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Psycho Love

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Arina 🌷

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एक 26 साल का , खतरनाक, साइको और गुस्से से भरा हुआ वह आदमी किसी के लिए रहम नहीं रखता। उसकी आँखों में आग और दिमाग में सिर्फ कंट्रोल की चाहत है। लेकिन क्या होगा जब उसकी दुनिया में कदम रखेगी एक मासूम लड़की जो परेशान है घरवालों से उसके सगे मामा मामी जो उस...

Total Chapters (10)

Page 1 of 1

  • 1. "तुझे बहुत शौक है ना अब तेरी सारी गर्मी उतरेगी..."- Chapter 1

    Words: 1000

    Estimated Reading Time: 6 min

    होटल की सबसे ऊपरी मंजिल पर बने पुल के पास, एक आदमी शांति से बैठा हुआ था। उसकी आँखें शहर की टिमटिमाती रौशनी पर टिकी थीं और वहां की सिक्योरिटी की मौजूदगी इस बात का सबूत थी कि यह कोई साधारण इंसान नहीं था।


    उसका चेहरा कठोर था आँखों में एक अजीब-सी ठंडक थी, और पूरे वातावरण में एक गहरी खामोशी थी दरवाजे के पास उसके हट्टे-कट्टे बॉडीगार्ड मुस्तैदी से खड़े थे जो किसी भी अनजान शख्स को अंदर जाने की इजाजत नहीं दे सकते थे।


    तभी एक लड़की अंदर आने की कोशिश करती है। उसके चेहरे पूरा कॉन्फिडेंट सा चाल में बेपरवाही लेकिन जैसे ही बॉडीगार्ड्स ने उसे रोका उसका गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया। उसकी आँखों में चिंगारी चमक उठी और मुट्ठियाँ भिंच गईं।


    क्या बकवास है हटो मेरे रास्ते से लड़की ने नफरत से कहा लेकिन बॉडीगार्ड्स टस से मस नहीं हुए।


    तभी उस आदमी का सेक्रेटरी वहां पहुंचा उसने बिना कुछ कहे बॉडीगार्ड्स को इशारा किया और वे तुरंत हट गए लड़की के चेहरे पर हल्की सी झूठी मुस्कान आई वह गुस्से में थी लेकिन जानती थी कि उसे अपनी चालाकी से काम लेना होगा।


    टक-टक...

    उसके ऊँची एड़ी के सैंडल की आवाज पूरे हॉल में गूंज रही थी। उसकी चाल में एक अजीब सा आकर्षण था, और उसकी ड्रेस इतनी छोटी और टाइट थी कि उसके हर अंग की खूबसूरती उभरकर सामने आ रही थी। उसकी आँखें ठीक सामने उस आदमी पर टिकी थीं, जो अब भी उतनी ही शांत भाव में बैठा था।


    जैसे ही वह पास पहुंची, उसने टेबल पर रखी वाइन की बोतल उठाई एक ग्लास में उसे भरा और बड़े ही स्टाइल से उस आदमी की ओर बढ़ा दिया।


    दूर से आती बारिश की बूंदों की आवाज़ और बैकग्राउंड में धीमे बजते जैज़ म्यूजिक ने माहौल को और भी ज्यादा इनटेंस बना दिया था।


    लड़की अब भी उसके ठीक सामने खड़ी थी टाइट डीप नेक ड्रेस में उसके curves को उभारने वाली, जिसमें वह काफी सेक्सी लग रही थी।


    मुझे लगता है... कि यह जगह बहुत ठंडी हो रही है लड़की ने धीमी मोहक आवाज़ में कहा।


    और तभी...


    स्पीकर से एक बोल्ड सेंसुअस ट्रैक बजने लगा
    "Earned It – The Weeknd"


    टेबल के कोने पर बैठते हुए लड़की ने अपनी टांगें क्रॉस कीं, उंगलियां अपने बालों में फिराईं, और एक धीमी, आग लगाने वाली मुस्कान के साथ उसकी तरफ देखा।

    टक... टक... टक...

    उसकी ऊँची एड़ी की सैंडल की आवाज़ पूरे कमरे में गूंजने लगी वह धीमे-धीमे आगे बढ़ी अपनी कमर को हल्के से मटकाते हुए जैसे हर बीट उसके शरीर के साथ समन्वय बना रही हो उसने अपने बालों को झटका दिया जिससे उसकी खुशबू हवा में घुल गई।

    उसकी उंगलियां उसकी अपनी बॉडी को टच कर रही थीं कभी गर्दन पर कभी कॉलरबोन पर कभी कमर पर वह आगे झुकी उसकी कुर्सी के दोनों किनारों को पकड़ते हुए उसके चेहरे के करीब आई और धीरे से फुसफुसाई Do you like to watch?"


    आदमी अब भी बिना हिले-डुले उसकी आँखों में देख रहा था लेकिन उसकी आँखों की गहराई में कुछ और बढ़ रहा था कुछ डार्क ।

    लड़की ने एक स्मिर्क दिया और वापस सीधी हो गई।

    फिर वह अपने घुटनों के बल नीचे झुकी कमर को एक सेंसुअस रोल दिया, और धीरे-धीरे ऊपर उठी उसके हाथ ऊपर गए, उसकी ड्रेस के स्ट्रैप को धीरे से नीचे सरकाते हुए... लेकिन पूरी तरह गिराने से पहले उसने अपनी चाल रोक दी।

    वह जानती थी कि वह उसे तड़पाना चाहती थी लेकिन उस आदमी के चेहरे के भाव अब भी वैसे ही थे उसे देख लग ही नहीं रहा था ।

    लड़की बोली तुम्हे प्लेजर पसंद नहीं है क्या? मुझे देख किसी की भी नियत डोल जाए ऐसी बला हु में और आप के चेहरे पर कोई भाव ही नहीं हैं इतने में कोई आदमी होता तो मुजपर झपट्टा मार दिया होता । लेकिन तुम उन सबसे अलग निकले अभी तक ....


    "I like this trait of yours you are different from everyone else Now it will be even more fun "


    इतना कहकर वह अपनी स्ट्रिप सरका देती हैं ओर साथ साथ अपने ब्रा का हुक भी खोल देती हैं जिससे उसकी बॉडी पर उसकी ब्रा ढीली हो जाती है उसके उभार अब पहले से ज्यादा दिखने लगे थे।

    वह लड़की उस आदमी की और देखती हैं उसे लगा था उसकी ऐसी हालत देख कर " वह अपना कंट्रोल धीरे धीरे खोने लगेगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ था"


    वह फिर भी से उसके करीब आई उसकी गोद में बैठने जैसी हुई ही थी कि उस आदमी ने उसे धक्का दे दिया लड़की लड़खड़ाती हुई पीछे हटी लेकिन किसी तरह खुद को संभाल लिया। उसकी साँसे तेज़ थीं उसकी आँखों में पहले हैरानी थी, लेकिन अब वहाँ कुछ और था गुस्सा।

    उसने खुद को संभाल कर उस आदमी को देखा और एक सायास हंसी के साथ बोली तुम क्या समझते हो खुद को? कोई और होता तो अब तक कंट्रोल खो चुका होता लेकिन तुम... तुम्हारा तो कुछ हिलता ही नहीं। कहीं ऐसा तो नहीं कि तुम कर ही नहीं सकते? क्या तुम्हारा खड़ा नहीं होता?"


    आदमी, जो अब तक बिल्कुल शांत था, उसकी आँखों में अंधेरा उतर आया उसने धीरे-से अपने वाइन ग्लास को टेबल पर रखा फिर बहुत धीमी मगर बेहद डरावनी आवाज़ में फुसफुसाया तुमने क्या कहा?"


    लड़की की हिम्मत अभी भी बरकरार थी। उसने अपनी कमर पर हाथ रखा बोली सुना नहीं? या सच सुनकर तकलीफ हो रही है?"

    बस...अगले ही पल वह आदमी झटके से उठा उसकी रफ्तार इतनी तेज़ थी कि लड़की को संभलने का मौका तक नहीं मिला उसने आगे बढ़कर लड़की की गर्दन को पीछे से पकड़ लिया और एक झटके में उसे दीवार से उसका सिर जोर से दे मारा और बेहद डरावने तरीके से बोला मुझे लगता है तुम्हें अब ठंडा करने की जरूरत है," उसकी आवाज़ अब गहरी और डार्क हो चुकी थी।

    "तुझे बहुत शौक है ना अब तेरी सारी गर्मी उतरेगी..."





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  • 2. जब तुम मेरे बिस्तर पर आहे भरते हुए होगी - Chapter 2

    Words: 1014

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब आगे........





    वह आदमी बोलता है और उसे जोर से फर्श पर धक्का देकर जोर से चिल्लाया उसकी आवाज सुनकर बाहर खड़ा उसका सेक्रेटरी जल्दी से अंदर आता है अंदर आकर वह देखता है कि जो लड़की अंदर आई थी वह फर्श पर गिरी हुई थीं उसके माथे से खून बह रहा था लेकिन अब भी वह होश में थीं।


    आदमी _ जाओ उसे लेकर आओ इसके बॉडी में बहुत ज्यादा गर्मी भरी हुई चलो उसे निकाला जाए।


    सेक्रेटरी जिसका नाम शौर्य था वह बोला _ यस सर और वह जल्दी से बाहर चला जाता हैं।


    थोड़ी देर बाद वहां एक आदमी को लाया जाता हैं जिसकी हालत ठीक नहीं लग रही थी वह लड़खड़ा रहा था जैसे किसी नशे में हो
    आदमी की आँखें अधखुली थीं और हाथ बार-बार मुट्ठी में कस रहे थे।


    उसके शरीर में कुछ और ही हलचल थी मुझे... चाहिए... उसकी आवाज़ फटी हुई थी लेकिन जरूरत साफ झलक रही थी।


    उसका शरीर झटके खा रहा था जैसे हर हार्मोन उसे और ज्यादा पागल बना रहा हो टेस्टोस्टेरोन हाई था। डोपामिन और एड्रेनालिन अपने चरम पर उसकी साँसे भारी थीं और उसकी आँखें अब पूरे कमरे में किसी को ढूँढ रही थीं-किसी को जो इस जलती हुई आग को बुझा सके।"


    लेकिन तभी उस आदमी की नजर उस लड़की पर पड़ी और उसे देख वह और ज्यादा बेकाबू हो गया।


    वही उस आदमी के चेहरे पर शातिर मुस्कान आ जाती हैं और वह उसे छोड़ने को कहता है वही वह लड़की उसे देख डर गई थी जिस तरह वह बर्ताव कर रहा था उसे काफी डर लग रहा था।


    वहा से सभी लोग बाहर चले जाते हैं वहीं उस लड़की के पास अब आदमी पहुंच गया था उन्हें एक नजर देख वह बोला बहुत गर्मी है ना तुम्हें आज यह आदमी सारी गर्मी तेरी निकाल देगा इतना कहकर वह वहां से निकल जाता हैं।"



    उस आदमी ने अपने होठों पर जीभ फिराई और टूट पड़ा लड़की पर वह लड़की दर्द से चिल्लाई आह्ह्ह... लेकिन वहां उसकी सुनने वाला कोई नहीं था , वह आदमी उसे बहुत बुरी तरीके से पेश आ रहा था बस वहां उस लड़की की चीखों की आवाज गूंज रही थीं जो पता नहीं कब तक चली थी l "



    अगले दिन.......

    गुजरात अहमदाबाद .....



    करीब सुबह के 11 बजे रहे थे कैफे हल्की पीली रोशनी में डूबा हुआ था काउंटर के पास एक लड़की खड़ी थीसिंपल लेकिन बेहद हसीन उसके बड़े-बड़े कजरारे नैन गुलाबी होंठ और दूधिया रंग ऐसा था जैसे कोई शायर अपनी नज़्म में उसका जिक्र कर चुका हो।


    उसके लंबे घने बाल जिसकी उसने पोनी टेल बनाई हुई थीं जिससे उसकी लंबी गर्दन और नाजुक कॉलरबोन साफ़ दिख रहे थे उसने पर्पल कुर्ती और जींस पहना था जिस पर कैफे का नीला एप्रन बंधा हुआ था उसकी मासूमियत और भोलापन किसी को भी पहली नज़र में उसका दीवाना बना सकता था।


    हमारी नायिका का नाम भी जान लीजिए जो है इप्सा शर्मा....


    वह वहां रखे कॉफी के कप को समेत रही थीं क्योंकि आज उसके साथ काम करने वाली लड़की आई नहीं थी कैफे पूरा खाली था।


    तभी...दरवाजे पर कुछ लड़कों का ग्रुप अंदर आता है वे सभी जोर-जोर से हँसते हुए कैफे के बीचों-बीच बैठ गए लड़की ने अपनी नजरें झुका लीं और उनके टेबल की ओर बढ़ी।


    गुड मॉर्निंग सर आप क्या लेंगे?" उसने धीरे से पूछा।


    लड़कों ने उसे ऊपर से नीचे तक घूरा और एक ने ठहाका लगाते हुए कहा तू क्या सर्व करेगी डार्लिंग? वैसे मेन्यू में तुम्हारी मीठी मुस्कान का प्राइस क्या है?"


    वहीं एक लड़का उसे काफी अजीब तरीके से घूर रहा था उसने उस लड़के के चेहरे पर एक चाटा जड़ दिया वहीं उसके बाकी सभी दोस्त भी हैरान थे आखिर उसने ऐसा क्यों किया लेकिन वह उसे कुछ कह भी नहीं सकते थे आखिर उन सबसे अमीर वह ही था, कोई उससे पंगा नहीं लेना चाहता था वहीं वह लड़का बस अपने गाल पर हाथ रखे गुस्से से उबल रहा था।


    वह लड़का जिसने चाटा मारा था उसका नाम था प्रेम ठक्कर जिसका भाई यहां का विधायक था जिसका धोस सबपर जमाता था एक नंबर का बिगड़ैल अय्याश लड़का।"


    वह उस लड़की को ऊपर से नीचे हुई घूरते हुए बोला तमीज से बात करो तुम्हारी होने वाली भाभी है और यह सुनकर सभी हैरान हो जाते हैं, वहीं इप्सा गभरा जाती हैं उसकी उंगलियाँ ट्रे पर कस गईं।


    "प्लीज ऑर्डर बताइए..." उसने कांपते हुए कहा।


    तभी प्रेम से अपनी कुर्सी पीछे खिसकाकर खड़ा हुआ वह सीधे उसके करीब आया और उसके कंधे पर झुकते हुए फुसफुसाया बेबी याद रखना अब से मेरी नजर पड़ चुकी है तुम पर तुम्हारे लिए यही अच्छा रहेगा कि लड़कों से दूर रहना अगर मैने कभो किसी को तुम्हारे करीब देखा तो तुम्हारी खैर नहीं!"


    जैसे ही वह उसके ओर करीब जाता वह उससे दूर हो गई और यह प्रेम को अच्छा नहीं लगा वह अपने होंठ पर अपना अंगूठा रगड़ कर बोला अरे इतने से डर गई अब तो तुम सिर्फ प्रेम ठक्कर की हो तब क्या होगा जब तुम मेरे बिस्तर पर होगी आहे भरते हुए इतना बोलकर वह घिनौनी सी मुस्कान दे देता है।


    उसकी बात सुनकर इप्सा को काफी गुस्सा लेकिन डर भी काफी लग रहा था कितना घटिया और घिनौना लड़का था छी इसकी छुवन से अच्छा तो वह मर जाना पसंद करती।


    वहीं कोई वहा था भी नहीं उसकी मदद के लिए " वह अपने मन में बोली है भगवान कुछ तो कीजिए तभी वहां पर कुछ और कस्टमर आते है और वहां पर काम करने वाली दूसरी लड़की ओर लड़का भी आ जाता हैं।


    उन्हें देख वह चैन की सास लेती हैं और वहां तेज़ी से काउंटर की ओर भागी।


    वह उन दोनों से अपनी तबियत खराब होने का कहकर वहां से अपना बैग लेकर पिछले दरवाजे के पास पहुँची और बिना पीछे देखे बाहर निकल जाती हैं।


    बारिश शुरू हो चुकी थी उसके चेहरे पर हल्की बूंदें गिरीं लेकिन उसके दिल में अब भी एक डर की लहर दौड़ रही थी।






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  • 3. जबान कट गई क्या जब पूछ रही हु तो जवाब दो- Chapter 3

    Words: 1015

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब आगे...........






    रात का सन्नाटा पूरे घर पर छाया हुआ था हल्की टिमटिमाती रौशनी में रसोई का एक कोना चमक रहा था जहाँ एक लड़की सिर झुकाए बर्तन मांज रही थी उसकी कोमल कलाईयों पर पानी की बूंदें मोती की तरह चमक रही थीं लेकिन उसकी आँखों में थकान और उदासी की परछाईं थी।


    वह कोई आम लड़की नहीं थी कद-काठी में सजीव प्रतिमा जैसी नज़र आती थी लंबी छरहरी और दूध जैसी गोरी। उसकी आंखें गहरी काली थीं जैसे किसी रहस्य से भरी हुई हों, और उसके होंठजैसे गुलाब की ताज़ा पंखुड़ियाँ खुले बाल उसकी पीठ पर बिखरे हुए थे जो उसकी खूबसूरती को और निखार रहे थे कोई देखे तो एक नजर में उसे अप्सरा समझ ले लेकिन उसकी हकीकत इससे कहीं ज्यादा कड़वी थी।


    "काम खत्म करने में इतनी देर क्यों लगा रही हो?"


    अचानक गुस्से से भरी हुई आवाज़ ने उसकी तंद्रा तोड़ दी। लड़की ने चौंककर देखा दरवाजे पर एक भारी कद-काठी वाली औरत खड़ी थी मोटा शरीर माथे पर शिकन और चेहरे पर गुस्सा यह उसकी मामी थीं।


    सुना नहीं क्या?" मामी और तेज आवाज़ में बोलीं दिनभर खाती रहती हो और ज़रा-सा काम भी नहीं होता तुमसे जो तू काम करती हैं उससे भी हम लोग ठीक से कुछ ला नहीं पाते हैं।


    लड़की ने कोई जवाब नहीं दिया सिर झुकाए चुपचाप अपना काम करती रही। उसकी उंगलियाँ ठंडे पानी में डूबी हुई थीं लेकिन उसे इसकी कोई परवाह नहीं थी उसे आदत हो चुकी थी इस व्यवहार की।


    मामी आगे बढ़ीं और उसकी कलाई कसकर पकड़ ली जबान कट गई क्या? जब पूछ रही हूँ तो जवाब दो!"


    लड़की ने घबराकर मामी की ओर देखा। उसकी बड़ी-बड़ी आँखों में एक पल के लिए डर तैर गया जी... बस दो मिनट में हो जाएगा उसने धीमी आवाज़ में कहा।


    दो मिनट में मामी ने तिरस्कार भरी हंसी हंसते हुए कहा पता नहीं कौन से घर में जाकर राज करोगी तुम यहाँ तो काम के नाम पर बहाने ही बनते हैं ।


    लड़की ने होंठ भींच लिए उसकी उंगलियाँ और तेजी से बर्तनों पर चलने लगीं इस घर में उसे कभी प्यार नहीं मिला जब से उसने होश संभाला था सिर्फ ताने गालियां और तिरस्कार ही उसका हिस्सा रहे थे।


    मामी का गुस्सा अभी भी शांत नहीं हुआ था उन्होंने बर्तनों की तरफ इशारा किया जल्दी खत्म कर और जाकर झाड़ू-पोछा भी कर देना सुबह मेरी सहेलियां आने वाली हैं घर चमकना चाहिए। समझी?"


    लड़की ने सिर हिलाया लेकिन उसकी आँखें अब भी झुकी हुई थीं।


    मामी बिना कुछ और कहे वहाँ से चली गईं लेकिन उनके शब्द अब भी लड़की के दिल में गूंज रहे थे।


    क्या उसकी जिंदगी हमेशा ऐसी ही रहने वाली थी?


    लेकिन उसे क्या पता था इस रात के बाद उसकी जिंदगी पूरी तरह बदलने वाली थी...



    रसोई का काम खत्म कर वह थकी हुई कदमों से वहां रखी एक पुरानी स्टील की थाली की ओर बढ़ी थाली में एक सुखी रोटी पड़ी थी बस और कुछ नहीं न सब्जी न दाल न चटनी लड़की ने बिना किसी शिकायत के वह रोटी उठाई और अपने छोटे-से कमरे की ओर चल दी।


    कमरा… जिसे शायद कमरा कहना भी गलत था एक छोटी-सी जगह जिसमें एक पुराना सा बेड था जिसकी चादर भी जगह-जगह से फटी हुई थी पास में एक लकड़ी की टेबल और कुर्सी रखी थी जो कब की अपनी मजबूती खो चुकी थी कोने में एक टूटी हुई अलमारी थी जिसकी दरवाजे अधूरे थे और एक कोने से लकड़ी उखड़ चुकी थी।


    जैसे ही उसने कमरे में कदम रखा ठंडी हवा के झोंके ने उसका स्वागत किया खिड़की खुली रह गई थी और बाहर मूसलाधार बारिश हो रही थी हवा के साथ आई पानी की बूँदें बेड को पूरी तरह से भिगो चुकी थीं उसने थाली एक तरफ रखी और जल्दी से खिड़की बंद करने के लिए दौड़ी लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। बिस्तर पूरा भीग चुका था।


    लड़की ने सिर पकड़ लिया। उसके होंठ कंपकंपा रहे थे आँखों में थकावट और दर्द उतर आया था यह सब कब खत्म होगा? आखिर कब तक उसे इस तरह हर दिन अपमान और तकलीफ झेलनी पड़ेगी?


    वह बेड के किनारे बैठ गई अपनी भीगी हुई तकदीर को देखती रही उसकी आँखें छलकने को तैयार थीं लेकिन वह रोना नहीं चाहती थी उसे रोते हुए सालों हो चुके थे लेकिन उसके आँसू किसी को पिघलाने के लिए नहीं थे बल्कि उन्हें देखकर लोग और क्रूर हो जाते थे।


    एक वक्त था जब वह राजकुमारी की तरह रहती थी उसके मां-पापा उसे दुनिया की हर खुशी देने के लिए तैयार रहते थे लेकिन जब से वे इस दुनिया से गए थे तब से उसके अपनों ने ही अपने असली रंग दिखा दिए।


    उसकी मामी, जो कभी उसके सामने मीठी बातें किया करती थीं अब उसे नौकरानी से भी बदतर समझती थीं उसके मामा जिनकी गोद में वह खेला करती थी अब उसे अपने घर पर बोझ मानते थे और बाकी सब तो जैसे उसके अस्तित्व को भूल ही चुके थे।


    उसकी आँखों के सामने अतीत की तस्वीरें घूम गईं पापा का मुस्कुराता चेहरा मां की ममता भरी आवाज़ वह पुराना घर जहाँ प्यार और अपनापन था लेकिन अब अब उसके पास बस अकेलापन था।


    बाहर बारिश और तेज़ हो गई थी बिजली की एक चमक उसके कमरे में झलकी और अगले ही पल वह अंधेरे में डूब गई लाइट चली गई थी।


    उसने लंबी सांस ली और कांपते हाथों से अपनी रोटी उठाई। उसे खाने का मन नहीं था लेकिन यह भी जानती थी कि अगर उसने नहीं खाया तो अगले दिन भी उसे किसी से कोई हमदर्दी नहीं मिलेगी।


    वह खुद को संभालने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसे यह नहीं पता था कि उसकी जिंदगी में एक तूफान आने वाला था एक ऐसा तूफान जो उसकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदलकर रख देगा...






    .........................
    अगले पार्ट में मिलेगे हीरो हमारे कहानी के नायक अपनी हीरोइन से और उनका नाम भी पता चल जाएगा.......
    और होगा कुछ ऐसा जिसकी चलते उन दोनों के बीच जिस्मानी रिश्ता बन जाएगा.....
    अगर जानना है तो कॉमेंट करे
    आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए
    मिलते हैं नेक्स्ट पार्ट में.....
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    Thank you

  • 4. तुम्हारी लड़की की बड़ी तारीफ सुनी है सोचा मिल ही ले और कुछ रिश्ता ही जोड़ लें…" - Chapter 4

    Words: 1008

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब आगे.......


    अगली सुबह......



    इनाया ने सूरज निकलने से भी पहले आंखें खोल ली थीं रात की नींद अधूरी थी लेकिन फिर भी उसने अपने आपको उठाया क्योंकि यह रोज का था किचन में जाकर जल्दी-जल्दी झाड़ू-पोंछा सब्ज़ियाँ काटना नाश्ता तैयार करना हर चीज़ समय पर करनी थी क्योंकि आज 10 बजे मामी की सहेलियां आने वाली थीं।



    अभी वह प्लेटें धो ही रही थी कि हॉल से अचानक एक चुभती हुई आवाज़ आई देखो आठ बजने को आए हैं और इस लड़की ने मेरी कॉफी नहीं बनाई!"


    ये आवाज़ राघवी की थी इनाया की मामी की बेटी जो उससे महज़ एक साल बड़ी थी लेकिन हर समय खुद को राजकुमारी समझती थी।


    वह हॉल में खड़ी थी नाईटी में ही बाल खुले चेहरे पर गुस्सा लिए मॉम देखो ना... इस निकम्मी लड़की ने अभी तक मेरी कॉफी नहीं बनाई!"


    तभी रमा इनाया की मामी बाहर आईं "क्या हुआ मेरी बच्ची?" उन्होंने प्यार से पूछा।


    राघवी ने नखरे से कहा मॉम आठ बजने को आए हैं और इसने मेरी कॉफी नहीं बनाई आप ही सोचो ये कैसे चलेगा?"


    रमा झट से बोलीं अरे नहीं-नहीं गुस्सा मत करो पगली... तुम्हें पता है ना गुस्से से तुम्हारी ब्यूटी पर असर पड़ता है!"



    राघवी ने मुस्कुरा कर सिर हिलाया और एक जानबूझकर भरी हुई नजर इनाया की तरफ फेंकी वही तो... लेकिन ये लड़की ही मेरी शांति और सुंदरता की दुश्मन है ।


    तभी अंदर से इप्सा आई रेडी है... ये लो कॉफी माफ कर दो दी इप्सा ने ट्रे पकड़ा दी।


    राघवी ने गुस्से से इनाया को घूरा और ताना मारते हुए चेयर पर बैठ गई हू ये लड़की तो सिर्फ मेरी सुबह बर्बाद करने के लिए पैदा हुई है!"


    इनाया चुपचाप सब सुन रही थी उसकी आंखें नीचे थीं लेकिन उसे अब इन सब की आदत हो चुकी थी उसके लिए यह कोई नई बात नहीं थी।


    रमा फिर बोलीं तुम्हें याद है ना आज मेरी सहेलियाँ आ रही हैं। कुछ अच्छा-सा पहनना थोड़ा ठीक से दिखो में नहीं चाहती कि इन पुराने कपड़े में उनके सामने आओ तुम क्या इज्जत रहेगी मेरी।


    इनाया ने सिर झुकाते हुए कहा जी मामी..."


    लेकिन उसके मन में कुछ और चल रहा था उसे ठीक 10 बजे काम पर निकलना था वह जानती थी कि देर हुई तो मैनेजर नाराज़ होगा पर इस घर में उसके वक्त की उसकी जरूरत की कोई कीमत नहीं थी।



    वह फिर बिना कुछ कहे अपनी दिनचर्या में लग गई शांत, सधी हुई... लेकिन अंदर से दरकती हुई।


    सुबह के 9:30 बज चुके थे…



    इप्सा ने समय से पहले ही सारा घर चमका दिया था। किचन की हर शेल्फ पर हाथ फेर लिया फ्लोर चमक रहा था और मिठाइयों की खुशबू पूरे हॉल में फैली हुई थी हल्के गुलाबी रंग की सिंपल सूती कुर्ती में बंधे हुए बाल चेहरे पर पसीने की बूंदें… लेकिन फिर भी वो किसी अप्सरा जैसी लग रही थी साफ-सुथरी, मासूम, और थकी होने के बावजूद शांत।



    वो जल्दी-जल्दी अपने छोटे से बैग को टटोल रही थी ताकि ठीक 10 बजे तक कैफे पहुँच सके… लेकिन तभी रमा की आवाज़ गूंजती है रुको इप्सा आज तुम काम पर नहीं जाओगी।"


    इप्सा ठिठक जाती है पर मामी… आज कैफे में मेरी ड्यूटी है मैनेजर गुस्सा हो जाएगा…"



    रमा बिना उसकी तरफ देखे कहती है मैंने मैनेजर से बात कर ली है आज तुम घर पर ही रहोगी।"


    इनाया कुछ बोलती उससे पहले ही बाहर से गाड़ियों की हॉर्न और ब्रेक की आवाज़ सुनाई दी सबकी नज़रें खिड़की की ओर चली गई।


    बाहर एक कार आकर रुकी थी ब्लैक BMW 7-Series जिसकी चमक से सूरज की किरणें भी पलट जाएं। कार से एक औरत उतरी क्लास पावर और रुतबे का चलती-फिरती नमूना।


    उसने गहरे नीले रंग की रेशमी साड़ी पहनी थी जिस पर हाथ की बारीक कढ़ाई थी गले में भारी हार हाथों में कड़े बड़ी बिंदी और आँखों में चश्मा… वो थी सुनीता MLA की पत्नी और अपने स्टाइल के लिए मशहूर जिसकी उम्र 30 साल थी।



    वहीं एक और उसके पीछे एक लड़का उतरा सफेद शर्ट ब्ल्यू पेट और आँखों पर शेड्स करीब 28 साल की उम्र वो था—प्रेम ठक्कर MLA राकेश ठक्कर का छोटा भाई जो एक नंबर का अय्याश और नकारा था लेकिन फिर भी राकेश उसे बहुत प्यार करता था।


    लेकिन जिस पल इप्सा ने उसे देखा… उसके चेहरे से सारा रंग उड़ गया ये… ये यहाँ कैसे? उसकी साँसें अटकने लगीं शरीर काँप उठा उसे यकीन नहीं हो रहा था कि कुछ दिन पहले जो हुआ था उसके चलते वह यहां तक आ जायेगा वो घबराकर अंदर की ओर भाग गई ।


    उधर रमा और मुकेश अब भी शॉक में थे पर इससे पहले कि वे कुछ समझ पाते दूसरी ओर से एक और गाड़ी आकर रुकी सफेद SUV गाड़ी से उतरे MLA राकेश ठक्कर…सफेद कुर्ता-पायजामा, कंधे पर नेहरू जैकेट, हाथ में ब्रेसलेट उनकी एक झलक भर से ही मुहल्ले वालों की रूह काँप जाती थी क्योंकि सब को पता था वह कैसा आदमी था।


    रमा और मुकेश जैसे ही उन्हें देखते हैं घबरा कर उनके स्वागत में हाथ जोड़ खड़े हो जाते हैं नमस्ते ठक्कर साहब… स्वागत है आपका।"


    राकेश ठक्कर सिर हिलाते हैं और कहते हैं आज खास मकसद से आया हूँ तुम्हारी लड़की की बड़ी तारीफ सुनी है सोचा मिल ही ले और कुछ रिश्ता ही जोड़ लें…"


    रमा और मुकेश के चेहरे पर झूठी मुस्कान थी लेकिन दिल में यह सुनने के बाद एक खुशी की लहर दौड़ पड़ी वह सोचने लगे कौन उनके बेटी के तो भाग्य खुल गए थे।


    प्रेम अब तक चुप था लेकिन उसकी आँखें कुछ और ही सोच रही थीं।






    . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
    मुझे लगा था इस पार्ट में दोनों की मुलाकात होगी लेकिन अब लगता हैं थोड़ा और वेट करना होगा थोड़े पार्ट्स के बाद.....
    कैसा लगा पार्ट जरूर बताना आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए मिलते हैं नेक्स्ट पार्ट में...
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    Thank you

  • 5. तुम्हारे पूरे खानदान को मिट्टी में मिला दूंगा - Chapter 5

    Words: 1318

    Estimated Reading Time: 8 min

    अब आगे........




    रमा और मुकेश ने फौरन राकेश ठक्कर प्रेम और सुनीता को अंदर ड्रॉइंग रूम में बिठाया प्रेम उनके पीछे अजीब सी मुस्कान लिए चलता हुआ अंदर आया उसका हर कदम रमा के मन में उम्मीद के दिए जला रहा था।


    रमा के चेहरे पर तो जैसे चमक ही आ गई थी उसने मुकेश की ओर देख मुस्कराते हुए फुसफुसाया सुनो जी लगता है हमारी राघवी के लिए आए हैं ये लोग… वो देखो प्रेम कितना स्मार्ट है जिनके बारे में सिर्फ सुना था आज वह खुद आए है… और MLA साहब खुद आए हैं मतलब कुछ बड़ा है…"


    मुकेश ने सहमति में सिर हिलाया रमा तुंरत फिर से बोल पड़ी हा हा… हमारी बेटी के तो किस्मत के ताले खुल गए हैं MLA साहब के भाई का रिश्ता और वो भी हमारी बेटी के लिए अब हमारी बेटी राज करेगी… बड़े घर की बहू बनेगी ऐश करेगी और हम भी।


    उधर राघवी जो पर्दे के पीछे से यह सब देख रही थी उसकी धड़कनें तेज हो गईं चेहरे पर मुस्कान और आँखों में चमक थी…
    जिसे वो चाहती थी वही रिश्ता लेकर आया था यही सोचा उसने।


    वो मन ही मन फूली नहीं समा रही थी फौरन अपने कमरे की ओर भागी माके आवाज़ देने से पहले ही वह खुद को तैयार करने में लग गई।


    रमा भी पीछे दौड़ती हुई उसके कमरे में पहुँची मेरी प्यारी बच्ची देखा? मैंने कहा था ना एक दिन तेरा रूप तेरी सुंदरता तुझे ऊँचाइयों पर ले जाएंगे देख आज खुद MLA अपने भाई का रिश्ता लेकर आए हैं ।


    जल्दी से कुछ अच्छा पहन ले और हा अच्छे से तैयार होना और बाल बना ले… ये मौका बार-बार नहीं आएगा न


    रागिनी के चेहरे पर शर्मीली मुस्कान और घबराहट का मीठा मिलाजुला असर था।


    लेकिन… वहीं पास खड़ी इप्सा का चेहरा सूख गया था वो इस पूरे सीन को एक कोने से देख रही थी और उसकी रग-रग में डर समा गया था।


    ये मुसीबत यहाँ क्यों आया है?" वो जानती थी उस बतमीज लड़के के दिमाग में जरूर कुछ चल रहा था।


    वो जिसे राघवी समझ रही थी ‘खुशकिस्मती’, वो असल में इप्सा की बदनसीबी की दस्तक थी।


    इप्सा की सांसें तेज हो चुकी थीं उसे समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करें…



    हॉल में एक अजीब सी शांति थी रमा और मुकेश पूरी सेवा में लगे थे उनके चेहरे पर लगातार मुस्कान थी और मन में ये संतोष कि अब उनकी बेटी राघवी की किस्मत खुलने ही वाली है।


    टेबल पर नाश्ता सज चुका था काजू किशमिश से भरे पोहे मसाला चाय और गरमागरम समोसे। रमा खुद हाथों से प्रेम के पास प्लेट रखती है लो बेटा अपने हाथों से बनाया है खाओ तो सही!"


    राकेश ठक्कर ने नाश्ता उठाया और वहीं बात शुरू की हमने तो बस आपसे आपकी बेटी के लिए ही बात करनी है मेरे छोटे भाई ने बहुत तारीफ की है हमें लड़की पसंद आ गई है…"


    ये सुनते ही रमा के होंठों पर जीत की मुस्कान आ जाती है वो जल्दी से पलटती है और ज़ोर से पुकारती है राघवी बेटा जल्दी आ इधर!"


    राघवी जो पहले से तैयार होकर खड़ी थी चेहरे पर बहुत सारा मेकअप करे हाथ में कॉफी कप की जगह अब शर्मीली मुस्कान लिए बाहर आई ।


    लेकिन जैसे ही प्रेम की नज़र उस पर पड़ी उसके चेहरे पर नाक-भौं सिकुड़ गई वो उस लड़की को देखकर एक सेकंड के लिए भी रुका नहीं सीधे बोल पड़ा नहीं… ये नहीं है!"


    पूरे हॉल में सन्नाटा छा गया रमा की मुस्कान वहीं जम सी गई।


    राकेश एक पल को उसकी बात सुन सोच में पड़ गया लेकिन फिर बोला वो मेरी बात सुनो हमें आपकी दूसरी बेटी चाहिए जो कैफ़े में काम करती है वही लड़की ।


    ये सुनना था कि रमा मुकेश और राघवी जैसे आसमान से ज़मीन पर आ गिरेक्या…? हमारी दूसरी बेटी?" रमा ने गुस्से और अपमान से कांपते हुए कहा।


    आपको कोई गलतफ़हमी हुई है साहब हमारी कोई दूसरी बेटी नहीं है सिर्फ राघवी ही हमारी इकलौती राजकुमारी है ।


    मुकेश भी बीच में बोला जिसकी आप बात कर रहे हैं वो हमारी भतीजी है घर के काम करती है… कैफ़े में नौकरी करती है… वो इस लायक नहीं ।


    प्रेम गुस्से में बोला हमें आपकी बेटी नहीं चाहिए जो चाहिए वो मैं साफ कह चुका हू अब या तो उसे बुलाइए या फिर मैं समझ जाऊँ कि आप इस रिश्ते में दिलचस्पी नहीं रखते।"



    राकेश ऊंची आवाज में बोले कभी-कभी किस्मत खुद दरवाज़े खटखटाती है लड़की आपकी भतीजी ही सही लेकिन उसके लिए जो प्रस्ताव आया है वो कोई आम नहीं है प्रेम पहली बार किसी को पसंद कर रहा है… और अगर उसे ‘हा’ नहीं मिली तो यह तुम लोगों के लिए अच्छा नहीं है तो सोच समझ कर बोलना।


    रमा का चेहरा तमतमा उठा लेकिन वो जानती थी कि सामने MLA खड़ा है… विरोध नहीं कर सकती थी।


    मुंह में कड़वाहट आँखों में आँसू, और मन में जलन लिए वो धीमी चाल से इनाया के कमरे की ओर बढ़ी कमरे के बाहर जाकर उसने ज़ोर से पुकारा इप्सा… जल्दी बाहर आ ।


    इनाया जो पहले से ही कांप रही थी दरवाज़े के उस पार सब कुछ सुन चुकी थी अब उसका चेहरा सफेद था होंठ सूख चुके थे वो जानती थी जिसे सब वर समझ रहे हैं वो उसकी बर्बादी का पैगाम लेकर आया है।


    लेकिन क्या उसकी ना चलेगी इस घर में?


    सबकी नज़रें अब दरवाज़े की ओर थीं जहा से आने वाली थी वह लड़की… इप्सा।


    कुछ ही पल में हल्के नीले रंग की सिंपल सी सूती कुर्ती में कमर तक बंधे हुए बालों में चेहरा बिना मेकअप के लेकिन मासूमियत और घबराहट से भरा… इप्सा धीरे-धीरे कदम रखते हुए हॉल में दाखिल होती है।


    उसकी नज़रें नीचे थीं उसके चेहरे पर साफ झलक रहा थावो यहां नहीं आना चाहती थी जैसे ही उसने नज़र उठाई… प्रेम की आंखें उसके चेहरे पर जम गईं।


    वह नज़रों से उसे ऊपर से नीचे तक इस तरह नाप रहा था जैसे किसी चीज़ को खरीदने से पहले उसकी कीमत जांच रहा हो।
    उसकी आंखों में चाहत नहीं… हवस थी जिसे इप्सा ने साफ महसूस किया।


    वो एक कदम पीछे हटने को हुई लेकिन रमा ने उसकी कलाई कसकर पकड़ ली खड़ी रह यहांरमा ने ज़ोर से दाँत भींचते हुए कहा।


    राकेश आगे झुका और बोले तो यही है वो लड़की?"


    प्रेम ने सिर हिलाया उसकी नज़र अब भी इप्सा के चेहरे पर थी हां यही है।"


    रमा और मुकेश के चेहरों पर नाराज़ी और घुटन थी राघवी का चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था और इप्सा बस अपनी घबराई आंखों से सबके चेहरों को देख रही थी।


    राकेश अब एक सख़्त तेवर में खड़े हुए उन्होंने एक-एक कर सबको देखा फिर बोले तुम लोगों के चेहरों से साफ़ दिख रहा है तुम लोग इस रिश्ते से खुश नहीं हो।"


    राकेश ने उन्हें धमकी देते हुए कहा सुन लो ये लड़की मेरे भाई को पसंद आई है और जब मेरे भाई की पसंद की बात हो… तो कोई ना नहीं कहता।


    अगर तुम लोगों ने इसे नज़रअंदाज़ किया या शादी से पहले किसी भी तरह का बहाना बनाया या इसे कोई तकलीफ़ हुई तो कान खोल के सुन लो तुम्हारे पूरे खानदान को मिट्टी में मिला दूंगा।"


    मेरे भाई का दिल तोड़ने वाले का वजूद इस शहर से मिट जाएगा।"


    परसों इनकी शादी होगी इसे लेने मेरा भाई आएगा सब कुछ तैयार रखना… लड़की भी।"


    और फिर वह तीनों उठकर जाने लगे प्रेम जाते जाते एक बार फिर पलट कर इप्सा को देखता है उसकी आंखों में वही हवस थीं जिसे देखइप्सा की रूह कांप गई।


    जैसे ही वो लोग निकलते हैं राघवी ज़ोर से दरवाज़ा बंद कर देती है और चीखती है उसने मुझे छोड़ के… उस नौकरानी को चुना?!"


    वहीं इप्सा खड़ी थी जो यह सब कुछ सुन रही थीं।




    ..............................
    कैसा लगा पार्ट जरूर बताना
    और कॉमेंट करना ना भूलें.....
    आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए
    मिलते हैं नेक्स्ट पार्ट में......
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  • 6. The great cm निर्वास अग्निहोत्री - Chapter 6

    Words: 1245

    Estimated Reading Time: 8 min

    अब आगे.......



    मुंबई महाराष्ट्र.......


    दोपहर का वक्त मुंबई के सीएम ऑफिस....



    मुंबई सचिवालय की ऊँची-ऊँची दीवारों के बीच एक शानदार सीएम ऑफिस जहां हर कोना पावर और डिसिप्लिन की गवाही देता था।


    केबिन के बीच में बैठा था वह शख्स जिसकी आँखों में आग सी दिख रही थी जो थे हमारे The great cm निर्वास अग्निहोत्री 26 साल का देश का सबसे यंगेस्ट और सबसे खतरनाक मुख्यमंत्री।


    सफेद रंग का कुर्ता-पायजामा ऊपर ब्लैक जैकेट और पैरों में चमकते Pelle santino के ब्लैक कलर के शूज हर चीज़ में एक गजब का ठाठ था। वह अपनी कुर्सी पर बैठा एक फाइल पर साइन कर रहा था तभी उसका पर्सनल असिस्टेंट दरवाज़ा नॉक कर अंदर आया।


    PA_सर कल अहमदाबाद में आपकी राजसी मीटिंग है। सीएम लेवल की मीटिंग है जिसे प्रधानमंत्री कार्यालय मॉनिटर कर रहा है।”


    निर्वास ने एक नज़र उसकी ओर देखा और बिना कुछ कहे अपना काम करता रहा।


    PA ने सिर झुका कर धीरे से कहा मैं गाड़ी और security squad को तैयार रखता हू सर।”


    अब थोड़ा हमारे हीरो के बारे में भी जान लेते हैं।


    निर्वास अग्निहोत्री 26 साल का देश का सबसे यंग और सबसे खतरनाक चीफ मिनिस्टर महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य की सत्ता उसी के इशारे पर चलती है लेकिन राजनीति ही उसकी एक पहचान नहीं वो देश की टॉप मल्टीनेशनल कंपनी का CEO भी है जिसकी ब्रांचेस इंटरनेशनल लेवल तक फैली हैं।


    उसकी आंखों में सूनापन और ठंडक है पर जो भी देखे वो खुद कांप जाए निर्वास किसी की बात नहीं सुनता उसे फर्क नहीं पड़ता कि सामने कौन है। उसके फैसले अंतिम होते हैं बोलता कम है करता ज़्यादा है वो साइको टाइप ऑब्सेसिव है उसे जो चीज़ पसंद आ गई उसे पाना है... चाहे उसके लिए दुनिया को क्यों न जलाना पड़े उसका गुस्सा जितना खतरनाक है उसकी खामोशी उससे भी कहीं ज़्यादा डरावनी।


    लोग उससे डरते हैं लेकिन वो खुद किसी से नहीं डरता मोहब्बत क्या होती है शायद नहीं जानता... लेकिन जुनून क्या होता है वो वो सबसे बेहतर जानता है।



    निर्वास अग्निहोत्री न सिर्फ पावरफुल है बल्कि जानलेवा हैंडसम भी उसकी तेज़ निगाहें शार्प जॉ लाइन और परफेक्ट बॉडी पर लाखों लड़कियाँ मरती हैं। सोशल मीडिया पर उसकी एक झलक पाने के लिए लड़कियाँ बेताब रहती हैं लेकिन वो अब तक किसी को घास तक नहीं डालता वो जितना अट्रैक्टिव है उतना ही दूर और अनटचेबल जिसे पाना हर लड़की का सपना है पर हकीकत में उसकी दुनिया में किसी की एंट्री नहीं होती।





    अहमदाबाद गुजरात.........



    वहीं इप्सा के गाल पर रमा का थप्पड़ इतनी जोर से पड़ा कि वह सीधा फर्श पर गिर गई उसकी आँखों में आँसू भर आए लेकिन रोने की भी इजाज़त न थी उसे इस घर में रमा का चेहरा गुस्से से लाल था और उसकी आँखों में जलन हार और गुस्से का तूफ़ान उमड़ रहा था।


    एक नौकरानी जैसी लड़की को मेरी बेटी के ऊपर तरजीह मिले? ये बर्दाश्त नहीं रमा फुफकारती हुई बोली।


    लेकिन तभी उसकी नजर दरवाज़े की तरफ़ गई जहा से उसकी कुछ पुरानी सहेलिया हसते हुए अंदर आ रही थीं रमा का गुस्सा एक पल में जैसे चेहरे से फिसल गया वह घबराकर बोली जा जा जल्दी अंदर चली जा इप्सा दर्द में कराहती हुई खुद को संभालती है और जैसे-तैसे उठकर अपने कमरे की तरफ़ दौड़ जाती है।


    सहेलियाँ जैसे ही अंदर आईं उनकी आँखें चमक उठीं।

    अरे रमा आज तो तेरे घर में बहुत हलचल है सुना है MLA साहब अपने भाई का रिश्ता लेकर आए थे तू तो बड़ी किस्मत वाली निकली। इतने बड़े खानदान में बेटी ब्याहेगी अब ।


    वहीं रमा यह सोच रही थीं कि इन्हें इतना जल्दी सब कुछ कैसे पता चल गया लेकिन वह फिर भी बोली अरे वो तो कह रही थी कि लड़का शहर से विदेश में बिज़नेस करता है बहुत अमीर है रमा ने झूठ बोल दिया था साफ ।


    रमा के चेहरे पर अब मुस्कान थी वो मुस्कान जिसमें घमंड दिखावा और अंदर छुपी खुशी सब कुछ मिला हुआ था वह अपने आँचल को ठीक करती हुई बोली हा भई भगवान की कृपा है हमारी राघवी भी कोई कम नहीं सुंदरता तो ऐसी कि खुद रुककर देखे कोई और अब ये रिश्ता... क्या कहूँ बस मेरी तो आंखों में आंसू हैं खुशी के!"


    सहेलियाँ अब राघवी की तारीफें करतीं नाश्ते का लुत्फ उठातीं घर के गहनों और राघवी के आउटफिट की बातें करतीं धीरे-धीरे जाने लगीं जाते-जाते भी कोई कह गई रमा तेरी बेटी तो सच मे भाग्यशाली है MLA साहब का घराना... क्या बात है!"


    सहेलियों का चेहरा अब भी रमा की आँखों में घूम रहा था उनकी आवाज़ उनकी घूरती निगाहें और वह धीमी-धीमी मुस्कुराहटें जो तारीफ के लब्ज़ों के पीछे छिपी जलन को छुपा नहीं सकी थीं।


    उन सभी को जब ये लगा था कि राघवी के लिए MLA साहब का भाई रिश्ता लेकर आया है तो उनके चेहरे पर पहले हैरानी फिर मुस्कान और फिर एक ऐसी जलन तैर गई थी जिसे वे छुपा नहीं पाईं।


    एक ने धीमे से कहा था वाह रमा तुझ पर तो भगवान मेहरबान है राघवी तो सच में हीरे जैसी निकली तुझसे तो जलने का दिल कर रहा है ।


    दूसरी ने थोड़ा तीखा कहा था राघवी तैयार भी तो ऐसी हुई थी जैसे दुल्हन ही बननी हो आज देखना अब तो तू उसे रानी की तरह रखा जाएगा ऐश करेगी।


    तीसरी ने आँखें मटकाते हुए पूछा और इप्सा वो कहाँ थी? हमें तो वो नहीं दिखी आज ।


    रमा ने ज़हर में डूबी मुस्कान के साथ कहा था अरे वो तो हमारी भतीजी है घर के छोटे-मोटे कामों में लगी रहती है वो इस लेवल की बातों में कहाँ आती है भला?"


    नाश्ता चलता रहा पर असली स्वाद किसी को महसूस नहीं हुआ। सबके मन में सिर्फ एक ही बात थी इतना बड़ा रिश्ता और वह भी रमा की बेटी के लिए।


    उनकी आँखें राघवी के आउटफिट को स्कैन कर रही थीं, उसके हेयरस्टाइल उसके मेकअप और उसके चेहरे को गौर से देख रही थीं कोई अपनी बेटी से उसकी तुलना कर रही थी तो कोई दबी आवाज़ में कह रही थी हमें तो लगता है ये लड़की पहले से ही तैयारी करके बैठी थी!"


    जब सब बातें खत्म हुईं और वे धीरे-धीरे विदा लेने लगीं तो रमा ने अपनी ज़बान से जलती हुई बात में शहद घोलते हुए कहा आप सब का आना अच्छा लगा अब जल्द ही शगुन की मिठाई भी पहुंचाएंगे आखिर MLA साहब के घर से रिश्ता आया है नाम और नसीब दोनों हमारी बेटी का चमक गया ।


    सहेलियाँ विदा तो हो गईं लेकिन उनके चेहरे पर मुस्कान के पीछे छिपी कड़वाहट अब रमा साफ़ पढ़ सकती थी उन्हें जलन हो रही थी ये बात अब किसी से छुपी नहीं थी।


    जैसे ही दरवाज़ा बंद हुआ रमा ने घूंघट-सी मुस्कान हटा दी और एक गहरी सांस ली।


    तुमने देखा?" रमा ने मुकेश की तरफ देखते हुए कहा कैसे जल रही थीं सब एक भी बधाई दिल से नहीं दी किसी ने हर किसी को लग रहा था कि उनकी बेटी होती तो क्या बात थी..."


    राघवी अब भी प्रेम के ख्वाब में खोई थी लेकिन रमा की नजर सिर्फ एक बात पर थी अब अगर ये इप्सा रास्ते से नहीं हटी… तो सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा। पर मैं ऐसा होने नहीं दूंगी।”






    .........................
    अब कल पता चलेगा आखिर रमा करने क्या वाली है इप्सा के साथ .....
    क्या इप्सा बच पाएगी रमा की साजिश से जानना है ना तो आगे पढ़ते रहिए .....
    और हा कॉमेंट जरूर करना वरना पार्ट नहीं दूंगी.
    मिलते हैं नेक्स्ट पार्ट में
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  • 7. अब उस कोठे पर साथ में वह भी मजे लूटेगी- Chapter 7

    Words: 1008

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब आगे...........



    रात करीब 8:30 बजे होंगे घर के अंदर रमा की चालाकी भरी मुस्कान उसके चेहरे पर साफ नजर आ रही थी डिनर के वक्त वह और मुकेश धीरे-धीरे प्लान को अंतिम रूप दे रहे थे बस एक रात की बात है रमा बोली सुबह तक सब कुछ निपट जाएगा और वैसे भी हमने सीधे कुछ नहीं किया होगा सब कुछ तो इत्तेफाक होगा।"


    राघवी मुस्कुरा रही थी लेकिन उसकी मुस्कान मासूम नहीं थी वो किसी शिकारी जैसी थी। मोम बस ध्यान रखना इप्सा को शक न हो और ऐसी ही वह अपना पूरा प्लान बनाने लगते हैं।


    अगले दिन करीब यही 7 बजने को आए होगे ।"


    तभी रमा अपनी अलमारी से एक भारी साड़ी निकालकर इप्सा को दी आज एक खास शादी में जाना है ये पहन लो तुझ पर बहुत जंचेगी उसने मीठे लहजे में कहा।


    इप्सा को कुछ अजीब लग रहा था लेकिन उसने चुपचाप साड़ी पहन ली वह कमाल की खूबसूरत लग रही थी एक बार देखे तो उसे देखता ही रहे ऐसी बला ।


    वहीं राघवी को उसे ऐसे काफी जलन हो रही थी आखिर यह लड़की इतनी सुंदर क्यों थी।"

    वहीं मुकेश कार भाड़े पर लाया था क्योंकि उनके पास कोई कार नहीं थी ऐसा उसने रमा को इप्सा के सामने कहा था रमा राघवी और इप्सा साथ निकले रास्ते में राघवी ने अचानक कहा मॉम मुझे मार्केट से कुछ लेना है बस पाँच मिनट लगेंगे।”


    रमा ने हामी भरी और राघवी उतर गई इप्सा तू गाड़ी में ही बैठी रह रमा बोली।


    जैसे ही राघवी दूर हुई दो अनजान आदमी गाड़ी में आकर बैठ गए और ड्राइवर की जगह एक ओर आदमी उसने उसे इशारा किया इप्सा घबरा गई ये कौन हैं लेकिन मुकेश ने उसे डांटते हुए चुप करवा दिया मेहमान हैं शादी वाले घर चल रहे हैंमुकेश ने जाते-जाते कहा था डर मत ये लोग मेरी पहचान के हैं तू इनके साथ जा मैं तेरी मामी और राघवी को लेकर आता हूं। हम वहीं मिलेंगे।”


    इप्सा ने घबराकर मुकेश को देखा, पर उसके सख्त लहजे में वह कुछ कह भी न सकी चुपचाप सिर हिलाकर बैठी रही और वह बोला में उन दोनों को लेने के लिए जा रहा हूं इतना बोल वह भी चला जाता हैं ।


    उसके कुछ देर जाने के बाद गाड़ी वहां से चलने लगती हैं वहीं
    इप्सा काफी डर गई थी और उनसे सवाल कर रही थीं लेकिन कोई उसे जवाब नहीं दे रहा था गाड़ी शहर की भीड़ से दूर अब रास्ता सुनसान और घना था अंधेरा भी गहराने लगा था इप्सा की नजरें बाहर के सूनसान रास्ते पर थीं लेकिन इप्सा की बेचैनी बढ़ती जा रही थी तभी एक आदमी ने उसे पानी का गिलास पकड़ाया थोड़ा पी लो बहुत गर्मी है ।


    इप्सा एक नजर उसे पानी की तरफ देखा और उसे अपने हाथों से फेंक दिया वहीं वह आदमी को काफी गुस्सा आया था लेकिन वह अपने गुस्से को कंट्रोल कर उसमें दूसरा पानी डालता है और जबरदस्ती उसका मुंह पकड़ कर उसे पीला देता हैं कुछ देर में उसकी आँखें भारी होने लगीं थीं।


    उसकी तस्वीर किसी को दिखाई जा चुकी थी एक आदमी ने काफी ऊंची बोली लगाई थी एक रात की ऊँची कीमत और इसीलिए उसे अब ड्रग्स के जरिए तैयार किया जा रहा था ताकि वो खुद से आगे बढ़े और वह आदमी भा खुश हो जाए।


    रमा का यही प्लान था उन्होंने इप्सा को एक कोठे पर बेच दिया था जहां से वह कभी निकल ना पाए उन्हे पैसे भी मिले और वह उनकी रास्ते से भी हट जाए और वह कोई झूठी कहानी MLA को ओर उसके भी को सुना दे कि लड़की ही बेशर्म थी और उसकी बेटी की शादी ही हो जाएं उससे।"


    कुछ ही देर में उसे हल्का-हल्का चक्कर आने लगा। आँखों के सामने चीजें डगमगाने लगीं। उसने माथा पकड़ा और खिड़की से बाहर देखने लगी पर अब उसकी पलकें भारी हो रही थीं।


    क्या... हो रहा है...” वह बड़बड़ाई।


    वहीं आगे बैठे दोनों मर्द एक दूसरे की तरफ मुस्कराए डोज असर करने लगा है एक बोला।


    इप्सा को अब सब कुछ धुंधला दिखने लगा था। दिमाग काम करना बंद कर रहा था लेकिन एक बात उसके दिल में बैठी थी कुछ बहुत गलत हो रहा है उसने उनके बात सुन ली थी जब उनमें से एक आदमी को फोन आया था और उन्होंने कहा था वह आ ही रहे हैं रंगीली गली जो एक कोठे की जगह है वहां पहुंच जाएंगे ।"


    हिम्मत जुटाकर उसने पूरी ताकत से कार का दरवाज़ा खोला और खुद को बाहर धकेल दिया जंगल की ओर गाड़ी जा रही थी लेकिन वो आधे रास्ते में ही कूद पड़ी।


    नीचे गिरते ही उसके हाथ-पैर छिल गए पर उसने खुद को समेटा और कांपते हुए झाड़ियों की ओर भागी अंधेरा था जंगल का रास्ता था काँटों से उसकी साड़ी उलझती जा रही थी लेकिन उसने रुकना नहीं चाहा।


    उसके शरीर में अब भी हल्का नशा था लेकिन डर ने उसे रुकने नहीं दिया वो पेड़ों के बीच से गुजरती जा रही थी । दूर कहीं गाड़ी की आवाज़ गूंज रही थी लेकिन उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा।


    भागते-भागते अचानक एक कार की तेज़ रोशनी उसकी आंखों पर पड़ी... और अगले ही पल धड़ाम।


    वहीं दूसरी और.......


    रमा, मुकेश और राघवी खुश हो रहे थे कि मुसीबत टली उनके सिर पर से अब उन्हें एक अच्छी सी कहानी चाहिए जो वह MLA को बता सके ।


    मुकेश बोला क्या प्लान बनाया हे रमा पैसे भी आ गए ओर उस लड़की से जान भी छुटी हमारी।


    वहीं रमा बोली में कोई कच्ची खिलाड़ी नहीं हु और वैसे भी अब किसी के तो काम आएगी ठीक से अब उस कोठे पर साथ में वह भी मज़े लूटेगी अरे देखना हमारा अहसान मनाएगी इतना कहकर वह तीनों जोर जोर से हंसने लगते हैं।"





    ...........................
    कैसे बचेगी इप्सा उन आदमियों से और किस की गाड़ी से टकरा जाती है इप्सा?
    आगे जानना है ना तो कॉमेंट जरूर करना और है जो साइलेंट रीडर है वह भी कर देना एक छोटा सा कॉमेंट....
    आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए....
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  • 8. Tonight I’ll make you forget the world… and remember only how you moaned my name " - Chapter 8

    Words: 1002

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब आगे........







    नीली रात की खामोशी को चीरती हुई एक काली चमचमाती कार जंगल के सुनसान रास्ते पर धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी। ड्राइवर की सीट पर बैठा आदमी एकदम शांत था जैसे उसे किसी चीज़ की जल्दी न हो। उसने फॉर्मल इन किए हुए काले कपड़े पहन रखे थे सफेद शर्ट और एक महंगी घड़ी जो उसकी पर्सनालिटी से बिल्कुल मेल खाते थे अमीरी के उसकी आंखें अपनी रिस्ट वॉच पर थीं जब अचानक उसकी कार के सामने एक लड़की लड़खड़ाती हुई आकर टकरा गई।


    ब्रेक लगते हैं कार झटका खाती है।

    आदमी अपनी सीट से उतरता है और गाड़ी से टेक लगा कर अपनी घड़ी सही करते हुए कुछ देर देखता है चांदनी में वो लड़की ज़मीन पर पड़ी थी उसका बदन जैसे चांदनी को मात दे रहा हो चेहरा आधा बालों से ढका था लेकिन उसके नाज़ुक, थरथराते होंठ और सफेद गर्दन किसी पेंटिंग की तरह चमक रहे थे।


    आदमी आगे बढ झुकता है और उसे अपनी बाहों में उठा लेता है। बिना कोई एक्सप्रेशन के वो लड़की इतनी हल्की थी कि जैसे हवा। उसने उसे अपनी कार की पीछे वाली सीट पर सुला दिया और खुद फिर से ड्राइविंग सीट पर जाकर बैठ गया।


    कुछ किलोमीटर ही निकले थे कि पीछे की सीट से एक हलचल होती है इप्सा को होश आने लगा था लेकिन उस पर अब भी ड्रग्स का असर था उसकी आंखें आधी खुली थीं और उसकी धड़कन तेज़।


    पानी… वह बुदबुदाई लेकिन आवाज़ में लाचारी से ज़्यादा एक अजीब सी बेचैनी थी।


    आदमी ने रियर व्यू मिरर में देखा फिर ध्यान हटा लिया। लेकिन तभी इप्सा ने नशे में अपना हाथ आगे बढ़ाया और सामने बैठे उस अजनबी की शर्ट पकड़ ली।


    प्लीज़... पास रहो…” उसकी आवाज़ थरथरा रही थी पर उसमें नशे की गर्मी थी।


    आदमी एकदम सख्त हो गया हद में रहो उसने गाड़ी चलाते हुए कहा आवाज़ बेहद ठंडी थी।


    लेकिन इप्सा सुन नहीं रही थी उसने और करीब खिसकते हुए उसकी गर्दन छूने की कोशिश की।


    स्टॉप इट उस आदमी ने झटके से ब्रेक मारे।


    गाड़ी बेकाबू हो गई और सीधी जंगल के किनारे एक बड़े पेड़ से टकरा गई और धमाका हुआ लेकिन गनीमत थी कि दोनों सुरक्षित थे सीट बेल्ट्स ने उन्हें बचा लिया।


    वह आदमी गुस्से से कांपता हुआ बाहर निकला उसकी साँसें तेज़ चल रही थीं। उसने कार का दरवाज़ा खोला और इप्सा को बाहर खींचते हुए बोला तुम्हें होश नहीं है तो घर से निकलती क्यों हो? तुम्हारे जैसे लोग…"


    लेकिन फिर जैसे ही हवा के झोंके से इप्सा के चेहरे से बाल हटे वो कुछ पल के लिए चुप रह गया उसने पहली बार उसका चेहरा देखा।

    उसके सामने एक लड़की थी जैसे कोई टूटा हुआ गुलाब उसका चेहरा बेहद खूबसूरत था, लेकिन उस पर थकावट दर्द और मासूमियत एक साथ बसी थी। वह नशे में थी लेकिन होंठों पर हल्की सी मुस्कान थी… जैसे उसने कोई सपना देखा हो।


    उस आदमी की आँखें कुछ देर उस चेहरे पर अटक गईं उसकी आँखों में पहली बार कोई इमोशन आया आश्चर्य और हल्की सी Curiosity ।


    कौन हो तुम उसने फुसफुसाकर कहा।


    और वहीं पेड़ों की सरसराहट के बीच नियति ने उनके बीच पहली टक्कर लिख दी थी—एक तूफ़ान और एक टूटे हुए चाँद की कहानी शुरू हो चुकी थी।


    इप्सा की आवाज़ कांपती हुई निकलती है मुझे तुम चाहिए..."
    वो अब भी नशे में थी उसकी आंखों में एक अजीब सी खुमारी थी, जो शायद डर, थकान और अजनबी से मिली राहत का मेल थी।


    वह उसे छूती है जैसे खुद को यकीन दिलाना चाहती हो कि वह किसी सैफ इंसान के साथ है उसका हाथ उस आदमी की सीने पर टिक जाता है। लेकिन वह शख्स जिसकी आंखों में अभी तक बस सन्नाटा और गुस्सा था उसे तुरंत पकड़कर अपने मजबूत बाज़ुओं में उठा लेता है।


    थोड़ी दूर एक घास से भरी खुली सी जगह थी जहां चांदनी की रौशनी बिखरी थी जैसे प्रकृति ने इसे किसी खास पल के लिए सजाया हो वहां एक छोटा-सा खाली स्ट्रक्चर था जैसे किसी पुराने घर के जहाँ सिर छुपाया जा सकता था।


    वह उसे वहाँ ले जाकर हल्के से नीचे बैठा देता है।


    इप्सा थरथराती आवाज़ में कहती है मैंने आज तक किसी को ऐसा महसूस नहीं किया जैसे आपको।


    उसकी ये बात उस सख्त आदमी के चेहरे पर हलकी सी लकीर छोड़ जाती है न गुस्से की, न मोहब्बत की बस हैरानी की।


    वो कुछ पल उसे देखता है, फिर खुद से कहता है, "Control, Nirvaas She doesn't even know who you are
    और एक लंबी सांस भरता है।


    तभी इप्सा उसकी कॉलर को खींच कर उसके गले में चूमने लगती हैंवही इस छुवन से आदमी के शरीर में कुछ अजीब सी हलचल होती हैं जिसका पता उसे था fuck.... " वह धीरे से बोला ।"


    यह तुम सही नहीं कर रही Tonight I’ll make you forget the world… and remember only how you moaned my name "







    . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
    इनका रोमांस देखना है या नहीं?" कॉमेंट कर बताना जरुर .....
    पहले वाले पार्ट पर भी कॉमेंट नहीं है ज्यादा तो कर देना इग्नोर मत करना......
    इनका रोमांस कल मिलेगा लेकिन आप सभी को कॉमेंट करना होगा......
    और स्टोरी अच्छी लगे तो सबस्क्राइब भी करें... 😊
    आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए मिलते है नेक्स्ट पार्ट में....
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  • 9. wild sex- Chapter 9

    Words: 1288

    Estimated Reading Time: 8 min

    अब आगे.........




    आप सभी जान ही गए होगे कि यह इंसान कौन था हा थे हमारे cm साहब निर्वास।"


    " इप्सा अब फिर से उसकी कॉलर पकड़ कर उसके गले में लगती हैं और अचानक वह उसे जोर से काट देती हैं वहीं निर्वास के चेहरे पर दर्द की कोई लकीर नहीं थी बल्कि उसके चेहरा पर एक खतरनाक स्माइल थी। "


    इप्सा उसे अब भी काट ने साथ किस किए जा रही थीं और उसके शर्ट के बटन खोलने की कोशिश कर रही थी लेकिन उससे खुल नहीं रहे थे वह अब परेशान हो जाती है और उसके सामने नशें में बोली अरे आप जो कोई भी हैं आपकी शर्ट को कहिए ना खुल जाए मुझे किस करना है आप के एब्स को देखिए ना कितनी अच्छी बॉडी है आपकी, वहीं उसकी बात सुनकर निर्वास तो अब उसके मासूम चेहरे को देख रहा था।"


    निर्वास उसके हाथ पकड़ कर बोला यहां नहीं और उसे उठाकर उस छोटे से घर में ले जाता हैं वहां कुछ घास थीं जिसे वह अच्छे से बिछा कर उसपे एक पुरानी सी सोल डाल देता हैं जिससे वहां सोया जा सके या फिर किया जा सके।


    वहीं इप्सा उसके पास आकर उसे खींच कर अपने साथ नीचे गिरा देती हैं, और उसे पकड़ कर किस करने लगती है वहीं अब निर्वास कंट्रोल किए था वह भी उसे किस करने लगता हैं वह उसके मुंह में अपनी जीभ डालने की कोशिश कर रहा था लेकिन इप्सा अपना मुंह खोल ही नहीं रही थी!"


    जिससे निर्वास उसके सारी के पली को हटाकर उसके उभारों को दबा देता है इप्सा की चीख निकल जाती हैं.. आह्ह्ह... ह्ह्ह.....!!


    वह चीखती है जिससे अब निर्वास आराम से अपनी जीभ उसके मुंह में डाल देता हैं और अच्छे से एक्सप्लोर करने लगता हैं दोनों की जीभ आप में उलझी हुई थीं लेकिन अब इप्सा को सास लेने में तकलीफ हो रही थी।


    वह उससे धक्का देती हैं लेकिन उस हट्टे कट्टे आदमी के सामने उसकी कहा चलने वाली थी वहीं उसे ऐसे देख निर्वास कुछ देर छोड़ देता हैं वह ठीक से सास ले भी नहीं पाई थी कि निर्वास फिर से उसे किस करने लगता हैं।


    किस करने के बाद इप्सा बोली आप.. आप कितने बु.. बुरे हैं देखो ना मेरे लिप्स सूज गए हैं अब दूर रहो मुझसे ।


    निर्वास उसकी बात सुनकर गुस्से से बोला खबरदार जो अब तुम से दूर जाने को कहा तो मुझे उसका कर अब दूर रहने की बात कर रही हो तुम निर्वाश एक झटके में उसकी सारी उतार फेंकता है और साथ में उसका पेटी कॉट भी।


    अब इप्सा उसके सामने अपने ब्लाउज और सिर्फ पिंक पेंटी में थीं नशे में होने के बावजूद उसे शर्म सी आ रही थी।


    वहीं निर्वास उसे घूरते हुएं बोला सच में कयामत हो तुम आजतक कोइ ऐसी लड़की नहीं आ पाई मेरे इतने करीब और जिसने कोशिश की उनका अंजान बहुत बुरा हुआ है लेकिन तुम पहली और आखिरी होने वाली हो बेबी डोल...!"


    निर्वास ने अपनी शर्ट निकाल दी थी और अब वह इप्सा का ब्लाउज भी निकाल देता है उसने ब्रा नहीं पहनी थी उसके गोल गोल ब्रेस्ट उसके सामने थे जो ज्यादा बड़े नहीं थे।


    निर्वास उन्हें पकड़ कर बोला हम्म इनपर थोड़ी मेहनत करनी होगी और एक हाथ से उसे दबाने लगता हैं और दूसरे को मुंह में भर सक करने लगता हैं।"


    वही इप्सा आहे भर रही थी आह्ह्ह.. आह्ह्हह्ह्हह्ह्हह्ह्ह..... उम्म क्या... कर रहे हैं मुझे दर्द हो रहा है काट क्यों रहे हैं आह्ह...


    निर्वास ने उसके ब्रेस्ट को शक कर और काट कर पूरे लाल कर दिए थे और वहां रेड रेड निशान छोड़ दिए थे।


    वही इप्सा की हालत खराब हो रही थी क्योंकि उसे दवाई दी गई थी वह अपनी कांपती हुईं आवाज में बोली प्लीज... मुझे चाहिए मुझे महसूस करना है में... अब में और बर्बाद नहीं कार सकती इतना कहकर इप्सा अपना हाथ निर्वास की पैंट पर रख देती हैं और उसकी चेन खोल देती हैं।


    निर्वास के चेहरे पर एक इविल स्माइल आ जाती हैं और वह खड़ा हो जाता हैं और नीचे लेटी उस लड़की को देखता है जो उसके लिए तड़प रही थी वह उसकी आंखों में देखते हुए अपनी पेंट और बॉक्सर निकाल देता है.." अब इप्सा के सामने उसका लंबा और हेल्थी हार्डनेस था जिसे देख इप्सा का गला सुखने लगता है।


    निर्वास इविल स्माइल कर अपने हार्डनेस को सहलाते हुए बोला suck it ..!!"


    वहीं इप्सा की आंखे बाहर आने को हो गई यह तो उसके मुंह में जा भी नहीं सकता था इप्सा बोली... म मुझे डर लग रहा है कितना बड़ा है यह... नहीं जा सकता मुझे नहीं करना... "


    वहीं निर्वास अपनी आँखें बंद कर गहरी सांस लेता है और बोला आज पहली बार जाने दे रहा हूं लेकिन आगे कोई रहम नहीं दिखाऊंगा इतना कहकर वह झुक कर एक झटके से उसकी पेंटी निकाल देता है ।


    अब उसके सामने इप्सा पूरी नेक्ड थीं वह उसके नीचे देख अपनी जीभ अपने हितों पर फेरता है वह गीली हो चुकी थी उसके लिए वह तड़प रही थीं उसके हार्डनेस को अपने अंदर महसूस करने के लिए निर्वास उसके दोनों पैर फैलाकर अपना हार्डनेस वहां रगड़ ने लगता हैं वहीं इप्सा जो इंतजार में थी उसे ऐसा करता देख बोली... प्लीज मुझे आपकी जरूरत है और कंट्रोल नहीं कर सकती वहीं यह सुनकर वह बोला इतनी जल्दी भी क्या है.. बेबी बॉब रुको... थोड़ा सा!"



    लेकिन इप्सा अब रुक नहीं सकती थी इसलिए वह खुद उसके हार्डनेस को पकड़ कर अपने अंदर समा ने की कोशिश करती हैं लेकिन वह उसे अपने अंदर ले नहीं पा रही थी।"


    निर्वास कुछ पल उसे देखता रहा फिर उसका हाथ पकड़ बोला बेबी डोल तुमसे नहीं हो पाएगा लेकिन कुछ वक्त बाद जरूर कर पाओगी.. उसकी यह डबल मीनिंग वाली बात इप्सा को समझ नहीं आई थी निर्वास उसे अचानक किस करने लगता हैं और अपने हार्डनेस को पकड़ कर उसकी टाइट हो रखी निचले हिस्से में अंदर की और धकेल देता हैं वहीं इस झटके से इप्सा की जोरदार चीख निकल जाती हैं जो उसके मुंह में दब जाती हैं... उम्मम... उम्मम... ह्हह्ह


    कुछ देर बाद रुकने के बाद निर्वास अपने हार्डनेस को फिर से अंदर की ओर धकेलने लगता हैं ओर अपनी कमर मूव करने लगता हैं और साथ में उसके ब्रेस्ट को मुंह में भर लेता है ।


    वहीं इप्सा आहे भर रही थी आह्ह्ह आह्ह्हह्ह्ह ...... आह्ह अगर कोई इसे सुन ले तो उन्हे भी शर्म आ जाए।


    निर्वास काफी वाइल्ड हो चुका था वह जोर जोर से अपनी कमर मूव किए जा रहा था इप्सा उसे रोकने की कोशिश करती है..!
    सुनिए...! प्लीज अब थोड़ी देर रुक जाइए में थक गई हु लेकिन निर्वास उसकी कोई बात नहीं सुनता और उसे खड़ा कर झुकने को कहता है।


    इप्सा बोली अब नहीं रुकिए थोड़ी देर लेकिन निर्वास उसकी पीछे से गर्दन पकड़ कर उसके होठों को चूमते हुए बोला नहीं... Baby doll मेरे जानवर को तुम्हारी जरूरत है ओर इसे शांत तुम्हे ही करना है आखिर तुमने ही मुझे उकसाया है।


    इप्सा अपने हाथों के पंजों के बल और घुटने के बल झुकी हुई थी निर्वास पीछे से उसमें इंटर करता है आह्ह्हह्ह्ह ... और अपनी कमर मूव करने लगता हैं एक हाथ से उसने उसकी गर्दन पकड़ी हुईं थी।


    दोनों की हांफने की आवाज वहां उस जंगल में गूंज सी रही थीं।







    .............…...........
    Please please 🥺 कैसा है पार्ट जरूर बताना मुझे भी जानना है आप सभी को कैसा लगा.....
    और कॉमेंट नहीं किया तो पार्ट नहीं मिलेगा...
    और हा इसी तरह का रोमांस मेरी कॉन्ट्रैक्ट ऑफ लव की स्टोरी में भी देखने को मिलेगा तो जाकर उसे भी जरूर पढ़ना और कॉमेंट करना .....
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  • 10. तुम्हारी पिंक किटी सिर्फ मेरी है इसके साथ कुछ भी करने का हक सिर्फ मेरा है - Chapter 10

    Words: 1041

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब आगे.........





    ना जाना दोनों के sex का सिलसिला कब तक चल ता रहा अगली सुबह करीब 4 बजे होंगे जब इप्सा की आंख खुली जैसे ही उसने हिलने की कोशिश की उसके पूरे शरीर में दर्द की लहर दौड़ गई खास कर उसके निचले हिस्से में जहां उसे बेहिसाब दर्द हो रहा था वह दर्द से कराह उठी आह्ह्ह आह्ह्हह्ह्ह......


    वही उसकी आवाज सुनकर उसके बगल में लेटा हुआ निर्वास की आंखे खुल गई और वह झट से उठ बैठा और बोला क्या हुआ वहीं यह आवाज सुनकर इप्सा अपने बगल में देखती है जहां एक आदमी था पूरा नेक्ड तभी उसे ध्यान आता है कि उसके शरीर पर भी कोई कपड़ा नहीं था सिर्फ उसकी पतली सी साड़ी थीं जो उस आदमी के उठने से खिसक चुकी थी।


    इप्सा जल्दी से साड़ी को खींच कर अपने उभारों को ढकते हुए उससे दूर खिसक कर बोली... आप आप क.." कौन है और क्या हुआ हैं यहां"...?"


    वहीं निर्वास के चेहरे पर तिरछी मुस्कान आ जाती हैं वह बोला सच में तुम्हे नहीं याद है कि क्या हुआ है?"


    मेरी और तुम्हारी हालत देख तुम्हें क्या लगता हैं कि क्या हुआ होगा यहां।


    यह सुनकर इप्सा की आंखे बड़ी हो जाती हैं उसे अंदाजा तो हो गया था कि यहां क्या हुआ होगा वह डरते हुए बोली... मुझे प्लीज माफ कर दीजिए में मैने जान.. मैने कुछ भी जान बूझकर नहीं किया है उसे इतना याद था कि उस पानी की वजह से ही उसे अजीब सा लगने लगा था और वह ही आई थी उस आदमी के करीब।"


    इप्सा _ आप मुझे यहां से जाने दें" सच सच कह रही हु में किसी से कुछ भी नहीं कहूंगी और मैं आपको जानती भी नहीं में यहां से कही दूर चली जाऊंगी।


    वह निर्वास की और देखती हैं जिसकी आंखे अब लाल हो ने लगी थी मुझे जाना है इप्सा की आवाज़ डरी हुई थी कांपती हुई।


    निर्वास ने उसकी तरफ देखा उसकी आंखों में कोई सवाल नहीं था… बस एक खतरनाक ठहराव था। उसने धीरे से उठते हुए कहाbतुम अब मेरी हो जाने की इजाज़त सिर्फ मैं दूंगा और मैंने अब तक दी नहीं है।"


    इप्सा फिर भी डरते हुए वहां से थोड़ा हिली हीं थी कि निर्वास की आवाज सुनाई दी एक और कदम उठाया... तो तुम्हारे पैर कभी चलने लायक नहीं बचेंगे।"


    मुझे जाने दो इप्सा की आवाज़ जैसे किसी कैद में बंद परिंदे की थी जो उड़ना चाहता हो... पर पंख किसी और के हाथ में हों।


    पर निर्वास धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ा तुम ये भूल किस तरह सकती हो कि अब तुम मेरी हो... पूरी तरह से तुम पर अब सिर्फ़ मेरा हक है।"


    निर्वास ने उसे पकड़ लिया उसकी कलाई इतनी कस के थामी कि इप्सा की चीख निकल गई उसकी सांसें तेज़ थीं आंखें लाल और माथे की नसें तन चुकी थीं वो अब सीएम नहीं था कोई बिज़नेस टायकून नहीं था... वो सिर्फ एक सनकी आदमी था जो उसका है उसे किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ता था।


    तुम्हें लग रहा है मैं तुम्हें जाने दूंगा तुम्हें क्या लगा एक रात साथ बिताने के बाद तुम सुबह उठकर चली जाओगी... जैसे कुछ हुआ ही नहीं?" उसकी आवाज़ में एक अजीब सा लहजा था प्पागलपन और पज़ेशन का मिला-जुला रूप।


    "मैं आपकी कुछ नहीं लगती..." इप्सा की आंखों में आंसू आ गए।


    अब लगती हो उसने उसका चेहरा अपने हाथों में भर लिया और बेहद धीमे लेकिन खतरनाक आवाज में कहा I marked you as mine… and no one touches what's mine."


    इप्सा रोने लगी आप ऐसा नहीं कर सकते..."


    निर्वास _डर रही हो मुझसे?"


    इप्सा ने सिर हिला दिया।


    इप्सा कांपी। उसकी आंखों में डर था मगर निर्वास की आंखों में पागलपन।

    वो उसके बेहद पास आया इतना कि इप्सा की सांसें रुकने लगीं उसने इप्सा के बालों में उंगलियां फंसाई और उसका चेहरा ऊपर किया।


    "Say it again... तुम जाना चाहती हो?"


    इप्सा चुप थी पर आंखों से विरोध साफ था।


    निर्वास का चेहरा उसके कान के पास गया और फुसफुसाया You woke the devil in me, baby... now bleed for loving him."


    और अगले ही पल वह उसे उठा कर ज़मीन पर गिराता है । और उसके ऊपर आते हुए बोला इसकी सजा तो तुझे मिलेगी कि चलो फिर दोबारा sex करते हैं ।


    इतना बोलकर निर्वास उसके पैर फैला देता हैं और उसके किटी जो सहलाते हुए बोला देखो तो पिंक पिंक किटी तुम्हारी कैसे मेरे हार्डनेस के लिए तड़प रही हैं। उसकी बात सुनकर इप्सा को काफी डर लग रहा था और साथ में शर्म भी आ रही थी।"


    निर्वास उसके किटी पर चूम कर बोली बोलो baby doll यह तुम्हारी पिंक किटी किसकी है ।


    इप्सा उसकी बात का कोई जवाब नहीं देती जिसे सुन निर्वास को गुस्सा आ जाता हैं ओर वह उसके ब्रेस्ट को जोर से प्रेस कर बोलो baby doll वरना अंजाम इससे से भी बुरा होगा। इप्सा अपने दर्द को संभाल ते हुए बोली सिर्फ आप.. "आपकी है है।


    निर्वास _ नही ऐसे नहीं say it again... बोलो कि तुम्हारी पिंक किटी सिर्फ मेरी है इसके साथ कुछ भी करने का हक सिर्फ मेरा है। निर्वास फिर से उसके उभारों को जोर से प्रेस कर देता हैं जिससे इप्सा दर्द से... आह्ह प्लीज नहीं... दर्द होता है।"


    निर्वास _ गुस्से से बोलो वरना....!!


    इप्सा की आंखो में आंसू थे और वह बोली म.."मेरी किटी सिर्फ आपकी है सिर्फ आपको ही हक है इसपर।"


    उसकी बात सुनकर निर्वास के चेहरे पर शैतानी मुस्कान आ जाती हैं बड़ी समझदार हो baby doll इतना कहकर निर्वास अचानक अपना हार्डनेस उसके किटी में एंटर कर देता हैं इप्सा की जोरदार चीख निकल जाती आह्ह्ह ह्ह्हह्ह्ह.....




    निर्वास अपनी कमर मूव किए जा रहा था और इप्सा आहे भरती जा रही थी उसे दर्द तो हो रहा था लेकिन यह इनकार नहीं कर पा रही थी कि उसे इस आदमी का हार्डनेस अपने अंदर बहुत अच्छा लग रहा था



    निर्वास उसके कान के पास जाकर अब तुम मेरी हो इस जिस्म से, इस रूह से, इस हर साँस से... और इस आग से। भागने की सोचना भी मत, क्योंकि अगली बार अगर तुमने जाने की बात भी की, तो तुम्हें खुद में इस कदर कैद कर दूँगा कि तुम अपनी पहचान तक भूल जाओगी।"


    और sex का सिलसिला यूंही चलता है उनका।"







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