रिया के दुल्हे ने किसी ओर लड़की के लिए शादी रद्द कर दी। गुस्से में आकर उस ने किसी अनजान आदमी को पकड़ लिया और कहा, " चलो शादी कर लेते हैं! " उसने बहुत जल्दी में यह कदम उठा लिया था, उसे बहुत देर से एहसास हुआ कि उसका नया पती नाकामयाब आदमी है। सब लोग... रिया के दुल्हे ने किसी ओर लड़की के लिए शादी रद्द कर दी। गुस्से में आकर उस ने किसी अनजान आदमी को पकड़ लिया और कहा, " चलो शादी कर लेते हैं! " उसने बहुत जल्दी में यह कदम उठा लिया था, उसे बहुत देर से एहसास हुआ कि उसका नया पती नाकामयाब आदमी है। सब लोग उस पर हँसे, यहाँ तक कि उसका भगोड़ा दुल्हा भी सुलह करने की पेशकश करने लगा । लेकिन रिया ने कहा मैं और मेरे पति बहुत प्यार में है । सबके लगा कि वो भ्रम में है। फिर पता चला कि उसक पति दुनिया क सबसे अमीर आदमी है।
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" विवान, शादी शुरू होने वाली है तुम ऐसे ही नहीं जा सकते ! " एक बेदाग सफेद गाउन पहने रिया ने विवान की बांह पकड़ते हुए कहा, उसकी आवाज में घबराहट थी।
आज उनका शादी का दिन था।
फिर भी जैसे ही समारोह शुरू होने वाला था, विवान ने एक टेक्स्ट संदेश पढ़ा, भीड़ की ओर मुड़ा, और घोषणा कर दी कि शादी रद्द कर दी गई है।
आवाज में बेचैनी भरकर कहने लगा सारा को बहुत चोट लगी है। वे अस्पताल में अकेली है, और बहुत डरी हुई होगी। मुझे उसके पास जाना होगा।
रिया के चेहरे का रंग उड़ गया।
सारा विवान की बचपन की प्रेमिका थी।
रिया ने पाँच साल तक विवान को डेट किया था। और पाँच सालों तक, जब भी वो उसके साथ बाहर जाती, अगर सारा को उसकी ज़रा भी जरूरत होती, विवान रिया को पीछे छोड़ देता।
वो हमेशा इस बात पर ज़ोर देता सारा उसके लिए बहन की तरह है और हमेशा रिया को ही समझने के लिए कहता। वो हमेशा ही ऐसा करता।
लेकिन आज उनकी शादी का दिन था।
रिया ने कहा, "आज तुम शादी छोड़ कर नहीं जा सकते। शादी तुम्हारे बिना नहीं हो सकती। चाहे कुछ भी हो, तुम्हें आज रुकना होगा। प्लीज, मैं तुमसे विनती करती हूँ।"
लेकिन उसका धैर्य जवाब दे गया। "बस! स्वार्थी और नासमझी बंद करो। हम शादी कभी भी दोबारा कर सकते है। लेकिन अभी सारा दुखी है।" इससे पहले कि कुछ और कह पाती, वह उसे धक्का देकर आगे निकल गया।
रिया लड़खड़ा गयी और फर्श पर गिर गई, और देख रही थी वो दरवाजे से गायब हो गया। अगले ही पल उसका फोन बज उठा।
बिना सोचे समझे उस ने उत्तर दिया, तो दूसरी तरफ एक लड़की की आवाज सुनाई दी। "रिया, आज विवान के साथ तुम्हारा बड़ा दिन है, है न?" "क्या तुम्हें वो तोहफा पसंद आया जो मैंने भेजा?" "सारा, तुमने ये जानबूझकर किया है, न!"
"ठीक है तुम क्या कर सकती हो, मैं तुम्हें याद दिलाना चाहती हूँ विवान के दिल में हमेशा मैं रहूंगी।"
सारा के लहज़े से अहंकार झलक रहा था। "मुझे यकीन है, तुमने योजना बनाने में महीनों लगाए होंगे, है न? कितनी शर्म की बात है.. सारी मेहनत और सपने धरे के धरे रह गए। सच कहूँ तो, मुझे तुम्हारे लिए बुरा लग रहा है।"
रिया ने अपने गाउन की तरफ देखा, और पहली बार, उसने पिछले 5 सालों को देखा, वास्तव में क्या थे - एक मजाक।
वह अनाथ थी, इसलिए वो एक परिवार के लिए, एक ऐसे प्यार के लिए बेचैन थी जिसे वो अपना कह सके। जो विवान उसे वो कभी नहीं देने वाला था।
अब समय आ गया है कि किसी ऐसी चीज के लिए भीख मांगना बंद कर दे जो कभी उसकी नहीं होगी।
उसके होंठों से एक हंसी निकली, "आगे मत बोलो सारा, शादी अभी भी हो रही है।"
सारा की आवाज तुरंत बदल गयी। "पागल हो क्या? विवान दूल्हा है। वो तो वहाँ है ही नहीं। उसके बिना शादी कैसे करूँ गी?"
रिया के होठों पर हल्की हंसी आ गई। किसने कहा कि दूल्हा विवान ही होगा?
अगर वो इतनी आसानी से जा सकता है, तो वो किसी और को ढूंढ लेगी - कोई ऐसा जो सच में उसके साथ खड़ा रहने का हकदार हो।
उसकी आवाज तेज़ थी। “एक एहसान करो, सारा - विवान तक एक संदेश पहुँचा दो। उससे कहो कि अब मुझे उसकी जरूरत नही है। वो मेरे एक पल के लायक भी नही है। और क्योंकि तुम उसे पाने के लिए बड़ी बेताब हो, एक बेशर्म आदमी और एक बेशर्म औरत क्या ही बढ़िया जोड़ी है। शुभकामनाएँ।"
सारा की आवाज गुस्से से तेज हो गई। “रिया, मैं तुम्हें चेतावनी दे रहीं हूँ। अपनी किस्मत को मत आज़माना”
लेकिन इससे पहले की वो बात पूरी कर पाती रिया ने कॉल काट दी। शादी तीस मिनट में शुरू होने वाली थी। उसे जल्दी नया दूल्हा ढूंढना था।
अपनी कपड़े का किनारा उठा कर वो बाहर भागी। उसे हैरानी हुई कि बाहर सारा काले सूट पहने आदमियों से भरा पड़ा है, वो किसी को ढूंढ रहे थे।
उनके बीच दूल्हे के सूट में एक आदमी व्हीलचेयर पर बैठा था। वो अपने बॉडीगार्ड से बात कर रहा था। “समारोह शुरू होने वाला है, क्या तुम्हें वो मिल गई?”
बॉडीगार्ड झिझका, उसके चेहरे पर तनाव था। “सर हमने पूरी तलाशी ली पर हमें मैडम नहीं मिली, लगता है वो भाग चुकी है...”
“भाग गई?” उस आदमी की आवाज गहरी थी, लेकिन नज़रें ठंडी, वो बेरहम लग रहा था। “अगर शादी समय पर नहीं हुई, तो तुम जानते हो इसका क्या मतलब है।”
रिया ने ये सुना, और एक पल में वो समझ गई कि इस आदमी की भी दुल्हन भाग गई है।
बिना किसी हिचकिचाहट के, वो उसके पास गई, बॉडीगार्ड ने उसे रोका, “मैडम आप क्या कर रही है।”
व्हीलचेयर पर बैठे आदमी ने अपना ध्यान उसकी ओर लगाया, वो रिया की तरफ गहरी आँखों से देख रहा था।
लेकिन रिया टस से मस नही हुई। उसने सीधा उसकी नज़रों से नज़र मिलाई। “सर, मैंने सुना है कि आपकी दुल्हन भाग गई है। अगर ऐसा है, तो मुझे उसकी जगह लेने दीजिये। मैं आपकी दुल्हन बनूंगी।”
रिया के शब्दों पर वो आदमी उसकी तरफ घूर कर देखने लगा। “मैडम, क्या आपको इस बात पर यकीन है? मैं विकलांग हूँ। अगर आप मुझसे शादी करूँगी, तो देर -सवेर आपको पछताना पड़ेगा।”
रिया ने उसको सीधे जवाब नहीं दिया। बल्कि उसने पूछा, “क्या तुम कभी किसी दूसरी औरत के लिए अपनी पत्नी को छोड़ दोगे?”
“बिल्कुल नहीं,” उसने बिना कोई देरी किये उत्तर दिया।
“तो मुझे भी इसका कोई अफ़सोस नहीं होगा”, रिया ने अपना इरादा अटल रखते हुए कहा। “अगर तुम राज़ी हो, तो मैं तुमसे शादी करूँगी।” उसकी आँखों में ईमानदारी देखकर उसके पास मना करने का कोई कारण नही था । धीरे से सोच समझ कर सिर हिलाते हूऐ उसनें कहा “ठीक है ,चलो कर लेते है शादी ।”
और बस इसी तरह रिया की शादी जो रद्द होने वाली थी - योजना के अनुसार आगे बढी।
पुजारी को साक्षी मानकर उन्हो ने वचन लिए।।
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चर्च से बाहर आते ही उसे अजीब सा अहसास हुआ।
उसने अभी अभी एक ऐसे आदमी से शादी की जो अजनबी है। अपने पति की व्हीलचेयर को सीढ़ियों से नीचे धकेलते हुए उसे अचानक याद आया । “वैसे, मुझे तुम्हारा नाम भी नही पता । ”
“ आरव रायजादा ”, उसने शांत आवाज में कहा।
रिया की आखें बड़ी हो गई। “तुम आरव रायजादा हो ? रायजादा परिवार के सबसे बड़े बेटे ?
आरव ने उसके चेहरे पर हैरानी देखी ओर हँसा , उसकी हँसी में मजाक था।
“क्या बात है? अब जब तुम्हे पता चला कि तुम ने नाकाम याब आदमी से शादी की है जिसे सब नाकामयाब समझ ते है , तो तुमे अब पछतावा हो रहा है? ”
रायजादा परिवार के सबसे बड़े बेटे की कहानी पुरे शहर में मशहूर थी। उसकी माँ की उसे जन्म देते समय मौत हो गई थी ओर उसके पिता ने दुसरी शादी कर ली थे। बाद में, एक कार दुर्घटना में आरव को लकवा मार गया , जिससे वो एक असफल व्यक्ति बन गया।
जब उसकी सौतेली माँ ने एक बेटे को जन्म दिया , तो उसे रायजादा परिवार में अनदेखा किया जाने लगा। उसकी दादी अंबिका रायजादा ने उसका साथ दिया ओर उसकी रक्षा की थी।
आरव की नजर में कोई भी समझदार लड़की उसके जैसे आदमी से शादी करने को तैयार नहीं होगी, जब तक की उसे पैसे की चाह ना हो । वह सिर्फ विकलांग ही नहीं वह रायजादा परिवार का बेकार बेटा था।
उसे पुरा यकीन था रिया अपना मन बदले गी । वो उसके चेहरे पर पछतावा देखने के लिए तैयार था।
हालांकि, उसे जे देखकर हैरानी हुई कि वो उसकी तरफ दया जा तिरस्कार से नहीं देख रही रही थी।
उसने आगे बढ़ कर उसका हाथ थाम लिया । “मैनें तुमे पहले ही बता दिया है। एक बार मैंने अपना फैसला कर लिया, तो मुझे उसका पछतावा नहीं होगा। अब जब हमारी शादी हो गई है तो में यही चाहूंगी की तूमे एक असली घर मिले एक ऐसा घर जिस में प्यार हो। ”
“क्या सच में ?आरव की आवाज में शक था , तो देखते हैं। ”
उसे उस पर विश्वास नहीं था । वो जे देखना चाहता था, की वो कबतक दिखावा कर सकेगी।
एक कार आके उनके सामने रुकी “चलो चलें, ” आरव ने कहा । रिया रुक गई । उसने कहा तुम मुझे कहा लै जा रहे हो?
घर उसने कहा अब हम शादीशुदा है तो , हम साथ ही रहेंगे।
घर इस शब्द से रिया क दिल तेजी से धड़कने लगा । इससे उसे उस घर की याद आ गई जिसमें वो विवान के साथ रहती थी - जिसे बनाने के लिए उसने कड़ी मेहनत की थी।
लेकिन अब जब उसकी शादी आरव से हो चुकी थी, तो उसे पता था उसे अपने अतीत से नाता तोड़ ना होगा ।
गहरी सास लेते हुए , वह उसकी तरफ मुड़ी ओर बोली, “मुझे कुछ काम निपटने है। क्या तुम अपना नंबर ओर पता मुझे दे सकते हो ? जैसे ही काम पूरा हो जायेगा, में वह आ जाऊँगी । ”
“ तुम नहीं चाहती में तूम्हे लिफ्ट दूँ।? "
“ नहीं, ऐसी कोई बात नही", उसने शांति से कहां।
“ मैं खुद ही चली जाऊँगी। मैं तुम्हें परेशान नही करना चाहती। "
उसने कोई बहस नहीं की । अपना पता ओर नंबर उसे दे दिया, वो कार में बैठ कर चला गया।
आधे घंटे बाद, रिया उस अपार्टमेंट के सामने खड़ी थी। जहाँ वो कभी विवान के साथ रहती थी।
वो अंदर गई और हर चीज को ध्यान से देखा- जहां लगी हर
चीज़ को उसने बड़े ध्यान से चुना था।
लेकिन, अब सब कुछ उसे जेल जैसा लग रहा था। बिना कुछ सोचे समझे , वो सजावट की तरह बढ़ी , ओर सब कुछ उखाड़ कर सब कुछ कुड़ेदान में फेंक दिया।
उसने नये सिरे से शुरूआत करने का फैसला किया था, और
अब उसे अतीत को पीछे छोड़ना था, चाहे उसे कितना भी दुख क्यों ना हो।
उसने अपना समान समेंटना शुरू कर दिया। अपने विचारों में खोई हुई, उसे किसी के कदमों की आवाज सुनाई नही दी।
विवान, खुद को रोक नहीं पाया, दरवाजे पर खड़ा रहा, ओर हैरानी से देखता रहा। “रिया, तुम ये क्या कर रही हो? "
“ रिया क्या तुम पागल हो गई हो? " उसने निराशा से पुछा "मैं तो बस थोड़ी देर के लिए गया था, और तुम ऐसे बर्ताव कर रही हो? "
उसने तेजी से साँस ली, अपने गुस्से पर काबू पाने की कोशिश की, और बोला, “मैं तुम्हें एक घंटे का समय दे रहा हूँ। सब कुछ वापस वही रखदो जो जहाँ था! "
रिया ने बेफिक्र होकर समान समेटा और धीरे से उसकी तरफ मुडी। उसका चेहरा शांत था मानो वह कोई अजनबी हो।
उसके होठों पर हलकी सी हँसी आ गई और उसने जवाब दिया , "विवान ,क्या तुम्हें समझ नहीं आया? एक बार जो चीज़ खो जाए , तो हमेशा के लिए चली जाती है। वो फिर कभी वैसी नहीं हो सकती। "
विवान ने गुस्से से कहा,“ आखिर तुम कहना क्या चाहती हो? "
"हमारी शादी के दिन, तुमने मुझे वहाँ अकेला छोड़ दिया, मेरी गरिमा और मिन्नतों को नजरअंदाज कर दिया। क्या तुम्हें अंदाजा है मुझे कैसा लगा होगा? विवान क्या तुम ने कभी मेरे बारे में सोचा? मुझे अपमानित किया गया, और फिर तुम्हें लगता है कि में बस गुस्से में हुँ ? "
उसने पलकें नही झपकाईं, उसकी आँखों में देखती रही, उसके अंदर दबा गुस्सा उमड़ आया, उसकी आँखे धुंधली हो गई और आँसु बहने लगे ।
उसे इस हालत में देखकर , विवान को उसे देख कर एक पल के थोड़ा पछतावा हूँआ, लेकिन जल्दी ही गयब भी हो गया।
सालों से, उसने उसे बार बार चोट पहूँचाई थी और उसने उसे हर बार माफ़ कर दिया था लेकिन इस बार क्या हो गया।
उसे यकीन था कि उसके मनाने पर वो मान जाएगी , ठीक वैसे जैसे हमेशा से करती रही है। आखिरकार उनके बीच हमेशा से यही चलता रहा था।
“रिया, मैं समझ गया तुम परेशान हो, लेकिन तुम्हें ऐसा नही करना चाहिए। देखो, तुम ने हमारे घर की क्या हालत बना दी
है। "
उसने अपना हाथ धीरे से उसके कंधे पर रखा, उसके स्पर्श में कोमलता का दिखावा था, क्योंकि वो उसे शांत करने की कोशिश कर रहा था।
“चलो अब, अच्छे से रहो । तुम ने अपना गुस्सा निकाल लिया है। चलो अब तमाशा मत करो कैसा रहेगा?
हम कोई ओर दिन चुनेंगे, कोई बेहतर दिन, और में वादा करता हूँ कि हमारी शादी धूमधाम से होगी। क्या कहती हो?"
रिया धीरे से हँसी उसकी हँसी में कड़वाहट थी। उसने उसे बहुत मौके दिए थे, और अब उसे उस पर यकीन नहीं है।
तुम्हें क्या लगता है तुम कहाँ जाऊँगी?
वो अच्छी तरह से जानता था कि रिया का कोई परिवार नही है, इस अपार्टमेंट के अलावा उसके पास कोई भी ठिकाना नही था। पिछले पाँच सालों से , उसकी पूरी दुनिया उसके ही इर्द-गिर्द सिमटी हुई थी। उसे पूरा यकीन था वो उसे नही छोड़ सकती।
उसे पूरा यकीन था कि ये घर से बाहर जाने का नाटक उसे अपनी इच्छा के आगे झुकाने के लिए कर रही है।
वो कुछ कहने के लिए अपना मुंह खोलने ही वाला था, लेकिन पीछे से आई आवाज ने उसकी बोलती बंद कर दी।
ये सारा की आवाज थी।
“विवान तुम ने कहा था न कि समान पैक करके एक मिनट में नीचे आ जाओगे? तुम्हें इतना समय क्यों लग रहा है? "
सारा के अंदर आते ही उसकी अवाज़ कमरे में गुंज उठी जब उसकी नज़र रिया पर पडी तो, उसके चेहरे पर हैरानी के भाव आ गए।
“रिया ,तुम यहाँ क्या कर रही हो? "
रिया ने सारा को ठंडी नज़र से देखा , उसने जवाब दिया“ये मेरा अपार्टमेंट है, क्या मुझे तुम्हें बताना पड़ेगा कि मैं यहाँ क्यों हूँ? सवाल तो ये है कि तुम यहाँ क्यों हो? "
सारा ने शमिर्दगी से अपनी आँखे नीची कर ली।
“मैंने गलती से खुद को फल काटने वाले चाकू से काट लिया, और विवान इतना चिंतित हो गया कि कुछ दिन मेरे साथ रहने पर जोर दिया। " तभी उसकी नज़र रिया के पास रखे सूटकेस पर पड़ी, और नाटक से उसने अपना मुंह ढक लिया।
“रिया, तुम क्या कर रही है? " अगर तुम परेशान हो, तो मुझे से बात करो अगर तुम चाहो तो में तुमसे माफ़ी मांग लेती हुँ ।
रिया के चेहरे मुस्कान आ गई जब वो सारा कि तरफ बढ़ी।
“क्या तुम सच में माफ़ी मांगोगी ? क्या तुम्हरा ऐसा इरादा भी है? "
सारा को पता था कि विवान देख रहा है, इसलिए उसने हाँ में सिर हिला दिया।
“ठीक है , तो तुम सच में ऐसा चाहती हो तो ..
बिना किसी चैतावनी के उसने हाथ उठाया ओर उसे थप्पड़ मार दिया। ”
सारा ने चीख़ मारी, थप्पड़ के झटके से भी पूरी तरह हिल गई। अपने जलते हुए गाल को पकड़े रिया को घूर रही थी।
“रिया, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे मारने की? "
“मैं ऐसा करने की हिम्मत क्यों न करुं? तुम ही तो ऐसा चाहती थी। लेकिन एक थप्पड़ से मेरा गुस्सा शांत नही होगा शायद दूसरा काम कर जाए। "
इतना कहकर उसने अपना हाथ फिर से उठाया सदमे से उबर न पा रहे विवान ने आखिरकार होश संभाला । गुस्से से चिल्लाते हुए आगे बढ़ा और रिया को धक्का देकर एक तरफ कर दिया।
बस करो! रिया
उसने सारा को अपनी बाहों में भर लिया, ओर उसे शांत करने की कोशिश करने लगा।
सारा ने ख़ुद कहां था वो मुझे से माफ़ी मांगना चाहती है। विवान क्या तुम बहरे हो? अगर वो सच में माफ़ी मांग ना चाहती थी, तो उसे चुप रहना चाहिए था और मुझे अपना गुस्सा निकालने देना चाहिए था।
“अगर सारा माफ़ी मांग रही है तो तुम उसे थप्पड़ मारोगी क्या? " तुम एक बिगाड़ी हूई लड़की की तरह बिहेव कर रही हो।
ठीक है, मेरी इतनी तारीफ के लिए थैक्यु ।
तुम मेरी तारीफ कर रहे हो, तो क्यों ना में उसे एक और थप्पड़ मारूं।
विवान का मूहं खुला रह गया, वो उसे घूर रहा था।
सारा नाटक करने लगी, “ विवान ऐसा मत कहो,। रिया बस परेशान है, अगर उसे खुशी मिलती है तो मुझे कोई आपत्ति नही। "
सारा कि बातें सुन के विवान के मन में सारा के लिए हमदर्दी पैदा हो गई।
“ रिया तुम सच में बदल गई हो, जिस रिया को मैं जानता हूँ वो तुम नही हो। "
रिया ने उसकी बात पूरी होने से पहले ही उसे रोक दिया।
“हाँ, मैं बदल गई हूँ। पहले मैं पागल थी, अब मुझे समझ आ गया है तुम एक मुर्ख हो हमारा रिश्ता अब पूरी तरह से खत्म है। "
जैसे ही वो सूटकेस घसीटते कमरे से बाहर निकली, विवान के सीने में घबराहट हूई।
“रिया ! ” उसने तेज़ आवाज में पुकारा , और उसके पीछे भागने लगा।
सारा कि आखें हैरानी से चोड़ी हो गई। बिना सोचे समझे उसने अपना हाथ गाल पर रख लिया और रोने लगी।
“ विवान , मेरे चेहरे पर दर्द हो रहा है। कहीं खून तो नही निकल रहा है? ”
सारा के गाल पर हल्की लाल धारियाँ थी, और उसके गाल पर हाथ का निशान था।
“ सारा, रो मत,” उसने चिंता भरी आवाज में कहा “मैं तूम्हें हस्पताल ले चलता हूँ। हम तुम्हें मलहम लगा देंगे सब ठीक हो जाएगा। ”
नाटक भरी आवाज में वो बोली, “ विवान रिया सचमुच जा रही है.. तुम्हें उसके पीछे जाना चाहिए मैं ठीक हूँ। ”
“ रिया इस बार उसने हद पार कर दी है। मैं इसे बर्दाश्त नही करूँगा। वो अपने आप वापस लौट आएगी। ”
दुसरी ओर,आरव विला लौटने के बाद अपने स्टडी रूम में चला गया।
लोगों द्वारा विकलांग और बैकार समझे जाना वाला , वो अब बडे़ आराम से खड़ा हुआ था। वो खिड़की की ओर देख रहा था, तभी उसका फ़ोन बजा फ़ोन उसके बचपन के दोस्त रिशब ओबेरॉय का था।
“हे, आरव उसने कहा“ मैंने तुम्हारी पत्नी के बारे में पता लगाया है। उसके बारे में कुछ भी बुरा नही है। उसका बैकग्राउंड ठीक है। शादी के दिन उसने इसलिए तुम से शादी की क्योंकि उसका मंगेतर उसे छोड़ कर भाग गया था। ”
“ तुम्हे पता है, शहर की सारी आमीर लडकियाँ तुमसे ऐसे दूर भागती है जैसे तुम कोई बीमारी हो । उन्हें लगता है कि तुम विकलांग हो, और अपने परिवार से कटे हुए हो-
लेकिन उस लड़की में इतनी हिम्मत कि सीधे तुम्हारे पास आई और तुमसे शादी करली। सच कहूं तो उसमें बहुत हिम्मत है। ”
लेकिन मुझे डर है सच्चाई का पता लगने पर वो कैसे बिहैव करेंगी?
आरव की आवाज बैरूखी से जब उसने जवाब दिया ।
“ उसे मोका ही नही मिलेगा । जैसे ही उसे पता चला कि मैं असल में कौन हूँ, उसने कोई बहाना बनाया और चली गई। शायद वो वापस नही आएगी। ”
उसे कोई हैरानी नही हूई । लोग अक्सर कहते थे उस जैसे आदमी से शादी करना जिसका कोई भविष्य नही एक लड़की का जीवन बर्बाद करने समान है।
“मुझे ऐसा नहीं लगता है, ” रिशब ने मुस्कराने हुए जवाब दिया। “ सोचो जरा कितनी औरतों अपनी ही शादी में दुल्हा बदलने की हिम्मत करेंगा? मेरा तो यही मानना है कि रिया भागने वालो से नहीं है। ”
“ तुम्हें मुझ पर विश्वास नही है? तो चलो शर्त लगाते हैं। मैं शर्त लगाता हूँ कि रिया जल्द ही वापस आ जाएगी। अगर मैं जीत गया, तो मुझे शहर के बाहरी इलाके वाली जमीन चाहिए। ”
और अगर तुम हार गये तो?
मैं हारने वाला नहीं हूँ।
जैसे ही आरव फ़ोन रखने वाला था, दरवाजे पर दस्तक हुई। नौकरानी कि आवाज आई।
“सर मैंडम यहाँ आ गई हैं। ”
अपना सूटकेस घसीटते रिया विला मे दाखिल हूई और चारों ओर देख रही थी। विला में चारों तरफ़ सन्नाटा था। और वो जगह बेजान थी।
घर सादा और खाली खाली सा था।वो सोच रही थी कि वो इस घर में बदलाव करेगी, वो इस बैजान घर में नही रहने वाली थी।
जैसे ही वो मन ही मन घर में सज़ावत की योजना बना रही थी अचानक आरव उसके सामने आ गया।
उसकी निगाहें उस पर टिकी हुई थी, उसे उम्मीद नही थी कि रिशब सही होगा — वो सचमुच वापस आ गई।
वो हैरान था लेकिन उसने उसे जाहिर नहीं होने दिया, उसकी नज़र उसके पीछे सूटकेस पर पड़ी ।
“ इतने लंबे समय तक तुम सिर्फ इतना सा समान पैक करने के लिए गई थी? ”
बिल्कुल नहीं! उसने विवान और सारा को भी तो सबक सिखाया था।
“ ये जगह थोड़ी सुनसान है। साथ ही में जहाँ पहले कभी नहीं आई । मैं रास्ता भटक गई थी, इसलिए इतना समय लग गया। ”
आरव ने हल्के से सिर हिलाया, “ मेरे पीछे आओ। ”
रिया तेज़ी से उसके पीछे चलीं, उसकी नज़र बार– बार व्हीलचेयर पर जा रही थी, वो दुविधा में थी कि उसे उसकी मदद करनी चाहिए के नही। इससे पहले वो फैसला कर पाती , वो रुक गया।
कमरा पहली मंजिल पर था। रिया ने अंदर देखा, उसकी नज़र खाली दिवारों और फनीर्चर पर गई, कमरा साफ़ सुथरा था।
“क्या में आज रात इस कमरे में रहुंगी? ”
“हाँ तुम यही रहोगी। ” उसने जवाब दिया। और वहाँ से चला गया।
अगली सुबह रिया फ्रेश होकर अपने कपड़े पहन ही रही थी कि उसके दरवाजे पर दस्तक सुनाई दी। उसने दरवाजा खोला तो देखा बाहर नौकरानी खड़ी थी।
“ मैडम नाश्ता तैयार है। अगर आप तैयार हो चुकी है तो नाश्ता कर सकती है, ” उसने कहा।
ठीक है, थैंक्स।
जब वो डाईनिंग रुम में पहुँची , तो उसने देखा टेबल टेस्टी खाने से सजी हुई थी, लेकिन आरव वहां नही था।
वो खाने को घूरती रही। “ मैडम, क्या कोई बात है? क्या आपको खाना पसंद नही आया। उसने डरी हुई आवाज में पुछा।
रिया ने झट से सिर हिलाया।
“नही ,ऐसा नहीं है। खाना तो बहुत शानदार दिख रहा है। ”
कुछ देर रुकने के बाद उसने गहरी साँस ली और पुछा,
क्या आरव नाश्ता नही कर रहा है?
“ वो कल रात से ही स्टडीरुम में काम कर रहे है। हममें से किसी ने भी उन्हें परेशान करने की हिम्मत नहीं की। ”
नौकरानी ने थोड़ा झिझकते हुए कहा,
“ उन्हें पेट की बिमारी है। लेकिन अगर वो खाना खाने से इंकार कर देते है , तो उन्हें मनाने के लिए हम कुछ नहीं कर सकते...। ”
रिया ने पलकें झपकाई, और जब उसने ऊपर देखा, तो देखा तो नौकरानी आशा भरी मुस्कराहट के साथ उसे देख रही रहीं थी।
घर के नौकर जब आरव को मना नही पाए , शायद वो मना सके। पत्नी होने के नाते उनका रिश्ता बराबरी का होना चाहिए था ।
“ मैं उससे बात करने जाऊँगी”, उसने धीरे से कहा। ”
नौकरानी के चेहरे पर चमक आ गई।
“ यह बढिया है! जब उन्हें पता चलेगा कि आप उनकी परवाह करते है , तो वो खुश हो जाएगें। ”
“ क्या मैं किचन का इस्तेमाल कर सकती हूँ? ”
नौकरानी ने हैरानी से पलकें झपकाई और फिर झट से सिर हिला दिया।
“ बिल्कुल। आप घर की मालकिन हैं। अगर आपको किसी चीज की जरूरत हो तो हमें बता दीजिएगा।”
इसी बीच, आरव स्टडीरुम में एक मीटिंग में व्यस्त था, वो अपनी व्हीलचेयर पर बैठा हुआ था।
उसकी लंबी उंगलियाँ मेज पर थपथपा रही थी।
“ सर, शहर के बाहरले इलाके वाली जमीन बड़ी मुश्किल से हासिल की थी। उसकी कीमत पहले से ही काफ़ी बढ़ रही है। अगर आप मिस्टर ओबेरॉय को वो जमीन दे देगें तो आपको भारी नुकसान होगा। ”
आरव ने मेज़ पर थपथपाना बंद कर दिया। उसकी आवाज़ शांत थी।
“ शर्त तो शर्त होती है। मैं अपने वादों को पूरा करता हूं। ”
उसने रिशब के साथ शर्त लगाई थी और वो हार गया था। ये बस जमीन का टुकड़ा था। इसे उसे कोई फर्क नही पड़ता था।
उसके सबोर्डिनेट की आँखें हैरानी से चौड़ी हो गई
उन लोगों के चेहरे पर हैरानी देख कर, उसे कोई फर्क़ नही पड़ा । उसका चेहरा उदासीन बन रहा।
अचानक उसके स्टडीरुम में दस्तक हूई।
वो इंटरप्शन से नराज़ हो गया , उसने ठंडे लहजे में पुछा,
“ कौन हैं वहां? ”
उसके काम के दुरान उसे कोई भी डिस्टर्ब नहीं करता था।
कमरें में सन्नाटा छा गया। एक कोमल आवाज़ आई,
“मैं हूँ। मैंने सुना है कि आपने कल रात से कुछ नही खाया है, इसलिए मैं आपके लिए कुछ लाई हूँ। क्या मैं अंदर आ सकती हूँ। ? ”
वो क्यों आई थी?
आरव ने एक गहरी साँस ली। उसके मन में संदेह था।
इस बार वो क्या करने वाली थी?
स्क्रीन की तरफ ध्यान करते हुए, उसने आदेश दिया
“ चलो अब मीटिंग खत्म करते हैं। ”
कुछ क्षण पहले रिया की बात सुन चुके वो लोग हैरान रह गये।
उनके बाॅस को काम करते समय किसी भी तरह की बाधा पसंद नही थी। लेकिन आज उन्होंने अपना ही नियम तोड़ दिया।
उनकी जिज्ञासा भर रही थी आगे क्या होने वाला है।
लेकिन वे जानते थे कि आरव उन्हें तमाशा देखने की अनुमति नहीं देगा। मीटिंग रोकने का मतलब है की वो बातचीत को गुप्त रखना चाहते थे।
“ ओके, सर” उन्होंने उत्तर दिया।
शांत कमरे में आरव ने अपना लैपटॉप बंद कर दिया, फिर उसने कहा,
“ अंदर आ जाओ। ”
रिया ने हल्की सी आवाज़ से दरवाजा खोला, उसके हाथों में भरी हुई ट्रे थी। उसकी नजर तुरंत ही उसकी मेंज पर बिखरी हुई फाइलों पर गई।
क्या तुम सचमुच इतने सारे काम के बोझ तले दबे हुए हो। उसने चिंता भरी आवाज में पुछा ।
“ क्यों, तुम्हें क्या उम्मीद थी? मैं यहाँ यूँ ही बैठा हूँ? उसने उसे चिढ़ाते हुए कहा,
“ नहीं, बिल्कुल नही”, रिया ने तुरंत जवाब दिया, मेरा कहने का मतलब ये नहीं था।
आरव कई सालों से व्हीलचेयर पर था, इसलिए वो जानती थी कि अगर वो उसकी क्षमता के बारे में ज़्यादा पुछताछ करेंगी तो उसे बूरा लग सकता है। कुछ देर बाद उसने इस टाॅपिक से दूर रेहने का फैसला किया ताकि किसी भी तरह की परेशानी से बचा जा सके।
चेहरे पर मुस्कराहट लाते हुए , वो उसकी मेंज की तरफ बढ़ी। वो उसके बगल में खड़ी हो गई और ट्रे को धीरे से खाली जगह पर रख दिया। ट्रे में ताज़ी पकी हूई कुकीज़ की एक प्लेट और गर्म दूध का गलास था।
“ मैंने आपके लिए कुछ कुकीज़ बनाई हैं। प्लीज खा लीजिए”, उसने कोमल आवाज़ में कहा।
“ मुझे तुम्हारी पसंद का ठीक से पता नहीं था। ”
आरव ने ऊपर देखा, उसे एहसास हुआ उसने कुकीज़ बनाने में कितनी मेहनत की है। उसने कुकी उठाई और थोड़ी सी खाई।
कैसी बनी है?
उसमें मीठा कम था, ये बिल्कुल उसकी पसंद के मुताबिक था उसे ये पसंद आया।
उदासीन चेहरे के साथ, उसने कुकी का आधा हिस्सा खाया , स्वाद की परख का दिखावा करने हुए उसने कहा,
बहुत ज्यादा मीठी चीज़े पसंद नही है।
ये स्पष्ट था कि उसे ये पसंद आया।
“ तो मैं और बना देती हूँ”, उसने प्लेट उठाते हुए कहा।
“उसकी जरूर नही है। ”उसने उसका हाथ रोकते हुए गर्म दूध की ओर हाथ बढ़ाया ।
“ अब तुम जा सकती हो मुझे कुछ काम करना है।
आरव, “जब से मैंने तूमसे शादी की है, में तुमारे हर पहलू को अपनाने को तैयार हूँ – तूम्हारे गुण और दोष दोनों।
आरव चुपचाप उसकी बातें सुनता रहा , कुछ क्षण बाद उसने संदेह भरी आवाज़ में पुछा,
क्या सचमुच ?
रिया ने झट से सिर हिलाया।
“बिल्कुल। मेंने तुमसे शादी की है , मैं तुम्हारी जरूरतें को पूरा करने की कोशिश करूँगी ।
आरव के होठों पर हल्की सी मुस्कान आ गई । क्या उसे पता है वो क्या कर रही है?
क्या उसने उसकी जरूरतों को पूरी करने की पेशकश की?