अंधेरी रात… शहर की वीरान सड़कों पर सिर्फ गाड़ियों की आवाज़ें थीं और दूर कहीं गोली चलने की गूँज। इस शहर का सबसे खतरनाक नाम—आरव मल्होत्रा। काला सूट, तीखी निगाहें, और ऐसा खामोश गुस्सा जिसे देखकर दुश्मनों का खून जम जाए। लोग उसे माफिया कहते थे… सिस्टम उसे... अंधेरी रात… शहर की वीरान सड़कों पर सिर्फ गाड़ियों की आवाज़ें थीं और दूर कहीं गोली चलने की गूँज। इस शहर का सबसे खतरनाक नाम—आरव मल्होत्रा। काला सूट, तीखी निगाहें, और ऐसा खामोश गुस्सा जिसे देखकर दुश्मनों का खून जम जाए। लोग उसे माफिया कहते थे… सिस्टम उसे मुसीबत… और दुश्मन उसे मौत। लेकिन आरव की दुनिया में एक चीज़ कभी जगह नहीं पाई—कमज़ोरी। और कमज़ोरी उसके लिए सिर्फ एक थी—इमोशंस। इसलिए उसने कभी किसी को पास आने नहीं दिया। किसी को नहीं… जब तक कि वो अन्वी उसकी ज़िंदगी में नहीं आई। अन्वी—एक साधारण, सीधी-सादी लड़की। किसी लाइब्रेरी में पार्ट टाइम काम करती, अपनी ही छोटी दुनिया में खोई रहती। वह न माफिया की दुनिया जानती थी, न खतरे की भाषा… लेकिन हालात ने उसे उस आदमी से टकरा दिया जिसे लोग “शैतान का दूसरा नाम” कहते थे। उस रात… जब कुछ गुंडों ने अन्वी को घेर लिया, वह खुद को बचाने की कोशिश में काँप रही थी। तभी अंधेरे से एक साया निकला— खून से सना, चेहरे पर ज़ख्म, सांसें भारी… वो था आरव मल्होत्रा। उसकी आंखें गुस्से में जल रही थीं, और उसी गुस्से में एक अजीब सी बेचैनी छिपी थी। उसने उन गुंडों को खत्म करने में एक पल भी नहीं लगाया। लेकिन अन्वी की तरफ देखते हुए… उसके कदम ठहर गए। अन्वी ने उसे बचाया नहीं देखा… सिर्फ उसकी पीठ देखी। क्योंकि आरव अपना चेहरा छुपाते हुए आया था। वो नहीं चाहता था कि एक मासूम लड़की उसकी असली पहचान जान जाए। वो नहीं चाहता था कि वो लड़की उसकी दुनिया का हिस्सा बने। क्योंकि वो जानता था… जो उसकी दुनिया में आता है, कभी वापस नहीं जाता। आरव ने अन्वी को एक पल देखा— उसकी आँखों में डर भी था, मासूमियत भी… और ऐसी सच्चाई, जिसे उसने अपनी ज़िंदगी में कभी नहीं देखा था। और अगले ही पल… वो अंधेरे में गायब हो गया। लेकिन आरव के मन में पहली बार कुछ टूटा था। जीतने की चाह नहीं… काबू की नहीं… बल्कि उसे फिर से देखने की। अन्वी उस रात के बाद बार-बार उस अजनबी को याद करने लगी जो आया भी तूफ़ान की तरह और चला भी हवा की तरह। वो कौन था? क्यों उसकी आवाज़, उसकी छाया उसे परेशान कर रही है? और क्यों उसे लगता है कि वह किसी खतरनाक चीज़ में उलझ गई है? उधर आरव… उसके लिए यह कोई मुलाकात नहीं थी। ये एक ओब्सेशन की शुरुआत थी। वह लड़की अब उसकी आदत बन चुकी थी। उसकी खामोशी में भी उसका नाम गूंजने लगा था।
Anvi maheta
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Arav malhotra
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अब आगे...
अन्वी की साँस अटक गई।
स्क्रीन पर वह चमकता शब्द—
Private number
उसके दिल की धड़कन और तेज कर रहा था।
उसने काँपती उँगली से फोन उठाया।
“ह-हेलो…?”
कुछ सेकंड तक कोई आवाज नहीं आई। बस सांसों की हल्की, गहरी कंपकंपी… जैसे कोई अपनी तरफ से खुद को रोक रहा हो।
फिर—
“अन्वी।”
वह आवाज…
वही भारी, शांत, आदेश देने वाली—
वही जिसे सुनते ही उसकी रीढ़ में एक झुरझुरी दौड़ गई।
आरव।
उसने आँखें बंद कीं।
“तुम… तुमने ये ऐप इंस्टॉल किया है?”
“हाँ,” उसने धीरे पर दृढ़ स्वर में कहा।
“तुम्हें नहीं पता, अन्वी… पर तुम पर नजर रखना ज़रूरी है।”
“नजर रखना?” वह घबरा गई, “तुम… ऐसा क्यों कर रहे हो?”
फ़ोन के दूसरी ओर हल्की-सी चुप्पी।
फिर जैसे उसकी आवाज और गहरी, और भारी हो गई—
“क्योंकि तुम समझ भी नहीं सकती कि आज क्या हुआ। अगर मैं एक सेकंड देर करता… तो तुम्हें कुछ भी हो सकता था।”
अन्वी का गला सूख गया।
वह याद करने लगी—
वो गुंडे, वो खिंचा हुआ हाथ, पीछे से आ रही धमकी भरी आवाज… और फिर अचानक उसके सामने उतरता हुआ आरव।
“आरव… तुमने कैसे…?”
“तुम जहाँ भी जाती हो, रास्ता, कैमरे, आसपास के फोन—मैं सब देख सकता हूँ,” उसने कहा, जैसे ये कोई सामान्य बात हो।
अन्वी सन्न रह गई।
“मतलब… तुम मुझे ट्रैक करते हो?”
“अब नहीं,” आरव ने शांत स्वर में कहा, “अब कोई भी तुम्हें ट्रैक नहीं कर सकता… क्योंकि अब तुम्हारा फ़ोन सिर्फ मेरे सिस्टम से जुड़ा है।”
उसका दिल जोर से धड़का।
ये सुरक्षा थी?
या पकड़?
या दोनों?
“तुम डर रही हो?”
आवाज़ में कुछ नरमी आई।
अन्वी ने सच छुपाया, “नहीं…”
“झूठ।”
आरव की आवाज ठंडी, पर अजीब-सी जानने वाली थी, “तुम अभी भी काँप रही हो।”
वह चौंक गई—
उसे कैसे पता?
उसने फोन को सीने से थोड़ा दूर कर देखा—
और समझ गई…
एंटी-ट्रैक ऐप में कैमरा एक्सेस भी था।
उसने जल्दी से कैमरा कवर किया।
“स्टॉप इट! ये सब बहुत गलत है, आरव!”
कुछ सेकंड की खामोशी…
फिर उसके शब्द चाकू की तरह चुप्पी चीरते हुए—
“जो गलत है… वो तुम्हें नुकसान पहुँचाना है।
और जो सही है… वो मैं कर रहा हूँ।”
अन्वी ने कुछ कहना चाहा, पर तभी—
दरवाज़े पर किसी ने जोर से नॉक किया।
“कौन है?”
उत्तर नहीं।
नॉक फिर हुआ।
इस बार और तेज।
उसका दिल डर से उछल पड़ा।
“आरव… कोई दरवाजे पर है।”
फ़ोन पर सांसों की आवाज भारी हो गई।
“दरवाज़ा मत खोलना। मैं बोल रहा हूँ—मत खोलना।”
“पर…”
तीसरी बार नॉक इतनी तेज कि कमरा हिल गया।
अन्वी डर से पीछे हट गई।
“आरव… क्या करूँ?”
“स्पीकर ऑन करो,” आरव ने आदेश दिया।
अन्वी ने स्पीकर ऑन किया, और कांपते कदमों से दरवाजे के पास गई।
“कौन है…?” उसने हिम्मत करके पूछा।
बाहर से एक अजनबी, रूखा स्वर—
“डिलीवरी है मैम… ओटीपी बताइए।”
अन्वी ने माथे पर पसीना पोंछा।
“मैंने कोई ऑर्डर नहीं किया…”
चुप्पी।
फिर धीरे से ताले में कुछ घुसने की आवाज।
अन्वी का दिल जम गया।
“आरव… वो ताला खोल रहे हैं…!”
फ़ोन पर गुस्से की गुर्राहट भरी आवाज आई—
“साइड में हट जाओ। अभी।”
उसने बिना सोचे माना—साइड में खड़ी हो गई।
तब—
एक जोरदार धमाका।
दरवाज़ा बाहर से जोर से धक्का मारकर खुला, पर उसी पल…
दो काले कपड़ों में लोग अंदर घुसे—
पर वह गुंडे नहीं थे।
उन सबकी टी-शर्ट पर सफेद सिंबल बना था—
A.M.
अन्वी ने पहचान लिया।
ये आरव के लोग थे।
उनमें से एक ने अंदर घुसते ही उसके सामने हाथ जोड़कर कहा—
“मैम, प्लीज़ पीछे रहिए। सर ऑन द कॉल।”
फ़ोन पर आरव की आवाज आई—
“तुम ठीक हो?”
अन्वी ने हाँ में सिर हिलाया।
“दरवाज़ा फिर से लॉक कर दिया गया है,” उन लड़कों में से एक ने कहा, “सर, बाहर दो लोग थे… उनका चेहरा नहीं दिखा। हम फुटेज खंगाल रहे हैं।”
आरव ने फोन पर गहरी आवाज में कहा—
“अन्वी, मैं रास्ते में हूँ।
किसी भी हालत में अकेली मत रहना। समझीं?”
वह धीरे से बोली—
“तुम… आ रहे हो?”
“हाँ,” उसने ऐसी आवाज में कहा जिसमें कोई सवाल, कोई विकल्प नहीं था।
“और जब तक मैं नहीं पहुँचता, मेरी टीम तुम्हारे कमरे में रहेगी।”
टीम में मौजूद लोग अनुशासन में खड़े थे—
सख्त, शांत, प्रोफेशनल।
अन्वी ने धीरे से कहा,
“आरव… ये सब ज़रूरी था क्या?”
फोन पर उसकी आवाज बदली।
इस बार उसमें गुस्सा नहीं… दर्द था।
“हाँ,”
वह बोला,
“जब बात तुम्हारी हो… तो सब ज़रूरी है।”
अन्वी की आँखें अनायास नम हो गईं।
उसे पहली बार एहसास हुआ—
ये आदमी सिर्फ खतरनाक नहीं,
खुद में एक आँधी है।
और वो आँधी…
अब उसकी ज़िंदगी में उतर चुकी थी।
---
लगभग आधे घंटे बाद—
कमरे में अचानक बाहर से कार के ब्रेक की आवाज आई।
टीम का एक लड़का बोला—
“मैम, सर आ गए।”
अन्वी ने गहरी सांस ली।
दिल धड़क रहा था—यह डर नहीं था…
यह कुछ और था।
दरवाज़ा खुला—
और वह अंधेरे में से चलता हुआ अंदर आया।
आरव मल्होत्रा।
काले शर्ट की बाँहें मोड़ी हुईं,
ठंडी आँखें,
चेहरे पर कड़ा गुस्सा
और धूल से भरे उसके बाल…
जैसे वह रास्ते में किसी पर टूट पड़ा हो।
जैसे ही उसकी नजर अन्वी पर पड़ी—
उसका गुस्सा थोड़ा ढीला पड़ा…
पर आँखों में तुफ़ान अब भी था।
“अन्वी…” उसकी आवाज धीमी थी,
“तुम ठीक हो?”
वह बस सिर हिला सकी।
आरव उसके करीब आया—
इतना करीब कि उसकी गर्म साँसें अन्वी के माथे को छूने लगीं।
“तुम डरी हुई हो।”
उसने उसके हाथों को पकड़ा—
वे बर्फ जैसे ठंडे थे।
अन्वी ने कहा,
“मुझे लगा… शायद वो लोग वापस आ जाएंगे…”
आरव ने उसका चेहरा हल्के से ऊपर उठाया,
उसकी आँखों में गुस्सा और दर्द का मिश्रण जल रहा था।
“जब तक मैं जिंदा हूँ—
कोई तुम्हें छू भी नहीं सकता।
कभी भी नहीं।”
उसका स्वर इतना गहरा, इतना भरोसे वाला था कि अन्वी ने अपनी आँखें बंद कर लीं।
आरव ने उसके सिर पर हल्के से हाथ रखा—
पहली बार उसके छूने में गुस्सा नहीं था…
एक अजीब-सी कोमलता थी।
लेकिन उसी पल—
आरव के फोन पर एक नोटिफिकेशन चमका।
उसने स्क्रीन देखा—
और उसकी आँखों का रंग बदल गया।
“सर—”
टीम के लड़के ने कहा,
“हमें CCTV फुटेज मिल गया है।
वो गुंडे उसी प्रॉपर्टी से आए हैं जहाँ—”
“जहाँ?”
आरव की आवाज फट पड़ी।
“जहाँ वो इंसान छुपा है… जिसके साथ आपका पुराना खून-खराबा हुआ था।”
कमरे की हवा भारी हो गई।
अन्वी ने डरते हुए पूछा—
“आरव… कौन…?”
आरव ने उसके सवाल का जवाब नहीं दिया।
वह सीधा उसकी आँखों में देखकर बोला—
“मेरी बात ध्यान से सुनो।
तुम अब कहीं अकेली नहीं जाओगी।
कभी भी नहीं।”
उसने टीम को आदेश दिया—
“पूरे बिल्डिंग का सिक्योरिटी लॉकडाउन कर दो।
उस जगह से हर फुटेज उठाओ।
और उसे ढूँढो… ज़िंदा या—”
अन्वी ने घबराकर कहा,
“आरव! इतना गुस्सा क्यों?”
वह उसकी तरफ देखा—
धीरे, गहराई से।
“क्योंकि आज…
तुम्हें खोने का डर सच में महसूस हुआ था।”
अन्वी का गला भर आया।
उसने पहली बार महसूस किया—
यह आदमी सिर्फ उसे देखता नहीं…
उसे महसूस भी करता है।
और इस एहसास के पीछे छुपा था—
आसक्ति।
एक dangerous obsession…
जो हर पल बढ़ रही थी।
आरव उसके पास झुका,
फुसफुसाया—
“अब तुम मेरी हो, अन्वी।
और जो कुछ मेरा है…
मैं उसे किसी को नहीं लेने देता।”
उसके शब्दों में चेतावनी भी थी, इकरार भी।
अन्वी ने धीरे से पूछा,
“आरव… क्या हम कभी इस सब से बाहर निकल पाएंगे?”
आरव मुस्कुराया नहीं।
बस गहरी साँस ली।
“नहीं।
क्योंकि ये कहानी खत्म नहीं हुई…”
“…ये तो बस शुरुआत है।”