ये कहानी एक ऐसी लड़की की जिसके परिवार ने ही उसे धोखा दिया और उसे जान से मारने की कोशिश में कोई कमी नहीं छोड़ी । उसके पैदा होने से पहले से ही मारने की कोशिश की जा चुकी थी पर उस लड़की भी ऐसी किस्मत की वो हर बार बच ही जाती थी पर क्या वो इस बार भी बच पाए... ये कहानी एक ऐसी लड़की की जिसके परिवार ने ही उसे धोखा दिया और उसे जान से मारने की कोशिश में कोई कमी नहीं छोड़ी । उसके पैदा होने से पहले से ही मारने की कोशिश की जा चुकी थी पर उस लड़की भी ऐसी किस्मत की वो हर बार बच ही जाती थी पर क्या वो इस बार भी बच पाएगी । तो चलिए जानते है कैसी थी उसकी जिंदगी । क्या वो लड़की मौत के मुंह से बचकर फिर वापस आएगी या यहीं खत्म हो गई उसकी कहानी । जानने के लिए पढ़िए मेरी कहानी desire। ये कहानी मैने पहले ही प्रतिलिपि पे अपलोड कर रखी है । आप चाहे तो वहां से इसे पढ़ सकते हैं, प्रतिलिपि पे इस कहानी का नाम विरासत - एक खूनी खेल है ।
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एक घने जंगलों के पास अंधेरी रात में एक सुनसान रस्ते पर लगभग 20 साल की लड़की लहू लुहान हालत में पड़ी हुई थी। आकाश में काले बादल छाए हुए थे। उस लड़की के शरीर पे बहुत सारे घाव थे, ऐसा लग रहा था बहुत लोगों ने मिलके उसे मारा है। उसके सर से खून बह कर सूख चुका था। कई जगह से उसके कपड़े फट चुके थे। उसे पहचानना भी मुश्किल हो रहा था। पूरे शरीर पर सिर्फ खून ही खून नजर आ रहा था।
उसके दुबले पतले शरीर पर सिर्फ घाव ही नजर आ रहे थे। उसकी आँखें बंद थी पर उसकी सांसे अभी भी चल रही थी। ऐसा लग रहा था मानो उसकी आत्मा ने तो कबका शरीर छोड़ दिया है पर उसकी सांसों ने अभी भी उसकी जिंदगी की डोर को थामे रखा है। इतनी चोटों के बाद किसी का बचना लगभग ना मुमकिन है। पता नहीं कैसे ये लड़की अभी भी जिंदा थी। इसके चेहरे पर दर्द जरूर नजर आ रहा था पर डर का नामोनिशान नहीं था।
तभी आकाश में बादल कड़कने लगते है और बारिश शुरू हो जाती है। मानो उस लड़की को देखकर प्रकृति को भी रोना आ गया था। अचानक वो लड़की धीरे से आंखे खोलती हैं। ऐसा लग रहा था जैसे उसे आंखों को खोलने में भी बहुत दर्द हो रहा हो। उसके चेहरे पर बहुत सारे चोट के निशान थे। वो लड़की एक फीकी मुस्कान हस्ती है और आसमान की ओर देखकर कहती हैं, अगर मेरी किस्मत में मौत ही लिखी थी तो मुझे जिंदगी हीं क्यों दी आपने। मर जाने दिया होता बचपन में हीं।
फिर वो एक कड़वी हँसी हंसकर कहती है "जिस विरासत को लोग ताकत समझते हैं वहीं मेरे लिए श्राप बन गई। मेरी किस्मत तो शायद पैदाइश से पहले ही लिख दी गई थी। कहते है विरासत खून से मिलती हैं पर मुझे तो धोखे से मिली। जन्म से पहले ही मेरी मौत की तारीख तय कर दी गई थी। मौत से तो जीत गई पर अपनो से ही हार गई। आखिरी शब्द कहते हुए उसके आंखों से आंसू जमीन पर गिरने लगें।
आज प्रकृति ही उसके हर एक दर्द का गवाह थी। बारिश की बूंदे उसके चेहरे पे गिर रही थीं, शायद इससे भी उस लड़की को और दर्द हो रहा था। वो अपनी आंखे बंद कर लेती है और अपनी जिंदगी के कुछ अच्छे पलों को याद करने लगती है। बचपन के वो हसीन पल जिसमें वो अपने भाई बहनों के साथ खुश थी।
तभी उसके आंखों के सामने एक 26 साल के लड़के की तस्वीर तैरने लगती है। जिसे देखकर वो कहती है शायद इस जन्म में हम दोनों का साथ यहीं तक था। मुझे माफ कर देना मैं अपना वादा पूरा नहीं कर पाई। इतना कह कर उसने फिर से अपनी आंखों को बंद कर लिया और शायद दर्द के कारण बेहोश हो गई।
तभी अचानक उस अंधेरे रस्ते में एक तेज रोशनी आती है। ये रोशनी किसी कार के हेडलाइट की थी। वो गाड़ी अचानक उस लड़की के पास आकर रुकती है। उस गाड़ी से एक लड़की बाहर बहुत तेजी में बाहर आती है। गाड़ी की रोशनी से जमीन पर पड़ी लड़की को फिर होश आ जाता है। उस गाड़ी वाली लड़की के चेहरे पर रोशनी पड़ती हैं तो नजर आता की दोनों लड़कियों की शक्ल हू ब हू सेम थी। ऐसा लग रहा था दोनों एक दूसरे के फोटोकॉपी हो।
अगर उसके चेहरे पर चोट न लगी होती तो दोनों में फर्क करना बहुत मुश्किल था। पर दोनों लड़कियों की आंखों का रंग अलग था। जो गाड़ी से आई थी उसके आंखों का रंग नीला था। और जो सड़क पर पड़ी थी उसका काला। ऐसा लग रहा था मानो दोनों लड़कियां जुड़वा बहने हो।
वो लड़की दौर के उसके पास जाती हैं और कहती है कैसे हुआ ये और किसने किया। मैं उसे नहीं छोडूंगी। तभी दूसरी अपनी दर्द भरी आवाज में कहती है तुम यहां क्यों आई। अगर किसी ने तुमहारा चेहरा देख लिया तो वो तुम्हे भी नहीं छोड़ेंगे। तभी नीले आंखों वाली लड़की कहती है मैं आपको कुछ नहीं होने दे सकती। मैं आपको मरने नहीं दे सकती। मैं आपको हर हाल में बचा लूंगी।
वो लड़की अपनी पूरी ताकत से अपनी बहन को उठाकर गाड़ी में बैठाती है और धीरे से कहती है। मैं आपको कुछ नहीं होने दूंगी, कुछ भी नहीं। आज जो ख़ून बहा है वो सिर्फ बदले की शुरुआत है। ये हमारी कहानी का अंत नहीं हो सकता। हम फिर लौटेंगे अपना बदला लेने। एक एक को उसके किए की सजा मिलेगी। आपके हर एक आंसू का बदला चुकाना होगा उन्हें।
दूसरी तरफ एक गुप्त कमरे में कुछ लोग वाइन की ग्लास आपस में टकरा रहे थे और खुशी में बोला, आखिर कर मर ही गई वो और तभी जोर से उस आदमी के हंसने की आवाज आई। उस लड़की की लाश मिले तो घर लाने की कोई जरूरत नहीं हैं। काट कर किसी चील या कौवे को खिला देना। इसी बहाने उनकी भी दावत हो जाएगी। वो आदमी है में अपना सर हिला देता है और चला जाता है।
आज उन लोगों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। आज उनके रास्ते का सबसे बड़ा काँटा हट चुका था। अब वो जो चाहे कर सकते थे उन्हें किसी का डर नहीं था। पर उन्हें शायद इस बात का अंदाजा नहीं था कि वो जिसके मरने की खुशी मना रहे है वो अभी भी जिंदा है और सांसे ले रही है। वो अपनी जिंदगी में आने वाले तूफान से अंजान थे। कौन जाने उनकी ये खुशी कब तक टिकने वाली थी।
आखि़र कौन है ये बदनशीब लड़की और क्या है उसकी कहानी । क्यों अपनों ने ही इसे धोखा देकर मारने की कोशिश की । क्या अपने परिवार से ही प्यार की उम्मीद करना गलत है। क्या ये लड़की जिंदा बचेगी या मौत ही लिखी है इसकी किस्मत में। जानने के लिए पढ़िए डिजायर ।
आप इस कहानी को मेरी प्रतिलिपि अकाउंट पे विरासत - एक खूनी खेल के नाम से भी पढ़ सकते हैं।
अगर आपको कहानी अच्छी लगी तो कमेंट करना न भूले ।
"कहानी वहीं से शुरू होती है… जहाँ सबने सोचा था कि वो खत्म हो चुकी है।" वो बीते पल मुझे आज भी याद है जहां से विरासत की ये कहानी शुरू हुई थी।
तो आइए जानते है कैसी थी उस लड़की की दो साल पहले की जिंदगी ।
2 साल पहले
एक वीरान इलाका… चारों ओर लाशों के ढेर… खून की बदबू हवा में तैर रही थी। और उन्हीं सन्नाटों के बीच, एक लगभग 13 साल की लड़की भाग रही थी। उसके हाथों में एक भारी-सी गन थी, चेहरा खून और धूल से सना हुआ, आंखों में डर नहीं—बगावत थी।
“अगर एक कदम भी आगे बढ़ाया, तो यहां से तुम नहीं तुम्हारी लाश जाएगी—
पीछे से किसी ने गरजते हुए कहा।
लड़की रुकी नहीं… उसने अपनी जेब से एक छोटा-सा रिमोट निकाला और बिना एक पल गवाए बटन दबा दिया।
अचानक… ज़ोरदार धमाका हुआ।
हर दिशा में धुआं और चीखें फैल गईं… और उसी शोर के बीच—
18 साल की Rucha की नींद खुल गई।
उसका पूरा शरीर पसीने से भीग चुका था। सांसें तेज़ थीं, जैसे वो अब भी भाग रही हो।
इस वक्त Rucha ऋषिकेश के एक शांत अनाथ आश्रम में रह रही थी। तभी बाहर से आवाज आई,
“उठ गई तुम?”
ये महिमा जी थीं—आश्रम की देखरेख करने वाली। उम्र से भले ही बड़ी थीं, पर दिल से इन सभी अनाथ बच्चों की मां थीं। और Rucha… उनमें सबसे बड़ी।
हालांकि Rucha हमेशा आश्रम में नहीं रहती थी, लेकिन जब भी आती—बच्चे उससे चिपक जाते थे। महिमा जी भी उसे अपनी बेटी मानती थीं… शायद इसलिए, क्योंकि इस दुनिया में उनके पास और कोई था भी नहीं।
Rucha बिस्तर से उठी, और सीधा गंगा तट पर पहुंच गई। एक डुबकी लगाई—जैसे बीते सपनों की धूल को बहा देना चाहती हो।
वो हमेशा से ही अलग दिखती थी… उसकी खूबसूरती में कोई बनावटी नहीं थी, एक सादगी थी जो आंखों में अटक जाती थी। देखने वालो को तो ऐसा लगता मानो खूबसूरती तो इस लड़की को विरासत में मिली हैं।
आश्रम में कुल 8 बच्चे और रहते थे। जिसमें पांच लड़की और तीन लड़के थे । इनमें सभी बच्चों के नाम महिमा जी ने ही रखे थे सिवाय रुचा के। उस आश्रम में रुचा के अलावा करिश्मा थी जो 16 साल की थी , प्रिया जो 13 साल की थी ,और राहुल जो 12 साल का था । माही , जीविका , शुभम, मानवी और ध्रुव लगभग सात से नौ साल के बच्चे थे ।जब रुचा बाहर निकल रही थी तो महिमा जी ने रोककर पूछा,
“कहीं जा रही हो?” महिमा जी ने चिंता करते हुए पूछा ।
Rucha ने शांत स्वर में जवाब दिया,
“हां… कुछ काम है। शाम तक लौट आऊंगी।”
महिमा जी ने कुछ और नहीं पूछा। उन्हें पता था—ये लड़की जब तक खुद ना चाहे, कुछ नहीं बताएगी।
आज भी उन्हें वो दिन याद था जब पहली बार गंगा तट पर Rucha उन्हें बेसुध हालत में मिली थी। होश में आने पर जब महिमा जी ने उसेसे उसके मां बाप के बारे में पूछा तो उसने सिर्फ इतना कहा था— मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है , मैं अकेली हूं। बो इस आश्रम में नहीं रहना चाहती थी पर महिमा जी ने उसे बहुत समझाया कि तुम अभी कहां जाओगी । तुम बहुत छोटी हो ।तुम कहां जाओगी ,कहां रहोगी और क्या खाओगी । महिमा जी ने उसे बहुत समझाया । अंत में रुचा ने उनसे हार मानकर हां कह दिया।
बस, महिमा जी ने उसे अपने बच्चों में शामिल कर लिया।
लेकिन Rucha… बाकी बच्चों से अलग थी। बो अक्सर आश्रम में नहीं रहती थी। शुरुआत में वो किसी से भी ज्यादा बात नहीं करती थीं। पर धीरे धीरे उसने सबको अपनाना शुरू कर दिया था । महिमा जी को ऐसा लगता था जैसे इस छोटी सी बच्ची ने कम उम्र में ही बहुत सारी मुश्किलें झेली होंगी ।
उसने कभी भी आश्रम से पैसे नहीं मांगे, बल्कि हर महीने खुद कुछ पैसे देती थी ताकि बाकी बच्चों की पढ़ाई रुके नहीं। छुट्टियों में आती तो बच्चों को खुद पढ़ाती भी।
उसने अपनी स्कूलिंग देश के सबसे प्रतिष्ठित Mount Kalivia Global School से की है—जहां बड़े-बड़े रईसों के बच्चे पढ़ते हैं। यहां के बच्चों के बीच अगर लड़ाई हो जाए तो शायद देश की इकॉनमी में भी बदलाव आ जाए । यहां बच्चों के लिए सारी सुविधाएं मौजूद थी ।बो जिस फील्ड में चाहे अपना करियर बना सकते थे।Rucha वहां scholarship के ज़रिए पढ़ी है। सारा समय हॉस्टल में बिताया… और अब 12वीं की परीक्षा देने के बाद कुछ दिनों के लिए आश्रम लौटी है।
उधर, देहरादून के श्रीवास्तव विला में…
22 साल का Rohan Shrivastav अपनी फैमिली के साथ ब्रेकफास्ट कर रहा था। दिखने में क्लासी, बातों में एलीगेंट, और दिमाग से बिजनेस की दुनिया का बेताज बादशाह। रोहन के खाने का स्टाइल बिल्कुल रॉयल था एक हाथ में छुरी एक हाथ में काटा और खाना चबाने के बकत अपना मुंह बिल्कुल बन्द रखता था। रोहन के खाने के स्टाइल को देखकर ये कहा जा सकता था कि बो लिविंग स्टैंडर्ड के बारे में काफी कुछ जनता था । और हमेशा हर चीज में अप टू डेट रहना उसका हॉबी ही नहीं बल्कि पैशन था ।
22 की उम्र में ही उसने Srivastav Group of Companies को देश की No.1 कंपनी बना दिया था। इससे पहले तक वो जगह Raizada Group of Industries के पास थी।
लेकिन अब…
Raizada vs Srivastav
— देश की दो सबसे बड़ी कंपनियों की जंग हर अखबार की हेडलाइन बन चुकी थी। किसकी होगी अगली बाजी ? क्या श्रीवास्तव अपनी no.1 की position कायम रख पाएंगे या रायजादा मारेंगे अगली बाजी ?
Rohan को देखकर कोई अंदाज़ा नहीं लगा सकता था कि इतना सभ्य, शांत और स्मार्ट दिखने वाले शख्स की कोई और भी पहचान हो सकती है । पर यह क्या है जो कोई नहीं जानता ।
वो बड़े आराम से ब्रेकफास्ट कर रहा था, तभी उसका सेक्रेटरी समर उसके पास आया और कान में कुछ कहा।
Rohan ने बिना कुछ बोले उठकर अपना कप रखा… और बाहर निकल गया।
आज के लिए बस इतना ही पढ़कर समीक्षा देना न भूलें।
रुचा, ऋषिकेश के शांत अनाथ आश्रम से बाहर निकली, और एक टैक्सी रोकी।
“भैया, एयरपोर्ट चलिए,” उसने शांत स्वर में कहा।
उस लड़की के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान और दुनिया भर की मासूमियत नज़र आ रही थी।
कुछ ही देर में टैक्सी एयरपोर्ट पहुंची। वह गाड़ी से उतरी, और भीड़ में खोते हुए अंदर चली गई।
अचानक उसका फ़ोन बजा।
"तुम आज आ रही हो, न?" दूसरी ओर एक लड़के की आवाज़ थी—उत्सुकता से भरी।
रुचा ने बिना किसी भाव के कहा, “हाँ, आ रही हूँ।”
और कॉल काट दिया।
वह अपनी सीट पर बैठ चुकी थी। जैसे ही विमान आसमान में उठा, वह नींद में डूब गई।
लेकिन यह कोई साधारण नींद नहीं थी—उसकी आंखों के सामने एक धुंधली-सी तस्वीर उभरी... चार बच्चे,जिसमें तीन लड़कियां। हँसती, खिलखिलाती... हुई सब खेल ही रहे थे कि
फिर अचानक एक चीख गूंजती है—
और रुचा की नींद टूट जाती है।
उसकी सांसें तेज थीं। दिल की धड़कन जैसे किसी पुराने दर्द को फिर से छू आई हो।
नीचे फ्लाइट लैंड कर चुकी थी—मुंबई।
हीं दूसरी ओर, देहरादून में रोहन श्रीवास्तव को उसका सेक्रेटरी समर एक चौंकाने वाली खबर देता है—उसका छोटा भाई मिहिर दो दिन से लापता है।
“कहां गया है?” रोहन ने शांत लेकिन तीखे स्वर में पूछा।
“सर... वो रेहान रायज़ादा के कॉन्सर्ट में गया है। घर से भागकर।”
समर झिझकते हुए बोला।
रोहन की नज़रें सख्त हो गईं। रायज़ादा और श्रीवास्तव—वो नाम जो अखबारों में बिज़नेस की लड़ाई के लिए मशहूर थे।
पर मिहिर और रेहान? पुराने दोस्त।
और दोनों परिवारों का समझौता था—रोहन की शादी रायज़ादा की बेटी से होगी।
रोहन ने कोई और सवाल नहीं किया—बस इतना कहा, “मुंबई के लिए टिकट बुक करो।”
कुछ ही घंटों में वे मुंबई की जमीन पर थे।
एयरपोर्ट पर रोहन का फोन बजा—उसकी दादी, त्रिवेणी श्रीवास्तव का कॉल।
वह एक किनारे बात करने चला गया।
उसी समय, एक लड़की तेज़ी से सामने से आई—ब्लैक आउटफिट, कैप, फोन में मैसेज कर रही थी —और सीधे जाकर रोहन से टकरा गई।
धप्प!
फोन नीचे गिरा—स्क्रीन चकनाचूर।
उसने जल्दी में पैसे उसके हाथ में थमाए और आगे बढ़ गई।
रोहन अभी संभल भी नहीं पाया था। उसे इतना वक्त ही नहीं मिला कि उस लड़की का चेहरा देख सके।
पीछे खड़े समर की हँसी छूट गई।
“सर, लगता है आज आपके साथ भी वैसा ही हुआ, जैसा आप दूसरों के साथ करते थे।”
रोहन ने घूरा। समर तुरंत चुप हो गया ।
रुचा अब वॉशरूम में थी। उसने अपनी पुरानी ड्रेस बदली, बैग से एक वॉयलेट ड्रेस निकाली—स्टाइलिश । बाल खुले, हल्का-सा मेकअप—अब वह कोई बिल्कुल स्वर्ग से उतरी अप्सरा जैसी लग रही थी।
उसे एक और फोन कॉल आया ।ये फोन सेलेना का था जो उसकी लिए काम करती थी और उसकी एक बहुत अच्छी दोस्त भी थी।रुचा ने फोन उठाया तो उसने कहा बॉस आपको कई लोग ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं। बोलो तो आपकी मीटिंग फ़िक्स करूं आपके साथ । रुचा ने कहा कोई जरूरत नहीं है।
कम से कम सुन तो लो तुम्हे कौन कौन ढूंढ रहा है। तभी रुचा ने कहा बताओ कौन ढूंढ रहा है। तभी उसने बहुत ही excitement से कहा बॉस आपको देश के बहुत बड़े लोग ढूंढ रहे हैं। मिस्टर अंश रायजादा ,रोहन श्रीवास्तव और स्पेशल पुलिस हेड क्वाटर से लोग भी आपको ढूंढ रहे हैं। बॉस क्या अपने कोई चोरी की है क्या जो आपके पीछे पुलिस पड़ी है मजाकिया अंदाज में पूछा । तभी उसने कहा ठीक है मैं तुमसे बाद में बात करती हूं। तभी सेलेना ने कहा बॉस ये तो सुन लो कि बो तुम्हे क्यों ढूंढ रहे हैं। रुचा ने बाद ने सुन लूंगी कहकर फोन काट दिया ।
अब तक उसने अपना लुक पूरी तरह बदल लिया था।
बाहर आते ही, एक ड्राइवर उसे पहचानकर कार तक ले गया।
“मैम, वेन्यू पहुंचने में दस मिनट लगेंगे।”
वह कुछ नहीं बोली—सिर्फ सिर हा में हिलाया।
गाड़ी रुकी—Night of Beats Concert के सामने।
रुचा बैकस्टेज की ओर बढ़ गई।
वहीं रोहन भी पब्लिक एरिया में पहुंच चुका था।
हज़ारों की भीड़, सब रेहान-रेहान चिल्ला रहे थे।
और तभी...
स्टेज पर रेहान आता है, लेकिन उसकी आँखों में जोश नहीं—उलझन थी।
रुचा ने देखा, उसका हाथ कांप रहा था—उसके हाथ स्थिर नहीं थे।
"क्या हुआ उसे?" रुचा ने पूछा।
रेहान के मैनेजर ने कहा, “अभी अभी उसने फोन पे अपनी मॉम से बात की थी। और तब से थोड़ा अजीब बर्ताव कर रहा है।
शोर अब धीमा होने लगा था।
और तभी...
स्टेज पर एक लड़की आती है—चेहरा मास्क से ढका, वॉयलेट ड्रेस में एक रहस्यमयी छवि।
उसने गाना शुरू किया।
रेहान भी तुरंत होश में आता है, और गिटार बजाना शुरू करता है।
दिल से धड़कन है गायब रातों से नींदें गायब आसमा के तारे सारे खो हीं गए । अब ना पहले से शामें ना कोई गीत पुरानी सारे धड़कन जैसे थम से गए । इन राहों के दरमिया कैसे हुए फासले । कोई तो होगी वजह हम पहले से ना रहे गुम हुए जाने कहां रह गई परछाइयां चुप हम दोनों यहां रह गई खामोशियां । हम खो गए कहां। हम खो गए कहां। हमसफर इक रास्ते के इक दूजे से हीं खफ़ा हैं चल पड़े कैस सफर पे जाएंगे कहां । कैसी मजबूरियों में चल रहे हैं हम दुरियों पे साथ हम होकर भी जुड़ा हैं। आए ना कहां । इन राहों के दरमिया कैसे हुए फासले । कोई तो होगी वजह हम पहले से ना रहे गुम हुए जाने कहां रह गई परछाइयां चुप हम दोनों यहां रह गई खामोशियां । हम खो गए कहां - 2
सन्नाटा—फिर तालियाँ।
उसकी आवाज़ मानो दिल चीरती चली जाए। उनके ताल मेल को देख के ऐसा लग रहा था मानो उन्होंने सालों से साथ में ही प्रैक्टिस की हो ।
स्टेज पर अब जादू था।
रुचा मंच से चली गई। किसी ने उसका चेहरा नहीं देखा—but everyone felt her.
आखिर कौन है रुचा ? क्या रिश्ता है उसका रेहान के साथ ? कौन है सेलेना ? और आखिर क्यों ढूंढ रहे है रुचा को इतने बड़े बड़े लोग ?
जानने के लिए पढ़ते रहिए हमारी कहानी स्टोरी मेनिया पर।
A quote for my all readers
शब्द मेरे थे, पर साँसें आपने दीं। शुक्रिया उन सभी रीडर्स जिन्होंने मेंरी कहानी को अपना कीमती समय दिया। और शुक्रिया उन लोगों का भी जिन्होंने मेरी कहानी को 5 star rating दी।
कभी-कभी एक छोटा सा स्टार, किसी लेखक की पूरी रात को रोशन कर देता है।
आपके हर एक स्टार के पीछे एक दिल धड़कता है ।
"In the world of shadows, your stars shine the brightest."
गाना खत्म होने के बाद पीछे, फैंस में कानाफूसी होने लगी —"लगता है ये लड़की रेहान की गर्लफ्रेंड है!"
रोहन की नज़रें स्टेज पर जमी थीं—"ये लड़की कौन थी? इतनी शानदार आवाज़, फिर भी गुमनाम?"
इधर मिहिर बैकस्टेज जाने ही वाला था, कि उसके सामने रोहन आकर खड़ा हो गया।
रोहन ने तुरंत उसका कान पकड़ लिया और खींचकर बाहर ले गया ।
भैया दर्द हो रहा है , आह कान कान छोड़ो प्लीज।
इतनी भीड़ में मेरी क्या इज्जत रह जाएगी ।
“भैया प्लीज़—” मिहिर गिड़गिड़ाया, “अगली बार आपको बिना बताए नहीं जाऊंगा।”
“मतलब अगली बार भी जाने का प्लान है?” रोहन ने भौंहें चढ़ाईं।
“नहीं नहीं भैया... मैं तो बस...”
“समर—तीन महीने की पॉकेट मनी बंद।”
“भैया! मैं अपनी गर्लफ्रेंड्स को कैसे घुमाऊंगा ?” मिहिर चिल्लाया।
“तो ठीक है—छह महीने बंद।”
“नहीं! नहीं! तीन ही ठीक हैं…”
समर की हँसी फिर छूटने को थी—but उसने खुद को काबू में रखा।
रोहन ने मिहिर को चिढ़ाते हुए कहा,
“गर्लफ्रेंड्स को घुमाने के लिए पहले कोई लड़की होनी भी तो चाहिए, मिहिर। तुम्हें देखकर कोई लड़की तो घास भी नहीं डालेगी।”
मिहिर बुरी तरह चिढ़ गया, “भैया! आपको क्या पता, सारी लड़कियां मेरे पीछे पड़ी रहती हैं। एक से बढ़कर एक, सब मुझे अपना बॉयफ्रेंड बनाना चाहती हैं!” पर क्या है न मै किसी को भाव नहीं देता।
रोहन और समर एक-दूसरे की तरफ देखकर हँसी रोक नहीं पाए। मिहिर झुंझलाकर खड़ा रह गया।
उधर, कॉन्सर्ट खत्म होने के बाद जैसे ही रुचा बैकस्टेज पहुंची, रेहान ने उसे खुशी से गले लगा लिया।
“रुचा! तुमने तो आज मेरी इज़्ज़त बचा ली... सच कहूँ, आज अगर तुम ना होती, तो मैं स्टेज से उतरने लायक नहीं रहता,” वह भावुक होकर बोला। बस तेरी इज्ज़त इतनी सी ही हैं। इस बार तो बचा लिया पर हर बार नहीं बचाऊंगी।
रुचा मुस्कुराई, लेकिन उसकी आँखों में सख्ती थी।
“सुधार जाओ बेटा - अगली बार नहीं बचाऊंगी। मजाकिया अंदाज में रुचा ने रेहान से कहा ।लेकिन मीडिया को ये नहीं पता चलना चाहिए कि मैं कौन हूँ या क्यों आई थी। समझे?”
रेहान ने गंभीरता से सिर हिलाया, “Don't worry, मैं मीडिया को कुछ नहीं बताऊंगा। जो सोच रहे हैं, सोचने दो। लेकिन इस इंसीडेंट के बाद मेरे पीछे लड़कियों की लाइन थोड़ी कम हो जाएगी। रेहान मायूसी से कहता है कोई न तुम्हारे लिया इतना तो कर ही सकता हूं।
रुचा ने हल्की-सी मुस्कान दी और कहा, “अब मुझे जाना होगा।” उसने अपना बैग उठाया, वॉशरूम जाकर कपड़े चेंज किए और इस बार चेहरे पर एक ब्लैक मास्क पहन लिया।
रेहान ने उसे रोकने की कोशिश की, “कुछ दिन रुक जाओ न…।”
मुझे अपनी जिंदगी का सुकून के पल बर्बाद नहीं करना तेरे साथ रहके ।
वैसे अभी मेरे पास टाईम नहीं है, और अगर होता तो भी तेरे साथ रहके उसे बर्बाद नहीं करती ।” इतना कहकर वह निकल गई।
रेहान का मैनेजर ये सोच रहा था किए शायद ये पहली बार है जब ये दोनों बिना लड़े अच्छे से बात कर रहे थे। वरना तो हमेशा एक दूसरे के सर के बाल नोचने के लिए तैयार बैठे रहते है। अगर हर बार ये दोनों ऐसे ही मिलने लगे तो शायद उसे शॉक से हार्टअटैक आ जाएगा । उसने तो एक दो बार अपने आंखों को मसल कर दुबारा चेक किया कि कहीं बो कोई सपना तो नहीं देख रहा ।उसे लग रहा था शायद आज दोनों बहुत दिन बाद मिल रहे है तो एक दूसरे पे प्यार आ रहा है। पर ऐसा कुछ नहीं था दोनों ही बहुत परेशान थे इसलिए शायद लड़ नहीं रहे थे । और लड़ने के लिए जगह भी तो सही नहीं थी न ।
रुचा की गाने वाली वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई। हर प्लेटफॉर्म पर बस उसी की चर्चा थी—"मिस्ट्री गर्ल ऑफ़ द नाइट ऑफ़ बीट्स!"
लेकिन रुचा को इसका कोई अंदाज़ा नहीं था। वह भीड़ से बचती हुई बाहर निकल रही थी।
तभी रोहन की नज़र उस पर पड़ी।
"ये वही लड़की है... एयरपोर्ट वाली!" उसने खुद से कहा।
वो उसकी तरफ बढ़ा, लेकिन भीड़ में वह फिर से खो गई।
मिहिर की आंखें फटी रह गईं। “भैया किसी लड़की के पीछे दौड़ रहे हैं?”
उसका दिमाग़ चकरा गया।
समर ने मिहिर के कंधे पर हाथ रखा और मुस्कुराते हुए कहा,
“कहानी लंबी है… एयरपोर्ट से शुरू हुई थी।”
मिहिर शॉक रह गया।
“मतलब किसी ने मेरे भाई को उसी के तरीके का स्वाद चखा दिया? वाह!”
रोहन लौटकर आया, और मिहिर ने कुछ नहीं कहा, लेकिन अंदर ही अंदर उसकी हँसी थम नहीं रही थी।
कॉन्सर्ट के बाद से मीडिया पागल हो गई थी। हर चैनल, हर ब्लॉग, हर फैन पेज पर एक ही सवाल था—
“वो लड़की कौन थी?” “क्या वो रेहान की गर्लफ्रेंड है?”
रेहान का मैनेजर थक चुका था, लेकिन उसका जवाब वही था:
“नो कमेंट्स।”
इधर रोहन वापस देहरादून चला गया।
रुचा वापस ऋषिकेश के आश्रम पहुंची। पूरा दिन उसके लिए किसी युद्ध जैसा था। वह बिस्तर पर गिरते ही सोने वाली थी कि उसके फोन पे कोई नोटिफिकेशन आया । जब उसने अपना ईमेल खोल कर देखा तो उसके बटरफ्लाई नाम के अकाउंट पे स्पेशल पुलिस के हेडक्वार्टर के तरफ से एक मेल आया था कि बो उसे हायर करना चाहते हैं। वो लोग उसकी कोई भी शर्त पूरी करने के लिए तैयार थे और साथ ही में सैलरी भी जितनी वो चाहे । पर उसने उस ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया।
और तभी उसका फोन बजा।
“हैलो?” वह थकी हुई आवाज़ में बोली।
दूसरी ओर एक लड़की की आवाज़ गूंजी—उत्साह से भरी हुई:
“रुचा! जो तू ढूंढ रही थी… मुझे वो मिल गया!”
रुचा की आँखें चौड़ी हो गईं।
"क्या? तू सच कह रही है?"
हां।
ये सुन कर तो जैसे रुचा के आंखों से नींद ही उड़ गई थी ।
कौन थी फोन पे वो लड़की और आखिर किस चीज की तलाश है रुचा को और क्यों ?
क्यों हायर करना चाहती है पुलिस हेड क्वार्टर की टीम रुचा को ? क्या है बटरफ्लाई नाम के पीछे का नाम ?
जानने के लिए पढ़ते रहिए हमारी कहानी डिजायर ।
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जब रुचा सोने जा रही थी, तभी उसका फोन बजा। कॉल माहिरा का था।
"जिस ब्रह्मकमल को तू ढूंढ रही थी... वो मिल गया है," माहिरा की आवाज में exitment साफ़ नजर आ रही थी।
रुचा की आंखों से नींद उड़ गई। "किसके पास है?"
"दिल्ली में तीन दिन बाद एक ऑक्शन पार्टी में उसकी बोली लगने वाली है।"
"क्या?" रुचा की सांसें तेज हो गईं।
"मैंने पहले ही उस पार्टी का इन्विटेशन अरेंज कर लिया है। तुम भी चलना मेरे साथ।"
"वैसे क्या तुम सिर्फ ब्रह्मकमल खरीदने जा रही हो?"
"अगर कुछ और खास मिला तो वो भी खरीदूंगी। मैंने सुना है वहाँ वट्सनभ भी होगा… पर खबर पक्की नहीं है।"
"ये बहुत रेयर प्लांट है," रुचा हैरान हुई। मैने तो सुना था कि ये प्लांट इस दुनिया से विलुप्त हो चुका है। और अगर ये है भी तो इतने रेयर प्लांट को क्यों बेच रहे हैं ये लोग ।
"ऑक्शन सुबह है — तुझे एक दिन पहले आना होगा।"
"मैं परसों ही दिल्ली आ रही हूं।
क्या सच में तुम परसो दिल्ली आ रही हो । फिर तो बहुत मजा आएगा । हम खूब मस्ती करेंगे और शॉपिंग भी ।
मैं वहां काम से आ रही हुं ,घूमने नहीं ।
वैसे इस बार ऑक्शन कौन सी फैमिली अरेंज कर रही है ।
माहिरा जवाब देती है आचार्य फैमिली की हेड शिवानी आचार्य।
ठीक है ।
श्रीवास्तव विला में हलचल
मिहिर जैसे ही घर लौटा, त्रिवेणी दादी जी ने अपने डंडे से उसका स्वागत किया। मिशा ठहाके मार के हंस पड़ी, "मारो दादी और मारो! बड़ा आया घर से भागने वाला ।
फिर पीछे से तृप्ति जी आईं और मिहिर के कान खींच लिए।
"इतने बड़े हो गए हो फिर भी घर से भागते हो? शर्म नहीं आती?" तृप्ति जी रोहन के पिता राघव श्रीवास्तव की दूसरी पत्नी थी । वो मिहिर और मिशा की सगी मां थी । वो रोहन को भी उतना ही प्यार करती थीं पर रोहन उनसे न ही प्यार करता था न ही नफरत। वो अपनी मां विद्या की मौत का जिम्मेदार अपने पापा राघव को मानता था इसलिए शायद वो कभी भी तृप्ति जी को अपनी मां के रूप में नहीं मान पाया ।
मिहिर कराहते हुए, "मम्मी छोड़ो प्लीज!"
"हंसना बंद कर चुड़ैल!" मिहिर ने मिशा को कहा।
"चुडैल किसे बोल रहा है बकासुर?" मिशा बोली।
दादी बीच में बोलीं, "बस करो दोनों! हर वक्त लड़ते रहते हो!"कभी तो शांत रह लिया करो ।
मिहिर ने मजाक में कहा, "शांति के लिए तो वेद भाई हैं ना।"
अरे बोलो तो दिक्कत न बोलो तो दिक्कत । आखिर मैं करूं तो क्या करूं ।
तभी रोहन की घूरती नजरें मिहिर को खुद पर महसूस हुई ।समर और रोहन अंदर आ गए।
"मिहिर, अंदर जाओ और सो जाओ। बहुत रात हो गई है," रोहन बोला।
समर बोला, "बॉस, जो म्यूजिक बॉक्स और एलेना का आर्ट पीस आप ढूंढ रहे थे — वो दिल्ली के ऑक्शन में मिलेगा।"
"ठीक है," रोहन ने कहा।
समर कहता सर ये तो मुझे पता है कि आर्ट पीस आप दादी को उनके बर्थडे पर गिफ्ट करना चाहते हैं।
"पर वो म्यूजिक बॉक्स क्यों चाहिए आपको?" समर ने पूछा।
रोहन ने उसे घूरकर देखा। समर चुप हो गया।
"ये ऑक्शन कौन होस्ट कर रहा है?" रोहन ने पूछा।
"आचार्य फैमिली। उनकी हेड शिवानी आचार्य हैं ।
"ठीक है," रोहन बोला।
समर चला गया।
रोहन नहा कर लेटा, पर नींद नहीं आई। बार-बार कंसर्ट का गाना याद आ रहा था। वो आवाज जानी-पहचानी सी लगी। उसे बार बार ऐसा लग रहा था जैसे उसने ये गाना पहले भी सुना है।
उसने समर को मैसेज किया: "उस कंसर्ट वाली लड़की की डिटेल्स निकालो।"
समर ने मैसेज देखा और बड़बड़ाया, "हे भगवान! अब बॉस को रात में भी चैन नहीं है!" अब इनको क्या करना है उस लड़की के बारे में जानके। हे भगवान उस प्यारी सी लड़की को इस राक्षस से बचाओ ।
सुबह रुचा उठी और तैयार होकर बाहर आई। बच्चे चिपक गए।
"रुचा दीदी, हमारे गिफ्ट्स कहाँ हैं?"
"रूम में रखे हैं, बाद में ले लेना। अब जल्दी तैयार हो जाओ — आज जिया दीदी की शादी है!"
महिमा जी भी आ गईं, "हे भगवान! अच्छा हुआ तूने याद दिलाया।"
रात का समय
जिया को रुचा और परी तैयार कर रही थीं। तीनों बेहद खूबसूरत लग रही थीं। स्वर्ग से उतरी हुई अप्सराएं कहना गलत नहीं होगा ।
जिया को तैयार करके रुचा और परी नीचे चली गईं। अब कमरे में जिया अकेली थी।
जिया अपने फोन से सेल्फी ले रही थी कि उसे लगा कोई उसे देख रहा है।
वो बाहर आई — तभी एक नकाबपोश आदमी ने उस पर हमला कर दिया।
जिया भागी, चिल्लाई — पर नीचे बारात की शोर में उसकी आवाज़ दब गई।
वो आदमी तेज़ी से बढ़ा और चाकू उसके सीने में घोंप दिया।
जिया ने वहीं दम तोड़ दिया ।
म्यूजिक बंद होने के बाद जब सभी धीरे धीरे ऊपर आने लगते है तो अचानक किसी की जोर की चीख सुनाई देती है । ये चीख किसी और की नहीं जिया की मां राधा की थी ।
जिया की लाश को देखकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाए ।
राधा को देखकर ऐसा लग रहा था मानो उसके शरीर में जान ही नहीं बची । वो वहीं जम गई ।
जब सभी उस आवाज की दिशा में जाते है तो उनके सामने जिया की लाश थी जिसके सीने में खंजर घोपा हुआ था । और जमीन पर खून से एक स्माइली बना हुआ था । ये दिखने में उन्हें बहुत ज्यादा डरावना था । ये सीन किसी के भी दिल को दहला देने वाला था।
क्यों चाहिए रुचा को ब्रह्म कमल? क्या करेगी ऋचा उस ब्रह्म कमल का ? कहां सुना रोहन ने वो गाना ? कौन है वेद और क्यों उसका नाम लेते ही सब चुप हो गए ? क्या है उस म्यूजिक box का राज ? आखिर क्या है जिया के मौत का राज ? किसने मारा उसे और क्यों ? क्या है उस स्माइली का राज ?
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जिया की मौत के बाद
जिया की लाश देख राधा जी ज़ोर-ज़ोर से रोने लगीं।
"कोई एंबुलेंस बुलाओ... मेरी बच्ची को हॉस्पिटल ले चलो!"
भीड़ में से किसी ने फोन निकाला ही था कि रुचा आगे आई। उसने जिया की कलाई पकड़कर नब्ज देखी — और धीरे से कहा,
"अब ये नहीं रही।"
परी ने तुरंत पुलिस को फोन किया।
महिमा जी की आंखों से भी आंसू बह निकले। उनके सामने जिया की मुस्कुराती हुई बचपन की तस्वीरें घूमने लगीं।
जिया का घर अनाथाश्रम के ठीक बगल में था। बचपन से ही वो बच्चों के साथ खेलने आया करती थी। पर अब उन्हीं बच्चों से दूर हो गई ,हमेशा के लिए।
राधा जी के पास जाकर महिमा जी ने उन्हें चुप कराया। जिया का परिवार अब दिल्ली में ही बस चुका था, लेकिन जिया अपनी शादी ऋषिकेश से ही करना चाहती थी — अपने पुराने घर के पास। यही इच्छा लेकर वो यहां लौटी थी।
रुचा और जिया की मुलाकातें बहुत कम थीं, लेकिन जिया उसे हमेशा छोटी बहन की तरह ही मानती थी। आज उसकी वो बहन नहीं रही।
पुलिस आई। बच्चों को रुचा ने वापस आश्रम भेज दिया ताकि उनके मन पर इसका कोई भी बुरा असर न पड़े।
इंस्पेक्टर ने उस स्माइली को देखा — और उनकी आंखों में कुछ बदल गया।
“ये काम उसी सीरियल किलर का है,” उन्होंने कहा।
“दिल्ली और मुंबई में ऐसे कई केस सामने आए हैं। पहली बार ये कातिल ऋषिकेश तक आया है।”
मैनेजर सीसीटीवी फुटेज लेकर आया।
फुटेज में साफ़ दिख रहा था — जिया किसी से बचने की कोशिश में भाग रही है, चिल्ला रही है, तभी ब्लैक मास्क में एक आदमी आता है और एक ही वार में उसके सीने में चाकू घोंप देता है। फिर वो कैमरे की ओर देखता है... और मुस्कराता है। उसकी मुस्कान बहुत ही डरावनी थी ।
कैमरे की स्क्रीन ब्लैंक हो जाती है।
“अब ये 99वीं हत्या है,” इंस्पेक्टर बोला। “98 केस पहले ही आ चुके हैं।”
रुचा ने पूछा, “कोई वार्निंग, कोई पैटर्न कुछ तो होगा जिससे ये पता चले कि इनका अगला निशाना कौन है । सिर्फ लड़कियाँ ही क्यों?”
“कोई वार्निंग नहीं। ये जब जिसे भी टारगेट बनाते हैं — उसकी मौत पक्की होती है। और ये अब तक कभी चूके नहीं हैं।”पर हां ये किसी को भी मारने से पहले स्पेशल पुलिस के हेडक्वार्टर को उस लड़की की एक फोटो और साथ में मैसेज भेजते है बचा सको तो बचा लो । और उसके थोड़ी ही देर बाद उस लड़की की लाश की फोटो भेजते है ।
इनका केस स्पेशल पुलिस संभाल रही है पर अभी तक उन्हें कोई जानकारी नहीं मिली ।
जिया की बॉडी पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई। सब वापस लौटने लगे।
महिमा जी ने रुचा से कहा, “तू आश्रम चली जा, मैं राधा के साथ यहीं रुकती हूँ।”
आश्रम में
रुचा ने बच्चों को देखा — सब सो चुके थे। फिर वो अपने कमरे में गई, शॉवर लिया, लेकिन नींद उसकी आंखों से कोसों दूर थी।जिया का खून, उसकी चीखें, वो स्माइली — सब आँखों के सामने घूम रहा था।
श्रीवास्तव विला में
किसी और की नींद भी उड़ी हुई थी — रोहन।
वो बार-बार एक सपना देख रहा था — एक छोटी सी लड़की डंडा लिए उसके पीछे दौड़ रही है और कह रही है,
"अगर फिर से मेरी बहन को परेशान किया, तो तुम्हारी टांगे तोड़ दूंगी!"
वो बच्चा खुद रोहन ही था। दूर खड़ा वेद हँस रहा था।
उसे याद है — गर्मियों की छुट्टियों में जब वो अपनी बुआ के घर जाता था, तो पास वाली गली में वो लड़की अपने नानी के घर आती थी । उसकी नानी उसे प्यार से "आरज़ू " बुलाती थी। क्योंकि उसके सर पे हमेशा खून सवार रहता था । उसकी एक जुड़वा बहन भी थी जिसे उसकी नानी प्यार से शिमली बुलाती थी ।
दिखने में तो दोनों डिट्टो एक दूसरे की फोटोकॉपी लगती थी । बस
दोनों के आंखों का कलर अलग था ।
शिमली थोड़ी शर्मीली थी , कम बोलती थी, पर आरज़ू अगर बोलना शुरू कर दे तो चुप ही नहीं होती थी ।
उसकी नानी वहां अकेले ही रहती थी । उनके बगीचे में एक आम का पेड़ था । वो रोहन और वेद को भी ख़ूब आम दिया करती थी खाने के लिए । और उन्हें भी अपनी नातीनो के साथ ढेरों कहानियां सुनाती थीं । उसका पूरा पूरा दिन उन्हीं के घर पे बीत जाता ।
हालांकि शिमली ज्यादा बात नहीं करती थी पर बो भी उनके साथ खेलती थी । पर आरज़ू वो बहुत बोलती थी । रोहन के कान पक जाते थे उसकी बातें सुन के । पर उसे बहुत मजा आता था।
उसे आज भी वो दिन अच्छे से याद है — आरज़ू ने एक बार उसे पूरे मोहल्ले में डंडे से दौड़ाया था।
गर्मी की छुट्टियों के बाद जब बो घर आया तो उसका बिल्कुल भी मन नहीं लगता था । अगली छुट्टी में ज़िद्द करके वो अपनी बुआ के घर गया क्योंकि आरज़ू ने वादा किया था कि वो अगली साल भी यहां जरूर आएगी ।पर वो आई ही नहीं ।
उसने फिर कभी उसे नहीं देखा। उसने तो उसकी नानी से भी पूछा तो उन्होंने बताया कि वो पढ़ने विदेश चली गई । इसलिए यहां नहीं आई । कुछ सालों बाद उनकी नानी बीमार पड़ीं और उनकी फैमिली उन्हें वहां से लेके चली गई।
वो दोनों लड़कियाँ उसकी यादों में आज भी ज़िंदा थीं।
उसने कई बार कोशिश की उन्हें खोजने की — पर असफल रहा।
अब, इतने सालों बाद भी... वो आरजू को एक बार फिर देखना चाहता है , उसकी बकबक सुनना चाहता है।
क्या आरजू को वो याद भी होगा । या वो उसे भूल गई होगी ।
उसके पास निशानी के तौर पर आरज़ू की एक लॉकेट है निशानी के तौर पर ।
अगली सुबह
रोहन लैपटॉप पर कुछ मेल्स चेक कर रहा था कि तभी समर ने दरवाज़ा खटखटाए बिना अंदर आता हैं।
“सर… उस कॉन्सर्ट वाली लड़की के बारे में आपने जो पता करने को कहा था… कुछ अजीब बातें सामने आई हैं।”
रोहन ने सिर उठाया। “क्या?”
“सीसीटीवी फुटेज में वो लड़की अंदर आती तो दिखती है लेकिन लेकिन बाहर जाते वक्त कैमरा में कही भी नजर नहीं आती है।”
रोहन की भौंहें चढ़ गईं।
“मतलब?”
“मतलब… वो जैसे अचानक प्रकट हुई और फिर गायब हो गई। और जिस गाड़ी से बो आई थी — उसका नंबर कहीं रजिस्टर्ड नहीं है। जैसे किसी फर्ज़ी सिस्टम से बनाया गया हो।”
रोहन चुप रहा। समर आगे बोला:
“हां… लेकिन सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं उसकी आवाज किसी ताहिरा नाम की सिंगर से मिलती है। कुछ साल पहले ये लड़की इंटरनेट सेंसेशन बनी थी, फिर अचानक गायब हो गई। किसी को उसका चेहरा कभी दिखा नहीं — हमेशा नकाब में ही गाती थी।” यह तक कि उसे इंटरनेशनल अवार्ड भी मिले थे पर उसे भी बो कलेक्ट करने नहीं गई । उस वक्त लगभग उसकी उम्र 14 या 15 साल रही होगी ।
“ताहिरा ?” रोहन ने दोहराया ।”
जब रोहन ने जब इस सिंगर के गाने सुने तब उसे समझ आया कि उसे बो आवाज सुनी हुई सी क्यों लग रही थी। असल में वो भी अपने कॉलेज के टाइम पे इसका बहुत बड़ा फैन था । लेकिन उसे ये नहीं पता था कि ये आवाज एक लगभग 14 या 15 साल की लड़की की होगी ।
सर “मैंने भी दोनों की आवाज सुनी है बहुत मिलती जुलती है बस ये सिंगर की आवाज थोड़ी ज्यादा मैच्योर लगती है। लेकिन… अजीब बात ये है कि इतने सालों बाद वो सामने क्यों आई । लोग तो म्यूजिकल वर्ल्ड की प्रिंसेस तक कहते है ।म्यूजिक की दुनिया को उसने 2 साल पहले ही छोड़ दिया था। उसके बाद अचानक कल स्टेज पर गाना गाना थोड़ा अजीब है ।
लोग तो ये भी कह रहे है कि सुपरस्टार रेहान और ताहिरा दोनों एकसाथ बिल्कुल परफेक्ट कपल हैं।
Tahira - the princess of musical world is back का hastag बहुत ही स्पीड में वायरल हो रहा है।
क्या ताहिरा म्युजिक वर्ल्ड में वापसी करने वाली है। ऐसे कई सवाल सोशल मीडिया पे वायरल हो रहे हैं।
समर कुछ देर खड़ा रहा, फिर बोला, “उसके बारे में और पता करने की कोशिश कर रहा हूँ सर।”
और वो चला गया।
रोहन के मन में हलचल थी।
“एक फेमस लड़की… जो दुनिया से छुपना चाहती है?”
रोहन मन में सोचता है जिसको जो भी मिलता है उसको उसकी कदर नहीं होती है । आजकल की लड़कियां फेम के पीछे पागल है और एक ये जिसे फेम ही नहीं चाहिए।
रुचा महिमा जी से कहती है कि उसे कुछ काम से ऋषिकेश से बाहर जाना पड़ेगा, इसलिए कुछ दिनों के लिए वह उनसे अपना और बच्चों का ध्यान रखने को कहती है।
महिमा जी बार-बार पूछती हैं कि वह कहां जा रही है, लेकिन रुचा कोई साफ़ जवाब नहीं देती।
वो बस इतना कहती है, "मैं तीन दिनों में लौट आऊंगी।"
जिया की घटना के बाद महिमा जी का मन पहले से ही डरा हुआ था।
उन्होंने कहा, “बेटा, कम से कम इतना तो बता दो कि जा कहां रही हो?”
रुचा शांत स्वर में बोली, “दिल्ली।”
अब तो महिमा जी और भी घबरा गईं।
कल ही पुलिस वालों ने बताया था कि मुंबई और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में इस सीरियल किलर की वारदातें आम हो चुकी हैं।
पर रुचा अब किसी की सुनने वाली नहीं थी।
दोपहर — दिल्ली एयरपोर्ट
रुचा दिल्ली पहुंच चुकी थी। एयरपोर्ट पर माहिरा उसका इंतज़ार कर रही थी।
जैसे ही उसने रुचा को देखा, वो उसे गले लगाकर चिल्लाई,
“आख़िर तू आ ही गई!”
फिर मुस्कुराकर बोली,
“आज मेरे पास तेरे लिए एक सरप्राइज है। तुझसे कोई मिलना चाहता है।”
रुचा ने जिया की घटना के बारे में माहिरा को कुछ नहीं बताया — वो उसका मज़ा किरकिरा नहीं करना चाहती थी।
कार में बैठते ही माहिरा बोली:
“वैसे तूने सोशल मीडिया पर तो आग ही लगा दी है। सब ताहिरा की ही बात कर रहे हैं। किसी को नहीं पता कि असल में म्यूजिकल वर्ल्ड की प्रिंसेस तू है ।
रुचा ने चौंकते हुए कहा, “क्या मतलब?”
माहिरा हैरानी से बोली, “प्लीज अब तो ये मत बोलना कि तूने पिछले दो दिनों से सोशल मीडिया अकाउंट नहीं खोला।
हे भगवान कोई सोशल मीडिया के बिना कैसे रह सकता है यार ।
रुचा ने फोन निकाला और जैसे ही उसने इंस्टा ओपन किया,
कंसर्ट वाला वीडियो वायरल हो चुका था।
उसके लाखों व्यूज़ और हज़ारों कमेंट्स थे।
रुचा ने तुरंत एक कॉल लगाया।
उधर से आवाज़ आई,
“इतने दिन बाद कैसे याद किया, बॉस?”
रुचा गहरी आवाज़ में बोली,
“जो कंसर्ट वाला वीडियो वायरल हो रहा है, उसे सोशल मीडिया से तुरंत हटाओ। जितनी जल्दी हो सके।”
उधर से जवाब आया,
“ठीक है बॉस। काम हो जाएगा।”
कौन है ये सीरियल किलर ? क्या दुश्मनी थी इसकी जिया के साथ ? कौन होगा उसका अगला शिकार? क्यों दुनिया के सामने नहीं आना चाहती रुचा? क्या रोहन जान पाएगा ताहिरा का सच ? क्या रुचा से मिलके रोहन की तलाश होगी खत्म ? किसे फोन किया रुचा ने ? और उसने रुचा को बॉस क्यों कहा ?
दोपहर का समय
रोहन आज ऑफिस से जल्दी घर आ जाता है क्योंकि उसकी फ्लाइट दिल्ली के लिए दोपहर में ही थी। वह अपने कमरे में जाकर सामान पैक करता है और ड्राइवर को गाड़ी तैयार करने के लिए कहता है।
जैसे ही वह बाहर निकलता है और गाड़ी में बैठने ही वाला होता है, त्रिवेणी दादी उसे रोक लेती हैं।
"घर से इतनी दूर जा रहे हो, कुछ मीठा खाकर तो जाओ बेटा।" दादी मुस्कुरा कर कहती हैं।
उसी समय मिशा और मिहिर को पता चलता है कि रोहन दिल्ली जा रहा है, और दोनों ज़िद पकड़ लेते हैं कि वे भी साथ चलेंगे। रोहन पहले मना करता है, लेकिन जब वो नहीं मानते और ज़िद करते हैं, तो वह हार मान जाता है।
हालांकि मिशा और मिहिर इतने बड़े खानदान से ताल्लुक रखते थे, फिर भी उन्होंने आज तक कोई ऑक्शन पार्टी अटेंड नहीं की थी। वे इस एक्सपीरियंस को मिस नहीं करना चाहते थे।
जैसे ही रोहन दोबारा गाड़ी की ओर बढ़ता है, एक ज़ोरदार धमाका होता है — और वह गाड़ी जिसमें वह बैठने वाला था, उड़ जाती है।
ड्राइवर की बॉडी के तो चीथड़े उड़ जाते हैं।
पूरा परिवार दहल जाता है।
समर हक्का-बक्का रह जाता है।
रोहन तुरंत समर को इन्वेस्टिगेशन का ज़िम्मा देता है: "समर, तुम यहीं रहकर फैमिली की सुरक्षा का ध्यान रखना।"
वो खुद तो रुकना चाहता था, लेकिन दिल्ली जाना बहुत ज़रूरी था।
मिशा और मिहिर, अब और भी ज़िद करने लगते हैं कि वे उसके साथ चलेंगे। उन्हें पता था दादी रोहन को अकेले नहीं जाने देंगी इसलिए उन्होंने पहले से ही अपना सामान पैक कर रखा था।
समर ने दूसरी गाड़ी तैयार करवा दी, और तीनों उसमें बैठकर दिल्ली के लिए रवाना हो जाते हैं।
दिल्ली आगमन
शाम तक रोहन, मिशा और मिहिर दिल्ली पहुंचते हैं।
दिल्ली में भी रोहन का एक आलीशान बंगला था।
हेड सर्वेंट को पहले ही सूचना दे दी गई थी, इसलिए पूरा स्टाफ तैयार खड़ा था।
उनका शानदार वेलकम किया जाता है।
रोहन हेड सर्वेंट से कहता है:
“मिशा और मिहिर के लिए पार्टी के लायक ड्रेस मंगवाओ – क्लासी और यूनिक।”
फिर तीनों अपने कमरों में जाकर आराम करने चले जाते हैं।
शिवांश रंधावा की पार्टी
दूसरी तरफ, माहिरा और रुचा एक सेवन-स्टार रेस्टोरेंट जा रही थीं।
आज शिवांश रंधावा के होटल की ग्रैंड ओपनिंग थी। वो रुचा और माहिरा का पुराना दोस्त था। डेढ़ साल पहले रुचा ने उसकी फाइनेंशियल बहुत हेल्प की थी, और वो यह एहसान कभी नहीं भूला।
जब उसे पता चला कि रुचा दिल्ली आ रही है, तो उसने माहिरा को कहा:
“उसे ज़रूर लेकर आना — ये मेरी ट्रीट है।”
होटल का सबसे लग्ज़री प्राइवेट सुइट उनके लिए तैयार था।
जैसे ही दोनों वहां पहुंचती हैं और शिवांश को सामने देखती हैं, रुचा चौंकती भी है और मुस्कुराती भी है।
शिवांश उन्हें बैठाता है, बेस्ट डिशेज खुद सर्व करता है।
हंसी-मज़ाक के साथ डिनर चलता है।
माहिरा एक महंगी वाइन की बोतल खोलती है — जिसकी कीमत लाखों में होती है।
शिवांश: “लेडीज़, इतनी रात को तुमलोगो को वाइन नहीं पीनी चाहिए!”
रुचा मुस्कुराकर एक non-alcoholic वाइन की बोतल खोलती है – ये भी लाखों की कीमत वाली थी।
माहिरा: “आज तो हम तुझे लूट ही लेंगे!”
शिवांश: “तुम दोनों इतनी दुबली-पतली हो, लेकिन खाती कितना हो!”
रुचा: “ ए हमारे खाने पर नज़र मत डालो!”
माहिरा के वॉशरूम जाने बाद अचानक एक लड़की प्राइवेट सुइट में गलती से आ जाती है, पर जैसे ही उसकी नजर रुचा पर पड़ती बो रुक जाती है ।उस लड़की का नाम दिव्यंका, उसके पीछे उसका बॉयफ्रेंड राहुल और कुछ दोस्त थे।
जैसे ही उसकी नजर रुचा पर पड़ती है:
“रुचा? तू यहां क्या कर रही है?”
वो सबके सामने ज़हर उगलना शुरू कर देती है।
Guy's, मिलो मेरी friend रुचा से।
दिखने में एकदम भोली भाली, लेकिन असल में बहुत चालू है । अनाथ है, लेकिन देखो कैसे अमीर लड़कों को फंसा रही है।
इसकी औकात नहीं है इस होटल में आने की।”
मुझे तो इसे फ्रेंड कहने में भी शर्म आती है।
शिवांश को उसकी बातें सुन के बहुत गुस्सा आ रहा लेकिन वो चुप रहता है । बो जनता था रुचा जुबान की बहुत तीखी है । अगर उसने बोलना शुरू किया तो ये मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगी ।
लेकिन रुचा पूरे रॉयल अंदाज़ में शांत बैठी रहती है — जैसे कुछ हुआ ही नहीं।
फिर रुचा पीछे मुड़ी और उसे देखकर मुस्कराया फिर बोलना शुरू किया ।
अगर इतनी शर्म आती है तो मत कहो ना मुझे फ्रेंड । वैसे भी तुम्हारे जैसे दोस्त होने से तो अच्छा है कि मेरा कोई दोस्त न ही हो ।
“तुम्हें देखकर हमेशा लगता है...
कि कुछ लोग जन्म से बद्तमीज़ नहीं होते—बस जब लाइमलाइट कोई और ले जाए, तो उनकी जली हुई सोच खुद-ब-खुद दुनिया के सामने आ जाती है।
और रही बात औकात की… तो मेरे सामने खड़े होने की भी तुम्हारी औकात नहीं है
राहुल, दिव्यंका का बॉयफ्रेंड, रुचा की खूबसूरती पर अटक जाता है।
राहुल रुचा के पास आकर कहता है ।“अगर तुम्हें पैसों की इतनी ज़रूरत है तो मेरे साथ चलो। I’ll take care of everything.”
दिव्यंका जल के राख हो जाती है कि उसके सामने उसका ही बॉयफ्रेंड रुचा पर लाइन मार रहा है । और इसके लिए वह अपने बॉयफ्रेंड को नहीं रुचा को ही कोसना चाहती थी ।
शिवांश का गुस्सा फट पड़ता है।
वो राहुल को पकड़कर पीटने लगता है।
“मेरे होटल में मेरी ही दोस्त की इंसल्ट? मैं बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करूंगा ।”
दिव्यंका चिल्लाने लगती है:
“ये कैसा होटल है? कोई कुछ नहीं बोल रहा है?”
कोई मैनेजर को बुलाओ मैं खुद से बात करूंगी इस लड़के को पता भी है कि वह जिसे पीट रहा है वह कौन है ?
एक वेटर शांत होकर कहता है:
जब ओनर खुद यहां है तो मैनेजर की क्या जरूरत है।
“मैडम, ये होटल उन्हीं का है।”
माहिरा ने गेट पे से ही दिव्यंका की घटिया बाते सुन ली थी है – उसने दिव्यंका की सारी बातें सुन ली थीं।
बिना एक शब्द कहे, माहिरा दिव्यंका के पास जाती है और दो ज़ोरदार चांटे मारती है।
दिव्यंका: “तुम जानती हो मैं कौन हूं? माहिरा भी गुस्से में पूछती है, आखिर है कौन तू जो इतना उड़ रही ही जरा मैं भी तो जानू । मैं वर्मा फैमिली से हूं। हमारे फैमिली के कनेक्शंस देसाई फैमिली जैसे बड़े फैमिली से हैं!”
ये सुन के रुचा और माहिरा को जोर की हसी आ जाती है।
माहिरा मुस्कुराकर जवाब देती है:
“और तू जानती है मैं कौन हूं? मैं देसाई फैमिली की इकलौती बेटी — माहिरा देसाई हूं।
और अभी अभी तो तुमने हमारी फैमिली की पावर, के बारे में बताया है।
दिव्यंका के पैरों तले जमीन खिसक जाती है।
दिव्यंका बहुत अच्छे से जानती थी कि देसाई फैमिली अपनी इकलौती बेटी को प्रिंसेस की तरह ट्रीट करते हैं।
माहिरा उसे बालों से पकड़ती है और कहती है:
“तेरी औकात की याद दिलाने के लिए शुक्रिया। अब निकल यहां से।”
वो रुचा का हाथ पकड़कर वहां से चली जाती है।
शिवांश स्टाफ को ऑर्डर देता है:
“इन सबको ब्लैकलिस्ट कर दो। इस होटल में दोबारा न दिखें।”
आखिर किसने लगाया रोहन के गाड़ी में बॉम्ब ? कैसी की रुचा ने शिवांश की फाइनेंशियली मदद । आखिर कौन है रुचा और क्या है उसकी असली पहचान ? क्या रोहन मिल पाएगा रुचा से ? क्या सच में रुचा सिर्फ एक अनाथ है या है कोई छुपा हुआ राज ?
अगले दिन
दिल्ली का मूनलाइट होटल, एक राजसी अहसास में डूबा हुआ। चमचमाती झूमर लाइट्स, रेड कारपेट और हर कोने में पावर और पैसे की खुशबू फैली हुई। चेहरे छुपे हैं, मगर इरादे सबके साफ़ हैं।
Entry 1: Rohan Srivastava
दरवाजे की ऑटोमैटिक स्लाइड खुलती है।
ब्लैक सूट, ग्रे मास्क, और चाल में एक ऐसा कॉन्फिडेंस जैसे ये उसकी ही दुनिया हो।
"उसने खुद को कभी भीड़ का हिस्सा नहीं माना… क्योंकि भीड़ वही देखती है, जो वो दिखाना चाहता है।"
पीछे मिहिर, साइलेंट शैडो की तरह, ग्रे सूट और ब्लैक मास्क में। दोनों बिना रुके, बिना देखे सीधा अंदर दाखिल होते हैं।
पता है उन्हें, वो यहाँ देखने नहीं, लेने आए हैं।
Entry 2: Rucha
कुछ सेकंड्स का सस्पेंस—फिर धीरे से आती हील्स की आवाज़।
एक स्किन-फिट ब्लैक गाउन में रुचा की एंट्री होती है। उसकी चाल सधी हुई, आंखें तेज़ और मास्क के पीछे भी उसका आत्मविश्वास साफ दिखता है।
ब्लैक मास्क, ब्लू कांटेक्ट लेंस, हाइ हिल्स , शाइनी इयरिंग्स और चाल में एक ऐसा ठहराव, जैसे वक़्त भी उसके पीछे धीमा हो जाए।
उसके साथ ही माहिरा भी थी । एक ब्ल्यू गाउन,ग्रे मास्क हाय हिल्स ,खुले बाल । एकदम क्लासी लुक था ।
Entry 3: Ansh Raizada
स्टेज लाइट्स हल्की सी फ्लिकर करती हैं।
तभी एक ब्लैक कार रुकती है।
ड्राइवर दरवाज़ा खोलता है, और धीमे-धीमे बाहर आता है Ansh—ब्लैक ट्रिम सूट, ब्लड रेड टाई और मास्क के पीछे वो वही arrogance, जो वक़्त को भी झुकने पर मजबूर कर दे।
Ansh इंट्री करता है जैसे होटल उसी का हो… और सच में था भी।
भीड़ उसे देखती है, मगर कोई पहचान नहीं पाता।
पर फिर भी…
हर कोई जानता है, वो कौन है।
अब माहौल सेट हो चुका है। तीनों अंदर हैं… और जंग अब शुरू होने वाली है।
तभी रुचा को एक मैसेज आता है—"402. Now."
वो बिना वक़्त गंवाए heels की टक-टक के साथ 402 की तरफ बढ़ती है। दरवाज़ा खुलते ही सामने बैठी होती है—शिवानी आचार्य, वही जिसने कई नाम गिरा दिए, और फिर भी खुद को सबसे ऊपर रखा।
शिवानी मुस्कराती है,
"तुम्हारी यहाँ आने की उम्मीद नहीं थी मुझे , लेकिन अब आई तो कुछ न कुछ तो बड़ा जरूर करोगी । वैसे क्या लेने आई हो तुम।
रुचा ठंडी मुस्कान के साथ जवाब देती है—
"...जो चीज मेरी किस्मत में हो, उसे लेने मैं खुद चलकर आई हूँ—ब्रह्म कमल और वत्सनाभ।"
शिवानी का चेहरा गंभीर हो जाता है।
तुम्हे उसकी क्या जरूरत है। जरूरी नहीं है कि जिस चीज की जरूरत मुझे आज नहीं है उसकी मुझे जरूरत कभी नहीं होगी । अपने आने वाले कल के लिए मुझे हर तरह से तैयार रहना होगा । मैं इसे किसी भी गलत हाथों में नहीं जाने दे सकती ।
"तुम दूर की सोचती हो, तुम्हारी यही बात मुझे बहुत पसंद है। अगर मेरी मदद की ज़रूरत पड़ी तो मैं हूँ बस तुम्हारा एक इशारा काफी होगा ।
रुचा—
मैं खुद भी काफी हूँ... लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो बता दूंगी ।
रुचा दरवाज़ा खोलती है और चली जाती है।
स्टेज पर अनाउंसमेंट होती है—ऑक्शन शुरू होने वाली है।
पहली बिड एक फेमस पियानो पर लगती है । उसकी बोली 30 लाख से शुरू होती है और 1करोड़ में बिकता है। कई पेंटिंग्स और आर्ट पीसेज़ ऊँचे दामों में बिकते हैं। तभी एलेना की एक पेंटिंग आती है। रोहन ये देख के हैरान था कि ये बो एलेना की painting था ही नहीं जो उसे चाहिए था। लेकिन ये पेंटिंग दिव्यंका को पसंद आती है। इसकी बिडिंग 15लाख से होती है ।
स्टेज पर एलेना की पेंटिंग आती है।
दिव्यंका बिड लगाती है—20 लाख।
चेहरे पर मास्क है, पर अंदर से वो अपने आपको किसी क्वीन से कम नहीं समझती।
रुचा उठती है, एक नज़र दिव्यंका पर डालती है—फिर कहती है:
"30लाख."
बस इतने में ही दिव्यंका की मुस्कान हिचक जाती है।
वो सोचती है— ये गांव की गब्बर मुझसे नहीं जीत सकती
"50 लाख" वो चिल्लाती है।
स्टेज साइलेंट हो जाता है।
रुचा कुछ नहीं कहती, बस मुड़कर माहिरा से कहती है—
"कुछ लोग अपनी औकात भूल जाते हैं जब मास्क चेहरा छुपा लेता है... अब चेहरा छिप गया, लेकिन शर्म कैसे छिपेगी?"
"सोल्ड!" की आवाज़ आती है।
अब दिव्यंका की आंखें फटी की फटी।
उसे एहसास होता है—उसने अपने बस से बाहर की बिड कर दी है।
माहिरा हँसते हुए कहती है—
"थप्पड़ का swelling गया नहीं था, अब उधारी की बोली भी लगा ली ।
"ये पार्टी तुझसे नहीं तेरे नकली रॉयल्टी से डरती है।"
स्टेज पर अगली अनाउंसमेंट होती है—
"A handcrafted, century-old Music Box. Legend says, it holds the tune of a forbidden raga."
रौशनी थोड़ी मंद होती है।
म्यूज़िक बॉक्स को लाल मखमली कपड़े पर रखा गया है।और तभी रोहन की आँखों में चमक दौड़ जाती है।वो फौरन सीट से थोड़ा आगे झुकता है।
बिड शुरू होती है - 3 लाख
4 लाख रोहन कहता है, आवाज़ में इत्मीनान है।
इस म्यूजिक box को देखकर रुचा के आंखों के सामने कुछ पुरानी यादों के नज़ारे तैरने लगते हैं। ये ये म्यूजिक box यहां कैसे हो सकता है।
अंश रायजादा बैठा है लेकिन उसके अंदर का शेर इस म्यूजिक box को देखकर जाग जाता है।
बो कहता है 5 लाख ।
रुचा भी इसपर बोली लगाने वाली थी लेकिन अंश की आवाज सुनकर उसने अपने आवाज को अपने गले में ही रख लिया ।
अब सबकी निगाहें दोनों पर टिकी हैं।
"10," रोहन दोबारा बोलता है—अबकी बार उसका लहजा personal है।
अंश, बिना चेहरे के हाव-भाव बदले, कहता है—
15 लाख
और फिर सीट से थोड़ा पीछे हो जाता है, जैसे किसी बच्चे की ज़िद देख रहा हो।
"20 लाख" रोहन की आवाज़ में हल्का गुस्सा है।
अंश अब उसकी ओर देखता है—एकदम सीधे, मास्क के पीछे से piercing gaze... और फिर...
" 30 लाख," वो ऐसे बोलता है जैसे ये रकम उसके लिए नाश्ते का बिल हो।
स्टेज साइलेंट हो जाता है।
रुचा ने शिवानी जी को मैसेज किया कि म्यूजिक box अंश को सोल्ड कर दो
तभी स्टेज से आवाज आती है सोल्ड । रोहन को समझ नहीं आता ये कैसे हुआ ।
अंश रोहन की तरफ देख कर सिर्फ इतना कहता है—
"बिकती चीज़ों में इमोशन नहीं लगाते, वरना नुकसान पक्का होता है।"
"पर तुमने अगर ये बॉक्स दिल से चाहा है... तो फिर हार भी तुम्हारे दिल तक जाएगी।"
सोल्ड! माइक पर गूंजता है।
रोहन चुप हो जाता है ।
अब आता है ऑक्शन का फाइनल आइटम: ब्रह्म कमल और वत्सनाभ—2 रेयर प्लांट्स। बिड 2 करोड़ से शुरू होती है बहुत सारे लोगों ने 3 करोड़ 4 करोड़ की बोली लगाई । सब रुक गए थे पर एक सफेद मास्क पहने आदमी लगातार बोली लगाए जा रहा था ।पर अंत में रुचा 19करोड़ की बोली लगती है। रुचा और एक अजीब सा सफेद मास्क पहना शख्स आमने-सामने होते हैं। आखिरकार रुचा ये प्लांट्स जीत जाती है। सब लोग हैरान हैं कि ये लड़की है कौन?
ऑक्शन खत्म होता है और लोगों को इंटरटेनमेंट एरिया में जाने का इनविटेशन मिलता है। डांस फ्लोर, ड्रिंक्स और बिज़नेस डील्स का माहौल।
रुचा अंश को आता देख तुरंत डांस फ्लोर की ओर बढ़ती है और रोहन को उसके कॉलर से पकड़ कर स्टेज पर खींच ले जाती है। वह कहती है, "चुपचाप मेरे साथ डांस करो।" रोहन हैरान है, पर रुचा का ध्यान सिर्फ अंश से बचने में है। रोहन उसके ड्रेस, चाल, उसका कलर्बोन,परफेक्ट फिगर , उसके कमर तक लंबे बाल देखकर खो सा जाता है। तभी उसे उसकी नीली आँखें दिखती हैं । और अपने होश में आता है। उसके दिमाग में एक ही बात क्लिक होती की इस दुनिया में बहुत कम लोगों का आई कलर ब्लू है । तो क्या ऐसा हो सकता है कि ये "क्या ये शिमली हो सकती है?"
ये सीन देख के तो मिहिर के होश ही उड़ जाते है । बो फट से अपना फोन निकाल कर रिकॉर्ड कर लेता है। वह मन में कहता है मिशा तुझे नहीं पता कि आज तूने कितना अच्छा सीन मिस कर दिया । ओह गॉड भाई और बो भी किसी लड़की के साथ डांस। एकदम किसी मूवी का सीन लग रहा है।
वह कुछ बोलने ही वाला होता है कि रुचा स्टेज से उतर कर माहिरा के पास जाती है और कहती है, "सब समेटो और शिवानी आचार्य से प्लांट्स कलेक्ट कर लो। मैं जा रही हूँ।"
आखिर क्यों मदद की रुचा ने अंश की ? क्या वो दोनों एक दूसरे को जानते है ? कैसे जानती है रुचा इतने बड़े बड़े खानदान के लोगों को ? रुचा के पास इतने पैसे कहा से आए ? कैसे देसाई फैमिली की प्रिंसेस उसकी बेस्टफ्रेंड है ? आखिर क्यों छुप रही रुचा अंश से ? कौन था बो व्हाइट मास्क बाला सख्श जो रेयर प्लांट्स को खरीदना चाहता था ।
लोकेशन: Moonlight Hotel – Midnight
सिचुएशन: Party ends. Masks fall. Game begins.
रुचा, रोहन को छोड़कर सीधे पार्टी से बाहर निकलती है। एक झटके में अपने चेहरे से ग्लैमरस मास्क हटाकर एक सिंपल डिस्पोजेबल मास्क पहन लेती है — जैसे किसी अलग ही किरदार में लौट आई हो।पर वो अकेली नहीं थी।
छाया में खड़ा अंश अपनी टीम को इशारा करता है —"उस पर नज़र रखो... लेकिन जब तक ज़रूरत न हो, सामने मत आना।"
रुचा अपनी कार स्टार्ट करती है — और शहर की रौशनी से दूर सुनसान रास्ते पर गाड़ी दौड़ा देती है। लेकिन उसे पीछे आती कुछ गाड़ियों की हलचल महसूस होती है। वो मुस्कुराती है।
“तो खेल शुरू हो चुका है…”
वो जानबूझकर उन्हें एक सुनसान रास्ते की ओर ले जाती है। तभी अचानक, गाड़ियाँ उसे चारों ओर से घेर लेती हैं।रात के घने अंधेरे काले कपड़ों में कुछ आदमी बाहर निकलते हैं। उनमें से एक चेहरे पर एक गहरा कट लगा हुआ था जो उसके चेहरे को और भी ज्यादा डरावना बना रहा था । दिखने में वो किसी राक्षस से कम नहीं लग रहा था।
“हाथ ऊपर करो। और चुपचाप गाड़ी से बाहर आओ।”
रुचा मुस्कुराती है। दरवाज़ा खोलती है और बिना किसी जोर जबरदस्ती के बाहर निकल जाती है।
लोकेशन: पुरानी फैक्ट्री
अंश की टीम दूर से ये सब देख रही थी। "सर, उसे उठा लिया गया है। क्या करें?"
अंश (ठंडे लहज़े में):
"इंतज़ार करो। जब तक वो खुद मदद ना मांगे… दखल मत देना।"
रोहन, जो पीछे खड़ा सब कुछ सुन रहा था, सोचता है —
“कौन है ये लड़की… जो अंश रायज़ादा की special list में शामिल है?”
रुचा को फैक्ट्री के अंदर लाया जाता है। चारों ओर से हथियारबंद गुंडे। लेकिन रुचा एकदम शांत।
फिर सामने आता है — वही व्हाइट मास्क वाला आदमी।
ऑक्शन का रहस्यमयी शख्स।
रुचा पूछती है क्या चाहिए तुम्हे ? मुझे क्यों पकड़ा है ? वत्सनाभ चाहिए मुझे। पर ब्रह्मकमल और वत्सनाभ तो मैने खरीदा है रुचा डर का नाटक करते हुए कहती है।
“वत्सनाभ चाहिए मुझे हर हाल में ।ब्रह्मकमल रखो तुम अपने पास उससे मेरा कोई लेना देना नहीं है बच्ची । पर वत्सनाभ... मेरे लिए जरूरी है।”
“वरना मेरी इस गन में छह गोलियां हैं, और एक भी मिस नहीं करती।”
रुचा कुछ देर चुप रहती है, फिर मासूमियत से जवाब देती है —
“वत्सनाभ तो मेरी गाड़ी में था... जो पीछे छूट गई।”
आदमी गुस्से में गन उसके सिर पर तान देता है। पागल समझा है मुझे इतनी जरूरी चीज तू गाड़ी में सुनसान रस्ते में छोड़ देगी ।
और तभी... खेल पलटता है।
रुचा बिजली की तरह उसकी गन छीनकर उसी पर तान देती है।
“अब गिने जा अपनी गोलियां... क्योंकि अगली गोली... तुम्हारे भेजे में उतरने वाली है।”
उसके चेहरे पर ठंडक थी। न डर, न घबराहट — बस शिकार को फिनिश करने वाला फोकस।
“मास्क उतारो… या मैं खुद उतार दूंगी।”
आदमी कांपते हुए नकाब हटाता है — एक अजनबी चेहरा। लेकिन रुचा का सवाल वही:
“कौन हो? और तुम्हें वत्सनाभ क्यों चाहिए?”
एक गुंडा पीछे से गन तानने की कोशिश करता है —
धाँय!
रुचा ने बिना पलके झपकाए उसे शूट कर दिया।गोली उसके सीने में जा लगी । उसने वहीं अपना दम तोड़ दिया ।
“एक बार ही पूछूंगी अगली बार मेरी बंदूक तुमसे पूछेगी । पर शायद फिर तुम बताने के काबिल ही न बचो ।
बॉस (हँसते हुए):
“मार दो मुझे, लेकिन मैं कुछ नहीं बताऊंगा ।
रुचा मुस्कुराती है।
“ठीक है… मत बताओ ।
वो अपना ब्रेसलेट निकालती है — स्मोक बम।
फर्श पर फेंकते ही पूरा एरिया धुएँ से भर जाता है।
अगली चीज़ जो सुनाई देती है — धमाका।
बिल्कुल काले घने अंधेरे को चीरती हुई एक एक परछाई बाहर आती है।
तभी रुचा गन हाथ में लिए फैक्ट्री से बाहर निकलती है — जैसे कोई काल की देवी।
फैक्ट्री के अंदर दूसरा बम फटता है।
गुंडों का खेल ख़त्म।
अंश के आदमी (फोन पर):
“Target safe है… लेकिन सर… इस लड़की ने अकेले सब खत्म कर दिया।” अब इस लड़की को देख के उनके भी ठंडे पसीने छूटने लगते हैं।
अब उन्हें समझ आ रहा था कि शायद क्यों उनके बॉस ने बस दूर से इस पर नजर रखने को क्यों कहा था ।
रुचा ने माहिरा को अपनी current location भेजी और कुछ ही देर में एक black Mercedes उसके सामने आकर रुकी।
माहिरा का मैसेज आया —
"आखिर तू जीत ही गई बेबी!तुझे जो चाहिए था मिल ही गया । अब जाके एक killer look पकड़ और इस क्लब में आ। तेरी इस जीत को आज हम दोस्त मिलकर यादगार बनाते है ।Tonight, we celebrate!"
रुचा मुस्कराई और सिर्फ "ओके" टाइप कर दिया।
ड्राइवर से कहा, “भैया किसी अच्छे मॉल ले चलिए।” कहकर गाड़ी में बैठ गई लेकिन किसी गहरी सोच में दिन गई । उसके चेहरे पर कोई भी इमोशन नजर नहीं आ रहे थे ।
थोड़ी देर में गाड़ी एक luxury mall के सामने रुकती है। रुचा एक elegant पार्टी ड्रेस पसंद करती है, बिल पे करती है और वॉशरूम में जाकर चेंज कर लेती है।
वो अपने फेस से पार्टी मास्क हटाती है, कॉन्टैक्ट लेंस निकालती है, और लंबे बालों वाला विग उतार देती है।
अब जो शीशे में थी — वो रुचा नहीं, कोई और ही लग रही थी।
मध्यम लंबे बाल, sharp eyes, और वो cold-but-glam look... कोई उसे पहचान ही नहीं सकता। ये था रुचा का रियल लुक ।
वो कार में बैठी और ड्राइवर को क्लब का एड्रेस दे दिया।
क्लब में एंट्री
जैसे ही रुचा क्लब में एंटर करती है, माहिरा दूर से चिल्लाती है:
"हाय बेबी! आज तो मेरा तुझपे दिल ही आ गया। भगवान कसम, अगर मैं लड़का होती ना तो पक्का तुझे प्रपोज कर देती। तेरे सामने तो ac की ठंडक भी फीकी पड़ जाए । हाय मै मर जवा तेरे इस किलर लुक पे ।
रुचा हंसती है, “तू इतनी cheesy lines कहां से सीखती है? कोई course किया है क्या?”
दोनों bar की ओर बढ़ती हैं।दोनों एंजॉय कर ही रही थी कि माहिरा को एक important call आ जाता है और वो बाहर चली जाती है।
रुचा हाथ में wine का ग्लास लिए क्लब की रौशनी में और भी stunning लग रही थी। तभी एक लड़का आता है —
"Hi gorgeous, you alone?"
रुचा शांत अंदाज़ में — “Not interested.”
"जानती भी हो मैं कौन हूं? विहान प्रताप सिंह हु मै । लड़कियाँ मुझपे मरती हैं, और तुम..."
"Exactly," रुचा बोली, "मैं उन्हीं लड़कियों में से नहीं हूं।"बो लड़का रुचा से बदतमीजी करना शुरू कर देता है।
फिर एक जोरदार थप्पड़!
"मक्खियाँ अक्सर गंदे नालों पर ही भिनभिनाती हैं, और मैं कोई मक्खी नहीं हूं।"
और हाथ में पकड़ा wine — सीधा उसके मुंह पर फेक दिया ।
क्लब में silence। रुचा बाहर निकली, एक टैक्सी पकड़ी और होटल की ओर रवाना हो गई
रात में
होटल पहुंचकर, उसने माहिरा को टेक्स्ट किया:
"मैं क्लब से निकल गई। Don’t wait."
फिर उसने अंश को मैसेज किया —
"अपने चंगू-मंगू को कहना, मेरा पीछा करने की ज़रूरत नहीं है। मैं उन्हें allow कर रही थ सिर्फ़ इसलिए वो मेरा पीछा कर पा रहे थे। इनसे पीछा छुड़ाना मेरे बाएं हाथ की छोटी उंगली का काम है ।अगली बार अगर भेजो, तो कम से कम ट्रेंड लोग भेजना — ताकि मेरी नजर में आए बिना काम कर सकें।"
कौन था बो व्हाइट मास्क बाला आदमी ? क्यों चाहिए उसे वत्सनाभ ? कैसे अंश और रुचा एक दूसरे को जानते ? इतने गुंडे होने के बाद भी रुचा उनसे डरी क्यों नहीं ? क्यों अपने आदमियों को रुचा पे नजर रखने अंश ने कहा ।
[Scene: Hotel Room - Late Night]
रुचा ने अंश को मैसेज भेजा, लेकिन उसके बाद वो एकदम शांत हो गई।
कुछ पल बीते ही थे कि उसके सामने बीते वक़्त की कुछ धुंधली परछाइयाँ तैरने लगीं।
एक छोटी सी बच्ची — लगभग 4-5 साल की — ज़ोर-ज़ोर से रो रही थी। उसके घुटनों से खून बह रहा था, शायद खेलते वक्त गिर गई थी।
तभी एक लगभग 10 साल का लड़का दौड़ता हुआ आया और उसे चुप कराने लगा।
वो उसे हँसाने की कोशिश करता रहा, लेकिन बच्ची रोती ही रही...
आख़िरकार, थक हार कर वो उसी लड़के की गोद में सिर रख कर सो गई।
लड़के ने उसके बालों में हाथ फेरते हुए कहा,
"आज के बाद तुम्हें कभी भी चोट नहीं लगने दूंगा।
एक दिन मैं बहुत बड़ा आदमी बनूंगा — इतना बड़ा कि तुम्हें पूरी दुनिया से बचा सकूं..."
बच्ची पूरी तरह सोई नहीं थी, वो बातें सुन रही थी।
अब — आज — होटल रूम में रुचा एक फीकी मुस्कान के साथ कहती है:
"आप वाकई बड़े आदमी तो बन गए... लेकिन शायद अब बहुत देर हो चुकी है।
पर आप आज भी मेरी उतनी ही केयर करते हैं, जैसे तब किया करते थे..."
उसकी आंखें भर आती हैं, लेकिन वो खुद को संभालती है।
कपड़े बदलती है, शावर लेती है... और सोने चली जाती है।
[Scene: A Different Room – Same Time – Ansh Reading Message]
अंश रुचा का भेजा हुआ मैसेज पढ़ता है, और उसके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान आ जाती है।
"चलो, इसी बहाने तुमने मुझे मैसेज तो किया,"
वो बुदबुदाता है।
वो जानता था कि जिन लोगों को रुचा ने "चंगू-मंगू" कहा है —
वो कोई मामूली लोग नहीं थे।
ये वही लोग थे जो VVIPs के बारे में भी बिन सबूत, बिन पकड़े जानकारी लाते थे।
और रुचा ने सिर्फ चंद घंटों में उनकी पहचान कर ली थी।
अंश ने मुस्कुराते हुए उन्हें वापस लौटने का ऑर्डर दे दिया।
[Scene: Shrivastav villa - Same Night in delhi]
रोहन और मिहिर जैसे ही घर पहुंचे, देखते हैं कि मिशा सोफे पर बैठी टीवी देख रही है।
मिहिर भागते हुए उसके पास जाता है और पार्टी का वो वीडियो दिखाता है — जिसमें रोहन किसी लड़की के साथ डांस कर रहा है।
मिशा हक्की-बक्की रह जाती है —
ओह माय गॉड! ये कौन है? और मैं इतना हॉट सीन मिस कर दिया मैने । अगर मुझे पता होता कि ऐसा कुछ होने वाला है तो मैं तो हर हाल में जाती अरे इस सीन लिए तो मैं एक दिन लड़कियों जैसा तैयार हो ही सकती हूं।
मिहिर मजाक करता है:
"अरे पगली, मुंह तो बंद कर, नहीं तो मक्खी घुस जाएगी।"
हमेशा:
"बोल ना! ये लड़की कौन है?"
मिहिर:
"पता नहीं, मास्क पहना था उसने। वरना तो आज ही अपनी भाभी बना लेता!"
रोहन चुपचाप देख रहा था लेकिन मिहिर ने बातों-बातों में एयरपोर्ट वाली बात भी लीक कर दी।
मिशा हँसते हुए बोली:
"लगता है, आजकल लड़कियों का दोष चल रहा है भाई पे।
जिससे मिलते हैं, वही इनकी बैंड बजा देती है!"
अगली सुबह
रुचा की नींद 11 बजे के बाद खुलती है।
वो फ्रेश होकर माहिरा को मैसेज करती है:
"एक बाइक अरेंज करवा दे, फौरन चाहिए।"
माहिरा रिप्लाई करती है:
"ओके, मिल जाएगा।"
इधर रोहन, मिहिर और मिशा भी तैयार थे —
शाम की फ्लाइट थी, लेकिन मिहिर बोला:
"अब आ ही गए हैं तो थोड़ा घूम लेते हैं।"
रोहन ड्राइवर को कॉल करता है लेकिन पता चलता है कि उसकी तबीयत खराब है।
तो मिहिर बोलता है:
"आज मैं कार चलाऊंगा।"
मिशा बोलती है तुझे आती भी है गाड़ी चलानी ।
मिहिर अकड़ते हुए:
"तुझसे तो अच्छा ही चलाता हूं।"
गाड़ी में सब बैठते हैं। मिहिर का प्लान था — अक्षरधाम मंदिर।
Scene: रास्ते में — अक्षरधाम की ओर
रुचा अपनी बाइक पर थी — व्हाइट टॉप, हाई पोनीटेल, हल्का मेकअप —
जो भी देखता, उसकी ओर खिंचा चला आता।
वो बस एक बार बचपन में अक्षरधाम आई थी, अपनी मम्मी-पापा के साथ।
अब जब मौका मिला था, तो पुरानी यादें ताज़ा करने निकली थी।
दूसरी ओर, मिहिर पहली बार गाड़ी चला रहा था —
थोड़ा एक्साइटेड, थोड़ा घबराया।
अचानक —
धड़ाम!
मिहिर ने रुचा की बाइक को टक्कर मार दी।
रुचा थोड़ी दूर जाकर गिरी — लेकिन ज़्यादा चोट नहीं आई।
वो तुरंत उठी और अपनी बाइक सीधा की।
उधर, रोहन, मिहिर और मिशा गाड़ी से बाहर आए।
रोहन ने पर्स से पैसे निकाले और रुचा को देते हुए बोला:
"ले लो... इलाज करवा लो।"
रुचा पहले कुछ समझ नहीं पाई। फिर बोली:
"मिस्टर, खुद को क्या समझते हो आप?
राजा हो? कहीं के नवाब हो?
पहले गाड़ी ठोक दी, अब पैसे फेंक रहे हो जैसे मुझपे कोई एहसान कर रहे हो?"
"पैसे हैं तो क्या मतलब कि किसी को भी टक्कर मार दो?"
मिशा को ऐसा लगा कि उसने इस लड़की को कहीं देखा है..., शायद वो इसे जानती है पर उसे याद नहीं आ रहा था।
रुचा को लगा कि गाड़ी रोहन चला रहा था।
"अगर गाड़ी चलानी नहीं आती तो चलाते क्यों हो?"
खुद भी मरोगे और दूसरों को भी ले मरोगे ।
रोहन को लगा शायद इस लड़की को और पैसे चाहिए —
उसने और नोट बढ़ाए।
रुचा और भड़क गई।
उसका गुस्सा सातवें आसमान पे पहुंच गया ।
पास पड़ा डंडा उठाया और...
गाड़ी के शीशे तोड़ दिए।
एक-एक करके पूरे बोनट पर डंडे बरसाए।
गाड़ी की हालत ऐसी हो गई कि कबाड़ भी शरमा जाए।
मिश्रा चुपके से पूरा वीडियो बना रही थी।
मिहिर बाहर से शांत था, लेकिन अंदर ही अंदर हँसी रोक नहीं पा रहा था।
फिर रुचा रोहन के हाथ में उसी के पैसे वापस देती है —
साथ में अपनी जेब से ₹1 का सिक्का निकालती है और कहती है:
"ये लो... गाड़ी रिपेयर करवा लेना ।
बाक़ी अगर कम पड़े तो अपने खजाने से निकाल लेना।
राजा जो हो तुम!"
और रुचा बाइक उठाकर निकल जाती है।
मिश्रा:
"भाई साहब... क्या लड़की है — एकदम बवाल!"
रोहन की घूरती नज़र से मिश्रा चुप हो जाती है।
क्या है अंश और रुचा के बीच का रिश्ता ?
क्या रोहन पहचान पाएगा रुचा को ? या रह जाएगा उसके सच से अंजान । क्या किस्मत लाएगी इन दोनों एक साथ ?
रोहन से टकराने के बाद रुचा का मूड बहुत खराब हो चुका था। वो गुस्से में होटल वापस चली जाती है।
इधर रोहन भी उस लड़की पर बुरी तरह भड़का हुआ था। उसने तुरंत अपने खास आदमी को फोन किया और उस जगह एक कार और ड्राइवर भेजने को कहा। फिर वो तीनों वापस निकल गए।
रुचा जैसे ही अपने होटल रूम में पहुंचती है, उसे कुछ अजीब सा महसूस होता है। आंखें चारों तरफ दौड़ाती है — सब वैसा ही दिख रहा था, लेकिन उसे अंदर ही अंदर लग रहा था जैसे कोई और भी कमरे में था। वो बालकनी की तरफ बढ़ती है, लेकिन तभी...
उसके पीछे किसी की मौजूदगी का एहसास होता है। वो डरने का नाटक करते हुए कहती है —
"क... कौन है?"
Scene: Special Police HQ – Inspector Yug, Tamanna, Deepak (IT Head)
दीपक दौड़ता हुआ युग के केबिन में घुसता है।
“सर! फिर से उसी सीरियल किलर ने एक नई लड़की की फोटो भेजी है... ये उसका 100वां टारगेट होगा।” उसने साथ में ये मैसेज भी भेजा है बचा सको तो बचा लो ।
युग: “तुरंत लड़की को ढूंढो, जो भी करना पड़े!”
तभी तम्मन्ना बोलती है —
"क्या फ़ायदा सर? हम हर बार यही करते हैं, लेकिन जब तक हम पहुंचते हैं, वो लड़की मर चुकी होती है..."
दीपक: “मैम, कोशिश तो करनी चाहिए न!”
तम्मन्ना (सख्त लहजे में):
“99 बार कोशिश कर चुके है। न इनफॉर्मेशन मिलती है, न समय। पिछली बार की लड़की तो दिल्ली में थी भी नहीं ... तब तक रिपोर्ट होती, लाश मिल गई थी।” बेचारी शादी करने से पहले ही चल बसी । मुझे तो लगता है हमे IT हेड ही बदल देना चाहिए। न तुम हमारे कंप्यूटर को हैक होने से बचा पाते हो और न ही टाइम पर उन लड़कियों का पता कर पाते हो । कोई भी ऐरा ग़ैरा नथु ग़ैरा जिसका जब मन करता है मुंह उठा के हमारा कंप्यूटर हैक कर लेता है।
युग: "बस करो तुम दोनों! दीपक — ट्रेसिंग चालू करो!"
Hotel room: Rucha ka kamra
एकाएक पीछे से एक शख्स खंजर लेकर उस पर हमला करता है, लेकिन रुचा झुक जाती है। उसका चाकू एक सोफे में जा लगता है। अगर रुचा अपनी जगह से नहीं हटती तो शायद वो चाकू उसके दिल के बीचों बीच से पार हो जाता और उसे बचने का कोई मौका नहीं मिलता । उसकी बही मौत हो जाती ।
यह वही सीरियल किलर था जिसने जिया को उसकी शादी वाले दिन मारा था।
“मैं इसकी हिट लिस्ट में कब आ गई?” रुचा सोचती है, लेकिन वक्त नहीं था — दोनों के बीच जमकर हाथापाई होती है।
रुचा जगह जगह से चीज़ें उठा कर उसकी तरफ फेंक रही थीं बो उसे बिल्कुल ये एहसास नहीं होने देना चाहती थी कि वो बाकी कमजोर लड़कियों से अलग है। सीरियल किलर उसके निशाने से बचने की कोशिश कर रहा था इसी बीच रुचा एक फूलदान उसके हाथ पे से मारती हैं जिससे उसके हाथ से चाकू गिर जाता है।
इसी बात का फायदा उठाते हुए रुचा उस चाकू को उठा कर सीरियल किलर की तरफ फेंक देती हैं। उसका निशाना बिल्कुल सटीक था।
खंजर की एक चोट सीरियल किलर के अपने हाथ पर लग जाती है। वो हैरान था — "इस लड़की के चेहरे पर डर तो दिख रहा है मौत का लेकिन इसने फिर भी ये पहली है जो बच गई है।"
किस्मत अच्छी है तुम्हारी बच्ची ये कहकर बालकनी की तरफ भागता है और कूद जाता है।
रुचा जानती थी — फर्स्ट फ्लोर से कूदने पर वो मरेगा नहीं... इसलिए वो नीचे जाने का समय बर्बाद नहीं करती।
उसके जाने के बाद उसके चेहरे से सारे डर के भाव गायब हो जाते हैं असल में उसने जान बुझ कर इसे जिंदा छोड़ दिया था क्योंकि इसे खत्म करके ठिकाने लगाना तो रुचा के बाएं हाथ का खेल था । लेकिन ऐसा करने से शायद पुलिस भी उसके पड़ जाएंगे क्योंकि बो जानती थी कि अगर वो किलर की हिट लिस्ट में थी तो उसकी फोटो जरूर अब तक पुलिस तक पहुंच गई होगी । ऐसा उसे ऋषिकेश के पुलिस ने जिया के मौत के बाद बताया था। और अगर इस किलर का कोई साथी हुआ तो वो भी उसके पीछे पड़ जाएगा ।
रुचा को समझ नहीं आ रहा था कि उसे क्यों टारगेट किया गया, पर एक बात तय थी — अब वो भी लड़ाई के मैदान में उतर चुकी थी।
Back to HQ – Suspense Builds
आधा घंटा बीत चुका था... और आज तक के पैटर्न के अकॉर्डिंग, अभी तक सीरियल किलर ने डेड बॉडी की फोटो नहीं भेजी थी।
तम्मन्ना:
“क्या ये मुमकिन है... कि वो लड़की अभी भी ज़िंदा है?”
फिर वो तेज़ी से खड़ी होती है —
"सारे मॉल्स, सिनेमाघर और क्लब की CCTV फूटेज मंगवाओ! लड़की 18-19 की लगती है... ये अगर दिल्ली में है, तो इन जगहों पर जाती ही होगी!"
युग को समझ आ गया — अब तम्मन्ना फुल फॉर्म में आ चुकी है।
अगले दो घंटों में युग, तमन्ना और उनकी टीम ने पिछले दो दिनों की सभी लोकेशनों की सीसीटीवी फुटेज 4x स्पीड में स्कैन कर ली — लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। तमन्ना हैरान थी कि उस लड़की का कोई नामोनिशान नहीं मिल रहा था।
वह दीपक से पूछती है, "क्या तुम्हें यकीन है कि वही साइको किलर था जिसने ये तस्वीर भेजी?"
दीपक जवाब देता है, "हां मैडम, बिल्कुल। उसने हमेशा की तरह सिस्टम हैक किया, लड़की की फ़ोटो स्क्रीन पर आई और नीचे लिखा था: ‘बचा सकते हो तो बचा लो।’"
तमन्ना खीझकर बोली, "तो ये लड़की ज़मीन में समा गई या आसमान निगल गया? कहीं कोई सुराग तक नहीं है!"
युग ने सारी जानकारी अपने सीनियर इंस्पेक्टर मेहरा को फोन पर दी, जो फिलहाल किसी मिशन पर शहर से बाहर थे। मेहरा को भी हैरानी हो रही थी कि तीन घंटे बीत जाने के बाद भी स्पेशल पुलिस डिपार्टमेंट उस लड़की का एक भी सुराग नहीं निकाल पाया।
Meanwhile, at the hotel...
रुचा ने अपने बैग से एक स्प्रे निकाला और पूरे कमरे में छिड़काव किया — जिससे कई जगह फिंगरप्रिंट्स उभर आए। लेकिन चौंकाने वाली बात ये थी कि वहां कातिल के कोई निशान नहीं थे। रुचा समझ गई कि कातिल ने स्किन कलर के ग्लव्स पहन रखे होंगे। हालांकि, चाकू पर खून लगा हुआ था — जिसे उसने सावधानी से प्लास्टिक बैग में पैक किया।
उसने तुरंत पीयूष को कॉल किया, "अपने किसी भरोसेमंद आदमी को भेजो — ये सैंपल फॉरेंसिक लैब भेजना है।"
आधे घंटे में एक व्यक्ति सैंपल ले जाता है।
रुचा अब वहां एक मिनट भी रुकना नहीं चाहती थी। उसने टैक्सी ली और सीधे एयरपोर्ट पहुँच गई। एयरपोर्ट एंट्री पर एक इमीग्रेशन ऑफिसर को कुछ अजीब लगा — उसे याद आया ये वही लड़की है जिसकी फोटो हेड ऑफिस से आई थी।
पर जब तक वो उसे देखता, रुचा भीड़ में कहीं गुम हो चुकी थी।
ऑफिसर ने तुरंत युग को फोन किया, “सर, जिस लड़की की तलाश है, वो अभी एयरपोर्ट पर दिखी थी।
युग ने फौरन तमन्ना को जानकारी दी और खुद गाड़ी लेकर एयरपोर्ट निकल पड़ा।
At HQ
इस बीच इंस्पेक्टर मेहरा भी हेड ऑफिस पहुंच गए। तमन्ना ने उन्हें स्थिति की पूरी रिपोर्ट दी।
At Airport
युग एयरपोर्ट पहुंचते ही हर ओर रुचा को खोजने लगा। उसने अनाउंसमेंट भी करवाई:
"मिस रुचा, कृपया गेट नंबर 1 पर आ जाएं।"
लेकिन कोई जवाब नहीं आया।
वो सीसीटीवी फुटेज चेक करता है — रुचा वेटिंग एरिया में हेडफोन लगाए आराम से मोबाइल गेम खेल रही थी। युग झुंझलाते हुए बोला, "आजकल की जनरेशन... जान पे बनी है और मैडम Candy Crush में बिज़ी हैं!"
युग खुद वहां जाकर रुचा के पास पहुंचा। उसने दो बार आवाज दी, कोई जवाब नहीं मिला। मजबूरन उसके हेडफोन निकालने पड़े।
रुचा चौंक कर बोली, "ये क्या बदतमीज़ी है?"
युग ने सॉरी बोलते हुए कहा, "पर तुम हमारी बात सुन नहीं रही थी... तुम्हारी जान को खतरा है, हमें चलना होगा।"
मैं आपके साथ क्यो चलूं। युग झुंझला कर बोला क्योंकि हम पुलिस है ।
रुचा व्यंग्य में बोली, "और मैं कैसे मान लूं कि आप पुलिस ही हैं? क्या पता किडनैपिंग का नया स्टाइल हो ये!" बो क्या है ना आजकल का जमाना बिल्कुल भी सेफ नहीं है ।
युग ने आईडी दिखाई, पर वो रुचा ही क्या जो आसानी से मान जाए ?
"ऐसी आईडी तो हर नुक्कड़ पर बन जाती है, अंकल!" — उसने कहा।
अब युग को लगा कि ये लड़की तो सीरियस सिचुएशन में भी ड्रामा क्वीन है।
"देखो बच्ची," युग गुस्से को काबू करते हुए बोला, "ये कोई मज़ाक नहीं है। चलो मेरे साथ।"
"अंकल, मेरी फ्लाइट 15 मिनट में है। और वैसे भी मैं बच्ची नहीं हूँ," उसने क्यूट-सा एक्सप्रेशन बनाते हुए कहा।
इसी बीच इंस्पेक्टर मेहरा का कॉल आता है:
>“मिली लड़की?”
“हां सर, मिली तो है… लेकिन ये हमारे साथ आने को तैयार नहीं है।”
"किसी भी तरह लेकर आओ," मेहरा ने सख़्ती से कहा।
जब रुचा ने देखा कि लोग वीडियो बना रहे हैं और माहौल थोड़ा अजीब हो रहा है, फिर उसने सोचा उसके चक्कर में कही इस बेचारे की नोकरी मुसीबत ना आ जाए । तब उसने सहमति में सिर हिलाया और युग के साथ चल दी।
At Head Office
रुचा ऑफिस पहुंचती है। इंस्पेक्टर मेहरा कुर्सी पर बैठकर उसे देखते ही कहते हैं:
"तुम! तुम हो उस कातिल का 100वां टारगेट।"
रुचा उनकी ओर देखती है, चौंकते हुए कहती है:
"आप यहाँ...?!"
कैसे बनी रुचा कातिल का निशाना ? क्यों पड़ा है कातिल उसके पीछे ? क्या है रुचा की सच्चाई? क्या इंस्पेक्टर मेहरा पहले से ही उसे जानते हैं ?
रुचा को देखते ही इंस्पेक्टर मेहरा हैरान रह गए। शायद अब उन्हें समझ आया कि कातिल का निशाना आखिर कैसे चूक गया।
तमन्ना और युग भी चौंक गए कि इंस्पेक्टर मेहरा इस छोटी सी लड़की को पहले से जानते हैं।
रुचा सीधी आवाज़ में बोली,
"अगर आप लोग का मुझे घूर कर हो गया हो , तो अब ये बताइए कि मुझे यहां क्यों बुलाया गया है?"
तमन्ना ने शांत लहजे में कहा,
"देखो , तुम्हें हमारी मदद की ज़रूरत है। तुम्हारी जान को खतरा है।"
लेकिन रुचा बात काटते हुए बोली,
"मेरी जान को खतरा है और ये बात मुझे ही नहीं पता है।Wow देखिए मेरी जान को कोई खतरा नहीं है और थैंक्यू फॉर योर कंसर्न, लेकिन मुझे आपकी मदद की भी ज़रूरत नहीं है। मैं अपनी मदद खुद कर सकती हूं।"
तमन्ना को उसकी बातें सुनकर गुस्सा आ रहा था।
"एक तो हम इसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं और ये हमें ही एटीट्यूड दिखा रही है!" — उसने मन में सोचा।
इंस्पेक्टर मेहरा ने बीच में हस्तक्षेप करते हुए कहा,
"रुचा, मैं जानता हूं कि तुम ये सब अकेले संभाल सकती हो। लेकिन यह केस हेडक्वार्टर का है। कातिल को पकड़ना हमारा काम है।"
रुचा गुस्से में बोली,
अगर कातिल को पकड़ना आपका काम है तो अभी तक पकड़ा क्यों नहीं।
आपलोगों की वजह से ना जाने कितने मां बाप ने अपने कलेजे का टुकड़ा , अपनी बच्ची खोई है । उसकी कीमत जानते है आप । दुनिया की कोई भी ताकत इस जख्म को भर नहीं सकता ।
इंस्पेक्टर मेहरा गंभीरता से बोले,
"इसीलिए हमें तुम्हारी मदद चाहिए।"
"ओह वाओ!" — रुचा व्यंग्य में हँसी —
"ताकि आप मुझे चारे की तरह इस्तेमाल करें? और उस कातिल को पकड़े । मेरी जान की क्या कोई कीमत नहीं है आपलोगों के लिए । या फिर ये सोच रहे हैं कि 99 तो गई ही अगर एक और चली ही जाएगी तो क्या हो जाएगा । So I must tell you मै आपकी कोई मदद नहीं करने वाली।
इंस्पेक्टर मेहरा रुचा की ओर गंभीरता से देखते हुए बोले,
"मैं चाहता हूं कि तुम फिर से हेडक्वार्टर जॉइन कर लो। मैं काफी समय से तुमसे संपर्क करने की कोशिश कर रहा हूं।"
तमन्ना और युग एक-दूसरे को देखकर हैरान रह गए।
"इतनी छोटी सी लड़की और मेहरा सर उसे हेडक्वार्टर जॉइन करने को कह रहे हैं? और वो भी इतने विनम्र लहजे में?"
तमन्ना बोली,
"देखो रुचा, तुम बदतमीज़ी कर रही हो।"
रुचा तुरंत पलटवार करते हुए बोली,
"बदतमीज़ी मैं कर रही हूं या आप लोग कर रहे हैं? किसी सिविलियन को एयरपोर्ट से उठा लाना कहां की इंसानियत है? पावर है तो इसका मतलब ये नहीं कि किसी के साथ कुछ भी करोगे!"
युग ने उसे शांत करने की कोशिश की,
"देखो, प्लीज़ शांत हो जाओ। हम तुम्हारी जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं।"
रुचा उसकी ओर तीखी नज़र से देखती है —
"जैसे बाकी 99 लड़कियों की जान बचाई थी ना आपने लोग? आपको मेरी जान की नहीं, उस कातिल तक पहुंचने की फिक्र है। मैं कोई बेवकूफ नहीं हूं।"
युग कहता है बो जब फोटो भेजता है उसके बाद सिर्फ 15 मिनट्स का समय होता है। और इतनी देर में हम उनके बारे में पता लगाकर उन तक पहुंचे उससे पहली उनकी लास की खबर हम तक पहुंच जाती है।
रुचा पलट जबाव देते हुए कहती है 15 मिनट्स होते है आपके पास और किसी की भी जन्म कुंडली निकलने के लिए बहुत है ।
इंस्पेक्टर मेहरा बोले,
"रुचा, मैं अब भी चाहता हूं कि तुम हेडक्वार्टर वापस पहले की तरह जॉइन कर लो।"
"माफ़ कीजिए मिस्टर मेहरा," — रुचा ने ठंडे स्वर में कहा —
"डेढ़ साल पहले आपके सीनियर ऑफिसर ने मुझसे जबरन रेज़िग्नेशन मांगा था। मुझे तब भी कोई फर्क नहीं पड़ा था और अब भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा।"
मेहरा बोले,
"तुम्हारा रेज़िग्नेशन अभी तक ऑफिशियली एक्सेप्ट नहीं हुआ है।"
रुचा हँस पड़ी,
"सीरियसली? पिछली बार भी आपने बुलाया और फिर किसी और सीनियर ने रिजाइन मांगा। अब क्या गारंटी है कि इस बार फिर से वही नहीं होगा? वो क्या है न समाज सेवा करने के लिए मेरे पास फालतू टाइम नहीं है। मैं जा रही हूं। और हां, फ्लाइट के पैसे ऑनलाइन भेज दीजिएगा।"
मेहरा थोड़ा झुंझला गए,
"तुम्हें पैसों की कमी कब से हो गई?"
रुचा पीछे मुड़ी, मुस्कराई और बोली —
"जब से आप जैसे अफसरों को मेरे जैसी बच्चियों को हायर करने की ज़रूरत पड़ने लगी।"
मेहरा फिर से बोले
ठीक है तुम अभी ज्वाइन नहीं करना चाहती कोई बात नहीं लेकिन तुम जब भी ज्वाइन करना चाहे हमारे दरवाजे तुम्हारे लिए हमेशा खुले रहेंगे । और अगर तुम्हें हमारी मदद की कभी भी जरूरत पड़े तो तुम बिना किसी झिझक के तुम हमें कह सकती हो ।
रुचा भी व्यंग्य करते हुए कहती है
भगवान करे मुझे आपकी मदद की जरूरत कभी ना पड़े ।
युग उसके पीछे चलने लगा ताकि उसे बाहर तक छोड़ सके, लेकिन रुचा रुक गई और बोली —
"मुझे रास्ता दिखाने की ज़रूरत नहीं है। डेढ़ साल में मेरी याददाश्त इतनी भी कमज़ोर नहीं हुई है कि हेडक्वार्टर का रास्ता भूल जाऊं।"
युग और तमन्ना दोनों अब पूरी तरह समझ चुके थे कि ये लड़की कोई मामूली लड़की नहीं है।
रुचा अब बाहर निकल चुकी थी, लेकिन उसके दिमाग में सवालों का तूफ़ान था —
"आख़िर ऐसा क्या किया मैंने, जो मैं उस साइको किलर की हिट लिस्ट में आ गई?"
चलते-चलते वह एक वीरान पार्क के पास रुकती है और एक बेंच पर बैठ जाती है।
तभी उसका फोन बजता है — कॉल थी शिवानी आचार्य की।
"तुमने जिस व्हाइट मास्क वाले आदमी के बारे में कहा था, उसके बारे में कुछ नहीं पता चल सका। वो किसी और के इनविटेशन कार्ड पर आया था। और वो आदमी... कई दिनों से लापता है।"
"ठीक है," — कहकर रुचा कॉल काट देती है।
अब उसे लग रहा था जैसे उसकी जिंदगी में उलझनें कम नहीं हो रहीं — बल्कि और उलझती जा रही हैं।
इसी सोच में खोई थी कि तभी उसके फोन पर एक अननोन नंबर से मैसेज आता है:
"खुद को बचा सको तो बचा लो। तुम्हारी उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। तुम्हारी मौत बहुत करीब है बच्ची... जितनी जिंदगी बची है, जी लो। पुलिस वाले तुम्हें नहीं बचा पाएंगे — जैसे वो बाकी 99 को नहीं बचा सके।"
उसने चारों तरफ नज़र दौड़ाई — कोई नहीं था, लेकिन अब वो पूरी तरह समझ चुकी थी कि कोई उसे हर पल, कहीं से देख रहा है। उसने अपने मन में ही सोचा लगता है सबको बेवकूफ बनाने के लिए अब मुझे खुद बेवकूफ़ बनना पड़ेगा । ये सोचने के बाद उसके चेहरे पर अजीब सी मुस्कान थी ।
तभी उसका फोन फिर बजा —
"महिमा आंटी" कॉलिंग...
जैसे ही उसने कॉल उठाया, दूसरी तरफ से करिश्मा की रोती और घबराई हुई आवाज़ आई —
"दीदी! दीदी! महिमा आंटी को कुछ हो गया है... जल्दी आइए!"
"क्या?? क्या हुआ उन्हें?" — रुचा का चेहरा पीला पड़ गया।
आखिर कैसे जानते हैं इंस्पेक्टर मेहरा रुचा को ? क्या रुचा भी हेडक्वार्टर की कोई ऑफिसर रह चुकी है ? कैसे आई बो उस किलर की हिट लिस्ट में ?
करिश्मा की बात सुनते ही रुचा का चेहरा सफेद पड़ गया।
"दीदी... महिमा आंटी अचानक बेहोश हो गई हैं," करिश्मा ने घबराते हुए कहा, "हमने उन्हें बहुत उठाने की कोशिश की, पर पता नहीं उन्हें क्या हो गया है।"
"तुमने डॉक्टर को फोन किया?" रुचा ने फौरन पूछा।
"किया था, पर डॉक्टर शहर में नहीं हैं।"
"ठीक है, तुम सिद्धार्थ भैया को बोलो कि वो आंटी को हॉस्पिटल लेकर जाएं। मैं आ रही हूं, तुम चिंता मत करो।"
फोन रखते ही रुचा ने अपनी असिस्टेंट सेलेना को कॉल किया।
"मेरे लिए अभी फ्लाइट की इमरजेंसी टिकट बुक करो।"
"बॉस, इतनी जल्दी टिकट मिलना मुश्किल है..."
"I don’t care, सेलेना. मुझे बस अगले एक घंटे के अंदर की फ्लाइट चाहिए — मतलब चाहिए!"
"ओके बॉस," कहते हुए सेलेना ने फोन रख दिया।
तभी रुचा का फोन फिर से बजा — सिद्धार्थ।
'कहाँ है तू?'
रुचा बोली, 'ये छोड़, ये बता कि आंटी को क्या हुआ?'
'मैं कोई डॉक्टर थोड़ी हूँ जो बताऊं! उन्हें हॉस्पिटल लेकर जा रहा हूं, बाकी बातें वहीं बता दूंगा। तू जल्दी हॉस्पिटल पहुँच।'
'एड्रेस भेज दे,' कहकर रुचा ने फोन रख दिया।"
[देहरादून – श्रीवास्तव विला]
घर में कदम रखते ही रोहन, मिहिर और मिशा की नजर सामने खड़े वेद पर पड़ी।
वेद — रोहन के बड़े चाचा का छोटा बेटा — लगभग उसी की उम्र का था। वो मुस्कुराता हुआ उनकी तरफ देख रहा था।
दादी भी अंदर से आती हैं और दोनों उसे अजीब नजर से देख रहे थे और हंस रहे थे।
रोहन बोला,
"क्या हो गया दादी? सब हँस क्यों रहे हैं? कोई कॉमेडी शो चल रहा है क्या?" या फिर आप लोगों ने लाफिंग गैस सूंघ लिया है ।
तभी वेद बोलता है
शायद कोई ख्वाब था जो तूने पकड़ लिया,
या फिर भीड़ में किसी हसीना ने दिल जकड़ लिया।
तभी मिहिर बोलता है वाह वाह!
Once more वेद भैया
लब ख़ामोश हैं मगर आंखें बयाँ करती हैं,
कुछ अल्फ़ाज़ दिल से निकल कर दिल तक दास्ताँ कहती हैं।
इस बार मिशा कहती है मतलब समझ नहीं आया ब्रो हम आपकी तरह कोई शायर नहीं है जो इतना समझ सके पहले बाला ही ठीक था ।
वेद बस उसकी प्यारी सी बात पे हंस देता है।
वेद आंख मारते हुए बोला,
"दादी, अब समझ में आया कि रोहन आजकल इतने ऑक्शन पार्टी में क्यों जाता हैं —
"क्या बकवास कर रहे हो?" रोहन झुंझलाया। "मैं यूनिक आर्ट खरीदने गया था।"
"अच्छा?" वेद हँसा, "तो दिखाओ क्या खरीदा? मुझे तो कुछ नजर ही नहीं आ रहा।"
वेद चुटकी लेते हुए कहता हैं,
"कहीं तुम्हारा ये यूनिक आर्ट इनविज़िबल तो नहीं? या फिर मेरी आंखें खराब हो गई है?" या फिर दादी कहीं मेरी आंखें खराब तो नहीं गई ।
मिश्रा और मिहिर ठहाके लगाकर हँसने लगते हैं। रोहन गुस्से में सबको घूरता है और सीधे अपने कमरे में चला जाता है।
पीछे से वेद पूछता है,
"आखिर वो लड़की थी कौन?" कम से कम हमे हमारी भाभी का नाम तो बताता जा ।
"यही तो नहीं पता चला," मिशा बोली, "वरना भाभी बनकर घर ना ले आते।"
तभी वो रोहन की कार तोड़ने वाला वीडियो वेद को दिखाती है।
वेद की आंखें फटी की फटी रह जाती हैं — "कोई लड़की रोहन भाई की गाड़ी का ये हाल कर दे, और वो कुछ कर भी न पाए?"
दादी भी सन्न थीं।
"अगर ये लड़की मिल जाए तो... यही रोहन का इलाज कर सकती है। हे भगवान, कोई मुझे इस लड़की से मिला दो!"
मिशा बोली,
"पता नहीं क्यों, पर मुझे लगता है मैंने उसे कहीं तो देखा है..."
दादी तंज कसती हैं,
"बचपन में जो बादाम खिलाए थे, सब बेकार गए। याददाश्त तो तेरी गली के कबाड़ी जैसी है!"
[ऋषिकेश – हॉस्पिटल]
रुचा फ्लाइट से उतरते ही सीधे हॉस्पिटल के लिए टैक्सी लेके निकल जाती है।
सिद्धार्थ सामने से आकर उस पर बरस पड़ता है,
"कहाँ थी तू? तुझे कितनी बार कॉल किया, तेरा फोन बंद क्यों था?"
"सीड, मैं दिल्ली में थी। फ्लाइट लेकर सीधी आई हूं। फोन बंद हो गया था, सॉरी..."
"डॉक्टर ने क्या कहा?"
"कुछ टेस्ट किए हैं," सिद्धार्थ बोला, "रिजल्ट आने में सुबह तक का टाइम लगेगा।"
"होश आया आंटी को?" रुचा ने धीमे स्वर में पूछा।
"नहीं... अभी तक नहीं।"
रुचा चुप हो गई। उसकी आंखों में चिंता साफ झलक रही थी।
तभी रुचा सिद्धार्थ से कहती है —
"ठीक है अब तू घर जा, मैं यहां हूं।"
सिद्धार्थ गुस्से से —
"पागल हो गई है क्या? दिल्ली से सीधे यहां आई है तू, और अब यहीं रुकना चाहती है? क्या खुद को बाहुबली समझती है? सोना भी होता है इंसान को। तेरी आंखें देख कर बता सकता हूं कि तुझे बहुत तेज नींद आ रही है।"
रुचा हँसते हुए —
"ओह, तो अब तू आंखें पढ़ने भी लगा? ये टैलेंट तो तूने मुझसे छुपा ही रखा था!"
सिद्धार्थ मुस्कुराता है —
"देख, फॉर्मेलिटी मत कर। बचपन के दोस्त हैं हम। तेरी हर आदत से वाक़िफ हूं। और तेरी कुंभकरण वाली नींद... उसके बारे में तो पूरे ऋषिकेश को पता है।" अगर किसी दिन सोने का कंपटीशन हुआ तो नो डाउट तू ही फर्स्ट आयेगी । वैसे तो तो इसपे वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बना सकती है । मै तुझे बहुत अच्छे से जनता हु ।
रुचा भी तंज कसते हुए —
"अच्छा बेटा! मैं क्या कर सकती हूं, ये कोई नहीं जानता — और तुझे सब पता है?"
सिद्धार्थ मज़ाकिया अंदाज़ में —
"हाँ, सब जानता हूं। खैर, छोड़ वो सब। वैसे भी अगर मैं अब घर गया और मम्मी को पता चला कि महिमा आंटी को इस हालत में छोड़ कर आया हूं... तो समझ ले, कल से मुझे भी तुम्हारे साथ अनाथाश्रम में एक बिस्तर लगा के सोना पड़ेगा !"क्योंकि उसके बाद तो मम्मी मुझे घर से निकल ही देगी ।
रुचा मुस्कुरा कर बोली —
"अच्छा बेटा — मम्मी का डर है, और बहाना बना रहा है मेरी फ़िक्र का!"
सिद्धार्थ चिढ़कर —
"ठीक है ठीक है… जा रही है तो जा… निकल यहां से भाग।"
इतना कह कर रुचा वापस अनाथ आश्रम चली जाती है । उसने देखा कि सारे बच्चे उसका ही इंतजार कर रहे थे ।
उनमें से कोई भी सोया नहीं था । जैसे ही वह अंदर आती है सब उसे पूछने लगते हैं दीदी आंटी को क्या हुआ? आंटी ठीक तो हो जाएंगे ना ?
रुचा उन्हें मुस्कुरा के जवाब देती है बच्चा आंटी को कुछ नहीं हुआ उन्हें बस थोड़ी सी कमजोरी आ गई थी । इसलिए बस ऊपर बेहोश हो गई थी ।डॉक्टर एक-दो दिन में उन्हें डिस्चार्ज दे देगा लेकिन मन ही मन वो भी यही चाहती थी कि काश ऐसा ही हो ।
अगली सुबह
रुचा की नींद बहुत जल्दी खुल गई। रात भर आंटी की हालत सोच-सोच कर उसे सही से नींद ही नहीं आई थी। वह उठी, जल्दी नहा-धोकर तैयार हुई और जैसे ही निकलने लगी, करिश्मा ने कहा,
"दीदी, मैं भी आपके साथ हॉस्पिटल चलूंगी।"
रुचा ने उसे देखा और बोली,
"तुम वहां जाके क्या करोगी, करिश्मा? तुम बाद में आ जाना, अभी नहीं।"
असल में, वह खुद डरी हुई थी कि रिपोर्ट्स में क्या आने वाला है। वो जानती थी कि करिश्मा अब छोटी नहीं थी पर इतनी बड़ी भी नहीं थी , लेकिन रुचा फिर भी नहीं चाहती थी कि वह अभी साथ चले। पर करिश्मा की ज़िद्द के सामने आखिर कार रुचा को हार मानना ही पड़ा।
हॉस्पिटल में
महिमा जी के वार्ड में सिद्धार्थ पहले से मौजूद था।
"डॉक्टर अभी तक नहीं आए हैं," सिद्धार्थ ने बताया।
"आंटी को होश आया क्या रात में?" रुचा ने पूछा।
"नहीं," सिद्धार्थ ने धीरे से कहा। "वो रात भर बेहोश ही रहीं।"
रुचा की चिंता और बढ़ गई। इंतेज़ार करते करते काफी देर बाद डॉक्टर रिपोर्ट्स के साथ अंदर आए।
"डॉक्टर, क्या हुआ है उन्हें?" सिद्धार्थ ने बेसब्री से पूछा।
डॉक्टर ने गहरी सांस लेते हुए कहा,
"देखिए, इनका लिवर खराब हो चुका है। हमें इनका लिवर ट्रांसप्लांट करना होगा — और वो भी अगले एक हफ्ते के अंदर।" वरना इनकी जान को खतरा हो सकता है और शायद इन्हें बचाना भी मुश्किल हो जाए ।
यह सुनते ही रुचा चौंक गई।
"ऐसे कैसे? आंटी तो बिल्कुल ठीक थीं।"और अचानक उनकी तबियत इतनी खराब कैसे हो गई ।
डॉक्टर ने समझाते हुए कहा,
"देखिए अचानक कुछ भी नहीं होता। जब ये दिक्कत शुरू हुई होगी, तब लक्षण जरूर नज़र आ रहे होंगे — जैसे चक्कर आना, पेट दर्द, थकावट… लेकिन शायद किसी ने ध्यान नहीं दिया होगा।"
अब रुचा को समझ आया कि वह तो ज़्यादातर समय आश्रम से बाहर ही थी और वो हाल ही में वापस आई थी। और वापस आने के बाद भी हो ज्यादा समय आश्रम में नहीं बिताती थी , इसलिए शायद कभी उसने महिमा आंटी की तबीयत पर गया ही नहीं । बो जब भी आश्रम में रहती उसे आंटी कभी भी बीमार नहीं रही । इसलिए शायद उसे कुछ पता ही नहीं चला ।वह तुरंत करिश्मा की ओर मुड़ी,
"करिश्मा, तुम्हें कुछ याद है? आंटी को पहले भी कोई दिक्कत हुई थी?"
करिश्मा बोली,
"हाँ दीदी, तीन महीने पहले आंटी को चक्कर आया था। उन्होंने डॉक्टर को दिखाया था लेकिन तब सब ठीक ही निकला था। पर उसके बाद वो जल्दी थक जाती थीं और पेट में दर्द भी रहता था।" उन्होंने हमे आपसे कुछ भी बताने से मना किया था । उन्होंने कहा था कि सब कुछ नॉर्मल है, इसलिए उन्होंने कहा कि बेकार में आपको बता के हम आपको परेशान न करे ।
डॉक्टर ने सिर हिलाते हुए कहा,
"यही सब लिवर डैमेज के संकेत हैं, जो कि आपलोगों से इग्नोर हो गए। अब हालत बहुत नाजुक है।"
रुचा ने गंभीरता से कहा,
"ठीक है, हम उन्हें दिल्ली शिफ्ट करेंगे। आप बस सारी फॉर्मेलिटी पूरी कीजिए।"
डॉक्टर ने कहा,
"हम आपके लिए एम्बुलेंस तैयार करवा रहे हैं। आप एक घंटे में दिल्ली के लिए निकल सकते हैं।"
करिश्मा घबराकर बोली,
"दीदी, दिल्ली लेकर जाने में तो बहुत खर्चा आएगा... इतने पैसे कहां से आएंगे?"
रुचा ने उसका हाथ पकड़कर कहा,
"तुम पैसों की चिंता मत करो। ये सब मैं देख लूंगी।"
उसी समय...
फॉर्मेलिटी पूरी करते-करते दोपहर हो गया। तय हुआ कि रुचा आंटी के साथ दिल्ली जाएगी, और सिद्धार्थ आश्रम में रहकर बच्चों की देखभाल करेगा। उसने ऐसा फैसला इसलिए किया क्योंकि सिद्धार्थ पहले कभी भी दिल्ली नहीं गया था । इसलिए उसने उसे भेजना सही नहीं समझा ।
तभी रुचा के फोन पर एक कॉल आया — अनाथ आश्रम से।
"दीदी!" प्रिया की घबराई आवाज आई।
"यहाँ कुछ लोग आए हैं। वो लोग कह रहे हैं कि आश्रम को तोड़ देंगे। राहुल ने गेट बंद किया है लेकिन वो लोग गेट के बाहर चिल्ला रहे हैं!"
रुचा ने शांत स्वर में कहा,
"डरना मत। जब तक मैं ना आऊं, गेट मत खोलना। मैं आ रही हूं।"
फोन रखते ही वह तुरंत सिद्धार्थ की ओर मुड़ी,
"मैं दिल्ली नहीं जा सकती। कुछ इमरजेंसी हो गई है। सीड, तुम्हें जाना होगा।" अब उसके पास और कोई ऑप्शन नहीं बचा था । क्योंकि अगर उसने आज ही आंटी को दिल्ली शिफ्ट नहीं किया तो शायद उनकी इलाज में और भी प्रॉब्लेम हो सकता है ।
"क्या? लेकिन मैं वहाँ किसी को नहीं जानता!" सिद्धार्थ बोला।
रुचा ने अपना फोन निकालकर एक नंबर दिया,
"ये माहिरा का नंबर है। मेरी स्कूल की फ्रेंड है। दिल्ली पहुंचते ही उसे कॉल करना। वो सब देख लेगी।"और फिर रुचा ने अपने पर्स में से अपना एक कार्ड निकाल कर दिया और कहा इसका पिन है 5218 . खर्चों की चिंता मत करना इस कार्ड से निकाल लेना । सिद्धार्थ ने हैरानी से उसकी तरफ देखा और फिर उसका कार्ड ले लिया । क्योंकि उसके पास भी इतने पैसे नहीं थे कि वो हॉस्पिटल का बिल भर सके ।
"और करिश्मा?" उसने पूछा।
"करिश्मा भी तुम्हारे साथ जाएगी। माहिरा उसका भी ख्याल रखेगी।"
करिश्मा कुछ कहने ही वाली थी, लेकिन रुचा के चेहरे की गंभीरता देखकर चुप रह गई।
अनाथ आश्रम में
रुचा जैसे ही वहां पहुँची, उसने देखा कि कुछ हट्टे-कट्टे आदमी आश्रम के बाहर खड़े हैं। बच्चों के चेहरे डरे हुए थे, लेकिन रुचा बिल्कुल नहीं डरी।
"क्या काम है आप लोगों को?" उसने दृढ़ स्वर में पूछा।
उनमें से एक आदमी उसकी ओर बढ़ते हुए बोला,
"बच्ची, ये जमीन अब हमारी है। जल्दी से जल्दी खाली करो ये आश्रम ।"
रुचा ने आँखों में आँखें डालकर कहा,
"और हम ऐसा क्यों करें?"
वह आदमी एक फ़ाइल निकालकर रुचा की तरफ बढ़ा दिया ।"
रुचा ने फाइल हाथ में ली और जैसे-जैसे पढ़ती गई, उसके चेहरे का रंग उड़ता गया।
"ये… ये कैसे हो सकता है?" उसके हाथ काँपने लगे।
आखिर ऐसा क्या था उस फाइल में जिसे देखने से रुचा के होश उड़ गए ।क्या अंजाम होगा मुसीबतों से घिरी हुई रुचा का ?
जैसे ही रुचा ने उस फाइल को पढ़ा उसे अपने आंखों पे बिसबास ही नहीं हो रहा था। उसमें साफ साफ लिखा था कि अब से इस जगह का मालिक विहान प्रताप सिंह है । पर उसे ये समझ ही नहीं आ रहा था कि कोई गवर्मेंट प्रॉपर्टी कैसे खरीद सकता है। उसे ये भी समझ नहीं आ रहा था कि कोई अनाथ आश्रम को क्यों खरीदेगा । अगर कोई ऐसा करने की कोशिश करता भी है तो उसमें बहुत टाइम लगेगा । पता नहीं क्यों लेकिन उसे ये नाम विहान प्रताप सिंह बहुत सुना सुना लग रहा था।
इस बारे में बो सोच ही रही थी कि पीछे से एक पहचानी हुई आवाज आती अरे बेवकूफों अभी तक ये जगह खाली नहीं हुआ क्या ।रुचा पीछे मुड़ी और उस आदमी को पहचानने की कोशिश करने लगी। तभी उसे याद आया ये कोई और नहीं बल्कि बही बतमीज़ आदमी था जिसके ऊपर उसने पार्टी में वाइन फेंकी थी । अब उसे समझ आया कि ये सब हो क्या रहा था।
तभी वो आदमी उसके पास आया और धीरे से उसके कान में हस्ते हुए कहा मैने कहा था न कि लड़कियां मेरे आगे पीछे मरती है। अभी भी मौका है तुम्हारे पास मुझे खुश करने का । शादी कर लो मुझसे । तुम्हारे बस एक हां की देर है सब कुछ जैसा था बिल्कुल वैसा ही हो जाएगा । रुचा ने भी अपनी मुट्ठी बंद करते हुए कहा और मैने भी कहा था न कि अक्सर माखियां गंदे नालों के पास ही भिनभिनाती है। और मैं कोई मक्खी नहीं हु जो तुम्हारे जैसे गंदे नाले के पास भिनभिनाएं।
विहान प्रताप सिंह की बीबी बनने के सपने देखती है लड़कियां । और तुम मुझे ठुकरा रही हो । मेरे जैसा लड़का तुम्हे कही नहीं मिलेगा । रुचा ने भी कोल्ड वॉयस में कहा कहते है दुनिया एक जैसी शक्ल के सात लोग होते है , तुम्हारे जैसे बाकी छे पे भी लालत। फिर उसने भी अपनी गुरुर भरी आवाज में कहा तुम्हारा ये गुरुर तो मैं तोड़ के रहूंगा लड़की । मेरा गुरुर तोड़ने वाला आजतक पैदा नहीं हुआ है। तो वादा करता हु मै भी तुम खुद मेरे पास आने के लिए मेरे पैरो गिड़गिड़ाओगी। पर तब तुम्हे अपनी बीबी नहीं अपनी रखैल बना के रखूंगा । रुचा ने उसे हस्ते हुए कहा इतनी अभी औकात नहीं है तुम्हारी ।
मैं भी बादा करती हूं तुम खुद सबके सामने मेरे पैरो में गिर के माफी मांगेगे । बाप रे एक अनाथ हो और इतना गुरुर । लाती कहां से हो इतना गुरुर । फिर उसने चिल्लाते हुए अपने आदमियों से कहा खाली करो पूरा जगह और तोड़ दो । और जो न माने उसे इस जगह से बाहर फेक दो । रुचा ने तुरंत सारे बच्चों को बाहर बुला लिया । और उन्हें वहां से चलने को कहा । उसने देखा कि विहान प्रताप सिंह ने बुलडोजर को इशारा किया और बो उसके सामने ही आश्रम को तोड़ दिया ।
ये देख के रुचा के दिल में भी एक आग जलने लगी और उसने खुद से कहा इसकी कीमत तो तुम्हे चुकानी पड़ेगी और बो भी इतना की तुम सोच भी नहीं सकते । ये बो जगह थी जहां रुचा ने पहली बार दुनिया के तौर तरीके सीखे थे। यही तो एक जगह थी जिसे वो अपना घर कह सकती थी। जिसे भी उन लोगों ने तोड़ दिया । बच्चों के आंखों से आंसू गिरने लगे। आखिर उनके सिर पे से भी अब छत का साया खत्म हो गया।
रुचा चाह के भी कुछ नहीं कर पाई क्योंकि ये लोग आज पूरी प्लैनिंग के साथ आए थे। वो चाह के भी कॉर्ट से stay ऑर्डर नहीं ला सकती थी क्योंकि ये लोग जान बुझ कर शनिवार के दोपहर को आए थे ताकि कोर्ट बंद हो जाए और जब तक खुले तक तो ये जगह को धूल में बदल दे।
बो ऑटो में बैठ कर वहां से निकल गई । उसे ये भी समझ नहीं आ रहा था कि अब वो दिल्ली महिमा आंटी के पास कैसे जाए । और इन बच्चों को न तो अकेले छोड़ सकती थी और न ही ले जा सकती थी। फिलहाल के लिए तो वो बच्चों को लेके सिद्धार्थ के घर चली गई। उसने सिद्धार्थ की मम्मी को सबकुछ बताया और थोड़ी देर के लिए बच्चों को वहीं छोड़ दिया। सिद्धार्थ की मम्मी को जब महिमा जी की बीमारी और अनाथ आश्रम के बारे में पता चला तो उन्हें भी बहुत बुरा लगने लगी।
फिलहाल तो रुचा वहां से बाहर निकली और सेलेना को फोन करके ये पता लगाने बोला कि ये विहान प्रताप सिंह है कौन । और साथ ही में ये भी की उसने आखिर इतनी जल्दी गवर्मेंट प्रॉपर्टी खरीद कैसे ली। क्योंकि ऐसे करने में बहुत घोटाले करने पड़ते हैं जिसमें तो सालों भी लग जाते है और उसने महज कुछ दिनों में ऐसा कैसे कर लिया ।
श्रीवास्तव विला
दादी ने रोहन को बुला कर कहा सारी तैयारियां हो गई या नहीं । रोहन ने बिलकुल किसी सेक्रेटरी की तरह दादी के सामने अपना सिर हां में हिलाया । दादी ने कहा रूही की शादी में कोई कमी नहीं होनी चाहिए। आखिर दो ही तो बेटियां है हमारी । रोहन ने फिर से अपना सिर हां में हिलाया और कहा दादी आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए सब कुछ बिल्कुल सही से हो जाएगा ।
तभी पीछे से मिशा आई और कहा दादी बो सब तो ठीक है लेकिन होने बलि दुल्हन हैं कहां। बो क्या सीधे शादी वाले दिन ही दर्शन देंगी क्या । दादी ने कहा मुझे तो लगता है उससे पहले तेरी ही शादी करा देनी चाहिए। मिशा ने हस्ते हुए कहा मैं कोई शादी वादी नहीं करने वाली। तभी मिहिर जो सीढ़ियों से उतर रहा था मिशा की बात सुन कर कहता है तुझसे शादी करेगा भी कौन । कोई बेवकूफ ही होगा जिसे तुझसे प्यार हो होगा ।
मिशा ने भी चिढ़ते हुए कहा और तेरे पीछे कौन सा लड़कियां लाइन लगा के खड़ी है । तुझे तो एक लड़की भाव तक नहीं देती । बड़ा आया मुझे बोलने वाला । ये सुन के सब हंसने लगते हैं।
दूसरी तरफ जब रुचा सेलेना से बात कर ही रही थी कि उसे अपने पीछे कुछ महसूस होता है और बो तुरंत पीछे पलटती है ।जैसे ही वो पीछे पलटती है उसके हाथ से उसका फोन गिर जाता है। पीछे का नजारा देख के तो उसके होस ही उड़ जाते है । उसे अपनी आंखों पे बिल्कुल विश्वास ही नहीं हो रहा था कि ऐसा कैसे हो सकता है।
आखिर क्या देख के रुचा के होश उड़ गए। ऐसा भी क्या था उसके पीछे । जानने के लिए पढ़ते रहिए हमारी कहानी डिजायर।
रुचा फोन पर सेलेना से बात ही कर रही थी कि उसे अपने पीछे कुछ महसूस हुआ । जैसे ही वो पीछे मुड़ी उसने देखा कि उसके पीछे वही साइको किलर था जिसने उसे दिल्ली में मारने की कोशिश की थी । उस किलर ने तुरंत अपने हाथ में पकड़े चाकू से रुचा के सीने पर बार किया । इससे पहले कि वो चाकू रुचा के सीने के आर पार हो जाता रुचा ने भी अपनी तेजी दिखाते हुए उस चाकू को अपने हाथ से पकड़ लिया ।
चाकू को अपने हाथ से पकड़ने के कारण उसके हाथ पे एक गहरा कट लग गया जिससे लगातार खून गिरता जा रहा था। उसने चाकू को तुरंत किलर से छीन कर दूर फेंक दिया । उस किलर ने उसे हाथों से ही मारने की कोशिश की । लेकिन उसका एक भी वार रुचा को नहीं लगा । वो रुचा का डिफेंस देखकर हैरान रह गया । उसने सोचा यहां से भागना ही ठीक है ।
इससे पहले कि वो वहां से भागता रुचा ने उसके गले पर अपने हाथ से वार किया । उसके एक ही हमले से वो किलर बेहोश हो गया । उसने अपने मन में सोचा कि ये वो ही किलर तो नहीं है क्योंकि पिछली बार उससे लड़ते हुए मैने उसके हाथ को काफी जख्मी कर दिया था। इसलिए इतनी जल्दी तो वो अपने हाथ की चोट को ठीक नहीं कर पाता । इसका सीधा एक ही मतलब है कि इनलोगों का कोई बहुत बड़ा गैंग है ।
सबसे पहले उसने उसका मास्क हटाया तो देखा कि हमलावर तो बस महज 20 से 21 साल का लड़का होगा । फिर उसने उसके पॉकेट चेक किया और उससे उसका फोन ले लिया । रुचा ने पर्स से दुप्पटा निकाल कर उसके हाथ को कस के बांध दिया। उसका फोन उसने अपने पास रख लिया फिर उसने अपने पर्स से अपना फोन निकाल कर इंस्पेक्टर मेहरा को फोन किया ।
कुछ रिंग जाने के बाद मेहरा ने फोन उठा कर कहा बोलो रुचा आज तुम्हे हम पुलिस बालों की याद कैसे आ गई । रुचा ने सीरियस टोन में कहा अगर आपका ड्रामा हो गया हो तो मैने आपको एक लोकेशन भेजा है ।अपने आदमी को भेजिए इस लोकेशन पर जिसे आपने दिल्ली से ऋषिकेश तक मेरे पीछे लगा रखा है। और वैसे आप भी तो इस वक्त ऋषिकेश में ही होंगे न । मेहरा ने शोक होते हुए कहा तुम्हे कैसे पता ।
आपकी रग रग से वाकिफ हूं मैं । ठीक है । अगली बार न थोड़ा अच्छे से भेश बदल कर पीछा कीजियेगा । आपके ये पैंतरे न आपकी तरह पुराने हो गए है। अगली बार किसी ऐसे को साथ में रखिएगा जो मेरी नजर में न आए । वो तो मेरे पास वक्त नहीं था वरना आपको लगता है कि कोई मेरी मर्जी के बिना मेरा पीछा कर सकता है। ये कह के फोन रख देती है।
फोन काटने के दो मिनिट बाद वहां एक जाना पहचाना चेहरा नजर आता है । ये कोई और नहीं इंस्पेक्टर युग था । वहां आते ही उसने रुचा के पीछे बंधे हुए किलर को देखा । ये देखकर तो वो थोड़ी देर के लिए हक्का बक्का रह गया। लेकिन फिर तुरंत अपनी हैरानी को काबू करते हुए उसने कहा इसका ये हाल तुमने किया है। रुचा ने उसे देखते हुए कहा यहां कोई नजर आ रहा है तुम्हे । युग को विश्वास नहीं हो रहा थी इस लड़की ने अकेले इस किलर का ये हाल कर दिया ।
अब उसे समझ आ रहा था कि मेहरा को क्यों विश्वास था कि किलर इसका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाएगा । युग तुरंत उस किलर के नर्व को चेक करने लगता है तो रुचा कहती है चिंता मत करो जिंदा छोड़ दिया। मारा नहीं है । ये सुन के युग राहत की सांस लेने लगा । ये अब तुम्हारे हवाले है जो करना है इसका करो ।
फिर रुचा ने युग से कहा कि चलो अब ये बताओ कि इंस्पेक्टर मेहरा ऋषिकेश में कहां है ? युग ने हैरानी से उसकी तरफ देखा और कहा कि तुम्हे कैसे पता ? तुम खुद मुझे उनका एड्रेस दोगे या फिर मैं अपने तरीके से पता कर लूं। युग ने हस्ते हुए कहा मैं भी वहीं जा रहा हूं। साथ चल सकती हो। ठीक है।
श्रीवास्तव विला
मिहिर दौड़ते हुए रोहन के कमरे में आता है और कहता है भैया दादी ने आपको समान पैक करने कहा है क्योंकि हमसब आज रात ही दिल्ली जा रहे हैं। रोहन कहता है लेकिन हमलोग तो परसो जाने वाले थे न । मिहिर कहता है भैया दादी ने समर भैया से कह के आज रात के 11 बजे की टिकट बुक कराई है । रोहन कहता है ठीक है । फिर मिहिर बोलता है भैया एक्चुअली दादी ने आपको जल्दी तैयार होने भी कहा है ।
ये सुन के रोहन की भौहें सिकोड़ कर कहता लेकिन अभी तो 5 ही बजे है । इससे पहले कि मिहिर कुछ बोलता पीछे से मिशा आकर बोलती है अरे भैया ये गधा क्या बताएगा आपको । मैं बताती हूं। हमलोग यहां से पहले ऋषिकेश जाएंगे वहां की महा गंगा आरती में शामिल होने और फिर वहीं से फ्लाइट पाकर कर दिल्ली चले जाएंगे ।
वैसे अगर मुझे पता होता कि हमलोग को तुरंत रूही दी के शादी के लिए दिल्ली जाना पड़ता तो मैं वापस ही नहीं आती । दिल्ली में ही रुक जाती । तो अब आप तैयार हो जाईए हमलोग को एक घंटे के अंदर में यहां से निकलना है।
ऋषिकेश
युग रुचा को इंस्पेक्टर मेहरा के किराए के घर पे ले आया । युग ने फिर अपनी गाड़ी के डिक्की से उस किलर को भी बाहर लेकर घर के अंदर चला गया। कमाल की बात तो ये थी कि उस किलर को अभी तक होश नहीं आया था। अंदर लेकर जाने के बाद युग ने उसे एक काठ की लकड़ी पे बैठा दिया। इंस्पेक्टर मेहरा ने एक रस्सी रुचा की तरफ बढ़ा दिया ।
उस रस्सी से रुचा ने तुरंत उस किलर को कुर्सी से लगाकर उसके हाथों को बांध दिया । फिर उसने दूसरी रस्सी से उसके पैरों को भी बांध दिया। युग ये देखकर हैरान रह गया क्योंकि ये सब रुचा ने बिल्कुल किसी प्रोफेशनल की तरह किया था। कमाल की बात तो ये थी कि उसने ये सब एक मिनिट से भी कम समय में कर दिया था। उसे फुर्ती को देखकर तो ऐसा लग रहा था जैसे कि वो कोई एक्सपर्ट हो जो रोज ये सब करती हो ।
युग उसे देखकर कहता है तुम बकाई कोई मामूली लड़की हो या फिर कोई सीक्रेट एजेंट हो । तुम्हे देखकर कोई विश्वास नहीं करेगा कि ये सारे काम तुमने किए हैं। युग की इस बात पे मेहरा खुद को हंसने से रोक नहीं पाते हैं। उन्होंने खुद कभी युग को इतना हैरान होते हुए भी देखा था। फिर मेहरा उससे कहते है ये कोई सीक्रेट एजेंट नहीं है लेकिन इसे मामूली समझने की भी गलती मत करना ।
ये लड़की बहुत पहुंची हुई चीज़ है। तुमने अभी जो देखा है वो तो कुछ भी नहीं है। रुचा ने मेहरा की तरफ गुस्से से देखकर कहा अब अगर आपकी तारीफ हो गई हो तो अब मैं मुद्दे पे आऊं।
उन लोगों ने किलर को एक रूम में बंद कर दिया और बाहर हॉल में जाकर बात करने लगे । रुचा जैसे ही मुद्दे पे आने की बात करती है युग और इंस्पेक्टर मेहरा दोनों उसे ही देखने लगते हैं। फिर इंस्पेक्टर मेहरा कहते हैं बोलो - तब रुचा कहती है अब मैने आपकी मदद की तो बदले में मुझे भी आपकी मदद चाहिए। ये सुन के इंस्पेक्टर मेहरा अपनी भौहें सिकोड़ कर कहते हैं मुझे लगा ही था कि तुम आज इतनी मेहरबान कैसे हो गई जो खुद हमारी मदद करो । वैसे अगर तुम मदद नहीं भी करती तो भी तुम मुझसे मदद मांग सकती थी।
इसके जवाब में रुचा कहती है - मैं कभी किसी का एहसान नहीं लेती । तब इंस्पेक्टर मेहरा कहते हैं बोलो क्या मदद चाहिए तुम्हे । मैं जानती हूं आपलोगों का नेटवर्क बहुत स्ट्रांग होता है इसलिए मुझे आपलोगों से कुछ इन्फोर्मेशन निकलबाना है । ये सुनते ही मेहरा उसे घूर कर देखने लगते है और कहते है ऐसी कौन सी इन्फोर्मेशन है जो तुम भी निकाल सकती । रुचा अपने चेहरे पे स्माइल के साथ कहती ऐसा नहीं है कि मेरे लोग भी निकाल सकते । बस उनलोगो को जायदा टाइम लगेगा।
और आपसे ज्यादा अच्छे से कौन जनता है कि टाइम कितना कीमती होता है। इंस्पेक्टर मेहरा बोलते है बोलो क्या जानना है तुम्हे ? विहान प्रताप सिंह की जन्म कुंडली चाहिए और ये भी अनाथ आश्रम जैसे गवर्नमेंट प्रॉपर्टी को उसने इतनी आसानी से कैसे खरीद लिया। इंस्पेक्टर मेहरा ये सुन कर युग की तरफ देखते है और कहते हैं सुन लिया न तुमने जो इसने कहा उसके बारे में मुझे कल सुबह तक सारी जानकारी चाहिए। युग ने मन ही मन खुद से कहा इस लड़की ने फालतू में मेरा काम बढ़ा दिया ।
फिर रुचा ने कहा एक और छोटी सी मदद चाहिए। ये सुन कर युग ने कहा तुम्हारा कुछ ज्यादा नहीं हो रहा है। एक तो सर तुम्हारे लिए आउट ऑफ प्रोटोकाल जाके तुम्हारी मदद कर रहे हैं और अब तुम्हे भी लगता की तुम उनका फायदा उठा रही हो। ये सुन के रुचा युग की तरफ देखने लगी कहा Mr जो भी तुम्हारा नाम है । फालतू की बकैती मत करो समझे । इतनी ही छोटी सी मदद है तो पहले क्यों नहीं पकड़ा इस आदमी को।
और दूसरी बात मै किसी का फायदा नहीं उठाती। मेरे पास तुमलोगो के काम की और भी कुछ इन्फोर्मेशन हैं। इंस्पेक्टर मेहरा इस दौरान युग को गुस्से से घूर रहे थे। फिर उन्होंने कहा बोलो क्या मदद चाहिए तुम्हे । रुचा हस्ते हुए कहती है ज्यादा कुछ नहीं करना आपको बस अपने हेडक्वार्टर में एक झूठी खबर फैलानी है कि इस किलर को अपने पकड़ तो लिया लेकिन आपलोग मुझे बचा नहीं पाई और मैं इसके हाथों मारी गई ।
युग और मेहरा दोनों उसकी तरफ से हैरानी से देखने लगते है । और एक साथ कहते है मतलब? करना क्या चाहती हो तुम ।रुचा हस्ते हुए कहती है ज्यादा कुछ नहीं बस उनलोगो को ये विश्वास दिलाना चाहती हूं कि उनका टारगेट पूरा हो गया । ताकि वो मेरा पीछा छोड़ दे । युग हैरानी में कहता है हेडक्वार्टर में ये खबर फैलाने से क्या मिलेगा । तब इंस्पेक्टर मेहरा हैरानी से बाहर आते हुए कहते हैं एक मिनिट कहीं तुम ये तो नहीं कहना चाहती कि हमारे बीच ही कोई गद्दार है।
मेहरा की तरफ देखकर रुचा कहती है बिल्कुल सही जवाब । लेकिन अबसोस इसके लिए आपको कुछ भी नहीं मिलेगा । फिर युग की तरफ देखकर कहती तुम अभी बहुत स्लो हो यार ? कोई बात नहीं कोशिश करते रहो एक दिन एक्सपर्ट जरूर बन जाओगे । युग ने उसे कहा तुम कुछ भी बोलोगी तो क्या हम मान लेंगे । हमारे सभी कॉलीग बहुत भरोसेमंद है । रुचा ने हस्ते हुए कहा तो बहुत अफ़सोस के साथ मुझे कहना पड़ेगा कि तुम्हारे किसी सो कॉल्ड भरोसेमंद कॉलीग ने तुम्हे धोखा दे दिया ।
इंस्पेक्टर मेहरा दोनों की बहस रोकते हुए कहते हैं कि तुम्हारे शक का कारण क्या है । शायद आप भूल रहे हैं इंस्पेक्टर मेहरा की मैने आपसे हेडक्वार्टर के कंप्यूटर्स में सिक्योरिटी वॉल्स इंस्टॉल करते हुए क्या कहा था । कोई बात नहीं मै आपको याद दिला देती हूं। मैने कहा था कि मेरी इंस्टॉल की हुई सिक्योरिटी वॉल्स को तोड़ने के काबिल इंडिया में आपको कोई भी नहीं मिलेगा ।
मैं मानती हूं कि मेरी वो इंस्टॉल की हुई सिक्योरिटी वॉल का वर्जन कुछ खास नहीं था और पुराना भी हो गया है लेकिन उसे अभी भी इंडिया में किसी के तोड़ने की काबिलियत नहीं है। और चलो अगर मान लेते हैं कि कोई ऐसा दिग्गज है भी इंडिया में तो वो क्या लगता है वो उन किलर्स की इतनी मदद क्यों करेगा । और मुझे नहीं लगता कि कोई इतना बड़ा हैकर उनकी मदद करेगा । क्योंकि बड़े हैकर्स को ढूंढना बहुत मुश्किल होता है। अब सब की किस्मत आपकी जैसी तो नहीं न इंस्पेक्टर मेहरा।
युग उसकी बात सुनने के बाद गौर से देखता है और आवाज में हैरानी के साथ कहता है त त तुम एक हैकर हो । रुचा आवाज में थोड़े गुरुर के साथ कहती है कोई शक । तुम्हे क्या लगता है तुम्हारे बॉस मुझसे इतनी इज्जत से बात क्यों करते हैं। युग की आंखे हैरानी से फट जाती है। वैसे मेरा कोड नाम है बटरफ्लाई । नाम तो सुना ही होगा । ये सुन के तो जैसे युग की आंखे ही बाहर आ गई ।
तुम वर्ल्ड की टॉप हैकर्स में से एक हो वो भी इतनी छोटी उम्र में । तुम मजाक कर रही हो क्या । बटरफ्लाई पिछले 6 साल से टॉप हैकर्स की लिस्ट में है । इसका मतलब क्या तुम जब मुश्किल से 12 साल की उम्र से भी पहले से हैकिंग कर रही हो । रुचा उसे हस्ते हुए कहती है क्यों नहीं कर सकती क्या ? युग कहता कर सकती हो , क्यों नहीं कर सकती हो । तुम क्या पैदा हुई थी तब से हैकिंग कर रही थी क्या ।
अचानक उसके दिमाग में एक बात आती है और बो कहता है - एक मिनिट सॉरी लेकिन तुम तो अनाथ हो न । फिर तुमने ये सब सिखा कहां से । रुचा को उसकी बात सुन के फिर हसी आ जाती है और कहती है तुमसे किसने कह दिया कि मैं अनाथ हूं। मतलब तुम्हारे पैरेंट्स जिंदा है तो फिर तुम अनाथ आश्रम में क्यों रहती हो। इस बार एक अजीब सी मुस्कान के साथ रुचा कहती है ये बताना मैं तुम्हे जरूरी नहीं समझती ।
युग को ऐसा लगता था कि बो अपने उम्र के हिसाब से बहुत सक्सेसफुल है लेकिन अब अपने सामने बैठी लड़की को देखकर युग को खुद पे शर्म आ रही थी। लेकिन ये लड़की उसके लिए पहली बनती जा रही थी। वो अपने मन ही मन ये सोच रहा था कि अगर इस लड़की के मां बाप जिंदा है तो ये उनके साथ क्यो नहीं रहती है । ऐसे अनाथ आश्रम में क्यों रहती है।
फिर रुचा ने बात बदलते हुए कहा वैसे दुनिया के लिए मैं एक वेडिंग प्लानर हूं। कभी तुम्हे शादी बादी करनी हो या फिर किसी की करानी हो तो तुम मुझे याद कर सकते हो। मैं बिल्कुल भी तुम्हे डिस्सपॉइंट नहीं करूंगी । युग का मुंह हैरानी में खुल जाता है कि ये लड़की एक वेडिंग प्लानर भी है ।फिर अपनी हैरानी को काबू करते हुए उसने ओके सिस्टर कहा। अब तुमने सिस्टर बोल दिया है फिर तुम्हे तो स्पेशल डिस्काउंट देना पड़ेगा । ये कहकर हंसने लगी । रुचा हस्ते हुए कहती है ये काम तो मैने साल भर पहले ही शुरू किया हैं।
फिर कहती है अब तक उस किलर को होस आ गया होगा । उससे उगलबाओ कुछ न कुछ तो उसे पता होगा ही । इंस्पेक्टर मेहरा के साथ वो दोनों भी उस रूम में जाते हैं जहां उसे बांध कर रखा था। उनका अंदाजा सही था उस किलर को होश आ गया था। और बो खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन अफसोस ऋचा ने रस्सी ऐसे बांधी थी कि वो चाह कर भी खोल नहीं पाया।
अंदर जाने के बाद ऋचा एक सोफे पे आराम से बैठ जाती है जैसे कि कोई मूवी का सीन लाइव देख रही हो । इंस्पेक्टर मेहरा उसे देखकर कहते हैं इस लड़की का कुछ नहीं हो सकता । रुचा हस्ते हुए कहती है इससे बाते उगलबाना आपका काम है मेरा नहीं । कम से कम मुझे ये सीन एंजॉय तो करने दीजिए । वो किलर गुस्से से रुचा की तरफ देखकर कहता है तुम इनके साथ मिली हुई हो।
कोई बात नहीं तुम लोग मुझसे कुछ भी नहीं उगलवा पाओगे । जो करना है कर लो । युग ने भी उसे गुस्से से घूरते हुए कहा वो तो थोड़ी देर में पता चल ही जाएगा । तुम्हे जो करना है कर मैं कुछ भी नहीं बताने वाला।
युग ने सबसे पहले उसके पास जाके उसका नाम पूछा । वो किलर जोर जोर से हंसने लगा और कहा नहीं बताऊंगा । ये सुन के युग ने उसे एक थप्पड़ मार दिया। ये थप्पड़ इतना जोरदार था कि उसके मुंह से खून गिरने लगा। उसने फिर दूसरा सवाल पूछा तुम्हारे रैकेट में कितने लोग हैं। फिर उसने कुछ नहीं बताया । युग ने अब उसके दूसरे गाल पे भी जोरदार थप्पड़ जड़ दिया । उसके दोनों गालों पे थप्पड़ का निशान था। देखते ही देखते उसने ऐसे कई थप्पड़ जड़ दिए ।
पीछे से रुचा हस्ते हुए कहती है लगता है आपके थप्पड़ में दम नहीं है बड़े भैया। कुछ नया ट्राई करो यार ये थप्पड़ वाला स्टाइल तो काफी पुराना हो गया है। युग ने उसकी तरफ देखते हुए ठीक है चलो तुम्हारी बात मानकर कुछ नया ट्राई करते हैं। रुचा ने भी कहा ठीक है अब मजा आएगा । युग ने ड्रॉवर खोलके एक छोटी सी इलेक्ट्रिक शॉक की डिवाइस निकली और किलर की तरफ देखकर एक शातिर मुस्कान दी ।
फिर उसने कहा अब देखते हैं तुम जवाब देते हो या नहीं । ये देख के किलर का गला अंदर से सूखने लगा । लेकिन फिर भी अपना डर उसने चेहरे पे दिखने नहीं दिया । युग ने उस डिवाइस से उसे बिजली के झटके देने लगा। पर इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ बो किलर कुछ भी बताने को तैयार ही नहीं था । पर तभी इस सीरियस माहौल को तोड़ते हुए रुचा ने कहा वैसे मै आज रात के दिल्ली के फ्लाइट की टिकट बुक कर रही हूं।
आपलोग को भी चलना है तो बोलो लगे हाथ आपलोगों का टिकट बुक कर दूंगी । युग ने उसे घूरते हुए देखा फिर कहा इसे हम फ्लाइट से कैसे लेके जाएंगे । और एक तो ये कुछ बता नहीं रहा है और तुम्हे टिकट्स की पड़ी है। ये सुन के रुचा हंसने लगती है और कहती है ऋषिकेश में अब अनाथ आश्रम तो रहा नहीं तो मैं यहां रह के क्या आचार डालूं। वैसे भी मुझे दिल्ली में बहुत सारे काम निपटाने है । और आपलोग का क्या यहीं बसने का इरादा है क्या ।
इस वक्त युग उसे गुस्से से घूर रहा था। तब रुचा अपना ध्यान फोन से हटाती है और कहती है हो गया । आपलोग के लिए भी बुक कर दिए टिकट्स मैने । फिर युग के तरफ देखकर कहती है अरे अरे बड़े भैया ऐसे घूरो मत पैसे नहीं मांग रही मै इसके । अच्छा छोड़ो मैं आपको सिखाती हु कि इन जैसी मोटी चमड़ी वाले लोगों से कैसे बाते उगलवाते है ।
अपने सोफे से खड़ी होती है और फिर उस किलर के पास जाती है और कहती है ध्यान से देखना । ठीक है । उसे देखकर किलर जोर जोर से हंसने लगा और कहा ये तो मुझसे कुछ उगलवा नहीं पाया देखते हैं तुम क्या करती हो छोटी लड़की। तुम्हे जितना मारना है मार लो । मैं कुछ नहीं बोलने वाला।
रुचा भी उसे देख कर स्माइल करने लगी । फिर कहती है देखते है कितनी देर तक तुम मेरा टॉर्चर झेल सकते हो। उसने अपना पर्स खोलकर उससे एक छोटे से box से एक पतली सी सुई निकली और उसके नस में चुभा के निकाल लिया और फिर वापस अपने बैग में रख लिया । फिर जाके वापस अपने सोफे पे बैठ गई । उस किलर ने कहा बस हो गया निकल गई सारी हेकड़ी ।
मेहरा और युग को भी समझ नहीं आया कि आखिर उसने किया क्या । तब रुचा ने हस्ते हुए कहा जस्ट वेट एंड वॉच । अगले एक मिनिट के बाद अचानक वो किलर दर्द से चिखने लगा । उसके सिर से खूब सारा पसीना गिरने लगा । देखते ही देखते उसका पूरा शरीर पसीने से भींग गया । उसके शरीर की नसे साफ दिखने लगी । वो लगातार दर्द से चीख रहा था।
युग ने उस किलर को देखकर रुचा से कहा तुमने किया क्या इसके साथ । रुचा ने उस किलर को देखकर कहा ज्यादा कुछ नहीं किया है बस इसे एक ऐसा ड्रग दिया है जिससे इसे एकसाथ 300 हड्डियां टूटने जितना दर्द होगा । वो ड्रग इसको मारने नहीं देगा लेकिन इसकी हालत मौत से भी बत्तर कर देगा । उसकी इन बातों को सुनकर अब उस किलर को भी इस लड़की से भी खौफ होने लगा ।
फिर रुचा ने उस किलर से कहा जब तक तुम हमे कुछ नहीं बताते मै तुम्हे एंटीडोट नहीं देने वाली । तो अब हम चलते है जब तुम्हारा मन करे न तो हमे बुला लेना ठीक है । ये कहकर वो वहां से जाने लगी। तब उस किलर ने गिड़गिड़ाते हुए कहा मैं बताता हूं। पहले मुझे इसकी एंटीडोट दो । तब रुचा ने हस्ते हुए कहा ये हुई न अच्छे बच्चों बाली बात । कितनी देर से फालतू में बड़े भैया तुमपे इतनी मेहनत कर रहे थे।
जब किलर सबकुछ बताने के लिए तैयार हो गया तो रुचा ने उसे एंटीडोट दे दिया । थोड़ी ही देर उसका दर्द कम होने लगा । तब रुचा ने कहा चलो अब साराफत से मै जो पूछती हु वो बताओ । वरना अभी जो मैने किया न वो तो मेरे सबसे आसान तरीकों में से एक है। मेरे पास इससे भी खतरनाक तरीके हैं। उन तरीकों को तुम झेल भी नहीं पाओगे । ये सुन के अब उस किलर के आंखों में रुचा का डर दिख रहा था।
युग जब रुचा की ये बात सुनी तो उसने अपने मन में ही सोचा ये सिर्फ मासूम दिखती है। इसके तरीके कहीं से भी मासूम नहीं है । इस तरह के टॉर्चर के तरीकों के बारे में उसने कभी सुना भी नहीं था। उसने इतने सालों में भी इस तरह के किसी ड्रग के बारे में नहीं सुना था और उसके सामने की लड़की उसका इतनी आसानी से इस्तेमाल कर रही थी। वो तो ये भी सोच रहा था कि इतने खौफनाक तरीकों को इसे सिखाया किसने होगा । और क्या ये उन तरीकों के लिए जरूरी समान को अपने साथ लेकर घूमती है।
वो इतना तो समझ गया कि इस लड़की की दोस्ती ही अच्छी है इससे दुश्मनी करना बहुत खतरनाक हो सकता है। रुचा का सवाल सुन कर युग अपने खयालों से बाहर आ जाता है। रुचा का सबसे पहला सवाल युग के सवाल से काफी अलग था । रुचा ने पहला सवाल ही पूछा कि ये बताओ तुम लोग लड़कियों को किस बेसिस पे निशाने बनाते हो। उसने डरते हुए कहा हमलोग उन लड़कियों को निशाना बनाते है जो लड़कियों लड़कों के प्रोपोजल को सारे आम रिजेक्ट कर देती है और उनकी बज्जती करती है।
ये सुन के रुचा उसे अजीब तरह से देखने लगती है और कहती ये लो खोदा पहाड़ निकला चूहा । खैर ये बताओ मुझे तो आजतक किसीने प्रपोज ही नहीं किया है तो रिजेक्ट करने का तो सवाल ही नहीं उठता है फिर मैं कैसे तुमलोगो के निशाने पे आ गई । तब उस किलर ने डरते हुए कहा झूठ क्यों बोल रही हो दीदी । रुचा खींच भरी आवाज में युग और मेहरा को देखते हुए कहती है मैं सच बोल रही हूं। मैं अखंड सिंगल हूं और मुझे आजतक किसी ने प्रपोज नहीं किया यार ।
तुम्हे हाल ही में किसी लड़के ने प्रपोज किया तो तुमने उसके मुंह पे क्लब में वाइन फेक दिया था। याद करो मैं झूठ नहीं बोल रहा दीदी । तब जाके उसे याद आया अच्छा बेटा तो तब मैं तुमलोगो के निशाने पे आ गई । उसे प्रपोजल कहते हैं, वो लड़का मुझे छेड़ रहा था तो क्या मैं उसकी आरती उतारू । उसे याद आया कि कल्ब में उसने विहान प्रताप सिंह के चेहरे पर वाइन फेंका था उसने धीरे से कहा विहान प्रताप सिंह तुम्हे तो मैं छोडूंगी नहीं । आखिर उसकी बजह से रुचा की जिंदगी में मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा था।
चलो ये बताओ तुम्हारे गैंग में तुम लोग आपस में कॉन्टैक्ट कैसे करते हो। तब उसने कहा हम कॉन्टैक्ट नहीं करते है हमे लीडर की तरफ से लड़की का फोटो एड्रेस और लोकेशन मिलता है । और फिर जो भी उसे मारता है बस उसे उसी नंबर फोटो भेजने होता है । तुम उस गैंग के मेंबर कैसे बने। उसने थोड़ा जुंझला कर कहा मैने जब अपनी क्रश को प्रपोज किया तब उसने मेरे दोस्तों के सामने मेरी खूब बेइज्जती की । उसके कारण मैं सुसाइड करने जा रहा था पर मुझे किसी ने बचा लिया ।
जब मुझे होश आया तो मैं एक कमरे था वहां उनलोगों मुझे उससे बदला लेने को कहा फिर उन्होंने तीन महीने के लिए ट्रेनिंग दी और फिर उसी तरह से मै उनके ग्रुप में शामिल हो गया । तो मतलब तुमलोग अपने लीडर से खुद कॉन्टैक्ट नहीं कर सकते । उसने कहा हां हम उनसे कॉन्टैक्ट नहीं कर सकते ।
इस काम के बदले में तुम्हे कितने पैसे मिलते है। उसने हिचकिचाते हुए कहा वैसे एक लड़की पे 50 हजार लेकिन ये घटते बढ़ते रहता है । और इस वक्त मेरे ऊपर कितना ईनाम है । वो हिचकिचाते हुए कहता है 2 लाख ।ओहो इतना जायदा तभी तो तुम दिल्ली से ऋषिकेश तक पहुंच गए । वैसे मुझ पे इतना जायदा इनाम क्यों है ।वो डरते हुए कहता है क्योंकि पिछली बार जो तुम्हे मरने आया था बो लीडर का खास आदमी था जिससे तुम बच गई ।
इसलिए शायद उसी ने इनाम बढ़ा दिया । फिर तो मुझसे गलती हो गई उसे उसी दिन मार देना चाहिए था । लगता है गलती हो गई मुझसे । फिर बो किलर कहता अभी तो ये शुरुआत है तुम्हारे पीछे अभी और भी लोग आएंगे । फिर रुचा ने अगला सवाल पूछा तुम्हारे ग्रुप में कितने लोग होंगे । उसने कहा सही सही तो मुझे नहीं पता लेकिन 10 से 15 होंगे ।
फिर रुचा पूछती है ये बताओ तुम कितने को जानते हो। उसने कहा हम में किसी ने भी एक दूसरे का चेहरा नहीं देखा है। हम एक दूसरे को कोड नाम से जानते हैं। रुचा पूछती है और तुम्हारा कोड क्या है। वो जवाब देता है 009 . इस कोड नाम से पता चलता है कि आपका नंबर क्या है इस ग्रुप में ज्वाइन होने का ।
तब रुचा कहती है ठीक है आखिरी सवाल पुलिस headquarters में से कौन तुमलोगो से मिला हुआ है । बो कहता है मुझे भी पता इस बारे में। इस बारे में तो लीडर के खास आदमियों में से ही कोई बता सकता है। फिर उसने पीछे मुड़ के युग से कहा देखा बड़े भैया ऐसे पूछते है इन लोगों से ।रुचा ने जिस तरह से उससे सवाल पूछे थे वो युग के तरीकों से भी ज्यादा प्रोफेशनल था । अब युग को सच में लग रहा था कि उसे सीखने की जरूरत थी ।
फिर बो किलर बड़ी ही मासूमियत से कहता है देखो दीदी जी अब तो मैने सब बता दिया मुझे छोड़ दो । रुचा ने उसे देख कर कहा मुझे पागल समझा है क्या । इतनी सारी लड़कियों की जान ली है तुमने और मैं तुम्हे ऐसे ही छोड़ दूं। फिर रुचा अपने चेहरे पे एक स्माइल के साथ अपनी उंगलियों को क्रॉस करके गले के पास के खास नस को दबा दिया । जिससे वो टेम्पोररली पैरालाइज हो गया । फिर इसी तरह से उसने उसके कंधों के पास भी किया ।
फिर उसने इंस्पेक्टर मेहरा को देखकर कहा ये लो हो गया इसके एयरोप्लेन में ट्रैवल करने का इंतजाम ।
रुचा कहती है चलो आखिर कार काम खत्म हुआ । अब मेरा भूलना मत आपलोग । मेहरा हां में सर हिला देते हैं। पर तभी रुचा का फोन बजने लगता है ये कोई अननोन नंबर था । उसने कॉल पिक करके पूछा हेलो कौन । दूसरी तरफ से आवाज एक लड़की की रोती हुई आवाज आई । दीदी मैं प्रिया। रुचा ये आवाज तुरंत पहचान गई ।
उसने कहा प्रिय तुम । ये किसका नंबर है और तुम तो क्यों रही हो । उसने कहा दीदी ध्रुव खो गया। रुचा ने कहा ध्रुव खो गया मतलब। ऐसे कैसे खो गया । और कहां हो तुमलोग । दीदी मैं और ध्रुव सबसे छुप के महिमा आंटी के लिए आज के महाआरती में प्राथना करने आए थे पर यह भीड़ में ध्रुव का हाथ मुझसे छूट गया । और अब बो नहीं मिल रहा है।
रुचा कहती है अच्छा ठीक है मै आ रही हूं। तुम मेरा बाहर इंतेज़ार करना । चिंता मत करो मैं आ रही हूं। रुचा वहां से तुरंत निकलने लगी । युग ने कहा मैं भी साथ चलता हूं। उसने तुरंत गाड़ी निकली और दोनों त्रिवेणी तट के लिए निकल गए । इस जगह से तट पर पहुंचने में बस 5 मिनिट लगते ।
रुचा युग को रास्ता बता रही थी वो ज्यादा से ज्यादा स्पीड में जाने की कोशिश कर रहा था। अभी अभी रुचा ने उसकी बहुत मदद की थी तो इतना तो युग उसके लिए कर ही सकता था। फिर उसने पूछा ध्रुव भी अनाथ आश्रम के बच्चों में से एक है। रुचा ने कहा हां वो सबसे छोटा है 8 साल का ।
मैं तुम्हे उसकी फोटो सेंड करती हूं। रुचा ने उसे ध्रुव की फोटो सेंड कर दी । इस बक्त रोड गाड़ियों से भरा हुआ था। एक पास की गाड़ी से एक लड़का युग को देखकर अपनी बगल में बैठी लड़की को देखकर कहता है। वो देख युग भैया । वो लड़की अपना सर ऊपर उठकर देखती उससे पहली उनकी गाड़ी चली जाती है।
वो लड़की कहती है बेवकूफ युग भैया यहां कैसे हो सकते हैं वो तो दिल्ली में है। ये दोनों कोई और नहीं बल्कि मिशा और मिहिर थे । मिहिर को रोहन को कहता है जो इस बक्त गाड़ी चला रहा था भैया सच में मैने अभी युग भैया को देखा । और उनकी गाड़ी में कोई लड़की भी थी ।
वेद जो फ्रंट सीट पे बैठा था कहता है मिहिर लगता है तुझे चश्मे की जरूरत है । युग भाई यहां हो ही नहीं सकते । आज सुबह ही मेरी बात हुई थी उसने कहा था कि वो बहुत बिजी हैं। तो वो यहां कैसे हो सकता है वो भी लड़की के साथ ।मिहिर झुंझला कर कहता है अरे सच में मैने युग भैया को देखो । कोई तो मेरी बात का विश्वास करो ।
रोहन कहता है बस करो मिहिर मजाक की भी कोई हद होती है। मिशा हस्ते हुए कहती है भैया इसे चश्मे की जरूरत है । मिहिर लास्ट में कहता है ठीक है ठीक है कोई मेरा विश्वास मत करो । देखना तुम सब पछताओगे।
उसकी ये बात सुनके गाड़ी में सब हंसने लगते हैं। दूसरी तरफ रुचा और युग महाआरती की जगह पे पहुंच गए । रुचा ने इधर उधर सर घुमा के देखा तो उसे प्रिया नजर आई । उसके आंख रो रो के लाल हो गए थे। उसने प्रिया को देख के कहा बस बस अब रोते भी । दीदी आ गई न सब ठीक हो जाएगा ।
रुचा ने प्रिया को युग की गाड़ी में बैठा दिया और फिर वो दोनों ध्रुव को ढूंढने लगे। रुचा ने कई लोगों को फोटो दिखा कर भी पूछा । पर उसे कुछ पता नहीं चला। इस बार रुचा को भी डर लगने लगा था।
दूसरी तरफ रोहन अपनी पूरी फैमिली के साथ वहां पहुंच गया। सब सीधे vip स्टैंड की तरफ जाने लगे । पर मिहिर तो आस पास नज़रे घुमा के देखने लगा कि शायद उसे कहीं युग दिख जाए। और सच में उसे युग दिख भी गया । पर युग की नजर उनमें से किसी पे नहीं गई ।
उसने फिर से मिशा को कहा देख वहां युग भैया । उसकी इस बात से मिशा के साथ साथ रोहन और वेद भी देखने लगे पर किसी को कुछ नहीं दिखा । बो भीड़ में कही गुम हो गया । मिशा ने उसे घूरते हुए कहा कुछ ज्यादा नहीं हो रहा है तेरा । लगता है युग भैया को बताना पड़ेगा कि तुझे उनकी कुछ ज्यादा ही याद आ रही है। बो ही अब तुझे सही सबक सिखाएंगे ।
रुचा को ध्रुव कही नहीं मिला । अब उसे ध्रुव के लिए बहुत डर लगने लगा । पर उसने लगातार ढूंढना जारी रखा। बो भीड़ में भी ध्रुव को ढूंढने लगी । ढूंढते ढूंढते बो vip स्टैंड के पास आ गई और उसे ध्रुव नजर आया । बो भीड़ में फंसा हुआ था। वो वहां से निकलने की कोशिश कर रहा था। तभी रुचा ने चिल्ला कर कहा ध्रुव । पर रुचा की आवाज भीड़ में ध्रुव तक पहुंची ही नहीं ।
वो भी ध्रुव के पास जाने लगी पर भीड़ के कारण ध्रुव और अंदर चला गया। ध्रुव धीरे धीरे नदी के पास पहुंचता जा रहा था। रुचा बार बार उसका नाम लेके चिल्ला रही थी पर ध्रुव को सुनाई ही नहीं दे रहा था। वो भी भीड़ में जगह बनते हुए ध्रुव के पास जाने की कोशिश कर रही थी। इस वक्त बो ध्रुव के काफी पास पहुंच गई थी।
और तभी ध्रुव की नजर रुचा पे गई । उसने रोते हुए कहा दीदी । रुचा ने कहा ध्रुव अपना हाथ दो । इससे पहले कि ध्रुव अपना हाथ रुचा की तरफ बढ़ता उसे किसी और से धक्का लगा और बो सीधे पानी में गिर गया । रुचा के मुंह से जोर की चीख निकली - ध्रुव । वो भीड़ को धक्का देते हुए उस तरफ बढ़ने लगी।
Vip स्टैंड से रोहन की नजर भी उस गिरते हुए बच्चे पर पड़ी और वो उसे बचाने के लिए पानी में जाने ही वाला था कि उसने देखा कि पास से ही एक लड़की पानी में कूद गई। और वो तैर कर उस बच्चे की तरफ जाने लगी । ध्रुव बहुत छोटा था इसलिए वो पानी का जरा सा भी वहाब झेल नहीं पाया और दूसरी तरफ बहने लगा ।