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SHAKTI - A most dengerous woman

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Shehnaz

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शक्ति!! कहते हैं शक्ति हो तो इंसान सब कुछ कर सकता है, चाहे वह कोई भी क्यों न हो!! चाहे वह गरीब ही क्यों न हो? शक्ति मतलब power, वह power जो हर लोगों में नहीं होती, अगर होती भी है तो उसे इस्तेमाल करना हर किसी के बस्की बात नहीं है। Power मतलब यह नहीं क...

Total Chapters (4)

Page 1 of 1

  • 1. SHAKTI - A most dengerous woman - Chapter 1

    Words: 1407

    Estimated Reading Time: 9 min

    झारखंड....


    साहिबगंज जिले में....

    साहिबगंज जिला झारखंड राज्य का एक महत्वपूर्ण जिला है, जो अपने ऐतिहासिक और प्राकृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह जिला गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है, जो इसे प्राकृतिक सुंदरता का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाता है। साहिबगंज जिले में कई ऐतिहासिक स्थल हैं, जिनमें राजमहल और तेलीगढ़ी किला प्रमुख हैं। ये स्थल मुगल काल के दौरान बनाए गए थे और अपने वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं।


    रात - 11: 00 बजे....


    कुछ ही दूरी पर राजमहल के पास एक छोटी सी कोठी खड़ी थी, जो पीले रंग की दीवारों के साथ एक अनदेखी सी जगह पर स्थित थी। रात के अंधेरे में, यह कोठी और भी रहस्यमयी लग रही थी। उसके आसपास 5-6 आदमी घूम रहे थे, जिनके हाथों में खतरनाक बंदूकें थीं। उनकी नजरें हर तरफ घूम रही थीं, जैसे वह किसी अनहोनी की आशंका से बचने के लिए तैयार थे।

    कोठी के आसपास का माहौल सुनसान और डरावना था। रात की गहराई में, केवल आदमियों की आवाजें और उनके कदमों की आवाजें सुनाई दे रही थीं। यह एक ऐसी जगह थी, जहां कोई नहीं जानता था, लेकिन आदमियों की उपस्थिति ने इसे एक खतरनाक और रहस्यमयी स्थल बना दिया था।

    तभी वहां किसी की उपस्थिति नजर आई, एक लड़की जिसने खुद को ब्लैक कलर के कपड़ों से ढक रखा था, जो रात के अंधेरे में एक छाया की तरह दिखाई दे रही थी। वह चुपचाप उस कोठी की और बढ़ रही थी, जहां 5-6 आदमी घूम रहे थे। उनके हाथों में खतरनाक बंदूकें थीं और वह हर तरफ नजर रखे हुए थे।

    लड़की ने अपनी चाल में कोई आवाज नहीं की, जैसे कि वह हवा की तरह चल रही थी। वह आदमियों के पास पहुंची और अचानक हमला कर दिया। उसकी पहली किक एक आदमी के पेट में लगी, जिससे वह दोहरी हो गया। लड़की ने तुरंत अपनी गति और ताकत का उपयोग करके दूसरे आदमी को एक जोरदार पंच मारा, जिससे वह जमीन पर गिर गया। उसकी गति और ताकत ने बाकि आदमियों को चौंका दिया।

    तीसरे आदमी ने अपनी बंदूक निकालकर लड़की पर निशाना साधा, लेकिन लड़की ने उसकी कलाई पकड़कर उसे घुमा दिया और बंदूक छीन ली। लड़की ने उस आदमी को एक जोरदार थप्पड़ मारा, जिससे वह जमीन पर गिर गया।

    चौथे आदमी ने लड़की पर पीछे से हमला किया, लेकिन लड़की ने अपनी पीठ के बल उसे एक जोरदार किक मारी, जिससे वह उछलकर जमीन पर गिर गया।

    लड़की ने अपनी मार्शल आर्ट्स की तकनीक का उपयोग करके आदमियों को एक-एक करके गिराना शुरू कर दिया। आदमी उसकी गति और ताकत के सामने बेबस थे। वह अपनी बंदूकों का उपयोग नहीं कर पा रहे थे, क्योंकि लड़की की गति इतनी तेज थी कि वह उसे पकड़ नहीं पा रहे थे।

    उन आदमियों की चीखें और कराहें रात की शांति को तोड़ रही थीं।

    लड़की ने आदमियों को एक-एक करके गिरा दिया और आखिरी आदमी को एक जोरदार किक मारकर गिरा दिया। वह आदमी जमीन पर गिर गया और लड़की ने उसकी बंदूक छीन ली। लड़की ने अपनी जीत का जश्न नहीं मनाया, बल्कि वह आगे बढ़ गई, जैसे कि उसका मिशन अभी पूरा नहीं हुआ था।

    वह लड़की कोठी के दरवाजे के पास आई और एक जोरदार लात मारकर दरवाजे को तोड़ दिया। दरवाजा जोरदार आवाज के साथ कमरे के अंदर जाकर नीचे जमीन पर पड़ गया, जैसे कि एक बम फट गया हो। उस कमरे में एक बूढ़ा आदमी था, जो कि सो रहा था। उसने जब इतनी जोरदार आवाज सुनी, तो वह उठ बैठे और अपना चश्मा आंखों पर पहनकर उस लड़की की तरफ देखा, जो कि कमरे के अंदर आ रही थी।

    लड़की की चाल में एक अनोखी स्टाइल थी, जैसे कि वह किसी फिल्म की हीरोइन हो। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे, जबकि बूढ़े आदमी के चेहरे पर हैरानी और थोड़ी सी डर की झलक थी। वह लड़की सीधे कमरे के अंदर आकर बूढ़े आदमी के बेड के सामने वाले चेयर पर पैर के ऊपर पैर रखकर बैठ गई, जैसे कि वह उस कमरे की मालकिन हो।

    वह बूढ़े आदमी अपनी आंखों में हैरानी और थोड़ी सी डर के साथ लड़की को देखते रह गए। उस लड़की ने बड़े कुल आवाज में पूछा: "आप ही हैं न रामू काका!!"

    उस बूढ़े आदमी ने हां में सर हिलाया, तो उस लड़की ने कहा: "इतना डरिए मत!! मैं कुछ नहीं करूंगी आपको। बस मुझे मेरे सवालों का जवाब दे दीजिए, फिर मैं खुद यहां से चली जाऊंगी।"

    उस बूढ़े आदमी ने सवाल किया: "कौनसे सवाल??"

    उस लड़की ने आगे कहा: "राजमहल के बारे में तो आप जानते ही होंगे राइट!!" उस लड़की के आवाज में ऐसा अनोखा रहस्य था, जो कि वह आदमी समझ गया था कि वह लड़की क्या पूछना चाहती है??

    उस आदमी ने बिना देरी किए बगैर कहा: "तुम... तुम उसकी बहन... "

    उस लड़की ने जल्दी ही कहा: "हां, मैं उसकी बड़ी बहन हूं!! अब आप अपनी बात शुरू कीजिए, बताना!! वरना यह न हो कि मैं अभी कुछ कर बैठूं आपके साथ।"

    उस लड़की ने बस इतना ही कहा था कि उसने अपने पैंट की पॉकेट से एक बहुत ही बड़ी चाकू निकाला और उस आदमी की तरफ देखकर मुस्कुराने लगी। उस आदमी की आंखें चाकू पर टिक गईं, और वह और भी डर गया। उसकी आवाज कांपने लगी, और उसने कहा: "ठीक है, मैं बताता हूं... सब कुछ बताता हूं..."

    उस लड़की ने मुस्कुरा कर कहा: "वैल डन!!"

    उस बूढ़े आदमी ने बताना शुरू किया: "राजमहल एक ऐतिहासिक शहर था, जो गंगा नदी के किनारे बसा हुआ था। इस शहर पर महाराज राजबीर सिंह का शासन था, जो अपनी न्यायप्रियता और साहस के लिए प्रसिद्ध थे। महाराज राजबीर सिंह की पत्नी महारानी मधुमती एक सुंदर और बुद्धिमान महिला थीं, जो अपने पति के साथ मिलकर राज्य के कल्याण के लिए काम करती थीं। महाराजा और महारानी के दो बेटियां और दो बेटे हैं। बेटियों का नाम है राजकुमारी अर्पिता और राजकुमारी राधिका। और राजकुमार आदित्य और राजकुमार कार्तिक, यह चारों बहुत ही अच्छे और सच्चे बच्चे हैं। यह लोग भी बड़े हो गए हैं और अभी महाराज राजबीर सिंह के जान है।

    महाराज राजबीर सिंह और महारानी मधुमती का व्यवहार अपनी प्रजा के प्रति बहुत ही अच्छा और सहयोगी था। वह हमेशा अपनी प्रजा की समस्याओं को सुनने और उनका समाधान करने के लिए तैयार रहते थे।

    महाराज राजबीर सिंह और महारानी मधुमती एक आदर्श जोड़ी थे। महाराज राजबीर सिंह बहुत ही न्यायप्रिय और साहसी थे, जबकि महारानी मधुमती बहुत ही दयालु और सहृदय थीं। वह दोनों मिलकर अपनी प्रजा के कल्याण के लिए काम करते थे और हमेशा उनकी जरूरतों को पूरा करने का प्रयास करते थे।

    शुरू में तो सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन एक दिन अचानक से सब कुछ बदलने लगा। महाराज राजबीर बहुत ही गुस्सैल और व्यस्त रहने लगे, और साथ ही साथ महारानी मधुमती की भी आचरण बदल गई। वह अपने बच्चों के अलावा किसी की भी बात नहीं सुनती थी और हर वक्त गुस्सा करती थी, खासकर तब जब कोई दासी एक कमरे की तरफ जाती थी जहां महारानी मधुमती और महाराजा राजबीर के अलावा कोई भी नहीं जाता था।

    जब कोई दासी वहां पर गलती से भी चली जाती, तो महारानी मधुमति उसे बहुत कुछ सुनाकर साम्राज्य से निकाल देते। पता नहीं उस कमरे में ऐसा क्या था जो महारानी और महाराज जाने भी नहीं देते थे, बल्कि अपने बच्चों को भी उस कमरे के आसपास भटकने भी नहीं देते थे।

    उस लड़की ने सवाल किया: "ऐसा क्या है उस कमरे में?"

    उस लड़की के सवाल पर वह बूढ़ा आदमी थोड़ा चुप रहकर कहता है: "पता नहीं!! मैं बस उस कमरे की सफाई करा करता था, इसलिए मुझे नहीं पता। पर उस कमरे में ज्यादा कुछ सामान नहीं था। बस एक अलमारी और एक बेड, टेबल के अलावा कुछ भी नहीं था। और बस दीवारों पर अजीबों गरीब पेंटिंग था।"

    वह लड़की बड़ी ध्यान से उस आदमी की बातों को सुन रही थी, जैसे कि वह किसी रहस्य को उजागर करने वाली थी।




    है कौन यह लड़की जिसने अकेले ही इतने सारे आदमियों को मारा?? और क्या है उसका मकसद?? कौन है यह बूढ़ा आदमी?? वह बूढ़ा आदमी किस लड़की के बारे में बात कर रहे थे?? और उस कमरे में ऐसा क्या था जो महारानी मधुमति और महाराजा राजबीर के अलावा किसी को भी जाने की अनुमति नहीं थी?? महारानी मधुमति और महाराजा राजबीर के व्यवहार में अचानक बदलाव क्यों आया?? और क्या है राजमहल का सच??

    जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी " SHAKTI– A most dengerous woman"

  • 2. SHAKTI - A most dengerous woman - Chapter 2

    Words: 1132

    Estimated Reading Time: 7 min

    एक साल पहले...


    राजमहल में....


    मुगल साम्राज्य की शान और वैभव से परिपूर्ण राजमहल, अपने भव्य निर्माण और सुंदर उद्यानों के साथ, एक अद्वितीय आकर्षण का केंद्र था। राजमहल के बाहर, सैनिकों की टोली पहरा दे रही थी, उनकी निगाहें हर आने-जाने वाले पर थीं। राजमहल के अंदर, दासियाँ अपने कार्यों में व्यस्त थीं, जबकि महारानी मधुमति एक महत्वपूर्ण चर्चा में मग्न थीं।

    "आप फिक्र न करें, रणजीत भाई!!! मैं आपकी बेटी को गुलाब के फूल की तरह सजा कर रखूंगी अपने पास।" महारानी मधुमति ने मुस्कुराते हुए कहा। उनके सामने महाराजा रणजीत शाह खड़े थे, अपने सैनिकों के साथ। उनके साथ एक सुंदर और प्यारी लड़की थी, जो राजकुमारी के वस्त्र पहने हुए थी।

    महाराजा रणजीत शाह ने कहा: "मुझे तुम पर पूरा यकीन है, मधुमति!! तुम मेरी बेटी का अच्छा ख्याल रखोगी।" फिर उस प्यारी सी लड़की की तरफ देखकर उन्होंने कहा: "बेटी, तुम आज से महारानी मधुमति के साथ रहोगी। जब तक मैं युद्ध करके वापस नहीं आता, तब तक तुम यहीं रहना। और मेरी फिक्र मत करना, मैं बहुत जल्द लौटूंगा।"

    उस लड़की ने मुस्कुराकर कहा: "मुझे पूरा यकीन है पिताजी कि आप जरूर युद्ध जीतकर आएंगे। आप बेफिक्र होकर जाइए, मैं आपका यहां इंतजार करूंगी।" महाराजा रणजीत शाह अपने सैनिकों के साथ वहां से चले गए।

    महारानी मधुमति ने उस राजकुमारी की तरफ देखकर कहा: "तुम आओ मेरे साथ, मैं तुम्हें महाराजा राजबीर से मिलवाती हूं।" महारानी मधुमति उस राजकुमारी को लेकर अपने सिंहासन की तरफ गईं, जहां महाराजा राजबीर सिंह और उनके बच्चे मौजूद थे।

    महारानी मधुमति ने राजबीर सिंह की तरफ देखकर कहा: "यह हमारी भतीजी है, महाराज!!" महाराजा राजबीर सिंह खड़े हुए और उस राजकुमारी की तरफ आकर, उसके सिर पर हाथ रखकर कहा: "स्वागत है तुम्हारा। आज से तुम हमारी बेटी जैसी हो। क्यों है न महारानी मधुमति??" महारानी मधुमति ने मुस्कुराकर सहमति दी, और उस राजकुमारी ने भी मुस्कुराकर उनका अभिवादन स्वीकार किया।

    महारानी मधुमति ने एक दासी को बुलाकर कहा: "दासी, तुम राजकुमारी रश्मि को उनका कमरा दिखाओ।" दासी ने हां में गर्दन हिलाई और राजकुमारी रश्मि को उनके कमरे में ले गई।

    महारानी मधुमति ने अपने बच्चों की तरफ देखकर कहा: "आज से राजकुमारी रश्मि तुम लोगों की बहन है, इसलिए उनसे मिल-जुलकर रहना।" राजकुमार और राजकुमारियों ने हां में गर्दन हिला दी और अपने कमरों की तरफ चले गए।

    राजकुमारी रश्मि अपने कमरे में बैठी हुई थीं, तभी राजकुमारी राधिका और अर्पिता उनके कमरे में आईं। राजकुमारी रश्मि उठकर खड़ी हो गईं। राजकुमारी राधिका ने कहा: "मैं राजकुमारी राधिका हूं। तुमसे मिलकर अच्छा लगा।" राजकुमारी राधिका ने अपना हाथ आगे बढ़ाया, और राजकुमारी रश्मि ने भी अपना हाथ बढ़ाकर उनका अभिवादन स्वीकार किया।

    राजकुमारी अर्पिता ने कहा: "पहली बार तुम हमारी राजमहल में आई हो, इससे पहले कभी मैंने तुम्हें नहीं देखा।" राजकुमारी राधिका ने अर्पिता की तरफ देखकर कहा: "हमें नहीं पता था कि हमारी इतनी प्यारी बहन भी है।" राजकुमारी रश्मि ने मुस्कुराकर कहा: "हम अपने महल से कहीं जाते नहीं थे, इसलिए आप दोनों से हमारी मुलाकात नहीं हुई थी।"

    राजकुमारी राधिका ने कहा: "वैसे, यह एक अच्छा इत्तेफाक है कि आपकी और हमारी उम्र एक जैसी ही है, 22 साल।"

    "राजकुमारी को कैसे पता चला कि हमारी उम्र के बारे में??" दोनों ने सवाल किया।

    राजकुमारी राधिका ने कहा: "रानी मां से पूछा था!"

    राजकुमारी अर्पिता ने राजकुमारी राधिका से कहा: "हमें अब चलना चाहिए है यहां से है न!! नहीं तो रानी मां हम दोनों को डांटेगी।" वह दोनों चले गए।

    राजकुमारी रश्मि अपने कमरे से बाहर आकर इधर-उधर देखने लगी। वह सीधा चल रही थी और दीवारों पर बनी हुई चित्रकला को देख रही थी, जो मुगल साम्राज्य के युद्धों की कहानियां बयान कर रही थीं।

    राजकुमारी रश्मि हर एक चित्र और चीज़ को देखकर आगे बढ़ रही थी, उन्हें पता नहीं था कि एक शख्स उनके पीछे चल रहा है। वह शख्स अचानक से राजकुमारी रश्मि के पीछे आया और उनके कंधे पर हाथ रख दिया। राजकुमारी रश्मि के कदम डर से रुक गए।

    उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो राजकुमार आदित्य खड़े थे। राजकुमार आदित्य को देखकर राजकुमारी रश्मि को राहत मिली। राजकुमार आदित्य ने कहा: "आप यहां इधर-उधर मत घूमें, नहीं तो रानी मां आपको डांटेंगी।"

    राजकुमारी रश्मि ने कहा: "ओह सॉरी! मैं बस पूरे महल को देखना चाहती थी। क्या आप मुझे पूरा राजमहल घुमा सकते हैं?" राजकुमार आदित्य हैरान हुए और कहा: "नहीं, हमें खुद भी महल में इधर-उधर घूमने की इजाजत नहीं है। बेहतर होगा कि आप अपने कमरे में चली जाएं।"

    राजकुमार आदित्य वहां से चले गए। राजकुमारी रश्मि को बुरा लगा, लेकिन उनका मन बार-बार महल घूमने का था। उन्होंने सोचा: "क्या अजीब बात है!! हम अपने महल में पूरा घूम चुके हैं और पिताजी ने कभी माना नहीं किया, तो इस महल में घूमने में क्या हर्ज है?? मैं अपनी मर्जी करूंगी।"

    राजकुमारी रश्मि फिर से वहीं आई जहां राजकुमार आदित्य से उनकी मुलाकात हुई थी। वह आगे बढ़ने लगी और पूरे महल को देखती हुई चलने लगी। महल में लाइट्स नहीं थीं, जिससे रास्ता ढूंढना मुश्किल हो रहा था।

    वह एक सुरंग की तरफ बढ़ रही थी जहां हल्की रोशनी जल रही थी। राजकुमारी रश्मि को लगा कि वह महल के सही हिस्से में आ गई है। लेकिन जब वह सुरंग के पास पहुंची, तो किसी ने जोर से उनका हाथ पकड़कर अपने पास खींच लिया। राजकुमारी रश्मि कुछ समझ नहीं पाई और उस शख्स के सीने से लगकर रह गईं।

    उन्होंने खुद को उस शख्स से अलग किया और जब उस शख्स का चेहरा देखा, तो वह हैरान रह गईं। सामने खड़े उस शख्स कोई और नहीं, राजकुमार कार्तिक थे। राजकुमार कार्तिक भी उन्हें देखकर हैरान थे।

    राजकुमार कार्तिक ने उनसे पूछा: "आप यहां क्या कर रही हैं? आपको पता भी है यह जगह कितनी खतरनाक है? चलिए मेरे साथ यहां से, अगर रानी मां ने हम दोनों को यहां देख लिया, तो बहुत बड़ी मुश्किल हो जाएगी।" कहकर वह उनका हाथ पकड़कर वहां से जाने लगे।

    जब वह दोनों महल के सही जगह पर पहुंचे, तो वहां बहुत से दासी और सैनिक थे। महाराज राजबीर और महारानी मधुमति भी वहां थीं, जो बहुत परेशान लग रही थीं। राजकुमार कार्तिक जब वहां पहुंचे, तो सबकी नजरें उन पर टिकीं।

    महारानी मधुमति ने जब राजकुमार कार्तिक का हाथ राजकुमारी रश्मि के साथ देखा, तो वह हैरान रह गईं। राजकुमार कार्तिक ने जल्दी से उनका हाथ छोड़ दिया और राजकुमार आदित्य के पास खड़े हो गए।

    राजकुमारी रश्मि जब राजकुमारियों के पास जाने लगीं, तो महारानी मधुमति ने कहा: "ठहरो! कहां गई थीं आप?" राजकुमारी रश्मि के कदम वहीं जम गए। उन्होंने सर झुकाकर कहा: "वो मैं, रानी मां... महल घूम रही थी।"

    महारानी मधुमति ने गुस्से से पूछा: "महल घूमने की इजाजत आपको किसने दी? बताइए।" राजकुमारी रश्मि शांत रहीं।


    अब आगे क्या होगा? क्या राजकुमारी रश्मि को अपने किए की सजा मिलेगी? या फिर महारानी मधुमति उन्हें माफ कर देंगी?

    To be continued.....

  • 3. SHAKTI - A most dengerous woman - Chapter 3

    Words: 1048

    Estimated Reading Time: 7 min

    (राजकुमारी रश्मि के कदम वहीं जम गए। उन्होंने सर झुकाकर कहा: "वो मैं, रानी मां... महल घूम रही थी।"

    महारानी मधुमति ठहरकर बोलीं: "महल घूमने की इजाजत आपको किसने दी? बताइए।" राजकुमारी रश्मि शांत रहीं।)

    अब आगे.....

    महारानी मधुमति ने गुस्से से राजकुमार कार्तिक की तरफ देखा और पूछा: "और आप? आप कहां गए थे राजकुमारी के साथ?"

    राजकुमार कार्तिक ने कहा: "मैं... रानी मां, राजकुमारी को वापस लेने गया था।"

    महारानी मधुमति ने पूछा: "आपको कैसे पता कि राजकुमारी रश्मि वहां गई हैं?" राजकुमार कार्तिक ने कहा: "वो राजकुमार आदित्य ने मुझे बताया।"

    महारानी मधुमति ने अब राजकुमारी रश्मि की तरफ देखकर पूछा: "क्या राजकुमार आदित्य ने आपको वार्निंग नहीं दी थी राजकुमारी?" राजकुमारी रश्मि ने अब महारानी मधुमति की तरफ देखकर कहा: "वो रानी मां, मैं बस महल घूमना चाहती थी इसलिए...।"

    महारानी मधुमति ने गुस्से से कहा: "हमने जो सवाल पूछा है आपसे, उसका जवाब दीजिए राजकुमारी!!! क्या राजकुमार आदित्य ने आपसे यह नहीं कहा था कि महल में आप इधर-उधर मत घूमिए? बताइए!!!"

    राजकुमारी रश्मि ने जवाब दिया: "हां, कहा था!" महारानी मधुमति ने आगे पूछा: "तो आपने उनकी बात क्यों नहीं सुनी?" राजकुमारी रश्मि डर गईं, और बाकी सब राजकुमार और राजकुमारियां भी कांप उठे।

    राजकुमारी रश्मि ने जवाब दिया: "हां कहा था!!"

    "तो आपने उनकी बात क्यों नहीं सुनी??" महारानी मधुमति ठहड़ उठी। राजकुमारी रश्मि डर गई साथ में बाकी सब राजकुमार और राजकुमारियां भी कांप उठे।

    महाराजा राजबीर सिंह ने कहा: "राजकुमारी रश्मि आपको ऐसे बिना बताए इधर उधर घूमना नहीं चाहिए!! यह महल भुलभुलैया से भरा हुआ है!! अगर आप गुम जाती तो क्या होता? ज्यादातर तो आप अगर उस सुरंग के पास पहुंच जाती तो...."

    महारानी मधुमति ने उन्हें आगे की बात बोलने नहीं दिया और कहा: "राजकुमारी रश्मि!! हम आपको आदेश देते हैं कि आप अब से महल में इधर उधर नहीं घूमेंगी, सिर्फ अपने कमरे में ही रहेंगी!! आपको हमारी बात समझ आई।"

    राजकुमारी रश्मि ने हां में गर्दन हिला कर कहा: "हां मैं समझ गई रानी मां!! आप जैसा कहेंगी मैं वैसा ही करूंगी।"

    महारानी मधुमति ने कहा: "अच्छा हुआ कि आप हमारी बात समझ गई!! अब आप अपने कमरे में जाइए।"

    राजकुमारी रश्मि अपने कमरे में चली गई और साथ में बाकी सब राजकुमार और राजकुमारियां भी अपने कमरे की तरफ बढ़ गए। महारानी मधुमति ने दासियों को भी जाने को कह दिया। जब सब चले गए तब महारानी मधुमति ने महाराज से पूछा: "आपको क्या जरूरत थी इतने लोगों के सामने उस सुरंग के बारे में बात करने की?? आपको पता है न अगर किसी को उस सुरंग के बारे में पता चल गया, अगर यह खबर बाहर चली गई तो क्या होगा?? ज्यादातर तो हमें यह डर है कि कहीं कोई उस सुरंग की तरफ चला न जाए!! अगर कोई वहां एक बार जाएगा तो वहां से कोई भी लौट कर वापस नहीं आ पाएगा।"

    महाराज राजबीर ने कहा: "हमारे मुंह से गलती से वो बात निकल गई।"

    महारानी मधुमति ने कहा: "आप अपनी जवान सम्भल कर बात किया करिएगा महाराज!! कहीं यह न हो कि किसी को हमारे प्लान के बारे में पता चल जाए!!"

    महाराज राजबीर ने हां में गर्दन हिला दिया और वह अपने कमरे में चले गए।

    राजकुमारी रश्मि अपने कमरे में उदास बैठी थी, उनके चेहरे पर गहरी निराशा के भाव थे। वह खुद से बड़बड़ा रही थी: "क्यों गई मैं वहां? अगर नहीं जाती तो रानी मां से इतना कुछ सुनना नहीं पड़ता। अब मैं क्या करूं? सोचा था रानी मां को खुश रखूंगी, पर सब उल्टा हो गया मेरी एक गलती की वजह से।"

    उनके मन में कई सवाल उठ रहे थे, जैसे कि राजमहल में सुरंग के बारे में महाराज राजबीर क्या कह रहे थे? क्या सच में राजमहल में सुरंग है? और कहां है वह सुरंग? राजकुमारी रश्मि की जिज्ञासा बढ़ती जा रही थी, लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि वह सुरंग कहां है।

    वह फिर से खुद से बड़बड़ाने लगी: "कहीं वो सुरंग वहीं तो नहीं जहां राजकुमार कार्तिक ने मेरा हाथ पकड़कर मुझे खींच लिया था? पर बिना जाए मैं कुछ नहीं जान सकती। और अगर मैं वहां गई, तो रानी मां मुझसे कभी बात नहीं करेंगी। इससे अच्छा है कि मैं यह सब सोचना बंद कर दूं।"

    तभी उन्हें बाहर पैरों की आहट सुनाई दी। वह बाहर आईं और एक दासी को राजकुमार आदित्य के कमरे के बाहर साफ-सफाई करते देखा। राजकुमारी रश्मि को उन पर शक हुआ और वह उनकी तरफ बढ़ गईं।

    "क्या आप मेरे कमरे के बाहर तक झाँक रही थीं?" राजकुमारी रश्मि ने पूछा।

    दासी ने हैरानी से कहा: "नहीं, नहीं राजकुमारी! मैं तो बस साफ-सफाई कर रही थी। आपने खुद ही तो मुझे देखा है। मैं ऐसा काम नहीं करती, राजकुमारी। दया कर के ऐसी इल्जाम मुझ पर मत लगाइए।"

    राजकुमारी रश्मि ने कुछ सोचते हुए कहा: "अच्छा ठीक है। शायद मुझे ही कोई गलतफहमी हुई होगी। वैसे, आपसे एक बात पूछूं?"

    दासी ने तुरंत जवाब दिया: "जी राजकुमारी, पूछिए।"

    "क्या मेरे कमरे के बाहर कोई खड़ा था? क्या आपने किसी को देखा?" राजकुमारी रश्मि ने पूछा।

    दासी ने कहा: "नहीं राजकुमारी, मैंने किसी को नहीं देखा। मेरी नजर तो बस साफ-सफाई में थी। मैं इन सब चीजों पर नजर नहीं रखती, राजकुमारी।"

    राजकुमारी रश्मि ने कहा: "अच्छा ठीक है। आप अपना काम करिए।"

    राजकुमारी रश्मि की उदासी और जिज्ञासा का मिश्रण उनके चेहरे पर साफ झलक रहा था। वह सुरंग के बारे में जानने के लिए बेताब थी, लेकिन रानी मां की नाराजगी का डर उन्हें रोक रहा था। दासी के साथ बातचीत ने उनके शक को और बढ़ा दिया, और अब वह और भी उत्सुक हो गई थीं कि आखिर सच क्या है??

    राजकुमारी रश्मि अपने कमरे की तरफ बढ़ गई, मन में कई सवाल उठ रहे थे। "मुझे ऐसा क्यों लगा जैसे कोई मेरे कमरे के बाहर खड़ा था? ज्यादातर तो मुझे ऐसा लगा जैसे रानी मां खड़ी थीं। शायद यह मेरा वहम होगा।" कहते हुए वह अपने कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर देती है।

    उधर, महारानी मधुमति ने उस दासी से पूछा: "क्या कहा तुमने राजकुमारी रश्मि से?" दासी ने सर झुकाकर जवाब दिया: "आपने जैसा कहा था, रानी साहिबा, वही बताया मैंने कि मैंने किसी को नहीं देखा।" महारानी मधुमति ने कहा: "अच्छा किया। तुम्हें इनाम जरूर मिलेगा।"

    महारानी मधुमति के होठों पर मुस्कान थी और वह दासी भी बहुत खुश थी इनाम का नाम सुनकर।



    To be continued.....

  • 4. SHAKTI - A most dengerous woman - Chapter 4

    Words: 1657

    Estimated Reading Time: 10 min

    इसके बाद, महारानी मधुमति महल के सबसे अंतिम हिस्से में गईं, जहां एक बड़ा और भयानक सुरंग था। उन्होंने सैनिकों को बुलाया और कहा, "इस जगह को अच्छे से बंद कर दो। तुम लोगों में से कोई एक नीचे जाकर सुरंग को बंद कर देना।"

    एक सैनिक ने कहा, "पर महारानी साहिबा, इस सुरंग में जाने के बाद हम कभी लौटकर वापस नहीं आ पाएंगे।" महारानी मधुमति ने बेफिक्र होकर कहा, "तो क्या हुआ? मैंने कब कहा कि अंदर जाकर वापस लौटकर आ जाना। तुममें से कोई एक सुरंग के अंदर जाएगा और उस डिवाइस को ऑन करेगा जिससे यह सुरंग बंद हो जाती है।"

    सैनिक ने डरकर कहा, "पर महारानी साहिबा..." लेकिन महारानी मधुमति ने उसे बीच में ही रोक दिया और कहा, "जवान, चलाना बंद करो और अंदर जाओ।" सैनिक ने डरकर कहा, "मैं जाऊं महारानी साहिबा?" महारानी मधुमति ने कहा, "हां, तुम जाओगे। इतना लेट मत करो और अंदर जाकर डिवाइस को ऑन कर दो।"

    महारानी मधुमति के इतना कहते ही, उन्होंने उस सैनिक को धक्का देकर सुरंग के अंदर फेंक दिया। सैनिक की चीखें सुनाई देने लगीं, और सुरंग का दरवाजा बंद होने लगा। खून की छींटें सैनिकों के कपड़ों पर पड़ने लगीं, और उनकी दर्द भरी चीखें आने लगीं।

    महारानी मधुमति वहां से दूर चली गईं, लेकिन उन्हें सब कुछ सुनाई दे रहा था। वह हैरानी और खौफ भरी आंखों से आगे बढ़ रही थीं। जब वह महल के सही हिस्से में आईं, तो चीखें और कराहें आना बंद हो गईं। उन्होंने राहत की सांस ली और अपने कमरे की तरफ तेजी से बढ़ने लगीं।

    महाराज राजबीर सिंह ने उन्हें देखकर कहा, "आखिर क्या जरूरत थी वहां जाने की? तुम्हें पता है न वो जगह कितनी खतरनाक है!!" महाराज राजबीर सिंह के भी आंखों में डर और खौफ नजर आ रहा था। दोनों ही उस सुरंग के बारे में सोचकर खौफ में नजर आ रहे थे।

    महारानी मधुमति ने उनके पास आकर कहा: "और हम क्या ही करते?? राजकुमारी रश्मि को अगर उस सुरंग के बारे में पता चल जाता तो क्या अंजाम होता आपको बहुत अच्छे से पता है महाराज!! इसके अलावा कोई रास्ता नहीं था इसलिए किसी एक की बलि देकर हमें उस सुरंग को बंद करना पड़ा।"

    महाराज राजबीर ने डर से कहा, "वैसे वो सुरंग पूरी तरह से बंद तो हो गया है न?? नहीं तो यह न हो कि वह रक्षक हमारे महल के अंदर आ जाए!!"

    महारानी मधुमति ने जवाब दिया, "आप फिक्र मत करिए!! एक बार वो सुरंग बंद होने के बाद पूरे 5 साल बाद ही खुलता है। और राजकुमारी रश्मि तो बस कुछ ही दिन यहां रहेंगी फिर अपने महल वापस चली जाएंगी!! तब तक के लिए हम पूरे सुरक्षित हैं।"

    महाराज राजबीर बेड पर बैठकर कहते हैं, "पता नहीं कब तक हमें ऐसे ही डर डर कर जीना पड़ेगा?? अगर वो सुरंग नहीं होता हमारे महल में तो इतनी परेशानी झेलनी नहीं पड़ता हमें।"

    महारानी मधुमति ने उनके पास बैठकर कहा, "सिर्फ उस सुरंग की ही वजह से नहीं बल्की उस रक्षक की वजह से भी यह सब हुआ है महाराज!! (फिर थोड़ी खुशी से) पर आप फिक्र मत करिए, अगर हमारा प्लान कामयाब हो गया न तो हमारी साम्राज्य हमेशा के लिए सुरक्षित रहेगी और हम निश्चित रूप से अपना जीवन एक साथ गुजर सकेंगे।"

    महाराज राजबीर ने उनका हाथ बड़े प्यारे से पकड़कर रखा।

    उधर राजकुमारी राधिका और अर्पिता एक दूसरे से बातें कर रही थीं। राजकुमारी राधिका साज रही थीं और अर्पिता उनसे बातें कर रही थीं।

    राजकुमारी अर्पिता ने कहा, "अगर राजकुमारी रश्मि महल में इधर उधर नहीं जाती तो उन्हें रानी मां से डांट नहीं सुननी पड़ती। साथ में कार्तिक भाई को भी सुनना नहीं पड़ता।"

    राजकुमारी राधिका अपने वालों को प्यार से सहला रही थीं उन्होंने आइने से अर्पिता की तरफ देखकर कहा, "जो हो गया है सो हो गया है!! राजकुमारी अर्पिता, अब कुछ नहीं करा जा सकता!! रानी मां के निर्देश अनुसार राजकुमारी रश्मि को उनकी बात माननी ही पड़ेगी।"

    राजकुमारी अर्पिता ने सवाल किया, "क्या वह हमारे कमरे में भी नहीं आ सकती??"

    राजकुमारी राधिका ने कहा, "पता नहीं!! पर रानी मां ने तो उन्हें बस अपने कमरे में ही रहने को कहा है तो उन्हें उनकी बात मान कर अपने कमरे में ही रहना पड़ेगा।"

    तभी पीछे से किसी की आवाज आई, "ऐसा बिल्कुल नहीं है!! हम आपके कमरे में भी आ सकते हैं।"

    उन दोनों की नजर एकदम कमरे के बाहर दरवाजे की तरफ चली गई जहां से राजकुमारी रश्मि अंदर आ रही थीं।

    राजकुमारी अर्पिता बेड से उठ खड़ी हो गई। राजकुमारी रश्मि ने उनकी तरफ देखकर कहा, "हमने रानी मां से पूछ लिया है कि हम आप दोनों के पास आ सकते हैं कि नहीं!! और उन्होंने हमें इसकी इजाजत दे दी है, तो अब कोई बात नहीं है कि हम कहीं नहीं जा सकते।"

    राजकुमारी अर्पिता ने मुस्कुरा कर कहा, "यह तो अच्छी बात है!! अब हम तीनों बातें कर सकते हैं एक दूसरे के कमरे में जाकर।"

    कहकर उन्होंने राजकुमारी राधिका की तरफ देखा जो कि थोड़ी गुस्से से रश्मि को देख रही थीं।

    राजकुमारी अर्पिता ने कहा, "अरे छोड़िए यह सब बातें!! क्यों न हम साथ मिलकर रानी मां से शॉपिंग करने के लिए इजाज़त लेने चले!!! (फिर राजकुमारी राधिका की तरफ देखकर) क्यों अच्छा idea है न!!"

    राजकुमारी राधिका ने मना कर दिया और कहा, "तुम दोनों जाओ!! हमें बाहर शॉपिंग करने की इच्छा नहीं है।" राजकुमारी राधिका ने मुंह फेर लिया, जिससे राजकुमारी अर्पिता को बुरा लगा। राजकुमारी रश्मि ने राजकुमारी अर्पिता का हाथ पकड़कर कहा, "चलिए, हम दोनों साथ में शॉपिंग करने चलेंगे!!" दोनों खुशी से कमरे से बाहर चले गए।

    राजकुमारी राधिका आइने से उन दोनों को जाते हुए देखती रह गई। वह दोनों महारानी मधुमति के कमरे में जाकर इजाजत लेने के लिए पूछा तो महारानी मधुमति ने कहा, "शॉपिंग?? पर राजकुमारी अर्पिता, अगले हफ्ते ही तो हमने आपके लिए ढेर सारी कपड़े लेकर आए थे। तो अब फिर से क्यों शॉपिंग जाने की बात कर रही हैं??"

    राजकुमारी अर्पिता ने कहा, "वो रानी मां, मुझे राजकुमारी रश्मि के साथ जाना है उनके लिए शॉपिंग करने। तो क्या मैं उनके साथ जा सकती हूं?? प्लीज रानी मां!!"

    महारानी मधुमति ने कहा, "अच्छा ठीक है, जहां आप दोनों की इच्छा हो रही है तो आप दोनों जा सकती हैं। पर अकेले नहीं...!! आप दोनों के साथ सैनिक और राजकुमार आदित्य भी जाएंगे। ठीक है!!"

    राजकुमारी रश्मि ने खुशी में कहा, "ठीक है रानी मां!! आप जैसा कहें।" महारानी मधुमति ने मुस्कुरा दिया और फिर कुछ सैनिक और साथ में राजकुमार आदित्य को लेकर वह दोनों शॉपिंग करने चले गए।

    महारानी मधुमति राजकुमारी राधिका के कमरे में आकर पूछती हैं, "आप क्यों नहीं गई राजकुमारी??" राजकुमारी राधिका जो कि बेड पर चुपचाप बैठी हुई थीं, उन्होंने कहा, "हमारा मन नहीं था!!"

    महारानी मधुमति ने कहा, "आप जाती तो अच्छा होता।" राजकुमारी राधिका ने मुंह फेर कर कहा, "मुझे उन दोनों के साथ नहीं जाना था इसलिए नहीं गई।"

    महारानी मधुमति ने पूछा, "क्या आप राजकुमारी रश्मि को पसंद नहीं करती??" राजकुमारी राधिका ने उनकी तरफ देखकर नाराजगी से कहा, "वह आपकी बात नहीं मानती और खुद की मनमानी करती है इसलिए हमें बिल्कुल भी पसंद नहीं यह सब उनकी हरकतें!!"

    महारानी मधुमति ने कहा, "वह आप दोनों से बहुत अलग है!! आपके मामा रणजीत ने उन्हें अच्छी परवरिश दी है पर उनके पास मां नहीं हैं इसलिए वह ऐसी है। पर यह मत भूलिए राजकुमारी!! हर कोई एक नहीं होता है, सबकी एक न एक बुरी आदत तो होती ही है!! चाहे वह हमारी बात नहीं मानती हो पर वह दिल की बुरी भी नहीं है।"

    राजकुमारी राधिका खामोश रहीं, उन्होंने कुछ भी नहीं कहा। महारानी मधुमति ने लास्ट बार एक ही बात कहकर चली गईं कि, "जब राजकुमारी रश्मि आए तो उनसे अच्छे से बात करिएगा क्योंकि वह आपके लिए भी शॉपिंग करने गई है।"

    राजकुमारी राधिका की मन यह सुनकर थोड़ा नरम हो गया और बस चुपचाप बैठी बैठी उन दोनों का इंतजार करने लगीं।

    उधर, राजकुमारी रश्मि और अर्पिता ढेर सारी शॉपिंग कर रही थीं। उन्होंने राजकुमारी राधिका के लिए भी बहुत से चीजें और कपड़े खरीदे। राजकुमारी अर्पिता और भी कपड़े खरीद रही थीं और उधर राजकुमारी रश्मि की शॉपिंग हो गई थी वह कार में बैठी थीं। उनके साथ में राजकुमार आदित्य भी बैठे थे।

    राजकुमारी रश्मि ने पूछा, "अच्छा क्या अभी भी राजकुमार कार्तिक हमसे नाराज हैं??"

    राजकुमार आदित्य ने हैरानी से कहा, "नाराज!!! नहीं तो, वह आपसे भला नाराज क्यों होंगे??"

    राजकुमारी रश्मि ने उदास स्वर में कहा, "वो... मेरी वजह से उन्हें रानी मां से सुनना पड़ा न.... तो, मुझे लगा.... वह नाराज होंगे मुझसे अभी भी।"

    राजकुमार आदित्य ने हंसकर कहा: "अरे आप बस इतनी सी बात अभी भी सोच रही है!! अरे, वह ज्यादा देर तक नाराज़ नहीं रहते। अगर आपको विश्वास नहीं हो रहा है तो आप खुद ही घर जाकर उनसे पूछ लीजिएगा कि वह आपसे नाराज़ है भी या नहीं!!"

    राजकुमारी रश्मि ने कहा: "अच्छा ठीक है!! मैं उनसे खुद ही पूछ लूंगी कि वह नाराज है कि या नहीं।"

    राजकुमार आदित्य ने कहा: "वैसे एक बात कहूं!! आप न हमें आप शब्द न बोलकर तुम बोला करिए तो अच्छा होगा क्योंकि हमें यही पसंद है!! और आपके मुंह से आप सुनकर मुझे तो बिल्कुल हजम ही नहीं हो रहा है।"

    राजकुमारी रश्मि ने कहा: "अच्छा आप जैसा कहे....I mean!! तुम जैसा कहते हो!!"

    राजकुमार आदित्य ने आगे कहा: "और राजकुमार कार्तिक को भी आप नहीं तुम बोला करना क्योंकि उन्हें भी पसंद नहीं आप शब्द सुनना।"

    राजकुमारी रश्मि ने हां में सर हिला दिया। फिर राजकुमारी अर्पिता कार में आ गई और साथ में वह सब घर की तरफ रवाना हो गए।



    क्या राजकुमारी रश्मि के आगमन से महल में कोई बड़ा बदलाव आएगा? महारानी मधुमति के प्लान का क्या उद्देश्य है और क्या वह सफल होंगे? सुरंग के पीछे का रहस्य क्या है और इसका महल से क्या संबंध है? क्या राजकुमारी रश्मि के आने से महल में कोई बड़ा खतरा मंडरा रहा है? महाराज राजबीर सिंह की चिंता का कारण क्या है और क्या वह सही हैं?