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Jinn शहजादी

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Shayna choudhary

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यह पूरी कहानी दो हिस्सों में चलती है — एक तरफ़ राघव की नई ज़िन्दगी, और दूसरी तरफ़ सरिता का लालच और पतन। आइए इसे आसान भाषा में, पूरे नरेटिव (कथात्मक) रूप में समझते हैं 👇 --- कहानी का सार – आसान वर्णनात्मक रूप में राघव एक गरीब मज़दूर था, लेकिन किस्मत...

Total Chapters (63)

Page 1 of 4

  • 1. Cop officer - Chapter 1

    Words: 497

    Estimated Reading Time: 3 min

    एक शानदार होटल के कमरे में, कुछ बदमाश एक दरवाज़े के बाहर खड़े थे। कमरे के अंदर से, एक लड़का और लड़की की आवाज़ें आ रही थीं, जो शायद मस्ती कर रहे थे।
    पुलिसवालों ने कमरे में घुसने का फैसला किया। उन्होंने दरवाज़े का ताला तोड़ दिया और "हाथ ऊपर!" चिल्लाते हुए अंदर घुस गए।

    लड़की डर गई और खुद को चादर से ढक लिया, जबकि लड़का हैरान रह गया। पुलिस वालों ने उन्हें कपड़े पहनने का हुक्म दिया, लेकिन जैसे ही उनकी नज़र हटी, लड़के और लड़की ने बंदूकों को पकड़ लिया और गोलीबारी शुरू कर दी।

    गोलीबारी में, पुलिस वाले घायल हो गए। लड़के और लड़की को पकड़कर एक जगह ले जाया गया, जहाँ उनसे राणा के बारे में पूछा गया।

    लड़की ने जवाब दिया कि राणा किसी का गुलाम नहीं है। पुलिस वाले गुस्से में आ गए और उन्होंने एक गर्म लोहे की रॉड से उन्हें प्रताड़ित करने की कोशिश की।

    तभी, कमरे में ज़मीन हिलने लगी और लाइट्स झपकने लगीं। लड़की ने कहा कि राणा आ गया है।

    तभी, एक लंबा-चौड़ा आदमी, राणा, मूँछों पर ताव देते हुए अंदर आया। उसने पुलिस वालों को मार डाला, जिसमें एक ने डर के मारे अपना होश खो दिया था।

    लड़का और लड़की ने राणा का अभिवादन किया। राणा और उसका आदमी देव वहाँ से चले गए।

    उनके जाने के बाद , एक घायल पुलिस वाले ने कहा कि एक दिन कोई आएगा जो राणा को हरा देगा। उसके बाद, उसने दम तोड़ दिया।


    उसी शहर में,
    एक 21 साल की लड़की, रिमझिम, अपने बिस्तर पर करवटें बदल रही थी।
    चेहरा पसीने से भीगा, साँसें तेज़।
    वो सपना देख रही थी —
    बारह साल की बच्ची
    गलती से गलत बस में चढ़ जाती है।
    बस उसे एक सुनसान गाँव में छोड़ देती है —
    जहाँ न मोबाइल है, न बिजली, न इंसानियत।
    वह बच्ची एक अजीब लड़के के घर पहुँचती है —
    पन्द्रह-सोलह साल का लड़का ।
    गाँव के सब लोग उससे डरते हैं।
    बच्ची भागने की कोशिश करती है, सबसे मदद माँगती है,
    पर कोई उसकी मदद नहीं करता। जब भी वो भागती वो लड़का उसे पकड़कर वापस ले आता ।
    वह बस उसकी ओर देखता रहता कुछ कहता नहीं।
    एक दिन छुपकर बच्ची बस स्टैंड पहुँचती है।
    जैसे ही बस में चढ़ती है, वो लड़का उसका हाथ पकड़ लेता है।
    वह रोकर कहती है — “प्लीज़, मुझे जाने दो…”
    लड़का चुप रहता है, फिर उसका हाथ छोड़ देता है।

    इतना देखते ही रिमझिम चीखकर नींद से उठ बैठती है।
    उसकी माँ दौड़कर आई और बोली फिर वहीं सपना देखा बेटा
    रिमझिम काँप रही थी।
    माँ ने कहा — सब ठीक है, वो दस साल पुरानी बात है।”

    रिमझिम अपनी माँ से लिपट गई।
    और फिर वो उठी, स्टडी रूम में गई, डायरी खोली, और लिखने लगी —
    उसकी माँ उसे कॉफ़ी देकर बोली “एक बार सोने की कोशिश तो करो।”
    रिमझिम बोली में “कोशिश करती हूँ, माँ… पर नींद नहीं आती।”
    ये सुनकर माँ की आँखें भर आईं, पर कुछ कह न सकी।


    ---

  • 2. Cop officer - Chapter 2

    Words: 887

    Estimated Reading Time: 6 min

    उसी शहर में

    एक 21 साल की खूबसूरत लड़की अपने बेड पर करवटें बदल रही थी।

    चेहरे पर पसीना, साँसें तेज़।

    वह एक सपना देख रही थी —

    एक बारह साल की बच्ची गुस्से में घर से भागती है…

    गलती से गलत बस में बैठ जाती है…

    बस उसे एक वीरान गाँव में छोड़ देती है।

    जहाँ मोबाइल, बिजली, इंसानियत – सब नदारद।

    वह बच्ची एक अजीब लड़के के घर पहुँचती है —

    पन्द्रह-सोलह साल का, खामोश लेकिन खतरनाक नज़रों वाला।

    पूरा गाँव उससे डरता है।

    वह लड़की भागने की कोशिश करती है, मदद माँगती है,

    पर कोई उसकी मदद नहीं करता।

    हर बार पकड़कर वही लड़का उसे वापस ले आता है।

    वह बस उसकी ओर देखता है, कुछ कहता नहीं।

    फिर एक दिन वह लड़की भागती है,

    बस स्टैंड पहुँचती है…

    और जैसे ही बस में चढ़ती है, वही लड़का उसका हाथ पकड़ लेता है।

    वह रोते हुए कहती है — “प्लीज़, मुझे जाने दो…”

    लड़के की नज़रें बदल जाती हैं — वह उसे छोड़ देता है।

    इतना देखते ही रिमझिम चीखते हुए नींद से उठ बैठती है।

    उसकी माँ दौड़कर आई — “क्या हुआ बेटा? फिर वही सपना?”

    रिमझिम के चेहरे पर डर साफ़ था।

    माँ ने कहा — “अब सब ठीक है, वो सब बीते दस साल पुरानी बात है।”

    रिमझिम ने सिर झुकाया, माँ से लिपट गई।

    लेकिन नींद टूट चुकी थी।

    वह उठी, स्टडी रूम में गई, और अपनी डायरी खोलकर लिखने लगी —

    हर रात की तरह… वही सपना, वही दर्द।

    माँ ने कॉफ़ी दी, कहा — “एक बार सोने की कोशिश तो करो।”

    रिमझिम बोली — “कोशिश तो करती हूँ, माँ… पर नींद नहीं आती।”

    माँ की आँखें भर आईं, लेकिन वह कुछ नहीं कर सकी।

    ---

    दूसरी ओर, राणा का अड्डा फिर जीवित था।

    वही लैला-मजनू, अब भी घायल होकर एक-दूसरे को चूम रहे थे।

    देव ने मुस्कुराकर कहा —

    “इन दोनों को तो गोलियों से ज़्यादा प्यार ने घायल किया है।”

    राणा ने डॉक्टर बुलाने का आदेश दिया —

    “इन दोनों का इलाज करो… मेरे लोग टूटें नहीं, दुश्मन टूटें।”

    राणा के पास फ़ौज नहीं थी — बस बारह लोग थे।

    लेकिन उन बारह की निष्ठा, सौ लोगों से भारी थी।

    हर कोई जानता था —

    राणा से जो टकराया, वो बच नहीं पाया।
    सरल और सीधा कथा (माइक्रोड्रामा के लिए)

    छह महीने में आठवें पुलिस वाले की क्रूर मौत ने पूरे शहर में हलचल मचा दी थी। हर अखबार और चैनल पर राणा की कहर की खबरें छाई रहतीं। राणा का नाम सुनते ही शहर भर में डर फैल जाता — वह एक ऐसा आदमी था जिसकी हरकतों से पुलिस भी असहाय थी। लोग उसे “मौत का फ़रिश्ता” कहते थे।

    राणा के चलते चैनलों की टीआरपी बढ़ी और उसके सहायक उसे जैसे किसी फिल्म के हीरो की तरह देखते थे। राणा का मकसद साफ़ था: पुलिस वालों को निशाना बनाना और उनका नामोनिशान मिटा देना।

    इसी बीच रिमझिम अग्रवाल, एक क्राइम रिपोर्टर, हर सुबह ऑफिस के लिए निकलती। उसके माँ-पिता मयंक और सरिता उसे बहुत चाहते थे, पर सरिता घबराती रहती थी कि रिमझिम क्राइम रिपोर्टिंग के काम के लिए कमजोर है। मयंक ने सोचा था कि यही काम उसे उसके डर से बाहर निकाल देगा।

    ऑफिस में तरुण, रिमझिम के पिता का पुराना मित्र और उसका बॉस, चैनल की टीआरपी बढ़ाने के लिए हर रिपोर्टर पर दबाव बढ़ा रहा था। रिद्धिमा, एक तेज रिपोर्टर, राणा की कवरेज से चैनल के लिए सफलता ला चुकी थी और बाकी लोगों के बीच रिमझिम की कोई साख नहीं थी। तरुण ने सबको एक महीने का अल्टीमेटम दे दिया: राणा के बारे में यूनिक—सबूत के साथ—खबर लाकर दिखाओ, वरना नौकरी जाएगी। रिमझिम को भी यही काम सौंपा गया।

    रिमझिम शर्मीली और घबराई हुई थी। सहकर्मी उसका मज़ाक उड़ाते और उसे कमजोर कहते। तरुण की कड़ी बात सुनकर वह दुखी होकर टॉयलेट में रोती, फिर खुद को संभालकर मीटिंग की तैयारी करने लगती। उसके पिता मयंक ने तरुण से बात कर रखी थी—यह मिशन रिमझिम को मजबूत बनाने का जरिया है।

    दूसरी तरफ़, राणा अपने वफादार देव को पुलिस अधिकारियों की सूची दे रहा था। देव ने बताया कि ए.सी.पी. एजाज़ अहमद की शादी आने वाली है — राणा ने फैसला कर लिया कि यही मौका है: शादी के दिन उस ए.सी.पी. को मार कर वह पुलिस पर और भय बढ़ाएगा। राणा के दिमाग में रिमझिम का बचपन का चेहरा भी बार-बार आता रहता था — एक बार वह उसे अपने घर में फँसे हुए याद करता है।

    तरुण ने शाम को मीटिंग बुलाई और सभी रिपोर्टर्स को एक-एक कर काम बाँट दिए। हर किसी के मन में डर बैठ गया — राणा की खबर ढूँढना मतलब खुद मौत से खेलना था। रिमझिम को समूह में कोई नहीं लेना चाहता था, पर उसने ठान लिया कि वह अपने डर को हराकर कुछ करेगी।

    कथा यहीं एक घातक मोड़ पर रुकती है: राणा अपनी योजना के साथ शादी की तरफ़ बढ़ रहा है, देव होशियारियों से जानकारी जुटा रहे हैं, और रिमझिम अपने भीतर हिम्मत जोड़कर राणा की पत्रकारिता कर दिखाने की कोशिश में लग जाती है। शहर में डर और उम्मीद दोनों एक साथ उड़ रहे थे — भय के बीच एक छोटी-सी लड़की अपनी असली पहचान साबित करने की जद्दोजहद कर रही थी।

    (खतरे की आभा बनी रहती है — अगला सीन राणा की योजना के अंजाम या रिमझिम की पहली ठोस ख़बर पर केंद्रित किया जा सकता है।)
    ---

  • 3. Cop officer - Chapter 3

    Words: 657

    Estimated Reading Time: 4 min

    यह पूरा सीन अगर माइक्रोड्रामा (यानी छोटे, सरल और इमोशनल नरेटिव ड्रामा) के रूप में बताया जाए, तो इसे इस तरह से सरल नैरेशन में समझा जा सकता है 👇


    ---

    नैरेटिव (सरल रूप में माइक्रोड्रामा के लिए):

    रिमझिम घर आते ही फूट-फूटकर रो पड़ी। उसकी आवाज़ सुनकर उसके माता-पिता घबरा गए। मयंक जी को पहले से ही अंदेशा था कि तरुण की डांट के बाद रिमझिम यही करेगी — घर आकर रोएगी और शिकायत करेगी। इसलिए उन्होंने पहले से ही ढेर सारे समोसे मँगवा रखे थे।

    जैसे ही समोसे रिमझिम के सामने रखे गए, उसका मूड एकदम बदल गया। आँसू रुक गए और वह समोसों पर टूट पड़ी। एक साथ छह–सात समोसे खा लिए। खाना खत्म करते ही फिर वही शरारती अंदाज़ — पापा से तरुण की शिकायत और बदला लेने की ज़िद।

    मयंक जी ने हँसते हुए कहा कि वे खुद तरुण से मिलने वाले हैं, और तब देखना उसकी कैसी क्लास लगाते हैं। रिमझिम तुरंत मुस्कुराई, पापा को गले लगा लिया, और अपने कमरे में चली गई।

    सरिता जी को ये सब देखकर चिंता हुई। उन्होंने कहा, “ये सब कब तक चलेगा? आखिर कब बड़ी होगी हमारी बेटी?”
    मयंक जी मुस्कुराए, “अभी इतनी जल्दी क्या है? उसे जीने दो। जो उसने सहा है, उसके बाद अगर वो थोड़ी बचकानी हरकतें करती है, तो करने दो। वो अभी भी अपने डर से जूझ रही है।”
    सरिता चुप हो गईं, क्योंकि वो जानती थीं कि पति सही कह रहे हैं।

    थोड़ी देर बाद, रिमझिम अपने कमरे में गहरी नींद में सो चुकी थी — चश्मा पहने, पैर आधा बेड से बाहर। सरिता मुस्कुराईं, उसका चश्मा उतारा, पैर ठीक किया और कंबल ओढ़ा दिया।
    मयंक बोले, “अब क्या करूँ, मुझे तो इससे बात करनी थी, पर इसे उठाने का मन ही नहीं कर रहा।”
    सरिता ने कहा, “मत उठाइए, ना जाने कब इसकी नींद आई है। और वैसे भी आपने इसे 12 समोसे खिला दिए हैं!”

    दोनों हँस पड़े। मयंक ने कहा, “अब बेटी तो सो गई है, आप ही मेरे साथ कॉफी पी लीजिए।”
    दोनों अपने छोटे से गार्डन में बैठकर कॉफी पीने लगे।

    इधर, दूसरी ओर राणा अपनी अगली चाल चल रहा था — उसने अपने आदमी देव को बुलाया और एसीपी आज़ाद अहमद की शादी की पूरी जानकारी मांगी। सब कुछ देखकर राणा मुस्कुराया और बोला,
    “मीडिया को बुलाओ। मैं चाहता हूँ, इस शादी में आज़ाद अहमद की मौत पूरी दुनिया लाइव देखे!”

    देव डर गया, क्योंकि वह जानता था कि राणा कभी किसी को आसान मौत नहीं देता।

    उधर, पुलिस मुख्यालय में कमिश्नर ने सभी अधिकारियों को बुलाकर राणा के खिलाफ मिशन शुरू किया। उन्होंने तीन रहस्यमयी एजेंट नियुक्त किए, जिनकी पहचान कोई नहीं जानता था।

    मीटिंग खत्म हुई, पर एसीपी आज़ाद को अंदाज़ा नहीं था कि उसी की शादी के दिन कुछ बड़ा होने वाला है।

    रात में रिमझिम को फिर बुरा सपना आया। वह डर के मारे उठ बैठी। उसके पापा दौड़कर आए और बोले, “बेटा, ऐसे कब तक डरोगी? अगर ज़िंदगी से डरकर बैठी रहोगी तो आगे कैसे बढ़ोगी?”
    रिमझिम की आँखों में आँसू थे। लेकिन इस बार उसके पापा ने उसे रोने नहीं दिया। उन्होंने कहा, “अगर तरुण ने तुम्हें काम दिया है, तो पूरा करो। राणा की जानकारी लाओ। तुम कर्नल की बेटी हो, डरना तुम्हें शोभा नहीं देता।”

    पहली बार रिमझिम को लगा कि उसके पापा को उस पर भरोसा है। उसने कहा,
    “पापा, मैं वादा करती हूँ, अब कभी आपको निराश नहीं करूँगी।”

    मयंक जी की आँखें भर आईं। उन्होंने बेटी को गले लगाया और मुस्कुराए।
    फिर बोले, “तीन दिन बाद मेरे दोस्त अनवर अहमद के बेटे की शादी है। वहीं चलेंगे।”
    उन्हें नहीं पता था — वही शादी राणा की अगली साज़िश का केंद्र बनने वाली है।


    ---

    यह रूप माइक्रोड्रामा के लिए परफेक्ट है —

    संवाद सीमित हैं,

    दृश्य परिवर्तन सरल हैं,

    भावनाएँ साफ़ और समझने योग्य हैं,

    और क्लिफहैंगर भी मौजूद है।


    क्या चाहें कि मैं इसे अगली बार डायलॉग फॉर्म (ऑडियो शो स्क्रिप्ट) में बदल दूँ — जैसे Pocket FM शैली में?

  • 4. Cop officer - Chapter 4

    Words: 759

    Estimated Reading Time: 5 min

    बिलकुल 👇 यहाँ पूरे सीन को सरल नैरेटिव (कथात्मक) तरीके में समझाया गया है ताकि यह माइक्रोड्रामा स्टाइल में इस्तेमाल किया जा सके — यानी कहानी का फ्लो सीधा, छोटा और भावनात्मक लगे:


    ---

    नैरेटिव रूप में (सरल वर्शन):

    हॉस्पिटल के इमरजेंसी वार्ड के बाहर सरिता, मयंक और तरुण बेचैन खड़े थे। अंदर रिमझिम को एडमिट किया गया था। वह डर के मारे बेहोश हो गई थी। जब उसने वीडियो क्लिप में राणा की आँखें देखीं, तो उसे अपने बचपन की वह भयानक यादें ताज़ा हो गईं। वही राणा, जिसने 12 साल की उम्र में उसका अपहरण किया था।

    रिमझिम को वह आँखें आज तक याद थीं — वही नज़रें जो उसने आखिरी बार बस में चढ़ते समय देखी थीं, जब राणा ने उसका हाथ पकड़कर धमकी दी थी कि अगर उसने कुछ बताया, तो वह उसे और उसके माता-पिता को मार डालेगा।

    डॉक्टर बाहर आए और बोले —
    “घबराइए मत, आपकी बेटी ठीक है। उसे सिर्फ़ बहुत ज़ोर का शॉक लगा है।”

    सरिता ने राहत की साँस ली, लेकिन मयंक गहरे सोच में थे। तरुण ने चिंता जताई कि राणा के केस में रिमझिम को शामिल करना ठीक नहीं होगा। पर मयंक का कहना था कि अगर रिमझिम अपने डर का सामना करेगी, तभी वह उस ख़ौफ़ से बाहर निकलेगी।

    जब रिमझिम को होश आया, तो उसने अपने पापा को देखा और घबरा गई। कुछ कहना चाहती थी, पर राणा की धमकी याद आते ही चुप हो गई। उसने झूठ बोल दिया — “पापा, पहली बार किसी क्रिमिनल को देखकर डर गई थी।”

    मयंक मुस्कुराए —
    “मेरी बहादुर बेटी ऐसे नहीं डरती। अब तो तुम्हें बड़े-बड़े क्रिमिनल का सामना करना है।”

    घर लौटकर मयंक ने तय किया कि वह रिमझिम को अपने दोस्त ACP आज़ाद अहमद की शादी में लेकर जाएंगे, जहाँ बहुत से पुलिस अधिकारी आने वाले थे। उन्हें विश्वास था कि यह माहौल देखकर रिमझिम में हिम्मत लौट आएगी।

    लेकिन रिमझिम के मन में तूफ़ान चल रहा था। वह जानती थी कि राणा अब भी ज़िंदा है। उसने अपने कमरे में बंद होकर अपनी पुरानी डायरी खोली — हर डायरी में राणा की वही खतरनाक आँखें बनी थीं। उसे डर था कि अगर उसने सच्चाई बताई, तो उसके माँ-बाप की जान चली जाएगी।

    शाम को मयंक ने दरवाज़ा खटखटाया —
    “चलो बेटा, शॉपिंग करने चलना है। कल शादी है।”

    रिमझिम मन मारकर तैयार हो गई।

    उधर, दूसरी तरफ़ राणा अपने गैंग के बीच गुस्से में घूम रहा था। उसके लोग मज़ाक कर रहे थे, लेकिन जैसे ही राणा कमरे में दाख़िल हुआ, सब खामोश हो गए। राणा के चेहरे पर सख़्ती थी, पर उसकी आँखों में एक पल के लिए किसी पुराने चेहरे की झलक आई — वही नन्ही लड़की जिसका अपहरण उसने किया था।

    उसने सिर झटका, अपनी बंदूक उठाई और गुस्से में फायर कर दिया —
    “मेरे गैंग में प्यार-मोहब्बत की बातें नहीं चलेंगी!”

    सभी डर से काँप उठे। तभी उसकी एक साथी, लैला, रोते हुए उसके पैरों में झुक गई। उसने कहा —
    “राणा, हमें सजा दे दो, पर अपनी टीम से मत निकालो। तुमने मेरी इज़्ज़त और जान दोनों बचाई थी।”

    राणा कुछ पल उसे देखता रहा। उसकी आँखों में उस रात का खून और दर्द दोनों झलक रहे थे। उसने उस वक़्त किसी जमींदार की हत्या की थी, जिसने उस लड़की की इज़्ज़त लूटने की कोशिश की थी।

    वही लड़की आज उसकी गैंग में थी। लेकिन राणा के दिल में मोहब्बत के लिए कोई जगह नहीं थी। उसने हथियार उठाया और कहा —
    “राणा की ज़िंदगी में बस खून है… प्यार नहीं।”

    उधर मॉल में, रिमझिम अपने माता-पिता के साथ पहुँची। उसका मन बहुत बेचैन था। साड़ी ट्रायल के दौरान अचानक लाइट चली गई। चारों ओर अंधेरा छा गया। रिमझिम डर के मारे काँप उठी — उसे लगा जैसे कोई फिर से उसके पास आ गया हो।

    किसी को पता नहीं था कि उसी मॉल में राणा भी मौजूद था। उसने खुद बिजली कटवाई थी ताकि सीसीटीवी फुटेज बंद हो जाए। वह ACP आज़ाद अहमद की हत्या की तैयारी कर रहा था।

    कुछ मिनटों बाद लाइट आई, लेकिन रिमझिम के चेहरे का रंग उड़ चुका था। सरिता ने हँसते हुए कहा —
    “अरे झल्ली! आधी साड़ी में बाहर आ गई? चल, मैं तेरी मदद करती हूँ।”

    रिमझिम बस मुस्कुराई, पर उसके भीतर डर अब भी ज़िंदा था। उसे नहीं पता था कि कल की वही शादी उसकी ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदलने वाली थी…


    ---

    अगर आप चाहें, मैं इसे ऑडियो शो माइक्रोड्रामा स्क्रिप्ट (संवाद + पॉज़ + टोन गाइडेंस) के रूप में भी बना दूँ ताकि यह Pocket FM या YouTube नरेशन की तरह सुनाई दे।
    क्या ऐसा बनाऊँ?

  • 5. Cop officer - Chapter 5

    Words: 683

    Estimated Reading Time: 5 min

    यह पूरा सीन अगर माइक्रोड्रामा के लिए आसान नैरेटिव (कथात्मक) रूप में लिखा जाए तो इसे इस तरह से बताया जा सकता है👇


    ---

    रिमझिम सुबह जल्दी ही ऑफिस पहुँच गई थी। उसे देखकर तरुण हैरान रह गए — उन्हें उम्मीद नहीं थी कि वह इतनी जल्दी वापस काम पर आएगी। उन्होंने प्यार से पूछा,
    "कैसी हो बेटा?"

    रिमझिम बोली, “अंकल, मैं अब ठीक हूँ। मुझे आपसे ज़रूरी बात करनी थी।”

    तरुण ने मुस्कुराकर कहा, “बोलो बच्चा, क्या बात है?”
    तब रिमझिम ने कहा, “मैं राणा के केस पर काम करना चाहती हूँ।”

    यह सुनते ही तरुण हैरान रह गए। उन्हें यकीन नहीं हुआ कि रिमझिम खुद किसी क्रिमिनल केस पर काम करने की इच्छा जता रही है। फिर उन्होंने कहा, “अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें रिद्धिमा के ग्रुप में भेज सकता हूँ। उनके पास राणा की सारी इनफॉर्मेशन है।”

    रिमझिम थोड़ी असहज हुई, क्योंकि रिद्धिमा उसे पसंद नहीं करती थी। लेकिन उसने हामी भर दी।

    तरुण ने रिद्धिमा को बुलाया और कहा, “आज से रिमझिम तुम्हारे ग्रुप के साथ काम करेगी।”
    रिद्धिमा ने मना किया, “सर, इसे कोई काम नहीं आता, यह मेरा ग्रुप बिगाड़ देगी।”
    तरुण का लहजा सख़्त हुआ, “रिद्धिमा, यह ऑर्डर है।”

    मजबूरी में रिद्धिमा को मानना पड़ा।

    जब रिमझिम उसके ग्रुप के साथ बैठी, तो सब उसका मज़ाक उड़ाने लगे। किसी ने कहा, “यह वही चश्मिश है जिसने पिछली बार सबका काम बिगाड़ दिया था!”
    रिमझिम चुप रही।

    फिर रिद्धिमा ने ताना मारा, “अब बॉस ने ज़बरदस्ती भेज दिया है, तो तुम्हें हर काम मानना होगा। समझीं?”
    रिमझिम ने शांत होकर कहा, “मुझे राणा की सारी डिटेल्स चाहिए।”
    यह सुनकर रिद्धिमा हँस पड़ी, “तुम राणा की जानकारी लोगी? पागल हो क्या?”

    रिमझिम ने सख़्त आवाज़ में कहा, “मुझे डिटेल्स चाहिए — पूरी।”
    रिद्धिमा ने चैलेंजिंग अंदाज़ में कहा, “ठीक है! तीन दिन में राणा की फ़ोटो लाकर दिखाओ। किसी ने आज तक उसका चेहरा नहीं देखा।”
    रिमझिम ने आत्मविश्वास से कहा, “मैं लाऊँगी।”

    शाम को रिमझिम घर पहुँची। उसके माता-पिता शादी में जाने की तैयारी कर रहे थे। रिमझिम ने भी लाल-काले लहंगे में तैयार होकर सबका दिल जीत लिया। उसके पिता ने प्यार से कहा, “मेरी बेटी आज कितनी खूबसूरत लग रही है।”

    शादी में सब कुछ रॉयल और शानदार था। वहाँ पहुँचते ही उनके दोस्त अनवर मिले। उन्होंने मुस्कुराकर कहा, “वाह, इतनी खूबसूरत बेटी को अब दिखा रहे हो!”

    अनवर ने रिमझिम से कहा, “बेटा, जाकर दुल्हन को नीचे बुला लाओ।”
    रिमझिम ऊपर गई, पर जैसे ही दुल्हन की सहेलियों ने उसका मज़ाक उड़ाया — “अरे चश्मिश लड़की!” — वह दुखी होकर वापस लौटने लगी।

    सीढ़ियों पर अचानक वह किसी से टकरा गई।
    वह कोई और नहीं, बल्कि राणा था।

    राणा ने उसे गिरने से बचा लिया। उसके एक हाथ ने रिमझिम की कमर थाम ली थी। दोनों की नज़रें मिलीं — राणा की आँखें डरावनी थीं, पर उनमें उस पल एक अजीब-सा दर्द भी था।

    रिमझिम के आँसू राणा के हाथों पर गिरे।
    धीरे-धीरे उसने अपनी पलकों को उठाया और राणा का चेहरा देखा।
    राणा ने मास्क पहन रखा था।

    रिमझिम को अचानक रिद्धिमा की बात याद आई — “तीन दिन में राणा की फ़ोटो लाकर दिखाओ।”
    बस, उसी पल रिमझिम ने हिम्मत जुटाई और राणा का मास्क नीचे खींच लिया।

    राणा का असली चेहरा उसके सामने था — बेहद डैशिंग, लेकिन खतरनाक।
    राणा भी उसे चुपचाप देख रहा था।

    राणा को इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि उसके दो साथी, लैला और मजनू, पास ही मौजूद हैं। लैला ने रिमझिम को देखकर पहचान लिया — वही लड़की जिसने उसके दिए कपड़े पहने थे।

    रिमझिम के मुँह से अचानक निकला, “राणा!”
    यह सुनते ही राणा सख़्त हो गया। उसे हैरानी हुई कि यह लड़की उसका नाम कैसे जानती है।

    वह तुरंत पीछे हटा, मास्क पहन लिया और नीचे चला गया।

    रिमझिम वहीं सीढ़ियों पर खड़ी रह गई — सुन्न, डरी और हैरान। उसे अब समझ में आ गया था कि राणा वहाँ किसी बड़ी वारदात के लिए आया है…जरूर राणा तबाही मचाएगा।


    ---

    क्या चाहोगे मैं इसी नैरेटिव को माइक्रोड्रामा स्क्रिप्ट के रूप में (डायलॉग्स + नैरेशन) में बदल दूँ ताकि इसे वॉयस शो या ऑडियो ड्रामा में सीधे इस्तेमाल किया जा सके?

  • 6. Cop officer - Chapter 6

    Words: 546

    Estimated Reading Time: 4 min

    इस लंबे सीन को माइक्रोड्रामा के लिए सरल नैरेटिव रूप में इस तरह बताया जा सकता है — ताकि कहानी में इमोशन, सस्पेंस और फ्लो तो बना रहे, पर भाषा आसान और सीधी हो 👇


    ---

    राणा के सामने खाना रखा था, लेकिन उसका गुस्सा इतना बढ़ गया था कि वह एक निवाला भी नहीं खा पाया। उसका पूरा प्लान एक लड़की की वजह से खराब हो गया था — रिमझिम।

    राणा की आँखें लाल हो चुकी थीं। गुस्से में उसने अपने अड्डे पर सबकुछ तोड़फोड़ दिया। कुर्सियाँ, सोफे, दीवारें — सब पर गुस्सा उतार दिया। और फिर दहाड़कर बोला,
    “मुझे वो लड़की चाहिए, अभी के अभी!”

    उसकी टीम डर से काँप रही थी। किसी में इतनी हिम्मत नहीं थी कि उसकी आँखों में देख सके।

    देव ने खबर दी कि लड़की अस्पताल में है — वहीं जहाँ एसीपी एजाज़ अहमद एडमिट है। राणा को यह जानकर और गुस्सा आया। लेकिन उसने बस इतना कहा,
    “ठीक है, जब वो डिस्चार्ज हो, तो सीधा मेरे पास लाना।”

    रात के तीन बज चुके थे। बाकी सब सो गए, पर राणा की आँखों में नींद नहीं थी। वह अकेले ही डॉक्टर बनकर अस्पताल पहुँच गया।

    अस्पताल में पुलिस का पहरा था, लेकिन राणा बिना डरे अंदर गया। उसने सफ़ेद कोट पहना था और ट्रॉली में औज़ार रखे थे। उसका इरादा साफ़ था — आज वह रिमझिम को खत्म कर देगा।

    वार्ड के बाहर मयंक और सरिता बैठे रो रहे थे। वहीं बगल में एसीपी की नई दुल्हन फ़रीन फूट-फूटकर रो रही थी। राणा सबको देखता हुआ धीरे-धीरे रिमझिम के कमरे में पहुँचा।

    अंदर बेहोश पड़ी रिमझिम को देखकर राणा ठिठक गया। वह बहुत मासूम और सुंदर लग रही थी। पर तभी रिमझिम की टूटी-फूटी आवाज़ गूँजी —
    “राणा… मुझे छोड़ दो… छोड़ दो मेरा हाथ…”

    राणा सन्न रह गया — उसने तो उसका हाथ छुआ भी नहीं था!
    वह कुछ समझ ही नहीं पाया कि यह लड़की कौन है जो उसका नाम जानती है।

    उसी वक्त राणा ने स्क्रूड्राइवर उठाया और आगे बढ़ा, लेकिन तभी रिमझिम ने झटके में हाथ हिलाया और इमरजेंसी अलार्म बज गया।
    अचानक डॉक्टर और सब लोग अंदर दौड़े आए। राणा ने झूठ बोल दिया —
    “मरीज़ को घबराहट हुई, मैंने ही अलार्म दबाया।”

    सबने उसकी तारीफ की। मयंक ने कहा,
    “धन्यवाद डॉक्टर साहब, आपने वक्त रहते जान बचा ली।”

    राणा बस चुप खड़ा रहा। बाहर जाते-जाते उसने सुना —
    सरिता कह रही थी,
    “इस राणा ने हमारी बेटी की ज़िंदगी बर्बाद कर दी… कभी उसे चैन न मिले!”

    राणा के कदम रुक गए। उसे कुछ याद नहीं था, लेकिन “दस साल पहले के अपहरण” की बात सुनकर उसका माथा तन गया।
    वह बिना कुछ बोले बाहर निकल गया।

    बाहर पुलिस थी। एक इंस्पेक्टर खड़ा सिगरेट पी रहा था। राणा उसके पास गया, और बिना कुछ सोचे स्क्रूड्राइवर उसकी गर्दन में घोंप दिया।
    उसका पूरा कोट खून से भर गया।

    इसी बीच एक काली गाड़ी आकर रुकी। उसमें देव, लैला और मजनू थे। उन्होंने राणा को देखा — पूरा खून में सना हुआ। सबके चेहरे पर डर और हैरानी थी।

    कहानी यहीं थम जाती है — राणा का गुस्सा और रिमझिम का डर अब एक नए खेल की शुरुआत कर चुके थे।


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    क्या आप चाहेंगे कि मैं इसे ऑडियो-माइक्रोड्रामा स्क्रिप्ट (नैरेटर + डायलॉग्स के साथ) में बदल दूँ?
    इससे सीन और ज़्यादा जीवंत लगेगा।

  • 7. Cop officer - Chapter 7

    Words: 689

    Estimated Reading Time: 5 min

    यह पूरी कहानी एक माइक्रोड्रामा के नैरेटिव रूप में इस तरह से कही जा सकती है — सरल, सीधी और भावनात्मक तरीके से 👇


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    राणा ने जैसे ही रिमझिम की फाइल खोली, उसका चेहरा बदल गया।
    फाइल में कुछ खास नहीं था — बस उसके परिवार, पढ़ाई और नौकरी की बातें।
    राणा को गुस्सा आ गया। उसे उम्मीद थी कि फाइल में कुछ ऐसा मिलेगा जिससे पता चले कि रिमझिम उसे कैसे जानती है।
    लेकिन फाइल देखकर उसका सारा प्लान बिगड़ गया। उसने झटके से फाइल टेबल पर फेंकी और देव को बुला लिया।

    देव को देखते ही राणा फट पड़ा —
    “यह कैसी जानकारी है? इसमें कुछ भी नहीं! मुझे यह जानना है कि वह लड़की मुझे कैसे जानती है, इससे पहले कि मैं उसका अंत करूँ।”

    देव घबराया हुआ था। उसने धीरे से कहा,
    “सर, मैं और कोशिश करता हूँ।”
    वह जाने ही वाला था कि राणा ने उसे रोक दिया,
    “रुको! अब और जानकारी की ज़रूरत नहीं। बस यह करो कि मेरी उस लड़की से मुलाक़ात हो जाए।”

    देव हैरान रह गया — राणा पहली बार किसी लड़की से मिलने की बात कर रहा था।
    वह मन ही मन सोचने लगा, “कहीं बॉस को उस लड़की से लगाव तो नहीं हो गया?”
    फिर खुद को संभालते हुए बोला, “ठीक है सर, मैं इंतज़ाम करता हूँ।”


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    दूसरी तरफ़, रिमझिम अपने कमरे में टहल रही थी।
    तीन दिन बाद ऑफिस लौटने का फैसला करके उसने अपने माता-पिता को खुश कर दिया था।
    वह खुद से कह रही थी,
    “कब तक डरकर रहूँगी? अगर उसे मुझसे बदला लेना है, तो ले ले। हर रोज़ डर-डरकर जीने से तो बेहतर है एक बार मर जाना।”

    सुबह वह अपने माता-पिता के साथ गार्डन में बैठी चाय पी रही थी।
    पिता ने कहा, “बेटा, सब ठीक है। जा सकती हो। कोई टेंशन नहीं।”
    माँ ने मुस्कुराते हुए कहा, “बस खुश रहो, बच्चा। बाकी कुछ नहीं चाहिए।”
    रिमझिम ने हँसते हुए कहा, “माँ, आप जल्दी से मेरा लंच बना दो, मैं आज खुद लेकर जाऊँगी।”


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    ऑफिस में सबको हैरानी हुई जब रिमझिम वापस आई।
    रिद्धिमा को तो जलन हो गई थी।
    तरुण जी आए और बोले,
    “बेटा, तुम्हें अब क्रिमिनल केस नहीं करने हैं। अब तुम सिर्फ़ बिज़नेस इंटरव्यू करोगी।”

    रिमझिम मुस्कुराई, “ठीक है अंकल, मैं कर लूँगी।”

    तरुण ने उसे पाँच बिज़नेसमैन की लिस्ट दी, लेकिन एक नाम पर रोक लगा दी —
    “रणवीर प्रताप सिंह। इस आदमी का कभी किसी ने इंटरव्यू नहीं लिया। रिस्क मत लेना।”

    रिमझिम बोली, “अंकल, मैं सबसे पहले उसी को ट्राय करूँगी।”
    तरुण हैरान रह गए, लेकिन बोले, “ठीक है, कोशिश कर लो।”


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    रिमझिम ने रणवीर प्रताप सिंह के ऑफिस कॉल किया।
    फोन देव ने उठाया।
    देव जब उसका नाम सुनता है — “रिमझिम अग्रवाल बोल रही हूँ, भारत न्यूज़ से” —
    तो वह दंग रह जाता है।
    जिस लड़की की मुलाक़ात कराने का तरीका वह ढूँढ रहा था, वह खुद कॉल कर रही थी!

    देव तुरंत बोला,
    “जी, आप आज शाम छह बजे आ जाइए। रणवीर सर इंटरव्यू देंगे।”

    रिमझिम को अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हुआ।
    पहली कॉल में ही इंटरव्यू मिल गया था।
    पूरा ऑफिस खुशी से गूंज उठा।


    ---

    इधर, जब देव ने यह बात राणा को बताई,
    राणा पहले तो गुस्से में फट पड़ा, “मैंने कब किसी चैनल से बात की?”
    देव बोला, “सर, इंटरव्यू लेने वाली लड़की रिमझिम अग्रवाल है।”

    यह सुनकर राणा चुप हो गया।
    फिर उसके चेहरे पर एक ठंडी, खतरनाक मुस्कान आ गई।
    “ठीक है,” उसने कहा, “छह बजे वही लड़की यहाँ आएगी। और हाँ, पूरा फ्लोर खाली करवा दो।”

    देव समझ गया — कुछ बहुत बड़ा होने वाला है।


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    शाम के वक्त, रिमझिम अपने कैमरामैन दीपक के साथ ऑफिस के लिए निकली।
    दिल धड़क रहा था।
    यह उसका पहला बड़ा इंटरव्यू था।
    उसे क्या पता था कि जिस “रणवीर प्रताप सिंह” से मिलने जा रही है,
    वह और कोई नहीं, बल्कि वही राणा है —
    जिससे वह सबसे ज़्यादा डरती थी।


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    👉 सीन एंड

    (यह माइक्रोड्रामा के नैरेटिव रूप में लिखा गया है — हर घटना को छोटे-छोटे दृश्यों में, भावनाओं और सस्पेंस के साथ, ताकि इसे ऑडियो या शॉर्ट ड्रामा के रूप में आसानी से इस्तेमाल किया जा सके।)

  • 8. Cop officer - Chapter 8

    Words: 730

    Estimated Reading Time: 5 min

    यह पूरा सीन माइक्रोड्रामा में नैरेटिव (कथानक) रूप में इस तरह सरलता से समझाया जा सकता है👇


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    रिमझिम ने राणा का प्रस्ताव ठुकरा दिया था और कहा था कि उसे बस कुछ सवाल पूछने हैं। लेकिन राणा के चेहरे पर आई हल्की-सी झुर्रियाँ बता रही थीं कि वह इस जवाब से खुश नहीं था। देव ने भी यह महसूस कर लिया था कि बॉस का मूड खराब है।

    कुछ ही देर में देव ने स्थिति संभाली और बड़ी नर्मी से कहा कि सर ने नाश्ते का इंतज़ाम किया है, आप दोनों थोड़ा खा लीजिए फिर इंटरव्यू जारी रख लीजिएगा। देव के कहने पर रिमझिम और दीपक मान गए। वे देव के साथ अंदर गए। राणा की आँखों में एक अजीब चमक थी — जैसे उसने पहले ही तय कर लिया हो कि यह लड़की अब ज़्यादा वक्त जिंदा नहीं रहेगी।

    कमरे में तरह-तरह के पकवान सजे थे। रिमझिम और दीपक आश्चर्य से एक-दूसरे को देखने लगे। उन्हें क्या पता कि यह वही खाना था जो राणा ने विदेशी मेहमानों के लिए तैयार करवाया था, लेकिन अब उसने वह डिनर उनके लिए रख दिया था।

    राणा धीरे-धीरे कमरे में आया और रिमझिम के सामने बैठ गया। दीपक उसकी तारीफ़ करने लगा कि वह कितना विनम्र और अच्छा इंसान है। देव मन ही मन हँस पड़ा, क्योंकि वह जानता था कि असली राणा कितना ख़तरनाक आदमी है।

    राणा कॉफ़ी पीते हुए रिमझिम को घूरने लगा। रिमझिम नूडल्स खा रही थी, लेकिन जैसे ही उसने “राणा” का नाम सुना, उसका गला फँस गया। वह ज़ोर से खाँसने लगी। उसकी आँखों में आँसू आ गए। जैसे ही उसने अपना चश्मा उतारा, उसकी असली खूबसूरती उभर आई। राणा कुछ पल के लिए सब भूल गया। बिना चश्मे के रिमझिम को देखकर वह खुद को रोक नहीं पाया।

    फिर उसने मुस्कुराते हुए पूछा, “क्या हुआ मिस रिमझिम, आप ठीक हैं? राणा का नाम सुनकर तो आप यूँ बर्ताव कर रही थीं जैसे कोई अपना हो।”
    रिमझिम ने सँभलते हुए कहा, “नहीं सर, उस दरिंदे से मेरा कोई रिश्ता नहीं। मैं तो उससे सबसे ज़्यादा नफ़रत करती हूँ!”

    उसके मुँह से यह सुनकर राणा की मुट्ठियाँ कस गईं, पर उसने खुद को सँभाला। देव समझ गया कि राणा का गुस्सा अब अंदर ही अंदर सुलग रहा है।

    थोड़ी देर बाद देव ने इंटरव्यू खत्म करने की बात कही। रिमझिम और दीपक ने धन्यवाद कहा और उठ खड़े हुए। जाते-जाते राणा ने हाथ बढ़ाया। रिमझिम ने भी शालीनता से हाथ मिला लिया, पर उसी पल राणा के शरीर में एक अजीब सनसनी दौड़ गई।

    रिमझिम के जाने के बाद राणा शांत नहीं रह पाया। देव के सामने उसने कहा, “मुझे जानना है, वह मुझसे नफ़रत क्यों करती है। उसकी हर हरकत पर नज़र रखो।”

    देव डर गया, लेकिन उसने हाँ कर दी। जैसे ही वह कमरे से बाहर निकला, उसने राहत की साँस ली।

    राणा अब बेचैन था। रिमझिम का चेहरा उसकी आँखों के सामने घूम रहा था। उसने तय कर लिया — अगर आज रात तक जवाब नहीं मिला, तो वह खुद उसके घर जाएगा।

    इसी बीच, रिमझिम अपने ऑफिस पहुँची। सब लोग खुश थे, तालियाँ बजा रहे थे। तरुण ने उसकी तारीफ़ की, और घर पहुँचने पर मम्मी-पापा ने उसके लिए सरप्राइज़ पार्टी रखी थी। रिमझिम बहुत खुश थी — लेकिन उसे नहीं पता था कि बाहर एक काली कार खड़ी है जिसमें राणा के आदमी दूरबीन से उसकी हर हरकत पर नज़र रख रहे हैं।

    रात के करीब ग्यारह बजे सब चले गए। रिमझिम थकी हुई बिस्तर पर लेट गई और सो गई। घर में सब सो चुके थे। तभी राणा अपने बंगले से निकला और चुपचाप रिमझिम के घर में घुस गया।

    सिक्योरिटी पहले ही उसके आदमियों ने हटा दी थी। वह धीरे-धीरे रिमझिम के कमरे तक पहुँचा और मास्क पहनकर उसके पास बैठ गया। सोई हुई रिमझिम के चेहरे पर बालों की कुछ लटें थीं। राणा बस उसे देखता रहा — जैसे किसी अंजाने जादू में बंध गया हो।

    तभी रिमझिम नींद में बड़बड़ाने लगी — “मुझे छोड़ दो! मुझे जाने दो!”
    राणा चौंक गया। उसकी निगाह पास रखी डायरियों पर पड़ी — शायद उसी में रिमझिम के अतीत और उसके राज छिपे थे…


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    यह माइक्रोड्रामा नैरेटिव इस तरह दर्शकों को धीरे-धीरे सस्पेंस, भावना और डर की लहर में खींचता है — हर दृश्य छोटा, स्पष्ट और इमोशनल टच के साथ।
    क्या चाहो मैं इसी सीन को माइक्रोड्रामा स्क्रिप्ट (संवाद + नैरेशन) फॉर्मेट में भी बना दूँ Pocket FM स्टाइल में?

  • 9. Cop officer - Chapter 9

    Words: 612

    Estimated Reading Time: 4 min

    इस पूरे सीन को माइक्रोड्रामा के लिए आसान नरेटिव (कथात्मक) ढंग में इस तरह समझाया जा सकता है 👇


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    रिमझिम की तबीयत खराब होने के बाद, रिद्धिमा और दीपक उस इंटरव्यू के लिए रणवीर प्रताप सिंह यानी राणा के ऑफिस पहुँचे थे। रिद्धिमा जानती थी कि अगर यह इंटरव्यू सफल रहा, तो उसकी पहचान सबके सामने बन जाएगी।

    दूसरी तरफ, राणा बार-बार रिमझिम के बारे में सोच रहा था। उसे अब यह भी पता चल चुका था कि रिमझिम असल में कौन है। इसलिए वह आज उससे मिलने को बेचैन था। उसने शीशे में खुद को देखा, बालों में हाथ फेरा और चश्मा पहन लिया ताकि रिमझिम उसे पहचान न सके। लेकिन राणा को यह नहीं पता था कि आज रिमझिम नहीं, बल्कि रिद्धिमा आने वाली है।

    जैसे ही रिद्धिमा और दीपक उसके शानदार ऑफिस में पहुँचे, रिद्धिमा अंदर से खुश हो गई। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह इतनी खूबसूरत जगह पर खड़ी है। उसे लगा कि रिमझिम को बीमार करके उसने सही किया।

    जब देव मिलने आया, तो उसने पूछा कि रिमझिम कहाँ है। तब रिद्धिमा ने कहा कि वह बीमार है और उसकी जगह वह आई है। रिद्धिमा ने जल्दी से खुद को ज्यादा टैलेंटेड और सीनियर बताकर देव को प्रभावित करने की कोशिश की।

    थोड़ी देर बाद राणा बाहर आया। जैसे ही उसने देखा कि रिमझिम की जगह कोई और लड़की बैठी है, उसका चेहरा गुस्से से भर गया। राणा ने दीपक से हाथ नहीं मिलाया, रिद्धिमा से भी नहीं। रिद्धिमा के सारे सपने टूट गए। तभी देव ने बहाना बनाया कि राणा की एक जरूरी मीटिंग है और इंटरव्यू नहीं हो पाएगा।

    राणा बिना कुछ बोले वहाँ से चला गया। रिद्धिमा मायूस हो गई। उसका प्लान पूरी तरह फेल हो गया था।

    इधर, राणा अपने केबिन में जाकर गुस्से से टेबल पर मुक्का मारता है। देव उसे समझाने की कोशिश करता है कि वह बताने ही वाला था कि रिमझिम नहीं आई, पर राणा ने सुना नहीं। राणा ने देव से कहा कि उसे “खाना” चाहिए — और इसका मतलब देव अच्छी तरह जानता था।

    राणा ने सफेद कपड़े पहने, अपने औज़ार उठाए और निकल पड़ा। देव डर के मारे काँप रहा था, क्योंकि वह जानता था कि राणा अब किसी की जान लेने जा रहा है।

    राणा के ठिकाने पर दो पुलिस अधिकारी बंधे हुए थे — अरविंद कुमार और तन्मय मल्होत्रा। राणा उनके पास गया और उनके खून की बूंद को अपनी उंगली से उठाकर चाट लिया।

    उसने उनसे कहा कि उसने उन्हें इसलिए पकड़ा क्योंकि उन्होंने एक 12 साल की बच्ची के साथ गलत किया था। राणा बोला, “राणा की अदालत में गुनहगारों के लिए सिर्फ मौत है।”

    उसने दोनों के बंधन खोल दिए और लड़ने का मौका दिया। दोनों ने बचने के लिए राणा पर हमला किया, लेकिन राणा ने उन्हें बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया।

    जब तन्मय ने स्क्रूड्राइवर से राणा को घायल किया, तो राणा और भी हिंसक हो गया। उसने उसी औज़ार से तन्मय के हाथ-पैर गोद दिए। उसकी चीखें राणा के लिए संगीत जैसी थीं।

    दूसरा अधिकारी, अरविंद, यह सब देखकर डर गया। उसने अपनी गर्दन काटकर खुद अपनी जान ले ली ताकि राणा के हाथों की दर्दनाक मौत न मरे।

    राणा के चेहरे पर खून था, लेकिन उसके चेहरे पर एक सुकून-भरी मुस्कान थी। वह अब पूरी तरह “राणा” बन चुका था — खतरनाक, निर्दयी और खूंखार।


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    👉 यह नरेटिव माइक्रोड्रामा के लिए सरल, स्पष्ट और सिनेमाई ढंग से बताया गया है।
    हर सीन में घटनाओं का प्रवाह बना रहता है, ताकि दर्शक भावनाओं और घटनाओं दोनों को साथ-साथ महसूस कर सकें।

    क्या चाहोगे मैं इसे माइक्रोड्रामा डायलॉग स्क्रिप्ट में बदल दूँ (जैसे Pocket FM स्टाइल में, संवादों और बैकग्राउंड संकेतों के साथ)?

  • 10. Cop officer - Chapter 10

    Words: 704

    Estimated Reading Time: 5 min

    यह पूरा सीन एक माइक्रोड्रामा की तरह सस्पेंस और इमोशन से भरा हुआ है।
    इसे आसान नैरेटिव (कथात्मक) रूप में ऐसे समझा सकते हैं 👇


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    सुबह रिमझिम जल्दी उठी और ऑफिस जाने की तैयारी करने लगी।
    तरुण जी नीचे उसका इंतज़ार कर रहे थे।
    हालाँकि रिमझिम के माँ-बाप — सरिता और मयंक — अभी भी उसकी हालत को लेकर बहुत परेशान थे।
    कल ही उसे पैनिक अटैक आया था, और आज वह फिर से ऑफिस जाने की जिद कर रही थी।

    असल में, रिमझिम भागना चाहती थी — राणा से, उसकी यादों से, और उस डर से जो उसके दिल में फिर से जाग गया था।
    उसे राणा की आँखों में वही पुराना पागलपन दिखा था, जो दस साल पहले देखा था।
    अब वह जानती थी, राणा उसे छोड़ने वाला नहीं है।

    दूसरी तरफ़, राणा पूरी तरह उलट मूड में था।
    सुबह अपनी टीम के साथ ब्रेकफास्ट करते हुए भी वह मुस्कुरा रहा था।
    देव और लैला, जो उसे अच्छे से जानते थे, हैरान थे — राणा जैसे आदमी के चेहरे पर मुस्कान?
    उन्होंने समझ लिया कि ज़रूर कोई लड़की उसकी ज़िंदगी में आई है… और वह लड़की, रिमझिम ही है।

    लेकिन तभी सीन पलट जाता है।
    राणा अचानक दोनों के सामने पहुँचता है और ठंडी आवाज़ में कहता है —
    “राणा कभी प्यार नहीं कर सकता… वो लड़की मुझे चाहिए, लेकिन प्यार के लिए नहीं। और क्यों चाहिए, ये तुम सोच भी नहीं सकते।”
    उसका लहज़ा डर पैदा कर देने वाला था।
    वह देव और लैला को आदेश देता है कि किसी भी तरह वह लड़की — यानी रिमझिम — उसके पास लाओ।

    देव डर गया, लेकिन बोला, “सर, मैं इंटरव्यू के बहाने बुला लेता हूँ।”
    राणा ने उसे रोक दिया — “नहीं, अब कोई बहाना नहीं। इस बार वो लड़की मेरे पास हमेशा रहेगी।”
    और राणा ने कहा कि वह उस चैनल के मालिक तरुण जायसवाल से खुद मिलेगा।

    देव तुरंत तरुण के ऑफिस के लिए निकल पड़ा।
    उधर, उसी वक्त रिमझिम तरुण के साथ ऑफिस के लिए जा रही थी।
    रास्ते में वह खामोश थी, सोचों में गुम।
    तरुण ने उसे प्यार से समझाया — “ज़िंदगी में जो भी हुआ, उसे पीछे छोड़ दो, बेटा। आगे बढ़ो।”
    रिमझिम बस मुस्कुरा दी।

    ऑफिस पहुँचने पर सब कुछ सामान्य लग रहा था, लेकिन तभी माहौल बदल गया।
    ऑफिस में कई हट्टे-कट्टे बॉडीगार्ड खड़े थे।
    तरुण हैरान हुआ — “ये सब यहाँ कैसे?”
    वह अपने केबिन में गया तो देखा, वहाँ देव बैठा हुआ है — राणा का दायाँ हाथ।

    देव ने मुस्कुराते हुए कहा,
    “रणवीर प्रताप सिंह (यानि राणा) ने आपको बुलाया है, तरुण जी।”

    तरुण दंग रह गया।
    राणा जैसा बड़ा बिज़नेसमैन उससे क्यों मिलना चाहता है?
    फिर भी वह देव के साथ गया।

    जगह पर पहुँचकर उसने राणा को पहली बार देखा —
    एक करिश्माई, मगर बेहद खतरनाक इंसान।
    राणा ने बहुत मीठे शब्दों में कहा कि वह “सोशल सर्विस” करना चाहता है और तरुण के न्यूज़ चैनल में पार्टनरशिप करना चाहता है।
    तरुण को यह सुनकर यकीन नहीं हुआ।
    इतना बड़ा आदमी उसके छोटे से चैनल में पार्टनर क्यों बनना चाहता है?

    लेकिन राणा की बातों में इतनी ताकत थी कि तरुण कुछ कह नहीं सका।
    वह मान गया।
    राणा ने कहा, “मैं चाहता हूँ कि तुम्हारा चैनल नंबर वन बने… और मैं खुद रोज़ वहीं से काम करूंगा।”

    तरुण बाहर निकला तो उसकी साँसें तेज़ थीं।
    राणा के सामने बैठना भी उसके लिए भारी था।
    वह किसी शिकारी की तरह लग रहा था — मुस्कुराता हुआ, लेकिन खतरनाक।

    देव को बाद में राणा ने आदेश दिया कि “सोशल सर्विस” के नाम पर कुछ फर्जी प्रोजेक्ट शुरू कर दो — ताकि कोई शक न करे।
    देव जान गया कि राणा के दिमाग़ में कुछ और चल रहा है।

    और सीन का आख़िरी पल —
    राणा मुस्कुराता है, धीरे से कहता है —
    “बस… आज का दिन। कल से वो लड़की मेरे सामने होगी — हर वक्त।”


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    यह पूरा सीन रिमझिम और राणा के टकराव की शुरुआत दिखाता है।
    एक तरफ़ रिमझिम भागना चाहती है, दूसरी तरफ़ राणा उसे पाना चाहता है,
    और बीच में है तरुण, जो अनजाने में इस खेल का हिस्सा बनने वाला है।


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    क्या चाहेंगे कि मैं इस नैरेटिव को संवाद-युक्त माइक्रोड्रामा स्क्रिप्ट के रूप में भी बदल दूँ (जैसे Pocket FM शैली में)?

  • 11. jinnn shjaadi- Chapter 11

    Words: 2190

    Estimated Reading Time: 14 min

    लेकिन उसका दिल इस वक्त ये जानने के लिए पूरी तरह से बेचैन था कि आखिरकार उसके साथ हुआ क्या था? और अगर दादी — यानी राजमाता — सारा सच जानती हैं, तो उन्होंने उसे बताया क्यों नहीं?

    कुछ तो इस वक्त ऐसा था, जो अंदर ही अंदर फटने के लिए तैयार था।

    फिलहाल, तभी जल्दी ही उसके कमरे के दरवाज़े पर दस्तक हुई...

    अब आयशा ने जल्दी ही थोड़ा सा अपने आप पर कंट्रोल किया और आगे बढ़कर उसने दरवाज़ा खोल दिया था।

    — दरवाज़े पर कोई और नहीं बल्कि कबीर और आहान खड़े थे।

    कबीर को अपने सामने देखकर आयशा को कुछ अलग ही तरह का एहसास होने लगा था। उसे बड़ा ही अजीब सा लग रहा था, लेकिन कबीर से वह हमेशा से बड़े ही पोलाइट तरीके से मिला करती थी, क्योंकि कबीर ने कभी भी उसकी कोई इंसल्ट नहीं की थी और हमेशा प्यार से ही उससे बातें की थीं।

    लेकिन आज कबीर को अपने सामने देखने के बाद आयशा को अजीब सी चिढ़ हो गई थी और वह तुरंत ही माथे पर बल लाकर बोली थी,

    “क्या है… आप दोनों यहां क्या कर रहे हैं, वो भी इतनी सुबह-सुबह?”

    अब आयशा की आवाज सुनकर आहान कबीर को देखकर हैरानी से बोला था,

    “क्या हुआ आयशा दीदी? आप तो इस तरह से हम पर भड़क रही हैं जैसे हमने आपको गहरी नींद से जगा दिया हो। अरे, आप तो जगी हुई थीं, और आप तो बेसिकली सुबह जल्दी उठ जाया करती हैं। अरे, हम तो यहां आपको यम्मी-यम्मी ब्रेकफास्ट खाने के लिए बुलाने आए हैं। आइए ना, जल्दी-फटाफट हमारे साथ चलिए।”

    अब आहान का बचकाना अंदाज़ देखकर आयशा ने उसे कुछ नहीं कहा और कबीर को एक बार फिर घूरती हुई वह सीधा वहां से बाहर निकल गई थी।

    वहीं कबीर हैरानी से अपना सिर खुजाने लगा था और बोला था,

    “इसे क्या हो गया है? ये सुबह-सुबह इतनी ज्यादा चिढ़ी हुई क्यों है, जैसे कि मैंने इसकी भैंस खोल ली हो। मुझे कुछ अजीब सी नज़र से नहीं देख रही थी ये आज?”

    जैसे ही कबीर ने ये कहा, आहान बोल पड़ा था,

    “अरे कबीर भाई, हो सकता है किसी बात को लेकर मूड खराब हो। आप बेवजह ही सोच रहे हो। चलो ना, ब्रेकफास्ट करते हैं।”

    ये बोलकर जल्दी ही वे लोग नीचे हॉल की ओर जाने लगे थे।

    वहीं आयशा जाकर ब्रेकफास्ट टेबल पर तो बैठ गई थी, लेकिन बार-बार उसकी आंखों के सामने उसका पिछला जन्म याद आ रहा था कि किस तरह से कबीर जोया के साथ पूरी तरह से इनवॉल्व था और उसने जोया को धोखा दिया था।

    अब आयशा ने मन ही मन ठान लिया था कि हालांकि उसे अभी तक जोया और कबीर की सच्चाई पूरी तरह से पता नहीं चली थी, लेकिन जितना उसे अपने पिछले जन्म में समझ में आया था, उससे उसे ऐसा लगने लगा था कि कबीर ने जोया को धोखा दिया है।

    इसीलिए वह अंदर ही अंदर सुलग उठी थी और उसने सोच लिया था कि इस जन्म में भी कबीर जोया की ओर आकर्षित हो रहा है, लेकिन वह ऐसा नहीं होने देगी। अब चाहे उसे कुछ भी करना पड़े, वह जोया और कबीर को अलग ही रखेगी।

    ये सोचते हुए वह टेबल पर लगातार खाने की ओर घूरती जा रही थी।

    वहीं दादी मां भी जल्दी ही खाने की टेबल पर आ गई थीं। आयशा ने आज दादी मां को भी अजीब सी नज़रों से देखा था।

    वहीं दादी मां समझ चुकी थीं कि इस वक्त शहजादी ने जरूर अपने पिछले जन्म की झलक देख ली है और शायद कीर्ति की भी झलक देख चुकी है।

    कीर्ति कोई और नहीं बल्कि आधुनिक युग की वह एनाकोंडा ब्लैकी थी, जो एक श्राप से बंधी हुई थी और बड़े से एनाकोंडा में तब्दील रहा करती थी। उसका नाम, जो पिछले जन्म में सिद्धार्थ की बहन था, और इस जन्म में वह एक बड़े एनाकोंडा सांप के रूप में मौजूद थी — उसका नाम कीर्ति राजवंश था।

    तब नानी मां दादी मां ने आयशा की ओर देखते हुए कहा था,

    “आप ठीक हैं ना? ऐसा कोई परेशानी तो नहीं हो गई ना?”

    तभी आहान ने एक नजर कबीर की ओर देखा और शरारती अंदाज़ में दादी मां की ओर देखते हुए बोला था,

    “अरे दादी मां, सारी तो चीज़ें मैं आपको दिखा ही चुका हूं।”

    कल रात आयशा के जाने के बाद वह कबीर के साथ प्लानिंग करते हुए दादी मां के पास गया था, और वहां जाकर उसने जो अरमान और आयशा की किसिंग वीडियो ली थी, वह फटाफट उसने दादी मां को दिखा दी थी।

    और कहा था,

    “दादी मां, अब आपको कुछ करना होगा। अरमान भाई हाथ से निकल रहे हैं। आपको जल्दी ही उनके पैरों में लगाम डालनी चाहिए। उनकी शादी जल्द से जल्द आयशा दीदी से कर देनी चाहिए।

    अरे, मुझे लगता है कि शादी के बाद वो पूरी तरह से सुधर जाएंगे। वैसे भी मुझे आयशा दीदी पसंद हैं। सूरत ही सब कुछ नहीं होती, सीरत भी बहुत मायने रखती है, दादी मां।”

    ये बोलकर आहान ने अपने मन में जो कुछ भी बढ़ा-चढ़ाकर सोचा था, वह सारी बातें वीडियो के साथ दादी मां को बता दी थीं।

    और साथ ही साथ आहान ने दादी मां से कसम भी ले ली थी कि किसी भी कीमत पर दादी मां ये वाली बात अरमान को नहीं बताएंगी कि ये वीडियो आहान ने बनाकर उन्हें दिखाया है, वरना अरमान भाई तो उसे पता नहीं उसके साथ क्या से क्या कर डालेंगे।

    अब आहान ने जैसे ही ये कहा, दादी मां तुरंत बोल उठी थीं,

    “मैं सारी बातें समझ रही हूं। फिलहाल मैं अपने कमरे में जा रही हूं, और तुम लोग अरमान को लेकर मेरे कमरे में आओ।”

    ये बोलकर नानी-दादी मां एक नजर आयशा की ओर देखते हुए तुरंत अपने कमरे में चली गई थीं।

    कमरे में जाकर उन्होंने गहरी सांस ली और आंखें बंद करके बुदबुदाई थीं,

    “मैं जानती हूं शहजादी, इस वक्त तुम पर क्या बीत रही होगी। और शायद तुम मुझसे नफरत भी कर रही हो, क्योंकि मैंने काम ही नफरत वाला किया था। और उसी की सजा मैं आज तक भुगत रही हूं।”

    ये सोचते हुए दादी मां किसी और ही एहसास में डूबने लगी थीं।

    वहीं दूसरी ओर, अरमान को जैसे पूरी रात नींद ही नहीं आई थी। पूरी रात उसने करवटें बदल-बदलकर गुजारी थी। उसकी आंखों के सामने बार-बार आयशा के करीब जाना याद आ रहा था।

    वह सोच रहा था कि आखिरकार उसे हो क्या गया है। पिछली रात आयशा के कमरे से लौटने के बाद वह सीधा अपनी गाड़ी लेकर सड़कों पर निकल गया था। उसके दिल को कहीं भी सुकून नहीं मिल रहा था।

    सड़कों पर न जाने कितनी देर तक वह बेवजह गाड़ी चलाता रहा, और फिर एक जगह खड़ा होकर कितनी ही देर तक, कितनी ही सारी सिगरेट फूंक डाली थीं।

    पूरी रात जिस वक्त आयशा अपने पिछले जन्म में गई हुई थी, उसी वक्त अरमान इस आधुनिक जिंदगी में सड़कों पर धक्के खा रहा था।

    बार-बार उसे याद आ रहा था कि जिस तरह से उसने अपनी शादी के बारे में आयशा को बताया था, लेकिन आयशा ने कोई भी रिएक्शन नहीं दिया था। ये सारी बातें उसे हैरान कर रही थीं और वह सोचने पर मजबूर हो गया था कि आखिर ऐसा हुआ क्या है, और क्यों ये सब उसे इतना ज्यादा इफेक्ट कर रहा है।

    क्यों… क्यों… क्यों… इस उलझन का कोई ठिकाना नहीं था, और वह खुद को संभाल नहीं पा रहा था।

    पूरी रात न सोने की वजह से उसकी आंखें एकदम रेड हो चुकी थीं। हालांकि वहां से वापस आने के बाद उसने आयशा के कमरे में जाने की कोशिश की थी, लेकिन आयशा ने दरवाज़ा अपनी जादुई शक्तियों के जरिए बंद कर दिया था।

    लेकिन अरमान को लगा कि शायद आयशा ने दरवाज़े पर कोई भारी-भरकम कुछ वस्तु लगा रखा है, ताकि उसे कोई डिस्टर्ब न करे। इसी सोच के साथ वह अपने कमरे में चला गया था और इधर-उधर करवट बदलते हुए पूरी रात गुजार दी थी।

    और फिर जैसे ही अगली सुबह वह उठकर तैयार होकर नीचे आया, उसने देखा कि आयशा शांति से ब्रेकफास्ट टेबल पर बैठी हुई थी।

    वहीं अरमान के लिए आज का दिन काफी बड़ा होने वाला था, क्योंकि आज अरमान संजना रंधावा से शादी करने वाला था। सबसे पहले वह मैरिज रजिस्ट्रार ऑफिस जाकर शादी करने वाला था, और उसके बाद सबको अपनी शादी के बारे में बताकर एक बड़ी सी पार्टी ऑर्गनाइज़ करना चाहता था, ताकि पूरे शहर को इसकी खबर मिल जाए।

    लेकिन अंदर ही अंदर उसका दिल पूरी तरह से उदास था। उसके दिल की उदासी इतनी ज्यादा गहरी थी, जिसका अंदाजा कोई भी नहीं लगा सकता था।

    बार-बार उसे यही महसूस हो रहा था, जैसे उसकी कोई बहुत कीमती चीज उससे दूर जा रही हो।

    फिलहाल आयशा का इतनी शांति से नाश्ता करना अरमान को कुछ खास पसंद नहीं आया, और वह उठकर उसके ठीक सामने जाकर बैठ गया।

    वहीं आहान और कबीर दोनों एक-दूसरे की आंखों में देखते हुए इशारों-इशारों में बात करने लगे थे।

    आहान ने धीरे से कहा था,

    “देखा कबीर भाई, आपने? अरमान भाई किस तरह दीदी के सामने जाकर बैठे हैं। अरे, मैं तो कहता हूं दोनों तरफ से बराबर की केमिस्ट्री लग रही है। और दादी मां ने भी तो इंस्ट्रक्शन दिया है कि हमें भाई को लेकर उनके कमरे में जाना है, तो चलिए।

    आपको क्या लगता है, क्या दादी मां किस तरीके से आयशा दीदी और हमारे भाई की शादी की बात करेंगी? आपको क्या लगता है, कबीर भाई?”

    अब दोनों आपस में कानाफूसी करते हुए हल्की-सी खुशी महसूस करने लगे थे।

    तभी अरमान ने तुरंत थोड़ा सा खांस दिया था, और अरमान के खांसते ही आहान और कबीर दोनों सीधे होकर बैठ गए थे।

    वहीं आयशा पूरी तरह से लापरवाही दिखा रही थी। उसने एक बार भी नजर उठाकर न तो अरमान को देखा था और न ही आहान और कबीर की ओर। इस वक्त उसके दिल और दिमाग में कुछ अलग ही तरह का तूफान चल रहा था।

    फिलहाल आयशा ने गहरी सांस ली, और जैसे ही उसे एहसास हुआ कि अरमान उसके सामने बैठा हुआ है, वह अचानक अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई थी।

    उसने चुपचाप मुंह पोंछा और बिना कुछ कहे सीधा अपने कमरे की ओर चली गई।

    अब आयशा को इस तरह बिना कुछ कहे जाते हुए देखकर कबीर, आहान और अरमान तीनों ही हैरान रह गए थे।

    वहीं आहान थोड़ी सी तेज आवाज़ में बोला था,

    “आज आयशा दीदी को क्या हो गया है? मुझसे प्यार से बात भी नहीं कर रही हैं। ऐसा महसूस हो रहा है मानो हमने उनकी भैंस चुरा ली हो। ऐसा कैसे हो सकता है, जबकि मैं तो इतना ज़्यादा प्यार से बात करता हूं।”

    अब जैसे ही आहान ने ये कहा, कबीर भी उसके हां में हां मिलाते हुए बोला था,

    “हां, मुझे भी आज उसकी आंखों में अपने लिए कुछ अलग ही महसूस हुआ। ऐसा लग रहा था मानो वह आज मुझे कुछ अलग ही, नफरत भरी नज़रों से देख रही हो।”

    ये सब सुनकर अरमान का मन छलक गया था। वह सोचने लगा था कि लगता है आयशा को उसकी शादी से इफेक्ट पड़ रहा है, कि उसकी शादी संजना रंधावा से होने वाली है।

    उसने भले ही उसके सामने कुछ ज़ाहिर न किया हो, लेकिन शायद अब उसकी बातों का असर उसकी भावनाओं में दिखाई दे रहा था। कहीं न कहीं यही सोचते हुए अरमान थोड़ा सा मुस्कुरा उठा था, और फिर वह फ्रूट कस्टर्ड लेकर खाने लगा था।

    अचानक ही सीढ़ियों से आयशा अपने सामान के साथ नीचे आती हुई दिखाई दी थी।

    अब ये देखकर आहान, कबीर और अरमान—तीनों के ही माथे पर बल पड़ गए थे। तीनों ने एक-दूसरे की शक्ल की ओर देखा था।

    वहीं आयशा बिना कुछ कहे तुरंत अपना बैग लेकर सीधा बाहर की ओर जाने लगी थी।

    अब तो आहान की सिट्टी पिट्टी पूरी तरह से गुम हो गई थी। आहान तुरंत खड़ा हुआ और आयशा के पास जाकर बोला था,

    “आयशा दीदी, आपको क्या हुआ है? आप कहां जा रही हैं? आप ठीक तो हैं ना? क्या हुआ है? सब ठीक है ना?”

    इतने में कबीर भी आकर आहान के पास खड़ा हो गया था, और अरमान भी वहीं खड़ा था।

    आयशा ने ठंडी और चढ़ती हुई नज़रों से कबीर की ओर देखा और फिर बिना किसी इमोशन के बोली थी,

    “आहान, मुझे लगता है कि मुझे अब यहां और नहीं रहना चाहिए। और वैसे भी मैं यहां आपकी दादी के लिए आई थी, और अब आपकी दादी पूरी तरह से ठीक हैं।

    और वैसे भी जोया और अम्मी-अब्बू को मेरी ज़रूरत है, तो अब मैं उन्हीं के साथ उनके घर पर रहूंगी। मैं चलती हूं।”

    ये बोलकर बिना रुके आयशा ने बाहर की ओर अपने कदम बढ़ा दिए थे।

    वहीं अरमान ने तुरंत अपने हाथों की मुट्ठियों को कसकर बंद कर लिया था, क्योंकि जैसे-जैसे आयशा उससे दूर जा रही थी, उसे ऐसा लग रहा था मानो उससे उसकी कोई बहुत ही कीमती चीज छीनी जा रही हो।

    वहीं कबीर और आहान मुंह लटकाकर खड़े रह गए थे। उन्हें तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिरकार अचानक से ये सब हुआ क्या।

    लेकिन तभी वहां एक नर्स आई और बोली थी,

    “आहान बाबा और कबीर भाई, आपको दादी मां बुला रही हैं।”

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  • 12. Cop officer - Chapter 12

    Words: 1911

    Estimated Reading Time: 12 min

    --- तभी वहां एक नर्स आई और बोली थी,

    “आहान बाबा और कबीर भाई, आपको दादी मां बुला रही हैं।”

    --

    ये सुनकर आहान को याद आया कि दादी मां तो बोलकर गई थीं कि वो लोग जाकर दादी के कमरे में उनसे मिलें, तो वो इस तरह से कैसे रुक सकते थे। इसीलिए बिना देरी किए फटाफट से वे लोग अब दादी के कमरे की ओर जाने लगे थे।

    वहीं दादी मां को इस बात का एहसास हो चुका था कि आयशा इस घर से जा रही है, लेकिन दादी मां ने जानबूझकर उसे रोकने की कोशिश नहीं की थी। इन फैक्ट, अपने कमरे में बैठी हुई वो मन ही मन यही बात दोहरा रही थीं,

    “जाइए शहजादी, क्योंकि इस घर में हमेशा के लिए आने के लिए आपको यहां से जाना ही होगा।”

    ये बोलते हुए दादी मां किसी अलग ही दुनिया में खोई हुई लग रही थीं।

    फिलहाल आयशा देर न करते हुए सीधा जोया के अपार्टमेंट में आ गई थी। जैसे ही रुखसाना जी और अहमद जी ने आयशा को सामान के साथ देखा, तो उनके चेहरे पर बड़ी-सी मुस्कुराहट आ गई थी। उन्होंने उससे कोई सवाल नहीं किया और बिना कुछ पूछे सीधे अपने घर में उसका स्वागत किया था।

    तभी जोया आगे बढ़कर रुखसाना जी और अहमद जी के बाद बारी-बारी से आयशा को गले से लगा लिया था। जोया, आयशा को देखकर पूरी तरह से खुश हो गई थी और उसे गले लगाकर बोली थी,

    “अच्छा किया आयशा आप यहां आ गई। आप जानती हैं, आपके बिना मेरा दिल बिल्कुल भी नहीं लगता था। और वैसे भी अब वहां जाने की कोई जरूरत नहीं है। इतने अमीर लोग हैं, खुद अपनी दादी का ख्याल रखने के लिए किसी न किसी को रख ही लेंगे।”

    ये बोलकर जोया ने दोबारा आयशा को गले से लगा लिया था।

    कहीं न कहीं आज जोया को गले लगाकर आयशा को कुछ अलग ही तरह का एहसास हो रहा था। उसके सामने उसकी वही प्यारी-सी, खूबसूरत-सी शहजादी जोया खड़ी थी, जो उसके पिछले जन्म में उसकी बुआ थी और जिसे वो जान से ज्यादा चाहा करती थी, और जो उसके लिए एक पत्र छोड़कर चली गई थी।

    ये सारी बातें याद आते ही कहीं न कहीं आयशा की आंखें भरने के लिए पूरी तरह से तैयार हो गई थीं। लेकिन जैसे-तैसे उसने अपने इमोशंस पर कंट्रोल किया और रुखसाना जी की ओर देखकर बोली थी,

    “अम्मी जी, मैं बहुत ज्यादा थक गई हूं। मैं थोड़ी देर अपने कमरे में आराम करने जा रही हूं। उसके बाद नौ बजे के बाद हमें ऑफिस भी निकलना है, और अगर जोया ठीक होगी तो मैं भी उसके साथ ऑफिस जाऊंगी।”

    ये सुनकर रुखसाना जी खुशी से आगे बढ़ीं और बोली थीं,

    “हां-हां मेरी बच्ची, क्यों नहीं। तुम आराम करो, मैं तब तक तुम्हारे लिए तुम्हारी पसंद का कुछ बढ़िया सा ब्रेकफास्ट बना कर ले आती हूं।”

    ये बोलकर रुखसाना जी जल्दी ही किचन में चली गई थीं। वहीं अहमद जी बार-बार आयशा को मुस्कुरा कर देख रहे थे। आयशा को अपने सामने देखकर उन्हें बहुत अच्छा लग रहा था, बल्कि बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा था।

    लेकिन फिलहाल आयशा के आराम करने के लिए चले जाने के बाद, अहमद जी सीधे रुखसाना जी के पास गए और आयशा की पसंद का ब्रेकफास्ट तैयार कराने लगे थे।

    वहीं दूसरी ओर कबीर और आहान इस वक्त दादी मां के सामने मौजूद थे, और दोनों ने अपना सिर झुकाकर रखा हुआ था।

    दादी मां उन्हें घूरते हुए बोली थीं,

    “एक लड़की के साथ इस घर में इतनी बड़ी हरकत हो गई, कि वो गुस्से में इस घर को छोड़कर चली गई।”

    कहीं न कहीं दादी मां अरमान और आयशा की किसिंग वीडियो की ही बात कर रही थीं, जो आहान ने उन्हें दिखाई थी। दादी मां अब इसी वीडियो को सहारा बनाकर अरमान और आयशा की शादी करवाना चाहती थीं।

    क्योंकि दादी मां को इस बात का पता चल चुका था कि अरमान आज क्या बेवकूफी करने वाला है। वो आयशा को सिर्फ और सिर्फ जेलस फील कराने के लिए, उसे ये एहसास दिलाने के लिए कि आयशा उसकी जिंदगी में कोई अहमियत नहीं रखती, संजना रंधावा से कोर्ट मैरिज करने वाला है।

    इसीलिए दादी मां ने कबीर और आहान को घूरते हुए कहा था,

    “अभी और इसी वक्त अरमान को मेरे सामने लेकर आओ।”

    क्योंकि दादी मां बिल्कुल भी देर नहीं करना चाहती थीं। वो अच्छी तरह जानती थीं कि अगर उन्होंने थोड़ी-सी भी देर कर दी, तो अरमान संजना से शादी करने के लिए निकल जाएगा।

    वहीं अरमान, जो आयशा के जाने के बाद इस वक्त अपने कमरे में मौजूद था, उसका गुस्से के मारे बुरा हाल हो चुका था। उसे बार-बार ऐसा लग रहा था मानो आयशा सिर्फ घर से नहीं गई थी, बल्कि उसका सुकून, उसका चैन भी अपने साथ ले गई हो।

    उसे कहीं भी चैन नहीं मिल रहा था। वो लगातार सामने वाली दीवार पर मुक्के बरसाए जा रहा था और सोच रहा था कि आखिर एक साधारण-सी लड़की के जाने से उसे इतना ज्यादा फर्क क्यों पड़ रहा है।

    आखिरकार उसे इतना इफेक्ट क्यों हो रहा था? इस वक्त उसके गुस्से की कोई सीमा नहीं थी।

    और तभी उसके फोन पर नोटिफिकेशन आने लगा था कि संजना रंधावा पहले ही मैरिज रजिस्ट्रार के लिए निकल चुकी है, और उसके असिस्टेंट रोहित ने सारी तैयारी कर ली है।

    ये देखकर अरमान तिरछा-सा मुस्कुराया और बोला था,

    “मैं जानता हूं कि तुम सिर्फ और सिर्फ मुझे जलाने के लिए, और मुझे नीचा दिखाने के लिए घर से गई हो। लेकिन अब जब मैं संजना से शादी करूंगा…”

    “और तुम्हारे सामने संजना के साथ रहूंगा, तब देखता हूं तुम अपने उस बदसूरत चेहरे के साथ कैसी दिखती हो।”

    ये सोचते हुए दांत पीसकर अरमान ने गहरी सांस ली और फटाफट अपने कमरे से बाहर निकल गया।

    वहीं दूसरी ओर, संजना रंधावा के चेहरे पर एक साज़िश भरी मुस्कान फैली हुई थी। वो लगातार एक पुरानी तस्वीर—यानी शहजादी मीरा की फोटो—को देख रही थी और बार-बार एक ही बात दोहरा रही थी,

    “इस जन्म में मैंने तुझसे उसे छीन लिया है। आज वो हमेशा-हमेशा के लिए मेरा हो जाएगा। और तुम… तुम्हें मैंने जिन्नातों की दुनिया में कैद कर दिया है। अब तुम चाहकर भी हमारे आसपास नहीं आ पाओगी।”

    ये बोलते हुए संजना बेहद खतरनाक दिखाई दे रही थी। तभी उसने रहस्यमयी तरीके से अपने पर्स की ओर देखा और धीमी आवाज़ में बोली,

    “माफ करना आंटी जी, मेरा इरादा आपको इस तरह से कैद करने का नहीं था, लेकिन मैं क्या करूं… आपकी बेटी को तो मैंने जिन्नातों की दुनिया में कैद कर दिया है। अब अरमान को मेरा होने से कोई नहीं रोक सकता। कोई भी नहीं रोक सकता।”

    क्योंकि उसके पर्स में इस वक्त कोई आम चीज़ नहीं थी, बल्कि महारानी हुस्ना कैद थी—एक छोटी-सी बोतल में। संजना रंधावा ने अपनी काली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए जिन महारानी को एक जादुई बोतल में कैद किया था।

    ये बोतल आम लोगों को तो सिर्फ पानी की बोतल जैसी दिखाई देती थी, लेकिन संजना रंधावा को उसमें महारानी हुस्ना साफ दिखाई दे रही थी।

    फिलहाल संजना रंधावा मल्लिका को ही जिन महारानी की बेटी समझ रही थी, क्योंकि मल्लिका बेहद खूबसूरत थी। लेकिन वो ये पहचान ही नहीं पाई थी कि असल में जिन महारानी की बेटी मल्लिका नहीं, बल्कि आयशा है।

    फिलहाल आज संजना की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था।

    वहीं दूसरी ओर, जैसे ही संजना अपने घर से निकली और अरमान भी अपने मेंशन से बाहर निकला, दादी मां की आंखें एकदम हिलने लगी थीं। कबीर और आहान इस वक्त दादी मां के साथ ही मौजूद थे।

    तब दादी मां ने उन्हें घूरते हुए कहा था,

    “अभी और इसी वक्त उस… राहुल को उठाकर यहां लेकर आओ, जो अरमान का असिस्टेंट है।”

    ये सुनकर आहान और कबीर दोनों ही कंफ्यूज हो गए थे।

    आहान ने कबीर के कान में कानाफूसी करते हुए कहा था,

    “ये दादी को अचानक क्या हो जाता है? ये कैसी अजीब-अजीब बातें करने लगती हैं। देखा तुमने किस तरह डेंजर टोन में बोल रही थीं। ऐसा लग रहा है जैसे दादी उसकी छाती पर चढ़कर उसका लहू पी लेंगी। दादी का अंदाज़ आज कुछ ज़्यादा ही जानलेवा लग रहा है।”

    ये सुनकर कबीर ने उसे घूरकर देखा और बोला,

    अरमान भाई की किसिंग वीडियो दिखाकर अब उम्मीद कर रहे हो कि दादी तुमसे प्यार से बात करेंगी? जो बोला है, वो चुपचाप करो।”

    ये कहते हुए कबीर ने फटाफट कॉल करके राहुल के बारे में पता लगवा लिया कि वो इस वक्त कहां है।

    उधर राहुल इस वक्त अपने बॉस की शादी के लिए घर से निकल ही रहा था कि उसी समय आहान के गार्ड वहां पहुंच चुके थे और सीधा उसे उठाकर मेंशन में ले आए थे।

    राहुल पूरी तरह से घबराया हुआ था, क्योंकि उसके बॉस ने साफ-साफ मना किया था कि जब तक संजना रंधावा से शादी नहीं हो जाती, तब तक ये बात पब्लिक नहीं होनी चाहिए।

    अब अचानक इस तरह उठाए जाने पर वो पूरी तरह से हैरान था और घबराते हुए कबीर की ओर देखकर बोला,

    “कबीर साहब, आखिर आपने मुझे इस तरह अचानक यहां क्यों बुलवा लिया? सब ठीक तो है ना?”

    तभी दादी मां वहां आईं और बिना कुछ सुने एक जोरदार तमाचा राहुल के मुंह पर जड़ते हुए बोली थीं,

    “बता… वो कहां है?”

    दादी मां का इतना खतरनाक अंदाज़ देखकर कबीर और राहुल दोनों ही पूरी तरह से सन्न रह गए थे। उन्होंने दादी को कभी इस तरह किसी पर हाथ उठाते नहीं देखा था। उन्हें समझ आ गया था कि कुछ न कुछ बहुत बड़ी बात जरूर है, जो उनसे छिपी हुई है।

    कबीर थोड़ा सीरियस होकर बोला था,

    “दादी, क्या हुआ है? आप इतनी परेशान क्यों लग रही हैं? और आपने राहुल पर हाथ क्यों उठा दिया?”

    वहीं राहुल रोते हुए घुटनों के बल बैठ गया था और बोला था,

    “मेरी कोई गलती नहीं है। बॉस ने मुझे मना किया था कि मैं आप लोगों को उनकी शादी के बारे में न बताऊं।”

    ये सुनते ही आहान और कबीर दोनों के चेहरों का रंग उड़ गया था।

    वहीं दादी मां के चेहरे पर न कोई हैरानी थी और न ही कोई परेशानी—बल्कि एक अजीब-सी दृढ़ता साफ दिखाई दे रही थी।

    तब दादी मां ने कहा था,

    “ये तो मैं जानती हूं कि वो शादी कर रहा है। मुझे सिर्फ ये बताओ कि वो किस जगह शादी कर रहा है।”

    क्योंकि दादी मां अपनी कई जादुई शक्तियों का इस्तेमाल कर चुकी थीं, लेकिन फिर भी वो ये पता नहीं लगा पाई थीं कि अरमान कहां और किस जगह शादी कर रहा है।

    दरअसल, संजना रंधावा ने अपनी काली शक्तियों का ऐसा जाल फैला दिया था कि शादी होने तक किसी को भी ये पता नहीं चल सकता था कि अरमान इस वक्त कहां है।

    अरमान के घर से निकलते ही संजना रंधावा का कालचक्र उसके पीछे-पीछे चल पड़ा था, ताकि वो सही-सलामत मैरिज रजिस्ट्रार तक पहुंच जाए और रास्ते में उसे कोई परेशानी न हो।

    राहुल ने आखिरकार बता दिया था कि इस वक्त अरमान कहां है।

    ये सुनकर दादी मां ने आहान और कबीर की ओर देखा, फिर कबीर को कुछ जरूरी निर्देश दिए और बिना देर किए वे खुद मैरिज रजिस्ट्रार की ओर रवाना हो चुकी थीं।

    वहीं कबीर पूरी तरह से परेशान हो उठा था और बिना देर किए वो सीधा आयशा के घर की ओर रवाना हो गया था।

    क्योंकि जाने से पहले दादी मां ने कबीर के कानों में कुछ ऐसा कह दिया था, जिसकी वजह से कबीर आयशा के घर जाने के लिए पूरी तरह से मजबूर हो गया था…

    और अब—

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  • 13. Cop officer - Chapter 13

    Words: 768

    Estimated Reading Time: 5 min

    यह पूरा सीन आसान और सीधी narrative (कथात्मक) शैली में इस तरह समझा जा सकता है 👇


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    भारत न्यूज़ चैनल पर रात के 9 बजे का शो शुरू हो चुका था।
    टीवी स्क्रीन पर रिमझिम अपने नए लुक में दिखाई दी — साड़ी में बेहद खूबसूरत, आत्मविश्वास से भरी हुई।
    लोग उसे देखकर हैरान रह गए, क्योंकि वही “चश्मिश” लड़की अब इतनी ग्लैमरस और आत्मविश्वासी लग रही थी कि किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।

    रिद्धिमा के अंदर जलन की आग भड़क उठी थी, जबकि मयंक और सरिता जी अपनी बेटी को देखकर गर्व से भर गए थे।
    उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि टीवी पर दिखने वाली वह आत्मविश्वासी लड़की उनकी ही रिमझिम है।
    सबकी निगाहें टीवी पर जमी थीं। राणा और रणवीर प्रताप सिंह का यह प्लान पूरी तरह कामयाब हो चुका था।
    रिमझिम के आत्मविश्वास और उसके मेकओवर ने सबको चौंका दिया था।

    शो खत्म होते ही सभी लोग तालियाँ बजाने लगे।
    रिमझिम की आँखों में खुशी के आँसू थे — इतने समय बाद उसे वह सम्मान मिला था जिसकी वह हकदार थी।
    मयंक और सरिता जी भी भावुक हो गए थे।
    वहीं तरुण जी ने आकर हँसते हुए कहा,
    "अरे वाह रिमझिम बेटा! हमें तो पता ही नहीं था कि हमारी बिटिया इतनी खूबसूरत है!"
    सारे लोग हँस पड़े, लेकिन रिद्धिमा यह सब बर्दाश्त नहीं कर पाई और गुस्से में वहाँ से चली गई।

    शो खत्म होने के बाद, रिमझिम सबकी बधाइयाँ लेकर अपने माता-पिता के साथ घर लौटी।
    उसका शो अब देशभर में चर्चा का विषय बन चुका था।
    राणा भी बड़ी स्क्रीन पर सिर्फ रिमझिम को देखता रहा।
    उसकी नज़रों में अब एक अलग ही जुनून था — एक खतरनाक जुनून।

    दूसरे दिन सुबह अखबारों के फ्रंट पेज पर रिमझिम की तस्वीर छपी थी —
    “रणवीर प्रताप सिंह की फ़ूड वैन का चेहरा — मिस रिमझिम अग्रवाल।”
    यह खबर देखकर मयंक जी खुशी से चिल्ला उठे।
    लेकिन किसी को नहीं पता था कि यह खबर मीडिया तक राणा ने खुद भेजी थी, ताकि उसका और रिमझिम का नाम साथ में जुड़ जाए।

    रिमझिम खुशी-खुशी ऑफ़िस के लिए निकली,
    लेकिन उसकी गाड़ी के पीछे एक सफेद कार चुपचाप चल रही थी — वही राणा की।
    ऑफिस पहुँचकर रिमझिम का स्वागत पहले से ज़्यादा सम्मान के साथ हुआ।
    अब हर कोई उसे पहचानता था।

    वह लिफ्ट से ऊपर गई, क्योंकि देव जानता था कि उसे ऊँचाई और लिफ्ट दोनों से डर लगता है।
    ऑफिस के आठवें फ्लोर पर रणवीर प्रताप सिंह उससे मिलने वाला था।
    रिमझिम ने मन ही मन तय किया कि आज वह साफ-साफ रणवीर से बात करेगी —
    वह दोस्ती नहीं, बस प्रोफेशनल रिश्ता चाहती थी।

    लेकिन रणवीर ने उसे एक घंटे से ज़्यादा इंतज़ार करवाया।
    जब वह अंदर गई, तो रणवीर ने पहले तो उसे काम के बारे में बताया —
    किस तरह कुछ राजनेता फ़ूड वैन प्रोजेक्ट में अपना नाम जोड़ना चाहते हैं।
    उसने रिमझिम को चेतावनी दी कि वह किसी के दबाव या लालच में न आए।

    फिर अचानक उसका रवैया बदल गया।
    वह उसके क़रीब आया और बोला,
    “मिस रिमझिम, आप वो पहली लड़की हैं जिसे मैंने अपने ऑफिस में बुलाया है... क्योंकि मैं आपको पसंद करता हूँ।”

    रिमझिम हक्की-बक्की रह गई।
    उसने कभी सोचा भी नहीं था कि उसका बॉस उससे ऐसा कहेगा।
    रणवीर ने बिना कुछ सोचे उसके माथे पर किस कर दिया और बोला,
    “मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ।”

    यह सुनकर रिमझिम जैसे पत्थर की मूर्ति बन गई।
    उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह सपना है या सच।
    फ़ोन की घंटी बजी, और उसी पल वह होश में आई।
    वह बिना कुछ बोले, तेज़ी से बाहर भागी —
    अठारह मंज़िल से नीचे भागते हुए सीधे सातवें फ्लोर पर पहुँच गई।

    वहाँ ऑफिस का माहौल बिल्कुल शांत था।
    सब लोग कंप्यूटर में झुके थे, कोई बात नहीं कर रहा था।
    रिसेप्शनिस्ट ने रिमझिम को रोकते हुए पूछा,
    “मैडम, आप कौन हैं? आप इस तरह कैसे अंदर आ गईं?”
    रिमझिम हाँफ रही थी, जवाब देने की हालत में नहीं थी।
    उसने एक गिलास पानी पिया और फिर अपना चश्मा उतारा।

    चश्मा उतारते ही रिसेप्शनिस्ट ने पहचान लिया,
    “आप तो रिमझिम अग्रवाल हैं ना? आपको तो रिकॉर्डिंग रूम में होना चाहिए!”
    बाकी लोगों को जैसे ही पता चला कि रिमझिम वहाँ है,
    सब खड़े हो गए, तालियाँ बजाईं —
    क्योंकि अब वह सबकी “स्टार एम्प्लॉयी” बन चुकी थी।

    और तभी वहाँ एक गार्ड आया, जो कुछ कहना चाहता था —
    लेकिन रिमझिम के चेहरे पर अब भी डर और उलझन थी।
    उसके दिमाग़ में बार-बार वही सवाल घूम रहा था —
    “रणवीर प्रताप सिंह ने जो कहा, क्या वह सच था? या फिर यह सब किसी बड़ी चाल का हिस्सा?”


    ---

  • 14. Cop officer - Chapter 14

    Words: 716

    Estimated Reading Time: 5 min

    यह पूरी कहानी अगर सिंपल नैरेटिव (microdrama style) में समझाई जाए, तो इस तरह होगी👇


    ---

    रिमझिम को एक छोटा-सा पर्चा मिला, जिसमें लिखा था कि अब शहर में कोई भूखा नहीं रहेगा, क्योंकि "फ़ूड वैन" हर किसी को मुफ़्त में खाना देगी। उसे यह बात अच्छी लगी और वह मुस्कुराई। फिर उसने अपने शो का धमाकेदार परफ़ॉर्मेंस पूरा किया, जिसे रात 9 बजे टीवी पर दिखाया जाना था।

    काम ख़त्म होने के बाद वह घर जाने की तैयारी कर रही थी, तभी उसका असिस्टेंट देव आया और बोला –
    “मैडम, रणवीर सर आपसे मिलना चाहते हैं।”

    यह सुनकर रिमझिम घबरा गई। वह रणवीर से उस शादी वाले दिन के बाद अकेले मिलना नहीं चाहती थी, लेकिन मजबूरी में देव के साथ उसके केबिन में चली गई।

    रणवीर ने उसे देखकर मुस्कुराया और धीरे से उसके पास आया।
    वह बोला – “क्यों डर रही हैं? मैंने तो बस शादी के लिए कहा है, कोई जुर्म नहीं किया।”

    रिमझिम चौंक गई। उसे समझ नहीं आ रहा था कि रणवीर सच में बोल रहा है या मज़ाक कर रहा है। उसने कहा –
    “आप इतने बड़े इंसान हैं, आपके पीछे लाखों लड़कियाँ हैं। मैं तो एक मामूली लड़की हूँ। आपने मुझे ही क्यों चुना?”

    रणवीर ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया –
    “क्यों चुना, ये मैं नहीं जानता। बस इतना जानता हूँ कि मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ।”

    रिमझिम असहज हो गई और बोली –
    “मुझे अपने माता-पिता से बात करनी होगी।”

    रणवीर हँस पड़ा –
    “मतलब प्यार है, पर पापा से पूछे बिना हाँ नहीं बोल सकती?”

    इतना कहते ही उसने उसके कंधे पर हाथ रखा और धीरे-धीरे उसका हाथ उसकी गर्दन तक पहुँचने लगा। उस पल रणवीर की आँखों में एक अजीब-सा डर और गुस्सा था — मानो उसमें कोई और छिपा हो। रिमझिम घबरा गई और झटके से उसका हाथ हटाया।

    रणवीर एक पल के लिए सामान्य हुआ, लेकिन उसके चेहरे पर फिर वही ठंडापन लौट आया। रिमझिम तुरंत वहाँ से भाग गई।

    वह सीढ़ियाँ उतरती हुई बाहर निकली और घर पहुँचते ही फूट-फूटकर रोने लगी। उसके माता-पिता, मयंक और सरिता, घबरा गए। उन्होंने पूछा कि क्या हुआ, लेकिन वह बस इतना बोल पाई –
    “वह मुझसे शादी करना चाहता है।”

    जब मयंक ने पूछा “कौन?”, तो उसने कहा –
    “रणवीर प्रताप सिंह।”

    दोनों पति-पत्नी सन्न रह गए। मयंक को शक हुआ कि इसके पीछे कुछ तो गड़बड़ है। उन्होंने अपने पुराने दोस्त अजीत को फ़ोन किया, जो किसी एजेंसी में काम करता था, और कहा कि वह रणवीर प्रताप सिंह के बारे में सब कुछ पता करे।

    अजीत ने वादा किया कि तीन घंटे में पूरी जानकारी देगा।

    दूसरी ओर, रणवीर अपने बंगले की बालकनी में खड़ा सिगरेट पी रहा था। उसका चेहरा ठंडा और खतरनाक लग रहा था। उसने अभी-अभी एक पुलिस अफ़सर को मारा था — और अब उसे फिर किसी को मारने की तलब हो रही थी।

    रणवीर के अंदर का असली चेहरा “राणा” था — एक सायको किलर।
    राणा ने अपने आदमी देव को संदेश भेजा – “मुझे कुछ खाना चाहिए।”

    मतलब, किसी का खून।

    उधर लैला और मजनू, जो राणा के साथी थे, इस पूरे मामले को समझने की कोशिश कर रहे थे। लैला सोच रही थी कि राणा रिमझिम के पीछे क्यों पड़ा है। उसने मजनू से पूछा –
    “क्या राणा की ज़िंदगी में कभी कोई लड़की आई है?”

    मजनू कुछ देर चुप रहा, फिर बोला –
    “बस एक बार... बहुत साल पहले... एक छोटी लड़की थी, स्कूल ड्रेस में, जो गलती से उसके गाँव में आई थी।”

    लैला चौंक गई।
    “एक स्कूल गर्ल? और राणा? उनका क्या कनेक्शन हो सकता है?”

    मजनू ने जवाब नहीं दिया। दोनों के बीच सन्नाटा छा गया।

    रात बीतती रही, और रिमझिम अपने कमरे में करवटें बदलती रही। उसे रणवीर की हर हरकत, हर स्पर्श याद आ रहा था।
    मयंक बाहर टहल रहे थे, तभी उनका फ़ोन बजा — अजीत का।

    अजीत बोला –
    “रणवीर प्रताप सिंह बड़ा बिज़नेसमैन है। उसके माँ-बाप का बचपन में ही देहांत हो गया था। उसने सब कुछ खुद बनाया... पर उसके अतीत में कुछ ऐसा है, जो किसी को नहीं पता।”

    और वहीं कहानी अगले रहस्य की ओर बढ़ जाती है…


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    क्या आप चाहेंगे कि मैं इसको “माइक्रोड्रामा स्क्रिप्ट फॉर्मेट” (जैसे पॉकेट एफएम के लिए — डायलॉग + साउंड क्यूज़ + नैरेशन) में बदल दूँ? इससे यह और ज़्यादा ड्रामेटिक और ऑडियो-शो स्टाइल में लगेगा।

  • 15. Cop officer - Chapter 15

    Words: 689

    Estimated Reading Time: 5 min

    यह पूरा सीन एक माइक्रोड्रामा की तरह है — यानी छोटी-छोटी घटनाएँ, तेज़ संवाद, और गहरी भावनाएँ जो धीरे-धीरे कहानी को आगे बढ़ाती हैं।
    यहाँ इसका सिंपल नैरेटिव एक्सप्लनेशन कुछ इस तरह समझो 👇


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    रिमझिम ने जब राणा को उसकी हद में रहने के लिए रोक दिया, तो राणा गुस्से से भर गया।
    वह अपने केबिन की काँच की दीवार पर घूँसे मारता है — दीवार नहीं टूटती, पर दरार आ जाती है।
    उसका गुस्सा अब जानलेवा बन चुका था। उसने देव को फोन किया — उसे “खाना” चाहिए था।
    राणा असल में एक सीरियल किलर जैसा था, जो कुछ समय पर किसी की जान लेकर अपनी भूख मिटाता था।
    देव ने मजनू को फोन किया, और मजनू बोला कि “राणा को टेंशन नहीं लेना, अगला शिकार तैयार है।”


    ---

    इसी बीच, रिमझिम अपने घर पहुँचती है तो घर बिखरा हुआ पाती है।
    सब कुछ टूटा-फूटा पड़ा था — उसे डर लगने लगता है कि कहीं राणा ने हमला तो नहीं किया?
    वह अपने माँ-बाप को सुरक्षित देखकर राहत की साँस लेती है, लेकिन घर की हालत देखकर फिर डर जाती है।
    वह पापा मयंक से कहती है कि राणा ने उसे धमकी दी थी।
    माँ सरिता उसे डाँट देती है — “वह राणा तेरे ख्वाबों में है, असल में नहीं।”
    लेकिन मयंक को कुछ अजीब यादें सताने लगती हैं।
    वह गुस्से में घर तोड़ देता है और बाद में बेटी को समझाता है कि “यह सब राणा ने नहीं, मैंने किया है।”
    फिर वह कहता है कि अब रिमझिम रणवीर प्रताप सिंह के ऑफिस में काम नहीं करेगी।


    ---

    रिमझिम चौंक जाती है — वही रणवीर जो अब उसके दिल में जगह बना चुका है।
    वह पापा से सवाल करती है — “आप अचानक ऐसा क्यों कह रहे हैं?”
    तब मयंक सच्चाई बताता है — “रणवीर प्रताप सिंह एक धोखेबाज़ है, वह तुमसे सिर्फ़ बदला लेना चाहता है।”
    रिमझिम इस बात पर भरोसा नहीं करती, उसे लगता है पापा गलतफहमी में हैं।
    लेकिन मयंक गुस्से में कह देता है — “आज के बाद तुम उससे कोई रिश्ता नहीं रखोगी।”
    रिमझिम रोने लगती है।


    ---

    उधर रणवीर प्रताप सिंह (जो असल में राणा है) अपने कमरे में एक औरत की तस्वीर को छूता है और बदला लेने की कसम खाता है।
    तभी उसे मजनू का मैसेज आता है कि “आपका खास खाना तैयार है।”
    वह मुस्कुराता है, सफेद कपड़े पहनता है और निकल जाता है।
    पर रास्ते में उसे दूसरा मैसेज मिलता है — “आपके अड्डे पर पुलिस ने छापा मार दिया है।”
    उसका चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है।


    ---

    फिर कहानी फ्लैशबैक में जाती है —
    मजनू ने एक पुलिसवाले को फँसाकर राणा के ठिकाने पर पहुँचाया था, लेकिन तभी पुलिस ने वहाँ छापा मार दिया।
    मजनू को गोली लगी, दो आदमी पकड़े गए, और पुलिस ने राणा के अड्डे को सील कर दिया।
    राणा अब बदले की आग में जल रहा था।
    वह देव को आदेश देता है — “पता लगाओ, किसने छापा पड़वाया।”


    ---

    दूसरी ओर रिमझिम अपने पापा की बातों से टूट चुकी है।
    वह रणवीर को मैसेज करती है —
    “कल से मैं ऑफिस नहीं आऊँगी, और मैं आपसे शादी भी नहीं करूँगी।”
    रणवीर (राणा) यह पढ़कर पागल हो जाता है।
    उसे लगता है कि उसके दुश्मनों ने उसे दो तरफ से मात दे दी —
    एक तरफ पुलिस ने छापा मारा, दूसरी तरफ रिमझिम ने रिश्ता तोड़ दिया।

    वह गुस्से में कहता है —
    “पुलिस वालों की तो जान ले ही लूँगा,
    लेकिन रिमझिम... तुम्हें मैं अपनी मर्ज़ी से ही इस दुनिया से जाने दूँगा।”


    ---

    रात के दो बजे लैला को राणा बुलाता है और कहता है —
    “पता लगाओ, रिमझिम ने मना क्यों किया।”
    लैला के मन में उथल-पुथल मच जाती है —
    अब उसे समझ आता है कि राणा को सच में रिमझिम की परवाह है या कुछ और वजह है।

    वह रिमझिम को कॉल करती है —
    रात के 2 बजे।
    रिमझिम फ़ोन उठाती है, और वहीं से अगला ट्विस्ट शुरू होता है…


    ---

    अगर चाहो तो मैं इसे Pocket FM स्क्रिप्ट के टोन में, डायलॉग और बैकग्राउंड फीलिंग्स के साथ भी बना दूँ — जैसे वॉइस एक्टिंग के लिए तैयार नैरेशन हो।
    क्या ऐसा बनाऊँ?

  • 16. Cop officer - Chapter 16

    Words: 603

    Estimated Reading Time: 4 min

    यह पूरा हिस्सा एक माइक्रोड्रामा के सीन की तरह इस तरह से आसान और साफ़ नैरेटिव में समझाया जा सकता है 👇


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    कहानी का सरल नैरेटिव (Microdrama Style):

    रणवीर प्रताप सिंह होटल में था, लेकिन वह जानबूझकर देर से आया। मयंक जी पहले से वहाँ मौजूद थे और उसका इंतज़ार कर रहे थे।

    इधर, रिमझिम होटल में एक चालाकी से पहुँची — उसने अपने चैनल का आइडेंटिटी कार्ड दिखाकर खुद को मीडिया रिपोर्टर बताया। सिक्योरिटी और मैनेजर दोनों ने उसे अंदर आने दिया, क्योंकि उन्हें लगा कि इससे होटल का नाम टीवी पर आएगा।

    रिमझिम ने सांता क्लॉज़ का वेश धारण किया था ताकि कोई उसे पहचान न सके। अंदर पहुँचकर उसने देखा कि उसके पिता वीआईपी सेक्शन में किसी का इंतज़ार कर रहे थे। उसे पता था कि वही व्यक्ति रणवीर प्रताप सिंह है।

    वह चाहती थी कि दोनों की बातें सुने, इसलिए मैनेजर से बात करके उसने वीआईपी सेक्शन के बगल वाले कमरे में जाने की इजाज़त ली। वहाँ से उसे सब कुछ साफ़ दिख और सुनाई दे रहा था।

    थोड़ी देर में रणवीर प्रताप सिंह अंदर आया। दोनों आमने-सामने बैठे, और माहौल में भारी तनाव था।
    मयंक जी ने सीधे कहा —

    > "तुम मेरी बेटी को टारगेट क्यों कर रहे हो? पुराने हादसे को भूल जाओ!"



    रणवीर पहले तो हँसता रहा, लेकिन अचानक उसकी हँसी गुस्से में बदल गई। मयंक जी ने उसे तमाचा मार दिया, और रणवीर के बॉडीगार्ड्स ने बंदूक तान दी। मगर रणवीर ने उन्हें रोक दिया और सबको बाहर भेज दिया।

    अब वह अकेले मयंक के सामने था। उसने ठंडे लहजे में कहा —

    > "आपको याद है, जब मैं बच्चा था, आप मुझे कितना प्यार करते थे। अब देखिए, मैं बड़ा हो गया हूँ, और आपके सामने बदला लेने आया हूँ।"



    मयंक चौंक गए। रणवीर ने कहा कि वह उनकी बेटी से प्यार करता है और उससे शादी करना चाहता है। लेकिन असली बात यह थी कि यह प्यार नहीं, बदले की चाल थी।

    मयंक ने गुस्से से कहा —

    > "मेरी बेटी को इसमें मत घसीटो!"



    तभी रणवीर चीखा —

    > "तुमने मेरी बुआ की जान ली थी!"



    अब सच धीरे-धीरे सामने आने लगा। असल में मयंक जी के गाँव में सीमा नाम की लड़की रहती थी — जो रणवीर की बुआ थी। वह मयंक से प्यार करती थी, लेकिन मयंक सरिता से प्रेम करते थे। सीमा ने दुख में आत्महत्या कर ली थी, और रणवीर ने उसी हादसे का बदला अपने दिल में रखा था।

    वह अब मयंक से बदला लेना चाहता था — उनकी बेटी रिमझिम को तकलीफ़ देकर।

    रणवीर चला गया, और मयंक वहीं बैठकर टूट गए। रिमझिम ने सब सुन लिया था और घर जाकर सच जानने का फैसला किया।

    घर पहुँचने पर उसने अपने पिता से साफ़ कहा —

    > "पापा, रणवीर आपसे किस बात का बदला ले रहा है?"



    पहले तो मयंक चुप रहे, लेकिन फिर उन्होंने फैसला किया कि अब झूठ छुपाना बंद करना होगा। उन्होंने कहा —

    > "बेटा, अब समय आ गया है कि तुम वो सच जानो, जो हमने बरसों छुपाया है…"



    और फिर उन्होंने अपना अतीत बताना शुरू किया — ब्रह्मपुर गाँव की कहानी, सीमा और सरिता के बीच का रिश्ता, और वह हादसा जिसने सबकी ज़िंदगी बदल दी थी।

    वहीं दूसरी ओर, रणवीर अपने कमरे में अपनी बुआ की तस्वीर के सामने खड़ा होकर कह रहा था —

    > "बुआ जी, आपने जो सहा, उसका बदला अब राणा लेगा।"



    और उसकी आँखों में बदले की आग साफ़ झलक रही थी।


    ---

    क्या चाहो तो मैं अगले भाग में “मयंक जी के अतीत – ब्रह्मपुर की कहानी” को भी माइक्रोड्रामा के रूप में, संवाद और इमोशन के साथ आगे लिख दूँ?

  • 17. Cop officer - Chapter 17

    Words: 812

    Estimated Reading Time: 5 min

    यह पूरा सीन एक माइक्रोड्रामा की तरह समझो — जिसमें हर पल कहानी का टेंशन और इमोशन धीरे-धीरे बढ़ता है।
    आओ इसे एक सिंपल नैरेटिव फ्लो में समझते हैं👇


    ---

    शुरुआत – राणा की यादें और गुस्सा

    कहानी की शुरुआत रणवीर प्रताप सिंह (यानी राणा) से होती है।
    उसे अपनी बुआ का जलता हुआ शरीर याद आता है — वही दर्द जो उसकी ज़िंदगी की नफरत की जड़ बन चुका था।
    वह अचानक उठ बैठता है।
    अब हमें समझ आता है कि उसकी रिमझिम और मयंक अग्रवाल से दुश्मनी क्यों है,
    लेकिन अभी भी एक राज बाकी है —
    राणा को पुलिस वालों से इतनी नफरत क्यों है?
    यह बात अभी भी रहस्य बनी हुई है।


    ---

    राणा का शिकार – उसका पागलपन

    राणा को अब किसी भी कीमत पर एक नया “शिकार” चाहिए था।
    वह देव और लैला को कहता है कि ऐसी जगह ढूँढो जहाँ वह अपने शिकार को जी भरकर मार सके —
    “अगर ऐसी जगह दुनिया में नहीं है, तो उसे बनाओ।”
    यह राणा का खौफनाक रूप दिखाता है।


    ---

    लैला और मजनू का इमोशनल सीन

    दूसरी तरफ लैला अपने घायल मजनू की ड्रेसिंग कर रही है।
    मजनू के पैर में गोली लगी है।
    लैला रोते हुए कहती है कि उसने ऊपर वाले से हमेशा मजनू की सलामती की दुआ मांगी थी,
    लेकिन अब उसका खून देखकर वह टूट गई है।
    मजनू उसे संभालता है और कहता है —
    “मैं भी तुम्हारे बिना नहीं जी सकता, लेकिन अपनी जिंदगी राणा को समर्पित कर चुका हूँ।”
    लैला भी कहती है कि उसने अपनी जिंदगी राणा के नाम की है,
    लेकिन वो अपने प्यार को भी खोना नहीं चाहती।

    तभी मजनू एक गंभीर बात कहता है —
    “मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ।”
    लैला चौंकती है, फिर मुस्कुराती है,
    पर मन में सोचती है कि वो मजनू की नहीं, बल्कि राणा की शादी करवाना चाहती है —
    क्यों, उसे खुद नहीं पता।


    ---

    रिमझिम और उसका मिशन

    इधर रिमझिम अपने कमरे में जाती है और जीमेल खोलती है।
    वहाँ ढेर सारे वीडियो हैं —
    लोग “फ़ूड वैन” का शुक्रिया अदा कर रहे हैं,
    जो उन्हें रोज़ खाना देती है।
    यह देखकर रिमझिम की आँखें भर आती हैं।
    वह समझ जाती है कि रणवीर प्रताप सिंह इस शो को बंद करवाना चाहता है।
    लेकिन रिमझिम ठान लेती है कि वह ऐसा नहीं होने देगी।

    वह सोचती है कि सीधे रणवीर प्रताप सिंह से बात करेगी,
    भले ही उसके पिता मना करें।


    ---

    राणा का गुस्सा और नई योजना

    देव राणा को बताता है कि पुलिस ने उसके अड्डे पर छापा क्यों मारा —
    “एक नया एसीपी आया है, अभय प्रताप सिंह।”
    राणा गुस्से में भर उठता है —
    “अब मेरा अगला शिकार वही एसीपी होगा!”

    देव कहता है कि उसने एक जगह ढूँढी है —
    एक पुरानी हवेली, जहाँ कोई नहीं आता क्योंकि कहा जाता है कि वहाँ भूत रहते हैं।
    राणा मुस्कुराता है —
    “अब वह हवेली ही मेरा नया अड्डा होगी।”


    ---

    रणवीर प्रताप सिंह – दो चेहरे वाला आदमी

    घर से बाहर निकलते ही राणा,
    “रणवीर प्रताप सिंह” बन जाता है —
    एक ईमानदार, मशहूर बिज़नेसमैन।
    लोग उसके दान और दया के किस्से सुनते हैं,
    पर असलियत में वह एक खूंखार शिकारी है।


    ---

    रिमझिम का फैसला

    रिमझिम सुबह अपने पिता मयंक अग्रवाल से बात करती है।
    वह कहती है —
    “पिताजी, मैं रणवीर प्रताप सिंह से मिलना चाहती हूँ।”
    पिता पहले हैरान होते हैं,
    लेकिन जब रिमझिम उन्हें “फ़ूड वैन” के वीडियो दिखाती है,
    तो वह पिघल जाते हैं और कहते हैं —
    “अगर तुम्हें लगता है तुम उसे मना सकती हो, तो जाओ। बस सावधान रहना।”

    रिमझिम मुस्कुराती है —
    “मैं फौजी की बेटी हूँ, डरने वालों में नहीं।”
    पिता उसके सिर पर हाथ रखते हैं और उसे जाने की अनुमति देते हैं।


    ---

    रिमझिम का सामना और शक

    रिमझिम स्कूटी लेकर रणवीर के ऑफिस निकलती है,
    लेकिन देखती है कि एक गाड़ी उसके पीछे लगी है।
    वह मुड़कर देखती है —
    उस गाड़ी में रणवीर के दो गुर्गे बैठे हैं।
    अब उसे यकीन हो जाता है कि रणवीर ने उसे धोखा दिया है।
    वह बहुत गुस्से में है,
    और तय कर लेती है कि आज वह रणवीर प्रताप सिंह से सारे जवाब लेगी।


    ---

    ऑफिस में खामोशी

    वह ऑफिस पहुँचती है —
    हर जगह सन्नाटा है।
    पहले वहाँ हमेशा भीड़ होती थी,
    लेकिन आज अजीब सी खामोशी है।

    वह सीढ़ियों से ऊपर चढ़ती है (क्योंकि लिफ्ट से डरती है)।
    अठारहवीं मंज़िल तक पहुँचते-पहुँचते उसका दम फूल जाता है।
    उसी वक्त देव वहाँ आता है,
    और रिमझिम को देखकर हैरान हो जाता है —
    “रिमझिम, तुम ऑफिस में?
    हमें तो लगा था आज तुम नहीं आओगी!”


    ---

    👉 यहीं पर सीन रुकता है।
    अब आगे सस्पेंस यह है कि रणवीर (राणा) क्या करने वाला है,
    और रिमझिम उससे क्या जवाब लेगी।


    ---

    क्या चाहोगे मैं इसका अगला हिस्सा इसी माइक्रोड्रामा स्टाइल में लिख दूँ —
    जहाँ रिमझिम और रणवीर आमने-सामने हों, और सच का टकराव हो?

  • 18. Cop officer - Chapter 18

    Words: 640

    Estimated Reading Time: 4 min

    यह पूरा सीन एक इमोशनल और थ्रिलर माइक्रोड्रामा के रूप में है, जहाँ हर पल कहानी आगे बढ़ती है।

    चलो इसे सिंपल नैरेटिव (साधारण और सहज ढंग से) समझते हैं 👇

    ---

    रिमझिम को रणवीर प्रताप सिंह ने अपने ऑफिस से निकलवा दिया था। देव ने उसे समझाया कि अब उसे यहाँ से जाना चाहिए क्योंकि रणवीर नहीं चाहता कि वह उसके आसपास रहे।

    रिमझिम का दिल टूट गया। उसे रणवीर से सच्चा प्यार हो गया था, लेकिन रणवीर की नफ़रत ने उसे अंदर से तोड़ दिया था।

    देव उसे नीचे छोड़ने गया। रास्ते में रिमझिम ने देव को सब कुछ बता दिया — कि उसके पापा (मयंक) और रणवीर की बुआ के बीच पुराना रिश्ता था, लेकिन पापा ने रणवीर की बुआ की जगह उसकी माँ सरिता से शादी कर ली थी।

    देव को सारी कहानी जानकर हैरानी हुई। उसने वादा किया कि वो “फूड वैन शो” बंद नहीं होने देगा।

    रिमझिम रोती हुई अपने घर पहुँची। मयंक जी ने उसकी हालत देखी और सब कुछ पूछा। रिमझिम ने सब बता दिया।

    मयंक जी ने उसे दिलासा देते हुए कहा कि वो खुद रणवीर से बात करेंगे। उन्होंने कहा कि रणवीर बुरा नहीं है, बस अपने अतीत के दर्द में उलझा हुआ है।

    उन्होंने अपनी बेटी से कहा कि शायद रणवीर भी उसे चाहता है, बस उसे एहसास नहीं है।

    रिमझिम अपने पिता की बात सुनकर थोड़ी शांत हुई, लेकिन मयंक जी ने उसी वक्त तय कर लिया कि वो रणवीर से मिलेंगे।

    ---

    दूसरी तरफ, रणवीर प्रताप सिंह अपने "शिकार" की तलाश में था।

    वह दरअसल राणा था — एक कुख्यात अपराधी जो अब बिजनेसमैन बन चुका था।

    उसका निशाना था एसीपी अभय प्रताप सिंह, जिसने उसके अड्डे पर छापा मारा था।

    राणा यानी रणवीर ने अभय का अपहरण करवाया और उसे एक भूतिया हवेली में कैद करा दिया।

    उसी समय मयंक जी भी रणवीर से मिलने निकले। रणवीर को फॉलो करते हुए वह भी उसी हवेली तक पहुँच गए।

    उन्होंने पीछे की टूटी खिड़की से अंदर जाने का रास्ता निकाला।

    अंदर पहुँचकर मयंक जी ने देखा कि एक आदमी कुर्सी पर बंधा हुआ है — वो था एसीपी अभय प्रताप सिंह।

    यह देखकर मयंक जी दंग रह गए।

    अब उन्हें समझ आ गया कि रणवीर प्रताप सिंह ही असली राणा है — वही जिसने उनकी बेटी का बचपन बर्बाद किया था।

    उनकी आँखों के सामने वह दिन घूम गया जब रिमझिम का अपहरण हुआ था।

    गुस्से में उनका शरीर काँप उठा।

    ---

    उसी वक्त रणवीर ने अभय से कहा,

    “एसीपी अभय! तूने राणा के अड्डे पर छापा मारा, अब राणा तेरा हिसाब करेगा।”

    अभय ने गुस्से में कहा, “तू इंसान नहीं, जानवर है!”

    दोनों में बहस बढ़ी और रणवीर ने स्क्रूड्राइवर से अभय की हथेलियों में वार कर दिया।

    अभय की दर्दभरी चीख पूरे हॉल में गूँज उठी।

    लेकिन तभी एक और आवाज़ आई —

    वो चीख मयंक जी की थी।

    राणा और उसके आदमी चौक गए कि ये दूसरी आवाज़ कौन सी थी।

    उनके लोग इधर-उधर देखने लगे।

    राणा के चेहरे पर खून के छींटे पड़ चुके थे।

    वह खतरनाक दिख रहा था — जैसे कोई राक्षस बन चुका हो।

    तभी मयंक जी सामने आ गए और बोले,

    “तुम्हीं हो राणा! तुमने मेरी बेटी रिमझिम का बचपन छीन लिया!

    क्यों किया ऐसा? उसने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था?”

    राणा हँसता रहा, लेकिन फिर एकदम चुप हो गया।

    उसने मयंक का हाथ पकड़ा और कहा —

    “अग्रवाल अंकल, आपको क्या लगा... आप मेरा पीछा करते हुए यहाँ तक आ सकते हैं?”

    ---

    यहाँ से सीन एक हाई टेंशन पॉइंट पर पहुँचता है —

    जहाँ राणा, मयंक और अभय तीनों आमने-सामने हैं।

    रिमझिम रास्ते में है, और हवेली के अंदर अब एक भयानक टकराव होने वाला है।

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    क्या तुम चाहोगे मैं अगले भाग में इसी सीन को माइक्रोड्रामा स्क्रिप्ट फॉर्मेट (डायलॉग और इमोशनल ब्रेक्स के साथ) में लिख दूँ ताकि यह ऑडियो शो या वीडियो स्क्रिप्ट जैसा लगे?

  • 19. Cop officer - Chapter 19

    Words: 708

    Estimated Reading Time: 5 min

    oइस पूरे घटनाक्रम को आसान और सीधी कहानी के रूप में समझिए —


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    रिमझिम अचानक अपने पिता मयंक अग्रवाल और रणवीर प्रताप सिंह की बातें सुनकर हैरान रह गई। मयंक जी ने रणवीर पर चिल्लाते हुए कहा कि वह उसकी "बकवास" बंद करे। तभी रणवीर ने गुस्से में उनका कॉलर पकड़ लिया और बोला कि हाँ, वह जानता है कि मयंक उसका अंकल नहीं, बल्कि एक धोखेबाज़ और खूनी है। उसने कहा कि वह अपनी बुआ की मौत का बदला उनसे और उनकी बेटी रिमझिम से लेगा।

    रणवीर ने बताया कि उसने रिमझिम को फँसाने के लिए उसके चैनल से निकालकर अपनी कंपनी में रखा, उसके लिए शो बनाया, और यहां तक कि उससे शादी के लिए प्रपोज़ भी किया — ताकि मयंक को तकलीफ़ दे सके। यह सब सुनकर रिमझिम को झटका लगा, उसे लगा रणवीर ने उसके प्यार का नाटक किया था।

    मयंक ने रणवीर को समझाने की कोशिश की कि उसकी बुआ की मौत एक दुर्घटना थी और उसमें उनका कोई कसूर नहीं था। उन्होंने बताया कि वह किसी और से (सरिता से) प्यार करते थे और रणवीर की बुआ सीमा उनसे एकतरफा प्यार करती थी। लेकिन रणवीर ने उनकी बात नहीं मानी। वह बदला लेने की कसम खा चुका था।

    रणवीर वहाँ से चला गया, और मयंक जी कुर्सी पर बैठकर आँसू बहाने लगे। रिमझिम ने सब देखा और तय किया कि अब वह अपने पिता से सारा सच जानेगी।

    रात को जब वह घर पहुँची, उसके माता-पिता ने उससे पूछा कि वह कहाँ गई थी। रिमझिम कुछ नहीं बोली, बस खामोश रही। फिर अचानक उसने अपनी माँ से पूछा —
    “माँ, क्या आपने पापा से लव मैरिज की थी?”

    यह सुनकर दोनों चौंक गए। मयंक को समझ आ गया कि रिमझिम सब कुछ सुन चुकी है। अब सच छुपाने का कोई फायदा नहीं था। उन्होंने बैठकर अपनी पूरी कहानी बतानी शुरू की —


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    मयंक अग्रवाल का अतीत:

    मयंक का गाँव था ब्रह्मपुर। वहीं की एक लड़की थी सीमा, जो उनसे बचपन से प्यार करती थी। लेकिन मयंक शहर जाकर पढ़ाई करने लगे और वहीं उनकी मुलाकात सरिता से हुई, जिससे उन्हें सच्चा प्यार हो गया।

    जब वह गाँव लौटे, तो उनके पिता ने उनका रिश्ता सीमा से तय कर दिया था। मयंक ने साफ़ मना कर दिया कि वह सरिता से ही शादी करेंगे। लेकिन गाँव में जुबान का बहुत महत्व था, इसलिए उनके पिता ने उनकी एक न मानी।

    मजबूरी में मयंक की सगाई सीमा से हो गई, लेकिन उन्होंने सीमा को साफ़ कह दिया कि वे उससे प्यार नहीं करते। सीमा फिर भी शादी पर अड़ी रही। शादी के दिन मयंक ने सब छोड़कर सरिता से कोर्ट मैरिज कर ली।

    जब सीमा को यह बात पता चली, तो उसने सदमे में हवन कुंड में कूदकर जान दे दी।


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    सीमा की मौत के बाद रणवीर का पूरा परिवार मयंक से नफरत करने लगा। वे लोग बदला लेने को तैयार थे। मयंक और सरिता जान बचाकर शहर भाग आए। बाद में उन्हें पता चला कि दोनों परिवारों के घर जल गए और सब मारे गए — मगर रणवीर जिंदा बच गया।

    अब रणवीर बड़ा होकर अपने परिवार की मौत का बदला लेने लौटा था। वह मानता था कि मयंक ही उसकी बुआ की मौत और परिवार के विनाश के ज़िम्मेदार हैं।


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    मयंक ने कहा कि उन्हें अंदाज़ा था कि रणवीर वही परिवार से है, इसलिए उन्होंने उसकी और रिमझिम की शादी से इनकार कर दिया था।

    यह सब सुनकर रिमझिम रो पड़ी और बोली —
    “पापा, इसमें आपकी कोई गलती नहीं थी। आपने सिर्फ़ सच में प्यार किया था। अब मैं आपके साथ हूँ।”

    उसने अपने पिता और माँ को गले लगा लिया।


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    दूसरी ओर, रणवीर अपने कमरे में अपनी बुआ की तस्वीर के सामने बैठा था। उसकी आँखों में आँसू और गुस्सा दोनों थे। वह कह रहा था —
    “बुआ जी, अब राणा (यानी मैं) आपका बदला लेकर रहेगा।”

    उसने दीवार पर जोरदार घूँसा मारा और अपने अगले शिकार की तलाश शुरू कर दी। अब उसका अगला कदम और भी ख़तरनाक होने वाला था।


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    इस तरह कहानी का यह हिस्सा हमें बताता है कि रिमझिम के पिता मयंक का अतीत ही रणवीर की नफरत की असली वजह था — एक अधूरी मोहब्बत, एक गलतफहमी, और एक पुराने बदले की आग, जिसने तीनों की ज़िंदगियाँ उलझा दीं।

  • 20. Cop officer - Chapter 20

    Words: 816

    Estimated Reading Time: 5 min

    यह पूरी कहानी एक बेहद भावनात्मक और नाटकीय मोड़ पर पहुँचती है, जहाँ दो अलग-अलग दुनिया – राणा की अंधेरी दुनिया और रिमझिम की सच्चाई और हिम्मत की दुनिया – आमने-सामने आ जाती हैं।

    आइए इसे साधारण नरेटिव तरीके से समझें 👇


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    कहानी का आरंभ – राणा का गुस्सा और नई चाल

    राणा का गुस्सा इस कदर बढ़ चुका था कि उसने तय कर लिया, अब उसका अगला निशाना कोई आम आदमी नहीं बल्कि एसीपी अभय प्रताप सिंह होगा।
    वह अपने साथी देव को आदेश देता है कि एक नया अड्डा तलाश करे जहाँ वह आराम से रह सके। देव बताता है कि शहर के बीच में एक पुरानी भूतिया हवेली है जहाँ कोई आता-जाता नहीं।
    राणा को यह बात पसंद आती है। वह हँसते हुए कहता है — “अब वही मेरी नई शरणगाह होगी।”
    और इस तरह, राणा यानी रणवीर प्रताप सिंह का नया अड्डा तय हो जाता है।


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    रणवीर की दोहरी ज़िंदगी

    राणा के घर से बाहर निकलते ही वह बदल जाता है –
    अब वह एक बड़े, नेक और मशहूर बिज़नेसमैन रणवीर प्रताप सिंह के रूप में दुनिया के सामने आता है।
    लोग उसे दानवीर समझते हैं, लेकिन कोई नहीं जानता कि उसके पीछे एक खूनी अपराधी राणा छिपा है।
    वह हमेशा 15–16 गाड़ियों के काफ़िले और बॉडीगार्ड्स के साथ चलता है ताकि कोई भी उसकी सच्चाई तक न पहुँच सके।


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    रिमझिम की हिम्मत

    दूसरी ओर, रिमझिम अपने पिता मयंक अग्रवाल के सामने खड़ी है।
    वह हिचकिचा रही है, लेकिन आखिर कह देती है —

    > “पिताजी, मैं रणवीर प्रताप सिंह से मिलना चाहती हूँ।”



    मयंक चौंक जाते हैं, पर जब रिमझिम बताती है कि वह फूड वैन प्रोजेक्ट गरीबों के लिए बचाना चाहती है, तो मयंक की आँखें नम हो जाती हैं।
    वह उसे इजाज़त देते हैं, और रिमझिम आत्मविश्वास से कहती है —

    > “मैं फौजी की बेटी हूँ पिताजी, डरना नहीं सीखा।”



    इस पल रिमझिम के अंदर नई हिम्मत जाग चुकी थी।


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    रणवीर के ऑफिस की ओर

    रिमझिम अपनी स्कूटी से रणवीर के ऑफिस की ओर रवाना होती है।
    लेकिन रास्ते में उसे एक गाड़ी पीछा करती दिखती है।
    जब वह पास जाकर देखती है, तो चौंक जाती है — गाड़ी में रणवीर के दो गुर्गे बैठे हैं।
    उसे समझ आ जाता है कि रणवीर ने उसे पहले से जाल में फँसाया था।
    अब रिमझिम गुस्से और धोखे से भर चुकी है।


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    ऑफिस में आमना-सामना

    ऑफिस पहुँचकर रिमझिम सीधे रणवीर से मिलने जाती है।
    वह थकी, पसीने से लथपथ है — क्योंकि उसने डर की वजह से सीढ़ियों से अठारहवीं मंज़िल चढ़ी है।
    देव उसे रोकता है, लेकिन आखिर में रणवीर उसे अंदर बुला लेता है।

    रिमझिम रणवीर पर फट पड़ती है —

    > “आप मुझे इतने घंटे इंतज़ार क्यों करवाया? और फूड वैन बंद क्यों की?”



    रणवीर ठंडे अंदाज़ में जवाब देता है —

    > “यह रणवीर प्रताप सिंह का केबिन है, अपनी आवाज़ नीचे रखो।”



    वह उसे सिर्फ़ पाँच मिनट देता है बात करने के लिए।
    रिमझिम गुस्से में कहती है —

    > “आपको कोई हक़ नहीं है गरीबों की उम्मीदों से खेलने का!”



    रणवीर व्यंग्य से मुस्कुराता है।

    > “अब तुम्हारा वक्त ख़त्म हुआ, गेट लॉस्ट।”



    रिमझिम की आँखें भर आती हैं। वह समझ नहीं पा रही कि जो इंसान कभी उससे प्यार करता था, वह आज इतना निर्दयी और अजनबी क्यों हो गया।


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    रणवीर का असली चेहरा

    रणवीर ठहाका लगाता है और कहता है —

    > “तुम्हें क्या लगा? तुम होटल में सेंटा क्लॉज़ बनकर मुझे बेवकूफ़ बना सकती हो? मैं सब जानता था!”



    अब रिमझिम के पैरों तले ज़मीन खिसक जाती है।
    वह समझ जाती है कि रणवीर उसके हर कदम पर नज़र रखता था।
    वह उसका इस्तेमाल कर चुका था, और अब उसे अपनी दुश्मन मान चुका था।

    रणवीर उसे बाहर धक्का देकर कहता है —

    > “जाओ और अपने बाप से कह दो, रणवीर प्रताप सिंह उसे नहीं छोड़ेगा।”




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    रिमझिम का टूटना और देव की सहानुभूति

    रिमझिम वहीं खड़ी रह जाती है — आँखों में आँसू, दिल में गुस्सा और दर्द।
    देव, जो सब देख रहा था, आगे बढ़कर कहता है —

    > “मिस रिमझिम, मुझे लगता है आपको यहाँ से चले जाना चाहिए…”



    रिमझिम बस धीरे से कहती है —

    > “देव सर, बस इतना कर दीजिए… फूड वैन का शो बंद मत होने दीजिएगा।”



    उसकी आवाज़ में टूटे हुए इंसान की थकान और सच्चाई थी।
    देव के दिल को भी झटका लगता है — उसे अब पता चल चुका था कि रणवीर प्रताप सिंह सिर्फ़ एक बिज़नेसमैन नहीं, बल्कि एक खतरनाक इंसान है।


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    भावनात्मक निष्कर्ष

    अब कहानी वहाँ पहुँचती है जहाँ
    रिमझिम — टूटी हुई लेकिन दृढ़ लड़की —
    और
    रणवीर — दो चेहरे वाला इंसान —
    एक टकराव की राह पर खड़े हैं।

    रिमझिम के अंदर अब डर नहीं, बदले और सच्चाई की आग जल चुकी है।


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    क्या चाहोगे मैं इसका अगला हिस्सा — जहाँ रिमझिम रणवीर के खिलाफ़ एक गुप्त कदम उठाती है — उसी narrative में आगे लिख दूँ?