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Tangled Hearts

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Simran Ansari

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ओबेरॉय खानदान की बहू बनने के बाद भी कनिष्का को मिला सिर्फ ओबेरॉय सरनेम इसके अलावा उसे और कुछ नहीं मिला ना ही पति का प्यार ना ही उसकी अटेंशन और ना ही उसका साथ उनका रिश्ता भी बस जबरदस्ती ही जुड़ा था कनिष्का के पति अवनीश को, कभी भी उसमें इंटरेस्ट नहीं र...

Total Chapters (37)

Page 1 of 2

  • 1. Tangled Hearts - Chapter 1

    Words: 1535

    Estimated Reading Time: 10 min

    1 रात के लगभग 10:00 बजे का वक्त; एक बहुत ही बड़ा सा बंगला जिस पर पूरा वाइट कलर का पेंट था और दीवारों और फर्श पर सबसे महंगे व्हाइट मार्बल लगे हुए थे , इसके अलावा उसके बाहर गार्डन जिसमें बहुत ही सलीके से सारे पेड़ों को कट करके बहुत अच्छी सजावट की गई थी जो की दूर से देखने में ही इतनी अट्रैक्टिव लग रही थी और उस आलीशान सफेद रंग के बंगले की शान में और चार चांद लग रही थी। इस घर की पहली मंजिल पर बनी हुई उस बड़ी सी बालकनी में एक औरत व्हाइट सिल्क नाइट गाउन पहन कर खड़ी हुई थी उसने रेलिंग पर अपना हाथ रखा हुआ था और ऊपर आसमान में टिमटिमाते तारों की तरफ देखते हुए अपने मन में कुछ सोच रही थी या फिर शायद बहुत कुछ.... मायूसी उसके चेहरे पर साफ नजर आ रही थी। "आज रात एक बार फिर से इतने बड़े घर में मैं अकेली हूं वैसे तो अब तक मुझे आदत पड़ जानी चाहिए, क्योंकि इतने दिन हो गए थे , दिन नहीं, महीने! लेकिन फिर भी पता नहीं क्यों अकेले रहती हूं तो ये घर जैसे मुझे काटने को दौड़ता था , इतना बड़ा घर इतने नौकर चाकर और शादीशुदा होते हुए भी मैं यहां पर कितनी अकेली हूं। ओबराॅय खानदान की बहू बनने के बाद भी मुझे कुछ मिला था तो सिर्फ उनका सरनेम और कुछ भी नहीं..." अपने मन में यह सब कुछ बोलते हुए उस औरत के चेहरे पर एक हल्की सी तिरछी मुस्कुराहट आ गई। उसने अपना चेहरा नीचे करते हुए सामने की तरफ देखा तो गार्डन एरिया में लगी हुई लाइट की रोशनी उसके चेहरे पर पड़ी। वह औरत बहुत ही खूबसूरत लग रही थी, उसका छोटा गोल चेहरा पतली नाक और हल्की भूरी आंखें उस पर उसके खुले काले बाल जो कि उसके माथे और चेहरे पर भी आ रहे थे। जो कि उसके पूरा लुक को और भी ज्यादा सुंदर बना रहे थे इसके अलावा उसकी पतली गर्दन और एकदम परफेक्ट फिगर भी उस लड़की को अट्रैक्टिव बना रहा था । वह लड़की बहुत ज्यादा सुंदर तो लग रही थी लेकिन उदास होने की वजह से, उसका चेहरा बुझा हुआ लग रहा था और मुस्कुराहट भी उसके चेहरे से बहुत ही दूर थी । उस आलीशान बंगले की बालकनी में अकेली खड़ी वो लगभग 24 25 साल की खूबसूरत लड़की कोई और नहीं ओबेरॉय खानदान की बहु था कनिष्का ओबेरॉय, जिसकी शादी 6 महीने पहले इस घर के मालिक और ओबरॉय खानदान के बेटे अवनीश ओबेरॉय के साथ हुई थी। वह अभी भी बालकनी में खड़ी थी तभी मेन गेट से अंदर आई हुई एक रॉयल ब्लू कलर की जीटीआर कार ने उसका ध्यान अपनी तरफ खींचा, क्योंकि उस कार की दोनों हेडलाइट ऑन थी जिनकी रोशनी सीधा कनिष्का की आंखों में पड़ी तो उसने अपना एक हाथ चेहरे के आगे कर लिया। उस गाड़ी को अंदर आते देख कनिष्का की आंखों में और चेहरे पर जो मायूसी नजर आ रही थी, वह एकदम ही नफरत में बदल गई और उसके चेहरे के एक्सप्रेशन एकदम सख्त हो गए क्योंकि उसे शायद पता था कि कार में कौन था ? मेन गेट से अंदर आई हुई वह जीटीआर बंगले के सामने फ्रंट यार्ड में रुकी और कार की हेडलाइट बंद हो गई लेकिन कार के अंदर की लाइट अभी भी ऑन थी क्योंकि इस टाइम रात का वक्त था तो लाइट्स के बिना किसी को कुछ भी नज़र नहीं आएगा। लेकिन वहां उस कार में जो चल रहा था वह शायद अगर कनिष्का या किसी और को नज़र ना ही आता, तो ज्यादा बेहतर होता। क्योंकि उस कार की फ्रंट सीट पर बैठे हुए दो लोग एकदम ही एक दूसरे में खोए हुए और बिल्कुल इंपेशेंट होकर बहुत ही जुनून के साथ एक दूसरे को गर्दन चेहरे और होठों पर किस कर रहे थे । कार के अंदर मौजूद उस लड़की ने बहुत ही शॉर्ट सिर्फ थाईज़ तक आता हुआ ब्राउन कलर का वन पीस ड्रेस पहना हुआ था और उसकी गोरी बाहें उसके साथ वाली सीट पर बैठे हुए आदमी के गर्दन पर लिपटी हुई थी । उस आदमी के हाथ भी उस औरत के पूरे बदन पर हरकत कर रहे थे , जिससे वो दोनों और भी ज्यादा एक्साइटेड हो रहे थे । सामने बालकनी में खड़ी कनिष्का कार के अंदर चल रहा वह पूरा सीन अपनी आंखों से लाइव देख रही थी । कार के अंदर मौजूद वह दोनों एक दूसरे में इस कदर खोए हुए थे कि उन्हें इस बात से बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ता कि कोई वहां से थोड़ी दूर खड़ा उन दोनों पर ही नज़रें बनाए हुए थे या फिर उन्हें देख रहा था। बालकनी में खड़ी कनिष्का ने अपने सामने का वह सीन देखकर एक गहरी सांस ली और अपनी आंखें बंद करके दोबारा से खोली। उसके एक्सप्रेशन से साफ समझ में आ रहा था वह बिल्कुल भी सरप्राइज नहीं थी । अपने सामने का यह नजारा देखकर और जाहिर सी बात थी यह पहली बार नहीं हो रहा उसके सामने... क्योंकि कार के अंदर मौजूद वह आदमी कोई और नहीं कनिष्का का पति था, उसका लीगल हस्बैंड अवनीश ओबेरॉय। कार के अंदर; उन दोनों की ही मदहोश आवाज़ें वहां पूरी कार में गूंज रही थी और तभी लड़की ने अपने बाल पीछे करते हुए उस आदमी की तरफ देखा। वह पूरी तरह से उसे सेड्यूस कर चुकी थी और आदमी की नजर भी जैसे ही उस लड़की के गुलाबी होठों पर पड़ी वो खुद को कंट्रोल नहीं कर पाया और उसने दोबारा से उस लड़की के होठों को अपने होठों की गिरफ्त में ले लिया और उसी तरह पूरी शिद्दत से उसके होठों को चूमने लगा। "आह्... उम्म्!" - किस करते हुए उस लड़की के मुंह से एक मीठी सिसकारी निकली और उसकी आवाज सुनकर लड़के की पकड़ उसकी कमर पर और भी ज्यादा मजबूत हो गई। वो कार बस अभी जाकर वहां पर रुकी थी लेकिन उन दोनों को आसपास में किसी की भी कोई फिक्र नहीं थी और लड़की के हाथ लड़के के शर्ट की कॉलर पर थे वही लड़के के हाथ नीचे से लड़की की शॉर्ट ड्रेस के अंदर जाते हुए उसकी बॉडी पर हरकत करने लगे थे और लड़के उसके हर एक टच को काफी ज्यादा फील करते हुए इंजॉय कर रही थी। ""You are so sexy, Darling!" - लगभग 5 10 मिनट तक बेरहमी से उसके होठों पर किस करने के बाद उस लड़की के होठों को छोड़ते हुए उस आदमी ने कहा उस लड़की के चेहरे पर तिरछी मुस्कुराहट फैल गई और उन दोनों की आंखों में इस वक्त सिर्फ और सिर्फ लस्ट नजर आ रहा था। सामने बालकनी में खड़ी कनिष्का को सामने का वह सीन देखकर साफ समझ में आ रहा था कि वह लड़की जानबूझकर यह सब कुछ कर रही थी शायद उसका यही काम था लेकिन कनिष्का को इस बात से ज़रा भी फर्क नहीं पड़ा। उसके चेहरे पर अभी भी पहले की तरह एकदम सपाट भाव थे। पहली बार जब कनिष्का ने अपने सामने यह सब देखा था तब उसे थोड़ी हैरानी हुई थी, वह गुस्से में चिल्लाई थी। उसने अवनीश से बहुत लड़ाई की थी लेकिन उसके बाद उसने दोबारा उसे यही करते देखा और फिर तीसरी बार और तब से तो यह आम हो गया था लेकिन इससे पहले उसने अवनीश को दूसरी लड़कियों के साथ होटल रूम या फिर उसके ऑफिस और ऐसी किसी जगह पर पकड़ा था। वह आज तक किसी लड़की को घर लेकर नहीं आया लेकिन यह पहली बार था। पहली, दूसरी और तीसरी बार में कनिष्का को दुख तकलीफ हुई थी लेकिन अब उसे इस बात से जरा भी फर्क नहीं पड़ रहा लेकिन आज ऐसी लड़की को घर लाकर अवनीश ने सारी हदें पार कर दी थी । इसलिए कनिष्का की तरफ से आज उनके बीच का बचा कुचा नाम का रिश्ता भी खत्म हो गया। ये सब कुछ सोचते हुए कनिष्का ने एक गहरी सांस ली लेकिन वह वहां से कहीं भी नहीं गई। उसने अपने सामने कार में वह सब कुछ होते हुए देखा जो कि शायद कोई भी पत्नी अपने पति को किसी और दूसरी लड़की के साथ करते नहीं देख सकती लेकिन फिर भी कनिष्का ने सब कुछ देखा और जब सब कुछ खत्म हो गया तो उसने अवनीश और उस लड़की को कार से बाहर निकलकर घर के अंदर आते भी देखा। उन दोनों को कार से निकलकर बाहर आते देख कनिष्का भी मुड़कर बालकनी से अंदर अपने कमरे में आ गई और फिर वहां से निकल कर वह सीधा लिविंग एरिया में आई। जब तक अवनीश भी उस लड़की के साथ घर के अंदर आ चुका था उसने उस लड़की की कमर में हाथ डालकर उसे अपने एकदम करीब करके पकड़ा हुआ था और उसके साथ हंसते हुए वह घर के अंदर आ रहा था। लिविंग रूम में वह तीनों ही एक दूसरे के आमने-सामने आए कनिष्का ने अवनीश और उस लड़की पर ऊपर से नीचे तक एक नजर डाली। To Be Continued कैसी लगी स्टोरी की शुरुआत और क्या लगता है आप लोगों को कौन हो सकती है वह लड़की और अवनीश क्यों कर रहा है ऐसा क्या प्रॉब्लम है उसके और कनिष्का के बीच और क्या होगा कनिष्का का रिएक्शन? पता चलेगा आगे आने वाले एपिसोड में तब तक के स्टोरी पढ़ते रहिए और कमेंट भी करिए!.

  • 2. Tangled Hearts - Chapter 2

    Words: 1525

    Estimated Reading Time: 10 min

    2 अवनीश ने भी जैसे ही कनिष्का को इस तरह अपने सामने आते देखा उसने तुरंत उस लड़की की कमर से अपना हाथ हटा लिया, उसके माथे पर बल पड़ गए और वह थोड़ा सा सोच में पड़ गया कनिष्का को ऐसे सामने देखकर... अवनीश ने बहुत ही अजीब तरह से मुस्कुरा कर कनिष्का की तरफ देखते हुए कहा, "क्या है, इस तरह मेरे रास्ते में आकर क्यों खड़ी हो, हटो सामने से... तुम्हारा चेहरा देखकर अपना मूड खराब नहीं करना मुझे।" "अवनीश , मुझे डायवोर्स चाहिए।" - कनिष्का ने एकदम से ही बिना किसी एक्सप्रेशन के कहा लेकिन इस बात को लेकर वह एकदम ही सीरियस लग रही थी‌। "डायवोर्स? हा हा हा..." - अवनीश ने उसके शब्द को दोहराया और फिर एकदम ही हंसने लगा वह इस तरह से हंस रहा था जैसे कि कनिष्का ने उसके सामने कोई जोक सुनाया हो। उसे ऐसी पागलों की तरह हंसते देखा कनिष्का बहुत ही ज्यादा इरिटेट होकर कहा, "मैंने तुम्हें कोई जोक नहीं सुनाया है, जो ऐसी पागलों की तरह हंस रहे हो। मुझे बस तुमसे तलाक चाहिए बस?" अवनीश ने भी एकदम सीरियस होते हुए कहा, "भूल जाओ माय डियर वाइफ, क्योंकि तुम्हारा यह तलाक का सपना तो मैं कभी पूरा नहीं होने दूंगा!" कनिष्का झल्लाते हुए बोली, "क्यों? क्यों तुम मुझे तलाक नहीं देना चाहते हो जबकि हमारे रिश्ते में कुछ भी नहीं बचा है जिसे बचाया जा सके..." यह जो कुछ भी आज हो रहा था वह कोई नया नहीं था पिछले कुछ महीनो में, जब से उन दोनों की शादी हुई थी तब से ही अवनीश का यह हाल था और उसने न जाने कितनी बार अलग-अलग लड़कियों के साथ फिजिकल रिलेशन बनाए थे और कनिष्का को हर बार धोखा दिया था । लेकिन कनिष्का इतनी बेवकूफ थी पता नहीं क्यों वह अवनीश के साथ अपने रिश्ते को तोड़ना नहीं चाहती थी अभी तक। उसे ऐसा लगता था कि जैसे बस उससे गलती हो गई और इस बात को वह अनदेखा करती रही, जब तक वह कर सकती थी लेकिन आज पानी से ऊपर हो चुका था। क्योंकि आज जो लड़की वहां पर अवनीश के साथ खड़ी थी वह कोई और नहीं कनिष्का की अपनी छोटी सौतेली बहन तानिया थी , और आज उन दोनों ने मिलकर सारी हदें पार कर दी थी। इससे पहले भी कनिष्का ने कई बार उन दोनों को एक साथ देखा लेकिन हर बार वह उसे अपनी गलतफहमी समझ कर इग्नोर कर देती थी। आज जो कुछ भी वहां कार में उसकी आंखों के सामने हुआ। उसके बाद कनिष्का उससे तलाक मांगने पर मजबूर हो गई थी । लेकिन अवनीश उसे तलाक देने को तैयार नहीं था क्यों यह कनिष्का को भी समझ नहीं आ रहा, इसीलिए उसने यह सवाल किया था । अवनीश गुस्से से दांत पीसते हुए बोला, "क्यों... तुमने मुझसे पूछा क्यों, मैं तुम्हें तलाक नहीं देना चाहता, कनिष्का! तो तुम्हारे सवाल का जवाब यह है कि तुमने मुझे धोखा दिया है और उसका बदला लेने के लिए मैं तुम्हें कभी भी तलाक नहीं दूंगा और हमेशा ही तुम्हें इस तरह से यहां पर रखूंगा और तुम्हारे सामने अपनी मनमानी करता रहूंगा और तुम्हें यह सब कुछ अपनी आंखों के सामने देखना और झेलना होगा यही तुम्हारी सजा है।" कनिष्का ने और ज्यादा इरिटेट होते हुए कहा, "कौन से धोखे की बात कर रहे हो अवनीश ? धोखा यह होता है जो तुम मुझे दे रहे हो लेकिन अब मुझे इन सब से कोई प्रॉब्लम नहीं है मुझे बस इस रिश्ते में नहीं रहना। आजाद कर दो मुझे डाइवोर्स दे दो।" अवनीश गुस्से से बोला, "नहीं! तुम्हें सुनाई नहीं दिया क्या? तुम्हें समझ नहीं आता है मैंने क्या कहा? मैं ना तो तुम्हें टच करूंगा, ना कभी पत्नी का हक दूंगा और ना ही कभी तुम्हें इस रिश्ते इस कैद से आजाद करूंगा और मैं चाहता हूं कि तुम मुझे मेरे प्यार की बाहों में खुश देखो वो प्यार जो तुम्हें कभी नहीं मिल सकता।" अवनीश ने आगे जाकर दोबारा से तानिया की कमर पकड़ ली और तानिया का चेहरा एकदम ही खिल गया। कनिष्का ने लगभग रोते हुए पूछा, "अवनीश ! मैंने ऐसा क्या गलत किया है ऐसा कौन सा धोखा दिया है तुम्हें कम से कम यही बता दो मुझे... और तानिया तुम तो थोड़ी शर्म कर लो।" कनिष्का की बात सुनकर तानिया ने बस अपनी आइस रोल की और दूसरी तरफ देखने लगी। इतने बड़े घर परिवार की बहू बनने के सपने कौन लड़की नहीं देखती। कनिष्का की आंखों में भी वही सपने सजे हुए थे अवनीश से शादी के टाइम पर लेकिन उसे यह नहीं पता था, उसका यह सपना ही इसकी बर्बादी की शुरुआत बनेगा। इसके अलावा जो कुछ भी इल्जाम अवनीश उस पर लगा रहा था वह भी उसे समझ नहीं आ रहा कि उसने कब और ऐसा क्या गलत किया था उसके साथ जिसकी उसे वह सजा दे रहा था । "मेरे सामने प्लीज इतनी इनोसेंट बनने की एक्टिंग मत करो क्योंकि मैं तुम्हारी असलियत जानता हूं, इसलिए बंद करो अपना ये नाटक और हटो हमारे रास्ते से चलो बेबी आज मैं तुम्हें अपना रूम दिखाता हूं मेरा मतलब है हमारा रूम..." - इतना बोलते हुए अवनीश ने अपने साथ खड़ी तानिया की कमर पर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए उसे अपने एकदम नज़दीक कर लिया और उसके साथ ही वहां से आगे अपने बेडरूम की तरफ बढ़ गया। "ठीक है, अगर तुम यही चाहते हो तो फिर यही सही... मैं भी अब अपनी खुशी ढूंढ ही लूंगी कहीं ना कहीं क्योंकि तुम मुझे जो दुख तकलीफ देना चाहते हो वह तो अब मैं और बर्दाश्त नहीं करने वाली पता नहीं क्यों मुझे पहले यह सब कुछ नज़र नहीं आया कितनी बेवकूफ थी मैं..." इतना बोलते हुए कनिष्का ने अपनी आंखों से बहते हुए आंसू पोंछा और फिर वह सीधा अपने कमरे में आ गई उसने अपना वह नाइट गाउन चेंज किया और लाइट ब्लू कलर की एक सेक्सी वन पीस ड्रेस पहन ली जो कि उसने काफी दिनों से नहीं पहनी थी और फिर उसके बाद वह बहुत ही अच्छे से फुल मेकअप करके तैयार हुई उसने टाइम भी नहीं देखा पहले ही रात के 10:30 बज चुके थे लेकिन फिर भी कनिष्का पूरा रेडी होकर अपने कमरे से बाहर आई। लड़की की आवाज में उसे सुनाई दिया, "Ahhh अवि baby! fast... more faster! Come on! you are just awesome!" अपने कमरे से बाहर निकलते हुए उसे दूसरे कमरे से आती हुई सिसकारियां और उन दोनों की आहें साफ सुनाई दी, जिसे सुनकर कनिष्का को अपने दिल में तेज दर्द सा महसूस हुआ लेकिन कनिष्का ने उन आवाजों को पूरी तरह से इग्नोर किया और सीधा घर से बाहर निकल गई। अवनीश ने उसे तलाक देने से मना कर दिया लेकिन फिर भी वह उसके सामने हार नहीं मनाना चाहती थी और वह उस के बिना खुश रहने की कोशिश में खुद ही कर लेकर घर से बाहर निकल गई। वह खुद ही कार ड्राइव कर रही थी और उसके मन में इस वक्त बहुत उथल-पुथल मची हुई थी लेकिन कुछ देर आधे घंटे तक ड्राइव करने के बाद आखिर उसने शहर के बहुत ही फेमस नाइट क्लब, Midnight blue Star के आगे अपनी कार रोक दी। कनिष्का की हाई हील्स वाली गोरी सुंदर टांगे सबसे पहले उसकी कार से बाहर निकली, और कार से पूरी तरह बाहर आते ही उसने चाबी वहां पर खड़े एक सिक्योरिटी गार्ड की तरफ फेंकी और उसे कर पार्क करने को बोलकर वो सीधा ही अपने डिफरेंट एटीट्यूड में चलती हुई उस क्लब के एंट्री डोर से अंदर आ गई। वह इस वक्त उस ड्रेस में बहुत ही ज्यादा हाॅट और सेक्सी लग रही थी । कुछ देर पहले जो उसने नाइट गाउन पहना हुआ था उसमें उसका फिगर बिल्कुल भी समझ नहीं आ रहा था लेकिन यह ड्रेस उसकी बॉडी को एकदम हग किए हुए थे जिससे कि उसका सेक्सी फिगर एकदम साफ नजर आ रहा था और यह लाइट ब्लू कलर भी उस पर बहुत ज्यादा सूट कर रहा था। जब वह गेट से क्लब के अंदर आई तब लगभग सारे लोगों की ही अटेंशन एक बार तो कनिष्का पर गई। इसके अलावा वहां क्लब में अंदर जो डांसिंग स्टेज बना हुआ था वहां पर काफी सारे लोग हाय म्यूजिक पर डांस कर रहे थे और उन लोगों ने तो कनिष्का वहां पर डांस कर रही, उन लड़कियों ने तो कनिष्का से भी ज्यादा शाॅर्ट और हॉट सेक्सी ड्रेस पहनी हुई थी। कनिष्का ने उन सब पर एक नजर डाली लेकिन वह सीधा बार एरिया की तरफ आ गई ई और अपने लिए ड्रिंक ऑर्डर करके वहां पर खाली चेयर पर ही बैठ गई। उसने अपने लिए एक के बाद एक लगातार ड्रिंक ऑर्डर की और एक एक घूंट में ही वह सारी ड्रिंक खत्म करने लगी। ड्रिंक करते हुए वह बहुत ही उदास लग रही थी उसे कुछ भी नहीं सोच रहा था इसलिए वह बस शराब पीती जा रही थी वह खुद को शराब के नशे में डूबना चाहती थी जिससे कि उसे और कुछ याद ना आए खासकर अपने पति का दिया हुआ धोखा। To Be Continued... लगता है आप लोगों को क्या होने वाला है अगले एपिसोड में और अवनीश उसे तलाक क्यों नहीं दे रहा और किस धोखे की बात कर रहा था वो? जल्दी ही पता चलेगा आने वाले एपिसोड में...

  • 3. Tangled Hearts - Chapter 3

    Words: 1302

    Estimated Reading Time: 8 min

    3 कनिष्का ने अपनी ड्रिंक खत्म की और वह ड्रिंक खत्म करके वही बार में बैठी हुई थी और उसने अपने सिर पर हाथ रखते हुए कहा, "कहीं मैंने ज्यादा ड्रिंक तो नहीं कर ली है मेरा सिर इतना दुःख क्यों रहा है अब और ड्रिंक नहीं करना चाहिए मुझे क्योंकि घर भी तो अकेले ही जाना है कौन सा कोई मेरे साथ आया था, जो वो मुझे घर तक छोड़ेगा।” कनिष्का लड़खड़ाते हुए उठी और वह सीधे बार से बाहर निकलने के लिए इधर-उधर देख रही थी लेकिन वह इतनी ज्यादा नशे में हो गई थी कि उसे कुछ भी समझ ही नहीं आ रहा था। उसे बाहर निकलने वाला एग्जिट डोर भी साफ नज़र नहीं आ रहा था, सब कुछ धुंधला दिख रहा था इसलिए वह परेशान हो रही थी और तभी उसने वही सामने खड़ी एक लड़की की तरफ देखते हुए कहा, “एक्सक्यूज मी, exit गेट किस तरफ है?” उस लड़की ने कनिष्का को सर से लेकर पांव तक घूरते हुए देखा, क्योंकि कनिष्का उसे ब्लू ड्रेस में बहुत ही ज्यादा सेक्सी लग रही थी और जिस तरह से वह नशे में धुत थी। उस लड़की ने एक गहरी सांस ली और उसने मेन डोर की तरफ इशारा करते हुए कहा, "सीधे जाकर, राइट।” कनिष्का ने उसे थैंक्स भी नहीं बोला, और वह सीधे exit गेट की तरफ जाने लगी। कनिष्का लड़खड़ाते हुए में गेट की तरफ पहुंची और वो वहां से बाहर निकलने ही वाली थी वैसे ही उसकी नजर सामने से आ रहे एक हैंडसम से लड़के पर पड़ी जिसे ब्लैक कलर की लेदर जैकेट के नीचे वाइट कलर की एक शर्ट पहनी हुई थी और वह दिखने में बहुत ही ज्यादा हैंडसम लग रहा था। उसके हाथ में घड़ी थी और उसे घड़ी की चमक जब कनिष्का की आंखों पर पड़ी तभी कनिष्का का ध्यान उस आदमी की तरफ हो गया था। वह अपनी भारी पलकों से उसकी तरफ ही देख रही थी क्योंकि नशे की वजह से उसे आंख खोलने में काफी दिक्कत हो रही थी और सब कुछ उसे धुंधला सा नजर आ रहा था लेकिन जब वह उस आदमी के करीब गई तो उसे पता नहीं क्यों उसे आदमी का चेहरा बहुत ही ज्यादा पहचाना सा लगा और इसीलिए वह उसे देखकर वहीं पर रुक गई। कनिष्का ने धीमी आवाज में कहा, "अवि.." अपनी जगह से आगे आते हुए कनिष्का ने उस आदमी का हाथ पकड़ने के लिए जैसे ही अपना हाथ आगे बढ़ाया, वह संभाल नहीं पाई क्योंकि उसे सब घूमता हुआ सा नजर आ रहा था और वह एकदम से लड़खड़ाते हुए गिरने लगी और उस लड़के ने जैसे ही कनिष्का को लड़खड़ाते देखा। वह तेजी से आगे बढ़ा और उसने कनिष्का की कमर में अपना हाथ डालकर उसे पकड़ते हुए कहा, "संभल कर मिस.. यह तो!” अपनी बात पूरी करते हुए वह लड़का रुक गया और उसने कनिष्का की आंखों में आंखें डाल कर देखा कनिष्का की आंखें ड्रिंक करने की वजह से काफी ज्यादा लाल हो गई थी और वह कनिष्का की तरफ देखकर धीमी लेकिन बड़ी ही सेक्सी आवाज में बोला, "हे! आर यू ओके? और तुम यहां..” जैसे ही कनिष्का ने उसकी आवाज सुनी वह उसकी तरफ बड़ी ही हैरानी से देखने लगी और उसने उसे लड़के की गाल की तरह अपना हाथ बढ़ाया और उस के गाल पर अपना हाथ रखकर बड़े प्यार से उसके गाल को सहलाते हुए कहा, "क्यों? क्यों कर रहे हो तुम यह सब मेरे साथ, क्या मैं इतनी बुरी हूं?” जैसे ही कनिष्का ने यह बात बोली, वह आदमी हैरानी से कनिष्का की तरफ देखने लगा क्योंकि उसे जरा भी आईडिया नहीं था कि कनिष्का उससे अचानक से सारी बातें क्यों बोल रही है? वह कनिष्का की आंखों में आंखें डाल कर देख रहा था जिस तरह से वह कनिष्का को देख रहा था उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वह कनिष्का को पहचानता हो, कनिष्का ने उसके दोनों गाल पर अपना हाथ रखा और उस लड़के ने अभी भी कनिष्का को उसकी कमर से पकड़ रखा था जैसे ही कनिष्का ने उसके हाथों की गरमाहट को अपनी कमर पर फील किया वो उसके और भी ज्यादा करीब गई। कनिष्का ने उसके चेहरे के बिल्कुल नजदीक जाकर धीमी आवाज में पूछा, “बोलो ना अवि! क्या क्या सच में मैं इतनी बुरी हूं? तुम्हें मुझ पर जरा भी तरस नहीं आता।” जैसे ही कनिष्का ने यह बात बोली, वह आदमी उसकी तरफ बड़ी ही हमदर्दी से देखने लगा और उसने कनिष्का के गाल पर अपना हाथ रखते हुए कहा, "सबसे पहली बात मैं अवि नहीं हूं और किसने कहा, कि तुम बुरी हो?” नशे की वजह से कनिष्का उसे आदमी को अवनीश समझ रही थी क्योंकि वह उसकी ही हाइट हेल्थ का था और दिखने में कुछ फैसियल फीचर्स भी मैच हो रहे थे लेकिन वह आदमी अवनीश नहीं बल्कि कोई और ही था। कनिष्का को इस वक्त नशे की वजह से ज्यादा कुछ समझ नहीं आ रहा था इसलिए उस ने जैसे ही यह बात सुनी वह उस के चेहरे की तरफ देखते देखते उसके चेहरे के बिल्कुल नजदीक चली गई और उसने उसकी गर्दन में अपनी दोनों बाहों को फंसाते हुए कहा, "तुम ही तो बोलते हो कि मैं तुम्हारे किसी काम की नहीं हूं और तुम्हें मुझसे प्यार भी नहीं।” कनिष्का यह बात बोल ही रही थी कि तभी उसे आदमी ने कनिष्का की आंखों में एक अलग ही दर्द देखा और वह उसके बिल्कुल करीब आया और उसने कनिष्का के माथे से अपना माथा जोड़ते हुए कहा, "No you are the sweetest person on this earth, तुमसे प्यारा इंसान मैंने आज तक नहीं देखा और तुम यहां पर क्या कर रही हो और ऐसी बातें क्यों कर रही हो?" कनिष्का से कभी किसी ने भी ऐसा कुछ नहीं कहा था इसलिए वह उस आदमी की बातों में बिल्कुल खोती चली गई और वह उसकी आंखों में आंखें डाल कर देख ही रही थी, उसे बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा था। इससे पहले वह आदमी और कुछ बोल पाता कनिष्का ने अपने होंठ उसे आदमी के होठों पर रख दिए और वह उसके होठों को बड़ी ही पैशनेटली किस करने लगी और उसे इस तरह किस करते देखकर वह आदमी कनिष्का के और भी ज्यादा करीब चला गया। उसने कनिष्का की कमर में अपना हाथ डाला और उसे बिल्कुल अपने करीब खींच लिया, कनिष्का उसे किस करते-करते पूरी तरह से उसी की बाहों में खो गई और उस आदमी की तरफ इस तरह से वह बढ़ी कि वह आदमी सीधे पीछे की दीवार से जाकर टकरा गया, वो दोनों उस नाइट क्लब के एग्जिट डोर के साइड में ही खड़े थे जहां पर फिलहाल उन दोनों के अलावा और कोई भी नहीं था। वह दोनों उसे किस में पूरी तरह से इंवॉल्व होकर एक दूसरे के होठों के टेस्ट को इंजॉय कर रहे थे और अब उस आदमी के दोनों हाथ भी कनिष्का की कमर के इर्द-गिर्द कस गए थे और उसने कनिष्का को बिल्कुल अपने करीब खींचा और किस करते-करते ही उसने कनिष्का को अपनी बाहों में उठा लिया। वह कनिष्का को जैसे-जैसे किस कर रहा था कनिष्का उसकी तरफ और भी ज्यादा अट्रैक्ट होती जा रही थी, कनिष्का ने उसकी किस में प्यार महसूस किया और वह उसके होठों पर किस करते-करते उसकी गर्दन पर किस करने लगी और वह आदमी कनिष्का को इस तरह से किस करते देखकर उसकी तरफ और भी ज्यादा अट्रैक्ट हो रहा था। To Be Continued कौन है वह अजनबी आदमी और कनिष्का क्यों उस आदमी को अवनीश समझ रही है और क्या वह आदमी उसकी यह गलतफहमी दूर करेगा या फिर उठाएगा कनिष्का की ऐसी हालत का फायदा? क्या वह दोनों एक दूसरे की तरफ अट्रैक्टेड है या कनिष्का की नजर में वह आदमी सिर्फ उसका पति अवनीश है सिर्फ इसीलिए वह उस के नजदीक जा रही है? आपको क्या लगता है बताइए कमेंट करके क्योंकि जितने ज्यादा कमेंट आएंगे उतनी ही जल्दी आप लोगों को अगला पार्ट मिलेगा।

  • 4. Tangled Hearts - Chapter 4

    Words: 1526

    Estimated Reading Time: 10 min

    4 जिस तरह से कनिष्का उसे इतनी सॉफ्टली प्यार कर रही थी वह आदमी अपना कंट्रोल खुद पर से खो रहा था और उसने कनिष्का को इस तरह अपनी गोद में उठा रखा और वह तुरंत उस बार से बाहर निकाला और उसने कनिष्का को सीधे अपनी कार में बिठाया और ड्राइवर से कर स्टार्ट करने को कहा। वो दोनों पीछे बैकसीट पर थे, कनिष्का पूरी तरह से नशे में थी इसलिए उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि वह इस वक्त कहां है और कहां जा रही है उसे इन सब बातों से कोई फर्क भी नहीं पड़ता था। वह बस उस आदमी की गोद में उसके गले लगकर बैठी हुई थी और पूरे रास्ते उसकी नेक पर किस कर‌ रही थी, कार में होने की वजह से वो आदमी बस किसी तरह खुद को कंट्रोल कर रहा था और थोड़ी ही देर में कनिष्का उस आदमी के साथ सीधे उसके घर पहुंच गई, वह आदमी भी कनिष्का को उसी तरह अपनी गोद में उठाकर सीधे अपने बेडरूम के अंदर लेकर गया और कनिष्का अभी भी उसकी गर्दन पर किस और बाइट कर रही थी और ऐसा करते हुए वो बहुत खुश लग रही थी। जिससे उस लड़के की गर्दन पर काफी सारे हिक्की मार्क बन गए थे और वह उन मार्क्स को अपने हाथों से टच कर रही थी और जैसे ही वह कनिष्का को लेकर अपने बेडरूम में पहुंचा और उसने कनिष्का को बेड पर बिठा दिया। कनिष्का बिल्कुल भी होश में नहीं थी इसलिए उसने उस आदमी के कॉलर को पकड़ा और उसे बिल्कुल अपने करीब खींच लिया। कनिष्का नशे में थी और बहुत ही हड़बड़ाकर उसके शर्ट के बटन को खोल रही थी और तभी उस आदमी ने खुद ही अपने जैकेट और शर्ट को उतार कर फेंक दिया और वह पूरी तरह से शर्टलेस हो चुका था और उसने कनिष्का के ऊपर जाकर उसके दोनों हाथों को कसकर पकड़ा और वह उसे पैशनेटली किस करने लगा‌। उसे खुद से किस करते देख कर कनिष्का ने उसकी आंखों में आंखें डाल कर देखने की कोशिश की लेकिन कनिष्का उस टाइम कुछ भी समझ नहीं आ रहा था और वह बस उस आदमी की तरफ देखते हुए बोली, "आज पहली बार तुमने मुझे इस तरह से किस की है, मुझे सच में तुम्हारे साथ रह कर एक अलग ही सुकून मिल रहा है। Plz love me more, kiss me more, touch me more, I love it।” कनिष्का ने जैसे ही यह बात कही वह आदमी उसकी तरफ बड़ी ही हैरानी से देखने लगा, कनिष्का जिस तरह से उससे बात कर रही थी उससे साफ पता चल रहा था कि कनिष्का सिर्फ और सिर्फ प्यार की भूखी थी और वह आदमी कनिष्का की खूबसूरती में पहले ही पूरी तरह से बहक चुका था। उसने कनिष्का की कमर को पकड़ा और उसके कानों पर किस करते हुए डीप वाॅइस में कहा, "I'll love you so much tonight baby!" इतना बोलते हुए इस आदमी ने कनिष्का की पीठ के पीछे अपना हाथ ले जाकर उसने कनिष्का की ड्रेस को अनजिप कर दिया और जैसे ही उसकी ड्रेस खुली, कनिष्का की सांस और भी ज्यादा तेज हो गई‌। उसने उस आदमी की पीठ पर अपने दोनों हाथों को रखा और उसे बिल्कुल अपने करीब खींच लिया और वह आदमी कनिष्का की गर्दन पर किस करते-करते उसके नेक और क्लीवेज पर किस करने लगा और देखते ही देखते उसने कनिष्का के ड्रेस को उसकी बॉडी से अलग कर दिया। कनिष्का उसकी तरफ देख नहीं रही थी बल्कि उसकी आंखें पूरी तरह से बंद थी वह बस उसे महसूस कर रही थी और कनिष्का को उस की गर्माहट से जब अपने गर्दन और अपने क्लीवेज पर महसूस हुई तो उस की धड़कनें भी काफी ज्यादा बढ़ गई थी और उसे एक अलग ही सुकून मिल रहा था। वह बस उसकी धड़कनों और उसकी सांसों की घबराहट को महसूस करती जा रही थी और उसने कनिष्का को पूरी तरह से अनड्रेस कर दिया और धीरे-धीरे वह कनिष्का की पूरी बॉडी पर किस करने लगा कनिष्का ने उसके कान के पास जाकर उसके ईयर लोब को हल्के से बाइट करते हुए कहा, "आज से पहले कभी तुमने मुझे इस तरह से प्यार क्यों नहीं किया, क्यों..? मैं हमेशा से इस रात का इंतजार कर रही थी।” वह आदमी ने कनिष्का की बात का कोई भी जवाब दिया क्योंकि उसे शायद समझ आ चुका था कि वह उसे और समझ रही थी, इसलिए उसने कनिष्का के होठों पर अपनी उंगली रखी और उसे चुप करा दिया। "शश्श्श् ! कुछ मत कहो, Just enjoy this moment Baby!" कनिष्का ने जब उस आदमी की ये बात सुनी तो वह उसकी आंखों में आंखें डाल कर देखने लगी और वह आदमी समझ गया था कि कनिष्का उसे कोई और ही इंसान समझ रही थी, यह जानकर उसे थोड़ा बुरा तो लगा लेकिन फिर भी उसने भी कनिष्का की गलतफहमी को दूर नहीं किया और उसने कनिष्का के दोनों हाथों को अपने हाथों में लिया और उसके हाथों की उंगलियों में अपनी उंगलियों को फंसा कर वह उसे बड़े ही सिडक्टिव वे में किस करते-करते उसके काफी ज्यादा करीब पहुंच गया और उसके करीब जाते ही वह पूरी तरह से कनिष्का की बाहों में उलझ चुका था और कनिष्का ने जैसे ही उसे महसूस किया वह कनिष्का को फील कर रहा था कि किस तरह कनिष्का उसके हर एक टच को इंजॉय कर रही है और वह कनिष्का को पूरी तरह से कंफर्टेबल कर चुका था।। वह कनिष्का के ऊपर चढ़ा और उसने कनिष्का की पूरी बॉडी पर किस करना स्टार्ट कर दिया और तभी कनिष्का ने अपना एक हाथ उस के बालों के अंदर फसाया और वह उसके बालों को बड़े प्यार से टच करने लगी वह लड़का कनिष्का की पूरी बॉडी को जब टच कर रहा था तो उस को कनिष्का की बॉडी में एक अलग ही सेंसेशन फील हुआ। वह लड़का खड़ी उसकी बॉडी को अपने दोनों हाथों से टच कर रहा था और कनिष्का उसके हाथों कुछ इस तरह से अपनी बॉडी पर फील कर पा रही थी वह पूरी तरह से खुद को उसके हवाले कर चुकी थी और वह उसे लड़के को अपने करीब आने की पूरी इजाजत दे चुकी थी और उसने उसकी पीठ पर अपने दोनों हाथों को रखा और उसे कसकर अपनी बाहों में भरा और वह लड़का कनिष्का के अंदर पूरी तरह से समा गया था और तभी इस टाइम कनिष्का के मुंह से एक तेज चीख निकली और उसकी दर्द भरी उसे आवाज को सुनकर वह लड़का थोड़ा सा घबरा गया और कनिष्का जो उसे लड़के के गले लगी हुई थी, उसने अपने नाखून उस लड़के की पीठ पर गड़ाते हुए उसे अपने और भी ज्यादा करीब कर लिया और वह लड़का कनिष्का के चेहरे पर एक अलग ही दर्द महसूस कर पा रहा था और पहले उसने कनिष्का को पूरी तरह से कंफर्टेबल किया और कुछ देर रूक कर वह कनिष्का के होठों और उसके गालों को बड़े प्यार से चूमने लगा। धीरे-धीरे जब कनिष्का का दर्द कम हुआ और फिर वह दोनों पूरी तरह से एक दूसरे की बाहों में समा गए और कनिष्का जो पूरी तरह से नशे की हालत में थी उसने उसे लड़के के कान के पास जाकर धीमी आवाज में कहा, "अवि! मुझे नींद आ रही है, और थैंक यू सो मच आज पहली बार मुझे इतना प्यार करने के लिए।” जैसे ही उसे लड़की ने अवनीश नाम लिया वह लड़का जो अभी तक उसे बड़े प्यार से चूम रहा था उसने उसे किस करना बंद कर दिया और वह उस लड़की के चेहरे की तरफ बड़ी ही हैरत से देखने लगा । उस लड़के ने अपने मन में कहा, “पहली बार इतना प्यार मतलब ये इसका फर्स्ट टाइम था? I can't believe it!” इससे पहले कि वह लड़का कुछ कह पाता कनिष्का ने उसके सीने पर अपना सर रखा और वह लड़की गहरी नींद में सो गई। सारी रात वह लड़का कनिष्का के बगल में ही लेता रहा और उसने कनिष्का को अभी भी अपनी बाहों में भर रखा था और कनिष्का भी उसकी बाहों में बहुत सुकून की नींद सो रही थी, उसके चेहरे पर आए एक्सप्रेशंस देखकर यह बात साफ समझ में आ रही थी कि इस वक्त वह उस लड़के के साथ बहुत खुश थी। लेकिन वो लड़का उसे अपनी बांहों में भरे हुए बहुत ही कंफ्यूजन के साथ कुछ सोचता हुआ एकटक उसके चेहरे की तरफ देख रहा था जैसे कि वह बहुत कुछ समझने की कोशिश कर रहा हो। To Be Continued क्या लगता है आप लोगों को कौन है वह आदमी क्या वह कनिष्का को पहले से जानता है और क्या कनिष्का उसे जानती होगी या फिर सिर्फ वही उसे जानता है और क्यों उसे यकीन नहीं हो रहा कि कनिष्का का ये फर्स्ट टाइम होगा क्या वह उसकी शादी और उसके हस्बैंड के बारे में जानता है अगर ऐसा है तो फिर क्यों वह कनिष्का के साथ फिजिकल हुआ और क्या होने वाला है अगली सुबह कैसा होगा कनिष्का का रिएक्शन उसे रीग्रेट होगा या फिर नहीं? सब पता चलेगा अगले एपिसोड में लेकिन तब तक आप लोग बताइए कि कैसा लगा आपको यह एपिसोड और कमेंट ज्यादा और जल्दी-जल्दी करिए जिससे आपको जल्दी अगला एपिसोड मिल पाए 10 कमेंट तो आने चाहिए इस भाग पर, है ना?

  • 5. Tangled Hearts - Chapter 5

    Words: 1324

    Estimated Reading Time: 8 min

    5 अगली सुबह जैसे ही कनिष्का की आंख खुली उसने अपनी आंखों को मला और वह अंगड़ाई लेते हुए अपने बदन में हो रहे दर्द को फील करने लगी । जैसे ही उसने अंगड़ाई ली उसकी बॉडी पर पड़ी हुई ब्लैंकेट अपनी जगह से हटी और उसकी नजर अपनी बॉडी पर गई, उसकी बॉडी पर एक भी कपड़ा नहीं था और उसकी बॉडी पर बने हुए दांतों के निशान कल रात उसके साथ जो कुछ भी हुआ उसकी चीख चीख कर गवाही दे रहे थे और उसने जल्दी से ब्लैंकेट को पकड़ा और उसे अपने सीने से लगा लिया और तभी उसकी नजर सामने बालकनी में खड़े उसी आदमी पर पड़ी जिसके साथ उसकी कल की रात गुजारी थी। उसने उस आदमी के चेहरे की तरफ देखा और उसे देखकर ही वह उसे तुरंत पहचान गई और उसने अपना सिर पकड़ते हुए कहा, "यह क्या किया मैंने कल रात नशे की हालत में मैं सच में हद से आगे ही बढ़ गई मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।” इतना सोचकर वह इस आदमी की तरफ देखने लगी वह आदमी जो विंडो पर खड़ा किसी से फोन पर बात कर रहा था और उसने जींस पहनी हुई थी और उसकी अपर बॉडी पर एक कपड़ा भी नहीं था और कनिष्का की नज़र उसकी बॉडी पर जाकर टिक गई। उसका कसा हुआ बदन और उसके साइड बायसेप्स को देखकर कनिष्का की नज़रें मानो, उसके ऊपर से हटने का नाम ही नहीं ले रही थी और कनिष्का उसे देखने में इतनी बिजी हो गई कि वह सांस लेना भी भूल गई। तभी कनिष्का ने जल्दी से अपनी नजरों को हटाया और उसने गहरी सांस लेते हुए कहा, "यह क्या सोच रही है कनिष्का तुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था अब मैं इससे अपनी नज़रें कैसे मिला पाऊंगी और वह मेरे बारे में क्या सोच रहा होगा?” कनिष्का के दिमाग में कई सारे सवाल चल रहे थे और तभी वही बालकनी में खड़े उसे लड़के ने अपने फोन को अपनी जेब में रखा और वह चुपचाप बालकनी से अंदर आया और उसकी नजर कनिष्का पर गई। कनिष्का की आंखें खुली हुई थी और वह उसे अंदर आते देख कर अपनी आंखें कसकर बंद करते हुए बोली, "ओह गॉड! कल रात हम दोनों के बीच जो कुछ भी हुआ मुझे उसके लिए कुछ तो बहाना सोचा होगा, कुछ ऐसी सफाई देनी होगी जिस पर वह यकीन कर ले। लेकिन इतना क्यों घबरा रही हूं सारी गलती मेरे अकेले की भी तो नहीं है ना?” कनिष्का यह बात सोच ही रही थी कि तभी उसने धीरे से अपनी आंखें खोली और उसने देखा वह लड़का जो अभी तक बालकनी में खड़ा था वह वॉशरूम की तरफ चला गया और उसने वॉशरूम का दरवाजा जैसे ही बंद किया। कनिष्का जल्दी से उठकर बैठी और उसने एक गहरी सांस लेते हुए कहा, "अच्छा हुआ जो यह वॉशरूम में चला गया! बहुत अच्छा मौका है मेरे पास मैं अभी यहां से इसे बिना कुछ कहे अगर चली गई तो फिर मुझे कुछ भी इसके सवालों के जवाब नहीं देने पड़ेंगे, बहुत अच्छा मौका है कनिष्का।” वो जल्दी से बद से उठी और उसने देखा उसके सारे कपड़े वहीं बेड के आसपास ही बिखरे पड़े थे उसने जल्दी-जल्दी अपने अंडर गारमेंट्स को उठाया और अपने कपड़े को पहनने लगी। वहीं वह आदमी वही वॉशरूम के दरवाजे के पास खड़ा था उसने दरवाजा थोड़ा सा खोला और उसने कमरे की तरफ देखा और कनिष्का जल्दी-जल्दी कपड़े पहन रही थी उसे इस तरह कपड़े पहनते देख कर उसने धीमी आवाज में कहा, " मैं जानता हूं तुम इस टाइम काफी ज्यादा Embarrassed फील कर रही हो इसलिए मैं तुम्हें और ज्यादा awkward मोमेंट में नहीं डालना चाहता था कनिष्का, बट अब अगर तुम्हें यहां से जाना है तो मैं तुम्हें रोकूंगा नहीं।” वह वहीं पर चुपचाप खड़ा होकर कनिष्का को देखने लगा और उसके चेहरे पर एक अजीब सी उदासी नज़र आ रही थी हालांकि कल रात में बीती उन दोनों की रात बहुत ही ज्यादा यादगार थी और दोनों को ही उसे रात के बाद एक अलग ही सुकून मिल रहा था लेकिन जब कनिष्का ने अवनीश का नाम लिया तो उसके बाद वह आदमी काफी ज्यादा अपसेट हो गया था क्योंकि कनिष्का ने उसे अपना हस्बैंड समझ कर उसके साथ वह रात बिताई लेकिन वह यह बात जानकर बिल्कुल भी खुश नहीं था और उसने एक गहरी सांस ली और वह चुपचाप शावर के नीचे जाकर खड़ा हो गया। तब तक कनिष्का भी अपने कपड़े पहन चुकी थी और उसने भी जल्दी से अपना बैग उठाया और वह कमरे से बाहर निकलने लगी, उसकी बॉडी में काफी ज्यादा पेन हो रहा था क्योंकि फर्स्ट टाइम फिजिकल होने के बाद उसकी बॉडी को रिलैक्सेशन चाहिए था लेकिन वह बिल्कुल भी रिलैक्स नहीं लग रही थी बल्कि वह पैनिक होकर जल्दी से उसे रूम से बाहर निकली, उसने अपने दर्द को बर्दाश्त किया और जैसे ही वह रूम से बाहर निकली उसने देखा वह एक 3 बीएचके के फ्लैट में थी और वह फ्लैट काफी ज्यादा बड़ा और लग्जरियस था‌। उसका इंटीरियर और बाकी सारी चीज देखकर इतना तो समझ में आ रहा था की सारी चीज काफी ज्यादा महंगी और ब्रांडेड है। उसने इन सब चीजों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और वह जल्दी-जल्दी उस फ्लैट से बाहर निकली और उसने कैब बुक की और कैब आते ही वह तुरंत उसमें बैठ गई। वही जैसे ही कनिष्का बिल्डिंग से नीचे उतरी वह आदमी वही अपनी बालकनी पर आकर खड़ा हुआ और वह कनिष्का को इस तरह हड़बड़ी में जाते देखकर एक गहरी सांस लेकर बोला, "कल की रात मैं हमेशा याद रखूंगा और बस इसी बात का अफसोस है कि आप शायद हम दोबारा इस तरह नहीं मिल पाएंगे।” इतना बोलकर उसने देखा और कनिष्का कैब में बैठकर सीधे अपने घर की तरफ चली गई और वह आदमी भी वापस अपने रूम में आया और वह काफी ज्यादा स्ट्रेस था उसने वहीं पास में रखी हुई अपनी सिगरेट की पैकेट को उठाया और वह सिगरेट पीने लगा। थोड़ी ही देर में कनिष्का ओबेरॉय मैनसन पहुंची और जैसे ही वह अपने रूम के अंदर आई उसके कदम वही दरवाजे के पास ही रुक गए । उसने अपने हाथों की कसकर मुट्ठी बांध ली उसने देखा कि उसके बेडरूम में उसके पति के अलावा कोई और भी था और कनिष्का की नजर जैसे ही बेड पर लेटी हुई उसे लड़की पर गई वह उसे देखकर कुछ बोल ही नहीं पाई और जैसे ही कनिष्का अंदर आई उसने रूम का दरवाजा पटक कर बंद कर दिया। दरवाजा बंद होने की आवाज सुनते ही कनिष्का का पति अवनीश की आंख खुली और वह बेड से उठा उसने बॉक्सर्स के अलावा और कुछ भी नहीं पहना हुआ था वह कनिष्का को देखकर गुस्से से बेड से उठकर खड़ा हुआ। उसने जैसे ही कनिष्का को देखा वह उसके सामने आकर खड़ा हुआ और उसने अपने दोनों हाथ बांधते हुए कहा, "आ गई धर्मपत्नी जी, कहां थी अब तक सारी रात तुम्हें घर आने का होश नहीं था?” जैसे ही कनिष्का ने उसकी यह बात सुनी उसने भी गुस्से में ही उल्टा जवाब देते हुए कहा, "तुमसे मतलब मैं कहीं भी रहूं। मुझे नहीं लगता मुझे तुम्हारे किसी भी सवाल का जवाब देने की जरूरत है।” कनिष्का की यह बात सुनकर अवनीश ने उसके कंधे पर अपना हाथ रखा और कंधे को कसकर दबाते हुए कहा, "मुझे उल्टा जवाब देने की जरूरत नहीं है तुम्हें जितना पूछ रहा हूं सीधे-सीधे उसका जवाब दो।” कनिष्का ने उसे घूरते हुए देखकर कहा, "क्यों? तुम हो कौन, जो मैं तुम्हें तुम्हारी बात का जवाब दूं!” कनिष्का ने जैसे ही यह बात कही अवनीश उसको घूरते हुए देखने लगा। To Be Continued क्या लगता है आप लोगों को कनिष्का बताएगी अवनीश को सच या फिर नहीं और कौन था वह लड़का जिसे कनिष्का भी पहचानती है और वह लड़का भी उसे पहचानता था क्या होगा जब इस बारे में अवनीश को पता चलेगा क्या उसे इस बात का फर्क पड़ेगा या फिर नहीं? आपको जो भी लगता हो कहानी पढ़कर कमेंट में जरूर बात कर जाएं।

  • 6. Tangled Hearts - Chapter 6

    Words: 1417

    Estimated Reading Time: 9 min

    6 कनिष्का ने जैसे ही यह बात कही अवनीश उसको घूरते हुए देखने लगा। वह उस के करीब आया और उसने कनिष्का के गालों को दबोचते हुए कहा, "मैं कौन हूं भूल गई हो क्या शादी हुई है तुम्हारी मुझसे मेरे हर सवाल का जवाब देना तुम्हारा फर्ज है?” कनिष्का ने अवनीश की बात सुनकर हंसते हुए कहा, " हा हा हा तुम्हारी शादी और तुम्हारे यह फर्ज, तुम यह सारी बातें ना ही करो तो ज्यादा बेहतर होगा अवनीश क्योंकि तुमने आज तक अपना कोई फर्ज नहीं निभाया है और अब मैं भी अपने कोई फर्ज नहीं निभाने वाली, तुम्हें मुझे डिवोर्स नहीं देना है, फाइन! मत दो, आई डोंट केयर बट अब मैंने सोच लिया है, मैं तुम्हारी वजह से अपनी जिंदगी बर्बाद नहीं करूंगी, जैसे तुम अपनी मर्जी के मालिक को वैसे ही मैं भी हूं और अब वही करूंगी जो मेरा मन करेगा so don't you dare to ask me anything!” कनिष्का ने अवनीश का हाथ झटक और उसे खुद से दूर धकेल दिया। वो कपबोर्ड की तरफ जाने लगी और उसने कपबोर्ड के हैंडल पर हाथ रखा ही था कि तभी अवनीश ने उसके हाथ को कसकर पकड़ा और उसके हाथ को मरोड़ते हुए कहा, "तुम्हारी ज़ुबान कुछ ज्यादा ही चल रही है, कहां थी तुम सारी रात और आखिर ऐसा हुआ क्या तुम्हारे साथ और जो तुम एक ही रात में इतनी ज्यादा बदल गई हो।” अवनीश की बात सुनकर कनिष्का जो काफी ज्यादा इरिटेट हो चुकी थी उसने तेज आवाज में चिल्लाते हुए कहा, "जहां भी थी बहुत खुश थी और कल की रात मेरी लाइफ की सबसे यादगार रात थी, क्योंकि मैं तुमसे दूर खुश थी और वैसे भी मेरा मूड बहुत अच्छा है इसलिए अब अपनी बकवास बातों से मेरा मूड खराब मत करो, हटो मेरे रास्ते से.. छोड़ो मेरा हाथ।” कनिष्का अपना हाथ उसके हाथ से छुड़ाने लगी और अवनीश ने जैसे ही उसकी यह बात सुनी, उसने उसे ढूंढते हुए देख कर कहा, "यादगार रात ऐसा क्या किया तुमने कल रात?” कनिष्का ने जैसे ही अवनीश की बात सुनी वह मुस्कुराते हुए बोली, "वही जो तुम यहां मेरे बेडरूम में कर रहे थे किसी और के साथ, सेम वही मैंने भी किया किसी और के बेडरूम में, उसके साथ।” जैसे ही कनिष्का ने यह बात कही अवनीश का दिमाग खराब हो गया और वह गुस्से से तिलमिलाते हुए उसके बालों को कसकर पकड़ लिया और उन्हें खींचते हुए बोला, "मुंह बंद रखो अपना, मैं जानता हूं तुम बस झूठ बोल रही हो, तुम जैसी लड़की को कोई भी अपने बिस्तर तक क्यों ले जाएगा?” कनिष्का ने उसके हाथ को झटकते हुए कहा, "सही कहा तुमने अगर तुम्हारे जैसा इंसान हो तो वह कभी नहीं ले जाएगा लेकिन वह इंसान जिसके साथ मैंने रात बिताई है वह तुमसे लाख गुना अच्छा था, अरे नहीं ये क्या बोल रही हूं‌ मैं। उस आदमी से तो तुम्हारा कंपैरिजन ही नहीं हो सकता और सच बताऊं तो आज मैं बहुत खुश हूं कि अच्छा हुआ जो शादी के इतने दिनों के बाद भी तुमने मुझे नहीं छुआ, फाइनली मैंने अपनी फर्स्ट नाइट किसी ऐसे आदमी के साथ बिताई जो इतना अच्छा और इतना हैंडसम था, जिसने मुझे एक पल के लिए भी दर्द महसूस होने नहीं दिया और उसकी बाहों में मुझे इतनी सुकून भरी नींद आई और वैसे भी मैं यह सोच रही थी कि शायद मुझे वो आदमी पहले मिल गया होता तो मैं तुम्हारे जैसे घटिया इंसान के साथ इस तरह बेफिजूल के रिश्ते में ना फंसती।” कनिष्का की तरफ देखते हुए अवनीश ने गुस्से में कहा, " हां तुम्हारी जैसी लड़की से कोई क्या ही एक्सेप्ट कर सकता हूं और तुम्हारे जैसी कैरक्टरलेस लड़की मुझे वैसे भी डिजर्व नहीं करती है।” कनिष्का अवनीश की बात सुनकर बेड पर लेटी हुई इस लड़की की तरफ देखते हुए बोली, "ओ हो देखो तो ज़रा मुझे, नसीहत कौन दे रहा है जो खुद मेरे रूम में मेरे बेड पर मेरी ही सौतेली बहन के साथ बिस्तर गर्म कर चुका है वह मुझे कैरक्टरलेस कह रहा है। वाओ क्या बात है और वैसे भी तुम अब अगर मुझे गुस्सा दिलाने के लिए इन सारे वर्ड का यूज़ कर रहे हो तो करते रहो क्योंकि मुझे गुस्सा तो नहीं आने वाला लेकिन मेरा प्रेशियस टाइम जरूर वेस्ट हो रहा है इसलिए। अब मुझे फ्रेश होने दो, हटो सामने से।” कनिष्का के मुंह से निकली ये बात अवनीश के दिल पर लग रही थी वह उसकी बातें सुनकर जल भुन रहा था और उसके चेहरे पर जलन और गुस्सा साफ नजर आ रहा था । उसने कनिष्का को घूरते हुए देखकर कहा, "झूठ बोल रही हो तुम तुम्हारे साथ कोई भला क्यों… तुम ये सारी बातें बना रही हो तुम अपनी किसी दोस्त के साथ उसके घर पर होगी, जहां हमेशा जाती हो क्या नाम है उसका..?" वह बोल ही रहा था कि तभी कनिष्का ने उसे अपना हाथ दिखाते हुए कहा, "बस बहुत हो गया। चुप रहो, मुझे तुमसे कोई बहस नहीं करनी है और ना ही कोई सफाई देनी है और वैसे भी मुझे फ्रेश होने जाना है हटो मेरे रास्ते से और अगर तुम्हें इस बात पर यकीन नहीं करना, तो मत करो आई रियली डोंट केयर, मुझे अब तुमसे कोई आर्गुमेंट करनी ही नहीं है जैसे तुम अपनी लाइफ में खुश हो! मुझे भी बस अब अपनी लाइफ में खुश रहना आ गया है और अब मुझे तुम्हारी कोई ज़रूरत नहीं है।” जैसे ही कनिष्का ने यह बात कही अवनीश की आंखें हैरानी से चौड़ी हो गई। उसने कनिष्का को देखकर ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, " नहीं, झूठ बोल रही है यह इसके साथ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ होगा यह, यह सब कुछ झूठ बोल रही है ताकि यह मुझे गुस्सा दिला सके लेकिन मैं भला क्यों इसकी बातों से गुस्सा होने लगा और मैं तो बहुत अच्छी तरह इसे जानता हूं इसलिए मैं तो कोई भी भाव नहीं देने वाला यह अपनी किसी दोस्त के साथ होगी और वहीं पर इसने अपनी रात बिताई होगी और अब यहां पर मुझे अपनी बहन के साथ देखकर चिढ़कर यह सारी बातें बोल रही है।” अवनीश सारी बातें सोच रहा था कि तभी कनिष्का ने वार्डरोब का दरवाजा खोला और उसने अपने कपड़े निकले जैसे ही उसने वार्डरोब पटक कर बंद किया। उसी टाइम अवनीश की नजर सीधे कनिष्का की गर्दन पर गई और उसने जैसे ही कनिष्का की गर्दन को देखा उस की आंखें हैरानी से चौड़ी हो गई क्योंकि कनिष्का की गर्दन पर एक दो नहीं बल्कि कई सारे हिक्की मार्क्स थे और वह बिल्कुल डार्क पर्पल कलर के दिख रहे थे जिससे यह साफ समझ में आ रहा था कि कनिष्का जो कुछ भी बोल रही थी वह सच बोल रही है। कल की रात उसने किसी लड़के के साथ ही बिताई है और यह देखकर उसने अपने हाथों की कसकर मुट्ठी बांध ली और कनिष्का ने उसे इस तरह गुस्से से तिलमिलाते देखकर उसे सर से लेकर पांव तक चेक आउट किया और बेड पर लेटी हुई अपनी बहन की तरफ देख कर उसने ना में अपना सिर हिलाया और वह सीधे वॉशरूम के अंदर चली गई और वॉशरूम के अंदर जाते ही उसने वॉशरूम अंदर से लॉक किया और तभी शावर चलने की आवाज आने लगी। अवनीश ने गुस्से से अपना हाथ cupboard पर मारा और उसने अपने हाथ को झटकते हुए कहा, "यह इस तरह से खुश तो नहीं रह सकती, मैं इसे खुश नहीं रहने दूंगा। यह किसी दूसरे के साथ रात बिता कर आई है आखिर ऐसा कौन मिल गया इसे।” अवनीश यह बात सोच ही रहा था कि कनिष्का की बहन बेड से उठी और उसने अवनीश को बैक हग करते हुए कहा, "क्या बात है अवनीश तुम इतने परेशान क्यों हो रहे हो और वैसे भी अच्छी ही बात है ना अगर उसे कोई मिल गया है और वह मूव ऑन हो गई है तो यह हमारे लिए ही बेटर है हम भी अपनी लाइफ में जल्दी आगे बढ़ पाएंगे।” अवनीश ने ना में अपना सिर हिलाया और उसने धीमी आवाज में कहा, "मैं तो अपनी लाइफ में आगे बढूंगा लेकिन मैं इसे आगे नहीं बढ़ने दे सकता। यह मूव ऑन नहीं हो सकती। इसे मैं जिंदगी भर के सारे गम दूंगा क्योंकि यह कोई भी खुशी डिजर्व नहीं करती और मैं इसे इसकी औकात दिखा कर रहूंगा।” To Be Continued कैसा लगा आप लोगों को आज का एपिसोड अगर कहानी पसंद आ रही है तो कमेंट में जरूर बताते जाएगा क्योंकि आप सबके कमेंट पढ़कर हमें भी पता चलेगा स्टोरी कैसी जा रही है! इसके साथ ही मेरी बाकी कहानी भी ज़रूर पढ़ कर देखिए।

  • 7. Tangled Hearts - Chapter 7

    Words: 1368

    Estimated Reading Time: 9 min

    7 अवनीश इतना बोलकर वॉशरूम की तरफ घूरते हुए देखने लगा और तभी तानिया ने उसकी कमर में अपना हाथ डालकर उसे पकड़ते हुए कहा, "छोड़ो ना बेबी उसकी वजह से तुम अपना मूड क्यों खराब कर रहे हो और वैसे भी मुझे तो ऐसा लगता है कि वह तुम्हारी कोई भी अटेंशन डिजर्व नहीं करती है इसलिए उसके बारे में तुम कुछ भी मत सोचो और वैसे भी वह अभी आई है तो थोड़ी देर में वह ऑफिस के लिए भी निकल जाएगी। अवनीश तानिया की बात सुन ही नहीं रहा था और वह बस वॉशरूम की तरफ ही देखा जा रहा था और अभी-अभी उसने जो कनिष्का की गर्दन पर बने हिक्की मार्क्स को देखकर वह और भी ज्यादा गुस्से में हो गया था। उसके चेहरे पर एक अलग ही चिढ़न नजर आ रही थी और वह अपने मन में बोला, "मुझे तो समझ में नहीं आ रहा है, यह किसके साथ रात बिता कर आई है। अचानक से ऐसा कौन मिल गया इसे?” अवनीश ये बात सोच ही रहा था कि तभी तानिया ने उसके गाल पर अपना हाथ रखते हुए कहा, "बेबी क्या सोच रहे हो तुम और वैसे भी अगर तुम्हें इसे मजा चखना है तो मेरे पास एक बहुत ही बेहतरीन आईडिया है।” जैसे ही तानिया ने यह बात कही अवनीश उसकी तरफ हारने से देखते हुए बोला, "मतलब ?” तानिया ने अवनीश के करीब आकर उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए और वह उसे किस करते हुए मुस्कुराने लगी! अवनीश को समझ नहीं आ रहा था कि वो ऐसा क्यों कर रही थी, और अभी अवनीश का मूड भी खराब था इसलिए अवनीश ने उसे रोकते हुए कहा, "ये क्या कर रही हो तुम? तानिया...आह् उम्म्!!” तानिया ने उसे किस करते हुए कहा, "उम्म् ... वही जो हमें करना चाहिए।” इतना बोलकर तानिया ने अवनीश को बेड पर धक्का दिया और वह बेड के करीब आई और अवनीश के ऊपर चढ़ते हुए उसके ऊपर बैठ गई। अवनीश उसकी तरफ हैरानी से देख रहा था अभी तक तानिया नीचे झुकी और उसने अवनीश की गर्दन पर किस किया और उसके कान के पास जाकर धीमी आवाज में बोली, "मेरी बात ध्यान से सुनो, अभी अगर कनिष्का वॉशरूम के अंदर गई है तो फ्रेश होकर वह थोड़ी देर में बाहर निकलेगी और अगर उसने हमें इस तरह इंटिमेट होते हुए देखा तो तुम खुद सोचो वह कितना ज्यादा जलेगी? उसका गुस्सा एक साथ कितना बढ़ेगा और उसके दिल में जो दर्द होगा हम उसे वही दर्द तो देना चाहते हो ना।” जैसे ही अवनीश ने उसकी यह बात सुनी उस ने अपना हाथ तानिया की कमर पर रखा और उसके हिप्स को टच करते हुए कहा, " हां बिल्कुल। ये तो बहुत अच्छा आइडिया है लेकिन मेरे दिमाग में यह बात कैसे नहीं आई।” तानिया ने उसके ईयरलोब को हल्के से काटते हुए कहा, "अरे कोई बात नहीं बेबी, तुम सोचो या मैं बात तो एक ही है ना?" "Yeah, definitely! And you are so damn sexy baby..." - इतना बोलकर उसने तानिया को अपने बिल्कुल करीब खींचा और वह उसके होठों पर अपने होंठ रखकर उसे किस करने लगा और उसके दोनों हाथ धीरे-धीरे तानिया की कमर से होते हुए उसकी पीठ पर चले गए और वह उसे किस करते-करते उसके टॉप को उतारने लगा और जैसे ही उसने टॉप को उतारा वह तानिया की बॉडी को अपने हाथों से टच करने लगा। उसका पूरा हाथ तानिया की बॉडी को एक्सप्लोर कर रहा था और तानिया उसकी तरफ देखकर मुस्कुराती जा रही थी और तभी उसने तानिया की पीठ पर अपना हाथ रखा और उसे अपने बगल में बेड पर गिराया और वह खुद उसके ऊपर चढ़ते हुए बैठ गया। वह तानिया की गर्दन पर किस करता जा रहा था और किस करते-करते वह तानिया के क्लीवेज पर पहुंचा और तानिया उसकी किस को बहुत एंजॉय कर रही थी उसके दोनों हाथ अवनीश के कंधे से होते हुए उसकी पीठ पर जा रहे थे और वह बड़े ही सेक्सी वे में उस की पीठ को रब करती जा रही थी। वहीं तानिया की नजर वॉशरूम की तरफ गई और उस ने शावर बंद होने की आवाज सुनी और उसने अवनीश के कान के पास आते हुए कहा, "बेबी! आई थिंक कनिष्का अब बाहर निकलने वाली है।" जैसे ही उसने अवनीश से बात कही, अवनीश ने तुरंत अपने बॉक्सर्स को उतारा और वह तानिया के बिल्कुल ऊपर आकर लेटा और उसने नीचे झुकते ही उसने तानिया के दोनों हाथों को अपने हाथों में कस कर ले लिया और तानिया ने जैसे ही अवनीश की तरफ देखा और उसके मुंह से एक तेज चीख निकली और अवनीश तानिया की तरफ देख रहा था कि तभी वॉशरूम का दरवाजा खुला और जैसे ही कनिष्का वॉशरूम से बाहर निकली। तानिया उसे देखकर और तेजी से आहें भरने लगी, "ahhh yes baby! More... You are so good..." कनिष्का ने जैसे ही ये आवाज़ सुनी और तानिया को अवनीश के साथ इस तरह बेड पर intimate होते देखकर, कनिष्का के कदम वही वॉशरूम के दरवाजे पास ही रुक गए.... उसकी नज़रें जैसे ही अवनीश और तानिया पर पड़ी, कनिष्का का दिल मानो दहल उठा और वह इस तरह से अवनीश को अपनी ही आंखों के सामने किसी लड़की के साथ इंटीमेट होते हुए नहीं देख सकती थी, लेकिन इस टाइम अवनीश चाहता था कि कनिष्का उसे किसी के साथ इंटीमेट होते हुए देखे और वह तानिया के साथ पूरी एनर्जी के साथ इंटीमेट हो रहा था और उन दोनों की आवाज़ कनिष्का को देखकर और भी ज्यादा तेज हो गई और तभी कनिष्का की नजर अवनीश पर गई और अवनीश के चेहरे पर शैतानियत भरी मुस्कराहट थी। जिसे देखकर कनिष्का समझ गई की अवनीश जानबूझकर ये सब कर रहा था और कनिष्का ने अपने चेहरे की एक्सप्रेशंस को चेंज किया और वह एक गहरी सांस लेते हुए बोली, "तुम दोनों से ज्यादा बेशर्म इंसान मैंने आज तक नहीं देखा और तुम लोगों को क्या लग रहा है, यह सब करके तुम लोगों अपने मकसद में कामयाब हो जाओगे। सच बताऊं तो अब मुझे तुम लोगों के मैटर में पड़ना ही नहीं है तुम लोगों को जो मन करे वह करो, आई रियली डोंट केयर।" इतना बोलकर कनिष्का सीधे कपबोर्ड की तरफ आई और उसने कपबोर्ड में से अपने ऑफिस के ड्रेस को निकाला और जैसे ही अवनीश ने कनिष्का के मुंह से "I don't care" सुना वह अपनी जगह पर रुक गया और जैसे ही वह रुक तानिया उसके कान के पास जाकर बोली, "क्या हुआ अवनीश ! तुम रुक क्यों गए डोंट स्टॉप अगर तुम इस तरह से रुक जाओगे तो वह कनिष्का जीत जाएगी, तुम्हें रुकना नहीं है प्लीज कंटिन्यू कम ऑन डोंट स्टॉप।" तानिया ने जैसे ही यह बात कही अवनीश ने धीरे से हां में अपना सिर हिलाया और तानिया भी जोर-जोर से चिल्लाने लगी, "yes! Yes baby... You are right there..." कनिष्का जो अपने कपड़े निकाल रही थी और उसका चेहरा कपबोर्ड की तरफ था वह उन दोनों के बेड की तरफ पीठ करके खड़ी हुई थी लेकिन जैसे ही तानिया ने चीखना शुरू किया। तानिया को इस तरह से चीखते देखकर कनिष्का ने कपबोर्ड को पटकते हुए बंद किया और उसने उन दोनों की तरफ देखते हुए कहा, "आई थिंक, मैं यहां पर तुम लोगों की प्राइवेसी में दखल दे रही हूं आज ऑफिस से वापस आने के बाद में अपना रूम चेंज कर लूंगी ताकि तुम दोनों की प्राइवेसी में कोई प्रॉब्लम ना हो।" इतना बोलकर कनिष्का सीधे ही उस रूम से बाहर निकल गई। उसके बस इतना बोल कर वहां से चले जाने पर अवनीश दरवाजे की तरफ ही देखने लगा इस यकीन नहीं है कि क्या कनिष्का को सच में अब कोई फर्क नहीं पड़ रहा था उसके किसी और के साथ होने से आप क्या वह सच में आगे बढ़ चुकी थी, किसी और के साथ... To Be Continued क्या कनिष्का और अवनीश के बीच कुछ भी बचा है उनके रिश्ते में? या फिर उन दोनों को अलग हो जाना चाहिए बताइए और कैसी लग रही है आप लोगों को यह स्टोरी कमेंट में अपना ओपिनियन लिखना ना भूले और अगर आप लोगों को पसंद आ रही है तो फिर हम इस स्टोरी पर और ज्यादा ध्यान देंगे और इसे कंटीन्यू करेंगे और रेगुलर पार्ट भी अपलोड करेंगे लेकिन आप लोग प्लीज कमेंट जरुर करके जाया करो।

  • 8. Tangled Hearts - Chapter 8

    Words: 1361

    Estimated Reading Time: 9 min

    8 कनिष्का ने तेज आवाज में चिल्लाते हुए कहा, "तुम्हें जो करना है करो मुझे भी अब कोई फर्क नहीं पता वैसे भी मैं तुमसे तंग आ चुकी हूं।" उसे इस तरह यह सारी बातें बोलकर बाहर जाते देखकर अवनीश भी दरवाजे की तरफ ही देखने लगा और वही जैसे ही कनिष्का अपने ऑफिस वाले कपड़े लेकर बाहर निकली, और बाहर आते ही कनिष्का ने अपने सिर को पकड़ा और उसकी आंखों के कोने से आंसू बहने लगे। वो कुछ सेकेंड के लिए इस कमरे की दीवार से लगभग कर खड़ी रही और उसकी आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे लेकिन फिर कुछ याद आते ही उसने तुरंत अपने आंसुओं को पोंछा और वह दूसरे रूम में चेंज करने के लिए चली गई। कनिष्का जैसे ही रेडी हुई, वह तुरंत ही ऑफिस के लिए निकल गई उसने कुछ भी नहीं खाया था, लेकिन वह अब उस घर में और ज्यादा देर रुकना नहीं चाहती थी क्योंकि अवनीश और तानिया अभी भी उसके बेडरूम में ही थे और वह जानती थी कि अगर वह वहां पर रुकी तो फिर से तानिया और अवनीश उसे जलाने के लिए कुछ ना कुछ ज़रूर करेंगे, इसीलिए वह सीधे ऑफिस के लिए निकल गई। कनिष्का अपने ऑफिस में बैठी थी उसने ब्रेकफास्ट ऑफिस में ही किया और अपने काम में लग गई। थोड़ी ही देर बाद उसका काम फिनिश हुआ लंच का टाइम हो चुका था लेकिन कनिष्का का कुछ भी खाने का मन नहीं कर रहा था और वह चुपचाप वहीं ऑफिस में ही अपना काफी मग लेकर आराम से बैठी हुई थी कि तभी कनिष्का का फोन बजा । जैसे ही कनिष्का ने फोन की तरफ देखा वह हैरानी से फोन की तरफ देखते हुए बोली, "दादाजी? दादाजी इस टाइम मुझे कॉल क्यों कर रहे हैं?" कनिष्का ने जल्दी से कॉल पिकअप किया और वह कॉल पिक करके उसने बड़ी ही शांत आवाज में बोली, "नमस्ते दादा जी, कैसे हैं आप और आपने मुझे इस टाइम कॉल किया, सब ठीक तो है ना आपकी तबीयत ..?" कनिष्का एक ही बार में सारी चीज पूछ रही थी कि तभी दूसरी तरफ से किसी बड़े बुजुर्ग की आवाज सुनाई दी, "मैं बिल्कुल ठीक हूं कनिष्का बहू! तुम कैसी हो और इतनी परेशान मत हो मैंने तो बस तुम्हें इनवाइट करने के लिए कॉल किया है, मैं चाहता हूं कि तुम अवनीश के साथ हवेली आओ, मैं तुम सबको बहुत याद कर रहा था तो सोचा तुम लोगों को बुला लूं ।" कनिष्का ने जैसे ही यह बात सुनी, वह अवनीश और तानिया के बारे में सोचने लगी और तभी दादाजी ने कहा, "कनिष्का बहू तुम मेरी बात सुन रही हो ना? वो दरअसल मैं अवनीश को फोन कर रहा था लेकिन उसका फोन लग नहीं रहा तो मैंने सोचा तुम्हें फोन करके बता दूं और तुम घर जाना तो अवनीश से ये बात बोल देना और कल सुबह-सुबह ही तुम लोग घर से निकलना क्योंकि मैं कल रात का डिनर तुम लोगों के साथ करना चाहता हूं तुम अवनीश के साथ आ जाओगी ना?" कनिष्का ने दादाजी की बात सुनकर अपने मन में कहा, "मुझे तो आपके पास आने में कोई प्रॉब्लम नहीं है दादाजी लेकिन मैं अब आपको कैसे बताऊं कि अवनीश , वह मेरे साथ नहीं आना चाहता।" कनिष्का यह बात सोच ही रही थी कि तभी दादाजी ने कहा, " क्या हुआ कनिष्का, क्या तुम इस बूढ़े आदमी से मिलने भी नहीं आ सकती?" कनिष्का ने उनकी बात सुनकर तुरंत ही कहा, "अरे नहीं दादा जी मैं आ जाऊंगी आप बिल्कुल फिक्र मत करिए।" दादाजी ने जैसे ही कनिष्का की यह बात सुनी वह खुश होते हुए बोले, "ठीक है, मैं इंतजार करूंगा, अब जब तक अवनीश को भी फोन करके देख लेता हूं शायद आपको मेरा फोन उठा ले!" कनिष्का ने हामी भरी और फोन कट कर दिया। फोन रखते ही कनिष्का ने कहा, "पता नहीं कैसे मैं अवनीश के साथ दादा जी के साथ सामने जाऊंगी क्योंकि दादाजी को तो कुछ भी नहीं पता है। वह हमारे रिश्ते की असलियत के बारे में जानते ही नहीं है और अगर उन्हें पता चल गया तो कहीं उनकी तबीयत ना खराब हो जाए। नहीं, नहीं मुझे दादाजी के लिए इन सब बातों को छुपाना होगा।" कनिष्का इतना बोलकर काफी टेंशन में आ गई और वह चुपचाप वहीं बैठकर अपनी कॉफी पीने लगी और जैसे ही उसका ऑफिस का टाइम खत्म हुआ, कनिष्का वापस घर पहुंची और जैसे ही वह घर आई उसने देखा अवनीश रूम में अकेले बैठा अपने लैपटॉप पर कुछ कर रहा था और तानिया रूम में नहीं थी। जैसे ही कनिष्का ने अवनीश को अकेले देखा उसने अपने मन में कहा, "लगता है तानिया चली गई है।" कनिष्का ने उससे कुछ नहीं कहा और वह अपने कपड़े लेकर चेंजिंग रूम की तरफ चली गई और उसने जैसे ही दरवाजा बंद किया तो अवनीश ने अपना सर उठा कर देखा और उसने कहा, "अच्छा तो यह आ गई ऑफिस से।" अवनीश और चेंजिंग रूम की तरफ ही देख रहा था कि थोड़ी देर में कनिष्का अपने कपड़े चेंज करके बाहर निकली और अवनीश उसके सामने आकर खड़ा हुआ उसने अपने हाथ बांधते हुए कहा, "कपड़े पैक करो अपने हम दादाजी की हवेली के लिए निकल रहे हैं।" कनिष्का ने जैसे ही अवनीश की यह बात सुनी वह उसे है घूरते हुए देखने लगी क्योंकि जिस तरह अवनीश ने उसे ऑर्डर देते हुए यह बात कही थी कनिष्का को ये बात बिल्कुल भी पसंद नहीं आई थी लेकिन अवनीश ने कनिष्का की तरफ देखते हुए कहा, "इस तरह मुझे घूरने की ज़रूरत नहीं है दादाजी ने बुलाया है हमें कल सुबह ही यहां से निकलना है इसलिए अपने कपड़े पैक करो और मुझे घूरना बंद करो, समझी!" कनिष्का ने अवनीश को उसी तरह घूरते हुए देखकर गुस्से से कहा, "शट अप अवनीश ! मैं यहां पर तुम्हारा आर्डर मानने के लिए नहीं खड़ी हूं समझे और रही बात हवेली चलने की तो मुझे वह बात पता है दादाजी ने मेरे पास भी कॉल किया था और मैं अपनी पैकिंग कर लूंगी तुम्हें मुझे बताने की ज़रूरत नहीं है।" अवनीश उसकी बात सुनकर उसे घूरते हुए देखकर बोला, "बताने की जरूरत है क्योंकि तुम्हें मेरे साथ ही चलना है और अपनी पैकिंग क्या हमेशा की तरह हम दोनों की पैकिंग करो।" अवनीश ने जैसे ही यह बात कही, कनिष्का एक गहरी सांस लेते हुए बोली, "मुझे पहले से ही पता है और मैं सिर्फ और सिर्फ दादाजी के लिए ही तुम्हारे साथ चलने वाली हूं समझे, इसलिए इस गलतफहमी में मत रहना कि पहले की तरह मैं तुम्हारी पैकिंग करुंगी या तुम्हारी चीजों का ख्याल रखेगी तुम्हें जो चाहिए खुद ही पैक करो या फिर ऐसे ही चलो मुझे कोई मतलब नहीं है।" कनिष्का के इस तरह बोलने पर अवनीश उसके करीब आया और उसने कनिष्का की बाजू को कसकर पकड़ते हुए कहा, "आजकल तुम कुछ ज्यादा ही नहीं बोल रही हो?" कनिष्का ने अवनीश का हाथ झटकते हुए कहा, "हां, बोल रही हूं तो क्या कर लोगे? कुछ भी नहीं सिर्फ पीठ पीछे और मेरे सामने दूसरी लड़कियों के साथ s*x कर सकते हो इसके अलावा और कुछ भी बिगाड़ नहीं सकते तुम मेरा।" अवनीश कनिष्का को घूरते हुए देखने लगा और कनिष्का ने उसकी बात का कोई भी जवाब नहीं दिया और कनिष्का एकदम एटीट्यूड में तेज़ कदमों से चलते हुए उस रूम से बाहर निकल गई, अवनीश वहीं पर खड़ा उसे जाता हुआ देखता रह गया क्योंकि उसे आज कनिष्का के तेवर एकदम बदले हुए लग रहे थे। To Be Continued आप लोगों को अगर यह स्टोरी पसंद आ रही है तो फिर कमेंट में यह बताने में क्या प्रॉब्लम है आप लोगों को कम से कम आप लोग यह बता सकते हैं की स्टोरी में आपको सबसे ज्यादा क्या पसंद आ रहा है तो हम उसे चीज पर काम करके उसे और बेहतर बनाएंगे आप लोगों के लिए और यह कहानी आप लोगों को अच्छी लग रही है तो क्या लगता है दादा जी को पता चलेगा इन दोनों के रिश्ते का सच और क्यों बुलाया होगा दादाजी ने इन लोगों को वहां पर? आगे आने वाले एपिसोड में पता चलेगा और यह स्टोरी बहुत ही इंटरेस्टिंग होने वाली है इसमें कई सारे ट्विस्ट होंगे और अगर आप सब ने साथ दिया तो लंबी भी होगी यह स्टोरी!

  • 9. Tangled Hearts - Chapter 9

    Words: 1269

    Estimated Reading Time: 8 min

    9 कनिष्का रूम से बाहर निकली और दूसरे रूम में जाकर अपना सिर पकड़ कर बैठ गई। थोड़ी देर बाद वह अपने रूम में आई उसने अपने कपड़ों को पैक किया वापस उसी रूम में चली गई। अगली सुबह; जैसे ही कनिष्का की आंख खुली उसने घड़ी की तरफ देखा सुबह के 8:00 बज रहे थे। वह सीधे फ्रेश होकर अपने सामान को लेकर कार में आकर बैठ गई। थोड़ी ही देर में अवनीश भी उस ही कार में आकर बैठा। कनिष्का ने उसकी तरफ अपनी नज़रें उठाकर भी नहीं देखा। ड्राइवर ने कार स्टार्ट कर दी। लगभग 1 घंटे में वह लोग अवनीश के दादाजी की हवेली पर पहुंचे.. जैसे ही उनकी कार हवेली के बाहर आकर रुकी। कनिष्का ने कर की खिड़की से बाहर झांक कर देखा वह हवेली दिखने में काफी ज्यादा पुरानी लग रही थी। हालांकि पुरानी होने के साथ-साथ वह काफी ज्यादा खूबसूरत भी बनी थी। कनिष्का तुरंत कार से बाहर उतरी और उसने देखा की सामने अवनीश के दादाजी खड़े थे। अवनीश ने जैसे ही उन्हें देखा वह भी तुरंत कार से बाहर उतरा और कनिष्का के बगल में आकर इस तरह से खड़ा हो गया जैसे मानो उन लोगों के बीच सब कुछ बिल्कुल ठीक हो। कनिष्का जानती थी कि अवनीश यह सब कुछ सिर्फ अपने दादाजी को दिखाने के लिए कर रहा था इसलिए कनिष्का ने भी उसे कुछ नहीं कहा हालांकि कनिष्का को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन वह चुपचाप उसके साथ आगे चलती गई। जैसे ही अवनीश अपने दादाजी के पास गया उसने उनके पैर छूते हुए कहा, “पैरिपौणा दादाजी, कैसे हैं आप!” अवनीश के दादाजी ने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा, “मैं ठीक हूं!” इतना बोलकर वह कनिष्का की तरफ देखने लगे। कनिष्का जैसे ही उनके पास आई वह उनका पैर छूने के लिए झुकी ही थी की दादाजी ने कनिष्का के कंधों पर अपना हाथ रखकर उसे रोकते हुए कहा, “नहीं कनिष्का बहू! यह क्या कर रही हो, बेटी बहू पैर नहीं छूती पाप लगता है?” इतना बोलकर उन्होंने कनिष्का को बड़े ही प्यार से अपने गले लगा लिया। कनिष्का उनकी बात सुनकर हल्का सा मुस्कुराई। तभी दादाजी ने कनिष्का का हाथ पकड़ते हुए कहा, “आओ अंदर चलो बहू।” अवनीश ने जब देखा कि उसके दादाजी उससे ज्यादा कनिष्का के साथ प्यार से पेश आ रहे थे तो वह कनिष्का की तरफ देखकर और भी ज्यादा चिढ़ने लगा। उसने अपने मन में कहा, ”पता नहीं दादाजी को इस कनिष्का में क्या नजर आता है जो वह हमेशा उसकी वजह से मुझे इग्नोर करते हैं? और दादा जी की वजह से ही मुझे इस लड़की से शादी करनी पड़ी थी मुझे!" अवनीश को दादाजी की अटेंशन ना मिलने पर बड़ा ही गुस्सा आ रहा था लेकिन फिलहाल अभी वह कुछ कर भी नहीं सकता था। अगर वह दादाजी के सामने कुछ भी बोलता तो दादाजी उसे उल्टा डाउट ही देते हैं इसलिए उसने चुप रहना ही बेहतर समझा। वह लोग जैसे ही हवेली के अंदर पहुंचे हवेली के बड़े से हॉल के अंदर पहुंचते ही अवनीश के दादाजी ने अवनीश और कनिष्का को बैठने के लिए कहा। जैसे ही वह लोग बैठे अवनीश ने बड़ा ही अच्छा बनने का दिखावा करते हुए कहा, “वैसे दादा जी आपने अचानक हमें इस तरह से यहां पर क्यों बुलाया आखिर बात क्या है। आप हमें कुछ बताएंगे या नहीं?” अवनीश की यह बात सुनकर उसके दादाजी उसे घूरते हुए बोले, “तुम्हें बहुत जल्दी है क्या, यहां से जाने की अभी तो तुम लोग आए हो थोड़ा आराम करो बता दूंगा कि क्यों बुलाया है?” अवनीश दादा जी की यह बात सुनकर चुप हो गया। दादाजी ने कनिष्का का हाथ पकड़ते हुए कहा, “कनिष्का बहू! आने में कोई परेशानी तो नहीं हुई ना।” कनिष्का ने ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, “नहीं दादाजी, कोई परेशानी नहीं हुई आप बेकार में ही परेशान मत होइए। आप बस मुझे इतना बताइए कि आप अपनी दवाइयां टाइम पर ले रहे हैं ना।?” कनिष्का की बात सुनकर दादाजी बड़े ही प्यार से मुस्कुराते हुए बोले, “हां बिल्कुल ले रहा हूं और अब तो तुम लोग आ गए हो ना तो अब तो मुझे दवाइयां की भी ज़रूरत नहीं पड़ेगी। मैं अब और भी जल्दी ठीक हो जाऊंगा और वैसे भी तुम लोगों को देखकर ही मेरी तबीयत में पहले से काफी ज्यादा सुधार हो गया है।” इतना बोलकर दादाजी मुस्कुराने लगे। वह लोग आपस में बात कर ही रहे थे कि देखते ही देखते एक-दो घंटे बीते और वैसे ही दादाजी ने कहा, “तुम लोग सुबह से घर से निकले हो चलो मैं लंच लगवाता हूं हम लोग साथ में ही लंच कर लेंगे।” इतना बोलकर दादा जी ने वही अपने पास में खड़े एक अधेड़ उम्र के आदमी की तरफ देखते हुए कहा, "अरविंद।“ जैसे ही उस अधेड़ उम्र के आदमी ने अपना नाम सुना वह तुरंत अवनीश के दादाजी के पास आते हुए बोला, “हां मालिक!” दादा जी ने उसकी तरफ देखते हुए कहा, “खाना लगवाओ, मैं आज अपने बच्चों के साथ खाना खाऊंगा।” अरविंद ने जैसे ही यह बात सुनी उसने हां में अपना सिर हिलाया और वह किचन की तरफ नौकरों को खाना लगाने के लिए कहने लगा। थोड़ी ही देर में टेबल पर खाना लगने लगा। तभी दरवाजे की तरफ से एक बड़ा ही हैंडसम सा नौजवान लड़का हवेली के अंदर आया। उसकी हाइट अवनीश से भी काफी ज्यादा थी और बॉडी भी काफी अच्छी थी दिखाने में वह थोड़ा बहुत अवनीश की तरह था लेकिन उसके बाकी फीचर्स बहुत शार्प थे स्पेशली उसकी आंखों का कलर बिल्कुल अलग था वैसा कलर वहां पर किसी का भी नहीं था। उस लड़के ने वहीं गेट पर रुक कर तेज आवाज में चिल्लाते हुए कहा, “नाना जी!” उसकी आवाज सुनते ही अवनीश के दादा बिना कुछ सोचे समझे तुरंत अपनी गर्दन पीछे घुमा कर उसकी तरफ देखने लगे। जैसे ही उन्होंने उसे नौजवान आदमी को देखा उनके चेहरे की मुस्कुराहट और भी ज्यादा बढ़ गई। वह आदमी सीधे उनकी तरफ ही चलकर आने लगा। तब तक कनिष्का और अवनीश भी इस आदमी की तरफ देखने लगे। अवनीश उसे देखकर थोड़ा शॉक्ड हुआ और वही कनिष्का की आंखें बिल्कुल ही हैरानी से चौड़ी हो गई और उसने अपने मन में कहा, "ओह गॉड! ये यहां पर क्या कर रहा है?" कनिष्का ने जल्दी से अपनी नजर को दूसरी तरफ घूम लिया। उसे देखकर ऐसा लग रहा था। जैसे मानो वह उस आदमी से अपनी नज़र नहीं मिलाना चाह रही थी। उस आदमी ने जैसे ही कनिष्का को इस तरह अपना चेहरा दूसरी तरफ घूमते हुए देखा तो वह उसकी तरफ देखकर तिरछी नज़र से मुस्कुराने लगा। वह जैसे ही अवनीश के दादाजी के सामने आकर खड़ा हुआ। उसने उनके पैर छूते हुए कहा, “नाना जी कैसे हैं आप!” अवनीश के दादाजी खुश होते हुए बोले, “अर्जुन, बहुत अच्छे टाइम पर आए हो बेटा, हम बस लंच करने जा ही रहे थे। आओ चलो सब साथ में लंच करते हैं।” अपने नाना जी की बात सुनकर अर्जुन मुस्कुराने लगा। तभी अवनीश उसके पास आकर बोला, “अरे अर्जुन तुम लंदन से वापस कब आए?” अर्जुन ने भी अवनीश की तरफ देखते हुए कहा, “wow what a pleasent surprise! मैंने बिल्कुल भी नहीं सोचा था कि तुम मुझे यहां पर मिलोगे?" अवनीश ने उसकी बात पर कहा, "ऐसा क्यों बोल रहे हो यार मुझे तो तुम्हें यहां देख कर बहुत खुशी हो रही है और हम दोनों के ही यहां पर मिलने की वजह तो दादाजी हैं।” To Be Continued आज का एपिसोड पढ़कर काफी सारी चीज तो समझ आ गई होंगी आप लोगों को और बहुत कुछ क्लियर भी हो गया होगा लेकिन इसके बाद भी अगर किसी के मन में कोई सवाल है तो कमेंट में पूछ सकता है...

  • 10. Tangled Hearts - Chapter 10

    Words: 1231

    Estimated Reading Time: 8 min

    10 अवनीश को अर्जुन से इतना ज्यादा फ्रेंडली होते देख कर कनिष्का उन दोनों की तरफ हैरानी से देखने लगी। वही अर्जुन के चेहरे पर बिल्कुल नॉर्मल एक्सप्रेशंस थे। वह अवनीश को देखकर बिल्कुल भी ओवर एक्साइटेड नहीं हुआ था। उसने अवनीश से हाथ मिलाते हुए कहा, “हां, नानाजी ने ही मुझे भी फोन करके बुलाया है उन्हें कुछ बात करनी थी और वैसे भी मैं आने ही वाला था बस एक हफ्ते पहले आ गया।” अवनीश ने उसे याद दिलाते हुए कहा, "हां छः महीने पहले मेरी शादी में शामिल होने के लिए ही इंडिया आए थे तुम उसके बाद से अब मिल रहे हैं हम, उस टाइम भी बहुत जल्दी थी तुम्हें लंदन वापस जाने की।" कनिष्का की तरफ देखते हुए अर्जुन ने बहुत ही मिस्टीरियस अंदाज में कहा, "हां, तुम्हारी शादी हो गई थी उसके बाद फिर और कोई वजह नहीं बची थी ना यहां रुकने की!" अर्जुन की नजरे ऐसे खुद पर महसूस कर के कनिष्का इधर-उधर देखने लगी और इस बीच उसने एक बार भी अर्जुन से नज़रें नहीं मिलाई थी, अर्जुन उसकी आंखों में देखने के लिए बहुत बेताब लग रहा था। अवनीश ने धीरे से हां में अपना सिर हिलाते हुए कहा, “हां बिल्कुल और वैसे भी तुम्हें ही तो इतनी जल्दी थी की तुम शादी के बाद रिसेप्शन के लिए भी नहीं रुके थे और तुम उससे पहले ही लंदन चले गए थे।” अवनीश यह सारी बातें बोल रहा था। अर्जुन की नज़र कनिष्का पर टिकी हुई थी। कनिष्का उससे अपनी नज़रें नहीं मिला रही थी। अर्जुन के नाना जी ने उसको कनिष्का से मिलवाते हुए कहा, “कोई बात नहीं, जो हो गया सो हो गया अब शिकायत करके फिर क्या फायदा और अर्जुन अगर तुम अवनीश के रिसेप्शन तक नहीं रुक पाए थे तो तुम कनिष्का से भी नहीं मिले होंगे। इसलिए आज इससे मिलो यह है अवनीश की पत्नी, कनिष्का ओबेरॉय और ओबेरॉय खानदान की बहू!” दादाजी बोल ही रहे थे कि अर्जुन ने उन्हें बीच में ही रोकते हुए कहा, “हां, नानू भले ही मिला नहीं था लेकिन मैं जानता हूं इन्हें? हाय, कैसी हैं आप?” जैसे ही अर्जुन ने कनिष्का से यह बात पूछी तो कनिष्का की दिल की धड़कनें मानो रुक गई हो, अपने मन में कहा, "हे भगवान्! अभी दो दिनों पहले उसे क्लब में मिले थे हम कहीं ये उसी दिन की बात तो नहीं कर रहा आप कहीं कुछ बोल ना दे?" अर्जुन अपना हाथ आगे बढ़ाकर मुस्कुराता हुआ कनिष्का की तरफ देख रहा था लेकिन वह बहुत ही ज्यादा एम्बैरेस्ड फील कर रही थी। कनिष्का ने अर्जुन से हाथ मिलाते हुए धीमी आवाज में कहा, “मैं ठीक हूं! आप कैसे हैं थक गए होंगे ना फ्लाइट से ट्रैवल करके।” अर्जुन ने उसके हाथ को कसकर पकड़ते हुए कहा, "नहीं नहीं मैं तो एक हफ्ते पहले ही आ गया था, आपको तो पता ही है।" अर्जुन ने यह बात इतनी थी में से कही थी कि सिर्फ कनिष्का को ही सुनाई दी और वह उसके एकदम सामने खड़ा हुआ था तो आखरी सेंटेंस सुनकर कनिष्का ने एकदम से चौक कर उसकी तरफ देखा लेकिन वह कुछ भी नहीं बोली, अर्जुन ने भी उसका हाथ छोड़ दिया और थोड़ी दूर पर सामने जाकर खड़ा हो गया। अवनीश भी कनिष्का की तरफ देख रहा था, उसने कनिष्का का अजीब बर्ताव नोटिस किया लेकिन कुछ भी नहीं कहा क्योंकि वह जानता था कि उसकी वजह से कनिष्का का मूड पहले से ही ठीक नहीं था लेकिन फिर भी वह उसके साथ यहां पर आई थी इसलिए उसने तुरंत टॉपिक को चेंज करते हुए कहा, “चलिए दादाजी, लंच करते हैं। वैसे भी मुझे काफी तेज भूख लगी है।” अवनीश सीधे डाइनिंग टेबल पर आकर बैठा और अवनीश के दादाजी भी अपनी चेयर पर आकर बैठ गए थे और वही अर्जुन चुपचाप खड़ा कनिष्का को सिर से लेकर पांव तक चेक आउट कर रहा था। उसके चेहरे की मुस्कुराहट बता रही थी कि वह कनिष्का को वहां पर देख कर बहुत ही ज्यादा खुश है। कनिष्का वहीं पर अपने ही ख्यालों में खोई हुई एकदम गुमसुम खड़ी थी कि तभी दादाजी ने उसे आवाज लगाते हुए कहा, “कनिष्का बहू, आओ तुम भी चलो लंच के लिए।” कनिष्का ने दादाजी की बात सुनी और वह तुरंत डाइनिंग टेबल की तरफ बढ़ गई। उसने अपने मन में कहा, “हे भगवान् इस अर्जुन को भी अभी यहां पर आना था क्या? It's so embarrassing! पता नहीं, अर्जुन मेरे बारे में क्या सोच रहा होगा?” कनिष्का यह सारी बातें सोच ही रही थी। वहीं अर्जुन चुपचाप कनिष्का की सामने वाली चेयर पर आकर बैठ गया। वह लोग एक साथ खाना खाने लगे। कनिष्का की प्लेट में कुछ भी नहीं था। वह बस अपनी ही सोच में डूबी हुई थी। वही अर्जुन उसकी तरफ देख कर मन ही मन मुस्कुरा रहा था और उसकी तरफ देखे बिना भी कनिष्का को उसकी मुस्कुराहट महसूस हो रही थी। उसने बस थोड़ा बहुत खाना खाया और उठ कर खड़े होते हुए बोली, “दादा जी, मेरा हो गया। क्या मैं अपने रूम में जा सकती हूं।” कनिष्का की बात सुनते ही दादाजी मुस्कुराते हुए बोले, “हां बिल्कुल, यह भी कोई पूछने वाली बात है। जाओ आराम से रेस्ट करो।” कनिष्का उठी और उसने लिविंग एरिया की टेबल पर रखे हुए अपने पर्स और फोन को उठाया और वह सीधे सीढ़ियों से चढ़कर अपने रूम में चली गई। रूम के अंदर जाते ही उसने एक गहरी सांस लेते हुए कहा, “अब मैं कोशिश करुंगी कि मेरा सामना अर्जुन से ना हो क्योंकि मैं नहीं चाहती कि हम दोनों एक दूसरे के सामने आए और हमारे बीच कोई भी कॉम्प्लिकेशंस बढ़े। मैं वैसे ही उस रात के बाद से काफी ज्यादा एम्बैरेस्ड हूं लेकिन अब मैं खुद को शांत रखने की कोशिश करूंगी। ताकि उस रात मेरे और अर्जुन के बीच जो कुछ भी हुआ उसके बारे में यहां किसी को भी कुछ पता ना चले।” कनिष्का यह सारी बातें सोच रही थी। जैसे ही उसने अर्जुन के साथ बीती अपनी उस रात को याद किया तो उसका पूरा चेहरा पसीने से तर-बतर हो गया। वह सीधे चेंज करने के लिए रूम में गई उसने अपने कंफर्टेबल कपड़ों को लिया और उन्हें चेंज करके वह वापस अपने रूम के अंदर आ गई। लगभग 1 घंटे बाद, कनिष्का अभी भी अपने रूम में थी। उसे रूम के बाहर किसी के आने की आहट सुनाई दी और कनिष्का का ध्यान जैसे ही दरवाजे की तरफ गया कनिष्का हड़बड़ा गई। वह चौंकते ही हुए खुद से बोली, “मैं इतना क्यों घबरा आ रही हूं और वैसे भी यह मेरा रूम है यहां पर मेरे अलावा कोई भी नहीं है?” कनिष्का यह बात सच ही रही थी कि तभी उसके रूम का दरवाजा किसी ने नॉक किया। जैसे ही दरवाजा नॉक हुआ कनिष्का दरवाजे की तरफ देखते हुए बोली, “अवनीश होगा।” इतना बोलकर वह आगे बढ़ी। उसने जैसे ही रूम के दरवाजे को खोला तो अपने सामने खड़े इंसान को देखकर कनिष्का हड़बड़ा गई क्योंकि सामने अवनीश नहीं बल्कि अर्जुन खड़ा था। To Be Continued क्या लगता है आप लोगों को क्यों आया है अर्जुन वहां पर कनिष्का के कमरे में क्या उसे पता था कनिष्का अवनीश की पत्नी है या फिर नहीं पता था उन दोनों के बीच जो कुछ भी हुआ वह अनजाने में था या फिर अर्जुन वह सब कुछ चाहता था क्योंकि वह तो नशे में नहीं था ना और क्या करेगी अब कनिष्का कैसे बाहर निकलेगी इस सिचुएशन से? क्या अवनीश को पता चलेगा कनिष्का और अर्जुन के बारे में?

  • 11. Tangled Hearts - Chapter 11

    Words: 1338

    Estimated Reading Time: 9 min

    11 वह कनिष्का को देखकर मुस्कुरा रहा था। कनिष्का ने उसे देखा और वह हड़बड़ाते हुए बोली, “तुम.. तुम यहां क्या कर रहे हो?” अर्जुन एक कदम आगे बढ़ा और उसने रूम के गेट को पूरी तरह से खोलते हुए कहा, “पहले गेट तो खोलो, अंदर आऊंगा तभी तो बताऊंगा कि क्यों आया हूं मैं और क्या करने वाला हूं?” इतना बोलकर वह दरवाजे के अंदर आने लगा। कनिष्का ने उसे वहीं पर रोकते हुए कहा, “नहीं, तुम्हें अंदर आने की जरूरत नहीं है। वैसे भी यह मेरा रूम है तुम यहां क्यों आ रहे हो?” अर्जुन कनिष्का को इस तरह घबराते देख कर मुस्कुरा रहा था और उसने कनिष्का की बात नहीं मानी और वह गेट खोलकर अंदर आया और उसने रूम को अंदर से लॉक कर लिया। उसे इस तरह रूम को लॉक करते देखकर कनिष्का की तो जैसे सांसें अटक गई। उसने अपने मन में कहा, “ओह गॉड! यह अर्जुन यहां मेरे रूम में क्या कर रहा है अगर दादाजी या किसी ने भी इसे यहां मेरे साथ रूम में देख लिया तो पता नहीं क्या होगा । वह मुझसे हजार तरह के सवाल करेंगे और पता नहीं, वह सब मेरे बारे में क्या सोचेंगे। उनके दिमाग में मेरी कैसी इमेज बनेगी?” कनिष्का यह सब सोच ही रही थी कि तभी अर्जुन उसके करीब आने लगा और कनिष्का उसे इस तरह अपने करीब आते देख कर पीछे की तरफ हटने लगी। अर्जुन मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देखा जा रहा था। जिस तरह से वह उसके करीब बढ़ रहा था। कनिष्का ने सोच लिया था कि वह उसे अपने नजदीक नहीं आने देगी। उसे रोक देगी और कनिष्का ने बिल्कुल वैसा ही किया। उसने अपना हाथ आगे बढ़ाकर अर्जुन को रोकते हुए कहा, “अर्जुन, तुम्हें इस वक्त यहां नहीं होना चाहिए। यहां से चले जाओ।” अर्जुन कनिष्का के पास आया और उसने कनिष्का की कमर में अपना हाथ डालकर उसे अपने करीब खींचते हुए कहा, “चला जाऊंगा, लेकिन अभी तुम्हें जी भर कर देख तो लूं पहले, उस दिन तुम्हारा इस तरह मुझे अकेले रूम में छोड़कर जाना मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। मुझे तो ऐसा लग रहा था कि पता नहीं मैं तुमसे दोबारा मिल भी पाऊंगा या नहीं लेकिन हमारी किस्मत तो देखो, दादाजी ने खुद हमें एक दूसरे से मिलवा दिया और सच बताऊं तो मैंने बिल्कुल भी एक्सपेक्ट नहीं किया था कि मैं इतनी जल्दी तुमसे दोबारा मिलेगा।” इतना बोलकर अर्जुन कनिष्का के चेहरे के नजदीक आया और वह कनिष्का की आंखों में आंखें डालकर देखने लगा। कनिष्का उसके हैंडसम चेहरे को देखकर उसे बस देखते ही रह गई थी। जिस तरह से वह उसकी आंखों में झांकते हुए गहराई से देख रहा था, अवनीश ने कभी उसकी तरफ इस तरह नहीं देखा था इसलिए कनिष्का की नजरे भी उसकी नजरों से टकरा गई। वह दोनों एक दूसरे को बस निहार रहे थे। कुछ मिनट तक उन दोनों में से किसी ने कुछ भी नहीं कहा। तभी अर्जुन का हाथ धीरे से उसकी कमर से हटकर उसके चेहरे के पास आया और अर्जुन ने कनिष्का के गाल को बड़े प्यार से टच करते हुए कहा, “You are looking so beautiful right now!” कनिष्का ने जैसे ही अर्जुन के मुंह से बात सुनी वह चौंक गई और उसने तुरंत अर्जुन का हाथ अपने गाल पर से हटाते हुए कहा, “अर्जुन, ये क्या कर रहे हो? तुम बहुत अच्छी तरह से जानते हो मेरी शादी अवनीश से हो चुकी है तुम्हें इस तरह यहां मेरे साथ रूम में नहीं होना चाहिए यह सही नहीं है।” कनिष्का बोल ही रही थी कि अर्जुन उसके बिल्कुल पास आया और उसने कनिष्का के होठों पर अपनी उंगली रखते हुए कहा, “क्या सही है और क्या गलत यह हम दोनों ही बहुत अच्छी तरह से जानते हैं। मुझे नहीं लगता मेरा इस तरह से तुम्हारे करीब आने में कुछ भी गलत है क्योंकि हम पहले ही इससे भी ज्यादा करीब आ चुके हैं!” जैसे ही कनिष्का ने अर्जुन की यह बात सुनी, वह अपने गले में अटके हुए थूक को निकलने लगी। अर्जुन उसके और भी ज्यादा करीब आया और कनिष्का पीछे की तरफ हटते हुए दरवाजे की तरफ देखने लगी। उसे डर लग रहा था कि कहीं अवनीश इस टाइम रूम में न आ जाए या फिर अगर किसी दूसरे इंसान ने उसे अर्जुन के साथ देख लिया तो, उसके लिए बहुत बुरा होगा बस यही सब सो कर कनिष्का काफी ज्यादा घबराई हुई थी। वह पीछे जाते-जाते कमरे की दीवार से जाकर टकरा गई। अर्जुन ने जैसे ही उसे दीवार से लगाते देखा उसके चेहरे की मुस्कुराहट बढ़ने लगी, जैसे की वह अब क्या करने वाला है। वह धीरे-धीरे कनिष्का के करीब आया और उसने कनिष्का की गर्दन के पास जाकर अपनी बड़ी ही सेक्सी वॉइस में कहा, “अब कहां बच कर जाओगी मुझसे, अब मैं तुम्हें खुद से दूर नहीं जान देने वाला।” इतना बोलकर अर्जुन ने कनिष्का के होठों पर अपने होंठ रख दिए और जैसे ही कनिष्का ने अर्जुन के लिप्स को अपने लिप्स पर फील किया तो कनिष्का ने अपनी आंखें कसकर बंद कर ली और अर्जुन की गहरी सांस जब कनिष्का को महसूस हुई तो कनिष्का का पूरा बदन मानो जैसे ढीला हो गया हो। कनिष्का ने तुरंत ही अपनी कमर पर अर्जुन के हाथों को महसूस किया। अर्जुन ने कनिष्का को पूरी तरह से अपनी बाहों में भरा और वह उसके होठों को पैशनेटली किस करने लगा। कनिष्का को भी उसकी किस से एक अलग ही सुकून महसूस हो रहा था। उसके दोनों हाथ अर्जुन की कमर पर कस गए और वह उसके किस को बड़े ही प्यार से महसूस करने लगी। तभी कनिष्का ने अपनी आंखें खोली और उसने देखा कि अर्जुन उसे किस करते-करते काफी ज्यादा डीप हो गया था। उसने अपने हाथ को अर्जुन की कमर पर से हटाकर उसके कंधे पर रखा और उसे धीरे से पुश करते हुए कहा, “अर्जुन ये.. ये क्या कर रहे हो तुम उस दिन हमारे साथ जो कुछ भी हुआ वह नहीं होना चाहिए था और वह गलत..” कनिष्का बोल ही रही थी कि अर्जुन ने दोबारा उसके होठों पर अपने होंठ रखकर उसके होठों को सील कर दिया और वह उसे पैशनेटली किस करते-करते उसकी कमर को रब करने लगा और कनिष्का जो बात बोल रही थी वह उसके मुंह में ही रह गई। अर्जुन एक पल के लिए रुका और उसने धीमी आवाज में कहा, “उस रात जो कुछ भी हुआ वह मेरी लाइफ का सबसे बेस्ट मोमेंट था और उसमें कुछ भी गलत नहीं था इसलिए यह बेकार की बातें सोचना छोड़ दो क्योंकि मुझे पता है तुम्हारे और अवनीश के बीच पति-पत्नी जैसा कोई भी रिश्ता नहीं है!” अर्जुन की यह बात सुनकर कनिष्का ने झटके से नजर घुमा कर उसकी तरफ देखा और एकदम हक्का-बक्का रह गई क्योंकि उसे नहीं पता था अर्जुन को इस बारे में कैसे पता चला क्योंकि उसने खुद अर्जुन को कभी भी अपने और अवनीश के रिश्ते के बारे में कुछ भी नहीं बताया था अर्जुन तो क्या उसने फैमिली में किसी को भी अपनी और अवनीश के रिश्ते का सच नहीं बताया था और अर्जुन जितनी कॉन्फिडेंस से यह बात बोल रहा था उसे देखकर लग रहा था कि उसे सब कुछ पता है उनके रिश्ते का सच और अवनीश का उसके लिए बर्ताव भी इसके अलावा अवनीश का धोखा शायद इस बारे में भी अर्जुन जानता था। To Be Continued क्या वह एक रात की गलती बन जाएगी कनिष्का की आने वाली जिंदगी का फैसला! और क्या वो खुद अर्जुन से दूर जाना चाहती है या फिर सिर्फ अपने परिवार और पति के डर की वजह से उसे खुद से दूर कर रही है और अर्जुन, क्यों सब कुछ जानने के बाद भी उसके करीब आ रहा है क्या उसे इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि कनिष्का उसके कज़िन भाई की पत्नी है, और वह पहले से ही उसे पहचानता था फिर भी क्यों उस रात को उसके साथ इंटीमेट हुआ और अभी वह क्या करने की कोशिश कर रहा है क्या लगता है आप लोगों को? कमेंट में जरूर बताइए अपना ओपिनियन और साथ में दूसरी स्टोरी भी जरूर पढ़िए वह भी बहुत इंटरेस्टिंग है...

  • 12. Tangled Hearts - Chapter 12

    Words: 1276

    Estimated Reading Time: 8 min

    12 कनिष्का अर्जुन की आंखों में आंखें डाल कर देखने लगी। अर्जुन इतना बोलकर उसे दोबारा किस करने लगा। कनिष्का ने जैसे ही अर्जुन को इस तरह से डीप किस करते हुए महसूस किया तो कनिष्का की सांसे मानो रुक गई। वह चुपचाप अर्जुन को किस करते हुए उसे फील कर रही थी हालांकि अभी तक उसने अर्जुन को किस करने में उसका साथ नहीं दिया था। वह बार-बार गेट की तरफ देख रही थी। उसे ऐसा लग रहा था कि कहीं अवनीश रूम में ना आ जाए। जैसे ही अर्जुन ने देख की कनिष्का का बार-बार दरवाजे की तरफ देखकर परेशान हो रही है तो अर्जुन एक पल के लिए रुका। उसने कनिष्का के दोनों गाल पर अपना हाथ रखते हुए कहा, “इतना क्या सोच रही हो तुम और वैसे भी मैं रूम को अंदर से लॉक कर लिया है तो तुम्हें इतना ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है।” जैसे ही अर्जुन ने कनिष्का से यह बात कही कनिष्का उसकी आंखों में आंखें डाल कर देखने लगी। तभी अर्जुन उसकी गर्दन के पास आकर बड़ी ही सेक्सी वॉइस में बोला, “अब ऐसे क्यों देख रही हो पहली बार देख रही हो क्या?” अर्जुन की यह बात सुनकर कनिष्का ने ना में अपना सिर हिलाया और वह अर्जुन के हाथ को अपनी कमर पर से हटाने की कोशिश करने लगी। अर्जुन ने जैसे ही उसे ऐसा करते हुए देखा वह उसके और भी ज्यादा नजदीक आया और उसने अपने हाथों की पकड़ को और भी ज्यादा मजबूत कर लिया। वह उसकी कमर पर हल्के से अपना हाथ फिराते हुए बोला, “अब तुम मुझसे दूर नहीं जा सकती। तुम पहले ही मेरे इतने करीब आ चुकी हो तो अब इस तरह दूर जाने का क्या मतलब है?” कनिष्का ने अर्जुन की तरफ देखकर अपनी लड़खड़ाती हुई जबान में कहा, “उस दिन अगर तुम मुझे पहचान गए थे तो फिर तुमने मुझे रोका क्यों नहीं, तुम मुझे रोक सकते थे।” अर्जुन ने कनिष्का की यह बात सुनी और वह उसके चेहरे के बिल्कुल नजदीक आकर उसके कंधे पर अपने सर को झुकाते हुए बोला, “पहचान तो तुमने भी मुझे लिया था बट तुमने भी तो मुझे नहीं रोका” कनिष्का ने उसकी बात का तुरंत जवाब देते हुए कहा, “नहीं मैं नशे में थी और मैने तुम्हें... तुम नशे में नहीं थे, अगर तुम चाहते तो मुझे रोक सकते थे। उस दिन हमारे बीच जो कुछ भी हुआ वह ना होता।” अर्जुन ने कनिष्का को अपने करीब खींचा और उसकी आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए कहा, “तुम उस दिन के बारे में अब इतना क्यों सोच रही हो और वैसे भी मैं बहुत अच्छी तरह से जानता हूं उस दिन जो कुछ भी हुआ उसे तुमने भी बहुत इंजॉय किया?” जैसे ही कनिष्का ने उसकी यह बात सुनी तो कनिष्का ने उसके दोनों हाथों को अपनी कमर पर से हटाया और उसे खुद से दूर करते हुए बोली, “मुझे उस बारे में कुछ भी बात नहीं करनी है। तुम प्लीज अभी यहां से जाओ।” कनिष्का को इस तरह खुद से दूर भागते देख कर अर्जुन उसके पीछे आया और उसने कनिष्का को बैक हग करते हुए कहा, “तुम्हें क्या लग रहा है? तुम इतनी आसानी से मुझे खुद से दूर भेज सकती हो मैं तो अब चाहकर भी तुमसे दूर नहीं जा सकता और मुझे मालूम है तुम भी नहीं चाहती कि मैं तुमसे दूर जाऊं।” इतना बोलकर उसने अपने होंठ कनिष्का की गर्दन पर रख दिए और वह बड़े ही प्यार से उसकी गर्दन को किस करने लगा। जिस तरह से वह कनिष्का की गर्दन को किस कर रहा था। कनिष्का उसकी किस को महसूस करके उसमें पूरी तरह से खोती जा रही थी और वह अपने आप को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी लेकिन अर्जुन जिस तरह से उसे किस कर रहा था। वह खुद को रोक नहीं पा रही थी। अर्जुन ने जब देख की कनिष्का उसकी किस से बहक रही है तो अर्जुन भी अब हद से आगे बढ़ने लगा और उसने कनिष्का की कमर पर अपना हाथ रखा और धीरे से उसकी शर्ट के अंदर अपने हाथ को डालने लगा। जैसे ही कनिष्का ने उसके हाथ को अपने पेट पर महसूस किया तो कनिष्का ने उसके हाथ को पकड़ते हुए कहा, “अर्जुन ये क्या कर रहे हैं आप? यह सही नहीं है...” कनिष्का बोल ही रही थी कि अर्जुन ने उसकी कमर को पकड़ा और उसे अपनी तरफ घुमाया और उसके दोनों गाल पर अपना हाथ रखते हुए कहा, “क्या सही है और क्या गलत, मैं बहुत अच्छी तरह से जानता हूं और वैसे भी तुम इतना क्यों सोच रही हो हम जब पहले ही एक दूसरे के हो चुके हैं तो फिर अब इतना ज्यादा सोचने की ज़रूरत क्या है?” कनिष्का ने अर्जुन की यह बात सुनी और उसने उसके होठों पर अपनी उंगली रखते हुए कहा, “प्लीज़, आप चुप रहिए और ये सब बोलने की जरूरत नहीं है क्योंकि मैं उन सारी चीजों को अब याद नहीं करना चाहती।” कनिष्का बोल ही रही थी कि अर्जुन ने उसकी हाथों की उंगलियों को अपने होठों पर से हटाते हुए कहा, “क्यों, क्यों याद नहीं करना चाहती तुम वह पल मैं जानता हूं तुम्हारे लिए वह रात बहुत ही ज्यादा यादगार थी और तुमने उस रात मेरे साथ जो सुकून के पल बिताए थे। उन्हें तुम भी भूल नहीं सकती हो तो फिर क्यों उसे भूलने का दिखावा कर रही हो?” जैसे ही कनिष्का ने अर्जुन की यह बात सुनी वह उसके चेहरे की तरफ देखने लगी। वह काफी ज्यादा शॉक्ड थी। उसने अर्जुन की तरफ देखकर अपने मन में कहा, “इन्हें यह बात कैसे पता कि वो रात मेरे लिए भी बहुत ही स्पेशल थी क्योंकि उसे दिन मैंने पहली बार किसी के साथ...” अर्जुन कनिष्का के चेहरे की तरफ ही देख रहा था जिस तरह से कनिष्का सोच रही थी। अर्जुन उसके चेहरे के नजदीक जाकर उसके होठों पर अपने होंठ को रखा और वह बड़ी ही सॉफ्टली उसके होठों को किस करने लगा और धीरे-धीरे वह काफी ज्यादा डीप होता चला गया। कनिष्का की आंखें खुली हुई थी और वह अर्जुन की आंखों में आंखें डालकर देख रही थी। जिस तरह से अर्जुन इतना पैशनेट होकर उसे किस कर रहा था। उसकी इस किस से अब कनिष्का खुद को रोक नहीं पा रही थी।उसके पूरे बदन में एक अलग सी सिरहन दौड़ गई थी। उसने अर्जुन को रोकने के लिए उसके कंधे पर अपने हाथों को रखकर उसे दूर करते हुए कहा, “प्लीज अर्जुन, जाइए अगर किसी ने आपको देख लिया तो..” अर्जुन ने कनिष्का की बात बीच में ही काटते हुए कहा, “डोर पहले से ही लॉक कर दिया है मैंने, हमें कोई नहीं देख सकता। वैसे तुम इतना क्यों डर रही हो, तुम कहो तो मैं खुद ही सबको यह बात बता सकता हूं।” जैसे ही अर्जुन ने यह बात कही कनिष्का ने तुरंत ना में अपना सिर हिलाते हुए कहां, “नहीं, आप ऐसा कुछ नहीं करेंगे।” अर्जुन ने कनिष्का की बात सुनकर मुस्कुराते हुए कहा, “अरे तुम तो डर गई। वैसे मैं अभी तक तो बताना नहीं चाह रहा था लेकिन अब अगर तुम मुझे इस तरह खुद से दूर करने की कोशिश करोगी तो मुझे ऐसा लगता है कि मुझे दादा जी और तुम्हारे उस नाम के पति को यह बात बतानी ही पड़ेगी।” To Be Continued क्या लगता है आप लोगों को अर्जुन सिर्फ कनिष्का को डराने के लिए यह सब बोल रहा है या फिर वह सच में यह बात घर वालों से बताना चाहता है और क्यों वह दोबारा से कनिष्का के नजदीक आ रहा है? ऐसे में अब क्या करेगी कनिष्का? कैसे बचा पाएगी खुद को इन सब से? कमेंट में जरूर बताएं आपको क्या लगता है अपना ओपिनियन दे और सवाल भी पूछ सकते हैं, कमेंट करके!

  • 13. Tangled Hearts - Chapter 13

    Words: 1452

    Estimated Reading Time: 9 min

    13 कनिष्का यह बात सुनकर काफी ज्यादा परेशान हो गई थी। उसने तुरंत अर्जुन के हाथ को पकड़ते हुए कहा, “नहीं आप ऐसा कुछ नहीं करेंगे प्लीज प्लीज किसी को कुछ मत बताइएगा। उस दिन हमारे साथ जो कुछ भी हुआ वह सिर्फ और सिर्फ।” अर्जुन ने कनिष्का की बात पर ध्यान नहीं दिया और उसने उसकी कमर में अपना हाथ डालते हुए कहा, “उस दिन जो कुछ भी हुआ वह बहुत अच्छा था और सच बताऊं तो मुझे भी कोई शौक नहीं है नाना जी और अवनीश से यह बात बताने की क्योंकि मैं जानता हूं अवनीश तुम्हें डिजर्व नहीं करता।” जैसे ही कनिष्का ने यह बात सुनी वह बड़ी ही हैरानी से अर्जुन की तरफ देखने लगी। अर्जुन ने कनिष्का के गाल पर अपने हाथों को रखा और वह अपनी इंडेक्स फिंगर से उसके गाल और उसके चेहरे को छूते हुए बोला, “क्यों भाग रही हो मुझसे तुम दूर और अब तो जब हम यहां एक साथ हैं तो अब तो दुनिया की कोई भी ताकत मुझे तुमसे अलग नहीं कर सकती?” कनिष्का अर्जुन की बात बड़ी ही शांति से सुन रही थी। तभी अर्जुन ने कहा, “वैसे मुझे एक बात पूछनी थी तुमसे तुम उस दिन बिना मुझसे मिले ही क्यों मेरे घर से चली गई थी? अगर सुबह उठने के बाद तुमने मुझे पहचान लिया था तो तुम्हें मुझसे बात करनी चाहिए थी ना।” कनिष्का ने अर्जुन की इस बात को सुनकर अपने मन में कहा, “कैसे बात करती मैं! मैं तो खुद से अपनी नज़रें नहीं मिल पा रही थी इतना एम्बैरेस्ड फील कर रही थी मैं उस दिन।” कनिष्का यह सारी बातें अपने मन में सोच रही थी। तभी अर्जुन उसके चेहरे के पास जाकर उसके कान में धीमी आवाज में बोला, “वैसे तुम्हें इतना ज्यादा एम्बैरेस्ड होने की जरूरत है नहीं क्योंकि हम दोनों ने ही यह सब कुछ अपनी मर्जी से किया था। हम दोनों में से किसी ने भी किसी को फोर्स नहीं किया और जब सब कुछ हमारी मर्जी से हुआ है तो फिर एम्बेरस्ड होने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। तुम क्यों इन सारी चीजों के बारे में इतना सोच रही हो और वैसे भी जब तुम्हारा तुम्हारे पति के साथ कोई फिजिकल रिलेशन था ही नहीं तो फिर तुम्हें मेरे साथ फिजिकल होने में कोई प्रॉब्लम भी नहीं होनी चाहिए और वैसे भी मैं अब तक तो सब कुछ जान गया हूं कि अभी तक तुम्हारे और तुम्हारे उस पति के बीच में कुछ भी नहीं हुआ है और मैं यह भी जानता हूं कि अवनीश को तुम में बिलकुल भी इंटरेस्ट नहीं है क्योंकि उसका इंटरेस्ट तो कोई और है।” जैसे ही कनिष्का ने अर्जुन के मुंह से यह बात सुनी उसकी आंखें हैरानी से चौड़ी हो गई। उसने अर्जुन को घूरते हुए कहा, “आप आपको यह सारी बातें पता है लेकिन कैसे क्या अवनीश ने आपको बताया?” अर्जुन कनिष्का के नजदीक आया और कनिष्का पीछे की तरफ खिसकने लगी। अर्जुन ने उसकी तरफ देखकर बड़े ही प्यार से मुस्कुराते हुए कहा, “मुझे तो वह सब भी पता है जो तुम्हें नहीं पता।” कनिष्का हैरानी से उसकी तरफ देख रही थी। तभी कनिष्का का पैर बेड से टकराया और वह वहीं पर गिर गई। उसे इस तरह गिरते देखकर अर्जुन मुस्कुराने लगा। जब कनिष्का बेड पर गिरी तो वह बेड के ऊपर चढ़ने लगी। वह खुद को अर्जुन से दूर करना चाह रही थी। उसने बेड पर पीछे की तरफ को खिसकना शुरू हुई। उसकी शर्ट उसकी बॉडी के ऊपर से सरकने लगी। उसने इस वक्त पजामा और शर्ट वाला नाइट सूट पहना हुआ था, कनिष्का का पेट अर्जुन के सामने आ गया। अर्जुन ने जैसे ही कनिष्का के बैली बटन और उसकी कमर को देखा तो उसका मन फिसलने लगा और वह धीरे-धीरे कनिष्का के करीब आने लगा। कनिष्का जैसे-जैसे पीछे खिसक रही थी। उसकी शर्ट और भी ज्यादा ऊपर चढ़ती जा रही थी। जैसे ही कनिष्का का पूरा पेट अर्जुन के सामने आ गया तो अर्जुन ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और उसने बड़े ही प्यार से कनिष्का के पेट को टच किया। कनिष्का ने जैसे ही अर्जुन के हाथ को फील किया उसने अपनी आंखों को कस कर बंद कर लिया। अर्जुन उसके करीब आता गया और उसने अपना पैर बेड पर टिकाया और वह कनिष्का के ऊपर आ गया। कनिष्का ने अपनी आंखें बंद कर रखी थी और जैसे-जैसे अर्जुन उसके पेट को टच कर रहा था। कनिष्का अपनी आंखों को मीचते जा रही थी। उसने अपने लोअर लिप को अपने दांतों के बीच दबाया और उसने अपने हाथों की कसकर मुट्ठी बांधी और दूसरे हाथ से अपने बेड की चादर को पूरी तरह से अपनी मुट्ठी में भर लिया। अर्जुन उसे ऐसा करते देख रहा था। तभी अर्जुन ने अपना हाथ कनिष्का के हाथ पर रखा और वह बड़े ही सेक्सी में उसके हाथ को ऊपर की तरफ चलते हुए टच करने लगा। तभी कनिष्का ने अपनी आंखें खोली। उसकी नजरों के सामने अर्जुन का चेहरा था। अर्जुन ने कनिष्का की माथे के पास जाकर उसकी माथे को चूमा और कनिष्का ने अपनी आंखें बंद कर ली। जैसे ही कनिष्का ने अपनी आंखों को बंद किया अर्जुन उसकी आंखों पर किस करने लगा। उसकी किस को महसूस करके कनिष्का मुस्कुराई। उसकी मुस्कुराहट को देखकर अर्जुन ने अपने हाथों को उसकी कमर पर रखा। जैसे ही अर्जुन के सख्त हाथ कनिष्का की चिकनी कमर पर गए। उसने जैसे ही उसकी कमर को अपने हाथों से नोचा तो कनिष्का के मुंह से एक आह् निकली। उसकी उस आह् को सुनकर अर्जुन उसके होठों को चूमने लगा। उसने जिस तरह कनिष्का के होठों को अपने होठों में लिया तो कनिष्का की आंखें खुल गई। अर्जुन की आंखों में उसके लिए एक अलग ही नशा नजर आ रहा था। कनिष्का ने उसकी आंखों की तरफ से अपनी आंखों को नहीं हटाया। उन दोनों की नजरे एक दूसरे पर जमी हुई थी। अर्जुन उसे किस करता ही जा रहा था। कनिष्का ने अर्जुन के हाथों को अपनी शर्ट के अंदर इधर-उधर महसूस किया। जैसे ही उसने फील किया की अर्जुन उसके पेट से होते हुए ऊपर की तरफ आ गया था और उसके नाज़ुक उभारों को अपने हाथों से टच कर रहा था और कनिष्का वह जैसे ही उसके हाथ अपने ऊपर महसूस हुई उस की सांस मानो अटक गई। उसने अर्जुन के हाथ को धीरे से पकड़ा और रोकने की कोशिश की लेकिन अर्जुन अभी भी उसके होठों को किस करता जा रहा था। कनिष्का ने अर्जुन को रोकने की कोशिश की उसने अपने दोनों हाथों से अर्जुन के कंधे को पुश करने की कोशिश की अर्जुन उसे किस करता हुआ इतना ज्यादा पैशनेट हो गया था कि उसने कनिष्का के दोनों हाथों को अपने हाथों में जकड़ा और उसके हाथ को उसके सर के पीछे करते हुए पीछे बेड पर टिका दिया। वह ऑलमोस्ट पूरी तरह से कनिष्का के ऊपर आकर बैठ चुका था। वह उसके होठों को किस करते-करते उसकी गर्दन पर किस करने लगा। जैसे ही कनिष्का ने उसकी किस को अपनी गर्दन पर फील किया तो कनिष्का के मुंह से एक आह निकली। उसने धीमी आवाज में कहा, “अर्जुन प्लीज रुक जाइए।” लेकिन अर्जुन अपना कंट्रोल पूरी तरह से खो चुका था। वह उसे किस करते-करते उसकी कॉलर बोन पर आया और जैसे ही उसने उसकी कॉलर बोन पर किस किया तो कनिष्का की सांस ऊपर नीचे होने लगी। उसकी दिल की धड़कनें इतनी तेज हो गई की अर्जुन को उसकी दिल की धडकनें महसूस हो रही थी लेकिन अर्जुन उसे किस करते-करते सब कुछ भूल चुका था। वह उसे किस करने में इतना ज्यादा पैशनेट हो गया कि वह उसके क्ली वेज एरिया पर आकर जी भर कर उसे चूमने लगा। तभी कनिष्का ने अर्जुन का नाम अपने मुंह से लेते हुए कहा, “अर्जुन प्लीज़ रुकिए.. आह्...” अर्जुन ने कनिष्का की बात नहीं सुनी और वह उसे किस करता ही जा रहा था। "ठक् ठक्..." उन के रूम का दरवाजा किसी ने नॉक किया। जैसे ही दरवाजे की आवाज कनिष्का के कानों में गई तो कनिष्का की आंखें हैरानी से चौड़ी हो गई। उसने अर्जुन की तरफ देखते हुए कहा, “अर्जुन रुकिए.. गेट पर कोई है शायद अवनीश ...” To Be Continued क्या लगता है आप लोगों को गेट पर कौन होगा क्या सच में अवनीश है या फिर कोई और और क्या करेंगे अब अर्जुन और कनिष्का क्या वह दोनों पकड़े जाएंगे ऐसी हालात में? या फिर कोई बहाना बनाएंगे वह दोनों वैसे क्या लगता है आप लोगों को क्या करेंगे और अगर पकड़े जाएं तो फिर उन्हें क्या करना चाहिए बताइए कमेंट में थोड़े तो आइडिया और सॉल्यूशन दीजिए उन दोनों को, 🤭🤭 वैसे जो भी दरवाजे पर उन्हें ऐसे रोमांटिक मोमेंट में डिस्टर्ब कर रहा है उस पर गुस्सा तो आ रही होगी ना सबको 😅😅 कैसा लगा एपिसोड यह भी ज़रूर बताना कमेंट में 🥰 👇 👇

  • 14. Tangled Hearts - Chapter 14

    Words: 1513

    Estimated Reading Time: 10 min

    14 जैसे ही अर्जुन ने भी दरवाजा खटखटाने की सुनी वह कनिष्का को किस करते-करते रुक गया और उसने कनिष्का के हाथों की पकड़ अपने हाथ से ढीली कर दी। कनिष्का जल्दी से उठ कर बैठी उसने अपने कपड़ों को ठीक किया। कनिष्का ने दरवाजे की तरफ देख कर घबराते हुए कहा, “कौन...कौन है?” अवनीश ने कनिष्का की आवाज सुनकर गुस्से से चिल्लाते हुए कहा, “मैं हूं और कौन होगा, गेट खोलो।” कनिष्का ने जैसे ही अवनीश की आवाज सुनी उसने अर्जुन की तरफ देखा। अर्जुन के चेहरे पर बड़ी सी स्माइल थी लेकिन कनिष्का का चेहरा बिल्कुल पीला पड़ गया था। कनिष्का ने अर्जुन का हाथ पकड़ा और उसे वॉशरूम की तरफ लाते हुए कहा, “आप वॉशरूम में जाकर छुप जाइए।” जैसे ही कनिष्का ने यह बात कही तो अर्जुन उसके गाल पर अपना हाथ रखते हुए बोला, “वॉशरूम में क्यों छिपूंगा मैं?” कनिष्का ने अर्जुन की तरफ देखते हुए कहा, “देखिए अभी प्लीज कोई बहस मत करिए। प्लीज, वॉशरूम में जाइए।” इतना बोलकर कनिष्का ने अर्जुन को वॉशरूम के अंदर धकेला और बाहर से वॉशरूम का दरवाजा बंद कर दिया। अर्जुन को वॉशरूम में बंद करने के बाद उसने एक बार फिर से वॉशरूम के बंद दरवाजे की तरफ देखा और गहरी सांस लेते हुए खुद को नार्मल करने की कोशिश की और अपने कपड़े बाल ठीक करते हुएवह दरवाजे की तरफ आई। उसने जैसे ही दरवाजा खोला उसके चेहरे के पीलेपन को देखकर कोई भी समझ सकता था कि वह काफी ज्यादा घबराई हुई है लेकिन अवनीश , कभी भी उस पर इतना ध्यान ही नहीं देता था और ना ही आज उसने उस पर ध्यान दिया। वह दरवाजे के अंदर आते हुए बोला, “इतनी देर क्यों लगा दी गेट खोलने में क्या कर रही थी तुम?” कनिष्का ने अपने कपड़ों की तरफ देखा और अपने ठीक कपड़ों को ठीक करते हुए बोली, “वो मैं चेंज कर रही थी और तुम यहां मेरे रूम में क्या कर रहे हो।” कनिष्का की यह बात सुनकर अवनीश ने उसे घूरते हुए कहा, “भूल रही हो क्या? यह सिर्फ तुम्हारा ही रूम नहीं है मेरा रूम भी है और मैं भी चेंज करने के लिए ही आया हूं, तुम्हारी शक्ल देखने नहीं आया हूं इसलिए हटो मेरे रस्ते से।” इतना बोलकर अवनीश ने अपने बैग को खोला और अपने कपड़े निकाल कर वॉशरूम की तरफ जाने लगा। कनिष्का ने जैसे ही उसे वॉशरूम की तरफ जाते हुए देखा तो उसने धीमी आवाज में कहा, “ओह गाॅड! अभी अगर अवनीश वॉशरूम में गया तो वहां पर तो अर्जुन होंगे और अर्जुन को अगर अवनीश ने देख लिया तो, नहीं.. नहीं मुझे अवनीश को रोकना होगा।” उसने अवनीश का हाथ पकड़ते हुए कहा, “1 मिनट! तुम वहां कहां जा रहे हो।” अवनीश ने कनिष्का के हाथ से अपने हाथ को झटकते हुए कहा, “सुना नहीं तुमने, मैंने कहा मैं चेंज करने जा रहा हूं और अब चेंज करने के लिए आया हूं तो वॉशरूम में ही जाऊंगा ना, छोड़ो मेरा हाथ।” अवनीश ने काफी इरिटेट होकर कनिष्का की तरफ देखा और आगे जाकर उस ने वॉशरूम के दरवाजे पर अपना हाथ रखा और वह दरवाजा खोलने जा ही रहा था। कनिष्का ने अपने मन कहा, “अगर इसने अर्जुन को देख लिया तो... हे भगवान् कहां फंस गई हूं मैं? क्या करूंगी मैं अब तो बचने का कोई भी रास्ता नहीं है।” कनिष्का का चेहरा पूरा सफेद पड़ गया था। वह नहीं समझ पा रही थी कि कैसे और किस तरह से अवनीश को रोके उसने अपनी आंखें कसकर बंद करते हुए कहा, “प्लीज गॉड जी, मेरी हेल्प करिए।” कनिष्का यह बात सच ही रही थी कि तभी एकदम से अवनीश का फोन बजा। अवनीश जो वॉशरूम का दरवाजा खोलना ही वाला था वह रुक गया। उसने जैसे ही अपने मोबाइल फोन की तरफ देखा तो उसने जल्दी से अपने फोन को उठाया। वह फोन की तरफ देख रहा था कि तभी कनिष्का ने उससे पूछा, “किसका फोन है।” अवनीश ने कनिष्का को घूरते हुए कहा, “किसी का भी हो, तुमसे मतलब..” इतना बोलकर उसने कॉल रिसीव किया और रूम से बाहर बात करते हुए निकल गया। कनिष्का ने जैसे ही उसे बाहर जाते हुए देखा तो कनिष्का की जान में जान आई। उसने गहरी सांस लेते हुए कहा, “थैंक गॉड! जिसका भी फोन आया था वह सच में मेरे लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं था।” उसने जल्दी से वॉशरूम के अंदर जाकर अर्जुन का हाथ पकड़ते हुए कहा, “अवनीश , बाहर चला गया है प्लीज आप भी अब यहां से जाइए वरना अवनीश फिर वह वापस आ जाएगा और उसने अगर मुझे आपके साथ देख लिया तो, मुसीबत हो जाएगी।” अर्जुन ने कनिष्का की कमर में अपना हाथ डालकर उसे अपने करीब खींचते हुए कहा, “तो क्या होगा, कुछ भी नहीं। तुमने उसे उसकी गर्लफ्रेंड के साथ देखा था तो वो भी अब तुम्हें तुम्हारे बॉयफ्रेंड के साथ देख लेगा।” कनिष्का ने जैसे ही यह बात सुनी तो उसने हैरानी अर्जुन की तरफ देखा और वह अपने मन में बोली, “अर्जुन को यह सारी बातें कैसे पता है?” वह यह बात सच ही रही थी। तभी उसने अर्जुन की बात पर ध्यान दिया और उसने अर्जुन का हाथ अपनी कमर से हटाते हुए कहा, “अर्जुन! मैं आपकी गर्लफ्रेंड नहीं हूं।” अर्जुन ने उसकी बात सुनकर मुस्कुराते हुए कहा, “अच्छा तो फिर क्या हो तुम मेरी मिस्ट्रेस?” अर्जुन की यह बात सुनकर कनिष्का ने ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, “नहीं, कुछ नहीं हूं मैं और हमारे भी जो कुछ भी हुआ वह बस उसे एक रात की गलती थी उसे भूल जाइए और अभी आप प्लीज यहां से जाइए।” इतना बोलकर कनिष्का अर्जुन की तरफ से हटी और उसकी तरफ अपनी पीठ कर के खड़ी हो गई। अर्जुन उसके करीब आया उसने फिर से उसकी कमर में अपना हाथ डालते हुए कहा, “ओके फाइन, अभी तो मैं जा रहा हूं लेकिन मैं वापस जरूर आऊंगा।” इतना बोलकर उसने कनिष्का की गर्दन पर किस किया और चुपचाप उसके रूम से बाहर चला गया। अर्जुन के वहां से जाते ही कनिष्का ने अपना सिर पकड़ा और चुपचाप अपने रूम में आकर बैठ गई। अर्जुन वही कनिष्का के बगल वाले रूम के अंदर चला गया। कनिष्का चुपचाप अपने बेड पर बैठी हुई थी। तभी अवनीश रूम के अंदर आया उसने अपने कपड़े चेंज किए। वह कनिष्का की तरफ नज़र उठा कर भी नहीं देखना चाहता था वो बिना कुछ कहे रूम से बाहर निकल गया। कनिष्का ने जब उसे जाते देखा तो कनिष्का ने एक गहरी सांस ली और चुपचाप बेड पर लेट गई। कनिष्का का सिर काफी भारी लग रहा था और वह थोड़ा रेस्ट करना चाहती थी इसलिए उसने अपनी आंखें बंद की और थोड़ी ही देर में कनिष्का को नींद आ गई। शाम को कनिष्का की आंख खुली उसने बाहर की तरफ देखा। सूरज और ऑलमोस्ट डूब रहा था और उसे सनसेट को देखकर कनिष्का के चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आई और वह वही बालकनी के पास ही खड़ी थी। तभी हवेली के बाहर एक कार आकर रुकी और उस कार के अंदर से अवनीश के चाचा जी अपनी पत्नी के साथ उतरे। उन्हें देखकर कनिष्का ने अपने मन में कहा, “दादा जी ने चाचा और चाचा जी को भी बुलाया है क्या अब अगर यह लोग आए हैं तो मैं इस तरह इन कपड़ो में तो नहीं रह सकती मुझे कपड़े चेंज करने होंगे और इनसे मिलने भी जाना होगा। अच्छा हुआ जो मैंने थोड़ी देर के लिए रेस्ट कर लिया।” इतना बोलकर कनिष्का वॉशरूम में गई और उसने ब्लैक कलर की नेट की साड़ी को निकाला और वह उसे पहनकर अच्छे से रेडी हुई और रेडी होने के बाद जब अपने कमरे से से बाहर निकली तो उसने देखा पूरी तरह से अंधेरा हो चुका था। कनिष्का उस ब्लैक कलर की साड़ी में बहुत ही खूबसूरत लग रही थी, उसने आज न जाने कितने दिनों के बाद ही साड़ी पहनी थी। कनिष्का ने रूम से बाहर निकलते हुए कहा, “चाचा चाची से भी मिल लेती हूं वरना वह लोग पता नहीं मेरे बारे में क्या सोचेंगे?” कनिष्का यह बात सोचते हुए ही अपने रूम से बाहर निकली और वह गैलरी में चलकर सीढ़ियों की तरफ जैसे ही आई तो उसने देखा कि अवनीश के चाचा और चाची, वही दादाजी के पास बैठे बातें कर रहे थे। अर्जुन भी वही उन लोगों के साथ ही बैठा हुआ था। तभी मेन गेट से कोई और भी अंदर आया और कनिष्का को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी उन लोगों के यहां पर आने की... इसलिए वह एकदम ही अपनी जगह पर रुक गई और उसने अपने मन में कहा, "दादाजी ने इन लोगों को यहां पर क्यों बुलाया है? क्योंकि बिना बुलाए तो यह लोग यहां पर आएंगे नहीं।" To Be Continued क्या लगता है आप लोगों को और कौन आया है जिसे देखकर कनिष्का को हैरानी हुई है और दादाजी ने सब लोगों को वहां पर क्यों बुलाया है क्या होने वाला है वहां पर क्या उन्हें पता चल गया है अवनीश और कनिष्का के रिश्ते के बारे में या फिर कुछ और ही बात है! पता चलेगा आने वाले एपिसोड में लेकिन जब तक आप लोग कमेंट करके अपना ओपिनियन जरूर बताइए कैसी लग रही है आपको अब तक की कहानी?

  • 15. Tangled Hearts - Chapter 15

    Words: 1575

    Estimated Reading Time: 10 min

    15 सीढ़ियां उतरकर वहां आते हुए कनिष्का ने जैसे ही दरवाजे से अंदर आते हुए उन लोगों को देखा वह एकदम ही अपनी जगह पर रुक गई। उसकी सौतेली बहन तानिया भी अपनी मम्मी के साथ अंदर, उस हवेली में आ गई। कनिष्का को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसके परिवार में से भी कोई आज यहां पर आ रहा होगा इसलिए जैसे ही की नजर तानिया पर गई तो वह वही सीढ़ियों पर ही चलते-चलते रुक गई। तानिया के साथ कनिष्का ने अपनी सौतेली मां को देखकर तो वह और भी ज्यादा अपसेट हो गई। कनिष्का ने मायूसी से कहा, "बस इसकी ही कमी थी क्या क्यों आ रही है यह दोनों मां बेटी यहां पर? पहले ही मुसीबतें कम है क्या मेरी जिंदगी में..." तानिया बहुत ही ज्यादा स्टाइल से चलते हुए एक डार्क ब्लू कलर की शर्ट वन पीस ड्रेस पहन कर हवेली के अंदर आई, और साथ में उसने काफी ज्यादा मेकअप कर रखा था मैचिंग हिल और मैचिंग क्लच भी उसने लिया हुआ था, तानिया को वहां पर आते देख अवनीश भी उसकी तरफ देख कर मुस्कुराने लगा। तानिया के चेहरे पर भी हल्की मुस्कुराहट थी जो की अवनीश की तरफ देखने से और बढ़ गई थी। कनिष्का ने उन दोनों को जैसे ही इस तरह से मुस्कुराते हुए देखा तो वह गुस्से से तिलमिला उठी। उसे तानिया पर बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन वह कुछ कर भी नहीं सकती थी क्योंकि जब अवनीश ही उसके सामने बैठा इस तरह मुस्कुरा रहा था तो वह भला तानिया को अकेले दोष देती भी तो कैसे। कनिष्का ने देखा कि वहां अवनीश के चाचा चाची सब लोग आपस में बैठकर बड़ी ही हंसी खुशी से एक दूसरे से बात कर रहे थे। तानिया को देखकर कनिष्का का मूड जब पहले ही ऑफ हो गया था तो कनिष्का ने उन लोगों के बीच जाना ठीक नहीं समझा। वह तुरंत सीढ़ियों से नीचे उतरी और वहीं से अपना मुंह घुमा कर चुपचाप हवेली से बाहर गार्डन की तरफ निकल गई। कनिष्का ने अपने आप से कहा, "मुझे नहीं जाना अब वहां पर सिर्फ मेरा मूड खराब होगा और कुछ नहीं वैसे भी लगता नहीं किसी को मेरी ज़रूरत है वहां..." कनिष्का को इस तरह गार्डन की तरफ जाते देख कर अर्जुन कनिष्का की तरफ ही देखने लगा और उठकर कनिष्का के पीछे जाने ही वाला था कि तभी अवनीश की चाची ने अर्जुन को रोकते हुए कहा, “और अर्जुन बेटा तुम कब आए लंदन से वापस, हम तो तुम्हें देखकर बिल्कुल ही सरप्राइज्ड हो गए थे।” अर्जुन वहीं रुक कर अपनी मामी की बात का जवाब देते हुए बोला, “हां मामी जी, अभी कुछ दिन पहले ही मैं आया था तो दादाजी ने मुझे भी यही आप लोगों के साथ मिलने के लिए बुला लिया वैसे एक तरफ देखा जाए तो अच्छा ही है हम सब इसी बहाने थोड़ा साथ में टाइम स्पेंड कर पाएंगे, नहीं तो आजकल फैमिली टाइम जल्दी मिलता ही कहां है।” अर्जुन ये सारी बातें बोल रहा था और सब बड़े ही खुश लग रहे थे वही अवनीश और तानिया एक दूसरे की तरफ देखकर कुछ इशारा कर रहे थे। अर्जुन ने उन सब से थोड़ी बहुत बात की, क्योंकि उसका ध्यान तो कनिष्का की तरफ ही हो गया था जब से उसने उसे बाहर गार्डन की तरफ जाते हुए देख लिया था। वही तानिया भी उन सब बड़े बूढ़े लोगों के बीच बैठकर बोर हो रही थी क्योंकि अर्जुन ने एक नजर भी उसकी तरफ नहीं देखा था, और अवनीश घर का अच्छा बेटा बनकर बाकी सब से हाल-चाल पूछने में लगा हुआ था। तानिया भी सबके सामने अवनीश से बात ना कर पाती इसलिए वो अपनी मम्मी के बगल से उठकर खडे होते हुए बोली, “मम्मी, मैं यहां आप लोगों के साथ बैठकर क्या करूंगी इसलिए मैं बाहर गार्डन में जा रही हूं?“ इतना बोलकर तानिया भी हवेली से बाहर निकल आई। जैसे ही तानिया बाहर निकली अवनीश ने कनखियों से उसकी तरफ उसे वहां से जाते हुए देखा लेकिन तानिया ने वहां पर सबके होने की वजह से अवनीश की तरफ पलट कर भी नहीं देखा। वही, तानिया से काफी देर पहले कनिष्का गार्डन एक कोने में जाकर चुपचाप खड़ी हो गई थी हालांकि इस टाइम ज्यादा रोशनी नहीं थी। सनसेट भी पूरी तरह से नहीं हुआ था और आसमान में अभी भी सूरज की हल्की लाली अभी भी मौजूद थी। कुछ मिनट बीतने के बाद अब धीरे-धीरे आसमान का रंग गहरा होने लगा था। कनिष्का इन सब से कुछ भी फर्क नहीं पड़ता था क्योंकि उसकी जिंदगी में इससे भी ज्यादा गहरा अंधेरा पिछले 6 महीने से छाया हुआ था इसलिए वह चुपचाप वहीं गार्डन की एक बेंच के पास आकर खड़ी हो गई। कनिष्का ने अपनी आंखें कसकर बंद करते हुए कहा, “मुझे ऐसा लग रहा था कि यहां पर आकर मुझे शायद थोड़ा सुकून मिलेगा लेकिन दादाजी ने तो यहां पर सबको बुला रखा है और अब अगर तानिया यहां पर है तो वह फिर से अवनीश के साथ वह सब कुछ जरूर करेगी। मुझे अब इस बात से सच पर कोई फर्क नहीं पड़ता अवनीश को जो करना है वह करें लेकिन मैं सिर्फ और सिर्फ दादाजी की वजह से परेशान हो रही हूं। अगर उन्हें यह बात पता चल गई कि मेरा और अवनीश का रिश्ता अभी तक पत्नी पति-पत्नी वाला नहीं है तो पता नहीं उन्हें कैसा लगेगा। कहीं से दादाजी को यह बात पता चलती हैं तो उनकी तबीयत ना खराब हो जाए।” तनिष्का अब भी इस टाइम पर खुद से ज्यादा दादाजी के बारे में सोच रही थी। कनिष्का का ध्यान बिल्कुल ही दूसरी तरफ से हट चुका था। तभी अचानक से कनिष्का को अपनी कमर पर किसी का हाथ महसूस हुआ जैसे ही उसने पीछे मुड़कर देखती, तब तक अर्जुन उसे पूरी तरह से अपनी बाहों में भर चुका था। उसने कनिष्का को जैसे ही अपनी बाहों में भरा तो कनिष्का उसकी तरफ देखकर चौंकते हुए बोली, “अर्जुन! आप यहां क्या कर रहे हैं छोड़िए मुझे अगर हमें साथ में ऐसे किसी ने देख लिया तो.. हम यहां गार्डन में हैं कोई हमारे कमरे में नहीं है।” अर्जुन ने कनिष्का की कमर पर अपने हाथ को कसा और उसके बिल्कुल करीब आकर उसके कान के पास जाकर बड़ी ही धीमी आवाज में बोला, “कोई कुछ नहीं देख रहा है क्योंकि इस टाइम यहां पर हमारे अलावा और जितने भी लोग हैं वह सब अपने-अपने काम में बिजी हैं तो कोई हमें नहीं देखेगा, so don't worry darling!” अर्जुन इतना बोलते हुए कनिष्का की कमर पर अपने हाथ को चलाने लगा। उसने अपने हाथ को उसकी साड़ी की पल्लू के अंदर डाला और उसकी नाभि को छूते हुए बोला, “सच बताऊं तो तुम्हारे ऊपर यह ब्लैक कलर की साड़ी बहुत ज्यादा सूट कर रही है। तुम इतनी ज्यादा सेक्सी लग रही हो कि मेरा मन कर रहा है कि बस अभी यहीं पर हमारी उसे रात को रीक्रिएट कर दूं।” अभी अर्जुन बोल ही रहा था कि कनिष्का ने उसके हाथ पर अपना हाथ रखा और उसे रोकते हुए बोली, “प्लीज अर्जुन, मत करिए यह सब छोड़िए मुझे.. यहां पर कोई भी आ सकता है और मैं नहीं चाहती कोई भी हम दोनों को यहां पर ऐसे...” इतना बोलकर कनिष्का ने उसका हाथ अपनी कमर पर से हटाया और वह आगे की तरफ बढ़ने लगी। लेकिन अर्जुन कहां उसकी बात मानने वाला था अर्जुन ने उसके हाथ को पकड़ कर अपने करीब खींचा और वहीं पास में लगे हुए एक बड़े से पेड़ के पास आकर उसने कनिष्का को पेड़ पर टिका दिया। अर्जुन उसके एकदम सामने खड़ा होकर उसकी आंखों में ही देखने लगा और अर्जुन की नजर खुद पर महसूस करके कनिष्का की सांसें काफी ज्यादा तेज हो गई। वह बहुत ही ज्यादा घबराई हुई थी। जिस तरह से अर्जुन उसके मना करने की बावजूद भी उसकी इतने करीब आता जा रहा था उससे तो कनिष्का का घबराना बनता था। कनिष्का यही सोच रही थी कि अगर किसी ने उसे अर्जुन के साथ देख लिया तो लोग उसे ही कैरक्टरलेस बोलेंगे और ऐसा नहीं चाहती थी उसने अर्जुन को खुद से दूर पुश करते हुए कहा, “देखिए अर्जुन! आप प्लीज बात को समझने की कोशिश करिए अगर दादा जी को इस बात की खबर लग गई तो आप नहीं जानते दादाजी को बहुत बुरा लगेगा और उन्हें मेरे और अवनीश के बारे में कुछ भी नहीं पता है वह नहीं जानते कि मैं और अवनीश नदी के वह दो छोर हैं जो एक साथ चलते तो है लेकिन कभी मिल नहीं सकते और अगर आप इस तरह से मेरे करीब आएंगे तो जल्दी सबको यह बात पता चल जाएगी और फिर..” अर्जुन कनिष्का की सारी बातें सुन रहा था लेकिन वह उसकी बात को जरा भी सीरियसली नहीं ले रहा था। वह कनिष्का की बात सुनते-सुनते उसके चेहरे के बिल्कुल नजदीक आ गया और उसने कनिष्का के होठों पर अपनी उंगली रखते हुए कहा, "शश्श्श्! बहुत बोलती हो तुम और उससे भी ज्यादा सोचती हो.. चुप रहो थोड़ी देर या फिर मैं चुप करा देता हूं।" कनिष्का की आंखें हैरानी से एकदम बड़ी हो गई लेकिन वह कुछ बोल पाती उससे पहले ही अर्जुन ने अपनी उंगली हटाते हुए कनिष्का के होठों पर अपने होठों को रखा और उसे बड़े ही प्यार से किस करने लगा। To Be Continued कैसा लगा आज का एपिसोड वैसे हमारा अर्जुन तो बहुत ही रोमांटिक है ना और किस-किस को कनिष्का के साथ और उसके लिए सिर्फ अर्जुन ही पसंद है कमेंट में जरूर बताना आप लोग किसके साथ देखना चाहते हो कनिष्का को अर्जुन या फिर अवनीश ?

  • 16. Tangled Hearts - Chapter 16

    Words: 1318

    Estimated Reading Time: 8 min

    16 अर्जुन कनिष्का की सारी बातें सुन रहा था लेकिन वह उसकी बात को जरा भी सीरियसली नहीं ले रहा था। वह कनिष्का की बात सुनते-सुनते उसके चेहरे के बिल्कुल नजदीक आ गया और उसने कनिष्का के होठों पर अपनी उंगली रखते हुए कहा, "शश्श्श्! बहुत बोलती हो तुम और उससे भी ज्यादा सोचती हो.. चुप रहो थोड़ी देर या फिर मैं चुप करा देता हूं।" कनिष्का की आंखें हैरानी से एकदम बड़ी हो गई लेकिन वह कुछ बोल पाती उससे पहले ही अर्जुन ने अपनी उंगली हटाते हुए कनिष्का के होठों पर अपने होठों को रखा और उसे बड़े ही प्यार से किस करने लगा। अर्जुन बहुत ही सॉफ्टली कनिष्का को किस कर रहा था। कनिष्का भी उसकी किस में पूरी तरह से गुम हो चुकी थी। वह जो बात बोल रही थी वह अपनी बात पूरी ही नहीं कर पाई। अर्जुन ने कनिष्का की कमर पर अपने हाथ को सहलाते हुए कनिष्का को गोल घुमाया और कनिष्का की गर्दन पर किस करते-करते वह उसकी पीठ पर किस करने लगा। कनिष्का ने अपने हाथों की कसकर मुट्ठी बांधी। कनिष्का का डीप ब्लाउज जो बैकलेस था तो अर्जुन उसकी पूरी पीठ पर किस करता जा रहा था। कनिष्का अर्जुन के हाथ को अपने पेट पर महसूस कर रही थी। जब तक अर्जुन उसकी पीठ को किस कर रहा था कनिष्का कुछ भी नहीं बोली लेकिन जैसे ही अर्जुन ने कनिष्का की गर्दन पर किस करना शुरू किया तो कनिष्का पूरी तरह से उसकी बाहों में पिघलने लगी। अब तक अर्जुन का हाथ कनिष्का के शरीर के नाजुक हिस्सों पर पहुंच चुका था और जैसे ही उसने कनिष्का के उन नाजुक हिस्सों को अपनी सख्त हाथों से छुआ तो कनिष्का के मुंह से एक "आह्" निकली। वह अर्जुन के हाथ को पड़कर उसे अपने बदन पर से हटाने लगी। अर्जुन उसे ऐसा करते देखकर उसके बिल्कुल करीब आया और उसने उसके दोनों गाल पर अपना हाथ रखकर उसकी आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए कहा, “क्यों क्यों कर रही हो तुम ऐसा, मैं देखता हूं जैसे ही मैं तुम्हें टच करता हूं। तुम पूरी तरह से मेरी हो जाती हो तुम्हें जब मेरा टच इतना पसंद है तो फिर मुझे इस तरह से रोकने का क्या मतलब है तुम्हारा, मत रोको मुझे, किसके बारे में सोच कर तुम मुझे यह सब करने से रोक रही हो?” अर्जुन के एक साथ इतने सारे सवालों का जवाब कनिष्का नहीं दे पा रही थी और उसने अर्जुन की आंखों में अपने लिए एक अलग ही तड़प कनिष्का को उसकी आंखों में दिख रही थी। अर्जुन की आंखों को देखकर अपने मन में बोली, “क्या अर्जुन सिर्फ उस एक रात की वजह से मुझे इतना ज्यादा अटैच्ड हो गया है कि वह अब मुझे एक पल के लिए भी दूर नहीं रह पा रहा, क्या एक रात में इतना अटैचमेंट होना इंपॉसिबल है?” कनिष्का यह बात सच ही रही थी। तभी अर्जुन ने उसके गाल पर अपने हाथ को रखकर बड़े प्यार से सहलाते हुए कहा, “कनिष्का, मैं तुमसे कुछ पूछ रहा हूं। जवाब दो मेरी बात का, क्या तुम अभी भी अवनीश के लिए खुद को मुझसे दूर कर रही हो?” कनिष्का ने अर्जुन के कंधे पर अपना हाथ रखकर उसे खुद से दूर पुश करते हुए कहा, “मुझे तुम्हारी किसी भी बात का कोई जवाब नहीं देना है, प्लीज़ अर्जुन प्लीज मुझसे दूर रहो।” अर्जुन ने जब देख की कनिष्का उससे इतनी रूडली बात कर रही थी तो अर्जुन को गुस्सा आना लाजमी था। वो भी कनिष्का की तरफ गुस्से से देख रहा था। कनिष्का ने अर्जुन की तरफ से अपनी नजरों को फेर और चुपचाप वहां से हटकर जाने लगी। अर्जुन ने कनिष्का के हाथ को पकड़ा और उसके हाथ को मरोड़ते हुए कहा, “नहीं जाने दूंगा मैं तुम्हें! अब तुम मेरी लाइफ से नहीं जा सकती !तुमने मेरी लाइफ में आने की मुझसे परमिशन नहीं मांगी थी तो अब तुम बिन मेरी परमिशन के नहीं जा सकती हो समझी।” कनिष्का अर्जुन कि यह बात सुनकर बिल्कुल शॉक्ड हो गई और वही अर्जुन ने कनिष्का के हाथ को कसकर पकड़ रखा था। कनिष्का उसके हाथ से अपने हाथ को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करती जा रही थी। तभी अर्जुन ने उसके हाथ को घुमाया और उसे बिल्कुल अपने करीब खींचा तो कनिष्का लड़खड़ा गई। वह गिरने ही वाली थी कि अर्जुन ने जल्दी से उसेकी कमर में अपने हाथ को डाला और उसे संभालते हुए कहा, “बहुत लड़खड़ा चुकी हो तुम अपनी लाइफ में और अब तुम्हें संभालने के लिए मैं आ चुका हूं। इसलिए अब तुम अपने दिमाग से ख्याल को निकाल दो कि मैं तुमसे दूर जाऊंगा। नहीं जाने वाला मैं तुमसे अब दूर।” इतना बोलकर अर्जुन ने कनिष्का की गर्दन के पास आकर धीरे से उसकी गर्दन को चूमा और अर्जुन के मुंह से गहरी सांस निकाली। उसकी उन गर्म सांसों की आहट को सुनकर कनिष्का वहीं पर चुपचाप रुक गई। तभी अर्जुन की नजर सामने गार्डन की दूसरे छोर पर लगे बड़े से पेड़ की तरफ गई। वहां पर काफी डिम लाइट थी। अर्जुन ने जैसे ही वहां पर खड़े दो लोगों को देखा अर्जुन की भौंहें सिकुड़ गई। अर्जुन उन दोनों की तरफ बड़े ही ध्यान से देखने लगा। जैसे ही अर्जुन की नजर उस पेड़ की तरफ गई तो उसके चेहरे पर शैतानित भरी मुस्कराहट नजर आई और वह उन लोगों को घूरते हुए देखने लगा। वहां पेड़ के पीछे अर्जुन एक टक देखा जा रहा था। उसकी पकड़ कनिष्का के हाथ से ढीली हुई और कनिष्का ने जल्दी से अपने हाथ को छुड़ा लिया। वह अर्जुन से दूर जाने लगी। तभी अर्जुन ने कनिष्का के हाथ को पकड़ कर अपने करीब खींचते हुए कहा, “तुम्हें इस तरह से भागने की जरूरत नहीं है और तुम नाना जी के बारे में सोच रही हो ना तो मैं तुम्हें कुछ दिखाना चाहता हूं उधर देखो पेड़ के पीछे। मैंने तो अभी तुम्हें सिर्फ किस किया है लेकिन वहां देखो वहां तो कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ चुके हैं। वह दोनों और जब वह दोनों नाना जी के बारे में नहीं सोच रहे तो फिर तुम इतना ज्यादा क्यों सोच रही हो हर चीज का ठेका तुमने ही नहीं ले रखा है समझी?” कनिष्का ने जैसे ही अर्जुन की यह बात सुनी और अर्जुन ने उसका चेहरा दूसरी तरफ घुमाया और वह उसी पेड़ की तरफ इशारा करने लगा। जैसे ही कनिष्का की नज़र उस पेड़ की तरफ गई तो कनिष्का बिल्कुल ही शॉक्ड हो गई। अर्जुन ने कनिष्का के कंधे पर अपना चिन को रखा और उसके कान के ईयर लोब को हल्के से अपनी नोज से टच करते हुए कहा, “देखा तुमने, अभी भी तुम मुझे खुद से दूर जाने के लिए कहोगी? बोलो.. बहुत हो गया कनिष्का, दूसरों के बारे में सोचते सोचते। अब वक्त आ गया है तुम्हें अपने बारे में सोचना है और मैं बहुत अच्छी तरह से जानता हूं कि तुम मेरे साथ बहुत अच्छा फील करती और मेरे हर एक टच से तुम्हें एक अलग ही सेंसेशन फील होता है तुम मेरी बाहों में एक अलग ही सुकून महसूस करती हो है ना।” जैसे ही कनिष्का ने अर्जुन की यह बात सुनी तो वह एक पल के लिए बिल्कुल चुप हो गई क्योंकि अपने सामने पेड़ के पास चल रहे उस सीन को देखकर कनिष्का का पूरा बदन काटने लगा और उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह इस टाइम पर अर्जुन की बात का जवाब दे या फिर अभी जो वह अपनी आंखों के सामने देख रही है, उस पर रिएक्ट करें। To Be Continued क्या लगता है आप लोगों को ऐसा क्या है सामने जिसे देखकर अर्जुन तो इतना खुश है लेकिन कनिष्का एकदम हैरान? क्या हो रहा होगा वहां पर🤭 और किसके बारे में सोचकर कनिष्का कर रही है खुद को अर्जुन से दूर क्या वह सच में उसके लिए कुछ भी फील नहीं करती या फिर खुद को रोक रही है क्या लगता है आप लोगों को ज़रूर बताइएगा कमेंट में नहीं तो अगले एपिसोड में आप लोगों को पता चल भी जाएगा।

  • 17. Tangled Hearts - Chapter 17

    Words: 1483

    Estimated Reading Time: 9 min

    17 कनिष्का को इस तरह इतना शांत देखकर अर्जुन ने कनिष्का के पूरे बदन को कांपते हुए देखा और उसने कनिष्का को अपनी बाहों में भर लिया। वह उसे पीछे से हग करते हुए बोला, “ज्यादा कुछ सोचने की ज़रूरत नहीं है तुम्हें, मैं समझ सकता हूं तुम इस वक्त कैसा फील कर रही हो।” कनिष्का ने अर्जुन की बात सुनी और अपनी आंखें कसकर भींच ली और उसने अपनी आंखें खोली पर सामने की तरफ नहीं देखना चाहती थी क्योंकि उन दोनों के सामने कुछ दूरी पर एक पेड़ के पास अवनीश और तानिया एक दूसरे में उलझे हुए खड़े थे। अवनीश ने तानिया को अपने गोद में उठा रखा था और तानिया उसकी कमर पर अपने दोनों पैरों को क्रॉस करके किसी बंदर के बच्चे की तरह उसे चिपकी हुई थी। वह दोनों एक दूसरे को डीपली किस करते जा रहे थे। वही अवनीश ने उसकी ड्रेस की चेन को अनजिप कर दिया था और उसके दोनों हाथ तानिया की पीठ पर इधर से उधर रेंग रहे थे। जैसे ही कनिष्का ने उन दोनों को अपनी आंखों के सामने ऐसी हालत में देखा उसे एक झटका सा लगा और उसने नोटिस किया कि तानिया अवनीश को इतना ज्यादा डीपली किस कर रही थी और अवनीश भी उसको किस करने में पूरा साथ दे रहा था और वह दोनों एक दूसरे में इतना ज्यादा खोए हुए थे कि अपने आसपास के कोई फ़िक्र भी नहीं थी उन्हें कि किसकी नज़रें उन पर है कोई उन्हें देख लेगा या नहीं? उन दोनों की ही आंखों में यह डर नजर नहीं आ रहा था। कनिष्का अपने कांपते हुए बदन और आंसू भरी आंखों के साथ कुछ देर तक तो बहुत नजारा देखते रही लेकिन जब आगे उससे और बर्दाश्त नहीं हुआ तो कनिष्का ने अपनी नज़रें घुमा ली। उसकी आंखों में आंसू नहीं थे लेकिन हां एक अजीब सा दर्द ज़रूर नज़र आ रहा था। अर्जुन ने उसके दोनों गाल पर अपना हाथ रखकर बड़े प्यार से उसके गाल को सहलाते हुए कहा, “Don't worry! अब तुम्हें इन सारी चीजों के बारे में सोचने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि अब तुम अकेली नहीं हो मैं हूं तुम्हारे साथ, और क्यों तुम इतना इफेक्ट हो रही हो?” अर्जुन ने कनिष्का से सवाल किया तो कनिष्का ने बहुत ही खालीपन से उसकी आंखों में देखा क्योंकि उसके पास कोई जवाब नहीं था, अर्जुन ने भी दोबारा कुछ नहीं पूछा और आगे जाकर एकदम हौले से उस के गाल को चूमा और उसको रिलैक्स करने के लिए उसके कंधे पर अपना हाथ रख कर खड़ा था। अर्जुन का ऐसे कंट्रोल करना कनिष्का को काफी अच्छा लग रहा था और अर्जुन की नजदीकी की वजह से वह अवनीश के बारे में अब नहीं सोच रही थी। कनिष्का ने पीछे मुड़कर उन दोनों की तरफ एक बार फिर से देखा और उसने गहरी सांस ली लेकिन उसकी आंखों से आंसू निकलना बंद नहीं हो रहे थे। कनिष्का की आंखों से निकलते हुए आंसू को देखकर अर्जुन को उस पर गुस्सा आ गया और अर्जुन ने उसे समझाते हुए कहा, “are you serious? तुम अभी भी उसके लिए रो रही हो? वह इंसान, जो तुम्हारे बारे में सोचता भी नहीं है और वह अपनी गर्लफ्रेंड के साथ इतना खुश है और उसके साथ इंटीमेट तक हो रहा है और तुम हो के उस इंसान के लिए अपने इन कीमती आंसुओं को बहा रही हो।” कनिष्का ने जैसे ही अर्जुन की यह बात सुनी वह अर्जुन के चेहरे की तरफ देखने लगी। उसने अर्जुन के दोनों गाल पर अपना हाथ रखा और उसके होठों के करीब जाने के लिए अपने पंजों के बाल खड़ी हुई और उसने अर्जुन के होठों पर अपने होठों को रख दिया और बिना कुछ बोल ही एकदम से उसे किस करने लगी। अर्जुन ने जैसे ही कनिष्का को इस तरह से किस करते हुए देखा वह समझ गया कि कनिष्का अपने दर्द को भुलाने के लिए उसे इस तरह से किस कर रही है। जैसे ही अर्जुन ने कनिष्का को इस तरह से किस करते हुए देखा तो उसने भी अपने दोनों हाथ कनिष्का की कमर पर रखे और उसे बिल्कुल अपने करीब खींचकर कनिष्का की बॉडी को अपनी बॉडी के बिल्कुल करीब ले आया था। अर्जुन कनिष्का को किस करने में उसका पूरा साथ दे रहा था। कुछ मिनट बाद, कनिष्का ने अपनी आंखें खोली और अर्जुन की तरफ देखा। अर्जुन एक पल के लिए रुका और कनिष्का की आंखों से बहते हुए आंसुओं को पोंछते हुए कहा, “मैंने तुमसे कहा ना, अब मैं तुम्हारे साथ हूं तो अब तुम्हें इस तरह से रोने का हक नहीं है। तुम अवनीश जैसे इंसान के लिए तो बिल्कुल भी नहीं रोओगी।” कनिष्का ने धीरे से हां में अपना सिर हिलाया। तभी अर्जुन की नज़र वहीं सामने की तरफ गई। वह अवनीश और तानिया को देखकर अपनी आंखें कसकर बंद करते हुए अपने चेहरे को दूसरी तरफ़ घूमने लगा। उसे ऐसा करते देखकर साफ समझ में आ रहा था कि वह सामने की तरफ अवनीश और तानिया को देख नहीं पा रहा था। उसके चेहरे के एक्सप्रेशंस को देखकर कनिष्का ने अपना चेहरा वही अवनीश और तानिया की तरफ घुमाया। जैसे ही कनिष्का ने भी उन दोनों की तरफ अपने चेहरे को घुमाया तो उसने देखा कि तानिया पूरी तरह से अवनीश की गोद में चढ़ गई थी और अवनीश की दोनों हाथ उसकी ड्रेस के अंदर पहुंच गए थे। वह अपने दोनों हाथों की हरकत को इतनी तेजी से कर रहा था कि तानिया पूरी तरह से अवनीश के टच में खो हो चुकी थी, मदहोशी में उसके मुंह से निकली हुई सिसकारियां वहां गूंज रही थी और दूर खड़े अर्जुन कनिष्का को भी सुनाई दे रही थी। वह दोनों वहीं गार्डन में ही बेंच पर बैठ गए और अवनीश ने तानिया को बेंच पर बिठाया और खुद उसके ऊपर चढ़ते हुए वह तानिया के एकदम करीब चला गया। कनिष्का को अब उन दोनों को इस तरह एक साथ देकर बिल्कुल भी जलन नहीं हो रही थी लेकिन अब कनिष्का को अवनीश पर गुस्सा बहुत आ रहा था। वह चाह रही थी कि अभी के अभी उसके पास जाए और उसे जोरदार थप्पड़ मार दी लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। उसने अपने हाथों की कसकर मुट्ठी बाधी। जैसे ही अवनीश और तानिया ने एक दूसरे के साथ इंटीमेट होना शुरू किया तो कनिष्का ने अपने सिर पर हाथ रखा और वहीं पेड़ का टेक लगाकर खड़ी हो गई। कनिष्का ने अर्जुन की तरफ देखा। अर्जुन कनिष्का के हाथ को कसकर पकड़े हुए था। वह उसे शांत करने की कोशिश कर रहा था कि तभी कनिष्का ने अर्जुन के चेहरे की तरफ देखा। अर्जुन कनिष्का को बड़े ही प्यार से संभालने की कोशिश कर रहा था। कनिष्का ने अर्जुन की तरफ बड़ी ही प्यार भरी नजरों से देखा। अर्जुन भी उसकी आंखों में डूबता चला गया। वह उसके बिल्कुल करीब आया और उसने कनिष्का के माथे को बड़े प्यार से चुम लिया। कनिष्का ने उसके गले में अपने दोनों हाथों को डाला और अर्जुन को बिल्कुल अपने करीब खींच कर उसे अपनी बाहों में भर लिया। अर्जुन जानता था कि कनिष्का को इस वक्त एक ऐसे साथी की जरूरत है जो उसे कंसोल कर सके और कंफर्टेबल फील करवाए। अर्जुन बिल्कुल वैसा ही कर रहा था। वह कनिष्का की पीठ को अपने हाथ से सहलाने लगा। तभी कनिष्का की आवाज अर्जुन के कान में पड़ी। कनिष्का ने अर्जुन के कान के पास जाकर धीमी आवाज में कहा, “कैन आई किस यू अगेन!” अर्जुन ने जैसे ही कनिष्का की बात सुनी तो उसने तुरंत हा में अपना सिर हिलाया और कनिष्का अर्जुन के होठों के पास जा ही रही थी कि वह उसके होठों के एकदम नजदीक जाकर रुक गई। अर्जुन उसकी तरफ हैरानी से देखने लगा। अर्जुन के इस तरह से पूछने का मतलब समझते हुए कनिष्का ने कहा, “मैं अवनीश को भुलाने के लिए यह किस नहीं कर रही और ना ही मुझे तानिया के साथ उसे देखकर कुछ फील हो रहा है मैं बस...” कनिष्का अपनी सफाई दे ही रही थी। अर्जुन ने उसे कुछ बोलने ही नहीं दिया। वह अपनी बात पूरी नहीं कर पाए और अर्जुन ने उसके होठों पर बड़े ही सॉफ्टली किस करना स्टार्ट कर दिया। थोड़ी ही देर बाद अर्जुन उसे किस करते-करते रुक गया। कनिष्का ने भी उठकर खड़े होते हुए कहा और, “शायद मुझे अपने रूम में अब चले जाना चाहिए।” इतना बोलकर कनिष्का जैसे ही एक कदम आगे बढ़ी अर्जुन ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, “जब तुम जानती हो के अवनीश तुम्हें धोखा दे रहा है तो तुम उससे अलग क्यों नहीं हो जाती?” To Be Continued क्या जवाब देगी कनिष्का अर्जुन के इस सवाल का? और अर्जुन उसकी हेल्प करेगा अवनीश से अलग होने में क्या कनिष्का उसे बताएगी पूरा सच और क्या वह अर्जुन पर करने लगी है भरोसा? क्या वहां घर में किसी को पता चलेगा अवनीश और तानिया के रिश्ते के बारे में? जानने के लिए पढ़ते रहेंगे आगे के एपिसोड और कमेंट में जरूर बताइए कैसा लगा आपको आज का यह एपिसोड?

  • 18. Tangled Hearts - Chapter 18

    Words: 1382

    Estimated Reading Time: 9 min

    18 कनिष्का जैसे ही एक कदम आगे बड़ी अर्जुन ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, “जब तुम जानती हो के अवनीश तुम्हें धोखा दे रहा है तो तुम उससे अलग क्यों नहीं हो जाती?” अर्जुन की यह बात सुनकर कनिष्का एक पल के लिए रुकी और उसने अर्जुन की तरफ देखते हुए कहा, “मैंने कहा था उससे कि मुझे डिवोर्स दे दो लेकिन वह मुझे डाइवोर्स नहीं देना चाहता था। वह मुझे बस इसी तरह मेरी बहन के साथ मिलकर सिर्फ और सिर्फ दुःख और दर्द देना चाहता है लेकिन सच बताऊं तो अब मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उसकी लाइफ है, उसे जो करना है करें क्योंकि हम कभी भी हस्बैंड वाइफ की तरह नहीं रहे हमारे बीच कोई भी रिलेशन, कनेक्शन अटैचमेंट तक नहीं है।” कनिष्का ने एकदम भरी हुई आवाज में यह बात बोली और अर्जुन उसकी आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए बोला, “इसका मतलब, तुम अवनीश से डिवोर्स लेना चाहती हो।” कनिष्का ने हां में अपना सिर हिलाते हुए कहा, “हां, अब मुझे और नहीं रहना इस बेवजह के रिश्ते में, जहां हमारा कोई फ्यूचर नहीं है। अपनी लाइफ के पिछले 6 महीने मैं बस ऐसे ही बेस्ट किए हैं इसलिए अब मैंने सोचा है अवनीश से डिवोर्स लेने के बारे में लेकिन वो साफ-साफ लफ्जों में मन कर चुका है कि वह मुझे डिवोर्स नहीं देगा और मैं ये बात जानती हूं।” इतना बोलकर कनिष्का काफी ज्यादा अपसेट हो गई। तभी अर्जुन ने उसके कंधे पर अपना हाथ रखा और उसके हाथ को बड़े प्यार से सहलाते हुए कहा, “अगर मैं तुमसे कहूं कि मैं मैं तुम्हारे डायवोर्स को फाइल करवाने में तुम्हारी हेल्प करूंगा तो..” जैसे ही कनिष्का ने अर्जुन की यह बात सुनी तो वह उसकी तरफ हैरानी से देखने लगी। उसने अर्जुन की आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए उससे पूछा, “लेकिन अवनीश तुम्हारा भाई है और तुम मेरा साथ दोगे, इसमें तुम्हारा क्या फायदा?” अर्जुन कनिष्का की बात का जवाब नहीं देना चाहता था लेकिन फिर भी उसने एक गहरी सांस लेते हुए कहा, “कभी-कभी कुछ चीज बिना फायदे के भी की जाती हैं और मैं तुमसे इतना ज्यादा कनेक्टेड फील कर रहा हूं के अब तुम्हारी आंखों में में एक आंसू भी नहीं देख सकता, फिर अवनीश जैसे किसी इंसान के साथ रिश्ते में देखना तो बहुत दूर की बात है।” इतना बोलकर अर्जुन चुप हो गया। कनिष्का अर्जुन की तरफ बड़ी ही अजीब नजरों से देखने लगी। अर्जुन भी उसकी तरफ ही देखे जा रहा था। तभी हवेली से बाहर निकलते हुए तानिया की मम्मी की आवाज़ आई, वह अपनी बेटी तानिया को ढूंढ रही थी और उन्होंने तानिया को आवाज लगाते हुए कहा, “तानिया, कहां हो बेटा? कहां चली गई ये लड़की..” जैसे ही कनिष्का ने अपनी सौतेली मां को देखा वह अर्जुन की तरफ हैरानी से देखने लगी। अर्जुन ने कनिष्का का हाथ पकड़ा। कनिष्का बिल्कुल अर्जुन के करीब थी। अर्जुन भी वही उसी पेड़ के पीछे आकर खड़ा हो गया। उसने कनिष्का को अपनी बाहों में इस तरह छुपा लिया ताकि कोई भी उसे वहां पर उसके साथ ना देख पाए। तानिया की मम्मी बाहर निकल कर आई। तानिया और अवनीश जो इस वक्त बेंच पर एक दूसरे के ऊपर लेटे हुए थे, तानिया की मम्मी की तेज आवाज सुनकर वह लोग हड़बड़ा गए। तानिया ने अवनीश के कंधे पर अपना हाथ रखकर उसे खुद से दूर करते हुए कहा, “हटो अवनीश , मॉम आ रही है, अगर उन्होंने हमें इस तरह इस हालत में देख लिया तो बहुत प्रॉब्लम हो जाएगी।” इतना बोलकर तानिया ने अवनीश को खुद को अपने ऊपर से हटाया और जैसे ही अवनीश उठ कर खड़ा हुआ तो वह अपने कपड़ों को ठीक करने लगी। उसने जल्दी से अपने बालों को ठीक किया और अपने हुलिए को सुधारते हुए वह जल्दी से बैंच से उठकर खड़ी हुई। उसने अवनीश को वहीं पर दूसरी तरफ एक पेड़ के पास जाकर छुपने के लिए कहा। अवनीश तुरंत उस पेड़ के पीछे जाकर छुपा। तानिया की मॉम धीरे-धीरे गार्डन की तरफ आई। तभी उनकी नजर तानिया पर पड़ी जो अपने बालों में हाथ डालकर अपने बालों को ठीक कर रही थी। उसे ऐसा करते देखकर तानिया कि मॉम उसके पास आकर बोली, “क्या हुआ बेटा, तुम यहां पर क्या कर रही हो अब तक, काफी देर लगा दी। तुम अंदर क्यों नहीं आई, क्या कर रही थी यहां पर?” तानिया की मम्मी ने एक के बाद ही कितने सारे सवाल करने शुरू कर दिए तो तानिया ने भी बात को संभालने की कोशिश करते हुए कहा, “अरे वह मॉम! एक्चुअली मैं बस अपने फ्रेंड से फोनकॉल पर बात कर रही थी उससे बात करते-करते टाइम का पता ही नहीं चला, अब चलिए अंदर चलते हैं।” तानिया ने जैसे तैसे बात को संभाला और वह अपनी मॉम को लेकर हवेली के अंदर चली गई। अवनीश उसे हवेली के अंदर जाते देखकर उसकी भौंहें तन गई और वो तानिया को उसकी मॉम के साथ हवेली के अंदर जाते हुए देखकर बोला, “ इस बुढ़िया को भी चैन नहीं है। अच्छा खासा मूड खराब कर दिया।” इतना बोलकर अवनीश भी थोड़ी देर बाद हवेली के अंदर चला गया, उसके चेहरे पर फ्रस्ट्रेशन साफ नज़र आ रही थी। वहीं दूसरी तरफ अर्जुन कनिष्का को अभी भी अपनी बाहों में लेकर वही पेड़ के पीछे ही छुपा बैठा था। कनिष्का की नजर अर्जुन के चेस्ट पर गई। वह उसकी चेस्ट को देखकर उसकी तरफ अट्रैक्ट हो रही थी क्योंकि अर्जुन ने जो शर्ट पहनी हुई थी उसके तीन बटन खुले हुए थे। जिससे उसकी चेस्ट साफ नजर आ रहा थी। उसने कनिष्का की तरफ देखा। कनिष्का उसकी चेस्ट और उसके ऐब्स पर से अपनी नज़र नहीं हटा पा रही थी। तभी कनिष्का ने अपना हाथ अर्जुन के चेस्ट पर रखा और वह धीरे हाथ से उसके चेस्ट को सहलाने लगी। अर्जुन ने जैसे ही कनिष्का के हाथ को अपने चेस्ट पर फील किया तो उसने अपनी आंखें बंद कर ली और कनिष्का के हाथ की गरमाहट को फील करके अर्जुन को बहुत ही अच्छा लग रहा था। कनिष्का ने जब देखा कि अर्जुन अपनी आंखें बंद करके उसके टच को फील कर रहा है तो कनिष्का ने अपना दूसरा हाथ अर्जुन की गर्दन पर रखा और बड़े प्यार से उसकी गर्दन को सहलाने लगी। अर्जुन के मुंह से एक प्यार भरी आह निकली। उसकी आवाज को सुनकर कनिष्का के चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल आई और उसने अर्जुन ने बिल्कुल करीब जाकर उसके चेहरे को चुम्मा और वह धीरे-धीरे उसकी गर्दन पर किस करने लगी। अर्जुन और कनिष्का दोनों ही एक दूसरे की बाहों में थे। कनिष्का अर्जुन के चेस्ट को अभी भी अपने हाथों से ही टच करती जा रही थी और अर्जुन ने कनिष्का की पीठ पर अपना हाथ रब किया। वह कनिष्का को अपनी बाहों में भरने लगा और धीरे-धीरे कनिष्का की गर्दन को चूमता जा रहा था। उसने कनिष्का की कमर पर कसकर अपने हाथ को रखा। अर्जुन, उसके साड़ी के पल्लू को हटाने के लिए आगे बढ़ा और उसने धीरे से कनिष्का की क्लीवेज पर किस किया। जैसे ही उसने उसके साड़ी के पल्लू को हटाया तो कनिष्का ने उसके हाथ को पकड़ लिया और उसको ऐसा करने से रोक दिया। अर्जुन ने जैसे ही कनिष्का को इस तरह से रोकते हुए देखा वह तुरंत रुक गया। कनिष्का ने जल्दी से अपने साड़ी के पल्लू को अपने कंधे पर टिकाया और वह वहां से उठकर खड़ी हुई। उसने अपनी साड़ी पर लगी थोड़ी सी धूल मिट्टी को साफ किया। उसने अर्जुन की तरफ देखा। अर्जुन उससे अपनी नज़रें नहीं मिला रहा था। कनिष्का ने धीमी आवाज़ में कहा, “शायद मुझे अब अपने रूम में चले जाना चाहिए।” इतना बोलकर कनिष्का सीधे हवेली के अंदर आ गई और वह सीधे अपने रूम की तरफ चली गई। अर्जुन से रोकना चाहता था लेकिन कुछ नहीं बोल पाया और वहीं दूसरी तरफ कनिष्का जैसे ही रूम के अंदर पहुंची उसने देखा अवनीश वहां पर नहीं था। कनिष्का ने डोर को लॉक किया और वहीं चुपचाप डोर के पास ही बैठ गई। To Be Continued कैसा लगा आज का एपिसोड क्या अर्जुन, कनिष्का की मदद करेगा अवनीश से डायवोर्स लेने में, और क्या उसके बाद कनिष्का और अर्जुन दोनों साथ हो पाएंगे? क्या अवनीश छोड़ देगा कनिष्का को इतनी आसानी से? क्या लगता है आप लोगों को आज के एपिसोड के बाद बताइए कमेंट में और आज का एपिसोड कैसा लगा यह भी जरूर बताइएगा।

  • 19. Tangled Hearts - Chapter 19

    Words: 1568

    Estimated Reading Time: 10 min

    19 कनिष्का जैसे ही रूम के अंदर पहुंची उसने देखा अवनीश वहां पर नहीं था। कनिष्का ने डोर को लॉक किया और वहीं चुपचाप डोर के पास ही बैठ गई। कनिष्का ने एक गहरी सांस लेते हुए कहा, “पता नहीं क्यों अर्जुन के साथ मुझे एक अलग ही कनेक्शन फील होता है और वह मेरे साथ इतना अलग बिहेव क्यों करता है और उसने मुझे यह बात क्यों कही कि वह अवनीश के साथ डाइवोर्स देना अपने में मेरी हेल्प करेगा आखिर ऐसा करके उसका क्या फायदा?” कनिष्का के दिमाग में यह बात चल ही रही थी कि कनिष्का ने अपनी गर्दन पर अपना हाथ रखते हुए कहा, “मुझे समझ में आ रहा है कि अर्जुन ने यह बात क्यों बोली है शायद वह मेरी तरफ कुछ ज्यादा ही अट्रैक्ट हो गया है या फिर उस रात के बाद से वह शायद मुझसे अटैच हो गया है? नहीं, लेकिन ऐसा क्यों होगा भला? मैं भी कुछ ज्यादा ही सोच रही हूं शायद?” इतना बोलकर कनिष्का ने धीरे से ना में अपना सिर हिलाया और सीधे फ्रेश होने के लिए वॉशरूम की तरफ चली गई हालांकि उसके दिमाग में अर्जुन की कही हर एक बात और बार-बार उसका चेहरा ही नज़र आ रहा था। वह जितनी बार भी अर्जुन के बारे में सोच रही थी उसके चेहरे की मुस्कुराहट बढ़ती जा रही थी, वो अकेले में ही ब्लश कर रही थी। कनिष्का, अर्जुन के बारे में ही सोचते सोचते ही टाॅवल से अपना मुंह पोंछते हुए वॉशरूम से बाहर निकली। जैसे ही वह अपने वॉशरूम से बाहर निकली कनिष्का ने देखा कि अवनीश पहले से ही बेड पर आकर लेटा हुआ सो रहा था। उसने जैसे ही अवनीश को दिखा तो उसे थोड़ी देर पहले का सीन एकदम अच्छी तरह याद आ गया कि किस तरह अवनीश और तानिया बाहर गार्डन एरिया में एक दूसरे के साथ चिपके हुए थे। वो सीन याद आते ही कनिष्का के चेहरे की वह प्यारी मुस्कुराहट एकदम ही गायब हो गई और उसके मुंह पर अवनीश के लिए नफरत साफ नजर आने लगी और जाकर भी वो बेड पर नहीं बैठ पाई। कनिष्का ने मन ही मन उसे कोसते हुए कहा, "इस अवनीश के जितना बेशर्म औरतों के पास इंसान और कोई नहीं हो सकता बिल्कुल भी शर्म नहीं है इस आदमी में, कैसे यहां पर आकर लेट गया है, क्यों आया है यहां पर, मेरे कमरे में अब मुझे इसके साथ रूम शेयर करना पड़ेगा, मन तो कर रहा है यहां से बाहर निकल जाऊं लेकिन ऐसा कर नहीं सकती क्योंकि हम अपने घर में नहीं है, किसी को पता चला हम अलग रूम में सोच तो सब संभाल करेंगे लेकिन मैं बेड तो नहीं शेयर करने वाली।" इतना सबको बोलकर कनिष्का बेड के सामने पड़े हुए बड़े से काउच पर आकर बैठ गई और अवनीश की तरफ से अपना चेहरा घूमाकर चुपचाप उस काउच पर सो गई। अवनीश तो पहले ही सो चुका था अगर मजाक भी रहा होता तो भी उसे कोई फर्क नहीं करता कनिष्का के वहां सोने या ना होने से... अगले दिन सुबह; कनिष्का की जब खुली तो उसने देखा अवनीश बेड पर नहीं था। वो जम्हाई लेती हुई उठ कर बैठी और उसने घड़ी की तरफ़ देखा तो 10:00 बज रहे थे। कनिष्का बेड पर बैठते हुए बोली, “अरे इतनी लेट तक में कैसे सोती रह गई? अब तक तो सब लोग ब्रेकफास्ट भी कर चुके होंगे, चाची और तानिया की मॉम मुझे ताना मारने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे इसलिए जल्दी करना पड़ेगा।” कनिष्का जल्दी से उठी और उसने वॉशरूम की तरफ भागते हुए कहा, “जल्दी से फ्रेश होकर नीचे जाती हूं। पता नहीं दादाजी मेरे बारे में क्या सोच रहे होंगे कि घर की बहू होने के बावजूद भी मैं इतनी देर तक सोती रही? वैसे सिर्फ नाम की ही बहू रह गई हूं मैं लेकिन उन लोगों को क्या पता उन सब की तो एक्सपेक्टेशंस बढ़ती ही जा रही होंगी।” कनिष्का इतना बोलकर जैसे ही वॉशरूम के अंदर आई उसके कदम वहीं पर रुक गए और उसने अपनी कहीं बात पर गौर करते हुए कहा, “घर की बहू सिर्फ नाम की..” इतना बोलकर उसने गहरी सांस ली और वॉशरूम के अंदर चली गई। थोड़ी ही देर में वह फटाफट रेडी होकर बाहर आई। उसने देखा डाइनिंग टेबल पर कोई भी नहीं था। जैसे ही वह वहां पहुंची घर की मेड उसके पास आकर बोली, “बहुरानी आप बैठिए मैं आपका ब्रेकफास्ट लगा देता हूं।” कनिष्का ने हां में अपना सिर हिलाया और वह चुपचाप डाइनिंग टेबल पर बैठ गई। जैसे ही मेड ने उसका ब्रेकफास्ट लगाया। उसने मेड की तरफ देखते हुए पूछा, “दादाजी और बाकी सब लोग ब्रेकफास्ट कर चुके क्या?” उस मेड ने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा, “हां बड़े मालिक ने तो नाश्ता कर लिया, आप भी कर लीजिए।” इतना बोलकर मेड वहां से जाने लगी कि तभी अर्जुन कनिष्का के सामने वाली चेयर पर आकर बैठा और उस मेड ने अर्जुन को भी ब्रेकफास्ट दिया और वहीं पर खड़ी होकर दोनों की तरफ देखते हुए बोली, “बहुरानी, अर्जुन बाबा आपको अगर कुछ चाहिए हो तो मुझे आवाज लगा लीजिएगा।” अर्जुन ने धीरे से अपना सिर हिलाया और चुपचाप अपना ब्रेकफास्ट करने लगा। उसकी नज़रें ब्रेकफास्ट करते हुए सिर्फ और सिर्फ कनिष्का की तरह ही टिकी की हुई थी। कनिष्का ने जैसे ही अपना ब्रेकफास्ट फिनिश किया वह पानी का ग्लास उठाकर पी ही रही थी कि तभी उसने अर्जुन की तरफ देखा जो ब्रेकफास्ट करते हुए कनिष्का को ही घूरते हुए देखा जा रहा था। कनिष्का ने जैसे ही यह बात महसूस की उसने तुरंत अपने पानी के ग्लास को रख दिया और टेबल से उठने ही वाली थी कि तभी अर्जुन ने उसे रोकते हुए कहा, “प्लीज थोड़ी देर और बैठी रहो ना मेरा ब्रेकफास्ट हो जाए तो चली जाना।” कनिष्का जो ऑलमोस्ट अपनी जगह से उठ चुकी थी। उसने जैसे ही अर्जुन की बात सुनी वह वापस वह वहीं पर चुपचाप रुक गई और अर्जुन की तरफ देखने लगी। अर्जुन ने उसे इशारे से बैठने के लिए कहा। वह जैसे ही चेयर पर बैठी अर्जुन उसकी तरफ देखकर मुस्कुराने लगा। कनिष्का और अर्जुन वही टेबल पर ही बैठे हुए थे कि तभी कनिष्का की नजर तानिया के रूम की तरफ गई। तानिया के रूम में अवनीश छुपते छुपाते हुए जा रहा था। उसे ऐसे जाते देखकर कनिष्का ने गहरी सांस ली और चेयर से उठकर खडे होते हुए बोली, “मुझे मेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही है मैं अपने रूम में जा रही हूं।” अर्जुन ने जैसे ही पलट कर पीछे की तरफ देखा तो अवनीश अब तक तानिया के रूम में जा चुका था। कनिष्का उन दोनों को देखकर ही उठकर खड़ी हुई थी। अर्जुन ने कनिष्का को नहीं रोका और कनिष्का सीधे अपने रूम में चली गई। कनिष्का आज सारा दिन अपने रूम में थी, उसका मूड बहुत खराब था अवनीश की वजह से। अर्जुन ने भी नोटिस कर लिया था कनिष्का को इसलिए वो बार-बार उसके रूम में जाने के बारे में सोच रहा था लेकिन कोई ना कोई उसे रोक दे रहा था। कभी दादाजी उसे बुला ले रहे थे तो कभी चाचा जी और कभी उसे अपने ही ऑफिस का कोई काम आ जा रहा था। पूरा दिन बीत गया अर्जुन कनिष्का से मिलने नहीं जा पाया। शाम को जब अर्जुन कनिष्का की रूम की तरफ जा रहा था तो उसने देखा के सामने से अवनीश आ रहा था। अर्जुन को फिर से कनिष्का के रूम में जाने का मौका नहीं मिल पाया। अर्जुन कनिष्का के पास जाने के लिए काफी ज्यादा बेचैन हो रहा था। वह अपने रूम में आया और उसने बेड पर हाथ पटकते हुए कहा, “पता नहीं क्या हो रहा है सुबह से एक बार भी मुझे कनिष्का के पास जाने का मौका नहीं मिल पाया है। पता नहीं कैसी होगी वह?” वही कनिष्का अपने रूम में चुपचाप लेटी हुई थी। कनिष्का ने लंच और डिनर भी रूम में ही मंगा कर कर लिया था। अर्जुन कनिष्का को लेकर थोड़ा सा परेशान भी हो रहा था। जैसे तैसे उन दोनों की वो रात बीती। अगले दिन सुबह; कनिष्का अपने बेड पर ही लेटी हुई थी। तभी घर का एक नौकर रूम में आया और उसने धीमी आवाज में कहा, “मैडम, मलिक ने सबको एक साथ ब्रेकफास्ट के लिए बुलाया है आप लोग रेडी होकर नीचे आ जाइए।” कनिष्का ने जैसे ही यह बात सुनी वह बेड से उठी और फ्रेश होकर उसने लाइट ब्लू कलर की एक सिल्क की साड़ी पहनी। वह जब नीचे उतर कर आई तो उसने देखा ब्रेकफास्ट टेबल पर ऑलमोस्ट सभी लोग बैठे हुए थे। बस अर्जुन अभी तक टेबल पर नहीं था। कनिष्का रूम के बाहर ही रुक कर सबको देखने लगी। अवनीश तानिया के बगल वाली चेयर पर बैठा हुआ था। जिसे देखकर कनिष्का थोड़ी सी अपसेट हुई लेकिन उसने अपने चेहरे पर इस बात का ज़रा भी इफेक्ट नहीं आने दिया और सीधे रूम से निकल कर सीढ़ियों की तरफ़ आई और धीरे-धीरे सीढ़ियां उतर कर नीचे आने लगी। तभी अर्जुन अपने रूम से बाहर निकला और सीधे दादाजी के बगल वाली चेयर पर आकर बैठ गया। To Be Continued कैसा लगा आप लोगों को आज का एपिसोड? कमेंट में जरूर बताइएगा और क्या कनिष्का को अभी भी फर्क पड़ता है अवनीश और तानिया को साथ देखकर क्यों वह अर्जुन को अपनी लाइफ में आने का मौका नहीं दे रही और क्या वह सच में इन सबके लिए तैयार है और क्यों बुलाया है दादाजी ने एक साथ सभी को ब्रेकफास्ट के लिए? अपना ओपिनियन कमेंट में जरूर बताकर जाइए।

  • 20. Tangled Hearts - Chapter 20

    Words: 1221

    Estimated Reading Time: 8 min

    20 कनिष्का जब नीचे आई तो दादाजी की नज़र कनिष्का पर पड़ी और दादाजी कुछ बोलते उससे पहले ही कनिष्का ने दादाजी की तरफ देखते हुए कहा, “गुड मॉर्निंग दादा जी।” दादा जी ने कनिष्का को देखकर मुस्कुराते हुए कहा, “गुड मॉर्निंग बेटा, अब तबीयत कैसी है तुम्हारी।” कनिष्का ने कहा, “ठीक हूं!” इतना बोलकर वह भी उस तरफ देखने लगी। पूरी डाइनिंग टेबल पर सिर्फ एक ही चेयर खाली थी और वह अर्जुन के बगल वाली चेयर थी। दादाजी ने उसकी तरफ देखते हुए कहा, “कनिष्का बेटा आओ बैठो।” कनिष्का ने हां में अपना सिर हिलाया और अर्जुन के बगल वाली चेयर पर आकर बैठ गई। सब लोग दादाजी की तरफ़ ही देख रहे थे। दादाजी ने सब की तरफ़ देखते हुए कहा, “अरे भाई बस करो इस तरह मुझे क्यों देख रहे हो सब लोग चलो ब्रेकफास्ट करना शुरू करो?” घर के सारे नौकर डाइनिंग टेबल के पास आए और सब की प्लेट में का ब्रेकफास्ट सर्व करने लगे। सब चुपचाप ब्रेकफास्ट कर रहे थे। तभी अर्जुन ने कनिष्का की तरफ देखा और उसने कनिष्का के बिल्कुल करीब जाकर बिल्कुल धीमी आवाज में पूछा, “क्या हुआ, कैसी है अब तुम्हारी तबीयत ठीक होना तुम?” कनिष्का ने जैसे ही अर्जुन के मुह से यह बात सुनी उसने धीरे से हां में अपना सिर हिला दिया और चुपचाप ब्रेकफास्ट करने लगी। अर्जुन भी अपना ब्रेकफास्ट कर रहा था। तभी अर्जुन की नजर कनिष्का के हाथ पर गई। उसने धीरे से अपना हाथ आगे बढ़ाया और टेबल के नीचे से कनिष्का के हाथ को बड़े प्यार से सहलाते हुए पकड़ लिया। उसे ऐसा करते देखकर कनिष्का की सांस अटक गई। जो वह खाना खा रही थी वह उसके गले में ही अटक गया। उसने खांसते हुए पानी का ग्लास उठाया और जल्दी से अर्जुन के हाथ से अपने हाथ को छुड़ा लिया। अपने दोनों हाथ टेबल के ऊपर रखकर कनिष्का अवनीश और दादाजी की तरफ देखने लगी। अर्जुन के चेहरे पर कोई भी एक्सप्रेशन नहीं था। वह चुपचाप बैठा हुआ था। तभी दादाजी ने कनिष्का की तरफ देखते हुए कहा, “आराम से बेटा किसी चीज की जल्दी करने की ज़रूरत नहीं है, ध्यान से खाओ।” कनिष्का ने धीरे से हां में अपना सिर हिलाया और चुपचाप ब्रेकफास्ट करने लगी। अर्जुन जो अभी भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा था। उसने अपना हाथ टेबल के नीचे रखा और उसका हाथ धीरे-धीरे कनिष्का के पैरों की तरफ बढ़ा और कनिष्का की थाईस को हल्के हाथ से रब करने लगा। कनिष्का ने जैसे ही अर्जुन के हाथ की तरफ देखा वह घबरा गई। अर्जुन उसकी थाईज़ को छूता जा रहा था। कनिष्का उसके टच से ज़रा भी अनकंफर्टेबल नहीं हुई थी बल्कि उसे अर्जुन का इस तरह इतने प्यार से खुद को टच करना बड़ा ही अच्छा लग रहा था लेकिन कहीं ना कहीं कनिष्का के दिल और दिमाग में एक अजीब सा डर बैठा हुआ था। वह जानती थी कि अगर अभी अगर किसी ने अर्जुन को इस तरह उसकी थाईज़ को छूते हुए देख लिया तो लोग उसे ही गलत समझेंगे इसलिए कनिष्का ने बहुत ही धीरे से अर्जुन के हाथ को अपने पैर पर से हटाया और चुपचाप ब्रेकफास्ट करने लगी। अर्जुन के चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आई और फिर से कनिष्का के पैरों को छूने लगा। कनिष्का ने कसकर अपनी आंखें बंद कि और अपने मन में कहा, ”ओह गाॅड! ये अर्जुन क्या कर रहे हैं इस तरह सबके सामने। यह जताना क्या चाहते हैं?“ कनिष्का यह बात सच ही रही थी। तभी अवनीश उठकर खड़ा हुआ और उसने दादाजी की तरफ देखते हुए कहा, “दादा जी, मुझे कुछ इंपॉर्टेंट काम है मैं बाहर जा रहा हूं आपसे शाम को मिलूंगा।” दादाजी ने अवनीश की तरफ देखा और उसे रोते हुए कहा, “कोई कहीं नहीं जाएगा मुझे तुम सबसे बहुत इंपॉर्टेंट बात करनी है इसलिए जब तक मेरी बात खत्म नहीं हो जाती तुम लोगों को यहीं रुकना है।” जैसे ही दादाजी ने यह बात कही सामने बैठे अवनीश के चाचा और चाचा एक दूसरे की तरफ देखने लगे। उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट थी। उनके चेहरे के एक्सप्रेशंस को देखकर इतना तो समझ में आ रहा था कि शायद उन लोगों को पता है कि दादा जी को क्या इंपॉर्टेंट बात करनी है? वही अवनीश जो बिल्कुल पूरी तरह से क्लूलेस था उसने दादाजी की तरफ देखकर सवाल करते हुए कहा, “क्या इंपॉर्टेंट बात करनी है आपको दादाजी?” दादाजी ने अवनीश को घूरते हुए देखकर कहा, “सब बातें तुम्हें इतनी जल्दी क्यों जानी होती है, बरखुरदार! पहले आराम से सब लोग ब्रेकफास्ट कर ले उसके बाद मैं बताता हूं?” दादाजी ने यह बात थोड़ी सख्ती से कहीं तो अवनीश चुपचाप वापस अपनी चेयर पर बैठ गया सब लोग ब्रेकफास्ट कर रहे थे। तभी दादाजी के मैनेजर अरविंद उनके पास आए और उन्होंने दादाजी के कान के पास आकर धीमी आवाज में कहा, “मलिक, मिस्टर पाठक आ गए हैं।” जैसे ही दादाजी ने बात सुनी उन्होंने तेज आवाज में कहा, “ठीक है, उन्हें अंदर बुलाओ!” इतना बोलकर दादा उठ कर खड़े हुए और अवनीश जो दादा जी के बगल वाली चेयर पर बैठा था उसने उनकी तरफ हैरानी से देखते हुए कहा, “दादाजी! पाठक अंकल तो हमारे फैमिली लॉयर है ना, आपने उन्हें क्यों बुलाया है?” दादाजी ने जैसे ही अवनीश की बात सुनी तो उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई वह अपने चेयर से उठकर खड़े हुए और अवनीश की तरफ देखते हुए बोले, “बस थोड़ी देर और रुको अभी सब कुछ पता चल जाएगा।” अवनीश का दिमाग खटक चुका था और उसे इतना तो समझ में आ गया था कि दादाजी जरूर कोई बहुत इंपॉर्टेंट बात करने वाले हैं। दादाजी तुरंत लिविंग एरिया के हॉल में आकर अपनी आराम कुर्सी पर बैठे। तभी लॉयर मिस्टर पाठक भी वहां पर अपने हाथ में पकड़े हुए कुछ फाइल्स को लेकर अंदर आए। सभी लोग दादाजी के आसपास आकर बैठ गए। वही चाचा और चाचा जी के चेहरे की मुस्कुराहट बता रही थी की वह लोग मिस्टर पाठक को देखकर कितने ज्यादा खुश हैं। दादाजी जब वहां पर आराम से बैठे तो अर्जुन भी वही दादाजी के पास ही आकर बैठ गया। दादा जी के मैनेजर अरविंद, दादा जी के पीछे खड़े हुए थे। मिस्टर पाठक दादा जी के पास आकर बोले, ”मिस्टर ओबरॉय! आपने मुझे यहां इतना अर्जेंट बुलाया सब ठीक तो है ना?“ दादा जी ने मिस्टर पाठक की बात का जवाब देते हुए कहा, “हां विकास, सब ठीक है, बस तुम्हें प्रॉपर्टी को लेकर कुछ बात करने के लिए बुलाया था बैठो।” जैसे ही अवनीश ने दादाजी के मुंह से प्रॉपर्टी की बात सुनी उसकी आंखें शॉक्ड से बड़ी हो गई। वही कनिष्का भी हैरानी से दादाजी की तरफ देखने लगी। अर्जुन इन सारी बातों को चुपचाप सुन रहा था लेकिन उसके चेहरे के एक्सप्रेशन बिल्कुल भी चेंज नहीं हुए थे बल्कि वह बस कनिष्का की तरफ ही देखा जा रहा था और पूरी फैमिली के वहां पर मौजूद होने की वजह से कनिष्का उससे अपनी नज़रें चुरा रही थी। To Be Continued क्या लगता है आप लोगों को प्रॉपर्टी की वजह से क्या आएगा कनिष्का और अवनीश के रिश्ते का सच बाहर और क्या अर्जुन को प्रॉपर्टी में इंटरेस्ट है या फिर नहीं और क्या दादाजी प्रॉपर्टी के बराबर हिस्से करने वाले हैं या फिर होने वाला है कुछ तो बड़ा फैमिली मैटर क्या लगता है आप लोगों को बताइए कमेंट में और किसको चाहिए दादाजी की प्रॉपर्टी में से हिस्सा 😂🤭