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“कॉन्ट्रैक्ट 143: डील के 6 महीने... क्या एहसास बनेगा उम्रभर का?”

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priyanka bagani

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मुंबई की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में गौरी कोठारी सिर्फ एक मकसद लेकर आई थी शरद नाम की उस लडके को ढूंढना, जो उसके अतीत की एकमात्र कड़ी थी। उसे नहीं पता था कि श्याम कौन है, कहाँ है, बस यह पता था कि उसका हर जवाब इसी शहर में छुपा है। दूसरी तरफ, शहर का सबसे शक...

Total Chapters (11)

Page 1 of 1

  • 1. “दूल्हा… दुल्हन… और मंडप”” - Chapter 1

    Words: 1043

    Estimated Reading Time: 7 min

    मुंबई की चमकती रात, अरब सागर की ठंडी हवा… और शहर के दिल में खड़ा “Hotel Imperial Crown”—

    वो होटल जहाँ हर सेलिब्रिटी की सांस अटक जाती है और हर न्यूज चैनल की ब्रेकिंग वहीं से शुरू होती है।

    आज शाम यह होटल पहले से कहीं ज्यादा चमक रहा था।

    ग्रैंड बॉलरूम को पिंक और व्हाइट फ्लॉवर्स के झरनों से इस तरह सजाया गया था, जैसे बादल धरती पर उतर आए हों।

    मंडप पर लगी क्रिस्टल की लटकनें हल्की-हल्की रोशनी में ऐसे चमक रही थीं मानो कोई परियों का महल हो।

    लाइव मीडिया कैमरे चालू थे।

    लाइट्स, फ्लैश, रिपोर्टर्स की आवाजों में एक ही नाम गूंज रहा था—

    “इंडिया के मोस्ट स्मार्ट एंड इलेज़बल बैचलर… शिव कपूर… आज शादी के बंधन में बंधने वाले हैं!”

    पहला रिपोर्टर माइक सम्हालते हुए बोला—

    “छह महीने पहले इनकी सगाई हुई थी, लेकिन आज तक किसी ने उनकी मंगेतर का चेहरा नहीं देखा।”

    दूसरा रिपोर्टर उत्साह से कूद पड़ा—

    “जी बिल्कुल! कपूर फैमिली ने उनकी प्राइवेसी का पूरा ध्यान रखा। शिव कपूर ने अपनी फियांसे के साथ कुछ पर्सनल टाइम बिताना चाहते थे। लेकिन आज… आज पूरी दुनिया पहली बार उनकी होने वाली पत्नी को देखेगी।”

    तीसरा रिपोर्टर—

    “एशिया के टॉप-5 बिजनेस टाइकून में शिव कपूर जो की SK के नाम से भी बिजनेस मे जाने जाते है। आज उन की शादी को लेकर इतनी मीडिया क्रेज शायद किसी स्टार की शादी में भी नहीं दिखा!”

    लेकिन तभी… होटल के सातवें फ्लोर पर…

    लगभग चीखती हुई आवाज कमरे के बाहर गूंज उठी—

    “मीरा! ओपन द डोर! शादी का टाइम हो गया है!”

    दरवाजे पर खड़ा आदित्य, बेस्ट फ्रेंड और गोवंद मैनेजर, दोनों हाथों से दरवाजा पीट रहा था।

    पीछे से शिव के पापा और ताऊ भी आ गए।

    “क्या हुआ आदित्य? दरवाजा क्यों नहीं खुल रहा?”

    आदित्य हड़बड़ाया

    “अंकल, मीरा मैम अंदर हैं… और जवाब नहीं दे रहीं!”

    और तभी…

    भारी कदमों की आवाज।

    कड़क, ठंडी, गुस्से से भरी।

    शिव कपूर।

    6. 5 फीट की हाइट, स्ट्रॉन्ग जॉलाइन, नेचुरल रेड होठ, फाइन स्किन कलर , चॉकलेट-शेडेड स्मोकी आँखें…

    पिंक शेरवानी में वो किसी राजा की तरह लग रहा था।

    पिंक पगड़ी…

    गले में मोती, कुंदन की माला…

    पैरों में सिल्वर जुत्ती…

    और चेहरे पर वही खतरनाक गुस्सा जो इंडस्ट्री वाले दूर से पहचान लेते थे।

    “दरवाजा क्यों नहीं खुल रहा?”—उसकी गहरी आवाज hallway में गूंज गई।

    परिवार वाले चुप।

    आदित्य घबराया हुआ।

    शिव ने सिर्फ एक इशारा किया—

    “चाबी लाओ।”

    मैनेजर दौड़ा, चाबी लाया।

    दरवाजा खोला गया।

    और दरवाजा खुलते ही…

    कमरा सुनसान।

    किसी की खुशबू हवा में तैर रही थी।

    ड्रेसिंग टेबल पर गहने बिखरे थे।

    दुपट्टा बेड पर गिरा पड़ था.....

    और खिड़की के पास…

    पीठ घुमाए एक लड़की खड़ी थी।

    शिव भीतर आया और गरजा—

    “मीरा! यह क्या बदतमीज़ी है? दरवाज़ा क्यों नहीं खोला? सब इंतज़ार कर रहे हैं!”

    शिव ने लड़की का कंधा झटका—

    और जैसे ही लड़की मुड़ी…

    वो मीरा नहीं थी।

    वो… कोई और थी।

    एक ऐसी लड़की… जिसे देख कर वक्त थम जाए।

    5.2 हाइट,

    गहरी काली आँखें,

    घनी पलकें,

    काजल की महीन लाइन,

    हल्का रोज़ पिंक लिपस्टिक,

    पिंक-व्हाइट लेमन ज्वेलरी से सजा बेहद खूबसूरत चेहरा।

    उसका लहंगा…

    पिंक-रोज़-गोल्ड शेड में चमक रहा था।

    शिव की भौंहें सिकुड़ गईं—

    “तुम…?

    मीरा कहाँ है?”

    लड़की घबरा कर बोली—

    “सर… मुझे नहीं पता। मैडम ने कहा था कि वो एक ‘कॉन्ट्रैक्ट’ साइन करने जा रही हैं… और तब तक मुझे यहाँ सब देखने को कहा....।”

    उसकी आंखों की पालके के नीचे हो गई और उसे अब शिव के चेहरे पर आए हुए गुस्से से डर लग रहा था उसकी शरीर कप कपह रहा था

    उसी समय

    शिव के मोबाइल में एक मैसेज पॉप हुआ।

    उस ने स्क्रीन देखा —

    और उसका चेहरा पीला पड़ गया।

    शिव जोर से चिल्लाया......

    “मेरे साथ यह अच्छा नहीं किया तुमने!”

    पर तभी…

    शिव की दादी कमरे में आ गईं।

    सभी परेशान चेहरों को देख कर बोलीं—

    “शादी कितने बजे है?”

    सब चुप।

    दादी की नज़र लड़की पर पड़ी।

    उनकी आँखों में एक ठंडी सख़्ती उतर आई।

    शिव अब आप क्या करेंगे बाहर सब आ गए मीडिया मेहमान अगर कुछ हुआ तो आप जानते हैं हमारे खानदान की इज्जत.....

    उनकी बात सुनकर शिव ने

    वो बेड पर पड़ा लाल दुपट्टा उठाया

    लड़की के सिर पर रख कर

    और बिल्कुल शांत आवाज़

    “शिव… यह दुल्हन है।”

    लड़की डरकर पीछे हटती है—

    “नहीं! नहीं सर… मैं शादी नहीं कर सकती! प्लीज़ मुझे जाने दें…”

    शिव एक कदम करीब आया।

    उसकी आँखों में तूफान था—

    “अगर तुमने शादी नहीं की…

    तो मीरा के किडनैप का इल्ज़ाम तुम्हारे सिर पर जाएगा। ओर तुम जाओगी जेल.....

    साफ़-साफ़ बोल रहा हूँ…

    चुपचाप मेरे साथ चलो।”

    “नहीं सर… प्लीज़…”

    लेकिन शिव ने उसकी कलाई पकड़ ली

    जैसे ही शिव ने उसकी कलाई पड़ी दोनों की दिल की धड़कन नहीं अलग ही रिदम में धड़कने लगी पर उन्होंने इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया......

    “चलो।”

    लड़की की आँखें डर से भर गईं।

    पर वो कुछ नहीं कर सकी।

    उसे खींचकर सीधे मंच… मंडप… कैमरों के सामने ले जाया गया।

    पंडित मंत्र पढ़ने लगे।

    मीडिया चिल्ला उठा

    “ब्रेकिंग! ब्रेकिंग! दुल्हन का चेहरा अब तक छुपा है… कोई समझ नहीं पा रहा क्या हो रहा है!”

    वो लकड़ी धीरे से बोलती रही

    “सर, प्लीज़… यह गलत है…”

    पर शिव ने ज़बरदस्ती उस की माँग में सिंदूर भर दिया।

    पंडित जी ने कहां मंगलसूत्र पर मंगलसूत्र वहां नहीं था तब शिव ने अपने गले से सोने की एक चैन उतर जिसमें डमरू और त्रिशूल बना हुआ था और उसे लड़की के गले में पहना दिया।

    फेरे पूरे करवाए।

    और मांग में लाल रंग चमक उठा।

    वो officially…

    शिव कपूर की पत्नी बन चुकी थी।

    कैमरा फ्लैश करते रहे।

    सोशल मीडिया फट पड़ा।

    रिपोर्टर चिल्लाए—

    “शिव कपूर की वाइफ का चेहरा कब दिखेगा?”

    शिव ने दुल्हन का हाथ थामे ठंडी आवाज़ में कहा—

    “अपनी पत्नी का चेहरा मैं…

    अभी reveal नहीं करूँगा। ”

    मिडिया:-पर सर आप ने...

    इतना ही कहा था कि शिव ने उसे गुस्से के देखा तो वह चुप हो गया सभी को बताता है शिव का गुस्सा किसी को भी पल भर में तबाह कर सकता है

    और दुल्हन…

    बस हिल भी नहीं पाई।

    और यहीं… कहानी शुरू होती है।

    कौन है वो लड़की जो शादी से भाग गई और क्यों????

    कौन है वह लड़की जिस से शिव ने की है जबरदस्ती शादी......

    Plz follow me.....

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    Thank you.....

    Priyanka Bagani......

  • 2. : दो दुनिया, दो रफ्तार… एक शुरुआत Chapter 2

    Words: 1022

    Estimated Reading Time: 7 min

    मुंबई | SK ENTERPRISES HEAD OFFICE

    मुंबई के बिज़नेस डिस्ट्रिक्ट में खड़ी

    SK Empires टॉवर—

    75 मंज़िला इमारत, काँच से ढका पूरा स्ट्रक्चर, मानो आसमान से बात करता हो।

    इसी के 32वें फ्लोर पर था वो आदमी…

    जिससे पूरा बिज़नेस वर्ल्ड डरता भी था और प्रभावित भी।

    शिव कपूर।

    जिसे सब एस.के. कहते हैं।

    CEO, SK Enterprises.

    एशिया का तीसरा सबसे सफल बिजनेसमैन।

    उसका केबिन—

    ब्लैक, व्हाइट और गोल्ड थीम में इतना क्लासी कि कोई भी अंदर जाते ही खुद को छोटा समझने लगे।

    अभी, उसी केबिन में शिव की गरजती आवाज गूंज रही थी

    “क्या एक परफेक्ट मॉडल भी नहीं ढूँढ सकते तुम लोग?

    ये कैसी टीम है?

    ये कौन-सा काम है?

    मैं पहली बार कोल्थ इंडस्ट्री के प्रोजेक्ट हाथ डाल रहा हूँ… और यहाँ एक मॉडल तक नहीं मिल रही?

    यू ऑल आर गुड फॉर नथिंग!”

    उसकी ब्राउन-चॉकलेटी आँखों में चमकता गुस्सा…

    तेज़ चाल, चौड़े कंधे, 6.3फीट की ऊँचाई…

    और व्हाइट कोट–व्हाइट पैंट के साथ ब्लैक शर्ट में उसकी पर्सनालिटी बिजली जैसी कट रही थी।

    उसके होंठ थोड़े दबे हुए…

    जॉलाइन सख़्त…

    और चेहरे पर वो गुस्सा जो किसी को भी काँपने पर मजबूर कर दे। लड़की का ड्रीम बॉय पर उसके गुस्से को देखकर हर कोई लड़की डर जाए लड़की क्या लड़का भी डर जाए उफ़..... यह स्मार्टनेस और ऊपर से गुस्सा

    शिव कपूर = गुस्सा + पावर + परफेक्शन।

    “शिव, जस्ट रिलैक्स…”

    उसका बेस्ट फ्रेंड आदित्य सामने खड़ा था, घबराता हुआ।

    (आदित्य 6 फ्ट हाइट दिखने में डाल हैंडसम डैशिंग बस हमारे हीरो से थोड़ा सा काम ब्लू शर्ट ब्लैक जींस ऊपर से ब्लैक ब्लेजर। यह भी बैचलर है थोड़ा सा फ्लर्ट करते हैं और मजाकिया भी है पर काम के टाइम एकदम सीरियस। इन्हें गुस्सा ज्यादा आता नहीं है पर जब गुस्सा आता है तो क्या ही कहना।)

    “तुम जानता है आदित्य…” शिव ने टेबल पर हाथ मारा,

    “लॉन्च में सिर्फ़ 15 दिन बचे हैं।

    मैंने करोड़ों का दांव लगाया है।

    और अभी तक—कुछ भी तैयार नहीं!”

    आदित्य शान्त स्वर में बोला,

    “हम ढूँढ लेंगे शिव…

    तू टेंशन मत ले, हम सब लग पड़े हैं।”

    “कब आदित्य? कब?

    ये सब निकम्मे हैं!

    मैं खुद करूँ सब?”

    शिव झटके से मुड़ा और तेज़ कदमों से अपने केबिन की ओर चला गया।

    उसके पीछे-पीछे उसका मैनेजर गोविंद भागता हुआ आया—

    “सर… सर… आपकी नेक्स्ट मीटिंग का टाइम हो गया है।”

    शिव ने उसे झट से देखा—

    गुस्से और तेज़ी से भरी नजर—

    “चलो।”

    गोविंद फाइलें पकड़ता हुआ उसके पीछे दौड़ा।

    आदित्य ने गहरी सांस छोड़ी…

    “ये लड़का नहीं… पूरा तूफ़ान है!”

    भोपाल गौरी का छोटा-सा घर

    भोपाल की एक छोटी-सी गली में…

    एक शांत, साधारण-सा घर।

    अंदर के कमरे में एक लड़की अपना सामान पैक कर रही है

    गौरी शर्मा।

    20 साल।

    सादगी की मिसाल।

    नीली गहरी आँखें…

    कमर तक लहराते लंबे बाल…

    एक सिंपल रेड कॉटन को-सेट,

    चेहरे पर हल्की-सी मासूम मुस्कान।

    उसके पास खड़ी थी उसकी बुआ—

    शारदा देवी,

    जो नीले रंग की साड़ी पहने चिंता में डूबी हुई थीं।

    “गौरी, यह भी रख ले… कुछ खाने का सामान डेट हुऐ भी रख ले…”

    बुआ जल्दी-जल्दी चीज़ें बैग में डाल रही थीं।

    गौरी मुस्कुरा कर बोली—

    “बुआ जी… आप तो जानती ही हैं…

    जो भी हो, मुझे मुंबई जाना ही पड़ेगा।

    मुझे… उसे उस का हक दिलाना है। बात उसने बिस्तर पर देखते हुए कही थी जहां पर कोई सोया हुआ था।”

    शारदा देवी की आँखें भर आईं—

    “गौरी… जाना ज़रूरी है क्या बेटा?”

    गौरी पलटी और उनके पास आई।

    उसकी आँखों में दृढ़ता थी, पर आवाज़ बहुत शांत।

    “बुआ जी…

    अगर आप नहीं चलना चाहतीं तो कोई बात नहीं…

    पर मुझे जाना ही होगा।

    अगर मैं नहीं गई…

    तो शायद बहुत कुछ बिखर जाएगा।”

    शारदा देवी का गला भर गया—

    “ऐसे कैसे छोड़ दूँ तुझे?

    मैं तुझे अकेला कैसे जाने दूँ? हमसे हूं तेरे साथ में भाई भाभी के जाने के बाद में और अपना परिबार खो को देने के बाद में मुझे हिम्मत नहीं है तुझे या उसे खोने की”

    गौरी ने उन्हें गले लगा लिया—

    “बुआ जी… परेशान मत हो।

    सब अच्छा होगा।

    मुंबई में मेरी एक फ्रेंड है…

    उसने रहने का इंतज़ाम कर दिया है।

    और… मैं अकेली नहीं हूँ।

    आप मेरे साथ हैं।”

    दोनों की आँखें नम थीं।

    भावनाओं का भारी पल…

    जिसमें सिर्फ प्यार और चिंता तैर रही थी।

    तभी बाहर से हॉर्न की आवाज़ आई।

    गौरी ने बैग उठाया

    “बुआ जी… कैब आ गई। चलिए।”

    बिस्तर के पास गई और आहिस्ता से उसने किसी को अपनी गोद में उठा लिया और उसे कंबल से ढक दिया और उसके सर को चुनते हुए तुम फिक्र मत कर देखना मैं तुम्हें तुम्हारा हक दिल के रहूंगी..... चाहे कुछ भी हो जाए जो मैंने जिला है उसका एक लफ्ज़ भी तुम्हारे ऊपर नहीं आने दूंगी.....

    दोनों घर से बाहर निकलीं।

    स्टेशन पहुँचीं।

    ट्रेन आई।

    गौरी खिड़की वाली सीट पर बैठी…

    अपना सिर रेलिंग पर टिका दिया।

    हवा उसके बालों को उड़ाने लगी।

    उसकी निगाहें भोपाल की गलियों को आखिरी बार देख रही थीं।

    धीरे से फुसफुसाई—

    “माफ़ कर देना भोपाल…

    मैं जाना नहीं चाहती थी…

    बहुत सी यादें जुड़ी है मां पापा और आप भी तो यही थी ना पर क्या जरूरत थी आप को छोड़कर जाने की आपने अच्छा नहीं किया मैं आप को कभी माफ नहीं करूंगी। जाना तो नहीं चाहती

    पर जाना जरूरी है।

    अगर आज मैं नहीं गई…

    तो बहुत कुछ टूट जाएगा।

    मैं किसी और को वो सब नहीं झेलने दूँगी

    जो मैंने झेला है… अब एक हक की लड़ाई लड़नी है और ना मंजिल का पता है ना रास्ते का पता है बस चलना है और एक ही नाम है उसे नाम के सहारे ही मैं मुंबई आ रही हूं तो शरद तुम जहां भी हो तुम्हें मैं ढूंढ के रहूंगी? तुम्हें मेरे सारे सवालों के जवाब देने ही होंगे!”

    ट्रेन चल पड़ी।

    गौरी की आँखें भीग गईं…

    पर उसके होंठों पर एक छोटी-सी सख्त मुस्कान थी।

    “मुंबई…

    मैं आ रही हूँ।”

    कौन है गौरी और कौन है शरद किस ढूंढना है गौरी को और किसी किसका हक दिलाना है क्या गोरी को मिलेगा शरद या कोई और कौन है जो बिस्तर पर सोया हुआ है। सभी सवालो सवालों के जवाब के लिए पढ़ते रहिए....

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    Thank you.....

    Priyanka Bagani......

  • 3. Introduction (शिव कपूर & गौरी शर्मा)✨ - Chapter 3

    Words: 1034

    Estimated Reading Time: 7 min

    मुंबई… सपनों का शहर

    मुंबई की नम हवा उस सुबह कुछ अलग ही हल्की-सी सरगोशी कर रही थी। लोकल ट्रेन की सीटी, टैक्सी के हॉर्न और दूर तक फैली समुद्र की महक—सब जैसे किसी नए किस्से का स्वागत कर रहे हों।

    इस शहर में दो लोग मिलाने वाले थे। शुरू वाली थी एक न खत्म होने वाली दस्ता

    एक शहर का बादशाह…

    दूसरी सपनों से भरी एक साधारण लड़की…

    और उनकी किस्मतें एक अनजानी डोर से एक-दूसरे की तरफ खिंच रही थीं।

    ◆ शिव कपूर Shadow King (शैडो किंग)

    के नाम से भी लोग जानते हैं क्योंकि वह बहुत कम मीडिया से रूबरू होता है और लोगों से भी बहुत कम मिलता है बिना मिलेगी उसके काम हो जाते हैं सक बहुत ज्यादा क्रूर घमंडी एरोगेंट है बहुत गुस्सा आ जाता है

    उम्र—29

    hight -6.5 inch

    पॉवर—असीम

    किरदार—ठंडा दिमाग, बिजनेस माइंड, शार्प, ईगो + गोल्डन हार्ट

    लुक—लंबा, ब्रॉड शोल्डर, चॉकलेट ब्राउन आईज़, स्टाइलिश दाढ़ी

    शिव कपूर… बिजनेस इंडस्ट्री का वो नाम था जो लोगों की नींद उड़ाने के लिए काफी था।

    “शेड़ो किंग "" (S.K))यही नाम था मीडिया में उसका।

    किसी भी चली विश्वास न करने वाला दुनिया कुछ लोगों तक सीमित है उसके लिए....

    उसका परिवार

    पिता: सुशील कपूर — स्टील और इंफ्रास्ट्रक्चर के किंग

    माँ: अंजलि कपूर — एरोगेंट, सेल्फ ऑप्शन , सोशल वर्कर

    बड़े पापा: संदीप कपूर — पारिवारिक बिजनेस के चेयरमैन

    बड़ी माँ: वसुंधरा कपूर — क्लासी, ट्रेडिशनल, बहुत सिंपल

    कपूर फैमिली बहुत बड़ी, रॉयल और प्रभावशाली थी,

    लेकिन शिव अब उनके साथ नहीं रहता था।

    कारण?

    शिव के दिल में दबा एक पुराना ज़ख्म… जो आज भी उसे परिवार से दूर रखता था।

    वह अब बांद्रा के एक 5BHK पेंटहाउस में अकेले रहता है—

    सिर्फ काम, प्लानिंग और अपने गोल्स के साथ। दीवार में सिर्फ वह अपनी बड़ी मां से बात करता है....

    उसकी टीम

    आदित्य मेहता (A. K ) 29 yera old higt 6.1 inch उसका बेस्ट फ्रेंड + लीगल एडवाइज़र डैशिंग हैंडसम और सब से इंपॉर्टेंट बैचलर , फ्लर्टी इंसान 😘😘

    गोविंद 27 year old 5.9 inch पर्सनल सेक्रेटरी (बेहद ईमानदार और मजाकिया) चाहते तो है की गर्लफ्रेंड बन जाए पर उन के बॉस की और उन की नौकरी के चक्कर में इन का कुछ नहीं हो सकता 🫣🫣🫣

    महेश राणा — ( M. R )30 yera old 6.11 inch हेड ऑफ सिक्योरिटी (कम बोलने वाला, कड़क) हॉट डैशिंग सिक्स पैक अप लड़कियों से चार कदम दूर रहने वाला, 😐😐

    शिव की दुनिया बस काम थी…

    और उस के दिल में इमोशंस की जगह कहीं न कहीं एक खालीपन।

    ट्रेन से उतरती हुई एक लड़की…

    गौरी शर्मा – A Simple Girl with Big ड्रीम्स, बहुत गम गुस्सा आता है मदद करने वाली,and एक gole, शरद नाम के लडके की तलाश में जो उसे भोपाल से मुंबई खींच ले आई....

    उम्र 20

    hight 5:4 inch

    कोर्स—B.A. Second Year

    नेचर—शांत, सिंपल, लेकिन बहुत स्ट्रॉन्ग

    लुक—गेहूँ रंग, बड़े काजल वाले काली आँखें, लंबी चोटी, हल्की मुस्कान आंखों में दर्द और किसी की तलाश

    गौरी आज भोपाल से मुंबई पहली बार आई थी।

    दिल में डर भी था…

    पर उस से ज्यादा उत्साह था एक नई जिंदगी शुरू करने का।

    उस के साथ थी उस की

    बुआ: शारदा जी

    शांत, समझदार और गौरी को अपनी बेटी जैसा मानने वाली।

    गोरी जब ट्रेन से उतरी तो गोरी की गोदी में था एक ढाई साल का शरारती के साथ मासूम से बच्चा.....

    चॉकलेट ब्राउन eyes chubby cheeks curly hairs दिखने में बहुत ही क्यूट उस का नाम था

    शान

    बड़ी - बड़ी आँखें, हाथ में छोटा - सा टॉय …

    गौरी उस से बहुत प्यार करती थी।

    गौरी को स्टेशन लेने आई उस की फ्रेंड रिया ठाकुर

    २० साल की चुलबुली मजाकिया करने वाली

    मुंबई में रहती है

    चॉल में रहने वाली थोड़ी बोल्ड और स्ट्रेटफॉरवर्ड लड़की

    गौरी की बचपन की दोस्त दोनों bhopal मैं साथ रहती थी फिर प्रिया के पापा का ट्रांसफर हो गया और वह 4 साल पहले मुंबई आ गई थी।

    हमेशा उस की प्रोटेक्टर

    “एइ गौरी! इधर-इधर मत देख, चल जल्दी! मुंबई की भीड़ में खो जाएगी क्या?”

    रिया हंसते हुए बोली।

    उसने गोरी के गोदी में बैठे हुए शान के गालों को अपने दोनों हाथ से प्यार किया तो शान ने उसका हाथ झटक अपने दोनों हाथों को गोरी के गले में डालकर लिपट गया

    गौरी मुस्कुरा दी।

    उसने कहा सॉरी रिया शान इतनी जल्दी सबसे उल्टा मिलता नहीं है कोई बात नहीं रिया बोली.....

    चल मैं तेरे लिए एक कमरा किराए पर लिया है मेरे घर के पास वाला ही करें कमरा है।

    मुंबई उस की आँखों में चमक भर रही थी।

    गौरी का नया घर चॉल का छोटा - सा कमरा

    रिया ने उस के लिए एक कमरा पहले से ले रखा था—

    एक बड़ा सा हाल

    साइड में ओपन किचन

    एक अटैच्ड बाथरूम

    पतली खिड़की से दिखता हुआ आधा मुंबई

    गौरी ने कमरे को देखते ही कहा,

    “रिया… ये तो बहुत प्यारा है। एक ही कमरे में पूरा घर हाआआ ”

    रिया ने हँस कर जवाब दिया,

    “मुंबई में इस से बड़ा प्यारा से कुछ नहीं मिलता। बजट के हिसाब से यही बहुत महंगा है और तेरे पास तो भी जब भी नहीं है कुछ सोचा है तूने क्योंकि जो मुंबई में आता है बहुत बड़े सपने लेकर आता है

    लेकिन सपने यहाँ बहुत बड़े मिलते हैं—समझी? सपनों की कीमत चुकानी पड़ती है । मुंबई में कोई तेरे को बिना मतलब के पानी बिना दे। मतलब पर होने पर भर भर के प्यार दे खैर दुनिया ही ऐसी है ।”

    यह तेरा घर है सामने वाले बिल्डिंग में थर्ड फ्लोर पर मेरा घर है कहीं जॉब इंटरव्यू के लिए जाना है तो मुझे बता देना मैं तुझे ले चलूंगी....

    गोरी:- हम्म बता दूंगी

    रिया ने उसे जाते-जाते कहा कि शाम का खाना वह भिजवा देगी तुम सब का.....

    शान खिलखिलाया और कमरे उधर भाग रहा था

    इसी शहर में…

    शिव कपूर अपनी कार से उसी समय एयरपोर्ट रोड पर गुजर रहा था।

    वो नहीं जानता था कि उसी शहर में एक लड़की अभी-अभी उतरी है…

    जो एक दिन उस की ज़िंदगी में तूफान बन कर आएगी।

    दोनों की दुनिया अभी अलग थी।

    लेकिन किस्मत…

    धारदार थी, तेज थी… और बहुत चालाक।

    बहुत जल्द…

    एक कॉन्टैक्ट मैरिज…

    दोनों की दुनिया बदलने वाली थी।

    plz follow me........

    Thank you.......

    Do like comment and shear......

    Priyanka Bagani......

  • 4. मीरा राजपूत - Chapter 4

    Words: 1196

    Estimated Reading Time: 8 min

    मुंबई की हल्की-सी नमी आज भी हवा में थी। सुबह के 7 बज रहे थे, लेकिन शहर अपने शोर और हलचल के साथ पहले ही जाग चुका था। लोकल ट्रेनें अपनी भारी साँसों के साथ पटरी पर दौड़ रही थीं और सड़क पर ऑटो और कैब का लगातार हॉर्न किसी पुराने रेडियो की फटी हुई धुन जैसा सुनाई दे रहा था।

    उस छोटे से हाल में, जहाँ पिछली रात पहली बार गौरी ने कदम रखा था—आज उसकी नई शुरुआत होने वाली थी।

    रिया, अपने खुले हुए बिखरे बालों को क्लिप से बांधते हुए, कमरे में इधर-उधर घूम रही थी। उस ने एक लाइट ग्रीन टी-शर्ट और ब्लैक ट्रैक पैंट पहन रखी थी। उसके चेहरे पर मुंबई वालों वाली फुर्ती साफ दिखती थी।

    “गौरी उठ जा… आज पहला दिन है। इतने चुपचाप बैठी रहेगी तो मुंबई तुझे खा जाएगी।”
    रिया ने मज़ाक किया, लेकिन उसकी आवाज़ में दोस्तों वाला प्यार था।

    गौरी खिड़की के पास बैठी हुई बाहर देख रही थी—जहाँ नीचे दूधवाला, पेपरवाला, और ऑफिस जाने वाले लोग भाग-दौड़ में थे।
    उस के बाल सुबह की हल्की हवा में बार-बार चेहरे पर आ रहे थे। गहरी काली आँखों में डर, उम्मीद और थोड़ा-सा अजनबी शहर का डर साफ दिख रहा था।

    “मुझे काम चाहिए रिया… अच्छा काम। यहाँ रहने के लिए पैसे भी चाहिए और…”
    गौरी ने धीमे से कहा।

    रिया तुरंत पलटकर बोली—
    “अरे काम की टेंशन मत ले। पर तू सोच क्या रही है? बिना डिग्री, बिना एक्सपीरियंस… मुंबई कोई भोपाल नहीं है कि बस बात करते ही नौकरी दे दें।”

    गौरी ने होंठ काटे,
    “जानती हूँ… लेकिन मुझे कोशिश करनी पड़ेगी। मैं यूँ ही नहीं आ सकती थी रिया… मेरी वजहें तू जानती है।”

    उसकी आँखों में वो अतीत झलक गया, जिसे वो खुद भी याद नहीं करना चाहती थी…
    वो शरद…
    वो नाम…
    जो उसके दिमाका से कभी निकला ही नहीं।

    तभी पीछे से एक छोटी-सी आवाज़ आई—

    “मा… उप्पा!”

    2.6 साल का नटखट शान पिंक कलर का छोटा-सा टी-शर्ट पहने, अपने दो दाँत दिखाते हुए दौड़कर गौरी की गोद में चढ़ गया।
    उसके बाल घुंघराले थे और आँखें बेहद शरारती।

    गौरी हँस पड़ी। उनको बुद्धि में उठाकर उसके कान पर किस करते हुए बोली मेरा बच्चा
    “ क्या चाहिए मेरी जान क़ो ?”

    शान नाक सूँघते हुए बोला—
    “मा… बिस्किट!”

    रिया हँस पड़ी—
    “देख ला, नौकरी छोड़ दे और इसे ही पाल ले… तेरे पहले इंटरव्यू में यही तेरे सिर पर चढ़कर डांस करेगा।”

    गौरी मजाक में बोली—
    “ किसी के लिए तो मुंबई आई हूं भोपाल छोड़कर खैर तू बता कहीं जॉब मिल सकती है क्या ।”

    रिया ने अचानक से टेबल पर पड़े पेपर उठाए—
    “ यार तेरा ग्रेजुएशन कंप्लीट नहीं हुआ है तुझे सिर्फ दो ही जगह जॉब मिल सकती है।
    गोरी आँखो चमक लिए हुए सच बताना कहां.....
    रिया:- एक तो पॉलिटिक्स में और दूसरा फिल्म इंडस्ट्री तो गोरी से कन्ज्यूरिंग नजरों से दिखती है क्या
    रिया क्योंकि हमारे भारत में सिर्फ यही दो जगह है जहां पर अनपढ़ गवारों को भी जॉब मिल जाती है......
    गोरी रिया के पीठ पर मरते हुए कहती है रिया पागल है क्या कुछ भी बोलती है एक दूसरे के पीछे भाग रही थी तो मैं बुआ जी जाकर रहती है चलो आ जाओ फटाफट दोनों चाय पी लो.....


    अरे याद आया! मैंने कल रात कुछ नौकरियाँ ढूँढी थीं… देख।” रिया बोलो

    वह जल्दी-जल्दी पन्ने पलटती गई।

    “ये देख—SK Sons में जॉब वैकेंसी!
    कमाल है, ये लोग हर बार कुछ न कुछ बड़ा करते रहते हैं।”

    गौरी ने पेपर लिया।
    SK Sons का नाम पढ़ते ही पेज एक अलग चमक दिखा रहा था।
    जैसे कोई बड़ा नाम, बड़ी कंपनी की सच्ची पहचान हो।

    “SK Sons??”
    गौरी ने हैरानी से कहा।

    रिया फिर वही मुंबई वाली एक्साइटमेंट में—
    “हाँ पागल! ये मुंबई की टॉप कंपनी है। इनका फाउंडेशन पूरा कपूर फैमिली चलाती है।
    सुना है—उन का CEO बहुत गुस्सैल, स्ट्रिक्ट है पर बिजनेस में जीनियस है।”

    “नाम?”
    गौरी ने अनजाने में पूछा।

    रिया कंधे उचका कर बोली—
    “शिव कपूर। लोग उसे SK भी कहते हैं।
    और सुन—ये वही कंपनी है जो पहली बार फूड इंडस्ट्री में लॉन्च कर रही है।
    शायद इसी वजह से बड़ी हायरिंग चल रही है।”

    गौरी पेपर घूरती रही।
    वो नहीं जानती थी कि उसकी किस्मत अभी उसी नाम की तरफ चुपचाप चल रही थी—शिव कपूर।

    और उदर, मुंबई के दूसरी तरफ, शिव भी उसी वक्त किसी तूफान से गुजर रहा था…

    बांद्रा के पॉश कॉर्पोरेट एरिया में खड़ी SK Empire Headquarters इमारत इतनी विशाल थी कि दूर से ही किसी राजा के महल जैसी लगती थी।
    शीशे की दीवारें, चमकता हुआ लोगो, और सिक्योरिटी इतनी टाइट कि जैसे हर कदम पर जंग चल रही हो।

    शिव अभी अपनी मीटिंग खत्म करके वापस आया ही था कि उसके केबिन का दरवाज़ा खुला।

    अंदर एक लड़की एंट्री की—

    लाल शॉर्ट ड्रेस, भारी मेकअप, हाई हील्स…
    आँखों में बेपरवाह चमक
    और होंठों पर एक फिल्मी स्टाइल स्माइल।

    मीरा राजपूत।

    वो बेधड़क शिव के सामने आई और बोली—

    “हेलो शिव बेबी … मिस मुझे?”

    शिव ने एक सेकंड भी उसे देखकर प्रतिक्रिया नहीं दी।
    फाइलें उठा कर अपने लैपटॉप के पास जाकर बैठ गया।

    मीरा उस के बिल्कुल करीब आकर बोली—

    “शिव बेबी … एक हफ्ते बाद हमारी सगाई है और तुम इतना ठंडा?”

    शिव ने बिना उसकी तरफ देखे कहा—
    “मीरा… मैं काम में हूँ।”

    मीरा का चेहरा बुझ गया, पर उस ने फिर नखरे से कहा—

    “और शादी? एक महीने बाद…
    हम शॉपिंग कब करेंगे? सब तैयारियाँ मुझे अकेले करनी पड़ेंगी?”

    शिव ने फिर भी उसे नहीं देखा।
    सिर्फ एक शब्द—

    “हम्म।”

    मीरा irritation से अपना होंठ काटती बोली—

    “ मेने सुना है तुम्हारी कंपनी को प्रोजेक्ट के लिए मॉडल चाहिए ना?
    तो मैं कर लेती हूँ!”

    शिव ने पहली बार नज़र उठाई—
    और सीधी उससे बोला—

    “मीरा… ये बिजनेस है।
    और तुम मॉडल हो पर.....।”

    मीरा की आँखें सिकुड़ गईं—

    “शिव कपूर… यू कान्ट से नो टू मी। you know who i am ”

    तभी गोविंद घबराते हुए अंदर आया—

    “सर… हमें कुछ मॉडल.....”

    मीरा ने तुरंत उसे रोका,
    “मॉडल नहीं चाहिए! मैं कर रही हूँ।
    चलो कांट्रैक्ट साइन कर लो ।”

    गोविंद ने असमंजस में शिव को देखा—
    शिव ने कुछ नहीं कहा।

    “Fine.” उसने सिर्फ इतना कहा।

    मीरा विजयी मुस्कान देकर चली गई।

    गोविंद सिर खुजाते हुए—
    “सर… कांटेक्ट रेडी हो जाएगा कल साइन कर लेते हैं।”

    शिव की आँखें गहरी हो गईं—
    “हम्म ।”


    रात के 12 बज चुके थे।

    शिव अपने 5BHK पेंटहाउस की गैलरी में खड़ा था।
    नीचे मुंबई का पूरा शहर रोशनी से जगमगा रहा था—
    लेकिन उसकी आँखों में अंधेरा था।

    वह लोअर पहने हुए था, ऊपर सिर्फ सॉलिड ब्लैक टी।
    बाल खुले, थोड़े बिखरे।
    सिक्स-पैक पर हल्की रोशनी पड़ रही थी।

    हाथ में सिगरेट…
    धुआँ हवा में मिल रहा था।

    “इतनी भीड़… इतनी रोशनी…
    फिर भी सब कुछ कितना खाली है।”

    उसका दिल एक अजीब-सी थकान से भरा था।
    दिमाग में सिर्फ थी अतीत की परछाई.....

    “सब कब ठीक होगा…”

    उसने शहर की तरफ देखा—
    और दूसरी तरफ—

    गौरी खिड़की से मुंबई को निहारते हुए उसी शहर को
    अपनी उम्मीद मान रही थी।

    दोनों एक ही शहर में थे—
    लेकिन दोनों को नहीं पता था कि उनकी किस्मत
    अब एक-दूसरे की तरफ तेजी से बढ़ने वाली है....
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    Thank you....
    Priyanka Bagani.....

  • 5. “मुंबई की पहली ठोकर” - Chapter 5

    Words: 1017

    Estimated Reading Time: 7 min

    खिड़की से आती मुंबई की हल्की-सी सीलन भरी हवा।


    मुंबई की सुबह हमेशा शोर मचाकर ही शुरू होती है—
    कहीं लोकल ट्रेन का हॉर्न, कहीं सी–लिंक की तरफ दौड़ते ट्रक्स,
    तो कहीं फुटपाथ पर चाय वालों की आवाज़—
    “कटिंग एकदम फटाफट!”

    आज गौरी भी उसी भीड़ का हिस्सा बनी कर खड़ी होने वाली थी ।

    रात भर नींद ठीक से नहीं आई थी…
    मन में बस एक ही बात घूम रही थी—
    “शरद … वो आखिर है कहाँ?
    मैं उसे ढूँढ पाऊँगी ना?”

    लेकिन इस शहर की भीड़ में भावनाओं के लिए जगह कहाँ?
    मॉर्निंग


    गौरी ने जल्दी-जल्दी अपना बैग उठाया, बाल ठीक किए,
    और शीशे में खुद को देखा।
    मुँह पर हल्की थकान, आँखों में उम्मीद की चमक…
    और दिल में हिम्मत का बड़ा सा टुकड़ा।



    बुआ ji चाय की ट्रे लेकर बैठी थीं।
    उन के चश्मे के पीछे छुपी चिंता साफ़ दिख रही थी।

    इधर, गौरी अपना बैग पैक कर रही थी।
    थोड़ी नर्वस, थोड़ी कन्फ्यूज़…
    लेकिन चेहरे पर वही जिद्दी आत्मविश्वास।

    बुआ बोली—

    “आज इंटरव्यू है तो ठीक से बात करना।
    और हाँ, अपना रिज्यूमे दिखा… देखूँ।”

    गौरी ने झेंपते हुए कहा—

    “बुआ, रिज्यूमे में क्या देखोगी…
    डिग्री ही अधूरी है मेरी।”

    बुआ ने ठंडी साँस भरी—

    “डिग्री अधूरी है यह दुनिया देखती है…
    लेकिन तुममें दम पूरा है यह मैं देखती हूँ।”

    उसी समय पीछे आवाज आई मां दूदू
    गोरी पलट के देखा तो शान अपने बिस्तर पर से उठ के उसे देख रहा था और अपने दोनों हाथ आगे करके उसे बोल रहा था की गोदी में ले लो...
    उसके पास गई और प्यार से उसे गोदी में ले लिया और फिर दूध पिलाया और उसके माथे पर किस करते हुए बोली मेरा सोना बुआ दादी को बिल्कुल परेशान नहीं करना मैं जल्दी आऊंगी...
    गाड़ी जाती है और छोटे से मंदिर में आगे गणपति बप्पा के आगे हाथ जोड़ती और कहती गणपति बप्पा सब ठीक करना और फिर बुआ जी को पर चुके प्रणाम करती है और शाम को प्यार से गाल पर किस करते हुए बाहर निकल जाती है.....

    गौरी जैसे ही बाहर आई,

    रिया ज़ोर से बोली,
    “चल न पगली! वरना इंटरव्यू टाइम पर नहीं पहुँचेंगे!”

    दोनों गली से निकलकर सड़क पर आईं।

    गौरी बोली—

    " तेरा पास हैं ना?
    उस से चल टाइम पर पहुँच जाएँगे।”

    रिया ने माथा पकड़ लिया—

    “एक्टिवा?”

    “हाँ, क्या हुआ?”

    रिया बोली—

    “मुंबई में पेट्रोल डलवाने के बाद
    दूसरे दिन वॉलेट खाली मिलता है!
    और तू एक्टिवा की बात करती है? मैडम यह तुम्हारा भोपाल नहीं है की एक्टिवा से तुम पूरा भोपाल घूम लो यह मुंबई है मेरी जान”

    गौरी हँस पड़ी।

    रिया बोली

    “हम जैसे मिडिल क्लासों के लिए लोकल बस किसी ac काम नहीं !”

    दोनों हँसते हुए सड़क की तरफ बढ़ीं।
    यह मुंबई की वही सड़क थी जहाँ हर मिनट हजारों लोग भागते थे—
    लेकिन हर किसी के भागने की वजह अलग-अलग।

    गौरी और रिया भी उसी भीड़ में शामिल हो गईं।
    रिया उसे देखकर चिल्लाई—

    “चल, देर हो रही है!”


    बस आती दिखी—
    लेकिन बस में जगह?
    किस्मत में मिल जाए तो ठीक, वरना धक्का खाओ।
    रिया ने दौड़ते हुए कहा गोरी चल आप फटाफट चढ़....

    पर रिया बस तो रुकी नहीं चलती बस में कैसे चलेंगे...
    रीया ने उस का हाथ पकड़ा और दौड़ते हुए बस में चढ़ गई

    कंडक्टर चिल्लाया

    “अंदर बढ़ो… आगे बढ़ो… मैडम पीछे वाली उतरने के रास्ते पर मत खड़ी रहो!”

    गौरी ने चिड़ कर कहा

    “ये लोग इतना चिल्लाते क्यों हैं?”

    रिया ने हँसते हुए जवाब दिया—

    “क्योंकि ये मुंबई है…
    यहाँ बस में चढ़ना भी एक युद्ध है।”



    जैसे-तैसे दोनों बस में घुस गईं।


    ऑफिस का नाम बाहर चमक रहा था—
    से. के एंड संस
    बिल्डिंग को देखकर रिया ने कहा क्या बात है क्या शानदार बिल्डिंग है यार गौरी ने भी अपनी गर्दन ऊपर करके देख गगन चूमती इमारत गोरी ने कहा यार मेरी तो गर्दन ही अकड़ जाएंगे इस को देखते हुए....
    देखना क्या है चल अंदर चले और

    दोनों इंटरव्यू के लिए जिस बिल्डिंग में पहुँचीं,
    वह बाहर से ही शाही लग रही थी—
    काँच की ऊँची दीवारें, सिक्योरिटी गार्ड्स,
    और अंदर-बाहर दौड़ते सूटेड-बूटेड लोग।

    जैसे ही दोनों अंदर गईं,
    एक बड़ा-सा बॉडीगार्ड बोला—

    “मैडम, आई-डी?”

    रिया ने बैग से निकाल कर दे दी।
    गौरी ने भी देने के लिए हाथ बढ़ाया
    लेकिन तभी उस के हाथ से बैग नीचे गिर गया।

    बॉडीगार्ड खीजकर बोला—
    “मैडम, जल्दी करो। लाइन लगी है पीछे।”

    गौरी झुंझलाकर बोली,
    “हाँ भाई, दे रही हूँ ना!”

    उसने झुककर बैग उठाया और दोनों अंदर चली गईं।


    गौरी ने अपना दुपट्टा ठीक कीया।
    रिया ने उस का बैग सँभाला।
    दोनों अंदर आ गई
    रिसेप्शनिस्ट ने ऊपर से नीचे तक उसे देखा,
    जैसे एक्स-रे मशीन हो।

    “Yes? Appointment?”

    गौरी ने मुस्कुराते हुए कहा—

    “मैम, इंटरव्यू के लिए आई हूँ।”

    रिसेप्शनिस्ट ने भौंहें उठाईं।

    “Qualification?”

    “मैम… ग्रेजुएशन b a 2 year चालू है।
    पूरा नहीं हुआ अभी।”

    रिसेप्शनिस्ट ठहाका मार कर हँसी


    “Oh dear…
    यहाँ ऑफिस बॉय भी ग्रेजुएट है।
    आप का इंटरव्यू नहीं होगा।”

    गौरी शर्मिंदगी में लाल हो गई

    “लेकिन मैम, मुझे बस एक मौका ”

    रिसेप्शनिस्ट ने सिक्योरिटी वाला इशारा किया—

    “Take her out.”

    सिक्योरिटी ने बिना एक शब्द बोले
    गौरी और रिया दोनों को बाहर धक्का दे दिया।

    गौरी का बैग गिर गया।
    कागज़ जमीन पर फैल गए।
    उस की आँखें भर आईं।

    रिया बोली....

    “अरे हट! महुँ से भी तो बोल सकते हो कौन होते हैं ये ऐसा करने वाले?”

    लेकिन गौरी की आवाज़ फट गई—

    “ क्या तरीका है बस रिक्वेस्ट कर रही थी हमें बाहर फेंक दिया जितनी बड़ी बिल्डिंग नहीं उस से ज्यादा बड़ा तो इन लोगो का एटीट्यूड ?”

    रिया उसे सँभालती उस से पहले—


    पीछे से तेज़ कदमों की आवाज़ आई।
    किसी ने ‘रुकिए—’ भी कहा,
    लेकिन देर हो चुकी थी।

    गौरी मुड़ी

    और ज़ोर से किसी से टकरा गई।

    धड़ाम!

    उसकी फाइलें उड़ गईं…
    उसके बाल उसके चेहरे पर गिर गए…
    उसका संतुलन टूट गया।

    और तभी…
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    Priyanka Bagani.....
    से टकराई है गोरी क्या उस की किस्मत उसे टकराई है या फिर मैं मुसीबत उसके पास आई है क्या गोरी मम्मी के माहौल में एडजस्ट कर पाएगी क्या शरद को ढूंढ पाएंगे या खो जाएगी मुंबई में....

  • 6. "जॉब मिल गई.... ” - Chapter 6

    Words: 1102

    Estimated Reading Time: 7 min

    गौरी जैसे ही सिक्योरिटी के धक्के से लड़खड़ाई,

    उस के पैरों ने जैसे ज़मीन पकड़ना ही छोड़ दिया।

    फाइलें हवा में उड़ कर नीचे आ बिखरीं,

    और तभी—

    धड़ाम!

    वह सीधा किसी से टकरा गई।

    उस टकराव के साथ ही एक तेज़, कड़क, चुभती हुई आवाज़ गूँजी—

    “क्या आँखें बंद करके चलती हो?

    या फिर दुनिया तुम्हारी नौकर है जो रास्ता छोड़ दे?

    ये मुंबई है, कही का पार्क नहीं जहाँ गोल-गप्पे खाते घूमती रहो।

    चलना सीखो, समझदारी से… नहीं तो किसी दिन किसी ट्रक से टकरा जाओगी।”

    गौरी सुन्न।

    दिल धड़कता हुआ।

    साँस रुकी हुई।

    मीरा राजपूत

    लंबा कद, हाई हील्स, खुले बाल हवा में हिलते हुए,

    आँखों में शेरनी जैसा एटीट्यूड।

    पीछे बॉडीगार्ड और असिस्टेंट राधा।

    हर कदम में, घमंड फ़ील होता हुआ । व्हाइट कलर का शॉर्ट ड्रेस जो बदन को छुपाने का कम ओर दिखाने का काम ज्यादा कर रहा है चेहरे पर मेकअप डार्क रेड लिपस्टिक, परफेक्ट फेस नोज एंड ब्यूटीफुल ब्लैक हेयर, पेंसिल हील हाथ मैं हीरा का ब्रासलेट एंड एक हाथ मैं ब्रांडेड वॉच

    मीरा उस की तरफ झुक कर बोली

    “और ये क्या हालत बना रखी है?

    किसी तमाशे की हीरोइन लग रही हो।

    पता है किसी से टकराना कितना इम्पॉलाइट है?”

    गौरी कुछ बोलने ही वाली थी,

    पर अगले ही पल

    उस की नज़र मीरा की तेज़, घमंड से भरी आँखों से मिली

    और अचानक उस के होंठ डर काँपे।

    “स… सॉरी मैडम।

    गलती मेरी थी।”

    मीरा ने ठोड़ी उठाई।

    पहली बार गौरी को ध्यान से देखा।

    “right हम्म पर कौन हो तुम?”

    गौरी धीरे-धीरे बोली बिल्डिंग की तरफ इशारा करके

    “अअअ वो.....मैं… इंटरव्यू देने आई थी।

    पर… मेरी क्वालिफिकेशन पूरी नहीं होने की वजह से

    उन्होंने मुझे धक्का दे कर बाहर निकाल दिया।

    जॉब की बहुत जरूरत है मैडम?”

    मीरा की आँखों का एटीट्यूड अचानक बदल गया।

    चेहरे पर मिस्टीरियस स्माइल … हल्की दिलचस्पी…

    जाओ यहां से और फिर एक एकदम से उसे कुछ याद आया और उस ने सोचा हां यह ही सही रहेगा

    गौरी जाने के लिए पलटी थी की....

    “रुको ठीक है।

    मैं तुम्हें जॉब देती हूँ।”

    गौरी आश्चर्यचकित हो कर हां

    “क… क्या?” क्या सच मे... आ.....

    राधा चौंक कर उस के पास आ कर धीरे से बोली

    “मैम! कैसे?

    इसे तो ऑफिस से बाहर निकाल.....ओर आप....”

    मीरा ने आँखें तरेरी,

    राधा की तरफ झुक कर फुसफुसाई—

    “तुम मेरा पावर को भूल कर देख रही हो?

    यह ऑफिस S.K. का है, पर चलती मेरी है।

    जो मैं कहूँगी वही होगा… समझी?तुम को पता है ना मैं कौन हूं? ” स्टाइल से उसने अपने एक हाथ से बालों को पीछे फेंक....

    अपनी आंखों पर सनग्लास चढ़ाते हुए खुद से बोलता है जो काम शिव कपूर नहीं बोलेगा मैं वही करूंगी.....

    राधा चुप।

    मीरा फिर गौरी की तरफ मुड़ी—

    “आज से तुम मेरी P.A. हो।

    मेरा सारा काम मैनेज करना है

    शॉपिंग, इवेंट्स, मीटिंग्स, आउटफिट, सब कुछ।

    इस के लिए डिग्री की जरूरत नहीं…

    बुद्धि जरूरत है।

    और वो तुम में दिख रहा है।”

    गौरी की आँखें फैल गईं—

    “पर मैडम…

    इंटरव्यू… क्वालिफिकेशन… मैं—”

    मीरा ने हाथ उठा कर रोक दिया—

    “मेरी शादी होने वाली है।

    मुझे अपने लिए एक personal assistant चाहिए।

    बस।

    आज से तुम वही हो।”

    फिर उस ने पलट कर कहा

    “राधा, चलो ऊपर।

    और तुम”

    उस ने उँगली से इशारा किया—

    “Follow me.”

    गौरी पीछे मुड़ी तो रिया दौड़ कर आई—

    “पागल है क्या तू?

    यह मीरा राजपूत है

    बहुत ही फेमस एक्ट्रेस, मॉडल, सोशल मीडिया क्वीन! क्या तूने इंटरव्यू लगा के रखा था जब उन्होंने बोला तुझे जॉब पर रख लिया तो आपना दिमाग लगती क्यों है 😁😁😁😁और हां उस से अच्छी सैलरी मांगना नहीं तो भोली भंडारी बन जाएगी ”

    गौरी ने घबरा कर कहा—

    “क्या… भोली भंडारी पर....मैं उस के लिए काम करूँगी?”

    रिया बोली

    “हाँ!

    और एक मौका मिल गया तो तेरी लाइफ बदल सकती है।

    प्रोफेशनल रहना… सीधी बात करना…

    फालतू बातें मत करना।

    नहीं तो वह तुझे उसी लिफ्ट से नीचे गिरा देगी यह कर सकती है किसी और का नहीं तो कम से कम शान का ख्याल रख कर ले !”

    गौरी ने सिर हिलाया

    “हम्म्म शयद तू.....ठीक है… मैं संभाल लूँगी।”

    तीनों लिफ्ट की ओर बढ़े।

    मीरा ने हाथ रोक कर कहा

    “ये मेरी और S.K. की पर्सनल लिफ्ट है।

    तुम सामने वाली… स्टाफ लिफ्ट से आओ।

    राधा तुम्हें ले कर आएगी।”

    गौरी

    “जी....ओ… ओ के मैडम…”

    गौरी आगे बढ़ी, ही थी की

    तो वही रिसेप्शनिस्ट भड़कते हुए आई—

    “तुम यहाँ कैसे आई?

    हम ने तो तुम्हें—”

    मीरा की कड़क आवाज़ गूँजी—

    “तुम मुझे बता रही हो?”

    रिसेप्शनिस्ट ठिठक गई। पता था मीरा राजपूत की क्या पोजीशन है उसे कंपनी में

    मीरा ने आँखें सिकोड़ कर कहा—

    “जानती नहीं हो मैं कौन हूँ?”

    रिसेप्शनिस्ट काँप गई—

    “I–I’m sorry ma’am…

    मुझे नहीं पता था यह आप के साथ.....”

    मीरा एक तिरछी स्माइल दे कर लिफ्ट में चढ़ गई।

    गौरी और राधा सीधे लिफ्ट से पहुँचीं गोविंदा,

    शिव कपूर के सेक्रेटरी के चेंबर में।

    राधा ने दरवाजा नॉक किया

    गोविंदा ने बोला

    “आ जाओ चेहरा ऊपर कर के देखा अरे मिस राधा , आइए…

    और ये कौन?”

    राधा बोली—

    “गोविंद, मिलो—

    यह है गौरी।

    मीरा मैडम की नई P.A.”

    गोविंदा चौंक गया

    “क्या इतनी जल्दी? ये कब हुआ....

    इंटरव्यू… जरूरत क्या थी मीरा मैडम की P. A....?”

    राधा ने एटीट्यूड में कहां

    “मीरा मैडम के यहाँ इंटरव्यू नहीं होते…

    फैसले होते हैं। शादी होने वाली है तो उन्हें तो जरूर होगी ना....”

    गोविंदा ने हँसकर कहा

    “ठीक है, ठीक है।

    मीरा मैडम का कॉन्ट्रैक्ट तैयार है।

    दे दूँ तुमको?”

    राधा—

    “हाँ, लेकिन पहले एक कांटेक्ट बनवा दो फिर वह गोरी की देख कर कहती है तुम्हारा नाम क्या है?”

    जी गौरी बोली

    राधा बोली सॉरी मैं तुम्हारा नाम भूल गई

    अभी तो आपने हमारा......

    खैर छोड़िए हमारा नाम है गौरी शर्मा

    गोविंदा—

    “ ओके पर कांटेक्ट हम क्यों बनवाएंगे मीरा मैडम ने रखा है to ।”

    राधा- " हां लेकिन कांटेक्ट s. k and son's में ही बनेगा और वैसे भी कोई नई बात तो नहीं है मीरा मेम के हर एम्पलाई का कांटेक्ट और उन की सैलरी s. k ही देते है तुम कांटेक्ट बना रहे हो या मैं मीरा मैडम को"

    गोविद:- चढ़ते हुए हां हां बनवा रहा हूं । ज्यादा धमकी देने की जरूरत नहीं है। तुम दोनों रुको मैं करवाता हूं और बोलते हुए बाहर चले जाता है बडबडाते मीरा मेम को शिव सर के पैसे उड़ाने मे पता नहीं कितना मजा आता है

    क्या हुआ खुद तो इतना काम आती है पर नहीं पैसे तो शिव कूपर देंगे जैसे झाड़ पर लगे हो पैसे.....

    पर शिव सर भी क्या कर सकते हैं बेचारे मजबूर है चल भाई काम पर लग जाए.....

    plz follow me....

    Thank you......

    Plz do like comment and shear....

    Priyanka Bagani.....

  • 7. “नई नौकरी, नए डर… और पुराने ज़ख़्म”- Chapter 7

    Words: 1211

    Estimated Reading Time: 8 min

    SK ग्रुप के चमचमाते ऑफिस की उस ऊँची बिल्डिंग में,
    एक छोटे से केबिन के शीशे के टेबल पर
    गौरी के काँपते हुए हाथों ने
    कॉन्ट्रैक्ट पेपर पर साइन कर ही दिए।

    राधा ने फाइल बंद करते हुए कहा—

    “तो मिस गौरी…
    कल से sharp 10AM.
    ये एड्रेस और मीरा मैम की टाइमिंग्स।
    ले लो।”

    गौरी ने लिफाफा थाम लिया।
    चेहरे पर हल्की घबराहट…
    लेकिन आँखों में चमक।
    नई उम्मीद।

    नीचे आते हुए उसने देखा
    रिया दूर खड़ी उछल रही थी—

    “क्या हुआ? लगी? लगी? लगी??”

    गौरी ने धीरे से सिर हिलाया—
    “हाँ… जॉब लग गई।”

    रिया ने उसको जोर से गले लगाकर कहा—

    “ओए होए… मुंबई की लाइफ़ सेट!”

    🏠 घर वापसी – गौरी, बुआ और छोटा शान

    गौरी जैसे ही घर के अंदर आई,
    पूरे दिन की थकान के बावजूद
    चेहरे पर हल्की मुस्कान थी।

    बुआ शारदा चाय छान रही थीं।
    गौरी को देखते ही बोलीं—

    “क्या हुआ रे मेरे बच्चे को?
    इतनी थकी–थकी लग रही है…”

    गौरी अचानक रुक गई।
    आँखें नम होने लगीं।
    गले भरे हुए।
    आवाज़ काँपी—

    “बुआ… मुझे जॉब मिल गई।”

    बुआ ठिठक गईं।
    फिर दोनों का गहिरा आलिंगन—
    मानो माँ-बेटी एक दर्द की नदी में साथ डूबकर
    अब किनारे पहुँच गई हों।

    गौरी फूट पड़ी—

    “बुआ… अब मैं शरद को
    अच्छा भविष्य दे पाऊँगी।
    अच्छी परवरिश…
    अच्छा स्कूल… सब कुछ…”

    बुआ ने उसके सिर पर हाथ फेरा।

    लेकिन गौरी की आँखों में
    एक और डर था—पुराना, कच्चा, भरा हुआ।

    धीरे से बोली—

    “बस…
    जल्दी से उसका बाप मिल जाए बुआ।
    मैं नहीं चाहती शरद को कभी
    वो शब्द सुनने पड़े जो मैंने सुने…”

    बुआ का दिल चीर गया।
    उन्होंने बस आँसू पोंछकर कहा—

    “सब ठीक होगा मेरे लाल…
    सब ठीक होगा।”

    उसी समय—

    “म…मा…”

    छोटा सा 2.6 साल का शान
    नींद से उठकर लड़खड़ाता हुआ आया।
    टूटे–फूटे शब्द,
    तोतली ज़ुबान,
    छोटे हाथ फैलाए—

    “मा मा मा मा…”

    गौरी पिघल गई।
    तुरंत उसे गोद में उठाया—

    “मेरे शान राजा… भूख लगी?”

    शान ने सिर हिलाया
    और उसके गाल सहलाते हुए बोला—

    “दू… दूद…”

    गौरी हँस दी।
    उसने जल्दी से दूध गरम किया,
    शान को गोद में बिठाकर
    उसे पिलाने लगी।

    बुआ पीछे खड़ी
    गौरी और शान को देखते हुए
    अपने हाथ जोड़कर बोलीं—

    “गणपति बप्पा…
    मेरी बेटी को उसकी सारी खुशियाँ दे देना…
    बहुत झेला है इसने…”

    घर में एक शांति थी—
    सुकून, प्यार और उम्मीद का
    मधुर सा माहौल।

    🏢 उधर SK टॉवर – शिव कपूर की केबिन में तूफ़ान

    शिव कपूर अपने शानदार
    ब्लैक–मार्बल टेबल के सामने बैठा था।
    सफेद शर्ट, काला कोट,
    चेहरे पर ठंडा, सख्त एक्सप्रेशन।

    सामने बैठी थी—
    पूरे मुंबई की चर्चा—
    मीरा राजपूत।

    मीरा टाँगे क्रॉस करते हुए बोली—

    “शिव…
    तुम्हें पता है न
    8 दिन बाद हमारी इंगेजमेंट है?
    तो आज शाम तुम मेरे साथ चल रहे हो
    रिंग देखने।”

    शिव ने आँखें बंद कीं।
    गुस्सा भीतर उबल रहा था।

    धीरे, ठंडे सुर में—

    “मीरा…
    मेरे पास फालतू समय नहीं है।
    ये लो मेरा क्रेडिट कार्ड।
    जाओ, जो पसंद हो ले लो।”

    मीरा ने कार्ड लिया,
    उसे उँगलियों में घुमाया,
    एक खतरनाक, मिस्टीरियस स्माइल दी—

    “शिव…
    मैं तुम्हारे पैसों के पीछे नहीं हूँ।
    मेरे पास पैसा बहुत है।
    मुझे तुम्हारा टाइम चाहिए।
    शाम 7 बजे तैयार रहना…
    वरना दादी जी को सब बता दूँगी।”

    ये कहकर वह एटीट्यूड में उठी
    और कमर मटकाते हुए बाहर चली गई।

    शिव का जबड़ा भिंच गया।
    शिव अपनी कुर्सी पर पीछे टिककर, माथे पर हाथ रगड़ते हुए बस मीरा की बातें याद कर ही रहा था कि तभी केबिन का दरवाज़ा बिना नॉक किए खुला।

    तभी दरवाज़ा खुला—

    आदित्य,


    वह अंदर आते ही बोला—

    “क्या बात है?
    तू ऐसे क्यों लग रहा है
    जैसे किसी ने तेरी मर्सेडीज बेच दी?”

    शिव ने कसमसाकर कहा—

    “ये मीरा नाम की आफ़त…
    गले पड़ गई है यार।”

    आदित्य हँस पड़ा—



    आदित्य:

    “क्या बात है कपूर साहब… पूरी कंपनी डरती है आपकी केबिन में आने से, और मैं देख रहा हूं आप का मूड ऐसे गिरा हुआ है जैसे भारत मैच हार गया हो। फिर मीरा मैडम आई थीं क्या?”

    शिव ने एक लंबी साँस ली।

    शिव:

    “यही समझ ले। आठ दिन बाद इंगेजमेंट है और उसे बस टाइम चाहिए… पैसा नहीं। यार वो कार्ड भी फेंक दिया उस ने। कहती है ‘I want your time, शिव… evening 7 PM.’
    अब बोल! मेरे पास टाइम कहां है?”

    आदित्य हँसा, सोफे पर बैठ गया।

    आदित्य:

    “टाइम.... टाइम तो है पर तू देना नहीं चाहता....
    वैसे भाई, तूने ऐसे चेहरे बनाना कब शुरू कर दिया? पिछले चार साल में तेरे चेहरे की मांसपेशियाँ भी भूल चुकी थीं कि मुस्कुराना कैसे होता है।”

    वह हल्का धक्का मारकर बोला

    “अभी-अभी मीरा गई है और तू थोड़ा सा मुस्कुरा भी दिया… कहीं प्यार-व्यार तो नहीं हो गया?”

    शिव ने घूर कर देखा।

    शिव:

    “ओये! बकवास बंद कर। तू जानता है ना, मीरा और मैं… बस उस जिम्मेदारी की वजह से।”


    आदित्य कॉफी टेबल पर रखकर आगे झुकते हुए बोला—

    आदित्य:

    “ठीक है ठीक है… तेरी ‘फैमिली कॉम्प्रोमाइज स्टोरी’ में मैं नहीं पड़ूँगा।
    लेकिन असली प्रॉब्लम वही लड़की है… है ना?”

    शिव का चेहरा थोड़ा कड़क हो गया, पर उस की आँखों में एक सेकंड को दर्द-सा चमका।

    शिव:

    “हाँ… वही।
    चार साल हो गए, आदित्य।
    नाम नहीं… चेहरा नहीं… बस एक परछाई-सी याद है।
    और उस रात क्या हुआ, ये भी नहीं पता।”

    आदित्य ने धीरे से कहा—

    आदित्य:

    “हमें उस के बारे में कुछ नहीं पता… बिल्कुल कुछ नहीं।
    लेकिन हम कोशिश कर रहे हैं।
    जो हमें उस के बारे में बता सकता है… वो अब भी अस्पताल में है।
    डॉक्टर्स कह रहे हैं कि शायद एक-दो हफ्ते में होश आ जाए।”

    शिव ने अनजाने में मुट्ठी कस ली।


    आदित्य माहौल हल्का करने के लिए मुस्कुराया।

    आदित्य:

    “वैसे भाई… मैं सोच रहा हूँ, अगर वो लड़की मिल गई ना… तो तू क्या करेगा?
    उस से पूछेगा—‘मैडम, चार साल पहले मिले थे, क्या आप को याद है?’”

    शिव ने उसे एक फाइल मारने की एक्टिंग की।

    शिव:

    “चुप बे! मैं क्या पागल लग रहा हूँ?”

    आदित्य हँस पड़ा।

    आदित्य:

    “नहीं यार… तू पागल नहीं है।
    बस… चार साल से एक लड़की की तलाश में ऐसे घूमता है जैसे CID में ACP प्रद्युमन की खोई हुई बहू को ढूंढ रहा हो।”

    शिव ने भी पहली बार हल्की-सी मुस्कान दी—
    वो मुस्कान जो चार साल में शायद दूसरी बार आई थी।


    शिव:

    “तू ना… जोक मार-मारकर मौत देगा किसी दिन मुझे।”

    आदित्य:

    “मर भी गया ना… तो मीरा मैडम तुझे टाइम नहीं देगी, तेरी प्रॉपर्टी ले लेगी।”

    दोनों हँस पड़े।

    शिव ने अपने दोस्त को देखते हुए धीरे से कहा

    शिव:

    “आदित्य… बस जल्दी ढूँढ।
    मुझे नहीं पता क्यों… पर वो लड़की मेरे सारे जवाब लेकर घूम रही है।
    और मेरा दिल बोल रहा है वो कहीं पास ही है।”

    आदित्य ने सिर हिलाया।

    आदित्य:

    “मैं हूँ ना, भाई।
    ढूँढ लेंगे…
    कितना भी टाइम लगे।
    यू आर नॉट अलोन।”

    दोस्त एक-दूसरे को देख कर हल्के से मुस्कुराए।



    आदित्य ने चुटकी ली

    “तू तो वैसे ही पागल है।
    चल, आज रात बच निकलने का प्लान बनाते हैं!”

    शिव ने आँखें घुमाईं—

    “दफा हो… काम कर।”



    आदित्य हँसते हुए निकल गया।
    बाहर मीरा फिर से केबिन का हैंडल पकड़े खड़ी थी
    और दोनों को भनक तक नहीं थी। आदित्य के आता देखा बहुत झड़ से वॉशरूम में चली गई....

    शिव फिर अकेला रह गया—
    खिड़की के पास,
    मुंबई के शोर को देखते हुए।
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    Priyanka Bagani.....

  • 8. “मीरा 😡😡” - Chapter 8

    Words: 1172

    Estimated Reading Time: 8 min

    आदित्य की आवाज़ सुनते ही मीरा चुपचाप वॉशरूम में घुस गई।

    कांच के शीशे में अपना चेहरा देखती हुई, हाई-कॉन्ट्रास्ट मेकअप के साथ अपनी तीखी आँखों को फैलाकर बोली—

    मीरा (धीरे, पर ज़हर से भरी आवाज़ में):

    "शिव कपूर… तुम समझते क्या हो खुद को?

    चार साल पहले जो मेरी बेइज़्ज़ती हुई थी… मेरे पूरे परिवार की नाक कटी थी… उस का बदला मैं तुम्हारे खानदान से लेकर रहूंगी।

    तुम सोचते हो तुम से शादी कर रही हूँ क्योंकि मैं चाहती हूँ?

    नहीं, शिव…

    ये शादी तुम्हारे लिए पिंजरा होगी… लगता है मैं तुमसे शादी करूं नहीं बिल्कुल नहीं तुम्हारी भी बिल्कुल वैसे ही बेज्जती होगी और तुम्हारे परिवार की भी जैसे मेरी और मेरे परिवार की हुई थी हर एक आंसू और हर एक तकलीफ का तुम्हें हर जाना देना ही होगा

    और रही बात उस लड़की की…

    जिस की तलाश तुम ४ साल से कर रहे हो…

    तो याद रखना—

    मीरा कपूर तुम्हें उस से मिलने ही नहीं देगी।

    कभी नहीं।"

    उस की आँखें ठंडी, हल्की-सी ललचाई हुई…

    जैसे किसी शिकार को दूर से देखकर भी पेट भर गया हो।

    वॉशरूम से निकलने से पहले उसने लिपस्टिक ठीक की, शीशे में एक आखिरी बार मुस्कुराई—एक मिस्ट्री वाली मुस्कान।

    फिर शिव को एक मैसेज भेजा:

    “Evening 7 PM. Oberon Mall. Don’t be late.”

    और चुपचाप निकल गई।

    घर पहुँचते ही उस ने शिव के घर कॉल लगाया।

    फोन उठाया — शिव की दादी ने।

    मीरा ने आवाज़ को एकदम मासूम, टूटा हुआ, दर्द से भरा बनाया।

    जैसे दुनिया ने उस पर बहुत अन्याय किया हो।

    मीरा (रोते-रोते, भारी आवाज़ में):

    “दादी जी… प्लीज़… आप शिव से कहना कि वो आज ज़रूर आए।

    मुझे कोई महँगी चीज़ नहीं चाहिए…

    मुझे बस उस का साथ चाहिए।

    आठ दिन बाद हमारी सगाई है… और मैं चाहती हूँ कि ये पल आप अपने हाथों से देखें।

    आप तो जानती हैं, इस शहर में मेरे माँ-पापा नहीं हैं…

    आप ही मेरी माँ जैसी हैं।

    आपके आशीर्वाद के बिना… मुझे डर लगता है दादी…

    डर कि कहीं मेरी किस्मत फिर धोखा न दे दे…

    मैंने बहुत कुछ झेला है दादी… आप ही मेरी उम्मीद हो…”

    यह सुनते ही बूढ़ी आवाज़ बहुत कमजोर पड़ गई।

    दादी (टूटे हुए स्वर में):

    “नहीं बेटा… नहीं।

    तुम चिंता मत करो।

    शिव ज़रूर आएगा।

    मैं खुद कहूंगी उसे।

    तुम रोओ मत… मैं हूँ न… तुम्हारी भी दादी हूँ।”

    मीरा ने फोन कट किया…

    और अपनी मुस्कान को दबाते हुए बोली—

    “Checkmate, Shiv Kapoor… अभी तो खेल शुरू हुआ है।”

    शाम के 6 बजते ही दादी ने शिव को फोन लगाया।

    शिव ने अपने फोन पर नजर डाली तो उसने देखा दादी इस कॉलिंग उसने फोन उठाया।

    दादी:

    “शिव! आज तुम्हें मीरा के साथ शॉपिंग के लिए जाना है। वह तुम्हें इंतज़ार कर रही है।”

    शिव चिढ़ा हुआ था।

    शिव:

    “दादी… मेरे पास बहुत काम है। खाली नहीं बैठा हूँ मीटिंग्स हैं। मुझे नहीं जाना”

    दादी (कठोर स्वर में):

    “काम हमेशा रहेगा।

    पर रिश्ते… वो टूट जाएं तो दोबारा नहीं जुड़ते।”

    शिव ने झुँझला कर कहा—

    शिव:

    “पर दादी, मैं ही क्यों?

    मीरा की शादी वीर से भी तो हो सकती है!”

    दादी एकदम सन्न।

    आवाज़ भारी हो गई।

    दादी:

    “जिस गलती की वजह से उस के परिवार की बदनामी हुई…

    उस का कनेक्शन वीर से नहीं… तुम से है, शिव। तुम भी जानते हो गलती हमारे परिवार की है और हमें अपनी गलती का पश्चाताप करना ही होगा मीरा को उसका हक देना ही होगा.....

    उस रात तुम थे…

    और उस की तकलीफ़ का बोझ भी तुम्हें उठाना होगा।

    अगर तुम आज नहीं गए ना…

    तो मैं समझ जाऊंगी कि तुम उसे इंसान क़ो अपना मानते ही नहीं थे।”

    शिव की रीढ़ में जैसे कुछ टूट गया।

    वह हारते हुए बोला—

    शिव (धीरे, थके स्वर में):

    “ठीक है दादी… मैं जा रहा हूँ।पर ये मत बोलिए मैं मेरे सब कुछ हैं....”

    दादी ने राहत की साँस ली। दादी जानती थी शिव कहां कमजोर पड़ता है

    (लोकेशन: मुंबई चॉल – शाम 5 बजे)

    दोपहर की हल्की धूप चॉल की संकरी गलियों पर झिलमिला रही थी। ऊपर से कपड़े सूख रहे थे, नीचे बच्चों की गेंद… और बुआ शारदा का स्वर पूरे घर में गूंज रहा था।

    “अरे गौरी, ज़रा ये सब्ज़ी धो दे बेटी… और हाँ, शान को देखना,बैड पे चढ़ कर गिर न जाए!”

    गौरी रसोई से बाहर आई, उसके हाथ अभी भी हल्दी से पीले थे।

    चेहरे पर हल्की-सी थकान थी, पर नज़रें बड़ी शांत।

    उसी समय कमरे के कोने में शान अपनी मिनी-कार घसीटते हुए तोतलाता—

    “मामा… मामा… मामा…”

    गौरी तुरंत उस के पास बैठ गई, उसके गाल पर एक जोरदार किस रखकर बोली—

    “मेरे राजे, भूख लगी क्या? अभी दूध देती हूँ…”

    शारदा बुआ दरवाज़े की चौखट पर टिकी थीं—

    आँखों में चिंता, पर माँ वाली शांति।

    “गौरी, तू थक जाती होगी… अकेली सब कर रही है।”

    गौरी मुस्कुराई—

    वो मुस्कान जो उसके दर्द को ढक लेती थी।

    “नहीं बुआ… तुम हो न। और मेरा शान… बस वो हँसता रहे, मुझे और कुछ नहीं चाहिए।”

    दरवाज़ा खुलते ही रिया तड़ातड़ अंदर घुस आई।

    रिया:

    “ओ मैडम! खबरदार अगर तू नौकरी का पहला दिन मिस कर दे। सुबह 8बजे sharp निकलेंगे! तुझे छोड़ते हुए मैं चले जाऊंगी कैसे भी जहां मीरा मैडम की शूटिंग है वही मुझे भी काम है...”

    गौरी हँस पड़ी।

    तभी बुआ बोलीं

    बुआ:

    “गौरी, शाम के लिए कुछ सामान लेना है—”

    गौरी:

    “अरे बुआ, चिंता मत कर… मैं और रिया ले आते हैं।”

    दोनों बाहर निकलने ही वाली थीं कि पीछे से छोटा शान दौड़ते हुए—

    शान (तोतला, प्यारी आवाज़):

    “मा… मा… मम… मैं भी… मैं भी…”

    गौरी घुटनों पर बैठी, उसे गोद में उठाया, गाल पर किस किया।

    गौरी:

    “क्यों नहीं, मेरे राजे … तू भी चलेगा।

    मेरी शान है…”

    बुआ की आँखें नम हो गईं।

    बुआ (हाथ जोड़कर):

    “गणपति बप्पा… मेरी बेटी को उस की खुशियाँ दे देना… प्लीज़…”

    रिया और गौरी शान को बीच में लेकर चल रही थीं।

    रिया मजाक उड़ाते हुए बोली

    रिया:

    “वैसे बताऊँ गोरी…

    तू जितनी खूबसूरत है ना…

    तेरे इस लुक्स पर मुंबई के लड़के तरसते होंगे…

    पर तू फुल भाव जताती घूमन सब क़ो

    गौरी ने आँखें नम होगा गई

    गौरी:

    “मेरा दिमाग मत खा रिया!

    मेरे पास न इश्क का टाइम है, न हिम्मत…

    और वैसे भी… मुझे पहले उस आदमी को ढूंढना है

    जिस ने मेरा सब छीन लिया…

    जिस की वजह से मेरा बेटा दुनिया के सामने नाजायज़ कहलाएगा…

    मैं नहीं चाहती कि मेरे शान पर किसी की उंगली उठे।

    बस यही मेरी लड़ाई है।”

    रिया ने तुरंत उसका हाथ पकड़ लिया।

    रिया:

    “और मैं तेरे साथ हूँ, पागल!

    जब तक ये रिया है…

    तू अकेली नहीं है।

    चल… अब रोना बंद कर, शॉपिंग करनी है!”

    शान हँसते हुए बोला

    “ममा… चौ....की!”

    इधर शिव भी ओबेरॉन मॉल के लिए कार लेकर निकला था।

    उधर गौरी, रिया और शान भी उसी मॉल की तरफ जा रहे थे।

    क्या उन का रास्ता आज टकराएगा?

    नफ़रत, बदला, अधूरी तलाश…

    और एक मासूम बच्चे की किस्मत—

    सब एक ही जगह जा रहे थे।

    कौन हैं शरद

    किसे ढूंढ रहा हैं शिव

    कौन हाँ हॉस्पिटल मैं...

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    Priyanka Bagani....

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  • 9. “एक-दूसरे के बेहद क़रीब… पर फिर भी अनजान ✨” - Chapter 9

    Words: 1059

    Estimated Reading Time: 7 min

    उसी समय बाहर से आवाज़ आई—

    “गौरी ओए! निकल रही क्या? मार्केट चलते हैं!”

    रिया थी—हाथ में घर के सामान की listb, चेहरे पर वही पुरानी मुंबई वाली चुस्ती।

    गौरी बोली—

    “हाँ आ रही हूँ… ज़रा शान को दूध पिला दूँ।”

    शान ने ग्लास की तरफ देखकर ऐसे मुस्कुराया जैसे दूध नहीं, अमृत हो।

    कुछ मिनट बाद…

    गौरी ने शान के माथे पर प्रेम-सा हाथ फेरा और धीरे से कहा

    “अच्छा बुआ, मैं और रिया थोड़ा सामान लेने जा रहे हैं… शान को संभाल लेना।”

    शान फिर दौड़ पड़ा—

    “मा… मामा… मामा… मा… मैं भी… मैं भी…”

    रिया हँस पड़ी—

    “ए छोटू! तू भी चलेगा क्या?” उस के दोनों गाल की खींचा

    शान उस का हाथ हटा के मुंह बनाया गं..... मासी

    गौरी ने उसे गोद में उठाया और उस के दोनों गालों पर जोरदार किस—

    “चल मेरे राजे… पर ज़्यादा शरारत नहीं!”

    रिया और गौरी चॉल से बाहर आती हैं।

    गौरी ऑटो ढूंढने लगती है, तभी अचानक बोल उठती है—

    “रिया… तेरी जॉब ?”

    रिया ने ऐसा चेहरा बनाया जैसे कोई बड़ा फ़लसफ़ा समझा रही हो—

    “गौरी मेरी जान… ये मुंबई है, भोपाल नहीं।

    यहाँ पर रोज काम मिलते हैं बस ढूंढना आना चाहिए वैसे फिल्म इंडस्ट्री में मुझे भी छोटे-मोटे काम मिलते रहते हैं ”

    रीया को एक्टर बनना है इसलिए वह साइड कैरेक्टर और डांसर का रोल करती रहती है

    गौरी की आँखें घुमाई

    “ सच मै ?”

    रिया गर्व से बोली, “ हम्म यहाँ बस, ट्रेन, ऑटो — यही राजाओं की सवारी है। चल आ गई हमारी सबरी ”

    दोनों हँसते हुए ऑटो में बैठ गए।

    शान रिया की गोद में खुश हो कर ताली बजाने लगा।

    उधर…

    एक विशाल ग्लास बिल्डिंग के सामने एक काली BMW 7-Series आकर रुकी।

    दरवाज़ा खुला—चमचमाते काले बूट, सफेद शर्ट, और हल्का-सा उड़ा हुआ परफ्यूम…

    शिव कपूर।

    चेहरा ठंडा, भाव पत्थर जैसे।

    गुस्सा?

    नहीं…

    यह वो दर्द था जो गुस्से का रूप ले चुका था।

    ड्राइवर ने पूछा

    “सर, घर?”

    शिव ने चश्मा उतारकर कहा—

    “ नहीं.... ज्वेलरी शॉप ले चलो है।”

    नज़रें ऐसे जैसे दुनिया से ही थक चुक हैं....

    ऑटो रुका।

    रिया पहले उतरी, उस के हाथों में शान।

    गौरी पैसे निकालने लगी।

    उधर ठीक उसी पल, शिव की BMW भी उसी जगह रुक गई।

    शिव उतर कर मोबाइल देखने लगा और तेज़ी से आगे बढ़ा।

    गौरी भी ऑटो का किराया देकर जल्दी-जल्दी आगे बढ़ी।

    और…

    थड़ाम!

    उन के कंधे टकराए।

    एक पल—

    दोनों वहीं फ्रीज़।

    दोनों ने एक साथ एक कदम आगे बढ़ाया…

    फिर एक साथ रुक गए…

    फिर दोनों ने गर्दन हल्के से झटकी—

    “सॉरी…”

    लेकिन दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा ही नहीं।

    सिर्फ टकराए…

    सिर्फ रुके…

    ओर आगे बढ़ गए…

    पर उस एक टकराहट ने दोनों की धड़कनें एक सेकंड के लिए रोक दीं।

    रिया पीछे से चिल्लाई—

    “गौरी! जल्दी आ! शान आगे भाग रहा है!”

    और गौरी दौड़ पड़ी।

    शिव भी मॉल के ग्लास दरवाज़ों से अंदर चला गया।

    दोनों…

    एक ही जगह…

    एक ही वक्त…

    पर फिर भी अनजान।

    शिव चौथे फ्लोर पर पहुँचा।

    मीरा पहले से खड़ी थी—

    लाल वेस्टर्न ड्रेस, खुले बाल, और चेहरा… एटीट्यूड से भरा।

    “शिव… लेट हो गए!”

    “मीरा, काम था—”

    “हाँ काम! पर आज से मेरा काम सब काम से बड़ा है।

    चलो ज्वेलरी शॉप मै रिंग देखते हैं।”

    शिव चुप।

    हमेशा की तरह।

    मीरा एक एक रिंग निकालती, फिर रख देती—

    “ये नहीं… ये भी नहीं… इस से अच्छा दो… इस से भी चमकीला… इस से भी महंगा! कुछ जो सिंगल पीस हो only for meera.” फुल एटीट्यूड में कहां

    शिव की पेशानी सलवटों से भर रही थी।

    “मीरा… जल्दी करोगी?”

    “शिव, एंगेजमेंट है हमारी … सब कुछ परफेक्ट चाहिए!”

    आख़िरकार उस ने सबसे महंगी रिंग चुनी।

    शिव बस खड़ा उसे घूर रहा था।

    फिर मीरा बोली

    “अब कपड़े! चलो!”

    शिव—

    “…मीरा—”

    “नो! चलो!”

    उसने शिव को हाथ से खींच लिया।

    शिव मन में—

    “भगवान… कहाँ फँस गया…”

    मीरा एक-एक आउटफिट पहनकर आती—

    और पूछती—

    “कैसा लग रहा हूँ?”

    शिव हर बार—

    “ठीक है…”

    “ठीक है क्या? कुछ अच्छा बोलो!”

    शिव—

    “बहुत अच्छा…”

    आख़िर तीन घंटे बाद—

    नींद उड़ाने वाला, नाक में दम करने वाला सत्र खत्म हुआ।

    मीरा बोली

    “शिव, बिल मैं कर दूँ?”

    शिव

    “हाँ…”

    पर दो सेकंड बाद मीरा बोली—

    “नहीं… रहने दो… तुम कर दो। नहीं तो दादी नाराज हो जायगी इंगेजमेंट रिंग लड़की वालों की तरफ से ही आती है”

    शिव ने आँखें बंद कर लीं।

    शिव:

    " अब चले मीरा मेरी मीटिंग"

    मीरा:

    "शिव… मैंने तुम्हें बुलाया है।

    तुम्हारी दादी ने कहा है।

    चुपचाप चलो।"

    शिव की गर्दन झुक जाती है।

    अंदर की चिंगारी जलती रहती है।

    मीरा 12 आउटफिट उठाती है।

    शिव के हाथ में डालती है।

    मीरा:

    "ट्रायल रूम में जाओ। सब पहन कर निकलो।"

    शिव:

    "मीरा… मैं लड़का हूँ…!"

    मीरा:

    "तो? मैं भी लड़की हूँ।

    जाओ!"

    ट्रायल रूम से शिव के निकल कर हर बार और भी चिढ़ा हुआ

    1st Outfit – ब्लैक शर्ट + जीन्स

    मीरा:

    "उफ्फ शिव! यह तो तुम रोज पहनते हो। बोरिंग!"

    शिव:

    "तो मैं रंग बदल दूँ?"

    मीरा:

    "मूड बदलो। जाओ अगला!"

    2nd Outfit – व्हाइट लिनेन सूट

    मीरा:

    "नहीं! तुम किसी ऐड में लग रहे हो। असली इंसान नहीं। दूसरा पहन!"

    शिव दिमाग में—

    “मैं इंसान ही हूँ, एलियन नहीं…”

    3rd Outfit – रेड जैकेट

    मीरा आँखें करके—

    "हाए राम! तुम गुंडे लग रहे हो। पहन क्यों लिया?"

    शिव:

    "तुमने दिया था…"

    मीरा:

    "तो सोचो ना यार, दिमाग कहाँ है?"

    4th Outfit – ब्लू शर्ट वाइट कोट

    मीरा:

    "शिव… ये अच्छा है।"

    शिव खुश होता है—

    "फाइनली!"

    मीरा:

    "पर बहुत अच्छा है। यानी तुम बहुत अच्छे लग रहे हो।

    और मैं चाहती हूँ आज सब की नज़र मुझ पर हो।

    तो ये नहीं चलेगा।"

    शिव (आँखें बंद): ( मन ही मैन खुद को खुश रहा था कि वह कहां फंस गया है पर क्या करें किसी और की गलतियों का खामियां हैं उसे भरना ही था और वह उससे मुकर नहीं सकता था अगर उसने मीरा को एक शब्द भी कहा तो दादी बड़ी मां उस के फॅमिली हर इंसान उसे बोलेगा)

    “… मीरा…”
    मेरा जानती थी कि शिव परेशान हो रहा है पर उसे अपना बदला लेना था और वह इसी तरह शिव को अपने बस में कर सकती थी उसे मालूम था सि इसी तरह शिव को अपने बस में कर सकती थी उसे मालूम था शिव की कमजोरी है उसका परिवार वह कितना ही कुछ बोले पर अपने परिवार से बहुत प्यार करता है.....
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    Priyanka Bagani.....
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  • 10. “गौरी, रिया और शान की छोटी-सी खुशियाँ ” - Chapter 10

    Words: 1011

    Estimated Reading Time: 7 min

    गौरी, रिया और शान की छोटी-सी खुशियाँ

    गौरी महंगे मॉल को छोड़ कर सामने वाले साधारण मॉल में चली गई।

    वहाँ शान खिलौनों की दुकान में पहुँच कर खिलखिलाने लगा।

    “मामा… मामा… ये!”

    रिया हँसी—

    “छोटू पूरा महंगा माल देख रहा है!”

    गौरी ने 120 रुपये वाला एक छोटा सा खिलौना उठाया और शान को पकड़ा दिया।

    शान ऐसे खुश हुआ जैसे दुनिया की सब से बड़ी खुशी मिल गई हो।

    गौरी रिया से बोली

    “रिया… कल से जॉब है। सब अच्छा होगा न?”

    रिया ने उसका चेहरा पकड़कर कहा—

    “गौरी… ये मुंबई है।

    किस्मत पलटने में टाइम नहीं लगता। तू बस मेहनत कर मुंबई को मेहनत करने वालों की बहुत कदर देखना एक दिन

    तू भी … चमकेगी। मेरी जान ”

    गौरी चुप… पर आँखों में हल्की-सी नमी।

    "रुको! अभी तुम्हारे कपड़े देखने भी चलते हैं। कुछ ऑफिस में पहनने लायक फॉर्मल आउटफिट ले लेते हैं "

    मॉल 😡😡😡

    हर आउटफिट पर कोई ना कोई कमी:

    “बहुत टाइट”

    “बहुत लूज़”

    “बहुत रफ़”

    “बहुत सिंपल”

    “बहुत क्लासी”

    “बहुत महंगा”

    “बहुत सस्ता”

    शिव की आँखें लाल, गुस्सा अंदर भरा पर दादी का वचन आंखों के आगे कुछ अतीत की गलतियां गले में पड़ा है।

    आखिरकार एक आउटफिट पसंद

    मीरा एक ब्राउन कोट white शर्ट सेट देती है।

    शिव पहन कर आता है।

    चेहरा इस से पहले इतना हार चुका नहीं था।

    मीरा:

    "हाँ… ये ठीक है।

    चलो बिल करवा लो।"

    शिव:

    "मैं करवाता हूँ…"

    मीरा:

    "नहीं नहीं, रहने दो।

    मुझे करने दो। लोग बोलेगे मै तुम्हारे पैसे के लिए तुम्हारे साथ हूं.... थोड़ी सी अपनी बातों में दुख लाते हुए तुम तो जानते हो ना शिव मेरी कोई गलती नहीं थी ना मेरे परिवार की गलती थी फिर भी हमने इतना सहा है अब मैं किसी से कुछ नहीं सुनना चाहती "

    शिव:- उसके हाथ से बिल लेता है और एक बॉडीगार्ड को पकड़ा देता है कि पे करो उस को आगे बढ़ने लगता है कि

    मीरा शॉपिंग के बैग उठा कर शिव को पकड़ाती है।

    मीरा:

    "ये तुम पकड़ो।

    मैं प्रिंसेस हूँ, मैं कैरी नहीं करती।"

    शिव मन में—

    “तू प्रिंसेस है तो मैं क्या हूँ? बैल?”

    पर बाहर

    "ठीक है।"

    मीरा:

    "शिव, तुम न गुस्से में बहुत क्यूट लगते हो।"

    शिव (दाँत भींचते हुए):

    "मीरा, मैं गुस्से में क्यूट नहीं लगता।"

    मीरा:

    "लड़कियों के लिए लगता है।"

    शिव:

    "मुझे फर्क नहीं"

    मीरा:

    "पर दादी को पड़ता है।"

    शिव की साँस भारी।

    फिर वही सर हिलाते हुए जाना लगा …

    मीरा नीचे उतर जाती है।

    ड्राइवर उसे लेने आता है।

    वह चलते-चलते फोन पर किसी को बोलती है—

    “सब सेट है। अब आगे मजा देखना। और मैंने शिव को बहुत परेशान किया बस देखते जाओ। हमें उसे लड़की को दूर रकहना है और उसे अस्पताल वाले इंसान पता लगाना है वो किन से हॉस्पिटल मै है फिर देखो शिव कैसे हमारे इशारे पर नाचता है। वैसे तुम्हें पता चला कि शिव ने उसे कौन से अस्पताल में रखा है। कुछ कहां गया जिसे सुन कर मीरा को टेंशन आ गई उस ने कहा तुम परेशान मत हो मैं शिव से निकलवती हूं कुछ....”

    शिव सुन नहीं पाता, पर एक बेचैनी जरूर रह जाती है।

    शिव के घर

    कमरा अंधेरा।

    सिर्फ बालकनी से आती हवा और शहर की लाइटें।

    शिव सिर्फ लोअर पहने हुए, बाल थोड़े बिखरे,

    हाथ में सिगरेट

    पर कश नहीं ले रहा,

    सिर्फ जलने दे रहा है…

    उस की आँखों में वही दर्द

    वही हादसा

    वही गिल्ट…

    शिव (धीमे, टूटी आवाज़ में खुद से):

    "काश… अगर उस दिन…

    अगर मैं उसे रोक पाता…

    तो आज सब कुछ ऐसा नहीं टूटता…

    सब कुछ मेरा हाथ से क्यों फिसल जाता है…"

    हवा तेज़ चलती है।

    सिगरेट की राख गिरती है।

    "मैंने उसे बचाया क्यों नहीं…

    क्यों नहीं…

    क्योंकि मैं कायर था?

    या किस्मत बहुत बेरहम थी?"

    आँखें नम थी ओर आशु

    गिरने नहीं देता।

    "अगर भगवान एक मौका दे…

    एक…

    तो मैं अपनी जान तक दे दूँ।

    पर…

    वह लौट.....…"

    वह दीवार पर सिर टिका कर खड़ा रहता है क्यों छोड़ दिया मुझे अकेला....

    अंदर का तूफान बाहर कोई नहीं देख सकता।

    शिव ने आँखें बंद कर लीं।

    गौरी का घर

    रात को शान को खाना खिलाते हुए

    गौरी ने बुआ से कहा

    “बुआ… कल मुझे जल्दी उठाना। मीरा मैम के घर जाना है।

    मैं संभाल लूँगी… सब ठीक हो जाएगा।”

    शान उस की गोद में सो गया प्यार से उस के बालों पर हाथ फेरते रही थी

    मुँह आधा खुला, हाथ गौरी की उँगलियों पर।

    गौरी ने उसे सीने से लगा कर फुसफुसाया—

    “मेरे बेटे… तेरी खातिर सब करूँगी मैं…”

    शिव अपने पेंटहाउस की बालकनी में अब भी खड़ा था। रात के १२ बज रहे थी उसकी आंखों में नींद ही नहीं थी जब भी वह मीरा से मिलने मेरा कुछ ऐसा बोल देती कि उसके अतीत के जख्म फिर से हरे हो जाते हैं......

    कमरे में बस धुआँ… और उस धुएँ की तरह धुंधला उस का अतीत।

    वो सीढ़ियों पर बैठ गया

    शर्ट खुली…

    बाल बिखरे…

    चेहरा थका हुआ…

    और दिल… टूटता हुआ।

    “सब बदल रहा है… सब मेरे हाथों से रेत की तरह फिसल रहा है…”

    उस की आँखें लाल।

    होठ दबे हुए।

    “चार साल पहले… अगर मैं एक दिन… बस एक दिन पहले पहुँच जाता… तो आज सब कुछ अलग होता।”

    एक आँसू

    धुएँ की लकीर के साथ नीचे गिरा।

    “मैंने उन्हें खो दिया… और अब मैं उस आदमी को नहीं छोड़ूँगा। जो भी इन सब के पीछे उन सब से बदला लूंगा। ”

    उस ने सिगरेट फेंक दी…

    और अँधेरे में खो

    हाथ में सिगरेट।

    कमरे में बस धुआँ… और उस धुएँ की तरह धुंधला उस का अतीत।

    वो सीढ़ियों पर बैठ ही

    शर्ट खुली…

    बाल बिखरे…

    चेहरा थका हुआ…

    और दिल… टूटता हुआ।

    “सब बदल रहा है… सब मेरे हाथों से रेत की तरह फिसल रहा है…”

    उस की आँखें लाल।

    होठ दबे हुए।


    एक आँसू

    धुएँ की लकीर के साथ नीचे गिरा।

    “मैंने उसे खो दिया… और अब मैं उस आदमी को नहीं छोड़ूँगा। अगर तुम जल्दी नहीं उठे तो फिर शायद तुम मुझे भी खो..... सब कुछ बिखर जाएगा।”

    उस ने सिगरेट फेंक दी…

    और गैलरी में बैठा बैठा सो गया....

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  • 11. सगाई- Chapter 11

    Words: 1008

    Estimated Reading Time: 7 min

    आज का दिन सच में सब की ज़िंदगी में एक नया उजाला लेकर आया था।

    ऐसा उजाला, जो किसी के लिए उम्मीद था…

    तो किसी के लिए मजबूरी…

    और किसी के लिए आने वाले तूफान से पहले की खामोशी।

    सुबह की हल्की धूप जब खिड़कियों से अंदर आई, तो चॉल के उस छोटे से घर में भी एक नई हलचल शुरू हो चुकी थी।

    गौरी का सवेरा

    गौरी ने सब से पहले शान को प्यार से सीने से लगाया।

    उसके गालों पर हल्की-सी गुलाबी चमक थी, नींद में भी मुस्कुराता हुआ उसका बच्चा।

    गौरी (धीरे से):

    “मेरा राजे … आज माँ ऑफिस जाएगी, अच्छे से रहना, ठीक है?”

    शान ने तोतली आवाज़ में कुछ बुदबुदाया और उस के गले में बाहें डाल दीं।

    गौरी ने उस के माथे पर ढेर सारा प्यार उड़ेल दिया।

    बुआ शारदा देवी दरवाज़े के पास खड़ी सब देख रही थीं।

    शारदा देवी:

    “जा बेटा, आज पहला दिन है… मन मजबूत रखना।”

    गौरी ने उन की हथेली चूमी, आँखों में नमी लिए सिर हिलाया।

    रिया बाहर से आवाज लगाती है।

    रिया (हँसते हुए):

    “मैडम पीए, लेट हुई तो मीरा राजपूत खा जाएँगी।”

    गौरी हल्की मुस्कान के साथ बाहर निकली।

    आज उस ने नीला कुर्ता पहना था, नीचे सफेद जींस,

    कलाई में बस एक सिंपल-सी घड़ी।

    ना ज़्यादा सजावट, ना बनावट—

    बस वही सादगी, जो उसे सब से अलग बनाती थी।

    मीरा का घर आज किसी होटल के सुइट से कम नहीं लग रहा था।

    हर तरफ स्टाफ, मेकअप आर्टिस्ट, डिजाइनर—

    और उन के बीच गौरी, जो चुपचाप सब संभाल रही थी।

    नाश्ता ट्रे में लगाना,

    पानी का तापमान देखना,

    आउटफिट प्रेस करवाना,

    जूते मैच कराना—

    गौरी बिना शिकायत, बिना थके काम कर रही थी।

    मीरा अपने कमरे में सोफे पर बैठी, फोन स्क्रॉल करते हुए बोली—

    मीरा:

    “गौरी! ऑरेंज जूस चाहिए…

    और नो आइस you know मेरा गला ख़राब हो जायगा”

    गौरी ने सिर झुका कर कहा—

    गौरी:

    “जी मैडम।”

    उस के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी,

    पर आँखों में एक सवाल ज़रूर था—

    क्या हर चमक इतनी भारी होती है?

    शिव कपूर

    दूसरी तरफ, शहर के एक ऊँचे फ्लैट की बालकनी में शिव कपूर खड़ा था।

    हाथ रेलिंग पर टिके हुए,

    आँखें दूर फैले मुंबई पर जमी हुईं।

    रात की बेचैनी अभी भी उस की आँखों में थी।

    उस ने खुद को झटका दिया।

    शिव (खुद से):

    “बस… बहुत हुआ।”

    वह फ्रेश हुआ,

    और सीधे जिम।

    दो घंटे तक उस ने खुद को मशीनों पर झोंक दिया—

    जैसे पसीने के साथ अपने गुस्से, दर्द और बेबसी को बाहर निकाल देना चाहता हो।

    नहाने के बाद,

    उसने ब्लैक ट्राउज़र और व्हाइट शर्ट पहनी।

    शर्ट की बाज़ू हल्की-सी मोड़ी हुई,

    कलाई पर घड़ी,

    चेहरा सख्त—

    पर आँखों में एक थकान, जो कोई नहीं पढ़ पाता।

    S.K. एंटरप्राइज

    जैसे ही शिव ऑफिस में दाखिल हुआ,

    जो आवाज़ें, जो हँसी-मज़ाक था—

    सब एकदम शांत।

    “गुड मॉर्निंग सर…”

    “गुड मॉर्निंग, एस के सर…”

    पर शिव किसी की तरफ देखे बिना,

    सीधे अपने केबिन में चला गया।

    गोविंद फाइल ले कर अंदर आया।

    गोविंद:

    “सर, आज दो मीटिंग्स हैं…

    और ३ दिन बाद आप की इंगेजमेंट—”

    ‘इंगेजमेंट’ शब्द सुनते ही शिव की जबड़े की मसल्स टाइट हो गईं।

    उस की आँखों का रंग बदल गया।

    तभी दरवाज़ा खुला और आदित्य अंदर आया।

    आदित्य (हल्की उम्मीद के साथ):

    “शिव… अस्पताल से अपडेट है।

    उस की हालत में सुधार है।

    डॉक्टर्स कह रहे हैं… दो-तीन दिन में होश आ सकता है।”

    एक पल के लिए…

    सिर्फ एक पल—

    शिव के चेहरे पर राहत की हल्की-सी झलक आई।

    शिव:

    “सच में?

    अगर ऐसा हुआ… तो शायद सब ठीक हो जाएगा।”

    आदित्य ने उस के कंधे पर हाथ रखा।

    ३ दिन बाद

    इंगेजमेंट का दिन — कपूर मेंशन

    शाम होते-होते कपूर मेंशन में हल चल बढ़ गई।

    स्टडी रूम में शिव के पापा सुशील जी और बड़ी माँ बसूँधारा जी बैठे थे।

    पापा:

    “यह सगाई किसी भी कीमत पर होनी चाहिए।”

    दादी ने छड़ी ज़मीन पर टिकाई।

    दादी:

    “होगी।

    और शादी भी।”

    दूसरे कमरे में बड़े पापा संदीप जी और शिव की माँ अंजलि जी

    अंजलि जी माँ (चिंतित):

    “क्या सच में यह सही है?”

    संदीप बड़े पापा (शांत):

    “जो मैंने सोचा है, वही होगा।

    सब कुछ वक्त आने पर ही सामने आएँगे। उस से पहले नहीं.... तुम परेशान मत हो । जो हम ने सोचा है वो ही होगा” वो ये बाते अजीब तरह से मुस्कुराते हुए बोले....

    अंजलि जी माँ ( फुल ऐटिटूड के साथ ):- हम्म ऐसे ही तो अच्छा रहेगा आप के लिए भी ओर मेरी वीर के लिए भी

    शिव कुर्ता-पजामा पहनने से साफ इनकार कर चुका था।

    शिव:

    “मैं सिर्फ व्हाइट शर्ट पहनूँगा।”

    आदित्य:- ये क्या बात हुए मना की जबरदस्ती की ही सही पर सगाई तो हो रही है कम से कम कुर्ता पजामा तो पहन....

    शिव:- नो चांस....

    पर

    नो मीन्स नो सगाई कर रहा हूँ काफ़ी हाँ ये तू बोले तो ना जाऊ

    नहीं नहीं तो तुझे ठीक लगे वो पहने ले....

    काफिला रवाना हुआ।

    एक गाड़ी में शिव, आदित्य और सिक्योरिटी हेड महेश राणा था ।
    आदित्य:- क्या यार राणा तो हमेशा सड़ हुआ महुँ ले कर क्यों रहा हाँ स्माइल कर साढ़े वीर की वेडिंग है
    शिव ओर महेश एक साथ बोलते है
    setup आदित्य.....

    दूसरी में मम्मी-पापा और वीर।

    तीसरी में बड़े पापा, बड़ी माँ और दादी।

    मीरा का घर — इंगेजमेंट की शाम

    मीरा के घर डेकोरेशन सॉफ्ट और एलिगेंट था।

    कम मेहमान

    पर चर्चा हर तरफ।

    मीरा अपने कमरे में आईने के सामने बैठी थी।

    उस ने ब्लैक हाफ-शोल्डर इवनिंग गाउन पहना था,

    सीधे पैर से लंबा ट्रेल,

    गले में डायमंड नेकलेस,

    बड़े-बड़े इयररिंग्स,

    परफेक्ट मेकअप।

    वह बिना पलटे बोली

    मीरा:

    “गौरी, जूस लेकर आओ।

    और स्ट्रॉ याद से…

    मेरी लिपस्टिक खराब नहीं होनी चाहिए।”

    गौरी ट्रे लेकर आगे बढ़ी।

    उस की आँखें एक पल को मीरा के आईने में दिखती परछाईं पर टिक गईं।

    दो ज़िंदगियाँ…

    एक ही घर…

    पर कितनी अलग।

    और इसी पल

    किसी को अंदाज़ा नहीं था कि

    यह सगाई होंगी क्या ओर हुई तो भी

    कितनी ज़िंदगियों को हमेशा के लिए उलझाने वाली है…
    ये तो आने वाला समय ही बताएंगे....
    plz follow me....
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    Thank you.....
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