीर ने मुस्कुराते हुए कहा,
    “भूत नहीं दी, रूह हूँ… सना की रूह।”

    रीता दी हँस पड़ी,
    “तेरी ये शरारतें नहीं बदलेंगी। अंदर आ जा, पहले चाय पी।”

    वीर बोला,
    “चाय नहीं दी, वो मैगी बना दे… वही वाली जो तू नमक भूल जाती है।”

    रीता दी बोली,
    “अरे तेरे लिए तो अब मैं नमक दो बार डाल दूँगी।”

    दोनों खिलखिलाकर हँस पड़े —
    सना बाहर आई और बोली,
    “तुम दोनों की दोस्ती अब भी चल रही है?”

    वीर ने कहा,
    “हाँ, जेल में भी दी के टिफ़िन से जीता था।”

    सना मुस्कुराई,
    “और अब मेरी झाड़ से मरेगा।”

    रात को वीर और सना छत पर बैठे थे।
    चाँदनी उन पर पड़ रही थी,
    वीर ने सना के बालों में उंगलियाँ फेरीं।

    “पता है, जब मैं जेल में था,
    तो तेरी हर मुस्कान को याद रखता था।
    अब सामने बैठी है, तो यकीन नहीं होता।”

    सना ने मुस्कुरा कर कहा,
    “यादें भी तू रखता है, बदला भी…
    कुछ मुझे भी करने देगा?”

    वीर बोला,
    “तू बस हँसती रह… बाकी सब मुझ पर छोड़ दे।”

    सना ने उसकी ओर देखा,
    “अगर तू हार गया तो?”

    वीर मुस्कुराया,
    “तो मेरी रूह जीतेगी… और वो रूह तू है।”

  • 6. TRUE LOVE ❣️ - Chapter 6

    Words: 1337

    Estimated Reading Time: 9 min

    सुबह वीर बाहर गया,
    एक पुराने गोदाम में राघव के लोगों से मिलने।
    वहाँ एक नकाबपोश औरत आई…

    उसने कहा,
    “मुझे तुम्हारे मिशन का हिस्सा बनना है।”

    वीर ने बंदूक तानी,
    “तू कौन है?”

    वो मुस्कुराई,
    और धीरे-धीरे नकाब हटाया —

    वो **सना** थी।

    पर उसकी आँखों में वो नर्मी नहीं थी,
    वो ठंडी और रहस्यमयी हो चुकी थी।

    वीर सन्न रह गया —
    “सना… तू?”

    वो बोली,
    “अब मैं सिर्फ तेरी सना नहीं,
    ‘अटॉर्नी ऑफ़ शैडोज़’ हूँ —
    और अब मैं तेरे खिलाफ केस लड़ने वाली हूँ।”

    वीर की आँखों में बिजली कौंधी।
    “मतलब… तू भी खेल में है?”

    वो मुस्कुराई,
    “नहीं वीर, *अब खेल मेरा है*।”
    हैं।*

    अब शुरू होता है —

    ---

    सना अकेली खड़ी थी, शीशे की दीवार के सामने।
    उसकी परछाई में दो चेहरे थे —
    एक वो जो कभी वीर के लिए धड़कता था,
    और दूसरा वो जो अब दुनिया के सबसे खतरनाक केस की अटॉर्नी थी।

    टेबल पर वीर की तस्वीर रखी थी —
    उसके गाल पर हल्की सी मुस्कान, आँखों में वही शरारत।
    सना ने तस्वीर को पलटा,
    और नीचे लिखा देखा —
    *"प्यार अगर बेगुनाह है, तो सजा क्यों?"*

    वो मुस्कुराई,
    “अब तुझे ही बताऊँगी, वीर… कि सजा कैसे दी जाती है।”

    ---


    अगली सुबह, पूरे शहर में खबर फैल गई —
    “क्रिमिनल मास्टरमाइंड वीर सिंह के खिलाफ केस की पैरवी करेगी सना मल्होत्रा।”

    राघव मेहरा ने मुस्कुराते हुए कहा,
    “अच्छा किया, सना। तू अब सही साइड पर है।”

    सना ने ठंडे स्वर में कहा,
    “मैं किसी साइड पर नहीं, *सच* के साइड पर हूँ।”

    राघव ने पास आकर कहा,
    “तो फिर सावधान रहना, क्योंकि सच की कीमत खून से चुकानी पड़ती है।”

    वो चली गई — पर उसकी आँखों में एक चमक थी।
    जैसे वो खेल समझ चुकी थी…
    पर उसका असली मकसद अब भी छिपा हुआ था।

    ---

    दूसरी ओर वीर अपने पुराने अड्डे पर था।
    कमरे में दीवारों पर नक्शे, फोटो, और नाम टंगे थे।
    सब राघव के नेटवर्क के लोग।

    आदित्य, उसका पुराना दोस्त, बोला —
    “भाई, तू जानता है ना सना अब तेरे खिलाफ केस लड़ेगी?”

    वीर ने मुस्कुराकर कहा,
    “जानता हूँ… और यही तो गेम का मज़ा है।”

    आदित्य ने माथा पकड़ा,
    “तू पागल है क्या?”

    वीर बोला,
    “प्यार अगर आसान होता तो वो वीर-सना की कहानी नहीं कहलाती।”

    फिर उसने हल्के से कहा,
    “और शायद… सना वो नहीं कर रही जो दिख रहा है।”

    रात को वीर सना के घर की दीवार लाँघकर अंदर गया।
    वो खिड़की के पास खड़ी थी, नीली साड़ी में, बाल खुले हुए।

    वीर ने फुसफुसाकर कहा,
    “इतना खूबसूरत वकील तो जज को भी दोषी बना दे।”

    सना पलटी —
    “तू फिर आ गया? तेरे खिलाफ केस लड़ रही हूँ, और तू मुझसे फ्लर्ट कर रहा है?”

    वीर मुस्कुराया,
    “केस तेरे खिलाफ़ होना चाहिए, मेरे दिल की चोरी के लिए।”

    सना ने हल्के से उसकी छाती पर मुक्का मारा,
    “तू हमेशा इतना नालायक क्यों रहता है?”

    वीर ने उसकी कलाई पकड़ ली,
    “क्योंकि तेरा नाम सुनते ही मेरा दिमाग काम करना बंद कर देता है।”

    सना ने उसकी ओर देखा,
    आँखों में आँसू… होंठों पर मुस्कान।
    “तू जानता है ना, मुझे ये सब नहीं करना चाहिए।”

    वीर ने उसके होंठों पर उंगली रखी,
    “और तू जानती है, मुझे रोकने की कोशिश मत करना।”

    दोनों के बीच वो एक पल रुका —
    जहाँ सांसें मिल गईं, और वक़्त ठहर गया।
    बारिश की आवाज़, सना की धड़कन, और वीर की नज़दीकी —
    सब मिलकर एक रूहानी खामोशी बना रहे थे।


    दरवाज़ा अचानक खुला —
    रीता दी हाथ में ट्रे लेकर अंदर आई, और दोनों को पास देखकर बोली,
    “हे भगवान! फिर से वही सीन?”

    वीर झट से पीछे हुआ,
    “दी… वो, सना गिरने वाली थी।”

    रीता दी ने भौं उठाई,
    “गिरने से बचा रही थी या खुद गिरने की कोशिश थी?”

    सना हँस पड़ी,
    “दी, आप हमेशा गलत समय पर आती हैं।”

    रीता दी बोली,
    “गलत नहीं, सही समय पर — वरना आज कोर्ट में नया केस जुड़ जाता: *प्रेम में डूबे आरोपी वीर सिंह बनाम नियंत्रण खो चुकी वकील सना मल्होत्रा*।”

    तीनों हँस पड़े —
    थोड़ी देर के लिए जैसे सब दर्द मिट गया हो।

    ---

    अगले दिन कोर्ट में सना और वीर आमने-सामने खड़े थे।
    सना ने फाइल खोली,
    “Your honor, ये केस सिर्फ अपराध का नहीं… एक इमोशन का भी है।”

    वीर मुस्कुराया,
    “अगर इमोशन का केस है, तो सजा में इश्क़ दे दो।”

    पूरी कोर्ट हँस पड़ी।
    पर सना की आँखों में एक रहस्यमयी ठंडक थी।
    वो वीर को ऐसे देख रही थी जैसे हर बात के पीछे कुछ छिपा हो।

    जज ने तारीख दी,
    “अगली सुनवाई अगले सोमवार।”

    कोर्ट खत्म हुई — सना बाहर आई।
    कार में बैठी और एक कोडेड फोन निकाला।

    फोन पर आवाज़ आई —
    “क्या उसने शक किया?”

    सना ने ठंडे स्वर में कहा,
    “नहीं… वो अब भी मुझसे प्यार करता है।”

    आवाज़ बोली,
    “अच्छा। अब अगला कदम उठाने का समय है।”

    सना ने जवाब दिया,
    “ठीक है, *ऑपरेशन रूह* शुरू करते हैं।”


    रात को वीर अपने कमरे में बैठा था।
    उसके फोन पर एक मैसेज आया —
    *"Trust no one. Even she’s playing you."*

    वीर ने स्क्रीन को देखा,
    फिर मुस्कुराया और बोला,
    “खेल खेलो, सना… पर याद रखना, मैं वो खिलाड़ी हूँ जो दिल से चलता है।”

    उसने कमरे की दीवार पर सना की तस्वीर के नीचे लिखा —
    **“प्यार बनाम प्लान — अब शुरुआत।”**

    वीर दीवार पर बैठा तारों को देख रहा था।
    आदित्य बोला,
    “भाई, अब क्या सोच रहा है?”

    वीर ने गहरी सांस ली,
    “सना… वो कुछ छुपा रही है।”

    आदित्य ने हँसते हुए कहा,
    “कभी किसी लड़की को बिना सीक्रेट के देखा है?”

    वीर मुस्कुराया,
    “सना लड़की नहीं, मेरी रूह है… और रूह अगर छुपाए, तो वजह गहरी होती है।”

    वो खड़ा हुआ,
    “अब वक्त है उसके पीछे सच्चाई जानने का — प्यार से नहीं, समझ से।”

    ---

    रात के अंधेरे में सना कार से किसी गुप्त जगह जा रही थी।
    उसके साथ दो ब्लैक एसयूवी और चार गार्ड थे।
    कंधे पर बैग, आँखों में दृढ़ता।

    वो एक पुराने वेयरहाउस के अंदर पहुँची।
    वहाँ राघव मेहरा और उसकी टीम बैठे थे।

    राघव बोला,
    “ऑपरेशन रूह आज शुरू होगा, सना। हमें वीर को खत्म नहीं करना है… उसे तोड़ना है।”

    सना ने ठंडे स्वर में कहा,
    “वो इंसान नहीं, एक तूफान है। उसे तोड़ा नहीं जा सकता।”

    राघव ने मुस्कुराकर कहा,
    “तू तो उसे बहुत जानती है… शायद बहुत चाहती भी है?”

    सना बोली,
    “प्यार मेरा है, प्लान तुम्हारा — और दोनों की मंज़िल एक नहीं।”

    राघव ने पास आकर कहा,
    “सावधान रहना, सना। प्यार और मिशन में फर्क भूल गई, तो दोनों खो देगी।”

    सना की आँखें झुकीं,
    “मैं जो भी कर रही हूँ, उसके लिए एक वजह है — और वो वजह भी वीर है।”

    ---

    दो दिन बाद वीर ने सना को मिलने बुलाया,
    एक पुरानी हवेली में, जहाँ कभी दोनों बारिश में छिपकर बैठते थे।

    वीर मुस्कुराया,
    “तू अब भी वही इत्र लगाती है — वही जो पहली बार चोरी किया था।”

    सना ने कहा,
    “तू अब भी वही बातें करता है — जो पहली बार सुनकर मैं हँसी थी।”

    दोनों हँस पड़े।
    पर वीर की आँखें गहरी थीं — जैसे वो कुछ पढ़ रहा हो।

    सना ने पूछा,
    “क्या देख रहा है?”

    वीर बोला,
    “तेरी आँखों में सच्चाई ढूँढ रहा हूँ… पर वहाँ बहुत सन्नाटा है।”

    सना पल भर के लिए चुप रही।
    फिर बोली,
    “कभी-कभी सन्नाटा सबसे ज़्यादा बोलता है, वीर।”

    वीर ने धीरे से कहा,
    “और कभी-कभी वही सन्नाटा धोखा देता है।”

    सना ने उसकी बाँहों में सिर रख दिया —
    वो लम्हा प्यार का था, पर उसके अंदर झूठ की चिंगारी छिपी थी।
    दोनों की साँसें मिल रही थीं, पर इरादे अलग थे।

    अगले दिन रीता दी और आदित्य कैफ़े में मिले।
    रीता दी ने कहा,
    “तुम्हारा भाई बहुत शक्की होता जा रहा है।”

    आदित्य ने कॉफ़ी का घूँट लिया,
    “और तुम्हारी सना दी बहुत रहस्यमयी।”

    दोनों हँसे।

    रीता दी बोली,
    “काश ये दोनों प्यार की जगह राजनीति करते, तो अब तक प्रधानमंत्री बन जाते।”

    आदित्य बोला,
    “नहीं दी, ये दोनों तो देश भी बेच दें प्यार में।”

    रीता दी हँसते हुए बोली,
    “सही कहा — एक रूह है, एक जंग… और दोनों को आराम पसंद नहीं।”

  • 7. TRUE LOVE ❣️ - Chapter 7

    Words: 1154

    Estimated Reading Time: 7 min

    रात के बारह बजे, वीर के फोन पर एक संदेश आया —
    *"Help needed at Sector 17 warehouse."*

    वो वहाँ पहुँचा।
    अंदर पूरी जगह अंधेरे में थी।
    जैसे ही उसने कदम रखा,
    फर्श पर लगी मोशन लाइट्स जल उठीं —
    और सामने स्क्रीन पर सना की रिकॉर्डिंग चली।

    “Welcome to Operation R.U.H.”

    वीर के चेहरे का रंग उड़ गया।

    वीडियो में सना कह रही थी,
    “अगर तुम ये देख रहे हो, तो जान लो — अब खेल शुरू हो चुका है।”

    वो आगे बोली,
    “इस मिशन का मकसद एक ही है — सच को सामने लाना। चाहे उसकी कीमत हमारी रूह क्यों न हो।”

    वीर धीरे से बोला,
    “तो ये सब प्लान था…”

    अचानक उसके पीछे दरवाज़ा बंद हुआ।
    आवाज़ आई,
    “हाथ ऊपर करो, वीर सिंह!”

    राघव के लोग अंदर आ गए।
    वीर ने हँसते हुए कहा,
    “इतने लोग? सिर्फ एक रूह को पकड़ने के लिए?”

    फिर उसने बिजली की तरह छलाँग लगाई,
    एक गार्ड की बंदूक छीनी, और सबको गिरा दिया।

    वो भागता हुआ बाहर निकला —
    पर वहाँ… सना खड़ी थी।

    वीर रुका।
    “तू?”

    सना बोली,
    “हाँ, मैं।”

    वीर ने कहा,
    “तो ये सब तूने किया?”

    सना की आँखों में आँसू थे,
    “हाँ, लेकिन वजह तू नहीं जानता।”

    वीर ने बंदूक नीचे की,
    “तो बता दे… इससे पहले कि मैं खुद बन जाऊँ वो वजह।”

    सना ने फुसफुसाया,
    “राघव ने तेरी माँ को बंधक बना रखा है, वीर। मैं तेरे खिलाफ काम इसलिए कर रही हूँ… ताकि तेरी माँ जिंदा रह सके।”

    वीर का दिल रुक गया।
    “मेरी माँ?”

    सना की आँखों से आँसू बहे,
    “हाँ… और अब तू जो भी करेगा, उसका असर उसकी जान पर होगा।”

    वीर ने कहा,
    “मतलब तू अब दुश्मन नहीं… मेरी ढाल है।”

    सना बोली,
    “ढाल नहीं, आईना — जो तुझे दिखा रही हूँ कि असली दुश्मन कौन है।”

    वीर मुस्कुराया,
    “अब समझ आया… *ऑपरेशन रूह* तू नहीं, हम दोनों हैं।”

    ---

    सना ने वीर का हाथ थाम लिया।
    “अब वक्त है राघव को खत्म करने का… लेकिन कानून के रास्ते से।”

    वीर ने कहा,
    “और अगर कानून झुक गया?”

    सना ने मुस्कुराकर कहा,
    “तो फिर तू है ना… तेरा तरीका भी तैयार रख।”

    वीर ने सना की ओर देखा,
    “अब हम दोनों मिलकर खेलेंगे — तू दिमाग से, मैं दिल से।”

    दोनों की हथेलियाँ जुड़ीं —
    और पीछे से हल्की आवाज़ आई,
    “Operation R.U.H. Phase Two — Initiated.”

    सना और वीर एक पुरानी फैक्ट्री में थे, जिसे अब उन्होंने “ऑपरेशन हब” बना दिया था।
    टूटे शीशे, जंग लगे पाइप, और बीच में टेबल जिस पर नक्शे, लैपटॉप और चाय रखी थी।

    वीर ने चाय की तरफ देखते हुए कहा,
    “यह चाय है या बदले की भस्म?”

    सना बोली,
    “तू अगर चुप रहे तो शायद मीठी लगे।”

    वीर मुस्कुराया,
    “तू मीठी बातें कम और ताने ज़्यादा मारती है।”

    सना ने फाइल उसकी ओर फेंकी,
    “इस बार ताने नहीं, काम कर।”

    दोनों के बीच हल्की सी हँसी, जो गहरी थकान को छुपा रही थी।
    दोनों जानते थे कि आगे की लड़ाई में हँसी शायद सबसे ज़रूरी हथियार होगी।

    वीर ने फाइल खोली,
    “राघव का नेटवर्क बहुत बड़ा है — पुलिस, मीडिया, और बिज़नेस सब उसके कंट्रोल में हैं।”

    सना बोली,
    “तो हमें वो करना होगा जो वो सोच भी न सके।”

    वीर ने हँसते हुए कहा,
    “मतलब गुप्त मिशन, नकली पहचान, और तेरे साथ एक ही कमरे में रहना?”

    सना बोली,
    “अगर तू एक शब्द और बोलेगा, तो ये मिशन तेरी लाश से शुरू होगा।”

    वीर ने नज़दीक आकर फुसफुसाया,
    “इतनी खूबसूरती से धमकाने वाली को देखकर मौत भी मुस्कुरा दे।”

    सना ने झेंपते हुए कहा,
    “तू सुधरेगा नहीं।”

    ---

    सना ने कहा,
    “तू अब मेरे अंडर काम करेगा, और जो मैं कहूँगी, वही करेगा।”

    वीर बोला,
    “तो आज से मैं तेरा ‘ट्रैनी’ हूँ?”

    सना बोली,
    “हाँ, और ट्रैनी को पहले सीधा चलना सीखना होगा।”

    वीर ने नकली सैल्यूट मारा,
    “जी हेडमिस सना मल्होत्रा।”

    सना हँसी रोक नहीं पाई,
    “वीर, मैं गंभीर हूँ।”

    वीर बोला,
    “मैं भी, तेरी हर बात दिल पर लेता हूँ।”

    वो हँसी में झुक गई,
    “तू सच में पागल है।”

    वीर ने मुस्कुराते हुए कहा,
    “और तू मेरी दवा।”


    रात को दोनों मिशन रिपोर्ट बना रहे थे।
    सना गंभीर थी,
    “कानून कहता है कि हमें सबूत लाना होगा।”

    वीर बोला,
    “दिल कहता है कि हमें इंसाफ़ चाहिए, चाहे किसी भी रास्ते से।”

    सना ने आँखें उठाईं,
    “और अगर कानून और दिल में टकराव हो जाए तो?”

    वीर ने कहा,
    “तो मैं तेरे दिल को मानूँगा… क्योंकि कानून इंसानों ने बनाया है, और तू मेरी खुदा है।”

    सना चुप रह गई —
    पहली बार वीर के शब्दों में वो सच्चाई थी जिसने उसके दिल को हिला दिया।

    वो बोली,
    “पागल… ऐसे मत देखा कर।”

    वीर ने मुस्कुराकर कहा,
    “देखना बंद कर दूँ तो जीना बंद हो जाएगा।”

    सना ने लैपटॉप खोला,
    “कल रात राघव के ठिकाने से डेटा निकालना है।
    लेकिन अंदर जाने के लिए पासवर्ड चाहिए — जो सिर्फ उसकी सेक्रेटरी के पास है।”

    वीर ने कहा,
    “मतलब पहले उसके करीब जाना होगा।”

    सना बोली,
    “वो मेरा काम है।”

    वीर ने कहा,
    “और मैं?”

    सना मुस्कुराई,
    “तू बाहर रहेगा… और मेरी नज़र में।”

    वीर बोला,
    “मतलब मैं न अंदर जा सकता हूँ, न तेरे पास रह सकता हूँ?”

    सना बोली,
    “दोनों जगह नहीं, वरना मिशन नहीं रोमांस बन जाएगा।”

    वीर मुस्कुराया,
    “मुझे तो दोनों पसंद हैं।”


    रात को दोनों एक ही टेबल पर बैठे थे,
    वीर ने धीरे से कहा,
    “कभी सोचा था, हम दोनों ऐसे बैठेंगे — तू लैपटॉप खोलेगी, मैं तेरी तरफ देखता रहूँगा।”

    सना ने कहा,
    “और मैं काम करूँगी, तू टेंशन।”

    वीर झुक गया,
    “तेरे काम में भी तो मैं हूँ।”

    सना ने उसकी ओर देखा,
    आँखों में हल्की चमक थी।
    “वीर, अगर हम हार गए तो?”

    वीर बोला,
    “फिर जीत को हमारी कहानी याद रहेगी।”

    दोनों की निगाहें मिलीं —
    और चारों ओर सिर्फ चुप्पी,
    जिसमें प्यार की आवाज़ थी।

    अगले दिन सना पार्टी में गई, राघव की सेक्रेटरी से मिलने।
    वो मुस्कुराते हुए बोली,
    “मैं लीगल एडवाइजर हूँ, राघव सर से एक मीटिंग फिक्स करनी है।”

    उधर वीर वैन में कैमरा से सब देख रहा था।
    सिग्नल कमजोर हुआ — स्क्रीन ब्लर हो गई।

    अचानक सिग्नल वापस आया —
    वीर ने देखा कि सना के पास राघव खुद खड़ा था।

    राघव बोला,
    “तो, मिस मल्होत्रा… फिर से आई हो मेरी जिंदगी में?”

    वीर के चेहरे पर पसीना आ गया।
    “फिर से?”

    राघव बोला,
    “याद है, पाँच साल पहले तू ही तो मेरे खिलाफ़ गवाही देने वाली थी —
    पर वीर ने तुझे रोक लिया था।”

    वीर की आँखें चौड़ी हो गईं।
    “मतलब… सना पहले से राघव को जानती थी?”

    सना की आँखों में डर और अपराध का भाव था।

    राघव बोला,
    “प्यार और प्लान दोनों बार हारोगी, सना।”

    सना ने फुसफुसाया,
    “इस बार नहीं।”

    वो अचानक उसकी जेब से चिप निकालकर भागी —
    और बाहर खड़ी बाइक पर कूद गई, वीर के पास।

    वीर बोला,
    “क्या था वो सब?”

    सना ने हाँफते हुए कहा,
    “अतीत… जो मैंने तुझसे छुपाया।”

    वीर ने बाइक स्टार्ट की,
    “अब वो अतीत हमारा दुश्मन बनेगा…
    और हम दोनों मिलकर उसे खत्म करेंगे।”

  • 8. TRUE LOVE ❣️ - Chapter 8

    Words: 1475

    Estimated Reading Time: 9 min

    हवेली की लाइट्स धीमी थीं। बाहर हल्की बारिश, अंदर हवा में गीली मिट्टी की खुशबू।
    वीर कमरे में दाखिल हुआ—शांति से, पर उसकी आँखों में तूफ़ान था।

    सना खिड़की के पास खड़ी बारिश देख रही थी, लेकिन उसकी निगाहें वीर की चाल पर अटक गईं।

    वीर बिना कुछ बोले उसके करीब आया, इतना करीब कि सना को उसकी साँस अपनी गर्दन पर महसूस हुई।

    **सना:** “तुम… इतनी चुप क्यों हो?”
    **वीर (धीमे, भारी स्वर में):** “क्योंकि पहली बार… मैं किसी को खोने से डर रहा हूँ।”

    सना का दिल धड़क उठा।

    लेकिन फिर उसने धीरे से मुस्कुरा कर कहा—
    “अच्छा, इतनी बड़ी दुनिया का सबसे खतरनाक आदमी डर सकता है?”

    वीर उसकी ठुड्डी पकड़कर ऊपर करता है।

    **वीर:** “तुम्हारी वजह से मैं कुछ भी बन सकता हूँ… खतरनाक भी, और नासमझ भी।”

    एक सेकंड के लिए रूम में रोमांस की गर्म हवा फैलती है।
    सना पहली बार वीर की आँखों में वो softness महसूस करती है जो दुनिया से छुपी हुई थी।

    लेकिन तभी—
    दरवाज़े पर दस्तक।

    **सिक्योरिटी:** “Boss… एक आदमी मिला है, जो कह रहा है कि वो ‘Sana begum’ को जानता है…”

    वीर का चेहरा सख्त।
    सना के चेहरे पर घबराहट।

    वीर ने उसकी कलाई पकड़ ली—
    मजबूती से, पर प्यार से।

    **वीर:** “कौन है वो?”
    सना धीरे से बोली— “शायद मेरा… पुराना दोस्त।”

    वीर के चेहरे पर jealousy और गुस्सा दोनों उभरते हैं।

    **वीर:** “Tumhara koi bhi ‘purana’—
    अब मेरे ‘aaj’ में दखल नहीं देगा।
    मैं उससे बात करूँगा… अकेले।”

    सना उसका हाथ पकड़ लेती है।

    **सना:** “वीर, वह बुरा इंसान नहीं है। बस उसे गलतफहमी है।”
    **वीर:** “गलतफहमी तो सबको होती है…
    पर मैं किसी को भी तुम्हारे करीब आने का हक नहीं दूँगा।”

    सना ने पहली बार उसकी possessive intensity इतनी करीब से देखी।

    वह धीरे से हँसी—
    “Tum itne possessive कब से हो?”

    वीर पास झुककर उसके कान में फुसफुसाया—

    **वीर:** “Jab se tum meri zindagi ka sabse khतरनाक addiction बनी हो…”

    सना का चेहरा लाल।
    मौसम, हवा, छत से टपकती बारिश की बूंदें—सब एक cinematic माहौल बना रही थीं।

    ---

    ### 🌧️ **कमरे के बाहर—वीर का क्रोध**

    वीर बाहर निकलता है।
    सना की security दोगुनी कर देता है।
    उस आदमी को पकड़वा कर बेसमेंट में ले जाया जाता है।

    उस आदमी का नाम ‘अयान’।
    सना का childhood दोस्त।

    **अयान:** “सना को तुमने कैद कर रखा है! मैं उसे बाहर ले जाऊँगा!”

    वीर की मुस्कान ठंडी पड़ जाती है।

    **वीर:** “वो मेरी बंदिश नहीं… मेरी साँस है।”

    अयान चुप।

    वीर के आदमी उसे दबोच लेते हैं।

    **वीर:** “सना को ले जाने की बात दोबारा की…
    तो तुम्हारी ज़ुबान हमेशा के लिए चुप हो जाएगी।”

    सना इसी बीच पहुँच जाती है—

    **सना:** “वीर… leave him.”

    वीर रुकता है।
    सिर्फ उसकी आवाज़ पर।

    **वीर:** “Tumhari wajah se jaa raha hai.
    Tumhari जगह कोई और होती… तो ये जिंदा वापस नहीं जाता।”

    अयान भाग जाता है, डरकर।

    सना वीर को घूरती है।

    **सना:** “हर चीज़ पर कंट्रोल मत करो। मैं चीज़ हूँ क्या, जिसे कोई ले जाए?”

    वीर पास आता है—

    **वीर:** “Tum cheez nahi ho… tum meri jaan ho.
    Aur jaan chori hone ka risk main nahi leta।”

    सना उसकी इस लाइन से पल भर को चुप रह गई।

    ---

    सना चुपचाप कमरे में चलती है।
    वीर पीछे-पीछे आता है जैसे बॉडीगार्ड और बॉयफ्रेंड का मिक्स।

    सना मुड़कर कहती है—
    “ज़रा रुक जाओ! मुझे सोचने दो!”

    वीर: “सोचना मुझे देखकर आसान होता है।”

    सना: “और दिमाग खराब भी तुमसे ही होता है।”

    वीर हल्का हँसता है—
    “तो दिमाग मेरा पकड़ लो… मैं संभाल लूँगा।”

    सना ने तकिया उठाकर मारा।

    **वीर:** “Yeh kya bachpana hai?”
    **सना:** “तुम्हारी possessiveness से better है।”

    वीर अचानक करीब आकर उसके दोनों हाथ पकड़ता है—
    “Jaise bhi ho… par meri ho.”

    सना हिलती नहीं… बस उसे देखती है।

    दोनों के बीच की दूरी सिर्फ कुछ सेंटीमीटर।
    हवा में सर्दी और उनके बीच गर्माहट का टकराव।

    सना ने पहली बार अपने हाथ धीरे से उसके सीने पर रखे।

    **सना:** “और… अगर मैं तुम्हें छोड़कर चली जाऊँ तो?”

    वीर की आँखों में आग चमक उठी।

    वह छोटे से रुककर बोला—

    **वीर:** “Tab main tumhe dhoond ke…
    phir se tumhe apna bana लूँगा.”

    सना के होंठ काँप रहे थे।
    ना डर से—
    ना गुस्से से—
    बल्कि *उस intensity से जो वीर की हर बात में थी।*

    --

    रात को हवेली में blackout हो जाता है।
    सब लाइट्स बंद।
    पूरा महल अंधेरा।

    सना घबराकर वीर का नाम लेती है—
    “वीर…?”

    तभी अचानक—

    बाहर गाड़ियों का शोर।
    बंदूकें।
    चोटियाँ।

    **वीर की दुश्मन गैंग हवेली में घुस चुकी है।**

    और सना के कमरे की ओर दौड़ रही है।

    वीर जोर से चिल्लाता है—

    **“SANA, दरवाज़ा बंद करो! मैं आ रहा हूँ

    सना का कमरा अंधेरे में डूबा था।
    कहीं दूर से गोलियों की आवाज़।
    सीढ़ियाँ हिलती हुई—जैसे भारी बूट्स तेजी से ऊपर चढ़ रहे हों।

    सना का दिल ज़ोरों से धड़क रहा था—
    “वीर… वीर कहाँ हो?”

    कमरे में सिर्फ उसके हाथ का फोन था, जिसमें कोई network नहीं।

    अचानक दरवाज़े पर धड़ाम— एक ज़बरदस्त चोट।

    सना भागकर अलमारी के पीछे छुप गई।

    तभी—

    **वीर की आवाज़:**
    “सना! दरवाज़ा मत खोलना! मैं आ रहा हूँ!”

    उसकी आवाज़ में वो intensity थी, जो सिर्फ तब आती है…
    *जब कोई अपनी पूरी दुनिया बचाने दौड़ रहा हो।*

    ---

    वीर सीढ़ियाँ तीन-तीन करके चढ़ता है।
    हाथ में gun, चेहरे पर उस जानलेवा गुस्से का रंग जो सिर्फ सना के लिए आता है।

    उसके गार्ड गिर चुके थे।
    तीस आदमी अंदर घुस चुके थे।

    लेकिन वीर की आँखों में सिर्फ एक चीज थी—
    **सना।**

    वह चिल्लाता है—
    “जो भी ऊपर जाएगा… जिंदा नीचे नहीं आएगा!”

    उसकी गर्जना सुनकर कई दुश्मनों के हाथ काँपने लगे।
    पर वे रुके नहीं

    हल्की रोशनी दरारों से अंदर आ रही थी।
    सना अलमारी की आड़ में बैठी अपने कानों पर हाथ रखे थी।

    पर असल में उसे अपने डर से ज़्यादा…
    वीर की सलामती की फिक्र थी।

    *“भगवान, वीर को कुछ मत होने देना… वो ऐसे गुस्से में खुद को भूल जाता है…”*
    उसकी आँखें भर आईं।

    यह वो पल था जब उसे समझ आया—
    वो वीर से नफरत नहीं कर सकती।
    नाराज़ रह सकती है…
    पर उससे दूर नहीं।

    ---

    अचानक—

    **धड़ाम!!**

    दरवाज़ा गिरा।
    दो नकाबपोश अंदर घुसे।

    सना चीख उठी।
    “वीर…!!”

    वे उसकी ओर बढ़े—
    एक ने उसका हाथ पकड़ा, दूसरे ने उसे घसीटा।

    सना ने पूरे ज़ोर से लड़ाई की, लेकिन वे भारी थे।

    तभी—

    **धड़धड़धड़**
    तीन गोलियाँ चलीं।

    दोनों नकाबपोश जमीन पर गिर गए।

    और धुएँ के बीच से वीर का सिलुएट उभरता है।

    **वीर:**
    “Tumhe haath lagane ka socha kaise?”

    उसकी आँखें खून से भी ज़्यादा लाल थीं—
    पागलपन की हद वाली possessiveness।

    वीर सीधा उसके पास आया।
    सना अभी भी काँप रही थी।

    वीर ने उसका चेहरा अपने हाथों में पकड़ लिया—

    “Tum theek ho? Kahin chot…?”

    सना की आँखें भर गईं।

    वह सीधा वीर की छाती पर गिर पड़ी—
    वीर उसे कसकर पकड़ लेता है जैसे दुनिया वहीं रुक गई हो।

    **सना:**
    “मुझे लगा… तुम—तुम्हें कुछ हो जाएगा।”

    वीर धीरे से उसके बालों में हाथ फिराता है।

    **वीर:**
    “Main mar bhi jaaun… par tumhe kuch nahi होने dunga.”

    सना:
    “तुम पागल हो क्या…? ऐसे लड़ने क्यों भागे? तुम्हें चोट लग सकती थी!”

    वीर हल्का मुस्कुराया—
    “Pehli baar kisi ne meri chinta ki hai… mujhe accha laga.”

    सना ने उसके सीने पर हल्का मुक्का मारा—
    “ये मज़ाक का समय नहीं!”

    वीर उसके इतने करीब आया कि उसकी साँसें सना के चेहरे से टकरा रहीं थीं।

    **वीर, बहुत धीमी आवाज़ में:**
    “Tumhare saath kuch ho jaata na…
    to main duniya ko jala deta.”

    सना उसे देखती रह गई—
    उस intensity से डर भी लगता था…
    और अजीब तरह का खिंचाव भी।

    तभी वीर उसके आँसू पोंछता है।

    “Rona bandh karo. Main hoon na.”

    सना धीरे-धीरे शांत होती है।
    फिर उसे वीर के हाथ में हल्की चोट दिखती है।

    **सना:**
    “ये क्या है? खून…!”

    **वीर:**
    “अरे छोटी सी—”

    सना गुस्से में उसका हाथ पकड़ लेती है—
    “छोटी? ये छोटी चोट है?”

    **वीर हँसता है:**
    “Chot choti hai…
    पर jo care tum kar rahi ho… wo dangerous hai.”

    सना शरमा जाती है—
    “वीर…!”

    वीर:
    “Batao… tumhe zyada fikr mere khoon ki thi…
    ya mere marne ki?”

    सना नज़रें चुराते हुए—
    “दोनों की…”

    वीर मुस्कुराता है—

    “Accha… to tum mujhe chhod ke bhag nahi jaogi?”

    सना चौंककर:
    “कब कहा मैंने—”

    वीर उसे आँखों में देखते हुए बीच में ही बोलता है—
    “Mat jaana.
    Tumhare bina mera gussa… mera dimaag… dono control se bahar ho jata hai.”

    सना पहली बार—
    पूरी तरह उसके शब्दों में खो गई।

    ---

    वीर सना को उठाकर कमरे से बाहर ले जा रहा है कि—

    नीचे से एक आदमी चिल्लाता है:

    **“BOSS!! Wo log sirf attack karne nahi aaye the…”**

    वीर रुकता है।

    **“To?”**

    **“Wo log *Sana madam* ke liye ek message chhod kar गए हैं!”**

    वीर और सना दोनों जम जाते हैं।

    **Message:**

    > **“Sana… hum tumhe wapas lene आए हैं.
    > Tumhare past ka ek raaz ab khुलने वाला है.”**

    सना के हाथ काँप उठते हैं।

    वीर की आँखों में फिर वही खतरनाक आग।