यह कहानी है अगस्त्य और साराक्षी देशमुख की । अगस्त्य जो कि एक नरकदूत है, जिसका कार्य था इन्सानों की मजबूरी का फायदा उठाकर उनके साथ कॉन्ट्रेक्ट करना । कॉन्ट्रेक्ट के तहत 10 वर्ष बाद वह कॉन्ट्रेक्ट करने वालों की आत्माओं पर कब्जा कर, उन्हें नरक भेज देता... यह कहानी है अगस्त्य और साराक्षी देशमुख की । अगस्त्य जो कि एक नरकदूत है, जिसका कार्य था इन्सानों की मजबूरी का फायदा उठाकर उनके साथ कॉन्ट्रेक्ट करना । कॉन्ट्रेक्ट के तहत 10 वर्ष बाद वह कॉन्ट्रेक्ट करने वालों की आत्माओं पर कब्जा कर, उन्हें नरक भेज देता था। वहीं साराक्षी देशमुख, जो इंडिया की नम्बर वन फिल्म एक्ट्रेस थी। जिसकी खूबसूरती के आगे दुनिया की अन्य एक्ट्रेस कुछ भी नहीं थी, लेकिन उसकी लोकप्रियता और सुन्दरता ही उसकी दुश्मन बनती जा रही थी और फिर एक हादसे ने उसके लिए सबकुछ बदल दिया । आखिर क्यों करता है अगस्त्य इन्सानों से उनकी आत्माओं का सौदा ? कैसे होगा साराक्षी और अगस्त्य का आमना सामना ? क्या कॉन्ट्रेक्ट था साराक्षी और अगस्त्य के बीच ? क्या अगस्त्य बचाएगा साराक्षी को उसके दुश्मनों से ? क्या वह भेज पाएगा साराक्षी की आत्मा को नरक, या साराक्षी के लिए बदल देगा विधि का विधान ?
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लोनावाला, महाराष्ट्र ।
रात के करीब दस बजे ।
“ बचाओ. बचाओ. ।” चिल्लाते हुए एक जवान और खूबसूरत लड़की सुनसान सड़क पर दौड़े जा रही थी ।
सड़क के दोनों ओर घना जंगल था । लोनावाला जितना अपनी सुन्दरता और आकर्षण के लिए मशहूर था, उतना ही अपने घने जंगलो और जंगली जानवारो के लिए भी । जहाँ दिन के उजाले में उस हिल स्टेशन की खूबसूरती देखते ही बनती है, वहीं सूर्य के ढ़लते ही, उसकी खूबसूरत काले अंधेरे में बदल जाती है ।
“ कोई है, प्लीज बचाओ ।” वह लड़की चिल्लाती हुई घने जंगलो के बीच बनी उस सड़क पर भागे जा रही थी । उसके पैरों में न तो जूते थे और न ही चप्पल. वह नंगे पांव थी । भागते- भागते उसके कोमल पैर भी छिल गये थे । उसकी सांसे भी उखड़ने लगी थी । उसके लिये अब और ज्यादा भागना संभव नहीं था । थककर वह रूकी और अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रखते हुए लम्बी- लम्बी सांसे लेने लगी । उसका गला भी सूख चुका था ।
तभी एकाएक आसमान में तेज बिजली कड़की और अगले ही पल रिमझिम बूंदा- बांदी शुरु हो गई । उसने ऊपर आसमान की ओर देखा । बारिश की बूंदे, मानो उसे एक नई ऊर्जा दे रही थी । उसने चेहरे पर गिरती बूंदों को चखा और अपने सूखे गले को गीला करने लगी । हालांकि उन कुछ बूंदों से उसकी प्यास नहीं बूझने वाली थी, किन्तु उस वक्त उसके लिये वह बूंदे भी किसी अमृत से कम नहीं थी ।
“ वो रही. पकड़ो उसे. ।” तभी उसे पीछे से कुछ लोगों की आवाज़ सुनाई दी । उसने पलटकर देखा, तो वे वही बदमाश थे, जो उसकी जान के पीछे पड़े थे । वे उससे ज्यादा दूरी पर नहीं थे । उन्होंने उस लड़की को देख लिया था ।
एकाएक उन्हें देखते ही उस लड़की ने फिर से भागना शुरु कर दिया । उन बारिश की कुछ बूंदों ने मानो उसके शरीर में ऊर्जा का प्रवाह कर दिया था । वह अपनी जान बचाने को फिर भागने लगी । उसकी मदद करने वाला वहाँ कोई नहीं था । तभी उस लड़की की नज़र सामने सड़क पर खड़े एक लड़के पर पड़ी । लड़के को देखते ही उसे आशा की किरण नज़र आई । वह और तेजी से भागी और उस लड़के के पास पहुंच गई ।
“ प्लीज. प्लीज. मेरी. मेरी हेल्प. मेरी हेल्प करो ।” उससे बोला भी नहीं जा रहा था । वह अपनी सांसो को बटोरकर बोलने की कोशिश कर रही थी ।
वह लड़का छतरी लिये सड़क के बीचों- बीच खड़ा था । जैसे उसे पहले से ही पता था कि बारिश होने वाली है । उसका चेहरा छातरी की आड़ में छिपा हुआ था ।
“ कुछ लोग. मेरी जान लेना चाहते है । मुझे बचाओ ।” उस लड़की ने उससे मदद की गुहार लगाते हुए कहा ।
तभी लड़के ने कहा, “अगर तुम चाहती हो कि मैं तुम्हारी जान बचाऊं, तो तुम्हें एक कॉन्ट्रेक्ट साईन करना होगा ।”
उसकी बात सुनते ही लड़की चौंक उठी । उसने लड़के की ओर देखा, लेकिन छतरी की आड़ में उसका चेहरा दिख नहीं रहा था । लड़की ने उसके पहनावे की ओर ध्यान दिया । उसने काले रंग का ट्राउज़र, जिसके ऊपर काले ही रंग की शर्ट और काला लोंग कोट पहना हुआ था ।
लड़का उसे देखने से कोई डायरेक्टर या प्रोड्यूसर नहीं लग रहा था । वह अचंभित थी कि कोई कैसे ऐसी सिचुएशन में कॉन्ट्रैक्ट जैसी बेफिजूल बात कर सकता है ?
“ मेरी जान खतरे में है, और तुम्हें कॉन्ट्रेक्ट की पड़ी है ।” लड़की ने हैरान और परेशान होते हुए कहा ।
“ यही तो मेरा काम है, लोगों की मदद के बदले उनसे कॉन्ट्रैक्ट साईन करवाना ।” उसने जवाब दिया ।
लड़की को यही लग रहा था कि शायद वह किसी डायरेक्टर या प्रोड्यूसर का असिस्टेंट है । वहीं दूसरी तरफ उसे यह भी लग रहा था कि शायद वह कोई लालची इन्सान है । जो लोगों की मदद करने के बदले पैसों की मांग करता है ।
“ शायद तुमने मुझे पहचाना नहीं । मैं कौन हूँ ?” लड़की ने कहा ।
“ मैं इन्सानों से जान पहचान नहीं करता ।” उसने बेरूखा- सा जवाब दिया ।
“ मैं मशहूर फिल्म अभिनेत्री हूँ । प्लीज मेरी जान बचा लो. तुम जितना कहोगे, मैं तुम्हें उतना पैसा दूंगी ।” उसने लड़के से विनती करते हुए कहा ।
“ मुझे रुपयो- पैसो में कोई दिलचस्पी नहीं है ।” उसने फिर शांत और बेरूखे अंदाज में जवाब दिया ।
“ तो फिर तुम्हें क्या चाहिए ?” वह फ्रस्टेट होते हुए बोली । वह किसी भी तरह अपनी जान बचाना चाहती थी ।
“ तुम्हारी आत्मा. ।” लड़के की बात सुनकर अभिनेत्री चौंक उठी । “अगर तुम चाहती हो, मैं तुम्हें उन लोगों से बचाऊं, तो तुम्हें मेरे साथ एक कॉन्ट्रेक्ट करना होगा, जिसके तहत दस साल बाद तुम्हारी आत्मा मेरी हो जाएगी ।” उसने कहा ।
“ कौन हो तुम ?” अभिनेत्री ने हैरान होते हुए पूछा । लड़के की बातों ने उसे हक्का- बक्का कर दिया था ।
“ अगस्त्य. मेरा नाम अगस्त्य है और मैं एक नरकदूत (DEMON) हूँ ।” अगस्त्य ने अभिनेत्री को अपना परिचय दिया ।
वह अगस्त्य को कोई पागल समझ रही थी । उसने अगस्त्य का चेहरा देखने की कोशिश की, लेकिन छतरी से उसका चेहरा ढका हुआ था ।
इससे पहले कि वह कुछ कहती, अचानक गोली चलने की आवाज़ आई । उस आवाज़ को सुन अभिनेत्री सहम गई । लेकिन अगले ही पल उसे एहसास हुआ कि अगस्त्य का हाथ उसकी गर्दन के पास था । अभिनेत्री सकपका गयी और उससे दो कदम पीछे हट गई । लेकिन जैसे ही उसने अगस्त्य के हाथ को देखा, तो उसकी आंखे खुली की खुली रह गई ।
उसके हाथ में पिस्टल की बुलेट थी ।
दरअसल, जब उन बदमाशों ने लड़की को किसी शख्स से बात करते देखा, तो उन्होंने नज़दीक जाना सुरक्षित नहीं समझा । वे नहीं चाहते थे कि उन्हें कोई पहचाने, इसलिए दूर से ही उनमें से एक बदमाश ने लड़की पर गोली चला दी ।
इससे पहले कि गोली उस के शरीर को छूती, अगस्त्य ने बुलेट को पकड़ लिया था । यह देखकर अभिनेत्री को अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था । वह काफी डर गई थी ।
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अब तक
दरअसल, जब उन बदमाशों ने लड़की को किसी शख्स से बात करते देखा, तो उन्होंने नज़दीक जाना सुरक्षित नहीं समझा । वे नहीं चाहते थे कि उन्हें कोई पहचाने, इसलिए दूर से ही उनमें से एक बदमाश ने लड़की पर गोली चला दी ।
इससे पहले कि गोली उस के शरीर को छूती, अगस्त्य ने बुलेट को पकड़ लिया था । यह देखकर अभिनेत्री को अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था । वह काफी डर गई थी ।
अब आग
“ मेरे पास समय नहीं है ।” अगस्त्य ने कहा और अगले ही पल छतरी को ऊपर उठाते हुए अभिनेत्री की ओर देखा । अगस्त्य का चेहरा देखते ही अभिनेत्री की आंखे खुली की खुली रह गई । अगस्त्य की आंखे लाल थी । उसके माथे पर बीचों- बीच एक छोटा- सा त्रिशुल का निशान उभर आया था । जब भी वह अपनी शक्तियों का प्रयोग करता, वह निशान उसके माथे पर उभर आता था । अभिनेत्री डर के मारे पीछे की तरफ सड़क पर गिरी और रेंगते हुए पीछे हटने लगी ।
अगस्त्य ने गर्दन को तिरछा करते हुए उसकी ओर देखा । अभिनेत्री शॉक में थी ।
अगले ही पल अगस्त्य वहाँ से गायब हो गया । उसके अचानक गायब होने से अभिनेत्री दंग रह गई थी । उसे तो हार्ट अटैक होने वाला था । वहीं अगस्त्य के गायब होने से बदमाश भी हैरत में थे ।
“ वो क्या था ?” पहले बदमाश ने कहा, “कहाँ गया वो लड़का ?” वह और उसका साथी दोनों डरे हुए थे ।
“ मुझे यह जंगल कुछ ठीक नहीं लग रहा है, जल्दी अपना काम खत्म करो और निकलो यहाँ से. ।” दूसरे बदमाश ने कहा और तेजी से अभिनेत्री की ओर बढ़े ।
अभिनेत्री अपने होश में नहीं थी । वह तो सदमें में थी । तभी उसे महसूस हुआ कि किसी ने उसके सिर पर पिस्टल अड़ा दी । उसने पलटकर देखा, तो वे दोनों बदमाश उस पर पिस्टल ताने खड़े थे । एकाएक अभिनेत्री को होश सा आया । उसे एहसास हुआ कि मौत उसके सिर पर खड़ी है । उसे अगस्त्य की कही बात ध्यान आई ।
अपनी जान बचाने के लिए वह चिल्लाते हुए बोली, “मुझे तुम्हारी डील मंजूर है । प्लीज मुझे बचा लो. मैं मरना नहीं चाहती ।”
दोनों बदमाश हैरानी से एक- दूसरे की ओर देखने लगे । अभिनेत्री की आंखे अगस्त्य को तलाश रही थी । वह इधर- उधर देखने लगी । लेकिन काले अंधेरे के सिवा वहाँ और कुछ नहीं था । उसकी मदद के लिए कोई नहीं आया ।
उसने बेबस निगाहों से उन दोनों बदमाशों की ओर देखा, “प्लीज, मुझे मत मारो । तुम जितना कहोगे, मैं तुम्हें उतना रुपया दूंगी । प्लीज मुझे जाने दो ।” वह उन दोनों के सामने गिड़गिड़ा रही थी ।
लेकिन उन दोनों बदमाशों को उस पर तरस नहीं आ रहा था । उन्होंने पिस्टल के ट्रिगर पर उंगली रखी और अगले ही पल अभिनेत्री पर गोली चला दी, जो उसके सीने को चीरते हुए उसके दिल में जा लगी और अभिनेत्री लहू- लुहान होते हुए जमीन पर जा गिरा । उसके शरीर का खून सड़क पर फैल गया और उसकी सांसे रुक गई ।
*
एक हफ्ते पहले,
फिल्म सिटी, मुम्बई।
“ प्लीज सुमित जी, साराक्षी मैडम से कहिये कि गुस्सा थूक दें ?” डायरेक्टर राजकुमार पचौरी ने मैनेजर सुमित कपाडिया से कहा । वह दोनों साराक्षी के कारवान के बाहर खड़े थे ।
“ साराक्षी मैडम का अभी बहुत मूड खराब है । थोड़ा टाइम और लगेगा ।” सुमित कपाडिया ने खिसियाते हुए जवाब दिया । वह जानता था कि जब साराक्षी को गुस्सा आता है, तो वह भूखी शेरनी बन जाती है । सुमित कपाडिया पिछले तीन सालों से साराक्षी का मैनेजर था । उसके हर काम का ध्यान सुमित ही रखता था ।
साराक्षी देशमुख अपनी एक नई फिल्म की शूटिंग के लिए फिल्म सिटी आई थी । शूटिंग पर पहला दिन था, इसलिए साराक्षी के चाहने वालो की भींड़ लगी थी । उसकी एक झलक पाने के लिए फैन्स मरने औऱ मारने को तैयार थे । बाउन्सर्स और सिक्योरिटी वालों ने सभी को एक तरफ रोका हुआ था । सबकी नज़र साराक्षी की कारवान वैन पर थी ।
डायरेक्टर राजकुमार पचौरी की बतौर डायरेक्टर साराक्षी देशमुख के साथ यह तीसरी फिल्म थी । इससे पहले की दोनों फिल्में साराक्षी देशमुख के अभिनय और कलाकारी की बदौलत ब्लॉकबस्टर थी । उन दोनों फिल्मों की कामयाबी ने डायरेक्टर राजकुमार पचौरी को एक साधारण डायरेक्टर से सक्सेसफूल डायरेक्टर्स में से एक बना दिया था । राजकुमार पचौरी को साल 2023 का बेस्ट डायरेक्टर का आवॉर्ड भी मिला था ।
महज 21 साल की उम्र में साराक्षी देशमुख इंडिया की सबसे फेमस और मशहूर एक्ट्रेस बन गई थी । पिछले लगातार तीन सालों से साराक्षी देशमुख को ही बेस्ट फीमेल एक्ट्रैक्स का अवॉर्ड मिल रहा था । उसकी फेन्स फोलोइंग और चाहने वालों की लाईन लगी हुई थी । हर कोई सिर्फ उसी के सपने देखता था ।
साराक्षी देशमुख अनाथ थी । जब वह एक वर्ष की थी, तो उसके पिता की मौत हो गई थी । वहीं बारह साल की उम्र में उसकी माँ भी एक हादसे का शिकार हो गई थी । अठ्ठारह वर्ष की उम्र तक साराक्षी अनाथ आश्रम में रही । जब वह अनाथ आश्रम से बाहर आई, तो अपनी पढ़ाई और रहने का खर्च उठाने के लिए वह एक कॉफी शॉप में पार्ट टाइम जॉब करने लगी ।
उसी दौरान इंडिया के मशहूर फिल्म प्रोड्यूसर महेन्द्र सिंघानिया की नज़र कॉफी शॉप पर काम करती साराक्षी पर पड़ी । साराक्षी बहुत ही खूबसूरत थी । उसकी लम्बी हाईट, गोरा रंग, झील सी आंखे, गुलाब होंठ, लम्बें खूबसूरत बाल, उसे देखकर ऐसा लगता था, जैसे ऊपर वाले ने उसे बड़ी फुरसत से तराशकर बनाया हो । उसकी खूबसूरती और चेहरे का नूर देखकर महेन्द्र सिंघानिया ने उसे अपनी एक फिल्म में रोल ऑफर किया और फिर वहाँ से शुरु हो गया साराक्षी देशमुख की कामयाबी का सफर ।
“ सुमित जी, शूट के लिए देरी हो रही है । अगर आप एक बार साराक्षी मैडम से रिक्वेस्ट कर लेते तो. ।” डायरेक्टर राजकुमार ने सुमित से रिक्वेस्ट करते हुए कहा ।
तभी वहाँ दीप्ति शर्मा आ गई । उसने डायरेक्टर से कहा, “मैं बात करती हूँ साराक्षी से. ।”
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अब तक
उसी दौरान इंडिया के मशहूर फिल्म प्रोड्यूसर महेन्द्र सिंघानिया की नज़र कॉफी शॉप पर काम करती साराक्षी पर पड़ी । साराक्षी बहुत ही खूबसूरत थी । उसकी लम्बी हाईट, गोरा रंग, झील सी आंखे, गुलाब होंठ, लम्बें खूबसूरत बाल, उसे देखकर ऐसा लगता था, जैसे ऊपर वाले ने उसे बड़ी फुरसत से तराशकर बनाया हो । उसकी खूबसूरती और चेहरे का नूर देखकर महेन्द्र सिंघानिया ने उसे अपनी एक फिल्म में रोल ऑफर किया और फिर वहाँ से शुरु हो गया साराक्षी देशमुख की कामयाबी का सफर ।
“ सुमित जी, शूट के लिए देरी हो रही है । अगर आप एक बार साराक्षी मैडम से रिक्वेस्ट कर लेते तो. ।” डायरेक्टर राजकुमार ने सुमित से रिक्वेस्ट करते हुए कहा ।
तभी वहाँ दीप्ति शर्मा आ गई । उसने डायरेक्टर से कहा, “मैं बात करती हूँ साराक्षी से. ।”
अब आग
दीप्ति को देखते ही सुमित कपाडिया की जान में जान आ गई थी । दीप्ति शर्मा पिछले पांच सालों से फिल्म इन्डस्ट्री में थी । वह बहुत- सी फिल्मों में काम कर चुकी थी । लेकिन सभी फिल्मों में उसने सपोर्टिंग रोल ही किया था । उसे कभी लीड रोल करने का मौका ही नहीं मिला । साराक्षी की पहली फिल्म में उसने साराक्षी की बड़ी बहन का रोल किया था । और फिर उसी दिन से साराक्षी ने दीप्ति को अपनी बहन और बेस्ट फ्रेन्ड मान लिया था ।
“ प्लीज दीप्ति जी. अब बस आप ही है, जो साराक्षी मैडम को शूट के लिये तैयार कर सकती है ।” डायरेक्टर राजकुमार ने उम्मीद भरी नज़रो से दीप्ति की ओर देखते हुए कहा ।
दीप्ति मुस्कुराई और डायरेक्टर को भरोसा दिलाते हुए कारवान के अंदर चली गई । लेकिन जैसे ही वह कारवान के अंदर पहुंची, साराक्षी को देखते ही वह चौंक उठी।
अगर कहने को कोई साराक्षी का अपना था, तो वह दीप्ति ही थी । साराक्षी उसकी हर बात मानती थी और खुद भी उसका बहुत ख्याल रखती थी । दीप्ति के बुरे समय में साराक्षी ने उसका साथ दिया, उसे काम दिलवाया और फिर से उसके फिल्म कैरियर को थोड़ी रफ्तार दी ।
दीप्ति ने डायरेक्टर राजकुमार को भरोसा दिलाया कि वह साराक्षी को बाहर लेकर आएगी । वह भी चाहती थी कि फिल्म का मुहूर्त खुशी और बिना किसी तमाशे के हो जाए । लेकिन जैसे ही वह साराक्षी के कारवान के अंदर पहुंची, साराक्षी को देखते ही वह चौंक उठी ।
“ साराक्षी क्या हुआ तुम्हें ?” दीप्ति घबराते हुए उसके पास पहुंची ।
साराक्षी कारवान के अंदर बने बेड पर दोनों हाथ और पैरो को फैलाये और बालों को बिखेरकर लेटी हुई थी । उसे इस तरह देखकर दीप्ति की टेंशन बढ़ गई थी । जैसे ही दीप्ति ने उसे हाथ लगाया, वह तुरन्त उठकर बिस्तर पर बैठ गई । उसके बालों से उसका चेहरा ढ़का हुआ था ।
साराक्षी को सही सलामत देखकर उसने राहत की सांस ली । उसे लगा था, कहीं साराक्षी को कुछ हो तो नहीं गया । गहरी सांस छोड़ते हुए दीप्ति ने कहा, “ये सब क्या है साराक्षी ?”
साराक्षी ने कोई जवाब नहीं दिया । वह चुडैल की तरह हुलिया बनाकर बैठी थी ।
“ अब किस बात को लेकर तुम्हारा मूड खराब हो गया ? बेचारे राजकुमार सर को क्यों टेंशन दे रही हो ?” दीप्ति उसकी नाराज़गी का कारण जानना चाहती थी ।
“ मुझे आज शूट नहीं करना ।” साराक्षी ने गुस्से से कहा ।
“ लेकिन क्यों ?”
“ बस नहीं करना. । ड्राइवर को बुला दो, मुझे घर जाना है ।” साराक्षी का गुस्सा उसके नाक पर बैठा था ।
दीप्ति उसके बगल में जाकर बैठ गई और चेहरे पर बिखरे उसके बालों को बड़े प्यार से हटाया । साराक्षी के खूबसूरत चेहरे पर नाराज़गी की एक बड़ी- सी चादर ढकी हुई थी । वह मुंह बनाकर बैठी थी । दीप्ति ने बड़े प्यार से उसके कंधे पर हाथ रखा और उससे कहा, “आज फिल्म की शूटिंग का पहला दिन है । सारी तैयारियां हो चुकी है । ऐसे में तुम चली जाओगी, तो इसे फिल्म के लिए अपशकुन माना जाएगा ।”
दीप्ति उसे ऐसे समझा रही थी, जैसे कोई माँ अपनी नाराज़ बेटी को प्यार से समझाती है । साराक्षी ने दीप्ति की ओर देखा और कहा, “प्लीज दीप्ति, तुम जानती हो, मैंने एक बार जो ठान लिया, उसी काम को करती हूँ । मैंने फैसला कर लिया है । मुझे आज शूटिंग नहीं करनी ।”
साराक्षी ने कहा और बिस्तर से उठकर फ्रिज की ओर बढ़ी और उसमें से पानी की एक बोलत निकाली ।
“ लेकिन तुम्हारे शूट न करना का कोई तो कारण होगा ?” दीप्ति उसके शूट न करने का कारण जानना चाहती थी ।
साराक्षी ने पानी की घूट भरी और बोतल को फ्रिज के ऊपर रखा । वह अपने कॉस्ट्यूम वाले सेक्शन में गई । दीप्ति भी उसके पीछे, आगे की ओर बने कॉस्ट्यूम वाले सेक्शन में आ गई । साराक्षी ने वहाँ रखी साड़ी उठाई और अपनी नाराज़गी जाहिर करते हुए बोली, “देखो इसे. ।”
दीप्ति ने उस साड़ी को एक नज़र देखा, लेकिन उसे कुछ समझ नहीं आया । वह कन्फ्यूज़ थी ।
“ वो डायरेक्टर चाहता है कि मैं इस साड़ी को पहनूं ।” साराक्षी ने भड़कते हुए कहा ।
दीप्ति फिर भी उसकी बात समझ नहीं पाई थी । उसने साड़ी की ओर इशारा करते हुए कहा, “क्या खराबी है इस साड़ी में. ?”
“ ओह कम ऑन दीप्ति. इस साड़ी को ध्यान से देखो ।” साराक्षी ने अपने दोनों हाथों को फोल्ड करते हुए कहा । लेकिन फिर भी दीप्ति को कुछ समझ नहीं आया ।
“ बिल्कुल सेम इसी डिजाइन की साड़ी, रियाना कपूर ने अपनी लास्ट फिल्म के प्रमोशन पर पहनी थी । तुम्हें याद नहीं है. ।” साराक्षी हैरानी से उसकी ओर देख रही थी ।
एकाएक दीप्ति को याद आ गया । वह साड़ी बिल्कुल वैसी ही थी ।
रियाना कपूर और साराक्षी दोनों बहुत बड़ी राईवल और कॉम्पटेटर थी । साराक्षी के इन्डस्ट्री में आने से पहले रियाना कपूर नम्बर वन एक्ट्रेस थी । लेकिन साराक्षी के आने के बाद उसकी वह पोजिशन उससे छीन गई । उसके फैन्स और फोलोवर्स भी कम हो गये थे । और उन सबकी वज़ह वह साराक्षी को ही मानती थी । इसलिए वह साराक्षी देशमुख से नफरत करती थी । और जब भी मौका मिलता, वह साराक्षी को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ती थी ।
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एकाएक दीप्ति को याद आ गया । वह साड़ी बिल्कुल वैसी ही थी ।
रियाना कपूर और साराक्षी दोनों बहुत बड़ी राईवल और कॉम्पटेटर थी । साराक्षी के इन्डस्ट्री में आने से पहले रियाना कपूर नम्बर वन एक्ट्रेस थी । लेकिन साराक्षी के आने के बाद उसकी वह पोजिशन उससे छीन गई । उसके फैन्स और फोलोवर्स भी कम हो गये थे । और उन सबकी वज़ह वह साराक्षी को ही मानती थी । इसलिए वह साराक्षी देशमुख से नफरत करती थी । और जब भी मौका मिलता, वह साराक्षी को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ती थी ।
अब आग
“ यू आर राईट. । ये तो बिल्कुल वैसी ही साड़ी है ।” दीप्ति ने भी उस साड़ी को पहचान लिया था ।
“ अगर मैं इस साड़ी को पहन लेती, तो उस रियाना कपूर को एक और मौका मिल जाता, मुझे बेज्जत करने का. क्या यह डायरेक्टर यही चाहता है ?” साराक्षी अपने गुस्से को काबू नहीं कर पा रही थी ।
“ लेकिन चिंता मत करो । मैं अभी डायरेक्टर से कहकर एक नई साड़ी अरेन्ज करवाती हूँ ।” दीप्ति ने साराक्षी को शांत करते हुए कहा ।
“ उसकी कोई जरूरत नहीं है ।” साराक्षी ने जवाब दिया । “मैं आज कोई शूट नहीं करूंगी और न ही फिल्म के मुहूर्त पर जाउंगी ।”
साराक्षी ने बचपन से बहुत कुछ साहा था । पिता की मृत्यु के बाद उसने समाज की नीयत और बर्ताव को बहुत करीब से देखा था । उसकी माँ ने बड़ी मुश्किलों से उसे पाला था, लेकिन उनकी मृत्यु ने साराक्षी को पूरी तरह बदल दिया था । उसे समाज के लोगों से नफरत होने लगी थी । सभी मर्दों के प्रति उसकी सिर्फ एक ही राय थी । उसका बचपन डर, नफरत और गुस्से में बीता था । इसलिए वह सभी को उसी नज़र से देखती थी ।
दीप्ति समझ गई थी, अब साराक्षी को समझाना किसी के बस की बात नहीं है । “जैसी तुम्हारी मर्जी. ।” दीप्ति ने कहा और कारवान से बाहर आ गई ।
दीप्ति के बाहर आते ही डायरेक्टर राजकुमार और मैनेजर सुमित दोनों उम्मीद भरी नज़रो से उसकी ओर देखने लगे । लेकिन दीप्ति के मायूस चेहरे ने उन्हें एहसास कर दिया था कि साराक्षी का जवाब क्या रहा होगा ?
दीप्ति ने मायूस होते हुए न में सिर हिलाया । “आई एम सॉरी राजकुमार सर. साराक्षी किसी की बात सुनने को तैयार नहीं है ।”
दीप्ति की बात सुनते ही डायरेक्टर राजकुमार ने झुंझलाते हुए अपने बाल पकड़ लिये । “आज ही ये सब होना था ।”
“ आप क्या कर रहे है सर. सब आपको ही देख रहे है ।” दीप्ति ने डायरेक्टर राजकुमार को सचेत किया ।
साराक्षी के कारवान के पास उसके फैन्स और कुछ मीडियो वालों की भीड़ लगी थी । वह सब डायरेक्टर को ही देख रहे थे । डायरेक्टर का अपने बाल पकड़ना, फैन्स और प्रेस वालों ने अपने कैमरों में कैद कर लिया था । डायरेक्टर झुंझलाते हुए वहाँ से सेट की ओर निकल गया ।
सुमित ने दीप्ति की ओर देखा । “अब क्या करें दीप्ति मैडम. ।” सुमित ने पूछा ।
“ ड्राइवर को बुला दो. साराक्षी घर जाना चाहती है । वैसे भी उसका मूड ठीक नहीं है । तो आज वह कोई शूट नहीं करेगी ।” दीप्ति ने कहा और वह भी सेट की ओर निकल गई ।
*
इन्दौर, मध्य प्रदेश ।
“ मुझे नहीं लगता, आप ये केस जीत पाएंगे ?” एक वकील ने अपने क्लाइंट से कहा ।
“ प्लीज, वकीस साहब कुछ भी कीजिये । हमें यह केस हर हाल में जीतना होगा । वो जमीन हमारी है । बिल्डर ने जानबूझकर कोर्ट में नकली कागज पेश किये है ।” जमीन मालिक ने विनती करते हुए कहा ।
“ मैं जानता हूँ, वो सभी कागजात फर्जी है, लेकिन बिल्डर बहुत पावरफूल आदमी है । उसने पैसो के दम पर नकली कागज़ बनवाये और रजिस्ट्रार अधिकारियों को भी खरीद लिया ।” वकील ने क्लाइंट को सारी बातें बतायी ।
“ मैं हार नहीं मानूंगा, मैं सुप्रीम कोर्ट जाउंगा । मैं उसे हमारी जमीन हड़पने नहीं दूंगा ।” जमीन मालिक ने कहा । जहाँ उसकी आंखों में आंसू थे, वहीं बिल्डर के प्रति नफरत और गुस्सा भी ।
“ वह जमीन करोड़ो की है । उसे पाने के लिए बिल्डर कुछ भी कर सकता है । मेरी मानो तो बिल्डर से समझौता कर लो, कम से कम कुछ तो मिलेगा ।” वकील ने जमीन मालिक को समझाते हुए कहा ।
“ नहीं, हरगिज नहीं. मैं अपनी जमीन ऐसे ही किसी को हड़पने नहीं दूंगा । उस जमीन पर ही मेरे बच्चो का भविष्य टिका है ।” जमीन मालिक ने जवाब दिया ।
वकील जानता था कि जमीन मालिक किसी भी कीमत पर अपनी जमीन छोड़ने को तैयार नहीं होने वाला । वकील को तो सिर्फ एक ही बात डर था, कि अगर जमीन मालिक के हाथ से जमीन निकल गई, तो वह सड़क पर आ जाएगा । ऐसे में उसकी फीस कौन देगा ? इसलिए वह चाहता था कि जमीन मालिक बिल्डर से समझौता करके जमीन को आधे दामों में ही बेच दे, कम से कम उसकी फीस तो निकल जाएगी ।
“ मैं देखकर आता हूँ, हमारी हियरिंग में कितना समय है ।” वकील ने कहा और अंदर चला गया ।
जमीन मालिक मायूस होकर बाहर खड़ा था । उसे अपने परिवार का भविष्य अंधकार में नज़र आ रहा था ।
“ क्या तुम्हें तुम्हारी जमीन वापस चाहिए ?” एकाएक जमीन मालिक के पीछे खड़े एक शख्स ने कहा । जमीन मालिक ने पलटकर देखा, तो वह अगस्त्य था । अगस्त्य को देखकर वह हैरानी से उसको देखने लगा ।
“ कौन हो तुम ?” जमीन मालिक ने उससे पूछा ।
“ मेरा नाम अगस्त्य है । मैं एक नरकदूत (DEMON) हूं ।” अगस्त्य ने जवाब दिया ।
जमीन मालिक ने अगस्त्य को ऊपर से नीचे तक देखा । उसने काले रंग का ट्राउज़र, जिसके ऊपर काले ही रंग की शर्ट और काला लोंग कोट पहना हुआ था । उसके सिर पर एक काले रंग की गोल हैट थी, जिससे उसका चेहरा आधा छिपा हुआ था ।
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“ कौन हो तुम ?” जमीन मालिक ने उससे पूछा ।
“ मेरा नाम अगस्त्य है । मैं एक नरकदूत (DEMON) हूं ।” अगस्त्य ने जवाब दिया ।
जमीन मालिक ने अगस्त्य को ऊपर से नीचे तक देखा । उसने काले रंग का ट्राउज़र, जिसके ऊपर काले ही रंग की शर्ट और काला लोंग कोट पहना हुआ था । उसके सिर पर एक काले रंग की गोल हैट थी, जिससे उसका चेहरा आधा छिपा हुआ था ।
अब आग
“ मैं मजाक के मूड में नहीं हूँ ।” जमीन मालिक ने कहा ।
“ मैं मजाक नहीं करता । मैं तुम्हें तुम्हारी जमीन वापस दिला दूंगा । लेकिन उसके लिये तुम्हें मेरे साथ एक डील साईन करनी होगी, एक कॉन्ट्रैक्ट ।” अगस्त्य ने कहा ।
अगस्त्य की बात में गम्भीरता थी । जमीन मालिक किसी भी कीमत पर अपनी जमीन वापस चाहता था । “कैसा कॉन्ट्रैक्ट ?” उसने पूछा ।
“ जमीन के बदले, तुम्हें दस साल बाद अपनी आत्मा मुझे देनी होगी ।” अगस्त्य की बात सुनकर वह चौंक उठा ।
“ ये कैसा मजाक है ? तुम्हारा दिमाग तो ठीक है न ? आत्मा की डील… ऐसा कुछ नहीं होता ।” उसे अगस्त्य की बात पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं था ।
“ मैंने कहा न, मैं मजाक नहीं करता । मेरे पास समय नहीं है । मैं आखिरी बार पूछ रहा हूँ । तुम्हें डील करनी है, या नहीं ?” अगस्त्य ने अपनी हैट को ऊपर की ओर उठाया और जमीन मालिक की आंखों में आंखे डालकर देखा ।
अगस्त्य की आंखों में गहराई थी । जिसे देखकर जमीन मालिक उसकी बात पर यकीन करने को मजबूर हो गया था । वह जानता था कि जमीन उसके हाथ से जा चुकी है और वह चाह कर भी बिल्डर से मुकाबला नहीं कर सकता था ।
“ क्या तुम सच कह रहे हो ? क्या सच में, तुम मेरी जमीन मुझे वापस दिला दोगे ?” जमीन मालिक ने उसकी आंखों में देखते हुए पूछा । एकाएक अगस्त्य की आंखे लाल हो गई । उसके माथे पर त्रिशुल का निशान उभर आया । यह देख, जमीन मालिक दंग रह गया ।
“ याद रहे, एक बार कॉन्ट्रेक्ट साईन करने के बाद तुम्हारी आत्मा मेरी हो जाएगी और आज से ठीक दस साल बाद मैं वापस तुमसे तुम्हारी आत्मा लेने के लिए आऊंगा ।” अगस्त्य ने उसे समझाते हुए कहा ।
उस वक्त जमीन मालिक के लिए उस जमीन को हासिल करना अपनी जान से भी ज्यादा जरूरी था ।
“ मुझे मंजूर है ।” जमीन मालिक ने कहा ।
अगले ही पल अगस्त्य ने अपनी हाथेली हवा में रखी और उसके हाथ में एक कागज़ का टुकड़ा आ गया । वह कागज का टुकड़ा आम कागज़ो जैसा नहीं था, वह हल्के भूरे रंग का था, जिस पर काले अक्षरों में कुछ लिखा हुआ था । अगस्त्य ने जमीन मालिक का हाथ पकड़ा और अपने नाखून से उसके अंगूठे पर हल्का सा कट लगा दिया । फिर उसने जमीन मालिक के खून से उस कॉन्ट्रेक्ट पर उसका अंगूठा लगवाया ।
“ याद रहे, तुम्हारे पास अब सिर्फ दस साल है ।” इतना कहते ही अगस्त्य के हाथ से वह कॉन्ट्रैक्ट गायब हो गया और इससे पहले कि जमीन मालिक उससे कुछ कहता, अगस्त्य भी वहाँ से गायब हो गया । यह सब देखकर जमीन मालिक हैरत में पड़ गया था । उसे ऐसा लगा, जैसे उसने अभी- अभी कोई सपना देखा हो । उसने फौरन अपने अंगूठे को चैक किया । उसके अंगूठे पर कट का निशान था । जिसमें से खून निकलना बंद हो चुका था ।
कुछ ही देर बाद वकील अंदर से बाहर आया । उसके चेहरे पर खुशी थी । लेकिन जमीन मालिक तो हैरत में था ।
“ चमत्कार हो गया ।” वकील ने आते ही कहा ।
“ कैसा चमत्कार ?” जमीन मालिक अचंभित था ।
“ हम केस जीत गये ।” वकील ने खुश होते हुए कहा ।
“ ये सब हुआ कैसे ?”
“ पता नहीं कहाँ से कोर्ट में वह सारे सूबत आ गये, जिससे यह साबित हो गया कि बिल्डर ने फर्जी कागजात बनाकर आपकी जमीन को हडपा था । कोर्ट ने केस को रद्ध कर दिया औऱ बिल्डर के खिलाफ फर्जी कागजात बनाने का मुकदमा चलाने का आदेश दिया ।” वकील ने अंदर की सारी बातें बतायी ।
वह सब सुनकर जमीन मालिक को पूरा यकीन हो गया था कि वह कोई सपना नहीं, बल्कि हकीकत थी ।
साराक्षी देशमुख के अचानक फिल्म सिटी से जाने से सेट पर मौजूद सभी लोग नाराज हो गये थे । हालांकि किसी में साराक्षी से कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं थी । लेकिन उसकी पीठ पीछे, उसकी बुराईयों की लाईन लग गई थी ।
“ वो खुद को समझती क्या है ? ऐसे कैसे वह मुहूर्त किये बिना जा सकती है ।” डायरेक्टर राजकुमार का गुस्सा सांतवे आसमान पर था । उसने काशी के एक मशहूर पंडित जी से फिल्म की शुरुआत का मुहूर्त निकलवाया था । उसकी सभी तैयारियों पर पानी फिर गया था ।
“ सर, अब क्या करना है ?” असिस्टेंट डायरेक्टर ने पूछा ।
“ आग लगा दो इस सेट को. ।” डायरेक्टर राजकुमार भड़कते हुए बोला और अपना सिर पकड़कर बैठ गया ।
सेट पर मौजूद सभी हताश हो गये थे । फिल्म की स्टार्टिंग और साराक्षी के पहले शूट को लेकर सभी काफी उत्साहित थे ।
“ इतना घमंड भी किस बात का ?” सेट पर मौजूद एक लड़की ने अपने साथियों से कहा ।
“ हाँ यार, इन्सान को अपने पुराने दिन कभी नहीं भूलने चाहिए । उसकी किस्मत ही अच्छी थी, जो एक वेटर से एक्ट्रेस बन गई ।” दूसरी लड़की ने अपनी प्रतिक्रिया दी ।
“ मैं राजकुमार सर की पिछली दो फिल्मों में कैमरामैन का काम कर चुका हूँ, जिसमें साराक्षी ने लीड रोल किया था । उसका बर्ताव बहुत खराब है । वो सभी के साथ बत्तमीजी से बात करती है । खुद को कहीं की राजकुमारी समझती है ।” पास में खड़े एक कैमरामैन ने कहा ।
सभी उसकी बुराई कर रहे थे । कहीं न कहीं लोग उसकी चमकती किस्मत से भी जलते थे । साराक्षी जिस भी फिल्म में काम करती थी, वह सुपरहिट हो जाती थी । मुम्बई शहर में ही नहीं, बल्कि पूरे हिन्दुस्तान में जगह- जगह उसी के होर्डिंग और बैनर लगे हुए थे । वह कामयाबी की उस बुलंदी को छू चुकी थी, जहाँ तक पहुंचने के लिए लोग फिल्म इन्डस्ट्री में अपना पूरा जीवन लगा देते थे । यही बात उसके साथ काम करने वाले अन्य छोटे एक्टर्स को भी चुभती थी ।
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To Be Continued....
अब तक
सभी उसकी बुराई कर रहे थे । कहीं न कहीं लोग उसकी चमकती किस्मत से भी जलते थे । साराक्षी जिस भी फिल्म में काम करती थी, वह सुपरहिट हो जाती थी । मुम्बई शहर में ही नहीं, बल्कि पूरे हिन्दुस्तान में जगह- जगह उसी के होर्डिंग और बैनर लगे हुए थे । वह कामयाबी की उस बुलंदी को छू चुकी थी, जहाँ तक पहुंचने के लिए लोग फिल्म इन्डस्ट्री में अपना पूरा जीवन लगा देते थे । यही बात उसके साथ काम करने वाले अन्य छोटे एक्टर्स को भी चुभती थी ।
अब आग
फिल्म इन्डस्ट्री के नामी गिरामी परिवार, जो पीढ़ी दर पीढ़ी सिनेमा जगत से जुड़े हुए थे, वह भी साराक्षी की कामयाबी से जलते थे । वह साराक्षी को आउटसाईडर कहते थे । भले ही साराक्षी देशमुख फिल्म जगत का बहुत बड़ा नाम बन चुकी थी, लेकिन फिल्म इन्डस्ट्री के दिग्गज़ उसे वह सम्मान नहीं देते थे, जिसकी वह हरदार थी ।
“ जो ऊपर उठता है, वह एक न एक दिन गिरता जरूर है । और वैसे भी फिल्म इन्डस्ट्री में फीमेल एक्ट्रेसेस का कैरियर ज्यादा लम्बा नहीं चलता । देखना, इसके भी पत्ते जल्द ही बिखर जाएंगे ।” इसी तरह सेट पर हर कोई साराक्षी की ही बातें कर रहा था । कोई उसे भला- बुरा कह रहा था, तो कोई उसे बददुआ दे रहा था ।
*
“ सनसाइन लैंड के उस फ्लैट का क्या हुआ ?” साराक्षी ने अपने मैनेजर सुमित कपाडिया से पूछा । वह ड्राइवर के साथ अगली सीट पर बैठा था ।
“ मैडम, उस फ्लैट के लिए बात चल रही है । लेकिन. ।” सुमित आगे कुछ बोलता उससे पहले ही साराक्षी तेज आवाज़ में बोली, “लेकिन क्या ? आज पूरा एक हफ्ता हो चुका है । अभी तक तुम वह फ्लैट नहीं खरीद पाये ।”
सुमित ने गहरी सांस ली और कहा, “ऐसी बात नहीं है मैडम, एक्चुएली जिसका वह फ्लैट है, वह उसे बेचना नहीं चाहता । मैंने उसे डबल रेट भी ऑफर किया, लेकिन वह बेचने को तैयार नहीं है ।”
“ तुमने उसे बताया नहीं, कि वह फ्लैट मैं खरीदना चाहती हूँ ।” साराक्षी ने एटीट्यूड दिखाते हुए कहा ।
सुमित ने कोई जवाब नहीं दिया । वह चुप रहा । उसकी चुप्पी से साराक्षी समझ गई थी कि उसके बारे में सुनने के बाद भी वह इन्सान फ्लैट को बेचने को तैयार नहीं हुआ । लेकिन साराक्षी को वह फ्लैट हर कीमत पर चाहिए था ।
दरअसल, वह फ्लैट जूहू बीच के बिल्कुल सामने बने एक बहुत बड़े टावर में था । कई फिल्म स्टारों ने उस टावर में फ्लैट खरीदने की कोशिश की, लेकिन किसी को वहाँ फ्लैट नहीं मिल पाया । उस टावर के हर फ्लोर पर सिर्फ दो ही फ्लैट थे, जो किसी आलीशान बंगले से कम नहीं थे । हर फ्लैट में दो फ्लोर थे । ग्राउंड और फस्ट फ्लोर. । फ्लैट के अंदर ही एक फ्लोर से दूसरे पर जाने के लिए सीढियां बनी थी ।
उन फ्लैटो से सामने समुन्द्र का दृश्य बहुत ही खूबसूरत दिखता था । जिस दिन से साराक्षी को उन फ्लैट्स के बारे में पता चला, उसी दिन से उसने वहाँ रहने का मन बना लिया था ।
“ तो फिर मेरी उसके साथ एक मीटिंग फिक्स करो ।” साराक्षी ने कहा ।
“ आई एम सॉरी मैडम, लेकिन जिसका वह फ्लैट है, वह यूएस में रहता है । इंडिया साल में सिर्फ एक ही बार आता है । उसका बेटा तो फ्लैट बेचना चाहता है, लेकिन फ्लैट मालिक मान नहीं रहा है ।” सुमित ने दबी आवाज़ में कहा ।
उसकी बात सुनते ही साराक्षी चौंक उठी । वह हैरान थी कि जो इन्सान इंडिया में नहीं रहता, वह भला इस फ्लैट को रखकर क्या करना चाहता है ?
तभी मैनेजर सुमित का फोन रिंग करने लगा । उसके फोन पर एक अननोन नम्बर से कॉल आ रहा था । उसने कॉल रिसिव किया और कुछ देर बात करने के बाद उसके चेहरे पर खुशी छा गई । उसने खुश होते हुए पीछे की सीट पर बैठी साराक्षी की ओर देखा ।
“ क्या बात है, बत्तीसी क्यों दिखा रहे हो ?” साराक्षी ने तीखे अंदाज़ में उससे पूछा ।
“ मैडम एक गुड न्यूज़ है ।” सुमित ने खुश होते हुए कहा ।
“ फ्लैट का मालिक मर गया क्या ?” साराक्षी ने मुंह बनाते हुए कहा ।
“ आपको कैसे पता ?” सुमित एकदम से चौंक उठा । वहीं साराक्षी भी हैरानी से उसकी ओर देखने लगी ।
“ मैडम अभी फ्लैट मालिक के बेटे का कॉल आया था । उसने बताया कि उसके पिता की हार्ट अटैक से मौत हो गई । वह लोग इंडिया वापस आ रहे है । उसका बेटा आपको फ्लैट बेचने को तैयार है ।” सुमित ने फोन पर हुई बात साराक्षी को बतायी ।
*
कुछ घंटे पहले,
न्यूयार्क, यूएसए
जहाँ इंडिया में दिन का समय था, वहीं न्यूयार्क में रात हो रही थी । हडसन नदीं की किनारे बने एक पार्क की बेंच पर एक 60 वर्ष का वृद्ध व्यक्ति बैठा था । वह काफी उदास था । आधी रात बीत चुकी थी, लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी । अंदर से उसका मन बेचैन था । वह बार- बार अपनी घड़ी में समय ही देख रहा था । मानो किसी के आने का इंतजार कर रहा हो । जैसे ही घड़ी में रात के 12.35 बजे एकाएक वह वृद्ध व्यक्ति पार्क में बनी सीट से उठ खड़ा हुआ ।
वह इधर- उधर देखने लगा । लेकिन उस वक्त पार्क में कोई नहीं था । उसके हाथ पैर कांप रहे थे । वह कभी घड़ी में समय देखता, तो कभी अपने आसपास इधर- उधर. । ठंड़ के उस मौसम में भी उसके माथे पर पसीना आ गया था । करीब 05 मिनट तक वह ऐसे ही करता रहा । लेकिन वहाँ सबकुछ नॉर्मल था । उसने राहत की सांस ली और दोबारा से बेंच पर बैठ गया ।
वह हाथ जोड़कर ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करने लगा ।
“ क्या तुम मेरे ही आने का इंतजार कर रहे थे ?” एकाएक उस आवाज़ को सुनकर वृद्ध व्यक्ति के कान खड़े हो गए । उसकी आंखों में डर और खौफ भर आया था । वह उस आवाज़ को पहचान गया था । वह आवाज़ अगस्त्य की थी ।
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अब तक
“ क्या तुम मेरे ही आने का इंतजार कर रहे थे ?” एकाएक उस आवाज़ को सुनकर वृद्ध व्यक्ति के कान खड़े हो गए । उसकी आंखों में डर और खौफ भर आया था । वह उस आवाज़ को पहचान गया था । वह आवाज़ अगस्त्य की थी ।
वृद्ध व्यक्ति ने मुड़कर अगस्त्य की ओर देखा । अगस्त्य को देखकर वह चकित रह गया । वह अचंभित था कि अगस्त्य दस साल पहले भी 25 वर्ष के नौजवान जैसा दिखता था और दस साल बाद भी उसकी उम्र उतनी ही थी । बीते दस सालों में वह बिल्कुल भी नहीं बदला था । वह जानता था कि उसने जो कॉन्ट्रेक्ट दस साल पहले किया था, वह समाप्त हो चुका है । अगस्त्य के रूप में उसे अपनी मौत नज़र आ रही थी ।
अब आग
“ तुमने क्या सोचा था, देश बदल लेने से तुम मेरे साथ किये कॉन्ट्रैक्ट से बच जाओगे ।” अगस्त्य के चेहरे पर हल्की- सी मुस्कान थी ।
“ मुझे दस साल का समय और दे दो । मैं अभी नहीं मरना चाहता ।” वृद्ध व्यक्ति उससे विनती करते हुए बोला ।
उसकी बात पर अगस्त्य ने कहा, “ऐसा असंभव है । मैं एक इन्सान से सिर्फ एक ही बार डील कर सकता हूँ । तुम्हें दिया समय पूरा हो चुका है ।”
वृद्ध व्यक्ति ने अपने दोनों हाथों जोड़े और अगस्त्य के पैरों में गिरकर रोने लगा, “मेरी सारी धन- दौलत तुम्हारी ही दी हुई है । मैं एक गरीब आदमी था । तुम्हारे साथ डील करके मुझे वह सबकुछ मिला, जिसका मैंने सपना देखा था, लेकिन आज मुझे ये सारी धन- दौलत व्यर्थ लग रही है । मुझे कुछ नहीं चाहिए । तुम चाहों तो सबकुछ वापस ले सकते हो । लेकिन मेरी जान बक्श दो ।” वृद्ध व्यक्ति की आंखों में आंसू आ गये थे । “एक महीने पहले ही मैं दादा बना हूँ । मुझे अपने पोते के साथ खेलना है । उसे बड़ा होते देखना है । मुझे छोड़, मुझे बक्स दो ।” वृद्ध व्यक्ति गिड़गिड़ाये जा रहा था ।
“ तुम सब इन्सान एक जैसे होते हो, जब लेने का समय होता है, तो खुश होकर लेते हो, और जब देने का समय आता है, तो मुकरने लगते हो ।” अगस्त्य ने कहा । उसकी आंखे लाल हो गई थी ।
यह देख वृद्ध व्यक्ति घबरा गया । वह उठा और वहाँ से भागने लगा । तभी अगस्त्य ने पैनी नज़रो से उसकी ओर देखा । एकाएक उस वृद्ध व्यक्ति के पैर जम-से गये । वह अपना कदम नहीं उठा पा रहा था ।
“ मेरे साथ डील करने वाला कोई भी इन्सान आजतक अपनी मौत से बच नहीं पाया । यही तो विधि का विधान है । इसमें में कुछ नहीं कर सकता ।” अगस्त्य ने कहा और फिर अगले ही पल उसके माथे पर त्रिशुल का निशान उभर आया और उसने चुटकी बजायी ।
चुटकी बजाते ही एकाएक उस वृद्ध व्यक्ति के दिल की धड़कन रुक गई । उसके दिल ने काम करना बंद कर दिया और वह जमीन पर गिर गया । अगले ही पल उसके प्राण निकल गए । वृद्ध व्यक्ति के शरीर से एक रोशनी निकली । अगस्त्य ने अपनी हथेली को खोला और वह रोशनी उसकी हथेली पर आकर ठहर गई । वहीं उसकी दूसरी हथेली में वह कॉन्ट्रेक्ट आ गया, जिस पर उस वृद्ध व्यक्ति के अंगूठे का निशान था । अगस्त्य ने जैसे ही अपनी हथेली बंद की । उस वृद्ध व्यक्ति की आत्मा नरक में चली गयी और उसके साथ ही दूसरी हथेली पर रखा वह कॉन्ट्रेक्ट राख बन गया ।
वह वृद्ध व्यक्ति उसी फ्लैट का मालिक था, जिसे साराक्षी देशमुख खरीदना चाहती थी ।
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“ साराक्षी ये सब क्या ?” दीप्ति ने कहा । वह साराक्षी के घर आ गई थी । अंदर आते ही उसने देखा कि साराक्षी जमीन पर पालती मारकर बैठी थी और बैठकर शराब पी रही थी ।
“ मैं कब से तुझे कॉल कर रही हूँ । कम से कम कॉल तो रिसिव कर लिया कर. ।” दीप्ति ने नाराजगी जाहिर की और उसके हाथ से व्हिस्की का गिलास ले लिया ।
“ प्लीज दीप्ति, मुझे गिलास वापस दो ।” साराक्षी ने कहा ।
“ तूने वादा किया था, शराब को हाथ नहीं लगाएगी । तो फिर ये सब क्यों ?”
दीप्ति को उसकी फिक्र हो रही थी । साराक्षी ने उसके हाथ से गिलास वापस लिया और फिर एक सिप लेते हुए बोली, “सब कहते है, मैं बहुत लक्की हूँ, किस्मत वाली हूं । इतनी कम उम्र में इतना कामयाब हो गई । अगर यही अच्छी किस्मत होती है, तो मुझे ऐसी किस्मत नहीं चाहिए । किसी को यह नहीं दिखता कि मैंने लाईफ में कितना कुछ खोया है । बचपन में ही मुझसे मेरा सबकुछ छीन गया । पहले मेरे पिता और फिर मेरी माँ. ।” साराक्षी की आंखों में आंसू थे । “मुझे ये सब कुछ नहीं चाहिए । मुझे बस मेरे माता- पिता, मेरा बचपन वापस चाहिए । उनके बिना मेरी जिंदगी अधूरी है । बिना किसी अपने के जिंदगी काटना कितना मुश्किल होता है, यह मुझसे अच्छा और कोई नहीं समझ सकता ।” साराक्षी के दिल का दर्द बाहर निकल रहा था ।
“ तुम अकेली नहीं हो ।” दीप्ति ने उसके हाथ पर हाथ रखते हुए कहा । वह साराक्षी के दर्द को समझ रही थी । साराक्षी ने उसकी ओर देखा और हाँ में सिर हिलाया ।
“ अब तुझे अपने फ्यूचर के बारे में सोचना चाहिए ।” दीप्ति ने एकाएक कहा । उसकी बात सुनकर साराक्षी ने हैरान होते हुए उसकी ओर देखा ।
“ मैं सही कह रही हूँ साराक्षी. । तुम जानती हो, कुणाल तुम्हें पसंद करता है । तुम्हें उसे मौका देना चाहिए । वैसे भी कुणाल जैसे लड़के को पाना हर लड़की का सपना है । वह जितना हैंडसम है, उतना ही दिल का अच्छा भी । तुम्हें उसका प्रपोजल एक्सेप्ट कर लेना चाहिए ।” दीप्ति ने उसे समझाते हुए कहा ।
कुणाल सिंघानिया इंडिया के सबसे बड़े प्रोड्यूसर महेन्द्र सिंघानिया का एकलौता बेटा था । जब महेन्द्र सिंघानिया ने साराक्षी को लॉच किया, तो उस दिन साराक्षी को पहली बार देखते ही वह उसे अपना दिल दे बैठा था ।
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अब आग
“ मैं सही कह रही हूँ साराक्षी. । तुम जानती हो, कुणाल तुम्हें पसंद करता है । तुम्हें उसे मौका देना चाहिए । वैसे भी कुणाल जैसे लड़के को पाना हर लड़की का सपना है । वह जितना हैंडसम है, उतना ही दिल का अच्छा भी । तुम्हें उसका प्रपोजल एक्सेप्ट कर लेना चाहिए ।” दीप्ति ने उसे समझाते हुए कहा ।
कुणाल सिंघानिया इंडिया के सबसे बड़े प्रोड्यूसर महेन्द्र सिंघानिया का एकलौता बेटा था । जब महेन्द्र सिंघानिया ने साराक्षी को लॉच किया, तो उस दिन साराक्षी को पहली बार देखते ही वह उसे अपना दिल दे बैठा था ।
अब आग
उसने कई बार साराक्षी से अपने दिल की बात कही, लेकिन साराक्षी हर बार उसे टाल देती । वह कुणाल को सिर्फ एक दोस्त मानती थी । लेकिन कुणाल ने भी फैसला कर लिया था कि वह एक दिन साराक्षी का दिल जीतकर उसे अपना बनाकर ही रहेगा ।
आधी रात का समय
कुणाल सिंघानिया रात से ही साराक्षी को कॉल कर रहा था, लेकिन साराक्षी की ओर से कोई रिप्लाई नहीं आया । कुणाल को उसकी फिक्र होने लगी थी, इसलिए वह आधी रात को ही साराक्षी के घर पहुंच गया ।
लेकिन जैसे ही वह घर के अंदर पहुंचा । उसने देखा कि साराक्षी और दीप्ति दोनों ही फर्श पर सो रही थी । दीप्ति ने भी साराक्षी के साथ ड्रिंक कर ली थी और फिर दोनों नशे में फर्श पर ही सो गई । पास में रखी व्हिस्की की बोतल देखकर कुणाल सारा खेल समझ गया था ।
“ साराक्षी उठो. । दीप्ति उठो यार. ।” कुणाल उन दोनों को जगाने की कोशिश कर रहा था । काफी मुशक्कत के बाद साराक्षी ने अपनी आंखे खोली । वह हल्के नशे में थी । वहीं दीप्ति भी उठ गई थी ।
“ तुम दोनों को हो क्या गया है ?” कुणाल ने उन दोनों से पूछा ।
साराक्षी फर्श से उठी और सोफे पर कमर टिकाकर बैठ गई । वह अपनी आंखों को खोलने का प्रयास कर रही थी । उसने आंखों को बड़ा किया और पलके झपकाने लगी ।
“ दीप्ति मुझे तुमसे यह उम्मीद नहीं थी । तुम भी साराक्षी के साथ. ।” कुणाल उस पर नाराज़ था ।
“ आई एम सॉरी कुणाल, वो साराक्षी थोड़ा अपसेट थी, इसलिए मैंने उसका साथ दे दिया ।” दीप्ति ने सिर झुकाते हुए कहा । उसे बुरा लग रहा था कि कुणाल ने उसे ऐसे हाल में देखा ।
“ तुम यहाँ क्यों आये हो ?” होश में आते ही साराक्षी ने कुणाल से पूछा ।
“ क्या मतलब है कि मैं यहाँ क्यों आया हूँ ?” कुणाल ने हैरत से उसकी ओर देखा । “पिछले कई घंटों से मैं तुम्हें कॉल कर रहा हूँ । तुमने एक बार भी मेरा कॉल रिसिव नहीं किया । मुझे तुम्हारी फिक्र हो रही थी ।” कुणाल ने जवाब दिया ।
“ मैं अपना ख्याल खुद रख सकती हूँ । तुम्हें परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है ।” साराक्षी ने कहा और उठकर फ्रिज की ओर बढ़ी । उसका गला सुखने लगा था । कुणाल को उसके ऐसे जवाबों की आदत थी । वह जानता था, साराक्षी ऐसी ही है । लेकिन साराक्षी का कुणाल के साथ ऐसा बर्ताव करना दीप्ति को पसंद नहीं था । उसने कई बार साराक्षी को समझाया था कि कुणाल, महेन्द्र सिंघानिया का बेटा है । उसे उसके साथ रिस्पेक्ट से बात करनी चाहिए ।
“ वो तो मैं देख रहा हूँ, तुम अपना ख्याल कैसे रख रही हो ?” कुणाल ने साराक्षी को जवाब दिया ।
साराक्षी ने पानी की ठंड़ी बोतल निकाली और अपने सूखे गले को पानी से तर किया । पानी पीने के बाद उसने बोतल को फ्रिज के ऊपर रखा और कुणाल की ओर देखते हुए बोली, “रात काफी हो गई है । तुम्हें जाना चाहिए । और हां. दीप्ति को भी घर तक ड्रोप कर देना ।”
“ मैं कहीं नहीं जाउंगा । मुझे तुमसे जरूरी बात करनी है ।” कुणाल ने फौरन कहा ।
साराक्षी जानती थी कि वह किस बारे में बात करेगा । वह उसकी किसी भी बकवास को सुनने में इंटरेस्टेड नहीं थी । “अब तुम दोबारा शुरु मत हो जाना । मैं तुम्हारी किसी भी बकवास को सुनने में बिल्कुल भी इन्टरेस्टेड नहीं हूँ ।”
साराक्षी का बेरुखा सा जवाब सुनकर दीप्ति को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा । उसने तुरन्त साराक्षी को जवाब दिया, “साराक्षी ये क्या तरीका है किसी से बात करने का. । तुम हमेशा कुणाल से ऐसे ही बात करती हो । एटलीस्ट लोगों की रिस्पेक्ट करना सीखो, नहीं तो एक दिन ऐसा भी आएगा, जब लोग तुम्हारी रिस्पेक्ट करना बंद कर देंगे ।”
दीप्ति की बातों में उसका गुस्सा झलक रहा था । वहीं दीप्ति का ऐसा रूप देखकर कुणाल और साराक्षी दोनों ही शॉक्ड हो गये थे । साराक्षी ने जवाब में दीप्ति से कुछ नहीं कहा और मुंह बनाते हुए अपना फेस दूसरी ओर कर लिया ।
“ तुम्हारे इसी बर्ताव के कारण कोई तुम्हें पसंद नहीं करता । हर कोई पीठ पीछे तुम्हारी बुराई ही करता है । प्लीज साराक्षी अपने बर्ताव को सुधारो ।” दीप्ति गुस्सा करने के साथ- साथ उसे समझा भी रही थी ।
“ इट्स ओके दीप्ति. साराक्षी का अभी मूड़ ठीक नहीं है ।” कुणाल ने साराक्षी की साईड ली और फिर साराक्षी से कहा, “जो तुम सोच रही हो, मैं उस बारे में बात करने नहीं आया था । बात कुछ और ही है ।”
कुणाल की आवाज़ में गम्भीरता था । दीप्ति और साराक्षी दोनों ने उसकी ओर देखा ।
“ तुमने शाम की न्यूज़ नहीं देखी ?” उसने साराक्षी और दीप्ति की ओर देखते हुए पूछा । उन दोनों के चेहरो से साफ था कि उन्हें न्यूज़ के बारे में कुछ पता नहीं था । कुणाल अचंभित था कि भला उन दोनों को ब्रेकिंग न्यूज़ के बारे में पता कैसे नहीं चला ।
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अब तक
कुणाल की आवाज़ में गम्भीरता था । दीप्ति और साराक्षी दोनों ने उसकी ओर देखा ।
“ तुमने शाम की न्यूज़ नहीं देखी ?” उसने साराक्षी और दीप्ति की ओर देखते हुए पूछा । उन दोनों के चेहरो से साफ था कि उन्हें न्यूज़ के बारे में कुछ पता नहीं था । कुणाल अचंभित था कि भला उन दोनों को ब्रेकिंग न्यूज़ के बारे में पता कैसे नहीं चला ।
अब आग
हरिद्वार, उत्तराखंड ।
अगस्त्य हर की पौड़ी पर खड़ा, सामने बहती गंगा को देख रहा था । आधी रात के उस वक्त वहाँ कोई नहीं था । अगस्त्य अकेला वहां खड़ा था । चारों तरफ शांति ही शांति थी । उस शांत माहौल में सिर्फ बहती गंगा की धाराओं की मधुर आवाज़ अगस्त्य के कानों में पड़ रही थी । धाराओं की वह आवाज़ अगस्त्य को किसी मधुर संगीत से कम नहीं लग रही थी ।
“ कई सालों के बाद तुम यहाँ आये हो ।” एकाएक अगस्त्य के पीछे खड़े शख्स ने उससे कहा । अगस्त्य जानता था कि वह कौन है ? उस शख्स का नाम ओंकार शास्त्री था । उसकी उम्र लगभग 50 वर्ष के करीब थी । उसने भगवा रंग की धोती और कुर्ता पहना था । उसके माथे पर चंदन का त्रिपिटक लगा था और गले में रुद्रास की माला थी । उसका आधा सिर मुडा हुआ था और चोटी इतनी लम्बी और घनी थी, जो उसके कंधे से होते हुए आगे सीने तक थी ।
“ हरिद्वार में तुम्हारी मौजूदगी को मैं आसानी से महसूस कर लेता हूँ । वैसे एक नरकदूत का हरि के द्वार पर आने का कारण ?” ओंकार शास्त्री ने पूछा ।
अगस्त्य ने कोई जवाब नहीं दिया । वह बस खड़ा गंगा की बहती धाराओं को ही देखता रहा ।
ओंकार शास्त्री एक स्वर्गदूत था । जिसका कार्य लोगों को नेक और धर्म के मार्ग पर चलने का पाठ पढ़ाना था और जो लोग ओंकार की कहे अनुसार नेकी और धर्म के मार्ग पर चलते थे, उनकी मृत्य के पश्चात वह उन्हें स्वर्ग भेज देता था । ओंकार का मूल निवास स्थान हरिद्वार ही था । वह अगस्त्य की भांति लोगों से सौदा नहीं करता था । लेकिन यही तो ईश्वर का नियम था, जिसका पालन अगस्त्य और ओंकार शास्त्री दोनों कर रहे थे ।
पिछली बार अगस्त्य पांच साल पहले हरिद्वार आया था, तब वह आखिरी बार ओंकार से मिला था । ओंकार जानता था, जब भी अगस्त्य का मन विचलित होता, या फिर वह किसी गहरे शौक में होता, तो वह हरिद्वार ही आता था ।
“ लगता है समय के साथ- साथ तुम्हारा दर्द भी बढ़ता जा रहा है ।” ओंकार उससे बात करने की कोशिश कर रहा था ।
अगस्त्य ने अपनी नज़रे धाराओं से हटाई और ओंकार शास्त्री की ओर घूरते हुए बोला, “हम दोनों एक- दूसरे से विपरीत है । इन्सान तुम्हें ANGEL कहते है, तो मुझे DEMON. । और ANGEL व DEMON कभी दोस्त नहीं होते ।”
उसकी बात पर ओंकार मुस्कुराया और उससे बोला, “तुमने बिल्कुल ठीक कहा । लेकिन हम दोनों उस सिक्के के दो पहलू है, जिसे ईश्वर ने बनाया है । भले ही हम एक- दूसरे से विपरीत है, लेकिन हमारी किस्मत उसी एक धागे से बंधी है, जिसकी डोर ईश्वर के हाथ में है ।”
एकाएक अगस्त्य की आंखों में गुस्सा भर आया । काफी देर से गंगा की पवित्र धाराओं की मधुर ध्वनि ने उसके अंदर के गुस्से और भड़ास को शांत किया हुआ था । लेकिन ओंकार शास्त्री की बातों ने उसके अंदर की ज्वाला को और अधिक भड़का दिया था ।
“ हमारी किस्मत. ।” वह ओंकार पर चिल्लाया । “तुम हम दोनों की किस्मत को एक कैसे कह सकते है ? तुम एक स्वर्गदूत हो । तुम्हारा कार्यकाल मात्र 100 वर्षों का है, उसके बाद तुम्हें स्वर्ग ही मिलेगा । किन्तु मैं. मैं एक नरकदूत हूँ । मेरे कार्यकाल की कोई सीमा नहीं है । मैं पिछले 1000 साल से इस कार्य को करता आ रहा हूं । तुम धर्म और नेकी की बातें करते हो, लेकिन मैं इन्सानों को लोभ- लालच देकर उन्हें अधर्म और बुराई के रास्ते पर ढ़केल देता हूँ ।”
अगस्त्य अपनी भड़ास निकाल रहा था । इस बात को ओंकार शास्त्री बाखूबी समझ भी रहा था ।
“ मुझे तो यह भी नहीं पता कि मैं अपना कर्त्तव्य निभा रहा हूँ, या फिर कोई सज़ा ।” अगस्त्य हताश हो गया था । ओंकार उसकी फ्रस्टेशन को समझ रहा था ।
“ मेरा उद्देश्य तुम्हे ठेस पहुंचाना नहीं था । मैं जानता हूँ, तुम सदियों से इस धरती पर नरकदूत होने का कर्त्तव्य निभा रहे हो । हम स्वर्गदूतों को मात्र 100 वर्षों तक यह कार्य करना होता है, उसके बाद कोई अन्य हमारी जगह ले लेता है । मैं मानता हूँ कि 1000 वर्षों का लम्बा जीवन व्यतीत करना, तुम्हारे लिए आसान नहीं रहा है, लेकिन हमारे 100 वर्ष तुम्हारे 1000 वर्षों के दर्द के बराबर है । नरकदूत बनने से पहले तुम कौन थे, क्या करते थे, कहाँ रहते थे, तुम्हें कुछ याद नहीं है । लेकिन हमारे स्वर्गदूत बनने के बाद भी इन्सानी जिंदगी की यादे हमारे जहन में रहती है । तुम कल्पना भी नहीं कर सकते, अपनों बच्चो और उनके बच्चों को अपनी आंखों के सामने मृत होते और इस दुनिया के दुख- दर्द सहते देखना कितना कष्टदायक होता है ।” ओंकार ने भी अपने मन की व्यथा व्यक्त की ।
“ फिर भी मैं ईश्वर का शुक्रगुज़ार हूँ, जो उन्होंने करोड़ों इन्सानों की भीड़ में मुझे इस कार्य के लिये नियुक्त किया ।” ओंकार ने अगस्त्य से कहा । ओंकार की बातें सुनकर कहीं न कहीं अगस्त्य का गुस्सा शांत हो गया था ।
“ हम्म. ।” अगस्त्य उसकी बात से सहमत था ।
“ वैसे आज आने का कारण ?” ओंकार ने पूछा ।
“ तुमसे मिले काफी लम्बा समय व्यतीत हो गया था । इस पूरी दुनिया में एक तुम ही हो, जिससे मैं अपने मन की व्यथा व्यक्त कर सकता हूँ । सोचा आकर तुम पर ही अपनी भड़ास निकाल दूं ।” अगस्त्य ने जवाब दिया । वह सामान्य हो गया था ।
“ हर बार, तुम्हारा यही ड्रामा रहता है । पहले गुस्सा करके अपनी भड़ास निकालते हो, फिर अपनापन दिखाते हो ।” ओंकार ने मुस्कुराते हुए कहा ।
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अब तक
“ तुमसे मिले काफी लम्बा समय व्यतीत हो गया था । इस पूरी दुनिया में एक तुम ही हो, जिससे मैं अपने मन की व्यथा व्यक्त कर सकता हूँ । सोचा आकर तुम पर ही अपनी भड़ास निकाल दूं ।” अगस्त्य ने जवाब दिया । वह सामान्य हो गया था ।
“ हर बार, तुम्हारा यही ड्रामा रहता है । पहले गुस्सा करके अपनी भड़ास निकालते हो, फिर अपनापन दिखाते हो ।” ओंकार ने मुस्कुराते हुए कहा ।
अब आग
वह और अगस्त्य दोनों एक- दूसरे को पिछले लगभग 99 वर्षों से जानते थे । अगस्त्य यह भली-भांति जानता था कि ओंकार शास्त्री का कार्यकाल जल्द ही खत्म होने वाला है और वह भी औरों की तरह स्वर्ग चला जाएगा । अंदर ही अंदर अगस्त्य को यह बात भी तकलीफ दे रही थी ।
“ शायद यह आखिरी बार होगा, जो तुम मेरे गुस्से को देख रहे हो ?” अगस्त्य की बात का मतलब ओंकार शास्त्री समझ गया था ।
“ अगली बार जब तुम यहाँ आओगे, तो शायद तुम्हें कोई नया स्वर्गदूत मिले । लेकिन ध्यान रखना, पहली बार जब उससे मिलोगे, तो उस पर गुस्सा मत करना । नहीं तो वह भी मेरी ही तरह शुरुआत में तुम्हें एक शैतान समझ बैठेगा ।” ओंकार शास्त्री ने मुस्कुराते हुए कहा । उसके दिल में अगस्त्य के लिए हमदर्दी थी ।
अगस्त्य के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई थी ।
“ मुस्कुराते हुए तुम बहुत अच्छे लगते हो ।” ओंकार शास्त्री ने कहा और फिर एकदम उससे पूछा, “ आखिरी बार कब हंसे थे ?”
अगस्त्य ने थोड़ा सोचा और फिर जवाब दिया । “आज से पांच साल पहले ।” यह कहते ही अगस्त्य और ओंकार एक बार फिर हंसने लगे ।
यह ईश्वर की महिमा ही थी, जो एक ANGEL और DEMON साथ में हंस रहे थे ।
साराक्षी का घर, मुम्बई ।
कुणाल इस बात से अचंभित था कि साराक्षी और दीप्ति को ब्रेकिंग न्यूज़ के बारे में पता कैसे नहीं चला ? उसने सामने वॉल पर लगे 120 इंच के एलईडी को ऑन किया और न्यूज़ का वह रिपीट टेलीकास्ट चला दिया, जो शाम से चल रहा था । साराक्षी और दीप्ति की नज़रे न्यूज़ पर गड़ गई थी ।
“ क्या साराक्षी ने राजकुमार पचौरी की अगली करने से मना कर दिया है ?” बड़ी हैडलाइन में ऐसा लिखा था । वहीं एंकर पूरा ज़ोर लगाकर उस न्यूज़ को पढ़ रहा था । अगले ही पल स्क्रीन पर डायरेक्टर राजकुमार पचौरी की वह क्लिप दिखायी गई, जब वह साराक्षी के कारवान के बाहर खड़ा गुस्से से अपने बाल पकड़ रहा था । कारवान के पास खड़े रिपोटर्स उसे पल को कैमरे में कैद कर लिया था ।
“ ये क्या बकवास है ?” साराक्षी खुद को बोलने से रोक नहीं पायी ।
तभी न्यूज़ एंकर ने आगे कहा, “साराक्षी देशमुख फिल्म के मुहूर्त पर भी मौजूद नहीं थी । कहीं ऐसा तो नहीं, उन्हें ही इस फिल्म से बाहर कर दिया गया हो । जी हाँ. आप सही सुन रहे है, हमारे सूत्रो से पता चला है कि फिल्म का मुहूर्त एक्ट्रेस दीप्ति शर्मा ने किया । फिल्म का पहला सीन भी उन पर ही शूट किया गया । ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या साराक्षी देशमुख ने फिल्म छोड़ी है, या फिर उन्हें फिल्म से बाहर कर दिया गया है ?”
उस खबर को सुनते ही साराक्षी की आंखे हैरानी से बड़ी हो गई थी । उसने फौरन दीप्ति की ओर देखा । दीप्ति समझ गई थी, साराक्षी के दिमाग में क्या चल रहा होगा ?
“ ये सब झूठ है साराक्षी । तुम तो जानती हो मीडिया को. बात को बढ़ा- चढ़ाकर बोलना इनका काम है ।” दीप्ति सफाई दे रही थी । वह नहीं चाहती थी कि साराक्षी के मन में कोई भी गलत धारणा आए । वह अच्छे से जानती थी कि साराक्षी जैसी बड़ी एक्ट्रेस के सामने वह कुछ भी नहीं थी । “राजकुमार सर बहुत टेन्स थे, उन्होंने काशी के पंडित जी से बात की, तो उन्होंने बताया कि फिल्म के हिट होने के लिए आज ही मुहूर्त करना होगा । इसलिए उन्होंने मुझसे मुहूर्त करवा दिया ।” दीप्ति ने बात को क्लियर करते हुए कहा । वह किसी भी गलतफहमी को बीच में नहीं आने देना चाहती थी ।
हालांकि साराक्षी को अंदर ही अंदर बहुत गुस्सा आ रहा था कि दीप्ति ने उसकी जगह ली और फिल्म का मुहूर्त कर दिया । लेकिन उसने अपने गुस्से का दबा दिया । वह दीप्ति पर अपना गुस्सा नहीं निकालना चाहती थी । उसने कुछ नहीं कहा, लेकिन उसकी चुप्पी से दीप्ति को उसकी नाराज़गी का अंदाज़ा हो गया था ।
“ ये तो कुछ भी नहीं है । आगे देखो, इन मीडिया वालों ने तो हदें ही पार कर दी है ।” कुणाल ने कहा और आगे की न्यूज़ लगा दी ।
“ जी हाँ, आप बिल्कुल सही सोच रहे है । यह मुम्बई यूनिवर्सिटी है, जहाँ से साराक्षी देशमुख ने ग्रेजुएशन की और वह अपनी मास्टर्स भी यहीं से कर रही है । लेकिन आप सभी को जानकर हैरानी होगी कि जिन्होंने साराक्षी के साथ ग्रेजुएशन की, जो साराक्षी की क्लास में थे, उन्हें आजतक यह पता नहीं है कि साराक्षी ने उन्हीं के साथ ग्रेजुएशन की । इससे यूनिवर्सिटी और साराक्षी देशमुख पर सवाल खड़े होते है कि बिना क्लास अटेंड किये, उनकी अटेंडेन्स कैसे पूरी हुई और उन्होंने एग्जाम कब और कैसे पास किया ? साथ ही साथ साराक्षी मास्टर्स भी यहीं से कर रही है । वह एमबीए फस्ट ईयर की स्टूडेन्ट्स है, लेकिन साराक्षी ने अभी तक एक भी क्लास अटेंड नहीं की है ।”
अगले ही पल स्क्रीन पर कैम्पस का सीन दिखाने लगे । एक रिपोर्टर माईक पकड़े कैम्पस में घूम रहा था और स्टूडेन्ट्स से बातें कर रहा था । “क्या आप साराक्षी देशमुख को जानती है ?” रिपोटर ने एक स्टूडेन्ट से पूछा ।
“ जी हाँ, उसे कौन नहीं जानता, वह इंडिया की टॉप एक्ट्रेस है ।” स्टूडेन्ट ने जवाब दिया । वहाँ और भी बहुत से लड़के और लड़कियां आ गए थे । रिपोटर बारी- बारी सभी की ओर माईक कर उनसे सवाल पूछ रहा था ।
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अगले ही पल स्क्रीन पर कैम्पस का सीन दिखाने लगे । एक रिपोर्टर माईक पकड़े कैम्पस में घूम रहा था और स्टूडेन्ट्स से बातें कर रहा था । “क्या आप साराक्षी देशमुख को जानती है ?” रिपोटर ने एक स्टूडेन्ट से पूछा ।
“ जी हाँ, उसे कौन नहीं जानता, वह इंडिया की टॉप एक्ट्रेस है ।” स्टूडेन्ट ने जवाब दिया । वहाँ और भी बहुत से लड़के और लड़कियां आ गए थे । रिपोटर बारी- बारी सभी की ओर माईक कर उनसे सवाल पूछ रहा था ।
अब आग
“ क्या आपको पता है, साराक्षी आपकी ही यूनिवर्सिटी से एमबीए कर रही है ? वह एमबीए फस्ट ईयर की स्टूडेन्ट है ?” रिपोटर ने पूछा ।
वहीं उसका सवाल सुनकर सभी स्टूडेन्ट्स भौंचक्के रह गये, वे सभी एक- दूसरे की ओर हैरानी से देखने लगे । “क्या सच में साराक्षी देशमुख हमारी ही यूनिवर्सिटी में पढ़ रही है ?” एक लड़की ने कहा ।
“ मुझे तो यकीन नहीं हो रहा ।” दूसरे लड़की भी एक्साइटेड होते हुए बोली ।
“ इसका मतलब आप लोगों को नहीं पता कि साराक्षी यहाँ से एमबीए कर रही है । फिर तो आप लोगों ने कभी उसे यूनिवर्सिटी आते या जाते नहीं देखा होगा ?” रिपोटर ने अगला सवाल पूछा ।
“ नहीं, हमने उसे कभी नहीं देखा ।” एक ने कहा । तभी एक अन्य लड़की ने कहा, “मैं भी एमबीए फस्ट ईयर की स्टूडेन्ट हूं । मुझे तो आजतक पता नहीं था कि साराक्षी देशमुख मेरी क्लास में है ।”
“ जैसा कि आप लोग देख सकते है, किसी को पता नहीं है कि साराक्षी देशमुख मुम्बई यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट थी और एमबीए भी कर रही है ।” रिपोटर ने कैमरे के सामने माईक पकड़ते हुए कहा ।
उस खबर को सुनकर साराक्षी का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया था । जहाँ अभी तक फिल्म के मुहूर्त का गुस्सा साराक्षी ने दबाया हुआ था, वहीं न्यूज़ देखकर उसका वह गुस्सा फूट पड़ा ।
“ आखिर क्या चाहते है ये लोग. । इन सब बातों का क्या मतलब है ? मैं जानती हूँ इसके पीछे किसका हाथ है ?” साराक्षी भड़कते हुए बोली । उसके गुस्से के आगे दीप्ति और कुणाल की कुछ भी बोलने की हिम्मत नहीं हो रही थी । उसने तुरन्त अपना फोन उठाया और अपना सोशल मीडिया अकाउंट चैक करने लगी । उसके अकाउंट पर फैन्स के कमेंट पर कमेंट आए हुए थे । हालांकि अधिकतर कमेंट उसके फेवर में थे, लेकिन कुछ कमेंट उसके खिलाफ भी थे ।
“ यह सारा कुछ रियाना कपूर का किया धरा है । मैं उसे जिंदा नहीं छोडूंगी ।” साराक्षी ने अपनी मुठ्ठी को कसते हुए कहा । वह जानती थी कि रियाना कपूर उसे नीचा दिखाने और उसके नाम को खराब करने के लिए कुछ भी कर सकती थी ।
“ मुझे लगता है, तुम्हें समय निकालकर क्लास अटेंड करनी चाहिए । इससे लोगों की नज़रों में तुम्हारी इमेज और अच्छी होगी ।” कुणाल ने उसे सलाह देते हुए कहा ।
साराक्षी भी कुणाल की बात से सहमत थी । लेकिन उसका गुस्सा तो नाक पर ही बैठा हुआ था । एक तो डायरेक्टर राजकुमार पचौरी ने फिल्म का मुहूर्त उसके बिना कर दिया और ऊपर से मीडिया वाले उसके क्लास न अटेंड करने का बवाल खड़ा कर रहे थे ।
तभी कुणाल ने साराक्षी से पूछा, “वैसे सुमित कह रहा था कि तुम एक नया फ्लैट खरीद रही हो ?”
कुणाल से मुंह से नये फ्लैट लेने वाली बात सुनकर साराक्षी ने चौंकते हुए उसकी ओर देखा । वहीं दीप्ति भी हैरान हो गयी थी ।
“ तुम नया फ्लैट ले रही हो ?” दीप्ति सरप्राइज्ड थी । “लेकिन कहाँ ?” उसने पूछा । दीप्ति को तो क्या, इस बारे में किसी को भी पता नहीं था ।
“ उस सुमित के बच्चे को तो मैं छोडूंगी नहीं. ।” साराक्षी को अपने मैनेजर सुमित पर गुस्सा आ रहा था ।
“ साराक्षी सनसाईन लैंड में फ्लैट ले रही है । और कल ही शिफ्ट भी कर रही है ।” कुणाल ने दीप्ति के सवाल का जवाब दिया ।
यह सुन दीप्ति ने साराक्षी की ओर देखा । साराक्षी अपने हाथों को फोल्ड करके खड़ी थी । वह इस बारे में बात नहीं करना चाहती थी । लेकिन कुणाल ने जब मुद्दा उठा ही दिया था, तो उसे बोलना पड़ा, “मुझे खुद का एक घर चाहिए था । और सनसाइन लैंड मेरी पर्सनैलिटी को पूरी तरह से सूट करता है ।”
“ उस टावर में तो बड़े- बड़े सेलेब्रिटी फ्लैट खरीदना चाहते थे । फिर तुम्हें फ्लैट कैसे मिला ?” दीप्ति हैरान थी कि साराक्षी को सनसाइन लैंड में फ्लैट कैसे मिल गया ।
वहीं उसके सवाले ने साराक्षी के ईगो को हर्ट कर दिया । उसने तिरछी नज़रो से दीप्ति की ओर देखते हुए कहा, “क्या मतलब है तुम्हारा, मैं बड़ी सेलिब्रिटी नहीं हूँ ।”
“ नहीं, नहीं. मेरा वो मतलब नहीं था ।” दीप्ति शर्मिंदा हो गई थी ।
तभी कुणाल बीच में बोल पड़ा, “लेकिन तुम्हारे पास ये इतना बड़ा घर है तो !” वह नहीं चाहता था कि साराक्षी घर बदले ।
“ ये घर मेरा नहीं है ।” साराक्षी ने उसे जवाब दिया ।
दरअसल, जिस बंगले में साराक्षी रह रही थी, वह बंगला उसे महेन्द्र सिंघानिया, मतलब कुणाल के पिता ने साराक्षी की पहली फिल्म हिट होने पर दिया था । भले ही वह बंगला साराक्षी को गिफ्ट में मिला था, लेकिन वह उसे अपना घर नहीं समझती थी । वह खुद के खरीदे हुए घर में रहना चाहती थी ।
“ रात बहुत हो गयी है । मुझे सोना है । अब तुम दोनों जाओ ।” साराक्षी ने उन दोनों को जाने के लिए कहा ।
कुणाल और दीप्ति बिना कुछ कहे, वहाँ से चले गये । दीप्ति जानती थी कहीं न कहीं साराक्षी उससे नाराज़ है । लेकिन उस वक्त उसने कुछ भी कहना ठीक नहीं समझा ।
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दरअसल, जिस बंगले में साराक्षी रह रही थी, वह बंगला उसे महेन्द्र सिंघानिया, मतलब कुणाल के पिता ने साराक्षी की पहली फिल्म हिट होने पर दिया था । भले ही वह बंगला साराक्षी को गिफ्ट में मिला था, लेकिन वह उसे अपना घर नहीं समझती थी । वह खुद के खरीदे हुए घर में रहना चाहती थी ।
“ रात बहुत हो गयी है । मुझे सोना है । अब तुम दोनों जाओ ।” साराक्षी ने उन दोनों को जाने के लिए कहा ।
कुणाल और दीप्ति बिना कुछ कहे, वहाँ से चले गये । दीप्ति जानती थी कहीं न कहीं साराक्षी उससे नाराज़ है । लेकिन उस वक्त उसने कुछ भी कहना ठीक नहीं समझा ।
अब आग
दूसरी तरफ हरिद्वार में ओंकार शास्त्री से मिलने के बाद अगस्त्य आसमान में कई किलोमीटर ऊपर भारत देश के मध्य, एक बादल पर बैठा हुआ था । वहाँ से उसे पूरा हिन्दूस्तान दिख रहा था । रात के अंधेर में जगमगाती लाईटों की रोशनी से पूरा हिन्दूस्तान चमक रहा था । आमतौर पर अगस्त्य ऐसे ही बैठकर उन लोगों का चयन करता था, जो आसानी से उसके साथ समझौता करने को तैयार हो जाए । वहाँ बैठकर उसे तरह- तरह के लोगों की पुकार, उनका रोना और ईश्वर से मदद मांगना, सुनाई देता था ।
अगस्त्य वहाँ बैठकर नीचे धरती की ओर ही देख रहा था । उसके कानों में हजारों लोगों की पुकार सुनाई दे रही थी । “इन्सान कितना खुदगर्ज और मतलबी है ।” अगस्त्य ने खुद से कहा ।
कोई इन्सान अमीर बनने की इच्छा जाहिर कर रहा था, तो कोई किसी का बुरा चाह रहा था । कोई प्रोपर्टी के लिए अपने माता- पिता के मरने की दुआ मांग रहा था, तो कोई अपनी ही सगे भाई से छुटकारा पाने की प्रार्थना कर रहा था ।
अगस्त्य अगल- अलग तरह की पुकारे सुन रहा था । तभी अचानक उसे साराक्षी देशमुख की इच्छा सुनाई पड़ी और एकाएक वह उसकी बात सुनने लगा ।
कुणाल और दीप्ति के जाने के बाद साराक्षी अपनी बालकनी में जाकर खड़ी हो गई थी । वह काफी अकेला महसूस कर रही थी । उसे अपनी मां की बहुत याद आ रहा थी । उसके जहन में अपने बचपन की यादे थी, जिसमें उसकी माँ उसे प्यार से खाना खिला रही थी, उसके बाल बना रही थी, उसके साथ खेल रही थी । यह सब चित्र साराक्षी की आंखों के सामने चलने लगे थे ।
“ आखिर मैं ही क्यों ? मुझे ही ऐसा जीवन क्यों दिया ? जब मेरी मां को मुझसे छीना था, तो मुझे भी उनके साथ ही इस दुनिया से मुक्ति क्यों नहीं दी ? क्यों मुझे इस जालिम दुनिया में इन्सानों को नोंचकर खाने वाले लोगों के बीच अकेला और असहाय छोड़ दिया ? जब से होश सम्भाला है, मर्दो की गंदी नज़रों को ही देखा है । अपनी इज्जत बचाने के लिये मुझे क्या- क्या जतन करने पड़े, मैं ही जानती हूँ ।” साराक्षी की आंखों में आंसू थे ।
“ अगर आज मैं इस मुकाम पर न होती, तो शायद हवस के सौदागारों का शिकार बन गई होती । माँ. मैं जानती हूँ, आप मुझे देख रही हो और मेरी कामयाबी के पीछे आपका ही हाथ है । लेकिन मुझे इस दुनिया में नहीं रहना । मुझे भी अपने पास बुला लो ।” साराक्षी अपनी मां को याद करके रोए जा रही थी । “माँ मैं कायर नहीं हूँ, और न ही अपने हाथों से अपनी जान लूंगी । लेकिन अगर भगवान मेरी कोई इच्छा पूरी करना चाहता है, तो मैं यही चाहूंगी कि वह मुझे तुम्हारे पास भेज दे ।”
अगस्त्य उसकी सारी बाते सुन रहा था । साराक्षी की इच्छा ओरों से अलग थी । उसने साराक्षी को देखने के लिए अपनी नज़रों को पैना किया ही था कि तभी साराक्षी बालकनी से अपने कमरे में चली गई । और अगस्त्य उसे देख नहीं पाया ।
अगली सुबह ।
“ आई एम सॉरी मैडम. मुझसे गलती हो गई ।” सुमित कपाडिया अपने दोनों हाथों को पीछे कर गर्दन झुकाए खड़ा था । सुबह- सुबह साराक्षी उस पर उसकी गलती के लिए भड़क रही थी ।
“ कैसे मैनेजर हो तुम. तुम मेरी एक बात भी सीक्रेट नहीं रख सकते । अगर तुमसे यह काम नहीं हो रहा है, तो मैं किसी ओर को नौकरी पर रख लूंगी ।” साराक्षी उस पर नाराज़ थी, क्योंकि उसने कुणाल को उसके नए फ्लैट के बारे में बता दिया था ।
“ मैडम मुझसे गलती हो गई, प्लीज मुझे माफ कर दीजिए । आगे से ऐसी गलती नहीं होगी ।” सुमित ने कहा । वह बहुत डरा हुआ और शर्मिंदा था ।
सुमित कपाडिया के साथ दीपाली भी आई हुई थी । दीपाली एक मेकअप आर्टिस्ट थी, जो साराक्षी देशमुख की पर्सनल मेकअप आर्टिस्ट भी थी ।
दीपाली ने दबी आवाज़ में साराक्षी से कहा, “मैम प्लीज, आप गुस्सा मत कीजिए । गुस्सा करने से आपकी स्कीन रेड हो जाती है ।” वह साराक्षी का हल्का- सा टच अप कर रही थी ।
साराक्षी के अंदर डायरेक्टर राजकुमार पचौरी के प्रति भी गुस्सा भरा हुआ था । वह सोच ही रही थी कि डायरेक्टर पचौरी को क्या सज़ा दे ? कि तभी दीपाली ने पूछा, “मैम, आज दोपहर में आपका सूट है, इसलिए मैंने अभी हल्का टच अप किया है । शूट से पहले आपको सन्सक्रीम लगा दूंगी ।”
एकाएक दीपाली की बात सुनकर साराक्षी के दिमाग में बिजली सी दौड़ गई । उसने सुमित की ओर देखते हुए कहा, “डायरेक्टर राजकुमार से कहो कि मैं अगले चार- पांच दिन तक कोई शूट नहीं करूंगी । मेरा सारा स्ड्यूल चेंज कर दो ।”
“ लेकिन मैम. ।” उसकी बात सुनकर सुमित एकदम से शॉक्ड हो गया ।
तभी साराक्षी ने उसे घूरती निगाहों से देखा और कहा, “जितना मैंने कहा है, उतना करो । और अगले पांच दिनों तक मेरे दिन के सारे स्ड्यूल कैंसिल कर दो ।”
उसके बाद साराक्षी ने मन ही मन कहा, “उस डायरेक्टर की यही सज़ा है । कल उसने अपने बाल पकड़े थे न, अब मैं उसे गंजा करके ही छोडूंगी । मेरे कारण ही आज वह इस मुकाम पर पहुंचा है और उसने मेरे साथ ही ऐसा किया ।” साराक्षी ने डारयेक्टर राजकुमार पचौरी को सबक सीखाने का तरीका ढूंढ लिया था ।
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तभी साराक्षी ने उसे घूरती निगाहों से देखा और कहा, “जितना मैंने कहा है, उतना करो । और अगले पांच दिनों तक मेरे दिन के सारे स्ड्यूल कैंसिल कर दो ।”
उसके बाद साराक्षी ने मन ही मन कहा, “उस डायरेक्टर की यही सज़ा है । कल उसने अपने बाल पकड़े थे न, अब मैं उसे गंजा करके ही छोडूंगी । मेरे कारण ही आज वह इस मुकाम पर पहुंचा है और उसने मेरे साथ ही ऐसा किया ।” साराक्षी ने डारयेक्टर राजकुमार पचौरी को सबक सीखाने का तरीका ढूंढ लिया था ।
अब आग
साराक्षी ने सामने टेबल पर रखा अपना फोन उठाया और सुमित से कहा, “ये हफ्ता मैं यूनिवर्सिटी क्लास अटेंड करने जाऊंगी ।”
एकाएक साराक्षी के मुंह से यूनिवर्सिटी जाने की बात सुनकर सुमित और दीपाली दोनों चौंक उठे थे । सुमित पहले कई बार साराक्षी को कॉलेज जाकर क्लास अटेंड करने की सलाह दे चुका था । लेकिन साराक्षी ने कभी कॉलेज जाने में इन्टरेस्ट नहीं दिखाया । लेकिन वह दोनों यह भी समझ गये थे कि साराक्षी कल की न्यूज़ के कारण ऐसा कर रही है ।
“ मैडम, आज शाम मशहूर फिल्म डारेक्टर, वरुणदेव सिंह की बर्थ- डे पार्टी है । आपको भी उनका इन्विटेशन आया है । क्या उसे भी कैंसिल करना है ?” सुमित ने पूछा ।
साराक्षी ने कुछ देर सोचा और फिर कहा, “नहीं, उसे कैंसिल करने की जरूरत नहीं है । मैं वरुणदेव सिंह की बर्थ- डे पार्टी में जरूर जाउंगी ।”
*
साराक्षी के पास हर कम्पनी की कार थी । फरारी, मर्सिडिस, ऑडी, बीएमडब्लू, जैग्वार, रॉल्स रॉयस और भी कई तरह की कारें उसके पास थी ।
साराक्षी अपनी फरारी कार से मुम्बई यूनिवर्सिटी की ओर निकल गयी थी । वहीं उसके पीछे की कार में सुमित कपाडिया, दीपाली और उसके पर्सनल बॉडीगार्ड्स थे । जैसे ही साराक्षी की फरारी कार मुम्बई यूनिवर्सिटी के अंदर पहुंची । पूरे कॉलेज में हलचल मच गई । हर कोई उसकी फरारी कार को देखकर अचंभित था । किसी ने पहले कॉलेज में उस कार को नहीं देखा था ।
अगले ही पल जैसे ही साराक्षी ने कार से नीचे कदम रखा । आसपास मौजूद लड़के और लड़कियों की आंखे खुली की खुली रह गई । उन्हें अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था । इससे पहले कि स्टूडेन्ट्स साराक्षी के करीब आते, उसके बॉडीगार्ड्स ने गोल घेरा बनाकर उसे प्रोटेक्ट कर लिया था ।
साराक्षी ने नेवी ब्लू जीन्स और उसके ऊपर येले रंग की टी-शर्ट पहनी थी । वह एक आम स्टूडेन्ट दिखना चाहती थी । लेकिन उसका औधा, आम स्टूडेन्ट्स के बराबर नहीं था । वह तो एक सेलेब्रिटी थी । साराक्षी ने अपना काला चश्मा लगाया और बिल्डिंग की ओर जाने लगी । सभी स्टूडेन्ट्स उसका नाम पुकार और उसके करीब आने की कोशिश कर रहे थे ।
“ अगर मैं पूरे साल यूनिवर्सिटी आने लगी, तो यूनिवर्सिटी का रिजल्ट 50 प्रतिशत से कम हो जाएगा । लड़के पढ़ने के बजाय, मुझे ही देखते रहेंगे ।” साराक्षी ने सुमित से कहा । सुमित और दीपाली दोनों उसके साथ- साथ चल रहे थे ।
साराक्षी सीधा अपनी क्लास में गई । उसके पीछे- पीछे क्लास के सभी स्टूडेन्ट्स समय से पहले ही क्लास में पहुंच गये थे । वहीं अन्य ब्रांच के स्टूडेन्ट्स की क्लास के बाहर भीड़ लग गई थी । साराक्षी क्लास की पिछली सीट पर जाकर बैठ गई । दीपाली और सुमित भी उसके साथ बैठ थे । उसके बॉडीगार्ड्स क्लास के दरवाज़े पर खड़े थे ।
कुछ ही देर में पूरी यूनिवर्सिटी में यह बात फैल गई थी कि साराक्षी देशमुख क्लास अटेंड करने के लिये आयी है । हर कोई उसकी एक झलक पाने के लिए बेताब था ।
“ तुमने रिपोटर्स को इन्फॉर्म कर दिया था ?” साराक्षी ने सुमित से पूछा ।
“ जी मैडम. ।”
क्लास खत्म होने के बाद साराक्षी ने मीडिया को यूनिवर्सिटी के अंदर ही इन्टरव्यू देने का प्लान बनाया था । बीते दिन न्यूज़ में उसे लेकर जो कुछ भी बातें चल रही थी । वह उसका खंडन करना चाहती थी ।
“ यार, साराक्षी तो रियल लाईफ में और भी ज्यादा हॉट और खूबसूरत दिखती है ।” एक लड़के ने अपने साथी से कहा ।
“ मुझे तो अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा कि साराक्षी देशमुख हमारी क्लास में है ।” दूसरा लड़का अपनी खुशी को छिपा नहीं पा रहा था । क्लास का हर लड़का साराक्षी के बारे में ही बात कर रहा था । वे सभी तिरछी निगाहों से साराक्षी को ही देख रहे थे ।
वहीं कुछ लड़कियां साराक्षी से जल भी रही थी । “साफ दिख रहा है, कितना मेकअप करके आयी है ।” एक लड़की ने चिढ़ते हुए कहा ।
“ इसकी नाक और होठों तो देखो, पक्का इसने सर्जरी करायी है ।” दूसरी लड़की ने भी अपनी जलन बाहर निकालते हुए कहा ।
“ तुम दोनों सही कह रही हो, मुझे तो ऐसा लगता है, इसने हेयरट्रान्स प्लाट भी करवाया है । वैसे भी कोई इन्सान इतना परफेक्ट नहीं हो सकता !” एक अन्य लड़की ने कहा ।
तभी उनके पास ही बैठी एक दूसरी लड़की ने कहा, “ऐसा जरूरी नहीं है । कुछ इन्सानों को भगवान तराश के बनाता है । और साराक्षी देशमुख उन्हीं में से एक है । इसलिए उसके बारे में बकवास करना बंद करो ।”
“ ये देखो. आई बड़ी साराक्षी की फेन. ।” उन तीनों लड़कियों ने उसका उपहास करते हुए कहा ।
क्लास में जो लोग साराक्षी की बुराई कर रहे थे, उन्होंने भी उसके पास आकर सेल्फी ली । यहाँ तक कि जो भी प्रोफेसर लेक्चर अटेंड करने आता, वह भी साराक्षी के साथ सेल्फी लेकर जाता । साराक्षी ने किसी को मना नहीं किया । लेकिन उसके लिए यह किसी टोर्चर से कम नहीं था । क्लास खत्म होते ही वह तुरन्त बाहर आ गई ।
लेकिन यूनिवर्सिटी कैम्पस में पहले से ही रिपोटर्स की भीड़ लगी हुई थी । पूरी यूनिवर्सिटी ऐसी लग रही थी, जैसे वहाँ कोई बहुत बड़ा फंग्सन हो रहा हो ।
“ साराक्षी जी, क्या ये सच है कि आप आज पहली बार क्लास अटेंड कर रही है ?” एक रिपोटर ने पूछा ।
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क्लास में जो लोग साराक्षी की बुराई कर रहे थे, उन्होंने भी उसके पास आकर सेल्फी ली । यहाँ तक कि जो भी प्रोफेसर लेक्चर अटेंड करने आता, वह भी साराक्षी के साथ सेल्फी लेकर जाता । साराक्षी ने किसी को मना नहीं किया । लेकिन उसके लिए यह किसी टोर्चर से कम नहीं था । क्लास खत्म होते ही वह तुरन्त बाहर आ गई ।
लेकिन यूनिवर्सिटी कैम्पस में पहले से ही रिपोटर्स की भीड़ लगी हुई थी । पूरी यूनिवर्सिटी ऐसी लग रही थी, जैसे वहाँ कोई बहुत बड़ा फंग्सन हो रहा हो ।
“ साराक्षी जी, क्या ये सच है कि आप आज पहली बार क्लास अटेंड कर रही है ?” एक रिपोटर ने पूछा ।
अब आग
साराक्षी ने पहले ही सोच लिया था कि उसे क्या कहना है । उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “आप लोग जानते है, मैं एक्ट्रेस हूँ । और मेरे लिए आम स्टूडेन्ट्स की तरह रोज़ क्लास अटेंड करना पोसिबल नहीं है । लेकिन मैं फिर भी कोशिश करती हूँ कि ज्यादा से ज्यादा क्लासेस अटेंड कर सकूं । कल जो कुछ न्यूज़ में दिखाया जा रहा था, वह सब बस उस चैनल का टीआरपी बटोरने का तरीका था ।”
अपनी बात बोलते- बोलते एकदम से साराक्षी ने पास खड़े एक स्टूडेन्ट से कहा, “हाय अरुण. । अब तुम्हारी तबीयत कैसी है । पिछले हफ्ते तुम्हें बुखार था न ?”
साराक्षी के मुंह से अपना नाम सुनकर उसके होश ही उड़ गये थे । यह देखकर अरुण दंग रह गया था कि साराक्षी को उसके बीमार होने के बारे में कैसे पता ?
“ अब मैं बिल्कुल ठीक हूँ साराक्षी. ।” उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया । साराक्षी ने भी हल्की सी स्माइल दी और आगे की ओर चलने लगी ।
दरअसल, साराक्षी ने क्लास के सभी स्टूडेन्ट्स का बायोडाटा निकलवा लिया था । उसने चलते- चलते कई लड़कियां और लड़को के नाम लिये और उनका हाल- चाल पूछा । जिससे मीडिया के सामने साराक्षी ने यह साबित कर दिया था कि वह अपने बिजी स्ड्यूल से समय निकालकर क्लास अटेंड ही नहीं करती, बल्कि अपने क्लासमेट्स के बारे में जानकारी भी रखती है । साराक्षी ने जल्दी से इंटरव्यू खत्म किया और अपनी कार में बैठकर वहाँ से निकल गई ।
साराक्षी का तीर निशाने पर लग गया था और सोशल मीडिया पर उसकी तारीफों के पुल बंधने शुरु हो गए थे ।
“ आपने तो कमाल कर दिया मैडम. ।” सोशल मीडिया पर साराक्षी की वाह- वाही देखते हुए सुमित ने कहा ।
“ अब उस रियाना कपूर को पता चलेगा कि साराक्षी देशमुख को मात देना इतना आसान नहीं है ।” साराक्षी ने अपनी आंखों को पैना करते हुए जवाब दिया और सुमित से बोली, “फ्लैट मालिक के बेटे से बात हुई ?”
“ जी मैडम, सारा अरेन्जमेंट हो चुका है । बस आपको पेपर्स पर साईन करना है ।” सुमित बोला ।
दीपाली भी वहीं बैठी थी । सुमित ने उसे बता दिया था कि साराक्षी मैडम घर शिफ्ट कर रही है । वह भी खुद को बोलने से रोक नहीं पाई, “मैम बॉलीवुड में आप पहली एक्ट्रेस है, जो सनसाईन लैंड में फ्लैट खरीद रही है । आपका तो जवाब नहीं है । जब यह बात रियाना कपूर को पता चलेगी, तो उसका चेहरा देखने लायक होगा ।”
साराक्षी उसकी बात से सहमत थी । वह खुद रियाना को यह खबर देकर उसकी शक्ल देखना चाहती थी । “वरुणदेव सिंह की बर्थ- डे पार्टी में मज़ा आने वाला है ।” साराक्षी ने मन ही मन सोचा ।
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सनसाईन लैंड, मुम्बई ।
साराक्षी ने फ्लैट खरीद लिया था । वहीं सुमित ने सुबह से ही साराक्षी का सामान फ्लैट में शिफ्ट कराना शुरु कर दिया था । शाम तक उसका फ्लैट पूरी तरह से तैयार हो गया था ।
साराक्षी अपने मैनेजर सुमित, दीपाली और अपने बॉडीगार्ड्स के साथ टावर की अंडरग्राउंड पार्किंग में खड़ी थी । पार्किंग की ओर देखते हुए सुमित कपाडिया ने कहा, “यहाँ की पार्किंग आपकी लग्जरी कारों के लिये कम पड़ रही है । अभी भी आपकी चार कारें पार्क करने के लिये बची है ।”
साराक्षी वहाँ खड़ी वही सोच रही थी । तभी उसने देखा कि उसकी पार्किंग के सामने वाली पार्किंग बिल्कुल खाली थी । “बाकी की चारों कार इस पार्किंग में पार्क करा दो ।” साराक्षी ने सुमित से कहा ।
“ लेकिन मैडम, ये हमारी पार्किंग नहीं है । ऐसे किसी और की पार्किंग में अपनी कार खड़ी करना ठीक नहीं है ।” सुमित ने कहा ।
उस टावर में हर एक फ्लैट की अगल और बहुत बड़ी पार्किंग थी, जिसमें कई गाड़ियां खड़ी हो सकती थी, लेकिन साराक्षी के पास गाड़ियां ही कुछ ज्यादा थी, इसलिए उसकी पार्किंग छोटी पड़ रही थी ।
“ जब उस इन्सान को पता चलेगा कि उसकी पार्किंग में मेरी गाड़ियां खड़ी है, तो वह खुद को किस्मत वाला समझेगा और वैसे भी चारों तरफ नज़र घुमाकर देखो, सभी की पार्किंग खाली ही पड़ी है । यहां लोगों के पास दो या फिर तीन या चार कारें होंगी । तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए ।” साराक्षी ने सुमित की बात का जवाब दिया ।
लेकिन सुमित को वह सब ठीक नहीं लग रहा था । उसके चेहरे का भाव देखकर साराक्षी समझ गयी थी कि वह पार्किंग को लेकर टेंशन ले रहा है ।
“ एक काम करो, जिसकी पार्किंग में मेरी कारें खड़ी है, उससे रेन्ट की बात कर लेना । मैं उसे कार पार्किंग का रेन्ट दे दूंगी ।” अपनी बात कहते ही साराक्षी लिफ्ट की ओर जाने लगी । लिफ्ट के अंदर जाकर बटन दबाने से पहले साराक्षी ने सुमित और बाकियों से कहा, “तुम लोग अभी जा सकते हो । शाम 08 बजे हम पार्टी के लिए निकलेंगे ।” उन्हें ऑर्डर देकर साराक्षी ने 10वें फ्लोर का बटन दबा दिया ।
हालांकि वह टावर 20 मंजिला था, लेकिन एक फ्लैट दो फ्लोर का होने के कारण फ्लैटों के हिसाब से 10 फ्लोर थे ।
जैसे ही लिफ्ट का दरवाज़ा बंद हुआ और लिफ्ट ऊपर की ओर जाने लगी, तभी एकाएक साराक्षी को महसूस हुआ कि लिफ्ट में उसके अलावा कोई और भी मौजूद है । उसने मुड़कर देखा, तो लिफ्ट के कोने में एक शख्स सिर नीचे किये खड़ा था । जिसका चेहरा उसकी काले रंग की गोल हैट ने ढक रखा था ।
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To Be Continued....
अब तक
हालांकि वह टावर 20 मंजिला था, लेकिन एक फ्लैट दो फ्लोर का होने के कारण फ्लैटों के हिसाब से 10 फ्लोर थे ।
जैसे ही लिफ्ट का दरवाज़ा बंद हुआ और लिफ्ट ऊपर की ओर जाने लगी, तभी एकाएक साराक्षी को महसूस हुआ कि लिफ्ट में उसके अलावा कोई और भी मौजूद है । उसने मुड़कर देखा, तो लिफ्ट के कोने में एक शख्स सिर नीचे किये खड़ा था । जिसका चेहरा उसकी काले रंग की गोल हैट ने ढक रखा था ।
अब आग
साराक्षी के बटन दबाते ही लिफ्ट का दरवाज़ा बंद हो गया । वह लिफ्ट इतनी बड़ी थी कि उसमें एक बार में 25-30 लोग आरास से खड़े हो सकते थे । लिफ्ट ऊपर की ओर जाने लगी, तभी एकाएक साराक्षी को ऐसा लगा, जैसे लिफ्ट में उसके अलावा कोई और भी मौजूद है । उसे कुछ अजीब- सा महसूस हो रहा था । उसने मुड़कर देखा, तो लिफ्ट के कोने में एक शख्स खड़ा था ।
उसे देखते ही साराक्षी एकदम से चौंक उठी । उसने उसके पहनावे को देखा । उसने काले रंग का ट्राउज़र, जिसके ऊपर काले ही रंग की शर्ट और काला लोंग कोट पहना हुआ था । उसके सिर पर एक काले रंग की गोल हैट थी । वह अगस्त्य ही था । वह सिर नीचे किये खड़ा था, जिस कारण उसका चेहरा गोल हेट ने ढक रखा था ।
जब साराक्षी लिफ्ट में घुसी, तो उसने यह ध्यान ही नहीं दिया कि लिफ्ट में कोई और मौजूद था या नहीं ?
“ कौन हो तुम और लिफ्ट में कैसे आए ?” साराक्षी ने उससे कड़क आवाज़ में पूछा, लेकिन अगस्त्य ने कोई जवाब नहीं दिया । वह जैसे का तैसा अपनी जगह पर खड़ा रहा ।
साराक्षी को उसकी हरकत कुछ अजीब लग रही थी । वह यही सोच रही थी कि कहीं यह शख्स उसका कोई फैन तो नहीं, जिसे यह पता चल गया हो कि उसने यहाँ घर शिफ्ट कर लिया है ।
“ ऐसे मुंह छिपाकर क्यों खड़े हो ? बोलो कौन हो तुम ?” इस बार साराक्षी की आवाज़ और ज्यादा तेज थी । वहीं साराक्षी अंदर ही अंदर थोड़ा घबरा भी रही थी । वह तेज आवाज़ में अपने डर और घबराहट को छिपाना चाहती थी ।
“ मैं अभी पुलिस को कॉल करती हूँ ।” इतना कहते ही साराक्षी ने कांपते हाथों से अपने फोन निकाला और इमरजेंसी नम्बर डायल कर ही रही थी कि तभी अगस्त्य ने अपना सिर ऊपर की ओर उठाया ।
जैसे ही साराक्षी की नज़रे अगस्त्य की नज़रो से मिली, एकाएक उसके कांपते हाथ रुक गए और वह एक टक अगस्त्य की ओर देखने लगी । अगस्त्य की खूबसूरत आंखों ने मानो साराक्षी को अपने वश में कर लिया था । साराक्षी ने अपनी पूरी लाईफ में अगस्त्य जैसा हैंडसम और आकर्षक लड़का नहीं देखा था । उसके गोरे और सुन्दर चेहरे को, कोई एक बार देख ले, तो अपनी नज़रे भी न हटा पाये । वही साराक्षी के साथ हो रहा था ।
तभी लिफ्ट 10वें फ्लोर पर जाकर रुकी और लिफ्ट की बीप बजी । बीप की आवाज़ सुनकर साराक्षी का ध्यान टूटा । उसे बड़ी शर्मिंदगी महसूस हो रही थी कि वह इतनी देर तक अगस्त्य को ऐसे घूर रही थी । अपनी शर्मिंदगी को छिपाते हुए वह अगस्त्य पर भड़कते हुए बोली, “क्या तुम मेरा पीछा कर रहे हो ?”
साराक्षी का वो सवाल पूछना लाज़मी था, क्योंकि टावर में 10वां फ्लोर लास्ट था ।
“ मैं किसी का पीछा नहीं करता ।” काफी देर बाद अगस्त्य ने उसके सवाल का जवाब दिया । “और भला मैं तुम्हारा पीछा क्यों करूंगा ?” अगस्त्य ने पूछा ।
साराक्षी को उसका स्वभाव कुछ अजीब- सा लगा । “पूरी दुनिया मेरी दीवानी है, और तुम कह रहे हो कि तुम मेरा पीछा नहीं कर रहे थे ।” साराक्षी को उसकी बात पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था । साराक्षी लिफ्ट से बाहर आई, तो अगस्त्य भी लिफ्ट से बाहर आ गया था ।
“ मेरा ऑटोग्राफ चाहिए ?” साराक्षी ने उससे पूछा ।
“ ऑटोग्राफ ! लेकिन क्यों ?” अगस्त्य के असाधारण से जवाब ने साराक्षी को चौंका दिया था ।
“ तुम तो ऐसे बिहेव कर रहे हो, जैसे मुझे जानते ही नहीं ।” साराक्षी पूरी तरह से हैरत में थी ।
“ कौन हो तुम ?” अगस्त्य ने उसकी ओर देखते हुए पूछा ।
साराक्षी हैरान होने के साथ- साथ फ्रस्टेट भी हो गई थी । उसने दोनों हाथों को हवा में उठाया और इधर- उधर देखने लगी । उसने पहली बार ऐसा इन्सान देखा था, जो यह कह रहा था कि वह उसे पहचानता नहीं है ।
“ तुम मुझे नहीं जानते ?” साराक्षी हंसी । “मूविज नहीं देखते क्या ?” साराक्षी ने व्यंगात्मक अंदाज़ में अगस्त्य से कहा । वह दोनों फ्लोर के कॉरिडोर में खड़े थे ।
“ मैं इन्सानों के फाल्तू कामों को नहीं देखता ।” अगस्त्य का रूखा जवाब साराक्षी को पसंद नहीं आया । उसे अगस्त्य पर बहुत तेज गुस्सा आया ।वहीं अगस्त्य फ्लोर के दूसरी ओर जाने लगा, तो साराक्षी गुस्से से चिल्लाते हुए बोली, “मैं साराक्षी देशमुख हूं, साराक्षी. देशमुख. ।”
“ तो क्या. न मैं तुम्हें जानता हूँ और न ही जानने में इंटरेस्टेड हूँ ।” अगस्त्य ने जवाब दिया और मुडकर जाने लगा ।
वहीं उसके जवाब ने साराक्षी को हिलाकर रख दिया था ।
“ क्या ये इसी दुनिया से है ?” साराक्षी ने खुद से पूछा ।
तभी उसने देखा कि अगस्त्य ने फ्लैट नम्बर 1001 के लॉक का कोड़ डाल रहा था । यह देखते ही वह उस पर चिल्लाते हुए बोली, “ये क्या कर रहे हो ?”
वह फौरन उसके पास पहुंची और दरवाज़े के सामने खड़ी हो गई । “तुम मेरे फ्लैट का लॉक खोलने की कोशिश क्यों कर रहे हो ? मैं अभी सिक्योरिटी को बुलाती हूँ ।” इतना कहते ही साराक्षी ने फिर से अपना फोन निकला और सिक्योरिटी का नम्बर डायल करने लगी ।
“ तुम इन्सान कभी अपने दिमाग का इस्तेमाल नहीं करते ।” अगस्त्य ने साराक्षी पर कमेंट पास किया । यह सुनते ही साराक्षी की आंखे गुस्से से लाल हो गई थी । उसने अगस्त्य की ओर घूरते हुए देखा ।
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अब तक
वह फौरन उसके पास पहुंची और दरवाज़े के सामने खड़ी हो गई । “तुम मेरे फ्लैट का लॉक खोलने की कोशिश क्यों कर रहे हो ? मैं अभी सिक्योरिटी को बुलाती हूँ ।” इतना कहते ही साराक्षी ने फिर से अपना फोन निकला और सिक्योरिटी का नम्बर डायल करने लगी ।
“ तुम इन्सान कभी अपने दिमाग का इस्तेमाल नहीं करते ।” अगस्त्य ने साराक्षी पर कमेंट पास किया । यह सुनते ही साराक्षी की आंखे गुस्से से लाल हो गई थी । उसने अगस्त्य की ओर घूरते हुए देखा ।
अब आग
“ हाउ डेर यू. । तुम तो ऐसे बोल रहे हो, जैसे इन्सान नहीं, कोई एलियन हो ।” साराक्षी का पारा हाई हो गया था । इससे पहले कि वह आगे कुछ बोलती, अगस्त्य ने कहा, “फ्लैट नम्बर 1001 मेरा है ।”
यह सुनते ही साराक्षी शॉक्ड हो गई । उसने फौरन अपने फोन चैक किया । उसने फ्लैट के कागज चैक किये, तो उन पर फ्लैट नम्बर 1002 लिखा था । वह देखते ही साराक्षी का चेहरा पीला पड़ गया था । उसे काफी शर्मिंदगी महसूस हो रही थी । वह यही सोच रही थी कि इस इन्सान के सामने उसकी इज्जत का फालूदा हो गया । वह क्या सोच रहा होगी कि इतनी बड़ी एक्ट्रेस में इतना भी कॉमनसेन्स नहीं है । लेकिन अगले ही पल उसके दिमाग में अगस्त्य की बात घूमने लगी । उसने कहा था कि वह साराक्षी को नहीं जानता है ।
“ क्या सच में तुम्हें नहीं पता कि मैं कौन हूँ ?” साराक्षी ने खिसियाते हुए उससे पूछा ।
“ नहीं. । अब हटो सामने से. ।” अगस्त्य ने कहा । उसने डोर पर लगे डिजिटल लॉक का कोड डालकर उसे ओपन किया और अपने फ्लैट के अंदर चला गया ।
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सुमित कपाडिया ने साराक्षी को मैसेज करके बता दिया था कि वह लोग पार्किंग बेसमेंट में उसका इन्तजार कर रहे है । साराक्षी अपने फ्लैट से बाहर निकली और अगस्त्य के दरवाज़े को घूरती निगाहों से देखने लगी । “खुद को समझता क्या है ?” साराक्षी ने मन ही मन कहा और फिर लिफ्ट से बेसमेंट में आ गई ।
बेसमेंट में आते ही साराक्षी ने मैनेजर सुमित से पूछा, “पता किया ये पार्किंग किसकी है ?”
सुमित ने पहले ही अपना काम पूरा कर लिया था । उसने तुरन्त कहा, “जी मैडम, यह पार्किंग फ्लैट नम्बर 1001 के मालिक की है ।”
फ्लैट नम्बर 1001 का नाम सुनते ही साराक्षी का पारा फिर से हाई हो गया था । उसे अगस्त्य का रूढ़ बिहेवियर याद आ गया था ।
“ क्या ? फ्लैट 1001 के ओनर का. !” साराक्षी कतई भी उसका कोई फेवर नहीं चाहती थी । उसने तुरन्त सुमित से कहा, “दूसरे फ्लैट्स के ओनर्स से बात करो । 1001 के ओनर से बात करने की कोई जरूरत नहीं है ।”
लेकिन साराक्षी का जवाब सुनकर सुमित सक्ते में पड़ गया । दरअसल, उसने लगभग सभी फ्लैट मालिकों से इस बारे में बात कर ली थी, लेकिन किसी ने भी अपनी पार्किंग में साराक्षी की कारों को पार्क करने की हामी नहीं भरी थी । उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह यह बात साराक्षी को कैसे बताये ?
हिम्मत जुटाकर सुमित ने सिर झुकाते हुए कहा, “सबने मना कर दिया ।”
“ क्या ?” साराक्षी हैरान थी । वह यही सोच रही थी कि इस टावर के लोगों कितने अजीब है । एक फ्लैट ओनर उसे नहीं जानता, तो बाकी उसकी कारों को पार्किंग देने से मना कर रहे है ।
अपने गुस्से को शांत करते हुए उसने कहा, “फिलहाल इन्हें यही पार्क रहने दो । मैं खुद 1001 के ओनर से बात कर लूंगी । अभी मुझे पार्टी के लिए लेट हो रहा है ।”
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वरुणदेव सिंह की पार्टी,
वरुणदेव सिंह का घर बहुत ही बड़ा और शानदार था । अपनी 50वीं वर्षगांठ पर वरुणदेव सिंह ने अपने घर को दुल्हन की तरह सज़ा रखा था । वरुणदेव की पार्टी में बॉलीबुड के बड़े सितारे आए हुए थे । हालांकि दीप्ति शर्मा जैसी छोटी एक्ट्रेस को इन्वीटेशन नहीं गया था । लेकिन पार्टी में रियाना कपूर और कई बड़े सितारे आए हुए थे । मीडिया और प्रेस के चुनिंदा लोगों को भी पार्टी में इन्विटेशन दिया गया था ।
साराक्षी देशमुख के पार्टी में आते ही सभी की नज़रे उस पर टिक गई थी । पार्टी में वही सबका अट्रेक्शन पाइंट थी । हालांकि फिल्म इन्डस्ट्री के बड़े नाम, जो उसे आउटसाईडर कहते थे, वह भी उसकी खूबसूरती के दिवाने थे । वहीं पार्टी में मौजूद रियाना कूपर के साथ- साथ अन्य फीमेल एक्ट्रेसेस साराक्षी को देखकर अंदर ही अंदर जल भुन रही थी । कोई भी साराक्षी से बात करने उसके पास नहीं आई ।
“ हेलो साराक्षी. बहुत अच्छा लगा तुम पार्टी में आई ।” वरुणदेव सिंह ने साराक्षी को देखते ही उसका स्वागत करते हुए कहा ।
“ हैप्पी बर्थ डे धवन सर. ।” साराक्षी ने मुस्कुराते हुए कहा ।
वरुणदेव सिंह उसे हल्का सा हग देने के लिए आगे बढ़ा, लेकिन साराक्षी ने उसी वक्त अपने मैनेजर की ओर मुंह कर लिया और उसके हाथ से गिफ्ट लेकर वरुणदेव सिंह की ओर बढ़ा दिया । पार्टी में आए सभी स्टार्स ने साराक्षी का वह बर्ताव देखा । वरुणदेव को भी बेज्जती महसूस हुई । उसे अंदर ही अंदर गुस्सा तो आया, लेकिन सभी की नज़रे साराक्षी और उस पर ही थी, इसलिए उसने अपने चेहरे को एक नकली मुस्कान ढक लिया ।
“ थैंक यू. ।” वरुणदेव सिंह ने गिफ्ट लेते हुए कहा ।
फिल्म इन्डस्ट्री में मिलने पर एक- दूसरे को हग करना, आम बात थी । लेकिन साराक्षी कभी किसी को हग नहीं करती थी । सिर्फ शूटिंग के दौरान ही वह किसी एक्टर को खुद को टच करने की परमिशन देती थी ।
“ देखा तुम लोगों ने. इस आउट साइडर को कितना घमंड है । वरुणदेव सिंह को हग करने से मना कर दिया ।” रियाना कपूर ने साथ खड़ी अन्य एक्ट्रेसेस से कहा ।
वह सभी साराक्षी को ही देख रही थी । साराक्षी की खूबसूरती से उन्हें जलन हो रही थी ।
“ ये गवांर कभी हमारे तौर तरीके नहीं सीख पाएगी । हमेशा आउट साईडर ही रहेगी ।” एक अभिनेत्री ने कहा ।
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फिल्म इन्डस्ट्री में मिलने पर एक- दूसरे को हग करना, आम बात थी । लेकिन साराक्षी कभी किसी को हग नहीं करती थी । सिर्फ शूटिंग के दौरान ही वह किसी एक्टर को खुद को टच करने की परमिशन देती थी ।
“ देखा तुम लोगों ने. इस आउट साइडर को कितना घमंड है । वरुणदेव सिंह को हग करने से मना कर दिया ।” रियाना कपूर ने साथ खड़ी अन्य एक्ट्रेसेस से कहा ।
वह सभी साराक्षी को ही देख रही थी । साराक्षी की खूबसूरती से उन्हें जलन हो रही थी ।
“ ये गवांर कभी हमारे तौर तरीके नहीं सीख पाएगी । हमेशा आउट साईडर ही रहेगी ।” एक अभिनेत्री ने कहा ।
अब आग
“ न कभी ढंग के स्कूल में गई और न ही कॉलेज. । ग्रेजुएट भी पैसे देकर मुम्बई यूनिवर्सिटी से हुई है । और अब दुनिया को दिखाने के लिए क्लासेस जाने का नाटक कर रही है ।” रियाना कपूर की बातों में उसकी नफरत भरी हुई थी ।
“ तुम देखना रियाना. इस जैसी एक्ट्रेस ज्यादा दिन इन्डस्ट्री में टिक नहीं पाती । आठ- दस हिट फिल्में क्या दे दी, खुद को बॉलीवुड की क्वीन समझने लगी है ।” पास खड़ी दूसरी अभिनेत्री ने कहा ।
साराक्षी को देखकर रियाना कपूर को इतना गुस्सा आ रहा था कि उसने लगातार दो- तीन ग्लास व्हिस्की के गटक लिये थे ।
वहीं एक तरफ खड़ा डायरेक्टर राजकुमार पचौरी भी साराक्षी को गुस्से और नफरत भरी निगाहों से देख रहा था । “पांच दिनों के लिए शूटिंग कैंसिल करके यह साबित क्या करना चाहती है ?” राजकुमार पचौरी ने अपनी ड्रिंक की सिप लेते हुए अपने असिस्टेंट से कहा, “इसे तो सबक सिखाना ही पड़ेगा ।”
“ सर, अगर आप साराक्षी देशमुख से पंगा लेंगे, तो हमारी फिल्म का क्या होगा ?” असिस्टेंड को फिल्म की चिंता होने लगी थी ।
“घबराओ मत, मैं इसी की जुबान में इसे मुंह तोड़ जवाब दूंगा ।” राजकुमार पचौरी ने एक ओर सिप ली और कहा, “साराक्षी रविवार को शूट पर आएगी न. तो रविवार का शूट हम लोनावाला में रखेंगे । वहीं मैं इसकी अक्ल को ठिकाने लगाऊंगा ।”
फ्लैट 1001, सनसाईन लैंड ।
कई सालों के बाद अगस्त्य अपने उस फ्लैट में आया था । आमतौर पर वह मैट्रो सिटीज में रहना पसंद नहीं करता था । वह कभी जंगलों में, तो कभी किसी गांव में या छोटे शहरो में रहना ज्यादा पसंद करता था । इसका मुख्य कारण था, अगस्त्य का अपनी पहचान को छिपाना । उसकी उम्र थमी हुई थी । इसलिए वह एक जगह पर ज्यादा समय नहीं रुकता था ।
अगस्त्य का सारा सामान उससे जुड़ी नई और पुरानी सभी चीज़ें इसी फ्लैट में रखी थी । टावर में रहने वालों को यही पता था कि फ्लैट नं0 1001 का मालिक कहीं विदेश में रहता है ।
अंदर आते ही अगस्त्य ने देखा कि पूरे फ्लैट में धूल मिट्टी छाई हुई थी । उसने एक चुटकी बजाई और अगले ही पल पूरा घर खुद ब खुद साफ होने लगा । कुछ ही मिनट लगी और घर चमक उठा । अगस्त्य घर के फस्ट फ्लोर पर गया, जहाँ उसने एक बहुत बड़ी लाईब्रेरी बना रखी थी । वह लाईब्ररी इतनी बड़ी थी, जितना की एक बॉस्केटबल कोर्ट. ।
दोनों ओर दीवारो पर बुक सेल्फ बनी हुई थी, जो हर प्रकार की किताबों से भरी पड़ी थी । सामने की ओर एक बड़ी सी टेबल और चेयर रखी थी । तभी अगस्त्य ने एक और चुटकी बजाई और अगले ही पल चेयर के पीछे की दीवार में एक दरवाज़ बन गया । वह एक जादुई दरवाज़ा था, जिसके उस पार हजारों की संख्या में आवरग्लास (Hourglass), आसान शब्दों में कहें, तो सैंडग्लास (sandglass) रखे थे । जिसके ऊपर के हिस्से में रेत भरी हुई थी, जो लगातार नीचे के हिस्से में गिर रही थी । वह सैंडग्लास उन सभी लोगों के थे, जिनके साथ अगस्त्य ने डील की थी । सैंडग्लास की समय- सीमा दस वर्ष थी । दस वर्ष पूरे होते ही ऊपरी हिस्से की रेत, निचले हिस्से में पूरी तरह भर जाती, उसी समय उस इन्सान का समय पूरा हो जाता और अगस्त्य उस इन्सान से किये समझौते के मुताबिक उसकी आत्मा को नरक भेज देता ।
अगस्त्य उस कमरें में दाखिल हुआ । उसने कमरे में रखे सैंडग्लासेस पर एक नज़र घुमाई । सभी सैंडग्लासेस से रेत गिर रही थी, जो इस बात का संकेत था कि सबकुछ ठीक चल रहा है । हर सैंडग्लास के बगल में वही हल्के भूरे रंग का कॉन्ट्रेक्ट रखा था, जिस पर उस सैंडग्लास वाले इन्सान ने अपने खून से अंगूठा लगाया था ।
“ काश! इन सैंडग्लासेस की तरह मेरा भी कहीं एक सैंडग्लास हो, जो मुझे बता सके, मेरा समय कब आएगा । मुझे भी इस चक्र से मुक्ति मिलती।” अगस्त्य उदास हो गया था। “खैर, नियति को जो मंजूर है, मुझे वही करना होगा ।” वह खुद से बात कर रहा था । उसने एक बार बारीकी से सभी सैंडग्लासेस की ओर नज़र दौड़ाई और फिर खुद से कहा, “हम्म. पांच दिन तक कोई काम नहीं है । अगली डील रविवार को करूंगा ।”
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वरुणदेव सिंह की पार्टी ।
भले ही वरुणदेव सिंह अपने सभी मेहमानों से मुस्कुराकर बातें कर रहा था, लेकिन साराक्षी देशमुख का सबके सामने उसे हग करने से रोकना, उसे चुभ रहा था । वह अंदर से काफी गुस्से में था । बार- बार वह तिरछी निगाहों से साराक्षी को ही देख रहा था ।
दरअसल, वरुणदेव सिंह ने साराक्षी को सिर्फ एक ही फिल्म में डायरेक्ट किया था, उसके बाद साराक्षी ने उसकी किसी भी फिल्म में काम नहीं किया । वह जानती थी कि वरुणदेव सिंह की उस पर बुरी नज़र है । वहीं जब से वरुणदेव सिंह ने साराक्षी को देखा था, वह उसकी खूबसूरती का दिवाना हो गया था । वह किसी भी कीमत पर साराक्षी का फायदा उठाना चाहता था । लेकिन साराक्षी बड़ी सेलेब्रिटी बन गई थी, ऐसे में वरुणदेव सिंह चुप था । लेकिन उसकी हवस दिन- प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी । वह तो बस सही मौका की तलाश में था ।
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अब तक
दरअसल, वरुणदेव सिंह ने साराक्षी को सिर्फ एक ही फिल्म में डायरेक्ट किया था, उसके बाद साराक्षी ने उसकी किसी भी फिल्म में काम नहीं किया । वह जानती थी कि वरुणदेव सिंह की उस पर बुरी नज़र है । वहीं जब से वरुणदेव सिंह ने साराक्षी को देखा था, वह उसकी खूबसूरती का दिवाना हो गया था । वह किसी भी कीमत पर साराक्षी का फायदा उठाना चाहता था । लेकिन साराक्षी बड़ी सेलेब्रिटी बन गई थी, ऐसे में वरुणदेव सिंह चुप था । लेकिन उसकी हवस दिन- प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी । वह तो बस सही मौका की तलाश में था ।
अब आग
“ सर, आप काफी देर से साराक्षी देशमुख को नोटिस कर रहे है ? ऐसे में किसी ने आपकी पिक्चर क्लिक कर ली, तो मीडिया इसमें मिर्च मसाला कराकर दिखाएगा ।” वरुणदेव के मैनेजर ने उसे आगाह करते हुए कहा ।
“ अगर इसका घमंड, मैंने अपने बिस्तर पर लाकर न रौंद दिया, तो मेरा भी नाम वरुणदेव सिंह नहीं. ।” वरुणदेव ने अपने दांतों को भींचते हुए जवाब दिया ।
“ सर, फिलहाल साराक्षी देशमुख का टाइम अच्छा चल रहा है, इसलिए आपको इन्तजार करना होगा ?” मैनेजर ने धीरे से कहा । वरुणदेव सिंह इस बात से बाखूबी वाकिफ था ।
“ अब इन्तजार ही तो नहीं होता । बस एक बार ये मेरे हत्थे चढ़ जाए ।” वरुणदेव की आँखों में हवस साफ दिख रही थी ।
“ सर, मैंने सुना है साराक्षी की अगली फिल्म के कुछ सीन लोनावाला में शूट होने वाले है ।” मैनेजर ने वरुणदेव को बताया । वह खबर सुनकर वरुणदेव की आंखों में चमक आ गयी थी । उसके शैतानी दिमाग में कुछ चलने लगा था ।
“ पता करो, वह लोनावाला में कब शूट करने वाले है ?” वरुणदेव ने मैनेजर से कहा और अपनी व्हिस्की का ग्लास पी गया।
वहीं दूसरी तरफ मीडिया वालें पार्टी में मौजूद सभी सेलेब्रिटिज की फोटों क्लिक कर रहे थे । साराक्षी देशमुख के साथ लगभग सभी मेल एक्टर्स ने अपने फोटो क्लिक करवायी । लेकिन मीडिया ने यह भी नोटिस कर लिया था कि फिमेल एक्ट्रेस साराक्षी देशमुख को अवोइड कर रही थी ।
“ मैडम, सभी फिमेल एक्ट्रेसेस आपको अजीब नज़रो से देख रही है । आपको यहाँ देखकर सभी के बदन में लग गयी होगी ।” मैनेजर सुमित कपाडिया ने साराक्षी से कहा । बस वही था, जो साराक्षी के साथ खड़ा था ।
“ मुझे किसी से कोई फर्क नहीं पड़ता । लेकिन रियाना कपूर से तो मैं खुद जाकर बात करूंगी ।” साराक्षी ने रियाना की ओर देखते हुए कहा और फिर उसकी ओर बढ़ी ।
रियाना कपूर ने देखा कि साराक्षी उसकी ओर आ रही है ।
“ वेटर. ।” रियाना ने वेटर को आवाज़ लगाई और ड्रिंक का एक गिलास उठा लिया । वह साराक्षी को नज़रअंदाज़ करके दूसरी ओर जा ही रही थी कि साराक्षी ने भी वेटर को आवाज़ लगाई, “वेटर. ।” उसने भी ड्रिंक का एक गिलास उठा लिया । यह देखकर रियाना कपूर रुक गई और साराक्षी को घूरकर देखने लगी ।
“ कुछ लोग कितने ही बडे क्यों न हो जाए, उनकी औकात दिख ही जाती है ।” रियाना ने उस पर कमेंट मारा ।
उसका कमेंट सुनकर साराक्षी को गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन उसने अपने गुस्से को अपनी हंसी के पीछे छिपा लिया । “सही कहा, कुछ लोग अपनी औकात दिखा ही देते है और फिर बाद में मुंह की खाते है ।” साराक्षी ने उसे जवाब दिया । वह यूनिवर्सिटी वाले स्कैंडल की बात कर रही थी ।
लेकिन रियाना कपूर को कुछ समझ नहीं आया । वह गुस्से में एकदम से बोली, “वॉट डू यू मीन. ।”
“ मैं तो भूल ही गई थी, कुछ बातों को समझने के लिए दिमाग की जरूरत होती है ।” साराक्षी ने फिर से उस पर कटास किया ।
“ तुम जैसी दो कौड़ी की एक्ट्रेस खुद को समझती क्या है ? दो- चार हिट फिल्में क्या दे दी, खुद को हमसे कम्पैर करने लगी । तुम एक सड़कछाप एक्ट्रेस हो, जिसे गटर से उठाकर यहाँ खड़ा कर दिया गया है ।” रियाना कपूर अपने अंदर की भड़ास को रोक नहीं पाई । उसकी आवाज़ इतनी तेज थी कि आसपास खड़े दूसरे एक्टर और एक्ट्रेस उन दोनों की ओर देखने लगे ।
मीडिया का भी रुख उन दोनों की ओर हो गया था ।
“ मैं इस मुकाम पर अपनी मेहनत से पहुंची हूं, किसी की सिफारिश या तलवे चाटकर नहीं. ।” साराक्षी का भी पारा हाई हो गया था । एकाएक पार्टी में दो बड़ी एक्ट्रेस एक- दूसरे से भिड़ रही थी । यह खबर मीडिया वालों के लिए किसी लौटरी से कम नहीं थी ।
“ तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई, मेरे बारे में ऐसा कहने की. पूरी दुनिया मेरी काबिलियत को जानती है । और वैसे भी सब जानते है कि तुम यहाँ तक कैसे पहुंची हो ? कामयाब होने के लिए तुमने कुणाल सिंघानिया के साथ. ।” रियाना अपनी बात को पूरा करने ही वाली थी कि तभी साराक्षी ने हाथ में ली व्हिस्की उसके मुंह पर फेंक दी ।
यह देख, वहाँ मौजूद सभी हैरान रह गये । मीडिया भी एक के बाद एक फोटो क्लिक कर रही थी । रियाना कपूर का पूरा फेस व्हिस्की से गीला हो गया था । उसकी ड्रेस भी खराब हो गई थी ।
“ यू बिच. ।” रियाना गाली देते हुए साराक्षी पर झपटने ही वाली थी कि वरुणदेव सिंह बीच में आ गया और रियाना कपूर को शांत करने लगा । रियाना की आंखों में खून सवार हो गया था । वहीं साराक्षी भी गुस्से से उसे घूर रही थी ।
साराक्षी सबकुछ बर्दाश्त कर सकती थी, लेकिन अपने कैरेक्टर के बारे में एक शब्द भी नहीं सुन सकती थी । जब रियाना कपूर ने उसके कैरेक्टर पर उंगली उठाई, तो साराक्षी बर्दाश्त नहीं कर पाई और अपने हाथ में लिये व्हिस्की के गिलास की सारी व्हिस्की रियाना के मुंह पर दे मारी ।
“ डोन्ट यू डेर. ।” साराक्षी ने रियाना को उंगली दिखाते हुए कहा ।
“आई विल किल यू. मैं तुझे छोडूंगी नहीं ।” रियाना कपूर ने मीडिया के सामने साराक्षी को धमकी दी । रियाना के साथ आई अन्य एक्ट्रेस उसे अपने साथ रेस्टरूम की ओर ले गई । वहीं साराक्षी भी पार्टी से निकल गई थी । उन दोनों का सारा झगड़ा मीडिया वालों ने अपने कैमरों में कैद कर लिया था ।
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To Be Continued....
अब तक
साराक्षी सबकुछ बर्दाश्त कर सकती थी, लेकिन अपने कैरेक्टर के बारे में एक शब्द भी नहीं सुन सकती थी । जब रियाना कपूर ने उसके कैरेक्टर पर उंगली उठाई, तो साराक्षी बर्दाश्त नहीं कर पाई और अपने हाथ में लिये व्हिस्की के गिलास की सारी व्हिस्की रियाना के मुंह पर दे मारी ।
“ डोन्ट यू डेर. ।” साराक्षी ने रियाना को उंगली दिखाते हुए कहा ।
“आई विल किल यू. मैं तुझे छोडूंगी नहीं ।” रियाना कपूर ने मीडिया के सामने साराक्षी को धमकी दी । रियाना के साथ आई अन्य एक्ट्रेस उसे अपने साथ रेस्टरूम की ओर ले गई । वहीं साराक्षी भी पार्टी से निकल गई थी । उन दोनों का सारा झगड़ा मीडिया वालों ने अपने कैमरों में कैद कर लिया था ।
अब आग
साराक्षी का मूड बहुत खराब था । वह कार की पिछली सीट पर गुस्से से आग बबूला हुए बैठी थी । मैनेजर सुमित अगली सीट पर चुपचाप बैठा था । वह जानता था, इस वक्त साराक्षी से कुछ भी कहना, मधुमक्खी के छत्ते में हाथ ड़ालने जैसा था ।
तभी एकाएक साराक्षी के फोन पर कुणाल सिंघानिया का कॉल आया, लेकिन उसने उसका कॉल रिसिव नहीं किया । कुणाल का कॉल कटते ही, अगले पल दीप्ति का भी कॉल आने लगा । साराक्षी समझ गई थी कि पार्टी में जो कुछ भी हुआ, वह उन्हें पता चल गया । पर साराक्षी उस वक्त किसी से भी बात नहीं करना चाहती थी । उसने अपना फोन स्वीच ऑफ कर दिया ।
“ ड्राइवर गाड़ी रोको. ।” साराक्षी ने ड्राइवर से कहा । उसकी आवाज़ में इतना गुस्सा भरा था कि ड्राइवर के भी पसीने छूट रहे थे । साराक्षी कार से नीचे उतरी और गहरी- गहरी सांसे लेनी लगी । तभी उसकी नज़र कुछ दूरी पर बनी वाईन शॉप पर पड़ी । उसने ड्राइवर को भेजकर अपने लिए एक बोतल मांगा ली ।
“ चाबी दो. ।” साराक्षी ने ड्राइवर से कहा ।
ड्राइवर ने चाबी साराक्षी को पकड़ा दी । मैनेजर सुमित समझ गया था कि साराक्षी अकेले कार लेकर जाने वाली है । वहीं उसके पास शराब की पूरी एक बोलत भी थी । उसे साराक्षी की चिंता होने लगी थी । हिम्मत जुटाकर उसने साराक्षी से कहा, “मैडम, आपको अकेले नहीं जाना चाहिए ।”
सुमित की बात सुनते ही साराक्षी ने उस पर चिल्लाते हुए कहा, “अब तुम मुझे सिखाओगे, मुझे क्या करना चाहिए और क्या नहीं ?”
“ मेरा वो मतलब नहीं था मैडम. । मैं तो बस कह रहा था कि. ।”
“ शट अप. ।” साराक्षी ने उसे धमकाया और कार के अंदर बैठकर वहाँ से निकल गई । सुमित और ड्राईवर दोनों बीच रास्ते पर हक्के- बक्के खड़े थे ।
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साराक्षी कई घंटों तक मुम्बई की सड़को पर अपनी कार दौड़ाती रही । उसी बीच उसने पूरी शराब की बोतल को गटक लिया था । उसे बहुत ज्यादा नशा भी हो गया था । नशे की हालत में वह सनसाईन लैंड तक तो पहुंच गई थी, लेकिन कार से उतरने के बाद उसके लिए कदम बढ़ाना बहुत मुश्किल हो गया था । उसकी आंखे भी ढंग से खुल नहीं पा रही थी ।
बेसमेंट पार्किंग से लिफ्ट तक जाना, उसके लिए एलओसी पार करने जितना मुश्किल हो गया था । लड़खड़ाते हुए वह लिफ्ट तक पहुंची और फिर लिफ्ट के पैनल में 10वें फ्लोर के बटन को ढूंढने लगी । उसे 10वें फ्लोर का बटन नहीं मिल रहा था ।
“ कम्बखत. ये बटन कहाँ. कहाँ गायब हो गया ?” साराक्षी अपनी उंगली को पूरे पैनल पर ऊपर- नीचे घुमा रही थी, लेकिन उसे 10वां फ्लोर कहीं नज़र नहीं आया । काफी मुश्किलों के बाद उसे 10वें फ्लोर का बटन नज़र आया और उसने वह दबा दिया ।
साराक्षी के लिए लिफ्ट में खड़ा होना भी मुश्किल हो रहा था । लिफ्ट के दसवें फ्लोर पर पहुंचते ही साराक्षी बाहर आई और लड़खड़ाते हुए अपने फ्लैट के दरवाज़े की ओर जाने लगी । लेकिन जैसे ही वह फ्लैट 1001 के सामने पहुंची, उसे एकाएक अगस्त्य की बातें याद आ गयी । उसने घूरते हुए अगस्त्य के दरवाज़े की ओर देखा । भले ही वह अगस्त्य का नाम नहीं जानती थी, लेकिन फिर भी वह उसे पुकारते हुए बोली, “तू है कौन बे. तूने मुझे पहचानने से इन्कार कर दिया । मुझे. । साराक्षी देशमुख को. । अबे साले मैं इंडिया की नम्बर वन एक्ट्रेस हूँ. ।”
साराक्षी दरवाज़े पर ही अपना गुस्सा निकाल रही थी ।
तभी अचानक साराक्षी की आंखे बड़ी हो गई । उसे अजीब सा लगने लगा और फिर अगले ही पल उसने अगस्त्य के दरवाज़े पर उल्टी (Vomit) कर दी ।
अगस्त्य अपनी लाईब्रेरी में बैठा, एक किताब पढ़ रहा था । वह मुगलकाल के समय की थी, जो मेगेस्थनीज के द्वारा लिखी गई थी । अगस्त्य के पास ऐसी- ऐसी किताबें थी, जो दुनिया में किसी के पास नहीं थी । एक- एक किताब की कीमत करोड़ो में थी । लेकिन अगस्त्य के लिए रूपयें पैसे सब व्यर्थ थे ।
किताब पढ़ते- पढ़ते एकाएक अगस्त्य को उस लड़की का ख्याल आया, जो अपनी मां के पास जाने की इच्छा जाहिर कर रही थी । साफ था कि वह जीना नहीं चाहती थी ।
अगस्त्य मुस्कुराया और फिर खुद से बोला, “ऐसे इन्सानों की ईच्छा पूरी करना, मेरे लिए मुमकिन नहीं है ।” फिर वह सोचने लगा, “अगर कभी वह लड़की मेरे सामने आ गई और मुझसे कॉन्ट्रेक्ट के बदले यही इच्छा जाहिर करने लगी, तो क्या मैं कॉन्ट्रेक्ट कर सकता हूँ ?” अगस्त्य के मन में यह सवाल उठ खड़ा हुआ ।
उसने किताब को बंद किया । वह किताब हवा में उड़ती हुई, उसी स्थान पर रखी गई, जहाँ से अगस्त्य ने उसे उठाया था । वह उठा । उसने चुटकी बजाई और फिर से वह जादुई दरवाज़ा लाईब्रेरी की दीवार में बन गया । अगस्त्य उसके अंदर गया । उस कमरे में एक छोटी- सी बुक- सेल्फ बनी थी । जिसमें एक मोटी- सी किताब रखी थी । उस किताब का कवर हरे रंग का था, जो लकड़ी के छाल से बना था । उस किताब के मध्य में वही त्रिशुल का निशान बना हुआ था, जो अगस्त्य के माथे पर उभर आता था ।
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अब तक
उसने किताब को बंद किया । वह किताब हवा में उड़ती हुई, उसी स्थान पर रखी गई, जहाँ से अगस्त्य ने उसे उठाया था । वह उठा । उसने चुटकी बजाई और फिर से वह जादुई दरवाज़ा लाईब्रेरी की दीवार में बन गया । अगस्त्य उसके अंदर गया । उस कमरे में एक छोटी- सी बुक- सेल्फ बनी थी । जिसमें एक मोटी- सी किताब रखी थी । उस किताब का कवर हरे रंग का था, जो लकड़ी के छाल से बना था । उस किताब के मध्य में वही त्रिशुल का निशान बना हुआ था, जो अगस्त्य के माथे पर उभर आता था ।
अब आग
“ इसमें जवाब जरूर मिलेगा ।” अगस्त्य ने कहा और उस किताब को खोलकर पढ़ने लगा । सालों से अकेले रहने के कारण अगस्त्य की खुद से बात करने की आदत बन गई थी ।
वह किताब नरकदूत की गाईडबुक थी, जिसमें एक नरकदूत को क्या करना चाहिए और क्या नहीं, क्या वह कर सकता है और क्या नहीं कर सकता, सबकुछ लिखा था ।
“ इसमें तो ऐसा कुछ नहीं है । इसका मतलब, मैं ऐसे इन्सान के साथ डील नहीं कर सकता, जो मरने की इच्छा रखता हो ।” अगस्त्य ने खुद से कहा ।
तभी एकाएक उसके कानों में साराक्षी के चिल्लाने की आवाज़ सुनाई पड़ी । उसने अपनी आंखों को पैना करके दीवारों के पार देखा, तो साराक्षी उसके दरवाज़े के सामने खड़ी थी ।
“ तू है कौन बे. तूने मुझे पहचानने से इन्कार कर दिया । मुझे. । साराक्षी देशमुख को. । अबे साले मैं इंडिया की नम्बर वन एक्ट्रेस हूँ. ।”
साराक्षी दरवाज़े पर खड़ी अपना गुस्सा निकाल रही थी । अगस्त्य को बर्दाश्त नहीं था, कि इन्सान उसके सामने ऊंची आवाज़ में बात करें । और साराक्षी तो उसे गाली दे रही थी । अगस्त्य ने अपनी मुठ्ठी को कसा ही था कि तभी अचानक साराक्षी की आंखे बड़ी होने लगी । यह देख अगस्त्य हैरान हो गया । उसने तो उस पर कोई जादू नहीं किया था । तभी उसने देखा कि साराक्षी अजीब का मुंह बनाने लगी और फिर अगले ही पल उसने अगस्त्य के दरवाज़े पर उल्टी (Vomit) कर दी ।
यह देखकर अगस्त्य को बहुत तेज गुस्सा आया । उसने चुटकी बजाई और अगले ही पल वह साराक्षी के पीछे आ गया । साराक्षी को पता नहीं चला कि उसके पीछे अगस्त्य खड़ा है ।
“ ईयू. । मेरे हाथ. ।” साराक्षी के हाथ गंदे हो गए थे । इतना वह सम्भलती, उसका मन फिर से खराब होने लगा और एक बार फिर उसने दरवाज़े के सामने उल्टी कर दी । साराक्षी वहीं फ्लोर पर बैठ गई । उसका सिर और जोरों से घुमने लगा था । उसे कुछ भी होश नहीं था कि उसके पास कोई खड़ा भी है या नहीं. ।
वह अपनी गर्दन को गोल- गोल घुमा रही थी । उसका सिर घुमने लगा था । कुछ क्षण बाद ही वह फ्लोर पर लेट गई और बदहवास हो गई । अगस्त्य के सामने पहली बार ऐसी सिचुएशन आई थी ।
अपने दरवाज़े के आगे फैली गंदगी उसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी । उसे साराक्षी पर गुस्सा भी आ रहा था और तरस भी. । “मूर्ख इन्सान. हमेशा कीड़े- मकोड़ो की तरह ही जीते रहेंगे ।” अगस्त्य ने जमीन पर लेटी साराक्षी की ओर देखते हुए कहा ।
फिर अगस्त्य ने एक चुटकी बजाई और साराक्षी फर्श से गायब हो गई । वह अपने घर के अंदर लिविंग रूम के फर्श पर पड़ी थी । अगली ही चुटकी में अगस्त्य ने अपने दरवाज़े के सामने फैली गंदगी को साफ कर दिया ।
तभी उसकी नज़र फ्लोर पर लगे सीसीटीवी कैमरे पर पड़ी । उसने अपनी आंखों को बारीक किया और उसकी शक्तियों ने उस वक्त की सारी फुटेज को ब्लैंक कर दिया । वह नहीं चाहता था कि कुछ भी कैमरे में कैद हो ।
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अगस्त्य अपनी लाईब्रेरी में दोबारा आ गया था । उसने फिर से एक किताब निकाली और उसे पढ़ने बैठ गया । वहीं दूसरी तरफ साराक्षी फर्श पर बेहोश पड़ी थी । कई घंटो के बाद जब साराक्षी का गला सूखने लगा, तो उसकी आंख खुली । आंख खुलते ही उसने खुद को फर्श पर पाया । उसका सिर भारी हो रहा था । उसने अपने सिर पर हाथ रखा और फिर आसपास देखते हुए खुद से बोली, “मैं यहाँ कैसे आई ? आह. मेरा सिर. मुझे तो कुछ भी याद नहीं आ रहा ।”
वह लड़खड़ाते हुए खड़ी हुई और फ्रिज की ओर बढ़ी । उसने पानी की बोतल निकाली और अपनी प्यास बुझाने लगी । उसने घड़ी की ओर नज़र डाली । उस वक्त रात के तीन बज रहे थे । साराक्षी सोफे पर आकर बैठ गई । उस वक्त भी उसका सिर भारी ही थी ।
तभी उसके जहन में कुछ घंटों पहले के दृश्य घुमने लगे ।
“ क्या मैंने वोमिट की थी ।” साराक्षी ने अपने हाथों को देखा और फिर उन्हें स्मैल करने लगी ।
“ ई. । इनमें तो स्मैल है ।” साराक्षी को यकीन हो गया था कि उसने वोमिट की थी । तभी उसकी आंखे हैरानी से बड़ी हो गई ।
“ ओह गॉड इसका मतलब है, मैंने उस खडूस पड़ोसी के दरवाज़े पर. ।” यह ख्याल आते ही साराक्षी के चेहरे का रंग उड़ गया था । वह सोफे से उठी और भागती हुई दरवाज़े पर गई । उसने ऊपर की ओर देखते हुए दुआ की, “भगवान बचा लेना ।” उसने दरवाज़ा खोला और बाहर की ओर झंकते हुए देखा । उसे कुछ नज़र नहीं आया ।
जहाँ उसका सिर भारी था, वहीं टेंशन में उसकी हालत भी खराब हो रही थी । वह बाहर आई और अगस्त्य के दरवाजे के सामने खड़ी हो गई । उसने चारों तरफ देखा, लेकिन सबकुछ साफ था । वहाँ कोई भी गंदगी नहीं थी । यह देखकर साराक्षी हैरान थी ।
“ कहीं ऐसा तो नहीं, इस खडूस ने सबकुछ साफ कर दिया हो ?” साराक्षी ने मन ही मन सोचा, “लेकिन वो भला ऐसा क्यों करेगा ? कहीं मुझे ही तो कोई गलतफहमी नहीं हो रही ?”
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