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ღ Obsession Behind the Mask ღ

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7ringsofdreams

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Masoom si ek ladki… jiska dil kabhi kisi se nahi takraya. Aur ek mask pehne hua aadmi… jiska chehra raaz hai, aur junoon hadd se zyada. Pehli hi nazar mein usne us ladki ko aise dekha jaise duniya mein sirf wahi ho. Uski hansi, uski masoomiyat, us...

Characters

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Jodha..

Heroine

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Vayu Rajvansh

Villain

Total Chapters (9)

Page 1 of 1

  • 1. ღ Obsession Behind the Mask ღ - Chapter 1

    Words: 1596

    Estimated Reading Time: 10 min

    स्वागत है हमारी एक और नई कहानी में। अगर कहानी अच्छी लगे तो कमेंट करके जरूर बताइए।

    कहानी की शुरुआत होती है एक अंधेरी सड़क से, जहां बिल्कुल सन्नाटा छाया हुआ था। खाली सड़क के बीचोंबीच एक लड़की थी, जिसके हाथ में एक बैग था। वह डरते-डरते धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ा रही थी। तभी अचानक उसके बैग में रखा हुआ फोन बज उठा। उसने घबराते हुए फोन उठाया और बोली,,,

    "क्या है, सोना? तुमने फोन क्यों किया है? आ रही हूं न, आज थोड़ी देर हो गई... बस पाँच मिनट में घर पहुंच जाऊंगी।"

    इतना कहकर लड़की ने फोन काट दिया और फिर से घबराई हुई अपने रास्ते पर बढ़ने लगी।

    कुछ दूरी चलने के बाद उसे किसी के तेज़ दौड़ने की आवाज़ सुनाई दी। वह अब साफ-साफ आवाज़ अपने कानों के पास महसूस कर सकती थी। लड़की ने अपनी चाल तेज कर दी और बैग को मजबूती से पकड़ लिया।

    अब दौड़ने की आवाज़ सिर्फ दूर से नहीं, बल्कि उसके आसपास आने लगी थी। उसके माथे पर पसीना झलक रहा था, और शरीर कांपने लगा। फिर भी वह खुद को संभालते हुए आगे बढ़ती रही।

    थोड़ी दूर पहुंचने पर उसकी नजर एक खंभे के पास गई, जहां एक शराबी अजीब तरीके से टहल रहा था। वहां बड़ी-बड़ी झाड़ियां और पेड़ थे, जिससे सड़क और भी अंधेरी लग रही थी। स्ट्रीट लाइट तक नहीं जल रही थी। वह शराबी अब लड़की को घूर रहा था। लड़की ने नज़रें हटाईं और अपने कदम और तेज़ किए। तभी किसी के चिल्लाने की आवाज़ आई, जैसे कोई किसी को पकड़ रहा हो।

    लड़की ने इधर-उधर देखा, लेकिन आसपास कोई दिखाई नहीं दिया। तभी पीछे से शराबी बोला, 
    "मुझे भी अपने साथ ले चलो... सुनो, मुझे भी ले चलो। यह जगह बहुत अंधेरी है, मुझे डर लग रहा है।"

    शराबी की बात सुनकर लड़की का डर और बढ़ गया। उसने अपनी चाल और तेज़ कर दी। अब उसके चेहरे से पसीना बह रहा था और बाल बिखर चुके थे, फिर भी वह दौड़ती जा रही थी।

    अचानक सामने से काले कपड़े पहने कुछ आदमी भागते हुए नज़र आए। लड़की रुक गई और इधर-उधर देखने लगी। पीछे शराबी उसका पीछा कर रहा था और सामने वे अजनबी लोग थे। डर के मारे वह पास के एक छोटे से टेलीफोन बूथ जैसी जगह में घुस गई। जगह बहुत पुरानी थी। उसने फटाफट दरवाजा बंद किया और अंदर सिमट गई। उसकी सांसें तेज़ चल रही थीं, इतनी तेज़ कि उसे अपनी धड़कनें खुद सुनाई दे रहीं थीं।

    कुछ देर बाद उसे लगा कि बाहर सब शांत है। उसने खिड़की से झांका,,कोई नहीं था। जैसे ही वह दरवाजा खोलने लगी, दरवाजा खुद ही खुल गया। एक आदमी, जो पूरी तरह खून से लिपटा हुआ था, अचानक अंदर आया। उसने बिना कुछ कहे उसके दोनों हाथ पीछे किए और कान में फुसफुसाया, 
    "मुझे... बचा लो..."

    लड़की ने कुछ कहने के लिए मुंह खोला ही था कि उस खून से सने आदमी ने उसके होंठों पर अपना हाथ रख दिया। लड़की पूरी तरह सुन्न हो गई थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह सब अचानक उसके साथ क्या हो रहा है।

    वह आदमी उसके दोनों हाथ पीछे दीवार से दबाता है और उसे जबरदस्ती किस करने लगता है। लड़की की आंखें बंद थीं, लेकिन जैसे ही उसने हिम्मत कर आंखें खोलीं, उसने बाहर कुछ काले कपड़े वाले आदमी भागते हुए देखे। वह खुद को छुड़ाने लगी, लेकिन उस आदमी की पकड़ इतनी मजबूत थी कि वह एक इंच भी हिल नहीं पाई।

    मिलते हैं अगले चैप्टर में। अगर कहानी पसंद आई हो तो कृपया कमेंट, रेटिंग और फॉलो करना न भूलें।

    मुझे पता है, दोस्तों, कि मेरी कहानियाँ कभी-कभी थोड़ी अजीब लगती हैं, लेकिन क्या करूं,,जो दिमाग में आता है, वही लिख देती हूं।

    बाहर की हवा में अब सन्नाटा नहीं था, बल्कि मौत की आहट का वजन था। 
    जोधा बूथ के अंदर अभी भी कांप रही थी। खिड़की से झांकने की हिम्मत उसने फिर नहीं की। 
    उसका दिल इतने ज़ोर से धड़क रहा था कि उसे महसूस हो रहा था जैसे बाहर खड़े लोग उसकी धड़कनों की आवाज़ सुन लेंगे।

    समय जैसे थम गया था। 
    कुछ सेकंड बाद, बाहर से किसी के कदमों की धमक सुनाई दी  तेज़, फिर धीमी, फिर पूरी तरह गायब।

    वह सावधानी से दरवाज़े की तरफ बढ़ी और बाल जैसी पतली दरार से झांका  सड़क पर अब सिर्फ़ परछाइयाँ थीं। वो नक़ाबपोश आदमी कहीं जा चुके थे।

    जोधा ने राहत की साँस ली और धीरे से बूथ का दरवाज़ा खोला। 
    लेकिन जैसे ही उसने एक कदम बाहर रखा, किसी ने पीछे से उसका हाथ पकड़ लिया। डर के मारे उसने चीखने की कोशिश की, पर आवाज़ गले में ही अटक गई।

    वो वही आदमी था  वही जो थोड़ी देर पहले अंदर आया था, पूरा खून में लथपथ।

    अब वह बूथ के फर्श पर गिर रहा था, जैसे ज़िंदगी की आखिरी सांसें उसके जिस्म से निकल रही हों।

    “ब... बचा लो…” उसकी आवाज़ टूटी हुई थी, आँखों में बेबसी थी। 
    जोधा नीचे झुकी, लेकिन झिझक के साथ  “तुम... कौन हो?”

    वो कुछ बोल नहीं पाया, बस उसका हाथ जोधा की कलाई पर कस गया। 
    उसकी पकड़ में दर्द था, पर उस दर्द के पीछे एक विनती थी  एक मदद की पुकार।

    जोधा ने जल्दी से अपने दुपट्टे का टुकड़ा फाड़ा और उसके बाजू पर बाँधने लगी ताकि खून रुक सके। 
    ठंडी हवा में उसके हाथ काँप रहे थे, लेकिन उसने हार नहीं मानी।

    “देखो... बात मत करो। कुछ मत बोलो…” उसने काँपती आवाज़ में कहा। 
    वो आदमी हँसने की कोशिश करता है, खून उसके होंठों से बहता हुआ नीचे टपक जाता है। 
    “तुम... डरती नहीं हो…” उसने मुश्किल से कहा।

    “डरती हूँ,” उसने फुसफुसाया, “लेकिन अब भागकर कुछ नहीं होगा।”

    वो आदमी कुछ कहना चाहता था, पर होंठों से सिर्फ़ उसका सांस निकला। 
    उसका सिर जोधा की गोद में गिर गया।

    उस पल सड़क की ठंडी हवा और झिलमिलाती स्ट्रीट लाइट की झपकियाँ सब एक साथ रुक गईं। 
    केवल जोधा की आँखों में सवाल थे
    **यह कौन है? यह मुझसे मदद क्यों माँग रहा है? और यह खून आखिर किसका है?**

    वो बुज़ुर्ग शराबी जो पहले उसे डरा रहा था, अब कहीं नहीं था। 
    सिर्फ़ एक टूटी हुई सन्नाटे की तस्वीर रह गई थी।

    जोधा ने चारों तरफ देखा  सड़क खाली थी। 
    वो आदमी अब बिलकुल चुप था, बस उसकी साँस हल्के से चल रही थी। 
    उसने अपना फोन उठाया (जो उसने तब गिरा दिया था) और फ़ोन की टॉर्च जलाई। 
    रोशनी में उसका चेहरा कुछ पल के लिए साफ़ दिखाई दिया।

    वो चेहरा  ऐसा जैसे दर्द और रहस्य एक साथ सिमट आए हों। 
    धुंधली आँखें, गहरी चोटें, और मगरूर खामोशी।

    जोधा ने धीरे से कहा, “मैं तुम्हें मरने नहीं दूँगी।”

    उसने सावधानी से बूथ का दरवाज़ा बंद किया, बाहर सड़क पर निगाह डाली  सब कुछ शांत था। 
    अब सिर्फ़ वही थी, और वो लहूलुहान अजनबी आदमी... जिसके नाम तक से वो अनजान थी।

    बाहर हवा चल रही थी, और कहीं दूर से पुलिस सायरन की हल्की गूंज आ रही थी।

    जोधा को अंदाज़ा था  सुबह तक सब कुछ बदल जाएगा।




    ....रात गहराती रही। बूथ के छोटे से अंधेरे में डर और बेचैनी की धड़कनें हवा में घुल चुकी थीं। जोधा ने कभी भी खुद को इतना अकेला और जिम्मेदार महसूस नहीं किया था।वो लहूलुहान अजनबी अब भी बेसुध पड़ा था। उसका चेहरा खून और मिट्टी से सना हुआ था, रोशनी इतनी कम थी कि जोधा उसका चेहरा साफ़-साफ़ नहीं देख पाई।
    उसने अपने दुपट्टे का एक और हिस्सा फाड़ा, पानी की बोतल से कपड़ा गीला किया और ध्यान से उसके चेहरे और जख्मों को धीरे-धीरे साफ़ करने लगी।हर बार जब उसकी हथेली अजनबी की त्वचा से छूती, तो जोधा का दिल आशंका और दया के अजीब मिश्रण से भर उठता।
    वो हर चोट को, हर खरोंच को देखती




    जैसे हर जख्म उसकी नज़रों में कोई घुला हुआ सवाल था।धीमे-धीमे, जब खून की मोटी तह हटने लगी तो उसकी गर्दन पर एक छोटा सा टैटू नज़र आया
    एक परछाईं जैसा स्याह डिज़ाइन, जो आधा चाँद और एक अजगर के सिर जैसा था।उस टैटू को देखकर जोधा ठहर गई।
    सोचने लगी, आखिर यह कौन आदमी है


    कौन सी कहानी छुपी है इन जख्मों और इस टैटू के पीछे?रात पूरी चुप थी। बाहर से भटकती हवा के अलावा कोई आवाज़ नहीं।





    हर ज़रा आवाज़ पर बिखरे हुए अव्यवस्थित बालों को पीछे हटाते हुए जोधा बार-बार उस अनजान के माथे को छूकर उसका बुखार देख रही थी।
    कभी उसका सिर हल्के से अपनी गोद में रखती, कभी बचे हुए पानी की कुछ बूँदें उसके होंठों पर टपकाती।हर बार जब आंखें उठाकर चेहरा देखना चाहती, सिर्फ आधा-सा चेहरा नजर आता, वो भी छाया में डूबा। पूरा चेहरा रात के अंधेरे और बोझिल रौशनी में छुपा रहा।वक़्त गुजरता गया



    खिड़की से कभी-कभार गुजरते गाड़ियों की रोशनी, दूर से आती पुलिस सायरन की गूंज, और बीच-बीच में बाहर गिरती हुई बूंदों की फिसलती आवाज़।सुबह तक, जब आसमान में हल्की लाली फैली, बूथ में पड़ा वह अजनबी एक बार करवट बदलता है। जोधा उसे देखती है



    वो अभी भी गहरी नींद में डूबा है, पर सांसें अब और स्थिर हैं। घाव अब भी कई गहरे हैं, पर खून बहना लगभग बंद हो चुका है।जोधा ने उस टैटू पर एक बार फिर नजर दौड़ाई



    जैसे वो उसके बारे में सबकुछ पढ़ लेना चाहती हो, पर हर जवाब की जगह बस एक नया सवाल ही उग आता।उसी टैटू के पास, उसकी धड़कनों के साथ हल्की-सी थरथराहट हो रही थी



    और शायद पहली बार, जोधा को उस अजनबी के लिए सिर्फ डर नहीं, कहीं गहरे छुपी हमदर्दी भी महसूस हुई।अभी नाम बाकी था, कहानी बाकी थी  लेकिन वह रात दोनों के लिए बदल चुकी थी।..
    ........









    मिलते हैं अगले चैप्टर में। तब तक अपना ख्याल रखिएगा। 
    Thank you so much.

  • 2. ღ Obsession Behind the Mask ღ - Chapter 2

    Words: 1109

    Estimated Reading Time: 7 min

    ...... Aap sabhi ka swagat Hai hamare new chapter mein pichhle chapter kaise laga yah jarur bataiyega...... Chaliye jyada baat Na karte hue .... Padhte Hain....

    .....

    बाहर सुबह की हल्की ठंडक थी। बूथ की टूटी हुई छत से छनकर आती धूप के टुकड़े अब फर्श पर फैल चुके थे। जोधा की आँखें धीरे-धीरे खुलीं थकी हुई, पर चौकन्नी।वो पलभर तक यूँ ही छत को देखती रही, जैसे दिमाग अब भी पिछली रात की घटनाओं के सागर से बाहर आने की कोशिश कर रहा हो। फिर अचानक उसे अहसास हुआ उसकी गोद अब खाली थी।वो झटके से उठ बैठी।
    उसकी नजर चारों तरफ घूमी बूथ की दीवारें, टूटे कांच, वह खून जो अब सूख चुका था... पर वो आदमी वहाँ नहीं था।जोधा का दिल घबरा गया।
    “कहाँ गया वो....



    उसने धीमे से खुद से कहा, जैसे कोई जवाब मिलेगा।वो बाहर निकली। सड़क पर सुबह की हवा अलग थी, थोड़ी नमी लिए, थोड़ी खाली। आस-पास कुछ दुकानें खुलने लगी थीं, पर किसी को कुछ खबर नहीं थी। कोई नहीं जानता था कि रात यहाँ किसी की जान बचाई गई थी।जोधा धीरे-धीरे सड़क पर बढ़ने लगी। उसके कदम लड़खड़ा रहे थे, दिमाग अब भी उस चेहरे की धुंधली झलक में उलझा था।.......



    वो चाहती थी फिर एक बार उसे देख सके.....पूरी तरह, साफ़।हर मोड़ पर, हर छाया में वो उसे ढूँढती रही। पर कहीं कुछ नहीं।
    सिर्फ़ हवा थी, जो अब भी उस रात की गंध समेटे हुए थी।थककर वह आखिर सड़क किनारे बैठ गई।
    उसकी आँखों में नींद का बोझ नहीं था, लेकिन बेचैनी थी
    ......वो बेचैनी जो किसी अधूरी मुलाक़ात के बाद रह जाती है।उसने हथेली में देखा........





    उस पर अब भी खून का वही हल्का निशान था, जहाँ उस अजनबी ने उसका हाथ थामा था।
    वो निशान त्वचा पर था, पर असर दिल में उतर चुका था।धीरे-धीरे उसने सिर उठाया।
    दूर कहीं पुलिस की एक जीप जा रही थी, सायरन हल्का बजता हुआ।
    जोधा के मन में एक पल को ख्याल आया.......क्या ये उसी की तलाश में निकले हैं?
    या फिर वो किसी ऐसी दुनिया का हिस्सा था, जहाँ अब लौट जाना ही उसकी मजबूरी थी?अचानक हवा में कुछ हलचल-सी हुई।
    उसने पीछे मुड़कर देखा..............


    बूथ के दरवाज़े के पास ज़मीन पर एक मुड़ा हुआ कागज़ पड़ा था।वो उठकर वहाँ गई, और काँपते हाथों से कागज़ खोला।
    उसमें बस दो शब्द लिखे थे.....
    ......
    .....


    मत डरना।”स्याही अभी ताज़ा थी।
    जोधा की धड़कनें फिर तेज़ हो गईं।वो मुस्कुराई नहीं, पर उसकी आँखों में कुछ नया चमक उठा जिज्ञासा, डर और शायद… किसी शुरू होने वाली कहानी की आहट।उसने धीरे से कागज़ मोड़कर अपने दुपट्टे में रख लिया और घर की तरफ चल दी।पीछे बूथ एकदम शांत था।
    पर उस सन्नाटे में अब भी एक अनकही दास्तां गूँज रही थी
    जिसका अगला पन्ना, शायद किसी और सुबह खुलने वाला था।.............






    जोधा थक हार कर आखिर अपने घर लौट गई। रास्ता लंबा था और उसके पैर भारी लग रहे थे। उसका मन बार-बार उसी रात की ओर चला जाता... उसे अजनबी का खून से लटपट चेहरा,,,, और वह मजबूत पकड़,,,,,,,...................



    कुछ घंटे बाद, जब वो घर पहुँची, तो दरवाजे पर उसकी छोटी बहन पहले से खड़ी थी। उसकी आँखों में चिंता साफ दिख रही थी।

    "दीदी, आप सारी रात कहाँ थीं...... बहन ने डरे हुए लहजे में पूछा।

    अंदर मम्मी भी आ गईं। उनका चेहरा और भी परेशान था। 
    ......जोधा, इतनी रात कहाँ थीं तुम,,,,,,,,, हमने कितनी बार कॉल किया,,,,

    जोधा ने कोशिश की कि उसका चेहरा नार्मल रहे। उसने जल्दी से कहा, 
    अरे नहीं क्या हुआ ना इतना अर्जेंट काम था कि बॉस ने वहीं पर कुछ लोगों के साथ काम करने के लिए रोक लिया था तो मैं वापस रेस्टोरेंट चली गई थी उससे पहले सोना ने मुझे फोन तो किया था मैं कह रही थी मैं आ रही हूं लेकिन उसके बाद बस का फोन आया तो मैं वापस रेस्टोरेंट चली गई थी मां अब परेशान मत हो की वजह से और तैयारी  और ऊपर से वहां नेटवर्क भी नहीं था इसलिए शायद आपका कॉल नहीं देखा,,,,,, सॉरी।"मां,,,,

    बहन ने पूछने की कोशिश क....पक्का, कुछ हुआ तो नहीं.......
    जोधा ने उसके सिर पर हल्के से हाथ फेरा,  Relax I’m fine. बस थक गई हूँ।.....

    माँ कुछ पल उसे देखती रहीं, फिर कहा, 
    "जल्दी से फ्रेश हो जा, .. और जल्दी से आकर ब्रेकफास्ट कर ले वरना ठंड हो जाएगा,,,,,,,,,

    जोधा ने सिर हिलाया और अपने रूम में चली गई। 
    रूम में पहुंचते ही वह पलंग पर बैठ गई। उस रात की सारी बातें बार-बार दिमाग में घूमने लगीं..और उसकी मुट्ठी में वो छोटा सा कागज़ अब भी छुपा था।.....



    जोधा अपने कमरे मैं गई,,,,,, जो दिखने में छोटा सा था लेकिन बहुत ही प्यार और खूबसूरती से सजाया हुआ था दोनों बहनों की एक बड़ी सी फोटो फ्रेम लगी हुई थी और आसपास काफी सारे गुलदस्ते पड़े हुए थे फ्लावरपोट,। और भी बहुत सारी,,,चीज,,,,,,,,,


    दरवाज़ा बंद करते ही उसने एक गहरी साँस ली। कमरे की जानी-पहचानी महक और सुकून भी अब उसे अजीब लग रहे थे।वो वॉशरूम में गई, ठंडे पानी से चेहरा धोया। आईने में खुद को देखा



    चेहरा थका हुआ था, पर आँखों में कुछ अलग चमक थी। जैसे रात की वो कहानी अभी खत्म नहीं हुई हो।वो अपने बाल सुलझाते हुए खुद से सोच रही थी,
    क्यों बार-बार वही पल याद आ रहे हैं  उस अजनबी का चेहरा… वो ख़ामोश निगाहें…उसके हाथ अपने आप उस जगह पहुँच गए जहाँ उसने उसकी कलाई पकड़ी थी।
    वो हल्का सा दर्द अब भी बाकी था, लेकिन अजीब बात ये थी कि उस दर्द में एक अजीब सा अपनापन था।फिर उसकी नज़र आईने में अपने होंठों पर पड़ी।
    वहाँ अब भी एक हल्का सा निशान था   जैसे किसी गहरी बात की खामोश याद।
    वो पलभर उसके सामने खड़ी रही, और उसका दिल फिर तेज़ धड़कने लगा।


    .....Why am I thinking about him again....
    उसने खुद से फुसफुसाकर कहा।
    पर जवाब कोई नहीं था।कमरे के कोने में फोन रखा था  उसने उठाया तो देखा कि कई missed calls अब भी स्क्रीन पर झिलमिला रही थीं।
    उसने धीरे से फोन बंद कर दिया, और खिड़की के पास जाकर पर्दा हटाया।बाहर हल्की हवा चल रही थी, आसमान में धूप उतर रही थी।.......

    लेकिन जोधा के भीतर अब भी रात का अंधेरा बाकी था।वो पलंग पर बैठकर उस छोटे से मुड़े हुए कागज़ को निकालती है।
    कागज़ पर वही दो शब्द ..........
    ..
    ..Mat darna
    ..
    वो उन्हें बार-बार पढ़ती है, जैसे हर बार कोई नया मतलब उभर आता हो।वो मुस्कुरा नहीं पाई, पर उसकी आँखों में नमी और बेचैनी दोनों थी।......







    Are ruko ruko...🙂🙂🙂😂😂😂 Bus chapter yahi khatm karte hain aur Kitna padhoge....
    To chaliye milte Hain next chapter mein... Aur han comment aur Baki chijen Jo formality ke liye hota hai vah karna na bhulen,,,,,, Dhyan Hai sab per Mera....🧐🧐🧐

  • 3. ღ Obsession Behind the Mask ღ - Chapter 3

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 4. ღ Obsession Behind the Mask ღ - Chapter 4

    Words: 1036

    Estimated Reading Time: 7 min

    ............

    To fir se swagat hamari new story mein... Mujhe maaf karna ki maine story jaldi upload nahin kiye...... Ab yah story sirf hafte mein do ya teen bar hi aaegi okay tu jyada confuse Na Ho aur comment mein to bataya karo yaar kaise lagi story padh kar nikal jaate Ho......





    सुबहसूरज की हल्की किरणें खिड़की के पर्दों से छनकर कमरे में उतर रही थीं। बाहर किसी पंछी की आवाज़ गूँज रही थी। दो हफ्ते बीत चुके थे उस रात को... मगर जोधा के भीतर कुछ अब भी अधूरा था।हर दिन की तरह वह सुबह जल्दी उठी, आँगन में रखे छोटे से मंदिर में दीया जलाया। चाँदी की थाली में टीका, फूल और अगरबत्ती लगी हुई थी। घंटी की आवाज़ पूरे घर में गूँज.........





    उठी।“सोनू... उठ जा अब... तेरा कॉलेज नहीं है क्या आज?” जोधा ने थोड़ा ऊँचा बोलते हुए कहा।अंदर से बिस्तर में लिपटी सोनू की नींद भरी आवाज़ आई, “दीदी बस पाँच मिनट और... आज क्लास लेट है।”जोधा ने मुस्कुराते हुए थाली रखी और बोली, “हर रोज यही पाँच मिनट... अगर तेरे रिजल्ट में भी पाँच मिनट वाला बहाना चल जाए न, तो यकीन मान, तू इंडिया की टॉपर बन जाएगी।”सोनू चादर में मुँह छिपाते हुए बोली, “दीदी, आप तो सुबह-सुबह भी ताने देती हो... थोड़ी मोहब्बत से भी बात किया करो ना।”“मोहब्बत? पहले उठ जा, फिर........


    मिलती है मोहब्बत की स्पेशल डोज़। चल, अम्मा को भोग लगाकर आती हूँ।”जोधा ने पूजा खत्म की, सबको आरती दी, और चुपचाप अपने छोटे से कमरे में लौट आई। उसने मेहरून रंग का सिंपल सूट पहना, बालों को कसकर बाँध लिया और कानों में बड़े गोल झुमके पहन लिए। आईने के सामने खड़ी होकर उसने होंठों पर हल्की मुस्कान दी .......



    वही मुस्कान जो सबसे कहती थी “सब ठीक है।”लेकिन वो जानती थी कि वो मुस्कान अब केवल चेहरा ढकने के लिए है।उसने पर्स उठाया और बाहर निकलते हुए कहा, “अम्मा, मैं चलती हूँ। आज थोड़ी देर तक रेस्टोरेंट में रुकना पड़ेगा, बुकिंग ज्यादा हैं।”रसोई से आवाज़ आई, “जाओ बेटा, भगवान करे आज का दिन अच्छा......


    जाए।”बाहर ठंडी हवा थी, सड़क पर हलचल शुरू हो चुकी थी। मंदिर से आती घंटी की आवाज़ के साथ सुबह की ताजगी घुल रही थी। जोधा ने गहरी सांस ली और खुद को सामान्य जीवन की लय में डालने की कोशिश की।रेस्टोरेंट ज्यादा दूर नहीं था, उसका नाम था “अन्नपूर्णा स्वाद भवन” .......




    शहर का पुराना मगर मशहूर ठिकाना। जोधा वहाँ कई सालों से काम कर रही थी। उसके हाथ का खाना इतना पसंद किया जाता था कि कई ग्राहक तो सिर्फ उसके बनने का इंतजार करते थे।जैसे ही वह रेस्टोरेंट के अंदर पहुँची, मालिक श्री अग्रवाल ने मुस्कुराते हुए कहा,.........




    “अरे जोधा बिटिया, आ गईं! आज तो सारा शहर आपके आलू-पराठे के पीछे पागल है। लगता है, आज फिर रिकॉर्ड टूटेगा।”जोधा ने मुस्कुराते हुए कहा, “बस अग्रवाल जी, दुआ करिए कि स्वाद वही बना रहे। बाकी लोगों की मोहब्बत ही तो हमें चलाती है।..........


    पीछे रसोई में उसकी सहकर्मी राधा आ गई, जो हमेशा की तरह बातूनी थी।
    “जोधा दीदी, आपने वो नया कुक देखा, जो कल आया है? कितना अजीब है न उसका चेहरा... लगता है जैसे हर वक्त किसी बात में खोया रहता है।”जोधा ने अनमने स्वर में कहा, “नहीं देखा अब तक... वैसे नया लड़का तो है न..........




    नाम क्या बताया उसने?”“नाम तो... कुछ आरव जैसा बोला था शायद। पर आंखों में कैसी न जाने क्या बात थी... बहुत चुप-चुप।”जोधा कुछ नहीं बोली, बस सब्जी काटते हाथ एक पल को रुक गए। आरव... नाम सुनते ही उसके भीतर कुछ हल्का सा खिंचाव महसूस हुआ। पता नहीं क्यों।राधा बोली, “दीदी, आप कुछ सोच में लग गईं क्या?”“नहीं, बस याद आ गया कि गैस धीमी करनी है,” उसने बात टाल दी।दिन बढ़ता गया। ग्राहकों की..............



    आवाजाही, ऑर्डर की आवाजें, और जोधा की थकावट सब सामान्य लग रहे थे। लेकिन बीच-बीच में उसका ध्यान उसी नए लड़के की ओर चला जाता, जो कुकिंग रूम के दूसरे कोने में अकेला काम कर रहा था।दोपहर ढलने पर जब सभी लोग लंच की तैयारी में जुटे थे, तब आरव पहली बार उसके पास आया।“माफ़ कीजिए, ये चाकू ले सकती हैं?” उसने धीमे स्वर में कहा।जोधा ने सिर उठाया, और दोनों की आँखें मिलीं। एक पल को जैसे समय रुक गया। उसकी आँखें… वही थीं ......




    गहरी, दर्द से भरी, जैसे उससे कुछ कहना चाहती हों।उसने बिना कुछ कहे चाकू उसकी तरफ बढ़ा दिया, लेकिन उसके हाथ काँप गए।आरव ने तुरंत कहा, “आप ठीक हैं......



    जोधा झेंपते हुए बोली, “हाँ, बस कट लग गया थोड़ा…”“रुकिए,” उसने झुककर उसके हाथ पर पानी डाला और रुमाल से हल्के से पोंछा। “सावधानी रखिए… ये उंगलियाँ बहुत कीमती हैं किसी के दिल को छू जाएँ तो।”वो पल जैसे हवा में थम गया। जोधा के होंठ हिले, पर शब्द नहीं निकले। उसका दिल फिर उसी पुरानी धड़कन की लय में आ गया ,,,,





    वही जो उस रात महसूस हुई थी।वो जल्दी से बोली, “थ...थैंक यू। मैं ठीक हूँ।”“मैं जानता हूँ,” आरव ने बस इतना कहा और चला गया।राधा ने पीछे से आंखें घुमाईं, “अरे वाह दीदी, लगता है किसी ने आपका पल्स फिर से एक्टिवेट कर दिया।”“कुछ नहीं राधा, काम पर ध्यान दो,” जोधा ने झूठी सख्ती से कहा, पर भीतर कुछ हिल चुका था।दिन खत्म हुआ।
    जोधा घर लौटी तो सोनू फिर टीवी पर लगी थी।“दीदी आ गई! आज बहुत जल्दी थक गई लगती हो।”“हाँ, आज काम ज्यादा था,” जोधा ने कहा।
    सोनू ने मुस्कुराते हुए पूछा, “या....



    . किसी नए कुक ने दिल का टेम्परेचर बढ़ा दिया?”“पागल है तू!” उसने हँसते हुए सोना,,,,, के सिर पर तकिया फेंका।रात का माहौल हल्का था, मगर अंदर कहीं एक अनकही हलचल बनी हुई थी। जब सारे सो गए, जोधा खिड़की के पास बैठी रही। बाहर ठंडी हवा थी। उसने फिर वही कागज़ निकाला ......

    “मत डरना।”उसने फुसफुसाकर कहा, “कहीं तुम फिर लौट आए तो?”हवा में जैसे किसी की मौजूदगी महसूस हुई... हल्की-सी फुसफुसाहट, जैसे कोई कह रहा हो – “मैं कभी गया ही नहीं।”उसकी सांस थम गई। उसने बाहर झाँका कोई नहीं था। पर जब उसने मुड़कर देखा, तो उसके कमरे की मेज़ पर एक नीला फूल रखा था...


    जो कुछ देर पहले वहाँ नहीं था।उसकी आँखें फैल गईं… और दिल फिर तेज़ी से धड़कने लगा।...





    Bus yahin per ruko yaar aur Kitna padhoge thak nahin jaate karte.... Chalo milte Hain next chapter mein comment rating karna na bhule...👍🏻🥰❤️❤️

  • 5. ღ Obsession Behind the Mask ღ - Chapter 5

    Words: 1004

    Estimated Reading Time: 7 min

    आप सभी का तहे दिल से स्वागत है मेरी नई chapter में ❤️...........अगर मेरी कहानी आपको थोड़ी सी भी पसंद आए,
    तो please मुझे support करना 🙏
    आपका एक छोटा सा like, comment या review
    मेरे लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है 💫
    कहानी को पूरा पढ़ते रहिए,
    हर मोड़ पर एक नया राज़, एक नई भावना आपका इंतज़ार कर रही है...
    आपका प्यार ही मेरी सबसे बड़ी ताकत है ❤️
    तो चलिए…
    शुरू करते हैं ये नया सफ़र ......
    एक ऐसी कहानी, जो आपके दिल को छू जाएगी। 💌




    ज़िंदगी कभी-कभी सन्नाटे में ही सबसे ज़्यादा बोलती है…”
    शायद यही सोचती थी जोधा हर सुबह उठते वक्त।सुबह के पाँच बजे थे। मोहल्ले की गली अभी नींद में थी, पर जोधा की रसोई से धीमे-धीमे छौंक की आवाज़ें आने लगी थीं। गैस के पास खड़ी वो नींद में भी बड़ी सलीके से टिफिन के लिए सब्ज़ी बना रही थी। हाथ जगह पर अपने आप चलते थे, चेहरा मगर कहीं और था।कमरे के कोने से आवाज़ आई, “दीदी, इतनी सुबह-सुबह फिर से काम पर लग गई? आज तो छुट्टी थी न!”........




    सोनू उठकर दरवाज़े से देख रही थी।जोधा मुस्कुराई, “छुट्टी तो होती है, सोनू, लेकिन पेट की भूख को कौन छुट्टी देता है?”सोनू ने सिर झुकाया, “आप ना दीदी, कभी खुद के लिए कुछ नहीं सोचतीं।”“अरे पगली,” उसने प्यार से कहा, “जब तेरा चेहरा मुस्कुराता है न, वही मेरे लिए सबसे बड़ा गिफ्ट होता है।”सोनू खामोश हो गई। उसके चेहरे पर गर्व और दर्द दोनों की हल्की झलक थी।थोड़ी देर में घर में पूजा की घंटी गूँज उठी। जोधा ने भगवान के सामने दीया जलाया, फिर हल्के स्वर में मंत्र बोले। उसने धीरे से कहा, “भगवान, बस इतनी ताकत दे कि अपने लोगों के लिए हमेशा खड़ी रह सकूँ।”फिर वो बाहर आई, साड़ी के पल्लू से माथा पोंछा और सोनू को पुकारा, “चल जल्दी तैयार हो जा, कॉलेज का टाइम हो गया।”सोनू तैयार होकर बाहर आई तो जोधा की पुरानी साइकिल दरवाज़े पर खड़ी थी। वह हमेशा सोनू को रास्ते तक छोड़कर जाती थी।
    “दीदी, इतनी मेहनत मत किया करो, थक जाती हो रोज़।”
    “थकना बुरा नहीं होता सोनू,” जोधा ने हंसकर कहा, “थक कर ही तो हमें नींद सुकून देती है।”दोनों ने हँसते हुए एक-दूसरे को देखा। जोधा ने साइकिल मोड़ी और रास्ते से लौटते वक्त उस पुरानी चाय की दुकान पर पहुँची, जहाँ अक्सर वो खुद के लिए थोड़ी राहत ढूँढती थी।“अरे जोधा बिटिया, आज फिर जल्दी?” दुकानदार पंडित जी ने मुस्कुराकर पूछा।........




    “हाँ पंडित जी, काम पर जा रही हूँ। सोचा एक कुल्हड़ चाय मिल जाए तो दिन अच्छा निकलेगा।”“लो, ये रही तुम्हारी स्पेशल इलायची चाय। वैसे तुम हर वक्त काम में डूबी रहती हो बेटा, कभी अपने सपनों के लिए भी वक्त निकालो।”जोधा ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया, “सपने तो बहुत हैं, पंडित जी, पर कई बार हकीकत उन्हें जगने ही नहीं देती।”पंडित जी बस उसकी आंखों में झांकते रह गए।रेस्टोरेंट पहुँचकर दिन फिर वही था – बर्तन, सब्ज़ियाँ, मसाले की खुशबू और ग्राहकों की आवाजाही। मगर अब जोधा के मन में एक अजीब सा सुकून था। कुछ बदल चुका था पिछले दो हफ्तों में।राधा ने आकर कहा, “दीदी, सुना है मालिक आपको प्रमोशन देने की सोच रहे हैं।”
    “प्रमोशन?”
    “हाँ, अग्रवाल जी कह रहे थे कि अब आप सब संभाल लेती हैं अकेली… तो आपको ‘हेड कुक’ बनाना चाहिए।”जोधा के चेहरे पर पहली बार राहत की मुस्कान आई।.......



    “अगर सच में ऐसा हुआ, तो अम्मा को बहुत अच्छा लगेगा।”“और मुझे भी!” राधा ने चिढ़ाते हुए कहा, “फिर मैं कहूंगी, मेरी दीदी अब बड़ी शैफ बन गई।”दिन गुजरता गया। जोधा ने थककर रात को जब रसोई का काम खत्म किया, तब सब लाइटें बंद हो चुकी थीं। उसने पीछे मुड़कर देखा – रेस्टोरेंट के बोर्ड पर उसका नाम नहीं लिखा था, पर अंदर हर कोने में उसकी मेहनत की गंध थी।घर लौटते वक्त रास्ते में हल्की बारिश शुरू हो गई। वो भीगती रही, उसे अब बरसात से डर नहीं लगा… न रातों के अंधेरे से। उसके भीतर जैसे एक नई ताकत ने जन्म लिया था।घर पहुंचते ही अम्मा ने कहा, “थक गई होगी, बेटा?”
    “थक गई, लेकिन अच्छा लग रहा है अम्मा। आज मन को सुकून मिला।”“यही तो ज़िंदगी है, जोधा......





    थकना, गिरना, और फिर अगले दिन मुस्कुराकर उठ जाना।”रात को सब सो गए, पर जोधा खिड़की के पास बैठी रही। बाहर चाँदनी फैली थी। उसने डायरी खोली और लिखना शुरू किया.....“हर दिन नया लगता है, पर कहीं न कहीं वो रात अब भी मेरा हिस्सा है। शायद उस रात ने मुझे डर नहीं, जीने की हिम्मत दी है। अब डर नहीं लगता… अगर कुछ लौटना है, तो आए। मैं अब पहले जैसी जोधा नहीं हूँ।”कागज़ पर स्याही हल्की सी फैली, और हवा में अगरबत्ती की महक घुल गई।सुबह फिर वही दिन शुरू होगा। वही संघर्ष, वही लोगों की मुस्कान, वही खुद से हुई जंग।
    पर अब फर्क बस इतना था......जोधा अब अपने दर्द से नहीं, अपने जज़्बे से पहचानी जाती थी।








    हर शब्द, हर किरदार और हर मोड़ में मैंने अपना दिल डाला है…
    उम्मीद है कि आपको ये कहानी उतनी ही महसूस होगी,
    जितनी मैंने इसे लिखते समय महसूस की 💫
    अगर आपको कहानी अच्छी लगे, तो अपने कॉमेंट्स और रिव्यू ज़रूर देना —
    आपके हर शब्द से मुझे और लिखने की प्रेरणा मिलती है ✍️
    बताइएगा कि आपको कौन सा किरदार सबसे ज़्यादा पसंद आया,
    कौन सा पल आपके दिल को छू गया… 💖
    आपके प्यार और सपोर्ट के बिना ये सफर अधूरा है 🌸
    तो पढ़ते रहिए, महसूस करते रहिए,
    और मुझे बताइए कि मेरी ये नई कहानी आपके दिल तक पहुँची या नहीं 💌
    बहुत सारा प्यार 💕
    आपकी ...u.r.......


    Yah kuchh jyada hi nahin...
    . Chalo chhodo yaar aapko to padhne se matlab hai na...
    .... Jati jati please Jo new Hai vah follow kar dena..... Story aage  nahin badhaungi aur jise pahle Se story pasand hai uske liye most welcome Meri story mein......
    Then tell me milte Hain next chapter..... Sorry mujhe yah chapter dobara likhna pada kyunki mujhse galti se delete ho gaya tha shukar Ho Bhagwan Gaya ki maine ise sev karke Rakha tha to fir se upload kiya..... Milte Hain

  • 6. ღ Obsession Behind the Mask ღ - Chapter 6

    Words: 1013

    Estimated Reading Time: 7 min

    .......
    To welcome to my new chapter....... Aaj thoda sa Sona aur Sonu ki shrarti ke bare mein jaane.... Chaliye jante Hain Thoda English spelling mein likha hai to confuse mat hona please......





    “Time flies… par kuch log badalte hi nahi,” – यही सोच रही थी जोधा, जब उसने दरवाज़ा खोला और सामने देखा – आँगन में सोनू फिर से किसी झगड़े के बीच फँसी हुई थी।“Arey सोनू! फिर से क्या कर दिया तूने? Pichhle hafte hi तो तेरे college se complain aayi thi!”सोनू ने मुँह बिगाड़ते हुए जवाब दिया,.......



    “Arre di, main ne kuch nahi kiya! वो Rina ne mere project ka file phaad diya tha. Bas maine uske bag mein chhota sa frog dal diya… ab agar वो chillayi toh main kya karun?”जोधा ने माथा पकड़ लिया, “Tu ek din pura mohalla hila degi!”आँगन में खड़ी उनकी माँ, जो सब सुन रही थीं, बोलीं, “Ye ladki zyada Arjun ban gayi hai. Padhai likhai se zyada to harkatein hai iske paas!”सोनू ने हँसते हुए कहा, “Arjun nahi ma, main toh Shaktimaan hu!” और वह घूमते हुए दरवाज़े से भाग गई।जोधा के चेहरे पर गुस्सा और मुस्कान दोनों आ गए।“Pagli ladki…” उसने धीरे से कहा।सुबह का वक्त था, मोहल्ले की गलियों में बच्चों का शोर, सब्ज़ी वालों की आवाज़ें और चाय की दुकानों से उठती भाप – सबके बीच सोनू अपनी मस्ती में थी।...........



    वो हर किसी को जानती थी – “Shyamlal uncle से लेकर Munna chaiwala तक।”जब वो कॉलेज के लिए निकलती, तो पूरा मोहल्ला जाग जाता था।“Arey Sonu bitiya, ruka zara! Kal ka tiffin ka paisa dena tha.”.............



    “Arre aunty kal pakka de dungi!” और वो बिना रुके साइकिल आगे बढ़ा देती।उसका छोटा सा बैग झूलता रहता, और उसके हेडफोन से गाने की आवाज़ गूँजती – पुरानी फ़िल्मों से लेकर Punjabi beats तक उसका playlist पूरी दुनिया था।कॉलेज पहुँचते ही, सोनू का शोर अलार्म की तरह था।“Good morning class!” वो अंदर आते ही ऊँचे स्वर में बोली।दो-तीन लड़कियाँ पीछे से हँस पड़ीं।
    “Arre Sonu, फिर late?”........




    “Late main nahi, time hi early chal raha hai,” उसने आँख मारते हुए कहा।Lecture चलता रहा, लेकिन सोनू का ध्यान खिड़की के बाहर उड़ते पत्तों में था।
    Sir बोले, “Miss Sonu, kya hum lecture disturb kar rahe hain aapka?”वो तुरंत बोली, “Nahi sir, aap to mujhe motivate kar rahe hain… bas main soch rahi thi ki agar Newton ne aapko dekha hota toh woh bhi gravitation bhool jaata!”पूरी क्लास में दबी हँसी फैल गई।..........




    Sir ने किताब बंद की, “Aap se baad mein baat karte hain.”क्लास खत्म हुई तो उसकी दोस्त मीरा बोली, “Yaar tu to pakki nautanki hai!”
    सोनू ने गर्व से कहा, “Life short hai darling, boring ka time nahi hota.”शाम को जब वो घर लौटी, तो जोधा रसोई में थी।“Di, bas ab result aane wala hai, agar pass ho gayi toh treat ready rakhna.”“Pass nahi, top bhi kar le to mujhe kuch nayi surprise dikhana!” जोधा ने चिढ़ाते हुए कहा।सोनू बोली, “Main kuch na kuch kar dungi di, tu dekh lena!”उसकी बातों में मासूम शरारत थी – वही जो घर की दीवारों को ज़िंदा रखती थी।अक्सर रात को जब सब सो जाते, तो सोनू और जोधा छत पर बैठकर बातें करतीं।
    “Di, tujhe kabhi nahi lagta, zindagi thodi kam interesting hai?”.......



    जोधा ने मुस्कुराते हुए कहा, “Nahi Sonu, mujhe lagta hai ki zindagi ki simplicity hi sabse beautiful cheez hai.”“Par mujhe adventure chahiye…” सोनू बोली, “Main ek din travel karungi, mountain, beaches, aur foreign!”“Foreign zarur jana, par pehle college pass karle.”
    दोनों हँसने लगीं।मोहल्ले की औरतें अक्सर बोला करतीं .......



    “Jodha ki chhoti beti to bijli hai, kab kidhar nikal jaaye pata hi nahi chalta।”कभी वो बच्चों को गिल्ली-डंडा खेलाती, कभी बच्चों के साथ पतंग उड़ाने लगती।
    पर उन्हीं आंखों में कहीं एक मासूम अकेलापन भी था, जो बस दीदी के सामने निकलता था।एक दिन शाम को जब जोधा रेस्टोरेंट से लौटी, तो देखा कि सोनू छत पर बैठी आसमान निहार रही थी।......



    “Tu yahaan kya kar rahi hai itni der se?”सोनू बोली, “Bas di, soch rahi thi agar zindagi ek story hai, to uska hero kaun hai?”जोधा ने जवाब दिया, “Tu hi to hai Sonu… jo duniya ko हँसाती है।”सोनू मुस्कुराई — “Aur tu meri superwoman hai!”दोनों की हँसी गूँज उठी, और उसी वक्त हल्की हवाएँ चलने लगीं।अगले दिन कॉलेज में फिर तमाशा हुआ।......


    Principal sir घूम रहे थे और अचानक उनके पीछे cracker फूटा – वही छोटी पटाखों की आवाज़।
    सभी डर गए, और सोनू हँस पड़ी, “Oops! Sir fire experiment fail ho gaya!”Principal बोले, “Miss Sonu, office chalein hum?”पूरा कॉलेज जानता था कि Sonu ka नाम मतलब — har week ek kahani!......



    पर सबको वो प्यारी लगती थी, क्योंकि वो दूसरों के चेहरे पर मुस्कान छोड़ देती थी।घर पहुँचकर जोधा ने पूछा, “Aaj kya kiya college mein?”
    “Experiment,” सोनू ने कहा।
    “Kaun sa?”
    “Fire wala!”“Bas ab tu ek din jail mein experiment karegi,” जोधा ने हँसते हुए कहा।“Di, duniya ka law bhi meri masti nahi rok sakta!”......


    जोधा बोली, “Acha to agar tujhe ek din saza mili, main bhi tere saath jail aaungi।”
    दोनों फिर हँस पड़ीं।रात को जब जोधा सो रही थी, तो सोनू खिड़की पर बैठी बाहर देख रही थी।
    बारिश की हल्की बूँदें शीशे पर गिर रही थीं।



    “Life ka mazā bhi kam nahi hai,” उसने धीरे से कहा।उसकी आँखों में उसी आरव की जैसी गहराई थी – निश्चिंत, पर कुछ खोयी हुई।.....


    शायद उसे खुद नहीं पता था कि उसकी ज़िंदादिली एक दिन किसी रहस्य से टकराने वाली है।पर फिलहाल सोनू वही थी – उस घर की हँसी, उस मोहल्ले की हलचल और उस कहानी की चंचल धड़कन।हर दिन की तरह अगले दिन फिर आवाज़ गूँजी .....


    “Sonu, college ke liye late ho rahi hai!”
    “Arre di, five minutes…”
    “Phir wahi purani line, topper ban jaaye toh bata na!”सोनू हँसते हुए बोली, “Topper nahi, shocker banungi!”




    जोधा ने हाथ उठा कर कहा, “Bas ab chal, warna meri bhi class lag jaayegi!”और हँसते हुए दोनों निकल गईं ...एक स्थिर, एक उछलती हुई ... जैसे ज़िंदगी और मस्ती साथ चल रही हों।............




    Bus ruk jao yaar Kitna padhoge... Aaj ka chapter yahin per band karte hain aur milte Hain next chapter mein chapter kaisa laga jarur batana.......

  • 7. ღ Obsession Behind the Mask ღ - Chapter 7

    Words: 1583

    Estimated Reading Time: 10 min

    . Welcome to the my new chapter kuch dino late aa raha hai but padh lo yaar please...... Per Koi to Lo Mera subscription Kya Main aise hi likhati rahun bus.......


    .. Ek subah.. सोना का कॉलेज।।।।


    Good morning class!” सोनू आज भी वही

    मस्तीभरे मूड में थी। लेकिन आज कॉलेज का माहौल थोड़ा अलग था। कैंपस में नए स्टूडेंट्स आए थे .... और उन्हीं में से एक था आर्यन।काले टी-शर्ट में, बाइक की चाबी घुमाता हुआ, आंखों में एक अजीब-सी शौरत थी उसके। कॉलेज में उसकी एंट्री ने मानो सबका ध्यान खींच लिया था।मीरा ने सोनू के कान में फुसफुसाकर कहा, “Yeh dekha? New boy… pura attitude hai!”
    सोनू ने हँसते हुए जवाब दिया, “Bad boy vibes… acha hai, thoda college interesting rahega.”बेल बजी और सब अपने-अपने क्लास में चले गए। लेकिन सोनू का ध्यान अब कहीं और था  वही लड़का, जो cnopt. क्लब के सामने खड़ा होकर सिगरेट जला रहा था।वो अपने आप रुक गई।
    “Excuse me,” उसने कहा, “you can’t smoke here… college campus hai.”आर्यन ने आधी हँसी के साथ मुड़कर देखा, “Tum principal ho kya?”“Principal nahi, par responsible student hoon,” सोनू बोली, हाथ कमर पर रखते हुए।.....


    “Achha? Toh tumhe college ki security guard bana dena chahiye,” आर्यन ने हल्के व्यंग्य में कहा।सोनू ने बिना झिझके जवाब दिया, “Tumse acha kaam to main kar lungi.”
    पास खड़े कुछ लड़के हँस पड़े। आर्यन का चेहरा थोड़ा सख्त हो गया।“Tum jaanti nahi ho main kaun hoon,” उसने कहा।....


    सोनू बोली, “Kya tum koi superhero ho? Ya bas ek bad boy jo rules tod kar cool banne ki acting karta hai?”आर्यन ने आंखों से उसे कुछ पल तक चुपचाप देखा, फिर मुस्कुराया और धीरे से बोला,......


    “Tumse milne ka jitna maza kisi fight mein nahi aaya.”सोनू पलटकर चली गई, पर उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी।
    वो जानती थी  आज उसने जिसे छेड़ा है, वो मुसीबत भी है और रहस्य भी।उसकी दोस्त मीरा पीछे से बोली, “Beware girl! He’s trouble.”
    सोनू ने हवा में हाथ लहराते हुए कहा, “Trouble bhi kabhi kabhi interesting hota hai.”।।।।।


    🐻🤔🥲


    ...“Trouble bhi kabhi kabhi interesting hota hai…”.......
    सोनू का वो बेफिक्र सा जवाब हँसी में तो कहा गया था, लेकिन अगले ही दिन से उसकी ज़िंदगी में सचमुच trouble आने वाला था .... ऐसा trouble जो उसके दिल से जुड़ जाएगा।सुबह usual जैसी थी। सूरज की किरणें खिड़की से छनकर उसके चेहरे पर पड़ रही थीं। उसने तकिया खींचकर चेहरे पर रखा, “Bas five minutes aur…”
    नीचे से जोधा की आवाज़ आई, “Sona! Late ho jayegi tu!”
    वो झटके से उठी, “Di please yaar, thoda chill kar!”फिर भागदौड़ शुरू.......towel कंधे पर,.. toothbrush मुँह में और phone पर music चालू।
    “Main ready ho gayi!” उसने खुद से कहा, जबकि उसका shoe अभी दूसरे कमरे में था।जब तक वो बाहर निकली, कॉलेज की बस निकल चुकी थी।
    “Great! Ek aur record tut gaya,” उसने खुद से कहा।साइकिल उठाई और full speed में निकल पड़ी। हवा उसके बालों से खेलती रही, और उसके कानों में बज रहा था....


    ”कॉलेज पहुँची, तो सबसे पहले नज़र again उसी पर पड़ी – आर्यन।.........


    वो gate के पास खड़ा था, बाइक टिकाकर किसी लड़के से बात करते हुए।
    इस बार सोनू consciously उसे नजरअंदाज करना चाहती थी, लेकिन उसकी नज़र खुद-ब-खुद रुक गई।आर्यन ने हल्का सा मुस्कुराकर कहा, “Aaj security guard late aayi hai.”.......



    सोनू ने पलटकर देखा, “Aaj main chhutti par hoon, bad boys handle yourself.”दोनों की बातों में वही अजीब सा तकरार भरा मज़ाक था। पर जब दोनों की आंखें मिलीं, हवा में कुछ अनकहा-सा ठहर गया।क्लास की घण्टी बजी। सभी अंदर चले गए।
    Sir आज physics का practical ले रहे थे। सोनू और मीरा को एक group बना दिया गया। और irony देखिए – third member था ‘Aryan’.सोनू ने बड़बड़ाया, “Perfect! Universe bhi delay se kaam karta hai, but bad news time pe pahuch jaati hai.”.....



    मीरा ने धीरे से कहा, “Bas aur fight mat kar lena yaar.”प्रैक्टिकल शुरू हुआ। beaker, pipette, acid सब अपने-अपने हाथ में।
    सोनू ध्यान concentration में थी, लेकिन Aryan बस उसे observe कर रहा था।“Tumhe seriously padna aata hai?” उसने पूछा।
    “Shocking? Haan aata hai.”
    “Tum jaisi drama queen ko main sirf masti karte dekh sakta hoon,” वह बोला।
    “Surprise! Main smart bhi hoon,” सोनू ने कहा और table पर acid गिर गया।“Careful!” आर्यन ने उसका हाथ पकड़ लिया ताकि acid उसके हाथ पर न गिरे।......
    एक पल के लिए दोनों के बीच silence छा गया। उस पल में समय ठहर गया जैसा लगा।सोनू ने धीरे से हाथ छुड़ाया, “Thanks… but main okay hoon.”
    “Sure?”......
    “Bilkul.”मीरा ने बीच से कहा, “Agar tum dono ka dramatic scene khatam ho gaya ho toh experiment complete kar lein?”
    दोनों मुस्कुरा दिए।क्लास खत्म होने के बाद वो बाहर निकली। बारिश शुरू हो चुकी थी, और कैंपस की हवा गीली मिट्टी से महक रही थी।
    आर्यन बाइक के पास खड़ा था, बारिश की बूंदें उसके बालों पर गिर रही थीं।“Need a lift?” उसने पूछा।
    सोनू ने कहा, “No thanks, main waterproof girl hoon.”......
    वो हँसा, “Par road slippery hai, gir gayi toh?”
    “Main girti nahi… log girte hain, mere charm pe,” उसने शरारती अंदाज में कहा और निकल गई।आर्यन बस मुस्कराता रहा।.....
    पहली बार शायद किसी ने उससे बात करने में डर नहीं दिखाया था।शाम का किस्साशाम को जोधा balcony में चाय पी रही थी, जब सोनू अंदर आई पूरी भीगी हुई।
    “Paani mein khelna start kar diya college mein?”
    “Di, rain aur romance… dono ko ignore nahi kar sakti,” सोनू ने playful अंदाज में कहा।“Romance?” जोधा ने आँखें ऊपर उठाईं।
    “Arey joke tha!”
    “Joke ya warning?”
    “Di! Tum bhi…” सोनू ने cushion खींचकर मारा और दोनों हँसने लगीं।पर हँसी के पीछे सोनू के दिल में आज कुछ नया था। कोई अजीब curiosity। आर्यन के उस एक look की, उस एक छुअन की।अगले दिनकॉलेज में आज Fresher’s week की तैयारी थी। function के लिए volunteering करनी थी और principal ने कुछ नाम चुने
    “Sonu, Aryan, और तीन और students.”दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा।
    “Lagta hai destiny ko hamara drama pasand hai,” सोनू ने कहा।
    आर्यन बोला, “Destiny nahi… punishment.”टीम को decoration और performance दोनों का काम मिला।
    सोनू सबको organise कर रही थी – “Yahan flower lights lagao, stage pe banner seedha karo…”.....
    आर्यन ने पीछे से कहा, “Bossy lag rahi ho.”
    “Leader hoon main!”
    “Leader bhi na kabhi bossy hi hoti hai.”
    “Tumhe na, har baat mein comment karne ki aadat hai.”आर्यन मुस्कुराया  “Aur tumhe argue karne ki.”
    दोनों की बहस छोटी-छोटी बातों पर भी शुरू हो जाती थी, लेकिन मज़े की बात यह कि हर बहस के बाद मुस्कान जरूर आती।शाम तक दोनों साथ decoration कर रहे थे।
    एक बार आर्यन सीढ़ी पर चढ़ा, और banner टाँगते वक्त उसका balance बिगड़ गया।
    सोनू ने तुरंत उसका हाथ पकड़ लिया।
    “Gotcha!” वो बोली।
    “Ab hero tum ho aur main damsel in distress?” उसने हँसते हुए कहा।दोनों के बीच एक पल की खामोशी रही।
    बारिश फिर शुरू हो गई थी, और स्टेज की लाइट्स में उनके चेहरे भीग रहे थे।
    आर्यन हल्के स्वर में बोला, “You’re different, Sona.....
    उसने पलटकर कहा, “Aur tum dangerous.”
    “Maybe danger bhi kabhi kabhi safe lagta hai,” आर्यन ने कहा।सोनू ने मुस्कराकर कहा, “Tum dialogues likh lete ho kya?”
    “Dil se likhता हूँ.”
    वो बिना कुछ कहे चली गई, लेकिन चेहरे पर मुस्कुराहट थी जो छिपाई नहीं जा सकी।कुछ दिन बादFresher’s function का दिन आ गया। कॉलेज पूरी तरह सजा हुआ था।.........


    सोनू और आर्यन दोनों stage के पीछे तैयार हो रहे थे।
    वो duo performance देने वाले थे – एक dramatic skit जिसे दोनों ने साथ लिखा था।“Ready?” आर्यन ने पूछा।
    “Always ready!” सोनू ने confident होकर जवाब दिया।पर stage पर पहुंचते ही electricity चली गई।
    पूरा hall शोर से भर गया। सब panic कर रहे थे।
    उसी पल आर्यन ने कहा, “Relax, main handle karta hoon.”......


    वो backstage गया और कुछ देर में generator start हुआ, लाइट्स फिर जल उठीं।सोनू ने stage पर mic उठाया, “See! dim light bhi hamara charm nahi chhupa sakti.”
    सभी हँस पड़े।
    आर्यन बोला, “Aur ye ladki, light na ho tab bhi spotlight mein rehti hai.”पूरे hall से तालियाँ गूँज उठीं। Skit खत्म हुआ, सबने standing ovation दिया।.....



    उस शाम पहली बार दोनों को साथ देखकर सबको लगा कि कुछ तो चल रहा है।
    लेकिन अंदर दोनों खुद नहीं जानते थे कि ये शुरुआत है या कोई भ्रम।रात का मोड़घर लौटकर सोनू balcony में बैठी थी। हाथ में वही पुरानी कॉफी मग, बाल हवा में उड़ रहे थे।.....
    उसका फोन vibrate हुआ। Unknown number से message था
    “Tum strange ho, par ache ho....A”वो मुस्कुराई; दिल के अंदर अजीब-सी हलचल हुई।
    “Bad boy texting me now?” उसने खुद से कहा।
    उसने reply किया Tum dangerous ho, par boring nahi.  S”कुछ देर बाद फिर reply आया  “Kabhi kabhi danger zaruri hota hai zinda rehne ke liye.”
    वो हँसी, “Dialogue king.”पर उसके दिल की धड़कन अब तेज़ थी।.....

    फोन हाथ में लिये वो लंबी देर तक सोचती रही  क्या ये बस मस्ती है या कुछ शुरू हो रहा है?नीचे से जोधा की आवाज़ आई, “Sonu! It’s late, सो जा।”
    वो बोली, “Aa rahi hoon di,”
    लेकिन उसकी नज़र अब भी फोन की स्क्रीन पर अटकी थी।आसमान में हल्की बिजली चमकी, और उसमें उसे लगा जैसे आर्यन की आँखें झलक गई हों – गहरी, रहस्यमयी, और थोड़ी उदास।वो खुद से बोली,
    “Jodh, shayad ye bad boy meri zindagi ka next trouble nahi, next chapter banne wala hai…”ऊपर आसमान में बारिश की हल्की बूंदें शुरू हो चुकी थीं।
    वो मुस्कुराई और धीरे से बोली
    “Life interesting ho gayi hai.”...


    To aaj ke chapter yahin per khatm karte hain agar kuchh galti Ho to please mujhe batana.... Thank you so much dear readers....

  • 8. ღ Obsession Behind the Mask ღ - Chapter 8

    Words: 1087

    Estimated Reading Time: 7 min

    Hello readers.. welcome to my new chapter....


    .... Restaurant....

    रेस्टोरेंट में भीड़ थी, मौसम में नमी थी, और बाहर आसमान में बादलों ने सन्नाटा बुन रखा था।“Madam, aaj koi festival hai kya?” रसोई का छोटा कुक रमेश बोला, पसीना पोंछते हुए।
    जोधा ने मुस्कुराकर कहा, “Festival nahi, बस barish se bhag rahe log yahan shelter lene aa rahe hain…”उसने एक बार बाहर झांका। बारिश की मोटी धारें सड़क पर नाच रही थीं।
    रात के करीब साढ़े नौ बजे होंगे। बाक़ी सब घर लौट चुके थे, लेकिन आज उसने तय किया था .......




    “Main raat bhar kaam karungi.”क्योंकि Customers कई थे, और Orders खत्म होने का नाम नहीं ले रहे थे।“Jodha ji, aap ghar chali jaaiye, main aur Ramesh sab sambhal lenge,” मालिक अग्रवाल जी ने कहा।
    “Sir, main theek hoon. Kabhi kabhi kaam se dosti bana leni chahiye,” जोधा ने हल्के स्वर में जवाब दिया।......



    अग्रवाल जी ने सिर हिलाया और बोले, “Theek hai, tumhari marzi. Main account band kar ke nikalta hoon.”वो रेस्टोरेंट के गरम माहौल में लौट आई।
    चारों ओर खाने की खुशबू, बर्तनों की आवाज़ और बाहर के तूफान की गूँज मिलकर एक अजीब-सी लय बना रहे थे।करीब दस बजे भी two-three tables occupied थे। जोधा ने सबको सर्व किया, और फिर आख़िरी ऑर्डर के लिए काउंटर पर गई।उसी वक्त दरवाज़ा खुला।.....




    तेज़ बारिश के बीच कोई अंदर आया  सिर से पाँव तक भीगा हुआ।उसने ब्लैक हुडी पहनी थी, आधा चेहरा टोप के नीचे छिपा हुआ था, और हाथों में एक पुराना बैग था।
    बारिश की बूँदें उसके कपड़ों से टपक रही थीं, फर्श पर निशान छोड़ती हुईं।वह चुपचाप एक कोने की टेबल पर जाकर बैठ गया  जहाँ अंधेरा थोड़ा ज़्यादा था।...







    वेटर मोहित आगे बढ़ा, “Sir, order?”उसने धीमे स्वर में कहा, “Hot Soup… aur black coffee.”आवाज़ भारी थी, पर कुछ जानी-पहचानी लगी।
    जोधा ने दूर से देखा, वो सिर्फ बारिश की वजह से थोड़ा सतर्क हुई।“Barish zyada hai madam,” मोहित बोला, “shayad koi traveller hoga.....




    “Hmm,” जोधा ने कहा, “tum coffee tayaar karo, main soup dekh leti hoon.”वो रसोई की तरफ बढ़ी, और soup का बर्तन चढ़ाया।...



    गर्मी और भाप के बीच उसे लगा जैसे बाहर का अंधेरा अंदर तक घुस आया हो।कुछ देर बाद, वो खुद वहाँ जाकर सर्व करने लगी।
    जब उसने ट्रे रखी, उस आदमी ने सिर थोड़ा ऊपर उठाया
    चेहरे का ऊपर का हिस्सा टोप से ढँका था, मगर उसकी आँखें… बहुत पुरानी याद जैसी लगीं।गहरी, गहरी और बेचैन।वो बोली, “Coffee aur soup, sir. Kuch aur chahiye......



    वो बस बोला, “Shukriya.”लेकिन उस आवाज़ में कुछ ऐसा था कि जोधा का दिल एक पल को थम गया।
    वो मुड़ी तो सही, पर कुछ महसूस हुआ ....जैसे कोई उसे देख रहा हो, सिर्फ नजरों से नहीं, भीतर तक।घड़ी ने साढ़े दस बजाए।
    धीरे-धीरे सभी ग्राहक जा चुके थे, सिर्फ वही टेबल अब बाकी थी।...................
    बारिश अब भी जारी थी।जब जोधा काउंटर पर बिल लिख रही थी, वेटर मोहित उसके पास आया, “Madam, us aadmi ne bill diya aur yeh chhota sa envelope bhi. Keh raha tha, ‘yeh un madam ko dena jo kitchen sambhal rahi hain.’”जोधा ने कहा, “Mujhe?”मोहित ने हाँ में सिर हिलाया, “Haan madam. Aur jaate waqt usne kuch kaha tha बस itna ki college road ke corner tak jaana padenga mujhe.”“Name poocha?”
    “Ji nahi, ...hm...जोधा ने हाथ बढ़ाकर वो लिफाफा लिया।
    उसके साथ कुछ गिरा  एक छोटा सा काला गुलाब… black rose।वो धीरे से झुककर उठाने लगी, पर हाथ रोक लिया।काले गुलाब का स्पर्श ठंडा था, जैसे किसी पुरानी दास्तां की गूँज।
    उसके मन में एक धुंधली तस्वीर उभरी ....


    वही रात, वही खून, वही अंधेरा।उसने कंपकंपाती उँगलियों से लिफाफा खोला।.......



    अंदर एक छोटे कागज़ पर सलीके से लिखा था “Mat darna.”जोधा ने साँस खींची, चेहरा पीला पड़ गया।
    पसीना उसकी कनपटियों पर उतर आया।उसने धीमे से फ़ाइल बंद की और चारों ओर देखा
    रेस्टोरेंट में कोई नहीं था, सिर्फ बाहर की बारिश और भीतर की खामोश घड़ी चल रही थी।तभी दरवाज़ा ज़ोर से हवा के दबाव में हिला।
    उसने झटके से पीछे मुड़कर देखा।
    खिड़की के शीशे पर बूँदें किसी Morse code जैसी बन रही थीं ......


    जैसे कोई संदेश दे रही हों।वो आगे बढ़ी, खिड़की के पार झाँका – किसी की छाया बारिश में हिली, फिर गायब हो गई।उसने अपने दिल पर हाथ रखा।
    “Ye sab… fir se kyu ho raha hai?” उसने खुद से कहा।उसके दिमाग में वही नाम गूँजने लगा.....
    क्या वही था?
    नहीं, उसने खुद ही तो देखा था कि वो उस रात खून में लथपथ गिरा था।“Shayad ye koi mazak hai,” उसने खुद को मनाने की कोशिश की।
    लेकिन अगले ही पल, काउंटर पर रखे गुलाब की पंखुड़ियाँ हिलने लगीं  जबकि हवा बंद थी।करीब बारह बज चुके थे।
    अग्रवाल जी वापस आए, “Jodha, tum abhi tak yahan? Bas karo, ghar jao.”उसने जल्दी से सामान समेटा, पर नज़र बार-बार उस टेबल पर जा रही थी जहाँ वो आदमी बैठा था।
    कुर्सी पर अभी भी हल्की नमी थी, जैसे किसी ने अभी-अभी उठकर गया हो।वो बाहर निकली तो बारिश लगभग थम चुकी थी।....



    सड़क गीली थी, लेकिन एक कोने में  स्ट्रीट लाइट की पीली रोशनी के नीचे किसी ने black rose गिराया हुआ था।वो जानती थी, वो उसके लिए ही छोड़ा गया है।
    उसने कुछ नहीं कहा। बस एक पल रुककर देखा, और धीरे से अपने होंठों पर कहा “Mat darna…”रात बहुत आगे बढ़ चुकी थी।
    घर पहुँचकर उसने दरवाज़ा खोला, अम्मा और सोना .. सो चुकी थीं।उसने बैग उतारकर वही गुलाब और चिट्ठी धीरे से अपने पुराने ट्रंक में रख दी।
    पर नींद उस रात उसके पास नहीं आई।उसकी आखें बार-बार उसी पंक्ति पर टिक जातीं ...


    “Mat darna.”मानो वो शब्द सिर्फ सावधान करने के लिए नहीं, बल्कि बेहद गहराई से चेतावनी देने के लिए लिखे गए हों।बाहर फिर बिजली चमकी।
    और उसकी खिड़की पर पानी की बूंदों के बीच एक पल के लिए किसी की परछाई दिखी....

    सिर्फ आँखें… वही गहराई, वही पागलपन और वही अंधेरा जो उस रात उसने देखा था।वो घबराकर पीछे हटी, लेकिन तुरंत देखा ....
    वहाँ कुछ नहीं था।
    सिर्फ हवा।“Ye meri imagination hai,” उसने अपने माथे को छुआ।....

    लेकिन जब वह पलटकर बत्ती बंद करने लगी, तब उसकी मेज़ पर वही black rose रखा था .....
    गीला नहीं… पूरी तरह सूखा और महकता हुआ।उसने धीरे से कहा, “Tum wapas aa gaye ho?”उत्तर में बस हवा ने उसकी साड़ी का पल्लू हिलाया .....
    जैसे कोई धीरे से फुसफुसाया हो, “Maine kaha tha, mat darna…”...........


    ....... To bus aaj ka chapter hi pasand aap karte hain aur milte Hain Na chapter mein jald hi.,... Agar mujhe time Mila FIR Maine ek chapter upload karungi thank you so much...

    Please .. comment and rating jarur dena.... bye 🫂👋🏻🤗

  • 9. ღ Obsession Behind the Mask ღ - Chapter 9

    Words: 1254

    Estimated Reading Time: 8 min

    मनाली की ऊँची पहाड़ियों से घिरी घनी जंगलों की गहराई में, रात का अंधेरा इतना घना था कि मानो कोई काली चादर पूरी धरती पर फैल गई हो। हवा में ठंडक नहीं, बल्कि एक अजीब सी सिहरन थी, जो हड्डियों तक उतर रही थी। चाँद की रोशनी बादलों के पीछे छिपी हुई थी, और केवल कभी-कभी बिजली की चमक से जंगल का एक हिस्सा रोशन हो जाता। दूर-दूर तक कोई पक्षी की आवाज नहीं, कोई जानवर की दहाड़ नहीं केवल एक रहस्यमयी खामोशी, जो किसी बड़े तूफान की पूर्वसूचना दे रही थी।
    जंगल के बीचों-बीच, एक पुरानी बरगद की जड़ों के पास, जमीन पर कुछ अजीब सा हो रहा था। दर्जनों आदमी, सभी के चेहरे पर मास्क लगे हु..
    काले, लाल, सफेद, नीले हर रंग के मास्क, लेकिन सभी में एक समानता: वे चेहरे को पूरी तरह ढक रहे थे, आँखों के सिवा कुछ नहीं दिख रहा था। ये मास्क पहने आदमी चुपचाप, बिना किसी शोर के, अपने काम में लगे थे। कोई हँस नहीं रहा था, कोई बोल नहीं रहा था। केवल हाथों की हरकतें और कभी-कभी धातु की टकराहट की आवाज।......



    कुछ आदमी जमीन पर लेटे हुए शरीरों के पास खड़े थे। वे शरीर हिल नहीं रहे थे। एक मास्कधारी ने अपना हाथ एक लेटे हुए आदमी की नाक पर रखा कोई साँस नहीं। उसने सिर हिलाया, जैसे संकेत दिया, और दूसरे ने उस शरीर को उठाकर कंधे पर डाला। वे आगे बढ़े, जहाँ जंगल के एक कोने में एक गड्ढा था। गड्ढे में लकड़ियाँ जमा थीं, और उन पर तेल डाला जा रहा था। एक चिंगारी, और आग भड़क उठी। लपटें ऊँची उठीं, और उस शरीर को आग में फेंक दिया गया। आग की लपटें आसमान को छूने लगीं, लेकिन कोई चीख नहीं, कोई कराह नहीं। केवल आग की चटकने की आवाज और मास्कों के पीछे छिपी साँसें।.......




    दूसरी तरफ, कुछ और मास्कधारी एक पंक्ति में खड़े थे। उनके हाथों में चमकदार औजार थे चाकू, रस्सियाँ, और कुछ अजीब सी बोतलें। एक आदमी को पकड़ा गया था; वह संघर्ष कर रहा था, लेकिन उसकी आवाज दबा दी गई थी। एक मास्कधारी ने उसके गले पर कुछ दबाया शायद कोई इंजेक्शन। कुछ ही पलों में उसकी आँखें बंद हो गईं, शरीर ढीला पड़ गया। मृत्यु की नींद। वे उसे उठाकर उसी गड्ढे की ओर ले गए, जहाँ आग अब और भयानक हो चुकी थी। एक और शरीर आग की भेंट चढ़ा।
    ये सब कुछ व्यवस्थित था, जैसे कोई पुरानी रस्म। कोई जल्दबाजी नहीं, कोई गलती नहीं। मास्कधारी एक-दूसरे को संकेतों से बात कर रहे थे हाथ की इशारे, सिर की हल्की हलचल। जंगल में फैली हुई आग की गंध, जलते मांस की बदबू, और ठंडी हवा का मिश्रण एक अजीब सा नशा पैदा कर रहा था। लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात थी बीच में बैठा वह आदमी।.....


    वह एक बड़े पत्थर पर बैठा था, जो जंगल के ठीक केंद्र में था। उसके चेहरे पर एक खास मास्क था काला हीरा। हीरे की चमक में काला रंग इतना गहरा कि रोशनी भी उसमें समा जाए। मास्क पर जड़े हुए हीरे आग की लपटों में चमक रहे थे, जैसे कोई जीवित आँखें। वह हिले नहीं रहा था। केवल देख रहा था। उसके चारों ओर मास्कधारी घूम रहे थे, काम कर रहे थे, लेकिन कोई उसके पास नहीं आ रहा था। जैसे वह राजा हो, और ये सब उसके सैनिक।
    उसकी आँखें मास्क के छेद से झाँकती हुईं हर हरकत पर नजर रख रही थीं। जब एक शरीर आग में फेंका गया, तो उसकी नजर वहाँ ठिठक गई। जब कोई नया शिकार मृत्यु की नींद सुलाया गया, तो उसने सिर हल्का सा हिलाया, जैसे संतुष्टि जताई। लेकिन उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं। मास्क सब कुछ छिपा रहा था। क्या वह खुश था? गुस्से में? या बस निर्लिप्त? कोई नहीं बता सकता।
    जंगल के किनारे पर, दूर से एक हल्की सी आवाज आई शायद कोई जानवर, या हवा। लेकिन मास्कधारी रुक गए। सभी ने एक साथ सिर घुमाया। बीच वाला आदमी भी अब हिला। उसने अपना दाहिना हाथ उठाया, और सब रुक गए। खामोशी और गहरी हो गई। आग अभी भी जल रही थी, लेकिन अब कोई नया शरीर नहीं फेंका जा रहा था।......




    अचानक, जंगल में एक और छाया दिखी। कोई नया आदमी? या कोई गवाह? मास्कधारी सतर्क हो गए। उनके हाथ औजारों पर गए। बीच वाला आदमी उठ खड़ा हुआ। उसकी ऊँचाई सामान्य से ज्यादा लग रही थी, या शायद मास्क की वजह से। वह आगे बढ़ा, धीरे-धीरे, आग की ओर। लपटें उसके मास्क पर पड़ रही थीं, हीरे चमक रहे थे। उसने कुछ कहा नहीं, कोई आवाज नहीं, केवल होंठ हिले। लेकिन दूर खड़े मास्कधारी समझ गए। दो आदमी छाया की ओर बढ़े।
    छाया अब साफ दिख रही थी. एक औरत, शायद। वह भागने की कोशिश कर रही थी, लेकिन पैर फिसल गए। मास्कधारी उसे पकड़ने वाले थे। लेकिन बीच वाला आदमी ने हाथ रोका। वह खुद आगे बढ़ा। औरत रुक गई, डर से काँपती हुई। उसने मास्कधारी को देखा, फिर बीच वाले को। काला हीरा मास्क उसकी आँखों में चमक रहा था। वह कुछ कहना चाहती थी, लेकिन आवाज नहीं निकली।......



    आग की लपटें अब कम हो रही थीं। जलते शरीरों से धुआँ उठ रहा था, जो जंगल को और रहस्यमयी बना रहा था। बीच वाला आदमी औरत के पास पहुँचा। उसने अपना हाथ बढ़ाया. नहीं, छुआ नहीं, केवल इशारा किया। औरत पीछे हटी। मास्कधारी घेरा बना रहे थे। क्या यह नया शिकार था? या कुछ और?
    अचानक, दूर पहाड़ियों से एक गड़गड़ाहट हुई। बारिश? या कुछ और? हवा तेज हो गई। पेड़ों की पत्तियाँ सरसराने लगीं। बीच वाला आदमी ने सिर ऊपर उठाया। उसके मास्क पर बारिश की पहली बूँदें गिरीं। हीरे चमके, लेकिन अब पानी से धुंधले। वह मुड़ा, और संकेत दिया। सभी मास्कधारी पीछे हटने लगे। आग बुझने लगी। जलते अवशेषों को मिट्टी से ढक दिया गया।
    औरत अभी भी वहाँ थी, लेकिन अब अकेली। मास्कधारी गायब हो रहे थे, जंगल की गहराई में। .....





    बीच वाला आखिरी था। वह रुका, एक बार औरत की ओर देखा। उसकी आँखेंvगहरी, ठंडी। फिर वह भी चला गया। जंगल फिर खामोश। केवल बारिश की बूँदें और धुएँ की गंध।
    लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। सुबह होने से पहले, जंगल के उस हिस्से में कुछ और होने वाला था। मनाली की ठंडी रातें रहस्यों से भरी होती हैं, और यह रात तो अभी शुरू हुई थी। काला हीरा मास्क वाला आदमी कहाँ गया? वे मास्कधारी कौन थे? और वे शरीर कौन थे वे? मौत की नींद और आग की भेंट यह सब किस लिए?
    बारिश तेज हो गई। जंगल धुल रहा था, लेकिन रहस्य नहीं धुल रहे थे। दूर, पहाड़ी पर एक रोशनी दिखी शायद कोई झोपड़ी, या कोई देख रहा था। क्या कोई गवाह था? या यह सब एक सपना? नहीं, आग के अवशेष बता रहे थे कि यह सच था।
    (यहाँ से कहानी और गहराई में जाती है। बीच वाला आदमी वापस आएगा, लेकिन अब अकेला नहीं। जंगल के रहस्य खुलेंगे, लेकिन धीरे-धीरे। स्पेंस बना रहेगा कौन है वह? क्यों कर रहा है यह सब? अगले संकेत बारिश के बाद मिलेंगे।)


    जंगल अब पूरी तरह अंधेरे में डूब चुका था। बारिश ने आग बुझा दी, लेकिन गर्मी अभी भी जमीन से उठ रही थी। औरत वहाँ खड़ी थी, भीगी हुई, डरी हुई। उसने कुछ देख लिया था जो नहीं देखना चाहिए था। अब उसकी जिंदगी बदलने वाली थी। मास्कधारी लौटेंगे, और काला हीरा मास्क वालावह केंद्र में रहेगा।...



    रात गहराती गई। मनाली की पहाड़ियाँ चुप थीं, लेकिन उनके अंदर एक तूफान उठ रहा था। मौत की नींद सुलाने वाले, आग में फेंकने वाले वे सब एक बड़े खेल का हिस्सा थे। और खेल की शुरुआत just हुई थी।