सिमरन एक अनाथ लड़की है, जिसे बचपन में जिन लोगों ने गोद लिया, उन्होंने कभी उसकी कदर नहीं समझी। फिर उसकी जिंदगी में आया उसके सपनों का राजकुमार बनकर वेद राणावत। उन दोनों का प्यार परवान ही चढ़ने लगा था कि कुछ ऐसा हुआ कि सिमरन को मजबूरी में गुजारनी पड़ी व... सिमरन एक अनाथ लड़की है, जिसे बचपन में जिन लोगों ने गोद लिया, उन्होंने कभी उसकी कदर नहीं समझी। फिर उसकी जिंदगी में आया उसके सपनों का राजकुमार बनकर वेद राणावत। उन दोनों का प्यार परवान ही चढ़ने लगा था कि कुछ ऐसा हुआ कि सिमरन को मजबूरी में गुजारनी पड़ी वेद राणावत के साथ शादी से पहले एक रात। क्या होगा जब सिमरन को पता चलेगा कि वह वेद राणावत के बच्चे की मां बनने वाली है? लेकिन उससे भी गहरा सदमा होगा उसके लिए जब उसे पता चलेगा कि वेद राणावत की शादी किसी और के साथ होने वाली है। आखिर क्या है इन सब के पीछे की सच्चाई? वेद राणावत के दिल में सिमरन के लिए है सच्चा प्यार या फिर सिमरन हुई है उसकी किसी साजिश का शिकार? आखिर कैसी होगी सिमरन की जिंदगी? इसके लिए पढ़िए मेरी कहानी "मैं तेरी सौतन"।
सिमरन
Heroine
वेद
Hero
कामिनी
Villain
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आखिर किसका पाप तू अपने पेट में लेकर घूम रही है बता मुझे किसके साथ मुंह काला करवाया है सच-सच बता मुझे वरना जान ले लूंगी तेरी, इंद्राणी सिमरन की तरफ देखते हुए गुस्से में बोली ।
तब यह सुनकर सिमरन रोते हुए हड़बड़ा कर बोली मां ।
तब इंद्राणी गुस्से में बोली यह मां मां क्या कर रही है अरे जो पूछ रही हूं उसका जवाब दे, वैसे तो बड़ी शरीफ बनकर घूमती है लेकिन ऐसी घटिया हरकत करने से पहले एक बार भी नहीं सोचा देख सिमरन इससे पहले कि मैं तेरी जान ले लूं साफ-साफ बता मुझे आखिर किसके साथ मुंह काला करवाया है तूने अरे अगर लोगों को पता चलेगा तो क्या इज्जत रह जाएगी हमारी हम तो किसी को मुझ दिखाने लायक नहीं रहेंगे मेरी खुशी से कौन विवाह करेगा हमारी तो नाक कट जाएगी पूरी इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी, इससे पहले की देर हो जाए,अब तेरी इस गलती पर तो पर्दा डालना ही पड़ेगा तू चलना अस्पताल मेरे साथ और अबॉर्शन करवाना इससे पहले की किसी को पता चल जाए इंद्राणी गुस्से में सिमरन की तरफ देखते हुए बोली ।
तब सिमरन रोते हुए बोली नहीं मां ।
तब सुनकर इंद्राणी ने एक तमाचा उसके गाल पर रख दिया और बोली क्या कहा तूने अरे क्या इस पाप को ऐसे ही लेकर घूमती रहेगी, तेरी तो कोई इज्जत है नहीं हमारी इज्जत का तो ख्याल कर और सुदेश जब उसे पता चलेगा तो वह तो वैसे ही शर्म के मर जाएंगे कि तूने कैसी घटिया हरकत की है यह सोचकर, उसे तो अपने आप पर गुस्सा आएगा कि आखिर वह कौन सी मनहूस खड़ी थी जब तुझे इस घर में लेकर आने का फैसला उसने किया था और तूने आज हमारी नाक कटवा दी तेरी वजह से आज हमारे ऊपर तो मुसीबत आन पड़ी है, जानती हूं तेरी रगों में जरूर किसी का गंदा खून था तभी तो तूने ऐसी हरकत की है यह कहते हुए इंद्राणी अपनी गोद ली हुई बेटी सिमरन को भला बुरा कहने लगी ।
वही सिमरन रो रही थी, तब सिमरन को रोते हुए देखकर इंद्राणी गुस्से में उसे झिंझोड़ते हुए बोली जो पूछा है उसका जवाब दे कौन है जिसके साथ मुंह काला करवा कर आई है बता मुझे, कब से पूछ रही हूं कोई तो जवाब दे, यह कहते हुए उसे मारने पीटने लगी ।
तब यह देखकर खुशी सिमरन को बचाते हुए बोली बस कीजिए मां अब क्या जान लोगी उसकी ।
तब यह सुनकर सिमरन की तरफ गुस्से में देखकर इंद्राणी फिर खुशी की तरफ देखते हुए बोली तू तो चुप कर बड़ा पाठ लेती है हमेशा इसका लेकिन खबरदार जो आज के बाद इसके साथ रही तो अरे यह तो खुद है ही बदचलन इसके तो रगों में किसी बदचलन का ही खून है लेकिन तू कान खोलकर सुन ले तू इसे आज के बाद दूर रहेगी इसकी परछाई भी तेरे ऊपर नहीं पड़नी चाहिए ।
तब यह सुनकर खुशी बोली मां ।
तब इंद्राणी गुस्से में बोली जो कहा है ना वह कान खोलकर सुन ले और जा चुपचाप अपने कमरे में ।
तभी यह सुनकर खुशी कुछ बोलती उससे पहले ही इंद्राणी गुस्से में बोली सुनाई नहीं दिया क्या बोला है मैंने ।
तब यह सुनकर खुशी अपने कमरे में चली गई, तब इंद्राणी गुस्से में सिमरन की तरफ देखते हुए बोली तू भी मेरी आंखों के सामने से चली वरना जान ले लूंगी तेरी और शाम को तैयार रहना वैसे भी तेरी हरकतों के बारे में सुदेश को क्या बताऊंगी है समझ में नहीं आ रहा है लेकिन बताना तो पड़ेगा ही ना की कैसी घटिया हरकत की है तूने शाम को अस्पताल चलेंगे तुम्हारे इस पाप को धोने के लिए वरना हमारा तो लोग जीना ही हराम कर देंगे, यह कहते हुए सिमरन को भला बुरा कहने लगी और सिमरन रोते हुए अपने कमरे में आ गई ।
तब कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और तकिया में मुंह छुपाए फूट-फूट कर रोने लग गई ।
तब वह अपने आप से ही रोते हुए बोली नहीं मैं ऐसा नहीं करूंगी मैं अबॉर्शन नहीं करवाऊंगी चाहे कुछ भी हो जाए यह कहते हुए रोने लग गई, तभी उसने अपना फोन उठाया और किसी को कॉल करने लगी लेकिन इधर से फोन स्विच ऑफ आ रहा था, तब यह देखकर तो वह और परेशान हो उठी और गुस्से में अपना फोन एक तरफ पटक कर अपना चेहरा दोनों हाथों में छुपाए रो पड़ी ।
तब जी भर के रोने के बाद में तकिया में मुंह छुपाए सोने की कोशिश करने लगी लेकिन उस पर तो दुखों का पहाड़ टूट चुका था नींद आखिर उसकी आंखों में कैसे आती, वैसे आज ऐसे मोड़ पर मैं आकर खड़ी हो गई थी जहां कोई रास्ता उसे नजर नहीं आ रहा था कभी सोचती की मौत को गले लगा ले तो कभी सोचती नहीं उसके पेट में पल रहे मासूम का आखिर क्या दोष है कि वह अपने साथ उसकी भी जान ले नहीं वह ऐसा कभी नहीं करेगी, ऐसे हजारों सवाल उसके दिलों दिमाग में आ रही थी ।
तब वह रोते हुए अपने आप से बोली यह कैसी किस्मत है मेरी देवी मां आखिर किस गुनाह कि मुझे हमेशा सजा मिलती है, और अब अब यह मेरे साथ क्या हो रहा है मां यह कहते हुए उसकी आंखों में आंसू आ गए और वह अपने अतीत के बारे में सोचने लग गई,तब अपने अतीत के बारे में सोचते हुए वह अपने अतीत में ही खो गई ।
सिमरन ने जब होश संभाला जब थोड़ी वह समझने लगी थी, तभी उसे अपने बाबोसा सुदेश और मां इंद्राणी से पता चला कि उसे एक अनाथालय से गोद लिया गया है क्योंकि सुदेश और इंद्राणी के विवाह के काफी सालों बाद भी कोई संतान नहीं हुई काफी देवी देवताओं के यहां गए मन्नतें मांगी डॉक्टर के इलाज करवाया लेकिन कोई फायदा ना हुआ, ऐसे में एक दिन उन्होंने बच्चा गोद लेने के बारे में सोचा और वह दोनों अनाथालय में बच्चा गोद लेने के लिए गए, तब 6 महीने की सिमरन को देखकर उसे पर प्यार उमड़ आया और उन्होंने उसे ही गोद ले लिया ।
फिर वह लोग सिमरन को लेकर अपने घर पर आ गए थे ।
सिमरन के घर में आने से जैसे उनकी जिंदगी में खुशियां आ गई थी दोनों सिमरन से बहुत प्यार करते थे उसका बहुत ख्याल रखते थे सिमरन जो अनाथालय में पल बढ़ रही थी उसे भी मां-बाप का प्यार मिल गया था और मां-बाप को तरसते हुए सुदेश और इंद्राणी की गोद भी सिमरन के आने से भर गई थी ।
धीरे-धीरे इसी तरह दिन गुजर रहे थे जब सिमरन डेढ़ साल की थी तो अचानक एक दिन चक्कर खाकर इंद्राणी गिर गई ।
तब यह देखकर सुदेश बहुत परेशान हो गया और उसे अस्पताल लेकर गया तो पता चला कि इंद्राणी मां बनने वाली है ।
तब इंद्राणी के मां बनने की खबर सुनकर इंद्राणी और सुदेश दोनों बहुत खुश हो गए उनके लिए तो यह किसी सपने से कम नहीं था क्योंकि उन्होंने तो उम्मीद ही छोड़ दी थी कि उनके यहां भी कोई बच्चा पैदा होगा यह शायद एक चमत्कार ही था ।
वही जब नाते रिश्तेदारों ने यह बात सुनी तो हर किसी ने यही कहा कि सिमरन के इस घर में आने से उसके शुभ कदमों की वजह से यह हुआ है ।
वही धीरे-धीरे दिन गुजरने लगे और 9 महीने पूरे होने पर इंद्राणी ने एक बेटी को जन्म दिया जिसका नाम प्यार से उन्होंने खुशी रखा ।
वैसे खुशी सिमरन से ढाई साल छोटी थी खुशी के आने से सुदेश और इंद्राणी सिमरन को नजर अंदाज करने लग गए थे, वे खुशी से बहुत प्यार करते थे उसका बहुत ख्याल रखते थे शायद अपनी संतान होने से अब उन्हें सिमरन नजर ही नहीं आती थी हर बात में वे अब सिमरन को नजर अंदाज करने लगे थे खुशी में और सिमरन में भेदभाव करने लगे थे जैसे उनके दिल में जो प्यार पहले सिमरन के लिए था वह पूरी तरह अब खुशी के पास ही सिमट कर रह गया था और सिमरन से अब उन्हें जैसे उतना लगाव नहीं रहा था, आखिर अपनी संतान जो आ गई थी ।
वही जब खुशी 2 साल की हुई तो फिर से इंद्राणी मां बनी और उसके एक बेटा हुआ जिसका नाम उन्होंने अमन रखा ।
अब सुदेश और इंद्राणी अपने बेटे अमन और खुशी से ही प्यार करते थे सिमरन से हमेशा सौतेला जैसा व्यवहार किया जाता उसे बात-बात पर डांटा झपटा जाता, खाने पीने से लेकर हर तरीके से उसके साथ भेदभाव किया जाता था ।
तब मासूम सिमरन यह सब कुछ देख नहीं पाती थी और अपने मां-बाप के डांटने झपटने पर भेदभाव करने पर रोने लग जाती और फिर अकेली ही रोते-रोते सो जाती लेकिन उसके आंसू पोंछने वाला कोई नहीं था ।
धीरे-धीरे इसी तरह दिन गुजरने लगे थे और सिमरन के साथ इंद्राणी और सुदेश के दोनों बच्चे भी बड़े होने लगे थे ।
वैसे खुशी सिमरन से दीदी कहती थी और सिमरन से बहुत प्यार करती थी उससे बहुत लगाव रखती थी लेकिन अमन ऐसा नहीं था उसे सिमरन बिल्कुल भी पसंद नहीं थी मां-बाप की लाड प्यार ने उसे बिगाड़ जो दिया था ।
धीरे-धीरे इसी तरह दिन गुजर रहे थे सिमरन और खुशी दोनों अब जवानी की दहलीज पर पैर रख चुकी थी, दोनों में सगी बहनों से भी बढ़कर प्यार था अपना हर सुख दुख दोनों बहने एक दूसरे से साझा करती थी लेकिन सुदेश और इंद्राणी उन्हें सिमरन से लगाव नहीं था बस समाज में लोग क्या कहेंगे कि पहले गोद ले लिया बाद में छोड़ दिया इस डर से भी उसे अपने साथ रखे हुए थे ।
वैसे सिमरन की हालत एक नौकरानी की तरह थी घर का सारा कामकाज करने के बाद भी इंद्राणी की जली कटी बातें ही उसे सुनने के लिए मिलती थी,तब अपने मां-बाप का ऐसा रवैया देखकर सिमरन को बड़ी तकलीफ होती थी लेकिन खुशी उसे इतना प्यार करती थी कि सिमरन अपना दर्द भूलने की कोशिश करती थी ।
वैसे सिमरन देखने में काफी खूबसूरत थी बिल्कुल अप्सराओं की तरह और खुशी साधारण रंग रूप की थी जब भी कोई सिमरन की खूबसूरती की तारीफ इंद्राणी के सामने करता तो इंद्राणी को अच्छा नहीं लगता था क्योंकि वह तो सोचती थी बस अगर कोई तारीफ करें तो उसकी बेटी खुशी की करें जबकि खुशी को इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ता था कि लोग उनकी खूबसूरती के बारे में क्या बोलते हैं ।
अपनी जिंदगी सिमरन जैसे तैसे गुजार रही थी लेकिन मुसीबत में भी मुश्किलों में भी हंसना मुस्कुराना उसे आता था बड़ी ही चुलबुली और हंसी खुशमिजाज थी, अपनी मां इंद्राणी की बातों को ज्यादा दिल पर ना लेकर उन्हें हंसी में टालने की कोशिश करती थी उसके हंसते मुस्कुराते चेहरे को देखकर कोई अंदाजा नहीं लग सकता था कि इसके पीछे भी कितने गम और तकलीफ छुपे हुए हैं, अब उसकी ग्रेजुएशन कंप्लीट हो चुकी थी ।
ऐसे में एक दिन इंद्राणी उसकी तरफ देखते हुए बोली सिमरन अब तो तुम्हारी कॉलेज पूरी हो गई है ना ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली हां मां ।
तब इंद्राणी बोली अब कुछ करने का इरादा है या फिर यही हम पर बोझ बन कर बैठना है ।
तब यह सुनकर सिमरन हैरानी से बोली मैं कुछ समझी नहीं ।
तब इंद्राणी बोली देखो हमारा कोई बड़ा कारोबार तो है नहीं की रूपए पैसे की कोई कमी ना हो बस तुम्हारे बाबोसा की एक छोटी सी परचूनी की दुकान है उससे ही हमारा जैसे तैसे घर का खर्च चलता है और अब तो तेरी भी ग्रेजुएशन पूरी हो गई है तो क्यों ना तुम भी कोई नौकरी तलाश कर लो ।
तब यह सुनकर सिमरन मुस्कुराते हुए बोली हां मां में भी यही सोच रही थी कि अपने पैरों पर खड़ी हो जाऊं, मैं जल्दी कोई अच्छी जॉब तलाश करने की कोशिश करूंगी ।
तब यह सुनकर इंद्राणी बोली ठीक है ।
तब खुशी बोली दीदी आप अकेली जाओगी क्या जॉब करने ।
तब यह सुनकर इंद्राणी बोली इसे कोई खा थोड़ी ना जाएगा अगर अकेली जाएगी तो अरे लोगों में उनकी बेटियां नहीं करती क्या नौकरी, उनके साथ क्या कोई उनके बॉडीगार्ड लगे होते हैं नहीं ना, तो ऐसे ही है चली जाएगी अकेली क्या परेशानी है लेकिन तुझे तो बड़ा प्यार आता है अपनी दीदी पर और मैं क्या गलत बोल रही हूं वैसे भी इतनी बड़ी हो गई है अपने पैरों पर तो खड़ा होना चाहिए ना ।
तब यह सुनकर खुशी बोली लेकिन मां ।
तब उसकी बात बीच में काटते हुए इंद्राणी बोली तू तो चुप कर ।
तब सिमरन बोली ठीक है मां आप चिंता मत कीजिए मैं जल्दी ही कोई अच्छी जॉब ढूंढ लूंगी और खुशी मां बिल्कुल सही कह रही है अब मेरी पढ़ाई कंप्लीट हो गई है ऐसे में भी घर बैठने से तो अच्छा है कि कोई अच्छी जॉब तलाश कर लूं, जिससे खुद का भी मन लगा रहेगा और घर वालों की भी मदद हो जाएगी ।
तब यह सुनकर खुशी बोली लेकिन दीदी मेरे कहने का मतलब तो यह था कि, तब सिमरन उसकी बात बीच में काटते हुए बोली तू चिंता ना कर चल आजा यह कहते हुए दोनों कमरे में बातें करते हुए चली गई ।
तब कमरे में आकर खुशी बोली दीदी आपको मां की बात हमेशा सही है क्यों लगती है ।
तब यह सुनकर सिमरन मुस्कुराते हुए बोली क्योंकि मां हमेशा सही कहती है और मेरे भले के लिए ही तो कह रही थी ।
तभी यह सुनकर खुशी बोली आप भी ना दीदी, आपको हमेशा दूसरों की खुशी और दूसरों में अच्छाई ही नजर आती है, यह कहते हुए दोनों बातें करने लग गई ।
अगले दिन से ही सिमरन ने अपनी नौकरी की तलाश करने के लिए अपने डॉक्यूमेंट्स कहीं जगह अप्लाई कर दिए थे जिससे उसे कोई छोटी-मोटी जॉब मिल जाए और वह अपने घर वालों की मदद कर सके साथ में उसका मन भी लगा रहे ।
उसे अभी डॉक्यूमेंट रिप्लाई किये दो दिन ही हुए थे कि कहीं जगह से इंटरव्यू के लिए उसे कॉल भी आया और वह इंटरव्यू देने के लिए गई लेकिन कहीं पर भी उसका सिलेक्शन नहीं हुआ जिसकी वजह से वह बहुत परेशान हो गई ।
ऐसे ही जब एक दिन में इंटरव्यू देकर घर पर आई तो उसकी मां इंद्राणी उसकी तरफ देखते हुए बोली क्या हुआ ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली नहीं मां सिलेक्शन नहीं हुआ ।
तब यह सुनकर इंद्राणी मुंह बनाते हुए बोली यह तो मुझे पहले ही पता था कि तुझे कुछ ना हो पाएगा और वैसे भी वीए पास को इतनी जल्दी नौकरी कहां मिल जाती है और हमारी इतनी हैसियत नहीं कि तुझे कोई डिप्लोमा करवाई वैसे कुछ दिनों में छोटी-मोटी नौकरी तो मिल जाएगी चिंता ना कर वैसे जल्दी से चलने की तैयारी कर लें शारदा मौसी के यहां उनकी बेटी की शादी है वहां पर भी हम सबको जाना है, इसलिए ध्यान से अपने कपड़े वगैरह रख लेना सुबह ही हम लोगों को निकालना है ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली ठीक है मां और अपने कमरे में आ गई, तब खुशी उसके पास आई और बोली दीदी क्या हुआ आपके इंटरव्यू का ।
तब यह सुनकर सिमरन उदास होते हुए बोली इस बार भी नहीं हुआ ।
तब खुशी बोली कोई ना दीदी सब हो जाएगा आप परेशान मत होइए, वैसे शारदा मौसी के यहां शादी में हम सबको चलना है जल्दी से तैयारी कर लेते हैं ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली हां ।
फिर वह लोग शारदा मौसी के यहां जाने की तैयारी करने लगे, शारदा इंद्राणी की बड़ी बहन थी और उसके एक बेटा और एक बेटी थी उसकी बड़ी बेटी सुमन का विवाह था और इस विवाह में इंद्राणी अपने परिवार के साथ वहां जा रही थी, वैसे सिमरन को ले जाने का उनका मन नहीं था लेकिन जबान बेटी को घर पर भी नहीं छोड़ सकते थे यह भी उन्हें चिंता थी, ऐसे में उन लोगों ने अच्छे से अपने कपड़े पैक कर लिए थे और अगले दिन ही वे लोग शारदा के यहां विवाह में जाने के लिए टैक्सी से निकल गए थे ।
वैसे शारदा का ससुराल पास के ही शहर में था और लगभग डेढ़ घंटे के सफर में वे लोग शारदा की ससुराल में पहुंच गई जहां शारदा ने अपनी ससुराल वालों के साथ उनका स्वागत किया ।
वही सिमरन अपने परिवार के साथ शारदा मौसी के यहां पहुंच गई थी, यहां भी कोई उसे ठीक तरह से ज्यादा बातें नहीं करता था एक खुशी ही थी जो उससे बातें करती थी, ऐसे में सिमरन चुपचाप रहती थी जो भी उसकी मौसी काम बताती वह काम कर लिया करती थी ।
वही शारदा मौसी के बेटे का नाम था विकास, विकास ने अपने दोस्त वेद को अपनी बहन सुमन के विवाह में बुलाया था ।
वैसे वेद एक काफी अमीर घराने से संबंध रखता था दोनों एक दूसरे के दोस्त थे, विकास एक मतलबी इंसान था अपने शोक की सारी चीज महंगे महंगे कपड़े पर्स घड़ी वगैरह में वेद से ले लिया करता था ।
वही वेद अपने घर परिवार में सब का लाडला था उसके पिता रंजीत राणावत और मां सुरीली राणावत थी, वेद अपने माता-पिता की इकलौती संतान था और अपने पिता के कारोबार का अकेला वारिस ।
वेद के पिता रंजीत राणावत ने अपने दोस्त ठाकुर विजेंद्र सिंह की बेटी कामिनी के साथ बचपन में ही वेद का रिश्ता तय कर दिया था लेकिन वेद को यह रिश्ता बिल्कुल भी पसंद नहीं था, उसे कामिनी हीं बिल्कुल भी पसंद नहीं थी वह बस उसे सिर्फ अपनी एक दोस्त समझता था और कुछ नहीं लेकिन कामिनी वह तो वेद से विवाह करना चाहती थी क्योंकि उसकी नजर एक तरह से वेद की जमीन जायदाद पर भी थी साथ में ही वह देखने में किसी फिल्मी हीरो से काम नहीं था और कामिनी साधारण रंग रूप की थी ।
ऐसे में वेद की अमीरी और उसकी पर्सनालिटी को देखकर कामिनी उस पर जान छिड़कती थी, कामिनी के पिता ठाकुर विजेंद्र सिंह की हैसियत ज्यादा बड़ी नहीं थी उनका एक छोटा सा बिजनेस था उनके कहीं ट्रैक वगैरा शहर में चला करते थे लेकिन ठाकुर विजेंद्र सिंह और रंजीत राणावत दोनों बचपन के दोस्त थे दोनों एक साथ में ही पढ़े लिखे थे, ऐसे में अपनी दोस्ती के नाते ही उन्होंने यह रिश्ता तय किया था ।
वही रंजीत राणावत को तो इस रिश्ते से कोई एतराज नहीं था क्योंकि धन दौलत तो उसके पास ही बेशुमार थी वह तो अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलना चाहता था ।
वही कामिनी एक बिगड़ैल लड़की थी ऐसो आराम की जिंदगी जीना दिखावा करना यह उसकी आदत थी वह बड़ी ही घमंडी और बदतमीज थी लेकिन वेद और उसके घर वालों के सामने अच्छा होने का नाटक करती थी पर वेद वह कामिनी को अच्छे से जानता था क्योंकि कामिनी और वेद की पढ़ाई एक ही स्कूल में हुई थी अपनी दोस्ती के नाते और अपने घर की होने वाली बहू है यह सोचकर कामिनी की सारी पढ़ाई लिखाई का खर्चा रंजीत राणावत ने ही उठाया था ।
धीरे-धीरे समय गुजरने के साथ वेद और कामिनी दोनों जवानी की दहलीज पर कदम रख चुके थे, दोनों परिवार अपने बचपन में उन दोनों के तय किए गए रिश्ते को अब रिश्तेदारी में हकीकत में बदल देना चाहते थे लेकिन वेद उसने इस रिश्ते से साफ इनकार कर दिया था जिसकी वजह से उसके पिता ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन वेद कुछ समझने के लिए तैयार ही नहीं था उसने उसे काफी डांटा झपटा लेकिन वेद पर इन सब का कोई असर नहीं हुआ, ऐसे में वेद की मां ने कहा कि वेद को कुछ वक्त देना चाहिए उसे इतनी जल्दी विवाह की जंजीरों में बांधना भी ठीक नहीं होगा जिसकी वजह से उसके घर वालों ने अब इस विवाह के बारे में उससे ज्यादा कहना बंद कर दिया था लेकिन कामिनी और उसके घर वाले चाहते थे कि जल्दी से यह विवाह हो जाए ।
वैसे वेद और विकास दोनों की दोस्ती उसके घर परिवार को पसंद नहीं थी लेकिन वेद के सामने वह लोग कुछ नहीं कर पाते थे ।
वही वेद अपने दोस्त विकास के काफी कहने पर उसकी बहन सुमन की शादी में आ तो गया था लेकिन उसका मन यहां भी नहीं लग रहा था वह एक कोने में बैठे अपने मोबाइल को देखे जा रहा था ।
तभी शारदा की कहने पर सिमरन उसे चाय देने के लिए आई और धीरे से बोली आपकी चाय ।
तब सिमरन की आवाज सुनकर वेद उसकी तरफ देखा और चाय का कप ले लिया, उसके बाद वह देख रहा था कि घर का अधिकतर काम सिमरन ही कर रही थी सादगी मैं भी सिमरन काफी खूबसूरत लग रही थी पता नहीं क्यों लेकिन वेद एक टक उसे ही देख रहा था जैसे उसकी सादगी का वह दीवाना हो गया था इससे पहले उसने न जाने कितनी सुंदर लड़कियां देखी थी लेकिन पता नहीं क्यों सिमरन को देखकर उसे काफी अच्छा लग रहा था जैसे पहली नजर में ही उसे पसंद करने लग गया था लेकिन फिर उसने इस बात को नजरअंदाज करने के बारे में सोचा ।
वही जब शाम हुई तो विवाह में मंगल गीत शुरू हो गए थे, फिर मंगल गीत के बाद कुछ फिल्मी गाने शुरू हुए जिन पर सभी डांस कर रहे थे लेकिन सिमरन वह एक कोने में चुपचाप कुर्सी पर बैठी हुई थी ।
तब खुशी बोली कि उसकी सिमरन दीदी बहुत अच्छा डांस करती है यह कहते हुए जबरदस्ती उसका हाथ पकड़ कर उसे लेकर वहां आ गई ।
तब यह देखकर इंद्राणी को गुस्सा तो आया लेकिन शारदा के सामने कुछ बोल नहीं पाई ।
तब शारदा और सभी ने सिमरन से डांस करने के लिए कहा,तब सबके कहने पर सिमरन भी डांस करने के लिए तैयार हो गई ।
वही एक कुर्सी पर वेद बैठा हुआ था सिमरन की तरफ उसने देखा और अपने मोबाइल में कुछ देखने लग गया लेकिन तभी जैसे ही फिल्मी गाने पर सिमरन ने डांस किया तो उसे देखकर तो सिमरन पर उसकी नजर ही ठहर गई थी और ना चाहते हुए भी उसने अपने मोबाइल में उसे डांस को रिकॉर्ड कर लिया,वह जैसे सिमरन पर से नजर ही नहीं हटा पा रहा था जितना उसे नजर अंदाज करने की कोशिश करता उतना ही जैसे वह उसकी तरफ और ज्यादा आकर्षित हो रहा था ।
ऐसे ही विवाह के दिन गुजर रहे थे, आज सुमन के फेरों का दिन था उसकी बारात आने वाली थी सभी उसकी बारात की स्वागत की तैयारी में लगे हुए थे ।
तब खुशी के साथ तैयार होकर सिमरन भी बाहर आई सिमरन ने एक येलो कलर का जोड़ा पहन रखा था जिसमें वह काफी खूबसूरत लग रही थी, वेद जो किसी पर फोन से बातें कर रहा था लेकिन आवाज नहीं आ रही थी, तभी उसकी नजर सिमरन पर गई तो एक पल के लिए ही नजर ठहर गई वह बस उसे देखने लगा ।
तभी विकास वहां पर आया और बोला कहां खो गए यार ।
तब यह सुनकर वेद बोला कुछ नहीं ।
तब विकास बोल यार तुम्हारी एक व्हाइट कलर की शर्ट मिलेगी मुझे पहनने के लिए, बाद में ले लेना ।
तब यह सुनकर वेद बोला तुम्हारी पहनी हुई शर्ट क्या मैं बाद में पहनूंगा, जाओ ले लो मुझे नहीं चाहिए फिर से ।
तब यह सुनकर विकास बोल यार तू सच में मेरा सच्चा दोस्त है यह कहते हुए खुश होते हुए वहां से चला गया और वेद सिमरन को देखते हुए वहीं पास ही एक कुर्सी पर बैठ गया लेकिन सिमरन अभी इन सब से अंजान थी उसने तो अभी तक नजर उठा कर भी ठीक तरह से वेद को नहीं देखा था ।
धीरे-धीरे इसी तरह रात गुजर गई थी पूरी विधि विधान से सुमन का विवाह हो गया था और अगले दिन फिर उसकी विदाई भी हो गई थी ।
तब दुल्हन की विदाई के बाद सिमरन की तरफ देखते हुए इंद्राणी बोली सिमरन अब घर चलने की तैयारी करो, वैसे भी तुम्हारे बाबोसा की दुकान को हम ज्यादा दिन तक बंद नहीं रूक सकते ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली जी मां और वह जाने की तैयारी करने लग गई थी ।
तब शारदा बोली अरे इंद्राणी अभी तो मैंने अपनी बेटी की विदाई की है और अगर अभी तुम सब चले जाओगे तो मुझे तो सूना सूना लगेगा ना ।
तब यह सुनकर इंद्राणी बोली आपकी बात सही है जीजी सा लेकिन खुशी के बाबोसा की दुकान भी तो ज्यादा बंद नहीं रह सकती आप भी हमारी मजबूरी समझिए ।
तब यह सुनकर शारदा बोली जानती हूं लेकिन क्या करूं बेटी के जाने के बाद अकेली हो गई यह कहते हुए वह उदास हो गई ।
तब इंद्राणी बोली आपकी तकलीफ में समझ रही हूं जीजी सा यह कहते हुए दोनों बात करने लगी ।
कुछ ही देर में तब सिमरन ने जाने के लिए सारा सामान पैक कर लिया जो भी लेकर आए थे अपने कपड़े वगैरा पैक करने के बाद में अपनी मां के पास आकर बोली मां समान मैंने पैक कर लिया ।
तब इंद्राणी बोली अच्छा है फिर वह लोग जाने लगे तब उन्हें जाते हुए देखकर वेद जिसकी नजर तो जैसे सिमरन को ही ढूंढ रही थी,तब उसे इस तरह जाते देखकर अच्छा नहीं लग रहा था उसका मन कर रहा था कि जाकर वह सिमरन से बात करें उसकी नाम पते के बारे में पूछे लेकिन कुछ सोचकर कि पता नहीं वह क्या सोचेंगी और वह खुद भी उसे लड़की के बारे में इतना क्यों सोच रहा है यह सोचकर उसने कुछ नहीं पूछा ।
तब उसे सोच में डूबे देखकर विकास उसके पास आया और बोला क्या हुआ कहां खोए हुए हो ।
तब यह सुनकर वेद बोला कुछ नहीं वैसे अब मुझे चलना चाहिए ।
तब यह सुनकर विकास बोल इतनी जल्दी ।
तब वेद बोला हां तुम्हारी काफी कहने पर मैं यहां आ तो गया था लेकिन अब और ज्यादा नहीं रूक सकता तुम्हें पता है ना ऑफिस में कितना ज्यादा काम होता है ।
तब यह सुनकर विकास बोला ठीक है यार तुम यहां पर आए है यह बहुत बड़ी बात है उसके बाद वेद ने भी जाने की तैयारी की और अपने घर के लिए निकल गया था, सारी रास्ते न जाते हुए भी वह सिमरन के बारे में ही सोचते जा रहा था, जैसे पहली नजर में ही जैसे वह अपना दिल दे बैठा था ।
वही सिमरन अपने घर पर आई, तब कपड़े वगैरा बदलकर हाथ में धोकर उसने सबके लिए खाना बनाया, उन लोगों ने खाना खाया, फिर आराम करने के लिए लेट गए ।
अगले दिन सुमन अपनी मां से बोली मां मुझे आज इंटरव्यू के लिए जाना है कुछ पैसे दे दीजिए किराए के लिए ।
तब यह सुनकर इंद्राणी गुस्से में बोली कब तक तुम्हें बार-बार टेंपो का किराया दे, पैदल नहीं जा सकती क्या ।
तब यह सुनकर सिमरन धीरे से बोली मां बहुत दूर है और समय पर इंटरव्यू में पहुंचना जरूरी भी है ।
तब यह सुनकर इंद्राणी उसे रुपए देते हुए बोली यह ले और जल्दी से कोई नौकरी तलाश कर ले रोजाना बस अपने बाप की कमाई को उड़ाने पर रुकी हुई है ।
तब यह सुनकर सिमरन कुछ नहीं बोली और फिर भगवान का आशीर्वाद लेकर यह सोचते हुए चली गई कि आज उसका सलेक्शन हो जाए तो बेहतर है ।
वही इंटरव्यू देते समय भी वह घबरा रही थी लेकिन फिर उसने इंटरव्यू दिया और वहां से बाहर निकल आई ।
तब वह टेंपो का इंतजार कर ही रही थी तभी अचानक एक मोटरसाइकिल पर दो लड़के आए और जबरदस्ती उसके हाथ में से पर्स छीन कर भाग गए ।
तब सिमरन ने उनके पीछे भागने की चिल्लाने की बहुत कोशिश कर की लेकिन वह दोनों कुछ ही देर में उसकी आंखों से ओझल हो गए ।
तब यह देखकर सुमन को रोना आ गया वह सोचने लगी कि अब वह घर वापस कैसे जाएगी इतनी दूर पैदल जाएगी तो उसे वैसे ही शाम हो जाएगी और उसकी मां भी 100 सवाल करेगी यह समझ कर उसने अपने बैग की तरफ देखा जो उसने पीछे कमर पर लटका रखा था और पर्स उसके हाथ में था जो वह चोर लेकर लेकर चले गए थे तब वह बोली अच्छा है कि बैग लेकर नहीं गए वरना उसके सारे डॉक्यूमेंट तो इसमें थे अगर डॉक्यूमेंट चले जाते तो क्या होता यह सोचकर परेशान हो उठी ।
फिर अब वह घर कैसे जाएगी यह सोचकर उसे तकलीफ हो रही थी, तभी अचानक एक गाड़ी उसके पास आकर रुकी ।
अब गाड़ी को रूकते हुए देखकर उसे थोड़ी हैरानी भी हुई फिर सोचने लगी कहीं कोई आवारा ना हो इसलिए घबराते हुए वहां से बढ़ने लगी तभी उसे एक आवाज आई रुकिए ।
तब यह सुनकर सिमरन ने उसे तरफ देखा और वेद को देखकर उसे हैरानी हुई, तब वेद को देखकर वह पहचान गई थी कि यह उसकी शारदा मौसी के बेटे विकास का दोस्त है ।
तब वेद उसकी तरफ देखते हुए बोला आप यहां ।
तब यह सुनकर सिमरन हड़ बढ़ाते हुए धीरे से बोले हां आज मेरा इंटरव्यू था वह देने के लिए आई थी ।
तब यह सुनकर वेद बोला अच्छा लेकिन क्या हुआ इंटरव्यू ठीक से नहीं हुआ जो तुम परेशान लग रही हो ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली एक तो नौकरी पर वैसे ही नहीं मिलती रोज-रोज इंटरव्यू देने के लिए चक्कर लगाने पड़ते हैं और आज तो दो लड़के मोटरसाइकिल पर आकर मेरा पर्स छीन कर ले गये उसमें ही किराए के रुपए थे अब घर वापस कैसे जाऊंगी, पैदल ही चल कर जाना पड़ेगा वह परेशान होते हुए बोली ।
तब यह सुनकर वेद बोला अच्छा तो तुम ऐसे करो मेरे साथ चलो मैं तुम्हें छोड़ देता हूं ।
तब यह सुनकर सिमरन हड़ बढ़ाते हुए बोली नहीं ।
तब वेद बोला देखो घबराओ मत और मुझसे डरने की कोई जरूरत नहीं है मैं तुम्हें सही सलामत तुम्हारे घर पर छोड़ दूंगा ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली नहीं मैं आपके साथ नहीं जा सकती ।
तब यह सुनकर वेद बोला क्यों यह सोच कर डर रही हो कि इस तरह एक लड़के के साथ तो देखो मुझ पर तुम भरोसा कर सकती हो ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली ऐसी बात नहीं है आप मेरी मौसी के बेटे के दोस्त हैं तो ऐसे में मुझे आप से डरने की जरूरत नहीं है ।
तब यह सुनकर वेद बोला तो फिर चलो मेरे साथ में तुम्हे तुम्हारे घर तक छोड़ देती हूं ।
तब सिमरन बोली नहीं मैं नहीं जा सकती, अगर लोग देखेंगे तो बेवजह ही तरह-तरह की बातें बनाएंगे ।
तब यह सुनकर वेद सोच कर बोला हां यह बात तो है तो ऐसा करो यह कहते हुए उसने अपने जेब में से 500 का नोट निकला और कहा यह लो तुम किसी टैक्सी में चली जाना ।
तब सिमरन बोली नहीं मैं नहीं ले सकती ।
तब वेद बोला तो तुम यहां से पैदल कैसे जाओगी और वैसे भी तुम बता रही थी उसके हिसाब से तुम्हारा घर काफी दूर है ऐसे में तुम्हारे पास किराया भी नहीं है इसलिए रख लो कोई बात नहीं ।
तब सिमरन बोली नहीं मैं नहीं ले सकती ऐसे ।
तब यह सुनकर वेद बोला अरे मैंने बोला ना कोई बात नहीं रख लो ।
तब सिमरन बोली नहीं ।
तब यह सुनकर वेद बोला अच्छा तुम ऐसे नहीं ले सकती ना तो कोई बात नहीं जब तुम्हारे पास हो तब लौटा देना ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली लेकिन मैं आपको कब लौटाऊगी ।
तब वेद बोला जिस तरह आज मिले हैं वैसे ही फिर कभी मुलाकात हो जाएगी तब लौटा देना, अब तो रख लो यह कहते हुए 500 का नोट सिमरन की तरह बढ़ाया ।
तब सिमरन बोली लेकिन मुझे इतने नहीं चाहिए ।
तब वेद बोला कोई बात नहीं जितना किराया हो उतना दे देना और बाकी के पैसे रख लेना ।
तब सिमरन बोली नहीं मैं इतना नहीं ले सकती ।
तब वेद ने 100 का नोट निकला और कहा ठीक है तो यह रख लो ।
तब सिमरन ने हड़ बढ़ाते हुए वेद के हाथ में से ले लिया ।
तब वेद बोला वैसे किराया कम तो नहीं पड़ेगा तुम्हें ।
तब सिमरन बोली नहीं वहां के तो ₹80 ही लगते हैं ।
तब वेद बोला अच्छा ।
तब सिमरन बोली थैंक्स यह कहकर जाने लगी तो वेद बोला 1 मिनट रुको ।
तब सिमरन रुक गई, तब वेद बोला देखो गलत मत समझना लेकिन क्या मैं जान सकता हूं तुम्हारा नाम क्या है ।
तब सिमरन धीरे से बोली सिमरन ।
तब वेद बोला अच्छा, फिर सिमरन चली गई और वेद मुस्कुराते हुए उसे जाते देखता रहा और खुद ही धीरे से गुनगुनाया सिमरन और वापस अपनी गाड़ी में बैठकर वहां से जाने के लिए रवाना हो गया था ।
वही जब सिमरन अपने घर पर आकर पहुंची तो उसे आए देखकर इंद्राणी बोली क्या हुआ मिली कोई नौकरी ।
तब यह सुनकर सिमरन धीरे से बोली नहीं मां ।
तब इंद्राणी गुस्से में बोली तुझसे तो कुछ नहीं होगा यही बैठकर हमारे छाती पर मूंग दलते रहना और मुक्ति की रोटी खाती रहना कुछ न होने वाला तुझसे तो ।
तब यह सुनकर सिमरन हड़ बढ़ाते हुए धीरे से बोली मां हर किसी के पास कोई ना कोई डिग्री है ऐसे में जोब मिलना आसान नहीं है मेरे पास तो कोई डिग्री नहीं है ।
तब यह सुनकर इंद्राणी बोली तेरे कहने का क्या मतलब है कि अब हम तुम्हें कोई डिग्री दिलाए अरे तुझे पढ़ा लिखा कर इतना बड़ा कर दिया यही बहुत बड़ी बात है अब इतना ना होगा हमसे पैसे पेड़ में नहीं लटक रहे हैं जो तोड़कर तू जो चाहे वही करते फिरें डिग्री चाहिए इसे यह कहते हुए उसे भला बुरा कहने लगी ।
तब यह देखकर खुशी बोली मां आप भी ना दीदी थकी हुई आई है उसे खाने की पूछने की बजाय आप उसे जली कटी सुनाने लग गई ।
तब यह सुनकर इंद्राणी गुस्से में बोली हां बड़ा महान कर काम करके आई है ना जो इसे खाने पीने की पूछूं वैसे भी मुक्ति की रोटी है इसे खाने में कौन सी ही शर्म आएगी ।
तब यह सुनकर सिमरन की तरफ देखते हुए खुशी बोली दीदी आप चलिए मेरे साथ और उसे अपने कमरे में लेकर आई ।
तब सिमरन बेड पर बैठते हुए रोते हुए बोली मेरी किस्मत ही बेकार है मैंने तो बहुत कोशिश की लेकिन मुझे कोई नौकरी ही नहीं मिलती है तो मैं क्या करूं ।
तब यह सुनकर खुशी बोली दीदी आप मां की बातों को दिल पर मत लीजिए मां को तो आप जानती ही है ना और देखना आपको कोई अच्छी नौकरी जरूर मिल जाएगी ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली इतनी जल्दी नौकरी मिलना कोई आसान नहीं है खुशी मैंने बहुत कोशिश की है लेकिन मेरे पास कोई डिग्री ही नहीं है तो मैं क्या करूं ।
तब यह सुनकर खुशी बोली आप चिंता मत करो जब भगवान को मंजूर होगा ना तभी आपको कोई अच्छी जॉब मिलेगी यह कहते हुए उसे तसल्ली दी और बोली आप भूखी की प्यास होगी ना मैं आपके लिए खाना लेकर आती हूं यह कहते हुए खाना लेने चली गई ।
कुछ देर बाद खुशी खाना लेकर आई और बोली चलो दीदी साथ में खाना खाते हैं ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली नहीं मुझे भूख नहीं है ।
तब यह सुनकर खुशी बोली ऐसे कैसे भूख नहीं है आपके लिए तो मैंने भी खाना नहीं खाया है कब से आपके आने का ही इंतजार कर रही थी ।
तब यह सुनकर सिमरन ने खुशी की तरफ देखा और बोली खुशी तुम मुझसे बहुत प्यार करती हो मेरी इतनी चिंता करती हो अगर मेरे कोई सगी बहन भी होती ना वह भी मेरे बारे में इतना नहीं सोचती ।
तब यह सुनकर खुशी बोली तो मैं आपकी सगी बहन नहीं हूं यही मानती है ना आप ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली नहीं ऐसी बात नहीं है ।
तब खुशी बोली तो फिर आज के बाद यह मत बोलना दीदी आप मेरे लिए मेरी सगी बहन से भी बढ़कर हो आपसे मैं बहुत प्यार करती हूं यह कहते हुए सिमरन के गले लग गई और फिर बोली दीदी मां की बातों को दिल पर मत लीजिए चलो खाना खाओ यह कहते हुए दोनों बहने खाना खाने लगी ।
वही सिमरन से मिलने के बाद वेद के दिलों दिमाग में सिमरन छाई हुई थी वह चाहे कितनी भी कोशिश कर ले लेकिन उसका ख्याल उसका पीछा नहीं छोड़ रहे थे ।
उधर वेद जब अपने घर पर आया तो देखा कि कामिनी वहीं थी,तब कामिनी को देखकर वह कुछ नहीं बोला और जाने लगा तब कामिनी बोली क्या हुआ वेद तुम मुझे इस तरह इग्नोर करके क्यों जा रहे हो ।
तब यह सुनकर वेद बोला कुछ नहीं वैसे भी काफी थक गया हूं थोड़ा आराम करना चाहता हूं ।
तब यह सुनकर कामिनी बोली तुम्हारे पास कभी मुझसे बात करने के लिए टाइम ही नहीं होता है मैं यहां कब से तुम्हारा इंतजार कर रही थी ।
तब यह सुनकर वेद बोला कामनी देखो आज ऑफिस में बहुत काम था और मैं थक गया हूं यह कहते हुए जाने लगा तो कामिनी बोली वेद ।
तब वेद उसकी तरफ देखकर बोला प्लीज, यह कहते हुए अपने कमरे में चला गया और कामिनी गुस्से में तिल मिलाते हुए बोली इसके भी बड़े भाव है कभी बात करने की कोशिश करती हूं तो बात करना ही नहीं चाहता एक मैं ही हूं जो इसके पीछे पागल होकर घूमती हूं और इसे तो जैसे मेरी कोई फिक्र ही नहीं है लेकिन छोड़ो एक न एक दिन तो मेरी फिक्र मालूम ही होगी और जल्दी ही जब इसके साथ मेरा विवाह हो जाएगा ना तब देखना यहां कि मैं रानी बन जाऊंगी और इस वेद इसे भी अपने इशारों पर नचाऊगी यह अभी कामिनी को जानता ही कहां है यह कहते हुए उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई ।
तब उसे सोच में डूबे देखकर वेद की मां सुरीली वहां पर आई और बोली क्या हुआ बेटा ।
तब यह सुनकर कामिनी हड़ बढ़ाते हुए बोली कुछ नहीं आंटी बस वेद आया था तो मैं बातें करना चाहती थी लेकिन यह कहकर की थका हुआ है चला गया ।
तब यह सुनकर सुरीली बोली अब इतना सारा काम होता है तो ऐसे में थकान तो हो ही जाती है मेरे बेटे को 1 मिनट की भी फुर्सत नहीं है ।
तब यह सुनकर कामिनी बोली हां आंटी ।
तब सुरीली बोली अच्छा तू चल बेटा मेरे साथ मेरे साथ बैठकर कुछ बातें कर ले, यह कहकर कामिनी को अपने साथ ले जाने लगी ।
तब कामिनी मन ही मन में बोली अब इस से क्या बातें करूंगी मैं, बेवजह ही मेरा सिर में दर्द बढ़ाएगी यह सोचते हुए फिर बोली अच्छा आंटी में चलती हूं वैसे भी शाम हो गई है पापा भी मेरी बारे में पूछेंगे कई बार उनका कॉल भी आ चुका है मां भी परेशान होगी फिर कभी आऊंगी ।
तब यह सुनकर सुरीली बोली ठीक है बेटा ।
तब कामिनी वहां से चली गई और बोली इस वेद के पास टाइम नहीं है और इसकी मां को दूसरों को सिर दर्द देने के सिवा कुछ आता ही नहीं है इस वेद से एक बार विवाह हो जाएगा यहां की तो मैं महारानी बन जाऊंगी लेकिन फिर वेद की इस ग्वार मां को कौन बर्दाश्त करेगा ना जाने कब मरेगी यह सोचते हुए वह अपने घर पर आ गई ।
तब कामिनी उसे देखकर ठाकुर विजेंद्र सिंह जो उसके पापा थे बोले कहा थी बेटा तुम ।
तब यह सुनकर कामिनी बोली कुछ नहीं बस वेद के घर पर गई थी ।
तब यह सुनकर ठाकुर विजेंद्र सिंह बोल बेटा तुम्हारा उससे विवाह होने वाला है ऐसे में इस तरह रोज-रोज उसके घर जाना भी ठीक नहीं है लोग बात बनाएंगे ।
तब कामिनी बोली आप भी ना पापा लोगों की बातों पर ध्यान देते हैं अरे लोगों की तो होती ही इतनी छोटी सोच है और वैसे भी पापा हम मिडिल क्लास लोग हैं तो आपको ऐसा ही लगता है लेकिन वेद उसके घर वालों को ऐसा नहीं लगता क्योंकि वे लोग काफी माडर्न ख्यालों के और काफी अमीर है ।
तब विजेंद्र सिंह बोले हां बेटा यह बात तो है अब तो बस जल्दी से उसे घर में तुम्हारा विवाह हो जाए तो मैं टेंशन फ्री हो जाऊं ।
तब यह सुनकर कामिनी बोली तो फिर पापा आप बात कीजिए ना उनसे ।
तब यह सुनकर ठाकुर विजेंद्र सिंह बोले मैंने बात की थी लेकिन अभी वेद अपने कारोबार में इतना व्यस्त है कि उसके बाद इतना टाइम भी नहीं है कि वह विवाह कर सके इसलिए कुछ वक्त उसे चाहिए और वैसे भी बेटा कुछ ही तो वक्त की बात है फिर तो तुम्हारा विवाह वेद से हो जाएगा ।
तब यह सुनकर कामिनी बोली हां पापा, यह कहते हुए दोनों बाप-बेटी बातें करने लगे ।
उधर रात को सोते समय वेद सिमरन का शादी वाला डांस अपने मोबाइल में देखने लगा तो उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई, तब वह अपने आप से ही बोला आखिर क्यों यह लड़की मेरे दिलों दिमाग से हटने का नाम नहीं ले रही है मैंने तो दुनिया में हजारों लड़कियां देखी है कभी मुझे ऐसा महसूस नहीं हुआ लेकिन उसे लड़की को देखकर तो जैसे कुछ अलग ही महसूस होता है आखिर ऐसा क्या है उसमें की जितना उससे दूर जाने की कोशिश करता हूं उतना ही उसके ख्याल ज्यादा आते हैं, यह सोचते हुए अपने आप से बातें करने लगा और फिर सोने के लिए लेट गया ।
अगले दिन इंद्राणी के पास आकर सिमरन बोली मां मुझे इंटरव्यू के लिए जाना है कुछ रुपए किराए के लिए दे दीजिए ना ।
तब यह सुनकर इंद्राणी ने गुस्से में उसकी तरफ देखकर और बोली रुपए क्या पेड़ पर लटक रहे हैं जो तुझे रोज निकाल कर दे दूं तुझे तो कोई नौकरी मिलने से रही अब जो घर में एक ₹2 है उन्हें भी खर्च कर देना और वैसे भी तुझे कल ही तो मैंने रुपए दिए थे वह कहां है ।
तब यह सुनकर सिमरन हड़ बढ़ाते हुए बोली मां कल जब घर आने के लिए टेंपो का इंतजार कर रही थी तो मोटरसाइकिल पर दो लड़के आए और जबरदस्ती मेरा पर्स मुझसे छीन कर ले गए ।
तब यह सुनकर इंद्राणी गुस्से में बोली हे राम जी कुछ न होने वाला इस छोरी का इसने तो मेरा जीना ही हराम करेगी अरे जिस तरह पर्स छीन कर लेकर गए तुझे नहीं लेकर गए जो हमें तो तुमसे मुक्ति मिल जाती हमेशा हमारी ही मुसीबत बढ़ाती रहती है यह लो ₹200 ₹160 लगेंगे आने जाने का किराया उसे में से ₹40 बचेंगे उन्हें वापस लाकर दे देना सुना तुमने और एक बात याद रखो जल्दी ही कोई नौकरी तलाश कर लो वरना घर पर बच्चों का ट्यूशन लगवा दूंगी फिर घर-घर जाकर पढ़ाते रहना बच्चों को वह गुस्से में उसकी तरफ देखकर बोली ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली ठीक है मां तभी उसे याद आया कि उसने वेद के ₹100 और लिए है ।
तब वह घबराते हुए बोली मां मुझे, तब इंद्राणी उसकी तरफ देखकर गुस्से में बोली अब क्या चाहिए दे दिए ना तुझे रुपए जाओ यहां से और सोच ले किसी भी हालत में मुझे नौकरी चाहिए तेरी अगर नौकरी नहीं मिलेगी ना तो यही तुझे बच्चों का ट्यूशन लगवा दूंगी तुम्हारा खर्चा और बर्दाश्त नहीं होता हमसे हम तो जैसे तैसे करके गुजारा करते हैं ।
तब खुशी वहां पर आई और बोली दीदी आप चिंता मत कीजिए आज भगवान अच्छा ही करेगा ।
तब यह सुनकर सिमरन कुछ नहीं बोली और वहां से चली गई ।
तब उसके जाने के बाद खुशी अपनी मां की तरफ देखते हुए बोली मां आप क्यों बेवजह दीदी को हमेशा जब देखो तब भला बुरा सुनाने में लगी रहती हो ।
तब सुनकर इंद्राणी बोली अच्छा क्या बुरा कह दिया मैंने उसे ।
तब यह सुनकर खुशी बोली आप बेवजह उसे डांटती रहती हो ।
तब यह सुनकर इंद्राणी गुस्से में बोली बड़ा प्यार आता है दीदी पर अरे तेरी कोई सगी बहन नहीं है वह जो तू उसका इतना पक्ष ले रही है कि अपनी मां से ही सवाल जवाब कर रही है ।
तब यह सुनकर खुशी बोली में जानती हूं वह मेरी सगी बहन नहीं है लेकिन मेरी सगी बहन से भी बढ़कर है दीदी मेरे लिए और आप इस तरह उससे सौतेला व्यवहार करें यह मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता ।
तब यह सुनकर इंद्राणी बोली अच्छा अब तू भी यह बोलेगी कि हम उसे बुरा रखते हैं ।
तब यह सुनकर खुशी बोली हां अगर आपको उससे नफरत ही करनी थी उसे इस तरह की जिंदगी देनी थी तो आप उसे लेकर ही क्यों आई थी रह लेती बिचारी किसी अनाथालय में कम से कम यहां नर्क से भरी जिंदगी तो नहीं जीनी पड़ती ।
तब यह सुनकर इंद्राणी बोली हां हां तू भी बोल अरे तू तो ऐसा ही बोलेगी ना मैंने अपने हिस्से का खाना उसे खिलाया है एक सगी बेटी से बढ़कर उसे मान दिया है लेकिन तुझे तो यही लगता है ना कि हमें बुरे हैं अरे चाहे हम कितना भी उसे लाड प्यार कर ले लेकिन लोग तो ऐसा ही बोलेंगे यह मैं सोचती थी लेकिन अब तो मेरी सगी औलाद ही ऐसा बोलने लग गई जरा सा उसकी भलाई के लिए कुछ बोल क्या दिया तुम्हे तो बुरा लग गया चाहे मैं तो कितना ही कर लूं लेकिन मैं ही गलत नजर आऊंगी, यह कहते हुए बड़बड़ाने लगी ।
तब खुशी अपने कमरे में चली गई और पढ़ाई करने लगी, तब इंद्राणी बाहर से चिल्लाते हुए बोली अरे जब खुद की औलाद ही ऐसे बोलने लग गई तो किसी और को क्या दोष दे, तब उसे इस तरह बडबडाते देखकर खुशी अपने दोनों कानों पर हाथ रखते हुए बोली यह मां भी ना इसे जरा सा कह क्या दिया अब तो राई का पहाड़ बना देगी भगवान बचाए इससे यह कहते हुए कमरे का दरवाजा अच्छे से बंद किया और दोनों कानों में हुई लगाकर फिर पढ़ने बैठ गई और अपने आप से बोली अच्छा है कि अब आवाज नहीं आ रही है, यह कहते हुए पढ़ने लगी ।
वही वेदिका आज जिस ऑफिस में इंटरव्यू देने के लिए आई थी वहां पर पहुंचकर घबराने लगी सोचने लगी कि पता नहीं आज उसका इंटरव्यू कैसा होगा, अगर उसे जल्दी ही नौकरी नहीं मिली तो क्या होगा उसकी मां भी उसे डांट लगाएंगी यह सोचते हुए वह आगे बढ़ रही थी, तभी किसी ने उसे आवाज लगाई ।
तब उसने पीछे मुड़कर देखा तो वेद खड़ा था तब वेद को देखकर वह हैरान रह गई ।
तब वेद उसके पास आकर मुस्कुराते हुए बोला तुम यहां ।
तब यह सुनकर सिमरन धीरे से बोली हां आज यहां मेरा इंटरव्यू है यह कहते हुए फिर बोली मुझे पता है मुझे आपके रुपए लौटाने हैं लेकिन सॉरी आज मेरे पास इतने रुपए नहीं है सिर्फ किराए के लिए है ।
तब यह सुनकर वेद मुस्कुराते हुए बोला तुम्हें उन्हें लौटने की कोई जरूरत नहीं है मैंने बस ऐसे ही तो दिए थे और कौन से ही ज्यादा रुपए है लेकिन ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली नहीं मुझे इस तरह किसी के रुपए लेना ठीक नहीं लगता ।
तब वेद बोला तो फिर ठीक है कोई बात नहीं जब रुपए हो जाए तुम्हारी जॉब लग जाए तब दे देना ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली ठीक है ।
तब वेद मुस्कुराते हुए बोला बेस्ट ऑफ लक ।
तब सिमरन बोली थैंक यू और वहां से चली गई ।
तब वेद मुस्कुराते हुए उसे जाते देखता रहा, वहीं सिमरन अंदर जाकर देखा कि काफी लड़के लड़कियां बैठे हुए थे उन्हें देखकर वह और ज्यादा घबराने लगी कि आज भी जरूर उसका सिलेक्शन नहीं होगा ।
फिर जब उसका नंबर आया और जब वह अंदर गई तो हैरान रह गई की इंटरव्यू लेने के लिए जो दो-तीन लोग बैठे थे उनमें से एक वेद था ।
तब वेद को वहां देखकर उसे हैरानी हुई लेकिन बोली कुछ नहीं ।
वही फिर वेद के साथ जो दो आदमी और बैठे थे उन्होंने सिमरन के डॉक्यूमेंट देखकर उससे कुछ सवाल जवाब किया और फिर एक आदमी सिमरन की तरफ देखते हुए बोला मिस सिमरन आपके पास कोई डिग्री भी नहीं है कि इसके हिसाब से हम आपको यह जॉब दे सके ऐसे में सॉरी आपको यह जॉब नहीं मिल सकती ।
तब यह सुनकर सिमरन उदास हो गई, तब वेद बोला तुम्हें यह जॉब क्यों चाहिए ।
तब सिमरन बोली मेरे लिए यह जॉब बहुत जरूरी है सर यह कहकर जाने लगी ।
तब वेद बोला रूको 1 मिनट ।
तब सिमरन रुक गई तब वह उन दोनों आदमियों की तरफ देखते हुए बोला किसी की काबिलियत परखने के लिए किसी डिग्री डिप्लोमा की जरूरत नहीं होती मुझे लगता है कि यह अपना काम अच्छे से करेगी ।
तब यह सुनकर एक आदमी बोला लेकिन सर ।
तब वेद बोला मैंने बोल दिया ना ।
तब यह सुनकर वह आदमी बोला ठीक है सर और सिमरन की तरफ देखते हुए बोला ठीक है आपका सिलेक्शन हो गया, कल से ही आप आकर जॉइनिंग कर सकती है ।
तब यह सुनकर सिमरन के चेहरे पर मुस्कान आ गई और वह बोली थैंक यू सर और खुश होते हुए बाहर आ गई ।
तब उसे इस तरह खुश देखकर जैसे वेद को एक सुकून सा मिला था ।
वहीं जब सिमरन अपने घर पर पहुंची तो उसे देखकर इंद्राणी गुस्से में बोली आज भी कोई नौकरी नहीं मिली होगी, मुझे तो पता था कि इस मनहूस से कुछ भी न होने वाला, रोज घर के काम से बचने के लिए घर से इंटरव्यू का बहाना करके निकल जाती है कि घर का काम ना करना पड़ जाए और फिर कह देती है की नौकरी नहीं मिलती, मुझे तो लगता है कहीं बाहर जाकर गार्डन में बैठ जाती होगी, यह कहते हुए बड़बड़ाने लगी ।
तब सिमरन मुस्कुराते हुए बोली मां आज मुझे जॉब मिल गई है ।
तब यह सुनकर इंद्राणी ने हैरानी से उसकी तरफ देखा, तब सिमरन बोली हां मां आज मुझे जॉब मिल गई है और ₹30000 महीने सैलरी होगी मेरी ।
तब यह सुनकर खुशी खुश होते हुए सिमरन के गले लगा कर बोली अरे दीदी यह तो बहुत खुशी की बात है मैंने कहा था ना आपसे कि भगवान पर भरोसा रखो आपको कोई अच्छी जॉब जरूर मिल जाएगी और देखो आपको जोब भी मिल गई है ₹30000 महीना यह तो अच्छी खासी सैलरी है वरना प्राइवेट जॉब को तो लोग 10 15000 ही सैलरी देते हैं, यह कहते हुए खुशी अपनी मां की तरफ देखते हुए बोली मां देखो दीदी को अब जॉब मिल गई है ।
तब यह सुनकर इंद्राणी मुंह बनाते हुए बोली ठीक है ठीक है वैसे भी अच्छा है नौकरी मिल गई वरना हमारी छाती पर ही मूंग दलती रहती, यह कहते हुए अंदर चली गई ।
तब खुशी बोली आप मां की बातों पर ध्यान मत दो दीदी आज तो खुशी का दिन है आओ मैं आपके लिए खाना लेकर आती हूं, यह कहकर दोनों बहनों के लिए खाना लेकर आई और फिर दोनों बहने बैठकर खाना खाने लग गई ।
उस समय दोनों बातें कर रही थी, आज सिमरन को बहुत खुशी हो रही थी कि उसे जॉब मिल गई साथ में ही वह मन ही मन वेद का धन्यवाद कर रही थी क्योंकि उसकी वजह से ही उसे जॉब मिली थी ।
तब उसे सोच में डूबे देखकर खुशी बोली क्या हुआ दीदी किस सोच में डूब गई ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली वह वेद है ना ।
तब यह सुनकर खुशी हैरानी से बोली कौन वेद ।
तब सिमरन बोली वही शारदा मौसी के बेटे विकास भैया का दोस्त ।
तब यह सुनकर खुशी हैरानी से बोली हां लेकिन क्यों आप उसके बारे में क्यों बोल रही हो ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली क्योंकि आज मैं जिस ऑफिस में इंटरव्यू देने के लिए गई थी वहां के बॉस वेद है और पता है एक दिन वेद सर ने मेरी मदद भी की थी यह कहते हुए उस दिन के बारे में बताया, जब उसने किराए के लिए उसे रुपए दिए थे ।
तब यह सुनकर खुशी बोली यह तो अच्छी बात है वैसे भी विकास भाई सा का दोस्त है शायद इसीलिए आपको इतनी अच्छी जॉब दे दी ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली हां हो सकता है लेकिन वह काफी अच्छे इंसान है विकास भाई सा की तरह नहीं है ।
तब खुशी बोली विकास भाई सा को कौन नहीं जानता एक नंबर का लालची और घटिया इंसान है ।
तब सिमरन बोली लेकिन वेद सर ऐसे नहीं है उन्होंने सच बताऊं तो एक एहसान किया है मुझ पर बहुत अच्छा इंसान है ।
तब यह सुनकर खुशी बोली हां वह बात तो है यह कहते हुए दोनों बहनें इस बारे में बातें करने लगी ।
वहीं सिमरन को जॉब देने के बाद वेद को एक खुशी सी मिल रही थी वह सोच रहा था कि वह इस बहाने में रोज सिमरन को देख लिया करेगा, जैसे उसे देखने के लिए तो वह तड़पता रहता था चाहते हुए भी अपने दिल को नहीं समझा पता था जो हमेशा बस सिमरन के ही बारे में सोचता रहता था ।
अगले दिन तैयार होकर सिमरन अपने ऑफिस के लिए जाने लगी तो बोली मां किराया ।
तब यह सुनकर इंद्राणी बोली यह ले यह कहते हुए उसे कुछ रुपए दे दिए ।
तब इंद्राणी की तरफ देखते हुए सिमरन बोली मां ₹100 और दे दो ना ।
तब यह सुनकर इंद्राणी बोली इतने भाव ना खा अभी तेरी जॉब लगी है कोई सैलरी नहीं मिल रही है कि तू हमसे रुपए मांगने आ गई जितना दे रही हूं उसे ही अपने पास रख ले, जब अपनी सैलरी मिल जाए ना तब रख लेना उसमें से ₹100 लेकिन अभी मेरे पास नहीं है तुम्हें कुछ भी देने के लिए सुना तुमने अब जाओ यहां से ।
तब यह सुनकर सिमरन कुछ नहीं बोली, तब खुशी बोली अरे दीदी आज भगवान का आशीर्वाद लेकर और खुश होकर आप ऑफिस चाहिए आज आपका पहला दिन है और देखना अब सब कुछ अच्छा होगा।
तब यह सुनकर सिमरन बोली हां और वह अपने ऑफिस के लिए निकल गई थी, जब वह टेंपो में से उतरकर अंदर गई ।
तभी उसे अपनी गाड़ी में से उतरकर वेद आता हुआ दिखाई दिया, तब सिमरन उसे देखकर वेद के पास जाकर वह बोली वेद सर ।
तब यह सुनकर वेद रूक गया तब सिमरन बोली शुक्रिया आपका ।
तब यह सुनकर वेद मुस्कुराते हुए बोला किस बात के लिए ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली आपने मुझ पर भरोसा किया और मुझे यह जॉब दी मुझे इसकी बहुत जरूरत थी ।
तबीयत सुनकर वेद बोला मुझे तुम्हारे काबिलियत पर भरोसा है कि तुम अपना हर काम अच्छे से करोगी ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली में मन लगाकर अपना पूरा काम करूंगी आपको शिकायत का कभी मौका नहीं दूंगी ।
तब यह सुनकर वेद बोला अच्छा ।
तब सिमरन बोली मैं चलती हूं यह कहकर वहां से चली गई और वेद उसे जाते हुए मुस्कुराते हुए देखाता रहा जैसे उसका मन ही नहीं चाहता था कि कभी सिमरन को अपनी आंखों से ओझल भी होने दे ।
वही सिमरन ने आकर अपनी जॉब को जॉइनिंग कर लिया था और वह मन लगाकर काम करने लगी, वही वेद किसी न किसी बहाने से सिमरन को अपने केबिन में बुलाता उससे कुछ बातें करता जैसे उससे बातें करना उसे अच्छा लगता था ।
वही सिमरन वेद के अच्छे व्यवहार को देखकर सोचती कि वेद सच में बहुत अच्छा इंसान है विकास भाई सा के दोस्त हैं लेकिन दोनों में जमीन आसमान का अंतर है ।
वहीं इसी तरह दिन गुजर रहे थे ऐसे में कामिनी के पिता ने वेद के पिता रणजीत राणावत से कई बार वेद और कामिनी के विवाह के बारे में कहा लेकिन हमेशा वेद इनकार कर देता, तब वेद की मां ने उसे समझाने की कोशिश की लेकिन वेद कामिनी को सिर्फ एक दोस्त की नजर से देखता था और कुछ नहीं, उसके तो दिलो और दिमाग में सिमरन छाई रहती थी ।
तभी एक दिन जब वह अपने ऑफिस से निकला तो देखा कि सिमरन बाहर खड़े होकर घर जाने के लिए किसी टेंपो टैक्सी का इंतजार कर रही थी ।
तब वेद उसकी तरफ जाता है उससे पहले ही कुछ आवारा लड़के मोटरसाइकिल पर गाड़ी लहराते हुए और किनारे खड़ी हुई सिमरन के धक्का देकर चल गए ।
तब यह देखकर सिमरन का संतुलन बिगड़ गया और वह नीचे गिर गई वेद ने जैसे ही यह देखा तो तुरंत अपनी गाड़ी में से उतरकर सिमरन की तरफ भागा ।
वहीं सिमरन के पैर में मोच आ गई थी तब वेद उसके पास पहुंचकर बोला तुम ठीक तो होना ।
तब सिमरन उठने लगी तो वेद उसे सहारा देकर उठने लगा लेकिन सिमरन के पैर में तो मोच आ गई थी जिसकी वजह से वह उठ नहीं पा रही थी ।
तब वेद बोला ज्यादा दर्द हो रहा है ।
तब यह सुनकर सिमरन जिसकी आंखों में आंसू बह रहे थे वह बोली हां लेकिन कोई ना मैं चली जाऊंगी, यह कहते हुए उठने लगी लेकिन उससे उठा नहीं जा रहा था ।
तब वेद बोला ऐसा करो तुम मेरे साथ चलो यह कहकर उसे सहारा देकर उठाने लगा तो दर्द की वजह से सिमरन रोने लग गई ।
तब वेद बोला 1 मिनट और उसे अपनी बाहों में उठा लिया,तब यह देखकर सिमरन हड़बड़ा बड़ा गई लेकिन वेद उसे अपनी गाड़ी की तरफ ले गया और अपनी गाड़ी में बिठाया, फिर उसकी तरफ देखते हुए बोला तुम परेशान मत हो हम लोग पहले हॉस्पिटल चलते हैं ।
फिर कुछ ही देर में वह दोनों हॉस्पिटल पहुंच गए वहां पर वेद ने डॉक्टर से बोलकर सिमरन के पैर पर मर्म पट्टी करवाई ।
तब वेद को इस तरह अपनी इतनी केयर करता देखकर सिमरन एक टक उसकी तरफ देखने लगी ।
तब वेद उसकी तरफ देखकर बोला अब दर्द हो रहा है ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली नहीं अब कम है, फिर वेद उसे सहारा देकर गाड़ी तक लेकर आया और बोला चलो मैं तुम्हें तुम्हारे घर तक छोड़ देता हूं ।
तब यह सुनकर सिमरन हड़ बढ़ाते हुए बोली नहीं ।
तब वेद बोला क्या हुआ ।
तब सिमरन बोली नहीं लोग देखेंगे तो बातें बनाएंगे ।
तब यह सुनकर वेद बोला तुम लोगों के बारे में इतना क्यों सोचती हो, तुम्हारे पैर में दर्द है अकेले कैसे जाओगी ।
तब सिमरन बोली नहीं मैं चली जाऊंगी ।
तब वेद बोला देखो तुम्हें तकलीफ होगी ।
तब सिमरन बोली आप मेरी बात समझिए अगर लोग देखेंगे तो बेवजह तरह-तरह की बातें बनाएंगे, मेरे परिवार पर उंगली उठाएंगे जो मैं बिल्कुल नहीं चाहती ।
तब यह सुनकर वेद कुछ सोच कर बोला ठीक है, यह कहकर उसने एक टैक्सी बुक की और कुछ ही देर में टैक्सी आ गई ।
तब सिमरन उसमें बैठकर घर जाने के लिए रवाना हो गई,तब वेद उसे जाते हुए देखता रहा फिर अपने घर आने के लिए रवाना हो गया ।
वही सारे रास्ते सिमरन वेद के ही बारे में सोचती रही, जब वह घर पर आकर पहुंची तो लंगड़ाते हुए अपने घर के अंदर आई ।
तब उसके पैर में पट्टी देखकर इंद्राणी बोली अब क्या हो गया ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली कुछ नहीं मां गिर गई थी तो पैर में थोड़ी मोच आ गई थी ।
तब यह सुनकर इंद्राणी बोली हे भगवान इसका कुछ नहीं हो सकता, अरे तुझ में जरा सी अकल है या नहीं अभी दो दिन तुझे नौकरी करते हुए नहीं हुए और पैर में मोच लेकर आ गई ।
तब खुशी वहां आते हुए बोली मां यह पूछने की बजाय की दीदी को कितनी तकलीफ हो रही है आप उस पर चिल्ला रही है, दीदी आप चलिए मेरे साथ यह कहकर वह सिमरन को लेकर अंदर चली गई ।
तब कमरे में अंदर ले जाकर सिमरन को खुशी ने बेड पर सहारा देकर बैठा दिया और उसके लिए पानी लेकर आई और बोली दीदी आखिर आप गिर कैसे गई ।
तब यह सुनकर सिमरन ने उसे पूरी बात बताई, तब खुशी बोली सच में यह वेद कितना अच्छा है ना आपकी इतनी मदद की और एक मां है कि आपकी तकलीफ समझने की बजाय आप पर ही चिल्ला रही थी ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली कोई बात नहीं मां चाहे कुछ भी बोले लेकिन दिल की बहुत अच्छी है ।
तब खुशी जो कुछ सोच रही थी,तब उसकी तरफ देखते हुए सिमरन बोली क्या सोच रही हो ।
तब यह सुनकर खुशी बोली एक बात बोलूं दीदी ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली हां बोलो ।
तब खुशी बोली मुझे ऐसा क्यों लगता है जैसे वेद आपकी इतनी मदद करता है कहीं वह आपको पसंद तो नहीं करता ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली यह कैसी बातें कर रही हो ।
तब खुशी बोली हां दीदी मुझे तो यही लगता है वैसे भी फिल्मों में मैंने देखा है कि एक लड़का जब किसी लड़की को पसंद करता है ना तो उसके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाता है उसे जरा सी तकलीफ में नहीं देख सकता ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली तुम्हारी इन फिल्मों की बातों को तुम अपने पास रखो ऐसा कुछ नहीं है, वह बस एक इंसानियत के नाते मेरी मदद करता है और कुछ नहीं तुम अपने दिमाग में उल्टे-सीधे ख्याल ना लाओ, यह कहते हुए दोनों बहने बातें करने लगी ।
वही सिमरन और खुशी दोनों बातें कर रही थी, तभी इंद्राणी की आवाज सुनाई दे तो खुशी बोली दीदी आप ही बैठिए, आराम कीजिए मैं आई यह कह कर बाहर चली गई ।
तब इंद्राणी बोली अगर बहन के हाल-चाल पूछने से फुर्सत मिल गई हो तो रसोई में काम करवा ले वैसे भी तेरी बहन तो आज महारानी बनी बैठी रहेगी ।
तब यह सुनकर खुशी बोली मां कम से कम आप चिल्लाना तो बंद कीजिए मैं कर लूंगी रसोई का पूरा काम यह कहकर में रसोई का काम करने लग गई ।
वही अपने कमरे में फिर सिमरन बेड पर आराम करने के पर लेट गई और वेद के बारे में ही सोचने लगी, जिस तरह वेद उसकी चिंता करता था उसकी इतनी केयर की थी आज उसने, यह सब याद आते ही उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई अब कहीं ना कहीं वह भी वेद को चाहने जो लग गई थी ।
तभी उसके फोन पर किसी का कॉल आया जैसे ही कॉल सिमरन ने उठाया तो उधर से वेद था ।
तब वेद बोला पहुंच गई तुम घर ।
तब यह सुनकर और वेद की आवाज सुनकर सिमरन बोली वेद सर आप आपके पास मेरे नंबर ।
तब यह सुनकर वेद बोला तुम्हारा नंबर मेरे पास कहां से आई यही सोच रही हो ना अरे तुम्हें पता है कि ऑफिस में हर किसी के नंबर होते हैं वैसे अब तुम्हारे पैर में दर्द तो नहीं है ना ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली नहीं अब थोड़ा आराम है, तब वेद बोला वैसे किसी तरह की प्रॉब्लम तो नहीं हुई घर पहुंचने में ।
तब सिमरन बोली नहीं वैसे आपका बहुत-बहुत शुक्रिया आपने मेरी इतनी मदद की वरना मैं तो घर तक पहुंची नहीं पाती और टैक्सी का किराया भी आपने ही दे दिया ।
तब यह सुनकर वेद बोला कोई ना तुम इन सब के बारे में ज्यादा ना सोचो और हां अब वापस यह चिंता मत करने लग जाना कि तुम्हें उस टैक्सी का किराना किराया भी मुझे लौटाना है मैंने सिर्फ एक इंसानियत के नाते यह सब कुछ किया है ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली जी ।
तब यह सुनकर वेद बोला अच्छा अपना ध्यान रखना और जो दर्द की दवाई है ना उन्हें भी समय पर ले लेना अगर तुम्हारे पैर का दर्द कम ना हो तो तुम कल ऑफिस मत आना ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली नहीं सर मैं आ जाऊंगी ।
तब वेद बोला चिंता मत करो तुम्हारी सैलरी नहीं कटेगी एक दिन आराम करना वरना पैर में और ज्यादा तकलीफ होगी ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली ठीक है ।
तभी किसी के आने के आहट हुई तो सिमरन
बोली ठीक है सर यह कहते हुए कॉल काट दिया ।
वहीं कॉल कटते ही वेद के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई थी, उसने तो पहले ही दिन से सिमरन के नंबर ले लिए थे लेकिन कभी सिमरन के पास कॉल करने की हिम्मत नहीं हुई थी क्योंकि उसे लगता था अगर वह सिमरन के पास कॉल करेगा तो पता नहीं वह उसके बारे में क्या सोचेगी लेकिन आज इसी बहाने से उसके पास कॉल किया था ।
वहीं सिमरन अपने फोन को देखने लगी जिस दिन उसने जॉइनिंग की थी उसे दिन उसके बाबोसा ने उसे नया फोन लाकर दिया था यह सोचकर कि इस की जरूरत सिमरन को पड़ सकती है ।
वही सिमरन वेद के बारे में ही सोचते जा रही थी कि वह उसकी कितनी केयर करता है लेकिन बस एक इंसानियत के नाते ही यह सब कुछ कर रहा है यह भी सोच रही थी, तभी खुशी खाना लेकर आई और बोली चलो दीदी खाना खाते हैं यह कहते हुए दोनों बहनों ने एक साथ खाना खाया ।
अगले दिन सिमरन के पैर में तो ज्यादा दर्द नहीं था इसलिए वह तैयार होकर अपने ऑफिस के लिए चली गई ।
जब ऑफिस में पहुंची तो किसी फाइल को देने के लिए वेद के केबिन में गई ।
तब वेद उसे देखकर बोला अब कैसा है तुम्हारा पैर का दर्द ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली अब ठीक है ।
तब वेद बोला वैसे आज तुम्हें आराम करना चाहिए था ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली नहीं सर अब मेरे पैर में दर्द नहीं है तो सोचा कि घर पर रहकर क्या करूंगी इसलिए यहां पर आ गई ।
तब यह सुनकर वेद बोला अच्छा ।
तब सिमरन दूसरी फाइल लेकर बाहर चली गई, वहीं वेद उसे मुस्कुराते हुए जाते देखता रहा फिर अपना काम करने लग गया ।
धीरे-धीरे इसी तरह एक महीना निकल गया जब सिमरन की पहले महीने की सैलरी उसके अकाउंट में आई तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा ।
तब उसने जाकर अपनी मां को यह सारी बात बताई तो उसकी मां बोली इतना खुश होने की जरूरत नहीं है कौन सा ही तुमने बड़ा काम किया है वैसे भी बेवजह पैसे खर्च करने की कोई जरूरत नहीं है यह कहते हुए बोली तुम्हारा एटीएम कार्ड कहां है यह कहकर उसका एटीएम कार्ड उससे छीन लिया और बोली जितने भी खर्च के रुपए चाहिए मुझसे ले लेना ।
तब यह सुनकर सिमरन कुछ नहीं बोली लेकिन खुशी बोली मां यह सैलरी दीदी की है और उसे पूरा हक है अपने हिसाब से खर्च करने का ।
तब यह सुनकर इंद्राणी गुस्से में बोली तू तो चुप कर आजकल कुछ ज्यादा ही बोलने लग गई है तू अरे हमने क्या इतने साल तक इस पर खर्च नहीं किया इसकी पढ़ाई लिखाई से लेकर हर खर्चा इस पर किया है और आज इसे पहली बार सैलरी मिली है तो बड़ा आ गई इसका पक्ष लेने के लिए और हम कौन सा ही इसकी सैलरी को ऐसे ही मुक्ति में उड़ा रहे है इसके विवाह के लिए ही तो रखना चाहते हैं जिससे ठीक तरीके से इसका विवाह हो जाए क्योंकि तुम्हारे बाबोसा कितना कमाते हैं इस बारे में तो तुम्हें अच्छे से पता है फिर भी ऐसी बातें किए जा रही हो इंद्राणी गुस्से में खुशी की तरफ देखकर बोली ।
तब अपनी मां की बातें सुनकर खुशी कुछ बोलती उससे पहले ही सिमरन बोली कोई ना मां वैसे भी मुझे इन रूपयो का क्या करना है किराए के लिए तो आपसे ही ले लेती हूं, यह कहते हुए वहां से अंदर चली गई ।
तभी अमन भागते हुए मां कहते हुए वहां पर आया और बोला मां मुझे हजार रुपए चाहिए अपने दोस्तों के साथ बाहर घूमने जाना है ।
तब यह सुनकर इंद्राणी बोली 1 मिनट बेटा, यह कहते हुए हजार रुपए निकाल कर अमन के हाथ में दे दिए और अमन खुश होता हुआ वहां से चला गया ।
तब यह देखकर खुशी बोली यह क्या मां आपने उसे ऐसे ही खर्च करने के लिए ₹1000 दे दिए जिन्हें वह अपने आवारा दोस्तों के साथ ऐसे ही खर्च कर देगा ।
तभी यह सुनकर इंद्राणी बोली तेरी प्रॉब्लम क्या है मेरे बेटे के बारे में ऐसा क्यों सोच रही है बेचारा काफी दिनों बाद तो छुट्टियों में घर आया है अपने हॉस्टल से पढ़ाई करके और तुझे अभी उसकी खुशी देखी नहीं जा रही है ।
तब यह सुनकर खुशी बोली ऐसी बात नहीं है मां लेकिन जब दीदी जो वहां पर दिन रात मेहनत करके नौकरी करती है वह आपसे ₹100 भी एक्स्ट्रा मांगती है तो आप उसे कितना कुछ सुनाती है और भैया को आपने ऐसे ही रुपए दे दिए ।
तब यह सुनकर इंद्राणी बोली तू तो चुप ही कर ज्यादा ना बोल और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें ।
तब यह सुनकर खुशी कुछ बोलती उससे पहले इंद्राणी बोली सुनाई नहीं दिया मैंने क्या कहा, तब यह सुनकर खुशी गुस्से में वहां से चली गई ।
अगले दिन जब सिमरन अपने ऑफिस जाने लगी तो इंद्राणी उसे किराया देते समय बोली लोग यह लो सौ रुपए बरना तुम्हारी यह बहन बेवजह का बात का बतंगड़ बनाएगी कि वह खुशी की तरफ देखते हुए बोली ।
तब यह सुनकर सिमरन ने वह रुपए ले लिए और ऑफिस आने के लिए निकल गई ।
फिर आज जैसे ही वह किसी प्रोजेक्ट से संबंधित फाइल लेकर वेद के केबिन में गई तो वेद ने उससे फाइल ली ।
तब सिमरन बोली सर यह कहते हुए वह ₹100 निकाल कर बोली आप के ₹100 ।
तब यह सुनकर वेद के चेहरे पर मुस्कान आ गई और वह बोला अच्छा तुम अभी इनको नहीं भूली हो ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली नहीं सर मेरे पास और दिन इतने रुपए नहीं होते थे ।
तभी यह सुनकर वेद बोला सिमरन मैंने तुमसे रुपए लौटाने के लिए मना किया था ना और वैसे ही कौन सी बड़ी राशि है रख लो अपने पास ।
तब सिमरन बोली नहीं सर मैं इस तरह नहीं रख सकती आपने उसे समय मेरी मदद की थी तो यह लौटाना जरूरी है ।
तब यह सुनकर वेद कुछ सोच कर बोला अच्छा लाओ, यह कह कर वह रुपए ले लिए और बोला अब खुश ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली हां और बाहर चली गई, तब वेद मुस्कुराते हुए मन ही मन में बोला बिल्कुल पागल है, यह कहते हुए उन रूपयों को एक टक देखा और अपने पर्स में रख लिया और अब वह उन्हें खर्च नहीं करना चाहता हो ।
वही कामिनी हीं चाहती थी कि जल्दी से उसका विवाह वेद के साथ हो जाए लेकिन वेद इसके लिए तैयार नहीं था,तब कामिनी उससे बातें करने की कोशिश करती लेकिन वेद उससे ज्यादा बातें नहीं करना चाहता था, उसे कॉल करती तो उसके कॉल को नहीं उठाता था ।
तब एक दिन कामिनी वेद से मिलने के लिए ऑफिस आई, उस समय ऑफिस में सभी लंच टाइम में लंच कर रहे थे, सभी लड़कियां एक जगह बैठकर लंच कर रही थी ।
तब कामिनी को देखकर एक लड़की बोली अरे यह तो कामिनी मैम है ।
तब दूसरी लड़की बोली हां सुना है कि वेद सर की मंगेतर है ।
तब पहले वाली लड़की बोली हां सुना है कि कामिनी मैम के पापा और वेद सर के पापा दोनों बहुत अच्छे दोस्त हैं और उन्होंने बचपन में ही इन दोनों का रिश्ता तय कर दिया और अब कुछ ही वक्त में दोनों का विवाह भी हो जाएगा, यह कहते हुए भी इस बारे में बातें करने लगी ।
वही सिमरन ने यह सुना तो उसे एक तकलीफ सी हुई क्योंकि वह मन ही मन में वेद को चाहने जो लगी थी, तब वह अपने आप से मन ही मन में बोली वैसे अच्छा है कि वेद सर और कामिनी का विवाह हो जाएगा वह इन सब के बारे में इतना क्यों सोच रही है यह सोचते हुए अपने आप को तसल्ली देने लगी लेकिन उसके दिलों दिमाग में यही बातें गूंज रही थी और उसे बहुत तकलीफ हो रही थी, तब वह अपने आप को समझाते हुए कहने लगी मैं भी पागल हूं उल्टा सीधा कुछ भी सोचती हूं वेद सर ने जरा सी उसकी मदद क्या कर दी वह कुछ भी सोचने लग गई यह सोचते हुए इस बात को नजरअंदाज करने की कोशिश करने लगी लेकिन नजर अंदाज नहीं कर पा रही थी ।
वही कामिनी वेद के पास आई और उससे बात करने की कोशिश करने लगी लेकिन वेद ने उसे बहुत काम है यह कहकर वापस भेज दिया जिसकी वजह से कामिनी गुस्से में घर पर आ गई ।
उधर वेद सिमरन से बहुत प्यार करने लग गया था, तब रात को सोते समय में मोबाइल में सिमरन का डांस देख रहा था जो उसने शादी में किया था तब वह अपने आप से बोल चाहे वह कुछ भी बोले लेकिन सच तो यह है कि वह सिमरन से बहुत प्यार करता है उसे देखकर एक सुकून सा मिलता है उसे देखकर मन करता है हमेशा वह आंखों के सामने रहे,वह क्यों उसे जरा सी तकलीफ में भी नहीं देख सकता उसे इस बारे में सिमरन को बताना होगा फिर अपने आप से बोला अगर सिमरन को इस बारे में बताया तो पता नहीं सिमरन क्या सोचेगी लेकिन जो भी हो वह और देर नहीं कर सकता सिमरन से अपने प्यार का इजहार करके ही रहेगा, यह सोचते हुए वह सोने की कोशिश करने लगा ।
अगले दिन सिमरन जब ऑफिस आई हुई थी तो एक चपरासी ने आकर सिमरन से कहा कि उसे वेद सर अपने केबिन में बुला रहे हैं ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली जी और उठकर वेद के केबिन में चली गई और बोली सर आपने बुलाया ।
तब यह सुनकर वेद ने उसकी तरफ देखा और बोला हां यह कहते हुए सिमरन की तरफ देखा और उसे सामने रखी कुर्सी पर बैठने का इशारा किया ।
तब सिमरन बैठ गई, तब वेद उसकी तरफ देखते हुए बोला सिमरन मुझे तुमसे कुछ कहना है ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली हां, तब वेद बोला क्या तुम ऑफिस के बाद मेरे साथ कॉफी पर चलोगी ।
तब यह सबका सिमरन को हैरानी हुई तब वह सोचने लगी कि सर ऐसा क्यों बोल रहे हैं ।
तब वेद बोला क्या हुआ क्या तुम मेरे साथ कॉफी पीने नहीं चल सकती ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली नहीं सर ऐसी बात नहीं है लेकिन तब उसकी बात पूरी होती है उससे पहले ही वेद बोला ठीक है ऑफिस के बाद तुम मेरे साथ कॉफी पर चलोगी ।
तब यह सुनकर सिमरन हड़ बढ़ाते हुए बोली ठीक है ।
तब वेद ने उसे एक फाइल दी और कहा कि हमारी यह नई प्रोजेक्ट की फाइल है ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली जी और वह फाइल लेकर बाहर चली गई ।
वहीं वेद ने सोच लिया था कि आज वह सिमरन से अपने दिल की बात कह कर रहेगा, वहीं सिमरन यही सोच रही थी कि वेद सर आखिर उसे कॉफी पीने क्यों ले जाना चाहते हैं, क्या उसके साथ कॉफी पर जाना ठीक होगा, यही सवाल उसके दिलों दिमाग में घूम रहे थे ।
धीरे-धीरे इसी तरह शाम हो गई, तब ऑफिस से निकल कर सड़क किनारे खड़ी होकर सिमरन सोचने लगी उसने वेद सर से बोल तो दिया कि वह उसके साथ कॉफी पर जाएगी लेकिन क्या यह ठीक होगा और उसकी मां जब इस बारे में पूछेगी तो वह क्या बोलेगी,वह अभी यही सोच रही थी तभी वेद की गाड़ी उसके सामने आकर रुकी और वेद ने उसे बैठने का इशारा किया तो सिमरन हड़ बढ़ाते हुए गाड़ी में बैठ गई लेकिन अभी यही सोच रही थी कि वह वेद सर से इनकार कर दे ।
फिर सोचने लगी कि अगर इंकार करेगी तो पता नहीं वेद सर को कैसा लगेगा वैसे भी वेद सर ने उसकी कितनी मदद की है और एक कॉफी के लिए ही तो बोल रहे है इसमें क्या गलत है, फिर अपने आप से ही बोली इस तरह सीधे ही कॉपी के लिए बोल दिया आखिर क्यों ऑफिस में और लड़कियों से तो कभी ऐसा नहीं बोला, यह सोचते हुए तरह-तरह के ख्याल आ रहे थे ।
तब उसे इस तरह सोच में डूबे देखकर वेद बोला क्या हुआ ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली कुछ नहीं ।
फिर वे दोनों कॉफी पीने के लिए एक रेस्टोरेंट में चले गए, वहां पर दोनों ने काफी ऑर्डर की और एक साथ में पीने लगे ।
तब सिमरन जो अभी इसी सोच में डूबी हुई थी, तब वेद उठकर उसके पास आया और बोला सिमरन ।
तब यह सिमरन खड़ी हो गई और बोली हां ।
तब वेद ने उसका हाथ पकड़ लिया,तब इस तरह अचानक वेद को अपना हाथ पकड़ते देखकर सिमरन घबराने लगी और अपना हाथ छुड़ाने लगी तो वेद बोला मुझे तुमसे कुछ कहना है ।
तब सिमरन बोली सर आप इस तरह मेरा हाथ क्यों पकड़ रहे हैं लोग देखेंगे तो क्या बोलेंगे ।
तब यह सुनकर वेद बोला कोई देखता है तो देख लेने दो मुझे किसी की कोई फिक्र नहीं है ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली लेकिन मुझे तो फ़िक्र है ना, यह कहते हुए अपना हाथ छुड़ाया ।
तब यह सुनकर वेद बोला देखो सिमरन मैं आज कुछ छुपाना नहीं चाहता, जो भी मेरे दिल में है तुमसे कह देना चाहता हूं सिमरन मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं,वेद ने सिमरन की तरफ देखते हुए कहा ।
तब वेद के मुंह से यह सुनकर सिमरन के तो जैसे होश उड़ गए,वह हड़बड़ा गई ।
तब वेद बोला हां सिमरन मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं अब से ही नहीं जब विकास की सिस्टर की शादी में तुम्हें देखा था पता नहीं क्यों लेकिन लेकिन उसके बाद जब तुम्हें उसे वक्त देखा जब तुम्हारा पर्स चोरी हुआ था तो मुझे जैसे कुछ अलग सा ही महसूस हुआ था, उसके बाद तुम्हारी प्रति लगाव बढ़ता ही गया, ऐसे में मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था कि यह मेरे साथ क्या हो रहा है, फिर तुम्हारी मेरी ही कंपनी में जॉब लग गई, मैंने चाहे अपने आप को रोकने की कितनी भी कोशिश की हो लेकिन मैं अपने आप को रोक नहीं पाया था और आखिरकार मुझे यह मानना ही पड़ा कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूं मैं इस बात को और छुपाना नहीं चाहता था इसलिए आज बोल दिया ।
तब यह सुनकर सिमरन हैरान रह गई और बोली सर यह आप क्या बोल रहे हैं ।
तब यह सुनकर वेद बोला हां सिमरन जो सच है वही बोल रहा हूं मैं तुम्हें अपना लाइफ पार्टनर बनना चाहता हूं क्या तुम मुझसे शादी करोगी,वेद ने सिमरन की तरफ देखते हुए कहा ।
तब यह सुनकर सिमरन हड़बड़ा गई,तब वेद बोला क्या हुआ कुछ जवाब दो ।
तब सिमरन बोली सर आपका कामिनी मैम के साथ रिश्ता जुड़ चुका है और सुना है कि कुछ ही दिनों में उसके साथ आपकी शादी भी हो जाएगी तो आपका इस तरह मुझसे यह बातें करना ठीक नहीं है ।
तब यह सुनकर वेद बोला सिमरन कामिनी से मेरा कोई रिश्ता नहीं है हमारे बचपन में ही कामिनी के पापा और मेरे पापा के बीच रिश्ते की बात हुई थी लेकिन मुझे यह रिश्ता बिल्कुल भी मंजूर नहीं है और मैं किसी भी हद में कामिनी से विवाह नहीं करना चाहता ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली लेकिन आपके घर वालों को तो यह रिश्ता मंजूर है ना ।
तब वेद बोला लेकिन मैं अपने घर वालों के लिए इस तरह अपनी जिंदगी तो बर्बाद नहीं कर सकता ना मैं कामिनी से किसी भी हालात में कभी भी शादी नहीं करूंगा, मैं सिर्फ तुमसे प्यार करता हूं और तुम्हारे सिवा किसी और के बारे में नहीं सोच सकता मेरी जिंदगी में सिर्फ तुम हो और तुम ही रहोगी ।
तब यह सुनकर सिमरन हड़बड़ा गई वह खुद भी वेद को बहुत पसंद करती थी लेकिन उसे खुद समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या बोले ।
तब वेद उसकी तरफ देखते हुए बोला काफी बार कहने की कोशिश की लेकिन कह नहीं पाया इसलिए आज तुम्हें लेकर यहां आया हूं ताकि अपने दिल की बात तुमसे कह सकूं ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली लेकिन सर यह ठीक नहीं है ।
तब यह सुनकर वेद बोला लेकिन क्यों ।
तब सिमरन बोली सर आपके और मेरे स्टेटस में जमीन आसमान का अंतर है, यह सब नहीं हो सकता ।
तब यह सुनकर वेद बोला अच्छा तो तुम इन सब के बारे में सोचकर परेशान हो देखो सिमरन मुझे इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ता मेरे लिए सिर्फ तुम जरूरी हो और मुझे कुछ नहीं चाहिए ।
तब सिमरन बोली लेकिन आपके घर वाले मुझे कभी नहीं अपनाएंगे और वैसे भी आपका रिश्ता आपके घर वालों ने कामिनी मैम के साथ तय कर दिया है तो फिर वे लोग मुझे कभी नहीं अपनाएंगे ।
तब वेद बोला तुम उनकी चिंता मत करो मैं अपने घर वालों को मना लूंगा, तुम मुझ पर भरोसा करो ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली लेकिन फिर भी यह समाज आपके घर वाले कोई मुझे नहीं अपनाएगा वेद सर आप नहीं जानते लेकिन मैं आपको बताती हूं मैं एक अनाथ हूं बचपन में ही अनाथालय से मेरे मां-बाप ने मुझे गोद लिया था, यह सच्चाई जानकर कोई मुझे कभी नहीं अपनाएगा ।
तब यह सुनकर वेद ने उसकी तरफ देखा और कहा मुझे इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ता और मैंने कहा ना मेरे लिए तुम जरूरी हो और कुछ नहीं सिमरन तुम एक बार हां कर दो मैं तुम्हारी कसम खा कर कहता हूं सबको मना लूंगा ।
तब यह सुनकर सिमरन के समझ में नहीं आ रहा था कि क्या बोले ।
तब सिमरन बोली नहीं सर यह नहीं हो सकता ।
तब वेद बोला क्या मैं तुम्हें पसंद नहीं हूं ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली नहीं ऐसी बात नहीं है ।
तब वेद बोला तो फिर कैसी बात है ।
तब सिमरन कुछ सोचकर हड़बड़ाते हुए बोली मुझे घर जाना है मेरी मां इंतजार कर रही होगी, यह सुनकर वहां से जाने लगी ।
तब वेद बोला सिमरन मेरी बात सुनो लेकिन सिमरन भागते हुए बाहर चली गई ।
तब सिमरन को इस तरह जाते हुए देखकर वेद अपने आप से ही बोला एक दिन सिमरन तुम्हें मैं अपने प्यार का एहसास जरूर दिलाऊंगा और उसे दिन तुम्हें मेरे प्यार पर जब यकीन हो जाएगा तो सारी दुनिया के सामने तुम्हें अपना लूंगा, यह कहते हुए वह भी सिमरन के पीछे गया कि सिमरन को उसके घर तक छोड़ सके लेकिन सिमरन ने बाहर आकर एक टेंपो रूकवाई और उसमें बैठकर वहां से जाने के लिए रवाना हो गई ।
वही सिमरन को इस तरह जाते देखकर फिर वेद भी अपने घर आ गया उसके दिलों दिमाग में यही बातें गूंज रही थी, उसे यह तो एहसास हो गया था कि कहीं ना कहीं सिमरन भी उसे पसंद करती है शायद लोग क्या कहेंगे उनके स्टेटस में कितना अंतर है इन सब के बारे सोच कर वह हां नहीं कह पा रही हैं लेकिन वह एक दिन उसे अपने प्यार का यकीन जरूर दिला देगा यही सोच रहा था ।
वही सिमरन के दिलों दिमाग में वेद की ही बातें गूंज रही थी,वह खुद भी तो उसे बहुत प्यार करती थी, आज यह सब कुछ सुनकर फिर वह ऐसा क्यों महसूस कर रही है यही सोचते हुए वह घर पर आ गई ।
तब सिमरन जैसे ही घर पर आई तो उसकी मां उसकी तरफ देखकर गुस्से में चिल्लाते हुए बोली आज इतनी देर कहां लगा दी टाइम देखो कितना हो आया है अंधेरा होने को आया है और तुम अब घर आ रही हो कहां थी तुम इतनी देर से ।
तभी यह सुनकर सिमरन हड़ बढ़ाते हुए बोली मां वह मुझे, तब इंद्राणी गुस्से में बोली वह क्या मुंह में जवान नहीं है क्या जो पूछा है उसका जवाब दो ।
तब खुशी बोली मां आप क्यों दीदी पर चिल्ला रही हो हो सकता है कि आज कोई टेंपो या टैक्सी ना मिली हो ऐसे में दीदी पैदल आई हो लेकिन आपको तो बस चिल्लाने का बहाना चाहिए ।
तब इंद्राणी गुस्से में बोली क्यों आज क्या टैक्सी वालों की हड़ताल है जो इसे कोई टैक्सी नहीं मिली बताओ कहां थी इतनी देर से ।
तब सिमरन सोचने लगी कि वह सच तो बता नहीं सकती ऐसे में उसे झूठी बोलना पड़ेगा ।
तब उसे सोच में डूबे देखकर इंद्राणी बोली सुनाई नहीं दिया क्या बोला है बताओ कहां थी इतनी देर से ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली वह आज ऑफिस में एक इंपॉर्टेंट मीटिंग चल रही थी ऐसे में हम सबको कुछ देर किसी प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए वहां पर रुकना पड़ा था इसलिए देर हो गई ।
तब यह सुनकर इंद्राणी बोली ठीक है जाओ अब यहां से ।
तब यह सुनकर सिमरन अपने कमरे में चली गई, तब खुशी बोली अब हो गई मां आपको तसल्ली बेवजह चिल्लाती रहती है दीदी पर ।
तब इंद्राणी गुस्से में बोली तू तो चुप ही कर दीदी की चमची जब देखो तब उसका ही पक्ष लेती रहती है अपनी पढ़ाई से तो तुझे कोई मतलब है नहीं जा जाकर पढ़ाई कर ।
तब यह सुनकर सिमरन खुशी कुछ नहीं बोली और गुस्से में वहां से चली गई ।
वहीं सिमरन के दिलों दिमाग में तो वेद की ही बातें गूंज रही थी, तब उसे सोच में डूबे देखकर खुशी ने उससे इन सब के बारे में पूछा लेकिन सिमरन ने कुछ नहीं बताया रात को भी उसने ठीक तरह से खाना नहीं खाया और सोते समय भी उसकी आंखों में नींद नहीं थी उसकी तो जैसी भूख प्यास मिट चुकी थी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें, तभी उसका फोन बज उठा उसने जैसे फोन की स्क्रीन पर नजर डाली तो वेद का ही कॉल था ।
तब यह देखकर उसने कॉल काट दिया क्योंकि उसे पता था कि वेद इन सब के बारे में बात करेगा और वह उसे क्या जवाब दे इंकार भी नहीं कर सकती क्योंकि वह खुद भी तो वेद से बहुत प्यार करती है लेकिन हां भी तो नहीं कर सकती हैं लोग यह समाज क्या कहेंगे कोई उनके रिश्ते को नहीं अपनाएगा और वैसे भी कामिनी मैम के साथ उनके घर वालों ने उनका रिश्ता तय कर दिया है तो क्या उसका हां करना ठीक होगा यही बातें उसके दिलों दिमाग में गूंज रही थी ।
धीरे-धीरे इसी तरह रात गुजर गई अगले दिन जब सिमरन अपने ऑफिस में आई अपना काम कर रही थी, तभी वेद आया उसने सिमरन की तरफ देखा तो सिमरन हड़ बढ़ाने लगी लेकिन वेद फिर भी ना कुछ कहे ही अपने केबिन में चला गया क्योंकि वह नहीं चाहता था कि सिमरन को वह अब किसी तरह परेशान करें उसे तो यह भरोसा था कि एक दिन में सिमरन को अपने प्यार का एहसास जरूर दिला देगा ।
धीरे-धीरे इसी तरह दो दिन निकल गए थे सिमरन वेद के सामने आती नहीं थी हमेशा उससे दूर भागने की कोशिश करती, यहां तक कि जब भी कोई फाइल वेद को देनी होती तो किसी और के हाथ देकर भिजवा देती थी,वेद यह सब कुछ समझ रहा था ।
तब एक दिन एक चपरासी से कहकर वेद ने सिमरन को अपने केबिन में बुलाया ।
तब जैसे ही चपरासी ने जाकर सिमरन को उसके केबिन में जाने के लिए कहा तो सिमरन घबराने लगी वह सोचने लगी वेद सर कहीं इस बारे में फिर से बातें ना करने लग जाए वरना वह क्या बोलेगी अभी तक तो वह कुछ समझ भी नहीं पा रही थी तब वह वेद के केबिन में गई ।
तब वेद ने उसकी तरफ देखा तो उसे इस तरह घबराते और हड़बड़ाते हुए देखकर उठकर उसके पास आया ।
तब यह देखकर तो सिमरन के दिल की धड़कन ही बढ़ गई ।
तब वेद उसकी तरफ देखकर बोला तुम मुझसे इस तरह क्यों घबरा रही हो ।
तब यह सुनकर सिमरन हड़ बढ़ाते हुए बोली नहीं ऐसी बात नहीं है सर ।
तब वेद उसकी तरह बढ़ने लगा तो सिमरन घबराते हुए पीछे की तरफ खिसकने लगी और दीवार के जाकर सट गई ।
तब वेद दीवार पर हाथ रखकर उसकी आंखों में देखते हुए बोला मेरी तरफ देखो ।
तब यह सुनकर सिमरन की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वेद की तरफ देखे ।
तब वेद बोला सिमरन तुम मुझसे इस तरह दूर क्यों भागती हो, ना कभी किसी काम से केविन में आती हो हमेशा दूर रहती हो, देखो सिमरन मैं तुमसे कोई जोर जबरदस्ती नहीं कर रहा जो मेरे दिल में है वह मैंने तुम्हें बोल दिया और तुम्हारी अपनी जिंदगी है तुम जो फैसला लोगी मुझे मंजूर है लेकिन यह समाज स्टेटस इन सबके डर से तुम कोई गलत फैसला लो यह ठीक नहीं है ।
तब यह सुनकर सिमरन के समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले,वह वेद से नजर भी नहीं मिल पा रही थी ।
तब वेद उसकी तरफ देखकर बोला ठीक है मैं तुमसे आज के बाद ऐसी बातें भी नहीं करूंगा ना कुछ बोलूंगा बस तुम एक बार मेरी आंखों में देखकर बोल दो कि तुम मुझसे प्यार नहीं करती उसके बाद में कभी तुम्हें परेशान नहीं करूंगा ।
तब यह सुनकर सिमरन ने हड़ बढ़ाते हुए वेद की तरफ देखा और फिर बोली मुझे जाना है, यह कहकर जाने लगी तो वेद ने अपने दोनों हाथ दीवार पर सटा दिए और बोला पहले मेरे सवाल का जवाब दो ।
तब यह सुनकर सिमरन कुछ बोल नहीं पा रही थी, तब उसने कुछ सोचा और बोली सर वह कोई देख रहा है ।
तब यह सुनकर वेद बोला क्या और उसने जैसे ही दरवाजे की तरफ देखा तो सिमरन ने झट से उसका हाथ हटा दिया और वहां से बाहर की तरफ भाग गई ।
तब यह देखकर वेद के चेहरे पर मुस्कान आ गई और वह कुछ नहीं बोला क्योंकि उसे पता था कि सिमरन भी उससे प्यार करती है बस अभी हां नहीं कह पा रही है ।
वही सिमरन के दिल की धड़कन बढ़ी हुई थी, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें मन कर रहा था कि अभी जाकर वेद से अपने दिल का हाल भी कह दे लेकिन क्या यह सब कुछ ठीक होगा यही सोचते जा रही थी ।
तब इसी तरह दिन गुजर गया जब वह अपने घर पर आई तो रात को सोते समय उसके पास बैठकर खुशी बोली दीदी कोई बात है क्या ।
तब यह सुनकर सिमरन हड़ बढ़ाते हुए बोली नहीं क्यों क्या हुआ ।
तब खुशी बोली मैं कुछ दिनों से देख रही हूं कि आप किसी सोच में डूबी रहती है और आज भी किसी सोच में डूबी हुई है कोई बात है क्या ।
तब सिमरन बोली नहीं ऐसी कोई बात नहीं है ।
तब खुशी बोली आप मुझसे झूठ नहीं बोल सकती बताओ दीदी क्या बात है क्या आप अपनी छोटी बहन को भी नहीं बताओगी ।
तब यह सुनकर सिमरन के समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले ।
तब खुशी बोली दीदी आप हर बात मुझे बताती हो इस बार भी बताओ क्या बात है ।
तब सिमरन ने खुशी की तरफ देखा और बोली खुशी, यह कहते हुए उसने सारी बात बता दी ।
तब सारी बात सुनकर खुशी बोली तो आप इस बात को लेकर परेशान थी दीदी इसमें परेशान होने की क्या बात है,यह आपकी खुशकिस्मती है की वेद जैसा इंसान आपकी जिंदगी में आया है और मैंने तो आपसे पहले ही कहा था कि वेद आपको पसंद करता है तभी तो आपकी इतनी केयर करता था, वैसे भी आपने बहुत तकलीफें उठाई है लेकिन वेद सर के आने से अब आपकी जिंदगी में खुशियां आ जाएगी और फिर आप उन्हें हां मैं जवाब क्यों नहीं देती आपकी आंखों में भी मैं उनके लिए प्यार देख रही हूं तो फिर आप अपने दिल की बात उनसे क्यों नहीं कहती ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली यह सब कुछ ठीक नहीं है खुशी ।
तब यह सुनकर खुशी बोली क्यों ठीक नहीं है ।
तब सिमरन बोली कामिनी मैम के साथ वेद सर का रिश्ता बचपन में तय हो चुका था ऐसे में यह सब कुछ ।
तब खुशी बोली दीदी यह रिश्ता उनके घर वालों ने तय किया था और वेद ने साफ इनकार कर दिया कि उसे इस रिश्ते से कोई मतलब नहीं है वह आपसे प्यार करते हैं तो आप इन सब के बारे में क्यों सोच रही हो ।
तब सिमरन बोली लेकिन हमारे स्टेटस में दिन रात का फर्क है और फिर मेरे बारे में जानकर कि मैं एक अनाथ हूं उनके घरवाले, समाज मुझे नहीं अपनाएगा ।
तब यह सुनकर खुशी बोली तो आप यह सब सोच कर अपनी खुशियों का गला घोंट दोगी क्या, अरे जब इन सब से वेद को कोई एतराज नहीं है वह सच्चे दिल से आपको अपनाना चाहता है आपसे प्यार करता है तो फिर आप इन सब के बारे में क्यों सोच रही है दीदी सच्चा प्यार किस्मत वालों को मिलता है और हर किसी की किस्मत ऐसी नहीं होती अगर आपको यह मिल रहा है तो इसे ठुकराओ मत वरना जिंदगी में तकलीफों के सिवाय कुछ नहीं मिलेगा अपने दिल की बात वेद से कह दो, इससे पहले की देर हो जाए, यह कहते हुए खुशी उसे समझाने लगी ।
तब सिमरन भी सोचने लगे कि उसे वेद से इस बारे में बात करनी चाहिए लेकिन कैसे यह सोचकर हड़ बढ़ाने लगी ।
तब खुशी बोली दीदी इस तरह घबराओ मत आप अभी कॉल करो और वेद से बात करो ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली नहीं अभी मुझसे यह नहीं होगा ।
तब खुशी बोली चलो कोई बात नहीं कल ऑफिस में मिलकर ही बोल देना, वैसे भी फोन पर उससे जो खुशी होगी आपके जवाब को सुन कर उसे आप देख नहीं पाओगी कम से कम ऑफिस में तो देख पाओगी, यह कहते हुए उसे समझाने लगी ।
धीरे-धीरे इसी तरह रात गुजर गई अगले दिन सुबह ऑफिस जाते समय रास्ते में टेंपो में बैठी हुई सिमरन सोच रही थी कि वह वेद सर को कैसे अपने दिल की बात बताएगी और क्या यह सब कुछ बताना ठीक होगा यह सोचते हुए कुछ समझ नहीं पा रही थी ।
उसे समय उसके दिलों दिमाग में तरह-तरह के ख्याल आ रहे थे, यही सोचते हुए वह अपने ऑफिस में पहुंच गई ।
तब वहां जाकर उसने देखा लेकिन वेद अभी तक नहीं आया था, तब सिमरन उसके आने का बेसब्री से जैसे इंतजार करने लगी ।
वही जब थोड़ा समय बिता और जब वेद नहीं आया तो वह सोचने लगी कि वेद सर क्यों नहीं आए फिर सोचा कि कॉल करें लेकिन अपने आप से बोली की कॉल पर वह क्या बोलेगी ऐसे में हिम्मत नहीं हुई फिर अपने आप से ही बोली किसी से पूछती हूं आखिर क्यों नहीं आए यह सोचते हुए अपनी जगह पर से उठकर वेद के सेक्रेटरी के पास गई और बोली वेद सर आज अभी तक ऑफिस क्यों नहीं आए ।
तब यह सुनकर उसका सेक्रेटरी जो किसी से फोन पर बातें कर रहा था वहन सिमरन की तरफ देखकर बोला वह एक्सीडेंट हुआ है वेद सर हॉस्पिटल में है, यह कहकर पूरी बात भी नहीं बताएं बिना ही वहां से चला गया ।
तब सिमरन ने यह सुना तो उसके होश उड़ गए और वह घबराते हुए अपने आप से बोली वेद सर का एक्सीडेंट, पता नहीं उनकी हालत कैसी होगी हे देवी मां उनकी रक्षा करना मुझे उनके पास जाना चाहिए यह सोचते हुए तब वह फिर घबराते हुए उस सेक्रेटरी के पास गई जो फोन पर किसी से बातें कर रहा था और बोली वेद सर कौन से अस्पताल में है ।
तब यह सुनकर उस सेक्रेटरी ने उसकी तरफ हैरानी से देखा और फिर कहा सीपी हॉस्पिटल में यह कहकर फोन पर बातें करते हुए वहां से चला गया ।
तब सिमरन ने कुछ सोचा और जल्दी से सीपी हॉस्पिटल जाने के लिए निकल गई,उस समय उसे बहुत ज्यादा घबराहट हो रही थी दिल की धड़कन बढ़ी हुई थी, आंखों से आंसू बहने लगी और अपने आप में ही मन ही मन प्रार्थना करने लगी हे देवी मां यह क्या हो गया वेद सर का एक्सीडेंट हो गया उसकी रक्षा करना देवी मां उसे कुछ ना हो, अगर वेद सर को कुछ हो गया ना तो मैं नहीं जी पाऊंगी बस उसका ध्यान रखना, यह कहते हुए मन ही मन देवी मां से वेद की सलामती के लिए प्रार्थना कर रही थी और एक-एक पल गुजारना भी उसके लिए बहुत मुश्किल हो रहा था आंखों से आंसू रूकने का नाम नहीं ले रहे थे, वह जल्दी से जल्दी अब अस्पताल पहुंच जाना चाहती थी ।
वही जब सिमरन अस्पताल पहुंची और जल्दी से भागते हुए अंदर चली गई, जैसे ही अंदर पहुंची तो वेद को ढूंढने लगी, उस समय उसके दिल की धड़कन बढ़ी हुई थी उसके दिल पर क्या गुजर रही थी उससे बेहतर भला कौन समझ सकता था ।
तभी एक जगह बेंच के पास खड़े हुए फोन पर बात करते हुए वेद पर उसकी नजर चली गई तो वह भागते हुए उसके पास गई और घबराते हुए बोली वेद सर आप ठीक तो है ना ।
तब सिमरन की आवाज सुनकर वेद ने सिमरन की तरफ देखा और कॉल काट कर अपनी जेब में रखते हुए हैरानी से बोला सिमरन तुम यहां ।
तब सिमरन घबराते हुए बोली आप ठीक तो है ना, आपका एक्सीडेंट हो गया था आपको कहीं चोट तो नहीं लगी ना, यह कहते हुए उसकी आंखों में आंसू बह रहे थे ।
तब उसे इस तरह घबराते हुए देखकर वेद हैरानी से बोला सिमरन मैं तो देखो बिल्कुल ठीक हूं।
वही सिमरन बहुत घबराएं जा रही थी, तब यह देखकर वेद बोला अच्छा आओ बैठो मेरे साथ यह कहते हुए उसे बेंच पर बिठाया और बोला तुम इतना क्यों घबरा रही हो और तुम्हें किसने बताया कि मेरा एक्सीडेंट हो गया है ।
तब सिमरन रोते हुए बोली सेक्रेटरी ने बताया था आपका एक्सीडेंट हो गया है मैं तो बहुत ज्यादा घबरा गई आप ठीक तो है ना ।
तब वेद बोला यह सेक्रेटरी भी ना, सिमरन देखो मैं सही सलामत हूं एक्सीडेंट मेरा नहीं हुआ था वह पापा के किसी दोस्त का एक्सीडेंट हुआ था और मैं उसी का हाल-चाल जानने के लिए मैं यहां पर आया था और तुमसे सेक्रेटरी ने यह बोला कि मेरा एक्सीडेंट हुआ है ।
तब यह सुनकर सिमरन हड़ बढ़ाते हुए बोली हां मैंने उनसे आपके बारे में पूछा था तो उन्होंने कहा कि एक्सीडेंट हुआ है और आप हॉस्पिटल में है, यह कहते हुए चुप हो गई ।
तब वेद बोला अच्छा तुमने सेक्रेटरी से मेरे बारे में पूछा और उसने यह बोला और यह नहीं बताया कि पापा की दोस्त का एक्सीडेंट हुआ है और उसका हाल-चाल जानने के लिए मैं यहां आया था बस उसके मुंह से एक्सीडेंट के बारे में सुनकर तुम्हें लगा कि मेरा एक्सीडेंट हुआ है ।
तब यह यह सुनकर सिमरन घबराते हुए बोली हां ।
तब यह सुनकर वेद उसकी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए बोला और तुम मेरे एक्सीडेंट के बारे में सुनकर इस तरह भागते हुए यहां आ गई क्यों ।
तब यह सुनकर सिमरन कुछ नहीं बोली,वह वेद से नजर भी नहीं मिल पा रही थी ।
तब वेद सिमरन की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए बोला वैसे तुमने सेक्रेटरी से मेरे बारे में क्यों पूछा था।
तब सिमरन घबराते हुए बोली वह फिर हड़ बढ़ाते हुए बोली बस ऐसे ही, यह कहते हुए चुप हो गई लेकिन आंखों से अब भी आंसू बह रहे थे, वैसे अब वेद को सही सलामत देखकर उसने चेन की सांस ली थी लेकिन कुछ वक्त के लिए तो वह बहुत ज्यादा घबरा गई और अभी तक उसके दिल की धड़कन बढ़ी हुई थी ।
तब वेद उसका हाथ अपने हाथ में लेकर बोला सिमरन तुम घबराओ मत देखो रोना बंद करो मैं बिल्कुल ठीक हूं ना, यह कहते हुए उसके आंसू पोंछे और बोला पहले बताओ मुझे तुम इस तरह घबरा क्यों रही थी, अब तो देखो मैं बिल्कुल ठीक हूं, वैसे मान लो अगर मेरा एक्सीडेंट हो भी जाता तो वह अपनी बात पूरी कर पाता उससे पहले ही सिमरन हड़ बढ़ाते हुए बोली नहीं यह कहते हुए वेद की तरफ देखा और लोगों की परवाह किए बिना ही वेद के गले लग गई और रोने लग गई ।
तब वेद ने अचानक सिमरन को इस तरह अपनी गले लगते हुए देखा तो हैरान रह गया साथ में फिर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई और उसने भी सिमरन को गले लगा लिया और बोला सिमरन रोना बंद करो, मैं बिल्कुल ठीक हूं ।
तब सिमरन रोते हुए बोले सॉरी मैंने आपको बहुत तकलीफ दी है लेकिन सच तो यह है कि मैं आपको जरा सी तकलीफ में भी नहीं देख सकती, जब आपके एक्सीडेंट के बारे में सुना तो मैं बता नहीं सकती कि मुझ पर क्या गुजरी है क्योंकि सच बताऊं तो मैं भी आपसे बहुत प्यार करती हूं सिमरन वेद के गले लगे हुए बोली ।
तब यह सुनकर वेद उसके आंसू पोंछते हुए बोला सिमरन तुम्हें पता है यह सब कुछ सुनने के लिए मैं कब से तरस गया था और मुझे पता था कि एक दिन तुम भी अपने प्यार का मुझसे जरूरी इजहार करोगी, वैसे अगर मुझे पता होता कि मेरे एक्सीडेंट के बारे में सुनकर तुम मुझसे इजहार करोगी तो मैं सच में ही अपना एक्सीडेंट करवा लेता ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली बंद कीजिए अपनी बकवास कुछ भी बोलते रहते हैं ।
तब यह सुनकर वेद मुस्कुराते हुए बोला सॉरी चलो चलते हैं, यह कहकर उसका हाथ पकड़ा और दोनों बाहर आ गए ।
फिर दोनों ऑफिस जाने की बजाय वेद सिमरन को लेकर एक गार्डन में आ गया ।
तब सिमरन बोली आप मुझे लेकर आप यहां पर क्यों आए हैं ।
तब वेद बोला क्योंकि आज ऑफिस जाने का मन नहीं है चलो कुछ देर बैठते हैं, यह कहकर एक बेंच पर दोनों बैठ गए ।
वही सिमरन हड़ बढ़ाते हुए कुछ बोल नहीं पा रही थी, तब वेद ने उसकी तरफ देखा और कहा सिमरन ।
तब सिमरन ने उसकी तरफ देखा तो वेद ने उसे गले लगा लिया तो सिमरन भी उसके गले लग गई ।
तब वेद बोला सिमरन अब चाहे कितनी भी परेशानी आ जाए मैं तुम्हारा साथ कभी नहीं छोडूंगा हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा चाहे कुछ भी हो जाए, तुमसे वादा करता हूं मैं हमेशा तुम्हारी साथ हूं और हमेशा खुद की जान से बढ़कर तुमसे प्यार करूंगा ।
तब सिमरन बोली लेकिन मुझे अभी डर लग रहा है कि आपके घरवाले हमारे लिए मानेंगे या नहीं जब उन्हें हम दोनों के बारे में पता चलेगा तब उन्हें कैसा लगेगा ।
तब यह सुनकर वेद उसका हाथ अपने हाथों में लेकर बोला तुम इस बारे में मत सोचो मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा ।
तब सिमरन बोली आपको पता है जब मैंने आपके एक्सीडेंट के बारे में सुना तो बहुत ज्यादा घबरा गई थी कि कहीं आपको कुछ हो गया तो मैं कैसे जी पाऊंगी ।
तब उसके गाल पर प्यार से हाथ रखते हुए वेद बोला जब तक तुम मेरे साथ हो मुझे कुछ नहीं हो सकता ।
ऐसे ही सिमरन और वेद ने कुछ देर एक दूजे के साथ बैठकर बातें की ।
तब सिमरन बोली अब ऑफिस चलते हैं ।
तब वेद बोला नहीं आज ऑफिस जाने का मन नहीं है बस तुम मेरे साथ ऐसे ही बैठी रहो ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली नहीं हमें ऑफिस चलना चाहिए चलो चलते हैं ना और वैसे भी जो प्रोजेक्ट पर हम काम कर रहे हैं वह आपके लिए कितना इंपॉर्टेंट है उसे पूरा भी तो करना है ।
तब यह सुनकर वेद बोला वैसे जाने का मन तो नहीं था, क्योंकि दिल जा रहा है बस तुम्हारे साथ ही बैठा रहा हूं लेकिन ठीक है तुम कह रही हो तो चलते हैं, यह कह कर दोनों ऑफिस आ गए ।
वहीं ऑफिस में सिमरन और वेद उन दोनों को इस तरह एक साथ आते देखकर सब लड़कियां एक दूजे की तरफ देखने लगे लगी और तरह-तरह की बातें बनाने लगी कि इस तरह दोनों एक दूजे के साथ कहां से आ रहे है ।
वहीं वेद अपनी केबिन में चला गया और सिमरन आकर अपना काम करने लग गई लेकिन काम करने में मन नहीं लग रहा था वेद के बारे में सोच कर सिमरन के चेहरे पर मुस्कान आ गई ।
तब एक लड़की दूसरी लड़की की तरफ देखकर बोली देखो इस सिमरन को कैसे मुस्कुराई जा रही है दाल में कुछ ना कुछ तो काला है ।
तब दूसरी लड़की बोली हां वेद सर के साथ आई है सुबह भी यहां से किस तरह भागते हुए गई थी, कहीं इन दोनों के बीच कुछ चल तो नहीं रहा है ।
तब तीसरी लड़की बोली मुझे तो लगता है कि कोई ना कोई चक्कर है कहीं दोनों किसी होटल से तो नहीं आए हैं वैसे लोग रात गुजारते हैं और इन्होंने दिन का फायदा उठाया हो ।
तब यह सुनकर एक लड़की बोली चुप कर अगर किसी को भनक लग गई ना तो हमारी जोब चली जाएगी, यह कहते हुए सब लड़कियां तरह-तरह की बातें बनाने लगी ।
धीरे-धीरे शाम हो गई शाम को सिमरन बाहर आकर टेंपो का इंतजार करने लगी लेकिन बहुत परेशान थी क्योंकि आज उसके पास किराया नहीं था अस्पताल जाते समय ही बाकी का किराया खर्च हो गया था, तभी वेद की गाड़ी उसके सामने आकर रोकी ।
तब वेद बोला सिमरन क्या हुआ तुम इतनी परेशान क्यों हो ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली कुछ नहीं ।
तब यह सुनकर वेद बोला चलो तुम्हारे घर छोड़ देता हूं ।
तब सिमरन बोली नहीं आपको तो पता है ना लोग कितनी बातें बनाते हैं ।
तब यह सुनकर वेद बोला तुम भी ना लोगों की कितना चिंता करती हो, अरे लोगों का तो काम ही है बातें बनाने का ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली हां लेकिन मैं नहीं चाहती कि मेरे घर वालों को कोई कुछ भी बोले ।
तब वेद बोला ठीक है वैसे परेशान लग रही हो कोई बात है क्या ।
तब सिमरन बोले हां ।
तब वेद बोला क्या बात है बताओ।
तब सिमरन बोली आज अस्पताल जाते समय पूरे रुपए खर्च हो गए और अब किराए के पैसे नहीं है मेरे पास ।
तब वेद मुस्कुराते हुए बोला बस इतनी सी बात तुम्हें बोलना चाहिए था ना मुझे ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली लेकिन, तब वेद गाड़ी में से उतरकर उसके पास आकर बोला सिमरन देखो अगर आज के बाद कोई भी प्रॉब्लम होना तो तुम मुझे बताओगी यह नहीं सोचोगी कि मैं क्या सोचूंगा कौन क्या सोचेगा बस बेझिझक होकर कर मुझे अपनी प्रॉब्लम बताओगी ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली ठीक है ।
तब वेद 500 का नोट निकाल कर उसे देते हुए बोला यह लो ।
तब सिमरन बोली नहीं इतना नहीं चाहिए ।
तब वेद बोला अपने पास रख लो कभी भी जरूरत पड़ सकती है और जब भी किसी भी चीज की जरूरत हो मुझे बोल दो ऐसा करो तुम यह कहते हुए 5-6 नोट 500 के निकाले और कहा इन्हें भी अपने पास रख लो ।
तब सिमरन बोली नहीं मुझे नहीं चाहिए ।
तब वेद उसे जबरदस्ती देते हुए बोला मैंने कहा ना रख लो, कभी भी पैसों की जरूरत पड़ सकती है ऐसे में कुछ पैसे अपने पास भी होने चाहिए ।
तब वेद के इतना कहने पर सिमरन इनकार भी ना कर सकी ।
तब वेद ने एक टैक्सी रूकवाई और सिमरन उसमें बैठकर घर जाने के लिए रवाना हो गई और वेद उसे जाते हुए देखता रहा, जब तक उसकी टैक्सी आंखों से ओझल नहीं हो गई हो तब तक, फिर अपनी गाड़ी में बैठकर घर आने के लिए चल दिया ।
अब दोनों रास्ते में सफर करते हुए एक दूजे के बारे में सोच रहे थे और एक दूजे के बारे में सोचते हुए उनके चेहरे पर मुस्कान थी ।
वही सिमरन ने रूपयों की तरफ देखा और सोचने लगी अगर उनकी मां ने इन रूपयों को देखा तो सारे रुपए भी ले लेगी उसके पास इतने से भी रुपए नहीं बचेंगे कि अगर कभी उसे कुछ जरूरत पड़ी तो वह खर्च कर सके साथ में उसे 100 सवाल भी करेगी उसे कितना कुछ सुनाएगी यह सोचते हुए उसने कुछ सोचा और अपने पर्स में अच्छी तरह से उन रूपयों को छुपा कर रख दिया जिससे किसी को भी उन रूपयों के बारे में पता ना चले ।
वही वह घर पर आई तब आज उसके चेहरे पर मुस्कान देखकर खुशी के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई और खाना खाने के बाद जब दोनों अपने कमरे में गई तो खुशी बोली क्या बात है दीदी आप तो बड़ा मुस्कुरा रही हो क्या सच में वेद से अपने प्यार का इजहार कर दिया ।
तब यह सुनकर खुशी की तरफ सिमरन ने मुस्कुराते हुए देखा और हां में सिर हिलाया।
तब खुशी उसके पास बैठकर बोली बताओ ना दीदी वेद ने क्या बोला कैसे किया आपने इजहार ।
तब यह सुनकर सिमरन कुछ नहीं बोली, तब खुशी बोली अब आप अपनी छोटी बहन को भी नहीं बताओगी ।
तब सिमरन बोली अच्छा बाबा बताती हूं यह कहते हुए उसने सारी बात बता दी ।
तब खुशी बोली अच्छा है आखिर आपने अपने प्यार का इजहार तो कर दिया अगर वह सेक्रेटरी जल्दी बाजी में आपको पूरा सच नहीं बता कर गया तो वैसे ठीक ही था वरना आप अपने प्यार का इजहार कभी नहीं कर पाती ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली हां लेकिन मैं तो बहुत डर गई थी कि कहीं वेद सर को कुछ हो ना जाए ।
तब खुशी बोली ऐसे कैसे कुछ हो सकता है वैसे सच बताऊं दीदी तो आज मैं बहुत खुश हूं आपके बारे में सोच कर कि आपको इतना प्यार करने वाला इंसान मिला है ।
तभी यह सुनकर सिमरन बोली हां खुशी लेकिन डर लग रहा है कि उसके घर वाली हमारे रिश्ते को अपनाएंगे या नहीं ।
तब यह सुनकर खुशी बोली आप चिंता मत करो देखना वेद अपने घर वालों को जरूर मना लेगा ।
तब सिमरन बोली तुमसे बातें करके सच में बहुत अच्छा लगता है तुम किस तरह मेरी हर प्रॉब्लम को समझती हो सच बताऊं खुशी तो तुम मेरी सगी बहन से भी बढ़कर हो एक तुम ही हो जो इस घर में मेरी परेशानी समझती हो ।
तभी यह सुनकर खुशी बोली मैंने कहा ना कि आप मेरी बड़ी दीदी हो और हमेशा रहोगी, यह कहते हुए दोनों बहनें इस बारे में बात करने लगी ।
तभी अचानक सिमरन के फोन पर वेद का कॉल आ गया, तब कॉल आते देखकर सिमरन हड़ बड़ा गई ।
तब खुशी बोली कोई ना दीदी मैं दूसरे कमरे में चली जाती हूं आप दोनों बात कीजिए ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली नहीं रहने दो मुझे बात नहीं करनी तुम यहीं रहो ।
तब खुशी बोली अरे आप बात करो, यह कह कर उठकर अपनी किताबें लेकर दूसरे कमरे में चल गई और पढ़ाई करने लग गई ।
तब खुशी को गेस्ट रूम में पढ़ाई करते देखकर इंद्राणी खुशी के पास आई और बोली तुम यहां क्या कर रही हो ।
तब यह सुनकर खुशी बोली मन पढ़ाई कर रही हूं, तब इंद्राणी बोली तो अपने रूम में ही पढ़ लेती है गेस्ट रूम में आकर पढ़ने की क्या जरूरत थी ।
तब खुशी बोली आपको तो पता है ना दीदी बेचारी थकीं हुई घर पर आती है और उसे लाइट के उजाले में नींद नहीं आती ऐसे में मैं नहीं चाहती थी कि उसकी नींद में कोई भी खलल पड़े इसलिए रेस्ट रूम में आकर पढ़ने लग गई ।
तब यह सुनकर इंद्राणी गुस्से में बोली अच्छा अब उसे महारानी को उजाले में नींद में नहीं आएगी ।
तब खुशी बोली प्लीज़ मां अब तो आप उसे कुछ ना बोलो जब देखो तब बस उसे सुनाती रहती हों, मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता ।
तब यह सुनकर इंद्राणी ने कुछ सोचा और खुशी से ज्यादा कुछ बोले वहां से चली गई ।
वहीं वेद का कॉल जैसे ही सिमरन ने उठाया तो वेद बोला क्या कर रही हो ।
तब यह सुनकर सिमरन हड़ बढ़ाते हुए धीरे से बोली कुछ कुछ नहीं ।
तब वेद बोला तुम अभी भी इतना घबरा रही हो ।
तब सिमरन बोली नहीं वह मैं वैसे वेद सर वह प्रोजेक्ट, तब उसकी बात बीच में काटते हुए ही वेद बोला यह क्या तुमने मुझे वेद सर वेद सर लगा रखा है सिमरन तुम मुझे वेद कहकर बुला सकती हो ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली लेकिन ।
तब वेद बोला आज के बाद तुम मुझे वेद कहकर ही बुलाना यह तुम्हारा मुझे सर कह कर बोलना मुझे अच्छा नहीं लगता और यह प्रोजेक्ट की बात ऑफिस की बात ऑफिस में रहेगी फोन पर इससे संबंधित कोई बात नहीं होगी ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली जी ।
तब उसे चुप देखकर वेद बोला कुछ बोलो ।
तब सिमरन बोली क्या बोलूं कुछ समझ में ही नहीं आ रहा ।
तब वेद को हंसी आ गई और वह बोला बस कुछ भी बोल दो ।
तब सिमरन बोली मतलब ।
तब वेद बोला वैसे अच्छा बताओ तुमने खाना खा लिया ।
तब सिमरन बोली हां फिर कुछ सोच कर बोली वेद सर ।
तब वेद बोला फिर से सर ।
तब सिमरन बोली सॉरी वेद आपने अपने घर वालों से बात की वे लोग हमारे रिश्ते के लिए मानेंगे या नहीं ।
तब यह सुनकर वेद बोला तुम चिंता मत करो मैं जल्दी ही उनसे बात कर लूंगा, मुझ पर भरोसा है ना तुम्हें ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली हां खुद से भी ज्यादा, तभी किसी के आने की आहट हुई तो सिमरन बोली अच्छा वेद में कॉल रखती हूं लगता है मां आ रही है देख लेगी तो अच्छा नहीं लगेगा, यह कहते हुए कॉल काट दिया ।
वही इंद्राणी कमरे में आई और सिमरन को बेड पर लेटे हुए देखकर बोली यह लाइट क्यों जला रखी है तुम्हारी नींद में कोई खलल ना हो इसलिए मेरी बेटी जाकर गेस्ट रूम में पढ़ रही है और तुम यहां लाइट जला कर बैठी हो ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली सॉरी मां मुझे नींद नहीं आई इसलिए लाइट बंद नहीं की ।
तब इंद्राणी बोली अंधेरे में क्या तुझे डर लगता है यह कहते हुए लाइट बुझा दी और वहां से चली गई ।
तब सिमरन ने अपने मोबाइल में टाइम देखा और एक तरफ रख दिया, उसका मन कर रहा था कि वेद से फिर बातें करें लेकिन फिर सोचने लगी कि अगर उसकी मां या किसी ने देख लिया तो अच्छा नहीं होगा इसलिए उसने वेद को टेक्स्ट मैसेज भेजा क्योंकि उसके पास छोटा फोन था इसलिए टेक्स्ट मैसेज भेजा कि मां आ गई थी कल ऑफिस में मिलते हैं ।
तब वेद ने लिखा ओके और उसके बाद सिमरन ने मोबाइल एक तरफ रख दिया ।
जब से दोनों ने एक दूजे से अपने प्यार का इजहार किया था, उन्हें तो जिंदगी सपनों से भी सुंदर लगने लगी थी दोनों एक दूजे के बारे में ही सोचते जा रहे थे और इसी तरह देर रात उनकी आंख लग गई ।
वही खुशी जब अपने कमरे में आई तो सिमरन की तरफ देखकर बोली दीदी हो गई बात है ।
तब सिमरन बोली हां, तब खुशी उसके पास लेट गई, तब सिमरन बोली खुशी तुम्हें इस तरह मत जाया करो अगर मां को शक हो गया तो अच्छा नहीं होगा ।
तब खुशी बोली तो फिर आप वेद से बात कैसे करोगी ।
तब सिमरन बोली कोई ना वैसे भी मैं ऑफिस में बात कर लूंगी उनसे ।
तब खुशी बोली हां वह बात तो है लेकिन फोन पर बात करने का सुकून कुछ और ही होता है ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली बड़ी शैतान हो गई हो तुम सो जाओ ।
तब खुशी हंसते हुए बोली हां वैसे दीदी आप दोनों ने क्या बातें की थी बताओ ना मुझे ।
तब सिमरन बोली खुशी सो जाओ तुम ।
तब खुशी हंसते हुए बोली अच्छा तो अब मुझे नहीं बताओगी ।
तब सिमरन बोली हर बात बताने की नहीं होती ।
तब खुशी बोली हां वह बात तो है, यह कहते हुए दोनों कुछ देर बातें करने लगे और फिर दोनों बहने सोने के लिए लेट गई वहीं वेद के बारे में सोचते हुए सिमरन भी सो गई ।
धीरे-धीरे इसी तरह दिन गुजरने लगे घर पर वेद और सिमरन की बातें कम ही हो पाती थी ऑफिस में भी वह लोग ज्यादा बातें नहीं करते सिर्फ एक दूजे की तरफ देखकर जैसे उन्हें तसल्ली हो जाती थी ।
ऐसे ही एक दिन वेद जब अपने ऑफिस जाने के लिए अपने कमरे में से बाहर आया तो देखा कि कामिनी और उसके घर वाले वहां पर बैठे हुए थे ।
तब यह देखकर वेद बिना कुछ कहे जाने लगा तो उसकी मां सुरीली ने आवाज देकर वेद को अपने पास बुलाया और बैठने के लिए कहा ।
तब यह सुनकर वेद बैठ गया लेकिन अपने मोबाइल में लगा हुआ था ।
तब वेद के पापा रंजीत राणावत बोले वेद अब हम चाहते हैं कि मेरी और बिजेंद्र की दोस्ती रिश्तेदारी में बदल जाए अब और इंतजार नहीं कर सकते जल्दी से तुम्हारा और कामिनी का विवाह हो जाए यही हम चाहते हैं ।
तब यह सुनकर कामिनी के चेहरे पर मुस्कान आ गई, वही यह सुनकर वेद हैरानी से बोला यह क्या बोल रहे है आप ।
तब सुरीली बोली हां बेटा तुम्हें कुछ वक्त चाहिए हमने तुम्हें वक्त दिया था और अब तो सब कुछ ठीक तरीके से चल रहा है ऐसे में विवाह करने में क्या परेशानी है ।
तब वेद बोला मैं यह विवाह नहीं कर सकता ।
तब यह सुनकर सब उसकी तरफ देखने लगे, तब कामिनी बोली लेकिन क्यों वेद हम दोनों साथ में पढ़े लिखे हैं एक दूजे को अच्छे से जानते हैं और मैं तुम्हें बहुत पसंद करती हूं ।
तब यह सुनकर वेद बोला देखो कामिनी समझने की कोशिश करो मैंने हमेशा तुम्हें एक दोस्त की नजर से देखा है इसके अलावा कभी और कुछ नहीं सोचा सॉरी मुझे माफ कर दो लेकिन मैं तुमसे शादी नहीं कर सकता ।
तब यह सुनकर रंजीत बोला यह क्या हरकत है वेद ।
तब यह सुनकर वेद बोला पापा सही कह रहा हूं मैं मैं यह शादी नहीं करूंगा ।
तब सुरीली बोली लेकिन क्यों नहीं कर सकते शादी, कामिनी बहुत अच्छी लड़की है हम सबको पसंद है ।
तभी यह सुनकर वेद बोला लेकिन मुझे पसंद नहीं है, यह सुनकर सब हैरानी से उसकी तरफ देखने लगे ।
तब यह सुनकर वेद बोला हां कामिनी को मैंने सिर्फ एक दोस्त की नजर से देखा है और कुछ नहीं, मैंने कभी कामिनी से शादी करने के बारे में सोचा तक नहीं इसीलिए मैं कामिनी से शादी कभी नहीं कर सकता इसलिए प्लीज मुझे इन सब के लिए दबाव न डालिए, यह कहते हुए वेद का मना कर दिया ।
वैसे उस समय वेद का मन किया कि वह सबको बता दे कि वह सिमरन से प्यार करता है लेकिन इस समय बताना ठीक भी नहीं होगा, यह सोचकर वहां से चला गया ।
वहीं वेद उसे इस तरह जाते देखकर सब हैरान रह गए, तब कामिनी रोने लग गई वह बोली वेद ऐसा कैसे कर सकता है मैंने हमेशा सिर्फ उसका ही सपना देखा है और उसने 1 मिनट में ही कैसे कह दिया कि वह मुझसे शादी नहीं कर सकता ।
तब सुरीली बोली बेटा वेद को तो तुम बचपन से जानती हो कुछ भी बोल देता है, मैं समझाऊंगी उसे तुम अपना दिल छोटा मत करो ।
तब विजेंद्र बोला रंजीत बचपन में इन दोनों का रिश्ता तय हुआ था और मेरी बेटी अब तो सब लोग यही समझ रहे है कि आपके घर की बहू बनेगी और अगर ऐसा नहीं हुआ तो मेरी बेटी की जिंदगी तो ऐसे ही बर्बाद हो जाएगी कहीं और जगह भी उसका रिश्ता नहीं हो पाएगा ।
तब यह सुनकर रंजीत बोला मैं अपना वादा जरूर निभाऊंगा ।
तब यह सुनकर विजेंद्र बोला लेकिन जिस तरह वेद ने इनकार किया वह भी तो ठीक नहीं है ।
तब रंजीत बोला तुम चिंता मत करो विजेंद्र अरे वेद मेरा बेटा है उसे कैसे मनाना है मैं अच्छे से जानता हूं और मैंने तुमसे वादा किया था ना की कामिनी इस घर की बहू बनेगी तो मैं अपना वादा जरूर निभाऊंगा यह कहते हुए उन्होंने कुछ बातें की ।
वही वेद के घर वालों ने कामिनी और उसके घर वालों को समझाया उन्हें भरोसा दिलाया कि कामिनी का विवाह वेद से ही होगा ।
उसके बाद कामिनी और उसके घर वाले अपने घर पर आ गए ।
वहीं वेद जैसे ही अपने ऑफिस में पहुंचा तो वह परेशान था, तब उसे इस तरह परेशान होकर अपने केबिन में जाते देखकर सिमरन कुछ सोच और उठकर वेद के केविन की तरफ चली गई ।
फिर सिमरन वहां जाकर बोली वेद क्या हुआ कोई बात है क्या तुम परेशान हो ।
तब यह सुनकर वेद बोला कुछ नहीं बस आज कामिनी और उसके घर वाले आएं थे हमारे घर पर वही विवाह करने का दबाव बना रहे थे ।
तब यह सुनकर सिमरन दुखी हो गई, उसे तकलीफ होने लगी ।
तब यह देखकर वेद उठकर उसके पास आया और बोला अरे तुम चिंता ना करो मैं हूं ना यह कहते उसके पास आया और उसके गाल पर प्यार से हाथ रखते हुए बोला तुम चिंता मत करो सही वक्त आने पर मैं हम दोनों के बारे में बता दूंगा और मैंने साफ इनकार कर दिया है कि मैं कामिनी से किसी भी हालत में शादी नहीं कर सकता, सिमरन मेरी जिंदगी में सिर्फ तुम हो तुम्हारी जगह कोई नहीं ले सकता क्या तुम्हें मुझे पर भरोसा नहीं है ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली मुझे आप पर तो खुद से ज्यादा भरोसा है लेकिन अपनी किस्मत से डर लगता है ।
तब यह सुनकर वेद बोला इस तरह की बातें अपने दिलों दिमाग में मत लो मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं बस इतना याद रखो ।
तब वेद ने अपने हाथों से सिमरन के आंसू पोंछे और बोला इस तरह रोते, क्योंकि रोती हुई तुम बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती ।
तब सिमरन बोली मैं चलती हूं, यह कहकर जाने लगी तो वेद ने उसका हाथ पकड़ लिया और अपने करीब खींच लिया ।
तब सिमरन हड़ बढ़ाते हुए बोली कोई आ जाएगा ।
तब वेद बोला मेरी मर्जी के बिना कोई भी मेरे केबिन में पैर नहीं रख सकता ।
तब यह सुनकर सिमरन कुछ नहीं बोली तो वेद ने उसके माथे पर किस किया यह देखकर सिमरन हड़ बड़ा आ गई और शरमाते हुए वहां से बाहर चली गई ।
वहीं वेद के चेहरे पर मुस्कान आ गई और वह अपने आप से बोला कोई भी तुम्हें मुझसे अलग नहीं कर सकता सिमरन मैंने सिर्फ तुमसे प्यार किया है और हमेशा तुम्ही से करूंगा, यह कहते हुए अपना काम करने लग गया ।
वही कामिनी वेद के घर से आने के बाद रोई जा रही थी, उसे यह बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं था कि वेद उसे इंकार करें वह किसी भी तरह वेद को पाना चाहती थी, हमेशा वेद से विवाह करके उसकी जायदाद की महारानी बनने का सपना ही तो सोचा था उसने वह तो यही चाहती थी कि वेद की प्रॉपर्टी पर राज कर सके वहां महारानी बनकर रह सके लेकिन आज वेद ने जिस तरह इनकार कर दिया था, उसे देखकर उसे गुस्सा आ रहा था, उसे यह तो पता था कि वेद ने पहले भी कई बार शादी से इनकार किया है लेकिन आज तो उसने साफ कह दिया था कि वह किसी भी हालत में कामिनी से विवाह नहीं करेगा यह सोचकर कामिनी रो रही थी ।
तब उसकी मां उसके पास आई और बोली बेटा इस तरह नहीं रोते और उन लोगों ने कहा है ना की वह लोग वेद से इस बारे में बात करेंगे ।
तब कामिनी बोली मां मैं वेद को अच्छी तरह जानती हूं एक बार वह फैसला कर लेता है ना तो कोई उसे बदल नहीं सकता, मां अगर वेद से मेरा विवाह नहीं हुआ तो क्या होगा मुझे किसी भी हालत में वेद चाहिए, क्या कुछ नहीं सोचा था मैंने अपनी जिंदगी को लेकर कि मेरी जिंदगी बिल्कुल महारानियों की तरह होगी लेकिन अगर वेद ने इनकार कर दिया मां तो मुझे नहीं जीनी आप लोगों की तरह जिंदगी ।
तब उसकी मां बोली जानती हूं बेटी ऐसा रिश्ता ऐसे ही नहीं मिलता, उस घर में तो तुम महारानी बनकर राज करोगी हम तो मिडिल क्लास लोग हैं और मैं खुद भी यही चाहती हूं कि तुम्हारा रिश्ता उसे घर में हो ।
तब कामिनी बोली लेकिन मैं क्या करूं ऐसा की वेद इस रिश्ते से इंकार ना कर सके क्योंकि किसी के समझाने से वेद मानेगा नहीं कुछ समझ में नहीं आ रहा क्या करूं ।
तब उसकी मां बोली कुछ ऐसा करो कि वेद चाहते हुए भी कुछ ना कर पाए और तुम्हारा विवाह उससे हो जाए, एक बार तुम्हारा विवाह उससे हो गया उसके बाद तो तुम वहां महारानी बन ही जाओगी सब कुछ की मालकिन तुम होगी और वेद कुछ नहीं कर पाएगा ।
तब कामिनी बोली मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है क्या करूं, मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की वेद इस रिश्ते के लिए दिल से राजी है या नहीं बस मुझसे विवाह कर ले मुझे तो उसे घर में जाकर रानी बनना है कामिनी अपनी मां की तरफ देखते हुए बोली ।
तब उसकी मां बोली तो फिर अपना दिमाग लगाओ कि तुम ऐसा क्या कर सकती हो कि वेद इस रिश्ते से इनकार ही ना कर सके ।
तब यह सुनकर कामिनी कुछ सोचने लग गई, तब उसकी मां बोली अच्छा बेटा इस बारे में सोचो मुझे कुछ काम है यह कहकर बाहर चली गई हूं ।
वही कामिनी फिर अपने आप से बातें करते हुए बोली चाहे कुछ भी हो जाए वेद मैं तुम्हें आपसे इस तरह दूर नहीं जाने दूंगी कितने ख्वाब सजाई है मैंने अपनी जिंदगी को लेकर और तुम मेरे सारे ख्वाब को मिट्टी में मिला दो यह मुझे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं है तुम्हारे घर की मालकिन और सारी प्रॉपर्टी की मालकिन तो मैं ही बनूंगी, यह कहते हुए उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई लेकिन वह सोचने लगी कि वह ऐसा क्या करें कि वेद चाहते हुए भी उससे इनकार न कर पाए ।
धीरे-धीरे अभी दो ही दिन गुजरे थे की वेद की कंपनी को कोई एक नया बड़ा प्रोजेक्ट मिला था जिसकी वजह से उसके घर वाले और वह बहुत खुश था ।
ऐसे में उन लोगों ने अपने कुछ नाते रिश्तेदार करीबी यार दोस्तों को अपने यहां पार्टी में आने का निमंत्रण दिया और शहर की सबसे बड़ी होटल में उन्होंने पार्टी रखने का फैसला किया जिससे वे लोग इस खुशी को मना सके ।
वही फिर वेद ने सिमरन को अपने केबिन में बुलाया और उसे कहा कि कल उनके यहां पार्टी है यह कहते हुए होटल का नाम बताया और कहा कि उसे भी जरूर आना है ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली लेकिन मेरा आना ठीक नहीं होगा ।
तब यह सुनकर वेद बोला ऐसे कैसे ठीक नहीं होगा और तुम परेशान मत हो ऑफिस काफी सारी लड़के लड़की वहां पर होंगे ऐसे में तुम्हे भी जरूर आना है ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली लेकिन ।
तब वेद बोला मुझे कोई इनकार नहीं सुनना मैंने बोल दिया ना तुम्हें आना है तो आना ही है ।
तब सिमरन कुछ सोच कर बोली ठीक है ।
तब वेद बोला ठीक है मैं तुम्हें लेने के लिए आ जाऊंगा ।
तब सिमरन हड़ बढ़ाते हुए जल्दी में बोली नहीं ।
तब वेद बोला लेकिन रात को 8:00 बजे तुम अकेले कैसे आओगी मैं तुम्हें ले आऊंगा और भी छोड़ भी आऊंगा ।
तब सिमरन बोली नहीं मैं किसी तरह आ जाऊंगी आप परेशान मत हो अगर आप मुझे लेने आएंगे तो, तब उसकी बात बीच में काटते हुए वेद बोला लोग बातें बनाएंगे, हमारे ऊपर उंगली उठाएंगे, यह कहते हुए मुस्कराने लगा ।
तब सिमरन बोली हां लेकिन सोच रही हूं कि मेरी मां मुझे मुझे भेजेगी या नहीं क्योंकि रात के समय मेरा इस तरह पार्टी में जाना उन्हें पसंद नहीं आएगा और बाबोसा वह भी इन सबके लिए कभी सहमति नहीं देंगे ।
तब वेद बोला तुम कह देना कि ऑफिस की पार्टी है तो तुम्हारा जाना जरूरी है लेकिन हां तुम्हें जरूर आना है अगर तुम नहीं आई ना तो पक्का मैं तुम्हें तुम्हारे घर पर लेने आ जाऊंगा, वेद उसकी तरफ देखते हुए बोला ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली ठीक है मैं आने की कोशिश करूंगी ।
तब वेद बोला कोशिश नहीं तुम्हे आना ही है ।
तब सिमरन बोली ठीक है मैं आ जाऊंगी ।
तब यह सुनकर वेद मुस्कुराते हुए बोला अच्छा ।
फिर सिमरन बोली अब मुझे चलना चाहिए कोई देख लेगा, यह कहते हुए जल्दी से केबिन से बाहर आ गई ।
तब वेद अपने आप से मुस्कुराते हुए बोला पागल जरा सी बात पर घबरा जाती है ।
धीरे-धीरे इसी तरह दिन गुजर गया, उस दिन सिमरन अपने घर चली गई और रात को खाना खाते समय सोच में डूबी हुई थी क्योंकि उसे समझ नहीं आ रहा था कि पार्टी में जाने की बात वह अपने घर वालों को कैसे बताएं पता नहीं उसके घर वाले सुनकर क्या सोचेंगे और उसे पार्टी में जाने की इजाजत देंगे या नहीं ।
तब उसकी मां बोली क्या हुआ क्या सोच रही हो कोई बात है क्या परेशान लग रही हो ।
तब सिमरन बोली मां कल हमारे कंपनी को एक नया प्रोजेक्ट मिला है इसके सिलसिले में होटल में कल शाम को बड़ी पार्टी है कंपनी के काफी सारे लोग उसमें शामिल होंगे मुझे भी इसमें जाना है मुझे भी इसका निमंत्रण मिला है इनकार भी नहीं कर सकती ऐसे में क्या मैं जा सकती हूं, सिमरन डरते हुए हड़बड़ा कर बोली ।
तब यह सुनकर सिमरन के बाबोसा बोल कब है पार्टी ।
तब सिमरन बोली कल रात को 8:00 के आसपास ।
तब सिमरन के बाबोसा बोले इस तरह रात को घर से अकेली बाहर रहोगी यह ठीक नहीं है कहीं जाने की जरूरत नहीं है ।
तब इंद्राणी कुछ सोचकर बोली आप भी ना ऐसे इनकार कर रहे हो, अगर बोल तो रही है उनकी ऑफिस की पार्टी है काफी सारे लड़के लड़की भी आएंगे और अगर यह पार्टी में नहीं जाएगी तो ठीक नहीं लगेगा ना इस निमंत्रण भी आया है और इसके प्रमोशन का भी तो सवाल है हो सकता है कुछ ही वक्त में इसे प्रमोशन भी मिल जाए इसके साथ सैलरी भी बढ़ जाएगी ।
तब यह सुनकर सिमरन के बाबोसा बोले लेकिन फिर भी रात के वक्त अगर यह जाएगी तो ठीक नहीं रहेगा और लोगों की तो सोचो कितनी बातें बनाएंगे अगर उन्हें पता चल गया तो ।
तब इंद्राणी बोली तो इसे कौन सा ही वहां होटल में कोई खा जाएगा आप होटल तक छोड़ आएगा और जब इसे वापस आना होगा तो यह कॉल कर देगी और रही बात लोगों की तो उन्हें भला कौन बताएगा बात हमारी ही बीच में रहेगी लेकिन इसके प्रमोशन का सवाल है इसकी कंपनी की प्रोजेक्ट पार्टी है अगर इसे कहीं और जाना होता तो भला मैं ही नहीं भेजती ।
तब यह सुनकर उसके बाबोसा बोले ठीक है चली जाना सिमरन लेकिन अपना ध्यान रखना और हां मैं तुम्हें खुद छोड़ आऊंगा और जब पार्टी खत्म हो तो मुझे कॉल कर देना मैं लेने के लिए आ जाऊंगा ।
तब सिमरन बोली जी बाबोसा ।
तब इंद्राणी बोली सिमरन एक बात कान खोल कर सुन ले तेरी जिद पर हम तुझे पार्टी में भेज तो रहे है चले तो जाना लेकिन वहां ज्यादा नखरे दिखाने की जरूरत नहीं है और हां किसी भी लड़के से बात मत करना उनसे दूर ही रहना यह बात तुम्हें मैं हर रोज बताती हूं और आज फिर बता रही हूं चुपचाप पार्टी में जाना है और चुपचाप वापस आ भी जाना ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली जी, तब इसी तरह बातें करते हुए सभी ने एक साथ खाना खाया, फिर सब अपने-अपने कमरों में सोने के लिए चले गए ।
तब वेद का कॉल आया तो सिमरन ने कॉल उठाया, तब वेद बोला तुमने बात की अपने घर वालों से पार्टी के बारे में ।
तब सिमरन बोली हां बाबोसा मुझे खुद छोड़ आएंगे और वापस ले भी आएंगे ।
तब वेद बोला अच्छी बात है लेकिन हां आने से पहले मुझे कॉल जरुर कर देना कि तुम अपने बाबोसा के साथ आ रही हो मुझे चिंता रहेगी ।
तब सिमरन बोली जी अब मैं कॉल फोन रखती हूं ।
तब यह सुनकर वेद बोला लेकिन तब उसकी बात सुने बिना ही सिमरन ने कॉल काट दिया क्योंकि उसे डर था कि अगर उसकी मां आ गई तो अच्छा नहीं होगा ।
तब वेद के चेहरे पर मुस्कान आ गई और वह अपना लैपटॉप लेकर सोफे पर बैठकर अपना काम करने लग गया ।
तब खुशी सिमरन की तरफ देखते हुए बोली दीदी पार्टी उसमें आप और वेद सब कुछ कितना अच्छा होगा ना ।
तब सिमरन बोली खुशी कुछ भी मत सोचो वह मेरी कंपनी की पार्टी है सब लोग आएंगे तो ऐसे में मैं भी जा रही हूं ।
तब यह सुनकर खुशी बोली हां वह बात तो है दीदी वैसे मुझे लगा था की मां इतनी जल्दी नहीं मानेगी लेकिन आखिरकार उन्होंने तुम्हें इजाजत दे ही थी, यहां तक की बाबोसा को भी तुम्हें पार्टी में छोड़कर आने के लिए राजी कर लिया ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली हां मैंने वेद से वादा किया था कि मैं पार्टी में जरूर आऊंगी अगर नहीं जाती तो उन्हें अच्छा नहीं लगता ना ।
तब खुशी बोली हां यह बात तो है, इसी तरह दोनों ने बातें की और फिर दोनों बातें करते हुए सो गई ।
वही कामिनी और उसके परिवार को भी इस पार्टी में जाना था ।
तब कामिनी ने यह सुना तो उसके दिलों दिमाग में एक योजना आई और उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई ।
तब वह बोली अब देखती हूं वेद तुम अपने आप को मुझसे कैसे बचा पाओगे चाहे तुम्हारी इच्छा हो या ना हो लेकिन विवाह तो तुम्हें मुझसे ही करना पड़ेगा क्योंकि इसके सिवाय तुम्हारे पास और कोई रास्ता नहीं बचेगा तुमने मुझे मजबूर कर दिया है ऐसा करने के लिए एक ऐसा जाल बिछाऊंगी कि तुम कुछ समझ ही नहीं पाओगे और उसमें पूरी तरह फस जाओगे, यह सोचते हुए ही घटिया चाल उसके दिलों दिमाग में आ गई थी ।
धीरे-धीरे शाम हो गई जब वेद अपने घर पर आया तो कामिनी वहां पर बैठी हुई थी ।
तब कामिनी को देखकर वेद कुछ नहीं बोला और वहां से जाने लगा ।
तब कामिनी बोली वेद 1 मिनट रुको ।
तब यह सुनकर वेद रुक गया, तब कामिनी बोली क्या मैं तुम्हारे साथ पार्टी में चल सकती हूं ।
तब यह सुनकर वेद ने उसकी तरफ देखा तो कामिनी बोली प्लीज़ वेद क्या मैं तुम्हारे साथ पार्टी में चल सकती हूं ।
तब यह सुनकर वेद बोला देखो कामिनी तुम्हें अच्छे से पता है कि पार्टी किस होटल में है ऐसे में तो खुद चली जाओ ।
तब कामिनी बोली हां लेकिन एक दोस्त होने के नाते क्या तुम मुझे अपने साथ नहीं ले जा सकते ।
तब वेद बोला बिल्कुल नहीं ।
तब यह सुनकर कामिनी को गुस्सा आने लगा फिर वह हड़बड़ा कर बोली लेकिन क्यों ।
तब यह सुनकर वेद बोल बस ऐसे ही अब तुम्हें पार्टी में जाना है तो जाओ वरना मत जाओ, यह कहकर सीधे अपने कमरे में चला गया ।
तब यह देखकर कामिनी गुस्से में तिल मिलाने लगी, तभी वेद की मां सुरीली वहां पर आई और बोली क्या हुआ बेटा ।
तब यह सुनकर कामिनी बोली होगा क्या वेद को तो जैसे मेरी सूरत देखना ही पसंद नहीं है उसके व्यवहार से साफ पता चलता है ।
तब यह सुनकर सुरीली बोली ऐसी बात नहीं है बेटा तुम इन सब के बारे में मत सोचो अच्छा तुम्हारी मम्मी पापा आ रहे है क्या इस पार्टी में ।
तब यह सुनकर कामिनी बोली हां लेकिन मैंने सोचा कि मैं यहां आ जाती हूं आप सबके लोगों के साथ चलूंगी ।
तब यह सुनकर सुरीली बोली यह तो अच्छी बात है मैं भी कुछ ही देर में तैयार होकर आती हूं, यह कह कर तैयार होने चली गई ।
वहीं वेद तैयार होकर जाने लगा तो कामिनी बोली वेद लेकिन उसकी बात को नजर अंदाज करते हुए वेद वहां से चला गया ।
तब कामिनी पीछे से आवाज देते हुए उसके पीछे भागी क्योंकि वह किसी भी तरह वेद के साथ जाना चाहती थी लेकिन वेद ने उसकी तरफ देखा भी नहीं और अपनी गाड़ी में बैठकर वहां से चला गया ।
तब यह देखकर तो कमीनी का खून खौल उठा और वह अपने आप से बोली देखती हूं वेद आखिर कब तक तुम मुझसे इस तरह भागोगे आखिर आना तो तुम्हें मेरे पास ही है ।
वही सिमरन अपने घर पर आई तो खुशी अपनी एक ड्रेस उसे देते हुए बोली दीदी यह सूट पहन कर जाओ बहुत प्यारा लगेगा आपके ऊपर ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली लेकिन यह तो तुम्हारा है ।
तब खुशी बोली तो क्या हुआ दीदी मेरा और आपका अलग थोड़ी ना है आप इसमें बहुत अच्छी लगोगी और वैसे भी आपके पास तो कोई इतना अच्छा सूट भी नहीं है इसलिए इसे पहन कर जाओ ।
तब यह सुनकर सिमरन कुछ बोलती उससे पहले खुशी बोली मैंने बोला ना दीदी आप इसे ही पहन कर जाओगी ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली ठीक है और वह सूट पहनकर तैयार हो गई ।
तब खुशी उसे देखते हुए मुस्कराते हुए बोली दीदी आज तो आप सच में बहुत खूबसूरत लग रही है अगर वेद आपको देखेगा ना तो देखता ही रह जाएगा, देखना आप पर से तो उसकी नजर ही नहीं हटेगी पूरी तरह आपके प्यार में खो जाएगा ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली चुप कर शैतान कुछ भी बोलती रहती है ।
तब खुशी बोली क्या बात है मेरी दीदी शर्मा ने भी लग गई वैसे अब जाइए कहीं आपको देर ना हो जाए रात के भी 8:00 बजने को आए है ।
तब सिमरन बोली ठीक है तब जैसे ही वह बाहर आई तो इंद्राणी ने गुस्से में उसकी तरफ देखा और फिर बोली यह सूट तो खुशी का है फिर तुमने क्यों पहना है ।
तब यह सुनकर सिमरन कुछ बोलती है उससे पहले ही खुशी बोली आप भी कैसी बातें करती हो मां अरे दीदी पार्टी में जा रही है अगर ऐसे वैसे ही कपड़े पहन कर जाएगी तो वहां पर लोग क्या सोचेंगे ठीक तरह से तो तैयार होकर जाना चाहिए ना ।
तब यह सुनकर इंद्राणी ने गुस्से में फिर उन दोनों की तरफ देखा और सिमरन की तरफ देखकर बोली जो कहा है ना ध्यान रखना ज्यादा नखरे दिखाने की वहां जरूरत नहीं है और लड़कों से तो खास करके दूर ही रहना ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली जी ।
तभी वेद ने यह जानने के लिए की सिमरन आ रही है या नहीं सिमरन के पास कॉल किया,तब जैसे ही उसके फोन की घंटी बजी ।
तब इंद्राणी गुस्से में उसकी तरफ देखकर बोली किसका फोन आ रहा है ।
तब यह सुनकर सिमरन हड़ बढ़ाते हुए बोली कुछ नहीं एक फ्रेंड का फोन था मेरे साथ मेरी ही ऑफिस में काम करती है शायद पूछ रही होगी कि मैं आ रही हूं या नहीं ।
तब इंद्राणी बोली ठीक है अब जा तेरे बाबोसा बाहर इंतजार कर रहे है ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली जी मासा और अपने बाबोसा के साथ चली गई ।
वहीं जिस होटल में पार्टी थी वहां उसके बाबोसा ने उसे छोड़ दिया और बोला जब पार्टी खत्म हो जाए तो मुझे कॉल कर देना सिमरन और अपना ध्यान रखना ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली जी बाबोसा, तब उसके बाबोसा उसे वहां छोड़कर चले गए ।
तब सिमरन अंदर जाने लगी तो गेट पर खड़े हुए गार्डों ने उसे रोक लिया और कहा कहां जा रही हो तुम ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली कि यहां आज हमारे ऑफिस की पार्टी है ।
तब यह सुनकर गार्ड ने उसकी तरफ देखा और फिर बोला तुम्हारे जैसी लड़कियां यहां बहुत आती है जाओ यहां से ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली देखिए मैं यहां इस पार्टी में आई हूं प्लीज मुझे जाने दीजिए लेकिन गार्ड उसकी एक बात तक नहीं सुन रहा था क्योंकि सिमरन सलवार सूट पहन कर आई थी ऐसे में उन्हें लग रहा था कि यह लड़की कोई ऐसी ही राह चलते हुए यहां आ गई है ।
तब उन गार्ड से काफी कहने पर जब उन्होंने सिमरन को अंदर नहीं जाने दिया तो तब सिमरन वेद को कॉल करने वाली थी उससे पहले ही वेद यह देखने के लिए की सिमरन आई है या नहीं बाहर आया हुआ था क्योंकि सिमरन के बिना तो जैसे उसका मन ही नहीं लग रहा था ।
तब वेद को देखते ही सिमरन बोली वेद ।
तब वेद उसके पास आया और बोला तुम यहां क्यों खड़ी हो अंदर क्यों नहीं आई ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली यह गार्ड मुझे अंदर आने ही नहीं दे रहे थे ।
तब यह सुनकर वेद ने गुस्से में उनकी तरफ देखा, तब दोनों गार्ड हड़ बढ़ाने लगे और डरने लगे ।
तब गार्ड बोला सॉरी सर हमें नहीं पता था कि यह मैम भी इस पार्टी में आई है हमने सोचा कि ऐसे ही कोई चलते हुए आ गई ।
तब यह सुनकर वेद गुस्से में कुछ बोलता है उससे पहले ही सिमरन बोली कोई बात नहीं वेद इनकी भी कोई गलती नहीं है चलो चलते हैं यह कहकर उसे लेकर अंदर आ गई ।
तब वह दोनों अंदर आ गए तब वेद उसकी तरफ देखते हुए बोला तुम्हें आने में कोई परेशानी तो नहीं हुई ना ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली नहीं बाबोसा छोड़ कर गए है जैसे ही पार्टी खत्म होगी मैं उनके साथ चली जाऊंगी उन्हें कॉल करके बता दूंगी ।
तब यह सुनकर वेद बोला अच्छा यह कहते हुए उसने फिर सिमरन की तरफ ठीक तरह से देखा तो सिमरन को देखते ही वह उसे देखता रह गया ।
तब यह देखकर सिमरन शर्माते हुए और हड़बड़ाते हुए बोली क्या हुआ क्या देख रहे हो ।
तब वेद उसके पास आकर बोला सच में यार तुम आज बहुत खूबसूरत लग रही हो ।
तब यह सुनकर सिमरन बोली क्यों और दिन अच्छी नहीं लगती थी क्या ।
तब यह सुनकर वेद बोला नहीं ऐसी बात नहीं है तुम तो हमेशा ही अच्छी लगती हो लेकिन आज तो लाजवाब लग रही हो ।
तब यह सुनकर सिमरन उसकी तरफ देखकर बोली और आप भी बहुत अच्छे लग रहे हैं ।
तब यह सुनकर मुस्कुराते हुए वेद बोला अच्छा अब चलो यह कहकर उसे अपने साथ लेकर अंदर आया ।
वही सिमरन को देखकर उसके ऑफिस के जो कुछ लड़के लड़कियां आई थी वह उस तरफ देखने लगे ।
तब एक लड़की बोली यह तो हमारी ही ऑफिस में काम करती है ना ।
तब दूसरी लड़की बोली हां ।
तब एक लड़की बोली हमने तो सर के इस प्रोजेक्ट पिछले प्रोजेक्ट को पूरा करवाने में पूरा योगदान दिया था बहुत मेहनत की थी और इस प्रोजेक्ट को भी हमें पूरा करवाना है इसलिए सर ने हमें इनवाइट किया है लेकिन यह क्यों आई है ।
तब यह सुनकर दूसरी लड़की बोली इसे भी किसी ने इनवाइट किया होगा वरना बिना इनवाइट किए हुए तो यह इस होटल में पैर भी नहीं रख सकती थी ।
तब एक लड़की बोली पता नहीं कैसे-कैसे लोगों को भी इनवाइट किया जाता है यह कहते हुए सिमरन की तरफ देखकर बातें बनाने लगी ।
वहीं सिमरन जाकर एक कुर्सी पर बैठ गई, वेद से कुछ लोग बातें कर रहे थे लेकिन वेद की नजर तो सिमरन पर ही टिकी हुई थी, दोनों एक दूजे को देखकर मुस्कुरा रहे थे ।
वही कामिनी की नजरे भी वेद को ढूंढ रही थी,तब वेद को देखकर वह उसके पास गई और बोली कैसे हो वेद ।
तब यह सुनकर वेद ने वहां से जाने लगा तो कामिनी बोली वेद हम अच्छे दोस्त तो है ना तो क्या तुम मुझसे बातें नहीं करोगे ।
तब यह सुनकर वेद बोला नहीं ऐसी बात नहीं है ।
तब यह सुनकर कामिनी बोली वेद मैं जानती हूं कि हम दोनों के घरवाले हमारी शादी की बात कर रहे है लेकिन तुम्हारी मर्जी के बिना कुछ नहीं होगा लेकिन तुम मुझसे इस तरह नाराज मत रहो कम से कम एक अच्छे दोस्त बन कर तो हम रह सकते हैं ना, अगर तुम्हें यह रिश्ता मंजूर नहीं है तो कोई बात नहीं लेकिन हमारी दोस्ती तो ना तोड़ो ।
तब यह सुनकर वेद बोला ऐसी कोई बात नहीं है, यह कहते हुए फिर बोला अभी मैं आया और वहां से चला गया ।
तब कामिनी बोली मैं जानती हूं तुम हमेशा मुझसे दूर भगाने की कोशिश करते हो लेकिन बस आज की रात वेद उसके बाद तुम चाहते हुए भी मुझसे दूर नहीं भाग पाओगे, चाहे कितनी भी कोशिश कर लो, क्योंकि कामिनी जो सोच लेती है वह कर रहती है और कामिनी की जिद है तुम्हें पाना तो वह पाकर रहेगी, यह सोचते हुए उसके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान आ गई ।
वहीं पार्टी में चहल पहल मची हुई थी, तब एक लड़का सिमरन के पास आकर बोला हेलो क्या हम एक साथ डांस कर सकते हैं ।
तब यह सुनकर सिमरन कुछ नहीं बोली और वहां से उनका दूसरी जगह जाकर बैठ गई ।
तब वह लड़का बोला क्या बात है स्वीटहार्ट इस तरह मुझसे दूर क्यों भाग रही हो यह कहते हुए उसे छेड़ने लगा ।
तब सिमरन घबराने लगी और उसकी नज़रें वेद को ढूंढने लगी ।
तभी वेद वहां आया और गुस्से में उस लड़के की कंधे पर हाथ रखते हुए बोला क्या प्रॉब्लम है ।
तब यह सुनकर वह लड़का हड़ बढ़ाते हुए बोला कुछ कुछ नहीं और वहां से चला गया ।
तब वेद बोला सिमरन इस लड़के ने कोई घटिया हरकत करने की कोशिश तो नहीं की ना ।
तब सिमरन बोली नहीं आप छोड़ो इन बातों को आप आ गए हैं बस यही बहुत है ।
तब वेद एक जूस का गिलास लेकर सिमरन के पास आया और बोला लो जूस पी लो ।
तब सिमरन ने वह गिलास ले लिया और ज्यूस पीने लगी, तभी वेद के पापा ने वेद को इशारे से अपने पास बुलाया तो वेद बोला सिमरन तुम यहीं बैठो अगर कोई तुमसे कुछ बोले ना तो मुझे जरूर बोल देना मैं अभी आया और वह उठकर वहां से चला गया ।
उधर कामिनी के दिमाग में घटिया चाल चल रही थी उसने एक बेटर को अपने पास बुलाया और उसे कुछ रुपए दिए और एक जूस के गिलास में स्पीड ड्रग्स मिला दी और उसे बेटर की तरफ देखते हुए बोली यह गिलास जाकर यह कहते हुए वेद की तरफ इशारा कर दिया और कहा उस सर को दे देना और किसी को मत देना ।
तभी यह सुनकर वह बेटर बोला जी और वहां से चला गया ।
तब यह देखकर कामिनी के चेहरे पर मुस्कान आ गई उसने जूस में स्पीड ड्रग्स इसलिए मिलाया था क्योंकि उसे पता था कि वेद ड्रिंक नहीं करता था ।