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लव, लाईज़, एंड लेगसी (ऑफ़ लव लॉस्ट, लाईज़ टोल्ड, एंड लेगसीज अनटोल्ड)
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दीवान हाउस देहरादून, उत्तराखंड दीवान हाउस आज़ दुल्हन की तरह सजाया गया था, और सजाए भी क्यूँ नहीं उनकी इकलौती बेटी आरवी की शादी जो थी। भले ही ये शादी सिर्फ़ एक कॉन्ट्रेक्ट थी, पर शादी तो थी ही, इसलिए आरवी के पापा अभीराज दीवान उसकी शादी धूमधाम से करना चाहते थे। आरवी एक शांत सी लड़की थी, जो ना ज्यादा बोलती थी, ना ज्यादा हंसती मुस्कुराती थी। रंग थोड़ा सांवला था पर नैन नक्श उसके ऐसे थे कि अगर कोई देखे तो देखता रह जाए। आरवी एक कमरे में दुल्हन के जोड़े में ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी खुद को देख रही थी, उसकी आँखों में उदासी थी। उसे शादी नहीं करनी थी, लेकिन फिर भी अगर शादी हो रही थी तो वो एक डील वाली शादी नहीं चाहती थी। उसने अपने पापा से कहा भी पर अभीराज दीवान ने कहा "बेटा अर्श बहुत अच्छा लड़का है.... तुम उसके साथ बहुत खुश रहोगी" आरवी ने भी उनसे बात करना सही नहीं समझा क्यूंकि उसे पता था कि ये शादी तो होकर रहेगी। आज़ उसे अपनी माँ की बहुत याद आ रही थी, कहने को तो उसकी मां थी पर वो सौतेली थी। असल में उसकी असली माँ की जब वो 10 साल की थी तभी एक एक्सीडेंट में मौत हो गई थी, तो उसके पापा अभीराज ने दूसरी शादी कर ली ये सोचकर कि उनकी बेटी को मां की कमी न खले, पर ये उनकी सबसे बड़ी भूल थी। आरवी की सौतेली माँ उससे जरा सा भी प्यार नहीं करती थीं, पर आरवी ने हमेशा उन्हें अपनी माँ माना और जो वो कहती थीं वही करती थी। उसे लगता था कि शायद कभी तो उसे भी माँ का प्यार मिलेगा, पर वो ग़लत थी। "दीदी, दीदी आप तैयार हो गए ना" आरवी अपनी कजिन की आवाज़ सुनकर होश में आई और हाँ में गर्दन हिला दी। उसकी कजिन चली गई तो आरवी ने अपने आंसू पोंछे और कहा "पता नहीं कौन है वो लड़का जिससे मेरी शादी हो रही है.... पापा ने भी सब अचानक से डिसाइड कर दिया बिना मुझे कुछ बताए... अगर बता देते तो मैं उससे मिलकर शादी के लिए मना कर देती पर मैंने तो उसे देखा भी नहीं है... सिवाय उसके नाम के कुछ नहीं जानती... अर्श... उसने अर्श का नाम लिया और फीकी मुस्कुरा दी। तभी उसकी कुछ बहनें आईं और उसे नीचे ले गईं। मंडप में बैठे अर्श की नज़र आरवी पर पड़ी तो वो एक पल को उसी में खो गया। आरवी अपनी नजरें झुकाए मंडप तक पहुंची। कुछ देर बाद शादी हो चुकी थी, विदाई के वक्त उसे रोना नहीं आया क्यूंकि उसके साथ ऐसा व्यवहार दीवान हाउस में आजतक हुआ ही नहीं था कि वो ससुराल जाने पर उसे याद करके रो सके। उसके चेहरे पर ना अपनी शादी की ख़ुशी थी ना विदाई पर लड़कियों के चेहरे पर जो उदासी होती है, वो थी। आरवी अभीराज दीवान के पास से होकर गुजरी तो अभीराज दीवान को लगा कि शायद आरवी उनके गले लगना चाहती है इसलिए उन्होंने हल्के से आपने हाथ उपर किए पर आरवी उनके पास से होते हुए आगे बढ़ गई तो उनकी आँखों में उदासी छलक आई और उन्होंने अपने हाथ धीरे से नीचे कर लिए। वो बस चुपचाप गाड़ी में बैठ गई और एक बार फ़िर अपने घर को देखा, उसे अपना बचपन याद आने लगा जो उसने अपनी माँ के साथ बिताया था, आरवी 10 साल की थी जब उसकी माँ की डेड बॉडी को एम्बुलेंस में लाया गया था। वो बाहर गार्डन में खेल रही थी, जब उसने एम्बुलेंस की आवाज़ सुनी तो वो भी उस तरफ़ देखने लगी, अभीराज दीवान किसी मीटिंग के लिए जाने के लिए अपनी गाड़ी में बैठे ही थे कि उन्हें भी एम्बुलेंस की आवाज़ सुनाई दी तो वो गाड़ी से बाहर निकल आए और एम्बुलेंस की तरफ़ देखने लगे। दो वार्डबॉय ने आरवी की माँ की लाश को बाहर निकाला, जिसे देखकर अभीराज दीवान को झटका लगा, वो लड़खड़ाते हुए दो क़दम पीछे हट गए। आरवी की माँ की लाश पूरी खून से लथपथ थी, उनके चेहरे से नीचे तक सफ़ेद कपड़ा डाला हुआ था। जब आरवी ने ये देखा तो उसने अपने हाथ में पकड़ी डॉल को वहीं फ़ेंक दिया और वो भी भागते हुए अपनी माँ की लाश के पास पहुंची। वो अपनी माँ की लाश से लिपटकर रोने लगी उस वक्त कैसे भी करके अभीराज दीवान ने कैसे भी करके उसे तो सम्भाल लिया था पर वो ख़ुद काफ़ी अकेले हो गए थे, ऑफिस से घर आते तो अपनी बीवी की याद सताती तो वो ज्यादतर ऑफिस में ही रहने लगे और आरवी घर के सर्वेंट्स के साथ अकेली रहती। उसे भी अपनी माँ की याद आती थी और उसकी माँ के जाने के बाद उसके पापा ने घर आना बंद कर दिया जिस कारण वो एकदम अकेली हो गई और बीमार रहने लगी तो अभीराज ज़ी ने ये सोचकर दूसरी शादी कर ली कि आरवी को अपनी माँ की कमी महसूस नहीं होगी। पर उनकी सोच बिल्कुल ग़लत निकली, उनकी शादी के बाद से तो आर्वी और ज़्यादा अकेली हो गई क्यूंकि उसे लगा कि उसकी माँ वापस आ गई है और यही सोचकर वो अपनी सौतेली माँ के इर्द गिर्द घूमती पर 'ममता दीवान' आर्वी को ज़रा भी पसन्द नहीं करती थीं वो बात बात पर आरवी को मारती और उसे कमरे में बंद कर देतीं। धीरे धीरे आरवी बड़ी होने लगी और समझने लगी थी कि अब उसे माँ का प्यार कभी नहीं मिलेगा पर वो ममता दीवान से बहुत प्यार करती थी। अभिराज दीवान को इन सब बातों के बारे में पता था पर वो कुछ कर नहीं सकते थे क्यूंकि उनकी दूसरी बीवी से उनके दो बच्चे थे, बड़ा बेटा कार्तिक और उससे छोटी बेटी याशी, कार्तिक और याशी दोनों ही आरवी को पसन्द नहीं करते थे। दोनों हर पल उसे परेशान करते रहते थे, घर का सारा काम आरवी करती, उसकी सौतेली माँ 'ममता ज़ी' कुछ नहीं करती थीं, और आरवी के सारा काम करने के बाद काम का पूरा श्रेय जाता याशी को, सबको पता था कि सारा काम आरवी करती है पर श्रेय याशी को ही जाता। आरवी इस बारे में कभी कुछ नहीं कहती वो बस चुपचाप अपना काम करती और अपने रूम में जाकर अपनी माँ की तस्वीर देखकर ख़ूब रोती। इन सबके बीच आरवी और उसके डेड के बीच का रिश्ता लगभग ख़त्म सा ही हो गया था। गाड़ी स्टार्ट हुई तो एक झटका लगने के कारण आरवी आगे की तरफ़ झुक गई और इसी के साथ वो अपनी पुरानी यादों से बाहर आ गई। उसने एक बार बारी बारी से अपने परिवार और अपने घर की ओर देखा और नज़रें फ़ेरकर सीधी होकर बैठ गई। ममता दीवान एक तरफ़ से ख़ुश थी कि चलो बला टली पर एक तरफ़ से वो गुस्सा भी थीं और ये गुस्सा अभीराज दीवान और आरवी की किस्मत के लिए था क्यूंकि वो चाहती थी कि याशी की शादी अर्श के साथ हो क्यूंकि अर्श बहुत अमीर और हेंडसम था। याशी भी यही सोचकर गुस्से और जलन के मारे अपने रूम में बैठी फोन पर अपनी दोस्तों से आरवी की चुगली कर रही थी। अभीराज दीवान ख़ुश थे क्यूंकि उन्हें पता था कि आरवी जिस प्यार के लिए बचपन से तरसती आ रही है वो प्यार अर्श की माँ उसे ज़रूर देंगी। आरवी ने एक बार धीरे से नज़र उठाकर अर्श की ओर देखा था तो देखती रह गई, अर्श ने उसे लगातार ख़ुद की तरफ़ देखता पाकर उसकी ओर निगाहें उठाईं तो आरवी ने झेंपते हुए जल्दी से अपना चेहरा फ़ेर लिया। अर्श के चेहरे पर उसकी इस हरक़त से एक मुस्कान आ गई। कुछ देर बाद शेखावत प्लेस आ चुका था, अर्श ने एक बार आरवी की ओर देखा और गाड़ी से नीचे उतर गया। उसको नीचे उतरते देख आरवी भी उतर गई और उसके पीछे पीछे चल दी। हर हर महादेव 🙏🏻
लव, लाईज़ एंड लेगसी (ऑफ़ लव लॉस्ट, लाईज़ टोल्ड, एंड लेगसीज अनटोल्ड) (PART - 2) कुछ देर बाद शेखावत प्लेस आ चुका था, अर्श ने एक बार आरवी की ओर देखा और गाड़ी से नीचे उतर गया। उसको नीचे उतरते देख आरवी भी उतर गई और उसके पीछे पीछे चल दी। सारी रस्मों को करने के बाद आरवी काफ़ी ज़्यादा थक गई थी, अर्श ने जब उसका बुझा चेहरा देखा तो उसने अपनी माँ की तरफ़ कुछ इशारा किया तो उसकी माँ 'अनिका ज़ी' ने आरवी के सर पर हाथ फेरा और कहा "बेटा काफ़ी थक गई होगी ना तुम... चलो थोड़ा आराम कर लो" आरवी तो उनका प्यार भरा स्पर्श पाकर भावुक ही हो गई, और उपर से बेटा, ये वर्ड काफ़ी सालों बाद उसने ख़ुद के लिए सुना था, तो उसकी आँखें भीग गईं। अनिका शेखावत आरवी को उपर बने रूम में ले गईं जो घुमावदार सीढियों से होते हुए दूसरे फ्लोर पर था। आरवी को रूम में ले जाने के बाद उसे बेड पर बिठाया और ख़ुद उसके पास बैठकर उसके सर पर हाथ फिराते हुए अनिका शेखावत बोलीं "बेटा तुम्हें अगर कुछ भी ज़रूरत हो तो तुम बेशक अर्श को बोल सकती हो और अगर अर्श के साथ कभी झगड़ा हो जाए तो मुझे भी बोल सकती हो" "और मुझे भी" एक लड़की अंदर आते हुए बोली जिसकी उम्र लगभग आरवी के बराबर ही थी उसकी आवाज़ सुनकर आरवी और अनिका शेखावत दोनों ने उसकी ओर देखा तो अनिका शेखावत बोलीं "बेटा ये अर्श की छोटी बहन और इस घर की सबसे लाडली.... ऋनी" आरवी ने ऋनी की ओर देखा और मुस्कुरा दी। ऋनी उसके पास आकर बैठी और बोली "वैसे तो आप मेरी भाभी हैं और मैं आपकी ननद पर हाँ अगर आप चाहें तो मुझे अपनी बहन, दोस्त भी मान सकती हैं" "तुम दोनों बातें करो.. मैं आती हूं" अनिका ज़ी ने कहा और आरवी के सर पर हाथ फिराते हुए चली गईं। "ओके.... (ऋनी जल्दी से आरवी की ओर मुड़ी) तो भाभी आप ख़ुश तो हैं ना.... (आरवी ने उसकी ओर देखा) मेरा मतलब देखो अर्श भाई बहुत अच्छे हैं और आप यक़ीन मानिए भाभी वो आपको बहुत ख़ुश रखेंगे" कह्ते हुए ऋनी ने आरवी का हाथ अपने हाथ में लिया और कहा "मैं जानती हूं भाभी की ये शादी क्यूँ हुई है पर अर्श भाई इस शादी को पूरे दिल से निभाना चाहते हैं, और प्लीज़ आप भी ये शादी निभाना... (आरवी की आँखों में हल्की सी नमी छलक आई) और अगर अर्श भाई कभी आपको परेशान करे ना तो आप मुझसे, मोम से या डेड से शिकायत कर सकती हैं... ( आरवी को छेड़ते हुए) वैसे आपको शिकायत करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी क्यूंकि वो आपको परेशान नहीं करेंगे" आरवी बस उसकी बातें सुनकर मुस्कुरा दी। इतने में दरवाज़ा फिर से खुला तो ऋनी और आरवी दोनों ने उस तरफ़ देखा तो अर्श था, उसे देखकर आरवी थोड़ी डर गई और ऋनी आरवी के कान में धीरे से बेस्ट ऑफ लक फॉर टुनाइट बोलकर चली गई, आरवी को समझ नहीं आया कि वो ऐसा क्यूँ बोल रही है पर अर्श को भी सुनाई दे गया था और वो अब ऋनी को घूर रहा था तो ऋनी उसकी ओर आइ ब्लिंक करते हुए चली गई। आरवी ऋनी की ओर देखती रही, अर्श ने उसे एक नज़र देखा और अपने कपड़े लेकर वॉशरूम में चला गया। थोड़ी देर बाद बाहर आया, उसने एक ट्राउजर पहन रखा था उपर कुछ नहीं पहना था तो उसका कसा हुआ सीना साफ़ दिख रहा था। और वो टॉवल से आपने बाल पोंछ रहा था। आरवी ने बेख्याली में उस और देखा तो एक पल को तो वो उसे देखती रही, जब अर्श ने उसकी ओर देखा तो उसने फ़िर से अपनी नज़रें फ़ेर लीं। अर्श एक बार फ़िर उसकी इस हरकत पर मुस्कुरा दिया। वो ड्रेसिंग के आगे गया और अपने बालों में कॉम्ब करने लगा। आरवी अब उसे ध्यान से देख रही थी, उसे लगा कि अब अर्श उसे नहीं देखेगा तो वो उसे ध्यान से देख सकती है पर अर्श मिरर में से उसे ही देख रहा था और उसे ख़ुद को यूँ लगातार देखते देख वो अपना चेहरा झुकाकर मुस्कुरा दिया और फ़िर आरवी की ओर मुड़ गया तो आरवी ने जल्दी से अपनी निगाहें दूसरी ओर मोड़ लीं। अर्श ने मुस्कुराते हुए कहा "आप अपने कपड़े चेंज कर लीजिए जाकर... जाइए शावर ले लीजिए रिलेक्स फिल होगा और सो जाइए बहुत थक चुकी होंगी ना आप" सोने की बात सुनकर आरवी ने झट से उसकी ओर देखा फ़िर धीरे से सर हिलाते हुए उसने कबर्ड खोली तो उसमें एक तरफ़ उसीके कपड़े थे। उसने हैरानी से पहले अपने कपड़े देखा फ़िर उस और देखा जहां अर्श खड़ा था पर वो बाहर चला गया, तो आरवी ने अपना सर झटका और एक टी-शर्ट और ट्राउजर लेकर चली गई। आरवी शावर लेकर बाहर आई और आकर जल्दी से बेड पर लेट गई। वो सोचने लगी "इन्हें कैसे पता मैं रात को शावर लेती हूं और कबर्ड में रखे कपड़े... मैं तो ये सब लेकर ही नहीं आई थी फ़िर इन्हें मेरी पसन्द का कैसे पता चला.... फ़िर वो अनिका ज़ी और ऋनी के बारे में सोचने लगी, तो उसे ममता ज़ी और याशी की याद आ गई, उसने सोचा "अनिका आंटी और ऋनी कितनी अच्छी हैं, यहां आकर ऐसा लग ही नहीं रहा कि मैं किसी दूसरे घर पर आई हूँ, और एक मेरे ख़ुद के घर पर ही मुझे अजनबी जैसा महसूस होता था। इतने में दरवाज़ा खुला तो उसने जल्दी से आपने आंसूं पोंछे और अपनी आंखें बंद करके करवट लेकर लेट गई। अर्श अंदर आया तो उसने देखा कि आरवी सो गई है, तो वो धीमे कदमों से उसके पास आया और उसे देखने लगा, काली टी-शर्ट और काला ट्राउजर पहने उसपर उसके कमर तक खुले बाल जो उसके चेहरे पर बिखरे हुए थे, और उसका सांवला रंग, वो बहुत ख़ूबसूरत लग रही थी। अर्श काफ़ी देर तक उसे देखता रहा, आरवी को उसकी नज़रें ख़ुद पर महसूस हो रही थीं, जिसके कारण उसके कान और चेहरा लाल होने लगे तो वो नींद में ही करवट बदलने का नाटक करते हुए करवट बदलकर लेट गई, फ़िर उसने एक गहरी साँस ली और आराम से लेट गई। अर्श ने उसे कम्बल ओढ़ाई और दूसरे तरफ़ जाकर एक पिल्लो और कबर्ड से एक कम्बल लेकर वो सोफ़े की ओर बढ़ गया और आरवी की तरफ़ चेहरा करके सो गया। वो लगातार आरवी को देख रहा था। आरवी ने अपनी आंखें खोलीं कुछ देर तो वो बेड के दूसरी तरफ़ की खाली जगह को देखती रही फ़िर जब उसे लगा कि अर्श सो गया होगा तो वो फ़िर से करवट लेकर अर्श की ओर मुड़ गई और उसे देखने लगी। अर्श ने आरवी को करवट लेते देख पहले ही अपने आंखें बंद कर लीं। आरवी काफ़ी देर अर्श को देखती रही फ़िर वो सो गई। हर हर महादेव 💙🙏🏻 कमेंट, शेयर व फ़ॉलो अवश्य करें!🙏🏻
लव, लाईज़ एंड लेगसी (PART - 3) अर्श ने आरवी को करवट लेते देख पहले ही अपने आंखें बंद कर लीं। आरवी काफ़ी देर अर्श को देखती रही फ़िर वो सो गई। ************* अगली सुबह 6 बजे अर्श की नींद खुली तो उसने सबसे पहले बेड की ओर देखा और वहां उसे आरवी नहीं दिखी तो वो जल्दी से खड़ा हुआ और वॉशरूम के दरवाज़े पर नॉक किया, जब वहां से भी ज़वाब नहीं आया तो वो नीचे उतर आया और अनिका ज़ी से कहा "मोम.. वो.. अर्श और कुछ पूछता उससे पहले आरवी चाय का ट्रे लेकर आ गई तो अर्श ने राहत की साँस ली, उसने आरवी को ध्यान से देखा उसने एक साड़ी पहन रखी थी जिसमें वो मुश्क़िल से चल पा रही थी। अर्श ने उस वक्त उससे कुछ नहीं कहा और चुपचाप डायनिंग टेबल पर बैठ गया। आरवी ने सबको चाय दी और ख़ुद वहीं खड़ी रही तो अर्श के डेड 'आकाश शेखावत' ने कहा "अरे आरवी बेटा तुम क्यूँ खड़ी हो आओ बैठो नाश्ता कर लो तुम भी" "नहीं अंकल.. मैं बाद में कर लुंगी" आरवी ने धीरे से कहा अर्श की नज़र आरवी पर ही थी, आरवी ने जब उसके डेड को अंकल कहा तो उसे अच्छा नहीं लगा पर वो चुप रहा। आकाश ज़ी ने उसका हाथ पकड़कर उसे कुर्सी पर बैठाया और ख़ुद उसके पास वाली कुर्सी पर बैठ गए फ़िर उसे अपने हाथ से खाना खिलाने के लिए हाथ आगे बढ़ाया और कहा "अंकल नहीं डेड... आज़ के बाद से तुम मुझे डेड ही कहोगी" आरवी ने झिझकते हुए उनके हाथ से खाना खा लिया और धीरे से हाँ में गर्दन हिला दी तो अनिका ज़ी ने भी उसे अपने हाथ से खाना खिलाया और कहा "और मुझे मोम.... इन्हें (आकाश ज़ी की ओर देखकर) अंकल कह रही हो तो मुझे भी आंटी ही कहती होगी तुम... पर अब से नो अंकल आंटी, सिर्फ़ मोम और डेड... (प्यार से आरवी के गाल पर हाथ रखते हुए) ओके बेटा" कह्ते हुए आरवी को फ़िर से एक निवाला अपने हाथ से खिला दिया आरवी धीरे से मुस्कुरा दी और अपनी गरदन हिला दी, फ़िर अपना चेहरा झुकाकर अपनी आँखों में आए आंसू पोंछ लिए, अर्श अब भी उसे देख रहा था। इतने में ऋनी भी आ गई उसने देखा कि आरवी के पास वाली दोनों तरफ़ की कुर्सी पर उसके मोम डेड बैठे हैं तो ऋनी ने मुँह बनाते हुए कहा "ये ग़लत बात है... (आरवी ने उसकी ओर देखा तो उसे लगा कि शायद ऋनी अपने मोम डेड के साथ बैठना चाहती है और वो ख़ुद उनके पास बैठ गई इसलिए ऋनी गुस्सा कर रही है ये सोचकर आरवी उठने लगी इतने में ऋनी फ़िर से बोली) भाभी के पास मुझे बैठना था... आप दोनों क्यूँ बैठे.... आरवी ऋनी की बात सुनकर मुस्कुरा दी और उसने कहा "ऋनी.... आओ हम दोनों दूसरी कुर्सी पर बैठते हैं... मोम डेड को क्यूँ उठा रही हो" ऋनी और आरवी दोनों दूसरी कुर्सी पर बैठ गईं। आरवी के मुँह से मोम डेड सुनकर अर्श, अनिका ज़ी और आकाश ज़ी मुस्कुरा दिए। नाश्ता करने के बाद अर्श उठकर अपने रूम में चला गया पर उसे आरवी से कुछ बात करनी थी इसलिए उसने रेलिंग के पास आकर आरवी को आवाज़ दी "सुनिए आपने मेरे लेपटॉप की बेग देखी है क्या कहीं" आरवी के साथ साथ सभी ने उपर देखा आरवी चुपचाप उठकर चली गई पर पीछे से सभी हँस दिए। आरवी ने उनकी हँसी सुनी पर उसे समझ नहीं आया कि वो हँस क्यूँ रहे हैं। रूम में पहुँचकर उसने इधर उधर देखा तो सोफ़े पर पड़ी बेग उसे दिखी उसे लेने के लिए वो जाने लगी कि उसका पैर साड़ी में फंस गया, "ओओओओ.... चिल्लाते हुए वो गिरने ही वाली थी इतने में अर्श ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे सम्भाल लिया। आरवी की धड़कनें गिरने के डर से पहले से ही बढ़ी हुई थीं पर अर्श के पकड़ने पर उसकी धड़कनों ने तेज़ रफ़्तार पकड़ ली। अर्श ने उसे आराम से खड़ा किया और कहा "सम्भल कर" फ़िर आरवी ने अपने सीने पर हाथ रखकर ख़ुद की साँस को संयत किया और सोफ़े पर से अर्श की लेपटोप की बेग उठाई और अर्श की ओर बढ़ाते हुए बोली "यहीं सोफ़े पर ही तो पड़ी थी" "ओह सॉरी मैंने देखा नहीं था" अर्श ने मुस्कुराते हुए कहा आरवी उसे बेग देकर जाने लगी तो अर्श ने कहा "आप जिन कपडों में एकदम कम्फर्ट फिल करती हैं ना वही कपड़े पहना करें... बार बार आपको बचाने के लिए मैं आपको पास मौजूद नहीं रहूंगा" आरवी ने उसकी बात सुनकर मन में सोचा "कैसा आदमी है, ये क्या चाहता है कि मैं मेरे ससुराल में ढीले ओवरसाइज्ड कपड़े पहने घूमुं.... हाँ ये ज़रूर मुझे मोम डेड से डांट पड़वाना चाहता है क्यूंकि उन्होंने आज़ मुझे खाना खिलाया, इनका प्यार अब मुझे मिल रहा है तो ये बदला लेना चाहते हैं मुझसे और खाने के वक्त घूर भी कैसे रहे थे हंह.... अर्श लगातार उसे अपने मन में ख़ुद से ही बातें करता देख रहा था, जब उससे रहा नहीं गया तो उसने झुंझलाहट से कहा "जब आपके सामने कोई इंसान खड़ा हो तो उससे बातें की जाती हैं, अपने मन में ख़ुद से बातें अकेले होने पर की जाती है" "मैं तो इंसान सामने होने पर भी अकेली ही होती थी, इसलिए अब आदत पड़ गई है ख़ुद से ही बातें करने की" आरवी ने कहा अर्श को उसकी आवाज़ का दर्द महसूस हो रहा था, उसका दिल चाह रहा था कि वो आरवी को अपने सीने से लगा ले और प्यार से उसका सर सहलाते हुए कहे "अब मैं हूँ ना तुम्हारे साथ। अकेली नहीं हो अब तुम" पर वो ऐसा कर नहीं सकता था क्यूंकि उसे डर था कि उसकी इस हरक़त से आरवी उससे दूर ना हो जाए। अर्श को चुप देख आरवी वहां से चली गई। अर्श उसे जाते हुए देखता रहा फ़िर कहा "मैं तुम्हारा ये अकेलापन दूर करके रहूंगा... चाहे कुछ भी हो जाए" अनिका ज़ी को आरवी गैलरी से जाते दिखी तो उन्होंने उसे आवाज़ लगाई, "आरवी बेटा ज़रा इधर आना" "ज़ी मोम" आरवी उनकी आवाज़ सुनकर अंदर आते हुए बोली "बेटा आज़ तुम्हें पगफेरे की रस्म के लिए दीवान हाउस जाना है ना... शाम को अर्श तुम्हें लेने आ जाएगा तो तुम शाम को रेडी रहना ठीक है" "मोम अगर आप बुरा न मानें तो मैं कुछ कहूँ" आरवी ने हिचकिचाते हुए कहा "हाँ बेटा कहो" अनिका ज़ी ने आरवी का हाथ पकड़कर उसे अपने पास बैठाते हुए कहा "मोम मैं दीवान हाउस नहीं जाना चाहती... मैं... मैं यहीं रहना चाहती हूं" आरवी ने झिझकते हुए धीरे से अपनी गरदन झुका कर कहा उसे डर लग रहा था कि अधिका ज़ी क्या सोचेंगी उसके बारे में, या फ़िर उन्होंने उसकी बात नहीं मानी और दीवान हाउस भेज दिया तो। "कोई बात नहीं... अगर तुम नहीं चाहती तो तुम दीवान हाउस नहीं जाओगी" अनिका ज़ी ने आरवी के सर पर हाथ फिराते हुए प्यार से मुस्कुराते हुए कहा आरवी उनकी बात सुनकर मुस्कुरा दी और उनके गले लग गई और कहा "थैंक्यू मोम... मुझे समझने के लिए" "हट पगली, कैसी बातें करती है... मोम भी कहती है और थैंक्यू भी कह रही है... और मोम हूं तेरी तो तेरी बात कैसे नहीं समझूँगी भला, हम्म!" अधिका ज़ी ने पहले तो धीरे से आरवी के सर पर टपली मारी फ़िर उसके गाल पर हाथ रखते हुए कहा बाहर दरवाज़े पर खड़ा अर्श ये देखकर मुस्कुरा दिया फ़िर वो अपने ऑफिस के लिए निकल गया। आरवी अपने रूम में आकर बैठ गई। वो सोचने लगी "यहां सब कितने अच्छे हैं, कितना प्यार करते हैं मुझसे। मोम, डेड, ऋनी सब कितने अच्छे हैं" फ़िर वो उन पलों में खो गई जब वो दीवान हाउस में थी "माँ, मेरे दोस्त की बर्थडे पार्टी है तो मैं जाऊँ" आरवी ने ममता ज़ी से पूछा "पहली बात तो मैं तेरी माँ नहीं हूं... तो मुझे माँ मत बुलाया कर तू समझी। और दूसरी बात पार्टी में जाएगी तो घर का काम कौन करेगा हाँ" ममता ज़ी जो अपने नाखूनों पर नैलपेंट लगा रही थीं, आरवी की बात सुनकर वो अपने नाखूनों को फूंक मारकर सुखाते हुए बोलीं "ठीक है आंटी" आरवी ने कहा और डायनिंग टेबल के पास जाकर जाकर जूठे बरतन समेटने लगी। आरवी अपनी यादों से बाहर आई, उसने मुस्कुराते हुए अपनी आंखें पोंछ लीं और बेड के पिछले हिस्से का सहारा लेते हुए लेट गई। दीवान हाउस दीवान हाउस में ममता ज़ी डायनिंग टेबल पर से बरतन समेट रही थीं, उन्होंने याशी और कार्तिक को मदद के लिए बुलाया पर कार्तिक सो रहा था और याशी ये बोलते हुए घर से निकल गई "मोम आप क्या चाहती हैं कि मैं ये जूठे बरतन साफ़ करूं ताकि मेरे नेल्स ख़राब हो जाएं.... वैसे भी मैं दोस्त के घर पार्टी में जा रही हूँ। और शाम को भी लेट ही आऊंगी तो वेट मत करना" याशी चली गई पर ममता ज़ी आज़ सारे काम ख़ुद कर रही थीं, इतने दिन तो आरवी होती थी और वो ही सारा काम करती थी, ममता ज़ी को वो पल याद आया जब वो खाना बना रही थी उस वक्त आरवी को बुखार था लेकिन फ़िर भी आरवी ने ममता ज़ी से कहा "आंटी आप बैठ जाएं मैं बना लुंगी खाना" ममता ज़ी ने उसे घूरते हुए कहा "बुखार है ना तुझे" "मैंने मेडिसन ले ली थी अभी ठीक है, आप सुबह से काम कर रही हैं थक गई होंगी ना... आप जाएं आराम करें मैं आपके रूम में ही आपके लिए खाना ले आऊंगी" आरवी ने कहा तो ममता ज़ी चली गईं। ममता ज़ी अपनी याद से बाहर आईं तो उन्होंने एक बार दरवाज़े की तरफ़ देखा जहां से याशी गई थी फ़िर वो वापिस अपना काम करने लगीं। हर हर महादेव 💙 रेटिंग, कमेंट, शेयर व फॉलो अवश्य करें! 💙
उपर रेलिंग के पास खड़ा अर्श आरवी को देखकर मुस्कुरा रहा था, आरवी का गुस्सा और उसका ऐसा ज़वाब सुनकर अर्श का गुस्सा छू मंत्र हो गया और वो ख़ुद को मुस्कुराने से रोक नहीं पाया इसलिए वो जल्दी से कमरे में आ गया। कमरे में आने के बाद वो थोड़ी देर ख़ूब हँसा फ़िर रेलिंग के पास आकर आरवी को देखने लगा। *********** आरवी, अनिका ज़ी और ऋनी डायनिंग टेबल पर बैठकर अर्श और आकाश ज़ी का वेट करने लगे, तब तक आकाश ज़ी भी आ गए, आकाश ज़ी आरवी के पास आकर बैठे और कहा "और कैसा है मेरा बच्चा" "मैं ठीक हुँ डेड" आरवी ने मुस्कुराते हुए कहा "अर्श ज़्यादा परेशान तो नहीं करता ना.. अगर करे तो मुझे बताना मैं ऐसा कान खिंचुंगा उसका की फ़िर मेरे बच्चे को परेशान नहीं करेगा" आकाश ज़ी ने कहा आरवी उनकी बात सुनकर मुस्कुरा दी वो कुछ बोलने वाली थी इतने में अनिका ज़ी हँसते हुए बोल पड़ीं "अरे वो क्या इसे परेशान करेगा... ये ऐसे ज़वाब देगी की एक ज़वाब में ही उसकी बोलती बंद हो जानी है" आकाश ज़ी ने उनकी तरफ़ देखा तो ऋनी ने हँसते हुए सारी बात बता दी, अब आकाश ज़ी भी हँस रहे थे और आरवी अपनी पलकें झुकाए बैठी मुस्कुरा रही थी। थोड़ी देर बाद अर्श भी आ गया, उसने ब्लैक टी-शर्ट और ब्लैक ट्राउजर पहना हुआ था। आरवी ने सबको डिनर सर्व किया और फ़िर ख़ुद जाकर ऋनी के पास बैठने लगी, अर्श उसे ही देख रहा था वो चाहता था कि आरवी उसके पास बैठे पर वो कहना नहीं चाहता था, आकाश ज़ी ने अर्श की तरफ़ देखा तो वो समझ गए उन्होंने आरवी से कहा "आरवी बेटा यहां बैठो आओ" उन्होंने अपने पास वाली कुर्सी पर इशारा किया जिस पर अर्श बैठा था आरवी ने पहले आकाश ज़ी की ओर देखा फिर उस कुर्सी पर बैठे अर्श की ओर फ़िर उसने फ़िर आकाश ज़ी की ओर देखा तो आकाश ज़ी ने अर्श की ओर देखकर कहा "तू बैठा बैठा देख क्या रहा है चल उस कुर्सी पर जा यहां मेरी बेटी बैठेगी" अर्श मुँह बनाते हुए अगली कुर्सी पर बैठ गया तो आरवी आकाश ज़ी और अर्श के पास वाली कुर्सी पर बैठ गई। अर्श मुस्कुरा दिया और चुपचाप खाना खाने लगा। अनिका ज़ी और ऋनी भी मुस्कुरा दीं। सबने खाना खाया और अपने अपने रूम में चले गए। अर्श बेड पर बैठा कुछ काम कर रहा था, आरवी ने कबर्ड से एक ब्लैक कार्गो पेंट और ब्लैक क्रॉप टी-शर्ट निकाल ली। अब वो अपने कपड़े हाथों में लिए अर्श को देख रही थी जब अर्श ने उसे काफ़ी देर से वहीं खड़ी पाया तो उसने आरवी की ओर देखा और कहा "क्या हुआ आप यहां क्यूँ खड़ी हैं" "मुझे कपड़े बदलने हैं" "यहां... अर्श ने अपनी भौंहों को उपर चढ़ाते हुए कहा "हाँ.. कह्ते हुए आरवी ने अपनी गरदन भी हिला दी "आप बाहर चले जाएं ना कुछ देर, मैं कपड़े बदलते ही आपको आवाज़ दे दूंगी" "वॉशरूम किसलिए होते हैं फ़िर" अर्श ने आंखें छोटी करते हुए कहा "नहाने के लिए" आरवी ने कहा तो अर्श मुँह फ़ेर कर हल्के से हँस दिया फ़िर आरवी के सामने देखकर "कपड़े भी वहीं बदले जाते हैं" "पर मैंने साड़ी पहनी है, वॉशरूम में गंदी हो गई तो" आरवी ने चिढ़कर कहा अर्श एक गहरी साँस लेते हुए उठ गया और सर हिलाते हुए बाहर जाने लगा, बाहर जाकर वो बोला "इस लड़की से कोई नहीं जीत सकता" कहकर उसने अपना एक हाथ कमर पर रोह और दूसरा हाथ गरदन में फ़िरा लिया। अंदर आरवी ने कपड़े चेंज करके अर्श को आवाज़ दी "आ जाइए अंदर" अर्श उसकी आवाज़ सुनकर अंदर आ गया और अपना लेपटोप लेकर सोफ़े पर बैठकर काम करने लगा। आरवी सो गई, अर्श ने कुछ देर बाद अपनी नज़रें लेपटोप में से हटाईं और आरवी की ओर देखा उसकी आँखें बंद थी तो अर्श ने पूछा "सो गईं क्या आप" आरवी चुप रही तो अर्श फ़िर से बोला "नींद आ गई क्या?" "नींद आ जाती तो मैं आपको वैसे भी ज़वाब नहीं दे पाती की हाँ मुझे नींद आ गई है" आरवी ने अपनी आंखें खोलीं पर वो उठी नहीं वैसे ही लेटी रही। अर्श उसके ज़वाब पर मुस्कुरा दिया और कहा "डेड और मोम चाहते हैं कि हम कहीं घूमने जाएं...तो आप अपना फेवरेट प्लेस बता दीजिए जहां जाना चाहती हैं" "आ... आपका मतलब हनीमून" आरवी झटके से उठते हुए बोली "अम्म... मेरा मतलब वो नहीं था... मोम डेड के लिए हम हनीमून पर जा रहे हैं पर असल में तो हम बस घूमने जा रहे हैं" अर्श ने कहा आरवी उसका ज़वाब सुन उसकी ओर एकटक देखने लगी तो अर्श ने पूछा "क्या हुआ? अगर आपको नहीं जाना है तो कोई बात नहीं मैं मोम डेड को मना कर दूँगा" "मतलब आप ये कहेंगे कि मैं नहीं जाना चाहती" आरवी ने उसे घूरते हुए कहा तो अर्श हँस दिया और बोला "नहीं यार... मैं बोल दूँगा मुझे ऑफिस में बहुत काम हैं" आरवी एक बार फ़िर उसकी तरफ़ देखने लगी और वो चुपचाप लेट गई। अर्श ने उसे लेटते देखा तो उसने भी अपना लेपटोप साइड वाली टेबल पर रखा और लेट गया, कुछ देर तो उसने आरवी की ओर देखा फ़िर करवट लेने लगा तो उसे आरवी की आवाज़ सुनाई दी "मुझे पहाड़ी और बर्फीला इलाक़ा ज़्यादा पसन्द है, अगर आप मुझसे पूछ रहे हैं कि मुझे कहाँ जाना है तो मैं लेवी जाना चाहूँगी, मुझे वहां की वो हरी लाइट्स और बर्फ़ बहुत पसन्द हैं!" अर्श मुस्कुरा दिया और हाँ में सर हिलाया। "ठीक है, फिर हम फिनलैंड ही जायेंगे!" अर्श आरवी का ज़वाब सुन मुस्कुरा दिया और आरवी की तरफ़ पलटकर उसे देखने लगा तो आरवी पहले से ही उसे देख रही थी, अर्श को अपनी तरफ़ पलटते देख आरवी ने जल्द से आँखें बंद कर लीं तो अर्श हँस दिया। "आप बार बार अपना चेहरा क्यूँ फ़ेर लेती हैं या फ़िर आंखें बंद कर लेती हैं" अर्श ने पूछा तो आरवी बोली "मेरी गर्दन और आँखों में स्प्रिंग लगी है ये अपने आप घूम जाती हैं या फ़िर बंद हो जाती हैं" आरवी का ज़वाब सुन अर्श जोर जोर से हँसने लगा। आरवी ने उसे हँसते देखा तो उसने चिढ़कर एक पिल्लो अर्श की ओर फेंक दिया, अर्श ने अपनी तरफ़ तकिया फेंकते देख कहा "ओओओओ.... उसने तकिया कैच कर लिया और उसे अपने मुँह से लगाकर फ़िर से हँस दिया तो आरवी चिढ़कर सो गई। हर हर महादेव 💙 रेटिंग, कमेंट व शेयर अवश्य करें! एवं फॉलो भी! 💙✨
अर्श आरवी का ज़वाब सुन मुस्कुरा दिया और आरवी की तरफ़ पलटकर उसे देखने लगा तो आरवी पहले से ही उसे देख रही थी, अर्श को अपनी तरफ़ पलटते देख आरवी ने जल्द से आँखें बंद कर लीं तो अर्श हँस दिया। "आप बार बार अपना चेहरा क्यूँ फ़ेर लेती हैं या फ़िर आंखें बंद कर लेती हैं" अर्श ने पूछा तो आरवी बोली "मेरी गर्दन और आँखों में स्प्रिंग लगी है ये अपने आप घूम जाती हैं या फ़िर बंद हो जाती हैं" आरवी का ज़वाब सुन अर्श जोर जोर से हँसने लगा। आरवी ने उसे हँसते देखा तो उसने चिढ़कर एक पिल्लो अर्श की ओर फेंक दिया, अर्श ने अपनी तरफ़ तकिया फेंकते देख कहा "ओओओओ.... उसने तकिया कैच कर लिया और उसे अपने मुँह से लगाकर फ़िर से हँस दिया तो आरवी चिढ़कर सो गई। अर्श उसे यूँ चिढ़ते देख मुस्कुरा दिया, उसने मन में सोचा "पता नहीं आप जैसे मोम डेड और ऋनी के साथ घुल मिल गई हैं, जैसे उनके साथ इतनी ख़ुश रहती हैं वैसे मेरे साथ कभी रहेंगी भी या नहीं, पर मैं पूरी कोशिश करूंगा कि आपका विश्वास जीत सकूँ और आप भी मुझसे उतना ही प्यार करें जितना मैं करता हूं आपसे" कहकर अर्श ने उस तकिये को अपने सीने से लगाया और उस पर अपने होंठ लगाते हुए सो गया। ऐसे ही दो दिन बीत गए, अर्श ने लेवी की दो टिकिट्स बुक करा ली थीं। इन दो दिनों में भी आरवी ने ख़ुद से कभी अर्श से बात नहीं करी, वो बस अनिका ज़ी, आकाश ज़ी और ऋनी के साथ तो ख़ूब बातें करती, उनके साथ हँसती पर अर्श के साथ उसने कभी बात नहीं करी, वो अर्श से बस उतनी ही बात करती जब अर्श उससे कुछ पूछता, या अर्श कभी कोई बात बताता तो वो बस हाँ, हम्म में ज़वाब देती। अर्श को बुरा लगता था कि वो और सबके साथ घुल मिल गई है पर मुझसे ये बात करने की कोशिश ही नहीं करती। पर फ़िर वो ये सोच लेता की मैं इसे अपने प्यार का एहसास दिलाकर ही रहूंगा फ़िर ये मेरे साथ भी उतनी ही खुश रहेगी। अब एक दिन और बचा था कल आरवी और अर्श दोनों लेवी जाने वाले थे। आरवी ने आज़ साड़ी नहीं पहनी थी बल्कि उसने कार्गो पेंट और क्रॉप टी-शर्ट पहनी हुई थी क्यूंकि अनिका ज़ी ने उसे अर्श के कहने पर साड़ी पहनने से मना कर दिया था। अनिका ज़ी डिनर करने के बाद हॉल में बैठी थीं जब अर्श उनके पास आया और कहा "मोम सोई नहीं आप अभी तक" "नहीं बस अभी जा ही रही थी" "अच्छा सुनिए... मुझे वो आपसे ये कहना था कि उन्हें साड़ी पहनने की आदत नहीं है... मैंने उन्हें मना किया था कहा था कि जो आपको अच्छा लगे वो पहनो पर वो नहीं मानीं, आप बात करेंगी तो मान जाएंगी वो" अर्श ने थोड़ा झिझकते हुए कहा कि माँ क्या सोचेंगी अगर उन्होंने उसे डांट दिया तो। अनिका ज़ी ने मुस्कुराते हुए अर्श का सर सहला दिया और कहा "बहुत प्यार करते हो ना उससे" अर्श उनके ज़वाब पर बस सर झुकाकर मुस्कुरा दिया तो अनिका ज़ी ने कहा "ठीक है मैं कह दूंगी उसे" फ़िर अगले दिन अर्श ऑफिस चला गया और अनिका ज़ी ने आरवी से कहा "आरवी बेटा तुम भी हमारे लिए ऋनी की तरह ही हो तो तुम्हें जो कपड़े अच्छे लगे तुम वो पहनो... साड़ी पहनने की कोई ज़रूरत नहीं है" आरवी ने उनसे कुछ कहना चाहा पर अनिका ज़ी पहले ही बोल पड़ीं "कोई कुछ नहीं सोचेगा... और तुम भी ये सोचना बंद कर दो की ससुराल है तो वो कपड़े कैसे पहनूँ" आरवी मुस्कुरा दी और उनके गले लग गई, फ़िर आरवी ने कार्गो पेंट और क्रॉप हुडी पहनी थी। जब शाम को अर्श घर आया तो वो आरवी के कपड़े देखकर मुस्कुरा दिया। अगले दिन आरवी अपने कमरे में बैठी थी तो ऋनी उसके पास आई और कहा "भाभी आप कल जा रही हैं लेवी तो उसके लिए आपको शॉपिंग तो करनी चाहिए ना... कुछ नए कपड़े ले आएं ताकि लेवी ले जा सकें आप" "नहीं मेरे पास हैं पहले से ही" आरवी ने कहा "नहीं आप शॉपिंग पर जा रही हैं मतलब जा रही हैं और जो कपड़े मैं आपको दिलाऊंगी वो आपको लेना पड़ेगा" ऋनी ने ज़िद करते हुए कहा आरवी उसकी ज़िद के आगे कुछ ना कह सकी और दोपहर को दोनों अधिका ज़ी को बताकर शॉपिंग के लिए चली गईं। दोपहर का वक्त था जब दोनों शॉपिंग के लिए गईं, ड्राइवर ने गाड़ी एक मॉल के आगे रोकी और दोनों नीचे उतर गईं। ऋनी ने ड्राइवर से कहा "भैया आप गाड़ी पार्किंग में लगा दीजिए और वहीं वेट करना हमारा... हम वहीं पर आ जाएंगे" "ओके मैडम" कहकर ड्राइवर चला गया और वो दोनों भी मॉल के अंदर चली गईं। मॉल में जाते ही दोनों लेडीज सेक्शन में गईं और ऋनी ने सबसे पहले आरवी के लिए कुछ ट्राउजर्स और क्रॉप टी-शर्ट लिए, और क्यूंकि लेवी बर्फीला इलाक़ा है तो उसके लिए लम्बे लम्बे कोट लिए। फ़िर वो शुज सेक्शन में गईं और वहां से तीन चार जोड़ी बुट्स लिए, ऋनी को जो पसन्द आ रहा था वो लिए जा रही थी उसे ऐसे शॉपिंग करते देख आरवी ने कहा, "ऋनी ये क्या कर रही हो? चार जोड़ी शुज की क्या ज़रूरत थी? और कपड़े और कोट कितने लिए हैं तुमने? मैं एक हफ्ते के लिए वहां घूमने जा रही हूँ, वहां बसने नहीं जा रही मैं!" आरवी की बात सुनकर ऋनी जल्दी से बोली, "एक हफ़्ते के लिए, पर मैंने तो बस चार जोड़ी शुज लिए हैं मतलब अभी तीन जोड़ी और चाहिए, और दो जोड़ी कपड़े और कोट भी चाहिए!" "ऋनी?" आरवी ने चिढ़कर कहा, वो थक गई थी ऋनी के साथ चलते चलते और उसे वैसे भी शॉपिंग करना कुछ ख़ास पसन्द नहीं थी, वो ऋनी की ज़िद पर आई थी पर अब उसे लग रहा था कि उसे नहीं आना चाहिए था। "भाभी आप क्या सेम कपड़े पहनेंगी वापस?" हर हर महादेव 💙 रेटिंग, कमेंट व शेयर अवश्य करें, एवं फॉलो भी! 💙✨
लव, लाईज़, एंड लेगसी (ऑफ़ लव लॉस्ट, लाईज़ टोल्ड, एंड लेगसीज अनटोल्ड) भाग - 7 {ओसीयन (लिटिल डीयर)} ऋनी भी मान गई तो दोनों आगे बढ़ गई, आगे बढ़ते बढ़ते आरवी ने एक नज़र पीछे नीचे गिरी आइसक्रीम की ओर देखा और मन में स्वयं से ही बोली, "आई हेट चॉकलेट!" फ़िर दोनों पार्किंग एरिया में आ गईं। ************** आरवी और ऋनी जैसे ही पार्किंग एरिया में पहुंची, आरवी जैसे ही गाड़ी की तरफ़ बढ़ने लगी, एक काले कपड़े पहने एक आदमी आरवी से टकरा गया, उसके चेहरे पर मास्क चेहरे पर मास्क लगाया हुआ था और सर पर उसने अपनी हुडी की केप पहनी हुई थी जिस कारण उसका चेहरा नहीं दिख रहा था। उसके बाल बिखरे हुए थे जो आँखों पर आ रहे थे और गहरी भूरी आंखें थीं। उसकी हाइट लगभग 6 फीट 1 या 2 इंच थी। ऋनी ने जब उस आदमी को आरवी से टकराते देखा तो उसने गुस्से से कहा, "ए मिस्टर दिखाई नहीं देता क्या? अंधे ही क्या? ताड़ जैसे लम्बे हो रखे हो तो इसका मतलब ये नहीं कि सामने वाला इंसान तुम्हें दिखाई ही ना दे?" आरवी ने उस आदमी को देखा और फ़िर ऋनी की तरफ़ देखकर, "इट्स ओके ऋनी ग़लती से हो गया था!" उस आदमी ने अपनी गहरी भूरी आँखों से एक बार ऋनी की तरफ़ देखा ये ग़लत होगा क्यूंकि वो ऋनी को घूर रहा था फ़िर आरवी की ओर, और मुस्कुरा दिया। वो मास्क पहने हुए था इसलिए पता नहीं चला पर आरवी ने उसकी आँखें देखी थी उसे पता चल गया कि ये मुस्कुरा रहा है उसे मुस्कुराते देख आरवी ने अपनी हुडी की जेब में हाथ डाला तो उसे कुछ काग़ज सा महसूस हुआ, आरवी ने एक बार फ़िर उस आदमी की ओर देखा और ऋनी के साथ गाड़ी में बैठ गई। वो आदमी भी वहां से मॉल के अंदर चला गया। दोनों शेखावत हाउस पहुंची तो आरवी जल्दी से अपने रूम में गई और दरवाज़ा बंद करके सबसे पहले उसने वो काग़ज निकाला जिसपर बड़े बड़े अक्षरों में लिखा था 'लेवी, फिनलैंड। बिल्कुल सही सोचा था तुमने, वो वहीं पर है' आरवी वो पढ़कर मुस्कुरा दी और जल्दी से उस काग़ज को फाड़कर डस्टबीन में फेंक दिया। फ़िर उसने अपना लेपटॉप निकाला और उसे ऑन करा फ़िर वो उठी और अपनी कबर्ड में से अपने कपडों के बीच रखा एक पैंड्राइव निकाला, उसने पैंड्राइव को लेपटॉप में लगाया तो एक साइट अपने आप ओपन हो गई, उसने देखा कि 'ओसीयन' का मैसेज आया हुआ है, उसने मैसेज ओपन किया जिसमें लिखा था, 'वो काग़ज देख लिया ना तुमने, मुझे पूरा यक़ीन है वो लेवी मैं ही है! और याशी के बारे में सारी डिटेल्स तुम्हें लेवी से आने के बाद मिल जाएगी'' "ओके लिटिल डीयर!" आरवी ने मैसेज भेज दिया तो ओसियन का फ़िर से मैसेज आया, "इट्स ओसीयन!"" "एंड इट मीन्स लीटिल डीयर! छोटे हिरण!" आरवी ने फ़िर से मैसेज भेजा "हाआआआ! क्या करूं मैं तुम्हारा, अच्छा सुनो! ये सब छोड़ो! और आज़ के बाद तुम्हारी वो ननद मेरे सामने नहीं आनी चाहिए वरना इस बार मैं उसका खून कर दूँगा!" ओसियन का मैसेज आया आरवी फ़िर से कुछ मैसेज भेजने वाली थी कि इतने में उसे अपने कमरे के बाहर कदमों की आहट सुनाई दी तो उसने जल्दी से कहा "टॉक टॉक" और जल्दी से पैंड्राइव निकाल लिया जिससे साइट अपने आप बंद हो गई। उसने पैंड्राइव को अपनी पॉकेट में रखा और लेपटॉप को साइड में रख दिया। उसने दरवाज़ा खोला तो दरवाज़े पर ऋनी खड़ी थी, उसने कहा "भाभी आपको भूख लगी थी ना तो मैं आपके लिए खाना उपर ही ले आई" "इसकी क्या ज़रूरत थी ऋनी, मुझे बुला लेती, मैं नीचे ही आ जाती" आरवी ने कहा "कोई बात नहीं.. अब मैं ले आई हूँ तो जल्दी से खा लो और फ़िर कल आप जा रही हैं तो मुझे 1 हफ़्ते के लिए अकेले रहना पड़ेगा इसलिए सोचा आज़ का सारा वक्त मैं आपके साथ बिताऊंगी" ऋनी ने लास्ट लाइन थोड़ी ख़ुश होकर कही तो आरवी मुस्कुरा दी और कहा "हाँ बिल्कुल... आज़ का पूरा दिन तुम्हारा" "अब दिन बचा ही कहाँ है... शाम होने को आई है" ऋनी ने मुँह बनाते हुए कहा तो आरवी हँस दी और उसका सर सहलाते हुए कहा "तुम बिल्कुल बच्ची हो ऋनी... (ऋनी मुस्कुरा दी तो आरवी हल्की उदासी से बोली) कभी अपना बचपना मत खोना.... बहुत अच्छी लगती हो तुम ऐसे" ऋनी फ़िर से मुस्कुरा दी और बोली "अरे मैं तो इससे भी ज़्यादा बच्चों वाली हरकतें कर सकती हूं" फ़िर आरवी खाना खाने लगी और ऋनी अपनी बातें बताने लगी, आरवी खाना खाते वक्त कभी कभी उसकी तरफ़ देख लेती, और उसके चेहरे पर जो ख़ुशी झलक रही थी और उसका बचपना देख आरवी मुस्कुरा देती, वो उसके सवालों का ज़वाब हाँ, हम्म, ना ये सब में ही दे रही थी। आरवी पहले जब छोटी थी तब बहुत बोलती थी पर अपनी माँ की मौत के बाद वो धीरे धीरे कम बोलने लगी थी लेकिन जब ममता ज़ी उस घर में आईं तो वो एक बार फ़िर से बोलने लगी लेकिन फ़िर ममता ज़ी के बरताव और नफ़रत के कारण और एक दिन जब उसे किसी का लेटर मिला तो उसे पढ़ने के बाद उसने एकदम से बोलना बंद कर दिया। फ़िर उसके चेहरे पर ज़्यादातर या तो गुस्से के भाव रहते या फ़िर कोई भाव ही नहीं होता पर जब वो अपने परिवार जो सिर्फ़ नाम का परिवार था उनके साथ होती तो उसके चेहरे पर एक मुस्कान होती थी। उस लेटर के बाद से वो बस तभी बोलती जब बहुत ज़्यादा ज़रूरत हो, और अब शेखावत हाउस में आकर भी वो कम ही बोलती और वो भी जब अनिका जी, आकाश ज़ी, अर्श और ऋनी ख़ुद से बात स्टार्ट करते तभी वो बोलती। अगले दिन आरवी और अर्श लेवी के लिए निकल गए। उसने घर से निकलने से पहले ओसीयन से बात कर ली थी, ओसीयन ने उसे कहा कि मैं तुम्हें सीधा लेवी में ही मिलूंगा। हर हर महादेव 💙 रेटिंग, कमेंट व शेयर अवश्य करें! एवं फॉलो भी! 💙✨ इट्स गोन्ना बी अ ट्रिप, सो लेट्स गेट रेडी फॉर आवर ट्रिप टू फिनलैंड!!✨