PATI BRAHMACHARI: 90S KA MILAN रूद्र एक रहस्य है। रूद्र (25) ने अपनी जिंदगी ब्रह्मचर्य के लिए समर्पित कर दी थी। मीरा (20) अपने सपनों और 90s के फ़िल्मी गानों के लिए जीती थी। लेकिन परिवार की इज़्ज़त बचाने के लिए, मीरा की शादी उस रूद्र से हो जात... PATI BRAHMACHARI: 90S KA MILAN रूद्र एक रहस्य है। रूद्र (25) ने अपनी जिंदगी ब्रह्मचर्य के लिए समर्पित कर दी थी। मीरा (20) अपने सपनों और 90s के फ़िल्मी गानों के लिए जीती थी। लेकिन परिवार की इज़्ज़त बचाने के लिए, मीरा की शादी उस रूद्र से हो जाती है जो नज़दीक आने से भी इनकार कर देता है। रूद्र का शांत विरोध और मीरा की ज़बरदस्त ज़िद। क्या मीरा की 'झल्ली' हरक़तें रूद्र के हठ और कठोर दुनिया को तोड़ पाएंगी? या क्या वह हमेशा के लिए एक ऐसे रिश्ते में कैद होकर रह जाएगी जहाँ पति है, पर प्रेम नहीं है? 🤍🌸✨️🦋
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🤩 एपिसोड 1: साधु Vs. झल्ली: ये कैसी शादी! 💔
🙏 रुद्र की 'टाइट' दुनिया: सब कुछ नियम से!
जगह: 1996. बनारस के पास, वृन्दावनम् नाम की एक पुरानी हवेली। भयंकर गर्मी पड़ रही है।
माहौल: एकदम सन्नाटा, पिन ड्रॉप साइलेंस। यहाँ सब कुछ बहुत 'पक्का' और अनुशासित है।
बीच आंगन में, रुद्र शेरगिल (25 साल) बैठा है। उसने एकदम सफ़ेद धोती-कुर्ता पहना हुआ है। वह देखने में बहुत हैंडसम है, पर उसके चेहरे पर ज़रा भी इमोशन नहीं है, जैसे कोई पत्थर की मूर्ति हो। वह धूप में आँखें बंद करके कोई मुश्किल पूजा कर रहा है। वह इतना शांत है कि लगता है उसे दुनिया की कोई फ़िक्र ही नहीं है।
सामने, उसके परदादा, परमपूज्य देवव्रत शेरगिल (85 साल) बैठे हैं। उनकी आँखें रुद्र को घूर रही हैं—गर्व से भी, और टेंशन से भी।
😡 'बाबा' का ऑर्डर
जैसे ही पूजा ख़त्म होती है, रुद्र बिना आवाज़ किए खड़ा हो जाता है।
देवव्रत (गंभीर, भारी आवाज़ में): वाह, रुद्र! बेटा, तेरी तपस्या का कोई मुक़ाबला नहीं। तूने हमारे 'ब्रह्मचर्य व्रत' को एकदम दिल से निभाया है। शाबाश!
रुद्र बस सिर झुकाता है, पर बोलता कुछ नहीं।
देवव्रत: पर एक काम बाकी है, बेटा। और वो काम सिर्फ़ एक गृहस्थ ही कर सकता है। हमारे कुल का नाम, ये ज़मीन-जायदाद... सब तभी आगे बढ़ेंगे जब तू शादी करेगा! नियम नहीं टूट सकता! तुझे गृहस्थ बनना ही पड़ेगा।
रुद्र का चेहरा हल्का सा तना। उसकी आँखों में एक 'नो' वाला, अटल गुस्सा आया। उसके लिए शादी मतलब सिरदर्द, एक 'थोपी हुई' आफत।
रुद्र (बहुत धीरे, जैसे कसम खा रहा हो): मेरी कसम...
देवव्रत (झल्लाकर): कसम-वसम सब ठीक है! पर सबसे बड़ा धर्म है कुल का कर्तव्य। तेरी पर्सनल इच्छाएँ, हमारे 'वृन्दावनम्' के रूल्स से बड़ी नहीं हो सकतीं! तेरी शादी पक्की हो गई है!
रुद्र की मुट्ठी कस गई। उसके लिए तो शादी एक तपस्वी के रास्ते का रोड़ा थी।
देवव्रत (फ़ाइनल ऑर्डर): कलकत्ता जाओ। तैयारी करो। अब कोई 'इफ़-बट' नहीं चलेगा!
रुद्र बिना एक शब्द बोले मुड़ गया। उसके कंधे पर अब 'व्रत' का नहीं, बल्कि 'बीवी' का भारी बोझ था।
💃 मीरा की 'झल्ली' दुनिया: मुझे चाहिए नॉर्मल पति! 🥳
जगह: उसी टाइम, कलकत्ता। एक छोटी सी, पर फुल-टू-लाइव मीडियम क्लास फैमिली का घर।
माहौल: घर में 90s का कोई तेज़ गाना बज रहा है—पूरा धमाल।
मीरा (20 साल), पीले सूट में, फुल एनर्जी के साथ अपने छोटे भाई-बहनों से लड़ रही है। उसके चेहरे पर 90s की 'केयर-फ्री', थोड़ी 'झल्ली' वाली स्माइल है।
मीरा (हँसते हुए, हाथ में फ़िल्मी मैगज़ीन): ओए! सनी! मेरी ये वाली मैगज़ीन को हाथ मत लगाना! ये सिर्फ़ मेरी है!
छोटा भाई (सनी): दीदी! मुझे गोविंदा की फ़िल्म का रिव्यू पढ़ना है! प्लीज़!
मीरा: पहले अपना होमवर्क का 'रिव्यू' ख़त्म करो! वैसे भी, मेरा तो फ्यूचर प्लान रेडी है—इस हफ़्ते 'दिलवाले दुल्हनिया' देखेंगे, फिर गोवा का ट्रिप! मेरी लाइफ़, मेरे रूल्स!
😭 सपने टूटे!
तभी मीरा की मम्मी (50 साल, परेशान) और पापा (55 साल, थके हुए) कमरे में आए और गाना बंद कर दिया।
मम्मी (प्यार से): मीरा... बैठो, बेटा। शादी की बात करनी है...
मीरा ने तुरंत मुँह बिगाड़ लिया।
मीरा (झल्लाकर): मम्मी! मैंने कितनी बार कहा है! मुझे एक 'नॉर्मल' पति चाहिए! जो फ़िल्में देखे, दोस्तों से गॉसिप करे, जिसकी कोई साधारण सी नौकरी हो! मुझे कोई 'पंडित जी', कोई 'महाराजा' या ऐसा कोई 'रूल्स वाला' घर नहीं चाहिए, जहाँ मुझे घूंघट में रहना पड़े! मैं कभी भी किसी 'वृन्दावनम्' टाइप की फैमिली में शादी नहीं करूँगी!
पापा (नज़रें झुकाकर, आवाज़ में लाचारी): बेटी... ये प्रपोज़ल... बहुत बड़ा है। बहुत इज़्ज़तदार, बहुत अमीर... शेरगिल परिवार का।
मीरा (हैरान): कौन से शेरगिल?
पापा (गहरी साँस लेते हुए): 'वृन्दावनम्' वाले शेरगिल। रुद्र शेरगिल। बेटा, ये शादी हमारी इज़्ज़त बचाएगी। और... (वह रुक गए) एक बड़ा कर्ज़ा है, बेटा। ये रिश्ता वो कर्ज़ा उतार देगा।
मीरा के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। उसकी आज़ादी वाली धुन तुरंत बंद हो गई। उसकी आँखों में गुस्सा और सदमा भर गया।
📸 पति नहीं, साधु!
मीरा तुरंत अपनी सहेली के घर भागी और जैसे-तैसे रुद्र के बारे में जानकारी निकाली।
उसे कुछ तस्वीरें मिलीं। तस्वीरों में रुद्र: हमेशा पूजा करते हुए, माथे पर भभूत, धोती-कुर्ता में, एकदम ऋषि मुनि जैसा। नो स्माइल। नो कूलनेस।
मीरा (भयंकर दुख और ग़ुस्से से रोते हुए): ये क्या है? ये मेरा पति नहीं है! ये तो कोई साधु बाबा है! मैंने कहा था! मेरी सबसे बड़ी टेंशन सच हो गई!
😡 शादी की शर्त और विद्रोह की कसम
कुछ दिन बाद, रुद्र के परदादा का एक आदमी मीरा के घर आया।
रुद्र का आदमी (रूखा): देवव्रत जी ने सब साफ़ कर दिया है। शादी सिर्फ़ 'फ़र्ज़' है। रुद्र अपनी 'कसम' नहीं तोड़ेगा। और हाँ... बीवी को उनके घर के सारे कड़े रूल, बिना किसी 'इश्यू' के मानने पड़ेंगे।
मीरा ने अपने माँ-बाप की लाचारी देखी। वह जानती थी कि उसे ये शादी करनी ही पड़ेगी।
मीरा (अंदर ही अंदर, ज़ोरदार कसम): ठीक है! मुझे चाहे ब्रह्मचारी से शादी करनी पड़े, मैं अपनी आज़ादी के लिए लड़ूँगी! ये 'वृन्दावनम्' मेरा 'झल्लीपन' नहीं छीन सकता। मेरा विद्रोह... कल से शुरू!
🌃 सन्नाटा और बेचैनी: शादी से एक रात पहले
🥺 मीरा का कमरा - 'कल सब बदलेगा'
मीरा अपने पुराने कमरे में बैठी है। उसने भारी लहंगा उतार दिया है और सिंपल सलवार-कमीज़ पहनी है। कल उसकी शादी है, और उसके दिल में तूफान मचा है।
मीरा (मन में): हाँ... बस कल की रात... फिर हो गया सब। ये डर-वर, ये टेंशन सब ख़त्म हो जाएगी। मैं अपने सारे सपने पूरे करवाऊंगी। मेरी ज़िंदगी, मेरी अपनी शर्तें... बस सुबह का इंतज़ार है।
(उसे अपने भाई विक्की के साथ बचपन की एक प्यारी याद आती है—आइसक्रीम वाली लड़ाई। विक्की उसे 'झल्ली' बोलता था, पर प्यार से हँसाता था।)
मीरा (मन में): झल्ली... (वह मुस्कुराई, पर तुरंत चेहरा उतर गया)। अब कहाँ रहा वो बचपन? अब मैं बड़ी हो गई हूँ। और बड़े होने का मतलब है, लड़ना पड़ता है। (वह आइने में ख़ुद को देखती है)।
मीरा (ख़ुद से फुसफुसाई): कल सब बदलेगा। बस इंतज़ार करो, रुद्र शेरगिल।
🤫 रुद्र का कमरा - 'आख़िरी मोह'
रुद्र (25) अपने बड़े, शांत कमरे में है। कोई सजावट नहीं। वह अपनी डेस्क पर एक पुरानी डायरी का पन्ना जला रहा है।
रुद्र (मन में, धीमी, सख़्त आवाज़): "बस आख़िरी बार। ये मेरा आख़िरी 'मोह' था। अब परिवार का फ़र्ज़ ख़त्म। कल से... सिर्फ़ धर्म और ड्यूटी।"
(रुद्र डायरी से एक और पन्ना फाड़ता है, जिस पर एक लड़की का धुंधला चित्र है, जिसके बाल खुले हुए हैं। वह उसे भी आग के हवाले कर देता है। उसके चेहरे पर शांति है, पर आँखों में कोई गहरा राज़ और दर्द छुपा है।)
रुद्र के मन में: (मीरा... तुम नहीं जानती, तुम किस बंधन में फँस रही हो। तुम एक तपस्वी की बीवी बनने जा रही हो। मैं तुम्हें दुख नहीं दूँगा। सब कुछ दूँगा... सिवाय उस चीज़ के, जो मैंने भगवान को दे दी है: मेरा दिल।)
रुद्र अपनी रुद्राक्ष की माला कसकर पकड़ लेता है, जैसे वह उसकी आख़िरी ताक़त हो। यह एक बहुत बड़ा सस्पेंस है।
रुद्र (फ़ाइनल थॉट): शादी कल होगी। पर मेरी कसम... वो नहीं टूटेगी।
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क्रमशः
रूद्र (25) ने अपनी जिंदगी ब्रह्मचर्य के लिए समर्पित कर दी थी।
मीरा (20) अपने सपनों और 90s के फ़िल्मी गानों के लिए जीती थी।
लेकिन परिवार की इज़्ज़त बचाने के लिए, मीरा की शादी उस रूद्र से हो जाती है जो नज़दीक आने से भी इनकार कर देता है। रूद्र का शांत विरोध और मीरा की ज़बरदस्त ज़िद।
क्या मीरा की 'झल्ली' हरक़तें रूद्र के हठ और कठोर दुनिया को तोड़ पाएंगी? या क्या वह हमेशा के लिए एक ऐसे रिश्ते में कैद होकर रह जाएगी जहाँ पति है, पर प्रेम नहीं है?
एक तरफ़ कर्तव्य, एक तरफ़ प्यार। इस शादी की डोर कौन संभालेगा?
सवाल यह नहीं है कि कौन जीतेगा। सवाल यह है कि इस युद्ध में, किसका दिल टूटेगा?
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🤩 एपिसोड 2: 'धर्म-संगिनी' vs. 'झल्ली': शादी हुई, पर रोमांस गोल! 💔
🤫 सुहाग रात: जब 'रोमांस' बना 'उपदेश'
जगह: शादी की रात, बहुत देर हो चुकी है।
माहौल: रुद्र की हवेली का कमरा, जो ज़रूरत से ज़्यादा सजा हुआ है—गुलाब, मोमबत्तियाँ, सब कुछ... पर सब बेकार!
मीरा, भारी लहंगे और घूंघट में बैठी, घबराहट और एक्साइटमेंट के मारे घड़ी को घूर रही है। वह 90s की फ़िल्मों की हीरोइन की तरह सोच रही है कि अब 'सीन' क्या होगा। दरवाज़ा खुलता है और रुद्र अंदर आता है। वह थका है, पर उसका चेहरा एकदम शांत और 'पूजा वाला' है।
मीरा (घूंघट के पीछे से, डर और उत्सुकता से दबी आवाज़ में): आ... आप आ गए, रुद्र जी।
रुद्र बिना कुछ कहे, सामने रखी पानी की बोतल उठाता है और एक घूँट पीता है। फिर धीरे से घूँघट हटाता है।
मीरा पहली बार, बिना किसी पर्दा या भीड़ के, अपने पति की आँखों में देखती है। उसमें कोई प्यार, कोई उत्साह, कोई 'फिल्मी' वासना नहीं है। बस एक अजीब सी शांति है, जैसे वह अभी भी पूजा में बैठा हो।
रुद्र (आवाज़ में ज़रा भी गर्मी नहीं, जैसे कोई लेक्चर दे रहा हो): देखो, मीरा। मुझे पता है कि तुम क्या ढूंढ रही हो। पर मैं तुम्हें धोखे में नहीं रखूँगा। मैं तुम्हें सब कुछ दे सकता हूँ... इस घर की इज़्ज़त, नाम, ढेर सारी सिक्योरिटी...
मीरा (खुश होकर, आगे झुकती है): मुझे सिर्फ़ आपका प्यार चाहिए, रुद्र जी... और थोड़ी गप-शप...
रुद्र (पीछे हट जाता है, जैसे किसी अदृश्य दीवार से धक्का लगा हो): ...पर मैं तुम्हें एक चीज़ नहीं दे सकता। मैं तुम्हें पति का प्रेम नहीं दे सकता। मैंने तीन साल पहले ही अपनी ज़िंदगी एक बड़े काम के लिए कुर्बान कर दी थी। मेरा जीवन अब एक ब्रह्मचारी का जीवन है, मीरा।
मीरा का चेहरा पहले पीला पड़ा, फिर गुस्से से लाल हो गया। उसका 'झल्ली' दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा।
मीरा (हकलाते हुए, अविश्वास से): आप... आप क्या मज़ाक कर रहे हैं?
रुद्र (अपनी रुद्राक्ष की माला दिखाता है, जैसे कोई सबूत दिखा रहा हो): मज़ाक नहीं। ये शादी सिर्फ़ मेरे कुल के लिए एक सामाजिक फ़र्ज़ है। तुम इस घर की रानी रहोगी, पर मेरे लिए... तुम मेरी धर्म-संगिनी हो, पत्नी नहीं।
यह सुनते ही, मीरा के हाथ से शादी के तोहफ़े में मिले, सुंदर काँच की चूड़ियों का सेट ज़मीन पर गिरता है।
छन-ना-न-नाँग! (चूड़ियाँ फर्श पर बिखर जाती हैं।)
मीरा उन टूटे टुकड़ों को एकटक देखती है। हर टुकड़ा—प्रेम, बच्चे, नॉर्मल वैवाहिक सुख—टूटकर बिखर चुका है।
🔥 ब्रह्मचारी पति को चुनौती: 'झल्ली' बहू का बवाल!
अगली सुबह, उसी कमरे में।
मीरा फर्श पर बिखरी चूड़ियों को देखती है। रुद्र सोफ़े पर चादर ओढ़कर एकदम शांति से सो रहा है, जैसे कोई तपस्या कर रहा हो। मीरा के चेहरे पर अब गुस्सा और निराशा नहीं, बल्कि एक नया संकल्प है—चैलेंज लेने वाला एटीट्यूड।
मीरा (बुदबुदाते हुए, हाथ में एक चूड़ी का टुकड़ा लेते हुए): "धर्म-संगिनी? वाह जी वाह! ये शादी है या कोई आश्रम? इन्होंने तो मेरी पूरी 'झल्ली' लाइफ़ को ही 'साध्वी लोक' बना दिया! ठीक है रुद्र शेरगिल! अब मैं दिखाती हूँ कि इस 'संस्कारी' बहू के अंदर कितनी 90s वाली आग है!"
मीरा ज़ोर से तकिए को उठाया और रुद्र को निशाना बनाकर फेंक दिया। तकिया रुद्र के कान को छूकर निकल गया। रुद्र एकदम से आँख खोलता है।
रुद्र (शांत, जैसे कुछ हुआ ही न हो): क्या हुआ, मीरा? तुम आराम से सोई नहीं?
मीरा (मुँह बनाकर): आप आराम से कैसे सो गए, रुद्र जी? क्या आपका ब्रह्मचर्य सिर्फ़ रात में चलता है? दिन में तो पति बन सकते हैं न? सुनिए! मुझे डिवोर्स चाहिए! या आप अपना व्रत तोड़िए! बीच का रास्ता नहीं चलेगा!
रुद्र (आराम से उठता है, एकदम औपचारिक): मीरा, देखो। मैं तुम्हें संपत्ति में हिस्सा, खर्चा और पूरा सम्मान दूँगा। तुम मेरी पत्नी हो, पर यह व्रत टूटेगा नहीं। प्लीज़, बाहर परिवार है। कोई हंगामा मत करना। यह मेरे परिवार की इज़्ज़त का सवाल है।
मीरा के मन में: (इज़्ज़त! और मेरे सपनों की क्या? ठीक है, रुद्र जी! अब मैं आपकी इज़्ज़त को ही अपनी पहली चुनौती बनाऊँगी। आपके रूल्स तोड़कर ही तो मैं आपको तोड़ सकती हूँ!)
🍳 'झल्ली' बहू की पहली रसोई: चटपटा है जीवन!
सुबह, रुद्र के घर की बड़ी, पुरानी रसोई।
सास (रुद्र की माँ) और चाची रसोई में खड़ी हैं। मीरा 'पहली रसोई' की रस्म के लिए आती है।
सास (प्यार से, पर रूल्स याद दिलाते हुए): आओ बहू! आज तुम्हारी पहली रसोई है। ये शुभ शगुन होता है। हाँ, खीर के लिए चावल भिगो दिए हैं। तुम बस दूध उबालो।
मीरा (तुरंत, मुँह बनाकर): खीर? माँ जी! खीर तो कल भी खा लेंगे! आज कुछ 'मज़ेदार' बनाएंगे—आलू-कचौड़ी और दही-वड़ा! वो भी एकदम तीखा वाला!
चाची (आँखें बड़ी करके): सुबह-सुबह कचौड़ी? इतनी हैवी? बहू, ये हमारे यहाँ नहीं चलता। यहाँ सब हल्का खाते हैं।
मीरा (हाथ में मिर्ची का डब्बा लेते हुए): चलता नहीं है, तो चलाएँगे! मेरा मानना है, ज़िंदगी को हलवा नहीं... कचौड़ी होना चाहिए—गरम और चटपटा! और हाँ, आज तो मेरा व्रत तोड़ने का मन है!
(मीरा जानबूझकर बहुत शोर मचाते हुए कचौड़ी तलने लगती है।)
रुद्र नाश्ते के लिए डाइनिंग टेबल पर अख़बार लिए बैठा है।
मीरा (किचन से, जानबूझकर ज़ोर से चिल्लाती है, ताकि रुद्र सुने): माँ जी! ज़रा चेक करिए, कहीं मैंने नमक की जगह शक्कर तो नहीं डाल दी? मुझे पता है, मीठा मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है, ख़ासकर रिश्तों में!
रुद्र, बिना रिएक्शन दिए, अख़बार पढ़ता रहता है। मीरा निराश हो जाती है। पर वह हार नहीं मानती!
👠 ब्रह्मचारी पति को प्रलोभन: फ़िल्मी 'झटका'!
शाम, बरामदे में परिवार के साथ सब बैठे हैं।
रुद्र एक कोने में बैठकर अपनी मोटी-मोटी धार्मिक किताबें पढ़ रहा है। मीरा पूरी तरह से अपनी 90s वाली हीरोइन के लुक में आती है—भड़कीली बैंगनी या चमकदार साड़ी, तेज़ मेकअप, और बड़े-बड़े ईयररिंग्स।
दादी जी (हैरान होकर): अरे! ये क्या बहू? तुम तो फिल्मों की रवीना टंडन लग रही हो! हमारे घर में इतना सज-धजकर कौन रहता है?
मीरा (नखरे से, जानबूझकर ऊँची आवाज़ में): दादी जी! क्या करूँ! मेरे पति इतने ब्रह्मचारी हैं, कि अगर मैं उनकी तरफ़ अटेंशन न खींचूँ, तो वो मुझे भूल ही जाएँगे! मैं तो बस उन्हें याद दिला रही हूँ कि उनकी शादी एक रंग-बिरंगी लड़की से हुई है, किसी साध्वी से नहीं!
मीरा ज़ोर से हँसती है और अपनी साड़ी संभालते हुए, जानबूझकर लड़खड़ाती है। वह ऐसे नाटक करती है, जैसे वह सीधे रुद्र की गोद में गिरने वाली है!
रुद्र, अपनी किताब छोड़कर, तुरंत छटककर खड़ा हो जाता है, जैसे किसी ने उसे बिजली का झटका दिया हो। उसका शांत चेहरा पहली बार थोड़ा गुस्सा दिखाता है।
मीरा (धीरे से, रुद्र के कान में एकदम फुसफुसाते हुए, विजयी मुस्कान के साथ): डर गए, रुद्र जी? आपको क्या लगा, मैं सच में गिर जाऊँगी? मैं तो बस यह देखना चाहती थी कि आपका ब्रह्मचर्य कितना मज़बूत है! मैं इतनी आसानी से हार नहीं मानूँगी! यह तो बस ट्रेलर था!
रुद्र गुस्से से मीरा को घूरता है, पर परिवार के सामने कुछ कह नहीं पाता। वह शांति से अपनी किताबें लेता है और बिना किसी को कुछ बोले कमरे में चला जाता है। मीरा, विक्ट्री वाला फ़ेस बनाकर सबको देखती है।
क्रमशः
❓ सस्पेंस
क्या रुद्र का ब्रह्मचर्य टूटा या नहीं?
मीरा का अगला 'झल्ली अटैक' क्या होगा?
क्या रुद्र इस 'अटैकिंग वाइफ़' से बचने के लिए कोई नया 'ब्रह्मचारी रूल' बनाएगा?
जानने के लिए देखिये अगला एपिसोड!
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🤩 एपिसोड 3: साज़िश और सवाल: ब्रह्मचर्य का राज़! 🤫
😠 सास-बहू का सामना: 'झल्ली' के मुँह में शक्कर!
जगह: दोपहर का समय। रुद्र की मम्मी (सास) और मीरा रसोई में अकेली हैं।
माहौल: हवा में थोड़ी टेंशन है, सास कल के 'गोद में गिरने वाले ड्रामे' से बहुत परेशान हैं।
सास (गंभीर, पर प्यार जताते हुए): मीरा, सुनो मेरी बात। तुम बहुत हँसमुख लड़की हो, ये अच्छी बात है। पर अब तुम इस घर की बहू हो। यहाँ थोड़ा 'डिग्निटी' से रहना पड़ता है।
मीरा (मासूमियत का ओवर-एक्टिंग करते हुए): जी माँ जी, मैंने क्या कर दिया?
सास: कल बरामदे में जो तुम रुद्र पर गिरते-गिरते बची थीं... वो सब क्या था? बेटा, रुद्र बहुत 'नेक' और पवित्र स्वभाव का है। वह अपनी पढ़ाई-पूजा में रहता है। तुम उसे इस तरह... डिस्टर्ब मत किया करो।
मीरा (अंदर गुस्सा, बाहर मीठी छुरी): माँ जी, मैं तो बस... अपने पति से 'नॉर्मल' वाला प्यार जता रही थी। क्या पत्नी को इसका भी हक़ नहीं? मेरा इरादा उन्हें परेशान करने का नहीं था, बस उन्हें याद दिला रही थी कि वो अब अकेले ब्रह्मचारी नहीं हैं।
सास के मन में (शक्की): (इस लड़की की ज़ुबान तो शहद जैसी है, पर इसकी आँखों में तो जैसे 90s वाली चिंगारी है! कहीं ये मेरे सीधे-सादे रुद्र को बिगाड़ न दे!)
सास बिना कुछ कहे चली जाती हैं, पर उनके मन में शक का बीज पड़ गया है। अब वो 'नज़र' रखने वाली हैं!
🤬 ब्रह्मचारी पति का गुस्सा: "व्रत पर उंगली मत उठाओ!"
जगह: शाम। रुद्र अपने कमरे में काम कर रहा है। मीरा अंदर आती है।
माहौल: रुद्र शांत नहीं है। वह कल के ड्रामे से एकदम 'झल्लाया' हुआ है।
रुद्र (कठोर, एकदम 'बॉस' की तरह): मीरा, तुम्हें क्या लगता है, तुम जो ये बचकाना बॉलीवुड ड्रामा कर रही हो, इससे मेरा संकल्प टूट जाएगा? तुम मेरे कर्तव्य के बीच में आ रही हो!
मीरा (दर्द और गुस्से का मिक्सचर): कर्तव्य? और मेरी इच्छाएँ? मेरा हक़? क्या मेरे लिए आपका कोई कर्तव्य नहीं है? आप मुझे खाली क्यों छोड़ रहे हैं? क्या आप सच में अपनी माँ को बताएंगे कि आपके कमरे में क्या चल रहा है? या ये झूठ कब तक चलेगा?
रुद्र (उसकी बात काटते हुए, तेज़ी से): तुम्हें जो चाहिए, सीधे मांगो! पैसे? गहने? विदेश यात्रा? सब मिलेगा! पर मेरे व्रत पर उंगली मत उठाओ! ये मेरी आत्मा से जुड़ा हुआ है!
मीरा (आँसू रोककर, पूरी ताक़त से): मुझे आपकी आत्मा नहीं चाहिए, रुद्र जी! मुझे वो पति चाहिए जिसके साथ मेरी शादी हुई है! और मैं ये सच सबके सामने लाऊँगी, अगर आपने खुद मेरी बात नहीं मानी!
रुद्र (चेहरा सख्त, डरावनी चेतावनी): अगर तुमने ये सच किसी को बताया... तो तुम इस घर की इज़्ज़त बर्बाद करोगी। और मैं तुम्हें ये करने की इजाज़त नहीं दूँगा!
रुद्र गुस्से से दरवाज़ा पटककर बाहर चला जाता है। मीरा ज़मीन पर बैठ जाती है और टूटकर रोने लगती है। इस बार रोना असली है, उसके सपने सच में टूट गए हैं।
📞 बाथरूम का सस्पेंस: हँसी और राज़!
मीरा रात में कमरे में रुद्र का इंतज़ार कर रही है। रुद्र आता है और बिना कुछ कहे, अपनी किताबें लेकर सीधे बाथरूम में चला जाता है।
मीरा (फुसफुसाते हुए, शक): इतनी देर बाथरूम में क्या कर रहे हैं ये? ब्रह्मचर्य की तपस्या?
अचानक, बाथरूम से किसी और की हल्की सी हँसने की आवाज़ आती है, पर आवाज़ तुरंत दब जाती है! मीरा चौंक जाती है।
मीरा (दरवाज़े के पास जाकर, कान लगाकर): (फुसफुसाते हुए) कौन है ये? ये तो रुद्र जी की आवाज़ नहीं लग रही... और इतनी देर तक बाथरूम में क्या हो सकता है? कहीं ये ब्रह्मचर्य सिर्फ़ मुझे दिखाने के लिए है, और असल में कोई और ही...
अचानक, हँसी रुक जाती है। पानी गिरने की आवाज़ आती है। रुद्र बाहर आता है। वह मीरा को दरवाज़े पर देखकर चौंक जाता है!
रुद्र (आवाज़ में हल्की घबराहट): मीरा? तुम यहाँ क्या कर रही हो?
मीरा (मासूम चेहरा बनाकर, जासूसी जारी): मैं... मैं तो बस पानी पीने आई थी, रुद्र जी। बाथरूम से कुछ आवाज़ आ रही थी, तो मैंने सोचा... कहीं आपको कुछ हो तो नहीं गया?
रुद्र (शक भरी नज़र से): नहीं, मैं ठीक हूँ। तुम्हें कुछ नहीं सुनना चाहिए था।
मीरा (चुनौती देते हुए): और अगर सुना भी होता, तो क्या? आपकी आवाज़ तो थी नहीं। कौन था बाथरूम में? कोई दोस्त?
रुद्र (शांत, पर सख्त): तुम सो जाओ, मीरा। इन बातों में तुम्हें पड़ने की ज़रूरत नहीं है।
रुद्र गुस्से से सोफ़े पर लेट जाता है। मीरा को अब पक्का यकीन हो जाता है कि कुछ तो छुपाया जा रहा है। सस्पेंस ने अब उसके दिल में आग लगा दी है!
🔍 डायरी की तलाश: वो टूटा हुआ फूल!
आधी रात, रुद्र गहरी नींद में सो रहा है। मीरा धीरे से उठती है।
मीरा के मन में: (ज़रूर, इनके ब्रह्मचर्य का राज़ इनकी किसी डायरी में होगा! या फिर उस आवाज़ का राज़!)
मीरा डेस्क की दराजें खोलती है। कागज़ात पलटना शुरू करती है। तभी, उसकी नज़र एक पुरानी, मोटी किताब पर पड़ती है, जो बाकी किताबों के पीछे छुपी है। वह उसे निकालती है।
मीरा (धीरे से किताब खोलती है): (अंदर एक छिपा हुआ खाली पन्ना मिलता है, जहाँ से कुछ फाड़ा गया है! पन्ने पर हल्की सी चाय की दाग़ जैसी कोई चीज़ है, और कोने पर एक छोटा सा सूखा हुआ फूल चिपका है।)
मीरा के मन में: (ये तो डायरी है! और ये खाली पन्ना... यहाँ कुछ था जो रुद्र ने जला दिया! और ये फूल... ये सिर्फ़ चाय का दाग़ नहीं, ये किसी लड़की के आँसू का दाग़ लग रहा है! रुद्र! तुम किसे धोखा दे रहे हो?)
🚨 'झल्ली' बहू पकड़ी गई!
अगली सुबह, चाची अपने ताने वाली ड्यूटी पर हैं:
चाची (मीरा को आँख मारकर): बहू, कल रात तुम्हें पता है? मैंने सुना, रुद्र रात में फ़ोन पर किसी से बहुत देर तक बात कर रहा था। इतनी देर तक क्या बात हो सकती है... जब पत्नी पास हो?
मीरा चाची की बात ध्यान से सुनती है—यानी बाथरूम वाली हँसी झूठ नहीं थी!
मीरा के मन में: (यानी ये ब्रह्मचर्य एक ढोंग है! ज़रूर उस खाली पन्ने पर उस लड़की का नाम था! रुद्र जी मुझे धोखा दे रहे हैं!)
मीरा उसी रात रुद्र का फ़ोन ढूंढने का फैसला करती है। वह रुद्र के सोने का इंतज़ार करती है। जब रुद्र सो जाता है, मीरा धीरे से उसकी कमीज़ की जेब से फ़ोन निकालने की कोशिश करती है।
वह फ़ोन को हाथ लगाती है... तभी रुद्र की आँखें खुल जाती हैं!
रुद्र (धीमी, डरावनी आवाज़ में, अँधेरे में): मीरा... क्या कर रही हो?
(मीरा डर से जम जाती है। रुद्र का चेहरा अँधेरे में भी कठोर और रहस्यमय लगता है। उसका हाथ फ़ोन पर है, और वह पूरी तरह पकड़ी गई है!)
💥 सस्पेंस का धमाका!
मीरा पकड़ी गई! अब क्या?
क्या रुद्र इस बार सच बता देगा?
उस 'सूखे हुए फूल' और 'बाथरूम वाली हँसी' का राज़ क्या है?
जानने के लिए देखिए अगला एपिसोड!
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