Novel Cover Image

Crushed love

User Avatar

Niki Jangir

Comments

2

Views

7303

Ratings

28

Read Now

Description

प्रसनलीटि डिसऑडर एक ऐसी बिमारी जहां इंसान खुद मे चीजे इमेज करने लगता है उसे रिल ओर रियलटी मे फर्क नजर आता यही हाल था दक्षत सिंघानिया का दो रंग की डरावनी आंखे जो पल मे एक स्वीट केयरींग , इनोसेंट सा लड़का बन जाता है तो वही अलगे ही पल एक डेंजरस इंसान जो...

Total Chapters (50)

Page 1 of 3

  • 1. Crushed love - Chapter 1

    Words: 1415

    Estimated Reading Time: 9 min

    Hii guy's so let's start the story  😊😊😊 एक अंधेरे कमरे मे मान धिरे धिरे अपनी आंखें खोलता है । उसे अपने चारो तरफ सिवाय अंधेरे के कुछ नजर नही आ रहा था । ‌ वो बेड़ पर बेजान सा लेटे हुए अंधेरे को ताक रहा था । एक वक्त था.. जब उसे ऐसे गहरे अंधेरे से डर लगता था.. ओर आज एक वक्त है.. जब उसकी सुनी आंखो मे अंधेरे के अलावा कुछ नही है । वो अपने शरीर को हिलाने की कोशिश करता है तो उसे पता चलता है कि वो बंधा हुआ है । पता नही वो कितनी ही बार अपनी आंखे बंद करके खोल चुका है लेकिन जितनी बार वो अपनी आँखें खोलता , उसे इस अंधेरे के सिवाय कुछ नजर नही आया । पहली बार जब उसकी इस काले गहरे अंधेरे मे आंखी खुली थी । तब वो बहुत चिल्लाया था और पहले की तरह रोया भी बहुत था.. उसे डर लग रहा था पर अब उसने चिलाना बंद कर दिया । उसे नही पता कोन है । जिसने उसे बंद किया है पर धिरे धिरे उसे इस डार्कनेस मे शुकुन सा महसुस होने लगा था...  मान अभी अपने खयालों मे खोया हुआ था कि तभी उसे किसी के आने की आहट सुनाई देती है । एक बार फिर वह नजर उठा कर चारों तरफ देखा है तो एक कोने मे से कुछ रोशनी आ रही थी । सामने से आ रही रोशनी को देख कर मान की आंखे बंद हो जाती है...वो दोबारा अपनी आंखे खोलता है.. तो फिर से वो रोशनी गायब हो चुकी थी... पर इस बार वो इस अंधकार मे अकेला नही था । ...मान अच्छे से सुन सकता था.. कोई है जो धिरे धिरे उसकी तरफ बढ़ रहा था ... सामने से आई कदमों की आहट को सुनकर मान रुखी आवाज में बोलता है " कोन हो तुम ? क्यूं बंद कर रखा है मुझे ? क्या चाहते हो तुम... " ...मान की आवाज सुनकर.. सामने से जोर जोर की हसने की आवाजे आने लगती है.. फिर अचानक से... एक डार्क वॉइस मानव के कानो मे जाती है... " तुम्हारी मौत ! यही चाहिये मुझे... " सामने वाले का जवाब सुनकर , मान हलका सा डर गया ।  पर वो फिर भी खुद को हिम्मत देते हुए बोलता है... " क्यूं ?क्या बिगड़ा है मैने तुम्हारा ओर अगर मेरी मौत ही चाहते हो , तो मुझे मारा क्यू नही अब तक... " ...मान का सवाल सुनकर.. वो शक्स एक बार फिर हसते हुए बोलता है... " क्या बिगाडा़ है ? मुझे हैवान बनने पर मजबुर किया है तुमने मानव सिंह ठाकुर ? वो तुम हो जिसकी वजह से लोग मुझे डिमन बुलाते । तुमने मुझसे सब कुछ छिन लिया । मेरा प्यार , मेरी जिंदगी.. सब कुछ । तुम खुनी हो मान सिंह ठाकुर.... ओर मै तुम्हे उसकी सजा देने लोट कर आया हूं.. मौत तुम्हारे लिए बहुत छोटी सजा है । मै तुम्हे मौत से बत्तर जिंदगी दुंगा । तुम्हें हर पल अपने फिर से जन्म लेने पर पछतावा होगा । " ...सामने वाले की बाते सुनकर मानव की डर से रूह तक काप गई । वो अपनी कांपती आवाज मे बोलता है... " मै , मैंने का किसी का खून नही किया... " "...किया है तुमने ! मेरी रुह की जान ली है ओर उसकी सजा आज से तुम्हे हर पल मिलेगी... "...सामने फिर से नफरत भरी आवाज आती हैं । मान को अब ओर डर लगने लगा । उसे इतना तो पता चल गया कि.. सामने वाला शक्स.. जरुर कोई साइको है.. पर वो उसके पिछे क्यों पडा़ है.. उसने तो आज तक किसी चीटी को भी नही मारा.. तो खुन कैसे कर सकता है वो ? मान अब फिर से छुटने के लिये छटपटाने लगा । तभी उसे अपनी जोलाइन पर किसी की पकड़ महसूस होती है । जिसने बहुत ही टाइली उसकी जो लाइन को पकड़ रखा था । उसके पकड़ने से मानव को एक तेज दर्द का एहसास हुआ और आंखों में नमी उतर आई पर वो फिर भी हिम्मत करके सामने वाले को देखने की कोशिश करता है । शायद वो सामने वाले को देखकर पहचान पाए । लेकिन सामने उसे सिवाय अंधेरे के कुछ नजर नहीं आया " कोन.. कोन हो तुम... " मानव रुंद गले से सवाल करता है । "...डिमोन.. " बोलते हुए सामने वाला शक्स एक झटके के साथ... मान के सारे कपडे़ उसके शरीर से अलग कर देता है...  ..मान की तो जैसे सांसे ही रुक गई । वो फिर से हिम्मत करके अपनी कांपती आवाज मे बोलता है.. " प्लीज लिव मी... " ...पर ऐसा लग रहा था.. जैसे सामने वाला सुुन ही नहीं रहा । धिरे धिरे मान को अपनी बॉडी़ पर किसी के हाथ महसुस होने लगते हैं । मान फिर से खुद को छुड़वाने की कोशिश करता है लेकिन चैन से बंधे होने की कारण कुछ नहीं कर पाता ‌। अगले पल उसे अपने शरीर पर किसी के दांत महसूस होते हैं ओर वो दर्द कांप उठाता है । धिरे धिरे उसे अपनी पुरे शरीर पर दांत महसूस होने लगते हैं.. दर्द की वजह से मान की सिसकिया निकल रही थी और वो रोते हुए हार बार खुद को छुड़वाने की नाकाम कोशिश करता है लेकिन सामने वाला बिना किसी राम के मन को दर्द दिया जा रहा था वहीं मान को ऐसा लग रहा था जैसे वो इस दर्द से आज मर ही जायोगा...   तभी अचानक से मान की चीख निकल जाती है.. वो चिलाते हुए अपने उपर से उस शक्स को हटाने सी कोशिश करने लगता है । मां के ऊपर लेटा शक्ख जबरदस्ती उसे इंटिमेट होने लगा था मान पागलो की तरह चीखे चिल्लाए जा रहा था पर सामने वाला फिर भी नहीं रुका । ऐसा लग रहा था जैसे मान की चीज उसे सुकून दे रही है । रोने की वजह से मान की आंखो लाल हो चुकी थी.. इंटिमेसी की वजह से हो रहा दर्द , मान के बर्दासत से बाहर होरहा था उसे ऐसा लग रहा था जैसे धीरे-धीरे उसकी शरीर से उसकी आत्मा बाहर जा रही हो ।  मान ये सब पहली बार एक्सपिरिंयस  कर रहा था... आज से पहले उसे किसी ने छुआ तक नहीं किया । बस एक शख्स है जो प्यार से उसे हग करता है । उसकी केयर करता है । उसके फॉरहेड़ पर सॉफ्ट किस्स करता है । दक्ष ! उसका प्यार । जिसे वो पहली ही नजर मे अपना दिल दे बैठा था । उसकी वो नीली आंखें , जो हर बार उसके दिल के तार झनझना देती है । ...अपने साथ हो रहे टॉर्चर के मान चीला  रहा था.. बुरी तरह से रो रहा था... मिन्नतें कर रहा था... पर सामने से कोई जवाब नही आ रहा था ओर ना ही वो अपनी एक्टीविटी के रोक रहा था...  ...आखिरी चीख के साथ मान बेहोश हो जाता है और धिरे से बोलता है... " दक्ष ! आई लव यू... "...ओर अपने होश खो देता है...  ...वही मान के वो शब्द सुनकर.. सामने वाला शख्स अचानक से रुक जाता है । उसका चेहरा अब शांत लग रहा था.. वो धिरे से मान के  गालो को छुता है ओर झुककर धिरे से मान के माथे पर किस्स करता है ओर उसके उपर से हट जाता है...अंधेरे मे चमकती वो सफेद ओर काली आंखे.. अचानक से निली हो गई । कुछ वक्त पहले वो कमरा , जो पुरी तरह से अंधेरे से भरा था.. आपको रोशनी से घिर चुका था । उसे कमरे में बिस्तर के सामने वाली दीवार पर किसी की तस्वीर लगी हुई थी देखने मे वो एक बेडरुम की तरह लग रहा था.. जिसकी दीवारो पर काले रंग के अलावा कुछ नही था । वहा बेड़ पर बेजान सा मानव चैंन से बंधा पड़ा था। उसके पूरे शरीर पर जगह-जगह काटने के निशान थे और लोअर बॉडी से खून निकल रहा था बेजान से उस शरीर के देखकर किसी भी रुह कांप जाए । पर सामने वाला अभी उसे अपनी दो रंग की आंखे से घुर रहा था.. कुछ देर पहले जहां उसकी आंखे कुछ पल के लिये ऑसियन ब्लु हुई थी.. वो अब फिर से बदलकर काली और सफेद हो गई थी वो दिखने मे किसी डरावने सपने की तरह था... मान को एक नजर फिर से देखने के बाद वो जोर जोर से हसने लगता है और बोलता है.. "यह तो बस शुरुआत है मेरे बदले की । दक्षत सिंघानिया का बदला तुम्हें जलकर राख कर देगा " ...... Continue.....  कौन है जिसके खुन का बदला... दक्ष लेना चाहता है.. क्या है मानव की कहानी... आगे जाने के लिए अपने लिए मेरे साथ ।

  • 2. Crushed love - Chapter 2

    Words: 1571

    Estimated Reading Time: 10 min

    Hii guy's so let's start the story  😊😊😊 A lucky , lucky girl  She got married, to a boy like you  She did kick you out if, she ever, ever knew But all the ***...you tell me that you do  Derty , Derty boy  You know everyone is talking on the scene  I hear them whispering, bout the peace  That you have been and how you don't know how to keep your business clean...  ...mummy don't know , Daddy's getting hot  At the body shop doing something unholy..  He sat back while she's dropping it , She be popping It . Yeah, she put it down slowly...  ...oH - EE - oh - EE , he left his kids at... ...mummy don't know.. daddy's getting hot.... ............ गाने की बिट पर एक उन्नीस - बीस साल का लड़का...नाचते हुए अपने बालो को हेयर ड्रायर से सुखा रहा था । ...उसने वाइट कलर का एक टावल लपेट रखा था.. जो उसकी जो घुटनो से थोडा़ नीचे तक आ रहा था.... कान मे चांदी बाली... गिले बिखरे बाल....स्नो वाइट स्कीन...ओर गाल पर एक तिल.. बिलकुल नजर के टिके की तरह । एक पैर मे काला धागा...रिंग फिंगर मे रिंग... मीडियम हाइट ओर.. सावर की वजह से रेड स्किन , जो किसी की भी नियत पल भर मे डगमगा दे । मानव सिंह ठाकुर उर्फ मान सिंह ठाकुर । जयपुर के ठाकुर घराने का इकलौता बेटा । अपने रुम मे तैयार हो रहा था...  ...आज उसका कॉलेज मे पहला दिन था....अपनी मेहनत के दम पर उसने.. बेस्ट युनिवर्सिटी , दिल्ली युनिवर्सिटी मे एड़मिशन लिया था ओर कल ही कॉलेज के हॉस्टल मे सिफ्ट हुआ है....  ...मानव आज बहुत खुश था... फायनली उसके इतनो सालो की तमन्ना पुरी हो गई थी... घर से बहार निकलकर एक फ्री बर्ड की तरह अपनी जिंदगी जीना । ऐसा नही था कि मानव को अपने घर मे किसी की चिज की छूट नही थी... पर उसके पेरेंट्स उसके लिए बहुत ज्यादा प्रोटेक्टिव थे... उसकी एक जोइंट फैमली है.. जिसमे उसके पापा-मम्मी ,चाचा-चाची.. दादा-दादी , भूआ - फुफा , तीन बडीे बहने ओर वो ! पुरी फैमिली की जान । अपने मां-बाप की इकलौती ओलाद , जो शादी के सालो बाद पैदा हुई । मानव अभी मस्ती से डांस करते हुए बाल सुखा ही रहा था की तभी उसका फोन बज उठता है वो फोन उठाकर स्क्रीन पर देखता है तो वहा पर हिटलर नाम सो हो रहा था मानव जल्दी से टावल को छोड़कर एक वाइट कलर शर्ट ओर ब्लैक पेंट पहनता है । फिर जल्दी से कॉल पिक करते हुए बोलता हैं... " हाय चाची ! कैसी हो... ?" तभी दुसरी तरफ आवाज आती हैं.. " चाची के बच्चे तु आज फिर से टावल पहने डांस कर रहा था ना ? कितनी बार समझा दिया तुझे कि अब तु बडा हो गया है.. तो ये बच्चो वाली हरकते छोड़ दे... " अपनी चाची की डाट सुनकर मान दांत दिखाते हुए बोलता है... " अरे चाची आप भी ना, क्या बाते लेकर बैठ गये सुबह सुबह । ये बताओ बाकी लोग कहां है... " "... यही है सारे... देख ले.. तेरे बिना घर कितना सुना हो गया है । तेरा जाना जरुरी था क्या मान? यही किसी कॉलेज मे दाखिला ले लेता... " अपनी चाची की बात सुनकर मानव हसते हुए बोलता हैं... " क्या बात है.. आज तो हिटलर, इमोशनल हो गई.. " मानव कि बात सुनकर उसकी चाची फिर से उसे डाटते हुए बोलती हैं... " मान ! बहुत बोलने लग गया है तु.. " मानव एक बार फिर से हस देता है । फिर फैमिली के सभी मेंबर्स से बात करता है । कुछ वक्त बाद करने को बाद वो कॉल कट कर देता है । उसने अभी कॉल रखा ही था कि उसका फॉन फिन से रिंग करता है । इस बार स्क्रीन पर शैतान की नाती लिखा हुआ था... मानव स्क्रीन को देख कर जबरदस्ती की स्माइल करता है और वीडियो कॉल उठा लेता है.. विडियो कॉल पर उसकी फियोंसे.... रजनी ग्रेवाल थी जो उससे दो साल बडी थी और बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रही थी । ...रजनी ओर उसकी एंगेजमेंट हाल ही मे हुई है । दोनो फैमिलीज का रिलेशन बहुत अच्छा है जिस वजह से सभी ने मानव की मर्जी जाने बगैर ही सगाई कर दी । मानव ने भी बिना किसी आर्गुमेंट की सगाई कर ली । वैसे भी वह किसी से प्यार नही करता तो क्या फर्क पड़ता है और फिर दोनो बचपन के दोस्त थे । मानव को उससे बाते करना अच्छा लगता है पर रजनी एक हैबिट जो उसे पसंद नही । वो है रजनी का पेरेंटस का तरह सवाल जवाब करना मानव कॉल पिक करके एक प्यारी सी आवाज मे बोलता है.. " कैसी हो... " " ...बहुत अच्छी.... ओर तुम ... "...रजनी मुस्कुराते हुए सवाल करती है मानव भी वैसे ही स्माइल करते हुए बोलता हैं.. " हमेशा की तरह बहुत खुश... "... ..."हॉस्टल पसंद आया ?" रजनी उससे आगे पुछती हैं तो मानव कल की जर्नी से लेकर शिफ्टिंग तक सब कुछ उसे बताने लगता है । रजनी उसकी बात सुनकर मुस्कुरा देती है और बाय बोलकर कॉल कट कर देती है मानव कॉलेज के लिए लेट हो रहा था । मानव कॉल रखने के बाद जल्दी से तैयार होता है और कॉलेज के लिए निकल जाती है । उसने सफ़ेद रंग की शर्ट और काले रंग की पेंट के साथ काले रंग की जैकेट पहनी थी माथे तक आते बाल , आंखो मे हल्का सा , ना के बराबर काजल , होंठो पर हल्की रेड लिप बाम , कानो मे चांदी की बालियां ओर हाथ मे चांदी का एक कडा पहने वो बहुत क्यूट लग रहा था । कहने को तो वो लड़का था पर उसे तैयार होने का बहुत शौक था ओर कानो मे बालियां , ये तो ठाकुर खानदान की परंपरा थी ओर फिर वो ठहरा , कोरियन बॉइज का डाई हार्ट फैन , घर पर वो अपनी मर्जी नही चला सकता था पर यहां तो वो चला ही सकता है ओर फिर गोड़ गिफ्टेड उसका मासूम सा , बियर्ड फ्री चेहरा,  उपर से उसके मासूम चेहरे पर वो  काला तिल । उसकी ब्यूटीफुल सी सूरत पर चार चांद लगा देता है । करीब नो बजे वो अपनी कॉलेज मे एंटर करता है.. ओर कॉलेज के हर शख्स की नजर उस पर ठहर जाती है । वो बिलकुल इनोसेंट फैरी एंजल की तरह लग रहा था । जिसे दुनिया जहां न का कुछ ना पता हो । उसके साथ उसके हॉस्टल का एक ओर लड़का था । जो उसके पास के ही रुम मे रहता है विवेक उर्फ विक्की । दोनो की पहली मुलाकात मे अच्छी दोस्ती हो गई थी...  आंखो पर चश्मा.. बालो की पोनी टैल , चैक शर्ट के उपर जैकेट ओर पैरो मे जुते । थोडी सा पढ़ाकू ओर थोडी सा नादान । दोनो की जोडी फिलहाल बहुत ही मस्त लग रही थी । एक चलती फिरती एंजेल ओर तो दुसरा डोरेमोन ‌। कॉलेज का हर दूसरा स्टूडेंट मुड़ मुड़ कर उन दोनों कोई देख रहा था  और वह दोनों अपनी ही मस्ती मे बाते करते हुए चले जा रहे थे । मानव के एक हाथ मे चॉकलेट थी ‌। जिसे वो खुद भी खा रहा था और विक्की को भी खिला रहा था । वही विक्की के हाथ मे मैगजीन थी जिसमे कॉलेज के रुल्स ओर उसकी इनफॉरमेशन थी ‌‌। विक्की चलते हुए उसे पढ़ रहा था और मानव को बता रहा था । सभी की नजरो से बेखबर दोनो अपनी क्लास ढूंढते ढूंढते क्लास मे जाकर बैठ जाते है ओर फिर से अपनी ही बातो मे लग जाते हैं...दोनो को देखकर कोई नही बता सकता था कि ये कल ही मिले है ‌। ऐसा लग रहा था जैसे दोनो सालो पुराने दोस्त हो ओर फिर उपर से दोनो की मासूम सी शक्ल ‌। कुछ लोगो को तो, मानव को देखकर ही डाउट हो रहा था कि सच मे लड़का ही है ना? मानव की हरकते देख कर ऐसा लग रहा था जैसे वो एक  क्यूट सी प्रिंसेज हो । ये उसकी दिक्कत नही है । अपने घर का वो इकलौता बेटा है.. बाकी सारी लड़किया ओर लेडिज । उसकी बहने तो अक्सर बचपन मे उसे लड़की बनाकर अपने साथ मार्केट मे लेकर चली जाती है ओर रही बात बचपने की वो भी घरवालों की ही देन है । इकलौता होने की वजह से घरवालों ने बहुत ही नाज से पाला था तो बचपना अभी तक उनके अंदर था । साथ में मुंह फट अंदाज ओर थोडा सा झगड़ालू वो दिखने मे भले ही एक क्यूट बार्बी डॉल जैसा था पर कराटे का चैम्पियन है । उसे सब आता है , डांस से लेकर कराटे तक सब कब । बस सिंगिंग नही आती । वो कोशिश भी करता है पर उसका गाना सुनना मतलब कान के पर्दे फट जाना । ये थोडा़ सा अजीब है ना ये ‌। जब वो बोलता है तो उसकी आवाज बहुत मीठी होती है पर जब भी वो गाने की कोशिश करता है उसकी आवाज फटा स्पीकर बन जाती है ‌ हां वो म्युजिक इंस्ट्रूमेंट काफी अच्छी तरिके से बजा लेता है और यहां भी उसका एक सबजेक्ट म्युजिक है । वो भी घरवालों से छुपकर । ..ये भी थोडा़ सा अजीब है पर उसकी फैमिली उसे संगीत से दूर रखती है स्पेशली फ्लूट ! बांसुरी को तो वो दुर से देखने भी नही देते ओर ना फ्लूट म्युजिक सुनने देते...  .... continue.....  कैसा होगा मानव की कॉलेज का पहला दिन ? आगे जाने के लिए लाइक कमेंट और फॉलो जरूर करें

  • 3. Crushed love - Chapter 3

    Words: 1327

    Estimated Reading Time: 8 min

    Hii guy's so let's start the story  😊😊😊 करीब पंद्रह मिनट बाद  कॉलेज के अंदर एक ब्लैक कलर की कार आकर रुकती हैं.. ओर कार के अंदर से चार लोग बहार निकलते है... उन चारो के अंदर आते ही हर तरफ एक अजीब सी खामोशी छा जाती है... हर कोई उनसे नजरे बचाते हुए.. अपनी अपनी क्लास मे जाने लगते है.... उन चारो मे तीन लड़के बहुत ही हैं ज्यादा हैंडसम थे सभी ने वाइट &ब्लैक कलर के आउट फिट पहन रखे थे... ..... ये थे कॉलेज के न्यु एडमिसन...ओर सबसे फेमस बॉयज.. जिन्होने.. कुछ ही वक्त मे बहुत ज्यादा पापुलैरिटी हासिल कर ली थी । ये भी कंट्री के बडे़ बडे़ परिवारो की एकलोती ओलाद थे....  ....वत्स बजाज – उम्र 21 साल , अच्छी खासी हाइट ओर जीम मे बनाई हुई बॉडी । चेहरे पर बियर्ड.. प्लेफुल पर्सनालिटी , ऑलवेज हस्ते , मुस्कुराते ओर फर्ट करते रहना .... राज कपूर – उम्र 21 साल ओर राज की तरह से सेम हरकते । दोनो की काफी अच्छी बॉडिंग है ... वही फेस पर बियर्ड स्टाइल.. ओर जिम मे तैयार बॉडी.. बस फर्क.. एक कान मे बाली...  संगम राजवंश –दोनो से उम्र में थोड़ा बडा़...लंबे , कानो तक आते बाल.. जो हमेशा.. खुले रहते है... हलकी सी बियर्ड.. ओर हाथ पर टटु.... जो सभी के समझ के बहार थे ... शांत रहना । ये ऐसा शक्स है जो बिना कहे.. तीनो का हाल जान लेता है...  दक्ष सिंघानिया – एक अजीब सी पर्सनालिटी , दो रंग की आंखे । एक बिलकुल काली ( राइट साइड वाली) ओर एक बिलकुल सफेद कलर की ( लेफ्ट साइड़ वाली) ... राइट साइड़ मे आईब्रो से लेकर सर तक एक बडे से कट का निशान... जो उसकी खुबसुरती मे किसी दाग की तरह दिखता ..... लेफ्ट साइड के गाल पर भी एक गहरे धाव की निशान था जो उसे दिखने मे ओर भी ज्यादा डरावना बना रहा था । कलीन बियर्ड ओर बॉडी पर बहुत सारे टैटू ‌। गर्दन के पिछे से लेकर... हाथ ओर सीने पर भी अलग अलग टैटू थे जिसमे कुछ डरावने.. कुछ नॉर्मल ओर कुछ अजीब थे....उसके दाएं हाथ की बाजू पर कुछ तितलियां बनी हुई थी । जो सारे टैटु मे नॉर्मल है.. इनके अलावा.. सारे अजीब ओर डरावाने टैटुज थे.. ये हमेशा ही खामौश रहता है .. इसका औरा भी बहुत डरावना है.... कॉलेज के स्टुडेंटस इसकी उपस्थिति मे इसके सामने कम ही आते है...पर इसमे एक अजीब बात है... ये जितना स्केरी है.. कभी कभी उतना ही स्वीट हो जाता है.. अक्सर लोग इसके चेहरे को देखकर डर जाते हैं ओर इसके आस-पास नही आते । इसका चेहरा.. जो दिखने मे डरावना है.. ये गोड़ गिफ्टेड । जन्म से ही वो इसी चेहरे के साथ पैदा हुआ था...बर्थ मार्क की तरह...इसके चेहरे पर घाव के निशान है...  कुछ लोगो का कहना है कि जिस दिन दक्ष पैदा हुआ था.. चारो तरफ अंधकार छा गया । आसमान पुरे काले घने बादलों से ढक गया था और हर तरफ तुफान आने लगा था... उस दिन दिल्ली मे बहुत तबाही हुई थी... हजारो की तादात मे जानवर.. पशु-पक्षी मारे गये । .. बहुत से लोग भी मर गये थे बहुत लोग घायल हो गये थे  ... ऐसा लग रहा था जैसे नेचर मातम मना रहा हो.. इसके जन्म पर । इसके जन्म के कुछ वक्त बाद जब सिंघानिया परिवार के पंडित जी ने इसे देखा.. तब उनके मुंह से कुछ ही शब्द बहार आए थे... " डीमन लोट आया... " पंडित जी ने तो सभी घरवालों को उसी वक्त दक्ष को मारकर दफनाने का आदेश दे दिया था पर दक्ष की मां ने दक्ष को नही मारने दिया ओर उसका नाम रखा.. " दक्षत सिंघानिया.... " ओर तब से दक्ष अपनी मां को अलावा किसी को करीब नही आने देता । उसकी मां के बाद‌ अगर कोई उसकी जिंदगी मे है तो वो उसके तीन दोस्त । जो हर परिस्थिति मे उसका साथ देते हैं । ऐसा नही था कि दक्ष की फैमिली मे कोई ओर नही था... सिंघानिया फैमिली एक जाना माना नाम परिवार था । जिसमे बहुत से लोग थे पर वो लोग दक्ष के लिए नही थे...उसके घर मे दक्ष की मां को छोड़कर , सब उससे नफरत करते है या फिर डरते हैं पर कोई भी प्यार नही करता । उसके घर के अधिकतर सदस्य हैं उसे अबशगुन और डरावना मानते हैं दक्ष हमेशा से ऐसा नही था । उसे दक्ष से दक्षत बनाने मे उसकी इस सॉ कॉल्ड फैमिली का भी बहुत बडा़ हाथ है... जहां वो दक्ष बनकर सबको प्यार बाटता है.. वही दक्षत बनकर वो हर तरफ तबाही मचाता है...  ये चारो कॉलेज के पहले दिन से साथ है.. कुछ लोगो का तो कहना की इन लोगो ने स्कूलिंग भी एक साथ ही की है... चारो अक्सर साथ ही दिखते है । बस दक्ष को छोड़कर । वो अक्सर कॉलेज फैकल्टी के म्युजिक रुम मे अकेला रहता था । अक्सर शांत रहते‌ है पर इनका खौफ उतना ही ज्यादा है । कॉलेज के पहले ही दिन इन चारों ने दो सीनियर्स को बेरहमी से पूरे कॉलेज के सामने पिटा । दोनों सीनियर्स आज कोमा में हैं और कॉलेज ने इनके ऊपर कोई एक्शन नहीं लिया । चारो कॉलेज आते ही सीधे अपनी क्लास की तरफ बढ़ जाते है । चारो अभी जा ही रहे थे कि अचानक से दक्ष अपनी ही जगह पर रुक जाता है... उसके रुकने से तीनो उसकी तरफ सवालिया नजरो से देखने लगते है पर दक्ष बिना कुछ बोले.. वहा से लिफ्ट का तरफ बढ़ जाता है । उसे लिफ्ट मे जाता देख.. राज ओर वत्स दोनो एक साथ बोलते हैं... " ये तो गया... " संगम दोनो को देख कर मुस्कुरा देता है और क्लास की तरफ बढ़ जाता है । तीनो ही साइंस फैकल्टी से बिलोंग करते थे... ओर इसी सेम फैकल्टी से थे मानव ओर विकी । राज ओर वत्स.. दोनो जैसे ही क्लास मे एंटर करते है... कुछ पल के लिए वही पर शांती छा जाती है.. पर सभी को जैसे ही एहसास होता है... राज ओर वत्स के साथ सिर्फ संगम है... सब लोग नॉर्मल हो गए । किसी को नही पता था कि क्यों.. पर दक्ष की प्रेजेंस कभी कभी सभी के दिलो मे खौफ पैदा कर देती है । सभी लोग उसकी आंखो की तरफ देखकर ही पता करते थे कि उसका मुंड कैसा है । जब भी वो सभी के साथ सामान्य व्यवहार करता है तो उसकी वो दो रंग की आंखे , अपने आप ही सात समुंदर की तरह हल्के नीले रंग की हो जाती है और और जब वह गुस्से में होता है तो उसकी आंखें दो रंग की जाती है । यह नियति का एक अजीब करिश्मा था जो सबके समझ की परे थे । दक्ष की मॉम ने दक्ष को बहुत से डॉक्टर से चैक करवाया पर किसी के पास दक्ष की इस बिमारी का इलाज नही मिला । डॉक्टरस की कहना था " दक्ष के चेहरे के वजह से लोग उसके साथ अनकंफर्टेबल हो जाते हैं ओर उससे दुरी बनाए रखने की कोशिश करते हैं शायद यही वजह है जिसने दक्ष के दिमाग पर गहरा असर किया है ओर वो ऐसा बन गया है । ये उसके इमोशंस का असर है । जिसमे वो खुद को अलग-अलग स्थिति में मे अलग अलग तरह से इमेजिन करता है और वही पर्सनालिटी सबके सामने आती है "  तीनो के अंदर आते ही क्लास का माहौल एक प्लेफुल एनवायरमेंट मैं बदल गया । लड़किया राज ओर वत्स के पास आकर उनके साथ फ्लर्ट करने लगती है । वही संगम सब चीजों को इग्नोर करके , क्लास की लास्ट बैंच की तरफ चला जाता है । जहां कॉर्नर मे पहले ही मानव ओर विकी बैठे हुए थे ‌ दोनो चिप्स खाते हुए कार्टून देख रहे थे चूंकि अभी क्लास शुरु होने मे वक्त था तो दोनो ने थोडा़ इंटरटेनमेंट करने का सोचा ओर बस फिर मान ने बैग से चिप्स निकाल ली और विकी ने कार्टुन शुरु कर दिए । ......Continue.....  कैसा रहेगा.. मान ओर विकी का पहला दिन... plz like comment or share jarur kre thank you... 

  • 4. Crushed love - Chapter 4

    Words: 1494

    Estimated Reading Time: 9 min

    Hii guy's so let's start the story  😊😊😊 राज ओर वत्स.. दोनो जैसे ही क्लास मे एंटर करते है... कुछ पल के लिए वही पर शांती छा जाती है.. पर सभी को जैसे ही एहसास होता है कि राज ओर वत्स के साथ सिर्फ संगम है तो सारी क्लास नॉर्मल हो गई । किसी को नही पता था कि क्यों ? पर दक्ष की प्रेजेंस कभी कभी सभी के दिलो मे खौफ पैदा करती थी । सभी लोग उसकी आंखो की तरफ देखकर ही पता करते थे कि उसका मुंड कैसा है । जब भी वो सभी के साथ नॉर्मल बिहेव करता है । तब उसकी वो दो रंग की आंखे... अपने आप ही ऑसियन ब्लु कलर की हो जाती है.. ये नेचर का ही एक अजीब सा क्रिसमस था...जो सबके समझ से बहार था... दक्ष की मॉम ने दक्ष को बहुत से डॉक्टर से चैक करवाया था.. पर किसी के पास दक्ष की इस बिमारी का इलाज नही था...डॉक्टरस की कहना था । दक्ष को चेहरे के वजह से लोग उसके साथ अनकंफर्टेबल हो जाते हैं ओर उससे दुरी बनाए रखते हैं । सायद यही वजह है.. जिसने दक्ष के दिमाग पर गहरा असर किया है.. ओर वो ऐसा बन गया है... ये उसकी इमेजनस का असर है ...जिसमे वो खुद को अलग अलग सिचवेसन मे अलग अलग तरह से इमेजिन करता है और वही प्रसनलीटि सबके सामने आती है...  तीनो के अंदर आते ही क्लास का माहौल.. एक प्लेफुल एनवायरमेंट मे चेंज हो जाता है... लड़किया... राज ओर वत्स के पास आकर उनसे फलर्ट करने लगती है.. वही संगम सब चीजो को इग्नोर करके... क्लास की लास्ट बैंच की तरफ चला जाता है... जहां कॉर्नर मे पहले ही मानव ओर विकी बैठे हुए थे... दोनो चिप्स खाते हुए कार्टून देख रहे थे क्योंकी क्लास शुरु होने मे अभी वक्त था.. तो दोनो ने थोडा़ इंटरटेनमेंट करने का सोचा... ओर बस फिर मान ने बैग से चिप्स निकाल ली... विकी ने कार्टुन शुरु कर दिये...  भले ही दोनो को मिले हुए एक ही दिन हुआ था पर उनकी हरकते देख कर किसी को भी लग सकता है कि ये बचपन की दोस्त है... मानव ऐसी ही है .. एक पल मे किसी के भी दिल मे जगह बना लेना ओर उसके इसी नेचर की वजह से घरवालो को थोडा़ डर लगा रहता है.. क्योकी मान दुनिया की बुराईया से बहुत दुर है.. उसका हार्ट बहुत प्योर है.. बिलकुल एक एंजल की तरह... ...दोनो अभी अपने फोन मे बिजी थे ही की अचानक उन दोनो को अपने सामने किसी के होने का एहसास होता है‌ तो दोनो नजरे उठा कर अपने सामने देखते है...तो वहा पर एक शक्स खडा़ था.. जिसने ब्लेक  पेंट ओर ब्लैक हुडी़ डाल रखी थी.. बाल लंबे थे.. जो खुले थे.. हाथ मे टैटु... दिखने में भी हैंड़सम था... उसे देखकर दोनो को इतना तो पता चल गया था कि ये टीचर को नही है तो फिर ये कोन है... ? ...मानव अपने मुँह मे चिप्स लेते हुए सामने वाले बंदे को अपनी प्यारी सी आवाज मे बोलता है.. " तुम कोन हो... ओर हमारे सामने क्यु खडे़ हो.."...तभी विकी अपने चश्मे को सही करते हुए बोलता हैं... "  क्या तुम्हे कुछ चाहिए... पर हमारे पास तो कुछ नही है.. चिप्स थी.. वो भी हमने खा ली... " .... विकी की स्टुपिड़ बाते सुनकर मानव उसे चपत लगाते हुए बोलता है.. " पागल ये हमशे चिप्स मांगने क्यु आयेगा... कुछ ओर लेने आया होगा... " ...मानव की बात सुनकर विकी सोचते हुए बोलती है.. " ओर क्या ? क्या ये हमसे नोटस लेने आया है पर हमारे पास तो वो भी नही है.. हम तो पहले से ही पुरे पंद्रह दिन लेट है... " विकी की बात सुनकर मानव भी नोट करते हुए बोलता हैं.... " हूं सही कहा.. तो फिर ये क्या लेने आया है...? " " ...चलो इससे ही पुछ लेते है.. विकी एक बार फिर से अपना चश्मा सही करते हुए बोलता हैं । फिर दोनो एक साथ सामने खडे़ शक्स को देखते है और इनोसेंटली पुछते है..." क्या चाहिए तुम्हे... " दुसरी तरफ सामने संगम खडा़ था.. जो इतनी देर से दोनो को देख रहा था.. क्योंकी दोनो उन चारो की सीट पर बैठे हुए थे.... संगम को पहली नजर में ही पता चल गया कि ये दोनो नई स्टुडेंट है और शायद इन्हे पता नही है । संगम उन दोनो को कुछ बोलता उससे पहले ही वहा पर वत्स ओर राज आ जाते है.. संगम को ऐसे खडा़ देख.. दोनो उससे पुछते है.. " क्या बात है ब्रो... तुम खडे़ क्यु हो... " संगम उनकी बात का कोई जवाब नही देता ओर सामने से हट जाता है...  राज ओर वत्स जैसे ही मानव ओर विकी को देखते हैं.. और हसते हुए बोलते है.. " हेलो बॉइज ... लगता है किसी ने तुम दोनो को बताया नही कि ये हमारी सीट है... " ... राज ओर वत्स की बात सुनकर मान ओर विकी.. . दोनो एक साथ ना मे सर हिलाते हुए बोलते हैं.. " हमे किसी ने नही बताया... " "..... ओह ऐसा है क्या... कोई नही.. अब तो बता दिया ना..."  राज ओर वत्स दोनो एक फेक स्माइल के साथ बोलते है । उन्हे तो लगा था.. दोनो लड़के अब या तो एटिट्युड़़ दिखायेंगे या फिर उनसे फ्रेंडसीप करेंने की कोशिश करेंगे.. ... पर ये क्या ? दोनो अपनी सीट से उठते है और चिप्स खाते हुए आगे वाली सीट पर चले जाते है...  ...उन्हे ऐसे बिना किसी रिएक्शन को जाता देख.. वत्स राज की तरफ देखता है ओर बोलता है.. " भाई क्या आज मै हैंडसम नही लग रहा... या फिर मेरे फेस मे प्रोबलम है...या मेरी पर्सनालिटी डाउन हो गई । ये लोग तो बात किए बीना ही निकल गये.... " राज भी उसके फेस को पकड़ कर इधर उधर करता है और बोलता है.. " भाई.. देख कर लग तो नही रहा कि तेरे फेस मे कोई प्रोबलम है...या पर्सनालिटी डाउन है... " ...तो फिर ये दोनो ऐसे कैसे चली गए... वत्स.. मानव ओर विकी की तरफ देखते हुए बोलता है । तभी संगम दोनो की तरफ देख कर एक कॉल्ड वॉइस मे बोलता है... " वो इंगेज्ड है... ओर दूसरी बात.. वो लड़का है लड़की नही.. जो तुमसे फ्लर्ट करने की कोशिश करेगी... समझे.." .... संगम की बात सुनकर दोनो की नजर मानव की रिंग फिंगर पर जाती है ओर फिर फेस पर...  कुछ पल मानव ओर विकी को ऑब्जर्व करने के बाद.. दोनो सेड सी फेस बनाकर बोलते हैं... " काश ये लड़की होती... ओर उससे भी बडी बात... ये सिंगल होती ... अगर ये सिंगल होता ना तो बाय गॉड , मै तो इसे अपना बॉयफ्रेंड बना ही लेता । पता नही ये खुबसुरत लोग सिंगल क्यूं नही रहते.... " संगम दोनो को इग्नोर करके अपनी सीट पर बैठ जाता है.. पर उसकी नजरे अभी भी.. मानव ओर विकी पर टिकी हुई थी...  क्लास खत्म होने के बाद.. मानव ओर विकी दोनो ही.. लंच के लिए कैंटीन की तरफ चले जाते है... पर रास्ते मे ही उन्हे कुछ लड़के दोनो रोक लेते है....मानव ओर विवेक दोनो एक साथ उन लड़को की तरफ देखते है और कॉल्ड वॉइस बोलते हैं....." बोलो " " .... हम तुम्हारे सिनियर है..."  उन्होने इतना कहा ही था कि... मानव एक हाथ का पंच बनाते हुए बोलता है.. " ओह ! तो तुम अब हमारी रैगिंग करने वाले हो । अब तुम लोग हमे उलटा सीधा करने को बोलोगे... ओर हम कर लेंगे ? तुम लोगो ने सोच भी कैसे लिया ? मानव ! मान सिंह ठाकुर नाम है हमारा... एक पंच मे तुम्हारी अकल ठिकाने पर लगा देंगे । कराटे चैपीयन हूं तो मुझसे पंगा लेने के बारे मे सोचना भी मत । चल विकी ! आए बडे़ सीनियर... "...ओर दोनो वहा से निकल जाते है । सारे लड़के उन्हे आंखे फाड़े देखते रह जाते है । वही बॉइज के पिछे खडे़ राज ओर वत्स दोनो अपने मुंह पर हाथ रखे अपनी हसी कंट्रोल कर रहे थे... क्योंकि ये आइडिया इन लड़को को उन दोनो ने ही दिया था । लंच के बाद... मानव ओर विकी.... दोनो आगे की सोचते हैं कि अब क्या करना है... क्योंकी लेक्चर लेते लेते वो बोर हो चुके थे । दोनो अभी सोच ही रहे थे कि तभी विकी का फॉन बज उठता है । वो चेक करता है तो उसके पेरेंट्स का कॉल था.. उसे अर्जेंट मे वापस होस्टल जाना था उसकी फैमिली उसे छोड़ने आई थी ओर अब वो लोग वापस जा रहे थे.... विकी के वहा से जाने के बाद मानव म्युजिक रुम मे जाने का सोचता है उसे म्युजिक बहुत पसंद था । इसमें इंग्लिश सॉन्ग ओर फिर उसके पास म्युजिक भी था । कॉलेज का कोनसा रुम कहां है... उसे कल ही पता चल गया था म्युजिक रुम कॉलेज बिल्डिंग के टॉप फ्लोर पर थी.. वहा पर एक बडा़ सा रुम था जिसमे हर तरह के म्युजिक इंस्ट्रुमेंट थे । मानव ज्यादा ना सोचते हुए लिफ्ट से सीधे वहा चला जाता है...  continue....... कैसी होगी दक्ष ओर मान की पहली मुलाकात ? Plz like comment or share jarur kre thank you...  .

  • 5. Crushed love - Chapter 5

    Words: 1561

    Estimated Reading Time: 10 min

    Hii guy's so let's start the story  😊😊😊 लंच के बाद... मानव ओर विकी.... दोनो आगे की सोचते हैं... कि अब क्या करना है... क्योकी लेक्चर लेते वो बोर हो चुके थे... दोनो अभी सोच ही रहे थे की तभी विकी का फॉन बज उठता है.. वो चेक करता है तो उसके परेंटस का कॉल था.. उसे अर्जेंट मे वापस होस्टल जाना था... उसकी फैमीली उसे छोड़ने आई थी ओर अब वो लोग वापस जा रहे थे.... विकी के वहा से जाने के बाद... मानव.. म्युजिक रुम मे जाने का सोचता है... उसे म्युजिक बहुत पसंद था.. स्पेसली इंगलिस सॉंगस... ओर फिर उसके पास म्युजिक भी था...  ....कॉलेज का कोनसा रुम कहां है... उसे कल ही पता चल गया था... म्युजिक रुम कॉलेज बिल्डिंग के टॉप फ्लोर पर थी.. वहा पर एक बडा़ सा रुम था.. जिसमे हर तरह के म्युजिक इंट्युमेंट थे... मानव ज्यादा ना सोचते हुए... लिफ्ट से सीधे वहा चला जाता है...  ....कॉरीडोर मे पहुंचते ही उसे एक म्युजिक की घुन सुनाई देने लगती है... एक मैलोडी... जिसमे सुकुन... पेन.. अहसास... प्यार.. सब था... मान कब उस मैलोडी़ मे खो जाता है.. उसे पता ही नही चलता... उसके कदम अपने अपना उस घुन की तरफ चलने लगते हैं...ओर एक दरवाजे पर आकर रुकते है... वो जैसे ही दरवाजा खोलने वाला होता है... उसके कानो मे कुछ शब्द सुनाई देते हैं.. जो अंदर से आ रहे थे....उसे सुनकर ऐसा लग रहा था.. जैसे वो किसी गाने को लिरिक्स हो... मानव एक झटके के साथ दरवाजा खोलता है.... दरवाजे खुलते ही सब शांत हो जाता है... मानव अंदर झांक कर देखता है तो.. वहा कुछ नही था.. सिवाय अंधेरे के...  ....मानव दरवाजे के अंदर जाकर आवाज देने वाला होता  ही है कि तभी पिछे से आवाज आती हैं... " तुम यहा क्या कर रहे हो... " ....अचानक से पिछे से आवाज सुनकर मानव ओर डर जाता है और डर से उसकी हल्की सी चिख निकल जाती है... वो डरते हुए धिरे से पिछे देखता है तो पिछे....दरवाजे पर संगम हाथ बांधे खडा़ था और मानव को घूर जा रहा था...  ...मानव उसे देख कर एक राहत की सांस लेता है और बोलता हैं... " वो मै यहा म्युजिक की प्रकटिस करने आया थी.... बस... " "... वापस क्लास मे चलो..."  संगम बिना उसका एक्सप्लेनेसन सुने बिच मे ही बोलता है...  ....मानव को उसका बिहेव बहुत अजीब लगता है.. वो संगम को देखते हुए एटिट्युड़़ के साथ बोलता हैं.. " पर मेरी क्लासे खत्म हो चुकी है... " " ...तुम लेट एडमिसन हो... तुम्हारी एक्ट्रा क्लासे है... जो तुम्हे एटेड़ करनी है..." सगंम अपनी कॉल्ड वॉइस मे बोलता है...  ....उसकी बात सुनकर मानव अपनी आंखे छोटी करते हुए बोलता हैं... "  तुम्हे कैसे पता ओर मै तुम्हारी बात क्यु मानु...तुम हो कौन... " "...डिसिप्लेन हेड़... "....संगम वहां से जाते हुए जवाब देता है... मानव को भी ना चाहते हुए उसके पिछे जाना पड़ता है.. पर उसका मन अंदर जाकर देखने की हो रहा था.. कि अंदर कौन है और वो मैलोडी कोन प्ले कर रहा था...  पर फिलहाल उसे जाना होगा... अपनी क्लास के लिये... .... शाम के करीब छे बजे...जाकर कही मान की क्लासेज खत्म होती है.. वो बहुत ज्यादा थक चुका था... उसे अब गुस्सा आ रहा था.. उन लोगो पर जो बोलते थे.. कॉलेज लाइफ मे सिर्फ इंजोय ही इंजॉय है ...ओर यहा देखो आते ही पहले दिन.. उसे इतना लेट तक पढ़ना पढ़ रहा है... क्या आज के दिन लिये ही उसने इतनी महनत की थी... सोचते हुए मान की चेहरा उतर जाता है... वो अपनी बुकस पैक करता है और उठकर वहा से जाने लगता है... तभी वो देखता है... पुरी क्लास खाली हो चुकी है.. एक वही इकलोता शक्स बचा है... वो गहरी सांस लेते हुए रुम से बहार निकलता है और अपने हॉस्टल की तरफ जाने लगता है... कॉलेज से बहार निकलते ही वो अपने कानो मे इयरफोन लगा लेता है.. कॉलेज से हॉस्टल का रास्ता बस पांच मिनट का है.. तो वो आराम से म्युजिक इंजोय करते हुए जा सकता है...  ..शान कॉलेज से निकल कर अभी कुछ ही पल चल चला था की अचानक से वो किसी से टक्करा जाता है और गिर जाता है...  ...गिरने की वजह से उसका फोन जिसमे म्युजिक चल रहा था.. वो बंद हो जाता है... मान वही जमीन पर बैठे अपने पॉकेट से फान निकलता है ओर उसे चेक करते हुए बोलता है... " ओह नो.. ये तो टुट गया.. अब क्या होगा..." ...तभी सामने से किसी की स्वीट सी वॉइस आती है... " आई एम सॉरी... मै बस कॉल पर था.. दिस वजह से मेरा ध्यान नही था.. आई एम रियली सॉरी... "... ...आवाज सुनकर... मान सामने देखता है.. जहां एक 21-22 लड़का मास्क लगाये उसके सामने घुटनो पर बैठा था.. ओर बार बार माफी मांग रहा है...  ...मान ओर टक उस शक्स की आंखो मे देखने लगता है उसे इतना भी होस नही था की वो गिर गया है ओर उसे चोट भी लगी है... वो उसकी आंखो मे देखते हुए अंजाने मे ही बोलता है... " तुम्हारी आंखे... ये कितनी प्यारी है... मैने आज से पहले इतनी सुंदर आंखे किसी की नही देखी.. बिलकुल एक शांत संद्रर की तरह... " ....मानव की बात सुनकर... सामने वाला शक्स अचानक से चुप हो जाता है और गौर से मानव के चेहरे को देखने लगता है... फिर कुछ सोचते हुए बोलता है... " ये सच मे इतनी खुबसुरत है... " ...मानव वैसे ही उसकी आँखों का तरफ देखते हुए बोलता है... " हां ये बहुत खुबसुरत है... " ...मानव या जवाब सुनकर वो शक्स अपना मास्क हटा देता है और मानव की तरफ देखते हुए बोलता है... " क्या ये अभी भी उतनी ही खुबसुरत है.... " ..मानव बिना एक पल गवाये बोलता है.. " हां.. ये अभी भी उतनी ही खुबसुरत है... "...फिर अनजाने मे ही मानव अपने हाथ को आगे करता है और सामने वाले शक्स के गाल पर लगे गहरे घाव को निशान को छुते हुए बोलता है... " क्या ये अभी भी दर्द करता है... " ...बोलते हुए मानव लगातार उसके गालो को सहला रहा था... अंजाने मे ही मानव की आंखो मे नमी तैर गई थी...  ...वही सामने वाला शक्स हैरानी से साथ बोलता है... " क्या.. " ...अब जाकर मानव होश मे आया  था... वो जल्दी से उठता है और बोलता है... " रियली सॉरी... वो मुझे पता नही क्या हो गया था... " ...मानव की बात सुनकर... सामने वाला शक्स एक हलकी सी स्माइल साथ बोलता है... " इटस ओके... "...ओर अपना मास्क पहनने लगता है...  ...ये देखकर मानव बिच मे बोलता है... " तुम मास्क क्यु पहन रहे हो... " ...मान के इस सवाल से दक्ष के हाथ वही रुक जाते हैं.. ये दक्ष था...जिसका चेहरा एक दम शांत था और आइज ऑसियन ब्लू थी... मान का सवाल सुनकर.. दक्ष चौंकते हुए बोलता है... " क्या तुम्हे मेरे चेहरे से डर नही लग रहा... " "...डर , पर मुझे डर क्यु लगेगा.. आपका चेहरा कितना कितना प्यार है.. स्पेसली आपकी आंखे... जिनमे कोई भी डुब जाये... "...मान चेहरे पर एक स्माइल लाते हुए बोलता है...  ...मान की बात सुनकर.. दक्ष के चेहरे पर एक स्माइल आ जाती हैं.. जिसे देख कर.. मान अपने हार्ट पर हाथ रख लेता है और एक दक्ष की तरफ देखते हुए बोलता है.. . " हाय आपकी स्माइल... कितनी ऑसम है.. मै सची बता रहा हूं.. अगर मै लड़की होती ना.. तो आप पर फिदा हो जाती... पर अफसोस मै तो लड़का हूं... " ...आखरी लाइन... मान ने एक सेड़ पाउट के साथ बोली थी.. जिसे सुनकर... दक्ष हसने लगा था... वो हसते हुए बोलता है.. " तुम सच मे नौटंकी हो... बाय दै वे.. आई एम दक्ष... एंड़ यू... " ...दक्ष की बात सुनकर.. मान भी हसने लगता है.. वो एक क्युट सी स्माइल के साथ बोलता है... " मै.. मानव उर्फ मान सिंह ठाकुर... आप चाहो तो मुझे मनु भी बुला सकते हो... ये आपके लिये मेरी तरफ ऑफर है.. " ...दक्ष उसकी बात सुनकर.. एक बार फिर मुस्कुरा देता है...तभी उसे कुछ याद आता है और.. वो परेशान होते हुए बोलता है.... " तुम्हारा फोन.. मुझे दे दो.. मै रिपेयर करवा दूंगा.... " ...दक्ष की बात सुनकर.. मान उसके हाथ मे फोन रखते हुए बोलता है.. " क्यु नही बडी़.. मै मना नही करने वाला.. क्योकी मै दिल्ली पहली बार आया हूं...  तो मुझे पता नही.. कहां से रिपेयर करवाना है और वैसे  भी दिल्ली मे लोग चुना बहुत लगाते है.. मैने सुना है... "...मान विंक करते हुए बोलता है...  ..दक्ष मुस्कुराते हुए फोन को पॉकेट मे डाल लेता है... तभी मान बोलता है... " वैसे आप रिटर्न कैसे करोगे.. मुझे... " ...मानव की बात सुनकर... दक्ष.. पिछे कॉलेज की तरफ इशारा करते हुए बोलता है.. " मै यही साइंस फैकल्टी से पढ़ता हूं.. फस्ट इयर फेलो... तुम चाहो ..." ...दक्ष कुछ आगे बोलता उससे पहले ही मान चहकते हुए बोलता है... " क्या बात है बडी़ हम तो सेम कॉलेज.. सेम क्लास मे... "...फिर वो पाउट बनाते हुए बोलता है.. " फिर आप मुझे क्लास मे क्यु नही दिखे... क्या आपकी क्लासरुम दुसरा है... " "...नही.. मै आज ऑफ डे था... " दक्ष सॉफ्ट सी टॉन मे बोलता है.. जिसे सुनकर.. मान बडी़ सी स्माइल के साथ बोलता है... " ठिक है फिर.. कल मिलते हैं... "...ओर वहा से चला जाता है...  ...दक्ष अभी भी खडे़ होकर... उसी डायरेक्सन मे देख रहा था.. जहां अभी मान गया था.. उसके चेहरे पर अभी भी एक प्यारी सी स्माइल थी...  ..... Continue.....  Plz like comment or share jarur kre thank you... 

  • 6. Crushed love - Chapter 6

    Words: 1886

    Estimated Reading Time: 12 min

    Hii guy's so let's start the story  😊😊😊   सुबह के करीब आठ बजे.. म्युजिक की बीट पर मानव... टॉवल पहले डांस कर रहा था.. ये उसकी फेवरेट होबिज मे एक थी... तभी उसके रुम का डोर नोक होता है... ओर मानव जो मस्ती से डांस कर रहा था.. वो रियलीटी मे वापस आता है... वो जल्दी से टावल को साइड़ रखता है ओर कपडे़ पहनता है.. फिर चेहरे पर एक बडी़ सी स्माइल लिये रुम का दरवाजा खोलता है ... वो नजरे उठाकर सामने देखता है तो सामने.. विवेक था...  ....मानव विवके को उपर से नीचे तक देखता है और फिर चहकते हुए बोलता है.. " क्या बात है मेरी जान.. तु तो गजब ढा रहा है... खुले बाल... कानो मे रिंगस.. फॉल्ड बाजु शर्ट बहार....ओर हाथ पर ये टुट...तु तो पुरी तरह चेंज हो गया यार वो एक दिन मे ही.... " ... मानव की बात सुनकर... विकी अपने बालो मे हाथ फिराते हुए बोलता है... " वो तो घरवालो को सामने रहना पड़ता है.. समझा कर यार... " ...विकी की बात सुनकर... मानव जोर जोर से हसने लगता है.. फिर उसके फेस को पकड़ कर इधर उधर करता है और बोलता है.... " ओय... तेरी चश्मा कहां गई.. " "...लैंस लगा रखे है बेबीडॉल... "...विकी विंक करते हुए बोलता है... जिसे सुनकर... मानव की आंखे बडी़ हो जाती है ..वो विकी के सर पर मारते हुए बोलता है ... " मै लड़की नही हूं.. जो तुम मुझे विंक कर रहे हो... " "...क्या फर्क पड़ता है... तु लड़का रहे या लड़की.. मेरे लिये तो तु मेरी बेबी डॉल ही रहेगा ... " ...विकी हसते हुए बोलता है... विकी की बात सुनकर.. मान भी हसने लगता है ... वो लोग अभी जो दिन पहले ही मिले थे.. पर फिर भी ऐसा लग रहा था.. जैसे वर्षो से एक दुसरे को जानते हो...  ...कुछ वक्त मे मानव तैयार होता है... ओर नास्ता करके विकी के साथ कॉलेज के लिये निकल जाता है... दोनो बाते करते हुए कॉलेज मे एंटर करते है...  तभी मानव की नजर किसी पर जाती है और वो जोर से चिलाते हुए बोलता है.. " बडी़... " ...मानव की आवाज सुनकर.. सामने जा रहा दक्ष रुक जाता है... वही संगम राज ओर वत्स उसे रुका हुआ देखकर  .कंफ्युज हो जाते हैं...तभी वत्स आंखे बडी बडी करते हुए बोलता है... " भाई ये क्या हो रहा है... सामने देख.. कही मै कोई ड्रिम तो नही देख रहा ना.. " ...वत्स की बात सुनकर... राज भी उस साइड़ देखता है और बोलता है.. "..नही यार ये ड्रिम नही है..ये सच मे अपना दक्ष है... " ...सामने दक्ष था... ओर मानव ने आकर उसे सीधे हग कर लिया था.. वो चहकते हुए बोलता है.. " देखा मेरे पहले आने का फायदा...तुम मुझे यही मिल गये.. मुझे ढुंढना नही पडा़.. वरना मै तो कल से ये सोचकर परेशान था.. आप मुझे मिलोगे भी या नही... " ..मानव नोनस्टोप बस बोले जा रहा था....वो अभी भी दक्ष का हाथ पकड़ कर खडा़ था ... वही दक्ष मानव की बाते सुनकर स्माइल कर रहा था.. जिसे देख कर राज ओर वत्स दोनो ही शोक्ड़ थे उनके लिये तो यही शोकींग था कि दक्ष को किसी ने पकड़ रखा है...ओर वो उसकी नोनस्टोप बकवास सुन रहा है...  ...तभी विकी मानव के पास आता है और बोलता है.. " ये कोन है... " ...विकी का सवाल सुनकर... मान चहकते हुए बोलता है.. " ये बडी़ है.. आई मिन दक्ष... तुम  इसे मेरा बॉयफ्रेंड बोल सकते हो... हैंडसम है ना... "...मानव विंक करते हुए बोलता है...  ...मानव की बात सुनकर.. वत्स ओर राज को साथ इस बार दक्ष ओर संगम को भा झटका लगता है... वही विकी मानव के कंधे पर पैट करते हुए बोलता है... " अपनी बकवास बंद करो और जो पुछा वो बताओ.." ...विकी की बात सुनकर... मानव हसते हुए दक्ष की तरफ देखता ओर बोलता है.. " सॉरी मै मजाक कर रहा था... ये विकी मेरा दोस्त है.. ओर विकी.. ये वही जिनसे कल मै टक्करा़या था.. ओर मेरा फॉन टुट गया था.. " "...ओह.. तो यही वो महान प्राणी हो जिनकी कल तुम तारिफे करते नही थक रहे थे..."  विकी मुंह बनाते हुए बोलता है.. वही मानव अपने दांत दिखा देता है...  ...संगम बहुत ही ध्यान से.. मानव  ओर विकी के चेहरे को देख रहा था.. उसे थोड़ा अजीब लगता है.. नॉर्मली दक्ष का चेहरा देख कर उससे लोग डरते हैं वो अधिकतर फेस पर मास्क ही रखता है.. पर मान ओर विकी को देख कर उन लोगो को साफ पता चल रहा था कि ये दक्ष से डर नही रहे.. ना ही उसके फेस का मजाक बना रहे है...पर क्यु...  ... तभी वत्स ओर राज.. दोनो चेहरे पर बडी़ सी स्माइल लाते हुए आगे आते है और बोलते है.. " हाय.. हम..."..वो आगे कुछ बोलता उससे पहले ही.. मानव मुंह बनाते हुए बोलता है.. " ये हमारी सिट है.. क्या किसी ने तुम्हे बताया नही... " ...विकी.. भी मानव की तरह नकल उतारते हुए बोलता है.. " नही.. हमे किसी ने नही बताया... " ...मानव  ओर विकी का बात सुनकर.. राज ओर वत्स की मुंह खुले के खुले रह जाते है.. वही संगम ओर दक्ष के चेहरे पर स्माइल आ जाती हैं...  ...तभी राज.. मुंह बनाते हुए बोलता है... " तुम हमारी नकल उतार रहे हो... " "...ओह.. तो तुम्हे सब समझ आया... "..विकी राज को चिढाते हुए बोलता है.. जिसे सुनकर मानव हसने लगा था.. फिर वो दक्ष की तरफ देखते हुए बोलता है.. " तुम्हे पता है बडी.. कल ना हम लोग इनकी सीट पर बैठ गये थे.. ओर इन दोनो ने हमे वहा से हटा दिया... ऐसा कोई करता है..वो भी न्यु स्टुडेंटस को साथ.. बताओ.. " ...मानव बहुत ही क्युट फेस के साथ.. दक्ष से शिकायते कर रहा था और दक्ष मुस्कुराते हुए.. हां मे सर हिला रहा था...  ..जिसे देख कर राज ओर वत्स दोनो बच्चो के जैसे चेहरा बनाते हुए.. संगम के दोनो तरफ लिपट जाते है और शिकायती बीवी की तरह बोलते हैं.. " देखो ना ब्रो...दक्ष भाई ने तो एक ही दिन मे पार्टी बदल ली.. दि इज नोट फेयर.. " ...राज ओर वत्स की हरकतो से संगम परेशान हो जाता है.. वो दोनो को साइड़ मे हटाता है और घुरते हुए वहा से जाने लगता है.. तभी पिछे विकी एक तेज आवाज मे बोलता है.... ." ओह हेलो मिस्टर साइलेंट नाम तो बताते जाओ... कल भी नही बताया... " ...संगम विकी की आवाज सुनकर.. एक नैरो आइज से.. विकी को घुरता है और फिर वहा से चला जाता है..  ...काफी देऱ की हसी मजाक के बाद... विकी ओर मानव अपना इंट्रोडेक्सन.. राज ओर वत्स की देते हैं और.. दोनो से कुछ ही देर मे फ्रेंड़सिप भी कर लेते है...  .... कुछ देर बाद.. दक्ष.. मानव ओर बाकी लोगो के साथ.. क्लास रुम मे पहुंचता है... दक्ष के पंहुचते ही पुरी क्लास मे.. अजीब सी शांती छा गई थी.. जो मान ओर विकी के लिये थोडा़ अजीब था...पर फिर वो सबको इग्नोर करके... दक्ष के साथ पिछे की सीट पर जाकर बैठ जाता है...  ...दक्ष फिलहाल.. संगम ओर वत्स-राज के साथ लास्ट बेंच पर था.. वही... विकी ओर मानव उसके जस्ट आगे वाली बैंच पर...  ...तभी कुछ देर बाद.. वहा पर क्लास टिचर आ जाते है.. उनकी नजर जैसे ही दक्ष पर जाती है.. एक पल के लिये वो चौंक जाते है.. फिर चेहरे पर एक स्माइल लाते हुए बोलते है... " ओह.. दक्ष.. काफी टाइम बाद देखा...चलो अच्छा है...." ...क्लास टिचर की बात सुनकर.. दक्ष नोट करते हुए एक सॉफ्ट सी स्माइल करता है... जिसे देख कर.. टिचर के साथ बाकी लोग को चेहरे पर भी स्माइल आ जाती हैं...दक्ष की वो स्माइल.. सच मे बहुत ब्युटिफुल थी... किसी को भी अपना दिवाना बना दे... चेहरे पर स्कार्स होने के बावजूद भी.. उसकी स्माइल...बहुत ही प्यारी थी...  ...मानव जो गर्दन पिछे किये हुए दक्ष को देख रहा था.. वो उसकी स्माइल देखकर.. खुद मे बोलता है.. " यार इसकी स्माइल.. क्या किसी ने इसे कभी बताया नही.. इसकी स्माइल.. किसी को हार्ट अटेक दे सकती है... " ...मानव को अपनी ही दुनिया मे गुम.. बस दक्ष को ही देख रहा था.. तभी विकी उसके स्टमक पर हलका सा हिट करता है और सामने इशारा करता है... तब जाकर मानव कही होश मे आता है ओर उसे पता चलता है... क्लास टिचर के साथ बाकी लोग भी उसे घुर रहे हैं...  ...मानव को सबको अपनी तरफ घुरता पाकर इंबरयमेंट मे ही... सर नीचे कर लेता है... तभी क्लास के टिचर.. सभी की तरफ देखता है और.. एक स्माइल के साथ बोलता है.. " आज आपकी क्लास मे एक न्यु स्टुडेंट ट्रांसफर होकर आया है.. आई होप आप लोग उसके साथ फ्रेंडली रहोगे...  ...बोलते हुए वो बहार खड़े शक्स को अंदर आने का इशारा करता है... ओर एक शक्स.. बडे़ ही स्टाइल से सबके सामने आता है... जिसे देख कर... दक्ष ओर उसके दोस्तो के चेहरे शक्त हो गये थे.. वही... उस शक्स के चेहरे पर एक डेविल स्माइल थी.. वो एक टक दक्ष को देख रहा था...  ...क्लास टिचर.. विक्रम वर्मा... सबसे उसका इंट्रोडेक्सन करवाते हुए बोलते है.. " ये अर्थव सिंघानिया है...आज से ये आप लोगो को साथ स्टेडी करोगा... " ...सामने वाले बंदे को क्लास के सभी लोग अच्छे से जानते है... जाने भी क्यु नही.. वो एक जाना माना सिंगर है और उसका इतना बडा़ फैमीली बैकग्राउंड है... लड़किया तो मरती है उस पर...  ये है सिंघानिया परिवार का दुसरा बेटा.. ओर दक्ष का स्टेप ब्रदर....अच्छी खासी हाटइ.. वाइट फेयर स्किन.. बंधे हुए बाल.. गले मे स्टाइलिस दो से तीन चैन.. अंगुलियो मे रिंगस.. आईब्रो पर फैसनेबल कट ओर क्लिन सेव... बिलकुल किसी कोरियान बेंड के सुपरस्टार की तरह...पर उसकी आंखो मे जो दक्ष को देख कर जो नफरत ओर गुस्सा था.. वो भी साफ दिख रहा था...क्लास मे मौजुद हर कोई उस मासुम चेहरे को पिछे छुपे डेविल को अच्छे से जानते थे... दक्ष ओर अर्थव के बीच एक अजीब सा रिस्ता है... दोनो एक दुसरे को एक पल को लिये सहन नही कर सकते... दक्ष को फिर भी सिचवेसन को देखकर... खुद को शांत कर लेता है... पर अर्थ.. वो हर वो मुमकिन कोशिश करता है.. जिससे दक्ष गुस्सा हो जाये..बचपन से लेकर बडे़ होने तक.. दोनो ने पता नही कितनी बार फाइट हुई है.. कभी कभी तो वो दोनो एक दुसरे की जान लेने तक पहुंच जाते थे... पर जब दुनिया को सामने की बात आती है.. वो लोग ऐसे बिहेव करते है.. जैसे पता नही.. कितना प्यार है दोनो मे... स्पेसली अर्थ.. वो तो जैसे स्वीट ब्रदर मे ही कनवर्ट हो जाता है... ये बात सिर्फ वहां लागु होती है... जहां सभी के जानते हो कि वो दोनो भाई हो... ओर ये बहुत कम लोग जानते है... किसी को भी दक्ष का सरनेम नही पता... ओर यहा तो उसके दोस्तो को भी कोई नही जानता.. सिवाय उनके प्रसनलीटी ओर लुकस के अलावा... कोई उनकी रियल आईडेंटीटी नही जानता...  ...अर्थव.. सबको देख कर एक स्माइल करता है और हाथ हिलाते हुए बोलता है... " हैलो एवरीवन आई होप.. आप लोग मुझे भुले तो नही हो..." ...अर्थ की आवाज से पुरी क्लास का माहौल ही बदल जाता है.. सभी लोग एक्साइटमेन्ट मे हुटिंग करने लगते है.. प्रोफेसर वर्मा मुश्किल से सभी को चुप करवाते है ओर उसे बैठने का इशारा करते है...  ..अर्थ... हलकी सी विसल करते हुए दक्ष के जस्ट सामने..ओर मानव को साइड़ मे बैठ जाता है.. फिर अपना सर पिछे करके धिरे से बोलता है... " हेलो ब्रदर.. " ... Continue.....  Plz like comment or share jarur kre thank you... 

  • 7. Crushed love - Chapter 7

    Words: 2139

    Estimated Reading Time: 13 min

    Hii guy's so let's start the story  😊😊😊 ...अर्थव.. सबको देख कर एक स्माइल करता है और हाथ हिलाते हुए बोलता है... " हैलो एवरीवन आई होप.. आप लोग मुझे भुले तो नही हो..." ...अर्थ की आवाज से पुरी क्लास का माहौल ही बदल जाता है.. सभी लोग एक्साइटमेन्ट मे हुटिंग करने लगते है.. प्रोफेसर वर्मा मुश्किल से सभी को चुप करवाते है ओर उसे बैठने का इशारा करते है...  ..अर्थ... हलकी सी विसल करते हुए दक्ष के जस्ट सामने..ओर मानव को साइड़ मे बैठ जाता है.. फिर अपना सर पिछे करके धिरे से बोलता है... " हेलो ब्रदर.. " ...अर्थ की बात सुनकर... दक्ष अपनी आंखे बंद कर लेता है और अगले पल जब वो आंखे खोलता है.. तो उसकी ऑसियन ब्लु आईज.. पुरी तरह से वाइट ओर ब्लैक हो चुकी थी... जिसे देख कर.. अर्थ डेविल स्माइल करता है और फिर से बोलता है.. " गुस्सा आ रहा है... " ...अर्थ के वर्डस जैसे जैसे दक्ष को कानो मे जा रहे थे... उसकी आँखो का कलर वैसे वैसे ही डार्क होते जा रहा था... तभी मानव जो.. अर्थव के साइड़ मे बैठा था.. वो अर्थ के कंधे पर हलका सा हिट करते हुए बोलता है... " हेलो मिस्टर आप सिधे बैठ सकते हो... आपकी एलबो बार बार मुझे टच हो रही है... ओर मुझे लग रही है... " ...मानव की आवाज सुनकर... अर्थ अपने साइड़ मे देखता है.. वही दक्ष की आंखे अगले ही पल नॉर्मल हो गई थी जिन पर अर्थव ने ध्यान नही दिया.. वो मानव की बात सुनकर उसकी तरफ पटलता है और क्युट सी स्माइल के साथ बोलता है... " सॉरी क्युटी..." ...अर्थ की बात सुनकर... मानव गुस्से मे अपना मुँह फूला लेता है और घुरते हुए बोलता है.. " मै लड़की नही हूं.. समझे तो अपनी बकवास अपने पास रखो... " ...मानव का गुस्सा देखकर.. अर्थव को उस पर हसी आ गई.. तभी सामने से प्रफोसर वर्मा... एक स्ट्रिकट आवाज मे बोलते है... " एटेंसन एवरीवन... " ...उसके बाद उन लोगो की क्लास स्टार्ट हो जाती है... ...जैसे ही क्लास ऑवर होती है...  मानव.. योनिंग करते हुए पिछे मुड़ता है ओर दक्ष से बोलता है.. " बडी़ आपकी कॉलेज तो बहुत बोरिंग है... पुरा दिन पढ़ाई कोन करता है.. इससे अच्छा तो हमारे वहा पर थोडी़ तो मस्ती चल जाती है... यहा तो देखो.. सब बुकस मे घुरे हुए है... " ...मानव की बात पर राज ओर वत्स दोनो.. एक साथ हां मे सर हिला देते है.. तभी विकी बिच मे बोलता है... " बहार चले... चुपके से.. वैसे भी किसको पता चलेगा.. हम न्यु स्टुडेंटस है... " ...विकी की बात सुनकर.. राज - वत्स ओर मानव तीनो ही.. संगम की तरफ देखते है...ओर फिर जोर जोर से हसने लगते है... वही संगम.. सिद्घत से विकी को घुरे जा रहा था...  ...सबको हसता देख विकी कंफ्टुज होते हुए बोलता है.. " तुम लोग हस क्यु रहे हो...ओर आप मिस्टर साइलेंट.. मुझे घुरना बंद करो... " ..विकी के सवाल पर कोई जवाब दे पाता उससे पहले ही.. अर्थ जो सर डाउन किये बैठा था.. वो योनिंग करते हुए उठता है और संगम की तरफ पॉइंटआउट करते हुए बोलता है.. " अबे घोचुं.. ये डिसिप्लेन हेड़ है... तु इसके सामने बंक मारने की बात करेगा.. तो घुरेगा ही ना... " ... अर्थ की बात सुनकर... विकी इधर उधर देखने लगता है.. उसे बहुत इंबरेस फिल हो रहा था.. वही विकी का चेहरा देख कर.. अर्थ भी हसने लगता है.. तभी विकी के दिमाग मे कुछ खटकता है और अर्थ को घुरते हुए बोलता है.... " तुमने घोंचु किसको बोला... " "...ओबियसली तुम्हे... "...अर्थ.. कंधे उचकाते हुए बोलता है....  "...तुम.. तुम्हे मै छुडुंगा नही.. तुम समझते क्या हो खुद को.."...विकी गुस्से मे बोलता है...  ...वही विकी की बात सुनकर... अर्थ बडे़ ही एटिट्युड़़ के साथ बोलता है.. " सुपरस्टार.. अर्थव सिंघानिया... नाम तो सुना ही होगा... "..ओर विंक कर देता है..  ...अर्थ की बात पर.. विकी का गुस्सा ओर बड़ जाता है.. वही  मानव.. वत्स ओर राज को साथ मिलकर.. आराम से फ्री के सो का इंजोय कर रहा था...  ....इससे पहले की विकी ओर अर्थ वही बैंच को ही बॉक्सींग रिंग बना दे... संगम एक स्ट्रिकट वॉइस मे बोलता है.. " स्ट यॉवर माउथ... अगर एक शब्द ओर निकाला तो दोनो को उठा कर क्लास से बहार फेक दुंगा... " ...संगम की वॉइस सुनकर.. विकी ओर अर्थ दोनो उसकी तरफ टर्न करते है...ओर फिर घुरने लगते है...  ...अर्थ संगम को गुस्से से घूर रहा था... वही विकी मुंह फुलाये...  ...शाम को छे बजे जाकर कही.. मानव की क्लासेज ऑवर होती है...उसके साथ क्लास के कुछ ही स्टुडेंटस थे.. बाकी जा चुके थे.. यहां तक की दक्ष ओर उसके दोस्त भी... पर अर्थ वही था और गुस्से से लाल पिला हो रहा था.... क्योकि.. संगम ने जबरदस्ती आज फिर से एक्सट्रा क्लासेज लगवाई थी... वो भी पुरे दो घंटो की... वही विकी मुंह फुलाये.. संगम को गालिया दे रहा था.. उसका बस चलता.. तो आज वो पक्का.. संगम की मुंह तोड़ देता.. क्योकी पहले ही दिन... उन लोगो को संगम की वजह से इतना टॉर्चर झेलना पड़ रहा था...  ...तीनो योनिंग करते हुए क्लास से निकल जाते हैं... क्लास के बहार आते ही... मानव.. विकी की तरफ देखता है और अपने दांत दिखाने लगता है..  "...अब तुम बतीसी क्यु दिखा रहे हो.. बेबीडॉल... "...विकी आह भरते हुए बोलता है... जिसे सुनकर...शर्माते हुए बोलता है... " मुझे जोर से आई है.. तुम मेरा गार्डन मे वेट करो.. मै अभी आता हूं... "...ओर वहा से निकल जाता है..  ...उसे जाता देख विकी एक आह भरता है और सामने देखता है.. जहां अर्थ... फोन चलाते हुऐ जा रहा था..  ...विकी उसे इग्नोर करता है और फिर बहार गार्डन की तरफ चला जाता है...  ...मानव इस वक्त सेकेंड फ्लोर पर था.. ओर वॉसरुम.. उपर - नीचे के फ्लोर पर था... उसे वैसे भी जल्दी से जाना था तो वो लिफ्ट लेता है और सिधे तीसरे फ्लोर पर पहुंचता है..  ...जल्दी से वॉसरुम युज करके.. वो फिर लिफ्ट के जरीये.. नीचे जाने लगता है.. पर ग्राउंड फ्लोर की जगह उसका हाथ... टॉप फ्लोर पर लग जाता है.. मानव भी ध्यान नही देता.. ओर गुनगुनाते हुए सामने मिरर मे देखते हुए अपने बालो मे हाथ फिराने लगता है..  ...कुछ वक्त बाद जब लिफ्ट रुकती हैं.. तो मानव बहार आता है... बहार आने पर उसे पता चलता है कि वो टॉप फ्लोर पहुँच गया.. जबकी जाना उसे ग्राउंड फलोर था...  .. ."..मान.. तु कब बडा़ होगा.. देख फिर गड़बड कर दी.. चल अब जल्दी से नीचे चल.. विकी का से वेट कर रह रहा है तेरा... " ...बडबडाते हुए मान फिर से लिफ्ट का तरफ मुड़ता है... पर अचानक उसके कान मे एक धुन जाती है... ओर उसके कदम नही रुक जाते हैं...  " ये..ये तो वही घुन है ना... जो मैने कल सुनी थी...म्युजिक रुम मे.... " ...सोचते हुए... मान के कदम एक अपने आप ही म्युजिक रुम की तरफ बढ़ जाते हैं ... वो इस धुन मे इतना खो चुका था कि उसे अहसास भी नही हुआ की वो को रहा है.. उसकी आंखो से लगातार आंशु बह रहे हैं... उसके हार्ट मे भी एक अजीब सा पेन हो रहा था.. उसे ऐसा लग रहा था.. जैसे सब कुछ खत्म हो गया ... तभी अचानक से कोई सॉल्डर पकड़ कर उसे जोर से सेक करता है... ओर उसका नाम लेता है... तब जाकर मानव होश मे आता है... वो अपने सामने देखता है तो वहा पर विकी अपना बैग लिये खडा़ था... .... विकी के चेहरे पर एक परेशानी वाला लुक था ... ओर वो बार बार एक कंसर्न आवाज मे... मान का नाम ले रहा था..  ...मानव उसके चेहरे पर पैनिक देखकर.. इधर उधर देखने लगता है... उसे समझ नही आ रहा था कि विकी इतना वरीड़ क्यु है...तभी विकी एक तेज आवाज मे बोलता है.. " मान.. क्यु हुआ तुम्हे...ओर तुम रो क्यु  रहे हो.. " ...विकी का सवाल सुनकर... मान कंफ्युज होकर विकी को देखता है और बोलता है... " मै क्यु रोने लगा... " ...मान की बात सुनकर.. विकी हैरान हो जाता है.. वो मानव की हाथ पकड़ कर उसके गालो पर रखता है.. तब जाकर.. मानव को ऐहसास होता है.. वो तो रहा है... पर वो रो क्यु  रहा है... ...तभी विकी फिर से बोलता है... " तुम रो क्यु रहे हो... " "...मुझे नही पता... मै क्यु रो रहा हूं... मुझे तो ये भी नही पता चला.. मै कब रोने लगा... " ...मान एक इनोसेंट से उसके साथ बोलता है...  "...अच्छा ठीक है वो सब छोडो़ ये बताओ.. तुम यहा म्युजिक रुम को बहार क्या कर रहे हो... तुम तो वॉसरुम गये थे..." ..विकी फिर से सवाल करते हुए बोलता है.. मानव को देखकर वो परेशान हो गया था...  ...तभी मानव को याद आता है.. वो तो म्युजिक की बिट सुनकर यहा आया था... वो मैलोडी सुनकर....वो जल्दी से विकी को खुद से दुर करता है और म्युजिक रुम को अंदर जाता है.. जहां अंधेरे के सिवाय कुछ नही था... विकी भी मानव के पिछे चला रहा था और बार बार उससे बोल रहा था.. " तुम क्या करे हो... फैकल्टी बंद हो चुकी है.. वो लोग यहा नही रुक सकते... " ..पर मानव उसकी बात को अनसुना करके.. वहा की लाइटस ऑन करता है और चारो तरफ देखने लगता है.. लेकिन वहा कोई नही था... मानव की हरकते देख कर.. विकी परेशान हो चुका था.. वो मानव को पकड़ कर हल्के गुस्से मे बोलता है... " मान.. किसे ढुंढ रहे हो.. कब से पुछ रहा हूं.. हो क्या गया है तुम्हे... " "...वो म्युजिक.. जब मै यहा आया था तब.. यहा पर म्युजिक की घुन चल रही थी.. कोई गा रहा था..".... मानव... जवाब देता है.. वो लगभग फिर से रोने की कगार पर था...  ...विकी उसकी बात सुनकर.. उसे समझाते हुए बोलता है.. " मान देखो यहा कोई नही है.. ओर इस वक्त यहा कोन होगा... तुम्हे वहम हुआ होगा .. चलो.. यहा से कोई आ जायेगा.. तो प्रोबलम हो जायेगी... " "...नही मुझे वहम नही हुआ.. मैने कल भी सुनी थी वो धुन.. कोई था यहा पर... वो गा भी रहा था आज...सच मे कोई यहा म्युजिक बचा रहा था.. तुम मेरा यकिन क्यु नही रहे हो....सच मे यहा से आवाजे आ रही थी.. " ...मानव रोते हुए बोले जा रहा था...  ...विकी उसे देख कर थोडा़ सा डर गया था.. वो मानव को हग करता है और रुम के बहार लाते हुए बोलता है.. " ओके.. ओके...यहा कोई होगा.. पर अभी तुम चलो.. छे से उपर वक्त हो गया है... हमे किसी ने देख लिया तो प्रोबलम हो जायेगी... ". ...विकी की बात पर मान कोई रिस्पोंस नही करता.. उसके दिमाग मे तो अभी भी वही मैलोडी चल रही थी.. विकी मान को लेकर सिडियो से नीचे की तरफ जाने लगता है..  ...सिडिया देखकर मान .. एक लो वॉइस मे बोलता है.. " हम लिफ्ट से जा सकते है.. " "...लिफ्ट खराब है... वो ग्राउंड फ्लोर की जगह..टॉप फ्लोर पर आती है सिधे... तुम काफी वक्त तक नही आये तो मै तुम्हे वॉसरुम मे चेक करने थ्रड़ फ्लोर पर चला गया.. मैने तुम्हे लिफ्ट मे जाते देख लिया था.. तुम मुझे वहा नही मिले तो मुझे लगा मुझे वापस गार्डन जाना चाहिए और जब मैने ग्राउंड फ्लोर की बटन प्रेस किया.. तब मै यहा पहुंच गया.. पहले तो मै जाने वाला था. पर तभी मुझे फ्लोर पर ये तुम्हारे रुम की कीचैन मिली.. ओर मै तुम्हे ढुंढते हुए म्युजिक रुम तक आ गया... यहा आकर देखा.. तो. तुम रो रहे थे.. ओर होश मे भी नही थे... " ...विकी एक गहरी सांस लेते हुए बोलता है..  ..विकी की बात सुनकर मान एक उदास आवाज मे बोलता है... " तो मैने गडबड नही की.. वो लिफ्ट ही खराब थी... जब मै यहा आया.. तो मुझे तो मैलोडी़ सुनाई दि.. ओर फिर मुझे याद नही... " "...कोई नही जो हुआ भुल जाओ..."... विकी.. एक सॉफ्ट सी स्माइल के साथ बोलता है...  ...मानव भी उसकी बात पर नोट करता है... ओर दोनो कॉलेज से बहार निकल जाते है... ...वही कॉलेज की रुफ पर खडा़ दक्ष.. एक टक नीचे जाते हुए मानव को देख रहा था... उसकी एक आंख.. पुरी तरह से ब्लैंक थी और दुसरी.. पुरी तरह से वाइट... उसके चारो तरफ से अजीब सी वाइबस आ  रही थी... वो जाते हुए मान को देख कर... एक सनक भरी आवाज़ मे गाने लगता है...  " जिधर भी देखे.. जिधर भी जाये.. तुझे ढुंढती है.. ये पागल निगांहे..जिधर भी ये देखे... जिधर भी ये जाये... तुझे ढुढ़ती है.. ये पागल निगांहे.. ये पागल निगांहे... मै जिंदा हूं लेकिन.. कहां जिंदगी है... मेरी जिंदगी तु कहां खो गई है... तब तो नही है तो कुछ भी नहीं है... ये माना कि महफिल जवा है हैसी है... तब तो नही है.. तो.. कुछ भी नही है.. ये माना की महफिल जवा है हसी है.... " ....अचानक से वो जोर जोर से हसने लगता है... उसकी हसी की आवाज बहुत ही डरावनी थी...  continue.......  क्या हो रहा है मानव को साथ.. क्यु एक मैलोडी़ सुनकर मानव रोने लगा... Plz like comment or share jarur kre thank you... 

  • 8. Crushed love - Chapter 8

    Words: 1890

    Estimated Reading Time: 12 min

    Hii guy's so let's start the story 😊😊😊 शाम के करीब सात बजे... मानव.. विकी के साथ अपने हॉस्टल मे पहुंचता है पर आज उसे हॉस्टल मे थोड़ा अजीब लग रहा था... विकी ने भी ये बात नोटिस कर ली थी.. आज हॉस्टल मे थोडी भिड़ थी.. जब वो लोग आये थे.. यहा पर सुना सुना लगता था पर आज यहा पर हर तरफ हलचल हो रही थी... ये हॉस्टल .. चार मंजिल था.. ओर पुरे कंपस मे ऐसे बारह हॉस्टल थे... हर फ्लोर पर कम से कम बारह अपार्मेंट थे और हर अपार्मेंट मे तीन रुम.. हॉल ओर एक कॉमन बालकनी.. इसके अलावा हर रुम मे भी बालकनी थी.. ओर हर रुम टु सिटर थे.. मतलब हर अपार्मेंट मे कम से कम.. छे लोग रहते सकते थे.. मान ओर विकी दोनो फॉर्थ फ्लोर पर थे और अपार्मेंट मे दोनो ही थे... पर जब वो लोग अपने अपार्टमेंट मे पहुंचते है.. तो वहा पर उन दोनो के सामने चार लोग पहले से खड़े थे.. जिनको ना  तो विकी जानता था और ना ही मानव...  ...मानव ओर विकी गोर से  सामने खडे़ लोगो को देख रहे थे.. उनके लिये सबसे शोकिंग ये था.. कि उन चार मे एक लड़की भी थी... जो किसी एंगल से लड़की नही लग रही थी... वो चारो हॉल मे बैठे थे और आपस मे बाते कर रहे थे.. जैसे ही उन लोगो की नजर.. विकी ओर मानव पर गई...उन मे से एक सामने आकर बोलता है.. " तुम दोनो.. विवेक एंड मानव हो  राइट... " ;...हां.."  विकी ओर मानव हां मे सर हिला देते है.. तो सामने वाला एक स्माइल के साथ बोलता है.. " हाय.. आई एम व्योम... सेकंड इयर बिजनेस डिपार्टमेट... " ...क्या..., विकी ओर मानव.. दोनो हैरानी से उन लोगो को देख रहे थे... मान.. जो अब तक परेशान था.. वो वापस अपने करेक्टर मे आ गया था... वो विकी की तरफ हैरानी से देखते हुए बोलता है... "  जान.. ये तो सिनियर है.. अब हमारा क्या होगा... " "... कुछ नही होगा.. बेबी.. तुम डर क्यु रहे हो.. मै हूं ना.. मै सब संभाल लुंगा.. तुम बस डरो नही ..ये. हमारा कुछ नही बिगाड़ सकते... " ..विकी बोलते हुए.. मानव का हाथ कस कर पकड़ रहा था.. उन लोगो ने आज ही सुना था कि यहा के ज्यादातर सिनियर.. माफिया फैमीली से बिलोंग करते है स्पेसली बिजनेस ओर आर्टस डिपार्टमेट के... तो बच कर रहना..  ...वही सामने खडे़ व्योम.. सचीन... सारिका ओर अनुराग.. अपने सामने खड़े नमुनो को देख रहे थे... वो भी शोक मे...उन लोगो के कानो मे तो फिलहला.. बेबी ओर जान ही चल रहा था... तभी सचीन... हैरानी से बोलता है..." यु आर कप्पल... " ...मानव ओर विकी की  डर से हालत पहले ही खराब हो रही थी , नाम सुनकर ..... तो बेचारे क्या ही जवाब देते.. पर फिर भी विकी हिम्मत दिखाते हुए बोलता है.. " तुम... तुमको.. क्या मतलब.. हम कोन है... तुम मेरे बेबीडॉल से दुर रहो.. वरना.. वरना हम तुम्हारी शिकायत.. वार्डन से कर देंगे... " ...विकी की बात सुनकर... सचिन ओर सारिका ..दोनो की हसी छुट जाती है... व्योम भी हसने लगा था... ओर अनुराग के चेहरे पर छोटी सी स्माइल थी...  ...व्योम आगे आकर.. एक सॉफ्ट वाइस मे बोलता है... " रिलेक्स.. हम लोगो तुम दोनो को हर्ट नही करेंगे... आई नो तुम दोनो लेट एडमिसन हो जिस वजह से तुम दोनो को सिनियरस के बिच सीट मिली है.. पर डोंट वैरी  तुम लोग कंफर्टेबली हमारे साथ रह सकते हो..." "...सच मे क्या आप लोग वो वाले सिनियर नही हो जो.. सिरिज ओर मुवी मे दिखाये जाता है... "..मानव एक  मासुम सी शक्ल के साथ बोलता है.. जिसे सुनकर... अनुराग हसते हुए बोलता है. . " नही... तुम चाहो तो हम फ्रेंडस बन सकते है... बनोगे हमारे दोस्त... " ...क्यु नही.. , मानव जल्दी से हाथ आगे करते हुए बोलता है..उसने अपने साथ.. विकी का हाथ भी आगे कर दिया था.. हेंडसेक के लिये , अनुराग दोनो के साथ हेड़सेक करता है और सबकी इंट्रोडेक्सन देते हुए बोलता है.. " मै अनुराग कश्यप ... ये व्योम वर्मा... ओर ये है... सचिन ओर सारिका कवर...दोनो टिवन है... " ... अनुराग का इंट्रो सुनकर.. मानव एक  स्माइल के साथ बोलता है.. " मै मानव उर्फ मान सिंह ठाकुर... ओर विवेक श्रीवास्तव..."..मानव आगे कुछ बोलता उससे पहले ही... सारिका बिच मे बोलती है... " फस्ट इयर साइंस डिपार्टमेट..." ...सारिका की बात सुनकर.. सभी हसने लगते हैं.. उसके बाद... मानव ओर विकी.. दोनो मिलकर चारो का सामान सेट करवाते है...  ...विकी , मानव के रुम मे सिफ्ट हो गया था... सचिन ओर सारिका.. एक रुम मे थे.... वही व्योम ओर अनुराग... एक रुम मे.. रुम सेट करते करते वो लोग बहुत ज्यादा थक जाते है.. इसीलिए.. डिनर करके सो जाते हैं... आज का डिनर बाकी  के दिन से मिल रहे डिनर से काफी बेहतर था..  ...अगले दिन एज युजवल... मानव आठ बजे उठता है और फ्रेस होकर.. तैयार होने के लिय वॉसरुम मे चला जाता है... पर वो ये भुल गया था कि आज वो यहा पर अकेला नही है.. वो एक टावल को कमर से लपेटे बहार आता है...ओर म्युजिक ऑन करके.. हेयर ड्रायर लेकर बाल सुखाने लगता है.. वो साथ साथ अपनी बेसुरी आवाज मे गा भी रहा था और साथ साथ मस्ती से डांस भी  कर रहा था... वही रुम मे मौजुद विकी.. जो पहले से तैयार होकर कुछ नोटस बना रहा था.. वो अचानक से म्युजिक सिस्टम बजने से चौंक जाता है और रुम के दुसरी तरफ देखता है और अगले ही पल शोक्ड हो जाता है ...कुछ पलो तक वो मान को देखता रहता है फिर अचानक उसकी हसी छुट जाती है.. क्योकी मानव बहुत फैनी तरिके से डांस कर रहा था ... हसी की आवाज सुनकर.. मानव पलट कर देखता है ओर अगले ही पल.. वॉसरुम की तरफ दोड़ते हुए बोलता है.. " सॉरी.. वैरी सॉरी... मै भुल गया था... " "...कोई नही बेबीडॉल.. आ जाओ... डोंट वैरी मै तुम्हारी इज्जत पर हाथ नही डालुंगा.. आई एम बॉय... "..विकी हसते हुए बोलता है.. जिसे सुनकर... मानव का मुंह बन जाता है.. कुछ देर बाद वो लोग तैयार होकर..व्योम ओर बाकी लोगो से साथ कॉलेज निकल जाते हैं...  ... डी यू युनिवर्सिटी के अंदर...  ...कंपस मे आज.. बाकी दोनो से ज्यादा हचलच हो रही थी.. आज बिजनेस डिपार्टमेट ओर आर्टस डिपार्टमेट के सिनियर कॉलेज आ रहे थे...दोनो ही डिपार्टमेट की क्लासेज हर साल लेट स्टार्ट होती है.. सिर्फ़ फायनल ओर सेकंड इयर स्टुडेंटस की... बाकी फ्रेसरस तो हर डिपार्टमेट मे पहले ही आ जाते है..  ...अब जब सिनियरस आ गये थे तो जाहिर सी बात थी कुछ इंट्रेसटिंग ना हो , ये तो हो ही नही सकता...  ... दक्ष अपनी पलटन के साथ.. कॉलेज मे आ चुका था.. ओर किसी की हिम्मत नही थी की उन्हे  कोई सिनियर अप्रोच कर सके... उन चारो के पिछे ही अर्थव बैग टांगे.. आ रहा था.. फुल एटिट्युड़़ के साथ.. लड़किया  उसे देख कर स्माइल कर रही थी.. तो कोई फ्लाइंग किस्स पास कर रही थी... अर्थव सबको इग्नोर करके स्ट्रेट फेस के साथ जा रहा था.. तभी कोई उसे सामने आकर उसे रोक लेता है.. अर्थव एक इरिटेटिंग फेस के साथ उपर देखता है ... तभी सामने वाला बोलता है.. " क्या बात है फ्रेसी...तुम्हे तो इग्नोर करना भी आता है.." ...अर्थव... सामने देखता है तो वहा पर चार लड़के खड़े थे.. अर्थव  फिलहला बहस करने के मुड मे नही था ... वो एक इरिटेटिंग वॉइस मे बोलता है... " क्या चाहिए... " ".... ज्यादा कुछ नही बस एक छोटा सा इट्रटेमेंट करना है... तुम्हे ,  हम लोगो का..सुना है तुम सिंगर हो... ओर डांसर भी.. तो एक बैली डांस हो जाये.. क्या ख्याल है.. "..सामने वाला शक्स हसते हुए बोलता है..  ...अपने सामने खडे़ लड़को की बकवास सुनकर... अर्थव गुस्से मे बोलता है.. " तुम जानते नही हो कोन हूं मै... " "...हम तुम्हे बहुत अच्छे से जानते है.. तुम्हे क्या तुम्हारी पुरी फैमीली को बहुत अच्छे से जानते है.. सो अपने ये ड्रामे बंद करो.. ना  तो ये तुम्हारा घर है... ओर ना  ही हम वो सिनियर.. जिन्हे  तुम्हारे भाई के दोस्त पिट सके... हम सिनियर है बेब..बोले तो तुम्हारे बाप... ओर कॉलेज मे जब तक हम है.. हमारा राज चलेगा... तो चलो.. अच्छे बच्चे की तरफ शुरु हो जाओ... "... .. अर्थ को गुस्सा तो बहुत आ रहा था.. पर वो यहा तमाशा नही कर सकता ओर ना  ही अपनी इमेज को गिरा सकता है...वो गहरी सांस लेकर सामने खडे़ लड़को की तरफ देखता है और बोलता है.. . " डांस ओर सिगिंग के अलावा कुछ भी.." ..ओके ओके... डोंट वैरी हम बहुत अच्छे सिनियर है..बोलते हुए वो लड़का एक डेविल स्माइल करता है और  सामने से चले आ रहे... ग्रुप की तरफ इशारा करते हुए बोलता है... " उनमे से जो ब्लैक गोगल वाला बंदा है ना , उसे जाकर तुम्हे ये फ्लावर  गिफ्ट करना है...ओर बोलना है.. विल यु मैरी मी... " "...तुम पागल हो गये हो क्या.. मै ऐसा कुछ नही करने वाला... "...अर्थ गुस्से मे बोलता है... तभी वो लड़का हसते हुए बोलता है.. " देख लो.. बैली डांस करते हुऐ पुरी कॉलेज देखेगी.." "...आह..."...गुस्से मे ग्लेयर करता अर्थव उस शक्स के हाथ से फ्लावर छिन लेता है और गेट की तरफ जाने लगता है.. जहां पर मानव ओर विकी.. व्योम ओर बाकी लोगो के साथ आ रहे थे.. सभी ने ब्लैक पेंट.. वाइट शर्ट के साथ टाई पहन रखी थी.. नीचे ब्लैक सुज ओर हाथ मे ब्लेजर लिये... अनुराग ने फिलहाल ब्लेक गोगलस डाल रखे थे.. ओर वो सबसे आगे थे.. पिछे पांचो मस्ती मजाक करते हुए आ रहे थे..  ...अर्थव दांत पिसते हुए उनकी तरफ बढ़ जाता है...  ...अर्थव को जाता देख उनमे से एक बोलता है.. " अवि भाई कोई गड़बड तो नही होगी ना.. आप जानते हो ना.. आपने उसे अनुराग के सामने भेजा है... " "...कुछ नही होगा... चिल कर रोहन.. और तमाशे की मजा ले... अव्यांश कश्यप कोई फैसला ले.. ओर वो गलत हो जाये.. सवाल ही नहीं उठता... " ..वो लड़का जवाब देता है.. जिसने अर्थ को डेयर देकर भेजा था...  तभी उनमे से एक ओर बोलता है... " अवि.. निकल यहा से तुम्हारे प्रेफोसर वर्मा आ रहे है... " "..अरे नही.. अगर प्रोफेसर ने देख लिया ना तो वाट लग जायोगी.. चलो यहा से..." बोलते हुए हुए अवि.. बाकी तीनो लड़को के साथ जल्दी से वहा से निकल जाता है..  ...तभी शोर सुनकर राज ओर वत्स का ध्यान भी उधर चला जाता है... ओर वो हसते हुए बोलता हैं.... " संगम भाई.. देखो उधर... अर्थव की क्लास लग रही है... " ...राज ओर वत्स की बात सुनकर.. संगम ओर दक्ष की नजर भी उधर जाती है...पर दक्ष का नजर जैसे ही मानव पर जाती है.. उसका चेहरा शक्त हो जाता है... वो मानव की तरफ जाने लगता है पर संगम उसका हाथ पकड़ कर रोक लेता है और साइड़ की तरफ इशारा करता है... जहां पर प्रोफेसर वर्मा आ रहे थे...  ... प्रोफेसर वर्मा को देख कर.. तो राज ओर वत्स विसिल करते हुए बोलते है... " लगता है आज तो अर्थ गया है उसकी  सच मे वाट लगने वाली है... मानना पडेगा अव्यांश ने क्या दिमाग लगाया है... सही कहा राज.. ओर देख खुद खिसक लिया... "... ...अर्थव अपने आप मे ही बडबडाते हुए.. अनुराग के सामने जाकर खडा़ हो जाता है और फ्लावरस को आगे करते हुए बोलता है... " विल यू मैरी मी.. " ....... continue....  क्या रियक्सन होगा अनुराग का... Plz like comment or share jarur kre.. ओर यार आपसे रिक्वेसट है रिव्यु दिया करो... रिव्यु कम होते है तो स्टोरी एप एक्सेपट नही करता. 

  • 9. Crushed love - Chapter 9

    Words: 2106

    Estimated Reading Time: 13 min

    Hii guy's so let's start the story  😊😊😊 .. ... प्रोफेसर वर्मा को देख कर.. तो राज ओर वत्स विसिल करते हुए बोलते है... " लगता है आज तो अर्थ गया है उसकी  सच मे वाट लगने वाली है... मानना पडेगा अव्यांश ने क्या दिमाग लगाया है... सही कहा राज.. ओर देख खुद खिसक लिया... "... ...अर्थव अपने आप मे ही बडबडाते हुए.. अनुराग के सामने जाकर खडा़ हो जाता है और फ्लावरस को आगे करते हुए बोलता है... " विल यू मैरी मी.. " .... अर्थव की कंफेसन...वहा पर किसी बॉम का तरह बलास्ट होता है ... सभी लोग मुंह खोले बस.. अर्थव को ही देख रहे थे.. तभी पिछे से प्रोफेसर वर्मा की आवाज आती हैं.. " अर्थ..तुम यहा क्या कर रहे हो.. " ...आवाज सुनकर... अनुराग के साथ.. सभी रियलीटी मे वापस आते हैं.. वही अर्थ घबरा जाता है.. क्योकी इस वक्त वो अपने घुटनो पर था.. वो भी हाथ मे फुलो का बुके लिये.. ...तभी प्रोफेसर वर्मा.. फिर से कड़कती आवाज मे बोलते है.. " अर्थ.. क्या तुम बताने के कस्ट करोगे.. तुम यहा फुलो को साथ क्या कर रहे हो.. " "...म..म.. मै.. कु..कुछ भी तो नही प्रोफेसर..."..अर्थ अपनी कापती आवाज़ मे बोलता है..  ...अर्थ का जवाब सुनकर... प्रोफेसर वर्मा उसे घुरते हुए बोलते हैं... " ओह.. रियली.. तो ये बुके किसके लिये है.. " "...य.. ये... तो मै... आपके.. लिये था.. हां आपके लिये ही लाया था.. आप.. बहुत अच्छा पढ़ाते हो ना... उसके लिये.. ये.. ये मेरी तरफ से... अब मै चलता हूं.. मेरी क्लास है. थैंक.. यू... "..अर्थ एक सांस मे बोलता है ओर वहा से कलटी मार लेता है..  ...वही प्रोफेसर वर्मा.. हाथ मे बुक लिये सिचवेसन को समझने की कोशिश कर रहे थे.. उनके सामने खड़े.. मानव ओर बाकी लोग.. अपनी हसी कंट्रोल करने की कोशिश कर रहे थे.. प्रोफेसर वर्मा उनकी तरफ देखते है ओर अपनी इंबरयमेंट छुपाते हुए एक स्ट्रीक आवाज मे बोलते है.. " अपनी क्लास मे जाओ... " ...सभी लोग चुप चाप वहा से निकल जाते हैं... वगी दुर से खड़ी.. दक्ष की गैंग भी वहा से हसते हुए निकल जाती है.. ...सभी के जाने के बाद.. प्रोफेसर वर्मा हाथ मे पकड़े फुलो की तरफ देखते है... लिली को फुलो से भरे बुके के देखकर प्रोफेसर वर्मा एक स्माइल करते है ओर अपने ऑफिस की तरफ बढ़ जाते हैं...  ...क्लास मे जाते ही मानव ओर विकी दोनो अपनी सीट पर पिछे चले जाते है.. पर आज मानव.. अपनी सीट पर बैठने के जगह.. जाकर सीधे दक्ष के पास बैठता है और मासुम सा शक्ल बनाते हुए बोलता है.. " बडी़ मै आज से तुम्हारे पास बैठने वाला हूं.. मुझे आगे इस सुपरस्टार को पास नही बैठना.. इसका करेक्टर ना अच्छा नही है.. " ... मानव की बात पर दक्ष सिम्पली नोट करता है.. वही आगे बैठा अर्थ.. गुस्से से दांत पिसते हुए बोलता है.. " क्या मतलब है तुम्हारा मेरा करेक्टर अच्छा नही है... " ".. गलत क्या कहा.. कुछ देर पहले तुम अनुराग भाई को.. प्रपोज कर रहे थे वो भी सबके सामने..."...मानव मुंह बनाते हुए बोलता है..  ..मानव की बात सुनकर... पास बैठा वत्स.. अर्थ की तरफ डेविल स्माइल करते हुए बोलता है.. " अर्थ.. तुमने कभी बताया नही.. तुम्हे लड़के पसंद है.. " ....तभी मानव फिर से बोलता है.. " लड़को तक ठिक है.. पर अनुराग भाई तुम्हारे टाइप के नही है.. वो कितने क्युट ओर स्वीट है.. ओर तुम बिलकुल कड़वे करेले को जैसे.. " "...तुम.. मै तुम्हे छोडुंगा नही मानव.."..अर्थ गुस्से मे बोलता रहा था..  ...तभी मानव अपनी जिब दिखाते हुए.. दक्ष के पिछे अपना चेहरा छुपा लेता है और अर्थ को चिडा़ते हुए बोलता है.. " तुम कुछ नही कर सकते.. अगर तुमने कुछ किया.. तो बडी़ तुम्हे छोडे़गा नही... सही कहां ना बडी़... " ...मानव की बात पर दक्ष हल्की सी स्माइल के साथ... हूं मे नोट करता है.. ये देखकर... वत्स ओर राज दोनो की आंखे बडी़ हो जाती है.. वही अर्थ गुस्से मे दक्ष को घुरने लगता है...  ...अर्थ के घुरने से दक्ष की आंखे..धिरे धिरे चेंज होने लगती है.. ये देखकर.. अर्थव एक डेविल स्माइल करता है.. पर तभी मानव दक्ष का हाथ स्किविज करते हुए फिर से बोलता है.. " बडी़ आपने आज फिर से मास्क क्यु पहना है.. "...ओर उसका मास्क उतारने लगता है...  ...वही मानव की आवाज सुनते ही दक्ष की आंखे फिर से ब्लू कलर की हो जाती है.. ये देखकर... अर्थव की आंखे हैरानी से बडी़ हो जाती है.. उसे खुद की आंखो पर बिलिव नही हो रहा था.. तभी विकी उसके हाथ पर हलके से हिट करते हुए बोलता है.. " प्रोफेसर आ गये है... " ...अर्थव.. अपना चेहरा आगे कर लेता है.. पर उसके माइंड मे कुछ वक्त पहले जो हुआ वही घुम रहा था.. वही पिछे मानव.. दक्ष के चेहरे से मास्क उतार कर उसके चेहरे को निहारने लगता है...ओर उसी मे खो जाता है.. वो अपने हाथ को दक्ष के गाल पर रखता है और अंगुठे से उसके मार्क को सहलाने लगता है... वो दक्ष को चेहरे मे इतना खो गया था कि उसे ये भी नही पता चला की प्रोफेसर क्लास मे आ गये है ...दक्ष जब देखता है प्रोफेसर क्लास मे आ गये.. वो मानव को हाथ को पकड़ता है ओर नीचे करते हुए बोलता है.. " मान.. सर आ गये.. " ..दक्ष की आवाज सुनकर... मानव होस मे आता है और चेहरे पर फिकी सी मुस्कान के साथ बोलता है.. " ओह.. " ... दुसरी तरफ प्रोफेसर वर्मा के केबीन मे...  ...प्रोफेसर वर्मा केबीन मे बैठे फुलो के बुके मे रखे लेटर को पढ़ रहे थे.. जिसके उपर किसी ने अपनी.. बकवास सी हेंडरायटिंग मे लिखा हुआ था.. " आई एम बैक.. माई प्रोफेसर... " ...प्रोफेसर उस हेड़राइटिंग को अच्छे से पहचानते थे.. वो एक गहरी सांस लेते हुए खुद मे बोलते है.. " ये लड़का.. कब सुधरेगा... " ...तभी केबीन का दरवाजा खुलता है और कोई बहुत ही सीरीयस फेस के साथ अंदर आता है..  ...दरवाजा खुलने की आवाज से प्रोफेसर वर्मा.. सामने दरवाजे पर देखते है..जहां पर अव्यांश.. एक सिरियस फेस के साथ खड़ा था..  ..उसके चेहरे के एक्सप्रेसन देख कर... प्रोफेसर वर्मा एक वरिड़ टॉन मे बोलते है.. " वॉट हैपन अवि... " ..अव्यांश.. उसी चेहरे के साथ.. प्रोफेसर वर्मा के पास आता है.. इससे पहले प्रोफेसर वर्मा कुछ समझ पाते.. अव्यांश.. प्रोफेसर के दोनो गालो पर किस्स करता है और बहार की तरफ भागते हुए बोलता है.. " मैने आपको बहुत मिस किया... ".. ...प्रोफेसर वर्मा पहले तो हैरान हो जाते हैं.. फिर जोर से चिलाते है.." अव्यांश.. कश्यप..." ...प्रोफेसर के चिलाते ही.. अव्यांश.. जो अभी केबीन के बहार के निकला था.. वो फिर से अपना केबिन का अंदर अपना सर करता है और चेहले पर बडी़ सी स्माइल लाते हुए बोलता है.. " यस माई लव... " ...उसकी इस हरकत पर प्रोफेसर वर्मा.. हाथ मे पकड़े मार्कर को उसकी तरफ फेकते है पर अव्यांश पहले ही वहा से निकल जाता है.. वो हसते हुए अपनी फैकल्टी की तरफ बढ़ जाता है.. उसके साथ उसके तीन दोस्त भी थे...  ...चलीये थोडा़ सा सबके बारे मे डिटेल से जान लेते हैं..  ... अव्यांश कश्यप...आर्ट सेकंड इयर स्टुडेंट ... ये पुरी कॉलेज मे अपनी हरकतो की वजह से फेमस है... मार-पिट रैगिंग ओर गुंडागर्दी.. इसके लिये खेल के बराबर है... ये अपने तीन दोस्त कम चम्मचो के साथ रहता है.. राहुल.. रोनित ओर सैनी... इसे छोड़कर इसके तीनो दोस्त एक नंबर तो लड़की बाज है...  ...इसे लड़कियो से कोई मतलब नही है.. पर इसका दिल प्रोफेसर वर्मा पर अटका हुआ है.. पहली नजर मे ये जनाब समझ गये कि ये स्ट्रेट नही है ओर तब से ही ये उनके पिछे पडे़ हुए है...  ...प्रोफेसर विक्रम वर्मा... " 27 साल के हैंडसम प्रसनलीटी जिस पर आधे से कॉलेज की लड़किया मरती है.. पर इनकी स्ट्रीक्ट प्रसनलीटी ओर गुस्सेेल बिहेव की वजह से किसी की हिम्मत नही होती.. इन्हे अप्रोच करने की... ये सबके लिये स्ट्रिक्ट है.. पर जब अव्यांश की बात आती है.. ये गुस्सा छोड़कर इरिटेट होने लगते हैं.. या कभी कभी उसकी हरकतो को देखकर हसने लगते हैं.. एक साल से अव्यांश इनके पिछे है.. पर अभी तक इन्होने हां नही की...  ...अनुराग कश्यप... " ये अव्यांश का स्टेप ब्रदर है और दोनो की बिलकुल नही बनती...ये अव्यांश के बिलकुल विपरीत प्रसनलीटी का है... पर ये अपने दोस्तो से बहुत प्यार करता है.. फैमीली से बढ़कर... " ...व्योम वर्मा...ये प्रोफेसर वर्मा की छोटा भाई है... पर ये बात कोई नही जानता... दोनो भाईयो यी बॉडिंग बहुत अच्छी है.. पर उसे अव्यांश बिलकुल पसंद नही है.. ओर ये भी एक रिजन है जो प्रोफेसर वर्मा.. अव्यांश के एक्सेपट नही कर रहे...  ...सचीन ओर सारीका कवर.. दोनो जुड़ावा है... सारिका कहने को लड़की है.. पर वो हमेशा से लड़को के बिच रहती आई जिस वजह से बिलकुल लड़को की तरह रहती है.. ये दोनो ही नॉर्मल फैमीली से बिलोंग करते है..  ... हर कोई जानता है.. दिल्ली मे सिर्फ पांच फैमलीजी का राज चलता है.. जिनमे सबसे उपर-.. सिंघानिया फैमीली है.. फिर राजवंश.. उसके बाद..तिसरे नंबर पर कपुर ओर बजाज फैमीली...चौथे नंबर.. कश्यप फैमीली ओर लास्ट मे आता है.. वर्मा खांदान... चांहे बिजनेस हो , माफिया हो या पॉलिटिक्स .. हर जगह इन्ही परिवारो का राज है... अगर दिल्ली से इन परिवारो को हटा दिया जाये.. तो दिल्ली मे आधे से ज्यादा क्राइम कम हो जायेंगे..  ...पुरे इंडिया का माफिया सिस्टम.. यहा से चलता है.. गोवा हो या कोलकाता घाट... हर रही होने वाली तस्करी मे इन परिवारो का हाथ जरुर होता है.. जितनी पारवरफुल ये फैमीलीज है उतने ही इनके अंदर राज दफन है.. जल्दी ही सभी परिवारो का बिजनेस आने वाली पिठी के हाथो मे सौंप दिया जायेगा...पर असली संघर्ष तो किंग की कुर्सी से लिये होगा.. जिस पर अभी सिंघानिया परिवार का कब्जा है...  ... पांचो परिवारो के संबंध.. दुनिया को दिखाने के लिये अच्छे है  .... लेक्चर खत्म होने के बाद... मानव योनिंग करते हुए.. दक्ष के सॉल्डर पर अपना सर रख लेता है और धिरे से बोलता है... " बडी़ अपने दोस्त को बोलो ना.. आज आज एक्सट्रा लैक्चर ना लगवाये... मेरा बिलकुल मुड़ नही है लैक्चर अटेंड करने का.. मैै बहुत ज्यादा थक गया हूं.. " ...मानव की बात पर.. दक्ष.. उसके फेस को देखता है और फिर बोलता.. " ओके " "...सच मे तुम मेरे लिये साइलेंट भाई से बात करोगे.. "..मानव हैरान होते हुए बोलता है...  ..जिस पर दक्ष एक बार फिर हां मे सर हिला देता है.. ये. देखकर...मानव अपने हाथो से दक्ष दोनो कंधो को रैप कर लेता है और चहकते हुए बोलता है.. " बडी़ तुम सच मे बहुत अच्छे हो.. बहुत ज्यादा...आई लव यू.. " .... दक्ष की बात सुनकर... सभी लोग उसे मुंह खोले उसे देखने लगते है.. वही दक्ष हलका सा मुस्कारा देता है... उसके चेहरे की मुस्कुराहट बहुत कुछ ब्या कर रही थी... पर मानव को कोई फर्क नही पड़ रहा था.. वो बिंदास होकर... दक्ष के तारिफो के पुल बांधे जा रहा था... तभी विकी.. हलके गुस्से मे बोलता है... " बस करो बेबीडॉल... थोडी़ तारिफे हमारे लिये बचा कर रख लो कभी काम आ जायेंगी... " ...विकी की बात सुनकर... मानव हसने लगता है.. वही दक्ष के चेहरे पर अभी तक जो स्माइल थी.. वो अचानक से गायब हो गई थी... उसके चेहरे के एक्सप्रेसन शक्त हो गये थे..  ...पास बैठा संगम.. दक्ष के चेहरे के पल पल बदलते एक्यप्रेसन देख रहा था.. दक्ष के चेहरे के एक्सप्रेसन जब धिरे धिरे डार्क होने लगते है.. तब संगम उसके हाथ पर हाथ रखता है और धिरे से ना मे गर्दन हिला देता है..  ...दक्ष कस कर अपनी आंखे बंद कर लेता है और गहरी सांस लेते हुए हेड़ सेक करता है और फिर मानव से बोलता है... " तुम अब क्या करोगे... " "...मै... मै तो कुछ नही करुंगा....रुम पर जाकर म्युजिक सुनने के अवाला मेरे पास कोई काम नही है... "...मानव सोचते हुए बोलता है..  ...मानव का जवाब सुनकर.. दक्ष हल्की सी मुस्कान के साथ बोलता है.. " कॉफी पिने चले... " ...दक्ष का ऑफर सुनते ही.. मानव एक्साइटेड़ होते हुए बोलता है... " कॉफी नही चाय... अनुराग भाई बोल रहे थे कि यहा पास मे ही एक टपरी पर बहुत मस्त चाय मिलती है.. वहा पर चले.. " ...एक बार फिर अनुराग का नाम सुनते ही... दक्ष के एक्सप्रेसन चेंज हो जाते है... तभी संगम एक सिरियस फेस के साथ बोलता है.. " आज नही हम कल चलेंगे.. आज मुझे दक्ष के साथ कही जाना है... " ...संगम की बात सुनकर.. मानव का चेहरा उतर जाता है.. पर फिर भी वो स्माइल करते हुए हां मे सर हिला देता है.. वही राज ओर वत्स.. दोनो चल रहे वार्तालाप को देख रहे थे.. उन दोनो को कुछ समझ नही आ रहा था कि यहा चल क्या रहा है.. वही अर्थ फिलहाल कानो मे हेडफोन लगाये लगाये... टेबल पर लेटा हुआ था..  ..... Continue....  Plz like comment or share jarur kre thank you... 

  • 10. Crushed love - Chapter 10

    Words: 1576

    Estimated Reading Time: 10 min

    Hii guy's so let's start the story  😊😊😊   चेहरा उतर जाता है.. पर फिर भी वो स्माइल करते हुए हां मे सर हिला देता है.. वही राज ओर वत्स.. दोनो चल रही वार्तालाप को देख रहे थे.. उन दोनो को कुछ समझ नही आ रहा था कि यहा चल क्या रहा है.. वही अर्थ फिलहाल कानो मे हेडफोन लगाये लगाये... टेबल पर लेटा हुआ था..  ...दक्ष एक नजर संगम को देखता है फिर से सीट से उठते हुए.. मानव को बोलता है.. " मनु.. ये तुम्हारे लिये..." ...दक्ष की आवाज सुनकर.. मानव कंफ्युज हो जाता है.. वो दक्ष के हाथ की तरफ इशारा करते करते हुए सवालीयो नजरो से उसकी तरफ देखता है...  ...खोलकर देखो.. दक्ष एक छोटी सी स्माइल के साथ बोलता है..  ..मानव जल्दी से उसके हाथ मे पकड़े बॉक्स को लेता है और एक्साइटमेन्ट मे जल्दी जल्दी खोलने लगता है... दक्ष एक सॉफ्ट आइज से उसे ही देख रहा था.. वही ..विकी उसे ऐसे जल्दी करता देख उसके हाथ मारते हुए बोलता है.. " आराम से.. कोई छिन नही रहा है.. जो इतना जल्दी कर रहे हो तुम...." ...विकी की बात सुनकर.. मानव का मुंह बन जाता है. वही दोनो की नोक-झोक देखकर.. राज ओर वत्स हसने लगते हैं..  ...मानव सबको इग्नोर करके बॉक्स को ऑपन करता है.. वो जैसे ही बॉक्स ऑपन करता है उसकी आँखे चमक जाती है दक्ष वही उसके पास खडा़ उसे देख रहा था.. मानव के चेहरे की वो बडी सी स्माइल देख कर उसके चेहरे पर अपने आप ही स्माइल आ जाती हैं.. वही मानव जल्दी से दक्ष की वेस्ट को हग कर लेता है और अपना चेहरा उपर करते हुए बोलता है... " बडी़ आपको कैसे पता चला मुझे चॉकलेट पसंद है.. आप मेरी फेवरेट चॉकलेट लेकर आये हो.. आप सबसे बेस्ट है.. लव यू... " ....बोलकर वो दक्ष से अलग होता है और चॉक्लेट निकाल कर बॉक्स को बंद करके वहा पास के डस्टबिन मे डाल देता है...बिना ये देखे कि उसमे ओर कुछ भी है  ...वही दक्ष मानव की हरकत पर एक चौंक जाता है.. वो मानव को कुछ बोलता उससे पहले ही मानव ने बॉक्स को डस्टबीन मे डाल दिया था...  ....लही विकी ओर राज-वत्स.. जिन्होने बॉक्स के अंदर रखे फोन को देख लिया.. वो मानव को बोक्स को डस्टबीन मे डालते देख.. अपने मुँह पर हाथ रख लेते है... ओर अगले ही पल तीनो की हसी छुट जाती है... ...सभी को हसते देख.. मानव ओर बार फिर कंफ्युज हो जाता है.. वो सबकी तरफ सवालिया नजरो से देखता है.. तो दक्ष डस्टबिन से बॉक्स निकाल कर उसमे से फॉन बहार निकालता है...  ..फोन को देख मानव की आंखे हैरानी से बडी़ हो जाती है.. वो अपने दांत दिखाते हुए.. आगे आता है और बोलता है.. " सॉरी बडी़ वो मै था चॉक्लेट देखकर इतना खुश हो गया था कि बॉक्स मे कुछ ओर ही देखा ही नही... " "...इट्स ओके.. " दक्ष सॉफ्ट वाइस मे बोलता है..  ...ये सुनते ही मानव बडी़ सी स्माइल के साथ.. उसके हाथ से वो फॉन ले लेता है.. ओर ऑपन करते हुए बोलता है.. " तुम्हे पता है बडी़ मै इसे कितना मिस कर रहा था.. दो दिन हो गये.. मैने अभी तक घर पर भी बात नही कि.. पक्का हिटलर बहुत डाटेंगी... पर कोई नही मै उन्हे मना लुंगा... " ...मानव की बात सुनकर.. राज-वत्य दोनो एक साथ बोलते हैं.. " हिटलर.. ये. कोन है..." "...अरे मेरी चाची  .. वो बहुत स्ट्रिक है.. इसीलिए मै प्यार से उन्हे हिटलर बुलाता हुं... "..मानव फोन को चैक करते हुए बोलता है..  ....फोन ऑपन करने के बाद.. मानव दक्ष की तरफ फोन करता है और बोलता है... " बडी़ इसमे अपना नंबर डाल दो.. अगर एमरजेंसी मे जरुरत पड़ गई तो .."  ..दक्ष नोट. करते हुए फोन लेता है और उसमे अपना नंबर डायल कर देता है.. फिर फोन क वापस.. मानव के हाथो मे दे देता है.. मानव.. फोन लेकर नंबर के उपर.. बडी़.. नाम लिख देता है.. तभी राज ओर वत्स दोनो एक साथ बोलते हैं.. " हमारे भी ले लो.. क्या पता कभी काम आ जाये.. " ..मानव.. दोनो की बात का काई जवाब देता उससे पहले ही... विकी ओर फेक स्माइल के साथ बोलता है..." जरुरत नही है. मेरी बेबीडॉल के पास मै हूं.. अगर कभी जरुरत पडी़ तो... "...फिर वो संगम की तरफ पॉइंटआउट करते हुए बोलता है.. " हां.. मिस्टर साइलेंट देना चाहें तो कोई प्रोबलम नही है ले  सकते हैं.. इनके कोनटेक्ट नंबर की तो बडी़ जरुरत है... ".. ....विकी की बात सुनकर..संगम उसे घुर करके देखता है.. वही मानव कंफ्युज होते हुए बोलता है... " साइलेंट भाई के कॉनटेक्ट की जरुरत क्यु है... " ...मानव के सवाल पर विकी एक नोटी स्माइल के साथ बोलता है... " बेबी.. तुम भुल रहे हो.. ये डिसिप्लेन हेड़ है.. हमारे कर्ता-धर्ता.. इनके साथ तो रिलेसन जितना अच्छा हो.. उतना सही है... " ...विकी की बात मानव के सर के उपर से जा रही थी.. पर वो फिर भी नोट करता है.. वही संगम विकी को घुरते हुए बहार निकल जाता है.. ओर बाकी लोगो को आने का इशारा करता है... राज ओर वत्स तो मुंह खोले.. बस विकी को ही देख रहे थे.. जो खुले आम.. संगम.. राजवंश से उलर्ट कर रहा था.. राज जाते हुए विकी के पास आता है और धिरे से बोलता है.... " गलत जगह ट्राय कर रहे हो...यहा दाल नही गलने वाली... " ...राज की बात सुनकर.. विकी एक डेविल स्माइल के साथ बोलता है... " यहा दाल गलेगी भी ओर परोसी भी जायोगी.. तुम अभी विवेक को जानते ही कितना हो... "..ओर दरवाजे पर खडे़ संगम की तरफ विंक कर देता है...  ....विकी की हरकतो से.. संगम बुरी तरह से चिड़ जाता है... पर वो बिना बोले.. वहा से निकल जाता है.. उसके पिछे बाकी लोग भी निकल जाते है...  ...पुरी क्लास खाली हो चुकी थी.. पर अर्थव अभी भी हेड़ डाउन किये हुए लेटा हुआ था.. सभी के जाने के कुछ पल बाद को... अपनी आंखे खोलता है और एक डेविल स्माइल के साथ बोलता है... " नोट बेड़... काफी अच्छा टेस्ट है आपका भाई.. पर अफसोस मै आपको उसके करीब नही जाने दुंगा... गेट रेडी़ फोर फाइट ब्रो... 😈😈.." ...दक्ष ओर उसकी पलटन... कॉलेट गेट तक.. मानव ओर विकी के साथ आते है.. फिर सभी एक दुसरे को गुड़ बाय बोलकर.. अपने अपने रास्ते निकल जाते हैं...  ..मानव ओर विकी.. दोनो हॉस्टल की तरफ.. वही दक्ष ओर बाकी लोग अपनी बाइक लेकर.. अपने घर की तरफ...  ...करीब बिस मिनट बाद चारो एक छोटे से मंशन के सामने आकर रुकते है...  ...चारो अपनी बाइक को पार्क करते है..ओर अंदर चले जाते हैं.. सभी के चेहरे पर एक बहुत ही प्यारी सी मुस्कान थी .. ...कहने को तो मंशन छोटा सा था.. पर उतना ही ब्युटीफुल था.. दो मंजिल इस मंशन मे सब कुछ था... बेडरुम.. जीम.. स्विमिंग पुल.. एक प्यारा सा गार्डन... ...चारो अंदर आकर हॉल के काउच पर बैठ जाते हैं.. राज ओर वत्स दोनो एक दुसरे को देखते हैं और अगले ही एक तेज आवाज मे बोलते है... " हम घर आ गये...." ...आवाज सुनकर.. एक मीडिल एक ओरत बहार आती है.. जिसके हाथ मे चार कॉफी मग थे.. ओर चेहरे पर प्यारी सी स्माइल.... ...ओरत को देख कर दक्ष अपनी सीट से उठाता है और उसके हाथ से ट्रे लेते हुए बोलता है.. " मां कितनी बार बोला है आपको.. आप काम मत किया करो... " ...दक्ष की बात सुनकर... ओरत.. हल्के गुस्से मे बोलती है.. " तो ओर क्या करु....इस बडे़ से घर मे... तुम चाहो तो सुबह निकल जाते हैं.. ओर शाम को आते हो.. सोचा है कभी.. तुम्हारी मां का अकेले पुरा दिन कैसे कटता होगा... " ...ओरता की बात सुनकर... राज ओर वत्स छोटे बेबी की तरह आकर... उसे दोनो साइड़ से हर करते लेते है..ओर बोलते हैं.. " तो हमारी मां.. अकेले बोर हो जाती है.. कोई नही हमारे पास ए आइडिया है... " ..क्या.. ओरत हसते हुए बोलती हैं.. "..आप कल हमारे साथ कॉलेज चलो.. वैसे भी आपको देखकर कोई यकिन नही करेगा.. आप चार बच्चो की मां है... "...राज ओर वत्स हसते हुए बोलते है...  ..जिस पर वो लेडी़ दोनो के कान पकडते हुए बोलती हैं.. " तुम दोनो शैतान सुधरेगे.. नही.. ना.. " ...राज ओर वत्स.. दोनो हसते हुए सॉरी बोलते है..ओर फिर से हर कर लेते है..  ..ये है राधा... दक्ष की मां... ...दक्ष जब छोटा था.. इन्होने तभी अपने बेटे के लिये.. सिंघानिया मंशन छोड दिया था...क्योकी.. इनके हसबैण्ड़ ने किसी ओर से शादी कर ली थी...उस वक्त दक्ष...दो साल का था और ... जब इनके हसबैण्ड़ शादी करके आये.. तब उनका ऑलरेडी.. डेड साल का बेटा था...  ...बचपन से दक्ष को इन्होने अकेले पाला था.. हर महीने.. सिंघानिया फैमीली से इन्हे एक अमाउंट मिलती है... दक्ष की परवरीस के लिये...दक्ष के साथ उसके दोस्त भी बचपन से उसके साथ रहते है... ऐसा नही था कि राज-वत्य ओर संगम की फैमीली नही थी... पर जो प्यार उन्हे राधा से मिलता है.. वो कभी उन्हे अपने फैमीली से नही मिला...बिजनेस के चलते.. इनकी फैमीली अपने बच्चो को भुल गई.. ओर वक्त के साथ साथ.. बच्चे अपनी फैमीली को...तीनो.. दक्ष के साथ उसी के घर मे रहते है और राधा को ही अपनी मां मानते है... चारो की जान बसती है राधा मे.. ओर राधा की जान चारो मे...वो चारो को अपने बेटे से बराबर रखती है..  ....कुछ देर राधा के साथ टाइम स्पेंड करके चारो अपने अपने रुम मे चले जाते हैं... ओर चेंज करके स्टेडी रुम आते है...  ..... Continue.....  क्या करने वाला है अर्थव.. क्यु करता है वो अपने ही भाई से इतनी नफरत....  Plz like or comment jaru krna thank you.. 

  • 11. Crushed love - Chapter 11

    Words: 1188

    Estimated Reading Time: 8 min

    Hii guy's so let's start the story  😊😊😊 ....कुछ देर राधा के साथ टाइम स्पेंड करके चारो अपने अपने रुम मे चले जाते हैं... ओर चेंज करके स्टेडी रुम आते है...  ....चारो स्टेडी रुम मे बैठे थे ओर स्टेडी रुम मे एक अजीब सी शांती छाई हुई थी... सभी के चेहरो को एक्सप्रेसन बहुत सीरियस थे...स्पेसली दक्ष के... उसकी दोनो आंखे बिलकुल डार्क थी...  ...संगम चुपी को तोड़ते हुए दक्ष की तरफ देखता है और बोलता है.. " तुम जानते हो ना तुम क्या कर रहे हो.. " ...दक्ष अपनी सीट से उठता है ओर खड़का के पास चला जाता है.. इस वक्त बहार सूरज डुब रहा था...दक्ष सामने ढुब रहे सूरज को देखता है और डार्क वॉइस मे बोलता है... " तुम जानते हो एसआर.. उसकी डेस्टीनेशन मुझे तक है.. वो चाहे या ना चाहे.. उसे आना मेरे पास ही है..."  "...क्या तुम्हे यकिन है...जिसकी तुम तलाश कर रहे हो.. वो मानव ही है... वो पहले से एंगेजड है उपर से वो अनुराग कश्यप के साथ है... अगर अनुराग को भनक भी लगी.. की मानव तुम्हारे साथ वक्त बिता रहा है.. तो क्या होगा..तुम जानते हो... "..संगम फिर से सवाल करते हुए बोलता है...  ...संगम के सवाल पर दक्ष जोर जोर से हसने लगता है.. उसकी हसी बहुत डेंजरस थी...कुछ पल बाद वो चुप होता है और बहार आसमान की तरफ देखते हुए बोलता है.. " तुम्हे लगता है.. कोई दक्षत को रोक सकता है... दक्षत की नफरत के कोई नही रोक सकता... उसे मेरे पास आना होगा... यही उसकी डेस्टीनी है... उसे दक्षत की नफरत झेलनी होगी...जो उसने मुझसे छिना.. उसकी किमत मानव सिंह राठोड को चुकानी होगी... " ...तभी वत्स ओर सीरियस फेस के साथ बोलता है.. " दक्षत को कोई नही रोक सकता.. पर दक्ष का क्या... उसे तुम कैसे रोकेगे...वो तुम्हे कभी किसी को हार्म नही करने देगा... " ...राज की बात सुनकर.. दक्षत जोर जोर से हसने लगता है.. उसकी आँखो अब पुरी तरह से दो रंग मे बदल गई थी कमरे का माहौल बहुत डरावना है गया था.. अचानक से बहार चारो तरफ अंधेरा छा जाता है और बादल गजरने लगते है.. ऐसा लग रहा था.. जैसे दक्ष का गुस्सा.. बहार के नेचर पर इफेक्ट कर रहा हो... दक्ष को देख कर.. राज ओर वत्स.. दोनो उससे पिछे होने लगते हैं... संगम भी अपनी सीट से उठ चुका था... ये दक्ष नही.. जो सबके सामने स्वीट रहता है.. ये दक्षत है.. जो नफरत की आग मे जल रहा है.. जिसे नफरत के सिवाय कुछ नही आता...  ...दुसरी तरफ... मानव विकी के साथ बाते करते हुए.. हॉस्टल वापस आता है ... जहां पहले से अनुराग ओर बाकी लोग हॉल मे बैठे... चाय कि चुसकिया ले रहे थे... मानव ओर विकी भी दोनो को जोइन कर लेते है.. मानव अपने पुरे दिन की बकवास सभी को सुना रहा था...जिसे सुनकर.. विकी इरिटेट हो रहा था.. वही अनुराग ओर बाकी स्माइल के साथ सुन रहे थे.. उन चारो को देख कर कोई नही बता सकता था कि वो मानव से कल पहली बार मिले थे... अनुराग ओर व्योम के चेहरे के एक्सप्रेसन देख कर तो ऐसा लग रहा था.. जैसे उन लोगो का मानव से पता नही कितना पुराना रिस्ता है...  ...विकी ये बात कल से नोटिस कर रहा था... मानव को देखकर अनुराग ओर व्योम के चेहरे पर एक ऐसे एक्सप्रेसन थे.. जैसे उनकी तलाश पुरी हो गई हो.. वही सारिका ओर सचीन.. कल ऐसे एक्साइटेड़ हो रहे थे.. जैसे उन्हे मानव नही कोई खजाना मिल गया हो...  ...कुछ देर की मस्ती मजाक के बाद.. मानव ओर विकी  दोनो चेंज करने रुम के अंदर आते है.. बातो बातो मे पता है चला कब वक्त बित गया ओर सुरज डलने को आ गया.. विकी फिलहिल वॉसरम मे चेंज कर रहा था और मानव रुम मे... उसने अपने पैजामा पहन लिया था ओर टिशर्ट को लिये डांस कर रहा था... तभी अचानक से मौषम चेंज होने की वजह से... रुम की लाइटस चली जाती है.. ओर चारो तरफ एक अजीब सा अंधेरा छा जाता है...खिड़की खुली होने के कारण.. बहार से बादलो का गडगडाट ओर जानवरो के रोने की आवाज़े आने लगती है.. कुछ ही पलो मे प्रकती मे एक अजीब सा डर छा गया था...  ...अचानक हुई बदलाव की वजह से... मानव जो अभी तक मस्ति से झुम रहा था.. वो अपने घुटनो पर आ जाता है...ओर चिखने लगता है.. उसने अपने कानो पर हाथ रख लिया था और चेहरा भी घुटनो मे छुपा लिया था...  ..मानव की चिंख सुनकर...विकी वॉसरम से बहार आता है... वही अनुराग ओर बाकी तीनो भी फॉन की ट्रॉच जलाये... अंदर आते है... अंदर मानव का चीख चीख कर बुरा हाल था... वो पागलो की तरह चीखे ओर चिलाये जा रहा था.. रोने की वजह से उसका पुरा चेहरा लाल हो गया था और बॉडी़ पसीने मे भिग गई थी.. विकी.. बार बार मानव को चुप कराने की कोशिश कर रहा था.. पर मानव को जैसे होश मे ही नही था.. तभी अंदर अनुराग ओर बाकी लोग आते है.. व्योम.. विकी को रुम से लेकर जाता है और उसे शांत रहने का बोलता है.. पर विकी बुरी तरह से घबराया हुआ था.. वो कापती आवाज़ मे बोलता है... " अंदर मान... वो.. " ;..डोंट वैरी.. अनुराग है ना.. वो उसे संभाल लेगा उसे कुछ नही होगा...पहले तुम शांत हो जाओ... "..व्योम.. विकी को हग करते हुए बोलता है.. ..मानव को देख कर.. विकी ओर गया था.. वो कस कर व्योम को हग कर लेता है... ...अंदर रुम मे अनुराग.. सचीन ओर सारीका की तरफ इशारा करता है.. दोनो नोट करते है ओर वहा से निकल जाते हैं.. दोनो के जाते ही.. अनुराग... मानव के पास घुटनो पर बैठता है और फॉरफुली उसका चेहरा घुटनो के बहार लाता हैं.. फिर एक सॉफ्ट वाइस मे बोलता है.. " मान.. मेरी तरफ देखो..." ...अनुराग की आवाज सुनते ही मानव उसे हग कर लेता है और रोते हुए बोलता है... " मैने कुछ नही किया...मैने कुछ नही किया...वो सब झुठ है... मैने नही किया कुछ.. आप बोलो ना इन सबको... ये चुप हो जाये... " "...श... श.. हमे पता है तुमने कुछ नही किया... तुम डर क्यु रहे हो... तुम तो ब्रेव हो ना.. मेरी ब्रेव एंजल.. जो किसी से नही डरता..."..अनुराग फिर से एक सॉफ्ट वाइस मे मानव की पिठ सहलाते हुए बोलता है..  ...जैसे जैसे अनुराग के शब्द.. मानव को कानो मे जा रही थी... मानव शांत हो रहा था और नींद मे जा रहा था.. गहरी निंद मे जाने से पहले.. मानव अनुराग की आंखो मे देखता है और बोलता है... " मैने गलत किया ना.. उसे पेन होता होगा अभी...वो धाव अभी भी वैसे ही है... उसे बहुत पेन होता होगा... बहुत पेन..." ..बोलते बोलते... मानव गहरी निंद मे चला जाता है....वही अनुराग.. मानव की बाते सुनकर उसे हग कर लेता है और गहरी सांस लेते हुए  अपनी आंखे बंद कर लेता है... कुछ पल बाद वो मानव को बेड़ पर लेटाता है.. रुम मे सारीका ओर सचीन मे मिलकर केंडसल की रोसनी कर दी थी.. बहार तारो तरफ तुफान चल रहा था..  .... Continue....  आखिर ऐसा क्या हुआ था जो दक्ष की सेकेंड प्रसनलीटि मानव से इतनी नफरत करती है... क्यु मानव पर इसन सबका असर हो रहा है.. Plz like comment or share jarur kre thank you... 

  • 12. Crushed love - Chapter 12

    Words: 2451

    Estimated Reading Time: 15 min

    Hii guy's so let's start the story  😊😊😊 अगले दिन मॉर्निंग मे.. मानव की आंखे खुलती है.. उसका हल्का सा सर दर्द भी हो रहा था.. वो आंखे खोलकर देखता है तो पास मे ही अनुराग बैठा था.. वो प्यार से उसके बालो मे हाथ फिरा रहा था...  ...मानव उसे देख कर स्माइल करता है..ओर उठने लगता है.. पर अचानक से उसकी स्माइल फेड़ हो जाती है.. उसकी आँखो के सामने अंधेरा छाने लगता है... ओर वापस अनकोंसीयस होकर बेड़ पर गिर जाता है..  ...मानव को ऐसे देख कर.. अनुराग ओर गहरी सांस लेता है और उठकर मानव के रुम से चला जाता है.. बहार हॉल व्योम.. विकी ओर सचीन-सारिका के साथ बैठकर नास्ता कर रहे थे..  ..अनुराग के आता देख.. विकी एक परेशानी भरी आवाज़ मे बोलता है... " क्या मान को होश आ गया... " "...नही पर वो बेहोश नही है.. वो सिर्फ सो रहा है.. तो तुम टेंशन मत लो... कुछ देर मे जाग जायेगा... " ...अनुराग पास बैठते हुए बोलता है.. सभी नीचे जमीन पर एक कार्पेट बिछा कर बैठे थे और नास्ता कर रहे थे...  ...नास्ता करने के बाद..सभी लोग कॉवेज के लिये निकल जाते हैं.. विकी का मन तो नही था.. पर व्योम ने उसे समझाया की सारिका.. वही मान के पास है वो सब संभाल लेगी.. तो विकी को परेशान होने की जरुरत नही है..  ...कॉलेज पहुंचकर.. विकी एक उदास मन से अपने क्लास की तरफ बढ़ जाता है.... वो क्लास के अंदर जाकर अपनी सीट पर हेड़ डाउन करके बैठ जाता है.. आज का दिन उसके लिये सबसे लंबा होने वाला था.. आज उसकी बेबडॉल जो उसके साथ नही थी...  ...दुसरी तरफ.. दक्ष भी अपने दोस्तों के साथ कॉलेज आता है.. पर कॉलेज के एंट्रस पर ही वो अपनी बाइक रोक देता है ओर संगम की तरफ देखता है.. संगम एक गहरी सांस लेते हुए... हां मे सर हिलाता है और उसके बाद वो राज ओर वत्स का साथ वहा से निकल जाता है... दक्ष कुछ वक्त कॉलेज एंट्रस पर खडे़ होकर... बिजनेस डिपार्टमेट की बिल्डिंग के घुरता है ..ओर फिर वहा से निकल जाता है...  ...संगम.. राज ओर वत्स दोनो के साथ अपनी क्लास के अंदर आता है... राज ओर वत्स की नजर जैसे ही विकी के साइड़ खाली सीट पर गई.. दोनो की आंखे छोटी हो गई... वो दोनो अब संगम को देखने लगे थे... पर संगम दोनो को इग्नोर करके वहा से अपनी तरफ बढ़ जाता है..  ...वत्स जाते हुए राज की तरफ देखता है और कुछ सोचते हुए बोलता है.. " क्या तुम्हारे दिमाग मे भी वही चल रहा है.. जो मेरे माइंड मे है... " ...वत्स की बात सुनकर... राज सामने देखते हुए बोलता है.. " तुम्हारे दिमाग का तो पता नही.. बट मुझे इतना पता है.. फिलहाल दक्ष वही है जहां उसे नही होना चाहिए... " ...सही कहा... वत्स ओर आह भरते हुए बोलता है.. फिर अपनी सीट पर चला जाता है..  ...वो सीट पर जाकर.. विकी के साइड़ मे टैप करता है और बोलता है.. " क्या बात है डॉरेमॉन.. आज तुम अकेले.. तुम्हारा पाटनर कहां है... " ...विकी वत्स की बात सुनकर.. एक उदास चेहरे के साथ बोलता है.. " उसे फिवर है.. वो रुम पर है... " "...क्या वो बीमार है... पर अचानक से कैसे... "...राज सवाल करते हुए बोलता है..  ...राज को सवाल पर विकी लाचारी से उन दोनो की तरफ देखता है और फिर बोलता है... " पता नही... शाम तक ठिक था.. फिर क्या हुआ.. " "...पर तुम तो उसके साथ रहते हो ना.. फिर तुम्हे नही पता वो अचानक सेे कैसे बीमार हो गया..." ...संगम अपने एक्सप्रेसन लैस चेहरे के साथ बोलता है..  ...संगम की सवाल सुनकर... विकी सोच मे पड़ जाता है...कल शाम को वो कॉलेज से जल्दी चले गये थे... फिर उन दोनो ने.. बाकी लोगो के साथ टाइम स्पेंड किया और फिर वो चेंज करने लगे.. पर उसके बाद का उसे कुछ ठिक से याद नही.. जब वो सुबह उठा...तो मानव उसके साइड़ बेड़ पर सो रहा था.. उसने उठाने के लिये मानव को सेक किया तब पता चला.. मानव को फिवर था... वो मानव को हॉस्पीटल लेकर जाने का सोचता है.. तभी वहा पर अनुराग ओर व्योम आ जाते है.. जब उन दोनो को पता चलता है कि...मानव को फिवर है.. तो सारिका अपने पास से कुछ मेडिसिन लेकर आती है और मानव को खिलाती है.. कुछ वक्त बाद उसका फिवर सही हो जाता है.. पर वो उठा नही.. वो सो रहा है... विकी अपने ही ख्यालो मे खोया हुआ था.. तभी संगम.. फिर से एक कॉल्ड वॉइस मे बोलता है.. " क्या हुआ... " ..संगम की वॉइस सुनकर.. विकी ख्यालो की दुनिया से बहार आता है और बोलता है.. . " पता नही.. जब सुबह देखा तो उसे फिवर था.. शायद किसी बुरे सपने की वजह से वो डर गया होगा... " ...तभी राज बिच मे बोलता है.. " शायद वैदर की वजह से वो बीमार हुआ हो.. " ...राज की बात सुनकर... विकी उसे अजीब नजरो से देखते हुए बोलता है... " बहार का वैदर देखो.. कितना साइनी है.. ओर अभी रैनी सीजन नही है... " "...पर कल की वैदर ऐसा थोडी़ ना था... "..वत्स मुंह बनाते हुए बोलता है..  "...तोै क्या कल हेवी रेन हुई थी.. बेकवकुफ इंसान... "..विकी मुंह बनाते हुए बोलता है... राज ओर वत्स दोनो उसकी बात सुनकर...आगे कुछ बोलने वाले होते है. तभी विकी बुरा सा मुंह बनाते हुए बोलता है.. " अपना मुंह बंद करो.. प्रोफेशर आ गये है... " ....प्रोफेसर के साथ... अर्थ भी दौड़ते हुए आता है.. वो आज लेट हो गया था.. वो जल्दी से अपनी सीट. पर बैठता है और फिर.. चारो तरफ देखते हुए बोलता है.. " ओय चश्मिस... क्यूटी नही आया..." ...अर्थ की बात सुनकर... विकी उसे घुरकर देखता है और फिर रुढ वॉइस मे बोलता है.. ". उसे फिवर है और दुसरी बात मै चश्मिश नही हूं... " "...लैंस लगा लेने से.. तुम नॉर्मल नही हो जाओगे.. रहोगे चश्मिस ही.. समझे... "...अर्थव मुंह बनाते हुए बोलता है..  ...तभी सामने से प्रोफेसर वर्मा एक तेज आवाज मे बोलते है.. " साइलेंस... " ...प्रोफेसर वर्मा की एक आलाज से पुरी क्लास शांत हो जाती है...  ..बिजनेय डिपार्टमेट सेकेंड ईयर फक्लटी मे कुछ ओर ही चल रहा था..  ...अंव्याश ओर अनुराग एक दुसरे को सामने खडे़ होकर घुर रहे थे... दोनो की आंखो मे बेसुमार.. गुस्सा ओर नफरत भरी थी.. वही अव्यांश के पिछे खड़े राहुल की फेस से ब्लड़ निकल रहा था ओर उसकी हालत देख कर लग रहा था.. जैसे उसके अभी किसी ने बहुत बुरी तरह से पिटा हो...  ...अव्यांश गुस्से मे अनुराग क देखते हुए बोलता है.. " तुमने अच्छा नही किया.. राहुल पर हाथ उठाकर... " ...अनुराग उसकी बात का कोई जवाब नही देता.. पर व्योम एक गुस्से भरी आवाज़ मे बोलता है... " हमे मत सिखाओ.. हमने क्या किया क्या नही.. पहले अपने कमीने दोस्त को बोलो ...जिसने एक लड़की के साथ बतमिजी करने की कोशिश की.. ओर इसे इसकी ही सजा मिली है... शुक्र मनाओ.. हड्डिया नही टुटी... " ...व्योम भी बात कर... अव्यांश हसने लगा था... उसकी हसी मे पेन मे था... वो अनुराग की तरफ देखते हुए बोलता है.. " तो ग्रेट अनुराग कश्यप ने.. सजा दी है.. छेड़छाड़ की... "..फिर वो.. बाकी स्टुडेंटस की तरफ देखते हुए बोलता है.. " अगर छेड़छाड़ की ये सजा है.. तो किसी मौत की सजा क्या होनी चाहिए... लेट मी गैस.... छेड़छाड़ को बदले.. मार-पिट... तो फिर मौत के बदले मौत... क्या ख्याल है... "..अव्यांश के एक्सप्रेसन बहुत खतरनाक थे... वही अवि की बात सुनकर... अनुराग के एक्सप्रेसन भी कठोर हो गये थे.. वो अवि की कॉल्र पकड़ता है ओर उसकी आंखो मे देखते हुए बोलता है...." तुम हद पार कर रहे हो... अवि.. " "....अव्यांश कश्यप... अवि सिर्फ मै अपनो के लिये हूं... गदारो के लिये मै अव्यांश हूं... याद रखना...ओर हद पार अभी हुई नही.. होगी... जिस दिन मुझे वो मिल जायेगा.. जिसकी तलाश मुझे सालो से है... उस दिन तुम देखोगे हद पार करना किसे कहते है... " ...अपनी बात खत्म करके.. अव्यांश अपने दोस्तो के साथ वहा से निकल जाता है.. वही अनुराग अपनी आंखे कस कर बंद कर लेता है.. उसकी हाथो की नशे गुस्से की वजह से उभर आई.. आस-पास के स्टुडेंटस.. डरे सहमे से ये सारा नजरा दोख रहे थे.. सभी को पता है.. दोनो भाई एक दुसरे को दुश्मन है और बहुत ही खतरनाक...  ...दुसरी तरफ... दक्ष.. कुछ वक्त बाद.. हॉस्टल कम्पस के गेट पर खडा़ था.. वो एक नजर वहा खडे़ गार्डस को देखता है और फिर वहा से अंदर चला जाता है...  ...अंदर जाकर.. वो एक नजर चारो तरफ नजर मारता है और फिर मानव के हॉस्टल की तरफ बढ़ जाता है...वो लिफ्ट से सिधे मानव के अपार्टमेंट मे चला जाता है...  ...अंदर अपार्मेंट मे.. मानव अभी भी अनकोंसीयस.. बेड पर लेटा हुआ था.. वही पास मे सारीका चेयर पर बैठकर...बुक रिड़ कर रही थी... अचानक से.. सारिका को निंद आने लगती है ओर पढ़ते पढ़ते बार बार योनिंग करने लगती है.. कुछ पलो तक वो ऐसे ही योनिंग करती है... फिर उठकर.. अपने रुम की तरफ बढ़ जाती हैं... ओर जाकर सो जाती हैं.. ...उसके रुम मे जाते ही.. दक्ष मानव के अपार्मेंट मे एंटर करता है और चारो तरफ नजरे घुमा कर देखता है.. वो एक नजर...सारिका के रुम की तरफ देखता है और फिर वहा से सीधे.. मानव के रुम मे चला जाता है.. दक्ष की आंखे.. मानव को रुम मे जाते ही सॉफ्ट हो जाती है और चेहरे पर प्यारी सी स्माइल आ जाती हैं...उसके हाथ मे एक बैग था.. वो बैग को मानव के साइड़ टेबल पर रखता है और मानव के बेड़ के पास घुटनो पर बैठ जाता है.. फिर प्यार से उसके माथे को छुता है और धिरे से उसके कान मे विस्पर करते हुए बोलता है... " मान.. उठ जाओ.. ओर कितना सोओगे... " ...दक्ष की आवाज सुनते ही.. अंकोनसियस मानव को चेहरे पर अपने आप ही एक प्यारी सी स्माइल आ जाती हैं... ओर अगले ही पल वो अपनी आँखें खोल देता है... आंखे खोलते ही उसकी नजरे.. सिधे दक्ष के चेहरे पर जाती है.. दक्ष ने अपना मास्क नही पहन रखा था... उसकी आँखो.. ऑसियन ब्लु थी और चेहरे पर एक बहुत प्यारी स्माइल थी...  ...मानव अपने हाथ आगे करके दक्ष के चेहरे को छुता है और एक सॉफ्ट वाइस मे बोलता है... " तुम्हे पता है बडी़.. जब तुम ऐसे स्माइल करते हो ना.. मेरी हार्टबिट बहुत फास्ट हो जाती है... कभी कभी तो लगता है.. जैसे ये अभी बहार आ जायेगा... " ... दक्ष उसकी बात पर सिम्पली नोट करता है और फिर बोलता है... " भुख नही लगी... " ...दक्ष के सवाल करते ही... मानव के पेट से आवाज आने लगती है.. ओर पाउट बनाते हुए बोलता है... " बहुत ज्यादा... ऐसा लग रहा जैसे पता नही मै कितने दिनो से भुखा हूं... " "...चलो जल्दी से फ्रेस हो जाओ...मै तुम्हारे लिये खाना लगाता हूं... "..दक्ष मुस्कुराते हुए बोलता है..  ...दक्ष की बात सुनकर... मानव जल्दी से उठता है...पर वो जैसे ही बेड़ के नीचे कदम रखता है.. उसके कदम लड़खडा जाते है... इससे पहले वो गिरता.. दक्ष जल्दी से खड़े होकर उसे गोद मे उठा लेता है...  ..मानव ने गिरने के डर से अपनी आंखे कस कर बंद कर ली थी... जब उसे अहसास होता है वो हवा मे है.. वो अपनी आंखे खोलता है और दक्ष की तरफ देखते हुए बोलता है. . " पता नही क्या हुआ.. मुझे अचानक से चक्कर आने लग गये.. शायद मैने कुछ खाया नही इस वजह से... " ...मानव की बात सुनकर... दक्ष.. हल्के से नोट करता है और उसे लेकर..वॉसरुम मे चला जाता है... वही मानव को समझ नही आ रहा था कि उसे क्या हुआ.. उसके कदम लड़खडा क्यु गये.. पहले तो उसके साथ ऐसा कभी नही हुआ... ..दक्ष.. मानव को वॉसरुम मे लेजाकर खड़ा करता है और उसका फेस पकड़ कर बोलता है... " आंखे बंद करो और गहरी सांस लो... " ...मानव ए नजर देखता है फिर ना कुछ बोले.. दक्ष ने जैसा बोला वैसा ही करता है... वो जैसे ही आंखे बंद करता है.. दक्ष उसके फॉर्डहैड पर अपनी अंगुलीया रखता है और आंखे बंद कर लेता है... कुछ पल बाद वो आंखे खोलता है और मानव को देखता है.. फिर उसके फॉरहेड़ पर हल्का सा किस्स करके बोलता है.. " अब खोल लो... " ...दक्ष के हल्के से किस्स मे मानव मल्ट हो जाता है.. वो दक्ष की आवाज सुनकर.. आंखे ओर फिर चहकते हुए बोलता है.. " बडी़ तुम्हारी किस्सी मे तो जादु है.. देखो मेरे सर मे जो दर्द हो रहा था.. वो नही हो रहा ओर मुझे अच्छा भी फिल हो रहा है... " ...दक्ष उसकी बात सुनकर... हल्का सा मुस्कुरा देता है और वॉसरुम की तरफ इशारा करके बहार चला जाता है...  ...कुछ देर बाद.. मानव फ्रेस होकर बहार आता.. तब तक दक्ष ने स्टेडी टेबल पर उसके लिये लाया हुआ फुड़ लगा दिया था... फुड़ को देख कर... मानव जल्दी से.. टेबल के पास आता है और बाइट लेते हुए बोलता है.. " उंह.. ये कितना टेस्टी है..आपको पता है मै कब से ऐसे खाने को मिस कर रहा था..हॉस्टल का खाना बहुत बोरिंग है... " ...दक्ष बस एक टक.. मानव को खाते हुए देख रहा था... उसके चेहरे पर एक सॉफ्ट एक्सप्रेसन थे.. वही मानव.. खाना खाते हुए बस बकवास कर रहा था.. सारा खाना खत्म करने के बाद.. मानव अपने दांत दिखाते हुए बोलता है.. " सॉरी बडी़ भुख के चक्कर मे आपसे पुछना ही भुल गया.. आपने खाया या नही... " "..मैने ऑलरेडी ब्रेकफास्ट कर लिया था.. ये सिर्फ तुम्हारे लिये थे ..." .दक्ष.. तुरंत जवाब देता है ओर टिशु से मानव का फेस साफ साफ करता है.. जिसने खाते वक्त बच्चो के जैसे पुरे फेस पर खाना लगा लिया था... खाना खत्म करने के बाद..मानव बेड़ पर बैठ जाता है और दक्ष की तरफ देखते हुए बोलता है... " बडी़ अब क्या करे... ऐसे पुरा दिन तो हम बैठे नही कह सकते ना.. मै तो अभी से बोर होने लगा हूं.. " "...तो. तुम क्या करना चाहते हो.. " दक्ष जो टेबल साफ कर रहा था वो दक्ष की तरफ सवालिया नजरो से देखते हुए बोलता है...  ...दक्ष के सवाल पर मानव चहकते हुए बोलता है.. " बहार चले घुमने... "  "...नही.. "..दक्ष घुरते हुए जवाब देता है... जिस पर मानव का मुंह बन जाता है.. फिर कुछ देर की खामोशी के बाद मानव फिर से बोलता है...  ...." तुम्हारे पास भी म्युजिक होगा... क्या तुम मुझे एक सोंग सुना सकते हो.. प्लीज... मेरे फॉन मे देखो नेटवर्क नही है ओर बिना सॉंग को तो मै पक्का बोर होकर पागल हो जाऊंगा  .." ...मानव की बात सुनकर... दक्ष उसे एक बार फिर से घुर कर देखता है.. पर मानव उसे इग्नोर करके अपने सामान से जल्दी से.. म्युजिक सिस्टम बहार निकलता है...  ..... Continue....  किसकी मौत का जिक्र तक रहा था अव्यांश.. किसकी तलाश मे है अवि...क्यु विकी को कुछ भी याद नही...  Plz like comment or share jarur kre thank you... 

  • 13. Crushed love - Chapter 13

    Words: 1999

    Estimated Reading Time: 12 min

    Hii guy's so let's start the story  😊😊😊 आर्टस डिपार्टमेट मे....  अवि.. हाथ मे पंचिंग गल्वस पहने...किसी को पिट रहा था..ये कोई ओर नही उसके तीन दोस्त थे.. राहुल.. जो पहले से व्योम ओर अनुराग के हाथो से पिटा हुआ था.. वो अव्यांश के मारते देख.. डरते हुए बोलता है.. " अवि.. क्या कर रहे हो.." ..अव्यांश उसके पेट मे एक घुसा मारता है और गुस्से से बोलता है... " तुम लोगो को मैने कितनी बार बोला है.. तुम लोग किसी भी लड़की के साथ बतमिजी नही करोगे.. ओर ना ही किसी लड़की को गलत तरीके से टच करोगे.. तुम लोगो को समझ नही आता ना.. तो आज मै तुम सबको अच्छे से समझा देता हूं.. " अवि की बात सुनकर... तीनो गिडगिडाते हुए बोलते है.. " अवि वो लोग झुठ बोल रहे है.. हम किसी लड़की को नही छेड़ रहे थे.. उस लड़की ने आगे से हमे अप्रोच किया था.. तुम तो अनुराग ओर उसके दोस्तो को जानते है.. वो लोग तुमसे नफरत करते है.. हम तुम्हारे दोस्त है.. तो वो लोग हमसे इसका बदला ले रहे थे... " "..आई हेट लायर.. पता है ना.. वो भले ही मेरा दुश्मन है.. पर जितना मै उसे जानता हूं.. इस दुनिया मे कोई नही जानता.. वो कभी मेरी नफरत तुम पर तो क्या किसी पर नही निकालेगा...एंड यु नो.. ही डोंट हेट मी.. " ..बोलकर..अव्यांश तीनो को बुरी तरह से मारने लगता है...  ..मानव के अपार्मेंट मे...  ...दक्ष बस एक टक.. मानव को खाते हुए देख रहा था... उसके चेहरे पर एक सॉफ्ट एक्सप्रेसन थे.. वही मानव.. खाना खाते हुए बस बकवास कर रहा था.. सारा खाना खत्म करने के बाद.. मानव अपने दांत दिखाते हुए बोलता है.. " सॉरी बडी़ भुख के चक्कर मे आपसे पुछना ही भुल गया.. आपने खाया या नही... " "..मैने ऑलरेडी ब्रेकफास्ट कर लिया था.. ये सिर्फ तुम्हारे लिये थे ..." .दक्ष.. तुरंत जवाब देता है ओर टिशु से मानव का फेस साफ साफ करता है.. जिसने खाते वक्त बच्चो के जैसे पुरे फेस पर खाना लगा लिया था... खाना खत्म करने के बाद..मानव बेड़ पर बैठ जाता है और दक्ष की तरफ देखते हुए बोलता है... " बडी़ अब क्या करे... ऐसे पुरा दिन तो हम बैठे नही कह सकते ना.. मै तो अभी से बोर होने लगा हूं.. " "...तो. तुम क्या करना चाहते हो.. " दक्ष जो टेबल साफ कर रहा था वो दक्ष की तरफ सवालिया नजरो से देखते हुए बोलता है...  ...दक्ष के सवाल पर मानव चहकते हुए बोलता है.. " बहार चले घुमने... "  "...नही.. "..दक्ष घुरते हुए जवाब देता है... जिस पर मानव का मुंह बन जाता है.. फिर कुछ देर की खामोशी के बाद मानव फिर से बोलता है...  ...." तुम्हारे पास भी म्युजिक होगा... क्या तुम मुझे एक सोंग सुना सकते हो.. प्लीज... मेरे फॉन मे देखो नेटवर्क नही है ओर बिना सॉंग को तो मै पक्का बोर होकर पागल हो जाऊंगा  .." ...मानव की बात सुनकर... दक्ष उसे एक बार फिर से घुर कर देखता है.. पर मानव उसे इग्नोर करके अपने सामान से जल्दी से.. म्युजिक सिस्टम बहार निकलता है...  ...ये क्या कर रहे हो... दक्ष जल्दी से उसके हाथो मे पकड़े किबॉर्ड को साइड रखते हुए बोलता है...  "..क्या बडी़..मै म्यूजिक सिस्टम निकाल रहा हूं.. आप ना जल्दी से मुझे कोई मस्त सा सोंग सुना दो... " ..मानव फिर से उस किबॉर्ड की तरफ जाते हुए बोलता है...  ...मानव की बात सुनकर... दक्ष उसे पकड़ कर बेड़ पर बैठाता है और फिर बोलता है... " तुम अभी भी निक हो ओर तुम्हे फिलहाल सोंग की नही.. सोने की जरुरत है...जल्दी से आंखे बंद करो और लेट जाओ.... " ...दक्ष की बात सुनकर... मानव उदास सा चेहरा बनाते हुए बोलता है... " तो क्या आप बीमार आदमी की इतनी विश भी पुरी नही कर सकते.. क्या पता आपका सोंग मुझे हिल कर दे ओर मै बिलकुल सही हो जाऊ.. प्लीज. बस एक सोंग.. फिर आप जो बोलोगे.. मै वो करुंगा... " ...अच्छा ठिक है... दक्ष.. एक आह भरते हुए बोलता है... जो किसी की नही सुनता.. उसे इस किड़ की बातो को सुनना पड़ता है...  ..दक्ष की हां सुनते ही.. मानव जल्दी से बेड़ पर बैठ जाता है.. वही दक्ष.. किबॉर्ड को उठाकर स्टेडी टेबल पर रखता है और उसे अच्छे से सेट करता है.. फिर मानव की तरफ देखता है.. जो बेड़ पर पैर मोड़े.. उसकी तरफ क्युरियोसीटि से देख रहा था..  ...लेट जाओ ओर अपनी आंखे बंद करो... दक्ष एक सॉफ्ट वाइस मे बोलता है.. उसकी आवाज मे पता नही कोनसा जादु था.. मानव चेहरे पर प्यारी सी स्माइल लिये चुप चाप लेट जाता है.. उसे लेटते देख.. दक्ष भी प्यारी सी स्माइल करता है और म्युजिक बजाना शुरु करता है...  ....म्युजिक....  ..जहां तुम हो.. वही मै हूं  तेरे ना होने से लगता है मै क्यु हूं..  जहां तुम हो.. वही मै हूं..  ..तेरे ना होने से लगता है मै क्यु हूं..  तुही मेरा कल है तुही मेरा आज.. 2 ( दक्ष एक टक.. मानव के चेहरे को देखते हुए.. सोंग प्ले कर रहा था.. उसकी आंखे पुरी तरह से ऑसियन ब्लू थी.. ओर चेहरे पर अनकहे जजबात थे... वही मानव बेड़ पर आंखे बंद किये लेटा हुआ था..)  सुबह की करवटो सी जो है..  शाम की हरकतो सी जो है..  बात भी फुरस्तो की जो है..  वही तुम हो..  जो आहट खुशीयो से जलने की..  जो राहत निंदो से मिलने की...  जो आदत ख्वाब के उड़ने की..  वही तुम हो...  तु ही मेरा कल है.. तुही मेरा आज.. 2 ( दक्ष के सोंग तो हर वर्ड़ पर मानव के चेहरे के भाव पल पल बदल रहे थे.. कभी उसके चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल आ रही थी.. तो कभी वो उदास हो रहा था.. कभी आंखो मे नमी.. तो कभी अनकहे दर्द की लकिरे...)  मै शायर हूं.. यंकि तुम हो..  मेरे चेहरे पर ठहरी इक हसी तुम हो..  तेरा मिलना यूं रोजाना..  लगे सांसो की आदत तुमको दोहराना..  तु ही मेरा कल है.. तु ही मेरा आज..  ( आखिर चक आते आते.. दक्ष के चेहरे पर दर्द ब्या होने लगा था... उसे खुद इस बात का एहसास नही हुआ.. कि आंशु का एक कतरा...उसकी आंखो से होते हुए.. उसके घाव पर आकर ठहर गया था...) हवायें तुझसे जो गुजरी है..  मुझे वो सांसे बनके मिली है..  जिंदगी की तरह ठहरी है.. देखो ना तुम..  कभी अलफाज बनके मेरे..  जरा होठो पे यु रहलेना  मै बोलु ओर सुनाई देना हमेशा तुम...  ...तुही मेरा कल.. तु ही मेरा..  ...( tum hi mera kal hai.. Tu mera Aaj - lofi.. Slow ) ... अपना म्युजिक कंपलिट करके... दक्ष... अपनी सीट से उठता है... ओर म्युजिक सिस्टम को फिर से पैक कर देता है...फिर वो मानव के पास जाता है.. जो गहरी निंद मे चला गया था..दक्ष हलके से उसके को छुता है और विस्पर करते हुए बोलता है... " स्लिप वैल... " ..ओर प्यार से उसके माथे पर किस्स करके वहा से जाने लगता है...जाते वक्त वो रुम का दरवाजा बंद कर देता है... ओर बिल्डिंग से बहार आता है..  ..बहार का मौषम बदला हुआ था... हर तऱफ काली धटा छाई हुई थी.. ओर बरसात हो रही थी.. पर आज की बारीस कल से कुछ अलह थी.. आज नेचर मे जर का माहौल नही था.. आज हर तरफ शांती थी....ना हवाओ को बहने की आवाज.. ना बदलो की गडगडाट.. ओर ना ही जानवरो के रोने की आवाजे.. हर तरफ एक अजीब सी खामौशी छाई थी... मानो नेचर किसी गम मे ढुबा हुआ हो...  ...युनिवर्सिटी मे...  ...फस्ट इयर के साइंस फैकल्टी से पढा़ रहे.. प्रोफेसर.. वर्मा..की नजर जैसे ही खिड़की से बहार जाती है.. तो वो अपनी बुक बंद कर देते है ओर सबको एक्सक्यूज बोलकर क्लास से निकल जाते हैं...  ...क्लास से सीधे वो बिल्डिंग के के बहार आते हैं... ओर वहा एंट्रस पर खडे़ होकर.. सामने बरसते बादलो को देखने लगते है... उनके चेहरे के भाव रोज से कुछ अलग थे...आंखो मे नमी.. ओर चेहरे पर उदासी.. ऐसा लग रहा था.. जैसे मौषम का असर उनके अहसासो पर हो रहा हो.. तभी उन्हे वहा किसी के होने का एहसास होता है...  ...प्रोफेसर वर्मा पिछे मुड़कर देखते हैं.. तो वहा पर अव्यांश था... उसके चेहरे पर भी दर्द था और आंखो मे नमी... वो सामने देखते हुए बोलता है... " कितना अजीब है ना सर... कभी कभी हम किसी के पेन को फिल कर सकते हैं.. पर उसके पेन को कम करने के लिये कुछ नही कर सकते..." ...अवि की बात सुनकर.. प्रोफेसर सामने देखते हुए बोलता है... " हम दुसरो के दर्द का हिस्सा बन सकते है... पर उसे कम.. वो खुद ही कर सकता है... अपने अंदर की लडा़ई को हमे खुद ही लड़ना पड़ता है...कोई चाहकर भी हमे उसे लड़ने मे हैल्प नही कर सकता... " प्रोफेसर के चेहरे के सिरियस भावो को देख कर अवि अचानक से बोलता है.. " ...ओह.. ऐसा है क्या.. तो फिर ... तो फिर मुझे भी अपनी लडा़ई खुद ही लड़नी होगा.. तभी आप मेरी झोली मे आकर गिरोगे.. वरना मै तो उपर वाले से आस लगाये बैठा था... " ...अवि की बात सुनकर.. प्रोफेसर खोये हुए अंदाज मे बोलते है.. " हूं.. "...पर अगले ही पल उन्हे कुछ ऐहसास होता है और वो चिलाते हुए बोलते हैं... " अव्यांश..." ..वही अवि.. सामने ग्राउंड की तरफ जाते हुए बोलता है... " बोलिये प्रोफेसर मै यही हूं... कब गिर रहे हो मेरी झोलि मे आई मीन मेरे प्यार मे... " ...अवि की बकवास सुनकर.. प्रोफेसर गुस्से मे चिलाते हुए बोलता है... " अगले जन्म मे.. " "...ओह... पर अगले जन्म मे अगर पर.. इंशान का जगह.. मेडंक.. या कुछ ओर बन गये तो... फिर मेरा क्या होगा.. इसीलिए इसी जन्म मे हां कर दो.. कम से कम.. मै आपकी इस प्रफेक्ट बॉडी को जी भरकर प्यार तो. कर सकुंगा.. वरना..ये जन्म वेस्ट हो जायेगा आपका... " ..अवि वही सामने ग्राउंड मे.. हाथ फैलाये बोलता है..  ..उसकी बाते सुनकर.. प्रोफेसर एक नजर अपनी बॉडी को देखते हैं.. ओर फिर सामने देख कर चिलाते हुए बोलता है... .".तुम शैतान बच्चे... "...पर आगे के वर्डस उनके अंदर ही रह जाते है.... ...सामने अव्यांश पानी मे उछल कुद कर रहा था.. बिलकुल एक छोटे से बच्चे की तरह.. उसकी हरकते देख कर कोई भी अपना दिल हार बैठे...उुर से पानी मे भिगने की वजह से उसकी वाइट सर्ट ट्रांसपरेंट हो गई थी.. जिससे उसकी जिम मे बनाई प्रफेक्ट बॉडी... साफ नजर आ रही थी..  ..प्रोफेसर वर्मा तो उसे देखते ही रह जाते है... अवि को देखते हुए उनका हाथ कब अपने हार्ट पर आ गया.. पता ही नही चला.. वही अवि की जब प्रोफेसर की आवाज सुनाई नही देती.. तो वो पानी मे खेलना छोड़कर सामने देखता है ओर अगले ही पल उसके चेहरे पर एक डेविल स्माइल आ जाती हैं.. वो जल्दी से प्रोफेसर के सामने जाकर खडा़ हो जाता है और धिरे से बोलता है.. " कैसी लगी मेरी बॉडी.. " "..होट&सेक्सी..." सामने से एक खोई हुई आवाज आती हैं...  ...वही प्रोफेसर का जवाब सुनकर.. अवि.. अपने हाथ मे लिया पानी.. प्रोफेसर को फेस पर डाल देता है ओर वहा से भागते हुए बोलता है... " डोंट वैरी.. आपकी ही है.. पर इसके लिये आपको दो साल वेट करना होगा... " ...पानी चेहरे पर पड़ने से.. प्रोफेसर रियलीटी मे आते है और अपना सर पकड़ लेते है... " ये लड़का.. सो मे कभी ना कभी उससे कुछ उल्टा सीधा जरुर करवायेगा... " ...उसके बाद को हैंकी निकाल कर... अपना चेहरे पौंछते है और क्लास की तरफ बढ़ जाते हैं.. अवि भी वहा से अपने लॉकर कू तरफ बढ़ जाता है.. चेंज करने के लिये...  ...वही बिजनेस फैकल्टी के सेकेंड ईयर क्लास मे बैठा.. अनुराग.. खिड़की के बहार देख रहा था.. जहां सामने अव्यांश पानी मे खेल रहा था... वो उसे देख कर.. हल्की सी स्माइल करता है.. तभी उसे क्लिक की आवाज सुनाई देती है.. वो साइड़ मे देखता है.. तो वहा पर सचिन था..  ..वो अनुराग की तरफ देखते हुए...एक छोटी सी स्माइल के साथ बोलता है... " ऐसे मोमंट बार बार नही मिलते.. कैप्चर कर लेना चाहिए.. " ..अनुराग उसकी बात पर हल्का सा सर झटकता है और फिर से सामने देखने लगता है...  ... continue......  क्या है अव्यांश का पास्ट ओर मानव का फ्युचर... Plz like comment or share jarur kre thank you.... 

  • 14. Crushed love - Chapter 14

    Words: 2109

    Estimated Reading Time: 13 min

    Hii guy's so let's start the story  😊😊😊 शाम के चार बजे.. जाकर विकी की क्लासेज खत्म होती है.. वो जल्दी से पिछे मुड़ता है ओर एक रिक्वेसटिंग टॉन मे बोलता है.... " मिस्टर साइलेंट... प्लीज आज की एक्सट्रा क्लासेज मत रखना.. मुझे बेबीडॉल के पास जल्जी जाना है.. उसकी तबीयत ठिक नहीं है... प्लीज.. आज आज " ...विकी की रिक्वेसट करते हुए बहुत ही क्युट लग रहा था.. जैसे एक छोटा सा बच्चा केडी की लिये रिक्वेसट कर रहा हो... संगम उसके देख कर हल्का सा मुस्कुराता है ओर फिर अपना सर हिला देता है...  ...उसकी हां सुनकर.. विकी एक राहत की सांस लेता है.. इतना इनोसेंट तो वो कभी अपनी फैमीलाी के सामने भी नही बना.. जितना वो आज संगम के सामने बन रहा था.. वो भी एक क्लास के लिये....  ...फिर वो जल्दी से अपना बैग पैक करता है और वहा से जाने लगता है.. पर उससे पहले ही कोई उसे रोक लेता है.. विकी अपना सर टेड़ा करके.. पिछे देखता है ओर फिर नैरो आइज 😒😒करते हुए बोलता है... " ओ हेलो मिस्टर सुपरस्टार.. मेरा हाथ छोड़ो.. मै तुम्हारे टाइप का नही हूं.. सो प्लीज मुझे बक्स दो... " "...अपनी बकवास बंद करो.. इडियट... मै भी तुम्हारे साथ चल रहा हूं... ". ..अर्थव गुस्से मे ग्लेयर करते हुए बोलता है..  ...वही अर्थव की बात सुनकर... विकी अपनी आंखे बडी़ बडी़ 😳😳😳 करके बोलता है... " तुम मेरे साथ जा रहे हो.. पर क्यु.. 😬😬मैने अभी बताया ना मै तुम्हारे टाइम नही हूं.. प्लीज मुझे बक्स दो.. किसी ओर को ढुंढ लो... देखो मै तो सुंदर भी नही हूं... कहां तुम हॉट & हैंडसम... कॉलेज के सुपरस्टार... ओर कहां मै.. दुबला पतला सा बेकार की सकल का.. लड़का... हमारा कोई मैच नही है.. प्लीज मुझे जाने दो... " ...विकी बात सुनकर... अर्थव गुस्से मे लाल हो जाता है.. वही.. राज ओर वत्स...विकी का बात सुनकर.. अपनी हसी को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहे थे... तभी अर्थव..गुस्से मे जोर से चिलाते हुए बोलता है... " अपनी बकवास बंद करो...अगर एक ओर वर्ड.. अपने मुँह से निकाला ना.. तो तुम्हे उठाकर खिड़की के बहार फेक दूंगा.. बेवकुफ इंसान.. मै स्ट्रेट हूं.. समझे ओर दुसरी बात.. अगर गेय होता भी तो मेरा टेस्ट इतना भी खराब नही जो तुम्हे चुनता... " ...अर्थव की बात सुनकर... विकी छोटे बच्चे के जैसे मुंह बनाते हुए बोलता है... " तो. फिर तुमने क्यु कहा तुम मेरे साथ जा रहे हो... " "..मै सिर्फ क्युटी से मिलने जा रहा था.. उसका हालचाल जानने समझे... "..अर्थव इरिटेटिंग वॉइस मे बोलता है...  "...ओह...ऐसा है क्या.. फिर तुम चल सकते हो... " विकी एक बडी़ सी स्माइल के साथ बोलता है ओर फिर पिछे मुड़कर... सुट पर बैठे संगम की तरफ फ्लाइंग किस्स ओर विंक करते हुए बोलता है... " आज के लिये.. टाटा-बाय.. मिस्टर साइलेंट.. कल मिलते है..😉😉..." ...विकी की इस हरकत पर... संगम उसे ग्लेयर करते देखता है..पर विकी कंधे उचकाते हुए वहा से निकल जाता है.. वही राज ओर वत्स दोनो जोर जोर से हसने लग गये थे.. राज हसते हुए बोलता है.. " संगम ब्रो.. कुछ भी कहो.. लड़के मे दम तो है..तभी तो..राजवंश परिवार के वारिस के साथ फलर्ट करते हुए उसे डर नही लगता... " ...राज की बात सुनकर... संगम उसे घुर कर देखता है ओर अगले ही पल राज की हसी गायब हो जाती है ... वो जल्दी से इधर उधर देखते हुए बोलता है. " मै तो बस मजाक कर रहा था... क्यु वत्स... " ...अपना नाम सुनते ही वत्स... जल्दी से बोलता है... " हां.. हां.... मजाक..मजाक ही था... " ...संगम दोनो को इग्नोर मारकर.. वहा से दरवाजे की तरफ बढ़ जाता है... पर फिलहाल उसके एक्सप्रेसन लैस चेहरे पर बहुत ही प्यारी सी स्माइल थी... अगर कोई देख ले तो.. सच मे हार्ट फेल होने से ही मर जाये..  ....करीब दस मिनट बाद.. अर्थव.. विकी के साथ.. उसके अपार्मेंट मे पहुंचता है  ....अपार्टमेंट मे...  ...करीब तीन बजे.. अनुराग.. व्योम ओर सचीन के साथ वापस आता है.. आज उन लोगो ने अपनी कॉलेज जल्दी छोड़ दी.. वो लोग जैसे ही अपार्मेंट मे आते है..देखते है.. सारिका रुम मे सो रही हैं... ओर मानव के रुम का दरवाजा खुला हुआ है...  ..अनुराग एक नजर चारो तरफ मारता है.. फिर अपना बेग.. व्योम के हाथो मे देकर.. मानव के रुम की तरफ बढ़ जाता है.. रुम जाकर.. वो मानव को सिरहाने बैठता है और मानव को फॉरहेड पर सर रखता है...  ....मानव जो गहरी निंद मे सो रहा था.. जैसे ही किसी का स्पेर्स महसुस करता है.. अपनी आंखे खोल देता है और चेहरे पर प्यारी सी स्माइल लाते हुए बोलता है... " गुड़ आफ्टर नुन.. " ...मानव को चेहरे के स्माइल देख... अनुराग के चेहरे पर भी मुस्कान आ जाती हैं.. वो हल्के से मानव के बालो मे अंगुलिया चलते हुए बोलता है... " अब कैसा लग रहा है..." ...बिलकुल फ्रेस... मानव...एक छोटे से बच्चे की तरह क्युट सा फेस बनाकर बोलता है..  "...भुख लगी है... " ..अनुराग फिर से स्वाल करता है.. जिस पर मानव पेट पर हाथ फिराते हुए बोलता है.. " हूं.. थोडी़ सी... " "...ठिक है फिर.. जल्दी से फ्रेस होकर बहार आओ.. मै व्योम के बोलता हूं.. कुछ खाने का लेकर आता है... "..अनुराग उठते हुए बोलता है...  ...जिस पर मानव कुछ सोचते हुए अपने साइड़ टेबल पर रखी वॉच को देखता है और जल्दी से बोलता है... " अनुराग भैया... अभी देखो.. साडे़ तीन होने को आये है.. तो. अभी लंच के टाइम नही है.. तो क्यु ना.. कुछ क्रिसपी सा खाया जाये... प्लीज... थोडा़ सा... " ...अनुराग..मानव की बात सुनकर.. एक नजर घडी़ को देखता है.. जिसमे सिर्फ.. 3:11 हुए थे... फिर कुछ सोचते हुए.. अनुराग हां मे सर हिला देता है... ये देखकर मानव की आंखे मे चम्मक आ जाती हैं.. वो उठकर जल्दी से वॉसरुम की तरफ बढ़ जाता है और अनुराग के फ्लाइंग किस्स पास करते हुए बोलता है... " मेरे लिये वेज पिजा.. बिद एक्सट्रा चीज के साथ ऑडर करना.... ओर हां साथ मे लस्सी भी.." ...अनुराग.. मानव की हरकते देख कर मुस्कुराते हुए रुम से बहार चला जाता है...  ...व्योम ने कपडे़ चेंज कर लिये थे.. सारिका भी उठ गई थी पर उसके सर मे बहुत दर्द हो रहा था.. वो अपने सर को दबाते हुए बोलती हैं... " पता नही मै इतनी देर तक कैसे सो गई... आई कांट बिलिव.. पुरे पांच घंटो... मेरा सर.. ऐसा लग रहा है.. अभी फट जायेगा... " ....सारिका की बात सुनकर... व्योम हसते हुए बोलता है.. " लगता है.. आज जाते वक्त..सचीन अपने हिस्से की निंद भी तुम्हे देकर गया था.. जो तुम सोती रही.. वैसे जहां तक मुझे याद है.. तुम्हे मानव की देखभाल के लिये छोडा़ यहा.. पर तुम तो खुद.. हाथी-धोडे़ बेच कर सो रही थी.. अगर हम आकर नही जगाते.. तो सायद अभी भी सोती रहती... " "...पता नही...पर मुझे अचानक से बहुत तेज निंद आने लगी.. मेरी आंखे ही नही खुल रही थी.. ऐसा लग रहा था.. जैसे मै सालो से सोई ही नही... " ..सारिका.. सर दबाते हुए बोल रही थी.. उसका सर सच मे बहुत दर्द कर रहा था.. तभी  सचीन.. उसके हाथ मे टेबलेट रखता है और बोलता है.. " व्योम.. अनुराग ने सबके लिये ऑनलाइन फुड़ ऑडर करने लिए बोला है... ओर हां मानव को लिये.. एक्सट्रा चीज पिजा.. विद लस्सी... " ...मानव का ऑडर सुनकर... व्योम हसते हुए बोलता है.. " ये. कोनसा कोंबिनेसन है... " ...तभी पिछे से अनुराग हसते हुए बोलता है.. ".ये मानव का कोंबिनेसन है.. तुम तो ऑडर कर दो.. ओर बाकी लोगो के लिये भी कुछ मंगवा लेना... " ...ओके बोस.. व्योम हसते हुए बोलता है ओर अपना फोन लेकर लग जाता है... करीब बिस मिनट मे ही उनका ऑडर...हॉस्टल कंपस आ जाता है... ओर सचिन उसे रिसिव करने चला जाता है...  ...कुछ देर बाद.. सभी लोग हॉल मे बैठकर मस्ती से अपना अपना खाना इंजॉय कर रहे थे.. तभी वहा पर विकी के साथ अर्थव आ जाता है... अर्थव को वहा पर देखकर सभी लोग हैरान हो जाते हैं..  ..सारिका.. जो अपने मोमोज इंजोय कर रही थी.. वो जल्दी से प्लेट नीचे रखती है और अनुराग की तरफ देखते हुए बोलती हैं... ." हेय अनु.. यार ये तो वही है ना... जिसने तुम्हे प्रपोज किया था... क्या कहा था...🤔🤔...हां.. विल यू मैरी मी.. आई कांट बिलिव ये यहा तक आ गया...😄..लगता है तुम कुछ ज्यादा ही पसंद आ गये..." ...सारिका की बात सुनकर ..सभी हसने लगते हैं.. वही अर्थव की इंबेरेसमेंट मे चेहरा लाल हो जाता है.. उसने सोचा नही था...जिसे उसने जबरदस्ती प्रपोज किया.. वो यही मिलेगा.. वो भी मानव के साथ...  ...तभी मानव बिच मे बोलता है.. ." सारिका दी.. ये मेरा क्लास मेट है... खडुस सिंगर.. जिसके बारे मे मैने आपको बताया था.. अर्थव.. वैसे अर्थ.. तुम यहा क्या कर रहे हो.. वो भी मेरी जान रे साथ.. कही तुमने इसे तो नही पटा लिया..." ....मानव की आवाज सुनकर.. अर्थ उसकी तरफ देखता है और फिर मुंह बनाते हुए बोलता है... " मैने किसी को नही पटाया ओर उस दिन के लिये सॉरी.. वो तो खडुस सिनियर पिछे पड़ गया था.. इसीलिए उसका डेयर कंपलीट करना पडा़.. वरना मुझे कोई शोख नही है.. किसी को प्रपोज करना है..." "..ओह..ऐसा है क्या है... वैसे तुम यहा करने क्या आये हो जूनियर... " ..व्योम अपनी हसी छुपाते हुए बोलता है.. क्योकी वो समझ गया था कि.. अर्थ उन लोगो को नही जानता है ... ...व्योम के सवाल पर.. अर्थ वही बैठ जाता है और मानव को घुरते हुए बोलता है... " किसी ने कहा था.. क्युटी बिमार है ..तो मै उससे मिलने आया था.. पर जिस हिसाब से ये पिजा खा रहा है... इसे देख कर लगता नही कि ये बीमार भी है... "...ओर फिर से घुरने लगता है...  ..तभी अनुराग जो कब से चुप था... वो अपना चेहरा उपर करता है और अर्थ की तरफ देखते हुए बोलता है. . " उसे घुरना बंद करो... अगर खाने सी इतनी ही इच्छा है रही है.. तो तुम उठाकर खा सकते हो.. घुरने से खाना मुँह मे नही आयेगा... " ...अनुराग की बात सुनकर... सभी की हसी छुट जाती है.. वही अर्थ का चेहरा फिर से शर्म से लाल हो जाता है.. वो अटकते हुए बोलता है... " मेरा.. एसा कोई इरादा नहीं है.. मै बस इसे चैक कर रहा था.. ये सच मे बिमार है या विकी झुठ बोल रहा है... " ..अर्थव बोल तो रहा था... पर बार बार उसकी नजरे.. अनुराग की तरफ जा रही थी... ओर शब्द भी कांप रहे थे.. उसे कुछ अजीब सा फिल हो रहा था.. जो बहुत रेयर था...  ...तभी विकी जो बैठते ही खाने पर टुट पडा़ था.. वो मुंह खोलकर मुस्कील से बोलता है... " हे.. तुम झुठा किसे बोल रहे हो.. ये सच मे बिमार था... पुछ लो सबसे.. मै झुठ नही बोलता...समझे.. " ..विकी को ऐसे बोलने मे स्ट्रगल करता देख... व्योम.. उसकी पिठ पर हाथ फिराते हुए बोलता है... " अरे अरे बाद मे बोल लेना.. पहले खा तो लो... " ...व्योम भी बात कर.. विकी अपने दांत दिखा देता है...  ...कुछ देर तक अर्थव वही रुकता है.. वो चुप चाप.. सभी की हसी मजाक... ओर बाते सुनता है...फिर सबको बाय बोलकर वहा से निकल जाता है.. पर निकलने के बाद.. उसके चेहरे पर आज एक उदासी थी...उसके दिमाग मे अभी भी ... मानव ओर बाकी लोगो की बाते.. उनकी मस्ति घुम रही थी... वो अपनी बाइक चलाकर कब नदी के किनारे आ जाता है.. उसे पता ही नही चलता...  ...बाइक को वही पार्किंग मे लगा कर वो.. घंटो तक नदी के पानी को घुरता रहता है... उसके दिमाग मे क्या था.. कोई नही जान सकता था.. पर आंखो मे नमी जरुर थी जो बहुत कुछ ब्या कर रही थी....  ...काफी देर तक वहा रहने को बाद.. अर्थव वही से अपने घर की तरफ निकल जाता है...  ...घर पहुंतते पहुचते.. अर्थव को रात के ग्यारह बज जाते हैं.. पर कोई फर्क नही पड़ रहा था... वो अपनी बाइक को वही छोड़ता था... ओर गार्ड को अपनी किज दे देता है.. फिर अंदर जाता है...  ...ये सिंघानिया परिवार की पुश्तैनी हैवेली थी.. जहां पर अर्थव अपने परिवार के साथ रहता था.. ग्राडंपेरेट.. उसके खुद के पेरेंटस.. ओर उसके अलावा...उसकी  भुआ-फुफाजी... चाचा-चाची...सबके बच्चे ओर बहुत सारे नोकर रहते हैं... कहने को तो यरा बहुत सारे लोग थे.. पर अर्थव को किसी से मतलब नही था.. वो अंदर जाकर सिधे अपने रुम की तरफ जाने लगता है.. तभी एक आवाज आती हैं... " ...तुम कहां से आ रहे हो इस वक्त अर्थव... " ...आवाज सुनकर.. अर्थव अपनी आंखे बंद कर लेता है और फिर पिछे मुड़ता है.. अब तक जिन आंखो मे दर्द ओर उदासी थी..अब वहा पर सिवाय गुस्से के कुछ नही था... वो सामने सोफे पर बैठी ओरत को देखकर टोंट मारते हुए बोलता है.. " आपको क्या फर्क पड़ता है.. मै कही से आऊ.. या कही भी जाऊ.. " ......continue.....  plz like comment or share jarur kre thank you....

  • 15. Crushed love - Chapter 15

    Words: 2551

    Estimated Reading Time: 16 min

    Hii guy's so let's start the story  😊😊😊 ...काफी देर तक वहा रहने को बाद.. अर्थव वही से अपने घर की तरफ निकल जाता है...  ...घर पहुंतते पहुचते.. अर्थव को रात के ग्यारह बज जाते हैं.. पर कोई फर्क नही पड़ रहा था... वो अपनी बाइक को वही छोड़ता था... ओर गार्ड को अपनी किज दे देता है.. फिर अंदर जाता है...  ...ये सिंघानिया परिवार की पुश्तैनी हैवेली थी.. जहां पर अर्थव अपने परिवार के साथ रहता था.. ग्राडंपेरेट.. उसके खुद के पेरेंटस.. ओर उसके अलावा...उसकी  भुआ-फुफाजी... चाचा-चाची...सबके बच्चे ओर बहुत सारे नोकर रहते हैं... कहने को तो यरा बहुत सारे लोग थे.. पर अर्थव को किसी से मतलब नही था.. वो अंदर जाकर सिधे अपने रुम की तरफ जाने लगता है.. तभी एक आवाज आती हैं... " ...तुम कहां से आ रहे हो इस वक्त अर्थव... " ...आवाज सुनकर.. अर्थव अपनी आंखे बंद कर लेता है और फिर पिछे मुड़ता है.. अब तक जिन आंखो मे दर्द ओर उदासी थी.. अब वहा पर सिवाय गुस्से के कुछ नही था... वो सामने सोफे पर बैठी ओरत को देखकर टोंट मारते हुए बोलता है.. " आपको क्या फर्क पड़ता है.. मै कही से आऊ.. या कही भी जाऊ.. " "..अर्थव... "..एक गुस्से भरी आवाज.. फिर से अर्थव की तरफ आती है.. पर अर्थव बिना परवाह किये बोलता है... "...मेरी जिंदगी मे दखल देना बंद कर कीजिये.. मिसेज रीना सिंघानिया मै आपके हाथो की कठपुतली नही हूं...जिसे आप कंट्रोल करने की कोशिश करती रहती है... ओर मै ही राधा मां.. जो चुप चाप आपकी जली - कटी सुनता रहूंगा.. तो बेहतर होगा.. मुझसे दुर रहिये.. ओर अपने पति पर ध्यान दीजिए.. जो फिर से कहीं मुंह मारने गये है... " ..अपनी बात खत्म करने के बाद अर्थव वही से बिना कुछ सुने...निकल जाती है.. वही वो ओरत गुस्से मे दांत पिसते हुए वहा जाती है.. वो अपनी आँखो मे बेसुमार नफरत लिये.. जाते हुए अर्थ को देख कर खुद से बोलती हैं... " छोडुंगी नही तुम्हे राधा.. तुम्हारी वजह से मेरा बेटा.. मुझे इतना सुनाकर चला गया..पता नही कब तुम हमारी जिंदगी से जाओगी...सालो पहले तुम्हे हेवली से जाने पर मजबुर किया.. सोचा सब सही हो जायेगा.. पर तुम हमारी जिंदगी मे नाग की तरह कुंडली मारे बैठे हो... ना खुद मरती हो.. ओर मै ही चैन से जीने देती हो.. अब तो अर्थ भी तुम्हारे गुणगान करने लगा..." ..ओर पैर पटकते हुए वहा से निकल जाती है..  ...ये रीना सिंघानिया है.. अर्थ की मां.. सिर्फ कहने को लिये.. अर्थ के कभी इसको मां माना ही नही.. मां के नाम पर उसकी जिंदगी मे अगर कोई है.. तो वो राधा... ये बात तो करीना के समझ से बहार है..कि अर्थ.. जब दक्ष से इतनी नफरत करता है.. तो फिर.. राधा के लिये.. इतना स्नेह क्यु... ये आज से नही.. बचपन से ही था... ओर अर्थ ही वो पहली ओर आखिरी शिडी थी.. जिसके जरिये रीना सिंघानिया परिवार की बहु बनी ओर कही ना कही.. राधा मे भी उसकी बहुत मदद की थी.. वो बात अलग थी कि राधा को पता नही.. ... दुसरी तरफ.. राधा के घर मे...  ...सभी लोग डायनींग टेबल पर बैठ कर डिनर कर रहे थे.. सबके चेहरो पर मुस्कान थी.. ओर राधा सबको डाट रही थी... कि वो लोगो सही से खाना नही खाते ...जिस वजह से दुबले पतले होते जा रहे है...  ...तभी वत्स खाते हुए बोलता है.. " मां.. इसे फिटनेस कहते है.. प्रफेक्ट बॉडी.. लोग मरते है एसी बॉडी बनाने के लिये कितनी महनत करनी पड़ती है.. ऐसी बॉडी़ बनाने को लिये.." ..वत्स की बात सुनकर.. राधा उसे घुरते हुए बोलती हैं.. " खाक महनत... तुम लोगो की एक एक हड्डीया गिन लो... अरे पसलिया तक दिखती है... आये बडे़ प्रफेक्ट बॉडी...".. ..राधा की बात सुनकर.. राज ओर वत्स.. दोनो की हसी जाती है.. ओर इसी हसी मजाक मे उनका डिनर कंपलीट हो जाता है.. डिनर कंपलीट करने के बाद सभी लोग अपने रुम की तरफ चले जाते हैं.. पर दक्ष वगी रुक जाता है.. वो राधा के रुम मे जाते ही.. दक्ष कार की किज लेता है और बहार की तरफ जाने लगता है.. तभी संगम उसे रोकते हुए बोलता है.. " क्या मै जान सकता हूँ... दक्ष की सवारी इतनी रात को कहां जा रही है... " "..जहां उसे इस वक्त होना चाहिए.."..दक्ष एक छोटी सी स्माइल के साथ बोलता है.. तो संगम भी मुस्कुराते हुए जवाब देता है... " तुम्हे नही लगता लेट हो रहा है.. ओर वो हॉस्टल मे सो रहा होगा... " "...मे बी.. पर आई थिंक वो जग रहा होगा...दिन मे सोने के बाद निंद नही आती.. " ...दक्ष की बात सुनकर.. संगम हसते हुए बोलता है.. " ऑल दै बेस्ट फोर यॉवर फस्ट डेट... " "...अभी डेट कहां.. अभी तो वो मुझसे ठिक से बात भी नही करता... "..दक्ष ब्लैस करते हुए बोलता है...  ..दक्ष की बात सुनकर.. वत्स जो वापस रुम से आया था.. वो झट से बोलता है.. " उसका तो पता नही.. पर आप उससे बहुत बाते करते हो...उसके आने के बाद.. आप तो. चार दिन मे मुझे भुल गये.." वत्स की बात सुनकर... संगम उसके सर मे मारते हुए बोलता है.. " तुम इसकी बकवास को इग्नोर करो.. ओर जाओ. अच्छे से इंजोय करना.. ओर हां गडबड मत कर देना... " संगम की बात सुनकर..दक्ष मुस्कुराते हुए नोट करता है और वहा से निकल जाता है.. उसके जाते ही.. वत्स खोये हूए बोलता है... " जब से. दक्ष बनकर रहता है.. तो कितना स्वीट बन जाता है... किसी को भी प्यार आ जाये इस पर.. पर जब ये. दक्षत बन जाता है.. तो. जर लगने लगता है.. पता नही कब क्या कर दे... ये हमेसा दक्ष बनकर क्यु नही कह सकता.. " " कुछ चीजे कभी पॉसीबल नही होती.. उसी तरह से ये भी कभी पुरी तरह से दक्ष नही बन सकता " संगम जाते हुए दक्ष को देख कर बोलता है ओर फिर अपने रुम की तरफ बढ़ जाता है.. उसके साथ वत्स भी वहा से चला जाता है...  ..दुसरी तरफ... मानव.. अपने रुम की बालकनी मे चेयर पर बैठे बैठे विडियो कॉल पर घरवालो की डाट सुन रहा था...काफी देर तक भी जब सबकी डाट खत्म नही होती ..तो मानव मुंह फुलाते हुए बोलता है.... " आप सब बहुत बुरे हो.. मैने आपको बताया ना मेरा फोन टुट गया था.. फिर भी सभी मुझे सुनाये जा रहे हैं ... मुझे ना आप लोगो से बात ही नही करनी... " ...तभी सामने से आवाज आती हैं... " बेटा.. हम तुम्हे डाट नही रहे.. बस हम लोग थोडा़ परेशान हो गये थे.. तुमने चार दिन से फोन नही किया...उपर- से तुम्हारा फोन भी बंद आ रहा था.. अब बताओ.. टेंशन होगी ना.. पहली बार तुझे इतना दुर भेजा है... " "..अरे मां.. आप फिर से सेंटि हो गई ..मै बच्चा नही हूं.. जो आप ऐसे रियक्ट कर रहे हो.. आई ऑन टवंटिवन... अब मै बडा़ हो गया हूं.. तो मुझे ऐसे ट्रिट करना बंद करो... ". .मानव मुंह बनाते हुए बोलता है..  ...उसकी बात सुनकर.. उसकी बडी़ बहन उसे टिज करते हुए बोलती हैं.. " अच्छा जी.. तो तुम बडे़ हो गये.. पर मुझे तो तुम अभी भी टिंगु से लग रहे हो..." ..." दी...".. मानव रोनी सी शक्ल बनाते हुए बोलता है..उसकी शक्ल देखकर सबको हसी आ जाती हैं...  ...कुछ देर बात करने के बाद.. मानव फोन रख देता है.. ओर अंदर रुम आकर लेट जाता है.. ऑलरेडी रात को दस बज चुके थे... विकी को कब का हाथी - घोड़े बेच कर सो चुका था... पर मानव को निंद नही आ रही थी... वो सिलिंग को घुरते हुए यही सोच रहा था कि क्या किया जाये... तभी उसका फोन फिर से बजता है... मानव फोन उठाकर देखता है.. तो वहा पर बडी़ नाम सो हो रहा था...ये देखते ही.. मानव के चेहरे पर एक बडी़ सी स्माइल आ जाती हैं.. सामने से दक्ष का विडियो कॉल आ रहा था...  ..मानव जल्दी से कॉल पिक करता है और चहकते हुए बोलता है... " बडी़.. आप इतनी रात को कॉल रहे हो... मुझे मिस कर रहे थे.. सच सच बताना.. सची मे मिस कर रहे थे..." ...मानव की बाते सुनकर.. दक्ष के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती हैं.. वो हल्के से नोट करता है और फिर बोलता है.. " अब कैसे हो... " ...दक्ष के सवला पर मानव मुंह फुलाते हुए बोलता है... " आप ना बहुत बुरे हो बडी़.. आप मुझे सुलाकर चले... आपको पता मै कितनी देर तक सोता रहा.. अब मुझे निंद नही आ रही बताओ मै क्या करुं... " ...तभी साइड़ से विकी की स्लिपी वॉइस आती है.. " यार तुझे निंद नही आ रही.. तो इसका मतलब ये नही कि मुझे भी नही आ रही... प्लीज अपनी बकबक बंद कर ओर मुझे सोने दे.." ..." विकी की आवाज सुनकर... मानव.. उसे घुरते हुए बोलता है.. " साफ साफ बोल ना.. कि यहा से चला जा.. " ..विकी जो ऑलरेडी़ निंद मे था.. ".वो अपनी आंखे खोलता है और मानव को देखकर बोलता है.. " कृपया यहा से प्रस्थान करे.. वरना मै उठाकर खिड़की से बहार फेक दुंगा..मेरा कितना प्यारा ड्रिम खराब कर दिया..." ... विकी की बात सुनकर... मानव उसे घुरते हुए फिर से बालकनी मे आ जाता है ..दक्ष अभी भी कॉल पर चुप चाप सुन रहा था...तभी मानव उसकी तरफ देखते हुए बोलता है... ." ये. सब आपकी गलती है बडी़.. आपकी वजह से जान वो मुझे रुम से बहार निकाल दिया.. उपर से मेरे पास करने के लिये भी कुछ नही है... " ....जान नाम सुनकर एक पल के लिये दक्ष की आंखे चेंज हो जाती है.. पर फिर वो खुद को संभालते हुए बोलता है.. " मेरे साथ बहार घुमने चलोगे... " ...दक्ष की बात सुनकर मानव हैरानी से साथ बोलता है.. 😳😳 ..." सच मे..." "....अगर तुम जाना चाहते हो तो.. नीचे आ जाओ.. "..दक्ष हल्की सी स्माइल करते हुए बोलता है...  ...मानव.. ध्यान से दक्ष को देखता है और फिर चौंकते हुए बोलता है.. " आप ड्राइव कर रहे हो.." "...हूं.. बस तुम्हारे हॉस्टल तक पहुंचने वाला ही हूं.. तुम चाहो तो आ सकते हो.. "...दक्ष नोट. करते हुए बोलता है...  "...मै बस अभी आया पांच मिनट रुको...". .मानव ओर बडी़ सी स्माइल के साथ बोलता है... ओर बिना आवाज किये.. अपार्मेंट के बहार निकल जाता है... वो जल्दी से नीचे आता है तो देखता है.. हॉस्टल का गेट खुला हुआ था मानव को थोडा़ अजीब तो लगता है.. पर वो इग्नोर मारकर.. जल्दी से कम्पस के एंट्रस पर जाता है.. जहां..गेट पर गेटकीपर.. खराटे ले रहा था... ये देखकर.. मानव को हसी आ जाती हैं.. वो धिरे से विस्पर करते हुए बोलता है.. " देख रहे हो बडी़.. ये कितने कामचोर है.. अभी से ही सो रहे है... पर चलो अच्छा है ..इसी बहाने मुझे बहार आने मे प्रोबलम नही हुई.. " .... दक्ष.. मानव की बात सुनकर.. हल्के से नोट करता है और फिर बोलता है... " सामने देखो... " ...मानव का पुरा ध्यान.. फिलहला विडियो कॉल पर था.. इसी वजह से.. उसे पता नही चला..रोड़ के दुसरी साइड दक्ष ऑलरेडी आ चुका है...  ...दक्ष के बोलने पर मानव फोन से नजरे उठा कर सामने देखता है.. तो वहा पर एक ब्लैक कलर की कार खड़ी थी.. मानव ओर नजर उसे देखता है.. फिर फोन की तरफ देखते हुए बोलता है.. " बडी़ वो कार तुम्हारी है... " "...हूं.. आ जाओ.. "..दक्ष दरवाजा खोलते हुए बोलता है..  ...मानव अक पल के लिये कुछ सोचता है.. ओर फिर बोलता है.. " नही.. " ..मानव का जवाब सुनकर.. दक्ष हैरान होकर उसकी तरफ सवालिया नजरो से देखने लगता है.. तो मानव एक्सपलेन करते हुए बोलता है.. . " हम कार से नही जायेंगे... मोसम देखो.. कितना स्वीट हो रहा है... ठंडी हवा.. साफ आसमान.. ओर क्युट सा चमकता चांद.. इतने अच्छे मोमेटस को हम कार मे जाकर बर्बाद क्यु करे.. हम ना पैदल चलेंगे.. मुनलाइट को इंजॉय करते हुए... " ...मानव की बात सुनकर... दक्ष स्माइल के साथ नोट. करता है और फिर कार से बहार निकल जाता है... ओर मानव की तरफ आने लगता है...मानव उसे अभी भी फोन मे आते हुए देख रहा था.. चब दक्ष उसके बिलकुल पास आ जाता है.. तो मानव कॉल कट करके.. फोन अपनी पॉकेट मे रखना लेता है और दक्ष के चेहरे को देखते हुए बोलता है.. " आपको पता है बडी़.. आप ना बहुत ब्युटीफुल लग रहे हो.. मै कभी कभी सोचता हूं.. अगर मै लड़की होता तो कितना अच्छा होता ना... " "...सायद नही..." दक्ष हल्के से झुकते हुए बोलता है.. उसका जवाब सुनकर.. मानव अपना चेहरा उपर करके देखता है.. तो दक्ष उसके फॉर्डहैड पर किस्स करते हुए बोलता है.. " मुझे तुम ऐसे ही पसंद हो... " ..अच्छा.. पर लड़की होता तो ओर ज्यादा अच्छा होता ना.. मानव ओर टक.. दक्ष की आंखो मे देखते हुए बोलता है.. तो. हल्के से उसके फॉरहेड पर अपनी अंगुली से टैप करते हुए बोलता है.. " अभी से तुम्हारे इतने नखरे है.. अगर लड़की होते.. तो तुम मुझे भाव ही नही देते.. इसीलिए तुम ऐसे ही ठिक हो... " "..😲😲😲बडी.. आप जोक भी कर लेते हो.. मुझे तो पता ही नही था... "..मानव हैरान होते हुए बोलता है..  "..तुमने अभी जाना ही कितना है...मै बहुत कुछ कर लेता हूं.. "..दक्ष एक टिजिंग स्माइल के साथ बोलता है.. तो मानव हसते हुए बोलता है... " कोन यकिन करेगा.. आप इतना बोलते भा हो... " "...मुझे किसी को यकिन नही कराना.. अब चले.. ये. यही बाते करके रात बितानी है.. " ..दक्ष. मानव का हाथ पकड़ते हुए बोलता है..  ...मानव ओर बडी़ सी स्माइल के साथ बोलता है... चलो.. ओर फिर दोनो.. वहा से निकल पड़ते हैं...  ...मानव चलते हुए अपने ओर दक्ष के हाथ को देखता है... जो. जोइंट थे.. फिर कुछ पल का खामोशी के बाद.. मानव.. बोलता है... " बडी आपको पता है.. आप ना बहुत स्वीट हो.. हमेशा ही ऐसे ही रहना... " "....हूं.. पर एक सर्त पर... तुम भी हमेशा मेरे साथ रहना..." ..दक्ष सामेन देखते हुए बोलता है.. जिस पर मानव बिना कुछ सोचे समझे फटाक सो बोलता है.. " प्रोमीस.. मै आपके साथ रहुंगा.. बस आप ऐसे ही रहना... " ..मानव की बात सुनकर... दक्ष के चेहरे के भाव बदल जाते हैं.. वो एक पल के मानव को देखता है और फिर खुद मे बोलता है... " तुम्हे मुझसे दुर रहना चाहिए.. मान.. तुम खुद को खतरे मे डाल रहे हो... " ..दक्ष अभी अपने ख्यालो मे खोया हुआ था कि तभी मानव चहकते हुए बोलता है... " बडी़.. सामने देखो.. चाय की ठेला.. चलो ना इंजोय करते है... " ...दक्ष नोट करता है और उसके साथ वहा पर चला जाता है.. चाय वाला  मानव को  उपर से नीचे एक लस्ट फुल आइज तक देखता है..फिर अपनी चाय बनाने मे लग जाता है..  ...मानव ने इस वक्त एक ठिली ठाली टिशर्ट पहन.. नीचे सॉर्टस.. जो उसकी थाईज तक थे और नॉरेमल स्लीपरस पहन रखी थी...सॉर्टस की वजह से उसकी वाइट स्किन साफ दिख रही थी... जो किसी भी नियत डगमगा दे.. पर मानव अभी इन सबसे बेखबर था.. वो दक्ष के साथ पास की स्टुल पर बैठते हुए.. बात कर रहा था... वही दक्ष ने एक नजर मे चाय वाले को भाप लिया था... पर वो चुप चाप वहा बैठा रहता है... उसकी ऑसियन ब्लु आईज धिरे धिरे फेड़ होती हुई जा रही थी... दक्ष आस-पास देखता है.. तो वहा पर कुछ ओर लड़के बैठे थे और सबकी नजरे मानव पर ही टिकी हुई थी.. दक्ष एक नजर सबको देखता है फिर.. अपनी गर्दन पर हाथ फिराता है.. उसकी आंखे बहुत ही तेजी से अपना रंग बदल रही थी.. ........ continue........  plz like comment or share jarur kre thank you.... 

  • 16. Crushed love - Chapter 16

    Words: 1939

    Estimated Reading Time: 12 min

    Hii guy's so let's start the story  😊😊😊😊 ...मानव ओर बडी़ सी स्माइल के साथ बोलता है... चलो.. ओर फिर दोनो.. वहा से निकल पड़ते हैं.... ...मानव चलते हुए अपने ओर दक्ष के हाथ को देखता है... जो. जोइंट थे.. फिर कुछ पल का खामोशी के बाद.. मानव.. बोलता है... " बडी आपको पता है.. आप ना बहुत स्वीट हो.. हमेशा ही ऐसे ही रहना... " "....हूं.. पर एक सर्त पर... तुम भी हमेशा मेरे साथ रहना..." ..दक्ष सामेन देखते हुए बोलता है.. जिस पर मानव बिना कुछ सोचे समझे फटाक सो बोलता है.. " प्रोमीस.. मै आपके साथ रहुंगा.. बस आप ऐसे ही रहना... " ..मानव की बात सुनकर... दक्ष के चेहरे के भाव बदल जाते हैं.. वो एक पल के मानव को देखता है और फिर खुद मे बोलता है... " तुम्हे मुझसे दुर रहना चाहिए.. मान.. तुम खुद को खतरे मे डाल रहे हो... " ..दक्ष अभी अपने ख्यालो मे खोया हुआ था कि तभी मानव चहकते हुए बोलता है... " बडी़.. सामने देखो.. चाय की ठेला.. चलो ना इंजोय करते है... " ...दक्ष नोट करता है और उसके साथ वहा पर चला जाता है.. चाय वाला  मानव को  उपर से नीचे एक लस्ट फुल आइज तक देखता है..फिर अपनी चाय बनाने मे लग जाता है..  ...मानव ने इस वक्त एक ठिली ठाली टिशर्ट पहन.. नीचे सॉर्टस.. जो उसकी थाईज तक थे और नॉरेमल स्लीपरस पहन रखी थी...सॉर्टस की वजह से उसकी वाइट स्किन साफ दिख रही थी... जो किसी भी नियत डगमगा दे.. पर मानव अभी इन सबसे बेखबर था.. वो दक्ष के साथ पास की स्टुल पर बैठते हुए.. बात कर रहा था... वही दक्ष ने एक नजर मे चाय वाले को भाप लिया था... पर वो चुप चाप वहा बैठा रहता है... उसकी ऑसियन ब्लु आईज धिरे धिरे फेड़ होती हुई जा रही थी... दक्ष आस-पास देखता है.. तो वहा पर कुछ ओर लड़के बैठे थे और सबकी नजरे मानव पर ही टिकी हुई थी.. दक्ष एक नजर सबको देखता है फिर.. अपनी गर्दन पर हाथ फिराता है.. उसकी आंखे बहुत ही तेजी से अपना रंग बदल रही थी.. वही अपने आस-पास से बेखबर.. मानव.. दक्ष का हाथ पकड़े बैठा था.. वो सामने देखते हुए बोलता है.. " देखो बडी़.. सामने वो फुल मुनलाइट मे कितने सुंदर लग रहे है... " ...दक्ष अभी भी सबको घुर रहा था.. वो मानव की बाते सुनकर बस हलके से नोट कर रहा था... ...कुछ ही पल मे वहा का खुशनुमा माहौल अचानक से डरावना होने लगता है...खाली आसमान काले बादलो से भरने लगता है ओर बिजली कड़कने लगती है...  ...अचानक मौषम मे आये बदलाव के देख कर.. मानव कस कर दक्ष के हाथ को पकड़ लेता है और बोलता है... " बडी़ चलो चलते है... बारीस कभी हो सकती है.. मुझे बिमार नही होना... " ....जैसे ही मानव की पकड़ दक्ष पर कसती है... उसकी आँखे कुछ नॉर्मल होती है.. पर मौषम लगातार बिगड़ता जा रहा था... दक्ष हां बोलकर उठता है और वहा से जाने लगता है.. तभी पिछे से वो चायवाला बोलता है... " सर चाय तो पिते जाइए... " ...चायवाले की आवाज सुनकर... दक्ष कस कर अपनी आंखे बंद कर लेता है.. फिर जेब से पैसे निकलाकर... उसके तरफ बढाते हुए बोलता है... " चाय के लिये थैंकस... " ...पैसे देख कर... चायवाला एक मकारी भरी स्माइल करता है.. तभी मानव एक सॉफ्ट वाइस मे बोलता है.. " हम फिर कभी पियेंगे... अभी हम जा रहे है.. परेशानी के लिये माफी चाहते हैं... " ...फिर वो दक्ष की हाथ पकड़ कर आगे की तरफ जाने लगता है... दक्ष बिना कुछ बोले वहा से निकल जाता है... करीब दस मिनट मे वो हॉस्पीटल कमप्स के सामने था... मौषम लगातार बिगड़ता जा रहा था... जिय वजह से मानव को डर लगने लगा था... वो दक्ष को वही एंट्रस पर बाय बोलकर जल्दी जल्दी अंदर जाने लगता है... फिलहाल के लिये वो लाइटवालो का थैंकफुल था.. जिन्होने इतना मौषम बिगड़ने पर भी लाइटस कट नही की.... मानव जैसे अपने हॉस्टल के अंदर पैर रखता है... अचानक से तेज बारिस होने लगती है.. पर मानव को इसकी भनक तक नही लगी.. वो तो अंदर आते ही अपने आप रिलेक्स हो गया... अब तक वो डर रहा था.. पर अब उसके चेहरे पर कहीं भी जर का निमोनिशान नही था... वो चुप चाप अपने रुम मे आता है और बिस्तर पर आंखे बंद करके लेट जाता है... उसे देखकर कोई नही बता सकता था कि ये कुछ पलो पहले डर से कांप रहा था...  ...वही मानव के रुम मे जाते ही... अनुराग अपने रुम से बहार निकलता है और चलकर बालकनी तरफ आ जाता है.. उसकी आँखे सर्द थी.. बिलकुल आइस की तरह कॉल्ड... वो एक टक सामने चल रहे तुफान को देख रहा था... उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे उसे सामने चल रहे तुफान से कोई फर्क नही पड़ रहा था ...दुसरी तरफ मानव को हॉस्टल मे कदम रखते ही.. दक्ष वहा से डिसअपीयर हो जाता है.. ओर कुछ ही पलो मे.. वो वही पहुँच जाता है.. जहां वो कुछ वक्त पहले मानव के साथ बैठा था चाय पिने को लिये....  ..बारिस की वजह से... चायवाला अपनी टपरी बंद करने लगा था.. वही वो लड़के.. पास ही की सॉप के सामने जाकर खड़े हो जाता है... पर दक्ष अभी वहा खड़ा बारिस मे भिग रहा था.. उसकी आंखे पुरी तरह से ब्लैक ओर वाइट थी.. चारो तरफ से अजीब से वाइबस आ रही थी... वो चायवाला जल्दी से अपनी दुकान बंद करके.. उन लड़को के पास जाने लगता है.. तभी उसकी नजर.. बारिस मे भिगते दक्ष पर जाती है.. दक्ष उसकी तरफ पिठ करके खडा़ था.. जिस वजह से उस चाय वाले को दक्ष का चेहरा नही देखा.. उस चाय वाले ने अपने सर को एक प्लास्टिक के छोटे से गत्ते से ढक रखा था... वो दक्ष के पास जाकर थोडी़ तेज आवाज मे बोलता है... " अरे भाई क्यु बारिस मे भिग रहे हो.. बिन मौषम ती बरसात है... बिमार पड़ जाओगे... अंदर आ जाओ... " ...आवाज सुनकर... दक्ष एक झटके के साथ पिछे पलटता है और अगले ही पल चायवाले अपनी जगह पर फ्रिज हो जाता है.. वो डरते हुए बोलता है... "...कोन... न.. हो तुम " "....तुम्हारी मौत...."...दक्ष एक कॉल्ड वॉइस मे बोलता है ओर अगले ही पल.. वो चायवाला दर्द से चिलाने लगता है... उसकी आँखो मे से ब्लड़ निकलने लगता है.. हाथ जलने लगते है और देखते ही देखते कुछ ही वक्त मे उसकी पुरी जल जाती है.. उसकी चीखे पुरे वातावरण मे फैल जाती है..बॉडी को देखकर ऐसा लग रहा था.. जैसे किसी ने उसे गर्म तेल मल फ्राय किया हो...  ...चायवाले की चीखे सुनकर... वहा पर जो लड़के थे.. वो डर जाते हैं... ओर वहा से भागने लगते है... पर अफ़सोस.. उन सभी के पैर जमीन से चिपक जाते हैं.. वो खुद को मुव करने की कोशिश कर रहे थे.. पर एक इंच भी खुद को नही हिला पा रहे थे.. सभी के चेहरो पर डर की वजह से पसिने की बुदे आने लगती है.. तभी दक्ष अपनी डरवानी आवाज मे बोलता है.... " जो मेरा है तुमने उस पर नजर मारने की कोशिश की है.. सजा तो तुम्हे मिलकर रहेगी... दक्षत की प्रोपरटी पर नजर मारने की... उसे देखकर.. छुना.. उसे हर्ट करना.. सब पर मेरा हक है.. सिर्फ ओर सिर्फ.. दक्षत का..." ...बोलते हुए दक्ष जो से ग्रोल करता है और अगले ही पल उन पांचो लड़को पर आसमान कि बिजली आकर गिरती है और कुछ ही पलो मे सब राख क डेर मे बदल जाते हैं... पास खड़े दक्ष को उस बिजली से कोई फर्क नही पड़ रहा था.. वो बस उन सबको देख कर.. जोर जोर से हसने रहा था.. उसकी डरावनी हसी.. आस-पास नेचर को ओर ज्यादा डरावना बना रही थी....  ...दुसरी तरफ.. संगम.. अपने रुम मे बैठा कुछ पेपर वर्क कर रहा था... उसे अपना काम करते करते काफी वक्त हो जाता है... तभी अचानक से.. उसे कुछ अजीब लगता है.. वो जल्दी से रुम की विंडो पर जाता है और बहार की तरफ देखता है और अगले ही पल.. उसके चेहरे पर चिंता की लकिरे आ जाती हैं.. वो कस कर अपनी आंखे बंद कर लेता है ..फिर जल्दी से अपनी आँखे खोलकर बहार की तरफ जाने लगता है...तभी सामने राज ओर वत्स आ जाते है.. दोनो के चेहरो पर टेंशन साफ नजर आ रही थी...  ...वत्स बहार की तरफ इशारा करते हुए बोलता है... " वो तो यहा से काफी अच्छे मुड मे गया था.. फिर ये सब कैसे अचानक से.... " "....पता नही फिलहाल मे वहा जा रहा हूं.. तुम मां का ख्याल रखना... "...वत्स जाते हुए बोलता है...तभी राज बिच मे बोलता है... " मै भी आपके साथ आ रहा हूं.. यहा वत्स सब संभाल लेगा.. वैसे भी मां से रही है... " ..संगम नोट करता है.. फिर दोनो वहा से निकल जाते हैं... ....कुछ देर बाद.. संगम.. राज को साथ.. उस जगह पर पहुंचता है.. दक्ष.. वही एक पत्थर पर बैठा.. सामने पडी़ लाशो को घुर रहा था.. उसके चेहरे पर अभी बहुत ही खतरनाक एक्सप्रेसन थे.. आंखे दो रंग की ... मौषम.. लगातार बिगड़ता जा रहा था... संगम.. दक्ष के पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोलता है... " दक्षत शांत हो जाओ... देखो तुम्हारी वजह से कितनी तबाई मच गई है... शांत हो जाओ... " ...संगम बोल तो रहा था.. पर ऐसा लग रहा था.. जैसे उसके शब्दो का दक्ष पर कोई असर नही हो रहा था... वो अभी भी वैसे ही बैठे हुए.. तभी राज डरते हुए बोलता है... " दक्ष अगल ऐसे ही रहा तो मान .... मानव डर जायेगा... फिर से.. क्या तुम यही चाहते हो.. वो तुम्हारी जगह किसी ओर से डरे.... "....राज जैसे तैसे हिम्मत करके बोल रहा था...पर उसका दिल जानता था.. ये हिम्मत वो कहां से ला रहा है..  ...मानव का नाम सुनते ही दक्षत... धिरे धिरे... नॉरेमल होने लगता है.. जिसके साथ ही आस-पास की मौषम भी तेजी से बदल रहा था... कुछ देर बाद.. आसमान एक बार फिर साफ हो गया और चांद चमकने लगता है... दक्ष बिलकुल नॉरेमल हो गया था... पर उसकी आंखो मे गुस्सा अभी भी था...  .....सिंघानिया मंशन....  अथर्व जैसे ही अपने रुम मे पहुंचता है उसे कुछ अजीब लगता है.. वो जल्दी से रुम की बालकनी की तरफ बढ़ जाता है...बालकनी मे जाकर.. जब उसकी बहार आसमान पर जाती है.. तो वो एक डेविल स्माइल करता है और बोलता है... " यही तुम्हारी असली पहचान है.. तुम एक डेविल हो.. ये हमेशा याद रखना.... "..ओर मुस्कुराते हुए अपने रुम की तरफ चला जाता है...  दुसरी तरफ एक घर के गार्डन मे प्रोफेसर वर्मा आसमान की तरफ चेहरा किये खड़े थे.. उनकी आंखे बंद थी.. वो उस तेज बारिस मे चुप चाप... खडे़ थे... बारिस की बुंदे उनके चेहरे पर लगातार लग रही थी... पर उनको कोई फर्क नही पड़ रहा था.. कुछ देर ऐसे ही खड़े रहने के बाद... प्रोफेसर वर्मा अपनी आंखे खोलते है और आसमान की तरफ देखते हुए बोलते है... " तो डेवील वापस आ गया... एक बार फिर तबाही मचनी तय है... " ...तभी पिछे से आवाज आती हैं... " जरुरी नही हर बार डेवील वापस आये.. तो. तबाही हो.. प्रोफेसर.. कभी कभी हवाये अपना रुख बदल लेती है और इस बार हवाओ का रुख कहीं ओर जा रहा है.... " पिछे से आ रही आवाज को सुनकर... प्रोफेसर वर्मा उनकी तरफ देखे बोलते हैं... " वो तो वक्त ही बतायेगा... "..ओर वहा से अंदर की तरफ  निकल जाते है.. उनके पिछे खडी वो लड़की... वही गार्डन मे हाथ फिलाते हुए बोलती ...." हवाओ मे महोब्बत की गंद आ रही है.. प्रोफेसर...हवाओ का रुख बदल चुका है... इस बार वक्त भी देखेगा ओर आप भी... " ..... Continue...  कोन है ये लड़की.. क्या होगा जब मानव के पता चलेगा... छे लोगो की मौत के बारे मे... plz like comment or share jarur kre thank you.... 

  • 17. Crushed love - Chapter 17

    Words: 3400

    Estimated Reading Time: 21 min

    Hii guy's so let's start the story  😊😊😊 अगले दिन सुबह के करीब सात बजे.. मानव की आंखे खुलती है.. उसे कल का याद था.. वो योनिंग करते हुए बेड़ से उतकर.. बालकनी का तरफ बढ़ जाता है... बहार हल्की हल्की घुप निकल रही थी .... ओर आसमान बिलकुल साफ था... बहार का मौषम देखकर.. मानव मुंह बनाते हुए बोलता है.. " कोन यकिन करेगा.. रात को तुफान आया था.. वो भी इतना भयानक..." "...सच मे रात को तुफान आया था ..."..पिछे से एक हैरानी भरा आवाज आती हैं...  ...मानव आवाज सुनकर पिछे देखता है.. तो पिछे.. हाथ मे टावल लिये विकी खडा़ था...  ... मानव उसके सर पर एक टपली मारता है और बोलता है... " हां.. कल रात को तुफान आया था.. ओर तुम सो रहे थे... कुंभकर्ण बनकर... " ...मानव की बात सुनकर... विकी का मुंह बन जाता है... वही मानव हसते हुए वॉसरुम की तरफ बढ़ जाता है..  ...कुछ देर बाद... मानव तैयार होकर.. बहार होल मे पहुंचता है.. जहां पर अनुराग ओर बाकी लोग पहले से उसका नास्ते के लिये वेट कर करे थे... मानव एक स्माइल के साथ..वही बैठ जाता है और सबको गुड़ मोर्निंग विश करता है.. हसी मजाक के साथ जल्दी ही सबका ब्रेकफास्ट कंपलिट हो जाता है... ...कुछ देर बाद मानव ओर विकी... अपनी कॉलेज के लिए निकल जाते हैं... कॉलेज मे जाते ही...अनुराग ओर व्योम अपने दोस्तो के साथ अपनी फैकल्टी की तरफ निकल जाते है.. वही मानव ओर विकी बाते करते हुए अपनी क्लास की तरफ... पर आज कॉलेज का माहौल कुछ तो अलग था... हर तरफ एक अजीब सी खुसफुसाहट चल रही थी..  ...मानव अपने चारो तरफ नजर मारते हुए बोलता है.. " ये सब क्या चल रहा है.. यहां पर.... " ...मानव का सवाल सुनकर.. विकी...एक पास से जा रहे एक लड़के को रोकता है ओर उससे बोलता है... " आज यहा कुछ हुआ है क्या... जो सभी लोग इतने अजीब बिहेव कर रहे हैं... " विकी के सवाल पर वो लड़का एक लो वॉइस मे बोलता है... " हॉस्टल कम्पस के पास जो चाय की थपरी है ना.. वहा पर छे लोगो की डेथ हो गई.. वो भी बुरी तरह से ... थंडर गिरने से सायद उन लोगो की डैथ हुई है.. उसी की इंवेस्टीगेसन के लिये पुलिस आई हुई है.. उनको शक है एक की डैथ.. थंडर ये नही.. एसीड़ से हुई है... " ...लड़के का जवाब सुनकर.. मानव ओर विकी दोनो शौक्ड़ हो जाते हैं.. स्पेसली मानव.. वो तो जैसे सदमे मे चला गया था.. वही वो लड़का अपनी बात पूरी करके निकल जाता है...  ...मानव को ऐसे स्टुचा बना देख... विकी उसे हिलाते हुए बोलता है... " मान क्या हुआ... " ..विकी के हिलाने से.. मानव होश मे आता है... वो डरते हुए विकी की तरफ देखता है.. उसके चेहरे पर डर कि वजह से पसिने की बुंदे आ गई थी... मानव को ऐसे डरा हुआ देख.. विकी घबरा जाता है.. वो मानव को पास की बैंच पर बैठाता है और बोलता है.. " तुम डर क्यु रहे हो.. शांत हो जाओ.. कुछ नही होगा... " ...विकी की बात सुनकर... मानव सेकिंग वॉइस मे बोलता है. . " मै.. मै कल रात वहा गया था.. चाय पिने... मै.. " "...मान पहले तुम शांत हो जाओ.. ओर ठिक से बताओ.. तुम डर क्यु रहे हो..."...विकी मानव को पानी पिलाते हुए बोलता है...  ...कुछ पल बाद मानव थोडा़ रिलक्स होता है.. वो विकी की तरफ देखते हुए बोलता है... " कल मुझे निंद नही आ रही थी.. तब तुम्हे याद है.. बडी़ का कॉल आया था.. ओर मै बात करने के लिये बालकनी मे चला गया... उसके बाद..मै बडी़ के बोलने पर.. हॉस्टल से बहार गया था.. हम दोनो घुमते हुए.. वहा पर चाय पिने गये थे.. ओर तभी मौषम खराब होने लगा.. मुझे डर लगने लगा.. इसीलिए मै ओक बडी़ वापस आ गये... ओर मै आकर सो गया... अगर जांच हुई तो ..तो. मै पकडा़ जाउंगा.. मुझे मुझे जेल नही जाना.. विकी प्लीज कुछ करो मुझे जेल नही जाना... मैने किसी के साथ कुछ नही किया..." ....मानव की बात सुनकर.. विकी हैरान हो जाता है... वो मानव को कंसोल करते हुए बोलता है.. " तुम कही नही जाओगे.. ओर कोई तुम्हे ब्लेम नही करेगा ....पहले तुम शांत हो जाओ...ओर ये बताओ.. किसी ने तुन्हे देखा तो नही ना कल.. " ..नही..हॉस्टल का गेट खुला हुआ था.. ओर गार्ड सो रहे थे.. जब मै आया था तब भी ओर गया था तब भी.. "..मानव डरते हुए बोलता है...  ...मानव की बात सुनकर.. विकी एक राहत की सांस लेता है... ओर मानव को रिलेक्स करते हुए बोलता है.. " कुछ नही होगा.. तुम टेंशन फ्री रहो.. ओर फिर उस लड़के ने कहां ना की.. वो मर्डर नही है ..नेचुरल डैथ है.. तो. तुम डरना बंद करो... " ...विकी के काफी समझाने पर...मानव फायनली खुद को थोडा़ सा रिलेक्स करता है.. उसके बाद.. दोनो अपनी क्लास की तरफ निकल जाते है... वो दोनो अभी कॉरिडॉर से होते हुए जा ही रहे थे.. तभी उन दोनो को सामने से कोई रोक लेता है...  ...विकी अभी भी बाते करते हुए.. मानव को शांत करने के कोशिश कर रहा था...इसीलिए.. दोनो का ध्यान सामने नही था.. अचानक किसी के सामने आ जाने से.. मानव ओर विकी दोनो एक कदम पिछे हो जाते हैं ओर सामने देखने के लिये सर उठाते है.. दोनो जैसे ही सामने देखते हैं...दोनो की सांसे रुक जाती है... सामने एक पुलिस ऑफिसर खडा़...जिसकी उर्म.. यही कोई 27-28 साल थी.. ओर चेहरे पर भी डेंजरस एक्सप्रेसन थे... ऑफिसर को देख कर.. मानव ओर विकी दोनो ही डर से कापने लग थे..  ...वो ऑफिसर दोनो को उपर से नीचे तक देखने को बाद बोलता है... " ओह... तो वो तुम हो.. इंट्रस्टींग... 😈.." ..वो ऑफिसर आगे कुछ बोलता उससे पहले ही पिछे से किसी की आवाज आती हैं... " ऑफिसर तुम यहा क्या कर रहे हो..." ..आवाज सुनकर... ऑफियर के साथ.. मानव ओर विकी.. दोनो भी उसी डायरेक्सन मे देखते है.. तो वहा पर बडे़ ही एटिट्युड़़ के  साथ ..अव्यांश चलकर आ रहा था.. उसे देखकर.. ऑफिसर की आंखे सिकुड़ जाती है.. वही अवि.. सिधे आकर.. मानव ओर विकी के सामने खडा़ जाता है.. वो उस ऑफिसर को घुरते हुए बोलता है... " आपने बताया नही ऑफिसर.. आप यहा क्या कर रहे हैं... " ...अवि के सवाल पर ऑफिसर एक इरिटेटिंग वॉइस मे बोलता है... " पुलिस ऑफिसर हूं.. तो. जाहिर सी बात है.. मै यहा इंवेस्टीगेसन के लिये ही आया हूं... अब तुम अमीरजादो की तरह मेरे पास बाप की प्रोपरटी तो है नही..जिसके दम पर मै लोगो पर हुकुम चला सकु... मुझे तो मेरी ड्युटी करनी पडे़गी ना..." ...ऑफिसर की बात सुनकर.. अवि गुस्से मे मुठिया भिंच लेता है... वो कुछ बोलता उससे पहले ही.. एक ओर आवाज.. उन सब को इंट्रप्ट कर देती है... " सही कहां ऑफिसर...हमारे बाप को पैसे है...पर लोगो के दिलो पर हुकुमत करने को लिये.. सिर्फ पैसे काफी नही होते.. दिल भी चाहिए... ओर पावर भी... ओर आपको तो पता ही... दोनो ही हमारे खुन मे है... सोने जैसा दिल.. ओर राजा जैसी पावर.. दोनो साथ लेकर पैदे हुए थे.. पर अफसोस... आपके पास तो ना पावर है.. मै पैसा.. ओर दिल की तो बात ही छोडो़... " ...इस बार गुस्से मे पागल होने की बारी ऑफिसर की थी.. वो गुस्से मे पागल होते हुए पिछे पलटता है और बोलता है.. " अर्थव सिंघानिया.. अपने शब्दो पर लगाम दो... कही ऐसा ना हो कि तुम्हे पशच्तावा हो... " "....उसे पच्छतावा होगा या नही ये बाद की बात है ऑफिसर...पहले आप बताई.. आप यहा हमारे जूनियरस को परेशान क्यु कर रहे हो... " ..अवि एक डेविल स्माइल के साथ बोलता है....वही मानव ओर विकी की तो डर से हालत खराब हो रही थी...  ...ऑफिसर ..अव्यांश ओर अर्थ को देख कर ज्यादा बहस ना करते हुए सपाट लहजे मे बोलता है... " कल रात युनिवर्सिटी हॉस्टल के पास जो डैथ हुई.. उसकी इंवेसटीगेसन से हमे पता चला है.. मौत के कुछ वक्त पहले.. कोई सेकेंड ईयर डिपार्टमेट से हॉस्टल से बहार गया है... हम उसकी तलाश कर रहे है... " "...ओह.. तो. फिर आप इन बच्चो के पास क्या कर रहे हो..जाकर सेकेंड ईयर डिपार्टमेट मे पुछो.. ये हिम्मत नही हो रही वहा जाने की.. जो आप बच्चो को परेशान कर रहे हो.. " अव्यांश.. मजाक उठाते हुए बोलता है... वही ऑफिसर की बात सुनकर.. अर्थ को माथे पर बल पड़ गये थे.. उसे कही ना कही... पता चल गया था कि... ऑफिसर यरा क्यु आया है... वो कुछ बोलता उससे पहले ही ऑफिसर...मानव ओर विकी को गौर से देखते हुए बोलता है.. . " क्या तुम्हारेे जूनियरस ने तुम्हे नही बताया.. ये दोनो.. सीनियरय के साथ रहते हैं ..." ...ऑफिसर की बात सुनकर.. अवि को झटका लगता है.. वही ऑफिसर...मानव ओर विकी को घुरते हुए बोलता है.. " अब तुम दोनो जल्दी से अपना मुँह खोलो.. कल रात कहां थे.. तुम दोनो... " ...मानव ओर विकी जो पहले से डरे हुए थे.. वो सवाल सुनकर.. ओर ज्यादा डर जाते हैं और.. हकलाते हुए बोलते है.. " हम... म... कल.. कल.. रात... रात....ककको... हम.. म... रुम.. म... " ...विकी ओर मानव को ऐसे हकलाता देख.. ऑफिसर..को चेहरो पर एक मकारी भरी मुस्कान आ जाती हैं.. वो दोनो की तरफ बढ़ने लगता है.. ये. देखकर.. विकी ओर मानव डर से पिछे जाने लगते है.. इससे पहले अवि ओर अर्थ कुछ करते.. पिछे से व्योम बोलता है... " वो दोनो अपने रुम पर थे.. हमारे साथ... " ..व्योम भी आवाज सुनकर.. अर्थ एक गहरी सांस लेता है ....वही ऑफिसर की आंखे छोटी हो जाती है.. वो सामने देखता है.. तो मानव ओर विकी के पिछे अनुराग ओर व्योम.. अपने दोस्तो के साथ आ रहे थे..  ..अनुराग ने जल्दी से आगे बढ़कर.. मानव को हग कर लिया था.. मानव जर का वजह से रोने लगा था.. वो बहुत ज्यादा डर गया था.. हालत तो विकी की भी खराब थी.. पर फिलहाल.. मानव से बेहतर थी...  ..वही व्योम.. आगे आकर फिर ये बोलता है... ".वो हमारे साथ थे.. ओर दुसरी बात ऑफिसर.. वो एक नेचुरल डैथ है.. तो आप उसे मर्डर बनाने पर क्यु तुले गुए हो.. क्या साबित करना चाहते हो... " ...व्योम के सावल पर ऑफिसर की बोलती बंद हो जाती है.. तभी पिछे से कोई हसते हुए बोलता है... " लगता है पुलिस के पास कोई काम नही...तभी तो वो नेचुरल डैथ को.. मर्डर बनाने पर तुले है... " ..ये आवाज राज ओर वत्स की थी.. दोनो की बात सुनकर... बाकी सभी भी हसने लग गये थे..  .....तभी ऑफिसर गुस्से मे बोलता है... " छे मे से.. एक. डैथ.. एसिड की वजह से हुई है.. उसकी पुरी बॉडी़.. जल चुकी है... ओर ये मर्डर ही है..." "...तो. आपको क्या लगता है.. ऑफिसर.. ये लोगो इतना एसीड़ लेकर घुमते है...या फिर जादु की छडी़.. जो आसमान की तरफ करते ही थंडर गिरने लगेगा... " ..अर्थ हसते हुए बोलता है... उसकी बात सुनकर... अवि भी हसते हुए बोलता है... " फिर तो हमे भी वो जादु की छडी़ खोजनी चाहिए... क्या बात किसी दिन किसी को उपर पहुंचाने के काम ही आ जाये... " ..अवि की बात सुनकर.. एक बार फिर सभी हसने लगते है.. राज ओर वत्स का संगम भी था.. जिसकी नजरे.. विकी ओर बनी हुई थी. जो अभी भी डरा हुआ सा एक साइड़ खड़ा था.. वही अनुराग..मानव को शांत करने मे लगा था.. ओर बाकी लोग ऑफिसर का मजाक उडा़ रहे थे...  ..ऑफिसर... चारो तरफ देखता है.. फिर एक स्मर्क करते हुए.. विकी की तरफ बढ़ जाता है और उसका हाथ पकड़ते हुए बोलता है.. " कुछ बात तो है.. तुम दोनो मे.. तभी तो इंडिया की पांच बडी़ फैमीली तुम दोनो को प्रोटेक्ट करने मे लगी हुई है... इंट्रस्टींग... ". .ऑफिसर बोलते हुए.. लगातार विकी के हाथ पर अपनी पकड़ कसता जा रहा था.. जिस वजह से विकी क पेन हो रहा था.. पर डर की वजह से वो चुप चाप खडा़ था...  ..तभी संगम एक ड्राक वॉइस मे बोलता है ... " उसका हाथ छोडो़... " ..संगम की डार्क वॉइस सुनकर.. सभी जो हसी मजाक कर रहे थे.. वो चुप हो जाते हैं.. वही एक पल के लिये ऑफिसर डर जाता है...तभी संगम.. फिर से डार्क वॉइस मे बोलता है... ." अगर अपनी सलामती चाहते हो तो उसका हाथ छोड़ दो... " ...इस बार ऑफिसर को साथ बाकी लोग डर जाते हैं.. वही विकी के रोने लगा था... तभी ऑफिसर.. विकी को छोड़ देता है और संगम की तरफ देखते हुए बोलता है.. " तो तुम थ्रेट दे रहे हो... एक पुलिस ऑफिसर को धमकी हां..मेरे साथ दुश्मनी तुम्हे बहुत महंगी पडे़गी... " ..संगम बिना ऑफिसर की तरफ ध्यान दिये विकी के पास जाता है और उसे पकड़ कर अपनी तरफ करते हुऐ बोलता है... " तुम हो कौन..हां... तुम संगम राजपुत के पैरो की धुल के बराबर भी नही...राजपुत परिवार.. अपनी बराबरी को लोगो मे दुश्मनी रखता है.. ओर तुम तो मेरे नोकर बनने की हसीयत भा नही रखते...दुश्मन तो बहुत दुर की बाद..आगे से अगर तुम.. इन सबके आस-पास भी दिखे ना तो...तो तुम्हारा डिपार्टमेट.. तुम्हारी अस्थिया बहाने के लिये भी तरसेगा... " ...संगम की वॉइस मे गुस्सा ओर डार्कनेस साफ झलक रही थी... किसी की हिम्मत नही हो रही थी.. कोई ओर शब्द भी बोले... वरी ऑफिसर..गुस्से मे अपने पैर पटकते हुए वहा से निकल जाता है...  ...उसके जाने के बाद... संगम.. वही नीचे बैठ जाता है... ओर अपने साथ.. विकी को बैठा लेता है.. वो धिरे से विकी के आंशुओ को पोंछता है और उसके हाथ को देखता है.. तभी... अवि पास से जाते स्टुडेंट को बैग से पानी बॉटल निकलता है और.. संगम की तरफ बढ़ा देता है और वापस पिछे होने लगता है...पर इससे पहले ही वो अर्थ के टक्करा जाता है..  ..अर्थ को देखकर..अवि.. डेविल स्माइल करते हुए बोलता है... " अरे सुपरस्टार.. तुम भी यहा हो.. सॉरी मैने ध्यान ही नही दिया.. बाय दै वे.. तुम्हारी लाइफ कैसी चल रही है... " ..अव्यांश का सवाल सुनकर.. अर्थ भी उसकी तरफ देखता है.. मानव ओर विकी चक्कर मे उसने नोटिस ही नही किया कि कोई ओर भी यहा है ... वो उसे घुरते हुए बोलता है.. " तुम.. तुम यहा क्या कर रहे हो... " ..अर्थ का रियक्सन देख कर...व्योम हसते हुए बोलता है.. " अर्थ.. तुम भी इसे जानते हो ..." "....मै भी मतलब.. आप लोग भी इसे जानते हो... " अर्थ हैरान होते हुए बोलता है.. जिस पर वत्स हसते हुए बोलता है.. " इसे कोन नही जानता ...पुरा कॉलेज जानता है इसे.... बाय दै वे.. तुम इसे कैसे जानते हो... " "....यही वो महान प्राणी है.. जिसने अर्थव सिंघानिया को एक लड़के को.. प्रपोज करने पर मजबुर किया... " ..अर्थ मुंह बनाते हुए बोलता है..  ..अर्थ की बात सुनकर... अवि अपनी कोलर उठाते हुए बोलता है... " सही कहां.. मै ही वो मैचमेकर.. ओर क्यूपिड हूं.. जिसने इनती हसनी जोडी़ का निमार्ण किया... " ..अवि की बात सुनकर.. अर्थ गुस्से मे बोलता है.. " हसिन माई फुट... आई एम नोट गेय.. समझे.. बेवकुफ इंसान.. " "..ऐय बेवकुफ किसे बोल रहा है... कितना अच्छा पाटनर देखा था तेरे लिये... द अनुराग कश्यप.. अमीर खांदान की ओलाद... हैंडसम.. इंटेलिजेंट.. साइलेंट... बिलकुल एक प्रफेक्ट मैन की तरह...ओर इनोसेंस.. तो जैसे बनी ही मेरे भाई के लिये है.. क्या कमी है मेरे भाई मे ..जो. तुम इसे रियेक्ट कर रहे हो... " ..अवि की बात सुनकर... सभी हैरान हो जाते हैं.. हर कोई जानता था कि अवि ओर अनुराग मे 36 का आकंडा़ है.. जो. इस जन्म मे तो कम होने रहा...  ..सचीन.. जो सारिका को साथ खडा़ था.. वो अवि की देखते हुए बोलता है... " ब्रो .. तुम्हे नही लगता कुछ गडबड है..." ..सारिका भी ..अवि को घुरते हुए बोलती हूं.... " लग तो रहा है.. " ...तभी अर्थ गुस्से मे ग्रोल करते हुए बोलता है.. " मै गेय नही हूं.. पागल इंसान.. आई एम स्ट्रेट.. लड़का.. नही लड़की चाहिए मुझे... " ..अर्थ को गुस्से को फुली इग्नोर मारते हुए... अवि.. एक डेविल स्माइल के साथ बोलता है... " अरे तो क्या हुआ.. तुम गेय नही हो.. मेरा भाई तो है..ना.. खुद देखो.. बचपन से लेकर आज तक इसकी कोई गर्लफ्रेंड नही है.. गर्लफ्रेंड तो छोडो ..ये तो किसी लड़की को जानता तक नही है...हां सारु है.. एक लड़की.. इनके ग्रुप मे.. पर तुम खुद देखो.. इसे देखकर..कोई बता सकता है.. ये लड़की है.. उपक से नीचे तक लड़के के गेटअप मे... उपर से हरकते भी लड़को वाली.. उपर वाला भी इसे बनाकर कंफ्युज हो गया होगा शायद कि कही.. गलती से फिमेल बॉडी मे मेल को ट्रांसफर नही कर दिया... कभी कभी तो मुझे लगता है.. सारु के लिये लड़का नही लड़की देखनी पड़ेगी... ओर बात करे तुम्हारी.. तुम्हारे इस नकचडे़ सवभाव को देखकर.. लड़की तो छोडो ..कोई लड़का भी तुम्हारे साथ इस जन्म मे तो रिलेसन मे आने रहा ... अब बताओ.. कितना अच्छा मैच किया मैने...आई नो तुम्हारा मन मेरी तारिफे करने का कर रहा है.. तुम तर सकते हो..मै माइड़ नही करुंगा... " ..फिर वो बाकियो की तरफ देखते हुए बोलता है... " अगर तुम मे से भी कोई अपने लिये पाटनर खोज रहा है.. तो दै ग्रेट मैचमेकर.. अव्यांश के पास आ सकता है.. मै बिलकुल फ्री मे काम करता हूं... " ...अवि की बकवास सुनकर.. सारिका ओर अर्थ गुस्से से लाल पिले हो गये थे.. वही.. राज ओर वत्स की तो हसी ही नही रुक रही थी.. व्योम तो शौक्ड़ होकर अनुराग के देख रहा था.. जिसके चेहरे पर स्माइल थी...वही विकी ओर मानव.. अवि की बकवास को डायज्सेट करने की कोशिश कर रहे थे... वो लोग अवि की बकवास सुनकर... डर से बहार तो आ गये थे.. पर अभी शोक मे थे..  ...तभी अर्थ ओर सारिका गुस्से मे चिलाते हुए एक साथ बोलते हैं... " तो तुम अपने लिये क्यु नही देख लेते.. ताकि हमे थोडी़ शांती मिले... " "..हूं 🤔🤔..सवाल तो अच्छा है.. मेरे लिये.." ..अव्यांश सोचते हुए बोलता है.. फिर चेहरे पर दुनिया जहांन के दुखी एक्यप्रेसन लाते हुए बोलता है... " अब मै क्या बताऊ आप लोगो को ..मै तो कब से तलाश कर रहा हूं.. अपनी मैच को.. पर मिल ही नही रही... " "..ओह.. ऐसा है क्या.. वैसे कैसी मैच चाहिए ... अव्यांश कश्यप को... " ..राज एक सिरियस फेस के साथ बोलता है ओर फिर सबको.. अवि को पिछे की तरफ इशारा करता है.. जहां पर प्रोफेसर वर्मा खडे़ थे... राज की इशारा.. विकी ओर मानव को छोड़ कर सबको समझ आ जाता है.. ओर सब के चेहरे पर अब एक डेविल स्माइल थी...अब सबको.. अवि के जवाब का वेट था.. वही सबसे बेखबर.. अवि.. एक बडी़ सी स्माइल के साथ बोलता है... " मुझे ना.. मुझे तो सुंदर.. संस्कारी , शुद्ध घरेलू लड़की चाहिए.. जो मेरी अम्मा का ख्याल रख सके ...उसके पैर दबा सके.. ओर जब मै काम से घर जाऊ.. तो मुझे देखकर शर्माते हुए बोले..." ऐजी आप आ गये ... मै अभी आपके लिए कॉफी लेकर आती हूं.." ..बोलते हुए अवि शर्माने लगता है और फिर अपने दोनो हाथो से अपना चेहरा छुपाते हुए ड्रोमटिंक अंदाज मे बोलता है... "...हाये.. मेरे इने बडे़ बडे़ सपने.. पता नही कब पुरे होगे.. कब मुझे मेरे सपनो की रानी मिलेगी... ओर कब मै उसके साथ.. वो ..वो... हाय ..मुझे तो बताने मे भी शर्म आ रही है... " ..अवि की ये अंदाज देखकर.. मानव ओर विकी दोनो शौक्ड़ थे.. वही बाकी सभी लोगो प्रोफेसर वर्मा के एक्सप्रेसन देख कर...अपनी हसी छुपा रहे थे... तभी प्रोफेसर वर्मा एक गुस्से भरी आवाज़ मे बोलते है... " बहुत जल्द पुरे होंगे.. तुम्हारे ये बड़े बडे़ सपने... " ...प्रोफेसर वर्मा की आवाज सुनकर... अवि झट से अपनी आंखे खोलता है और पिछे पलता है... सामने प्रोफेसर को देखते ही.. अवि की सीटी-पिटी गुल हो जाती है.. वो डरते हुए बोलता है... " सर.. आप कब.. आये... " "...जब तुम सपनो की रानी की क्वलीटीज बता रहे थे.. " ..प्रोफेसर वर्मा गुस्से मे बोलते है..  ..ये सुनकर.. अवि रोनी सी सुरत के साथ बोलता है.. " सब सुन लिया... " "...स्टार्टींग तो एंड सब कुछ.." ...सारिका ओर डेविल स्माइल के साथ बोलती है...  ...अब तो.. अवि की हालत रोने जैसे हो गई थी.. वो कुछ बोलता उससे पहले प्रोफेसर वर्मा एक तेज आवाज मे बोलते है... " सभी के सभी अपनी क्लास मे जाओ... " "..जी.. जी सर... " ..अवि.. पिछे मुड़ते हुए बोलता है.. पर तभी प्रोफेसर वर्मा डार्क वॉइस मे बोलते है.. " तुम नही..तुम मुझे मेरे केबिन मे मिलो.. अभी... ओर तुम सब जाओ.. " ....प्रोफेसर वर्मा की बात सुनकर.. सभी हसते हुए वहा से अपनी क्लास की तरफ निकल जाते है.. वही अवि डरते हुए प्रोफेसर वर्मा के केबिन की तरफ बढ़ रहा था.. वो खुद को ही गालीया दे रहा था. क्यु उसने इतना सब बोला...  ........ continue.......  दक्ष कहां है... क्या करेंगे प्रोफेसर वर्मा.. अव्यांश के साथ...  plz like comment or share jarur kre thank you... 

  • 18. Crushed love - Chapter 18

    Words: 1859

    Estimated Reading Time: 12 min

    Hii guy's so let's start the story  😊😊😊 ... मानव.. राज-वत्य संगम ओर विकी के साथ अपनी क्लास के अंदर आता है..उन सबके आगे अर्थ था.. सबके चेहरो पर हसी थी.. मानव जैसे ही अंदर आता है उसकी नजर लास्ट सीट पर जाती है.. जहां पर दक्ष कानो मे हेडफोन लगाये बैठा था.. उसे देखते ही.. मानव को एक पल मे सब याद आ जाता है और दोबारा एक डर उसे अपने आगौश मे ले लेता है.. वो जल्दी से दक्ष के पास जाता है और उसके पास बैठकर साइड़ से हर करते लेता है...  ...दक्ष बिना बिना हिले धिरे से अपनी आंखे खोलता है और कानो मे हेडफोन निकाल कर रख देता है.. फिर धिरे से बोलता है... " क्या हुआ.. " "..बडी़.. तुम कहां थे.. तुम्हे पता है.. वो रात वाले  लोग मारे गये... पुलिस इंवेस्टीगेसन कर रही है.. अगर उन्हे  पता चल गया कि आप ओर मै वहा पर थे तो ,.. मै अभी जेल नही जाना बडी़... "..मानव एक डरी सहमी आवाज मे बोलता है...  ...उसकी बात सुनकर.. दक्ष अपनी चेहरा घुमा कर मानव की तरफ देखता है.. फिर उसके बालो मे हाथ फिराते हुए बोलता है... " तुम्हे मुझे पर भरोसा है... " ...दक्ष के इस अजीब सवाल पर मानव अपना चेहरा उसके सॉल्डर से बहार निकाल कर देखने लगता है.. फिर कुछ पल का खामोशी के बाद बोलता है... " हूं.. " "..तो कुछ नही होगा...उन्हे तुमने नही नेचर से मारा है और नेचर का कोई कुछ नही बिगड़ सकता तुम रिलेस्क रहो.. कुछ नही होगा.. " ..दक्ष हल्के से उसके सर को सहलाते हुए बोलता है...दक्ष के दिमाग मे कुछ वक्त पहले का सिन चल रहा था.. जब उसने ऑफिसर को मानव ओर विकी को परेशान करते हुए देखा... वो जाना चाहता था.. पर संगम के उसे रोक दिया ओर क्लास की तरफ भेज दिया... क्योकी दक्ष अगर वहा होता.. तो शायद अब तक वहा बहुत कुछ हो जाता... ओर वो  ऑफिसर भी शायद अब तक जिंदा नही बचता... शायद इसी वजह से संगम ने उसे जाने नही दिया ओर ना चाहते हुए भी दक्ष को वहा से क्लास मे आना पड़ता है...  ...वही दक्ष की बात पर मानव नोट करता है पर उसके दिमाग मे बार बार. एक ही सवाल आ रहा था.. नेचर.. का काई कुछ नही बिगाड़ सकता है... क्या सच मे नेचर की कोई कुछ नही बिगड़ा सकता..  ...पर वो चुप ही रहता है... वही पास की ही सीट पर.. संगम.. विकी के साथ बैठा था.. विकी चुप चाप.. संगम को देख रहा था.. वही संगम राज की दी हुई ऑइंटमेंट.. विकी की रिस्ट पर लग रहा था.. संगम की केयर देख कर.. विकी के अंदर अजीब से अहसास जाग रहे थे.. उसे ऐसा लग रहा था.. जैस ये सब पहले भी रिपिट हो चुका है... पहले भी ऐसे ही संगम..ने उसकी केयर की थी... पर उसे ये बात बहुत अजीब लग रही थी.. वो तो यहा आने से पहले संगम से मिला ही नही.. तो फिर उसे ये अजीब अहसास क्यु हो रहा है... क्या ये उसकी हेलुजैनेसन है.. सायद यही होगी.. वैसे भी उसका ओर संगम का तो दुर दुर तक कोई रिलेसन नही है...  ..संगम ओर विकी के आगे.. राज ओर वत्स बैठे थे.. दोनो का मुंह फुला हुआ था.. आज उन दोनो को उनकी ही सीट से बेदखल कर दिया... दक्ष का तो समझ आता है.. पर आज तो संगम के भी दोनो को बेदख़ल कर दिया... दोनो की रोनी शक्ल देख कर अर्थ को बडा़ मजा आ रहा था... वो अपनी हसी कंट्रोल कर रहा था... ओर अर्थ को ऐसे देखकर.. राज ओर वत्स की ओर ज्यादा गुस्सा आ रहा था...  ...दुसरी तरफ प्रोफेसर वर्मा के केबिन मे...  ..अवि.. केबीन मे आकर इधर उधर चक्कर लगा रहा था.. वो बहाना ढुंढ रहा था.. ताकि प्रोफेसर को बतला सके.. पर अभी उसका दिमाग ही काम नही कर रहा था.. ऐसा लग रहा था.. जैस माइंड पुरी तरह से खाली हो गया..  ." सोच अवि.. जल्दी से दिमाग के घोड़े दौड़ा...प्रोफेसर आज बहुत गुस्से मे है...पक्का आज. तेरी वाट लगने वाली है.. सोच जल्दी से...." "...अपने छोटे से दिमाग को इतना लोड़ देने की जरुरत नही है.. तुम आज नही बचने वाले... " ...पिछे से एक सीरियस वॉइस आती है.. जिसे सुनकर.. अवि की सांसे रुक जाती है.. वो डरते हुए पिछे मुड़ता है ओर हकलाते हुए बोलता है.. " प्रोफेसर.. " ..वही प्रोफेसर वर्मा एक सीरियस फेस के साथ अवि की तरफ बढ़ते हुए बोलते है.. " हूं.. बोलो ना सुन रहा हूं.. " ..अवि अपने कदम पिछे लेते हुए एक फेक स्माइल के साथ बोलता है... " प्रोफेसर.. वो मै... मै.. तो मजाक कर रहा था...सबका मुड फ्रेस करने का लिये... " ...ओह.. मतलब तुन्हे गर्लफ्रेंड नही चाहिए.. प्रोफेसर फिर से अपने कदम.. अवि की तरफ बढा़ते हुए बोलते है...वो जैसे जैसे कदम अवि की तरफ बढा़ रहे थे.. अवि पिछे होता जा रहा था.. एक वक्त ऐसा आया जब.. अवि डेक्स से टक्करा गया.. अब उसके पास पिछे जाने के लिये कोई जगह नही थी.. ये देखकर.. अवि को चेहरे पर डर झलकना लगता है.. वो डरते हुए सामने देखता है ओर प्लिडिंग आइज के साथ बोलता है... " मुझे गर्लफ्रेंड नही चाहिए... मुझे कुछ नही चाहिए... प्लीज मुझे जाने दीजिए.. प्रोफेसर... " ..अवि की शक्ल देख कर.. प्रोफेसर को बहुत मजा आ रहा था.. वो अपने हाथ.. अवि के दोनो साइड़ टेबल पर रख लेते है ओर अवि.. की नेक को स्नीफ करते हुए बोलते है.. " तुम्हे सच मे कोई नही चाहिए... " ...जैसे ही प्रोफेसर.. अवि की गर्दन को स्निफ करते है.. अवि की सांसे तेज होने लगती है.. वो कस कर अपनी आंखे बंद लेता है और धिरे से ना मे गर्दन हिला देता है.. ये देखकर.. प्रोफेसर.. स्मर्क करते हैं... ओर अवि की नेक पर लाइट किस्स करने लगते है...जैसे ही अव्यांश को फिल होता है.. उसकी सीटी-पिटी गुल हो जाती है.. वो कस कर टेबल को पकड़ लेता है और अपनी आँखें बंद कर लेता है.. उसकी कंडिसन देख कर.. अब प्रोफेसर वर्मा की मन हसने की कर रहा था.. पर फिर भी.. वो जानबुझकर.. अवि को.. टिस करने लगते है... ओर किस्स करते हुए अपना हाथ उसकी बॉडी़ पर हलके हलके से फैराने लगते हैं.. ये टॉर्चर काफी थी... अवि की हालत खराब करने के लिये.. अवि. अपनी आंखे बंद किये.. अपने लिप्स को बाइट कर रहा था.. उसकी बॉडी़ मे एक संसेसन फैल गई थी...कुछ पलो तक भी जब.. प्रोफेसर का टॉर्चर बंद नही होता.. तो अवि अपनी आंखे खोलता है और हिम्मत करके.. प्रोफेसर के लिप्स पर अपने लिप्स टिका देता है.. इस बार शोक होने की बारी.. प्रोफेसर की थी...प्रोफेसर.. वर्मा के हाथ.. शौक का वजह से अपनी जगह पर रुक गये थे.. वही अवि हलके से अपने लिप्स को मुव करने लगता है...वो किस्स करने की कोशिश कर रहा था... पर उससे हो नही रहा था ये पहली बार था.. जब उसने किसी को किस्स किया था... इसीलिए उसे ठिक से करना नही आ रहा था...  ...कुछ पल बाद.. अवि अलग होता है और अपना सर झुका कर खडा़ हो जाता..उसे डर लग रहा था ओर शर्म भी आ रही थी । वही प्रोफेसर वर्मा.. अवि के लिप्स मुव करने से रियलटी मे आते हैं ओर अवि को देख कर डेविल स्माइल करते..है.. उन्हे ये समझने मे देर नही लगती कि.. अवि को किस्स करना नही आता... अवि के अलग होने पर वो एक पल अवि के रेड फेस को देखते है ओर फिर.. उसे गर्दन से पकड़ कर किस्स करने लगते है... प्रोफेसर के सड़न एक्शन से.. अवि डर जाता है और कस कर प्रोफेसर की शर्ट को पकड़ लेता है... कुछ पल बाद.. वो भी प्रोफेसर का साथ देने लगता है और देखते ही देखते.. कुछ ही देर मे वो सॉफ्ट किस्स एक वाइल्ड किस्स मे बदल जाती है.. करीब पांच मिनट बाद.. डोर नोक की आवाज सुनकर.. प्रोफेसर.. अवि के दुर होते हैं.. अवि.. गहरी गहरी सांसे ले रहा था और फेस को नीचे किये.. जमीन तो घुर रहा था...  ...अवि को इस पल कोई भी देखता तो पक्का.. पागल हो जाता... वो इस वक्त बहुत क्युट लग रहा था.. उसकी हरकते देख कर.. प्रोफेसर वर्मा हलते हुए बोलते है.. " तो तुम्हे शर्माना भी आता है..."  ..प्रोफेसर की बात सुनकर.. अवि.. मुहं फुलाते हुए उपर देखता है पर अलगे ही पल अपना फेस अपने हाथो से छुपा लेता है.. उसे सच मे बहुत शर्म आ रही थी ..उसे देखकर कर प्रोफेसर को उस पर बहुत प्यार आ रहा था.. वो कुछ बोलते उससे पहले ही.. बहार से पिओन की आवाज आती हैं.. "सर क्लास का वक्त हो गया है.. दस मिनट ऑलरेडी जा चुकी है... " ..पिओन की बात सुनकर.. प्रोफेसर गहरी सांस लेते हुए जवाब देते हैं... " ओके मै जा रहा हूं... " ..ओके.. बोलकर पिओन वहा से निकल जाता है.. वही प्रोफेसर वर्मा..अवि की तरफ मुड़ते है.. जो चेहरा उपर करके प्रोफेसर को ही देख रहा था.. प्रोफेसर को देखते ही.. वो इनोसेंट से फेस के साथ बोलता है.. " प्रोफेसर..क्या अब मै जा सकता हूँ.. अब तो मेरी पनिशमेंट भी पुरी हो गई.. " प्रोफेसर वर्मा  - ..😈😈..तुन्हे किसने कहां.. तुम्हारी पनिशमेंट पुरी हो गई...अभी पनिशमेंट बाकी है... अपने सपनो मे रानी लाने की पनिशमेंट..  अवि - 😨😨😨..पर मै तो सिर्फ मजाक कर रहा था. आप जानते हो.. मै आपको पसंद करता हूं... ..प्रोफेसर.. बिना किसी मर्सी के अव्यांश की तरफ देखते हुए बोलते है.. " जब तक मै क्लास खत्म करके वापस नही आता.. तुम यही रहोगे..." ..ओर एक बुक उठाकर वहा से निकल जाते हैं.. फिर दरवाजे के पास जाकर बोलते हैं.. " यहा से बहार जाने की सोचना भी मत.. वरना जो काम अधुरा छोडा़ है । उसे मैं यही केबीन मे पुरा कर दुंगा... " ...प्रोफेसर की बात सुनकर... अवि जो वहा से निकलने का प्लान बना रहा था.. वो डर जाता है और जल्दी से ना मे गर्दन हिलाते हुए बोलता है... " पक्का प्रोमीस मै कही नही जाऊंगा... यही रहूंगा... " ..अवि की जवाब सुनकर.. प्रोफेसर वर्मा एक डेविल स्माइल के साथ वहा से निकल जाते हैं.. वही अवि बेचारी सी शक्ल लिये.. प्रोफेसर की चेयर पर बैठ जाता है.. अब उसके लिये सबसे बडी़ समस्या थी.. टाइम पास कैसे करे..  ..यही सोचते हुए.. वो प्रोफसर की राउंड चेयर पर बैठाकर... उसे घुमाने लगता है.. कुछ पल बाद. वो वहीं रखे.. पेन ओर पेपर को लेकर.. उसमे पेंटिग करने लगता है  ...काफी देर तक पेटिंग करने के बाद.. अवि योनिंग करते हुए.. इधर उधर घुमने लगता है उसे बहुत बोर फिल हो रहा था.. वो यहा से जा भी नही सकता था.. इसीलिए वही सोफा पर लेट जाता है और सोचने लगता है..  ..सोचते सोचते उसे कब निंद आ जाती हैं... पता ही नही चलता... करीब दो घंटे की क्लास खत्म करके. प्रोफेसर वर्मा जब अपने केबीन मे आते हैं.. तो अवि को देख कर.. चौंक जाते है...  ..अवि एक छोटे से बच्चे की तरह वही सोफे पर पैर लटकाये सो रहा था... उसके मुंह से हल्का हल्का. स्लाइवा बहार निकल रहा था ओर वो दिखने मे बहुत क्युट लग रहा था..  प्रोफेसर वर्मा उसे सोया देख एक स्माइल करते है ओर अपनी चेयर की तरफ बढ़ जाते हैं... वो बहुत हल्क कदमो से.. अपनी चेयर पर जा रहे थे.. ताकि.. अवि की निंद ना खुले...  .... Continue... Plz like comment or share jarur kre thank you... 

  • 19. Crushed love - Chapter 19

    Words: 2101

    Estimated Reading Time: 13 min

    Hii guy's so let's start the story  😊😊😊 दिल्ली के पुलिस स्टेशन को अंदर... एक शक्स अपनी गर्दन झुकाये खडा़ था.. उसके सामने कुछ हायर ऑफिसर थे.. जो उसे डाच रहे थे...वो शक्स बिना कुछ सुने चुप चाप सब कुछ.. सुनता रहता है.. करीब एक घंटे के बाद.. वो शक्स उस केबिन से बहार निकलता है और अपने केबीन मे आता है.. गुस्से के वजह से उसकी सारी नशे बहार आ  गई.. ये. वही ऑफिसर था.. जो इनेवेस्टिगोसन के नाम पर कॉलेज गया था.. आज. उसे कमिश्नर से लेकर... डिआईजी..तक सबसे अच्छा खासा सुनने को मिला है.. इतना ही नही.. उसकी जोब भी जाते जाते बची है... वो जानता है...इन सबमे किनका हाथ है...गुस्से म चिलाते हुए खुद से बोलता है... " नही छोडुंगा.. एक. एक को.. उसकी ओकात दिखाऊंगा... ओर सबसे पहले उस संगम राजपुत को... बहुत शौक हो ना उसे.. दुसरो को जुत्ते के नोक पर लाने की... अब तुम सब देखते जाओ... फिर वो एक. तेज आवाज मे बोलता है... " सिंधे... " ...उसकी आवाज सुनकर.. एक कॉनस्टेबल भागकर अंदर आता है और बोलता है..ग्रिड़. करते हुए बोलता है.. " बोलिये सर... " "...जाकर उन दो लड़को की पता.. ओर स्पेसली.. उस लड़के का जिसका हाथ मैने पकड़ा था... आखिर देखे तो सही.. ऐसा क्या है उन दोनो ने... जो पांचो फैमीली के बच्चे उन्हे प्रोटेक्ट कर रहे थे... " "...जी सर.. "..बोलते हुए... कॉनस्टेबल वहा से निकल जाता है.. वही.. ऑफिसर एक जहरीली हसी को साथ बोलता है... ." बहुत जल्दी तुम मेरे पंजे मे होंगे... ओर जब तुम्हे पता चलेगा.. देवराज क्या चीज है... " ...दुसरी तरफ.. प्रोफेसर वर्मा के केबिन मे..  ..अव्यांश के सोता हुआ छोड़कर.. प्रोफेसर वर्मा अपनी डेस्क पर आते है.. ओर काम करने लगते है.. तभी उनकी नजर टेबल पर रखी पेंटिंग पर जाती है.. जो पैंसिल से बनाई हुई थी... प्रोफेसर वर्मा ध्यान से उस पेंटिंग को देखते है...फिर मुस्कुराते हुए उस पेंटिग को डेस्क के अंदर रखे देते हैं... ओर फिर से अपने काम पर लग जाते हैं.. करीब एक घंटे बाद.. वो काम से फ्री होते है... अवि के पास जाकर उसे उठाते हुए बोलते है... " अवि.. उढ़ जाओ.. लंच टाइम हो गया... " "...अरे यार मॉम.. सोने दो ना... यहा आप हो कि सोने नही देते.. ओर वहा पर मेरे खडुस प्रोफेसर है कि...जीने नही देते...कम से कम आप तो मुझे बक्स दिया करो.. " ..अव्यांश निंद मे बडबडाता है  ओर अगले ही पल हडबडाते हुए काउच से नीचे गिर जाता है...फिर आंखे खोलकर.. अपने चेहरे का पानी पोंछते हुए रोनी सी शक्ल मे बोलता है... " ये गलत बात है.. आप मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हो... " ...अवि की शिकायत सुनकर.. प्रोफेसर हसते हुए ग्लास का बचा हुआ पानी भी अवि पर डाल देते है ओर हसते हुए बोलते है... ऐसे...  ...ये देखकर.. अवि गुस्से मे मुंह फुला लेता है.. वही प्रोफेसर वर्मा उसकी तरफ एक हैंकी फेकते हुए बोलते है.. " अगर लंच करना है.. तो जल्दी से मुंह साफ करके यहा पर आ जाओ.. वरना यहा से अपनी क्लास के लिये जा सकते हो... तुम्हारे नालायक दोस्त तुम्हे ढुंढ रहेंगे होंगे..." ...अव्यांश प्रोफेसर वर्मा की बात को इग्नोर मारता है और पेट पर हाथ फिराते हुए बोलता है... " बहुत भुख लगी है.. जल्दी से टिफिन लगाइए ना.. बातो मे टाइम वेस्ट क्यु कर रहे हो. आप.. आप जानते हो मै कहीं नही जाने वाला... "..ओर अपना फेस क्लीन करने लगता है...  ...प्रोफेसर वर्मा उसकी बात सुनकर.. हल्का सा मुस्कुरा देते है ओर टिफिन खोलकर लगा देते.. जो उन्होने खुद बनाया था.. अपने लिये.. सिम्पल कडी़-चालव....सबसे सिम्पल ओर फेमस डिश...  ...टिफिन से निकलती खुशबु को देख कर अव्यांश के मुंब मे पानी आ जाता है.. वो जल्दी से बिना प्रोफेसर का वेट किये.. स्पुन उठाता है और मुंह मे भरते हुए बोलता है... " आह.. क्या स्वाद है... आप तो पुरे सैफ निकले.. पहले पता होता.. तो कंटिन कार्ड के पैसे वेस्ट नही करता.. पर कोई नही आगे से नही करुंगा..." ...अव्यांश की बाते सुनकर.. प्रोफेसर वर्मा हसने लगते हैं. . " मक्खन लगाना कोई अव्यांश के सिखे... " ....स्पुन एक होने की वजह से..प्रोफेसर वर्मा स्पुन...अव्यांश के हाथ ले लेते है और खुद उसे खिलाने लगते हैं.. साथ मे.. खद भी खाने लगते है..  ..अव्यांश भी बाते करते हुए...सर्विस की पुरी तरह से आंनद ले रहा था..  ..कॉलेज कैंटिन मे..  ...आज मानव ओर विकी के साथ दक्ष ओर उसकी पलटन भी खाना खा रही थी..साथ मे अर्थ भी.. पर खाने को देखकर..सभी का मुँह बिगड़ गया था...  .. राज स्पुन को नीचे प्लेट मे रखते हुए बोलता है... " ये खाना है... जानवर भी इसको खाने से पहले चार बार सोचे.. " ..राज की बात का स्पोट करते हुए.. वत्स भा बोल पड़ता है.. " इससे अच्छा तो राधा मां बनाती.. अंगुलिया चाटते रह जाओ... " ....जैसे ही राधा का जिक्र होता है.. अर्थ जो खाना खा रहा था.. उसके हाथ वही रुक जाता है... ओर अगले ही पल वो बिना कुछ वहा से उठकर चला जाता है...  ..उसको जाता देख.. मानव कंफ्युज होते हुए बोलता है. . " इसे क्या हआ अब... " ..पता नही.. राज ओर वत्स कंधे उचकाते हुए जवाब देते है... तभी मानव फिर से बोलता है.. " साइलेंट भाई.. क्या.आपकी कॉलेज मे चलती है... " "..तुम ये सवाल क्यु पुछ रहे हो... " ...राज ओर वत्स चोंकते हुए बोलते हैं...  "...अगर चलती है तो इन मैस वालो को बोलो ना. कुछ अच्छा बनाया करे.. ताकि हम खा सके.. आपको पता है.. यहा आने के बाद मै घर के खाने को कितना मिस कर रहा हूं.. " "...मै भी ... " विकी एक उदास सा चेहरे के साथ बोलता है..  ...विकी ओर मानव की बात सुनकर... राज ओर वत्स.. दोनो उन दोनो को एक सिमपैथीक... लुक देते है ओर फिर से खाने लगते है..  ..वही अर्थ.. एक उदास सा चेहरे के साथ.. कॉलेज से बहार निकल जाता है.. ओर कुछ ही देर बाद... एक छोटे से घर के सामने खडा़ हो गया..  ...वो कुछ पल बहार की खडा़ रहता है.. फिर हिम्मत करके अंदर की तरफ जाने लगता है.. वो जैसे जैसे अंदर जा रहा था... उसके अंदर इमोसनस का सलाब उमड़ रहा था.. कुछ पल चलने के बाद वो जोर से सामने खडा़ हो जाता है.. ओर अपना हाथ डोरबैल तक लेकर जाता है... पर उससे पहले ही दरवाजा खुल जाता है.. सामने राधा खडी़.. थी.. अर्थ को देखकर उसके चेहरे पर एक स्माइल आ गई थी.. वो प्यार से अर्थ के चेहरे को छुती है ओर शिकायत करते हुए बोलती हैं... " तो तुम्हे अपनी इस मां की याद आ ही गई.. आखिर.. तुझे याद भी है.. कितना वक्त हो गया तुम्हे यहा आये हुए.." ...राधा की शिकायत सुनकर...अर्थ.. राधा को हग कर लेती है और रोनी सी आवाज मे बोलता है... " माफ करो दो.. आगे से कभी इतना वक्त नही लगाऊगा... " ...अर्थ की आवाज मे दर्द को.. राधा एक पल मे पहचान गई.. वो अर्थ को खुद से अलग से करती है और आंशुओ को साफ करते हुए बोलती हैं. . " क्या हुआ अर्थ.. तुम रो रहे हो...." ....अर्थ वैसे ही.. आंखो मे आशु लिये बोलता है. . " मुझे सोना है... आपकी गोद मे सर रखकर.. बहुत दिन हो गये चैन से सोये हुए... " ...राधा को अर्थ की बाते ज्यादा समझ नही आ रही थी ओर ये. कोई नई बात नही थी.. बचपन से ही अर्थव की बाते.. उसे समध नही आती है... वो क्या बोलता है ओर क्या करता है... पर फिर भी.. वो अर्थ क लेकर... वही काउच पर आ जाती हैं.. अर्थव को लेटाकर उसका सर अपनी गोद मे रख लेती है और उसके बालो को सहलाने लगती है..  ...अर्थ राधा की गोद मे आंखे बंद किये हुए लेटा हुआ था.. उसकी आँखो मे अभी भी नमी थी.. वो वैसे ही आंखे बंद किये बोलता है... " जिनसे हम बहुत प्यार करते है मां.. वो लोग हमे धोखा क्यु दे जाते है... क्या हमारे प्यार मे कोई कमी कह जाती हैं... " ..अर्थ के सवाल पर राधा को अपनी ओर दक्ष को फादर की मैरिज याद आ गई...वो भी अपने पति से बहुत प्यार करती थी.. पर उसे बदले मे क्या धोखा... ओर लोगो की गालिया...राधा प्यार से... अर्श के गालो पर आये आंशुओ को साफ करती है और बोलती हैं... " शायद वो कभी हमारे लिये बना ही नही था.. अगर हमारे लिये बना होता.. तो हमारा होता...उसे किसी ओर की जरुरत नही ऱहती.. " "...पर मुझे तो उनकी जरुत है.. आपको भी डैड की जरुरत थी... ओर मुझे आज भी उनकी जरुरत है.. पर वो भी मेरे पास नही आ सकता... हमारे साथ ही ऐसा क्यु होता है.. " "...शायद भगवान जी हमारे लिये उससे भी कोई बहुत अच्छा हमारे लिये देख रहे हो.. जैसे.. तुम्हारे डैड ने मुझे धोखा दिया.. तो तुम मुझे मिले.. मुझे इतने प्यार करने वाले बेटे दिये.. वैसे ही कोई तुम्हारी लाइफ मे आयेगा... ". ...राधा फिर से जबाव देती है..  ...कुछ पल की खामोशी के बाद.. अर्थ फिर से बोलता है.. " पर हम लोग डैड की जगह तो नही सकते ना... " ..अर्थ को इस सवाल पर राधा चुप हा रहती है.. उसके पास सच मे इस सवाल का जवाब नही था.. वही अर्थ के गालो पर फिर से अाशुंओ का झडी़ लग जाती हैं... वो अपनी क्रकिंग वॉइस मे बोलता है... " मै भी उनसे बहुत प्यार करता हूं... उनके लिये मै यहा तक आ गया.. कोई ओर आकर.. मेरे दिल मे जो प्यार है उनके लिये.. वो कैसे मिटा सकता है.. आप बताओ ना.. क्यु हमे वो नही मिल सकता.. जिससे हमे अपनी जान से भा ज्यादा प्यार करते है... " ..राधा के पास इसबार भा कोई जवाब नही था.. वो नम आंखो से.. अर्थव के चेहरे को साफ करने लगती है...वही अर्थव रोते हुए निंद के आगोश मे चला गया था... आंशुओ के दाग अभी भी उसके चेहरे पर थे...  ..राधा ध्यान से उसके चेहरे को देख रही थी.. अर्थ हमेसा से ही उसके लिये पहली बना हुआ  है.. सबके सामने एरोगेंट गुस्स्सेल दिखने वाला अर्थ उसके पास आकर टुट जाता.. उसके अंदर बेसुमार पेन लिये फिरता है... पता नही किसका दर्द वो अपने अंदर समेंटे हुए है...कोन है जिसको याद करके.. अर्थ.. इतना टुट जाता है... शायद कोई ऐसा. जिससे अर्थ बहुत प्यार करता था.. ओर ये प्यार... शायद वैसा नही है.. जो एक पत्नी अपनी पति से करती  है.. ये फिर एक प्रेमी अपनी प्रेमीका से करता है... ये प्यार अलग है...पर है क्या... वो अर्थ के बचपन से देखती  आ रही थी... जब वो चार साल का था.. तब पहली बार... वो राधा की गोद मे सर रखकर रोया था.. राधा को आज भी याद था.. उस दिन भी अर्थ ऐसे ही किसी के लिये वो रहा था... पर किसके लिये... उस वक्त राधा लगा.. शायद ये अपने मा के प्यार के लिये तरस रहा है.. पर वक्त के साथ.. राधा की ये गलतफैमी दुर हो गई.. अर्थ के कभी रीना सिंघानिया को मां माना ही नही.. वो आज भी उसे ही अपनी माँ बोलता है.. पता नही उसके सवलो की ये पहले कब सुलझेगी....  ..दुसरी तरफ शाम के चार बज रहे थे... ओर मानव.. दक्ष के कंधे पर.. सर रखकर अपने क्लास रुम मे बैठा हुआ था.. वो दक्ष के हाथ को स्किविज करते हुए बोलता है... " बडी़ कल बारीस की वजह से हमारा घुमने का प्लान कैंसिल हो गया था...तुम्हे नही लगता.. हमे फिर से बनाना चाहिए.. घुमने का प्लान.. मै दिल्ली घुमना चाहता हूँ.. मुझे देखना है दिल्ली कैसी है... " ...मानव की बात सुनकर.. दक्ष अपना चेहरा.. मानव की तरफ करता है और फिर शोफ्ट वॉइस मे बोलता है.. . " अभी के लिये नही.. पर हां बाद मे.. मै तुम्हे जरुर विजिट करवाऊंगा अब चले क्लासेज ऑवर हो गई है... " ...दक्ष की बात सुनकर.. मानव स्माइल करके हुए नोट करता है और फिर सबसे के साथ रुम से बहार निकल जाता है... कुछ ही देर मे सभी लोग एंट्रस पर थे... दक्ष मानव को बाय बोलकर.. अपनी पलटन को साथ जाने लगता.. तभी मानव उसे रोक लेता है और उसके पास आकर.. दोनो गालो पर किस्स करते हुए बोलता है.. " कल मिलते है बडी़.. आज के लिये बाय... " ...ओर वहा से निकल जाता है...वगी राज ओर वत्स... दोनो आंखे बडी़ किये... दक्ष का चेहरा देख रहे थे.. जो मानव के किस्स करने से शर्मा रहा था..  ..राज ओर वत्स.. दोनो.. संगम के पास जातर बोलते हैं... " ब्रो लगता है.. अपने दक्ष बाबा तो गये.. देखो.. जरा कैसे शर्मा रहे है... " ...राज ओर वत्स की बात सुनकर.. संगम भी मुस्कुराते हुए दक्ष की तरळ देखने लगता है.. वही दक्ष के कान ओर गाल.. बुरी तरह से रेड़ हो गये थे. वो लिटरली खुद को बल्स करने से रोक रहा था...  ....... Continue.....  Plz like comment or share jarur kre thank you... 

  • 20. Crushed love - Chapter 20

    Words: 1597

    Estimated Reading Time: 10 min

    Hii guy's so let's start the story  😊😊😊 ...मंगलवार की रात थी...बहार हल्की हल्की बारीस हो रही थी... बारीस की बुंदो मे एक अजीब सी सरगम थी हल्की हल्की हवाये... कुछ बारीस की बुंदे... बादलो मे छिपा हुआ चांद... मौषम मे हर तरफ.. एक अजीब सी सरगम छा गई हुई.. ऐसा लग रहा था जैसे नेचर संगित मे मंगन हो रहा हो.. बालकनी मे आंखे बंद किये हुए मानव.. बहार का मौषम का आनंद से रहा था.. उसे दिल्ली आई हुए.. पंद्रह दिन हो चुके थे.. सब कुछ बहुत ही समदुली चल रहा था... सब उससे बहुत प्यार से पेश आते है... चाहे वो अर्थव को या.. चांहे.. अव्यांश.. सब उसे बहुत प्यार से ट्रिट करते है.. उसका बहुत ख्याल रखते है...ओर तो सबसे ज्यादा रखता है.. वो उसका बडी़.. दक्ष... अब तो मानव को जैसे उसकी आदत सी हो गई थी.. एक पल के लिये ना दिखे.. तो मानव सबको सर पर उठा लेता है.. उसे खुद नही पता क्यु... पर महज पंद्रह दिन मे उसे दक्ष की एक आदत सी हो गई.. ऐसा लग रहा था.. जैसे उसका दक्ष के साथ सालो का रिस्ता हो..  ...आंखे बंद किये हुए....मानव... हल्की हल्के ओर बहुत ही सिम्पल मुवज के साथ डांस कर रहा था...उसके मुवज बहुत सिम्पल थे.. पर देखने मे बहुत ही खुबसुरत... वही पास मे विकी.. बैठे बैठे कोई घुन गुनगुना रहा था.. जो नेचर के शौर से साथ मिलकर ...एक संगीत का निमार्ण कर रही थी... दोनो सबसे बेखबर अपनी ही घुन मे खोये हुए थे...  ..वही अपार्मेंट के हॉल की बालकनी मे.. अनुराद.. व्योम ओर बाकी दोनो के साथ बैठा था.. उसके चारो को मानव ओर विकी साफ नजर आ रहे थे...मानव को देखकर...चारो को चेहरे पर मुस्कान थी... ...सचिन मानव को डांस करते हुए देख... एक खोये हूए अंदाज मे बोलता है... " कोई इतने सिम्पल मुवज के साथ.. इतना खुबसुरत कैसे लग सकता है... " "...क्योकी वो मानव..."...सारिका भी खोये हुए ही जवाब देती है...   ...दक्ष के घर पर...  ...सभी लोग डिनर करने के बाद .... बहार गार्डन मे बैठे थे...एक छोटा सा बैठने का पोरसन जो... स्पेसली.. राज से तैयार किया था.. बारीस के मौषम के लिये... गोल बम्बु की छत से बना ... एक छोटा सा टि हाउस... बिच मे चेयरस... ओर छत को चारो तरफ.. ड्रिम कैपचर...वहा पर आराम से छे लोग बैठ सकते थे... पर फिलहाल वहा पर सारी चेयरस को हटा कर... वत्स ने नीचे गदे डाल दिये.. ओर वो वो चारो राधा के साथ वहा पर बैठे थे... ओर सामने की बारीस की मजा ले रहे थे.. वत्स ओर राज... दोनो राधा ओर संगम की गोद मे सर रखे लेटे हुए थे.. सबके चेहरो पर मुस्कान थी.. पर संगम कही खोया हुआ था...  ...वहा की छाई हुई शांती... राज को ज्यादा देर की नही रास नही आई.. वो अपना मूंह खोलता है और बडी़ सी उबासी लेते हुए बोलता है. .. " मां... एक बात बताओ.. नेचर हर वक्त इतना बदलता क्यु है.. कभी कितना सोफ्ट ओर स्वीट रहता है... तो कभी कितना डेंजरस बन जाता है.. ओर आज तो... ऐसा लग रहा है.. जैसे नेचर कोई घुन गुनगुना रहा हो.. कोई बहुत ही प्यार सोंग... " ...डेंजरस बोलते वक्त...राज की नजरे दक्ष पर थी.. जिसे सभी देख रहे थे ओर मुस्कुरा भी रहे थे.. वही दक्ष को कोई मलतब ही नही था...  ...राज की सवाल सुनकर.. राधा.. मुस्कुराते हुए बोलती हैं.." ..एक कहानी सुनाती हूं...एक परि की कहानी...  "...मां.. मै अब बच्चा नही हूं.. ओर ना ही लड़की.. जो मुझे परियो की कहानी सुनाओगे... "...राज मुंह बनाते हुए बोलता है.. जिस पर राधा उसके गालो को पिंच करते हुए बोलता है...." पर मेपे लिये तो तु कब तक बच्चा रहेगा.. जब तक मै तेरे बच्चो की शक्ल ना देख लु...इसीलिए अगर तु चाहता है कि.. मै तुझे बच्चा बुलाना बंद कर दूं.. तो तु जल्दी से कोई सुंदर सी लड़की देख कर शादी कर ले.." ...राधा की बात सुनकर... वत्स तपाक से बिच मे कुदते हुए बोलता है... " ओर अगर इसको लड़की की जगह लड़का पसंद आ जाये तो... " ...वत्स की बात सुनकर.. राज उठकल बैठ जाता है और वत्स को मारते हुए बोलता है.. . " ओय.. क्या बकवास कर रहा है... मां आप ना इसकी बकवास पर ध्यान मत दो... " "..अरे.. पुरा दिन तो मान के पिछे लगे रहते हो...वो दक्ष की वजह से तुम्हारी दाल नही गली.. वरना तुमने ट्राय तो पूरा किया था... " ...वत्स एक चिड़हाने वाली स्माइल के साथ बोलता है...  ..वही वत्स की बात सुनकर.. राधा क्योसनिंग लुक के साथ बोलती है.. " अरे अरे शर्माओ मत बता दो.. मुझे कोई प्रोबलम नही है...तुम तो ये बता दो है कोन... " ...मानव का जिक्र सुनते ही... दक्ष के भी कान खडे़ हो गये.. वो जल्दी से अपनी गर्दन घुमाकर.. राज ओर वत्स की घुरता है.. जिसे देख कर.. दोनो की सांसे गले मे ही अटक जाती है.. तभी.. संगम एक सॉफ्ट वॉइस मे बोलता है.. " मां आप भी कहां इन दोनो की बातो को सिरयसली ले रहे हो..मानव हमारा क्लासमेंट है और वो ऑलरेडी एंगेजड है... ओर आप तो दोनो को जानती ही हो..." ...संगम की बात सुनकर... दक्ष के एक्सप्रेसन अचानक से डार्क हो जाते है.. पर तभी राधा की आवाज सुनकर... वो नॉर्मल हो जाता है..  ..संगम की बात सुनकर... राधा एक उदास चेहरे के साथ...सांस छोड़ते हुए बोलती है... " सैमु.. तुमने तो एक पल मे मेरी उमिदो पर पानी फिरा दिया.. नही पानी नही अपने चाशनी से भरे हुए शब्दो को फिरा.. कहां मै सोच रही थी.. फायनली..कोई तो मिली.. ये मिला एक-आध को.. पर तुम तो.. चारो इस उर्म मे भी सिंगल हो.. पता नही पता नही क्या होगा.. तुम चाहो का... " ...राधा की बात सुनकर.. चारो के चेहरे खिल उठते है.. सायद. यह भी एक वजह से चारो बच्चे राधा के साथ.. मां से ज्यादा फ्रंडली रहते है... तभी  .संगम फिर से बोलता है.. " मां आप कहानी सुना रही थी... " "...हूं.. मै तो भुल ही गई...चलो अभी शुरु करते हैं.. ये. कहानी मेरी दादी ने मुझे सुनाई थी... " ....सदियो पहले की बात... जब धरती की तरह परियो का परीलोक हुआ करता था.. ओर वहा हमारी पृथ्वी पर.. हर चीजो का देखरेख करती थी...वो हर तरफ प्यार ओर स्नेह बरसाती थी.. जिससे हर तरह सुख शांती रहती थी.. परियो के लोक मे...राजा की एक बेटी थी.. जो वहा का राजकुमारी थी.. अपसराओ से भी सुंदर.. जो किसी भी मन मेंह ले... हर परि के अपना एक शक्ति होती थी.. वैसे ही राजकुमारी के पास भी थी.. किसी के मन को वस मे करने की शक्ति... पर वो बहुत चंचल थी और बहुत ही सॉफ्ट हार्टेड़...राजकुमारी होने के कारण.. अक्सर उसकी जान को खतरा रहता था.. इसीलिए राजा ओर उसके कुछ विशेष लोगो ने मिलकर..राजकुमारी की रक्षा के लिये.. एक विशेष शक्ति का निर्माण किया.. जो नेचर से बनी थी...जो हर वक्त.. राजकुमारी की सुरक्षा करती थी.. जब भी राजकुमारी पर मुशबित आती थी.. वो शक्ति विकराल रुप ले लेती थी.. ओर जब भी... राजकुमारी खुश होती थी.. वो शक्ती.. हर तरह खुशिया फैला देती... पर एक बार.. राजकुमारी अपनी चंचलता के चलते धरती पर आ गई.. ओर यहा आकर उसे एक इंसान से प्यार हो गया.. अब ठहरी परि लोक का राजकुमारी.. इसीलिए सजा के तौर पर वो हमेशा के लिये इंसान बनकर.. यही रह गई.." ...राधा ती कहानी पुरी होते होते... राज ओर वत्स दोनो से गये.. पर संगम जात रहा था ओर ध्यान से राधा की बाते सुन रहा था.. वो राधा से सवाल करते हुए बोलता है.. " मां राजकुमारी अगर धरती पर आ गई.. तो फिर.. उस शक्ति का क्या हुआ... जो राजकुमारी की रक्षा करती थी.. " ...संगम के सवाल पर... राधा मुस्कुराते हुए बोलती हैं... " कहते हैं.. वो शक्ति.. धरती पर भी एक इसांन के रुम मे.. राजकुमारी के पास हर वक्त रहती थी..ओर उसकी रक्षा करती थी..." ...राधा की बात सुनकर.. संगम नोट करता है और फिर खुद मे बोलता है.. . " एक इंसान बनकर.. क्या ये पॉसीबल है.. वो सच मे ह्युमन बनकर... आस-पास हो... मुझे तलाशना होगा... " ...तभी राधा बोलती हैं... चलो बहुत देर हो गई... अब सो जाओ.. सुबह कॉलेज भी जाना है...  ..संगम नोच करता है और वत्स को अपनी गोद से उठाता है.. ओर फिर राज को... उसके बाद वो दक्ष के कंधे पर हाथ रखता है.. तो दक्ष नोट करता है और सभी वहा से निकल जाते हैं.. बारिस अभी भी हल्की हलकी हो रही थी.. ओर मौषम बहुत खुशनुमा हो रहा था... गार्डन से आकर... दक्ष अपने रुम की बालकनी मे खडा़ हो जाता है और बादलो से झांक रहे.. हल्के हल्के चाँद को देखने लगता है.. उसकी आंखो का रगं पुरी तरह से ब्लैक था.. वो विशलींग करते हुए एक घुन बजाने लगता है.. जिससे धिरे धिरे मौषम बदलने लगता है.. अचानक से.. बारिस तेज हो जाती है.. ये देखकर.. दक्ष के चेहरे पर.. एक अजीब सी मुस्कान आ जाती हैं.. वो सामने देखते हुए बोलता है... " वो राजकुमारी नही थी मां.. राजकुमार था.. ओर इंसान नही.. शैतान था...जिसे प्यार हुआ था... पर उस परि से नही...किसी ओर से... जिसे उन परियो ने मिलकर छिन लिया..बहुत जल्दी वो वक्त आयेगा.. जब उन परियो.. को उवके किये की सजा मिलेगी...बहुत शौख है.. मै महोब्बत करने का...अब दुनिया देखेगी... डिमन की महोबत... नही.. डिमन की खुनी महोब्बत... जो रक्त के आखिरी कतरे तक.. अपना बदला लेगी... " ...बोलते हुए दक्ष जोर जोर से हसने लगता है.. ओर बहार की मौसम जो अब तक खुशनुमा.. सुहावना बना हुआ था.. वो अब डरावना बन गया था...  Continue....  क्या सच मे मानव राधा की कहानी....सच है...किससे ढुंढने की बात कर रहा संगम था... कोन है जिसकी मौत का बदला दक्ष लेना चाहता है... प्लीज लाइक कॉमेट ओर शेयर जरुर करे