ये कहानी है आदित्य मेहरा और तन्वी शर्मा की। आदित्य मेहरा जो की सक्सेसफुल बिजनेसमैन है उसकी उम्र 28 साल है। जिसके लिए है बिजनेस, रूतवा और सक्सेस ही है सबसे इंपॉर्टंट। सब कहते है की आदित्य एक हार्टलेस पर्सन है। जिसका दिल पत्थर का है। वहीं दूस... ये कहानी है आदित्य मेहरा और तन्वी शर्मा की। आदित्य मेहरा जो की सक्सेसफुल बिजनेसमैन है उसकी उम्र 28 साल है। जिसके लिए है बिजनेस, रूतवा और सक्सेस ही है सबसे इंपॉर्टंट। सब कहते है की आदित्य एक हार्टलेस पर्सन है। जिसका दिल पत्थर का है। वहीं दूसरी तरफ तन्वी शर्मा जो की 26 साल की है। आदित्य से बिल्कुल ओपोज़िट नेचर है तन्वी का। तन्वी बहुत ज्यादा प्यारी और चुलबुली है। जिसकी ज़िंदगी में रिश्ते और प्यार के लिए ही सबसे ज्यादा अहमियत है। क्या तन्वी जगह बना पाएगी आदित्य के दिल में? आखिर कैसे होंगे दोनों एक? क्या है ऐसा जो दोनों को मिलाता है?
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जयपुर
आज मौसम बहुत खराब है आसमान में काले बादल छाए हुए थे तेज तेज हवाएं ऐसी चल रही थी जैसे सब कुछ अपने साथ उड़ा ले जाएंगी । हवाओं के साथ पेड़ ऐसे झूल रहे थे जैसे उनके साथ ताल से ताल मिला रहे हो और कुछ गा रहे हो एक शोर के साथ । मई के महीने में ऐसा मौसम लोगों को काफी राहत दे रहा था । कुछ ही देर में बारिश की बूंदे जमीनों को छूने लगती है और उन्हें भिगोने लगती है|इस बे मौसम बारिश से कुछ लोग बहुत खुश थे तो कुछ परेशान।
मकान नंबर 102
एक बुजुर्ग महिला हाथों में रुद्राक्ष की माला लेकर एकटक दरवाजे को देख रही थी जैसे किसी की बेसब्री से इंतजार कर रही हो वह थोड़े गुस्से में पास बैठे एक व्यक्ति से कहती हैं, "कहां रह गई यह लड़की, इतनी बारिश हो रही है और उसे वक्त का कोई अता पता नहीं है कब समझेगी तुम्हारी लाडली"
यह कहकर वह फिर से दरवाजे की ओर देखने लग जाती है उनकी बात सुनकर पास बैठा व्यक्ति कहता है, "अरे अम्मा आ जाएगी बच्ची थोड़ी ना है कि कहीं गुम हो जाएगी। आप आइय देखो शारदा ने आपके पसंद की गोभी के पकोड़े बनाए हैं वह भी आपकी फेवरेट इलायची की चाय के साथ" यह कहकर सुरेश जी अपनी मां को अपने पास बैठने का इशारा करते हैं।
यह सुनकर सुरेश जी की मां उनकी ओर देखकर गुस्से से कहते हैं, "तू ठुस पकोड़े मेरी पोती बारिश भीग कर बीमार हो गई तो?"
विमला जी थोड़ी देर रूकती हैं। फिर वह आगे कहती है, "आज छुट्टी के दिन भी उसको कॉलेज में क्या काम हो गया जो इतनी हरबड़ी में गई?
और फिर अपने बेटे सुरेश की ओर सवाली नजरों से देखती हैं सुरेश जी अपने कंधे को उचका देते हैं, जैसे उन्हें कुछ पता ही नहीं है।
सुरेश जी अपनी चाय की चुस्कियां लेने लग जाते हैं और शारदा से कहते है, "शारदा अपनी लाडली को फोन करो और कहो उनकी दादी आज बहुत परेशान हो रही है उसके लिए, जल्दी घर आ जाए।" यह क्या कर सुरेश जी फिर से अपनी चाय की चुस्कियां लेने जाते हैं और पकोड़े खाने लग जाते हैं।
अंदर से शारदा जो किचन में काम कर रही थी वह विमला जी के लिए पकोड़े और चाय लाते हुए बाहर आते हैं फिर विमला जी की ओर देखते हुए उन्हें बैठने का इशारा करती है और कहती हैं, "मां आप आराम से बैठ जाइए मेरी अभी-अभी उससे बात हुई है वह बस आने वाली है आप ज्यादा स्ट्रेस ना ले नहीं तो आपका बीपी ऊपर नीचे हो जाएगा"
ऐसा कहते हुए शारदा जरा सा मुस्कुरा देती है। विमला जी भी तो क्या करें उनको अपनी पोती की टेंशन खाई जा रही थी वह तो रुद्राक्ष की माला हाथ में लिए बार-बार कभी गेट के पास जाती फिर वापस आती बस ऐसा ही सिलसिला 10 मिनट तक चलता रहा।
अचानक से विमला जी को किसी के आने की आहट होती है ऐसा लग रहा था जैसे कोई उनके पास धीरे-धीरे आ रहा है जैसा ही वह पलटने के लिए अपना पैर घूमती ही है पीछे से कोई उनके आंखों पर अपने दोनों हाथ रख लेता है और उनके कानों के पास आकर धीरे से गुनगुनाते हैं, "तुमने पुकारा और हम चले आए।"
ऐसा कहते हुए वह शख्स विमला जी के सामने आ जाता है और हंसने लगता है, और मासूम सा चेहरा बनाते हुए कहता है, "क्या दीदा आप भी छोटे-छोटे बातों में परेशान हो जाते हैं, ऐसा भी कोई करता है"
ऐसा कहने के बाद वह भी विमला जी को टाइटली हैक करने लग जाती है। वह और कोई नहीं बल्कि विमला जी की पोती तन्वी थी।
तन्वी जो बारिश में पूरी भीगी चुकी थी विमला जी उसे खुद से दूर करते हुए कहती है, "देख मैं अभी तेरे पापा से यही कह रही थी वह लड़की भीगी कर आएगी और देख लो भीग गई।"
तन्वी इनकी खूबसूरती की बात करें तो उसका चेहरा चांद जितना गोरा, चांद में तो फिर भी दाग हो सकते हैं पर तन्वी में नहीं उसके पतले नाजुक हल्के गुलाबी होंठ और पतली नाक, आंखें ऐसी की कोई भी उसमें खो जाए हल्की नीली आंखें और बड़ी-बड़ी पलके जो उसकी आंखों को और भी खूबसूरत बना रही थी। कुदरत भी चाहती है कि उसे किसी की नजर ना लगे इसलिए बचपन से उसके कान के पीछे थोड़ा बड़ा सा तिल था। जो उसे हर बुरी नजर से बचने का काम कर रहा था।
तन्वी अपनी दादी से अलग होकर करती है, "अरे दादी ! आप भी ना" ऐसा कहकर वह फिर से विमला जी को टाइट कर लेती है।
तभी तनवी का फोन बजता है फोन पर कोई अननोन नंबर सो हो रहा था। तन्वी जल्दी से फोन पिक करती है और थोड़ा अपनी दादी से दूर जाकर फोन पर बात करने लग जाती है फोन पर बात करते हुए तन्वी के चेहरे पर अलग-अलग एक्सप्रेशन आ रहे थे वह बहुत एक्साइटेड हो रही थी फोन कट हो जाने के बाद तन्वी खुशी से झूलने लगती है और अपने पापा को जाकर हैग कर लेती है।
दूसरी तरफ
दिल्ली
मेहरा मेंशन
मेहरा मेंशन में पूजा घर में आरती हो रही थी सभी लोग हाथ जोड़कर भगवान की आराधना में ली थी तभी पूजा खत्म होने के बाद एक बुजुर्ग महिला आरती की थाल लेकर सबके पास बारी बारी जाती है और उन्हें आरती देती है सभी दिए कि लो से के ऊपर से अपनी हाथ फेर कर अपने माथे पर लगने लगते हैं। सबको आरती देने के बाद में आरती की थाल को मंदिर में रख देती है और हाथ जोड़कर भगवान के आगे अपना थोड़ा सर नीचे झुका लेती है फिर पीछे मुड़कर सभी को डाइनिंग टेबल की ओर इशारा करती है।
सुलेखा जी मेहरा मेंशन की मालकिन और घर की बड़ी बुजुर्ग इनकी बात घर में कोई नहीं टालता। इनका हुकुम सराखो पर रहता है। जैसे ही सुलेखा जी की डाइनिंग टेबल की ओर जाने लगते हैं तभी बाहर से एक ड्राइवर भाग भाग आता है।
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अब तक
मेहरा मेंशन में पूजा घर में आरती हो रही थी सभी लोग हाथ जोड़कर भगवान की आराधना में ली थी तभी पूजा खत्म होने के बाद एक बुजुर्ग महिला आरती की थाल लेकर सबके पास बारी बारी जाती है और उन्हें आरती देती है सभी दिए कि लो से के ऊपर से अपनी हाथ फेर कर अपने माथे पर लगने लगते हैं। सबको आरती देने के बाद में आरती की थाल को मंदिर में रख देती है और हाथ जोड़कर भगवान के आगे अपना थोड़ा सर नीचे झुका लेती है फिर पीछे मुड़कर सभी को डाइनिंग टेबल की ओर इशारा करती है।
सुलेखा जी मेहरा मेंशन की मालकिन और घर की बड़ी बुजुर्ग इनकी बात घर में कोई नहीं टालता। इनका हुकुम सराखो पर रहता है। जैसे ही सुलेखा जी की डाइनिंग टेबल की ओर जाने लगते हैं तभी बाहर से एक ड्राइवर भाग भाग आता है।
अब आग
और उनसे कहता है, "मैंम यह मलिक ने मंगाया है बहुत अर्जेंटली"।
वह ड्राइवर सुलेखा जी के सामने एक पेन ड्राइव दिखाता है और वह पेन ड्राइव उन्हें देने लगता है तभी सुलेखा जी उन्हें ऊपर जाने का इशारा करती है ।
फिर ड्राइवर से कहती हैं, "तुम ऊपर जाओ तुम्हारे साहब ऊपर ही है जाकर दे आओ"
यह सुनकर ड्राइवर डर जाता है और वह कापते हुए हाथों से कहता है, "मैंम साहब, मैं नहीं जाऊंगा आपको तो पता ही है आज सर बहुत गुस्से में है।"
तभी सुलेखा जी उसे घूर कर देखती है और उसके हाथ में से वह पेन ड्राइव ले लेती हैं और उसे बाहर जाने का इशारा करती है। फिर पेन ड्राइव लेकर वह खुद ही सीढ़ियां चढ़ना लग जाती है तभी वह एक कमरे के आगे जाकर रुक जाती है। कमरे को लॉक करती हैं तो कमरा तो पहले से ही खुला हुआ था वह झट से खुल जाता है। फिर वह कमरे में आगे बढ़ती हैं तो वह देखी है की पसीने में लटपट एक लड़का हाथों में बॉक्सिंग ग्लव्स पहनकर पंचिंग बैग पर मुके मार रहा होता है तभी सुलेखा जी उसे रुकने के लिए बोलती है।
फिर आगे कहती हैं, "बस बहुत हुआ अब बंद करो। बिल्कुल भीगी चुके हो पसीने में अपने गुस्से को कंट्रोल करना सीखो इतना गुस्सा ना तुम्हारे लिए सही है ना दूसरों के लिए"
कभी वह शख्स रुक जाता है और सुलेखा की ओर मुड़ जाता है। वह शख्स पसीने में बिल्कुल भी चुका था उसकी लोअर, उसकी इनर वियर । उसके बाल बिल्कुल पसीने से भीगे हुए तभी वह अपने बालों को ऊपर करता है। सुलेखा जी की और देखने लगता है। सुलेखा जी उसे पेन ड्राइव पकडाती है और बेड पर बैठने का इशारा करती है। और प्यार से उसके बालों में हाथ फिरती है।
सुलेखा जी कहती है, "आदि, बेटा कोई बात नहीं माफ कर दो, एक बार चांस तो दो उन्हें अपनी गलती सुधारने का"
आदि, आदि कोई और नहीं आदित्य मेहरा है।आदित्य मेहरा सुलेखा जी के बड़े पोते। घर में इन्हें प्यार से आदि कहा जाता है।आदित्य का नेचर बहुत एग्रेसिव है जो कभी-कभी उनके लिए और उनकी फैमिली के लिए मुसीबत बन जाता है इन्हें अपने काम में किसी भी तरह की लापरवाही, धोखाधड़ी और टाइम की बर्बादी बिल्कुल पसंद नहीं।
आदित्य नेचर का चाहे कितना भी एग्रेसिव क्यों ना हो पर वह दिखने में बहुत ही हॉट और हैंडसम है। इनका सुडौल और फिट बॉडी लड़कियों को अपनी और अट्रैक्ट करने के लिए काफी है पर इन्होंने आज तक एक भी लड़की को भाव तक नहीं दिया। क्योंकि इनके लिए लव, फीलींगस यह सब इन्हें समझ में नहीं आता या यह शायद यह समझना ही नहीं चाहते।
अपनी दादी की बात सुनकर आदित्य अपनी दादी की ओर एक बार देखते हैं फिर वॉशरूम के लिए चला जाता हैं। सुलेखा जी अपने पोते को सवाली नजरों से जाते हुए देखती हैं और वह भी उठकर नीचे चली जाती है जब आदित्य तैयार होकर नीचे आता है तो घर के सभी नौकर उसे ग्रीट करते हैं।
जैसे ही आदित्य बाहर जाने को होता है तभी पीछे से एक आवाज आती है, "भैया नाश्ता तो कर लो ऐसे भूखे पेट जाओगे क्या ऑफिस?"
आदित्य के कदम रुक जाते हैं और वह उसे आवाज का पीछा करते हुए पीछे मुड़ता है तो आदित्य की बहन उन्हें डाइनिंग टेबल पर खाना खाने के लिए बुला रही थी।
तभी याद आदित्य अपने चेहरे पर कोई भाव ना लिए कहता है, "मुझे भूख नहीं है आप सब खा लो"
और बाहर चला जाता है बाहर खड़ा आदित्य का बॉडीगार्ड आदित्य के लिए कार का दरवाजा खोलना है।गाड़ी में बैठ जाने के बाद आदित्य ने बॉडीगार्ड को गाड़ी स्टार्ट करने का इशारा करता है। तभी गाड़ी स्टार्ट होती है और वह ऑफिस के लिए निकल जाते हैं।
भूमिका, सुलेखा जी और अपने भाई अवी से कहती है, "आज पक्का ऑफिस में किसी की शामत आई है, भैया जिस गुस्से से गए हैं ना, आज कोई ना कोई ऑफिस से बाहर जाएगा।"
तभी अवी भी उसकी बात में हामी भर कर कहता है, "सही कह रही हो आज तो कोई ना कोई गया"
तभी सुलेखा जी उन्हें गुस्से से देखते हैं और खाना खाने का इशारा करती है और खुद किसी चिंता में डूब जाती है।
मेहरा इंडस्ट्री
आदित्य की कार जैसे ही मेरा इंडस्ट्री के बाहर रूकती है ऑफिस में अफरा तफरी मच जाती है सभी लोग अपनी टेबल ठीक करते हैं और एक दूसरे से कह रहे होते हैं, "सर आ गए हैं,टेबल ठीक करो अपनी अपनी ।अगर सर को बिल्कुल भी गंदगी दिखाई तो पक्का किसी न किसी की नौकरी जाएगी"
जैसी ही आदित्य की ऑफिस में एंट्री होती है सभी लोग सर झुका के उसे विश करते हैं सभी लोग को लोगों को इग्नोर करके वह अपने केबिन में घुस जाता है और अपनी बॉडीगार्ड को ऑफिस के ही दो लोगों को अंदर भेजने का इशारा करता है।
आदित्य केबिन
आदित्य अपने केबिन में एंट्री करने के बाद अपनी चेयर पर ब्लेजर को चेयर पर तांगा देता है उसके बैठने के बाद ही उसके बैठते ही केबिन में दो लोगों केबिन में आने के लिए परमिशन लेते हैं।
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अब तक
जैसी ही आदित्य की ऑफिस में एंट्री होती है सभी लोग सर झुका के उसे विश करते हैं सभी लोग को लोगों को इग्नोर करके वह अपने केबिन में घुस जाता है और अपनी बॉडीगार्ड को ऑफिस के ही दो लोगों को अंदर भेजने का इशारा करता है।
आदित्य केबिन
आदित्य अपने केबिन में एंट्री करने के बाद अपनी चेयर पर ब्लेजर को चेयर पर तांगा देता है उसके बैठने के बाद ही उसके बैठते ही केबिन में दो लोगों केबिन में आने के लिए परमिशन लेते हैं।
अब आग
वह दोनों एक साथ कहते हैं, "मे आई कम इन सर!"
आदित्य जिसने अपनी चेयर उनके अपोजिट साइड कर रखी थी वह अपनी चेयर को घुमा कर उन्हें देखने लगता है।
और चेहरे पर बिना भाव के उनमें से एक से पूछता है, "मिस राठी आपको जो मैंने प्रोजेक्ट दिया था, वह अपने कंप्लीट किया, उसकी फाइल कहां है?"
तभी वह लड़की घबरा जाती है वह घबराते हुए कहती है, "सर वो, वो. सर बस थोड़ा सा टाइम चाहिए, मैं बस अभी. अभी आधे घंटे में कंप्लीट कर देता हूं"
सभी आदित्य अपनी एक बोहे चढ़कर, थोड़े गुस्से में कहता है, "आधे घंटे में देंगी आप?"
फिर आगे, वहां खड़े दूसरे सबसे कहता है, "मिस्टर गुप्ता आपने तो अपनी फाइल रेडी कर रखी होगी ना, जो मैंने हमारे नए क्लाइंट के लिए बोला था"
उसे लड़के के माथे माथे से पसीना नीचे आने लग जाता है और वह घबराते हुए कहता है, "सॉ. सॉरी. सर, वह मुझसे हमारे नई क्लाइंट के जो पेपर थे वह कहीं मिस हो गए।"
तभी आदित्य अपनी चेयर से एकदम से उठते हैं और लड़के को एक जोर का तमाशा उसके गाल पर मार देते हैं। लड़के के साथ-साथ वो लड़की भी डर से काप जाती है। तभी आदित्य अपने लैपटॉप को उनकी साइड टर्न करता है और उन्हें सीसीटीवी कैमरा वीडियो दिखता है जिसमें वह दोनों कुछ इंटिमेट हो रहे थे ऑफिस के स्टोर रूम में। यह दो यह देखकर तो वह दोनों और भी ज्यादा घबरा जाते हैं और आदित्य के पैर पकड़ लेते हैं।
और रोते-रोते हुए कहते हैं, "सर हमें माफ कर दीजिए। आगे से ऐसी गलती नहीं होगी, सर !प्लीज हमें नौकरी से मत निकालो ।सर .सर. प्लीज"
तभी आदित्य उनके मुंह पर दो पेपर फेंक के मारता है और कहता है, "इस पर साइन करो और दफा हो जाओ, नहीं तो तुम्हें धक्के मार कर यहां से निकाल लूंगा"
वह दोनों गिड़गिड़ा ने लग जाते हैं और अपनी नौकरी की भीख मांगते हैं तभी आदित्य उसे लड़के की कॉलर पकड़ कर उसे उठना है औरअपनी खा जाने वाली नजरों से देखा है।
अपनी खा जाने वाली नजरों से उसे देखते हुए कहता है, "जिन्हें अपने काम की वैल्यू नहीं अपनी नौकरी की वैल्यू नहीं, ऐसे लोगों की मुझे कोई वैल्यू नहीं। यह प्यार, मोहब्बत, इश्क, फीलिंग ये सिर्फ वेस्ट ओफ टाइम है, इसका इस रियल लाइफ में कोई वजूद नहीं है और मुझे ऐसे लोगों की कोई जरूरत नहीं है जो अपना टाइम वेस्ट करते हैं फालतू की चीजों में"
फिर आदित्य उन्हें पेपर पर साइन करने का इशारा करता है दोनों पेपर पर साइन करते हैं और अपने आंसू पहुंच कर पीछे मुड़कर जाने लगते हैं तभी आदित्य उन्हे रोकता है और एक पेन ड्राइव उनके ऊपर फेंकता है।
और फिर से अपनी का जाने वाली नजरों से उन्हें देखकर कहता है, "इसे भी लेकर जाओ अब जोब तो है नहीं तो घर बैठकर अपनी रंगरलिया देखना"
वह दोनों केबिन छोड़कर चले जाते हैं तभी आदित्य गुस्से से अपने बालों में हाथ फेरते हुए जैसे ही अपनी चेयर पर बैठने जाता है, उसका फोन बजने लगता है और फोन पर नाम फ्लैश होता है 'दादी जी'
जैसे ही आदित्य फोन उठाता है दूसरी तरफ से आवाज आती है, "आदि! ये तुमने क्या किया तुम्हें अपने गुस्से पर बिल्कुल भी काबू नहीं है"
ऐसा क्या किया है आदित्य ने जिसे सुलेखा जी उन पर इतना बरस रही है और तनवी को किसका आया था फोन, जिससे वह इतना खुश हो जाते हैं
तन्वी का घर
तन्वी अपने पापा से लिपट कर कहती है,"लव यू पापा !लव यू"
तभी विमला जी उनकी ओर देखते हैं और इशारों इशारों में शारदा से पूछ रही होती हैं,"अरे क्या बात है ,बाप -बेटी में इतना प्यार क्यों उमड़ रहा है,क्या बात है?"
शारदा जी भी अपने कंधे उचका देती है और इशारों में कह रही होती हैं,"कि उन्हें कुछ पता ही नहीं है"
तभी दादी जी दो तालियां बजा कर कहती हैं, "अगर बाप बेटी का प्यार हो गया हो ,तो हमें भी पता लगेगा कि बात क्या है"
तभी तनवी अपने पापा से अलग होकर एक्साइटमेंट में कहती है ,"दादी मेरी जॉब लग गई"
तभी दादी जी और शारदा जी के चेहरे पर बहुत बड़ी स्माइल आ जाती है और दादी जी तन्वी की नजर उतारते हुए कहती है,"वाह ,मेरी बच्ची बधाई हो! बधाई "
और तनवी को गले लगा लेती है और फिर उसे चेयर पर बैठी है और पूछती है,"अच्छा बता,जयपुर की कौन सी कंपनी में लगी है तेरी जॉब, यह यहीं आसपास की है ना?"
तभी तनवी के चेहरे पर आई हुई स्माइल थोड़ी गायब हो जाती है और वह हिचकी चाहते हुए कहती है,"दादी वो . वो. आसपास की नहीं है "और फिर तन्वी अपनी नज़रें चुरा लेती है।
फिर दादी थोड़ी असमंजन में होकर पूछती है,"अच्छा कोई बात नहीं ,आसपास की नहीं है पर जयपुर में ही है ना?"
तभी सुरेश जी जल्दी से अपनी कुर्सी से उठते हैं और बाहर जाने लगते हैं और कहते हैं,"लगता है पकोड़े ज्यादा खा लिए, थोड़ा बाहर घूम के आता हू"
तभी विमला जी उन्हें रोक कर कहती है,"कहां चल दिया, तेरी बेटी नजरे चुरा लिया और तू बाहर भाग रहा है ,इसका मतलब है कोई ना कोई तो गड़बड़ हुई है"
और अपनी खा जाने वाली नजरों से उन्हें बैठने का इशारा करती है सुरेश जी भी तो क्या करें उनकी तो जैसे हलक में सांस रुक गई थी। वह वापस आकर चेयर पर बैठ जाते हैं और वह भी विमला जी से नज़रे चुराने लगता।
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अब तक
तभी विमला जी उन्हें रोक कर कहती है,"कहां चल दिया, तेरी बेटी नजरे चुरा लिया और तू बाहर भाग रहा है ,इसका मतलब है कोई ना कोई तो गड़बड़ हुई है"
और अपनी खा जाने वाली नजरों से उन्हें बैठने का इशारा करती है सुरेश जी भी तो क्या करें उनकी तो जैसे हलक में सांस रुक गई थी। वह वापस आकर चेयर पर बैठ जाते हैं और वह भी विमला जी से नज़रे चुराने लगता।
अब आग
तभी विमला जी थोड़े गुस्से और ऊंचे स्वर में उनसे पूछता है," क्या बात है? बताओ मुझे, क्या छुपाया जा रहा है मुझे ?"
तभी तनवी हिचकीचाहते हुए कहती है,"दादी वो मेरी जोब दिल्ली में लगी है ।कॉलेज वालों ने मुझे प्लेसमेंट दिया है और इंटरव्यू के थ्रू मुझे दिल्ली में जॉब मिली है"
तभी विमला जी हंसने लगती हैं और कहती हैं," तो फिर क्या हुआ ,बेटा जाओ जियो अपनी जिंदगी, मुझे कोई दिक्कत नहीं है"
ऑफिस शारदा जी की ओर मुस्कुराहट के देखने लग जाते हैं और आगे कहती हैं,"तुम्हारी मां ने मुझे रात को ही समझा दिया था, की अगर मेंढक कुएं में ही रहेगा तो कुएं की बाहर की जिंदगी को समझ ही नहीं पाएगा और उसे जिंदगी को समझने के लिए उसे वहां से बाहर निकलना ही होगा"
इस खड़ी होकर अपने बेटे सुरेश की कान खींचते हुए कहती है ,"और यह नालायक मुझे कुछ नहीं बताता। इससे अच्छी तो मेरी बहू है जो मुझे समझती भी है और जानती भी है"
सुरेश जी अपने कान को हल्के हल्के हाथों से रगड़ने लग जाते हैं तन्वी यह बात सुनकर बहुत खुश हो जाती है और अपनी दादी को हैग कर लेती है।
तभी तन्वी अपनी दादी से अलग होकर हैरानी से पूछती है,"आपको पहले से पता था कि मेरा इंटरव्यू है, और जोब दिल्ली होगी, बट मुझे तो अभी-अभी बताया सर ने, आपको पहले कैसे पता लगा ?"
तभी दादी जी मुस्कुरा देती है और शारदा जी की और देखते हुए कहती हैं,"तुम्हारी मां ने मुझे यह बता दिया था कि तुम्हारा इंटरव्यू है पर हमें यह नहीं पता था कि जोब दिल्ली लगेगी ,पर तेरी मां ने मुझे पहले से तैयार कर दिया था कि अगर कहीं बाहर जाना पड़े तो हम तन्वी का साथ देंगे"
यह बात सुनकर तन्वी थोड़ी सी इमोशनल हो जाती है और अपनी मां को जाकर हैक कर लेती है।
और अपनी मां से कहती है ,"लव यू आप दुनिया की सबसे अच्छी मां हो"
सभी मुस्कुरा देते हैं और तनवी को फिर कुछ याद आता है और वह फिर कहती है,"आप लोगों के लिए एक और बड़ा सरप्राइज है बट वो मैं नहीं, कोई और देगा"
सभी तन्वी की ओर हैरानी से देखने लग जाते हैं तभी दादी कहती है ,"सरप्राइज वपरप्राइज बाद में देखेंगे पहले तू देख गीली हो गई है पहले जाकर कपड़े बदल ,उसके बाद लेंगे तेरा सरप्राइज"
तन्वी एक बार खुद को देखते हैं और फिर भाग भाग अपने रूम में चली जाती है थोड़ी देर में तन्वी कपड़े चेंज करके आ जाती है अब उसने ब्लैक कलर की टीशर्ट और लोअर डाल रखी थी और उसके हाथ में उसका लैपटॉप था।
तन्वी सभी को चेयर पर बैठने का इशारा करती है और टेबल पर लैपटॉप ऑन करती है और किसी को वीडियो कॉल करती है , तभी स्क्रीन पर एक व्यक्ति दिखाई देता है वह और कोई नहीं तन्वी का भाई था जो अपने एमबीबीएस की कोर्स के लिए भर गया हुआ था और रोज ऐसे ही सारा परिवार बैठ के अपने बेटे से बात करता था। बट आज उनका बेटा थोड़ा डरा थोड़ा सहमा हुआ था।
तभी दादी उसका चेहरा देखकर बोलती है," अरे मेरे लाल क्या हुआ? ,तु तो रोज चेहक के बोलता है, सब बताता है ,कि आज दादी यह हुआ आज यह हुआ है और तेरे माथे पर चिंता की लकीरें कहां से आ रही है"
तभी तनवी बीच में ही कुद पड़ती है और कहती है,"अरे भैया. अब बात भी दो, कब तक दरोगे"
तभी सुरेश जी तन्वी को बीच में ही रोकते हुए कहते हैं," किस चीज का डर बेटा, तुम दोनों बहन भाइयों के बीच कौन सी खिचड़ी पक रही है साफ-साफ बताओ"
और फिर अपने बेटे शुभम की और आशा भरी निगाहों से देखते हैं।
तभी शुभम थोड़ा डरते हुए लैपटॉप पर ही किसी और को लाता है। तभी सभी घर वालों की आंखें बड़ी-बड़ी हो जाती हैं और वह सवाल या नजरों से शुभम कोई देख रहे होते हैं। और वह शख्स थोड़ा सा झुका के सभी को नमस्ते करता है।
तभी शुभम थोड़ा हिचकिचाते हुए कहता है," पापा ,मम्मी ,दादी यह है आरोही। हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं अगर आप मंजूरी दो तो"
यह सुनकर तो थोड़ी देर के लिए तो सब हैरानी से देखते हैं पर एकदम से सभी के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है।
दादी जी हंसते हुए कहती है," अरे ! आज तो हमारे दोनों बच्चे हमें सरप्राइज पर सरप्राइज दे रहे हैं"
तभी दादी शुभम के साथ दिख रही लड़की से प्यार से पूछते हैं,"बेटा आप इतना घबरा क्यों रहे हो अब तो तुम हमारी होने वाली बहू हो"
यह सुनकर तो शुभम के चेहरे पर बहुत बड़ी वाली स्माइल आ जाती है वह आरोही को हैग करके कहता है ,"मैंने कहा था ना, मेरी फैमिली बहुत अच्छी है वह हमें समझेगी और देखो वह तो झट से मांग मान गई हमारे रिश्ते के लिए, मैं बहुत खुश हूं आरोही बहुत ज्यादा "
आरोही की आंखें थोड़ी सी नम हो जाती है तो वह भी हल्का सा मुस्कुरा देती है।
तभी सुरेश जी कहते हैं," बेटा आप दोनों आ जाओ फिर हम आरोही के मम्मी पापा से बात करते हैं और आप दोनों की शादी की तैयारी करते हैं"
तभी आरोही थोड़ा शर्माजाती है और हां में सर हिलती है।
कभी शुभम मुस्कुराते हुए कहता है,"पापा खुशी की बात यह भी है कि हम दोनों की पोस्टिंग जयपुर के एम्स में हो चुकी है और हम जल्द ही घर आने वाले हैं, और जो आपने मेरी पढ़ाई के लिए कर्ज उठाया था व वो भी हम जल्दी चुका देंगे"
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To Be Continued...
अब तक
तभी सुरेश जी कहते हैं," बेटा आप दोनों आ जाओ फिर हम आरोही के मम्मी पापा से बात करते हैं और आप दोनों की शादी की तैयारी करते हैं"
तभी आरोही थोड़ा शर्माजाती है और हां में सर हिलती है।
कभी शुभम मुस्कुराते हुए कहता है,"पापा खुशी की बात यह भी है कि हम दोनों की पोस्टिंग जयपुर के एम्स में हो चुकी है और हम जल्द ही घर आने वाले हैं, और जो आपने मेरी पढ़ाई के लिए कर्ज उठाया था व वो भी हम जल्दी चुका देंगे"
अब आग
यह सुनकर तो घर वालों के चेहरे चेक उठाते हैं और सभी एक दूसरे के गले लगने लगते हैं तभी तनवी बीच में ही कुद पड़ती है ।
और कहती है," भैया मैंने कहा था ना बी पॉजिटिव सब अच्छा ही होगा हुआ ना"
मुस्कुराते हुए तनवी एटीट्यूड से अपने भैया से कहती है,"भैया मैंने कहा था ना, don't fear because tanvi is here"
विमला जी यह सुनकर तनवी को एक चपत लगती है तभी तन्वी मुंह बनाकर कहती है,"मार लो जितना मारना है, अब तो मैं जा रही हूं"
यह सुनकर शुभम सभी को सवाल नजरों से देखा है और फिर कहता है ,"मां तन्वी कहां जा रही है?"
तभी शारदा जी मुस्कुराते हुए कहती है ,"बेटा तेरी चुटकी की दिल्ली में जॉब लग गई है ,बस वही की बात कर रही है"
यह सुनकर तन्वी भी चहक कर कहती है," हां भैया !मेरी जॉब लग गई है ,वो भी दिल्ली की बहुत बड़ी कंपनी में ,मैं तो बहुत-बहुत एक्साइटेड हूं वहां जाने के लिए "
पर विमला जी के माथे पर चिंता की लकीरें छा जाती है।
दूसरी तरफ_
मेहरा इंडस्ट्री
आदित्य को फोन पर सुलेख की डांट रही होती है और आदित्य बिना चेहरे पर किसी कोई भाव लिए सिर्फ उन्हें सुनने जा रहा था। सुलेखा जी उन्हें तुरंत घर आने का ऑर्डर देता है । तभी आदित्य चेयर से अपने ब्लेजर को लेता है और उसे पहन कर ,फोन कट करके मेहरा इंडस्ट्री से निकल जाता है घर की ओर।
मेहरा मेंशन
आदित्य की कर मेरा मेंशन के आगे रूकती है तभी आदित्य का बॉडीगार्ड शमशेर सिंह कार का दरवाजा खोलता हैं आदित्य कार से निकलकर सीधा मेहरा मेंशन में एंट्री करता हैं तो उन्हें सुलेखा जी की आवाज के साथ-साथ किसी और शख्स की भी आवाज आ रही थी । तभी आदित्य देखाता है की सोफे पर सुलेखा जी के साथ इंस्पेक्टर साहब भी बैठे है, तभी आदित्य को बात समझने में देर नहीं लगती और वह चेहरे पर बिना भाव लिए सोफे पर जाकर आराम से बैठ जाता है।
तभी आदित्य इंस्पेक्टर साहब की और देखते हुए सख्त लेहज में बोलता है,"मैंने आपको कहा था ना , जिस भी पेपर पर साइन चाहिए ,आप मेरे ऑफिस में भेज देना ।आप यहां किस लिए आए हैं"
तभी सुलेखा जी आदित्य को घूर कर ,गुस्से में कहती हैं," इन्हें मैंने बुलाया है ,मुझे पता लग गया कि तुम क्या करके आए हो"
तभी सुलेखा जी गुस्से में खड़ी हो जाती है और जैसे ही आदित्य को कुछ कहने वाली होती है आदित्य अपनी दादी को इग्नोर करते हुए इंस्पेक्टर साहब से पेपर्स लेता है और उन पर साइन करके चुपचाप वहां से निकल जाता है। यह सब देखकर सुलेखा जी को और भी ज्यादा गुस्सा आ जाता है तभी सुलेखा जी आदित्य को रोकने के लिए आवाज देने वाली थी तभी पीछे से किसी की आवाज आती है।
भूमिका अपनी दादी को रोकती हैं और कहती है,"दादी जी ,भैया को जाने दीजिए ,मैं पूरी बात बताती हूं भैया ने जो किया है वह सही किया है वो इंसान इसी लायक था"
तभी दादी भूमिका की ओर हैरानी से देखने लगती है और उसे पूछता है ,"अच्छा! मतलब तुम्हें भी पता है ,तुम्हारे भैया की कारनामे"
तभी भूमिका नरमी से कहती है,"दादी जिस शख्स की आप बात कर रहे हैं उसने मुझे किडनैप करने की कोशिश की और वो मेरा रेप करना चाहता था"
यह सुनकर तो सुलेखा जी के होश उड़ जाते हैं और वह भूमिका की ओर हैरानी से देखती है।
तभी भूमिका अपनी दादी के पास आकर उनका हाथ थाम लेती है और आगे कहती है,"यहां तक दादी उसकी वजह से एक लड़की ऑलरेडी अपनी जान दे चुकी है वह हमारे कॉलेज की थी उसका एमएमएस बनाकर वायरल कर दिया था इंटरनेट पर"
तभी इंस्पेक्टर साहब उनकी बात बीच में काटते हुए कहते हैं," पर आपको हमारे पास रिपोर्ट करनी चाहिए थी हम कार्रवाई करते ।पर आपकी भैया ने तो उसे लड़के की रीड की हड्डी तक तोड़ दिए और उसका जबड़ा भी तोड़ दिया है अब वह ना तो सुन सकता है ना बोल सकता है और ना ही अब कभी अपने पैरों पर खड़ा हो पाएगा।
तभी सुलेखा जी इंस्पेक्टर को घूमने लगती है वह इंस्पेक्टर डर के मारे अपनी नज़रें नीचे कर लेता है फिर वह थोड़ी नेरमाई से कहता है,"माफ कीजिएगा पर कानून कायदे नाम की भी तो कोई चीज होती है"
तभी सुलेखा जी गरजते हुए बोलते हैं," हमारे पोते ने जो किया वह बिल्कुल सही किया ऐसे इंसान के साथ ऐसा ही होना था, हमें गर्व हमारे पोते पर"
सुलेखा की भूमिका से पूछती है -"अगर ऐसी बात थी तो तुमने और आदित्य ने मुझे पहले बताया क्यों नहीं, कुछ करने से पहले मुझसे पूछना जरूरी नहीं समझते, मानती हूं आदित्य ने जो किया वह सही था पर एक बार उसे मुझसे बात तो करनी थी इस बारे में"
भूमिका अपनी दादी को हग करते हुए कहती है- "दादी आपको पता है ना .भैया को आपकी कितनी चिंता होती है और इस सबसे आपकी तबीयत भी खराब हो सकती थी इसलिए भैया ने आपको कुछ नहीं बताया और मुझे भी बताने से मना किया"
सुलेखा जी चिंता से भरे हुए शब्दों से कहती है-"पर बेटा आपको पता नहीं है की आदित्य ने किसकी हड्डियां तोड़ी है, वो चूप नही बैठेगा, कुछ ना कुछ जरूर करेगा। पर कोई बात नहीं हम भी मेहरा हैं ईट का जवाब पत्थर से देना आता है"
तभी सुलेखा जी इंस्पेक्टर को जाने का इशारा करती है और इंस्पेक्टर फाइल उठकर बाहर चला जाता है। तभी सुलेखा जी का फोन बसता है फोन पर किसी का मैसेज आया हुआ था वह मैसेज आदित्य का था।
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To Be Continued...
अब तक
सुलेखा जी चिंता से भरे हुए शब्दों से कहती है-"पर बेटा आपको पता नहीं है की आदित्य ने किसकी हड्डियां तोड़ी है, वो चूप नही बैठेगा, कुछ ना कुछ जरूर करेगा। पर कोई बात नहीं हम भी मेहरा हैं ईट का जवाब पत्थर से देना आता है"
तभी सुलेखा जी इंस्पेक्टर को जाने का इशारा करती है और इंस्पेक्टर फाइल उठकर बाहर चला जाता है। तभी सुलेखा जी का फोन बसता है फोन पर किसी का मैसेज आया हुआ था वह मैसेज आदित्य का था।
अब आग
जिसमें लिखा था ," मैं मुंबई जा रहा हूं ,दो दिनों के लिए इंपॉर्टेंट मीटिंग है"
शुभम अपनी दादी की चेहरे पर चिंता के लकीरें देखकर गंभीरता से पूछता है - "दादी क्या हुआ ,आप उदास क्यों गए एकदम से, कोई बात है?"
शुभम की बातें सुनकर सभी विमला जी की ओर देखने लग जाते हैं जो सच में किसी चिंता में डूबी हुई थी।
तभी विमला जी अपना माथा झटकते हुए कहती है -"नहीं .नहीं, बेटा कुछ नहीं ,वो बस ऐसे ही"
तभी थोड़ा रुक कर परेशानी से कहती है -"बेटा तन्वी अभी बच्ची है और वह उसे अनजान शहर में कैसे रहेगी ?कहां रहेगी? इसी बात की चिंता खाए जा रही है मुझे"
तभी आरोही मुस्कुराते हुए कहती है- दादी जी ! अब यह परिवार मेरा भी है और आप तन्वी की बिल्कुल टेंशन ना ले ,उसका इंतजाम मैं कर दूंगी"
आरोही की बात सुनकर ,सभी घर वाले उसे विश्वास के साथ से पूछते हैं - बेटा ! पर आप करोगे कैसे आप तो पुणे हो और दिल्ली में कैसे?"
तभी आरोही सभी को विश्वास दिलाते हुए कहती है -"वह सब आप टेंशन ना ले ,मेरी कजिन दिल्ली में जॉब करती है ।उसे तन्वी का नंबर सेंड कर दूंगी और तनवी को उसका पता भी। तन्वी मेरी कजिन के साथ रहेगी"
यह सुनकर तो विमला जी की सारी चिंताएं दूर हो जाती हैं और वह तन्वी का माथा चूम लेती है।
और उसे ममता भरी नजरों से देखकर कहती है -"अब बेटा तू अपना career बना ,खूब तरक्की कर। तेरा पूरा परिवार तेरे साथ है।
सारी बात खत्म होने पर शुभम और आरोही परिवार वालों को बाय-बाय करके कॉल कट कर देते हैं अब परिवार वाले तन्वी की ओर बड़ी प्यार भरी नजरों से देखते हैं ।
तभी शारदा जी तन्वी के पास आती है और उसकी माथे पर अपना हाथ फिरते हुए कहती है-" बेटा अब जाना कब है?"
यह सुनकर तो तन्वी खुद को एक चपात लगाते हुए बोलती है -"अरे मां! मैं तो बताना ही भूल गई मुझे तो परसों ही निकालना है और मैंने अभी तक कोई पैकिंग नहीं की है कैसे होगा सब"
यह सुनकर तो घर वालों के चेहरे पर उदासी छा जाती है कि उनके पास सिर्फ एक ही दिन है उनकी बेटी के साथ वक्त बिताने के लिए। फिर सभी एक दूसरे की ओर देखते हुए अपनी उदासी को छुपाते हैं।
और तन्वी से मजाकिया लेजर में कहते हैं- " Don't fear because family is here"
यह कहकर परिवार वाले सारे एक साथ जोर जोर से हंसने लगे जाते हैं , ये देख कर तनवी भी मुस्कुरा देती है। कब तन्वी का परसों आज में बदल जाता है परिवार वालों को तो पता ही नहीं चलता।
तन्वी का दिल्ली जाने का दिन
तन्वी अपनी मां को आवाज लगाते हुए कहती है -"मा मेरा चार्जर कहां है मुझे नहीं मिल रहा है?"
और और बेड पर पड़ी चादर को इधर-उधर करने लग जाती है तभी शारदा जी तन्वी के कमरे में आती है, तन्वी को परेशान देख शारदा जी कमरे में अपनी नजर घूमती है और वह देखी है कि चार्ज तो बिल्कुल सामने रखा था टेबल पर पर तनवीर इतनी हर बड़ी में थी कि उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।
तभी शारदा जी चार्ज हाथ में लेकर अपने दोनों हाथों को कमर पर रखते हुए कहती हैं -"हेलो मैडम! कहां ध्यान है? कब तक मां साथ देगी ।अपनी चीजों का ध्यान खुद रखना सीखो हर वक्त मां नहीं होगी ।तुम्हारा चार्जर, तुम्हारा फोन तुम्हारे कपडो,सबका ध्यान रखने के लिए"
ऐसा कहते हुए शारदा जी की का गला भर आता है। शारदा जी की भरी हुई आवाज सुनकर तन्वी की भी आंखें नम हो जाती है ।
तन्वी अपनी मां को हैग करके कहती है-" मां आप तो मेरी दुनिया हो ।आपके बिना तो कुछ भी नहीं हूं। अभी ख्याल रखना नहीं सीखा है और मुझे सीखना भी नहीं है क्योंकि आप होना हमेशा मेरे पास "
यह कहकर अपनी मां के गालों को चूम लेती है। तभी सुरेश जी के स्कूटर की आवाज आती है और तन्वी अपना सामान उठाकर कमरे से बाहर निकल जाती है जहां विमला जी आरती की थाल लिए तन्वी का इंतजार कर रही थी। आज घर में सब की आंखें नम थी क्योंकि उनकी लाडली आज पहली बार उनसे कहीं दूर जा रही थी। विमला जी तन्वी की आरती उतारती है उसकी माथे पर छोटा सा तिलक लगाती है और उसका माथा चूम लेती है। तभी आरती की थाली शारदा जी को पकड़ कर तन्वी का हाथ अपने हाथ में लेती हैं। और उसे पर एक काला धागा बंद देखी है ताकि उनकी बच्ची को किसी की नजर ना लगे। काला धागा तन्वी की गोरी कलाई पर बहुत सुंदर लग रहा था।
तभी दादी जी एक शीशे की बॉक्स में से एक गोल्ड की चेन निकलते हुए तन्वी के गले में पहना देती है जिसे तन्वीबड़ी हैरानी से देख रही थी।
तन्वी एक छोटी मुस्कान से विमला जी की ओर देखते हुए कहती है -"दादी गोल्ड चैन ?यह किस लिए और यह कहां से आया आपके पास"
दादी अपनी आंखें बड़ी करके हल्के से गुस्से से तन्वी से कहती है -"कहां से आई क्या मतलब है तेरी दादी लेकर आई है। तेरे लिए ,देख इसमें माता जी की छोटी सी मूरत है जो तेरी हर मुसीबत में रक्षा करेगी"
तन्वी लॉकेट को छूते हुए माता जी की मूरत को माथे पर लगती है और चूम लेती है और अपनी दादी और मां को गले लगा कर पापा के साथ रेल स्टेशन के लिए निकल जाती है जब तन्वी रेल स्टेशन पर पहुंचती है तो रेल स्टेशन पर काफी भीड़ थी।
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To Be Continued...
अब तक
दादी अपनी आंखें बड़ी करके हल्के से गुस्से से तन्वी से कहती है -"कहां से आई क्या मतलब है तेरी दादी लेकर आई है। तेरे लिए ,देख इसमें माता जी की छोटी सी मूरत है जो तेरी हर मुसीबत में रक्षा करेगी"
तन्वी लॉकेट को छूते हुए माता जी की मूरत को माथे पर लगती है और चूम लेती है और अपनी दादी और मां को गले लगा कर पापा के साथ रेल स्टेशन के लिए निकल जाती है जब तन्वी रेल स्टेशन पर पहुंचती है तो रेल स्टेशन पर काफी भीड़ थी।
अब आग
न जाने कहां-कहां से लोग अपनी मंजिल को पाने के लिए अलग-अलग जगह की टिकट खरीद रहे थे कोई किसी को लेने आया था तो कोई किसी को छोड़ने। तभी ट्रेन की आवाज आती है यह ट्रेन तन्वी की थी जो उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाने के लिए आई थी ट्रेन की आवाज सुनते ही तनी अपने पापा को जल्दी से टाइट हग करती है और ट्रेन में बैठ जाती है। तन्वी के पापा तन्वी को नम आंखों से बाय बोलकर घर के लिए निकल जाते हैं।
ट्रेन अपनी रफ्तार पड़कर अपनी मंजिल की ओर निकल जाती है और कब तनवी को उसकी मंजिल तक पहुंचा देती है तनवी को खुद ही पता नहीं लगता।
शाम का वक्त
जैसे ही ट्रेन न्यू दिल्ली प्लेटफार्म पर रूकती है तन्वीअपना सामान उठाकर ट्रेन से बाहर निकलती है। आसपास देखकर ही एक मीठी अंगड़ाई भरते हुए कहती है-"आ गई दिल्ली दिल वालों की चलो मिलते हैं दिल वालों से"
तन्वी अपने इस नए सफर के लिए बहुत-बहुत खुश है तभी तनवी का मोबाइल वाइब्रेट करता है वह अपना फोन उठाती है तो उसे पर आरोही भाभी फ्लैश होता है वह जल्दी से फोन उठाती है।
दूसरी तरफ से आवाज आती है-" तन्वी कैसे हो आप ?पहुंच गए आराम से।मैंने आपको मेरी कजिन का नंबर ,पता सब सेंड कर दिया है वह मैंने आपके आने की खबर भी उसे तक पहुंचा दि, कोई प्रॉब्लम नहीं होगी"
तभी तनवी मुस्कुराते हुए कहती है -"थैंक यू भाभी! आप दुनिया की बेस्ट .भाभी हो ।मेरे कुछ कहने ,करने से पहले आपने सब कुछ कर दिया। आप बेस्ट .बेस्ट .बेस्ट. भाभी हो "
तभी दूसरी तरफ से आवाज आती है -"अरे! अब तुम यह तारीफ करना बंद करो ।मेरी एक लोती नंद है अब उसके लिए इतना भी नहीं कर सकती मैं"
फिर आरोही थोड़ा हड़बड़ाती हुई कहती है-" तन्वी मुझे भी एक पेशेंट को देखना है मैं थोड़ी दे बाद कॉल करती हूं और तुम ध्यान से जाना। कोई प्रॉब्लम हो तो मुझे बताना"
ऐसा कहकर तन्वी कॉल कट कर देती है तन्वी फोन पर आए पते को देखती है पता था 12/24 करोल बाग। तन्वी स्टेशन से निकलकर एक ऑटो करती है और निकल जाती है अपने मंजिल के लिए। तभी कुछ आधा पौने घंटे के सफर के बाद ऑटो वाला एक मकान के आगे टैक्सी रोक देता है।
टैक्सीवाला पीछे मुड़कर तन्वी से कहता है -"मैडम! आ गया आपका घर"
तन्वी टैक्सी सुधाकर टैक्सी वाले को पैसे देती है और उसे थैंक यू विश करती है और फिर उसे मकान को देखते हैं जो बाहर से काफी सुंदर लग रहा था बाहर बहुत सारे गमले रखे हुए थे जिसमें किसी में गुलाब तो किसी में चमेली की फुल लगे हुए थे जोश घर के बाहर बहुत सुंदर लगे थे तन्वी घर के आगे खड़े होकर बेल बजती है तभी दरवाजा खुलता है तो एक गोलुमोलु सी लड़की जिसके हाथ में बड़ा सा पिज्जा था और वह मुंह में भी खा रही थी। वह पहले तनवी को ऊपर से लेकर नीचे तक देखी है ।
फिर उछलकर कहती है -"अच्छा तुम ही हो तन्वी !मुझे आरोही ने बताया था, कि एक ब्यूटीफुल लड़की का आगमन होने वाला है इस छोटे से घर में "
ऐसा कहकर वह जोर से हंसने लगती है और तनवी को अंदर आने का इशारा करती ।तन्वी को भी वह लड़की बहुत अच्छी लगती है उसका नेचर ,उसका यह मजाक के अंदाज।
वह टेबल पर पिज्जा रखकर अपने हाथों को झाड़कर अपने हाथ आगे करके खुद को इंट्रोड्यूस करते हुए कहती है-" हाय ! मेरा नाम है श्रेया, और आज से तुम मेरे साथ मेरे छोटे से घर में रहोगी ,हम दोनों की खूब जमेगी"
तन्वी मुस्कुराते हुए श्रेया से हाथ मिलाती है। फिर श्रेया मजाकिया लेजर में तन्वी से कहती है-"मैडम !अब आप नहा धो लीजिए ,मुझे पता है कल आपको ऑफिस जाना है उससे पहले आपको उसकी शॉपिंग भी करनी पड़ेगी और शॉपिंग के लिए हमें मार्केट जाना होगा ।तो let's go for shopping "
तभी श्रेया थोड़ा परेशानी से कहती है -"पर तुम तो बहुत थक चुकी हो। अभी आई हो, अभी शॉपिंग के लिए कैसे जाओगी"
तभी तनवी अपनी शरारती बड़ी निगाहों से श्रेया को देखते हैं और मजाकिया लेजर में कहती है- अरे !श्रेया जी ऐसे छोटे-मोटे सफर तनवी को थका नहीं सकते। अभी भी मुझ में इतनी ताकत है कि मैं जयपुर से लेकर दिल्ली तक चार बार आ जाऊं चक्कर लगा लूं"
श्रेया भी अपने दांत दिखा देती है और कहती है -ओके मैडम! चलो करते हैं शॉपिंग , "
तन्वी नहा धोकर श्रेया के साथ शॉपिंग के लिए निकल जाती है वह शॉपिंग के लिए एक अच्छे से मॉल में जाते हैं । जहां वह खूब जमकर शॉपिंग करते हैं तन्वी अपने लिए नए कपड़े, नए शूज ,नए सैंडल सब खरीद लेती है।
तभी श्रेय अपने गोलू मोलू से पेट पर हाथ फिरते हुए कहती है -"यार !मुझे तो भूख लग रही है चल कुछ खाने चलते हैं"
तनवी अपनी आंखों को बड़ी करते हुए हैरानी से कहती है -"अरे श्रेया जी !अभी-अभी तो आप दो पिज़्ज़ा खा कर आए थे घर से, खाना तो मुझे खाना चाहिए। आपने तो अपनी पूरी पेट पूजा कर ली है"
ऐसा कहकर तन्वी अपना मासूम सा चेहरा बना देती है श्रेया फिर से मजाक से कहती है -"अरे मेरी जान !मैंने तो ध्यान ही नहीं दिया । पर तुम अकेले बैठकर खाना खाओगी अच्छा नहीं लगता ना ,इसलिए मैं तुम्हें कंपनी दे दूंगी"
इस छोटी से सफर में श्रेया और तन्वी काफी अच्छे दोस्त बन जाते हैं तन्वी मॉल में खाना खाने से मना कर देती है क्योंकि मॉल में खाना काफी महंगा मिलता है वह श्रेया से बाहर खाना खाने के लिए बोलता है, रोड साइड।
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To Be Continued...
अब तक
ऐसा कहकर तन्वी अपना मासूम सा चेहरा बना देती है श्रेया फिर से मजाक से कहती है -"अरे मेरी जान !मैंने तो ध्यान ही नहीं दिया । पर तुम अकेले बैठकर खाना खाओगी अच्छा नहीं लगता ना ,इसलिए मैं तुम्हें कंपनी दे दूंगी"
इस छोटी से सफर में श्रेया और तन्वी काफी अच्छे दोस्त बन जाते हैं तन्वी मॉल में खाना खाने से मना कर देती है क्योंकि मॉल में खाना काफी महंगा मिलता है वह श्रेया से बाहर खाना खाने के लिए बोलता है, रोड साइड।
अब आग
माल से निकल जाने के बाद श्रेया और तन्वी एक स्टॉल की और जाने लगते हैं जहां से काफी अच्छे छोले भटूरे की खुशबू आ रही थी।
श्रेया अपनी जीभ को होठों पर घूमते हुए तन्वी से कहती है -"यहां पर पूरी दिल्ली के सबसे बेस्ट छोले भटूरे मिलते हैं। एकदम लाजवाब "
जैसे ही श्रेया और तन्वी इंस्टॉल की ओर जाने लगते हैं तभी उनके कानों में चोर चोर की आवाज सुनाई देती है वह सामने देखते हैं कि एक लड़का आगे आगे भाग रहा है उसकी पीछे दो मोटे हैट कैट पहलवान से लोग उसके पीछे भाग रहे हैं सभी लोग चिला रहे हैं "चोर .चोर."
तन्वी उसे चोर के पीछे भागती है और अपना कैरी बैग घूम के उसके मुंह पर मरती है जिससे वह चोट लगने से नीचे गिर जाता है वह देखी है उसे हाथ में एक डायमंड का हार है जिसे वह लेकर भाग रहा था वह उसे हाथों से छीन लेती है और उसे घूमा एक थप्पड़ जड़ देता है। चोर तनवी को धक्का देकर मन से भाग जाता है जिसे आगे जाकर दो वही दोनों हैट कैट पहलवान जैसे लोग पकड़ लेते हैं और पुलिस को कॉल कर देते हैं तन्वी अपने कैरी बैग को उठाती और आसपास दिखती है।
तभी एक महिला के पीछे से आवाज आती है- " बेटा आप ठीक हो ?
तभी तनवी पीछे मुड़कर देखती है तो एक बुजुर्ग महिला जिसके गले पर से थोड़ा खून आ रहा था क्योंकि चोर ने उनके गले में से वह हर झपता था जिस वजह से उनका गला थोड़ा छिल गया था।
तभी तनवी फिकर वाले लहजे में कहती है -"अरे दादी जी! मैं तो ठीक हूं पर आपके गले से खून आ रहा है"
तन्वी अपना रुमाल लेकर उनके गले से वह खून साफ करने लग जाती है।
तन्वी के सर पर हाथ फेरते हुए कहती है-" नहीं बेटा मैं ठीक हूं, पर हां आप बड़े बहादुर"
यह बुजुर्ग लेडी कोई और नहीं बल्कि सुलेखा जी थी जो मार्केट में गरीब बच्चों के लिए रात का खाना लेकर आई थी । यह उनका रोज का काम था, आदित्य ने उन्हें मना भी कर रखा है को ऐसे घर से बाहर न निकले पर दादी तो दादी है ना वह कहां किसके सुनने वाली है।पर वह जैसे ही खाना बांटने कर वहां से निकल रही होती है तभी एक कदर चोर आकर उनके गले से वह हार छीन ले जाता है।
तन्वी उन्हें हार लौटते हुए फिकर भरे लहजे में कहती है -"दादी आप मेरे साथ चुपचाप हॉस्पिटल चलो !आपकी गले से कितना खून आ रहा है और कह रही है कि आप ठीक हो ।ऐसे कैसे?"
दोनों हैट गेट पहलवान जैसे दिखने वाले लोग सुलेखा जी के पास आकर कहते हैं-" मैडम आप ठीक हो !चलिए हम आपको हॉस्पिटल लेकर चलते हैं"
सुलेखा जी थोड़ी देर रुकने का इशारा करती है और फिर से तन्वी की ओर प्यार से देखते हुए कहती है-" बेटा आप मेरी फिक्र मत करो मैं चली जाऊंगी आपको कहीं जाना तो बताओ ।मैं आपको छोड़ दूंगी?"
तभी तनवी ना में सिर हिला देती हैं बॉडीगार्ड जल्दी ही सुलेखा जी को गाड़ी में बैठकर हॉस्पिटल के लिए निकले वाले होते हैं तभी सुलेखा जी गाड़ी में बैठते ही तन्वी की ओर देखते हुए कहती है -"बेटा आपका नाम क्या है वैसे?
तन्वी मुस्कुराते हुए कहती है-" तन्वी"
तभी बॉडीगार्ड सुलेखा जी की ओर देखते हुए कहता है -"मैडम आपको जल्दी हॉस्पिटल चलना होगा गले से काफी खून बह रहा है , और सर को भी इस एक्सीडेंट के बारे में बता दिया गया है और सर काफी गुस्से में है इसलिए आपको जल्दी हॉस्पिटल जाना होगा"
ऐसा कहकर बॉडीगार्ड गाड़ी स्टार्ट कर देता है और सुलेखा जी कार में बैठकर तनवी हाथ हिलाते हुए बाय कर रही होती है। जवाब में तन्वी भी मुस्कुराते हुए अपना हाथ हिला देती है तभी पीछे से किसी के हाफने आवाज आती है जब वह पीछे मुड़कर देखती है तो श्रेया अपने गोलू मोलू शरीर के साथ हाफ्ते हाफ्ते भाग भाग आ रही है। जो पसीने में बिल्कुल लटपट हो चुकी थी वह तन्वी के कंधे का सहारा लेती है।
श्रेया हफ्ते हुए तन्वी से कहती है-" कहा है. कहां है . वो चोर का बच्चा. मैं .आज उसका ही भटूरा बनाकर खा जाऊंगी. भगा. भगा कर मार डाला. और तन्वी जी आपको क्या जरूरत थी झांसी की रानी बनने की, इतने लोग भाग तो रहे थे उसे कमबख्त चोर के पीछे"
तभी तनवी हंसते हुए कहा -"अच्छा! मैं तो भाग रही थी पर आपको भागने की क्या जरूरत थी?"
तभी श्रेया लंबी सांस लेते हुए कहती है-" अरे !वो मैंने कहा था ना आपको कंपनी वाली बात ।बस आपको कंपनी दे रही थी, अच्छा वह चोर गया कहां?"
तन्वी मुस्कुराते हुए कहती है-" चोर गया जहां उसे जाना था।चलिए. हम मजे लूटते हैं भटूरे के बहुत मजे लूटते हैं"
तभी दोनों छोले भटूरे कि स्टॉल पर चले जाते हैं। श्रेया एक लड़के को इशारा देते हुए अपने पास बुलाती है।
और अपना पेट सहलाते हुए उससे कहती है -"छोटू तीन प्लेट मेरे लिए और एक प्लेट इन बैठी झांसी की रानी के लिए, फटाफट लो"
खाना खाने के बाद दोनों घर की ओर निकल जाते हैं।
आदित्य का केबिन
आदित्य अपनी डेविल स्माइल के साथ तन्वी के काफी करीब आ जाता है इतना करीब कि तनवी को उसकी सांसों की गर्मी अपने चेहरे पर फील हो रही थी। आदित्य को तन्वी का ऐसा डरआ शाहमा चेहरा देखकर काफी खुशी हो रही थी ऐसी जैसे ना जाने उसने क्या जीत लिया हो।
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अब तक
आदित्य का केबिन
आदित्य अपनी डेविल स्माइल के साथ तन्वी के काफी करीब आ जाता है इतना करीब कि तनवी को उसकी सांसों की गर्मी अपने चेहरे पर फील हो रही थी। आदित्य को तन्वी का ऐसा डरआ शाहमा चेहरा देखकर काफी खुशी हो रही थी ऐसी जैसे ना जाने उसने क्या जीत लिया हो।
अब आग
आदित्य तन्वी के कान में फुसफुसाते हुए कहता है -" कहीं वो .स्टूपिड लड़का मैं तो नहीं"
तन्वी अपनी नजर उठा कर आदित्य को देखते हैं वह काफी नजदीक खडा था जिससे तन्वी काफी एसहज हो रही थी ।
वह आदित्य से थोड़ा दूर होकर नरमाई से कहती है-"सॉरी सर.मुझे पता नहीं था कि आप चोर नहीं हो, मुझे गलतफहमी हो गई थी, आई एम रियली सॉरी सर!"
आदित्य अपनी डेविल स्माइल के साथ वापस अपनी चेयर पर जाकर बैठ जाता है और चेयर को थोड़ा लेफ्ट थोड़ा राइट घूमने लगता है।
आदित्य अपनी खा जाने वाली नजरों से तन्वी को देखते हुए कहता है- "मुझे बदतमीज और टाइम को बर्बाद करने वाले लोग बिल्कुल पसंद नहीं और तुमने तो यह दोनों काम की है, तो तुम्हारे साथ क्या-क्या जाना चाहिए"
आदित्य की यह बात सुनकर तनवी को लग रहा था की आदित्य उसे अब नौकरी से निकाल देगा वह सोचती है कि यह उन्हें नौकरी से निकले इससे अच्छा वह खुद ही चली जाए तो काफी अच्छा उसके लिए कम से कम उसकी बेइज्जती तो नहीं होगी ऐसा सोचते वे तन्वी खुद को खुद दरवाजे की और मुड़ जाती है और बाहर जाने लगती है।
तभी आदित्य गुस्से में चिल्लाता है -"तुम्हारी हिम्मत कैसी हुई मेरी परमिशन के बिना यहां से हिलने तक की, अभी मेरी बात पूरी नहीं हुई है"
आदित्य कि यह गुस्सेली आवाज को सुनकर तन्वी काप जाती है और पीछे मुड़कर एकदम सर झुका कर आदित्य को फिर से सॉरी बोलती है । तन्वी से आज तक कभी किसी ने इस तरह चिल्लाकर बात नहीं की थी और आदित्य का ऐसे उसे पर चिल्लाना उसे काफी अंदर से कैचोड रहा था।
तन्वी थोड़ा घबराते हुए कहती है-" सर .मुझे पता है आप मुझे नौकरी से निकलने वाले इसलिए मैंने सोचा कि मैं खुद ही क्यों ना चली जाऊं"
आदित्य तन्वी कैसी घबराए आवाज सुनकर थोड़ा सा शांत हो जाता है और हल्के गुस्से में कहता है -"किसने कहा कि तुम्हें नौकरी से निकाला जा रहा है, मैंने तो अभी तक ऐसा कुछ नहीं कहा"
फिर अपने लैपटॉप की ओर देखते हो कहता है -"मैंने देखे हैं कि तुमने अपनी कॉलेज में कितनी अचीवमेंट की है ,पढ़ाई में भी तुम काफी अच्छी रही हो और मार्केटिंग की भी काफी अच्छी नॉलेज है , यह सब देखकर मैं सोच रहा हूं तुम्हें क्यों ना एक मौका दिया जाए, बट सिर्फ एक मौका"
आदित्य ने यह बात काफी जोर देते हुए कहा। यह सुनकर तो तन्वी के चेहरा जैसे खिल उठता है वह मन ही मन बहुत खुश होती है और अपनी लॉकेट को छूट हुए कहती है माताजी आज तो आपने बचा लिया।
तन्वी खुश होते हुए कहती है -थैंक यू .सर थैंक यू .थैंक यू सो मच., सर मैं आपको बिल्कुल भी शिकायत का मौका नहीं दूंगी, आई प्रॉमिस."
आदित्य अपनी डेविल स्माइल के साथ कहता है -"अच्छा!"
तन्वी मुस्कुराते हुए कहती है-"हां सर !आपको कोई मौका नहीं दूंगी शिकायत का ,अपना काम पूरी डेडीकेशन के साथ करूंगी"
पर तनवी को आदित्य की वह डेविल वाली स्माइल से साफ समझ में आ रहा था कि उसके मन में कुछ ना कुछ तो गड़बड़ चल रही है पर क्या उसका अंदाज लगाना मुश्किल था पर तनवी भी क्या करती उसे तो अपनी जॉब बचाने थी चाहे उसके लिए उसे कुछ भी करना पड़े।
आदित्य अपने डेविल स्माइल के साथ कहता है -"ओके मिस शर्मा,आप अपने काम के लिए जा सकती हैं ,पर हां आज आपका ओवर टाइम है,आज आपके ऑफिस के उसे सारे वर्क सीखने होंगे जो एक न्यू एम्पलाइज को सिखाने में तीन से चार दिन लग जाते हैं"
यह सुनकर तो तन्वी के पसीने छूट जाते हैं वह मन में सोच रही होती है फर्स्ट डे फर्स्ट ओवरटाइम ये कैसा बंदा है इसे बिल्कुल भी बुरा नहीं लग रहा की न्यू एम्पलाइज को एक ही दिन में इतना ओवरलोड ,यह तो पक्का अपनी उसे बेज्जती का बदला उतार और कुछ नहीं।
तन्वी ऐसा सोच रही थी तभी आदित्य उसे घूरते हुए कहता है -"क्या हुआ मिस शर्मा. any problem.?"
तन्वी झूठी मुस्कान के साथ कहती है- "No sir! i don't have any problem"
आदित्य अपनी एक बोहे चढ़कर बोलता है -"good!
आदित्य अपना फोन उठाता है और किसी को कॉल करता है, कॉल पर कहता है -"Come to my cabin now!"
थोड़ी देर में पीछे से एक आवाज आती है-"आई कम इन सर!"
आदित्य हां मे सर हिलता है है तभी वह व्यक्ति बिल्कुल तन्वी के बराबर में आकर खड़ा हो जाता है जैसे उसकी नजर तन्वी पर जाती है तो उसकी आंखें काफी बड़ी-बड़ी हो जाती है और तनवी को बड़े ही गौर से देख रहा होता है जैसे आज तक उसने इतनी क्यूट गर्ल को देखा ही ना हो ।
उसे व्यक्ति का ऐसा रिएक्शन देखकर आदित्य गुस्से से कहता है-" मिस्टर सौरभ, यह है हमारी न्यू एम्पलाइज मिस तनवी शर्मा , इनका ड्रेसक दिखा दीजिए और सारे काम भी समझा दीजिए, और अगर कोई गलती हुई तो इसे पहले आपकी नौकरी जाएगी"
यह सुनकर तो सौरभ को जैसे होश ही आता है वह हां मैं सर हिला कर तन्वी को बाहर चलने का इशारा करता है । बाहर आकर सौरभ एक लंबी सांस लेता है। सौरभ आदित्य का सेक्रेटरी था जो आदित्य के सारे काम करता था उसकी काफी से लेकर उसकी मीटिंग तक का सारा अरेंजमेंट सौरभ ही करता है।
सौरभ की ऐसी लंबी सांसे भरते देख तन्वी उसे पर हंस पड़ती है ।
जिसे देखकर सौरभ कहते हैं -"आप हंसते हुए बहुत प्यारी लगती है"
हल्का सा मुस्कुरा देती है और आहिस्ता से कहती हैं-" आप भी डरते हैं और सब की तरह"
सौरभ अपने बालों में हाथ डालते हुए कहता है-" अरे !डरना पड़ता है बहुत ,पूरा का पूरा यमराज जो है "
सौरभ के मुंह से यमराज नाम सुनकर तनवी हराने से देखती है और कहती है-" आप भी अपने बॉस को यमराज बोलते हैं"
~
To Be Continued...
अब तक
हल्का सा मुस्कुरा देती है और आहिस्ता से कहती हैं-" आप भी डरते हैं और सब की तरह"
सौरभ अपने बालों में हाथ डालते हुए कहता है-" अरे !डरना पड़ता है बहुत ,पूरा का पूरा यमराज जो है "
सौरभ के मुंह से यमराज नाम सुनकर तनवी हराने से देखती है और कहती है-" आप भी अपने बॉस को यमराज बोलते हैं"
अब आग
यह सुनकर सौरभ उसे अपनी आवाज नीचे करने का इशारा करके उसका हाथ पकड़ कर आदित्य के केबिन से कैसे थोड़ा दूर जाकर कहता है-"धीरे बोलिये!.नहीं तो सुन लिया ना, तो दोनों की नौकरी चली जाएगी, चलिए मैं आपको आपका डैक्स दिखाता हूं"
ऐसा कहकर सौरभ तन्वी को अपने साथ चलने का इशारा करता है तन्वी भी उसके पीछे-पीछे चल देती है तभी सौरभ रुकता है। तन्वी का डेस्क बिल्कुल श्रेया की डेस्क के साइड में था।
श्रेया तनवी को देखकर एक बार तो हैरान होती है फिर थोड़ा परेशानी सा मुंह बनाकर तन्वी से कहती है-"यार! बाॅॅस ने क्या कहा,तू ठीक तो है ना,और तेरी नौकरी?"
यह सुनकर तन्वी हल्का सा मुस्कुरा देती है और एक विश्वास के साथ कहती है -"अरे यार! कुछ नहीं हुआ .बस छोटी सी पनिशमेंट मिली है ,तीन चार दिन का काम एक दिन में सीखना है ज्यादा कुछ नहीं ., ओवर टाइम है आज मेरा"
यह कहकर तन्वी बस मुस्कुरा रही होती है तो उसकी मुस्कुराहट में कोई खो रहा था सौरभ बस तन्वी कोई ही देखे जा रहा था ।उसका ऐसी नेगेटिव सिचुएशन में भी इतना पॉजिटिव रिएक्ट उसे काफी अच्छा लगा था। ऊपर से तन्वी की सिंपलीसिटी उसे काफी अच्छी लग रही थी। तभी श्रेया की नजर सौरभ जाती है जो कब से तन्वी कोई देखा जा रहा था।
श्रेया खांसने का नाटक करते हुए सौरभ से कहती है- " सर ने आपको जिस काम के लिए भेजा है उसे पर फोकस करें. ना कि किसी. "
फिर श्रेया तन्वी की और देखकर बड़े प्यार से कहती है-" यार. तू टेंशन मत ले ,हम दोनों घर साथ चलेंगे चाहे रात के 12:00 क्यों न बज जाए, दोनों साथ ही चलेंगे तो अपना ओवर टाइम कर,मैं तेरे साथ"
श्रेया की बात सुनकर तन्वी उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहती है -"यार. don't worry, i can handle it"
पर श्रेया बार-बार रुकने की जिद करती है और तन्वी की बात मानना ही नहीं चाहती थी पर तन्वी भी अपने जिद पर अड़ी थी आखिर में श्रेया को तन्वी की जिद के आगे झुक हीं पड़ता है। पर श्रेया तन्वी से साथ खाना खाने का वादा ले लेती है जो तन्वी खुशी खुशी देती है।
तभी सौरभ अपने प्यार भरी निगाहों से तन्वी की ओर देखते हुए कहता है-" तन्वी आपका नंबर मिलेगा अगर आपको कोई जरूरत हो तो मुझे कॉल कर सकती हैं किसी भी टाइम., मुझे आपसे कोई काम पड़ जाए तो मैं आपको भी कॉल कर सकता हूं, और अगर आप बुरा ना माने तो हम दोस्त बन सकते हैं"
तन्वी कुछ कहने वाली होती है इतने में श्रेया बीच में ही बोल पड़ती है- "आपने कभी मेरा नंबर नहीं मांगा, मुझे भी काम पड़ सकता है आपसे, और बात दोस्ती की. तो तन्वी के बहुत दोस्त हैं एक में और जो कल आने वाली है. तो आपकी जरूरत नहीं पड़ेगी"
श्रेया को पता था की सौरभ की गंदी नजर तन्वी पर है क्योंकि उसे पता था कि शोरूम अच्छा लड़का नहीं है वह हर आती-जाति लड़की का ऐसे ही बात करता है और अपने झासे में फसाता है।
तभी सौरभ चिढ़ते हुए कहता है-" आपका नंबर आपके जितना बड़ा होगा ना ,.तो मेरे फोन में फिट नहीं होगा. इसलिए तनवी जी का नंबर मांग रहा हूं"
ऐसा सुनकर श्रेया का तो माथा ही गर्म हो जाता है वह कुछ कहने वाली होती है तभी तनवी मामले को ग्रम समझ कर उसे ठंडा करने की कोशिश करती है और बड़े नरम लहजे में कहती है-"आप मुझे अपना नंबर दे दीजिए मुझे कोई जरूरत होगी तो मैं आपको कॉल कर लूंगी"
सोरभ खुश होकर जल्दी से अपना नंबर तन्वी को दे देता है
तभी सौरभ तन्वी से बड़े रिस्पेक्ट से कहता है-" तन्वी जी चलिए मैं आपको आपका काम समझा देता हूं., बहुत सारा काम है और वह आपको आज ही करना है सब कुछ आज ही सीखना है तो लेटेस्ट स्टार्ट नाउ"
तन्वी हा में सर हिलाती है और अपनी चेयर पर बैठ जाती है सौरभ सबसे पहले कंपनी के सारे रूल और रेगुलेशन तन्वी को समझता है। सौरभ तनवी को समझा रहा होता है कि उनके बॉस को हर काम टाइम पर चाहिए होता है काम के वक्त पर सिर्फ काम किया जाए और टाइम की वेस्टीज उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं और कंपनी में कोई भी लव बर्ड किसी भी तरह का टाइम पास नहीं कर सकता अपने लविंग मोमेंट उन्हें घर पर ही करने होंगे अगर वह ऐसा वैसा करते हुए कंपनी में पकड़े जाते हैं तो उन्हें तुरंत कंपनी से निकाल दिया जाता है। अगर किसी भी एम्पलाइज को किसी प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए दिया जाता है तो दिए गए टाइम पर ही उसे वह काम करके सर को ईमेल करना होता है 1 मिनट की भी देरी उसकी नौकरी को खा सकती है।
तुम भी सौरभ की बात को काफी ध्यान से सुन रही थी और सौरभ भी हैरान था की तन्वी काम को बहुत जल्दी-जल्दी सीख रही है पर एक फिनिशिंग के साथ वह तन्वी की काफी तारीफ करता है उसके शार्प mind की उसके फिनिशिंग की।
तन्वी के क्यूट बिहेव से ऑफिस के काफी लोग उसे दोस्ती करने लगते हैं और ऑफिस के पहले दिन ही तन्वी के काफी दोस्त बन चुके थे ।ऑफिस के सभी लोगों को तन्वी का नेचर काफी अच्छा लग रहा था और सबसे अच्छी उसकी मुस्कान जो बड़े-बड़े टेंशन को दूर करने के लिए काफी थी।
देखते देखते शाम के 6 कब पड़ जाते हैं किसी को पता ही नहीं चलता।
श्रेया अपने डेस्क से उठकर कहती है- "चल यार, मेरी तो छुट्टी का टाइम हो गया,पर तू टाइम से घर आ जाना. साथ खाना खाएंगे याद है ना तुझे?"
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To Be Continued...
अब तक
तन्वी के क्यूट बिहेव से ऑफिस के काफी लोग उसे दोस्ती करने लगते हैं और ऑफिस के पहले दिन ही तन्वी के काफी दोस्त बन चुके थे ।ऑफिस के सभी लोगों को तन्वी का नेचर काफी अच्छा लग रहा था और सबसे अच्छी उसकी मुस्कान जो बड़े-बड़े टेंशन को दूर करने के लिए काफी थी।
देखते देखते शाम के 6 कब पड़ जाते हैं किसी को पता ही नहीं चलता।
श्रेया अपने डेस्क से उठकर कहती है- "चल यार, मेरी तो छुट्टी का टाइम हो गया,पर तू टाइम से घर आ जाना. साथ खाना खाएंगे याद है ना तुझे?"
अब आग
तन्वी हां में सर हिला कर श्रेया को बाय बोलते हैं ऐसे करते-करते पूरा ऑफिस खाली हो चुका था सौरभ भी तनवी को काम समझा करो अपने घर के लिए निकल चुका था। कब रात के 10:30 बज जाते हैं तन्वी को पता ही नहीं चलता। तन्वी अपना काम खत्म कर के जैसी ऑफिस के लिए निकलने वाली होती है तो देखी है कि डैक्स पर एक फाइल रखी , जो उसे आदित्य को देनी थी। पर वह सोचती है कि इस टाइम तो आदित्य कब का घर के लिए निकल चुका होगा तभी वह फाइल लेकर आदित्य के केबिन में सीधा उसका दरवाजा खोल देती और आदित्य से टकरा जाती है इस टकराव से तनवी के हाथ में जो फाइल थी वह हवा में उछाल जाती है उसके सारे पन्ने तन्वी और आदित्य के ऊपर गिर जाते हैं । इस एकदम से हुए टकराव की वजह से तन्वी सीधा आदित्य की गोद में जा गिरती है। अब आदित्य का एक हाथ तन्वी की कमर और दूसरा हाथ तन्वी के हाथ को थामे हुआ था। तन्वी ने भी कस कर आदित्य की शर्ट को पकड़ रखा था। वे दोनों एक दूसरे की आंखों में देख रहे होते हैं।
आदित्य का केबिन
तनवी आदित्य को तो पता ही नहीं था कि वह कब से एक दूसरे की बाहों में खुद को समेटे हुए khede h तभी आदित्य के केबिन की एक खिड़की खुद hi अचानक से खुल jati है और हवा का तेज khokha आदित्य और तन्वी के चेहरे पर पड़ता हैं , तन्वी के बाल उसके चेहरे पे आने लगते है। जिन्हें आदित्य अपने हाथ की उंगलियों से उसके कान के पीछे करता है तभी अचानक से आदित्य को होश आता है।
और वह गुस्से से तन्वी को खड़ा करते हुए कहता है- "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे केबिन में इस तरह घुसने की"
तन्वी हैरान थी कि किसी के केबिन में ऐसे चले जाने पर कोई इतना गुस्सा कैसे कर सकता है तभी तनवी अपनी बात रखते हुए कहती है - "सॉरी सर !मुझे पता नहीं था .मुझे लगा आप चले गए हैं, मैं सिर्फ यह फाइल देने आई थी और कोई इरादा नहीं था मेरा"
तन्वी थोड़ा रुक कर और अपनी बात को अच्छे से रखते हुए कहती है - "सर! आपके केबिन का दरवाजा है इसमें से बाहर से कोई नहीं देख सकता पर अंदर वाला आदमी तो बाहर के सभी लोगों को देख सकता है, आपको तो देखना चाहिए था ना."
तन्वी का कहना भी तो सही था आदित्य के केबीन का दरवाजा शीशे का बना हुआ था जिससे बाहर का कोई व्यक्ति अंदर की चीज नहीं देख सकता पर अंदर वाला बाहर की सभी चीजों को देख सकता था। आदित्य को भी यह बात कहीं ना कहीं सही लग रही थी पर वह अपना ईगो कैसे हर्ट होने दे सकता है।
आदित्य तन्वी के हल्का करीब जाते हुए उसे अपनी खा जाने वाली नजरों से देखते हुए कहता है- "ऐसा कहने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई, तुम्हारे कहने का मतलब है कि मेरी गलती है .🤨मैं तुमसे टकराया हूं .अपने ही बॉस के केबिन में,उसके बिना परमिशन के एंट्री कर उसी से बदतमीजी करना ., तुम्हारे हिम्मत की तो दांत देनी पड़ेगी 😡😡"
आदित्य की आंखों में तो जैसे सारे संसार का गुस्सा उतर आया था यह देखकर तन्वी थोड़ा घबरा जाती है उसे लग रहा था कि आदित्य उसे ऐसे देखकर ही मार डालेगा वह सहन जाती है उसकी भरी आवाज से कर लेती है पर आदित्य अभी भी उसे घूम रहा था।
तभी तनवी नरम लेहजऐ में नज़रे नीचे करके आदित्य से कहती है -"Sorry, it's my mistake, I will be careful in future"
आदित्य फिर से तन्वी के ऊपर बरसते हुए कहता है- "अब यह फाइल तुम मेरे घर पहुंचाओगी, वो भी कल 9:00 बजे से पहले .पहले .और घर से किसी टैक्सी में नहीं आओगी.😠😠😠 पैदल चलकर आओगी, its my order 😠😠😠😠"
यह सुनकर तनवी हैरान हो जाती है और उसके पास कोई चारा भी तो नहीं था अपने बॉस का आर्डर करने के अलावा वह हां मैं चुपचाप सर हिला देती है और आदित्य केबिन से बाहर निकल जाता है आदित्य की बाहर जाते हैं तन्वी अपने माथे पर हाथ मरती है ।
और खुद से कहती है-"अरे तनवी !.तूने क्या कर दिया, अपने ही पर पर कुल्हाड़ी मार ली, कैसा बे दिल इंसान है जिस किसी की फीलिंग कोई कदर ही नहीं है बस अपना एटीट्यूड झाड़ना, घर से और आदित्य सर के घर की लोकेशन का भी मुझे पता नहीं है मैं कैसे करूंगी., भगवान जी बचा लो मुझे."
तभी tanvi के मन में सौरभ का ख्याल आता है, सौरभ तो आदित्य का सेक्रेटरी है उसे तो आदित्य ke घर की लोकेशन का पता ही होगा, यह सोचकर वह थोड़ा शांत हो जाती है तभी उसे याद आता है कि उसकी घड़ी में 10:45 हो गई है और वह काफी लेट हो चुकी है वह जल्दी-जल्दी अपना बैग उठाती है और ऑफिस से निकल जाती है ऑफिस के बाहर खड़ा होकर अपने फोन पर कैब बुक करती है पर कोई भी कप बुक नहीं होती है uसकी बुकिंग कैंसिल हो रही होती है, तन्वी परेशान हो जाती है कि वह घर कैसे जाएगी, तभी वह dekheti है कि आदित्य भी ऑफिस से निकाल कर अपनी गाड़ी में बैठकर जा रहा होता है , आदित्य एक बार भी तन्वी की ओर नहीं dekheta, यह देखकर तन्वी को बड़ा अजीब लग रहा था की आदित्य ने एक बार भी उसे नहीं पूछा कि उसे किसी हेल्प की जरूरत तो नहीं है पर तनवी को समझ में आ रहा था कि आदित्य दिल से बिल्कुल भी अच्छा नहीं है वह जितना ऊपर से कठोर है उतना अंदर से भी कठोर है|
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अब तक
तभी tanvi के मन में सौरभ का ख्याल आता है, सौरभ तो आदित्य का सेक्रेटरी है उसे तो आदित्य ke घर की लोकेशन का पता ही होगा, यह सोचकर वह थोड़ा शांत हो जाती है तभी उसे याद आता है कि उसकी घड़ी में 10:45 हो गई है और वह काफी लेट हो चुकी है वह जल्दी-जल्दी अपना बैग उठाती है और ऑफिस से निकल जाती है ऑफिस के बाहर खड़ा होकर अपने फोन पर कैब बुक करती है पर कोई भी कप बुक नहीं होती है uसकी बुकिंग कैंसिल हो रही होती है, तन्वी परेशान हो जाती है कि वह घर कैसे जाएगी, तभी वह dekheti है कि आदित्य भी ऑफिस से निकाल कर अपनी गाड़ी में बैठकर जा रहा होता है , आदित्य एक बार भी तन्वी की ओर नहीं dekheta, यह देखकर तन्वी को बड़ा अजीब लग रहा था की आदित्य ने एक बार भी उसे नहीं पूछा कि उसे किसी हेल्प की जरूरत तो नहीं है पर तनवी को समझ में आ रहा था कि आदित्य दिल से बिल्कुल भी अच्छा नहीं है वह जितना ऊपर से कठोर है उतना अंदर से भी कठोर है|
अब आग
तभी एक वाइट कलर की टैक्सी अचानक से तन्वी के आगे aake रुक जाती है। तन्वी को बड़ा अजीब लग रहा होता है की कोई भी कैब तो बुक हुई नहीं ,तो अचानक से यह टैक्सी? इन सब चीजों को इग्नोर करके टैक्स में बैठ जाती है और टैक्सी वाले को अपने घर का एड्रेस बताती है कुछ ही देर में टैक्सी श्रेया के घर के आगे रुक जाती है। तन्वी का मन होता है कि वह टैक्सी वाले से पूछे कि उसकी तो कोई कैब बुक हुई नहीं थी। फिर वह सोचती कि शायद कैब बुक हो गई होगी तभी तो यह आया है। तन्वी दिन भर के काम से काफी थक चुकी थी उसकी आंखें काफी भारी हो गई थी। तन्वी घर की बेल बजती है तभी श्रेया दरवाजा खोलती है श्रेया तन्वी का ऐसा बुझा हुआ चेहरा देखकर थोड़ा उदास हो जाती है और तनवी को अंदर लेकर दरवाजा बंद कर लेती है।
तन्वी को सोफे पर बैठती हुए कहती है-"यार. तू तो काफी थक चुकी है तूने सारा काम सीख लिया आज? या कुछ रह गया? वैसे बहुत मुश्किल है, मे समझे सकती हूं, एक बार में इतना ओवरलोड वह भी ऑफिस के पहले ही दिन., काफी मुश्किल है"
तन्वी अपना सर मेलते हुए श्रेया से कहती है- "हां यार ओवरलोड तो था, but तन्वी ने सब कर लिया और जो चीज याद नहीं हो रही थी उनको मैंने नोट डाउन कर लिया। जिससे मुझे फ्यूचर में प्रॉब्लम ना हो और तू तो है ना ,तो फिर क्या टेंशन मुझे😄,"
फिर तन्वी थोड़ा उदास होते हुए श्रेया से कहती है -"यार. पर एक प्रॉब्लम और हो गई मुझसे,फिर से पनिशमेंट मिली है , वो भी बड़ी वाली."
श्रेया माथे पर हाथ मारते हुए कहती है -"अब क्या कर डाला तूने. फिर से पंगे लिया है क्या सर से?"
तन्वी हां मैं सर हिलाते हुए श्रेया को ऑफिस की सारी बात बता देती है जो उसके और आदित्य के बीच हुई और आदित्य ने जो उसे पनिशमेंट दिए उसके बारे में भी ,यह सुनकर तो श्रेया अपना माथा पकड़ लेती है वे तनवी को अपनी उदास निगाहों से देख रही है होती है ।
कभी तन्वी मुस्कुराते हुए कहती है-" यार. तू टेंशन मत ले, मैं कर लूंगी ,सौरभ से आदित्य सर के घर की लोकेशन ले लूंगी और चली जाऊंगी उन्हें फाइल देने, कोई बात नहीं. सोचूंगी मॉर्निंग वॉक कर रही हूं 😃😃पहुंच जाऊंगी। तू टेंशन ना ले."
श्रेया को बड़ा अच्छा लगता है की तन्वी नेगेटिव सिचुएशन में भी कितना पॉजिटिव है उसकी यह पॉजिटिविटी श्रेया को काफी अच्छी लग रही थी और तन्वी की ओर देखते हुए मुस्कुरा देती है।
और फिर एक वार्निंग की आवाज में तन्वी से कहती है-"ठीक है! सौरभ से लोकेशन ले लेना .पर सौरभ अच्छा लड़का नहीं है उसे दूर ही रहना ।सिर्फ काम की बात ,वह एक नंबर का धोखेबाज चीटर है उसे सिर्फ चीीीत करना आता है और कुछ नही"
तन्वी हा मे सर हिलती है आती है तभी दोनों एक दूसरे को मुस्कुराते हुए देखते हैं और टेबल पर रखे हुए खाने की ओर टूट पड़ते हैं श्रेया भी काफी भूखी थी क्योंकि उसने काफी टाइम से कुछ नहीं खाया था तन्वी का वेट करते-करते उसकी भूख और ज्यादा बढ़ गई थी दोनों खाने पर टूट पड़ते हैं और खाना खाने के बाद दोनों चैन से अपने-अपने बेड पर सो जाते हैं।
सुबह का वक्त
श्रेया सुबह जल्दी ही ऑफिस के लिए तैयार होकर घर से निकल चुकी थी और तन्वी भी आदित्य के घर जाने के लिए रेडी हो रही थी अभी घड़ी में 8:00 बजे थे और उसे 9:00 बजे तक आदित्य के घर फाइल पहुंचाने थी वह जल्दी-जल्दी अपना बैग उठाती है और फिर सौरभ का मैसेज देखती हैं। सौरभ ने रात को ही आदित्य ही घर की लोकेशन सेंड कर दी थी तन्वी चाहती तो टैक्सी करके जा सकती थी। पर वह काफी ईमानदार और सच्चे दिल की थी। उसे अपना हर काम इमानदारी से करना पसंद है किसी भी चीज में वह शॉर्टकट नहीं अपनाती हर काम को ईमानदारी और डेडीकेशन के साथ करती है इसलिए वह पैदल ही निकल जाती है आदित्य के घर के लिए, घर लगभग 2 किलोमीटर दूर था। गूगल मैप का उसे करते हुए 50 मिनट में ही आदित्य के घर पहुंच जाती है वह देखी है कि मेहरा मेंशन काफी बड़ा है उसके बाहर बहुत बड़ा गार्डन है जिसमें गुलाब की काफी सारी वैराइटीज है और बहुत सारे नौकर आसपास लगे हुए हैं कोई पौधों को पानी दे रहा है तो कोई घास काट रहा है सभी अपने कामों में लगे हुए थे। तन्वी थोड़ा सा घबराते हुए एंट्री करती है। मेहरा मेंशन अंदर से भी काफी सुंदर था, तन्वी ने इतना बड़ा घर कभी नहीं देखा था वह काफी खुश नजर आ रही थी तभी उसके कानों में कुछ लोगों की आवाज पड़ती है।
वह थोड़ा आगे बढ़ते हुए अपने लेफ्ट कॉर्नर पर देखी है कि कोई बुजुर्ग लेडी अपनी नौकरी पर काफी चिल्ला रही थी। उसे लेडी का चेहरा तो नहीं दिखाई दे रहा था pr उसके बैक साइड जानी पहचानी लग रही थी। वह नौकरों पर काफी चिल्ला रही थी, उनके चिल्लाने के अंदाज से दूर से इतनी को यह समझ में आ रहा था की नौकर ने उनकी कोई फेवरेट डिश को बिगाड़ दिया जिससे वह काफी गुस्सा है, तन्वी देखी है कि किचन में कॉफी नौकरों को एक साथ डाटा जा रहा है तन्वी अपने कदम किचन की ओर बढ़ा देती है।
तभी तनवी अपनी मीठी आवाज से पुकारते हुए कहती है-"हेलो मैम! मुझे आदित्य सर से मिलना है उनको यह फाइल देनी थी, सर ने मुझे बुलाया था ,क्या आप यह फाइल उन्हें दे देगी?"
कभी सुलेखा जी पीछे मूर्ति हैं और वह देखते हैं कि यह तो वही लड़की है जिसने उनकी उसे दिन हेल्प की थी सुलेखा जी को देखकर हैरान हो जाते हैं उसको यह समझ में आ जाता है कि सुलेखा जी ही आदित्य की दादी हैं और इस मेहरा मेंशन की मालकिन भी दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा देते हैं ।
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To be Continued.... . . . .. ... . . .
अब तक
तभी तनवी अपनी मीठी आवाज से पुकारते हुए कहती है-"हेलो मैम! मुझे आदित्य सर से मिलना है उनको यह फाइल देनी थी, सर ने मुझे बुलाया था ,क्या आप यह फाइल उन्हें दे देगी?"
कभी सुलेखा जी पीछे मूर्ति हैं और वह देखते हैं कि यह तो वही लड़की है जिसने उनकी उसे दिन हेल्प की थी सुलेखा जी को देखकर हैरान हो जाते हैं उसको यह समझ में आ जाता है कि सुलेखा जी ही आदित्य की दादी हैं और इस मेहरा मेंशन की मालकिन भी दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा देते हैं ।
अब आग
सुलेखा जी तन्वी के पास आते हुए उसके सर पर हाथ फिरते हुए कहती हैं-"बेटा आप यहां? उसे दिन तो मैं आपका सिर्फ नाम ही पूछ पाई, आपका तो मैं धन्यवाद भी ठीक से नहीं किया ,आपने मेरी इतनी हेल्प की .और आप यहां मेहरा मेंशन में ,हमें काफी खुशी हुई आप ☺️☺️को यहां देखे कर "
तन्वी मुस्कुराते हुए कहती है-"दादी जी! मुझे तो पता ही नहीं था कि आपका घर है ,मैं तो सिर्फ आदित्य सर को फाइल देने आई थी ,शहर में नइ हूं तो कुछ ज्यादा पता नहीं है यहां का .और आप ठीक है? आपके गले पर जो घाव था वह हो गया ठीक?"
सुलेखा जी को काफी अच्छा लगता है की तन्वी ने उनकी हाल-चाल के बारे में पूछा तन्वी वैसे उनके लिए अजनबी थी पर सुलेखा जी को तन्वी से अलग ही अटैचमेंट की फीलिंग आ रही थी उनेह तनवी बिल्कुल अपनी सी लग रही थी। तन्वी का यू फिक्र करना सुलेखा जी को काफी अच्छा लगा था और तन्वी का ऐसा साफ दिल सुलेखा जी को तन्वी से और ज्यादा अटैच कर रहा था यह सब हो ही रहा था तभी भूमिका भी वहां आ जाती है और सुलेखा जी तन्वी का इंट्रोडक्शन करवाती है भूमिका को भी तन्वी का नेचर काफी अच्छा लगा। तन्वी कि वह मीठी बोली, उसकी प्यारी सी सूरत और उसका मजाक के अंदाज, सुलेखा जी और भूमिका को काफी प्यारा लगता है।
तभी तनवी को कुछ याद आता है और वह फिकर भेरे लहज में कहती है - "दादी जी ,मुझे यह सर को फाइल देनी थी, अगर 9:00 बजे से पहले फाइल उन्हें नहीं मिली तो मेरी नौकरी चली जाएगी, आप प्लीज. ये फाइल उन तक पहुंचा दीजिए और फिर मुझे ऑफिस के लिए भी निकालना है"
दादी तन्वी के चेहरे पर डर देखकर मुस्कुराते हुए कहती हैं- "लाओ फाइन मुझे दो .मैं आदित्य के पास अभी पहुंचा देती हूं और तुम टेंशन मत लो तुम्हारी नौकरी को कुछ नहीं होगा. तुम तो मेरी प्यारी बच्ची हो .और मैं अपनी बच्ची को तकलीफ में कैसे देख सकती हूं"
सुलेखा जी तन्वी से फाइल लेकर एक नौकर को पकड़ा देता है और उसे समझा देती है कि उसे यह फाइल कहां पहुंचानी है कि उसे भी अब इस अनजान शहर में कोई अपना सा मिल गया था। तन्वी अपने बारे में दादी को सब कुछ बताती है कि कैसे उसकी जॉब आदित्य की कंपनी में लगी और कैसे-कैसे आदित्य ने उसे पनिशमेंट दि। थोड़ी देर में भूमिका और सुलेखा जी काफी घुल मिल चुके थी। तन्वी को भी भूमिका और सुलेखा जी का स्वभाव बहुत प्यारा लगता है वो मन में सोच रही होती है की जिनकी फैमिली इतनी प्यारी है वह खुद कितने कठोर है उसे तो लगता ही नहीं है कि आदित्य ऐसी फैमिली से बिलॉन्ग करते हैं जो इतनी प्यारी है। सुलेखा जी को तन्वी पर हो रहे यह अत्याचार अच्छे नहीं लगे थे उन्होंने मन ही मन सोच लिया था कि इस बारे में आदित्य से जरूर बात करेगी।
तभी तनवी सुलेखा जी से मजाकिया अंदाज में पूछती है- "दादी जी सुबह-सुबह इन बेचारे सर्वेंट पर अत्याचार क्यों किया जा रहा है क्या बात है? क्या कर दिया इन्होंने?"
तभी भूमिका मुस्कुराते हुए तन्वी से कहती है -"दी. ज्यादा बड़ी बात नहीं है. बस आज दादी जी को प्याज की कचौड़ियां खानी थी जो हमारे घर के सैफ ने अच्छी नहीं बनाई ,जिससे इनका मूड बिगड़ गया और इन्होंने सुबह-सुबह ही सब की क्लास लगा दी."
तभी सुलेखआ जी भूमिका के सर पर चपात लगाते हुए तन्वी से कहती है -"अरे बेटा इसकी बात पर ध्यान मत दो आप यह तो ऐसे ही कुछ भी"
तभी भूमिका मुंह बनाते हुए कहती है -"अच्छा! कुछ भी, क्या दादी सुबह-सुबह झूठ बोला जा रहा है, और भैया को पता लगेगा ना कि आप कचौड़ियां खा रही है तो कितना गुस्सा करेंगे, डॉक्टर ने मना किया है ना आपको तला हुआ खाने के लिए"
सुलेखा जी भूमिका के ऊपर हल्का गुस्सा करते हुए कहती है- "तू चुप कर ,ज्यादा मत बोल .देख लूंगी तेरे भैया को, मेरी मर्जी में कुछ भी खाऊं वह कौन होता है मुझे रोकने वाला,खुद तो बहुत बड़ा डाइटिशियन बने घूमता है . खुद तो कुछ खाता नहीं है ना मुझे खाने देगा"
तन्वी भूमिका और सुलेखा जी की एक प्यारी सी नोक झोक देखकर मुस्कुरा रही होती है।
तभी तनवी खड़े होते हुए एटीट्यूड से कहती है - "दादी जी! Don't fear because tanvi is here, आपके लिए कचौड़ियां मैं बनाऊंगी वह भी बिल्कुल कम तेल में जिससे आपको हेल्थ इशू नहीं होगा । आप बेफिक्र होकर कचौड़ियां खा सकती हैं बस सब मुझ पर छोड़ दीजिए"
तन्वी सुलेखा जी से इजाजत लेकर किचन में चली जाती है और वहां के सर्वेंट से कचोरी बनाने का सारा सामान टेबल pr मगवा leti h और माता रानी का नाम लेकर अपना काम शुरू कर देती है। तन्वी को ऐसे कचौड़ियां बनते देखा सुलेखा जी और भूमिका को बड़ा अच्छा लग रहा था। कोई अनजान व्यक्ति किसी के लिए इतना कर सकता है यह उन्होंने आज देखा। तनवी भी बड़े मजे से गुनगुनाते हुए कचौड़ियां बनती है, थोड़ी देर में कचौड़ियों की खुशबू से पूरी रसोई महक उठती है।
तन्वी दो प्लेटो में कचौड़ी और उसके साथ में इमली की खट्टी मीठी चटनी डालकर हाल में सुलेखा जी और भूमिका को पकड़ते हुए कहती है-" यह लीजिए ,आपकी राजस्थानी शाही प्याज की कचोरी तैयार है., खाकर बताइए कैसी बनी है"
सुलेखा जी और भूमिका को तन्वी की इतनी प्यारी सी अनाउंसमेंट काफी प्यारी लग रही थी और प्लेट उठाती है और कचौड़ियां खाने लग जाती है। जैसे ही सुलेखा जी के मुंह में कचौड़ियां का एक bite जाता है वह अपनी आंखें बंद कर लेती है और उसका मजा लेने लग जाती हैं। सुलेखा जी ने इतनी अच्छी कचौड़ियां अपनी लाइफ में कभी नहीं खाई थी और भूमिका को वैसे तो ऐसी चीज पसंद नहीं है पर उससे भी कचौड़ियां काफी अच्छी लगती है।
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To be Continued....
अब तक
सुलेखा जी और भूमिका को तन्वी की इतनी प्यारी सी अनाउंसमेंट काफी प्यारी लग रही थी और प्लेट उठाती है और कचौड़ियां खाने लग जाती है। जैसे ही सुलेखा जी के मुंह में कचौड़ियां का एक bite जाता है वह अपनी आंखें बंद कर लेती है और उसका मजा लेने लग जाती हैं। सुलेखा जी ने इतनी अच्छी कचौड़ियां अपनी लाइफ में कभी नहीं खाई थी और भूमिका को वैसे तो ऐसी चीज पसंद नहीं है पर उससे भी कचौड़ियां काफी अच्छी लगती है।
अब आग
वह तन्वी की तारीफ करते हुए कहती है- "wow. इतनी अच्छी कचौड़ियां मैंने अपनी लाइफ में आज तक नहीं खाई. दी!. आपने बहुत ज्यादा अच्छी कचोरी बनाई है, मजा आ गया सच में."
सुलेखा जी भी जैसे ही तन्वी की तारीफ करने वाली होती हैं तभी पीछे से अवी की आवाज आती है- "क्या बात है इतनी अच्छी खुशबू आ रही है .आज क्या बनाएं घर में ऐसा?"
अवी भी ऑफिस के लिए तैयार होगा हाल में आ जाता है। वह तनवी को जानता था क्योंकि उसने ही उसकी प्रोफाइल आदित्य को मेल की थी।
वह तन्वी की और मुस्कुराते हुए कहता है - "अच्छा !आप ही हैं न्यू एम्पलाइज, आप मुझे नहीं जानती है पर मैं आपको अच्छे से जानता हूं। और पहले ही दिन जो भैया ने आपको पनिशमेंट दिया उसका भी मुझे पता लग चुका, भैया थोड़े ऐसे ही हैं पर मुझे हैरानी इस बात की है की जो किसी भी एम्पलाइज की एक छोटी सी गलती पर भी उसे कंपनी से निकाल देते थे उन्होंने आपको दो बार मौके दिए, आई एम सो सरप्राइज्ड."
तन्वी अवी की बातें सुनकर कहती है- "आप कौन है?. मैं तो आपको नहीं जानती और आप इतना कुछ जानते हैं,केसे?"
तभी अवी मुस्कुराते हुए अपना पूरा इंट्रोडक्शन देता है वो तनवी बताता है की वह आदित्य का छोटा भाई है और कुछ टाइम पहले ही उसने भी कंपनी का थोड़ा बहुत काम संभाल रखा है वह भी अभी थोड़ा नया है और अपने भाई से कंपनी के सारे काम सीख रहा है ताकि मुंबई वाली कंपनी को वह संभाल सके।
अवी भूमिका की प्लेट उठाते हुए मजाकिया मूड में कहता है - "अरे वाह! कचौड़ियां यह तो मेरी फेवरेट है, तन्वी जी आपने बनाई है?"
भूमिका चिड़ते हुए दादी से कहती है-"दादी देख लो अवी मेंरी कचोरी ले ली.फिर आप कहते हो लड़ते हो तुम दोनों बच्चों की तरह., अब बताओ किसकी गलती है?"
अवी भूमिका को चिड़ाते हुए कहता है -"कचोरी .कचोरी पर लिखा है. खाने वाले का नाम."
तन्वी मुस्कुराते हुए कहती है -"आप लोग लडिया मत ,मैं और लेकर आता हूं"
तन्वी जाने कोई होते हैं तभी अवी उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक लेता है और कहता है- "नहीं तनवी जी .बस मेरा हो गया, मुझे तो बस भूमिका को थोड़ा परेशान करना था जब तक मैं ईसे परेशान नहीं कर लेता मेरा दिन नहीं बनता"
अवी का यूं तन्वी का हाथ पकड़ना न जाने किसी को अच्छा नहीं लग रहा था। तभी गुस्से में किसी की जोरदार आवाज आती है जिससे सभी एक बार तो घबरा जाते हैं यह और कोई नहीं बल्कि आदित्य था।जिसका तन्वी का हाथ पकड़ना उसे अच्छा नहीं लगा था।
आदित्य गुस्से में भड़कते हुए कहता है-"तुम अभी तक यहां क्या कर रही हो? अभी तुम्हारे ऑफिस का टाइम नहीं हुआ, तुम्हें यहां फाइल देने के लिए बोला था ,यहां का बावर्ची बनने के लिए नहीं"
सभी लोग सामने की ओर आते हुए आदित्य को देखते हैं जो काफी गुस्से में था किसी को समझ में नहीं आ रहा था कि आदित्य इतनी गुस्से में है क्यों? तन्वी तो जैसे काप ही जाती है ।आदित्य को ऐसे अपने ऊपर बरसते हुए देखे वो कुछ कदम पीछे खिसक जाती है दादी जी भी अपनी जगह से खड़ी हो जाती है।उन्हें भी बड़ा अजीब लग रहा था आदित्य का ऐसा व्यवहार।
आदित्य तन्वी के बिल्कुल सामने आकर खड़ा हो जाता है जिससे तन्वी काफी असहज हो जाती है। सभी लोग तनवी आदित्य कोई देख रहे थे।
आदित्य लगभग चिल्लाते हुए तन्वी से कहता है -"तुम अभी तक ऑफिस क्यों नहीं गई?तुम्हें तुम्हारे ऑफिस में काम करने के लिए पैसे दिए जाते हैं ना. की फिजूल की बातो के लिए, और तुम यहां खड़ी होकर हंसी टिटौली कर रही हो"
सुलेखा जी को आदित्य की बात पर काफी गुस्सा हो जाता है और वह आदित्य पर भड़कते हुए कहती हैं-"आदि ! ये क्या trika h बात करने का, और यह यहां मेरे कहने पर रुकी है, नहीं तो यह बिचारी तो फाइल देखकर चुपचाप जा ही रही थी। मैंने इसे रोका ,थोड़ी देर यहां रुक क्या गई .तुम्हारा ऑफिस हिल नहीं जाएगा?"
सुरेखा जी आदित्य का हाथ अपनी और खींचते हुए गुस्से में कहती हैं-" यह वही लड़की है जिसने उसे दिन मेरी जान बचाई थी और उसे चोर से वह हार छीना था और आज भी मेरी खुशी के लिए इसने मेरे लिए कचौड़ियां बनाई और तुम इस लड़की पर जुल्म किया जा रहे हो बिना बात चिलाए जा रहे हो.क्या यही संस्कार दिए थे हमने तुम्हें?"
सुलेखा जी का साथ देते हुए भूमिका भी अपने भैया से कहती है -"हां भैया. तन्वी दी. को हमने रोका था यह तो फाइल दे कर जा रही थी, यह तो अपने काम को लेकर काफी सिंसियर है"
अभी अपने भैया के पास आकर नरम शब्दों से कहता है-"हां भैया. She is nice girl. मैंने इनकी प्रोफाइलआपको दिखाई थी ना काफी अच्छी है यहां तक इनके कॉलेज के प्रिंसिपल ने भी इनकी काफी तारीफ की है यह अपने काम को लेकर काफी सिंसियर और पूरी डेडीकेशन के साथ करती है"
अवी के मुंह से तन्वी की तारीफ सुनकर आदित्य के गुस्से पर जैसे आग में घी डालने का काम हो गया था आदित्य अvi को घुसकर देख ही रहा था ।
तभी दादी जी आदित्य पर भड़कते हुए कहती है-"आदित्य जवाब दो यह कैसा बिहेवियर तुम्हारा ,आज क्या हो गया है तुम्हें?"
आदित्य अपनी आंखें बंद कर कर एक लंबी सांस लेते हुए अपने गुस्से को कंट्रोल करता है और दादी की ओर गंभीर नजरों से देखते हुए कहता है -"दादी!यह ऑफिस की एक मामूली सी एम्पलाइज है इसे ज्यादा सर पर चढ़ने की कोई जरूरत नहीं है, और आप इसे कुछ जायद ही त्वजू दे रही हैं, जो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है इसका जो काम है यह वही करेगी ।इस वक्त से ऑफिस में होना चाहिए और यह यहां खड़े टाइम पास कर रही है"
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To be Continued....
अब तक
आदित्य अपनी आंखें बंद कर कर एक लंबी सांस लेते हुए अपने गुस्से को कंट्रोल करता है और दादी की ओर गंभीर नजरों से देखते हुए कहता है -"दादी!यह ऑफिस की एक मामूली सी एम्पलाइज है इसे ज्यादा सर पर चढ़ने की कोई जरूरत नहीं है, और आप इसे कुछ जायद ही त्वजू दे रही हैं, जो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है इसका जो काम है यह वही करेगी ।इस वक्त से ऑफिस में होना चाहिए और यह यहां खड़े टाइम पास कर रही है"
अब आग
सुलेखा जी अपने दोनों हाथों को सामने की ओर बांधते हुए आदित्य से गंभीर आवाज में कहती है-"यह कोई मामूली एम्पलाइज नहीं है और बात ऑफिस की तो यह ऑफिस जाएगी वह भी तुम्हारे साथ तुम्हारी कार में बैठकर, पर उससे पहले तुम्हें तन्वी से माफी मांगनी होगी। यह यहां मेरे कहने पर रुकी थी और तुमने पूरी बात जाने बिना ही इस पर बरस पड़े ,अभी माफी मांगो तन्वी से😠😡"
सुलेखा जी के मुंह से माफी की बात सुनकर तन्वी को बड़ा अजीब लग रहा था वह सुलेखा जी को रोकते हुई कहती है -"नहीं .नहीं .दादी जी, इसकी कोई जरूरत नहीं है यह मेरे बॉस है मुझे डांट सकते हैं फैटकार सकते हैं, मुझे सॉरी बोलने की कोई जरूरत नहीं है।मैं अभी ऑफिस के लिए निकल रही हूं"
ऐसा क्या करें तन्वी अपना बैग उठाती है और वहां से जाने लगती है तभी तभी दादी जी उसे रोकेते हुए कहती है - "रुको तनवी🖐️! तुम आदित्य के साथ ही ऑफिस जाओगी और आदित्य को तुमसे माफी मांगनी होगी, गलती की है तो माफी मांगी जाएगी"
अवी भूमिका के कान में फुसफुसाते जाते हुए कहता है-"तू शर्त लगा ले .भैया तो माफी मांगने वाले हैंनही.अभी देखना गुस्से में यहां से निकल जाएंगे"
भूमिका एक डेविल सी स्माइल देते हुए कहती है-"अच्छा अवी!ठीक है .तो लगी शर्त अगर मैं जीती तो तुम्हारा डेबिट कार्ड एक दिन के लिए मैं use करूंगी., बोलो मंजूर है?"
अवी भी बिना सोचे समझे भूमिका से बेट लगा लेता है,और हा m सर हिला देता है, आदित्य घर तेरे तन्वी की ओर आता है भूमिका थोड़ा डर जाती है उसे लग रहा था कि उसके भैया तन्वी को एक थप्पड़ जोड़ने वाले हैं और अभी भी थोड़ा घबरा जाता है वह सोचता है कि मासूम सी लड़की पर लगता है भैया फिर से सितम ढाने वाले हैं।
आदित्य अपनी गंभीर नजरों से तन्वी की ओर देखते हुए कहता है - "सॉरी"
आदित्य का सॉरी सुनकर दादी जी तो हल्का मन में ही मुस्कुरा देती है पर अवी की तो लग गई होती है। यह आदित्य का सॉरी नहीं था बल्कि उसका अकाउंट खाली होने का एक बहुत भयानक मैसेज था ।अब शर् के अकॉर्डिंग अवी को अपना डेबिट कार्ड भूमिका को देना ही होगा और भूमिका के हाथ में डेबिट कार्ड जाना मतलब अकाउंट में पोछा लगने के बराबर था। पर आदित्य का यह सॉरी सुनकर भूमिका अपनी डेविल स्माइल के साथ अपना हाथ अवी के आगे बढ़ा देती है और अवी से इशारों इशारों में उसका डेबिट कार्ड मांगती है और अवी बेचारा भी तो क्या करें वह मुंह बनाते हुए।
अपना डेबिट कार्ड निकाल कर भूमिका के हाथ में थमते हुए कहता है-"प्लीज मेरा अकाउंट खाली मत कर देना, कुछ पैसे छोड़ देना"
भूमिका अवी के हाथ से डेबिट कार्ड लेते हुए शरारती हंसी के साथ कहती है-"इस बारे में मैं सोचूंगी 😜😜"
आदित्य का यह सॉरी बोलना वैसे सबको बड़ा अजीब लग रहा था उन्होंने आदित्य के मुंह से आखरी बार सॉरी कब सुना था यह तो घर वालों को याद भी नहीं था ।तन्वी चुपचाप बस खड़ी थी।मन में तनवी सोच रही थी की आदित्य जैसा इंसान किसी के आगे झुक भी सकता है यह तो उसने कभी सोचा ही नहीं था। पर तन्वी अंदर ही अंदर शरारती हंसी हंस रही थी उसे थोड़ा अच्छा भी लग रहा , क्योंकि आदित्य ने उसे इतना परेशान जो किया था थोड़ी बहुत तो वसूली उसने कर ही ली थी अब उसने।
सुलेखा जी आदित्य को गंभीर आवाज में कहती है-"तुमने अच्छा किया, अब तनवी को अपने साथ ऑफिस लेकर जाओ और हां याद रखना यह मेरी प्यारी बच्ची है और इसका ख्याल रखने की जिम्मेदारी तुम्हारी है, इसे डांटना फैट करना बिल्कुल मत, यह दूसरों के चेहरे से मुस्कान हटने नहीं देती तो इसके चेहरे पर भी उदासी नहीं आनी चाहिए"
आदित्य अपनी दादी की बात को मन नहीं कर सकता था क्योंकि आदित्य को पता था की ज्यादा प्रेशर लेने से दादी की तबीयत खराब हो जाती है इसलिए वह चुपचाप अभी दादी की बात मान रहा था।
तभी आदित्य तन्वी से अपनी गहरी गंभीर आंखों से देखते हुए कहता है-"अब ऑफिस चले. या यही कचौड़ियां बेलेनी है?"
तन्वी मन ही मन मुस्कुराते हुए हा मे सर हिला देती है तभी अवी भी उनके साथ जाने के लिए बोलता है पर आदित्य उसे दूसरी गाड़ी मे आने के लिए कहता है ।भूमिका को भी ऑफिस में किसी से कुछ जरूरी काम था इसलिए वह भी आज ऑफिस जाने वाली थी वह अवी के साथ जाने का इरादा बना लेती है। तन्वी आदित्य के साथ उसके कार में बैठ जाती है और अवी और भूमिका दूसरी गाड़ी में बैठकर ऑफिस के लिए उनसे पहले निकल जाते हैं। तन्वी को अपने बॉस के साथ बैठकर थोड़ा ऑकवर्ड फील हो रहा था बट अब उसके पास कोई चारा भी नहीं था। आदित्य को तन्वी पर गुस्सा तो बहुत आ रहा था अपनी दादी की वजह से चुप था। तभी सिग्नल पर कार रुक जाती है कार के पास एक गरीब औरत अपने बच्चों के साथ कार के पास आकर आदित्य से कुछ पैसे मांगती है। जिसे आदित्य इग्नोर कर देता है, तब औरत आशा भरी नजरों से तन्वी की ओर देखती है तनवी को देखकर बड़ा बुरा लग रहा था कि आदित्य कितना बेदर्दी इंसान है , उसे किसी का दर्द भी नजर नहीं आता, किसी भूखे की भूख भी नजर नहीं आती। सच में आदित्य के पास दिल ही नहीं है यह सोचकर तनवी अपने बैग से एक बिस्कुट का पैकेट और₹100 का नोट उसको पकड़ा देती है और वह औरत तनवी को बहुत दुआएं देखकर वह से चली जाती है, आदित्य अभी भी अपने मोबाइल पर कुछ मैसेज टाइप कर रहा था तभी सिग्नल हटा है और कार ऑफिस के लिए निकल जाती है कुछ देर में वो दोनो office पहुंच जाते हैं।
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To be Continued....
अब तक
जिसे आदित्य इग्नोर कर देता है, तब औरत आशा भरी नजरों से तन्वी की ओर देखती है तनवी को देखकर बड़ा बुरा लग रहा था कि आदित्य कितना बेदर्दी इंसान है , उसे किसी का दर्द भी नजर नहीं आता, किसी भूखे की भूख भी नजर नहीं आती।
सच में आदित्य के पास दिल ही नहीं है यह सोचकर तनवी अपने बैग से एक बिस्कुट का पैकेट और₹100 का नोट उसको पकड़ा देती है और वह औरत तनवी को बहुत दुआएं देखकर वह से चली जाती है, आदित्य अभी भी अपने मोबाइल पर कुछ मैसेज टाइप कर रहा था तभी सिग्नल हटा है और कार ऑफिस के लिए निकल जाती है कुछ देर में वो दोनो office पहुंच जाते हैं।
अब आग
आदित्य कार से निकलकर ऑफिस में जाता है ऑफिस में सभी आदित्य को विश करते हैं आदित्य सीधा आपने केबिन m चला जाता है।सभी लोग ऑफिस के बड़े हैरान थे आदित्य की कार से तनवी जो आई थी। सब तनवी को सवाली नजर से देख रहे थे।
तभी श्रेया अपनी डेस्क से उठकर तन्वी के पास आती है और हैरान नजरों से उसे पूछती है-"यार तू सीधा यमराज की गाड़ी से आई है वाह.भाई वाह. तु तो खतरों के खिलाड़ी निकली.😲😲😲, यह चमत्कार हुआ कैसे 🤔🤔?"
ऑफिस के सभी लोगों का भी यही सवाल था। सब जानना चाहते थे कि आखिर तन्वी आदित्य की गाड़ी से कैसे आई तभी वहां पर सौरभ आ जाता है और वह वहां के एम्पलाइज को स्खेती से अपना अपना काम करने के लिए कहता है और खुद तन्वी के पास जाकर खड़ा हो जाता है। तन्वी के पास सौरभ का आना श्रेया को अच्छा नहीं लगता , तभी shereya अपने दो दोस्तों को कुछ इशारा करती है उनमें से एक दोस्त एक गिलास में पानी लेकर आता है और सौरभ से टकरा जाता है और क्लास का पानी सौरभ के ऊपर गिर जाता है जिसे सौरभ काफी चिड़ जाता है और वह पानी साफ करने के लिए वॉशरूम चला जाता है।
तभी वह दोस्त श्रेया से हथेली बजाते हुए कहता है-"देखा भाग दिया ना . उस सौरभ के बच्चे को.😜😜😜"
तन्वी देखकर बड़ा ही suprise hoti h और यह दोनों कौन थे तनवी को तो पता ही नहीं था। तन्वी श्रेया की ओर सवाली नजरों से देखते हैं तभी श्रेया तन्वी की निगाहों को समझ लेती है।
श्रेया शरारती लहजे में कहती है तन्वी से-"इन दोनों से मिलो. यह है मेरे जिगरी यार.और हमारे ऑफिस के लैला मजनू। पर यह लैला मजनू का जो रोल है यह सिर्फ मुझे ही पता है ऑफिस में किसी को नहीं पता, अगर पता लग जाएगा तो इन दोनों की नौकरी तो गई😃😃, यह है सोनिया और यह है इनके मजनू उर्फ़ आरव"
तभी सोनिया shereya के सर पर चपत लगाते हुए कहती है-"यह कैसा इंट्रोडक्शन कर रही है तू. और धीरे बोले., ऑफिस में सबको बताएगी क्या हमारे रिलेशन के बारे में?"
तभी आरव अपना एक हाथ तन्वी की ओर बढ़ाते हुए कहता है -"हाय. मैं हूं आरव और यह है मेरी स्वीटहार्ट मेरी सोनिया , तन्वी जी आपके बारे में मैंने खूब सुना, पहले दिन आकर आपने तो ऑफिस में धूम मचा दी और आधे ऑफिस के लोग तो आपके ही दीवाने हैं"
तन्वी आरव और सोनिया से हाय करती है और उनसे मिलकर उसे बहुत खुशी हुई यह बात भी जाहिर करती है। तन्वी को अपनी इतनी तारीफ कुछ खास अच्छी नहीं लग रही थी।
तभी सोनिया एक्साइटमेंट होते हुए तन्वी से पूछती है - "आप यह तो बताओ, आप सर के साथ उनकी गाड़ी में .क्या चक्कर है?, और हमने जो सुना आपके बारे में, आपके ऑफिस के पहले दिन की कहानी. उसे हिसाब से तो मुझे लग रहा है आदित्य सर को आपसे प्यार हो गया है ,😍तभी तो उन्होंने आपकी गलतियों को माफ कर दिया .अगर कोई और होता तो कब का ऑफिस से बाहर चला जाता है"
तन्वी मुंह बनाते हुए अपनी चेयर पर बैठते हुए सोनिया से कहती है- "सोनिया जी, ऐसा कुछ नहीं है सर ने मुझे कितनी पनिशमेंट दी वह भी आपने सुनी होगी और जिसे हम प्यार करते हैं उसे तकलीफ नहीं होने देते और आदित्य जैसे इंसान को किसी से प्यार हो जाए नामुंकि है, हमारे बीच ऐसा कुछ नहीं है. उनके पास तो दिल ही नहीं है प्यार क्या ख़ाक करेंगे 😏😏"
तन्वी अपने ऑफिस के दोस्तों को आज हुई सुबह की सारी बात बता देती है और आदित्य की गाड़ी में वह कैसे आई क्यों आई इन सारे सवालों का जवाब दे देती है। तन्वी की बात सुनकर वह तीनों हैरान भी थे और थोड़े परेशान भी, क्योंकि उन्हें अपने बॉस का नेचर पता था वह कभी किसी के सामने झुकता नहीं उन्हें सिर्फ झुकना आता है झुकना नहीं। वह तीनों और तन्वीर के लिए काफी worried थे।तभी वहां पर अवि और भूमिका आ जाते है दोनो ने तन्वी की बातो को सुने लिया था। श्रेया, आरव और सोनिया. अवि और भूमिका को गुड मॉर्निंग विश करते हैं।
भूमिका तन्वी से कहती है तन्वी दी ऐसी बात नहीं है कि आदित्य भैया के पास दिल नहीं है बस वह अपने दिल की कभी सुनना नही चाहते ।हर काम दिमाग से करना चाहते हैं, भैया जितना अपने आप को बुरा दिखाते हैं वह इतना बुरे नहीं है. कुछ दर्द है भैया के, जिसे वह आज तक निकल नहीं पाए😞😞, इसी वजह से वैसे हो चुके हैं"
तन्वी सवालिया नजरों से भूमिका से पूछता है - "कौन सा दर्द. जिससे आपकी भैया आज तक निकल नहीं पाए?"
भूमिका अपनी नज़रें फिरते हुए कहती है-"वो हम आपको नहीं बता सकते. बस इतना समझ लीजिए की भैया दिल से बुरे नहीं है सिर्फ दिखाते हैं कि वह बहुत बुरे हैं "
तन्वी इशारों में अवी से भी आदित्य का दर्द जाना चाहती थी पर अवि अभी भी मजबूर था वह बस तन्वी को यह समझा देता है कि वक्त के साथ उसे सब समझ में आ जाएगा। तभी ऑफिस में अचानक से एक हलचल होती है ऑफिस के आगे एक रेड सिल्वर कर आकर रूकती है जिसमें से एक लड़की निकलती है ।उसे देखकर ऑफिस के सारे लोग एक साथ खड़े हो जाते हैं।
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To be Continued....
अब तक
भूमिका अपनी नज़रें फिरते हुए कहती है-"वो हम आपको नहीं बता सकते. बस इतना समझ लीजिए की भैया दिल से बुरे नहीं है सिर्फ दिखाते हैं कि वह बहुत बुरे हैं "
तन्वी इशारों में अवी से भी आदित्य का दर्द जाना चाहती थी पर अवि अभी भी मजबूर था वह बस तन्वी को यह समझा देता है कि वक्त के साथ उसे सब समझ में आ जाएगा। तभी ऑफिस में अचानक से एक हलचल होती है ऑफिस के आगे एक रेड सिल्वर कर आकर रूकती है जिसमें से एक लड़की निकलती है । उसे देखकर ऑफिस के सारे लोग एक साथ खड़े हो जाते हैं।
अब आग
जैसे वह लड़की अंदर इंट्री करती है ऑफिस के सभी लोग उसे गुड मॉर्निंग विश करते हैं तन्वी उसे लड़की से अनजान थी पर ऑफिस के सभी लोग उसे देखकर काफी डरे हुए थे। तभी एक कॉफी बाय उससे टकरा जाता है जो आदित्य के लिए उसके केबिन में काफी ले जा रहा था। कॉफी बाय की टकराने से कॉफी उसे लड़की के ऊपर गिर जाती है जिससे उसे लड़की की शॉर्ट सिल्वर ड्रेस थोड़ी खराब हो जाती है और लड़की गुस्से में काफी बाय को एक थप्पड़ जड़ देता है। यह थप्पड़ लगा उस कॉफी बाय को था pr ऑफिस के लोग कॉप जाते है।
ऐसा कौन सा दर्द है अतीत का जिससे आदित्य आज तक नहीं निकल पाया क्या तन्वी समझ पाएगी आदित्य के अतीत का दर्द.और आखिर यह लड़की कौन थी?
तन्वी को यह देखकर बड़ा गुस्सा आता है की गलती उसे लड़की की थी वह अपने फोन में इतनी बिजी थी कि उसने सामने आते हुए इंसान को देखा ही नहीं और अपनी गलती होने के बावजूद भी उसने उस मासूम कॉफी बॉयको tapd मार दिया। तनवी कुछ कहने के लिए आगे बढ़ती है ।तभी श्रेया उसका हाथ पकड़ लेती है क्योंकि श्रेया को पता था की तनवी को अब बड़ा गुस्सा आ रहा है पर वह इस लड़की को जानती नहीं थी इसलिए वह कुछ गलत ना कर बैठे इसलिए श्रेया अपनी आंखों के इशारों से तनवी को शांत रहने के लिए बोलता है तो तनवी को तो काफी गुस्सा आ रहा था।
तभी वह लड़की उसे काफी बाय पर बरसते हुए बोलती है-"यू स्टूपिड! तुम्हें दिखता नहीं है 😠😡मेरी ड्रेस खराब कर दी, गेट आउट. और दोबारा मेरी नजरों के सामने मत आ जाना,"
उसे लड़की को देखकर अभी और भूमिका का मूह ही बन गया था। एक दूसरे की ओर देखते हुए मन में सोचते हैं कि यह मुसीबत फिर से वापस लौट आई है अब इसे कैसे झेलेगे यह दोनों। वह दोनों इतना सोच रहे थे।
तभी वह लड़की भूमिका की ओर देखती हैं और मुस्कुराते हुए उसके पास आकर गले लगाते हुए कहती है-"ओ माय डार्लिंग! तुम कैसी हो.और घर पर दादी जी कैसी हैं? मुझे मिस किया या नहीं .मैंने तो तुम लोगों को काफी मिस किया, खास कर तुम्हें."
भूमिका झूठी स्माइल देते हुए कहती है -"मैं ठीक हूं.और दादी भी घर पर ठीक है ।हमने भी आपको बहुत मिस किया. आप काफी जल्दी आ गई?"
अवी भी भूमिका की बातों में ताल में ताल मिलाते हुए कहता है-"हां नताशा ! आप काफी जल्दी आ गई.काम जल्दी खत्म हो गया था क्या?"
नताशा अपनी डेविल स्माइल देते हुए कहती है-"क्यों क्या हुआ😈😈? मेरा अच्छा नहीं लगा. काम खत्म हो गया तो मैं आ गई, पर मुझे लग रहा तुम लोग खुश नही हो मेरे आने से?"
अभी झूठी मुस्कान देते हुए कहता है -"अरे नहीं. नहीं. नताशा! ऐसी कोई बात नहीं है बस हम जानना चाहते थे कि तुम ऐसे जल्दी कैसे आ गई .।नहीं तो हम तो बहुत खुश हैं, तुम जाओ भैया तुम्हारा केबिन में इंतजार कर रहे हैं और यह जो काफी गिर गई है वॉशरूम में जाकर साफ कर लो।
तभी नताशा तन्वी की ओर देखते हुए अवी से पूछती है - "यह कौन है ? new employees है क्या, मैं देख रही हूं यह काफी देर से मुझे थोड़े गुस्से बड़ी निगाहों से देख रही थी और मुझे बिल्कुल नहीं पसंद की कोई मुझसे नज़रें उठा कर बात करें।इससे कहो कि अपनी नज़रें नीचे कर के मुझे गुड मॉर्निंग विश करें"
अवि नताशा से कहता है- "हा ये new employees है, इसे पता नहीं है कि तुम भी इसकी बॉस हो इसलिए , अभी बस 2 दिन पहले ही ज्वाइन किया है।मैं कहता हूं."
तभी अभी तन्वी की ओर इशारों में समझा रहा होता है कि वह नताशा को गुड मॉर्निंग कर दे और धीरे से अपने छुपाते हुए उसे हाथ भी जोड़ लेता ।है तन्वी का मन तो नहीं था उसे गुड मॉर्निंग विश करने के लिए पर उसके पास कोई चारा भी नहीं था। वह गुड मॉर्निंग विश देती है तभी नताशा अपनी डेविल स्माइल के साथ वहां से चली जाती है।
तब अवी चैन की सांस लेते हुए तन्वी से कहता है-"थैंक यू तन्वी जी आपने उसे गुड मॉर्निंग विश कर दिया। आप इसे जानती नहीं है यह भैया की बिजनेस पार्टनर है।जो भी 20 दिनों के लिए किसी मीटिंग के लिए बाहर गई हुई थी और यह आपकी भी बॉस है। ऑफिस में सभी लोगों इससे डेरेते है ।इसका एटीट्यूड काफी हाई लेवल का हैं। यह एम्पलाइज को एम्पलाइज नहीं समझती अपने पैर की जूती समझती है और भैया को अपना बॉयफ्रेंड समझती है जबकि भैया इसको एक परसेंट भी भाव नहीं देते हैं। उन्हें सिर्फ अपने बिजनेस से मतलब है पर यह भैया के हाथ धो के पीछे पड़ी है और हमारे घर भी आती जाती रहती है हमें तो यह बिल्कुल भी नहीं पसंद."
श्रेया भी अवि की बात में हामी भरते हुए तन्वी से कहती है-"यह बॉस नहीं. Killer boss है, रॉब तो ऐसे झाड़ती है. जैसे आदित्य सर की बीवी हो और आदित्य सर तो इसे एक परसेंट भी भाव नहीं देते ।तब भी न जाने क्यों पीछे पड़ी है"
तन्वी गुस्से से अवि से कहती है-"वह तो मैंने देख लिया के इसके अंदर कितना एटीट्यूड है इसे तमीज नहीं है बिल्कुल भी की किस से कैसी बात की जाती है।कोई बात नहीं अब इसे तो मैं बताऊंगी की तन्वी है क्या चीज."
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अब तक
श्रेया भी अवि की बात में हामी भरते हुए तन्वी से कहती है-"यह बॉस नहीं. Killer boss है, रॉब तो ऐसे झाड़ती है. जैसे आदित्य सर की बीवी हो और आदित्य सर तो इसे एक परसेंट भी भाव नहीं देते ।तब भी न जाने क्यों पीछे पड़ी है"
तन्वी गुस्से से अवि से कहती है-"वह तो मैंने देख लिया के इसके अंदर कितना एटीट्यूड है इसे तमीज नहीं है बिल्कुल भी की किस से कैसी बात की जाती है।कोई बात नहीं अब इसे तो मैं बताऊंगी की तन्वी है क्या चीज."
अब आग
तन्वी के चेहरे पर नताशा के लिए काफी गुस्सा था जो सबको नजर आ रहा था। अब तन्वी आगे क्या करेगी बस देखना यही था।
तभी भूमिका सबको शांत करते हुए कहती है-"अब आप सभी इस बात छोड़ो और अपने-अपने काम पर लेग जाओ नहीं तो भैया आए तो फिर से क्लास लग जाएगी सबकी. और इस नताशा को तो अब झेलना ही पड़ेगा"
सभी सभी हां में से हिलाते हुए अपने-अपने कम पर लग जाते हैं और आरव अपने डेस्क पर बैठने वाला होता है तभी भूमिका कहती है-"हेलो ,आज तुम्हारे काम ऑफिस m नहीं है।तुम्हें मेरे साथ शॉपिंग के लिए जाना होगा, और भैया से परमिशन मैंने ले लिए ☺️☺️☺️"
भूमिका की बात सुनकर सोनिया के तो कान ही खड़े हो जाते हैं। वह चेहरे पर हल्का गुस्सा लिए आरव को ही देखती हैं और सोनिया के चेहरे पर गुस्सा देखकर आरव थोड़ा डर जाता है और अपनी आंखों से सोनिया को समझने की कोशिश करता है कि वह थोड़ी ही देर में भूमिका को शॉपिंग करा कर वापस आ जाएगा। आरव के लिए तो भूमिका सिर्फ उसकी एक दोस्त थी पर भूमिका के मन में तो आरव के लिए दोस्ती से कहीं ज्यादा फीलिंग थी ।वह मन ही मन आरव से एक तरफा प्यार कर बैठी थी। उसे तो पता भी नहीं था कि आरव किसी और से प्यार करता है। वह आरव के आसपास होने पर काफी खुशी महसूस करती थी इसलिए कभी आरव के साथ शॉपिंग जाना तो कभी डिनर और कभी-कभी तो आरव को अपने कॉलेज के नोट्स बनाने के लिए घर ही बुला लेती थी। और अब तो भूमिका की फीलिंग से अनजान था वह तो अपनी बॉस की बहन और अपनी दोस्त की सिर्फ हेल्प करता था,भूमिका उसे अच्छी लगती थी but only as a frd।
सोनिया को भूमिका का बार-बार आरव के साथ इधर-उधर घूमने जाना बिलकुल पसंद नहीं था। उसे पता था की भूमिका एक अच्छी लड़की है और आरव उस से बहुत प्यार करता है पर न जाने उसे कई बार अंदर से डर होता था कि कोई उसका प्यार उससे छीन ना ले और उसे अपने प्यार पर भरोसा भी था की आरव उसे कभी छोड़कर नहीं जाएगा इसलिए वह इशारों में उसजाने का इशारा कर देती है तभी आरव सोनिया को चुपके से फ्लाइंग किस देकर भूमिका के साथ शॉपिंग के लिए निकल जाता है।
शॉपिंग मॉल पहुंचकर भूमिका बहुत सारी शॉपिंग करती है क्योंकि उसे अवी का डेबिट कार्ड जो मिला था। वह कपड़े शूज, सैंडल सभी आरव की पसंद के ही खरीद रही थी जो भी कलर आरव को पसंद था उसी कलर के कपड़े भी उसने खरीदे थे।
शॉपिंग खत्म हो जाने के बाद आरंव भूमिका से कहता है-"भूमिका अब आपकी शॉपिंग तो हो गई है। अब मैं ऑफिस जाता हूं आदित्य सर ने मुझे एक प्रोजेक्ट सोपा है मुझे उसे पर काम करना है और शाम तक सर को रिपोर्ट भी करनी है इसलिए मैं आपके घर छोड़ देता हूं. उसके बाद ऑफिस चला जाऊंगा"
पर भूमिका का तो आरव को छोड़ने का मन ही नहीं था वह तो ज्यादा से ज्यादा टाइम बताना चाहती थी उसके साथ।
भूमिका मुस्कुराते हुए कहती है - " आरव! शॉपिंग तो हो गई है. पर मैं बहुत थक गई हूं 😒😒।चलो! किसी रेस्टोरेंट में खाना खाने चलते हैं उसके बाद तुम ऑफिस चले जाना, बस थोड़ी तो अच्छी बात है"
आरव को तो जल्दी से जल्दी ऑफिस पहुंचना था ।पर भूमिका की जिदे के आगे वो घुटने टेक देता है और भूमिका को लेकर एक फाइव स्टार होटल में पहुंच जाता है। भूमिका आरव की ही पसंद का वाइट पास्ता और चीजी बर्गर मांगती है। आरव तो अपने पास्ता खाने में लगा हुआ था। पर भूमिका उसे प्यार भरी नजरों से बस देखे जा रही थी ।आरव को बस दोस्त बनकर नहीं बल्कि उसे अपना हमसफ़र बनना चाहती थी।
आरव एक हाथ से पास्ता खा रहा था और दूसरा हाथ उसका टेबल पर रखा हुआ था। भूमिका आरव के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहती है-"आरव प्यार क्या होता है?, हमें कैसा क पता लगेगा कि हम किसी के प्यार में है😍😍😍?"
आरव जो अभी तक पास्लते मे लेगा हुआ था वह भूमिका की छुआने से थोड़ा सा असहज हो जाता है और अपना हाथ निकलते हुए भूमिका से मजाकिया लहजे में कहता है -"क्यों क्या हुआ? क्या तुम किसी के प्यार में पड़ चुके हो 😜😜? जो प्यार के बारे में जानना चाहती हो, अचानक से ऐसा सवाल?"
भूमिका नज़रे चुराते 🙈🙈🙈हुए अपने चेहरे पर आए हुए बालों को कान पीछे करते हुए कहती है-"ऐसा कुछ नहीं है .बस मुझे जानना है, अब तुम मेरे ऐसे मजे मत लो बस बताओ."
आरव रुमाल से अपना मुंह साफ करते हुए फिर से भूमिका को छेड़ते हुए कहता है-"प्यार एक दरिया है जिसमें हर किसी को डूबते हुए जाना है😂😂😂"
भूमिका चिड़ते हुए आरव हाथ पर एक चपात लगाते हुए कहती है-"आरव !ऐसे मुझे छोड़ो मत 😑😑 ,ठीक से बताओ"
आरव मुस्कुराते हुए कहता है-"अच्छा बाबा. बताता हूं, ध्यान से सुनो!, प्यार वो बिन मौसम बारिश है जो कब हो जाए पता नहीं चलता, कहने को तो प्यार का पहला अक्षर ही अधूरा है पर ये खुदे मे पूरा है, प्यार कभी भी किसी का स्टेटस, किसी का फेस, किसी की पैसा देखें कर नहीं होता। बस चुपचाप हो जाता है। और जो तुम्हारा यह दूसरा सवाल है कि यह कैसे पता लगे कि हमें प्यार हुआ है या नहीं तो इसका जवाब है, जब वह इंसान आपके पास होगा ना तो आपकी दिलों की धड़कनें खुद ब खुद तेज हो जाती है ।सांस थोड़ी थमने लगती है ,उसे देखकर खुद ब खुद चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल आ जाती है ।उसके अलावा मन में कोई और ना आए सिर्फ उसका ही ख्याल तुम्हें रातों को जगाने लगे तो समझ लेना तुम्हें उससे प्यार है"
~
To be Continued....
अब तक
आरव मुस्कुराते हुए कहता है-"अच्छा बाबा. बताता हूं, ध्यान से सुनो!, प्यार वो बिन मौसम बारिश है जो कब हो जाए पता नहीं चलता, कहने को तो प्यार का पहला अक्षर ही अधूरा है पर ये खुदे मे पूरा है, प्यार कभी भी किसी का स्टेटस, किसी का फेस, किसी की पैसा देखें कर नहीं होता। बस चुपचाप हो जाता है। और जो तुम्हारा यह दूसरा सवाल है कि यह कैसे पता लगे कि हमें प्यार हुआ है या नहीं तो इसका जवाब है, जब वह इंसान आपके पास होगा ना तो आपकी दिलों की धड़कनें खुद ब खुद तेज हो जाती है ।सांस थोड़ी थमने लगती है ,उसे देखकर खुद ब खुद चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल आ जाती है ।उसके अलावा मन में कोई और ना आए सिर्फ उसका ही ख्याल तुम्हें रातों को जगाने लगे तो समझ लेना तुम्हें उससे प्यार है"
अब आग
भूमिका आरव बातों को काफ़ी ध्यान से सुन रही थी। वह होले से अपने दिल पर हाथ रखती है जो इस वक्त काफी जोरों से धड़क रहा था। और सांसों की थकान को भी वह महसूस कर रही थी ।
भूमिका को ऐसा खोया देख आरव उसके सामने अपनी चुटिकिया बजाते हुए कहता है-"हेलो मैडम! कहां खो गई?कहीं प्यार के सागर में तुम गोते लगाने तो नहीं चली गई"
भूमिका अपने ख्याल से बाहर आते हुए कहती है- "नहीं .नहीं ऐसा कुछ नहीं है,चलो !तुम्हें ऑफिस के लिए late रहा है, तुम ऑफिस जाओ मैं खुद घर चली जाऊंगी"
इतना कहकर भूमिका खड़ी हो जाती है और आरव भीउसकी बात से सहमत था ।आरव टैक्सी करके ऑफिस के लिए चला जाता है और भूमिका उसे जाते हुए अपने प्यार भरी नजर से देख रही होती है और होले से अपने दिल पर हाथ रख लेती है जो अभी भी काफी जोरों से धड़क रहा था।
आरव ऑफिस में आते हैं सीधा सोनिया की डेस्क पर जाता है जहां पर सोनिया अपने काम में काफी बिजी थी ।
सोनिया के पास जाकर अपने प्यार भरी नजर से देखते हुए उसे से कहता है - " लो जानेमन 😍😍😍😍 तुम्हारा मजनू आ गया"
पर सोनिया अरब की ओर एक नजर भी नहीं देखी है उसके चेहरे पर आरव के लिए गुस्सा साफ-साफ महसूस हो रहा था। पर आरव परेशान था कि वह तो उसे परमिशन लेकर ही भूमिका के साथ शॉपिंग के ले गया था। फिर भी सोनिया उससे नाराज क्यों है?आरव बार-बार सोनिया को बुलाता है. उसे मनाने की कोशिश करता है पर सोनिया उससे मुंह फेर लेती है। आरव को समझ में आ गया था कि सोनिया उससे कुछ ज्यादा ही खफा है और वह सोनिया को ज्यादा ऑफिस में बोल भी नहीं सकता ।नहीं तो ऑफिस में सभी को उनके रिलेशनशिप के बारे में पता लग जाएगा इसलिए अब कुछ सोच कर अपनी डेस्क पर चला जाता है और वह भी काम में बिजी हो जाता है।
दूसरी और तन्वी भी अपने काम में काफी भेजी थी उसे तो पता ही नहीं था कि ना जाने कब से कोई उसे पर अपनी नज़रें गड़ाए उसे ही देख रहा है ।सौरभ जो न जाने कब से तनवी को अपनी ललचाया निगाहों से देख रहा था।
सौरभ तन्वी के पास आकर बड़े नरम लहजे में कहता है- "तन्वी जी! आप कितना काम करती 😥😥😥हो,.कितना हार्ड वर्क करती हैं। आपकी ये मेहनेत देखकर तो ,आपको जल्दी प्रमोशन भी मिल जाएगा"
पर तन्वी सौरभ कोई रिस्पांस नहीं देती है अपने काम में काफी बिजी थी ।
तभी सौरभ थोड़ा हिचकी हुए ,अपने दोनों हाथों को mlete हुए तन्वी से कहता है-"तन्वी जी आप बुरा ना माने तो ऑफिस के बाद हम काफी के लिए चले.यही पास में बहुत अच्छा कैफे है,जहां पर बहुत अच्छी 👌👌कॉफ़ी मिलती है"
तन्वी बिना सौरभ की ओर देखें देखें खड़े हो जाती है और अपने हाथ में फाइल लेते हुए साफ लेजर में सौरभ से कहतीहै- "सौरभ जी ,आज मुझे बहुत काम है.मेरे पास टाइम नहीं है कॉफी वगैरा के लिए .😐😐,हम कभी और देखेंगे"
यह कहकर तन्वी वहां से निकल जाती है सौरभ को यह देखकर काफी गुस्सा आता है की तन्वी उसे इग्नोर कर के ऐसे चली गई।पर कोई यह नजारा देखकर खिलखिला उठेता है, खिलखिलाहट की आवाज सुनकर कर सौरभ अपने साइड में देखा है जहां पर श्रेयआ अपने मुंह पर हाथ रखकर काफी खुश हो रही थी। सौरभ उसे घूर कर देखता है और गुस्से में पैर पटक कर चला जाता है।
श्रेया हंसते हुए खुद से कहती है- "अरे वाह श्रेया!😂😂😂 क्या नजारा देखने को मिलाया आज ,इसके साथ ऐसा ही होना था .क्या चेहरा बना रखा है 😂😂😂😂। वाह !आज की सुबह तो क्या शानदार हुई है 🤣🤣🤣.तन्वी ने सही किया इसे इग्नोर करके ,इसी के लायक है .ना जाने कब से उसे अपनी गंदी नजर गड़ाए हुए हैं आज तो मजा आ गया."
ऐसा क्या कर श्रेया भी अपने काम में लग जाती है दूसरी और आदित्य के केबिन के बाहर खड़े हुए तन्वी खुद से ही कहती है- "तन्वी !अब अंदर जाकर बिल्कुल टकराना नहीं है. सर का साइन लेना है और वहां से चुपचाप निकल जाना है ज्यादा नहीं बोलना🙊🙊🙊 है और फिर यह फाइल अवी सर को दे कर ।तेरा काम खत्म .बस, अब गड़बड़ी नही होनी चाहिए"
यह कहकर तन्वी ऊपर की ओर देखते हुए भगवान का नाम लेती है और आदित्य के केबिन का दरवाजा खोलते हुए कहती है- "मैं आई कमिंग सर!"
आदित्य का केबिन
आदित्य लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था वह बिना देखे हां मे सर हिला देता हैं और तन्वी चुपचाप अंदर आ जाती है। वह थोड़ा डरी हुई थी क्योंकि जो सुबह हुआ उससे आदित्य काफी गुस्सा था, उसे डर था की आदित्य कहीं उसे पर अपना गुस्सा ना उतार दे।
तन्वी अपने हाथ में लाई हुई फ़ाइल आदित्य की ओर बढ़ते हुए कहती है - "सर इस फाइल पर आपके साइन किए थे"
आदित्य बिना तन्वी की ओर देखे अपना एक हाथ बड़ा देता हैं। पेन स्टैंड से पेन निकलता है और जैसे ही फाइल पर साइन करने लगता है आदित्य के हाथ से पेन छूट जाता है जिसे देखकर तन्वी पेन उठाने के लिए नीचे झुक जाती है। और उसी टाइम आदित्य भी पेन उठाने के लिए झुक जाता है।
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To be Continued....
अब तक
तन्वी अपने हाथ में लाई हुई फ़ाइल आदित्य की ओर बढ़ते हुए कहती है - "सर इस फाइल पर आपके साइन किए थे"
आदित्य बिना तन्वी की ओर देखे अपना एक हाथ बड़ा देता हैं। पेन स्टैंड से पेन निकलता है और जैसे ही फाइल पर साइन करने लगता है आदित्य के हाथ से पेन छूट जाता है जिसे देखकर तन्वी पेन उठाने के लिए नीचे झुक जाती है। और उसी टाइम आदित्य भी पेन उठाने के लिए झुक जाता है।
अब आग
जिस वजह से दोनों का सर टकरा जाता है दोनों बिना पेन उठाएं ऊपर की ओर उठ जाते हैं और अपना माथा रगड़ने लगते है। तन्वी सोचती है कि वह तो सोच कर आई थी कि कोई गड़बड़ नहीं करेगी और आते ही उसने यह सब कर डाला। वह जल्दी से सॉरी बोलती है और फिर से पेन उठाने के लिए नीचे की ओर झुकते हैं और आदित्य भी पेन उठाने के लिए फिर से झुकता है जिससे फिर से उनका माथा टकरा जाता है।
इस बार आदित्य काफी गुस्से 😠😠से तन्वी की ओर चिल्लाते हुए कहता है-"ये क्या हरकते है?"
तन्वी घबरा जाती है और वह घबराते में कहती है - "सॉरी .सर 😟😟, वो मैं तो बस .आपकी हेल्प कर रही थी। आई एम सो .सॉरी सर !पेन में उठती हूं"
तन्वी जल्दी से पेन उठाती है और आदित्य को पकड़ा देता है। आदित्य फाइल पर साइन करता है और तन्वी की ओर बढ़ा देता है। तन्वी जल्दी से फाइन लेती है और जैसे ही पीछे की ओर घूमती है पेन के कैप पर उसका पैर पड़ जाता है। जिससे उसका बैलेंस बिगड़ जाता है और वह सीधा आदित्य की गोद में जाकर गिर जाती है और तन्वी की फाइल हवा में उछाल जाती है जीसके सारे पैन अब आदित्य और तन्वी की ऊपर गिर रहे थे। तन्वी अब आदित्य की गोद में बैठी थी और आदित्य को तो कुछ समझ में ही नहीं आता है। इस अचानक से हुए घटना से तन्वी सहम सी जाती है ।पर आदित्य गोद में बैठी तनवी को काफी ध्यान से देख रहा था। आदित्य का एक हाथ तन्वी की कमर को संभाले हुए था और दूसरा हाथ धीरे-धीरे तन्वी के चेहरे की ओर बढ़ रहा होता है । तन्वी के चेहरे पर आए हुए बालों को उसके कान के पीछे करता है।
दोनों बस एक दूसरे की आंखों में खो से जा रहे थे तन्वी का एक हाथ आदित्य की गर्दन को होल्ड किए हुए था और दूसरा हाथ उसके सीने पर लगा रखा था। तन्वी की खूबसूरती में आदित्य जैसे खो सा गया था ।वह तन्वी की मासूमियत को काफी गौर से देख रहा था उसे तो पता भी नहीं था कि वह क्या कर रहा है। आदित्य अपना एक हाथ तन्वी की गालों पर रख देता है और प्यार से उसके गालों को सैहलाने लगता है। आदित्य की इसे छुयेन से तन्वी अपनी आंखों को बंद कर लेती है और इस एहसास को अंदर से महसूस करती है। आदित्य धीरे-धीरे तन्वी के चेहरे की ओर बढ़ता है ।तन्वी को आदित्य की सांसों की गर्मी अपने चेहरे पर काफी सा करीब से महसूस हो रही थी। आदित्य उसकी ओर बढ़ते हुए उसका माथा चूम लेता है ।इस छुअन से तन्वी अपनी झट से आंखें खोल देती है ।और आदित्य की गोद से उतर जाती है ।वह जल्दी-जल्दी वहां पर बिखरे पन्नों को समेट कर वहां से निकल जाती है।
तन्वी के ऐसे जाते ही आदित्य को होश आता है और अपना सर झेटक हुए सोचता है कि वो ये क्या कर रहा है?उसे क्या हो गया है? उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा होता है। जो अभी हुआ वह क्या था?। उसका दिल💓💓 इतने जोरो से क्यों धड़कने लगा है?। यह एहसास जो उसे महसूस हुआ यह बहुत नया-नया था ।उसे कुछ समझ में नहीं आता है वह एक बार फिर से अपना सर झेटक देता है और अपने काम में लग जाता।
दूसरी और तन्वी आदित्य के केबिन से निकलकर सीधा वॉशरूम चली जाती है। फाइल को उठाकर एक साइड रख देती है। और वॉशरूम में आईने की आगे खड़े होकर खुद को देखने लगती है।उसका दिल काफी जोरों से धड़क रहा था, इतना जोर से कि दूसरों को भी उसके दिल की धड़कनों की आवाज साफ सुनाई दे। तनवी अपने सीने पर हाथ रखती है और अपने दिल की धड़कनों को संभालने की काफी कोशिश करती है। पर उसका दिल था वह उसकी सुनने वाला ही नहीं था बस जोरों से धड़के जा रहा था।
तन्वी अपने चेहरे पर पानी के काफी छोटे मरती है और एक लंबी सांस लेते हुए आईने में खुद को देखते हैं बहुत खुद से ही कहती है- "तन्वी. ये तुझे क्या हो रहा है ?😶😶कैसा एहसास था?. यह कैसी छुआने थी?यह एहसास मुझे अच्छा क्यों लग रहा?
तन्वी के पास सवाल तो बहुत थे पर किसी एक का भी जवाब उसके पास नहीं था बस खुद को आईने में देखे जा रही थी। वह अपने एक हाथ को उठाकर अपने माथे को छूते हुए,आदित्य की उसे छूएन को महसूस करती है जो उसने तन्वी के माथे पर दी थी। और फिर सुबह सोनिया की कही हुई बातों को याद करती है। सोनिया ने कहा था कि कहीं उसके बॉस आदित्य को उससे प्यार तो नहीं हो गया है? जो उसकी सारी गलतियों को यूं नजर अंदाज किया जा रहा है ।
यह बात सोच कर तन्वी खुद से कहती है-"कहीं सच में आदित्य को मुझे प्यार तो नहीं हो गया है? या मुझे उससे.? पर ऐसा कैसे हो सकता है ?उसे अकडू से .मैं कैसे प्यार कर सकती हूं 🤔🤔🤔उसमें ऐसा है ही क्या? उसके पास तो दिल ही नहीं है .तो प्यार कैसे कर सकता है? नहीं .ऐसा कुछ नहीं है ,सर ने मुझ गलती से ही मेरे माथे पर किस कर दिया होगा., हा ऐसा ही हुआ होगा"
आदित्य का केबिन
आदित्य कुछ टाइम पहले हुई बातों को भूलकर अपने कामों में काफी बिजी हो जाता है। तभी वह अपनी चेयर से उठेकर फोन पर किसी से बात करने लग जाता है।
आदित्य फोन पर किसी से बड़ी गभीर आवाज में कहता है - " सभी लोगो को लंच के बाद सेमिनार हॉल में इकट्ठा करो, हम आगे की बात नहीं करेंगे"
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To be Continued....