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Forced Marriage

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Sumit Shrivastav

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यह कहानी है लक्ष्मी शर्मा और नारायण ठाकुर की। लक्ष्मी शर्मा एक पढ़ी-लिखी लड़की है जो अपना सपना पूरा करने के लिए रात दिन एक करके पढ़ाई कर रही थी। उसका सपना है एक बड़ी वकील बनने का। जिसमें उसकी मदद करता है उसका मंगेतर राहुल। दूसरी तरफ नारायण ठाकुर है,...

Total Chapters (43)

Page 1 of 3

  • 1. Forced Marriage - Chapter 1

    Words: 1170

    Estimated Reading Time: 8 min

      मुंबई एक पुरानी बिल्डिंग में एक अंधेरे रूम में एक आदमी कुर्सी पर बैठा अपने हाथ लिए फ़ोन की स्क्रीन पर एक लड़की की फोटो देख कर मुस्कुरा  रहा था , तभी एक आदमी उस रूम  का गेट खुल कर सीधा अंदर आकर जोर जोर से सांसें लेते हुए बोला ," भाई वो,  गेट की खुलने की आवाज़ सुनकर वो आदमी अपना सिर ऊपर करके लाल आखों से सामने खडे़ आदमी को देख कर बोला ," छोटे मैने कितनी बार मना किया है जब में अकेला हूं तो मुझे यह पसन्द नही की कोई मुझे परेशान करे, अपने भाई की बात सुनकर सामने खड़ा लड़का बोला ," भाई आप क्यों उन्हे याद कर के दुखी होते हैं जो इस दुनियां में ही नही है अपन तो बोलता है की आप दूसरी भाभी को देखो  जो देखने में अच्छी खूबसूरत हो, सामने खडे़ लड़के की बात सुनकर वो आदमी अपनी कुर्सी पर टेक कर बोला ," उसकी जगह कोई नही ले सकता , अपनें बड़े नारायण भाई की बात सुनकर वो लड़का जिसका नाम अक्षय था वो बोला ," भाई किसी के जानें से हमारी दुनियां खतम नही हो जाती , फिर अपनें मन बोला ," अपन को विस्वास है की आप की लाईफ में जल्दी ही भाभी की एंट्री होने बाली है, तभी उसे अपने उपर गुस्से भरी नजर मेहसूस होती हैं फिर भी वो बिना डरे बोला ," भाई कब तक आप इस अंधेरे कमरे में बैठ कर उन्हे याद करेगे जो आप को छोड़ कर चली गई , अक्षय की बात सुनकर नारायण बापिस नार्मल हो कर बोला ," अच्छा यह सब छोड़ तू यह बता की ऐसा क्या हुआ की भागते हुए आ रहा है मेरे पास, अपने बड़े भाई की बात सुनकर अक्षय बोला ," हां भाई अपन तो भुल ही गया अरे वो कुछ लोग ना अपने एरिया में आतंक मचा रहे हैं उन्हें रोड के साइड में लगे गरीबों की दुकान वालो से हफ्ता वसूली कर रहे हैं जब उन छोटी दुकान वालों ने हफ्ता देने से मना किया तो उन्हे मार कर उनकी  दुकान ही तोड़ दी, अक्षय की बात सुनकर नारायण की आखें गुस्से से लाल हो जाती  है उसे बिलकुल भी पसन्द नही की उसके होते हुए कोई गरीब को परेशान करे , नारायण गुस्से से कुर्सी से खड़ा होकर बोला," तुम लोग क्या कर रहे थे , छोटे बोला ," भाई  उन्होंने अपने सारे साथियों को भी  मारा,  नारायण तब तक अपनी बंदूक निकाल कर उसके पास आ  कर बोला ," अच्छा कितने है वे लोग , और दोनो रूम से बाहर निकल कर हॉल में जाते है , छोटे बोला ," वो कम से कम 15 से 20 होगे । नारायण हॉल में खडे़ अपनें बाकी दोस्तों को देखता है जो तीन लोग विशाल, अर्जुन , अमित , तीनों की हालत देख नारायण समझ जाता हैं की  इन लोगो को कितना मारा है उन्होने , नारायण को देख सभी लोग उसके पास आकर  बोले ," सॉरी भाई हमने उन्हें रुकने की बहुत कोशिश की लेकिन उनके पास लोहे की रोड थी और वे लोग काफी सारे थे , उन सबकी बात सुनकर नारायण  अमित के  महू से खून साफ़ करके बोला ," कोई बात नही तुमने कोशिश की अब देखो में उनकी क्या हालत करता हूं , इतना बोल वो मेन गेट की तरफ जानें लगता है और उसके पीछे बाकी सभी भी, अर्जुन जल्दी से आगे जाकर जीप लेकर  आ जाता हैं नारायण आगे बैठ जाता है और बाकी सभी पीछे , और अर्जुन जीप को उस पुरानी बिल्डिंग के बाहर  ले जाता हैं तेजी से शर्मा निवास   लक्ष्मी का रूम लक्ष्मी अपने बेड पर सो रही थी तभी उसकी मां अंदर रूम में आते हुए बोली ," लक्ष्मी बेटी उठ जा देख सुबह के 8 बज चुके हैं अरे तुझे अपना लास्ट पेपर देने नही जाना क्या और इतना बोल वो बेड पर बैठ कर लक्ष्मी के ऊपर से चादर हटा देती हैं अपनी मां की बात सुनकर और उनके ऐसा करने से लक्ष्मी नीद भरी आखों से उन्हे देख कर बोली ," मां में वैसे ही रात को लेट सोई थी पढ़ाई की बजे से तो आप मुझे थोड़ा और सोने दो ना , लक्ष्मी की मां मिस शर्मा अपनी बेटी के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोली ," हां बच्ची हमें सब पता है लेकिन तू पेपर में लेट जो जाएगी तो क्या फायदा हुआ तेरा इतनी पढ़ाई करने का दो घंटे बाद तेरा पेपर सिरू हो जाएगा  , अपनी मां की बात सुनकर लक्ष्मी अपनी नीद भरी आखों से ही बेड पर बैठ कर उनके गले लग कर बोलीं ," ओके मां आपकी बेटी की मेहनत खराब नही जाएगी और में जल्दी एक वकील बन कर आपके सामने खड़ी हुंगी , इतना बोल लक्ष्मी अपनी मां के गाल पर किस करके बाथरूम की तरफ भाग जाति है , मिस शर्मा  अपनी बेटी की बात सुनकर और उसे ऐसा करता देख मुस्कुरा कर बोली ," पागल लड़की, और फिर बेड से नीचे उतर कर बेड के विस्तर सही करने लगती हैं,  नीचे हॉल में सोफे पर मिस्टर शर्मा न्यूज पेपर पढ़ रहे थे तभी मेन गेट के आगे एक कार आकर रुकती हैं जिसकी आवाज़ सुनकर उनके चेहरे पर मुस्कान आ जाती हैं , और अपने चेहरे के आगे से न्यूज पेपर नीचे करके सामने मेन गेट से अंदर आ रहे एक हैंडसम लड़के को देख कर बोले ," आओ राहुल बेटा बैठो , शर्मा जी सामने सोफे की तरफ राहुल को बैठने का इशारा करके बोले , राहुल आ कर शर्मा जी के पैर छूते हुए बोला ," नमस्ते अंकल जी कैसे  हो आप , और सोफे पर बैठ जाता है मिस्टर शर्मा राहुल को देख थोड़े नाराजगी से बोले ," क्या बेटे तुम मुझे अभी भी अंकल बोलते हो और तुम जल्द ही इस घर के दामाद  बनने वाले हो तो मुझे अभी से डैडी जी बोलो ना , मिस्टर शर्मा की बात सुनकर राहुल के चेहरे पर मुस्कान आ जाती हैं और वो उनसे माफ़ी  मांगते हुए बोला ," सॉरी डैडी जी , तभी सीढ़ियों से मिस शर्मा नीचे आते हुए बोली ," अरे राहुल बेटे तुम आ गए रुको में तुम्हारे लिए कुछ  गरमा गर्म नाश्ता लेकर आती हूं , और इतना बोल वे किचन की ओर जाने लगती हैं , राहुल अपनें हाथ की घड़ी में टाइम देख कर बोला," रहने दीजिए मॉम  में घर से नाश्ता करके आया था और आप बस लक्ष्मी को जल्दी भेज दो हम लेट हो रहे हैं आज उसका लास्ट पेपर है ना तो सोचा में ही उसे उसके कोलेज छोड़ कर अपने ऑफीस निकल जाऊं, मिस शर्मा राहुल से बोल पाती उससे पहले   तैयार होकर सीढ़ियों से नीचे आ रही लक्ष्मी बोली ," हां मां रहने दो सच में हम बहुत लेट हो गए है और नीचे आकर अपनी मॉम डैड के पैर छू कर राहुल के साथ उसकी कार में नीकल जाती हैं आज के लिए बस इतना ही लक्ष्मी की शादी तो राहुल से ते है तो फिर नारायण से कैसे होगी,। किसी होगी लक्ष्मी और नारायण की पहली मुलाकद जनने के लिए पढ़े अगला भाग । लाईक करे                                      

  • 2. Forced Marriage - Chapter 2

    Words: 1232

    Estimated Reading Time: 8 min

    मुंबई के एक इलाके में, गरीबों की झोपड़ियाँ और सड़क के किनारे कई छोटी दुकानें थीं जिनसे वे अपना जीवन यापन करते थे। लेकिन यही इलाका गुंडागर्दी से भी ग्रस्त था। वे लोग मेहनत से पैसा नहीं कमाना चाहते थे और गरीब दुकानदारों को परेशान करते थे, जो मेहनत से थोड़ा-बहुत कमाकर अपने परिवारों का पालन-पोषण करते थे।

    आज भी कुछ लोग उन दुकानदारों से हफ्ता वसूल रहे थे। जिनके पास पैसे थे, वे दे रहे थे; जिनके पास नहीं थे, उन्हें मारा या उनकी दुकानें तोड़ी जा रही थीं। एक छोटी सी दुकान पर एक बूढ़ा व्यक्ति मिट्टी के खिलौने बेच रहा था। वह दुकान के आगे खड़ा होकर जोर-जोर से आवाज लगा रहा था। दुकान के अंदर, 8 से 10 साल की एक लड़की उन मिट्टी के खिलौनों को सजा रही थी ताकि लोग उन्हें जल्दी खरीद लें।

    बूढ़ा व्यक्ति पीछे मुड़कर अपनी बेटी को देखकर बोला, "बेटी, आज अगर अच्छी कमाई हुई ना, तो मैं तेरी स्कूल की फीस जमा कर दूँगा। फिर तो आराम से स्कूल जाना।"

    अपने बाबा की बात सुनकर बच्ची के चेहरे पर मुस्कान आ गई। उसे पढ़ने का बहुत शौक था, लेकिन पैसे की कमी के कारण वह स्कूल नहीं जा पाती थी। इसलिए उसने बाबा की दुकान पर आना शुरू कर दिया था ताकि वे जल्दी और ज़्यादा पैसे कमा सकें और वह स्कूल जा सके।

    अपनी बेटी के चेहरे पर मुस्कान देखकर, बूढ़ा व्यक्ति ऊपर देखकर भगवान से प्रार्थना करने लगा कि वह कुछ चमत्कार करे ताकि वह इतना पैसा कमा सके कि रोज़ अपनी बेटी को स्कूल भेज सके।

    यही प्रार्थना करते हुए, वह वापस सड़क पर जा रहे लोगों को आवाज़ लगाने लगा, "खिलौने लो! अच्छे और सुंदर-सुंदर खिलौने ले लो!"

    लेकिन पास से गुज़र रहे लोग उसकी दुकान की तरफ़ देख भी नहीं रहे थे।

    तभी, एक छोटी लड़की, अपनी माँ का हाथ पकड़कर दुकान के आगे से गुज़र रही थी, रुक गई। वह अपनी माँ के हाथ को हिलाते हुए बोली, "माँ, मुझे वो गुड़िया चाहिए!"

    अपनी बेटी की बात सुनकर, औरत भी रुक गई और सामने रखे मिट्टी के खिलौनों को देखकर अपनी बेटी से बोली, "नहीं बच्चा, वो जल्दी टूट जाएगी। हम अच्छी दुकान से ले लेंगे।"

    लेकिन छोटी लड़की जिद करने लगी।

    आखिर में, उसकी माँ उसे लेकर दुकान के पास ले आई और उस गुड़िया को दिखाते हुए बोली, "ये कितने की है?"

    बूढ़ा व्यक्ति बोला, "ज़्यादा नहीं बहन जी, सिर्फ़ 50 रुपये की।"

    औरत ने हाँ में सिर हिलाया और उसे पैक करवा लिया। जैसे ही वह 50 रुपये बूढ़े व्यक्ति को देने वाली थी, एक आदमी ने उसके हाथ से पैसे छीनकर बोला, "ये हो गया तेरा हफ्ता।"

    औरत जैसे ही कुछ बोलने वाली थी, उस आदमी के हाथ में चाकू देखकर, उसने अपनी बेटी का हाथ पकड़कर वहाँ से भाग गई।

    बूढ़ा व्यक्ति नीचे झुककर उस आदमी के आगे हाथ जोड़कर बोला, "भाई, ऐसा मत करो। ये मेरी दुकान की पहली कमाई है, जो चार देने से नहीं हुई थी। आप ये भी ले लोगे? मैं अपना घर का खर्चा कैसे निकालूँगा?"

    वो आदमी बूढ़े व्यक्ति को दूर धक्का देकर बोला, "हट ना चाचा! सुबह-सुबह अपना दिमाग खराब नहीं करने का।"

    उस आदमी के साथी भी आस-पास की दुकानों से हफ्ता वसूल रहे थे। दुकान के अंदर, बच्ची अपने बाबा को ऐसा करते हुए देख रही थी।

    बूढ़ा व्यक्ति फिर उस आदमी के पैर पकड़कर रोते हुए बोला, "नहीं भाई, कम से कम कुछ पैसा तो देकर जाओ।"

    वो आदमी अपने पैर छोड़ने की कोशिश करते हुए बोला, "अरे चाचा! मरना चाहता है क्या कुछ पैसों के लिए?"

    और फिर आस-पास खड़े अपने साथियों को देखकर बोला, "अरे हटाओ इसको मेरे पैरों से, नहीं तो सुबह-सुबह एक खून हो जाएगा मेरे हाथों से।"

    अपने लीडर की बात सुनकर, चार आदमी आगे आकर बूढ़े व्यक्ति को पकड़कर उसके लीडर से दूर कर दिया और बोले, "चाचा, तू मर जाएगा अगर अपने बॉस को गुस्सा आ गया तो।"

    बच्ची बहुत डर गई थी और दुकान में ही एक कोने में बैठ गई।

    बूढ़ा व्यक्ति सभी से अपने हाथ छुड़ाकर फिर उस आदमी के आगे आकर हाथ जोड़कर बोला, "भाई, हम गरीब लोगों को परेशान करके आपको क्या मिलेगा?"

    वो आदमी बोला, "देख, अब अपना दिमाग खराब हो रहा है..." और उसने अपना चाकू बूढ़े व्यक्ति के पेट में मार दिया।

    बूढ़े व्यक्ति की चीख निकल गई। सभी लोग आस-पास खड़े यह देखकर डर के मारे इधर-उधर भाग गए।

    बूढ़ा व्यक्ति दर्द में जमीन पर गिर पड़ा और अपने पेट से चाकू निकालकर उस आदमी को देखकर बोला, "ये तूने क्या किया? अब मेरी बच्ची का ध्यान कौन रखेगा?" इतना बोलकर वह मर गया।

    बूढ़े व्यक्ति के मरने के बाद, एक आदमी अपने लीडर के पास आकर बोला, "बॉस, आपने ये क्या किया? दो दिन पहले ही तो आप जेल से रिहा होकर आए थे।"

    अपने आदमी की बात सुनकर, लीडर के चेहरे पर परेशानी के भाव आ गए। तभी दूसरे आदमी ने बोला, "बॉस, आप निकलो यहाँ से। पुलिस को हम लोग देख लेंगे।"

    तभी एक आदमी एक जीप लेकर आया और बोला, "बॉस, जल्दी बैठो। पुलिस के आने से पहले हमें यहाँ से निकलना होगा।"

    लीडर कुछ साथियों के साथ जीप में वहाँ से भाग गया। एक-दो आदमी आस-पास भाग गए।

    गुंडों के जाने के बाद, बच्ची दुकान से बाहर आई और देखा कि उसकी दुकान के आगे भीड़ जमा थी। उसे अपने बाबा दिखाई नहीं दे रहे थे। भीड़ में से निकलकर जब उसने देखा कि उसके बाबा जमीन पर पड़े हुए हैं और उनके पेट से खून निकल रहा है, तो वह रोते हुए नीचे बैठ गई और अपने बाबा के चेहरे को छूकर रोते हुए उन्हें उठने को कहने लगी।

    आस-पास खड़े लोगों की आँखों में आँसू आ गए।

    तभी पुलिस की जीप आई और उन्होंने भीड़ को हटाकर उनसे पूछा कि खून किसने किया, लेकिन किसी ने कुछ नहीं बोला।

    और उसी समय नारायण और उसके दोस्त वहाँ आ गए।

  • 3. Forced Marriage - Chapter 3

    Words: 1137

    Estimated Reading Time: 7 min

    एक दुकान पर एक बूढ़ा व्यक्ति मिट्टी के खिलौने बेच रहा था। कुछ लोग वहाँ हफ़्ता वसूली के लिए आए और इनके लीडर ने बूढ़े व्यक्ति के पेट में चाकू मारकर भाग गया। बूढ़े के मारे जाने के बाद वहाँ पुलिस की जीप और नारायण अपने दोस्तों के साथ आ गया।

    वो छोटी बच्ची अपने बाबा के सीने पर सिर रखकर रो रही थी।

    पुलिस ने जब सब से पूछा कि किसने इस आदमी को मारा, तो सब लोग ना में सिर हिला दिए।

    यह देख पुलिस वहाँ से जाने लगी।

    यह सब देख रहे नारायण और उसके दोस्तों को सब पता था कि यह किसने किया। नारायण ने पुलिस वाले को आवाज़ लगाकर बोला, "सर, रुको!" उसके पास आकर बोला, "तुम कहाँ जा रहे हो? पहले जाओ उस जीतू दादा को पकड़ो जिसने इसे मारा।"

    नारायण की बात सुनकर वो पुलिस वाला बोला, "क्या तुमने उसे इसका खून करते हुए देखा?"

    नारायण ने ना में सिर हिलाकर बोला, "नहीं, तो लेकिन यह जितने लोग हैं, इन सब ने देखा है।"

    नारायण ने आस-पास खड़े लोगों को देखकर बोला।

    नारायण की बात सुनकर वो पुलिस वाला बोला, "लेकिन ये लोग मना कर रहे हैं।"

    नारायण फिर बूढ़े व्यक्ति के पास आकर बोला, "क्या अंकल, आप अच्छी तरह जानते हैं, आपने सब देखा है तो बताइए इस पुलिस वाले को।"

    वो बूढ़ा व्यक्ति बोला, "नहीं, मैंने कुछ नहीं देखा।" और वहाँ से भाग गया। इस तरह सब भाग गए थे। वो पुलिस वाला भी निराशा में अपना सिर हिलाकर बोला, "इन लोगों का कुछ नहीं हो सकता।"

    और वो भी अपने हवलदारों के साथ जीप में बैठकर वहाँ से निकल गया।

    छोटे ने नारायण के पास आकर बोला, "भाई, अब हम क्या करें? ये लोग खुद नहीं चाहते हैं कि उन्हें उस गुंडे से आजादी मिले।"

    और उनके पास विशाल, अमित, अर्जुन भी आकर खड़े हो गए।

    सभी सोच रहे थे कि वो कैसे इन लोगों के मन से डर खत्म करें।

    तभी वो बच्ची, जो अपने बाबा के सीने पर सिर रखकर रो रही थी, वो उठकर नारायण के पास आकर उसका पैर पकड़कर बोली, "अंकल, उसे मत छोड़ना जिसने मेरे बाबा को मार दिया।"

    उस बच्ची को ऐसा करते देखकर और उसकी बात सुनकर सभी नारायण की तरफ़ देखने लगे। नारायण ने उस बच्ची को पकड़कर अपनी गोद में लेकर बोला, "आपने देखा उसे जिसने आपके बाबा को मारा है?"

    नारायण की बात सुनकर वो बच्ची अपना छोटा सा सिर हाँ में हिला दी।

    यह देख नारायण बोला, "अब देखो बच्चा, कैसे आपके अंकल उस धूर्त को मारते हैं।"

    और फिर छोटे को देखकर बोला, "छोटे, जा जीप लेकर आ। आज उसे सज़ा अपना देंगे।"

    अपने भाई की बात सुनकर छोटे जल्दी से चला गया।

    नारायण फिर उस बच्ची के आँखों से आँसू साफ़ करके बोला, "रो मत बच्चा, मैं आपके बाबा को जिसने मारा है, उसे नहीं छोड़ने वाला।"

    इतना बोलकर वो बच्ची को अर्जुन को देते हुए अर्जुन, विशाल और अमित से बोला, "तुम लोग बाबा के अंतिम संस्कार की तैयारी करो। मैं उसे जीतू दादा को यमलोक पहुँचाकर आता हूँ।"

    अर्जुन उस बच्ची को लेकर हाँ में सिर हिला दिया।

    तब तक छोटे जीप लेकर आ गया। आगे की सीट पर बैठकर नारायण और छोटे चले गए।

    और विशाल, अमित नारायण ने जैसा बोला था वैसे ही अंतिम संस्कार की तैयारी करने लगे।

    आस-पास के लोग भी जमा होकर यह सब देख रहे थे। उन्हें बुरा लग रहा था कि उन्होंने पुलिस को कुछ नहीं बताया, लेकिन वे लोग इनके अंतिम संस्कार में तो जा ही सकते हैं। यही सोच सभी लोग अपनी दुकान बंद कर विशाल और अमित के साथ काम करने लगे।

    अर्जुन उस बच्ची को अपनी गोद में लिए हुए था।

    वो बच्ची की आँखों में नमी थी, लेकिन वो अब रो नहीं रही थी।

    और फिर सभी उस बच्ची के बाबा की अंतिम यात्रा शुरू कर देते हैं।

    दूसरी तरफ़...

    छोटे तेज़ी से रोड पर जीप भगा रहा था और वो पूरे शहर में जीतू दादा और उसके आदमियों की तलाश कर रहे थे, 2 घंटे से।

    तभी एक रोड पर उनकी जीप रेड लाइट देख रुकती है।

    छोटे ने अपने पास बैठे नारायण को देखकर बोला, "भाई, मुझे लगता है कि वे लोग कहीं भाग गए।"

    नारायण ने अपना सिर हिलाकर बोला, "हाँ, मुझे भी ऐसा ही लग रहा है। चल, जीप को वापिस मोड़ दे।"

    छोटे ने हाँ में सिर हिला दिया।

    और वो जीप चालू कर जैसे ही साइड में मोड़ता है, तो उन्हें जीतू दादा और उसके साथी एक जीप में दिखाई देते हैं।

    यह देख छोटे जल्दी से बोला, "भाई, वो रहे वे लोग!"

    और फिर जीप को बीच रास्ते में ही रोक देता है।

    नारायण उस तरफ़ देखता है और जीतू को देख उसकी आँखें गुस्से से लाल हो जाती हैं।

    और वो जीप से उतरकर रोड के साइड में रोकी गई जीतू दादा की जीप के पास जाने लगता है, अपनी गन हाथ में लेकर।

    आस-पास जितने भी वाहन थे, वो वहीं रुक जाते हैं।

    और वहाँ के लोग यह नज़ारा देखने लगते हैं।

    नारायण उनकी जीप के पास आकर जीतू दादा को उसकी शर्ट की कॉलर से पकड़कर जीप से नीचे उतारकर बोला, "बहुत शौक़ है ना तुझे लोगों को मारने का?"

    नारायण को देख जीतू उसके हाथ से अपनी शर्ट की कॉलर छोड़ने की कोशिश करते हुए बोला, "देख, तू अपनी शर्ट की कॉलर छोड़, नहीं तो..."

    उसके सभी साथी भी आकर नारायण और अपने बॉस को चारों तरफ़ से घेरकर खड़े हो गए थे।

    नारायण जीतू के सिर पर अपनी गन पॉइंट करके सभी से बोला, "किसी ने भी एक कदम आगे बढ़ाया तो यहीं इसकी खोपड़ी उड़ा दूँगा, समझे क्या?"

    नारायण को ऐसा करते देख सभी लोग दो कदम पीछे हो जाते हैं।

    यह नज़ारा सभी लोग देख रहे थे। कुछ लोग कार में बैठकर, तो कुछ अपनी बाइक पर, और कुछ लोग एक बस में; उसमें भी सभी लोग यह नज़ारा देख रहे थे। उस बस की लास्ट और बीच वाली सीट पर लक्ष्मी बैठी हुई थी, जो अपना पेपर देकर घर जा रही थी बस में।

    आज के लिए बस इतना ही...

    क्या नारायण जीतू को मार देगा?

    और क्या होने वाला है? इन दोनों की पहली मुलाक़ात होने वाली है, जो बनेगी इनकी जबरदस्ती शादी की।

    आगे क्या होगा, जानने के लिए पढ़ें अगला भाग।

  • 4. Forced Marriage - Chapter 4

    Words: 1158

    Estimated Reading Time: 7 min

    नारायण ने अमित, विशाल और अर्जून को उस बूढ़े व्यक्ति की अंतिम यात्रा शुरू करने को कहा और स्वयं छोटे के साथ जीतू दादा को ढूँढने निकल गया। एक रोड के किनारे उसे जीतू अपने दोस्तों के साथ दिखाई दिया। वहाँ जाकर उसने अपनी गन जीतू के माथे पर टिका दी।


    लक्ष्मी बस में बैठी थी, मुस्कुराते हुए राहुल से कॉल पर बात कर रही थी। उसे इस बात का ध्यान ही नहीं था कि बस क्यों रुकी हुई है। उसे लगा कि बस सिंगल नहीं होगी।


    राहुल अपने ऑफिस के केबिन में अपनी कुर्सी पर बैठा था, हाथ में फ़ोन था। वह लक्ष्मी से प्यार भरी बातें कर रहा था और अपनी जल्द होने वाली शादी की बात कर रहा था।

    "सॉरी लक्ष्मी, मैं तुम्हें लेने नहीं आ पाया। तुम्हारे कॉलेज से बस में जाना पड़ रहा है," राहुल बोला।


    "कोई बात नहीं राहुल, हमें कोई प्रॉब्लम नहीं हुई। और वैसे भी आपका काम बहुत ज़रूरी है। हर बार आप अपना काम छोड़कर मुझे पिक करने आएंगे तो हमें बहुत बुरा लगेगा। हम उस तरह की लड़की नहीं हैं जो अपने पति या BF को अपने आगे-पीछे घुमाकर उसे परेशान करें। आप मेरे लिए निश्चिंत होकर काम करो," लक्ष्मी ने कहा।


    "मैं बहुत लकी हूँ कि तुम मेरी जीवन साथी बनने जा रही हो," राहुल मुस्कुराते हुए बोला।


    "हाँ, और हम भी," लक्ष्मी मुस्कुराकर बोली।


    "अब तो हमें उस दिन का इंतज़ार है जब तुम सदा के लिए हमारी हो जाओगी," राहुल अपनी सीट पर पीछे टेककर बोला।


    लक्ष्मी का चेहरा शर्म से लाल होने लगा। "हमें भी उस पल का इंतज़ार है," उसने मुस्कुराकर कहा।


    राहुल लक्ष्मी से मुस्कुराकर बात कर ही रहा था कि तभी उसके केबिन का गेट खुला और एक खूबसूरत लड़की, छोटी ड्रेस पहनकर, अंदर आ गई।


    राहुल ने अपने होठों पर उंगली रखकर उसे कुछ भी नहीं बोलने का इशारा किया।


    उस लड़की को राहुल का किसी और लड़की से बात करते देख थोड़ा बुरा लगा। वह धीरे-धीरे चलकर राहुल के पास आई, उसकी गोद में बैठ गई और उसके चेहरे पर अपनी उंगली फेरते हुए, उसके शर्ट के बटन खोलकर उसके गालों पर किस करने लगी।


    राहुल ने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे खुद से चिपका लिया और मुस्कुराकर उसे देखने लगा।


    दूसरी तरफ, इस बात से अनजान लक्ष्मी बोली, "राहुल जी, जब से आप हमारी लाइफ में आए हो, हमारा हर काम इतनी आसानी से हो जाता है कि हम खुद हैरान हो जाते हैं। क्या प्यार के आने से सभी की लाइफ इतनी आसान हो जाती है?"


    लक्ष्मी राहुल के बारे में सोचकर बोली।


    राहुल और वह लड़की, जो राहुल की गोद में बैठी उससे प्यार कर रही थी, दोनों मुस्कुराने लगे। उन्हें लक्ष्मी और उसकी बातों पर हँसी आ रही थी।


    राहुल लक्ष्मी को ऐसा नहीं बता सकता था, इसलिए उसने नाटक करते हुए कहा, "हाँ लक्ष्मी बेबी, तुम सही बोल रही हो। मेरे साथ भी ऐसा ही कुछ हो रहा है।"


    अपने लिए "बेबी" शब्द सुनकर लक्ष्मी का चेहरा शर्म से लाल हो गया।


    वह लड़की गुस्से से राहुल को देखकर उसके कान पर अपने दाँतों से हल्का सा काट लिया। राहुल की मुँह से हल्की सी चीख निकल गई।


    यह सुनकर लक्ष्मी बहुत घबरा गई। "क्या हुआ है राहुल जी? आपको क्या हुआ? आप ठीक हो?" उसने डरते हुए पूछा।


    राहुल ने पहले अपनी गोद में बैठी लड़की को घूरकर देखा, फिर मुस्कुराकर लक्ष्मी से बोला, "अरे आप चिंता मत करो बेबी, हम ठीक हैं। वो टेबल के नीचे एक कील बाहर निकली हुई थी, उसी पर हाथ लग गया था।"


    लक्ष्मी बोली, "ओह, क्या कील ज़्यादा बड़ी थी? आपको ज़्यादा लगी हो तो डॉक्टर के पास चले जाओ।"


    राहुल ने अपनी गोद में बैठी लड़की के होठों पर किस करके मुस्कुराते हुए कहा, "हाँ बेबी, कील बड़ी थी लेकिन ज़्यादा नहीं लगी। डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत नहीं है।"


    वह लड़की की आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं, "कील" शब्द सुनकर। फिर वह राहुल के होठों पर किस करने लगी।


    "अच्छा, ऐसा है तो आप बाद में ध्यान से डॉक्टर से चेक करा लेना," लक्ष्मी बोली।


    राहुल ने उस लड़की का चेहरा खुद से दूर करके कहा, "हाँ ज़रूर बेबी, अभी मुझे कुछ काम है तो मैं आपसे बाद में बात करता हूँ।"


    "जी हाँ, हमें ध्यान ही नहीं रहा कि आप जॉब पर हो। ठीक है, आप काम करो पूरे मन से, फिर फ्री होकर बात करना," लक्ष्मी मुस्कुराकर बोली।


    राहुल ने अपनी गोद में बैठी लड़की के होठों पर किस करके कहा, "हाँ ज़रूर, मैं अपने पूरे मन से काम करूँगा।"


    वह लड़की शर्माकर अपना सिर नीचे कर ली।


    राहुल ने कॉल काटकर अपना फ़ोन टेबल पर रखा, उस लड़की को गोद में लेकर कुर्सी से खड़ा हुआ और बोला, "चलो टीना बेबी, आज तुम्हें बहुत प्यार करना है। मेरी लक्ष्मी ने बोला है।"


    वह उसे लेकर अंदर रूम में चला गया और रूम का गेट बंद कर दिया।


    कॉल कटने के बाद भी लक्ष्मी के चेहरे से मुस्कान नहीं जा रही थी। उसे ऐसा लग रहा था कि उसे दुनिया का सबसे अच्छा प्यार करने वाला लड़का मिल गया है, जो जल्द ही उसका पति बनने वाला है।


    लक्ष्मी इस बात से अनजान थी कि वह जिसे दुनिया का सबसे अच्छा मंगेतर कह रही है, वह उसकी पीठ पीछे अपने ऑफिस के केबिन में किसी और लड़की के साथ मज़े कर रहा है।


    तभी मीरा के कान में एक आदमी की आवाज़ आई, जो बस चालक था। बाहर एक आदमी अपने हाथ में बंदूक लेकर कुछ आदमियों को मार रहा था और उन्हें डरा रहा था। लगता था कोई आतंकवादी या कोई बड़ा गैंगस्टर है।


    उस आदमी की बात सुनकर बस में जितने भी लोग थे, वे बहुत डर गए।


    आज के लिए बस इतना ही। क्या लक्ष्मी को कभी पता चलेगा राहुल के बारे में? और क्या होगा जब लक्ष्मी और नारायण का आमना-सामना होगा?

  • 5. Forced Marriage - Chapter 5

    Words: 1057

    Estimated Reading Time: 7 min

    बस में लक्ष्मी पीछे की सीट पर बैठकर राहुल से फ़ोन पर बात कर रही थी। प्यार भरी बातें हो रही थीं, वह इस बात से अनजान थी कि राहुल इस समय किसी लड़की के साथ है। राहुल ने फिर काम का बोलकर कॉल काट दी और टीना नाम की उस लड़की को लेकर कमरे में चला गया।

    उस आदमी की बात सुनकर बस में बैठे सभी लोग डर गए। लक्ष्मी कुछ सोचकर अपनी सीट से खड़ी हुई और बस के गेट के पास आकर बस वाले से पैसा देकर बोली, "लो भाई, मैं पैदल ही चल जाऊँगी।"

    वो आदमी लक्ष्मी से पैसा लेकर बोला, "मैडम, थोड़ा संभलकर जाना, बाहर का माहौल खतरनाक है।"

    "भैया, मैं एक वकील बनने वाली हूँ, तो मुझे इस तरह के लोगों से रोज़ निपटना होगा।" इतना बोलकर वह बस से उतर गई और बस वाला उसे जाते हुए देखता रहा।

    लक्ष्मी आगे बढ़ी तो वहाँ कुछ लोगों की भीड़ थी। उसने अपना फ़ोन निकालकर पुलिस को कॉल किया और बताया, "यहाँ एक आदमी बंदूक लेकर पब्लिक को परेशान कर रहा है, कुछ लोगों को मार भी रहा है।" इतना बोलकर लक्ष्मी ने कॉल काट दी और भीड़ से निकलकर देखा तो वहाँ एक गुंडा जैसा दिखने वाला आदमी एक आदमी को जमीन पर गिराकर मार रहा था। आस-पास खड़े कुछ लोग उसे रोकने के लिए आते तो वह उन्हें भी मारता था।

    यह देख लक्ष्मी और बाकी सब हैरान थे कि आखिर एक आदमी कैसे सभी को मार रहा है। आखिर में सभी को बुरी तरह घायल करके वह आदमी, नारायण, जमीन पर पड़े जीतू दादा के पास आया और अपनी बंदूक उसकी तरफ करके बोला, "तुझे बहुत शौक है ना लोगों को मारने का?"

    इतना बोलकर जैसे ही वह अपनी बंदूक से गोली चलाने वाला था, तभी एक लड़की आकर उसका हाथ पकड़कर बंदूक उसके हाथ से छीन ली और उसके गाल पर जोरदार थप्पड़ मार दिया।

    यह देख सभी हैरान रह गए। छोटे, जो अपनी जीप में बैठा था, अपने भाई के गाल पर किसी लड़की द्वारा थप्पड़ पड़ता देख शॉक में था। आज तक किसी ने उसके भाई को हल्का सा भी टच नहीं किया था, और आज एक लड़की ने उसके गाल पर थप्पड़ मार दिया था।

    इधर, नारायण अपने गाल पर हाथ रखकर सामने खड़ी लड़की को देख रहा था। वह लड़की यानी लक्ष्मी गुस्से से नारायण को देखकर बोली, "तुम कौन हो किसी को सजा देने वाले? और बीच रोड पर मारपीट करना अपराध है।"

    नारायण अपने सामने खड़ी लड़की के चेहरे में खो सा गया था क्योंकि उसे देखकर उसे अपने पहले प्यार की याद आ रही थी। लेकिन फिर उसकी बात सुनकर बोला, "तू कौन होती है, अपन को यह सब करने से रोकने वाली? और अपन की गन दे, आज अपन इसे नहीं छोड़ने वाला।"

    नारायण लक्ष्मी के हाथ से अपनी गन वापस लेकर नीचे जमीन पर देखा तो जीतू वहाँ नहीं था। फिर सामने देखा तो जीतू अपने साथियों के साथ जीप में बैठकर भाग रहा था।

    यह देख नारायण का चेहरा गुस्से से लाल हो गया और वह एक नज़र घूरकर लक्ष्मी को देखता है और फिर छोटे के पास जीप में बैठने के लिए जाने लगा।

    तभी पुलिस की जीप आ गई। लक्ष्मी पुलिस को देखकर जल्दी से उनके पास गई और बोली, "सर, मैं ही हूँ जिसने आपको कॉल किया था। यह आदमी जो जा रहा है, इसने कुछ लोगों को मारा है और अपनी बंदूक से सभी को डरा रहा था।"

    लक्ष्मी की बात सुनकर नारायण के कदम बीच में रुक गए और वह हैरानी और थोड़े गुस्से में पलटकर लक्ष्मी को देखता है, जो उसे गुस्से से देख रही थी। यह देख नारायण की मुट्ठियाँ कस गईं।

    पुलिस वाला नारायण और उसके हाथ में बंदूक देखकर पास खड़े हवलदार से बोला, "इसे गिरफ्तार करके इस जीप में डालो। मैं इसकी सारी गुंडागर्दी लॉकअप में उतारता हूँ।"

    पुलिस वाले की बात सुनकर वह हवलदार नारायण को देख समझ गया कि वह कौन है, लेकिन पुलिस वाला इस शहर में नया आया था इसलिए वह नहीं जानता था कि नारायण कौन है। वह हवलदार डरते हुए बोला, "साहब, छोड़ो ना, मैडम को गलतफहमी हुई होगी।"

    वो पुलिस वाला, जो लक्ष्मी को थैंक्स बोल रहा था, हवलदार की बात सुनकर बोला, "कैसी गलतफहमी? क्या तुम्हें दिखाई नहीं दे रहा है? उसके हाथ में बंदूक है और आस-पास का माहौल कितना डरा हुआ था इस आदमी के कारण।"

    वो हवलदार एक नज़र नारायण को देखता है जो गुस्से में खड़ा हुआ था। यह देख उसकी हिम्मत नहीं हुई कि वह उसके हाथ में हथकड़ी पहना सके।

    हवलदार को डरता हुआ देखकर वह पुलिस वाला उसके हाथ से हथकड़ी लेकर बोला, "तुम्हें पुलिस में किसने भर्ती किया है जो एक छोटे से गुंडे से डर रहे हो?" इतना बोलकर वह नारायण के पास आकर उसके हाथों से गन छीनकर उसके हाथों में हथकड़ी पहनाने लगा।

    नारायण लक्ष्मी को गुस्से से देख रहा था, जो टेढ़ी मुस्कान से उसे देख रही थी। छोटे नारायण और उस पुलिस वाले के पास आकर उससे बोला, "इंस्पेक्टर, तुझे पता भी है तू किसे गिरफ्तार कर रहा है? तेरी नौकरी चली जाएगी।"

    वो हवलदार भी पुलिस वाले को समझाता है, लेकिन वह पुलिस वाला किसी की सुने बिना नारायण को गिरफ्तार करके उसे पुलिस जीप में बैठाकर लक्ष्मी के पास आया और उससे हाथ मिलाते हुए बोला, "थैंक्स मैडम। आप जैसे लोगों के कारण ही कानून का सभी लोग पालन करते हैं।"

    लक्ष्मी मुस्कुरा कर बोली, "सर, ऐसा करना मेरा कर्तव्य था।"

    इतना बोलकर लक्ष्मी टैक्सी लेकर निकल गई। और पुलिस वाला नारायण को गिरफ्तार करके जीप में पुलिस थाने ले गया और उसके पीछे छोटे भी जीप लेकर गया और किसी को कॉल करता है।

  • 6. Forced Marriage - Chapter 6

    Words: 1142

    Estimated Reading Time: 7 min

    लक्ष्मी ने बस से उतरकर पुलिस को कॉल किया और नारायण को गिरफ्तार करवा दिया। जीतू दादा और उसके आदमी पहले ही भाग गए थे। पुलिस नारायण को थाने ले गई।


    पुलिस चौकी में नारायण हवालात में बंद था और एक पुलिस वाला अपनी कुर्सी पर बैठा काम कर रहा था। तभी छोटे ने एंट्री की, और उसके पीछे वकीलों की एक लाइन लगी हुई थी।

    गेट पर खड़े दो हवलदार वकीलों की गिनती करने लगे। 10 वकीलों को एक साथ अंदर आते देख वे दोनों हैरान हो गए। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ऐसा कौन सा ताकतवर व्यक्ति है जिसने इतने वकील एक साथ पुलिस चौकी में खड़े कर दिए हैं।

    छोटे ने सभी वकीलों को उस इंस्पेक्टर के सामने खड़ा करके कहा, "लो, बताओ इन्होंने किसे गिरफ्तार किया है?"

    छोटे की बात सुनकर सभी वकीलों ने नारायण की ज़मानत के पेपर उस इंस्पेक्टर के सामने रखते हुए कहा, "लो, ये रहे पेपर। अब हमारे क्लाइंट को छोड़ दीजिए।"

    वो इंस्पेक्टर यह सब देखकर हैरान था। उसने पेपर उठाकर नाम पढ़ा: नारायण ठाकुर।

    वह थोड़ा कन्फ्यूज हो गया कि नारायण ठाकुर कौन है।

    तभी छोटे ने हँसते हुए कहा, "अरे साहब, आप रहने दीजिये। आपकी इतनी औकात नहीं है कि आप अपने भाई को पहचान पाएँ। आप बस अपने भाई को जल्दी छोड़ दीजिए।"

    छोटे की बात सुनकर वो इंस्पेक्टर एक हवलदार को ऐसा करने के लिए कहने ही वाला था कि हवलदार ने लॉकअप का गेट खोल दिया।

    यह देखकर वो इंस्पेक्टर एक नज़र उस हवलदार को देखा और फिर नारायण को, जो उसके पास आकर खड़ा हो गया था।

    उस इंस्पेक्टर ने रजिस्टर पर नारायण को साइन करने को दिया और कहा, "आगे से तू मेरे एरिया में ऐसा करता हुआ दिखा तो तुझे वहीं ठोक दूंगा।"

    उस इंस्पेक्टर की बात सुनकर नारायण ने अपनी हाथ में ली पेन नीचे रखकर पास रखी बंदूक उठाई और कहा, "चिंता मत कर, आगे से यह एरिया, कोई एरिया तेरा नहीं होगा।"

    इतना बोलकर वह सीधा पुलिस चौकी से बाहर निकल गया। उसके पीछे छोटे ने जाते हुए कहा, "दो मिनट बाद तेरा फ़ोन बजेगा। तब तुझे भाई के कहने का मतलब समझ आएगा, अभी नहीं।"

    फिर सभी वकील भी उस इंस्पेक्टर से हाथ मिलाकर पुलिस चौकी से बाहर निकल गए।

    तभी उसका फ़ोन बजा। जैसे ही उसने कॉल रिसीव की, डीएसपी सर बोले, "ओ इंस्पेक्टर! तुने किसे गिरफ्तार किया था? तुझे पता भी है तेरी वजह से मुझे कितनी सुननी पड़ी?"

    डीएसपी सर की बात सुनकर वो इंस्पेक्टर बोला, "लेकिन सर, वो आदमी पब्लिक को डरा-धमका रहा था।"

    डीएसपी सर बोले, "अरे, तो क्या हुआ? उस व्यक्ति के बाप की पावर बहुत ऊपर तक है और मुझे तेरे ट्रांसफर के ऑर्डर मिल गए हैं। तो अपना बैग पैक कर, निकल जा इस शहर से। इसी में तेरी भलाई है।"

    इतना बोलकर डीएसपी सर ने कॉल काट दिया।

    वो इंस्पेक्टर अपना सिर पकड़कर बैठ गया।

    आस-पास खड़े हवलदार यह देखकर समझ गए कि उनके सर को किसी बड़े व्यक्ति को गिरफ्तार करने की सज़ा मिली है।

    पुलिस चौकी के बाहर नारायण सीधा सामने खड़े व्यक्ति के पास आकर बोला, "आपको क्या ज़रूरत थी यह सब करने की?"

    वो बूढ़ा व्यक्ति बोला, "तेरा दादा हूँ मैं। मुझे ऐसा करने से कौन रोक सकता है? और अब घर चल, तेरे बाप से मैं बात कर लूँगा। वो तुझे घर के अंदर आने देगा।"

    अपने दादा की बात सुनकर नारायण ने गहरी साँस लेकर कहा, "नहीं दादू, मैं आपके साथ घर नहीं जा सकता, क्योंकि वहाँ सबकी नज़रों में मैं सिर्फ़ एक गुंडा हूँ। और आप मुझसे वादा कीजिए कि आगे से आप खुद नहीं आएंगे मुझे रिहा कराने।"

    वो बूढ़ा व्यक्ति दुखी होकर बोला, "तुम बाप-बेटे की लड़ाई में और पूरा घर वाले परेशान रहते हैं। और तेरी माँ भी बहुत उदास रहती है। कभी उससे मिलने आ जाया कर।"

    नारायण बोला, "ठीक है, आऊँगा, लेकिन अभी नहीं। अभी कुछ ज़रूरी काम करना है।"

    वो बूढ़ा व्यक्ति मुस्कुरा कर नारायण के सिर पर हाथ फेरते हुए बोला, "ठीक है, जल्दी आना। मुझे तेरा इंतज़ार रहेगा। इस बार दिवाली तेरे साथ मनाना है, और तू पास होगा तो अच्छा लगेगा।"

    इतना बोलकर वह अपनी कार में बैठकर चले गए। उनके पीछे सभी वकील भी अपनी-अपनी गाड़ी से निकल गए।

    छोटे ने फिर जीप नारायण के सामने लाई। नारायण उसमें बैठकर बोला, "तुझे क्या ज़रूरत थी घर पर फ़ोन करके यह बताने की कि पुलिस ने मुझे गिरफ्तार कर लिया है?"

    छोटे ने नारायण की बात सुनकर हल्का सा मुस्कुराया, जीप चालू की और उसे पुरानी बिल्डिंग की तरफ ले गया।


    शर्मा निवास में लक्ष्मी टैक्सी से उतरकर घर के अंदर आई। उसे एक लड़का सामने सोफे पर बैठा हुआ मोबाइल में कुछ करते हुए दिखाई दिया।

    उसे देखकर लक्ष्मी हैरानी से बोली, "तू कब आया?"

    लक्ष्मी की आवाज़ सुनकर वो लड़का अपना सिर ऊपर करके उसे देखकर खड़ा हुआ और उसके पास आते हुए बोला, "दीदी।"

    इतना बोलकर वह एकदम से लक्ष्मी के गले लग गया।

    लक्ष्मी ने अपने छोटे भाई आरव के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, "कैसा है आरव मेरे भाई? तेरी बहुत याद आई मुझे।"

    आरव लक्ष्मी से दूर होकर बोला, "दीदी, वहाँ हॉस्टल में आपकी याद मुझे बहुत आती थी। अगर डैडी मुझे नहीं बोलते तो मैं खुद भागकर आता।"

    लक्ष्मी ने उसके सिर पर मारते हुए कहा, "कुछ भी मत बोला कर। मुझे पता है तू मुझे कितना याद करता होगा, नौटंकी कहीं का।"

    और उसका हाथ पकड़कर सोफे पर बैठकर बोली, "चल, मुझे अब तू बता वहाँ तूने क्या-क्या किया और कोई तुझे परेशान तो नहीं करता था?"

    लक्ष्मी की बात सुनकर आरव ने ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं, वहाँ पर सभी लोग अच्छे हैं।"

    लक्ष्मी मुस्कुराकर बोली, "तो फिर अच्छा है।"

    तभी आरव लक्ष्मी का हाथ पकड़कर बोला, "दीदी, आप उस राहुल से क्यों शादी कर रही हो? वो अच्छा आदमी नहीं है।"

    लक्ष्मी कुछ बोल पाती, उससे पहले मिस शर्मा किचन से आते हुए गुस्से से बोली, "तू क्यों इस तरह की बात बोल रहा है? तभी तेरे पापा तुझे लक्ष्मी की शादी में नहीं बुला रहे थे।"

    आरव ने ऐसा क्यों बोला राहुल के बारे में? आगे क्या होगा, जानने के लिए पढ़े अगला भाग।

  • 7. Forced Marriage - Chapter 7

    Words: 1131

    Estimated Reading Time: 7 min

    छोटे नारायण को उसके दादा जी की मदद से लॉकअप से बाहर निकाला गया। नारायण ने अपने दादा जी से कहा कि वह अभी घर नहीं जा रहा है, बाद में आएगा। फिर वह छोटे के साथ निकल गया। दूसरी ओर, लक्ष्मी जब घर आई, तो उसने देखा कि उसका भाई आरव आया है। आरव ने लक्ष्मी से पूछा, "क्यों राहुल से शादी कर रही है?"

    अपनी माँ की गुस्से भरी बात सुनकर आरव बोला, "लेकिन मॉम, मैंने क्या गलत बोला? मुझे नहीं पसंद वो आदमी।"

    मीना जी अपने बेटे आरव की बात सुनकर गुस्से से बोलीं, "आरव, तुम इतने बिगड़ गए हो कि अब अपने होने वाले जीजा के बारे में इस तरह की बात कर रहे हो। मुझे तुम्हारे पिता से जिद कर तुम्हें अपनी बहन की शादी में बुलाना ही नहीं चाहिए था।"

    अपनी माँ की बात सुनकर लक्ष्मी हैरान होकर बोली, "माँ, आप ऐसा कैसे बोल सकती हो? वो भाई है मेरा। मेरी शादी के समय वो नहीं होगा तो कौन होगा?"

    मीना जी आरव को घूरकर देखते हुए बोलीं, "तो फिर समझा इस पागल लड़के को। अगर अब इसने यहाँ तेरी शादी के समय कुछ भी उल्टा-सीधा बोला तो तेरे पापा क्या करेंगे, वो हमें भी नहीं पता।"

    इतना बोलकर वह फिर से किचन में चली गई खाना बनाने के लिए।

    लक्ष्मी फिर अपने छोटे भाई आरव को देखती है जो उसके पास अपना मुँह फुलाकर बैठा हुआ था।

    यह देख लक्ष्मी के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और वह आरव के चेहरे को अपने तरफ कर, उसके गालों को छूकर बोली, "देखो आरव, हम किसी को बिना जाने गलत नहीं बोल सकते।"

    लक्ष्मी की बात सुनकर आरव जैसे ही कुछ बोलने वाला होता है, उससे पहले लक्ष्मी बोली, "तुम्हें पता ना कि हमारे माता-पिता ने हमें कितनी मुश्किल से पाला और पढ़ाया। और जब मेरी पढ़ाई पूरी हो गई और उन्हें मेरी शादी के लिए राहुल जैसा लड़का मिल गया, जिसका इतना अच्छा परिवार है, जिन्हें शादी के बाद भी मेरे जॉब करने से कोई प्रॉब्लम नहीं है और वे लोग हमसे अपनी कोई डिमांड भी नहीं कर रहे हैं।"

    लक्ष्मी की बात सुनकर आरव बोला, "लेकिन दीदी, क्या आपको राहुल पसंद है?"

    आरव की बात सुनकर लक्ष्मी थोड़ी देर सोचकर बोली, "माँ-बाबा को पसंद है और वो अच्छा कमाता भी है, और बड़ा परिवार है। और मुझे क्या चाहिए?"

    लक्ष्मी की बात सुनकर आरव बोला, "तो आपको वो इस लिए पसंद है क्योंकि माँ-बाबा को पसंद है?"

    आरव और आगे कुछ बोल पाता उससे पहले लक्ष्मी बात को टालकर बोली, "चल, ये सब छोड़ और एक बार तू राहुल से मिल ले और उससे बात करके फिर तुझे भी वो पसंद आ जाएगा।"

    लक्ष्मी की बात सुनकर आरव मुस्कुराकर बोला, "वैसे फोटो में तो मुझे पसंद नहीं आया, लेकिन आप वो रही हो तो ज़रूर मुझे वो पसंद आ जाएगा क्योंकि मेरी बहन को भी वो थोड़ा बहुत पसंद आ गया है।"

    आरव की बात सुनकर लक्ष्मी पहले हल्का सा शर्माती है, लेकिन फिर उसे एहसास हुआ कि उसका छोटा भाई उसके मज़े ले रहा है।

    तो वह उसे घूरकर देखते हुए बोली, "रुक, मैं तुझे अभी बताती हूँ, रुक।"

    और इतना बोलकर वह जैसे ही आरव को मारने को होती है, तो आरव उससे पहले ही सोफे से खड़े होकर दूर भाग जाता है। और यह देख लक्ष्मी भी सोफे से खड़े होकर उसके पीछे जाते हुए बोली, "तू रुक, मैं तुझे अभी देखती हूँ।"

    और इसी तरह आरव आगे और लक्ष्मी उसे मारने के लिए पीछे भागती है।

    पूरे घर में उन दोनों की आवाज़ आ रही थी।

    किचन में काम कर रही मीना जी आरव और लक्ष्मी की हँसने और भागने की आवाज़ सुनकर मुस्कुराने लगती हैं।

    दूसरी तरफ, राहुल के ऑफिस में...

    राहुल के केबिन के बने रूम में बेड पर टीना और राहुल थक कर एक-दूसरे के बाहों में लेटे थे।

    टीना, जो राहुल के सीने पर अपना सिर रखे हुए थी, वह अपना सिर ऊपर करके उसकी आँखों में देखकर बोली, "स्वीटहार्ट, वो लड़की जिससे तुम बात कर रहे थे, क्या तुम उससे पसंद करते हो और शादी भी कर रहे हो?"

    राहुल टीना की बात सुनकर अपना सिर नीचे करके उसे देखता है, जिसके चेहरे पर लक्ष्मी के लिए जलन साफ दिखाई दे रही थी।

    यह देखकर राहुल के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और वह उसके होठों पर किस करके बोला, "बेबी, उससे मेरी शादी तो होने वाली है जल्दी ही, क्योंकि मुझे शादी के लिए उससे अच्छी लड़की नहीं मिल सकती, जिसे कभी मेरी लाइफ में क्या हो रहा है, उसके बारे में नहीं जानना, बल्कि वो खुद मुझे बोली कि आप काम पर ध्यान दो, उसे टाइम देने की ज़रूरत नहीं है। और मैं उसे पसंद भी नहीं करता हूँ, लेकिन वो सब से अलग है।"

    राहुल लक्ष्मी के बारे में सोचकर बोला।

    जिसे सुनकर टीना फिर से राहुल के सीने पर अपना सिर रखकर अपनी आँखें बंद करके बोली, "इसका मतलब तुम सदा मेरे रहोगे?"

    राहुल टीना के माथे पर किस करके बोला, "हाँ, अभी और शादी के बाद हम एक रहेंगे। और रही बात उस लड़की लक्ष्मी जिससे मेरी शादी हो रही है, वो सिर्फ नाम की बीबी होगी, वाइफ के पूरे हक तुम्हें मिलेंगे।"

    राहुल की बात सुनकर टीना के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है।

    पुरानी बिल्डिंग में...

    अर्जुन, विशाल और आदित्य तीनों हाल में सोफे पर बैठे हुए थे और वो बच्ची अर्जुन की गोद में सो गई थी।

    तभी नारायण घर के अंदर आता है तेज कदमों से और उसके पीछे छोटे भी था।

    नारायण को देख सभी लोग खड़े हो जाते हैं। अर्जुन उस बच्ची को सोफे पर लेटा देता है।

    नारायण सामने सोफे पर बैठ जाता है और छोटे सोफे के पीछे आकर खड़े हो जाता है।

    नारायण के चेहरे पर गुस्से वाले भाव देख तीनों इशारे में छोटे से पूछते हैं क्या हुआ?

    तो छोटे उन्हें अपने होठों पर उँगली रखकर शांत रहने का इशारा करता है।

    तभी नारायण बिना पीछे पलटे छोटे से बोला, "क्या तूने पता किया उसका?"

    अपने भाई की बात सुनकर छोटे कन्फ्यूज होकर बोला, "किसका भाई?"

    जिसे सुनकर नारायण अपना चेहरा मोड़कर छोटे को घूरकर देखते हुए बोला, "उसी लड़की का, जिसने मेरे काम में रोक लगाकर मुझे गिरफ्तार कराया।"

  • 8. Forced Marriage - Chapter 8

    Words: 1387

    Estimated Reading Time: 9 min

    मीना जी आरव पर बहुत गुस्सा हुईं और किचन में चली गईं। तब लक्ष्मी ने आरव को समझाया, जिससे आरव अपनी बड़ी बहन का मज़ा लेता रहा। यह देखकर लक्ष्मी पूरे हॉल में उसे मारने के लिए भागी। दूसरी तरफ, राहुल ने टीना को लक्ष्मी से शादी करने की बात बताई, जिसे सुनकर वह खुश हो गई। पुरानी बिल्डिंग में आकर नारायण सोफे पर बैठकर छोटे से पूछा कि उसने उस लड़की का पता लगाया क्या?

    नारायण की बात सुनकर छोटे को छोड़ सभी शॉक थे।

    छोटे ने सिर हिलाकर ना में कहा, "माफ़ करना भाई, आपको लॉकअप से बाहर निकालने के बाद से उस लड़की के बारे में पता लगाना भूल गया।"

    इतना बोलकर वह नारायण को देखता है जो गुस्से से उसे घूर रहा था। यह देखकर वह अपना सिर नीचे कर लेता है।

    तभी अर्जून हैरानी से बोला, "भाई, आपको किसी ने गिरफ्तार कराया?"

    नारायण उसे देखकर बोला, "तो मैंने क्या बोला?"

    नारायण की बात सुनकर अर्जून को अपनी गलती का एहसास हुआ। इसलिए वह अपना सिर नीचे करके बोला, "सॉरी भाई।"

    तभी नारायण की नज़र सामने सोफे पर सो रही उस बच्ची पर गई, जिसके बाबा का बदला लेने के लिए वह जीतू दादा को मारने गया था।

    नारायण सोफे से खड़ा होकर उसके सिर के पास सोफे पर बैठ गया और उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोला, "क्या अब इस बच्ची का इस दुनियाँ में कोई नहीं है?"

    विशाल बोला, "हाँ भाई, इसकी माँ-बाप तो दो साल पहले किसी दुर्घटना में चल बसे और फिर इसके दादा ही इसके सब कुछ थे, और अब वो भी नहीं रहे।"

    अदित्य गहरी साँस लेकर बोला, "उस बच्ची के बारे में जानकर सभी को बुरा लगता है।"

    नारायण यह जानकर बोला, "ठीक है, आज से यह बच्ची हमारे साथ ही रहेगी। जाओ, इसके लिए अच्छा सा स्कूल देखो और घर के लिए एक कामवाली बाई भी लेकर आओ जो खाना बनाए और इसका ध्यान रखेगी जब हम नहीं होंगे।"

    नारायण की बात सुनकर आदित्य और विशाल चले गए।

    नारायण फिर छोटे को देखकर बोला, "क्या अब मुझे तुमसे फिर से कहना पड़ेगा उस लड़की के बारे में जानकारी लाने के लिए?"

    नारायण की बात सुनकर छोटे ने जल्दी से सिर हिलाकर हाँ में कहा, "ठीक है भाई, लेकिन अब उसका पता लगना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।"

    छोटे की बात सुनकर नारायण बोला, "तो किसी भी आदमी को पकड़कर उसे यह काम सौंप दो। मुझे दो दिन में उस लड़की के बारे में जानना है।"

    छोटे जल्दी से वहाँ से निकल गया।

    नारायण अब अर्जून को देखता है, तो अर्जून कन्फ्यूज़ होकर बोला, "जी भाई, मेरे लिए क्या काम है?"

    नारायण कुछ सोचकर बोला, "तुम किचन में जाओ और खाना बनाओ, जब तक कोई अच्छी सी बाई नहीं मिल जाती।"

    नारायण की बात सुनकर अर्जून की आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं। उसे इतना कठिन काम करने क्यों मिला है, जिससे उसका कुछ लेना-देना ही नहीं रहा कभी।

    नारायण अभी भी अर्जून को वहाँ खड़ा देखकर बोला, "क्या हुआ? क्या तुम्हें नहीं आता?"

    नारायण की बात सुनकर अर्जून ने सिर हिलाकर हाँ में कहा, "क्यों नहीं भाई, आप को आता है। मैं अभी कुछ बनाकर लाता हूँ।"

    इतना बोलकर अर्जून जल्दी से किचन में भाग गया।

    कुछ देर बाद...

    किचन से कुछ फटने की बहुत तेज़ आवाज़ आई। जिसे सुनकर वह बच्ची डर के मारे उठकर नारायण से चिपक गई।

    नारायण एक नज़र अपनी गोद में बैठी बच्ची को देखा और फिर सामने किचन में, जहाँ से धुआँ आ रहा था।

    नारायण फिर उस बच्ची के सिर पर हाथ फेरते हुए बोला, "कुछ नहीं बच्चा, डरने की ज़रूरत नहीं है।"

    लेकिन वह बच्ची डरी-सहमी सी सामने किचन की ओर ही देख रही थी।

    यह देख नारायण उस बच्ची को अपनी गोद में लिए ही खड़ा होकर किचन में जाते हुए बोला, "डरो नहीं बच्चा, अर्जुन अंकल आपके लिए खाना बना रहे हैं।"

    इतना बोल वह जैसे ही किचन के अंदर आकर देखता है, तो उसकी आँखें शॉक से बड़ी-बड़ी हो जाती हैं। और वह बच्ची सामने का नज़ारा देखकर जोर-जोर से हँसने लगती है।

    अर्जून ने किचन की हालत ऐसी कर दी थी कि वह वहाँ खाना बनाने नहीं, बल्कि किसी युद्ध के मैदान में लड़ने गया हो।

    सामने अर्जुन अपना सिर नीचे करके खड़ा हुआ था क्योंकि उसे पता था अगर उसने अपना सिर ऊपर किया तो उसे बहुत डाँट पड़ने वाली है।

    तभी पीछे से छोटे आते हुए बोला, "ये राम! ये क्या हुआ?" और फिर अर्जुन की हालत देख वह भी बच्ची के साथ हँसने लगा।

    अर्जुन गुस्से से छोटे को देखता है।

    नारायण फिर गहरी साँस लेकर बोला, "जब तुम्हें खाना बनाना नहीं आता था तो फिर मना करना था।"

    अर्जुन नारायण को देखकर बोला, "भाई, आपको पता है हम लोग आपको ना नहीं बोल सकते।" और फिर अपने दाँत दिखा देता है।

    नारायण किचन से बाहर जाते हुए बोला, "इन सब को साफ़ करके बाहर से खाना ऑर्डर करो सबके लिए।"

    नारायण की बात सुनकर दोनों किचन को साफ़ करने लगे और साथ में खाना ऑर्डर कर दिया। खाना आता है तब तक विशाल और आदित्य भी आ जाते हैं। किसी छोटे स्कूल के प्रिंसिपल को धमकी देकर उसमें उस बच्ची का एडमिशन करा देते हैं।

    दूसरी तरफ...

    लक्ष्मी के घर पर शादी की तैयारी जोरों-शोरों से शुरू हो गई थी क्योंकि कुछ दिन बाद ही राहुल से शादी थी। लक्ष्मी की बात फ़ोन पर राहुल से कुछ ज़्यादा ही होने लगी थी। राहुल लक्ष्मी से प्यार भरी बातें करता था और रात उसकी होटल में टीना के साथ या किसी और लड़की के साथ निकल रही थी।

    शादी से एक दिन पहले शाम के समय...

    लक्ष्मी और उसकी दोस्त अपनी स्कूटी पर मार्केट से घर आ रही थीं। लक्ष्मी पहले उस लड़की को उसके घर छोड़ देती है और फिर अपने घर निकल जाती है।

    लक्ष्मी बहुत खुश थी कि अब उसकी और राहुल की शादी में ज़्यादा समय नहीं रहा।

    रात होने के बाद से स्कूटी की आगे की लाइट चालू थी और वह जिस रोड से घर जा रही थी, वह रोड भी खाली थी। उसने जल्दी से इस रास्ते से अपनी स्कूटी मोड़ी थी ताकि वह जल्दी से घर पहुँच जाए और उसे अपनी माँ की डाँट नहीं सुननी पड़े।

    तभी उसके पैंट के पॉकेट में रखा फ़ोन बजता है, जिससे थोड़ी देर के लिए उसका ध्यान आगे रोड से हटकर अपनी पैंट के पॉकेट पर जाता है।

    उसी समय एक आदमी, खून से सना हुआ, जिसके हाथ में एक बंदूक थी, वह उसकी स्कूटी के सामने आता है। वह सही से चल भी नहीं पा रहा था।

    जैसे ही स्कूटी की लाइट उस आदमी के चेहरे पर पड़ती है, तो वह आदमी अपनी आँखों के सामने हाथ रख लेता है।

    लक्ष्मी का ध्यान जैसे ही सामने खड़े आदमी पर जाता है, तो वह जल्दी से अपनी स्कूटी के ब्रेक मार देती है, फिर भी थोड़ा सामने खड़े आदमी से लग जाती है।

    जिससे वह आदमी नीचे ज़मीन पर गिर जाता है।

    यह देख लक्ष्मी अपने माथे पर हाथ रखकर बोली, "ओ तेरी! यह मैंने क्या किया? अगर इसे कुछ हो गया तो मेरा क्या होगा?"

    फिर वह ना में सिर हिलाकर बोली, "नहीं-नहीं, मैं जेल नहीं जा सकती हूँ।"

    इतना बोल वह अपनी स्कूटी से उतरकर नीचे ज़मीन पर उल्टा बेहोश पड़े आदमी को सीधा करते हुए बोली, "देखो, मरना मत। मुझे इस उम्र में जेल नहीं जाना।"

    लेकिन उस आदमी का चेहरा देख वह शॉक हो जाती है और वह हैरानी से बोली, "यह तो वही कमीना आदमी है जिसे मैंने गिरफ्तार कराया था।"

  • 9. Forced Marriage - Chapter 9

    Words: 1137

    Estimated Reading Time: 7 min

    नारायण ने अर्जुन से रसोई में खाना बनाने को कहा। अर्जुन ने पूरी रसोई बर्बाद कर दी। उसकी हालत देखकर छोटे और बच्ची दोनों हँसे। लक्ष्मी स्कूटी से घर जा रही थी। उसी समय एक आदमी उसकी स्कूटी के आगे आकर बेहोश हो गया।

    लक्ष्मी ने नीचे ज़मीन पर पड़े आदमी को उठाकर सीधा किया। उस आदमी का चेहरा देखकर वह सदमे में आ गई क्योंकि यह वही आदमी था जिसे उसने उस दिन गिरफ़्तार कराया था।

    यह याद आते ही लक्ष्मी ने नारायण के कंधे से हाथ हटाकर खड़ी हो गई और एक नज़र नारायण को देखा, जहाँ उसके शरीर के कई जगहों से खून निकल रहा था।

    यह देख लक्ष्मी बोली, "इसे लोग जेल जाने के बाद भी नहीं सुधर सकते हैं। ज़रूर आज फिर किसी को मारकर या पीटकर आ रहा होगा।"

    फिर गहरी साँस लेकर बोली, "मुझे क्या लेना-देना इस आदमी से? यह मरे या जिए।"

    इतना बोलकर वह अपनी स्कूटी उठाकर उस पर बैठ गई। जैसे ही उसने अपनी स्कूटी चालू करके जाने लगी, थोड़ी दूर जाकर अचानक उसके हाथ स्कूटी के ब्रेक पर पड़ गए और वह स्कूटी रोककर गहरी साँस लेकर बोली, "मैं ऐसी क्यों हूँ? और क्यों इस गुंडे को इस हालत में छोड़कर नहीं जा रही हूँ?"

    इतना बोलकर लक्ष्मी पलटकर नीचे ज़मीन पर बेहोश पड़े आदमी को देखकर बोली, "मेरा मन तो नहीं कर रहा है तुम्हें हॉस्पिटल लेकर जाने का, लेकिन तुम भी एक इंसान हो और मैं भी, इसलिए तुम्हें हॉस्पिटल लेकर जाना पड़ेगा। और वैसे भी, तुम्हारी जगह कोई जानवर होता तो मैं उसके लिए भी यह ज़रूर करती।"

    इतना बोलकर वह अपनी स्कूटी से उतरकर मुड़कर फिर से नारायण के पास आई और उसे कंधे से पकड़कर खड़ा कर लिया। नारायण का भार इतना था कि लक्ष्मी को उसे पकड़कर उस हालत में अपनी स्कूटी तक ले जाने में ही परेशानी हो रही थी।

    लक्ष्मी ने नारायण को पकड़कर अपनी स्कूटी पर बैठाया, खुद आगे बैठकर एक कपड़े से नारायण को अपनी कमर से बाँधकर उसे अपनी पीठ से चिपका लिया। नारायण के मुँह से आ रही गर्म साँसों से और उसके शरीर के छूने से लक्ष्मी को एक अलग ही एहसास हो रहा था।

    आज तक उसके इतने करीब कोई मर्द नहीं आया था, केवल उसके पापा और भाई आरव को छोड़कर। उसने तो राहुल को भी खुद के इतने करीब नहीं आने दिया था। हाँ, कभी-कभी केवल उसका हाथ पकड़ा था। बाकी उसने राहुल को साफ़ मना कर दिया था कि वह शादी से पहले कुछ भी नहीं करना चाहती है। और राहुल ने भी उसकी बात बहुत जल्दी मान ली थी। इसलिए उसे राहुल पसंद है कि वह कभी उसे किसी चीज़ के लिए मना नहीं करता है और ना उसकी बात को टालता है।

    लक्ष्मी स्कूटी चलाते हुए राहुल के बारे में सोचकर मुस्कुराने लगी।

    वह इस बात से अनजान थी कि कोई उसकी बाइक से पीछा कर रहा था। वह बाइक वाला आदमी फिर किसी को अपने फ़ोन से मैसेज कर देता है।

    दूसरी तरफ, एक होटल रूम में राहुल और टीना बिना कपड़ों के बेड पर एक-दूसरे के बाहों में लेटे हुए थे। राहुल को थक कर नींद आ गई थी और टीना जाग रही थी। वह अपने सीने पर सिर रखकर सो रहे राहुल के बालों में कुछ सोचते हुए हाथ फेर रही थी।

    तभी दूर रखे उसके फ़ोन पर एक मैसेज आने की आवाज़ सुनाई दी।

    जिसकी आवाज़ सुनकर टीना अपनी सोच से बाहर आकर एक नज़र राहुल को देखा, जो उससे चिपककर गहरी नींद में सो रहा था।

    यह देख टीना अपना हाथ बढ़ाकर अपना फ़ोन उठाकर उसे ऑन करके आया हुआ मैसेज पढ़ती है। जिसे पढ़कर उसके चेहरे पर टेढ़ी मुस्कान आ जाती है और वह जल्दी से अपने फ़ोन में आई फ़ोटो को देखने लगती है। जिसमें एक लड़की किसी लड़के को पकड़कर उसे खड़ा कर रही थी और किसी में वह उसे स्कूटी पर बैठा रही थी। उन सभी फ़ोटो में वे दोनों बहुत क़रीब लग रहे थे। ऐसा लग ही नहीं रहा था कि वह लड़की उस लड़के की हेल्प कर रही है।

    टीना यह सब देख उसकी आँखों में चमक आ जाती है और वह जल्दी से उन फ़ोटो को राहुल के फ़ोन पर शेयर करने वाली होती है, लेकिन फिर कुछ सोचकर वह ऐसा नहीं करती है और उस आदमी को मैसेज कर देती है कि उसने बहुत अच्छा काम किया है और वह ऐसा ही काम करता रहे, पैसे उसके अकाउंट में जमा होते रहेंगे।

    इतना मैसेज करके टीना अपना फ़ोन फिर से साइड में रख राहुल को और अच्छे से खुद से चिपकाकर उसके सिर पर किस करके बोली, "अब हमें कोई भी एक होने से नहीं रोक पाएगा और तुम्हारी बीवी तो मैं ही बनूँगी, घर और बाहर वाली दोनों। वह लड़की बहुत जल्द तुम्हारी लाइफ़ से चली जाएगी।"

    इतना बोलकर टीना भी अपनी आँखें बंद करके सो जाती है।

    इधर लक्ष्मी अपनी स्कूटी से नारायण को हॉस्पिटल लेकर आती है, जहाँ एक रूम में उसका इलाज शुरू हो चुका था।

    उस रूम के बाहर खड़ी लक्ष्मी बार-बार अपनी हाथ की घड़ी में समय देख रही थी क्योंकि वह बहुत लेट हो चुकी थी। कई बार घर से कॉल आ गया था तो उसने अपनी माँ से यह झूठ बोला कि वह अपनी दोस्त रिया के घर है और वह शायद आज रात यहाँ रुकेगी। यही सोचकर उसका दिमाग खराब हो रहा था कि वह एक ऐसे इंसान के लिए अपने माँ-बाप से झूठ बोल रही थी जिससे वह नफ़रत करती है, लेकिन वह उसे उस हालत में छोड़कर नहीं जा रही थी।

    यही सोचकर वह अपना सिर पकड़कर साइड में लगी कुर्सी पर बैठकर बोली, "क्या मुसीबत है यार! पता नहीं भगवान क्यों मुझे ही इन लोगों की मदद के लिए चुनता है जिनकी हेल्प कोई भी नहीं करना चाहेगा।"

    और यह सब वह आदमी दूर खड़ा होकर देख रहा था।

    तभी उस रूम का गेट खुलकर डॉक्टर एक नर्स के साथ बाहर आकर लक्ष्मी से बोला, "मैडम, हॉस्पिटल में O नेगेटिव खून खत्म हो गया है और आपके हसबैंड को उसकी बहुत ज़रूरत है, तो प्लीज़ आप जल्दी से इसका इंतज़ाम करो।"

    लक्ष्मी डॉक्टर को कहना चाहती थी कि वह गुंडा आदमी, जिसका आप इलाज कर रहे हैं, वह उसका पति नहीं है।

  • 10. Forced Marriage - Chapter 10

    Words: 1155

    Estimated Reading Time: 7 min

    ना चाहते हुए भी, लक्ष्मी नारायण को अपनी स्कूटी से अस्पताल ले गई थी। उसने अपनी माँ से फ़ोन पर झूठ बोला कि वह अपनी दोस्त रिया के साथ है। अस्पताल में, डॉक्टर ने लक्ष्मी से कहा कि उसे अपने पति के लिए तुरंत ओ-नेगेटिव ब्लड का इंतज़ाम करना होगा।

    लेकिन फिर, डॉक्टर की आगे की बात सुनकर लक्ष्मी हैरान रह गई। उस गुंडे आदमी को भी ओ-नेगेटिव ब्लड की ज़रूरत थी, और लक्ष्मी का ब्लड ग्रुप भी ओ-नेगेटिव ही था।

    यही सोचकर, लक्ष्मी ने डॉक्टर को देखा जो उस समय नर्स से बोल रहा था कि वह फिर से चेक करे कि कहीं कोई ब्लड की बोतल रखी हुई तो नहीं है।

    "डॉक्टर, आप मेरा खून ले लीजिये। मेरा खून भी ओ-नेगेटिव है।"

    लक्ष्मी की बात सुनकर, डॉक्टर और नर्स ने उसे देखा। डॉक्टर ने सिर हिलाकर नर्स से कहा, "ठीक है, तुम इन्हें ले जाकर इनका खून निकाल कर इनके पति को चढ़ा दो।"

    इतना बोलकर, वह डॉक्टर चला गया। लक्ष्मी फिर से हैरान रह गई। यह डॉक्टर बार-बार उसे उसका पति क्यों बोल रहा था? वह किसी भी जन्म में ऐसे आदमी से शादी नहीं करना चाहती थी।

    नर्स ने लक्ष्मी को देखकर कहा, "मैडम, आप मेरे साथ आओ।"

    इतना बोलकर, वह वापस उस कमरे में चली गई, और उसके पीछे लक्ष्मी भी गहरी साँस लेकर कमरे में चली गई।

    कमरे में आकर देखा तो वह गुंडा आदमी बेड पर बेहोश पड़ा हुआ था। उसका मासूम चेहरा देखकर लक्ष्मी सोचने लगी कि क्या यह वही आदमी है जो उस दिन उन सभी आदमियों को अकेले ही मार रहा था?

    वह उसके पास वाले बेड पर लेट गई। नर्स अपना काम करने लगी। इन सब में लक्ष्मी सिर्फ़ सामने पड़े व्यक्ति को देखकर सोचने लगी कि कहीं इस आदमी के साथ कुछ बुरा तो नहीं हुआ, तभी यह इसे काम करता हो, और उससे ही उसे समझने में गलती हो रही हो।

    लक्ष्मी के दिल में अब नारायण के लिए जो नफ़रत थी, वह थोड़ी सी कम होने लगी थी। इसका क्या परिणाम होगा, यह तो समय ही बताएगा।

    कुछ देर बाद, नर्स उस बोतल को देखकर बोली, "इतना बहुत है।" इतना बोलकर, उसने लक्ष्मी के हाथ से सुई निकाल ली।

    यह देखकर, लक्ष्मी बेड से उठने को हुई, तो एकदम से उसे चक्कर आने लगे। उसने अपना सिर पकड़ लिया।

    नर्स ने यह देखकर जल्दी से लक्ष्मी को पकड़कर उसे वापस बेड पर लिटा दिया। "अरे मैडम, आप अभी कहीं नहीं जा सकती हैं। आपको आराम की ज़रूरत है। मैं आपके लिए कुछ फल और जूस लेकर आती हूँ, जिससे आपको ताकत मिलेगी।"

    इतना बोलकर, उसने लक्ष्मी को आराम से बेड पर लिटाकर उस कमरे से बाहर निकल गई। लक्ष्मी उसे जाते हुए देखती रही।

    अब उसका खून इस आदमी को चढ़ाया जा रहा था।

    यह देखकर लक्ष्मी उदास होकर खुद से बोली, "मेरा सारा खून पी गया यह गुंडा! क्या सज़ा मिली है मुझे? ऐसे गिरफ़्तार कराकर, और मुझे ऐसे खून देने के पैसे भी नहीं मिलेंगे।"

    लक्ष्मी के अकाउंट में केवल 7,000 रुपये ही थे, जो उसने अपनी पॉकेट मनी बचाकर जोड़े थे, ताकि कभी पढ़ाई में काम आएँ। लेकिन उसके पूरे पैसे आज इस आदमी के इलाज में लग गए, ऊपर से खून भी देना पड़ा।

    उसने सोच लिया था कि वह कभी किसी और की मदद नहीं करेगी, लेकिन वह इस आदमी से अपने पैसे लेकर ही जाएगी, सुबह।

    लक्ष्मी सामने बेड पर लेटे आदमी को घूरते हुए खुद से बोली, "..."

    तभी वह नर्स एक प्लेट में कुछ कटे हुए फल और एक गिलास जूस लेकर पास रखी टेबल पर रखकर बोली, "लो मैडम।"

    लक्ष्मी ने अपने पास खड़ी नर्स को देखकर उसके हाथ से जूस का गिलास लेकर बेड पर बैठकर कहा, "नर्स, अब इन्हें होश कब तक आ जाएगा?" और वह जूस पीने लगी।

    नर्स ने लक्ष्मी की बात सुनकर मुस्कराकर कहा, "मैडम, आप अपने पति से बहुत प्यार करती हैं ना, तभी अकेले ही उनके लिए इतना कुछ कर रही हैं। और आपको अपने पति की कितनी चिंता है!"

    उस नर्स की बात सुनकर लक्ष्मी के मुँह से जूस बाहर आते-आते ही रह गया। वह हैरानी से नर्स को देखकर अपने मन में ही बोली, "क्या यह पागल है या मुझे पागल समझ रही है? और उसका दिमाग खराब थोड़ी है जो वह इस आदमी से प्यार करेगी? और उसकी चिंता तो कभी नहीं करेगी। उसका बस चले तो वह इस आदमी को फिर से गिरफ़्तार करा दे। इस आदमी की वजह से उसका कितना बड़ा नुकसान हो गया है!"

    वह नर्स फिर लक्ष्मी को देखकर मुस्कराकर बोली, "मैडम, आप चिंता मत करो। आपके पति कुछ ही देर में होश में आ जाएँगे।"

    इतना बोलकर, वह नर्स नारायण की जाँच करके और उसके हाथ से सुई निकालकर, वहाँ रुई से उसे साफ़ करके चली गई।

    नर्स के जाने के बाद, लक्ष्मी ने जूस का खाली गिलास साइड में रखकर कहा, "क्या इस गुंडे आदमी को सुबह तक होश आएगा? लेकिन मुझे उससे पहले घर पहुँचना है, वरना माँ बहुत गुस्सा होगी।"

    लक्ष्मी फिर कुछ सोचकर बोली, "क्या मुझे इसके कपड़े चेक करने चाहिए? अगर उसमें पैसे हुए तो मैं अपने पैसे लेकर यहाँ से भाग जाऊँगी।"

    और यही सोचकर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई। वह धीरे-धीरे चलकर नारायण के बेड के पास आकर उसके पेंट की पॉकेट में चेक करती है, तो उसे वॉलेट मिलता है। जिसे वह कन्फ्यूज होकर खोलती है, तो उसमें एक खूबसूरत लड़की की फ़ोटो थी। जिसे देखकर लक्ष्मी हैरान होकर नारायण को देखकर बोली, "वहाँ यार! तुमने तो बहुत खूबसूरत, और शायद अमीर घर की लड़की को फँसाया है!"

    लक्ष्मी उस लड़की की फ़ोटो देखकर बोली, "..."

    फिर उस फ़ोटो को उसके वॉलेट में वापस रखकर बोली, "बेचारी की फ़ूटी किस्मत, जिसने तुमसे प्यार किया।"

    और चेक करने पर उसे कुछ पैसे भी मिलते हैं, जो पूरे 10,000 थे। इन्हें देख उसकी आँखों में एक चमक आ गई। और वह जल्दी से उनमें से 7,000 निकालकर वॉलेट को वापस नारायण के पेंट की पॉकेट में रख देती है।

    और वह जैसे ही कमरे से भागने को होती है, तभी एक कड़क आवाज़ आती है, "रुको!"

    जिसे सुनकर लक्ष्मी के कदम वैसे ही वहीं पर रुक जाते हैं, और उसकी आँखें बड़ी-बड़ी हो जाती हैं।

  • 11. Forced Marriage - Chapter 11

    Words: 1081

    Estimated Reading Time: 7 min

    हॉस्पिटल में लक्ष्मी का खून नारायण को चढ़ाया जा रहा था। लक्ष्मी फिर नारायण के पेंट के वॉलेट से अपने खर्च हुए पैसे निकालकर चुपके से जाने लगी। तभी एक आवाज़ सुनकर वह वहीं दरवाज़े के पास रुक गई।

    "तुम यह काम भी करती हो, मिस लक्ष्मी शर्मा?"

    लक्ष्मी, जो पहले थोड़ी शॉक थी कि इस गुंडे आदमी को इतनी जल्दी होश कैसे आ गया, वह अब उसके मुँह से खुद का नाम सुनकर हैरानी से पलटकर बेड पर लेटे इंसान को देखती है।

    लक्ष्मी को खुद को घूरता देखकर नारायण अपने पेंट की पॉकेट से अपना वॉलेट निकालकर उसे लक्ष्मी को दिखाते हुए, अपनी उंगली से उसे अपने पास आने का इशारा करता है।

    लक्ष्मी इस गुंडे आदमी को ऐसा करते देख समझ जाती है कि इसने उसे उसके वॉलेट से पैसे निकालते हुए देख लिया था। फिर गहरी साँस लेकर खुद से बोली, "मुझे इस गुंडे आदमी से डरने की ज़रूरत नहीं है। मैंने सिर्फ़ अपने पैसे लिए हैं।"

    यही सोचकर, वह पूरी हिम्मत से सीना चौड़ा करके नारायण के बेड के सामने आकर खड़ी होकर उसकी तरफ़ उंगली दिखाते हुए बोली, "सुनो गुंडे आदमी, मैं चोर नहीं हूँ। मैंने अपने पैसे लिए जो मेरे और तुम्हारे इलाज में खर्च हुए थे।"

    लक्ष्मी की बात सुनकर नारायण सिर हिलाकर बोला, "ठीक है, ले लो। लेकिन मुझे भी कुछ चाहिए तुमसे।"

    नारायण की बात सुनकर लक्ष्मी कन्फ़्यूज़ होकर उसे देखकर बोली, "जी? क्या और क्यों? हम आपको कुछ भी नहीं देंगे।"

    नारायण बेड से खड़े होकर उसके पास आते हुए उसकी आँखों में आँखें डालकर बोला, "वैसे तुमने क्या सोचा कि यह सब करके मुझसे बच जाओगी? या मैं सब कुछ भूलकर तुम्हें माफ़ कर दूँगा कि तुम्हारी वजह से मुझे पूरा एक घंटा लॉकअप में बिताना पड़ा था?"

    नारायण की बात सुनकर लक्ष्मी उसे घूरते हुए बोली, "तुम्हारे साथ ऐसा ही होना चाहिए था! और उन्हें तुम्हें इतनी जल्दी कैसे छोड़ दिया? और आज मैंने यह सब इसलिए नहीं किया कि मुझे तुम में कोई दिलचस्पी है, बल्कि मैं किसी घायल को बीच रोड पर पड़ा हुआ नहीं छोड़ सकती। बल्कि तुम्हारी जगह कोई जानवर भी होता तो मैं ऐसा ज़रूर करती।"

    इतना बोलकर लक्ष्मी पलटकर जाने लगी।

    नारायण बस गुस्से से लक्ष्मी को जाते हुए देखता रह गया।

    नारायण फिर वापिस बेड पर बैठकर बोला, "इस लड़की को तो मैं नहीं छोड़ने वाला। अब मैंने भी इसकी अकड़ को मिट्टी में नहीं मिलाया तो मेरा नाम भी नारायण ठाकुर नहीं।"

    इधर लक्ष्मी गुस्से भरे चेहरे से हॉस्पिटल से बाहर आकर अपनी स्कूटी पर बैठकर उसे चालू करके बोली, "भलाई का तो जमाना ही नहीं है! अरे, मैंने इसकी जान बचाने के लिए इसे खुद का खून दिया और यह मुझसे इस तरह से बात कर रहा है कि मैं ही इसकी सबसे बड़ी दुश्मन हूँ!"

    इतना बोलकर वह अपनी स्कूटी चालू करके चली गई।

    यह सब नारायण हॉस्पिटल के उस रूम की खिड़की से खड़ा होकर देख रहा था।

    तभी एक नर्स उस रूम में आते हुए नारायण को देखकर बोली, "अरे सर, आप वहाँ क्यों खड़े हैं? आप अभी पूरी तरह से ठीक नहीं हैं।"

    नारायण पलटकर उस नर्स को देखता है, फिर बेड के पास आकर उस पर बैठकर बोला, "जो लड़की अभी गई है, क्या वही मुझे यहाँ लेकर आई थी?"

    नारायण को पता है कि यही लड़की उसे यहाँ लेकर आई थी, लेकिन उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि क्या सच में यह लड़की इतनी अच्छी है।

    सामने खड़ी वह नर्स नारायण की बात सुनकर शॉक में थी और वह हैरानी से बोली, "सर, क्या वह आपकी पत्नी नहीं थी?"

    नारायण नर्स की बात सुनकर कन्फ़्यूज़ होकर बोला, "नहीं है। और आपसे किसने कहा कि वह अपनी बीबी है?"

    नारायण की बात सुनकर नर्स सोचकर बोली, "उन्हें तो नहीं बोला था, लेकिन डॉक्टर के पूछने पर मना भी नहीं किया, इसलिए हमें लगा कि सच में वह आपकी वाइफ़ है।"

    नर्स की बात सुनकर नारायण को लक्ष्मी पर बहुत गुस्सा आने लगा था।

    और यह देखकर वह नर्स बोली, "लेकिन वे बहुत अच्छी थीं। वे अकेले आपको अपनी स्कूटी पर लेकर हॉस्पिटल आईं। सही समय पर, लेकिन तब भी आपका बहुत सारा खून बह चुका था, जिसकी वजह से आपको O नेगेटिव खून की बहुत ज़रूरत थी, जो इस समय हमारे हॉस्पिटल में नहीं था। और जैसे ही यह बात उनको पता चली, तो उन्होंने तुरंत ही अपना खून देने के लिए हाँ कर दिया। और फिर डॉक्टर के कहने पर मैंने उनके शरीर से खून निकालकर आपको चढ़ाया।"

    नर्स की पूरी बात सुनकर नारायण हैरान था कि आज उस लड़की ने उसकी जान बचाई जिसने उसे गिरफ़्तार कराया था।

    नर्स फिर उस रूम से जाते हुए बोली, "अब आप आराम करो सर।"

    नर्स के जाने के बाद भी नारायण उसी तरह बैठा रहता है और फिर अपने वॉलेट में उस लड़की की फोटो निकालकर उसे देखकर बोला, "क्यों मुझे इस लड़की को देखकर तुम्हारी याद आती है? और यह सब जो आज इसने किया, यह सिर्फ़ तुम ही करती थी मेरे लिए।"

    नारायण काफ़ी देर इस बारे में सोचता है। लेकिन जब उसे अपने पहले प्यार और इस लड़की लक्ष्मी में कोई समानता नज़र नहीं आती है, तो वह बेड से खड़ा होकर अपने कपड़े पहनकर निकल जाता है हॉस्पिटल से।

    दूसरी तरफ़...

    लक्ष्मी जब स्कूटी से अपने घर पहुँचती है, तो उसे हॉल में उसकी माँ सोफ़े पर बैठी उसका इंतज़ार करते हुए अब सो चुकी थी।

    यह देख लक्ष्मी को खुद पर बहुत गुस्सा आता है कि उसकी वजह से यह सब हुआ। उसे क्या ज़रूरत थी किसी की हेल्प करने की? वह भी इस आदमी की, जिसे थोड़ी कदर नहीं थी। उसने कितना कुछ झेलकर उसे हॉस्पिटल पहुँचाया था।

    लक्ष्मी जितना इस बारे में सोच रही थी, उतना ही उसे उस गुंडे आदमी पर गुस्सा आ रहा था। लक्ष्मी फिर गहरी साँस लेकर बोली, "कोई बात नहीं लक्ष्मी, आगे से तू इस तरह के आदमी से दूर ही रहेगी।"

    और वह धीरे-धीरे आकर अपनी माँ के पैरों पर सिर रखकर ज़मीन पर बैठ जाती है। नम आँखों से बोली, "सॉरी माँ।"

    आज के लिए बस इतना ही... आगे क्या होगा जानने के लिए पढ़े अगला भाग।

  • 12. Forced Marriage - Chapter 12

    Words: 1164

    Estimated Reading Time: 7 min

    नारायण को नर्स से पता चला कि लक्ष्मी ने उसके लिए कितना कुछ किया और उसकी जान बचाने के लिए अपना खून भी दिया। उसे अपने पहले प्यार की याद आ गई। दूसरी तरफ, लक्ष्मी जब अपने घर पहुँची तो देखा कि उसकी माँ सोफे पर सो गई थी।

    मीना जी के कानों में अपनी बेटी लक्ष्मी की आवाज़ पड़ते ही उनकी आँखें खुल गईं। उन्होंने नीचे देखा तो लक्ष्मी उनकी गोद में सिर रखकर जमीन पर बैठी हुई थी।

    यह देख मीना जी ने लक्ष्मी के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, "बेटी, तुम कब आई और अपनी माँ से सॉरी क्यों बोल रही हो?"

    अपनी माँ की बात सुनकर लक्ष्मी ने अपना सिर ऊपर उठाकर उन्हें देखा और बोली, "आपको हमारी वजह से इतनी रात तक सोफे पर बैठकर हमारा इंतज़ार करना पड़ा।"

    मीना जी ने अपनी बेटी लक्ष्मी की बात और उसकी आँखों में नमी देखकर हैरान होकर उसकी आँखों से आँसू साफ़ करते हुए कहा, "अरे, तो क्या हुआ? तुम्हें कोई ज़रूरी काम होगा, तभी इतनी देर से आई हो घर।"

    अपनी माँ की बात सुनकर लक्ष्मी को और बुरा लगा। वह फिर से उनकी गोद में सिर रखकर बोली, "माँ, अगर मैं कहूँ कि मैंने आपसे झूठ बोला कि हम रिया के घर नहीं थे, तो क्या आप मुझसे नाराज़ होंगी?"

    लक्ष्मी की बात सुनकर मीना जी हैरान होकर बोलीं, "तो तुम कहाँ थीं? कहीं कोई मुसीबत तो नहीं आई तुम पर?"

    अपनी माँ को अपनी इतनी फिक्र करते देखकर लक्ष्मी ने अपना सिर ऊपर उठाकर ना में सिर हिलाया और बोली, "नहीं माँ, हम पर कोई मुसीबत नहीं आई।" फिर लक्ष्मी ने अपनी माँ मीना जी को नारायण के बारे में सब कुछ बता दिया; कैसे उसने पहले उसे गिरफ़्तार कराया और फिर आज जब वह रोड पर घायल मिला तो उसकी मदद की और उसे हॉस्पिटल पहुँचाया।

    लक्ष्मी ने आगे कहा, "माँ, क्या हमने गलत किया था उस आदमी के साथ? उसने हमसे इस तरह बात की, हमने तो उसकी हेल्प ही की थी ना?"

    लक्ष्मी की पूरी बात सुनकर मीना जी शॉक हो गईं और फिर उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर बोलीं, "नहीं मेरी बच्ची, तूने दोनों बार सही किया। उस समय जब वह गुंडागर्दी कर रहा था, तूने उसे गिरफ़्तार कराया और आज जब वह तुझे घायल मिला तो एक अच्छे इंसान की तरह सब कुछ भूलकर उसकी हेल्प की। रही बात की वह तेरे बारे में क्या सोचता है, तो यह उसकी गलती है कि मेरी बेटी को समझ नहीं पाया।"

    लक्ष्मी ने अपनी माँ की बात सुनकर कहा, "माँ, क्या मुझे उससे माफ़ी भी माँगनी चाहिए थी?"

    मीना जी ने ना में सिर हिलाकर कहा, "नहीं बच्ची, तुझे ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहिए। और अब तू उसे भूल जा और उसकी बारे में सोच जो बहुत जल्दी तेरा पति बनने वाला है।"

    अपनी माँ की बात सुनकर लक्ष्मी का चेहरा शर्म से लाल हो गया और वह अपना सिर नीचे करके बोली, "क्या माँ आप भी ना!"

    अपनी बेटी को इस तरह शर्माते हुए देखकर मीना जी मुस्कुराते हुए उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोलीं, "जा अब अपने रूम में और थोड़ी देर आराम कर ले। कल सुबह हमें राधा कृष्ण मंदिर जाना है पूजा के लिए ताकि तेरी शादी में कोई प्रॉब्लम ना आए और शादी सही तरह से पूरी हो जाए।"

    अपनी माँ की बात सुनकर लक्ष्मी ने हाँ में सिर हिलाया और खड़े होकर बोली, "हाँ माँ, मुझे भी बहुत नींद आ रही है। चलो आप भी आराम कर लो मेरे साथ।"

    इतना बोलकर लक्ष्मी अपनी माँ का हाथ पकड़कर सीढ़ियों से अपने रूम में चली गई।

    दूसरी तरफ, नारायण जब पुरानी बिल्डिंग में पहुँचा तो देखा कि हॉल में सभी सोफे पर आड़े-तिरछे सो रहे थे। छोटू तो आधा सोफे पर और आधा जमीन पर सो रहा था और गुनगुन अर्जून के ऊपर सो रही थी। उस दिन से उसका ज़्यादा समय अर्जून के साथ ही निकलता था, इसलिए वह उसके सबसे करीब थी।

    यह देख नारायण के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

    वह घर के अंदर आते हुए बोला, "क्या तुम लोगों के पास खुद के रूम नहीं हैं जो यहाँ सो रहे हो?"

    इतना बोलकर वह अर्जून के ऊपर सो रही गुनगुन को अपनी गोद में ले लिया। गुनगुन बिना उठे नारायण के कंधे पर सिर रखकर सोती रही।

    लेकिन बाकी चारों को अभी भी उठता न देखकर नारायण ने छोटू के पीछे हल्की सी लात मारी। इससे छोटू, जो आधा सोफे पर लटका हुआ था, एकदम से जमीन पर गिर गया। दर्द से उसकी नींद खुल गई और वह चीखते हुए बोला, "उई माँ! मर गया रे!"

    और उसकी आवाज़ से सबकी नींद खुल गई। सभी ने सामने खड़े नारायण को देखकर जल्दी से खड़े हो गए। नींद में उनकी आँखें भी सही से नहीं खुल रही थीं।

    यह देख नारायण ने गहरी साँस लेते हुए कहा, "क्या तुम लोग बच्ची को लेकर साथ में अंदर रूम में नहीं सो पा रहे थे? यहाँ इस तरह क्यों पड़े हुए थे?"

    नारायण थोड़े गुस्से में चारों को घूरकर देखते हुए बोला।

    और उसकी बात सुनकर विशाल, जिसकी नींद सही से खुल चुकी थी, बोला, "भाई, हम पहले अपने-अपने रूम में सो रहे थे, लेकिन गुनगुन आपके बिना नहीं सो रही थी। और उससे परेशान होकर अर्जून ने हमें वहाँ बुलाया। हमारे समझाने पर भी वह नहीं मान रही थी, तो हमें यहाँ आकर आपका इंतज़ार करना पड़ा और फिर कब हमें नींद आ गई पता ही नहीं चला।"

    विशाल की बात सुनकर नारायण ने अपनी गोद में सो रही गुनगुन को देखा जो उसके कंधे पर सिर रखकर बहुत आराम से सो रही थी। यह देख नारायण ने हाँ में सिर हिलाकर बोला, "ठीक है, अब सब अपने-अपने रूम में जाकर सो जाओ।"

    इतना बोलकर नारायण गुनगुन को लेकर सीढ़ियों से अपने रूम में जाने लगा और उसके पीछे नींद भरी आँखों से चारों उसके पीछे जाने लगे।

    सीढ़ियों से ऊपर आकर नारायण कुछ सोचकर पीछे पलटकर सभी को देखकर बोला, "कल सुबह हम सब मंदिर जा रहे हैं। वहीं गुनगुन के बाबा की शांति के लिए छोटी सी पूजा रखी है, तो सभी जल्दी तैयार हो जाना।"

    इतना बोलकर वह गुनगुन को लेकर अपने रूम में चला गया और बाकी सभी ने हाँ में सिर हिलाकर चले गए।

  • 13. Forced Marriage - Chapter 13

    Words: 1141

    Estimated Reading Time: 7 min

    मीना जी ने लक्ष्मी को समझाया कि उसने कुछ गलत नहीं किया और बताया कि कल वे लोग राधा कृष्ण के मंदिर जा रहे हैं, इसलिए उसे सोना चाहिए। लक्ष्मी ने हां में सिर हिलाया और अपनी माँ के साथ चली गई। दूसरी तरफ, नारायण गुंजन को लेकर अपने कमरे में चला गया।


    अगली सुबह...


    राधा कृष्ण मंदिर...


    मंदिर के अंदर एक छोटा सा हवन हो रहा था। नारायण बैठा हुआ था और उसकी गोद में गुंजन हाथ जोड़े बैठी हुई थी। सामने बैठकर पंडित जी मंत्र पढ़ रहे थे। नारायण के पीछे अर्जुन, विशाल और आदित्य छोटे से बच्चे की तरह बैठे हुए थे।


    मंदिर के दूसरी तरफ पूरा शर्मा परिवार मौजूद था। वहाँ भी छोटी सी पूजा हो रही थी।


    पंडित जी पूजा की थाल मंदिर से अंदर लेकर आए। उसमें से सारी सामग्री भगवान को चढ़ाकर, सामने हाथ जोड़े खड़ी लक्ष्मी के सिर पर हाथ रखकर बोले, "बेटी, अब इस पूजा के बाद तुम्हारे विवाह में कोई समस्या नहीं आने वाली। बस इस पूजा की आखिरी रस्म को पूरा करो। तुम अपनी आँखें बंद करके अपने होने वाले पति की तस्वीर आँखों में बसाकर 5 परिक्रमा लगाकर इस पूजा को पूरी तरह सम्पन्न करो।"


    मीना जी लक्ष्मी के पास ही खड़ी थीं। उन्होंने कहा, "लेकिन पंडित जी, क्या यह करना ज़रूरी है? आँखें बंद करके कैसे करेगी यह?"


    लक्ष्मी जी की बात सुनकर पंडित जी बोले, "हाँ पर बहन जी, हमें आपकी बिटिया की शादी में बहुत बड़ा संकट दिखाई दे रहा है। इसकी वजह से हो सकता है कि आप जिस लड़के से इसकी शादी करना चाहती हैं, उससे हो ही न हो।"


    पंडित जी की बात सुनकर सभी लोग शॉक हो गए। राकेश जी ने लक्ष्मी के सिर पर हाथ फेरते हुए पंडित जी से कहा, "देखो पंडित जी, आप मेरी बेटी के सामने इस तरह की बात करके उसे डराओ मत। मेरे होते हुए मेरी बेटी की शादी में कोई समस्या आ ही नहीं सकती।"


    इतना बोलकर राकेश जी ने लक्ष्मी का हाथ पकड़कर कहा, "चल बेटी, हमें नहीं करनी कोई पूजा-पाठ।"


    और वे लक्ष्मी को ले जाने लगे। मीना जी उन्हें रोकने का प्रयास करने लगीं।


    वह पंडित जोर से बोला, "तुम्हें जो इतना घमंड है ना कि तुम अपनी बेटी की शादी में कोई समस्या खड़ी नहीं होने दोगे, याद रखना, तुम ही बनोगे इसकी शादी ना होने की सबसे बड़ी समस्या का।"


    वह पंडित बोल रहा था, लेकिन राकेश जी नहीं रुके और वे लोग जैसे ही मंदिर के बाहर आए, उसी समय लक्ष्मी रुक गई।


    यह देख राकेश जी पलटकर उसे देखकर बोले, "अब तुझे क्या हुआ? चल ना।"


    लक्ष्मी ने ना में सिर हिलाकर कहा, "नहीं बाबा, हम इस पूजा को पूरे किए बिना नहीं जा सकते।"


    लक्ष्मी की बात सुनकर राकेश जी बोले, "लेकिन बेटी, ऐसा कुछ भी नहीं होता है। ये लोग हमें पागल बनाते हैं ताकि हमसे पैसे ले सकें।"


    मीना जी बोलीं, "देखिए आप ऐसा मत बोलो भगवान..."


    लेकिन वे आगे बोलतीं, उससे पहले राकेश जी ने उन्हें अपनी आँखें देखकर शांत रहने का इशारा करते हुए कहा, "आप तो चुप ही रहो। यह सारा प्लान आपका ही था कि मेरी बेटी के लिए एक पूजा रखी जाए। अब देखो वे लोग किस तरह की बात कर रहे हैं।"


    मीना जी कुछ और नहीं बोलीं। लक्ष्मी ने अपने बाबा राकेश जी के हाथ पकड़कर कहा, "बाबा, हमें नहीं पता क्या सच और क्या झूठ, लेकिन हम नहीं चाहते कि हमारी शादी में आप पर कोई समस्या आए। इसलिए हमें आखिरी रस्म भी पूरी करने दो पूजा की।"


    तभी मीना जी बोलीं, "हाँ, हमारी बेटी सही कह रही है जी। और वैसे भी 5 परिक्रमा ही तो लगाना है।"


    राकेश जी ने गहरी साँस लेकर लक्ष्मी के गालों को छूकर कहा, "अच्छा है। जाओ और जल्दी आना।"


    और फिर अपने पास खड़े आरव को देखकर बोले, "तुम भी जाओ अपनी दीदी के साथ और ध्यान रखना उसके पैर में कोई काँटा नहीं चुभे।"


    आरव ने हां में सिर हिला दिया।


    यह देख लक्ष्मी ने अपनी माँ-बाप मीना जी और राकेश जी के पैर छूकर वापस मंदिर के अंदर चली गई और उसके पीछे आरव भी।


    लक्ष्मी पंडित जी के आगे आकर उनसे अपने पिता की तरफ से माफी मांगती है। तो पंडित जी उससे कहते हैं कि वे अभी भी अपनी बात पर अटल हैं कि 5 परिक्रमा के समय लक्ष्मी को एक पल के लिए भी अपनी आँखें नहीं खोलनी हैं और उसके मन में सिर्फ अपने होने वाले पति की तस्वीर ही होनी चाहिए, जिससे उसकी शादी होने वाली है। और अगर एक पल के लिए भी किसी गैर-मर्द का ध्यान उसके मन में नहीं आना चाहिए, वरना संकट नहीं टल सकता है।


    लक्ष्मी ने हां में सिर हिलाकर कहा, "जी पंडित जी, मैं इस चीज़ का पूरा ध्यान रखूंगी।"


    तो पंडित जी मंदिर के अंदर जाकर भगवान के पैरों के पास चढ़े फूलों में से एक फूल लाकर उसे लक्ष्मी के हाथों में देकर बोले, "इसे अपने दोनों हाथों में बंद करके रखो। यह तुम्हारी मदद करेगा।"


    लक्ष्मी ने ऐसा ही किया और उस फूल को अच्छे से अपने दोनों हाथों के बीच रखकर भगवान के आगे हाथ जोड़कर अपनी आँखें बंद करके परिक्रमा शुरू कर दी, यह कहते हुए,


    "जय श्री कृष्ण... जय श्री कृष्ण... जय श्री कृष्ण.... जय श्री कृष्ण..."


    और उसके पीछे आरव भी चल रहा था।


    यह देख पंडित जी पलटकर मंदिर के अंदर बनी राधा कृष्ण की मूर्ति को देखकर उनके आगे प्रार्थना करते हुए बोले, "प्रभो, आपको सब पता है, तो इस प्यारी सी बच्ची की लाइफ से सारी परेशानी दूर करके इसकी लाइफ में एक ऐसा इंसान लेकर आओ और उससे ही इसकी शादी हो जो सिर्फ इसका हो और किसी का नहीं।"


    पंडित जी लक्ष्मी की कुंडली देखकर ही समझ गए थे कि जिस लड़के से लक्ष्मी की शादी होने वाली है, वह लड़का कैसा है। और अगर गलती से भी लक्ष्मी की शादी उससे हो गई, तो इसकी पूरी लाइफ खराब हो जाएगी। और जिससे होनी चाहिए, वह सही से इसकी लाइफ में आया ही नहीं है। अभी इस विधि से लक्ष्मी के मन में उसकी तस्वीर जरूर आएगी जो उसका जीवन साथी बनेगा और हो सकता है कि वह खुद आए।


    यही सोच वह मंदिर के अंदर चले गए।


    क्या पंडित जी ने जो सोचा है वह होगा या लक्ष्मी पूरी रस्म कर लेगी? क्या होगा आगे, जानने के लिए पढ़े अगला भाग।

  • 14. Forced Marriage - Chapter 14

    Words: 1186

    Estimated Reading Time: 8 min

    मंदिर में पंडित जी की बात सुनकर राकेश जी पूजा के बाद की आखिरी विधि करने से मना कर दिया और लक्ष्मी का हाथ पकड़कर बाहर आ गए। तब लक्ष्मी और मीना जी के समझाने पर वे मान गए, जिससे लक्ष्मी आरव के साथ चली गई।

    इधर लक्ष्मी मंदिर की परिक्रमा कर रही थी, आरव की मदद से।

    दूसरी तरफ, हवन पूरा होते ही नारायण गुनगुन को अर्जुन को देकर बोला, "कि वे सभी गुनगुन के साथ जाकर जीप में उसका इंतज़ार करें। वो आखिर रस्म करेगा।" वह मंदिर के पीछे जाकर एक प्लेट में कुछ खाना लेकर कौआ को खिलाकर आया।

    नारायण की बात सुनकर सभी ने ऐसा ही किया। वे लोग मंदिर के बाहर चले गए।

    नारायण ने पंडित जी को हवन में खर्च हुए पैसे देकर उनसे एक प्लेट में खीर और खाने की कुछ सामग्री लेकर चला गया।

    वह मंदिर के पीछे बने पत्थर पर उन्हें रखकर हाथ जोड़कर खड़ा हो गया।

    इधर, लक्ष्मी ने आरव की मदद से तीन परिक्रमा अच्छे से पूरी कर लिए थे और चौथे परिक्रमा को पूरा करने के लिए वह मंदिर के पीछे आ गई थी।

    मंदिर के पीछे एक खाई थी, थोड़ी दूरी पर, जिसके नीचे एक नदी बह रही थी। खाई के कोने पर पत्थरों के पास नारायण खड़ा हुआ था, अपनी दोनों आँखें बंद करके हाथ जोड़े हुए। वह गुनगुन के बाबा की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रहा था और उनसे कह रहा था कि वे निश्चित रहें, गुनगुन की तरफ़ से उसके होते हुए उसकी लाइफ़ में कोई भी समस्या नहीं आएगी।

    लक्ष्मी के साथ चल रहे आरव के फ़ोन पर उसी समय किसी लड़की का कॉल आया। आरव जल्दी से अपने पैंट की पॉकेट से फ़ोन निकालकर पहले कॉल काटने वाला था, लेकिन फिर उस लड़की का नाम पढ़कर वह खुद को रोक नहीं पाया उससे बात करने से और लक्ष्मी से थोड़ी दूर आकर उसकी तरफ़ पीठ करके उस लड़की से बात करने लगा जो उसकी GF है।

    लक्ष्मी, जिसकी आँखें बंद थीं, वह भगवान का नाम लेते हुए ही आगे बढ़ती जा रही थी।

    "जय श्री कृष्णा"...

    लक्ष्मी को लग रहा था कि वह सही चल रही है, लेकिन वह अपनी दिशा से भटक चुकी थी और उसका हर एक कदम उसकी मौत की तरफ़ बढ़ रहा था क्योंकि अब मात्र दो-तीन कदम की दूरी पर खाई थी, जिसमें गिरना यानी मौत होना और शायद ही कोई बचा हो वहाँ से गिरकर।

    वहाँ और भी लोग थे, जिनमें से एक आदमी की नज़र लक्ष्मी पर पड़ गई जो लक्ष्मी से दूर था। उसने जोर से आवाज़ लगाकर बोला, "अरे तुम कहाँ जा रही हो? वहाँ मौत है!"

    उस आदमी की आवाज़ सुनकर सभी की नज़र लक्ष्मी पर गई। आरव भी पलटकर जब यह देखता है कि उसकी बहन कहाँ पहुँच गई है तो वह बहुत डर जाता है और जोर से आवाज़ लगाकर बोला, "दीदी रुक! आगे मत जाओ!"

    और वह लक्ष्मी की तरफ़ भागता है उसे पकड़ने के लिए।

    आरव की आवाज़ सुनकर लक्ष्मी एकदम से अपनी आँखें खोलकर देखती है तो वह खाई के कोने पर खड़ी थी। अगर वह थोड़ी भी आगे बढ़ती है तो सीधा नीचे गिर जाएगी।

    यह देख वह बहुत डर जाती है और जैसे ही पलटने को होती है, तभी कोने पर जिस छोटे से पत्थर पर वह खड़ी थी, वह कोने से टूट जाता है और उसके साथ ही लक्ष्मी चीखती हुई खाई से नीचे गिरने लगती है।

    यह देख सभी की दिल की धड़कन थम सी जाती है। आरव के लिए समय वहीं पर रुक सा गया था।

    मंदिर के बाहर खड़े राकेश जी और मीना जी तक भी अपनी बेटी लक्ष्मी की आवाज़ सुनाई देती है, जिसे सुनकर वे दोनों भी बहुत डर जाते हैं और तेज़ी से मंदिर के पीछे भागते हैं।

    इधर सभी को लगा कि अब यह लड़की नहीं बचेगी।

    उसी समय सभी की आँखों के आगे से एक परछाई मात्र गुज़रते हुए दिखाई देती है और कुछ ही देर में एक आदमी खाई में छलांग लगा देता है।

    यह देख सभी की आँखें शॉक में रह जाती हैं और सभी तेज़ी से खाई की तरफ़ भागते हैं।

    आरव भी सभी के साथ जब उस खाई के कोने पर आकर नीचे देखता है तो एक आदमी खाई के ऊपर लगे एक छोटे से पेड़ की सूखी शाखा को पकड़कर लटका हुआ था। फिर सभी की नज़र और नीचे जाती है तो वह खाई में गिरी लड़की का हाथ पकड़कर लटका हुआ था।

    सभी लोगों की नज़र नीचे थी, तब तक वहाँ राकेश जी और मीना जी भी आ गए थे और वे नीचे का नज़ारा देख बहुत डर जाते हैं।

    मीना जी आरव को देख बोलीं, "यह सब कैसे हुआ आरव? और तू कहाँ था?"

    आरव अपनी माँ की बात सुनकर अपने पिता जी राकेश जी को देखता है जो गुस्से से उसे घूर रहे थे।

    यह देख आरव डरते हुए बोला, "वो मॉम, कॉलेज से एक फ़्रेंड का कॉल आया था तो थोड़ी देर के लिए मैं..."

    वह इससे आगे कुछ भी बोल पाता, उससे पहले मीना जी एक जोर का थप्पड़ उसके गाल पर लगाकर रोते हुए बोलीं, "तू इतना लापरवाह कैसे हो सकता है?"

    तभी राकेश जी बोले, "इसमें हमारी भी गलती है। हम लोगों को भी उसके साथ होना चाहिए था।"

    इतना बोल वे नीचे खाई में लटके उस लड़के, जिसने उनकी बेटी का हाथ पकड़े हुए था, की तरफ़ हाथ जोड़कर बोले, "तुम जो कोई भी हो, प्लीज़ मेरी बेटी को बचा लो और उसका हाथ मत छोड़ना।"

    मीना जी उस लड़के को देखकर ऐसा ही करती हैं।

    नीचे छोटे से पेड़ की एक सूखी शाखा से लटके हुए लड़के, यानी नारायण, ने अपना सिर ऊपर करके एक नज़र उन्हें देखकर बोला, "ये लोग मुझसे बिनती करने की जगह मेरी हेल्प करें तो और अच्छा होगा।"

    नारायण फिर अपना सिर नीचे करके लक्ष्मी से बोला, "तुम हर बार मेरे लिए क्यों परेशानी खड़ी कर देती हो?"

    नारायण की बात सुनकर लक्ष्मी हैरानी से बोली, "मत भूलो, पिछली बार मैंने तुम्हें बचाया था। इस बार तुम मुझे बचा लो। मुझे ऊँचाई से गिरने में बहुत डर लगता है।"

    नारायण लक्ष्मी की बात सुनकर बोला, "तुम्हें क्या लगता है कि मुझे कोई शौक है तुम्हारे साथ यहाँ लटकने का?"

    इतना बोल नारायण एक झटके से अपना हाथ ऊपर करके लक्ष्मी को ऊपर करके उसे उसकी कमर से पकड़कर खुद से चिपका लेता है।

    यह देख लक्ष्मी की आँखें बंद हो जाती हैं डर से और नारायण उसकी इस मासूमियत भरे चेहरे को देखकर खो सा जाता है।


    क्या बचा पाएगा नारायण लक्ष्मी को?

    कहीं दोनों नीचे तो नहीं गिर जाएँगे?

    आगे क्या होगा, जानने के लिए पढ़े अगला भाग।

  • 15. Forced Marriage - Chapter 15

    Words: 1229

    Estimated Reading Time: 8 min

    लक्ष्मी आँखें बंद करके मंदिर की परिक्रमा लगा रही थी। उसे पता नहीं चला कि वह कब मंदिर के पीछे वाली खाई में गिर गई। इसे देख वहाँ बहुत भीड़ जमा हो गई। उसी समय एक आदमी भी खाई में गिर गया।


    नारायण एक हाथ से लक्ष्मी को उसकी कमर से पकड़े हुए था और दूसरे हाथ से पेड़ की सूखी शाखा पकड़कर लटका हुआ था।

    लक्ष्मी के चेहरे में खोया नारायण के कानों में लक्ष्मी की आवाज़ आई,

    "तुम मुझे घूरते रहोगे? ऊपर जाने के बारे में भी कुछ सोचोगे?"

    लक्ष्मी की आवाज़ सुनकर नारायण होश में आया। उसने एक नज़र नीचे देखा और फिर लक्ष्मी को देखकर बोला, "मैं कुछ नहीं कर सकता, मेरे दोनों हाथ बिज़ी हैं।"

    तभी दोनों के कानों में पेड़ की उस सूखी डाल के टूटने की आवाज़ आई। यह सुनकर दोनों की आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं। नारायण ने एक नज़र पेड़ की सूखी डाल को देखा जो आधी से ज़्यादा टूट चुकी थी। नारायण फिर लक्ष्मी का चेहरा देखकर बोला, "क्या तुम्हें तैरना आता है?"

    लक्ष्मी ने ना में सिर हिलाया। यह देख नारायण बोला, "ओह! लगता है तुम्हारा मरना तय है। मुझे आता है, तो मैं बच जाऊँगा।"

    नारायण की बात सुनकर लक्ष्मी का रोने जैसा चेहरा हो गया।

    नारायण लक्ष्मी की शक्ल देख मुस्कुराने लगा। उसी समय वह सूखी शाखा पेड़ से टूट गई। यह देख लक्ष्मी डर से अपनी आँखें बंद कर लेती है।

    लेकिन वे नीचे गिरने से पहले ही एक रस्सी ऊपर से नीचे आ गई। इसे देख नारायण जल्दी से उसे पकड़ लेता है। वह रस्सी ऊपर से पुलिस वालों ने फेंकी थी, जिन्हें राकेश जी ने कॉल करके बुलाया था।

    लक्ष्मी जब अपनी आँखें खोलकर देखती है तो नारायण के हाथ में रस्सी थी और वे लोग ऊपर जा रहे थे। पुलिस की एक टीम उन्हें मिलकर ऊपर खींच रही थी।

    यह देख लक्ष्मी मुस्कुराते हुए बोली, "इसका मतलब हम लोग बच गए।"

    नारायण भी मुस्कुराते हुए हाँ में सिर हिलाता है। उसी समय लक्ष्मी रस्सी को पकड़ने के लिए अपना हाथ ऊपर उठा लेती है।

    यह देख नारायण अपना हाथ लक्ष्मी की कमर से हटा लेता है। लेकिन उसी समय वह ऐसा कुछ देखता है जिससे उसकी आँखें खुली की खुली रह जाती हैं।

    नारायण कभी लक्ष्मी के चेहरे को देखता तो कभी उसकी कमर की तरफ़ देखता।

    ऊपर आकर पुलिस वाले लक्ष्मी को हाथ देकर पहले ऊपर चढ़ा लेते हैं और नारायण खुद ऊपर आ जाता है।

    लक्ष्मी दो पुलिस वालों के साथ अपने माँ-बाप के पास चली जाती है। नारायण की आँखों में नमी आ गई थी और उसकी नज़र सिर्फ़ लक्ष्मी पर थी। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसने जो देखा वो सच था।

    नारायण फिर देखता है कि एक आदमी कोट-पैंट पहने भागते हुए आता है और आकर सीधा लक्ष्मी को गले लगा लेता है।

    यह देख नारायण का चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है और उसकी मुट्ठियाँ कस जाती हैं। वह जैसे ही आगे बढ़ने को होता है, तभी अर्जुन और बाकी सभी गुंजन के साथ आ जाते हैं। गुंजन नारायण का पैर पकड़कर बोली, "अंकल आप ठीक हो ना?"

    गुंजन को ऐसा करते देख और उसकी आँखों में अपने लिए आँसू देखकर नारायण का गुस्सा थोड़ा शांत हो जाता है। वह गुंजन को अपनी गोद में लेकर उसकी आँखों से आँसू साफ़ करके बोला, "कुछ नहीं हुआ है बच्चा, आपके अंकल को। आप रोना बंद करो।"

    अर्जुन नारायण को देखकर बोला, "यार तू उस लड़की की वजह से क्यों खाई में गिरा?"

    बोलने के बाद अर्जुन नारायण की नज़रों का पीछा करता है तो वह उस लड़की को देख रहा था जो अपने परिवार के साथ बातें कर रही थी और उसका हाथ एक लड़के ने पकड़ा हुआ था।

    यह देख विशाल बोला, "भाई कहीं आप उससे प्यार तो नहीं करते? तभी तो उसके लिए अपनी जान की परवाह भी नहीं की आपने।"

    नारायण कुछ नहीं बोलता, वह बस लक्ष्मी को देखे जा रहा था।

    जब छोटे गौर से उस लड़की को देखता है तो वह हैरानी से बोला, "नहीं यार, यह तो वो लड़की है जिसकी वजह से भाई लॉकअप में बंद रहे थे।"

    छोटे की बात सुनकर सभी शॉक होकर लक्ष्मी की तरफ़ देखने लगते हैं और फिर नारायण को, जो लक्ष्मी को देखे जा रहा था, यह देख सभी समझ चुके थे कि क्या हो रहा है।

    नारायण की आँखों के सामने एक लड़की का चेहरा बार-बार गुज़र रहा था।

    "एक लड़की जो उसकी सब कुछ थी और फिर एक दिन वह ऐसी गायब हुई कि कभी वापिस नहीं आई। उसके सभी दोस्तों ने उसे समझाया कि वह उसे छोड़कर चली गई, लेकिन उसे कभी विश्वास नहीं हुआ कि उसका प्यार उसे छोड़कर जा सकता है। लेकिन आज वही लड़की किसी का हाथ पकड़कर खड़ी हुई थी।"

    नारायण अपनी सोच में खोया हुआ था कि तभी लक्ष्मी उस लड़के का हाथ पकड़कर उसके पास आ रही थी और उसके पीछे उसका पूरा परिवार था।

    अर्जुन और बाकी सभी नारायण के पीछे खड़े हो जाते हैं।

    लक्ष्मी राहुल का हाथ पकड़े अपने परिवार के साथ नारायण के सामने आकर खड़ी हो जाती है।

    सबसे पहले राकेश जी बोले, "बेटे, मेरी बेटी की जान बचाने के लिए तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद।"

    राकेश जी हाथ जोड़कर बोले।

    नारायण कुछ नहीं बोलता, बस अपना सिर हिला देता है। उसकी नज़र तो लक्ष्मी के हाथ पर थी जिसे राहुल ने पकड़ा हुआ था।

    लक्ष्मी नारायण को देखकर बोली, "सॉरी, मैंने बिना जाने तुम्हारे साथ ऐसा किया था उस दिन। लेकिन आज एहसास हुआ कि तुम एक अच्छे दिल के इंसान हो। बस थोड़ी गुंडागर्दी छोड़ दो।"

    लक्ष्मी नारायण को देखकर मुस्कुराकर बोली।

    नारायण लक्ष्मी की बात सुनकर और उसे मुस्कुराते हुए देखता रह जाता है। नारायण को एहसास हो रहा था कि यह वो लड़की नहीं जिसे वो प्यार करता था। इसलिए इस समय उसका मन कर रहा था कि इस लड़की के गाल पर जोर का थप्पड़ मारकर पूछे कि उसने उसके साथ ऐसा क्यों किया? क्यों उसे छोड़कर किसी और का हाथ थाम लिया?

    यही सोच उसकी आँखों में नमी ला रही थी और उसे अपनी आँखों से आँसू साफ़ करना मुश्किल हो रहा था।

    नारायण फिर जैसे ही जाने के लिए मुड़ता है, उसी समय राहुल नारायण के कंधे पर हाथ रखकर बोला, "थैंक्स ब्रो, मेरे प्यार को बचाने के लिए। अगर तुम्हें किसी भी चीज़ की ज़रूरत पड़े तो बिना डरे मेरे पास आ जाना।"

    राहुल फिर अपनी पैंट की पॉकेट से अपना बिज़नेस कार्ड उसे देते हुए बोला।

    नारायण पलटकर पहले लक्ष्मी को देखता है और फिर उससे राहुल का कार्ड लेकर बिना कुछ बोले गुंजन को लेकर जाने लगता है।

    लक्ष्मी जाते हुए नारायण को देख अपने मन में बोली, "पता नहीं क्यों, लेकिन मुझे इसकी आँखों में देखकर ऐसा लग रहा था जैसे मैंने इसके साथ कुछ गलत किया हो। लेकिन क्या?"


    आगे क्या होगा जानने के लिए पढ़ें अगला भाग।

  • 16. Forced Marriage - Chapter 16

    Words: 1183

    Estimated Reading Time: 8 min

    नारायण और लक्ष्मी को पुलिस की टीम ने रस्सी की मदद से खाई से बाहर निकाला। लेकिन नारायण ने लक्ष्मी के शरीर पर कुछ ऐसा देखा जिससे उसकी आँखों में आँसू आ गए। फिर राहुल और लक्ष्मी को साथ देख उसे बहुत तेज गुस्सा आया। इसलिए वह बिना कुछ ज्यादा बात किए वहाँ से निकल गया।

    पुरानी बिल्डिंग में सभी लोग नारायण के कमरे के बाहर खड़े थे और अर्जुन की गोद में गुनगुन थी।

    छोटे ने दरवाज़ा खटखटाते हुए कहा, "भाई, गेट खोलो। आप खुद को दो दिन से अपने कमरे में क्यों बंद किए हुए हो?"

    लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं आया।

    तभी विशाल बोला, "हो ना हो, ज़रूर भाई उस लड़की से प्यार करते हैं और उस लड़की के साथ उस लड़के को देख उन्हें बहुत दुःख हुआ है।"

    विशाल की बात सुनकर आदित्य बोला, "अगर ऐसा है तो अपन आज उस लड़की और उसके बॉयफ्रेंड को ज़िंदा नहीं छोड़ेंगे।"

    इतना बोलकर वह अपनी बंदूक निकालकर तेज़ी से सीढ़ियों की तरफ़ जाने लगा।

    यह देख विशाल और छोटे जल्दी से उसके पीछे जाकर उसे पीछे से पकड़कर बोले, "रुक जा भाई! जल्दबाज़ी में ऐसा कोई भी कदम मत उठा जिसके बजे से हमें बाद में पछताना पड़े। और वैसे भी, भाई ने हमें ऐसा कुछ भी करने को नहीं बोला।"

    विशाल और छोटे की बात सुनकर आदित्य जैसे ही कुछ बोलने वाला था, तभी अर्जुन उनके पास आते हुए बोला, "हाँ आदित्य भाई, हम बिना भाई की मर्ज़ी के कोई भी कदम नहीं उठा सकते। और हमें अभी पता भी तो नहीं उस लड़की के बारे में कुछ भी कि वह कौन है और वह लड़का कौन था उसके साथ।"

    अर्जुन की बात सुनकर विशाल बोला, "मुझे अर्जुन की यह बात पसंद आई। पहले हमें इसी चीज़ का पता लगाना चाहिए।"

    विशाल की बात सुनकर छोटे बोला, "ठीक है विशाल भाई, अपन अभी उसकी पूरी खबर लेकर आता हूँ।"

    इतना बोलकर वह जाने लगा, तभी आदित्य उसके पीछे आते हुए बोला, "रुक, मैं भी तेरे साथ चलता हूँ। मैं भी देखूँगा उसे जिसने भाई के साथ ऐसा किया।"

    छोटे, अर्जुन और विशाल को देखता है। विशाल आदित्य को देखकर जैसे ही कुछ बोलने वाला होता है, तभी आदित्य बोला, "अरे तुम लोग चिंता मत करो। मैं वहाँ जाकर किसी को नहीं मारूँगा।"

    आदित्य की बात सुनकर अर्जुन हँसते हुए बोला, "मुझे पता है तू कब कैसे गोली मार दे, तुझे ही नहीं पता होता है।"

    अर्जुन की बात सुनकर आदित्य उसे घूरकर देखता है और फिर छोटे के साथ घर से निकल जाता है।

    दोनों के जाने के बाद अर्जुन और विशाल फिर से आकर नारायण के कमरे का दरवाज़ा खटखटाने लगते हैं।

    कुछ देर बाद अर्जुन, विशाल के साथ गुनगुन हॉल में सोफ़े पर बैठे हुए थे। तीनों अपना एक हाथ से अपना चेहरा पकड़े किसी गहरी सोच में डूबे हुए थे।

    गुनगुन ने अपने छोटे दिमाग पर ज़ोर देते हुए कहा, "मुझे लगता है अंकल को उनके कमरे से बाहर निकलने के लिए हमें आंटी को लेकर आना पड़ेगा।"

    गुनगुन की बात सुनकर दोनों उसे हैरानी से देखने लगे।

    अर्जुन गुनगुन को अपनी गोद में लेकर बोला, "नहीं बच्चा, हम लोग ऐसा नहीं कर सकते हैं जब तक आपके अंकल ना बोल दें।"

    तभी मेन गेट से आदित्य गुस्से में अंदर आ रहा था और उसके पीछे छोटे आ रहा था।

    जिसे देख विशाल बोला, "तू इतने गुस्से में क्यों लग रहा है? और क्या तुम लोगों ने पता किया उसके बारे में?"

    विशाल की बात सुनकर आदित्य सोफ़े पर बैठकर बोला, "तू इस छोटे से पूछ। मेरा तो इतना दिमाग खराब है कि मन कर रहा था कि उसे वहीं गोली मार दूँगा।"

    आदित्य की बात सुनकर सभी लोग छोटे की तरफ़ देखते हैं जिसका चेहरा बहुत सीरियस लग रहा था। वह ऊपर नारायण के कमरे की तरफ़ देखकर बोला, "खबर अच्छी नहीं है और यह बात पहले हमें भाई को बतानी चाहिए। वह ही फैसला करेंगे क्या करना है।"

    इतना बोलकर वह सीधा सीढ़ियों से नारायण के कमरे में चला जाता है और उसके पीछे बाकी सभी कन्फ़्यूज़ होकर चले जाते हैं। आदित्य उन्हें बता देता है कि आज वह लड़की उस लड़के से शादी कर रही है।

    जिसकी बात सुनकर अर्जुन और विशाल हैरान रह जाते हैं।

    सभी लोग नारायण के कमरे के आगे आकर खड़े हो जाते हैं। छोटे ने कमरे का दरवाज़ा खटखटाते हुए कहा, "भाई, गेट खोलो। वह भाभी किसी और से…"

    छोटे आगे कुछ बोल पाता, उससे पहले ही एकदम से दरवाज़ा खुलता है और सभी सामने देखते हैं तो नारायण खड़ा हुआ गुस्से में है। छोटे को देखकर वह बोला, "भाभी नहीं है। वो तुम लोगों की ओर क्या हुआ उसे?"

    इतना बोलकर वह गुनगुन को देखता है जो उसे गुस्से में देखकर बहुत डर गई और वह कसके अर्जुन के गले लगी हुई थी।

    यह देख नारायण अर्जुन को गुनगुन को ले जाने का इशारा करता है। जिसका इशारा समझकर अर्जुन हाँ में सिर हिलाकर वहाँ से चला जाता है।

    उनके जाने के बाद नारायण कमरे से बाहर आकर बोला, "क्या हुआ उसे?"

    छोटे पहले आदित्य और विशाल को देखता है तो वे दोनों उसे बोलने का इशारा करते हैं।

    छोटे बोला, "भाई, वह भाभी, मतलब वह लड़की की आज शादी उस लड़के के साथ हो रही है।"

    छोटे की बात सुनकर नारायण उन्हें देख रहा था और फिर अपना सिर नीचे करके नॉर्मल होकर बोला, "ओह, अच्छा। तो कितने बजे का समय पर हो रही है?"

    नारायण को इतने शांति से बात करते देखकर तीनों हैरानी से एक-दूसरे की तरफ़ देखते हैं। आदित्य बोला, "लेकिन भाई, क्या आपको कोई फ़र्क नहीं पड़ता?"

    लेकिन नारायण उसे अपना हाथ दिखाकर छोटे से बोला, "कुछ पूछा ना मैंने तुमसे।"

    छोटे नारायण की बात सुनकर जल्दी से बोला, "भाई, अब से एक घंटे बाद।"

    छोटे की बात सुनकर नारायण फिर से नॉर्मल टोन में बोला, "अच्छा है। तो फिर तुम लोग वहाँ क्यों खड़े हो? जाओ, तैयार होकर आओ। हमें शादी में जाना है ना।"

    नारायण की बात सुनकर तीनों कन्फ़्यूज़ होकर एक-दूसरे को देखते हैं। फिर बिना कुछ बोले तीनों अपने-अपने कमरे में चले जाते हैं तैयार होने के लिए।

    तीनों के जाने के बाद नारायण के चेहरे के भाव एकदम से बदल जाते हैं और वह अपने चेहरे पर कठोर भाव लाकर बोला, "लक्ष्मी शर्मा, तुम्हें बहुत शॉक होगा। दूसरे के दिल से खेलने का मुझे तकलीफ़ देकर तुम भी चैन से किसी और से शादी नहीं कर पाओगी। अब वह होगा जो तुमने सपने में नहीं सोचा होगा। तुम्हारी पूरी लाइफ़ मैंने बेकार नहीं की, तो मेरा नाम भी नारायण ठाकुर नहीं।"

  • 17. Forced Marriage - Chapter 17

    Words: 1116

    Estimated Reading Time: 7 min

    शाम के 7 बजे शर्मा निवास के बाहर बड़े से गार्डन में चारों ओर लाइट और फूलों से सजाया गया था। बीच में मंडप लगाया गया था और आस-पास मेहमान कुर्सियाँ डालकर बैठे मंडप में देख रहे थे। राहुल मंडप में बैठा हुआ था और उसके सामने पंडित जी मंत्र पढ़ रहे थे। उनके पीछे मीना जी और राकेश जी खड़े हुए थे। राहुल के पीछे भी उसके परिवार के लोग खड़े थे।

    पंडित जी मंत्र पढ़ते हुए बोले, "मुहूर्त का समय हो गया है। कन्या को बुलाया जाए।"

    पंडित जी की बात सुनकर राकेश जी ने मीना जी को इशारा किया कि वे लक्ष्मी को लेकर आएँ।

    मीना जी ने हाँ में सिर हिलाकर अपने पास खड़ी लक्ष्मी की दोस्तों को बुलाया। लक्ष्मी की कॉलेज की दो दोस्तें, मीना जी की बात सुनकर, गार्डन के गेट से निकलकर घर के अंदर चली गईं।

    टीना एक कुर्सी पर मेहमानों से सबसे आगे बैठी हुई थी और उसके चेहरे पर टेढ़ी मुस्कान थी। कुछ ही देर में वह ऐसा कुछ करने वाली थी जिसकी ख़बर राहुल को भी नहीं थी। उस दिन लक्ष्मी ने जिस लड़के, यानी नारायण की मदद की थी, उसी समय की फ़ोटो वह सामने लगी एलईडी टीवी पर दिखाने का उसका प्लान था। यह प्लान उसे और कैमरामैन को पता था और वह कब दिखाएगी, यह भी टीना ही उसे इशारों से बताएगी। टीना ने ठान लिया था कि इस लड़की को राहुल की लाइफ़ में नहीं आने देगी। राहुल सिर्फ़ उसका है।

    यही सोचकर उसकी चेहरे की मुस्कान और बड़ी हो गई।

    राहुल, जो पंडित जी को देख रहा था, उसकी नज़र टीना पर भी थी। उसे लग रहा था कि यह लड़की उसके किये-करने पर पानी ना फेर दे। क्योंकि शर्मा परिवार और दुनिया के आगे सिर्फ़ उसकी अच्छी साइड थी और अपनी दूसरी साइड वह किसी भी कीमत पर किसी को नहीं दिखाना चाहता था। इसलिए उसने अपने कुछ आदमियों को यह काम सौंपा था कि अगर यह लड़की टीना कुछ भी करने को हुई तो उससे पहले वे लोग उसके प्लान को पूरे होने से पहले उसे वहाँ से बाहर फेंक दें।

    और यही सोचकर राहुल ने भी टीना को एक मुस्कान दी।

    लक्ष्मी अपने कमरे में शीशे के आगे तैयार होकर कुर्सी पर बैठी हुई थी और उसके पीछे कुछ लड़कियाँ थीं जो उसके गली की लड़कियाँ थीं।

    इस समय लक्ष्मी को देख ऐसा लग रहा था जैसे खुद माता लक्ष्मी बैठी हों। वे लड़कियाँ जिन्होंने लक्ष्मी को तैयार किया था, वे खुद हैरान थीं क्योंकि लक्ष्मी बहुत खूबसूरत और प्यारी लग रही थी।

    सभी लड़कियाँ उसे छेड़ रही थीं कि उनके राहुल जीजा जी उसे देखकर बेहोश ही न हो जाएँ।

    इसे सुनकर लक्ष्मी का चेहरा शर्म से लाल हो रहा था।

    तभी कमरे का गेट खुलकर लक्ष्मी की कॉलेज की दो दोस्तें, पायल और प्रिया, अंदर आईं। और जैसे ही वे बोलने वाली थीं कि सब लोग दुल्हन का इंतज़ार कर रहे हैं मंडप में, उससे पहले लक्ष्मी को देखकर उनकी आँखें खुली की खुली रह गईं।

    पायल अपनी आँखें बड़ी करते हुए लक्ष्मी और बाकी सभी के पास आते हुए बोली, "यार तू तो पूरे तरह से चेंज हो गई है! कहीं मैं ही तुझे भगाकर ना ले जाऊँ!"

    पायल इतना बोलकर लक्ष्मी के गले में अपने दोनों हाथ डालकर उसके गले लगकर बोली, "यार तू क्यों शादी कर रही है? अब हमारा क्या होगा?"

    लक्ष्मी ने पायल को सामने शीशे में देख मुस्कुराकर कहा, "यह दिन तो सबके लाइफ़ में आता है और आज मेरी तो कल तेरी भी शादी होगी ना।"

    तभी प्रिया पीछे से आकर पायल के सिर पर धीरे से मारते हुए बोली, "कहीं नहीं जा रही है वो, बस उसका एड्रेस चेंज हो रहा है।"

    इतना बोलकर वो हँसने लगी और उसकी बात सुनकर बाकी सब भी हँसने लगीं।

    तभी कमरे में मीना जी आकर बोलीं, "अरे तुम दोनों तो यहाँ आकर पंचायत करने लगीं और वहाँ सभी दुल्हन का इंतज़ार कर रहे हैं।"

    मीना जी को देखकर और उनकी आवाज़ सुनकर लक्ष्मी कुर्सी से खड़ी हो गई।

    मीना जी लक्ष्मी के पास आकर टेबल पर रखी काजल की डिब्बी से अपनी उंगली में थोड़ा काजल लेकर लक्ष्मी के कान के पीछे छोटा सा टीका लगाकर बोलीं, "मेरी बच्ची को किसी की नज़र ना लगे।"

    यह देख लक्ष्मी एकदम से उनके गले लगकर रोने लगी।

    और यह देख मीना जी ने उसके सिर पर हाथ रखकर कहा, "ना बच्चा, रोना मत। और रो क्यों रही है? राहुल बहुत अच्छा लड़का है। उसके साथ तू सदा ही खुश रहेगी और मुझे विश्वास है कि उसका परिवार भी तुझे उतना ही प्यार देगा जितना हम लोग तुझसे करते हैं।"

    इतना बोलकर मीना जी ने उसकी आँखों से आँसू साफ़ करके आगे बोली, "और अब रोना मत, तेरा सारा मेकअप ख़राब हो जाएगा।"

    लक्ष्मी ने हाँ में सिर हिला दिया। यह देख मीना जी ने उसे घूँघट ओढ़ाकर पायल, प्रिया और बाकी लड़कियों को देखकर बोली, "तुम लोग इसे जल्दी से लेकर आओ।"

    इतना बोलकर वे तेज कदमों से वहाँ से निकल गईं। शायद उन्हें खुद के आँखों में आँसू रोकना मुश्किल हो रहा था।

    इधर सभी लड़की लक्ष्मी को लेकर मंडप में आ रही थीं। दूसरी तरफ नारायण, छोटे, विशाल और आदित्य जीप में लक्ष्मी के घर की तरफ़ आ रहे थे और उनके पीछे एक और जीप आ रही थी जिसमें कुछ गुंडे थे।

    इस समय नारायण के दिमाग में क्या चल रहा था, यह किसी को पता नहीं चल रहा था, उसके पास बैठे छोटे, विशाल और आदित्य को भी नहीं पता था। लेकिन उन्हें इतना ज़रूर पता था कि आज कुछ बड़ा होने वाला है जो शायद पूरी मुंबई को हिला देगा।

    तीसरी तरफ़ मंडप में राहुल बैठा अपनी शादी के सपने देख रहा था और उसकी नज़र घर के गेट की तरफ़ थी जहाँ से लक्ष्मी आने वाली थी कुछ ही देर में।

  • 18. Forced Marriage - Chapter 18

    Words: 1151

    Estimated Reading Time: 7 min

    शर्मा निवास के बाहर बने गार्डन में शादी का मंडप लगा हुआ था। पंडित जी मंत्र पढ़ रहे थे। फिर वे बधु को लाने के लिए बोले। यह सुनकर मीना जी लक्ष्मी के कमरे में गईं और उसकी सहेलियों को उसे लाने के लिए कहा। दूसरी तरफ़, नारायण अपने दोस्तों के साथ जीप में आ रहा था।

    मंडप के नीचे बैठा राहुल की नज़र सामने गेट पर थी। वहाँ से लक्ष्मी, दुल्हन के कपड़ों में, घूँघट उड़ाए, अपनी सहेलियों के साथ आ रही थी।

    सभी की नज़र उस तरफ़ हो गई।

    मंडप के पास आकर लक्ष्मी राहुल के पास बैठ गई। पंडित जी मंत्र पढ़ने लगे। जैसे ही राहुल लक्ष्मी के माँग में सिंदूर भरने वाला था, उसी समय सभी के कानों में बंदूक की गोलियों की आवाज़ आई। यह सुनकर सभी काँप उठे।

    सभी अपनी कुर्सी से खड़े होकर गार्डन के गेट की तरफ़ देखने लगे। वहाँ कुछ आदमी खड़े थे। उन्हें देखकर सभी डर गए, क्योंकि अगले ही पल वहाँ और भी बंदूक की गोलियों की आवाज़ आई। सारे मेहमान डर के मारे एक कोने में खड़े हो गए।

    राहुल लक्ष्मी का हाथ पकड़कर खड़ा हुआ था क्योंकि वह डर गई थी। उनके पास ही बाकी सभी खड़े थे।

    सात-आठ लोग, हाथ में बंदूक लिए, खड़े थे। उनमें से एक आदमी आगे आते हुए बोला, "सॉरी, आप सभी को तकलीफ़ देने के लिए, लेकिन अब यह शादी नहीं होगी। आप लोग जा सकते हैं।"

    वह आदमी, छोटू, अपने हाथ में लिए गन से सभी मेहमानों को बाहर जाने का इशारा करते हुए बोला।

    छोटू की बात सुनकर सभी लोग एक-दूसरे की तरफ़ देखने लगे।

    राकेश जी जैसे ही छोटू के पास जाने लगे, राहुल ने उन्हें रोकते हुए कहा, "रुको अंकल! इन लोगों के पास गन हैं। मुझे पुलिस को कॉल करने दो।"

    इतना बोलकर राहुल जैसे ही अपना फ़ोन निकालकर कॉल करने वाला था, उसी समय एक गोली चलने की आवाज़ आई। गोली राहुल के हाथ के पास से निकल गई। यह देख सभी लोग डर गए।

    राहुल का फ़ोन उसके हाथ से छूटकर नीचे गिर गया। राहुल की मम्मी उसका हाथ पकड़कर उसे पीछे खींचते हुए बोली, "तू क्यों मरना चाहता है इस लड़की की वजह से? अरे, इससे नहीं, और भी कई लड़कियाँ हैं जिनसे तेरी शादी हो जाएगी।"

    अपनी माँ की बात सुनकर राहुल जैसे ही कुछ बोलने वाला था, तभी छोटू बोला, "हाँ, बेटे, तेरी माँ सही बोल रही है। अब अगर अपनी जान प्यारी है, तो दूर साइड में खड़ा हो जा अपने परिवार के साथ। बीच में आया या कुछ बोला, तो अगली गोली सीधे तेरे सीने में होगी।"

    छोटू की बात सुनकर राहुल के माँ-बाप उसे पकड़कर जबरदस्ती साइड में ले गए। अब सारे मेहमान और राहुल का परिवार एक तरफ़ खड़े थे। चार लोगों ने अपनी बंदूक तानकर उन पर कड़ी नज़र बना रखी थी।

    मंडप के नीचे अब केवल लक्ष्मी, उसके माँ-बाप और आरव खड़े थे। वे डरे हुए थे क्योंकि अदित्य और विशाल ने अपनी बंदूक उन पर तान रखी थी।

    राकेश जी छोटू को देखकर बोले, "तुम लोग हमसे क्या चाहते हो? अगर पैसे चाहिए, तो ऐसा बोलो ना।"

    इतना बोलकर राकेश जी जैसे ही अपने पेंट की पॉकेट से पैसे निकालने वाले थे, तभी छोटू अपनी गन से इशारा करते हुए बोला, "अंकल, अपने पैसे अपने पास रखो। अपने भाई के पास पैसों की कमी नहीं है।"

    छोटू की बात सुनकर राकेश जी बोले, "तो फिर तुम्हें क्या चाहिए? और क्यों नहीं होने दे रहे हो इस शादी को?"

    राकेश जी की बात सुनकर छोटू अदित्य और विशाल को देखकर, फिर राकेश जी की तरफ़ देखकर बोला, "वो क्या है अंकल, अपने भाई के पास सब कुछ है भगवान की कृपा से। बस हमारी भाभी छोड़कर, अपने भाई को यह लड़की, यानी आपकी बेटी, बहुत पसंद आ गई है।"

    छोटू की बात सुनकर सभी शॉक हो गए। राकेश जी गुस्से से छोटू की तरफ़ बढ़ते हुए बोले, "तुम लोग पागल हो गए हो क्या?"

    तभी आदित्य आरव के सिर पर गन पॉइंट करके बोला, "अंकल, एक कदम भी आगे बढ़ाया, तो तेरे बेटे को हम ऊपर उठा देंगे।"

    आदित्य की बात सुनकर राकेश जी, मीना जी और लक्ष्मी बहुत डर गए।

    मीना जी आदित्य के आगे अपने दोनों हाथ जोड़कर बोलीं, "प्लीज़, मेरे बेटे को छोड़ दो। उसे कुछ मत करो।"

    लक्ष्मी ने अपना घूँघट उठाकर, रोते हुए, मीना जी के पीछे खड़े होकर बोली, "नहीं-नहीं, आप लोग मेरे भाई को कुछ मत करो।"

    लक्ष्मी और मीना जी की बात सुनकर विशाल ने आदित्य को गन नीचे करने का इशारा किया। फिर वह लक्ष्मी के सामने आकर बोला, "देखो भाभी, आप चाहती हो कि यहाँ किसी की जान न बचे, तो अपने परिवार को मना लो भाई से शादी करने के लिए। मैं आपको गारंटी देता हूँ कि आपके परिवार के किसी भी सदस्य या यहाँ जितने भी लोग हैं, हम किसी को कुछ नहीं करेंगे।"

    विशाल की बात सुनकर लक्ष्मी ने उसे नम आँखों से देखते हुए कहा, "कैसे कर लें हम एक गुंडे से शादी?"

    इतना बोलकर वह वहीं बैठकर रोने लगी।

    राकेश जी यह देखकर विशाल के आगे आकर बोले, "मेरे होते हुए मेरी बेटी की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ उसकी शादी किसी से नहीं होगी।"

    मीना जी नीचे बैठकर लक्ष्मी के सिर पर हाथ फेरते हुए बोलीं, "भाई साहब, आप ही बताओ, कोई माँ-बाप कैसे अपनी बेटी का हाथ आपके गुंडे भाई के हाथ में सौंप दें?"

    मीना जी की बात का विशाल कोई जवाब देने से पहले ही आदित्य ने वापिस अपनी गन आरव के सिर पर रखते हुए कहा, "मैंने कहा ना, ये पढ़े-लिखे लोग इतनी आसानी से नहीं मानने वाले। जब तक एक खून न हो जाए।"

    इतना बोलकर उसने अपनी बंदूक से गोली चलाई। आरव डर से अपनी आँखें बंद कर लेता है। बाकी सभी को लगा कि अब यह लड़का गया।

    मीना जी, राकेश जी और लक्ष्मी कुछ बोल पाते या उसे रोक पाते, इससे पहले ही बहुत देर हो चुकी थी। अगले पल बंदूक से गोली चलने की आवाज़ आई।

  • 19. Forced Marriage - Chapter 19

    Words: 1083

    Estimated Reading Time: 7 min

    शर्मा निवास के आगे बने मंडप में लक्ष्मी और राहुल की शादी हो रही थी। तभी वहाँ छोटे, विशाल और आदित्य के साथ कुछ गुंडे आ गए। वे शादी रुकवाना चाहते थे। शर्मा परिवार ने उन्हें रोकने की कोशिश की। आदित्य गुस्से में आकर आरव के सिर पर बंदूक रखकर गोली चला दी।

    गोली की आवाज़ सुनकर सभी डर गए। मंडप में शर्मा परिवार डरा हुआ खड़ा था। मीना जी और लक्ष्मी डर के मारे अपनी आँखें बंद कर ली थीं। वे इतना डर गई थीं कि अपनी आँखें बंद किए हुए थीं। वे आरव की लाश नहीं देखना चाहती थीं।

    तभी एक आवाज़ उनके कानों में सुनाई दी,

    "अभी मरा नहीं वो। आप लोग आँखें खोल सकती हो।"

    उस आवाज़ को सुनकर दोनों ने अपनी आँखें खोलीं। आरव उनके सामने सही-सलामत खड़ा था।

    यह देख मीना जी उसके पास आकर उसे अपने सीने से लगाकर बोलीं, "तू ठीक है ना मेरे बच्चे?"

    लक्ष्मी भी आरव को ठीक देखकर खुश हुई। राकेश जी भी आरव के पास आकर उसे देखने लगे कि कहीं उसे कोई चोट तो नहीं लगी, खून तो नहीं आया। गोली चलने पर उन्होंने थोड़ी देर के लिए अपनी आँखें बंद कर ली थीं। जब उन्होंने अपनी आँखें खोलीं, तो जिस आदमी ने गोली चलाई थी, उसका हाथ ऊपर था। जिस हाथ में बंदूक थी, उसे ऊपर उठाने वाला वही लड़का था जिसने उस दिन लक्ष्मी को खाई में गिरने से बचाया था।

    यही सोचकर राकेश जी मंडप के सामने देखते हैं तो एक आदमी कुर्सी पर बैठा हुआ था और उसके आस-पास वे तीनों लोग खड़े थे, अपना सिर नीचे किए हुए। वही आदमी जिसने पहले लक्ष्मी को बचाया था और आज उनके बेटे को भी।

    राकेश जी ने दोनों हाथ जोड़कर नारायण के आगे आकर कहा, "थैंक्स बेटे, मेरे बच्चे को बचाने के लिए।"

    राकेश जी को ऐसा करते देख मीना जी, लक्ष्मी और आरव भी सामने कुर्सी पर बैठे उस इंसान को देखते हैं जो आराम से गरमागरम कॉफी पी रहा था और सभी गुंडे उसके आगे अपना सिर झुकाए हुए थे।

    लक्ष्मी ने मन ही मन नारायण से कहा, "यह आदमी चाहता क्या है? इसने मुझे बचाया और फिर अपने इन साथियों से यह सब करवाया और फिर खुद ही हीरो बनकर आ गया मेरे भाई को बचाने, अपने साथी की गोली से? क्यों?"

    यह सोचकर लक्ष्मी नारायण को घूरने लगी।

    राकेश जी हाथ जोड़कर नारायण के आगे खड़े हो गए और उनके पीछे मीना जी और बाकी सभी। राहुल सीना चौड़ा करके आगे आ गया।

    नारायण ने यह सब देखकर अपने एक पैर पर दूसरा पैर रखा, उसे राहुल की तरफ़ करके बोला, "क्या रे? तू उस दिन क्या बोला था? कि मैंने तेरी मंगेतर को बचाया है, तो तू मुझे कोई भी चीज़ दे सकता है।"

    नारायण ने राहुल की तरफ़ उंगली करके सोचने का नाटक किया।

    राहुल पहले नारायण को खुद की तरफ़ पैर करते देख कुछ बोलने वाला था, लेकिन इस आदमी की ताकत देखकर उसकी हिम्मत नहीं हुई कि वह इस आदमी से थोड़ा सा भी पंगा ले सके।

    इसलिए उसने अपने चेहरे पर मुस्कान लाकर कहा, "बिल्कुल भाई, मैं अपनी बात से पीछे नहीं हटूँगा। आप बोलो, आपको क्या चाहिए, मैं आपको देने के लिए तैयार हूँ।"

    राहुल की बात सुनकर नारायण ने हाँ में सिर हिलाया, "अच्छा है कि तू खुद तैयार है, वरना अपने को और भी कई सारे तरीके आते हैं।"

    राहुल ने हाँ में सिर हिला दिया।

    यह देख नारायण खड़े होकर धीरे-धीरे चलते हुए सभी के बीच से निकलकर मंडप में सबसे पीछे खड़ी, अपना सिर नीचे किए हुए लक्ष्मी के पास आकर पहले उसके चारों तरफ़ घूमकर और फिर एकदम से उसका हाथ पकड़कर बोला, "अपने को तेरी मंगेतर चाहिए। अपने नारायण ठाकुर इस लड़की से यहाँ, ऐसे समय शादी करने वाला है।"

    नारायण की बात सुनकर सभी सदमे में आ गए। लक्ष्मी अपनी बड़ी-बड़ी आँखें करके अपने पास खड़े आदमी को देख रही थी।

    राहुल गुस्से से बोला, "तू पागल है क्या? वो मेरी होने वाली..."

    लेकिन वह इससे आगे कुछ बोल पाता, उससे पहले छोटे ने आकर उसके सिर पर बंदूक रखकर कहा, "अगर एक शब्द और बोला, तो तू कभी किसी और से शादी नहीं कर पाएगा।"

    छोटे को ऐसा करते देख और उसकी बात सुनकर राहुल कुछ नहीं बोल पाया।

    राकेश जी अपने सदमे से बाहर आकर बोले, "लेकिन बेटे, यह कैसे हो सकता है? इसकी शादी तो राहुल..."

    तभी नारायण ने अपनी लाल आँखों से उन्हें घूरते हुए अपना हाथ उन्हें दिखाते हुए कहा, "होने वाले ससुर जी, अब इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आपकी बेटी की लाइफ में पहले कौन था।"

    इतना बोलकर नारायण ने लक्ष्मी के कंधे पर हाथ रखकर उसे खुद से चिपका लिया, "लेकिन आज और अभी से यह सिर्फ़ मेरी है, समझे सभी लोग क्या?"

    नारायण को ऐसा करते देख और उसकी बात सुनकर सभी सदमे में आ गए।

    लक्ष्मी नारायण का हाथ अपने कंधे से हटाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन नारायण ने उसे बहुत कसकर पकड़ा हुआ था कि वह उसके हाथ को थोड़ा भी नहीं हिला पा रही थी।

    इस बार राकेश जी कुछ बोलने वाले थे कि नारायण के इशारे पर उनके ऊपर बंदूक तान दी गई और मीना जी के ऊपर भी विशाल बंदूक तानकर खड़ा था।

    कोई थोड़ा सा भी नहीं हिल पा रहा था।

    नारायण ने फिर लक्ष्मी का हाथ पकड़कर कहा, "चलो बेबी, हम शादी करते हैं, पंडित जी..."

    इतना बोलकर जैसे ही उसने देखा, उसे पंडित जी कहीं दिखाई नहीं दिए।

    नारायण ने छोटे से कहा, "उस पंडित को देखो कि वह कहाँ गया है।"

    नारायण की बात सुनकर छोटे पंडित को ढूँढने लगा।

    नारायण नीचे बैठ गया और अपने पास खड़ी लक्ष्मी से बोला, "बैठो, खड़ी क्यों हो?"

    नारायण की बात सुनकर लक्ष्मी बोली, "नहीं, मुझे नहीं करनी एक गुंडे से शादी।"


  • 20. Forced Marriage - Chapter 20

    Words: 1118

    Estimated Reading Time: 7 min

    नारायण आकर आरव को आदित्य की बंदूक की गोली से बचा लिया और फिर सभी के सामने जोर से लक्ष्मी का हाथ पकड़कर बोला कि वह लक्ष्मी से शादी करेगा। इसे सुनकर लक्ष्मी मना कर देती है।

    लक्ष्मी की बात सुनकर नारायण कुछ नहीं बोला। सीधा उसका हाथ पकड़कर उसे अपने पास बैठाकर बोला, "सुनो मैडम जी, शांति से बैठ जाओ। वरना अगली बार आपके भाई को मरने से कोई नहीं बचा पाएगा।"

    नारायण की बात सुनकर मीरा सामने अपने भाई की तरफ देखती है जहाँ आदित्य उसके सिर पर बंदूक रखकर खड़ा हुआ था। इस आदमी का उसे थोड़ा भी विश्वास नहीं था। इसने पहले ही उसके भाई पर गोली चला दी थी।

    लक्ष्मी फिर अपने पास बैठे नारायण को देखकर रोते हुए बोली, "लेकिन क्यों तुम्हें मुझसे ही शादी करनी है? जब कि हम लोग एक-दूसरे को अच्छी तरह से जानते भी नहीं हैं। फिर क्यों मेरी लाइफ खराब करना चाहते हो?"

    इतना बोलते ही उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।

    मीना जी और राकेश जी को अपनी बेटी की यह हालत देखी नहीं जा रही थी, लेकिन वे लोग भी कुछ नहीं कर पा रहे थे इन गुंडों के आगे।

    लक्ष्मी की बात सुनकर नारायण के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और वह लक्ष्मी की आँखों से नीचे गिर रही एक आँसू की बूँद को अपनी उँगली में लेकर उसे देखते हुए बोला, "रोना है तो रो लो। जितना मन करे रो, क्योंकि अब तुम्हारी लाइफ में रोने के अलावा और कुछ नहीं होगा। अच्छा है अभी से आदत डाल रही हो। और रही बात कि हम लोग एक-दूसरे को नहीं जानते हैं, तो उसकी आप चिंता मत कीजिए। आज के बाद आपकी लाइफ में और कोई होगा भी नहीं जानने के लिए मुझे छोड़कर।"

    नारायण लक्ष्मी को देख मुस्करा कर बोला।

    यह देख लक्ष्मी नम आँखों से अपने मम्मी-पापा को देखती है और फिर अपना सिर नीचे करके अपने आँखों से आँसू साफ करने लगती है।

    नारायण यह सब इग्नोर करके छोटे को देखता है जो पंडित को एक कुर्सी के पीछे से उठाकर अपने कंधे पर ला रहा था।

    वह पंडित, जो छोटे के कंधे पर उल्टा लटका हुआ था, बोला, "देखो भाई साहब, हमने कुछ नहीं किया। हमें छोड़ दीजिए। अगर हमें कुछ हो गया तो हमारी रामप्यारी, लालू प्रसाद और कालू राम का क्या होगा?"

    पंडित की बात सुनकर छोटे रुककर बोला, "पंडित, ये लोग कौन हैं और तेरे मरने से उन्हें क्या फर्क पड़ता है?"

    छोटे की बात सुनकर पंडित बोला, "अरे वो रामप्यारी हमारी बीबी है और लालू-कालू हमारे बच्चे हैं। आप सोचो अगर हमें कुछ होगा तो उनका क्या?"

    छोटे पंडित की बात सुनकर अपना सिर हिलाकर उसे ले जाकर मंडप में बैठाकर उसकी तरफ़ अपनी गन पॉइंट करके बोला, "तो फिर तू अगर चाहता है कि वे तीनों खुश रहें, तो तू जल्दी से भाई की शादी करवा। वरना सच में तेरी रामप्यारी विधवा हो जाएंगी।"

    पंडित डरते हुए अपने आगे से बंदूक को हटाकर बोला, "अरे भाई, सब इतनी सी बात पर किसी को मारते थोड़ी हैं। एक शादी? क्या आप बोलो तो मैं तुम्हारी शादी भी करा दूँ। बस लड़की तुम्हें पसंद करनी होगी।"

    पंडित की बात सुनकर छोटे दुखी होकर बोला, "मुझे सभी लड़की पसंद आती हैं, लेकिन कोई मुझे पसंद नहीं करती है।"

    पंडित बोला, "लेकिन क्यों? क्या तुम्हें कोई कमी, कोई गुप्त रोग तो नहीं है?"

    छोटे हैरानी से बोला, "पंडित, तू पागल हो गया है क्या? अपन को कोई रोग नहीं है। और आगे ऐसा कुछ बोला तो तेरा इधर ही माथा उड़ा दूँगा जहाँ से इस तरह की बातें निकल कर आती हैं। बताओ यार, अपन को रोग बता दिया! अरे अभी तक अपन पूरा संगल है। बस अपनी हरकतों की वजह से कोई अपन को भाव नहीं देती हैं।"

    और वहाँ सभी लोग जो उनकी बात सुन रहे थे, वे सभी भी हँसने लगे।

    एक पल के लिए तो लक्ष्मी भी सब कुछ भूल गई और उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ गई थी।

    पंडित छोटे की बात सुनकर बोला, "ओह, ऐसा है क्या? लेकिन मुझे तो तुम में कोई खराबी दिखाई नहीं दे रही है। तुम बोलो तो मेरी नजर में एक लड़की है, मेरे भाई की बेटी। कहो तो बात आगे चलूँ।"

    पंडित की बात सुनकर छोटे की आँखों में चमक आ जाती है और वह अपना सिर हाँ में हिलाकर जैसे ही कुछ बोलने वाला होता है, तभी आदित्य, जो उनके पास खड़ा था, आरव के ऊपर बंदूक तानकर गुस्से से दोनों को देखकर बोला, "तुम दोनों का हो गया हो तो शादी शुरू करो, पंडित।"

    आदित्य की बात सुनकर छोटे हाँ में सिर हिलाकर धीरे से बोला, "पंडित, तो अपन को शादी के बाद… मुझे उस लड़की से मिलना है शादी के रिश्ते के लिए।"

    पंडित हाँ में सिर हिला देता है।

    छोटे भी साइड में खड़ा हो जाता है और पंडित शादी के मंत्र पढ़ने लगता है।

    लक्ष्मी के खिलाफ हो रही इस शादी में उसने कई बार रोका, नारायण को उसके आगे हाथ जोड़े, पर नारायण नहीं मान रहा था। आखिर में जबरदस्ती उसके मांग में सिंदूर भरकर उसके गले में मंगलसूत्र भी पहना देता है।

    लक्ष्मी को ऐसा लग रहा था कि इस आदमी ने उससे सब कुछ छीन लिया हो। और फिर लेते हुए वह अपने मन में हर वचन के साथ एक वचन लेती है कि वह इस आदमी को इसके किए की सजा जरूर देगी। और इसे जेल नहीं भिजवाया तो उसका नाम भी लक्ष्मी शर्मा नहीं है। वही अब इस आदमी की बर्बादी का बजा बनेगी।

    नारायण के मन में भी कुछ इसी ख्याल थे कि इस लड़की को वह इतना दर्द देगा कि यह फिर कभी किसी और को धोखा देना भूल जाएगी। आज के बाद इसका हर एक दिन इसका नरक जैसा होगा जिसमें दूर-दूर तक प्यार का कोई नामो-निशान नहीं होगा और होगी तो सिर्फ नफ़रत।

    देखने वालों की नज़र में लग रहा हो कि यह एक आम शादी है, लेकिन असल में यह नारायण और लक्ष्मी के दिल में नफ़रत को बढ़ाने के लिए की गई जबरदस्ती वाली शादी है जो लास्ट फेरे के साथ पूरी हो गई।