सीने में धड़कता एक दिल उसके भी है मगर पत्थर सा कठोर है वो, उसे किसी की परवाह नहीं , किसी भी रिशतों की डोर से उसने कभी खुद को बंधने नहीं दिया, उसे ना अपनो से फर्क परता है ना गैरो से, फर्क परता है तो सिर्फ खुद से मतलब है तो सिर्फ खुद से ,, कठोर, वेपरवा... सीने में धड़कता एक दिल उसके भी है मगर पत्थर सा कठोर है वो, उसे किसी की परवाह नहीं , किसी भी रिशतों की डोर से उसने कभी खुद को बंधने नहीं दिया, उसे ना अपनो से फर्क परता है ना गैरो से, फर्क परता है तो सिर्फ खुद से मतलब है तो सिर्फ खुद से ,, कठोर, वेपरवाह, बेरूखे अवदान रायचंद के पत्थर से दिल को आज तक किसी के आसूं ना किसी का प्यार पिघला पाया,पर उस रात कुछ ऐसा हुआ के बदल गया सब कुछ अवदान रायचंद के किस्से का अंत होगया और उसी अंत से शुरूआत हुइ एक नइ काहानी की, काहानी नइ, शरीर नया रूह वही आखिर क्या हुआ था उस जो बदल गया सब कुछ?
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रायचंद हवेली,,बेहद बड़ा और बेहद खुबसूरत इस हवेली के एक कमरे में, झिलमिलाती सुनहरी धुप ठंडी हल्की हवायों को साथ लिए खिड़की के पर्दों संग खेलते हुए अंदर आरही है कमरा बेहत खुबसूरती से सजाया गया है हर एक चीज सलीके से अपनी जगह पर रखी है वीच में रखे किंग साइज वेड पर एक लड़का पीलो में चहरा छुपाये पेट के बल लेटा है
जिस वजह से उसका चहरा नहीं दिख रहा बिखरें बालो के बीच उसकी बंद आखें, इन आखों के आगे घनी पलको का पहड़ा है शर्टलेस होने की वजह से उसकी पीठ दिख रही है, वो थोड़ा सा हिला तभी साइड में परा उसका फोन घनघनाने लगा फोन की आवाज से उसकी नींद टुटी फोन हाथ में लिए कॉल रिसीव कर कान से लगाया उस तरफ से कुछ कहा किसी ने जो सुनने के बाद वो अलसाइ आवाज में जबाब देते हुए और सामने बाले की बीच में टोकते हुए बोलने लगा "आज का शेड्यूल केंसल कर दो"
उसकी बात पर उस तरफ से कुछ सेकंड की चुप्पी के बाद एक सबाल आया "पर क्यों सर? " तो उस लड़के ने शांत लिहाजे में जबाब दिया "मैं ये तुम्हे बताना जरूरी नही समझता, जितना कहा उतना करो" अपनी बात बोल उसने फोन रख दिया ,अब वो उठकर बैठ गया उसका खुबसूरत चहरा अब दिख रहा है गौरा रंग सही सेप का चहरा, घनी बियर्ड, लम्बा तीखा नाक हल्के बड़े हल्के गुलाबी होंठ ,काली आखें जिनके आगे घनी पलके बिखरे बाल, वो बेहद ज्यादा आकर्षक लग रहा है,,
फोन हाथ में लिये किसी को कॉल करने लगा एक दो रिंग के बाद कॉल रिसीव होगया उस तरफ से कुछ कहा जिस पर वो बस इतना भी बोला "तय्यार रहना हमें एक घंटे बाद निकलना है " उस तरफ से एक लड़की की आवाज आइ "ओके अवि तो बाद में मिलते हैं वाय लव यू " इसपर वो बस "हम्म " बोलकर फोन रख देता है,,
वो उठकर बाथरूम की तरफ जाने लगा वो जाता उसके पहले ही उसके कानो से दरवाजा खटखटाने की आवाज आइ वो दरवाजे की ओर गया दरवाजा खोल देखा तो एक लड़का खड़ा है उसे देख वो बोला "क्या चाहिए अवीर? क्या वजह है यहा आने कि? " उसके सबालो को सुन अवीर हल्का सा मुस्कुराकर बोला,,
अवीर - माफ करना, बिना किसी वजह के अवदान रायचंद को डिस्टर्ब करने के लिए, मैं बस कुछ पुछना चाहता हु, कुछ मिनट मिलेंगे?(उसकी बाते सुन अवदान ने उसे घुरकर देखते हुए कहा "पुछो " अवीर बोला)अंदर नहीं बुलायेंगे?
अवदान उसके सबाल पर जबाब दिये बगैर ही अंदर आगया उसके ऐसा करने का मतलब वो उसे भी अंदर आने को बोल रहा है अवदान उसकी ओर मुड़ते हुए बोला "बोल तुझे क्या बोलना है ? "
अवीर - भाइ आप सच में पार्वी से प्यार करते हैं? (अवदान उसके सबाल पर चुपरहा तो अवीर ने फिर से पुछा) कुछ दिनो पहले तो आप बस नाटक कर रहें थे तो अब क्या....
अब अवदान चुप्पी तोड़ उसे टोकते हुए बोला "हाँ करता हु तो क्या? " जबाब के साथ सबाल किया जो सुन अवीर ने भी सबाल किया )मगर अचानक कैसे हुआ?
अवदान -इसबात का एक्सप्लेनेशन मैं तुझे देना जरूरी नहीं समझता और कुछ पुछना है? या सिर्फ इतना ही?
उसका सबाल और बात सुन गहरी सांस लिए बोला "नहीं और कुछ नहीं " उसका जबाब सुन अवदान कुछ बोला नहीं और चला गया बाथरूम की ओर उसे जाते देख कुछ सोचते हुए उसने सर हिलाया,
कुछ देर बाद,,,
अवदान शीशे के सामने खड़ा बाल ठीक कर रहा था तभी किसी ने उसे बुलाया "अवि कही जारहा है बेटा? "
अवदान -हाँ माँ दुबई जारहा हु (तो उन्होंने पुछा "पार्वी?") वो साथ जारही है (उन्होंने फिर से सबाल करते हुए कहा " पर बेटा कल अवीर का जन्मदिन है और परसो तुम्हे डॉक्टर के पास जाना है.... " वो उन्हो टोकते हुए बोला) वहा से भी हो सकता है चेक अप मॉम (वो जानती थी अब बातें बढ़ाना बेकार है फिर भी वो बोली "पर कब तक आयेगा तु? जल्दी तो आजायेगा न? तु जानता है न तुझे देखे बिना ना मैं ठीक रहती हु ना घरवाले में कोई दो दिन बाद तेरे बहन की सगाइ भी है तो जल्दी आना अवि अपना ख्याल रखना " उनके दोवारा एक ही बात दोहराने से वो भड़कते हुए बोला) माँ बच्चा नहीं हु मैं ख्याल रख सकता हु अपना ब्रेन केंसर है मुझे, कुछ साल या कुछ महीने या कुछ दिन है मेरे पास पर एक दिन या कुछ घंटों में नहीं मरूंगा इतनी फिक्र मत किजिए,,
उसकी तीखी बात उन्हें तीर की तरह चुभ गई उन्होंने फिर भी हल्का सा मुस्कान होंठो पर सजाये कहा "ठीक है सिर्फ एक ही बार कहु़गी अपना ख्याल रखना सम्हाल कर जाना"
वो इसबार बस हां कहता है उसकी बातों से वो उदास होगई उनकी तरफ मुड़कर अवदान ने उनके पाओं छुये उन्होंने हल्के से उसके बालो में हाथ फेरा और फिर आगे कुछ कहे बगैर चली गई,,,
कमरे के बाहर आकर वो खड़ी होगई अवदान की बातों से उनके चहरे पर मायूसी की रेखाएँ छाई है, उनकी आखों से आसूं वेह ने लगे तभी अवीर जो की वही दरवाजे के पास खड़ा था वो उनके पास आकर उन्हें सम्हालते हुए बोला "बड़ी माँ आप ऐसे रोइये मत " उसकी बात पर वो चुप रही,,
अवीर ने आगे कुछ काहा नहीं वो उन्हें साथ लिये चलने लगा अवदान की कहीं बात याद कर वो मन में बोला "सही कहते हैं सब ये सच में हार्टलेस है आज से नहीं हमेशा से किसी के लिये नहीं सोचता, इसे ना किसी के इमोशन कि कदर है ना किसी रिशते कि, अपनी फिकर है ना ही अपने माँ कि"
वही अवदान फोन पर किसी से कुछ कह रहा था उसकी तेज आवाज कमरे के सन्नाटे को चिढ़ते हुए गुंज रही थी अपनी बात बोल फोन रख वो बैठ गया और खालि आखों से दीवार को घुरने लगा, भले ही चहरा और आखे शांत है है मगर उसके दिमाग किसी और बात की हलचल है कुछ सोचते हुए कुछ सेंकड के लिए उसने आखें बंद कर, कुछ याद कर उसने फिर से किसी को कॉल किया, कॉल रिसीव होते ही वो कहने लगा....
क्रमश....