कहते हैं कि जब एक इंसान पूरी तरह से टूट जाता है तो वह इस दुनिया का सबसे खतरनाक इंसान बन जाता है। यह कहानी ऐसे ही दो इंसानों की है राधिका और शिविन की। एक तरफ राधिका एक मासूम सी लड़की जिसे उसके अपने परिवार ने ही उसे घर से भागने पर मजबूर कर दिया। वहीं द... कहते हैं कि जब एक इंसान पूरी तरह से टूट जाता है तो वह इस दुनिया का सबसे खतरनाक इंसान बन जाता है। यह कहानी ऐसे ही दो इंसानों की है राधिका और शिविन की। एक तरफ राधिका एक मासूम सी लड़की जिसे उसके अपने परिवार ने ही उसे घर से भागने पर मजबूर कर दिया। वहीं दूसरी तरफ माफिया शिविन रघुवंशी जिसे परिवार शब्द का मतलब ही नहीं पता था वह अकेले ही रहता था। शिविन की मां उसे बचपन में ही छोड़ कर चली गई थी तब से शिविन अकेला ही था। आखिर क्या हुआ राधिका के साथ जिससे वह अपने अपने ही ही घर से भागने पर मजबूर हो गयी? कैसे उसकी मुलाकात हुई शिविन से?
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हैदराबाद, गुप्ता निवास,
"पता नहीं ये पनौती कब हमारा पीछा छोड़ेगी ऐ पनौती चल उठ तुझे घर का काम नहीं करना है क्या बस पूरा दिन सोती ही रहती हैं"
एक 40 साल की स्त्री नीचे फर्श पर सो रही एक मासूम सी लड़की के ऊपर से चादर उतारते हुए उसके ऊपर चिल्लाती है।
वो लड़की तुरंत उठते हुए बोली
"मां क्या हुआ इतनी सुबह?"
" चुप मैं तेरी मां नहीं हूं तो मुझे मां कह कर बुलाना बंद कर और जल्दी घर का काम खत्म कर आज हम सब बाहर घूमने जा रहे हैं और तुझे घर का सारा काम खत्म करना है और घर का ख्याल रखना है समझी अब लग जा काम पर।"
" लेकिन मैं भी आप लोगों के साथ बाहर घूमने जाना चाहती हूं उससे पहले मैं सारा काम खत्म कर दूंगी " वो लड़की अपनी मासूम शक्ल बनाकर और एक उम्मीद के साथ अपनी सौतेली मां से कहती हैं।
" जितना कहा है बस उतना कर आगे से बोलने की जरूरत नहीं है आई बड़ी मुझे भी घूमने जाना है।" और यह कहकर वह वहां से चली जाती है।
यह सुनकर वहां खड़ी रीधिका की आंखों से आंसू निकलने लगते हैं वो अपनी आंखों को साफ करते हुए किचन से बाहर जाती है।
रीधिका को हर रोज अपनी सौतेली मां से अपने लिए पनौती शब्द सुनना पड़ता है लेकिन वह कुछ नहीं कर पाती और वह बेचारी किचन में ही सोती थी और पूरा दिन बस नौकरों की तरह काम करती थी।
अब रीधिका को इन सब की आदत सी होती जा रही थी।
रीधिका किचन में सबके लिए नाश्ता तैयार करने लगती है तभी रीधिका को अपने पिता की आवाज सुनाई देती है
" रीधिका बेटा मेरे लिए एक कप चाय ले आओ "
अपने पापा की आवाज सुनकर रीधिका को थोड़ा सुकून महसूस होता है क्योंकि बस सुरेंद्र जी ही रीधिका से प्यार करते थे। रीधिका की सौतेली मां नीलम सुरेंद्र जी के सामने अच्छे-से पेश आने का ड्रामा करती थी।
सुरेंद्र जी अधिकतर घर से बाहर ही रहते थे वह घर पर कुछ घंटे के लिए आते थे जहां वो बस थक कर सो जाते थे और उनके घर में क्या हो रहा है उनकी खुद की बेटी के साथ वह इस बात से बिल्कुल अनजान थे।
* पापा यह लीजिए चाय" रीधिका हॉल में रखे सोफे पर बैठे सुरेंद्र जी को चाय का कप देती है और वो उनके पास बैठने ही वाली थी तभी नीलम वहां आते हुए बोली
" बेटा रीधिका मेरे पांव दर्द कर रहे है तो क्या तुम अपनी छोटी बहन के लिए और भाई के लिए कॉफी बना दोगी ?
" जी में अभी बना देती हूं" रीधिका अपने उदास चेहरे के साथ किचन में आकाश और हिमानी के लिए कॉफी बनाती है।
नीलम सुरेंद्र जी से बोली, " मैं सोच रही थी कि आज हम बच्चों के साथ बाहर घूमने चले जाए। मैंने रीधिका से भी पूछा उसने तो जाने से मन कर दिया। कह रही है कि उसका बाहर जाने का मन नहीं है अब जबरदस्ती तो ले जा नहीं सकते। लेकिन आकाश और हिमानी जाना चाहते हैं।"
सुरेंद्र जी न्यूज़पेपर को टेबल पर रखते हुए बोले,
"ठीक है जैसा आप लोगों को ठीक लगे "
नीलम किचन में जाकर रीधिका से बोली, "मैंने तुम्हारे पापा से कहा है कि तुम्हारा बाहर जानेका मन नहीं है और तुम भी उनसे यही कहना समझी "
"जी"
1 घंटे बाद,
रीधिका को छोड़कर बाकी सब बाहर घूमने के लिए तैयार हो चुके थे।
रीधिका अपने बगीचे में पानी दे रही थी सुरेंद्र जी उसके पास आकर बोले,
" बेटा तुम हमारे साथ घूमने क्यों नहीं जा रही ?"
रीधिका अपने चेहरे पर झूठी स्माइल लाते हुए बोली,
"नहीं बाबा मेरा बाहर जाने का बिल्कुल भी मन नहीं है इसलिए आप लोग जाइए और इंजॉय कीजिए।"
"ठीक है बेटा जैसी तुम्हारी मर्जी अपना ख्याल रखना "
तभी अंदर से आती हुए नीलम बोली "चलिए चलते हैं।" और उसके साथ आकाश और हिमानी भी थे।
वे सभी बाहर घूमने के लिए चले जाते हैं रीधिका अब घर में बिल्कुल अकेली थी।
रीधिका अंदर हॉल में सोफे पर बैठी अपने हाथ में अपनी मां के फोटो को देख बोली,
" मां कोई मुझसे प्यार नहीं करता आप क्यों मुझे छोड़ कर चली गयी पापा को पता ही नहीं है कि उनकी पत्नी मुझे बिल्कुल भी प्यार नहीं करती है। मैं उन सबको अपना मानने की कोशिश करती हूँ लेकिन फिर भी वे मुझे अपना मानते ही नहीं है ऐसे कौन आएगा मेरी जिंदगी में ?
रीधिका ये सब कहते हुए रोए जा रही थी तभी उसे किसी के आने की आहट सुनाई देती है तो वो अपने आंसू पोंछ खड़ी होकर बाहर जाने लगती है तभी उसे अपने सामने एक लड़का दिखाई देता है जो दूर से खड़ा रीधिका को देख रहा था
रीधिका उसे देख बोली, "तुम यहां क्या कर रहे हो ?"
वो लड़का अंदर आते हुए बोला, " मैं यहां तुमसे मिलने आया हूं वैसे आज सभी बाहर घूमने गए हैं क्या तुम्हें अकेला छोड़कर ?"
" हां वे सब घूमने गए हैं और मेरा बाहर जाने का मन नहीं था इसलिए मैं नहीं गई।"
ये आकाश का दोस्त विशाल था वो रीधिका का अच्छा दोस्त बनने का नाटक करता था लेकिन रीधिका इस बात से अनजान थी वो उसे अपना सबसे अच्छा दोस्त मानती थी।
विशाल रीधिका के पास बैठते हुए बोला," रीधिका तुम ठीक होना अगर कोई बात है तो तुम मुझे बता सकती हो ?""
" नहीं ऐसी कोई बात नहीं है बस मां की याद आ रही थी"
फिर तो मैं बिल्कुल राइट टाइम पर आया हूं। मुझे लगता है कि इससे अच्छा मौका दोबारा नहीं मिलेगा में तुमसे आज अपने दिल की बात बताना चाहता हूं।
आकाश नीचे रीधिका के सामने बैठ उसका हाथ पकड़ते हुए बोला," मुझे तुमसे प्यार हो गया है पहली नजर से ही, में बहुत टाइम से तुम्हें बताने की कोशिश कर रहा था और आज मुझे मौका मिला "
रीधिका की धड़कनें तेज हो रही थी और उसे खुशी भी हो रही थी उसे ये एक सपने जैसा लग रहा था।
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To Be Continued...
अब तक
फिर तो मैं बिल्कुल राइट टाइम पर आया हूं। मुझे लगता है कि इससे अच्छा मौका दोबारा नहीं मिलेगा में तुमसे आज अपने दिल की बात बताना चाहता हूं।
आकाश नीचे रीधिका के सामने बैठ उसका हाथ पकड़ते हुए बोला," मुझे तुमसे प्यार हो गया है पहली नजर से ही, में बहुत टाइम से तुम्हें बताने की कोशिश कर रहा था और आज मुझे मौका मिला "
रीधिका की धड़कनें तेज हो रही थी और उसे खुशी भी हो रही थी उसे ये एक सपने जैसा लग रहा था।
अब आग
विशाल रीधिका के बिल्कुल करीब आता जा रहा था जिससे रीधिका पीछे सोफे से लग जाती है विशाल उसके होंठों पर किस करने ही वाला था तभी उन्हें एक आवाज सुनाई देती है जिससे वे दोनों तुरंत खड़े हो जाते हैं और अपने सामने देखकर चौंक जाते हैं।
कौन था सामने जिसे देख रीधिका और विशाल चौंक गए?
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विशाल राधिका के करीब आता जा रहा था। राधीका घबराते हुए बोली,
“ विशाल ये तुम क्या कर रहे हो प्लीज पीछे हटो"
लेकिन विशाल उसे नजर अंदाज कर रहा था राधिका के बार-बार मना करने पर भी विशाल नहीं माना और वह उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश करता है।
राधिका अपने आपकों बचाने के लिए विशाल को धक्का देती है जिससे विशाल नीचे गिर जाता है यह देख राधिका जल्दी से वहां से उठकर भागती है और रूम में जाकर दरवाजा बंद करने लगती है लेकिन तभी वहां विशाल आ जाता है और वो अंदर रूम में घुस जता है।
यह देख राधिका काफी डर जाती है वो पीछे हटते हुए बोली,
"विशाल तुम ये बिल्कुल भी सही नहीं कर रहे हो, तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते तो प्लीज तुम यहां से जओ ।"
विशाल हवस भरी स्माइल के साथ बोला,
“अरे बेबी मैंने तुमसे कहा कि मैं तुमसे प्यार करता हूं तो फिर इसमें क्या गलत है में अभी भी तो तुम्हें प्यार करना चाहता हूं।"
" लेकिन विशाल मैने तो तुमसे नहीं कहा कि मैं तुमसे प्यार करती हूं तो तुम मेरे साथ जबरदस्ती नहीं कर सकते। "
विशाल राधिका की एक नहीं सुन रहा था। राधिका पीछे हटते हटते दीवार पर लग जाती है और विशाल उसके करीब आकर उसके दोनों हाथों को पकड़ लेता है। वो उसे जबरदस्ती किस करने लगता है राधिका की आंखों से आंसू बहजा रहे थे लेकिन विशाल को इससे कोई फर्क नहीं पढ़ रहा था।
तभी विशाल और राधिका को किसी की चिल्लाने की आवाज सुनकर वे दोनों दरवाजे की तरफ देखते हैं।
सुरेंद्र जी चिल्लाते हुए बोले " राधिका.. विशाल।"
राधिका सुरेंद्र जी को देखकर हैरान हो जाती है और वह बहुत डर जाती है क्योंकि उसने सुरेंद्र जी को आज से पहले इतने गुस्से में नहीं देखा था।
राधिका जैसे ही सुरेंद्र जी के पास जाकर कुछ कहती उससे पहले ही विशाल अपनी मासूम शक्ल बनाते हुए बोला, "अंकल मैंने राधिका को बहुत मना किया कि यह सब सही नहीं है लेकिन यह मानी ही नहीं और मैं भी अपने आपको कंट्रोल नहीं कर पाया।"
राधिका ये सुनते ही चिल्लाते हुए बोली,
"चुप करो तुम यह सब तुमने किया है या मैंने और झूठ बोलना बंद करो।"
"पापा ये मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश कर रहा था और अभी भी झूठ हीं बोल रहा है आप इसकी बातों का विश्वास ना करें।" राधिका रोते हुए सुरेंद्रजी की तरफ देखते हुए बोले जा रही थी।
लेकिन सुरेंद्र जी कुछ भी सुनने या समझने की हालत में ही नहीं थे।
‘ पापा आप सुन रहे हैं ना कि मैं क्या कह रही हूं प्लीज मेरा विश्वास करें जैसा आप समझ रहे हैं वैसा बिलकुल भी नहीं है।"
तभी सुरेंद्र जी जोर से राधिका को थप्पड़ मारते हुए बोले,
"मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा है कि तुम ऐसा कर सकती हो। मुझे तुम पर इतना विश्वास था लेकिन तुमने एक झटके में वह सारा विश्वास तोड़ कर रख दिया।"
"और विशाल तुम तो मेरे घर से निकल जाओ और दोबारा कभी शक्ल भी मत दिखाना ।"
विशाल वहा से चला जाता है।
सुरेंद्र जी ने आज तक कभी भी राधिका पर हाथ नहीं उठाया था ना ही कभी गुस्से से बात की थी। लेकिन आज जब उन्होंने राधिका पर हाथ उठाया तो राधिका के पैरों तले से जमीन खिसक गई।
राधिका का इस वक्त जोर से चिल्ला चिल्ला कर रोने का मन रहा था लेकिन वो अपने आप को संभालते हुए बोली,
“पापा में समझ सकती हूं कि आपको इस वक्त कैसा महसूस हो रहा होगा लेकिन मेरा विश्वास कीजिए जैसा आप समझ रहे हैं वैसा बिलकुल भी नहीं है।"
"विशाल मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश कर रहा था।"
* चुप एकदम चुप मुझे तुम्हारे मुंह से एक भी बात नहीं सुननी है और कितना झूठ बोलेंगी जब मैंने खुद तुम्हें अपनी आंखों से यह सब करते देखा है।"
"भगवान यह दिन किसी भी पिता की जिंदगी में न लाये।"
सुरेंद्र जी यह सब गुस्से में कह कर वहां से चले जाते हैं और निर्मला जी आकाश, हिमानी के साथ ये सब मजे से देख रही थी क्योंकि जो वो चाहते थे वो चुका था।
निर्मला जी अपने रूम में जाकर देखती है कि सुरेंद्र जी खिड़की के पास खड़े थे वो उनके कंधे पर हाथ रख बोली,
"आप ज्यादा सोचिए मत बच्चों की ये उम्र कुछ होती ही ऐसी है उन्हें पता ही नहीं होता कि वो सही कर रहे हैं या गलत ।"
"लेकिन में उसका बाप हूं और कोई बाप अपनी बेटी को ऐसे देख शांत कैसे रह सकता है ?"
“इसलिए मैंने आपसे कहा था की जल्द से जल्द राधिका की शादी करवा दीजिए इससे पहले वो हमारे हाथ से निकल जाएं लेकिन आप तो मेरे सुनने को तैयार ही नहीं थे अब देख लीजिए निकल गई वह हमारे हाथ से।"
"लेकिन मैं अब भी यही कहूंगी कि आप जल्द से जल्द राधिका की शादी करवा दीजिए आज उसने लड़के को घर बुलाया है कल कहीं वह लड़के के साथ घर से ना भाग जाए।"
"तुम सही कह रही हो निर्मला हमें जल्द से जल्द राधिका की शादी करवानी होगी।""
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To Be Continued...
अब तक
“इसलिए मैंने आपसे कहा था की जल्द से जल्द राधिका की शादी करवा दीजिए इससे पहले वो हमारे हाथ से निकल जाएं लेकिन आप तो मेरे सुनने को तैयार ही नहीं थे अब देख लीजिए निकल गई वह हमारे हाथ से।"
"लेकिन मैं अब भी यही कहूंगी कि आप जल्द से जल्द राधिका की शादी करवा दीजिए आज उसने लड़के को घर बुलाया है कल कहीं वह लड़के के साथ घर से ना भाग जाए।"
"तुम सही कह रही हो निर्मला हमें जल्द से जल्द राधिका की शादी करवानी होगी।""
अब आग
"मैं एक लड़के को जानती हूं वो बहुत अच्छा लड़का है और खानदान भी अच्छा है। हां वो राधिका से उम्र में बड़ा है लेकिन अच्छा है अब विशाल तो राधिका से शादी नहीं करेगा। तो हमें ज्यादा देर नहीं करनी चाहिए वैसे वो राधिका से शादी करना चाहते हैं तो आप कहे तो में शाम को ही उन्हें बुला लूं। हम जितनी जल्दी करेंगे उतना अच्छा होगा।"
"ठीक है तुम उन्हे आज शाम को बुला लो।" सुरेंद्र जी अपने उदास मन के साथ निर्मला जी से
कहते हैं।
सुरेंद्र जी के मुंह से शादी के लिए हां सुनकर तो निर्मला की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा क्योंकि वह तो हमेशा से ही चाहती थी कि राधिका की जल्द से जल्द शादी हो जाएं।"
इधर राधिका अपने रूम में रोए जा रही थी।
शाम का वक्त,
निर्मला राधिका के रूम में जाकर उसे देख बोली जो नीचे फर्श पर बैठी हुई रो रही थी।
" राधिका अब ये मगरमच्छ के आंसू बहाना बंद करो और जल्दी से अच्छी तरह तैयार हो जाओ तुम्हें देखने के लिए लड़के वाले आ रहे हैं।"
राधिका यह सुनते ही हैरान हो जाती है उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि यह सब आखिर हो क्या रहा है उसे तो यह एक बुरे सपने की तरह लग रहा था। लेकिन राधिका को कहीं ना कहीं इस बात का अंदाजा जरूर था की इन सब के पीछे जरूर उसकी सौतेली मां का ही हाथ है।
राधिका अपने रूम से दौड़ते हुए सीधा सुरेंद्र जी के पास जाती है जो इस वक्त हॉल में बैठे हुए थे
राधिका रोते हुए बोली," पापा आप मेरी शादी करना चाहते हैं लेकिन आपने तो कहा था कि जब मैं 25 की हो जाऊंगी उसके बाद ही शादी करेंगे लेकिन अभी अचानक शादी क्यों ?"
" क्या तुम जवाब नहीं जानती कि तुम्हारी शादी में क्यों कर रहा हूँ या और कुछ भी करना बाकी है? जिससे मेरा सर नीचे झुक जाएं और अच्छा ही है कि तुम्हारी जल्द से जल्द शादी हो जाएं।"
"और हां इसमें तुम्हारी कोई मर्जी शामिल नहीं होगी तुम शादी करना चाहों या ना चाहों लेकिन तुम्हारी शादी जल्द से जल्द होगी।"
"अब मुझे कुछ नहीं सुनना है तो तुम यहां से जाओ और रेडी हो जाओ लड़के वाले आते ही होंगे।"
राधिका चुपचाप वापस रूम में चली जाती है क्योंकि वह जानती थी कि इस वक्त उसका कुछ भी कहना जहर उगलने के बराबर होगा और वो तैयार हो जाती है।
कुछ देर बाद लड़के वाले आ जाते हैं निर्मला और सुरेंद्र उनका वेलकम करते हुए बोले,
"आइए बैठिए"
निर्मला सबको पानी देती है और सुरेंद्र जी की साइड में बैठते हुए बोली,
"और कपिल बेटा तुम्हारा काम कैसा चल रहा है?"
सामने वाले सोफे पर बैठा कपिल जिसकी उम्र लगभग 40 साल की थी वह मुस्कुराते हुए बोला
"काम एकदम अच्छा चल रहा है आंटी जी "
कपिल के साथ उसके मां और पापा आए हुए थे।
तभी राधिका वहां आती है जिसने सिंपल कुर्ती पहनी हुई थी और उसके हाथ में चाय की ट्रे थी।
राधिका चाय को टेबल पर रखती है। निर्मला बोली,
"बेटा राधिका यह है मिस्टर एंड मिसेस शर्मा "
राधिका उन दोनों को नमस्ते करती है।
"और यह है इनका इकलौता बेटा कपिल।" राधिका कपिल को एक नजर देख उसे भी नमस्ते करती है।
निर्मला जी के कहने पर वह सबको चाय देती है और साइड वाले सोफे पर बैठ जाती है।
मिसेज शर्मा राधिका को देखते हुए बोली,
* देखिए सुरेंद्र जी और निर्मला जी हमें तो आपकी बेटी पहले से ही बहुत पसंद है तो आप हमारी तरफ से हां ही समझिए।"
निर्मला जी खुश होते हुए बोली," अरे फिर इससे अच्छी तो कोई बात ही नहीं है जब आपकी तरफ से भी हां है और हमारी तरफ से भी। है ना सुरेंद्रजी ?"
"हां बिल्कुल "
मिस्टर शर्मा सुरेंद्र जी को देखते हुए बोले,
* तो सुरेंद्र जी जब आपकी तरफ से रिश्ते के लिए हां है और हमारी तरफ से भी तो हम अपने साथ राधिका के लिए शगुन लाए हैं और साथ ही सगाई की अंगूठी भी। तो आज ही हम इन दोनों की सगाई कर देते हैं क्योंकि शुभ काम में कभी भी देरी नहीं करनी चाहिए।"
सुरेंद्र जी अपने चेहरे पर झूठी स्माइल के साथ बोले, "बिल्कुल देरी नहीं करनी चाहिए। "
निर्मला, " मैं कपिल के लिए अंगूठी लेकर आती हूँ।"
कपिल और राधिका दोनों एक दूसरे को रिंग पहना देते हैं।
हिमानी आकाश के कान में बोली,
* बेचारी की बुड्ढे से शादी हो रही है, अच्छा है जल्द से जल्द ये इस घर से बाहर जाएगी।"
निर्मला जी सब की तरफ देखते हुए बोली,
* मैंने पंडित जी से बात की है उन्होंने कहा है की शादी का शुभ मुहूर्त कल से अच्छा और कोई नहीं है वरना 1 साल के बाद ही कोई शुभ मुहूर्त होगा।"
मिस्टर शर्मा, "इसमें कोई दिक्कत नहीं है शादी कल ही हो जाएगी वैसे भी एक हफ्ते के बाद कपिल कि यहां से दूर पोस्टिंग होने वाली है तो तो वो राधिका को अपने साथ ही लेकर चला जाएगा।"
"आपका क्या कहना है सुरेंद्र जी ?"
सुरेंद्र "शादी कल ही होगी।"
इधर राधिका का दिल कर रहा था कि वह चिल्ला चिल्ला कर रोए लेकिन वह इस वक्त कुछ नहीं कर सकती थी और वह अपने आप को संभालते हुए सब कुछ सुने जा रही थी।
मिस्टर शर्मा बोले,
"देखिए सुरेंद्र जी आप लोगों को ज्यादा कुछ भी करने की जरूरत नहीं है शादी बिल्कुल सिंपल तरीके से ही होगी हमारी तरफ से कोई मांग नहीं है आप जो देना चाहे अपनी तरफ से दीजिएगा"
सुरेंद्र जी हाथ जोड़ते हुए बोले, "जी बिल्कुल
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To Be Continued...
अब तक
मिस्टर शर्मा बोले,
"देखिए सुरेंद्र जी आप लोगों को ज्यादा कुछ भी करने की जरूरत नहीं है शादी बिल्कुल सिंपल तरीके से ही होगी हमारी तरफ से कोई मांग नहीं है आप जो देना चाहे अपनी तरफ से दीजिएगा"
सुरेंद्र जी हाथ जोड़ते हुए बोले, "जी बिल्कुल
अब आग
शुरू करते हैं आज का नया चैप्टर
दोनों फैमिलीज आपस में रिश्ता तय कर लेती है। मिस्टर शर्मा उठते हुए हाथ जोड़कर हुए बोले,
" अब हमें आज्ञा दीजिए सुरेंद्र जी। नमस्ते।"
"जी नमस्ते ।"
लड़के वालों के जाने के बाद सुरेंद्र जी बोले," अब आप सभी शादी की तैयारी शुरू कर दे और जिन भी मेहमानों को बुलाना है में फोन कर देता हूं और निर्मला जी जिन्हें आप बुलाना चाहती है उन्हें भी बुला लीजिए लेकिन जो खास है सिर्फ उन्हें ही बुलाएं।"
"और निर्मला आप मेरे साथ रूम में चलिए हम लेन देन की बातें कर लेते हैं।"
" जी चलिए।"
“ और राधिका तुम आकाश के साथ जाकर शॉपिंग कर आ तुम्हें जो भी सामान चाहिए वो सब ले आना।"
सुरेंद्र जी आकाश को पैसे देते हुए बोले,
"ये लो आकाश तुम राधिका को लेकर जाओ।"
जी पापा, चलो राधिका ।"
राधिका चुपचाप उठकर आकाश के साथ चली जाती है।
अगले दिन,
घर में शादी की तैयारी चल रही थी धीरे-धीरे मेहमान आना भी शुरू हो चुके थे। सब बहुत खुश थे अलावा राधिका और सुरेंद्र जी के।
राधिका रूम में शांत बैठी हुई थी तभी निर्मला जी अंदर आते हुए बोली,
* राधिका बाहर आ जाओ तुम्हारी मेहंदी की रस्म करनी है सभी मेहमान आ गए है उसके बाद तुम शादी के लिए तैयार हो जाना।"
निर्मला राधिका को अपने साथ बाहर ले जाती हैं दो लड़कियां राधिका के हाथों पर मेहंदी लगाने लगती है।
राधिका अपने हाथों पर मेहंदी देखती है जहां उसकी मेहंदी के बीच कपिल का नाम लिखा था।
शाम हो चुकी थी राधिका अपने रूम में जाकर अपने बेड पर बैठके शादी का जोड़ा देखती है। वो राधिका की मां का शादी का जोड़ा था जिसे अब राधिका अपनी शादी में पहनने वाली थी।
राधिका को अपने सारे सपने टूटते हुए नजर आ रही थी। राधिका की आंखों में आंसू आ जाते हैं तभी निर्मला जी आते हुए बोली,
* राधिका अब तुम ये जोड़ा पहन लो और तैयार हो जाओ लड़के वाले बारात लेकर आते ही होंगे और ये रोना धोना बंद करो ।"
राधिका अपने आंसुओं को साफ करके शादी के लिए तैयार होने लगती है।
सुरेंद्र जी उदास मन के साथ अपने रूम में बैठे हुए थे तभी निर्मला वहां आती है वो उन्हें देखते हुए बोली,
* अरे आप अभी तक तैयार नहीं हुए बारात आती ही होगी अभी तक लड़की के पिता ही तैयार नहीं हुए हैं।"
सुरेंद्र, " कहा मैंने सोचा था कि में अपनी बेटी की इतनी धूमधाम से शादी करूंगा वो अपनी शादी से खुश होगी और में भी लेकिन इस वक्त हालात ऐसे हैं कि ना राधिका खुश है ना मैं खुश लेकिन फिर भी ये शादी करनी ही होगी।"
निर्मला, " अरे आप इतना क्यों सोच रहे हैं वैसे भी कुछ साल बाद भी आप राधिका की शादी करते ही तो अब आप उसकी शादी कर रहे हैं तो उसमें बड़ी बात क्या ही है और हर लड़की को अपनी शादी में दुख तो होता है क्योंकि वह अपने परिवार से हमेशा के लिए दूर चली जाती है।"
" अब आप चलिए जल्दी से यह कपड़े पहन लीजिए।"
सुरेंद्र जी तैयार होकर बोले, " निर्मला अगर राधिका तैयार हो गई हो तो तुम उसे मेरे पास भेज दो मुझे उससे कुछ कहना है।"
"ठीक है मैं भेजती हूं।"
"राधिका दरवाजा खोलो।" राधिका जैसे ही दरवाजा खोलती है निर्मला जी देखती हैं कि राधिका शादी के जोड़े में बिल्कुल तैयार थी वो उसे देख बोली,
* तुम तैयार हो गई तुम्हारे पापा तुम्हें बुला रहे हैं वो तुमसे एक बार मिलना चाहते हैं"
राधिका को थोड़ी खुशी हुई क्योंकि सुरेंद्र जी उससे बात करना चाहते थे।
सुरेंद्र जी बेड पर बैठे हुए थे तभी वो राधिका की रूम में आते हुए देखते हैं जिसने अपनी मां का
शादी का जोड़ा पहना हुआ था वो बहुत खूबसूरत लग रही थी।
राधिका को देख सुरेंद्र जी की आंखों में आंसू आ जाते हैं लेकिन वो अपने आप को संभालते हुए बोले,
"आओ बैठो "
राधिका सुरेंद्र जी की साइड में जाकर बैठती हैं।
सुरेंद्र जी सामने देखते हुए बोले,
“ तुम्हें लग रहा होगा कि मैं कितना घटिया बाप हूं जिसने अपनी ही बेटी की जबरदस्ती शादी करती है वो भी तुम्हारी उम्र से बड़े लड़के के साथ। लेकिन तुम अच्छे से जानती हो कि मैंने यह सब क्यों किया है मुझे तुमसे उम्मीद नहीं थी कि तुम ऐसा करोगी। में इस बात को कभी भूल तो नहीं पाऊंगा लेकिन आज तुम्हारी शादी है तो सोचा तुमसे थोड़ी बात कर लो।"
" मैं अच्छे से जानती हूं पापा कि आपने मेरे लिए जो भी सोचा है अच्छे के लिए ही सोचा होगा और आप कुछ भी कर रहे हो फिर भी मेरे लिए आप दुनिया के बेस्ट पापा रहेंगे। लेकिन मेरा विश्वास कीजिए कि जैसा भी आप सोच रहे हैं मैंने वैसा बिलकुल भी नहीं किया है मैं कभी ऐसा कोई काम नहीं करूंगी जिससे आपका सर शर्म झुक जाएं।"
" मैं नहीं जानता कि क्या गलत है क्या सही लेकिन में उस पर विश्वास करता हूं जो में अपनी आंखों के सामने देखता हूं" और यह कहकर वह रूम से बाहर चले जाते हैं।
राधिका भी वापस अपने रूम में जाती है लेकिन वो निर्मला को फोन पर किसी से बातें करते सुन लेती है जिसे सुनते ही उसके पैरों तले जमीन खिसक जाती है उसे विश्वास से नहीं हो रहा था कि उसकी सौतेली मां उससे थोड़ा सा भी प्यार नहीं करती।
तभी राधिका को निर्मला के आने की आहट सुनाई देती है तो वह पीछे हो जाती है। निर्मला रूम से चली जाती है राधिका अंदर रूम में जाकर दरवाजे को अंदर से बंद करती रहती है।
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To Be Continued.... . . . . . . . . . . . . .
अब तक
राधिका भी वापस अपने रूम में जाती है लेकिन वो निर्मला को फोन पर किसी से बातें करते सुन लेती है जिसे सुनते ही उसके पैरों तले जमीन खिसक जाती है उसे विश्वास से नहीं हो रहा था कि उसकी सौतेली मां उससे थोड़ा सा भी प्यार नहीं करती।
तभी राधिका को निर्मला के आने की आहट सुनाई देती है तो वह पीछे हो जाती है। निर्मला रूम से चली जाती है राधिका अंदर रूम में जाकर दरवाजे को अंदर से बंद करती रहती है।
राधिका अपने सर पर हाथ रखते हुए बोली,
अब आग
" ये सब क्या हो रहा है मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा। नहीं में ऐसा नहीं होने दूंगी जब मैंने कुछ गलत किया ही नहीं है तो में गलत सहूं ही क्यों ?"
"मैं इस साजिश का शिकार नहीं हो सकती, में इस साजिश का शिकार नहीं हो सकती मुझे कुछ करना होगा।
"मैं यह बात पापा को भी नहीं बता सकती क्योंकि उन्हें तो मेरी किसी पर बात का विश्वास ही नहीं है तो इस पर तो वह बिल्कुल भी विश्वास नहीं करेंगे मुझे खुद ही कुछ करना होगा।”
रात के 9:00 बजे हुए थे। हैदराबाद की सुनसान सड़कों पर एक लड़की शादी के जोड़े में भागे जा रही थी जिसके पीछे तीन आदमी भागे जा रहे थे।
वो लड़की उन आदमियों को पीछे देखते हुए भागे जा रही थी वो आगे नहीं देख रही थी तभी सामने से आ रही कार से वो लड़की टकरा जाती है जिससे वह नीचे गिर जाती है
आह।... आह!
तभी उस कार में से एक लड़का निकलकर उस लड़की के पास आते हुए बोला जिसे अपना पैर पकड़ा हुआ था।
" तुम देख कर नहीं चल सकती हो क्या ?"
वो लड़की उस लड़के की आवाज सुनते ही उसके सामने हाथ जोड़ते हुए बोली, "प्लीज मुझे बचा लीजिए।"
वो लड़का काफी हैंडसम था उसने व्हाइट कलर की शर्ट जिसके ऊपर के बटन खुले हुए थे ऊपर ब्लेजर और नीचे फॉर्मल पैंट पहनी हुई थी। दाहरी और मूंछ से उसका चेहरा बहुत अच्छा लग रहा था और थोड़े लंबे बाल देखने में वह बिल्कुल माफिया जैसा लग रहा था।
वो लड़का उस लड़की को देख रहा था। एक पतली लड़की जिसने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी बालों को जुड़ा बना हुआ था लाल रंग के लिपस्टिक हाथों में चूड़ियां और मेहंदी और उसके साथ उसके मासूम सी शक्ल उसे देख लग रहा था कि जैसे आज उसकी शादी हो ।
लेकिन जब वो लड़की उसे लड़के को गौर से देखती है जो उसे ही घूरे जा रहा था वो अंधेरा होने के कारण अच्छे से उसका चेहरा नहीं देख पाती तो वो खड़े होते हुए भागने लगती है लेकिन वह भाग नहीं पाती क्योंकि उसके पैर और सर में चोट लगी थी।
तभी वो लड़का उसका हाथ पकड़ते हुए बोला,
“ अभी तुम कह रही थी कि तुम्हें मेरी हेल्प चाहिए और अब तुम भाग क्यों रही हो?"
“ क्योंकि आप भी देखने में किसी गुंडे से कम नहीं लग रहे।"
तभी जो आदमी उस लड़की का पीछा कर रहे थे वे तीनों उनके पास आकर खड़े हो जाते हैं उनमें से एक बोला,
"लड़की को हमारे हवाले कर दे।"
वो लड़का अपनी डैशिंग आवाज में बोला,
"अगर में नहीं करूं तो ?"
उन तीनों में से जैसे ही वो आदमी उस लड़के को मारने के लिए अपना हाथ उठाता है तो वो लड़का तुरंत उसका हाथ पकड़ लेता है और उसके हाथ को नीचे करते हुए बोला,
" देखो ये गलती तो तुम करना भी मत मैं तुम्हें पहले ही वार्निंग देता हूं कि तुम तीनों चुपचाप अपना रास्ता देखकर यहां से निकाल लो।"
इसमें ही तुम तीनों की भलाई होगी और मैं तुम्हें कुछ भी नहीं कहूंगा।"
" तू क्या सोच रहा है तू कहीं का बहुत बड़ा माफिया है या डॉन है। चुपचाप लड़की को हमारे हवाले कर हम अपने रास्ते से निकाल लेंगे।"
" लेकिन मैं लड़की को तुम्हारे हवाले करू ही क्यों जब वो लड़की मेरे पास आई है तुम लोगों के पास नहीं?"
"अबे ओ ये लड़की तेरी लगती क्या है जो तू उसकी इतनी प्रोटेक्शन कर रहा है?"
" तुम लोगों की क्या लगती है तुम लोग भी तो इसका पीछा कर रहे थे ?"
"तू ऐसे नहीं मानेगा तेरी अकड़ निकालनी ही पड़ेगी यह कहकर एक आदमी नीचे पड़े डंडे को उठाकर उस लड़के पर वार करता है।
लेकिन वो लड़का उस डंडे को पकड़ कर उसके हाथ से छिनते हुए उसे पर ही पलट वार करता है जिससे वो नीचे गिर जाता है। तभी उनमें से दूसरा आदमी भी उस पर वार करने की कोशिश करता है और वह लड़का उसे पेट में एक जोर की किक मारता है।
वे दोनों दोबारा लड़खड़ाते हुए उठते हैं दोबारा वार करने की कोशिश करते हैं और उनमें से तीसरा आदमी जाकर उस लड़की का हाथ पकड़ लेता है और उस अपने साथ जबरदस्ती ले जाने की कोशिश करता है।
जैसे ही वो लड़का गुस्से में उस आदमी की तरफ देखता है तो वो डर कर उस लड़की का हाथ छोड़ देता है।
वो लड़का उस आदमी के पास गुस्से में जाकर उसका वहीं हाथ पकड़ता है जिससे उसने उस लड़की का हाथ पकड़ा था और उसे मोड़ते हुए बोला,
" तुम मुझे जानते नहीं हो इसलिए इतना उछल रहे हो लेकिन में तुम्हें अपना नाम ही बताया ना तुम्हारा वो हाल होगा जो तुमने सोचा भी नहीं होगा और जब मैंने एक बार मना किया तो मतलब मान जाओ।"
वो लड़का उनको मार मार के उनकी बुरी हालत कर देता है ये देख वो लड़की बेहोश होकर गिरने ही वाली थी तभी वो लड़का अपनी बाहों में उसे लेते हुए बोला,
"रानी उठो क्या हुआ ?" वो उस लड़की का नाम नहीं जानता था
वो लड़का उस लड़की के सर पर चोट देखता है और उसे अपनी बाहों में उठाकर अपनी कार में बैठा लेता है।
इधर निर्मला जी घबराते हुए सुरेंद्र जी के पास जाती है जो कुछ मेहमानों से बात कर रहे थे,
" एक बार में साथ आइए मुझे आपको कुछ बताना है।"
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To Be Continued...
अब तक
"रानी उठो क्या हुआ ?" वो उस लड़की का नाम नहीं जानता था
वो लड़का उस लड़की के सर पर चोट देखता है और उसे अपनी बाहों में उठाकर अपनी कार में बैठा लेता है।
इधर निर्मला जी घबराते हुए सुरेंद्र जी के पास जाती है जो कुछ मेहमानों से बात कर रहे थे,
" एक बार में साथ आइए मुझे आपको कुछ बताना है।"
अब आग
वो सुरेंद्र जी का हाथ पकड़ कर उसे अपने रूम में ले जाती है और उनसे बोली, " राधिका अपने रूम में नहीं है मैंने उसे हर जगह ढूंढ लिया लेकिन वो कहीं नहीं है।"
" राधिका भाग गई है।"
यह सुनते ही सुरेंद्र गुस्से में निर्मला पर चिल्लाते हुए बोले,
" ये क्या बोले जा रही हो तुम मेरी बेटी भाग नहीं सकती ।"
" मुझ पर मत चिल्लाए आपको मुझ पर यकीन नहीं हो रहा तो रूम में जाकर देख लीजिए जहां खिड़की पर दुपट्टा की रस्सी बनी हुई है। और वह खिड़की से कूद कर अपनी ही शादी से भाग गई है।"
तभी सुरेंद्र जी घबराते हुए उस रूम में जाते हैं जहां राधिका तैयार हो रही थी वो खिड़की से झांक कर देखते हैं कि वहां दुपट्टो की रस्सी बनी हुई थी।
वो गुस्से में बोले, "राधिका ये तुमने बिलकुल अच्छा नहीं किया मैंने ही तुम पर विश्वास करके
गलती की।"
" अब यकीन हो गया कि आपकी प्यारी बेटी अपनी ही शादी से भाग गई अब बारात घर पर आ गई है क्या कहेंगे अब हम सबसे कि आप बारात लेकर वापस जाइए हमारी बेटी अपनी ही शादी से भाग गई है?"
" निर्मला ताने मारने बंद करो और यह सोचो कि इस सिचुएशन को हम कैसे हैंडल करना है।"
" आप ही सोचो की आपको क्या करना है और अब करेंगे भी क्या आप ? हम सबसे बता देते हैं कि राधिका शादी से भाग गई है।"
निर्मला और सुरेंद्र आपस में बात कर रहे थे तभी उन्हें पीछे से आवाज सुनाई देती है, " क्या राधिका भाग गई?"
यह सुनते ही निर्मला और सुरेंद्र दरवाजे की तरफ देखते हैं जहां मिस्टर शर्मा और उनकी पत्नी ने उनके साथ खड़ी थी।
वे दोनों निर्मला और सुरेंद्र जी के पास आकर बोले,
" क्या हुआ सुरेंद्र जी, राधिका कहां है?"
( राधिका कुछ समान और अपनी जरूरी फाइल लेकर भागी थी )
सुरेंद्र जी अपना सर शर्म से झुकाते हुए बोले,
" मैं आपसे हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं बात यह है की राधिका शादी से भाग गई है।"
यह सुनते ही मिस्टर एंड मिसेज शर्मा हैरान हो जाते हैं।
"क्या.. यह आप क्या कर रहे हैं राधिका शादी से भाग गयी लेकिन कैसे, आप लोग कहां थे ?
तभी निर्मला जी बोली" देखिए हमें भी अभी ही पता चला जब मैंने अंदर रूम में आकर देखा I"
तभी मिस्टर शर्मा गुस्से में बोले,
" अब आप लोग अनजान बनने की कोशिश मत कीजिए आपकी बेटी भाग गई यानी कि उसका पहले से ही ऐसा इरादा होगा और अब आप लोग अनजान बनने का नाटक कर रहे हैं अगर आप लोगों को शादी नहीं करनी थी तो पहले ही मना कर दिया होता ऐसे घर पर बारात बुलाकर बेइज्जती करने की क्या जरूरत थी।"
और यह कहकर वो रूम से बाहर निकल जाते हैं और बारात वापस लेकर चले जाते हैं।
तभी सुरेंद्र जी की नजर टेबल पर रखी एक चिट्ठी पर पड़ती है।
आज का चैप्टर होता है यहीं खत्म मेरी और आपकी मुलाकात होगी अगले चैप्टर के साथ।
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राधिका ने अपनी आंखें खोली और अपने चारों ओर देखा वो एक अजीब सी जगह पर थी जो उसने पहले कभी नहीं देखी थी। वो एक बड़े से कमरे में थी जो देखने में काफी खूबसूरत था।
राधिका ने अपने दिमाग में सोचा "मैं यहां कैसे आपी, क्या वो लड़का मुझे यहां लेकर आया ?"
राधिका ने अपने पास टेबल पर रखे न्यूजपेपर को दिखा जिसमें लिखा था माफ़िया शिविन रघुवंशी ।
राधिका की नजर शिविन पर पड़ती है जो उधर दरवाजे के पास खड़ा था और उसे ही देख रहा था।
राधिका ने हल्की आवाज में पूछा, " कोन है आप और मैं यहां कैसे आयी ?"
शिविन चेयर को बेड के पास लाकर बैठते हुए बोला,
"मैं तुम्हें यहां लेकर आया हूं। मैं शिविन रघुवंशी हूं और आप इस वक्त मेरे मेंशन में है।"
राधिका अपने आसपास देखती है और वो अपने सर पर हाथ रखते हुए याद करती है कि कल रात क्या हुआ था लेकिन उसे सिर्फ इतना ही याद था कि कुछ गुंडे उसे परेशान कर रहे थे और उसने एक लड़के से हेल्प मांगी थी उससे आगे क्या हुआ उसे कुछ याद नहीं था
वो शिविन की तरफ सवालिया नजर से बोली,
* कल रात क्या हुआ था आप मुझे यहां क्यों लेकर आए, ?"
एक्चुअली आप मेरी कर से टकरा गई थी और जब मैं बाहर आपके पास आया और आपके सर पर चोट लगने के कारण आप बेहोश हो गई थी इसलिए मैं आपको यहां लेकर आ गया।
वो अपने मन में सोचती है यानी की वो लड़का कोई और था"
तभी एक सर्वेट राधिका के लिए चाय लेकर आती है वह सर्वेट शिविन के इशारे पर राधिका के हाथ में कप को देकर वहां से चली जाती है।
शिविन" आप चाय पीजिए आपको अच्छा महसूस होगा।"
राधिका चाय तो पी रही थी लेकिन उसके दिमाग में बस यही चल रहा था कि आखिर शिविन ने उसकी मदद क्यों की? वो हैदराबाद का माफिया और एक बिजनेसमैन है फिर वो राधिका की इतनी मदद वह क्यों कर रहा था ?"
राधिका चाय खत्म करती है और शिविन की तरफ देखते हुए बोली,
" मैं अब जाना चाहती हूं कल के लिए बैंक यू सो मच" यह कहकर वो जैसे ही खड़े होने की कोशिश करती है लेकिन पैर में चोट लगने के कारण वह खड़ी नहीं हो पाती और वापस बेड पर बैठ जाती है" आउच"
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अब तक
राधिका चाय तो पी रही थी लेकिन उसके दिमाग में बस यही चल रहा था कि आखिर शिविन ने उसकी मदद क्यों की? वो हैदराबाद का माफिया और एक बिजनेसमैन है फिर वो राधिका की इतनी मदद वह क्यों कर रहा था ?"
राधिका चाय खत्म करती है और शिविन की तरफ देखते हुए बोली,
" मैं अब जाना चाहती हूं कल के लिए बैंक यू सो मच" यह कहकर वो जैसे ही खड़े होने की कोशिश करती है लेकिन पैर में चोट लगने के कारण वह खड़ी नहीं हो पाती और वापस बेड पर बैठ जाती है" आउच"
अब आग
शिविन उसके पास आने की कोशिश करता है लेकिन वह अपने आप को वहीं रोक लेता है वो राधिका को देखते हुए बोला,
" आप अभी नहीं जा सकती क्योंकि ना तो आपकी अभी तबीयत ठीक है और इस हालत में आपका बाहर अकेले जाना बिल्कुल भी सेफ नहीं है तो आप जितने दिन यहां रहना चाहे रह सकती है आपको डरने की जरूरत नहीं है।"
राधिका यहां रहना तो नहीं चाहती थी लेकिन फिर वह सोचती है कि वह इस हालत में जाएगी भी तो कहां ना, मैं जानती हूं कि मुझे जाना कहां है मैं रहूंगी कहां, घर से तो में भाग आयी लेकिन आगे क्या होगा ये में नहीं जानती "
राधिका शिविन की बात मान जाती है।
* शिविन में आपका शुक्रिया अदा करती हूं देखिए मुझे गलत मत समझना लेकिन में अभी भी नहीं समझ पा रही हूं कि आप मेरी इतनी मदद क्यों कर रहे हैं मतलब आज के जमाने में किसी भी अजनबी की इतनी मदद करना और उसे अपने घर ले आना है थोड़ा अजीब है क्योकि आजकल कोई अपना मदद नहीं करता और आप तो फिर भी अजनबी है"
शिविन अपने पैरों को क्रॉस करके बैठते हुए सीरियस स्टोन में बोला,
" क्योंकि मैंने आपको पहचान लिया था आपके बाबा मेरी ही कंपनी में काम करते हैं। वही एक बार उन्होंने मुझे आपकी फोटो और आपके बारे में बताया था।"
राधिका ने हैरानी से शिविन को देखा "क्या.... आप मुझे और मेरे पापा को पहले से जानते थे लेकिन उन्होंने तो कभी आपके बारे में नहीं बताया ?"
" तो आपको लगता है कि में आपसे झूठ बोल रहा हूं अगर आपको इतना ही शक हो रहा है तो जाइए जहां जाना है जाइए.. फिर दोबारा किसी इंसान से ऐसे ही हेल्प मागंना लेकिन यह बात याद रखेगा की हर कोई मेरी तरह अच्छा इंसान नहीं होता है जिसने आपकी मदद भी की और बदले में आप उस पर शक कर रही है। आपके साथ कोई जबरदस्ती नहीं है आपको रहना है तो यहां रहिए बाकी अब में आपके किसी भी सवाल का जवाब नहीं देने वाला हूं।"
ये कहकर वो वहां से चला जाता है राधिका मुंह बनाकर शिविन को जाते हुए देखती हैं और फिर बडबडाते हुए बोली,
"कितना खडूस है यह देखने में भी खडूस ही लगता है क्या यह सच में बाबा को जानता है?"
राधिका को थकान महसूस होती है तो वह दोबारा बेड पर लेट जाती है।
गुप्ता हाउस,
सुरेंद्र जी की नजर टेबल पर रखी चिट्ठी पर पड़ती है तो वह चिट्ठी को उठाकर पढ़ते हैं जो राधिका उनके लिए छोड़ कर गई थी
" बाबा मुझे माफ करना मैं जानती हूं कि आप इस वक्त मुझसे बहुत नाराज होंगे और आपकी नाराजगी जायज है लेकिन मेरा विश्वास कीजिए में शादी से भागना बिल्कुल नहीं चाहती थी लेकिन आपसे बात करने के बाद कुछ ऐसा हुआ जिसने मुझे इस शादी से भागने से मजबूर कर दिया अगर में आपको उस वक्त वह बता देती तो आप मेरा विश्वास नहीं करते और में उसके बाद कुछ नहीं कर पाती।
मेरा यकीन कीजिए मैंने ना तो कभी आज तक ऐसा काम किया है और ना ही कभी आगे करूंगी जिससे आपका सर शर्म से झुक जाए। मुझे अपनी मां से किया हुआ हर वादा याद है। हो सके तो मुझे माफ कर दीजिएगा और अपना ख्याल रखिएगा "आपकी राधिका"।
तभी निर्मला जी पीछे से बोली," क्या लिखा है चिट्ठी में? यही लिखा होगा ना कि बाबा मुझे माफ कर दीजिए ये वो.. अब क्या माफी मांग रही है अब तो कर दिया ना उसने जो करना था।"
सुरेंद्र जी गुस्से में उस चिट्ठी को मोड़ देते हैं और गुस्से में बाहर जाकर पंडित जी से बोले,
" रुकिए पंडित जी.. अब शादी तो नहीं होगी लेकिन श्राद्ध जरूर होगा।"
सुरेंद्र जी की बात सुनकर वहां खड़ा हर इंसान चौंक जाता है। निर्मला जी सुरेंद्र जी से हैरान होते हुए पूछती है,
" किसका श्राद्ध करने वाले हैं आप ?"
तभी सुरेंद्र जी गुस्से में बोले,
" जिसकी शादी होने वाली थी यानी कि राधिका का.. आज से मेरे लिए राधिका मर चुकी है और उसी का आज यहां श्राद्ध होगा पंडित जी आप विधि शुरू करें।"
एक तरफ जहां राधिका एक अजनबी इंसान के घर पर आराम कर रही थी तो वहीं दूसरी तरफ उसी के अपने घर में उसके जीते जी उसके बाबा द्वारा ही श्राद्ध कराया जा रहा था और वह इस बात से अनजान थी।
शिविन नीचे जाकर हॉल में बैठता है और कुछ सर्वेट को बुलाता है
" जब तक वो लड़की यहां है तब तक अच्छे से ख्याल रखना और ध्यान रहे कि उसे अगर किसी भी चीज की जरूरत हो उसे वो मिल जानी चाहिए।
"जी सर"
फिर नौकर आपस में एक दूसरे से बोले,
“ पता नहीं यह लड़की कौन है आज से पहले तो कोई लड़की यहां नहीं आई।”
शाम का वक्त,
राधिका की जब आंख खुलती है तो वह सामने दीवार पर लगी घड़ी में टाइम देखती है जहां शाम के 6:00 बजे हुए थे। राधिका धीरे-धीरे उठकर बेड के सहारे बैठती है तभी वहां एक सर्वेट आती है।
" मैम क्या अब आपकी तबीयत ठीक है? अगर आपको कुछ भी चाहिए तो आप मुझे बता सकती है"
राधिका हल्की स्माइल के साथ बोली,
" जी अभी मेरी तबीयत बेहतर है और मुझे नहाना था तो क्या आप थोड़ी सी हेल्प कर सकती है"
" जी आइए "
तभी राधिका की नजर दो सर्वेट पर पड़ती है जिनके हाथ में काफी सारे कपड़े थे।
तभी उनमें से एक सर्वेट बोलिए में यह सब कपड़े आपके लिए है जो आपको पसंद आए आप उनमें से पहन सकती है।
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" जी अभी मेरी तबीयत बेहतर है और मुझे नहाना था तो क्या आप थोड़ी सी हेल्प कर सकती है"
" जी आइए "
तभी राधिका की नजर दो सर्वेट पर पड़ती है जिनके हाथ में काफी सारे कपड़े थे।
तभी उनमें से एक सर्वेट बोलिए में यह सब कपड़े आपके लिए है जो आपको पसंद आए आप उनमें से पहन सकती है।
अब आग
राधिका हैरान होते हुए बोली,
“क्या... ये सारे कपड़े मेरे लिए है लेकिन इतने कपड़ों की तो कोई जरूरत नहीं थी "
" मैम ये शिविन सर का आर्डर है।"
राधिका उनमे से एक ड्रेस चुज करती है और एक सर्वेट उसको बॉथरूम तक ले जाती है।
" अब आप लोग जाइए में खुद कर लूंगी।"
वो फ्रेश होकर बाहर आती है अब उसे थोड़ा अच्छा महसूस हो रहा था।
राधिका धीरे-धीरे रूम की बालकनी में रखी चेयर पर बैठ जाती है और बाहर के मौसम का मजा लेती है। लेकिन तभी उसे याद आता है कि उसकी इस वक्त क्या सिचुएशन है वह अपने आप से ही सवाल पूछती है
" राधिका तुझे अब कोई जॉब ढूंढनी होगी मैं यहां कब तक रहूंगी और एक न एक दिन में हर किसी पर बोझ बन ही जाऊंगी। तो मुझे जल्द से जल्द कोई जॉब ढूंढनी होगी ताकि मैं यहां से जा सकूं। लेकिन क्या मुझे इस बारे में शिविन से बात करनी चाहिए? क्योंकि वो शायद मेरी हेल्प कर दे, नहीं नहीं... मुझे खुद ही कुछ करना होगा में कब तक दूसरों पर डिपेंड रहूंगी।"
राधिका को वहीं बैठे-बैठे रात हो जाती है तभी एक सर्वेट आकर उससे पूछती है,
" मैम आप डिनर रूम में करेंगे या सर के साथ नीचे ?"
"आप मेरे लिए यहीं पर ले आए "
" ओके मैम में लेकर आती हूं।"
राधिका ने अपने पास रखे फोटो को देखा जिसमें वह अपनी मां के साथ मुस्कुरा रही थी राधिका ने अपने आंसू पोंछे और सोचा "मां मैं तुम्हें मिस कर रही हूं इस वक्त में बहुत अकेली हूं।" राधिका उस फोटो को अपने सीने से लगा लेती है।
सुबह का वक्त,
राधिका की नींद खुलती है और सबसे पहले उसे यही ख्याल आता है कि उसकी यह पहली सुबह थी जिसमें उसे अपनी सौतेली मां की डांट नहीं सुनाई पड़ी।
राधिका अपने आप को अब बैटर फील कर रही थी वह रेडी होकर नीचे किचन में जाती है।
राधिका को किचन में देख जो सर्वेट काम कर रहे थे वो उसे देखते हुए बोली,
"मैम आप यहां क्या कर रही है क्या आपको कुछ चाहिए ?"
"नहीं मुझे कुछ नहीं चाहिए मैं बस आप लोगों की हेल्प करना चाहती हूं।'
" नहीं मैम आप यह नहीं कर सकती आप आराम से जाकर हॉल में बैठ जाइए। अगर सर को पता चला तो वह हमें डांट लगाएंगे आपको कुछ भी काम करने की जरूरत नहीं है।"
"आप चिंता ना करिए मेरी अब तबीयत ठीक है और रही आपके सर की तो वह कुछ नहीं कहेंगे क्योंकि अगर में दिन भर कुछ काम नहीं करूंगी तो में तो बिल्कुल बोर ही हो जाऊंगी।"
" लाइए में चाय बना देती हूं"
तभी राधिका को शिविन की आवाज सुनाई देती है।
" रमेश मेरे लिए एक कप चाय ले आओ "।
राधिका एक सर्वेट को चाय का कप देते हुए बोली" लीजिए आप चाय देकर आइए ।"
तब तक राधिका सर्वेट के साथ मिलकर नाश्ता भी तैयार कर देती है और खुद भी जाकर हॉल में रखी डाइनिंग टेबल पर बैठ जाती है जहां शिविन चेयर पर बैठा हुआ न्यूजपेपर पढ़ रहा था।
शिविन और राधिका दोनों नाश्ता करना शुरू करते हैं जैसे ही शिविन को टेस्ट अलग-अलग लगता है तो वह साइड में खड़ी रमा से पूछता है,
" क्या बात है रमा जी आज नाश्ता काफी अच्छा बना है और चाय का भी टेस्ट कुछ अलग है और
यह कहकर वो दोबारा कंटिन्यू करता है।
रमा जी मुस्कुराते हुए बोली,
“क्योंकि साहब आज नाश्ता और चाय मैंने नहीं बल्कि राधिका जी ने बनाई है।"
यह सुनते ही की राधिका ने चाय और नाश्ता बनाया है शिविन गुस्से में रमा की तरफ देखते हुए बोला,
" क्या राधिका ने नाश्ता और चाय बनाई है लेकिन क्यों? उन्हें काम करने की इजाजत किसने दी और आपने उन्हें रोका क्यों नहीं?"
" और राधिका जी आप.. अभी तक आपकी तबीयत भी ठीक नहीं हुई है और आप को यहां यह सब काम करने की कोई जरूरत नहीं है।"
" लेकिन शिविन मेरी तबीयत अब ठीक है और अगर मैं पूरा दिन आराम ही करती रहूंगी तो में और बीमार हो जाऊंगी। मुझे इस तरह पूरा दिन आराम से रहने की आदत ही नहीं है और क्या हो गया अगर मैंने चाय और नाश्ता बना दिया।"
" अगर आप बोर होती है तो आप गार्डन में घूम सकती हो, किताब पढ़ सकती है, मूवीस देख सकती है लेकिन ये काम करने की कोई जरूरत नहीं है।"
और यह कहकर हो वहां से चला जाता है।
“कितना खडूस है ये.. तारीफ करने के बजाय और मुझे सुना कर ही चला गया।"
" देखा मैम मैंने आपसे पहले ही कहा था कि जब शिविन सर को पता चलेगा तो वह गुस्सा करेंगे "ן
" अरे पहले तो आप मुझे मैम कह कर बुलाना बंद करें आप मुझसे उम्र में कितनी बड़ी है आप मुझे राधिका का कर ही बुलाए ।"
शिविन के जाने के बाद राधिका अपने सामने खड़े सर्वेट से बोली,
" आप एक काम कीजिए आप इस हफ्ते के सारे न्यूजपेपर मुझे लाकर दे दीजिए मुझे कुछ काम करना है।"
"ओके मैम में अभी लेकर आता हूं।"
राधिका न्यूजपेपर लेकर अपने रूम में चली जाती है और उनमे जॉब ढूंढने लगती हैं। वो एक-एक करके इंटरव्यू के लिए कॉल करने लगती है। सब ने उसे शाम तक कॉल का वेट करने के लिए बोला ।
" भगवान जी प्लीज शाम तक मुझे कोई अच्छी सी जॉब मिल जाए जिनको भी मैंने कॉल किया था उनमें से किसी का भी कॉल आ जाए इंटरव्यू के लिए क्योंकि आप तो जानते ही है कि इस वक्त मुझे जॉब मिला कितना जरूरी है।"
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अब तक
राधिका न्यूजपेपर लेकर अपने रूम में चली जाती है और उनमे जॉब ढूंढने लगती हैं। वो एक-एक करके इंटरव्यू के लिए कॉल करने लगती है। सब ने उसे शाम तक कॉल का वेट करने के लिए बोला ।
" भगवान जी प्लीज शाम तक मुझे कोई अच्छी सी जॉब मिल जाए जिनको भी मैंने कॉल किया था उनमें से किसी का भी कॉल आ जाए इंटरव्यू के लिए क्योंकि आप तो जानते ही है कि इस वक्त मुझे जॉब मिला कितना जरूरी है।"
अब आग
राधिका कॉल के इंतजार में कभी किताबें पढ़ती तो कभी इधर घूमती कभी उधर और उस इसी तरह शाम हो गई ।
राधिका नीचे गार्डन में घूम रही थी उसके दिमाग में यही चल रहा था कि जल्द से जल्द जॉब के लिए कॉल आ जाए तभी उसे अपने फोन की रिंग सुनाई देती है वो जल्दी से फोन को देखते हैं और मोबाइल स्क्रीन पर अननोन नंबर से कॉल देखकर वो तुरंत कॉल उठाती है और उधर से आवाज आती है,
"हेलो मैम क्या आप राधिका गुप्ता बात कर रही है आज सुबह आपने जॉब के लिए कॉल किया था ?"
* जी मैंने हीं किया था"
मैम मैंने आपको ये बताने के लिए कॉल किया है कि आपको इंटरव्यू के लिए शार्ट लिस्ट किया गया है आप इंटरव्यू के लिए आ जाइए।"
राधिका एक्साइटेड होते हुए बोली,
* ठीक है मैं इंटरव्यू के लिए आ जाऊंगी आप ये बता दीजिए कि मुझे कहां और कब आना है ?"
" अगर हो सकता है तो आप अभी आ जाइए और लोकेशन में आपको सेंड कर दूंगा।"
"क्या... अभी आना जरूरी है? में सुबह आ सकती हूं क्या ?"
* मैम देखिए हमारे पास आपके जैसे हजारों कॉल जॉब के लिए आए हैं और हर कोई इस जॉब को पाना चाहता है अगर आप इस जॉब को चाहती है तो आपको अभी इंटरव्यू के लिए आना होगा वरना सुबह तक हो भी सकता है कि आपको यह जॉब ना मिले क्योंकि बहुत से ऐसे लोग होंगे जो अभी इंटरव्यू के लिए आने के लिए रेडी है।"
" जी मेरे लिए भी ये जॉब काफी जरूरी है आप मुझे लोकेशन सेंड कर दीजिए मैं अभी इंटरव्यू के लिए आ रही हूं"
"ओके मैम में आपको लोकेशन मैसेज कर रहा हूँ।"
राधिका खुश होते हुए हाथ जोड़कर बोली,
" थैंक यू सो मच भगवान जी बस मुझे ये जॉब मिल जाए। लेकिन अभी मुझे जल्दी इंटरव्यू के लिए जाना होगा।"
राधिका बिना किसी से बताएं इंटरव्यू के लिए निकल जाती है।
राधिका जैसे ही फोन में लोकेशन को देखती हैं तो वह कंफ्यूज होते हुए बोली,
"ये कौन सी लोकेशन है में तो जानती भी नहीं तो मै जाउंगी कैसे यहां ? लेकिन मुझे कैसे भी करके जाना ही होगा एक काम करती हूं मैप के थ्रू जाती हूं।"
राधिका मैप की मदद से उस लोकेशन पर पहुंच जाती है वह काफी थक चुकी थी क्योंकि उसे आधे रात से पैदा आना पड़ा लेकिन अभी उसमें जॉब को पाने के लिए जोश था।
राधिका एक कंपनी के सामने आकर रूकती है जो देखने में पुरानी लग रही थी और वो काफी सुनसान जगह पर भी थी।
" पता नहीं ये कंपनी इतनी सुनसान जगह पर क्यों है और यह काफी पुरानी सी भी लग रही है क्या मुझे अंदर जाना चाहिए ?"
जाकर देखती हूं हो सकता है कि यह बाहर से पुरानी हो लेकिन अंदर से नयी हो और लोकेशन भी गलत नहीं हो सकती है राधिका याद रख कि तेरे लिए ये जब कितनी इंपॉर्टंट है।"
और हिम्मत करके वह अंदर कंपनी में चली जाती है जहां उसे कोई नहीं दिखाई देता सिवाय एक गार्ड के ।
राधिका उस गार्ड के पास जाकर बोली,
" सर मुझे यहां इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था तो क्या आप बता सकते हैं कि इंटरव्यू कहां देना है ?"
" फिफ्थ फ्लोर पर है तुम वहां जाकर इंटरव्यू दे ली और सीढ़ियों से जाना क्योंकि लिफ्ट खराब है।"
" ओके थैंक यूसर ।"
राधिका सीढ़ियो पर जाकर खड़े होते हुए बोली,
" ऐसे तो में बिल्कुल धक जाऊंगी। फिफ्थ फ्लोर पर वो भी सीढ़ियो से। ऊफ... हिम्मत कर राधिका ।"
शिविन की कार रघुवंशी मेंशन में एटंर करती है। शिविन कार से उतरकर सीधा अपने रूम में जाता है और फ्रेश होकर नीचे हॉल में आकर बैठ जाता है तभी एक सर्वेट उसे पानी ला कर देती है।
शिविन को राधिका कहीं नजर नहीं आती तो वो सोचता है कि वो शायद अपने रूम में होगी।
रमा जी राधिका किधर है क्या वो अपने रूम में है?"
* जी साहब शायद वो अपने रूम में ही है। मैं एक बार जाकर देखती हूं क्योंकि सुबह से वो रूम में ही है आप कहे तो मैं उन्हें नीचे बुला कर ले आऊं ?"
* जी आप उनसे बस बोल दीजिएगा अगर वो नीचे आना चाहे तो आ जाएंगी वरना कोई जबरदस्ती नहीं है।"
"जी साहब"
रमा राधिका के रूम में जाकर देखती हैं की राधिका वहां नहीं है वो बालकनी में भी देखती है लेकिन राधिका वहां भी नहीं थी वो ऊपर के हर रूम हर जगह पर देखती है लेकिन राधिका कहीं नहीं थी।
रमा जी घबराते हुए नीचे शिविन के पास आकर बोली,
" साहब राधिका मैम अपने रूम में नहीं है मैंने उन्हें ऊपर के हर रूम हर जगह देखा लेकिन वो कहीं नहीं है।"
अरे रमा जी रिलैक्स.. आप घबरा क्यों रही है ऊपर नहीं है तो वो नीचे कहीं पर होगी बाहर गार्डन में देखिए, लाइब्रेरी में घर में नहीं होगी तो कहां जाएंगी अच्छे से चेक करिए।"
शिविन के कहने पर दो सर्वेट घर के हर जगह राधिका को देखते हैं लेकिन उन्हें राधिका कहीं नहीं मिलती।"
" सर राधिका मैम कहीं नहीं है हमने हर जगह देख लिया ना वो बाहर गार्डन में है ना लाइब्रेरी में ना गेस्ट रूम में वो कहीं नहीं है।"
शिविन खड़े होते गुस्से में बोला,
" कहीं नहीं है का क्या मतलब है वो घर में नहीं है तो कहां है फिर अगर वह बाहर गई तो क्या वो आप में से किसी से बता कर नहीं गई या आप लोगों ने उन्हें नहीं देखा।"
रमा जी बोली,
" साहब वो हमसे तो कुछ कह कर नहीं गई। बस सुबह आपके जाने के बाद वो न्यूज़ पेपर लेकर अपने रूम में चली गई। दोपहर तक वो वही थी उसके बाद हमने सोचा कि वो सो रही है होगी तो हम उन्हें डिस्टर्ब ना करें।"
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अब तक
शिविन खड़े होते गुस्से में बोला,
" कहीं नहीं है का क्या मतलब है वो घर में नहीं है तो कहां है फिर अगर वह बाहर गई तो क्या वो आप में से किसी से बता कर नहीं गई या आप लोगों ने उन्हें नहीं देखा।"
रमा जी बोली,
" साहब वो हमसे तो कुछ कह कर नहीं गई। बस सुबह आपके जाने के बाद वो न्यूज़ पेपर लेकर अपने रूम में चली गई। दोपहर तक वो वही थी उसके बाद हमने सोचा कि वो सो रही है होगी तो हम उन्हें डिस्टर्ब ना करें।"
अब आग
शिविन " बाहर सिक्योरिटी गार्ड से जाकर पूछो कि क्या उसने राधिका को कहीं बाहर जाते हुए देखा है?""
इधर राधिका सुनसान सड़क पर घबराते हुए भागी जा रही थी।
शिविन के कहने पर servant सिक्योरिटी गार्ड से जाकर पूछता है कि क्या उसने राधिका को कहीं बाहर जाते हुए देखा।
वो सिक्योरिटी गार्ड शिविन के पास आकर डरते हुए बोला,
" सर मुझे यकीन तो नहीं है लेकिन मैं कुछ देर के लिए आराम करने लग गया और शायद तभी राधिका मैम बाहर गई होगी।"
शिविन गुस्से में चिल्लाते हुए बोला,
" आराम... तुम लोग इतनी लापरवाही कैसे कर सकते हो अगर तुम अपना काम अच्छे से नहीं कर सकते हो तो बता दो क्योंकि मुझे अपने घर पर लापरवाह लोगों की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है।
तुम सिक्योरिटी गार्ड हो और तुम्हें आराम करने का टाइम दिया जाता है तो अपनी ड्यूटी के बीच आराम करने का क्या मतलब है ?"
" मुझे माफ कर दीजिए सर आगे से ऐसी कोई गलती नहीं होगी "
शिविन गुस्से में अपने असिस्टेंट को आवाज लगता है,
" ईशान... सारी सिक्योरिटी टाइट कर दो और यह ध्यान रखो कि कौन ड्यूटी अच्छे से कर रहा है और कौन अपनी ड्यूटी के टाइम पर आराम कर रहा है क्योंकि इस घर में लापरवाही बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होगी।
हर जगह बिल्कुल टाइट सिक्योरिटी होनी चाहिए की किसी की हिम्मत ना हो बिना परमिशन के घर के अंदर घुसने की हो और ना ही घर से बाहर जाने।"
" बाहर सिक्योरिटी गार्ड्स की संख्या बढ़ा दो और अंदर घर में भी सिक्योरिटी गार्ड्स होने चाहिए और गार्डन ऐसे होने चाहिए जो प्रोटेक्ट कर पाए ना कि उन्हें हमें ही खुद प्रोटेक्ट करना पड़े।"
" ओके सर जैसा आप कह रहे हैं बिल्कुल ऐसा ही हो जाएगा।"
"और हां बाकी सभी लोग भी ध्यान से सुन लीजिएगा अगर आपको यहां रहना है तो अच्छे से ड्यूटी निभाइए वरना बाहर का दरवाजा आप लोगों को पता ही है।"
यह कहते ही धुव्र जल्दी से अपना फोन निकालता है और राधिका को कॉल करता है रिंग जा रही थी लेकिन राधिका फोन नहीं उठा रही थी।
जब ध्रुव दोबारा ट्राई करता है तो राधिका का फोन स्विच ऑफ आता है। जिससे शिवन की घबराहट और बढ़ रही थी।
" हमें राधिका को ढूंढने के लिए जाना होगा "यह कहकर शिविन अपनी कार की तरफ बढ़ जाता है और उसके पीछे-पीछे ईशान।
शिविन अकेला ही राधिका को ढूंढने के लिए निकल जाता है ये देख ईशान भी दूसरी कार में कुछ बॉडीगार्ड के साथ उसके पीछे जाता है।
राधिका को ढूंढते ढूंढते रात हो गई थी लेकिन राधिका नहीं मिली इधर राधिका सुनसान सड़क पर बैठी भगवान से बोली,
" हे भगवान प्लीज किसी भी तरह शिविन को यहां पर भेज दीजिए मेरी हेल्प के लिए।
" तभी राधिका की आंखों पर कार लाइट पड़ती है राधिका अपनी आंखों को थोड़ा-थोड़ा खोलते हुए उस कार की तरफ देखती है।
शिविन को आते देख राधिका खुश हो जाती है।
शिविन राधिका के पास आते हुए बोला,
" तुम यहां सड़क पर ऐसे क्यों बैठी हो और तुम कॉल क्यों नहीं उठा रही थी और ना ऊपर से तुम घर पर किसी से बता कर भी नहीं आई।"
तभी शिविन की नजर राधिका की चोट पर पड़ती है।
"और तुम्हें यह चोट कैसे लगी तुम बता क्यों नहीं रही ?"
अरे शिविन जी जब आप बोलने देंगे तभी तो में बोलूंगी ना और सारी बात यहां सड़क पर बैठकर करोगे क्या?"
शिविन राधिका का हाथ पकड़ कर उसे सहारा देते हुए कार में बैठा देता है।
तभी शिविन का फोन बजता है। ईशान की कॉल देखते हुए शिविन कॉल उठाते हुए बोला," राधिका मेरे साथ है और मैं घर जा रहा हूं तुम लोग भी आ जाओ।"
ओके सर "
शिविन ड्राइव करते हुए राधिका को देख बोला,
" अब बताओ कि तुम यहां सुनसान जगह पर क्या कर रही थी और तुम्हें यह चोट कैसे लगी ?"
" एक्चुअली बात ये है कि में यहां इंटरव्यू के लिए आई थी। मैंने इंटरव्यू तो दे दिया और उसके बाद जब में बाहर आई तो में जा ही रही थी कि तभी दो लड़के बाइक पर आए और मेरा पर्स छीन कर ले गए।
जैसे तैसे मैंने उनसे पर्स तो ले लिया लेकिन उनके पीछे भागने के चक्कर में मैं गिर गयी और मुझे चोट लग गई और जब आपकी कॉल आई तो मैं उसे उठाने ही वाली थी लेकिन तभी बैटरी डेड हो गई उसके बाद मुझे आस-पास कोई नजर भी नहीं आया। में जल्दी में थी इसलिए मैं किसी को बता कर नहीं आ पायी।"
ठीक है लेकिन तुम पहले तो बता सकती थी ना कि हां तुम जॉब ढूंढ रही हो और आज इंटरव्यू के लिए जाने वाली हो अपने साथ ड्राइवर को लेकर आती। अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो ?
तुम अपने आप को मुसीबत में डालना बंद करो बच्ची नहीं हो हर बार कोई तुम्हें बचाने नहीं आने वाला है"
" आई एम सॉरी गुस्सा क्यों कर रहे हो मुझे कोई शौक नहीं है कि हां मैं मुसीबत में पड़ जाऊं और फिर शिविन आए और मुझे बचा कर ले जाए।"
और मैं किसी पर बोज नहीं बनना चाहती इसलिए में जल्द से जल्द जॉब ढूंढना चाहती हूं ताकि मैं आपके घर से जा सकूं।" राधिका ये कहकर बाहर की तरफ देखने लगती है।
राधिका घर पहुंचते ही सीधा रुम में चली जाती है। शिविन हॉल में बैठते हुए एक servant से बोला,
" तुम फर्स्ट एड बॉक्स लेकर राधिका के रूम में चले जाओ"
" रमा जी तब तक आप मेरे और ईशान के लिए खाना लगा दीजिए और राधिका को उनके रूम में ही खाना दे दीजिएगा।"
~
To be Continued....
अब तक
राधिका घर पहुंचते ही सीधा रुम में चली जाती है। शिविन हॉल में बैठते हुए एक servant से बोला,
" तुम फर्स्ट एड बॉक्स लेकर राधिका के रूम में चले जाओ"
" रमा जी तब तक आप मेरे और ईशान के लिए खाना लगा दीजिए और राधिका को उनके रूम में ही खाना दे दीजिएगा।"
अब आग
ईशान शिविन के पास बैठते हुए बोला,
" सर लेकिन राधिका मैम कहां थी क्या उन्होंने आपसे कुछ बताया है ?"
"हां वो इंटरव्यू देने गई थी और उधर से किसी ने उनका पर्स छीन लिया जिसके कारण उनका चोट लग गई।"
"सर अगर उन्हें जॉब ही चाहिए तो आप उन्हें अपनी कंपनी में जॉब ऑफर करके देखिए "
अगर राधिका को मेरी हेल्प चाहिए होती तो वो इंटरव्यू के लिए बिना मुझे बताए नहीं जाती लेकिन वो अकेले ही गई यानी कि यो और हेल्प नहीं चाहती है।
वो खुद ही कुछ करना चाहती है और मैं किसी की जबरदस्ती हेल्प क्यों करूं जिसे हेल्प चाहिए वो खुद आकर मुझसे मांगे।"
" लेकिन सर हो सकता है कि वो आपसे हेल्प मांगने में हिचक रही हो तो मेरे पास एक आईडिया है।
आपकी कंपनी कौन सी है यह बात उन्हें नहीं पता है तो अगर हम उन्हें अपनी कंपनी में से जॉब ऑफर करते हैं बिना यह बताएं कि उस कंपनी के बॉस आप है तो वो उसे जरुर एक्सेप्ट करेंगी इससे उन्हें सेफ्टी भी मिलेगी और उन्हें जॉब भी मिल जाएगी।"
शिविन कुछ सोचते हुए बोला,
" हां आईडिया तो अच्छा है। ठीक है कल तुम ट्राई कर लेना लेकिन याद रहे कि उन्हें यह बात ना पता चले कि वह कंपनी मेरी है।"
" क्योंकि ये मैं अच्छे से जानता हूँ कि उनके लिए इस वक्त जॉब पाना कितना इंपॉर्टंट है और जहां भी वो आज गई होगी वहा उन्हें अच्छी जॉब तो मिलने से रही लेकिन अभी उनकी हालत ऐसी है कि उन्हें जो भी हो जॉब ऑफर होगी वह उसे ही एक्सेप्ट कर लेंगे।"
राधिका फ्रेश होकर बालकनी में बैठ जाती है तभी एक सर्वेट उसके पास आकर बोली,
" मैं ये फर्स्ट एड बॉक्स "
राधिका उसे देखते हुए बोली, "आप इसे यहां रख दीजिए में खुद कर लूंगी "
"ओके मैम में आपके लिए खाना लेकर आती हूं अगर आपको और कुछ चाहिए तो आप मुझे बता दीजिए।"
"नहीं और कुछ नहीं चाहिए।"
राधिका अपने घांव पर पट्टी लगाते हुए बोली,
" जॉब मिली भी तो ऐसी जिसे करना मेरे लिए बहुत मुश्किल है एक bar में वेटर की जॉब करना लेकिन में कर भी क्या सकती हूं मेरे पास इसके अलावा और कोई जॉब भी तो नहीं है और अगर मैंने इस जॉब को छोड़ दिया तो पता नहीं आगे कोई जॉब मिलेगी भी या नहीं।"
" और अब बस मुझे यहां से जल्द से जल्द जाना होगा इसलिए मैं यह जॉब करूंगी। आउच... ऊपर से दो बेवकूफ की वजह से मुझे चोट भी लग गई अगर वो मुझसे पर्स ना लेते तो ना ही मुझे उस शिविन की हेल्प लेनी ही नहीं पड़ती जो हेल्प करने के बाद सुनाता है।”
सुबह का वक्त,
राधिका सुबह जल्दी उठती है और जॉब के लिए तैयार होने लगती है उसके मन में अभी भी यही चल रहा था कि उसे इस जॉब को एक्सेप्ट करना चाहिए या नहीं लेकिन फिर वो सोचती हैं कि उसके पास इस जॉब को एक्सेप्ट करने के अलावा और कोई ऑप्शन नहीं है।
तभी राधिका का ध्यान अपने फोन की रिंग पर जाता है राधिका मोबाइल स्क्रीन पर अननोन नंबर से कॉल देखते हुए बोली अब सुबह-सुबह कौन आ गया वह कॉल उठा कर बोली,
"हेलो
उधर से आवाज आई मैम क्या मेरी बात राधिका माधूरा से हो रही है?"
" जी बताइए में ही राधिका माधूरा हूं।"
" मैम कल आपने एक जॉब के लिए कॉल किया था तो हमने आपको यह बताने के लिए कॉल किया है कि आज आपको कंपनी में इंटरव्यू देने आना होगा अगर आप इंटरव्यू देना आना चाहती है तो मैं आपको लोकेशन सेंड कर दूंगा।"
राधिका को कुछ सोचते हुए बोली,
" ओके सर आप मुझे लोकेशन सेंड कर दीजिए और मुझे इंटरव्यू के लिए कब तक आना है?"
" मैम आप शाम से पहले किसी भी टाइम आ सकती है अगर आप अभी आना चाहती है तो आप अभी भी आ सकती है।"
" ओके सर आप मुझे लोकेशन सेंड कर दीजिए मैं अभी इंटरव्यू के लिए आ रही हूं।"
" थैंक्यू भगवान जी मुझे एक और ऑप्शन देने के लिए लेकिन बस यह जॉब अच्छी हो जिसे मैं कर सकूं।"
तभी राधिका मैसेज को देखती हैं और लोकेशन देखते हुए बोली," ओके अब मैं इंटरव्यू के लिए जाती हूं।"
राधिका रूम से बाहर जाते हुए रुक कर बोली
" लेकिन.... क्या मुझे इस बार शिविन का बताना चाहिए ?"
" बता ही देती हूं उसने मेरी दो बार हेल्प की है और में उसी के घर में रह रही हूं तो मुझे बता ही
देना चाहिए।"
राधिका नीचे जाकर देखती हैं कि शिविन हॉल में सोफे पर बैठा हुआ कॉल पर बात कर रहा था तो वो उसके पास वाले सोफे पर जाकर बैठ जाती है और उसकी बात खत्म होने का इंतजार करती है।
शिविन नोटिस करता है कि राधिका कॉल कटने का इंतजार कर रही थी।
" ओके आई कॉल यू लेटर।" शिविन कॉल कट कर देता है और राधिका की तरफ देखते हुए बोला,
" तुम्हें कुछ बात करनी है ?"
" हां एक्चुअली बात यह है कि अभी ही मुझे एक इंटरव्यू के लिए कॉल आया है। कल वाली जॉब इतनी अच्छी नहीं है तो में सोच रही हूं कि में यह इंटरव्यू देने के लिए चली जाऊं।"
"ठीक है क्या तुम्हारे पास लोकेशन है जहां तुम्हे इंटरव्यू के लिए जाना है?
" हां उन्होंने मुझे अभी लोकेशन सेंड की है" राधिका उसे अपने मोबाइल में लोकेशन दिखाती है।
शिविन लोकेशन को देखते हुए बोला,
" ठीक है तुम ड्राइवर के साथ चली जाना।"
यह कहकर शिविन नाचते के लिए डाइनिंग टेबल पर जाकर बैठ जाता है यह देख राधिका भी नाश्ता करने लगती है।
राधिका नाशता करने के बाद वो ड्राइवर के साथ इंटरव्यू के लिए निकल जाती है।
~
To be Continued....
अब तक
" ठीक है तुम ड्राइवर के साथ चली जाना।"
यह कहकर शिविन नाचते के लिए डाइनिंग टेबल पर जाकर बैठ जाता है यह देख राधिका भी नाश्ता करने लगती है।
राधिका नाशता करने के बाद वो ड्राइवर के साथ इंटरव्यू के लिए निकल जाती है।
अब आग
शारदा डायमंड कंपनी
राधिका कंपनी के सामने खड़े होकर उसे ऊपर तक देखते हुए बोली, "वाह। क्या शानदार कंपनी है।"
शारदा डायमंड कंपनी बहुत बड़ी और शानदार थी जिसे देख हर किसी का दिल वहां काम करने का होगा और यही हालत इस वक्त राधिका की भी थी।
राधिका एक्साइटेड और नर्वस थी क्योंकि वह पहली बार इतनी बड़ी कंपनी में इंटरव्यू देने के लिए जा रही थी।
राधिका गहरी सांस लेती है और अंदर जाती है। राधिका रिसेप्शन की तरफ देखते हुए बोली,
" रिसेप्शन भी कितना सुंदर है बस भगवान जी मुझे यहां जॉब मिल जाएं।"
राधिका रिसेप्शन पर जाकर रिसेप्शनिस्ट से जाकर बोली,
" मैम मुझे इंटरव्यू के लिए बुलाया गया है।"
" राधिका माथुरा", ईशान ने रिसेप्शनिस्ट से पहले ही बताया हुआ था की राधिका माथुरा नाम की लड़की इंटरव्यू के लिए आएगी तो उसे कहां लेकर जाना है।
"ओके मैम आप चलिए मेरे साथ मैं आपको बताती हूं" राधिका उस रिसेप्शनिस्ट के पीछे जाती है।
रिसेप्शनिस्ट राधिका को एक ऑफिस में ले जाकर बोली,
" मैम आप यहां वेंट कीजिए सर थोड़ी देर में आकर आपका इंटरव्यू लेंगे।"
राधिका बैठते हुए बोली "ओके"
रिसेप्शनिस्ट के जाने के बाद राधिका ऑफिस को देखते हुए बोली, " यहां की हर जगह कितनी शानदार है मैं यहां काम कम और पहले ऑफिस को ज्यादा देखूंगी।"
~
राधिका ऑफिस में बैठकर उसकी खूबसूरती को देख रही थी क्योंकि उसने आज से पहले इतना अच्छा ऑफिस कहीं नहीं देखा था।
वो इस बात को लेकर एक्साइटेड थी कि अगर उसे यहां जॉब मिल जाती है तो यह बहुत अच्छा होगा क्योंकि जगह अच्छी है होगी, पोजीशन अच्छी होगी।
राधिका ये सब सोच ही रही थी कि तभी एक 40 साल का आदमी अंदर आता है जिसने फॉर्मल कपड़े पहने हुए थे।
राधिका उसे देखते ही तुरंत चेयर से सीची खड़ी हो जाती है वो आदमी राधिका के सामने वाली चेयर पर बैठते हुए बोला,
" बैठिए मिस राधिका।"
"सबसे पहले मैं खुद को इंट्रोड्यूस करता हूँ। में हूं इस कंपनी का मैनेजर मनोज कुमार और मैं आपका इंटरव्यू लेने वाला हूं।"
"तो आप सबसे पहले मुझे अपने क्वालिफिकेशन दिखाइए।"
मैनेजर के कहने पर राधिका उसे अपनी फाइल दे देती है जिसमें उसने अपने सारे डॉक्यूमेंट रखे हुए थे वो मैनेजर को फाइल देते हुए बोली,
" लिजिए सर इसके अंदर मेरे सारे डाक्यूमेंट्स है।"
मैनेजर राधिका के डॉक्यूमेंट चेक करते हुए बोला,
"आप इस जॉब को क्यों करना चाहती है मतलब आपके लिए ये जॉब कितनी इंपॉर्टंट है?"
"सर क्योकि में एक अच्छी जॉब करना चाहती हूं और ये जॉब मेरे लिए इस वक्त बहुत जरूरी है मुझे इस वक्त जीने के लिए ये जॉब चाहिए।"
"ओके मिस राधिका मैंने आपके सारे क्वालिफिकेशन चेक कर लिए हैं, कंग्रॅजुलेशंस । आप कल से ज्वाइन कर सकती है।" मैनेजर राधिका की तरफ स्माइल करते हुए बोला।
जैसे ही राधिका ने मैनेजर के मुंह से सुना कि कल से वह ज्वाइन कर सकती है तो उसकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा वो अपने मुंह पर हैरानी से हाथ रखते हुए बोली,
" क्या सच में में कल से ज्वाइन कर सकती हूं मतलब में इस जॉब के लिए सिलेक्ट हो गई हूं ?"
" जी मिस राधिका आप इस जॉब के लिए सिलेक्ट हो गई है और कल से आप ऑफिस ज्वाइन कर सकती है लेकिन याद रखेगा कि कल आपको टाइम से यहां आना है बिल्कुल भी लेट मत होना।
9:30 बजे आप यहां पर पहुंच जाएगा उसके बाद आप मुझे आकर मिलिएगा मैं आपको काम कैसे करना है आपकी टेबल कहां पर होगी ये सब में आपको बता दूंगा बस आप टाइम से आ जाना।"
राधिका खुश होकर खड़े होते हुए बोली,
"जी सर में टाइम से आ जाऊंगी में बिल्कुल भी लेट नहीं होंगी व थैंक यू सो मच सर मुझे यह जॉब देने के लिए।"
और राधिका वहां से खुश होकर चली जाती है।
राधिका खुश तो बहुत थी लेकिन उसके पास इस खुशी के बांटने को अपने अलावा कोई और नहीं था।
राधिका कंपनी से बाहर आकर कार में बैठ जाती है और घर के लिए निकल जाती है।
राधिका के ऑफिस से जाने के बाद शिविन भी ऑफिस में आ जाता है। शिविन सीधे अपने कैबिन में जाता है और वो चेयर पर बैठते हुए सामने खड़े ईशान से बोला,
" ईशान मुझे राधिका के डॉक्यूमेंट चाहिए क्योंकि मुझे उसके बारे में जानना है।"
"सर में जानता था कि आप राधिका के डॉक्यूमेंट लेंगे इसलिए मैं पहले ही लेकर आया था" ईशान शिविन के सामने फाइल रखते हुए बोला।
" इस जॉब को पाकर राधिका काफी खुश होंगी लेकिन में अच्छे से जानता हूं कि उनके दिमाग में ये भी जरूर आएगा कि उनके पास इस खुशी को बाटने के लिए कोई नहीं है।"
तभी शिविन की नजर राधिका के मां के नाम पर पड़ती है उसे देख वो कहीं खोजा जाता है और सोचते हुए बोला,
" ये नाम मुझे पहले कहीं सुना हुआ क्यों लग रहा है? शायद होगा किसी का। दुनिया में एक नाम एक ही इंसान का नहीं होता।"
ईशान शिविन की तरफ देखते हुए बोला,
" सर क्या आप जानते हैं कि राधिका मैम का बर्थडे आने वाला है"
"अच्छा ..... लेकिन हम उनका बर्थडे सेलिब्रेट नहीं कर सकते हैं क्योंकि शायद वो खुद यह नहीं चाहेंगी कि हम उनका बर्थडे सेलिब्रेट करें अब वो अपनी फैमिली से दूर जो है। क्योंकि इंसान जब अकेला होता है तो उसे अपने बर्थडे मनाने की कोई खुशी नहीं रहती।"
" लेकिन सर आप राधिका मैम से बातों में पूछ सकते हैं कि क्या उन्हें अपना बर्थडे मनाना अच्छा लगता है या नहीं और सर आप तो अभी तक यह भी नहीं जानते कि उस दिन राधिका मैम शादी के जोड़े में क्यों भाग रही थी?" हो सकता है वो अपनी शादी से भाग गई हो तो आप अगर वो कंफर्टेबल होगी तो आप उनसे यह बात भी जान लीजिएगा।"
"हां ईशान तुम सही कह रहे हो में कल ही उनसे बात करूंगा और उनसे पूहूंगा कि अगर वह अपनी शादी से भागी है तो क्यों ?"
~
To be Continued....
अब तक
" लेकिन सर आप राधिका मैम से बातों में पूछ सकते हैं कि क्या उन्हें अपना बर्थडे मनाना अच्छा लगता है या नहीं और सर आप तो अभी तक यह भी नहीं जानते कि उस दिन राधिका मैम शादी के जोड़े में क्यों भाग रही थी?" हो सकता है वो अपनी शादी से भाग गई हो तो आप अगर वो कंफर्टेबल होगी तो आप उनसे यह बात भी जान लीजिएगा।"
"हां ईशान तुम सही कह रहे हो में कल ही उनसे बात करूंगा और उनसे पूहूंगा कि अगर वह अपनी शादी से भागी है तो क्यों ?"
अब आग
शाम का वक्त,
राधिका बेड पर बैठी हुई थी और अपने हाथ में अपने मां के फोटो को देखते हुए बोली,
" मां क्या आप जानती हैं कि मुझे हैदराबाद की सबसे बड़ी कंपनी में जॉब मिल गई है। अब में अपने पैरों पर खड़ी हो सकती हूं लेकिन... मां मेरे पास इस खुशी को बांटने को कोई नहीं है मैं बिल्कुल अकेली हो चुकी हूं। मैं तो यह भी नहीं जानती कि बाबा मेरे बारे में क्या सोचते होंगे ? शायद हो सकता है कि वह मुझसे नफरत करें।" यह सब कहते हुए उसकी आंखों में आंसू थे।
राधिका अपने आंसुओं को पौंछते हुए बोली,
* लेकिन मां जिस इंसान ने मेरी इतनी हेल्प की और मुझे अपने घर में रहने के लिए भी जगह दी ज मैं उसके साथ तो अपनी खुशी बांट ही सकती हूं ना। हां वो थोड़े अकड्डु और खडूस है लेकिन दिल के तो अच्छे हैं।"
राधिका बेड से उठते हुए बोली,
" तो आज में जॉब लगने की खुशी में सभी के लिए कुछ स्पेशल डिनर बनाती हूं। आज में शिविन और ईशान के लिए और सभी सर्वेट के लिए खुद ही डिनर बनाऊंगी।"
और यह कहकर वो नीचे किचन में जाकर वहां काम कर रहे सर्वेट से बोली,
* रमा जी आप सब मेरी बात सुनिए आज आप सबके लिए और शिविन, ईशान के लिए में ही डिनर बनाऊंगी वो भी अकेले तो आप सब लोग आराम करिए।"
" लेकिन मैम हम ऐसा नहीं कर सकते हैं हमें इसके लिए परमिशन नहीं है और आप तो जानती ही है कि आपने उस दिन सुबह नाश्ता बनाया था तो साहब इस बात से कितना गुस्सा हुए थे तो आपको कोई भी काम करने की जरूरत नहीं है।"
* अरे आप लोग चिंता मत करें आज खाना बनाने के पीछे मेरा रीजन यह है कि आज मुझे जॉब मिल गई है और में अपनी इस खुशी को सेलिब्रेट करना चाहती हूं इसलिए बस में आप सब के लिए खाना बनाना चाहती हूं और यह बात मैं आपके साहब को भी बता दूंगी वह आपको कुछ नहीं कहेंगे।"
"अब आप लोग जाइए और आराम कीजिए।"
"लेकिन मैम......
* अरे मैं आपसे कह रही हूं ना कि आप लोग बेफिक्र आराम करिए।"
"ठीक है मैम जैसा आप कह रही है अगर आपको कुछ भी चाहिए तो हमें आवाज दे दीजिए या फिर हम भी आपकी हेल्प कर देते हैं।"
"अगर मुझे कोई हेल्प चाहिए होगी तो में आपको आवाज लगा दूंगी अभी आप लोग जाइए।"
"ठीक है मैम "
राधिका अपने चुन्नी को उतारते हुए साइड में रख देती है और सबके लिए डिनर तैयार करने लगती है।
राधिका शिविन के आने से पहले ही नाश्ता तैयार कर देती है और नाश्ता तैयार करते हुए सर्वेट की हेल्प से डाइनिंग टेबल पर लगा देती है।
एक सर्वेट राधिका को हैरानी से देखते हुए बोली,
" मैम आपने ये इतना सारा खाना अकेले बना दिया? और ये तो देखने में बहुत टेस्टी लग रहा है।"
" हां क्योंकि आज मेरा खाना बनाने का मूड हो रहा था और वैसे भी मुझे खाना बनाने की आदत है इसलिए मैंने सोचा क्यों ना में आज सबके लिए कुछ स्पेशल डिनर बना दूं इससे आप लोगों को भी थोड़ा आराम मिल गया।"
तभी राधिका की नजर शिविन पर पड़ती है जो कॉल पर बात करते हुए सीधा अपने रूम की तरफ जा रहा था और वो बिना देखे रमा जी को बोला,
"रमा जी आज मैं खाना बाहर खा कर आया हूं तो आप मेरे लिए खाना नहीं लगाइएगा।"
लेकिन साहब.......
रमा जी शिविन से ये कहने ही वाली थी तभी राधिका का उन्हें रोकते हुए बोली,
" नहीं रमा जी "
"आप सभी खाना खाइए में अपना खाना रूम में लेकर जा रही हूं।"
राधिका अपना खाना लेकर अपने रूम में चली जाती है।
एक सर्वेट बोली,
" बताओ राधिका मैम ने कितने प्यार से सबके लिए खाना बनाया था लेकिन शिविन सर ने तो उन्हें बिल्कुल इग्नोर ही कर दिया।"
दूसरे सर्वेट उसे देखते हुए बोली,
" अरे तुम तो जानती हो कि शिवीन सर कैसे हैं वो वही करते हैं जो उन्हें सही लगता है बाकि उन्हें किसी की कोई परवाह नहीं है।"
" खैर छोड़ो हम सब खाना शुरू करते हैं पहली बार आज अपने हाथों के अलावा किसी और के हार्थों का बना खाना खाएंगे वो भी इतना टेस्टी।"
और सभी सर्वेट एक साथ बैठकर डिनर करते हैं।
राधिका बालकनी में बैठी हुई बोली,
" मुझे नहीं भूलना चाहिए था कि में एक अजनबी के घर हूं उसने मेरी हेल्प की लेकिन इसका मतलब यह नहीं की में उसे अपना मान लूं। अब मेरी जॉब लग गई है जल्द से जल्द यहां से चली जाऊंगी।
यह कहकर वह खाना शुरू करती हैं।
राधिका उदास मन से खाना खाती है और अपने आप को समझाती है की वो बिल्कुल अकेली है। खाना खाकर वो सोने के लिए बेड पर लेट जाती है।
राधिका उसके साथ पिछले दिन जो कुछ भी हुआ वह सब सोचते हुए उसकी कब आँख लग गई उसे पता भी नहीं चला।
सुबह का वक्त,
शिविन आज जल्दी उठ जाता है वह हॉल में बैठा हुआ न्यूजपेपर पढ़ रहा था तभी रमा जी उसके पास आते हुए बोली,
" साहब मुझे आपसे कुछ बात करनी थी मैं जानती हूं कि इस बात को कहने की कोई जरूरत नहीं है लेकिन फिर भी में कहना चाहती हूं।"
" जी कहिए रमा जी क्या बात है ?"
रमा जी घर में सबसे बड़ी उम्र की सर्वेट थी और शिविन उनकी बहुत रिस्पेक्ट करता था वो ज्यादातर उनकी बातें मानता था। रमा जी भी उनसे अपने बेटे की तरह ही प्यार करती थी।
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To be Continued....
अब तक
" साहब मुझे आपसे कुछ बात करनी थी मैं जानती हूं कि इस बात को कहने की कोई जरूरत नहीं है लेकिन फिर भी में कहना चाहती हूं।"
" जी कहिए रमा जी क्या बात है ?"
रमा जी घर में सबसे बड़ी उम्र की सर्वेट थी और शिविन उनकी बहुत रिस्पेक्ट करता था वो ज्यादातर उनकी बातें मानता था। रमा जी भी उनसे अपने बेटे की तरह ही प्यार करती थी।
अब आग
रमा जी बैठते हुए बोली,
"कल राधिका ने हम सबके लिए खुद अपने हाथों से डिनर बनाया था आपके और ईशान के लिए भी और हम सभी सर्वेट के लिए भी। हमने उनसे मना भी किया कि हम खुद कर लेंगे लेकिन वो मानी ही नहीं उन्होंने कहा कि आज उन्हें जॉब मिली है और वो उसके सेलिब्रेशन में हम सबके लिए खुद अकेले डिनर तैयार करेंगी और उन्होंने लगभग दो घंटे तक हम सबके लिए इतना टेस्टी खाना बनाया। उन्होंने खाने में सिर्फ एक या दो चीज नहीं बनाई थी पूरी डाइनिंग टेबल अलग-अलग का डिसीज से भरी हुई थी जब हमने उनसे कहा कि आप गुस्सा करेंगे तो उन्होंने कहा कि वह आपसे बात कर लेंगी "
" जब से वो इस घर में आई है पहली बार वो इतनी खुश लग रही थी लेकिन वो आप दोनों का वेट कर रही थी और जब आप आए तो आप बिना खाना खाए, बिना ये देखे हुए ही रूम में चले गए। ये देख उनके चेहरे की मुस्कुराहट वापस गायब हो गई लेकिन उन्होंने यह जाहिर नहीं होने दिया और वो हम सबको डिनर करने के लिए कहकर खुद भी थोड़ा सा खाना अपने लिए लेकर चली गई ।"
शिविन ये सब गौर से सुन रहा था और उसे इस बात का थोड़ा अफसोस भी हो रहा था कि राधिका ने इतनी मेहनत और प्यार से खाना बनाया और उसने उसे देखा तक नहीं। शिविन रमा जी को सवालिया नजर से देखते हुए बोला,
" लेकिन रमा जी जब आप सभी बातें जानती थी तो आपने मुझे क्यों नहीं बताया ?"
" में आपको बताने ही वाली थी लेकिन तभी राधिका ने मुझे रोक दिया।"
" आप चिंता मत करिए रमा जी में राधिका से बात करूंगा और आगे से अगर ऐसा कुछ होता है तो आप मुझे पहले ही इन्फॉर्म कर दीजिएगा।"
जी साहब और यह कहकर रगा वहां से उठकर वापस अपने काम में लग जाती है।
शिविन कुछ देर सोच कर ऊपर राधिका के रूम की तरफ बढ़ जाता है।
शिविन राधिका के रूम में जाकर दरवाजे को नोक करता है लेकिन अंदर से कोई आवाज नहीं आती। अंदर से कोई रिस्पांस ना आने पर शिविन दरवाजा खोलता है वो देखता है कि राधिका रूम में नहीं थी लेकिन तभी उसे बाथरूम से पानी की आवाज आती है वो समझ जाता है कि राधिका बाथरूम में है।
शिविन की नजर बेड पर पड़ती है जहां राधिका ने अपने ऑफिस के लिए एक ड्रेस निकाल कर रखी हुई थी। लेकिन तभी शिदिन की नजर बेड पर रखे एक फोटो पर पड़ती है शिविन उस फोटो को जैसे ही उठा कर देखता है तो वो उसे फोटो को देखकर चौंक जाता है।
इससे पहले वह कुछ सोचता तभी राधिका बाथरूम से बाहर आती है तभी शिविन की नजर उसे पर पड़ती है जो अपने भीगी वालों को सुखा रही थी।
राधिका को सिविल को देखते ही कल रात के बाद याद आ जाती है तो वो उसे याद करते हुए सीरियस टोन में बोली,
" अरे आप... आपको मुझसे कोई काम है।"
" नहीं... मुझे आपसे कोई काम नहीं है बस कुछ बात करनी थी।"
राधिका की नजर शिविन के हाथ में उस फोटो पर पड़ती है। राधिका शिविन के पास जाकर उसे फोटो को लेते हुए बोली आप इसका क्या कर रहे हैं।
बस देख रहा था यहां बेड पर रखा हुआ था।
राधिका सिविल सेव फोटो लेकर डायरी में रखते हुए बोली कहीं आपको क्या बात करनी थी।
शिविन गहरी सांस लेते हुए बोला ....
" एक्चुअली में नहीं जानता था कि कल आपने हम सबके लिए खाना बनाया था और इसीलिए मैं वहां से अपने रूम में चला गया।"
राधिका बिना एक्सप्रेशन के साथ बोली,
" कोई बात नहीं इसमें बुरा मानने वाली कोई भी बात नहीं है आपका घर है आप जब कुछ खाना चाहे खा सकते हैं और अगर आप बाहर से खा कर आये थे उसमें प्रॉब्लम ही क्या है मैंने तो सबके लिए बनाया था जिसे खाने का मन हुआ उसने खा लिया और जिसका नहीं हुआ उसने नहीं खाया I'
शिविन राधिका की बातो से समझ गया था कि वो उस बात से अपसेट थीं लेकिन वो ये दिखाना चाहती थी कि उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा।
लेकिन शिविन को इतनी अच्छे से बिहेव की आदत नहीं थी तो वो अपनी सीरियस टोन में बोला,
" तो मिस राधिका जब आपने सबके लिए इतने प्यार से खाना बनाया था और बाकी घर में हर कोई जानता था कि खाना आपने बनाया है अलावा मेरे और ईशान के.... तो जब मैं घर आया था आप मुझे बता भी तो सकती थी कि आज खाना आपने हम सबके लिए बनाया है अपनी जॉब की सेलिब्रेशन में।"
" कोई बात नहीं शिविन जी मुझे इस बात का बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा और वैसे भी हम दोनों एक दूसरे को बहुत ही कम जानते हैं क्योंकि हमारी मुलाकात सिर्फ मजबूरी में हुई थी मुझे आपकी हेल्प की जरूरत थी और आपने मेरी हेल्प की जिसके लिए में आपकी एहसानमंद हूं। मेरे लिए इतना ही काफी है कि आपने उस दिन मेरी मदद की और उस दिन से लेकर आज तक आपने मुझे यहां रहने दिया है इससे ज्यादा हमें किसी से उम्मीद नहीं लगानी चाहिए।"
"लेकिन आपको नहीं लगता मिस राधिका..... हम इतने भी अजनबी नहीं है क्योंकि मैं आपके पापा को पहले से ही जानता हूं। खैर.... मर्जी आपकी है मैं आपके साथ कोई जबरदस्ती नहीं करूंगा ये बात मैंने आपसे पहले भी कही थी आप से मैं बात करने इसीलिए आया था क्योंकि अभी मुझे रमा जी ने बताया तो मुझे लगा कि कहीं आपको बुरा ना लगा हो इसलिए मैं आपसे यह क्लियर कर देता हूं कि मैंने वो जान बूझकर नहीं किया था में बस उसे बारे में नहीं जानता था।"
राधिका हल्की स्माइल के साथ बोली,
"कोई बात नहीं मुझे इस बात का बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा।"
~
To be Continued....
अब तक
"लेकिन आपको नहीं लगता मिस राधिका..... हम इतने भी अजनबी नहीं है क्योंकि मैं आपके पापा को पहले से ही जानता हूं। खैर.... मर्जी आपकी है मैं आपके साथ कोई जबरदस्ती नहीं करूंगा ये बात मैंने आपसे पहले भी कही थी आप से मैं बात करने इसीलिए आया था क्योंकि अभी मुझे रमा जी ने बताया तो मुझे लगा कि कहीं आपको बुरा ना लगा हो इसलिए मैं आपसे यह क्लियर कर देता हूं कि मैंने वो जान बूझकर नहीं किया था में बस उसे बारे में नहीं जानता था।"
राधिका हल्की स्माइल के साथ बोली,
"कोई बात नहीं मुझे इस बात का बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा।"
अब आग
"अब मुझे रेडी होना है क्योंकि मैं अपनी ऑफिस के पहले दिन लेट नहीं होना चाहती और अब मैं जल्द से जल्द यहां से जा भी सकूंगी क्योंकि मैं किसी पर बोझ बिल्कुल भी नहीं बनना चाहती हूं
आपने तो फिर भी मेरी इतनी मदद की है।"
"ठीक है राधिका जी जैसी आपकी मर्जी" और ये कहकर शिविन वहां से चला जाता है लेकिन शिविन के दिमाग में अभी भीवो फोटो चल रहा था जो उसने राधिका के बेड पर देखा था।"
तभी राधिका मुंह बनाते हुए बोली,
" ऑल द बेस्ट तक बोलकर नहीं गए.. कितने भी अच्छा बनने की कोशिश कर ले लेकिन है तो खडूस ही.. लेकिन राधिका तुझे क्यों फर्क पड़ रहा है वो तुझे ऑल द बेस्ट बोले या ना बोले इससे कोई फर्क नहीं पड़ता और तुझे किसी से कोई उम्मीद भी नहीं लगानी है।"
शिविन कुछ सोचते हुए तुरंत जल्दबाजी में अपने रूम में जाता है वो अपने रूम में बने स्टडी रूम में जाकर अपनी अलमारी की तिजोरी को अनलॉक करता है और उसमें से एक फोटो एल्बम निकालता है।
" उस फोटो में उस लेडी की शक्ल बिल्कुल इस फोटो से मिलती है क्या यह कोई इत्तेफाक है.... जो भी हो मुझे इस बारे में जानना ही होगा ये मेरे लिए बहुत जरूरी है कि आखिर इन दोनों का कनेक्शन क्या है ?"
शिविन किस फोटो को देखकर इतना हैरान था और किसकी शक्ल उस फोटो से मिलती थी ? क्या शिविन और राधिका का कोई पुराना कनेक्शन है या सिर्फ ये एक इत्तेफाक है ?
शिविन फोटो एल्बम में देखते हुए बोला,
" आखिर राधिका के पास वो फोटो क्या कर रही थी? क्या राधिका का उससे कोई कनेक्शन है।"
कुछ सेकंड सोचने के बाद शिविन अपनी पॉकेट से फोन निकाल कर ईशान को कॉल लगता है 2 रिंग जाने के बाद ईशान कॉल उठाकर उधर से बोला,
" गुड मॉर्निंग सर"
"गुड मॉर्निंग ईशान, मुझे तुमसे एक अर्जेंट काम है जो शाम तक पूरा हो जाना चाहिए। मुझे राधिका की फैमिली के बारे में हर डिटेल चाहिए उनकी फैमिली के हर एक मेंबर के बारे में सब कुछ जानना है और ये सारी इनफॉरमेशन तुम्हें मुझे शाम तक देनी है।"
"ओके सर, शाम तक आपको सारी इनफार्मेशन मिल जाएगी। सर क्या अपने राधिका मैम से उस दिन रात वाली बात पूछी ?"
"नहीं... मुझे उसका टाइम नहीं मिला तो हो सके तो तुम ही उस बारे में पता लगा लेना ।"
" ओके सर में आपको शाम तक सारी इनफार्मेशन प्रोवाइड कर दूंगा।"
शिविन ये कहकर कॉल को कट कर देता है और सोफे पर बैठते हुए फोटो एल्बम को देखते हुए बोला,
" मुझे शाम तक पता चल जाएगा कि ये सिर्फ मेरा शक है या सच है क्योंकि ये कोई इत्तेफाक तो नहीं हो सकता है।"
" शिविन इस बात को जानने के लिए काफी बेताब था मानो जैसे किसी को सालों पहले एक जरूरी चीज खो गई हो और अब तुरंत मिलने वाली हो ।"
राधिका मिरर के सामने खड़ी होकर अपने बालों को सही कर रहीं थी वो ऑफिस के लिए रेडी हो चुकी थी। उसने ट्राउजर कुर्ती और गले में स्कार्फ, बाल खुले और कानों में छोटी-छोटी झुमकियां और हाथ में घड़ी पहनी हुई थी।
देखने में वो काफी सिंपल लेकिन सुंदर लग रही थी। राधिका अपने आप को देखकर स्माइल करते हुए बोली,
" मुझे यकीन नहीं हो रहा कि मेरी किस्मत रातों-रात बदल गई।"
" मैं हमेशा से ही यह चाहती थी कि में बाहर किसी कंपनी में अच्छी सी जॉब करूं लेकिन मेरी मां की वजह से उन्होंने मुझे कभी बाहर घूमने तो जाने नहीं दिया तो जॉब तो क्या ही करवाते उन्हे तो बस सारा घर का काम मुझसे कराना था।"
"अब तक मैंने उनकी रिस्पेक्ट की थी लेकिन उन्होंने जो मेरे साथ करने की कोशिश की उसके बाद मेरे दिल में उनके लिए कोई भी रिस्पेक्ट नहीं बची है। कहां मैं सुबह उठने से लेकर शाम को सोने तक नौकरों की तरह काम करती और डांट खाती रहती थी। और कहां अब में हैदराबाद की सबसे बड़ी कंपनी में जॉब करने जा रही हूं।"
"भगवान जी थैंक यू सो मच, आप ऐसे ही मेरा साथ देते रहिएगा।" राधिका अपनी मां का फोटो देखते हुए बोली,
" आप मुझे जॉब करते देख बहुत खुश होती लेकिन मैं जानती हूं आप जहां भी है वहीं से मुझे देख रही है तो आप आशीर्वाद हमेशा की तरह मेरे साथ रखिएगा।"
यह कहकर राधिका उस फोटो को अपने सीने से लगा लेती है।
राधिका अपने हाथ में बंधी घड़ी में टाइम देखते हुए बोली,
" चल राधिका, तू जल्दी चल वरना लेट हो जाएगी सर ने कहा था कि 9:30 बजे तक आना है"।
यह कहकर राधिका बेड से अपना पर्स उठाती है और नीचे हॉल में आ जाती है।
रमा जी राधिका को आवाज लगाते हुए बोली,
" राधिका आ जाओ नाश्ता तैयार है।"
राधिका नाश्ता करने के लिए डाइनिंग टेबल पर बैठते हुए बोली,
" थैंक यू सो मच रमा जी, आपने टाइम से नाश्ता बना दिया ।"
तभी शिविन भी रेडी होकर वहां आ जाता है। शिविन ने नेवी कलर का श्री पीस सूट पहना हुआ
था। हाथ में ब्रांडेड घड़ी और हर बार की तरह वो काफी हैंडसम लग रहा था।
" रमा जी जल्दी नारता दीजिए मुझे ऑफिस के लिए लेट हो रहा है। रमा राधिका और शिविन को नास्ता परोसती है।
शिविन नाश्ता करते हुए राधिका की तरफ देखते हुए बोला,
" राधिका तुम ड्राइवर के साथ ऑफिस में चले जाना कभी उस दिन की तरह अकेले निकल पड़ो "
राधिका हल्की स्माइल के साथ शिविन की तरफ देखते हुए बोली, "ओके में ड्राइवर के साथ ही
जाऊंगी।"
~
To be Continued....
अब तक
शिविन नाश्ता करते हुए राधिका की तरफ देखते हुए बोला,
" राधिका तुम ड्राइवर के साथ ऑफिस में चले जाना कभी उस दिन की तरह अकेले निकल पड़ो "
राधिका हल्की स्माइल के साथ शिविन की तरफ देखते हुए बोली, "ओके में ड्राइवर के साथ ही
जाऊंगी।"
अब आग
तभी रमा जी राधिका से बोली,
" वैसे आपकी किस कंपनी में जॉब लगी है।"
राधिका अपने साइड में खड़ी रमा की तरफ देखते हुए बोली, ""शारदा डायमंड कंपनी "*
शारदा डायमंड कंपनी का नाम सुनते ही रमा बोली,
" अरे यह तो ..... उसने इतना ही कहा था कि तभी शिविन रमा को रोकते हुए उसकी तरफ देखते हुए बोला, "रमा जी मुझे जूस दीजिए " और इशारे में वो रमा को मना कर देता है।
यह देख रमा वही चुप हो जाती है और शिविन को जूस दे देती है।
राधिका रमा जी से बोली, "आप क्या कह रही थी?"
रमा बात को बदलते हुए बोली,
" अरे मैं तो ये कह रही थी कि यह कंपनी तो हैदराबाद की सबसे बड़ी कंपनी है ना, और ये तो बडी अच्छी बात है कि आपको इतनी बड़ी कंपनी में जॉब मिल गई।"
राधिका खुश होते हुए बोली,
" जी में भी इस बात से काफी खुश हूं कि मुझे इतनी बड़ी कंपनी में जॉब मिल गई।"
राधिका नाश्ता करके उठते हुए बोली,
" ठीक है अब में चलती हूं वरना में लेट हो जाऊंगी" और यह कहकर वो जैसे ही बाहर जाती है तो वो देखती है कि ड्राइवर पहले से ही तैयार खड़ा था।
ड्राइवर राधिका को देखते हुए बोला,
" मैम आप तैयार है तो चले ?"
"जी चलिए "
कुछ देर बाद राधिका कंपनी में पहुंच जाती है वो काफी एक्साइटेड थी। हर किसी की नजर राधिका पर थी। राधिका अपनी चेहरे पर स्माइल के साथ सीधा मैनेजर से मिलने के लिए उनके केबिन में चली जाती है।
" गुड मॉर्निंग सर"
"गुड मॉर्निंग राधिका ... अच्छा हुआ तुम टाइम से आ गयी तुम मेरे साथ आओ मैं तुम्हें तुम्हारी डेस्क दिखाता हूं।"
मैनेजर राधिका को राधिका की टेबल दिखा देता है और उसे सारा वर्क भी समझा देता है। वर्क समझाने के बाद वो उससे बोला,
" अगर तुम्हें कोई हेल्प चाहिए होगी तो तुम ऋषभ से पूछ सकती हो।"
ऋषभ भी इस कंपनी का एम्पलाई था और उसकी टेबल राधिका के साइड में ही थी।
यह कहकर मैनेजर वहां से चला जाता है ।
तभी ऋषभ राधिका की तरफ हाथ बढ़ाते हुए बोला, "हेलों में ऋषभ,"
राधिका उससे हाथ मिलाते हुए बोली, "हेलो में राधिका"
ऋषभ काफी फ्रेंडली अंदाज का था तो वो अपने इसी टोन में राधिका से बोला,
" देखो राधिका ... अगर तुम्हें मेरी कोई भी हेल्प चाहिए तो बेझिझक पूछ लेना क्योंकि अगर तुम अकेले ही काम करना चाहोगी ना... तो पहले ही दिन तुम्हारा दिमाग खराब हो जाएगा।"
"और हां जरा यहां के बॉस से बच के रहना और ऋषभ राधिका की थोड़े पास जाकर मुंह पर हाथ रखकर धीरे से बोला,
" क्योंकि वो है ना बहुत ही खडूस है एक नंबर का.... तुम्हें पता है ? हमने तो उसे आज तक हंसते हुए देखा ही नहीं है।"
राधिका ऋषभ की ऐसी बातों को सुनकर हंसने लगती है और बोली, "बैंक यू मुझे बताने के लिए "
इसी तरह राधिका अपना काम करने में बिजी हो जाती है।
श्याम का वक्त,
शिविन अपने केबिन में टेबल पर रखे लैपटॉप में काम करते हुए बोला,
"ये ईशान का अभी तक कॉल क्यों नहीं आया? वो अपनी घड़ी में टाइम देखता है और बोला,
" मैंने कहा था कि शाम तक बता देना लेकिन...."
तभी शिविन की नजर ईशान पर पड़ती है जो उसके सामने आकर खड़ा होता है तो वो उसे देखते हुए बोला,
"कहां थे तुम में कब से तुम्हारा वेट कर रहा था। क्या तुम्हें सारी इनफार्मेशन मिल गई?"
वो इनफॉरमेशन निकालने में थोडा टाइम लग गया था लेकिन मैंने सारी इनफॉरमेशन ले ली है। ईशान उसे पेन ड्राइव देते हुए बोला, "इसमें सारी इनफॉरमेशन है।"
तभी ईशान का फोन बजता है जिसे देख ईशान शिविन के केबिन से बाहर चला जाता है।
शिविन तुरंत पेन ड्राइव को अपने लैपटॉप से कनेक्ट करता है और उसमें इनफॉरमेशन चेक करता है उन्हें देखते ही शिविन हैरान हो गया।
शिविन हैरानी नजरों से लैपटॉप को देखते हुए बोला,
" यानी कि मेरा शक सही था ये कोई इत्तेफाक नहीं है लेकिन ये सब कैसे हो सकता है और क्या राधिका इन सब के बारे में जानती है, नहीं... जब में इस बारे में नहीं जानता तो वो कैसे जान सकती है।"
"इतने सालों बाद "...... शिविन सारी इनफॉरमेशन को देखते हुए किसी सोच में डूब चुका था।
ऋषभ अपनी चेयर पर पीछे लगते हुए राधिका की तरफ देखते हुए बोला,
"राधिका कॉफी पीने चलते हैं वैसे भी तुम सुबह से लगातार काम कर रही हो तो तुम थक गई होगी। कॉफी से तुम्हें अच्छा महसूस होगा ।"
राधिका बोली, " लेकिन अभी तक मेरा काम कंप्लीट नहीं हुआ है तुम जाओ में इसे कंप्लीट कर देती हूं।"
"अरे यार। क्या राधिका पहले दिन जितना काम तुमने किया है यह काफी है। थोड़ा रेस्ट कर लोगी तो ये लोग तुम्हारी सैलरी कट नहीं कर देंगे। आज फर्स्ट डे है तो थोड़ा आज रिलैक्स रहो।"
" मैंने तो अपने फर्स्ट डे इतना काम किया भी नहीं था पहले दिन तो थोड़ा काम करते हैं ऑफिस को अच्छे से देखते हैं हर जगह घूमना चाहिए। तभी तो मजा आता है वरना ऐसे तो हम लगातार काम करते-करते बोर हो जाएंगे "
"अब चलो जल्दी से खड़ी हो जाओ।"
राधिका ऋषभ के साथ कॉफी पीने के लिए चली जाती है। ऋषभ राधिका को ऑफिस दिखा रहा था कि कहां क्या चीज है कहां किसका केबिन है यह सब।
~
शिविन उस इनफॉरमेशन को देखकर हैरान था जो ईशान ने उसे ला कर दी थी।
शिविन इस बारे में सोच ही रहा था तभी ईशान दोबारा केबिन में आता है और ईशान के सामने खड़े होते हुए बोला,
* उनकी फैमिली के बारे में सारी इनफॉरमेशन इस पेन ड्राइव में है और मैंने उस रात के बारे में भी पता किया तो मुझे सिर्फ इतना ही पता चला कि उस दिन राधिका मैम की शादी थी वो भी उनसे age में बड़े लड़के के साथ। ये शादी अचानक तय हुई थी लेकिन राधिका जी इस शादी से क्यों भागी और यह शादी इस तरह अचानक क्यों हुई इस बारे में कोई नहीं जानता है इस बारे में सिर्फ राधिका मैम ही जानती है।""
~
To be Continued....
अब तक
शिविन इस बारे में सोच ही रहा था तभी ईशान दोबारा केबिन में आता है और ईशान के सामने खड़े होते हुए बोला,
* उनकी फैमिली के बारे में सारी इनफॉरमेशन इस पेन ड्राइव में है और मैंने उस रात के बारे में भी पता किया तो मुझे सिर्फ इतना ही पता चला कि उस दिन राधिका मैम की शादी थी वो भी उनसे age में बड़े लड़के के साथ। ये शादी अचानक तय हुई थी लेकिन राधिका जी इस शादी से क्यों भागी और यह शादी इस तरह अचानक क्यों हुई इस बारे में कोई नहीं जानता है इस बारे में सिर्फ राधिका मैम ही जानती है।""
अब आग
* लेकिन सर आपने अचानक उनके बारे में इनफार्मेशन निकालने के लिए क्यों कहा ?"
" बैठो फिर बताता हूं"
ईशान शिविन के कहने पर शिविन के सामने वाली चेयर पर बैठते हुए बोला,
* ओके अब बताओ "
ईशान और शिविन दोनों ही एक दूसरे के काफी अच्छे दोस्त थे। और उन्हें एक दूसरे की हर बात पता रहती थी वे हमेशा एक दूसरे को सारी बातें शेयर करते थे। ईशान का यही फैसला था कि वो शिविन का सेक्रेटरी बने ताकि उसके पास कोई ऐसा इंसान हो जिस पर शिविन आंख बंद कर भरोसा कर सके ।
शिविन खिड़की की तरफ देखते हुए बोला,
* तुम्हें मां की दोस्त राधा आंटी याद है जिनकी बेटी के साथ हम अक्सर खेला करते थे, जुन्नू के साथ।"
* अरे हां... राधा आंटी और जुन्नु को कैसे भूल सकते हैं उनके साथ तो हमारी बहुत यादें जुड़ी हुई है ।"
" लेकिन तुम्हें अचानक उनकी बात कैसे याद आ गई?"
शिविन ईशान की तरफ देखते हुए बोला,
* एक्चुअली कल राधिका ने मेरे और तुम्हारे और बाकी सब servant के लिए अकेले ही खुद डिनर तैयार किया था अपनी जॉब के सेलिब्रेशन के लिए ।"
* लेकिन ना इस बात को में जानता था और नहीं तुम। कल तुम भी घर नहीं गए और मैंने कल इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया कि आज डिनर राधिका ने तैयार किया है। मैं बिना डाइनिंग टेबल पर देखे सीधा अपने रूम में चला गया और रमा जी को यह कह दिया कि आज में डिनर करके आया हूं।"
राधिका इस बात से थोड़ी अपसेट हो गयी थीं और आज सुबह ही रमा जी ने मुझे ये बताया तो इसी बात को बताने के लिए में राधिका से उनके रूम में मिलने गया।
"और जब में रूम में गया तो राधिका तो बाथरूम में थी लेकिन मैंने बेड पर राधा आंटी का फोटो देखा उसे देखते ही में हैरान हो गया कि आखिर यह फोटो राधिका के पास क्या कर रहा है। मैं यह सब सोच ही रहा था कि तभी राधिका आ गई और में उससे ये पूछ भी नहीं पाया कि राधा आंटी की फोटो उसके पास क्या कर रही है?"
"इसलिए मैंने तुमसे कहा था कि तुम राधिका के बारे में सारी इनफार्मेशन निकालो और अब इनफॉरमेशन से पता चला कि राधा आंटी राधिका की मां है।"
शिविन की बात सुनकर ईशान हैरान होते हुए उससे बोला,
"यानी की जिस जुन्नु के साथ हम बचपन में खेला करते थे वो राधिका ही है?”
"यानी की जिस जुन्नु के साथ हम बचपन में खेला करते थे वो राधिका ही है?"
"हां वह राधिका ही है"
" लेकिन क्या राधिका इस बारे में जानती है? कि हम उसके वही दोस्त है जिसके साथ वो बचपन में खेला करती थी, हम एक साथ कितनी मस्ती करते थे हमेशा सारा टाइम एक दूसरे के साथ बिताते थे।"
"नहीं मुझे नहीं लगता कि राधिका को ये सब पता है क्योंकि जब हमें ही इस बात का अब पता चल रहा है तो उसके पास तो इस बात का कोई clue भी नहीं है।"
" शिविन मुझे तो इस बात का विश्वास ही नहीं हो रहा कि हमें हमारी जुन्नु वापस मिल गई है और तुम्हारी और जुन्नू की दोस्ती तो काफी स्ट्रांग थी।"
" इस बात से मुझे काफी हैरानी हो रही है लेकिन उसके साथ-साथ खुशी भी हो रही है। पता नहीं जब राधिका को इस बात का पता चलेगा तो उसका क्या रिएक्शन होगा।"
" शिविन हमें उसे बता देना चाहिए वरना वो हमें एक अजनबी ही समझेगी और जल्द ही इस घर को छोड़ना चाहेगी। लेकिन ये हम दोनों अच्छे से जानते हैं कि उसका अकेले बाहर रहना बिल्कुल भी सेफ नहीं है।"
" सबसे पहले हमें राधिका के बारे में यह जानना होगा कि आखिर उसके साथ ऐसा क्या हुआ जिससे वो इस शादी से भागने पर मजबूर हो गई क्योंकि इस बात को सिर्फ राधिका ही हमें बता सकती है बाकी कितनी भी कोशिश करने लेकिन हम नहीं पता लगा पाएंगे।"
" और 2 दिन बाद उसका बर्थडे भी है तुम्हें याद है ना कि हम उसका बर्थडे हमेशा कैसे सेलिब्रेट करते थे लेकिन पिछले 20 सालों से हम ना ही एक दूसरे से मिले हैं और ना हीं एक दूसरे की शक्ल देखी है।"
" लेकिन जुन्नु अभी भी बिल्कुल वैसे ही है। हमारे साथ उसका बिहेव बदला है या नहीं इस बात का तो तब पता चलेगा जब उसे इस बात का पता चलेगा कि हम बचपन वाले दोस्त है।"
" तुम सही कह रहे हो वो अभी भी बिल्कुल वैसे ही है मासूम सी शक्ल। लेकिन अभी हमारी जिम्मेदारी है कि हम उसे खुश रखे क्योंकि आंटी के जाने के बाद वो शायद अकेली हो गई होगी और उसके साथ कुछ ऐसा हुआ ही होगा कि वो अपनी शादी से भागी। अब वो बिल्कुल अकेली है और उसका ख्याल भी हमे ही रखना होगा।"
" तुम इस बात की चिंता मत करो। तुम बस किसी भी तरह उसे घर में रहने दो वो घर से बाहर नहीं जानी चाहिए।"
शिविन कुछ सोचते हुए बौला,
" लेकिन कैसे रोकु यह बात समझ नहीं आ रही ?"
" देखो शिविन.... अभी हम उसे ये बात डायरेक्टली नहीं बता सकते हैं। सबसे पहले हमे यह करना होगा कि हमें उसे इस बात का एहसास दिलाना होगा कि हम उसके अच्छे दोस्त हैं वो हमारे पास सेफ फिल कर सकती है और हमें अपने दिल की बात बता सकती है एक बार दोबारा फिर हमें उसे अपना दोस्त बनना होगा।"
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To be Continued....
अब तक
" लेकिन कैसे रोकु यह बात समझ नहीं आ रही ?"
" देखो शिविन.... अभी हम उसे ये बात डायरेक्टली नहीं बता सकते हैं। सबसे पहले हमे यह करना होगा कि हमें उसे इस बात का एहसास दिलाना होगा कि हम उसके अच्छे दोस्त हैं वो हमारे पास सेफ फिल कर सकती है और हमें अपने दिल की बात बता सकती है एक बार दोबारा फिर हमें उसे अपना दोस्त बनना होगा।"
अब आग
" तुम सही कह रहे हो। हमें उसे जॉब के सेलिब्रेशन के लिए घर पर पार्टी देंगे.. सरप्राइज पार्टी....
ईशान शिविन को चिढ़ाते हुए बोला,
"वैसे देख लो बाकी सब के लिए तुम heatless माफिया हो और एक खडूस इंसान लेकिन जुड्नु के लिए तुम कितने स्वीट बना रहे हो।"
" मैं अपनों के लिए स्वीटी ही होता हूं मिस्टर ईशान।
ईशान हसते हुए बोला, "अब चलो घर के लिए निकलते है क्योंकि राधिका के भी जाने का टाइम हो रहा है।"
"ठीक है चलो जल्दी।"
इधर राधिका मन में सोचते हुए बोली,
"मेरा ऑफिस का पहला दिन कितना अच्छा रहा और मुझे एक अच्छा दोस्त भी मिल गया। बस अब मुझे अच्छी तरह से मेहनत करनी होगी।"
~
शिविन और ईशान दोनों ही इस बात से काफी खुश थे कि उन्हें उनकी बचपन की दोस्त जुन्नू मिल गई है लेकिन राधिका इस बात से अनजान थी।
" शिविन चलों चलते हैं वरना हमारे साथ-साथ राधिका भी घर पहुंच जाएगी।"
शिविन और ईशान दोनों राधिका को उसकी जॉब की सरप्राइज पार्टी देने के लिए ऑफिस से जल्दी निकल जाते हैं।
ईशान जल्दी से ब्लैक रॉयल कार की ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता है और शिविन बैंक सीट पर।
वे दोनों घर के लिए निकल ही चुके थे। शिविन की नजर उसके आईपैड पर थी वो आराम से बैठा हुआ आईपैड को देख रहा था तभी अचानक से ब्रेक लगने के कारण शिविन के हाथ से आईपैड गिर जाता है।
शिविन बिना सामने देखते हुए बोला,
* क्या हुआ ईशान तुमने ऐसे ब्रेक क्यों मारा? आराम से चलाओ इतनी भी जल्दी नहीं है।"
ईशान के कोई जवाब न देने पर शिविन जैसे ही सामने देखता है।
शिविन और ईशान की गाड़ी को पांच ब्लैक कार घेरे खड़ी थी।
* ईशान इन लोगों को भी उसी दिन आना होता है जिस दिन मुझे किसी काम के लिए जल्दी होती है अब आधा टाइम वेस्ट कर देंगे...... चलो देखते हैं इनको भी..... क्या प्रॉब्लम है।"
ये कहकर शिविन और ईशान दोनों अपनी गन उठाते हैं और कार से बाहर निकलते हैं।
आज ईशान और शिविन दोनों अकेले ही थे उनके साथ कोई बॉडीगार्ड नहीं था।
शिविन और ईशान को गाड़ी से निकलते हुए देख बाकी सभी भी अपनी कार से निकल जाते हैं सबके हाथों में हथियार थे।
उन सबको देखकर पता चल रहा था कि वो शिविन और ईशान को मारने के लिए आए हैं लेकिन उन्हें देखकर शिविन और ईशान की आंखों में कोई डर नहीं था।
शिविन कार के सहारे स्टाइल में खड़े होते हुए बोला,
" तो ठीक है तुम लोग एक बार फिर सोच लो.... क्योंकि अभी मुझे किसी इंपॉर्टेट काम के लिए
जाना है तो या तो तुम लोग चुपचाप जैसे आए हो वैसे चले जाओ वरना दोबारा तुम आने के लायक बचाने वाले नहीं हो।"
तभी उन गुंडो का लीडर बोला,
" अरे हम आए हैं तुम्हें ऊपर भेजने के लिए और तुम्हे ऊपर पहुंचाने के बाद हमें आने की जरूरत
भी नहीं है।"
शिविन स्माइल करते हुए बोला,
"ठीक है... मुझे तुम लोगों को एक वार्निंग देनी थी जो मैंने दे दी। अब तुम्हें यहां से चुपचाप जाना है या मेरे साथ लड़ाई करनी है बात तुम पर डिपेंड करती है.. जैसे तुम्हारी मर्जी... और ये तो तुम्हें अब पता ही चल जाएगा कि कौन ऊपर जाएगा और कौन नहीं जाएगा।"
तभी दो लड़के ईशान और शिविन पर अटैक करते हैं। शिविन उसके अटैक को रोकते हुए उस लड़के के हाथ को मोडते हुए उसे एक जोर की किक मारता है।
कुछ देर ऐसे ही बिना हथियार के फाइट करने के बाद अब शिविन के अंदर गुस्सा भर चुका था। वो अपनी गन निकालता है और सभी को बेरहमी से शूट करने लगता है। धीरे-धीरे वहां शिविन और ईशान के अलावा कोई नहीं बचा था शिविन के कपड़े बिल्कुल खून में रगं चुके थे। ईशान बस साइड में खड़ा हुआ ये देख रहा था क्योंकि उन सबके लिए शिविन अकेला ही काफी था।
शिविन देखने में काफी डेंजरस लग रहा था अगर कोई भी उसे इस हालत में देखता तो सब की रूह कांप जाती।
सभी को मारने के बाद शिविन और ईशान वापस अपनी कार में बैठ जाते हैं और घर के लिए निकल जाते है।
राधिका खुश तो बहुत थी लेकिन उसके पास इस खुशी के बांटने को अपने अलावा कोई और नहीं था।
राधिका कंपनी से बाहर आकर कार में बैठ जाती है और घर के लिए निकल जाती है।
राधिका के ऑफिस से जाने के बाद शिविन भी ऑफिस में आ जाता है। शिविन सीधे अपने कैबिन में जाता है और वो चेयर पर बैठते हुए सामने खड़े ईशान से बोला,
" ईशान मुझे राधिका के डॉक्यूमेंट चाहिए क्योंकि मुझे उसके बारे में जानना है।"
"सर में जानता था कि आप राधिका के डॉक्यूमेंट लेंगे इसलिए मैं पहले ही लेकर आया था" ईशान शिविन के सामने फाइल रखते हुए बोला।
" इस जॉब को पाकर राधिका काफी खुश होंगी लेकिन में अच्छे से जानता हूं कि उनके दिमाग में ये भी जरूर आएगा कि उनके पास इस खुशी को बाटने के लिए कोई नहीं है।"
तभी शिविन की नजर राधिका के मां के नाम पर पड़ती है उसे देख वो कहीं खोजा जाता है और सोचते हुए बोला,
" ये नाम मुझे पहले कहीं सुना हुआ क्यों लग रहा है? शायद होगा किसी का। दुनिया में एक नाम एक ही इंसान का नहीं होता।"
ईशान शिविन की तरफ देखते हुए बोला,
" सर क्या आप जानते हैं कि राधिका मैम का बर्थडे आने वाला है"
"अच्छा ..... लेकिन हम उनका बर्थडे सेलिब्रेट नहीं कर सकते हैं क्योंकि शायद वो खुद यह नहीं चाहेंगी कि हम उनका बर्थडे सेलिब्रेट करें अब वो अपनी फैमिली से दूर जो है। क्योंकि इंसान जब अकेला होता है तो उसे अपने बर्थडे मनाने की कोई खुशी नहीं रहती।"
~
To be Continued....
अब तक
" सर क्या आप जानते हैं कि राधिका मैम का बर्थडे आने वाला है"
"अच्छा ..... लेकिन हम उनका बर्थडे सेलिब्रेट नहीं कर सकते हैं क्योंकि शायद वो खुद यह नहीं चाहेंगी कि हम उनका बर्थडे सेलिब्रेट करें अब वो अपनी फैमिली से दूर जो है। क्योंकि इंसान जब अकेला होता है तो उसे अपने बर्थडे मनाने की कोई खुशी नहीं रहती।"
अब आग
" लेकिन सर आप राधिका मैम से बातों में पूछ सकते हैं कि क्या उन्हें अपना बर्थडे मनाना अच्छा लगता है या नहीं और सर आप तो अभी तक यह भी नहीं जानते कि उस दिन राधिका मैम शादी के जोड़े में क्यों भाग रही थी?" हो सकता है वो अपनी शादी से भाग गई हो तो आप अगर वो कंफर्टेबल होगी तो आप उनसे यह बात भी जान लीजिएगा।"
"हां ईशान तुम सही कह रहे हो में कल ही उनसे बात करूंगा और उनसे पूहूंगा कि अगर वह अपनी शादी से भागी है तो क्यों ?"
शाम का वक्त,
राधिका बेड पर बैठी हुई थी और अपने हाथ में अपने मां के फोटो को देखते हुए बोली,
" मां क्या आप जानती हैं कि मुझे हैदराबाद की सबसे बड़ी कंपनी में जॉब मिल गई है। अब में अपने पैरों पर खड़ी हो सकती हूं लेकिन... मां मेरे पास इस खुशी को बांटने को कोई नहीं है मैं बिल्कुल अकेली हो चुकी हूं। मैं तो यह भी नहीं जानती कि बाबा मेरे बारे में क्या सोचते होंगे ? शायद हो सकता है कि वह मुझसे नफरत करें।" यह सब कहते हुए उसकी आंखों में आंसू थे।
राधिका अपने आंसुओं को पौंछते हुए बोली,
* लेकिन मां जिस इंसान ने मेरी इतनी हेल्प की और मुझे अपने घर में रहने के लिए भी जगह दी ज मैं उसके साथ तो अपनी खुशी बांट ही सकती हूं ना। हां वो थोड़े अकड्डु और खडूस है लेकिन दिल के तो अच्छे हैं।"
राधिका बेड से उठते हुए बोली,
" तो आज में जॉब लगने की खुशी में सभी के लिए कुछ स्पेशल डिनर बनाती हूं। आज में शिविन और ईशान के लिए और सभी सर्वेट के लिए खुद ही डिनर बनाऊंगी।"
और यह कहकर वो नीचे किचन में जाकर वहां काम कर रहे सर्वेट से बोली,
* रमा जी आप सब मेरी बात सुनिए आज आप सबके लिए और शिविन, ईशान के लिए में ही डिनर बनाऊंगी वो भी अकेले तो आप सब लोग आराम करिए।"
" लेकिन मैम हम ऐसा नहीं कर सकते हैं हमें इसके लिए परमिशन नहीं है और आप तो जानती ही है कि आपने उस दिन सुबह नाश्ता बनाया था तो साहब इस बात से कितना गुस्सा हुए थे तो आपको कोई भी काम करने की जरूरत नहीं है।"
* अरे आप लोग चिंता मत करें आज खाना बनाने के पीछे मेरा रीजन यह है कि आज मुझे जॉब मिल गई है और में अपनी इस खुशी को सेलिब्रेट करना चाहती हूं इसलिए बस में आप सब के लिए खाना बनाना चाहती हूं और यह बात मैं आपके साहब को भी बता दूंगी वह आपको कुछ नहीं कहेंगे।"
"अब आप लोग जाइए और आराम कीजिए।"
"लेकिन मैम......
* अरे मैं आपसे कह रही हूं ना कि आप लोग बेफिक्र आराम करिए।"
"ठीक है मैम जैसा आप कह रही है अगर आपको कुछ भी चाहिए तो हमें आवाज दे दीजिए या फिर हम भी आपकी हेल्प कर देते हैं।"
"अगर मुझे कोई हेल्प चाहिए होगी तो में आपको आवाज लगा दूंगी अभी आप लोग जाइए।"
"ठीक है मैम "
राधिका अपने चुन्नी को उतारते हुए साइड में रख देती है और सबके लिए डिनर तैयार करने लगती है।
राधिका शिविन के आने से पहले ही नाश्ता तैयार कर देती है और नाश्ता तैयार करते हुए सर्वेट की हेल्प से डाइनिंग टेबल पर लगा देती है।
एक सर्वेट राधिका को हैरानी से देखते हुए बोली,
" मैम आपने ये इतना सारा खाना अकेले बना दिया? और ये तो देखने में बहुत टेस्टी लग रहा है।"
" हां क्योंकि आज मेरा खाना बनाने का मूड हो रहा था और वैसे भी मुझे खाना बनाने की आदत है इसलिए मैंने सोचा क्यों ना में आज सबके लिए कुछ स्पेशल डिनर बना दूं इससे आप लोगों को भी थोड़ा आराम मिल गया।"
तभी राधिका की नजर शिविन पर पड़ती है जो कॉल पर बात करते हुए सीधा अपने रूम की तरफ जा रहा था और वो बिना देखे रमा जी को बोला,
"रमा जी आज मैं खाना बाहर खा कर आया हूं तो आप मेरे लिए खाना नहीं लगाइएगा।"
लेकिन साहब.......
रमा जी शिविन से ये कहने ही वाली थी तभी राधिका का उन्हें रोकते हुए बोली,
" नहीं रमा जी "
"आप सभी खाना खाइए में अपना खाना रूम में लेकर जा रही हूं।"
राधिका अपना खाना लेकर अपने रूम में चली जाती है।
एक सर्वेट बोली,
" बताओ राधिका मैम ने कितने प्यार से सबके लिए खाना बनाया था लेकिन शिविन सर ने तो उन्हें बिल्कुल इग्नोर ही कर दिया।"
दूसरे सर्वेट उसे देखते हुए बोली,
" अरे तुम तो जानती हो कि शिवीन सर कैसे हैं वो वही करते हैं जो उन्हें सही लगता है बाकि उन्हें किसी की कोई परवाह नहीं है।"
" खैर छोड़ो हम सब खाना शुरू करते हैं पहली बार आज अपने हाथों के अलावा किसी और के हार्थों का बना खाना खाएंगे वो भी इतना टेस्टी।"
और सभी सर्वेट एक साथ बैठकर डिनर करते हैं।
राधिका बालकनी में बैठी हुई बोली,
" मुझे नहीं भूलना चाहिए था कि में एक अजनबी के घर हूं उसने मेरी हेल्प की लेकिन इसका मतलब यह नहीं की में उसे अपना मान लूं। अब मेरी जॉब लग गई है जल्द से जल्द यहां से चली जाऊंगी।
यह कहकर वह खाना शुरू करती हैं।
राधिका उदास मन से खाना खाती है और अपने आप को समझाती है की वो बिल्कुल अकेली है। खाना खाकर वो सोने के लिए बेड पर लेट जाती है।
राधिका उसके साथ पिछले दिन जो कुछ भी हुआ वह सब सोचते हुए उसकी कब आँख लग गई उसे पता भी नहीं चला।
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To be Continued.... . . . . . . .
अब तक
राधिका उदास मन से खाना खाती है और अपने आप को समझाती है की वो बिल्कुल अकेली है। खाना खाकर वो सोने के लिए बेड पर लेट जाती है।
राधिका उसके साथ पिछले दिन जो कुछ भी हुआ वह सब सोचते हुए उसकी कब आँख लग गई उसे पता भी नहीं चला।
अब आग
सुबह का वक्त,
शिविन आज जल्दी उठ जाता है वह हॉल में बैठा हुआ न्यूजपेपर पढ़ रहा था तभी रमा जी उसके पास आते हुए बोली,
" साहब मुझे आपसे कुछ बात करनी थी मैं जानती हूं कि इस बात को कहने की कोई जरूरत नहीं है लेकिन फिर भी में कहना चाहती हूं।"
" जी कहिए रमा जी क्या बात है ?"
रमा जी घर में सबसे बड़ी उम्र की सर्वेट थी और शिविन उनकी बहुत रिस्पेक्ट करता था वो ज्यादातर उनकी बातें मानता था। रमा जी भी उनसे अपने बेटे की तरह ही प्यार करती थी।
रमा जी बैठते हुए बोली,
"कल राधिका ने हम सबके लिए खुद अपने हाथों से डिनर बनाया था आपके और ईशान के लिए भी और हम सभी सर्वेट के लिए भी। हमने उनसे मना भी किया कि हम खुद कर लेंगे लेकिन वो मानी ही नहीं उन्होंने कहा कि आज उन्हें जॉब मिली है और वो उसके सेलिब्रेशन में हम सबके लिए खुद अकेले डिनर तैयार करेंगी और उन्होंने लगभग दो घंटे तक हम सबके लिए इतना टेस्टी खाना बनाया। उन्होंने खाने में सिर्फ एक या दो चीज नहीं बनाई थी पूरी डाइनिंग टेबल अलग-अलग का डिसीज से भरी हुई थी जब हमने उनसे कहा कि आप गुस्सा करेंगे तो उन्होंने कहा कि वह आपसे बात कर लेंगी "
" जब से वो इस घर में आई है पहली बार वो इतनी खुश लग रही थी लेकिन वो आप दोनों का वेट कर रही थी और जब आप आए तो आप बिना खाना खाए, बिना ये देखे हुए ही रूम में चले गए। ये देख उनके चेहरे की मुस्कुराहट वापस गायब हो गई लेकिन उन्होंने यह जाहिर नहीं होने दिया और वो हम सबको डिनर करने के लिए कहकर खुद भी थोड़ा सा खाना अपने लिए लेकर चली गई ।"
शिविन ये सब गौर से सुन रहा था और उसे इस बात का थोड़ा अफसोस भी हो रहा था कि राधिका ने इतनी मेहनत और प्यार से खाना बनाया और उसने उसे देखा तक नहीं। शिविन रमा जी को सवालिया नजर से देखते हुए बोला,
" लेकिन रमा जी जब आप सभी बातें जानती थी तो आपने मुझे क्यों नहीं बताया ?"
" में आपको बताने ही वाली थी लेकिन तभी राधिका ने मुझे रोक दिया।"
" आप चिंता मत करिए रमा जी में राधिका से बात करूंगा और आगे से अगर ऐसा कुछ होता है तो आप मुझे पहले ही इन्फॉर्म कर दीजिएगा।"
जी साहब और यह कहकर रगा वहां से उठकर वापस अपने काम में लग जाती है।
शिविन कुछ देर सोच कर ऊपर राधिका के रूम की तरफ बढ़ जाता है।
शिविन राधिका के रूम में जाकर दरवाजे को नोक करता है लेकिन अंदर से कोई आवाज नहीं आती। अंदर से कोई रिस्पांस ना आने पर शिविन दरवाजा खोलता है वो देखता है कि राधिका रूम में नहीं थी लेकिन तभी उसे बाथरूम से पानी की आवाज आती है वो समझ जाता है कि राधिका बाथरूम में है।
शिविन की नजर बेड पर पड़ती है जहां राधिका ने अपने ऑफिस के लिए एक ड्रेस निकाल कर रखी हुई थी। लेकिन तभी शिदिन की नजर बेड पर रखे एक फोटो पर पड़ती है शिविन उस फोटो को जैसे ही उठा कर देखता है तो वो उसे फोटो को देखकर चौंक जाता है।
इससे पहले वह कुछ सोचता तभी राधिका बाथरूम से बाहर आती है तभी शिविन की नजर उसे पर पड़ती है जो अपने भीगी वालों को सुखा रही थी।
राधिका को सिविल को देखते ही कल रात के बाद याद आ जाती है तो वो उसे याद करते हुए सीरियस टोन में बोली,
" अरे आप... आपको मुझसे कोई काम है।"
" नहीं... मुझे आपसे कोई काम नहीं है बस कुछ बात करनी थी।"
राधिका की नजर शिविन के हाथ में उस फोटो पर पड़ती है। राधिका शिविन के पास जाकर उसे फोटो को लेते हुए बोली आप इसका क्या कर रहे हैं।
बस देख रहा था यहां बेड पर रखा हुआ था।
राधिका सिविल सेव फोटो लेकर डायरी में रखते हुए बोली कहीं आपको क्या बात करनी थी।
शिविन गहरी सांस लेते हुए बोला ....
" एक्चुअली में नहीं जानता था कि कल आपने हम सबके लिए खाना बनाया था और इसीलिए मैं वहां से अपने रूम में चला गया।"
राधिका बिना एक्सप्रेशन के साथ बोली,
" कोई बात नहीं इसमें बुरा मानने वाली कोई भी बात नहीं है आपका घर है आप जब कुछ खाना चाहे खा सकते हैं और अगर आप बाहर से खा कर आये थे उसमें प्रॉब्लम ही क्या है मैंने तो सबके लिए बनाया था जिसे खाने का मन हुआ उसने खा लिया और जिसका नहीं हुआ उसने नहीं खाया I'
शिविन राधिका की बातो से समझ गया था कि वो उस बात से अपसेट थीं लेकिन वो ये दिखाना चाहती थी कि उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा।
लेकिन शिविन को इतनी अच्छे से बिहेव की आदत नहीं थी तो वो अपनी सीरियस टोन में बोला,
" तो मिस राधिका जब आपने सबके लिए इतने प्यार से खाना बनाया था और बाकी घर में हर कोई जानता था कि खाना आपने बनाया है अलावा मेरे और ईशान के.... तो जब मैं घर आया था आप मुझे बता भी तो सकती थी कि आज खाना आपने हम सबके लिए बनाया है अपनी जॉब की सेलिब्रेशन में।"
" कोई बात नहीं शिविन जी मुझे इस बात का बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा और वैसे भी हम दोनों एक दूसरे को बहुत ही कम जानते हैं क्योंकि हमारी मुलाकात सिर्फ मजबूरी में हुई थी मुझे आपकी हेल्प की जरूरत थी और आपने मेरी हेल्प की जिसके लिए में आपकी एहसानमंद हूं। मेरे लिए इतना ही काफी है कि आपने उस दिन मेरी मदद की और उस दिन से लेकर आज तक आपने मुझे यहां रहने दिया है इससे ज्यादा हमें किसी से उम्मीद नहीं लगानी चाहिए।"
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To be Continued....