Novel Cover Image

MAFIA KI ZID 🔥❤️‍🔥

User Avatar

Leo Leo

Comments

29

Views

336

Ratings

94

Read Now

Description

In a battle where ruthlessness meets resolve, who will break first❤️✨️ ​Mafia ki Zid: Where love is just another weapon in a game of empires.❤️‍🔥 निशांत कामार्थ (Nishant Kamarth)🔥 • ​उम्र: 36 वर्ष • ​प्रोफाइल: कामार...

Characters

Character Image

NISHANT KAMARTH

Hero

Character Image

VIKRANT SEHGAL

Villain

Character Image

ANIKA THAKUR

Heroine

Total Chapters (30)

Page 1 of 2

  • 1. MAFIA KI ZID 🔥❤️‍🔥 - Chapter 1

    Words: 2036

    Estimated Reading Time: 13 min

    एपिसोड 1
    अनजानी रात और नई जिम्मेदारियाँ

    अनिका का कमरा: असहज शांति का आश्रय (The Awkward Sanctuary)

    ​कमरा 'शादीशुदा' होने के बावजूद, एकांत में डूबा हुआ था। दीवारों पर हल्के पीले रंग की रोशनी थी, जो आलीशान होटल के कमरे की भव्यता को दर्शा रही थी, लेकिन यह भव्यता अनिका के भीतर के तनाव को कम नहीं कर पा रही थी। शादी के बंधन में बँधने के बावजूद, अनिका और निशांत दो अलग-अलग ध्रुव थे, जो इस कमरे की सीमा में एक-दूसरे के आमने-सामने खड़े होने को मजबूर थे।

    अनिका, अब भी भारी लहंगे और आभूषणों के बोझ तले दबी हुई, सोफे पर बैठी थी। हर गहना उसे किसी पिंजरे जैसा महसूस हो रहा था।

    ​अनिका का आंतरिक द्वंद्व: यह कैसी शादी है? मैं यहाँ क्यों हूँ? इन बच्चों की देखभाल के लिए? क्या निशांत को मेरी मौजूदगी से कोई फ़र्क पड़ता है? उसका ठंडापन, उसकी पीठ... वह क्यों नहीं मुड़ता? क्या वह मुझे देखना भी नहीं चाहता?


    ​निशांत, अपनी मजबूत, एथलेटिक पीठ अनिका की तरफ किए हुए, खिड़की के पास खड़ा था। वह नीचे शहर की जगमगाती, दूर की रोशनी को देख रहा था, लेकिन उसके मन में भी तूफान चल रहा था।

    ​निशांत का आंतरिक द्वंद्व: मैंने यह शादी क्यों की? जिम्मेदारी... सिर्फ़ जिम्मेदारी के लिए। मुझे इन बच्चों को एक माँ देनी थी। लेकिन यह औरत, अनिका... वह इतनी कोमल क्यों दिखती है? मुझे उससे दूरी बनाए रखनी होगी। यह रिश्ता सिर्फ़ बच्चों के लिए है, मेरे लिए नहीं।


    ​तभी, कोने में लेटी जुड़वाँ बच्ची ने रोना शुरू कर दिया। यह रुदन सिर्फ़ आवाज़ नहीं था, यह भाग-दौड़, थकान और समय पर भोजन न मिलने की शिकायत थी। यह एक शिशु की सबसे मूलभूत ज़रूरत की पुकार थी।

    ​अनिका का 'माँ' का सहज ज्ञान तुरंत जागृत हुआ। उसके चेहरे पर से संकोच, तनाव और निशांत की मौजूदगी का विचार, सब उड़ गया। वह तुरंत उठी, भारी लहंगे की परवाह किए बिना, और बच्ची को गोद में उठाया। बच्ची का रोना तीव्र हो गया, वह भूख से बेकाबू थी, उसके छोटे होंठ हवा में अपनी माँ के सीने को ढूँढ रहे थे।

    ​मातृत्व की सहजता ने अनिका को नियंत्रित कर लिया। उसने निशांत की उपस्थिति को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया—वह इस समय सिर्फ़ एक माँ थी। जल्दबाजी में, उसने अपने भारी दुपट्टे को एक तरफ धकेला, और बिना सोचे-समझे, अपने ब्लाउज को ऊपर खींचा। बच्ची को तुरंत आराम मिला, और वह तेज़ी से दूध पीने लगी। अनिका के चेहरे पर वेदना की हल्की-सी छाया थी (शायद बच्चे की तेज़ी के कारण), लेकिन उसके होंठों पर संतोष की एक शांत, अद्भुत मुस्कान थी। इस क्षण में, वह दुनिया की सबसे निश्छल और समर्पित महिला थी।

    ​यह दृश्य, निशांत को बिना पलक झपकाए देखने के लिए मजबूर कर गया। उसके चेहरे पर, जो अभी तक पत्थर जैसा निर्विकार था, आश्चर्य और एक अनिर्दिष्ट कोमलता का भाव आया। उसने पहली बार अपनी इस नई पत्नी को एक 'माँ' के रूप में देखा था।


    ​लेकिन कहानी में मोड़ आना बाकी था।
    ​निशांत के हाथ में सो रहा बेटा, हर्ष, बच्ची की शांत होती सिसकियों और कमरे की हलचल से जाग उठा। उसने आँखें खोलीं, पलंग पर बैठा, और अपनी छोटी-सी दृष्टि से उस दृश्य को देखा जो उसके सामने था।


    ​हर्ष: (तुतलाते हुए, रोने की तैयारी में) "भूकी मिकू पीना..."
    ​और वह तुरंत रोने लगा। उसकी आवाज़ में हक़ और ज़िद थी।
    ​अनिका का शरीर तेज़ झटके से अकड़ गया। उसकी आँखें चौड़ी हो गईं। उसे तुरंत एहसास हुआ कि उसने खुद को ढँका नहीं था, और निशांत की आँखें उसी पर टिकी थीं। शर्मिंदगी की एक लहर उसके पूरे शरीर में बिजली की तरह दौड़ गई। उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसने जल्दी से, काँपते हाथों से, अपने दुपट्टे को खींचा और खुद को ढँक लिया।


    ​लेकिन अब स्थिति हाथ से निकल चुकी थी। हर्ष का रोना ज़ोर पकड़ चुका था। यह दो बच्चों की एक साथ देखभाल की पहली, भयानक परीक्षा थी।


    ​निशांत की प्रतिक्रिया: निशांत ने तुरंत अपनी निगाहें हटाईं। वह शर्मिंदा नहीं था, बल्कि वह असहज था। उसे महसूस हुआ कि उसने अनजाने में अनिका की निजी सीमा का उल्लंघन किया है। उसका चेहरा तुरंत फिर से पत्थर जैसा हो गया, लेकिन उसके माथे पर चिंता की एक महीन लकीर उभर आई थी। वह जानता था कि अब उसे हस्तक्षेप करना होगा l

    निशांत की पहल और स्पर्श (Nishant's Initiative and the Touch)

    ​हर्ष बिस्तर पर चढ़ गया, उसके रोने की तीव्रता बढ़ती जा रही थी। वह बार-बार अनिका के कपड़ों को खींच रहा था, "मिक्कू! मिक्कू!" की ज़िद कर रहा था।
    ​अनिका, एक बच्ची को शांत करने की कोशिश में व्यस्त, हताश हो गई।

    ​अनिका: (धीमे, समझाते हुए स्वर में) "नहीं हर्ष, सुनो... बेटा, यह 'लिटिल बार्बीज़' के लिए है। तुम बड़े हो गए हो। तुम अब ग्लास से पीते हो, याद है?"

    ​लेकिन छोटा बच्चा की ज़िद तर्क को नहीं मानती। हर्ष ने ज़ोरदार विद्रोह किया। वह फिसलकर फर्श पर बैठा, अपने छोटे पैरों को ज़मीन पर पटकना शुरू कर दिया।

    ​निशांत ने अब तक मौन अवलोकन बनाए रखा था। लेकिन हर्ष के इस गुस्से और अनिका की स्पष्ट हताशा ने उसे कार्रवाई के लिए प्रेरित किया। उसने अपने 'Mafia 'कवच उतारा और एक 'पिता' की भूमिका निभाई।

    ​वह चुपचाप कमरे से बाहर निकला और जल्दी से रसोई से दूध का एक ग्लास लेकर आया, सावधानी से गर्म किया हुआ।

    ​निशांत: (नरम, नियंत्रित आवाज़ में) "चलो हर्ष, पापा के पास आओ। इसे पियो। यह भी बहुत अच्छा और मीठा है।"
    ​हर्ष ने ग्लास को देखा, फिर अपनी रोती हुई आँखें अनिका की तरफ़ घुमाईं। उसकी आँखों में एक सवाल था: क्या मैं यह लूँ?
    ​निशांत के हाथ से ग्लास को फेंकने का दृश्य, कमरे में एक छोटे से विस्फोट जैसा था। दूध फर्श पर फैल गया, और काँच के टूटने की एक छोटी-सी, तीखी आवाज़ आई। निशांत का चेहरा तमतमा गया—सिर्फ़ गुस्से से नहीं, बल्कि विफलता से। अनिका हताशा में अपनी आँखें मींच लेती है।

    ​अनिका का आंतरिक दर्द: यह मुझसे नहीं होगा। मैं इन बच्चों को नहीं संभाल पाऊँगी। मुझे यह शादी नहीं करनी चाहिए थी... मैंने उन्हें निराश किया है। बच्चे भूखे हैं और मैं उन्हें संभाल नहीं पा रही हूँ।

    ​इस दर्द और ममता ने अनिका के 'resolve' को तोड़ दिया। अब उसे निशांत की शर्म या सामाजिक मर्यादा की परवाह नहीं थी।

    ​अनिका: (हर्ष को छाती से चिपकाकर, उसकी पीठ सहलाते हुए) "ठीक है, मेरे राजा। मेरी तरफ़ देखो। बस थोड़ा-सा। सिर्फ़ थोड़ा पीने की इज़ाज़त है। प्रॉमिस?"

    ​हर्ष ने हाँ में सिर हिलाया। उसने तुरंत अनिका के दुपट्टे को हटाया और पीने लगा। यह दृश्य तीव्र भावनाओं से भरा था।
    ​अनिका को तेज़ दर्द हुआ, उसका चेहरा क्षण भर के लिए विकृत हुआ, लेकिन उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और दर्द को सहा। वह जानती थी कि उसे अब शांत रहना है, सिर्फ़ इस बच्चे के लिए।

    ​निशांत ने इस दर्द को देखा। उसके चेहरे पर अब कोई पत्थर जैसा भाव नहीं था; उसकी भौंहें चिंता में सिकुड़ गईं थीं। वह फर्श पर गिरे ग्लास को भूल गया। उसने पहली बार महसूस किया कि यह महिला कितनी मज़बूत और कितनी कोमल है। उसके मन में अनिका के लिए अटूट सम्मान और एक नई तरह की चिंता पैदा हुई। यह वह क्षण था जब निशांत ने अनिका को केवल एक पत्नी या केयरटेकर के रूप में नहीं, बल्कि एक व्यक्ति के रूप में देखना शुरू किया।

    ​स्थिति को सामान्य करने के लिए, निशांत जल्दी से बाथरूम की ओर मुड़ा।

    ​निशांत: (आवाज़ में हल्की कंपन) "मैं... मैं ताज़गी के लिए जा रहा हूँ। तुम... तुम ठीक हो?"
    ​अनिका ने सिर्फ़ सिर हिलाया।

    ​निशांत जब वापस आया, तो उसने अपने औपचारिक कपड़े बदल दिए थे। एक साधारण गहरे रंग की टी-शर्ट और पजामा, जिसमें उसकी मज़बूत काया साफ़ झलक रही थी। उसका चेहरा शांत था, लेकिन उसकी आँखें बार-बार अनिका की ओर जा रही थीं, जो अब भी बच्चों को शांत करने में व्यस्त थी। उसने तुरंत सफाई के लिए फ़ोन किया और फिर खाना ऑर्डर किया।



    ​🌙 पहला शारीरिक संपर्क और अंत (First Contact and The End)

    ​खाना ऑर्डर हो चुका था, लेकिन डिलीवरी का समय था। कमरे में अब धीमी, नाज़ुक शांति थी। दोनों बच्चे (हर्ष और एक जुड़वाँ) अनिका से लिपटे हुए थे, लगभग सो चुके थे, लेकिन उनकी पकड़ अभी भी ढीली नहीं हुई थी। अनिका अजीब-सी मुद्रा में सोफे के किनारे बैठी थी।

    ​निशांत, एक गहरी साँस लेकर, अनिका के पास आया। उसके कदम संयमित थे, मानो वह कोई नाज़ुक ज़मीन पर चल रहा हो।

    ​निशांत: (बहुत धीमी, देखभाल भरी आवाज़ में) "अनिका... अब बहुत देर हो गई है। इन्हें सोने दो। मुझे दो, मैं हर्ष को गोद में ले लेता हूँ, ताकि तुम अपने शरीर को सीधा कर सको।"

    ​वह अनिका को सहज करने की स्पष्ट कोशिश कर रहा था। उसने धीरे से हर्ष को अपनी गोद में लेने के लिए हाथ बढ़ाया।
    ​यह वह सीमा रेखा थी।

    ​निशांत जब हर्ष को गोद में लेने के लिए झुका, तो उसका हाथ अनजाने में अनिका के नंगे बाजू (Shoulder/Arm) से छू गया। यह क्षणिक स्पर्श, अचानक और बिना इरादे का था, लेकिन यह शादी के बाद का उनका पहला, वास्तविक शारीरिक संपर्क था।

    ​अनिका के शरीर में विद्युत की एक लहर दौड़ गई। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं, उसका शरीर थरथरा उठा। यह डर या घृणा नहीं थी, यह अनजानी भावनाओं का ज्वार था—एक पुरुष का पहला स्पर्श, जिसकी उपस्थिति मात्र से वह अब तक असहज थी। उसके गालों पर गर्मी दौड़ गई।

    ​निशांत भी चौंक गया। उसने तुरंत अपना हाथ पीछे खींच लिया, जैसे किसी गर्म वस्तु को छू लिया हो। उसके चेहरे पर तुरंत गहरा पछतावा और शर्मिंदगी छा गई।

    ​निशांत: (लगभग फुसफुसाते हुए) "माफ़ करना... मेरा मतलब नहीं था।"

    ​अनिका ने कुछ नहीं कहा, लेकिन निशांत तुरंत समझ गया कि उसने एक अदृश्य रेखा को पार किया है। वह जल्दी से पीछे हट गया, और एक असहज चुप्पी कमरे में छा गई। यह चुप्पी दो लोगों के बीच की मानसिक दूरी को बता रही थी, जो अब एक ही छत के नीचे थे।

    ​तभी, खाने की डिलीवरी का संकेत मिला, जिसने तनाव को तोड़ा।

    ​निशांत: "खाना आ गया। तुम... तुम जाओ और फ्रेश हो जाओ। तब तक मैं इन्हें सुलाता हूँ।"
    ​अनिका चुपचाप उठ खड़ी हुई।

    ​वह जब बाथरूम से वापस आई, तो एक महत्वपूर्ण बदलाव आया था। उसने भारी-भरकम, दुलहन का जोड़ा उतार दिया था। अब वह एक साधारण, लेकिन अत्यंत सुंदर गुलाबी सूती साड़ी में थी, जिसमें वह पहले से भी ज़्यादा सुंदर, शांत और कोमल लग रही थी। पानी की कुछ लटें उसके माथे पर थीं, जो उसे एक अनूठी मासूमियत दे रही थीं।

    ​अनिका का आंतरिक संकल्प: मुझे यह करना होगा। बच्चों के लिए। मुझे मज़बूत बनना होगा। निशांत अजीब है, लेकिन वह बुरा नहीं है। उसने मेरी मदद की।

    ​निशांत, जो एक बच्चे को सुला रहा था, अनिका को देखता रहा। गुलाबी साड़ी में वह देवत्व की तरह लग रही थी। उसने महसूस किया कि वह उसे अनदेखा नहीं कर सकता।

    ​तभी, पलंग पर एक बच्चा हल्की आवाज़ में रोने लगा। अनिका तुरंत सोफे पर बैठी और उसे चुप कराने लगी। निशांत खाने की थाली लेकर उसके पास आया।

    ​निशांत: (कोमलता से) "तुम खुद नहीं खा पाओगी।"
    ​उसने बिना किसी संकोच के, अपने हाथों से अनिका को खाना खिलाना शुरू किया। अनिका शर्म से नज़रे नीचे झुका लेती है, लेकिन उसके चेहरे पर एक कोमल मुस्कान थी—यह कृतज्ञता थी, और शायद कुछ और भी। निशांत भी उसके बाद खुद खाना खाता है, बीच-बीच में उसे खिलाता रहता है।

    ​दोनों नज़रे चुराते रहे। हर स्पर्श, हर नज़र का संपर्क एक अनजान पुल बना रहा था। कमरे में अब भी एक अजीब-सा तनाव था, जो जल्दबाजी में हुई शादी का नतीजा था, लेकिन इस रात की बच्चों की ज़िम्मेदारी और निशांत के प्यार भरे प्रयास ने उस तनाव को तोड़ना शुरू कर दिया था।


    ​यह एक अनजानी रात थी, जहाँ अनिका की ममता और निशांत की पहल ने उनके नए रिश्ते की पहली नींव रखी थी।

    बच्चे गहरी नींद में सो चुके थे। प्लेटें खाली थीं। निशांत ने बिना कुछ कहे, अनिका के लिए एक कंबल निकाला और उसे ओढ़ाया। अनिका ने आँखें बंद कर लीं। निशांत खिड़की के पास खड़ा हो गया, शहर की रोशनी को देखते हुए। यह दूरी थी, लेकिन अब यह सम्मान और समझ की दूरी थी। निशांत के चेहरे पर अब सिर्फ़ चिंता नहीं थी, बल्कि एक नई, अनजानी यात्रा शुरू करने का शांत संकल्प था।

    क्रमशः
    Thank you 🌼🌸✨️

  • 2. MAFIA KI ZID 🔥❤️‍🔥 - Chapter 2

    Words: 1497

    Estimated Reading Time: 9 min

    EPISODE 2
    MAFIA KI ZID


    ​एपिसोड 2: नई सुबह, पहली रसोई (New Morning, First Kitchen)

    ​🌅 अनिका का सवेरा और पूजा

    ​सुबह हुई, लेकिन यह साधारण सुबह नहीं थी। यह 'कामार्थ हवेली' की पहली सुबह थी, जहाँ की दीवारें सदियों से सिर्फ़ सत्ता और पुरुषत्व की कहानियाँ सुनती आई थीं। रात की असहजता, डर, और अनजानी भावनाओं का ज्वार अनिका के दिल में अब भी था, लेकिन सुबह की ताज़गी ने उसे एक नई शक्ति दी।

    ​अनिका (24) बहुत जल्दी उठी। एक तरफ़ जहाँ निशांत (36) गहरी नींद में सोया हुआ था, वहीं अनिका ने अपनी पारंपरिक जिम्मेदारियों को निभाने का पहला कदम उठाया। स्नान के बाद, उसने अपना पहनावा चुना—वह जानती थी कि उसे तीन छोटे बच्चों को संभालना है, इसलिए भारी कपड़े बेकार थे।
    ​उसने एक साधारण, हल्के रंग की कॉटन की साड़ी पहनी। यह साड़ी उस महलनुमा कमरे की शान-शौकत से एकदम विपरीत थी, लेकिन यह उसकी सादगी और व्यावहारिकता को दर्शाती थी।

    नवविवाहिता के सभी प्रतीक मौजूद थे: माथे पर सिंदूर की लंबी रेखा, गले में मंगलसूत्र की माला, हाथों में हरी चूड़ियाँ और सोने के दो साधारण कंगन। ये प्रतीक उसके मन की दृढ़ता बता रहे थे—कि भले ही यह शादी जबरदस्ती हुई हो, वह इसे सम्मान देगी और अपनी नई भूमिका को पूरी ईमानदारी से निभाएगी।

    ​फिर उसने अपनी पोटली खोली, जिससे उसने अपने साथ लाई हुई छोटे से लड्डू गोपाल की मूर्ति निकाली। यह मूर्ति उसके अपने घर की गर्माहट और विश्वास का प्रतीक थी। अनिका ने कमरे के एक कोने को साफ किया, जहाँ हल्की धूप आ रही थी, और पहली बार कामार्थ हवेली में पूजा की तैयारी शुरू की।

    ​जब उसने छोटी-सी घंटी बजाई, तो उसकी हल्की, मधुर आवाज़ हवेली के भारी, खामोश वातावरण में गूँज उठी। यह आवाज़ उस जगह के लिए अनोखी शांति लेकर आई, जहाँ अब तक सिर्फ़ आदेशों की गूँज या सिंडिकेट की चुप्पी छाई रहती थी। यह किसी पुरुष की शक्ति नहीं थी, बल्कि एक स्त्री के विश्वास और सादगी का प्रभाव था।

    ​अनिका ने आँखें बंद कीं और पूरी श्रद्धा से प्रार्थना की।
    ​अनिका का संकल्प : "हे गोपाल, मेरी रक्षा करो। मुझे शक्ति दो कि मैं इन बच्चों की अच्छी माँ बन सकूँ और इस घर की नई ज़िम्मेदारी को निभा सकूँ। यहाँ सब कुछ इतना मुश्किल है, पर मुझे टूटना नहीं है। मुझे अपनी सादगी और प्रेम से इन्हें सुरक्षित रखना है।"

    ​यह पूजा, सिर्फ़ एक अनुष्ठान नहीं थी, यह अनिका के संघर्ष का पहला कदम था—अँधेरे घर में रोशनी का एक छोटा दीया जलाना।

    ​🥣 पहली रसोई (The First Cooking)
    ​पूजा समाप्त होने के बाद, अगला महत्वपूर्ण चरण था 'पहली रसोई'। अनिका जानती थी कि आज उसे कुछ मीठा बनाना है।
    ​वह हवेली की विशाल, अत्याधुनिक रसोई में पहुँची। यह रसोई इतनी शानदार थी कि यह किसी पेशेवर शेफ़ का स्टूडियो लगती थी। हर चीज़ स्टील और शीशे की थी, चमकती हुई, लेकिन उपयोग में नहीं लाई गई लगती थी। अनिका को अपने घर की छोटी, साधारण रसोई की याद आई, जहाँ चीज़ें खुली रहती थीं और हर कोने में माँ के हाथों का प्यार बसा होता था।

    ​अनिका का आंतरिक भाव: यहाँ तो सब कुछ इतना ठंडा है... क्या इस घर में कभी प्यार से खाना बना होगा?

    ​उसने अपने मन से उदासी हटाई और ख़ुद को खीर बनाने के लिए तैयार किया, क्योंकि यह सबसे शुभ व्यंजन माना जाता था। उसे चावल, दूध और ड्राई फ्रूट्स ढूँढने में थोड़ी मुश्किल हुई, क्योंकि हर चीज़ करीने से बंद डिब्बों में रखी थी।

    ​पर वह रुकी नहीं। अपनी माँ की सीख याद करते हुए, उसने बड़ी लगन और प्रेम से खीर बनाई। खीर की धीमी-धीमी, मीठी सुगंध रसोई से निकलकर हवेली के हॉल तक फैलने लगी। यह सुगंध उस गर्माहट और सादगी का प्रतीक थी, जिसे यह हवेली सालों से भूल चुकी थी।

    ​👨‍👩‍👧‍👦 निशांत और तीन बच्चे
    ​जैसे ही खीर लगभग तैयार हुई, बच्चों के रोने की आवाज़ ने पूरे माहौल को तोड़ दिया।

    ​अचानक, ज़ोरदार शोर: रोने की आवाज़ एक साथ तीन दिशाओं से आ रही थी, जो खीर की सुगंध पर भारी पड़ गई।
    ​निशांत, जो ज़ाहिर तौर पर रात भर की अनिद्रा के बाद थोड़ा सो पाया होगा, चिड़चिड़ा और थका हुआ लग रहा था। वह एक साधारण नाइट रोब पहने हुए, अपने बेडरूम से बाहर आया।
    ​निशांत की स्थिति: निशांत वह व्यक्ति था जो सैकड़ों लोगों को एक आदेश से शांत करा सकता था, जिसके एक इशारे पर सिंडिकेट के सारे काम होते थे। लेकिन अब, वह तीन छोटे बच्चों के सामने लाचार महसूस कर रहा था। उसके चेहरे पर साफ़ झलक रहा था कि उसे इन कोमल चीज़ों को संभालने की आदत नहीं है।

    ​वह जुड़वाँ बच्चों को बिस्तर पर शांत कराने की कोशिश कर रहा था, और डेढ़ साल के हर्ष को अजीब ढंग से अपनी गोद में लिए हुए था। उसकी पकड़ बहुत कड़ी थी, मानो वह कोई ज़रूरी फ़ाइल पकड़ रहा हो, बच्चा नहीं। यह दृश्य एक तरह की हास्य-तनाव (Humor/Tension) पैदा कर रहा था।

    ​तभी, अनिका जल्दी से रसोई से बाहर आई।
    ​उसने एक पल में स्थिति को भाँप लिया और बिना किसी झिझक के, स्वाभाविक ममता के साथ तुरंत बच्चों को संभाला। उसने जुड़वाँ में से एक को और हर्ष को अपनी गोद में लिया। उसका स्पर्श शांत और कुशल था। बच्चे तुरंत रोना कम करने लगे।
    ​निशांत को क्षण भर के लिए गहरी राहत मिली। उसने अनिका को देखा, जो अपनी हरी चूड़ियों और सिंदूर के साथ, इतनी कुशलता से बच्चों को थामे हुए थी।

    ​निशांत का ध्यान और आंतरिक मोनोलॉग:
    ​वह उसे अपनी सादी कॉटन की साड़ी और पारंपरिक रूप में देखता है। निशांत ने अपने जीवन में हमेशा हाई-फ़ैशन और ग्लैमर वाली महिलाएँ देखी हैं। अनिका, अपनी सादगी में, इस हवेली में एक अजनबी लेकिन ताज़ी हवा के झोंके जैसी लगती है।

    ​निशांत की सोच (आंतरिक मोनोलॉग): "यह लड़की... यह इतनी सहज कैसे है? मेरी दुनिया से बिलकुल अलग है। न तो यह ग्लैमर चाहती है, न ही दिखावा। यह सादगी नकली नहीं है, यह बच्चों के लिए इसकी व्यावहारिक ज़रूरत है। इसकी चूड़ियों वाले हाथ, इतने कुशलता से बच्चों को थामते हैं... यह यहाँ कोई शोपीस नहीं है, बल्कि एक ऐसी शक्ति है जो मेरे जीवन की सबसे बड़ी कमी—बच्चों के लिए मातृत्व और भावनात्मक गर्माहट—को भर रही है।"

    ​यह सोच निशांत के ठोस कवच को तोड़ने की शुरुआत थी।
    ​तभी, बच्चों के रोने से परेशान होकर, निशांत ने अपनी चिड़चिड़ाहट ज़ाहिर की।

    ​निशांत: (थोड़ा रूखा और थका हुआ) "यह सब... कब तक चलेगा?" (उसका मतलब बच्चों का रोना, नया माहौल, और घर में होने वाली अराजकता से था)।

    ​अनिका ने उसे देखा। उसकी आवाज़ शांत थी, उसमें कोई शिकायत नहीं थी।

    ​अनिका: (शांत होकर, बच्चे को पुचकारते हुए) "थोड़ा समय लगेगा, निशांत जी। इन्हें नई माँ और नए माहौल की आदत पड़ रही है।"

    ​अनिका ने बड़ी चतुराई से "नई माँ" कहकर बच्चों के साथ निशांत को भी शामिल किया। उसने यह नहीं कहा कि "इन्हें मेरी आदत पड़ रही है," बल्कि यह कहा कि "इन्हें आदत पड़ रही है," जिससे निशांत को यह महसूस हो कि वह भी इस प्रक्रिया का हिस्सा है।

    ​निशांत ने अनिका के आत्मविश्वास, धैर्य और बच्चों के प्रति उसके सहज समर्पण को देखा। उसने कुछ नहीं कहा, बस चुपचाप बच्चों को शांत करती अनिका को देखता रहा।

    ​🙏 पहली पेशकश और खीर
    ​थोड़ी देर में बच्चे शांत हो गए और अनिका वापस रसोई में गई। उसने लड्डू गोपाल की मूर्ति को खीर का भोग लगाया, जिसे अब वह प्रसाद कह सकती थी।

    ​फिर वह एक थाली में खीर लेकर निशांत के पास आई, जो अब भी सोफे पर थका हुआ बैठा था।

    ​अनिका: "यह पहली रसोई का प्रसाद है, निशांत जी। बच्चों के लिए भी थोड़ा सा... यह शुभ होता है।"

    ​निशांत ने शायद सालों से किसी घरेलू, पारंपरिक चीज़ को अपने घर में नहीं देखा होगा। उसके जीवन में सब कुछ व्यापार, शक्ति और दिखावा था। यह खीर एक साधारण मिठाई नहीं थी, यह गरमाहट, सादगी और परंपरा का प्रतीक थी जो अनिका अपने साथ लाई थी।

    ​निशांत ने अनिका के हाथ से खीर की कटोरी ली। वह एक पल रुका। उसकी आँखें खीर पर टिकी थीं, मानो वह तय कर रहा हो कि क्या वह इसे खाएगा या नहीं।

    ​अनिका की आँखें उसकी प्रतिक्रिया जानने के लिए उस पर टिकी थीं।
    ​आखिरकार, निशांत ने खीर का एक चम्मच लिया। उसका चेहरा निर्विकार रहा, लेकिन जैसे ही मिठास उसके मुँह में घुली, उसके चेहरे पर एक सूक्ष्म नरमी आई, जिसे अनिका ने तुरंत नोटिस किया।

    ​भले ही वह कितना भी डोमिनेंट क्यों न हो, वह अनिका की इस प्यार भरी कोशिश को नज़रअंदाज़ नहीं कर पाया।
    ​निशांत: (शांत और नियंत्रित स्वर में) "अच्छी है।"

    ​यह उसका अनिका के लिए पहला सकारात्मक शब्द था, पहला भावनात्मक निवेश, जो इस रिश्ते को एक नई दिशा दे रहा था।
    ​अनिका को थोड़ी सी संतुष्टि मिली। उसने जान लिया कि कठोर दिखने वाले इस व्यक्ति के अंदर भी कहीं न कहीं कोमलता के लिए जगह है।

    ​यह घर के माहौल में शांति और जिम्मेदारी की भावना स्थापित करता है, और निशांत और अनिका के बीच के रिश्ते में समझ और नरमी की पहली नींव डालता है।
    क्रमशः
    Thank you ❤️‍🔥🔥🌸✨️

  • 3. MAFIA KI ZID 🔥❤️‍🔥 - Chapter 3

    Words: 1194

    Estimated Reading Time: 8 min

    EPISODE 3
    MAFIA KI ZID


    ​📖 एपिसोड 3:
    साया और सवाल (The Shadow and the Question)
    ​☕ सुबह की शांति और तनाव

    ​कामार्थ हवेली में सुबह का समय था, और अजीब-सी शांति छाई हुई थी—ऐसी शांति जो किसी बड़े तूफ़ान से पहले आती है।
    ​नाश्ते की मेज पर अनिका बच्चों को खिला रही थी। डेढ़ साल के हर्ष को धीरे-धीरे दलिया खिलाना, और जुड़वाँ को दूध पिलाना—वह इस काम में पूरी तरह Natural लग रही थी। उसके चेहरे पर सादगी थी, वही हल्के रंग की कॉटन की साड़ी, माथे पर सिंदूर की रेखा, और गले में मंगलसूत्र, जो अब उसकी पहचान बन चुका था।

    ​निशांत, अपने कड़क, महंगे ऑफिस सूट में तैयार, मेज पर बैठा था। वह आज शांत था, लेकिन उसके अंदर बेचैनी थी। वह बार-बार अनिका को देखता था।

    ​निशांत :वह देखता था कि अनिका कितने आराम से उस काम को कर रही है, जिसमें वह खुद कल रात फेल हो गया था। यह सादगी और उसका पारंपरिक रूप—यह सब उसकी क्रूर और जटिल दुनिया (Mafia World) से बिल्कुल मेल नहीं खाता था। यह दृश्य उसे असहज करता था, जैसे किसी अँधेरे कोने में अचानक रोशनी आ जाए।

    ​उसने चुप्पी तोड़ी, उसकी आवाज़ में कोई भाव नहीं था, बिल्कुल तटस्थ।
    ​निशांत: "खाना कैसा बना?"
    ​अनिका को क्षण भर के लिए लगा कि वह कल की खीर की बात कर रहा है, जिसकी उसने तारीफ की थी। उसके चेहरे पर हल्की-सी मुस्कान आई, लेकिन फिर वह समझ गई कि वह आज के नाश्ते के बारे में पूछ रहा है।

    ​अनिका: (धीमे से) "ठीक है, निशांत जी। मुझे यह रसोई... थोड़ी ज़्यादा ही बड़ी लगती है।"
    ​निशांत ने सीधे मुद्दे की बात की।

    ​निशांत: (तटस्थ) "मैं तुम्हारे लिए एक सहायक (maid) रखवा दूँगा। तुम्हें बच्चों को संभालना है, रसोई नहीं। ज़रूरी नहीं कि तुम सारा बोझ खुद लो।"

    ​यह निशांत की तरफ़ से शायद देखभाल का एक अजीब तरीका था, या शायद वह अनिका को अपनी दुनिया की उलझनों से दूर रखना चाहता था।

    ​लेकिन अनिका ने विनम्रता से प्रतिरोध किया।
    ​अनिका: "नहीं, निशांत जी। धन्यवाद, पर मैं खुद ही संभाल लूँगी। जब तक मैं खुद रसोई नहीं संभालती, मुझे... अपनापन महसूस नहीं होता।"

    ​यह उसकी आज़ादी का छोटा-सा प्रयास था—कम से कम अपने दायरे में तो वह खुद की मर्जी से काम कर सकती थी। निशांत ने यह सुना, और बिना कोई टिप्पणी किए अपनी कॉफी पी ली। उसे अनिका की यह ज़िद (Resolve) अजीब लगी, लेकिन उसने बहस नहीं की।

    ​🔪 साया और रहस्य
    ​निशांत नाश्ता ख़त्म करके उठने वाला था, तभी कमरे में अचानक दरवाज़ा खुला और उसका वफादार सहायक, अमन, तेज़ी से अंदर आया। अमन का चेहरा चिंता और तनाव से भरा था।
    ​अमन ने अनिका को देखा और अचानक ठिठक गया। वह जानता था कि निशांत की निजी और कामकाजी दुनिया एकदम अलग-अलग हैं।

    ​निशांत तुरंत स्थिति समझ गया। यह कोई साधारण बात नहीं थी। उसने तुरंत आदेश दिया:
    ​निशांत: "बच्चों के साथ ऊपर जाओ, अनिका। मुझे अमन से एक ज़रूरी बात करनी है।"

    ​उसकी आवाज़ ठंडी और निर्णायक थी।
    ​अनिका को पहली बार निशांत की खतरनाक दुनिया की सीधी झलक मिली। अमन के चेहरे का डर, निशांत की आँखों की सख्ती—सब कुछ भयावह था। अनिका डर गई, लेकिन वह जानती थी कि बहस करने का यह सही समय नहीं है। वह चुपचाप बच्चों को लेकर ऊपर के कमरे में चली गई।
    ​जैसे ही अनिका दरवाज़ा बंद करके गई, निशांत का गुस्सा भड़का।

    ​निशांत: "क्या हुआ? इतना घबराया हुआ क्यों है?"
    ​अमन ने धीरे से निशांत के कान में कुछ गुपचुप बताया। यह बात निशांत के स्वर्गीय भाई की दुर्घटना से जुड़ी थी।
    ​अमन: "बॉस, हमने दुर्घटनास्थल की दोबारा जाँच कराई है... कुछ गड़बड़ी मिली है। एक छिपा हुआ सबूत जो यह साबित करता है कि यह दुर्घटना नहीं, बल्कि एक सुनियोजित हत्या थी।"
    ​यह सुनते ही निशांत की आँखें क्रोध और धोखे के एहसास से लाल हो गईं। उसका पूरा शरीर तनाव में आ गया। उसके चेहरे पर अब सिर्फ़ बदला लेने का जुनून था। हवेली की शांति टूट चुकी थी, और खतरे का साया घर पर मंडराने लगा था।

    ​📞 दादाजी का कॉल
    ​ऊपर, बच्चों के कमरे में, अनिका का मन अशांत था। निशांत की दुनिया का यह काला साया उसे डरा रहा था। तभी उसका फ़ोन बजा।

    ​यह उसके दादाजी का कॉल था—वही जिन्होंने ज़बरदस्ती उसकी शादी निशांत से करवाई थी।
    ​कॉल पर प्यार या चिंता नहीं थी, बल्कि एक निवेशक की ठंडी, व्यवसायिक आवाज़ थी।

    ​दादाजी: "निशांत से बात हुई तुम्हारी? सब ठीक है वहाँ? देखो, अनिका, मेरी बात ध्यान से सुनो। तुम अब ठाकुर परिवार की नहीं, कामार्थ सिंडिकेट की बहु हो। हमारी डील नहीं बिगड़नी चाहिए।"

    ​यह सुनकर अनिका को गहरा सदमा लगा। डील? क्या वह सिर्फ़ एक मोहरा थी, जिसकी कीमत पर उनके परिवारों के बीच कोई समझौता हुआ था?

    ​अनिका का सदमा (आंतरिक विचार): मैं सिर्फ़ एक मोहरा हूँ। मुझे यहाँ सुरक्षा या सम्मान के लिए नहीं लाया गया। मैं एक डील का हिस्सा हूँ!

    ​उसे अचानक निशांत के प्रति थोड़ी सहानुभूति महसूस हुई। शायद वह भी, अपनी क्रूरता के बावजूद, इस जबरन रिश्ते और अपने परिवार के जटिल साज़िशों का शिकार था।


    ​💔 विश्वास की पहली दरार
    ​शाम होते-होते निशांत देर से घर लौटा। वह थका हुआ, उदास और ग़ुस्से में था। उसके सूट पर धूल थी, और उसकी आँखें लाल थीं।
    ​अनिका बच्चों को सुला रही थी। उसने निशांत को देखा और हिम्मत जुटाई। उसने सोचा कि थोड़ी सी इंसानियत और सहानुभूति से शायद तनाव कम हो।

    ​उसने चुपचाप एक कप चाय बनाई और निशांत को दी।
    ​अनिका: (नरम आवाज़ में) "आज... कुछ गड़बड़ थी?"
    ​यह सवाल, जो चिंता से भरा था, निशांत को ग़ुस्सा दिला गया। वह अपनी दुनिया में किसी के दखल को बर्दाश्त नहीं कर सकता था।

    ​निशांत: (ठंडे, कठोर स्वर में) "यह मेरी दुनिया है, अनिका। इससे तुम्हें कोई लेना-देना नहीं है। तुम बस बच्चों को देखो।"
    ​यह सीधा हमला था। अनिका को गहरा ठेस लगा। उसकी सहानुभूति और इंसानियत का प्रयास चूर-चूर हो गया। वह समझ गई कि उसकी हैसियत इस घर में बच्चों की देखभाल तक ही सीमित है।

    ​अनिका : वह एक पल के लिए काँप गई। उसकी आँखों में निराशा थी। उसने चाय की ट्रे वापस उठा ली और चुपचाप पीछे मुड़ गई।

    ​निशांत को अपनी कठोरता का थोड़ा एहसास हुआ, लेकिन वह अपने क्रोध और मिशन में इतना डूबा हुआ था कि माफ़ी नहीं माँग पाया।

    ​वह कमरे से बाहर जाने वाला था, तभी उसके हाथ से उसका फ़ोन फिसलकर मेज पर गिर गया।

    ​अनिका ने मुड़कर देखा। फ़ोन की स्क्रीन पर एक संदिग्ध टेक्स्ट (Suspicious Text) का नोटिफिकेशन चमक रहा था, जो निशांत का कोई करीबी लग रहा था।

    ​टेक्स्ट: "सबूत मिटा दिए गए हैं। अब वह कभी नहीं जान पाएगा कि क्या हुआ।"
    ​अनिका की साँसें थम गईं। वह तुरंत समझ गई कि निशांत किसी खतरनाक सच्चाई का पीछा कर रहा है। यह मामला सिर्फ़ कारोबार का नहीं, बल्कि हत्या और धोखे का था।
    ​वह डर गई।

    अब उसकी चिंता केवल निशांत के रुख़ को लेकर नहीं थी, बल्कि अपनी और बच्चों की सुरक्षा को लेकर थी। उसने तय किया कि वह अब चुप नहीं बैठेगी। उस रात, हवेली की दीवारें खतरे के एक बड़े साये में घिर गईं, और अनिका ने अनजाने में ही, निशांत की खतरनाक दुनिया में पहला कदम रख दिया था।
    क्रमशः
    Thank you

  • 4. MAFIA KI ZID 🔥❤️‍🔥 - Chapter 4

    Words: 1092

    Estimated Reading Time: 7 min

    EPISODE 4
    MAFIA KI ZID


    ​📖 एपिसोड 4: ख़तरे का अहसास और नज़दीकी (Sense of Danger and Proximity)

    ​🚨 खामोश खतरा
    ​सुबह की पहली किरण कामार्थ हवेली के बड़े कमरे में दाखिल हुई, लेकिन अनिका के लिए यह किसी रोशनी से कम नहीं था। पूरी रात उस संदिग्ध मैसेज (सबूत मिटा दिए गए हैं) के बारे में सोचते हुए गुज़री थी। अब यह आलीशान घर उसे सोने का पिंजरा नहीं, बल्कि एक खतरनाक जाल लग रहा था, जहाँ किसी भी पल कोई साया अंदर घुस सकता था।

    ​अनिका आज भी अपने साधारण कॉटन की साड़ी और पारंपरिक गहनों में थी, लेकिन उसके चेहरे पर गहरी चिंता की छाया थी।

    ​निशांत, अपने काम के लिए बहुत जल्दी तैयार था। उसके चेहरे पर कल रात का क्रोध और तनाव साफ़ झलक रहा था। वह जाने से पहले अनिका के पास आया और उसकी आवाज़ में सख्त चेतावनी थी, जो आदेश से ज़्यादा रक्षात्मक थी।

    ​निशांत: (आँखों में देखते हुए, आवाज़ में सख्ती) "आज से तुम बच्चों को लेकर इस कमरे से बाहर नहीं निकलोगी। किसी भी दरवाज़े को नहीं खोलोगी, चाहे कोई भी दस्तक दे। कोई सवाल नहीं। यह तुम्हारी और बच्चों की सुरक्षा के लिए है।"

    ​अनिका को क्षण भर के लिए गुस्सा आया कि वह उसे कैद कर रहा है, उसकी आज़ादी छीन रहा है। लेकिन जब उसने निशांत की आँखों में देखा, तो उसे वहाँ सच्चा डर दिखाई दिया—वह डर, जो अपने प्रियजनों को बचाने के लिए होता है।

    ​अनिका का भाव: वह जानती थी कि बाहर की दुनिया में कोई भयानक खतरा है, और निशांत अपनी तरह से बच्चों को सुरक्षित कर रहा है। उसकी कैद, सुरक्षा की गारंटी थी।
    ​उसने चुपचाप सहमति में सिर हिला दिया। निशांत ने उसकी आँखों में देखा, एक पल रुका, और बिना कुछ और कहे, तेज़ी से निकल गया।

    ​👶 बच्चों की ज़रूरत और तनाव
    ​निशांत के जाते ही, कमरे का माहौल घुटन भरा हो गया। अनिका पूरे दिन बच्चों के साथ कमरे में रही। यह कैद उसे बेचैन कर रही थी, लेकिन वह जानती थी कि बाहर कदम रखना खतरनाक हो सकता है।

    ​दिनभर की चुप्पी और तनाव के बीच, एक नया संकट आ गया।
    हर्ष का बुखार (Harsh’s Fever)
    ​दोपहर में, अनिका ने महसूस किया कि हर्ष (बड़ा बच्चा) शांत है, जो असामान्य था। उसने माथा छुआ और घबरा गई। हर्ष तेज़ बुखार (Fever) में तप रहा था।

    ​अनिका का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। वह तुरंत डॉक्टर को बुलाना चाहती थी, लेकिन तभी उसे निशांत का सख्त आदेश याद आया—किसी भी दरवाज़े को नहीं खोलना।

    ​अनिका, निशांत के माफिया बैकग्राउंड को याद करती है। क्या बाहर के किसी अनजान डॉक्टर को बुलाना सुरक्षित होगा? क्या वह कोई भेजा हुआ आदमी हो सकता है?

    ​बुखार बढ़ता जा रहा था। अनिका ने फैसला किया कि वह इंतज़ार नहीं कर सकती। बच्चों की सेहत उसकी पहली ज़िम्मेदारी थी, और इस मामले में निशांत का हुक्म अमान्य था।
    ​आत्मविश्वास: उसने बिना समय गंवाए, थरथराते हाथों से, निशांत को कॉल किया।

    ​📞 निशांत का गुस्सा और तुरंत वापसी
    ​निशांत ने कॉल उठाया, लेकिन उसकी आवाज़ बता रही थी कि वह एक ख़तरनाक मीटिंग में है। पीछे से दबी हुई धमकी भरी आवाज़ें आ रही थीं।

    ​निशांत: (क्रोधित, फुसफुसाते हुए, क्योंकि वह नहीं चाहता था कि उसके लोग यह जानें कि कौन कॉल कर रहा है) "मैंने कहा था, मुझे डिस्टर्ब मत करना! क्या हुआ है?"

    ​निशांत के कठोर स्वर से अनिका डर गई, लेकिन उसकी मातृत्व की दृढ़ता जीत गई।

    ​अनिका: (डरते हुए, लेकिन दृढ़ता से और स्पष्ट) "हर्ष को 104 डिग्री बुखार है। मुझे डॉक्टर चाहिए। तुरंत।"

    ​इस एक वाक्य ने बम का काम किया। निशांत का गुस्सा तुरंत गहरी चिंता और भय में बदल गया। उसका चेहरा सफ़ेद पड़ गया। उसके लिए बच्चों की सुरक्षा और सेहत से बड़ा कोई समझौता नहीं था।

    ​निशांत का भाव: उसकी ठंडी परत तुरंत टूट गई। मीटिंग, बदला, और खतरा—सब कुछ गौण हो गया।

    ​वह तुरंत क्रोधित स्वर में मीटिंग के लोगों को कुछ निर्देश देता है, और बीच में छोड़कर, पागलों की तरह घर की ओर दौड़ता है।
    ​निशांत कुछ ही मिनटों में घर आया। वह अब गुस्से में नहीं था, बल्कि परेशान और चिंतित था। वह सीधे हर्ष के पास गया।

    ​🌡️ देखभाल और नज़दीकी
    ​: देखभाल का संघर्ष
    ​निशांत ने तुरंत अपने निजी डॉक्टर को बुलाया, जो उनके सिंडिकेट से जुड़ा था और गुप्त रूप से हवेली में आया। अनिका कमरे में बैठी, हर्ष के माथे का पसीना पोंछ रही थी।

    ​डॉक्टर ने हर्ष को देखा, कुछ दवाइयाँ दीं, और गोपनीयता बनाए रखते हुए जल्दी से चला गया।
    ​बच्चों की देखभाल की इस प्रक्रिया में, अनिका और निशांत पहली बार एक साथ, एक ही लक्ष्य पर काम कर रहे थे।

    ​डॉक्टर के जाने के बाद, अनिका, निशांत को शांत करने के लिए, उसे एक कप गर्म चाय दी। निशांत कुर्सी पर थका हुआ बैठा था। उसके चेहरे पर तनाव और राहत का मिश्रण था।
    ​वह चाय पीते हुए अनिका को देखता है। उसकी सादगी और उसकी दृढ़ता उसे अब आकर्षित कर रही थी।

    ​निशांत: (थके हुए, दबे स्वर में) "तुमने मेरी बात क्यों नहीं मानी? तुम यहाँ क्या कर रही हो?" (उसका मतलब था कि तुम्हें अपने जोखिम पर मुझे डिस्टर्ब नहीं करना चाहिए था)।

    ​अनिका ने चाय की ट्रे रखी और सीधी आँखों में देखते हुए जवाब दिया। यह पहली बार था जब उसने इतनी दृढ़ता से, पति के अधिकार को चुनौती दी थी।

    ​अनिका: "मैं यहाँ बच्चों की माँ हूँ, निशांत जी। और माँ अपने बच्चे के लिए किसी का हुक्म नहीं सुनती। आपको बाहर की दुनिया देखनी है, मुझे बच्चों को।"

    ​यह भावनात्मक टकराव था। निशांत उसका यह मज़बूत, निडर रूप देखकर हैरान था। उसने महसूस किया कि वह सिर्फ़ एक कोमल कठपुतली नहीं है, बल्कि एक शक्तिशाली आधार है।
    ​तभी, हर्ष बेचैनी में रोया।

    ​शारीरिक स्पर्श और नज़दीकी
    ​निशांत और अनिका एक ही पल में हर्ष के माथे को छूने के लिए झुके, यह जानने के लिए कि बुखार कम हुआ या नहीं।
    ​उनके हाथ टक्कर खाते हैं।

    ​यह स्पर्श क्षण भर का था, लेकिन इतना करीब और इतना भावनापूर्ण कि दोनों चौंक जाते हैं। वे जल्दी से हाथ हटाते हैं, लेकिन उस स्पर्श की गरमाहट वहाँ रुक जाती है l

    ​निशांत ने पूरी रात वहीं, बच्चों के पास एक कुर्सी पर बैठकर गुज़ारी। वह अनिका और बच्चों को देखता रहा—जैसे वह खुद को इस शांत दुनिया का हिस्सा बनाने की कोशिश कर रहा हो। अनिका भी चुपके से उसे देखती रही।

    ​इस खतरे और जिम्मेदारी ने उन्हें पहली बार एक-दूसरे के इतना करीब ला दिया था, जहाँ शब्दों की ज़रूरत नहीं थी, बस मौजूदगी ही काफ़ी थी। उनके रिश्ते में एक अदृश्य, मज़बूत धागा बंध चुका था।
    क्रमशः
    Thank you

  • 5. MAFIA KI ZID 🔥❤️‍🔥 - Chapter 5

    Words: 1005

    Estimated Reading Time: 7 min

    EPISODE 5
    MAFIA KI ZID

    ​एपिसोड 5: मासूमियत की जाँच (The Innocent Investigation)
    ​🤫 निशांत की गुप्त कार्रवाई

    ​सुबह हुई, लेकिन इस बार हवेली पर एक नई तरह की खामोशी थी—शांत नहीं, बल्कि खतरनाक।

    ​निशांत सुबह जल्दी निकल गया था। अब वह और भी शांत और काँटेदार हो गया था। कल रात हर्ष के बुखार और अनिका की दृढ़ता ने उसे बच्चों की सुरक्षा को लेकर और भी गंभीर बना दिया था। उसने जाने से पहले अपने सबसे भरोसेमंद आदमी, अमन, को कड़े निर्देश दिए थे कि वह बच्चों और अनिका की सुरक्षा पर चौबीस घंटे निगरानी रखे।

    ​निशांत अपनी जाँच में और गहराई से उतरता है। उसके दिमाग में एक ही बात थी: भाई की हत्या का बदला।

    ​जाँच में खुलासा होता है कि उसका भाई आखिरी बार किसी पुरानी प्रॉपर्टी डील पर काम कर रहा था। अगर वह डील पूरी हो जाती, तो कामार्थ सिंडिकेट को बड़ा नुकसान हो सकता था।

    ​निशांत का पहला शक (आंतरिक मोनोलॉग): बाहर के दुश्मन इतनी आसानी से हमारे घर के अंदरूनी मामले नहीं जान सकते थे। इसका मतलब है, यह कोई अपना है। परिवार के किसी करीबी ने ही घात किया है। मुझे अंदर से शुरुआत करनी होगी।
    ​निशांत अब सिर्फ़ अपराधी नहीं, बल्कि गद्दार को ढूँढ रहा था।

    ​🧩 अनिका की जासूसी
    ​इधर हवेली में, अनिका (सादी साड़ी और माँ की भूमिका में) अपने कमरे में थी। हर्ष अब बेहतर महसूस कर रहा था, लेकिन अनिका का मन अशांत था। निशांत की चेतावनी और उस संदिग्ध टेक्स्ट ने उसे चैन से नहीं बैठने दिया।

    ​अनिका का संकल्प: नहीं, मैं चुप नहीं बैठ सकती। अगर कोई निशांत को नुकसान पहुँचा रहा है, तो बच्चों पर भी खतरा है। मुझे सच जानना होगा। मैं यहाँ सिर्फ़ खाना बनाने या बच्चों को संभालने नहीं आई हूँ।

    ​वह कमरे की चीज़ों को देखती है। उसे याद आता है कि पिछली रात जब उसने निशांत को चाय दी थी, तो कुछ काग़ज़ात मेज पर पड़े थे। निशांत ने जल्दबाजी में उन्हें समेटा नहीं था।
    ​अनिका धीरे से मेज के पास जाती है। वहाँ कुछ आधे जले हुए एग्रीमेंट के पन्ने रखे हैं, जो शायद निशांत ने जलाए होंगे लेकिन वे पूरी तरह जले नहीं थे। उस पर किसी प्रॉपर्टी का अस्पष्ट एड्रेस (Address) लिखा है।

    ​अनिका का विचार: यह क्या है? जलने की कोशिश क्यों की गई?
    ​वह तुरंत अपना फ़ोन निकालती है और झट से उस एड्रेस की एक तस्वीर लेती है। यह जानकारी इतनी गोपनीय थी कि केवल निशांत को पता थी, और वह उसे कभी नहीं बताता। अनिका ने जान लिया कि यही उसका पहला सुराग है।

    ​💻 तकनीक और मुश्किल
    ​अनिका अब बाहर की दुनिया से संपर्क करना चाहती थी। लेकिन घर में हर नौकर और हर दीवार पर निशांत की निगरानी थी।
    ​अनिका अपने फ़ोन में उस एड्रेस को खोजने की कोशिश करती है।

    ​अनिका की मासूमियत: वह तकनीक की जानकार नहीं थी। वह मैप्स पर नाम टाइप करने की बजाय, अजीब तरह से फोटो को ज़ूम करके एड्रेस पढ़ रही थी, यह जानने के लिए कि यह जगह कहाँ है।

    ​वह संघर्ष कर रही थी कि तभी जुड़वाँ में से एक रोने लगता है। अनिका को जल्दी से फ़ोन बंद करके बच्चे को संभालना पड़ता है।


    ​माहौल: उसे महसूस होता है कि कोई उसे देख रहा है। हर बार जब दरवाज़े पर हल्की आहट होती है, वह डर जाती है। वह जानती है कि उसकी हर हरकत पर नज़र रखी जा रही है (जो कि सच था, निशांत के गार्ड बाहर थे)।
    ​वह समझ गई कि फ़ोन से काम नहीं चलेगा। उसे खुद बाहर जाना होगा।

    ​🚪 बाहर निकलने का खतरा
    ​अनिका ने एक ख़तरनाक योजना बनाई।

    ​वह अपने कमरे के बाहर खड़े गार्ड को बुलाती है।
    ​अनिका: "सुनो! बच्चों के लिए जो विशेष दवा आती है, वह ख़त्म हो गई है।" (यह एक सफ़ेद झूठ था)। "मैं खुद दवा लेने जा रही हूँ, क्योंकि मैं किसी और पर भरोसा नहीं कर सकती।"
    ​गार्ड, जो निशांत का वफादार था, झिझकता है। उसके माथे पर पसीना आ जाता है l

    ​गार्ड: (डरते हुए) "माफ़ करना, भाभी जी। निशांत सर का सख्त आदेश है—आप कमरे से बाहर नहीं निकल सकतीं।"

    ​अनिका को पता था कि उसे अपनी मातृत्व की शक्ति का उपयोग करना होगा। वह ज़ोर देती है, उसकी आवाज़ में डर नहीं, बल्कि माँ की दृढ़ता थी।

    ​अनिका: "अगर मेरे बच्चों को कुछ हुआ, और वह दवा समय पर नहीं मिली, तो निशांत जी से मैं खुद बात करूँगी। और उन्हें पता है कि बच्चों के मामले में मैं कोई समझौता नहीं करती। तुम सिर्फ दरवाज़ा खोलो।"

    ​गार्ड, बच्चों के नाम पर डर जाता है। वह जानता था कि निशांत बच्चों की सुरक्षा के लिए किसी को भी बख्शेगा नहीं। डरते हुए, वह दरवाज़ा खोल देता है।

    ​अनिका साधारण वेशभूषा में, जल्दी से हवेली से बाहर निकलती है। उसकी चाल में डर और दृढ़ संकल्प का मिश्रण था। उसने सड़क पर एक ऑटो लिया और उस गुप्त एड्रेस की ओर निकल पड़ी—वह यह नहीं जानती थी कि वह माफिया क्षेत्र के दिल में कदम रख रही है।

    ​📞 निशांत को खबर
    ​निशांत शहर के दूसरे कोने में अपनी जाँच में व्यस्त था, जहाँ वह किसी संदिग्ध व्यक्ति से जानकारी निकालने की कोशिश कर रहा था।
    ​तभी, उसके निजी गार्ड का कॉल आया।
    ​निशांत: (गुस्से में) "क्या हुआ? मैंने कहा था डिस्टर्ब मत करना!"
    ​गार्ड की आवाज़ काँप रही थी।
    ​गार्ड: "सर, अनिका भाभी... बच्चों की दवा लेने के बहाने घर से... चली गई हैं।"

    ​निशांत का भाव: निशांत के हाथ से फ़ोन लगभग छूट जाता है। उसकी आँखें गुस्से और गहरी चिंता से फटी रह जाती हैं। उसे एहसास होता है कि अनिका नासमझ है, और उसने खुद को सबसे बड़े खतरे में डाल दिया है। उसकी मासूमियत उसकी जान ले सकती थी।

    ​वह तुरंत अपनी मीटिंग छोड़कर उठा।
    ​निशांत: (ज़ोर से) "गाड़ी तैयार करो! मुझे पता है वह कहाँ जा रही होगी। हमें उसे रोकना होगा!"
    ​वह अनिका का पीछा करने के लिए निकल पड़ता है, उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था—अब गुस्सा कम था, और डर ज़्यादा।


    तो अगले episode में क्या होगा जाने के लिए पढ़ते रहिये l

    क्रमशः
    Thank you 🔥❤️‍🔥🌸✨️

  • 6. MAFIA KI ZID 🔥❤️‍🔥 - Chapter 6

    Words: 1706

    Estimated Reading Time: 11 min

    EPISODE 6
    MAFIA KI ZID

    💥 एपिसोड 6: आग और पानी (Fire and Water)
    पात्र: अनिका, निशांत, हमलावर

    ​🏭 खतरनाक ठिकाना (The Dangerous Hideout)
    ​बाहरी क्षेत्र - सूर्यास्त के ठीक बाद
    ​गाड़ी की हेडलाइट्स धुंधलके को काटती हुई एक ऊबड़-खाबड़, टूटी हुई सड़क पर आगे बढ़ीं। अनिका ने अपनी पुरानी, मामूली मारुति को एक सुनसान औद्योगिक क्षेत्र के किनारे धीमा किया। शहर की रौशनी यहाँ तक नहीं पहुँचती थी; केवल जर्जर इमारतों के भूत जैसे silhouettes और हवा में जंग और सीवर की अजीब गंध थी।

    ​अनिका ने डरते हुए अपना दुपट्टा कसकर कस लिया। उसकी सादी सफेद कॉटन साड़ी इस खौफ़नाक माहौल में और भी ज़्यादा कोमल और नाजुक लग रही थी। वह निशांत के सख़्त आदेश को तोड़कर यहाँ आई थी—बच्चों को सुरक्षा के घेरे में छोड़कर, सीधे ख़तरे की तरफ।

    ​अनिका का आंतरिक द्वन्द्व (Internal Monologue):
    ​"मैं क्या कर रही हूँ? मैं पागल हो गई हूँ! निशांत जी सही कहते थे, मुझे घर पर रहना चाहिए था। यह मेरी दुनिया नहीं है।"
    वह ब्रेक पर पैर रखकर, वापस मुड़ने ही वाली थी कि उसे निशांत के भाई की आधी जली हुई तस्वीर याद आई—बच्चों के पिता, जिनके लिए वह यह नकली रिश्ता निभा रही थी।
    "नहीं। अगर यह जगह उस रात के सच को छुपा रही है, तो मुझे जानना होगा। बच्चों को खतरा है, और मैं अब और कमज़ोर नहीं रह सकती।"

    ​उसने गाड़ी लॉक की और एक बड़े, लोहे के वेयरहाउस की तरफ बढ़ी। वेयरहाउस की टूटी-फूटी दीवारों से लग रहा था कि इसे सालों से इस्तेमाल नहीं किया गया है। लेकिन मुख्य दरवाज़े पर कुछ ऐसा था जिसने अनिका की साँसें रोक दीं। दरवाज़े के जोड़ पर एक नया, चमकीला सीलिंग टेप लगा हुआ था।
    ​वह पास गई। टेप पर काले मार्कर से एक नाम लिखा था—वही अक्षर और निशान जो निशांत के दराज में मिले आधे-जले कागज़ के एक टुकड़े पर थे। यह किसी गुप्त लेन-देन, किसी भयानक अंत की निशानी थी।

    ​वह जानती थी कि वह मुख्य द्वार से नहीं जा सकती। उसने वेयरहाउस के चारों ओर चक्कर लगाया। पीछे की तरफ, एक टूटी हुई खिड़की थी जिसे धूल और मकड़ी के जालों ने ढक रखा था, और उसके नीचे, एक पुराना, लकड़ी का दरवाजा था जो थोड़ा सा खुला हुआ था।

    ​उसने हिम्मत जुटाई। "जय माता दी," उसने धीमी आवाज़ में फुसफुसाया।
    ​वह काँपते हुए हाथों से दरवाज़े को धक्का देकर अंदर गई।
    ​अंदर की हवा ठंडी और बासी थी। लोहे के खंभों पर धूल की मोटी परत थी। अनिका की नज़र ज़मीन पर पड़ी। अँधेरे में भी, उसकी नज़र एक टूटे हुए बूट के फीते और ताज़े खून के हल्के धब्बे को पहचान गई।
    ​यह जगह वीरान नहीं थी। यह एक अपराध स्थल था।

    निशांत का क्रोध (Nishant’s Fury)
    ​वेयरहाउस - कुछ पल बाद
    ​बाहर, एक काली एसयूवी चीख़ते हुए वेयरहाउस के सामने रुकी। निशांत ड्राइवर की सीट से बाहर निकला, उसकी आँखें अंगारों की तरह लाल थीं। अनिका के फ़ोन पर जीपीएस ट्रैकर ने उसे यहाँ तक पहुँचाया था। उसका गुस्सा बच्चों की सुरक्षा के बारे में नहीं था—यह उसकी सत्ता को चुनौती देने और अनिका के जीवन को खतरे में डालने के बारे में था।

    ​वह तेज़ी से वेयरहाउस के पिछले दरवाजे से अंदर घुसा।
    ​निशांत ने अनिका को एक कोने में खड़े देखा, जो हाथ में एक पुराना, मुड़ा हुआ कागज़ पकड़े हुए थी। वह अपनी दुनिया में इतनी खोई हुई थी कि उसने निशांत की उपस्थिति को महसूस भी नहीं किया।

    ​निशांत ने एक ही पल में दूरी तय की। उसने उसका बायाँ हाथ इतनी मज़बूती से पकड़ा कि अनिका चीख़ पड़ी। वह दर्द से काँप उठी और कागज़ उसके हाथ से गिर गया।

    ​निशांत और अनिका का टकराव:
    ​निशांत (आवाज़ दबाकर, लेकिन हर शब्द में ज़हर): "तुम... तुम पागल हो गई हो! तुम्हें अंदाज़ा भी है कि तुम कहाँ हो? मेरे आदेश तोड़ने की हिम्मत कैसे हुई? यह जगह... यह नरक है, अनिका! तुम ख़ुद को क्या समझती हो?"

    ​अनिका की आँखों में दर्द और अपमान के आँसू भर आए। वह अपनी कलाई को छुड़ाने की व्यर्थ कोशिश करने लगी।

    ​अनिका (डरते हुए, लेकिन दृढ़ता से): "मुझे... मुझे सच जानना था! बच्चों को ख़तरा है! आप मुझे... कैद नहीं कर सकते! मुझे क्या करना है, यह बताने वाले आप कौन होते हैं?"

    ​निशांत (और करीब आता है, उसकी आँखों में झाँकता है): "मैं वह हूँ... जो तुम्हें, बच्चों को, और इस पूरी गंदी कहानी को संभाल रहा हूँ! मैंने तुम्हें उस दिन साफ़ कहा था—घर पर रहना! मेरी ज़िम्मेदारी! और तुमने... तुमने मेरी बात की धज्जियाँ उड़ा दीं!"

    ​उनकी आँखें मिलीं। दूरी मिट गई थी। निशांत की आँखें जलती हुई आग थीं—गुस्सा, निराशा, और डर का मिश्रण। अनिका की आँखें पानी थीं—दर्द, विरोध, और एक अजीब-सी चुनौती से भरी हुई। उनकी कलाई के बीच का स्पर्श दर्दनाक था, पर पहली बार, यह अकाट्य बंधन जैसा महसूस हुआ।

    ​अनिका (काँपते हुए): "मुझे भी डर लगता है, निशांत जी। लेकिन मैं चुपचाप... बैठ नहीं सकती। मैं कोई... कोई कठपुतली नहीं हूँ।"

    ​इससे पहले कि निशांत अपने क्रोध को नियंत्रित कर पाता, एक तेज़ कार की आवाज़ बाहर वेयरहाउस के सामने रुकी। इसके बाद दरवाज़े के पास भारी बूटों की आवाज़ सुनाई दी।
    ​निशांत का चेहरा एक पल में बदल गया। आग बुझ गई, उसकी जगह क्रूर, ठंडी एकाग्रता ने ले ली। उसने तुरंत अनिका को अपनी कलाई से खींचकर अपने सीने के पीछे धकेला।


    ​🔫 दुश्मन का सामना (Facing the Enemy)
    ​वेयरहाउस - टकराव
    ​तीन हथियारबंद लोग अंदर घुसे। वे भारी-भरकम थे और उनके चेहरे कठोरता से ढके हुए थे। वे वेयरहाउस के सबूत मिटाने आए थे, लेकिन उन्हें बीच में निशांत और अनिका मिल गए।
    ​गुंडों में से एक ने उन्हें देखकर मुस्कराया। "ओहो। हमें तो बस सफ़ाई करनी थी, यहाँ तो असली सफ़ाई का इंतज़ाम हो गया। निशांत साल्वे, हमें पता था तुम यहीं मिलोगे।"

    सुरक्षा घेरा
    ​निशांत अब वह कठोर पति नहीं था, जिसे अनिका जानती थी। वह अचानक एक दुर्जेय, क्रूर मशीन में बदल गया। उसका शरीर तनाव से तना हुआ था। उसने अनिका को कसकर अपनी पीठ से चिपका लिया, जैसे वह उसका सबसे कीमती खजाना हो।

    ​निशांत (शांत, लेकिन आदेशात्मक): "चुपचाप मेरे पीछे रहो। एक भी आवाज़ नहीं। अपनी आँखें ज़मीन पर रखो।"

    ​अनिका ने उस दबाव को महसूस किया—यह केवल सुरक्षा नहीं थी, यह एक मालिकाना हक़ था, जिसे निशांत शायद पहली बार महसूस कर रहा था। उसके सीने की धड़कन उसके पीछे धड़क रही थी—तेज़, लेकिन स्थिर।
    ​हमलावर आगे बढ़े। निशांत ने उन्हें बात करने का मौका नहीं दिया।

    ​अगले कुछ पल अंधाधुंध गति और हिंसा के थे। निशांत ने पहला हमलावर का हाथ तोड़ा और उसकी बंदूक छीन ली। अनिका ने पहली बार निशांत के असली रूप को देखा—एक क्रूर, शक्तिशाली, और जानलेवा माफिया बॉस। उसका गुस्सा, जो कुछ मिनट पहले अनिका पर था, अब नियंत्रित विनाश में बदल गया था। वह अपनी कला में माहिर था।

    ​वेयरहाउस की दीवारों पर गोलियों की आवाज़ गूँजी। अनिका ने आँखें बंद कर लीं। उसे बारूद की कड़वी महक और ताज़ा खून की गंध आई। वह ज़ोर से काँप रही थी।

    ​एक हमलावर ने निशांत के बाईं बांह पर धारदार वार किया। निशांत ने दर्द में गुर्राया, लेकिन उसने अपनी पकड़ अनिका पर नहीं छोड़ी। उसने आखिरी हमलावर को एक ही झटके में ज़मीन पर गिरा दिया।
    ​सब कुछ खत्म हो गया। वहाँ सन्नाटा पसर गया।


    ​💔 : भावनात्मक विस्फोट (The Emotional Eruption)
    ​वेयरहाउस का कोना - मिनटों बाद
    ​निशांत ने घायल बांह को पकड़ा। वह हाँफ रहा था, लेकिन ख़तरा टल चुका था। वह जल्दी से अनिका की ओर मुड़ा।
    ​निशांत (तेज़, लेकिन थकी हुई आवाज़ में): "चलो! यहाँ से बाहर निकलो!"

    ​उसने अनिका को कलाई से पकड़ा, इस बार धीरे से, और उसे खींचकर कार तक ले गया। अनिका लगभग भाग रही थी।
    ​वे एसयूवी में गिरे। निशांत ने दरवाज़ा बंद किया और स्टेरिंग पर अपना सिर टिका दिया। कार के अंदर की शांति बाहर की अराजकता से भी ज़्यादा भयानक थी।

    ​निशांत का आत्म-नियंत्रण टूटा:
    ​निशांत ने स्टेरिंग पर मुक्का मारा। उसका गुस्सा अब पूरी तरह से चिंता में बदल चुका था।
    ​निशांत (कमज़ोर, हताश आवाज़ में): "तुम... तुम क्यों आईं यहाँ? क्यों? तुम्हें मेरी बात सुननी चाहिए थी! अगर तुम्हें... अगर तुम्हें कुछ हो जाता... बच्चों का क्या होता? मैं... मैं क्या जवाब देता?"

    ​उसकी आँखों में अविश्वसनीय दर्द था। यह पहली बार था जब अनिका ने उसे इतना असहाय देखा था। उसका कठोर कवच अब फट चुका था।

    ​अनिका अब तक जो डर महसूस कर रही थी, वह पिघल गया। उसकी जगह असीम करुणा ने ले ली। उसने देखा कि निशांत की बांह से खून रिस रहा था, और उसके चेहरे पर भी धूल और खून के हल्के छींटे थे।

    ​अनिका (आँखों में आँसू, धीमी आवाज़ में): "और... और आपको कुछ हो जाता तो? मुझे भी डर लगता है... लेकिन मुझे लगा कि आप अकेले हैं। मैं आपको... अकेले नहीं छोड़ सकती थी।"

    ​वह बिना सोचे, आगे बढ़ी।
    ​अनिका ने अपना काँपता हाथ उठाया और धीरे से निशांत के गाल को छुआ, जहाँ एक छोटा-सा कट था। उसका स्पर्श हल्का और कोमल था—जैसे पानी की बूँद आग को शांत कर रही हो।
    ​निशांत उस स्पर्श से हिल गया। यह ऐसा था जैसे किसी ने उसे करंट लगा दिया हो। वह उसकी आँखों में देखता रहा। उस पल में, उसे अपनी पत्नी की आँखों में पहली बार अपनापन और निस्वार्थ चिंता दिखाई दी। यह वह रिश्ता नहीं था जो उसने खरीदा था, यह वह बंधन था जो उसने कमा लिया था।

    ​अनिका (फुसफुसाते हुए): "यह बच्चे सिर्फ मेरी ज़िम्मेदारी नहीं हैं, निशांत जी! यह... हमारा परिवार है।"

    ​द फर्स्ट हग:❤️‍🔥✨️
    ​'हमारा परिवार'—ये तीन शब्द निशांत के कठोर दिल को छू गए। उसका नियंत्रण पूरी तरह से ढह गया।
    ​निशांत ने अचानक, बेकाबू होकर, अनिका को अपनी बाँहों में खींच लिया। वह उसे कसकर गले लगाता है—एक भीषण, बेताब आलिंगन।
    ​यह गले मिलना सिर्फ़ सुरक्षा के लिए नहीं था, यह नियंत्रण खोने का पहला पल था। उसने अनिका को अपने सीने से लगा लिया। वह उसकी सादी साड़ी, उसके बालों में लगे सिंदूर की महक और उसकी तेज़ धड़कन को महसूस कर रहा था।

    ​निशांत अपनी घायल बांह से भी उसे कसकर पकड़े रहा, जैसे अगर उसने ढील दी, तो वह उसे खो देगा। उस आलिंगन में, आग और पानी मिल गए—एक-दूसरे की कमी को पूरा करते हुए।
    ​वेयरहाउस की अंधेरी छाया में, उनके बीच की दूरी मिट गई थी। यह उनके रिश्ते का पहला सच्चा, और मजबूरन का प्यार था।

    क्रमशः
    Thank you

  • 7. MAFIA KI ZID 🔥❤️‍🔥 - Chapter 7

    Words: 2231

    Estimated Reading Time: 14 min

    EPISODE 7
    MAFIA KI ZID 🔥❤️‍🔥✨️

    💖 एपिसोड 7: घर का दुश्मन (The Enemy Within)
    ​पात्र: निशांत, अनिका, आर्यन

    ​🏠 घर की मरहम पट्टी (Dressing the wound)
    ​निशांत का कमरा - रात, वेयरहाउस की घटना के तुरंत बाद
    ​बाहर तेज़ बारिश हो रही थी, जैसे प्रकृति रात की हिंसा को धो रही हो। निशांत अपने विशाल कमरे के सोफे पर बैठा था, उसकी बांह से खून रिस रहा था। उसके चेहरे पर अब गुस्सा नहीं, बल्कि गहरी थकान थी।

    ​अनिका अपने कॉटन के दुपट्टे से उसकी बांह को दबाए हुए थी। उसका अपना शरीर अभी भी कांप रहा था, लेकिन वह जानती थी कि उसे इस समय मज़बूत रहना होगा। कल रात के आलिंगन ने उनके बीच की शारीरिक दूरी मिटा दी थी, लेकिन अभी भी एक बड़ी भावनात्मक चुप्पी थी।

    ​अनिका ने धीरे से दवाई लगाई। निशांत ने दर्द में गुर्राया नहीं, बस आँखें बंद कर लीं।

    ​अनिका (धीमी, डरी हुई आवाज़ में): "क्या... क्या यह हर रोज़ होता है, निशांत जी? क्या आपकी ज़िंदगी हर पल ऐसे ही ख़तरे में रहती है?"

    ​निशांत (आँखें खोले बिना): "पहले नहीं। मेरे भाई ने चीज़ों को संभाल रखा था। वह ज़्यादा... 'पेशेवर' था। मुझे यह सब पसंद नहीं है, अनिका। लेकिन अब यह मेरी मजबूरी है। बच्चों की ज़िम्मेदारी।"

    ​अनिका ने बैंडेज लपेटते हुए, हिम्मत जुटाकर सवाल किया।
    ​अनिका: "यह... हमलावर कौन थे? वे उसी नाम के लिए क्यों आए थे जो कागज़ पर था?"

    ​निशांत ने गहरी साँस ली, जैसे कोई भारी राज़ खोलने वाला हो। उसने अनिका का हाथ पकड़ा—इस बार, पकड़ में न तो गुस्सा था, न ही वासना, बल्कि एक आग्रह था।

    ​निशांत: "तुम एक गवाह हो, अनिका। इसलिए अब तुम्हें सच जानना होगा। यह... दुर्घटना नहीं थी। यह हत्या थी। मेरे भाई को मारा गया।"

    ​अनिका की आँखें बड़ी हो गईं। उसके हाथों से पट्टी छूट गई। "हत्या?"
    ​निशांत (गंभीर): "हाँ। और मुझे लगता है... यह हमारे परिवार के अंदर का आदमी है।"
    ​अनिका: "कौन... कौन इतना क्रूर हो सकता है कि अपने ही ख़ून के ख़िलाफ़ जाए?"

    ​निशांत: "जो कोई भी मेरे भाई के मरने से सीधे फायदे में था। जो इस सिंडिकेट पर कब्ज़ा करना चाहता था, लेकिन सीधे तौर पर मुझ पर हमला करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। जो अब हर्ष को अपना अगला मोहरा बनाना चाहता है।"

    ​निशांत ने अनिका की आँखों में देखा। उस क्षण में, माफिया बॉस नहीं, बल्कि एक टूटा हुआ भाई दिख रहा था।

    ​निशांत: "जब तक हमें सबूत नहीं मिलते, हम किसी पर भरोसा नहीं कर सकते, यहाँ तक कि अपने ही लोगों पर भी नहीं। यह घर... अब पहले से ज़्यादा ख़तरनाक है।"
    ​अनिका ने धीरे से अपनी पट्टी पूरी की। यह सिर्फ़ घाव पर नहीं थी, यह उनके रिश्ते पर विश्वास की पहली परत थी।

    ​🧐 संदिग्ध का प्रवेश (The Suspect Arrives)
    ​अगली सुबह - हवेली का हॉल

    ​सुबह का सूरज हवेली की खिड़कियों से अंदर आ रहा था, लेकिन माहौल अभी भी कल रात की परछाई से ढका हुआ था। नाश्ते की मेज़ पर, एक अप्रत्याशित मेहमान आया।

    ​यह था आर्यन (Aryan), निशांत के चाचा का बेटा और सिंडिकेट के कारोबार में दूसरा सबसे बड़ा दावेदार। वह हर्ष का चचेरा भाई था, जिसके माता-पिता की मौत हुई थी। आर्यन दिखने में आकर्षक, साफ़-सुथरा और ऊपरी तौर पर शांत और सहयोगी दिखता था। उसकी मुस्कान हमेशा होठों तक ही रहती थी, आँखों तक नहीं पहुँचती थी।

    ​आर्यन (ऊर्जा के साथ): "निशांत! मैंने सुना तुम कल रात कहीं व्यस्त थे। कैसा रहा तुम्हारा काम? और यह क्या, तुम्हारी बांह पर चोट कैसी लगी? सब ठीक है न?"

    ​उसकी आवाज़ में अत्यधिक चिंता थी, जो निशांत के मन में तुरंत शक पैदा करती थी।

    ​पृष्ठभूमि:
    आर्यन हमेशा से मानता था कि वह निशांत के मृत भाई से ज़्यादा काबिल था। अब भाई मर चुका था और निशांत को जिम्मेदारी मिल गई थी, जिससे वह अत्यधिक ईर्ष्या करता था। वह परिवार के कारोबार को चलाने का सपना देखता था।
    ​आर्यन तुरंत बच्चों की ओर मुड़ा।

    ​आर्यन: "अरे, मेरे प्यारे हर्ष! मेरी प्यारी pihu,परी! कल रात मैंने तुम्हारे लिए एक नई कार खरीदी है। चलो, चलते हैं और उसे देखते हैं।"

    ​वह बच्चों के प्रति अत्यधिक प्यार दिखाता है, विशेष रूप से हर्ष के प्रति। वह हर्ष को कसकर गले लगाता है।


    अनिका यह सब रसोई के दरवाज़े से देख रही थी। निशांत की बातें उसके दिमाग में घूम रही थीं—"परिवार के अंदर का आदमी।"

    ​अनिका नोटिस करती है कि आर्यन का व्यवहार थोड़ा अजीब है। जब वह हर्ष को गले लगाता है, तो उसके चेहरे पर एक पल के लिए अजीब-सी भावशून्यता आती है। वह बच्चों को देखते हुए गहरी साँस लेता है—जैसे कोई डर से नहीं, बल्कि जीत की भावना से अभिभूत हो रहा हो।

    ​सबसे अजीब बात: जब आर्यन ने हर्ष को उठाया, तो उसने हर्ष के गले के पास से लटकते लॉकेट (जो हर्ष के पिता का था) को हल्के से छुआ, और उसके चेहरे पर एक क्रूर, क्षणिक मुस्कान आई, जो तुरंत ग़ायब हो गई।
    ​अनिका को अपने पेट में एक तेज़ डर महसूस होता है। यह आदमी, जो इतना प्यारा दिखने की कोशिश कर रहा है, शायद वह नहीं है जो वह दिखाता है।

    ​🕵️ अनिका की सहायता (Anika’s Assistance)
    ​निशांत का प्राइवेट ऑफिस - सुबह
    ​निशांत, अनिका को अपने प्राइवेट ऑफिस में बुलाता है। दरवाज़ा बंद होते ही तनाव बढ़ जाता है।

    ​निशांत (धीमी, गंभीर आवाज़ में): "आर्यन यहाँ क्यों आया है, मुझे पता है। वह यह देखने आया है कि कहीं उसके ख़िलाफ़ कोई सबूत तो नहीं है। और मुझे पता है कि वह इस 'दुख' की आड़ में हमारे नेटवर्क में घुसने की कोशिश करेगा।"

    ​निशांत मेज़ पर झुकता है। उनकी आँखें मिलती हैं।
    ​निशांत: "तुम्हारे अलावा कोई और यह नहीं कर सकता, अनिका।"

    ​अनिका (डरते हुए): "क्या?"
    ​निशांत: "आर्यन अभी घर में है, और बच्चों के साथ व्यस्त है। तुम्हें चुपके से उसके कमरे या फ़ोन तक पहुँचकर यह पता लगाना होगा कि वह कहाँ-कहाँ जाता है। कोई भी संदिग्ध बात—कोई कागज़, कोई कॉल लॉग।"

    ​अनिका काँप जाती है। कल ही वह मौत के मुँह से निकली है, और निशांत उसे घर के अंदर सबसे ख़तरनाक आदमी के ख़िलाफ़ काम करने को कह रहा है।

    ​अनिका: "पर अगर वह... वह मुझे पकड़ लेता है? वह मुझे अकेला क्यों छोड़ेगा?"

    ​निशांत (आवाज़ में नरमी, जो पहली बार आई है): "मैं तुम्हें अकेला नहीं छोड़ूँगा। पर घर के हर कमरे में मेरे आदमी नहीं घुस सकते। तुम... तुम इस घर की बहू हो। तुम वहाँ जा सकती हो जहाँ कोई जासूस नहीं जा सकता।"


    ​अनिका को हर्ष का लॉकेट छूता आर्यन याद आया। उसका डर गुस्से में बदल गया।

    ​अनिका (दृढ़ता से): "ठीक है। मैं बच्चों को सुलाकर देखती हूँ। पर अगर वह आपको नुकसान पहुँचाना चाहता है... तो हमें उससे दूर रहना चाहिए। वह आपका भाई है।"

    ​निशांत (पहली बार थोड़ा मुस्कुराता है, उसकी आँखें चमकती हैं): "दूर भागना मेरा काम नहीं है, अनिका। मेरा काम है शिकार करना। पर मैं तुम्हारी हिम्मत की सराहना करता हूँ, अनिका।"

    ​अनिका उस सराहना को महसूस करती है। यह 'जबरदस्ती की पत्नी' नहीं, बल्कि 'सहकर्मी' होने की पहली पहचान थी। उसने हाँ में सिर हिलाया और कमरे से बाहर निकल गई।

    ​📞 साज़िश की पुष्टि (Confirmation of the Conspiracy)
    ​आर्यन का गेस्ट रूम - दोपहर

    ​अनिका ने बच्चों को सुलाया और अपने दुपट्टे में चाबी का एक मास्टर पीस छुपा लिया। उसके दिल की धड़कन इतनी तेज़ थी कि उसे लगा कि निशांत उसे सुन सकता है, जो नीचे इंतज़ार कर रहा था।

    ​उसने आर्यन के गेस्ट रूम का दरवाज़ा खोला। कमरा साफ़-सुथरा था, लेकिन उसकी अजीब सी महक थी—जैसे परफ्यूम और छिपा हुआ डर मिला हो।
    ​अनिका ने पहले दराजें देखीं, लेकिन कुछ नहीं मिला। फिर उसकी नज़र मेज़ के नीचे छुपे एक पुराने, डस्ट से ढके लैपटॉप पर पड़ी।

    ​उसने लैपटॉप खोला। वह पासवर्ड से प्रोटेक्टेड था। वह काँप रही थी, लेकिन उसे अचानक एक विचार आया—उसने आर्यन के जन्मदिन की तारीख (जो उसने सुबह बच्चों से सुनी थी) डाली।

    ​पासवर्ड स्वीकार हो गया।
    ​अनिका को तुरंत एक फोल्डर दिखा, जिसका नाम था—'Old Records'। उसने डरते-डरते उस फोल्डर को खोला। एक फ़ाइल पर तारीख़ वही थी जब निशांत के भाई की कार दुर्घटना हुई थी। यह एक वॉइस रिकॉर्डिंग फ़ाइल थी।

    ​खुलासा:
    ​अनिका ने प्ले बटन दबाया। आवाज़ कम थी, लेकिन क्रिस्टल क्लियर थी।
    ​आर्यन की आवाज़ (शांत, लेकिन आदेशात्मक): "...हाँ, उसी रात। जब वह अपने फार्महाउस से वापस आएगा। ब्रेक लाइन्स, याद रखना। इसे दुर्घटना दिखना चाहिए। कोई निशान नहीं छूटना चाहिए। और हाँ, काम होते ही... निशांत को खबर भेज देना। उसे सदमे में होना चाहिए।"

    ​अनिका के हाथ से लैपटॉप छूटने वाला था। यह हत्या थी। और आर्यन ही वह शैतान था। उसने अपने ही भाई की हत्या कर दी ताकि वह निशांत के कंधे पर बैठकर कारोबार संभाल सके।


    ​अनिका को एहसास हुआ कि उसे यह सबूत तुरंत ट्रांसफर करना होगा। उसने डरते-डरते अपने फ़ोन का ब्लूटूथ ऑन किया और फ़ाइल ट्रांसफर करनी शुरू की।
    ​तभी, दरवाज़ा धीरे से खुला।

    ​अनिका ने सिर घुमाया। आर्यन दरवाज़े पर खड़ा था। उसके हाथ में बच्चों का खिलौना था, लेकिन उसके चेहरे पर अब चाचा का प्यार नहीं, बल्कि क्रूरता थी। उसकी आँखें ठंडी, निर्दयी थीं।

    ​आर्यन (शांत, लेकिन खतरनाक आवाज़ में): "तो, भाभी जी... आप बच्चों को संभालते-संभालते, अब माफिया जासूस भी बन गईं? मैंने सोचा भी नहीं था कि आपकी इस सादी साड़ी के नीचे इतनी तेज़ दिमाग़ वाली औरत छिपी है।"

    ​अनिका जानती थी कि वह भाग नहीं सकती। यह जीवन और मृत्यु का खेल था।


    ​🔪 टकराव की आग (The Fire of Confrontation)
    ​आर्यन ने एक पल में दूरी तय की।
    ​आर्यन: "मुझे वह लैपटॉप दो, प्यारी। यह खेल बच्चों का नहीं है।"

    ​वह तेज़ी से लैपटॉप छीनने की कोशिश करता है।
    ​अनिका (डरते हुए, लेकिन दृढ़ता से): "तुमने... तुमने अपने ही भाई को मार दिया? और हर्ष... हर्ष के माता-पिता को?"

    ​आर्यन (हँसता है, एक भयानक हँसी): "यह सब सत्ता के लिए है, प्यारी। इस गद्दी पर बैठने के लिए। और तुम? तुम अब इस कहानी की सबसे बड़ी गवाह हो। और गवाह... बचते नहीं।"

    ​ लैपटॉप की लड़ाई:
    ​आर्यन ने अनिका को धक्का मारकर लैपटॉप छीनना चाहा, लेकिन अनिका ने अपनी पूरी ताकत से लैपटॉप को बचा लिया। वह अब केवल एक पत्नी नहीं थी—वह बच्चों की माँ थी, और यह रिकॉर्डिंग बच्चों के न्याय के लिए थी।

    ​ निशांत का प्रवेश (Nishant’s Entry)
    ​नीचे, निशांत को लगा कि अनिका को बहुत देर हो गई है। उसकी बांह पर लगी चोट दर्द कर रही थी, लेकिन उसके मन में डर का तूफान उठ रहा था। उसने बिना किसी को बताए कमरे की ओर भागना शुरू किया।
    ​वह दरवाज़े के पास पहुँचा। दरवाज़ा अंदर से बंद था।
    ​निशांत (दहाड़ते हुए): "अनिका! दरवाज़ा खोलो!"

    ​अंदर, आर्यन और अनिका संघर्ष कर रहे थे। आर्यन अनिका के चेहरे पर हाथ उठाने ही वाला था कि दरवाज़ा एक तेज़ धमाके के साथ टूटा।


    ​ आमना-सामना:
    ​निशांत गुस्से और ताकत से दरवाज़ा तोड़कर अंदर आया। उसने आर्यन को देखा, जो अनिका को धक्का मारकर लैपटॉप छीनने की कोशिश कर रहा था। अनिका ज़मीन पर गिर गई थी, लेकिन लैपटॉप को कसकर पकड़े हुए थी।

    ​निशांत की आवाज़ (क्रूरता और गुस्से से भरी): "आर्यन!"💥🔥

    ​कमरे में हवा जम गई। निशांत और आर्यन के बीच भयानक लड़ाई शुरू हो गई। यह सिर्फ़ सत्ता के लिए नहीं, यह भाई के न्याय और अनिका की सुरक्षा के लिए थी। अनिका इस बीच सुरक्षित जगह पर छिपकर रिकॉर्डिंग को अपने फ़ोन में ट्रांसफर करने में कामयाब हो गई।

    ​ गद्दार का अंत (The Traitor’s End)
    ​निशांत, घायल होते हुए भी, जानलेवा साबित हुआ। उसने आर्यन को काबू कर लिया। सबूत—अनिका का फ़ोन और आर्यन का लैपटॉप—दोनों अब निशांत के पास थे।

    ​आर्यन (पकड़ा जाने पर, ताना मारते हुए): "तुम... तुम इस मामूली लड़की के कारण हारे, निशांत! एक अनजान लड़की जिसने तुम्हारे सिंडिकेट में घुसपैठ की! तुम कमज़ोर हो, निशांत!"

    ​निशांत, आर्यन को अपने गार्ड्स के हवाले करने से पहले, अनिका की ओर देखता है। वह अब उसके लिए 'अनजान लड़की' नहीं है।
    ​निशांत (ठंडी आवाज़ में): "इसे वहाँ भेजो, जहाँ कोई वापस नहीं आता।"

    ​💖 प्यार की घोषणा (The Declaration of Love)
    ​निशांत का कमरा - कुछ देर बाद
    ​सब कुछ शांत हो गया था। आर्यन जा चुका था। निशांत, चोटिल और थका हुआ, कमरे में आया। अनिका सोफे पर चुपचाप बैठी थी, सदमे में।
    ​निशांत ने धीरे से दरवाज़ा बंद किया और अनिका के पास बैठ गया।

    ​ पहली भावनात्मक स्वीकारोक्ति
    ​निशांत अनिका को अपने पास खींचता है, इस बार नरमी से।
    ​निशांत (गहरी, सिसकती आवाज़ में): "तुमने... तुमने मेरी जान बचाई, अनिका। बच्चों के लिए न्याय दिलाया। तुमने... तुमने इस घर को वो दिया, जो इसे सालों से नहीं मिला था—विश्वास।"
    ​अनिका (आँसू पोंछते हुए): "मैंने जो किया, वह सिर्फ़... सही था। मैं... मैं नहीं चाहती थी कि बच्चों को यह पता चले कि उन्हें किसने मारा।"
    ​निशांत (आँसू पोंछता है): "तुमने आज मुझे आग के सामने पानी की तरह शांत कर दिया। तुमने मुझे वह सबूत दिया जो मुझे परिवार के सबसे ख़तरनाक दुश्मन को ख़त्म करने के लिए चाहिए था।"

    ​निशांत ने अनिका का चेहरा अपने हाथों में लिया।
    ​निशांत का अंतिम शब्द (प्रेम की घोषणा):
    निशांत ने धीरे से, अनिका के सादे माथे पर, जहाँ सिंदूर था, हल्का-सा Kiss किया।
    ​निशांत: "यह शादी जबरदस्ती हुई थी, अनिका। लेकिन अब... तुम मेरी मर्ज़ी हो। तुम मेरी ज़िंदगी हो।"

    ​अनिका की आँखें भर आती हैं। यह पहली बार था जब निशांत ने माफिया बॉस की तरह नहीं, बल्कि एक प्रेमी की तरह बात की थी। दोनों एक-दूसरे को देखते हैं, जहाँ डर नहीं, बल्कि अटूट विश्वास है। उनके बीच का बंधन अब पक्का हो चुका था।
    क्रमशः
    Thank you

  • 8. MAFIA KI ZID 🔥❤️‍🔥 - Chapter 8

    Words: 1191

    Estimated Reading Time: 8 min

    EPISODE 8
    MAFIA KI ZID ❤️‍🔥🔥✨️

    ​💍 एपिसोड 8: नया सिंदूर, नया बंधन (New Vermilion, New Bond)

    पात्र: निशांत, अनिका, बच्चों, गार्ड्स, सिंडिकेट के सदस्य


    ​💖 : रात की स्वीकारोक्ति (The Night’s Confession)
    ​निशांत का कमरा - अगली सुबह से पहले

    ​आर्यन के खुलासे के बाद की रात गहरी शांति लेकर आई। निशांत और अनिका बिस्तर पर एक-दूसरे के बगल में लेटे थे। कल रात के Kiss ने उनके बीच की हर दीवार को गिरा दिया था।

    ​निशांत ने करवट ली और अनिका को अपनी बांहों में ले लिया।
    ​निशांत (गहरी, नींद भरी आवाज़ में): "आज तुम मेरी मर्ज़ी हो... यह मैंने सिर्फ़ गुस्से में या आभार में नहीं कहा, अनिका।"
    ​अनिका (निशांत के सीने पर सिर रखकर): "मैं जानती हूँ, निशांत जी। जब मैंने आपको आर्यन से लड़ते देखा, तो मुझे एहसास हुआ कि मैं आपको... खोना नहीं चाहती थी।"

    ​निशांत: "तुमने मेरी आँखों में झाँका, जब मैं शैतान बन रहा था। और फिर भी... तुमने मुझ पर भरोसा किया।"
    ​अनिका: "शैतान आप नहीं थे। आप बच्चों के लिए न्याय लड़ रहे थे। और... मेरे लिए।"

    ​निशांत (प्यार से उसके गाल सहलाता है): "मैं एक वादा करता हूँ। इस घर में अब कोई ख़तरा तुम्हें छू भी नहीं पाएगा। मैं तुम्हें अपने से ज़्यादा सुरक्षित रखूँगा।"

    ​निशांत का हाथ अनिका के माथे तक जाता है। कल रात के संघर्ष में उसका सिंदूर लगभग मिट गया था।
    ​निशांत: "तुम्हारा सिंदूर मिट गया है।"
    ​वह धीरे से अपने गाल से खून का एक सूखा धब्बा (जो आर्यन से लड़ाई के दौरान लगा था) हटाता है और उसे अनिका की मांग में लगाता है।

    ​निशांत: "अब से यह बंधन किसी कागज़ का नहीं है, न ही यह मेरे मृत भाई की परछाई है। यह मेरा सिंदूर है, अनिका। जो मैंने तुम्हें अपनी मर्ज़ी से दिया है।"
    ​अनिका की आँखों में कृतज्ञता और प्यार के आँसू आ जाते हैं। यह उनकी शादी का पुनर्जन्म था—प्यार, विश्वास और ख़तरे से बुना हुआ।


    ​🛡️ दृश्य 2: खुला ख़तरा (The Exposed Threat)
    ​सुबह - हवेली का हॉल
    ​सुबह, नाश्ते की मेज़ पर, निशांत सिंडिकेट के कुछ प्रमुख सदस्यों को बुलाता है। माहौल गंभीर और डरावना है।
    ​निशांत, हमेशा की तरह, एक कठोर नेता की तरह बैठा है, लेकिन इस बार अनिका उसके ठीक बगल में बैठी है। उसके माथे पर नया, गहरा सिंदूर है।

    ​साज़िश का खुलासा:
    ​निशांत (गंभीर और क्रूर आवाज़ में): "मैंने तुम सबको यहाँ बुलाया, क्योंकि अब घर का 'सबसे बड़ा राज़' सबके सामने है। मेरे भाई की मौत एक दुर्घटना नहीं थी।"
    ​निशांत आर्यन की वॉइस रिकॉर्डिंग चलाता है। सिंडिकेट के सदस्य सन्न रह जाते हैं।

    ​पहला सदस्य (अविश्वास से): "आर्यन...? वह तो आपके भाई का अपना था!"
    ​निशांत: "वह गद्दार था। जो अपने खून का नहीं हुआ, वह हमारा क्या होगा? वह अब जा चुका है, हमेशा के लिए।"


    ​अनिका की सार्वजनिक मान्यता (Public Recognition):
    ​निशांत अपनी बात जारी रखने से पहले, अनिका की ओर देखता है।
    ​निशांत: "और यह है मेरी पत्नी, अनिका Nishant kamarth 🔥

    ​सभी सदस्य अनिका को घूरते हैं, जो अब तक पर्दे के पीछे थी। अनिका को असहजता महसूस होती है, लेकिन वह हिम्मत नहीं हारती।
    ​निशांत: "आर्यन को पकड़ने में, और मेरे भाई के लिए न्याय सुनिश्चित करने में, अनिका की बहादुरी ने मेरी मदद की। वह अब इस परिवार और इस सिंडिकेट का अविभाज्य हिस्सा है। अगर किसी ने भी उसका या बच्चों का अनादर किया, तो उसका अंजाम आर्यन से बुरा होगा। यह मेरा अंतिम आदेश है।"
    ​इस घोषणा से सिंडिकेट में हलचल मच जाती है। निशांत ने न सिर्फ़ अनिका को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया, बल्कि उसे शक्ति और सम्मान की जगह भी दी।
    ……...........................……………………………………

    नया सवेरा और कोमल एहसास (New Dawn and Tender Feelings)
    ​🕊️ शांति का क्षण (A Moment of Peace)
    सुबह: घर में पहली बार वास्तविक शांति है। आर्यन को हटा दिया गया है, और बच्चों को अब कोई खतरा नहीं है।

    ​बेडरूम: अनिका सुबह उठती है और देखती है कि निशांत (36, अब सूट में नहीं, नाइट वियर में) अभी भी सो रहा है। वह कल रात की घटनाओं के कारण थका हुआ है।

    अनिका धीरे से उठती है ताकि बच्चों को या निशांत को डिस्टर्ब न हो। वह जाते-जाते निशांत के माथे पर पड़े बालों को सहलाती है। यह एक मासूमियत भरा, निस्वार्थ प्यार का स्पर्श है।

    अनिका अपने रोजमर्रा के कॉटन साड़ी और पारंपरिक गहनों में तैयार होती है। आज उसके सिंदूर की रेखा उसे अधिक चमकदार लगती है, क्योंकि अब यह केवल एक रस्म नहीं, बल्कि प्यार का प्रतीक है।

    ​🍳 साथ में नाश्ता (Breakfast Together)
    रसोई/डाइनिंग: अनिका बच्चों के लिए नाश्ता तैयार करती है।

    निशांत नीचे आता है। वह आज कम दबंग और अधिक शांत लग रहा है।

    निशांत: "तुम इतनी जल्दी क्यों उठीं? तुम्हें आराम करना चाहिए था।"
    ​अनिका: (हल्की मुस्कान के साथ) "जब घर में तीन छोटे बच्चे हों, तो आराम कहाँ? वैसे भी, मुझे आपको चाय देनी थी।"

    पहला फ्लर्ट: निशांत बैठ जाता है। वह चाय पीता है और अनिका के हाथों की बनी खीर की तारीफ करता है।

    ​निशांत: "कल रात तुमने जो हिम्मत दिखाई, उसके बाद... मुझे लगा था तुम डरकर वापस चली जाओगी। तुम्हारी सादगी के पीछे यह मज़बूती कहाँ से आई?"

    अनिका: (शर्माते हुए, मंगलसूत्र को छूते हुए) "शायद यह बच्चों का प्यार है, निशांत जी। और... आपकी सुरक्षा।"


    रोमांटिक नज़दीकी: निशांत, चाय का कप नीचे रखते हुए, अनिका का हाथ थाम लेता है। वह उसके हरी चूड़ियों को देखता है।
    ​निशांत: "नहीं, अनिका। यह तुम्हारी हिम्मत है। और मैं चाहता हूँ कि तुम इसे कभी न छोड़ो। इस सिंडिकेट में, मुझे तुम्हारी सादगी और सच्चाई की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है।"


    ​🏡 पति-पत्नी और बच्चे (Husband-Wife and Babies)

    ​बच्चों का समय: तीनों बच्चे एक साथ जग जाते हैं और रोना शुरू कर देते हैं।

    Co-parenting : इस बार निशांत भागता नहीं है। वह जुड़वाँ में से एक को उठाता है, भले ही वह थोड़ा असहज महसूस कर रहा हो। अनिका दूसरे जुड़वाँ और हर्ष को संभालती है।

    निशांत बच्चे को पकड़ने की कोशिश करता है, लेकिन बच्चा रोता रहता है। अनिका हँसती है।

    ​अनिका: "उन्हें पता है कि उनकी असली माँ कौन है।"
    निशांत: (प्यार से) "हाँ, यह तो मुझे भी पता चल गया। पर मुझे भी थोड़ी ट्रेनिंग दो।"

    अनिका निशांत को बताती है कि बच्चे को कैसे पकड़ना है। इस सीखने और देखभाल के क्षण में, वे एक-दूसरे के और करीब आते हैं। निशांत के कठोर चेहरे पर पिता बनने की गर्माहट झलकती है।

    ​🌙 रात की उम्मीद (Night of Hope)
    रात: अनिका और निशांत बिस्तर पर हैं। बच्चे अपने पालने में सो रहे थे l

    अभी भी उनके बीच प्यार और विश्वास स्थापित हो गया है, दोनों अभी भी पति-पत्नी के रिश्ते में सहज नहीं हैं।

    निशांत अनिका की ओर मुड़ता है। वह उसका हाथ थामता है और उसे चूड़ियों वाले हाथ पर एक kiss देता है।

    ​निशांत: "अनिका... कल रात मैंने जो कहा, वह सिर्फ ख़तरे में नहीं था। मुझे पता है कि यह शादी कैसे हुई थी, लेकिन अब मैं... तुम्हारे साथ रहना चाहता हूँ।"

    अनिका: (शर्माते हुए) "मैं भी, निशांत जी। अब यह मेरा घर है।"


    वे चुपचाप, एक-दूसरे के हाथ में हाथ डालकर, रात बिताते हैं। उनके बीच प्यार की शुरुआत हो चुकी है, जो आने वाले समय में रोमांटिक क्लाइमेक्स की ओर बढ़ेगा।
    क्रमशः
    Thank you

  • 9. MAFIA KI ZID 🔥❤️‍🔥 - Chapter 9

    Words: 1003

    Estimated Reading Time: 7 min

    EPISODE 9

    MAFIA KI ZID ❤️‍🔥❤️🔥✨️

    💍 एपिसोड 9: नया सिंदूर, नया बंधन (New Vermilion, New Bond)

    ​पात्र: निशांत, अनिका, बच्चों, गार्ड्स, सिंडिकेट के सदस्य

    ​💖 दृश्य 1: रात की स्वीकारोक्ति (The Night’s

    Confession) -

    ​निशांत का कमरा - अगली सुबह से पहले

    ​आर्यन के खुलासे के बाद की रात गहरी शांति लेकर आई। निशांत और अनिका बिस्तर पर एक-दूसरे के बगल में लेटे थे। कल रात के चुम्बन (Kiss) ने उनके बीच की हर दीवार को गिरा दिया था।

    ​निशांत ने करवट ली और अनिका को अपनी बांहों में ले लिया।

    ​निशांत (गहरी, नींद भरी आवाज़ में): "आज तुम मेरी मर्ज़ी हो... यह मैंने सिर्फ़ गुस्से में या आभार में नहीं कहा, अनिका।"

    ​अनिका (निशांत के सीने पर सिर रखकर): "मैं जानती हूँ, निशांत जी। जब मैंने आपको आर्यन से लड़ते देखा, तो मुझे एहसास हुआ कि मैं आपको... खोना नहीं चाहती थी।"

    ​निशांत: "तुमने मेरी आँखों में झाँका, जब मैं शैतान बन रहा था। और फिर भी... तुमने मुझ पर भरोसा किया।"

    ​अनिका: "शैतान आप नहीं थे। आप बच्चों के लिए न्याय लड़ रहे थे। और... मेरे लिए।"

    ​निशांत (प्यार से उसके गाल सहलाता है): "मैं एक वादा करता हूँ। इस घर में अब कोई ख़तरा तुम्हें छू भी नहीं पाएगा। मैं तुम्हें अपने से ज़्यादा सुरक्षित रखूँगा।"

    ​निशांत का हाथ अनिका के माथे तक जाता है। कल रात के संघर्ष में उसका सिंदूर लगभग मिट गया था।

    ​निशांत: "तुम्हारा सिंदूर मिट गया है।"

    ​वह धीरे से अपने गाल से खून का एक सूखा धब्बा (जो आर्यन से लड़ाई के दौरान लगा था) हटाता है और उसे अनिका की मांग में लगाता है।

    ​निशांत: "अब से यह बंधन किसी कागज़ का नहीं है, न ही यह मेरे मृत भाई की परछाई है। यह मेरा सिंदूर है, अनिका। जो मैंने तुम्हें अपनी मर्ज़ी से दिया है।"

    ​अनिका की आँखों में कृतज्ञता और प्यार के आँसू आ जाते हैं। यह उनकी शादी का पुनर्जन्म था—प्यार, विश्वास और ख़तरे से बुना हुआ।

    नया सवेरा और कोमल एहसास (New Dawn and Tender Feelings)



    ​🕊️ शांति का क्षण (A Moment of Peace)

    ​सुबह: घर में पहली बार वास्तविक शांति है। आर्यन को हटा दिया गया है, और बच्चों को अब कोई खतरा नहीं है।

    बेडरूम: अनिका सुबह उठती है और देखती है कि निशांत (36, अब सूट में नहीं, नाइट वियर में) अभी भी सो रहा है। वह कल रात की घटनाओं के कारण थका हुआ है।

    कोमल स्पर्श: अनिका धीरे से उठती है ताकि बच्चों को या निशांत को डिस्टर्ब न हो। वह जाते-जाते निशांत के माथे पर पड़े बालों को सहलाती है। यह एक मासूमियत भरा, निस्वार्थ प्यार का स्पर्श है।

    अनिका अपने रोजमर्रा के कॉटन साड़ी और पारंपरिक गहनों में तैयार होती है। आज उसके सिंदूर की रेखा उसे अधिक चमकदार लगती है, क्योंकि अब यह केवल एक रस्म नहीं, बल्कि प्यार का प्रतीक है।

    ​🍳 साथ में नाश्ता (Breakfast Together)

    डाइनिंग: अनिका बच्चों के लिए नाश्ता तैयार करती है।

    निशांत नीचे आता है। वह आज कम दबंग और अधिक शांत लग रहा है।

    निशांत: "तुम इतनी जल्दी क्यों उठीं? तुम्हें आराम करना चाहिए था।"

    अनिका: (हल्की मुस्कान के साथ) "जब घर में तीन छोटे बच्चे हों, तो आराम कहाँ? वैसे भी, मुझे आपको चाय देनी थी।"

    निशांत बैठ जाता है। वह चाय पीता है और अनिका के हाथों की बनी खीर की तारीफ करता है।

    निशांत: "कल रात तुमने जो हिम्मत दिखाई, उसके बाद... मुझे लगा था तुम डरकर वापस चली जाओगी। तुम्हारी सादगी के पीछे यह मज़बूती कहाँ से आई?"

    ​अनिका: (शर्माते हुए, मंगलसूत्र को छूते हुए) "शायद यह बच्चों का प्यार है, निशांत जी। और... आपकी सुरक्षा।"

    निशांत, चाय का कप नीचे रखते हुए, अनिका का हाथ थाम लेता है। वह उसके हरी चूड़ियों को देखता है।

    ​निशांत: "नहीं, अनिका। यह तुम्हारी हिम्मत है। और मैं चाहता हूँ कि तुम इसे कभी न छोड़ो। इस सिंडिकेट में, मुझे तुम्हारी सादगी और सच्चाई की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है।"

    ​🏡 पति-पत्नी और बच्चे (Husband-Wife and Babies)

    ​बच्चों का समय: तीनों बच्चे एक साथ जग जाते हैं और रोना शुरू कर देते हैं।

    Co-parenting: इस बार निशांत भागता नहीं है। वह जुड़वाँ में से एक को उठाता है, भले ही वह थोड़ा असहज महसूस कर रहा हो। अनिका दूसरे जुड़वाँ और हर्ष को संभालती है।

    निशांत बच्चे को पकड़ने की कोशिश करता है, लेकिन बच्चा रोता रहता है। अनिका हँसती है।

    ​अनिका: "उन्हें पता है कि उनकी असली माँ कौन है।"

    निशांत: (प्यार से) "हाँ, यह तो मुझे भी पता चल गया। पर मुझे भी थोड़ी ट्रेनिंग दो।"

    अनिका निशांत को बताती है कि बच्चे को कैसे पकड़ना है। इस सीखने और देखभाल के क्षण में, वे एक-दूसरे के और करीब आते हैं। निशांत के कठोर चेहरे पर पिता बनने की गर्माहट झलकती है।

    ​🌙 रात की उम्मीद (Night of Hope)

    रात: अनिका और निशांत बिस्तर पर हैं। बच्चे अपने पालने में सो रहे हैं।

    यद्यपि उनके बीच प्यार और विश्वास स्थापित हो गया है, दोनों अभी भी पति-पत्नी के रिश्ते में सहज नहीं हैं।

    निशांत अनिका की ओर मुड़ता है। वह उसका हाथ थामता है और उसे चूड़ियों वाले हाथ पर एक चुंबन देता है।

    निशांत: "अनिका... कल रात मैंने जो कहा, वह सिर्फ ख़तरे में नहीं था। मुझे पता है कि यह शादी कैसे हुई थी, लेकिन अब मैं... तुम्हारे साथ रहना चाहता हूँ।"

    अनिका: (शर्माते हुए) "मैं भी, निशांत जी। अब यह मेरा घर है।"

    वे चुपचाप, एक-दूसरे के हाथ में हाथ डालकर, रात बिताते हैं। उनके बीच प्यार की शुरुआत हो चुकी है l

    क्रमशः

    hello READERS आपक सभी को welcome to my novel MAFIA KI ZID ❤️‍🔥❤️🔥✨️

    toh READERS apko kesi lagi ajki episode?

    apko anika aur nishant ki jodi kesi lagi ?
    agar आपको meri novel pasand ayi toh mujhe follow kare aur meri episodes/chapters ko achhi rating kare ....🤗😇🥰

    मेरी कलम अँधेरे और ख़तरे से लिपटी प्रेम कहानियाँ बुनती है। जहाँ नायक (Hero) अपनी ज़िद के लिए हर हद पार करता है, और नायिका (Heroine) अपने सम्मान के लिए लड़ती है। दो शक्तिशाली इच्छाओं का टकराव, जो आपको बाँध लेगा। NISHANT KAMARTH ×ANIKA THAKUR MAFIA KI ZID 🔥❤️‍🔥✨️

    Thank you 🌸✨️
    keep reading 📚 💖

  • 10. MAFIA KI ZID 🔥❤️‍🔥 - Chapter 10

    Words: 1586

    Estimated Reading Time: 10 min

    EPISODE 1O

    MAFIA KI ZID

    ​💔 अनिका और निशांत की शादी की पृष्ठभूमि: एक मजबूरी का सौदा 💔

    ​📜 I. अनिका के दादाजी का स्वार्थ: ठाकुर वीरेंद्र सिंह का जुआ

    ​कहानी शुरू होती है एक बड़े झूठ और एक पुराने, टूटे हुए सम्मान से।

    ​किरदार की बात करें तो, एक तरफ थे अनिका के दादाजी, ठाकुर वीरेंद्र सिंह। एक ज़माना था जब उनका नाम इलाके में चलता था। लोग उन्हें ‘बाबूजी’ नहीं, ‘हुकुम’ कहकर बुलाते थे। वे शक्तिशाली ज़मींदार थे, उनका व्यापार दूर-दूर तक फैला था। लेकिन वक़्त हमेशा एक जैसा नहीं रहता। ठाकुर साहब का सिक्का अब पलटने लगा था। लगातार व्यापार में नुकसान, कुछ गलत निवेश, और कुछ लोगों पर हद से ज़्यादा भरोसा... इन सबने मिलकर ठाकुर वीरेंद्र सिंह को ज़मीन से आसमान पर नहीं, बल्कि सीधा ज़मीन के नीचे ला पटका था।

    ​आज ठाकुर साहब की हालत ये थी कि उनका नाम और सम्मान दोनों दाँव पर लगे थे। उनके आलीशान बंगले पर अब बैंक के नहीं, बल्कि कुछ ऐसे लोगों के साये मंडरा रहे थे जिनके साथ ‘डील’ करना मौत को दावत देने जैसा था।

    ​🚨 माफिया कनेक्शन और मौत की तारीख

    ​असल में, ठाकुर वीरेंद्र सिंह ने एक बहुत बड़ी गलती कर दी थी। उन्होंने किसी बैंक से नहीं, बल्कि सीधा ‘कामार्थ सिंडिकेट’ नाम के एक खतरनाक ग्रुप से, एक बड़ा और सबसे ज़रूरी, गुप्त कर्ज़ (secret loan) लिया था। यह सिंडिकेट सिर्फ़ व्यापार नहीं करता था; ये वो लोग थे जिनके इशारे पर पूरा शहर थमता था। अब, उस कर्ज़ को चुकाने की अंतिम तारीख, जिसे वे प्यार से 'मौत की तारीख' कहते थे, सिर पर आ चुकी थी। ठाकुर साहब के पसीने छूट रहे थे। उन्हें पता था कि अगर उन्होंने पैसा नहीं लौटाया, तो सिर्फ़ उनकी संपत्ति नहीं जाएगी, बल्कि उनकी जान भी जा सकती है, और साथ ही उनके पूरे परिवार का नाम मिट्टी में मिल जाएगा।

    ​उसी वक़्त, आसमान से टूटकर एक मौका उनके सामने आ गिरा।

    ​♠️ अवसर और ठाकुर साहब की घिनौनी चाल

    ​कामार्थ सिंडिकेट में अचानक भगदड़ मच गई। सिंडिकेट के सर्वे-सर्वा, निशांत के बड़े भाई, की हत्या कर दी गई थी। इस अप्रत्याशित घटना से सिंडिकेट में राजनीतिक अस्थिरता (political instability) छा गई। लीडरशिप खाली थी। इस सिंडिकेट को अब दो चीज़ों की फौरन ज़रूरत थी:

    ​तेज़ी से एक वैध उत्तराधिकारी (legitimate heir), जो बाहर की दुनिया को संभाल सके। यह ज़िम्मेदारी स्वाभाविक रूप से निशांत के कंधों पर आ गई, जो उस वक़्त सिंडिकेट के ऑपरेशंस को संभाल रहा था।

    ​और दूसरी, घर को संभालने वाली एक स्थायी महिला की ज़रूरत थी, खासकर जब घर में तीन छोटे अनाथ बच्चे हों, जिन्हें कोई प्यार से संभाल सके। बच्चों का ध्यान रखना सिंडिकेट के हिसाब से सबसे कम जोखिम वाला काम था, और बाहर की दुनिया को दिखाने के लिए यह ज़रूरी था।

    ​ठाकुर वीरेंद्र सिंह को अपनी आँखों के सामने लालच का एक पूरा समंदर दिखाई दिया। उन्होंने तुरंत इस मौके को लपक लिया।

    ​💍 सौदा (The Deal): अनिका, एक वस्तु के रूप में

    ​ठाकुर वीरेंद्र सिंह बिना वक़्त गंवाए, निशांत के कानूनी सलाहकार से मिले, और उन्हें एक ऐसा प्रस्ताव दिया जो सुनने में जितना अजीब था, उतना ही घिनौना भी।

    ​उन्होंने कहा, "मैं अपनी सबसे मासूम और सुंदर पोती, अनिका को तुम्हें 'बदले में' दूंगा। वो तुम्हारे बच्चों को संभालेगी, घर को संभालेगी, और तुम्हारे खानदान की बहू बनकर रहेगी।"

    ​लेकिन इस 'गिफ्ट' के पीछे उनकी अपनी शर्त थी:

    ​शर्त 1: निशांत को ठाकुर वीरेंद्र सिंह का सारा कर्ज़ जो उन्होंने सिंडिकेट से लिया था, माफ़ करना होगा। एक भी पैसा नहीं चुकाना पड़ेगा।

    ​शर्त 2: सिंडिकेट को ठाकुर साहब के बचे-खुचे व्यापार में सुरक्षा (protection) देनी होगी, ताकि उनका बचा हुआ सम्मान और बैंक बैलेंस बना रहे।

    ​अनिका उनके लिए सिर्फ़ एक 'प्यादा' थी, जिसे बलिदान करके वे अपना साम्राज्य बचाना चाहते थे।

    ​🥶 निशांत का दृष्टिकोण: सिर्फ़ बच्चों के लिए

    ​जब यह प्रस्ताव निशांत के सामने रखा गया, तो उसकी पहली प्रतिक्रिया गुस्सा और घिन की थी। वह अनिका को एक 'वस्तु' (object) के रूप में नहीं चाहता था। उसके लिए, यह प्रस्ताव किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं था, क्योंकि उसे मालूम था कि उसकी दुनिया कितनी खतरनाक है और वह किसी मासूम को उसमें घसीटना नहीं चाहता था।

    ​लेकिन, उसके वफादार सलाहकार, जो सिंडिकेट की हर नस से वाक़िफ थे, उन्होंने निशांत को समझाया:

    ​"हुकुम, बच्चों को देखिए। उनकी दुनिया में एक स्थायी माँ (permanent mother figure) की सख़्त ज़रूरत है। वह महिला जो सिर्फ़ घर और बच्चों पर ध्यान दे, सिंडिकेट के काम और इसके ख़तरे से दूर रहे। अनिका के दादाजी ने साफ़ कहा है कि वह मासूम है। वह सिंडिकेट की राजनीति से बिल्कुल अनजान रहेगी। यह शादी सिर्फ़ बच्चों की सुरक्षा और आपके खानदान को एक मुखौटा देने के लिए है।"

    ​निशांत को यह बात कड़वी दवा की तरह लगी। उसने अपनी मर्ज़ी को बच्चों की भलाई के सामने झुका दिया। अनिच्छा से (reluctantly), और सिर्फ़ उन तीन छोटे, अनाथ बच्चों की भलाई के लिए, निशांत ने यह 'डील' स्वीकार कर ली। यह उसके लिए प्यार या आकर्षण नहीं, बल्कि एक व्यवसायिक ज़रूरत और कर्तव्य था।

    II. अनिका की मजबूरी और अज्ञानता: एक मासूम का बलिदान

    ​दूसरी तरफ थी अनिका, जो इन सारे खूनी सौदों और माफिया राजनीति से कोसों दूर थी।

    ​💔 धोखे का जाल

    ​अनिका को इस 'डील' या सिंडिकेट की असली, माफिया नेचर के बारे में कुछ भी नहीं पता था। वह अपने दादाजी पर पूरा भरोसा करती थी। ठाकुर वीरेंद्र सिंह ने उससे सिर्फ़ इतना कहा, "निशांत एक बहुत शक्तिशाली, अमीर व्यापारी (powerful, rich businessman) है, बेटा। उसके बड़े भाई की दुखद मौत हो गई है और वह अब तीन प्यारे बच्चों का पिता बन रहा है। तुम्हें उन बच्चों को अपनी माँ का प्यार देना है।"

    ​दादाजी ने उसकी मासूमियत का फ़ायदा उठाया और उसे भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल (emotionally blackmailed) किया।

    ​"बेटी, अगर तुमने यह शादी नहीं की, तो हम सड़क पर आ जाएंगे। पूरे परिवार का नाम मिट्टी में मिल जाएगा। अगर तुम अपने माता-पिता के नाम को धूमिल होने से बचाना चाहती हो, तो तुम्हें यह शादी करनी होगी। यह सिर्फ़ तुम्हारी शादी नहीं है, यह तुम्हारे परिवार का सम्मान है।"

    ​अनिका को यह सुनकर बहुत बुरा लगा। उसके दिल में अपने परिवार के लिए बहुत प्यार और समर्पण था। उसे लगा कि वह सच में कोई नैतिक कर्तव्य (moral duty) निभा रही है। वह अपने दादाजी के कर्ज़ या सिंडिकेट के डर से नहीं, बल्कि परिवार के सम्मान को बचाने के लिए, भारी मन से शादी के लिए तैयार हो गई।
    शादी के दिन का झटका
    ​शादी की रस्में शुरू हुईं। अनिका ने एक दुल्हन के रूप में बहुत इंतज़ार किया, लेकिन उसे पहली बार कुछ अजीब महसूस हुआ। निशांत का घर बाहर से भव्य था, पर अंदर से ठंडा और भारी (cold and heavy)। यहाँ हँसी कम थी, और तनाव ज़्यादा।
    ​जब वह शादी के मंडप में आई, तो निशांत को देखकर वह थोड़ी सहम गई। निशांत की आँखें गहरी थीं, उनमें एक अजीब-सी खालीपन और नाराज़गी थी। उसने अनिका की तरफ़ देखा तक नहीं।
    ​उसे धीरे-धीरे यह महसूस हुआ कि उसके दादाजी ने उसे जो दुनिया दिखाई थी— एक अमीर व्यापारी की दुनिया—वह सच नहीं थी। निशांत के आसपास जो लोग थे, उनकी आँखों में वफ़ादारी कम और ख़तरा ज़्यादा नज़र आ रहा था। अनिका को पता चल गया कि उसके पति की दुनिया 'व्यापार' नहीं, बल्कि 'ख़तरा' और 'अंधेरा' है।


    ​❄️ III. विवाह की रस्में: एक भावनात्मक शून्य
    ​यह शादी, बाहर से जितनी भव्य और आलीशान थी, अंदर से उतनी ही भावनात्मक रूप से शून्य (emotionally void) थी।
    ​निशांत का व्यवहार: वह पूरी शादी में ठंडा (cold) और दूर (distant) रहा। उसके चेहरे पर एक पल के लिए भी खुशी या उत्साह नहीं था। वह हर रस्म को बस पूरा कर रहा था, जैसे किसी सरकारी काम को निपटा रहा हो।
    ​अनिका की स्थिति: वह डरी हुई (scared) थी और भ्रमित (confused)। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह कहाँ आ गई है। उसे महसूस हो रहा था कि वह एक बहुत बड़ी गलती कर रही है, लेकिन अब लौटने का कोई रास्ता नहीं था।
    ​संवाद (Communication): निशांत ने सीधे अनिका से कभी बात नहीं की, सिवाय उन रस्मों के दौरान जो पंडित ने ज़रूरी बताईं। उनका एक-दूसरे को देखना भी सिर्फ़ एक मजबूरी थी। उनके बीच कोई प्यार नहीं था, सिर्फ़ एक अनकहा समझौता था।


    ​👶 शादी का असली मक़सद
    ​और इस शादी का असली मक़सद, शादी की रात ही साफ़ हो गया।
    ​जैसे ही रस्में ख़त्म हुईं, और निशांत व अनिका को उनके कमरे में भेजा गया, कमरे में पहले से ही तीन छोटे बच्चे मौजूद थे। बच्चों को सीधे अनिका को सौंप दिया गया।
    ​यह एक स्पष्ट संकेत था। यह शादी एक पत्नी पाने के लिए नहीं हुई थी, बल्कि तीन अनाथ बच्चों के लिए एक माँ (nanny/guardian) लाने के लिए हुई थी।
    ​निशांत ने उस वक़्त पहली और शायद एकमात्र 'पर्सनल' बात कही। उसकी आवाज़ में कोई नरमी नहीं थी।
    ​"ये तीन बच्चे हैं। तुम्हारी ज़िम्मेदारी सिर्फ़ ये हैं। इनसे तुम्हारा कोई वास्ता नहीं है। जब तक तुम बच्चों को अच्छे से संभालोगी, तुम्हें इस घर में कोई नहीं छुएगा।"


    ​यह एक स्वागत (welcome) नहीं, बल्कि एक चेतावनी (warning) थी। अनिका को अपनी नई दुनिया का पहला कड़वा सच पता चला। वह अब सिर्फ़ अनिका नहीं थी, वह इस सिंडिकेट के घर की, एक अनचाही 'डील' की कीमत थी। उसकी ज़िंदगी अब उन तीन बच्चों के इर्द-गिर्द घूमकर रह गई थी, जो इस मजबूरी की शादी का इकलौता, मासूम कारण थे।
    ​यह कहानी की शुरुआत थी—एक स्वार्थी दादा, एक मजबूर सिंडिकेट लीडर, और बीच में फँसी हुई एक मासूम लड़की।

    क्रमशः
    Thank you 😊
    comments करके जरूर बताएं apko novel kesi lagi ?

  • 11. MAFIA KI ZID 🔥❤️‍🔥 - Chapter 11

    Words: 1477

    Estimated Reading Time: 9 min

    EPISODE 11
    MAFIA KI ZID

    ​❤️ एपिसोड 11: स्वीकारोक्ति और रोमांस की बारिश (Acceptance and The Downpour of Romance)
    ​यह एपिसोड दिखाता है कि कैसे एक मजबूरी का रिश्ता अब प्यार और अपनेपन की एक गर्मजोशी भरी कहानी में बदल रहा है।

    ​ रात की देखभाल (Late Night Care)
    ​रात का दूसरा पहर था। हवेली में पूरी शांति थी, बस बेडरूम में एक डिम नाइट लैंप जल रहा था। अनिका और निशांत एक-दूसरे के साथ सहज तो हो गए थे—अब वो एक ही बिस्तर पर सोते थे, लेकिन अभी भी एक अजीब-सी दूरी बनाए रखते थे। बात सिर्फ़ बच्चों या घर के कामों तक सीमित रहती थी। दोनों एक-दूसरे की तरफ़ देखने से भी हिचकते थे, जैसे कि उन्हें डर हो कि उनकी आँखें उनके दिल का सच बता देंगी।

    ​तभी, आधी रात को, जुड़वाँ बच्चों में से एक 'परी' ज़ोर से रोने लगी। अनिका की नींद तुरंत टूट गई। वह करवट लेकर उठने ही वाली थी कि उसने देखा...

    ​...उससे पहले ही, निशांत उठ चुका था!
    ​आमतौर पर, ये अनिका का काम होता था, और निशांत कभी रात की देखभाल में शामिल नहीं होता था। लेकिन आज, वह अपनी भारी-भरकम, दबंग शख्सियत को किनारे रखकर, चुपचाप पालने के पास गया। उसने बहुत नरमी से परी को उठाया। उसकी भारी आवाज़, जो बाहर की दुनिया को डराती थी, अब एकदम गुनगुनी हो गई थी। वह बच्चे को लेकर अनिका के पास आया और उसे थमा दिया।

    ​🔥 नज़दीकी और पहला सवाल
    ​अनिका ने तुरंत परी को अपने सीने से लगाया और दूध पिलाना शुरू किया। निशांत को लगा कि अब उसे वापस अपने साइड लेट जाना चाहिए। लेकिन, वह गया नहीं। वह खड़ा रहा, फिर धीरे से बेड के किनारे अनिका के पास बैठ गया।
    ​वह चुपचाप अनिका को देखता रहा। उसके चेहरे पर सादगी थी, माथे पर सिंदूर था जो उसकी नई पहचान बन चुका था, और सीने से चिपकी थी उसकी ज़िंदगी की सबसे बड़ी सच्चाई—परी।


    ​निशांत ने धीरे से, अपनी उस गंभीर आवाज़ को और नरम करते हुए पूछा:
    ​"क्या मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ, अनिका?"
    ​अनिका ने ऊपर देखा। उसकी आँखें थोड़ी हैरान थीं, पर उनमें एक मीठी चमक थी।
    वह हल्के से मुस्कुराई, पहली बार एकदम खुलकर।
    ​"आप बस यहाँ बैठिए, निशांत जी। मेरे लिए यह भी बहुत है।"
    ​निशांत ने सिर हिलाया। फिर उसने अपने आप को रोक नहीं पाया। उसका बड़ा, मजबूत हाथ धीरे से आगे बढ़ा और उसने बच्चे के उस नन्हे हाथ को छुआ, जो अनिका के सीने से सुरक्षित चिपका हुआ था।

    ​अनिका को अपने प्रति उसके इस कोमल स्पर्श में पहली बार गहरा अपनापन महसूस हुआ। यह स्पर्श सिर्फ़ बच्चे के लिए नहीं था; यह प्यार की एक स्वीकारोक्ति थी जो अब शुरू हो रही थी। निशांत को भी महसूस हुआ कि वह इस नज़दीकी में कितना शांतिपूर्ण महसूस कर रहा है, जो बाहर की दुनिया की हिंसा और तनाव से बिलकुल अलग थी।


    ​☀️ सुबह की तैयारी (Morning Preparation)
    ​सुबह हुई। अनिका ने अपनी रोज़ाना की पूजा ख़त्म की, बच्चों को देखा और रसोई का काम निपटाकर वापस बेडरूम में आई। निशांत तैयार हो रहा था। उसे आज किसी ज़रूरी मीटिंग के लिए बाहर जाना था।

    ​अनिका ने दरवाज़े पर ही रुककर उसे देखा। निशांत शर्ट पहन चुका था, लेकिन वह टाई को बार-बार खींच रहा था। अनिका को याद आया कि कल रात किसी 'डीलिंग' की वजह से उसके हाथ में हल्की चोट लगी थी। शायद उसी दर्द की वजह से वह ठीक से टाई नहीं लगा पा रहा था।
    ​अनिका अब निशांत को देखती रही नहीं। बिना कुछ कहे, बिना पूछे, वह सीधे निशांत के सामने आई।

    ​✨ आँखों का मिलन और सेवा
    ​निशांत चौंक गया। जब तक वह कुछ कहता, अनिका ने बहुत सफ़ाई और प्यार से उसके कॉलर को पकड़ा, और अपनी छोटी उँगलियों से उसकी टाई की गांठ बनाने लगी।
    ​टाई लगाते समय, उनके बीच की दूरी मिट गई। अनिका का ध्यान पहली बार निशांत की चौड़ी छाती, उसकी शक्तिशाली लेकिन अब शांत उपस्थिति पर गया। उसे महसूस हुआ कि यह आदमी बाहर कितना भी कठोर हो, लेकिन उसके लिए बहुत कमजोर और सच्चा है।

    ​उधर, निशांत की नज़रें अनिका की हरी चूड़ियों (Green Bangles) और उसके शांत चेहरे पर टिकी थीं। यह कितनी अजीब बात थी—वह दुनिया के सबसे मुश्किल लोगों से टाई-अप कर सकता था, पर अपनी टाई नहीं बांध सकता था, और उसकी पत्नी, जिसे वह सिर्फ़ एक 'डील' में लाया था, बिना किसी सवाल के उसकी मदद कर रही थी।

    ​जैसे ही टाई पूरी हुई, अनिका थोड़ा पीछे हटने लगी। तभी, निशांत ने अपना हाथ उठाया और हल्के से अनिका का गाल छूआ। यह स्पर्श इतना कोमल था कि अनिका की साँसें रुक गईं।

    ​निशांत: (उसकी आवाज़ में अब सिर्फ़ आभार नहीं, बल्कि सच्चा एहसास था) "तुमने मेरी ज़िंदगी बदल दी, अनिका। सच कह रहा हूँ।"
    ​अनिका: (उसने अपनी नज़रें ऊपर उठाईं, अब कोई डर नहीं था) "आपने भी, निशांत जी। आपने मुझे... बच्चों के लिए एक घर दिया। और मुझे एहसास कराया कि मैं किसी के लिए ज़रूरी हूँ।"
    ​यह पल प्यार की उस शुरुआत का था, जहाँ उन्होंने एक-दूसरे को सिर्फ़ पार्टनर के तौर पर नहीं, बल्कि एक-दूसरे की अहमियत (Importance) के तौर पर स्वीकार किया।


    ​🍽️ डिनर डेट (A Formal Dinner Date)
    ​शाम हुई। निशांत आज सुबह ही तय कर चुका था कि वह आज रात को माफिया दुनिया से दूर, सिर्फ़ अनिका के लिए समय निकालेगा। उसने हवेली के डाइनिंग रूम को एकदम बदलवा दिया था।
    ​वह खुद कमरे में आया, जहाँ अनिका बच्चों को सुला रही थी।
    ​निशांत: (एकदम औपचारिक लेकिन मीठी आवाज़ में) "अनिका, मैं चाहता हूँ कि तुम आज रात डाइनिंग रूम में मेरा इंतज़ार करो। ये एक डेट है।"

    ​अनिका थोड़ा शरमा गई। डेट? इस हवेली में?
    ​उसने अपनी सबसे सुंदर, लेकिन हल्की सी साड़ी (पिंक शिफॉन) चुनी, जो उसकी सादगी को बनाए रखती थी। उसने अपने मंगलसूत्र और सिंदूर को संवारा—ये उसके लिए सिर्फ़ रस्में नहीं थीं, अब ये उसके प्यार की निशानी बनने वाले थे।
    ​जब अनिका डाइनिंग रूम में पहुँची, तो वह हैरान रह गई। निशांत ने पूरे कमरे को मोमबत्तियों (Candles) और खुशबूदार फूलों से सजवा रखा था। वह खुद भी एक आरामदायक, लेकिन स्टाइलिश सूट में था—बाहर के बॉस वाला लुक नहीं, बल्कि एक पति वाला लुक।

    ​🥂 औपचारिक प्रेम और स्वीकारोक्ति
    ​वे साथ में खाना खाते हैं। निशांत आज बहुत कोशिश कर रहा था। वह बच्चों की मज़ेदार बातें बताता, और जानबूझकर अपनी माफिया दुनिया के तनाव को उससे दूर रखता। अनिका भी खुलकर हँस रही थी, जो आवाज़ इस हवेली ने शायद पहली बार सुनी थी।
    ​जैसे ही खाना ख़त्म हुआ, मोमबत्तियों की डिम लाइट में, निशांत ने अनिका का हाथ अपने हाथ में लिया। वह बहुत गंभीर लग रहा था।
    ​निशांत: "तुम जानती हो, अनिका... यह सब एक डील के रूप में शुरू हुआ था। एक गंदी डील। तुम्हारे दादाजी ने तुम्हें बेच दिया था, और मैंने तुम्हें खरीद लिया था... बच्चों के लिए। पर अब..."
    (उसने अनिका की आँखों में देखा)

    "पर अब, मैं तुम्हें प्यार करता हूँ, अनिका। मैं चाहता हूँ कि तुम मेरी इच्छा से, मेरी पत्नी बनो। मेरी ज़रूरत से नहीं।"
    ​अनिका की आँखों में ख़ुशी और आँसू भर आए। इस आदमी ने पहली बार इतनी सच्चाई से सब कुछ कहा था। यह माफिया बॉस अब उसके सामने सिर्फ़ एक प्रेमी बनकर बैठा था।
    ​वह उठी, और बिना किसी झिझक के, निशांत का हाथ कसकर थाम लिया।

    ​अनिका: "मैं भी आपको प्यार करती हूँ, निशांत जी। जब भी आप मेरे बच्चों का ध्यान रखते हैं... या जब आप हाथ में दर्द होने पर भी टाई लगाने की कोशिश करते हैं... तब मुझे पता चलता है कि यह दिल अब सिर्फ़ बच्चों के लिए नहीं धड़कता।"
    ​यह सिर्फ़ एक स्वीकारोक्ति नहीं थी, यह उनके रिश्ते की औपचारिक शुरुआत थी।


    ​🌙 पति-पत्नी का रिश्ता (The Consummation)❤️‍🔥❤️🔥

    ​रात को वे बेडरूम में लौटे। अब यह कमरा सिर्फ़ बच्चों का नर्सरी नहीं था, यह उनका आशियाना बनने वाला था।
    ​निशांत, जो बाहर की दुनिया में दबंग था, आज यहाँ सबसे ज़्यादा नरम और विनम्र (soft and gentle) था। वह जानता था कि यह अनिका का पहला प्यार है, और वह इसे किसी भी तरह से खराब नहीं करना चाहता था। ये उसका भी पहली बार था तो वह इस moment को special ♥️ बनना चाहता था l

    ​वह धीरे से अनिका के पास आया। उसने धीरे से उसका दुपट्टा (जो उसने सिर पर लिया हुआ था) हटाया, और उसके सिंदूर वाले माथे पर प्यार से किस किया। यह किस सिर्फ़ प्यार का नहीं, बल्कि विश्वास और सम्मान का प्रतीक था।

    ​निशांत: (धीरे से फुसफुसाते हुए) "आज से, हमारा बंधन सिर्फ़ उस डील पर नहीं, बल्कि प्यार और विश्वास पर आधारित है।"
    ​उन्होंने आख़िरकार, डर, मजबूरी, और अतीत की डील को पीछे छोड़कर, पति-पत्नी के रूप में एक-दूसरे को स्वीकार कर लिया। बेडरूम की शांति में, जहाँ बच्चों के पालने रखे थे, उनके बीच अब सच्चे प्यार, विश्वास और सम्मान का नया अध्याय शुरू हुआ।

    क्रमशः
    Thank you 😊
    keep reading ✨️
    do comment 🌸
    do follow do ratings 🤗

  • 12. MAFIA KI ZID 🔥❤️‍🔥 - Chapter 12

    Words: 1002

    Estimated Reading Time: 7 min

    EPISODE 12

    MAFIA KI ZID

    ​🌅 एपिसोड 12: प्यार भरी सुबह और नई नज़रे (Morning of Love and New Perspectives)

    ​यह एपिसोड दिखाता है कि कल रात प्यार की स्वीकारोक्ति के बाद, निशांत और अनिका के रिश्ते में कितनी सहजता (comfort) और गर्माहट आ गई है। अब उनका रिश्ता ‘डील’ से नहीं, बल्कि दिल से चल रहा है।

    ​🌄 नई सुबह, नया एहसास (The New Morning)

    ​बेडरूम में चारों तरफ़ गहरी शांति थी। रात की रोमांस की खुमारी अभी भी हवा में घुली हुई थी। सुबह की पहली, सुनहरी किरणें खिड़की से झाँककर कमरे में आ रही थीं।

    ​सबसे पहले अनिका (24) की नींद खुली। उसकी आँखें खुलीं, और पल भर के लिए वह भूल गई कि वह कहाँ है। लेकिन अगले ही सेकंड, उसे गहरा एहसास हुआ—वह अकेली नहीं थी।

    ​🔥 निशांत की गर्माहट

    ​अनिका ने देखा कि वह निशांत (36) की मजबूत बाँहों में है। उसका एक हाथ उसके कंधे के नीचे था और वह उसके बेहद करीब सो रहा था। यह नज़दीकी उसे पूरी तरह से सुरक्षित महसूस करा रही थी।

    ​अनिका ने धीरे से अपनी नज़रें ऊपर उठाईं। निशांत, जो हमेशा सतर्क, सख्त, और बाहर की दुनिया के लिए एक कमांडो की तरह दिखता था, अब शांति से सो रहा था। उसकी आइब्रो की तनाव भरी सिकुड़न गायब थी, और उसके चेहरे पर एक नरमी थी, जो अनिका ने पहले कभी नहीं देखी थी।

    ​'बाप रे, यह आदमी कितना शांत लग सकता है,' अनिका ने अपने मन में सोचा।

    ​उसने पहली बार खुद को निडर महसूस किया। अब यहाँ कोई डर नहीं था, कोई मजबूरी नहीं थी। वह अब सिर्फ़ इस घर की केयरटेकर नहीं थी, वह सचमुच निशांत की पत्नी थी। उसने धीरे से अपने गले में पड़े मंगलसूत्र को छुआ, माथे के सिंदूर को महसूस किया, और हाथों की चूड़ियों को देखा—ये अब प्यार और अधिकार के प्रतीक थे।

    ​'मेरी ज़िंदगी कल रात बदल गई,' उसने मुस्कुराते हुए सोचा।

    ​☕ सुबह की चाय और सादगी (Morning Tea and Simplicity)

    ​अनिका जानती थी कि उसे अब धीरे से निकलना होगा, क्योंकि बच्चों को देखना था और घर की रस्मों को निभाना था। उसने धीरे से निशांत की बाँहों से खुद को आज़ाद किया।

    ​वह जल्दी से उठी, स्नान किया और तैयार हो गई। निशांत की 'बॉस' वाली पत्नी होने के बावजूद, अनिका की सादगी नहीं गई थी। उसने आज भी अपनी सबसे सादी, कॉटन की साड़ी पहनी, और पारंपरिक गहनों के साथ खुद को तैयार किया। उसने सबसे पहले पूजा की, और फिर रसोई में जाकर दो कप चाय बनाई—निशांत के लिए कड़क, और अपने लिए अदरक वाली।

    ​जब वह कमरे में वापस आई, तो निशांत अब जग चुका था और बिस्तर पर बैठा हुआ, अपने बड़े शरीर को खींचकर स्ट्रेच कर रहा था।

    ​😍 आँखों में प्यार

    ​निशांत ने अनिका को अंदर आते देखा।

    अनिका ने ट्रे आगे बढ़ाई और उसे चाय का कप दिया।

    ​निशांत का अवलोकन: अनिका अपनी पूरी सादगी में थी—सादी साड़ी, माथे पर सिंदूर, और हरे रंग की चूड़ियाँ। निशांत ने उसे पहले भी ऐसे ही देखा था, लेकिन आज उसकी आँखें उसे एक नई नज़र से देख रही थीं। आज अनिका उसे दुनिया की सबसे खूबसूरत महिला लग रही थी। वह खूबसूरती जो उसके दिल में थी, अब उसकी आँखों में भी झलक रही थी।

    ​निशांत: (प्यार भरी, धीमी आवाज़ में) "इतनी जल्दी क्यों उठ गई, अनिका? तुम्हें आराम करना चाहिए था। पूरी रात... थक गई होगी।" (वह शरारती मुस्कान देता है)

    ​अनिका शर्मा गई, उसका चेहरा लाल हो गया।

    ​अनिका: "मुझे आपकी आदत नहीं है, निशांत जी... और बच्चों का भी तो देखना था।"

    ​निशांत ने चाय का कप पकड़ा, लेकिन अनिका का हाथ नहीं छोड़ा। उसने चाय का एक घूंट लिया, और फिर धीरे से अनिका के हाथ को अपने होंठों से चूम लिया। यह एक छोटी-सी, रोमांटिक हरकत थी, जो निशांत जैसे दबंग आदमी से उम्मीद नहीं की जा सकती थी।

    ​निशांत: (उसकी आँखों में देखते हुए) "अब तुम्हें हर चीज़ में मेरी आदत डालनी होगी। और हाँ... तुम मेरी ज़िंदगी की सबसे खूबसूरत चीज़ हो, अनिका। यकीन मानो।" (वह इस बार दिल से मुस्कुराता है)

    ​निशांत का यह प्यार भरा रूप, उसकी सादगी की प्रशंसा करना, अनिका के दिल को छू गया। उसे लगा कि वह अब तक इस आदमी को जानती ही नहीं थी।

    ​👶 दृश्य 3: बच्चों के साथ परिवार (Family with the Children)

    ​तभी, दरवाज़ा थोड़ा खुला, और हर्ष (बड़ा बच्चा) चुपके से अंदर आया। उसके पीछे-पीछे जुड़वाँ बच्चे (परी और दूसरा) थे, जो सुबह उठकर रोने लगे थे।

    ​यह देखकर अनिका की आँखें हँसी से भर गईं।

    ​अनिका: "लगता है आपकी छुट्टी ख़त्म! देखिए, आपके बॉस आ गए।"

    ​अनिका ने हँसते हुए दोनों जुड़वाँ को संभालना शुरू किया।

    ​निशांत अब देर नहीं करता। वह तुरंत बिस्तर से उठा और अनिका के पास आया। उसने हर्ष को गोद में लिया, और दूसरे जुड़वाँ को प्यार से पुचकारा।

    ​🖼️ परिवार की सबसे पसंदीदा छवि

    ​निशांत ने बच्चों को संभालते हुए अनिका की ओर देखा।

    वहाँ खड़ी थी उसकी पत्नी: सादी साड़ी में, माथे पर चमकता सिंदूर, हाथों में चूड़ियाँ, और तीन बच्चों को सँभालती हुई।

    ​यह छवि... यह उसके लिए किसी भी रानी या हॉलीवुड हीरोइन से ज़्यादा कीमती थी। यह वो शांतिपूर्ण घर था जिसकी उसे अपनी खतरनाक दुनिया के बाद सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी।

    ​निशांत (गहरी भावना से, अनिका से): "यह मेरी सबसे पसंदीदा सुबह है, अनिका। बच्चों के साथ, तुम्हारे साथ।"

    ​अनिका और निशांत एक-दूसरे को देखते हैं। अब वे पति-पत्नी थे, प्रेमी थे, और सबसे बढ़कर, माता-पिता थे। उनका रिश्ता, जो एक मजबूर डील के रूप में शुरू हुआ था, अब प्यार, देखभाल और एक मजबूत परिवार में बदल चुका था।

    ​इस एपिसोड ने उनके रिश्ते को रोमांस से परिवार के स्तर पर पहुँचा दिया। अब उन्हें दुनिया को दिखाना होगा कि वे एक असली परिवार हैं।

    क्रमशः

    Thank you 😊

    novel आपको kesi lagi ये comments में जरूर बताएं l

    mafianess aur nishant aur anika ki jodi ,romantic moments kesi lagi ?

    NISHANT KAMARTH ×ANIKA THAKUR

    FORCED ARRANGED MARRIAGE

    SUSPENSE THRILLER MAFIA LOVE ❤️ FAMILY DRAMA HUSBAND-WIFE , SLOW BURN 🔥 ROMANCE (प्लॉट)

    Do comment, Do Follow, Do Rating 🌸🥰✨️😇

  • 13. MAFIA KI ZID 🔥❤️‍🔥 - Chapter 13

    Words: 1189

    Estimated Reading Time: 8 min

    EPISODE 13

    MAFIA KI ZID

    एपिसोड 13:: सामाजिक परीक्षा और सोने की पायल (Social Test and The Gold Anklets)

    ​यह एपिसोड दिखाता है कि कैसे अनिका, प्यार पाने के बाद, अब निशांत की खतरनाक सामाजिक दुनिया में कदम रखती है, और कैसे निशांत सार्वजनिक रूप से (publicly) उसका ज़बरदस्त समर्थन (support) करके उसे कामार्थ सिंडिकेट की असली रानी के रूप में स्थापित करता है।

    ​👑 अनिका का निमंत्रण (Anika’s Invitation)

    ​सुबह का नाश्ता ख़त्म हुआ था। माहौल कल रात की नज़दीकी के कारण अभी भी बहुत गर्मजोशी वाला था। अनिका किचन संभाल रही थी और निशांत अपने स्टडी रूम के लिए जा रहा था।

    ​वह रुका और अनिका से धीरे से बात की।

    ​निशांत: "अनिका, आज शाम को एक ज़रूरी सोशल इवेंट है। हमारे एक बड़े सहयोगी की पार्टी है, लेकिन यह सिंडिकेट की तरह ही है। सब यहाँ की 'बड़ी पत्नियाँ' (Wives of the Big Bosses) आ रही हैं।"

    ​अनिका ने मुँह पोंछा और उसकी तरफ़ देखा। उसे पता था कि अब तक वह सिर्फ़ बच्चों और घर तक सीमित थी, लेकिन अब उसे बाहर की दुनिया का सामना करना होगा।

    ​निशांत: (प्यार से, पर आवाज़ में अथॉरिटी थी) "अनिका, तुम्हें मेरे साथ चलना होगा। तुम्हें अब कामार्थ सिंडिकेट की रानी के रूप में खुद को स्थापित (establish) करना होगा। डरने की ज़रूरत नहीं है, मैं तुम्हारे साथ हूँ। तुम मेरी पत्नी हो।"

    ​🤔 अनिका की चिंता और निशांत का समर्थन

    ​अनिका का चेहरा उतर गया। वह सच में घबरा गई थी। उसकी सादी दुनिया, उसके कॉटन के कपड़े, उसके पारंपरिक मूल्य... यह सब उस हाई-फैशन और ग्लैमर की दुनिया से बहुत अलग था जहाँ निशांत के लोग रहते थे।

    ​अनिका: "निशांत जी, मुझे डर लग रहा है। मुझे नहीं पता कि वहाँ कैसा बर्ताव (behave) करना है। और मेरे कपड़े... मैं उन लोगों के सामने अपनी ये सादी साड़ी और चूड़ियाँ..."

    ​निशांत ने उसके हाथ को थाम लिया।

    ​निशांत: "बस। कोई लेकिन नहीं। मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम क्या पहनती हो। तुम्हारी सादगी ही तुम्हारी ताकत है। आज तक उन्होंने तुम्हें डील की पत्नी समझा था। आज उन्हें दिखा दो कि तुम दिल की रानी हो। बस बच्चों और मेरे लिए तुम वहाँ मज़बूती से खड़ी रहना।"

    ​निशांत के आत्मविश्वास भरे शब्दों ने अनिका को हिम्मत दी। उसने सिर हिलाया। वह निशांत के लिए यह परीक्षा पास करेगी।

    ​👠 भाभी का सामना (Facing the Bhabhi)

    ​शाम हुई। इवेंट की जगह पूरी तरह से चमक रही थी। डायमंड, डिज़ाइनर कपड़े, और हाई-क्लास दिखावा।

    ​निशांत और अनिका ने पार्टी में एंट्री ली। अनिका ने अपनी सबसे अच्छी साड़ी (अभी भी हल्की, पर सुंदर शिफॉन की) पहनी थी। उसके गले में मंगलसूत्र चमक रहा था, माथे पर सिंदूर था, और हाथों में उसकी पहचान हरी चूड़ियाँ थीं। इस भीड़ में वह सबसे अलग और शुद्ध (pure) दिख रही थी।

    ​पहला टकराव जल्द ही हुआ। निशांत के दूर के भाई की पत्नी, मालविका, उनके पास आई। मालविका एक हाई-फैशन वाली, घमंडी महिला थी, जो खुद को सिंडिकेट की सबसे स्टाइलिश बहू मानती थी।

    ​मालविका: (एकदम मीठी, लेकिन व्यंग्य से भरी आवाज़ में) "ओह, नई भाभी! वेलकम! आप तो बिल्कुल... नई लगती हैं। कामार्थ सिंडिकेट की पार्टियों में इतनी सादी साड़ी? मुझे लगा था कि आप बच्चों को संभालने में व्यस्त होंगी। हम तो आपको शायद ही देख पाते हैं!"

    ​उसका मतलब साफ़ था—अनिका इस हाई-क्लास दुनिया के लायक नहीं है, उसे तो घर पर बच्चों को देखना चाहिए।

    ​🤫 अनिका का मूक उत्तर

    ​अनिका को यह बात तीर की तरह चुभी, लेकिन उसने निशांत की बात याद रखी। डरना नहीं है।

    ​उसने खुद को संभाला और विनम्रता से, लेकिन आत्मविश्वास से जवाब दिया:

    ​अनिका: "नमस्ते, मालविका जी। बच्चों की देखभाल मेरी सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है, और मैं उसे ख़ुशी-ख़ुशी निभाती हूँ। और मेरी सादगी ही मेरी पहचान है।"

    ​मालविका को लगा कि अनिका कमजोर है, इसलिए उसने दूसरा वार किया। उसने अनिका के पारंपरिक गहनों पर निशाना साधा।

    ​मालविका: (हँसते हुए) "कम से कम कुछ डायमंड तो पहनतीं। ये आपकी हरी चूड़ियाँ और मंगलसूत्र तो... थोड़े आम (ordinary) लगते हैं। ऐसा लगता है, जैसे आप किसी... हाँ, किसी नौकरानी के गहने पहनकर आ गई हैं।"

    ​यह अपमान सिर्फ़ अनिका का नहीं था, बल्कि उसके प्यार और पारंपरिक पहचान का था। अनिका की आँखें नम हो गईं, लेकिन वह कुछ कह नहीं पाई।

    ​💍 निशांत का सार्वजनिक समर्थन (Nishant’s Public Support)

    ​निशांत, जो दूर से कुछ लोगों से बात कर रहा था, उसने मालविका की आखिरी, ज़हरीली बात सुन ली थी। उसकी आँखें गुस्से से आग उगलने लगीं। उसने अपनी पत्नी का अपमान होते हुए सुन लिया था।

    ​वह तुरंत उनके पास आया। पार्टी में मौजूद सभी लोग चुप हो गए, क्योंकि निशांत का गुस्सा सबको डराता था।

    ​💣 निशांत का दबंग प्यार

    ​निशांत ने बिना किसी को देखे, सीधे मालविका के सामने, सबका ध्यान अपनी ओर खींचते हुए, अनिका का हाथ थाम लिया।

    ​निशांत: (उसकी आवाज़ शांत थी, लेकिन हर शब्द बेहद खतरनाक था) "मालविका। अनिका मेरे घर की रानी है। उसकी सादगी ही उसकी अद्वितीयता (Uniqueness) है। उसके गहनों को "आम" कहना... मेरे चुनाव पर सवाल उठाना है। और यह सवाल तुम्हें दोबारा नहीं उठाना चाहिए।"

    ​पूरे हॉल में सन्नाटा छा गया। निशांत ने यह जता दिया था कि अनिका का अपमान, उसका व्यक्तिगत अपमान है।

    ​फिर, निशांत ने तुरंत अपने सहायक को बुलाया।

    ​निशांत: "अभी इसी वक़्त, सोने की सबसे कीमती और पारंपरिक पायल यहाँ लाओ। जो अनिका की सादगी को शाही बनाए।"

    ​सहायक तुरंत भागकर गया और कुछ ही मिनटों में एक सुंदर, पारंपरिक, लेकिन बेहद कीमती सोने की पायल का सेट ले आया।

    ​निशांत ने वह डिब्बा खोला और अनिका की ओर देखा।

    ​निशांत (अनिका से, प्यार से): "अनिका, इसे पहन लो। यह तुम्हारी सादगी को शाही बनाएगा। और इन चूड़ियों और मंगलसूत्र को कभी मत छोड़ना। क्योंकि ये मेरे लिए दुनिया के सबसे कीमती हीरे हैं।"

    ​सबके सामने, निशांत ने झुककर वह पायल अनिका को पहनाई। यह एक सार्वजनिक घोषणा थी कि अनिका अब सिंडिकेट की निर्विरोध रानी है, जिसे उसकी सादगी और उसकी पहचान के साथ स्वीकार किया जाना चाहिए।

    ​मालविका का मुँह अपमान से बंद हो गया। बाकी लोगों ने अब अनिका को सम्मान देना शुरू कर दिया।

    ​🌙 घर वापसी (The Return Home)

    ​इवेंट से लौटने के बाद। हवेली में शांति थी। अनिका अपने कपड़े बदल रही थी, लेकिन उसके पैरों में वह सोने की पायल चमक रही थी, जो उसे निशांत के प्यार की याद दिला रही थी।

    ​निशांत कमरे में आया।

    ​💖 भावनात्मक आभार और विश्वास

    ​अनिका ने मुड़कर देखा, और वह अपने आँसू रोक नहीं पाई। वह तुरंत निशांत के सामने घुटनों के बल बैठ गई और उसका हाथ चूम लिया।

    ​अनिका: "आज आपने मेरा जो सम्मान किया, वह किसी हीरे या सोने से ज़्यादा कीमती है, निशांत जी। आपने मेरा मान रखा।"

    ​निशांत ने उसे तुरंत उठाया।

    ​निशांत: (गहरी आवाज़ में) "फिर कभी ऐसा मत करना। तुम मेरी हो, अनिका। मेरा सम्मान तुमसे जुड़ा है। अब कोई तुम्हें नीचा नहीं दिखाएगा। मेरी दुनिया में, तुम्हारा सम्मान... मेरा सम्मान है।"

    ​वे एक-दूसरे को गले लगाते हैं। अनिका ने न केवल सामाजिक परीक्षा पास की, बल्कि उसने निशांत को यह भी दिखा दिया कि उसकी सादगी और उसका प्रेम, उसकी डरावनी दुनिया की सबसे मजबूत भावनात्मक नींव है। उनका बंधन अब अटूट हो चुका था।
    क्रमशः
    Thank you 😊

  • 14. MAFIA KI ZID 🔥❤️‍🔥 - Chapter 14

    Words: 1004

    Estimated Reading Time: 7 min

    EPISODE 14

    MAFIA KI ZID 🔥❤️‍🔥✨️

    एपिसोड 14: हर्ष का डर और विश्वास की डोर

    (Harsh's Fear and The Thread of Trust)



    ​🌙 शांत रात में डर (Fear in the Quiet Night)

    ​रात गहरी थी। हवेली में एकदम सन्नाटा पसरा था, सिवाय बच्चों के कमरे में लगी डिम नाइटलाइट के। निशांत और अनिका अपने कमरे में, शांति से सो रहे थे, कल के रोमांटिक पलों की गर्माहट में खोए हुए थे।

    ​अचानक, उस गहरी शांति को चीरती हुई एक तेज़ चीख आई।

    ​हर्ष (सबसे बड़ा बच्चा), जो अपने माता-पिता की हत्या का साक्षी था, ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाकर रोने लगा। वह चीख रहा था, और उसके रोने की आवाज़ में डर और दर्द साफ़ झलक रहा था।

    ​"नहीं! मत मारो! मम्मा! मुझे मत मारो!"🥺🥺

    ​अनिका की नींद तुरंत टूटी। वह बिना कुछ सोचे, तुरंत बिस्तर से उठी और हर्ष के पास भागी।

    ​पीछे, निशांत भी तुरंत जाग गया। अब वह लापरवाह नहीं था। वह जानता था कि हर्ष का यह रोना सामान्य बच्चों वाला रोना नहीं है—यह ट्रॉमा (Trauma) का रोना है। उसकी आँखें तुरंत सतर्क हो गईं, लेकिन उसका चेहरा चिंता से भर गया।

    ​😨 अतीत का साया (The Shadow of the Past)

    ​अनिका तुरंत हर्ष के पास पहुँची और उसे अपनी गोद में ले लिया। वह उसे शांत कराने की कोशिश कर रही थी, लेकिन हर्ष लगातार चीख रहा था। वह डर से काँप रहा था और अपने हाथ-पैर हवा में मार रहा था।

    ​"छोड़ दो! प्लीज! प्लीज़! मम्मा!"

    ​कमरे में उस छोटे से बच्चे का डर इतनी ताक़त से फैल गया था कि अनिका और निशांत दोनों को महसूस हुआ।

    ​निशांत भी वहाँ आया। वह आदमी, जो अपनी सारी माफिया शक्ति से पूरी दुनिया को कंट्रोल कर सकता था, अब एक रोते हुए, डरे हुए बच्चे के सामने लाचार महसूस कर रहा था। उसके चेहरे पर चिंता और गुस्सा था—गुस्सा उस दुनिया पर जिसने उसके भाई-भाभी को छीन लिया और इस बच्चे को यह दर्द दिया।

    ​💔 अनिका की समझदारी और ममता

    ​अनिका ने तुरंत समझ लिया कि यह सिर्फ़ नींद टूटने का डर नहीं है। यह उसके अतीत के घाव हैं। वह धीरे से हर्ष को अपनी गोद में लिए, फर्श पर बैठ गई। उसने अपनी सादी साड़ी से उसे ढँकते हुए, अपने दिल की धड़कन उसे महसूस कराई।

    ​अनिका: (हर्ष के कान में एकदम धीरे से, फुसफुसाते हुए) "मैं यहाँ हूँ, हर्ष बेटा। कोई नहीं आएगा। कोई नहीं मार सकता। ये देखो... तुम्हारे पापा (निशांत) और मैं यहाँ हैं। तुम पूरी तरह से सुरक्षित हो, मेरे बच्चे।"

    ​निशांत यह सब देखकर काँप गया। उसे पहली बार महसूस हुआ कि उसके भाई और भाभी की हिंसक मौत ने इस छोटे बच्चे पर कितना गहरा और भयानक असर डाला है। उसका माफिया गुस्सा इस बच्चे के डर के सामने बिलकुल बेकार था।

    ​🤝 संयुक्त प्रयास और भावनात्मक बंधन (Joint Effort and Emotional Bond)

    ​निशांत ने देखा कि उसकी ताकत यहाँ काम नहीं आएगी, यहाँ ममता चाहिए। वह जानता था कि अनिका के पास वह माँ की शक्ति है जो उसके पास नहीं।

    ​वह पहली बार कमज़ोर हुआ। वह भी फर्श पर, अनिका के पास बैठ गया।

    निशांत ने धीरे से अपना बड़ा हाथ बढ़ाया, और हर्ष के छोटे हाथ को थाम लिया। वह उसे धीरे से सहलाता रहा, अपनी आवाज़ में कोई सख्ती नहीं आने दी।

    ​निशांत: (कमज़ोर आवाज़ में, अनिका से) "यह मेरी गलती है... मुझे पहले ध्यान देना चाहिए था। मैं... मैं उसे सुरक्षा नहीं दे पा रहा हूँ।"

    ​अनिका: (निशांत का हाथ थामते हुए) "यह किसी की गलती नहीं है, निशांत जी। यह समय है। हमें बस उसे प्यार से, हर रात, यह बताना होगा कि अब कोई खतरा नहीं है। हम दोनों को मिलकर।"

    ​✨ एक टूटे हुए परिवार की नज़दीकी

    ​अनिका ने, रोते हुए हर्ष को अपनी गोद में लिए, अपना सिर निशांत के कंधे पर रख दिया।

    ​उस छोटे से कमरे में, वे तीनों—निशांत की ताकत, अनिका की ममता, और हर्ष का डर—उस क्षण एक टूटे हुए लेकिन मजबूत परिवार की तरह महसूस हुए। यह कोई रोमांटिक पल नहीं था, लेकिन यह प्यार और विश्वास का सबसे गहरा प्रदर्शन था।

    ​धीरे-धीरे, निशांत की शक्तिशाली उपस्थिति और अनिका की ममता भरी आवाज़ के कारण, हर्ष शांत हो गया। उसकी साँसें धीमी हुईं, और वह सो गया।

    ​💖 विश्वास की गहराई (Depth of Trust)

    ​निशांत ने धीरे से हर्ष को उठाया और उसे वापस उसके बिस्तर पर सुलाया।

    ​वह फिर कमरे में लौटा, जहाँ अनिका अभी भी ज़मीन पर बैठी थी। उसने अनिका को उठाया और अपनी बाँहों में लिया।

    ​निशांत की स्वीकारोक्ति: (गहरी, गंभीर भावना से) "अनिका... जिस प्यार और विश्वास से तुमने इस बच्चे के डर को हराया, वह मेरी सारी संपत्ति और ताकत से कहीं ज़्यादा है। तुम सच में... अद्भुत हो। मुझे तुम पर पूरा भरोसा है।"

    ​अनिका: "और मुझे आप पर, निशांत जी। जब आप मेरे पास होते हैं, तो मुझे भी डर नहीं लगता। हमें बस मिलकर इन बच्चों के डर को मिटाना है।"

    ​निशांत ने प्यार से अनिका की सादगी को देखा। उसने अनिका की हरी चूड़ियों वाले हाथ को थाम लिया। वह उस रात यह महसूस करता है कि अनिका केवल उसकी पत्नी नहीं है, बल्कि उसके जीवन की भावनात्मक लंगर (Emotional Anchor) है। वह उसे उसकी क्रूर, खतरनाक दुनिया में भी शांति और सुरक्षा दे सकती है।

    ​उनका रिश्ता अब और भी गहरा और सच्चा हो चुका था।
    ​यह एपिसोड दिखाता है कि कैसे अनिका और निशांत का नया प्यार उन्हें एक संयुक्त मोर्चे पर लाता है, जहाँ उन्हें बच्चों के अतीत के घावों का सामना करना पड़ता है। यह उनके भावनात्मक बंधन को और गहरा करता है।

    क्रमशः

    Thank you 😊
    keep reading my novel MAFIA KI ZID 🔥❤️‍🔥🌸✨️
    novel kesi lagi comment kar ke जरूर बताएं l
    share with your friends 🧡
    apko ajki episode kesi lagi ?

    ​मेरी कलम अँधेरे और ख़तरे से लिपटी प्रेम कहानियाँ बुनती है। जहाँ नायक (Hero) अपनी ज़िद के लिए हर हद पार करता है, और नायिका (Heroine) अपने सम्मान के लिए लड़ती है। दो शक्तिशाली इच्छाओं का टकराव, जो आपको बाँध लेगा। NISHANT KAMARTH ×ANIKA THAKUR MAFIA KI ZID 🔥❤️‍🔥✨️

    Do comment 🌸📚💓☺️

    Do follow ❤️‍🔥😉😞

    Do ratings ✨️😊🦋😍

  • 15. MAFIA KI ZID 🔥❤️‍🔥 - Chapter 15

    Words: 1214

    Estimated Reading Time: 8 min

    EPISODE 15
    MAFIA KI ZID 🔥 ❤️‍🔥 ✨️

    एपिसोड 15: सनकी टकराव और अपमान का दंश (The Obsessed Encounter and The Sting of Insult)
    ​यह एपिसोड निशांत और अनिका के नए-नवेले प्यार की सबसे बड़ी परीक्षा है। यह दिखाता है कि कैसे एक सनकी विलेन उनके रिश्ते में ज़हर घोलने की कोशिश करता है, और कैसे निशांत का जुनूनी गुस्सा (intense anger) अनिका की शांति के सामने पिघल जाता है।

    ​🤝 अनचाही मुलाकात (The Unwanted Encounter)
    ​निशांत ने पिछली सामाजिक जीत के बाद अनिका का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए उसे अपने साथ लाया था। जगह कोई मामूली पार्टी नहीं थी, बल्कि सिंडिकेट से जुड़ी एक औपचारिक, हाई-प्रोफाइल बिज़नेस मीटिंग थी। यहाँ पर सभी बड़े-बड़े लोग थे, जिनकी आँखें हर छोटी हरकत पर थीं।
    ​अनिका, हमेशा की तरह, अपनी सादगी में थी। उसने एक हल्की, लेकिन अच्छी कॉटन की साड़ी पहनी थी। उसके गले का मंगलसूत्र और हाथों की हरी चूड़ियाँ ही उसके गहने थे, जो उसे उस हाई-ग्लैमर वाली भीड़ से अलग कर रहे थे। वह निशांत के बगल में, उसकी बाँह को थामकर, मज़बूती से खड़ी थी।
    ​निशांत एक कोने में कुछ सहयोगियों से बात कर रहा था, जब अचानक माहौल में तनाव फैल गया।

    ​🐍 विक्रांत का प्रवेश
    ​उस मीटिंग में विक्रांत सहगल का प्रवेश हुआ। विक्रांत का नाम सुनते ही निशांत को गुस्सा आता था, क्योंकि वह निशांत के पुराने दुश्मनों में से था। लेकिन आज, विक्रांत जानबूझकर इस मीटिंग में आया था।
    ​विक्रांत सीधे निशांत और अनिका के पास पहुँचा। उसने निशांत को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया। उसकी सनकी और ज़हरीली आँखें सीधे अनिका पर जा टिकीं। वह जानबूझकर, घूरकर अनिका को देख रहा था—उसकी सादगी, उसकी मासूमियत को, उसी नज़र से जो निशांत को फ्लैशबैक में याद आई थी।
    ​अनिका ने उसे देखा और असहज हो गई। उसने निशांत की बाँह और कसकर थाम ली।

    ​🤬 अपमान और उकसावा (Insult and Provocation)
    ​विक्रांत मुस्कुराया। उसकी मुस्कान में नफ़रत और घिनौनापन भरा था। उसने अपनी चाल चली—सीधे निशांत की मर्दानगी (manhood) और उसके अधिकार पर हमला।
    ​उसने निशांत को संबोधित किया, लेकिन उसकी नज़रें अनिका पर टिकी रहीं:

    ​विक्रांत: (एकदम ऊंची आवाज़ में, ताकि सब सुनें) "निशांत, यार, मैंने सुना तुम्हारी नई दुल्हन बच्चों को संभाल रही है। वाह! पर यार... यह कमसिन, मासूम चेहरा... इसे देखकर लगता है कि इसे माँ नहीं, बल्कि प्यार भरी जवानी जीनी चाहिए! तुमने इसकी जवानी क्यों छीन ली?"
    ​पूरा माहौल थम गया। यह सिर्फ़ मज़ाक नहीं था, यह निशांत की पसंद, उसकी ताकत, और अनिका की पवित्रता पर सीधा हमला था।

    ​💥 निशांत का गुस्सा
    ​निशांत का चेहरा तुरंत क्रोध से लाल हो गया। उसकी आँखों में खून उतर आया। वह एक पल के लिए भूल गया कि वे कहाँ हैं।
    ​उसका मजबूत हाथ बिजली की तेज़ी से विक्रांत की गर्दन की ओर बढ़ा। वह उसे वहीं, सबके सामने, दबा देना चाहता था!
    ​लेकिन तभी, निशांत को होश आया। वे सार्वजनिक जगह पर हैं, और ऐसा करने से सिंडिकेट में भारी अस्थिरता आ जाएगी। उसने खुद को आखिरी पल में रोक लिया। उसकी मुट्ठी भींच गई, नसों में तनाव साफ़ दिख रहा था।

    ​विक्रांत ने यह देखा। उसे पता चल गया कि उसका उकसावा (provocation) काम कर गया है। उसने और ज़हर उगला।
    ​विक्रांत: (और ज़्यादा उकसाते हुए) "क्या हुआ, निशांत? तुम्हारी माफिया वाली ताकत अब काम नहीं आएगी? तुम्हें क्या लगता है? यह तुम्हारी है? मैंने इसे पहले देखा था। यह हमेशा मेरी थी। और यह बच्चे पालने के लिए नहीं बनी है। यह तो..."

    ​विक्रांत ने फिर अनिका की मासूमियत और सादगी का मज़ाक उड़ाते हुए और भी गंदी और अपमानजनक बातें कहीं, जो निशांत को उसकी मर्दानगी और अधिकार पर सीधा हमला लगा। निशांत को लगा कि अगर उसने एक सेकंड और खुद को रोका, तो वह फट पड़ेगा!

    ​🛡️ अनिका की सुरक्षा और शांति (Anika’s Protection and Peace)
    ​अनिका को अपमान की गहरी चुभन महसूस हुई। विक्रांत की गंदी आँखें उसे डर से भर रही थीं। लेकिन अब वह पुरानी अनिका नहीं थी। वह जानती थी कि इस समय, निशांत का गुस्सा ही इस सनकी विलेन को जीत दिलाएगा।
    ​जैसे ही निशांत का हाथ विक्रांत की ओर बढ़ने लगा, अनिका ने शांत, लेकिन मज़बूत इरादे से, उसके हाथ को हल्के से थाम लिया।

    ​🧘 निशांत का नियंत्रण
    ​अनिका ने निशांत की ओर देखा। उसकी शांत आँखें निशांत से कह रही थीं, "रुको। मुझे बचाओ नहीं, खुद को बचाओ।"
    ​निशांत का शरीर गुस्से से काँप रहा था। वह जुनूनी क्रोध से भर गया था। लेकिन अनिका का कोमल स्पर्श और उसकी आँखों में छिपा विश्वास, निशांत के लिए एक ठंडा पानी का झोंका था। वह खुद को काबू करता है। उसकी मुट्ठी खुल जाती है।
    ​उसने अपनी आवाज़ को शांत, लेकिन इतना ठोस रखा कि वह विक्रांत की आत्मा तक पहुँच जाए।

    ​निशांत: (विक्रांत के कान में फुसफुसाते हुए, एकदम धीमी और जानलेवा आवाज़ में) "यह मेरी पत्नी है, विक्रांत। और इसका अपमान करने की कीमत... तुम अपनी जान देकर चुकाओगे। यह मेरा वादा है। अब दफ़ा हो जाओ।"

    ​विक्रांत को निशांत की आँखों में मौत दिखी। वह जानता था कि निशांत ने सिर्फ़ अनिका के लिए खुद को रोका है। वह अपनी बात का असर देखकर मुस्कुराया, लेकिन निशांत के क्रोध को देखकर तुरंत पीछे हट गया और वहाँ से निकल गया।

    ​ बाहर का तूफान (The Storm Outside)
    ​निशांत ने एक पल के लिए भी नहीं रुका। उसने विक्रांत को घूरते हुए, अनिका को अपनी बाँह में कसकर थाम लिया और इवेंट से बाहर निकल गया।
    ​वे सीधे अपनी कार की ओर भागे।

    ​💣 कार में विस्फोट
    ​कार में बैठते ही, निशांत का गुस्सा फूट पड़ा। वह अब खुद को रोक नहीं पाया।
    ​वह स्टीयरिंग व्हील को पूरी ताकत से मुक्का मारता है।

    ​निशांत: (दाँत पीसते हुए) "उसकी हिम्मत कैसे हुई? उस सनकी ने तुम्हें छूने की हिम्मत की! तुम्हारी जवानी, तुम्हारा अपमान... मैं उसे ज़िंदा नहीं छोड़ूँगा! मैं कसम खाता हूँ, मैं..."
    ​वह क्रोध और अपमान से भर गया था। उसे लग रहा था जैसे वह अपनी पत्नी की रक्षा नहीं कर पाया।

    ​💖 अनिका का भावनात्मक सहारा
    ​अनिका, अपनी सादी साड़ी में, बिल्कुल नहीं डरी। उसने देखा कि निशांत का गुस्सा उसके प्यार और अधिकार को लेकर है।
    ​वह धीरे से निशांत की ओर झुकी। उसने उसके गुस्से से लाल हो रहे माथे पर प्यार से हाथ फेरा। उसका हाथ इतना कोमल था कि निशांत का गुस्सा कम होने लगा।

    ​अनिका: (शांत और मीठी आवाज़ में) "निशांत जी। उसकी गंदी बातों से मेरा प्यार नहीं बदलता। मैं आपकी पत्नी हूँ, आपके भरोसे से यहाँ खड़ी हूँ। और मैं उन तीन मासूम बच्चों की माँ हूँ। वह हमारी ख़ुशी से जलता है। हमें उसे अपनी शांति छीनने नहीं देनी चाहिए। आप शांत हो जाइए।"
    ​अनिका ने उसे दिखाया कि उसकी असली ताक़त बदला नहीं, बल्कि उनका प्यार है।

    ​निशांत, अनिका की ममता और शांति से पिघल जाता है। उसकी साँसें धीमी होती हैं। वह स्टीयरिंग व्हील से अपना हाथ हटाता है और अनिका को कसकर गले लगाता है।

    ​निशांत: (गहरी आवाज़ में) "तुम मेरी ताक़त हो, अनिका। मेरी सबसे बड़ी ताकत।"
    ​निशांत अब और भी ज़्यादा दृढ़ हो जाता है। उसने उस रात फैसला कर लिया कि वह अपनी पत्नी और बच्चों को इस सनकी विलेन से हर हाल में बचाएगा। यह गुस्सा बदले का नहीं, बल्कि सुरक्षा का था। उनका बंधन, एक बार फिर, इस तूफ़ान से बचकर और मज़बूत हो गया था।

    क्रमशः
    Thank you 😊
    do comment ❤️‍🔥
    do follow✨️
    do ratings 😊

  • 16. MAFIA KI ZID 🔥❤️‍🔥 - Chapter 16

    Words: 1881

    Estimated Reading Time: 12 min

    ​💖 एपिसोड 16: असुरक्षा, Kiss, और नन्हे कदम (Insecurity, Kiss, and Tiny Steps)

    ​यह रात थी—अंधेरे की एक चादर ने शहर को ढक लिया था, लेकिन निशांत और अनिका के बेडरूम के अंदर, तनाव की गर्मी हवा में घुली हुई थी। आज शाम हुई विक्रांत की ज़हरीली मुलाकात ने निशांत के दिल में एक ऐसा ज़ख्म छोड़ दिया था जो प्यार की पट्टी से ढँका नहीं जा सका था।

    ​ निशांत की असुरक्षा (Nishant’s Insecurity)
    ​माहौल: कार से घर आने के बाद, निशांत ने अनिका से एक भी शब्द नहीं कहा था। वह सीधे बेडरूम में चला आया, और अब, बिना किसी स्पष्ट कारण के, वह कमरे में एक शिकारी की तरह टहल रहा था—बेचैन, क्रुद्ध, और खुद से लड़ रहा था। अनिका दरवाज़े पर खड़ी थी, उसके चेहरे पर सवाल और चिंता का मिश्रण था।

    ​निशांत, जिसकी उपस्थिति आमतौर पर स्थिरता की गारंटी थी, अब एक टूटी हुई चट्टान जैसा लग रहा था। विक्रांत के शब्द – “तुम उसे वह सब नहीं दे सकते जो वह Deserve करती है।” – एक बारूद की तरह उसके आत्मविश्वास के भंडार में फट चुके थे।

    ​वह अचानक अनिका के सामने रुका, उसकी आँखें लाल थीं, उनमें एक अजीब तरह की पीड़ा और भय था। वह अनिका को देखता रहा, उसकी सादगी, उसकी भारतीय साड़ी में लिपटी मासूमियत—वह मासूमियत जिसे वह खुद कभी नहीं जी सका था, और जिसे अब वह महसूस कर रहा था कि वह बचा भी नहीं पाएगा।

    ​निशांत: (आवाज़ में दर्द, एक स्वीकारोक्ति जो उसके सीने को फाड़ रही थी) "विक्रांत सही कह रहा था, अनिका। तुम... तुम इस घर में, बच्चों के साथ फँस गई हो। तुम्हारी जवानी... तुम्हारी मासूमियत... मैं तुम्हें वह सब नहीं दे पाया जो तुम Deserve करती थी। मैंने तुम्हें यह सब दिया: एक शादी जो ज़बरदस्ती थी, एक परिवार जो टूटा हुआ था, और एक पति जिसके पास देने को सिर्फ़ सुरक्षा की बेड़ियाँ थीं, खुशी की आज़ादी नहीं।"
    ​निशांत की आवाज़ में छिपी भावना अनिका के लिए एक बिजली का झटका थी। यह सिर्फ़ विक्रांत का गुस्सा नहीं था; यह निशांत की अपनी आत्म-छवि थी जो टूट रही थी। उसने कभी खुद को अनिका के लिए 'कम' नहीं समझा था, लेकिन अब, वह खुद को एक राक्षस के रूप में देखने लगा था जिसने एक परी को अपने अँधेरे किले में कैद कर लिया था।

    ​निशांत: (उसकी आवाज़ कांप रही थी, जैसे कि वह स्वीकार कर रहा हो कि वह असफल हो गया है) "वह... वह तुम्हें चाहता है। मैंने उसकी आँखों में देखा है, अनिका। वह तुम्हें आज़ादी देगा, वह तुम्हें चकाचौंध देगा, वह तुम्हें वह दुनिया देगा जिसका तुमने हमेशा सपना देखा होगा। और मैं? मैं तुम्हें कैसे बचाऊँगा? मेरे पास सिर्फ़ अधिकार है, प्यार का हक नहीं!"

    ​निशांत की असुरक्षा का यह विस्फोट एक भयानक रूप ले रहा था। वह मानने लगा था कि अनिका शायद कहीं न कहीं इस रिश्ते में ज़बरदस्ती महसूस कर रही होगी।

    ​निशांत: "तुम उससे... मुझसे शादी से पहले मिली थी, है ना? वह पागल, अमीर आदमी। क्या तुम... क्या तुम भी... कभी सोचना चाहती थी कि तुम्हारी ज़िंदगी अलग हो? बिना इस Mafia... बिना इन ज़िम्मेदारियों के? मुझे बताओ, अनिका। क्या तुम मुझसे दूर जाना चाहती हो? क्या मैं तुम्हें... बॉस की तरह महसूस कराता हूँ?"

    ​ये शब्द केवल प्रश्न नहीं थे; वे निशांत के दिल से निकली एक चीख थी—एक आदमी का दर्द जो पहली बार किसी और से प्यार करने के जोखिम को महसूस कर रहा था और डर रहा था कि वह वह प्यार खो देगा। उसकी आँखों में आंसू नहीं थे, लेकिन उसकी आत्मा रो रही थी। वह अपनी हर ताकत को एक तरफ रखकर अनिका के सामने अपनी कमजोरी को उजागर कर रहा था।


    ​ विश्वास का Kiss (The Kiss of Trust)
    ​अनिका के लिए, यह पल एक अग्नि-परीक्षा था। वह जानती थी कि उसे केवल प्यार से नहीं, बल्कि दृढ़ विश्वास से जवाब देना होगा। निशांत को किसी दलील की नहीं, बल्कि एक गैर-मौखिक, अटूट समर्पण की ज़रूरत थी।
    ​वह धीरे से उसके पास गई, उसकी आँखों में देखा। उसकी आँखें अँधेरे में थीं, लेकिन अनिका की आँखें रोशनी से भरी थीं—वह रोशनी जो उसे निशांत के प्यार से मिली थी।
    ​अनिका का जवाब: अनिका ने अपना हाथ उठाया और धीरे से निशांत के गाल को छुआ। उसका स्पर्श शांतिदायक तेल जैसा था जो निशांत के जलते हुए घावों पर लगा।

    ​अनिका: (धीमे, लेकिन आत्मविश्वास से भरी आवाज़ में, हर शब्द को सच्चाई के साथ तोलते हुए) "मेरी ज़िंदगी वहाँ खत्म हो गई थी, निशांत जी, जहाँ दादाजी ने मुझे आपसे शादी करने के लिए मजबूर किया था। उस दिन, मैंने अपनी पुरानी दुनिया को जला दिया था।"

    ​उसने अपने हाथ को निशांत के सीने पर रखा, ठीक उसके धड़कते दिल के ऊपर।
    ​अनिका: "मेरी नई ज़िंदगी यहाँ शुरू हुई है... आपके साथ। उन बच्चों के साथ। जब आप कमज़ोर थे, आपने मुझे शक्ति दी। जब मैं डरती थी, आपने मुझे घर दिया। मैं कोई प्रॉपर्टी नहीं हूँ, जिसे एक आदमी दूसरे को सौंप दे। मेरी इच्छाएँ, मेरी भावनाएँ, मेरा चुनाव... सब कुछ सिर्फ़ मेरा है।"

    ​उसकी आवाज़ में कोई शिकायत नहीं थी, सिर्फ़ समर्पण की स्वीकारोक्ति थी।
    ​अनिका: "कोई विक्रांत... मुझे आपसे दूर नहीं कर सकता। क्योंकि आप वह धागा हैं जो मुझे इस दुनिया से बाँधे रखता है। मैं चकाचौंध नहीं चाहती। मैं शांति चाहती हूँ। और वह शांति... सिर्फ़ आपकी बाहों में है।"

    ​The Kiss
    ​यह शब्द खत्म करने का समय नहीं था; यह कार्य करने का समय था। अनिका ने अपनी बात साबित करने के लिए आगे बढ़कर, अपने होंठों से निशांत के होंठों पर एक गहरा, प्यार भरा Kiss किया।

    ​यह Kiss अचानक था, लेकिन कोमल नहीं। यह मांगने वाला था, लेकिन बलपूर्वक नहीं।

    ​यह Kiss न केवल रोमांस था—यह अटूट विश्वास की मुहर था।
    अनिका ने इस Kiss के माध्यम से अपनी सारी असुरक्षाओं पर विजय और निशांत के प्रति अपनी स्वामित्व की भावना को व्यक्त किया। उसने अपनी आत्मा को अपनी ऊर्जा में डाला।

    ​निशांत, इस अचानक और गहरे प्यार से स्तब्ध रह गया। शुरू में वह स्थिर रहा, लेकिन अनिका की भावनाओं की तीव्रता ने उसे तोड़ दिया। उसकी सारी असुरक्षा पिघलने लगी।

    ​Kiss गहरा होता गया। निशांत ने अपने हाथ अनिका की कमर पर रखे और उसे अपने करीब खींच लिया, जैसे कि वह उसे अपने अंदर समा लेना चाहता हो। यह Kiss प्यार, स्वामित्व, क्षमा, और विश्वास का एक तूफान था। उनके मन की सभी जटिलताएँ इस एक कार्य में विलय हो गईं।

    ​निशांत ने Kiss को और गहरा किया। उसने अपनी आँखों को बंद कर लिया, और इस पल में, वह न Mafia था, न अमीर था, न बॉस था—वह बस अनिका का पति था, जो अपनी पत्नी के प्यार की शरण ले रहा था।

    ​वह अनिका को कसकर गले लगा लेता है, उसकी सारी असुरक्षा पिघलने लगती है। वह उसके बालों में अपना चेहरा छिपाता है, और फुसफुसाता है, "मुझे माफ कर दो, अनिका। मैं... मैं पागल हो गया था।"


    ​🍼 नन्हे कदम और दूध की पुकार (Tiny Steps and The Call for Milk)
    ​दोनों अभी भी उसी गहन, भावनात्मक आलिंगन में थे, जहाँ दुनिया और उसकी समस्याएँ फीकी पड़ चुकी थीं। उनकी श्वासें एक-दूसरे में मिल रही थीं, और उनके दिल की धड़कनें एक शांतिपूर्ण ताल में धड़क रही थीं।

    तभी, दरवाज़े के खुलने की हल्की, चरमराती आवाज़ आई—एक आवाज़ जो इस गहन निजी क्षण को भंग कर रही थी!
    ​उन दोनों ने चौंककर आवाज़ की दिशा में देखा।

    ​हर्ष का प्रवेश: कमरे के अँधेरे में, एक छोटी-सी छाया दिखाई दी। यह हर्ष था—बड़ा बच्चा। वह अब निशांत से थोड़ा कम डरता था, लेकिन अभी भी नाजुक था। उसकी चालें अस्थिर थीं, उसके पैर एक दूसरे से उलझ रहे थे—ठीक वैसे ही नन्हे कदम जो अभी-अभी उसने अंधेरे में रखे थे।
    ​हर्ष ने अपने छोटे हाथ से अपनी आँखों को मलता हुआ, रोने की तैयारी में, धीरे-धीरे उनकी ओर चलना शुरू किया।

    ​ हर्ष, अपनी तुतली आवाज़ में, जो दुःख और ज़रूरत से भरी थी, बोला: "भूकी मिकू... पीना है!" (उसे अभी भी माँ का दूध पीने की आदत थी, जो उसके ट्रॉमा और भावनात्मक निर्भरता से उपजी थी)।

    ​उनका रोमांटिक आलिंगन टूट गया। निशांत और अनिका चौंककर अलग हुए, उनके चेहरे पर एक अजीब-सी लज्जा और जटिलता का मिश्रण था।


    ​अनिका कुछ बोल पाती, इससे पहले कि हर्ष, ज़रूरत से प्रेरित होकर, अपनी अनियंत्रित, बालसुलभ ऊर्जा के साथ, जल्दी से अनिका के पास गया। वह अनिका के ब्लाउज के पल्लू को पकड़ता है और उसे ऊपर खींचने लगता है, अपनी माँ की छाती को खोजते हुए!
    ​हर्ष: (रोते हुए, मासूमियत की पूरी शक्ति के साथ) "मम्मा! मिकू!"

    ​😥 असहजता (Shared Awkwardness)
    ​यह दृश्य एक ठंडी, अचानक वास्तविकता थी जिसने उनके प्रेम के नशे को तोड़ दिया।
    ​अनिका की स्थिति: अनिका, जो अभी-अभी प्यार के गहरे पल में थी, तुरंत असहज और शर्मिंदा हो जाती है। उसके गाल अभी भी Kiss की गर्मी से दहक रहे थे। वह जल्दी से अपने आप को दुपट्टे से ढकने की कोशिश करती है, उसकी गति में झिझक थी, जबकि हर्ष रोता रहता है और अपने छोटे हाथों से कपड़ा खींचता रहता है। वह जानती थी कि उसे हर्ष को शांत करना होगा, लेकिन निशांत के सामने उसकी यह मातृ-नग्नता उसे अजीब महसूस करा रही थी।

    ​निशांत का भाव: निशांत, जो अभी प्यार के खुमार में था, इस स्थिति को देखकर अजीब महसूस करता है। उसके चेहरे पर समझ, असहजता, और एक नई वास्तविकता का मिश्रण था।
    ​यह दृश्य एक कठोर अनुस्मारक था कि उनका रिश्ता केवल दो प्रेमियों का नहीं है; यह एक जटिल, साझा जिम्मेदारी पर आधारित है। उनके बीच रोमांस और मातृत्व की दीवार है, जो हमेशा, कहीं न कहीं, खड़ी रहती है।
    ​निशांत ने एक गहरी साँस ली। उसने समझा कि यह क्षण असुरक्षा को दूर करने के लिए नहीं, बल्कि पितृत्व को निभाने के लिए था।

    ​निशांत आगे बढ़ा। वह धीरे से हर्ष को उठाता है, उसे अपनी बाहों में लेता है। हर्ष अभी भी रो रहा था, लेकिन निशांत के मजबूत हाथों में थोड़ा शांत महसूस कर रहा था।

    ​निशांत: (प्यार से, लेकिन दृढ़ता से) "हर्ष बेटा, अब तुम बड़े हो गए हो। मम्मा को दर्द होता है। अब हम ग्लास से दूध पीएँगे, ठीक है?"
    ​उसने बच्चे को अनिका की गोद में वापस दिया।
    ​अनिका: (हर्ष को अपनी गोद में लेकर, उसे प्यार से अपने सीने से लगाते हुए) "बस थोड़ा सा, हर्ष बेटा। आज रात, बस थोड़ा सा। फिर हम वादा करेंगे कि अब तुम सिर्फ़ ग्लास से दूध पिओगे।"
    ​अनिका ने धीरे से अपने ब्लाउज को ठीक किया और हर्ष को दूध पिलाना शुरू कर दिया। इस क्षण में, वह माँ थी, और निशांत दर्शक।
    ​निष्कर्ष: अनिका, निशांत की ओर देखती है। उसकी आँखों में कृतज्ञता (निशांत के समर्थन के लिए), शर्मिंदगी (अजीब स्थिति के लिए), और गहन प्यार (उन दोनों के लिए) का एक जटिल मिश्रण था।
    ​निशांत चुपचाप बिस्तर पर बैठ जाता है। वह इस जटिल, फिर भी प्यार से भरे परिवार को देखता है।
    ​हर्ष धीरे-धीरे शांत होता है, अपनी माँ के आँचल में शांति पाता है। निशांत को पता था कि उनके बीच की अंतरंगता को आगे बढ़ने के लिए उन्हें बच्चों के घावों को ठीक करना होगा।

    ​आज रात, उन्होंने एक Kiss साझा किया—एक Kiss जिसने विश्वास को मजबूत किया।
    ​लेकिन आज रात, उन्होंने एक सत्य भी साझा किया—कि उनका प्यार, उनके बच्चों के नन्हे कदमों के इर्द-गिर्द बुना गया है।
    ​निशांत ने प्यार से अनिका को देखा, और उसके होंठों पर एक शांत मुस्कान आई।
    क्रमशः
    Thank you 😊
    do follow
    do ratings

  • 17. MAFIA KI ZID 🔥❤️‍🔥 - Chapter 17

    Words: 1302

    Estimated Reading Time: 8 min

    ​😂 एपिसोड 17: जुड़वाँ बच्चों की मस्ती और पिता की असहायता (Twin's Fun and Father’s Helplessness)

    ​🛁 बाथरूम में भगदड़ (Chaos in the Bathroom)
    ​सुबह का माहौल: सुबह के सात बजे थे। अनिका का बाथरूम किसी जल क्रीडा पार्क से कम नहीं लग रहा था। अनिका, जो अपनी साड़ी को कमर तक बाँधे हुए थी, बाथटब के किनारे बैठी थी। जुड़वाँ बच्चियाँ, परी और पिहू, पानी में अपनी छोटी टाँगें मारकर खूब शोर मचा रही थीं। हर्ष (बड़ा बच्चा) कोने में बैठकर अपनी प्लास्टिक की नाव से ‘महासागर’ की यात्रा कर रहा था। चारों ओर हंसी और पानी के छींटों का राज था।

    ​अनिका ने एक-एक करके दोनों को शैम्पू लगाया। बच्चे पानी में खिलखिला रहे थे, उनकी भोली किलकारियाँ सुबह की नीरसता को भंग कर रही थीं।

    ​निशांत की एंट्री: तभी, दरवाज़ा खुला। निशांत, जो अभी सूट पहनने वाला था, एक सफ़ेद टी-शर्ट और गहरे नीले पैंट में, बिल्कुल स्मार्ट और गंभीर दिख रहा था। वह ऑफ़िस के लिए तैयार होने बाथरूम में आया था।

    ​निशांत: (आवाज़ में हल्की डाँट, पर आँखों में मुस्कान) "अनिका! थोड़ा धीरे। पानी बाहर आ रहा है। मुझे जल्दी है, आज एक ज़रूरी मीटिंग है—"

    ​ पानी का हमला: निशांत ने जैसे ही दरवाज़ा पूरा खोला, और अपना वाक्य खत्म करने वाला था, परी और पिहू ने एक-दूसरे को देखा। जैसे उन्हें किसी गुप्त कोड का पता हो, उन्होंने एक साथ, पूरी ताकत से अपने छोटे हाथों से पानी में ज़ोरदार छपके मारे!.

    ​यह छपका नहीं था, यह एक पानी की सुनामी थी!
    ​निशांत, जो दरवाज़े के फ्रेम में खड़ा था, पूरी तरह से भीग गया! ख़ासकर उसकी सफ़ेद टी-शर्ट, जो अब उसके शरीर से चिपक गई थी, और उसके करीने से बने बाल।

    ​अनिका और हर्ष की हंसी: अनिका पहले तो चौंक गई, लेकिन फिर उसने अपने हाथ से मुँह ढाँक लिया और ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी। हर्ष ने अपनी नाव किनारे कर दी और अपने पिता की ओर देखकर खुशी से ताली बजाई।

    ​निशांत: (पहले गुस्से में, उसकी भौंहें सिकुड़ गईं, लेकिन बच्चों को देखकर वह पिघल गया) "यह क्या था? कामार्थ सिंडिकेट के बॉस पर हमला? तुम दोनों को पता भी है कि अगर कोई मेरे ऊपर ऐसे पानी फेंकता है तो मैं क्या करता हूँ...?"
    ​पिता की लाचारी: बच्चों ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया; वे बस हंस रहे थे। निशांत ने अपने माथे से पानी पोंछा। उसकी माफिया वाली गंभीरता बच्चों के सामने मिट्टी हो गई थी।
    ​निशांत: (हँसी को दबाते हुए) "तुम दोनों... मेरी टी-शर्ट! अब मुझे फिर से नहाना पड़ेगा। मेरा दस करोड़ का डील इंतज़ार कर रहा है और मैं यहाँ... जेलिफ़िश बन गया हूँ।"
    ​अनिका ने उसे एक बड़ा, फूला हुआ तौलिया दिया। वह गुस्सा नहीं कर पाया, बस तौलिया लेते हुए लाचार होकर हँस पड़ा।
    ​अनिका: (मस्ती से) "बॉस, आज तो आपका ड्रेस कोड बदल गया। आप चिंता मत कीजिए, मैं आपको पाँच मिनट में दूसरा टी-शर्ट दूँगी।"

    ​🧺 कपड़ों की अदला-बदली (The Clothes Swap)
    ​कपड़े पहनाना: थोड़ी देर बाद, अनिका उन्हें सुलाने से पहले कपड़े पहना रही थी। दोनों जुड़वाँ, जिन्होंने अब अपनी ऊर्जा फिर से पा ली थी, बिस्तर पर मस्ती में रेंग रहे थे।
    ​अनिका ने पहले पिहू को नीली नैप्पी और परी को गुलाबी नैप्पी पहनाई थी—यह उनकी पहचान के लिए उसका गुप्त कोड था।
    ​अनिका पल भर के लिए मुड़ी—शायद नैप्पी का पैकेट लेने या हर्ष को शांत करने। यह पल भर का समय जुड़वाँ के लिए एक सदी जैसा था।

    ​जुड़वाँ की शरारत: जैसे ही अनिका की पीठ मुड़ी, दोनों बच्चियों ने एक-दूसरे को देखा (जैसे उन्होंने फिर से गुप्त कोड का आदान-प्रदान किया हो)। वे रेंगते हुए एक-दूसरे के पास गईं और ज़ल्दी से अपने-अपने नैप्पी बदल लिए! नीली नैप्पी वाली अब गुलाबी नैप्पी में थी, और गुलाबी वाली नीली में। यह शातिर चाल इतनी तेज़ी से हुई कि अगर कोई कैमरा होता तो वह भी चूक जाता।

    ​गड़बड़ी: अनिका वापस मुड़ी और बिना देखे उन्हें फटाफट फ्रॉक पहना दिए, यह मानते हुए कि वे उसी क्रम में लेटी हैं जैसे उसने उन्हें छोड़ा था।
    ​निशांत का प्रवेश: निशांत अब पूरी तरह से तैयार था—एक दमदार, काला सूट, बिल्कुल माफिया बॉस के जैसा। वह जाने से पहले बच्चों को गुडबाय कहने और अनिका को Kiss करने आया था।

    ​ पहचान की चुनौती: निशांत बच्चों को देखकर मुस्कुराया। वे दोनों एक जैसे दिख रहे थे, बिल्कुल कार्बन कॉपी। निशांत को याद आया कि आज सुबह अनिका ने कहा था कि परी को बुखार की दवा देनी है।

    ​निशांत: (परेशान होकर अनिका से, उसकी आवाज़ में बॉस वाली दृढ़ता गायब थी) "अनिका, रुको। इनमें से परी कौन है और पिहू कौन? मुझे याद है परी को आज सुबह बुखार की दवा देनी थी।"
    ​अनिका ने बच्चों की ओर देखा। वे दोनों निर्दोषता का नाटक करते हुए लेटी थीं।

    ​अनिका: (ज़ोर से हँसते हुए, पेट पकड़कर) "निशांत जी, मुझे भी अब देखना पड़ेगा! मुझे लगा कि मैंने उन्हें पहचान लिया था... लेकिन अब जब आप पूछ रहे हैं... मुझे कुछ गड़बड़ लग रही है।"
    ​निशांत ने सिर खुजलाया।
    ​निशांत: (हैरानी से) "तुम मज़ाक कर रही हो? मैं दुनिया के सबसे मुश्किल जासूसों को पहचान सकता हूँ, उनके भेस को समझ सकता हूँ... लेकिन मैं अपनी बेटी को नहीं पहचान सकता? क्या यह परी है? या वह?"

    ​पिता का संघर्ष: निशांत, जिसने दुनिया के सबसे जटिल सौदे सुलझाए थे, करोड़ों के वित्तीय जाल से निपटा था, जुड़वाँ बच्चों को पहचानने में बुरी तरह असफल रहा! यह दृश्य उनके रिश्ते में हास्य घोलता है। अनिका को एहसास हुआ कि वह निशांत के लिए केवल पत्नी नहीं, बल्कि बच्चों की पहचानकर्ता भी है।
    ​अनिका: (प्यार से निशांत का हाथ पकड़कर) "कोई बात नहीं, मेरे बॉस। हम दोनों को एक ही दवा दे देंगे। और अगली बार, हम उन्हें निशान लगा देंगे! आप चिंता मत कीजिए, मैं संभाल लूँगी।"

    ​💖 प्यार और योजना (Love and Planning)
    ​ऑफिस की तैयारी: निशांत ने मुस्कुराते हुए अपनी हार मान ली। वह बच्चों के सिर पर धीरे से हाथ फेरता है—एक अजीब-सा प्यार जो उसकी गंभीर प्रकृति के विपरीत था।
    ​वह फिर अनिका के पास गया और जाने से पहले उसे गले लगा लिया।

    ​मासूमियत और ताकत: बच्चों की मस्ती ने उसके गुस्से और विक्रांत के खतरे से उपजे तनाव को काफी हद तक शांत कर दिया था।

    ​निशांत: (अनिका को गले लगाकर, अपनी आवाज़ को धीमा करते हुए) "तुम सच में मेरी ज़िंदगी की सबसे अच्छी चीज़ हो, अनिका। यह घर, यह पागलपन, यह शांति... सब तुम्हारी वजह से है। उस विक्रांत की हिम्मत नहीं कि वह तुमसे यह सब छीन सके।"
    ​उसने अनिका की आँखों में देखा। उसकी आँखें प्रतिज्ञा से भरी थीं।
    ​अगली कार्रवाई: निशांत अनिका को बताता है कि वह आज विक्रांत के ठिकानों पर दबाव बनाने की योजना बनाएगा।
    ​निशांत: "आज मैं विक्रांत को मज़ा चखाऊँगा। उसके कुछ फंड्स पर हमला करने का प्लान है। लेकिन तुम चिंता मत करो। मैं खुद को बच्चों की खातिर खतरे में नहीं डालूँगा। मेरा काम स्मार्ट तरीके से होगा, शोर मचाकर नहीं।"

    ​निशांत: "तुम बस यहाँ रहो, मेरी पत्नी बनकर, मेरी बच्चों की माँ बनकर। यह तुम्हारी सबसे बड़ी ड्यूटी है। बाहरी दुनिया का ख़तरा और गंदगी मैं देख लूँगा।"
    ​अनिका का समर्थन: अनिका, उसके सूट के जैकेट को ठीक करते हुए, उसे माथे पर प्यार भरा Kiss करती है।

    ​अनिका: "मेरा भरोसा आप पर है। आप दुनिया के सबसे Smart बॉस हैं। जाइए और अपना काम कीजिए। और हाँ... बच्चों को पहचानने के लिए कोई नया तरीक़ा ढूँढ कर आइएगा!"
    ​निशांत मुस्कुराता है, अपने सिर को हिलाता है, और वहाँ से चला जाता है—बाहर की दुनिया के माफिया बॉस के रूप में, लेकिन घर के अंदर के असहाय, प्यार करने वाले पिता की याद के साथ।

    ​यह एपिसोड कहानी के तनाव को संतुलित करता है और दिखाता है कि कैसे ये तीन बच्चे (हर्ष और जुड़वाँ) निशांत और अनिका के जटिल रिश्ते को सबसे सरल और सबसे मज़बूत आधार दे रहे हैं।
    क्रमशः
    age kya hoga ?
    do comment
    do follow
    do ratings
    thank you 😊

  • 18. MAFIA KI ZID 🔥❤️‍🔥 - Chapter 18

    Words: 1166

    Estimated Reading Time: 7 min

    एपिसोड 18: रोमांस में बाधा और बच्चों की प्राथमिकता (Interrupted Romance and Priority of Babies)

    ​ निशांत की तैयारी (Nishant’s Preparation)
    ​माहौल: देर रात, घड़ी में ग्यारह बज रहे थे। निशांत अपने आलीशान होम ऑफिस से लौटा। उसका काला सूट थोड़ा सिकुड़ा हुआ था, और उसके चेहरे पर दिन भर की दिमागी कसरत की थकान साफ दिख रही थी। हालाँकि, उसकी आँखों में एक संकल्प चमक रहा था—विक्रांत को अब एक किराये का दुश्मन नहीं, बल्कि एक व्यक्तिगत अपमान माना जा रहा था।
    ​वह चुपचाप बेडरूम में आया। अनिका, जो बिस्तर पर लेटी जुड़वाँ को थपथपा रही थी, नोटिस करती है कि निशांत को सिर्फ़ चाय की नहीं, बल्कि भावनात्मक इंधन की सख़्त ज़रूरत है।

    ​अनिका चुपचाप उठी, रसोई में गई और निशांत के लिए उसकी पसंदीदा कड़क, अदरक वाली चाय बनाकर लाई।
    ​अनिका: (धीमे से, चाय का कप आगे बढ़ाते हुए) "आ गए? मैंने सोचा, आप आज रात यहीं सो जाएँगे।"

    ​निशांत: (चाय का कप थामते हुए, राहत की साँस लेता है) "काम ख़त्म हो गया, शुक्र है। प्लान फ़ाइनल है, अनिका। कल से... खेल शुरू। विक्रांत ने मेरे घर पर नज़र डालने की जुर्रत की है, अब उसे क़ीमत चुकानी पड़ेगी।"
    ​वह चाय पीता है, और उसकी आँखें अँधेरे ख़तरे से चमकने लगती हैं।
    ​निशांत: "योजना तैयार है। कल से विक्रांत के हर ठिकाने पर एक के बाद एक हमला होगा। अब वह सिर्फ़ सिंडिकेट की चिंता नहीं है, यह निजी है—उसने तुम्हें और मेरे परिवार को छूने की कोशिश की है।"

    ​अनिका: (प्यार से उसके कंधे पर हाथ रखती है) "मुझे आप पर पूरा भरोसा है, निशांत जी। आप जीनियस हैं। पर एक वादा कीजिए—अपनी जान ख़तरे में मत डालिएगा। मुझे और इन तीनों बच्चों को आपकी ज़रूरत है। हम सिर्फ़ आपकी सेफ़्टी चाहते हैं, आपकी माफ़ियागिरी नहीं।"

    ​अनिका का यह सीधा, सच्चा प्यार और चिंता निशांत को छू जाती है। वह अपने अधिकार-क्षेत्र और पावर की दुनिया से बाहर निकलकर, एक सामान्य पति जैसा महसूस करता है।
    ​निशांत धीरे से अनिका का हाथ थामता है।

    ​निशांत: "तुम्हारी चिंता ही मेरी सबसे बड़ी सेफ़्टी है, अनिका।"
    ​वह उसे प्यार से अपने पास खींचता है। यह सिर्फ़ एक आलिंगन नहीं था—यह निशांत की असुरक्षा को शांत करने का एक तरीक़ा था।

    ​🔥 तीव्र लेकिन बाधित क्षण (Intense but Interrupted Moment)
    ​रोमांस की शुरुआत: निशांत अपनी थकान और खतरे को भुलाकर, अनिका के प्यार की गरमी महसूस करना चाहता था।
    ​वह अनिका के माथे पर एक कोमल चुंबन करता है। फिर वह उसकी गहरी आँखों में देखता है—उसकी सादी साड़ी और उसकी हरी चूड़ियों की सादगी उसे आज अभूतपूर्व रूप से आकर्षित कर रही थी। वह अपनी पिछली रात की असुरक्षा को इस रात प्यार से खत्म करना चाहता था।
    ​नज़दीकी: निशांत एक पल के लिए रुकता है, फिर मुस्कुराता है। वह अनिका को उठाता है, और धीरे से उसे बिस्तर पर लेटा देता है। उनके चेहरे अब बहुत करीब थे।
    ​कमरे में तीव्र रोमांटिक तनाव था—वे एक-दूसरे की साँसों की गरमी महसूस कर सकते थे। निशांत का हाथ अनिका के गालों पर गया। वह जानता था कि यह पल बहुत ज़रूरी था—अपने रिश्ते को नया नाम देने के लिए।

    जैसे ही उनका रोमांस गहराने लगता है, और निशांत उसके होंठों की ओर झुकता है...
    ​DHHHHUUUUMMPPP!
    ​जुड़वाँ बच्चों में से एक ('परी'), जो अनिका के दूसरी ओर लेटी थी, अचानक से एक ज़ोरदार, गूँजने वाली डकार (Loud Burp) लेती है! आवाज़ इतनी तेज़ थी कि पूरे घर की शांति भंग हो गई।

    ​निशांत और अनिका चौंककर अलग हुए, जैसे किसी ने उनके बीच पटाखा फोड़ दिया हो!
    ​अनिका ने पहले तो अपनी हँसी रोकने की कोशिश की, लेकिन फिर वह ज़ोर-ज़ोर से खिलखिलाने लगी।

    ​निशांत: (आँखों में निराशा, माथे पर शिकन) "यह... यह क्या था? क्या यह कोई सिग्नल था? मुझे लगता है यह जानबूझकर था। यह बच्ची... यह मेरे ख़िलाफ़ साज़िश कर रही है।"

    ​अनिका: (हँसते हुए, आँसू पोंछती हुई) "अरे नहीं निशांत जी! बेचारी को गैस बन गई होगी! आप क्या सोच रहे थे? माफ़िया बॉस के लिए भी पेट का नियम नहीं बदलता!"
    ​निशांत हँस पड़ा, पर उसकी हँसी में झुंझलाहट थी l

    ​🧸 निशांत की नाखुशी (Nishant’s Displeasure)
    ​फिर से प्रयास: अनिका ने जल्दी से परी को थपथपाया और उसे देखा। वह अब शांति से सो रही थी।
    ​अनिका, मुस्कुराते हुए, निशांत के पास लौटी।
    ​अनिका: "ठीक है, ऑल क्लियर। अब कोई धमाका नहीं होगा। कहाँ थे हम...?"
    ​वे फिर से उस रोमांटिक नज़दीकी को पाने की कोशिश करते हैं। निशांत ने अनिका को अपनी बाहों में भरा और माहौल फिर से गर्म होने लगा।

    ​अचानक इस बार, बम कहीं और से गिरा!
    ​हर्ष (बड़ा बच्चा), जो बगल के पालने में सो रहा था, अचानक अजीब सी आवाज़ निकालने लगता है—वह नींद में बड़बड़ा रहा है!
    ​हर्ष (नींद में): (तेज़ आवाज़ में, रोने जैसी) "मिकू... मम्मा... मिकू पीना है... ज़ल्दी..."

    ​निशांत: (अवाक, निराशा से कराहता हुआ, अपने सिर को बिस्तर में दबाता है) "हे भगवान! यह क्या चल रहा है? क्या यह घर कभी शांति से सोएगा? या... क्या हम कभी पति-पत्नी की तरह रह पाएँगे? मुझे लगता है इन बच्चों ने हमें माता-पिता की उपाधि दे दी है और पति-पत्नी की छुट्टी कर दी है।"


    बच्चों की प्राथमिकता: अनिका, निशांत के गुस्से को शांत करती है। वह उठकर हर्ष के पास जाती है।
    ​अनिका: (हँसते हुए, निशांत की ओर प्यार से देखकर) "निशांत जी, अब आप माफ़िया बॉस नहीं हैं। आप एक पिता हैं। ये बच्चे अब हमारा प्यार हैं। और इनकी ज़रूरत हमेशा हमारी रोमांटिक रातों से पहले आएगी। यह नया रूल है!"

    ​अनिका, हर्ष को चुप कराने के लिए, उसके गालों को प्यार से सहलाती है और उसे पानी पिलाती है। वह जुड़वाँ को भी जाँचती है।
    ​निशांत चुपचाप, लाचार, पराजित पति की तरह, तकिए पर सिर रखकर यह सब देखता है। उसने आज महसूस किया कि बच्चों को संभालना विक्रांत के सिंडिकेट को संभालने से भी ज़्यादा चुनौतीपूर्ण है!

    ​😴 साझा थकान और प्यार (Shared Tiredness and Love)
    ​अंतिम पल: दस मिनट की मेहनत के बाद, बच्चे आखिरकार शांत होते हैं। कमरे में गहरी शांति छा जाती है।
    ​निशांत का आत्म-स्वीकृति: निशांत बिस्तर पर अनिका के पास लौटता है। वह थका हुआ है, लेकिन अब शांत है। उसके चेहरे पर अब गुस्सा नहीं, बल्कि एक सच्ची, प्यार भरी मुस्कान थी।

    ​निशांत: (हल्की मुस्कान के साथ, अनिका की ओर करवट लेकर) "ठीक है। मान गया। आज रात कामार्थ सिंडिकेट के बॉस को तीन छोटे सहयोगियों ने पूरी तरह से हरा दिया। उन्होंने आज रात का रोमांस वाला बजट ख़त्म कर दिया।"

    ​निशांत, अनिका को गले लगाता है, लेकिन इस बार सुरक्षा और शांति के लिए, वासना के लिए नहीं।
    ​निशांत: "तुम मेरी ताकत हो, अनिका। मेरा घर हो। अब सो जाओ। कल मुझे उस विक्रांत को सबक सिखाना है।"

    ​अनिका, निशांत के मजबूत सीने से लगी हुई, उसकी सादी साड़ी और हरी चूड़ियों के साथ, शांति से सो जाती है। वह जानती है कि बच्चों के कारण उनका प्यार भले ही अजीब और बाधित हो, लेकिन यह सच्चा और अटूट है—ठीक उसी तरह, जैसे रात को डकार आना और नींद में बड़बड़ाना। यह परिवार अब पूरा था।
    क्रमशः
    Do comment
    do follow
    do ratings
    Thank you 😊

  • 19. MAFIA KI ZID 🔥❤️‍🔥 - Chapter 19

    Words: 1143

    Estimated Reading Time: 7 min

    ​🔥 एपिसोड 19: सनक की दुनिया और निशांत का पहला वार (World of Obsession and Nishant’s First Strike)

    ​🖼️ विक्रांत की सनकी दुनिया (Vikrant’s Obsessive World)
    ​माहौल: रात के दो बजे थे। विक्रांत सहगल का भूमिगत, निजी कमरा—एक ऐसी जगह जो अँधेरे और खतरनाक ख़्वाबों से भरी थी। कमरे में सेंट्रल एयर कंडीशनिंग की हल्की-सी आवाज़ थी, लेकिन दीवारों पर लगी चीज़ें दिमाग़ को जला रही थीं।
    ​कमरा अति-आधुनिक था, लेकिन अजीबोगरीब ढंग से सजाया गया था: चारों दीवारें सिर्फ़ अनिका की तस्वीरों से भरी थीं। शादी से पहले की, बेबी पिंक लहंगे वाली, और सबसे डरावनी—कुछ गुप्त रूप से खींची गई तस्वीरें जहाँ वह घर के अंदर बच्चों को संभाल रही थी। साफ था—वह उन पर हर पल नज़र रखे हुए था।

    ​विक्रांत (38), एक बेज (Beige) रंग के महंगे सूट में, कमरे के बीच में खड़ा था। उसके हाथ में शराब का ग्लास था, लेकिन उसकी नज़रें एक बड़ी, फ़्रेम वाली तस्वीर पर टिकी थीं, जिसमें अनिका मुस्कुरा रही थी। उसकी आँखें सनक (Obsession) से भरी थीं।

    ​ विलेन का मोनोलॉग : विक्रांत तस्वीर को देखता रहा। उसकी आवाज़ धीमी थी, लेकिन उसमें ज़हर घुला हुआ था।

    ​विक्रांत : "तुम मेरी हो, अनिका। हमेशा से। उस निशांत को क्या लगता है? वह इन हरी चूड़ियों और उस दो कौड़ी के सिंदूर से मेरा हक़ छीन लेगा? हा! वह मूर्ख है। इन तीन बोझों (बच्चों) के साथ तुम्हें बाँधकर, उसने तुम्हारी जवानी को बर्बाद कर दिया। तुम एक रानी बनने के लिए बनी हो, मेरी रानी... और तुम एक नैप्पी बदलने वाली दाई बन गई हो!"

    ​उसके होंठों पर एक क्रूर, सनकी मुस्कान फैल गई।
    ​अधिकार: वह धीरे-धीरे आगे बढ़ा और उस बड़ी तस्वीर में अनिका के होंठों को छुआ।

    ​विक्रांत: "यह सब जल्द ही ख़त्म होने वाला है, मेरी जान। तुम्हारी जगह मेरे महल में है। और उस मूर्ख निशांत को मैं जल्द ही दिखाऊँगा कि तुम्हारी क़ीमत क्या है। उसका गुरूर टूटेगा, जब तुम खुद मेरे पास आओगी, भीख माँगते हुए... कि मुझे इस गंदगी से बचाओ।"
    ​वह ग्लास नीचे रखता है। निशांत के व्यापार को तबाह करना सिर्फ़ एक बहाना था—उसका असली मक़सद था अनिका को यह दिखाना कि निशांत उसे सुरक्षित नहीं रख सकता!


    ​💣 निशांत का पहला वार (Nishant’s First Strike)
    ​माहौल: उसी समय, शहर के दूसरी ओर, निशांत का अंधेरा और क्रूर ऑफिस। निशांत अपनी कुर्सी पर बैठा था, लेकिन उसकी ऊर्जा आग जैसी थी। वह अब सिर्फ़ माफ़िया बॉस नहीं था—वह एक संरक्षक था जिसका इलाक़ा खतरे में था।
    ​प्रेरणा: निशांत के सामने मेज पर, उसकी सोने की सिगरेट नहीं थी, बल्कि अनिका का मंगलसूत्र रखा था—जो वह आज सुबह जल्दी में उतारना भूल गई थी। वह मंगलसूत्र उसकी बदले की आग को और हवा दे रहा था।

    ​निशांत: (उसकी आवाज़ बर्फ़ जैसी ठंडी, लेकिन हर शब्द में गहराई थी) "अब विक्रांत को पता चलेगा कि उसने किससे पंगा लिया है। यह सिर्फ़ पैसा नहीं है, यह इज्ज़त है। मेरा परिवार, मेरी सुरक्षा की दीवार, सब पर उसने नज़र डाली है।"

    ​कार्रवाई: उसने अपने सबसे भरोसेमंद आदमी, जस्सा, को आदेश दिया।
    ​निशांत: "आज रात, विक्रांत के चारों बड़े गोदाम और सभी शिपमेंट (जो उसने दुबई के लिए रखे थे) तबाह होने चाहिए। एक भी ट्रक निकलना नहीं चाहिए। उसे लगना चाहिए कि यह सिंडिकेट की दुश्मनी है, कोई पर्सनल पंगा नहीं। लेकिन चोट इतनी गहरी पड़नी चाहिए कि वह दो दिन तक सो न पाए।"
    ​निशांत: "उसे पता चलना चाहिए कि उसने गलत औरत को देखा है। उसने कामार्थ सिंडिकेट के सबसे ज़रूरी हिस्से पर हाथ डाला है। मैं उसे दिखाऊँगा कि मेरे पास सिर्फ़ पैसा नहीं है, मेरे पास आग है।"

    ​जुनून: निशांत कुर्सी से उठा और खिड़की के पास गया। उसके अंदर की आग ऐसी थी, जैसे वह खुद विक्रांत को जला देना चाहता हो।

    ​🛡️ अनिका का भावनात्मक सुरक्षा घेरा (Anika’s Emotional Protection)
    ​घर पर: अनिका बच्चों के पालने के बगल में सो रही थी। रात का सन्नाटा डरावना था। वह जानती थी कि निशांत बाहर गया है, और वह लड़ाई शुरू हो चुकी है। उसे डर लगता था, लेकिन वह शांत रहने की कोशिश करती थी।
    ​बच्चों की नज़दीकी: अनिका, हर्ष और जुड़वाँ बच्चों को अपने करीब महसूस करती है। हर्ष का छोटा हाथ उसके गाल को छू रहा था।
    ​अनिका (मन में): 'डर क्यों लग रहा है, अनिका? अब तुम अकेली नहीं हो। निशांत जी अकेले नहीं हैं।'

    ​अनिका ने अपने मंगलसूत्र को कसकर पकड़ा। मंगलसूत्र नहीं था, पर वह अपने हाथों में उसकी गर्मी महसूस कर सकती थी—यह वह धागा था जो उन्हें जोड़ता था।
    ​अनिका: 'यह डर सिर्फ़ मेरा नहीं है। यह निशांत जी का भी है। मेरा प्यार उन्हें सही-सलामत वापस लाएगा। वह सिर्फ़ एक माफिया नहीं है—वह मेरा संरक्षक है। विक्रांत सिर्फ़ पागल है, और निशांत जी... वह पावर हैं।'
    ​वह आँखें बंद करके अपनी साँसों को धीमा करती है, और खुद को विश्वास दिलाती है कि घर की दीवारें उनके लिए एक मज़बूत घेरा हैं।

    ​💥 सुबह की खबर और नया ख़तरा (The Morning News and New Threat)
    ​सवेरा: सुबह के पाँच बज रहे थे, जब निशांत थका हुआ, लेकिन विजयी मुस्कान के साथ घर लौटता है। उसने सीधे बेडरूम में जाकर अनिका को देखा। उसकी सादी साड़ी और सिंदूर की चमक उसके लिए दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज़ थी।

    ​प्यार भरा मिलन: निशांत धीरे से अनिका के पास बैठता है और उसके माथे पर कोमल चुंबन करता है—एक ऐसा Kiss जिसमें जीत और राहत का एहसास था।
    ​विजय: अनिका जागती है। वह तुरंत निशांत को देखती है, और जान जाती है कि वह सुरक्षित है।

    ​अनिका: (धीमे से) "आ गए आप।"
    ​निशांत: (मुस्कुराता है, आँखों में चमक) "काम हो गया, अनिका। नुकसान भारी है। विक्रांत को आज सुबह एक बड़ा झटका लगा होगा। यह सिर्फ़ शुरुआत है। मैंने उसे दिखाया है कि इस परिवार पर नज़र डालने की क़ीमत क्या होती है।"

    ​विक्रांत की प्रतिक्रिया: तभी, निशांत का ख़ास, सिक्योर फ़ोन बजता है। यह विक्रांत का मैसेज था।
    ​निशांत मैसेज खोलता है। वह हँसता है, पर उसकी हँसी में क्रोध था।
    ​विक्रांत का मैसेज:
    "बढ़िया खेल, निशांत। गोदाम? क्या यही है तुम्हारी सारी ताकत? तुमने मुझे खुश कर दिया। अब सुनो: तुमने उसे मेरे पास लाने में मदद की है। तुम्हारी Car आज रात जल गई होगी, पर चिंता मत करो। यह सिर्फ़ एक छोटी-सी चेतावनी है। तुम्हारी रानी को अकेला छोड़ दो।"


    निशांत को एहसास होता है कि विक्रांत सिर्फ़ व्यापार का दुश्मन नहीं है। वह पागल है और वह जल्द ही व्यक्तिगत हमला करेगा। अब यह एक-दूसरे के व्यापार को नुकसान पहुँचाने की लड़ाई नहीं है—यह सीधे अनिका को हासिल करने की सनक है।
    ​निशांत ने फ़ोन बंद किया। उसकी आँखों में अब आग थी।

    ​निशांत: (अपनी मुट्ठी कसकर) "पागल! उसे लगता है कि वह मुझे डरा सकता है? अब मैं उसे दिखाऊँगा कि असल लड़ाई क्या होती है।"
    ​निशांत अनिका को कसकर गले लगाता है। वह अब जानता था कि अगला वार बहुत करीब और व्यक्तिगत होगा।

    क्रमशः
    Thank you 😊
    keep reading it 💖🕊🌼
    do comment, follow, ratings 😇🥰🤗

  • 20. MAFIA KI ZID 🔥❤️‍🔥 - Chapter 20

    Words: 1066

    Estimated Reading Time: 7 min

    ​🔥 एपिसोड 20: सुरक्षा घेरा का टूटना (The Breach of Security)

    ​🛡️ अति-सुरक्षा और अकेलापन (Hyper-Security and Isolation)
    ​माहौल: कामार्थ हवेली अब किसी घर से ज़्यादा अभेद्य किले जैसा लग रही थी। विक्रांत के पिछले हमलों के बाद, निशांत ने सुरक्षा को सात गुना बढ़ा दिया था। हर कोने पर नए, अत्यधिक प्रशिक्षित गार्ड तैनात थे—चेहरे पर मास्क और कान में कम्युनिकेशन ईयरपीस।

    ​निशांत की व्यवस्था: अंदरूनी दीवारों पर नए बायोमेट्रिक लॉक लगे थे, और बच्चों के कमरे के बाहर दो स्थायी, सशस्त्र बॉडीगार्ड तैनात थे। निशांत ने हवेली को एक हाई-टेक जेल में बदल दिया था—सब अनिका की सुरक्षा के लिए।

    ​अनिका का भाव: अनिका, अपनी सादी साड़ी और हरी चूड़ियों में, इस कड़े सुरक्षा घेरे के बीच, अकेलापन महसूस कर रही थी। वह एक बार फिर सोने के पिंजरे में थी, जहाँ हर खिड़की पर सलाखें महसूस हो रही थीं। वह घर के अंदर घूमती थी, लेकिन बाहर की दुनिया से पूरी तरह से कटी हुई थी।
    ​अनिका (मन में): 'यह कैसी ज़िंदगी है? मैं सुरक्षित हूँ, पर मैं ज़िंदा महसूस नहीं कर रही। निशांत जी के आसपास इतने लोग हैं, पर मुझे उनकी याद आ रही है।'

    ​ निशांत ने ख़ुद को पूरी तरह से विक्रांत के हमलों को रोकने में झोंक दिया था। वह चौबीसों घंटे अपने फ़ोन पर था, कमांड दे रहा था, उसकी आँखें नींद के लिए तरस रही थीं। उसे अनिका को पर्याप्त समय देने का मौका नहीं मिल रहा था।
    ​अनिका: 'वह मुझे प्यार करते हैं, मैं जानती हूँ। लेकिन अब मैं उनकी कमजोरी बन गई हूँ। वह अब पति कम, और संरक्षक ज़्यादा बन गए हैं।'

    ​🎯 विक्रांत की सनकी चाल (Vikrant’s Obsessive Move)
    ​योजना: विक्रांत को पता था कि वह सीधे गोलीबारी में निशांत की ताक़त को नहीं तोड़ सकता। निशांत की कमजोरी उसका परिवार था। विक्रांत की चाल थी निशांत को भावनात्मक रूप से तोड़ना और अनिका को असुरक्षित महसूस कराना।

    ​गुप्त हमला: ठीक शाम 7 बजे, जब हवेली में गार्ड अपनी पोजीशन बदल रहे थे, विक्रांत के जासूसों ने हवेली से कुछ दूरी पर स्थित मुख्य बिजली और कम्युनिकेशन लाइन्स को काट दिया।

    ​ब्लैकआउट: हवेली में एक दमदार झटका लगा, और सारी बिजली गुल हो गई। सुरक्षा कैमरे बंद हो गए, और अलार्म सिस्टम साइलेंट हो गया—सिर्फ़ कुछ मिनटों के लिए, लेकिन यह विक्रांत के लिए काफ़ी था।

    ​उसी क्षण, एक गुमनाम कूरियर हवेली के गेट पर पहुँचा। वह एक फ़र्ज़ी आईडी दिखाता है और कहता है कि यह एक अति-आवश्यक, अंतर्राष्ट्रीय डिलीवरी है, जिसे तुरंत अनिका तक पहुँचाना है।

    ​📦 अनिका का डर और पार्सल (Anika’s Fear and The Parcel)
    ​ अनिका बच्चों को सुला रही थी। हर्ष और जुड़वाँ, अँधेरे में हल्का-हल्का रोने लगे। हवेली में अंधेरा और एक अजीब, भयानक शांति छा गई।
    ​अनिका: (हर्ष को शांत करते हुए) "शांत, बेटा। बस फ़्यूज़ उड़ गया होगा। मैं अभी देखती हूँ।"
    ​डिलीवरी: एक नया, कम अनुभवी गार्ड, जिसे पता नहीं चला कि कम्युनिकेशन सिस्टम अभी भी ऑफ़लाइन है, अंदर आता है। वह अनिका को एक गुलाबों से भरा, महंगा, लंबा बॉक्स देता है।

    ​गार्ड: "मैडम, आपके नाम का है। बहुत इंपॉर्टेंट लग रहा था। लिखा है, 'अनिका की जवानी के लिए'।"
    ​अनिका का दिल धक से रह गया। यह निशांत नहीं था। यह विक्रांत था। केवल वही उसकी जवानी की बात कर सकता था।

    ​पार्सल का खुलना: अनिका के हाथ काँप रहे थे। उसका डर अब वास्तविकता में बदल चुका था। उसने डरे हुए बॉक्स खोला।
    ​अंदर गुलाबों की तेज़ खुशबू थी—एक विलासिता जो विक्रांत की याद दिलाती थी। उसने गुलाबों को हटाया।
    ​गुलाबों के नीचे, अनिका की बेबी पिंक लहंगे वाली तस्वीर रखी थी (वही जिसे विक्रांत ने अपने निजी कमरे में देखा था)। वह तस्वीर अब विकृत लग रही थी।
    ​और सबसे भयानक... तस्वीर के ऊपर गाढ़े, लाल रंग से (जो खून जैसा दिखता था) लिखा था:
    ​"आज या कल, तुम मेरी हो।"
    ​और उसके ठीक बगल में, एक सोने का महीन धागा रखा था—शायद उसके मंगलसूत्र का प्रतिकृति, या सिर्फ़ एक डरावनी चेतावनी। यह दर्शाता था कि वह कितना करीब आ गया था।
    ​अनिका ने एक तेज़ चीख़ दबाई। उसका सारा संयम टूट गया। वह तुरंत बच्चों को अपने सीने से लगा लेती है।

    ​🏃निशांत का गुस्सा और टूटता संयम (Nishant’s Rage and Broken Patience)
    ​निशांत को खबर: निशांत को तभी मुख्य मुख्यालय से खबर मिली कि हवेली में बिजली कट गई थी और कुछ समय के लिए कम्युनिकेशन टूट गया था।
    ​निशांत: (दहाड़ते हुए) "इसका मतलब क्या है? इसका मतलब है कि वह अंदर आया! फ़ौरन!"
    ​निशांत अपनी गाड़ी में पागलों की तरह घर की ओर भागता है।
    ​अनिका का फ़ोन: बिजली वापस आती है। अनिका, काँपते हाथों से, निशांत को कॉल करती है।

    ​अनिका: (रोते हुए, आवाज़ टूट रही थी) "निशांत जी... वह यहाँ था! मुझे पता है! उसने कुछ... कुछ भेजा है! जल्दी आओ, मुझे डर लग रहा है!"

    ​❤️‍🔥💥 निशांत का विस्फोट (Rage Explosion): निशांत घर पहुँचता है। वह दौड़ता हुआ बेडरूम में आता है। अनिका उसे वह खूनी मैसेज और तस्वीर वाला बॉक्स दिखाती है।
    ​निशांत ने उस सनकी कलाकृति को देखा, उसने अनिका के डर को देखा, और उसके अंदर की आग अब ज्वालामुखी बन गई।

    ​निशांत: (एक दहाड़ जो पूरे घर में गूँज गई) "बस! अब बहुत हो गया! अब कोई नियम नहीं! विक्रांत! मैं तुम्हें ज़िंदा दफ़न कर दूँगा! मेरी सुरक्षा में घुसने की तेरी हिम्मत कैसे हुई!"
    ​उसका सारा संयम खत्म हो गया था। वह अपनी हवेली को सुरक्षित नहीं रख पाया था।

    ​ निशांत तुरंत अपने निजी कमांड सेंटर में जाता है। उसका चेहरा अब पत्थर जैसा था।
    ​निशांत: (आदमियों को आदेश देता है, उसकी आवाज़ में ख़ून की प्यास थी) "अब कोई बिजनेस डील नहीं। कोई कोड ऑफ़ कंडक्ट नहीं। मुझे विक्रांत सहगल चाहिए। ज़िंदा या मुर्दा! आज रात! पूरी दिल्ली जला दो, लेकिन वह मुझे चाहिए!"

    ​निशांत, गुस्से और बदले की आग में, अनिका के पास लौटता है। वह अनिका को एक अंतिम, तीव्र Kiss करता है—एक ऐसा Kiss जो प्यार, सुरक्षा, और आगामी ख़तरे का मिश्रण था।
    ​निशांत: (प्यार से, पर उसकी आँखें आग उगल रही थीं) "मैं जा रहा हूँ। तुम सुरक्षित हो। मैं उसे आज ख़त्म कर दूँगा। वादा है।"

    ​निशांत, अपनी रक्षक की भूमिका में, अपनी पत्नी की सुरक्षा के लिए माफ़िया युद्ध शुरू करने को तैयार था। वह अनिका को अकेला छोड़कर बदले के लिए निकल पड़ता है। अनिका अपने मंगलसूत्र को कसकर पकड़ती है, जानती है कि अब उनका सबसे ख़तरनाक समय शुरू हो गया है।
    क्रमशः
    Thank you 😊
    keep reading my novel MAFIA KI ZID
    Do comment, follow, ratings