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My Forbidden Love

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कहते है ज़िंदगी हर किसी को दुबारा मौका देती है चाहे अब वो जिंदगी की हो या खुशियों की .. कुदरत ने एक मौका दिया मायरा को भी जो अपने ही पति की गुलाम थी उसके कहने में खुद को बेच दिया लेकिन उसे दुबारा मौका मिला खुश रहने का कोई अनजाना सा आया जिंदगी में जिस...

Total Chapters (6)

Page 1 of 1

  • 1. My Forbidden Love - Chapter 1

    Words: 1382

    Estimated Reading Time: 9 min

    स्टार होटल.

    रूम में एक रेड Color की डिम लाइट जल रही थी. उसी डिम लाइट में एक लडकी, रेड Color की सेक्सी ड्रेस में, बेड पर बेचैनी से बैठी थी।

    " उसने रेड Color की वन- पीस पहनी हुई थी जो आगे से काफी खुली थी, उसके कंधे साफ दिखाई दे रहे थे, और ड्रेस एक तरफ से खुली होने के कारण उसकी जांघें भी साफ दिख रही थीं. वह बेहद खूबसूरत लग रही थी, ऊपर से उसकी बॉडी एक परफेक्ट फिगर थी- न बहुत पतली, न मोटी, मीडियम।

    " पर खास बात यह थी कि उसके गले में मंगलसूत्र और मांग में सिंदूर भी था, जो इस बात की गवाही दे रहा था कि वह शादीशुदा है।

    " वह डरी- सहमी सी बैठी अपने हाथों को आपस में मसल रही थी. उसके शरीर में हल्की सी कंपकंपी थी, जो देखने से ही पता चल रही थी. पसीने माथे पर बार- बार आ रहे थे, जिन्हें वह बार- बार साफ कर रही थी. वह बुरी तरह घबरा रही थी।

    " वह बेड पर सिर झुकाकर बैठी थी, आंखों में आंसू थे, मन में दर्द था।

    " तभी अचानक एक तेज आवाज के साथ कमरे का गेट खुला और एक आदमी पॉकेट में हाथ डालकर अंदर आया. काली गहरी आँखें, क्लीन शेव, न मूँछें, न दाढी, पूरा क्लीन था, गोरा सा चेहरा, लंबी हाइट, लंबी सी नाक, तीखे नैन- नक्श. कुल मिलाकर वह बेहद हैंडसम था. उसकी पर्सनैलिटी किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं लग रही थी, लेकिन उसका ओरा काफी ठंडा था, जो उसके चेहरे से साफ पता चल रहा था।

    " उस शख्स ने जैसे ही अपने कदम बेड की तरफ लिए, सामने एक लडकी को देखकर उसके कदम वहीं रुक गए. अचानक उसकी काली गहरी आँखें बदलने लगीं, कठोर हो गईं, जिनमें सिर्फ गुस्सा दिखाई दे रहा था. गुस्से में लाल लिए वह सामने बैठी लडकी को देखने लगा।

    " वह आदमी कोई और नहीं, सृजन अत्रे था, जो बिजनेस की दुनिया में एक जाना- माना चेहरा था. ऐसा कोई नहीं था जो सृजन को न जानता हो. लेकिन उसके अंदर एक खास बात थी- आज तक उसने किसी लडकी को हाथ नहीं लगाया था. हाँ, उसके आगे- पीछे लडकियाँ घूमती हैं, मगर वह एक दूरी बनाए रखता था. उसे लगता था कि बिना रिश्ते के किसी लडकी को छूना पाप है. वह सबको सम्मान की नजरों से देखता था, इसीलिए दुनिया उसे और ही चाहती थी. लेकिन दुनिया उसकी तरह नहीं है. लोग जानते हैं कि एक मर्द की कमजोरी खूबसूरत औरत है, और अपना काम बनाने के लिए वह ऐसे हर एक बिजनेस ट्रिप पर लडकियाँ उसके लिए भेजी जाती हैं, जैसे आज भी उसके लिए कोई लडकी भेजी गई थी शादी सुदा"

    " जो कि इस बार मायरा थी, जिसके पति ने खुद अपनी बीबी को किसी और के साथ सोने के लिए भेजा था, जो एक मजबूरी में यहाँ आई थी. दिल में दर्द था, लेकिन उसकी मजबूरी उसे यह सब करने के लिए मजबूर कर रही थी. वह जैसे ही सृजन को अंदर आते देखी, कांपने लगी, लेकिन हिम्मत नहीं हुई सिर उठाकर देखे।

    " वह उसी तरह बैठी रही. सृजन ने उसे ऊपर से लेकर नीचे तक देखा और कदम खिडकी की तरफ बढाया. कुछ देर तक उस कमरे में शांति बनी रही, फिर सृजन ने उस शांति को भंग करते हुए कहा, शादीशुदा होकर ऐसा काम करते हुए शर्म नहीं आ रही? ऐसी भी क्या चाहत जो खुद के बेचनेपर मजबूर कर दे'

    " सृजन ने अपनी कडक आवाज में कहा, उसकी बात मायरा के दिल को भेद गई, लेकिन वह हिम्मत करके सिर ऊपर उठाया और बेड से उतरकर सृजन के पीछे खडी होकर बोली, जब रास्ता न हो, तो यही करना पडता है, साहब कभी कभी ईशान मजबूर हो जाता है"

    " मायरा की आवाज पतली और काफी मीठी थी. एक पल को सृजन की आँखें झिझक गईं. वह पीछे मुडा तो आँखों के सामने मायरा का खूबसूरत चेहरा, उसकी खूबसूरत आँखें जिसमें वह एक पल को खो गया. बडी- बडी काली कजरारी आँखें, छोटी सी नाक, गोल सा चेहरा जो किसी गुलाबी से कम नहीं था. उसके चेहरे को देखकर यह नहीं कहा जा सकता था कि वह पतली है।

    " चेहरे से मोटी और शरीर से पतली थी. सृजन उसकी आँखों में बारी- बारी देख रहा, जहाँ दर्द, मासूमियत और कई सारे इमोशन थे, लेकिन आँखों में दर्द बहुत ज्यादा था. वह उन्हीं आँखों में खोया बोला, रास्ते कई सारे होते हैं, लेकिन मुश्किल पर चलना सबके बस की बात नहीं, यहाँ हिम्मत चाहिए होती है, जो तुम्हारे पास नहीं है ऐसा लगता है।

    " मायरा इस बात पर कुछ नहीं बोली, बस sir नीचे झुका लिया. यह देख सृजन ने सिर ऊपर उठाया तो एक बार फिर मायरा की नजरें ऊपर उठीं, वह सृजन को देखने लगी. तभी सृजन ने कहा, पति के प्रमोशन के लिए यह खुद की कुर्बानी दे रही हो? क्या तुम्हारी आत्मा इसकी गवाही देगी? अगर हाँ, तो मैं तैयार हूँ, लेकिन याद रखना, मैं रुकने वाला नहीं हूँ।

    " सृजन ने गहरी बात कही, जिसे सुनकर मायरा की आँखों से आँसू निकलकर गालों पर आ गए. वह रोना नहीं चाहती थी, लेकिन कोई उसे देखकर समझ ले, ऐसा इंसान वह पहली बार देख रही थी. उसे रोता देखकर सृजन ने हाथ आगे बढाया और उसकी आँखों से आँसू साफ करते हुए बोला, पति की हर बात सिर आँखों पर रखना जरूरी है, लेकिन कभी- कभी गलत का विरोध भी जरूरी होता है. तुम्हें यहाँ बिना मर्जी के भेजा गया है, मैं हाथ नहीं लगा सकता।

    " लेकिन. मायरा कुछ कहने ही वाली थी कि सृजन ने रोकते हुए कहा, यही मेरा आखिरी फैसला है, जा सकती हो।

    " सृजन यह बात कह फिर से मुड गया. मायरा अपने पति कुलदीप के बारे में सोचकर कांप गई, उसकी बातें उसके कानों में गूँजीं, अगर बॉस खुश नहीं हुआ, तो समझ लेना मैं खुश नहीं हुआ, और अगर मैं खुश नहीं हुआ, तो तुम अच्छे से जानती हो, मैं क्या करूँगा।

    " यह याद आते ही मायरा ख्यालों से झटके में बाहर आई. वह खडी बस सोचने लगी कि कैसे वह इस सिचुएशन से निकले. उसे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था, वही सृजन मन में उसकी बेचैनी, घबराहट, उसकी आँखों में हर वह इमोशन देख रहा था जो मायरा की आँखों में था।

    " कुछ देर की चुप्पी के बाद वह मुडकर बोला, तुम यही चाहती हो, तो ठीक है, मैं अपना नियम तोडने के लिए तैयार हूँ. आखिर इतनी खूबसूरत लडकी से कौन दूर भाग सकता है?

    " सृजन ने कहा और एकदम से मायरा की कमर में हाथ डालकर उसे खुद के करीब खींचा, इतना कि दोनों में हवा क्या, रोशनी भी आर- पार नहीं होगी.

    " अगली सुबह मायरा की आँखें खुलीं, तो उसने खुद को बेड पर पाया. वह झटके से उठी और बैठ गई, चारों तरफ देखा- कहीं वह अकेली तो नहीं थी? उसने एक नजर खुद को देखा तो रात के ही कपडे पहने हुए थी. यह सब देखकर मायरा को हल्का सुकून सा मिला. वह बेड से उठने को हुई तभी उसकी नजर बगल में रखे Check पर गई. उसकी आँखें सिकुड गईं. दूसरे पल के लिए उसने Check को हाथ में उठाकर देखा- उसमें दस लाख का अमाउंट लिखा था।

    " दस लाख? सृजन ने दिया था, बताया नहीं, लेकिन मायरा की हंसी छूट गई, खुद के ऊपर या फिर सृजन के ऊपर, जिसने दस लाख उसके ऊपर बर्बाद किए थे।

    " वह अभी उस Check को देख ही रही थी, तभी उसकी नजर बेड के पास में रखे एक लेटर पर गई. वह काँपते हाथों से लेटर उठाकर Check को वहीं रखा और लेटर खोलकर पढने लगी।

    " डियर, तुम्हारा नाम मुझे नहीं पता और न ही मैंने कुछ खैर, ये मेरी तरफ से कुछ पैसे हैं जो तुम्हारे पति का मुँह बंद कर सकता है. बाकी मैं चाहूँगा तुम खुद के लिए लडो और मेरी तरफ से फिक्र मत करना. रात की सच्चाई किसी को नहीं बताऊँगा. बॉय।

    " मायरा को नहीं पता था कल वह जिससे मिली, वह कौन है, कैसा इंसान है, लेकिन हाँ, इस लेटर ने जरूर सृजन का रूप मायरा की नजरों में अच्छा कर दिया. जो मर्द जिस्म के सिर्फ भूखे होते हैं, वही सृजन ने बस उसका साथ दिया, उसने लडने की चाह दी. उस वक्त जब मायरा कमरे से वापस जा रही थी.

    जारी ✍️

  • 2. My Forbidden Love - Chapter 2

    Words: 1001

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब तक.

    Check देख कर ओर सृजन के नोट को पढ कर मायरा रात का सीन सोचने लगी.

    अब आगे.

    " फ्लैशबैक.

    सृजन ने मायरा को जैसे ही करीब खींचा वो फिर से एक बार कांप गई उसके शरीर के हर रोंगटे खडे हो गए उसके आंखो में नमी उतर आई ये देख तिरछी मुस्कान के साथ सृजन ने उसे खुद से एकदम से दूर कर कहा

    खुद को बिना इजाजत के मजबूर मत करो जब दिल गवाही नहीं दे रहा तो खुद को बेच कर कभी खुश नहीं रह पाओगी.

    मायरा सृजन की बात सुन रोने लगी उसे लगा था वो जिसके पास जा रही वो बहुत ही घटिया आदमी होगा उसके साथ क्या करेगा यही सोच उसकी हालत खराब थी लेकिन इस वक्त सृजन को देख उसे ऐसा लगा जैसे वो किसी फरिश्ते को देख रही हो जो उसे बचा रहा है.

    मायरा सृजन के इनकार के बाद जाने लगी, तभी सृजन उसकी तरफ मुडकर बोला, तुम कहाँ जा रही हो? तुम्हें नहीं पता, ऐसे जाने से तुम ही मुसीबत में पडोगी.

    " सृजन की बात सुनकर मायरा तो रुक गई, लेकिन उसकी तरफ ऐसे देखा जैसे उसे कुछ समझ ही नहीं आया हो. सृजन ने कहा, क्या उसकी नजरों को समझ कर सृजन लंबे पैरों से कदम मायरा की तरफ देकर कहा, तुम्हारा पति तुम्हारा सौदा कर चुका है, यही तो वो तुम पर हांथ भी उठा सकता है. यहाँ से गई तो वो किसी और के पास भेज देगा. सब एक जैसे नहीं होते कि वो वहीं देंगे नोच खाएँगे. दुनिया बडी जालिम है इसलिए कह रहा हूँ, रात यहीं रुक जाओ, सुबह चली जाना, बच जाओगी।

    " सृजन की बात सुनकर मायरा हिचकिचाई और बोली, लेकिन आप.

    " मायरा कुछ कहती, उसकी बात बीच में रोककर सृजन ने काफी दमदार आवाज में कहा, मेरी छोडो, अब सोचो और जाके बेड पर सो जाओ, लेकिन हाँ, याद रखना, आँखें खुलनी नहीं चाहिए।

    " सृजन की वो आँखें मायरा को देख रही थीं और उसे अपनी बात मानने के लिए मजबूर कर रही थीं. मायरा कुछ सोचकर मान गई और जाके बेड पर लेट गई, बिना कुछ बोले आँख बंद करके. सृजन ने एक नजर देखा और सोफे पर बैठ गया. उसके चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं था, लेकिन घबराहट मायरा के चेहरे पर अभी भी छिपी हुई थी।

    " ख्यालों से मायरा बाहर आने पर उसने देखा कमरे में सारा सामान बिखरा हुआ था, जो साफ गवाही दे रहा था कि रात में कुछ हुआ है. उसने बेड पर देखा, तो आँखें सिकोड गईं. बेड का पूरा नक्शा बदल गया. बेड इस तरह से बिखरा था जैसे यहां पर सारी रात को कुछ हुआ हो सारे चीज देख कर समझ गई सृजन ने क्यों किया है उसे बचाने के लिए एक अजनबी ने उसकी हेल्प की उसके हांथ होते हुए भी उसे छुआ तक नहीं ऐसे शख्स कैसे दिल में नहीं उतर सकते है सृजन मायरा के दिल में उतर गया.

    " मायरा अब कुछ देर तक शांत बैठी रही फिर Check वही टेबल पर रख कर वॉशरूम में चली गई. कुछ देर बाद टॉवल में वह नहाकर वो बाहर आई. रात के ही कपडे देख वो बडबडाई" कुलदीप कपडे कल का ही देख कर समझ जाएगा मुझे इससे झूठ कहना होगा" मायरा ने सोचा ओर अपना कपडा फाड के वाई फेक दो जमीन पर.

    मायरा सोचने लगी अब वो क्या पहने तभी अचानक उसे कुलदीप की एक बात और याद आई, जब आते वक्त उसने कहा था, किसी चीज की जरूरत हो, मुझे Call कर देना मै आ जाऊंगा"

    " ये याद आते ही मायरा सामने टेबल पर रखा फोन देखी कुलदीप को Call कर के सीधे बोली, मेरे कपडे फट गए हैं, मुझे कपडे चाहिए तुम ला सकते हो।

    " दूसरी तरफ से खुशी से भरी कुलदीप की आवाज आई, मै अभी भेजता हूं बेबी" आखिर खुश क्यों न हो वो जो चाहता था वही हुआ है

    इतना सुनते ही मायरा ने फोन cut कर दिया और बेड से टेक लगाकर बैठ गई. उसकी आँखों में आँसू भर गए. आँखों के सामने एक छोटे से बच्चे का चेहरा घूमने लगा जो भाग रहा था, मायरा उसके पीछे दौड रही थी।

    " इसी ख्याल में थी तभी दरवाजा Knock हुआ. वह बेड से उठ गई, थोडा सा दरवाजा खोला और देखा, एक सर्वेंट थी. उसे देख उसने हाथ बढाया, वह लेडी मायरा के हाथ में उसके कपडे का पॉकेट रख देती है.

    मायरा अंदर आके कपडे पहनती है और बाल बनाकर कमरे से बाहर निकल जाती है. वही वह होटल के बाहर ही आई, तभी सामने उसकी नजर एक आदमी से टकरा गई, जो सिगरेट का कस ले रहा था. गाडी से टेक लगा के खडा था।

    " उसने भी जैसे ही मायरा को बाहर आते देखा, जल्दी से सिगरेट नीचे फेंककर पैरों से मसल दिया और मायरा के पास आया उसने मायरा को लगे से लगा के बोला, तुमने उसे खुश कर दिया न? वो नाराज होके तो नहीं गया जैसा कहने को कहा था वही सबर किया है न तुमने, बोलो कुछ मुझे जानना है रात में क्या हुआ था।

    मायरा से कुलदीप ने एक्साडेंट होके पूछा, लेकिन मायरा जैसे हैरानी से देख रही थी, क्या सच में यह उसका ही पति है, कुलदीप चौधरी? मायरा उस आदमी को एकटक देखने? लगी, लेकिन कुछ नहीं बोली. क्या कहती? ये उसका पति है जो खुद अपने प्रमोशन के किए अपने ही पत्नी को बॉस के साथ सोने के लिए भेज दिया ये तक नहीं सोचा ये कितना बडा पाप है मायरा बिचारी अंदर ही अंदर कलह रही है कुछ कह नहीं पाई क्यों पता नहीं.

    लेकिन जब मायरा ने कोई जवाब नहीं दी इसे देख, कुलगीप ने फिर से कहा, बोल न, क्या हुआ? वो खुश हुआ न? क्या नहीं?

    कुलदीप ने तेज आवाज में पूछा मायरा चिहुंक सी गई उसे लगा नहीं था भरे समाज में उसका ही पति इस तरह से बेचार करेगा. कुलदीप के फोर्स करने पर मायरा कुछ कहने को हुई. वो. मै.

    जारी...

    मायरा क्या करेगी क्या कुलदीप को सच्चाई बता देगी? सृजन क्या सच में इतना अच्छा आदमी है?

  • 3. My Forbidden Love - Chapter 3

    Words: 1038

    Estimated Reading Time: 7 min

    लेकिन जब मायरा ने कोई जवाब नहीं दी इसे देख, कुलगीप ने फिर से कहा, बोल न, क्या हुआ? वो खुश हुआ न? क्या नहीं?कुलदीप ने तेज आवाज में पूछा मायरा चिहुंक सी गई उसे लगा नहीं था भरे समाज में उसका ही पति इस तरह से बेचार करेगा. कुलदीप के फोर्स करने पर मायरा कुछ कहने को हुई. वो. मै.

    अब आगे...

    मायरा कुछ कहने की कोशिश की तभी बीच में कुलदीप ने बात काट के कहा "क्या में में लगा के रखा है बोल न साफ साफ जबान क्या कट गए है तेरे।"

    मायरा थोड़ा घबरा गई तभी कुलदीप ने उसका हांथ दबा के कहा " मै कुछ पूछ रहा हूं सुनाई नहीं दे रहा तुझे क्या बॉस खुश था न तुमने ऐसे से सब किया जैसा उसने कहा था करने को ।

    ""तुम्हे शर्म नहीं आती कुलदीप तुम्हारी बीबी हूं और तुम मुझसे ,,,, आखिर में उसकी बेशर्मी से भरी बात मायरा बर्दाश्त नहीं कर पाई उसका हांथ झटक के बोली

    ""चुप कर ज्यादा डायलॉक मत मार समझी जितना पूछा है बस उसका जवाब दे तू मैं मैं नहीं मेरे से बड़ी आई दो बात प्यार से क्या कर दिया शाली सिर पर चढ़ने लगी बोल न खुश था न अगर मेरा बॉस खुश होके इस बार मेरा प्रमोशन नहीं किया उसकी सजा तुझे मिलेगी मेरी बात याद नहीं है तो याद कर कल क्या बोला था । कुलदीप न धमकी देते हुए कहा

    उसकी बात सुन मायरा के आंखो में फिर से आंसू भर गए वो कुछ नहीं बोली वो अपने जबान खोलने की कीमत जानती है बल्कि  खुद अंदर अपने दर्द को छुपा के बोली " खुश तो लगे थे वो ।

    तुझे कैसे पता कुछ कहा था बॉस ने शाबाशी दी थी " कुलदीप ने फिर से उसके बातो में इंट्रेस्ट लेते हुए कहा लेकिन उसके सवाल से मायरा को ऐसा लग रहा वो किसी जगह जाके छिप जाए उसके लिए ऐसे जवाब देना मुश्किल था ।

    ""नहीं कुछ कहा नही वो तो मुझसे पहले ही चले गए थे बस.... इतना कह के मायरा चुप हुई तो कुलदीप ने उसके हांथ को झटक के कहा " बस क्या आगे बोल ?

    मायरा ने एक नजर देखी फिर बोली " 10 लाख का चेक देके गए है ।

    10 लाख सुन कुलदीप की आंखे बड़ी हो गई अपने जिंदगी में कभी उसने इतने पैसे देखे होंगे मायरा ने जल्दी से कहा ओर नजरे घुमाने लगी उसे पता था इस बारे में कुलदीप पूछेगा ऊपर से वो सृजन का मन में ध्यानवाद दे रही थी उसने अगर नहीं दिया होता तो कुलदीप सक कर के ही मार डालता उसे ।

    कुलदीप मायरा को खुद से दूर कर के बोला " ये हुई न बात अब वो चेक मुझे दे । तू घर जा तेरा तो फर्स्ट टाइम था कमजोरी हुई होगी जा घर पर बोल दिया है तेरे लिए दलिया बना के रखा है जाके आराम से खा ले हां ।

    कुलदीप को हजार गालियां भी देना कम है मायरा वैसे ही कुलदीप को बिना किसी जवाब के जाने लगी ।लेकिन वो दो ही कदम चली थी कुलदीप ने इसके हांथ को पकड़ के रोक लिया मायरा पीछे उसे सवालिया नजरो से देखने लगी तभी कुलदीप ने घूर के कहा

    " तू कम सुनती है क्या? वो चेक तो मुझे देके जा जो बॉस ने तुझे दिया है उसके लिए अलग से कहूं मैं " "

    मायरा ये सुन धीमी आवाज में बोली " वो मेरे पास नहीं है कमरे में ही है ।

    क्या तू लेके नहीं आई अगर वहां से किसी ने ले लिया तो । शाली फिर क्यों कहा ? मार खाना चाहती है मेरे हांथ से " कुलदीप ने दांत पिस के कहा।

    थोड़ा उनसे जोर से बोला आते जाते लोग उसे देख रहे थे ।

    मायरा कुछ नहीं बोली तो कुलदीप ने आसमान के तरफ देख गहरी सांस भरा फिर बोला " शाली क्या जिंदगी में लड़की आई एक नंबर की पागल है शाली कुतिया एक कसर नहीं छोड़ती मेरी खुशियों को आग लगाने से ।

    कुलदीप ने मायरा को गाली दी मगर वो बस सुनरी रही कुछ बोली नहीं। लेकिन ऐसा नहीं दर्द नहीं।हुआ उसे बुरा बहुत लगा मगर उसके जबान खोलने से क्या होगा वो अच्छे से जानती है ।

    कुलदीप गुस्से में मायरा के टर्न कर के उसे समाने के तरफ धक्का देके कहा " चल निकल तू गंदी यहां से मै चेक खुद जाके ले लूंगा तू निकला अपनी सकल मत दिखाना आज ओर घर जाके सारे काम करना समझी । ।

    कुलदीप ने मायरा जो धक्का दिया मायरा लड़खड़ाते हुए आगे बढ़ गई वो खुद होटल के अंदर चला गया उसे जाते हुए मायरा देख रही कुलदीप के आंखो में पैसों की लालच भरा था वो आंखों में आंसू लेके मन में बोली "उफ्फ मेरी भी ये किस्मत एक जगह से निकाल के मुझे दूसरी जगह पटक दिया ।

    वो आंखों के कोने को साफ कर के आगे बढ़ गई लेकिन दूर खड़ी सृजन की गाड़ी जिसमें सृजन बैठा उसे देख रहा था उसने कुलदीप का हर एक एक्शन देखा था मायरा का चुप रहना भी देखा था कैसे वो सब सुन रही थी ।वो सब कुछ देखते हुए सिगरेट के कस ले रहा था ।

    मायरा ऑटो ली ओर वहां से आगे बढ़ गई उधर कमरे में जैसे ही कुलदीप आया बौखलाया चारों तरफ देखने लगा तभी उसकी नजर टेबल के पास में रखे चेक पर गया वो जल्दी से हांथ में लेके देखने लगा 10 लाख देख उसकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा वो उसे चूम लिया और देखते हुए बोला

    " खूबसूरत बीबी को बेचने कर इतने पैसे मिलते फिर तो मै रोज इसे बेच दूं । हा हा ! इतना कह कुलदीप जोर जोर से हंसने लगा । उसे जरा भी शर्म नहीं आई ये कहते हुए वही उसे समझ में आया बॉस उसके खुश हो गया चेक लेके वो डांस करने लगा तभी कुछ देर में उसके फोन की रिंग बजी वो मस्ती में फोन कान से लगाया तभी उसके बॉस की आवाज आई ।

    जिसे सुन कर उसकी सारी खुशी गायब हो गई पल भर में वो चेक पेंट में डाला और कमरे से निकल गया ।

    जारी ✍️

    क्या मायरा का सच पता चल जायेगा ? सृजन क्या करेगा ? क्या होगा मायरा के साथ ?

  • 4. My Forbidden Love - Chapter 4

    Words: 1274

    Estimated Reading Time: 8 min

    बॉस के खुश होने पर चेक लेकर वो डांस करने लगा। तभी कुछ देर में उसके फ़ोन की रिंग बजी। वो मस्ती में फ़ोन कान से लगाया, तभी उसके बॉस की आवाज़ आई। जिसे सुनकर उसकी सारी खुशी गायब हो गई। पल भर में, उसने चेक पेंट में डाला और कमरे से निकल गया।

    अब आगे...

    इधर ऑटो घर के बाहर आकर रुकी। मायरा उससे नीचे उतरी। आगे बढ़ी, तभी उसके पीछे एक कार आकर रुकी, जो किसी और की नहीं, सृजन की थी, मगर वो निकला नहीं। बस कार में बैठा देख रहा था एकटक मायरा को जो धीमे कदमों से चल रही थी, जैसे अंदर जाते हुए उसके पैर काँप रहे हों।

    उसने दरवाजे के पास पहुंच कर बेल बजाई और खड़ी होकर देखने लगी कि गेट खुलेगा । , लेकिन गेट नहीं खुला। कई बार बजाया, फिर भी नहीं खुला। दरवाज़े पर हाथ लगाया, फिर देखा, दरवाज़ा खुला था।


    वो धीरे से खोलकर अंदर गई और अंदर से गेट लॉक कर दी उसने सृजन को नहीं देखा था वहीं मायरा के जाते ही सृजन की गाड़ी वहाँ से आगे बढ़ गई। वो लगातार सिगरेट पी रहा था, अब तक 10 से ज़्यादा सिगरेट वो पी चुका था। आगे बैठे उसके असिस्टेंट से जब रहा नहीं लगा उसने आखिर में कहा,

    "क्या बात है, सर? आप इस लड़की का पीछा और इतने सारे सिगरेट? "

    सृजन ने आखिरी सिगरेट बुझाते हुए खिड़की के बाहर देखा और कहा, "कल मेरे इनकार के बाद मेरे कमरे में ये लड़की कैसे आई? इसका जवाब "

    असिस्टेंट, सृजन के सवाल पर थोड़ा घबरा गया क्योंकि सृजन की आँखें लाल थीं, इस वजह से वो सर झुका लिया । सृजन को पसंद नहीं था उसके कमरे में कही भी कोई लड़की मिले और बिजनेस डील में तो बिल्कुल नहीं फिर भी सृजन के कमरे में। मायरा गई कैसे? वैसे वो जान गया था उसके बारे में वो कौन है क्यों आई है ? लेकिन वो। आई कैसे ये नहीं पता था ?

    इधर मायरा घर के अंदर आई। उस वक़्त कोई नहीं था घर में पूरा लिविंग रूम खाली था उसने नजर उठा के देखी बेल की घंटी का तार निकला था जिसी बेल की आवाज न आए अंदर तभी उसकी शायद आवाज नहीं आई थी । वैसे घर बहुत छोटा था चार कमरे थे छोटा सा लिविंग रूम था किचेन छोटा सा था ।

    वो धीमे कदमों से अपने कमरे के तरफ बड़ी हो लिविंग रूम के पास में ही था तभी हँसने की आवाज़ उसके कान में गई, जो उसकी ननद के कमरे से आ रही थी। वो थोड़ी पास गई, थोड़ा सा गेट खुला था। वो झाँकी, तो उसकी नज़र रंजना पर पड़ी, जो किसी लड़के के साथ थी, बिना कपड़ों के। जहाँ वो ज़ोर-ज़ोर से हँस रही थी। वो लड़का रंजना का चेहरा पकड़ के कहता है, "तुम मुझ पर हँस रही हो?"

    रंजना उसके गाल खींचकर बोली, "नहीं, मैं तो...

    तो क्या ? लड़का खींज के बोला

    " तुम तो मेरी मम्मी के नाम पर डर गए।" रंजना हंस के बोली ।

    "मम्मी के नाम पर कौन न डरे? तुम्हारी मम्मी को मैंने देखा है, कितनी ख़तरनाक है। अब तुम मैं यहाँ ऐसे हैं, अगर देख लिया तो क्या हाल करेगी? मेरा मार डालेगी मुझे " कहते हुए लड़के ने रंजना को खुद के ऊपर बैठा लिया।

    "अरे, तुम घबराओ मत, मम्मी पापा शादी में गए हैं, आज रात तो नहीं आएँगे, बाक़ी भाई शाम को आएँगे, ऑफिस से। तब तक तो हम मजे कर सकते हैं और इसीलिए तो मैंने तुम्हें सुबह बुलाया है। इतना घबराओ मत, मैं हूँ न कोई होता तो मैं खुद नहीं भूलती तुम्हे " रंजना उसके तरफ झुक के बोली लड़के का हांथ अपनी मनमानी कर रहा था ।

    "और तुम्हारी भाभी वो तो है न? इस घर में उन्होंने देख लिया तो " लड़ने ने कहा

    भाभी के नाम पर रंजना का चेहरा बिगड़ गया। वो मुंह बना के बोली, "वो पागल है उसके होने न होने से कोई मतलब नहीं है ।और अगर देख भी लिया फिर भी कुछ नहीं कहेगी, न किसी को बताएगी। उसकी फ़िकर मत करो, घर की दीवार की तरह वो है, और कुछ नहीं।"

    ", क्या वो तो..." लड़का कुछ कहना चाहा तो बीच में रंजना बोली

    "तू ज़्यादा सवाल पर मत न , जितना कहा, उतना सुन। अगर तुझे नहीं करना है, तो जा, मैं किसी और को बुला लूँगी। मेरा बना बनाया मूड ख़राब मत कर।" रंजना मायरा के नाम पर चीड़ के बोली ।

    "अरे, नहीं बेबी, मैं तो बस पूछ रहा था। लेकिन तुम्हें नहीं पसंद, तो नहीं करूँगा।" इतना कह के लड़के ने रंजना को बेड पर कर दिया, खुद उसके ऊपर आ गया।

    कुछ ही पल में पूरे कमरे में रंजना के कराहने की आवाज़ गूँज गई। मायरा सब सुन रही थी , और देख भी रही थी , लेकिन न कुछ बोली, न ऐसा दिखाया।


    वो जानती है उसे देख कर ऐसा लगा जैसे उसने न कुछ देखा न सुना है , बस धीमे कदमों से कमरे में आई, थकी अपने बेड पर लेट गई।उसके दिमाग में अब तक बस सृजन की बात कुलदीप का व्यवहार ही गूंज रहा था ।

    अभी कुछ ही देर हुआ था, तभी विलींग रूम से कुलदीप के चिल्लाने की आवाज़ आई। आवाज़ इतनी ज़ोर की थी कि मायरा डर से कांप गई फौरन वो कमरे के बाहर की तरफ भागी वही रंजना ओर वो लड़का जल्दी से एक दूसरे से अलग होकर दरवाज़े के पीछे नग्न छुप गए, जिससे उनके भाई देख न सकें।

    मायरा जैसे ही बाहर आई, देखा कुलदीप गुस्से से लाल उसे घूर रहा। मायरा अंदर से काँप रही थी उसे हुआ क्या? कल रात के बारे में कुलदीप को पता तो नहीं चल गया। लेकिन कैसे? वो यही सोच रही थी। वो जानती है कुलदीप का गुस्सा वो उसके साथ क्या करता है ?

    कुलदीप मायरा को देख बढ़ते क़दम के साथ गुस्से में दाँत पीसकर बोला, "शाली तूने मुझे चू@ समझ के रखा है अब तू मेरे से चालाकी करेगी? आज तेरी सारी चालाकी मैं निकालता हूँ जो किया न तूने उसकी सजा ऐसी भयानक दूंगा तू भूल नहीं पाएगी ।

    जहाँ कुलदीप क़दम आगे ले रहा था, मायरा डर से पीछे ले रही थी।

    इधर सर झुका के असिस्टेंट ने जवाब दिया, "सॉरी सर, जिस लड़की के बारे में हमें ख़बर मिली, उसे तो हमने नहीं जाने दिया लेकिन जो आपके कमरे में थी, वो शायद आपके कमरे में गलती से आई थी।"

    सृजन ने इसका कोई जवाब नहीं दिया, बल्कि कहा, "जितना तुमने बताया, उसके अलावा, उसके बारे में कुछ ख़ास बात है ?" असिस्टेंट ने ना में सर हिलाया ।

    असल में रात में मायरा को देखते ही, जब सृजन ने अपने असिस्टेंट को फ़ोन करके पूछा, तभी मायरा की सारी कुंडली निकाल के सृजन के सामने असिस्टेंट ने रख दिया। वो कहा रहती है कौन कौन उसके परिवार में है वो शादी सुदा है ।

    लेकिन गड़बड़ ये हुई, मायरा को जाना दूसरे कमरे में था, लेकिन वो सृजन के कमरे में आई। शायद उसकी किस्मत अच्छी थी, वहीं सृजन को लगा वो जान बूझ कर उसके पास आई हैं। ऊपर से ये जानकर उसे थोड़ा गुस्सा आया था। वो कैसे किसी के कहने पर खुद को एक रात के लिए बेच सकती है? क्या उसकी कोई सेल्फ रिस्पेक्ट नहीं है ।
    ये सब सोच के उसकी मुट्ठी कस गई थीं।

    इधर कुलदीप गुस्से में आगे बढ़ के मायरा का बाल पीछे से पकड़ लिया मायरा की चीख निकल गई । दर्द से आंखों में आंसू भर गए।

    जारी ✍️

    क्या होगा आगे ? क्या मायरा के साथ कुछ गलत होगा ? कुलदीप को सच्चाई कैसे पता चली ? सृजन को मायरा अच्छी लगी या खराब ?

  • 5. My Forbidden Love - Chapter 5

    Words: 1243

    Estimated Reading Time: 8 min

    उसकी कोई सेल्फ रिस्पेक्ट नहीं है? ये सब सोचकर उसकी मुट्ठी कस गई थीं। इधर कुलदीप गुस्से में आगे बढ़ा और मायरा का बाल पीछे से पकड़ लिया। मायरा की चीख निकल गई। दर्द से आंखों में आंसू भर गए।

    अब आगे...

    "कुलदीप, दर्द हो रहा है!" मायरा, कुलदीप का हाथ छुड़ाते हुए  तड़प के बोली । क्योंकि  कुलदीप के पकड़ने से सच में  उसे काफी दर्द हो  रहा था ।

    तभी कुलदीप ने दांत पीसकर कहा, "अभी तो शुरुआत है, साली! आज तेरी हड्डियां न तोड़ दीं, तो कहना।"

    "लेकिन मैंने क्या किया है?" मायरा रोते हुए बोली उसके आंखो से झर झर आंसू निकलने लगे ।

    "तूने वो किया, जो नहीं करना चाहिए था," कुलदीप बोला और मायरा को घसीटते हुए कमरे की ओर ले जाने लगा।

    वही रंजना के कमरे से बस दोनों की पीठ दिखाई दे रही थी रंजना ने दोनों को जाते हुए देखा फिर लिविंग रूम की तरफ  जब  कोई नहीं दिखा वो लड़के से  जल्दी में बोली, "जल्दी से कपड़े पहन और निकल, भाई के कमरे से बाहर निकलने से पहले।"

    लेकिन लड़का सदमे में था। कुलदीप के व्यवहार को देखकर वो  किस तरह से मायरा से बात कर रहा था उसने कपड़े कहते हुए रंजना से कहा, "तुम्हारा भाई गलत नहीं कर रहा है तुम्हारी भाभी कितनी प्यारी ।"

    "हे क्या प्यारी-प्यारी लगा रखा है? हां  ज़्यादा सवाल नहीं, जल्दी पहन कर निकल यहां से। तू दुबारा बुलाने के लायक भी नहीं, है वैसे भी कुछ नहीं आता करने तुझे, चल जा यह से " रंजना लड़के को झिझकारते हुए बोली ।

    रंजना अपने बाल सही करते हुए झुंझलाकर बोली। लड़का कुछ नहीं बोल पाया, बस उसे मायरा की आवाज रोने की सुनाई दे रही थी। अब कमरा इतना दूर था नहीं कि न सुनाई दे।

    पास में ही था और सुनाई दे रहा था उसे मायरा कर तरस आ रही थी ये बात तो पूरे मुहल्ले में फैली थी कुलदीप अपनी पत्नी को मारता है मगर आज तक  कोई कुछ  कर नहीं पाया वैसे भी ये लड़का इसी मुहल्ले का था ।

    रंजना ने फिर से बाहर देखा लड़के को धीरे से गेट खोला और बाहर निकाला। जाते हुए लड़के से बोली " अगली बार से दिखना मत यहां। लड़के ने मन में गाली दी और चला गया ।

    रंजना अंदर से गेट बंद कर खुद से बोली " शाला मजा नहीं आया आज।  कहते हुए लिविंग रूम में टीवी ऑन करके बैठ गई, साथ में झनझना रही थी, "कमीनि, एक काम सही नहीं, करती। उसके चक्कर में आज भाई भी जल्दी आ गए। मेरा अरमान अधूरे रह गया। हाय, मै रात को सोऊंगी कैसे? मेरी तड़प, लगता है आज दोस्त के घर झूठ बोलकर जाना ही बोला उससे पहले इस चुड़ैल का दिमाग में मम्मी से ठीक करवाऊंगी "

    मुंह में  रिमोट डाल  कर वो बड़बड़ा रही थी। मायरा को गाली दे रही थी  भाई कम था जो अपनी मम्मी से अभी शिकायत करना उसका बाकी था ।

    इधर रोते हुए मायरा हाथ छोड़ के कुलदीप के आगे भीख मांगकर कहती है, "प्लीज़ कुलदीप, माफ़ कर दो , मैने कुछ झूठ नहीं कहा, सच कहा था।"

    कुलदीप पेंट का ब्लेड निकालते हुए बोला, "अच्छा, सच बोला था, साली? अभी भी तेरा मुंह नहीं खुल रहा है? मुझे नकली चेक देकर तू कह रही है बॉस ने दिया, जिससे मुझे पता न चले।"

    कुलदीप की बात सुन के मायरा चौक गई उसे तो नकली नहीं लगा था फिर ,,,वो नकारते हुए बोली "नहीं, वो सच था, नकली नहीं है।"

    "अच्छा, तो मेरा बॉस झूठ कहेगा? मैंने उसके साथ एक रात बिताने को कहा, तू उसके कमरे में तक नहीं गई थी अब क्या ये भी झूठ है ।" कुलदीप ने कहा। मायरा सुन्न हो गई, फिर दूसरे ही पल बोली, "नहीं, मैं गई थी, तुम्हारे बॉस ही थे जिन्होंने मुझे चेक दिए, कुलदीप, मेरा यकीन करो, मुझे नहीं पता वो झूठ क्यों कह रहे थे लेकिन मैं झूठ नहीं नहीं कह रही हूं कुलदीप।"

    "वो झूठ नहीं, तू झूठ कह रही है।  कुलदीप चिल्लाया

    नहीं, मैं सच कह रही हूं, अपने भाई की कसम, मैं गई थी ।" कुलदीप ने हाथ उठाया, मायरा ने उसी वक्त अपने भाई की कसम खाई तो उसके हाथ रुक गए। वो जानता है मायरा अपने भाई की कसम झूठा कभी नहीं खाएगी अगर इस दुनिया में कोई है तो वो उसका भाई है और कोई नही ।

    इसे रुकते देख मायरा  सुबक के बोली, "मैं सच ...में सच ...कह रही हूं, तुम जाकर चाहे पता कर लो, कुलदीप, तुम्हारे बॉस ही थे मैं उनके साथ थी ।

    कुलदीप की आंखें सिकुड़ गईं। वो घूर कर  सोचने लगा फिर कहा, "उसका मतलब साली, तू किसी और के साथ राज़ गुजार के आई? मुझे  पता था कुछ तो गड़बड़  करेगी तू शाली एक नंबर की पागल बेवकूफ़ !  मैंने कहा था रूम फर्स्ट फ़्लोर पर है , और तू सेकेंड पर गई? मुझे खुद तुझे छोड़ना चाहिए था, लेकिन  मैने सोचा शायद आज कुछ अच्छा कर दे तू मगर तेरे से उम्मीद करना ही बेकार था तू मार खाने के लायक ही है पागल औरत ।

    कुलदीप ने नफरत दांत पिस के कहा वही जैसे ही मायरा न सूना, एक झटक, मायरा को लगा क्या वो जिसके साथ रही वो कोई और था, लेकिन ये कैसे हो सकता है? फिर उसके बारे में उसे कैसे पता वो शादी सुदा है। मायरा सोचने लगी "

    तभी कुलदीप चेक निकालकर मायरा के मुंह पर मारा और बोला, "देख, इसमें और बता किस अत्रे के साथ रह के आई है?" इसमें नाम नहीं, सरनेम लिखा है कौन है ये ।

    मायरा चेक उठाकर देखी  इसमें मिस्टर अत्रे लिखा था, नाम नहीं। वो बस चेक को घूरने लगी, तभी कुलदीप ने उसके बाल से पकड़कर बेड पर फेंका,और बोला  " मुझे  खुद ही देखना होगा तुझे "

    मायरा की चीख ज़ोरों से निकल गई हांथ से चेक छूट गया वो डर से कुलदीप को देखने लगी और पीछे जाती जा रही थी ।

    कुलदीप न पैर पकड़ के अपनी तरफ खींच लिया तभी मायरा कुछ समझती, कुलदीप ने पकड़कर उसके कपड़े झटके में फाड़ दिया। मायरा खुद को बचा नहीं पाई, वो कुलदीप के सामने बिना कपड़ों के हो गई।

    मगर हांथ से छुपाने की पूरी कोशिश कर रही ये देख कुलदीप ने हांथ पकड़ लिया कुलदीप गहरी निगाहों से उसकी बॉडी को देखकर बोला, "तू किसी के साथ राज़ गुजार के नहीं आई है। तेरे  बॉडी पर कोई  निशान क्यों नहीं है? अगर तूने राज गुजारी होती निशान  होते ।तूने मुझे बेवकूफ समझ के रखा मेरी बात नहीं सुनी अकेले कमरे में रही बाद में मुझे चेक देके मेरा मुंह बंद करना चाहा सोचा मुझे सच पता नहीं चलेगा हां "

    कुलदीप के सवाल से मायरा का होश उड़ चुका था, उसके पास जवाब नहीं था जहा कुलदीप को लगता है मायरा अकेले कमरे थी ये काम न करना पड़े  इस लिए लेकिन वही मायरा जानती है वो किसी के साथ थी जिसने उसे हांथ  तक नहीं लगाया । मायरा ये बात कह भी नहीं पा रही थी ।

    वही  दोनो की आवाज सुन के रंजना ने टीवी की आवाज़ और बढ़ाकर कहा, "ये साली कितना चिल्लाती है, मेरे भाई जैसा प्यार करने वाला मिला  है और ये चिल्ला रही।"

    रंजना ने  बेहद नफ़रत से कहा ओर मुंह  बनाकर टीवी देखते हुए चिप्स खाने लगी। इधर मायरा की आंख बडी हो गई कुलदीप के हांथ में बेल्ट देख कर ।

    जारी ✍️

    क्या होगा आगे ? मायरा क्या खुद को बचा जाएगी ? क्या वो सच बताता देगी सृजना के बारे में ?

  • 6. My Forbidden Love - Chapter 6

    Words: 1047

    Estimated Reading Time: 7 min

    वही  दोनो की आवाज सुन के रंजना ने टीवी की आवाज़ और बढ़ाकर कहा, "ये साली कितना चिल्लाती है, मेरे भाई जैसा प्यार करने वाला मिला  है और ये चिल्ला रही।" रंजना ने  बेहद नफ़रत से कहा ओर मुंह  बनाकर टीवी देखते हुए चिप्स खाने लगी। इधर मायरा की आंख बडी हो गई कुलदीप के हांथ में बेल्ट देख कर ।

    अब आगे ...

    कुलदीप मेरी बात सुनो मैं सच कह रही हूं इस बारे में मुझे कुछ नहीं पता तुमने जहां कहा था मै वही गई थी कौन था मुझे नहीं पता मै न इस चेक के बारे में कुछ जानती हो मेरे उठने से पहले वो चले गए थे जो भी था कुलदीप.. आह... आह....

    कहते कहते मायरा के। मुंह से हीर डर चीख निकल गई जब लगा तार दो बेल्ट उसक पीठ।ओर लगी कुलदीप न गुस्से नफरत से भर के खींच के बेल्ट मारा मायरा को उसके दर्द से तड़पने की आवाज ओर कमरे में। गूंजने लगी।

    कुलदीप एक बार शुरू हो जाता है वो रुकता नहीं है उसने लगा दर मारने लगा मायरा को मायरा बार बार कहती रही मगर उन एक नहीं सुनी बिना कपड़ों में। मायरा इसके शरीर पर बेल्ट पड़ने लगा वो दर्द से तड़प रही भीख मांग रही रुकने का लेकिन नहीं वो नहीं रुक रहा वो तब तक इसे करता रहा जब तक मायरा बेहोश नहीं हो गई ।

    कुलदीप मदीने से भीग गया बेल्ट जोर से दूसरी तरफ फेक मायरा सिकोड़ कर बेहोश होके पड़ी थी ।

    शाली इतनी जल्दी बेहोश हो गई कोई बात नहीं तू मर भी जाए तो आकी तुझे न छोड़ूं आखिर तेरे पैसे दिए है तेरे बाप के वसूल तो करना होगा " इतना कह वाई सोफे के पास गया और पानी का ग्लास उठा के एक ग्लास पानी एक बार में पी गया और खुद के पैर शर्ट को निकल दिया।

    वही मायरा को नहीं पता अब उसने साथ क्या होने वाला है ओ बेहोश थी कुलदीप न डरे कपड़े निकल दिए मायरा जहां थी वही पर उसके पैर से पकड़ के बेड के पास खींच किया एक बार फिर पहली रात ई तरह उसक साथ वही सब हुआ जिसकी कल्पना एक औरत कभी नहीं कर सकती बेहोश मायरा किन उसकी मरजी के। घंटी कुलदीप खेलता रहा उसका रेप किया।"

    जब पूरी तरफ संतुष्ट हो गया तब जेके मायरा को उसने छोड़ा उसे उसी हालत में छोड़ के वो वॉशरूम में चला गया मायरा बेहोश कटे पितृ से पड़ी थी उसके गिरे बदल पर काले निशान पड़ गए थे सिर्फ बेल्ट के नहीं उसक काटने के भी निशान थे होंठो कर काटने के निशान थे होंठो कर जोर डर उसके पकड़ के उंगलियों के निशान थे वो नग्न शरीर कर धब्बे लिए सीधे लास की तरह लेती थी कुलदीप कुछ देर में। नहा।के बाहर आया और।एक नर भी मायरा।को नहीं डी खा न उसकी। हालत।के।अपने कपड़े बदले उसके बाद कमरे से निकल गया ।

    मायरा उसी तरह पड़ी रही सुबह से शाम हो गई 6 बज रहे उसे जाके होश आया लेकिन होश आते ही वो कराह उठी हिल तक नहीं पा रही थी पैर टांगलिया नहीं हिल रह बस आंखों के कोने s अंश निकल रहा वो ठंड से रो तक नहीं पा रही मगर तभी उसके कानो में कुलदीप के बाते गई मैंने तुझे खरीदा है ये सुन वो जोर जोर के। रोने। कही ।
    काफी देर तक रोते आही रोते रोए अचानक से थम गई आंसू पन बार में बंद हो गया वो किसी उठाने की तरह छत को गुने कही।

    उसक दिमाग न कुछ नहीं बस कुलदीप के मारने का सीन चलने लगा काफी देर तक वो पड़ी रही जब 7 बजे वो हिम्मत कर के उठी उसी तरह फिर वॉशरूम में जाके नहाई एक फुल स्विल्व का सूट पहन के बाहर आई बड़े धीमे कदम चल रहे उसके। पेड़ में। बहुत दर्द हो रहा था उसे।।

    वो किचेन के तरफ जाके नहीं सुबह से कुछ खाया नहीं था कमजोरी उसके आंखो न दुख रही थी वो किचेन न जाती फभि किचेन से तमतमाते हुए उसकी सांस बाहर आई समाने मायरा को देख चिल्लाई "अब्बी तक तूने बर्तन साफ नहीं किए सुबह से कर क्या रही थी खाना कब बनेगा तुझे पता है न टाइम कर मुझे खाना चक्र दवाई खानी है ।"

    मायरा जो खुद दर्द में थी वो सिर झुका ली कुछ नहीं बोली ये देख उसकी सांस ओर गुस्से में उसके पास आके बोली " ऐसे मुंह में दही क्यू जमा रही बता न क्यों काम नहीं हुआ ?

    मायरा कुछ कहती रंजना।ने आके कहा "मैडम सो रही थी मै गई तो बुलाने घोड़े बी च के सो रही थी भाई ने भी कुछ नहीं खाया ऐसे ही सुबह सुबह चले गए ।""

    रंजना ने साफ झूठ कहा कुलदीप के जाने के बाद वो गई थी मायरा को देखने उसे बेहोश देख वो वापस आ गई थी और सच कहूं उसने साफ जानती है मायरा के साथ क्या हुआ उसके शरीर आर कितन निशान हाई ओ सब जानती है सब देख पाने। आंखो से लेकिन वो साफ झूठ कह रही मायरा ने हैरानी से देख एक लड़की होके उसकी हेल्प नहीं की ओर उसे ही गलत ठहरा रही है ।

    रंजना। न। मायरा।को देखते ही अपनी नज़रे फेर।की तभी मायरा की सांस के। मायरा।के गाल को दबोचते हुए कहा "डुगर क्या देख रही है मै सवाल कर रही वो बता। रही है अगर मेरी बेटी ईश घर न नहीं होती तो तू महारानी की तरह पड़ी रहे " सारा काम हमें कारण ओड ।

    इतना कह वो मायरा को झटके में छोड़ दी मायरा फर्श पर गिर गई आखिर इसके अंदर अर्जी थी भी कहा न चाहते हुए नको से ना निकल गए तभी उसकी सांस न धमकी देते हुए अजहा "9 बजे तक सारा काम ओर खाना टेबल कर कह।जाना चाहिए वरना आज तेरी खैर नहीं कुलदीप के आने के बताऊंगी कैसा राज चल रहा है आने के बाद वो तोड़ेगा बहुत अकड़ आ रहा है तेरे अंदर देख रही हूं

    इतना कह के वो वही है राजन ने मुस्कान के सतह देख मायराका पैर अपने परियों से करते हुए चली गई मायरा न दर्द से होंठ भींच लिया आंखों से फिर से आंसू निकल गए ।

    वो किचेन m gai himmat kar ke देखी बरतन के सतह साथ सब कुछ बिहार हुआ था उसके मुंह से ठंडी आह निकल गई ।

    जारी"