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Tu hi jid meri

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Chanchal

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एक ऐसी कहानी जहां पर हमारा हीरो को अपनी ही बेटी की फ्रेंड से प्यार हो जाता है और उसे पाने के लिए वह किसी की हद तक जाता है यहां तक की जी बेटी से वह नफरत करता था उसे ब्लैकमेल भी करता है वही हमारी हीरोइन जो अनाथा है और हमारे हीरो से डरती थी वह धीरे-ध...

Total Chapters (4)

Page 1 of 1

  • 1. Tu jid meri - Chapter 1

    Words: 1181

    Estimated Reading Time: 8 min

    Kahani ka pahla chapter agar aapko pasand aaya ho to please mujhe bataiyega tabhi main aage likhane ki behtar koshish karungi

    Ab aage

    राणा विला

    सुबह के 8:00 बज रहे थे इस वक्त सभी डाइनिंग टेबल पर बैठे हुए थे और किसी के आने का इंतजार कर रहे थे तभी किसी के जूते के आवाज आती है जो की सीडीओ  से नीचे उतर रहा था यह देखकर दो बुजुर्ग जोड़े उसे तरफ देखते हैं और साथ में एक 18 साल की लड़की जो वहीं पर बैठे हुए थी

    वह अपनी नजरे उठाकर सीधी की तरफ नहीं देख रही थी सिर्फ उनकी आवाजों को सुन पा रही थी वह आदमी जब डाइनिंग टेबल पर उसे लड़की को देखा है तो उसकी आंखें गुस्से से लाल हो जाती है और वह गुस्से से गेट की तरफ जाने लगता है तभी एक बुजुर्ग आदमी उसे रोकते हुए कहता है हर्षित कहां जा रहे हो बिना ब्रेकफास्ट किया

    हर्षित राणा उमर 45 साल दिखने में लगते हैं 30 साल के यह राणा एंपायर के मालिक है इनका खूब बड़ा नाम है बिजनेस में जितना यह नाम है इनका उतना ही ज्यादा यह खतरनाक है

    हर्षित राणा पीछे मोड़ते हुए अपने पिता विजय जी की तरफ देखते हैं और कहते हैं मुझे भूख नहीं है

    विजय जी हर्षित को जाते हुए फिर से रोकते हुए रहते और इसका कारण जान सकता हूं मैं वही सुनकर हर्षित के गुस्से से हाथों की मिट्टी बन जाती है और वह गुस्से से पीछे मुड़कर उसे लड़की की तरफ देखकर कहता है

    आपको वजह पता है फिर भी अगर मेरे मुंह से दोबारा सुनना चाहते हैं तो सुनिए आपकी लाडली पोती है इसकी वजह क्योंकि मैं इस दुनिया में अगर किसी से नफरत है  तो इस लड़की से

    सुन लिया nafrat Hai mujhe isase aur iske Rahane se

    वहीं डाइनिंग टेबल पर बैठी लड़की अपने पिता की बातों को सुनकर अपनी आंखों से बहते हुए आंसू को नहीं रोक पाती है और वह तेजी से बहने लगते हैं वही उसके पास बैठी उसकी दादी कावेरी राणा गुस्से में अपने बेटे की तरफ देखने लगती है और तेज आवाज में रहती है यह मत बोलो कि यह तुम्हारा अंश है

    हर्षित गुस्से से कहता है इसी बात का अफसोस है कि यह मेरे अंश है वरना आज यह जिंदा नहीं रहती इसकी वजह से मैंने अपनी पत्नी को खोया है और जिस चीज ने मेरी पत्नी को खोया वह कभी भी मेरे प्यार के काबिल नहीं हो सकती नफरत इसके लिए हमेशा जिंदगी भर रहेगी

    वही आर्य राणा हर्षित की बेटी रोते हुए अपने कमरे की तरफ चली जाती है वहीं उसकी जाने के बाद हर्षित भी गुस्से में अपने ऑफिस के लिए निकल जाता है और साथ ही मैं उन दोनों की जाने के बाद विजय और कावेरी जी एक दूसरे को देखते हैं

    कावेरी जी अफसोस के साथ रहती है पता नहीं इन दोनों की जिंदगी में वह पल कब आएगा और वह इंसान कौन होगा जो इन दोनों को एक साथ प्यार करना सीख पाएगा और हर्षित के दिल से आर्य के लिए नफरत मिटा पाएगा और आर्य के लिए जो अपने दिन में हर्षित ने नफरत पाल रखी है वह बुनियाद है नलिनी की मौत एक हादसा थी यह बात हर्षित को क्यों समझ में नहीं आती

    विजय जी गहरी सांस लेते हुए कहते हैं बहुत जल्दी यह बात उसे भी समझ में आ जाएगी और कोई ना कोई तो होगा जो यह बात उसे समझा सके और आप इस बात को अब और ज्यादा ना सोचिए

    वही आर्य का रूम आर्य रोते हुए अपनी मां की फोटो को देख रही थी और कहती है क्या गलती कर दी मां मैंने जो पापा इतना ज्यादा नफरत करती है क्या आप ने मुझे बचा कर कोई गलती की काश आप मुझे उसे वक्त उसे हादसे से नहीं बचाती तो आज आप जिंदा होती और अगर आप जिंदा होती तो शायद पापा मेरे जाने के बाद मुझे प्यार करते मगर यहां तो वह मुझसे प्यार नहीं बल्कि नफरत करते हैं क्या यह नफरत कभी मिट पाएगी

    तभी आर्य का फोन बचता है और आर्य अपनी आंखों से बहते हुए आंसू को पहुंचती है और फोन उठाते ही उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है दूसरी तरफ से चहकतीं हुई आवाज आती है कहां है मेरी    जान और कितना टाइम लगेगा तुम्हें आने में तुम्हें पता है ना आज हमें घूमने जाना है

    आर्य मुस्कुराते हुए कहती है हां मेरी जान आ रही हूं वही आर्य की आवाज सुनकर दूसरी तरफ से लड़की रहती है तुम आज फिर रोई हो क्या तुम्हारे उसे खडूस डेविल पिता ने कुछ कहा है

    यह सुनकर आर्य की मुस्कुराहट गायब हो जाती है और वह उदास होते हुए कहती है युवंशी आज मेरी वजह से पापा फिर से नाराज होकर चले गए और आज उन्होंने फिर ब्रेकफास्ट नहीं किया है क्या वह कभी मुझसे प्यार करेंगे

    वही युवंशी हमारी कहानी की हीरोइन मुस्कुराते भी कहती है रिलैक्स इतना ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है भले ही तेरे को खतरनाक पिता तुझे प्यार ना करता हो मगर कोई और तो है जो तुझसे प्यार करता होगा तो तू उसके लिए अपने चेहरे पर हमेशा मुस्कुराहट बना कर रख और जल्दी से आजा मेरी जान क्योंकि मैं और वेट नहीं कर सकती अगर तू नहीं आई तो मैं खुद ही चली जाऊंगी

    आर्य चिल्लाते हुए फोन पर रहती है खबरदार जो तूने अकेले जाने की कोशिश की वैसे भी कुछ दिनों में हमारा पेपर स्टार्ट होने वाले हैं उससे पहले थोड़ा सा मस्ती तो बनती है वरना पेपर के टाइम में तो हमारी बैंड बजाना पक्की है

    युवंशी हंसते हुए कहती है रिलैक्स में हूं ना तेरे साथ अगर तू कुएं में कुदेगी तो मैं कौन सा तुझे अकेले कूदने दूंगी वैसे भी अगर नंबर आएंगे तो दोनों की ही खराब आएंगे और आएंगे तो दोनों की ही अच्छे आएंगे क्योंकि दोनों एक ही साथ जो पड़ेगी यह कहकर युवंशी हंसने लगती है

    आर्य रहती है ठीक है आ रही हूं और वैसे भी हमें पहले मंदिर जाना है भगवान जी को प्रसाद चढ़ाना है ताकि पेपर अच्छा जाए तो युवंशी मुंह बनाते हुए कहती है उसके लिए मेहनत भी करनी पड़ेगी मेहनत के बिना भगवान जी फल नहीं देंगे बच्चा

    आर्य मजाक में रहती है ठीक है मां जैसा आप कहो

    युवंशी नाराज होते हुए कहती है खबरदार जो मुझे अपनी मां कहा तो तुम्हारे उसे खडूस पिता की कोई पत्नी बनने वाली नहीं हूं जो तुम मुझे मां कह रही हो और तुम्हारे पिता की उम्र भी अच्छी है जो मुझ जैसी मासूम सी बच्ची को बलि चढ़ाना चाहती हो

    आर्य  नाराज होते हुए कहती है खबरदार जो मेरे पापा के बारे में ऐसा कहा तो वह मुझसे ही खाली नफरत करते हैं बाकी सब से वह प्यार से बात करते हैं और सबके लिए प्यार है और तुम मेरी मां बन भी गई तो मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है कितना अच्छा होगा मुझे भी मेरी उम्र की मां मिलेगी यह कहकर वह हंसने लगती है

    क्या इन दोनों की हंसी मजाक में कहीं बातें होगी सच और क्या होगा जब यह बात होगी सच क्या दोनों की दोस्ती पर कोई पड़ेगा असर

  • 2. Tu jid meri - Chapter 2

    Words: 1785

    Estimated Reading Time: 11 min

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    अब आगे


    आर्य जैसे ही तैयार होकर नीचे आती है तो उसे सामने बैठे हुए अपने दादा-दादी दिखते हैं वही आर्य को नीचे आता हुआ देखकर वह दोनों एक दूसरे को देखते हैं फिर दादी मां आर्य की तरफ देखकर कहती है तुम कहां चली आर्य




    आर्य मुस्कुराते हुए कहती है खुशी से उछलते हुए मैं जा रही हूं अपनी दोस्त युंवशी के पास दादी मां



    दादी मां मुस्कुरा देती है युवंशी का नाम सुनकर क्योंकि उन्हें भी पता था एक युवंशी है जो आर्य की इस जिंदगी में खुशियां ला सकती है उन्हें पता था कि इन दोनों की दोस्ती कितनी ज्यादा गहरी है और दोनों एक दूसरे को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करती है




    दादाजी कहते हैं ठीक है तो तुम कुछ बॉडीगार्ड को भी अपने साथ लेकर जाना अपनी सेफ्टी के लिए तो यह सुनकर आर्य उदास होते हुए कहती है इसकी कोई जरूरत नहीं है हम दोनों मंदिर जा रहे हैं और मुझे नहीं लगता हमें वहां पर कोई सेफ्टी की जरूरत है और वैसे भी आपको पता है ना यह सब पापा को पसंद नहीं है फिर भी आप यह ना करें मेरे लिए




    विजय राणा थोड़े गुस्से में रहते हैं उसे हमें मतलब नहीं है उसे क्या पसंद है क्या पसंद नहीं हमें अपनी पोती की परवाह है और तुम हमारा कहना नहीं मानोगे तो हम आपसे गुस्सा हो जाएंगे आर्य




    आर्य गले लगाते हुए विजय की कहती है ओके दादू आप जो कहेंगे हम खुशी से करेंगे आपको हम थोड़े ही गुस्सा दिला सकते हैं एक आप ही तो हो जो हमसे इतना ज्यादा प्यार करते हो यह सुनकर विजय जी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है





    फिर आर्य विजय जी से दूर होते हुए कहती है मगर हम बॉडीगार्ड के साथ जाएंगे मगर वह हमसे दूरी पर ही सेफ्टी करेंगे क्योंकि हम नहीं चाहते इन सब से युवंशी ऑकवर्ड फील करें आपको पता ही है उसका रहना सी एकदम नॉर्मल है और इतनी ज्यादा लोगों को अपने पास देकर वह नर्वस हो जाती है




    दादाजी मुस्कुराते हुए कहती है ठीक है मैं बॉडीगार्ड्स को ऑर्डर दे दूंगा वह तुम लोगों को दूर से ही प्रोटेक्ट करें जब तक तुम दोनों को उन लोगों की जरूरत ना हो वह तुम्हारे करीब ना जाए यह सुनकर आर्य मुस्कुराते हुए उन दोनों को बाय बोलकर चली जाती है




    आर्य के जाने के बाद कावेरी जी मुस्कुराते हुए कहती है युवंशी कितनी प्यारी बच्ची है ना विजय मेरा तो दिल करता है कि उसे अपने घर की बहू बना लूं यह सुनने के बाद विजय जी का चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है और वह कहते हैं तुम क्या कह रही हो वह मासूम सी 18 साल की बच्ची है और तुम अपनी उसे पागल बेटे के लिए उसे चाहती हो




    वही है सुनाने के बाद कावेरी जी मुंह बनाते हुए कहती है क्या मैं आपको पागल दिखती हूं जो आपके खडूस बेटे के लिए उसे मासूम सी बच्ची को चूनूंगी मैं तो सोच रही थी कि काश आर्य हमारा पोता होती तो कितना अच्छा होता और मैं उसकी शादी युवंशी से करवा देती तो हमें कितनी प्यारी पोता बहू मिल जाती





    विजय जी मुस्कुराते हुए कहते हैं ख्याल तो आपके अच्छे हैं मगर इसके अलावा भी एक और रास्ता है उसे अपने पास रखने का क्यों ना हम उसे भी अडॉप्ट कर ले यह सुनकर तो कावेरी जी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है और कहती है बड़ी ही प्यारी बात करी है आज की आप कितने सालों में अकाल मंडी की कोई बात की है




    विजय जी मुस्कुराते हुए कहते हैं तो ठीक है वापस आने के बाद हमारे ट्रिप से हम इस बारे में युवंशी से बात कर लेंगे और वह जरूर इस बारे में मान जाएगी और हम दोनों उसे गोद ले लेंगे वही कावेरी ही सुनकर मुस्कुराने लगती है फिर कुछ सोचते हुए कहती है क्यों ना हम हर्षित को कहे कि वह युवंशि को गोद ले ले





    विजय जी थोड़े गुस्से में रहते हैं आप इतनी ज्यादा बेवकूफी वाली बात क्यों कर रही है पहले ही आपका बेटा अपनी बेटी से इतना ज्यादा नफरत करता है तो और किसी को क्या संभालेगा और प्यार देगा वह अपने काम से ही फुर्सत नहीं रख पाता इस तो अच्छा है हम दोनों ही युवंशी को गोद ले ले और उसे अपने घर में ही रख ले इसे आर्य   के साथ बहुत ही ज्यादा कंफर्टेबल हो जाएगी और उसे अकेला भी महसूस नहीं होगा




    कावेरी जी मुस्कुराते हुए कहती है तो ठीक है आने के बाद इस बारे में सोचेंगे और वैसे भी आपने क्या सोचा है कल तो हम कैसे जाएंगे कल हमें जाना है और शायद कल से ही आर्य का पहला पेपर है तो क्या हम उसके लिए कोई ट्यूटर या कोई हायर कर दे जो उसको पूरे 24 घंटे ख्याल रख सके





    विजय जी कह रही सच में सोते हुए कहते हैं ठीक है मैं इस बारे में आज शाम को ही अपने मैनेजर से बात कर लेता हूं और आर्य के लिए कोई केयरटेकर अरेंज करता हूं जो आर्य की ख्याल और उसकी हेल्थ का ध्यान रख सके क्योंकि हर्षित से इसकी उम्मीद लगाना बेफिजूल की बात है




    बस स्टैंड पर


    मौसम में छाई हुई थी खुशहाली और चल रही थी हवा तेज जिसमें एक लड़की अपनी दुपट्टे को संभालने की कोशिश कर रही थी उसका दुपट्टा बार-बार उसके कंधे से हटके नीचे गिर रहा था इसी वजह से वह बहुत ही ज्यादा चूड़ी हुई थी




    तभी वह अपने दुपट्टे को मासूमियत से देखते हुए कहती है तुम इतनी ज्यादा बदमाश क्यों हो तुम क्यों हमारे को परेशान कर रहे हो तुम एक जगह क्यों नहीं टिक सकते क्या हम तुम्हें पसंद नहीं है जो ऐसे बार-बार उड़ रहे हो यह कहकर वह मुस्कुराने लगती है उसके मासूमियत और उसकी बातों से आसपास के लोग भी मुस्कुराने लगते हैं





    तभी वहां पर हमारी प्यारी सी आर्य आते हुए कहती हैं वह महारानी क्या खुद से ही बातें कर रही है अब क्या हो गया है तुझे जो खुद से ही बातें करने में लग चुकी है





    वही हमारी युवंशी पीछे मुड़कर आर्य को देखते हुए खुशी से कहती हमें तो लगा था आज नहीं आप परसों ही आ पाएंगे महारानी साहिबा यह सुनकर तो आर्य का मुंह बन जाता है और कहती है चुप ड्रामा बाज़ चलो अब चलते हैं जल्दी से



    यह सुनकर युवंशी चारों तरफ देखकर कहती है क्या तुम्हारा कोई बॉडीगार्ड नहीं दिख रहा आज



    तो आर्य रहती है मुस्कुराते हुए आज उन सब की छुट्टी है यह सुनकर तो युवंशी खुशी से चकहते हुए कहती है यह काम तो तुमने बाद ही अच्छा किया वह कल-कल मुझे डंडे जैसे दिखने वाले बल बुद्धि जब देखो जब हमारे सर पर आत्मा की तरह घूमते रहते हैं और हम मजा भी नहीं कर पाते






    यह सुनने के बाद आर्य की हंसी ही छूट जाती है और वह हमारी प्यारी सी मासूम सी युवंशी को देखकर कहती है मुझे नहीं पता था तुम उन कल में संडे जैसे दिखने वाले बॉडीगार्ड थे इतनी ज्यादा चिढ़ती हो




    तुम्हें कभी भी अब उन्हें अपने साथ नहीं लाऊंगी जिस चीज से तुम्हें तकलीफ होगा मैं कभी भी नहीं करूंगी यह कहकर वह मुस्कुराने लगती है



    तो युवंशी भी मुस्कुराते हुए उसका हाथ पकढ़ते हुए बस की तरफ दौड़ते हुए कहती है चलो अब बस आ चुकी है हम बस में ही चलेंगे आज और खूब मस्ती करेंगे क्योंकि कल से तो हमारी लंका लगने वाली है क्योंकि हमारे जो बोर्ड एग्जाम शुरू है




    मंदिर आने के बाद दोनों प्रार्थना करती है पूजा करती है और आर्य सबको मिठाइयां और दान दक्षिणा देता है उसके बाद दोनों मंदिर की परिक्रमा करने चली जाती है आर्य अपने मन में एक ही विश मांगती है कि मुझे सिर्फ मेरे फैमिली का साथ और मेरे पापा का प्यार चाहिए जो मेरे से छिन चुका है भगवान जी उसके अलावा में आपसे कभी कुछ नहीं मांगूंगी



    युवंशी भी विश मांगती है मासूमियत में ही कि मुझे एक प्रोटेक्टिव और केयरिंग हसबैंड चाहिए जो मेरे लिए ही हो सिर्फ उसे ही प्यार करें और मुझे एक ऐसी फैमिली चाहिए जो मुझे बेइंतहा प्यार करें आप तो जानते ही हो भगवान जी की बचपन से आज तक मैं परिवार का प्यार क्या होता है यह जाना ही नहीं है तो आप मेरी विश्व पूरी करो


    वही मंदिर के पास ही अचानक से तेज हवाओं के कारण वहां पर बेलपत्र उड़ कर गिरने लगते हैं और उसी के चारों ओर परिक्रमा दोनों की दोनों लड़कियां कर रही थी


    दोनों दोस्ती एक साथ तो विष मांग लेती है मगर उन्हें यह नहीं पता था भगवान जी उन दोनों की विश्व अब किस रूप में पूरी करने वाले हैं क्या दोनों की विश्व एक दूसरे से जुड़ी हुई निकलेंगे याद यह विश्व दोनों की जिंदगी में लेगी कोई नहीं तूफान इनकी दोस्ती पर






    पूरे दिन मस्ती मजाक करने के बाद जहां आर्य अपने घर जाती है तो घर पर आती है तो देखी है कि उसके दादा-दादी कहीं जाने के लिए तैयार थे यह देखकर वह दौड़कर उनके पास जाती है और घबराते हुए पूछता है आप दोनों कहां जा रहे हैं हमें बिना बताए





    तो विजय जी कहते हैं कहीं नहीं हम एक ट्रिप पर जा रहे हैं जो बहुत ही जरूरी है वरना आपको भी हम साथ ले जाते अगर आपका पेपर नहीं होता आर्य यह सुनकर आर्य मायूस होते हुए कहती है



    तो क्या हम यहां पर अकेले ही रहेंगे अब तो यह सुनकर विजय जी मुस्कुराते हुए कहते हैं ऐसी बात नहीं है जब तक हम आ नहीं जाते तब तक आप हमारे कुछ छोटे से घर में रह सकती है जो आपको बहुत ज्यादा पसंद है वहां पर आप अपनी दोस्त को भी बुला सकती हैं



    वही यह सुनकर आर्य मुस्कुराते हुए अपने दादाजी के गले लगाते हुए कहती है थैंक यू सो मच दादाजी हमें पता था आप हमारा ध्यान बहुत अच्छे से रखेंगे और हमसे प्यार भी तो इतना ज्यादा करते हैं




    आपके अलावा कौन हमें प्यार करता है यह सुनकर दादा दादी का चेहरा मायूसी ने बदल जाता है दादी जी सबके मुंह को हल्का करने के लिए कहती है और हम है जो आपसे प्यार करने के लिए क्या आपको हमारा प्यार नहीं दिखता यह सुनकर तो आर्य के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है





    वहीं उन दोनों के जाने के बाद आर्य चुपचाप अपने कमरे में चली जाती है उसके जाने के बाद आर्य अपने फोन को निकाल कर युवंशी को सभी चीज बता देती है कि कल वह लोग उसके फेवरेट हाउस जाएंगे युवंशी में खुश हो जाती है यह सुनकर





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  • 3. Tu jid meri - Chapter 3

    Words: 1753

    Estimated Reading Time: 11 min

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    अब आगे

    आज आर्य का पेपर था पहले इसलिए वह बहुत ही ज्यादा एक्साइटेड थे और थोड़ी उदास भी थी क्योंकि ना कि दादा दादी थी ना ही उसके पापा कम से कम वह उन्हें देख तो लेती थी मगर आज तो वह ब्रेकफास्ट पर भी नहीं आए थे इसी वजह वह बहुत अच्छे से जानती थी




    तभी आर्य का फोन बचता है और वह फोन की तरफ देखकर मुस्कुराने लगती है क्योंकि उसे पर युवंशी नाम शो हो रहा था यह देखकर वह जल्दी फोन उठाते हुए कहती है हां बोलो मेरी बटरफ्लाई क्या हुआ तुम्हें




    युवंशी हल्के गुस्से और नाराजगी से कहती है तुम्हें कितना टाइम लगेगा तुम्हें पता है हमें बोर्ड के एग्जाम के लिए केंद्र भी जाना पड़ेगा अब यहां से सेंटर कितना ज्यादा दूर है और जाने में टाइम लगेगा इसे अच्छा तो हम तुम्हारी गाड़ी की जगह बस से चलते हैं टाइम पर पहुंच जाएंगे बच्चों के साथ



    आर्य घड़ी में टाइम देखी है तो सुबह के 8 बज चुके थे और उन लोगों को 10 तक सेंटर एंट्री करके अपनी क्लास में जाना होगा एग्जाम देने के लिए वरना वह उन्हें अंदर घुसने भी नहीं देंगे आर्य घबराते हुए कहती है


    ठीक है मैं आ रही हूं क्योंकि उसे पता था अगर वह लेट हुई तो उसके पापा तो वैसे ही मदद करने वाले नहीं है और दादा-दादी डर गई है किसी काम से परेशान करेंगे नहीं



    बस स्टॉप


    आर्य का इंतजार करते-करते युवंशी को 15 मिनट हो चुके थे वह अपनी घड़ी में टाइम देख रही थी वही उसे कब से पास ही में खड़े लड़के घुर-घूर कर देख कर सिटी मार रहे थे वही यह देखकर युवंशी घबरा भी रही थी मगर हिम्मत करके खड़ी हुई थी




    तभी उन लड़कों के सर पर आकर एक लकड़ी का डंडा लगता है तो वह लोग उस में उसे तरफ देखते हैं तो वहां पर एक लड़की खड़ी हुई थी स्कूल ड्रेस में और उसका मुंह गुस्से से खुला हुआ था वही युवंशी भी उसी तरफ देखती है तो उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है क्योंकि वहां पर आर्य खड़ी हुई थी अपने हाथ में एक और डंडा लेकर




    आर्य गुस्से से उन लड़कों की तरफ देखकर कहती है अगर अपनी  खैरियत तो चाहते हो तो सही सलामत पैरों पर जाना चाहते हो तो अभी के अभी यहां से निकालो वरना सभी के सामने तुम्हारी कुटाई करने में मुझे टाइम नहीं लगेगा और बड़े आए मेरी फ्रेंड को छेड़ने वाले शक्ल देखी है अपनी बंदरों जैसे लगते हो छछूंदर कहीं के




    वही वह लड़के गुस्से से आर्य को देखने लगते हैं क्योंकि अभी सभी उन पर हंस रहे थे आसपास के लोग और वह गुस्से में वहां से जाते हुए आर्य और युवंशी को देखते हुए रहते तुम लोगों को हम अच्छे से सबक सिखाएंगे देख लेना वही युवंशी यह सुनकर गुस्से में रहती है अगर तुम लोगों ने मेरी फ्रेंड को जरा भी चोट पहुंचाने की कोशिश की तो बची कोच्ची पसली में तुम्हारी एक कर दूंगी कमीने कहीं के





    आर्य मुस्कुराते हुए युवंशी को देखकर कहती है उसके पास आकर बस कर मेरी शेरनी अब ज्यादा हाईपर होने की जरूरत नहीं है चल जल्दी बस आ चुकी है और हमें सेंटर भी पहुंचना है पेपर के लिए अगर यही पर इन लोगों से लड़ते रहे तो हमारा पेपर तो गया काम से मैं यह सुनकर युवंशी भी अपना सर हमें हिला देती है और वह लोग बस में चढ़ जाते हैं





    वही वह लड़के भी उनके पीछे-पीछे चले जाते हैं बिना उनकी नजरों में आए इस बात से बेखबर होकर आर्य युवंशी मजे में अपने नोटिस को पढ़ भी रही थी और साथ में एक दूसरे के साथ मस्ती मजाक कर रही थी क्योंकि उन्हें 1 घंटे से ऊपर लगने वाला था अपने केंद्र पहुंचने के लिए




    तभी पीछे बैठे लड़कों का ग्रुप में जो सबसे बड़ा उनका हेड था वह कहता है अच्छा है अपने घर से ज्यादा डर जाएंगे उतना ही इन्हें सबक सिखाने में मजा आएगा सबके सामने बेज्जती की है ना तो किसी के सामने शक्ल दिखाने नहीं छोड़ेंगे दोनों को बहुत ही ज्यादा अकड़ रही थी ना दोनों





    तभी उसका चमचा कहता है सही कह रहे हो बस और वैसे भी लगता है यह दोनों स्कूल की स्टूडेंट है और शायद किसी परीक्षा केंद्र जा रही है और कितनी अच्छी बात है ना क्योंकि इन लोगों की परीक्षा जहां तक अंदाजा है तीन चार बजे खत्म होगी जब माहौल एकदम शांत होगा तो हमें पकड़े जाने का भी डर नहीं रहेगा




    यह सुनकर सभी डेविल इस्माइल करने लगते हैं वही बस वाला बस इस टॉप पर रुकता है क्योंकि सभी का स्टॉप आ चुका था आर्य और युवंशी भी उतरकर सीधा वहां से एक रिक्शा लेती है क्योंकि 10 मिनट की दूरी पर ही उनका स्कूल का केंद्र था जहां पर उन्हें परीक्षा के लिए जाना था




    वही युवंशी को महसूस होता है जैसी की कोई गाड़ी उनका पीछा कर रही है यह महसूस करके वह पीछे देखी है तो उसकी सांसे गहरी होने लगती है और वह डरते हुए आर्य की तरफ देखकर कहती है आर्य लगता है


    हमारा कोई पीछा कर यह सुनकर आर्य भी अपनी गाड़ी में आ रहे लोगों को देखते हैं तो उसकी भी आंखों में डर था मगर वह युवंशी के लिए थोड़ी सी मजबूत होते हुए कहती है चिंता मत करो कुछ नहीं होगा सेंटर आने वाला है



    और वहां पर भीड़ होगी इस वक्त क्योंकि हम पहले ही पहुंच चुके हैं तो हमें जब तक वहां पहुंचेंगे तब तक हमारे जो अंदर जाने का टाइम हो चुका होगा




    यह सुनकर  युवंशी थोड़ा परेशान होते हुए कहती है मगर हमारे पेपर होने के बाद हम घर कैसे जाएंगे क्योंकि यह लोग तो तब भी यही खड़े रहेंगे तो कहीं यह हमसे बदला तो लेने नहीं आए हैं और हम घर से इस वक्त इतनी दूर है कि हमारी मदद के लिए भी कोई नहीं आ सकता



    यह सुनकर आर्य कुछ सोचती है और फिर सामने बैठे बुजुर्ग काका से कहती काका क्या आपका फोन मिल सकता है यह सुनकर काका मुस्कुराते हुए कहता है क्यों नहीं क्योंकि उन्होंने भी उन दोनों बच्चों को परेशान होते हुए देखा था



    आर्य कुछ सोच कर पहले तो सोचती है कि अपने पापा को फोन करें मगर उसे पता था कि वह उसकी बातों पर विश्वास नहीं करेंगे और शायद उससे बात करना भी पसंद ना करें इसलिए वह अपने दादा का नंबर मिला देती है




    मैं दूसरी तरफ विजय जी किसी काम से बैठे हुए थे और उनके साथ कुछ लोग बैठे हुए बातें कर रहे थे तभी उनका फोन रिंग करता है तो वह अपने फोन को उठाते हैं और किसी अनजान नंबर को देखकर वह बिना देरी के फोन उठा लेते हैं और कहते हैं हेलो



    तो आर्य उधर से घबराते हुए कहती है दादू वही उसके घबराहट सुनकर विजय जी की आंखें सिकुड़ जाती है और वह आर्य से कहते हैं तुम्हें क्या हो गया तुम इतनी ज्यादा क्यों घबरा रही हो आर्य क्या कुछ कहा है हर्षित नहीं या कुछ हुआ है




    आर्य रहती है दादू प्रॉब्लम हो गई है इस वक्त आपकी मदद चाहिए यह सुनकर विजय जी कहते क्या प्रॉब्लम हो गई हमें बताओ तो आर्य उन्हें सभी बात बताने लगते हैं




    विजय जी गहरी सांस लेकर कहते हैं कितनी बार कहा है तुम्हें बिना गॉड्स के बाहर मत जाया करो मगर तुम लोग सुनती कहां हो रुको मैं तुम्हारी मदद के लिए किसी को बोलता हूं और वैसे भी आज कुछ दिनों बाद ही तुम्हारे पर्सनल बॉडीगार्ड आएगा




    विजय जी बहुत देर सोचने के बाद किसी को फोन करते हैं तो दूसरी तरफ से एक रौबदार और सख्त आवाज आती है किस लिए अपने फोन किया है पापा अगर कोई जरूरी काम नहीं है तो मुझे मीटिंग में फोन मत कीजिएगा दोबारा




    विजय जी इस बार शक्ति से कहते हैं हर्षित हर बार मुझे अपना एटीट्यूड दिखाने बंद करो जरुरी काम है इसलिए तुम्हें फोन किया है मुझे कोई शौक नहीं है तुम्हें परेशान करने का आज तुम क्या जाकर आर्य को उसे केंद्र से ले आ सकती हूं परीक्षा के




    मैं यह सुनकर हर्षित गुस्से से कहता है और मैं आपका यह कहना क्यों मनु आपको पता है उसे लड़की की शक्ल से ही मुझे नफरत है फिर भी आप उसे मुझे लाने को बोल रहे हैं क्या आपके पास कोई और लोग नहीं है जो उसे लड़की को लेकर आ सके




    विजय जी सीरियस होते हुए कहते हैं हर्षित बात सीरियस है यह कहकर वह आर्य की बातों को उसे बताने लगते हैं कि सुनकर हर्षित की आईब्रो सिकुड़ जाती है और वह कुछ नहीं कहता वही विजय जी कहते हैं बात आर्य के साथ-साथ उसके दोस्त युवंशी की भी है



    वह उसके साथ है अगर बात खाली आर्य की होती तो हम बॉडीगार्ड को बोल देते उसे सेफ्ली ले जाए मगर युवंशी इतनी ज्यादा जिद्दी है कि उसे कोई मन नहीं सकता तुम्हारे से थोड़ा डरती है इसलिए हमने तुम्हें कहा है कहीं दोनों बच्चों के साथ कोई गड़बड़ हुई तो हम तुम्हें माफ नहीं करेंगे



    वही हर्षित के कानों में सिर्फ युवंशी का नाम शहर की तरह घुल रहा था जैसे कि पता नहीं किसी ने कोई मोहित मंत्र उसके कानों में बोला हो जिसे पूरी तरीके से मोहित हो चुका हो युवंशी का नाम पता नहीं क्यों आज हर्षित के दिल में अचानक से किसी के लिए हलचल पैदा करने पर मजबूर कर रहा था




    मि विजय जी हर्षित का जवाब नहीं मिलता है तो वह गुस्से से कहता तुम मेरी बात सुन रहे हो कि नहीं जाओगे कि नहीं यह हम खुद ही आ जाए इतनी देर में लाइट लेकर




    हर्षित शांत भाव से कहता है आपको आने की जरूरत नहीं है मैं खुद इस मामले को हैंडल कर लूंगा मैं खुद लेने जाऊंगा उन लोगों को यह कहकर वह फोन काट देता है वहीं विजय जी हैरानी से फोन को देखते हुए कहते हैं इसे क्या हो गया इतनी जल्दी बात मान ली मुझे तो लगा एक-दो घटे इसके साथ बहस करना पड़ेगा





    फिर मुस्कुराते हुए कहती है चलो कुछ तो असर हो रहा है लगता है धीरे-धीरे प्यार के एहसास तो जाग रहे हैं इसमें वही विजय जी को क्या पता किसके लिए एहसास जाग रहे हैं जो आगे चलकर उनके लिए मुसीबत बनेंगे यह खुशियों का कारण




    नेक्स्ट चैप्टर में मुलाकात होगी हर्षित और युवंशी



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  • 4. Tu jid meri - Chapter 4

    Words: 1801

    Estimated Reading Time: 11 min

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    गैस आप अपने कमेंट करके मुझे बताया करो क्योंकि मेरी पहली स्टोरी है मुझे समझ नहीं आता कि मैं स्टोरी सही लिख रही हूं या नहीं आपका सपोर्ट की जरूरत है बस



    अब आगे

    राणा कॉरपोरेशन

    इस वक्त हर्षित अपने  केबिन में बैठे हुए बस विजय जी की बातों को सोच रहा था उसके दिल में सिर्फ एक ही नाम था और वह था युवंशी का


    जैसे ही हर्षित धीरे से अपने मुंह से युवंशी का नाम लेता है तो उसके दिल की धड़कन फिर से धड़कने लगती है जो उसकी पत्नी नीलम के जाने के बाद किसी के लिए नहीं धड़कता था आज उसमें जान महसूस हो रही थी सिर्फ एक लड़की के नाम से



    वही यह महसूस करके हर्षित गुस्से से अपने हाथों की मुट्ठी बनाते हुए कहता है क्यों तुम उससे जुड़ी हुई हो जिससे मैं सबसे नफरत करता हूं और तुम्हारा ख्याल मेरे दिल में आने से मेरा दिल इतना बेचैन और इतना ज्यादा धड़कने क्यों लगा है तुम सिर्फ मेरे लिए एक लड़की हो बस जिसकी मैं मदद कर रहा हूं उसे अलावा कुछ नहीं





    यह कहकर हर्षित अपने अपने कोर्ट को पहनते हुए उसके एक बटन को लगाते हुए अपनी फोन को अपने इंजन में डालता है और दूसरे हाथ को अपनी पैंट की पॉकेट में डालते हुए बड़े ही एरोगेंटली अपनी केबिन से निकलता है वही उसे केबिन से निकलता देखकर सभी एंपलॉयर जल्दी से इस ग्रीट करने लगते हैं जो आसपास काम कर रहे थे




    हर्षित सीधा पार्किंग में आकर अपनी गाड़ी में बैठे हुए कहता है ड्राइवर से जल्दी से गाड़ी जितनी जल्दी हो अपनी मैडम के उसे स्कूल में ले लो जहां वह पेपर देने गई है यह सुनकर ड्राइवर शौक होकर हर्षित को मिरर से देखा है तो हर्षित अपनी सख्त आवाज में कहता है तुम्हें मेरी बात सुनाई नहीं दी है या तुमने मेरी बातों को सुनकर भी अनसुना करने का हिम्मत की है



    ड्राइवर डरते हुए कहता है सॉरी सर ऐसा कुछ नहीं है मैं अभी गाड़ी को आगे बढ़ाता हूं यह कहकर गाड़ी ड्राइवर आर्य के स्कूल के केंद्र की तरफ ले लेता है जहां पर वह परीक्षा देने के लिए गई थी




    हर्षित अपने लैपटॉप में काम करने की कोशिश कर रहा था मगर उसका ध्यान बार-बार युवंशी के नाम पर ही जा रहा था और उसका दिल यूवशी के बारे में सोने को मजबूर हो रहा था जबकि दिमाग युवंशी के ख्यालों को दूर रखने को कह रहा था




    पहली बार दिमाग से ज्यादा दिल जीत रहा था हर्षित को यह सोचकर गुस्सा आ रहा था वह गुस्से में अपने लैपटॉप को बंद कर रहा है और अपने सर को सीट पर पीछे की तरफ दिखाकर गहरी सांस लेता है जब उसे कंट्रोल नहीं होता तो अपनी शिकार को निकाल कर उसे जलाकर की कष्ट लेने लगता है



    ताकि वह उसे लड़की के ख्यालों को दूर कर सके और उसकी ख्यालों को दोबारा से मन में ना ले मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था बार-बार उसके ख्याल हर्षित की दिल में बहुत ही ज्यादा गहरी जगह बनते जा रहे थे




    ड्राइवर की स्किल की वजह से वह लोग 1 घंटे का रास्ता 30 मिनट में ही कंप्लीट कर लेते हैं ड्राइवर गाड़ी से बाहर उतारते हुए कहता है सर हम आ चुके हैं वही सुनकर हर्षित अपने आंखों को खोलकर सामने स्कूल को देखा है जो दिखने में बड़े ही खूबसूरत के साथ एलिगेंट था





    सारी सुविधा थी वहां पर बाहर से दिखाने पर तो लग ही रहा था मगर अंदर का हाल उसे नहीं पता था वही हर्षित स्कूल को देखने के बाद अपनी कार से बाहर निकलता है और सीधा अपनी नजर चारों तरफ घूम कर देखने लगता है





    तभी उसकी नजर चाय की टपरी पर बैठे हुए कुछ टपोरियों पर पड़ती है जो बार-बार स्कूल की ही तरफ देखकर कुछ बातें कर रहे थे यह देखकर उसकी आंखें छोटी हो जाती है और वह ड्राइवर को गाड़ी के अंदर जाने को बोलता है और अपने कदम उसे टपरी पर ले जाता है चाय की




    चाय की टपरी पर जैसे ही हर्षित पहुंचता है तो उसे उन गुंडे मवाली जैसे दिखने वाले आदमियों की आवाज आने लगती है जो की स्कूल की ही तरफ देख रहे थे वह उनसे थोड़ी सी दूरी बनाकर बैठ जाता है क्योंकि वह अभी पूरी तरीके से सच नहीं जानता था उसे पूरी तरीके से जाना था कि यह वही लोग है या दूसरे लोग जो उसे लड़की को परेशान कर रहे थे जिसका नाम सुनकर उसके दिल में फीलिंग आ रही है



    जैसे ही वहां बैठता है तो चाय वाला उसके पास आते हुए पूछता है सब क्या आपको चाय चाहिए यह देखकर हर्षित उसकी तरफ देखकर कहता है नहीं तुम जाओ यहां से वही सुनकर चाय वाला बिना कुछ कहे चल जाता है क्योंकि वह हर्षित के कपड़ों को देखकर ही समझ चुका था कि कोई  अमीर आदमी है




    हर्षित अपने फोन को खोलकर उसमें स्क्रोल करने लगता है उसकी नजर भले ही फोन पर थी मगर उस का ध्यान बड़े ही गौर से उन लोगों की बातों पर था जो सामने की तरफ बैठे हुए थे गुंडे मवाली लोग




    तभी वहां पर वह चाय वाला आते हुए उन गुंडो से कहता है आप काफी देर से यहां बैठे हुए हैं क्या साहब आपको कोई काम नहीं है क्या चाहे का ऑर्डर भी नहीं दिया है अभी तक आपने दोबारा ऊपर से आपको कई घंटे हो चुके हैं या बैठे हुए अगर कोई काम नहीं है तो आप यहां से जा सकते हैं क्योंकि आपकी वजह से बाकी लोगों को तकलीफ हो रही है मेरे ग्राहक ऐसे ही आपकी वजह से काम आ रहे हैं





    यह सुनकर गुंडे का बॉस कहता है ज्यादा चिक चिक मत कर साले वैसे भी ज्यादा कुछ नहीं कर रहे थे तुम्हारी यहां पर बैठकर कौन सा तुम्हारा कुछ ले रहे हैं थोड़ी देर बैठे ही है तो और वैसे भी हम किसी का इंतजार कर रहे हैं एक बार वह बाहर आ जाए तो कौन सा हम यहां बैठने वाले हैं यह कहकर वह स्कूल की तरफ देखने लगा






    चाय वाला कहता है अगर आप किसी का इंतजार कर रहे हैं तो जाकर वहां करिए यहां पर क्यों कर रहे हैं तो गुंडे कहता है अब भाऊ समझने की कोशिश करो ना यहां पर हमारे रिश्तेदार के बच्चे पेपर देने आए हैं तो हम उनका इंतजार करत है एक बार वह आ जाए तो हम यहां से खुद ही है जाएंगे यह सुनकर चाय वाला कहता है अच्छा ऐसी बात है तो कोई बात नहीं बैठे रहो





    जब बच्चे बाहर आ जाएगी तब चले जाना वैसे भी शाम का टाइम हो चुका है और पेपर खड़े हो चुका होगा वह देखो बच्चों भी निकलने लगे हैं लगता है आप जिसका इंतजार करें वह भी बाहर आने वाले हैं देखिए कहीं भीड़ में कहीं निकल ना जाए





    मैं यह सुनकर हर्षित भी अब स्कूल की भीड़ की तरफ देखने लगता है और लड़कियों को आते हुए देख रहा था जो की पेपर कैसा गया कैसा नहीं यह बात करते हुए आ रही





    गुंडे में से एक कहता है चलो जल्दी-जल्दी देखते हैं इतनी भीड़ में कहीं छोकरिया निकाल के हमारे हाथों से ना चली जाए यह सुनकर हर्षित गुस्से में उन सभी को देखने लगता है मगर कुछ नहीं कहता और सीधा उठकर अपनी जगह से कर की तरफ चला जाता है क्योंकि वह कार के पास रख कर ही उन दोनों को देख सकता था




    गुंडे लोग भी एकदम गेट के पास जाकर खड़े हो जाते हैं थोड़ी सी दूरी बनाकर क्योंकि वहां पर पुलिस वाले भी थे उनका ध्यान अंदर स्कूल के था क्योंकि परीक्षा की वजह से बच्चों को अंदर से निकलने में ज्यादा तकलीफ हो रही थी कई सेंटर के बच्चे यहां पर आए थे पेपर देने के लिए




    कक्षा के अंदर


    आर्य और युवंशी का भी पेपर हो चुका था युवंशी अपने सामान को समेट रही थी कि तभी आर्य उसके पास आकर उसके पीछे से गले लगाते हुए कहती है कैसा गया तुम्हारा पेपर युवंशी मुस्कुराते हुए कहती है बहुत ही ज्यादा अच्छा जैसा सोचा था मैंने




    आर्य रहती है चलो अच्छा मेरा भी पेपर अच्छा गया है चलो अब हमें चलना चाहिए शाम होने वाली है वैसे भी घर टाइम पर पहुंचना होगा यह सुनकर युवंशी घबराते हुए आर्य की तरफ देखकर कहती है मगर कहीं वह लोग बाहर हुए तो



    आर्य युवंशी को शांत करते हुए कहती है चुप हो जाओ घबराने की जरूरत नहीं है मैंने दादाजी को फोन कर दिया था किसी न किसी को उन्होंने तो भेज दिया होगा और जो भी आया होगा तो जरूर हमें लेकर सही सलामत ही जाएगा इतना तो भरोसा रख मुझ पर




    युवंशी यह सुनते ही खुद को शांत करती है और आर्य के साथ मुस्कुराते हुए क्लास से बाहर निकलती है और सीधा अपने रास्ते को तय करते हुए दोनों गेट तक पहुंच जाते हैं जहां पर अभी भी बच्चों की थोड़ी सी ही भीड़ थी ज्यादा नहीं पहले के मुकाबले




    आर्य और युवंशी एक दूसरे से बात करते हुए जा रही थी कि तभी जैसे ही वह गेट से थोड़ी दूरी पर आती है कि तभी उनके सामने वह गुंडे का ग्रुप आ जाता है यह देखकर आर्य और युवंशी एकदम से चौंक जाती है वहीं युवंशी घबराते हुए सामने देखती है पकड़ आर्य के हाथों पर कस जाती है




    गुंडे का बॉस कहता है देखो कैसे अब झांसी की रानी से दोनों की दोनों भीगी बिल्ली बन गई है बहुत ज्यादा हीरोइन बन रही थी दोनों की दोनों अब देखो कैसे हमारे सामने डर के मारे एक दूसरे से चिपकी हुई है




    जरा सालियों को तो पकड़ो और ले चलो यहां से जरा दूर सबक सिखाने के लिए इन्हें भी तो पता चले हम लोगों से पंगा लेने का अंजाम क्या होता है फिर वह युवंशी की तरफ देखकर कहता है और इस काली को तो मैं ही बुझाऊंगा बहुत ही ज्यादा खीली हुई है




    युवंशी की तरफ जैसे ही अपने हाथों को उसकी दुपट्टे की तरफ बढ़ता है कि बीच में कोई उसके जाकर उसके हाथों को बड़े बेदर्दी से मोड़ देता है उसकी चीखने की आवाज जब आर्य और युवंशी के कानों में जाती है तो दोनों की आंखें खुलती है आर्य सामने वाले इंसान को देखकर हैरान हो जाती है



    युवंशी की पकड़ आर्य के हाथों पर से ढीली हो जाती है और सामने खड़े इंसान की तरफ वह एक तक देखने लगती है जिसने अभी उन लोगों को बचाया वही उनके सामने खड़ा इंसान पीछे से पलट कर युवंशी की आंखों में देखा है तो युवंशी की आंखें अपने आप ही नीचे हो जाती है यह देखकर उसके चेहरे पर डेविल इस्माइल आ जाती है





    तभी युवंशी अपनी नज़रें हिम्मत करके उठाकर सामने की तरफ देखती है तो




    कहानी पसंद आए तो लाइक कमेंट शेयर सब्सक्राइब कीजिएगा और कमेंट में बताइएगा कि सामने खड़ा इंसान कौन है